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http://www.mantraaonline.com/ ी राम नवमी पूजा

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    ी राम

    नव

    मी

    पूज

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    श्री राम नवमी पूजा

    Check List

    1. Altar, Deity (statue/photo),

    2. Two big brass lamps (with wicks, oil/ghee)

    3. Matchbox, Agarbatti

    4. Karpoor, Gandha Powder, Kumkum, gopichandan, haldi

    5. Sri Mudra (for Sandhyaavandan), Vessel for Tirtha, Yajnopaviita

    6. Puujaa Conch, Bell, One aaratii (for Karpoor), Two Aaratiis with wicks

    7. Flowers, Akshata (in a container), tulsi leaves, tulsi garland

    8. Decorated Copper or Silver Kalasha, Two pieces of cloth (new),

    9. Coconut, 1/2 kg. Rice, gold coin, gold chain

    10. Extra Kalasha, 3 trays, 3 vessels for Abhisheka

    11. Betel nuts 6, Betel nut Leaves 12, Bananas 6, Banana Leaves 2, Mango Leaves 5-25

    12. Dry Fruits, 5 bananas, 1 coconut - all for naivedya

    13. Panchaamrita - Milk, Curd, Honey, Ghee, Sugar, Tender Coconut Water

    14. Puja Books

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    १ At the regular altar

    ॐ सवेभ्यो गुरुभ्यो नमः |

    ॐ सवेभ्यो दवेेभ्यो नमः |

    ॐ सवेभ्यो ब्राह्मणेभ्यो नमः ||

    प्रारंभ कायं ननर्विघ्नमस्तु | शुभं शोभनमस्तु |

    इष्ट दवेता कुलदवेता सुप्रसन्ना वरदा भवतु ||

    अनुज्ां दनेि ||

    At the श्री राम altar

    --------------------------------------------------------------------------

    २ आचमनः

    (Sip one spoon of water after each mantra.

    Take a little water from the vessel for worship with an

    offering spoon onto the palm and sip it. This is called

    achaman.. Just as bathing causes external purification,

    partaking water in this way is responsible for internal

    purification. This act is repeated thrice. Thus physical,

    psychological and spiritual, internal purification is brought

    about.)

    निराचम्य

    ॐ केशवाय स्वािाः. ॐ नारायणाय स्वािाः.

    ॐ माधवाय स्वािाः.

    ॐ गोववंदाय नमः . ॐ नवष्णव ेनमः .

    ॐ मधुसूदनाय नमः . ॐ निनवक्रमाय नमः .

    ॐ वामनाय नमः . ॐ श्रीधराय नमः .

    ॐ हृषीकेशाय नमः . ॐ पद्मनाभाय नमः .

    ॐ दामोदराय नमः . ॐ सङ्कषिणाय नमः .

    ॐ वासुदवेाय नमः . ॐ प्रद्युम्नाय नमः .

    ॐ अननरुद्धाय नमः . ॐ पुरुषोत्तमाय नमः .

    ॐ अधोक्षजाय नमः . ॐ नारवसंिाय नमः .

    ॐ अच्युताय नमः . ॐ जनादिनाय नमः .

    ॐ उपेंद्राय नमः . ॐ िरये नमः .

    श्री कृष्णाय नमः ||

    --------------------------------------------------------------------------

    ३ प्राणायामः

    (Due to pranayam, the rajas component decreases

    and the sattva component increases.)

    ॐ प्रणवस्य परब्रह्म ऋनषः . परमात्मा दवेता .

    दवैी गायिी छन्दः . प्राणायाम ेनवननयोगः ||

    ॐ भूः . ॐ भुवः . ॐ स्वः . ॐ मिः .

    ॐ जनः . ॐ तपः . ॐ सत्यं .

    ॐ भूभुिवः स्वः |

    ॐ तत्सनवतुविरेण्यं भगो दवेस्य धीमिी

    नधयो यो नः प्रचोदयात् ||

    पुनराचमन

    (Repeat Achamana 2 - given above)

    ॐ आपोज्योनत रसोमृतं ब्रह्म भूभुिवस्सुवरोम् ||

    (Apply water to eyes and understand that you are of

    the nature of Brahman)

    --------------------------------------------------------------------------

    ४ सङ्कल्पः

    (Holding unbroken consecrated rice (akshata) and an

    offering spoon (pali) with water in the cup of one’s hand

    one should chant the mantra with the resolve, ‘I of the

    .....lineage (gotra), ..... am performing the .... ritual to

    obtain the benefit according to the Shrutis, Smrutis and

    Puranas in order to acquire .... result and then should

    offer the water from the hand into the circular, shelving

    metal dish (tamhan). Offering the water into the circular,

    shelving dish signifies the completion of an act.)

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    सवि दवेता प्रार्िना

    (Stand and hold a fruit in hand during sankalpa)

    ॐ श्रीमान् मिागणानधपतये नमः .

    श्री गुरुभ्यो नमः . श्री सरस्वत्यै नमः .

    श्री वेदाय नमः . श्री वेदपुरुषाय नमः .

    इष्टदवेताभ्यो नमः |

    (Prostrations to your favorite deity)

    कुलदवेताभ्यो नमः |

    (Prostrations to your family deity)

    स्र्ान दवेताभ्यो नमः |

    (Prostrations to the deity of this house)

    ग्रामदवेताभ्यो नमः |

    (Prostrations to the deity of this place)

    वास्तुदवेताभ्यो नमः |

    (Prostrations to the deity of all the materials we have

    collected)

    शचीपुरंदराभ्यां नमः |

    (Prostrations to the Indra and shachii)

    उमामिशे्वराभ्यां नमः |

    (Prostrations to Shiva and pArvati)

    लक्ष्मीनारायणाभ्यां नमः |

    (Prostrations to the Lords who protect us - LakShmi and

    NArAyaNa)

    मातानपतृभ्यां नमः |

    (Prostrations to our parents)

    सवेभ्यो दवेेभ्यो नमो नमः |

    (Prostrations to all the Gods)

    सवेभ्यो ब्राह्मणेभ्यो नमो नमः |

    (Prostrations to all Brahamanas - those who are in the

    religious path)

    एतद्कमि प्रधान दवेताभ्यो नमो नमः |

    (Prostrations to Lord Rama, the main deity of this puja)

    || अनवघ्नमस्तु ||

    सुमुखश्च एकदतंश्च कनपलो गजकणिकः .

    लंबोदरश्च नवकटो नवघ्ननाशो गणानधपः ||

    धूम्रकेतुगिणाध्यक्षो बालचन्द्रो गजाननः .

    िादशैतानन नामानन यः पठेत् शु्रणुयादनप ||

    नवद्यारंभे नववाि ेच प्रवेशे ननगिमे तर्ा .

    संग्रामे संकटेचैव नवघ्नः तस्य न जायते ||

    (Whoever chants or hears these 12 names of Lord

    Ganesha will not have any obstacles in any of their

    endeavours)

    शुकलांबरधरं दवे ंशनशवणं चतुभुिजम् |

    प्रसन्नवदनं ध्यायेत् सवि नवघ्नोपशांतये ||

    सविमङ्गल माङ्गल्य ेनशव ेसवािर्ि सानधके |

    शरण्ये त्र्यंबके दवेी नारायणी नमोऽस्तुते ||

    (We completely surrender ourselves to that Goddess

    who embodies auspiciousness, who is full of

    auspicious-ness and who brings auspicousness to us)

    सविदा सवि कायेषु नानस्त तेषां अमङ्गलम् |

    येषां हृददस्र्ो भगवान् मङ्गलायतनो िररः ||

    (When Lord Hari, who brings auspiciousness is

    situated in our hearts, then there will be no more

    inauspiciousness in any of our undertakings)

    तदवे लग्नं सुददनं तदवे ताराबलं चंद्रबलं तदवे .

    नवद्याबल ंदवैबलं तदवे लक्ष्मीपतेः तेंनिऽयुग ंस्मरानम ||

    (What is the best time to worship the Lord? When our

    hearts are at the feet of Lord Narayana, then the

    strength of the stars, the moon, the strength of

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    knowledge and all the Gods will combine and make it

    the most auspicious time and day to worship the Lord)

    लाभस्तेषां जयस्तेषां कुतस्तेषां पराजयः .

