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औऔऔऔऔ औऔऔऔऔऔ औऔ औऔऔऔ वववववववववव, वव ववववव वववववववव वव वववव वववव: ववववव, ववव वव वववववववव ववववव वव वववव ववव ववववव वववववव वव वववववववव वववव वववव(वव) ववव वव वववव वव ववव वव वववव वववववव वववव वववववववववव वव वववववव वव वववव व औऔऔऔ (Species) औऔऔऔऔऔऔ औऔऔ औऔऔऔ (Claim) औऔऔऔऔऔऔ [] Compendi al status Acanthopana x gracilistylus Prickly ginseng, Wujiapi [] Aids digestion, cures hepatitis C, lowers blood pressure, increases stamina. [] Achillea millefolium Yarrow Eaten to counter poisoning, but must be eaten quickly [उउउउउउ उउउउउउ] Agaricus subrufescens Agaricus blazei May enhance immune system and have anti-cancer properties (Reviewed by Hetland) [] Positive/ Inconclusive [] Allium sativum [] Garlic Antibiotic (in vitro)/stops infectionNico

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औषधीय पादपों की सूचीवि�वि�पीवि�या, ए� मुक्त ज्ञान�ोष सेयहाँ जाए:ँ भ्रमण, खोज

यह सम्पूण� पृष्ठ या इस�े �ुछ वि�भाग विहन्दी �े अवि&रि(क्त अन्य भाषा(ओं) में भी लि,खे गए हैं। आप इन�ा अनु�ाद �(�े

वि�वि�पीवि�या �ी सहाय&ा �( स�&े हैं।

जाति� (Species) सामान्य नाम दावा (Claim) साक्ष्य[१] Compendial status

Acanthopanax gracilistylus

Prickly ginseng, Wujiapi [२]

Aids digestion, cures hepatitis C, lowers blood pressure, increases stamina.[३]

Achillea millefolium Yarrow

Eaten to counter poisoning, but must be eaten quickly

[उद्ध(ण �ांलिछ&]

Agaricus subrufescens

Agaricus blazei

May enhance immune system and have anti-cancer properties (Reviewed by Hetland) [४]

Positive/Inconclusive[४]

Allium sativum [५] Garlic

Antibiotic (in vitro)/stops infectionNicole Johnston (April 2002). "Garlic: a natural antibiotic". Modern Drug Discovery 5 (4). </ref>[६][७][८][९]

Cardiovascular health

inconclusive[१०]

Aloe ferox WHO Monographs on Selected

Medicinal Plants - Volume 1 [११]

Anethum graveolens

Dill and Dill oil

used to soothe the stomach after meals

Amorphophallus konjac Konjac Atopic dermatitis positive[१२]

high cholesterol positive[१३]

Aquilaria agollocha Eaglewood

Artemisia annua L.

Sweet sagewort

Help to prevent the development of parasite resistance,it also has anti-malarial properties, and has anti-cancer properties

Artemisia absinthium L. Wormwood

Aristolochia rotunda Smearwort

Arum Maculatum

Lords and Ladies

Astragalus membranaceus

Astragalus [५]

Cannabis Sativa L.

Cannabis, Cannabis sativa, Marijuana, Hashish

Pain relief, hunger stimulation, wasting caused by HIV/AIDS, Glaucoma, nausea

Citrus aurantium ssp. bergamia

Bergamot orange

Malaria[१४]

Crataegus spp. L. Hawthorn Nervous tension

Cydonia Quince [१५]

oblonga

Cymbopogon flexuosus

Lemon grass [१५]

Cymbopogon schoenanthus

Fever grass [५]

Digitalis lanataDigitalis, Balkan Foxglove

Antiarrhythmic agent and inotrope

positive[१६][१७]

Echinacea purpurea

Purple coneflower, and other species of Echinacea

Reduce the severity and duration of symptoms associated with cold and flu.

inconclusive[१८]

Glycyrrhiza glabra Liquorice

Hydrastis canadensis Goldenseal Antimicrobial[१९]

Hypericum perforatum St. John's wort Antidepressant

positive[२०]

negative[२१]

Kaempferia galanga

Galanga resurrectionlily, Shannai [१५]

Marrubium vulgare Horehound Expectorant

Matricaria recutita(Chamomilla recutita)

Chamomile Relaxant/Calmative

Mentha × piperita Peppermint

Irritable Bowel Syndrome/Peristalsis

WHO monographs on selected medicinal plants Volume 2 [२२]

Nepeta cataria Catnip Soothes coughs

Panax Ginseng [२३]

Papaver somniferum Opium Poppy

Pain relief. Morphine made from the refined and modified sap is used for pain control in terminal patients. Dried sap was used as a traditional medicine until the 19th century.

Passiflora spp. Passion-flower Insomnia

Phytolacca spp. Pokeweed Topical: acne

Internal: tonsilitis

Plantago spp. Plantain and Psyllium Astringent

Salvia Stenophylla

Blue Mountain Sage

Poppiocious seediouphylla Poppy seeds

Helps sleeping/relieves pain

Rosmarinus officinalis

Rosemary [५]

Symphytum officinale Comfrey

mends broken bones/stops infection

Tanacetum parthenium(Chrysanthemum parthenium)

FeverfewRelieves Migranes, helps fevers and chills

Taraxacum officinale Dandelion Digestive

Tilia spp. Lime Blossom

Urtica dioica Urtica dioica

Valeriana officinalis Valerian Sedative

Verbascum thapsus Mullein

boosts the Immune system, antispasmodic, diuretic, anodyne, and demulcent[२४] Used to treat coughs, (protracted) colds, hemoptysis, catarrh, dysentery, diarrhoea and as a general tonic (like ginseng) to boost the immune system

Zingiberis Rhizoma Ginger

can help ease nausea from chemotherapy[२५]

JP XV [२६]

आयुव�दवि�वि�पीवि�या, ए� मुक्त ज्ञान�ोष सेयहाँ जाए:ँ भ्रमण, खोज

आयुव�द औ( आयुर्वि�Aज्ञान दोनों ही लिCवि�त्साशास्त्र हैं, प(ं&ु व्य�हा( में लिCवि�त्साशास्त्र �े प्राCीन भा(&ीय

ढंग �ो आयु�Kद �ह&े हैं औ( ऐ,ोपैलिN� प्रणा,ी (जन&ा �ी भाषा में "�ाक्ट(ी') �ो आयुर्वि�Aज्ञान �ा नाम

दिदया जा&ा है।

आयु�Kद �ा अN� प्राCीन आCायR �ी व्याख्या औ( इसमें आए हुए 'आयु' औ( '�ेद' इन दो शब्दों �े अNR �े अनुसा( बहु& व्याप� है। आयु�Kद �े आCायR ने 'श(ी(, इंदिWय, मन &Nा आत्मा �े संयोग' �ो आयु

�हा है। अNा�&् जब &� इन Cा(ों संपत्तिZ (साद्गणु्य) या वि�पत्तिZ (�ैगुण्य) �े अनुसा( आयु �े अने� भेद

हो&े हैं, कि�A&ु संके्षप में प्रभा�भेद से इसे Cा( प्र�ा( �ा माना गया है :(१) सुखायु : वि�सी प्र�ा( �े शी(ीरि(� या मानलिस� वि��ास से (विह& हो&े हुए, ज्ञान, वि�ज्ञान, ब,, पौरुष,

धनृ धान्य, यश, परि(जन आदिद साधनों से समृद्ध व्यलिक्त �ो "सुखायु' �ह&े हैं।

(२) दुखायु : इस�े वि�प(ी& समस्& साधनों से युक्त हो&े हुए भी, श(ीरि(� या मानलिस� (ोग से पीविc&

अN�ा विन(ोग हो&े हुए भी साधनहीन या स्�ास्थ्य औ( साधन दोनों से हीन व्यलिक्त �ो "दु:खायु' �ह&े हैं।(३) ति��ायु : स्�ास्थ्य औ( साधनों से संपन्न हो&े हुए या उनमें �ुछ �मी होने प( भी जो व्यलिक्त वि��े�,

सदाCा(, सुशी,&ा, उदा(&ा, सत्य, अकिहAसा, शांवि&, प(ोप�ा( आदिद आदिद गुणों से युक्त हो&े हैं औ( समाज

&Nा ,ो� �े �ल्याण में विन(& (ह&े हैं उन्हें विह&ायु �ह&े हैं।(४) अति��ायु : इस�े वि�प(ी& जो व्यलिक्त अवि��े�, दु(ाCा(, कू्र(&ा, स्�ाN�, दंभ, अत्याCा( आदिद दुगु�णों से

युक्त औ( समाज &Nा ,ो� �े लि,ए अत्तिभशाप हो&े हैं उन्हें अविह&ायु �ह&े हैं।इस प्र�ा( विह&, अविह&, सुख औ( दु:ख, आयु �े ये Cा( भेद हैं। इसी प्र�ा( �ा,प्रमाण �े अनुसा( भी दीर्घाा�यु, मध्यायु औ( अल्पायु, संके्षप में ये &ीन भेद हो&े हैं। �ैसे इन &ीनों में भी अने� भेदों �ी �ल्पना �ी जा स�&ी है।"�ेद' शब्द �े भी सZा, ,ाभ, गवि&, वि�Cा(, प्राप्तिl& औ( ज्ञान �े साधन, ये अN� हो&े हैं, औ( आयु �े �ेद �ो आयु�Kद (नॉ,ेज ऑ� सायन्स ऑ� ,ाइफ़) �ह&े हैं। अNा�&् जिजस शास्त्र में आयु �े स्�रूप, आयु �े

वि�वि�ध भेद, आयु �े लि,ए विह&�ा(� औ( अप्रमाण &Nा उन�े ज्ञान �े साधनों �ा ए�ं आयु �े

उपादानभू& श(ी(, इंदिWय, मन, औ( आत्मा, इनमें सभी या वि�सी ए� �े वि��ास �े साN विह&, सुख औ(

दीर्घा� आयु �ी प्राप्तिl& �े साधनों �ा &Nा इन�े बाध� वि�षयों �े विन(ा�(ण �े उपायों �ा वि��Cेन हो उसे

आयु�Kद �ह&े हैं। कि�A&ु आज�, आयु�Kद "प्राCीन भा(&ीय लिCवि�त्सापद्धवि&' इस सं�ुलिC& अN� में प्रयुक्त

हो&ा है।

अनुक्रम[छुपाए]ँ

१ उदे्दश्य २ श(ी( ३ इंदिWय ४ मन ५ आत्मा ६ (ोग औ( स्�ास्थ्य ७ (ोगों �े हे&ु या �ा(ण (इदिटयॉ,ोजी) ८ हे&ुओं �ा श(ी( प( प्रभा� ९ लि,Aग (जीज़ंस) १० (ोगी �ी प(ीक्षा ११ प(ीक्ष्य वि�षय १२ औषध १३ भेषज्य�ल्पना १४ लिCवि�त्सा (ट्रीटमेंट) १५ शस्त्र�म� १६ मानस (ोग (मेंट, वि�ज़ीज़ेज़) १७ अष्टांग �ैद्य� १८ आयु�Kद संबंधी शोध १९ संधानीय शल्य वि�ज्ञान २० इन्हें भी देखें

२१ बाह(ी �विcयाँ

[संपादिद� करें] उदे्दश्यआयु�Kद �े दो उदे्दश्य हो&े हैं :(१) स्वस्थ व्यक्ति+यों के स्वास्थ्य की रक्षा करना। इस�े लि,ए अपने श(ी( औ( प्र�ृवि& �े अनु�ू, देश,

�ा, आदिद �ा वि�Cा( �(ना विनयमिम& आहा(-वि�हा(, Cेष्टा, व्यायाम, शौC, स्नान, शयन, जाग(ण आदिद

गृहस्थ जी�न �े लि,ए उपयोगी शास्त्रोक्त दिदनCया�, (ावित्रCया� ए�ं ऋ&ुCया� �ा पा,न �(ना, सं�टमय

�ायR से बCना, प्रत्ये� �ाय� वि��े�पू��� �(ना, मन औ( इंदिWय �ो विनयंवित्र& (खना, देश, �ा, आदिद

परि(स्थिस्थवि&यों �े अनुसा( अपने अपने श(ी( आदिद �ी शलिक्त औ( अशलिक्त �ा वि�Cा( �( �ोई �ाय� �(ना, म,, मूत्र आदिद �े उपस्थिस्थ& �ेगों �ो न (ो�ना, ईर्ष्याया�, दे्वष, ,ोभ, अहं�ा( आदिद से बCना, समय-समय प(

श(ी( में संलिC& दोषों �ो विन�ा,ने �े लि,ए �मन, वि�(ेCन आदिद �े प्रयोगों से श(ी( �ी शुजिद्ध �(ना,

सदाCा( �ा पा,न �(ना औ( दूविष& �ायु, ज,, देश औ( �ा, �े प्रभा� से उत्पन्न महामारि(यों (जनपदोदध््�ंसनीय व्यामिधयों, एविप�ेमिम� वि�ज़ीज़ेज़) में वि�ज्ञ लिCवि�त्स�ों �े उपदेशों �ा समुलिC& रूप से

पा,न �(ना, स्�च्छ औ( वि�शोमिध& ज,, �ायु, आहा( आदिद �ा से�न �(ना औ( दूस(ों �ो भी इस�े

लि,ए पे्ररि(& �(ना, ये स्�ास्थ्य(क्षा �े साधन हैं।(२) रोगी व्यक्ति+यों के तिवकारों को दूर कर उन्�ें स्वस्थ बनाना। इस�े लि,ए प्रत्ये� (ोग �े हे&ु (�ा(ण),

लि,Aग-(ोगपरि(Cाय� वि�षय, जैसे पू��रूप, रूप (साइंस ए�ं लिसAlटम्स), संप्राप्तिl& (पैNोजेविनलिसस) &Nा उपशयानुपशय (लिN(ाlयुदिट�टेस्ट्स) - औ( औषध �ा ज्ञान प(मा�श्य� है। ये &ीनों आयु�Kद �े "वित्रस्�ंध'

(&ीन प्रधान शाखाए)ं �ह,ा&ी हैं। इस�ा वि�स्&ृ& वि��ेCन आयु�Kद गं्रNों में वि�या गया है। यहाँ �े�,

संत्तिक्षl& परि(Cय मात्र दिदया जाएगा। कि�A&ु इस�े पू�� आयु �े प्रत्ये� संर्घाट� �ा संत्तिक्षl& परि(Cय आ�श्य�

है, क्योंवि� संर्घाट�ों �े ज्ञान �े विबना उनमें होने�ा,े वि��ा(ों �ो जानना संभ� न होगा।

[संपादिद� करें] शरीरसमस्& Cेष्टाओं, इंदिWयों, मन ओ( आत्मा �े आधा(भू& पांCभौवि&� किपA� �ी श(ी( �ह&े हैं। मान� श(ी( �े सू्थ, रूप में छह अंग हैं; दो हाN, दो पै(, लिश( औ( ग्री�ा ए� &Nा अं&(ामिध (मध्यश(ी() ए�। इन अंगों �े

अ�य�ों �ो प्रत्यंग �ह&े हैं,-मूधा� (हे�), ,,ाट, भू्र, नालिस�ा, अत्तिक्ष�ूट (ऑर्विबAट), अत्तिक्षगो,� (आइबॉ,),

�त्स� (प,�), पक्ष्म (बरुनी), �ण� (�ान), �ण�पुत्र� (टै्रगस), शर्ष्या�ु,ी औ( पा,ी (विपन्न ए�ं ,ोब ऑ�

इयस�), शंख (माNे �े पार्श्व�, टेंपुल्स), गं� (गा,), ओष्ठ (होंठ), सृक्�णी (मुख �े �ोने), लिCबु� (ठुड्डी), दं&�ेष्ट (मसूcे), जिजह्वा (जीभ), &ा,ु, टांलिसल्स, ग,शंुवि��ा (यु�ु,ा), गोजिजलिह्व�ा (एपीग्,ॉदिटस), ग्री�ा (ग(दन), अ�टु�ा (,ैरि(Aग्ज़), �ंध(ा (�ंधा), �क्षा (एस्थिक्स,ा), जतु्र (हंसु,ी, �ा,(), �क्ष (Nो(ेक्स), स्&न,

पार्श्व� (बग,), उद( (बे,ी), नात्तिभ, �ुत्तिक्ष (�ोख), बस्तिस्&लिश( (ग्रॉयन), पृष्ठ (पीठ), �दिट (�म(), श्रोत्तिण

(पेस्थिल्�स), विन&ंब, गुदा, लिशश्न या भग, �ृषण (टेस्टीज़), भुज, �ूप�( (�ेहुनी), बाहुकिपAवि��ा या अ(त्नित्न

(फ़ो(आम�), मत्तिणबंध (�,ाई), हस्& (हNे,ी), अंगुलि,यां औ( अंगुष्ठ, ऊरु (जांर्घा), जानु (र्घाुटना), जरं्घाा (टांग, ,ेग), गुल्फ (टखना), प्रपद (फुट), पादांगुलि,, अंगुष्ठ औ( पाद&, (&,�ा),। इन�े अवि&रि(क्त हृदय,

फुफ्फुस (,ंग्स), य�ृ& (लि,�(), l,ीहा (स्प्,ीन), आमाशय (स्टम�), विपZाशय (गा, ब्,ै�(), �ृक्� (गुदा�, वि��नी), �स्तिस्& (यूरि(न(ी ब्,ै�(), कु्षWां& (स्मॉ, इंटेप्तिस्टन), सू्थ,ांत्र (,ाज� इंटेप्तिस्टन), �पा�हन (मेसेंटे(ी), पु(ीषाधा(, उZ( औ( अध(गुद ((ेक्टम), ये �ोष्ठांग हैं औ( लिस( में सभी इंदिWयों औ( प्राणों �े �ें Wों �ा आश्रय मस्तिस्&र्ष्या� (बे्रन)है।

आयु�Kद �े अनुसा( सा(े श(ी( में ३०० अस्थिस्थयां हैं, जिजन्हें आज�, �े�, गणना-क्रम-भेद �े �ा(ण दो सौ छह (२०६) मान&े हैं &Nा संमिधयाँ (ज्�ाइंट्स) २००, स्नायु (लि,Aगामेंट्स) ९००, लिश(ाए ं(ब्,� �ेसेल्स,

लि,फै़दिटक्स ऐं� नब्ज़�) ७००, धमविनयां (के्रविनय, नब्ज़�) २४ औ( उन�ी शाखाए ं२००, पेलिशयां (मसल्स)

५०० (त्निस्त्रयों में २० अमिध�) &Nा सूक्ष्म स्त्रो& ३०,९५६ हैं।आयु�Kद �े अनुसा( श(ी( में (स (बाइ, ऐं� l,ाज्मा), (क्त, मांस, मेद (फै़ट), अस्थिस्थ, मज्जा (बोन मै(ो) औ( शुक्र (सीमेन), ये सा& धा&ुए ंहैं। विनत्यप्रवि& स्�ाभा�&: वि�वि�ध �ायR में उपयोग होने से इन�ा क्षय भी हो&ा (ह&ा है, कि�A&ु भोजन औ( पान �े रूप में हम जो वि�वि�ध पदाN� ,े&े (ह&े हैं उनसे न �े�, इस क्षवि&

�ी पूर्वि&A हो&ी है, �(न् धा&ुओं �ी पुमिष्ट भी हो&ी (ह&ी है। आहा(रूप में लि,या हुआ पदाN� पाC�ाग्निग्न,

भू&ाग्निग्न औ( वि�त्तिभन्न धात्�विनग्नयों द्वा(ा परि(पक्� हो�( अने� परि(�&�नों �े बाद पू��क्त धा&ुओं �े रूप में परि(ण& हो�( इन धा&ुओं �ा पोषण �(&ा है। इस पाCनविक्रया में आहा( �ा जो सा( भाग हो&ा है उससे

(स धा&ु �ा पोषण हो&ा है औ( जो वि�ट्ट भाग बC&ा है उससे म, (वि�ष्ठा) औ( मूत्र बन&ा है। यह (स हृदय से हो&ा हुआ लिश(ाओं द्वा(ा सा(े श(ी( में पहुँC�( प्रत्ये� धा&ु औ( अंग �ो पोषण प्रदान �(&ा है। धात्�ग्निग्नयों से पाCन होने प( (स आदिद धा&ु �े सा( भाग से (क्त आदिद धा&ुओं ए�ं श(ी( �ा भी पोषण

हो&ा है &Nा वि�ट्ट भाग से म,ों �ी उत्पत्तिZ हो&ी है, जैसे (स से �फ; (क्त विपZ; मांस से ना�, �ान औ(

नेत्र आदिद �े द्वा(ा बाह( आने�ा,े म,; मेद से स्�ेद (पसीना); अस्थिस्थ से �ेश &Nा ,ोम (लिस( �े औ( दाढ़ी, मूंछ आदिद �े बा,) औ( मज्जा से आंख �ा �ीCc म,रूप में बन&े हैं। शुक्र में �ोई म, नहीं हो&ा, उस�े सा(े भाग से ओज (ब,) �ी उत्पत्तिZ हो&ी है।इन्हीं (सादिद धा&ुओं से अने� उपधा&ुओं �ी भी उत्पत्तिZ हो&ी है, यNा (स से दूध, (क्त से �ं�(ाए ं(टें�ंस)

औ( लिश(ाए,ँ मांस से �सा (फै़ट), त्�Cा औ( उस�े छह या सा& स्&( (प(&), मेद से स्नायु (लि,Aगामेंट्स),

अस्थिस्थ से दां&, मज्जा से �ेश औ( शुक्र से ओज नाम� उपधा&ुओं �ी उत्पत्तिZ हो&ी है।ये धा&ुए ंऔ( उपधा&ुएं वि�त्तिभन्न अ�य�ों में वि�त्तिभन्न रूपों में स्थिस्थ& हो�( श(ी( �ी वि�त्तिभन्न विक्रयाओं में उपयोगी हो&ी हैं। जब &� ये उलिC& परि(माण औ( स्�रूप में (ह&ी हैं औ( इन�ी विक्रया स्�ाभावि�� (ह&ी है &ब &� श(ी( स्�स्थ (ह&ा है औ( जब ये न्यून या अमिध� मात्रा में &Nा वि��ृ& स्�रूप में हो&ी हैं &ो श(ी(

में (ोग �ी उत्पत्तिZ हो&ी है।प्राCीन दाश�विन� लिसAद्धां& �े अनुसा( संसा( �े सभी सू्थ, पदाN� पृथ्�ी, ज,, &ेज, �ायु औ( आ�ाश इन

पांC महाभू&ों �े संयुक्त होने से बन&े हैं। इन�े अनुपा& में भेद होने से ही उन�े त्तिभन्न-त्तिभन्न रूप हो&े हैं। इसी प्र�ा( श(ी( �े समस्& धा&ु, उपधा&ु औ( म, पांCभौवि&� हैं। परि(णाम&: श(ी( �े समस्& अ�य�

औ( अ&&: सा(ा श(ी( पांCभौवि&� है। ये सभी अCे&न हैं। जब इनमें आत्मा �ा संयोग हो&ा है &ब उस�ी Cे&न&ा में इनमें भी Cे&ना आ&ी है।उलिC& परि(स्थिस्थवि& में शुद्ध (ज औ( शुद्ध �ीय� �ा संयोग होने औ( उसमें आत्मा �ा संCा( होने से मा&ा �े

गभा�शय में श(ी( �ा आ(ंभ हो&ा है। इसे ही गभ� �ह&े हैं। मा&ा �े आहा(जविन& (क्त से अप(ा (l,ैसेंटा) औ( गभ�नाcी �े द्वा(ा, जो नात्तिभ से ,गी (ह&ी है, गभ� पोषण प्राl& �(&ा है। यह गभ�द� में विनमग्न

(ह�( उपस्नेहन द्वा(ा भी पोषण प्राl& �(&ा है &Nा प्रNम मास में �,, (ज,ेी) औ( विद्व&ीय में र्घान हो&ा है? &ीस(े मास में अंग प्रत्यंग �ा वि��ास आ(ंभ हो&ा है। CौNे मास में उसमें अमिध� स्थिस्थ(&ा आ जा&ी है &Nा गभ� �े ,क्षण मा&ा में स्पष्ट रूप से दिदखाई पcने ,ग&े हैं। इस प्र�ा( यह मा&ा �ी �ुत्तिक्ष में उZ(ोZ(

वि��लिस& हो&ा हुआ जब संपूण� अंग, प्रत्यंग औ( अ�य�ों से युक्त हो जा&ा है, &ब प्राय: न�ें मास में �ुत्तिक्ष

से बाह( आ�( न�ीन प्राणी �े रूप में जन्म ग्रहण �(&ा है।

[संपादिद� करें] इंदि4यश(ी( में प्रत्ये� अंग या वि�सी भी अ�य� �ा विनमा�ण उदे्दश्यवि�शेष से ही हो&ा है, अNा�&् प्रत्ये� अ�य� �े

द्वा(ा वि�लिशष्ट �ायR �ी लिसजिद्ध हो&ी है, जैसे हाN से प�cना, पै( से C,ना, मुख से खाना, दां& से Cबाना आदिद। �ुछ अ�य� ऐसे भी हैं जिजनसे �ई �ाय� हो&े हैं औ( �ुछ ऐसे हैं जिजनसे ए� वि�शेष �ाय� ही हो&ा है। जिजनसे �ाय�वि�शेष ही हो&ा है उनमें उस �ाय� �े लि,ए शलिक्तसंपन्न ए� वि�लिशष्ट सूक्ष्म (Cना हो&ी है। इसी �ो इंदिWय �ह&े हैं। शब्द, स्पश�, रूप, (स औ( गंध इन बाह्य वि�षयों �ा ज्ञान प्राl& �(ने �े लि,ए क्रमानुसा( �ान, त्�Cा, नेत्र, जिजह्वा औ( नालिस�ा ये अ�य� इंदिWयाश्रय अ�य� (वि�शेष इंदिWयों �े अंग) �ह,ा&े हैं औ( इनमें स्थिस्थ& वि�लिशष्ट शलिक्तसंपन्न सूक्ष्म �स्&ु �ो इंदिWय �ह&े हैं। ये क्रमश: पाँC हैं-श्रोत्र, त्��् , Cकु्ष, (सना औ( ््घ्रााण। इन सूक्ष्म अ�य�ों में पंCमहाभू&ों में से उस महाभू& �ी वि�शेष&ा (ह&ी है जिजस�े शब्द

(ध्�विन) आदिद वि�लिशष्ट गुण हैं; जैसे शब्द �े लि,ए श्रोत्र इंदिWय में आ�ाश, स्पश� �े लि,ए त्��् इंदिWय में �ायु,

रूप �े लि,ए Cकु्ष इंदिWय में &ेज, (स �े लि,ए (सनेंदिWय में ज, औ( गंध �े लि,ए ््घ्रााणेंदिWय में पृथ्�ी &त्�। इन पांCों इंदिWयों �ो ज्ञानेंदिWय �ह&े हैं। इन�े अवि&रि(क्त वि�लिशष्ट �ाय�संपादन �े लि,ए पांC �मेंदिWयां भी हो&ी हैं, जैसे गमन �े लि,ए पै(, ग्रहण �े लि,ए हाN, बो,ने �े लि,ए जिजह्वा (गोजिजह्वा), म,त्याग �े लि,ए

गुदा औ( मूत्रत्याग &Nा सं&ानोत्पादन �े लि,ए लिशश्न (त्निस्त्रयों में भग)। आयु�Kद दाश�विन�ों �ी भाँवि& इंदिWयों �ो आहं�ारि(� नहीं, अविप&ु भौवि&� मान&ा है। इन इंदिWयों �ी अपने �ायR मन �ी पे्र(णा से ही प्र�ृत्तिZ

हो&ी है। मन से संप�� न होने प( ये विनत्निर्ष्याक्रय (ह&ी है।

[संपादिद� करें] मनप्रत्ये� प्राणी �े श(ी( में अत्यं& सूक्ष्म औ( �े�, ए� मन हो&ा है। यह अत्यं& द्रु&गवि& �ा,ा औ( प्रत्ये�

इंदिWय �ा विनयंत्र� हो&ा है। कि�A&ु यह स्�यं भी आत्मा �े संप�� �े विबना अCे&न होने से विनत्निर्ष्याक्रय (ह&ा है।

प्रत्ये� व्यलिक्त �े मन में सत्�, (ज औ( &म, ये &ीनों प्रा�ृवि&� गुण हो&े हुए भी इनमें से वि�सी ए� �ी सामान्य&: प्रब,&ा (ह&ी है औ( उसी �े अनुसा( व्यलिक्त साप्तित्��, (ाजस या &ामस हो&ा है, कि�A&ु समय-

समय प( आहा(, आCा( ए�ं परि(स्थिस्थवि&यों �े प्रभा� से दस(े गुणों �ा भी प्राबल्य हो जा&ा है। इस�ा ज्ञान

प्र�ृत्तिZयों �े ,क्षणों द्वा(ा हो&ा है, यNा (ाग-दे्वष-शून्य यNाN�Wष्टा मन साप्तित्��, (ागयुक्त, सCेष्ट औ( CंC,

मन (ाजस औ( आ,स्य, दीर्घा�सूत्र&ा ए�ं विनत्निर्ष्याक्रय&ा आदिद युक्त मन &ामस हो&ा है। इसीलि,ए साप्तित्�� मन

�ो शुद्ध, सत्� या प्रा�ृवि&� माना जा&ा है औ( (ज &Nा &म उस�े दोष �हे गए हैं। आत्मा से Cे&न&ा प्राl& �( प्रा�ृवि&� या सदोष मन अपने गुणों �े अनुसा( इंदिWयों �ो अपने-अपने वि�षयों में प्र�ृZ �(&ा है औ( उसी �े अनुरूप शा(ीरि(� �ाय� हो&े हैं। आत्मा मन �े द्वा(ा ही इंदिWयों औ( श(ी(ा�य�ों �ो प्र�ृZ

�(&ा है, क्योंवि� मन ही उस�ा �(ण (इंस्ट¤मेंट) है। इसीलि,ए मन �ा संप�� जिजस इंदिWय �े साN हो&ा है उसी �े द्वा(ा ज्ञान हो&ा है, दूस(े �े द्वा(ा नहीं। क्योंवि� मन ए� ओ( सूक्ष्म हो&ा है, अ&: ए� साN उस�ा अने� इंदिWयों �े साN संप�� सभ� नहीं है। विफ( भी उस�ी गवि& इ&नी त्व्रीा है वि� �ह ए� �े बाद दूस(ी इंदिWय �े संप�� में श्घ्रीा&ा से परि(�र्वि&A& हो&ा है, जिजससे हमें यही ज्ञा& हो&ा है वि� सभी �े साN उस�ा संप�� है औ( सब �ाय� ए� साN हो (हे हैं, कि�A&ु �ास्&� में ऐसा नहीं हो&ा।

[संपादिद� करें] आत्माआत्मा पंCमहाभू& औ( मन से त्तिभन्न, Cे&ना�ान् , विनर्वि�A�ा( औ( विनत्य है &Nा साक्षी स्�रूप है, क्योंवि� स्�यं विनर्वि�A�ा( &Nा विनत्निर्ष्याक्रयश् है। इस�े संप�� से सविक्रय कि�A&ु अCे&न मन, इंदिWयों औ( श(ी( में Cे&ना �ा संCा( हो&ाश् है औ( �े सCेष्ट हो&े हैं। आत्मा में रूप, (ंग, आ�ृवि& आदिद �ोई लिCह्न नहीं है, कि�A&ु उस�े

विबना श(ी( अCे&न होने �े �ा(ण विनश्चेष्ट पcा (ह&ा है औ( मृ& �ह,&ा है &Nा उस�े संप�� से ही उसमें Cे&ना आ&ी है &ब उसे जीवि�& �हा जा&ा है औ( उसमें अने� स्�ाभावि�� विक्रयाएं होने ,ग&ी हैं; जैसे

र्श्वासोच््छ �ास, छोटे से बcा होना औ( �टे हुए र्घाा� भ(ना आदिद, प,�ों �ा खु,ना औ( बंद होना, जी�न

�े ,क्षण, मन �ी गवि&, ए� इंदिWय से हुए ज्ञान �ा दूस(ी इंदिWय प( प्रभा� होना (जैसे आँख से वि�सी संुद(,

मधु( फ, �ो देख�( मुँंह में पानी आना), वि�त्तिभन्न इंदिWयों औ( अ�य�ों �ो वि�भन्न �ायR में प्र�ृZ �(ना, वि�षयों �ा ग्रहण औ( धा(ण �(ना, स्�प्न में ए� स्थान से दूस(े स्थान &� पहुँCना, ए� आँख से देखी �स्&ु

�ा दूस(ी आँख से भी अनुभ� �(ना। इच्छा, दे्वष, सुख, दु:ख, प्रयत्न, धैय�, बुजिद्ध, स्म(ण शलिक्त, अहं�ा(

आदिद श(ी( में आत्मा �े होने प( ही हो&े हैं; आत्मा(विह& मृ& श(ी( में नहीं हो&े। अ&: ये आत्मा �े ,क्षण

�हे जा&े हैं, अNा�&् आत्मा �ा पू��क्त ,क्षणों से अनुमान मात्र वि�या जा स�&ा है। मानलिस� �ल्पना �े

अवि&रि(क्त वि�सी दूस(ी इंदिWय से उस�ा प्रत्यक्ष �(ना संभ� नहीं है।यह आत्मा विनत्य, विनर्वि�A�ा( औ( व्याप� हो&े हुए भी पू���ृ& शुभ या अशुभ �म� �े परि(णामस्�रूप जैसी योविन में या श(ी( में, जिजस प्र�ा( �े मन औ( इंदिWयों &Nा वि�षयों �े संप�� में आ&ी है �ैसे ही �ाय� हो&े हैं। उZ(ोZ( अशुभ �ायR �े �(ने से उZ(ोZ( अधोगवि& हो&ी है &Nा शुभ �मR �े द्वा(ा उZ(ोZ( उन्नवि& होने

से, मन �े (ाग-दे्वष-हीन होने प(, मोक्ष �ी प्राप्तिl& हो&ी है।इस वि��(ण से स्पष्ट हो जा&ा है वि� आत्मा &ो विनर्वि�A�ा( है, कि�A&ु मन, इंदिWय औ( श(ी( में वि��ृवि& हो स�&ी है औ( इन &ीनों �े प(स्प( सापेक्ष्य होने �े �ा(ण ए� �ा वि��ा( दूस(े �ो प्रभावि�& �( स�&ा है। अ&: इन्हें प्र�ृवि&स्थ (खना या वि��ृ& होने प( प्र�ृवि& में ,ाना या स्�स्थ �(ना प(मा�श्य� है। इससे

दीर्घा� सुख औ( विह&ायु �ी प्राप्तिl& हो&ी है, जिजससे क्रमश: आत्मा �ो भी उस�े ए�मात्र, कि�A&ु भीषण, जन्म

मृत्यु औ( भ�बंधनरूप (ोग से मुलिक्त पाने में सहाय&ा मिम,&ी है, जो आयु�Kद में नैवि&ष्ठ�ी लिCवि�त्सा �ही गई है।

[संपादिद� करें] रोग और स्वास्थ्यC(� ने संके्षप में (ोग औ( आ(ोग्य �ा ,क्षण यह लि,खा है वि� �ा&, विपZ औ( �फ इन &ीनों दोषों �ा सम मात्रा (उलिC& प्रमाण) में होना ही आ(ोग्य औ( इनमें वि�षम&ा होना ही (ोग है। सुश्रु& ने स्�स्थ व्यलिक्त �ा ,क्षण वि�स्&ा( से दिदया है : ""जिजससे सभी दोष सम मात्रा में हों, अग्निग्न सम हो, धा&ु, म, औ( उन�ी विक्रयाएं भी सम (उलिC& रूप में) हों &Nा जिजस�ी आत्मा, इंदिWय औ( मन प्रसन्न (शुद्ध) हों उसे स्�स्थ

समझना Cाविहए। इस�े वि�प(ी& ,क्षण हों &ो अस्�स्थ समझना Cाविहए। (ोग �ो वि��ृवि& या वि��ा( भी �ह&े हैं। अ&: श(ी(, इंदिWय औ( मन �े प्रा�ृवि&� (स्�ाभावि��) रूप या विक्रया में वि��ृवि& होना (ोग है।

[संपादिद� करें] रोगों के �े�ु या कारण (इदि7यॉलोजी)संसा( �ी सभी �स्&ुए ँसाक्षा&् या प(ंप(ा से श(ी(, इंदिWयों औ( मन प( वि�सी न वि�सी प्र�ा( �ा विनत्तिश्च&

प्रभा� �ा,&ी हैं औ( अनुलिC& या प्रवि&�ू, प्रभा� से इनमें वि��ा( उत्पन्न �( (ोगों �ा �ा(ण हो&ी हैं। इन

