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Page 1 of 19 Ůेस िवǒİɑ छाğɉ ने लया Ǒहंद èवराज के गहन अÚययन का संकãप सांची बौɮध वæववɮयालय मɅ गांधी जयंती पर Ǒहंद èवराज का पाठ गांधी जी कȧ जीवनी भी पढ़ने कȧ लȣ शपथ Įम कȧ महƣा, बुǓनयादȣ तालȣम, अǑहंसा और वकास के वषयɉ का पाठ कǽणा और Ĥेम के कारण कहा जाता था बापू ʼ सांची बौɮध-भारतीय £ान अÚययन वæववɮयालय मɅ राçĚपता महा×मा गांधी जी कȧ 150वीं वष[गांठ पर छाğɉ, श¢कɉ और कम[चाǐरयɉ ने गांधी जी कȧ क़ताब Ǒहंद èवराजका पाठ कया। Ǒहंद èवराज के माÚयम से छाğɉ ने Ĥक Ǔत, शहरȣकरण के दुçĤभाव, पिæचमीकरण, Ēामɉ कȧ अभकãपना इ×याǑद के वषय मɅ जाना। यह कताब गांधी जी ने 1909 मɅ लखी थी जब उÛहɉने भारतीय राजनीǓत मɅ Ĥवेश भी नहȣं कया था। वæववɮयालय के छाğɉ ने इस कताब के अलग-अलग पाठɉ के अंशɉ का एक साथ सामूǑहक अÚययन कया। छाğɉ ने संकãप भी लया वो गांधी जी ɮवारा लखी गई इस पुèतक को पूरा पढ़Ʌगे और गांधी जी कȧ जीवनी का भी गहन अÚययन करɅगे। इसके अलावा गांधी जी के दश[न के वभÛन वषयɉ पर भी चचा[ कȧ गई। योग वभाग के वभागाÚय¢ डॉ उपɅġ बाबू खğी ने गांधी जी ɮवारा बताई गई Įम कȧ महƣाʼ पर बात कȧ। सह ĤाÚयापक Įी Ĥभाकर पांडे ने गांधी जी के श¢ा दश[न मɅ बुǓनयादȣ तालȣम(श¢ा)के अथ[ को पाठ के माÚयम से Ĥèतुत कया। जबक छाğ शुभम भंते ने गांधी जी के मौलक दश[न मɅ अǑहंसा और वकास के वषय पर Ĥकाश डाला। पी.एच.डी के छाğ वनय Ǔतवारȣ ने स×य, शव और सुंदर कȧ अवधारणा तथा गांधी जी ɮवारा मशीनीकरण के वरोध के कारण से अवगत कराया। वæववɮयालय के सह ĤाÚयापक डॉ नवीन महता ने बताया बापू को बापू एवं महा×मा के अथ[ से अधक कǽणा और Ĥेम के कारण बापू कहा जाता था। वæववɮयालय के डीन Ĥो. ओपी बुधोलया ने बताया गांधी जी मानते थे सबसे अÍछा åयिÈत वह है िजसके साथ आप हɇ , सबसे अÍछा कम[ वो िजसे आप करते हɇ और सबसे अÍछा समय आज का है िजसे आप जी रहे हɇ। काय[Đम के धÛयवाद £ापन के दौरान बताया गांधी जी संपूण[ अथ[ मɅ Ǒहंदुèतान का पया[य थे। उÛहɉने बताया यह क़ताब मूल Ǿप से गांधी जी ɮवारा गुजराती भाषा मɅ लखी गई थी बाद मɅ इसके कई अÛय भाषाओं मɅ अनुवाद कए गए।

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    छा ने लया हदं वराज के गहन अ ययन का संक प

    सांची बौ ध व व व यालय म गांधी जयंती पर हदं वराज का पाठ गांधी जी क जीवनी भी पढ़ने क ल शपथ म क मह ा, बु नयाद ताल म, अ हसंा और वकास के वषय का पाठ ‘क णा और ेम के कारण कहा जाता था बापूʼ

