tu gulabhokarmehak

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Page 1: Tu gulabhokarmehak

ःतावना िजस कार भवन का ःथाियतव एव सदढ़ता नीव पर िनभरर ह वस ही दश का भिवय

िव ािथरयो पर िनभरर ह आज का िव ाथ कल का नागिरक ह उिचत मागरदशरन एव सःकारो को पाकर वह एक आदशर नागिरक बन सकता ह

िव ाथ तो एक ननह-स कोमल पौध की तरह होता ह उस यिद उ म िशकषा-दीकषा िमल तो वही ननहा-सा कोमल पौधा भिवय म िवशाल वकष बनकर प लिवत और पिपत होता हआ अपन सौरभ स सपणर चमन को महका सकता ह लिकन यह तभी सभव ह जब उस कोई यो य मागरदशरक िमल जाय कोई समथर गर िमल जाय और वह दढ़ता तथा ततपरता स उनक उपिद मागर का अनसरण कर ल

नारदजी क मागरदशरन एव ःवय की ततपरता स ीव भगव -दशरन पाकर अटलपद म िति त हआ हजार-हजार िव न-बाधाओ क बीच भी ाद हिरभि म इतना त लीन रहा िक भगवान निसह को अवतार लकर गट होना पड़ा

मीरा न अनत समय तक िगिरधर गोपाल की भि नही छोड़ी उसक भ-म क आग िवषधर को हार बनना पड़ा काटो को फल बनना पड़ा आज भी मीरा का नाम करोड़ो लोग बड़ी ौ ा-भि स लत ह

ऐस ही कबीरजी नानकजी तकारामजी व एकनाथजी महाराज जस अनक सत हो गय ह िजनहोन अपन गर क बताए मागर पर दढ़ता व ततपरता स चलकर मनय जीवन क अितम धयय lsquoपरमातम-साकषातकारrsquo को पा िलया

ह िव ाथ यो उनक जीवन का अनसरण करक एव उनक बतलाय हए मागर पर चलकर आप भी अवय महान बन सकत हो

परम पजय सत ौी आसारामजी महाराज ारा विणरत यि यो एव सतो तथा गरभ ो क चिरऽ का इस पःतक स अधययन मनन एव िचनतन कर आप भी अपना जीवन-पथ आलोिकत करग इसी ाथरना क साथ

िवनीत

ौी योग वदानत सवा सिमित अहमदाबाद आौम

अनबम

पजय बाप जी का उदबोधन 4

कदम अपना आग बढ़ाता चला जा 6

त गलाब होकर महक 7

जीवन िवकास का मल सयम 8

िऽकाल सधया 11

शरीर ःवाःथय 12

अनन का भाव 14

भारतीय सःकित की महानता 17

हिरदास की हिरभि 21

बनावटी ौगार स बचो 26

साहसी बालक 27

गर-आजञापालन का चमतकार 28

अनोखी गरदिकषणा 29

सतसग की मिहमा 30

पीड़ पराई जान र 33

िवकास क बिरयो स सावधान 35

कछ जानन यो य बात 39

शयन की रीत 40

ःनान का तरीका 41

ःवचछता का धयान 42

ःमरणशि का िवकास 42

वयि तव और वयवहार 43

पजय बाप जी का उदबोधन हमारा भारत उन ऋिषयो मिनयो का दश ह िजनहोन आिदकाल स ही इसकी वयवःथाओ

क उिचत सचालन क िनिम अनक िस ानतो की रचना कर तयक शभ कायर क िनिम अनक िस ानतो की रचना कर तयक शभ कायर क साथ धािमरक आचार-सिहता का िनमारण िकया ह

मनय क कमर को ही िजनहोन धमर बना िदया ऐस ऋिष-मिनयो न बालक क जनम स ही मनय क क याण का मागर शःत िकया लिकन मनय जाित का दभार य ह िक वह उनक िस ानतो को न अपनात हए पथ होकर अपन िदल म अनमोल खजाना छपा होन क बावजद भी कषिणक सख की तलाश म अपनी पावन सःकित का पिरतयाग कर िवषय-िवलास-िवकार स आकिषरत होकर िनतयित िवनाश की गहरी खाई म िगरती जा रही ह

