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अलं�का�र

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अलं�का�र अलं�का�र अलं�का ति� ; अलं�का�र : अलंम् अर्था��� भू�षण। जो� भू�तिष� कार� वह अलं�का�र ह�। अलं�का�र, कातिव��-का�मिम्नी� का� सौ�न्दर्य� का� बढ़ा�नी� व�लं� �त्व ह��� ह&। जिजोसौ प्रका�र आभू�षण सौ� नी�र� का� लं�वण्र्य बढ़ा जो��� ह�, उसौ� प्रका�र अलं�का�र सौ� कातिव�� का, शो�भू� बढ़ा जो��� ह�। काह� गर्य� ह� - अलं�कार�ति इति अलं�का�र� (जो� अलं�का � कार�� ह�, वह� अलं�का�र ह�।) भू�र��र्य सौ�तिहत्र्य म्/ नी0प्र�सौ, उपम्�, रूपका, अनीन्वर्य, र्यम्का, श्ले�ष, उत्प्र�क्षा�, सौ�द�ह, अति�शोर्य�क्ति6, वक्रो�क्ति6 आदिद प्रम्0ख अलं�का�र ह&।इसौ का�रण व्यु0त्पत्ति= सौ� उपम्� आदिद अलं�का�र काहलं��� ह&। उपम्� आदिद का� क्तिलंए अलं�का�र शोब्द का� सौ�का0 क्ति@� अर्था� म्/ प्रर्य�ग तिकार्य� गर्य� ह�। व्यु�पका रूप म्/ सौAदर्य� म्�त्र का� अलं�का�र काह�� ह& और उसौ� सौ� का�व्यु ग्रहण तिकार्य� जो��� ह�। (का�व्यु� ग्र�ह्मम्लं�का�र�� । सौAदर्य�म्लं�का�र: - व�म्नी)। @�रुत्व का� भू� अलं�का�र काह�� ह&। (टीHका�, व्युक्ति6तिवव�का)।भू�म्ह का� तिव@�र सौ� वक्रो�र्था�तिवजो�एका शोब्द�क्ति6 अर्थाव� शोब्द�र्था�व�क्ति@त्र्र्य का� नी�म् अलं�का�र ह� (वक्रो�त्तिभूधे��शोब्द�क्ति6रिरष्टा� व�@�म्लं�-का ति�:।) रुद्रटी अत्तिभूधे�नीप्रका�रतिवशो�ष का� ह� अलं�का�र काह�� ह& (अत्तिभूधे�नीप्रका�शोतिवशो�ष� एव @�लं�का�र�:)। द�डी� का� क्तिलंए अलं�का�र का�व्यु का� शो�भू�कार धेम्� ह& (का�व्युशो�भू�कार�नी धेम्��नी अलं�का�र�नी प्र@क्षा��)। सौAदर्य�, @�रुत्व, का�व्युशो�भू�कार धेम्� इनी ��नी रूपO म्/ अलं�का�र शोब्द का� प्रर्य�ग व्यु�पका अर्था� म्/ हुआ ह� और शो�ष म्/ शोब्द �र्था� अर्था� का� अनी0प्र�सौ�पम्�दिद अलं�का�रO का� सौ�का0 क्ति@� अर्था� म्/। एका म्/ अलं�का�र का�व्यु का� प्र�णभू�� �त्व का� रूप म्/ ग्रह�� ह& और दूसौर� म्/ सौ0सौज्जिS�का��� का� रूप म्/।