    सांची बौ ध-भारतीय ान अ ययन व व व यालय म रा पता महा मा गांधी जी क 150वीं वषगांठ

    पर छा , श क और कमचा रय ने गांधी जी क क़ताब “ हदं वराज” का पाठ कया। हदं वराज के मा यम से छा ने कृ त, शहर करण के दु भाव, पि चमीकरण, ाम क अ भक पना इ या द के वषय म जाना। यह कताब गांधी जी ने 1909 म लखी थी जब उ ह ने भारतीय राजनी त म वेश भी नह ं कया था।

    व व व यालय के छा ने इस कताब के अलग-अलग पाठ के अंश का एक साथ सामू हक अ ययन कया। छा ने संक प भी लया क वो गांधी जी वारा लखी गई इस पु तक को पूरा पढ़गे और गांधी जी क जीवनी का भी गहन अ ययन करगे। इसके अलावा गांधी जी के दशन के व भ न वषय पर भी चचा क गई।

    योग वभाग के वभागा य डॉ उप बाबू ख ी ने गांधी जी वारा बताई गई ‘ म क मह ाʼ पर बात क । सह ा यापक ी भाकर पांडे ने गांधी जी के श ा दशन म “बु नयाद ताल म( श ा)” के अथ को पाठ के मा यम से तुत कया। जब क छा शुभम भंते ने गांधी जी के मौ लक दशन म अ हसंा और वकास के वषय पर काश डाला। पी.एच.डी के छा वनय तवार ने स य, शव और सुंदर क अवधारणा तथा गांधी जी वारा मशीनीकरण के वरोध के कारण से अवगत कराया।

    व व व यालय के सह ा यापक डॉ नवीन महता ने बताया क बापू को बापू एवं महा मा के अथ से

    अ धक क णा और ेम के कारण बापू कहा जाता था। व व व यालय के डीन ो. ओपी बुधो लया ने बताया क

    गांधी जी मानत ेथे क सबसे अ छा यि त वह है िजसके साथ आप ह, सबसे अ छा कम वो िजसे आप करत ेह

    और सबसे अ छा समय आज का है िजसे आप जी रहे ह। काय म के ध यवाद ापन के दौरान बताया क गांधी

    जी संपूण अथ म हदंु तान का पयाय थे। उ ह ने बताया क यह क़ताब मूल प से गांधी जी वारा गुजराती

    भाषा म लखी गई थी बाद म इसके कई अ य भाषाओं म अनुवाद कए गए।

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    यजूीसी का ‘उरकंुडʼ पकड़गेा थी सस क चोर यूजीसी के सॉ टवेयर ‘उरकंुडʼ का श ण आयोिजत शोध म सा ह य चोर रोकन ेक पहल मौ लक शोध म टॉप 10 देश से गरा भारत सा ह य चोर के लए 3 साल क सज़ा का है ावधान

    सांची बौ ध-भारतीय ान अ ययन व व व यालय के छा ने आज शोध म सा ह य चोर ( लेग र म) जांचने के तर के जाने। व व व यालय क क य लाइ ेर के वारा छा और उनके गाइड को यूजीसी के सॉ टवेयर उरकंुड का श ण दान कया गया।

    व व व यालय के ऑ डटो रयम म आयोिजत इस श ण काय म म सहायक लाइ े रयन डॉ. अ मत ता कार ने बताया क कैसे शोधाथ अपनी थी सस को जमा करने से पहले यूजीसी के इस सॉ टवेयर उरकंुड के मा यम से लेग र म को जांच सकते ह वो भी बगैर कसी शु क को चुकाए।

    दरअसल, पूव म क गई कसी अ य शोध से टे ट, फोटो, डटेा, पैरा ाफ, शोध के मूल वचार(आइ डया) इ या द को हू-ब-हू कॉपी कर अपनी शोध म सि म लत कर देना लेग र म या सा ह य चोर कहलाता है। एक शोधाथ अपनी शोध म पूव म क गई शोध के कसी ह से को हवाला देकर अपनी शोध म शा मल कर सकता है। ले कन अगर वह इसे बगैर कसी रफरस(हवाले) के अपनी शोध म सि म लत कर लेता है तो इसे सा ह य चोर क ेणी म माना जाता है।

