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  • 2

    क़ुदरती खेती

    खेती चौपट कज� भार�, �दखै घोर अ�धेरा रै। म�ुत �हं खेती होण लागर�, %यान कड़ै सै तेरा रै।।

    *बना खाद और *बना दवाई, जंगल खूब खड़ ेथे रै, ह1रयाल� थी घणी गजब क2, पेड़ तै पेड़ अड़ै थे रै, सब जीवां का साझा था, न पहरे 4कतै कड़ ेथे रै, ओज़ोन परत भी साबत थी, न उसम8 छेद पड़ ेथ ेरै, कुदरत गै:यां ख;सये लाकै, *बग

  • 3

    Tवषय वKत ु पWृठ भ;ूमका 4 क़ुदरती खेती: *बना क़जZ *बना ज़हर खेती 7 क़ुदरती खेती Mय\? 8 क़ुदरती खेती के अनभुव 10 क़ुदरती खेती कैस?े मलू ;सaा�त 14 शbु कैसे कर8? 25 क़ुदरती खेती: कुछ तर�के 27 अतं म8 50

    बॉMस एव ंअ�य सामfी कुछ ;मghत फ़सल\ के उदाहरण 17 पेड़\ के बारे म8 18 क़ुदरती खेती के मलू ;सaातं 24 कम से कम Mया कर सकते हj? 26 खाद/जीवामतृ/घनजीवामतृ बनाने क2 Tवgधयाँ 31 बीज क2 अकुंरण जाँच और उपचार 38 अपने बीज\ *बना मुिMत नह�ं 41 देसी तर�क\ से क2ट CनयंEण 42 नील गाय CनयंEण 45 धान क2 बुआई क2 नई Tवgध 45 सेवाCनवoृत कृTष अgधकार� के सझुाव 47 रसायन मिुMत का pमाण पE लेना हुआ आसान 49 छत पर खेती 49 क़ुदरती खेती करने वाले 4कसान\ के नाम-पत े 53 संदभZ सचूी 56 क़ुदरती खेती के बारे म8 कुछ rांCतया ं अि�तम पWृठ

  • 4

    भ;ूमका आज खेती के लये �कसान को हर चीज़ ख़र�दनी

    पड़ती है. इस लये वह क़ज़� म! दबा रहता है और उस पर

    आढ़ती क& दाब बनी र'ती है. िजस के चलते उसे फ़सल

    *नकालते ह� बेचनी पड़ती है. इसके अलावा उसे हर बार

    पहले से ,यादा रासाय*नक खाद और दवाइय- का .योग

    करना पड़ता है. पर0त ु उपज क& मा2ा और क&मत का

    कोई भरोसा नह�ं र'ता. उपज क& गुणव7ता घट रह� है.

    बीमा:रयाँ बढ़ रह� ह

  • 5

    कई लोग अपने खाने वाले गेहँू के खेत म! रसायन-

    का .योग बंद कर देते ह< पर0त ुपाते ह< �क पैदावार घट

    जाती है. खेत म! यू:रया इ7याFद डालना बंद कर के अगर

    हम बस कुरड़ी क& खाद ह� डाल!गे तथा बाक& कुछ नह�ं

    बदल!गे, तब तो पैदावार ज़Mर घटेगी. ले�कन अगर गोबर

    क& खाद के साथ-साथ हम कुछ और, Oबना ख़चP के, कदम

    उठाएंगे तो यह FदRकत नह�ं आयेगी. यह पिुKतका इन *बना ख़चZ, *बना ज़हर के तर�क\ बाबत ह� है. भोजन हम सब क& ज़Mरत है. इस लए यह पुिGतका

    उपजाने वाले और खाने वाल-, दोन- के लए है. इस के

    साथ-साथ अगर खेती Gवावलंबी हो जाती है, �कसान को

    बाहर से कुछ ख़र�दने क& ज़Mरत नह�ं रहती, छोट� जोत

    वाला �कसान भी खेती से ह� कमा-खा सकता है, पूरे साल

    खेत म! काम मलता है, तो GवGथ भोजन के साथ-साथ,

    गाँव- और पूरे समाज क& दशा और Fदशा ह� बदल

    जायेगी. एक आ7म*नभ�र तथा ख़शुहाल समाज बन

    पायेगा. पया�वरण संकट म! भी कुछ कमी होगी. इस लए

    समाज प:रवत�न के काम म! लगे हर संगठन Sवारा भी

    ऐसी खेती को कम से कम परखा तो ज़Mर जाना चाFहए.

    ये pयास केवल नये तर�के क2 �टकाऊ और स�मान जनक 4कसानी के ;लये नह�ं हj अTपत ुइस के मलू म8 एक नये समाज क2 चाह है, ऐसे समाज क2 चाह िजस म8 हर इंसान क2 बCुनयाद� ज़bरत8 परू� ह\, हर एक को स�मान और �याय ;मले और यह सब �टकाऊ हो. इस �दशा म8

  • 6

    यह छोटा सा pयास है जो बग़ैर 4कसी बाहर� आgथZक सहयोग के Kवयंसेवी bप म8 4कया जा रहा है.

    यह पिुKतका क़ुदरती तर�के से खेती कर रहे कई 4कसान\ (Tवशेष कर पंजाब के 4कसान\) के खेत\ को देख कर, उन से और कई Tवशेष{\ से बातचीत, उन से pाPत p;श|ण एवं कई स�बि�धत पKुतक\ के आधार पर तैयार क2 गयी है. इस को तैयार करने म! कई लोग- का सहयोग और माग�दश�न रहा है. हैदराबाद के एक अ0तरा�TU�य शोध

    संGथान के (भूतपूव�) .मुख वVैा*नक डॉRटर ओम .काश

    Jपेला (जो ह:रयाणा मूल के ह

  • 7

    कुदरती खेती: Oबना क़ज़�, Oबना ज़हर

    क़ज़� और ज़हर बग़ैर खेती के कई Mप और नाम ह< -

    जै]वक, .ाकृ*तक, ज़ीरो-बजट, सजीव, वैकिiपक खेती

    इ7याFद. इन सब म! कुछ फ़क़� तो है पर0तु इन सब म!

    कुछ मह7वपूण� त77व एक जैसे ह

  • 8

    पयाZवरण संतलुन म8 भी क़ुदरती खेती का महoवपणूZ योगदान है

    क़ुदरती खेती Mय\?

    इस तरह क2 खेती अपनाने के पीछे Cन�न;लखत मOुय कारण हj. 1. रसायन एवं क&टनाशक आधा:रत खेती Fटकाऊ नह�ं है.

    पहले िजतनी ह� पैदावार लेने के लए इस खेती म!

    लगातार पहले से ,यादा रासाय*नक खाद और

    क&टनाशक- का .योग करना पड़ रहा है.

    2. इस से �कसान का ख़चा� और कज़� बढ़ रहा है और

    बावजूद इस के आमदनी का कोई भरोसा नह�ं है.

    3. रासाय*नक खाद और क&ट-नाशक- के बढ़ते .योग से

    म=ी और पानी ख़राब हो रहे ह

  • 9

    िजस फ़ैMटर� म8 हुआ था, उस म8 क2टनाशक ह� बनते थ.े

    4. रासाय*नक खाद- का *नमा�ण पेUोलयम-पदाथp पर

    आधा:रत है और वे देर-सवेर ख़7म होने वाले ह

  • 10

    ऐसा हो नह�ं रहा. इसलये ऐसी तकनीक- पर आधा:रत

    खेती को हम क़ुदरती या वैकिiपक खेती म! नह�ं vगन रहे.

