presentación de powerpointभजन स ह त १४६ –एक दय ल परम श वर...

9
पाठ ४, २७ ज लाई, २०१९ के ललए

Upload: others

Post on 22-Jan-2020

14 views

Category:

Documents


0 download

TRANSCRIPT

  • पाठ ४, २७ जूलाई, २०१९ के ललए

  • भजन संहिता ९ – न्याय में आशाभजन संहिता ८२ – न्याय के साथ ननर्णय करनाभजन संहिता १०१ – ननष्पक्ष अगुएभजन संहिता १४६ – एक दयालु परमेश्वरनीनतवचन – दया और न्याय

    भजन संहिता और नीनतवचन दो पुस्तकें िैं जो ववशषे रूप से जीवन के आमअनुभवों और परीक्षर्ों के बीच ईमानदारी से जीने की चनुौनतयों पर आधाररत िैं।दोनों समाज के ललए परमेश्वर की दृष्ष्ि और गरीबों और शोवषतों के ललए उसकीववशेष चचतंा की अंतदृणष्ष्ि प्रदान करती िैं।

    भजन संहिता और नीनतवचन के ज्ञान कीपुकार यि िै कक परमेश्वर ध्यान देता िैऔर उन लोगों की रक्षा करने के ललएिस्तक्षेप करेगा ष्जन्िें अक्सर अनदेखा याष्जनका शोषर् ककया जाता िै।और यहद यि परमेश्वर के ललए िै, तोिमारे ललए भी वैसा िी िोना चाहिए।

  • भजन संहिता ९

    इस पापी दनुनया में अन्याय का पररर्ाम कष्ि िोतािै। वे गरीबी और बहिष्कार का जीवन जी सकते िैं।

    परमेश्वर गरीबों और संकिग्रस्त लोगों के ललए"मुसीबत के समय में एक शरर् िै" (भजन संहिता९: ९)।

    सबसे बढ़कर, िमें यि आशा िै कक परमेश्वर न्यायकरेगा: “वि आप िी जगत का न्याय धमण से करेगा, विदेश देश के लोगों का मुकद्दमा खराई से ननपिाएगा"(भजन संहिता ९:८)।

    इस दनुनया में अन्याय सिने वालों को यकीन िोनाचाहिए कक ननष्पक्ष फैसला आने वाला िै।

    उस समय, एकमात्र ननष्पक्ष और न्यायपूर्ण न्यायाधीशप्रत्येक व्यष्क्त को उनका पुरस्कार या दंड देगा।

  • भजन संहिता ८२

    परमेश्वर ने न्यायपरू्ण ननयम बनाए जोदमन और असमानता को दंडडत करते थे।वि सवोच्च न्यायाधीश िै, और उसने ऐसेलोगों को न्यानयक कतणव्य सौंपे िैं, ष्जन्िेंउसके ननष्पक्ष ननयम का पालन करनाचाहिए। उसने उन्िें "ईश्वर" किा (पद्य १,६)।यहद वे "दषु्िों के िाथ से कंगाल औरननधणन को छुड़ाते निीं िैं" (पद्य ४), तो वेन्याय के साथ काम निीं कर रिे िैं। इससेसामाष्जक अन्याय िोता िै, और परमेश्वरस्पष्िीकरर् मांगेगा (पद्य ७)।गलत न्यानयक फैसले के कारर् िम पीडड़तिो सकते िैं, लेककन िम सब न्यायाधीशों सेऊपर न्यायाधीश (पद्य ८) से अपील करसकते िैं।

  • भजन संहिता १०१

    क्या देश के नेता उसमें िोने वालेअन्याय के ललए ष्जम्मेदार िैं?दाऊद ने देश के नेताओं (शाऊलऔर उसके सलािकारों) के अनुचचतऔर गंभीर दवु्यणविार के पररर्ामको समझा।

    एक बार जब उसे ताज पिना हदया गया, तो उसने खदुको ईमानदार लोगों से घेर ललया और अलभमाननयों कोठुकरा हदया जो बदनाम करते िैं, ठगते िैं, झूठ बोलते िैंऔर िर तरि का अधमण करते िैं (पद्य ५,७,८)।अच्छे अगओु ंके ललए न्याय और दया जरूरी िै: “मैंककसी ओछे काम पर चचत न लगाऊंगा।” (पद्य ३)

