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Sample copy-2020-21 Semester-2 - नागराजन के अलबम के हिट िजाने के बाद राजɔा के मन की दशा ? उȅर:- नागराजन के अलबम के हिट िजाने के बाद राजɔा मन िमन कुढ़ा करता था उसे अब ˋूल जाना भी अDžा निी लगता था उसे जलन िरिी थी - अलबम चुराते समय राजɔा हकस मानहसक िहत से गुज़र रिा ि? उȅर:- अलबम का पिला पृʿ पढ़कर उसका हदल तेजी से धडकने लगा अलबम चुराते समय राजɔा का पूरा शरीर जैसे जल रिा था गला सूख रिा था और चेिरा तमतमाने लगा था इस कार राजɔा ने अलबम चुरा तो हलया पर तु उसे बत िदुखद मानहसक थहत का सामना करना पड़ा ोहक उसे पता था उसने गलत हकया ि - राजɔा ने नागराजन का हटकट-अलबम अँगीठी डाल हदया? उȅर:- अपनी चोरी पकड़े जाने के डर के मारे राजɔा ने नागराजन का हटकट-अलबम अँगीठी डाल हदया - लेखक ने राजɔा के हटकट इकǧा करने की तुलना मधुमƛी से की? उȅर:- लेखक ने राजɔा के हटकट इकǧा करने की तुलना मधुमƛी की िोहक मधुमखी हिहभɄ फूलो से रस इकǧा करती िउसी कार राɔा ने भी हिहभɄ थानो और ʩियो से हटकट इकǧा कर अपना अलबम तैयार हकया ि - हटकट-अलबम का शौक रखने के राजɔा और नागराजन के तरीके फ़क ि? उȅर:- मधुमखी हिहभɄ फूलो से रस इकǧा करती िउसी कार राजɔा ने भी हिहभɄ थानो और ʩियो से हटकट इकǧा कर अपना अलबम तैयार हकया और नागराजन को उसके मामा ने बना- बनाया अलबम भेज हदया था - राजɔा अलबम के जलाए जाने की बात नागराजन को निी कि पाता ि? अगर वि कि देता तो किानी के अत पर कुछ फ़क पता? कैसे ?

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  • Sample copy-2020-21

    Semester-2

    - नागराजन के अलबम के हिट िो जाने के बाद राजप्पा के मन की क्या दशा हुई?

    उत्तर:- नागराजन के अलबम के हिट िो जाने के बाद राजप्पा मन िी मन कुढ़ा करता था। उसे अब सू्कल

    जाना भी अच्छा निी ीं लगता था उसे जलन िो रिी थी।

    - अलबम चुराते समय राजप्पा हकस मानहसक स्थिहत से गुज़र रिा िा?

    उत्तर:- अलबम का पिला पृष्ठ पढ़कर उसका हदल तेजी से धडकने लगा। अलबम चुराते समय राजप्पा

    का पूरा शरीर जैसे जल रिा था। गला सूख रिा था और चेिरा तमतमाने लगा था। इस प्रकार राजप्पा ने

    अलबम चुरा तो हलया परीं तु उसे बहुत िी दुखद मानहसक स्थथहत का सामना करना पड़ा क्ोींहक उसे पता

    था उसने गलत हकया िै।

    - राजप्पा ने नागराजन का हटकट-अलबम अँगीठी में क्योों डाल हदया?

    उत्तर:- अपनी चोरी पकड़े जाने के डर के मारे राजप्पा ने नागराजन का हटकट-अलबम अँगीठी में डाल

    हदया।

    - लेखक ने राजप्पा के हटकट इकट्ठा करने की तुलना मधुमक्सी से क्योों की?

    उत्तर:- लेखक ने राजप्पा के हटकट इकट्ठा करने की तुलना मधुमक्सी की िै क्ोींहक मधुमक्खी हिहभन्न

    फूलोीं से रस इकट्ठा करती िै उसी प्रकार राज्प्प्पा ने भी हिहभन्न थथानोीं और व्यस्ियोीं से हटकट इकट्ठा कर

    अपना अलबम तैयार हकया िै।

    - हटकट-अलबम का शौक रखने के राजप्पा और नागराजन के तरीके में क्या फ़कक िै?

