sadhana mein safalata

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अन Ǖ ȡतȬभयणȢम ऩ Ǘ मऩȡद वȲत Ȣ आवȡयȡभजȢ फȡऩ Ǘ कȯ ववȲग- लचन वȡधनȡ भɅ वपरतȡ Ǘ . फȡऩ Ǘ कȡ ऩȡलन वȲदȯळ

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Page 1: Sadhana mein safalata

अनकरभ

परातसभयणीम ऩजमऩाद वॊत शरी आवायाभजी फाऩ क वतवॊग-परलचन

वाधना भ वपरता ऩ. फाऩ का ऩालन वॊदळ

Page 2: Sadhana mein safalata

शभ धनलान होग मा नश ॊ, चनाल जीतग मा नश ॊ इवभ ळॊका शो वकती श ऩयॊत बमा ! शभ भयग मा नश ॊ, इवभ कोई ळॊका श? वलभान उडन का वभम ननशचित शोता श, फव चरन का वभम ननशचित शोता श, गाडी छटन का वभम ननशचित शोता श ऩयॊत इव जीलन की गाडी छटन का कोई ननशचित वभम श?

आज तक आऩन जगत भ जो कछ जाना श, जो कछ परापत ककमा श.... आज क फाद जो जानोग औय परापत कयोग, पमाय बमा ! लश वफ भतम क एक श झटक भ छट जामगा, जाना अनजाना शो जामगा, परानपत अपरानपत भ फदर जामगी।

अत वालधान शो जाओ। अनतभख शोकय अऩन अवलचर आतभा को, ननजसलरऩ क अगाध आननद को, ळाशवत ळाॊनत को परापत कय रो। कपय तो आऩ श अवलनाळी आतभा शो।

जागो.... उठो.... अऩन बीतय वोम शए ननिमफर को जगाओ। वलदळ, वलकार भ वलोततभ आतभफर को अशचजत कयो। आतभा भ अथाश वाभरथम श। अऩन को द न-श न भान फठ तो वलशव भ ऐवी कोई वतता नश ॊ जो तमश ऊऩय उठा वक। अऩन आतभसलरऩ भ परनतवित शो गम तो तरिरोकी भ ऐवी कोई शसती नश ॊ जो तमश दफा वक।

वदा सभयण यश कक इधय-उधय बटकती लवततमो क वाथ तमशाय ळकति बी तरफखयती यशती श। अत लवततमो को फशकाओ नश ॊ। तभाभ लवततमो को एकतरित कयक वाधना-कार भ आतभचचनतन भ रगाओ औय वमलशाय-कार भ जो काम कयत शो उवभ रगाओ। दततचचतत शोकय शय कोई काम कयो। वदा ळानत लवतत धायण कयन का अभमाव कयो। वलचायलनत एलॊ परवनन यशो। जीलभाि को अऩना सलरऩ वभझो। वफव सनश यखो। ददर को वमाऩक यखो। आतभननि भ जग शए भशाऩरऴो क वतवॊग एलॊ वतवादशतम व जीलन को बकति एलॊ लदानत व ऩषट एलॊ ऩरककत कयो।

ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ

अनकरभ

ननलदन

इव ऩसतक भ वाधना भ आरढ वाधक क लरए आलशमक वचनाएॉ एलॊ भागदळन ददमा गमा श। गीता क शलोको ऩय ऩजमशरी की अनबल-वॊऩनन वयर लाणी क वशज परलचन लरवऩफदध ककए गम श। शतोतवाश अथला तरफखय शई वाधनालारा वाधक बी भागदळन ऩाकय नमा उतवाश, नमी परयणा औय वशज वरब वाधन औय चचनतन-परणालरका ऩाकय अऩन ऩयभातभदल का अनबल कय वकता श औय जनवाधायण बी इव ऩसतक व अऩनी आधमाशचतभक पमाव जगाकय ऩयभातभ-परानपत क भाग ऩय चर ऩड ऐवी वयर बाऴा भ वॊतो क परलचन औय भागदळन परसतत ककम गम श।

Page 3: Sadhana mein safalata

वलघनो औय वॊघऴो व बया शआ अलऩ जीलन ळीघर श जीलनदाता को ऩा वक ऐव भागदळनलार ऩसतक जनता जनादन क कयकभरो तक ऩशॉचान क वला का वअलवय ऩाकय वलभनत धनमता भशवव कयती श।

वाधको व औय जनता-जनादन व वलनॊनत श कक अनबल-वॊऩनन इव ऩालन परवाद को अऩन अनम वाधक फनधओॊ औय लभिो तक ऩशॉचाकय ऩणम क बागी फन।

मश परकाळन ऩढकय वकषभ भनन कयन लार वाधक अऩन वझाल वलभनत को बजन की कऩा कय वकत श।

शरी मोग लदानत वला वलभनत

अभदालाद आशरभ

ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ

अनकरभ

अनकरभ

ननलदन ............................................................................................................................................... 2

वाधना भ वपरता .............................................................................................................................. 4

वाधना की नीॊल शरदधा .......................................................................................................................... 7

जवी बालना लवी लववदध...................................................................................................................... 15

कभ औय सान .................................................................................................................................. 19

खोजो अऩन आऩको ........................................................................................................................... 28

गीतासान-वरयता ................................................................................................................................ 30

वचची कऩा ....................................................................................................................................... 38

घोय करळ भ बी वतऩथ ऩय अकतडगता .................................................................................................. 40

करणालवनध की करणा....................................................................................................................... 42

वचची रगन जगाओ .......................................................................................................................... 56

आतभ-परळॊवा व ऩणमनाळ ................................................................................................................... 58

भसतक-वलकरम ................................................................................................................................... 59

ळयणागनतमोग ................................................................................................................................... 61

द षा जीलन का आलशमक अॊग .......................................................................................................... 67

वफ योगो की औऴचध गरबकति ............................................................................................................ 68

गर भ ईशवय-फवदध शोन क उऩाम .......................................................................................................... 70

आसाऩारन की भदशभा ....................................................................................................................... 71

लळलाजी भशायाज की गरबकति .............................................................................................................. 72

धभ भ दढता कव शो ? ..................................................................................................................... 74

आतभ-ऩजन ...................................................................................................................................... 75

Page 4: Sadhana mein safalata

चचनता ल ईरषमा व फचो ...................................................................................................................... 77

ळीरलान नाय .................................................................................................................................... 77

वऩटाय भ तरफराय ................................................................................................................................ 78

.......तो ददलर दय नश ॊ ...................................................................................................................... 79

धमान क षणो भ...... ........................................................................................................................ 81

चचनतन-कणणका ................................................................................................................................. 87

ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ

वाधना भ वपरता वलऴम वख की रोरऩता आतभवख परकट नश ॊ शोन दती। वख की रारच औय द ख क

बम न अनतकयण को भलरन कय ददमा। तीवर वललक-लयागम शो, अनतकयण क वाथ का तादातमम तोडन का वाभरथम शो तो अऩन ननतम, भि, ळदध, फदध, वमाऩक चतनम सलरऩ का फोध शो जाम। लासतल भ शभ फोध सलरऩ श रककन ळय य औय अनतकयण क वाथ जड श। उव बर को लभटान क लरए, वख की रारच को लभटान क लरए, द णखमो क द ख व रदम शयाबया शोना चादशए। जो मोग भ आरढ शोना चाशता श उव ननरषकाभ कभ कयना चादशए। ननरषकाभ कभ कयन ऩय कपय ननतानत एकानत की आलशमकता श।

आररषाभनमोगॊ कभ कायणभचमत। मोगारढसम तसमल ळभ कायणभचमत।।

'मोग भ आरढ शोन की इचछालार भननळीर ऩरऴ क लरए मोग की परानपत भ ननरषकाभ बाल व कभ कयना श शत कशा जाता श औय मोगारढ शो जान ऩय उव मोगारढ ऩरऴ का जो वल वॊकलऩो का अबाल श, लश कलमाण भ शत कशा जाता श।'

(बगलद गीता 6.3) एकानत भ ळब-अळब वफ वॊकलऩो का तमाग कयक अऩन वशचचचदानॊद ऩयभातभसलरऩ भ

शचसथय शोना चादशए। घोड क यकाफ भ ऩय डार ददमा तो दवया ऩय बी जभीन व उठा रना ऩडता श। ऐव श वख की रारच लभटान क लरए मथामोगम ननरषकाभ कभ कयन क फाद ननरषकाभ कभो व बी वभम फचाकय एकानतलाव, रघ बोजन, दखना, वनना आदद इशचनिमो क अलऩ आशाय कयत शए वाधक को कठोय वाधना भ उतवाशऩलक वॊरगन शो जाना चादशए। कछ भश न फॊद कभय भ एकाकी यशन व धायणा तथा धमान की ळकति फढ जाती श। आनतय आयाभ, आनतय वख, आनतरयक परकट शोन रगता श। धायणा धमान भ ऩरयणत शोती श।

जफ तक ऩयभ ऩद की परानपत न शो तफ तक श वाधक ! खफ वालधान यशना। एक परकाय व आऩक भान शए लभि, बगत आऩक गशय ळि श। ककवी न ककवी परकाय आऩको वॊवाय भ,

Page 5: Sadhana mein safalata

नाभ-रऩ की वतमता भ घवीट रात श। तमशाय वकषभ लवतत उनक ऩरयचम भ आन व कपय सथर शोन रगती श औय तमश सात बी नश ॊ शोता।

वालधान ! म लभि औय बगत बी गशय ळि श। इन वाॊवारयक वमकतिमो क लभरन जरन क कायण आऩक नम आधमाशचतभक वॊसकाय औय धमान की एकागरता रपत शो जामगी। कबी-कबी अऩन भन की फलकपी वाधन-बजन क वभम भ राऩयलाश कयान रगगी। वॊवाय रोगो व लभरना-जरना वाधनाकार भ फशत श अनथकाय श। दोनो कक वलचायधायाएॉ उततय दकषषण श। वॊवाय वमकति फातचीत कयन का ळौकीन शोता श। नशवय बोग-परानपत उवका रकषम शोता श। वाधक का रकषम ळाशवत ऩयभातभा शोता श। वॊवाय वमकति की फातचीत का पर ककवी क परनत याग मा दवऴ शोता श। वॊवारयमो क वाथ फात कयन व याग, दवऴ औय जगत की वतमता दढ शोन रगती श। वॊवाय वमकति शचजहवा क अनतवाय व ऩीकतडत शोता श। गऩळऩ, वमथ की फात, फ-लवयऩय की फात, रमफी फात, फडी फात म वफ उव वखद रगती श। जफकक वाधक लभतबाऴी, आधमाशचतभक वलऴम ऩय श परवॊग क अनवाय फोरनलारा शोता श। उव वॊवाय फातो भ रचच नश ॊ औय वाधना-कार भ वाॊवारयक फातो भ उव ऩीडा बी शोती श रककन ननतक बालो व परबावलत शोकय अऩनी आनतय ऩकाय क वलऩय त बी लश वॊवाय की शाॉ भ शाॉ कयन रग अथला उनक वॊऩक भ आकय फरात वॊवाय भ णखॊच जाम तो उवकी भश नो की कठोय वाधना क दवाया परापत मोगारढता षीण शोन रगती श। दोनो की चचनतन-वलचध बी ऩयसऩय लबनन शोती श। वॊवाय वमकति की चचनतनधाया का वलऴम ऩतनी, वॊतान, धन वॊचचत कयन का उऩाम, लभि औय ळि, याग-दवऴ शोता श। उवका रकषम ऐशचनिक वखो का वाधन शोता श। उवका चचनतन फशत श तचछ शोता श। वाधक का चचनतन ददवम शोता श। 'वॊकलऩ-वलकलऩ भन भ उठत श उवव ऩय उवक वाषी बरहमसलरऩ ऩयभातभा भ शचसथनत कव शो?' आदद का अथात ऩयभातभ-वलशराशचनत वलऴमक उवका चचनतन शोता श। वॊवाय वमकति वदा सलाथऩण उददशम व काम कयता श, अशॊकाय वजान क लरए काम कयता श जफकक वाधक वभगर वॊवाय को अऩना सलरऩ वभझकय ननसलाथ बाल व, अशॊकाय वलवशचजत कयत शए काम कयता श। वॊवाय वमकति क ऩाव जो बाग-वाभगरी श उव लश फढाना चाशता श औय बवलरषम भ बी ऐशचनिक वखो की ववमलसथा यखता श। वाधक वाय ऐशचनिक वलऴम वमथ वभझकय इशचनिमातीत, दळातीत, कारातीत, गणातीत, आतभवख, ऩयभातभ-शचसथनत चाशता श। वॊवाय वमकति जदटरता, फशरता, योगो क घय दश औय षणबॊगय बोग औय वख की तचछ रारच भ भॉडयाता श जफकक वाधक वयर वमकति शोता श। दश व औय तचछ बोगो व ऩाय आतभवख का अलबराऴी शोता श। वॊवाय वमकति वॊगनत खोजता श, वाधक वलथा एकानत ऩवॊद कयता श।

श वाधक ! तथा कचथत लभिो व, वाॊवारयक वमकतिमो व अऩन को फचाकय वदा एकाकी यशना। मश तय वाधना की ऩयभ भाॉग श।

सलाभी याभतीथ पराथना ककमा कयत थ

Page 6: Sadhana mein safalata

"श परब ! भझ वखो व औय लभिो व फचाओ। द खो व औय ळिओॊ व भ ननऩट रॉगा। वख औय लभि भया वभम ल ळकति फयफाद कय दत श औय आवकति ऩदा कयत श। द खो भ औय ळिओॊ भ कबी आवकति नश ॊ शोती।

जफ-जफ वाधक चगय श तो तचछ वखो औय लभिो क दवाया श चगय श।

बमा ! वालधान ! एकानतलाव ननतानत आलशमक श। वकषभानतवकषभ ऩयबरहम ऩयभातभा को ऩान क लरए एकानतलाव वाधना की एक भशान भाॉग श, अननलाम आलशमकता श। आऩ एक फाय एकानत का वख बर परकाय परापत कय र तो कपय आऩ उव ऩालन एकानत क तरफना नश ॊ यश वकत।

शचजनशोन अऩन जीलन का भलम नश ॊ जाना, शचजनभ वलऴम लावना की परफरता शोती श ल श ननयॊकळ फनदय की तयश एक डार व दवय डार, कबी काळी कबी भथया, कबी डाकोय तो कबी याभशवय, कबी गपतकाळी तो कबी गॊगोिी, इधय व उधय घभत यशत श। उनश ऩता श नश ॊ चरता कक फदशयॊग दौड-धऩ भ ळकति औय एकागरता षीण शोती श।

उततयकाळी, लायाणवी, याभशवय औय गॊगा, मभना, नभदा, ताऩी क तट ऩय ऩवलि सथानो क इदचगद परकनत क वयमम लातालयण भ, अयणम भ, नद , वयोलय, वागयतट अथला ऩशाडो भ, जशाॉ ऩलकार भ ऋवऴ, भनन मा वॊत ननलाव कय चक श ऐव ऩवलि सथानो की भदशभा का ऩता वकषभ वाधना कयन लार वाधको को श चर वकता श। भशाऩरऴो क आधमाशचतभक सऩनदनलार सथान वाधक को फशत वशाम कयत श। दशभारम औय गॊगातट जव ऩालन सथानो भ कछ भश न यशकय अथला अऩन अनकर ककवी एकानत कभय भ रोकवॊऩकयदशत शोकय अऩनी धायणा तथा धमानळकति फढाम औय फडी वालधानीऩलक उव एकागरता का वॊयषण कय। मदद आऩ अऩनी यषा कयनी नश ॊ जानत तो आऩका भलमलाण पराण, चमफकीम ळकति, आऩकी भानलवक ळकति औय पराणळकति आऩव लभरनलार रोगो क परनत चर जामगी। आऩको एक ळकति-कलच फना रना चादशए। जो उननत वाधक शो, सान-लयागम-बकति व बय ददरलार शो, उनक वाथ परनतददन एक घणटा लभरना-जरना, वलचाय वलभळ कयना शाननकायक नश ॊ श। आऩक रदम भ ऩता चरगा कक ककन वमकतिमो व लभरन जरन भ लयागम फढता श, परवननता, ळाशचनत फढती श औय ककन रोगो व लभरन भ आऩक आधमाशचतभक वॊसकाय ल ळाशचनत षीण शोती श। वॊवाय आकाॊषाओॊलार रोगो क फीच अगय आना श ऩड तो भौन का अलरमफन रना, अऩनी वाधना का परबाल छऩाना औय उनक फीच जफ शो तो शचजहवा तार भ रगाम यखना। इवव तमशाय ळकति षीण शोन व फच जामगी। उनकी फात कभ व कभ वनना, मकतिऩलक उनव अऩन को फचा रना।

कबी-कबी अऩना भन बी भनोयाज कयक शलाई ककर फाॉधन रगता श। वाधनाकार भ फड परचाय-परवाय का औय परलवदध शोन का, रोक-कलमाण कयन आदद का तपान भचामा कयता श। मश ननतानत शाननकता श। उव वभम ऩयभातभा को वचच रदम व पमाय कय, पराथना कय कक "श परबो ! अशॊकाय फढान की लभरथमा नाभ रऩ की परलववदध वलऴमक तचछ लावनाएॉ भझ तभव लभरन

Page 7: Sadhana mein safalata

भ फाधा कय यश ॊ श। श नाथ ! श वलननमनता ! श जगद शवय ! श अनतमाभी ! भय इव ननमन परकनत को त अऩन आऩभ ऩालन कय द। भ तय वाथ अलबनन शो जाऊॉ । कश ॊ म तचछ वॊकलऩ-वलकलऩ ऩय कयन भ नमा परायबध न फन जाम, नमी भवीफत खडी न शो जाम।"

इव परकाय ळदध बाल कयक ननवॊकलऩ, ननशचिनतभना शोकय वभाचधसथ शोइम। वॊकलऩ का वलसताय नश ॊ, वॊकलऩ की ऩनत नश ॊ रककन वॊकलऩ की ननलवतत शभाया रकषम शोना चादशए। लश दळा आन व लासतल भ वधाय-काम आऩक दवाया शोन रगग औय आऩको कोई शानन नश ॊ शोगी।

ननवॊकलऩ बरहम श। वॊकलऩ क ऩीछ बागना तचछ जील शोना श। जो-जो बगीयथ काम शए श ल ननवॊकलऩ अलसथा भ ऩशॉच शए भशाऩरऴो क दवाया श शए श। ऩयभातभा की इव वलयाट ववषट भ शभाया भन अऩनी कलऩना व वधायना आदद कयन का जार फनकय शभ पॉ वाता श। उव वभम 'शरय ॐ ततवत औय वफ गऩळऩ...। आननदोऽशभ.... वलोऽशभ.... लळलरऩोऽशभ.... कलमाण-सलरऩोऽशभ.... भामातीतो-गणातीतो ळानतलळलसलरऩोऽशभ....' इव परकाय अऩन लळलसलरऩ भ, ळानत सलरऩ भ भसत शो जाना चादशए।

शताळा, ननयाळा क वलचायो को भशततल नश ॊ दना चादशए। शजाय फाय भनोयाज शोन की, ऩीछ शटन की वॊबालना श रककन शय वभम नमा उतवाश, वलळकतिदामी परणल का जाऩ, आतभफर औय ऩयभातभ-परभ फढात यशना चादशए।

फनद कभय भ ळदध बाल व अऩन अनतमाभी परब व, इषट व, गर व पमाय कयक परयणा ऩात यशना चादशए। बरहमलतता वतऩरऴो क जीलन-चरयि औय अनबल-लचनलार गरनथो का फाय-फाय अलरोकन कयना चादशए। लासतल भ दखा जाम तो ऩयभातभ-परानपत कदठन नश ॊ श रककन जफ भन औय भन की फनी शई जारो भ पॉ वत श तो कदठन शो जाता श। भन-फवदध व ऩय अऩन वकषभ, ळदध, 'भ' को दखो तो ननतानत वयर औय वशज वदल-परापत ऩयभातभा लभरगा। तमश ॊ तो लश ऩयबरहम ऩयभातभा शो, शचजवव वाया जाना जाता श।

श सान सलरऩ दल ! त अऩनी भदशभा भ जाग। कफ तक कपवराशट की खर-कद भचा यखगा? त जशाॉ श, जवा श, अऩन आऩभ ऩण ऩयभ शरि श। अऩन ळदध, ळानत, शरि सलरऩ भ तनभम यश। छोट-भोट वमकतिमो व, ऩरयशचसथनतमो व, परनतकरताओॊ व परबावलत भत शो। फाय-फाय ॐकाय का गॊजन कय औय आतभानॊद को छरकन द। ॐ....ॐ.....ॐ.....

ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ

अनकरभ

वाधना की नीॊल शरदधा वॊवाय व लयागम शोना दरब श। लयागम शआ तो कभकाणड व भन उठना दरब श।

कभकाणड व भन उठ गमा तो उऩावना भ भन रगना दरब श। भन उऩावना भ रग गमा तो

Page 8: Sadhana mein safalata

तततलसानी गर लभरना दरब श। तततलसानी गर लभर बी गम तो उनभ शरदधा शोना औय वदा क लरए दटकना दरब श। गर भ शरदधा शो गई तो बी तततलसान भ परीनत शोना दरब श। तततलसान भ परीनत शो जाम रककन उवभ शचसथनत कयना दरब श। एक फाय शचसथनत शो गई तो जीलन भ द खी शोना औय कपय व भाता क गब भ उलटा शोकय रटकना औय चौयावी क चककय भ बटकना वदा क लरए वभापत शो जाता श।

तततलसान क दवाया बरहमाकाय लवतत फनाकय आलयण बॊग कयक जीलनभि ऩद भ ऩशॉचना श ऩयभ ऩरऴाथ श। इव ऩरऴाथ-बलन का परथभ वोऩान श शरदधा।

ताभवी शरदधालारा वाधक कदभ-कदभ ऩय परयमाद कयता श। ऐव वाधक भ वभऩण नश ॊ शोता। शाॉ, वभऩण की भाॊनत शो वकती श। लश वलयोध कयगा। याजवी शरदधालारा वाधक दशरता यशता श, बाग जाता श, ककनाय रग जाता श। वाशचतलक शरदधालारा वाधक ननयारा शोता श। ऩयभातभा औय गर की ओय व चाश जव कवौट शो, लश धनमलाद व, अशोबाल व बयकय उनक शय वलधान को भॊगरभम वभझकय रदम व सलीकनत दता श।

पराम याजवी औय ताभवी शरदधालार रोग अचधक शोत श। ताभवी शरदधालारा कदभ-कदभ ऩय इनकाय कयगा, वलयोध कयगा, अऩना अशॊ नश ॊ छोडगा। लश अऩन शरदधम क वाथ, अऩन इषट क वाथ, वदगर क वाथ वलचायो व टकयामगा। याजवी शरदधालारा जया-वी ऩय षा शई, थोडी वी कछ डाॉट ऩडी तो लश ककनाय शो जामगा, बाग जाएगा। वाशचततलक शरदधालारा ककवी बी ऩरयशचसथनत भ कतडगगा नश ॊ, परनतककरमा नश ॊ कयगा।

वाधक भ वाशचततलक शरदधा जग गई तो उवका भन तततल-चचनतन भ, आतभ-वलचाय भ रग जाता श। अनमथा तो तततलतता वदगर लभरन क फाद बी तततलसान भ भन रगना कदठन श। ककवी को आतभ-वाषातकाय गर लभर जाम औय उनभ शरदधा बी शो जाम तो मश जरय नश ॊ की वफ रोग आतभसान क तयप चर श ऩडग। याजवी-ताभवी शरदधालार रोग आतभसान क तयप नश ॊ चर वकत। ल तो अऩनी इचछा क अनवाय तततलसानी वदगर व राब रना चाशग। इचछा-ननलवतत की ओय व परलतत नश ॊ शो वकत। जो लासतवलक राब तततलसानी वदगर उनश दना चाशत श उवव ल लॊचचत यश जात श।

वाशचततलक शरदधालार वाधक को श तततलसान का अचधकाय भाना गमा श औय कलर मश तततलसान शोन ऩमनत वदगर भ अचर शरदधा यख वकता श। लश परनतकरता व बागता नश ॊ औय पररोबनो भ पॉ वता नश ॊ। वॊद ऩक न ऐवी शरदधा यखी थी। वदगर न कडी कवौदटमाॉ की, उव दय कयना चाशा रककन लश गरवला व वलभख नश ॊ शआ। गर न कोढ का रऩ धायण ककमा, वला क दौयान कई फाय वॊद ऩक को ऩीटत थ कपय बी कोई लळकामत नश ॊ। कोढ ळय य व ननकरन लारा गनदा खन, ऩील, भलाद, फदफ आदद क फालजद बी गरदल क ळय य की वला-वशरऴा व वॊद ऩक कबी ऊफता नश ॊ था। बगलान वलरषण औय बगलान ळॊकय आम, उव लयदान दना चाशा रककन अननम ननिालार वॊद ऩक न लयदान नश ॊ लरमा।

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वललकाननद शोकय वलशववलखमात फनन लार नयनि को जफ वाशचतलक शरदधा यशती तफ याभकरषणदल क परनत अशोबाल फना यशता श। जफ याजवी शरदधा शोती तफ ल बी दशर जात। उनक जीलन भ छ फाय ऐव परवॊग आम थ।

ऩशर तो आतभसानी वदगर लभरना अनत दरब श। ल लभर बी जाम तो उनक परनत शभाय वाशचततलक शरदधा ननयनतय फनी यशना कदठन श। शभाय शरदधा यजो-तभोगण व परबावलत शोती यशती श। इवलरए वाधक कबी दशर जाता श औय कबी वलयोध बी कयन रगता श। अत जीलन भ वततलगण फढाना चादशए।

आशाय की ळवदध व, चचनतन की ळवदध व वततलगण की यषा की जाती श। अळदध आशाय, अळदध वलचाय लार वमकतिमो क वॊग व फचना चादशए।

अऩन जीलन क परनत राऩयलाश यखन व शरदधा का घटना, फढना, टटना-पटना शोता यशता श। परत वाधक को वाधम तक ऩशॉचन भ लऴो रग जात श। जीलन ऩया शो जाता श कपय बी आतभवाषातकाय नश ॊ शोता। वाधक अगय ऩय वालधानी क वाथ छ भश ना ठीक परकाय व वाधना कय तो वॊवाय औय वॊवाय की लसतएॉ आकवऴत शोन रगती श। वकषभ जगत की कॊ शचजमाॉ शाथ रग जाती श। ननयनतय वाशचतलक शरदधामि वाधना व वाधक फशत ऊऩय उठ जाता श। यजो-तभोगण व फचकय, वततलगण क पराधानम व वाधक तततलसानी वदगर क सान भ परलळ ऩा रता श। कपय तततलसान का अभमाव कयन भ ऩरयशरभ नश ॊ ऩडता। अभमाव वततलगण फढान क लरए, शरदधा को वाशचतलक शरदधा शचसथय शो गई तो तततलवलचाय अऩन आऩ उतऩनन शोता श। ऐवी शचसथनत परापत कयन क लरए वाधक को वाधना भ ततऩय यशना चादशए, वाशचततलक शरदधा की वयषा भ वतक यशना चादशए। इषट भ, बगलान भ, वदगर भ वाशचततलक शरदधा फनी यश।

तततलसान तो कइमो को लभर जाता श रककन ल तततलसान भ शचसथनत नश ॊ कयत। शचसथनत कयना चाशत श तो बरहमाकायलवतत उतऩनन कयन की खफय नश ॊ यखत। फदढमा उऩावना ककए तरफना बी ककवी को वदगर की कऩा व जलद तततलसान शो जाम तो बी वलषऩ यशगा। भनोयाज शो जान की वॊबालना श। उचच कोदट क वाधक आतभ-वाषातकाय क फाद बी बरहमाभमाव भ वालधानी व रग यशत श। वाषातकाय क फाद बरहमाननद भ रग यशना मश वाषातकाय की ळोबा श। शचजन भशाऩरऴो को ऩयभातभा का वाषातकाय शो जाता श, ल बी धमान-बजन, ळवदध-वाशचततलकता का खमार यखत श। शभ रोग अगय राऩयलाश कय द तो अऩन ऩणम औय वाधना क परबाल का नाळ श कयत श।

जीलन भ शचजतना उतवाश शोगा, वाधना भ शचजतनी वतकता शोगी, वॊमभ भ शचजतनी ततऩयता शोगी, जीलनदाता का भलम शचजतना अचधक वभझग उतनी शभाय आॊतयमािा उचच कोदट की शोगी। बरहमाकायलवतत उतऩनन शोना बी ईशवय की ऩयभ कऩा श। वाशचततलक शरदधा शोगी, ईभानदाय व अऩना अशॊ ऩयभातभा भ वभवऩत शो वकगा तबी मश काम वॊऩनन शो वकता श। तरवीदावजी कशत श-

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म पर वाधन त न शोई......। बरहमसानरऩी पर वाधन व परकट न शोगा। वाधन कयत-कयत वाशचततलक शरदधा तमाय शोती

श। वाशचततलक शरदधा श अऩन इषट भ, तततल भ अऩन आऩको अवऩत कयन को तमाय शो जाती श। जव रोशा अशचगन की परळॊवा तो कय, अशचगन को नभसकाय तो कय रककन जफ तक लश अशचगन भ परलळ नश ॊ कयता, अऩन आऩको अशचगन भ वभवऩत नश ॊ कय दता तफ तक अशचगनभम नश ॊ शो वकता। रोशा अशचगन भ परवलषट शो जाता श तो सलमॊ अशचगन फन जाता श। उवकी यग-यग भ अशचगन वमापत शो जाती श। ऐव श वाधक जफ तक बरहमसलरऩ भ अऩन आऩको अवऩत नश ॊ कयता तफ तक बर बरहम ऩयभातभा क गणानलाद कयता यश, बरहमलतता वदगर क गीत गाता यश, इवव राब तो शोगा, रककन बरहमसलरऩ, गरभम, बगलदभम ईशवय नश ॊ फन ऩाता। जफ अऩन आऩको ईशवय भ, बरहम भ, वदगर भ अवऩत कय दता श तो ऩण बरहमसलरऩ शो जाता श।

'ईशवय' औय 'गर' म ळबद श श रककन तततल एक श श।

ईशवयो गरयातभनत भनत बद वलबाचगनो। आकनतमाॉ दो ददखती श रककन लासतल भ तततल एक श श। गर क रदम भ जो चतनम

परकट शआ श लश ईशवय भ चभक यशा श। ईशवय बी मदद बि का कलमाण कयना चाश तो वदगर क रऩ भ आकय ऩयभ तततल का उऩदळ दग। ईशवय वॊवाय का आळीलाद ऐव श दग रककन बि को ऩयभ कलमाण रऩ आतभ-वाषातकाय कयना शोगा तो ईशवय को बी आचाम की गददी ऩय आना ऩडगा। जव शरीकरषण न अजन को उऩदळ ददमा शरीयाभजी न शनभानजी को उऩदळ ददमा।

वाधक धमान-बजन-वाधना कयत श। बजन की तीवरता व बाल भजफत शो जाता श। बाल क फर व बाल क अनवाय वॊवाय भ चभतकाय बी कय रत श रककन बाल वाधना की ऩयाकािा नश ॊ श, कमोकक बाल फदरत यशत श। वाधना की ऩयाकािा श बरहमाकायलवतत उतऩनन कयक आतभवाषातकाय कयना।

वाधन-बजन-धमान भ उतवाश, जगत भ नशवयफवदध औय उचचतभ रकषम की शभळा सभनत, म तीन फात वाधक को भशान फना दती श। ऊॉ च रकषम का ऩता नश ॊ तो वलकाव कव शोगा? बरहमाकायलवतत उतऩनन कयक आलयण बॊग कयना, आतभ-वाषातकाय कयक जीलनभि शोना, मश रकषम मदद जीलन भ नश ॊ शोगा तो वाधना की छोट -भोट ऩदधनतमो भ, छोट-भोट वाधना क चटकर भ रका यश जामगा। कोलश क फर की तयश लश ॊ घभत-घभत जीलन ऩया कय दगा।

अगय वालधानी व छ भश न तक ठीक ढॊग व उऩावना कय, तततलसानी वदगर क सान को वलचाय तो उवव अदबत राब शोन रगता श। राफमान ऊॉ चाई क वाभरथम का अनबल कयन रगता श। वॊवाय का आकऴण टटन रगता श। उवक चचतत भ वलशराशचनत आन रगती श। वॊवाय क ऩदाथ उवव आकवऴत शोन रगत श। कपय उव योजी-योट क लरए, वग-वमफनधी, ऩरयलाय-वभाज को रयझान क लरए नाक यगडना नश ॊ ऩडता। ल रोग ऐव श य झन को तमाय यशग। कलर छ भश न की वालधानी ऩलक वाधना..... वाय शचजनदगी की भजदय व जो नश ॊ ऩामा लश छ भश न

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भ ऩा रगा। रककन वचच वाधक क लरए तो लश बी तचछ शो जाता श। उवका रकषम श ऊॉ च व ऊॉ चा वाधम ऩा रना, आतभ-वाषातकाय कय रना।

परहलाद क वऩता न परहलाद को बजन कयन व योका था। रककन परहलाद की परीनत-बि बगलान भ दढ शो चकी थी। परायमब व श उवन वतवॊग वना था। जफ लश भाॉ कमाध क गब भ था तफ कमाध नायदजी क आशरभ भ यश थी। भाॉ तो वतवॊग वनत झऩककमाॉ र रती थी रककन गबसथ लळळ क भानव ऩय वतवॊग क वॊसकाय ठीक व अॊककत शोत थ।

परहलाद गमायश लऴ का शआ तो उवक वऩता दशयणमकलळऩ न उवको लवऩादशमो क वाथ गशत कयन क यखा। एक यात को परहलाद न दखा कक दय कश ॊ आग की जलाराएॉ ननकर यश श, धआॉ उठ यशा श। नजद क जाकय दखा तो कमशाय क भटक ऩकान क ननबाड भ आग रगाई थी। कमशाय लशाॉ खडा शाथ जोड कय पराथना कय यशा था

"श परबो ! अफ भय शाथ की फात नश ॊ यश औय त चाश तो तय लरए कछ कदठन नश ॊ। श बगलान ! त दमा कय। भ तो नादान शॉ रककन त उदाय श। श कऩालवनधो ! त भय बर वधाय द। भ जवा तवा शॉ रककन तया शॉ। त यशभ कय। तय दमा व वफ कछ शो वकता श। त उन ननदोऴ फचचो को फचा र नाथ !"

कमशाय फाय-फाय परणाभ कय यशा श। आॉखो भ आॉव वयक यश श। लश पराथना क ळबद दशयाम जा यशा श औय ननबाड की आग जोय ऩकड यश श। परहलाद उवक ऩाव गमा औय ऩछा

परशन कमा फाता श? कमा फोर यशा श?

क. "कभाय ! शभन भटक फनाम औय आग भ ऩकान क लरए जभाकय यख थ। उन कचच भटको भ तरफलर न फचच द यख थ। शभन वोचा था कक आग रगान क ऩशर उनश ननकार रग। रककन बर गम। ननबाड क फीच भ फचच यश गम औय आग रग चकी श। अफ माद आमा कक अय ! ननश-भनन भावभ फचच जर-बनकय भय जामग। अफ शभाय शाथ की फात नश ॊ यश । चायो औय आग रऩट र यश श। परब अगय चाश तो शभाय गरती वधाय वकता श। फचचो को फचा वकता श।"

परशन "मश कमा ऩागरऩन की फात श? ऐवी आग क फीच फचच फच वकत श?"

