swami vevekanand avam yuva

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सससससस सससससससससस ससस सससस

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Page 1: Swami Vevekanand Avam Yuva

स्वामी विववेकानन्द एवं युवा

Page 2: Swami Vevekanand Avam Yuva

• जब तक आप खुद पे विवश्वास नहीं करते तब तक आप भागवान पे विवश्वास नहीं कर सकते।

Page 3: Swami Vevekanand Avam Yuva

• जिजस समय जिजस काम के लि"ए प्रवितज्ञा करो, ठीक उसी समय पर उसे करना ही चाविहये, नहीं तो "ोगो का विवश्वास उठ जाता है।

Page 4: Swami Vevekanand Avam Yuva

विकसी की निनंदा ना करें. अगर आप मदद के लि"ए हाथ बढ़ा सकते हैं, तो ज़रुर बढाए.ंअगर नहीं बढ़ा सकते, तो अपने हाथ जोवि6ये, अपने भाइयों को आशीवा:द दीजिजये, और उन्हें उनके माग: पे जाने दीजिजये।

Page 5: Swami Vevekanand Avam Yuva

• जिजस दिदन आपके सामने कोई समस्या न आये – आप यकीन कर सकते है की आप ग"त रस्ते पर सफर कर रहे है।

Page 6: Swami Vevekanand Avam Yuva

• यदिद  स्वयं  में  विवश्वास  करना  और  अधिBक  विवस्तार  से  पढाया  और  अभ्यास कराया   गया  होता  ,तो  मुझे  यकीन  है  विक  बुराइयों  और  दुःख  का  एक  बहुत  ब6ा विहस्सा  गायब  हो  गया होता।

Page 7: Swami Vevekanand Avam Yuva

• जब  कोई  विवचार  अनन्य   रूप  से  मस्तिस्तष्क   पर  अधिBकार  कर  "ेता  है   वह  वास्तविवक  भौवितक  या  मानलिसक  अवस्था  में  परिरवर्तितंत  हो  जाता  है।

Page 8: Swami Vevekanand Avam Yuva

• तुम्हे  अन्दर  से  बाहर  की  तरफ  विवकलिसत  होना  है।  कोई  तुम्हे  पढ़ा  नहीं सकता कोई  तुम्हे  आध्यात्मिRमक  नहीं  बना  सकता तुम्हारी  आRमा  के आ"ावा  कोई  और गुरु  नहीं  है।

Page 9: Swami Vevekanand Avam Yuva

•  हम  जो  बोते  हैं  वो  काटते  हैं।  हम  स्वयं  अपने  भाग्य   के  विवBाता  हैं।

 हवा बह  रही  है वो जहाज  जिजनके  पा"  खु"े  हैं , इससे टकराते  हैं ,

और  अपनी  दिदशा  में  आगे बढ़ते  हैं , पर  जिजनके  पा"  बंBे  हैं हवा  को  नहीं  पक6  पाते।क्या  यह  हवा  की  ग"ती  है?…..हम  खुद  अपना  भाग्य   बनाते  हैं।

Page 10: Swami Vevekanand Avam Yuva

• शारीरिरक,बौजिVक  और  आध्यात्मिRमक  रूप  से  जो  कुछ  भी आपको कमजोर बनाता  है , उसे  ज़हर की तरह  Rयाग  दो।

Page 11: Swami Vevekanand Avam Yuva

• जो  तुम  सोचते  हो  वो  हो  जाओगे।  यदिद तुम  खुद  को  कमजोर  सोचते  हो , तुम  कमजोर  हो  जाओगे ; अगर  खुद  को  ताकतवर  सोचते  हो , तुम  ताकतवर  हो जाओगे।

Page 12: Swami Vevekanand Avam Yuva

• कुछ  सच्चे,इमानदार  और  उजा:वान  पुरुष  और  मविह"ाए ं; जिजतना  कोई  भी6 एक  सदी  में  कर  सकती  है  उससे  

अधिBक  एक  वष:  में  कर  सकते  हैं।

Page 13: Swami Vevekanand Avam Yuva

• आज्ञा देने की क्षमता प्राप्त करने से पह"े प्रRयेक व्यलि^ को आज्ञा का पा"न करना सीखना चाविहए।

Page 14: Swami Vevekanand Avam Yuva

• जिजतना ब6ा संघष: होगा जीत उतनी ही शानदार होगी।

Page 15: Swami Vevekanand Avam Yuva

• पढ़ने के लि"ए जरूरी है एकाग्रता, एकाग्रता के लि"ए जरूरी है ध्यान।ध्यान से ही हम इजिन्aयों पर संयम रखकर एकाग्रता प्राप्त कर सकते है।

Page 16: Swami Vevekanand Avam Yuva

• स्वयं में बहुत सी कधिमयों के बावजूद अगर में स्वयं से प्रेम कर सकता हुँ तो दुसरो में थो6ी बहुत कधिमयों की वजह से उनसे घृणा कैसे कर सकता हुँ।

Page 17: Swami Vevekanand Avam Yuva

• विकसी मकसद के लि"ए ख6े हो तो एक पे6 की तरह, विगरो तो बीज की तरह। ताविक दुबारा उगकर उसी मकसद के लि"ए जंग कर सको।

Page 18: Swami Vevekanand Avam Yuva

• जब प्र"य का समय आता है तो समुa भी अपनी मया:दा छो6कर विकनारों को छो6 अथवा तो6 जाते है, "ेविकन सज्जन पुरुष प्र"य के समान भयंकर आपत्तिh एवं विवपत्तिh में भी अपनी मया:दा नहीं बद"ते।

Page 19: Swami Vevekanand Avam Yuva

• कम: का लिसVांत कहता है – ‘जैसा कम: वैसा फ"’. आज का प्रारब्ध पुरुषाथ: पर अव"त्मिम्बत है। ‘आप ही अपने भाग्यविवBाता है’. यह बात ध्यान में रखकर कठोर परिरश्रम पुरुषाथ: में "ग जाना चाविहये।

Page 20: Swami Vevekanand Avam Yuva

•  इस दुविनया में सभी भेद-भाव विकसी स्तर के हैं, ना विक प्रकार के, क्योंविक एकता ही सभी चीजों का रहस्य है।

Page 21: Swami Vevekanand Avam Yuva

•Thank You• Dr. sunita Pamnani