सब�ा वि�स्&ृ& वि��ेCन �दिठन है, अ&: संके्षप में इन्हें &ीन �गR में बाँट दिदया गया है :

(१) प्रज्ञापराध : अवि��े� (धीभं्रश), अधी(&ा (धृवि&भं्रश) &Nा पू�� अनुभ� औ( �ास्&वि��&ा �ी उपेक्षा (स्मृवि&भं्रश) �े �ा(ण ,ाभ हाविन �ा वि�Cा( वि�ए विबना ही वि�सी वि�षय �ा से�न या जान&े हुए भी अनुलिC& �स्&ु �ा से�न �(ना। इसी �ो दूस(े औ( स्पष्ट शब्दों में �म� (शा(ीरि(�, �ालिC� औ( मानलिस�

Cेष्टाएं) �ा हीन, मिमथ्या औ( अवि& योग भी �ह&े हैं।(२) असात्म्येंदि4यार्थ>संयोग : Cकु्ष आदिद इंदिWयों �ा अपने-अपने रूप आदिद वि�षयों �े साN असात्म्य

(प्रवि&�ू,, हीन, मिमथ्या औ( अवि&) संयोग इंदिWयों, श(ी( औ( मन �े वि��ा( �ा �ा(ण हो&ा है; यNा आँख

से विब,�ु, न देखना (अयोग), अवि& &ेजस्�ी �स्&ुओं �ा देखना औ( बहु& अमिध� देखना (अवि&योग) &Nा अवि&सूक्ष्म, सं�ीण�, अवि& दू( में स्थिस्थ& &Nा भयान�, बीभत्स, ए�ं वि��ृ&रूप �स्&ुओं �ो देखना (मिमथ्या(ोग)। ये Cकु्षरि(AदिWय औ( उस�े आश्रय नेत्रों �े साN मन औ( श(ी( में भी वि��ा( उत्पन्न �(&े हैं।

इसी �ो दूस(े शब्दों में अN� �ा दुय�ग भी �ह&े हैं। ग्रीर्ष्याम, �षा�, शी& आदिद ऋ&ुओं &Nा बाल्य, यु�ा औ(

�ृद्धा�स्थाओं �ा भी श(ी( आदिद प( प्रभा� पc&ा ही है, कि�A&ु इन�े हीन, मिमथ्या औ( अवि&योग �ा प्रभा�

वि�शेष रूप से हाविन�( हो&ा है।पू��क्त �ा(णों �े प्र�ा(ां&( से अन्य भेद भी हो&े हैं; यNा(१) वि�प्र�ृष्ट �ा(ण (रि(मोट �ॉज़), जो श(ी( में दोषों �ा संCय �(&ा (ह&ा है औ( अनु�ू, समय प( (ोग �ो उत्पन्न �(&ा है,(२) संविन�ृष्ट �ा(ण (इम्मीवि�एट �ॉज़), जो (ोग �ा &ात्�ालि,� �ा(ण हो&ा है,(३) व्यत्तिभCा(ी �ा(ण (अबॉर्टिटA� �ॉज़) जो परि(स्थिस्थवि&�श (ोग �ो उत्पन्न �(&ा है औ( नहीं भी �(&ा &Nा(४) प्राधाविन� �ा(ण (से्पलिसविफ़� �ॉज़), जो &त्�ा, वि�सी धा&ु या अ�य�वि�शेष प( प्रभा� �ा,�(

विनत्तिश्च& ,क्षणों�ा,े वि��ा( �ो उत्पन्न �(&ा है, जैसे वि�त्तिभन्न स्था�( औ( जां&� वि�ष।

प्र�ा(ां&( से इन�े अन्य दो भेद हो&े हैं-(१) उत्पाद� (प्रीवि�स्पोज़िज़Aग), जो श(ी( में (ोगवि�शेष �ी उत्पत्तिZ �े अनु�ू, परि(�&�न �( दे&ा है;(२) वं्यज� (एक्साइटिटAग), जो पह,े से (ोगानु�ू, श(ी( में &त्�ा, वि��ा(ों �ो व्यक्त �(&ा है।

[संपादिद� करें] �े�ुओं का शरीर पर प्रभावश(ी( प( इन सभी �ा(णों �े &ीन प्र�ा( �े प्रभा� हो&े हैं :

(१) दोषप्रकोप- अने� �ा(णों से श(ी( �े उपादानभू& आ�ाश आदिद पांC &त्�ों में से वि�सी ए� या अने� में परि(�&�न हो�( उन�े स्�ाभावि�� अनुपा& में अं&( आ जाना अविन�ाय� है। इसी �ो ध्यान में (ख�( आयु�KदाCायRश् ने इन वि��ा(ों �ो �ा&, विपZ औ( �फ इन �गR में वि�भक्त वि�या है। पंCमहाभू&

ए�ं वित्रदोष �ा अ,ग से वि��ेCन ही उलिC& है, कि�A&ु संके्षप में यह समझना Cाविहए वि� संसा(श् �े जिज&ने भी मू&� (मैदिट(य,) पदाN� हैं �े सब आ�ाश, �ायु, &ेज, ज, औ( पृथ्�ी इन पांC &त्�ों से बने हैं।ये पृथ्�ी आदिद �े ही नहीं है जो हमें विनत्यप्रवि& सू्थ, जग&् में देखने �ो मिम,&े हैं। ये विपछ,े सब &ो पू��क्त

पांCों &त्�ों �े संयोग से उत्पन्न पांCभौवि&� हैं। �स्&ुओं में जिजन &त्�ों �ी बहु,&ा हो&ी है �े उन्हीं नामों से

�र्णिणA& �ी जा&ी हैं। उसी प्र�ा( हमा(े श(ी( �ी धा&ुओं में या उन�े संर्घाट�ों में जिजस &त्� �ी बहु,&ा (ह&ी है �े उसी श्रेणी �े विगने जा&े हैं। इन पांCों में आ�ाश &ो विनर्वि�A�ा( है &Nा पृथ्�ी सबसे सू्थ, औ(

सभी �ा आश्रय है। जो �ुछ भी वि��ास या परि(�&�न हो&े हैं उन�ा प्रभा� इसी प( स्पष्ट रूप से पc&ा है।

शेष &ीन (�ायु, &ेज औ( ज,) सब प्र�ा( �े परि(�&�न या वि��ा( उत्पन्न �(ने में समN� हो&े हैं। अ&: &ीनों �ी प्रCु(&ा �े आधा( प(, वि�त्तिभन्न धा&ुओं ए�ं उन�े संर्घाट�ों �ो �ा&, विपZ औ( �फ �ी संज्ञा दी गई है।

सामान्य रूप से ये &ीनों धा&ुएं श(ी( �ी पोष� होने �े �ा(ण वि��ृ& होने प( अन्य धा&ुओं �ो भी दूविष&

�(&ी हैं। अ&: दोष &Nा म, रूप होने से म, �ह,ा&ी हैं। (ोग में वि�सी भी �ा(ण से इन्हीं &ीनों �ी न्यून&ा या अमिध�&ा हो&ी है, जिजसे दोषप्र�ोप �ह&े हैं।(२) धा�ुदूषण- �ुछ पदाN� या �ा(ण ऐसे हो&े हैं जो वि�सी वि�लिशष्ट धा&ु या अ�य� में ही वि��ा( �(&े हैं। इन�ा प्रभा� सा(े श(ी( प( नहीं हो&ा। इन्हें धा&ुप्रदूष� �ह&े हैं।(३) उभय�े�ु- �े पदाN� जो सा(े श(ी( में �ा& आदिद दोषों �ो �ुविप& �(&े हुए भी वि�सी धा&ु या अंग

वि�शेष में ही वि�शेष वि��ा( उत्पन्न �(&े हैं, उभयहे&ु �ह,ा&े हैं। कि�A&ु इन &ीनों में जो परि(�&�न हो&े हैं �े �ा&, विपZ या �फ इन &ीनों में से वि�सी ए�, दो या &ीनों में ही वि��ा( उत्पन्न �(&े हैं। अ&: ये ही &ीनों दोष प्रधान श(ी(ग& �ा(ण हो&े हैं, क्योंवि� इन�े स्�ाभावि�� अनुपा& में परि(�&�न होने से श(ी( �ी धा&ुओं आदिद में भी वि��ृवि& हो&ी है। (Cना में वि��ा( होने से विक्रया में भी वि��ा( होना स्�ाभावि�� है। इस

अस्�ाभावि�� (Cना औ( विक्रया �े परि(णामस्�रूप अवि&सा(, �ास आदिद ,क्षण उत्पन्न हो&े हैं औ( इन

,क्षणों �े समूह �ो ही (ोग �ह&े हैं।इस प्र�ा( जिजन पदाNR �े प्रभा� से �ा& आदिद दोषों में वि��ृवि&यां हो&ी हैं &Nा �े �ा&ादिद दोष, जो शा(ीरि(� धा&ुओं �ो वि��ृ& �(&े हैं, दोनों ही हे&ु (�ा(ण) या विनदान (आदिद�ा(ण) �ह,ा&े हैं। अं&&:

इन�े दो अन्य महत्�पूण� भेदों �ा वि�Cा( अपेत्तिक्ष& है :

(१) तिनज (इवि�योपैलिN�)- जब पू��क्त �ा(णों से क्रमश: श(ी(ग& �ा&ादिद दोष में, औ( उन�े द्वा(ा धा&ुओं में, वि��ा( उत्पन्न हो&े हैं &ो उन�ो विनज हे&ु या विनज (ोग �ह&े हैं।

(२) आगं�ुक (ऐस्थिक्स�ेंट,)- Cोट ,गना, आग से ज,ना, वि�दु्यत्प्रभा�, सांप आदिद वि�षै,े जी�ों �े �ाटने या वि�षप्रयोग से जब ए�ाए� वि��ा( उत्पन्न हो&े हैं &ो उनमें भी �ा&ादिद दोषों �ा वि��ा( हो&े हुए भी, �ा(ण �ी त्तिभन्न&ा औ( प्रब,&ा से, �े �ा(ण औ( उनसे उत्पन्न (ोग आगं&ु� �ह,ा&े हैं।

[संपादिद� करें] लिलंग (जीजं़स)

पू��क्त �ा(णों से उत्पन्न वि��ा(ों �ी पहCान जिजन साधनों द्वा(ा हो&ी है उन्हें लि,Aग �ह&े हैं। इस�े Cा( भेद

हैं : पू��रूप, रूप, संप्राप्तिl& औ( उपशय।पूव>रूप- वि�सी (ोग �े व्यक्त होने �े पू�� श(ी( �े भी&( हुई अत्यल्प या आ(ंत्तिभ� वि��ृवि& �े �ा(ण जो ,क्षण उत्पन्न हो�( वि�सी (ोगवि�शेष �ी उत्पत्तिZ �ी संभा�ना प्र�ट �(&े हैं उन्हें पू��रूप (प्रो�ामेटा) �ह&े हैं।रूप (साइंस ए�ं लिसAlटम्स) - जिजन ,क्षणों से (ोग या वि��ृवि& �ा स्पष्ट परि(Cय मिम,&ा है उन्हें रूप �ह&े हैं।संप्राप्तिF� (पैNोजेनेलिसस) : वि�स �ा(ण से �ौन सा दोष स्�&ंत्र रूप में या प(&ंत्र रूप में, अ�े,े या दूस(े �े साN, वि�&ने अंश में औ( वि�&नी मात्रा में प्र�ुविप& हो�(, वि�स धा&ु या वि�स अंग में, वि�स-वि�स स्�रूपश् �ा वि��ा( उत्पन्न �(&ा है, इस�े विनधा�(ण �ो संप्राप्तिl& �ह&े हैं। लिCवि�त्सा में इसी �ी महत्�पूण� उपयोविग&ा है। �स्&ु&: इन परि(�&�नों से ही ज्�(ादिद रूप में (ोग उत्पन्न हो&े हैं, अ&: इन्हें ही �ास्&� में (ोग

भी �हा जा स�&ा है औ( इन्हीं परि(�&�नों �ो ध्यान में (ख�( �ी गई लिCवि�त्सा भी सफ, हो&ी है।उपशय और अनुपशय (Nे(ाlयूदिट� टेस्ट) - जब अल्प&ा या सं�ीण�&ा आदिद �े �ा(ण (ोगों �े �ास्&वि�� �ा(णों या स्�रूपों �ा विनण�य �(ने में संदेह हो&ा है, &ब उस संदेह �े विन(ा�(ण �े लि,ए संभावि�& दोषों या वि��ा(ों में से वि�सी ए� �े वि��ा( से उपयुक्त आहा( वि�हा( औ( औषध �ा प्रयोग �(ने प( जिजससे

,ाभ हो&ा है उसे उपCय �े वि��ेCन में आयु�KदाCाय� ने छह प्र�ा( से आहा( वि�हा( औ( औषध �े प्रयोगों �ा सूत्र ब&,ा&े हुए उपशय �े १८ भेदों �ा �ण�न वि�या है। ये सूत्र इ&ने महत्� �े हैं वि� इनमें से ए�-ए�

�े आधा( प( ए�-ए� लिCवि�त्सापद्धवि& �ा उदय हो गया है; जैसे, (१) हे&ु �े वि�प(ी& आहा( वि�हा( या औषध �ा प्रयोग �(ना।

(२) व्यामिध, �ेदना या ,क्षणों �े वि�प(ी& आहा( वि�हा( या औषध �ा प्रयोग �(ना। स्�यं ऐ,ोपैNी �ी स्थापना इसी पद्धवि& प( हुई Nी (ऐ,ोज़ (वि�प(ी&)अपैNोज़ (�ेदना) उ ऐ,ोपैNी)।

(३) हे&ु औ( व्यामिध, दोनों �े वि�प(ी& आहा( वि�हा( औ( औषध �ा प्रयोग �(ना।

(४) हे&ुवि�प(ी&ाN��ा(ी, अNा�&् (ोग �े �ा(ण �े समान हो&े हुए भी उस �ा(ण �े वि�प(ी& �ाय� �(ने�ा,े आहा( आदिद �ा प्रयोग; जैसे, आग से ज,ने प( सें�ने या ग(म �स्&ुओं �ा ,ेप �(ने से उस स्थान प( (क्तसंCा( बढ़�( दोषों �ा स्थानां&(ण हो&ा है &Nा (क्त �ा जमना रु�ने, पा� �े रु�ने प( शांवि& मिम,&ी है।

(५) व्यामिधवि�प(ी&ाN��ा(ी, अNा�&् (ोग या �ेदना �ो बढ़ाने�ा,ा प्र&ी& हो&े हुए भी व्यामिध �े वि�प(ी& �ाय� �(ने�ा,े आहा( आदिद �ा प्रयोग ( होमिमयापैNी से &ु,ना �(ें : होमिमयो (समान) अपैNोज़ (�ेदना) = होमिमयोपैNी)।

(६) उभयवि�(ी&ाN��ा(ी, अNा�&् �ा(ण औ( �ेदना दोनों �े समान प्र&ी& हो&े हुए भी दोनों �े वि�प(ी& �ाय� �(ने�ा,े आहा( वि�हा( औ( औषध �ा प्रयोग।

उपशय औ( अनुपशय से भी (ोग �ी पहCान में सहाय&ा मिम,&ी है। अ&: इन�ो भी प्राCीनों ने "लि,Aग' में ही विगना है। हे&ु औ( लि,Aग �े द्वा(ा (ोग �ा ज्ञान प्राl& �(ने प( ही उस�ी उलिC& औ( सफ, लिCवि�त्सा (औषध) संभ� है। हे&ु औ( लि,Aगों से (ोग �ी प(ीक्षा हो&ी है, कि�A&ु इन�े समुलिC& ज्ञान �े लि,ए (ोगी �ी प(ीक्षा �(नी Cाविहए।

[संपादिद� करें] रोगी की परीक्षा(ोगी प(ीक्षा �े साधन Cा( हैं - आl&ोपदेश, प्रत्यक्ष, अनुमान औ( युलिक्त।आF�ोपदेश-योग्य अमिध�ा(ी, &प औ( ज्ञान से संपन्न होने �े �ा(ण, शास्त्र&त्�ों �ो (ाग-दे्वष-शून्य बुजिद्ध

से असंदिदग्ध औ( यNाN� रूप से जान&े औ( �ह&े हैं। ऐसे वि�द्वान् , अनुसंधानशी,, अनुभ�ी, पक्षपा&हीन

औ( यNाN� �क्ता महापुरुषों �ो आl& (अNॉरि(टी) औ( उन�े �Cनों या ,ेखों �ो आl&ोपदेश �ह&े हैं। आl&जनों ने पूण� प(ीक्षा �े बाद शास्त्रों �ा विनमा�ण �( उनमें ए�-ए� �े संबंध में लि,खा है वि� अमु�

�ा(ण से, इस दोष �े प्र�ुविप& होने औ( इस धा&ु �े दूविष& होने &Nा इस अंग में आत्तिश्र& होने से, अमु�

,क्षणों�ा,ा अमु� (ोग उत्पन्न हो&ा है, उसमें अमु�-अमु� परि(�&�न हो&े हैं &Nा उस�ी लिCवि�त्सा �े

लि,ए इन आहा( वि�हा( औ( अमु� औषमिधयों �े इस प्र�ा( उपयोग �(ने से &Nा लिCवि�त्सा �(ने से शांवि&

हो&ी है। इसलि,ए प्रNम योग्य औ( अनुभ�ी गुरुजनों से शास्त्र �ा अध्ययन �(ने प( (ोग �े हे&ु, लि,Aग औ(

औषधज्ञान में प्र�ृत्तिZ हो&ी है। शास्त्र�Cनों �े अनुसा( ही ,क्षणों �ी प(ीक्षा प्रत्यक्ष, अनुमान औ( युलिक्त से

�ी जा&ी है।

प्रत्यक्ष-मनोयोगपू��� इंदिWयों द्वा(ा वि�षयों �ा अनुभ� प्राl& �(ने �ो प्रत्यक्ष �ह&े हैं। इस�े द्वा(ा (ोगी �े

श(ी( �े अंग प्रत्यंग में होने�ा,े वि�त्तिभन्न शब्दों (ध्�विनयों) �ी प(ीक्षा �( उन�े स्�ाभावि�� या अस्�ाभावि�� होने �ा ज्ञान श्रोत्रेंदिWय द्वा(ा �(ना Cाविहए। �ण�, आ�ृवि&, ,ंबाई, Cौcाई आदिद प्रमाण &Nा छाया आदिद �ा ज्ञान नेत्रों द्वा(ा, गंधों �ा ज्ञान ््घ्रााणेंदिWय &Nा शी&, उर्ष्याण, रूक्ष, त्निस्नग्ध ए�ं नाcी आदिद �े सं्पदन आदिद

भा�ों �ा ज्ञान स्पश®दिWय द्वा(ा प्राl& �(ना Cाविहए। (ोगी �े श(ी(ग& (स �ी प(ीक्षा स्�यं अपनी जीभ से

�(ना उलिC& न होने �े �ा(ण, उस�े श(ी( या उससे विन�,े स्�ेद, मूत्र, (क्त, पूय आदिद में Cींटी ,गना या न ,गना, मस्थिक्खयों �ा आना औ( न आना, �ौए या �ुZे आदिद द्वा(ा खाना या न खाना, प्रत्यक्ष देख�(

उन�े स्�रूप �ा अनुमान वि�या जा स�&ा है।अनुमान-युलिक्तपू��� &�� (ऊहापाह) �े द्वा(ा प्राl& ज्ञान अनुमान (इनफ़(ेंस) है। जिजन वि�षयों �ा प्रत्यक्ष

नहीं हो स�&ा या प्रत्यक्ष होने प( भी उन�े संबंध में संदेह हो&ा है �हाँ अनुमान द्वा(ा प(ीक्षा �(नी Cाविहए;

यNा, पाCनशलिक्त �े आधा( प( अग्निग्नब, �ा, व्यायाम �ी शलिक्त �े आधा( प( शा(ीरि(� ब, �ा, अपने

वि�षयों �ो ग्रहण �(ने या न �(ने से इंदिWयों �ी प्र�ृवि& या वि��ृवि& �ा &Nा इसी प्र�ा( भोजन में रुलिC,

अरुलिC &Nा lयास ए�ं भय, शो�, क्रोध, इच्छा, दे्वष आदिद मानलिस� भा�ों �े द्वा(ा वि�त्तिभन्न शा(ीरि(� औ(

मानलिस� वि�षयों �ा अनुमान �(ना Cाविहए। पू��क्त उपशयानुपशय भी अनुमान �ा ही वि�षय है।युक्ति+-इस�ा अN� है योजना। अने� �ा(णों �े सामुदामिय� प्रभा� से वि�सी वि�लिशष्ट �ाय� �ी उत्पत्तिZ �ो देख�(, &दनु�ू, वि�Cा(ों से जो �ल्पना �ी जा&ी है उसे युलिक्त �ह&े हैं। जैसे खे&, ज,, ज&ुाई, बीज

औ( ऋ&ु �े संयोग से ही पौधा उग&ा है। धुए ं�ा आग �े साN सदै� संबंध (ह&ा है, अNा�&् जहाँ धुआँ

होगा �हाँ आग भी होगी। इसी �ो व्याप्तिl&ज्ञान भी �ह&े हैं औ( इसी �े आधा( प( &�� �( अनुमान वि�या जा&ा है। इस प्र�ा( विनदान, पू��रूप, रूप, संप्राप्तिl& औ( उपशय इन सभी �े सामुदामिय� वि�Cा( से (ोग �ा विनण�य युलिक्तयुक्त हो&ा है। योजना �ा दूस(ी दृमिष्ट से भी (ोगी �ी प(ीक्षा में प्रयोग �( स�&े हैं। जैसे वि�सी इंदिWय में यदिद �ोई वि�षय स(,&ा से ग्राह्य न हो &ो अन्य यंत्रादिद उप�(णों �ी सहाय&ा से उस वि�षय �ा ग्रहण �(ना भी युलिक्त में ही अं&भू�& है।

[संपादिद� करें] परीक्ष्य तिवषयपू��क्त लि,Aगों �े ज्ञान �े लि,ए &Nा (ोगविनण�य �े साN साध्य&ा या असाध्य&ा �े भी ज्ञान �े लि,ए

आl&ोपदेश �े अनुसा( प्रत्यक्ष आदिद प(ीक्षाओं द्वा(ा (ोगी �े सा(, &त्� (वि�सपोजिज़शन), सहनन (उपCय),

प्रमाण (श(ी( औ( अंग प्रत्यंग �ी ,ंबाई, Cौcाई, भा( आदिद), सात्म्य (अभ्यास आदिद, हैविबट्स),

आहा(शलिक्त, व्यायामशलिक्त &Nा आयु �े अवि&रि(क्त �ण�, स्�(, गंध, (स औ( स्पश� ये वि�षय, श्रोत्र, Cकु्ष, ््घ्रााण, (सन औ( स्पशेंदिWय, सत्�, भलिक्त (रुलिC), शैC, शी,, आCा(, स्मृवि&, आ�ृवि&, ब,, ग्,ाविन, &ंWा, आ(ंभ (Cेष्टा), गुरु&ा, ,र्घाु&ा, शी&,&ा, उर्ष्याण&ा, मृदु&ा, �ादिठन्य आदिद गुण, आहा( �े गुण, पाCन औ(

मात्रा, उपाय (साधन), (ोग औ( उस�े पू��रूप आदिद �ा प्रमाण, उपW� (�ांस्तिl,�ेशंस), छाया (,स्ट(),

प्रवि&च्छाया, स्�प्न (ड्रीम्स), (ोगी �ो देखने �ो बु,ाने �े लि,ए आए दू& &Nा (ास्&े औ( (ोगी �े र्घा( में प्र�ेश

�े समय �े श�ुन औ( अपश�ुन, ग्रहयोग आदिद सभी वि�षयों �ा प्र�ृवि& (स्�ाभावि��&ा) &Nा वि��ृवि&

(अस्�ाभावि��&ा) �ी दृमिष्ट से वि�Cा( �(&े हुए प(ीक्षा �(नी Cाविहए। वि�शेष&: नाcी, म,, मूत्र, जिजह्वा, शब्द (ध्�विन), स्पश�, नेत्र औ( आ�ृवि& �ी सा�धानी से प(ीक्षा �(नी Cाविहए। आयु�Kद में नाcी �ी प(ीक्षा अवि& महत्� �ा वि�षय है। �े�, नाcीप(ीक्षा से दोषों ए�ं दूर्ष्यायों �े साN (ोगों �े स्�रूप आदिद �ा ज्ञान

अनुभ�ी �ैद्य प्राl& �( ,े&ा है।

[संपादिद� करें] औषधजिजन साधनों �े द्वा(ा (ोगों �े �ा(णभू& दोषों ए�ं शा(ीरि(� वि��ृवि&यों �ा शमन वि�या जा&ा है उन्हें औषध �ह&े हैं। ये प्रधान&: दो प्र�ा( �ी हो&ी है : अपWव्यभू& औ( Wव्यभू&।अ4व्यभू� औषध �ह है जिजसमें वि�सी Wव्य �ा उपयोग नहीं हो&ा, जैसे उप�ास, वि�श्राम, सोना, जागना, टह,ना, व्यायाम आदिद। बाह्य या आभ्यं&( प्रयोगों द्वा(ा श(ी( में जिजन बाह्य Wव्यों (ड्रग्स) �ा प्रयोग हो&ा है �े4व्यभू� औषध हैं। ये Wव्य संके्षप में &ीन प्र�ा( �े हो&े हैं :

(१) जांगम (ऐविनम, ड्रक्स), जो वि�त्तिभन्न प्रात्तिणयों �े श(ी( से प्राl& हो&े हैं, जैसे मधु, दूध, दही, र्घाी, मक्खन, मठ् ठा, विपZ, �सा, मज्जा, (क्त, मांस, पु(ीष, मूत्र, शुक्र, Cम�, अस्थिस्थ, श्रृंग, खु(, नख, ,ोम आदिद;

(२) औजि²द (हब�, ड्रग्स), पेc पौधे आदिद से प्राl& हो&े हैं, जैसे वि�वि�ध अन्न, फ,, फू,, पZे, जcे, छा,ें, गोंद, �ंठ,, स्�(स, दूध, भस्म, क्षा(, &ै,, �ंट�, �ोय,े औ( �ंद आदिद;

(३) पार्थिNA� (खविनज, मिमन(, ड्रग्स), जैसे सोना, Cांदी, सीसा, (ांगा, &ांबा, ,ोहा, Cूना, खविcया, अभ्र�, संग्निखया, ह(&ा,, मैनलिस,, अंजन (एटंीमनी), गेरू, नम� आदिद।

श(ी( �ी भांवि& ये सभी Wव्य भी पांCभौवि&� हो&े हैं, इन�े भी �े ही संर्घाट� हो&े हैं जो श(ी( �े हैं। अ&:

संसा( में �ोई भी Wव्य ऐसा नहीं है जिजस�ा वि�सी न वि�सी रूप में वि�सी न वि�सी (ोग �े वि�सी न वि�सी अ�स्थावि�शेष में औषधरूप में प्रयोग न वि�या जा स�े। कि�A&ु इन�े प्रयोग �े पू�� इन�े स्�ाभावि��

गुणधम�, संस्�ा(जन्य गुणधम�, प्रयोगवि�मिध &Nा प्रयोगमाग� �ा ज्ञान आ�श्य� है। इनमें �ुछ Wव्य दोषों �ा

शमन �(&े हैं, �ुछ दोष औ( धा&ु �ो दूविष& �(&े हैं औ( �ुछ स्�स्थ्�ृ& में, अNा�&् धा&ुसाम्य �ो स्थिस्थ(

(खने में उपयोगी हो&े हैं, इन�ी उपयोविग&ा �े समुलिC& ज्ञान �े लि,ए Wव्यों �े पांCभौवि&� संर्घाट�ों में &ा(&म्य �े अनुसा( स्�रूप (�ंपोजिज़शन), गुरु&ा, ,र्घाु&ा, रूक्ष&ा, त्निस्नग्ध&ा आदिद गुण, (स (टेस्ट ए�ं

,ो�, ऐक्शन), �पा� (मेटाबोलि,� Cेंजेज़), �ीय� (विफजिज़ओ,ॉजिज�, ऐक्शन), प्रभा� (से्पलिसविफ़�

ऐक्शन) &Nा मात्रा (�ोज़) �ा ज्ञान आ�श्य� हो&ा है।

[संपादिद� करें] भेषज्यकल्पनासभी Wव्य सदै� अपने प्रा�ृवि&� रूपों में श(ी( में उपयोगी नहीं हो&े। (ोग औ( (ोगी �ी आ�श्य�&ा �े

वि�Cा( से श(ी( �ी धा&ुओं �े लि,ए उपयोगी ए�ं सात्म्य�(ण �े अनु�ू, बनाने �े लि,ए; इन Wव्यों �े

स्�ाभावि�� स्�रूप औ( गुणों में परि(�&�न �े लि,ए, वि�त्तिभन्न भौवि&� ए�ं (ासायविन� संस्�ा(ों द्वा(ा जो उपाय वि�ए जा&े हैं उन्हें "�ल्पना' (फ़ामKसी या फ़ामा�स्युदिट�, प्रोसेस) �ह&े हैं। जैसे-स्�(स (जूस), �ल्� या Cूण� (पेस्ट या पाउ�(), शी& क्�ाN (इनफ़्यूज़न), क्�ाN (वि��ॉक्शन), आस� &Nा अरि(ष्ट (टिटAक्Cस�), &ै,,

र्घाृ&, अ�,ेह आदिद &Nा खविनज Wव्यों �े शोधन, जा(ण, मा(ण, अमृ&ी�(ण, सत्�पा&न आदिद।

[संपादिद� करें] क्तिचतिकत्सा (ट्री7में7)

लिCवि�त्स�, परि(Cाय�, औषध औ( (ोगी, ये Cा(ों मिम,�( शा(ीरि(� धा&ुओं �ी सम&ा �े उदे्दश्य से जो �ुछ भी उपाय या �ाय� �(&े हैं उसे लिCवि�त्सा �ह&े हैं। यह दो प्र�ा( �ी हो&ी है : (१) विन(ोध�

(विप्र�ेंदिट�) &Nा (२) प्रवि&षेध� (क्यो(ेदिट�); जैसे श(ी( �े प्र�ृवि&स्थ दोषों औ( धा&ुओं में �ैषम्य (वि��ा() न हो &Nा साम्य �ी प(ंप(ा विन(ं&( बनी (हे, इस उदे्दश्य से �ी गई लिCवि�त्सा विन(ोध� है &Nा जिजन विक्रयाओं

या उपCा(ों से वि�षम हुई श(ीरि(� धा&ुओं में सम&ा उत्पन्न �ी जा&ी है उन्हें प्रवि&षेध� लिCवि�त्सा �ह&े हैं।पुन: लिCवि�त्सा &ीन प्र�ा( �ी हो&ी है :(१) सत्वावजय (साइ�ो,ॉजिज�,) : इसमें मन �ो अविह& वि�षयों से (ो�ना &Nा हष�ण, आर्श्वासन आदिद

उपाय हैं।(२) दैवव्यपाश्रय (वि��ाइन) : इसमें ग्रह आदिद दोषों �े शमनाN� &Nा पू���ृ& अशुभ �म� �े

प्रायत्तिश्चZस्�रूप दे�ा(ाधन, जप, ह�न, पूजा, पाठ, व्रा&, &Nा मत्तिण, मंत्र, यंत्र, (त्न औ( औषमिध आदिद �ा धा(ण, ये उपाय हो&े हैं।

(३) युक्ति+व्यपाश्रय (मेवि�लिसन, अNा�&् लिसस्टमिम� ट्रीटमेंट) : (ोग औ( (ोगी �े ब,, स्�रूप, अ�स्था, स्�ास्थ्य, सत्�, प्र�ृवि& आदिद �े अनुसा( उपयु�& औषध �ी उलिC& मात्रा, अनु�ू, �ल्पना (बनाने �ी (ीवि&) आदिद �ा वि�Cा( �( प्रयुक्त �(ना। इस�े भी मुख्य&: &ीन प्र�ा( हैं : अं&:परि(माज�न,

बविह:परि(माज�न औ( शस्त्र�म�।अं�:परिरमाज>न (औषमिधयों �ा आभ्यं&( प्रयोग) : इस�े भी दो मुख्य प्र�ा( हैं : (१) अप&प�ण या शोधन

या ,ंर्घान; (२) सं&प�ण या शमन या बंृहण (ग्निख,ाना)। शा(ीरि(� दोषों �ो बाह( विन�ा,ने �े उपायों �ो शोधन �ह&े हैं, उस�े �मन, वि�(ेCन (पगKदिट�), �स्तिस्& (विनरूहण), अनु�ासन औ( उZ(�स्तिस्& (एविनमैटा &Nा �ैNेटस� �ा प्रयोग), लिश(ोवि�(ेCन (स्नफ़्स आदिद) &Nा (क्तामोक्षणश् (�ेविनसेक्शन या ब्,� ,ेटिटAग), ये

पांC उपाय हैं।शमन-लाक्षणिणक क्तिचतिकत्सा (लिसAlटोमैदिट� ट्रीटमेंट) : वि�त्तिभन्न ,क्षणों �े अनुसा( दोषों औ( वि��ा(ों �े

शमनाN� वि�शेष गुण�ा,ी औषमिध �ा प्रयोग, जैसे ज्�(नाश�, छर्टिदAघ्न (�मन (ो�ने�ा,ा), अवि&सा(ह(

(स्&ंभ�), उद्दीप�, पाC�, हृद्य, �ुष्ठघ्न, बल्य, वि�षघ्न, �ासह(, र्श्वासह(, दाहप्रशाम�, शी&प्रशाम�,

मूत्र,, मूत्रवि�शोध�, शुक्रजन�, शुक्रवि�शोध�, स्&न्यजन�, स्�ेद,, (क्तस्थाप�, �ेदनाह(, संज्ञास्थाप�,

�य:स्थाप�, जी�नीय, बंृहणीय, ,ेखनीय, मेदनीय, रूक्षणीय, स्नहेनीय आदिद Wव्यों �ा आ�श्य�&ानुसा(

उलिC& �ल्पना औ( मात्रा में प्रयोग �(ना।इन औषमिधयों �ा प्रयोग �(&े समय विनम्नलि,ग्निख& बा&ों �ा ध्यान (खना Cाविहए : ""यह औषमिध इस

स्�भा� �ी होने �े �ा(ण &Nा अमु� &त्�ों �ी प्रधान&ा �े �ा(ण, अमु� गुण�ा,ी होने से, अमु� प्र�ा( �े देश में उत्पन्न औ( अमु� ऋ&ु में संग्रह �(, अमु� प्र�ा( सु(त्तिक्ष& (ह�(, अमु� �ल्पना से, अमु�

मात्रा से, इस (ोग �ी, इस-इस अ�स्था में &Nा अमु� प्र�ा( �े (ोगी �ो इ&नी मात्रा में देने प( अमु� दोष

�ो विन�ा,ेगी या शां& �(ेगी। इस�े प्रभा� में इसी �े समान गुण�ा,ी अमु� औषमिध �ा प्रयोग वि�या जा स�&ा है। इसमें यह यह उपW� हो स�&े हैं औ( उस�े शमनाN� ये उपाय �(ने Cाविहए।बति�:परिरमाज>न (एक्स्टन�, मेवि��ेशन)-जैसे अभ्यंग, स्नान, ,ेप, धूपन, स्�ेदन आदिद।

[संपादिद� करें] शस्त्रकम>वि�त्तिभन्न अ�स्थाओं में विनम्नलि,ग्निख& आठ प्र�ा( �े शस्त्र�मR में से �ोई ए� या अने� �(ने पc&े हैं :१. छेदन-�ाट�( दो फां� �(ना या श(ी( से अ,ग �(ना (एस्थिक्सज़न),

२. भेदन-Cी(ना (इंलिसज़न),

३. ,ेखन-खु(Cना (स्के्रकिपAग या स्�ैरि(विफ़�ेशन),

४. �ेधन-नु�ी,े शस्त्र से छेदना (पंक्Cरि(Aग),

५. एषण (प्रोकिबAग),

६. आह(ण-खींC�( बाह( विन�ा,ना (एक्स्टै्रक्शन),

७. वि�स्रा�ण-(क्त, पूय आदिद �ो Cु�ाना (डे्रनेज),

८. सी�न-सीना (स्यूCरि(Aग या प्तिस्टलिCAग)।इन�े अवि&रि(क्त उत्पाटन (उखाcना), �ुट्टन (�ुC�ुCाना, विप्रकि�Aग), मंNन (मNना, विड्रलि,Aग), दहन (ज,ाना, �ॉट(ाइज़ेशन) आदिद उपशस्त्र�म� भी हो&े हैं, शस्त्र�म� (ऑप(ेशन) �े पू�� �ी &ैया(ी �ो पू���म� �ह&े हैं, जैसे (ोगी �ा शोधन, यंत्र (ब्,ंट इंस्ट¤मेंट्स), शस्त्र (शाप� इंस्ट¤मेंट्स) &Nा शस्त्र�म� �े समय ए�ं बाद में आ�श्य� रुई, �स्त्र, पट्टी, र्घाृ&, &े,, क्�ाN, ,ेप आदिद �ी &ैया(ी औ( शुजिद्ध। �ास्&वि�� शस्त्र�म� �ो प्रधान �म� �ह&े हैं। शस्त्र�म� �े बाद शोधन, (ोहण, (ोपण, त्�क्स्थापन, स�ण¸�(ण, (ोमजनन आदिद