    उत्तर:- मधुमक्खी हिहभन्न फूलोीं से रस इकट्ठा करती िै उसी प्रकार राजप्पा ने भी हिहभन्न थथानोीं और

    व्यस्ियोीं से हटकट इकट्ठा कर अपना अलबम तैयार हकया और नागराजन को उसके मामा ने बना-

    बनाया अलबम भेज हदया था।

    - राजप्पा अलबम के जलाए जाने की बात नागराजन को क्योों निी ों कि पाता िै? अगर वि कि

    देता तो क्या किानी के अोंत पर कुछ फ़कक पड़ता? कैसे?

  • उत्तर:- राजप्पा अलबम के जलाए जाने की बात नागराजन को निी ीं कि पाता क्ोींहक इससे उसका

    हिश्वास टूट जाता। अगर कि देता तो उसे सब भला-बुरा किते और नागराजन उससे लड़ भी सकता था।

    नागराजन ने अलबम के मुख्य पृष्ठ पर क्या हलखा और क्योों इसका असर

    कक्षा के दूसरे लड़के लड़हकयो ों पर क्या हुआ

    उत्तर नागराजन के अलबम के मुख्य पृष्ठ पर हलखा था ए एम नागराजन और नीचे

    की पींस्ियोीं में हलखा था इस अलबम को चुराने िाला बेशमम िै। ऊपर हलखे नाम को

    कभी देखा िै यि अलबम मेरा िै। जब तक घास िरी िै और कमल लाल सूरज

    जब तक पूिम से उगे और पहिम में हिपे उस अनींत काल तक के हलए यि अलबम

    मेरा िै रिेगा। ऐसा इसहलए हलखा था ताहक उसे कोई चुराने की कोहशश न करे। यि

    अलबम िमेशा िमेशा के हलए नागराजन के पास रिे। कक्षा के दूसरे लड़के लड़हकयोीं

    पर इसका यि असर हुआ हक उन्ोींने इसे अपने अलबम और कॉपी में उतार हलया।

    राजप्पा अलबम के जलाए जाने की बात नागराजन को क्योों निी ों कि पाता

    िै अगर वि कि देता तो क्या किानी के अोंत पर कुछ फ़कक पड़ता कैसे

    उत्तर अगर राजप्पा अलबम जलाए जाने की बात नागराजन को किती तो नागराजन

    उसे ईष्यालु और चोर समझती और दोनोीं में शतु्रता िो जाती। नागराजने उससे लड़

    सकता था। उसे माता हपता से डाँट भी सुननी पड़ती। िो सकता िै नागराजन सू्कल में

    भी सबको बता देता और राजप्पी को शरहमींदगी झेलनी पड़ती।

    उपसगक की पररभाषा

    उपसगम उस शब्ाींश या अव्यय को किते िै जो हकसी शब् के पिले

    आकर उसका हिशेष अथम प्रकट करता िै।

    दूसरे शब्ोों में उपसगम िि शब्ाींश या अव्यय िै जो हकसी शब् के आरींभ में

    जुड़कर उसके अथम में मूल शब् के अथम में हिशेषता ला दे या उसका अथम िी बदल

    दे। िे उपसगम किलाते िै।

    अन अनमोल अलग अनजान अनकिा अनदेखा इत्याहद।

    अध् अधजला अधस्खला अधपका अधकचरा अधकच्चा अधमरा इत्याहद।

    उन उनतीस उनचास उनसठ इत्याहद।

    भर भरपेट भरपूर भरहदन इत्याहद।

    दु दुबला दुजमन दुबमल दुकाल इत्याहद।

    हन हनगोड़ा हनडर हनकम्मा इत्याहद।

  • समाचार पत्ो ों के लाभ

    अगर िम समाचार पत्र के बारे में ऐसा किें हक यि िमारे सुबि की पिली

    जरूरत िै तो यि गलत निी ीं िोगा िममें से कुि लोग तो ऐसे िै हजन्ें हबना समाचार

    पत्र पढे सुबि की चाय पीना भी पसींद निी ीं याद कीहजये दीपािली और िोली का दूसरा

    हदन जब समाचार पत्र की अनुपस्थथहत में िमारी सुबि सूहन सूहन सी िोती िै साल में यिी

    दो तीन हदन िोते िै जब िमें सुबि समाचार पत्र प्राप्त निी ीं िोता अन्यथा अन्य सभी

    हदन िर सुबि बहुत िी अनुशाहसत ढींग से िमें िमारा समाचार पत्र प्राप्त िोता िै चािे

    िि बाररश भरी रात िो या ठीं ड से भरी सुबि िमें िमारा समाचार पत्र रोज की ताजा