क.- "शाॉ मलयाज ! ऩयभातभा वफ कछ कय वकता श। लश कत अकत अनमथा कत वभथ श। लश तो छोट-व फीज भ व वलळार लष फना दता श। ऩानी की फॉद भ व याजा-भशायाजा खडा कय दता श। लश ऩानी की फॉद भनरषम फनकय योती श, अचछा-फया, अऩना-ऩयामा फनाती श। जीलनबय भया-तया कयती श औय आणखय भ भटठीबय याख का ढय छोडकय बाग जाती श। मश कमा ईशवय की र रा का ऩरयचम नश ॊ श? वभि भ फडलानर जरती श लश ऩानी व फझती नश ॊ औय ऩट भ जठयाशचगन यशती श लश ळय य को जराती नश ॊ। गाम रखा-वखा घाव खाती श औय वपद भीठा दध ऩीता श तो जशय फनाता श। भाॉ योट खाती श तो दध फनाती श। फचचा फडा शो

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जाता श तो दध अऩन आऩ फनद शो जाता श। ऩयभातभा की र रा अऩयॊऩाय श। लश तरफलर क फचचो को बी फचा वकता श।"

पर.- "तरफलर क फचच कव फचत श मश भझ दखना श। भटक ऩक जाम औय तभ ननबाडा जफ खोरो तफ भझ फराना।"

क.- "शाॉ भशायाज ! आऩ वफश भ आना। आऩ आमग फाद भ भ ननबाडा खोरॉगा।"

वफश भ परहलाद ऩशॉच गमा। कमशाय न थोडा वा अनतभख शोकय बगलान का सभयण कयत शए चायो ओय व गयभ-गयभ भटक शटाम तो फीच क चाय भटक कचच यश गम थ। उनको दशरामा तो तरफलर क फचच 'ममाऊॉ ममाऊॉ ' कयत छराॊग भायकय फाशय ननकर आम।

परहलाद क चचतत भ वतवॊग क वॊसकाय वऴपत ऩड थ ल जग आम, बगलान की सभनत शो आमी औय रगा कक वाय लश श। वॊवाय व लयागम शो गमा औय बजन भ भन रग गमा।

परहलाद बगलान क यासत चर ऩडा तो घोय वलयोध शआ। एक अवय फारक वलरषणजी की बकति कय, दलो क ळि दशयणमकलळऩ मश कव वश वकता श? कपय बी परहलाद दढता व बजन कयता यशा। वऩता न उव डाॉटा, पटकाया, जलरादो व डयामा, ऩलतो व चगयलामा, वागय भ डफलामा रककन परहलाद की शरदधा नश ॊ टट ।

ऩशर तो ईशवय भ वचची शरदधा शोना कदठन श। शरदधा को जाम रककन दटकना कदठन श। शरदधा दटक बी जाम कपय बी तततलसान शोना कदठन श।

दशयणमकलळऩ न परहलाद को भायन क लरए कई परमाव ककम। परहलाद न वोचा 'शचजव शरय न तरफलर क फचचो को फचामा तो कमा भ उवका फचचा नश ॊ शॉ? लश भझ बी फचाएगा।' परहलाद बगलान क ळयण शो गमा। वऩता न ऩलतो व चगयलामा तो भया नश ॊ, वागय भ कपॊ कलामा तो डफा नश ॊ। आणखय रोश क सतॊब को तऩलाकय वऩता फोरा

"त कशता श कक भया बगलान वलि श, वल वभथ श। अगय ऐवा श तो लश इव सतॊब भ बी श, तो त उवका आलरॊगन कय। लश वल वभथ श तो मशाॉ बी परकट शो वकता श।"

परहलाद न तीवर बालना कयक रोश क तऩ शए सतॊब को आलरॊगन ककमा तो लशाॉ बगलान का नलवॊशालताय परकट शआ।

जफ बोगो का फाशलम शो जाता श, जफ दषटो क जोय जलभ फढ जात श तफ बगलान क चाश कश ॊ व ककवी बी रऩ भ परकट शोन को वभथ श।

नलवॊश क रऩ भ बगलान परकट शए। दशयणमकलळऩ का लध कयक सलधाभ ऩशॉचामा, परहलाद को याजम ददमा औय बगलान अनतधमान शो गम।

परहलाद न बगलान क दळन तो ककए रककन बगलतततल का वाषातकाय अबी नश ॊ शआ। बगलान का ताशचततलक सलरऩ जानना कदठन श।

कछ वभम फीता। अवयो क आचाम न परहलाद को बयभामा। फोर

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"परहलाद ! वलरषण न तमशाय वऩता को भाय डारा। तभन उनकी ळयण भाॉगी थी, यषण की पराथना की थी रककन ऐवा कशा था कक भय वऩता को भाय डारो?"

"नश ॊ, भन वऩता को भायन को तो नश ॊ कशा था।"

"तभन कशा नश ॊ कपय कमो भाया? तभ ऩय वलरषण की परीनत थी तो वऩता की फवदध वधाय दत। उनकी शतमा कमो की?"

वलरषण बगलान भ परहलाद की दढ शरदधा तो थी रककन शरदधा को दशरानलार रोग लभर जात श तो शरदधा 'छ....' शो जाती श। ऐवी शरदधा दशरान लार कई रोग वाधक क जीलन भ आत यशत श। ऐवी शरदधा दशरान लार कई रोग वाधक क जीलन भ आत यशत श। वाधना भ, गरभनि भ, ईशवय भ, वदगर भ, वतवॊग भ शरदधा दशरानलारा कोई न कोई तो लभर श जामगा। फाशय व कोई नश ॊ लभरगा तो शभाया भन श तक-वलतक कयक वलयोध कयगा, शरदधा को दशरामगा। इवीलरए शरदधा वदा दटकनी कदठन श।

अवयगर ळकराचाम न परहलाद की शरदधा को दशरा ददमा। ळकराचाम तततलसानी नश ॊ श, वॊजीलनी वलदया जानत श। अवयो ऩय उनका ऩया परबाल श। रककन बरहमसान क लवलाम का परबाल ककव काभ का? लश परबाल तो चौयावी राख मोननमो की मातनाओॊ क परनत श खीॊच र जामगा।

ळकराचाम परहलाद को कशत श- वलरषण न तमशाय फाऩ को भाय डारा कपय बी तभ उनको ऩजत शो? कव भख शो ! इतनी अनधशरदधा?

ककवी शरदधार को कोई फोर कक 'ऐवी तमशाय अनधशरदधा !' तो लश फचाल तो कयगा कक भय अनधशरदधा नश ॊ श, वचची शरदधा श रककन वलयोधी का कथन उवकी शरदधा को झकझोय दगा। ळबद दय-वफय चचतत ऩय अवय कयत श श इवीलरए 'गरगीता' भ बगलान ळॊकय न यषा का कलच पयभामा कक

गरनननदाकयॊ दषटला धालमदथ लावमत। सथानॊ ला ततऩरयतमाजमॊ शचजहवाचछदाषभो मदद।।

'गर की नननदा कयन लार दखकय मदद उवकी शचजहवा काट डारन भ वभथ न शो तो उव अऩन सथान व बगा दना चादशए। मदद लश ठशय तो सलमॊ उव सथान का तमाग कय दना चादशए।'

ळकराचाम न परहलाद भ बगलान वलरषण क परनत लयबाल क वॊसकाय बय ददम। परहलाद आ गमा उनक परबाल भ। कशन रगा "आऩ कशो तो वलरषण व फदरा रॉ।"

बगलान वलरषण का वलयोध कयता शआ परहलाद वना को ववजजा कय क आदद नायामण का आलाशन कय यशा श "आ जाओ। तमशाय खफय रग।"

बगलान बि का अशॊकाय औय ऩतन नश ॊ वश वकत। दमार शरीशरय न फढ बराहमण का रऩ धायण ककमा। शाथ भ रकडी, झकी कभय, कळ काम, शवत लसतरादद व मि बराहमण क रऩ भ परहलराद क याजदयफाय भ जान रग। दवाय ऩय ऩशॉच तो दयफान न कशा

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"श बराहमण ! परहलाद मदध की तमाय भ श। मदध क वभम वाध-बराहमण का दळन ठीक नश ॊ भाना जाता।"

बराहमण लळधाय परब न कशा "भन वना श कक परहलाद वाध बराहमण का खफ आदय कयत श औय त भझ जान व योक यशा श?"

दयफान क कशा "परहलाद ऩशर जव नश ॊ श। अफ वालधान शो गम श। ळकराचाम न उनको वभझा ददमा श। अफ तो बगलान वलरषण व फदरा रन की तमाय भ श। वाध-बराहमण का आदय कयन लार परहलाद ल नश ॊ यश। श बराहमण ! तभ चर जाओ।"

"बाई ! कछ बी शो, भ अफ परहलाद व लभरकय श जाऊॉ गा। त नश ॊ जान दगा तो भ मश ॊ पराण तमाग दॉगा। तभको बरहमशतमा रगगी।"

इव परकाय दवायऩार को वभझा-फझाकय बगलान परहलाद क वभष ऩशॉच। अलबलादन कयत शए बराहमण लळधाय परब न कशा

"परहलाद ! तया कलमाण शो। वना श अऩन वऩतशनता वलरषण व तभ फदरा रना चाशत शो। तभ भया फदरा बी रना। भझ फढ बराहमण का बी वलनाळ शो गमा।" बराहमण लळधाय बगलान न वलरषण वलयोधी कछ फात कश ॊ। परहलाद न उनको नजद क तरफठामा। फातो का लवरलवरा चरा।

बराहमण न ऩछा "तभ वलरषण व फदरा रना चाशत शो? वलरषण कशाॉ यशत श?"

पर.- "ल तो वलि श। वल रदमो भ फठ श।"

बरा.- "श भख परहलाद ! जो वलि श, वल रदमो भ श, उवका वलनाळ त कव कयगा? भारभ शोता श, जवा भ भख शॉ, लवा श त भनदभनत श। ळकर क फशकाल भ आकय दषट ननिमी शआ श। भ मश छडी गाडता शॉ जभीन भ, उवको त ननकारकय ददखा तो भानॉगा कक त वलरषण व मदध कय वकता श।"

बराहमण लळधाय बगलान न जभीन भ अऩनी छडी गाड द । परहलाद उठा लवॊशावन व। खीॊचा छडी को एक शाथ व, कपय दोनो शाथ व। ऩया फर रगामा। छडी खीॊचन भ झकना ऩडा। फर रगा। पराणाऩान की गनत वभ शई। याजमभद कछ कभ शआ। परहलाद की फवदध भ परकाळ शआ कक मश बराहमण लळधाय कोई वाधायण वमकति नश ॊ शो वकता श। बकति क ऩयान वॊसकाय थ श । ऊऩय व कवॊसकाय जो ऩड थ ल शटत श परहलाद उव बराहमण लळधाय को नमरताऩलक आदय बय लचनो व कशन रगा

"श वलपरलय ! आऩ कौन श?"

बगलान फोर "जो अऩन को नश ॊ जानता लश भय को बी ठीक व नश ॊ जानता। जो अऩन को औय भय को नश ॊ जानता लश भामा क वॊसकायो भ वख नतनक की नाई दशरता-डरता यशता श। श परहलाद ! त वनभनत को तमाग कभनत क आधीन शआ श। तफव त अळानत औय द खी शआ श। कननिम कयन लारा वमकति शभळा द ख का बागी शोता श।"

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करणाननधान क कऩाऩण लचन वनकय परहलाद वभझ गमा कक म तो भय शरीशरय श। चयणो ऩय चगय ऩडा। षभा भाॉगन रगा। तफ बिलतवर बगलान परहलाद को कशन रग

"षभा तो त कय। भय को भायन क लरए इतनी वना तमाय की श ! त षभा कय भय को!"

कशाॉ तो वऩता की इतनी ळावना-ऩलत व चगयाना, ऩानी भ प कना आदद ! म ळावना कयन ऩय बी परहलाद वलरषण की बकति भ रग यश। ळकराचाम न अऩना शोकय धीय-धीय कवॊसकाय बय ददम तो लश परहलाद वलरषणजी मदध कयन को ततऩय शआ।

जफ तक वल वमाऩक शरीशरयतल का वाषातकाय नश ॊ शोता, अनतकयण व वमफनध-वलचछद नश ॊ शोता, ऩरयशचचछननता नश ॊ लभटती तफ तक जील की शरदधा औय शचसथनत चढती उतयती यशती श।

लकॊ ठ भ बगलान क ऩाऴद जम-वलजम परनतददन शरीशरय का दळन कयत श रककन शरयतततल का वाषातकाय न शोन क कायण उनको बी तीन जनभ रन ऩड। परहलाद को शरीशरय क शरीवलगरश का दळन शआ, शरय वलि श ऐवा लवततसान तो था रककन लवततसान ववॊग कवॊग व फदर जाता श। ऩण फोध अफदर श।

परहलाद जवो की बी शरदधा कवॊग क कायण दशर वकती श तो श वाधक ! बमा ! त ऐव लातालयण व, ऐव वमकतिमो व, ऐव वॊसकायो क फचना जो तझ वाधना क भाग व, ईशवय क यासत व कपवरात श।

ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ

अनकरभ

जवी बालना लवी लववदध

बगलान वलवमाऩक औय ळाशवत श। ल वफको लभर वकत श। आऩ शचजव रऩ भ बगलान को ऩाना चाशत श उव रऩ भ आऩको लभरत श। शरीकरषण गीता भ बी लचन दत श कक

म मथा भाॊ परऩदयनत ताॊसतथल बजाममशभ। 'श अजन ! जो बि भझ शचजव परकाय बजत श, भ बी उनको उवी परकाय बजता शॉ।'

(गीता 4.11) आऩ कळरता व ऩरयशरभ कयत श, ऩरऴाथ कयत श तो बगलान ऩदाथो क रऩ भ लभरग।

आरवी औय परभाद यशत श तो बगलान योग औय तभोगण क रऩ भ लभरग। दयाचाय यशत श तो बगलान नयक भ लभरग। वदाचाय औय वॊमभी यशत श तो बगलान सलग क रऩ भ लभरग। वमोदम क ऩशर सनानदद व ळदध शोकय परणल का जाऩ कयत श तो बगलान आननद क रऩ भ लभरत श। वमोदम क फाद बी वोत यशत श तो बगलान आरसम क रऩ भ लभरग। बगलान की

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फनाई अनक र राओॊ को, इषटदल को, आतभलतता वदगर को पमाय की ननगाशो व दखत श, शरदधा-बाल व, अशोबाल व ददर को बयत श तो बगलान परभ क रऩ भ लभरग। लदानत का वलचाय कयत श, आतभ-चचनतन कयत श तो बगलान तततल क रऩ भ लभरग। घणा औय लळकामत क रऩ भ दखत श तो बगलान ळि क रऩ भ लभरग। धनमलाद की दवषट यखत श तो बगलान लभि क रऩ भ लभरत श। अऩन चचतत भ वनदश श, परयमाद श, चोय डाक क वलचाय श तो बगलान उवी रऩ भ लभरत श। अऩनी दवषट भ वल बरहम की बालना श, वलि बरहम श बरहम दवषट आता श तो दवयो की नजयो भ जो करय श, शतमाय श, डाक श, ल तमशाय लरए करय शतमाय नश ॊ यशग।

आऩ ननणम कयो कक बगलान को ककव रऩ भ दखना चाशत श। जफ वफ बगलान श, वलि बगलान श तो आऩको जो लभरगा लश बगलान श श। वभगर रऩ उवी क श। मश सलीकाय कय रो तो वफ रऩो भ बगलान लभर जामग। आननद श आननद चाशो, परभ श परभ चाशो तो बगलान उवी रऩ भ लभरग।

ककवी को रगगा कक जफ वलि बगलान श तो ऩाऩ-ऩणम कमो? कपय ऩाऩ कयन भ शज कमा श?

शाॉ, कोई शज नश ॊ। डटकय ऩाऩ कयो। कपय बगलान नयक क रऩ भ परापत शोग।

'वफ बरहम श तो जो आल वो खाओ, जो आल वो वऩमो, जो लभर वो बोगो, चाश वो कयो कमा शज श?'

तो बगलान वलि श। ल योग क रऩ भ परकट शोग। वॊमभ व यशोग तो बगलान सलासरथम क रऩ भ परकट शोग।

बगलान शभाय वभष अऩन वभगर रऩ भ परकट शो जाम ऐवी इचछा शो तो अऩन 'भ' को खोजो। 'भ' खो जाएगा कपय रगगा कक बगलान वभगर रऩो भ श औय बी बगलतततल था।

भशामोगी शरी अयवलनद गीता क भशान उऩावक थ। ल गीता क वतमो को अऩन जीलनरऩी वाॉच भ ढारन को ऩणरऩण कतवॊकलऩ थ। लदो औय उऩननऴदो का वाय गीता श शचजव ऩढकय उनशोन तीन परनतसाएॉ की थीॊ। याषटर क लरए अऩना वलसल नमोछालय कय बायत भाता को अॉगरजो की गराभी की जॊजीयो व भि कयना एलॊ आतभवाषातकाय कयना।

अलरऩय फभ-काॊड भ उनकी धयऩकड शई औय कायालाव भ डार ददम गम। लशाॉ ऩय बी उनकी मोग वाधना वतत चार थी। यात-यात बय ऩयभातभा क धमान भ भगन यशत थ। शरी अयवलनद क फचाल ऩष क फय सटय शरी चचततयॊजनदाव थ शचजनशोन पीव भ एक ऩाई बी न र थी (फाद भ ल दळफनध दाव क नाभ व परलवदध शए)। वयकाय की ओय व वकडो परभाण औय वाषी खड ककम गम थ शचजनका खॊडन कयन क लरए उनश ददन यात शरभ कयना ऩडता था। वारबय भकददभा चरा। एक ददन अॊगरज नमामाधीळ क ऩाव कड ऩलरव फॊदोफसत तर शरी अयवलॊद को जर भ व अदारत रामा गमा। दळबकति व चकचय जनता न नमामारम को खचाखच बय ददमा था। वयकाय लकीरो क वभष फय सटय चचततयॊजनदाव उऩशचसथत शए। उव वभम वलदयत-ऩॊख नश ॊ थ।

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वलळार चॉलय व नमामाधीळ ऩय ऩलन डारा जा यशा था। चॉलय डरान क लरए कददमो का उऩमोग ककमा जाता था।

वयकाय कतवॊकलऩ थी कक शरी अयवलनद को भजरयभ वातरफत कय पाॉवी ऩय रटका द औय शरी अयवलनद ळाॊतबाल व शरीकरषण का चचनतन ककम जा यश थ। उव वभम उनश जो अनबनत शई लश अतमॊत यवीर एलॊ अदबत थी। बगलान क वभगर सलरऩ का गीता लचन परतमष शआ। शरी अयवलनदजी क श ळबदो भ इव परकाय श

"भन नमामाधीळ की ओय दखा तो भझ उनभ शरीकरषण श भसकयात द ख। भझ आिम शआ। भन लकीरो की ओय दखा तो भझ लकीर ददखाई श नश ॊ ददम, वफ शरीकरषण का रऩ ददखाई ददम। लशाॉ उऩशचसथत कददमो की ओय ननशाया तो वफ करषणरऩ धायण कय फठ शए ददख। जगश-जगश भझ शरीकरषण का शफश दळन शआ। शरीकरषण भय वाभन दखकय फोर 'त फयाफय दख। भ वलवमाऩी शॉ, कपय डय ककव फात का?' उनक ददवम दळन व, अबमदान परदान कयती शई उनकी लाणी व भ वॊऩण ननबम शो गमा। चचनता भाि ऩरामन शो गई।" लऴबय अदारत भ भकददभा चरा। कव क अनत भ गोय नमामाधीळ न चकादा ददमा 'ननदोऴ'। रोगो क आनॊद का ऩाय न यशा। उनशोन शरी अयवलनद को कनध ऩय तरफठाकय आनॊदोतवल भनात शए परचणड जमघोऴ ककमा

"जम शरीकरषण, जम शरी अयवलनद।"

वभम की धाया भ लश परवॊग बी वयक गमा, सलपन की नाई।

उभा कशौ भ अनबल अऩना। वतम शरयबजन, जगत वफ वऩना।।

मश वऩन जव वॊवाय भ वफ वभम की धाया भ सलपनलत शो जाता श। अत जगत वफ सलपन श। 'भ आतभरऩ व वफका आधाय वशचचचदानॊद सलरऩ शॉ... वोऽशभ.... लळलोऽशभ.....' ऐवा चचनतन कयोग तो बगलान बरहम क रऩ भ परकट शो जाएॉग।

बोगी औय वलरावी को योग शोत श। वलकाय जीलन भ ऩिाताऩ, बम औय चचनता शोती श। बम, चचनता शोल तबी 'बगलान बम औय चचनता क रऩ भ परकट शए श' – ऐवा कयक बम औय चचनता व फाशय ननकर जाओ। बगलदफवदध व बम को दखोग तो बम द ख नश ॊ दगा। बगलदफवदध व योग औय ळि को दखोग तो योग औय ळि द ख नश ॊ दग। बगलदफवदध व वख औय सलग को दखोग तो लश वख औय सलग वलऴमावकति नश ॊ कयाएॉग। ककतन वनदय वभाचाय श!

आऩ बगलान को ककवी रऩ भ परकट कयना नश ॊ चाशत रककन बगलान जव श लवा जभाना चाशत श, जव श लव श दखना चाशत श।

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जव श लव दखना चाशत श तो ल वफ कछ श। उनको वफ कछ जान रो, दख रो। नयक बी ल श श, सलग बी ल श श। योग बी ल श श औय जो सलासरथम बी ल श श। धनमलाद बी ल श श, लळकामत बी ल श श।

'शभको बगलान ऩय ददखन चादशए।'

ऩया दखनलारा कौन श, उवको ऩया खोजो। जो ऩया दखन लार को ऩया खोज रता श उवक अऩन बीतय बगलान ऩय परकट शो जात श।

खोजन भ ऩरयशरभ ऩड तो ल वफ कछ श श ऐवा वॊतो का अनबल भान रो न ! अऩन को ऩया खोजोग तो कमा शोगा?

शयत शयत गमो कफीयो शयाई। खोजत-खोजत खोजनलारा खो जामगा। 'भ..... भ....' कयन लारा लभरथमा शो जामगा। ळऴ

बरहम श बरहम यश जामगा। नभक की ऩतर गई वभि की थाश रन। ऩतर तो खो गई, शो गई वागय। ऐव श दश औय अशॊकाय खो गमा औय यश गमा कलर बरहम। लभट फॉद शो गई वागय। फॉद बी ऩानी श, वागय बी ऩानी श।

शरीभद आदय ळॊकयाचाम न कयोडो गरनथो का वाय फतात शए कशा शलोकाधन परलकषमालभ मदिॊ गरनथकोदटलब।

बरहम वतमॊ जगशचनभरथमा जीलो बरहमल ना ऩय।। अध शलोक कय कशता शॉ कोदट गरनथ को वाय। बरहम वतम श जगत लभरथमा जील बरहम ननयधाय।।

शचजवको भर शभ जीलातभा फोरत श लश बरहम अरग व नश ॊ श। शचजव शभ तयॊग फोरत श लश वागय व अरग नश ॊ। शचजव घटाकाळ फोरत श लश भशाकाळ व अरग नश ॊ। शचजवको शभ जलय फोरत श लश वोन व अरग नश ॊ। शचजव शभ दो गज जभीन फोरत श लश ऩय ऩरथली व अरग नश ॊ। द लार फाॉध कय वीभा खडी कय वकत शो रककन अरग नश ॊ कय वकत शो रककन जभीन अरग नश ॊ कय वकत। 'शभाय जभीन..... तमशाय जभीन' म भन की यखाएॉ खडी कय वकत शो रककन जभीन अरग नश ॊ कय वकत। ऐव श 'शभाया ळय य.... तमशाया ळय य....' अरग भान वकत शो रककन दोनो की जो लासतवलक 'भ' श उव अरग नश ॊ कय वकत। घडो का अरगाल शो वकता श रककन घडो क आकाळ का अरगाल नश ॊ शो वकता। चचतत क अरगाल शो वकत श रककन चचतत शचजवक आधाय व पयत श उर चचदाकाळ का अरगाल नश ॊ शो वकता। 'लश चचदाकाळ आतभा भ शॉ'.... ऐवा सान कयान का बगीयथ काम लदानत का श। 'लासतल भ तभ आतभा शो, वलशवातभा शो, ऩयबरहम ऩयभातभा शो। भयन औय जनभन लार ऩतर नश ॊ शो' – ऐवा लदानत दळन पयभाता श। ॐ.... ॐ.....ॐ....

ऐवा सान ऩचान लारा लवदध ऩरऴ ळर ऩय चढत शए बी ननबॉक शोता श, योत शए बी नश ॊ योता, शॉवत शए बी नश ॊ शॉवता।

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वनतषटोऽवऩ न वनतषट णखननोऽवऩ न च णखदयत। तसमािमदळाॊ ताॊ ताॊ तादळा एल जानत।।

'सानी ऩरऴ रोक दवषट व वॊतोऴलान शोत शए बी वॊतषट नश ॊ श औय खद को ऩाम शए बी खद को नश ॊ परापत शोता श। उवकी उव-उव आिम दळा को लव श सानी जानत श।'

(अषटालकर गीता 56) तन वकाम वऩॊजय ककमो धय यन ददन धमान। तरवी लभट न लावना तरफना वलचाय सान।।

कयोडो लऴ की वभाचध कयो रककन आतभसान तो कछ ननयारा श श। धमान बजन कयना चादशए, वभाचध कयनी चादशए रककन वभाचधलारो को बी कपय इव आतभसान भ आना चादशए। वला अलशम कयना चादशए औय कपय लदानत भ आना चादशए। नश ॊ तो, वला का वकषभ अशॊकाय आमगा। कततल की गाॉठ फॉध जाएगी तो सलग भ घवीट जाओग। सलग का वख बोगन क फाद कपय ऩतन शोगा।

लदानत का शचजसाव वभझता श कक कभो का पर ळाशवत नश ॊ शोता। ऩणम का पर बी ळाशवत नश ॊ औय ऩाऩ का पर बी ळाशवत नश ॊ। ऩणम वख दकय नषट शो जाएगा औय ऩाऩ द ख दकय नषट शो जाएगा। वख औय द ख भन को लभरगा। भन क वख-द ख को जो जानता श उवको ऩाकय ऩाय शो जाओ। मश श लदानत। ककतना वयर।

शचजवको अऩना तरफछडा शआ पमाया सलजन लभर जाम, उवको ककतना आननद शोता श !

भर भ तरफछड फचच को भाॉ लभर जाम ऩतनी को तरफछडा शआ ऩनत लभर जाम, लभि को तरफछडा शआ लभि लभर जाम तो ककतना आननद शोता श !

जफ अऩना सलजन कश ॊ लभर जाम तो इतना आननद शोता श तो शचजवको लदानत का सान शो जाता श उवको तो वलि अऩना वपरम परभासऩद, अऩना आऩा लभरता श..... उवको ककतना आननद लभरता शोगा। ॐ....ॐ.....ॐ...

ॐ आननद ! ॐ आननद !! ॐ आननद !!!

ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ

अनकरभ

कभ औय सान

एक रॊगडा आदभी फठा था फि नाथ क यासत ऩय। कश जा यशा था "रोग फि नाथ की मािा को जा यश श। शभाय ऩाव ऩय शोत तो शभ बी बगलान क दळन कयत।" ऩाव भ वाथी फठा था। लश वयदाव था। वन यशा था उवकी फात। लश बी कशन रगा "माय ! भ बी चाशता था कक

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ईशवय क दळन करॉ रककन भय ऩाव आॉखो की जमोनत नश ॊ श। कभ व कभ ईशवय क धाभ भ तो जान की रचच श।"

एक भशातभा न कशा "एक की आॉख औय दवय क ऩय, दोनो का वशमोग शो जामगा तो तभ रोग फि नाथ ऩशॉच जाओग।"

ऐव श जीलन क तततल का जो सान श लश आॉख श। लश सान अगय कभ भ नश ॊ आता तो लश रॊगडा यश जाता श। कभ कयन की ळकति जीलन भ श रककन सान क तरफना श तो ऐवी अनधी ळकतिमो का दरऩमोग शो जाता श। जीलन फयफाद शो जाता श। मश कायण कक शचजनक जीलन भ जऩ-तऩ-सान-धमान औय वदगरओॊ का वाशचननधम नश ॊ श ऐव वमकतिमो की ककरमाळकति याग, दवऴ औय अलबभान को जनभ दकय दशॊवा आदद का परादबाल कय दती श। कभ कयन की ळकति भषटाचाय क तयप, दवयो का ळोऴण कयन क तयप, अशॊकाय को फढान क तयप नषट शो जाती श।

ककरमाळकति औय सानळकति का वभनलम शोना अतमॊत आलशमक श। आज तक ऐवा कोई भनरषम, पराणी ऩदा श नश ॊ शआ जो तरफना ककरमा क, तरफना कभ क यश वक। कभ कयना श श तो सान वॊमि कभ कय। ळासतर भ तो मशाॉ तक कशा श कक सानी भशाऩरऴ, जगत की नशवयता जानन लार भशाऩरऴ बी वतकभ कयत श। कमोकक उनको दखकय दवय कयग। तरफना कभ क नश ॊ यश वक ग तो अचछ कभ कय। अगय कभ कयन की ळकति श तो सान, बकति औय मोग क दवाया उव ऐवा ववशचजजत कय द कक सान वॊमि कभ जीलनदाता तक ऩशॉचा द।

कभो व कभो को काटा जाता श। उन कभो भ सान की वलाव शोगी तो कभो को काटग औय अशॊकाय की गनध शोगी तो कभ फनधन की जार फनग। इवीलरए कभो क जगत भ सान का वभनलम शोना चादशए।

सान भ वख बी श औय वभझ बी। जव भय भॉश भ यवगलरा यख ददमा जाम औय भ परगाढ ननिा भ शॉ तो लभठाव नश ॊ आमगी। जफ जागॉ तफ लवतत शचजहवा व जडगी तो यवगलर की लभठाव का सान शोत श वख आमगा। तरफना सान क वख नश ॊ। सान भ वभझ बी श, वख बी श। तभाभ परकाय क वख, ळकति एलॊ सान जशाॉ व परकट शोत श लश उदगभ सथान आतभा श। उव आतभदल का वाषातकाय कयना श आतभसान श। उव सान क तरफना भनरषम चाश ककतनी वाय ककरमाएॉ कय र रककन ककरमाओॊ का पर उवकी ऩयळाननमो का कायण फन जाता श। लश ककरमाएॉ अगय सान वॊमि शोती श तो उनका पर अकततल ऩद की परानपत कयाता श। उऩननऴदो का सान, लदानत का सान एक ऐवी करा श, कभो भ ऐवी मोगमता र आता श कक आदभी का जीलन नशवय जगत भ शोत शए बी ळाशवत क अनबल वॊमि शो जाता श। भयनलार दश भ यशत शए अभय आतभा का द दाय शोन रगता श। लभटन लार वमफनधो भ अलभट का वमफनध शो जाता श। गरबाइमो का वमफनध लभटनलारा श, गर का वमफनध बी लभटन लारा श रककन लश वमफनध

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अलभट की परानपत कया दता श, अगय सान श तो। सान नश ॊ श तो लभटन लार वमफनधो भ ऐवा भोश ऩदा शोता श कक चौयावी-चौयावी राख जनभो तक आदभी बटकता यशता श।

मसम सानभमॊ तऩ। सान क वॊमि तऩ शो। सानवदशत ककरमा शो। शरीकरषण क जीलन भ दखो तो ककतनी वाय ककरमाएॉ श रककन सान वॊमि ककरमाएॉ श। जनक क जीलन भ ककरमाएॉ श रककन सान वॊमि श। याभ जी क जीलन भ कभ श रककन सान वॊमि श।

परातकार उठ यघनाथा। भात वऩता गर नालई भाथा।।

मश सान की भदशभा श।

गर त ऩशर जगऩनत जाग..... गर वलशवालभि जाग उवक ऩशर याभजी जग जात थ। सानदाता गरओॊ का आदय कयत

थ।

जीलन भ सान की आलशमकता श।

मनत गोयखनाथ ऩवाय शो यश थ तो ककवी ककवान न कशा "फाफाजी ! दोऩशय शई श। अबी-अबी घय व खाना आमगा। आऩ बोजन ऩाना, थोडी दय वलशराभ कयना औय ळाभ को जशाॉ आऩकी भौज शो, वलचयण कयना।"

ककवान की आॉखो न तो एक वाध दखा रककन बीतय एक वभझ थी कक थोडी वला कय रॉ। उवन गोयखनाथजी को रयझाकय योक लरमा। बोजन कयामा। कपय गोयखनाथजी न आयाभ ककमा। ळाभ को जफ यभत बम तफ ककवान न परणाभ कयत कशा

"भशायाज ! खती कयत-कयत ढोयो जवा जीलन तरफता यश श। कबी आऩ जव वॊत ऩधायत श। कछ न कछ भझ थोडा-वा उऩदळ द जाइम।"

गोयखनाथ न दखा कक श तो ऩाि। ऩय व लळखा तक ननशाया। फोर "औय उऩदळ कमा दॉ? जो भन भ आल लश भत कयना।"

म लचन गोयखनाथ को गर भचछनदयनाथ न कश थ। ल श लचन गोयखनाथ न ककवान को कश औय जोगी यभत बम।

वॊधमा शई। ककवान न शर कनध ऩय यखकय ऩाॉल उठाम। घय की ओय चरा। माद आमा गरजी का लचन 'भन भ आम लश भत कयना।' भशायाज ! लश रक गमा ! ऐवा रका कक उवका भन बी रक गमा ! जो बी भन भ आता लश नश ॊ कयता। भन व ऩाय शो गमा। चौयावी लवदधो भॊ लश एक लवदध शो गमा – शार ऩाॉल। भतरफ, शर उठामा ऩाॉल यखा औय गरलचन भ दटक गमा। नाभ ऩड गमा शार ऩाॉल लवदध।

कशाॉ तो वाधायण ककवान औय कशाॉ शार ऩाॉल लवदध !

ळफय न गर क लचन लवय ऩय यख औय याभ जी दवाय ऩय ऩधाय। ककवान न गोयखनाथ क लचन अकतडगता व भान। भन शो गमा अकतडग। ककवान भ व शार ऩाॉल लवदध।

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कभ तो उवक ऩाव थ रककन कभो को जफ सान-ननिा का द मा लभर गमा तो लश लवदध शो गमा।

वॊत वनदयदाव शो गम। अचछ, उचच कोदट क वॊत थ। उनव ककवी न ऩछा "सलाभीजी ! बगलान की बकति भ भन कव रग?"

ल फोर "बगलान क दळन कयन व बगलान भ वनदश शो वकता श रककन बगलान की कथा वनन व बगलान भ शरदधा फढती श। बगलान की कथा की अऩषा बगलान क पमाय बि शो गम श, वॊत शो गम श उनका जीलन-चरयि ऩढन वनन व बगलान की बकति फढती श। बगलान की कथा की अऩषा बगलान क पमायो की कथा व बकति का पराकटम ळीघर शो जाता श।"

नायशवय भ यॊग अलधत जी भशायाज शो गम। अचछ वॊत थ। उनव ककवी न ऩछा "आऩ तो फाफाजी ! सातसम शो गम श। अबी आऩको कमा रचता श?"

ल फोर "वॊतो क जीलन चरयि ऩढन भ भय अबी बी रचच यशती श। नभदा क ककनाय ऩरयकरभा कयत कोई वॊत आ जाम तो बोजन ऩकाकय उनश णखराऊॉ ऐव बाल आ जात श। भझ फडा आनॊद आता श।"

वॊत का भतरफ मश दश कक शचजनक दवाया अऩन जनभो का अॊत कयन का सान लभर जाम, ककरमाओॊ का अॊत कयन का सान लभर जाम।

अकरा सान रॊगडा शो जामगा, ळरषक शो जामगा। अकर ककरमा अनधी शो जामगी। शभ रोग ककरमाएॉ जीलनबय ककए जा यश श औय अनत भ दखो तो ऩरयणाभ कछ नश ॊ, शताळा..... ननयाळा।

परभ भ व सान ननकार दो तो लश काभ शो जामगा। सान भ व परभ भ ननकार दो तो लश ळरषक शो जामगा। सान भ व मोग ननकार दो तो लश वाभरथमश न शो जामगा। मोग भ व सान औय परभ ननकार दो तो लश जड शो जामगा।

इवलरए बाई भय ! परभ भ मोग औय सान लभरा दो तो परभ ऩण शो जामगा, ऩण ऩरऴोततभ का वाषातकाय कया दगा। सान भ परभ औय मोग लभरा द तो सान ईशवय व अलबनन कय दगा। मोग भ सान औय परभ लभरा दो तो वल वभथ सलरऩ अऩन आऩा का अनबल शो जामगा।

भतरफ, परभा बकति कय क अऩन ऩरयशचचछनन अशॊ को लभटा दो, मोग कय क अऩनी दफरता लभटा दो औय सान ऩा कय अऩना असान लभटा दो। सान ऐवा शो कक दशाधमाव गर जाम।

ककरमा क वाथ सान शो औय सान क वाथ कभ शो। दोनो का वभनलम शो। सान भ वख बी शोता श औय वभझ बी शोती श। बरहमचम यखना अचछा श। ळाय रयक, भानलवक, फौवदधक वलकाव शोता श औय रमफ वभम तक चचतत की परवननता फनी यशती श। मश वभझ तो श रककन जफ वख की रोरऩता आ जाती श तो बरहमचम व चगयकय आदभी वलकाय वख षणबय क लरए

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रता श औय कपय ऩछताता श। ऩाऩी आदभी को वलकाय वख भ रचच शोती श। आऩको सान क वाथ वख की बी जरयत श।

भाना श कक झठ फोरना ठीक नश ॊ श, ककवी का अदशत कयना पामद भ नश ॊ श। वतम फोरना चादशए। शभ वतम फोरत श रककन जफ द ख ऩडता श तफ वतम को छोडकय अवतम फोर दत श। कमो? वख क लरए। झठ ककवलरए फोरत श? वख क लरम। बरहमचम खॊकतडत कमो कयत श? तचछ वख क लरए।

भाॉग तमशाय वख की श।

गॊगाजी गॊगोिी व चर । रशयाती गनगनाती गॊगा वागय को लभरन बाग यश श। गॊगा जशाॉ व परकट शई श लश ॊ जा यश श। ऐव श तमशाया लासतवलक सलरऩ परापत कयन क लरए श तमशाय जीलन की आकाॊषा श। तभ आननदकनद, वशचचचदाननद ऩयभातभा व परकट शए शो, सपरयत शए शो। तभ शचजव 'भ... भ.... भ.....' फोर यश शो लश 'भ' आननद-सलरऩ ऩयभातभा व सपरयत शई श। लश भ आननद-सलरऩ ऩयभातभा तक ऩशॉचन क लरए श वाय ककरमाएॉ कय यश श। जव गॊगाजी चर तो वागय तक ऩशॉचन क लरए श वाय चषटा कयती श। रककन शभन सलाथऩयामण शोकय उवक फशाल को योककय ताराफ फना ददमा, उवको थाभ ददमा तो लश ऩानी गॊगावागय तक नश ॊ ऩशॉचता। ऐव श वख की परानपत की इचछा श औय शभाय वफश व ळाभ तक की दौड वख तक ऩशॉचन की श रककन जशाॉ तरफना सान क, तरफना वभझ क, सलाथॉ, ऐशचनिक वख की चषटा कयत श तो गॊगाजर को यासत भ खडडो भ फाॉध दत श। ऐव श शभाय चचतत की धाया को असानलळ भानमता भ शभ उॊडर दत श तो शभाया जीलन यासत भ रक जाता श। शाराॉकक शभाया परमतन तो वख क लरए श रककन शभाया आतभा वख सलरऩ श, इव परकाय का सान न शोन क कायण शभ फीच भ बटक जात श औय जीलन ऩया शो जाता श। अथात जील अऩना अवर बरहमसलरऩ नश ॊ वभझ ऩाता।

शभ जो-जो ननमभ ळासतरो व वनत श, सलीकाय कयत श ल ननमभ तफ खशचणडत कयतश जफ शभ बम शो जाता श अथला वख की रोरऩता शभ घय रती श। शभ नीच आ जात श। तफ कमा कयना चादशए?

