shri guru arjan dev ji sakhi - 049a

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Spiritual


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Page 1: Shri Guru Arjan Dev Ji Sakhi - 049a
Page 2: Shri Guru Arjan Dev Ji Sakhi - 049a

एक दि�न भाई पुरीआ और चूहड़ पट्टी से गुरु जी के �र्श�न करने आए| उन्होंने गुरु जी के आगे भेंट रखी व माथा टेका| उन्होंने गुरु जी से प्राथ�ना की किक महाराज! हम अपन ेगाँव के चौधरी है और हमें झूठ भी बहुत बोलना पड़ता है| हम इसका त्याग किकस प्रकार करें?

उनकी यह बात गुरु जी ने सुनी और कहने लगे किक आप अपने नगर में एक धम�र्शाला बनवाओ| उसमे �ो समय सत्संग भी किकया करो| आप रोजाना जो झूठ बोलते हे वह �ीवान में संगत में सुनाया करो|

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गुरु जी किक बात को वह ध्यानपूव�क सुनते रहे| उन्होंने ऐसे ही किकया जैसे गुरु जी ने उनको बोला था| धम�र्शाला बनवाई गई| उसमे �ो समय सत्संग भी रखा गया| उन्होंने अपना झूठ भी संगत के सामन ेरखना र्शरू कर दि�या|

जब कुछ दि�न ऐसा ही होता रहा,वे लज्जा अनुभव करन ेलगे| उन्होंने झूठ बोलना कम कर दि�या|वे कम से कम झूठ बोलने का यत्न करते|

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ऐसा करते-२ उनकी झूठ बोलने की आ�त ही खतम हो गए|अब वे सच बोलने के आदि� हो गए| उन्होंने गुरु जी का लाख-२ रु्शकराना किकया|