    येषां इनन्दवरश्यामो हृदयस्र्ो जनादिनः ||

    (When the Lord is situated in a person's heart, he

    will always have profit in his work and victory in all

    that he takes up and there is no question of defeat

    for such a person)

    नवनायकं गुरंु भानुं ब्रह्मानवष्णुमिशे्वरान् |

    सरस्वतीं प्रणम्यादौ सवि कायािर्ि नसद्धये ||

    (To achieve success in our work and to find

    fulfillment we should first offer our prayers

    to Lord Vinayaka and then to our teacher, then

    to the Sun God and to the holy trinity of Brahma,

    ViShNu and Shiva)

    श्रीमद ्भगवतो मिापुरुषस्य नवष्णोराज्या प्रवतिमानस्य

    अद्य ब्रह्मणो नितीय पराधे नवष्णुपद ेश्री श्वेतवराि कल्पे

    वैवस्वत मन्वन्तरे --------------- दशेे, शानलवािन शके

    वतिमाने व्यविाररके ------------ नाम संवत्सरे --------------

    -- आयणे --------------ऋतौ ------------------ मासे --------

    ------ पक्षे ----- नतर्ौ ----- नक्षिे ----- वासरे सवि ग्रिषेु

    यर्ा रानश स्र्ान नस्र्तेषु सत्सु एवं गुणनवशेषेण नवनशष्टायां

    शुभपुण्यनतर्ौ मम आत्मन शु्रनतस्मृनत पुराणोक्त

    फलप्राप्यर्ं मम सकुटुम्बस्य क्षेम स्र्ैयि आयुरारोग्य

    चतुर्विध पुरुषार्ि नसध्यर्ं अंगीकृत श्री रामचन्द्र व्रतांगत्वेन

    संपाददत सामग्रव्या गणेश वरुण ब्रह्मा सूयािदद नवग्रि इंद्रादद

    अष्टलोकपाल गणपनत चतुष्ट दवेता पूजनपूविकं श्री रामचन्द्र

    प्रीत्यर्ं यर्ा शकत्या यर्ा नमनलता उपचार द्रव्यैः पुरुषसूक्त,

    श्री सूक्त पुराणोक्त मन्िैश्च ध्यान आवािनादद षोडशोपचारे

    श्री रामचन्द्र प्रीत्यत्र्ं पूजनं तर्ा व्रतोक्त कर्ा श्रवणं च

    कररष्ये ||

    इद ंफलं मया दवे स्र्ानपतं पुरतस्तव |

    तेन मे सुफलावानिर् भवेत् जन्मनन जन्मनन ||

    (keep fruits in front of the Lord)

    --------------------------------------------------------------------------

    ५. षडङ्ग न्यास

    (Purifying the body)

    --------------------------------------------------------------------------

    ५.(१) षडङ्ग न्यास

    (Purifying hands and various parts of the body )

    ॐ यत्पुरुषं व्यदधुः कनतधा व्यकल्पयन् ।

    मुख ंदकमस्य कौ बाहू कावूरू पादावुच्येते ||

    ॐ ह्ां रामाय नमः | अंगुष्ठाभ्यायां नमः | हृदयाय नमः ||

    (touch the thumbs)

    ॐ ब्राह्मणोऽस्य मुखमासीत् बाहू राजन्यः कृतः ।

    उरू तदस्य यिशै्यः पद्भ्ां शूद्रो अजायत ||

    ॐ ह्ीं रामभद्राय नमः | तजिनीभ्यां नमः | नशरसे स्वािाः ||

    (touch both fore fingers)

    ॐ चन्द्रमा मनसो जातः चक्षोः सूयो अजायत ।

    मुखाददन्द्रश्चानग्नश्च प्राणािायुरजायत ||

    ॐ ह्ुं रामचन्द्राय नमः | मध्यमाभ्यां नमः | नशखाय ैवषट्||

    (touch middle fingers)

    ॐ नाभ्या आसीदन्तररक्षम् शीष्णो द्यौः समवतित ।

    पदभ्यां भूनमर्दिशः श्रोिात् तर्ा लोकााँ अकल्पयन्||

    ॐ ह्ैं राघवाय नमः

    | अनानमकाभ्यां नमः | कवचाय हुम् ||

    (touch ring fingers)

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    ॐ धाता पुरस्ताद्यमुदाजिार

    शक्रः प्रनविान्प्रददशश्चतस्रः ।

    तमेवं नवद्यानमृत इि भवनत

    नान्यः पन्र्ा अयनाय नवद्यते ||

    ॐ ह्ौं रघुपुङ्गवाय नमः| कनननष्ठकाभ्यां नमः | नेिियाय

    वौषट् ||

    (touch little fingers)

    यज्ेन यज्मयजन्त दवेाः

    तानन धमािनण प्रर्मान्यासन् ।

    ते ि नाकं मनिमानः सचन्ते

    यि पूव ेसाध्याः सनन्त दवेाः ||

    ॐ ह्ः जानकी वल्लभाय नमः| करतलकरपृष्ठाभ्यां नमः |

    अस्त्राय फट् ||

    (touch palms and over sleeve of hands)

    --------------------------------------------------------------------------

    ५.(२) दिग्बन्धन

    ( show mudras)

    ॐ राम भद्र ेइनत ददग्बन्धः |

    (snap fingers, circle head clockwise and clap hands)

    ददशो बद्नानम ||

    (shut off all directions i.e. distractions so that we can

    concentrate on the Lord)

    --------------------------------------------------------------------------

    ६ गणपदि पूजा

    (To prevent any obstacle from disrupting an auspicious

    occasion, it is begun with the worship of Lord Ganapati.)

    आदौ ननर्विघ्नता नसध्यर्ं मिा गणपनत पूजनं कररष्ये .

    ॐ गणानां त्वा शौनको गृत्समदो गणपनतजिगती

    गणपत्यावािने नवननयोगः ||

    (pour water)

    ॐ गणानां त्वा गणपवतं िवामि े

    कववं कवीनामुपम श्रवस्तमं |

    ज्येष्ठराजं ब्रह्मणां ब्रह्मणस्पत

    आ नः शृण्वनू्ननतनभः सीदसादनं ||

    भूः गणपवतं आवाियानम .

    भुवः गणपवतं आवाियानम .

    स्वः गणपवतं आवाियानम .

    ॐ भूभुिवस्वः सांग ंसपररवारं सायुधं सशनक्तकं मिागणपवतं

    आवाियानम |

    (O great Ganapati come along with Riddhi, Buddhi,

    your entire family, all your weapons and might’)

    ॐ भूभुिवस्वः मिागणपतये नमः ध्यायानम. ध्यानम्

    समपियानम |

    ॐ मिागणपतये नमः. आवािनं समपियानम |

    ॐ मिागणपतये नमः. आसनं समपियानम |

    ॐ मिागणपतये नमः. पाद्यं समपियानम |

    ॐ मिागणपतये नमः. अर्घ्य ंसमपियानम |

    ॐ मिागणपतये नमः. आचमनीयं समपियानम |

    ॐ मिागणपतये नमः. स्नानं समपियानम |

    ॐ मिागणपतये नमः. वस्त्र ंसमपियानम |

    ॐ मिागणपतये नमः. यज्ोपवीतं समपियानम |

    ॐ मिागणपतये नमः. चंदनं समपियानम |

    ॐ मिागणपतये नमः. पररमल द्रव्यं समपियानम |

    ॐ मिागणपतये नमः. पुष्पानण समपियानम |

    ॐ मिागणपतये नमः. धूपं समपियानम |

    ॐ मिागणपतये नमः. दीपं समपियानम |

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    ॐ मिागणपतये नमः. नैवेद्यं समपियानम |

    ॐ मिागणपतये नमः. ताम्बूल ंसमपियानम |

    ॐ मिागणपतये नमः. फलं समपियानम |

    ॐ मिागणपतये नमः. दनक्षणां समपियानम |

    ॐ मिागणपतये नमः. आर्तिकयं समपियानम |

    ॐ भूभुिवस्वः मिागणपतये नमः.