वख की रोरऩता औय द ख क बम को लभटाना शो तो सान की जरयत ऩडगी। लश सान तततलसान शो अथला तततलसान का वख ऩान की तयकीफ रऩ मोगमकतिमाॉ शो। मोगमकतिमाॉ औय तततलसान व जफ बीतय का वख लभरन रगगा तो ननबमता आन रगगी। कपय शभाय वभझ क णखराप शभ कपवरग नश ॊ।

वॊत वॊदयदावजी भशायाज उचच कोदट क वाषातकाय ऩरऴ थ। नलाफ न उनक चयणो भ लवय यखा कक "फाफाजी ! शचजव आननद भ आऩ आनशचनदत शोत शो, शचजव ऩयभातभा को ऩाकय आऩ तपत शए शो, शचजव ईशवय क वाषातकाय व आऩ आतभायाभी शए शो लश शभ बी उऩरबध कया दो।"

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वना श कक जफ वात जनभो क ऩणम जोय कयत श तफ आतभ-वाषातकाय वॊत भशाऩरऴ क दळन कयन की इचछा शोती श। दवय वात जनभ क ऩणम जफ वशमोग कयत श तफ उनक दवाय तक श ऩशॉच ऩामग। तीवय वात जनभ क ऩणम उनभ नश ॊ लभरग तो शभ उनक दवाय व तरफना दळन श रौट जामग। मा तो फाफा जी कश ॊ फाशय चर गम शोग कपय ऩशॉचग अथला फाफाजी आनलार शोग उवव ऩशर यलाना शो जामग, फाद भ फाफाजी रौटग। जफ तक ऩय इककीव जनभो क ऩणम जोय नश ॊ भायग तफ तक आतभ-वाषातकाय भशाऩरऴो क दळन नश ॊ शोग, उनक लचनो भ वलशवाव नश ॊ शोगा।

सललऩऩणमलताॊ वजन वलशवावो नल जामत। अलऩ ऩणमलारो को तो आतभलतता वॊत ऩरऴो क दळन औय लचन भ वलशवाव श नश ॊ शो

वकता श। तरवीदावजी कशत श- तरफन ऩणमऩॊज लभर नश ॊ वॊता।

नलाफ कशता श "भशायाज ! भझ आऩका दळन कयन का वौबागम लभरा श अफ चाशता शॉ कक आऩ शचजव आतभयव व, शचजव आतभसान व कतकाम शए श लश आतभा कवा श उवका अनबल भझ कयाइम।"

वनदयदावजी न सलचछ जर व बया शआ काॉव का एक कटोया भॉगलामा। उवभ थोडी बसभ लभराई। कपय कशा

"नलाफ ! इव जर भ अऩना भख दखो।"

"बगलन ! इवभ नश ॊ ददख ऩामगा। मश तो कीचड जवा शो गमा।"

"अचछा।" कपय सलचछ जर का दवया कटोया भॉगलामा औय उवको थोडा धकका दकय ऩानी दशरा ददमा औय कशा

"अफ इवभ अऩना भॉश दखो।"

"सलाभीजी ! अफ भॉश तो ददख यशा श रककन वलचचि-वा ददख यशा श, खणड-खणड शोकय ददख यशा श। वाप नश ॊ ददखता।"

ऩानी को शचसथय शोन ददमा कपय कशा "अफ इवभ दखो।"

"भशायाज ! अफ ठीक ददख यशा श।" भशायाजजी न ऩानी डार ददमा औय चऩ शोकय फठ गम। नलाफ न कपय पराथना की कक "भशायाज ! शभ रोग आतभा का अनबल कव कय? कव उव ऩयभातभा को ऩाएॉ? कव शभ आननद-सलरऩ की अनबनत शो? कऩा कयक फताइम।"

वनदयदावजी न कशा "भाग भन 'परकट कर फता ददमा। कलर वदधाशचनतक श नश ॊ, वमालशारयक वझाल द ददमा।"

"भशायाज ! शभ वभझ नश ॊ। जया वलसताय व कदशए नाथ।"

तफ वॊतशरी न कशा "ऩशर याखलार ऩानी भ भॉश दखन को कशा, नश ॊ दख ऩाम कमोकक ऩानी भरा था। ऐव श चचतत जफ भरा शोता श, वलऴम-लावनामि चषटाएॉ शोती श, सान तरफना की

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ककरमाएॉ शोती श उवव चचतत भलरन शो जाता श। भलरन चचतत भ तमशाय आतभा-ऩयभातभा का भखडा नश ॊ ददख वकता। चचतत ळदध शोन रगता श तो वभझ फढती श। आदभी भ आधमाशचतभक मोगमता ऩनऩन रगती श।"

कोई आदभी अचछ ऩद ऩय श। लश चाश तो राखो-कयोडो रऩम इकटठ कय वकता श रककन उव भषटाचाय अचछा नश ॊ रगता। तो वभझो, बगलान की उव ऩय कऩा श। रोग चाश कछ बी वोच र, भख रोग चाश कछ बी कश द कक वाशफ बोर बार श, रककन लासतल भ वाशफ वभझदाय श।

भषटाचाय कयन का भौका श कपय बी नश ॊ ककमा, कऩट कयक धनलान शोन का भौका श कपय बी कऩट नश ॊ ककमा तो शभाय ददररऩी कटोय भ जो याख श लश चर जामगी, भर चरा जामगा। ऩानी सलचछ शो जामगा। अनतकयण ळदध शो जामगा।

अनतकयण सलचछ तो शो जामगा रककन अफ बी उवभ अऩना भखडा नश ॊ ददखगा। आतभ-वाषातकाय नश ॊ शोगा। कमो? कमोकक चचतत ळदध तो शआ श रककन आतभ-वाषातकाय क लरए कलर चचतत ळदध शोना श ऩमापत नश ॊ श। शभ अचछा वमलशाय कयत श, वाशचततलक श, ककवी का ळोऴण नश ॊ कयत श, भषटाचाय नश ॊ कयत, फचऩन व वॊतो क ऩाव जात श मश ईशवय की फशत कऩा श, धनमलाद श, रककन वाषातकाय क लरए एक कदभ औय आग यखना शोगा बमा !

चचतत ळदध श इवलरए फठत श बगलान की बकति सभयण शो आती श, धनमलाद श। रककन बगलतततल का फोध तफ तक नश ॊ शोगा, आतभ-वाषातकाय तफ तक नश ॊ शोगा जफ तक चचतत की अवलदया ननलतत न शो।

चचतत क तीन दोऴ श- चचतत का भराऩन, चचतत की चॊचरता औय चचतत को अऩन चतनम का अबान। भर, वलषऩ औय आलयण।

वभझ व मि ककरमाएॉ कयन व चचतत ळदध शोता श। ळदध वमलशाय व चचतत ळदध शोता श। परनतददन धमान का अभमाव कयन व बी चचतत ळदध शोता श।

ळदध चचतत को धमान व एकागर ककमा जाता श। एकागर चचतत भ अगय तततलसान क वलचाय ठीक ढॊग व फठ गम तो वाषातकाय शो जाम।

भशायाजा बतशरय अऩना वलळार वामराजम छोडकय जोगी फन गम। वशज सलबाल वलचयण कयत-कयत ककवी गाॉल व गजय तो दकान ऩय शरलाई शरला फना यशा था। शरल की खशफ न उनक चचतत को आकवऴत कय लरमा। वमराट शोकय तो खफ बोग बोग थ। ऩयान वॊसकाय जग आम। शरला खान की इचछा शो गई। शरलाई को कशा

"बाई ! शरला द द।"

"ऩव श तमशाय ऩाव?" जोगी को घयत शए शरलाई फोरा।

"ऩव तो नश ॊ श।"

"तरफना ऩव शरला कव लभरगा? ऩव राओ।"

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"ऩव कशाॉ लभरग?" बतशरय न ऩछा।

शरलाई फोरा "गाॉल की दकषषण ददळा भ दरषकार याशत काम चर यशा श, ताराफ खद यशा श। लशाॉ जाओ। भजदय कयो। ळाभ को ऩव लभर जाएॉग।"

एक वभम का वमराट लशाॉ गमा। कदार -पालडा चरामा। लभटटी क टोकय उठाए। ददनबय भजदय की। ळाभ को ऩव लभर औय आ गम शरलाई की दकान ऩय। शरला लरमा औय ऩछत-ऩछत गाॉल की उततय ददळा भ ताराफ की ओय चर।

बतशरय अऩन भन को कशन रग "अय भनीयाभ ! तन याजम छोडा, ऩरयलाय छोडा, घयफाय छोडा, वमराट ऩद छोडा औय शरल भ अटक गमा? शरला नश ॊ लभरा इवलरए ददन बय गराभी कयलाई?

फदभाळ ! जया वी रर क राड रडान क लरए इतना ऩयळान ककमा?"

भन को अगय थोडी वी छट दग तो लश औय जमादा छट र रगा। ऩाव भ बव का गोफय ऩडा था। बतशरय न लश उठामा औय ताराफ क ककनाय ऩशॉच। एक शाथ व शरल का कौय उठाकय भॉश तक रात औय कपय ताराफ भ डार दत जो भछलरमाॉ खा जाती। दवय शाथ व गोफय का कौय उठात औय भॉश भ ठॉवत, अऩन आऩको कशत 'र, खा मश शरला।' ऐव कयत-कयत कय फ ऩया शरला ऩानी भ चरा गमा। गोफय का कापी दशसवा चरा गमा ऩट भ। शरल का आणखय गराव शाथ भ फचा तफ भन भनतभॊत शोकय परकट शो गमा औय फोरा

"श नाथ ! अफ तो कऩा कीशचजए। इतना तो जया-वा खान द शचजए !"

रककन ननिा इतनी ऩरयऩकल थी, दढता थी कक ल अऩन ननिम भ अचर थ। भन को कशा

"तन ऩय ददनबय भझ धऩ भ नचामा, भजदय कयलाई औय अबी शरला खाना श? वददमो व तन भझ गराभ फनामा श औय अफ बी भ तय कशन भ चरॉ?"

बतशरय न लश आणखय कौय बी ताराफ भ प क ददमा। भन न दखा कक भ ककवी लीय क शाथ रगा शॉ।

एक फाय भन आऩक आग शाय जाता श तो आऩभ वौ गनी ताकत आ जाती श। आऩ भन क आग शाय जात शो तो भन को वौ गनी ताकत आ जाती श आऩक नचान क लरए।

शचजतना धमान औय सान का अभमाव फढगा, उनका शभ ऩय परबाल यशगा उतना शभ भन ऩय वलजम ऩामग। शचजतना सान औय धमान व लॊचचत यशकय ककरमाएॉ कयग उतना श भन ऩय शभ ऩय वलजता शो जामगा।

एक वठ को भनीभ न कशा "वठजी ! वात वौ भ भय ऩरयलाय का ऩया नश ॊ शोता। भझ भश न का ऩॊिश वौ चादशए।"

वठ न कशा "जा चरा जा.... गट आउट।"

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भनीभ न कशा "कोई शयकत नश ॊ। भ तो गट आउट शो जाऊॉ गा रककन आऩ वदा क लरए गट आउट शो जामग।"

"कमा फात श?"

"भझ ऩता श। आऩन भझव जो फदशमाॉ लरखलाई श औय इनकभटकव क पाभ बयलाम श... तभन भझव जो गरत काभ कयलाम श, अरग दशवाफ यखलाम श उवकी वफ जानकाय भय ऩाव श। अगय आऩ ऩनिश वौ तनखलाश नश ॊ दत तो कोई शयकत नश ॊ। भ चरा जाऊॉ गा इनकभटकव ऑकपवयो क ऩाळ"

वठजी न कशा "तभ बर वौरश वौ र रो रककन यशो मशाॉ।"

भनीभ जानता था वठ की कभजोय । ऐव श शभाय जीलन भ अगय सान औय धमान नश ॊ श तो भन शभाय कभजोरयमाॉ जानता श। शाॉ, वठ को अगय इनकभटकव कलभशनय क वाथ वीधा ल गशया वमफनध शोता, तो लश वठ भनीभ को रात भाय दता। ऐव श वफ लभननसटयो क बी लभननसटय ऩयभातभा क वाथ वीधा वमफनध शो जाम तो भनरऩी भनीभ का जमादा परबाल न यश। जफ तक ऩयभातभा क वाथ वमफनध न शआ शो तफ तक तो भन को रयझात यशो।, उवव दफ-दफ यशो।

अऩनी मोगमता को ऐवी वलकलवत कय रो कक भनरऩी भनीभ जफ जवा चाश लवा शभ न नचाए रककन शभ जवा चाश लवा भनीभ कयन रग।

शभ अऩन भनरऩी भनीभ क आग वदा व शायत आए श। इवन शभ ऩय ऐवा परबाल डार ददमा कक शभ जवा कशता श लवा शभ कयत श। कमोकक परायमब भ सान था नश ॊ।

धमान औय सान का परबाल नश ॊ श तो शभ दफर शो जात श, शभाया गराभ भन-भनीभ फरलान शो जाता श। ददखत तो श फड-फड वठ, फड-फड वाशफ, फड-फड अचधकाय रककन गशयाई भ गोता भाय कय दख तो शभ गराभ क लवलाम औय कछ नश ॊ श। कमोकक भनरऩी गराभ क कशन भ चर यश श।

भन की गराभी शचजतन अॊळ भ भौजद श उतन अॊळ भ द ख भौजद श, ऩयाधीनता भौजद श, ऩयतनिता भौजद श। मश गराभी कव दय शो?

गराभी दय शोती श वभझ व औय वाभरथम व। सान वभझ दता श औय धमान वाभरथम दता श।

अनकरभ

ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ

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खोजो अऩन आऩको यभण भशवऴ क ऩाव कछ बि ऩशॉच। शचजनकी दवषट भाि व जील आननद को परापत शोता

श, शचजवकी भदशभा गात ळासतर थकत नश ॊ, मदध क भदान भ न दश सानन वदळॊ ऩवलिलभश वलदयत ऐवा कशकय बगलान शरीकरषण शचजव सान की शरिता ल ऩवलिता फतात श उव सान को परापत ककम शए आतभलतता जीलनभि भशाऩरऴ क दळन कयन की कई ददनो की इचछा ऩण शई। वना था कक बरहमननि भशाऩरऴ शरी यभण भशवऴ क वाशचननधम भ फठन भाि व रदम ळाशचनत ल आननद का अनबल कयता श। आज लश वअलवय परापत शो गमा।

बि-भणडर भशवऴ को परणाभ कयक फठा। ककवी न शरीकरषण की आयाधना की थी तो ककवी न अमफाजी की, ककवी न याभजी को रयझान क परमाव ककम थ तो ककवी न वमनायामण को अघम ददम थ ककवी न वरत ककम थ तो ककवी न पराशाय व लऴ तरफताए थ। ककवी न दो दल फदर थ तो ककवी न तीन, चाय मा ऩाॉच दल फदर थ।

जफ तक सानलान, आतभायाभी, परफदध भशाऩरऴ क चयणो भ जाकय वाधना का भाग वननशचित नश ॊ शोता तफ तक भनभानी वाधना जभती नश ॊ। रदम की गशयाई भ आळॊका फनी यशती श कक वाधना ऩण शोगी कक नश ॊ, परदामी फनगी कक नश ॊ। गशयाई भ मश वॊदश वलदयभान शो तो ऊऩय-ऊऩय व ककतन श वरत ननमभ कयो, ककतनी श वाधना कयो, ळय य को कषट दो रककन ऩणरऩण राब नश ॊ शोता। अचतन भन भ वनदश फना श यशता श। मश शभ रोगो क लरए फड भ फडा वलघन श।

मोगलालळि भशायाभामण भ आमा श कक ळभलान ऩरऴ क वल वनदश ननलतत शो जात श, उवक चचतत भ ळोक क परवॊग भ ळोक नश ॊ शोता, शऴ क परवॊग भ शऴ नश ॊ शोता, बम क परवॊग भ बमबीत ददखता शआ बी बमबीत नश ॊ शोता, रदन क परवॊग भ योता शआ ददखता श कपय बी नश ॊ योता श, वख क परवॊग भ वखी ददखता श कपय बी वखी नश ॊ शोता।

जो वखी शोता श लश द खी बी शोता श। शचजतना अचधक वखी शोता श उतना अचधक द ख क आघात वशता श। भान क दो ळबदो व शचजतना अचधक खळ शोता श उतना अचधक अऩभान क परवॊग भ वमगर शोता श। धन की परानपत व शचजतना अचधक शऴ शोता श, धन चर जान व उतना अचधक ळोक शोता श। चचतत शचजतना तचछ, शलका औय असान व आकरानत शोता श उतना श छोट -छोट फातो व षोलबत शोता श। चचतत जफ फाचधत शो जाता श तफ षोलबत शोता शआ ददख उवको षोब सऩळ नश ॊ कय वकता। अषटालकर भनन न याजा जनक को कशा

धीयो न दववषट ववायॊ आतभानॊ न दददषनत। शऴाबऴवलननभिो न भतो न च जीलनत।।

"शऴ औय दवऴ व यदशत सानी वॊवाय क परनत न दवऴ कयता श औय न आतभा को दखन की इचछा कयता श। लश न भया शआ श औय न जीता श।"

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(अषटालकर गीता 83) जो धीय ऩरऴ श, ळभ को परापत शए श, शचजनशोन जीलन क ऩयभ रकषम को लवदध कय लरमा,

ऩयभातभ-दळन कय लरमा, बरहमा-वलरषण-भशळ वभशचनलत वलशव क तभाभ दलो की भराकात कय र , जो अऩन सलरऩ भ ऩरयननवित शो गम ल श कतकतम श। ळासतरो भ उनश ॊ को धीय कशा श।

जो षधा-तऴा, वदॊ-गभॉ वशन कयत श उनभ तो धम तो श रककन ल तऩसली श। ल वमालशारयक धमलान श। ळासतर ककनको धमलान कशत श? अषटालकर भनन कशत श- धीयो न दववषट वॊवायभ.... वॊवाय की ककवी बी ऩरयशचसथनत भ उददवगन नश ॊ शोता, उव दवऴ नश ॊ शोता। आतभानॊ न दददषनत। आतभा-ऩयभातभा का दळन कयन की, उव परापत कयन की इचछा नश ॊ श। वॊवाय की परानपत तो नश ॊ चाशता, इतना श नश ॊ परब को परापत कयन की बी इचछा नश ॊ यश । कमोकक अऩना आतभा श परब क रऩ भ परतमष शो गमा श। कपय परापत कयना कशाॉ फाकी यशा? जव, भय को आवायाभजी भशायाज क दळन कयन की इचछा नश ॊ। अगय भ इचछा करॉ तो भय इचछा परगी कमा? भ जानता शॉ कक आवायाभजी भशायाज कौन श।

शचजवन अऩन-आतभसलरऩ को जान लरमा, ऩयभातभ-सलरऩ को जान लरमा उवको ऩयभातभ-परानपत की इचछा नश ॊ यशती।

शऴाबऴवलननभिो न भतो न च जीलनत। शऴ औय ळोक, वख औय द ख – इन दवनदवो व ठीक परकाय व भि शो जाता श। लश जीता

बी नश ॊ औय भयता बी नश ॊ। वाधायण भनरषम शो जाता श। लश जीता बी नश ॊ औय भयता बी नश ॊ। वाधायण भनरषम ददन भ कई फाय जीता भयता यशता श। धीय ऩरऴ ककवी बी परवॊग व जीता-भयता नश ॊ औय दश क वलवजन व बी भयता नश ॊ।

ऐव धीय ऩरऴ क वभष फठन व चचतत भ उलराव, ळाशचनत, आननद का पराकटम शोता श। भशादयाचाय , ऩाऩी आदभी ऩय बी भशाऩरऴ की दवषट ऩड तो कछ न कछ राब अलशम शोता श। जीलन भ कछ ऩणम ककम शो, उऩावना आयाधना की शो, ककवी क आॉव ऩोछ शो, भाता-वऩता का ददर ळीतर ककमा शो तो अचधक राब लभरता श।

उन बिो क जनभो क ऩणम पलरत शए तो ल वतऩरऴ क वाशचननधम भ ऩशॉच वक। उनशोन यभण भशवऴ व परशन ककमा

"सलाभी जी ! शभ कवी वाधना कयनी चादशए? याभामण वनत श तो बगलान शरीयाभ वलवला रगत श। बागलत की कथा वनत श तो 'शरीकरषण गोवलनद शय भयाय श नाथ नायामण लावदल' मश भॊि बाता श। लळलऩयाण वनत श तो 'नभ लळलाम' भॊि पमाया रगता श। कबी कछ कयत श कबी कछ। अफ शभ कमा कय?"

वफ बिो न इव परकाय अऩन-अऩन परशन भशवऴ क वभष परसतत ककम। म परशन कलर उन रोगो का श नश ॊ था, शभ वफका बी मश परशन श। जफ तक आतभफोध नश ॊ शोता तफ तक छोट -छोट फातो भ चचतत उददवगन शो जाता श। उऩावना कयन व चचतत थोडा ळदध शोता श, शचसथय शोता श

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औय आतभफोध व चचतत फाचधत शोता श। ळदध फना शआ चचतत कपय अळदध शो वकता श रककन फाचधत चचतत ळवदध-अळवदध क ऩाय ऩशॉच जाता श।

यभण भशवऴ ऐवी फात फतात श जशाॉ दल फदरन औय चचतत क ऩतन ल उतथान को सथान श न लभर। भशवऴ न वफक परशन वन। षणबय ननजाननद भ गोता रगामा। कपय फोर

"बाई ! तभ शचजव दल की उऩावना आयाधना कयत शो लश वफ ठीक श। फाय-फाय अऩन को परशन कयो कक उऩावना आयाधना कयन लारा भ कौन शॉ? वतत अऩन आऩ व मश परशन कयो। तमशाया जो कोई दल शोगा लश परवनन लभरगा। दलो बतला दलॊ मजत। दल शोकय दल की ऩजा कयो।"

तभ कौन शो? तभ मदद शाड-भाॊव क अनथाबाई, छनाबाई शोकय ऩजा कयोग तो वलळऴ राब नश ॊ शोगा। तभ अऩन को खोजो तो ऩता चरगा कक तभ कव ददवम दश शो। तमशाय आतभा ककतनी भशान श। 'भ कौन शॉ' मश परशन अऩन को ऩछो औय अऩन आऩको खोजो तो तभाभ परशनो क जलाफ तमश लभरत जामग। बीतय व अऩन आऩकी वश ऩशचान शो गई तो तमशाय वफ जऩ-तऩ पलरत शो गम, वफ दान-ऩणम वाथक शो गम। कपय तो तमशाय भीठी ननगाश शचजन ऩय ऩडगी ल बी राबाशचनलत शोन रगग।

फात छोट -वी रगती श रककन ऩचचीव-ऩचाव वार व अरग-अरग उऩावना कयन व जो आधमाशचतभक वलकाव नश ॊ शोता लश वलकाव 'भ कौन शॉ' की खोज व शो वकता श।

अनकरभ

ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ

गीतासान-वरयता मऴाॊ तलनतगतॊ ऩाऩॊ जनानाॊ ऩणमकभणाभ। त दवनदवभोशननभिा बजनत भाॊ दढवरता।।

'ननरषकाभ बाल व शरि कभो का आचयण कयन लार शचजन ऩरऴो का ऩाऩ नषट शो गमा श ल याग-दवऴ जननत दवनदवरऩ भोश व भि दढननिमी बि भझको वफ परकाय व बजत श।'

(गीता 7.28) दवनदव कई परकाय क शोत श- गशसथ जीलन क दवनदव, बरहमचाय जीलन क दवनदव, लानपरसथ

जीलन क दवनदव, वॊनमाव जीलन क दवनदव, सलग भ जाओ तो बी दवनदव औय उऩावना भाग भ जाओ तो बी दवनदव। कोई वाधना कयन रगगा तो परशन शोगा कक म दल फड कक लो दल फड? म बगलान फड? मश वाधना फडी कक लश वाधना फडी? म वॊत फड कक ल वॊत फड?

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तभाभ परकाय क दवनदव शभाय चचतत की ळकतिमो को तरफखय दत श। रककन शचजनक ऩाऩो का अनत शो गमा श ऐव बि चचतत की तभाभ ळकतिमो को कशचनित कयक बगलान क बजन भ दढताऩलक रग जात श। दढता व बगलान का बजन कयन लारा बगलनभम शो जाता श।

बजन भ जफ तक दढता नश ॊ आती तफ तक बजन का यव नश ॊ आता जफ तक बजन का यव नश ॊ आता तफ तक बल क यव का आकऴण नश ॊ जाता।

भनरषम की अऩषा जील ळाशवत श। भनरषम वाठ, वततय, असवी वार तक जीता श जफकक जील अननत ळय य फदरता शआ जीता श। भनरषम को वॊसकाय दन ऩडत श कक त जील नश ॊ श, लळलसलरऩ श। परायॊब भ द षा द जाती श औय कशा जाता श कक अफ त बरहमचाय श, बरहमचमाशरभ क धभो का ऩारन कय। कपय दवय आशरभ भ परलळ शोता श तफ अधमायोऩ ककमा जाता श कक त गशसथी श। कपय लानपरसथी श औय आणखय भ ऩयभ ऩद ऩान क लरए वॊनमाव।

परायमब भ वमालशारयक दवषट व अधमायोऩ शआ कक 'भ बरहमचाय शॉ, भ गशसथी शॉ, भ लानपरसथी शॉ।' इन अधमायोऩो को शटान क लरए वॊनमसत का अधमायोऩ ककमा गमा।

वॊनमाव भान कमा? वल वॊकलऩो का तमाग। ऩय भ काॉटा चब जाम तो उव ननकारन क लरए दवया काॉटा (वई) जान-फझकय चबामा जाता श। ऩय भ यखन क लरए नश ॊ अवऩत ऩशर काॉट को ननकारन क लरए मश दवया चबामा श। ऩशरा ननकर गमा तो दवया बी ननकार ददमा जाता श।

ऐव श जनभ-जनभाॊतयो क वॊसकाय-कवॊसकाय धोन क लरए बरहमचमाशरभ क ननमभ-धभ, गशसथ औय लानपरसथ क ननमभ धभ को सलीकाय कयामा जाता श। 'भ बरहमचाय शॉ। बरहमचम का ऩारन, वाधना, वलदयाभमाव, लदळासतरो का अभमाव औय गरवला कयना भया ऩवलि कततवम श।' कपय, 'भ गशसथी शॉ। धभ क भतातरफक धनोऩाजन कयना, ऩवलिता व जीलन जीना औय जीन दना, इतय तीन आशरभो का मथाळकति ऩोऴण कयना भया कततवम श।' कपय, 'भ लानपरसथी शॉ। इशचनिम-वॊमभ कयक अफ भझ तऩसली जीलन तरफताना चादशए।' रककन 'भ कौन शॉ?' इवका सान परापत कयना शो तो ऩशर अधमायोवऩत वॊसकायो को ननभर कयन क लरए वॊनमाव धभ को सलीकाय ककमा जाता श।

वॊनमाव का अथ श तभाभ इचछाओॊ का तमाग। रदम भ जफ भोष की तीवर इचछा जग तफ दवय छोट -भोट तभाभ इचछाएॉ उव भभषा की अशचगन भ सलाशा शो जाती श। दवय इचछाओॊ व ऩलरा छडान क लरए भोष की इचछा की जाती श। जफ दवय इचछाएॉ बर परकाय शट गई तो भोष की इचछा का बी फाध ककमा जाता श। तफ 'भया भोष शो, ऩयभातभा का द दाय शो' – ऐवी बालना बी आलशमक नश ॊ यशती। भोषचछा लभटत श परब का वाषातकाय शो जाता श, फडा ऩाय शो जाता श।

वाधक को मश भाग वभझ भ आ जाम, ककवी वचच वदगर का भागदळन लभर जाम तो काम वयर फन जाता श। अनमथा तो फाशय क भॊददय-भशचसजदो भ जात-जात, फाशय क दली-

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दलताओॊ को ऩजत-ऩजत, वॊवाय-वमलशाय चरात-चरात, इशचनिमो क वलऴमो भ बटकत-बटकत, वलवलध परकाय क दवनदवो भ उरझत-उरझत एक श आमरषम नश ॊ फशचलक मग क मग फीत गम।

एक ळाभ को बोज वोन की वई व कऩडा वीन की चषटा कय यशा था। नमी-नमी ळाद शई थी औय वोन की वई दशज भ लभर शोगी। वई की नोक शाथ भ चबी औय झटका तो वई चगय ऩडी ,खो गई। घय भ अनधया शो यशा था। बोज बागा फाजाय भ नगयऩालरका क पानव की योळनी भ धर क छोट-छोट ढय फनाकय वई खोजन रगा। यात क आठ फज.... नौ... दव य गमायश फज। बोज अऩन काम भ फडा वमसत था। खाना-ऩीना बी माद नश ॊ। वोन की वई जो खोई थी ! यािी क फायश फज नाटक दखकय रौटत शए लभिो न दखा तो ऩछा

"अय बाई बोज ! मश वफ कमा कय यशा श?"

"भाप कयो। भ फशत काभ भ शॉ।" बोज न लवय ऊॉ चा ककए तरफना अऩना काभ चार यखा।

"अय दोसत ! फता तो वश ! शभ कछ वशाम कय।" लभि-भणडर बोज क इद-चगद जभा शो गमा।

"वशाम कयना शो तो कयो रककन भय ऩाव वभम नश ॊ श फात कयन का। फशत जरय काभ भ रगा शॉ।"

"कौन वा जरय काभ?" लभिो की उतवकता फढ ।

"वोन की वई खो गई श।" आणखय बोज न फता श ददमा।

"कशाॉ खोई?"

"खोई तो घय भ श..."

"तो मशाॉ कमो खोज यशा श?" लभिो को आिम शआ।

"घय भ अनधया श। लशाॉ द मा कौन जराम? मशाॉ जरता शआ पानव तमाय श।" बोज न अऩना परगाढ (अ) सान परकालळत ककमा।

"अय ऩगरा ! इव परकाय मशाॉ खोजत-खोजत एक यािी नश ॊ, ऩया आमरषम तरफता दगा तो बी वई मशाॉ नश ॊ लभरगी। घय भ जा, द मा जरा औय वई जशाॉ खोई श लश ॊ खोज।"

इव परकाय जील वफश व ळाभ तक, जीलन व भौत तक, भतम क फाद नम जनभ भ.... इव परकाय मग-मगानतय तक 'वखो को ऩकड यखना औय द खो को दय कयना' – इवी दौड भ रगा श।

वफश व ळाभ तक शभ कमा कयत श? द ख को दय शटाना औय वख को वमबारना। शयक पराणी जीलन व भतम ऩमत मश परलवतत कयता श। आणखय भ उव कमा शाथ रगता श? वबी बोज क वाथी....। वख कशाॉ श मश ऩता नश ॊ। वख खोमा श मश तो थोडा-थोडा ऩता रगता श रककन कशाॉ खोजना चादशए इवकी वझ नश ॊ। खोमा श घय भ औय खोजता श फाजाय भ।

कफीयजी कशत श- बटक भॊआ बद तरफना ऩाल कौन उऩाम।

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खोजत खोजत मग गम ऩाल कोव घय आम।। वख को खोजत-खोजत, ळाशचनत को खोजत-खोजत, अभयता को खोजत-खोजत मग फीत

गम कपय बी जील फचाया अबागा श यश गमा। शयक जनभ भ फाऩ ककम, भाॉ की, ऩनत ककम, ऩतनी की, घयफाय फनाम, ऩरयलायो को ननबाम, कमा-कमा नश ॊ ककमा फचाय न? रककन भतम का एक श झटका औय वफ ककमा कयामा चौऩट। कपय दवय गब भ उलटा शोकय रटकना, नायकीम मातनाओॊ क वाथ जनभना, द ख बोगत-बोगत जीना। जवा-जवा लातालयण लभरा लव वॊसकाय चचतत भ जभ गम। जील वोचता श कक इतना कय रॉ तो आयाभ.... फाफाजी शो जाऊॉ , कपय आयाभ....। मश कय रॉ कपय आयाभ.... लश कय रॉ कपय आयाभ...। ऐवा कयत-कयत जीलन ऩया शो गमा। आणखय ऩछो कक "ऩळा काका ! कमा शार श?"

"अय काका ! भयन भ बी आयाभ नश ॊ श।"

तरफरकर वच फात श। भयन भ बी आयाभ नश ॊ औय कयन भ बी आयाभ नश ॊ। तो आयाभ कशाॉ श?

मऴाॊ तलनतगतॊ ऩाऩॊ जनानाॊ ऩणमकभणाभ। त दवनदवभोदशननभिा बजनत भाॊ दढवरता।।

शचजनक ऩाऩो का अनत शआ शो, ऩणम कभो का उदम शआ शो, भोश वलननभि शआ शो लश दढता व बगलान का बजन कय वकता श। सान क तरफना बजन नश ॊ शो वकता, सान क तरफना ऩणम नश ॊ शो वकता, वाषात बगलान बी तमशाय कनध व टकयाकय चर जाम तो सान क तरफना ऩता नश ॊ चरता।

शरीभद बागलत भ परवॊग आता श कक लवदलजी न मस ककमा। नायदजी ऩधाय तो लवदल जी न उनश परणाभ ककमा औय कशन रग

"बगलान ! शभाय अशोबागम कक आऩ जव परब ऩधाय। श दलवऴ ! अफ भझ ऩय कऩा कयो कक भझ बगलान क दळन शो जाम। भया कलमाण शो जाम।"

मश वनकय नायदजी वशचसभत-लदन शोकय कशन रग "अय लवदलजी ! म वफ वाध-वॊत भशातभा रोग आऩक मस क धएॉ चाटन आम श कमा? शभ रोग मशाॉ कमो आम श?"

"भशायाज ! आऩन ऩधाय कय शभ दळन ददम रककन..."

"अय शभ बी बगलान क दळन कयन श तो मशाॉ आम श।"

"अचछा ! कशाॉ श बगलान?" लवदलजी वलसपरयत निो व दखन रग।

"लशाॉ दखो..... लश नटखट नागय वॊतो की जठी ऩततर उठा यश श।"

"अय लश तो भया कनशमा श। आऩ भझ बगलान क दळन कयाइम।"

बगलान शचजनकी गोद भ खरत श ऐव लवदलजी बी बगलतततल का बान न शोन व मस कयाकय नायदजी व आळीलाद भाॉगत श औय बगलान को खोजन की, ऩान की तमारयमाॉ कय यश श।

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एक फाय भॊफई का कोई वजजन अभदालाद क आशरभ भ दळनाथ आमा। ऩसतक ऩढ शोगी, रोगो व वना शोगा तो दळन कयन की इचछा जगी। शभ कश ॊ फाशय गम थ। लश लाऩव रौट गमा। दळन नश ॊ शो वक।

कछ ददन फाद उव वमलवाम क ननलभतत रचधमाना जाना शआ। रौटत लि वोचा कक अभदालाद शोकय कपय भॊफई जामॉग। लश ददलर भ 'रयजलळन कोच' भ फठा। वॊमोगलळात शभ बी उवी गाडी व अभदालाद रौट यश थ। उवी कमऩाटभनट भ परलळ ककमा। उव ऩता नश ॊ था कक शचजन भशायाज क दळनाथ अभदालाद आशरभ भ गमा था ल श भशायाज श। लश फोरा

"फाफाजी ! आग जाओ।"

"शभाय रयजलळन दटकट का नॊफय 19 श। आऩका कौन-वा श?" शभन ऩछा।

"अठायश।" लश फोरा।

"आऩ अऩनी जगश फठो, शभ शभाय जगश फठत श। आऩको कोई शयकत नश ॊ श न? " शभन थोडा वलनोद ककमा।

"अचछा, फठो।" भॉश तरफगाडत शए लश फोरा।

गाडी चर । छोट-भोट सटळन आम औय गम। जमऩय आमा। अफ बी उव वजजन को फाफाजी क दळन नश ॊ शए। शचजनक दळन कयन भॊफई व अभदालाद गम थ ल श उवी कमऩाटभनट भ ऩाव लार वीट ऩय फठ थ कपय बी दळन नश ॊ शो यश श। कमोकक सान नश ॊ कक मश ल वॊत श।

गाडी अजभय ऩशॉची। लशाॉ क बिो को शभाय परलाव की खफय लभर चकी थी। पर-पर रकय बिो का टोरा अजभय क परटपाभ ऩय जभा शो गमा था। गाडी न सटळन भ परलळ ककमा तो 'आवायाभजी भशायाज की जम..... आवायाभजी भशायाज की जम......' क नाद व सटळन गॉजा ददमा।

म वजजन णखडकी व फाशय झाॉकन रग। 'शचजनक दळन कयन अभदालाद गमा था कक ल श आवायाभजी भशायाज अजभय भ ऩधाय श कमा? इतन भ बिो का टोरा परशायो क वाथ खोजता-खोजता शभाय कोच क ऩाव आ ऩशॉचा। दळन शोत श कपय व जम-जमकाय शआ। बीतय आकय रोग परणाभ कयन रग, परशाय चढान रग, फाशयलार दय व श ऩरषऩलवषट कयन रग। वबी क चशय आननद व भशक यश थ। परटपाभ ऩय आननद-उतवल शोन रगा।

म वजजन मश दशम दखकय दॊग यश गम। ककवी बि व ऩछा "कमा म श अभदालादलार आवायाभजी भशायाज श?"