    यूजीसी का यास है क भारत म होने वाल कसी भी शोधाथ क शोध पूणत: मौ लक हो िजससे देश को लाभ हो सके। डॉ ता कार ने बताया क मौ लक शोध के लए 1980 तक दु नया के 10 देश म भारत का नाम आता था जो क 1990 तक 12वां हुआ सन ्2000 तक भारत 20व थान पर पहंुचा जब क अब यह थान 30 से 40 वां है।

    डॉ ता कार ने छा को बताया क वो यास कर क उनके शोध म 10 तशत से कम लेग र म आए। उनका कहना था क कसी भी शोध म 60 तशत से अ धक लेग र म होने पर शोधाथ का रिज ेशन र द कया जा सकता है। उनका कहना था क लेग र म सा बत होने पर सा हि यक चोर करने वाले को 6 माह से 3 साल क जेल, 50 हज़ार से 3 लाख पए तक जुमाना अथवा दोन हो सकते ह।

    उ ह ने बताया क अगर कसी ने सा हि यक चोर के मा यम से शोध कर नौकर पा ल है तो ऐसी ि थ त म उसके इं म स रोके जा सकते ह और नौकर से नकाला भी जा सकता है। डॉ ता कार ने देश के बड़-ेबड़ े व व व यालय म शोध कर रहे शोधा थय और गाइड पर क गई कारवाइय के मी डया करवेज से भी अवगत कराया। उ ह ने बताया क एक व व व यालय के कुलप त महोदय को भी तहाड़ जेल म सा ह य चोर के लए सज़ा भुगतनी पड़ी थी।

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    शोधा थय को इस श ण के दौरान बताया गया क यूजीसी गाइडालइन के अनुसार वो कसी पूव शोध से लए गए अंश को कस कार से हवाला देकर अपने शोध म सि म लत कर क शोध भी पूण लगे और शोध सा हि यक चोर के दायरे म न आए। डॉ ता कार ने कई साइ स भी बता जो शोधा थय को न:शु क अपनी थी सस जांचने क सु वधा मुहैया कराती ह।

    डॉ ता कार ने बताया क यूजीसी इनि लबनेट का उरकंुड सॉ टवेयर सांची व व व यालय को येक वष 212 डॉ यमू स जांचने क नशु क सु वधा दान कर रहा है। इस कार से एक यूज़र 4 डॉ यमू स जांच सकता है जब क येक डॉ यमूट म 20 पेज तक जांचने क सु वधा है। उरकंुड सॉ टवेयर इंटरनेट के मा यम से शोधाथ के थी सस के टे ट को पीला कर तुरंत बता देता है क उसके वारा इस ह से को कहां से लया गया है और उसम सुधार क आव यकता है।

    व व व यालय के डीन डॉ ओपी बुधो लया ने छा को बताया क वो अपनी शोध को मौ लक रखगे तो

    लेग र म का डर ह नह ं होगा। अं ेज़ी वभाग के वभागा य डॉ नवीन मेहता ने कहा क छा को पेटट,

    इंटले चुअल ॉपट राइ स और एस.पी.एस.एस सॉ टवेयर क े नगं क भी आव यकता है िजसे क लाइ ेर

    वभाग के मा यम से छा को दान क जाएगी।

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    सांची िव िव ालय म िवशेष ा ानमाला का आयोजन भारतीय िच कला िवभाग कर रहा है िवशेष आयोजन 12 अ ू बर 2019 तक चलेगी ा ानमाला थम िदवस ामी िववेकानंद और ी अरिबंदो की कला चेतना पर चचा ‘सौदंय ही स है और स ही सौदंय हैʼ

    सांची बौ -भारतीय ान अ यन िव िव ालय के भारतीय िच कला िवभाग ारा सात िदवसीय िवशेष ा ानमाला का आयोजन िकया गया है। 12 अ ू बर तक चलने वाली इस ा ानमाला का उ े कला के