    मन्िपुष्पं समपियानम |

    ॐ भूभुिवस्वः मिागणपतये नमः |

    प्रदनक्षणा नमस्कारान् समपियानम |

    ॐ भूभुिवस्वः मिागणपतये नमः. छिं समपियानम |

    ॐ मिागणपतये नमः. चामरं समपियानम |

    ॐ मिागणपतये नमः. गीतं समपियानम |

    ॐ मिागणपतये नमः. नृत्यं समपियानम |

    ॐ मिागणपतये नमः. वाद्यं समपियानम |

    ॐ मिागणपतये नमः. सवि राजोपचारान् समपियानम||

    || अर् प्रार्िना ||

    ॐ वक्रतुण्ड मिाकाय कोरटसूयि समप्रभ .

    ननर्विघ्नं कुरु मे दवे सवि कायेषु सविदा ||

    ॐ भूभुिवस्वः मिागणपतये नमः. प्रार्िनां समपियानम|

    अनया पूजया नवघ्निताि मिागणपनतः प्रीयताम ्||

    (Offering of flowers - May Shri Mahaganapati, the

    vanquisher

    of all obstacles be appeased with this worship of mine’,

    chanting thus water should be released.)

    --------------------------------------------------------------------------

    ७ िीप स्थापना

    अर् दवेस्य वाम भाग ेदीप स्र्ापनं कररष्ये |

    अनग्ननािनग्नः सनमध्यते कनवग्रििपनतयुिवा िव्यवात् जुवास्यः ||

    (light the lamps)

    --------------------------------------------------------------------------

    ८ भूदम प्राथथना

    (open palms and touch the ground.

    first the earth (ground) on the right hand side (since the

    host performing the religious ceremony is facing the

    east, the hand touching the ground is in the southern

    direction) and then the earth on the left hand side, in

    front of oneself (that is the northern direction) should be

    touched. Energies from the south are distressing. To

    prevent them from causing distress, one offers

    obeisance to them by touching the earth. The energies

    from the north are however saluted as they are

    pleasant.)

    मिीध्यौः पृनर्वीचन इमं यज् ंनमनमक्षतां

    नपप्रतान्नो भरीमनभः ||

    --------------------------------------------------------------------------

    ९ धान्य रादि

    ॐ औषधाय संवदतंे सोमेन सिराज् .

    यस्मै कृणेनत ब्राह्मणस्र्ं राजन् पारयामनस ||

    (Touch the grains/rice/wheat)

    --------------------------------------------------------------------------

    १० कलि स्थापना

    (Two small heaps of rice should be made on the ground

    amidst chanting mantras. Later, chanting the mantra two

    pots

    of either gold, silver, copper or unbroken earthen pots

    should be placed on these two heaps.)

    ॐ आ कलशेषु धावनत पनविे पररवसंच्यते

    उकै्तयिज्ेषु वधिते ||

    (keep kalasha on top of rice pile)

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    ॐ इमं मे गङ्ग ेयमुने सरस्वती शुतुदद्र स्तोम ंसचता

    परुष्ण्या .

    अनसकन्य मरुद्वृध ेनवतस्तयाजीकीये शु्रणुया सुषोमया ||

    (fill kalasha with water)

    ॐ गंधिारां दरुाधषां ननत्यपुष्टां करीनषणीं .

    ईश्वरीं सविभूतानां तानमिोपह्वयेनश्रयं ||

    (sprinkle in/apply ga.ndha to kalasha)

    ॐ या फनलनीयाि अफला अपुष्पायाश्च पुनष्पणीः .

    बृिस्पनत प्रसोतास्र्ानो मंचत्व ंि सः ||

    (put betel nut in kalasha)

    ॐ सनिरत्नानन दाशुषुसुवानत सनवता भगः .

    तम्भागं नचिमीमि े||

    (put jewels / washed coin in kalasha)

    ॐ निरण्यरूपः निरण्य सनन्द्रग्पान्न पात्स्येद ुनिरण्य वणिः .

    निरण्ययात् पररयोनेर्निषद्या निरण्यदा ददत््यन् नमस्मै ||

    (put gold / daxina in kalasha)

    ॐ काण्डात् काण्डात् प्ररोितंी परुषः परुषः परर

    एवानो दवू ेप्रतनु सिस्रेण शतेन च ||

    (put duurva / karika )

    ॐ अश्वत्र्ेवो ननशदनं पर्णिवो वसनतश्कृत .

    गो भाज इनत्कला सर्यत्स नवर् पूरुषं ||

    (put five leaves in kalasha)

    ॐ या फनलनीयाि अफला अपुष्पायाश्च पुनष्पणीः .

    बृिस्पनत प्रसोतास्र्ानो मंचत्व ंि सः ||

    (put coconut in kalasha)

    ॐ युवासुवासः परीवीतागात् स उशे्रयान् भवनत जायमानः

    तं धीरासः कावयः उन्नयंनत स्वाद्ध्यो स्वाद्ध्यो मनसा

    दवेयंतः||

    (tie cloth for kalasha)

    ॐ पूणािदर्वि प रापत सुपूणाि पुनरापत .

    वस्ने व नवक्रीणावः इषमूजं शतक्रतो ||

    (decorate copper plate and ashhTadala with kuMkuM)

    इनत कलशं प्रनतष्ठापयानम ||

    सकल पूजार्े अक्षतान् समपियानम ||

    --------------------------------------------------------------------------

    ११ वरुण पूजन

    (On the second kalasha)

    तत्वायानम शुनः शेपोः वरुण निषु्टप् कलशे

    वरुणावािने नवननयोगः ||

    ॐ तत्वायानम ब्रह्मणा वन्दमानस्तदा शास्ते यजमानो

    िनवर्भिः .

    आिलेमानो वरुणः बोध्युरुशं समान आयुः प्रमोनषः

    ॐ भूभुिवःस्वः वरुणाय नमः .चंदनं समपियानम ||

    (add to kalasha)

    ॐ भूभुिवःस्वः . वरुणाय नमः . अक्षतान् समपियानम||

    (add to kalasha)

    ॐ भूभुिवःस्वः . वरुणाय नमः . िररद्रा कंुकुमं समपियानम ||

    ॐ भूभुिवःस्वः . वरुणाय नमः. धूपं समपियानम ||

    ॐ भूभुिवःस्वः . वरुणाय नमः. दीपं समपियानम ||

    ॐ भूभुिवःस्वः . वरुणाय नमः. नैवेद्यं समपियानम ||

    ॐ भूभुिवःस्वः . वरुणाय नमः .

    सकल राजोपचारार्े अक्षतान् समपियानम ||

    अवते िळेो वरुण नमोनभररव यज्ेनभरीमि ेिनवर्भिः .

    क्षयं नमस्मभ्यं सुरप्रचेता राजन् नेनांनस नशश्रर्ः कृतानन ||

    वरुणाय नमः . मन्ि पुष्पं समपियानम ||

    प्रदनक्षणा नमस्कारान् समपियानम ||

    अनया पूजया भगवान् श्री मिा वरुण प्रीयताम ्||

    सकल पूजार्े अक्षतान् समपियानम ||

    --------------------------------------------------------------------------

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    १२ कलि पूजन

    (continue with second kalasha)

    कलशस्य मुख ेनवष्णुः कण्ठे रुद्रः समानश्रतः .

    मूले ति नस्र्तो ब्रह्मा मध्ये मातृगणाः स्मृताः ||

    कुक्षौतु सागराः सव ेसि िीपा वसुंधराः .

    ऋग्वेदोर् यजुवेदः सामवेदोयर्विणः ||

    अंगैश्च सनिताः सव ेकलशंतु समानश्रताः .

    अि गायिी सानविी शांनत पुनष्टकरी तर्ा ||

    आयान्तु दवे पूजार्ं अनभषेकार्ि नसद्धये ||

    ॐ नसतानसते सररते यि संगर्े तिाप्लुतासो ददवमुत्पतंनत .