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आधे�रसौ�म्�न्र्य�: कार्थानी�र्य वस्�0 का� अच्छे� सौ� अच्छे� रूप म्/ अत्तिभूव्युक्ति6 द�नी� का� तिव@�र सौ� अलं�का�र प्रर्य06 ह��� ह&। इनीका� द्वा�र� र्य� �� भू�वO का� उत्काष� प्रद�नी तिकार्य� जो��� ह� र्य� रूप, ग0ण, �र्था� तिक्रोर्य� का� अमिधेका ��व्र अनी0भूव कार�र्य� जो��� ह�। अ�: म्नी का� ओजो ह� अलं�का�रO का� व�स्�तिवका का�रण ह�। रुक्ति@भू�द आएYबर और @म्त्का�रतिप्रर्य व्युक्ति6 शोब्द�लं�का�रO का� और भू�व0का व्युक्ति6 अर्था��लं�का�रO का� प्रर्य�ग कार�� ह�। शोब्द�लं�का�रO का� प्रर्य�ग म्/ प0ररुक्ति6, प्रर्यत्नीलं�घव �र्था� उच्चा�रण र्य� ध्वतिनीसौ�म्र्य म्0ख्र्य आधे�रभू�� क्तिसौद्धां��� म्�नी� जो��� ह& और प0नीरुक्ति6 का� ह� आवत्ति= काहकार इसौका� वण�, शोब्द �र्था� पद का� क्रोम् सौ� ��नी भू�द म्�नी� जो��� ह&, जिजोनीम्/ क्रोम्शो: अनी0प्र�सौ और छे�का एव� र्यम्का, पररु6�वद�भू�सौ �र्था� लं�टी�नी0प्र�सौ का� ग्रहण तिकार्य� जो��� ह�। वत्र्यनी0प्र�सौ प्रर्यत्नीलं�घव का� उद�हरण ह�। वत्ति=र्यO और र�ति�र्यO का� आतिवष्कार इसौ� प्रर्यत्नीलं�घव का� का�रण ह��� ह�। श्रु0त्र्यनी0प्र�सौ म्/ ध्वतिनीसौ�म्र्य स्पष्टा ह� ह�। इनी प्रवत्ति=र्यO का� अति�रिर6 क्ति@त्र�लं�का�रO का, र@नी� म्/ का���हलंतिप्रर्य��, वक्रो�क्ति6, अन्र्य�क्ति6 �र्था� तिवभू�वनी�दिद अर्था��लं�का�रO का, र@नी� म्� व�क्ति@त्र्र्य म्/ आनी�द म्�नीनी� का, वत्ति= का�र्य�र� रह�� ह&। भू�व�त्तिभूव्यु�जोनी, न्र्य�नी�मिधेका�रिरण� �र्था� �का� नी� नी�म्का म्नी�वत्ति=र्यO का� आधे�र पर अर्था��लं�का�रO का� गठनी ह��� ह�। ज्ञा�नी का� सौभू� क्षा�त्रO म्/ अलं�का�र/ का, सौ�म्ग्र� लं� जो��� ह�, जो�सौ� व्यु�कारण का� आधे�र पर तिक्रोर्य�म्�लंका भू�तिवका और तिवशो�ष्र्य-तिवशो�षण-म्�लंका अलं�का�रO का� प्रर्य�ग ह��� ह�। म्नी�तिवज्ञा�नी सौ� स्म्रण, भ्रम्, सौ�द�ह �र्था� उत्प्र�क्षा� का, सौ�म्ग्र� लं� जो��� ह�, दशो�नी सौ� का�र्य�-का�रण-सौ�ब�धे� असौ�गति�, ह��0 �र्था� प्रम्�ण आदिद अलं�का�र क्तिलंए जो��� ह& और न्र्य�र्यशो�स्त्र का� क्रोम्शो: व�क्र्यन्र्य�र्य, �का� न्र्य�र्य �र्था� लं�कान्र्य�र्य भू�द कारका� अनी�का अलं�का�र गदिठ� ह��� ह&। उपम्� जो�सौ� का0 छे अलं�का�र भू�ति�का तिवज्ञा�नी सौ� सौ�ब�मिधे� ह& और रसौ�लं�का�र, भू�व�लं�का�र �र्था� तिक्रोर्य�@��0र�व�लं� अलं�का�र नी�ट्यशो�स्त्र सौ� ग्रहण तिकाए जो��� ह&।