    वैसे भी देश म8 जीएम फ़सल\ को और बढ़ावा देने से पहले बी.ट�. कपास के अनुभव क2 परू� समी|ा होनी चा�हये. कई जगह इस के दWुप1रणाम भी सामने आये हj.

    क़ुदरती खेती के अनभुव

    आम तौर पर यह माना जाता है �क रासाय*नक खाद

    का .योग न करने पर उ7पादन घटता है, ]वशेष तौर पर

    शुM के साल- म!. ले�कन यह पूरा सच नह�ं है. अगर पूर�

    तैयार� के साथ क़ुदरती खेती अपनाई जाए (यानी �क पया�uत बायोमास - हर pकार का कृTष-अवशेष या कोई भी वनKपCत - पराल�, पoत,े इoया�द - ह-, और पूरे Vान के साथ, समय पर सार� .�zया पूर� क& जाय! तथा अनुभवी

    माग�दश�क हो) तो पहले साल भी घाटा नह�ं होता. अगर

    यह सब न हो, तो पैदावार घट सकती है पर0त ु�फर भी

    तीसरे साल तक आते-आते उ7पादकता पुराने Gतर पर

    पहँुच जाती है. बाद के साल- म! कुछ फ़सल- म! उ7पादन

    काफ़& बेहतर भी हो सकता है और कुछ म! थोड़ा कम भी

    रह सकता है. यहाँ यह समझना भी आव_यक है �क हम!

    �कसी एक फ़सल (मसलन गेहँू) के उ7पादन पर xयान न

    दे कर, कृ]ष से .ाuत कुल उ7पादन और आय को देखना

    चाFहये. इस के साथ-साथ, क़ुदरती प|*त म! फ़सल क&

    गुणव7ता अ}छ~ होने से, बग़ैर �कसी ]वशेष .माण प2 के

  • 11

    भी, Gथानीय बाज़ार म! ह� बेहतर भाव मल जाते ह

  • 12

    संGथान-, 31 ]व_व]वSयालय-, पाँच सरकार� संGथाओं के

    350 .*तभागी शामल थ.े इस अतंरराTU�य सYमेलन म!

    इस ._न पर ]वचार �कया गया था �क Rया ऐसी

    वैकिiपक यवGथा हो सकती है जो 2030 तक कृ]ष

    उ7पादकता म! 56 .*तशत क& व]ृ| सु*नि_चत कर सके?

    इस अ�तराZW�य स�मेलन क2 रपट के अनुसार वैकि:पक कृTष म8 यह |मता है 4क वह यह सCुनिचत कर सके और Tवव को अ�न सरु|ा उपलध करा सके. न केवल इतना, अTपत ुपयाZवरण को भी कह�ं कम नुकसान पहँुचाए. हमारे देश म! भी महाराTU, गुजरात, कना�टक आFद

    राhय- म! बड़े पैमाने पर �कसान इस खेती को

    सफलतापूव�क अपना चुके ह

  • 13

    दोन- तरह के उ7पाद के लये एक ह� बाज़ार मूiय

    लगाया गया.

    पंजाब म! भी कई साल पहले से शुMआत हो चुक& है.

    ह:रयाणा म! पूर� तरह से ज़हर रFहत खेती के उदाहरण,

    ख़ास तौर पर छोटे �कसान- के उदाहरण, अभी कम ह

  • 14

    है �क गाँव म! रोज़गार के अवसर बढ़ते ह

  • 15

    दसूरा मलू ;सaा�त यह है 4क *बL2 और खाने म8 pयोग होने वाल� सामfी को छोड़ कर खेत म8 पैदा होने वाल� 4कसी भी सामfी/बायोमास को (छूत क2 बीमार� वाले पौध\ को छोड़ कर), खरपतवार को भी, खेत से बाहर नह�ं जाने देना चा�हए. जलाना तो Oबiकुल भी नह�ं चाFहये. उस का वह�ं पर भूम को ढ़कने के लये (इसे आ}छादन

    या मिiचंग करना कहते ह

  • 16

    खेत म8 एक ह� समय पर कई 4कKम क2 फ़सल बोनी चा�हय8. जैव-]ववधता या मvत खेती म=ी क& उ7पादकता बढ़ाने और क&ट- का *नय02ण करने, दोन- म!

    सहायक स| होती है. जहाँ तक सYभव हो सके हर खेत

    म! फ़ल� वाल� या दलहनी (दो दाने वाल�) एवं कपास, गेहँू,

    या चावल जैसी एक दाने वाल� फ़सल- को मला कर बोएँ.

    दलहनी या फल� वाल� फ़सल! नाइUोजन क& पू*त � म!

    सहायक होती ह

  • 17

    म! नमी बनी रहती है और म=ी का तापमान *नयंO2त

    रहता है िजस से म=ी के जीवाणुओं को लगातार उपयुRत

    वातावरण मलता है, वरना वे ,यादा गम/सद म! मर

    जाते ह

  • 18

    पेड़- को 7-8 फ़ुट से ऊपर न जाने द!. उन क& wटाई

    करते रह!. उन के नीचे ऐसी फ़सल! उगानी चाFहय! जो कम

    धूप

    पेड़\ के बारे म8 • क़ुदरती खेती म! पेड़- का बहुत म'7व है. इन पेड़- को

    मुयतया फल या लकड़ी बेचने के लये नह�ं बिiक

    खेत क& बाक& फ़सल- को बढ़ावा देने के लये लगाना

    है. इन का मकसद बाक& फ़सल को पि7तय- इ7याFद

    के माxयम से खुराक देना है. इस लये अ0य पेड़- के

    साथ-साथ नाईUोजन देने वाले और जiद� बढ़ने वाले

    िyलर�सडया, सहजन इ7याFद के पौधे भी ज़Mर लगाने

    चाFहय!.

    • खेत म! .*त एकड़ कम से कम 5-7 भ0न-भ0न

    .कार के पेड़ ज़Mर होने चाFहय!. खेत के बीच के पेड़-

    को 7-8 फ़ुट से ऊपर न जाने द!. उन क& wटाई करते

    रह! और इन टह*नय- और प7त- को ज़मीन ढकने के

    लये .योग कर!. पेड़- के नीचे ऐसी फ़सल! लेनी चाFहय!

    जो कम धूप म! भी हो जाती ह

  • 19

    करने से जड़ सीधी न रह कर मड़ु जाती है, इस लये

    फुटाव के 5-7 Fदन म! ह� रोपाई कर देनी चाFहये.

    • ह:रयाणा म! हो सकने वाले कुछ पेड़ ह

  • 20

    हो सकते ह

  • 21

    सातवाँ, 4कसी भी फ़सल को, धान और ग�ने जैसी फ़सल को भी, पानी क2 नह�ं बि:क नमी क2 ज़bरत होती है. बैड बना कर बीज बोने और नालय- से पानी देने से, या Oबना बैड के भी बदल-बदल कर एक नाल� छोड़ कर

    पानी देने से पानी क& खपत काफ़& घट जाती है और जड़!

    ,यादा फैलती ह

  • 22

    समय का भी क2ट-Cनय�Eण और पैदावार म8 योगदान पाया गया है. बेमौसमी फ़सल8 लेना ठRक नह�ं है.