आ यर तो मझ तब होता ह जब उ की दहलीज़ पर कदम रखन स पहल ही आज क िव ाथ को पा ातय अधानकरण की तजर पर िवदशी चनलो स भािवत होकर िडःको शराब जआ स टा भाग गाजा चरस आिद अनकानक कार की बराईयो स िल होत दखता ह

भारत वही ह लिकन कहा तो उसक भ ाद बालक ीव व आरिण-एकलवय जस परम गरभ और कहा आज क अनशासनहीन उ ड एव उचछखल बचच उनकी तलना आज क नादान बचचो स कस कर आज का बालक बचारा उिचत मागरदशरन क अभाव म पथ हए जा रहा ह िजसक सवारिधक िजममदार उसक माता-िपता ही ह

ाचीन यग म माता-िपता बचचो को ःनह तो करत थ लिकन साथ ही धमरय सयमी जीवन-यापन करत हए अपनी सतान को अनशासन आचार-सिहता एव िश ता भी िसखलात थ और आज क माता-िपता तो अपन बचचो क सामन ऐस वयवहार करत ह िक कया बतलाऊ कहन म भी शमर आती ह

ाचीन यग क माता-िपता अपन बचचो को वद उपिनषद एव गीता क क याणकारी ोक िसखाकर उनह ससःकत करत थ लिकन आजकल क माता-िपता तो अपन बचचो को गदी िवनाशकारी िफ मो क दिषत गीत िसखलान म बड़ा गवर महसस करत ह यही कारण ह िक ाचीन यग म ौवण कमार जस मात-िपतभ पदा हए जो अत समय तक माता-िपता की सवा-शौषा स ःवय का जीवन धनय कर लत थ और आज की सतान तो बीबी आयी िक बस माता-िपता स कह दत ह िक तम-तमहार हम-हमार कई तो ऐसी कसतान िनकल जाती ह िक बचार मा-बाप को ही धकका दकर घर स बाहर िनकाल दती ह

इसिलए माता-िपता को चािहए िक व अपनी सतान क गभरधारण की िबया स ही धमर व शा -विणरत सतो क कह उपदशो का पालन कर तदनसार ही जनम की िबया सपनन कर

तथा अपन बचचो क सामन कभी कोई ऐसा िबयाकलाप या कोई अ ीलता न कर िजसका बचचो क िदलो-िदमाग पर िवपरीत असर पड़

ाचीन काल म गरकल प ित िशकषा की सव म परमपरा थी गरकल म रहकर बालक दश व समाज का गौरव बनकर ही िनकलता था कयोिक बचचा ितपल गर की नज़रो क सामन रहता था और आतमव ा सदगर िजतना अपन िशय का सवागीण िवकास करत ह उतना माता-िपता तो कभी सोच भी नही सकत

आजकल क िव ालयो म तो पट भरन की िचनता म लग रहन वाल िशकषको एव शासन की दिषत िशकषा-णाली क ारा बालको को ऐसी िशकषा दी जा रही ह िक बड़ा होत ही उस िसफर नौकरी की ही तलाश रहती ह आजकल का पढ़ा-िलखा हर नौजवान माऽ कस पर बठन की ही नौकरी पसनद करता ह उ म-वयवसाय या पिरौमी कमर को करन म हर कोई कतराता ह यही कारण ह िक दश म बरोजगारी नशाखोरी और आपरािधक वि या बढ़ती जा रही ह कयोिक खाली िदमाग शतान का घर ह ऐस म ःवाभािवक ही उिचत मागरदशरन क अभाव म यवा पीढ़ी मागर स भटक गयी ह

आज समाज म आवयकता ह ऐस महापरषो की सदगरओ की तथा सतो की जो बचचो तथा यवा िव ािथरयो का मागरदशरन कर उनकी सष शि का अपनी अपनी शि पात-वषार स जामत कर सक

आज क िव ािथरयो को उिचत मागरदशरक की बहत आवयकता ह िजनक सािननधय म पा ातय-स यता का अधानकरण करन वाल ननह-मनह लिकन भारत का भिवय कहलान वाल िव ाथ अपना जीवन उननत कर सक

िव ाथ जीवन का िवकास तभी सभव ह जब उनह यथायो य मागरदशरन िदया जाए माता-िपता उनह बा यावःथा स ही भारतीय सःकित क अनरप जीवन-यापन की सयम एव सादगीय जीवन की रणा दान कर िकसी ऐस महापरष का सािननधय ा करवाय जो ःवय जीवनम होकर अनयो को भी मि दान करन का सामथयर रखत हो