    खबरोीं के साथ अपने घर की दिलीज पर हमल िी जाता िै

    अगर िम समाचार पत्रोीं का इहतिास जानने की कोहशश करे तो यि बहुत िी

    प्राचीन िै किा जाता िै हक इसकी शुरिात कोलकाता मे हुई थी पिले समाचार पत्र

    एक के्षत्र हिशेष तक िी सीहमत था परीं तु हनत नये आहिष्कारोीं के चलते सूचना का

    आदान प्रदान तुरींत सींभि िो सका साथ िी साथ िपाई कला में भी दक्षता आई

    आजकल कई ऐसी मशीने उपलब्ध िै हजसकी सिायता से चींद घींटो मे िजारो की

    सींख्या में प्रहतयाँ तैयार िो जाती िै इन सभी आहिष्कारोीं के चलते समाचार पत्र एक के्षत्र

    तक सीहमत न रिकर देश हिदेशो तक पहँुच गया िै

    आज िम घर बैठे दुहनया के िर देश िर कोने की जानकारी समाचार पत्र

    मे पढ़ सकते िै आज कल पाठक की सुहिधा का ध्यान रखते हुये िर भाषा में समाचार

    पत्र उपलब्ध िै हजसमें खेल कूद हबज़नेस राजनीहत शासन प्रशासन आहद कई सारी

    जानकारी इसमें पाठक को उपलब्ध कराई जाती िै आजकल कई समाचार पत्रोीं का

    प्रकाशन अींतरामष्ट्र ीय स्तर पर भी िोता िै हजससे देश हिदेश हक जानकारी हमलती िै

    समाचार पत्रोीं में कुि पेज हकसी के्षत्र हिशेष के भी िोते िै हजसमें ििाँ की समस्ाँ

    और जानकारी दोनोीं प्रकाहशत की जाती िै|

    सबसे पिला समाचार पत्र िाइसराय हिक्की द्वारा बींगाल गज़ट नाम से बींगाल

    में शुरू हकया गया था िालाँहक इसके पिले भी कई पने्ननुमा पत्रोीं का उपयोग सूचनाओ

    के आदान प्रदान के हलए हकया जाता था परीं तु बींगाल गज़ट िी सबसे पिला पूर्म रुपेन

    अखबार िै कु्की पिले अखबार अगे्रज़ी भाषा मे िोते थे तो यि जनसमान्य के हलए

    उपयोगी निी ीं थे यि केिल अींगे्रज़ो के उपयोग का साधन मात्र थे सबसे पिला हिन्दी

    समाचार पत्र सन मे उदींम मातमड नाम से प्रकाहशत हुआ यि एक साप्ताहिक

    अखबार था परीं तु इसे में िी दबाि के चलते बींद करना पडा इसके बाद अींगे्रज़ो

    के हिरूध्द सींघषम करते हुये बींगालदूत समाचार सुधा िषमर् केसरी िींदे मातरम आहद

    समाचार पत्रोीं का सींपादन हकया गया

    समाचार पत्रोीं में रोजमराम के समाचारोीं के अहतररि साहित्य धमम

    खेलकूद राजनीहत व्यापार एिीं चलहचत्र आहद के हिषय में जानकारी और सूचनाओीं के

    साथ साथ लेख भी िापे जाते िैं।ये सभी समाचार पत्र िमारे हलये बहुत उपयोगी िैं। यि

    िमारे ज्ञान में िृस्ि करने के साथ साथ िमारा मनोरींजन भी करते िैं। समाचार पत्रोीं के

  • माध्यम से हिज्ञापनोीं द्वारा नये नये उत्पादोीं की जानकारी आज जनता तक आसानी से पहुींच

    जाती िै। लोकतींत्र में समाचार पत्र का मित्व और भी अहधक बढ़ जाता िै। अतः िम

    सभी को प्रहतहदन समाचार पत्र पढ़ने की आदत डालनी चाहिये।

  • प्रश्न- सोने का हिरण कौन बना िा?

    उत्तर- सोने का हिरर् मारीच बना था ।

    प्रश्न- राम को कुहटया से हनकलते देख कर मायावी हिरण ने क्या हकया?

    उत्तर- राम को कुहटया से हनकलते देख कर मायािी हिरर् कुलाचें भरने लगा ।

    प्रश्न- हिरण हकस प्रकार चालाक िा?

    उत्तर - हिरर् चालाक था क्ोींहक िि इतनी दूर कभी निी ीं जाता था हक िि राम के पहँुच से

    बािर िो जाए ।

    प्रश्न- राम ने लक्ष्मण को क्या आदेश हदया िा?