    नौवाँ, बीज\ के बीच क2 परKपर दरू� क़ुदरती खेती म8 pच;लत खेती के मुकाबले लगभग सवा से डढ़े गणुा uयादा होती है. धान 1 फ़ुट और ख 8-9 फ़ुट (चार\ तरफ़) क2 दरू� पर भी बोया जा रहा है. इस से जड़- को फैलने का पूरा मौका मलता है. बीज कम लगता है पर0त ु

    उ7पादन ,यादा होता है.

    दसवाँ, खरपतवार तभी नुकसान करती है जब वह फ़सल से ऊपर जाने लगे या उसम8 फल या बीज बनने लगे. तभी उसे Cनकालने क2 ज़bरत है. Cनकाल कर भी उस का खाद या भ;ूम ढकने म8 pयोग करना चा�हये. उसे खेत से बाहर फ़j कने क2 ज़bरत नह�ं है. वैसे, इस तरह क2 खेती म8 खरपतवार क2 समKया भी कम रती है. एक तो इस लये �क जुताई कम से कम क& जाती है. दसूरा

    कारण यह है �क रासाय*नक खाद के .योग से खरपतवार

    को सहज उपलध पोषक त77व एकदम से मल जाते ह<

    िजस से वह तेज़ी से बढ़ती ह

  • 23

    GवGथ होने के कारण और जैव ]व]वधता के कारण

    क&ड़ा और बीमार� कम लगते ह

  • 24

    यह सब �टकाऊ हो. क़ुदरती खेती, ऐसी जीवन पaCत का अगं बने तभी परूा फ़ायदा ;मलेगा.

    क़ुदरती खेती के मलू ;सaांत • म=ी म! जीवाणुओं क& संया बढ़ानी है.

    • इस के लये रासाय*नक खाद और क&टनाशक- का

    .योग बंद करना है.

    • जो म=ी से लया उस का ,यादा से ,यादा FहGसा

    वापस म=ी म! मलाना है.

    • जैव ]ववधता बढ़ानी है, कई फ़सल- को मला कर एक

    समय पर एक खेत म! बोना है.

    • भूम नंगी न रहे. फ़सल- तथा कृ]ष अवशेष- से ढक&

    रहे.

    • खेत म! .*त एकड़ कम से कम 5-7 भ0न-भ0न

    .कार के पेड़ ज़Mर ह-.

    • बरसात के पानी को खेत म! ह� इका करना है.

    • फ़सल को पानी क& नह�ं बिiक केवल नमी चाFहये.

    • अपना बीज बनाना क़ुदरती खेती का आधार है. बीज

    बोने के समय का चुनाव भी म'7वपूण� है. बेमौसमी

    फ़सल! न ल!.

    • बीज- के बीच क& परGपर दरू� क़ुदरती खेती म! ,यादा

    होती है. और बीज क& मा2ा कम लगती है.

    • बीज- और पशुओं क& देसी ले�कन अ}छ~ नGल का

    .योग �कया जाना चाFहये.

    • खरपतवार तभी नुकसान करती है जब वह फ़सल से

  • 25

    ऊपर जाने लगे या उस म! बीज बनने लगे. *नकाल कर

    भी खरपतवार का खाद के Mप म! या भूम ढकने म!

    .योग करना चाFहये.

    • सभी क&ट हम! नुकसान नह�ं पहँुचात.े ,यादातर बहुत

    लाभदायक ह

  • 26

    आमदनी घटने का ख़तरा हम उठा सकते ह

  • 27

    एक कनाल ह� हो, तो आप परू� तरह से रासायCनक खाद\ और क2टनाशक\ का pयोग बंद कर के सझुाये गये सब कदम उठाय8 जैसे ज़मीन को ढक कर रखना, जीवामतृ का pयोग, बीज-उपचार, कई फ़सल इकी बोना, पेड़ लगाना इoया�द. यह 4कतनी ज़मीन पर करना है? यह आप उतनी ज़मीन पर कर8 िजतने म8 आप सहज मससू कर8, करत ेहुए आप को डर न लगे, िजतने म8 कुनबे का भी थोड़ा-बहुत साथ ;मल सके. हा,ँ करने वाले पहले �दन से ह� अपनी परू� ज़मीन पर भी करते हj. पर�त ुयह ज़bर� नह�ं है. ले4कन अपनी ज़मीन के कुछ �हKसे पर कर के ज़bर देख8.

    • अगर आप परू� तरह थोड़ी सी ज़मीन पर भी रसायन\ का pयोग न बंद कर पाय8 तो यहा ंबताये िजतने उपाय आप अपना पाय8 उतने अपना ल8. ;मghत फ़सल8 बो ल8, जीवामतृ pयोग कर8, बीज-उपचार कर8, ज़मीन को ढक कर रख8, कुरड़ी क2 खाद सह� तर�के से बनाय8 और सह� तर�के से pयोग कर8, देसी क2टनाशक\ का pयोग कर के देख8. पराल� इoया�द को जलाना बंद कर8. ये उपाय भी सारे खेत म8 न अपना कर के, आप कुछ �हKस8 म8 अपना सकते हj.

    • अपने अनभुव का 1रकाडZ ज़bर रख8 ता4क अगर फ़ायदा होता लगे तो आप परू� तरह इसे अपनाने क2 ओर बढ़ सक8 और उस 1रकाडZ के आधार पर अ�य लोग भी pे1रत हो सक8 .

    क़ुदरती खेती: कुछ तर�के

  • 28

    1. इस तरह क& खेती म! दो चीज़! ज़Mर� ह

  • 29

    3. बैल- से जुताई करना सब से अ}छा है. अगर

    UैRटर का .योग कर! तो हiके से हiके UैRटर का .योग

    कर! ता�क न तो म=ी क& सत परत बने (धरती म!

  • 30

    7. क़ुदरती खेती म! भूम को ढक कर रखने का ]वशेष

    मह7व है. इस के लये हर तरह क& वनGप*त/बायोमास

    का .योग �कया जा सकता है. एक तरह के बायोमास के

    Gथान पर कई .कार क& वनGप*त का मला कर .योग

    ,यादा लाभदायक र'ता है. यह xयान रहे �क बायोमास

    इतना छोटा न हो �क परत बन कर जम जाये और

    म=ी म! हवा के आने जाने म! Jकावट बने. न ह� यह

    बहुत मोटा और लYबा होना चाFहये. ]वशेष तौर से अगर

    फुटाव से पहले आ}छादन कर रहे ह< तो, चौड़ ेप7ते और

    मोट� टहनी नह�ं .योग करनी चाFहये. पराल� इ7याFद के

    3-4 इंच के टुकड़ ेकर के Oबछाना ,यादा अ}छा रहता

    है. टुकड़े करने के लये गंडासे का एक फरसा *नकाला

    जा सकता है या हाथ के गंडासे का .योग �कया जा

    सकता है.

    8. शुJआत म! हर पानी के साथ जीवामतृ/तरल खाद

    देना अ}छा रहता है. पानी न देना हो तो भी मह�ने म!

    एक बार जीवामतृ/तरल खाद म=ी म! G.े कर द!.

    जीवामतृ या तरल खाद बनाने क& ]वvध अलग से द�

    गई है. (पWृठ 33 पर.) 2-4 साल बाद जीवामतृ या तरल खाद का .योग घट जाता है.

    9. क&ट *नय02ण के लए कुछ ]वशेष फ़सल- क& इकी

    खेती अ}छ~ रहती है. इन म! से एक फ़सल फंदे का काम

    करती है. Rय-�क क&ट- का हमला इस फ़सल पर ,यादा

    होता है इस लये मुय फ़सल बच जाती है - जैसे कपास

  • 31

    म! मRका, अरहर या बाजरा, गेहँू म! ध*नया या सरस-,

    टमाटर म! ग

  • 32

    पानी बह कर जाता रहे. पेड़ के नीचे या हiक& छाया

    वाल� जगह सब से अ}छ~ र'ती है.