भारत म ऐस कई बालक पदा हए ह िजनहोन ऐस महापरषो क चरणो म अपना जीवन अपरण कर लाखो-करोड़ो िदलो म आज भी आदरणीय पजनीय बन रहन का गौरव ा िकया ह इन मधावी वीर बालको की कथा इसी पःतक म हम आग पढ़ग भी महापरषो क सािननधय का ही यह फल ह िक व इतनी ऊचाई पर पहच सक अनयथा व कसा जीवन जीत कया पता

ह िव ाथ त भारत का भिवय िव का गौरव और अपन माता-िपता की शान ह तर भीतर भी असीम सामथर का भ डार छपा पड़ा ह त भी खोज ल ऐस जञानी परषो को और उनकी करणा-कपा का खजाना पा ल िफर दख तरा कटमब और तरी जाित तो कया सपणर िव क लोग तरी याद और तरा नाम िलया करग

इस पःतक म ऐस ही जञानी महापरषो सतो और गरभ ो तथा भगवान क लाडलो की कथाओ तथा अनभवो का वणरन ह िजसका बार-बार पठन िचनतन और मनन करक तम सचमच म महान बन जाओग करोग ना िहममत

bull िनतय धयान ाणायाम योगासन स अपनी सष शि यो को जगाओ bull दीन-हीन-कगला जीवन बहत हो चका अब उठो कमर कसो जसा बनना ह वसा आज स और

अभी स सक प करो bull मनय ःवय ही अपन भा य का िनमारता ह

(अनबम)

कदम अपना आग बढ़ाता चला जा कदम अपना आग बढ़ाता चला जा सदा म क गीत गाता चला जा

तर मागर म वीर काट बड़ ह िलय तीर हाथो म वरी खड़ ह बहादर सबको िमटाता चला जा

कदम अपना आग बढ़ाता चला जा

त ह आयरवशी ऋिषकल का बालक तापी यशःवी सदा दीनपालक त सदश सख का सनाता चला जा कदम अपना आग बढ़ाता चला जा

भल आज तफान उठकर क आय बला पर चली आ रही ह बलाए यवा वीर ह दनदनाता चला जा

कदम अपना आग बढ़ाता चला जा

जो िबछड़ हए ह उनह त िमला जा जो सोय पड़ ह उनह त जगा जा त आनद का डका बजाता चला जा

कदम अपना आग बढ़ाता चला जा

(अनबम)

त गलाब होकर महक सगित का मानव जीवन पर अतयिधक भाव पड़ता ह यिद अचछ सगत िमल तो

मनय महान हो जाता ह लिकन वही मनय यिद कसग क चककर म पड़ जाए तो अपना जीवन न कर लता ह अतः अपन स जो पढ़ाई म एव िश ता म आग हो ऐस िव ािथरयो का आदरपवरक सग करना चािहए तथा अपन स जो नीच हो उनह दयापवरक ऊपर उठान का यास करना चािहए लिकन साथ ही यह धयान भी रह की कही हम उनकी बातो म न फस जाए

एक बार मर सदगरदव पजयपाद ःवामी ौी लीलाशाह जी महाराज न मझ गलाब का फल बताकर कहाः यह कया ह

मन कहाः बाप यह गलाब का फल ह

उनहोन आग कहाः इस त डालडा क िड ब पर रख िफर सघ अथवा गड़ क ऊपर रख शककर क ऊपर रख या चन अथवा मग की दाल पर रख गदी नाली क पास रख ऑिफस म रख उस सब जगह घमा सब जगह रख िफर सघ तो उसम िकसकी सगध आएगी

मन कहाःजी गलाब की

गरदवः गलाब को कही भी रख दो और िफर सघो तो उसम स सगनध गलाब की ही आएगी ऐस ही हमारा जीवन भी गलाब जसा होना चािहए हमार सदगणो की सगनध दसरो को लनी हो तो ल िकनत हमम िकसी की दगरनध िव न हो त गलाब होकर महक तझ जमाना जान

िकसी क दोष हमम ना आय इसका धयान रखना चािहए अपन गण कोई लना चाह तो भल ल ल

भगवान का धयान करन स एकाम होन स माता-िपता का आदर करन स गरजनो की बातो को आदरपवरक मानन स हमम सदगणो की वि होती ह