उपाय पश्चात्�म� हैं।शस्त्रसाध्य &Nा अन्य अने� (ोगों में क्षा( या अग्निग्नप्रयोग �े द्वा(ा भी लिCवि�त्सा �ी जा स�&ी है। (क्त

विन�ा,ने �े लि,ए जों�, सींगी, &ंुबी, प्रच्छान &Nा लिश(ा�ेध �ा प्रयोग हो&ा है।

[संपादिद� करें] मानस रोग (में7ल तिPज़ीजे़ज़)

मन भी आयु �ा उपादान है। मन �े पू��क्त (ज औ( &म इन दो दोषों से दूविष& होने प( मानलिस� सं&ु,न

विबगcने �ा इंदिWयों औ( श(ी( प( भी प्रभा� पc&ा है। श(ी( औ( इंदिWयों �े स्�स्थ होने प( भी मनोदोष से

मनुर्ष्याय �े जी�न में अस्&व्यस्&&ा आने से आयु �ा ह्रास हो&ा है। उस�ी लिCवि�त्सा �े लि,ए मन �े

श(ी(ात्तिश्र& होने से शा(ीरि(� शुजिद्ध आदिद �े साN ज्ञान, वि�ज्ञान, संयम, मन:समामिध, हष�ण, आर्श्वासन आदिद

मानस उपCा( �(ना Cाविहए, मन �ो क्षोभ� आहा( वि�हा( आदिद से बCना Cाविहए &Nा मानस-(ोग-

वि�शेषज्ञों से उपCा( �(ाना Cाविहए।इंदि4यां - ये आयु�Kद में भौवि&� मानी गई हैं। ये श(ी(ात्तिश्र& &Nा मनोविनयंवित्र& हो&ी हैं। अ&: श(ी( औ( मन

�े आधा( प( ही इन�े (ोगों �ी लिCवि�त्सा �ी जा&ी है।

आत्मा �ो पह,े ही विनर्वि�A�ा( ब&ाया गया है। उस�े साधनों (मन औ( इंदिWयों) &Nा आधा( (श(ी() में वि��ा( होने प( इन सब�ी संCा,� आत्मा में वि��ा( �ा हमें आभास मात्र हो&ा है। कि�A&ु पू���ृ& अशुभ

�मR परि(णामस्�रूप आत्मा �ो भी वि�वि�ध योविनयों में जन्मग्रहण आदिद भ�बंधनरूपी (ोग से बCाने �े

लि,ए, इस�े प्रधान उप�(ण मन �ो शुद्ध �(ने �े लि,ए, सत्संगवि&, ज्ञान, �ै(ाग्य, धम�शास्त्रलिCA&न, ््व्रा&,

उप�ास आदिद �(ना Cाविहए। इनसे &Nा यम विनयम आदिद योगाभ्यास द्वा(ा स्मृवि& (&त्�ज्ञान) �ी उत्पत्तिZ

होने से �म�संन्यास द्वा(ा मोक्ष �ी प्राप्तिl& हो&ी है। इसे नैमिष्ठ�ी लिCवि�त्सा �ह&े हैं। क्योंवि� संसा( दं्वद्वमय है, जहाँ सुख है �हाँ दु:ख भी है, अ&: आत्यंवि&� (स&&) सुख &ो दं्वद्वमुक्त होने प( ही मिम,&ा है औ( उसी �ो �ह&े हैं मोक्ष।

[संपादिद� करें] अष्टांग वैद्यकवि�स्&ृ& वि��ेCन, वि�शेष लिCवि�त्सा &Nा सुगम&ा आदिद �े लि,ए आयु�Kद �ो आठ भागों (अष्टांग �ैद्य�) में वि�भक्त वि�या गया है :(१) कायक्तिचतिकत्सा- इसमें सामान्य रूप से औषमिधप्रयोग द्वा(ा लिCवि�त्सा �ी जा&ी है। प्रधान&: ज्�(,

(क्तविपZ, शोष, उन्माद, अपस्मा(, �ुष्ठ, प्रमेह, अवि&सा( आदिद (ोगों �ी लिCवि�त्सा इस�े अं&ग�& आ&ी है।

शास्त्र�ा( ने इस�ी परि(भाषा इस प्र�ा( �ी है-�ायलिCवि�त्सानाम स�ाºगसंत्तिश्र&ानांव्याधीनां ज्�((क्तविपZ-

शोषोन्मादापस्मा(�ुष्ठमेहावि&सा(ादीनामुपशमनाN�म् । (सु.सू. १।३)

(२) शल्ययंत्र- वि�वि�ध प्र�ा( �े शल्यों �ो विन�ा,ने �ी वि�मिध ए�ं अग्निग्न, क्षा(, यंत्र, शस्त्र आदिद �े प्रयोग

द्वा(ा संपादिद& लिCवि�त्सा �ो शल्य लिCवि�त्सा �ह&े हैं। वि�सी व्रण में से &ृण �े विहस्से, ,�cी �े टु�cे,

पत्थ( �े टु�cे, धू,, ,ोहे �े खं�, हड्डी, बा,, नाखून, शल्य, अशुद्ध (क्त, पूय, मृ&भू्रण आदिद �ो विन�ा,ना &Nा यंत्रों ए�ं शस्त्रों �े प्रयोग ए�ं व्रणों �े विनदान, &Nा उस�ी लिCवि�त्सा आदिद �ा समा�ेश

शल्ययंत्र �े अं&ग�& वि�या गया है।शल्यंनाम वि�वि�ध&ृण�ाष्ठपाषाणपांशु,ोह,ोष्ठस्थिस्थ�ा,नखपूयास्रा�Wष््टव्राणा- ्ं&ग�भ�शल्योद्व(णाN� यंत्रशस्त्रक्षा(ाग्निग्नप्रत्तिणधान्व्राण वि�विनश्चयाN�C। (सु.सू. १।१)।

(३) शालाक्ययंत्र - ग,े �े ऊप( �े अंगों �ी लिCवि�त्सा में बहुधा श,ा�ा सदृश यंत्रों ए�ं शस्त्रों �ा प्रयोग

होने से इसे शा,ाक्ययंत्र �ह&े हैं। इस�े अं&ग�& प्रधान&: मुख, नालिस�ा, नेत्र, �ण� आदिद अंगों में उत्पन्न

व्यामिधयों �ी लिCवि�त्सा आ&ी है।शा,ाक्यं नामऊध्��जन्&ुग&ानां श्र�ण नयन �दन घ्राणादिद संत्तिश्र&ानां व्याधीनामुपशमनाN�म् । (सु.सू. १।२)।

(४) कौमारभृत्य - बच्चों, त्निस्त्रयों वि�शेष&: गर्णिभAणी त्निस्त्रयों औ( वि�शेष स्त्री(ोग �े साN गभ�वि�ज्ञान �ा �ण�न इस &ंत्र में है।�ौमा(भृत्यं नाम �ुमा(भ(ण धात्रीक्षी(दोषश् संशोधनाNºदुष्टस्&न्यग्रहसमुत्थानां C व्याधीनामुपशमनाN�म् ।। (सु.सू. १।५)।

(५) अगद�ंत्र - इसमें वि�त्तिभन्न स्था�(, जंगम औ( �ृवित्रम वि�षों ए�ं उन�े ,क्षणों &Nा लिCवि�त्सा �ा �ण�न

है।अगद&ंतं्र नाम सप��ीट,&ामविष�ादिददष्टवि�ष वं्यजनाNºवि�वि�धवि�षसंयोगोपशमनाNº C ।। (सु.सू. १।६)।

(६) भू�तिवद्या - इसमें दे�ामिध ग्रहों द्वा(ा उत्पन्न हुए वि��ा(ों औ( उस�ी लिCवि�त्सा �ा �ण�न है।भू&वि�द्यानाम दे�ासु(गंध��यक्ष(क्ष: विप&ृविपशाCनागग्रहमुपसृष्टCे&सांशाप्तिन्&�म� �लि,ह(णादिदग्रहोपशमनाN�म् । (सु.सू. १।४)।

(७) रसायन�ंत्र - लिC(�ा, &� �ृद्धा�स्था �े ,क्षणों से बC&े हुए उZम स्�ास्थ्य, ब,, पौरुष ए�ं दीर्घाा�यु �ी प्राप्तिl& ए�ं �ृद्धा�स्था �े �ा(ण उत्पन्न हुए वि��ा(ों �ो दू( �(ने �े उपाय इस &ंत्र में �र्णिणA& हैं।(सायन&ंत्र नाम �य: स्थापनमायुमेधा�,�(ं (ोगापह(णसमNº C। (सु.सू. १।७)।

(८) वाजीकरण - शुक्रधा&ु �ी उत्पत्तिZ, पुष्ट&ा ए�ं उसमें उत्पन्न दोषों ए�ं उस�े क्षय, �ृजिद्ध आदिद �ा(णों से उत्पन्न ,क्षणों �ी लिCवि�त्सा आदिद वि�षयों �े साN उZम स्�स्थ सं&ोनोत्पत्तिZ संबंधी ज्ञान �ा �ण�न इस�े अं&ग�& आ&े हैं।

�ाजी�(ण&ंत्रं नाम अल्पदुष्ट क्षीणवि�शुर्ष्या�(े&सामाlयायनप्रसादोपCय जननविनमिमZं प्रहषº जननाNºC। (सु.सू. १।८)।

[संपादिद� करें] आयुव�द संबंधी शोधस्�&ंत्र&ा प्राप्तिl& �े बाद भा(& स(�ा( �ा ध्यान आयु�Kदिद� लिसद्धां& ए�ं लिCवि�त्सा संबंधी शोध �ी ओ(

आ�र्विषA& हुआ। फ,स्�रूप इस दिदशा में �ुछ महत्�पूण� �दम उठाए गए हैं औ( ए�ामिध� शोधपरि(षदों ए�ं संस्थानों �ी स्थापना �ी गई है जिजनमें से प्रमुख ये है :(अ) भार�ीय क्तिचतिकत्सापद्धति� एवं �ोम्योपैर्थी की कें 4ीय अनुसंधान परिरषद‌् (सेंट्र, �ौंलिस, फॉ(

रि(सC� इन इंवि�यन मेवि�लिसन ऐं� होम्योपैNी) इस स्�ायZशासी �ें Wीय अनुसंधान परि(षद ्�ी स्थापना �ा विब, भा(& स(�ा( ने २२ मई, १९६९ �ी ,ो�सभा में पारि(& वि�या Nा। इस�ा मुख्य उदे्दश्य आयु�Kदिद�

लिCवि�त्सा �े सैद्धांवि&� ए�ं प्रायोविग� पह,ुओं �े वि�त्तिभन्न पक्षों प( अनुसंधान �े सूत्रपा& �ो विनदेलिश&,

प्रोन्न&, सं�र्धिधA& &Nा वि��लिस& �(ना है। इस संस्था �े प्रधान �ाय� ए�ं उदे्दश्य विनम्नलि,ग्निख& हैं :(१) भा(&ीय लिCवि�त्सा (आयु�Kद, लिसद्ध, यूनानी, योग ए�ं होम्योपैNी) पद्धवि& से संबंमिध& अनुसंधान �ो �ैज्ञाविन� ढंग से प्रस्&ु& �(ना।(२) (ोगविन�ा(� ए�ं (ोगोत्पाद� हे&ुओं से संबंमिध& &थ्यों �ा अनुशी,न ए�ं &त्संबंधी अनुसंधान में सहयोग प्रदान �(ना, ज्ञानसं�ध�न ए�ं प्रायोविग� वि�मिध में �ृजिद्ध �(ना।३. भा(&ीय लिCवि�त्साप्रणा,ी, होम्योपैNी &Nा योग �े वि�त्तिभन्न सैद्धांवि&� ए�ं व्या�हारि(� पह,ुओं में �ैज्ञाविन� अनुसंधान �ा सूत्रपा&, सं�ध�न ए�ं सामंजस्य स्थाविप& �(ना।(४) �ें Wीय परि(षद ्�े समान उदे्दश्य (खने�ा,ी अन्य संस्थाओं, मं�लि,यों ए�ं परि(षदों �े साN वि�शेष�(

पू�ाºC, प्रदेशीय व्यामिधयों औ( खास�( भा(& में उत्पन्न होने�ा,ी व्यामिधयों से संबंमिध& वि�लिशष्ट अध्ययन

ए�ं पय��ेक्षण संबंधी वि�Cा(ों �ा आदान प्रदान �(ना।५. �ें Wीय परि(षद ्ए�ं आयु�Kदीय �ाङमय �े उत्�ष� पत्रों आद �ा मुWण, प्र�ाशन ए�ं प्रदश�न �(ना।६. �ें Wीय परि(षद ्�े उदे्दश्यों �े उत्�ष� विनमिमZ पु(स्�ा( प्रदान �(ना &Nा छात्र�ृत्तिZ स्�ी�ृ& �(ना। छात्रों �ो यात्रा हे&ु धन(ालिश �ी स्�ी�ृवि& देना भी इसमें सत्निम्मलि,& है।(आ) कें 4ीय अनुसंधान संस्थान (सेंट्र, रि(सC� इंप्तिस्टट्यूट) आ&ु(ा,यों, प्रयोगशा,ाओं, आयुर्वि�Aज्ञान �े

आधा(भू& लिसद्धां&ों ए�ं प्रायोविग� समस्याओं प( बृहद ्रूप से शोध �( (हा है। इस�े प्रधान उदे्दश्य

विनम्नलि,ग्निख& हैं :

१. (ोगविन�ा(ण ए�ं उन्मू,न हे&ु अच्छी, सस्&ी &Nा प्रभा��ा(ी औषमिधयों �ा प&ा ,गाना।२. वि�त्तिभन्न �ें Wों (�ें Wीय परि(षद ्�े) में सं,ग्न �ाय��&ा�ओं �ो प्रलिशक्षण संबंधी सुवि�धाए ँप्रदान �(ना।३. वि�त्तिभन्न व्यलिक्तयों अN�ा संस्थाओं द्वा(ा "(ोगविन�ा(ण' �े दा�ों �ा मूल्याँ�न �(ना।४. आयु�Kदीयवि�ज्ञान �े लिसद्धां&ों �ा सं�ध�न �(ना।५. आधुविन� लिCवि�त्सावि�ज्ञान �े दृमिष्ट�ोण से आयु�Kदीय लिसद्धां&ों �ी पुनव्या�ख्या �(ना।६. वि�त्तिभन्न नैदाविन� पह,ुओं प( अनुसंधान �(ना।उपयु�क्त संस्थान �े साN (१) औषधीय �नस्पवि& स�Kक्षण इ�ाइयाँ (स�K आफ मेवि�लिसन, l,ांट्स यूविनट्स),

(२) &थ्यविनर्ष्या�ासन C, नैदाविन� अनुसंधान इ�ाइयाँइस�े अवि&रि(क्त �ें Wीय संस्थान विनम्न स्थानों प( �ाय� �( (हे हैं :आयु�Kद : �ें Wीय अनुसंधान संस्थान, CेरूNरुNी। �ें Wीय अनुसंधान संस्थान, पदिटया,ा।लिसद्ध : �ें Wीय अनुसंधान संस्थान, मWास।यूनानी : �ें Wीय अनुसंधान संस्थान, हैद(ाबाद।होम्योपैNी : �ें Wीय अनुसंधान संस्थान, �,�Zा।(इ) के्षत्रीय अनुसंधान संस्थान ((ीजन, रि(सC� इंप्तिस्टट्यूट) इस संस्थान �ा �ाय� भी प्राय: �ें Wीय

अनंसधान संस्थान �े समान ही है। ऐसे संस्थानों �े साN २५ शय्या�ा,े आ&ु(ा,य भी संबद्ध हैं। भु�नेर्श्व(,

जयपु(, योगेंWनग( &Nा �,�Zा में के्षत्रीय अनुसंधान �ें W स्थाविप& वि�ए गए हैं। इन संस्थानों �े साN

भीश् (१) औषधीय �नस्पवि& स�Kक्षण इ�ाइयाँ, (२) &थ्यविनर्ष्या�ासन C, नैदाविन� अनुसंधान इ�ाइयाँ &Nा (३) नैदाविन� अनुसंधान इ�ाइयाँ संबद्ध हैं।औषधीय �नस्पवि& स�Kक्षण इ�ाई �े उदे्दश्य विनम्नलि,ग्निख& हैं :१. आयु�Kदीय �नस्पवि&यों �े (जिजन�ा वि�त्तिभन्न आयु�Kदीय संविह&ाओं में उल्,ेख है) के्षत्र �ा वि�स्&ा( ए�ं परि(माण �ा अनुमान।२. वि�त्तिभन्न औषमिधयों �ा संग्रह �(ना।३. वि�त्तिभन्न इ�ाइयों (अनसंधान) में जाँC हे&ु ह(े पौधों, बीज ए�ं अन्य औषमिधयों में प्रयुक्त होने�ा,े भाग

�ा प्रCु( परि(माण में संग्रह �(ना आदिद।४. इस�े अवि&रि(क्त आयु�Kदिद� औषमिध उद्योग में प्रयुक्त होने�ा,े Wव्य, अन्य संुद( &Nा आ�ष�� पौधे, वि�त्तिभन्न जंग,ी Wव्यों ए�ं अ,भ्य पौधों औ( Wव्यों �े संबंध में छानबीन �(ना।

(ई) मिमणिश्र� भेषज अनुसंधन योजना (�ंपोजिज़ट ड्रग रि(सC� स्�ीम) इस योजना �े अं&ग�& �ुछ

आधुविन� प्रयोग में आई न�ीन औषमिधयों �ा अध्ययन प्राNमिम� रूस से वि�या जा (हा है। वि�त्तिभन्न

दृमिष्ट�ोणों �ो ,े�( अNा�&् नैदाविन�, विक्रयाशी,&ा संबंधी, (ासायविन� &Nा संर्घाटनात्म� अध्ययन इस�े

के्षत्र में सत्निम्मलि,& वि�ए गए हैं।(उ) वाङमय अनुसंधान इकाई (लि,ट(े(ी रि(सC� यूविनट) आयु�Kद �े विबख(े ए�ं नष्टप्राय �ाङमय �ो वि�त्तिभन्न विनजी ए�ं सा��जविन� पुस्&�ा,यों �े स�Kक्षण द्वा(ा सं�लि,& �(ना इस इ�ाई �ा �ाम है। प्राCीन �ा,

में &ा,पत्र, भोजपत्र आदिद प( लि,खे आयु�Kद �े अमूल्य (त्नों �ा सं�,न ए�ं सं�ध�न भी इस�े प्रमुख

उदे्दश्य में से ए� हैं।(ऊ) क्तिचतिकत्साशास्त्र के इति��ास का संस्थान (इंप्तिस्टट्यूट ऑ� विहस्ट(ी ऑ� मेवि�लिसन) यह संस्थान

हैद(ाबाद में स्थिस्थ& है। इस�ा मुख्य उदे्दश्य युगानुरूप आयु�Kद �े इवि&हास �ा प्रारूप &ैया( �(ना है। प्रागैवि&हालिस� युग से आधुविन� युग पयº& आयु�Kद �ी प्रगवि& ए�ं ््ह्रास �ा अध्ययन ही इस�ा �ाय� है।

[संपादिद� करें] संधानीय शल्य तिवज्ञानआयु�Kद में संधानीय शल्य वि�ज्ञान �ा वि��ास C(म सीमा प( Nा। सुश्रु& संविह&ा में संधान� शल्यविक्रया �े

प्रधान&: दो पक्ष �र्णिणA& हैं। प्रNम पक्ष �ा संधान�म� ए�ं विद्व&ीय �ो �ै�ृ&ापट्टम �ी संज्ञा दी गई है।१. संधान कम> पुनर्विनAमा�ण संबंधी शल्यविक्रया है औ( संधान� श,यवि�ज्ञान �ा आधा(स्&ंभ भी। इस�े

अं&ग�& (�) �ण�संधान, (ख) नासासंधान &Nा (ग) ओष्ठसंधान इत्यादिद शल्यविक्रयाओं �ा समा�ेश वि�या गया है।२. वैकृ�पट्टम में व्राण(ोपण से प्रा�ृवि&� ,ा�ण्य पयº& अने� अ�स्थाओं �ा समा�ेश वि�या गया है। �ै�ृ&ापट्टम विक्रया �ा मुख्य उदे्दश्य व्राण�स्&ु (व्राणलिCह्नों) �ो यNासंभ� प्रा�ृवि&� अ�स्था (आ�ा(, रूप,

प्र�ृवि&) में ,ाना है जिजनमें विनम्नांवि�& आठ प्रधान �म� संपादिद& वि�ए जा&े हैं :(अ) उत्सादन कम>- नीCे दबी हुई व्राण�स्&ु �ो ऊप( उठाना।(आ) अवसादनकम> - ऊप( उठी हुई व्राण�स्&ु �ो नीCे ,ाना।(इ) मृदुकम> - �दिठन व्राण�स्&ु �ो मृदु �(ना।(ई) दारुणकम> - मृदु व्राण�स्&ु �ो �ण� प्रदान �(ना।(उ) कृष्णकम> - �ण�(विह& व्राण�स्&ु �ो �ण� प्रदान �(ना।(ऊ) पांPुकम> - अवि&(ंजिज& व्राण�स्&ु �ो न्यन�ण� अN�ा �ण�वि�हीन �(ना।

(ए) रोमसंजनन - व्राण�स्&ु �े ऊप( पुन: प्रा�ृवि&� (ोम उत्पन्न �(ना।(ऐ) लोपा�रण - व्राण�स्&ु �े ऊप( उत्पन्न अत्यमिध� बा,ों �ो नष्ट �(ना।

'आयुव�द' एक चमत्कार

�ॉ. श्री बा,ाजी &ांबेआत्मसं&ु,न प्तिÃह,ेज, �ा,ा�, 410 405, महा(ाष्ट्र, भा(&www.ayu.de

'आयु�Kद' ए� Cमत्�ा( है। Cमत्�ा( शब्द �े प्रवि& ह( ए� �ो आ�ष�ण हो&ा है। आइये, हम Cमत्�ा( शब्द �ी परि(भाषा समझ ,े&े हैं। जो र्घाटनायें मनुर्ष्याय �ी बुजिद्ध &Nा समझ में न आने �े बा�जूद भी विनसग� में र्घाट&ी (ह&ी हैं, उन्हें Cमत्�ा( �हा जा&ा है। समझ में आने �ा,ी र्घाटना �ो Cमत्�ा( नहीं �हा जा&ा। मिमसा, �े &ौ( प( - ए� औ( ए� दो हो जायेंगे &ो यह �ोई Cमत्�ा( नहीं माना जा&ा। प( यदिद ए� औ( ए� &ीन बन&े हैं, &ो इस�ो Cमत्�ा( �हा जा&ा है।

आयु�Kद में ऐसे अन�े Cमत्�ा( देखने �ो मिम,&े हैं। �ई बा( म(ीज �ी हा,& इ&नी ख(ाब हो जा&ी है वि� आधुविन� पैNी �े ब�े ब�े �ॉक्ट( भी �हने ,ग&े हैं, वि� इस म(ीज �े लि,ये अब �ुछ भी �(ना संभ� नहीं है। म&,ब अब इस म(ीज �े बा(े में यदिद �ोई Cमत्�ा( होगा &ब ही �ुछ हो स�&ा है, �(ना �ुछ भी संभ� नहीं है। औ( आम &ौ( प( ऐसा देखा जा&ा है वि� (ोगी �ी हा,& इस हद &� विबग�न ेप( ही ,ोग आयु�Kद �ी ओ( मु�&े हैं।

आज�, आधुविन� पॅNॉ,ॉजी �ी मदद से हमें श(ी( �ी ह( ए� �ोलिश�ा �े बा(े में जान�ा(ी मिम, स�&ी है। विफ( भी �ॉक्ट(ों �ी समझ में नहीं आ&ा वि� क्या विबग� गया है औ( �ुछ समझ में आया &ो भी �ई बा( आधुविन� शास्त्रज्ञों �े पास �ोई इ,ाज नहीं हो&ा।

ऐसा देखा जा&ा है वि� आधुविन� शास्त्रज्ञों �े अनुसा( जो (ोग असाध्य हो&ा है, �ह आयु�Kद �े इ,ाज से ठी� हो जा&ा है। इस प्र�ा( �े परि(णाम देख�( भी आधुविन� �ॉक्ट( �ह&े हैं वि� यह &ो Cमत्�ा( हो गया, इसमें आयु�Kद �ा �ुछ भी हाN नहीं है। यह बा& सही है वि� भग�ान �ी �ृपा से ही Cमत्�ा( हो स�&ा है, ,ेवि�न हमें ध्यान में (खना Cाविहये वि� इस प्र�ा( �ा Cमत्�ा( आयु�Kद �े माध्यम से हुआ है। आज जब वि�ख्या& संस्थायें औ( ब�े ब�े �ॉक्ट( (ोगों �े पीछे प�न ेप( भी उन�े हाNों में (ोग �ा सही इ,ाज नहीं आ&ा &ब आज�, सब �ा ध्यान आयु�Kद �ी ओ( जा (हा है।

यदिद हमें �ोई धंधा शुरू �(ना है, &ो उस �े लि,ये शलिक्त यानी पैसों �ी आ�श्य�&ा हो&ी है। क्या पैसे �े विबना �ोई धंधा शुरू हो स�ेगा? इसी &(ह हमा(ा जी�न C,ने �े लि,ये भी ए� खास शलिक्त �ी आ�श्य�&ा हो&ी है। प( क्या आज &� वि�सीन ेइस शलिक्त प( संशोधन वि�या है? �े�, आयु�Kद न ेइस शलिक्त �ो जाना है औ( उसे बढाने �े लि,ये �े�, आयु�Kद �े पास ही उपाय हैं। &ो जिजस आयु�Kद न ेऐसी शलिक्त प( संशोधन वि�या है उस�ी श(ण में जाने �े अ,ा�ा हमा(े पास �ोई पया�य नहीं है। आयु�Kद न ेबहु& अचे्छ ढंग से इस शलिक्त �े अ,ग अ,ग स्�रूप ब&ाये हैं। हमा(े द्वा(ा से�न वि�ये गये अन्न �ा शलिक्त में रूपां&( होने �ी प्रविक्रया इस प्र�ा( है - अन्न (स खून मांस हड्डी मज्जा �ीय� ओजस (&ेज)। हमा(ा पू(ा जी�न इस ओजस शलिक्त प( ही C,&ा है। औ( आश्चय� �ी बा& यह है वि� �ीय� औ( ओजस बढाने �े लि,ये पू(े जग& में आयु�Kद �े लिस�ा औ( वि�सी न ेप्रयत्न नहीं वि�ये हैं। मैं यह देख (हा हँू वि� इस शलिक्त �े अभा� से अन�े ,ोग �े�, जीवि�& हैं प( �े सही अNR में जी�न जी नहीं (हे हैं।

जी�न में पैसा यानी ,क्ष्मीजी �ी �ृपा �ी हम सब�ो आ�श्य�&ा है। आज ,ोगों �ी अ,मा(ीयाँ &ो पैसों से भ(ी

हुई है, प( जी�नशलिक्त �े अभा� से मनुर्ष्याय �े श(ी( प( झुर्रि(Aयाँ आ गयी हैं, आँखों �े नीCे �ा,ा हो गया है, आँखों �ी (ोशनी गायब हो गयी है, संके्षप में पू(े श(ी( �ा −हास हो (हा है। हमा(े पास होने �ा,ी जी�नशलिक्त पैसों में रूपां&रि(& �(�े हमने अ,मा(ी में (खी है। प( हमें सोCना Cाविहये वि� क्या पैसों �ो देख&े (हने से हम जी�न समाधान से गुजा( स�ें गे?

�ुछ सा, पह,े स्तिस्�त्झ,È� में संपन्न हुये सेमिमना( में अम(ी�ा �े उद्योगपवि& न ेभाग लि,या Nा। उसन ेमुझे पूछा, "किहAदुस्&ान में पूजा, मंत्र, उपासना, �ास्&ु आदिद �(न ेबा�जूद �हाँ ग(ीबी है। हम अम(ी�ा �े (ह�ासी इन सब बा&ों �ो मान&े नहीं हैं प( हम वि�&न ेसमृद्ध हैं!' मैंने स्पष्ट ज�ाब दिदया, "&ुम्हा(े देश में पैसा � समृजिद्ध वि�पु, होने �े बा�जूद, असं&ुष्ट होने �े �ा(ण, �ास्&ुशास्त्र, उपासना, आध्यात्नित्म�&ा �े इस सेमिमना( में उपस्थिस्थ& (हने �े लि,ये आप अम(ी�ा से यहाँ &� आये हैं। दूस(ी बा& भी ध्यान में ,ेने जैसी है वि� आपमें से वि�&न े,ोग विबना दारू लि,ये, विबना नींद �ी गो,ी लि,ये Cैन �ी नींद अनुभ� �( स�&े हैं? भ,े हमा(े देश में बहु&-सा पैसा नही है, प( यहाँ ,ोग आ(ाम में जी&े हैं, पवि& औ( पत्नी �ा आपस में अच्छा संबंध है। वि�सी �ी आय भ,े 5000 रू. प्रवि& महीना हो, प( �ह सा, में दो-&ीन बा( बा,- बच्चों �ो लिसनेमा/स�� स दिदखा&ा है, दीपा�,ी जैसे त्योहा(ों �ो �प�े ख(ीद&ा है, सा,-दो सा, में बीबी-बच्चों �े साN वि�सी गाँ� �ो जा&ा है, साN साN बच्चों �ी पढाई भी C, (ही है।' अम(ी�ा में &ो ए�ाध बचे्च �ा भी माँ-बाप पा,न नहीं �( स�&े। आज �, पात्तिश्चमात्य देशों में स्�&ंत्र&ा �े नाम से वि�भक्त हो�( संसा( �े टु��े टु��े हो जा&े हैं। क्या यह सही रूप में समृजिद्ध है?

&ो जी�नशलिक्त, जी�न �ी ऊजा� �ी प्राप्तिl& हमा(ा उदे्दश्य होना Cाविहये। औ( यह बा& आप�ो आयु�Kद �े विबना औ( �ही नहीं मिम, स�ेगी। पैसा ख(ाब है ऐसा नहीं है, प( ए� बा& जरू( ध्यान में (खनी Cाविहये वि� पैसा ही अवंि&म सुख नहीं है। आप�े पास जी�नशलिक्त रूपी समृजिद्ध होने प( आप जहाँ जायेंगे �हाँ सब भौवि&� सुवि�धायें उत्पन्न हो जायेंगी। क्या यह Cमत्�ा( नही है?

हम ए� औ( बा& देख स�&े हैं वि� जो �ुछ नैसर्विगA� है �ह मनुर्ष्याय �ी समझ �े लि,ये Cमत्�ा( ही है। पू(े बगीCे �े सब पौधों �ो ए� ही खाद देने �े बा�जूद ए� पौधे प( ,ा, फू, आ&े है, &ो दूस(े प( सफेद। क्या यह Cमत्�ा( नहीं है? गंगा नदी से �(ो�ों सा, पानी बह (हा है, क्या यह Cमत्�ा( नहीं है? विनसग� �ी &(ह अपना श(ी( भी बहु& ब�ा Cमत्�ा( है। अ&ः श(ी( में असं&ु,न हो जाय &ो गया श(ी( �ा नैसर्विगA� भा� सं&ु,न में ,ाना लिसफ� आयु�Kद �ी मदद से ही संभ� है। आज�, श(ी( �ी CयापCय विक्रया में बद,ा� हो�( अन�े प्र�ा( �े (ोग हो (हे हैं। म&,ब श(ी( �ा नैसर्विगA� भा� बद, (हा है। स्�ाभावि�� ही है, वि� इन विबग�े हुये भा�ों �ो सुधा(न े�े लि,ये द�ायें �े�, आयु�Kद में ही हैं। उदा. - आयु�Kद छो��( अन्य वि�सी भी पैNी में य�ृ& �ी बीमा(ी �े लि,ये �ोई द�ा नहीं है। य�ृ& �े लि,ये सबसे प्रभा�ी इ,ाज है "गोमूत्र'। मैंने लि,�( लिस(ोलिसस (Cाहे मद्यपान �े �ा(ण हो या अवि& जाग(ण से विपZ बढने �े �ा(ण हो) �े �ई (ोविगयों �ा इ,ाज वि�या है। य�ृ& �े इन इ,ाज़ों में 60 प्रवि&श& श्रेय गोमूत्र �ो हो&ा है।

क्या वि��नी फेल्युअ( �े इ,ाज �े लि,ये आप�ो �ोई द�ा मा,ूम है? वि��नी �ा �ाय� बंद हो�( (ोगी �ो �ायालि,लिसस प( (खना (ोग �ी अवंि&म अ�स्था है। ,ेवि�न सही रूप में देखा जाये &ो हममें से वि�&न े,ोगों �ी वि��नी ठी� &(ह से �ाम �( (ही है? प( यह सत्य आप�ो �ोई ब&ा&ा नहीं है, क्योंवि� उन�े पास वि��नी �ा �ाय� सुधा(न े�े लि,ये �ोई इ,ाज नहीं है। वि��नी �ा �ाय� बंद होने �े बाद �ायालि,सीस �(ना या पू(ी वि��नी बद,ना यही इ,ाज आधुविन� शास्त्र में उप,ब्ध हैं। प( मैं अत्तिभमान से �ह स�&ा हँू वि� आयु�Kद में वि��नी �ी �ाय�क्षम&ा बढाने �े उपाय हैं।

इसी प्र�ा( मसक्यु,( वि�स्ट्रोफी, ब्रेन टू्यम(, मत्निल्टप, स्क्,े(ॉलिसस आदिद (ोगों �े इ,ाज �े लि,ये आधुविन� शास्त्र में �ोई द�ा उप,ब्ध नहीं है। दिदमाग �ी गाँठ (टू्यम() विन�ा,ने �ी शस्त्रविक्रया में �े�, 40-50 प्रवि&श& यश मिम, स�&ा है। मे(े पास ऐसे भी ,ोग आ&े हैं वि� दिदमाग �ी गाँठ विन�ा,ने �े बाद उन�ा आँख से दिदखना बंद हो गया, �ान से सुनना बंद हो गया या म,मूत्र वि�सज�न प( विनयंत्रण नहीं (हा। श(ी( �ो अपन ेआप ठी� �(न े�ी जो

क्षम&ा हो&ी है उस�े �म होने प( या विबग�न ेसे प( आधुविन� शास्त्र में �ोई द�ा उप,ब्ध नहीं है। जी�ाणुओं �े संक्रमण से होने �ा,े (ोगों प( आधुविन� शास्त्र में द�ायें उप,ब्ध हैं। मग( ये द�ायें (ोग �ो दबा�( (ख&ी हैं, न वि� उन�ा सही इ,ाज �(&ी हैं। अ&ं&ः इन�ा वि�प(ी& परि(णाम हो स�&ा है। जैसे इध( उध( रू्घामने �ा,े साँप प( टो�(ी �ा,ने से �ह �ुछ समय �े &ो आप�े अमिध�ा( मे आ जा&ा है, प( Nो�ी ही दे( में �ह बाह( जाने �े लि,ये नये नये माग� विन�ा, ,ेगा।

आयु�Kद ए� ऐसी भा(&ीय संपदा है, जो �ाफी समय &� हमा(े ,ोगों �ो अच्छा जी�न दे (ही Nी। आज भी हम ऐसे अन�े बुजुग� देख&े हैं वि� जिजन�ा आ(ोग्य, क्षम&ा, शा(ीरि(� शलिक्त आज �ी यु�ा पीढी से बेह&( है। सोCन ेजैसी बा& है वि� आज �ी पीढी इ&नी दुब�, क्यों हो गयी? हमा(ी जी�नशलिक्त औ( हमा(ी ऊजा� �ा −हास क्यों हुआ है? अब हम मधुमेह �े बा(े में देख&े हैं। आज &� आधुविन� शास्त्र में मधुमेह ठी� �(न े�ी द�ा नहीं विन�,ी है। बस्तिल्� मधुमेह �े (ोविगयों �ो लिसफ� मधुमेह �ो विनयंत्रण में (खन े�ी द�ा दी जा&ी है। शक्�( जी�न �ा महत्�पूण� अंग है। श(ी( में जी�नशलिक्त बनाने � बढाने �े लि,ये शक्�( �ी आ�श्य�&ा हो&ी है। इसलि,ये आयु�Kद में मधु( (स �ा महत्� ब&ाया है। हृदय � दिदमाग दोनों �ो शक्�( �ी सख्& जरु(& हो&ी है। जब हम शक्�( खा&े हैं &ो श(ी( �ो शक्�( पCा�( स्�ी�ा( �(नी हो&ी है। जब श(ी( �े द्वा(ा शक्�( �ा से�न नहीं हो पा&ा &ब (क्त में शक्�( �ा अंश बढ&े (ह&ा है। सही स्�रूप में मधुमेह �ा इ,ाज �(न े�े लि,ये हमें श(ी( �ो शक्�( पCाने �े लि,ये लिसखाना Cाविहये। उस�े बद,े में �(े,ा �ा (स जैसे ���ा (स या इन्सुलि,न ,े�( (क्त में होने �ा,ी शक्�( ज,ायेंगे, &ो क्या यह सही इ,ाज है? इसलि,ये आयु�Kद �ा दृमिष्ट�ोण (ह&ा है, (ोग �ा मू, �ा(ण ढँूढना। अ&ः आयु�Kद में श(ी( �ा नैसर्विगA� क्रम जान�( श(ी( में होने �ा,े विबगा� प( ध्यान दिदया जा&ा है औ( श(ी( �ो नैसर्विगA� क्रम प( ,ाने �े लि,ये उपCा( वि�ये जा&े हैं। मधुमेह �े (ोगी �े श(ी( �ो इन्सुलि,न �ा स्त्रा� �(न े�ो प्र�ृZ वि�या जा&ा है, &ावि� श(ी( में शक्�( �े पCाने �ी प्रविक्रया �ाविपस शुरू हो जाये। इस प्र�ा( �े उपCा( �(न ेसे श(ी( में नैसर्विगA� रूप से शक्�( �ा पाCन शुरू हो जायेगा। परि(णाम में हृदय औ( दिदमाग मजबू& (हेगा। मधुमेह �ी शुरुआ& होने प( �ॉक्ट( म(ीज �ी शक्�( नहीं खान ेदे&े। &ीन Cा( महीनों �े बाद आधी गो,ी शुरू �ी जा&ी है। Nो�े दिदनों �े बाद ए� पू(ी गो,ी ,ेन े�ो �हा जा&ा है। बाद में �ुछ दिदनों �े बाद सुबह-शाम गो,ी शुरू �ी जा&ी है। 4-5 सा,ों �े बाद मधुमेह �ी गो,ी �े साN (क्तCाप �ी गो,ी �ी आ�श्य�&ा महसूस हो&ी है। औ( 4-5 सा,ों �े बाद इन्सुलि,न शुरू �(ना प�&ा है। दिदन-ब-दिदन इन्सुलि,न �ी मात्रा बढ&ी जा&ी है। औ( �ुछ दिदनों में दिद, �ा दौ(ा आ&ा है औ( म(ीज �ो बायपास शस्त्रविक्रया �ी स,ाह दी जा&ी है। ह( ए� मधुमेह �े (ोगी �ी &�,ीफों �ा यह क्रम विनत्तिश्च& है। &ो क्या यह मधुमेह �ा सही इ,ाज है?