    ये वैतन्व ंनवस्रजनन्त धीरास्ते जनासो अमृतत्त्वं भजनन्त ||

    (Those who want to attain immortality take a

    dip in the confluence of the Ganges, yamuna and

    sarasvati rivers at the prayag. Let the water

    in this kalasha become like the water from the

    holy rivers)

    || कलशः प्रार्िनाः ||

    कलशः कीर्तिमायुष्य ंप्रज्ा ंमेधां नश्रयं बलम् |

    योग्यतां पापिावनं च पुण्यं वृवद्ध ंच साधयेत् ||

    (Let this kalasha increase our life span, presence

    of mind, intellect,wealth, strength and status, destroy

    our sins and increase our merits or puNya)

    सवि तीर्िमयो यस्मात् सवि दवेमयो यतः .

    अतः िररनप्रयोऽनस त्व ंपूणिकंुभं नमोऽस्तुते ||

    (All the holy waters, and all the Gods are now

    present in this kalasha. Our prostrations to this

    puurNakumbha which is hence dear to Lord Hari)

    कलशदवेताभ्यो नमः .

    सकल पूजार्े अक्षतान् समपियानम ||

    || मुद्रा ||

    (Show mudras as you chant )

    ननवीषी करणार्े ताक्षि मुद्रा . (to remove poison)

    अमृती करणार्े धेनु मुद्रा . (to provide nectar - amrit)

    पनविी करणार्े शङ्ख मुद्रा . (to make auspicious)

    संरक्षणार्े चक्र मुद्रा . (to protect)

    नवपुलमाया करणार्े मेरु मुद्रा . (to remove mAyA)

    --------------------------------------------------------------------------

    १३ िङ्ख पूजन

    (pour water from kalasha to sha~Nkha

    add ga.ndha flower)

    शङ्ख ंचंद्राकि दवैतं मध्ये वरुण दवेताम् |

    पृष्ठ ेप्रजापवतं ववंद्याद ्अगे्र गंगा सरस्वतीम् ||

    त्व ंपुरा सागरोत्पन्नो नवष्णुना नवधृतः करे |

    ननमतः सवि दवेशै्च पाञ्चजन्य नमोऽस्तुते ||

    (This shaNkha has now become like the pAnchajanya,

    which has come out of the ocean and which is the

    hands of Lord MahaviShNu. Our prostrations to the

    pAnchajanya)

    पाञ्चजन्याय नवद्मि े. पावमानाय धीमनि .

    तन्नो शङ्खः प्रचोदयात् ||

    शङ्खाय नमः .

    सकल पूजार्े अक्षतान् समपियानम ||

    --------------------------------------------------------------------------

    १४ घंटाचथना

    (Pour drops of water from sha~Nkha on top of the bell

    apply ga.ndha, flower)

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    आगमार्िन्तु दवेानां गमनार्िन्तु राक्षसाम् |

    कुवे घंटारव ंति दवेताह्वा लक्षणम् ||

    ज्ानर्ोऽज्ानतोवानप कांस्य घंटान् नवादयेत् |

    राक्षसानां नपशाचनां तद्दशेे वसनतभिवेत् |

    तस्मात् सवि प्रयत्नेन घंटानाद ंप्रकारयेत् ||

    (When the bell is rung, knowingly or unknowingly,

    all the good spirits are summoned and all the evil

    spirits are driven away)

    घंट दवेताभ्यो नमः |

    सकल पूजार्े अक्षतान् समपियानम ||

    (Ring the gha.nTA)

    ---------------------------------------------------------------

    १५ आत्मिुद्धि

    ( Sprinkle water from sha~Nkha on puja items

    and devotees)

    अपनविः पनविो वा सवािवस्र्ांगतोऽनप वा |

    यः स्मरेत् पंुडरीकाक्षं सः बायाभ्यंतरः शुनचः||

    --------------------------------------------------------------------------

    १६ षट् पात्र पूजा

    ( put tulasi leaves or axatAs in empty vessels)

    वायव्ये अर्घ्य ं|

    नैऋत्ये पाद्यं |

    ईशान्ये आचमनीयं |

    आग्नेये मधुपकं |

    पूवे स्नानीयं |

    पनश्चमे पुनराचमनं |

    --------------------------------------------------------------------------

    १७ पञ्चामृि पूजा

    ( put tulasi leaves or axataas in vessels|

    Panchamrit is nectar of five ingredients -

    a mixture of milk, curds, clarified butter (ghee), honey

    and sugar|)

    क्षीरे सोमाय नमः | (keep milk in the centre)

    दनधनन वायवे नमः | (curd facing east )

    घृते रवय ेनमः | (Ghee to the south)

    मधुनन सनविे नमः | ( Honey to west )

    शकि रायां नवश्वेभ्यो दवेेभ्यो नमः | ( Sugar to north)

    --------------------------------------------------------------------------

    १८ द्वारपालक पूजा

    पूवििारे िारनश्रयै नमः | िनुमते नमः |

    दनक्षणिारे िारनश्रयै नमः | लक्ष्मणाय नमः |

    पनश्चमिारे िारनश्रयै नमः | भरताय नमः |

    उत्तरिारे िारनश्रयै नमः | शिुघ्ने नमः ||

    मध्ये नव रत्नखनचत ददव्य वसंिासनस्योपरर

    श्री जानकी पतये नमः नमः ||

    िारपालक पूजां समपियानम ||

    --------------------------------------------------------------------------

    १९ पीठ पूजा

    पीठस्य अधोभाग ेआधार शकत्यै नमः || कूमािय नमः ||

    दनक्षणे क्षीरोदनधये नमः | वसंिाय नमः ||

    वसंिासनस्य आग्नेय कोण ेवरािाय नमः ||

    नैऋत्य कोण ेज्ानाय नमः ||

    वायव्य कोण ेवैराग्याय नमः ||

    ईशान्य कोण ेऐश्वयािय नमः ||

    पूवि ददशे धमािय नमः ||

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    दनक्षण ददशे ज्ानाय नमः ||

    पनश्चम ददशे वैराग्याय नमः ||

    उत्तर ददशे अनैश्चराय नमः ||

    पीठ मध्ये मूलाय नमः ||

    नालाय नमः ||

    पिेभ्यो नमः ||

    केसरेभ्यो नमः ||

    कर्णिकायै नमः ||

    कर्णिका मध्ये सं सत्त्वाय नमः ||

    रं रजसे नमः || तं तमसे नमः ||

    सूयिमण्डलाय नमः ||

    सूयिमण्डलानधपतये ब्रह्मणे नमः ||

    सोममण्डलाय नमः ||

    सोममण्डलानधपतये नवष्णव ेनमः ||

    वनह्नमण्डलाय नमः ||

    वनह्नमण्डलानधपतये ईश्वराय नमः ||

    श्री रामचन्द्राय नमः | पीठ पूजां समपियानम ||

    --------------------------------------------------------------------------

    २० दिग्पालक पूजा (start from east of kalasha or

    deity)

    इंद्राय नमः,

    अग्नये नमः,

    यमाय नमः,

    नैऋतये नमः,

    वरुणाय नमः,

    वायवे नमः,

    कुबेराय नमः,

    ईशानाय नमः,

    इनत ददग्पालक पूजां समपियानम

    --------------------------------------------------------------------------

    २१ प्राण प्रदिष्ठा

    (hold flowers/axata in hand)