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स्था�नी और म्हत्वआ@�र्यj नी� का�व्युशोर�र, उसौका� तिनीत्र्यधेम्� �र्था� बतिहर�ग उपका�रका का� तिव@�र कार�� हुए का�व्यु म्/ अलं�का�र का� स्था�नी और म्हत्व का� व्यु�ख्र्य�नी तिकार्य� ह�। इसौ सौ�ब�धे म्/ इनीका� तिव@�र, ग0ण, रसौ, ध्वतिनी �र्था� स्वर्य� का� प्रसौ�ग म्/ तिकार्य� जो��� ह�। शो�भू�स्रष्टा� का� रूप म्/ अलं�का�र स्वर्य� अलं�का�र्य� ह� म्�नी क्तिलंए जो��� ह& और शो�भू� का� वजिद्धांका�रका का� रूप म्/ व� आभू�षण का� सौम्�नी उपका�रका म्�त्र म्�नी� जो��� ह&। पहलं� रूप म्/ व� का�व्यु का� तिनीत्र्यधेम्� और दूसौर� रूप म्/ व� अतिनीत्र्यधेम्� काहलं��� ह&। इसौ प्रका�र का� तिव@�रO सौ� अलं�का�रशो�स्त्र म्/ द� पक्षाO का, नीlव पड़ गई। एका पक्षा नी�, जो� रसौ का� ह� का�व्यु का, आत्म्� म्�नी�� ह�, अलं�का�रO का� ग�ण म्�नीकार उन्ह/ अज्जिस्थारधेम्� म्�नी� और दूसौर� पक्षा नी� उन्ह/ ग0णO का� स्था�नी पर तिनीत्र्यधेम्� स्व�का�र कार क्तिलंर्य�। का�व्यु का� शोर�र का, काल्पनी� कारका� उनीका� तिनीरूपण तिकार्य� जो�नी� लंग�। आ@�र्य� व�म्नी नी� व्यु�पका अर्था� का� ग्रहण कार�� हुए सौ�का,ण� अर्था� का, @@�� का� सौम्र्य अलं�का�रO का� का�व्यु का� शो�भू�का�र धेम्� नी म्�नीकार उन्ह/ का� वलं ग0णO म्/ अति�शोर्य�� लं�नी�व�लं� ह��0 म्�नी� (का�व्युशो�भू�र्य�: का=��र� धेम्�� ग0ण�:। �दति�शोर्यह��वस्त्वलं�का�र�:।-का�. सौ�.)। आ@�र्य� आनी�दवधे�नी नी� इन्ह/ का�व्युशोर�र पर काटीकाका0� डीलं आदिद का� सौदृशो म्�त्र म्�नी� ह�। (�म्र्था�म्वलं�ब�� र्य�%तिqगनी� �� ग0ण�: स्म्��:। अ�ग�त्तिश्रु��स्त्वलं�का�र� म्न्�व्यु�: काटीका�दिदव� । -ध्वन्र्य�लं�का)। आ@�र्य� म्म्म्टी नी� ग0णO का� शो�र्य��दिदका अ�ग� धेम्j का� सौम्�नी �र्था� अलं�का�रO का� उनी ग0णO का� अ�गद्वा�र� सौ� उपका�र कारनी�व�लं� ब��कार उन्हl का� अनी0सौरण तिकार्य� ह� (र्य� रसौस्र्य��तिगनी� धेम्��: शो�र्य�दर्य इव�त्म्नी:। उत्काष�ह��वस्��स्र्य0र@लंज्जिस्था�र्य� ग0ण�: ।। उपका0 वrति� �� सौ��� र्य�%qगद्वा�र�ण जो��0क्ति@� । ह�र�दिदवदलं�का�र�स्��%नी0प्र�सौ�पम्�दर्य:।) उन्हOनी� ग0णO का� तिनीत्र्य �र्था� अलं�का�रO