ातःकाल ज दी उठकर माता-िपता को णाम करो भगवान ौीरामचनिजी ातःकाल ज दी उठकर माता-िपता एव गर को णाम करत थ

ातःकाल उठिह रघनाथा मात-िपत गर नाविह माथा ौीरामचनिजी जब गर आौम म रहत थ त गर जी स पहल ही नीद स जाग जात थ

गर स पहल जगपित जाग राम सजान ऐसा राम चिरतमानस म आता ह

माता-िपता एव गरजनो का आदर करन स हमार जीवन म दवी गण िवकिसत होत ह िजनक भाव स ही हमारा जीवन िदवय होन लगता ह

ह िव ाथ त भी िनकामता सननता असगता की महक फलाता जा (अनबम)

जीवन िवकास का मल सयम एक बड़ महापरष थ हजारो-लाखो लोग उनकी पजा करत थ जय-जयकार करत थ

लाखो लोग उनक िशय थ करोड़ो लोग उनह ौ ा-भि स नमन करत थ उन महापरष स िकसी वयि न पछाः

राजा-महाराजा रा पित जस लोगो को भी कवल सलामी मारत ह या हाथ जोड़ लत ह िकनत उनकी पजा नही करत जबिक लोग आपकी पजा करत ह णाम भी करत ह तो बड़ी ौ ा-भि स ऐसा नही िक कवल हाथ जोड़ िदय लाखो लोग आपकी फोटो क आग भोग रखत ह आप इतन महान कस बन

दिनया म मान करन यो य तो बहत लोग ह बहतो को धनयवाद और शसा िमलती ह लिकन ौ ा-भि स ऐसी पजा न तो सठो की होती ह न साहबो की न सीडट की होती ह न िमिलशी ऑिफसर की न राजा की और न महाराजा की अर ौी कण क साथ रहन वाल भीम अजरन यिधि र आिद की भी पजा नही होती जबिक ौीकण की पजा करोड़ो लोग करत ह भगवान राम को करोड़ो लोग मानत ह आपकी पजा भी भगवान जसी ही होती ह आप इतन महान कस बन

उन महापरष न जवाब म कवल एक ही श द कहा और वह श द था - सयम तब उस वयि न पनः पछाः ह गरवर कया आप बता सकत ह िक आपक जीवन म

सयम का पाठ कबस शर हआ

महापरष बोलः मर जीवन म सयम की शरआत मरी पाच वषर की आय स ही हो गयी म जब पाच वषर का था तब मर िपता जी न मझस कहाः

बटा कल हम तमह गरकल भजग गरकल जात समय तरी मा साथ म नही होगी भाई भी साथ नही आयगा और म भी साथ नही आऊगा कल सबह नौकर तझ ःनान नाता करा क घोड़ पर िबठाकर गरकल ल जायगा गरकल जात समय यिद हम सामन होग तो तरा मोह हमम हो सकता ह इसिलए हम दसर क घर म िछप जायग त हम नही दख सकगा िकनत हम ऐसी वयवःथा करग िक हम तझ दख सक ग हम दखना ह िक त रोत-रोत जाता ह या हमार कल क बालक को िजस कार जाना चािहए वस जाता ह घोड़ पर जब जायगा और

गली म मड़गा तब भी यिद त पीछ मड़कर दखगा तो हम समझग िक त हमार कल म कलक ह

पीछ मड़कर दखन स भी मना कर िदया पाच वषर क बालक स इतनी यो यता की इचछा रखन वाल मर माता-िपता को िकतना कठोर दय करना पड़ा होगा पाच वषर का बटा सबह गरकल जाय जात व माता-िपता भी सामन न हो और गली म मड़त व घर की ओर दखन की भी मनाही िकतना सयम िकतना कड़क अनशासन

िपता न कहाः िफर जब तम गरकल म पहचोग और गरजी तमहारी परीकषा क िलए तमस कहग िक बाहर बठो तब तमह बाहर बठना पड़गा गर जी जब तक बाहर स अनदर आन की आजञा न द तब तक तमह वहा सयम का पिरचय दना पड़गा िफर गरजी न तमह गरकल म वश िदया पास िकया तो त हमार घर का बालक कहलायगा अनयथा त हमार खानदान का नाम बढ़ानवाला नही नाम डबानवाला सािबत होगा इसिलए कल पर कलग मत लगाना वरन सफलतापवरक गरकल म वश पाना

