shri guru angad dev ji sakhi - 019a

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Spiritual


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Page 1: Shri Guru Angad Dev Ji Sakhi - 019a
Page 2: Shri Guru Angad Dev Ji Sakhi - 019a

एक तपस्वी जो किक खडूर साकि�ब में र�ता था जो किक ख�ैर ेजाटो का गुरु क�लाता था| गुरु जी के बढ़ते यश को देखकर आपसे जलन करने लगा और किनन्दा भी करता था| संवत 1601 में भयंकर सूखा पड़ा| लोग दुखी �ोकर वर्षाा+ करान ेके उदेश्य से तपस्वी के पास आए| पर उसने क�ना शुरू किकया किक य�ाँ तो उलटी गंगा ब� र�ी �|ै श्री अंगद देव जी गृ�स्थी �ोकर अपने को गुरु क�लाता �ै और अपनी पूजा कराता �ै| जब तक आप इन्�ें बा�र न�ीं किनकालोगे तब तक वर्षाा+ न�ीं �ोगी| मैं आठ प�र में वर्षाा+ करा दँूगा अगर इन्�ें गाँव से बा�र किनकाल दोगे|

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ऐसी बात सुनकर गाँव के पंच आदिद मिमलकर गुरु जी के पास आए और क�ने लगे किक गुरु जी आप या तो वर्षाा+ कराये न�ीं तो �मारे गाँव से चले जाओ| गुरु जी क�न ेलगे भाई! �म परमात्मा के किवरुद्ध न�ीं �ैं, यदिद �मारे य�ाँ से चले जाने से वर्षाा+ �ो जाती �ै तो �म य�ाँ से चले जाते �ैं| गाँव खान रजादे की संगत पूरी बात पता लगने पर उन्�ें अपने साथ ले गई|

तपस्वी लोगो को दिदलासा देता र�ा पर जब आठ दिदन तक वर्षाा+ न�ीं हुई तो लोग बहुत �ताश �ो गये| एक दिदन अचानक �ी श्री अमरदास जी गुरु जी को मिमलने खडूर साकि�ब आए|

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असलिलयत का पता लगत े�ी बहुत दुखी हुए और संगतो को समझाने लगे अगर आप योगी तपस्वी को गाँव में से किनकाल दोगे और गुरु जी से क्षमा माँग लोगे तो बहुत जल्दी वर्षाा+ �ोगी|आप जी गुरु नानक देव जी की गद्दी पर सुशोभिभत �ै, जो की बहुत शलिJशाली �ै| उनको प्रसन्न करके �ो वर्षाा+ �ोने की आशा �ै| गुरु घर का आदर न करन ेसे वर्षाा+ न�ीं �ोगी|

भाई अमरदास जी के ऐसे वचन सुनकर ज़मींदारो ने तपस्वी को क�ा किक आप आठ दिदनों में भी वर्षाा+ न�ीं करा सके और गुरु जी को भी गाँव से बा�र किनकाल दिदया| इसलिलए आप गाँव छोडकर चल ेजाओ| 3 of 4 Contd…

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�म अपने आप गुरु जी को सम्मान सकि�त वाकिपस लाकर वर्षाा+ करायेंग|े तपस्वी को गाँव छोड़कर जाना पड़ा और सारी संगत गुरु जी से क्षमा मांगकर गुरूजी को वाकिपस खडूर साकि�ब ले आई| लोगों की खुशी की सीमा ना र�ी जब आकाश पर बादल छाये और खूब वर्षाा+ हुई| गुरु जी के ऐसे कौतक को देखकर संगतो का किवश्वाश और पक्का �ो गया|

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