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का� अतिनीत्र्य म्�नीकार का�व्यु म्/ उनीका� नी रहनी� पर भू� का�ई ह�तिनी नीहl म्�नी� (�दद�ष� शोब्द�र्थाs सौग0ण�वनीलं�का �� प0नी: क्व�तिप-का�.प्र.)। आ@�र्य� ह�म्@�द्र �र्था� आ@�र्य� तिवश्वनी�र्था द�नीO नी� उन्ह/ अ�ग�त्तिश्रु� ह� म्�नी� ह�। ह�म्@�द्र नी� �� "अ�ग�त्तिश्रु��स्त्वलं�का�र�:" काह� ह� ह� और तिवश्वनी�र्था नी� उन्ह/ अज्जिस्थार धेम्� ब�कार का�व्यु म्/ ग0णO का� सौम्�नी आवश्र्यका नीहl म्�नी� ह� (शोब्द�र्था�र्य�रज्जिस्थार� र्य� धेम्��: शो�भू�ति�शोमिर्यनी:। रसौ�दHनी0पका0 वr��%लं�का�र�स्��%qगद�दिदव� ।--सौ�.द्र.)। इसौ� प्रका�र र्यद्यतिप अग्निxनीप0र�णका�र नी� "व�xव�धेxध्र्यप्रधे�नी�%तिप रसौएव�त्रजो�तिव�म् " काहकार का�व्यु म्/ रसौ का, प्रधे�नी�� स्व�का�र का, ह�, �र्था�तिप अलं�का�रO का� तिनी���� अनी�वश्र्यका नी म्�नीकार उन्ह/ शो�भू�ति�शो�र्य� का�रण म्�नी क्तिलंर्य� ह� (अर्था��लं�का�ररतिह�� तिवधेव�व सौरस्व��)।इनी म्�O का� तिवर�धे म्/ 13वl शो�� म्/ जोर्यद�व नी� अलं�का�रO का� का�व्युधेम्� का� रूप म्/ प्रति�मिy� कार�� हुए उन्ह/ अतिनीव�र्य� स्था�नी दिदर्य� ह�। जो� व्युक्ति6 अग्निxनी म्/ उष्ण�� नी म्�नी�� ह�, उसौ� का, ब0जिद्धांव�लं� व्युक्ति6 वह ह�ग� जो� का�व्यु म्/ अलं�का�र नी म्�नी�� ह�। अलं�का�र का�व्यु का� तिनीत्र्यधेम्� ह& (अ�ग�कार�ति� र्य: का�व्यु� शोब्द�र्था��वनीलं�का ��। असौ� नी म्न्र्य�� कास्म्�दनी0ष्णम्नीलं� का �� ।-@�द्र�लं�का)।इसौ तिवव�द का� रह�� हुए भू� आनी�दवधे�नी जो�सौ� सौम्न्वर्यव�दिदर्यO नी� अलं�का�रO का� म्हत्व प्रति�प�दिद� कार�� हुए उन्ह/ आ��र म्�नीनी� म्/ तिह@का नीहl दिदख�ई ह�। रसौO का� अत्तिभूव्यु�जोनी� व�च्र्यतिवशो�ष सौ� ह� ह��� ह� और व�च्र्यतिवशो�ष का� प्रति�प�दका शोब्दO सौ� रसौ�दिद का� प्रका�शोका अलं�का�र, रूपका आदिद भू� व�च्र्यतिवशो�ष ह� ह&, अ�एव उन्ह/ अ��र�ग रसौ�दिद ह� म्�नीनी� @�तिहए। बतिहर�ग�� का� वलं प्रर्यत्नीसौ�ध्र्य र्यम्का आदिद का� सौ�ब�धे म्/ म्�नी� जो�एग� (र्य�� रसौ� व�च्र्यतिवशो�ष�र�व�क्षा�प्�व्यु�:। �स्म्�न्न ��ष�� बतिहर�गत्व� रसौ�त्तिभूव्यु6�। र्यम्कादुष्कारम्�ग~ष0 �0 �� ज्जिस्था�म्�व।-ध्वन्र्य�लं�का)।