यदिद आप�ो मधुमेह �ा सही इ,ाज �(ना है, &ो पू(ी दुविनया में आज आयु�Kद �े अ,ा�ा औ( �ोई पया�य नहीं है। आधुविन� शास्त्र �े �ॉ. यह भी ब&ा&े हैं वि� ए� बा( मधुमेह �ी &�,ीफ शुरू होने प( बCी हुई पू(ी ज़िजAदगी मधुमेह �ी द�ायें ,ेनी प�&ी है। प( यह ग,& है। मैं मे(े अनुभ�ों से �ह स�&ा हँू वि� 50-55 प्रवि&श& (ोगी आयु�Kदिद� उपCा( से ठी� हो&े हैं।

आयु�Kद में मधुमेह �े उपCा(ों �ा ए� व्र& जैसे पा,न �(ना हो&ा है। मधुमेह में श(ी( शक्�( �ा पाCन नहीं �( स�&ा। इस स्थिस्थवि& में अग( आप शक्�( खाना बंद �( देंगे औ( जो शक्�( अन्य पदाNR से मिम,&ी है उसे भी इन्सुलि,न ,े�( ज,ा देंगे, &ो आप �भी ठी� नहीं हो स�&े। ह( ए� मधुमेह �े (ोगी �ो सुबह-शाम ,गभग 1-1 Cम्मC शक्�( �ा से�न �(ना आ�श्य� है। सत्यना(ायण प्रसाद �ा लिश(ा (ोज प्रसाद जैसा खाने से मधुमेह Nो�ा भी नहीं बढ&ा बस्तिल्� इस उपCा( से (क्तCाप �ी द�ा �ी मात्रा �म हो जायेगी। क्या यह मधुमेह �े (ोविगयों �े लि,ये Cमत्�ा( नहीं है? &ो सोCन ेजैसी बा& है वि� आज इन अनोखे उपायों �ो छो��( हम क्या �( (हे हैं औ( �हाँ जा (हे हैं?

इसमें ए� औ( बा& ध्यान में (खनी Cाविहये। बीट जैसे �ंदमू,ों से बनी शक्�( � गने्न �ी शक्�( �े गुणधम� अ,ग अ,ग है। �च्ची शक्�( पCन ेमें आसान (ह&ी है। Cासनी बनाने �े बाद या Cासनी में दूध या �ोई आटा �ा,�( बनाई गयी मिमठाई पाCन �ो भा(ी बन जा&ी है। ,ेवि�न ए� �प दूध में ए� Cम्मC शक्�( �ा,�( पीन ेसे दूध �

शक्�( दोनों �ा पाCन अच्छी &(ह से हो&ा है औ( श(ी( �ो ,ाभ हो&ा है।

मधुमेह �े (ोगी आ,ू (बटाटा) औ( Cा�, खाना भी छो� दे&े हैं। यह भी विबल्�ु, ठी� नहीं है। �ो�ण या �े(,ा �े ,ोग, जहाँ �े ,ोगों �ा मुख्य आहा( Cा�, है, ए�दम &ंदुरुस्& (ह&े हैं औ( बा�ी सस्थिब्जयों �ी &ु,ना में आ,ू में �म दोष हो&े हैं। आयु�Kद में �ही भी मधुमेह �े लि,ये �(े,े �े (स �ा प्रयोग नहीं दिदया गया है। इस �े अमिध� से�न से नपंुस�&ा जल्दी आयेगी, रु्घाटने ख(ाब हो जायेंगे औ( �ुछ समय में संपूण� श(ी( �ा नाश हो जायेगा।

संके्षप में मधुमेह �े (ोविगयों �ो 1-2 Cम्मC �च्ची गने्न �ी शक्�( (दूध, शब�&, Cाय आदिद में �ा,�() �ा से�न �(ना आ�श्य� है &ावि� श(ी( �ी शक्�( पCाने �ी क्षम&ा बनी (हें। प(, मिमठाई, जिजसमें शक्�( �ी Cासनी बन जा&ी हैं, पCन ेमें भा(ी होने से, मधुमेह �े (ोविगयों �ो टा,ना Cाविहये। साN में आयु�Kदिद� द�ायें शुरू �(न ेसे 50-55 (ोगी ठी� हो जा&े हैं, बा�ी ,ोगों �ो �ुछ परि(णाम &ो जरु( मिम,ेंगे।

आयुव�दिदक पाककलाअब हम आयु�Kदिद� पा� �,ा �े बा(े में देख&े हैं। र्घा( �े सब सदस्यों �े लि,ये (सोई &ो ए� ही बन&ी है, प( उसी र्घा( �े Cा( बच्चों में ए� मोटा हो जा&ा है, ए� प&,ा, ए� &ंदुरुस्& (ह&ा है, ए� बीमा(। &ो सोCन ेजैसी बा& है वि� ऐसा क्यों हो&ा है? ह( ए� �ा श(ी( अ,ग अ,ग Cीजें स्�ी�ा( �(&ा है। �ुछ भी Cीज खान ेप( श(ी( स्�ी�ा( �( ही ,ेगा, इस प्र�ा( �ी ग,&फहमी में (हना ठी� नहीं है। उदा. - द�ाओं �े रूप में मिमन(, या वि�टामिमन �ा से�न �(न ेप( ऐसा म& समजिझये वि� श(ी( �े द्वा(ा उन�ा स्�ी�ा( वि�या ही जायेगा। (क्त में हीमोग्,ोविबन �ी मात्रा बढाने �े लि,ये ,ौह &त्� युक्त गोलि,याँ से�न �(न ेसे �ई बा( देखा जा&ा है वि� श(ी( में उर्ष्याण&ा बढ&ी है, श(ी( रूक्ष हो&ा है, ब�ासी( से (क्तस्त्रा� होने ,गा&ा है, प( हीमोग्,ोविबन नहीं बढ&ा।

इस प्र�ा( �ी प(ेशाविनयों से बCने �े लि,ये हमा(ी प(ंप(ा से C,&े आया हुआ आहा( शास्त्र ही उलिC& है। आयु�Kद में आहा( �े छः (स ब&ाये हैं। औ( ऐसा भी ब&ाया है वि� हमा(ा आहा( षड्रस पूण� होना Cाविहये। यह छः (स इस प्र�ा( हैं - मधु( (मीठा), अम्, (खट्टा), ,�ण (नम�ीन), �टु (&ीखा), वि&क्त (���ा) औ( �षाय (�सै,ा)। इन में मधु( (स सब (सों �ा (ाजा है औ( ���े (स �ा से�न सबसे �म प्रमाण में �(ना Cाविहये। आज �, पा�-भाजी, भे,-पु(ी, पानी-पु(ी आदिद Cीजें खाने �ा जमाना है। हमें सोCना Cाविहये वि� क्या ये पदाN� खाने से �ीय�, &ा�& औ( ओजस बन स�ेगा? योग्य वि�मिध से बनाये मेNी �े ,ड्डू, गोंद �े ,ड्डू जैसे पदाN� उलिC& प्रमाण में खाने से श(ी( में &ा�& बनी (ह&ी है। आज �, �ी पीढी में अपनी विफग( ठी� (खन े�े लि,ये &Nा मोटापा से बCने �े लि,ये शक्�( �ा से�न बंद �(न े�ी नयी फैशन है। &ो सोCना होगा वि� क्या यह सही है? पा(ंपारि(� आयु�Kदिद� पा��,ा ए� खालिसय& है। उदा. - र्घाी �ा &��ा दे&े समय जी(ा औ( &े, �ा &��ा दे&े समय (ाई �ा,ी जा&ी है। इस�े पीछे जरू( �ोई �ा(ण है। ए� बा( यह सब ध्यान में आयेगा &ो आयु�Kद �ा पा,न �(ना �दिठन नहीं है।

आयुव�द' एक चमत्कार - दूसरा भाग

पह,ा भाग

गभ>संस्कारआज �, दुविनया �े ,गभग 30 प्रवि&श& बचे्च ए,ज¸ ,े�( पैदा हो (हे हैं। यह सब गभा��स्था में ग,& द�ायें से�न �(न े�ा परि(णाम है। हमें ध्यान में (खना है वि� &ंदुरुस्& औ( स्�स्थ बचे्च ही देश �ा भवि�र्ष्याय उज्ज्�, �( स�ें गे। इसलि,ये ह( ए� बच्चा &ंदुरुस्& औ( स्�स्थ पैदा हो इस�े लि,ये हमें प्रयत्न �(न ेहोंगे। हा, में ही मैंने 'गभ�संस्�ा(' नाम �े ए� अल्बम �ा विनमा�ण वि�या है। संगी& औ( मंत्रों �े गभ��&ी स्त्री प( अचे्छ परि(णाम देखे जा&े हैं। हमा(े शास्त्रों में गभ��&ी स्त्री �े आस पास �ा �ा&ा�(ण &Nा उसे सुनान ेयोग्य संगी& �े बा(े में ब&ाया है। जिजन बच्चों �ो यह संगी& गभा��स्था में सुनाया गया है, उन�े (हन-सहन, संस्�ा(, &Nा उन�ी समझ देख �(

आप�ो इस शास्त्र �े प्रभा� �ा प&ा C, जायेगा। पह,े �े जमाने में हमा(े पू��ज इस शास्त्र प( वि�र्श्वास (ख �( पा,न �(&े Nे प(ं&ु आज �, हमने यह सब छो� दिदया है। अ&ः मैंने गभ�संस्�ा( अल्बम �ा विनमा�ण �(न े�ा &य वि�या।

प्रसूति� के पश्चा�आज�, प्रसूवि& �े बाद न�प्रसू&ा स्त्री &Nा बा,� �ो &े, �ी मालि,श �(न े�े लि,ये मना वि�या जा&ा है। मालि,श �े अभा� में 2-3 महीनों �े बाद स्त्री �े श(ी( में �ायु प��&ी है, जिजससे श(ी( मोटा हो जा&ा है &Nा योविन � गभा�शय �े (ोग शुरू हो&े हैं। मोटापा �े �ा(ण स्त्री आहा( प( विनयंत्रण �(न े,ग&ी है, जिजससे बचे्च �ो माँ �ा दूध पया�l& मात्रा में मिम,ना असंभ� हो जा&ा है। परि(णाम में बचे्च �ा स्�ास्थ्य भी ठी� नहीं (ह&ा। इन सब �ा वि�Cा( �(�े आयु�Kद में गभ��&ी &Nा न�प्रसू&ा स्त्री �े आहा(-वि�हा( �ा �ाफी वि�Cा( वि�या गया है। &Nा प्रसूवि& �े बाद आ(ोग्य �े लि,ये माँ औ( बचे्च �े बा(े में क्या �(ना Cाविहये इस�ी जान�ा(ी दी गयी है। अ&ः आयु�Kद �े माध्यम से, प( आधुविन� अस्प&ा, में प्रसूवि& �(ेंगे &ो माँ औ( बच्चा &ंदुरुस्& (हेंगे।

आयुव�दिदक जीवनशैलीआयु�Kद औ( आध्यात्म में अपन ेआप �ो समझने �ा प्रयास वि�या गया है। आध्यात्म में �ःत्�म् �े बा(े में सोCा गया है औ( आयु�Kद में अपनी प्र�ृवि& �े बा(े में खया, वि�या गया है। अपनी प्र�ृवि& �े लि,ये क्या ठी� है औ( क्या ठी� नहीं है यह आप�ो मा,ूम होना Cाविहये। हमा(ा श(ी( �ा&-विपZ-�फ इन वित्रदोषों से बना है। श(ी( में (स से ,े�( �ीय� &� होने �ा,ी प्रविक्रया हमें जान ,ेनी Cाविहये। ए� बा( आप�ी प्र�ृवि& जान ,ेन ेसे आप�ो �ौनसा खाना सात्म्य है, आप�ो �ौन सा औ( वि�&ना �ाम �(ना ठी� है आदिद �े बा(े में जान�ा(ी मिम, स�&ी है। औ( आप इसी विहसाब से C,&े (हेंगे, &ो आप �ह स�ें गे वि� आप आयु�Kद में ब&ायी जी�नशै,ी अपना (हे हैं। आयु�Kद ए� ऐसी जी�नपद्धवि& है, जो जी�न �े ह( अंग में उपयोगी हो&ी है।

आयु�Kद औ( भा(&ीय दश�नशास्त्र �ा पह,ा लिसद्धां& है वि� दुविनया में �ोई भी Cीज पूण�&ः ख(ाब नहीं हो&ी, लिसफ� उस�े अंद( होने �ा,ी ख(ाबी विन�ा,नी Cाविहये। जैसे हमा(े सामने �ोई �ैदी है, &ो उसे नहीं मा(ना Cाविहये बस्तिल्� उस�े अंद( होने �ा,ी दुष्ट प्र�ृत्तिZयों �ो मा(ना Cाविहये। आयु�Kद भी यही �(&ा है। आयु�Kद �े वि�ज्ञान में �ोई भी Cीज उस�े अंद( होने �ा,ा जह( विन�ा, �( खाने योग्य बनायी जा&ी है।

हम सब�े लि,ये (ा& �ा खाना ए� ब�ी मुसीब& बन गयी है। (ा& �ो दे(ी से भोजन �(न ेसे &�,ीफ अमिध� हो&ी है। भोजन �े बा(े में ए� औ( बा& ध्यान में (खनी Cाविहये वि� आप दोपह( �ा खाना जिज&ना खा&े हैं, उससे आधा ही खाना (ा& में खाना Cाविहये। प( दोपह( �े भोजन �े समय दफ्&( में होने �े �ा(ण हम दोपह( �ा खाना �म खा&े हैं औ( दोपह( �ा खाना �म होने �े �ा(ण (ा& �ा खाना ज्यादा हो जा&ा है। इस &(ह �े दिदनक्रम में जब दोपह( में श(ी( �ी र्घा�ी अमिध� खाना माँग (ही है, &ो हम खा,ी पेट (ह&े हैं। ए� प्रलिसद्ध �हा�& इस प्र�ा( है - Breakfast like a king, Lunch like an prince and Dinner like a begger. ,ेवि�न हमा(ा दिदनक्रम इससे विबल्�ु, वि�रुद्ध है। इसी �ा(ण बीमारि(याँ बढ गयी हैं।

आज�, (ा& �ी बुफे �ी पद्धवि& भी ठी� नहीं है। क्योंवि� उसमें खाना, जो (ा& में पCने �े लि,ये भा(ी है औ( ख�े (ह �( वि�या जा&ा है, सभी दृमिष्ट से ग,& है। सब ,ोगों �ो ए� साN, "ॐ सह ना��&ु' जैसी प्राN�ना �(न े�े बाद भोजन शुरू �(ना Cाविहये। भोजन �(&े समय ध्यान में (खना Cाविहये वि� "अन्न हे पूण�ब्रह्म' औ( भोजन समाप्तिl& सब�ो ए� साN �(नी Cाविहये, यही हमा(ी प(ंप(ा है। इस�े पीछे �ुछ वि�ज्ञान भी है। इस प्र�ा( से भोजन �(न ेसे ए� दूस(े से पे्रम �ी भा�ना बढ&ी है, सब�ो "सह �ीयº �(�ा�है। &ेजस्तिस्� ना�धी&मस्&ु' �ा अनुभ� आ&ा है। पू(े दिदन में �म से �म ए� बा( र्घा( �े सब ,ोग मिम,�( ए� समय भोजन �(ेंगे, &ो �ुटंुब में ए� दूस(े से ,गा� � lया( बढेगा &Nा ,ोग शांवि& � समृजिद्ध महसूस �(ेंगे। यह क्षम&ा हमा(ी पा(ंपारि(� पद्धवि&यों में हैं। आज �, खाने �ी ग,& पद्धवि&यों �े �ा(ण ही हमें अन�े बीमारि(यों �ा सामना �(ना प� (हा है। इस प्र�ा( �े �ुछ सीधे विनयमों �ा पा,न �(न ेसे आप�ा आ(ोग्य बना (हेगा।

आज�, ,गभग 75 प्रवि&श& मविह,ाओं �ो गभा�शय विन�ा,ने �ी स,ाह दी जा&ी है। �ई त्निस्त्रयों �ो HRT (Hormone Replacement Therapy) �ी स,ाह दी जा&ी है। क्या आज &� मविह,ाओं �ो इस प्र�ा( �े इ,ाज �ी आ�श्य�&ा हो&ी Nी? आज �, इस इ,ाज �ी प(देश में किनAदा हो (ही है। &ो क्या हमें इस बा(े में सोCना नहीं Cाविहये?

पंचकम>आयु�Kद में ए� ब�ा Cमत्�ा( है "पंC�म�'। हमा(ा श(ी( पंCमहाभू&ों (पृथ्�ी, आप (पानी), &ेज, �ायु औ( आ�ाश) से बना है। पंC�म� यानी श(ी( �े पाँCों &त्�ों �ी शुजिद्ध। आज�, अन�े ब�े ब�े होट,ों में पंC�म� �े बो�� ,गे हो&े हैं। प(ं&ु �ह सही पंC�म� नहीं है। �े�, &े, ,गाने से, Cन े�ा आटा ,गा�( स्नान �(न ेसे या �े�, लिश(ोधा(ा �(न ेसे पंC�म� नहीं हो&ा हैं।

आयु�Kद में पंC�म� �ी वि�शेष वि�मिध ब&ायी है। पंC�म� �े दौ(ान श(ी( �ी ह( ए� �ोलिश�ा �ी शुजिद्ध �ी जा&ी है। ग,& खान े�ी �जह से श(ी( में वि�षWव्य इ�ठ्ठा हो&े हैं, जिजस�ी �जह से त्�Cा खु(द(ी होना, त्�Cा प( �ा,े धब्बे उठना, जो�ों में आम जमना, पू(े बदन में दद� होना आदिद अन�े प्र�ा( �ी &�,ीफें शुरू हो स�&ी हैं। यह सब वि�षWव्य श(ी( �े बाह( फे�ना पंC�म� �ा उदे्दश्य है। पंC�म� �ी पाँC वि�मिधयाँ इस प्र�ा( हैं।

1. श(ी( में जमी हुई पृथ्�ी&त्� औ( ज,&त्� �ी अशुजिद्धयाँ �मन से...2. अग्निग्न&त्� औ( विपZ&त्� �ी अशुजिद्धयाँ वि�(ेCन से...3. औ( �ायु&त्� �ी अशुजिद्धयाँ बस्तिस्&माग� से...बाह( विन�ा,�( श(ी( �ी शुजिद्ध �ी जा&ी हैं।4. �ंधों �े ऊप( �े भागों �ी शुजिद्ध नस्य से �ी जा&ी है।5. हमा(ी आत्मा �ा सं&ु,न बनाये (खन े�े लि,ये प्राN�ना, ध्यान-धा(णा � योग �ी मदद ,ी जा&ी है।

पंC�म� �ी शुरुआ& स्नेहन औ( स्�ेदन से हो&ी है। बाह्यस्नेहन में आयु�Kदिद� &े, से संपूण� श(ी( �ी मालि,श �ी जा&ी है। पंC�म� �े दौ(ान स्�ेदन �ार्ष्याप �े जरि(ये वि�या जा&ा है। आयु�Kद में �ंधों �े ऊप( �े भाग �ो अNा�& लिस( �ो �ार्ष्याप या अमिध� उर्ष्याण&ा न ,गने प( जो( दिदया है। अ&ः स्�ेदन �े समय �ंधों �े ऊप( �ार्ष्याप ,गना नहीं Cाविहये। इसलि,ये हमा(े यहाँ स्�ेदन �े लि,ये वि�शेष बक्सा बनाया है, जिजसमें बैठने से लिस( बाह( (ह&ा है। सौना बाN या �ार्ष्याप से भ(े �म(े में बैठने से शायद उस दिदन �ुछ भी &�,ीफ महसूस नहीं होगी, प( अवि&रि(क्त उर्ष्याण&ा से आविहस्&ा आविहस्&ा दिदमाग �ी धमविनयाँ लिस�ु�&ी जायेगी, बाद में ये धमविनयाँ फट भी स�&ी हैं, औ( धमविनयाँ फटने �ी औ( दिदमाग में (क्त �ा Nक्�ा (clot) बनन े�ा संभ� हो स�&ा है। इसलि,ये सही प्र�ा( से स्�ेदन �(ना जरु(ी है।

�ार्ष्यापस्नान � मालि,श �(न ेसे श(ी( �ी प्रत्ये� �ोलिश�ा से अशुजिद्ध अ,ग हो जा&ी है। अ&ंस्नKहन में वि�वि�ध �नस्पवि&यों से संस्�ारि(& गाय �ा र्घाी प्र�ृवि& �े अनुसा( विप,ाया जा&ा है। जिजससे श(ी( �ी ह( ए� �ोलिश�ा में बसी हुई अशुजिद्धयाँ ढी,ी हो�( विन�, आ&ी हैं।

यह बाह( विन�,ी हुई अशुजिद्धयाँ स्नेहन अNा�& मालि,श से औ( बार्ष्याप स्�ेदन से पेट में आ जा&ी हैं। यह सभी अशुजिद्धयाँ वि�(ेCन �े जरि(ये श(ी( �े बाह( विन�ा,ी जा&ी हैं। वि�(ेCन �े दिदन सुबह �ा �ाढा से�न �(न ेसे दिदन में 15-20 दस्& हो&े हैं। शाम &� दस्& अपने आप बंद हो जा&े हैं। इ&ने दस्&ों �े बाद भी (ोगी में अशक्त&ा या विनज�,ी�(ण �े �ोई ,क्षण दिदखायी नहीं दे&े बस्तिल्� �ह पू(े श(ी( में अनोखा हल्�ापन महसूस �(&ा है। (ोगी शाम &� आ(ाम से C, भी स�&ा है।

इस प्र�ा( से श(ी( �ी शुजिद्ध होने �े बाद ह( ए� �ो उस�ी जरु(& �े अनुसा( �ंु�लि,नी मालि,श (गद�न या पीठ

�ी &ंदुरुस्&ी �े लि,ये), वि�वि�ध प्र�ा( �ी बस्तिस्&याँ, नेत्र&प�ण, �ण�पू(ण, नस्य, लिश(ोधा(ा, हृद्बस्&ी, उZ(बस्&ी, किपA�स्�ेद आदिद वि�शेष Nे(पी �ा संयोजन वि�या जा&ा है। इस &(ह �ा पंC�म� �(न ेसे �े�, (ोविगयों �ो ही नहीं बस्तिल्� सब ,ोगों �ो श(ी( �ा पुनज¸�न होने �े लि,ये फायदा हो&ा है। अ&ः ह( व्यलिक्त �ो अपनी सेह& बनी (खन े�े लि,ये 38-40 �ी उम्र में पंC�म� �(न े�ो �हा गया है।

�र एक के क्तिलयेआयु�Kद में नस्य (ना� में र्घाी �ा,ना) �ा महत्� ब&ाया गया है। सोन ेसे पह,े ना� में दो बूँद गाय �ा र्घाी या आयु�Kदिद� पद्धवि& से �नस्पवि&यों से संस्�ारि(& वि�या हुआ र्घाी �ा,ने से अन�े ,ोगों �ी अधसीसी, सायनस, लिस(दद� �ी &�,ीफ मिमट&ी है। जी�न में �ृद्धा�स्था &� �ानों �ी सुनने �ी क्षम&ा ठी� (खन े�े लि,ये �ानों में आयु�Kदिद� &(ी�े से वि�वि�ध �नस्पवि&यों से संस्�ारि(& &े, �ा,न ेसे फायदा हो&ा है। लिस( प( &े, ,गाने से दिदमाग शां& (ह&ा है औ( दिदमाग �ी �ाय�क्षम&ा बढ&ी है, शां& � गह(ी नींद आ&ी है औ( आँखों �ो भी ,ाभ हो&ा है।

दा&ों �े वि��ा( में या दाँ&ों �े वि��ा(ों से बCने �े लि,ये इरि(मेदादिद &े, (आत्मसं&ु,न सुमुख &े,) �ा हl&े में 1-2 बा( गं�ूष (Nो�ा सा &े, पानी में मिम,ा�( 3-5 मिमनटों &� मुँह में (ख �( बाद में Nँू� देने �ी विक्रया) धा(ण �(न ेसे बहु& फायदा हो&ा है। आयु�Kद में (ोज सुबह ह( ए� �ो पंCगव्य या पंCामृ& ,ेन ेसे बहु& फायदा ब&ाया है। पंCामृ& �े र्घाट� इस प्र�ा( हैं - दूध, दही, र्घाी, शक्�( औ( शहद। पंCगव्य में शक्�( � शहद �े बद,े गोब( � गोमूत्र �ा समा�ेश हो&ा है। लिसझोफे्रविनया, साय�ोलिसस �े उपCा(ों �े लि,ये इन दोनों �ा वि�शेष योगदान हो&ा है।

पात्तिश्चमात्य देशों में 90 प्रवि&श& यु�वि&याँ मूत्रमाग� �ा संक्रमण, मूत्राशय �ा संक्रमण, आदिद �ी लिश�ा( हैं। वि�वि�ध प्र�ा( �ी प्रवि&जैवि�� औषमिधयाँ (अदँिटबायोदिट�) ,े�( भी इन�े संक्रमण मिमट&े नहीं हैं। ऐसी हा,& में आयु�Kद में ब&ाये गये वि�शेष धूप अंगा( �े ऊप( �ा,�( विन�,ा हुआ धुआँ ,ेन ेसे संक्रमण से (ाह& मिम,&ी है। मालिस� धम� �े दौ(ान &�,ीफ, अविनयमिम& मालिस� धम� आदिद लिश�ाय&ों में योविन में वि�शेष आयु�Kदिद� &े, �ा विपCु धा(ण �(न ेसे आश्चय�जन� परि(णाम देखे जा&े हैं।

आयु�Kद में ब&ाये गये महाना(ायण &े,, Cंदनब,ा,ाक्षादिद &े, �ी मालि,श �(न ेसे &े, त्�Cा में शोविष& हो&े हैं। अ&ः इन &े,ों �ा विनयमिम& रूप से इस्&ेमा, �(न ेसे बदिढया परि(णाम देखे जा&े हैं। आत्मसं&ु,न (ोझ ब्युटी &े, जैसे &े, में Cेह(े �ी �ोलिश�ा �े अंद( जा�( उन�ा पोषण �(न े�ी क्षम&ा हो&ी है। अ&ः इस &े, �ा उपयोग �ांवि& सुधा(ने �े लि,ये &Nा मुँहासों �े लि,ये हो&ा है। भू&बाधा औ( ग्रहबाधा विन�ा(णाN� भी आयु�Kद में इ,ाज ब&ाये गये हैं।

पूजा में (खे गये शंख � रं्घाटा औ( ह( ए� र्घा( �े सामने होने �ा,ा &ु,सी�ंृदा�न �ास्&ुशास्त्र (आज �, �े शब्दों में फें गशुई) �ा प्रयोग है। आयु�Kद में भस्म �ा महत्� भी अनोखा है। आयु�Kद में सोना, Cांदी, ,ोहा, &ांबा, जशद, पा(ा आदिद सब धा&ुओं �े भस्म बनाये जा&े हैं। भस्म बना&े समय इन धा&ुओं प( वि�वि�ध �नस्पवि&यों �े संस्�ा( वि�ये जा&े हैं। ए� टन वित्रफ,ा Cूण� से यदिद सौ ,ोगों प( इ,ाज होगा, &ो उसी Cूण� �े प्रभा� से बनाया भस्म 10,000 ,ोगों प( अस( �(ेगा।

आज �, आयु�Kद में उपयुक्त �नस्पवि&याँ दुर्धिमA, हो&ी जा (ही हैं। इसलि,ये आज �नस्पवि&यों �ा सीधा Cूण� इस्&ेमा, �(न े�ी बजाय �ुछ अ,ग &(�ीब �ा सहा(ा ,ेना आ�श्य� बन गया है। उदा. - अशो� �ी छा, आयु�Kदिद� द�ाओं में बहु& उपयोगी है, प( अशो� �ी छा, �ा सीधा Cूण� इस्&ेमा, �(&े जायेंगे &ो अशो� �े सब पे� खत्म होने �ो दे( नहीं ,गेगी। अ&ः अशो� �ी छा, �ा इस्&ेमा, �(�े आस� बनाया जा&ा है, जिजससे अमिध� ,ोगों �ा इ,ाज हो स�े।

-�ॉ. श्री बा,ाजी &ांबे, आत्मसं&ु,न प्तिÃह,ेज, �ा,ा�, 410 405, महा(ाष्ट्र, इंवि�या, ww

नीमवि�वि�पीवि�या, ए� मुक्त ज्ञान�ोष सेयहाँ जाए:ँ भ्रमण, खोज

"आजा़दीरा+ा इन्डिcका"

आजा़दीरा+ा इन्डिcकावैज्ञातिनक वगdकरण

जग&: पादपवि�भाग: Magnoliophytaगण: Sapindales�ु,: Meliaceae�ंश: Azadirachtaजावि&: A. indica

तिeपद-नामकरणAzadirachta indica

नीम भा(&ीय मू, �ा ए� सदाबहा( �ृक्ष है। यह सदिदयों से समीप�&¸ देशों-पावि�स्&ान, बांग्,ादेश, नेपा,,

म्यानमा( (बमा�), Nाई,ैं�, इं�ोनेलिशया, श्री,ं�ा आदिद देशों में पाया जा&ा (हा है। ,ेवि�न वि�ग& ,गभग �ेढ़ सौ �षR में यह �ृक्ष भा(&ीय उपमहाद्वीप �ी भौगोलि,� सीमा �ो ,ांर्घा �( अफ्री�ा, आस्टे्रलि,या, दत्तिक्षण

पू�� एलिशया, दत्तिक्षण ए�ं मध्य अम(ी�ा &Nा दत्तिक्षणी प्रशान्& द्वीपसमूह �े अने� उर्ष्याण &Nा उप-उर्ष्याण

�दिटबन्धीय देशों में भी पहुँC Cु�ा है। इस�ा �ानस्पवि&� नाम ‘Melia azadirachta अN�ा Azadiracta

Indica’ है।

अनुक्रम[छुपाए]ँ

१ �ण�न २ पारि(स्थिस्थवि&�ी ३ उपयोग ४ �ाह्य सूत्र

५ बाह(ी �विcयाँ

[संपादिद� करें] वण>न

फू, � पत्तिZयाँ �ो,�ा&ा, पत्तिश्चम बंगा,, भा(&.