मर िपता जी न मझ समझाया और म गरकल म पहचा हमार नौकर न जाकर गरजी स आजञा मागी िक यह िव ाथ गरकल म आना चाहता ह

गरजी बोलः उसको बाहर बठा दो थोड़ी दर म गरजी बाहर आय और मझस बोलः बटा दख इधर बठ जा आख बनद कर ल जब तक म नही आऊ और जब तक त मरी आवाज़ न सन तब तक तझ आख नही खोलनी ह तरा तर शरीर पर मन पर और अपन आप पर िकतना सयम ह इसकी कसौटी होगी अगर तरा अपन आप पर सयम होगा तब ही गरकल म वश िमल सकगा यिद सयम नही ह तो िफर त महापरष नही बन सकता अचछा िव ाथ भी नही बन सकगा

सयम ही जीवन की नीव ह सयम स ही एकामता आिद गण िवकिसत होत ह यिद सयम नही ह तो एकामता नही आती तजिःवता नही आती यादशि नही बढ़ती अतः जीवन म सयम चािहए चािहए और चािहए

कब हसना और कब एकामिच होकर सतसग सनना इसक िलए भी सयम चािहए कब ताली बजाना और कब नही बजाना इसक िलय भी सयम चािहए सयम ही सफलता का सोपान ह भगवान को पाना हो तो भी सयम ज़ररी ह िसि पाना हो तो भी सयम चािहए और िसि पाना हो तो भी सयम चािहए सयम तो सबका मल ह जस सब वय जनो का मल पानी ह जीवन का मल सयर ह ऐस ही जीवन क िवकास का मल सयम ह

गरजी तो कहकर चल गय िक जब तक म न आऊ तब तक आख नही खोलना थोड़ी दर म गरकल का िरसस हआ सब बचच आय मन हआ िक दख कौन ह कया ह िफर याद आया िक सयम थोड़ी दर बाद पनः कछ बचचो को मर पास भजा गया व लोग मर आसपास

खलन लग कब डी-कब डी की आवाज भी सनी मरी दखन की इचछा हई परनत मझ याद आया िक सयम

मर मन की शि बढ़ान का पहला योग हो गया सयम मरी ःमरणशि बढ़ान की पहली कजी िमल गई सयम मर जीवन को महान बनान की थम कपा गरजी ारा हई ETH सयम ऐस महान गर की कसौटी स उस पाच वषर की छोटी-सी वय म पार होना था अगर म अन ीणर हो जाता तो िफर घर पर मर िपताजी मझ बहत छोटी दि स दखत

सब बचच खल कर चल गय िकनत मन आख नही खोली थोड़ी दर क बाद गड़ और शककर की चासनी बनाकर मर आसपास उड़ल दी गई मर घटनो पर मरी जाघ पर भी चासनी की कछ बद डाल दी ग जी चाहता था िक आख खोलकर दख िक अब कया होता ह िफर गरजी की आजञा याद आयी िक आख मत खोलना अपनी आख पर अपन मन पर सयम शरीर पर चीिटया चलन लगी लिकन याद था िक पास होन क िलए सयम ज़ररी ह

तीन घट बीत गय तब गरजी आय और बड़ म स बोलः पऽ उठो उठो तम इस परीकषा म उ ीणर रह शाबाश ह तमह

ऐसा कहकर गरजी न ःवय अपन हाथो स मझ उठाया गरकल म वश िमल गया गर क आौम म वश अथारत भगवान क राजय म वश िमल गया िफर गर की आजञा क अनसार कायर करत-करत इस ऊचाई तक पहच गया

इस कार मझ महान बनान म म य भिमका सयम की ही रही ह यिद बा यकाल स ही िपता की आजञा को न मान कर सयम का पालन न करता तो आज न जान कहा होता सचमच सयम म अदभत सामथयर ह सयम क बल पर दिनया क सार कायर सभव ह िजतन भी महापरष सतपरष इस दिनया म हो चक ह या ह उनकी महानता क मल म उनका सयम ही ह

वकष क मल म उसका सयम ह इसी स उसक प हर-भर ह फल िखलत ह फल लगत ह और वह छाया दता ह वकष का मल अगर सयम छोड़ द तो प सख जायग फल कमहला जाएग फल न हो जाएग वकष का जीवन िबखर जायगा

वीणा क तार सयत ह इसी स मधर ःवर गजता ह अगर वीणा क तार ढील कर िदय जाय तो व मधर ःवर नही आलापत

