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एक दि�न बल्लू आदि� सि खो ने गुरु जी े बिबनती की महाराज! अनेक जाबितयों के लोग यहा ँ�र्श"न करने आतें हैं पर उनके रहन ेके सिलए कोई खुला स्थान नहीं है, इ सिलए कोई खुला माकन बनाना चाबिहए| यह बि-नती ुनकर गुरु जी ने बाबा बुड्डा जी - अपने भतीजे ा-ण मल के ाथ पांच सि खों को रिरया त हरीपुर के राजा के पा भेजा और कहा -हाँ े मकानों के सिलए लकड़ी के गठे बांधकर ब्या न�ी के रास्ते े भेजने का प्रबंध करो| ा-ण मल न ेकहा महाराज! पहाड़ी लोग गुरु की पूजा करने -ाल ेनहीं हैं -े मूर्तित= पूजक हैं| लकड़ी खरी�न ेके सिलए बहुत ा धन चाबिहए|

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गुरु जी न ेकहा बिक ब र्शसि?याँ ही आपके अधीन होंगी तुम जिज तरह भी चाहोगे उनका प्रयोग करके राजा को गुरु घर का प्रेमी बना लेना बिBर -ह अपने आप ही आपकी जरूरत को पूरा कर �ेगा| यह बात कहकर गुरु जी ने अपने हाथ का रुमाल ा-ण मल को �ेते हुए कहा बिक इ को हाथ में पकड़कर तुम जी कुछ भी चाहोगे -ो हो जायेगा| आपकी इच्छा यह रूमाल पूरी करेगा| रूमाल लेकर ा-ण मल अपने ाथ पांच सि खो को हरीपुर ले गया| उ दि�न एका�र्शी का व्रत था जिज मे राजे की तरB े आज्ञा थी बिक कोई अन्न को हाथ ना लगाये|

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परन्तु ा-ण मल और उ के ासिथयों ने प्र ा� तैयार करके खाया और आने -ाले को भी दि�या| राजे को खबर हुई तो उ ने अन्न खाने - व्रत ना रखने का कारण पूछा| ा-ण मल ने कहा गुरु जी का लंगर �ै- ही चलता रहता है| -ह बिक ी भी तरह के भ्रमों में बि-श्वार्श नहीं रखते| यह उत्तर ुनकर राजा के गुरु एक बैरागी ाधु ने कहा इनको कै� कर लो| अपने गुरु के कहने पर राजे ने ा-ण मल को कै� कर सिलया|

दू रे ही दि�न राजे के पुत्र को हैजा हो गया और -ह मृत्यु को प्राप्त हो गया|

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मंत्री ने कहा आपने गुरु के बिन�Rष सि ख को कै� बिकया है, यह उन्ही के बिनरा�र का Bल है जिज ेराजकुमार को मौत हासि ल हुई ह|ै र्शीघ्र ही कै� े बिनकालकर क्षमा मांगो| राजे ने ऐ ा ही बिकया तब ा-ण मल ने कहा अगर राजा गुरु का सि ख बन जाये तो मैं उ के पुत्र को जीबि-त कर दँूगा| जब राजे को इ बात का पता लगा तो उ ने कहा अगर मेरा पुत्र जीबि-त हो गया तो मैं और मेरा परिर-ार गुरु जी के सि ख बन जायेगें| जब ा-ण मल को महल में बुलाया गया तब ा-ण मल ने राजे को कहा आप चुपचाप बैठकर त्य नाम का स्मरण करो और रोना - धोना बं� कर �ो|

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इ के पश्चात ा-ण मल ने जपुजी ाबिहब का पाठ मृत लड़के के पा जाकर करना र्शुरू कर दि�या और गुरु जी के रूमाल का कोना धोकर लड़के के मुँह में डाला और बिBर रूमाल पकड़कर उ के सि र पर त्य नाम कहत ेहुए घुमाया तो राजकुमार उठ कर बैठ गया| गुरु जी के ऐ े कौतक को �ेखकर राजा - रानी ा-ण मल के चरणों में बिगर पडे़| उ न े ा-ण मल को बहुत ा धन और -स्त्र भी भेंट बिकय|े इ के पश्चात ारे रिरया त के लोग ही गुरु के सि ख बन गये|

�ो चार दि�न तो खुर्शी में ही बीत गये| तो एक दि�न राजे ने ा-ण मल को यहाँ आन ेका करण पूछा|

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ा-ण मल ने कहा, महाराज! ब्या न�ी के बिकनारे गोइं�-ाल नगर में गुरु अमर�ा जी रहतें हैं उनके �र्श"न करने के सिलए दूर दूर े सि ख े-क आते हैं, उनके सिलए मकान बन-ाने के सिलए बहुत ी लकड़ी की जरूरत है| राजे ने उ ी मय अपने आ�मिमयों को हुकुम दि�या बिक मकानों में काम आने -ाली दि�यार आदि� लकड़ी काटकर उनके बेडे़ पर बांधकर ब्या में तैरा �ो| इ प्रकार बहुत ी लकड़ी गोइं�-ाल पहुँच गई| उ ी मय ा-ण मल को गुरु जी की बात या� आ गई और ऐ े कौतक को �ेखकर -ह मन ही मन गुरु की उपमा करने लगे|

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