  • भजन संहिता १४६

    भजन संहिता १४६: ६-९ िमें प्रोत्साहित करता िै कक िम अपने सषृ्ष्िकताणपरमेश्वर की स्तनुत करें, और उस पर ववश्वास करें क्योंकक…

    वि िमेशा सच्चाई रखता िै

    वि शोवषतों के ललए न्याय करता िै

    वि भूखे कोभोजन देता िै

    वि कैहदयों कोस्वतंत्रता देता िै

    वि अंधों कीआंखें खोलता िै

    वि झुके िुए लोगों को उठाता िै

    वि धमी सेपे्रम करता िै

    वि अजनबबयोंकी देख-रेख करता िै

    वि अनाथ और ववधवा की

    सिायता करता िै

    वि दषु्िों के मागण को उलिा कर

    देता िै

    परमेश्वर की आराधना करने का सबसे अच्छा तरीका िै कक िम अपनी क्षमता के अनुसार वैसाकरें जैसा कक वि करता िै।

  • “जैसा प्रकृनत की चीजें पथृ्वी को सुशोलभतकरने और परमेश्वर की पूर्णता काप्रनतननचधत्व करने के ललए अपने सषृ्ष्िकताणकी सरािना करती िैं, उसी प्रकार मनुष्य कोअपने क्षेत्र में परमेश्वर की पूर्णता काप्रनतननचधत्व करने का प्रयास करना चाहिए,ताकक वि उनके माध्यम से न्याय, दया औरभलाई के अपने उद्देश्य को पूरा कर सके।”

    ई.जी.व्िईि (लशशु मागणदशणन, अध्याय ७, प.ृ ५४)

  • नीनतवचन

    • लापरवािी मत करो, निीं तो आप गरीब िो जाओगे१०:४• अपनी संपवि का बुद्चधमानी से प्रबंधन करो, चािे आपके पास बिुत कुछ न िो१३:२३• सच्चे गवाि बनो। ईमानदार रिो१४:५, २५• गरीबों पर अत्याचार न करो, उन पर दया करो१४:३१• आपके पास जो िै उस में खुश रिो१५:१५-१६• अनुचचत तरीके से अपने आप को लाभ न पिुुँचाओ१६:८• िमेशा उचचत लेनदेन करो१६:११-१३• बुराई को सिी न ढिराओ। धमी व्यष्क्त की ननदंा न करो१७:१५• गरीबों को दो, तमु परमेश्वर को दे रिे िो१९:१७• गरीबों को न लिूो, न पीडड़तों पर अत्याचार करो। परमेश्वर उनके ललए वकालत करता िै२२:२२-२३

    • परमेश्वर से डरो। जबरन वसूली न करो। लोभ को अस्वीकार करो२८:१४-१६• परमेश्वर को न छोड़ो, चािे आप ककतने भी अमीर या गरीब िो३०:७-९

    िमारे दैननक जीवन के ललए नीनतवचन से समझदार सलाि:

  • “न्याय, दया और परोपकार का िर कायण स्वगण में माधुरराग पैदा करता िै। वपता अपने लसिंासन से उनकोदेखता िै जो दया के इन कायों को करते िैं, और उन्िेंअपने सबसे कीमती खजाने के साथ चगनता िै। ‘सेनाओंका यिोवा यि किता िै, कक जो हदन मैं ने ठिराया िै,उस हदन वे लोग मेरे वरन मेरे ननज भाग ठिरेंगे।’जरूरतमंदों, पीडड़तों के ललए ककया िर दयालु कायण यीशुके ललए ककया गया माना जाता िै। जब आप गरीबों केिक में लड़ते िैं, पीडड़तों और शोवषतों के प्रनतसिानुभूनत रखते िैं, और अनाथ के साथ दोस्ती करतेिैं, तो आप यीशु के ननकि संबंध में आते िैं”

    ई.जी.व्िईि (कलीलसया के ललए गवािी, खंड २, अध्याय २ प.ृ २५)