रल क इजन म वाप सयत ह तो हजारो यािऽयो को दर सदर की याऽा करान म वह वाप सफल होती ह अगर वाप का सयम टट जाय इधर-उधर िबखर जाय तो रलगाड़ी दोड़ नही सकती ऐस ही ह मानव महान बनन की शतर यही ह ETH सयम सदाचार हजार बार असफल होन पर भी िफर स परषाथर कर अवय सफलता िमलगी िहममत न हार छोटा-छोटा सयम का ोत आजमात हए आग बढ़ और महान हो जा

(अनबम)

िऽकाल सधया जीवन को यिद तजःवी बनाना हो सफल बनाना हो उननत बनाना हो तो मनय को

िऽकाल सधया ज़रर करनी चािहए ातःकाल सय दय स दस िमनट पहल और दस िमनट बाद म दोपहर को बारह बज क दस िमनट पहल और दस िमनट बाद म तथा सायकाल को सयारःत क पाच-दस िमनट पहल और बाद म यह समय सिध का होता ह इस समय िकया हआ ाणायाम जप और धयान बहत लाभदायक होता ह जो मनय सषमना क ार को खोलन म भी सहयोगी होता ह सषमना का ार खलत ही मनय की छपी हई शि या जामत होन लगती ह

ाचीन ऋिष-मिन िऽकाल सधया िकया करत थ भगवान विश भी िऽकाल सधया करत थ और भगवान राम भी िऽकाल सधया करत थ भगवान राम दोपहर को सधया करन क बाद ही भोजन करत थ

सधया क समय हाथ-पर धोकर तीन च ल पानी पीकर िफर सधया म बठ और ाणायाम कर जप कर तो बहत अचछा अगर कोई आिफस म ह तो वही मानिसक रप स कर ल तो भी ठ क ह लिकन ाणायाम जप और धयान कर ज़रर

जस उ ोग करन स परषाथर करन स दिरिता नही रहती वस ही ाणायाम करन स पाप कटत ह जस य करन स धन िमलता ह वस ही ाणायाम करन स आतिरक सामथयर आतिरक बल िमलता ह छादो य उपिनषद म िलखा ह िक िजसन ाणायाम करक मन को पिवऽ िकया ह उस ही गर क आिखरी उपदश का रग लगता ह और आतम-परमातमा का साकषातकार हो जाता ह

मनय क फफड़ो तीन हजार छोट-छोट िछि होत ह जो लोग साधारण रप स ास लत ह उनक फफड़ो क कवल तीन सौ स पाच सौ तक क िछि ही काम करत ह बाकी क बद पड़ रहत ह िजसस शरीर की रोग ितकारक शि कम हो जाती ह मनय ज दी बीमार और बढ़ा हो जाता ह वयसनो एव बरी आदतो क कारण भी शरीर की शि जब िशिथल हो जाती ह रोग-ितकारक शि कमजोर हो जाती ह तो िछि बद पड़ होत ह उनम जीवाण पनपत ह और शरीर पर हमला कर दत ह िजसस दमा और टीबी की बीमारी होन की सभावना बढ़ जाती ह

परनत जो लोग गहरा ास लत ह उनक बद िछि भी खल जात ह फलतः उनम कायर करन की कषमता भी बढ़ जाती ह तथा र श होता ह नाड़ी भी श रहती ह िजसस मन भी सनन रहता ह इसीिलए सबह दोपहर और शाम को सधया क समय ाणायाम करन का िवधान ह ाणायाम स मन पिवऽ होता ह एकाम होता ह िजसस मनय म बहत बड़ा सामथयर आता ह

यिद मन य दस-दस ाणायाम तीनो समय कर और शराब मास बीड़ी व अनय वयसनो एव फशनो म न पड़ तो चालीस िदन म तो मनय को अनक अनभव होन लगत ह कवल चालीस िदन योग करक दिखय शरीर का ःवाःथय बदला हआ िमलगा मन बदला हआ िमलगा जठरा दी होगी आरो यता एव सननता बढ़गी और ःमरण शि म जादई िवकास होगा

ाणायाम स शरीर क कोषो की शि बढ़ती ह इसीिलए ऋिष-मिनयो न िऽकाल सधया की वयवःथा की थी रािऽ म अनजान म हए पाप सबह की सधया स दर होत ह सबह स दोपहर तक क दोष दोपहर की सधया स और दोपहर क बाद अनजान म हए पाप शाम की सधया करन स न हो जात ह तथा अतःकरण पिवऽ होन लगता ह