नीम ए� &ेजी बढ़ने �ा,ा सदाबहा( पेc है जो 15-20 मी (,गभग 50-65 फुट) �ी ऊंCाई &� पहुंC

स�&ा है, औ( �भी �भी 35-40 मी (115-131 फुट) &� भी ऊंCा हो स�&ा है। नीम ए� सदाबहा( पेc ,ेवि�न गंभी( सूखे में इस�ी अमिध�&( या ,गभग सभी पत्तिZयों झc जा&ी हैं। इस�ी शाखाओं �ा प्रसा(

व्याप� हो&ा है।

&ना अपेक्षा�ृ&, सीधा औ( छोटा हो&ा औ( व्यास मे 1.2 मीट( &� पहुँC स�&ा है। इस�ी छा,, �ठो(,

वि�दरि(& (द(ा(युक्त) या शल्�ीय हो&ी है औ( इस�ा (ंग सफेद-धूस( या ,ा, भू(ा भी हो स�&ा है।

(सदारु भू(ा-सफेद औ( अं&:�ाष्ठ ,ा, (ंग �ा हो&ा है जो �ायु �े संप�� मे आने से ,ा,-भू(े (ंग मे परि(�र्वि&A& हो जा&ा है। जc प्रणा,ी मे ए� मजबू& मुख्य मूस,ा जc औ( अच्छी &(ह से वि��लिस& पार्श्व� जcें शामिम, हो&ी हैं।

20-40 सेमी (8 से 16 इंC) &� ,ंबी प्रत्या�&¸ विपच्छा�ा( पत्तिZयां जिजनमे, 20 से ,े�( 31 &� गह(े ह(े

(ंग �े पत्र� हो&े हैं जिजन�ी ,ंबाई 3-8 सेमी (1 से 3 इंC) &� हो&ी है। अग्रस्& (टर्धिमAन,) पत्र� प्राय:

उनुपस्थिस्थ& हो&ा है। पण��ंृ& छोटा हो&ा है। �ोंप,ों (नयी पत्तिZयाँ) �ा (ंग Nोcा बैंगनी या ,ा,ामी लि,ये हो&ा है। परि(पक्� पत्र�ों �ा आ�ा( आम&ौ( प( असममिम&ीय हो&ा है औ( इन�े वि�ना(े दं&ीय हो&े हैं।

फू, सफेद औ( सुगत्निन्ध& हो&े हैं औ( ए� ,ट�&े हुये पुर्ष्यापगुच्छ जो ,गभग 25 सेमी (10 इंC) &� ,ंबा हो&ा है मे सज े(ह&े हैं। इस�ा फ, लिC�ना (अ(ोमिम,) गो,ा�ा( से अं�ा�ा( हो&ा है औ( इसे किनAबो,ी �ह&े हैं। फ, �ा लिछ,�ा प&,ा &Nा गूदा (ेशेदा(, सफेद पी,े (ंग �ा, औ( स्�ाद मे �c�ा-मीठा हो&ा है। गूदे �ी मोटाई 0.3 से 0.5 सेमी &� हो&ी है। गुठ,ी सफेद औ( �ठो( हो&ी है जिजसमे ए� या �भी �भी दो से &ीन बीज हो&े हैं जिजन�ा आ�(ण भू(े (ंग �ा हो&ा है।

पेcों �ी व्य�सामिय� खे&ी �ो ,ाभदाय� नहीं माना जा&ा। मक्�ा �े विन�ट &ीN�यावित्रयों �े लि,ए आश्रय

प्रदान �(ने �े लि,ए ,गभग 50000 नीम �े पेc ,गाए गए हैं।[&थ्य �ांलिछ&]

नीम �ा पेc बहु& हद &� Cीनीबे(ी �े पेc �े समान दिदख&ा है, जो ए� बेहद जह(ी,ा �ृक्ष है।

[संपादिद� करें] पारिरस्थिस्थति�की

नीम �ा पेc सूखे �े प्रवि&(ोध �े लि,ए वि�ख्या& है। सामान्य रूप से यह उप-शुर्ष्या� औ( �म नमी �ा,े के्षत्रों उन में फ,&ा है जहाँ �ार्विषA� �षा� 400 से 1200 मिममी �े बीC हो&ी है। यह उन के्षत्रों मे भी फ, स�&ा है जहाँ �ार्विषA� �षा� 400 से �म हो&ी है प( उस स्थिस्थवि& मे इस�ा अस्तिस्&त्� भूमिमग& ज, �े स्&( प( विनभ�(

(ह&ा है। नीम �ई अ,ग अ,ग प्र�ा( �ी मिमट्टी में वि��लिस& हो स�&ा है, ,ेवि�न इस�े लि,ये गह(ी औ(

(े&ी,ी मिमट्टी जहाँ पानी �ा विन�ास अच्छा हो, सबसे अच्छी (ह&ी है। यह उर्ष्याण�दिटबंधीय औ(

उपउर्ष्याण�दिटबंधीय ज,�ायु मे फ,ने �ा,ा �ृक्ष है, औ( यह 22-32° सेंटीग्रे� �े बीC �ा औस& �ार्विषA�

&ापमान सहन �( स�&ा है। यह बहु& उच्च &ापमान �ो &ो बदा�श्& �( स�&ा है, प( 4 वि�ग्री सेस्थिल्सयस

से नीCे �े &ापमान मे मु(झा जा&ा है। नीम ए� जी�नदायी �ृक्ष है वि�शेष�( &टीय, दत्तिक्षणी जिज,ों �े

लि,ए। यह सूखे से प्रभावि�& (शुर्ष्या� प्र�ण) के्षत्रों �े �ुछ छाया देने �ा,े (छायादा() �ृक्षों मे से ए� है। यह

ए� नाजु� पेc नहीं हैं औ( वि�सी भी प्र�ा( �े पानी (मीठा या खा(ा) में जीवि�& (ह&ा है। &मिम,ना�ु में यह �ृक्ष बहु& आम है औ( इस�ो सc�ों �े वि�ना(े ए� छायादा( पेc �े रूप मे उगाया जा&ा है, इस�े

अ,ा�ा ,ोग अपने आँगन मे भी यह पेc उगा&े हैं। लिश��ाशी (लिस��ासी) जैसे बहु& शुर्ष्या� के्षत्रों में, इन

पेcों �ो भूमिम �े बcे विहस्से में ,गाया गया है, औ( इन�ी छाया मे आवि&शबाजी बनाने �े �ा(खाने �ा �ाम �(&े हैं।

[संपादिद� करें] उपयोग

नीम ए� बहु& ही अच्छी �नस्पवि& है जो वि� भा(&ीय पया��(ण �े अनु�ू, है औ( भा(& में बहु&ाय& में पाया जा&ा है। इस�ा स्�ाद &ो �c�ा हो&ा है ,ेवि�न इस�े फायदे &ो अने� औ( बहु& प्रभा�शा,ी है।

१- नीम �ी छा, �ा ,ेप सभी प्र�ा( �े Cम� (ोगों औ( र्घाा�ों �े विन�ा(ण में सहाय� है।

२- नीम �ी दा&ुन �(ने से दां& औ( मसूcे स्�स्थ (ह&े हैं।

३- नीम �ी पत्तिZयां Cबाने से (क्त शोधन हो&ा है औ( त्�Cा वि��ा( (विह& औ( �ांवि&�ान हो&ी है। हां पत्तिZयां अ�श्य �c�ी हो&ी हैं, ,ेवि�न �ुछ पाने �े लि,ये �ुछ &ो खोना पc&ा है मस,न स्�ाद।

४- नीम �ी पत्तिZयों �ो पानी में उबा, उस पानी से नहाने से Cम� वि��ा( दू( हो&े हैं, औ( ये खास&ौ( से

CेC� �े उपCा( में सहाय� है औ( उस�े वि�षाणु �ो फै,ने न देने में सहाय� है।

५- नींबो,ी (नीम �ा छोटा सा फ,) औ( उस�ी पत्तिZयों से विन�ा,े गये &े, से मालि,श �ी जाये &ो श(ी(

�े लि,ये अच्छा (ह&ा है।

६- नीम �े द्वा(ा बनाया गया ,ेप �ा,ों में ,गाने से बा, स्�स्थ (ह&े हैं औ( �म झc&े हैं।

७- नीम �ी पत्तिZयों �े (स �ो आंखों में �ा,ने से आंख आने �ी बीमा(ी (नेत्रशोN या �ंजेस्थिक्ट�ाइदिटस)

समाl& हो जा&ी है।

८- नीम �ी पत्तिZयों �े (स औ( शहद �ो २:१ �े अनुपा& में पीने से पीलि,या में फायदा हो&ा है, औ(

इस�ो �ान में �ा,ने �ान �े वि��ा(ों में भी फायदा हो&ा है।

९- नीम �े &े, �ी ५-१० बंूदों �ो सो&े समय दूध में �ा,�( पीने से ज़्यादा पसीना आने औ( ज,न होने

सम्बन्धी वि��ा(ों में बहु& फायदा हो&ा है।

१०- नीम �े बीजों �े Cूण� �ो खा,ी पेट गुनगुने पानी �े साN ,ेने से ब�ासी( में �ाफ़ी फ़ायदा हो&ा है।

नीम के गुण वि�त्तिभन्न (ोगों में नीम �ा उपयोग

१. प्रस� ए�ं प्रसू&ा �ा, में नीम �ा उपयोग

१.१ नीम �ी जc �ो गभ��&ी स्त्री �े �म( में बांधने से बच्चा आसानी से पैदा हो जा&ा है। वि�न्&ु बच्चा पैदा हो&े ही नीम �ी जc �ो �म( से खो,�( &ु(न्& फें � देने �ा सुझा� दिदया जा&ा है। यह प्रयोग देश

�े �ुछ ग्रामीण अंC,ों में हो&े देखा गया है। प(ीक्षणों �े बाद आयु�Kद ने भी इसे मान्य&ा दी है।

१.२ प्रसू&ा �ो बच्चा जनने �े दिदन से ही नीम �े पZों �ा (स �ुछ दिदन &� विनयमिम& विप,ाने से गभा�शय

सं�ोCन ए�ं (क्त �ी सफाई हो&ी है, गभा�शय औ( उस�े आस-पास �े अंगों �ा सूजन उ&( जा&ा है, भूख ,ग&ी है, दस्& साफ हो&ा है, ज्�( नहीं आ&ा, यदिद आ&ा भी है &ो उस�ा �ेग अमिध� नहीं हो&ा। यह

आयु�Kद �ा म& है।

१.३ आयु�Kद �े म&ानुसा( प्रस� �े छ: दिदनों &� प्रसू&ा �ो lयास ,गने प( नीम �े छा, �ा औटाया हुआ पानी देने से उस�ी प्र�ृवि& अच्छी (ह&ी है। नीम �े पZे या &ने �े भी&(ी छा, �ो औंट�( ग(म ज, से प्रसू&ा स्त्री �ी योविन �ा प्रक्षा,न �(ने से प्रस� �े �ा(ण होने �ा,ा योविनशू, (दद�) औ( सूजन नष्ट

हो&ा है। र्घाा� जल्दी सूख जा&ा है &Nा योविन शुद्ध &Nा सं�ुलिC& हो&ा है।

१.४ प्रस� होने प( प्रसू&ा �े र्घा( �े द(�ाजे प( नीम �ी पत्तिZयाँ &Nा गोमूत्र (खने �ी ग्रामीण प(म्प(ा मिम,&ी है। ऐसा �(ने �े पीछे मान्य&ा है वि� र्घा( �े अन्द( दुष्ट आत्माए ंअNा�& संक्राम� �ीटाणुओं �ा,ी ह�ा न प्र�ेश �(े। नीम पZी औ( गोमूत्र दोनों में (ोगाणु(ोधी (anti bacterial) गुण पाये जा&े हैं। गुज(ा&

�े बcौदा में प्रसू&ा �ो नीम छा, �ा �ाढ़ा ए�ं नीम &े, विप,ाया जा&ा है, इससे भी स्�ास्थ्य प( अच्छा प्रभा� पc&ा है।

२. मालिस� धम�, सुजा� ए�ं सह�ास क्ष& में नीम

२.१ आयु�Kद म& में नीम �ी �ोम, छा, ४ माशा &Nा पु(ाना गु� २ &ो,ा, �ेढ़ पा� पानी में औंट�(, जब आधा पा� (ह जाय &ब छान�( त्निस्त्रयों �ो विप,ाने से रु�ा हुआ मालिस� धम� पुन: शुरू हो जा&ा है। ए�

अन्य �ैद्य �े अनुसा( नीम छा, २ &ो,ा सोंठ, ४ माशा ए�ं गुण २ &ो,ा मिम,ा�( उस�ा �ाढ़ा बना�( देने से मालिस� धम� �ी गcबcी ठी� हो&ी है।

२.२ स्त्री योविन में सुजा� (फंुसी, C�&े) होने प( नीम �े पZों �े उब,े गुनगुने ज, से धोने से ,ाभ हो&ा है। ए� बcे � Cौcे ब&�न में नीम पZी �े उब,े पया�l& ज, में जो सुसुम हो, बैठने से सुजा� �ा शमन

हो&ा है औ( शाप्तिन्& मिम,&ी है। पुरूष लि,Aग में भी सुजा� होने प( यही सुझा� दिदया जा&ा है। इससे सूजन

भी उ&( जा&ा है औ( पेशाब ठी� होने ,ग&ा है।

२.३ नीम पZी �ो ग(म �( स्त्री �े �म( में बांधने से मालिस� धम� �े समय होने �ा,ा �ष्ट या पुरूषप्रसंग

�े समय होने �ा,ा दद� नष्ट हो&ा है।

२.४ नीम �े पZों �ो पीस �( उस�ी दिटवि�या &�े प( सें��( पानी �े साN ,ेने से सह�ास �े समय स्त्री योविन �े अन्द( या पुरूष लि,Aग में हुए क्ष& भ( जा&े हैं, दद� मिमट जा&ा है।

३. प्रद( (ोग (Leocorea) में नीम

३.१ प्रद( (ोग मुख्य&: दो &(ह �े हो&े हैं-रे्श्व& ए�ं (क्त। जब योविन से सcी मछ,ी �े समान गन्ध जैसा, �च्चे अं�े �ी सफेदी �े समान गाढ़ा पी,ा ए�ं लिCपलिCपा पदाN� विन�,&ा है, &ब उसे रे्श्व& प्रद( �हा जा&ा है। यह (ोग प्रजनन अंगों �ी विनयमिम& सफाई न होने, सं&ुलि,& भोजन �े अभा�, बेमे, वि��ाह, मानलिस�

&ना�, हा(मोन �ी गcबcी, श(ी( से श्रम न �(ने, मधुमेह, (क्तदोष या Cम�(ोग इत्यादिद से हो&ा है। इस (ोग �ी अ�स्था में जांर्घा �े आस-पास ज,न महसूस हो&ा है, शौC विनयमिम& नहीं हो&ा, लिस( भा(ी (ह&ा है औ( �भी-�भी Cक्�( भी आ&ा है। (क्त प्रद( ए� गंभी( (ोग है। योविन माग� से अमिध� मात्रा में (क्त �ा बहना इस�ा मुख्य ,क्षण है। यह मालिस� धम� �े साN या बाद में भी हो&ा है। इस (ोग में हाN-पै( में ज,न,

lयास ज्यादा ,गना, �मजो(ी, मूच्छा� &Nा अमिध� नींद आने �ी लिश�ाय&ें हो&ी हैं।

३.२ रे्श्व& प्रद( में नीम �ी पत्तिZयों �े क्�ाN से योविनद्वा( �ो धोना औ( नीम छा, �ो ज,ा�( उस�ा धुआं

,गाना ,ाभदाय� माना गया है। दुग�न्ध &Nा लिCपलिCपापन दू( होने �े साN योविनद्वा( शुद्ध ए�ं सं�ुलिC&

हो&ा है। यह आयु�Kद गं्रN 'गण-विनग्रह' �ा अत्तिभम& है।

३.३ (क्त प्रद( में नीम �े &ने �ी भी&(ी छा, �ा (स &Nा जी(े �ा Cूण� मिम,ा�( पीने से (क्तस्रा� बन्द

हो&ा है &Nा इस (ोग �ी अन्य लिश�ाय&ें भी दू( हो&ी हैं।

३.४ प्रद( (ोग में (�फ होने प() नीम �ा मद ए�ं गु�Cी �ा (स श(ाब �े साN ,ेने से ,ाभ हो&ा है।

४. र्घाा�, फोcे-फंुसी, बदगांठ, र्घामौ(ी &Nा नासू( में नीम

४.१ र्घाा� ए�ं Cम�(ोग बैक्टेरि(याजविन& (ोग हैं औ( नीम �ा ह( अंग अपने बैक्टेरि(या(ोधी गुणों �े �ा(ण इस (ोग �े लि,ए सदिदयों से (ाम�ाण औषमिध �े रूप में मान्य&ा प्राl& है। र्घाा� ए�ं Cम�(ोग में नीम �े समान

आज भी वि�र्श्व �े वि�सी भी लिCवि�त्सा-पद्धवि& में दूस(ी �ोई प्रभा��ा(ी औषमिध नहीं है। इसे आज दुविनयाँ �े लिCवि�त्सा �ैज्ञाविन� भी ए�म& से स्�ी�ा(ने ,गे हैं।

४.२ र्घाा� Cाहे छोटा हो या बcा नीम �ी पत्तिZयों �े उब,े ज, से धोने, नीम पत्तिZयों �ो पीस �( उसप(

छापने औ( नीम �ा पZा पीस�( पीने से शीघ्र ,ाभ हो&ा है। फोcे-फंुसी � ब,&ोc में भी नीम पत्तिZयाँ पीस �( छापी जा&ी हैं।

४.३ दुष्ट � न भ(ने �ा,े र्घाा� �ो नीम पZे �े उब,े ज, से धोने औ( उस प( नीम �ा &े, ,गाने से �ह

जल्दी भ( जा&ा है। नीम �ी पत्तिZयाँ भी पीस�( छापने से ,ाभ हो&ा है।

४.४ गम¸ �े दिदनों में र्घामौरि(याँ विन�,ने प( नीम पZे �े उब,े ज, से नहाने प( ,ाभ हो&ा है।

४.५ नीम �ी पत्तिZयों �ा (स, स(सों �ा &े, औ( पानी, इन�ो प�ा�( ,गाने से वि�षै,े र्घाा� भी ठी� हो जा&े हैं।॥

४.६ नीम �ा म(हम ,गाने से ह( &(ह �े वि��ृ&, वि�षै,े ए�ं दुष्ट र्घाा� भी ठी� हो&े हैं। इसे बनाने �ी वि�मिध इस प्र�ा( है-नीम &े, ए� पा�, मोम आधा पा�, नीम �ी ह(ी पत्तिZयों �ा (स ए� से(, नीम �ी जc �े

छा, �ा Cूण� ए� छटा�, नीम पत्तिZयों �ी (ाख ढाई &ो,ा। ए� �cाही में नीम &े, &Nा पत्तिZयों �ा (स

�ा,�( हल्�ी आँC प( प�ा�ें। जब ज,&े-ज,&े ए� छटा� (ह जाय &ब उसमें मोम �ा, दें। ग, जाने

�े बाद �cाही �ो Cूल्हे प( से उ&ा( �( औ( मिमश्रण �ो �पcे से छान�( गाज अ,ग �( दें। विफ( नीम

�ी छा, �ा Cूण� औ( पत्तिZयों �ी (ाख उसमें बदिढ़या से मिम,ा दें। नीम �ा म(हम &ैया(।

४.७ हमेशा बह&े (हने �ा,े फोcे प( नीम �ी छा, �ा भर्ष्याम ,गाने से ,ाभ हो&ा है।

४.८ छाँ� में सूखी नीम �ी पZी औ( बुझे हुए Cूने �ो नीम �े ह(े पZे �े (स में र्घाोट�( नासू( में भ( देने से �ह ठी� हो जा&ा है। जिजस र्घाा� में नासू( पc गया हो &Nा उससे ब(ाब( म�ाद आ&ा हो, &ो उसमें नीम �ी पत्तिZयों �ा पुत्निल्टस बांधने से ,ाभ हो&ा है।

५. उ�&� (एस्थिक्जमा), खुज,ी, दिदनाय में नीम

५.१ (क्त �ी अशुजिद्ध &Nा प(ोपजी�ी (Parasitic) �ीटाणुओं �े प्र�ेश से उ��&, खुज,ी, दाद-दिदनाय

जैसे Cम�(ोग हो&े हैं। इसमें नीम �ा अमिध�ांश भाग उपयोगी है।

५.२ उ��& में श(ी( �े अंगों �ी Cमcी �भी-�भी इ&नी वि��ृ& ए�ं वि�द्रूप हो जा&ी है वि� ए,ोपैNी लिCवि�त्स� उस अंग �ो �ाटने &� �ी भी स,ाह दे दे&े हैं, वि�न्&ु �ैद्यों �ा अनुभ� है वि� ऐसे भयं�(

Cम�(ोग में भी नीम प्रभा��ा(ी हो&ा है। ए� &ो,ा मजिजष्ठादिद क्�ाN &Nा नीम ए�ं पीप, �ी छा, ए�-ए� &ो,ा &Nा विग,ोय �ा क्�ाN ए� &ो,ा मिम,ा�( प्रवि&दिदन ए� महीने &� ,गाने से एस्थिक्जमा नष्ट हो&ा है।

५.३ एस्थिक्जमा में नीम �ा (स (जिजसे मद भी �ह&े हैं) विनयमिम& �ुछ दिदन &� ,गाने औ( ए� Cम्मC (ोज

पीने से भी १०० प्रवि&श& ,ाभ हो&ा है। सासा(ाम (विबहा() �े ए� म(ीज प( इस�ा ,ाभ हो&े प्रत्यक्ष देखा गया। खुज,ी औ( दिदनाय में भी नीम �ा (स समान रूप से प्रभा��ा(ी है।

५.४ �ुट�ी �े �ाटने से होने �ा,ी खुज,ी प( नीम �ी पZी औ( हल्दी ४:१ अनुपा& में पीस�( छापने से

खुज,ी में ९७ प्रवि&श& &� ,ाभ पाया गया है। यह प्रयोग १५ दिदन &� वि�या जाना Cाविहए।

५.५ नीम �े पZों �ो पीस�( दही में मिम,ा�( ,गाने से भी दाद मिमट जा&ा है।

५.६ �सं& ऋ&ु में दस दिदन &� नीम �ी �ोम, पZी &Nा गो,मीC� पीस�( खा,ी पेट पीने से सा, भ(

&� �ोई Cम�(ोग नहीं हो&ा, (क्त शुद्ध (ह&ा है। (क्त वि��ा( दू( �(ने में नीम �े जc �ी छा,, नीम �ा मद ए�ं नीम फू, �ा अ�� भी �ाफी गुण�ा(ी है। Cम�(ोग में नीम &े, �ी मालि,श �(ने &Nा छा, �ा क्�ाN

पीने �ी भी स,ाह दी जा&ी है।

६. ज,े-�टे में नीम

६.१ आग से ज,े स्थान प( नीम �ा &े, ,गाने अN�ा नीम &े, में नीम पZों �ो पीस �( छापने से शाप्तिन्& मिम,&ी है। नीम में प्रदाह�-(ोधी (anti-inflammatory) गुण होने �े �ा(ण ऐसा हो&ा है।

६.२ नीम �ी पZी �ो पानी में उबा, �( उसमें ज,े हुए अंग �ो �ुबोने से भी शीघ्र (ाह& मिम,&ी है।

६.३ नीम �े &े, ए�ं पत्तिZयों में anticeptic गुण हो&े हैं। �टे स्थान प( इन�ा &े, ,गाने से दिटटनेस �ा भय नहीं हो&ा।

७. �ुष्ठ(ोग में नीम

७.१ दुविनयाँ में २५ �(ोc से भी अमिध� औ( भा(& में पCासों ,ाख ,ोग �ुष्ट (ोग �े लिश�ा( हैं। सै�cों �ोढ़ विनयंत्रण लिCवि�त्सा �ेन्Wों �े बा�जूद इस (ोग से पीविc&ों �ी संख्या में मामू,ी �मी आयी है। यह (ोग

ए� छcनुमा 'माइक्रोबैक्टेरि(या ,ेबी' से हो&ा है। Cमcी ए�ं &ंवित्र�ाओं में इस�ा अस( हो&ा है। यह दो &(ह �ा हो&ा है-पेlसी बेसी,(ी, जो Cमcी प( धब्बे �े रूप में हो&ा है, स्थान सुन्न हो जा&ा है। दूस(ा मल्टीबेसी,(ी, इसमें मुँह ,ा,, उंगलि,याँ टेढ़ी-मेढ़ी &Nा ना� लिCपटी हो जा&ी है। ना� से खून आ&ा है। दूस(ा संक्राम� वि�स्म �ा (ोग है। इसमें �ैपसोन रि(फैमिमसीन औ( क्,ो(ोफाजीमिमन नाम� ए,ोपैNी द�ा दी जा&ी है। ,ेवि�न इसे नीम से भी ठी� वि�या जा स�&ा है।

७.२ प्राCीन आयु�Kद �ा म& है वि� �ुष्ठ(ोगी �ो बा(हों महीने नीम �ृक्ष �े नीCे (हने, नीम �े खाट प( सोने, नीम �ा दा&ुन �(ने, प्रा&:�ा, विनत्य ए� छटा� नीम �ी पत्तिZयों �ो पीस �( पीने, पू(े श(ी( में विनत्य

नीम &े, �ी मालि,श �(ने, भोजन �े �क्त विनत्य पाँC &ो,ा नीम �ा मद पीने, शैय्या प( नीम �ी &ाजी पत्तिZयाँ विबछाने, नीम पत्तिZयों �ा (स ज, में मिम,ा�( स्नान �(ने &Nा नीम &े, में नीम �ी पत्तिZयों �ी (ाख मिम,ा�( र्घाा� प( ,गाने से पु(ाना से पु(ाना �ोढ़ भी नष्ट हो जा&ा है।

८. ध�, (ोग (Leucoderma) में नीम

८.१ श(ी( �े वि�त्तिभन्न भागों में C�&े �े रूप में Cमcी �ा सफेद हो जाना, विफ( पू(े श(ी( �ी Cमcी �ा (ंग

बद, जाना, ध�, (ोग है। इस�ा स्�ास्थ्य प( �ोई अस( नहीं पc&ा, इस�े होने �ा �ा(ण भी बहु& ज्ञा&

नहीं,वि�न्&ु यूनानी लिCवि�त्सा �ा म& है वि� यह (क्त �ी ख(ाबी, हाजमें �ी गcबcी, �फ �ी अमिध�&ा, पेट

में �ीcों �े होने, असंयमिम& खान-पान, मानलिस� &ना�, अमिध� एटंीबायोदिट� द�ाइयों �े से�न आदिद से

हो&ा है।

८.२ नीम �ी &ाजी पZी �े साN बगुCी �ा बीज (Psora corylifolia) &Nा Cना (Circerarietinum)

पीस�( ,गाने से यह (ोग दू( हो&ा है।

९. ब�ासी(

९.१ प्रवि&दिदन नीम �ी २१ पत्तिZयों �ो मूंग �ी भिभAगोई औ( धोयी हुई दा, मे पीस�( विबना �ोई मशा,ा �ा,े प�ौcी बना�( २१ दिदन &� खाने से ह( &(ह �ा ब�ासी( विनब�, हो�( विग( जा&ा है। पथ्य में लिसफ� &ाजा मट्ठा, भा& ए�ं सेंर्घाा नम� लि,या जाना Cाविहए।

९.२ नीम बीज �ा पाउ�( शहद में मिम,ा�( दिदन में दो बा( खाने से भी �ुछ दिदनों में ब�ासी( नष्ट हो जा&े

हैं। यह प्रयोग बुन्दे,खण्� �े आदिद�ालिसयों द्वा(ा �(&े देखा गया है। इसमें नीम �े टूसे ब�ासी( प( बांधने �ी स,ाह दी जा&ी है।

१०. आँख �ी बीमा(ी में नीम

१०.१ नीम �ी ह(ी विनबो,ी �ा दूध आँखों प( ,गाने से (&ौंधी दू( हो&ी है। आँख में ज,न या दद� हो &ो नीम �ी पZी �नपटी प( बांधने से आ(ाम मिम,&ा है। नीम �े पZे �ा (स Nोcा सुसुम �( जिजस ओ(

आंख में दद� हो, उस�े दूस(ी ओ( �ान में �ा,ने से ,ाभ हो&ा है। दोनों आँख में दद� हो &ो दोनों �ान में सुसुम &े, �ा,ना Cाविहए।

१०.२ नीम �े फू, छाँ� में सुखा�( समान भाग �,मी शो(े �े साN पीस�( �पcे से छान�( आँख में आँजन �(ने से फू,ी, धुंध, मा�ा, (&ौंधी आदिद दू( हो&े हैं, आँखों �ी ज्योवि& बढ़&ी है।

१०.३ नीम �ी पत्तिZयों �ा (स &Nा ,ा, विफटवि�(ी ज, में मिम,ा�( उससे धोने से आँख �ा जा,ा साफ

हो&ा है &Nा स्पष्ट दिदखाई पcने ,ग&ा है।

१०.४ दु:ख&ी आँख में नीम पत्तिZयों �ा (स शहद में मिम,ा�( ,गाने से भी दद� दू( हो&ा है औ( साफ

दिदखाई पc&ा है। नीम �ी ,�cी ज,ा�( उस�ी (ाख �ा सू(मा भी ,गाने से इसमें ,ाभ हो&ा है।

१०.५ नीम �ी विनबो,ी (फ,) �ा (स, ,ोहे �े वि�सी पात्र में (गc�( औ( हल्�ा गम� �( प,�ों प( ,ेप

�(ने से नेत्र �ा धुंध,ापन दू( हो&ा है।

१०.६ शुष्ठी औ( नीम �े पZों �ो सेंधा नम� �े साN पीस�( नेत्र प,�ों प( ,गाने से सूजन, ज,न, दद� &Nा आंखो �ा गcना समाl& हो&ा है।

१०.७ नीम �ी पत्तिZयों &Nा ,ोध(ा �ा पाउ�( �पcे में बांध�( पानी में �ुछ दे( छोc दें, विफ( उस पानी से आँख धोने से नेत्र-वि��ा( दू( हो&े हैं।

१०.८ नीम �ाज, : नीम �ी पी,ी सूखी पत्तिZयाँ ७ नग, नीम �े सूखे फ,ों �ा Cूण� ए� माशा, नीम &े,

ए� &ो,ा, साफ महीन �पcा ४ इंC। �पcे प( नीम �ी सूखी पत्तिZयाँ &Nा फ,ों �ा Cूण� (ख�(, हाN से

मस,�( &Nा ,पेट�( बZी बना ,ें। ए� मिमट्टी �े दीप� में नीम �ा &े, �ा,�( उसमें बZी �ूबो �(

ज,ा दें। जब बZी अच्छी &(ह ज,ने ,गे, &ब उस प( ए� ढ�नी ,गा�( �ाज, ए�त्र �( ,ें। इस�ो आँखों में ,गाने से ह( प्र�ा( �े नेत्र (ोग दू( हो&े हैं औ( आँखों �ी ज्योवि& बढ़&ी है। नीम �े फू,ों �ा भी �ाज, ,गाने से ,ाभ हो&ा है।

१०.९ नीम �ा &े, आँखों में आँजने औ( नीम �ा मद ६ &ो,ा दो &ीन दिदन &� प्रा&: पीने से भी (&ौंधी दू( हो&ी है। वि�न्&ु मद �ो दो-&ीन दिदन से अमिध� नहीं पीना Cाविहए।

१०.१० नीम �ी पत्तिZयों �ा (स आँख में टप�ाने से भी नेत्र �े ज,न � वि��ा( नष्ट हो&े हैं।

११ �ान (ोग में नीम

११.१ नीम �ा &े, गम� �( ए�ं Nोcा ठंढ़ा �( �ान में �ुछ दिदन &� विनयमिम& �ा,ने से बह(ापन दू( हो&ा है।

११.२ �ान-दद� या �ान-बहने में नीम &े, �ुछ दिदन &� �ान में विनयमिम& �ा,ने से ठी� हो&ा है।

११.३ �ान �े र्घाा� ए�ं उससे म�ाद आने में नीम �ा (स (मद) शहद �े साN मिम,ा�( �ा,ने या बZी भिभAगो�( �ान में (खने से म�ाद विन�,ना बन्द हो&ा है औ( र्घाा� सूख&ा है।

१२. ना� &Nा दाँ& �ी बीमा(ी में नीम

१२.१ नीम �ी पत्तिZयाँ &Nा अज�ाइन दोनों पीस�( �नपदिट्टयों प( ,ेप �(ने से न�सी( बन्द हो&ा है।

१२.२ मसूcों से खून आने औ( पायरि(या होने प( नीम �े &ने �ी भी&(ी छा, या पZों �ो पानी में औंट�( �ुल्,ा �(ने से ,ाभ हो&ा है। इससे मसूcे औ( दाँ& मजबू& हो&े हैं। नीम �े फू,ों �ा �ाढ़ा बना�( पीने से भी इसमें ,ाभ हो&ा है।

१२.३ नीम �ा दा&ुन विनत्य �(ने से दाँ&ों �े अन्द( पाये जाने �ा,े �ीटाणु नष्ट हो&े हैं। दाँ& Cम�ी,ा ए�ं मसूcे मजबू& � विन(ोग हो&े हैं। इससे लिCZ प्रसन्न (ह&ा है।

१३. बा,ों �े जुंए, भू(ापन &Nा �ी,-मुहांसा में नीम

१३.१ पु(ाने समय में त्निस्त्रयाँ नीम �े &ने �ा भी&(ी छा, मिर्घास�( Cेह(े प( ,गा&ी Nीं, जिजससे त्�Cा �ोम, &Nा �ी,-मुहांसों से मुक्त हो&ा Nा।

१३.२ बा,ों में नीम �ा &े, ,गाने से जुए ं&Nा रूसी नष्ट हो&े हैं।

१३.३ नीम &े, विनयमिम& लिस( में ,गाने से गंजापन या बा, �ा &ेजी से झcना रू� जा&ा है। यह बा,ों �ो भू(ा होने से भी बCा&ा है। नीम &े, से हेय( आय, &Nा हेय( ,ोशन भी बनाये जा&े हैं। माग� या नीम

साबुन भी इसमें ,ाभप्रद है। वि�न्&ु नीम &े, या उससे बने साबुन, &े,, ,ोशन आदिद ,गाने से माNे में गम¸ भी हो&ी है, अ&: बहु& जरू(ी होने प( ही इन�ा प्रयोग �(ना Cाविहए।

१४. पेट-�ृमिम में नीम

१४.१ आं& में पcने �ा,ी सफेद �ृमिम या �ेCुए �ो जc से नष्ट �(ने में संभ�&: नीम जैसा गुण�ा(ी �ोई

अन्य औषमिध नहीं है। नीम �ी पZी १५-२० नग &Nा �ा,ी मिमC� १० नग Nोcे से नम� �े साN पीस�(

ए� विग,ास ज, में र्घाो,�( खा,ी पेट ३-४ दिदन &� पी ,ेने से इन �ृमिमयों से �म से �म २-३ �ष� &�

�े लि,ए मुलिक्त मिम, जा&ी है।

१४.२ बैगन या वि�सी दूस(े साग �े साN नीम �ी पत्तिZयों �ी छौं� ,गा�( खाने से भी �ृमिम नष्ट हो&ी है। लिसफ� नीम �ी पत्तिZयों �ा Cूण� १०-१५ दिदन खा ,ेने से भी ,ाभ हो&ा है।

१४.३ ए� अन्य म& �े अनुसा( दस ग्राम नीम �े पZे, दस ग्राम शुद्ध हींग �े साN �ुछ दिदन विनयमिम& से�न �(ने से भी पेट �े सभी प्र�ा( �े �ीcे म( जा&े हैं।

१५. म,ेरि(या में नीम

१५.१ नीम �ृक्ष म,ेरि(या-(ोधी �े रूप में प्रलिसद्ध है। इस�ी छाया में (हने औ( इस�ी ह�ा ,ेने �ा,ों प(

म,ेरि(या �ा प्र�ोप नहीं हो&ा, यह ग्रामीण अनुभ� है। इस �ृक्ष �े आस-पास म,ेरि(या &Nा अन्य संक्राम� बीमारि(यों �े �ाय(स भी जल्दी नहीं आ&े। यह �ाय(स-वि�(ोधी (anti Viral) �ृक्ष है। अ&: र्घा( �े आस-

पास नीम �ृक्ष ,गाने औ( स्�च्छ&ा (खने �ी स,ाह दी जा&ी है।

१५.२ म,ेरि(या मुख्य&: मच्छ(ों �े �ाटने से हो&ा है। सदÙ, �ंप�पाहट, &ेज बुखा(, बेहोशी, बुखा( उ&(ने प( पसीना छूटना, इस�े प्रमुख ,क्षण हैं। इस (ोग में नीम �े &ने �ी छा, �ा �ाढ़ा दिदन में &ीन बा(

विप,ाने अN�ा नीम �े जc �ी अन्&( छा, ए� छटा� ६० &ो,ा पानी में १८ मिमनट &� उबा,�( औ(

छान�( ज्�( Cढ़ने से पह,े २-३ बा( विप,ाना Cाविहए। इससे ज्�( उ&( जा&ा है। १५.३ नीम &े, में नारि(य, या स(सो �ा &े, मिम,ा�( श(ी( प( मालि,श �(ने से भी मच्छ(ों �े �ा(ण उत्पन्न म,ेरि(या ज्�(

उ&( जा&ा है।

१६. सामान्य ए�ं वि�षम ज्�( में नीम

१६.१ नीम �े अन्&( छा, �ा Cूण�, सोंठ &Nा मीC� �ा �ाढ़ा वि�षम ज्�( में देने से ,ाभ हो&ा है। इसमें नीम �े &े, �ी मालि,श �(ने &Nा प्रमाण से (ोगी �ो विप,ाने से भी ,ाभ हो&ा है। छा, �ी अपेक्षा &े,

�ा प्रभा� जल्द हो&ा ब&ाया गया है। सूजनयुक्त ज्�( या उर्ष्यामज्�( में नीम �ा छा, अमिध� उपयोगी पाया

गया है। नीम पZों �ो पीस-छान �( भी (ोगी �ो विप,ाया जा स�&ा है। ये सा(ी औषमिधयाँ (ोगी �ो �ुछ

ग्निख,ाने से पह,े दी जानी Cाविहए।

१६.२ म,ेरि(यस ज्�( में नीम &े, �ी ५-१० बंूद दिदन में दो बा( देने से अच्छा ,ाभ हो&े देखा गया है। जीण� ज्�( में नीम �ा छा, ए� &ो,ा १० छटां� पानी में औंट�(, जब ए� छटा� (ह जाय &ो छान�( प्रा&:

�ा, विप,ाने से �ुछ ही दिदनों में अन्द( (हने �ा,ा ज्�( वि�ल्�ु, विन�, जा&ा है।

१६.३ &ेज लिसह(नयुक्त ज्�( �े साN �ै होने प( नीम �ी पZी �े (स शहद ए�ं गुc �े साN देने से ,ाभ

हो&ा है। नीम �ा पंCांग (प&ा, जc फू,, फ, औ( छा,) �ो ए� साN �ूट�( र्घाी �े साN मिम,ा�( देने से भी ,ाभ हो&ा है। यह सुश्रु& ए�ं �ाश्यप �ा म& है। १६.४ साधा(ण बुखा( में नीम �ी पत्तिZयाँ पीस �(

दिदन में &ीन बा( पानी में छान�( विप,ाने से बुखा( उ&( जा&ा है। साधा(ण या वि�षम ज्�( में नीम �े पZों �ी (ाख (ोगी �े श(ी( प( मालि,श �(ना ,ाभदाय� हो&ा है।