"शाॉ शाॉ.... म श भोटयालार वाॉई श।" बि फड उतवाश व फोरा।

वनकय तयनत लश वजजन चयणो भ लरऩट ऩडा। गदगद कणठ व फोर उठा "फाऩ...! फाऩ....!! भन ऩशचाना नश ॊ। आऩक दळन क लरए तो भ आशरभ भ गमा था।

आऩक दळन नश ॊ शए। ददलर व आऩ वाथ भ श रककन...."

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उव वजजन को भराकात तो ददलर भ शो गई रककन दळन अजभय भ शए।

मश तो कशचलऩत परवॊग आऩको वभझान क लरए कशा। वतम फात मश श कक फाऩओॊ क फाऩ ऩयबरहम ऩयभातभा शभाय वीट क ऊऩय श फठ श रककन आज तक शभाया अजभय नश ॊ आमा। मगो व उनव शभाय भराकात श, कबी वलमोग वमबल श नश ॊ कपय बी आज तक उनक दळन नश ॊ शए। कमा आिम श !

अबी ऩाऩो का अनत नश ॊ शआ। ऩय ऩणमो का उदम नश ॊ शआ। बगलान की बकति भ शभाय दढता नश ॊ आमी।

मऴाॊ तलनतगतॊ ऩाऩॊ जनानाॊ ऩणमकभणाभ। त दवनदवभोदशननभिा बजनत भाॊ दढवरता।।

लिावय औय इनि का मदध शआ। लिावय कशता श "श इनि ! अफ दय न कयो। भया ळीघर शनन कयो। कमोकक जो आमा श वो जामगा। अबी भया भन शरीशरय क सनश भ रगा श। इव वभम भझ भाय दोग तो भ शरीशरय को परापत शो जाऊॉ गा। जफ वॊवाय क दवनदवो भ भया भन यश औय उवी अलसथा भ भतम शो जाम तो अलगनत शोगी। अबी भय लरए मश वअलवय श। भझ शरीशरय की दढबकति परापत शो जामगी। भय इव नशवय दश को चगया दो।"

धन-लबल, वाधन-वॊऩदा असान व वखद रगत श रककन उनभ दवनदव यशत श। याग-दवऴ, इचछा-लावना क ऩीछ जील का जीलन वभापत शो जाता श। दवनदवो व भि शए तरफना बगलान की दढ बकति परापत नश ॊ शोती।

ननदवनदव तो लश शो वकती श जो जगत को सलपन तलम वभझता श। ननदवनदव तो लश शो वकता श जो बरहमलतता वदगर क सान को ऩचा रता श। ननदवनदव तो लश शो वकता श शचजवको लळलजी का अनबल अऩना अनबल फनान की तीवर रगन रगी श। लळलजी बगलती ऩालती व कशत श-

उभा कशौ भ अनबल अऩना। वतम शरयबजन जगत वफ वऩना।।

लिावय औय इनि का मदध शआ शोगा तफ ककतना घभावान भचा शोगा, ठोव वतम बावता शोगा। अफ दखो तो वफ सलपन। याभामणकार औय भशाबायतकार वफ सलपन। भॊथया का कऩट, ककमी का करय ननिम, दळयथ का वलयश, अमोधमालालवमो की करण शचसथनत, वभनि क आॉव, याभजी का लनगभन, ळऩनखा की काभलवतत, रकषभण की अथक वला औय आणखय भ याभ-यालण का बीऴण मदध। मश वफ शचजव वभम शआ शोगा तफ ककतना ठोव वतम बावता शोगा। अफ दखो तो दख सलपन।

ऐव-ऐव अलतायो की चषटाएॉ औय र राएॉ कार क अनतयार भ सलपन की तयश वयक गई तो तमशाय -शभाय चषटाओॊ का भलम श कमा श? वभम की धाया भ वफ कछ परलादशत शो यशा श। गॊगा क जर भ दो फाय कोई नशा नश ॊ वकता।

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'भ दव फाय नशा वकता शॉ।' कोई कश।

नश ॊ बमा ! शचजव ऩानी भ आऩन गोता रगामा लश ऩानी तो कश ॊ का कश ॊ फश गमा। जफ-जफ नमा गोता रगाओग तफ नमा ऩानी आ जामगा। इवी परकाय वभम की धाया श। लव का लवा वभम आ वकता श लश का लश वभम लाऩव नश ॊ आता। द ऩक की रौ जरती श। लश की लश ददखती श रककन लश श नश ॊ। लवी की लवी श ककनत शय ऩर नमी नमी शो यश श।

ऐव श शभ लश क लश रगत श लासतल भ लश क लश श नश ॊ। शभाय ळय य क कोऴ शयदभ फदर यश श। शभाय वलचाय फदर यश श, फवदध फदर यश श। शाॉ, शभाया लासतवलक ताशचतलक सलरऩ लश का लश अऩरयलतनळीर श।

तभ शचजवको 'भ' भानत शो उव दश क कोऴ फदर यश श, भन की लवततमाॉ फदर यश श, फवदध क ननणम फदर यश श, वलचाय फदर यश श ककनत शचजवको तभ 'भ' नश ॊ भानत लश आतभा श वचभच तभ शो। उव वचची 'भ' को तभ लासतल भ जान रो तो तमशाया फडा ऩाय शो जाम। कपय तो शचजव ऩय तमशाय करणाभम दवषट ऩड लश दवनदवभोशवलननभिा क भाग ऩय चर ऩड।

याग-दवऴ व पररयत शोकय जो काम ककम जात श ल दवनदव औय भोश को फढात श। ईशवय-परीतमथ काम ककम जाम तो दवनदवभोश ननभर शोन रगत श। तभ कमा फोरत शो, ककवक वाथ फोरत शो उवकी गशयाई भ तमशाया श अनतमाभी आतभदल श इव बाल फोरो तो तमशाय दवनदव-भोश कभ शो जामग। चार वमलशाय भ बकति शो जामगी, चार वमलशाय भ मोग औय सान का अभमाव शो जामगा। अनतकयण ऩवलि शोन रगगा। तमशाया परबाल फढन रगगा कपय बी उवका अशॊकाय नश ॊ आमगा।

सान का भाग ऐवा श कक अशॊकाय को उतऩनन श नश ॊ शोन द। अशॊकाय दवय को दखकय शोता श। बम दवय को दखकय शोता श। घणा दवय को दखकय शोती श। आवकति दवय ऩय शोती। जफ वफभ आतभसलरऩ शरीशरय को ननशाया तो बम ककवव? आवकति ककवव? अशॊकाय ककवव? नयलवॊश भशता न ककतना वॊदय गामा श

अणखर बरहमाणडभाॊ एक तॊ शरीशरय। जजल रऩ अननत बाव।।

दो वॊनमावी मलक मािा कयत-कयत ककवी गाॉल भ ऩशॉच। रोगो व ऩछा "शभ एक यातरि मशाॉ यशना श। ककवी ऩवलि ऩरयलाय का घय ददखाओ।" रोगो न फतामा कक "लश एक चाचा का घय श। वाध-भशातभाओॊ का आदय-वतकाय कयत श। अणखर बरहमाणडभाॊ एक तॊ शरीशरय ऩाठ उनका ऩकका शो गमा श। लशाॉ आऩको ठीक यशगा।" उनशोन उन वजजन चाचा का ऩता फतामा।

दोनो वॊनमावी लशाॉ गम। चाचा न परभ व वतकाय ककमा, बोजन कयामा औय यातरि-वलशराभ क लरए तरफछौना तरफछा ददमा। यातरि को कथा-लाता क दौयान एक वॊनमावी न परशन ककमा

"आऩन ककतन तीथो भ सनान ककमा श? ककतनी तीथमािा की श? शभन तो चायो धाभ की तीन-तीन फाय मािा की श।"

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चाचा न कशा "भन एक बी तीथ का दळन मा सनान नश ॊ ककमा श। मश ॊ यशकय बगलान का बजन कयता शॉ औय आऩ जव बगलद सलरऩ अनतचथ ऩधायत श तो वला कयन का भौका रता शॉ। अबी तक कश ॊ बी गमा नश ॊ शॉ।"

दोनो वॊनमावी आऩव भ वोचन रग 'ऐव वमकति का अनन खामा ! अफ मशाॉ व चर जाम तो यातरि कशाॉ तरफताएॉ? मकामक चर जाम तो उवको द ख शोगा। चरो, कव बी कयक इव वलचचि लदध क मशाॉ यातरि तरफता द। शचजवन एक बी तीथ नश ॊ ककमा उवका अनन खा लरमा ! शाम! ' आदद आदद। इव परकाय वलचायत वोन रग रककन नीॊद कव आल? कयलट फदरत-फदरत भधमयातरि शई। इतन भ दवाय व फाशय दखा तो गौ क गोफय व र ऩ शए फयाभद भ एक कार गाम आमी.... कपय दवय आमी..... तीवय .... चौथी.... ऩाॉचलीॊ..... ऐवा कयत-कयत अवॊखम गाम आई। शयक गाम लशाॉ आती, फयाभद भ रोटऩोट शोती औय वपद शो जाती तफ अदशम शो जाती। ऐवी ककतनी श कार गाम आमी औय वपद शोकय वलदा शो गई। दोनो वॊनमावी पट आॉखो व दखत श यश। दॊग यश गम कक मश कमा कौतक शो यशा श !

आणखय गाम जान की तमाय भ थी तो उनशोन उव लनदन कयक ऩछा "श गौ भाता! आऩ कौन शो औय मशाॉ कव आना शआ? मशाॉ आकय आऩ शवतलण शो जाती

शो इवभ कमा यशसम श? कऩा कयक अऩना ऩरयचम द।"

गाम फोरन रगी "शभ गामो क रऩ भ वफ तीथ श। रोग शभभ 'गॊग शय.. मभन शय... नभद शय....' आदद फोरकय गोता रगात श, शभभ अऩना ऩाऩ धोकय ऩणमातभा शोकय जात श औय शभ उनक ऩाऩो की कालरभा लभटान क लरए दवनदवभोश व वलननभि आतभसानी, आतभा-ऩयभातभा भ वलशराशचनत ऩाम शए ऐव वतऩरऴ क आॉगन भ आकय ऩवलि शो जात श। शभाया कारा फदन ऩन शवत शो जाता श। तभ रोग शचजनको अलळकषषत गॉलाय फढा वभझत शो ल फजग तो जशाॉ व तभाभ वलदयाएॉ ननकरती श उव आतभदल भ वलशराशचनत ऩाम शए आतभलतता वॊत श।"

ऩढना अचछा श रककन ऩढाई का अशॊ अचछा नश ॊ। वॊनमावी शोना अचछा रककन वॊनमाव का अशॊ अचछा नश ॊ। वठ शोना ठीक श रककन वठ का अशॊ ठीक नश ॊ। अभरदाय शोना ठीक श रककन अभरदाय का अशॊ ठीक नश ॊ।

कछ बी फनो रककन वदा माद यखो कक आणखय तफ तक? मश सभयण यश तो दवनदव औय भोश वऩघर जामगा। कपय आतभयव परकट शोन भ वगभता यशगी। छोट फारक को दखा? रटा शआ आकाळ क वाथ कशती कयता श। तोतर ळबद बी भधय रगत श। कमोकक उवक बीतय क दवनदव, उवक अशॊकाय अबी ठोव नश ॊ फन। उवक चचतत भ अबी 'भ' औय 'भया' का दवनदव ऩनऩा नश ॊ। लश फडा शोगा, उवक चचतत भ जफ दवनदव जगग तफ उवकी ननदोऴता दय शो जामगी, दोऴ आ जामग, अशॊकाय ऩषट शोगा। ऋवऴ कशत श-

लीतयागबमकरोध भनन भोषऩयामण। 'शचजवका याग, बम औय करोध वमतीत शो गमा श लश भनन भोषऩयामण श।'

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फालमालसथा भ याग, बम औय करोध वऴपत यशत श। उमर फढती श तो याग-बम-करोध बी ऩषट शो जात श। धमान, बजन, वाधना क दवाया जफ वललक जगामा जाता श तफ वलकाय वमतीत शो जात श। तफ भनरषम भनन फन जाता श, भननळीर फन जाता श। भनिदषटा को ऋवऴ कशा जाता श औय आतभसान का भनन कयक सलरऩ भ वलशराॊनत ऩात श उनको भनन कशा जाता श। नायदजी ऋवऴ बी थ औय भनन बी थ। ललळिजी भशायाज ऋवऴमो भ बी चगन जात श औय भननमो भ बी चगन जात श। ळकदलजी भशायाज भनन कश जात श।

जफ तक जील अऩन आतभा-ऩयभातभा भ जगता नश ॊ तफ तक उवका दबागम चार श यशता श। चार दबागम भ जील अऩन को बागमलान भान रता श कक 'आशा ! भझ नौकय लभर गई। फडा बागमलान शॉ।' अय बमा ! तझ अऩन आतभा का सान लभरा श?"

"नश ॊ।"

तो ऩया बागमलान नश ॊ।

"भझ अचछा ऩरयलाय लभरा। भ बागमलान.....। भझ अचछा धनधा लभरा, अचछ लभि लभर, अचछा भाशौर लभरा.... भ फशत बागमलान शॉ....।"

लासतल भ म वफ अतमॊत तचछ चीज श। वाथ यशन लार नश ॊ श। अवऩत गभयाश कयन लार वॊवाय की वलऩादाम श। ऐवा तो शय जनभ भ कछ न कछ लभरता श कपय बी जील अबाग क अबाग श यशत श।

लासतल भ बागमलान तो तफ जफ 'भ कौन शॉ' इवका बान शो जाम। कपय उव ऩय नजय डार द लश चभकन रग जाम।

अनकरभ

ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ

वचची कऩा एक फाय एक दरयि बराहमण क भन भ धन ऩान की तीवर काभना शई। लश वकाभ मसो की

वलचध जानता था ककनत धन श नश ॊ तो मस कव शो? लश धन की परानपत क लरए दलताओॊ की ऩजा औय वरत कयन रगा। कछ वभम एक दलता की ऩजा कयता, ऩयनत उवव कछ राब नश ॊ ऩडता तो दवय दलता की ऩजा कयन रगता औय ऩशर को छोड दता। इव परकाय उव फशत ददन फीत गम। अनत भ उवन वोचा "शचजव दलता की आयाधना भनरषम न कबी न की शो, भ अफ उवी की उऩावना करॉ गा। लश दलता अलशम भझ ऩय ळीघर परवनन शोगा।"

बराहमण मश वोच श यशा था कक उव आकाळ भ कणडधाय नाभक भघ क दलता का परतमष दळन शआ। बराहमण न वभझ लरमा कक, 'भनरषम न कबी इनकी ऩजा न की शोगी। म फशदाकाय

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भघदलता दलरोक क वभीऩ यशत श। ल भझ अलशम धन दग।' फव फडी शरदधा-बकति व बराहमण न उव कणडधाय भघ की ऩजा परायमब कय द ।

बराहमण की ऩजा व परवनन शोकय कणडधाय दलताओॊ की सतनत की, कमोकक लश सलमॊ तो जर क अनतरयि ककवी को कछ द नश ॊ वकता था। दलताओॊ की परयणा व मष-शरि भणणबि उवक ऩाव आकय फोर "कणडधाय तभ कमा चाशत शो?"

कणडधाय "मषयाज ! दलता मदद भझ ऩय परवनन श तो भय उऩावक इव बराहमण को ल वखी कय।"

भणणबि "तमशाया बि मश बराहमण मदद धन चाशता श तो इवकी इचछा ऩण कय दो। मश शचजतना धन भाॉगगा लश भ इव द दॉगा।"

कणडधाय "मषयाज ! भ इव बराहमण क लरए धन की पराथना नश ॊ कयता। भ चाशता शॉ कक दलताओॊ की कऩा व मश धभऩयामण शो जाम। इवकी फवदध धभ भ रग।"

भणणबि "अचछी फात ! अफ बराहमण की फवदध धभ भ श शचसथत यशगी।"

उवी वभम बराहमण न सलपन भ दखा कक उवक चायो ओय कपन ऩडा शआ श। मश दखकय उवक रदम भ लयागम उतऩनन शआ। लश वोचन रगा "भन इतन दलताओॊ की औय अनत भ कणडधाय भघ की बी धन क लरए आयाधना की, ककनत इनभ कोई उदाय नश ॊ ददखता। इव परकाय धन की आळा भ श रग शए जीलन वमतीत कयन व कमा राब? अफ भझ ऩयरोक की चचनता कयनी चादशए।"

बराहमण लशाॉ व लन भ चरा गमा। उवन अफ तऩसमा कयना परायमब ककमा। द घकार तक कठोय तऩसमा कयन क कायण उव अदबत लववदध परापत शई। लश सलमॊ आिम कयन रगा 'कशाॉ तो भ धन क लरए दलताओॊ की ऩजा कयता था औय उवका कोई ऩरयणाभ नश ॊ शोता था औय अफ भ सलमॊ ऐवा शो गमा कक ककवी को धनी शोन का आळीलाद द दॉ तो लश ननवनदश धनी शो जामगा !'

बराहमण का उतवाश फढ गमा। तऩसमा भ उवकी शरदधा फढ गमी। लश ततऩयताऩलक तऩसमा भ रगा यशा। एक ददन उवक ऩाव लश कणडधाय भघ आमा। उवन कशा

"बराहमण ! तऩसमा क परबाल व आऩको ददवम दवषट परापत शो गई श। अफ आऩ धनी ऩरऴो तथा याजाओॊ की गनत को दख वकत श।"

बराहमण न दखा कक धन क कायण गल भ आकय रोग नाना परकाय क ऩाऩ कयत श औय घोय नक भ चगयत श।

कणडधाय फोरा "बकतिऩलक भय ऩजा कयक आऩ मदद धन ऩात औय अनत भ नक की मातना बोगत तो भझव आऩको कमा राब शोता? जील का राब तो काभनाओॊ का तमाग कयक धभाचयण कयन भ श श। उनश धभ भ रगान लारा श उनका वचचा दशतऴी श।"

बराहमण न भघ क परनत कतसता परकट की। काभनाओॊ का तमाग कयक लश भि शो गमा।

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जो आऩकी काभना फढाल लश आऩका लभि ल दशतऴी नश ॊ। अनत भ नक भ वडता गरता जीलन तरफताना ऩड, तचछ मोननमो भ छटऩटाना ऩड ऐव काभनाऩनत क भाग भ आऩको रगानलारा लभि आऩका वचचा दशतऴी नश ॊ शो वकता। कणडधाय की तयश सान, लयागम, तऩसमा फढाकय ऩयभ ऩद भ शचसथत कयना चाशत श ल श आऩक वचच दशतऴी श। अत ऐव दशतऴी ऋवऴमो की, ळासतरो की फात को आदय व अऩन जीलन भ उतायकय धनम शो जाओ।

अनकरभ

ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ

घोय करळ भ बी वतऩथ ऩय अकतडगता भशाबायत की कथा वनी भन जफ बगलान वलरषण न लाभनरऩ व फलर व ऩरथली तथा सलग का याजम छीनकय इनि को

द ददमा तफ कछ श ददनो भ याजमरकषभी क सलाबावलक दगण गल व इनि ऩन उनभतत शो उठ। एक ददन ल बरहमाजी क ऩाव ऩशॉच औय शाथ जोडकय फोर

"वऩताभश ! अफ अऩाय दानी याजा फलर का कछ ऩता नश ॊ रग यशा श। भ वलि खोजता शॉ, ऩय उनका ऩता नश ॊ लभरता। आऩ कऩाकय भझ उनका ऩता फताइम।"

बरहमाजी न कशा "तमशाया मश काम उचचत नश ॊ। तथावऩ ककवी क ऩछन ऩय झठा उततय नश ॊ दना चादशए, अतएल भ तमश फलर का ऩता फतरा दता शॉ। याजा फलर इव वभम ऊॉ ट, फर, गधा मा घोडा फनकय ककवी ळनम, उजाड जगश भ यशत श।"

इनि न इव ऩय ऩछा "मदद भ ककवी सथान ऩय फलर को ऩाऊॉ तो उनश अऩन लजर व भाय डारॉ मा नश ॊ?"

बरहमाजी न कशा "याजा फलर ! अय... ल कदावऩ भायन मोगम नश ॊ श। तमश उनक ऩाव जाकय कछ लळषा गरशण कयनी चादशए।"

तदननतय इनि फलर की खोज भ ननकर ऩड। अनत भ एक खार घय भ उनशोन एक गधा दखा औय कई रषणो व उनशोन अनभान ककमा कक म याजा फलर श। इनि न कशा

"दानलयाज ! इव वभम तभन फडा वलचचि लळ फना यकखा श। कमा तमश अऩनी इव ददळा ऩय कोई द ख नश ॊ शोता? इव वभम, तमशाय छि, चाभय औय लजमनती भारा कशाॉ गई? कशाॉ गमा लश तमशाया अपरनतशत दान का भशावरत औय कशाॉ गमा तमशाया वम, लरण, कफय, अशचगन औय जर का रऩ?"

फलर न कशा "दलनि ! इव वभम तभ छि, चाभय, लवॊशावनादद उऩकयणो को नश ॊ दख वकोग। ऩय कपय कबी भय ददन रौटग औय तफ तभ उनश दख वकोग। तभ जो इव वभम अऩन ऐशवम क भद भ आकय भया उऩशाव कय यश शो, मश कलर तमशाय तचछ फवदध का श ऩरयचामक

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श। भारभ शोता श, तभ अऩन ऩल क ददनो को वलथा श बर गम। ऩय वयळ ! तमश वभझ रना चादशए, तमशाय ल ददन ऩन रौटग।

दलयाज ! इव वलशव भ कोई लसत वननशचित औय वशचसथय नश ॊ श। कार वफको नषट कय डारता श। इव कार क अदबत यशसम को जानकय भ ककवी क लरए बी ळोक नश ॊ कयता। मश कार धनी-ननधन, फर -ननफर, ऩशचणडत-भख, रऩलान-करऩ, बागमलान-बागमश न, फारक-मला-लदध, मोगी तऩसली धभातभा, ळय औय फड व फड अशॊकारयमो भ व ककवी को बी नश ॊ छोडता। वबी को एक वभान गरसत कय रता श। वफका करला कय जाता श।

ऐवी दळा भ भशनि ! भ कमो वोचॉ? कार क श कायण भनरषम को राब-शानन औय वख-द ख की परानपत शोती श। कार श वफको दता श औय ऩन छीन बी रता श। कार क श परबाल व वबी काम लवदध शोत श। इवलरए लावल ! तमशाया अशॊकाय, भद तथा ऩरऴाथ का गल कलर भोश भाि श। ऐशवमो की परानपत तथा वलनाळ ककवी भनरषम क अधीन नश ॊ श। भनरषम की कबी उनननत शोती श औय कबी अलननत। मश वॊवाय का ननमभ श। इवभ शऴ-वलऴाद नश ॊ कयना चादशए। न तो वदा-वदा ककवी की उनननत श शोती श औय न वदा अलननत मा ऩतन श । वभम व श ऊॉ चा ऩद लभरता श औय वभम श चगया दता श। इव तभ अचछी तयश जानत शो कक एक ददन दलता, वऩत, गनधल, भनरषम, नाग, याषव वफ भय अधीन थ। अचधक कमा, "नभसतसम ददळऽपमसत मसमाॊ लयोचननफलर।" – शचजव ददळा भ याजा फलर शो उव ददळा को बी नभसकाय ! मो कशकय, भ शचजव ददळा भ यशता था उव ददळा को बी रोग नभसकाय कयत थ। ऩय जफ भझ ऩय बी कार का आकरभण शआ, भया बी ददन ऩरटा खा गमा औय भ इव दळा भ ऩशॉच गमा तफ ककव गयजत औय तऩत शए ऩय कार का चकर न कपयगा?

भ अकरा फायश वमो का तज यखता था। भ श ऩानी का आकऴण कयता औय फयवाता था। भ श तीनो रोको को परकालळत कयता औय तऩाता था। वफ रोको का ऩारन, वॊशाय, दान, गरशण, फनधन औय भोचन भ श कयता था। भ तीनो रोको का सलाभी था, ककनत कार क पय व इव वभम भया लश परबतल वभापत शो गमा। वलदवानो न कार को दयनतकरभ औय ऩयभशवय कशा श। फड लग व दौडन ऩय बी कोई भनरषम कार को राॉघ नश ॊ वकता। उवी कार क आधीन शभ, तभ, वफ कोई श।

इनि ! तमशाय फवदध वचभच फारको जवी श। ळामद तमश ऩता नश ॊ कक अफ तक तमशाय जव शजायो इनि शए औय नषट शो चक। मश याजम, रकषभी, वौबागमशरी, जो आज तमशाय ऩाव श, तमशाय फऩौती मा खय द शई दावी नश ॊ श। लश तो तभ जव शजायो इनिो क ऩाव यश चकी श। लश इवक ऩल भय ऩाव थी। अफ भझ छोडकय तमशाय ऩाव आमी श औय ळीघर श तभको बी छोडकय दवय क ऩाव चर जामगी। भ इव यशसम को जानकय यततीबय बी द खी नश ॊ शोता। फशत-व-कर न धभातभा गणलान याजा अऩन मोगम भशचनिमो क वाथ बी घोय करळ ऩात शए दख जात श। वाथ श इवक वलऩय त भ नीच कर भ उतऩनन भख भनरषमो को तरफना ककवी की

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वशामता व याजा फनत दखता शॉ। अचछ रषणोलार ऩयभ वनदय तो अबाचगनी औय द खवागय भ डफती द ख ऩडती श औय करषणा, करऩा बागमलती दखी जाती श। भ ऩछता शॉ, इनि ! इवभ बवलतवमता-कार मदद कायण नश ॊ श तो औय कमा श?

कार क दवाया शोन लार अनथ फवदध मा फर व शटाम नश ॊ जा वकत। वलदया, तऩसमा, दान औय फनध-फानधल कोई बी कारगत भनरषम की यषा नश ॊ कय वकता।

आज तभ भय वाभन लजर उठाम खड शो। अबी चाशॉ तो एक घॉवा भायकय लजर वभत तभको चगया दॉ। चाशॉ तो इवी वभम अनक बमॊकय रऩ धायण कय रॉ, शचजनको दखत श तभ डयकय बाग खड शो जाओ। ऩयनत करॉ कमा? मश वभम वश रन का श, ऩयाकरभ ददखरान का नश ॊ। इवलरए मथचछ गध का श रऩ फना कय भ अधमातभ-ननयत शो यशा शॉ। ळोक कयन व द ख लभटता नश ॊ, लश तो औय फढता श। इवी व फखटक शॉ, फशत ननशचिनत, इव दयलसथा भ बी।"

फलर क वलळार धम को दखकय इनि न उनकी फडी परळॊवा की औय कशा "ननवॊदश तभ फड धमलान शो जो इव अलसथा भ बी भझ लजरधाय को दखकय तननक

बी वलचलरत नश ॊ शोत। ननिम श तभ याग-दवऴ व ळनम औय शचजतशचनिम शो। तमशाय ळाॊतचचततता, वलबतवरदता तथा ननलयता दखकय भ तभ ऩय परवनन शॉ। तभ भशाऩरऴ शो। अफ भया तभव कोई दवऴ नश ॊ यशा। तमशाया कलमाण शो। अफ तभ भय ओय व फखटक यशो, ननशचिनत औय ननयोग शोकय वभम की परतीषा कयो।

मो कशकय दलयाज इनि ऐयालत शाथी ऩय चढकय चर गम औय फलर ऩन अऩन सलरऩ-चचनतन भ शचसथय शो गम।

अनकरभ

ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ

करणालवनध की करणा ईशवय क भाग ऩय एक फाय कदभ यख श ददम श तो चर श ऩडना। ऩीछ न भडना।

शचजसाव क रदम की ऩकाय शोती श, ऩकक भदो क ददर की आलाज शोती श कक जो कयना श वो कयना श, ऩाना श वो ऩाना श। कणठगत पराण आ जाम तो बी लाऩव नश ॊ भडना श।

ईशवय क भाग ऩय कदभ यखनलार ल श रोग ऩशॉचत श जो दढ ननिमी शोत श। ऩयभातभा क भाग ऩय ल श लीय चर ऩात श शचजनक अनदय अथाश उतवाश, भशान वशनळकति, वलचचि वलचायफर शोता श। ल श इव भाग क ऩचथक शो ऩात श।

बोम वलाडॊ बख भारॊ उऩयथी भारॊ भाय। एटरॉ कयताॊ जो शरय बज तो कय नाखॊ ननशार।।

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ऐव ननशार कय दन लार वदगर का वशाया शचजन शचजसाव वाधको को लभर जाता श ल वचभच धनम श। वदगर की भदशभा अऩाय श। मोगीशवय दलाचधदल बगलान ळॊकय भमा ऩालती व कशत श-

असानभरशयणॊ जनभकभननलायकभ। सानलयागमलवदधमथ गरऩादोदकॊ वऩफत।।

'असान की जड को उखाडन लार, अनक जनभो क कभो को ननलायनलार, सान औय लयागम को लवदध कयन लार शरी गरदल क चयणाभत का ऩान कयना चादशए।'

(शरीगरगीता) दश भ अशॊता-भभता असान का भर श। जगत भ वतमफवदध कयना असान का भर श।

लवततमो की वतमता भानना असान का भर श। वख औय द ख भ वतमफवदध कयना असान का भर श। जीलन औय भौत भ वतमफवदध कयना असान का भर श। ऩद औय परनतिा भ यव आना असान का भर श। जगत की ककवी बी ऩरयशचसथनत भ वख व फॉध जाना मश असान की श भदशभा श।

जनभ-जनभानतय तक बटकान लार जो कभ श, फाशय वख ददखान लार जो कभ श, फाशय वतमता ददखानलार जो फवदध श उव फवदध को फदरकय ऋतॊबया परसा ऩदा कय द, यागलार फवदध को शटाकय आतभयनतलार फवदध ऩदा कय द, वयकत शए वॊवाय व चचतत शटाकय ळाशवत ऩयभातभा क तयप र चर ऐव कोई वदगर लभर जाम तो ल असान को शयण कय क, जनभ-भयण क फनधनो को काटकय तमश सलरऩ भ सथावऩत कय दत श।

असान का भर कमा श? असान का भर लावना श। जव नावलक नाल को र जाता श औय नाल नावलक को र जाती श ऐव असान व लावना ऩदा शोती श औय लावना व असान फढता श। नशवय भ परीनत फढती यशती श मश असान का रषण श। सान की कलर फातो व काभ न चरगा, मॊिलत भारा घभान व काभ न चरगा, वठो को याजी यखन व काभ न चरगा। तभ चाश ककतन श भॊि कयत यशो रककन फलकपी कभ शई मा फढ उव ऩय ननगाश यखनी ऩडगी। असान घटता श मा नश ॊ मश दखना ऩडगा। मदद तभ असान भ श भॊि कयत जाओग तो भॊि का पर तमशाय लावनाऩनत शोगा औय लावनाऩनत शई तो तभ बोग बोगोग। बोग व बोग की इचछा नमी शो जामगी।

तऩ कयन व कमा पक ऩडता श? जऩ कयन व कमा पक ऩडता श? पक तो तफ ऩडता श जफ कोई वदगर लभर जाम। पक तो तफ ऩडता श जफ वदगर की वीख ददर भ उतय जाम... जनभ-भयण क चकर भ डारनलार जो कभ श उन कभो का ननलायण कयनलारा कोई वदगर लभर जाम... वतम क झरक दनलारा, वतम क गीत वनानलारा वदगर लभर जाम.... शचजनक वाशचननधम व तमशाय जीलन भ सान औय लयागम ननखय आम, शचजनक उऩदळ व तमशाय फवदध की भलरनता दय शोकय वललक-लयागम जग जाम !

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काळ ! ल ददन ककतन वौबागमळार यश शोग कक जफ बतशरय ऩया याजम छोडकय चर गम। गोयखनाथ क चयणो भ जा ऩड। गोयखनाथ क चयणो भ चगयत वभम याजा बतशरय को वॊकोच नश ॊ शआ, रजजा नश ॊ आमी, कोई ऩद औय परनतिा माद नश ॊ आम। ल वभझत थ असानभरशयणॊ जनभकभननलायकॊ .... जनभ-जनभाॊतय क जो कभ श उनका ननलायण कयन का वाभरथम मदद ककवी भ श तो वदगर की करणाकऩा भ श। जनभ-जनभाॊतय की फलकपी को दय कयन की मदद कॊ शचजमाॉ श तो वॊतो क दवाय ऩय श।

यशगण याजा याजम व उऩयाभ शोकय ळाॊनत ऩान क लरए जा यशा श। शोगी फवदध कछ ऩवलि। कई याजा तो भयत दभ तक आवकति नश ॊ छोडत। यशगण ऐवा शतबागी नश ॊ था। लश बीतय की ळाशचनत खोजन जा यशा श ऩारकी भ फठकय। ऩारकी उठानलारो भ व यासत भ एक आदभी फीभाय ऩडा तो जडबयतजी उवकी जगश ऩय ऩारकी ढोन भ रगा ददम गम। वफभ अऩन आऩको ननशायनलार जडबयतजी चीॊट -चीॊटा आदद दखत तफ उनको फचान क लरए थोडा वा कद ऩडत। याजा का लवय ऩारकी भ टकयाता। इवव याजा उनको डाॉटता-पटकायता।

बरहमननि जडबयतजी को उव असानी याजा ऩय करणा शई। फदध ऩरऴ करणा क बॊडाय शोत श। वचची करणा औय वचची उदायता, वचची वभझ औय वचचा सान तो जडबयतजी जवो क ऩाव श शआ कयता श। भखो की नजय भ ल जड जव थ रककन लासतल भ ल श चतनम ऩरऴ शोत श। वॊवारयमो न उनका नाभ जड यख ददमा था, रककन ल ऐव श जड थ कक शजायो जड रोगो की जडता का नाळ कयन की कॊ शचजमाॉ उनक ऩाव थीॊ। कमा दबागम यशा शोगा रोगो का कक ऐव बयतजी का वाशचननधम-राब न ऩा वक। उन वमाव भनन को रदमऩलक नभसकाय शो कक उनशोन जडबयतजी क जीलन ऩय थोडा-वा परकाळ डार ददमा। लश परकाळ आज बी काभ आ यशा श।

असान क भर को शयन लार, जनभो क कभो को शटानलार जडबयत याजा यशगण को कशत श-

"श याजन ! जफ तक त आतभसाननमो क चयणो भ अऩन अशॊ को नमोछालय न कयगा, जफ तक सानलानो की चयणयज भ सनान कयक वौबागमळार न फनगा तफ तक तय द ख न लभटग, तया ळोक न लभटगा।

द ख को शयत वख को बयत कयत सान की फात जी। जग की वला रारा नायामण कयत ददन यात जी।।

वचची वला तो वॊत ऩरऴ श कयत श। वचच भाता-वऩता तो ल वॊत भशातभा गर रोग श शोत श। शाड-भाॊव क भाता-वऩता तो तभको कई फाय लभर श। तभन राखो-राखो फाऩ फदर शोग, राखो-राखो भाॉए फदर शोगी। राखो-राखो कणठी फाॉधनलार गर फदर शोग, रककन जफ कोई वदगर लभरत श तो तमश श फदर दत श।

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असान क भर को शटानलार, जनभ-भयण क कायणो को औय ऩातको को बसभीबत कयन लार, सान औय लयागम क अभत को तमशाय ददर भ बयन लार वतऩरऴो का वतवॊग औय वाशचननधम लभर जाम तो ककतना अशोबागम ! ऐव ऩरऴो की डाॉट बी लभर जाम तो ककतनी वशालनी शोगी ! ल डणडा रकय वऩटाई कयन रग जाएॉ तो ककतन भधय शोग ल डणड ! ल तभाचा भाय द तो बी उवभ ककतनी करणा शोगी !

भय गरदल न एक फाय भझ ऐवी जोयो की डाॉट चढामी कक वननलार बमबीत शो गम। भन अऩन आऩको धनमलाद ददमा कक शचजन शाथो व शजाय-शजाय भीठ पर लभर श उनश ॊ शाथो व मश खटटा-भीठा पर ककतना वॊदय श ! ककतनी उदायता क वाथ ल डाॉटत श ! उव ददन की फात माद आती श तो बाल व तन-भन योभाॊचचत शो जात श। उव डाॉट भ ककतनी करणा छऩी थी ! ककतना अऩनतल छऩा था !

