shri guru arjan dev ji sakhi - 045

4

Upload: sinfomecom

Post on 10-Feb-2017

89 views

Category:

Spiritual


5 download

TRANSCRIPT

Page 1: Shri Guru Arjan Dev Ji Sakhi - 045
Page 2: Shri Guru Arjan Dev Ji Sakhi - 045

एक दि�न कुला, भुला और भागीरथ तीनों ही मि�लकर गुरु अर्ज�न �ेव र्जी के पास आए| उन्होंने आकर प्राथ�ना की किक ह�ें �ौत से बहुत डर लगता है| आप ह�ें र्जन्� �रण के दुख से बचाए|

गुरु र्जी कहने लगे, आप गुर�ुख बनकर �न�ुखो वाले क�� करने छोड़ �ें| उन्होंने कहा �हारार्ज! ह�ें यह स�झाए किक गुर�ुख और �न�ुख �ें क्या अन्तर होता है| ह�ें इनके लक्षणों से अवगत कराए|

गुरमुख के लक्षण-

• गुरु के वचनों को या� रखना• अपने उपर नेकी करने वालो की नेकी को या� रखना• सबकी भलाई सोचना और चाहना• किकसी के का� �ें किवघन नहीं डालना

1 of 3 Contd…

Page 3: Shri Guru Arjan Dev Ji Sakhi - 045

• खोटे क�9 का त्याग करना• नेक क�9 को ग्रहण करना• गुरु के उप�ेश को ग्रहण करके अपने आत्� स्वरुप को र्जानने वाला और अनेक �ें एक को �ेखने वाला गुर�ुख होता है|

मनमुख के लक्षण-

• सबसे ईर्ष्याया� करनी• किकसी का भला होता �ेख दुखी होना• अपनी इच्छा से का� करने• कभी किकसी का भला न सोचना• र्जो नेकी करे उसकी बुराई करनी• सबके बुरे �ें अपना भला स�झना• कथा कीत�न ध्यान न लेना• गुरु उप�ेश को ध्यान से न सुनना• पुण्य और स्नान से परहेर्ज करना• उपर्जीकिवका के लिलए झूठ बोलना| 2 of 3 Contd…

Page 4: Shri Guru Arjan Dev Ji Sakhi - 045

For more Spiritual Content Kindly visit:

http://spiritualworld.co.in3 of 3 End

गुरु र्जी के यह वचन सुनकर तीनों को संतुमिF हुई| उन्होंने गुर�ुखता के �ाग� पर प्रण कर लिलया| किGर वह गुरु र्जी को �ाथा टेक कर अपने का� कार्ज �ें लग गए|