shri guru arjan dev ji sakhi - 053a

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Page 1: Shri Guru Arjan Dev Ji Sakhi - 053a
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बाला और कुष्णा पंडि�त लोगों को सुन्दर कथा करके खुश डिकया करते थे और सबके मन को शांडित प्रदान करत ेथे| एक दिदन वे गुरु अर्ज$न देव र्जी के दरबार में उपस्थि)त हो गए और प्राथ$ना करने लगे डिक महारार्ज! हमारे मन में शांडित नहीं है| आप बताए ँहमें शांडित डिकस प्रकार प्राप्त होगी हमें इसका कोई उपाय बताए?

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गुरु र्जी कहने लग ेअगर आप मन की शांडित चाहत ेहो तो र्जैसे आप लोगों को कहते हो उसी प्रकार आप भी उस कथनी पर अमल डिकया करो| परमात्मा को अंग-संग र्जानकर उसे याद रखा करो| अगर आप धन इक्कठा करने की लालसा से कथा करोगे तो मन को शांडित कदाडिप प्राप्त नहीं होगी|

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मन की लालसा बढती र्जायेगी और आप दुखी होते रहेंगे| इस प्रकार आप डिनष्काम भाव से कथा डिकया करे जिर्जससे आपके मन को शांडित प्राप्त होगी|