    उत्तर- राम ने लक्ष्मर् को उनके लौटने तक सीता की रक्षा का आदेश हदया था ।

    प्रश्न- सीता क्या सुनकर हवचहलत िो गई?

    उत्तर - सीता मायािी पुकार सुनकर हिचहलत िो गई ।

    प्रश्न- लक्ष्मण के जाते िी कौन आ पहँुचा?

    उत्तर - लक्ष्मर् के जाते िी रािर् आ पहँुचा ।

    प्रश्न- रावण हकस वेश में आया िा?

    उत्तर - रािर् तपस्ियोीं के िेश में आया था ।

    प्रश्न- रावण ने सीता के हकन गुणो ों की प्रशोंसा की?

    उत्तर - रािर् ने सीता के िरुप, सींस्कार और सािस की प्रशींसा की ।

    प्रश्न- रावण सीता को लेकर सीधे किाँ गया?

    उत्तर - रािर् सीता को लेकर सीधे अपने अींतःपुर में गया।

    प्रश्न- राम लक्ष्मण से क्योों क्रोहधत िे?

    उत्तर - राम लक्ष्मर् से इसहलए क्रोहधत थे क्ोींहक लक्ष्मर् सीता को अकेला िोड़ कर राम

    को ढूींढ़ने के हलए हनकल गए थे।

    प्रश्न- राम की बेचैनी क्योों बढ़ गई?

  • उत्तर - जब राम के पुकारने पर भी कुहटया से सीता की कोई आिाज़ निी ीं आई तो राम की

    बेचैनी बढ़ गई।

    प्रश्न- हवरि में राम ने सीता का पता हकस-हकस से पूछा?

    उत्तर - हिरि में राम ने सीता का पता गोदािरी नदी, पींचिटी के एक-एक िृक्ष, िाथी, शेर,

    फूलोीं, पथरोीं और चट्टानोीं से पूिा ।

    प्रश्न- सीता को वन में ढँूढ़ते हुए राम क्या देख कर असमोंजस में पड़ गए?

    उत्तर- टूटे हुए रथ के टुकड़े, मृत घोड़े और मारा हुआ सारथी को िन में देखकर राम

    असमींजस में पड़ गए।

    प्रश्न- रि के पास राम को सीता की कौन सी वसु्त हमली?

    उत्तर - राम को रथ के पास पुष्पमाला हमली जो सीता ने िेर्ी में गँूथ रखा था।

    प्रश्न- जटायु की अोंहतम हक्रया हकसने की?

    उत्तर - जटायु की अींहतम हक्रया राम ने की।

    प्रश्न- कबोंध ने राम से क्या आग्रि हकया?

    उत्तर - कबींध ने राम से आग्रि हकया हक उसका अींहतम सींस्कार राम करें।

    प्रश्न- वानरराज सुग्रीव किाँ रिते िे?

    उत्तर - िानरराज सुग्रीि पींपा सरोिर के हनकट ऋष्यमूक पिमत पर रिते थे।

    प्रश्न- पोंपा सरोवर के पास हकसका आश्रम िा?

    उत्तर - पींपा सरोिर के पास मतींग ऋहष का आश्रम था।

    प्रश्न- शबरी कौन िी और वो किाँ रिती िी?

    उत्तर - शबरी मतींग ऋहष की हशष्या थी और िि मतींग ऋहष के आश्रम में िी रिती थी।

  • मिल में खुशी का कारण क्या िा

    उत्तर हििाि के बाद रानी लक्ष्मीबाई का मिल में आना खुशी का प्रमुख कारर् था।

    - डलिौज़ी प्रसन्न क्योों िा

    उत्तर क्ोींहक हन सींतान राजा गींगाधर राि की मृतु्य िोने पर झाँसी का अहधकार ितः

    िी अींगे्रज़ी सरकार को हमल जाना था इसहलए डलिौज़ी प्रसन्न था।

    - हिहटश सरकार ने झाँसी के दुगक पर झोंडा क्योों फिराया

    उत्तर क्ोींहक ििाँ के राजा हन सींतान मृतु्य को प्राप्त हुए।

    - अोंगे्रज़ो ों ने भारत के हकन हकन के्षत्ो ों पर अहधकार कर हलया िा

    उत्तर अींगे्रजोीं ने भारत के कई हिस्ोीं पर अहधकार कर हलया था। उनमें से प्रमुख िैं