ककवी वॊनमावी जी न भझ कशा था कक "ऐ मलक ! त भय ऩाव व रयवदध-लववदध वीख र। भ तझ अनिान फताता शॉ। इवव तझ जो चादशए ल चीज लभरन रगगी।" इव परकाय क पररोबन दकय लश अऩना कछ कचया भझ द यशा था। गरदल को ऩता चरा। भझ फरलामा। चयणो भ तरफठामा औय ऩछा

"कमा फात वन यशा था?"

भन जो कछ वना था लश शरीचयणो भ वना ददमा। वदगर क आग मदद ईभानदाय व ददर खोरकय फात न कयोग तो रदम भलरन शोगा। बीतय श बीतय फोझा फढाना ऩडगा, जाओग कशाॉ? भन ऩया ददर खोरकय वदगर क कदभो भ यख ददमा। वॊनमावी क वाथ जो फातचीत शई थी लश जमो की तमो दशया द । कपय भ षणबय भौन शो गमा, जाॉचा कक कोई ळबद यश तो नश ॊ गमा। गर क वाथ वलशवावघात कयन का ऩाऩ तो नश ॊ रग यशा? गर व फात छऩान का दबागम तो नश ॊ लभर यशा? भन ठीक व जाॉचा। जो कछ सभयण आमा लश वफ कश ददमा। ईभानदाय व वाय की वाय फात कश दन क फाद बी ऐवी जोयो की डाॉट ऩडी कक भया शाटपर न शआ, फाकी उतवाश, शरदधा, वलशवाव, परभ औय वचचाई वफ पर शो यशा था। वदगर न ऐवी डाॉट चढान क फाद सनशऩण सलय व कशा

"फटा ! दख।"

आशा ! डाॉट बी इतनी तज औय 'फटा' कशन भ पमाय बी इतना ऩण। कमोकक ऩण ऩरऴ जो बी कयत श लश ऩण श शोता श।

शरदधा, वलशवाव, परभ आदद वफ पर शोन का ऩया भौका था रककन शचजनशोन भामा की जॊजीयो को पर कय ददमा श, शचजनशोन असान को पर कय ददमा श उनक चयणो भ मदद अऩना अशॊकाय पर शो जाम तो घाटा बी कमा श? अऩनी अकर औय चतयाई उनक चयणो भ पर शो जाम तो घाटा कमा ऩडा? भय वाय फवदधभतता, वाय वमाऩाय वलदया, वाय वाधना की अकड पर शो गई। लवय नीच शो गमा, आॉख झक गई। उनशोन कशा

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"फटा ! वन। वाधक-शचजसाव फाज ऩषी श। जव फाज ऩषी आकाळ को उडान रता श औय लळकाय तीय चढाकय ताकता यशता श उव चगयान क लरए। ऐव श वाधक ईशवय क तयप चरता श तो बदलाद रोग, असानी रोग ताकत यशत श तमश चगयान क लरए। ऩरयशचसथनतमाॉ ताकती यशती श कपय तमश वॊवाय भ खीॊचन क लरए। कानो भ ऐवी फात बय दत श कक वाधक का ऩतन शो जाम। असाननमो की फातो को भशतल न दो।

फटा ! भ तझ डाॉटता शॉ रककन बीतय तय लरए परभ क लवला औय कछ नश ॊ। भन तय को कॊ वऩत कय ददमा रककन तय लरए करणा क लवला औय कछ नश ॊ।"

जनभो की धायणा औय भानमताओॊ को तोडनलार, असान क भर सलरऩ इचछाओॊ को शटान लार, फलकपी को छीनन लार, सान औय लयागम को रदम भ बयन लार, वललक औय ळाॊनत की छामा भ यखन लार उन गरजनो क चयणो भ कोदट-कोदट परणाभ !

इव जील की शारत तो ऐवी श जव फाढ भ फशता शआ कोई कीडा एक बॉलय व दवय बॉलय भ बटकता जा यशा श। दमार ऩरऴ की नजय ऩड औय उवको उठाकय लष की छामा भ यख द। इवी परकाय बरहमलतताओॊ का काभ शोता श। वददमो व बटकत शए जील वॊवाय की वरयता भ फश जा यश श, उनको ल परभ का परवाद दकय, ऩचकाय का वशाया दकय, वाधना का इळाया दकय उनश वॊवाय-वरयता क ककनाय रगा दत श। जनभ-भयण क बॉलय व फाशय ननकारन क लरए वशाया द दत श। म कऩालवनध गर रोग इव ऩरथली ऩय न शोत तो रोग वॊवाय भ तरफना आग जरत। मदद ल भशाऩरऴ इव लवनधया ऩय न शोत तो रोग तरफना ऩानी क डफ यशत चचनता भ। मदद ल दमार सानीजन न शोत तो भानल भानल का बषण ककम तरफना न यशता। मदद सानलानो की अनकमऩा फाय-फाय इव ऩरथली ऩय न फयवती तो भनरषम ऩळ व जमादा बमॊकय कतम कयता।

म वफ उनश ॊ वतऩरऴो की दन श कक आज शजायो-शजायो ददर परब क परभ भ वऩघर वकत श। शजायो ददर ऩाऩ-ताऩ का ननलायण कयक ऩयभातभा क पमाय भ फश वकत श। पमाय क द दाय भ ल तरफक वकत श। उनक भराकात भ ल तरफखय वकत श। चाश ल सानलान वभाज भ परलवदध शए शो चाश अपरलवदध यश शो, रोगो क फीच यश शो चाश न यश शो, रककन उन वदगरओॊ की फडी बाय कऩा श जो वत भ वलचयण कयत-कयात श, औय वदा-वदा कयात श यशग। उन वतऩरऴो की तो कऩा श शभ रोगो ऩय। ल श रोग शभ ऩय अनकमऩा कयत श। फाकी क रोग तो बगलान क नाभ ऩय दकानदाय चरात श, भत-ऩॊथ-लाड फनात श। वतऩरऴ श ऐव शोत श, वचच वॊत भशातभा श ऐव शोत श जो लासतल भ बगलान क नाभ का यव वऩरा वकत श। ल लासतवलक भ असान को शटाकय आतभसान का परकाळ द वकत श। फाकी तो ऩॊथ-लाड कतरबरसतान शो जात श। जीलन जीलन नश ॊ यशता। जीलन भौत क तयप वयकता जाता श। सानलान ऩरऴो की कऩा शोती श तफ जीलन जीलनदाता क यासत ऩय चरना ळर कयता श।

शचजनशोन सानलान ऩरऴो की फात का वलन ककमा श, शचजनशोन सानी क कदभो भ अऩन अशॊकाय को तरफखय ददमा श, शचजनशोन सानी की फातो भ अऩन अशॊ को, भानमताओॊ को कफान कय

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ददमा श उनको इशरोक औय ऩयरोक भ द ख नश ॊ यशता। ल वचभच धनबागी श। धनलान धनी नश ॊ श, वततालान धनी नश ॊ श, इचछालान धनी नश ॊ श, जो वॊत औय ऩयभातभा का पमाया शोता श लश वचचा धनी श।

ननधनीमा वफ जग धनलनता नश ॊ कोई। धनलनता ता को जाननम जाको याभनाभ धन शोई।।

भौत क वभम तमशाय रऩम-ऩव कमा यषा कयग? भौत क वभम तमशाय फट औय फशएॉ कमा यषा कयगी बमा? भौत क वभम तमशाय फड भशर कमा वाथ चरग? भौत क वभम बी वदगर की द शई परवाद तमशाया वाथ कयगी, भौत क वभम बी गर का सान तमशाय ददर भ बयगा तो तभ भौत की बी भौत कयक भोष क तयप चर ऩडोग। म वॊसकाय वमथ नश ॊ जात। वतवॊग क म लचन भौक ऩय काभ कय जात श। द मा जरता श, औयो क लरए परकाळ कय जाता श। नददमाॉ फशती श, औयो क लरए ऩानी द जाती श। भघ फयवता श, औयो क लरए। इवी परकाय भशाऩरऴ दननमाॉ भ फयव जात श चाय ददनो क लरए, उनकी माद यश जाती श, उनक गीत यश जात श, उनका सान यशा जाता श। उनका ळय य तो चरा जाता श रककन उनकी सभनत नश ॊ जाती, उनक लरए आदय-परभ नश ॊ जाता। उनक लरए शरदधा क पर फयवत श यशत श।

ल आॉख धनम श कक उनकी माद भ फयव ऩड। ल शोठ धनम श कक उनकी माद भ कछ गनगनाम। लश शचजहवा धनम श कक उनकी माद भ कछ कश ऩाम। लश ळय य धनम श कक उनकी माद भ योभाॊचचत शो ऩाम। ल ननगाश धनम श कक उनकी तसलीयो क तयप ननशाय ऩाम।

ऐव ऩरऴो को शभ कमा द वकत श शचजनको वाय ऩरथली का ऐशवम तचछ रगा श, शचजनकी वाय इचछाएॉ औय काभनाएॉ नषट शो गई श? उन भशाऩरऴो को शभ कमा द वकत श? शभाय ऩाव उनको दन क लरए श श कमा? ळय य योगी औय भयन लारा, भन कऩट , चीज तरफखयन लार । शभ द बी कमा वकत श? शभाय तो उनक कदभो भ शजाय-शजाय परणाभ शो ! राखो-राखो परणाभ शो ! कयोडो-कयोडो परणाभ शो ! शचजनशोन शभाय ऩीछ अऩना वलसल रटा ददमा, शचजनशोन शभाय ऩीछ अऩनी वभाचध का तमाग कय ददमा, शचजनशोन शभाय ऩीछ अऩन एकानत को नमोछालय कय ददमा, उन ऩरऴो को शभ द बी कमा वकत श?

शभ वमालशारयक फवदध क आदभी ! शभ सलाथॉ ऩतर ! शभ इशचनिमो क गराभ ! शभ वलऴम-रमऩटता की जार भ घभन लार भकड ! शभ उनको कमा द वकत श?

शभ उनको पराथना कय वकत श.... शभ उनको आॉखो क ऩरषऩ द वकत श.... दो आॉव द वकत श- रो गरदल ! र रो.... म आॉव र रो... शभाय ऩकाय र रो.... शभ चऩ कयान की शचजमभदाय बी तभ श वमबारो ! श वदगर....

कऩिो जामत कलचचदवऩ कभाता न बलनत। ऩत कऩत शो वकता श रककन भाता कफ कभाता शई? वऩता कफ कवऩता शए? जफ

फलपाई की तो फट न की श, भाॉ न कफ श श?

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ल पमाय ळर को वज फनाकय गम, ल पमाय जशय को अभत फनाकय गम, ल पमाय वलयोध को गशन फनाकय गम, ल पमाय जशय को अभत फनाकय गम, ल पमाय वलयोध को गशन फनाकय गम, ल पमाय अऩभान को लवॊगाय फनाकय गम, कलर, शचजसावओॊ की इनतजाय भ कक कोई वाधक लभर जाम, शभ रटनलारा कोई लळरषम लभर जाम। ल फलकपो क आग बी अऩन आऩको रटात यश, कश ॊ एक पमाया लभर जाम, कश ॊ एक शचजसाव लभर जाम, शभ झरनलारा कश ॊ एक भभष लभर जाम। इवी आळा आळा भ शजायो ऩय फयवत यश, राखो-राखो ऩय फयवत यश। ककतन धीय ऩरऴ यश शोग ल वतऩरऴ !

शभाय वदगर शो मा औय ककवी क वदगर शो, ल तो वाय वलशव क वदगर श। रोग उनश नश ॊ जानत तो रोग अनध श। रोग उनश नश ॊ भानत तो रोग ऩागर श। ल भशाऩरऴ तो वाय बरहमाणड क शोत श। ऐव वदगरओॊ क कदभो भ अलतायो क बी लवय झक जात श, तमशाय शभाय झक जाम तो कमा फडी फात श? ॐ.....ॐ....ॐ....

गर द लो गर दलता.... गर एक द मा श। द मा जर जाता श औयो क लरए, गर बी जीलन को खऩा रत श औयो

क लरए।

गर द लो गर दलता गर वलण घोय अनधाय। ज गर लाणी लगऱा यडलकतडमा वॊवाय।।

जो गर लाणी व दय श ल खाक धनलान श? जो गर क लचनो व दय श ल खाक वततालान श? जो गर की वला व वलभख श ल खाक दलता श? ल तो बोगो क गराभ श। जो गर क लचनो व दय श ल कमा खाक अभत ऩीत श? उनको तो ऩद-ऩद ऩय याग-दवऴ का जशय ऩीना ऩडता श।

ज गरलाणी लगऱा यडलकतडमा वॊवाय..... असान क भर को शयण कयन लार, जनभ कभ को ननलायन लार, वददमो क ऩाऩो को

बसभ कयन लार, अननत ऩकडो औय भानमताओॊ को तोडकय ऩयभातभा व जोडन लार वदगरओॊ क लरए लदवमाव कशत श-

असानभरशयणॊ जनभकभननलायकभ। सानलयागम लवदधमथ गरऩादोकॊ वऩफत।।

गर क चयणो का जर, चयणाभत वऩम। उनक आदळ क अनवाय अऩन जीलन को ढार। उनकी चाश भ अऩनी चाश लभरा द। उनकी ननिा भ अऩनी ननिा लभरा द। उनकी भसती भ अऩनी शसती लभटा द, कलमाण शो जामगा।

त कमा शसती यखता श बमा? शचजनका फडा याजलबल रशरशा यशा था ल भशायाजा बतशरय गोयखनाथ क चयणो भ जा ऩड "श नाथ !"

गर क कदभो भ वमराट आज अशरऩात कयक, लवय भ खाक डारत शए, रख-वख टकड चफाकय बी यशना ऩवॊद कयता श, जफकक आज का कशरान लारा फवदधभान, अशॊकाय 'यॉक एणड

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योर' भ नाचना ऩवॊद कयता श, करफो भ जाना ऩवॊद कयता श, लवनभा भ धकक खाना ऩवॊद कयता श रककन गरओॊ का दवाय उव बाता नश ॊ।

श वभझदायो क लळ भ नावभझ नादानो ! दननमाॉ की चीज तमश कमा वख दगी? लवनभा की ऩदटटमाॉ तमशाया फर औय फवदध, तमशाया तज औय ओज नषट कय दगी। मदद जीलन भ फर औय फवदध, तज औय ओज फढाना श तो ऋवऴ कशत श-

गरदल की कऩा का जर तभ ऩीत यशो। उवी व नशात यशो। उवी की वभझ भ तभ डफ यशो। उनक वतवॊग भ श तभ खोम यशो। उनश ॊ क गीतो भ तभ गरतान यशो।

जगत भ तव वदा व खोत आम शो, वददमो व तभ नशवय चीजो क लरए लभटत आम शो। अफ उव ऩयभातभा क लरए अऩन अशॊ को लभटाकय दखो। मदद लभट बी गम औय कछ नश ॊ लभरा, ठग बी गम तो घाटा श कमा श? लव बी तभ ठगात आम शो। कोई ऩतनी व ठगा गमा, कोई ऩनत व ठगा गमा, कोई फश व ठगा गमा, कोई फट व ठगा गमा, कोई वतता व ठगा गमा, कोई चोयो व ठगा गमा। आणखय भ तो वफ भौत व ठग जानलार श।

भौत ठग र उवक ऩशर त गर व ठगा जा घाटा बी कमा ऩडगा? अफ ठगलान को तमशाय ऩाव फचा बी कमा श? मगो व तभ ठगात आम शो, मगो व तभ शायत आम शो। एक फाय औय शाय वश । एक फाय औय दाॉल वश ।

चाश तया दो चाश डफा दो, भय बी गम तो दग दलाएॉ।

'असानभर शयणॊ..... ऋवऴ का वनदळ ककतना वनदय यशा शोगा ! ककतनी उदाय औय करणाऩण लाणी परकट शई

शोगी ! शलोक ककवी ऩाभय वमकति का फनामा शआ नश ॊ श। म ककवी अशॊकाय क लचन नश ॊ श। म तो श ककवी ऩय अनबली क लचन। ऩया वशचतळरषम श वदगर का अभत ऩी वकता श। मश ळयनी का दध वलण क ऩाि भ श यश वकता श। छोट-भोट ऩाि को तो लश चीयकय चरा जाता श। म गर क लचन अबाग को ळोबा नश ॊ दत।

मोगलालळि भशायाभामण भ भशवऴ ललळि कशत श- "श याभजी ! जव खीय वलण क ऩाि भ ळोबा ऩाती श औय शवान की खार भ ऩवलि खीय

बी अऩवलि शो जाती श ऐव श भतरफी औय सलाथॉ लळरषमो क आग बरहमसान ळोबा नश ॊ ऩाता रककन अशॊकाय यदशत वतऩाि लळरषमो क रदम भ गर क लचन ळोबा दत श, ऩवलि लळरषमो क ददर भ म लचन उगत श। उग शए लचनो को जफ वीॊचा जाता श तफ उनभ भोषरऩी पर रगता श। उवव लश सलमॊ बी तपत शोता श औय दवयो को बी तनपत दता श।"

गर क उऩदळ का जो वलन कयत श, गर क कऩाकटाष को जो ददर की पमालरमो व ऩीत श उनको मशाॉ बी द ख सऩळ नश ॊ कयता औय लशाॉ बी सऩळ नश ॊ कयता। ल मशाॉ बी वख की घकतडमाॉ जी रत श। उन वौबागमळार लळरषमो को द ख व वख फनाना आता श, वख भ

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ववलधा फनाना आता श औय ववलधा व वतम क द दाय ऩाना आता श। ऐव वशचतळरषम फोरत श कक एक फाय कदभ यख श लरमा तो कपय कमा रकना? ईशवय क यासत चर ददमा तो भडकय कमा आना?

तपान औय आॉधी शभको न योक ऩाम। ल औय थ भवाकपय जो ऩथ व रौट आम।।

जो वशचतळरषम श, जो वदगर क कदभो तरफखय गमा श, शचजवन अऩन ददर की पमार वीधी यखी श औय वदगर क अभत को ऩी लरमा श लश वाधना क भाग व, बगलान क भाग व रौटकय नश ॊ आता। वॊवाय तपानो व लश डयता नश ॊ। ऐवा कौन वा वाधक लवदध फना श शचजवन तपान औय आॉधी का भकाफरा न ककमा शो? ऐव कौन व भशाऩरऴ श शचजनश कचरन क लरए रोगो न परमाव न ककम शो? ऐव कौन-व वॊत ऩरऴ श शचजनशोन रोगो की फातो को कचरकय, ऩय तर दफाकय ऩयभातभ-परानपत की मािा न कय ददखामी शो?

ल श ऩशॉच श जो रक नश ॊ। अनकरता भ पॉ व नश ॊ औय परनतकरता व डय नश ॊ ल श तो ऩशॉच श। फगबगत तो यश गम, थोडी-वी उरझन भ उरझ गम रककन वतऩाि वाधक तो भॊशचजर तम कयक श यशता श।

औय कोई भवाकपय शोत श तो ऩथ व रौटत यशत श रककन वदगर क यासत चरा औय ऩथ व रौटा तो वशचतळरषम ककव फात का? अगय रौट बी गमा तो जो शजायो मस कयन व बी लभरना कदठन श लश सलग औय बरहमरोक का वख उव अनामाव लभरता श।

ळकर अऩन बरहमलतता वऩता बग ऋवऴ की वला भ यशकय वाधना कय यश थ। वला व ननलतत शोत तो मोगाभमाव भ रग जात, धमान कयत। वाधना कयत-कयत उनकी लवतत वकषभ शई तो वकषभ जगत भ गनत शोन रगी। अबी ऩयभऩद ऩामा न था। न असानी थ न सानी थ। फीच भ झर खा यश थ। एक ददन आकाळ भाग व जाती शई वलशवाची नाभक अपवया दखी तो भोदशत शो गम। अनतलाशक ळय य व उवक ऩीछ सलग भ गम।

इनि न उनश दखा तो लवॊशावन छोडकय वाभन आम। सलागत ककमा औय अऩन आवन ऩय तरफठाकय ऩजा कयन रग।

"आज शभाया सलग ऩवलि शआ कक भशवऴ बग क ऩि औय वलक तभ सलग भ आम शो।"

शाराॉकक ल गम तो थ वलशवाची अपवया क भोश भ कपय बी उनकी की शई वाधना वमथ नश ॊ गई। इनि बी अघमऩादय व उनकी ऩजा कयत श। बरहमसान की इतनी भदशभा श कक बरहमसानी मोगभषट वलक बी वयऩनत व ऩजा जा यशा श।

आऩ रोग तीन-चाय ददन की धमान मोग लळवलयो भ जो आधमाशचतभक धन कभा रत शो इतना भलमलान खजाना आऩन ऩय जीलन भ नश ॊ कभामा शोगा। इवव शभाय ऩलजो का बी कलमाण शोता श। तमशाय फवदध सलीकाय कय मा न कय, तमश अबी लश ऩणम-वॊचम ददख मा न ददख रककन फात वौ परनतळत वतम श। वाधक मदद वफ चचनताओॊ व भि शोकय ऩयभातभा क

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सान भ रग जाम तो लश सलमॊ अनऩढ शोत शए बी ऩढ शए रोगो को सान द वकता श, ननधन शोत शए बी धनलानो को दान द वकता श, अनजान शोत शए बी जानकायो को नमी जानकाय द वकता श। उवक ऩाव वाय सान का खजाना परकट शोन रगत श। तरफना ऩढ शए ळासतरो क यशसम उवक रदम भ परकट शोन रगत श। तरफना दखी शई चीज उनक दवाया परकालळत शोन रगती श। वललबनन वलदया, ळाखाएॉ औय वलसान की जानकारयमाॉ उवक आग छोट यश जाती श। जफ गरबि क रदम का दवाय खर जाता श तो उवक आग वाया जशाॉ छोटा शो जाता श। सलग औय परयशत बी छोट शो जात श।

ळाद क फाद छ भश न भ श एक भदशरा का ऩनत चरा फवा। भदशरा ऩागर-वी शो गई। बागमलळात उव वचच वॊत का वतवॊग लभर गमा। वतवॊग भ जान रगी औय वॊत गर-ऩयभातभा क आदळानवाय घय भ वाधन-बजन कयन रगी।

उवन गरकऩा ऩाकय धमानमोग भ परगनत की। वकषभ जगत क ऩयद शटन रग। यशसमभम रोक भ उवकी लवतत गनत कयन रगी। धमान भ कई दली-दलताओॊ क दळन शोन रग। एक फाय इनिदल वलभान रकय परकट शए औय सलग भ चरन क लरए आभॊिण ददमा। गरदल न भदशरा व कश यखा था कक ककवी पररोबन भ भत पॉ वना। उवन गरजी का सभयण कयत शए इनि को इनकाय कय ददमा।

इनि न कशा "गर की फात गर क ऩाव यश । तझ भौका लभरा श तो सलग की वय कयक तो दख !"

दव-ऩनिश लभनट लाताराऩ चरा शोगा। लश भदशरा गर की आसा भ दढ यश ।

म वाय दल-दवलमाॉ श। उनको दखन क लरए तमशाय ऩाव आॉख चादशए। जव, लातालयण भ यकतडमो औय ट .ली. क 'लव' श कपय बी तमश ल ददखत नश ॊ, वनाई नश ॊ ऩडत कमोकक तमशाय ऩाव उवको परकट कयन का वाधन नश ॊ श। इवी परकाय दली औय दलता, ककननय औय गनधल म वफ श। उनक वाथ तमशाया वॊलाद शो वकता श ऐव तभ बी शो। रककन इवक लरए एक वकषभ, बालपरधान, एकागरलवतत चादशए, कछ ऊॉ ची मािा चादशए। लश मािा अगय शो जाम तो तभ मष-गनधल-ककननय औय दली दलता क दळन कय वकत शो, उनव लाताराऩ कय वकत शो, उनव वशाम र वकत शो, बवलरषम की जानकाय ऩा वकत शो।

रककन वदगर का वशचतळरषम इन चीजो भ उरझाता नश ॊ, इनकी इचछा बी नश ॊ कयता। उनका यासता तो औय ननयारा शोता श।

अभदालाद व ददलर जान क लरए रोकर टरन भ फठो तो छोट-भोट कई सटळनो क दळन शोग। तरफना सटळन क बी गाडी कश ॊ-कश ॊ रक जामगी कमोकक रोकर जो श ! कई जॊगर, नद , नार क दशम दखन को लभरग। भर व जाम तो छोट-छोट सटळन दख न ऩाओग। गाडी धडाधड आग फढती जामगी। अगय तभ शलाई जशाज भ फठो तो फीच क यासत क सटळनो का अशचसततल श तमशाय लरए नश ॊ श।

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चौथा यासता श नादानो का, शचजनशोन मािा की श नश ॊ। ल रोग चचलरामग कक "ऩारनऩय नश ॊ श, आफयोड नश ॊ श, अजभय जमऩय नश ॊ श, ददलर बी नश ॊ श। अगय शोत तो भझ ददखत।"

अय नादान ! न त रोकर भ रटका, न भर भ फठा, न शलाई जशाज की मािा की। त तो दश भ औय नशवय बोगो भ उरझा श। भोश भामा भ पॉ वा श। तय को फोरन का शक नश ॊ। वमथ परराऩ कयक ऩाऩ फढा रता श।

इव ऩरथली ऩय कई नाशचसतक शए, कई पकीय शए, कई वॊत भशाऩरऴ शए। पकीयो न तो वॊळम की पाकी कय द रककन नाशचसतको न वाधना की श पाकी कय द । न धमान क गाॉल भ गम न कीतन क गाॉल भ गम, न वतऩरऴो क चयणो भ लभट ऩाम औय अऩना जजभनट दत गम कक कछ नश ॊ श, कछ नश ॊ श.... कछ नश ॊ श।

ऐव रोगो को भशाऩरऴ आलाशन दत श, अनबलननि वॊतऩरऴ नाशचसतको को ररकायत श कक "तभ फोरत शो 'कछ नश ॊ श।' कछ नश ॊ श। मश कशन लारा कौन श मश तो फताओ ! 'नश ॊ' फोरता श तो ककवकी वतता व, ककवकी ळकति व फोरता श य? "कछ नश ॊ श का परभाण तय ऩाव कमा श?"

'भझ ददखता नश ॊ इवलरए कशता शॉ कक कछ नश ॊ श। भ अऩनी आॉखो व दखॉ तफ भानॉ।"

ताशचततलक अनबल आॉखो व दख नश ॊ जात, कानो व वन नश ॊ जात, नाक व वॉघ नश ॊ जात, शचजहवा व चख नश ॊ जात, शाथ व छए नश ॊ जात। कपय बी श।

नाशचसतक कशता श जफ रग न दखॉ भोय नन तफ रग न भानॉ तोय फन।

पकीय कशत श- "ऐव श तय को लश तततल फता दॉ? भय परब को दखन क लरए तय ऩाव नमरता नश ॊ श, वयरता नश ॊ श, वभम नश ॊ श तो भय ऩाव बी ईशवय म भसती छोडकय तय जव बत क ऩीछ रगन का वभम नश ॊ श। फाय-फाय जनभो औय भयो, वॊवाय क बॉलयो भ बटको।"

ऐवा भानल-जनभ, ऐवी दश, ऐवी फवदध.... औय इव ऩतथय ऩयखन क लरए गॉला यश शो?

ललळिजी कशत श- 'श याभचनिजी ! वॊवाय रोगो को दखकय भझ फडा द ख शोता श कक नाशक ल अऩन ददन वमतीत कय यश श, अऩना वभम गॉला यश श, नशवय चीजो क ऩीछ, नशवय बोगो क ऩीछ। शचजवका नाळ शो जामगा उवक ऩीछ जीलन द यश श औय शचजवका कबी नाळ नश ॊ शोगा ऐव ळाशवत आतभदल व लभरन क लरए उनक ऩाव वभम नश ॊ श। ककतन अबाग श ! श याभजी ! ऐव रोगो को चधककाय श। रौककक वलदयाएॉ तो ल जानत श रककन आतभवलदया व ल लॊचचत श। गनधल रोग गीतनतम तो जानत श रककन आतभ-भसती भ नाचन व लॊचचत श। उन दलताओॊ को बी चधककाय श कक ल सलग का अभत ऩीकय अऩना ऩणम नषट कय यश श। वॊतो का अभत ऩीकय अऩन ऩाऩो का नाळ कयत तो कमा घाटा था?'

ऩाॉच श तो इशचनिमाॉ श तमशाय ऩाव। इवव ऩाॉच वलऴम श जान ऩात शो ळबद, सऩळ, रऩ, यव, गनध। इवक अराला जानन का तमशाय ऩाव कोई वाधन नश ॊ। शो वकता श कक तमशाय ऩाव

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छठी इशचनिम शोती तो जगत क छठ वलऴम का बी सान शो जाता। नाक खयाफ श तो तमशाय लरए वगनध नश ॊ श। जनभ व आॉख नश ॊ श तो रऩ गामफ शो गमा। कान खयाफ श तो ळबद गामफ श। जगत भ कछ जील ऐव श शचजनकी चाय इशचनिमाॉ शोती श, तीन इशचनिमाॉ शोती श। उनक लरए जगत बी चाय दशसव का, तीन दशसव का यश जाता श। तमशाय लरए जगत ऩाॉच दशसव का श। मोगी जफ छठी इशचनिम जागरत कय रत श तो उनक लरए जगत छ दशसव भ। इवव बी आग चरकय कोई अऩनी लवतत बरहमाकाय कय रता श तो उवक लरए जगत अननत-अननत दशसवो भ शोत शए बी वफ एक व ननकरत श औय एक श एक को दखता, एक श एक को वनता श, एक श एक को चखता श, आदद आदद। ऐव कोई अनबलननि भशाऩरऴ, वॊत, पकीय लभर जाम। नाशचसतक बी मदद उनक ऩाव ऩशॉच जाम तो उवको आशचसतक फनान की कॊ शचजमाॉ ल यखत श। शाॉ... मदद उनको यशभत आ जाम...!

उव नाशचसतक को वॊत न कशा "ऐ भयन लार ! बगलान क अशचसततल ऩय तमश वलशवाव नश ॊ? तो शभ बी तय फात ऩय वलशवाव नश ॊ।"

"भशायाज ! भय फात तो वनो।''

"तय फात वनन का वभम नश ॊ श। भ तो उन लळरषमो की फात वनता शॉ जो लवय झकाकय नमर फनकय कछ वभझना चाशत श। तन लवय तो झकामा नश ॊ, परणाभ तो ककम नश ॊ। ठॉठ शोकय आ गमा औय फडी फात फनान रग गमा।"

"भशायाज ! मदद परणाभ कयन व कछ शो वकता श तो रो, भ दणडलत परणाभ कयता शॉ।"

उवन ककमा दणडलत। फाफाजी न कवकय जोय व एक घॉवा भाय ददमा।

"फाऩ य... भय गमा... भय गमा...."

"कमा शआ... कमा शआ?"

"फशत दद शोता श।"

"कशाॉ श दद? दखॉ जया।"

"फाफाजी ! आॉखो व ददखता नश ॊ।"

"जया चख रॉ।"

"फाफाजी ! तभ अजीफ आदभी शो ! जीब व दद चखा न जामगा।"

"अचछा ! भ कान रगाकय वन रॉ।"

"भशायाज ! मश दद आॉखो व ददखता नश ॊ, कान व वना नश ॊ जाता, जीब व चखा नश ॊ जाता, नाक व वॉघा नश ॊ जाता।"

"तो सऩळ कयक जान रॉ, ककतना दद श।"

"फाफाजी ! घामर की गनत घामर जान। मश ककवी इशचनिम का वलऴम नश ॊ श। मश तो भशवव शोता श।"

"अय बमा ! ऐव श फाफा की गनत फाफा जान, अशॊकाय कमा ऩशचान?"

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वॊत की गनत तो ऩयभातभा जानत श, थोडी-थोडी वॊत क वाधक जानत शोग। शचजवक चशभ अऩन ढॊग क शोत श ल वॊतो की ऩय षा तो बर कय रककन वॊतो क अनबल को नश ॊ वभझ ऩात। ल कशग 'उन वॊत को दखा, वना। उनका रकचय अचछा था' – आदद आदद।

वॊत कबी रकचय नश ॊ कयत। रकचय तो रकचयय कयत श। वॊत तो ईशवय क वाथ एक शोकय फत शऴ वॊत की लाणी वतवॊग शोती श।वॊत की लाणी वनन व शचजतन ऩाऩ कटत श उतन तो चानिामण वरत व बी नश ॊ कटत। गॊगासनान व शचजतना पर शोता श उवव कई गना पर तो वॊत क दळन व शोता श। ऐव कोई वॊत लभर जाम !

जडबयत याजा यशगण को कश यश श- "श याजन ! तभको ळाॊनत तफ लभरगी जफ सानलानो की चयणयज भ सनान कयोग।" गोयखनाथ कश यश श याजा बतशरय को, अषटालकर कश यश श याजा जनक को, ललळिजी कश यश श शरीयाभ को। ऋवऴ कश यश श शभ रोगो को।

नश ॊ भ नश ॊ त नश ॊ अनम यशा, गर ळाशवत आऩ अननम यशा। गर वलत त नय धनम मशाॉ,

नतनको नश ॊ द ख मशाॉ न लशाॉ।। शचजनशोन गरओॊ व सान की कॊ जी ऩा र ल वभझत श कक वॊवाय वाया सलपन श। ल

वॊवाय क द ख को बी दखत यशत श औय वख को बी दखत यशत श, सलग औय नक को बी दखत यशत श। ल दषटा, वाषी शोकय आतभा भ भसत यशत श कपय 'भ' औय 'त' की कलऩना लशाॉ जोय नश ॊ भायती। अशॊता औय भभता लशाॉ ऩयळानी ऩदा नश ॊ कयती। ल ननभर ऩद भ जीत श। फाजाय व गजयत श रककन खय ददाय नश ॊ शोत। वख-द ख क फाजाय व ननकर तो जात श रककन ल कोई ननयार भसती भ शोत श। सानी बी तमश फाजाय भ लभर वकता श, मदध भ लभर वकता श, याजम भ लभर वकता श, रककन लश फाजाय भ श नश ॊ, मदध भ श नश ॊ, याजम भ श नश ॊ। सानी तमश घय भ लभर वकता श। रककन लश घय भ श नश ॊ। तमशाय वबा क फीच लभर वकता श रककन लश कलर वबा भ श नश ॊ, अननत-अननत बरहमाणडो भ परा शआ चतनम श।

सानी की चतना का फमान, सानी की गरयभा का फमान तो लद बी नश ॊ कय वकत। 'ननत.... ननत.... ननत....।' ऩरथली, जर, तज इन तीन बतो शचजतनी वमाऩकता? नश ॊ। लाम औय आकाळ शचजतनी वमाऩकता? नश ॊ, उवव बी ऩय। उवव बी ऩय जो चतनम शोता श लश तो सानी का अऩना आऩा शोता श।

'श याभजी ! जफ सानलान शोता श तफ वख व जीता श, वख व रता श, वख व दता श, वख व खाता श, वख व ऩीता श। वफ चषटा कयता शआ ददख ऩडता श रककन रदम व कछ नश ॊ कयता। जफ लश ळय य का तमाग कय दता तो बरहमा शोकय ववषट कयता श, वलरषण शोकय ऩारन कयता श, रि शोकय वॊशाय कयता श, वम शोकय तऩता श औय चाॉद शोकय औऴचध ऩषट कयता श। ऐवा सानी का लऩ शोता श। वच ऩछो तो असानी का बी लश लऩ श रककन असानी अऩन को

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दश भानकय वख-द ख क ऩीछ बटकता श। सानी अऩन को सलरऩ भ डफा शआ यखकय कभ कयत शए बी वख-द ख व ननयारा यशता श। अखा बगत कशत श-

वाथी ळीतरता अखा वदगर कय वॊग। वचची जो ळीतरता श, वचची जो ळाशचनत श, वदगरओॊ क वॊग भ श। अखा बगत भसत

आतभसानी वॊत शो गम। ल बी ननकर थ वतम को ऩान क लरए, भाग भ आॉधी औय तपान फशत आम कपय बी ल कश ॊ रक नश ॊ। वना श कक ल कई भठ-भॊददयो भ गम, भशॊत-भॊडरशवयो क ऩाव गम। घभत-घाभत जगननाथऩय भ ऩशॉच। जगननाथजी क दळन ककम। लशाॉ ककवी भठ भ गम तो भशॊत न आॉख उठाकय दखा तक नश ॊ। फड-फड वठो व श फात कयत यश।

दवय ददन अखा बगत ककयाम ऩय कोट, ऩगडी, भोजडी, छडी, आदद धायण कयक ळय य को वजाकय भशॊत क ऩाव गम औय परणाभ कयक जफ व वलण-भिा ननकारकय यख द । भशॊत न चर को आलाज रगामी। चर न आसानवाय भला-लभठाई, परादद राकय यख ददम।

अखा नम कऩड राम थ ककयाम ऩय, उन कोट, ऩगडी, आदद को कशन रग 'खा...खा... खा...।' छडी को रडड भ ठॉवकय फोर यश श- 'र... खा... खा...।' भठाधीळ कशन रगा "वठजी ! मश कमा कय यश शो?"

"भशायाजजी ! भ ठीक कय यशा शॉ। शचजवको तभन ददमा उवको णखरा यशा शॉ।"

"तभ ऩागर तो नश ॊ शए शो?"

