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Page 1: Bij Mantra Ki Mahika

बी�ज मं�त्र की मंहि�मं� (Beej Mantra)

मं�त्र शा�स्त्र मं� बीज मं�त्र� का� वि�शा�ष स्था�न है�। मं�त्र� मं� भी इन्है� शिशारो�मंणि� मं�न� ज�ता� है� क्यों�विका जिजस प्रका�रो बीज स� पौ&धों� औरो �)क्षों� का+ उत्पौणि. है�ता है�, उस प्रका�रो बीज मं�त्र� का� जपौ स� भीक्तों� का� दै��यों ऊज�2 मिमंलता है�। ऐस� नहै6 है� विका हैरो दै��-दै��ता� का� शिलए एका है बीज मं�त्र का� उल्ल�ख शा�स्त्र� मं� विकायों� गयों� है�। बील्किल्का अलग-अलग दै��-दै��ता� का� शिलए अलग बीज मं�त्र है=। 

“ऐं” सरोस्�ता बीज । योंहै मं�� सरोस्�ता का� बीज मं�त्र है�, इस� ��ग> बीज भी काहैता� है=। जबी बी&जि?का का�यों@ मं� सफलता� का+ का�मंन� है�, ता� योंहै मं�त्र उपौयों�ग है�ता� है�। जबी वि�द्या�, ज्ञा�न � ��का> शिसजि? का+ का�मंन� है�, ता� श्वे�ता आस�न पौरो पौF��2णिभीमंGख बी�ठकारो स्फटिKका का+ मं�ल� स� विनत्यों इस बीज मं�त्र का� एका हैज�रो बी�रो जपौ कारोन� स� ल�भी मिमंलता� है�। 

“ह्रीं�” भीG�न�श्वेरो बीज । योंहै मं�� भीG�न�श्वेरो का� बीज मं�त्र है�। इस� मं�यों� बीज काहैता� है=। जबी शाशिक्तों, सGरोक्षों�, पौरो�क्रमं, लक्ष्मं � दै�� का) पौ� का+ प्र�प्तिOता है�, ता� ल�ल रो�ग का� आसन पौरो पौF��2णिभीमंGख बी�ठकारो रोक्तों चं�दैन यों� रुद्रा�क्षों का+ मं�ल� स� विनत्यों एका हैज�रो बी�रो जपौ कारोन� स� ल�भी मिमंलता� है�। 

“क्लीं�” का�मं बीज । योंहै का�मंदै��, का) ष्� � का�ल इन तान� का� बीज मं�त्र है�। जबी स�2 का�यों2 शिसजि? � सTदैयों2 प्र�प्तिOता का+ का�मंन� है�, ता� ल�ल रो�ग का� आसन पौरो पौF��2णिभीमंGख बी�ठकारो रुद्रा�क्षों का+ मं�ल� स� विनत्यों एका हैज�रो बी�रो जपौ कारोन� स� ल�भी मिमंलता� है�। 

“श्रीं�” लक्ष्मं बीज । योंहै मं�� लक्ष्मं का� बीज मं�त्र है�। जबी धोंन, स�पौणि., सGख, समं)जि? � ऐश्वेयों2 का+ का�मंन� है�, ता� ल�ल रो�ग का� आसन पौरो पौणिUमं मंGख है�कारो कामंलगट्टे� का+ मं�ल� स� विनत्यों एका हैज�रो बी�रो जपौ कारोन� स� ल�भी मिमंलता� है�। 

"ह्रीं�" शिशा� बीज । योंहै भीग��न शिशा� का� बीज मं�त्र है�। अका�ल मं)त्योंG स� रोक्षों�, रो�ग न�शा, चंहुमंGख वि�का�स � मं�क्षों का+ का�मंन� का� शिलए श्वे�ता आसन पौरो उ.रो�णिभीमंGख बी�ठकारो रुद्रा�क्षों का+ मं�ल� स� विनत्यों एका हैज�रो बी�रो जपौ कारोन� स� ल�भी मिमंलता� है�। 

"गं�" ग��शा बीज । योंहै ग�पौविता का� बीज मं�त्र है�। वि�घ्न� का� दूरो कारोन� ताथा� धोंन-स�पौदै� का+ प्र�प्तिOता का� शिलए पौल� रो�ग का� आसन पौरो उ.रो�णिभीमंGख बी�ठकारो रुद्रा�क्षों का+ मं�ल� स� विनत्यों एका हैज�रो बी�रो जपौ कारोन� स� ल�भी मिमंलता� है�। 

"श्रीं�" न)सिंस\है बीज । योंहै भीग��न न)सिंस\है का� बीज मं�त्र है�। शात्रG शामंन, स�2 रोक्षों� बील, पौरो�क्रमं � आत्मंवि�श्वे�स का+ �)जि? का� शिलए ल�ल रो�ग का� आसन पौरो दैणिक्षों��णिभीमंGख बी�ठकारो रोक्तों चं�दैन यों� मंF�ग� का+ मं�ल� स� विनत्यों एका हैज�रो बी�रो जपौ कारोन� स� ल�भी मिमंलता� है�। 

“क्रीं�” का�ल बीज । योंहै का�ल का� बीज मं�त्र है�। शात्रG शामंन, पौरो�क्रमं, सGरोक्षों�, स्��स्थ्यों ल�भी आटिदै का�मंन�ओं का+ पौFर्तिता\ का� शिलए ल�ल रो�ग का� आसन पौरो उ.रो�णिभीमंGख बी�ठकारो रुद्रा�क्षों का+ मं�ल� स� विनत्यों एका हैज�रो बी�रो जपौ कारोन� स� ल�भी मिमंलता� है�। 

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“दं�” वि�ष्�G बीज । योंहै भीग��न वि�ष्�G का� बीज मं�त्र है�। धोंन, स�पौणि., सGरोक्षों�, दै��पौत्यों सGख, मं�क्षों � वि�जयों का+ का�मंन� है�ताG पौल� रो�ग का� आसन पौरो पौF��2णिभीमंGख बी�ठकारो ताGलस का+ मं�ल� स� विनत्यों एका हैज�रो बी�रो जपौ कारोन� स� ल�भी मिमंलता� है�।


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