    • गोबर के ढेर म! शीशा, लोहा, uलािGटक आFद न गल

    सकने वाले पदाथ� नह�ं होने चाFहय!. और न ह� जल

    सकने वाले पदाथ� ह-. रसोई का बचा-खुचा सामान डाला

    जा सकता है. पशु और इंसान- का मू2 भी इस म!

    डालना चाFहये.

    • गोबर के ढेर क& ऊंचाई और चौड़ाई 2.5-3 फ़ुट से

    ,यादा न हो. लYबाई �कतनी भी हो सकती है.

    • गोबर के ढेर म! नमी बनाये रखना ज़Mर� है. गम के

    मौसम म! नमी का ]वशेष याल रख!. इस लये ऐसी

    जगह यह खाद बनाय! जहां पानी क& सु]वधा हो.

    • अगर गोबर के ढेर को ढक कर रखा जाये तो बे'तर

    रहता है. लपाई करने से खाद जiद� बनती है. लपाई

    न कर पाय! तो काले और मोटे पॉल�थीन से ढक द!.

    • 10-15 Fदन- म! ढेर को पलटने से और �फर ढकने से

    खाद ,यादा जiद� तैयार होती है.

    • अ}छ~ बनी खाद दानेदार, सनुहर� और सगंुध वाल� होती

    है, चाय के दाने सी. इस का तापमान सामा0य होता है

    जब �क खाद बनने के दौरान तापमान बढ़ता है. सह�

    खाद तैयार होने पर मुी म! बंद करने पर, लडू सा बंध

    जाता है पर मुी खोलने पर Oबखर जाता है.

    • खेत म! डालने के फ़ौरन बाद इसे म=ी म! मला देना

    चाFहये. खुले म! धूप म! रखने से पोषक त7व नTट हो

  • 33

    जात! ह

  • 34

    तरल खाद बनाने क& मोटे तौर पर यह ]वvध है. आप

    अनुपात बदल कर और अ0य उपलध साधन- का .योग

    कर के अपने नवीन .योग कर सकते ह

  • 35

    क& ताकत बढ़ती है. इस ]वvध से खेत म! गोबर का

    उतना ह� .योग होता है िजतना दह� जमाने म! जामन

    का.

    ——————— क�पोKट बनाने क2 Tवgध

    गोबर, सूखे और हरे बायोमास/कचरे/खरपतवार तथा

    म=ी के मण से बनी कYपोGट खाद साधारण

    गोबर/कुरड़ी क& खाद के मुकाबले अ}छ~ होती है और

    जiद� बनती है. इस क& ]वvध *नYनलखत है:

    • कYपोGट बनाने के लये ऐसा Gथान चुन! जहाँ बा:रश के

    समय पानी इका न हो और न ह� ढेर के ऊपर से पानी

    बह कर जाये. पेड़ के नीचे या हiक& छाया वाल� जगह

    सबसे अ}छे र'ती है.

    • कYपोGट के ढेर क& ऊंचाई और चौड़ाई 4-5 फ़ुट से

    ,यादा न हो. लYबाई �कतनी भी हो सकती है.

    • कYपोGट बनाने के लये गोबर और मू2 के अलावा

    फ़सल- का हरा और सूखा कचरा, तथा म=ी चाFहये.

    गाजर या कांtेस घास का भी कYपोGट बनाने के लये

    .योग हो सकता है. कYपोGट बनाते हुए देसी क&टनाशक

    म! .योग क& जाने वाल� वनGप*त का .योग न �कया

    जाए. थोड़ी बहुत मा2ा म! ये खाद म! मल जाय! तो कोई

    डर नह�ं.

    • कचरे म! ]वभ0नता हो तो अ}छा रहता है. एक तरह क&

    फ़सल- का कचरा न ले कर मvत �कGम का कचरा

  • 36

    ल!ना ,यादा अ}छा रहता है. xयान रहे, इस कचरे क&

    ऐसी परत न बने �क उस म! से हवा न *नकल पाये.

    इस लये गेहंू के भूसे के साथ ज़Mर कुछ अ0य

    बायोमास मला ल!. कचरे के छोटे–छोटे, 3-4 इंच के,

    टुकड़ ेकरना भी फ़ायदेम0द रहता है.

    • धरती पर जीवामतृ *छड़क कर उस पर सब से नीचे

    मोट� टह*नयाँ या लकड़याँ डालनी चाFहएँ ता�क ढेर के

    नीचे से हवा आती रहे और फ़ालत ूपानी *नकल जाए.

    �फर बायोमास क& 6 इंच क& परत बना ल!. उस पर �फर

    जीवामतृ *छड़क कर म=ी से ढक ल!. उस पर �फर

    बायोमास क& परत Oबछा ल!. इस तरह से परत दर परत

    बनाते जाय!. हरे बायोमास म! कम गोबर/जीवामतृ मलाएँ

    (1000 �कलो बायोमास म! 50 �कलो गोबर) और सूखे

    बायोमास म! ,यादा गोबर/जीवामतृ मलाएं (1000 �कलो

    बायोमास म! 100-150 �कलो गोबर).

    • ढेर के बीच म! हवा जाने के लये कुछ बांस या लकड़यां

    गाड़ द! िज0ह! बाद म! *नकाल द!गे. बायोमास को न तो

    बहुत ,यादा दबाय! और न ह� Oबiकुल ढ�ला रख!.

    • ऊपर� परत को झोपड़ी क& छत का Mप दे द! और अगर

    सYभव हो तो ऊपर� परत म! म=ी के Gथान पर पुरानी

    खाद या पुरानी अधपक& खाद का .योग कर!. �फर पूरे

    ढेर को गोबर और म=ी से ल�प कर बंद कर द!. लपाई

    पक जाने पर ढेर म! दबाये बांस आFद *नकाल द!.

  • 37

    • लपाई न कर के काले मोटे पॉल�थीन से भी ढक कर

    बंद �कया जा सकता है.

    • ढेर म! 7-8 Fदन के बाद एक लोहे क& छड़ 5-7 मनट

    तक गाड़ कर *नकाल कर देख!. छड़ क& नोक गरम होनी

    चाFहये. अगर वह गरम नह�ं है तो इस का अथ� है �क

    ढेर ठ~क से नह�ं बना. दोबारा ठ~क से ढेर बनाने से खाद

    ,यादा जiद� बनेगी.

    • 15-20 Fदन बाद आप देख!गे �क ढेर ]पचक गया है. उसे

    खोल कर उस म! �फर से 1-2 परत बनाई जा सकती ह

  • 38

    घनजीवामतृ बनाने क2 Tवgध सामfी: 100 �कलो गोबर, 2 �कलो देसी गुड़, 2 �कलो चने या अ0य �कसी दाल का आटा, और एक मुी ऐसे

    खेत क& म=ी या पीपल जैसे पेड़ के नीचे क& ऊपर क&

    एक इंच म=ी िजस म! क&टनाशक न डाले गये ह-.Tवgध सार� सामtी को पशु मू2 म! मला कर गंूथ ल!. इसे

    पतला-पतला फैला कर छाँव म! ढक कर रख द!. सूखने पर

    लकड़ी से कूट कर, बार�क कर के बोर- म! भर कर छांव

    म! 6 मह�ने तक Gटोर कर सकते ह

  • 39

    लगेगा.) �फर उन दान- को मोटे सूती कपड़े म! लपेट

    कर और गीला कर के अंधेर� पर0तु हवादार जगह म! रख

    द!. नमी बनाये रख!. अंकुरण होने पर vगन कर देख ल! �क

    अकुंरण का .*तशत �कतना है. कम से कम 70-90%

    अकुंरण होना चाFहये वरना बीज बदल ल!. अगर बीज

    बदलना सYभव न हो तो उसी अनुपात म! बीज क& मा2ा

    बढ़ा ल!.