"ऩागर तो भ शआ शॉ रककन ऩयभातभा क लरए, रऩमो क लरए नश ॊ, भठ-भॊददयो क लरए नश ॊ। भ ऩागर शआ शॉ तो अऩन पमाय क लरए शआ शॉ।"

वाधना-कार भ शभ बी घभत-घाभत, बटकत-टकयात शए कई फाय घय रौट आम। कपय गम। जफ र राळाश फाऩ लभर गम तफ तरफक गम उनक चयणो भ। ऐव ऩरऴ शोत श असान को शयण कयन लार। अनम रोग तो असान को फढानलार शोत श। अखा बगत कश यश श-

वचची ळीतरता अखा वदगर कय वॊग। औय गर वॊवाय क ऩोऴत श बलयॊग।।

औय रोग श ल वॊवाय का यॊग दत श, वाॊवारयक यॊग भ शभ गशया डारत श। लव श शभ अनध श औय ल शभ कऩ भ डारत श। 'इतना कयो तो तमश मश लभरगा... लश लभरगा। तमशाया मळ शोगा, कर की परनतिा शोगी.... सलग लभरगा।' ऩशर व श शभाया भन चॊचर फनदय, कपय ळयाफ वऩरा द , ऊऩय व काट तरफचछ, कपय कशना श कमा? अजन गीता भ कशत श-

चञचरॊ दश भन करषण परभाचथ फरलददढभ। ततमाशॊ ननगरशॊ भनम लामोरयल वदरषकयभ।।

'श शरीकरषण ! मश भन फडा चॊचर, परभथन सलबाल लारा, फडा दढ औय फरलान श। उवको लळ भ कयना भ लाम को योकन की बाॉनत अतमनत दरषकय भानता शॉ।'

(गीता 6.34)

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ककवी की धन-दौरत, वख-लबल आदद वाॊवारयक पररोबन, नषट शो जान लार ऩदाथ दखकय उनकी ओय रारानमत नश ॊ शोना चादशए। अवलनाळी आतभा को ऩान क लरए इचछाएॉ लभटानी चादशए, न कक बोगो को ऩान की इचछाएॉ कयनी चादशए। 'ऐव ददन कफ आमग कक अकतरिभ आननद को ऩाऊॉ गा?... नशवय बोगो की रारवा लभटाकय ळाशवत आतभा भ शचसथय शोऊॉ गा?.. दश शोत शए बी वलदश तततल भ परनतवित शो जाऊॉ गा?' इव परकाय की ऩयभातभ-परानपत की इचछा जोय ऩकडगी तो तचछ इचछाएॉ, नशवय चीजो की इचछाएॉ, लभटनलार वॊमोगो की इचछाएॉ शटकय अभय आतभा भ शचसथनत शोन रगगी। ॐ....ॐ....ॐ.....

अनकरभ

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वचची रगन जगाओ

लीयलवॊश नाभक एक फडा तजसली याजा शो गमा। लश परजाऩारक, नमामननि, द न-द णखमो की वशाम कयन लारा औय ननयलबभानी था। उवको वॊवाय क औय वफ वख थ रककन कोई वॊतान नश ॊ थी। वॊतान-परानपत क लरए इषट-उऩावनादद कई उऩाम ककम भगय आळा ऩय नश ॊ शई।

एक फाय सलपन भ उवन वना कक भशातभा भधवदन वयसलती नाभक वॊत की वला कयगा तो ऩि-परानपत शोगी। ठीक श कशा श

ज को जनभ भयण त डय। वाध जनाॊ की ळयणी ऩड।। ज को अऩना द ख लभटाल। वाध जनाॊ की वला ऩाल।।

शचजवको जनभ-भतम क बम व ऩलरा छडाना शो उव वॊतो क ळयण भ जाना चादशए। जो वचभच अऩन द खो को लभटाना चाश उव वॊतो की वला परापत कय रनी चादशए।

याजा लीयलवॊश अऩन याजम-कायफाय की वमलसथा कयक याजभशर औय याजधानी छोडकय कछ वलको-अनचयो क वाथ वरयता क तीय ऩय तमफ रगाकय यशन रगा। सलपन क आदळानवाय भशातभा भधवदनदावजी की खोज कयन क लरए चायो ओय रोग दौडाम। कई ददनो क ऩरयशरभ क फाद एक भॊिी खळखफय रामा कक

"भशायाज ! फधाई शो। शभाया काम वपर शो गमा। शचजन भशाऩरऴ को खोजन क लरए आऩन अयणमलाव ककमा औय खोज कयलाई उन भशातभा शरी भधवदन वयसलती जी भशायाज का ऩता रग गमा श।"

याजा क आननद का दठकाना न यशा। भॊिी, वननको आदद क वाथ वॊत शरी क दळनाथ ननकर ऩड। उन ददनो भ भधवदनजी भशायाज एक झोऩडी फनाकय भौन धायण कयक, फनद आॉख

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व, आवनसथ शोकय तऩसमा कय यश थ। अऩन शवावो को ननशायत शए आतभ-चतनम का अनवॊधान कय यश थ। अऩन बरहमसलरऩ भ वलशराशचनत ऩान क लरए कतननिम थ। चौदश वार तक अधोशचनभलरत नमन औय भौन।

याजा झोऩडी ऩय ऩशॉचा। वाषटाॉग दॊडलत परणाभ कयक फोरा "सलाभीजी ! भय अशोबागम कक आऩक ऩालन दळन शए। अफ भझ वला कयन का भौका

द शचजए।" याजा न अऩन सलपन की ऩय फात फता द ।

भधवदन जी न कछ जलाफ नश ॊ ददमा। आॉख उठाकय दखा तक नश ॊ। कमोकक वाधना चार थी। कव ननरषऩाऩ शोग ल !

त दवनदवभोशननभिा बजनत भाॊ दढवरता। बजन भ ककतनी दढता श !

याजा न अऩन भॊतरिमो को आदळ ददमा कक, "फाफाजी की कदटमा क इदचगद एक फशत फडा बवम, ददवम आर ळान भॊददय खडा कय दो। फाफाजी को अऩन आवन ऩय तऩिमा भ कोई ददककत न शोन ऩाल।"

आदळ दकय याजा चरा गमा। कछ श वभम भ लशाॉ वॊगभयभय का बवम भॊददय खडा शो गमा। बगलान क वलगरश की पराणपरनतिा की गईऴ वला-ऩजा, आयती-उऩावना क लरए ऩजाय यखा गमा। अनम तभाभ परकाय की आलशमक वाभचगरमाॉ रामी गमीॊ। तीन लऴ औय फीत गम। विश लऴ क फाद भधवदन जी न आॉख खोर तो वाभन बगलान की भनत क दळन शए। आवऩाव दखा तो बवम भॊददय ! ऩाव भ ऩजाय शाथ जोडकय खडा श ! ऩयानी झोऩडी का कोई ऩता नश ॊ। ऩजाय व ऩछा

"बाई ! मश वफ कमा श? भय झोऩडी कशाॉ गई?"

"भशायाज ! आज व तीन लऴ ऩल याजा वाशफ आम थ। आऩक दळन ककम औय उनक आदळ क अनवाय मश भॊददय फनलामा श।"

"तीन वार ऩशर....?" सलाभी जी को आिम शआ।

"शाॉ भशायाज!"

थोडी दय भधवदनजी ळाॊत शो गम। आॉख फनद कयक भौन भ डफ गम। कपय खड शोकय चऩचाऩ लशाॉ व चर ददम कबी लाऩव न रौट।

आमी भौज पकीय की ददमा झोऩडा पॉ क। ऐव भशाऩरऴ अऩन जीलन का भलम वभझत श, अऩन एक-एक शवाव की कीभत जानत

श। बवम भॊददय लभर जाम तो कमा औय बवम भशर लभर जाम तो कमा? बवम गाडी लभर जाम तो कमा औय वॊदय राडी लभर जाम तो कमा? आणखय कमा? षण-बॊगय बोग औय योगो का घय तन। उनक वॊमोग व लभरकय कमा लभरगा? घाटा श घाटा श, अऩन वाथ धोखा श।

वलशवालभि को भनका लभर तो कमा शआ?

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रककन शचजनक ऩणमकभ जोय नश ॊ भायत ऐव शभ रोगो क भन छोट -छोट चीजो व परबावलत शो जात श। शभ वोचत श कक ऩशर इतना कय र कपय वतवॊग कयग, धमान कयग। ऐवा कयत-कयत जीलन वभापत शो जाता श रककन काभ ऩय नश ॊ शोत।

अत अऩना भलमलान वभम तचछ लसत अथला लभिाचाय क ननतक बालो व परबावलत शोकय नषट न शोन ऩाम। ऩयभातभा को ऩाम तरफना जीलन कश ॊ नषट न शो जाम इवभ वालधान यशना।

अनकरभ

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आतभ-परळॊवा व ऩणमनाळ

भशायाज ममानत न द घकार तक याजम ककमा था। अनत भ वाॊवारयक बोगो व वलयि शोकय अऩन छोट ऩि को उनशोन याजम द ददमा औय ल सलमॊ लन भ चर गम। लन भ कनदभर खाकय, करोध को जीत कय, लानपरसथाशरभ की वलचध का ऩारन कयत शए वऩतयो एलॊ दलताओॊ को वनतषट कयन क लरए तऩसमा कयन रग। ल ननतम वलचधऩलक अशचगनशोि कयत थ। जो अनतचथ अभमागत आत उनका आदयऩलक कनदभर पर व वतकाय कयत औय सलमॊ कट शए खत भ चगय शए अनन क दान चनकय तथा सलत लष व चगय पर राकय जीलन-ननलाश कयत थ। इव परकाय ऩय एक वशसर लऴ तऩ कयन क फाद भशायाज ममानत न कलर जर ऩीकय तीव लऴ वमतीत कय ददम। कपय एक लऴ तक कलर लाम ऩीकय यश। उवक ऩिात एक लऴ तक ल ऩञचाशचगन ताऩत यश। अनत क छ भश न तो लाम क आशाय ऩय यशकय एक ऩय व खड शोकय ल तऩसमा कयत यश।

इव कठोय तऩसमा क पर व याजा ममानत सलग ऩशॉच। लशाॉ दलताओॊ न उनका फडा आदय ककमा। ल कबी दलताओॊ क वाथ सलग भ यशत औय कबी बरहमरोक चर जात थ। उनका मश भशततल दलताओॊ की ईरषमा का कायण शो गमा। ममानत जफ कबी दलयाज क बलन भ ऩशॉचत, तफ इनि क वाथ उनक लवॊशावन ऩय फठत थ। दलयाज इनि उन ऩयभ ऩणमातभा को अऩन व नीचा आवन नश ॊ द वकत थ। ऩयनत इनि को फया रगता था। इवभ ल अऩना अऩभान अनबल कयत थ। दलता बी चाशत थ कक ककवी परकाय ममानत को सलग-भषट कय ददमा जाम। इनि को बी दलताओॊ का बाल बी सात शो गमा।

एक ददन ममानत इनि-बलन भ दलयाज इनि क वाथ एक लवॊशावन ऩय फठ थ। नाना परकाय की फडाई कयत शए इनि न कशा

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आऩ तो भशान ऩणमातभा श। आऩकी वभानता बरा, कौन कय वकता श? भय मश जानन की फशत इचछा श कक आऩन कौन-वा ऐवा तऩ ककमा श, शचजवक परबाल व बरहमरोक भ जाकय लशाॉ इचछानवाय यश रत श?"

ममानत फडाई वनकय पर गम औय ल इनि की भीठी लाणी क जार भ आ गम। ल अऩनी तऩसमा की परळॊवा कयन रग। अनत भ उनशोन कशा "इनि ! दलता, भनरषम, गनधल औय ऋवऴ आदद भ कोई बी तऩसमा भ भझ अऩन वभान ददखाई नश ॊ ऩडता।"

फात वभापत शोत श दलयाज का बाल फदर गमा। कठोय सलय भ ल फोर "ममानत ! भय आवन व उठ जाओ। तभन अऩन भख व अऩनी परळॊवा की श, इवव तमशाय वफ ऩणम नषट शो गम, शचजनकी तभन चचा की श। दलता, भनरषम, गनधल, ऋवऴ आदद भ ककवन ककतना तऩ ककमा श, मश तरफना जान श तभन उनक नतयसकाय ककमा श, इवव अफ तभ सलग व चगयोग।"

आतभ-परळॊवा न ममानत क तीवर तऩ क पर को नषट कय ददमा। ल सलग व चगय गम। उनकी पराथना ऩय दलयाज न कऩा कयक मश ववलधा उनश द द थी कक ल वतऩरऴो की भणडर भ श चगय। अत ल अषटक, परतदन, लवभान औय लळतरफ नाभक चाय ऋवऴमो क फीच चगय।

याजा ममानत न उन भशाऩरऴो व पराथना की "भझ ऩन ऐव नशवय सलगादद का वख नश ॊ बोगना श कक जशाॉ व अऩन ऩणमो का लणन कयन व श चगया ददमा जाम। अफ भझ ळाशवत आतभऩद की परानपत कयनी श जशाॉ ऩशॉचन क फाद चगयन की वमबालना नश ॊ। अननत बरहमाणडो भ अऩना सलरऩ वमाऩ यशा श उव अनतमाभी ऩयभातभा का भझ वाषातकाय शो जाम। श कऩार ! भझ ऐव बरहमसान का उऩदळ कय, शचजवको ऩाकय कपय कबी ऩतन नश ॊ शोता, ऐव अऩरयलतनळीर आतभदल का, वतम शरीशरय का फोध शो जाम।"

ल आतभलतता वॊत परवनन शए औय ममानत को बी अचम क सान का राब कयामा जो कक शय पराणी का अऩना आऩा श औय वदा वाथ भ श।

अनकरभ

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भसतक-वलकरम

कोवर क याजा का नाभ ददग-ददगनत भ पर यशा था। ल द नो क यषक औय ननयाधाय क आधाय थ। जफ काळीऩनत न उनकी कीनत वनी, तफ ल जर-बन गम। उनशोन फडी वना र औय कोवर ऩय चढ आम। मदध भ कोवरनयळ शाय गम औय लन भ बाग गम। नगय भ ककवी न काळीयाज का सलागत नश ॊ ककमा।

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कोवरनयळ की ऩयाजम व लशाॉ की परजा यात-ददन योन रगी। काळीयाज न दखा कक परजा उनका वशमोग कय कश ॊ ऩन वलिोश न कय फठ, इवलरए ळि क ननळऴ कयन क लरए उनशोन घोऴणा कय द

"जो कोवरऩनत को ढॉढ रामगा उव 100 भोशय द जामगी।"

शचजवन बी मश घोऴणा वनी, आॉख-कान फनद कय जीब दफा र ।

इधय कोवरनयळ पट चीथडो भ जॊगरो भ बटक यश थ। एक ददन एक ऩचथक उनक वाभन आमा औय ऩछन रगा

"लनलावी ! इव लन का कशाॉ जाकय अनत शोता श औय कोवरऩय का भाग कौन वा श?"

याजा न ऩछा "तमशाय लशाॉ जान का कायण कमा श?"

"भ वमाऩाय शॉ। भय नौका डफ गई श। अफ दवाय-दवाय कशाॉ बीख भाॉगता कपरॉ ? वना था कक कोवर क याजा फड उदाय श अतएल उनश ॊ क दयलाज जा यशा शॉ।" ऩचथक फोरा।

थोडी दय तक कछ वोचकय याजा न कशा "चरो, तमश लशाॉ तक ऩशॉचा श आऊॉ । तभ फशत दय व शयान शोकय आम शो।"

काळीयाज की वबा भ एक जटाधाय वमकति आमा। काळीनयळ न ऩछा "कदशम, ककवलरए ऩधाय?"

जटाधाय न कशा "भ कोवरयाज शॉ। तभन भझ ऩकडकय रान लार को वौ वलणभिाएॉ दन की घोऴणा कयामी श। फव, भय इव वाथी को लश धन द दो। इवन भझ ऩकडकय तमशाय ऩाव उऩशचसथत ककमा श।"

वाय वबा वनन यश गमी। परशय की आॉखो भ बी आॉव आ गम। काळीऩनत वाय फात जान-वनकय सतबध यश गम।

तमाग, धम औय ऩयदशत भ ऩयामण कोवरनयळ जगत को, बोगऩदाथो को तचछ वभझत थ। फाहय क याजम की अऩषा बीतय क याजम की उनको जमादा कि थी। फाहय ळय य वजान की अऩषा उनशोन रदम को तमाग व, परभ व, ननबमता व वजा यखा था। उव वशालन रदम भ ऩयभातभा अऩन ऩय परबाल व आवीन थ।

ऐव ऩवलि रदमलार कोवरनयळ का काळीनयळ ऩय अदबत परबाल ऩडा। कदटरता औय फाहय फर की अऩषा आनतरयक फर फशत ऩवलि, ददवम शोता श। उव ददवम आधमाशचतभक परबाल व काळीनयळ का रदम वऩघर गमा। बय कणठ कशा

"अफ भ फाहय याजम नश ॊ जीतॉगा। भशायाज ! जो अशॊकाय का वलसताय कयान भ दशॊवा, मदध, छीना-झऩट कयाक, दवयो को नीचा ददखाकय अऩन को चकरलतॉ याजा फनान की दलावना थी उव दलावना न भय व अनमाम कयलामा। अफ भ दलावना को जीतन क लरए एकानत अयणम की ळयण रॉगा। आऩ भझ षभा कय। अशॊकाय औय ईरषमालळ जो कछ भय व अनचचत शो गमा उवभ लश लावना श तो कायण श भशायाज ! मश लावना ननलतत कयना श तो भनरषम जनभ का

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रकषम श, मश तमशाय परबाल व अफ वभझ यशा शॉ। ननलावननक ऩरऴ को परायबध लग व वफ बोग आकय परापत शोत श कपय बी लश ननरऩ यशता श। ऐवा जीलन ऩान की भ चषटा करॉ गा।"

कोवरनयळ का रदम पमाय व, उदायता व, अशोबाल व छरक आमा। दोनो की आॉखो व परभाशर की वरयताएॉ फश चर ॊ। भानो, दोनो ददरो भ एक श अरख ऩरऴ की, एक श ऩयभशवय की ऩयभ यवभमी धाया उभडी। धनम घकतडमाॉ... धनम षण शो गई।

काळीनयळ न कोवरनयळ का शाथ ऩकडकय लवॊशावन ऩय तरफठा ददमा औय उनक भसतक ऩय भकट ऩशना ददमा। वाय वबा धनम-धनम फोर उठी।

अनकरभ

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ळयणागनतमोग

दली हयऴा गणभमी भभ भामा दयतममा। भाभल म परऩदयनत भामाभताॊ तयशचनत त।।

'मश अरौककक, अनत अदबत तरिगणभमी भय भामा फडी दसतय श, ऩयनत जो ऩरऴ कलर भझको श ननयनतय बजत श, ल इव भामा का उलरॊघन कय जात श, अथात वॊवाय व तय जात श।'

न भाॊ दरषकनतनो भढा परऩदयनत नयाधभा। भाममाऩर तसाना आवयॊ बालभाचशरता।।

'भामा क दवाया शचजनका सान शया जा चका श ऐव अवय-सलबाल को धायण ककम शए भनरषमो भ नीच, दवऴत कभ कयन लार भढ रोग भझको नश ॊ बजत।'

(बगलद गीता 7.14.15) म दोनो शलोक वाधक क जीलन भ सऩषटता, वशज सलाबावलक, वगभ औय ळाशवत भाग का

ननदळ कयत श।

तीन गणलार भामा दली श। इव भामा का तयना ऩडा दसतय श। इव भामा कक वरयता भ कोई अऩन ऩरऴाथ का तमफा फाॉधकय ऩाय शोना चाश औय वाथ भ ऩतथय बी फाॉध र तो ऩाय नश ॊ शो वकता। पन वागय का नाऩ रना चाश तो लश वॊबल नश ॊ। लश तयॊगो की झऩटो भ नछनन-लबनन शो जाता श। उवको अऩना श ऩता नश ॊ यशता। ऐव श अननत-अननत बरहमाणडो भ पर शए ऩयबरहम ऩयभातभा क आग भनरषम का फाशफर, भनरषम की अकर, भनरषम का ऩरऴाथ, भनरषम का उऩाजन, भनरषम को जो कछ वजन आमोजन श लश ळनमलत श। जव पन औय फदफद का अऩना सलतनि अशचसततल न शोत शए बी सलतॊि अशचसततल भानकय ल कछ फनना चाश, कछ ऩाना चाश, वागय को नाऩना चाश तो अवमबल श। रककन ल पन औय फदफद अगय लभट

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जाम, अऩन आधाय, अऩन अचधिान उव वागय को जान र, वभवऩत शो जाम तो उनक लरए वागय को ऩाना वयर बी श। वागय क वशाय ल श नाच यश श। वागय व श ल उतऩनन शए, वागय भ श जी यश श औय वागय भ श लभर जामग। रककन उव वागय व अऩनी अरग वतता भानकय कछ फनना चाशता श, कछ ऩाना चाशता, कछ जानना चाशता औय अऩनी अकर-शोलळमाय ऩय अऩनी फवदध ऩय, अऩन फाशफर ऩय लश फरफरा अगय वागय को ऩाना चाश, भाऩना चाश तो अवमबल श। शाॉ, फरफरा भाऩ नश ॊ वकता, वागय को ऩा नश ॊ वकता रककन वागय भ लभट वकता श, लभटकय वागय शो वकता श। वच ऩछो तो उव लभटन की बी आलशमकता नश ॊ, लश अबी बी लभटा शआ श। कमोकक उवकी अऩनी सलतॊि वतता नश ॊ, वागय की वतता श उवकी वतता श, वागय का शोना श उवका शोना श। ऩानी का शोना श फदफद का शोना श। ऐवा जो वभझ रता श कक भय अनतकयण रऩी फदफद का शोना श। ऐवा जो वभझ रता श कक भय अनतकयणरऩी फदफद भ तभाभ वलचाय उठत श, शचजव वभम जव-जव गण आत श लव-लव वॊकलऩ-वलकलऩ शोत श रककन अनतकयण को वतता-सपनत दन लारा भया ऩयभातभा श। भ उवी की ळयण शॉ। भया लश आधाय श। इव परकाय जो अनतमाभी ऩयभातभा की ळयण सलीकाय कय रता श, अननत की सभनत कय रता श उवक लरए वॊवाय-वागय तयना इतना आवान श शचजतना गोऩद राॉघ जाना आवान शोता श। भगय जो अऩनी भानमता, अऩन भन-फवदध-अनतकयण क फर व वॊवाय-वागय तयना चाश तो उवक लरए वॊवाय-वागय अनत वलकट शो जाता श। चोय को अगय तीनो कार का सान शो वकता शो, दशयन मदद लळकाय की गयदन भयोड वकता शो, अऩयाधी ल ऩाऩी आदभी मदद वतम-वॊकलऩ फन वकता शो, भछर अगय फॉवी को ननगर वकती शो तो ऐवा आदभी वॊवाय-वागय तय वकता श। अथात ऐव आदभी क लरए वॊवाय-वागय तयना दसतय श।

कई रोग आवय बाल क आचशरत शोकय बगलान का सभयण नश ॊ कयत। कई रोग सभयण कयत श रककन उनभ लावनाएॉ बय श। कई रोग सभयण-धमान-बजन कयत श तो अऩन को कतता भानकय कछ वलळऴ फनन की आकाॊषा भ रग श। म वफ कयन लार बी ऩयभातभा को नश ॊ ऩा वकत औय न कयनलार बी नश ॊ ऩा वकत। कमोकक भामा का ऐवा जार श कक कयन लार ककवकी वतता व ककमा जा यशा श उवको नश ॊ वभझ यशा श। जो वायबत श, जो वफको वतता-सपनत दकय नाच नचा यशा श उवको नश ॊ जानता औय अऩनी लजद , अऩनी शसती फीच भ अडा दता श।

लासतल भ दखा जाम तो ऩणम कयन लार शभ कौन शोत श? ऩयभातभा ऩणम कयला यशा श। दान कयन लार शभ कौन शोत श? लश कयला यशा श। शभ वला, जऩ कयन लार कौन शोत श? शभाया तो अऩना कछ श श नश ॊ।

एक रडक न भाॉ को कशा "भाॉ ! तया ऋण चकान क लरए तन-भन-धन व वला करॉ । भय रदम भ तो आता श कक भाॉ, भय चभडी व तय चयणो की भोजडी फनला दॉ।"

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वनकय भाॉ शॉव ऩडी "फटा ! ठीक श। तय बालना श, भय वला शो गई। फव भ वॊतषट शॉ।"

"भाॉ त शॉवी कमो?"

"फटा ! त कशता श कक भय चभडी व तय भोजडी फनला दॉ। रककन मश चभडा त कशाॉ व रामा? मश चभडा बी तो भाॉ का ददमा शआ श।"

ऐव श मदद शभ कश कक 'श परब ! तय लरए भ पराणो का तमाग कय वकता शॉ, तय लरए घय-फाय छोड वकता शॉ, तय लरए ऩतनी-ऩरयलाय छोड वकता शॉ, तय लरए वॊवाय छोड वकता शॉ....।' रककन घय-फाय, वॊवाय-ऩरयलाय राम कशाॉ व? उवी परब का श तो था। तभन छोडा कमा? तभन कलर उवको आदय दत शए अऩना अनतकयण ऩवलि ककमा, लयना तमशाया तो कछ था श नश ॊ। जव फट का अऩना चभडा श श नश ॊ, भाॉ का ददमा शआ श लव श जील का अऩना कछ श श नश ॊ। वफ कछ ईशवय का श श। रककन जील भान रता श कक, 'मश भया श... बगलान ! तझ दता शॉ। भन इतना ककमा, उतना ककमा... अफ त कऩा कय।'

कछ न कयन लारो की अऩषा ऐव बि बी ठीक श रककन शरीकरषण कशत श कक ल बी भामा भ श श। दली हयऴा गणभमी भभ भामा दयतममा। मश गणो लार भामा फडी दसतय श। इवको तयना कदठन श।

'भामा दसतय श, कदठन श...' ऐवा कशन व कोई वाधक उतवाशश न न शो जाम इवलरए बगलान न आग तयनत यासता बी फता ददमा कक भाभल म परऩदयनत भामाभताॊ तयशचनत त। जो भय ळयण आता श लश भामा को तय जाता श।' बगलान क ळयणागत बि क लरए भामा तय जाना आवान बी श।

बगलान क ळयण शोन का भतरफ कमा श? कमा शभ 'करषण.... करषण कय? कर ॊ करषणाम नभ... कर ॊ करषणाम नभ....' कय? नश ॊ। बगलान ऐवा नश ॊ कश यश श। ल कशत श कक 'भय ळयण।' कई रोग 'करषण... करषण....' जऩ कयत श। रककन जरय नश ॊ कक ल शरीकरषण क ळयण श श । कई रोग लळलजी का जऩ कयत श ककनत जरय नश ॊ कक ल लळलजी क ळयण श श ।

बगलान का जऩ कयत श रककन पर कमा ऩाना चाशत श? वॊवाय। तो ल वॊवाय क ळयण श। भारा घभा यश श नौकय क लरए, जऩ कय यश श ळाद क लरए, धमान-बजन-सभयण कय यश श नशवय चीजो क लरए, नशवय कीनत क लरए। तो शभ बगलान क ळयण नश ॊ श, नशवय क ळयण श। अगय शभाया जऩ-धमान-अनिान ऩद-परनतिा ऩान क लरए श, वमकतितल क ळॊगाय क लरए श तो शभ बगलान क ळयण नश ॊ श, ळय य क ळयण श। 'शभ कोई भशॊत कश द, शभ ऐवा शचजम कक शभाय भशॊतऩद का परबाल ऩड, शभ वॊत शोकय शचजम, वाॉई शोकय शचजम, रोगो ऩय परबाल छोड जाम, शभ वठ शोकय शचजम, वाशकाय शोकय शचजम' – इव परकाय की लावना बीतय श औय शभ बगलान की वला-ऩजा-उऩावना-आयाधना कयत श तो शभ बगलान क ळयण नश ॊ श। बगलान को अऩनी इचछाऩनत का वाधन फना ददमा। शभ ळयण श भामा क।

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शभ अनिान कय यश श तो जाॉचो कक ककवलरए कय यश श? तनदरसती क लरए कय यश श? मळ क लरए कय यश श? सलग-परानपत क लरए कय यश श? अथला ईशवय-परानपत क लरए कय यश श? अगय शभाय कभो भ ईशवय-परानपत भखम श तो शभ ऩयभातभा क ळयण श। रकषम अगय ईशवय-परानपत नश ॊ श तो शभ भॊददय भ शोत शए बी रऩमो क ळयण श, ऩतनी क ळयण श, फचचो क ळयण श, वतता क ळयण श, वख क ळयण श।

बगलान कशत श कक जो भय ळयण आ जाता श लश भामा को तय जाता श। बगलान क ळयण जान लारा वमकति इतना भशान शो जाता श, ऐवा ळाशवत आननद परापत कय रता श कक कपय उवको नशवय ऩदाथो की आवकतिमो क ळयण शोन का दबागम नश ॊ लभरता श।

ईशवय क ळयण शोन व ईशवय शभ ऩयाधीन नश ॊ फना यश श। ईशवय शभ ईशवय फना यश श। ईशवय शभ अऩनी भदशभा भ जगा यश श।

ईशवय का सभयण फडा दशतालश श। सभनत एक ऐवी चीज श, सभयण एक ऐवा अदबत खजाना श कक लश ऩयभ कलमाण क दवाय खोर दता श। नद फश यश श वागय की ओय। उवभ व नशय ननकारो तो उवक दवाया नद का ऩानी जशाॉ चाशो लशाॉ र जा वकत शो। ऐव श अनतकयण व अननत-अननत लवततमाॉ उठ यश श। इन लवततमोरऩी वरयताओॊ भ फशकय शभ वॊवायरऩी वागय भ चगय यश श। ईशवय का सभयण कयन का भतरफ मश श कक शभन ईशवय की ओय लवततरऩी जर को र जान क लरए एक नशय खोर र । एक आमोजन कय लरमा कक नद का ऩानी खाय वागय भ न जाम फशचलक खतो भ जाम। ऐव श लवततमाॉ जनभ-भयण क वॊवाय-वागय भ नषट न शो, जीलन फयफाद न शो औय आतभसान क उदयान भ उवका ठीक उऩमोग शो। ईशवय-सभयण का भतरफ श कक शभाया भन इधय-उधय की कलऩनाओॊ भ न जाम, वॊवाय की लावनाओॊ भ न जाम, अनक परकाय क खमारो भ शभाया भन न तरफखय, लबनन-लबनन परकाय की आलशमकताओॊ भ न उरझ। रककन शभाया भन जशाॉ व परकट शआ श उवी ऩयभातभा भ ऩशॉच।

जो ईशवय का सभयण नश ॊ कयत श ल कमा तरफना सभयण फठ श? काि भौन भ मा वभाचध भ दटक श? नश ॊ। उनको वॊवाय का सभयण आता श। जो शरय का सभयण नश ॊ कयत, ऩयभातभा का सभयण नश ॊ कयत ल वॊवाय वागय भ फय तयश डफत-उतयत यशत श, फडी-फडी तयॊगो की थपऩड खात यशत श।

ऩयभातभा का फदढमा सभयण लश श कक शचजव चीज ऩय भन जाम, शचजव कभ भ शभ शो, शचजव फात भ रग शो, शचजव दळ भ शो, शचजव यॊग भ शो, शचजव रऩ भ शो, शचजव जात भ शो, शचजव नात भ शो, शचजव वमलशाय भ शो, उव वभम उन वफका जो आधाय श उव ऩयभातभा की सभनत फनी यश। नजय पर ऩय गई तो 'आशा ! ककतना वशालना वगशचनधत गराफ का पर श ! उवका परागटम सथान ऩयभातभा श। परो भ वतता ऩयभातभा की श।' नजय ऩडी ककवी लभि ऩय, लभि की नजय भझ ऩय ऩडी तो 'दोनो लभिो की आॉखो भ फठकय एक श भया परब झाॉक यशा श। लश वफ लभिो का लभि श। लाश लाश परब !'

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नय ऩडी ककवी भोटयगाडी ऩय 'शाम ! भझ ऐवी गाडी लभर जाम !' ना, ना। सभनत आ जाम कक 'लाश परब ! कमा तय र रा श ! गाडी फनान लारो भ तय वतता, गाडी घभान लारो भ तय वतता, गाडी दखन भ इव अनतकयण को बी तय श वतता चरा यश श। लाश परब !'

मश ऩयभातभा का सभयण अदबत शोगा। कबी भारा नश ॊ घभामी औय ऐव श सभयण शो जाम कक 'त वल श..... वफभ श.... भझभ बी त श श। लळलोऽशभ.... वशचचचदाननदोऽशभ... अजयोऽशभ.... वाधकोऽशभ.... लळरषमोऽशभ... धनी अशॊ... ननधनोऽशभ.. भखोऽशभ... वलदवानोऽशभ....।'

'जो कोई ददख लश भ श अथला उवभ भया श ऩयभातभा फठा श। भखता औय वलदवता उवक अनतकयण क बाल श, अनतकयण की मोगमता अमोगमता श रककन वतता तो भय ऩयभातभा की श।' ऐवा जो सभयण श लश अननम सभयण श। शचजवको ऐवा अननम सभयण आ जाम उवक लरए वॊवाय तयना फाम शाथ का खर श। अगय अननम सभयण नश ॊ आता तो ककवी भॊि का सभयण ठीक श। भॊि का सभयण कयत-कयत दख कक शभाय लवततमो की गशयाई भ रकषम ऩयभातभा श कक वॊवाय श। शचजतना-शचजतना सभनत भ वॊवाय ऩडा श उतना उवको ननकारत जाम। अगय नश ॊ ननकर ऩाता श तो पराथना कय कक 'श परब ! वफ तय भामा श। भ वततलगण भ न उरझ जाऊॉ , यजोगण-तभोगण भ न उरझ जाऊॉ भय नाथ ! भ कभान औय खान भ अऩना जीलन नषट न कय दॉ। रऩमो की यालळ फढान भ अऩना जीलन नषट न कय दॉ। भय सभनत वरयता आऩकी ओय ननयनतय फशती यश।'

कई रोग बगलान का सभयण कयत श रककन रऩम कभान क लरए। रऩम कभात श लश तो ठीक श रककन वॊगरश कयन भ रग श, वॊगरश की यालळ फढान भ रग श। मश ऩयभातभा का सभयण नश ॊ श, रऩमो का सभयण श। ऐव रोग भामा भ भोदशत शो गम श, वॊवाय भ बटकत श, जनभत औय भयत श।

कई रोग बगलान का बजन कयत श ळाय रयक ववलधा-अनकरता ऩान क लरए।

एक घडवलाय जा यशा था। यशा शोगा लदानती, यशा शोगा वदगर का लळरषम। यासत शाथ व चाफकय चगय ऩडा। कई मािी ऩदर चर यश थ। ककवी को न फोरकय सलमॊ रका, घोड व नीच उतया। चगया शआ चाफक उठामा। ककवी वजजन न ऩछा "बाई ! तभन ऩरयशरभ ककमा। शभको ककवी को फोरत तो कोई न कोई चाफक उठा दता। थोडी वला कय रता।"

वलाय कशता श कक "जगत भ आकय भनरषम को ककवी की वला कयनी चादशए। वला रनी नश ॊ चादशए। दवयो की वला र तफ जफ फदर भ अचधक वला कयन की षभता शो।"

वला रन की रचच बकतिभाग व चगया दती श, वाधना व चगया दती श। छोट -छोट वला रत-रत फडी वला रन की आदत फन जाती श। भय फदर कोई नौकय बगलान की वला-ऩजा कय र, भय फदर कोई ऩशचणडत-बराहमण जऩानिान कय र ऐवी लवतत फन जाती श। जीलन भ आरसम आ जाता श।

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घडवलाय कशता श "बमा ! भ तमशाय वला अबी तो र रॉ रककन कपय कौन जान लभर न लभर। आऩका परतमऩकाय कयन का भौका लभर न लभर। कपय कफ ऋण चका वकॉ ? जनभ शआ श वला कयन क लरए, ळय य का वदऩमोग कयन क लरए। जव द मा तर औय फाती जराकय दवयो क लरए योळनी कयता श ऐव श आदभी को चादशए कक लश अऩनी ळकति औय वभम का वदऩमोग कयक वलशव भ उजारा कय। ऐवा नश ॊ कक दवय क द म ऩय ताकता यश। आऩ भय वला तो कय रत रककन भय को आऩकी वला का भौका कफ लभरता? भय ऩय आऩका ऋण कमा?"

"इतनी जया-वी वला भ ऋण कमा?"

