rog
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Jyotish And RogTRANSCRIPT
क� सर और �योतष--
�यो�तष क सर स�हत सभी रोग� क� पहचान मे बहुत ह� सहायक होता है. पहचान के साथ – साथ यह भी मालमू !कया जा
सकता है !क क सर रोग !कस अव%था म ेहोगा तथा उसके कारण म)ृयु आयेगी या नह�, यह सभी �यो�तष +वारा सट�क �न-न
�यो�तषीय योग होन ेपरआसानी से क� जा सकती है.
1. राहु को .वष माना गया है य�द राहु का !कसी भाव या भावेश स ेसंब2ध हो एवम इसका ल6न या रोग भाव स ेभी स-ब2ध हो
तो शर�र म े.वष क� मा7ा बढ जाती है
2. ष9टेश ल6न ,अ9टम या दशम भाव म: ि%थत होकर राहु स े<9ट हो तो क सर होन ेक� स-भावना बढ जाती है
3. बारहवे भाव मे श�न-मंगल या श�न –राहु,श�न-केत ुक� यु�तहो तो जातक को क सर रोग देती है.
4. राहु क� >7क भाव या >7केश पर <ि9ट हो भी क सर रोग क� संभावना बढाती है.
इनके अलावा �न-न >ब2द ुभी कैसर रोग क� प?चान के @लये मेरे अनुभव @सA है
1. ष9टम भाव तथा ष9ठेश पीCडत या Eूर Fह के नG7 मे ि%थत हो
2. बुध Fह )वचा का कारक है अतः बुध अगर Eूर Fहो स ेपीCडत हो तथा राहु से <9ट हो तो जातक को कैसर रोग होता है
3. बुध Fह क� पीCडत या ह�नबल� या Eूर Fह के नG7 म ेि%थ�त भी क सर को ज2म देती है
4. बहृत पाराशरहोरा शा%त ्के अनुसार ष9ठ पर Eूर Fह का Jभाव %वा%Kय के @लये हा�नJद होता है यथा ” रोग %थान ेगते
पापे , तद�शी पाप.. अतः जातक रोगी होगा और य�द ष9ठ भाव म: राहु व श�न हो तो असाMय रोग से पीCडत हो सकता है।।