    अकुंरण जाँच का एक और आसान तर�का यह है

    �क अख़बार के प0ने क& चार तह बना ल! और इसे पानी

    म! भीगो द!. बग़ैर चुने, बीज क& बोर� म! से आँख मीच कर

    50-100 दाने *नकाल कर भगो ल! और खुले खुले अबार

    पर डाल द! और अख़बार को लपेट ल!. �फर दोन- कोन- को

    धागे से हiके से बंद कर द!. ,यादा न दबाएँ. इस पुड़या

    को �फर पानी म! भगो ल!. फ़ालत ूपानी *नकल जाने पर

    इस पुड़या को एक uलािGटक के लफ़ाफ़े म! डाल कर घर

    के अ0दर लटका द!. 3 -4 Fदन बाद खोल कर अकुं:रत

    दान- क& संया vगन ल!.

    ज़ाFहर है, अंकुरण जाँच का यह काम आप को बीज

    बोने से 2-3 सuताह पहले कर लेना चाFहए ता�क अगर

    बीज बदलना हो तो समय रहते बीज बदला जा सके.

    अगर बीज अ}छा न *नकले तो इस सबूत के साथ

    दकुानदार को बीज लौटाना भी आसान होगा.

    बीज-उपचार: सब से पहले तो अगर बाज़ार से बीज लया है तो उसे 5-10 बार साधारण पानी से धो ल!

  • 40

    (Rय-�क बाज़ार म! मलने वाला बीज ज़हर�ले त7व- से

    उपचा:रत होता है). अगर अपना घरेलू बीज .योग कर रहे ह< तो देख कर कमज़ोर Fदखने वाले बीज *नकाल द! और

    अ}छे बीज छांट ल!. �फर बीज उपचा:रत कर!. बीज उपचार

    क& कई ]वvधयां ह

  • 41

    लये उपचा:रत बीज बोने पर दोबारा बीज बोने क&

    नौबत नह�ं आती.

    ———————

    अपने बीज\ *बना मिुMत नह� ं अगर बीज- पर कYप*नय- का कज़ा रहा तो

    �कसान Gवतं2 हो ह� नह�ं सकता. इस लये अपना बीज

    बनाना क़ुदरती कृ]ष का आधार है. अपने बाप-दादा के

    ज़माने के अ}छे बीज- को ढंूढ़ कर इका कर! और उ0ह!

    बढाएँ और बाँट!. देसी बीज से मतलब ऐसे बीज- से है

    िज0ह! हम कई साल- तक .योग कर सकते ह< और उ0ह!

    हर एक-दो साल म! बदलने क& ज़Mरत नह�ं रहती. बीज

    बनाते समय इस बात का ख़याल रख! �क एक �कGम के

    बीज के पास दसूर� �कGम क& Oबजाई न हो. य दरू�

    अलग-अलग फ़सल- के लये अलग-अलग होती है. जैसे

    ग!हू और धान म! 5 फ़ुट क& दरू� काफ़& रहती है तो मूंग

    और सरस- म! यह दरू� 200 मीटर होनी चाFहए.

    अगर आप Gवयं इन बीजो को नह�ं बढ़ा सकते तो

    अ}छे देसी बीज इके ज़Mर कर ल! और हम! सूvचत कर!.

    देश म! कई लोग पुराने देसी और अ}छ~ �कGम- के बीज

    बढ़ाने का काम कर रहे ह

  • 42

    हम ऐसे लोग- तक आप Sवारा एकO2त बीज पहँुचा द!गे

    और उन के माxयम से ये बीज देश भर म! फैल जाय!गे.

    ———————

    देसी तर�क\ से क2ट CनयंEण 1. पहल� बात तो यह है �क GवGथ माँ क& संतान भी

    GवGथ होती है. जैसे-जैसे हमारे खेत क& म=ी सधुरेगी,

    क&ड़े भी कम लग!गे. दसूरा, क&टनाशक- का .योग बंद

    करने से म2 क&ट- क& संया बढ़ती जाती है जो क&ट

    *नयं2ण म! बहुत सहायक होते ह

  • 43

    कांtेस घास का भी देसी क&टनाशक बनाने म! .योग

    हो सकता है. इन सब म! से अपने इलाके म! मलने

    वाल� 4-5 चीज़े ले कर उनका मण बनाया जा सकता

    है. कुछ उदाहरण यहाँ Fदये जा रहे ह

  • 44

    इस दौरान Fदन म! 2-3 बार Fहलाते रह!. प7ते पीले

    पड़ने पर यह तैयार हो जाता है. Oबना उबाले तैयार

    �कया यह मण ,यादा Fदन तक नह�ं रखा जा सकता.

    .योग ]वvध एक ह� है. एक एकड़ म! .योग के लये

    100 ल�टर पानी, 5 ल�टर मू2 और 3 ल�टर ये काढ़ा

    मला कर G.े कर!.

    5. एक ल�टर गोमू2 10 ल�टर पानी म! मला कर G.े

    करने से भी क&ट *नयं2ण होता है.

    6. ख=ी शीत/लGसी का 3% घोल (यानी 100 ल�टर

    पानी म! 3 ल�टर ख=ी शीत/लGसी) भी फफंूद नाशक

    और पोषक का काम करता है. शीत म! तांबे का टुकड़ा

    डाल कर रखने से इस क& ताकत बढ जाती है.

    7. क&ट- या बीमा:रय- का हमला होने से पहले ह� शीत,

    मू2 या जीवामतृ इ7याFद का मह�ने म! दो बार G.े

    करना लाभदायक रहता है. इस से क&ट और बीमा:रयाँ

    आते ह� नह�ं.

    8. फोरोमैन Uैप और ग

  • 45

    नील गाय CनयंEण कई �कसान कहते ह< �क नील गाय के कारण वे

    खेत म! मvत खेती नह�ं कर सकते, ]वशेष तौर पर

    सिज़याँ नह�ं बो सकत.े नील गाय को, जो वाGतव म!

    गाय नह�ं है, अपने खेत से दरू रखने का सब से आसान

    उपाय है �क खेत के चार- ओर नील गाय के अपने गोबर

    का *छड़काव �कया जाये. इस के अलावा गाय के गोबर या

    गोबर और लGसी का मण (3 �कलो गोबर, 1 ल�टर

    लGसी, 10 ल�टर पानी) Fदन म! घोल कर रख द!. शाम

    को खेत के चार- ओर इस मण का *छड़काव करना भी

    कारगर र'ता है. अगर लोहे क& बाड़ के Gथान पर रGसी

    पर धान क& पुआल लपेट कर बाड़ बनाई जाए और उस

    पर रंग-Oबरंगी कपड़ े क& कतरन लपेट द� जाय! तो भी

    नीलगाय नुकसान नह�ं करती.