"जया-जया व आदभी फडी वला ऩय आ जाता श। छोट -छोट गरनतमो व आदभी फडी गरती ऩय चरा जाता श।"

गाकपर वाधक भन श भन वभाधान कय रता श कक ककवी वमकति व थोडी फातचीत कय र तो कमा शआ? थोडी वी गऩळऩ रगा र तो कमा शआ? ऐव कयत-कयत लश ऩया जीलन फयफाद कय दता श। भामा भ श उरझा यश जाता श। भामा फडी दसतय श।

भामा को तय जाना अगय आदभी क शाथ की फात शोती तो ळासतर आसा नश ॊ दत कक वॊतो का वॊग कयो। वचच वॊत औय गरजनो का सलबाल शोता श कक कव बी कयक वाधको को भामा व ऩाय शोन भ वशाम कयना। इवलरए तो आलशमकता आन ऩय करोध बी ददखा दत श, डाॉटत-पटकायत बी श। ल ककवी क दशभन थोड श श? ल जफ डाॉटत श तो तभ तक कयक अऩना फचाल भत कयो। अऩनी गरती खोजो, अऩनी फलकपी को ढॉढो। वाधक-वाचधका फन जाना कदठन नश ॊ श रककन अऩनी ननमन आदत फदर दना, फनधनो को काटकय भि शो जाना, तरिगणभमी भामा को तय जाना फड ऩरऴाथ का काभ श। वफव फडा ऩरऴाथ मश श कक शभ वमऩणतमा ऩयभातभा क ळयण शो जाम। उनकी सभनत इतनी फनी यश कक वॊवाय की आवकति छट जाम। वॊवाय का भोश न यश, आकऴण न यश।

जफ खर फाजाय वौदा न ककमा। अफ यश शडतार गाकपर व ददमा।।

कश ॊ ऐवा न शो जाम इवलरए वालधान यशना। जीलन का अशचनतभ शवाव आ जाम, जीलन की शडतार शोन रग तफ कश ॊ ऩिाताऩ शाथ न रग। इवलरए अबी व श भोष का वौदा कय रो।

अनकरभ

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द षा जीलन का आलशमक अॊग

जव डॉकटय ऩाव कयन क फाद बी फड डॉकटय क वाथ यशना, दखना, वीखना जरय शोता श, लकारत ऩाव कयन ऩय बी लकीर क ऩाव यशना-वीखना जरय शोता श, लव श ईशवय व लभरन क लरए, अनजान यासत ऩय चरन क लरए ककवी जानकाय की वशामता रना आलशमक श।

ईशवय एक ऐवी लसत श, वतम एक ऐवी लसत श शचजवको आऩ आॉख व दख बी वकत श, नाक व वॉघ बी वकत श औय शचजव जीब व चखकय बी जान वकत श। ऩयॊत जो इशचनिमो का वलऴम बी नश ॊ श, जो आऩकी वबी इशचनिमो को वॊचालरत कयन लारा श, लश अनतमाभी आऩका आतभा श श। ककवी बी इशचनिम की ऐवी गनत नश ॊ श कक लश उलटा शोकय आऩको दख। उवक लरए परभाण शोता श लाकम। गर जो श ल-

चयणदाव गर कऩा कीनश ॊ। उरट गमी भोय नन ऩतरयमा।।

गर शभाय छठी इनि का दयलाजा खोर दत श, शभ फाशय की चीजो को दखन लार आॉख की जगश बीतय दखन लार आॉख, आतभा-ऩयभातभा को दखन लार ळकति का दान कयत श। भान, गर ईशवय का दान कयत श औय लळरषम उवको गरशण कयता श, ऩचा रता श। ईशवय का दान कयन को 'द ' फोरत श औय ऩचान की ळकति को 'षा' फोरत श। इव तयश फनता श 'द षा'। द षा भान, दना औय ऩचाना। गर का दना औय लळरषम का ऩचाना।

शचजवका कोई गर नश ॊ श उवका कोई वचचा दशतऴी बी नश ॊ श। कमा आऩ ऐव श कक आऩका रोक-ऩयरोक भ, सलाथ-ऩयभाथ भ कोई भाग ददखान लारा नश ॊ श? कपय तो आऩ फशत अवशाम श। कमा आऩ इतन फवदधभान श औय अऩनी फवदध का आऩको इतना अलबभान श कक आऩ आऩन व फडा सानी ककवी को वभझत श नश ? मश तो अलबभान की ऩयाकािा श बाई !

द षा कई तयश व शोती श आॉख व दखकय, वॊकलऩ व, शाथ व छकय औय भॊि-दान कयक। अफ, जवी लळरषम की मोगमता शोगी, उवक अनवाय श द षा शोगी। मोगमता कमा श? लळरषम की मोगमता श शरदधा औय गर की मोगमता श अनगरश। जव लय-लध का वभागभ शोन व ऩि उतऩनन शोता श, लव श शरदधा औय अनगरश का वभागभ शोन व जीलन भ एक वलळऴ परकाय क आतभफर का उदम शोता श औय लळरषम क लरए इषट का, भॊि का औय वाधना का ननिम शोता श ताकक आऩ उवको फदर न द। नश ॊ तो कबी ककवी व कछ वनग, कबी ककवी व कछ, औय जो शचजवकी ताय प कयन भ कळर शोगा, अऩन इषट ल भॊि की खफखफ भदशभा वनामगा लश कयन का भन शो जामगा। कपय कबी 'मोगा' कयग तो कबी वलऩशमना' कयग, कबी लदानत ऩढन रगग तो कबी याभ-करषण की उऩावना कयन रगग, कबी ननयाकाय तो कबी वाकाय।

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आऩक वाभन जो वनदय रडका मा रडकी आलगी उवी व बमाश कयन का अथ शोता श कक एक श ऩरऴ मा एक श सतरी शभाय जीलन भ यश, लव श , भॊि रन का अथ शोता श कक एक श ननिा शभाय जीलन भ शो जाम, एक श शभाया भॊि यश औय एक श शभाया इषट यश।

एक फात आऩ औय धमान भ यख। ननिा श आतभफर दती श। मश बि फनाती श। मश शचसथतपरस फनाती श। ऩयभातभा एक अचर लसत श। उवक लरए जफ शभाया भन अचर शो जाता श तफ अचर औय अचर दोनो लभरकय एक शो जात श।

इवलरए, गर शभको अऩन इषट भ, अऩन धमान भ, अऩनी ऩजा भ, अऩन भॊि भ अचरता, ननिा दत श औय आऩ जो चाशत श वो आऩको दत श। दन भ औय ददरान भ ल वभथ शोत श। शभ तो कशत श कक ल रोग दननमा भ फड अबाग श, शचजनको गर नश ॊ श।

दखो, मश फात बी तो श कक मदद कोई लशमा क घय भ बी जाना चाश तो उव भागदळक चादशए, जआ खरना चाश तो बी कोई फतान लारा चादशए, ककवी की शतमा कयना चाश तो बी कोई फतानलारा चादशए, कपय मश जो ईशवय परानपत का भाग श, बकति श, वाधना श उवको आऩ ककवी फतानलार क तरफना, गर क तरफना कव तम कय रत श, मश एक आिम की फात श।

गर आऩको भॊि बी दत श, वाधना बी फतात श, इषट का ननिम बी कयात श औय गरती शोन ऩय उवको वधाय बी दत श। आऩ फया न भान, एक फात भ आऩको कशता शॉ। ईशवय वफ श, इवलरए उवकी परानपत का वाधन बी वफ श।

वफ दळ भ, वफ कार भ, वफ लसत भ, वफ वमकति भ, वफ ककरमा भ ईशवय की परानपत शो वकती श। कलर आऩको अबी तक ऩशचान कयानलारा लभरा नश ॊ श इवी व आऩ ईशवय को परापत नश ॊ कय ऩात श। अत द षा तो वाधना का, वाधना का श नश ॊ जीलन का आलशमक अॊग श। द षा क तरफना तो जीलन ऩळ-जीलन श।

(सलाभी अखणडाननद वयसलती) अनकरभ

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वफ योगो की औऴचध गरबकति

शभ रोगो क जीलन भ दो तयश क योग शोत श- फदशयॊग औय अनतयॊग। फदशयॊग योगो की चचककतवा तो डॉकटय रोग कयत श औय ल इतन द खदामी बी नश ॊ शोत श शचजतन कक अनतयोग शोत श।

शभाय अनतयॊग योग श काभ, करोध, रोब औय भोश.

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बागलत भ इव एक-एक योग की ननलवतत क लरए एक-एक औऴचध फतामी श। जव काभ क लरए अवॊकलऩ, करोध क लरए ननरषकाभता, रोब क लरए अथानथ का दळन, बम क लरए तततलादळन आदद।

औऴनत दोऴान धतत गणान इनत औऴचध। जो दोऴ को जरा द औय गणो का आधान कय द उवका नाभ श औऴचध। कपय, अरग-

अरग योग की अरग-अरग औऴचध न फताकय एक औऴचध फतामी औय लश श अऩन गर क परनत बकति। एतद वल गयोबिमा।

मदद अऩन गर क परनत बकति शो तो ल फतामग कक, फटा ! तभ गरत यासत व जा यश शो। इव यासत व भत जाओ। उवको जमादा भत दखो, उवव जमादा फात भत कयो, उवक ऩाव जमादा भत फठो, उवव भत चचऩको, अऩनी 'कमऩनी' अचछी यखो, आदद।

जफ गर क चयणो भ तमशाया परभ शो जामगा तफ दवयो व परभ नश ॊ शोगा। बकति भ ईभानदाय चदशए, फईभानी नश ॊ। फईभानी वमऩण दोऴो की ल द खो की जड श। वगभता व दोऴो औय द खो ऩय वलजम परापत कयन का उऩाम श ईभानदाय क वाथ, वचचाई क वाथ, शरदधा क वाथ औय दशत क वाथ गर की वला कयना।

शरदधा औय ऩण नश ॊ शोगी औय मदद तभ कश ॊ बोग कयन रगोग मा कश ॊ मळ भ, ऩजा भ, परनतिा भ पॉ वन रगोग औय गरजी तमश भना कयग तो फोरोग कक, गरजी शभव ईरषमा कयत श, शभाय उनननत उनव दखी नश ॊ जाती, इनव दखा नश ॊ जाता श कक रोग शभव परभ कय। गरजी क भन अफ ईरषमा आ गमी औय म अफ शभको आग नश ॊ फढन दना चाशत श।

वाषात बगलान तमशाय कलमाण क लरए गर क रऩ भ ऩधाय शए श औय सान की भळार जराकय तभको ददखा यश श, ददखा श नश ॊ यश श, तमशाय शाथ भ द यश श। तभ दखत शए चर जाओ आग.... आग... आग...। ऩयॊत उनको कोई वाधायण भनरषम वभझ रता श, ककवी क भन भ ऐवी अवद फवदध, ऐवी दफवदध आ जाती श तो उवकी वाय ऩवलिता गजसनान क वभान शो जाती श। जव शाथी वयोलय भ सनान कयक फाशय ननकर औय कपय वॉड व धर उठा-उठा कय अऩन ऊऩय डारन रग तो उवकी शचसथनत लाऩव ऩशर जवी श शो जाती श। लव श गर को वाधायण भनरषम वभझन लार की शचसथनत बी ऩशर जवी श शो जाती श।

ईशवय ववषट फनाता श अचछी-फय दोनो, वख-द ख दोनो, चय अचय दोनो, भतम-अभयता दोनो। ऩयॊत वॊत भशातभा, वदगर भतम नश ॊ फनात श, कलर अभयता फनात श। ल जडता नश ॊ फनात श, कलर चतनता फनात श। ल द ख नश ॊ फनात, कलर वख फनात श। तो वॊत भशातभा भान कलर अचछी-अचछी ववषट फनान लार, रोगो क जीलन भ वाधन डारन लार, उनको लवदध फनान लार, उनको ऩयभातभा व एक कयान लार।

रोग कशत श कक ऩयभातभा बिो ऩय कऩा कयत श, तो कयत शोग, ऩय भशातभा न शो तो कोई बि श नश ॊ शोगा औय बि श जफ नश ॊ शोगा तो ऩयभातभा ककवी ऩय कऩा बी कव कयग?

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इवलरए ऩयभातभा लवदध ऩदाथ श औय भशातभा परतमष श। ऩयभातभा मा तो ऩयोष श, - ववषटकता कायण क रऩ भ औय मा तो अऩयोष श – आतभा क रऩ भ। ऩयोष श तो उन ऩय वलशवाव कयो औय अऩयोष श तो 'ननगणॊ, ननरषकरमॊ, ळानतॊ' श। भशातभा का मदद कोई परतमष सलरऩ श तो लश वाषात भशातभा श श। भशातभा श आऩको सान दत श। आचामात, वलदधनत, आचामलान ऩरऴो लदा।

जो रोग आवभान भ ढरा प ककय ननळाना रगाना चाशत श उनकी फात दवय श। ऩय, अवर फात मश श कक तरफना भशातभा क न ऩयभातभा क सलरऩ का ऩता चर वकता श न उवक भाग का ऩता चर वकता श। शभ ऩयभातभा की ओय चर वकत श कक नश ॊ इवका ऩता बी भशातभा क तरफना नश ॊ चर वकता श। इवलरए, बागलत क परथभ सकॊ ध भ श बगलान क गणो व बी अचधक गण भशातभा भ फताम गम श, तो लश कोई फडी फात नश ॊ श। गमायशल सकॊ ध भ तो बगलान न मशाॉ तक कश ददमा श कक

भदभिाऩजाभमचधका। 'भय ऩजा व फडी श भशातभा की ऩजा'।

अनकरभ

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गर भ ईशवय-फवदध शोन क उऩाम

जानन औय चाशन ऩय बी गर भ ऩण ईशवय फवदध कमो नश ॊ शोती श? लश कव शो वकती श? गर जशाॉ फठत श लशाॉ अऩन भन को र जाकय कव फठाम?

जफ तभ गर क फाय भ वलचाय कयोग कक इनका ळय य ददवम श, चचनभम श तो उनकी ददवमता ल चचनभमता का चचनतन कयत-कयत तमशाया भन बी ददवम औय चचनभम शो जामगा औय तभ बी अऩन ळय य को बर जाओग औय तमशाय 'धममाकाय वभाऩवतत' शो जामगी।

तफ तभ दखोग कक गर तो वाषात ऩयभातभा क सलरऩ भ फठ श औय उवी वभम तमश अऩन ऩयभातभा, अऩन गर क वकषभ सलरऩ का उतना-उतना सान शो जामगा, शचजतना-शचजतना सान तमश अऩन वकषभ सलरऩ का शोगा। जफ तक तभ अऩन को शडडी-भाॊव-चाभ वभझ यश शो तफ तक गर भ बी शडडी-भाॊव-चाभ की फवदध शोना वमबल श। ऩयॊत बाल व जव आऩ जमऩय की फनी याभ, करषण, लळल की भनत को वाषात बगलान भानत शो औय गणडकी लळरा को ळारगराभ भानत शो, लव श अऩन बाल व, अऩनी शरदधा व भनरषम क रऩ भ ददखत शए गर को बी आऩ ऩशर ददवम रऩ भ दखो औय उनकी जो ककरमा श, उनको कभ क रऩ भ नश ॊ, र रा क रऩ भ दखो। इव तयश शचजतनी-शचजतनी वकषभता आऩक आतभा भ फढगी, उतना-श -उतना गर का वकषभ रऩ आऩको ददखामी ऩडगा।

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झणडा गाडो जामक शद-फशद क ऩाय, शद-फशद क ऩाय दय जशाॉ अनशद फाज,

शद-फशद क ऩाय श शभाय चौकी। 'जो शद फशद क ऩाय श, शभाय फठन की जगश लश श।'

उऩावना क गरनथो भ इव तयश का लणन आता श कक परवाद को बोजन वभझना अऩयाध श, भनत को जड वभझना अऩायध श, गर को भनरषम वभझना अऩयाध श।

जव-जव आऩकी शरदधा फढगी, वभझ फढगी, आऩकी शचसथनत ऊॉ ची शोती जामगी, लव-श -लव आऩ अऩन वदगर क आवन क ऩाव ऩशॉचत जामग औय लश आऩकी उऩावना शो जामगी।

(सलाभी अखणडाननद वयसलती) अनकरभ

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आसाऩारन की भदशभा गर क परनत शरदधा यखन की अऩषा उनकी आसाओॊ का ऩारन कयना शरितय श।

आसाकारयता एक भलमलान वदगण श, कमोकक मदद आऩ आसाकारयता क गण का वलकाव कयन का परमाव कयग तो आतभ-वाषातकाय क ऩथ क कटटय ळि अशॊ का धीय-धीय उनभरन शो जामगा।

जो लळरषम अऩन गर की आसाओॊ का ऩारन कयता श कलर लश अऩनी ननमन आतभा ऩय आचधऩतम यख वकता श। आसाकारयता अतमनत वमालशारयक, अननम तथा वककरम अधलमलवामी शोनी चादशए। गर की आसाकारयता न तो टार भटोर कयती श औय न वनदश श परकट कयती श। दमबी लळरषम अऩन गर की आसाओॊ का ऩारन बमलळ कयता श। वचचा लळरषम अऩन गर की आसाओॊ का ऩारन परभ क लरए, परभ क कायण कयता श।

आसा-ऩारन की वलचध वीणखए। उव शचसथनत भ श आऩ आदळ द वकत श। लळरषम फनना वीणखम, तबी आऩ गर फन वक ग।

इव भाभक धायणा को तमाग द शचजए कक गर की अधीनता सलीकाय कयना, उनका आसानलतॉ शोना तथा उनकी लळषाओॊ को कामाशचनलत कयना दावता की भनोलवतत श। असानी वमकति वभझता श कक 'ककवी अनम वमकति की अधीनता सलीकाय कयना अऩनी गरयभा एलॊ सलाधीनता क वलऩय त श। मश एक गमबीय औय बाय बर श। मदद आऩ धमानऩलक चचनतन कय तो आऩ दखग कक आऩकी लमकतिक सलतनिता लासतल भ आऩक अऩन श अशॊ तथा लभरथमालबभान की ननतानत घणणत दावता श, मश वलऴमी भन की तयॊग श। जो अऩन अशॊ तथा भन ऩय वलजम परापत कय रता श, लासतल भ लश सलतनि वमकति श। लश ळयलीय श। इव वलजम को परापत कयन क लरए श वमकति गर क उचचतय अधमातभीकत वमकतितल की अधीनता सलीकाय

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कयता श। लश इव अधीनता-सलीकयण दवाया अऩन ननमन अशॊ को ऩयाशचजत कयता था अवीभ चतना क आननद को परापत कयता श।

आधमाशचतभक ऩथ करा की सनातकोततय उऩाचध क लरए ळोध-परफनध लरखन जवा नश ॊ श। मश वलथा लबनन परणार श। इवभ गर की वशामता की आलशमकता परनतषण यशती श। इन ददनो वाधक आतभननबय, उदधत तथा सलागरश फन गम श। ल गर की आसाओॊ को कामाशचनलत कयन की चचनता नश ॊ कयत । ल गर फनाना नश ॊ चाशत। ल परायमब व श सलतॊिता चाशत श। ल वभझत श कक ल तय म अलसथा भ श जफकक उनश आधमाशचतभक अथला वत का परायशचमबक सान बी नश ॊ शोता श। ल सलचछाचारयता अथला अऩनी फात भनलान औय सलचछानवाय चरन को सलतनिता वभझन की बर कयत श। मश गमबीय ळोचनीम बर श। मश कायण श कक उनकी उनननत नश ॊ शोती। ल वाधना की षभता तथा ईशवय क अशचसततल भ वलशवाव खो फठत श। ऐव ननगय रोग आतभळाशचनत व, आतभ-वाभरथम व, आतभ-परभ व लॊचचत यश जात श। अतो भषट ततो भषट शो जात श। तरवीदाव जी न ठीक श कशा श

गरतरफन बलननचध तयश ॊ न कोई। चाश तरफयॊचच ळॊकय वभ शोई।।

(लळलाननदजी) अनकरभ

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लळलाजी भशायाज की गरबकति

छिऩनत लळलाजी भशायाज वभथ गर याभदाव सलाभी क एकननि बि थ। वभथ बी वबी लळरषमो व अचधक उनश पमाय कयत। लळरषमो को बालना शई की लळलाजी क याजा शोन क कायण वभथ जी उनव अचधक परभ यखत श। वभथ जी न ततकार उनका वनदश दय कयन का वोचा। ल लळरषमभणडर क वाथ जॊगर भ गम। वबी यासता बर गम औय वभथजी एक गपा भ जाकय उदय-ळर का फशाना कयक रट गम। लळरषम आम। दखा, ऩीकतडत शो यश श गरजी। ळर-ननलायण का उऩाम वभथजी व ऩछा औय एक-दवय क भॉश ताकन रग। दफर भन क रोग औय तक बगत की जवी दशरचार शोती श लवा लातालयण फन गमा।

इधय लळलाजी भशायाज वभथ क दळनाथ ननकर। उनश ऩता चरा कक ल इव जॊगर भ कश ॊ श। खोजत-खोजत एक गपा क ऩाव आम। गपा भ ऩीडा व वलहवर ळबद वनाई ऩडा। बीतय जाकय दखा तो वाषात गरदल श वलकरता व कयलट फदर यश श। लळलाजी न शाथ जोडकय उनकी लदना का कायण ऩछा।

वभथ जी न कशा "लळला ! बीऴण उदय-ऩीडा व वलकर शॉ।"

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"भशायाज ! इवकी दला?"

"लळला ! इवकी कोई दला नश ॊ। योग अवाधम श। शाॉ, एक श दला काभ कय वकती श, ऩय जान दो..."

"नश ॊ गरदल ! ननवॊकोच फताएॉ। लळला गरदल को सलसथ ककम तरफना चन नश ॊ र वकता।"

"लवॊदशनी का दध औय लश बी ताजा ननकरा शआ, ऩय लळला ! लश वलथा दरषपरापम श।"

ऩाव भ ऩडा गरदल का तमफा उठामा औय वभथ जी को परणाभ कयक लळलाजी ततकार लवॊदशनी की खोज भ ननकर ऩड।

कछ दय जान ऩय एक जगश दो लवॊश-ळालक ददखाई ऩड। लळलाजी न वोचा 'ननिम श मशाॉ इनकी भाता आमगी।' वॊमोग व लश आ बी गई। अऩन फचचो क ऩाव अनजान भनरषम को दख लश लळला ऩय टट ऩडी औय अऩन जफड भ उनकी गयदन ऩकड र ।

लळला ककतन श ळयलीय शो, ऩय मशाॉ तो उनश लवॊशनन का दध जो ननकारना था ! उनशोन धीयज धायण ककमा औय शाथ जोडकय लवॊदशनी व वलनम कयन रग।

"भाॉ ! भ मशाॉ तमश भायन मा तमशाय फचचो को उठा र जान को नश ॊ आमा। गरदल को सलसथ कयन क लरए तमशाया दध चादशए, उव ननकार रन दो। गरदल को द आऊॉ , कपय बर श तभ भझ खा जाना।" लळलाजी न भभता बय शाथ व उवकी ऩीठ वशराई। भक पराणी बी भभता व अधीन शो जात श। लवॊदशनी का करोध ळानत शो गमा। उवन लळलाजी का गरा छोडा औय तरफलर की तयश उनश चाटन रगी।

भौका दख लळलाजी न उवी कोख भ शाथ डार दध ननचोडकय तमफा बय लरमा औय उव नभसकाय कय फड आननद क वाथ ननकर ऩड।

गपा भ ऩशॉच कय गरदल क वभष दध व बया शआ तमफा यखत शए लळलाजी न गरदल को परणाभ ककमा।

"आणखय तभ लवॊदशनी का दध बी र आम ! धनम शो लळला ! तमशाय जव एकननि लळरषम क यशत गर को ऩीडा श कमा यश वकती श !" वभथजी न लळला क लवय ऩय शाथ यखत शए अनम लळरषमो की ओय दवषट की।

अफ लळरषमो को ऩता चरा कक बरहमलतता गर अगय ककवी को पमाय कयत श तो उवकी अऩनी वलळऴ मोगमताएॉ शोती श, वलळऴ कऩा का लश अचधकाय शोता। ऐव वलळऴ कऩा क अचधकाय गरबाइमो को दखकय ईरषमा कयन क फजाम अऩनी दफरताएॉ, अमोगमताएॉ दय कयन भ रगना चादशए। ईरषमा कयन व अऩनी दफरताएॉ औय अमोगमताएॉ फढती श।

अनकरभ

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धभ भ दढता कव शो ?

शरीयाभलभशरजी भशातभा ऩणडय काषजी की वला भ गम। फोर "बगलन ! भय भन भ शचसथयता नश ॊ श। इवका कायण भन मश ननिम ककमा श कक भय ननज धभ भ दढता नश ॊ श। इवलरए आऩ कऩाऩलक मश फताएॉ कक धभ भ दढता ककव परकाय शोती श।"

वॊत शरी न कशा "शचजव उऩाम व दढता शोती श, उव आऩ नश ॊ कय वकत, इवलरए उवका फताना वमथ श।"

लभशरजी न कपय कशा "आऩ उव फताएॉ, भ अलशम करॉ गा। शचजव ककवी न जो उऩाम भझ फतामा श उव भन अलशम ककमा श। आऩ वॊकोच न कय। इवक लरए भ वलसल तमाग कयन को बी तमाय शॉ।"

शरीऩणडय काष "आऩन अबी तक अनधो व श मश फात ऩछी श, आॉखो लारो व नश ॊ। अनधो की रकडी ऩकडकय बरा, आज तक कोई गनतवम सथान ऩय ऩशॉचा श?"

लभशरजी "शाॉ, ऐवा श शआ श। भन ठोकय खाकय इवका अनबल ककमा श। तबी तो आॉखलारो क ऩाव आमा शॉ।"

शरीऩणडय काष "आऩक उव अनबल भ एक फात की कवय यश गई श। आऩभ आॉखलारो की ऩशचान नश ॊ श, नश ॊ तो भय ऩाव कमो आत?

लभशरजी न फशत अननम-वलनम कयन ऩय आचाम ऩणडय काष न उनश भश न ऩीछ फतान को कशा। जफ अलचध फीतन ऩय लभशरजी कपय आम तफ वॊत शरी न कशा

"दवयो का ऩाऩ नछऩान औय अऩना ऩाऩ कशन व धभ भ दढता परापत शोती श।"

इव वनदय उऩदळ को वनकय लभशरजी न गदगद सलय व कशा "बगलन ! कऩा क लरए धनमलाद ! भझ अऩन वदाचाय ऩन को फडा गल था औय दवयो की फयाइमाॉ वनकय उनश भॉश ऩय पटकायना औय बय वबा भ उनश फदनाभ कयना अऩना कततवम वभझता। उवी अनध की रकडी को ऩकडकय भ बलवागय को ऩाय कयना चाशता था। कवी उरट वभझ थी !"

अऩनी बर वभझकय ऩिाताऩ कयन व जीलन की घटनाओॊ ऩय वलचाय कयन का दवषटकोण श फदर जाता श। तफ भनरषम अऩनी अलऩसता व वध शए दवषट कोण को छोडकय बगलद म दवषटकोण व दखन औय वलचाय कयन रगता श।

अऩना गण परकट कयना औय दवयो का दोऴ परकट कयना, इवव आदभी धभ व चमत शो जाता श। जो दवयो का दोऴ छऩाता श औय अऩना दोऴ परकट कयता श उवको धभ भ दढता शोती श। शचजवको धभ भ दढता शोती श लश इशरोक औय ऩयरोक भ वख-ळाशचनत का बागी शोता श।

दवयो को टोट चफान की अऩषा उनश खीय खाॊड णखरान का वोचो तो धभ भ दढता शोती श, ळाॊनत औय परभ फढन रगता श। रदम की उदायता शो, कामयता नश ॊ। लीयो को उदायता औय षभा ळोबा दती श, कामयो को नश ॊ।

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अनकरभ

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आतभ-ऩजन

दलाचधदल भशादल जी न शरी ललळिजी व कशा 'श भनीशवय ! इव जगत भ बरहमा, वलरषण औय रि जो फड दलता श ल वफ वलवतता रऩ एक श आतभदल व परकट शए श। वफका भर फीज लश दल श। जव अशचगन व चचनगाय औय वभि व तयॊग उऩजत श लव श बरहमा व रकय कीट ऩमनत वबी उवी आतभदल व उऩजत श औय ऩन उवी भ र न शोत श। वफ परकाळो का परकाळ औय तततललतताओॊ का ऩजम लश श।

श भननळादर ! जया, भतम, ळोक औय बम को लभटान लारा आतभदल श वफका वाय औय वफका आशरम रऩ श। उवका जो वलयाट रऩ श लश कशता शॉ, वनो। लश अननत श। ऩयभाकाळ उवकी गरीला श। अनक ऩातार उवक चयण श। अनक ददळाएॉ उवकी बजा श। वफ परकाळ उवक ळासतर श। बरहमा, वलरषण, रिादद दलता औय जील उवकी योभालर श। जगजजार उवका वललत श। कार उवका दवायऩार श। अननत बरहमाणड उवकी दश क ककवी कोण भ शचसथनत श। लश आतभदल लळलरऩ वलदा औय वफका कतता श, वफ वॊकलऩो क अथ का परदाता श। आतभा वफक रदम भ शचसथत श।

श ऋवऴलम ! अफ भ लश आतभ-ऩजन कशता शॉ जो वलि ऩवलि कयन लार को बी ऩवलि कयता श औय वफ तभ औय असान का नाळ कयता श। आतभऩजन वफ परकाय व वलदा शोता श औय वमलधान कबी नश ॊ ऩडता। उव वलातभा ळानतरऩ आतभदल का ऩजन धमान श औय धमान श ऩजन श। जशाॉ-जशाॉ भन जाम लशाॉ-लशाॉ रकषम रऩ आतभा का धमान कयो। वफका परकाळक आतभा श श। उवका ऩजन द ऩक व नश ॊ शोता, न धऩ, ऩरषऩ, चनदनरऩ औय कवय व शोता श। अघम ऩादयाददक ऩजा की वाभचगरमो व बी उव दल का ऩजन नश ॊ शोता।

श बरहमलतताओॊ भ शरि ! एक अभतरऩी जो फोध श, उवव उव दल का वजातीम परतमम धमान कयना श उवका ऩयभ ऩजन श। ळदध चचनभाि आतभदल अनबल रऩ श। वलदा औय वफ परकाय उवका ऩजन कयो अथात दखना, सऩळ कयना वॉघना, वनना, फोरना, दना, रना, चरना, फठना इतमादद जो कछ ककरमाएॉ श, वफ चतनम वाषी भ अऩण कयो औय उवी क ऩयामण फनो। आतभदल का धमान कयना श धऩ-द ऩ औय ऩजन की वाभगरी श। धमान श उव ऩयभदल को परवनन कयता श औय उवव ऩयभाननद परापत शोता श। अनम ककवी परकाय व लश दल परापत नश ॊ शोता।

श भनीशवय ! भढ बी इव परकाय धमान व उव ईशवय की ऩजा कय तो िमोदळ ननभऴ भ जगत-दान क पर को ऩाता श। विश ननभऴ क धमान व परब को ऩज त अशवभध मस क पर

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को ऩाता श। कलर धमान व आतभा का एक घडी ऩमनत ऩजन कय तो याजवम मस क पर को ऩाता श औय जो ददनबय धमान कय तो अवॊखम अलभत पर ऩाता श। श भशऴ ! मश ऩयभ मोग श, मश ऩयभ ककरमा श औय मश ऩयभ परमोजन श।

मथा परानपत क वभबाल भ सनान कयक ळदध शोकय सान सलरऩ आतभदल का ऩजन कयो। जो कछ परापत शो उवभ याग-दवऴ व यदशत शोना औय वलदा वाषी का रऩ अनबल भ शचसथत यशना श उवका ऩजन शो। जो ननतम, ळदध, फोधरऩ औय अदवत श उवको दखना औय ककवी भ लवतत न रगाना श उव दल का ऩजन श। पराण अऩानरऩी यथ ऩय आरढ जो रदम भ शचसथत श उवका सान श ऩजन श।

आतभदल वफ दशो भ शचसथत श तो बी आकाळ-वा ननलरपत ननभर श। वलदा वफ ऩदाथो का परकाळक, परतमक चतनम जो आतभतततल अऩन रदम शचसथत श लश अऩन पयन व ळीघर श दवत की तयश शो जाता श। जो कछ वाकायरऩ जगत दख ऩडता श, वो वफ वलयाट आतभा श। इवव अऩन भ इव परकाय वलयाट की बालना कयो कक मश वमऩण बरहमाणड भय दश श, शाथ, ऩाॉल, नख, कळ श। भ श परकाळ रऩ एक दल शॉ। नीनत इचछाददक भय ळकति श। वफ भय श उऩावना कयत श। जव सतरी शरि बता की वला कयती श, लव श ळकति भय उऩावना कयती श। भन भया दवायऩार श जो तरिरोकी का ननलदन कयन लारा श। चचनतन भया आन-जान लारा परनतशाय श। नाना परकाय क सान भय अॊग क बऴण श। कभशचनिमाॉ भय दाव, सानशचनिमाॉ भय गण श ऐवा भ एक अननत आतभा, अखणडरऩ, बद व यदशत अऩन आऩ भ शचसथत ऩरयऩण शॉ।

इवी बालना व जो ऩजा कयता श लश ऩयभातभदल को परापत शोता श। द नता आदद उवक वफ करळ नषट शो जात श। उव इषट की परानपत भ शऴ औय अननषट की परानपत भ ळोक नश ॊ उऩजता। न तोऴ शोता श न कोऩ शोता श। लश वलऴम की परानपत व तनपत नश ॊ भानता औय न इवक वलमोग व खद भानता श। न अपरापत की लाञछा कयता श न परापत क तमाग की इचछा कयता श। वफ ऩदाथो भ उवका वभबाल यशता श।

श भनीशवय ! बीतय व आकाळ-वा अवॊग यशना औय फाशय व परकनत-आचाय भ यशना, ककवी क वॊग का रदम भ सऩळ न शोन दना औय वदा वभबाल वलसान व ऩण यशना श उव दल की उऩावना श। शचजवक रदमरऩी आकाळ व असानरऩी भघ नषट शो गमा श उवको सलपन भ बी वलकाय नश ॊ शोता।

श भशऴ ! मश ऩयभ मोग श। मश ऩयभ ककरमा श औय मश ऩयभ परमोजन श। जो ऩयभ ऩजा कयता श लश ऩयभ ऩद को ऩाता श। उवको वफ दल नभसकाय कयत श औय लश ऩरऴ वफका ऩजनीम शोता श।"

अनकरभ

(शरी मोगलालळि भशायाभामण) ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ

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चचनता ल ईरषमा व फचो चचनता, ईरषमा औय जरन आदभी को आतभाननद व दय कय दती श, वशजता-वयरता-

सलाबाककता व दय कय दती श। आतभाननद व तो दय कय श दती श, तन भन का सलासरथम बी खयाफ कय दती श। चचनता औय ईरषमा कमो शोती श? कमोकक आॉखो व जो ददखता श उवको दवया भानत श औय दश को 'भ' भानत श।

'लश आदभी भौज कय यशा श....' 'अय उवभ बी भ शॉ' – मश सान नश ॊ श इवलरए ईरषमा शोती श। अऩन जीलन की चचनता

शोती श। अऩन अचचनतम ऩद का खमार नश ॊ श। इवलरए वॊवाय की छोट -छोट फातो भ चचनता शोती श, दवयो क वख की ईरषमा शोती श। चचनता औय ईरषमा आतभाननद रन भ रकालट श। ऩयभातभा की ददवम वधा ननळददन फयव यश श, आतभ-अभत फयव यशा श रककन चचतत की भलरनता क कायण उवका अनबल नश ॊ शोता। वॊवाय की चचनता भशचसतरषक भ यखत श इवव ऩयभातभा का वख जो तरफरकर नजद क श, सलाबावलक श कपय बी ददखता नश ॊ। चचतत भ चचि-वलचचि इचछाएॉ-आकाॊषाएॉ भॉडया यश श। भननळादर ललळिजी कशत श - "श याभजी ! इचछालानो व लष बी बम ऩात श।"

फदढमा वतवॊग शोता श, तततलसान को ऊॉ ची फात शोती श, चचतत आतभ-वलशराशचनत की गशयाइमो को छकय तपत शोता श, फडा आननद आता श रककन वाॊवारयक फात खडी कयक वफ तरफखय दत श। फदढमा तततलसान की फात शोती श, शरलण भनन चरता श रककन ईरषमा तततलसान को अनतकयण भ फठन नश ॊ दती। भशभान घय भ आम उवको आदय नश ॊ दो, उवको फठाओ नश ॊ तो लश कमा फात कयगा? तततलसान का अलकाय नश ॊ, आदय नश ॊ इवलरए लश अनतकयण भ ठशयता नश ॊ। तततलसान ठशय जाम तो फडा ऩाय शो जाम। दननमाॉ क याज-भशायाज लश वख नश ॊ बोगत जो आतभसानी आतभवख बोगत श। फढाऩा औय भौत वफको ऩकडत श रककन आतभसानी ऩय उवका परबाल नश ॊ ऩडता श। फढाऩा तो आमगा, भौत तो शोगी रककन सानी ळय य क फढाऩ को अऩना फढाऩा नश ॊ वभझत, ळय य की भौत को अऩनी भौत नश ॊ वभझत।

अनकरभ

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ळीरलान नाय वफ धभो का भर कायण ळीर श। ळीर आन व अनम वफ गण आ लभरत श। ऩनतवरता

सतरी क जो धभ श ल वफ धभ ळीर भ आ जात श औय शचजतन दोऴ ककळा नाय क श ल वफ अळीर कशरात श। ळीरयदशत नारयमो का आचाय इव परकाय शोता श

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एक घय व दवय घय तरफना कायण बटकना, ननशचिनतता व घय भ न फठना, ऩय ऩरऴ क वाथ फातचीत कयन भ आननद वभझना, काभ कश ॊ कयना औय भन कश ॊ यखना, सलमॊ दगणो का बणडाय शोन ऩय बी दवयो क दगण कथन कयन भ फशसऩनत क वभान लिा फन फठना, ऩय क ऊऩय ऩय चढाकय फठन भ फडो क आदय-भान का खमार न यखना, दवयो की ऩॊचामत कयना, फात कयत दषट ळबदो का उचचायण कयना, अवतम फोरना, झठी वौगॊध खाना, ऩनत को नौकय क वभान वभझ कय शकभ चराना, लशभ की फात कयना, फशभ भ रग यशना, भॊि-तॊि जाद-टणो-पणो को अतमनत लशभ क वाथ भानना, भोशन लळीकयण, ऩि-यषा आदद क ननलभतत धतो क ऩाव जाना, मदद ऩनत इन फातो को झठी कश तो करषट (ळावऩत) कशना, भलरन यशना, घय को भलरन यखना, यवोई ककव परकाय शोती श मश ठीक न जानना, यवोई भ फाय-फाय कॊ कड, फार मा कोमर आत यशना, फारको को कव वधायना-कव उनकी यषा कयना मश न जानना, जानती शो तो बी राऩयलाश व लवा न कयना, कर की परनतिा तरफगडन की ऩयलाश न शोना, आवऩाव क ऩडौलवमो व टॊटा कयना, ऩनत व रडना, झठ फोरना, उवको डाॉटना, ताना दना, रडको को तरफना कायण भायना, चचलराना आदद। म वफ ळीर यदशत नाय क रषण श। उवभ छर, परऩॊच, ऩयभिी, दसवाशव, अऩवलिता, कटता, ननरजजता, ननठयऩना आदद अलगण शोत श। ऐवी नाय दवयो को द ख दती श औय आऩ बी अनक मोननमो भ ऩडकय द ख बोगती श।

अऩना इशरोक-ऩयरोक का कलमाण चाशन लार भदशराओॊ को ऐवी नारयमो की वॊगत व फचकय जो ळीरलान श, ऩवलि श, वशनळीर श, तमागळीर श, ळदध परभ व मि श अथात शचजवभ ऩनतवरता सतरी क वदगण श ऐवी गणलान नाय का आदय का कयना चादशए औय करटा नाय व नौ गज दय यशना चादशए।

अनकरभ

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वऩटाय भ तरफराय

एक ककवान वऩटाय भ घी, गड, लभठाई, योदटमाॉ आदद यखकय खत भ जा यशा था। फचचो को कशता गमा कक "तमशाय भाॉ फाशयगाॉल गई श। सकर व आ जाओ तो वऩटाय व बोजन रकय खा रना। भ ळाभ को घय रौटॉगा।"

ककवान खत भ चरा गमा। फचच बी सकर भ ऩढन गम। इधय एक तरफराय वऩटाय भ घव गमा। भज व घी, गड, लभठाई, योदटमो का बणडाया कयक आयाभ व लश ॊ फठ गमा। दोऩशय को सकर व बख-पमाव फचच आम। बोजन रन क लरए जमोदश वऩटाय भ शाथ डारा तो तरफराय गयामा 'शॉऽऽऽ....!'