    हदल्ली लखनऊ हबिार नागपुर तींजौर सतारा कनामटक हसींध पींजाब मद्रास

    आहद।

    - हकों तु कालगहत चुपके चुपके काली घटा घेर लाई

    इस पोंस्ि में हकस घटना की ओर सोंकेत िै

  • उत्तर इस पींस्ि में झाँसी के राजा और रानी लक्ष्मीबाई के पहत गींगाधर राि की

    आकस्िक मृतु्य की ओर सींकेत हकया िै।

    झाँसी की रानी के जीवन से िम क्या पे्ररणा ले सकते िैं

    उत्तर झाँसी की रानी के जीिन से िम देश के हलए मर हमटने िाहभमान से जीने

    हिपहत्तयोीं से न घबराने सािस दृढ़ हनिय नारी अबला निी ीं सबला िै आहद की पे्ररर्ा

    ले सकते िैं।

    - वीर महिला की इस किानी में कौन कौन से पुरुषो ों के नाम आए िैं

    उत्तर इस किानी में िीर हशिाजी नाना धुींधूपींत पेशिा ताहतयाँ अजीमुल्ला

    अिमद शाि मौलिी ठाकुर कँुिरहसींि सैहनक अहभराम आहद अनेक िीर पुरुषोीं के

    नाम आए िैं।

    - सुभद्रा कुमारी चौिान लक्ष्मीबाई को मदाकनी क्योों किती िैं

    उत्तर झाँसी की रानी एक महिला िोते हुए भी उनमें पुरुषोहचत गुर् सािस िीरता

    युि कला में हनपुर्ता हनडरता आहद गुर् हिद्यमान थे। उन्ोींने युि भूहम में अींगे्रजोीं के

    दाँत खटे्ट कर हदए थे उनकी िीरता का लोिा भारतिाहसयोीं के साथ अींगे्रजोीं ने भी माना

    था। अत सुभद्रा कुमारी चौिान ने लक्ष्मीबाई के इसी अभूतपूिम सािस शौयम तथा िीरता

    का पररचय कराने के हलए मदामनी शब् का प्रयोग हकया िै।

    - कहवता में हकस दौर की बात िै कहवता से उस समय के मािौल के बारे में

    क्या पता चलता िै

    उत्तर कहिता में िषम के प्रथम ितींत्रता सींग्राम के दौर की बात किी गई िै।

    इस सींग्राम में झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई ने मित्त्वपूर्म भूहमका हनभाई थी। उस समय के

    मािौल के बारे में यि पता चलता िै हक देश गुलाम था और लोगोीं के हदलोीं में देशपे्रम

    की ज्वाला भड़क रिी थी। िे आजादी पाने के हलए लालाहयत थे।

    भारतीयो ों ने अोंगे्रजो ों को दूर करने का हनश्चय क्योों हकया िा

    उत्तर भारत कई सौ िषों तक गुलाम रिा। इस कारर् यिाँ के लोग ितींत्रता के

    मित्त्व को भूल गए थे। इस आींदोलन से उन्ें ितींत्रता का मित्त्व को समझ में आ

    गया। उन्ोींने यि भी मिसूस हकया हक हफरींगी धीरे धीरे अपने साम्राज्य का हिस्तार कर

    रिे िैं। इस कारर् भारतीयोीं ने अींगे्रज़ोीं को दूर भगाने का हनिय हकया।

    प्रत्यय की पररभाषा

    जो शब्ाींश, शब्ोीं के अींत में जुड़कर अथम में पररितमन लाये, प्रत्यय किलाते िै।

    दूसरे अिक में- शब् हनमामर् के हलए शब्ोीं के अींत में जो शब्ाींश जोड़े जाते िैं, िे प्रत्यय

    किलाते िैं।

    प्रत्यय दो शब्ोीं से बना िै- प्रहत+अय। 'प्रहत' का अथम 'साथ में, 'पर बाद में' िै

    और 'अय' का अथम 'चलनेिाला' िै। अतएि, 'प्रत्यय' का अथम िै 'शब्ोीं के साथ, पर बाद में