    ध्यायेत् सत्यम ्गुणातीतं गुणिय समनन्वतं

    लोकनार्ं निलोकेशं कौस्तुभाभरणं िररम् |

    नीलवणं पीतवासं श्रीवत्सपदभूनषतं

    गोकुलानन्द ंब्रह्माध्यैरनप पूनजतम् ||

    ॐ अस्य श्री प्राण प्रनतष्ठाप न मिा मन्िस्य

    ब्रह्मा नवष्णु मिशे्वरा ऋषयः |

    ऋग्यजुः सामार्वािनण छन्दांनस |

    सकलजगत्सृनष्टनस्र्नत संिारकाररणी

    प्राणशनक्तः परा दवेता |

    आं बीजम ्| ह्ीं शनक्तः | क्रौम ्कीलकम् |

    अस्या ंमूतौ प्राण प्रनतष्ठापने नवननयोगः ||

    || करन्यासः ||

    आं अंगुष्ठाभ्यां नमः ||

    ह्ीं तजिनीभ्यां नमः ||

    क्रौं मध्यमाभ्यां नमः ||

    आं अनानमकाभ्यां नमः ||

    ह्ीं कनननष्ठकाभ्यां नमः ||

    क्रौं करतलकरपृष्ठाभ्यां नमः ||

    || अङ्ग न्यासः ||

    आं हृदयाय नमः ||

    ह्ीं नशरसे स्वािाः ||

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    क्रौं नशखाय ैवषट् ||

    आं कवचाय हु ं||

    ह्ीं नेिियाय वौषट् ||

    क्रौं अस्त्राय फट् ||

    भूभुिवस्वरोम् इनत ददग्बन्धः ||

    आं ह्ीं क्रौम ्क्रौम ्ह्ीं आं |

    य र ल व श ष स ि |

    ॐ अि ंसः सोऽि ंसोऽि ंअि ंसः ||

    अस्यां मूते प्राणः नतष्ठतंुः | अस्या ंमूते जीवः नतष्ठन्तु |

    अस्यां मूते सवेनन्द्रयानण मनस्त्वत् चक्षुः

    श्रोि नजह्वा िाणैः वाक्वानण पादपायोपस्र्ानन

    प्राण अपान व्यान उदान समान अिागत्य

    सुखेन नचरं नतष्ठन्तु स्वािाः |

    असुनीते पुनरस्मासु चक्षुवः पुनः प्राणनमिीनो

    दनेिभोगं ज्योक्ष क्षेम सूयिमुच्चरन्तम् अनुमते

    मृडयान स्वनस्त अमृतं वै प्राणा अमृतमापः

    प्राणानेव यर्ा स्र्ानं उपह्वयेत् ||

    स्वानमन् सवि जगन्नार् यावत्पूजावसानकं

    तावत्वम् प्रीनतभावेन नबम्बेनस्मन् कलशेनस्मन्

    प्रनतमायां सनन्नवधं कुरु ||

    इनत प्राण ंप्रनतष्ठापयानम ||

    सकल पूजार्े अक्षतान् समपियानम ||

    --------------------------------------------------------------------------

    २२ ध्यानं

    ॐ ॐ (repeat 15 times)

    ॐ कोमलाङ्ग ंनवशालाक्षं इन्द्रनील समप्रभम ्।

    दनक्षणाङ्गे दशरतं पुिाप्येक्षेण तत्परम् ||

    प्रष्टतो लक्ष्मणं दवे ंसछि ंकनक प्रभम ्।

    पाश्वे भरत शिुघ्नौ, चामर व्यजनानन्वतौ ।

    अ ग्रेत्यग्रौ िनूमन्तं रामानुग्रि कानङ्क्षणम् ||

    (you can add more related shlokas)

    ॐ श्री रामचन्द्राय नमः ।

    ध्यानात् ध्यानं समपियानम

    --------------------------------------------------------------------------

    २३ आवाहनं

    ( hold flowers in hand)

    ॐ सिस्रशीषाि पुरुषः सिस्राक्षः सिस्रपात् ।

    स भूवम ंनवश्वतो वृत्वा अत्यनतष्ठद्दशाङ्गुलम् ||

    नवश्वेशं जानकी वल्लभ प्रभु

    कौसल्या तनयं नवष्णंु राम ंप्रक्रतेः परं

    आगच्छ दवेदवेेश तेजोराशे जगत्पते ।

    दक्रयमाणा ंमया पूजां गृिाण सुरसत्तमे ||

    ॐ निरण्यवणां िररणीं सुवणिरजतस्रजाम् ।

    चन्द्रां निरण्मयीं लक्ष्मीं जातवेदो ममावि ||

    श्री रामागच्छ भगवन् रघुवीर नृपोत्तम

    जानकी सि राजेन्द्र सुनस्तरो भव सविदा

    रामचन्द्र मिशे्वास रावणान्तक राघव

    यावत् पूजां समासेि ंतावत्वां सनन्नदा भव

    रघुनायक राजशे नमो राजीवलोचन

    रघुनन्दन मे दवे, श्री रामानभमुखो भव

    श्री सीता सनित, श्री रामचन्द्राय

    सांगाय सपररवाराय सायुधाय

    सशनक्तकाय नमः ।

    श्री सीता सनित श्री रामचन्द्रम् सांग ं

    सपररवारं सायुधं सशनक्तकं आवाियानम ||

    (offer flowers to Lord)

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    आवानितो भव । स्र्ानपतो भव । सनन्ननितो भव ।

    सनन्नरुद्धो भव । अवकुनण्ठतो भव । सुप्रीतो भव ।

    सुप्रसन्नो भव । सुमुखो भव । वरदो भव ।

    प्रसीद प्रसीद ||

    (show mudras to Lord)

    --------------------------------------------------------------------------

    २४ आसनं

    पुरुष एवेदग ंसविम् यद्भूतं यच्छ भव्यम् ।

    उतामृतत्वस्येशानः यदने्ननानतरोिनत ||

    राजानधराज राजेन्द्र रामचन्द्र मिीपते ।

    रत्न वसंिासनं तुभ्यं दास्यानम स्वीकुरु प्रभो ||

    ॐ श्री रामचन्द्राय नमः । आसनं समपियानम ||

    (offer flowers/axathaas)

    तां म आवि जातवेदो लक्ष्मीमनपगानमनीम् ।

    यस्यां निरण्यं नवन्दयें गामश्वं पुरुषानिम् ||

    आसनं समपियानम ||

    --------------------------------------------------------------------------

    २५ पादं्य

    (offer water)

    एतावानस्य मनिमा अतो ज्यायागंश्च पूरुषः ।

    पादोऽस्य नवश्वा भूतानन निपादस्यामृतं ददनव ||

    िैलोकय पावनानन्त नमस्ते रघुनायक।

    पाद्यं ग्रुिाण राजशे नमो राजीव लोचन||

    ॐ श्री रामचन्द्राय नमः । पादोयो पाद्यं समपियानम||

    अश्वपूवां रर्मध्यां िनस्तनादप्रमोददनीम् ।

    नश्रयं दवेीमुपह्वय ेश्रीमाि दवेी जुषताम ्||

    पादोयो पाद्यं समपियानम ||

    --------------------------------------------------------------------------

    २६ अरं्घ्य

    (offer water)

    निपादधू्वि उदतै्पुरुषः पादोऽस्येिाभवात्पुनः ।

    ततो नवश्वङ्व्यक्रामत् साशनानशने अनभ ||

    पररपूणि परानन्द नमो रामाय वेधसे ।

    ग्रुिाणार्घ्यिम् मया दत्तम् कृष्ण नवष्णो जनादिन ||

    ॐ श्री रामचन्द्राय नमः । अर्घ्यिम् समपियानम||

    कांसोनस्म तां निरण्यप्राकारामाद्रां ज्वलन्तीं तृिां

    तपियन्तीम्।

    पदे्मनस्र्तां पद्मवणां तानमिोपह्वये नश्रयम् ||

    अर्घ्य ंसमपियानम ||

    --------------------------------------------------------------------------

    २७ आचमनीयं

    (offer water or axathaa/ leave/flower)

    तस्मानिराडजायत नवराजो अनध पूरुषः ।

    स जातो अत्यररच्यत पश्चाद्भूनममर्ो पुरः ||

    नमः सत्याय शुद्धाय ननत्याय ज्ान रूनपणे।

    गु्रिाणाचमनं राम सवि लोकैक नायक||

    ॐ श्री रामचन्द्राय नमः । आचमनीयं समपियानम ||

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    चन्द्रां प्रभासां यशसा ज्वलंतीं नश्रयं लोके दवेजुष्टामुदाराम्।