आजकल लोग सधया करना भल गय ह िनिा क सख म लग हए ह ऐसा करक व अपनी जीवन शि को न कर डालत ह

ाणायाम स जीवन शि का बौि क शि का एव ःमरण शि का िवकास होता ह ःवामी रामतीथर ातःकाल म ज दी उठत थोड़ ाणायाम करत और िफर ाकितक वातावरण म घमन जात परमहस योगानद भी ऐसा करत थ

ःवामी रामतीथर बड़ कशाम बि क िव ाथ थ गिणत उनका िय िवषय था जब व पढ़त थ उनका तीथरराम था एक बार परीकषा म 13 िदय गय िजसम स कवल 9 हल करन थ तीथरराम न 13 क 13 हल कर िदय और नीच एक िट पणी (नोट) िलख दी 13 क 13 सही ह कोई भी 9 जाच लो इतना दढ़ था उनका आतमिव ास

ाणायाम क अनक लाभ ह सधया क समय िकया हआ ाणायाम जप और धयान अनत गणा फल दता ह अिमट प यपज दन वाला होता ह सधया क समय हमारी सब नािड़यो का मल आधार जो सषमना नाड़ी ह उसका ार खला होता ह इसस जीवन शि क डिलनी शि क जागरण म सहयोग िमलता ह उस समय िकया हआ धयान-भजन प यदायी होता ह अिधक िहतकारी और उननित करन वाला होता ह वस तो धयान-भजन कभी भी करो प यदायी होता ही ह िकनत सधया क समय उसका उसका भाव और भी बढ़ जाता ह िऽकाल सधया करन स िव ाथ भी बड़ तजःवी होत ह

अतएव जीवन क सवागीण िवकास क िलए मनयमाऽ को िऽकाल सधया का सहारा लकर अपना नितक सामािजक एव आधयाितमक उतथान करना चािहए

(अनबम)

शरीर ःवाःथय

लोकमानय ितलक जब िव ाथ अवःथा म थ तो उनका शरीर बहत दबला पतला और कमजोर था िसर पर फोड़ा भी था उनहोन सोचा िक मझ दश की आजादी क िलए कछ काम करना ह माता-िपता एव समाज क िलए कछ करना ह तो शरीर तो मजबत होना ही चािहए और मन भी दढ होना चािहए तभी म कछ कर पाऊगा अगर ऐसा ही कमजोर रहा तो पढ़-िलखकर ा िकय हए माण-पऽ भी कया काम आयग

जो लोग िसकड़कर बठत ह झककर बठत ह उनक जीवन म बहत बरकत नही आती जो सीध होकर िःथर होकर बठत ह उनकी जीवन-शि ऊपर की ओर उठती ह व जीवन म सफलता भी ा करत ह

ितलक न िन य िकया िक भल ही एक साल क िलए पढ़ाई छोड़नी पड़ तो छोडगा लिकन शरीर और मन को सदढ़ बनाऊगा ितलक यह िन य करक शरीर को मजबत और मन को िनभ क बनान म जट गय रोज़ सबह-शाम दोड़ लगात ाणायाम करत तरन जात मािलश करत तथा जीवन को सयमी बनाकर चयर की िशकषावाली यौवन सरकषा जसी पःतक पढ़त सालभर म तो अचछा गठ ला बदन हो गया का पढ़ाई-िलखाई म भी आग और लोक-क याण म भी आग राममितर को सलाह दी तो राममितर न भी उनकी सलाह ःवीकार की और पहलवान बन गय

बाल गगाधर ितलक क िव ाथ जीवन क सक प को आप भी समझ जाना और अपन जीवन म लाना िक शरीर सदढ़ होना चािहए मन सदढ़ होना चािहए तभी मनय मनचाही सफलता अिजरत कर सकता ह

ितलक जी स िकसी न पछाः आपका वयि तव इतना भावशाली कस ह आपकी ओर दखत ह तो आपक चहर स अधयातम एकामता और तरणाई की तरलता िदखाई दती ह ःवराजय मरा जनमिस अिधकार ह ऐसा जब बोलत ह तो लोग दग रह जात ह िक आप िव ाथ ह यवक ह या कोई तजपज ह आपका ऐसा तजोमय वयि तव कस बना