    सम आयामो ंको समेटते ए दशन और सािह से जुड़े िवषयो ंसिहत चीनी कला के िवषयो ंपर भी बात होगी। िवशेष ा ानमाला के थम िदवस भारतीय दशन िवभाग के िवभागा डॉ .नवीन दीि त ने भारतीय कला पर

    ामी िववेकानंद और आ ा क गु ी अरिबंदो के िवचारो ंपर अपना ा ान ुत िकया। िजसका िवषय था िववेकानंद और ी अरिबंदो की कला चेतना।

    डॉ नवीन दीि त ने बताया िक ामी िववेकानंद और ी अरिबंदो पा ा और भारतीय कला के िवषय म ा िवचार रखते थे। उनका कहना था िक ामी िववेकानंद ने भारतीय दशन के अलावा मुगलकालीन और

    इ ािमक दशन संबंधी कला की भी शंसा की लेिकन ी अरिबंदो भारतीय कला के अित र पा ा कला और अ कलाओ ंकी खुलकर आलोचना करते थे।

    िव िव ालय के डीन डॉ ओपी बुधोिलया ने कहा िक सौ य की समझ भारत म और सम िव म एक समान है। उ ोनें भारतीय सािह से लेकर शे पीयर के सािह के सौदंय बोध का उ ेख िकया। उ ोनें अं ेज़ी लेखक कीट के हवाले से बताया िक वो कहता था “सौदंय ही स है और स ही सौदंय है” िजसका अथ यह है िक लेखक ई र की ओर इशारा कर आ ा को दिशत कर रहा है। डॉ .बुधोिलया ने भारतीय दशन म भी िशव और पावती के मा म से भारतीय कला को प रभािषत करने का यास िकया।

    सोमवार से लगातार सांची िव िव ालय म होने वाले शेष िवशेष ा ान िन ानुसार ह -

    . िदनांक िवषय व ा 1. 07 अ ू बर कला और िन िस ांत डॉ .भाकर पांडे 2. 09 अ ू बर कला और रा वाद की अवधारणा डॉ सु ता नंदी 3. 10 अ ू बर स दय, रस िन ािदत व अलंकार डॉ िव बंधु 4. 11 अ ू बर चीनी कला म प त व कैिल ाफी डॉ ाची अ वाल 5. 11 अ ू बर पा ा दाशिनक और उनकी कला ि डॉ नवीन कुमार मेहता 6. 12 अ ू बर सांची के तोरण ारो ंम तीक डॉ संतोष ि यदश

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    सांची िविव म सात िदवसीय ा ानमाला का समापन ा ानमाला म कई िवषयो ंपर आ िवचार -िवमश सांची ूप म तोरण ारो ंके मह पर भी चचा तोरण ारो ंपर उकेरी गई ह जातक कथाएं उ र और दि ण पथ का चौराहा था सांची िविदशा अशोक ने हज़ार ूपो ंका िनमाण करवाया था 84

    सांची बौ -भारतीय ान अ यन िव िव ालय म स िदवसीय कायशाला के आ खरी िदन भारतीय िच कारी िवभाग की मुख डॉ सु ता नंदी ने गु रिबं नाथ टैगोर के संदभ म कला और रा वाद िवषय पर बात की। डॉ सु ता नंदी ने बताया िक टैगोर, रा को भौगोिलक सीमा से नही ंब मू बोध के आधार पर प रभािषत करते थे।

    उ ोनें बताया िक शता ी के ारंिभक दशको ंम गु रिवं नाथ वी ं20टौगोर रा वाद का समथन सं ृ ित के आधार पर करते थे लेिकन बाद के दशको ंम जब रा वाद, मानववाद के िव खड़ा िदखाई देने लगा तो उ ोनें रा वाद के िवषय को छोड़ िदया।

    डॉ सु ता नंदी ने बताया िक गु रिवं नाथ टैगोर अपने दौर के समकालीन िच कारो ं रिव वमा, ा े, जेपी गांगुली इ ािद से भािवत थे। टैगोर ने लोगो ंको जापान की िच कला के िवषय म जाग क िकया। उनका कहना था िक टैगोर, ईवी हैवल, एके कुमारा ामी., ओकाकोरा काकुज़ो, ताइशो, िस र िनवेिदता इ ािद की कला से भी भािवत थे।