  • चलनेिाला या लगनेिाला। प्रत्यय उपसगों की तरि अहिकारी शब्ाींश िै, जो शब्ोीं के

    बाद जोड़े जाते िै।

    प्रत्यय धातु कृदोंत-रूप

    आऊ हटक हटकाऊ

    आक तैर तैराक

    आका लड़ लड़का

    आड़ी खेल स्खलाड़ी

    आलू झगड़ झगड़ालू

    इया बढ़ बहढ़या

    इयल अड़ अहड़यल

    इयल मर मररयल

    ऐत लड़ लड़ैत

    ऐया बच बचैया

    ओड़ िँस िँसोड़

    ओड़ा भाग भगोड़ा

    रोगी और वैद्य का सोंवाद

    रोगी- (औषधालय में प्रवेश करते हुए) वैद्यजी, नमस्कार! वैद्य- नमस्कार! आइए, पधाररए! कहहए, क्या हाल है ? रोगी- पहले से बहुत अच्छा ह ूँ। बुखार उतर गया है, केवल खाूँसी रह गयी है। वैद्य- घबराइए नह ीं। खाूँसी भी द र हो जायेगी। आज द सर दवा देता ह ूँ। आप जल्द अच्छे हो जायेंगे।

  • रोगी- आप ठीक कहते हैं। शर र दबुला हो गया है। चला भी नह ीं जाता और बबछावन (बबस्तर) पर पड-ेपड ेतींग आ गया ह ूँ। वैद्य- चचींता की कोई बात नह ीं। सुख-दुुःख तो लगे ह रहते हैं। कुछ हदन और आराम कीजजए। सब ठीक हो जायेगा। रोगी- कृपया खान ेको बतायें। अब तो थोडी-थोडी भ ख भी लगती है। वैद्य- फल ख ब खाइए। जरा खटे्ट फलों से परहेज रखखए, इनसे खाूँसी बढ़ जाती है। द ध, खखचडी और म ूँग की दाल आप खा सकते हैं। रोगी- बहुत अच्छा! आजकल गमी का मौसम है; प्यास बहुत लगती है। क्या शरबत पी सकता ह ूँ? वैद्य- शरबत के स्थान पर द ध अच्छा रहेगा। पानी भी आपको अचधक पीना चाहहए। रोगी- अच्छा, धन्यवाद! कल फफर आऊूँ गा। वैद्य- अच्छा, नमस्कार।

  • प्रश्न- सुग्रीव के बडे़ भाई का क्या नाम िा?

    उत्तर - सुग्रीि के बड़े भाई का नाम बाली था।

    प्रश्न- सुग्रीव के प्रमुख सािी कौन िे?

    उत्तर - सुग्रीि के प्रमुख साथी िनुमान थे।

    प्रश्न- सुग्रीव सीता िरण का सुनकर अचानक क्योों उठ खडे़ हुए?

    उत्तर - सुग्रीि सीता िरर् का सुनकर अचानक उठ खड़े हुए क्ोींहक िानरोीं ने उन्ें एक

    स्त्री िरर् की बात बताई थी।

    प्रश्न- सुग्रीव ने राम को अपनी क्या व्यिा सुनाई?

    उत्तर- सुग्रीि ने राम को बताया हक बाली ने उसे राज्य से हनकाल हदया । उसकी स्त्री िीन

    ली और उसका िध करने की चेष्ट्ा कर रिा िै । िनुमान, नल और नील ने उसका साथ हदया

    िै ।

    प्रश्न- सुग्रीव राम से क्योों कुहपत िा?

    उत्तर - सुग्रीि राम से इसहलए कुहपत था क्ोींहक राम पेड़ के पीिे खड़े थे परनु्त धनुष िाथ

    िोने पर भी उन्ोींने सुग्रीि को बचाने के हलए तीर निी ीं चलाया

    प्रश्न- हकसने सुग्रीव को उनका राम को हदया वचन याद हदलाया?

    उत्तर- िनुमान ने सुग्रीि को उनका राम को हदया िचन याद हदलाया ।

    प्रश्न- वानरसेना एकत् करने का आदेश सुग्रीव ने हकसे हदया?

    उत्तर- िानरसेना एकत्र करने का आदेश सुग्रीि ने सेनापहत नल को हदया ।

    प्रश्न- राम सुग्रीव के हकस व्यविार से कु्षब्ध िे?

    उत्तर - राम सुग्रीि से इसहलए कु्षब्ध थे क्ोींहक उन्ोींने अपनी िानरसेना अभी तक निी ीं भेजी

    थी ।

  • अहतलघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

    - लेस्खका के कानो ों में हकसके मधुर स्वर गूोंजने लगते िे?

    उत्तर- लेस्खका के कानोीं में हचहड़योीं के मधुर िर गूींजने लगते थे।

    - लेस्खका को प्रकृहत के जादू का अिसास कब िोता िै?