१७. CेC� में नीम

१७.१ इस�ी भयं�(&ा �े �ा(ण इस (ोग �ो दै�ी प्र�ोप माना जा&ा (हा है। यह जब उग्र रूप धा(ण

�(&ा है &ब बcे-बcे लिCवि�त्स�ों �ी भी �ुछ नहीं सुन&ा। आयु�Kद में CेC� �े (ो�Nाम �े जो विनदान

बा&ये गये हैं उनमें नीम �ा उपयोग ही स�ा�मिध� �र्णिणA& है। इस�े से�न से या &ो CेC� विन�,&ा ही नहीं अN�ा विन�,&ा भी है &ो उग्र नहीं हो&ा, क्रमश: शान्& हो जा&ा है। नीम में Cंूवि� दाह�&ा शान्& �(ने �े

शी&, गुण हैं, इसलि,ए यह ,ो� जी�न में शी&,ा दे�ी �े रूप में भी पूजिज& है।

१७.२ CेC� �भी विन�,े ही नहीं, इस�े लि,ए आयु�Kद म& में उपाय है वि� Cैत्र में दस दिदन &� प्रा&:�ा,

नीम �ी �ोम, पत्तिZयाँ गो, मिमC� �े साN पीस �( पीना Cाविहए। नीम �ा बीज, बहेcे �ा बीज औ( हल्दी समान भाग में ,े�( पीस-छान�( �ुछ दिदन पीने से भी शी&,ा/CेC� �ा �( नहीं (ह जा&ा।

१७.३ CेC� विन�,ने प( (ोगी �ो स्�च्छ र्घा( में नीम �े पZों प( लि,टाना, र्घा( में नीम �ी &ाजा पत्तिZयों �ी टहनी �ा बन्दन�ा( ,ट�ाना &Nा नीम �ा Cं�( बना�( (ोगी �ो ह�ा देना Cाविहए। विबस्&(े �ी पत्तिZयाँ विनत्य बद, देनी Cाविहए। (ोगी �ो यदिद अमिध� ज,न महसूस हो &ो नीम �ी पत्तिZयों �ो पीस�( पानी में र्घाो,�( &Nा मNानी से मN�( उस�ा फेन CेC� �े दानों प( सा�धानी पू��� ,गाना Cाविहए। इससे भी

(ाह& नहीं मिम,ने प( नीम �ी �ोम, पत्तिZयाँ पीस�( CेC� �े दानों प( हल्�ा ,ेप Cढ़ाना Cाविहए। नीम

�े बीज �ी विग(ी �ो पीस�( भी ,ेप �(ने से दाह�&ा शीघ्र �म हो&ी है। (ोगी �ो lयास ,गने प( नीम �े छा, �ो ज,ा�( उस�े अंगा(ों �ो पानी में बुझा�( उस पानी �ो छान �( विप,ाना Cाविहए। नीम �ी पत्तिZयों �ो पानी में औंट�( विप,ाने से भी दाह�&ा शान्& हो&ी है। इससे CेC� �ा वि�ष ए�ं ज्�( भी �म

हो&ा है, CेC� �े दाने शीघ्र सूख&े हैं। CेC� �े दाने ठी� से न विन�,ने प( भी बेCैनी हो&ी है। अ&: नीम

�ी पत्तिZयाँ पीस �( दिदन में &ीन बा( विप,ाने से �ह शीघ्र विन�, आ&े हैं। जब दाने सूख जांय &ब नीम �ा पZा ज, में उबा,�( (ोगी �ो �ुछ दिदन विनयमिम& स्नान औ( नीम &े, �ी मालि,श �(नी Cाविहए। इससे

CेC� �े दाग भी मिमट जा&े हैं। नीम बीज �ी विग(ी पानी में गाढ़ा पीस �( दाग प( ,गाना भी फायदेमंद

हो&ा है। CेC� होने प( �ई (ोविगयों �े �ुछ बा, भी झc जा&े हैं। इसमें नीम &े, माNे प( ,गाने से बा,

पुन: उग आ&े हैं।

१७.४ CेC� में भू,�( भी नीम �े अ,ा�े �ोई दूस(ा इ,ाज �(ना बैद्यों ने मना वि�या है।

१८. l,ेग में नीम

१८.१ �ाय(स �ीटाणुओं से होने �ा,ा यह ए� संक्राम� बीमा(ी है। मिमट्टी, ज, औ( �ायु �े प्रदूषण से

इस�े �ीटाणु (विपlसू) संक्रमिम& हो&े हैं, जो पह,े Cूहों में ,ग&े हैं, विफ( Cूहों से मिमट्टी, खाद्य पदाN�, ज, ए�ं �ायु �े माध्यम से मान� श(ी( में प्र�ेश �(&े हैं। &ेज बुखा(, साँस ,ेने में �दिठनाई, खून �ी उत्निल्टयाँ, आँ& में दद�, बग, &Nा ग,े में सूजन अN�ा गांठे पc जाना इस (ोग �े प्रमुख ,क्षण हैं। आयु�Kद में इसे ग्रत्निÚ�

या �ा&लि,�ा( ज्�( �हा जा&ा है। यह बहु& &ेजी से फै,&ा है। इस�े �ाय(स श(ी( �ी �ोलिश�ाओं �ो नष्ट �( व्यलिक्त �ो अपनी Cपेट में &ु(न्& ,े ,े&े हैं।

१८.२ l,ेग फै,&े ही स्�स्थ ,ोगों �ो नीम �े पZे पीस �( विनत्य पी&े (हना Cाविहए, इससे l,ेग �ा उनप(

अस( नही हो&ा। l,ेग �े लिश�ा( (ोगी �ो नीम �ा पंCाग (बीज, छा,, पZा, फू,, गोद) �ूट�( पानी मे छान�( दस-दस &ो,े �ी मात्रा ह( पन्Wह मिमनट प( देनी Cाविहए। &त्�ा, नीम �े पांCों अंग न मिम,े &ो जो भी मिम,े उसी �ो देना Cाविहए। १८.३ श(ी( �े जोcों प( नीम �ी पत्तिZयों �ी पुत्निल्टस बांधने &Nा आस-पास नीम �ी ,�cी-पZों �ी र्घाूनी �(ने से भी l,ेग �ा शमन हो&ा है।

१९. हैजा में नीम

१९.१ यह अशुद्ध/दूविष& ज, �े उपयोग से फै,ने �ा,ा संक्राम� (ोग है। इस�ी अभी �ोई �ा(गा( द�ा इजाद नहीं हुई है। इस�े जी�ाणु पह,े आं& में प्रवि&विक्रया �(&े हैं। &त्�ा, उपाय न होने प( देख&े-देख&े (ोगी म( जा&ा है। ग्,ू�ोज या नम� Cीनी �ा र्घाो, &ु(न्& दिदया जाना ,ाभदाय� हो&ा है। इस�े फै,ने प( व्यलिक्त �ो पानी उबा,�( पीना Cाविहए, मांस-मंछ,ी �र्जिजA& �(ना Cाविहए, खु,े स्थान �े म, �ो मिमट्टी से

ढ� देना या ,ैदिट्रन �ी वि�मिध�& सफाई हो&ी (हनी Cाविहए। हैजा 'वि�विब्रयो �ै,े(ा' नाम� जी�ाणु से

संक्रमिम& हो&ा है। �ूcे-�Ccों �े सcन में इन�ा विन�ास अमिध� हो&ा है। इस बैक्टेरि(या से ग्रस्& व्यलिक्त

अपने म, द्वा(ा हैजे �े �(ोcों जी�ाणु �ा&ा�(ण में छोc&ा है, उससे ज,, मिमट्टी, खाद्य पदाN� &Nा �ायु

संक्रमिम& हो&े हैं। मस्थिक्खयाँ भी इस�े सं�ाह� बन&ी हैं। उल्टी-दस्&, हाN-पां� में ऐठन औ( &ेज lयास

इस�े प्रमुख ,क्षण हैं।

१९.२ नीम �े पZों �ो पीस�(, गो,ा बना�( &Nा �पcे में बांध�( ऊप( सनी हुई मिमट्टी �ा मोटा ,ेप

Cढ़ा�( उसे आग �े धूम, (भभू&) में प�ाना Cाविहए, जब �ह ,ा, हो जाय &ब Nोcी-Nोcी दे( प( उस

प�े हुए गो,े �ो अ�� गु,ाब �े साN (ोगी �ो देने से दस्&, �मन ए�ं lयास रू�&ा है। नीम &े, �ी मालि,श से श(ी( �ा ऐंठन �म हो&ा है। हैजे में नीम &े, पानी �े साN पीने से भी ,ाभ हो&ा है। नीम छा, �ा �ाढ़ा प&,े दस्& में भी ,ाभ�ा(ी हो&ा है।

२०. विपलि,या/जौंवि�स में नीम

२०.१ नीम �ा (स (मद) या छा, �ा क्�ाN शहद में मिम,ा�( विनत्य सुबह ,ेने से विपलि,या में ,ाभ हो&ा है। मोNा औ( वि�यू (Costus speciosus) �े जूस में नीम �ा छा, मिम,ा�( उस�ा क्�ाN देने से भी यह (ोग

नष्ट हो&ा है।

२१. मधुमेह/�ायविबटीज में नीम

२१.१ हाम�न �ी �मी �े �ा(ण (क्त में श�� (ा �ी अमिध�&ा औ( बा(-बा( पेशाब ,गना, अमिध� lयास,

�मजो(ी, पै(ो में झुनझुनी &Nा बेहोशी भी इंसुलि,न आधारि(& मधुमेह �े प्रमुख ,क्षण हैं। व्यायाम �ी �मी &Nा आहा( में प्रोटीन �े अभा� से भी मधुमेह हो&ा है, जिजस�ा आधा( इंसुलि,न नहीं हो&ा। इसमें र्घाब(ाहट, नसों में दद�, �मजो(ी, N�ान, श(ी( �ा सूखना, �जन र्घाटना, अमिध� भूख, lयास औ( पेशाब

�ा ,गना, �भी-�भी अंधापन भी इस (ोग �े ,क्षण हैं।

२१.२ नीम �े &ने �ी भी&(ी छा, &Nा मेNी �े Cूण� �ा �ाढ़ा बना�( �ुछ दिदनों &� विनयमिम& पीने से

मधुमेह �ी ह( स्थिस्थवि& में ,ाभ मिम,&ा है।

२२. गदिठया, बा&(ोग, साइदिट�ा, जोcों में दद� (अN�(ाइटीस) में नीम

२२.१ इन (ोगों में नीम &े, �ी मालि,श, नीम �ी पत्तिZयों �ो पीस�( ए�ं गम� �( जोcों प( छापने, नीम �ा मद पीने, नीम �े सूखे बीज �ा Cूण� ह( &ीस(े दिदन महीने भ( खाने से �ाफी ,ाभ मिम,&ा है। नीम �े छा, �ो पानी �े साN पीस �( जोcों �े दद� �ा,े स्थान प( गाढ़ा ,ेप �(ने से भी दद� दू( हो&ा है।

२३. सूजन, ,��ा, Cोट-मोC में नीम

२३.१ नीम �े छा, �ा अ�� २ से ४ &ो,े &� विनत्य पीने औ( इस�े से�न �े २ र्घांटे बाद &त्�ा, बनी (ोटी र्घाी �े साN खाने से ,��ा अद्धाºश में ,ाभ हो&ा है। पक्षार्घाा& �ा,े अंगों प( नीम &े, �ी मालि,श �(ने �ी भी स,ाह दी जा&ी है।

२३.२ Cोट ,गने �े �ा(ण आयी मोC औ( विगत्निल्टयों �े सूजन प( नीम �ी पत्तिZयों �ा बफा(ा देने से ,ाभ

हो&ा है।

२४. �फ, विपZ, दमा, (क्त ए�ं हृदय वि��ा( &Nा पN(ी में नीम

२४.१ नीम &Nा �� �े छा, �ा �ाढ़ा �फ में ,ाभदाय� हो&ा है।

२४.२ नीम �ा फू,, इम,ी &Nा शहद �े साN खाने से �फ ए�ं विपZ दोनों �ा शमन हो&ा है।

२४.३ नीम �ा शुद्ध &े, ३० से ६० बंूद &� पान में (ख�( खाने से दमा से छुट�ा(ा मिम,&ा है। नीम �े

२० ग्राम पZे �ो आधा ,ीट( पानी में उबा,�( जब ए� �प (ह जाय, �ुछ दिदन पी&े (हने से भी दमा जc से नष्ट हो&ा है।

२४.४ नीम �ा मद, नीम �े जc �ी छा,, नीम �ी �ोम, पत्तिZयाँ अN�ा पंCांग (पZे, जc, फू,, फ, ए�ं छा,) �ा �ाढ़ा इनमें से वि�सी �ा भी से�न �(ने से (क्त-वि��ा( दू( हो&ा है। विपZ �ा भी शमन हो&ा है

औ( हृदय (ोग �ी भी आशं�ा नहीं हो&ी है। २४.५ नीम �ा गोंद (क्त �ी गवि& बढ़ाने �ा,ा, सू्फर्वि&Aदाय�

पदाN� है। नीम �े जc �ी छा, �ा �ाढ़ा वित्रदोषों - �फ, �ा&, विपZ �ा शमन �(&ा है।

२४.६ नीम �ी पत्तिZयों �ी (ाख २ माशा ज, �े साN विनयमिम& �ुछ दिदन &� खा&े (हने से पN(ी ग,�(

नष्ट हो जा&ी है।

२५. मन्दाग्निग्न, �ायु(ोग, पशु-हाजमा में नीम

२५.१ नीम �ी प�ी विनबो,ी अN�ा नीम �ा फू, �ुछ दिदन विनत्य खाने से मंदाग्निग्न में �ाफी ,ाभ हो&ा है।

२५.२ नीम &े, ३० बंूद पान �े साN खाने से �ायु वि��ा( &Nा पेट �ा म(ोc दू( हो&ा है।

२५.३ पशु हाजमा में नीम �ी पत्तिZयाँ गुc &Nा नम� �े साN �ूट�( ग्निख,ाने से ,ाभ हो&ा है। इससे आं& �े �ीcे भी म(&े हैं।

२६. �मन, वि�(ेCन &Nा नशा ए�ं वि�ष उ&ा(ने में नीम

२६.१ नीम बीज ज, �े साN ग्निख,ाने प( �मन हो&ा है। यह मृदु वि�(ेC� है।

२६.२ �ई �षR &� ,गा&ा( ह( सा, १०-१५ दिदन &� नीम �ी पत्तिZयों �ा से�न वि�ये हुए व्यलिक्त �ो सप�, विबचू्छ आदिद �े वि�ष �ा अस( नहीं हो&ा। नीम बीज �ा Cूण� गम� पानी �े साN पीने से भी वि�ष उ&(&ा है।

२६.३ हड्डी, विबचू्छ &Nा मधुमक्खी �े �ाटने प( नीम �ी पत्तिZयों �ो पीस�( छापनी Cाविहए। इस�ो पीने से संग्निखया �ा वि�ष भी उ&( जा&ा है। नीम पZों �ा &ेज अ�� अफीम �े वि�ष �ा नाश� है। �च्ची या पक्�ी विनबो,ी गम� पानी से विप,ाने प( उल्टी हो&ी है, इससे वि�ष �ा अस( नष्ट हो&ा है।

२७. ,ू से बCा� में नीम

२७.१ नीम �े पंCांग (पZा, जc, फू,, फ, ए�ं छा,) &Nा मिमश्री ए�-ए� &ो,ा पानी �े साN पीस�(

पीने से ,ू �ा प्रभा� नष्ट हो&ा है। नीम �ी पZी पीस�( नीम �े (स �े साN माNे प( छापने से भी ,ू �ा अस( �म हो&ा है।

२७.२ Cैत्र में दस दिदन &� नीम �ी �ोम, पZी ए�ं �ा,ी मिमC� पीने �ा,े व्यलिक्त �ो गम¸ में ,ू नहीं ,ग&ी, श(ी( में ढंठ� बनी (ह&ी है, �ोई फोcा-फंूसी, Cम�(ोग भी नहीं हो&ा।

२८. ए�्स (ोग में नीम

२८.१ अभी �ुछ ही �ष� पह,े नीम से असाध्य (ोग ए�्स �े �ाय(स (एC.आई.�ी.) प्रवि&(ोधी �ुछ

एनजाइम्स �ी खोज �ी गई है। भवि�र्ष्याय में नीम से बने ए�्स वि�(ोधी टी�े आने �ा,े हैं। नीम छा, से ए�

ऐसा (सायन &ैया( वि�या गया है जो ए�्स �ो (ो�ने में �ाफी प्रभा��ा(ी लिसद्ध हुआ है।

२९. अरूलिCनाश &Nा शुजिद्ध�(ण में नीम

२९.१ नीम �ी �ोम, पत्तिZयाँ र्घाी में भून�( खाने से भयं�( अरूलिC भी नष्ट हो&ी है।

२९.२ पु(ाने देशी र्घाी या &े, �ो शुद्ध �(ने �े लि,ए गम� �(&े समय नीम �ी पत्तिZयाँ �ा,ी जा&ी हैं।

२९.३ अमिध� नीम �े से�न से उत्पन्न हुए वि��ा( दूध या सेंधा नम� खाने से दू( हो&े हैं।

२९.४ नीम �ी पत्तिZयों से उब,ा ज, या नीम &े, पानी में मिम,ा�( फश� धोने से �ा&ा�(ण शुद्ध हो&ा है।

२९.५ श�दाह �े बाद ,ौटने या �ोई र्घाृत्तिण& Cीज देखने से उत्पन्न हुए लिCZ वि��ा( नीम �ी पत्तिZयाँ/टूसे

Cबाने से दू( हो&े हैं।

३०. अवि&सा(, पेCीस में नीम

३०.१ मेर्घाा,य �ी खासी औ( जवैि&या आदिद�ासी नीम �ी पZी अवि&सा( (दस्&), पेलिCस, क्षय(ोग (यक्ष्मा, &पेदिद�) औ( हृदय (ोग में व्य�हा( �(&े हैं।

३१. �ुपोषण में नीम वि�टामिमन 'ए' �ा ए� समृद्ध स्रो& है। वि�टामिमन 'ए' �ी �मी से भी (&ौंधी �े अ,ा�े फोcे-फंुसी, खुज,ी, दाद, Cमcी �ा खु(दु(ा हो जाना या लिस�ुc जाना, हाN-पाँ�, �न्धं &Nा जाँर्घाों में फंुलिसयाँ विन�, आना, ज�ुाम, खाँसी, विनमोविनया, स्�ाँस �ी बीमा(ी, पाCन सम्बन्धी (ोग आदिद हो&े हैं। इन

�ुपोषण-जविन& (ोगों में नीम �ा वि�त्तिभन्न रूपों में उपयोग वि�या जा&ा है।

३२. �ै,ेस्ट्रो, विनयंत्रण में नीम

�ै,ेस्ट्रो, (क्त में पाया जाने �ा,ा पी,े (ंग �ा ए� मोमी पदाN� है। जब (क्त में यह अमिध� हो जा&ा है, &ब (क्त-�ाविहनी धमविनयों �े अन्द( यह जमने ,ग&ा है, Nक्�ा बना�( (क्त-प्र�ाह �ो अ�रुद्ध �(&ा है।

�ै,ेस्ट्रो, दो &(ह �े हो&े हैं- एC.�ी.ए,. औ( ए,.�ी.ए,.। इसमें पह,ा स्�ास्थ्य �े लि,ए अच्छा है, दूस(ा बु(ा। बु(ा �ै,ेस्ट्रो, अमिध� �सायुक्त पदाN� (&े,, र्घाी, �ा,�ा), माँस, लिसग(ेट &Nा अन्य नशी,े पदाNR �े

से�न से पैदा हो&ा है। बु(ा �ै,ेस्ट्रो, �ी �ृजिद्ध से (क्त दूविष& हो&ा है, उस�ा प्र�ाह रु�&ा है औ( हाट� अटै� �ा दौ(ा पc&ा है। नीम ए� (क्त-शोध� औषमिध है, यह बु(े �ै,ेस्ट्रो, �ो �म या नष्ट �(&ा है। नीम �ा महीने में १० दिदन &� से�न �(&े (हने से हाट� अटै� �ी बीमा(ी दू( हो स�&ी है। �ोयम्बटू( �े

ए� आयु�Kदीय अनुसंधान संस्थान में पशुओं प( प्रयोग �(�े देखा गया वि� २०० ग्राम &� नीम पत्तिZयों �े

प्रयोग से �ै,ेस्ट्रो, �ी मात्रा �ाफी �म हो जा&ी है। ,ी�( �ी बीमा(ी में भी नीम पZी �ा से�न

,ाभदाय� पाया गया है।

३३. नीम �े अमिध� से�न से नपुंस�&ा

३३.१ ए� स्�स्थ व्यलिक्त �ो अना�श्य� रूप से नीम �ा अमिध� से�न नहीं �(ना Cाविहए, इससे नपुंस�&ा आ&ी है। बहु& से साधु-सं& प्रब, �ामशलिक्त �ो जी&ने �े लि,ए बा(हो मास नीम �ा से�न �(&े हैं।

प्रा&:�ा, उषापान �(ने �ा,े स्�स्थ व्यलिक्त �ो नीम �ा अमिध� से�न नहीं �(ना Cाविहए। नीम �ा दा&ुन

इसमें अप�ाद है।

सागरगो7ा (क7करंज)

Last Updated on Thursday, 22 July 2010 01:31 Written by Administrator Thursday, 22 July 2010 01:25

सामान्य परिरचय

इसे संस्�ृ& में पु&ी�(ंज �ह&े है। यह बहु�ष¸य पौधा है &Nा �ांटो से युक्त हो&ा है, जिजस�ी शाखाए ँ,म्बी

हो&ी है। इस�ी शाखा पुर्ष्यापदं� ए�ं पत्रदण्� प( सूक्ष्म ए�ं �ठो( �ाँटे हो&े है। पत्रदण्� �े �ाँटे प्राय: टेढे़ हो&े

है। छोटी शाखाए ँ(ोमयुक्त पायी जा&ी है। पत्तिZयां 6 से 10 जोcों मे अं�ा�( हो&ी है। पुर्ष्याप हल्�े पी,े (ंग �े

हो&े है  जो 15 सेमी से 30 सेमी ,ंबी शाखा �े अग्रभाग प( मंजारि(यों मे ,ग&े है।फ,ी च्चौcी आय&ा�(

7.5 सेमी से 4 सेमी �ी हो&ी है।प्रत्ये� फ,ी मे 1-2 बीज़ हो&े है  जो गो, &Nा अं�ा�( � �ठो( आ�(ण

�ा,े हो&े है। पुर्ष्याप �षा� ऋ&ु से शुरू हो�( फलि,याँ सर्टिदAयों मे ,ग&ी ए�ं प�&ी है। यह समस्& भा(& �े उर्ष्याण

प्रदेशो ए�ं विहमा,य �ी विनC,ी र्घाादिटयों मे 3000 फीट �ी ऊँCाई &� प्राय: स��त्र प्राl& हो&ा है।

अरण्Pीवि�वि�पीवि�या, ए� मुक्त ज्ञान�ोष सेयहाँ जाए:ँ भ्रमण, खोज

अरण्Pी

अ(ं�ी �ा फ, ,गा पौधावैज्ञातिनक वगdकरण

जग&: पादपसंर्घा: मैग्नोलि,योफाइटा�ग�: मैग्नोलि,योlसी�ागण: मैल्पीजिजएल्स�ु,: यूफोर्विबAयेसीउप�ु,: अ�ै,ीफोए�ीट्राइब: अ�ै,ीफीसबटआइब: रिरसीतिननीप्रजावि&: रिरक्तिसनसजावि&: आर. कॉम्म्युतिनस

तिeपद नामरिरक्तिसनस क‘ओम्युतिनस

L.

अरंPी (अंग्रेज़ी:�ैस्ट() &े, �ा पेc ए� पुर्ष्यापीय पौधे �ी बा(हमासी झाcी हो&ी है, जो ए� छोटे आ�ा(

से ,गभग १२ मी �े आ�ा( &� &ेजी से पहुँC स�&ी है, प( यह �मजो( हो&ी है। इस�ी Cम�दा(

पत्तिZयॉ १५-४५ सेमी &� ,ंबी, हNे,ी �े आ�ा( �ी, ५-१२ सेमी गह(ी पालि, औ( दां&ेदा( हालिशए �ी &(ह हो&ी हैं। उन�े (ंग �भी �भी, गह(े ह(े (ंग से ,े�( ,ा, (ंग या गह(े बैंगनी या पी&, ,ा, (ंग &�

�े हो स�&े है।[१] &ना औ( जc �े खो, त्तिभन्न त्तिभन्न (ंग लि,ये हो&े है। इस�े उद्गम � वि��ास �ी �Nा अभी &� अध्ययन अधीन है।[२] यह पेc मू,&ः दत्तिक्षण-पू�¸ भूमध्य साग(, पू�¸ अफ़्री�ा ए�ं भा(& �ी उपज है, वि�न्&ु अब उर्ष्याण�दिटबंधीय के्षत्रों में खूब पनपा औ( फै,ा हुआ है।[३]

अनुक्रम[छुपाए]ँ

१ बीज २ &े, ३ �ात्तिणस्थिज्य� प्रयोग

o ३.१ उत्पादन ४ अन्य भाषाओं में ५ दीर्घाा� ६ संदभ� ७ बाह(ी �विcयाँ

८ बाह(ी �विcयाँ

[संपादिद� करें] बीज

अ(ण्�ी �ा बीज ही बहुप्रयोगनीय �ैस्ट( ऑय, (अ(ं�ी �े &े,) �ा स्रो& हो&ा है। बीज में ४०-६०% &�

&े, उपस्थिस्थ& हो&ा है, जिजसमें ट्राईग्,ाइस(ाइ�्स, खास�( रि(लिसनो,ीन बहु, हो&ा है। इस बीज में रि(लिसन

नाम� ए� �ुछ वि�षै,ा पदाN� भी हो&ा है, जो ,गभग पेc �े सभी भागों में उपस्थिस्थ& (ह&ा है।

[संपादिद� करें] �ेलमुख्य ,ेख : अ(ं�ी �ा &े,

अरण्Pी का �ेल साफ, हल्�े (ंग �ा हो&ा है, जो अचे्छ से सूख �( �ठो( हो जा&ा है औ( गंध से मुक्त

हो&ा है। यह शुद्ध ऍल्�ा,ोइcस �े लि,ये ए� उत्�ृष्ट सॉल्�ैंट �े रूप में नेत्र शल्य लिCवि�त्सा में प्रयुक्त हो&ा है। यह मुख्य रूप से �ृवित्रम Cमcे �े वि�विनमा�ण में उपयोग हो&ा है। यह �ुछ �ृवित्रम (गcने�ा,ा (ब( में ए� आ�श्य� र्घाट� है। ए� सबसे बcा प्रयोग पा(दश¸ साबुन �े विनमा�ण में हो&ा है। इस�े अ,ा�ा इस�े

औषधीय प्रयोग भी हो&े हैं। इस &े, �ो द�ा मे ए� मूल्य�ान ज,ुाब माना जा&ा है।[१] यह अस्थायी �ब्ज

में, उपयोग मे आ&ा है औ( यह बच्चों औ( �ृद्ध �े लि,ये वि�शेष उपयोगी हो&ा है। यह पेट �े दद� औ( &ीव्र

दस्& मे धीमी पाCन �े �ा(ण प्रयोग वि�या जा&ा है। अ(ंcी &े, बाह्य रूप मे, दाद, खुज,ी, आदिद वि�त्तिभन्न

(ोगो �े लि,ए वि�शेष उपयोगी हो&ा है। इस�े &ाजा पZो �ो �ैन(ी द्वीप में नर्सिंसAग मा&ाओं द्वा(ा ए� बाह(ी अनुप्रयोग �े रूप में, दूध �ा प्र�ाह बढ़ाने �े लि,ए उपयोग वि�या जा&ा है।. यह आंखों में वि�देशी विन�ायों �ो हटाने �े बाद �ी ज,न �ो दू( �(ने �े लि,ए �ा,ा जा&ा है।[१] ,ीमू म(हम �े साN संयुक्त रूप में, यह आम �ुष्ठ में ए� साममिय� आ�ेदन �े रूप मे प्रयोग वि�या जा&ा है।

[संपादिद� करें] वाणिणस्थिज्यक प्रयोग

२००६ में अ(ं�ी &े, उत्पादन

अ(ण्�ी �े &े, �ा �ैत्तिर्श्व� उत्पादन ,गभग १० ,ाख टन प्रवि& �ष� हो&ा है। इस�े स��च्च उत्पाद�ों में भा(& (वि�र्श्व �े �ु, उत्पादन �ा ६०%), Cीन ए�ं ब्राज़ी, हैं। इन�े अ,ा�ा इलिNयोविपया में भी इस�ा �ाफ़ी उत्पादन हो&ा है। �हां बहु& से ब्रीकि�Aग �ाय�क्रम भी सविक्रय हैं।

[संपादिद� करें] उत्पादन

भा(& अ(ण्�ी �े उत्पादन में सबसे आगे है, जिजस�े बाद Cीन औ( ब्राज़ी, आ&े हैं।

सवiच्च १० अरण्Pी �ेल उत्पादक - ११ जून, २००८

देश उत्पादन‌(7न)

पाददि7Fपणी

 भा(& ८३०००० *

 Cीन २१०००० *

 ब्राज़ी, ९१५१० इलिNयोविपया १५००० F

 पै(ाग्�े १२००० F

 Nाई,ैण्� ११०५२ वि�य&नाम ५००० *

 दत्तिक्षण अफ्री�ा ४९०० F

 विफ,ीपींस ४५०० F

 अंगो,ा ३५०० F

 तिवश्व १२०९७५६ ए

लिCह्न नहीं = आमिध�ारि(� आं�cे, P = आमिध�ारि(� आं�cे, F = FAO अनुमान, * = अनामिध�ारि(�/अध�-अमिध�ारि(�/मिम(( आं�cे, C = परि(�लि,& आं�cे A = स�, (आमिध; अध�-अमिध. या अनुमाविन& भी शामिम, वि�ये जा स�&े हैं);

स्रो&: खाद्य ए�ं �ृविष संगठन, संयुक्त (ाष्ट्र: आर्थिNA� ए�ं सामाजिज� वि�भाग: सांस्थिख्य�ीय प्रभाग

[संपादिद� करें] अन्य भाषाओं में अ(बी: ग्निख(�ा' خروع ब्राज़ी,: �ा(ा�पटेइ(ो, ममोना Cीनी: 蓖麻 �ो,ंविबया: अशेइ&े दे रि(सीनो दिद�ेही : अमाना�ा, ާއަމަނަކ इलिNयोविपया: गु,ो हीबू्र:वि��ायों, קיקיון इं�ोनेलिशया: ज(ा� (जा�ा), दु,ांग/ ग्,ोआह

(सुमात्रा) ई(ान: �Cा��, کرچک जापान: 足車豆 �ुदÙ: गेCK�, گه‌رچه‌ک �ोरि(याई: बाइबेओ 비버 माल्टी : ज़ेज्& इ(-(ीग्नु

मेस्थिक्स�ो: विहगुएरि(,ा

विन�ा(ागुआ: विहगुए(ा पो,ैं�: (ैस्थिस्ज़्न� पु&�गा,: विफ़गुए(ा दो �ायाबो पुए&� रि(�ो: विहगुए(ेटा लिसAह,ी: एन्डारु भार�:

o &मिम, - अमानक्�ु(ஆமணக்கு),

o विहन्दी - अ(ं�ी, o गुज(ा&ी - दिद�े,, o �न्नc - ह(ा,ेन, o म(ाठी - ए(ं�, o &े,ुगु - अ�cम, o म,या,म - अ�नक्�ु,

o बांग्,ा - एण्��, असमी,

[संपादिद� करें] दीर्घाा>

रि(लिसनस �ॉम्युविनस,

प(ाग-�ण (स्�ैकिनA�

इ,े.सूक्ष्मदश¸ लिCत्र)

रि(लिसनस �ॉम्युविनस,

फ,बीजपत्रों सविह&

अं�ुरि(& हुआ बीज

रि(लिसनस

�ॉम्युविनस, फू,

ए�ं फ,

रि(लिसनस

�ॉम्युविनस

"�ामKनलिसटा

�ुलसी (पौधा)वि�वि�पीवि�या, ए� मुक्त ज्ञान�ोष से(&ु,सी से अनुपे्रविष&)यहाँ जाए:ँ भ्रमण, खोज

   

&ु,सी �ा पौधा

�ुलसी - (ऑसीमम सैक्टम) ए� विद्वबीजपत्री &Nा शा�ीय, औषधीय पौधा है। यह झाcी �े रूप में उग&ा है औ( १ से ३ फुट ऊँCा हो&ा है। इस�ी पत्तिZयाँ बैंगनी आभा �ा,ी हल्�े (ोए ँसो ढ�ी हो&ी है। पत्तिZयाँ १

से २ इंC ,म्बी सुगंमिध& औ( अं�ा�ा( या आय&ा�ा( हो&ी हैं। पुर्ष्याप मंज(ी अवि& �ोम, ए�ं ८ इंC ,म्बी औ( बहु(ंगी छटाओं �ा,ी हो&ी है, जिजस प( बैंगनी औ( गु,ाबी आभा �ा,े बहु& छोटे हृदया�ा( पुर्ष्याप

Cक्रों में ,ग&े हैं। बीज Cपटे पी&�ण� �े छोटे �ा,े लिCह्नों से युक्त अं�ा�ा( हो&े हैं। नए पौधे मुख्य रूप से

�षा� ऋ&ु में उग&े है औ( शी&�ा, में फू,&े हैं। पौधा सामान्य रूप से दो-&ीन �षR &� ह(ा बना (ह&ा है। इस�े बाद इस�ी �ृद्धा�स्था आ जा&ी है। पZे �म औ( छोटे हो जा&े हैं औ( शाखाए ँसूखी दिदखाई दे&ी हैं। इस समय उसे हटा�( नया पौधा ,गाने �ी आ�श्य�&ा प्र&ी& हो&ी है।

&ु,सी �ी सामान्य&या विनम्न प्रजावि&याँ पाई जा&ी हैं। १-ऑसीमम अमेरि(�न (�ा,ी &ु,सी) गम्भी(ा या माम(ी। २-ऑसीमम �ेलिसलि,�म (मरुआ &ु,सी) मुन्जरि(�ी या मु(सा। ३-ऑसीमम �ेलिसलि,�म मिमविनमम। ४-आसीमम गे्रदिटलिस�म ((ाम &ु,सी बन &ु,सी)। ५-ऑसीमम वि�लि,मण्�Cेरि(�म (�पू�( &ु,सी)। ६-

ऑसीमम सैक्टम &Nा ७-ऑसीमम वि�रि(�ी। इनमें ऑसीमम सैक्टम �ो प्रधान या पवि�त्र &ु,सी माना गया जा&ा है, इस�ी भी दो प्रधान प्रजावि&याँ हैं-श्री &ु,सी जिजस�ी पत्तिZयाँ ह(ी हो&ी हैं &Nा �ृर्ष्याणा &ु,सी

जिजस�ी पत्तिZयाँ विन,ाभ-�ुछ बैंगनी (ंग लि,ए हो&ी हैं। श्री &ु,सी �े पत्र &Nा शाखाए ँरे्श्व&ाभ हो&े हैं जबवि� �ृर्ष्याण &ु,सी �े पत्रादिद �ृर्ष्याण (ंग �े हो&े हैं। गुण, धम� �ी दृमिष्ट से �ा,ी &ु,सी �ो ही श्रेष्ठ माना गया है, प(न्&ु अमिध�ांश वि�द्वानों �ा म& है वि� दोनों ही गुणों में समान हैं। &ु,सी �ा पौधा किहAदू धम� में पवि�त्र माना जा&ा है औ( ,ोग इसे अपने र्घा( �े आँगन या द(�ाजे प( या बाग में ,गा&े हैं।[१] भा(&ीय

संस्�ृवि& �े लिC( पु(ा&न गं्रN �ेदों में भी &ु,सी �े गुणों ए�ं उस�ी उपयोविग&ा �ा �ण�न मिम,&ा है।[२] इस�े अवि&रि(क्त ऐ,ोपैNी, होमिमयोपैNी औ( यूनानी द�ाओं में भी &ु,सी �ा वि�सी न वि�सी रूप में प्रयोग वि�या जा&ा है।[३]

