shri guru har rai sahib ji sakhi - 073a

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Spiritual


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Page 1: Shri Guru Har Rai Sahib Ji Sakhi - 073a
Page 2: Shri Guru Har Rai Sahib Ji Sakhi - 073a

एक दि�न काला अपने यतीम भतीजो लोहि�या और सं�ली को साथ लेकर गुरु �रिर राय जी के पास लाया| प�ले उसने गुरु जी को माथा टेका हि र अपने भतीजो को ऐसा करन ेके लिलए क�ा| परन्तु व�ाँ खडे़ खडे़ �ी बच्चों के पेट बजने लगे| गुरु जी न ेक�ा कालेआ! य� क्या क�तें �ैं| काले ने क�ा म�ाराज! मेरा भाई मर चुका �ै और मेरे भतीजे पेट से भूखें �ैं| य� आपसे रोटी मांगते �ैं| गुरु जी खुश �ोकर क�ने लग ेकालेआ! य� अनेक औरों को भी रोटी �ेंगे| य� बडे़ सौभाग्यशाली �ोंगे|

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Page 3: Shri Guru Har Rai Sahib Ji Sakhi - 073a

य� वर�ान लेकर काला घर वाहिपस आ गया| व� बहुत खुश था| उसने आकर अपनी स्त्री को बताया हिक व� अपने भतीजों के लिलए राज्य का वर�ान ले आया �ै| पत्नी क�ने लगी हिक अपने बच्चे तो इनकी प्रजा बनकर र�ेंगे| तुमने इन का क्या सोचा �ै?

अपनी स्त्री की ऐसी बात सुनकर काला अपने बच्चों को भी गुरु जी के पास ले आया और प्राथ@ना करन ेलगा हिक गुरु जी जब से मेरी पत्नी न ेमेर ेभतीजों के बारे में य� सुना �ै हिक उन्�ें राज्य प्राप्त �ोगा और मेरे पुत्र इनकी अधीनता में र�ेंगे|

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Page 4: Shri Guru Har Rai Sahib Ji Sakhi - 073a

इनके प्रजा बनकर र� जायेग|े इसलिलए मेरे पुत्रों को भी राज्य का वर�ान बक्शो| आगे से गुरु जी मुस्कुरा पडे़ और क�ने लगे तुम्�ारे पुत्र भी स्वतंत्रता से खेती करेगें और हिकसी का �ाला न�ीं भरेगे|

य� वर�ान लेकर काला खुशी खुशी घर आ गया| उसने सारी बात पत्नी को बताई हिक गुरु जी ने ऐसा वर�ान दि�या �ै| तब उसे शांहित प्राप्त हुई|

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Page 5: Shri Guru Har Rai Sahib Ji Sakhi - 073a

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गुरु के वर�ान से काले के भतीजों के संतान नाभे और पदिटयाला के राजे हुए| और उसके अपने पुत्रों की संतान हिबना हिकसी को �ाला दि�ए अपनी खेती करते र�े|