    ———————

    धान क2 बआुई क2 नई Tवgध धान को गेहँू क& तरह भी बोया जा सकता है

    पर0त ु अगर पौध लगा कर भी बोया जाये तो भी कुछ

    तर�के बदल कर उ7पादन डढ़े से दो गुना तक बढ़ाया जा

    सकता है और बीज, पानी क& लागत घटाई जा सकती है.

    आ� pदेश, त;मलनाडू, और कनाZटक म8 तो 2003 से ह� सरकार ने इसे अपना ;लया है. इस ]वvध को ी (SRI) ]वvध कहते ह

  • 46

    • छोट� पौध, 8-12 Fदन क&, दो प7ती आने पर रोपाई

    कर देना. नाज़ुक होने के कारण xयान से और उखाड़ने

    के बाद शी ह� पौध को लगाना होगा. जड़ से उखाड़ने

    क& बजाए 3”-4” म=ी सFहत �कसी पतरे पर उठाना

    बेहतर रहता है. पौध के साथ *छलका लगा रहे तो

    अ}छा रहता है. अगर पौध वह�ं तैयार क& जाए जहाँ

    रोपाई करनी है तो सु]वधा रहती है.

    • पौध को एक-एक कर के ह� चार- तरफ़ कम से कम

    12-12 इंच क& दरू� पर लगाना चाFहये. दरू� पर बोने से

    फ़ुटाव अ}छा होता है. रोपाई से पहले उvचत दरू� पर

    लाइने लगा लेनी चाFहये. पौध को ,यादा दबाने क&

    ज़Mरत नह�ं है.

    • खेत म! पानी खड़ा नह�ं रखना चाFहये. जब हiक& दरार

    पड़ने लगे तब दोबारा पानी देना चाFहये. बढ़वार के

    समय केवल नमी बना कर, और फूल आने और दाने

    बनने के समय हiका पानी भरने से काम चल जाता है.

    पानी क& बचत होने से ,यादा भूम म! धान क& फ़सल

    ल� जा सकती है.

    • Rय-�क इस ]वvध म! पानी नह�ं भरा रहता, इस लए

    खरपतवार *नकालने का काम कुछ बढ़ जाता है िजस के

    लए हiका, हाथ से खींचा जा सकने वाला, यं2 बनाया

    गया है पर0त ुखरपतवार को खेत से बाहर *नकालने क&

    ज़Mरत नह�ं है. *नकाल कर वह�ं छोड़ द!.

  • 47

    • इस ]वvध म! एक लाइन धान के साथ एक लाइन मूंग

    बोना भी लाभदायक र'ता है.

    • वैसे तो इस ]वvध को यू:रया इ7याFद के साथ भी

    अपनाया जाता है पर0त ुयू:रया का .योग हा*नकारक है,

    इस लये बग़ैर यू:रया इ7याFद के इस ]वvध को अपनाना

    सब से अ}छा है.

    • रोपाई क& जगह ऐसे ह� Oबजाई भी क& जा सकती है.

    ——————— एक सेवाCनवoृत कृTष अgधकार�, hी करतार ;सहं, के

    सझुाव

    ग�ना: Oबजाई अRतूबर म! कर ल!. लाइन से लाइन क& दरू� 6 फ़ुट रख!. पौधे से पौधे क& दरू� 2 फ़ुट. पहल� और

    आखर� लाइन क& �कनार- से दरू� 3 फ़ुट रख!. पानी हो तो

    बीच म! ल'सुन, uयाज़, मच�, टमाटर, राई बो सकते ह

  • 48

    अगले फाले बंद कर के केवल 11 �कलो बीज बो द! तो

    फ़सल और भी अ}छ~ होगी. (सभुाष पालेकर तो 4 �कलो

    बीज का सुझाव देते ह

  • 49

    ऊपर से थोड़ा सा तोड़ द!. इस से चार- तरफ़ फुटाव

    अ}छा होगा. पहले फल के समय क&ट *नयं2ण के देसी

    इलाज ज़Mर कर!. लाइन- के शMु म! ब0धे बना कर/]वपर�त

    Fदशा म! एक नाल� बना कर कपास म! एक लाइन छोड़

    कर पानी दे सकते ह

  • 50

    है. शहर- म! भी अपने खाने लायक कुछ सिज़यां तो

    पैदा क& ह� जा सकती ह

  • 51

    पाय!गे. जो ]वvधयाँ यहाँ बताई गई ह< उन से मलती-

    जुलती और ]वvधयाँ भी ह

  • 52

    �कताब- से बेहतर होगा ऐसे �कसान- से मलना, उन के

    खेत पर जाना, जो इस �कGम क& खेती सफलतापूव�क कर

    रहे ह

  • 53

    क़ुदरती खेती अपनाने वाले कुछ 4कसान\ के नाम-पत े

    (यहाँ केवल Fह0द� भाषा समझने वाले कुछ नाम पत ेFदये जा रहे ह

  • 54

    होशयारपरु (पजंाब)

    ी करतार सहं,

    मकान न. 13,

    न0द]वहार, समीप

    गोदारा पUैोल पपं,

    राजगढ़ रोड़, Fहसार

    9416648224 सेवा*नव7ृत कृ]ष

    अvधकार�, ह:रयाणा

    क& पारYप:रक खतेी

    के जानकार.

    ी दल�प सहं सपु2ु

    ी ओम.काश, पाना

    बोदा, गाँव/डाक

    Fटटोल�, (रो'तक)

    ह:रयाणा.

    9050747730,

    9671531489

    कई वषp से

    रासाय*नक G.े नह�ं

    करत,े देसी क&ट

    नाशक .योग करत े

  • 55

    (महाराTU) 445001 .ाuत. अब क़ुदरती

    खेती म! परुGकृत

    (2002 म!)

    ी द�पक सचदे,

    बजवाड़ा, िज़ला देवास

    (मxय.देश)

    09826054388 चौथाई एकड़ म! ‘पाँच

    लोग- का प:रवार

    कैसे मौज करे’ के

    ]वशषेV

    ी सभुाष पालेकर, 19

    च0दा Gम*ृत, जया

    कॉलोनी, समीप

    टेल�कॉम कॉलोनी, 0य ू

    GवािGतक नगर, नवाथ े

    चौक, बडनेरा रोड,

    अमरावती (महाराTU)

    444607

    9423702877 कई परुGकार .ाuत

    ज़ीरो बजट खेती के

    .स| .शsक, कई

    पGुतक- के लेखक.

    ी .काश सहं

    रघवुशंी, टड़या, डाक

    जिRखनी, बनारस

    221305 (उ...)

    9956941993,

    9415643838,

    9005740560

    गेहँू, धान, अरहर,

    मूगँ, मटर और

    सिज़य- के उ0नत

    �कGम के देसी बीज

    ]वकसत और मुत

    म! ]वत:रत �कये ह

  • 56

    सदंभZ सचूी

    (हम8 खेद है 4क इस सचूी म8 uयादा सामfी अfँज़ेी म8 है पर�त ुइस का कारण हमारा चनुाव नह�ं अTपत ु�ह�द� म8 सामfी का अभाव है.)

    All India Directory of Prominent Farmers Practicing Organic and Natural Farming Education-Aid-Craft, Indore, Madhya Pradesh.

    Alvares C. 2009. The Organic Farming Sourcebook. The

    Other India Press, Mapusa, Goa. (यह �कताब का तीसरा

    सGंकरण है. इस �कताब म! भारत म! क़ुदरती खेती के बारे म!

    ]वGततृ सचूना है. अनेक �कसान-, सGंथाओं और पGुतक- के बारे

    म! भी काफ़& जानकार� है.)

