shri guru amar das ji sakhi - 026a

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Page 1: Shri Guru Amar Das Ji Sakhi - 026a
Page 2: Shri Guru Amar Das Ji Sakhi - 026a

मुग़ल बादशाह के समय दिदल्ली व लाहौर के रास्ते में व्यास नदी से पार होने के लिलए गोईंद्वाल का पत्तन बहुत प्रलिसद्ध था| बड़ी-२ सराए शाही सेनओं के लिलए यहाँ बनी हुई थी जि-सके कारण यह रौनक रहती थी| यह व्यापर पेशा कुछ शेखों के घर भी थे -ो किक गुरु के लिसखों से सदैव नोक-झोक लगाई रखते थे|वे पानी के घड़े गुलेले मार कर तोड़ देते थे व लिसख स्त्रिस्9यों को भला बुरा भी कहते थे| -ब गुरु -ी को यह बात पता लगी तो कहने लगे, करता पुरख आप ही इनको बंद करेगा|आप शांत रहें| कुछ दिदनों में वहाँ सन्यासी साधुओं का डेरा उतरा| -ब वह भी पानी लेने को गये तो शेखों ने उनके घडे़ तोड़ दिदए| उन्होंन ेलड़को की खूब किपटाई की|कुछ दिदनों में पठान सैकिनकों का दल वहाँ उतरा| उस रात तूफ़ान के कारण खूब उथल-पुथल जि-स कारण शेखों ने पठानों की खच्चर घेर ली|

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सुबह -ब पठानों ने अपनी खच्चर को गम पाया तो ढँूढना शुरू कर दिदया| वह खच्चर शेखों के घर में से किनकली|उन्होंने शेखों पर चोरी का इल-ाम लगाकर खूब मारा और उनके घर भी लूट लिलए|-ब यह बात गुरु -ी को बताई गये तो आप ने वचन किकया, -ो किनरवैर पुरुष से सीना -ोरी करता है,वह आप ही दुःख पाता है|इस प्रकार गुरुलिसखो को तंग करने की शेखों को अपने आप ही स-ा मिमल गई|

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