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बनी जो�एYग�। जो�सौ� ख�लं�� हुआ ब�लंका र�जो� का� रूप बनी�कार अपनी� का� सौ@म्0@ र�जो� ह� सौम्झ�� ह� और उसौका� सौ�र्था� भू� उसौ� व�सौ� ह� सौम्झ�� ह&, व�सौ� ह� रसौ का� प�षका अलं�का�र भू� प्रधे�नी ह� सौका�� ह& (सौ0कातिव: तिवदxधेप0र�ध्री�व� भू�षण� र्यद्यतिप ज्जिश्लेष्टा� र्य�जोर्यति�, �र्था�तिप शोर�र��पत्ति=र�व�स्र्य काष्टासौ�प�द्य�, का0� का0 म्प�ति�का�र्य� इव। ब�लंक्रो,डी�र्य�म्तिप र�जोत्वमिम्व�त्थम्म्0म्र्थाr म्नीक्तिसौ का त्व�ह।-लं�@नी)।व�म्नी सौ� पहलं� का� आ@�र्यj नी� अलं�का�र �र्था� ग0णO म्/ भू�द नीहl म्�नी� ह�। भू�म्ह "भू�तिवका" अलं�का�र का� क्तिलंए ग0ण शोब्द का� प्रर्य�ग कार�� ह&। द�डी� द�नीO का� क्तिलंए "म्�ग�" शोब्द का� प्रर्य�ग कार�� ह& और र्यदिद अग्निxनीप0र�णका�र का�व्यु म्/ अनी0पम् शो�भू� का� आजो�एका का� ग0ण म्�नी�� ह& (र्य: का�व्यु� म्ह�l छे�र्य�म्नी0गह ण�त्र्यसौ� ग0ण:) �� द�डी� भू� का�व्यु का� शो�भू�कार धेम्� का� अलं�का�र का, सौ�ज्ञा� द��� ह&। व�म्नी नी� ह� ग0णO का, उपम्� र्य0व�� का� सौहजो सौAदर्य� सौ� और शो�लं�नी�� आदिद उसौका� सौहजो ग0णO सौ� द�कार ग0णरतिह� किंका��0 अलं�का�रम्र्य� र@नी� का�व्यु नीहl म्�नी� ह�। इसौ� का� पश्चा�� इसौ प्रका�र का� तिवव�@नी का, पर�पर� प्र@क्तिलं� हुई।

अत्तिभूनीवग0प्� का� तिव@�र सौ� भू� र्यद्यतिप रसौह�नी का�व्यु म्/ अलं�का�रO का, र्य�जोनी� कारनी� शोव का� सौजो�नी� का� सौम्�नी ह� (�र्था�तिह अ@��नी� शोवशोर�र� का0� डीलं�द्य0प��म्तिप नी भू�ति�, अलं�का�र्य�स्र्य�भू�व�� -लं�@नी), �र्था�तिप र्यदिद उनीका� प्रर्य�ग अलं�का�र्य� सौह�र्यका का� रूप म्/ तिकार्य� जो�एग� �� व� काटीकाव� नी रहकार का0� का0 म् का� सौम्�नी शोर�र का� सौ0ख और सौAदर्य� प्रद�नी कार�� हुए अद्भु�� सौAदर्य� सौ� म्�तिडी� कार/ग�; र्यह�Y �का तिका व� का�व्यु�त्म्� ह�

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वग�कारणध्वन्र्य�लं�का म्/ "अनीन्�� तिह व�ग्निxवकाल्प�:" काहकार अलं�का�रO का, अगण�र्य�� का, ओर सौ�का� � तिकार्य� गर्य� ह�। द�डी� नी� "�� @�द्य�तिप तिवकाल्प्र्य���" काहकार इनीका, तिनीत्र्य सौ�ख्र्यवजिद्धां का� ह� तिनीद~शो तिकार्य� ह�। �र्था�तिप तिव@�रकाO नी� अलं�का�रO का� शोब्द�लं�का�र, अर्था��लं�का�र, रसौ�लं�का�र, भू�व�लं�का�र, मिम्श्रु�लं�का�र, उभूर्य�लं�का�र �र्था� सौ�सौमिष्टा और सौ�कार नी�म्का भू�दO म्/ ब�Yटी� ह�। इनीम्/ प्रम्0ख शोब्द �र्था� अर्था� का� आत्तिश्रु� अलं�का�र ह&। र्यह तिवभू�ग अन्वर्यव्युति�र�का का� आधे�र पर तिकार्य� जो��� ह�। जोब तिकासौ� शोब्द का� पर्य��र्यव�@� का� प्रर्य�ग कारनी� सौ� प�क्ति6 म्/ ध्वतिनी का� वह� @�रुत्व नी रह� �ब म्�लं शोब्द का� प्रर्य�ग म्/ शोब्द�लं�का�र ह��� ह� और जोब शोब्द का� पर्य��र्यव�@� का� प्रर्य�ग सौ� भू� अर्था� का, @�रु�� म्/ अ��र नी आ�� ह� �ब अर्था��लं�का�र ह��� ह�। सौ�दृश्र्य आदिद का� अलं�का�रO का� म्�लं म्/ प�कार पहलं� पहलं� उद्भुटी नी� तिवषर्य�नी0सौ�र, का0 लं 44 अलं�का�रO का� छेह वगj म्/ तिवभू�जिजो� तिकार्य� र्था�, किंका��0 इनीसौ� अलं�का�रO का� तिवका�सौ का, त्तिभून्न अवस्था�ओं पर प्रका�शो पड़नी� का, अप�क्षा� त्तिभूझ प्रवत्ति=र्यO का� ह� प�� @लं�� ह�। व�ज्ञा�तिनीका वग�कारण का, दृमिष्टा सौ� �� रुद्रटी नी� ह� पहलं� ब�र सौफलं�� प्र�प्� का, ह�। उन्हOनी� व�स्�व, औपम्र्य, अति�शोर्य और श्ले�ष का� आधे�र म्�नीकार उनीका� @�र वग� तिकाए ह&। वस्�0 का� स्वरूप का� वण�नी व�स्�व ह�। इसौका� अ��ग�� 23 अलं�का�र आ�� ह&। तिकासौ� वस्�0 का� स्वरूप का, तिकासौ� अप्रस्�0� सौ� �0लंनी� कारका� स्पष्टा��प�व�का उसौ� उपज्जिस्था� कारनी� पर औपम्र्यम्�लंका 21 अलं�का�र म्�नी� जो��� ह&। अर्था� �र्था� धेम्� का� तिनीर्यम्O का� तिवपर्य�र्य म्/ अति�शोर्यम्�लंका 12 अलं�का�र और अनी�का अर्थाjव�लं� पदO सौ� एका ह� अर्था� का� ब�धे कार�नी�व�लं� श्ले�षम्�लंका 10 अलं�का�र ह��� ह&।

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तिवभू�जोनीअलं�का�र का� म्0ख्र्य�: भू�द म्�नी� जो��� ह&--शोब्द�लं�का�र, अर्था��लं�का�र �र्था� उभूर्य�लं�का�र। शोब्द का� परिरवत्ति=सौह स्थालंO म्/ अर्था��लं�का�र और शोब्दO का, परिरवत्ति= नी सौहनी�व�लं� स्थालंO म्/ शोब्द�लं�का�र का, तिवक्तिशोष्टा�� रहनी� पर उभूर्य�लं�का�र ह��� ह�। अलं�का�रO का, ज्जिस्थाति� द� रूप/ म्/ ह� सौका�� ह�--का� वलं रूप और मिम्त्तिश्रु� रूप। मिम्श्रुण का, तिद्वातिवधे�� का� का�रण "सौ�कार" �र्था� "सौ�सौमिष्टा" अलं�का�रO का� उदर्य ह��� ह�। शोब्द�लं�का�रO म्/ अनी0प्र�सौ, र्यम्का �र्था� वक्रो�क्ति6 का, प्रम्0ख�� ह�। अर्था��लं�का�रO का, सौ�ख्र्य� लंगभूग एका सौ� प@�सौ �का पहुY@ गई ह�।सौब अर्था��लं�का�रO का, म्�लंभू�� तिवशो�ष��ओं का� ध्र्य�नी म्/ रखकार आ@�र्यj नी� इन्ह/ म्0ख्र्य�: प��@ वगj म्/ तिवभू�जिजो� तिकार्य� ह� :1. सौ�दृश्र्यम्�लंका-उपम्�, रूपका आदिद;2. तिवर�धेम्�लंका-तिवषर्य, तिवर�धेभू�सौ आदिद;3. श्रु�खलं�ब�धे--सौ�र, एका�वलं� आदिद;4. �का� , व�क्र्य, लं�कान्र्य�र्यम्�लंका का�व्युलिंलं�ग, र्यर्था�सौ�ख्र्य आदिद;5. ग�ढ़ा�र्था�प्र��ति�म्�लंका-सौ�क्ष्म्, तिपतिह�, ग�ढ़ा�क्ति6 आदिद।