    तां पनद्मनीमीं शरणमि ंप्रपद्येऽलक्ष्मीमे नश्यतां त्वां वृणे ।

    आचमनीयं समपियानम ||

    --------------------------------------------------------------------------

    २८ मधुपकथ म्

    नमः श्री वासुदवेाय तत्वज्ान स्वरूनपणे ।

    मधुपकं ग्रुिाणेद ंजानकीपतये नमः ||

    ॐ श्री रामचन्द्राय नमः . मधुपकं समपियानम

    --------------------------------------------------------------------------

    २९ स्नानं

    यत्पुरुषेण िनवषा दवेा यज्मतन्वत ।

    वसन्तो अस्यासीदाज्यम् ग्रीष्म इध्मश्शरद्धनवः ||

    ब्रह्माण्डोदर मध्यस्तै नस्ततैस्च रघुनन्दन।

    स्नापनयश्याम्यि ंभकत्या त्व ंग्रुह्ण जनादिन ||

    ॐ श्री रामचन्द्राय नमः । मलापकशि स्नानं समपियानम ।

    आददत्यवणे तपसोऽनधजातो वनस्पनतस्तव वृक्षोऽर्

    नबल्वः।

    तस्य फलानन तपसानुदन्तुमायान्तरायाश्च बाया

    अलक्ष्मीः। स्नानम् समपियानम ||

    --------------------------------------------------------------------------

    २९. १ पञ्चामृि स्नानं

    २९.१. १ पय स्नानं (milk bath)

    ॐ आप्याय स्व स्वसमेतुते

    नवश्वतः सोमवृष्ण्यं भवावाजस्य संगर्े ||

    सुरभेस्तु समुत्पनं्न दवेानां अनप दलुिभम् ।

    पयो दधानम दवेेश स्नानार्ं प्रनतगृयताम् ||

    ॐ श्री रामचन्द्राय नमः । पयः स्नानं समपियानम ||

    पयः स्नानानंतर शुद्धोदक स्नानं समपियानम ||

    सकल पूजार्े अक्षतान् समपियानम ||

    --------------------------------------------------------------------------

    २९. १. २ िदध स्नानं (curd bath)

    ॐ दनधक्राव्णो अकाररषं नजष्णोरश्वस्यवानजनः ।

    सुरनभनो मुखाकरत् प्राण आयुंनष ताररषत् ||

    चन्द्र मन्डल सम्काशं सवि दवे नप्रयं नि यत् ।

    दनध ददानम दवेेश स्नानार्ं प्रनतगृयताम् ||

    ॐ श्री रामचन्द्राय नमः । दनध स्नानं समपियानम ||

    दनध स्नानानंतर शुद्धोदक स्नानं समपियानम ||

    सकल पूजार्े अक्षतान् समपियानम ||

    --------------------------------------------------------------------------

    २९. १. ३ घृि स्नानं (ghee bath)

    ॐ घृतं नमनमक्षे घृतमस्य योननघृिते नश्रतो घृतंवस्यधाम

    अनुष्ठधमावि मादयस्व स्वािाकृतं वृषभ वनक्षिव्यं||

    आज्यं सुरानां आिारं आज्यं यज्े प्रनतनष्ठतम् ।

    आज्यं पनविं परमं स्नानार्ं प्रनतगृयताम् ||

    ॐ श्री रामचन्द्राय नमः । घृत स्नानं समपियानम ||

    घृत स्नानानंतर शुद्धोदक स्नानं समपियानम ||

    सकल पूजार्े अक्षतान् समपियानम ||

    --------------------------------------------------------------------------

    २९. १. ४ मधु स्नानं (Honey bath)

    ॐ मधुवात ऋतायते मधुक्षरंनत नसन्धवः मानध्वनः

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    संतोष्वधीः

    मधुनक्ता मुतोषसो मधुमत् पार्र्िवं रजः मधुद्यौ रस्तुनः

    नपता

    मधुमान्नो वनस्पनतर् मधुमााँ अस्तु सूयिः

    माध्वीगािवो भवंतु नः ||

    सवौषनध समुत्पनं्न पीयुष सदशंृ मधु ।

    स्नानार्ं मया दत्त ंगृिाण परमेश्वर ||

    ॐ श्री रामचन्द्राय नमः । मधु स्नानं समपियानम ||

    मधु स्नानानंतर शुद्धोदक स्नानं समपियानम ||

    सकल पूजार्े अक्षतान् समपियानम ||

    --------------------------------------------------------------------------

    २९. १. ५ िकथ रा स्नानं (sugar bath)

    ॐ स्वाधुः पवस्य ददव्याय जन्मने

    स्वादरुरन्द्राय सुिवीतु नामे्न

    स्वादरु्मििाय वरुणाय वायव े

    बृिस्पतये मधुमााँ अदाभ्यः ||

    इक्षु दण्डात् समुत्पन्ना, रसनस्नग्धतरा शुभा

    शकि रेयं मया दत्ता, स्नानातं प्रनतगृयताम्

    ॐ श्री रामचन्द्राय नमः। शकि रा स्नानं समपियानम||

    शकि रा स्नानानंतर शुद्धोदक स्नानं समपियानम ||

    सकल पूजार्े अक्षतान् समपियानम ||

    --------------------------------------------------------------------------

    २ ९ . २ गंधोदक स्नानं (Sandalwood water bath)

    ॐ गंधिारां दरुाधषां ननत्यपुष्टां करीनषणीं |

    ईश्वरीं सवि भूतानां तानम िोप व्ियेनश्रयं ||

    िरर चंदन संभूतं िरर प्रीतेश्च गौरवात् ।

    सुरनभ नप्रय गोनवन्द गंध स्नानाय गृयतां ||

    ॐ श्री रामचन्द्राय नमः । गंधोदक स्नानं समपियानम ||

    सकल पूजार्े अक्षतान् समपियानम ||

    --------------------------------------------------------------------------

    २९. ३ अभं्यग स्नानं (Perfumed Oil bath)

    ॐ कननक्रदज्वनुशं प्रभ्रुवान। इयनर्वािचमररतेव नावं।

    सुमंगलश्च शकुने भवानस मात्वा कानचदनभभानवश्व्या नवदत

    ||

    अभ्यंगार्ं मिीपाल तैलं पुष्पादद संभव ं।

    सुगंध द्रव्य संनमशं्र संगृिाण जगत्पते ||

    ॐ श्री रामचन्द्राय नमः । अभ्यंग स्नानं समपियानम।

    सकल पूजार्े अक्षतान् समपियानम ||

    --------------------------------------------------------------------------

    २९. ४ अंगोद्विथनकं (To clean the body)

    अंगोितिनकं दवे कस्तूयािदद नवनमनश्रतं ।

    लेपनार्ं गृिाणेद ंिररद्रा कंुकुमैयुितं ||

    ॐ श्री रामचन्द्राय नमः । अंगोितिनं समपियानम ||

    सकल पूजार्े अक्षतान् समपियानम ||

    --------------------------------------------------------------------------

    २९. ५ उष्णोिक स्नानं (Hot water bath)

    नाना तीर्ािदाहृतं च तोयमुष्णं मयाकृतं ।

    स्नानार्ं च प्रयच्छानम स्वीकुरुश्व दयाननधे ||

    ॐ श्री रामचन्द्राय नमः । उष्णोदक स्नानं समपियानम||

    सकल पूजार्े अक्षतान् समपियानम ||

    --------------------------------------------------------------------------

    २९. ६ िुिोिक स्नानं (Pure water bath)

    sprinkle water all around

    ॐ आपोनिष्टा मयो भुवः । ता न ऊजे दधातन ।

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    मिरेणाय चक्षसे । यो वः नशवतमो रसः तस्यभाजयते ि

    नः ।

    उशतीररव मातरः । तस्मा अरंगमामवो । यस्य क्षयाय

    नजन्वर् । आपो जनयर्ा च नः ||

    ॐ श्री रामचन्द्राय नमः । शुद्धोदक स्नानं समपियानम ||

    सकल पूजार्े अक्षतान् समपियानम ||

    (after sprinkling water around throw one tulasi

    leaf to the north)

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    ३० महा अदभषेकः

    (Sound the bell pour water from kalasha)

