shri guru angad dev ji sakhi - 015a

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Page 1: Shri Guru Angad Dev Ji Sakhi - 015a
Page 2: Shri Guru Angad Dev Ji Sakhi - 015a

एक दि�न अमर�ास जी गुरु जी के स्नान के लि�ए पानी की गागर लिसर पर उठाकर प्रातःका� आ रहे थे किक रास्ते में एक जु�ाहे किक खड्डी के खूंटे से आपको चोट �गी जिजससे आप खड्डी में किगर गये| किगरने किक आवाज़ सुनकर जु�ाहे न ेजु�ाही से पुछा किक बाहर कौन है? जु�ाही ने कहा इस समय और कौन हो सकता है, अमरू घरहीन ही होगा, जो रातदि�न समधि5यों का पानी ढ़ोता कि8रता ह|ै जु�ाही की यह बात सुनकर अमर�ास जी ने कहा कम�ीये! में घरहीन नहीं, मैं गुरु वा�ा हूँ| त ूपाग� है जो इस तरह कह रही हो|

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उ5र इनके वचनों से जु�ाही पाग�ों की तरह बुख्�ाने �गी| गुरु अंग� �ेव जी ने �ोनों को अपने पास बु�ाया और पूछा प्रातःका� क्या बात हुई थी, सच सच बताना| जु�ाहे न ेसारी बात सच सच गुरु जी के आगे रख �ी किक अमर�ास जी के वचन से ही मेरी पत्नी पाग� हुई है| आप किकरपा करके हमें क्षमा करें और इस ेअरोग कर �े नकिहतो मेरा घर बबाD� हो जायेगा|

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गुरु जी ने अमर�ास जी को बारह वर�ान �ेकर अपने ग�े से �गा लि�या और वचन किकया किक आप मेरा ही रूप हो गये हो| इसके पश्चात गुरु अंग� �ेव जी न ेअपनी कृपा दृधिH से जु�ाही की तर8 �ेखा और उसे अरोग कर दि�या| इस प्रकार वे �ोनों गुरु जी की उपमा गाते हुए घर की ओर चा� दि�ये|

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