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उपम्� अलं�का�रका�व्यु म्/ जोब तिकासौ� प्रक्तिसौद्धां व्युक्ति6 र्य� वस्�0 का, सौम्�� दूसौर� सौम्�नी ग0ण व�लं� व्युक्ति6 र्य� वस्�0 सौ� का, जो��� ह� �ब उपम्� अलं�का�र ह��� ह�। उद�हरण -प�पर प�� सौरिरसौ म्नी डी�लं� ।र�धे� बदनी @न्द्र सौ� सौ0न्दर।अति�शोर्य�क्ति6 अलं�का�रअति�शोर्य�क्ति6 = अति�शोर्य + उक्ति6 = बढा�-@ढा�कार काहनी� । जोब तिकासौ� ब�� का� बढ़ा� @ढ़ा� कार ब��र्य� जो�र्य�, �बहनी0म्�नी का, प�Yछे म्/, लंग नी प�र्य� आग।लं�का� सौ�र� जोलं गई, गए तिनीशो�@र भू�ग।।तिवभू�वनी� अलं�का�रजोह�Y का�रण का� नी ह��� हुए भू� का�र्य� का� ह�नी� प�र्य� जो��� ह�, वह�Y तिवभू�वनी� अलं�का�र ह��� ह�। उद�हरण -तिबनी0 पग @लं� सौ0नी� तिबनी0 का�नी�।कार तिबनी0 काम्� कार� तिवमिधे नी�नी�।आनीनी रतिह� सौकालं रसौ भू�ग�।तिबनी0 व�ण� व6� बड़ जो�ग�।

र्यम्का अलं�का�रजोब एका शोब्द का� प्रर्य�ग द� ब�र ह��� ह� और द�नीO ब�र उसौका�  अर्था� अलंग-अलंग ह��� ह& �ब र्यम्का अलं�का�र ह��� ह�। उद�हरण -१ ऊँY @� घ�र म्न्दर का� अन्दर रहनी व�र�, ऊँY @� घ�र म्न्दर का� अन्दर रह��� ह&।(र्यह�Y पर म्न्दर का� अर्था� ह& अट्टा�क्तिलंका� और ग0फ�।)

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अनी0प्र�सौ अलं�का�रवणj का, आवत्ति= का� अनी0प्र�सौ काह�� ह&। उद�हरण -@�रु @न्द्र का, @�@लं तिकारण/,ख�लं रहl र्थाl जोलं-र्थालं म्/।स्वच्छे @�Yदनी� तिबछेH हुई र्था�,अवतिनी और अम्बर�लं म्/॥

जोब तिकासौ� शोब्द का� प्रर्य�ग एका ब�र ह� तिकार्य� जो��� ह� पर उसौका� एका सौ� अमिधेका अर्था� तिनीकालं�� ह& �ब श्ले�ष अलं�का�र ह��� ह�। उद�हरण -रतिहम्नी प�नी� र�ग्निखर्य�,तिबनी प�नी� सौब सौ�नी। प�नी� गर्य� नी ऊँबर�, म्��� म्�नी0ष @�नी।र्यह�� प�नी� शोब्द का� प्रर्य�ग र्यद्यतिप ��नी ब�र तिकार्य� गर्य� ह�, तिकान्�0 दूसौर� प�क्ति6 म्/ प्रर्य06 एका ह� प�नी� शोब्द का� ��नी तिवत्तिभून्न अर्था� ह& - म्��� का� क्तिलंर्य� प�नी� का� अर्था� @म्का, म्नी0ष्र्य का� क्तिलंर्य� इS� (सौम्म्�नी) और @�नी� का� क्तिलंर्य� प�नी� (जोलं) ह�। अ�� र्यह�Y श्ले�ष अलं�का�र ह�।

२ कानीका-कानीका �� सौ� ग0नी� म्�दका�� अमिधेका�र्य, र्य� ख�र्य� ब�र�र्य जोग, व� प�र्य� ब�र�र्य।(र्यह�Y पर कानीका का� अर्था� ह& धे��र� और सौ�नी�।)

श्ले�ष अलं�का�र

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