    ३०.१ पुरुष सूक्त

    ॐ सिस्रशीषाि पुरुषः सिस्राक्षः सिस्रपात् ।

    स भूवम ंनवश्वतो वृत्वा अत्यनतष्ठद्दशाङ्गुलम् || १ ||

    पुरुष एवेदग ंसविम् यद्भूतं यच्छ भव्यम् ।

    उतामृतत्वस्येशानः यदने्ननानतरोिनत || २ ||

    एतावानस्य मनिमा अतो ज्यायागंश्च पूरुषः ।

    पादोऽस्य नवश्वा भूतानन निपादस्यामृतं ददनव || ३ ||

    निपादधू्वि उदतै्पुरुषः पादोऽस्येिाभवात्पुनः ।

    ततो नवश्वङ्व्यक्रामत् साशनानशने अनभ || ४ ||

    तस्मानिराडजायत नवराजो अनध पूरुषः ।

    स जातो अत्यररच्यत पश्चाद्भूनममर्ो पुरः || ५ ||

    यत्पुरुषेण िनवषा दवेा यज्मतन्वत ।

    वसन्तो अस्यासीदाज्यम् ग्रीष्म इध्मश्शरद्धनवः||६ ||

    सिास्यासन् पररधयः निस्सि सनमधः कृताः ।

    दवेा यद्यज् ंतन्वानाः अबध्नन्पुरुषं पशुम् ।

    तं यज् ंबर्ििनष प्रौक्षन् पुरुषं जातमग्रतः ।

    तेन दवेा अयजन्त साध्या ऋषयश्च ये || ७ ||

    तस्माद्यज्ात्सविहुतः संभृतं पृषदाज्यम् ।

    पशूगाँस्तागंश्चके्र वायव्यान् आरण्यान् ग्राम्याश्चये||८ ||

    तस्माद्यज्ात्सविहुतः ऋचः सामानन जनज्रे ।

    छन्दााँनस जनज्रे तस्मात् यजुस्तस्मादजायत ||९ ||

    तस्मादश्वा अजायन्त य ेके चोभयादतः ।

    गावो ि जनज्रे तस्मात् तस्माज्जाता अजावयः||१ ० ||

    यत्पुरुषं व्यदधुः कनतधा व्यकल्पयन् ।

    मुख ंदकमस्य कौ बाहू कावूरू पादावुच्येते || १ १ ||

    ब्राह्मणोऽस्य मुखमासीत् बाहू राजन्यः कृतः ।

    उरू तदस्य यिशै्यः पद्भ्ां शूद्रो अजायत || १ २ ||

    चन्द्रमा मनसो जातः चक्षोः सूयो अजायत ।

    मुखाददन्द्रश्चानग्नश्च प्राणािायुरजायत || १ ३ ||

    नाभ्या आसीदन्तररक्षम् शीष्णो द्यौः समवतित ।

    पदभ्यां भूनमर्दिशः श्रोिात् तर्ा लोकााँ अकल्पयन्||१ ४ ||

    वेदािमेतं पुरुषं मिान्तम्

    आददत्यवणं तमसस्तु पारे ।

    सवािनण रूपानण नवनचत्य धीरः

    नामानन कृत्वाऽनभवदन् यदास्ते || १ ५ ||

    धाता पुरस्ताद्यमुदाजिार

    शक्रः प्रनविान्प्रददशश्चतस्रः ।

    तमेव ंनवद्यानमृत इि भवनत

    नान्यः पन्र्ा अयनाय नवद्यते || १ ६ ||

    यज्ेन यज्मयजन्त दवेाः

    तानन धमािनण प्रर्मान्यासन् ।

    ते ि नाकं मनिमानः सचन्ते

    यि पूव ेसाध्याः सनन्त दवेाः || १ ७ ||

    ॐ श्री रामचन्द्राय नमः । पुरुषसूक्त स्नानं समपियानम। ||

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    ३०.२ श्री सूक्त

    निरण्यवणां िररणीं सुवणिरजतस्रजाम् |

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    चन्द्रां निरण्मयीं लक्ष्मीं जातवेदो ममावि || १ ||