अनुक्रम[छुपाए]ँ

१ (ासायविन� सं(Cना २ लिCत्र दीर्घाा� ३ संदभ�

४ बाह(ी �विcयाँ

रासायतिनक संरचना

&ु,सी में अने�ों ज�ै सविक्रय (सायन पाए गए हैं, जिजनमें टै्रविनन, सै�ोविनन, ग्,ाइ�ोसाइ� औ( एल्�े,ाइ�्स प्रमुख हैं। अभी भी पू(ी &(ह से इन�ा वि�शे्लषण नहीं हो पाया है। प्रमुख सविक्रय &त्� हैं ए� प्र�ा( �ा पी,ा उcनशी, &े, जिजस�ी मात्रा संगठन स्थान � समय �े अनुसा( बद,&े (ह&े हैं। ०.१ से ०.३ प्रवि&श& &� &े, पाया जाना सामान्य बा& है। '�ैल्थ ऑफ इस्थिण्�या' �े अनुसा( इस &े, में ,गभग ७१ प्रवि&श&

यूजीनॉ,, बीस प्रवि&श& यूजीनॉ, मिमNाइ, ईN( &Nा &ीन प्रवि&श& �ा�ा��ो, हो&ा है। श्री &ु,सी में श्यामा �ी अपेक्षा �ुछ अमिध� &े, हो&ा है &Nा इस &े, �ा सापेत्तिक्ष� र्घानत्� भी �ुछ अमिध� हो&ा है। &े, �े अवि&रि(क्त पत्रों में ,गभग ८३ मिम,ीग्राम प्रवि&श& वि�टामिमन सी ए�ं २.५ मिम,ीग्राम प्रवि&श& �ै(ीटीन

हो&ा है। &ु,सी बीजों में ह(े पी,े (ंग �ा &े, ,गभग १७.८ प्रवि&श& �ी मात्रा में पाया जा&ा है। इस�े

र्घाट� हैं �ुछ सीटोस्टे(ॉ,, अने�ों �सा अम्, मुख्य&ः पामिमदिट�, स्टीयरि(�, ओलि,�, लि,नो,� औ(

लि,नोलि,� अम्,। &े, �े अ,ा�ा बीजों में शे्लर्ष्याम� प्रCु( मात्रा में हो&ा है। इस म्युलिस,ेज �े प्रमुख र्घाट�

हैं-पेन्टोस, हेक्जा यू(ोविन� अम्, औ( (ाख । (ाख ,गभग ०.२ प्रवि&श& हो&ी है।[३]

क्तिचत्र दीर्घाा>

&ु,सी �ी मंज(ीपा(म्परि(� &ु,सीCौ(ा

पूण� पौधा &ु,सी �ा पौधा

क्तिसनकोनावि�वि�पीवि�या, ए� मुक्त ज्ञान�ोष सेयहाँ जाए:ँ भ्रमण, खोज

   

लिसन�ोना �ा लिCत्रात्म� �ण�न Cinchona calisaya

क्तिसनकोना, ए� सदाबहा( पादप है। यह बहु�ष¸य �ृक्ष सपुर्ष्याप� ए�ं विद्वबीजपत्री हो&ा है। इस�े पZे ,ालि,मायुक्त &Nा Cौcे हो&े हैं जिजन�े अग्र भाग नु�ी,े हो&े हैं। शाखा-प्रशाखाओं में असंख्य मंज(ी मिम,&ी है। इस�ी छा, �c�ी हो&ी है। इस �ंश में ६५ जावि&याँ हैं। लिसन�ोना �ा पौधा नम-गम� ज,�ायु में उग&ा है। उर्ष्याण &Nा उपोर्ष्याण �दिटबंधी के्षत्र जहां &ापमान ६५°-७५° फा(ेनहाइट &Nा �षा� २५०-३२५ से.मी. &�

हो&ी है लिसन�ोना �े पौधों �े लि,ये उपयुक्त है। भूमिम में ज, जमा नहीं होना Cाविहए &Nा मिमट्टी में �ाब�विन�

पदाN� अमिध� होने Cाविहए। मिमट्टी अम्,ीय &Nा नाइट्रोजन �ा स्&( ८% से अमिध� उपयुक्त है। पौधें �े लि,ये पा,ा &Nा &ेज ह�ा हाविन�ा(� है। भा(& में दार्जिजAलि,Aग आदिद ठं�ी जगहों प( इस�े पौधे देखने �ो मिम,&े

हैं।[१] यू(ोपीय �ैज्ञाविन�ों �ो इस�ा प&ा सबसे पह,े ए�ंीज़ पहाविcयों में १६३० �े आस-पास ,गा।[२]

लिसन�ोना �े १० �ष� या उससे पु(ाने �ृक्षों में एल्�ेल्�ाय़�्स �ा परि(माण स�ा�मिध� हो&ा है। �ृक्षों �े

आधा( से १ मीट( ऊँCाई &� �ी छा, �ो उपयोग हे&ु संग्रह वि�या जा&ा है। जc �ी छा, में भी एल्�ेल्�ाय़�्स समान मात्रा में पाए जा&े है। जब �ृक्ष विग( जा&े हैं &ो उन�ी छा, �ो संग्रह �( लि,या जा&ा है। संग्रही& छा, �ो छाया में सुखाया जा&ा है। �षा� �े दिदनों में इन्हें १७५° F &� �ृवित्रम रूप से सुखाया जा&ा है। औषमिध �े विनमा�ण �े लि,ये छा, �ो महीन पीस लि,या जा&ा है। इस Cूण� में १/३ भाग बुझा Cुना &Nा ५% दाह� खा( (�ाप्तिस्ट� सो�ा) �ा ज,ीय र्घाो, मिम,ाया जा&ा है। इस मिमश्रण �ो उब,&े हुए

�ै(ोलिसन से विनस्सारि(& (एक्सटै्रक्ट) वि�या जा&ा है। इस विनस्सा(ण में पया�l& मात्रा में गम� &नु गंध�ाम्,

मिम,ाने प( �ुनैन (क्यूनीन) �ा अ�क्षेप प्राl& हो&ा है। �ुनैन �े उपयोग से म,ेरि(या बुखा( �ी द�ा &ैया(

�ी जा&ी है। हैविनमैन जो वि� स्�ंय ए,ोपैलिN� लिCवि�त्स� Nे, ए� दिदन उन्होनें देखा वि� स्�स्थ श(ी( में यदिद

लिसन�ोना �ी छा, �ा से�न वि�या जाये, &ो �म्पन ओ( ज्�( पैदा हो जा&ा है, ओ( लिसन�ोना ही �म्पन

औ( ज्�( �ी प्रधान द�ा है। [३]

सप>गन्धावि�वि�पीवि�या, ए� मुक्त ज्ञान�ोष सेयहाँ जाए:ँ भ्रमण, खोज

   

Rauwolfia serpentina

वैज्ञातिनक वगdकरणजग&: पादपवि�भाग: Magnoliophyta�ग�: मैग्निग्नलि,योlसी�ागण: Gentianales�ु,: एपोसाइनेसी�ंश: (ाउ,विफयाजावि&: राउलतिvया सप�न्डिन्7ना

तिeपद-नामकरण(ाउ,विफया सपKजिन्टना(L.) Benth. ex Kurz[१]

सप>गन्धा एपोसाइनेसी परि(�ा( �ा विद्वबीजपत्री, बहु�ष¸य झाcीदा( सपुर्ष्याप� औ( महत्�पूण� औषधीय

पौधा है। इस पौधे �ा प&ा स��प्रNम लि,योना�� (ाल्फ ने १५८२ ई. में ,गाया Nा। भा(& &Nा Cीन �े

पा(ंपरि(� औषमिधयों में सप�गन्धा ए� प्रमुख औषमिध है। भा(& में &ो इस�े प्रयोग �ा इवि&हास ३००० �ष� पु(ाना है।[२] सप�गन्धा �े पौधे �ी ऊँCाई ६ इंC से २ फुट &� हो&ी है। इस�ी प्रधान जc प्रायः २० से. मी. &� ,म्बी हो&ी है। जc में �ोई शाखा नहीं हो&ी है। सप�गन्धा �ी पZी ए� स(, पZी �ा उदाह(ण है। इस�ा &ना मोटी छा, से ढ�ा (ह&ा है। इस�े फू, गु,ाबी या सफेद (ंग �े हो&े हैं। ये गुच्छों में पाए जा&े

हैं। भा(&�ष� में सम&, ए�ं प��&ीय प्रदेशों में इस�ी खे&ी हो&ी है। पत्तिश्चम बंगा, ए�ं बांग्,ादेश में सभी जगह स्�ाभावि�� रूप से सप�गन्धा �े पौधे उग&े हैं।

सप�गन्धा में रि(सार्विपAन &Nा (ाउ,विफन नाम� उपक्षा( पाया जा&ा है। सप�गन्धा �े नाम से ज्ञा& हो&ा है वि�

यह सप� �े �ाटने प( द�ा �े नाम प( प्रयोग में आ&ा है। सप� �ाटने �े अ,ा�ा इसे विबचू्छ �ाटने �े स्थान

प( भी ,गाने से (ाह& मिम,&ी है। इस पौधे �ी जc, &ना &Nा पZी से द�ा �ा विनमा�ण हो&ा है। इस�ी जc में ,गभग २५ क्षा(ीय पदाN�, स्टाC�, (ेजिजन &Nा �ुछ ,�ण पाए जा&े हैं। सप�गंधा �ो आयु�Kद में विनWाजन� �हा जा&ा है इस�ा प्रमुख &त्� रि(स(विपन है,जो पू(े वि�र्श्व में ए� औषधीय पौधा बन गया है इस�ी जc से �ई &त्� विन�ा,े गए हैं जिजनमें क्षा(ाभ रि(स(विपन, सपKजिन्टन, एजमेलि,लिसन प्रमुख हैं जिजन�ा उपयोग उच्च (क्त Cाप,अविनWा, उन्माद, विहस्टीरि(या आदिद (ोगों �ो (ो�ने �ा,ी औषमिधयों �े विनमा�ण वि�या जा&ा है इसमें १.७ से ३.० प्रवि&श& &� क्षा(ाभ पाए जा&े हैं जिजनमें रि(स(विपन प्रमुख हैं इस�ा गुण रूक्ष,

(स में वि&क्त, वि�पा� में �टु औ( इस�ा प्रभा� विनWाजन� हो&ा है।[३]

दो-&ीन सा, पु(ाने पौधे �ी जc �ो उखाc �( सूखे स्थान प( (ख&े है, इससे जो द�ाए ँविनर्धिमA& हो&ी हैं, उन�ा उपयोग उच्च (क्तCाप, गभा�शय �ी दी�ा( में सं�ुCन �े उपCा( में �(&े हैं। इस�ी पZी �े (स �ो विनCोc �( आँख में द�ा �े रूप में प्रयोग वि�या जा&ा है। इस�ा उपयोग मस्तिस्&र्ष्या� �े लि,ए औषमिध बनाने �े �ाम आ&ा है। अविनWा, विहस्टीरि(या औ( मानलिस� &ना� �े दू( �(ने में सप�गन्धा �ी जc �ा (स, �ाफी

उपयोगी है। इस�ी जc �ा Cूण� पेट �े लि,ए �ाफी ,ाभदाय� है। इससे पेट �े अन्द( �ी �ृमिम खत्म हो जा&ी है।

अश्वगंधावि�वि�पीवि�या, ए� मुक्त ज्ञान�ोष सेयहाँ जाए:ँ भ्रमण, खोज

अश्वगंधातिवरे्थतिनया सोम्नीvेरा

&ा,�टो(ा उद्यान में अर्श्वगंधावैज्ञातिनक वगdकरण

जग&: पादपउपजग&: टै्र�ेयोनायोंटावि�भाग: मैग्नोलि,योफाइटा�ग�: मैग्नोलि,योlसी�ाउप-�ग�: Asteridaeगण: Solanales�ु,: Solanaceaeप्रजावि&: Withaniaजावि&: W. somnifera

तिeपद नामWithania somnifera

(L.) Dunal[१]

पया>य

Physalis somnifera

अवश्गंधा ए� पौधा है जो खानदेश, ब(ा(, पत्तिश्चमीर्घााट ए�ं अन्य अने� स्थानों में मिम,&ा है। किहAदी में इसे

साधा(ण&या असगंध �ह&े हैं। ,ैदिटन में इस�ा नाम �ाइNविनया सोत्निम्नफे़(ा है। यह पौधा दो हाN &�

ऊँCा हा&ा है औ( वि�शेष�( �षा� ऋ&ु में पैदा हो&ा है, कि�A&ु �ई स्थानों प( बा(हों मास उग&ा है। इस�ी अने� शाखाए ँविन�,&ी हैं औ( र्घाुँर्घाCी जैसे ,ा, (ंग �े फ, ब(सा& �े अं& या जाcे �े प्रा(ंभ में मिम,&े

हैं। इस�ी जc ,गभग ए� फुट ,ंबी, दृढ, Cेपदा( औ( �c�ी हो&ी है। बाजा( में गंधी जिजसे असगंध या असगंध �ी जc �ह�( बेC&े हैं, �ह इस�ी जc नहीं, �(न् अन्य �ग� �ी ,&ा �ी जc हो&ी है, जिजसे

,ैदिटन भाषा में �ॉन्�ॉल्�ु,स असगंधा �ह&े हैं। यह जc जह(ी,ी नहीं हो&ी कि�A&ु अर्श्वगंध �ी जc

जह(ी,ी हो&ी है। अर्श्वगंधा �ा पौधा Cा( पाँC �ष� जीवि�& (ह&ा है। इसी �ी जc से असगंध मिम,&ी है, जो बहु& पुमिष्ट�ा(� है।

(ाजविनर्घांटु �े म&ानुसा( अर्श्वगंधा C(प(ी, ग(म, �c�ी, माद� गंधयुक्त, ब,�ा(�, �ा&नाश� औ(

खाँसी, र्श्वास, क्षय &N व्रण �ो नष्ट �(ने �ा,ी है इस�ी जc पौमिष्ट�, धा&ुपरि(�&�� औ( �ामोद्दीप� है; क्षय(ोग, बुढ़ापे �ी दुब�,&ा &Nा गदिठया में भी यह ,ाभदाय� है। यह �ा&नाश� &Nा शुक्र�ृजिद्ध�(

आयु�Kदिद� औषमिधयों में प्रमुख है; शुक्र�ृजिद्ध�ा(� होने �े �ा(ण इस�ो शुक्र,ा भी �ह&े हैं।(ासायविन� वि�शे्लषण से इसमें सोत्निम्नफे़रि(न औ( ए� क्षा(&त्� &Nा (ा, औ( (ंज� पदाN� पाए गए हैं।

इसमें विनWा ,ाने�ा,े औ( मूत्र बढ़ाने�ा,े पदाN� भी प्रCु( मात्रा में हो&े हैं।

अनुक्रम[छुपाए]ँ

१ उपयोग २ प्रजावि&याँ ३ संदभ� ४ बाह(ी सूत्र

५ बाह(ी �विcयाँ

[संपादिद� करें] उपयोगइस�ा &ाजा &Nा सूखा फ, औषमिध �े �ाम में आ&ा है, कि�A&ु लिसAध, पावि�स्&ान �े उZ( पत्तिश्चमी स(हदी प्रां&, अफगाविनस्&ान &Nा ब्,ूलिCस्&ान में इसे (ेनेट �े स्थान प( दूध जमाने �े �ाम में ,ा&े हैं। इस�ा पाC� W� नम� �े पानी में जल्दी आ जा&ा है (100 भाग पानी में 5 भाग नम� �ा होना Cाविहए)। इस

पानी �े उपयोग से दही शीघ्र जम&ा है, जो पेट में पाC� अम्, �े समान ,ाभ पहुँCा&ा है। �ुछ �ैद्यों ने

इस �नस्पवि& �ी जc �ो l,ेग में उपयोगी पाया है।�ैद्य असगंध से Cूण�, र्घाृ&, पा� इत्यादिद बना&े हैं औ( औषमिध �े रूप में इस�ा उपयोग गदिठया, क्षय,

बंध्यत्�, �दिटशू,, नारू नाम� �ृमिम, �ा&(क्त इत्यादिद (ोगों में भी �(&े हैं। इस प्र�ा( असगंध �े अने�

औ( वि�वि�ध उपयोग हैं।

[संपादिद� करें] प्रजाति�याँआम&ौ( प( इस�ी स्थानीय वि�स्में ही उगाई जा&ी हैं जिजनसे न �े�, उपज �म मिम,&ी है, बस्तिल्� जङों �ी गुण�&ा भी विनम्न �ोदिट �ी हो&ी है अब अर्श्वगंधा �ी �ुछ उन्न& वि�स्में भी उप,ब्ध हैं अ&: उन्हें ही उगाना Cाविहए जिजन�े ,क्षणों �ा उल्,ेख नीCे वि�या गया हैज�ाह( अर्श्वगंधा २०

इस वि�स्म से ४३२ वि�,ोग्राम सूखी जङें औ( १५६ वि�,ोग्राम बीज प्रवि& हेक्टेय( प्राl& हो जा&ा है इस�ी सूखी जङों में ०.४१ प्रवि&श& क्षा(ाभ मिम,&े हैं

�ब्ल्यू० एस० ९०-१००

इस वि�स्म से ५४८ वि�,ोग्राम सूखी जङें, ५४६ वि�,ोग्राम बीज प्रवि& हेक्टेय( प्राl& हो जा&ा है यह वि�स्म

पZा धब्बा(ोधी वि�स्म है

�ब्ल्यू० एस० ९०-१३५

इश वि�स्म से ५२३ वि�,ोग्राम सूखी जङें , १८१ वि�,ोग्राम बीज प्रवि& हेक्टेय( मिम, जा&े हैं यह वि�स्म भी पZा धब्बा(ोधी वि�स्म है इस�ी सूखी जङों से ०.४५ प्रवि&श& क्षा(ाभ प्राl& हो जा&े हैं

�ब्ल्यू० एस० ९०-१३४

इस�ी सूखी जङों में ०.२६ प्रवि&श& क्षा(ाभ पाये जा&े हैं

�ब्ल्यू० एस० ९०-११७-

�ब्ल्यू० एस० ९०-१२५- इस�ी सूखी जङों में ०.२७ प्रवि&श& क्षा(ाभ पाये जा&े हैं

वानस्पति�क  नाम : Glycyrhiza Glabra

सामान्य वण>न

मू, �ाष्ट मधू( होने �े �ा(ण संस्�ृ& मे मधुयमिष्ट ए� मधू सदृश्य माधुय� होने �े �ा(ण मधू� भी �ह&े है!

नपंुस�&ा �ा नाश �(&ा है अ& �ी&� भी �ह&े है। अंगेजी मे इसे लि,�ो(ाईस �ह&े है।

मु,हठी �ा पौधा 1 मीट( से 2 मीट( &� झाcी �े रूप मे हो&ा है। इस�ी पत्तिZयां संयुक्त � अं�ा�ा( जिजन �े

अग्रभाग नु�ी,े हो&े हैं। पुर्ष्याप हल्�े गु,ाबी (ंग �े हो&े हैं। फलि,याँ दाबी हुई 2 से 2.5 से॰ मी॰ ,ंबी Cपटी

हो&ी है। बीज 2 से 4 �ृक्�ा�ा( (गुदK जैसे) हो&े हैं। इस�ी जcे गो, ,ंबी &Nा ,म्ब�& झु(¸दा( हो&ी है &Nा

�ृक्�ा�ा( लिCन्ह हो&े हैं। इस�ी जcो ए�ं भूमिमग& &ाने से �ई शाखायें विन�,&ी है। यह ए� बहु�ष¸य ( 2 से

3 �ष�) �ी आयु �ी फस, �ा पौधा है।

प्राप्तिF� का स्थान

यह अ(ब, ई(ान, &ुर्वि�Aस्&ान, अफगाविनस्थान, ई(ा�, दत्तिक्षणी  रूप �ा मू, पोधा है। भा(& मे मू,ठी �ा

आया& फा(स �ी खाcी प्रधान&ा से्पन, ई(ा�, साईबेरि(या आदिद देशो से हो&ा है। इस समय भा(& मे पंजाब,

�श्मी(, उ&(प्रदेश, हरि(याणा, इंदौ(, (म॰ प्र॰) � �ना�ट� में इस�ी खे&ी �ी जा (ही है।

वानस्पति�क  नाम : Mucuna Pturita

�ौंC या �े�ाँC ए� ए��ष¸य (ोमयुक्त ,&ा हो&ी है जिजसे संस्�ृ& में म(�टी &Nा �विप�चु्छ�ा भी �हा

जा&ा है। इन�े (ोमो �ा स्पश� �( ,ें &ो �ह खुज,ाने ,ग&ा है। शायद ही �ोई ऐसा शै&ान बच्चा हो (वि�शेष

रूप से ग्रामीण क्षेत्र में) जिजसने अपने सालिNयों �ो प(ेशान �(ने �े उदे्दश्य से �ौंC या �े�ाँC �ा उपयोग न

वि�या हो।

प्राप्तिF� स्थल

�ौंC या �े�ाँC विहमा,य �ी विनC,ी उषण र्घााटीयो से ,े�( समस्& भा(& �े उषण प्रदेशो मे पाई जा&ी है 

यह प्रा�ृवि&� रूप से अपने आप भी उगवि& है &Nा इस�ी वि�भीनन वि�स्मो �ी खे&ी  भी �ी जा&ी है

(ाजस्थान, मध्यप्रदेश � आंध्रप्रदेश, मे इस�ी खे&ी बcे पेमाने प( �ी जा (ही है।

स्वभाव

यह ए��ष¸य, Cक्र(ोही, शा�ीय, (ॉमयुक्त ,&ा है। यह �षा� ऋ&ु मे उत्पन्न हो&ी है &Nा इसमे श(द ऋ&ु में

फ, ,ग&े है।

वानस्पति�क नाम : Asparagus Racemosus

सामान्य तिववरण

श&�ीया� स&ा�(, ना(ायणी श&पदी आदिद नामों से जानी जाने �ा,ी यह �नस्पवि& ए� ,&ा है, जो जंग,ों

&Nा र्घा(ों में भी पायी जा&ी है। इस�ी शाखायें प&,ी &Nा पत्तिZयां बा(ी� सुई जैसी हो&ी है। अ(ा�,ी

प��&मा,ा में धौं� � मिमत्तिश्र& �नों में बहु&ाय& से देखी जा स�&ी है। इस�ी जcें मुख्य रूप से औषमिधय

उपयोग में ,ायी जा&ी है। इस�े फू,ों से अवि&वि&क्षण सुगंध विन�,&ी है। फू,ों �ा समय मधुमस्थिक्खयों से यह

,&ा भ(ी सी (ह&ी है।

रासायतिनक र्घा7क

श&ा�(ीन, ग्,ू�ोस इस�ी जcों मे पाया जा&ा है। श&ा�(ीन + सस�पोजनीन �ा ग्,ू�ोसाइc है जिजसमे

ग्,ू�ोस �े 3 � (ेक्नोस शुग( �ा 1 अणु मिम,&ा है। श&ा�(ीन मे 2 ग्,ू�ोस � 1 (ेक्सोन शुग( �ा अणु हो&ा

है।

वानस्पति�क नाम : Cymbopogon Flexuosus

सामान्य तिववरण

,ेमन/Cायना/भा(&ीय नींबू/मा,ाबा( अN�ा �ोCीन र्घाास / नींबू र्घाास (,ेमन ग्रास) �ाफी भा(&ीय र्घा(ों में

उगाई जा&ी है। जहाँ इस�ी पत्तिZयां Cाय में �ा,ने हे&ु उपयोग में ,े&े हैं। पत्तिZयों में ए� मधु( वि&क्षण गंध

हो&ी है जो Cाय में �ा,�( उबब,�( पीने से &ाजगी �े साN साN सदÙ आदिद से भी (ाह& दे&ी है। इस�ी

खे&ी �े लि,ए �ंूग(पु(, बांस�ाcा � प्र&ापगढ़ �े �ुछ विहस्से उपयुक्त हैं। जहाँ यह प्रा�ृवि&� रूप से पैदा हो&ी

है। इस�ी वि�मिध�& खे&ी �े(,, &मिम,ना�ू, �ना�ट�, आसाम, पत्तिश्चम बंगा,, उZ( प्रदेश ए�ं (ाजस्थान (ाज्यों

में हो (ही है।

वानस्पति�क नाम : Cymbopogon Nords �ी वि�स्म (�ौनफर्टिटAफ्,ो(स) �ी नयी �ै(ायटी सी॰ एन॰ 5

(पाम(ोजा �ा वि��ल्प)

सामान्य तिववरण

मध्य भा(& � बांस�ाcा, �ंूग(पु( क्षेत्र में प्रा�ृवि&� रूप से जंग,ों में पाई जाने �ा,ी र्घाास जिजस�ी अत्यमिध�

माँग है �ह है पाम(ोजा (वि&खाcी र्घाास, (ेशार्घाास)। अब यह हमा(े जंग,ों से समाl& हो गयी है। इस�ी

�ै(ायटी दूविष& हो गयी है। अभी पामा(ोजा �ी मौवि&या �ै(ायटी प्रC,न में है। यद्यविप पामा(ोजा �ी खे&ी �े

प्रयास भी वि�ए जा (हें हैं प(ं&ु इस�ी पैदा�ा( �म है &Nा इस�ी माँग �ी आपूर्वि&A नहीं हो प (ही है। इस

स्थिस्थवि& �े फ,स्�रूप क्षेत्रीय अनुसंधान प्रयोगशा,ा जम्मू द्वा(ा Cymbopogon Nords �ी वि�स्म

�ौनफर्टिटAफ्,ो(स �ी नयी �ै(ायटी C.N. 5 वि��लिस& �ी गयी है।

सी॰ एन॰ 5 ए� बहु�ष¸य खूशबूदा( र्घाास है जिजस�ी ऊँCाई 3-6 फीट हो स�&ी है। इस�े पौधे नींबू र्घाास से

अमिध� मजबू& � ज्यादा शा�युक्त हो&े हैं &Nा उस�ी अपेक्षा �ाफी &ेजी से बढ़&े हैं। प्राय: इनमें माC�-अपै्र,

&Nा अकू्तब(–न�म्ब( माह मे फू, आ&े हैं प(ं&ु उनमे बीज नहीं बन&े।

पेतिनक्तिसक्तिलयमवि�वि�पीवि�या, ए� मुक्त ज्ञान�ोष सेयहाँ जाए:ँ भ्रमण, खोज

   

पेतिनक्तिसक्तिलयम

पेविनलिसलि,यमवैज्ञातिनक वगdकरण

जग&: ���संर्घा: Deuteromycota

�ग�: यूएस्�ोमाइलिसटीजगण: एस्प(जिज,ेल्स�ु,: एस्प(जिज,ेसी�ंश: पेतिनक्तिसक्तिलयम

Species

पाठ देखें

वि�वि�मीवि�या �ॉमन्स प(: पेतिनक्तिसक्तिलयम से संबंक्तिध� मीतिPया �ै।

पेतिनक्तिसलयम ए� साधा(ण फफँूद है। यह ए� प्र�ा( �ा ��� श्रेणी �ा मृ&जी�ी �नस्पवि& है। इसे नी,ी यी ह(ी फफँूद भी �हा जा&ा है। यह सcी-ग,ी सस्थिब्जयों, �टे हुए फ,ों, (ोटी, सcे हुए मांस, Cमcे आदिद

प( उग&ा है। वि�शेष �( यह नींबू �े ऊप( बहु& ही सहज रूप से उग&ा है। पेविनलिसलि,यम पौधे �ा श(ी(

प&,े सू&े जैसी (Cनाओं से बना हो&ा है। इन (Cनाओं �ो हाइफी �ह&े हैं। इस�े सा(े श(ी( �ो माइसेलि,यम �ह&े हैं। इस�ा ��� जा, अने� शाखाओं में बँटा (ह&ा है। इसमें वि�खं�न द्वा(ा �ध¸ प्रजनन हो&ा है। पेविनलिसयम में स्पो( नाम �ोविनवि�या �ी शंृख,ा पाई जा&ी है जिजस�े द्वा(ा यह अ,ैंविग�

प्रजनन �(&ा है। पेविनलिसलि,यम �े पौधे से पेविनलिस,ीन नाम� उपक्षा( प्राl& हो&ा है। यह ए� Cमत्�ा(ी औषमिध है। इस�ा व्य�हा( &पेदिद� &Nा अन्य वि�त्तिभन्न (ोगों में वि�या जा&ा है।

पेविनलिस,ीन �ा आवि�र्ष्या�ा( विब्रटेन �े �ैज्ञाविन� स( अ,ेक्जें�( फ्,ेमिमAग ने १९२९ में वि�या Nा।[१] इस खोज

�े लि,ए १९५४ में उन्हें लिCवि�त्सा शास्त्र �े नोबे, पु(स्�ा( से सम्माविन& वि�या गया।[२] पेविनलिस,ीन पह,ा आधुविन� प्रवि&जवैि�� Nा। पेविनलिसलि,यम �ी �ई जावि&याँ पनी(-व्य�साय में पनी( &ैया( �(ने में व्य�हृ&

हो&ी हैं। �ाब�विन� अम्, �े संशे्लषण में भी इस�ा उपयोग हो&ा है। एल्�ोह, बनाने में भी इस�ा इस्&ेमा, वि�ये जा&े हैं। (ंग &ैया( �(ने में भी इस�ा उपयोग हो&ा है।

वसाकावि�वि�पीवि�या, ए� मुक्त ज्ञान�ोष से

यहाँ जाए:ँ भ्रमण, खोज Justicia angustifolia

वैज्ञातिनक वगdकरणजग&: Plantaeवि�भाग: Angiosperms�ग�: Eudicots(unranked) Asteridsगण: Lamiales�ु,: ए�ेÚेलिसया�ंश: Justiciaजावि&: J. adhatoda

तिeपद-नामकरणJusticia adhatoda

गुलाबवि�वि�पीवि�या, ए� मुक्त ज्ञान�ोष सेयहाँ जाए:ँ भ्रमण, खोज

   गुलाब

ब्राइ�, किपA�, हाइविब्र� टी गु,ाब, मो(�ै, गु,ाब उद्यानवैज्ञातिनक वगdकरण

जग&: पादपवि�भाग: पुर्ष्यापी पादप�ग�: मैग्निग्नलि,योlसी�ागण: (ोज़,ेैस�ु,: (ोज़ेशीउपजावि&: (ोज़ॉय�ी�ंश: रोसा

लि,विनयसजाति�

पाठ देखें

गु,ाब ए� बहु�ष¸य, झाcीदा(, पुर्ष्यापीय पौधा है। इस�ी १०० से अमिध� जावि&यां हैं जिजनमें से अमिध�ांश

एलिशयाइ मू, �ी हैं। जबवि� �ुछ जावि&यों �े मू, प्रदेश यू(ोप, उZ(ी अमेरि(�ा &Nा उZ(ी पत्तिश्चमी अफ्री�ा भी है। भा(& स(�ा( ने १२ फ(�(ी �ो गु,ाब-दिद�स र्घाोविष& वि�या है।

अनुक्रम[छुपाए]ँ

१ साविहत्य में २ इवि&हास में ३ खे&ी ४ �ग¸�(ण ५ पुर्ष्याप ६ आर्थिNA� महत्� ७ इन्हें भी देखें

८ संदभ�

[संपादिद� करें] साति�त्य मेंभार�ीय साति�त्य में- गु,ाब �े अने� संस्�ृ& पया�य है। अपनी (ंगीन पंखुविcयों �े �ा(ण गु,ाब पाट, है, सदै� &रूण होने �े �ा(ण &रूणी, श& पत्रों �े मिर्घा(े होने प( ‘श&पत्री’, �ानों �ी आ�ृवि& से ‘�ार्णिणA�ा’, सुन्द( �ेश( से युक्त होने ‘Cारु�ेश(’, ,ालि,मा (ंग �े �ा(ण ‘,ाक्षा’, औ( गन्ध पूण� होने से गन्धाढ्य

�ह,ा&ा है। फा(सी में गु,ाब �हा जा&ा है औ( अंग(ेज़ी में (ोज, बंग,ा में गो,ाप, &ामिम, में इ(ाशा, औ( &े,ुगु में गु,ाविब है । अ(बी में गु,ाब ‘�दK’ अहम( है। सभी भाषाओं में यह ,ा�ण्य औ( (सात्म� है। लिश�

पु(ाण में गु,ाब �ो दे� पुर्ष्याप �हा गया है। ये (ंग विब(ंगे नाम गु,ाब �े �ैवि�ध्य गुणों �े �ा(ण इंविग& �(&े हैं।तिवश्व साति�त्य- गु,ाब ने अपनी गन्ध औ( (ंग से वि�र्श्व �ाव्य �ो अपना माधुय� औ( सौन्दय� प्रदान वि�या है। (ोम �े प्राCीन �वि� �र्जिजA, ने अपनी �वि�&ा में �सन्& में ग्निख,ने �ा,े सीरि(या देश �े गु,ाब �ी CCा� �ी है। अंग(ेज़ी साविहत्य �े �वि� टामस हू� ने गु,ाब �ो समय �े प्रवि&मान �े रुप में प्रस्&ु& वि�या है। �वि�

मैथ्यू आ(नाल्ड ने गु,ाब �ो प्र�ृवि& �ा अनोखा �(दान �हा है। टेविनसन ने अपनी �वि�&ा में ना(ी �ो गु,ाब से उपमिम& वि�या है। विहन्दी �े श्रृंगा(ी �वि� ने गु,ाब �ो (लिस� पुर्ष्याप �े रुप में लिCवित्र& वि�या है ‘फूल्यौ (हे गं�ई गाँ� में गु,ाब’। �वि� दे� ने अपनी �वि�&ा में बा,� बसन्& �ा स्�ाग& गु,ाब द्वा(ा वि�ए

जाने �ा लिCत्रण वि�या है। �वि� श्री विन(ा,ा ने गु,ाब �ो पंूजी�ादी औ( शोष� �े रुप में अंवि�& वि�या है।

(ाम�ृक्ष बेनीपु(ी ने इसे संस्�ृवि& �ा प्र&ी� �हा है।[१]

[संपादिद� करें] इति��ास में

ए� ,ा, गु,ाब

इवि&हास में �ण�न मिम,&ा है वि� असीरि(या �ी शाहजादी पी,े गु,ाब से पे्रम �(&ी Nी औ( मुग, बेगम

नू(जहाँ �ो ,ा, गु,ाब अमिध� विप्रय Nा। मुग,ानी जेबुमिन्नसा अपनी फा(सी शाय(ी में �ह&ी है ‘मैं इ&नी सुन्द( हूँ वि� मे(े सौन्दय� �ो देख�( गु�ाब �े (ंग फी�े पc जा&े है।’ (ज�ा�े ़गु,ाब �े बागीCे ,ग�ा&े Nे। सीरि(या �े बाशाद गु,ाबों �ा बाग स्थाविप& �(&े Nे। पं. ज�ाह( ,ा, नेहरू गु,ाब �े प्र&ी� माने जा&े हैं। यू(ोप �े दो देश �ा (ाष्ट्रीय पुर्ष्याप सफेद गु,ाब औ( दूस(े देश �ा (ाष्ट्रीय पुर्ष्याप ,ा, गु,ाब Nे। दोनों देशों �े

बीC 'गु,ाब युद्ध लिछc गया Nा। इस�े बा�जूद यू(ोप �े �ुछ देशों ने गु,ाब �ो अपना (ाष्ट्रीय 'र्घाोविष&

वि�या है। (ाजस्थान �ी (ाजधानी जयपु( �ो गु,ाबी नग( �हा जा&ा है। गु,ाब �े इत्र �ा आवि�र्ष्या�ा(

नू(जहाँ ने वि�या Nा।

[संपादिद� करें] खे�ी

ए� आधुविन� शं�( गु,ाब

ग्रामीण वि�सान गु,ाब �ी खे&ी �( अपनी आर्थिNA� व्य�स्था �ो सुदृढ़ �(&े है।[२] भा(& में सुगत्निन्ध&

उद्योग औ( गु,ाब �ी खे&ी पु(ानी है प(न्&ु उत्पादन �ी दृमिष्ट से यह अन्य देशों जैसे वि� बु,गारि(या,ट�ë, रुस, फ्रांस, इट,ी औ( Cीन से �ाफी विपछcा हुआ है। भा(& में उZ( प्रदेश �े हाN(स, एटा, बलि,या,

�न्नौज, फरु� खाबाद, �ानपु(, गाजीपु( (ाजस्थान �े उदयपु( (हल्दीर्घााटी), लिCZौc, जम्मू औ( �श्मी( में, विहमाC, इत्यादिद (ाज्यों में २ हजा( हे० भूमिम में दमिमश्� प्रजावि& �े गु,ाब �ी खे&ी हो&ी है। यह गु,ाब