    उत्तर- फूलोीं की पींखुहड़योीं की मखमली सति िूने और उनकी घुमािदार बनािट मिसूस करने से

    लेस्खका को प्रकृहत के जादू का अिसास िोता िै।

    - इस दुहनया के लोग कैसे िैं?

    उत्तर- इस दुहनया के अहधकाींश लोग सींिेदनिीन िैं। िे अपनी क्षमताओीं की कद्र करना निी ीं जानते।

    - िेलेन केलर अपने हमत्ो ों की परीक्षा क्योों लेती िै?

    उत्तर- िेलेन केलर अपने हमत्रोीं की परीक्षा यि परखने के हलए लेती िै हक िे क्ा देखते िैं।

    लेस्खका को झरने का पानी कब आनोंहदत करता िै

    उत्तर लेस्खका जब झरने के पानी में अँगुहलयाँ डालकर उसके बिाि को मिसूस करती

    िै तब िि आनींहदत िो उठती िै।

    लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

    - लेस्खका को हकस काम से खुशी हमलती िै?

    उत्तर- लेस्खका को प्राकृहतक िसु्तओीं को स्पशम करने में खुशी हमलती िै। िि चीज़ोीं को िूकर उनके बारे

    में जान लेती िै। यि स्पशम उसे आनींहदत कर देता िै।

    - मनुष्य का स्वभाव क्या िै?

    उत्तर- मनुष्य अपनी क्षमताओीं की कदर निी ीं करता। िि अपनी ताकत और अपने गुर्ोीं को निी ीं

    पिचानता। िि निी ीं जानता हक ईश्वर ने उसे आशीिामद िरूप क्ा-क्ा हदया िै और उसका उपयोग

    निी ीं कर सकता िै। मनुष्य केिल उस चीज़ के पीिे भागता रिता िै, जो उसके पास निी ीं िै। यिी मनुष्य

    का िभाि िै।

    इस पाठ से िमें क्या पे्ररणा हमलती िै

    उत्तर इस पाठ से िमें यि पे्ररर्ा हमलती िै हक जीिन में जीने के हलए मनुष्य के

    पास जो साधन उपलब्ध िो उनसे सींतुष्ट् रिना चाहिए।

  • ‘हजन लोगो ों के पास आँखें िैं, वे सचमुच बहुत कम देखते िैं’ – िेलेन केलर को ऐसा क्योों लगता

    िा?

    उत्तर:- एक बार िेलेन केलर की हप्रय हमत्र जींगल में घूमने गई थी। जब िि िापस लौटी तो िेलेन केलर ने

    उससे जींगल के बारे में जानना चािा तो उसकी हमत्र ने जिाब हदया हक कुि खास निी ीं तब उस समय

    िेलेन केलर को लगा हक सचमुच हजनके पास आँखें िोती िै िे बहुत िी कम देखते िैं।

    - ‘प्रकृहत का जादू’ हकसे किा गया िै?

    उत्तर:- प्रकृहत के अनमोल खजाने को, उसके अनमोल सौींदयम और उसमें िोने िाले हनत्य-प्रहतहदन

    बदलाि को ‘प्रकृहत का जादू’ किा गया िै।

    - ‘कुछ खास तो निी ों’- िेलेन की हमत् ने यि जवाब हकस मौके पर हदया और यि सुनकर िेलेन

    को आश्चयक क्योों हुआ?

    उत्तर:- एक बार िेलेन केलर की हप्रय हमत्र जींगल में घूमने गई थी।जब िि िापस लौटी तो िेलेन केलर ने

    उससे जींगल के बारे में जानना चािा तब उसकी हमत्र ने जिाब हदया हक कुि खास निी ीं।

    यि सुनकर िेलेन केलर को बड़ा आियम हुआ हक लोग कैसे आँखें िोकर भी निी ीं देखते िैं क्ोींहक िे तो

    आँखें न िोने के बािजूद भी प्रकृहत की बहुत सारी चीज़ोीं को केिल स्पशम से िी मिसूस कर लेती िैं।

    - िेलेन केलर प्रकृहत की हकन चीज़ो ों को छूकर और सुनकर पिचान लेती िी ों?

    उत्तर:- िेलन केलर भोज-पत्र के पेड़ की हचकनी िाल और चीड की खुरदरी िाल को स्पशम से पिचान

    लेती थी। िसींत के दौरान िे टिहनयोीं में नयी कहलयाँ, फूलोीं की पींखुहडयोीं की मखमली सति और उनकी

    घुमािदार बनािट को भी िे िूकर पिचान लेती थी ीं। हचहडया के मधुर िर को िे सुनकर जान लेती थी ीं।

    - ‘जबहक इस हनयामत से हज़ोंदगी को खुहशयो ों के इन्द्रधनुषी रोंगो ों से िरा-भरा जा सकता िै।’ –

    तुम्हारी नज़र में इसका क्या अिक िो सकता िै?