    तां म आवि जातवेदो लक्ष्मीमनपगानमनीम् |

    यस्यां निरण्यं नवन्दयें गामश्वं पुरुषानिम् || २ ||

    अश्वपूवां रर्मध्यां िनस्तनादप्रमोददनीम् |

    नश्रयं दवेीमुपह्वय ेश्रीमाि दवेी जुषताम् || ३ ||

    कांसोनस्म तां निरण्यप्राकारामाद्रां ज्वलन्तीं तृिां तपियन्तीम्|

    पदे्मनस्र्तां पद्मवणां तानमिोपह्वये नश्रयम् || ४ ||

    चन्द्रां प्रभासां यशसा ज्वलंतीं नश्रयं लोके दवेजुष्टामुदाराम् |

    तां पनद्मनीमीं शरणमि ंप्रपद्येऽलक्ष्मीमे नश्यतां त्वां वृणे

    ||५ ||

    आददत्यवणे तपसोऽनधजातो वनस्पनतस्तव वृक्षोऽर् नबल्वः |

    तस्य फलानन त पसानुदन्तुमायान्तरायाश्च बाया अलक्ष्मीः

    || ६ ||

    उपैतु मां दवेसखः कीर्तिश्च मनणना सि |

    प्रादभुूितोऽनस्म राष्ट्रनेस्मन्कीर्तिमृवद्ध ंददातु मे || ७ ||

    क्षुनत्पपासामलां ज्येष्ठामलक्ष्मीं नाशयाम्यिम् |

    अभूनतमसमृवद्ध ंच सवां ननणुिदमे गृिात् || ८ ||

    गन्धिारां दरुाधषां ननत्यपुष्टां करीनषणीम् |

    ईश्वरीं सविभूतानां तानमिोपह्वये नश्रयम् || ९ ||

    मनसः काममाकूवतं वाचः सत्यमशीमनि |

    पशूनां रूपमन्नस्य मनय श्रीः श्रयतां यशः || १ ० ||

    कदिमेन प्रजाभूतामनय सम्भवकदिम |

    नश्रयं वासय मे कुले मातरं पद्ममानलनीम् || १ १ ||

    आपः सृजन्तु नस्नग्धानन नचकलीतवसमे गृि े|

    ननचदवेीं मातरं नश्रय ंवासय मे कुले || १ २ ||

    आद्रां पुष्कररणीं पुवष्ट ंसुवणां िमेमानलनीम् |

    सूयां निरण्मयीं लक्ष्मीं जातवेदो म आवि || १ ३ ||

    आद्रां यःकररणीं यवष्ट ंनपङ्गलां पद्ममानलनीम् |

    चन्द्रां निरण्मयीं लक्ष्मीं जातवेदो म आवि || १ ४ ||

    तां म आवि जातवेदो लक्ष्मीमनपगानमनीम् |

    यस्यां निरण्यं प्रभूतं गावोदास्योश्वानन्वन्दयें पुरुषानिम् ||

    १ ५ ||

    यः शुनचः प्रयतो भूत्वा जुहुयादाज्यमन्विम ्|

    सूकं्त पञ्चदशचं च श्रीकामः सततं जपेत् || १ ६ ||

    पद्मानने पद्म ऊरू पद्माक्षी पद्मसम्भवे |

    तन्मेभजनस पद्माक्षी येन सौख्यं लभाम्यिम् || १ ७ ||

    अश्वदायी गोदायी धनदायी मिाधने |

    धनं मे जुषतां दनेव सविकामांश्च दनेि मे || १ ८ ||

    पद्मानने पद्मनवपद्मपि ेपद्मनप्रये पद्मदलायतानक्ष|

    नवश्वनप्रये नवश्वमनोनुकूले त्वत्पादपदं्म मनय संननधत्स्व ||

    १ ९ ||

    पुिपौि ंधनं धान्यं िस्त्यश्वाददगवेरर्म् |

    प्रजानां भवनस माता आयुष्मन्तं करोतु मे || २ ० ||

    धनमनग्नधिनं वायुधिनं सूयो धनं वसुः |

    धननमन्द्रो बृिस्पनतविरुणं धनमस्तु ते || २ १ ||

    वैनतेय सोम ंनपब सोम ंनपबतु वृििा |

    सोम ंधनस्य सोनमनो मयं ददातु सोनमनः || २ ३ ||

    न क्रोधो न च मात्सयं न लोभो नाशुभा मनतः । ।

    भवनन्त कृतपुण्यानां भक्तानां श्रीसूकं्त जपेत्||२ ४ ||

    सरनसजननलये सरोजिस्ते धवलतरांशुकगन्धमाल्यशोभे ।

    भगवनत िररवल्लभे मनोज्े निभुवनभूनतकरर प्रसीद मयम् ||

    २ ५ ||

    नवष्णुपत्नीं क्षमादवेीं माधवीं माधवनप्रयाम् ।

    लक्ष्मीं नप्रयसखीं दवेीं नमाम्यच्युतवल्लभाम् ||२ ६ ||

    मिालक्ष्मी च नवद्मि ेनवष्णुपत्नी च धीमनि ।

    तन्नो लक्ष्मीः प्रचोदयात् || २ ७ ||

    श्रीवचिस्वमायुष्यमारोग्यमानवधाच्छोभमानं मिीयते ।

    धान्यं धनं पशंु बहुपुिलाभं शत संवत्सरं दीघिमायुः||२ ८ ||

    ॐ श्री रामचन्द्राय नमः | श्री सूक्त स्नानं समपियानम ||

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    ३०. ३ दवषु्ण सूक्त

    अतो दवेा अवन्तु नो यतो नवष्णुर्विचक्रमे ।

    पर्र्िव्याः सि धामनभः ||

    इद ंनवष्णुर्विचक्रमे िेधा ननदधे पद ं।

    समूढमस्यपााँसुरे ||

    िीनण पदा नवचक्रमे नवष्णुगोपा अदाभ्यः ।

    ततो धमािनण धारयन् ||

    नवष्णोः कमािनण पश्यत यतो व्रतानन पस्पशे ।

    इन्द्रस्य युज्यः सखा ||

    तद ्नवष्णोः परमं पद ंसदा पश्यनन्त सूरयः ।

    ददवीव चक्षुराततम् ||

    तद ्नवप्रासो नवपन्यवो जागवृााँसस्सममन्धते ।

    नवष्णोर् यत् परमं पद ं||

    दवेस्य त्वा सनवतुः प्रसवेऽनश्वनोबािहुभ्यां पूष्णो

    िस्ताभ्याम्।

    अग्नेस्तेजसा सूयिश्च अचिसेन्द्रस्य ंइनन्द्रयेनानभनशञ्चानम ||

    बलाय नश्रय ैयशसेन्नाध्याय अमु्रतानभषेको अस्तु ।

    शानन्तः पुनष्टः तुनष्टः च अस्तु ||

    ॐ श्री रामचन्द्राय नमः । मिा अनभषेक स्नानं

    समपियानम||

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    ३१ प्रदिष्ठापना

    ॐ श्री रामचन्द्राय नमः | (repeat 12 times)

    ॐ तदसु्तु नमिा वरुणा तदग्ने शंयोरस्मभ्यनमदम स्तुशस्तम् |

    अशीमनि गाधमुत प्रनतष्ठां नमो ददवे बृिते साधनाय||

    ॐ गृिावै प्रनतष्ठासूकं्त तत् प्रनतनष्टत तमया वाचा |

    शं स्तव्यं तस्माद्यद्यनपदरू इव पशून् लभते |

    ग्रिानेव ैनानानजगनमशनत गृिानि पशूनां प्रनतष्ठा प्रनतष्ठा ||

    ॐ श्री रामचन्द्राय सांगाय सपररवाराय सायुधाय

    सशनक्तकाय नमः । श्री रामचन्द्रम् सांग ंसपररवारं सायुधं

    सशनक्तकं आवाियानम ||

    श्री सीता सनित श्री रामचन्द्राय नमः ||

    सुप्रनतष्ठमस्तु ||

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    ३२ वस्त्र

    (offer two pieces of cloth for the Lord)

    ॐ तं यज् ंबर्ििनष प्रौक्षन् पुरुषं जातमग्रतः ।

    तेन दवेा अयजन्त साध्या ऋषयश्च य े||

    ॐ उपैतु मां दवेसखः कीर्तिश्च मनणना सि |

    प्रादभुूितोऽनस्म राष्ट्रनेस्मन्कीर्तिमृवद्ध ंददातु मे ||

    ति कान्चन संकाशं पीताम्बरं इद ंिरे

    संगृिाण जगन्नार् नारायण नमोऽस्तुते

    ॐ श्री रामचन्द्राय नमः | वस्त्रयुग्मं समपियानम ||

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    ३३ यज्ञोपवीि

    तस्माद्यज्ात्सविहुतः संभृतं पृषदाज्यम् ।

    पशूगाँस्तागंश्चके्र वायव्यान् आरण्यान् ग्राम्याश्चये||

    क्षुनत्पपासामलां ज्येष्ठामलक्ष्मीं नाशयाम्यिम् |

    अभूनतमसमृवद्ध ंच सवा ंननणुिदमे गृिात् ||

    श्री रामच्युत दवेेश धरानन्त राघव |

    ब्रह्मसूिम्चोत्तरीयम् ग्रुिाण रघुनन्दन ||

    ॐ श्री रामचन्द्राय नमः | यज्ोपवीतम् समपियानम||

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    ३४ आभरणं हस्तभूषण

    गृिाण नानाभरणानन रामचन्द्र ेननर्मितानन ।

    ललाट कंठोत्तम कणि िस्त ननतम्ब िस्तांगुनल भूषणानन||

    ॐ श्री रामचन्द्राय नमः । आभरणानन समपियानम ||

    ॐ श्री रामचन्द्राय नमः | िस्तभूषणं समपियानम||

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    ३५ गंध

    तस्माद्यज्ात्सविहुतः ऋचः सामानन जनज्रे ।

    छन्दााँनस जनज्रे तस्मात् यजुस्तस्मादजायत ||

    गन्धिारां दरुाधषां ननत्यपुष्टां करीनषणीम् |

    ईश्वरीं सविभूतानां तानमिोपह्वये नश्रयम् ||

    कंुकुमागरु कस्तूरर कपूिरं चन्दनं तर्ा |

    तुभ्यं दास्यानम राजेन्द्र राम स्वीकुरु प्रभो ||

    ॐ श्री रामचन्द्राय नमः | गंधं समपियानम ||

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    ३६ नाना पररमल द्रव्य

    अनिररव भोगैः पयेनत बाहु ंजयाया िवेतं पररबाधमानः|

    िस्तघ्नो नवश्वा वयुनानन नविान्पुमान्पुमांसं परर पातु

    नवश्वतः||

    ॐ श्री रामचन्द्राय नमः | नाना पररमल द्रव्यं समपियानम ||

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    ३७ अक्षि

    तस्मादश्वा अजायन्त ये के चोभयादतः ।

    गावो ि जनज्रे तस्मात् तस्माज्जाता अजावयः||

    मनसः काममाकूवतं वाचः सत्यमशीमनि |

    पशूनां रूपमन्नस्य मनय श्रीः श्रयतां यशः ||

    श्वेत तण्डुल संयुक्तान् कुङ्कुमेन नवरानजतान् |

    अक्षतान् गृयताम् दवे नारायण नमोऽस्तुते ||

    ॐ श्री रामचन्द्राय नमः| अक्षतान् समपियानम||

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    ३८ पुष्प

    माल्यादीनन सुगन्धीनन माल्यतादीनन वैप्रभो ।

    मया नह्तानन पूजार्ं पुष्पानण प्रनतगृयताम् ||

    ॐ श्री रामचन्द्राय नमः । पुष्पानण समपियानम||

    तुलसी कुन्दमन्दार पाररजाताम्बुजैयुितां

    वनमालां प्रदास्यानम गृिाण जगदीश्वर ||

    ॐ श्री रामचन्द्राय नमः । पि पुष्पानण वनमालां च

    समपियानम||

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