लिC�नी मिमट्टी से ,े�( ब,ुई मिमट्टी जिजस�ा पी०एC० मान ७.०-८.५ &� में भी सफ,&ापू��� उगाया जा स�&ा है। दमिमश्� गु,ाब शी&ोर्ष्याण औ( समशी&ोर्ष्याण दोनों ही प्र�ा( �ी ज,�ायु में अच्छी &(ह उगाया जा स�&ा है। समशी&ोर्ष्याण मैदानी भागों में जहाँ प( शी& �ा, �े दौ(ान अत्तिभशीवि&& &ापक्रम (लिCल्ड &ाप)

&ापक्रम ,गभग १ माह &� हो �हाँ भी सफ,&ापू��� �ी जा स�&ी है।

[संपादिद� करें] वगdकरणपौधों �ी बना�ट, ऊँCाई, फू,ों �े आ�ा( आदिद �े आधा( प( इन्हें विनम्नलि,ग्निख& पाँC �गR में बाँटा गया है।[३]

�ाइमिzP 7ी- यह बङे फू,ों �ा,ा महत्�पूण� �ग� है इस �ग� �े पौधे झाङीनुमा, ,म्बे, औ( फै,ने �ा,े हो&े है इन�ी वि�शेष&ा यह है वि� प्रत्ये� शाखा प( ए� फू, विन�,&ा है, जो अत्यन्& सुन्द( हो&ा है हा,ाँवि� �ुछ ऐसी वि�स्में भी हैं, जिजनमें छोटे समूह में भी फू, ,ग&े है अमिध� पा,ा पङने �ी स्थिस्थवि& में �भी-�भी पौधे म( जा&े है इस �ग� �ी प्रमुख वि�स्में है एम्बेस�(, अमेरि(�न प्राइ�, ब(गण्�ा, �ब,, वि�,ाइट, फे्रण्�लिसप, सुप(स्टा(, (क्त गंधा, विक्रमसनग्,ो(ी, अजु�न, ज�ाह(, (जनी, (क्तगंधा, लिसद्धाN�, सु�न्या, फस्टे (े�, (लिक्तमा औ( ग्रां�ेमा,ा आदिद

फ्लोरीबण्Pा- इस �ग� में आने �ा,ी वि�स्मों �े फू, हाइविब्र� टी वि�स्मों �ी &ु,ना में छोटे हो&े है औ( अमिध� संख्या में फू, ,ग&े है इस �ग� �ी प्रमुख वि�स्में है- जम्ब(ा, अ(ेविबयन नाइटस, (म्बा �ग�, Cरि(या, आइसबग�, फस्ट� ए�ीसन, ,ह(, बंजा(न, ज&ं(-मं&(, सदाबहा(, पे्रमा, औ( अरुत्तिणमा आदिद

पॉक्तिलएन्था : इस �ग� �े पौधों �ो र्घा(े,ू बगीCों � गम,ों में ,गाने �े लि,ए पसंद वि�या जा&ा है। पौधे औ( फू,ों �ा आ�ा( हाइविब्र� �ी ए�ं फ्,ो(ी बं�ा �ग� से छोटा हो&ा है ,ेवि�न गुच्छा आ�ा( में फ्,ो(ीबं�ा �ग� से भी बcा हो&ा है। ए� गुचे्छ में �ई फू, हो&े हैं। क्योंवि� इनमें मध्यम आ�ा( �े फू, अमिध� संख्या में सा, में अमिध� समय &� आ&े (ह&े हैं इसलि,ए यह र्घा(ों में शोभा बढ़ाने �ा,े पौधों �े रूप में बहु&ाय& से प्रयोग में ,ाया जा&ा है। इस �ग� �ी प्रमुख वि�स्में स्�ावि&, इ�ो, अंजनी आदिद हैं।

मिमनीएचर : इस �ग� में आने �ा,ी वि�स्मों �ो बेबी गु,ाब, मिमनी गु,ाब या ,र्घाु गु,ाब �े नाम से जाना जा&ा है। ये �म ,ंबाई �े छोटे बौने पौधे हो&े हैं। इन�ी पत्तिZयों � फू,ों �ा आ�ा( छोटा होने �े �ा(ण इन्हें बेबी गु,ाब भी �ह&े हैं। ये छोटे कि�A&ु संख्या में बहु& अमिध� ,ग&े हैं। इन्हें ब़cे शह(ों में बंग,ों, फ्,ैटों आदिद में छोटे गम,ों में ,गाया जाना उपयुक्त (ह&ा है, प(ं&ु धूप �ी आ�श्य�&ा अन्य गु,ाबों �े समान छः से आठ र्घांटे आ�श्य� है। इन्हें गम,ों में या ग्निखङवि�यों �े सामने �ी क्यारि(यों में सुगम&ा से उगाया जा स�&ा हैइस �ग� �ी प्रमुख वि�स्में �्�ाफ� कि�Aग, बेबी �ार्सिं,Aग, क्री�ी, (ोज मेरि(न, लिसल्�( दिटlस आदिद हैं।

ल�ा गुलाब- इस �ग� में �ुछ हाइविब्र� टी फ्,ो(ीबण्�ा गु,ाबोँ �ी शाखाए ँ,&ाओं �ी भाँवि& बढ&ी है जिजस�े �ा(ण उन्हें ,&ा गु,ाब �ी संज्ञा दी जा&ी है इन ,&ाओं प( ,गे फू, अत्यन्& सुन्द( दृश्य प्रस्&ु& �(&े है। इन्हें मेह(ाब या अन्य वि�सी सहा(े �े साN Cढ़ाया जा स�&ा है। इनमें फू, ए� से &ीन (क्,ाइंब() � गुच्छों ((ेम्ब,() में ,ग&े हैं। ,&ा �ग� �ी प्रCलि,& वि�स्में गोल्डन शा�(, �ॉ�टे,, (ाय, गोल्ड औ( (ेम्ब,( �ग� �ी ए,�टाइन, एक्से,सा, �ो(ाNी पार्किं�Aस आदिद हैं। �ालिसनों, प्रोस्पे(ीटी, माश�,नी,, क्,ाइकिबAग, �ोट टे, आदिद भी ,ो�विप्रय हैं।

न�ीन&म वि�स्में- पूसा गौ(�, पूसा बहादु(, पूसा विप्रया, पूसा बा(हमासी, पूसा वि�(ांगना, पूसा विप&ाम्ब(, पूसा गरि(मा औ( �ा भ(& (ाम

[संपादिद� करें] पुष्पगु,ाब �े पौधे में पुर्ष्यापासन जायांग से हो&ा हुआ ,म्बाई में �ृजिद्ध �(&ा है &Nा पत्तिZयों �ो धा(ण �(&ा है. ह(े गु,ाब �े पुर्ष्यापत्र पZी �ी &(ह दिदखाई दे&े हैं. पुर्ष्यापासन लिछछ,ा,Cपटा या lया,े �ा रूप धा(ण �(&ा है. जायांग पुर्ष्यापासन �े बीC में &Nा अन्य पुर्ष्यापयत्र lया,ानुमा (Cना �ी नेमिम या वि�ना(ों प( स्थिस्थ& हो&े हैं. इनमें अं�ाशय अध�-अधो�&¸ &Nा अन्य पुर्ष्यापयत्र अधो�&¸ �ह,ा&े है. पांC अखरि(& या बहु& छोटे

नख(�ा,े द, �े द,फ,� बाह( �ी &(फ फै,े हो&े हैं. पं�ेश( ,ंबाई में असमान हो&े है अNा�&

हेl,ोस्टीमोनस. बहुअं�पी अं�ाशय, अं�प संयोजन नहीं �(&े हैं &Nा ए�-दुस(े से अ,ग-अ,ग (ह&े हैं, इस अं�ाशय �ो वि�युक्तां�पी �ह&े हैं औ( इसमें ए� अं�प ए� अं�ाशय �ा विनमा�ण �(&ा है.

[संपादिद� करें] आर्थिर्थंक म�त्वफू, �े हाट में गु,ाब �े गज(े खूब विब�&े हैं। गु,ाब �ी पंखुवि�यों औ( शक्�( से ग,�न्द बनाया जा&ा है। गु,ाब ज, औ( गु,ाब इत्र �े �ुटी( उद्योग C,&े है। उZ( प्रदेश में �न्नौज, जौनपु( आदिद में गु,ाब �े

उत्पाद �ी उद्योगशा,ा C,&ी है। दत्तिक्षण भा(& में भी गु,ाब �े उत्पाद �े उद्योग C,&े हैं। दत्तिक्षण भा(& में गु,ाब फू,ों �ा खूब व्यापा( हो&ा है। मजिन्द(ों, मण्�पों, समा(ोहों, पूजा-स्थ,ों आदिद स्थानों में गु,ाब फू,ों �ी भा(ी खप& हो&ी है। यह अर्थिNA� ,ाभ �ा साधन है। �हाँ हजा(ों ग्रामीण यु�ा फू,ो �ो अपनी आय �ा माध्यम बना ,े&े हैं।

गेंदावि�वि�पीवि�या, ए� मुक्त ज्ञान�ोष सेयहाँ जाए:ँ भ्रमण, खोज

Common Marigolds

Tagetes. Vilkija, Kaunas district, Lithuania.

वैज्ञातिनक वगdकरणजग&: Plantae(अश्रेत्तिण�ृ&) Eudicots(अश्रेत्तिण�ृ&) Asteridsगण: Asterales�ु,: Asteraceaeट्राइब: Tageteaeप्रजावि&: Tagetes

L.

Species

About 59, including:

Tagetes erecta

Tagetes filifolia

Tagetes lacera

Tagetes lucida

Tagetes minuta

Tagetes patula

Tagetes tenuifolia

as well as numerous hybrids

गेंदा बहु& ही उपयोगी ए�ं आसानी से उगाया जाने �ा,ा फू,ों �ा पौधा है। यह मुख्य रूप से सजा�टी फस, है। यह खु,े फू,, मा,ा ए�ं भू-दृश्य �े लि,ए उगाया जा&ा है। मुर्विगAयों �े दाने में भी यह पी,े �ण��

�ा अच्छा स्त्रो& है। इस�े फू, बाजा( में खु,े ए�ं मा,ाएं बना�( बेCे जा&े है। गेंदे �ी वि�त्तिभन्न ऊंCाई ए�ं वि�त्तिभन्न (ंगों �ी छाया �े �ा(ण भू-दृश्य �ी सुन्द(&ा बढ़ाने में इस�ा बcा महत्� है। साN ही यह शादी-वि��ाह में मण्�प सजाने में भी अहम् भूमिम�ा विनभा&ा है। यह क्यारि(यों ए�ं ह(बेलिसयस बॉ��( �े लि,ए अवि&

उपयुक्त पौधा है। इस पौधे �ा अ,ं�ृ& मूल्य अवि� उच्च है क्योंवि� इस�ी खे&ी �ष� भ( �ी जा स�&ी है।

&Nा इस�े फू,ों �ा धार्धिमA� ए�ं सामाजिज� उत्स�ों में बcा महत्� है। भा(& में मुख्य रूप से अफ्री�न गेंदा औ( फ्रें C गेंदा �ी खे&ी �ी जा&ी है।

कनेरवि�वि�पीवि�या, ए� मुक्त ज्ञान�ोष सेयहाँ जाए:ँ भ्रमण, खोज

Oleander

Nerium oleander in flower

वैज्ञातिनक वगdकरणजग&: पादप(अश्रेत्तिण�ृ&) Eudicots(अश्रेत्तिण�ृ&) Asteridsगण: Gentianales�ु,: एपोसाइनेसीप्रजावि&: Nerium L.जावि&: N. oleander

तिeपद नाम

Nerium oleanderL.

कनेर (OLEANDER) �ा फू, बहु& ही मशहू( है। �ने( �े पेc �ी ऊंCाई ,गभग 10 से 11 हाN से

ज्यादा बcे नही हो&े हैं। पZे ,म्बाई में 4 से 6 इंC औ( Cौ�ाई में 1 इंC, लिस(े से नो�दा(, नीCे से खु(द(े, सफेद र्घााटीदा( औ( ऊप( से लिC�ने हो&े है। �ने( �े पेc �न औ( उप�न में आसानी से मिम, जा&े है।

फू, खास�( गर्धिमAयों �े मौसम में ही ग्निख,&े हैं फलि,यां Cपटी, गो,ा�ा( 5 से 6 इंC ,ंबी हो&ी है जो बहु& ही जह(ी,ी हो&ी हैं। फू,ों औ( जcों में भी जह( हो&ा है। �ने( �ी Cा( जावि&यां हो&ी हैं। सफेद, ,ा, �

गु,ाबी औ( पी,ा। सफेद �ने( औषमिध �े उपयोग में बहु& आ&ा है। �ने( �े पेc �ो �ु(ेदने या &ोcने से

दूध विन�,&ा है। �ने( �े पेc �े बा(े मे यह भी �हा जा&ा है �ी सांप इस�े पेc �े आस पास भी नहीं आ&ा है।

नरतिगस (vूल)वि�वि�पीवि�या, ए� मुक्त ज्ञान�ोष सेयहाँ जाए:ँ भ्रमण, खोज

Narcissus

वैज्ञातिनक वगdकरणजग&: पादपवि�भाग: एजंिजयोस्पम��ग�: Liliopsidaगण: Asparagales�ु,: Amaryllidaceae�ंश: Narcissus

L.

Pैफ़ोतिPल नॉ(लिशसस �ंश �ा पुर्ष्याप है। यह सफे़द से पी,े &� अने� (ंगों �ा हो&ा है। इस�ी पत्तिZयाँ ,ंबी औ( प&,ी हो&ी हैं।

चमेलीवि�वि�पीवि�या, ए� मुक्त ज्ञान�ोष सेयहाँ जाए:ँ भ्रमण, खोज

Cमे,ी

चमेली (Jasmine) �ा फू, झाcी या बे, जावि& से संबंमिध& है, इस�ी ,गभग २०० प्रजावि& पाई ज&ी हैं। "Cमे,ी" नाम पा(सी शब्द "यासमीन" से बना है, जिजस�ा म&,ब "प्रभु �ी देन" है।

Cमे,ी, जसै्तिस्मनम (Jasminum) प्रजावि& �े ओलि,एलिसई (Oleaceae) �ु, �ा फू, है। भा(& से यह पौधा अ(ब �े मू( ,ोगों द्वा(ा उZ( अफ्री�ा, से्पन औ( फ्रांस पहुँCा। इस प्रजावि& �ी ,गभग 40 जावि&याँ औ(

100 वि�स्में भा(& में अपने नैसर्विगA� रूप में उप,ब्ध हैं। जिजनमें से विनम्नलि,ग्निख& प्रमुख औ( आर्थिNA� महत्�

�ी हैं:

1. जसै्तिस्मनम ऑविफसने, लि,न्न., उपभेद ग्रैंवि�फ्,ो(म (लि,न्न.) �ोबस्�ी ज.ै ग्रैंवि�फ्,ा(म लि,न्न. (J.

officinale Linn. forma grandiflorum (Linn.) अNा�&् चमेली।

2. ज.ै औरि(�ु,ेटम �ाह, (J. auriculatum Vahl) अNा�&् जू�ी।

3. ज.ै संब� (लि,न्न.) ऐट. (J. sambac (Linn.) ॠत्द्य.) अNा�&् मोगरा, वनमस्थिल्लका।

4. ज.ै अ(बो(ेसेंस (ोक्स ब.उ ज.ै (ॉक्सबर्धिर्घाAयानम �ाल्,. (J. Arborescens Roxb. syn. J.

roxburghianum Wall.) अNा�&् बेला।

विहमा,य �ा दत्तिक्षणा�&¸ प्रदेश Cमे,ी �ा मूल स्थान है। इस पौधे �े लि,ये ग(म &Nा समशी&ोर्ष्याण दोनों प्र�ा( �ी ज,�ायु उपयुक्त है। सूखे स्थानों प( भी ये पौधे जीवि�& (ह स�&े हैं। भा(& में इस�ी खे&ी &ीन

हजा( मीट( �ी ऊँCाई &� ही हो&ी है। यू(ोप �े शी&, देशों में भी यह उगाई जा स�&ी है। इस�े लि,ये भु(भु(ी दुमट मिमट्टी स��Zम है, कि�A&ु इसे �ा,ी लिC�नी मिमटृटी में भी ,गा स�&े हैं। इसे लि,ए गोब( पZी �ी �ंपोस्ट खाद स��Zम पाई गई है। पौधों �ो क्यारि(यों में 1.25 मीट( से 2.5 मीट( �े अं&( प( ,गाना Cाविहए। पु(ानी जcों �ी (ोपाई �े बाद से ए� महीने &� पौधों �ी देखभा, �(&े (हना Cाविहए। लिसACाई

�े समय म(े पौधों �े स्थान प( नए पौधों �ो ,गा देना Cाविहए। समय-समय प( पौधों �ी छँटाई ,ाभ�(

लिसद्ध हुई है। पौधे (ोपने �े दूस(े �ष� से फू, ,गन ,ग&े हैं। इस पौधे �ी बीमारि(यों में फफँूदी सबसे

अमिध� हाविन�ा(� है।

आज�, Cमे,ी �े फू,ों से सौगंमिध� सा( &त्� विन�ा,�( बेCे जा&े हैं। आर्थिNA� दृमिष्ट से इस�ा व्य�साय

वि��लिस& वि�या जा स�&ा है।

रजनीगन्धावि�वि�पीवि�या, ए� मुक्त ज्ञान�ोष सेयहाँ जाए:ँ भ्रमण, खोज

Tuberose

वैज्ञातिनक वगdकरण

जग&: Plantae(unranked) Monocotsगण: Asparagales�ु,: Agavaceae�ंश: Polianthesजावि&: P. tuberosa

तिeपद-नामकरणPolianthes tuberosa

गुलमें�दीवि�वि�पीवि�या, ए� मुक्त ज्ञान�ोष सेयहाँ जाए:ँ भ्रमण, खोज

Rosemary

Rosemary in flower

Conservation statusSecure

वैज्ञातिनक वगdकरणजग&: Plantae(unranked) Eudicots(unranked) Asteridsगण: Lamiales�ु,: Lamiaceae�ंश: Rosmarinusजावि&: R. officinalis

तिeपद-नामकरणRosmarinus officinalis

L.[१]

गुलमें�दी (Rosmarinus officinalis) ए� सुगत्निन्ध& सदाबहा( जcी-बूटी है जिजस�े पZे सुई �े आ�ा(

�े हो&े हैं। यह भूमध्यसाग(ीय के्षत्र �ा मू, पौधा है। यह पुदीना परि(�ा( ,ैमिमयेसी �ी सदस्य है, जिजसमे औ( भी �ई जcी-बूटी शामिम, हैं।

[संपादिद� करें] वण>नगु,मेंहदी �ा पौधा सीधा बढ़&ा है औ( 1.5 मीट( &� ,ंबा हो&ा है औ( �भी-�भी यह २ मी &� पहुँC

स�&े है। सदाबहा( पZे, ऊप( से ह(े औ( नीCे से (ोमिम, सफेद हो&े है। फू, सदÙ या �सं& ऋ&ु में ग्निख,&े हैं जिजन�ा (ंग बैंगनी, गु,ाबी, नी,ा या सफेद हो&ा है।

[संपादिद� करें] खे�ीयह आ�ष�� पौधा �ुछ हद &� सूखे �ा प्रवि&(ोध �(&ा है इसलि,ए इसे वि�शेष रूप से भूमध्यसाग(ीय

ज,�ायु के्षत्रों मे भू-दृश्य विनमा�ण (,ैं�स्�ेकिपAग) �े लि,ए प्रयोग वि�या जा&ा है। यह आसानी से उगायी जा स�&ी है औ( माना जा&ा है वि� यह �ीट प्रवि&(ोधी हो&ी है। गु,मेंहदी �ो आसानी से वि�सी भी आ�ा( में �ाटा जा स�&ा है इसीलि,ए इसे शस्य�&�न �े लि,ए इस्&ेमा, वि�या जा&ा है।

केवड़ावि�वि�पीवि�या, ए� मुक्त ज्ञान�ोष सेयहाँ जाए:ँ भ्रमण, खोज

केवड़ा सुगंमिध& फू,ों �ा,े �ृक्षों �ी ए� प्रजावि& है जो अने� देशों में पाई जा&ी है औ( र्घाने जंग,ों मे उग&ी है। प&,े, ,ंबे, र्घाने औ( �ाँटेदा( पZों �ा,े इस पेc �ी दो प्रजावि&याँ हो&ी है- सफेद औ( पी,ी।

सफेद जावि& �ो �े�cा औ( पी,ी �ो �े&�ी �ह&े है। �े&�ी बहु& सुगत्निन्ध& हो&ी है औ( उस�े पZे �ोम, हो&े है। इसमे जन�(ी औ( फ(�(ी में फू, ,ग&े हैं। �े�cे �ी यह सुगंध साँपों �ो बहु& आ�र्विषA&

�(&ी है। इनसे इत्र भी बनाया जा&ा है जिजस�ा प्रयोग मिमठाइयों औ( पेयों में हो&ा है। �त्थे �ो �े�cे �े

फू, में (ख�( सुगंमिध& बनाने �े बाद पान में उस�ा प्रयोग वि�या जा&ा है। �े�cे �े अंद( स्थिस्थ& गूदे �ा

साग भी बनाया जा&ा है। इसे संस्�ृ&, म,या,म औ( &े,ुगु में �े&�ी, विहन्दी औ( म(ाठी में �े�cा, गुज(ा&ी में �े�cों, �न्नc में विब,े�ेदगे गुण्�ीगे, &मिम, में �ेदगें फा(सी में �(ंज, अ(बी में �(ंद औ(

,ैदिटन में पें�ेनस ओ�ो(ा दिटसीमस �ह&े हैं।[१] इस�े �ृक्ष गंगा नदी �े सुन्द(�न �ेल्टा में बहु&ाय& से पाए

जा&े हैं।

�े�cा पैं�ेनसी (Pandanacea) �ु, �े ए�द,ी �ग� �ा पौधा जो उर्ष्याण �दिटबंधीय, किहAद महासाग( �े

&टीय देशों में &Nा प्रशां& महासाग( �े टापुओं में पाया जा&ा है। दत्तिक्षण भा(& �े &टीय भागों में �े�cा प्रा�ृवि&� रूप से उग&ा है। फू,ों �ी &ीक्ष्ण गंध �े �ा(ण यह बागों में भी ,गाया जा&ा है।

इस�ा पौधा ५-७ मीट( ऊँCा हो&ा है औ( ब,ुई मिमट्टी प( नम स्थानों में अमिध� पनप&ा है। इस�ा प्रधान

&ना श्घ्रीा ही शाखाओं में वि�भाजिज& हो जा&ा है औ( ह( शाखा �े ऊप(ी भाग से पत्तिZयों �ा गुच्छा विन�,&ा है। पत्तिZयाँ ,ंबी &Nा वि�ना(े प( �ाँटेदा( हो&ी है औ( &ने प( &ीन �&ा(ों में ,गी (ह&ी हैं। जमीन से �ुछ ऊप(�ा,े &ने �े भाग से बहु& सी ह�ाई जcें विन�,&ी हैं औ( �भी �भी जब &ने �ा विनC,ा भाग म( जा&ा है &ब पौधे �े�, इन ह�ाई जcों �े सहा(े पृथ्�ी प( जमे (ह&े हैं। इन�े पुर्ष्यापगुच्छ

में न( या मादा फू, मोटी गूदेदा( धु(ी प( ,गे हो&े हैं। न( पुर्ष्यापगुच्छ में �cी मह� हो&ी हैं। मादा पुर्ष्यापगुच्छ

में जब फ, ,ग&े हैं औ( प� जा&े हैं &ब �ह गो,ा�ा( ना(ंगी (ंग �े अनन्नास �े फ, �ी भाँवि& दिदखाई

पc&ा है। �े�cे �े ये फ, समुW �ी ,ह(ों द्वा(ा दू( देशों &� पहुँC जा&े है औ( इसी से �े�cा समुW&टीय स्थानों में अमिध�&ा से पाया जा&ा है। न( पुर्ष्यापगुच्छ से �े�cाज, औ( इत्र बनाए जा&े हैं। पत्तिZयों �े (ेशे

(स्सी आदिद बनाने �े �ाम आ&े हैं। जcों से टो�(ी &Nा बुरुश बनाया जा&ा हैं।

सदाvूलीवि�वि�पीवि�या, ए� मुक्त ज्ञान�ोष सेयहाँ जाए:ँ भ्रमण, खोज

   

कैं र्थरैंर्थस

रे्श्व& �ेNा(ेÚस (ोजसवैज्ञातिनक वगdकरण

जग&: पादपवि�भाग: पुर्ष्यापी पादप�ग�: मैग्निग्नलि,योlसी�ागण: Gentianales�ु,: एपोसाइनेसी�ंश: कैं र्थरैंर्थस

जाज� �ॉनजाति�

पाठ देखें

सदाvूली या सदाबहा( बा(हों महीने ग्निख,ने �ा,े फू,ों �ा ए� पौधा है। इस�ी आठ जावि&यां हैं। इनमें से सा& मे�ागास्�( में &Nा आठ�ीं भा(&ीय उपमहाद्वीप में पायी जा&ी है। इस�ा �ैज्ञाविन� नाम �ेNा(ेÚस

है।[१][२] भा(& में पायी जाने �ा,ी प्रजावि& �ा �ैज्ञाविन� नाम �ेNा(ेÚस (ोजस है। इसे पत्तिश्चमी भा(& �े

,ोग सदाफू,ी �े नाम से बु,ा&े है।

मे�ागास्�( मू, �ी यह फू,दा( झाcी भा(& में वि�&नी ,ो�विप्रय है इस�ा प&ा इसी बा& से C, जा&ा है वि� ,गभग ह( भा(&ीय भाषा में इस�ो अ,ग नाम दिदया गया है- उविcया में अपंस्�ांवि&, &मिम, में सदा�ा�ु मस्थिल्,�इ, &े,ुगु में विबल्,ागैन्नेस्र्, पंजाबी में (&नजो&, बांग्,ा में नयन&ा(ा या गु,विफ(ंगी, म(ाठी में सदाफू,ी औ( म,या,म में उषामा,ारि(। इस�े रे्श्व& &Nा बैंगनी आभा�ा,े छोटे गुच्छों से सज ेसंुद(

,र्घाु�ृक्ष भा(& �ी वि�सी भी उर्ष्याण जगह �ी शोभा बढ़ा&े हुए सा,ों सा, बा(ह महीने देखे जा स�&े हैं। इस�े अं�ा�ा( पZे �ालि,यों प( ए�-दूस(े �े वि�प(ी& ,ग&े हैं औ( झाcी �ी बढ़�ा( इ&नी साफ़ सुN(ी औ( स,ी�ेदा( हो&ी है वि� झाविcयों �ी �ाँट छाँट �ी �भी ज़रू(& नहीं पc&ी।

अनुक्रम[छुपाए]ँ

१ �ानस्पवि&� सं(Cना २ औषधीय गुण ३ वि��लिस& प्रजावि&याँ ४ इन्हें भी देखें ५ बाह(ी �विcयाँ

६ संदभ�

वानस्पति�क संरचना

सदाफू,ी

�ैसे &ो यह झाcी इ&नी जानदा( है वि� विबना देखभा, �े भी फ,&ी-फू,&ी (ह&ी है, कि�A&ु (ेशेदा( दोमट

मिमट्टी में Nोcी-सी �ंपोस्ट खाद मिम,ने प( आ�ष�� फू,ों से ,दी-फदी सदाबहा( �ा सौंदय� वि�सी �े भी हृदय �ो प्रफुस्थिल्,& �( स�&ा है। इस�े फ, बहु& से बीजों से भ(े हुए गो,ा�ा( हो&े हैं। इस�ी पत्तिZयों, जc &Nा �ंठ,ों से विन�,ने�ा,ा दूध वि�षै,ा हो&ा है। पौधों �े सामने भी समस्याए ँहो&ी हैं। पेc-पौधे Cाह&े हैं वि� उन�े फ, &ो जान�( खाए,ँ &ावि� उन�े बीज दू(-दू( &� जा स�ें , कि�A&ु यNासंभ� उन�ी पत्तिZयाँ &Nा जc न खाए।ँ इसलि,ए अने� �ृक्षों �े फ, &ो खाद्य हो&े हैं, कि�A&ु पत्तिZयाँ, जc आदिद �c�े या ज़ह(ी,े। सदाबहा( ने इस समस्या �ा समाधान अपने फ,ों �ो खाद्य बना�( &Nा पत्तिZयों � जcों �ो ��ु�ा &Nा वि�षाक्त बना�( वि�या है। ऐसे वि�शेष गुण पौधों में वि�शेष क्षा(ीय (एल्�ै,ाय�) (सायनों द्वा(ा आ&े हैं।

औषधीय गुण

सदाबहा( पुर्ष्याप �ा विन�ट दृश्य

वि��लिस& देशों में (क्तCाप शमन �ी खोज से प&ा C,ा वि� 'सदाबहा(' झाcी में यह क्षा( अच्छी मात्रा में हो&ा है। इसलि,ए अब यू(ोप भा(& Cीन औ( अमेरि(�ा �े अने� देशों में इस पौधे �ी खे&ी होने ,गी है। अने� देशों में इसे खाँसी, ग,े �ी ख़(ाश औ( फेफcों �े संक्रमण �ी लिCवि�त्सा में इस्&ेमा, वि�या जा&ा है। सबसे (ोC� बा& यह है वि� इसे मधुमेह �े उपCा( में भी उपयोगी पाया गया है। �ैज्ञाविन�ों �ा �हना है वि� सदाबहा( में दज�नों क्षा( ऐसे हैं जो (क्त में श�( �ी मात्रा �ो विनयंवित्र& (ख&े है।[३] जब शोध हुआ &ो 'सदाबहा(' �े अने� गुणों �ा प&ा C,ा - सदाबहा( पौधा बारूद - जैसे वि�स्फोट� पदाNR �ो पCा�(

उन्हें विनम�, �( दे&ा है। यह �ो(ी �ैज्ञाविन� जिजज्ञासा भ( शां& नहीं �(&ा, �(न व्य�हा( में वि�स्फोट�-

भं�ा(ों �ा,ी ,ाखों ए�c ज़मीन �ो सु(त्तिक्ष& ए�ं उपयोगी बना (हा है। भा(& में ही '�ें Wीय औषधीय ए�ं सुगंध पौधा संस्थान' द्वा(ा �ी गई खोजों से प&ा C,ा है वि� 'सदाबहा(' �ी पत्तिZयों में 'वि�विन�(स्टीन' नाम� क्षा(ीय पदाN� भी हो&ा है जो �ैं स(, वि�शेष�( (क्त �ैं स( (ल्यू�ीमिमया) में बहु& उपयोगी हो&ा है। आज यह वि�षाक्त पौधा संजी�नी बूटी �ा �ाम �( (हा है। बगीCों �ी बा& �(ें &ो १९८० &� यह फू,ों�ा,ी क्यारि(यों �े लि,ए सबसे ,ो�विप्रय पौधा बन Cु�ा Nा, ,ेवि�न इस�े (ंगों �ी संख्या ए� ही Nी- गु,ाबी।

१९९८ में इस�े दो नए (ंग गे्रप �ू,( (बैंगनी आभा �ा,ा गु,ाबी जिजस�े बीC �ी आँख गह(ी गु,ाबी Nी) औ( विपप(मिमAट �ू,( (सफेद पंखुरि(याँ, ,ा, आँख) वि��लिस& वि�ए गए।

तिवकक्तिस� प्रजाति�याँ

१९९१ में (ॉन पा�� ( �ी �ुछ नई प्रजावि&याँ बाज़ा( में आईं। इनमें से विप्रटी इन Ãहाइट औ( पै(ासॉ, �ो आ, अमेरि(�ा से,ेक्शन पु(स्�ा( मिम,ा। इन्हें पैन अमेरि(�ा सी� �ंपनी द्वा(ा उगाया औ( बेCा गया। इसी �ष� �ैलि,फोर्विनAया में �ॉ,( जेनेदिटक्स ने पा�� ( ब्रीकि�Aग प्रोग्राम �ी ट्रॉविप�ाना शंृख,ा �ो बाज़ा( में उ&ा(ा।

इन सदाबहा( प्रजावि&यों �े फू,ों में नए (ंग &ो Nे ही, आ�ा( भी बcा Nा औ( पंखुरि(याँ ए� दूस(े प( Cढ़ी

हुई Nीं। १९९३ में पा�� ( जम�l,ाज्म ने पैलिसफ़�ा नाम से �ुछ नए (ंग प्रस्&ु& वि�ए। जिजसमें पह,ी बा(

सदाबहा( �ो ,ा, (ंग दिदया गया। इस�े बाद &ो सदाबहा( �े (ंगों �ी झcी ,ग गई औ( आज बाज़ा( में ,गभग ह( (ंग �े सदाबहा( पौधों �ी भ(मा( है।

यह फू, संुद( &ो है ही आसानी से ह( मौसम में उग&ा है, ह( (ंग में ग्निख,&ा है औ( इस�े गुणों �ा भी �ोई ज�ाब नहीं, शायद यही सब देख�( नेशन, गा�Kन ब्यू(ो ने सन २००२ �ो इय( आफ़ कि�A�ा �े लि,ए Cुना।

कि�A�ा या कि�A�ा(ोज़ा, सदाबहा( �ा अंग्रेज़ी नाम है।

इस�ी आठों प्रजावि&यों �े नाम हैं:

रैफ्लेणिशयावि�वि�पीवि�या, ए� मुक्त ज्ञान�ोष से((ेफ्,ीलिसया से अनुपे्रविष&)यहाँ जाए:ँ भ्रमण, खोज

   

(ेफ्,ीलिसया

मुख्य&ः म,ेलिशया ए�ं इं�ोनेलिशया में पाया जाने �ा,ा, (ेफ्,ीलिसया ए� आश्चय�जन� प(जी�ी पौधा है, जिजस�ा फू, �नस्पवि& जग& �े सभी पौंधों �े फू,ों से बcा ,गभग १ मीट( व्यास �ा हो&ा औ( इस�ा �जन १० वि�,ोग्राम &� हो स�&ा है। इस�ी सबसे छोटी प्रजावि& २० सेमी व्यास �ी पाई गई है। सभी प्रजावि&यों में फू, �ी त्�Cा छूने में मांस �ी &(ह प्र&ी& हो&ी है औ( इस�े फू, से सcे मांस �ी बदबू

आ&ी है जिजससे �ुछ वि�शेष �ीट प&ंग इस�ी ओ( आ�ृष्ट हो&े हैं।

इस �ी खोज सबसे पह,े इं�ोनेलिशया �े �षा� �नों में हुई Nी, जब स��प्रNम �ाक्ट( जोसेफ अना�ल्ड �े ए� स्थानीय गाइ� ने इसे देखा। इस�ा नाम�(ण उसी खोजी द, �े ने&ा स( Nॉमस स्टैमफो�� (ेफ्,स �े नाम प( हुआ। अब &� इस�ी २६ प्रजावि&यां खोजी जा Cु�ी है। जिजनमें से ४ �ा नाम�(ण स्पष्ट रुप से नहीं हुआ है। इं�ोनेलिशया औ( म,ेलिशया �े अवि&रि(क्त यह पौधा सुमात्रा औ( विफ़,ीपीन्स में भी पाया जा&ा है। इस�ा जन्म वि�सी संक्रमिम& पेc �ी जc से हो&ा है। पह,े ए� गाँठ सी बन&ी है औ( जब यह बcी हो�(

ए� बंदगोभी �े आ�ा( �ी हो जा&ी है &ब Cा( दिदनों �े अंद( इस�ी पंखुविcयाँ खु, जा&ी हैं औ( पू(ा फू, आ�ा( ,े ,े&ा है। इस पौधे में �े�, फू, ही ए� ऐसा भाग है जो जमीन �े ऊप( (ह&ा है शेष सब

भाग ��� जा, �ी भांवि& प&,े-प&,े हो&े हैं औ( जमीन �े अन्द( ही धागों �े रूप में फै,े (ह&े हैं। यह

दूस(े पौधे �ी जcों से भोजन Cूस&े हैं।

प्राज+ा (vूल)वि�वि�पीवि�या, ए� मुक्त ज्ञान�ोष से(ह(लिसAगा( से अनुपे्रविष&)यहाँ जाए:ँ भ्रमण, खोज

Nyctanthes arbor-tristis

वैज्ञातिनक वगdकरणजग&: पादप(unranked) Eudicots(unranked) Asteridsगण: Lamiales�ु,: Oleaceae�ंश: Nyctanthes

जावि&: N. arbor-tristis

तिeपद-नामकरणNyctanthes arbor-tristis

L.

प्राज+ा ए� प्र�ा( �ा पुर्ष्याप है। इसे परि(जा&, ह(लिसAगा(, शेफ़ा,ी आदिद नामो से भी जाना जा&ा है।

इस�ा �ृक्ष 10 से 15 फीट ऊँCा हो&ा है। [१]