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8/23/2019 Nitya Stuti - Swami Ramsukhdas Ji

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॥ी ह:॥ 

िनयसतुनत: 

 गजं भू  तगणसे नतम् 

 कनथजबू  फलचभणम् । 

 उमसु तं शोकनषककम् 

 मनम नें कजम् ॥ 

 कप योषोहतभः 

 ृ छनम ं धमपसमू  ढचे तः । 

 यरेयः यननतं ू  नह तम े

 नशयतऽेहं शनध मं ं म् ॥२|७॥ 

 क ु णमुशनसत -

मणोणीयंसमु मेः । 

 सप य धतमनचय - मयण तमसः तत् ॥८।९॥ 

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 यनम े ं त े  े हे 

 स तथ भू  तनशे षसं घ् । 

 णमीशं कमलसथ - 

 मृ ष सप ु गं व् ॥११। १५॥ 

अे कबे ं 

 यनम ं सप तोऽतम् । 

 तं मयं ु त  

 यनम ने न ॥११। १६॥ 

 कीिं गं चणं च  

 ते जोश सप तो ीनमतम् । 

 यनम ं ु ीयं समत - 

 ीलकपु नतममे यम् ॥११- १७॥ 

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 मं मं े तवं 

 मय नय ं नधम् । 

 मवयः शतधमपगो  

 सतं ु षो मतो मे ॥११- १८॥ 

अमयतमतीयप- 

 मतबं शनशसू  यप े म् । 

 यनम ं ीतश ं

 ते जस ननमं ततम् ॥११- १९॥ 

 ृनथवोमतं नह  

 वं यै के श सपः । 

 ृ दभु तं मु ं ते ं 

 लोकयं वनथतं महम् ॥११- २०॥ 

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अमी नह ं सु सं घ नशनत  

 केनचीतः ञलयो गृ णनत । 

 तीयु महषनससं घः 

 तु नत ं तु नतनभः ु कलनभः ॥११- २१॥ 

 य सो ये च सय  

 नऽेनौ मतोम । 

 गधप यसुनससं घ  

 ीते ं ननमतै  स ॥११- २२॥ 

 थे षीकेश त कयप 

 जगययु यते च । 

 ं नस भीतन शो नत  

 स मयनत च नससं घः ॥११- ३६॥ 

 कम ते मे महम ्

 गीयसे णोऽयक । 

अत े शे जगनस  

 मं ससं यत् ॥११- ३७॥ 

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 मे ः ुषः ु ण - 

 मय नय ं नधम् । 

 े नस े ं च ं च धम  

 य ततं नमत ॥११- ३८॥ 

 यु यप मोऽनपणः शशङकः 

 जनतं नतमह । 

 मो मतऽेतु सहकृः 

 ु  भू  योऽन मो मते ॥११- ३९॥ 

 मः ु तथ ृ तते 

: मोऽतु ते सप त ए सप । 

अतीयप नमतनम ं

 स समोनष ततोऽनस सपः ॥११- ४०॥ 

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 सखे नत म सभं यु ं 

 हे कृण हे य हे सखे नत । 

अजत मनहमं ते ं 

 मय मणये  न ॥११- ४१॥ 

 यहसथप मसकृतोऽनस  

 नहशयसभोजे षु । 

 एकोऽथययु त तसम ं

 तमये महममे यम् ॥११- ४२॥ 

 नतनस लोकय चचय  

 मय ू  य गु गपीय् । 

  समोऽययनधकः कुतोऽयो  

 लोकयऽेयनतमभ ॥११- ४३॥ 

 तमणय नणधय कय ं

 सये महमीशमीडम् । 

 नते  ु य सखे  सयःु 

 नयः नययहप नस े  सोढुम् ॥११- ४४॥ 

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 मे  मत च नत मे ,

 मे  बधु सख मे। 

 मे  न च नणम मे ,

 मे  सप मम े  े ः।। 

 ह : शणम् ह : शणम् ह : शणम् ह : शणम् 

 ह : शणम् ह : शणम् ह : शणम् ह : शणम् 

 ह : शणम् ह : शणम् ह : शणम् ह : शणम् 

 ह : शणम् ह : शणम् ह : शणम् ह : शणम् 

 ह : शणम् ह : शणम् ह : शणम् ह : शणम् 

 ह : शणम् ह : शणम् ह : शणम् ह : शणम् 

 ह : शणम् ह : शणम् ह : शणम् ह : शणम् 

 ह : शणम् ह : शणम् ह : शणम् ह : शणम् 

 ह : शणम् ह : शणम् ह : शणम् ह : शणम् 

 ह : शणम् ह : शणम् ह : शणम् ह : शणम् 

 ह : शणम् ह : शणम् ह : शणम् ह : शणम् 

 ह : शणम् ह : शणम् ह : शणम् ह : शणम् 

 ह : शणम् ह : शणम् ह : शणम् ह : शणम् 

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 नय ठीय गीत जी के ाच ोक :- 

अजोऽन सवयम भू  तमीोऽन स् । 

 कृत मनधय सभंयममयय ॥४-६॥ 

 य य नह धमप य लनभप नत भत । 

अयु थमधमपय तमं सृ जयहम् ॥४-७॥ 

 णय सधू  ं नशय च ु कृतम् । 

धमप सं थथप य सभनम यु गे यु गे ॥४-८॥ 

 जम कमप च मे वमे ं यो े न ततः । 

 य े हं ु जप म ै नत ममे नत सोऽजु  प  ॥४-९॥ 

 ीतगभयोध ममय ममु नतः । 

 बहो तस ू  त ममगतः ॥४-१०॥ 

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