    उत्तर:- दृहष्ट् िमारे शरीर का कोई साधारर् अींग निी ीं िै बस्ि यि तो ईश्वर प्रदत्त हनयामत िै। इसके

    जररए िम प्रकृहत हनहममत और मानि हनहममत िर एक िसु्त का आनींद उठा सकते िैं। ईश्वर के इस अनमोल

    तोिफ़े से िम अपना जीिन खुहशयोीं से भर सकते िैं। अत: िमें ईश्वर का शुक्रगुजार िोते हुए इसकी कद्र

    भी करनी चाहिए।

    कारक की पररभाषा

    सींज्ञा या सिमनाम के हजस रूप से िाक् के अन्य शब्ोीं के साथ उनका (सींज्ञा या सिमनाम

    का) सम्बन्ध सूहचत िो, उसे (उस रूप को) 'कारक' किते िैं।

    कारक के भेद-

    (1)कताम कारक

    (2)कमम कारक

    (3)करर् कारक

    (4)सम्प्रदान कारक

    (5)अपादान कारक

    (6)सम्बन्ध कारक

  • (7)अहधकरर् कारक

    (8)सींबोधन कारक

    (1) कर्ता कतरक :- जो वाक्य में कार्य करता है उसे कताय कहा जाता है। अथातय वाक्य

    के जजस रूप से जिर्ा को करने वाले का पता चले उसे कताय कहते हैं।

    राम ने पत्र जलखा।

    हम कहााँ जा रहे हैं।

    रमेश ने आम खार्ा।

    (2) कर्ा कतरक :- जिस व्यक्ति या वस्त ुपर क्रिया का प्रभाव पड़ता है उसे कर्म कारक कहत ेहैं। - र्र्ता ससतार बिा रही है। - रार् ने रावण को र्ारा। - गोपाल ने राधा को बुलाया। (3) करण कारक :- जिस साधन स ेक्रिया होती है उसे करण कारक कहत ेहैं। इसका क्तवभक्ति सिन्ह से और के द्वारा होता है। - बच्िे गेंद से खेल रहे हैं। - बच्िा बोतल से दधू पीता है। - रार् न ेरावण को बाण से र्ारा। (4) सम्प्रदान कारक :- हजसके हलए कोई हक्रया काम की जाती िै उसे

    सम्प्रदान कारक किते िै।

    - वे र्रेे सलए उपहार लाये हैं। - र्ााँ बेटे के सलए सेब लायी। - र्ैं सूरि के सलए िाय बना रहा हूाँ।

    पयाकवरण में िो रिी क्षहत के सन्दभक में अहधक से अहधक वृक्ष लगाने का हनवेदन

    करते हुए हकसी प्रहतहष्ठत दैहनक पत् के सम्पादक को पत् हलस्खए।

    424, शालीमार बाग,

    हदल्ली।

    हदनाोंक 16 माचम, 2020

  • सेिा में,

    सम्पादक मिोदय,

    निभारत टाइम्स,

    हदल्ली।

    हवषय- अहधक से अहधक िृक्ष लगाने के सम्बन्ध में।

    मिोदय,

    इस पत्र के माध्यम से मैं प्रशासन, सरकार ि आम जनता का ध्यान इस ओर आकहषमत करना चािती हँ

    हक िृक्षोीं की अन्धाधुन्ध कटाई ि कारखानोीं से हनकलने िाले धुएँ के कारर् पयामिरर् को अत्यहधक क्षहत िो

    रिी िै। यद्यहप िन मिोत्सि के अिसर पर िन हिभाग द्वारा िृक्षारोपर् कायमक्रम आरम्भ हकया जाता िै

    तथा अनेक िृक्ष भी लगाए जाते िैं, परनु्त उनकी देखभाल निी ीं की जाती हजसके कारर् पयामिरर् में

    प्रदूषर् का खतरा बढ़ता जा रिा िै।

    मेरा सभी से हनिेदन िै हक िम सभी को हमलकर अहधक से अहधक िृक्ष लगाने िोींगे हजससे िम पयामिरर्

    को सुरहक्षत कर पाएँगे।

    धन्यिाद।

    भिदीय

    राहुल