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फचच फचाय डय गम। अफ कमा कय? तरफना खाम श भन भवोव कय यश गम। खर भ जी रगाम ऩयॊत बख ऩट.....। कफ तक खर ? कपय वऩटाय की तयप ननशाय, वाशव फटोयकय ऩाव जाम औय शाथ रमफा कय तो लश तरफराय गयाम 'शॉऽऽऽ....! शॉऽऽऽ...!' फचच डय कय कपय लाऩव।

ददन फीत गमा। वनधमा शई। ककवान खत व रौटा। दखा तो फचचो क भख मरान श। बख औय पमाव क भाय रोथऩोथ शो यश श। ऩछन ऩय फचचो न फतामा

"वऩताजी ! वऩटाय भ तरफराय घव गमा श। ऩया कबजा जभा लरमा श। शभ कव खाम?"

ककवान बी वऩटाय क ऩाव गमा, दखा तो तरफराय गयान रगा 'शॉऽऽऽ....! शॉऽऽऽ...!' ककवान न उठामा खयवऩमा। ककवान क खयवऩमा उठात श तरफराय छ शो गमा।

ऐव श मश जील भोश-भभता रऩी घी, गड खाकय, अशॊता रऩी लभठाइमाॉ खाकय, 'तया-भया' रऩी योदटमाॉ चफाकय इव दश रऩी वऩटाय भ फठ जाता श। 'शॉऽऽऽ....! शॉऽऽऽ....!' गयाता श। 'भ वठ.... भ वाशफ.... भ अभथाबाई..... भ छनाबाई.... भ वऩता..... भ ऩनत.....' ऐव भ भ-भ कयता श।

गरदलरऩी ककवान आता श। वाधकरऩी फचचो व ऩछता श "द खी कमो शो बमा ?" वाधकरऩी फचच फतात श- "आतभाननद की बख रगी श। वॊवाय की थकान न भथ डारा श, थका ददमा श। कमा कय ?"

गरदल उठात श बरहमसान का डणडा औय आतभदवषट की चोट भायत श तफ दशरऩी वऩटाय व 'शॉऽऽऽ...! शॉऽऽऽ....!' कयन लारा अशॊरऩी तरफराय कदकय बाग जाता श। तफ वाधक आतभाननद का यवऩान कयक तनपत का अनबल कयत श। इवी अलसथा क लरए ळॊकयाचामजी कशत श-

गलरत दश-अधमाव वलसात ऩयभातभनन। मि मि भनो मानत ति ति वभाधम।।

जफ दशाधमाव गर जाता श, ऩयभातभा का सान शो जाता श, तफ जशाॉ-जशाॉ भन जाता श लशाॉ-लशाॉ चचतत भ वभाचध का श एशवाव शोता श।

अनकरभ

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.......तो ददलर दय नश ॊ एक आदभी बागा-बागा जा यशा था। उव जाना था ददलर रककन ददलर का ऩता नश ॊ

था। एक फढा फठा था उवव ऩछा "अय जनाफ ! ददलर ककतनी दय श ?"

"कमा भतरफ ?" फढ आिम वमि ककमा।

"भ ददलर जाना चाशता शॉ। मशाॉ व ददलर ककतनी दय श?"

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फजग जभान का खामा शआ था, फवदधभान था। लश फोरा "ददलर ककतनी दय श मश भ फता वकता शॉ रककन भय दो ळत श।"

"ददलर ककतनी दय श मश फतान भ दो ळतो की कमा आलशमकता श ?"

"शाॉ, दो ळतो ऩय श फताऊॉ गा।" फढा दढ यशा। आवऩाव भ कोई था नश ॊ इवलरए इव आदभी को भानना ऩडा। उवन लवय दशराकय सलीकनत द ।

फढ न कशा "भय दो परशनो का उततय दो तफ फताऊॉ गा कक ददलर ककतनी दय श।"

"ऩनछम।"

"भया ऩशरा परशन मश श कक आऩ ददलर भ जाना कशाॉ चाशत शो ? कमोकक आठ भीर ऩीछ ददलर को छोडकय आय यश शो। दवया परशन मश श कक ककतनी गनत व जाना चाशत शो ? तभ एक घणट भ बी ऩशॉच वकत शो औय चाय कदभ चरकय ऩचाव कदभ चर वको उतनी दय फठ जाओ तो ऩाॉच-दव घणट रग जामग। चरकय लाऩव श आत यशो तो कबी नश ॊ ऩशॉचोग। ऩशर चरकय, दौडकय अऩनी गनत ददखा दो औय जशाॉ जाना चाशत शो उव सथान का नाभ फता दो तो कश वकता शॉ कक तमशाय लरए ददलर का यासता ककतन घणट का श।"

ळककरमा अदा कयत शए लश आदभी फोरा "शाॉ, आऩकी ळत तरफरकर ठीक श। अफ तक भ वभझ यशा था कक आऩ फात को वमथ भ भचर यश शो।"

"तभ ददलर को ऩीठ ददम खाडी शो। आग श आग चरकय ददलर जाना चाशत शो तो नाक की वीध भ चरत श जाओ... चरत श जाओ। जया बी टढ भढ न शोना। ऩय ऩरथली का चककय काटकय ददलर ऩशॉच जाओग। ऐव बी ददलर जा वकत शो औय लाऩव रौटना सलीकाय श तो भ लश यासता बी फता दॉ। लाऩव रौट जाओग तो ददलर जलद ऩशॉच जाओग।"

ऐव श शभाय चतना वख क लरए कौन वी ददलर जाना चाशती श ? ककव परकाय जाना चाशती श ? कौन-वा वख रना चाशती श ? ळाशवत मा नशवय ? नशवय वख भ मश जीलन शजायो जनभ नषट कयता आमा श। ऩदाथो की आकाॊषा का कोई अनत नश ॊ। ऩरथली की तो वीभा श रककन ऩदाथो की तरषणा की कोई वीभा नश ॊ। ऩदाथ मशाॉ बी श, ऩयरोक भ बी श। ऩरथली रोक क अराला अतर, वलतर, तरातर, यवातर, ऩातार, बय, बल, सल, जन, तऩ, भशय, सलग आदद अनक रोक श। ककतन रोको क ऩदाथो की आकाॊषा कयोग वख क लरए ?

अगय तभ ऩीछ रौटना सलीकाय कयत शो तो ददलर नजद क शो जाती श। आग श फढत जाओग तो ऩरथली का चककय काटकय लशाॉ आओग। वलऴम-लावना-वलकायो भ आग फढत शो तो चौयावी राख मोननमो का चककय काटकय कपय भनरषम दश भ आओग। अगय लाऩव भडकय अबी 'ददर तसलीय श माय....' कयक बीतय गोता रगाना चाशत शो तो ददलर दय नश ॊ श, आतभवख ऩाना कदठन नश ॊ श। ॐ...ॐ....ॐ.....

अनकरभ

ॐ ळाशचनत ! ॐ ळाशचनत !! ॐ ळाशचनत !!!

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ॐॐॐॐॐॐॐॐॐ

धमान क षणो भ...... शभाया वकषभ वलकाव शो यशा श। शभाया चचतत ॐकाय की धलनन व ऩयभ ळाशचनत भ,

ऩयभातभा क आहलादक सलरऩ भ ळानत शो यशा श। शभ भशवव कय यश श कक शभ ळानत आतभा श। वॊकलऩ-वलकलऩ लभट यश श। चचतत की चॊचरता लळचथर शो यश श। भभ दय शो यश श। वनदश ननलतत शो यश श।

शभ ऩता बी नश ॊ चरता इव परकाय गरदल शभाय वकषभानतवकषभ मािा कया यश श... शभ ऩता बी नश ॊ चरता। अनतलाशक ळय य ऩय चढ शए कई जनभो क वॊसकाय ननलतत शोत जा यश श। लाणी क उऩदळ व बी भौन उऩदळ, भौन यशकय वॊकलऩ व गरदल की कऩा शभाय बीतय काभ कयती श। शभ ऩता बी नश ॊ शोता कक भौन व ककतना राब शो यशा श ! वदगर की कऩा कव काम कयती श इवका ऩता शभ परायमब भ नश ॊ चरता। गरकऩा शभाय नजद क शोकय बी काभ कयती श औय शजायो भीर दय शोकय बी काभ कयती श। गरदल क फोरन ऩय तो उनकी कऩा काभ कयती श श रककन भौन शोन ऩय वलळऴ रऩ व काभ कयती श। भौन क वॊकलऩ की अऩषा फोरन का वॊकलऩ कभ वाभरथमलारा शोता श। भौन भ आतभ-वलशराशचनत की अऩषा फाशय क ककरमा-कराऩ छोट शो जात श। वकषभ ऩत उतायन क लरए वकषभ वाधनो की जरयत ऩडती श। मश घटना भौन भ, ळाशचनत भ घटती श। लळरषम जफ आग फढता श तफ खमार आता श कक जीलन भ ककतना वाया ऩरयलतन शआ।

ळासतरो भ लळषा गर, द षा गर, वचक गर, लाचक गर, फोधक गर, ननवऴदध गर, वलदशत गर, कायणाखम गर, ऩयभ गर (वदगर) आदद अनक परकाय क गर फताम गम श। इन वफभ ऩयभ गर अथला वदगर वलशरि श। बगलान ळॊकय 'शरी गरगीता' भ कशत श-

जरानाॊ वागयो याजा मथा बलनत ऩालनत। गरणाॊ ति वलऴाॊ याजामॊ ऩयभो गर।।

'श ऩालती ! शचजव परकाय वफ जराळमो भ वागय याजा श उवी परकाय वफ गरओॊ भ म ऩयभ गर याजा श।'

शचजनश वतम सलरऩ ऩयभातभा का फोध श, जो शरोतरिम बरहमननि श, सल-सलरऩ भ जग श, ऩयदशतऩयामण श ऐव वदगरओॊ की परानपत अनत कदठन श। ऐव वदगर लभरत श तो शभाया आभर ऩरयलतन शो जाता श। दशाधमाव गरन रगता श। चचतत वतऩद भ वलशराशचनत ऩान रगता श।

जव भाॉ फारक को कबी ऩचकायती श, कबी डाॉटती श, कबी दराय कयती श। कबी ककवी ढॊग व कबी ककवी ढॊग व फचच का रारन-ऩारन कयती श। लश भाॉ की अऩनी परकनत श। गर, जो वदा जागत सलरऩ भ वजाग श ऐव ऩयभ गर कबी ककवी ढॊग व कबी ककवी ढॊग व शभाया

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बीतय आधमाशचतभक रारन-ऩारन कयत श। उनका ऩल आमोशचजत कोई कामकरभ नश ॊ शोता वाधक क रारन-ऩारन का कक मश कयना श, लश कयना श। शचजव वभम शचजव परकाय व, शचजव कायण, ककरमा-कराऩ व शभाया उतथान शोता शोगा उव वभम उव परकाय का वमलशाय कयग औय उव ढॊग व शभ ऩय फयवत श।

जव चतय लदय अऩन भय ज को अऩनी ननगाशो भ यखता श औय ककव वभम कौन-वी औऴचध की आलशमकता श मश ठीक व वभझकय उवका इराज कयता श, ऐव श शभाय आनतरयक सलासरथम क लरए वददमो ऩयानी रडखडाती तॊदरसती क लरए, मगो ऩयानी रगणता का ननलायण कयन क लरए ऩयभ गर लबनन-लबनन परकाय की औऴचध, उऩचाय, वॊमभ-ननमभ का उऩमोग कयत श।

वाधक की शचजव वभम जवी परकनत शोती श उव वभम उव गर उवी परकाय क बावत श। शयक वाधक क अऩन वॊसकाय शोत श, मोगमता-अमोगमता शोती श, अऩनी भानमताएॉ औय ऩकड शोती श। वफकी अऩनी-अऩनी दखन-वोचन की दवषट श। परायमब भ शय वाधक को अऩन वदगर क परनत अऩन ढॊग का आदय, भलम अथला रडखडाती शरदधा आदद शोत श।

वाधक जफ परायमब भ वदगर क शरीचयणो भ आता श उव वभम उनको अऩन ढॊग व दखता श. उनकी मोगमता भाऩता श लश दवषट छोट -वी शोती श। वाधक जमो-जमो वॊततल क नजद क जाता श, जमो-जमो उव ऩय बरहमलतता वदगर की कऩा फयवती श, वकषभ ऩरयलतन शोत श वाधक की फवदध ळदध शोती श, वाधक का अनतकयण ळानत शोता श, तन औय भन क वलकाय षीण शोत श तमो-तमो लश वाधक वदगर का भशतल वभझता जाता श। जफ वाधक भ यजोतभोगण आ जाता श तो उवक जीलन भ वदगर क वाशचननधम का औय उऩदळ का परबाल थोडा वा लळचथर शो जाता श। जफ वततलगण ऩन फढता श तफ उवक चचतत भ वदगर तततल का ळदध-वलळदध वॊचाय ननखयन रगता श।

चतय वाधक यजो-तभोगण फढ नश ॊ उवकी वालधानी यखता श। अगय यजो-तभोगण आ जाता श तो गर-ननददषट भाग व उव यजो-तभोगण को दफाता श, षीण कयता श।

गरकऩा अननलाम श वाथ-वाथ भ वाधक का ऩरऴाथ बी अननलाम श। वमनायामण की कऩा अननलाम श खती क लरए उतनी श ककवान की वजगता बी अननलाम श। ककवान का ऩरयशरभ औय वालधानी अननलाम श, तबी खती परती श। ऐव श गर की कऩा आलशमक श औय वाधक का वाधन-बजन भ उतवाश बी आलशमक श, ऩरयशरभ बी आलशमक श तथा ककमा शआ वाधन-बजन, ककमा शआ ऩरऴाथ, रामी शई वाशचततलकता, की शई आधमाशचतभक मािा कश ॊ तरफखय न जाम इवकी वजगता बी वाधक क लरए अननलाम श। वालधानी नश ॊ शोगी तो गाम, फकय आदद ऩळ उव कचर दग, नषट कय दग। अथला, वाधक लवॊचाई नश ॊ कयगा, खाद नश ॊ डारगा तो खत का रशरशाना भशचशकर शो जामगा।

Page 83: Sadhana mein safalata

ऐ वाधक ! त अऩन ददर क खत भ बरहमवलदया की लवॊचाई कयत यशना शचजवव आतभसान का पर रग। मश लवॊचाई तफ तक कयत यशना, वालधानी व फाड फनात यशना, ननगयानी कयत यशना जफ तक तझ अभतऩद की परानपत न शो जाम।

मश वॊवाय कट रा भाग श। जव खत शया-बया शोत श ऩळ आ जात श, छोट-भोट जीलाण बी रग जात श तो ककवान उवका इराज कयता श, फाड भजफत कयता श लव वाधना क खत को तरफगाडन लार परवॊग बी आत श।

चाय ऩव का अनाज परापत कयन क लरए ककवान वफ परकाय की वालधानी यखता श तो श वाधक ! वलशवननमनता को ऩान क लरए त बी वालधान यशना बमा ! त बी अऩनी वॊमभ की फाड कयना। वाधना क लबनन-लबनन परकायो की लवॊचाई कयत यशना। वाथ भ दखना कक कश ॊ भान फडाई, वख-द ख क थऩड आकय तय वाधनारऩी खत को तो उजाड नश ॊ यश श ! जफ भौका लभर तफ त एकानत भ जाना। एकानतलाव कयना, अलऩ दखना, अलऩ फोरना, अलऩ वनना। फाकी का वभम अऩनी वाधनारऩी खती की लवॊचाई कयना।

ककवान घय छोडकय खत भ श खाट डार दता श। जमो-जमो खत उबयता श, दान रगत श तमो-तमो ककवान अऩनी शचजमभदाय अचधक भशवव कयता श। ऐव श परायॊलबक वाधक बर श शचजमभदाय अचधक भशवव कयता श। ऐव श परायॊलबक वाधक बर श शचजमभदाय भशवव न कय, वाधम को ऩान क लरए वयषा की फाड न कय भगय जो वाधक कछ चाय कदभ चर ऩड श, शचजनश आतभसान का रगा शआ पर भशवव शो यशा, शचजनश ळाॊनत, परभ औय आननद का एशवाव शो यशा श, शचजनका वकषभ जगत भ, वकषभ वाधना भ परलळ शो यशा श, जो कलर फाशय क उऩदळो व श नश ॊ रककन आनतय भन व, आनतय मािा व ऩवलि शए श ऐव वाधक घय व खदटमा शटाकय खत भ खदटमा डार दत श। फाशय क रोकाचायरऩी घय व खदटमा शटाकय बरहमचचनतनरऩी खत भ अऩनी खदटमा यख दना। आतभ-चचनतन क खत भ, आतभ-परीनत क खत भ खदटमा धय दना। उठना बी खत भ, फठना बी खत भ, चरना बी खत भ शो जाता श। खत जमो रशरशाता श, पवर दन को ततऩय शोता श तमो ककवान घय ऩय जान का वभम कभ कय दता श। बोजन बी खत भ श भॉगा रता श।

ऐव श श वाधक ! त बी अऩना खान-ऩान, यशन-वशन वाधनाभम फना द। ककवान चाय ऩव क धानम क लरए इतनी कयफानी कयता श तो ऐ भय पमाय लतव ! त बी अननत-अननत बरहमाणडनामक रऩी आतभसान क पर को ऩान क लरए वजग यशना। कमोकक त य वॊऩवतत ककवान की वॊऩवतत व फशत ऊॉ ची श। तया रकषम ककवान क रकषम व अननत गना ऊॉ चा श। इवलरए त वालधान यशना। त शजायो भीर गर व दय शोगा तबी बी माद यखना, तय गर की कऩा तय वशाम यशगी।

वाधक का ददर ऩकाय उठा

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"श गरदल ! जफ जफ भ ननयाळ शआ शॉ, थका शॉ, शताळ शआ शॉ तफ-तफ षणबय क लरए श आऩकी सभनत राकय थोडा वा श बीतय व आऩकी ओय आमा शॉ तो तयनत भझ आशवनावन लभरा श, भाग लभरा श, परभ लभरा श, ऩचकाय लभर श। गरदल ! जफ भ कपवरा शॉ, भनभानी की श, तफ-तफ तमशाय डाॉट लभर श, तमशाय कडी नय ददखी श। जफ-जफ भ तमशाय करणा कऩा क अनकर चरा शॉ तफ लश कडी नय भीठी नय शई श।

आऩकी कडी नय बी शभाय गढाई क लरए श औय आऩकी भीठी ननगाश बी शभाय गढाई क लरए श। आऩका फोरना बी शभाय कलमाण क लरए श औय भौन शोकय वकषभ वशाम कयना बी शभाय कलमाण क लरए श। अफ इव परकाय की अनबनतमाॉ शो यश श।

श बरहमलतता गरदल ! श आतभायाभी भय गरदल ! आऩ न जान ककव-ककव परकाय व शभाया रारन-ऩारन कयत श। आऩका कोई ऩल आमोजन नश ॊ रककन आऩकी शय अदा, शय चषटा, शय अॉगडाई, शय दशरचार, चाश कपय शाथ की चषटा शो चाश नमनो की छटाएॉ शो, चाश फोरना शो, चाश चऩ शोना शो, शभ रोगो को न जान ककव-ककव रऩ भ लश यशसमभमी अॉगडाईमाॉ लभरती श ! नतम कयता बरहम शभाय जीलन भ बरहमबाल, अऩनी बराहमी अनबनत का लवॊचन कयता श। उन बरहमलतताओॊ को एक षण फाद का बी कोई ननशचित कामकरभ नश ॊ शोता श। वशज रऩ व शभाय गढाई कयत श कमोकक ल वशज सलरऩ भ शचसथत शोत श। शचजवन उनकी कय फी का एशवाव ककमा श, शचजवन अऩन आऩको उव ऩयभातभा भ परनतवित कय ददमा श, अऩन आऩको उनभ लभरा ददमा श ऐव बरहमलतताओॊ की शय चषटा फडी यशसमभमी शोती श, परायमब भ शभ वभझ चाश न वभझ, शभ ऩा वक , शजभ कय वक चाश न कय वक रककन उनकी शय चषटा फडी यशसमभमी शोती श। उनक चरन, कपयन, खान, ऩीन, फोरन, फठन क ढॊग की छोट व छोट चषटा बी शभाय लरए ननतानत कलमाणकाय शोती श। ऐव जो ऩयभ गररोग श, बरहमलतता वतऩरऴ श उनका फमान कयन की ताकत शभाय शचजहवा भ नश ॊ श।"

लळलऩी तो ऩतथय व बगलान की भनत फनाता श रककन बरहमगर वदगर तो वलयोध कयन लार, परनतककरमा कयनलार भनद फवदध क भनरषम को बरहम फनात श। ऩतथय भ व भनत फनाना आवान श कमोकक ऩतथय ळॊका नश ॊ कयगा, लळकामत नश ॊ कयगा, वलयोध नश ॊ कयगा, घय नश ॊ बागगा। ऩयॊत वाधक तो घय बी बागगा, दकान की तयप बी बागगा। थोडा वकभ भ चरगा तो ककभ भ बी बागगा, चचनता भ बी चगयगा, अशॊकाय की ओय बी दौडगा। कबी-कबी अऩन गर क वलऴम भ उवक चचतत भ कव-कव वलचाय उठ ग। न जान कव-कव णखवकन क तय क खोजगा, कव-कव फचाल क तय क खोजगा। ऩतथय की भनत फनाना आवान श रककन इव कलरमग क चरत ऩज, चॊचर चचतत यखन लार भानल को भशशवय क अनबल भ परनतवित कयना ककतना कदठन श ! लश अनत कदठन काम वशज भ, सलाबावलक, सलननलभत भनोयॊजन क बाल व ऩयभ गरओॊ क दवाया वॊऩनन शोता श।

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ऐव गरओॊ को वभझन क लरए श भय वाधक! श भय भन ! त अथाश वलशवाव, अथाश वाधन-वाभगरी, अथाश ऩरऴाथ, अथाश परभ व अथाश ईशवय को ऩान का दढ ननिम यखगा तबी त अथाश अनबल क दाताओॊ को ऩशचान ऩामगा, उनको वभझ ऩामगा। शचजतना त ऩयभातभा क लरए रारानमत यशगा उतना श ऩयभातभा क पमायो को ऩशचान ऩामगा, उनक ननकट शो ऩामगा।

श लतव ! जो वलकायो क पमाय श, ऩरयलनतत ऩदाथो क पमाय श उनक परबाल व त फचना। जो ऩयभातभा क पमाय श औय तझ ऩयभातभा भ परनतवित फनाकय श चन की नीॊद रना चाशत श, तझ ऩयभातभ-ऩद भ वलशराभ कयान क लरए ततऩय श उनको त वशमोग कयना। आनाकानी भत कयना, इनकाय भत कयना, लळकामत भत कयना, छटकन क उऩाम भत कयना। त कपवरन की अऩनी ऩयानी आदत को भत ऩकडना।

श भय वाधक ! श बमा ! तया जीलन ककतना कीभती श मश ल बरहमलतता जानत श औय त ककतना तचछ चीजो भ चगय यशा श मश बी ल जानत श। ननशा-भनना फारक अऩनी वलषटा भ खरता श औय वख भानता श, अॊगायो को ऩकडन क लरए रारानमत शोता श, तरफचछ औय वाॉऩ व खरन को रारानमत शोता श। उव अफोध फचच को ऩता श नश ॊ कक अबी उनक वलऴर डॊक तझ िादशभाभ कया दग। श वाधक ! वलऴम-वलकायरऩी शचजव भर-भि-वलषटा भ खरन को ततऩय श ल तझ फीभाय कय दग ! तय तनदरसती को तरफगाड दग। त अॊगायो व खरन को जा यशा श ! त तो भकखन-लभशरी खान को आमा श रारा ! लभटटी भ, गोफय भ खरन को नश ॊ आमा। चौयावी-चौयावी राख जनभो भ त इन गोफयो भ, कॊ कड-ऩतथयो भ खरा श, ऩनत ऩतनी क तचछ वलकाय वमफनधो भ त खरा श, त फकया फना श, कई फाय तचछ फकरयमो क ऩीछ घभा श। तन न जान ककतन-ककतन जनभो भ तचछ खर खर श। अफ त रारा क वाथ खर, याभ क वाथ खर, अफ तो त लळलजी की नाई वभाचध रगाकय सल क वाथ खर।

श पमाय वाधक ! अगय त अऩन वदगर को खळ कयना चाशता श तो उनकी आसा भान औय उनकी आसा मश श कक ल जशाॉ खरत श उव ऩयभातभा भ त बी खर। गर जशाॉ गोता भायत श उवी भ त गोता भाय बमा ! गरओॊ की जो वभझ श लशाॉ अऩनी लवतत को ऩशॉचान का परमाव कय। इन नशवय णखरौनो को ऩकडकय कफ तक वख भनामगा ? कफ तक अॊगायो की ओय त बागगा ? करणाभमी भाॉ फचच को वभझाती श, फचचा रक जाता श। भाॉ इधय-उधय जाती श फचचा कपय अॊगायो की ओय जाता श, चभकत अॊगायो को णखरौना वभझकय त छ रता श औय चचलरा उठता श। तफ उवकी भाॉ को ककतना द ख शोता श ! उव वभम फारक को भाॉ की करण शचसथनत का ऩता नश ॊ। भाॉ उव थपऩड भाय दती श उव थपऩड भ बी लातवलम बया शोता श, करणा शोती श। फचच का कान ऩकडना बी करणा व बया श। फचच का शाथ-ऩय फाॉधकय वजा दना बी पमाय औय करणा व पररयत शोता श।

ऐ वाधक ! त जफ गरत यासत जाता श, कॊ टको औय अॊगायो भ कदभ यखता श तो वदगररऩी भाता-वऩता कडी आॉख ददखात श, त उव भशवव बी कयता शोगा। 'गर रठ गम श....

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नायाज शो गम श.... ऩशर जव नश ॊ श....' ऐवा तझ रगगा रककन गौय व जाॉच कयगा तो ऩता चरगा कक त ऩशर जवा नश ॊ यशा। त अॊगायो की ओय गमा, त तरफचछ की ओय गमा, त वऩो की ओय गमा इवलरए ल ऩशर जव नश ॊ बावत। त ळॊका-कळॊका भ गमा, अऩनी अलऩ भनत व बरहमलतता गरओॊ को तौरन का दसवाशव कयन को गमा इवलरम उनशोन कडी आॉख ददखामी श। लश बी तय कलमाण क लरए श। कडी आॉख बी करणा व बय श, कऩा व बय श, परभ व बय श। कडी आॉख बी ऩकाय व बय श कक त चर... चर....। त रक भत। आग चर। चगय भत। वालधान शो। कपवर भत। वाशव कय। गददाय भत फन, वतक शो। कतघन भत फन, कतस शो।

इव परकाय की उन आॉखो व झरकती शई जमोनत को त वभझा कय। 'गर नायाज श' ऐवा कयक त लळकामत भत कय, द खी शोकय त वॊवाय क कचय भ अचधक भत कदना। गर नायाज श तो उनश रयझान का एक श तय का श कक त कपय जशाॉ बी शो, घय भ शो, भशचनदय भ शो, अयणम भ शो, त कपय धमान कयना ळर कय द, कपय व ऩयभातभा को पमाय कयना ळर कय द। त कपय गरओॊ क अनबल भ डफना ळर कय द। गर की कडी आॉख, गयभ आॉख उवी वभम तझ ळीतर लभरगी। गर उवी षण तझ ऩय परवनन ददखग। दवय षण भ तझ ऩय फयवत शए ददखग। त उनक अनबल भ लभटता जा। त बी अऩनी खदटमा खत भ यखता जा। त बी अऩना वभम वाधनारऩी खत भ तरफताता जा। तय खत भ गर की फआई शई श, लवॊचाई शई श। उनश तया खत रशरशाता ददखता श।

ककवान का फटा खत की यखलार न कय, खत भ गध घव जाएॉ तो फाऩ नायाज शोता श। ऐव श श वाधक ! तय वाधनरऩी खत भ त अशॊकाय औय लावनारऩी गध-गचधमो को भत घवन दना। जड बोगलाद बवो को भत घवन दना। भीठी-भीठी फात फोरकय तय अऩन शोकय तया वभम खयाफ कयन लार लभि-वमफनधी रऩी गामो को बी भत घवन दना। उन टोरो को दय व आत दखता श तो चतय ककवान ऩशर व श डॊडा उठाता श, टाच उठाता श, आलाज रगाता श। ऐव श जफ तय खत भ कोई परलळ कयन रग तो ॐ की गजना कयना। 'नायामण.... नायामण...' रऩी टाच का परकाळ कय दना। गरभॊि की छडी खटका दना। ल ढोय दय व श बाग जाम, ऩषी उडान र र। तया खत चगन आम उवव ऩशर श त तमाय यखना।... तो तया खत फच जामगा।

ककवान चाय ऩव क धानम की इतनी यखलार कयत श। उन ककवानो को बी त गर भान लरमा कय इव वभम।

ऐ लतव ! तझ ऩता नश ॊ रककन तय गर को ऩता श कक त कमा शो वकता श। तझभ ककतना वाया बया लश तय ऩयभ दशतऴी जानत श। तय दोसत तो तय नतजोरयमाॉ जाॉचग, तय रयशत-नात तय तनदरसती औय रऩ रालणम ननशायग। रककन गरदल जो त श उवको ननशायग। जो त श लश उनश ददखता श। उनश तझभ जवा ददखता श लवा त एक ददन अऩन भ खोज र, ल खळ शो जामग। ल तमश ऩशॉचाना चाशत श लशाॉ त ऩशॉचन का वाशव कय। त कश ॊ थकगा तो ल तझ वशाम कयग।मश वशाम ल ददखामग बी नश ॊ, अनमथा त राचाय शो जामगा। कपय शय कदभ

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भ उनकी वशाम चाशगा। चरता यश। त जशाॉ थकगा लशाॉ वकषभ रऩ व वशमोग कयत यशग। तझ ऩता तक नश ॊ चरन दग, ल इतन उदाय श।

फव, टरन मा शलाई-जशाजलार तो दटकट रकय कपय तय भवाकपय कयात श। चार गाडी भ बी दटकट लवर कयत श रककन गरदल तो ऩशॉचन क फाद बी दटकट नश ॊ भाॉगग।

बगलान वदालळल कशत श कक ऐव बरहमलतता वदगर वफ गरओॊ भ याजा श।

अनकरभ

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चचनतन-कणणका जफ तक चचतत चॊचर श औय वलऴमो भ वखफवदधमा यभणीमता फवदध फनी शई श तफ तक

सान नश ॊ शो वकता। भर औय वलषऩ की ननलवतत शए तरफना तथा चचतत ळदध शए तरफना सान का अचधकाय नश ॊ शोता।

वफव ऩशर लयागम शोता श, कपय शचजसावा शोती श। उवक ऩिात सान औय परभ शोता श। जफ आतभा का वाषातकाय शोता श तो उव सान कशत श औय आतभाकाय लवतत का शचसथय यशना श परभ श।

चचनतन-सभयण व वफ कछ शो जामगा। चचनतन का अभमाव शचजतना फढगा, उतनी श वॊवाय व वलयकति औय बगलतपरभ की परानपत शोगी।

'भ वमऩण परऩॊच व लबनन शॉ'-ऐवी बालना कयन व चचतत की वाममालसथा शो जाती श। मश चचतत की ननवलळऴ शचसथनत श। इवका कार अचधक फढन ऩय चचतत वलर न शो जाता श।

आवन औय लवतत इन दोनो को श शचसथय यखकय अभमाव कयना चादशए। शचसथयवखभावनभ – इव वि क अनवाय शचसथय आवन यखकय धमान कयना चादशए। चतनतल की बालनाऩलक इषट का धमान दव लभनट परनतददन कयन व पर परतीत शोगा। तीव लभनट क अभमाव व वलळऴ अलसथा परतीत शोगी औय एक घणटा ऩतीव लभनट क अटट धमान व दशानवनधान की ननलवतत मानन वभाचध शो जामगी।

वॊकलऩ-तमाग कयन का अभमाव कयन व ननिम श बगलान लभर जात श – इवका भ ठका रता शॉ।

वऴनपत भ जीलातभा परकनत क अधीन यशता श औय वभाचध भ जीलातभा क अधीन परकनत यशती श। जफ अपवय पौज क अधीन यशता श तो पौज उव भाय डारती श औय जफ अपवय क अधीन पौज यशती श तो अपवय चाश जो कय वकता श।

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इचछा, ककरमा औय सान इन तीनो का ऩयसऩय वमफनध श। ककरमा योक दन व आवन औय पराणामाभ शो जात श। इचछा की ननलवतत शोन ऩय धायणा औय धमान शो जात श तथा इचछाऩलक ककरमा न कयन ऩय ककरमा की ळाशचनत अथात वभाचध शो जाती श।

सान तो भानो एक अपवय श, जो वफका वाषीभाि श। कयन धयन लार इचछा श औय उवका वमाऩाय श।

धमान व सान शोता श। धमान क तरफना सान यश श नश ॊ वकता।

धमान का अभमाव ऩरयऩकल शो जान ऩय ननिा कभ शो जाती श, धमानाभमावी ऩरऴ एक डढ घणटा वोकय बी यश वकता श। इवी व धमान सलाबावलक शो जाता श तो कपय आयाभ की इचछा नश ॊ यशती। जफ चचतत व वलषऩ ननकर जाम तबी धमान ऩया शआ वभझो।

कछ बी शो, तरफना वॊमभ क कछ बी नश ॊ शो वकता। वॊमभ क दवाया श ददवम दवषट की परानपत शोती श। वॊमभयदशत जीलन वमथ श। दढ अभमाव की ननयनतय आलशमकता श। लळचथर अभमाव व कछ नश ॊ शोता। वालधान चचतत व ननयनतय अभमाव भ रग यश। मश ऩसतकी वलदया नश ॊ, अनबल का ऩथ श।

दवषट व ववषट फनाना लदानत श औय ववषट व दवषट शटाना मोग मा उऩावना श।

तततलसान क लरए कछ फनाना-तरफगाडना नश ॊ शोता। दवत जमो का तमो फना यशता श औय अदवत का फोध शो जाता श। जव वोन क आबऴण फन यशत श औय उनभ वोन की अखणडकयवता का फोध शो जाता श। इवक लरए वोन को तोडना-पोडना नश ॊ ऩडता।

तमशाया चचतत शचजतना बगलान भ रगगा उतनी श तमशाय ळकति फढगी। वॊवाय-चचनतन व तभ शचजतन श उऩयाभ शोग, वॊवाय तभव उतना श अचधक परभ कयगा। जफ बगलान व ऩण परभ शोगा तो वॊवाय तमशाय अधीन शोगा।

अनकरभ

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