    इस स िदवसीय कायशाला म डॉसंतोष ि यदश ने . ‘सांची के तोरण ारो ंम तीकʼ िवषय पर ा ान म बताया िक इन चारो ंतोरण ारो ंम जातक कथाओ ंको उकेरा गया है। इसके अलावा अ कहािनयां और थानीय िकंवदंितयो ंको भी इन तोरण ारो ंम समािहत िकया गया है। डॉ ि यदश का कहना था िक भगवान बु की 550ा होती ह। डॉ संतोष ि यदश ने बताया िक महान स ाट अशोक ने बौ धम 547 जातक कथाएं ह िजनम से

    हज़ार ूपो ंका िनमाण करवाया था। 84 की दी ा लेने के बाद

    डॉ ि यदश ने सांची और िविदशा के मह के िवषय म भी छा ो ंको बताया िक उ र और दि ण भारत को जोड़ने वाले मु माग के चौराहे के प म िविदशा )सांची (थत था।

    डॉ संतोष ि यदश ने बताया िक भगवान बु ने अपने जीवन म ही घोषणा कर दी थी िक उनकी न ितमा बनाई जाए और न ही िच । लेिकन बाद के दौर म उनकी मूितयां भी बनाई गईं और िच भी। गांधार कला म सबसे पहले बु की मूित ा होती है। इसी तरह से मथुरा कला म बलुआ प र पर भी बु की संुदर ितमाएं बनाई गईं।

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    सांची िविव म मना रा ीय एकता िदवस सरदार ने िकया देश को एकजुट, 562 रयासतो ंको जोड़ा पटेल ने रा ो ंकी सां ृ ितक िविवधता को कायम रखा

    सरदार व भ भाई पटेल के ज िदवस पर सांची बौ -भारतीय ान अ यन िव िव ालय म रा ीय

    एकता िदवस का आयोजन िकया गया। इस अवसर पर अं ेजी िवभाग के सह ा ापक डॉ नवीन कुमार मेहता ने

    सरदार पटेल के जीवन और रा एकता म उनकी भूिमका पर काश डाला। योग िवभाग के भारी डॉ उपे बाबू

    ख ी ने कहा िक भेद की नीित रा संक ना का िह ा नही ंहै। उ ोने कहा िक रा और एकता श अलग है

    िकंतु मूल अवधारणा एक है िजसम रा भौगोिलक सीमा से परे एक संक ना है। इस अवसर पर सं ृ त िवभाग के

    डॉ िव बंधु ने कहा िक भारतीय सं ृ ित म रा की अवधारणा सबसे पहले ऋ ेद म िमलती है जहा रा देवी की

    ाथना की गई है। उ ोने कहा िक सरदार पटेल ने भारत की अ ता को अ ु रखने म अपनी भूिमका िनभाई।

    भारतीय दशन के डॉ नवीन दीि त ने कहा िक एकता िविवधता को ख करने वाली नही ंहोनी चािहए और

    सरदार पटेल पि मी एकता के पैमाने की बजाय भारत का अपना पैमाना रखते थे िजसम रा ो ंको सां ृ ितक एवं

    सं भु अिधकार िमले और भारत की िविवधता कायम रही। उ ोने कहा िक सरदार पटेल ने पि मी िव ानो ं के

    भारत के आजाद होने के बाद िवखंडन की आशंकाओ ंको िनराधार सािबत िकया।

    सांची िविव के अकादिमक सम यक डॉ मुकेश कुमार वमा ने कहा िक सरदार पटेल ने 562 रयासतो ंको

    िमलाकर भारत की ब त बड़ी सेवा की है। उ ोने ज ू क ीर को भारत म बनाए रखने म सरदार पटेल की

    भूिमका पर भी काश डाला। िविव के काय म के अंत म सहायक कुलसिचव डॉ अिमत ता कार ने ध वाद

    ािपत िकया। काय म म िविव के छा , िश कवंृद एवं कमचा रयो ंने िह ा िलया।

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