    Chaudhary, Rajinder. 2008 “Is Alternative Agriculture

    Revolutionary?” Alternate Economic Survey, India 2007-2008: Decline of the Developmental State, Daanish Books, Delhi (2008) (इस लेखक के Fह0द� लेख का

    मलू अtँेज़ी Mप है. इस म! ,यादा ]वGततृ सदंभ� सामtी है.)

    http://ofai.org/ (यह भारत सजीव कृ]ष समाज का वबै साइट है.

    यहाँ से अ0य कई वबै साइस का पता चल जायेगा.)

    http://www.apnakhetapnipathshala.blogspot.com/ (इस वबै

    साइट पर जींद िज़ले म! डा. सरेु0[ दलाल के नेत7ृव म! चल रहे

    कपास म! म2 क&ट- क& पहचान अभयान से *नकले क&ट- के

    बारे म! काफ़& स0ुदर फोटो और जानका:रयां ह

  • 57

    India. Available at http://km.fao.org/fileadmin/user_upload/fsn/docs/Lessons

    %20learnt%20AAHF2K5.pdf (यह लेख रासाय*नक खेती और

    क़ुदरती खेती के कई वषp के तलुाना7मक अxययन बाबत है. इस

    म! अ0य कई सदंभ� भी मल जाय!ग.े)

    Rupela, O.P. et. el. 2006. “Evaluation of Crop Production Systems Using Locally Available Biological Inputs”. Pages 501–515 in Biological Approaches to Sustainable Soil

    Systems (N. Uphoff, ed.). Boca Raton, Florida, USA: CRC Press. Available at http://km.fao.org/fileadmin/user_upload/fsn/docs/biological%20approach%20chapter35.pdf

    Rupela, O.P. et. el. Comparing Conventional and Organic Farming Crop Production Systems: Inputs, Minimal Treatments and Data Needs. Available at http://km.fao.org/fsn/resources/fsn_viewresdet.html?no_ca

    che=1&r=327&nocache=1 (इस म! अ0य कई सदंभ� भी मल

    जाय!ग.े)

    Rupela, O. P. et. el. Is High Yield Possible With Biological Approaches? Available at http://km.fao.org/fileadmin/user_upload/fsn/docs/Microsoft%20Word%20-%20high%20yield%20organic%20farm.pdf

    www.khetivirasatmission.blogspot.com यह एक ऐसी सGंथा

    का वबै साइट है िजस ने पजंाब म! क़ुदरती खेती के लये काफ़&

    काम �कया है. पजंाब के �कसान- के बारे म! यहा ँ से पता चल

    सकता है.

    www.khetivirasatmission.org (उपरोRत)

    www.urbanleavesinindia.com (शहर- म! छत पर खेती बाबत.)

    चौधर�, राज0े[ 2009 “क़ुदरती कृ]ष: दशा और Fदशा”, आgथZक वाTषZक2, भारत, 2008-2009, दा*नश बRुस, नई Fदiल�. (कई जगह पनु: .काशत, जैसे महा_वेता देवी एव ं अJण कुमार

    O2पाठ~ (स.) खाSय सकंट क& चनुौती (वाणी .काशन, Fदiल�,

  • 58

    2009), यवुा सवंाद, सतYबर 2009)(इस लेख म! देश-]वदेश

    म! छपी काफ़& सामtी क& सचूी है.)

    पालेकर, सभुाष pाकृCतक (कुदरती) कृTष का ज़ीरो बजट, अमरावती (महाराTU) (क&मत 50 +20 Mपये. मो. 09423702877. इन क&

    Fह0द� म! इस ]वषय पर कई अ0य �कताब! भी ह

  • 59

    कुछ बदलाव, कुछ नये तर�के

    ]पछले 3 साल- म! इस पिुGतका क& 4000 .*तया ंछप चुक&

  • 60

    क& खेती क& जा सकती है. चाहे तो गोबर क& मा2ा और भी बढ़ा

    सकत ेह

  • 61

    60 डtी के कोण पर ह-. उपर से पराल इ7याFद से ढक द!. एक

    हत ेके बाद अगले तीन हत- तक हर हत ेहर छेद म! एक-एक

    ल�टर जीवामतृ डाल!. 40 Fदन- म! कुरड़ी क& आम खाद ताकतवर

    सजीव खाद बन जायेगी. तीसरा तर�का है ताज ेगोबर से सीधे खाद बनाने का. 100 �कलो गोबर, 2 �कलो देसी गड़ु, 2 �कलो �कसी भी दाल का आटा, और एक मुी ऐसे खेत क& म=ी या पीपल जैसे पेड़

    के नीचे क& ऊपर क& एक इंच म=ी िजस म! क&टनाशक न डाले गये

    ह-, ल!. सार� सामtी को पश ुम2ू म! मला कर गूथं ल!. इसे पतला-

    पतला फैला कर छाँव म! ढक कर रख द!. सखूने पर लकड़ी से कूट

    कर, बार�क कर के बोर- म! भर कर छांव म! 6 मह�ने तक Gटोर कर

    सकत ेह

  • 62

    8. ;मghत खेती हो सकती है. मvत खेती क़ुदरती खेती का आधार है परंत ुकई �कसान- को लगता है �क यह सभंव नह�ं है परंत ु

    हम ने गेहंू के साथ 5 से 6 अ0य फ़सले खड़ी देखी ह

  • 63

    घटती है. मुय नाले के अलावा �कiले के अ0दर छोट� नाल� बना

    कर एक खडू छोड़ कर पानी देना सबसे अ}छा रहता है. वरना छोट�

    छोट� Rयार� बना कर पानी लगाना चाFहये. मिiचंग क& हुई/ढक& हुई

    जमीन म! सचंाई करने म! ]वशषे xयान रख!. पानी तभी द! जब नमी

    ऊपर से 3-4 इंच नीचे चल� जाये. अगर खेत म! जलभराव क&

    समGया है तो खेत के *नचले FहGस! म! खाई खोदने से पानी वहां

    इका हो जायेगा और hयादा फ़सल मलेगी.

    12. बीमा1रय\ से बचाव के कुछ नये उपाय और सावधाCनया.ं इस पिुGतका म! पहले ह� बीमा:रय- से बचाव के बताये तर�क- म! फफंूद

    से बचाव (पता मरोड़ इ7याFद)के लये ख=े शीत का .योग बताया

    गया है. इसे Oबमार� के लsण Fदखत ेह� .योग करना चाFहये. देर

    करने से .भाव कम हो जाता है. सात Fदन बाद दोबारा G.े करना

    भी ज़Mर� है. देसी दवाई बनाने का एक और तर�का भी है. इस

    पिुGतका म! पहले बताये गयी सब तरह क& सामtी को इका कर के

    सखुा कर और पीस कर रख ल!. भडंारण नमी से बचा कर कर!. इसी

    तरह पशमु2ू भी ढRकन बदं बत�न म! Gटोर कर ले. जब G.े करना

    हो उससे एक Fदन पहले सब तरह क& सामtी क& एक-एक �कलो

    मा2ा ल! और 20 ल�टर गम� पानी म! घोल ले. इस म! 20 ल�टर

    परुाना पश-ुम2ू मला ल!. दो �कलो �कसी भी तरह क& खल को भी

    गम� पानी म! 4 घटं- के लए भग- दे और �फर उस को मसल ल!.

    (खल मलाना ज़Mर� नह�ं है परंत ुG.े करत ेहुए टा*नक भी मल

    जाये तो एक पथं दो काज हो जाय!ग)े. दोन- को मला कर आव_यक

    मा2ा म! गम� पानी डाल कर 100 ल�टर बना ल!. रात भर रख कर

    छान कर G.े कर!. इस पिुGतका म! पहले शीत और म2ू के G.े म! 30 और 10 गनुा पानी मलाने का कहा है. इसे घटा कर 10 और 2

    गनुा तक कर सकत ेह

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    ल से बआुई कर रहे ह< तो इस के लये 11 पोर- वाल� ल के

    फालत ूके पोर हटा कर 8 पोर रख!. बीच क& 6 पोर से गेहंू बोय! और

    दोन- कोन- के पोर से चना या अ0य फ़सले बोय!. मशीन म! बीज दर

    इस Fहसाब से सटै कर! �क गेहंू का 20 �कलो बीज लग ेऔर चने का

    8 �कलो. चने के साथ .*त �कलो 50 tाम ध*नया मला द!. आड़ के

    लये चार- ओर सरस- और अलसी बोय!. एक मह�ने बाद, एक

    *नदंाई-गड़ुाई के बाद, गेहंू म! बरसीम के बीज भी Oबखेरे जा सकत ेह<

    िजस से हरा चारा तो नह�ं मलेगा परंत ुबीज से आय ज़Mर होगी

    और अड़गंे क& भी रोक थाम होगी. Fवार के चार खडू के बाद दो खडू hवार के बोने चाFहय!. खडू से खडू क& दरू� 60 स!मी और पौधे से

    पौधे क& दरू� 30 स!मी रख!. इस के लये सीड ल म! कुल चार

    पोरे रख! और बाक& हटा द!. तीन पोर- म! yवार हो और आखर� पोर

    म! hवार हो. hवार के साथ 50 tाम सौफ मला द! और खेत के

    चार- ओर सरूजमखुी और अरंडी क& आड़ द!. (xयान रहे हमेशा आड़ के लये फ़सल मुय फ़सल- से ऊंची होनी चाFहये.) कपास के खडू 6-7 फ़ुट (UैRटर क& चौड़ाई को xयान म! रख कर) क& दरू� पर होने

    चाFहये और पौधे से पौधे क& दरू� 2 फ़ुट. एक माह के बाद, एक

    गडुाई के बाद बीच म! yवार क& एक या लोOबया इ7याFद (कपास से

    कम ऊंची �कसी भी दाल) के दो/तीन खडू *नकाल द!. लोOबया क&

    खडू- के बीच एक फ़ुट क& दरू� हो. hवार या बाजरा क& आड़ चार-

    ओर द!. धान क& Oबना खड़ ेपानी क& नई ]वvध पहले ह� इस पिुGतका म! ]वGतार से द� हुई है. इस ]वvध म! न केवल पानी क&

    बचत होती है और धान क& hयादा पदैावार मलती है बिiक म=ी म!

    भी सधुार होता है िजस से अगल� फ़सल म! भी hयादा पदैावार

    मलती है. इस ]वvध को उन �कसान- को जMर अपना कर देखना

    चाFहये िजनके खेत झील म! नह�ं ह

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    बोने से ग0ने क& काफ& बचत होती है और बाक& ग0ना कोहल ूया

    मल म! जा.सकता है.

    14. नये तर�के क2 खेती म8 औजार भी नये चा�हय8. *नि_चत दरू� पर भ0न भ0न फ़सल लाईन से बोने के लये हाथ से खींचे जाने

    वाल� मशीन, खेत से अड़गंा *नकालने वाल� मशीन, ग0ने क& आंख

    *नकालने क& मशीन हमारे पास है. देख कर बनवा सकत ेह< या

    मगंवा सकत ेह

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    18. आपस म8 तालमेल भी ज़bर� है. अभी तक सरकार� ]वभाग और ]व_व]वSयालय तो क़ुदरती खेती के बारे म! hयादा काम नह�ं

    कर रहे. इस लये �कसान- को खुद एक दसूरे के अनभुव- से सीखना

    होगा. वVैा*नक तो थोड़ी-थोड़ी जमीन म! तरह तरह के .योग कर के

    सीखत ेह

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    क़ुदरती खेती के बारे म8 कुछ rांCतयां (अि�तम पWृठ से जार�)

    गोबर तो इतना ह� चा�हये िजतना 4क दह� जमाने के ;लये जामन.

    • बग़ैर दवाईय- के क&ट और खरपतवार/अड़गंा *नयं2ण

    नह�ं हो सकता.

    � वाKतTवकता यह है 4क क़ुदरती खेती म8 क2ट और खरपतवार या अड़ंगा होता ह� बहुत कम है और उस के CनयंEण के कई कारगर देसी तर�के उपलध हj.

    • क़ुदरती खेती बहुत ,यादा मेहनत मांगती है?

    � क़ुदरती खेती म8 परेू साल खेत म8 स�भाल क2 ज़bरत तो अवय रहती है. शbु म8 यह uयादा मेहनत भी मांगती है पर�त ुसमय के साथ hम क2 ज़bरत कम हो जाती है. इस;लये इसे ‘कुछ भी न करने वाल� खेती’ भी कहा जाता है.

    • हमार� म=ी -पानी अ}छा नह�ं है.

    � अगर 4कसी खेत क2 ;मी-पानी अQछे नह�ं हj तो वह खेत रासायCनक खेती के ;लये भी अQछा नह�ं हj. उस म8 अQछे खेत के मकुाबले तो फ़सल कम ह� होगी चाहे रासायCनक खेती कर8 या क़ुदरती. क़ुदरती खेती म8 ;मी और पानी को सधुारने क2 uयादा स�भावना है और रासायCनक खेती तो उसे और uयादा ख़राब करेगी.

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    क़ुदरती खेती के बारे म8 कुछ rांCतया ँ• क़ुदरती खेती म! पैदावार कम होती है.

    � वाKतTवकता यह है 4क अगर यह खेती परू� तरह से सीख कर क2 जाये, पयाZPत माEा म8 बायोमास/पराल� इoया�द ह\ और उgचत मागZदशZन हो तो बहुत सी फ़सल\ म8 शbु से ह� पैदावार मकुाबले क2 या uयादा होती है. अगर ये सब न हो तो 2 से 3 साल के बीच पैदावार मकुाबले क2 या uयादा होने लगती है. 4कसी–4कसी फ़सल म8 इस से uयादा समय भी लग सकता है पर�त ुयह कहना ठRक नह�ं है 4क क़ुदरती खेती म8 पैदावार कम ह� होती है.

    • बग़ैर यू:रया के बहुत ,यादा गोबर चाFहये और पश ुरहे

    नह�ं.

    � वाKतTवकता यह है 4क एक पश ु के गोबर और मEू से कई एकड़ म8 खेती क2 जा सकती है. गोबर क2 मOुय भ;ूमका फ़सल\ को पोषण देने क2 न हो कर, ;मी म8 जीवाणु pवेश करवाने क2 है. पोषक तoव तो बायोमास/पराल� इoया�द या फल� वाल�/दलहनी फ़सल8 ह� उपलध कराते हj. (Tपछले पWृठ पर जार�)

    कृपया अgधक जानकार� एव ंपिुKतका क2 pCत के ;लए पWृठ 6 पर �दये पत/ेफ़ोन पर संपकZ कर8: ;सत�बर 2010 pCतया ँ2000 सहयोग रा;श 15 पये अब तक कुल pCतया ँ4000

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    प1रवCत Zत सKंकरण माचZ 2013 pCतया ँ1000