तब ितलक न जवाब िदयाः मन िव ाथ जीवन स ही अपन शरीर को मजबत और दढ़ बनान का यास िकया था सोलह साल स लकर इककीस साल तक की उ म शरीर को िजतना भी मजबत बनाना चाह और िजतना भी िवकास करना चाह हो सकता ह

इसीिलए िव ाथ जीवन म इस बार पर धयान दना चािहए िक सोलह स इककीस साल तक की उ शरीर और मन को मजबत बनान क िलए ह

म (परम पजय गरदव आसारामजी बाप) जब चौदह-पनिह वषर का था तब मरा कद बहत छोटा था लोग मझ टणी (िठग) कहकर बलात तो मझ बरा लगता ःवािभमान तो होना ही चािहए टणी ऐसा नाम ठ क नही ह वस तो िव ाथ -काल म भी मरा हसमखा ःवभाव था इसस िशकषको न मरा नाम आसमल क बदल हसमखभाई ऱख िदया था लिकन कद छोटा था तो िकसी न टणी कह िदया जो मझ बरा लगा दिनया म सब कछ सभव ह तो टणी कयो

रहना म काकिरया तालाब पर दौड़ लगाता प लअ स करता और 30-40 माम मकखन म एक-दो माम कालीिमचर क टकड़ डालकर िनगल जाता चालीस िदन तक ऐसा योग िकया अब म उस वयि स िमला िजसन 40 िदन पहल टणी कहा था तो वह दखकर दग रह गया

आप भी चाहो तो अपन शरीर क ःवःथ रख सकत हो शरीर को ःवःथ रखन क कई तरीक ह जस धनवनतरी क आरो यशा म एक बात आती ह - उषःपान

उषःपान अथारत सय दय क पहल या सय दय क समय रात का रखा हआ पानी पीना इसस आतो की सफाई होती ह अजीणर दर होता ह तथा ःवाःथय की भी रकषा होती ह उसम आठ च ल भरकर पानी पीन की बात आयी ह आठ च ल पानी यािन िक एक िगलास पानी चार-पाच तलसी क प चबाकर सय दय क पहल पानी पीना चािहए तलसी क प सय दय क बाद तोड़न चािहए व सात िदन तक बासी नही मान जात

शरीर तनदरःत होना चािहए रगड़-रगड़कर जो नहाता ह और चबा-चबाकर खाता ह जो परमातमा का धयान करता ह और सतसग म जाता ह उसका बड़ा पार हो जाता ह

(अनबम)

अनन का भाव हमार जीवन क िवकास म भोजन का अतयिधक मह व ह वह कवल हमार तन को ही

प नही करता वरन हमार मन को हमारी बि को हमार िवचारो को भी भािवत करता ह कहत भी हः

जसा खाओ अनन वसा होता ह मन महाभारत क य म पहल दसर तीसर और चौथ िदन कवल कौरव-कल क लोग ही

मरत रह पाडवो क एक भी भाई को जरा-सी भी चोट नही लगी पाचवा िदन हआ आिखर दय धन को हआ िक हमारी सना म भीम िपतामह जस यो ा ह िफर भी पाडवो का कछ नही िबगड़ता कया कारण ह व चाह तो य म कया स कया कर सकत ह िवचार करत-करत आिखर वह इस िनकषर पर आया िक भीम िपतामह परा मन लगाकर पाडवो का मलोचछद करन को तयार नही हए ह इसका कया कारण ह यह जानन क िलए सतयवादी यिधि र क पास जाना चािहए उसस पछना चािहए िक हमार सनापित होकर भी व मन लगाकर य कयो नही करत

पाडव तो धमर क पकष म थ अतः दय धन िनःसकोच पाडवो क िशिवर म पहच गया वहा पर पाडवो न यथायो य आवभगत की िफर दय धन बोलाः

भीम अजरन तम लोग जरा बाहर जाओ मझ कवल यिधि र स बात करनी ह

चारो भाई यिधि र क िशिवर स बाहर चल गय िफर दय धन न यिधि र स पछाः यिधि र महाराज पाच-पाच िदन हो गय ह हमार कौरव-पकष क लोग ही मर रह ह

िकनत आप लोगो का बाल तक बाका नही होता कया बात ह चाह तो दवोत भीम तफान मचा सकत ह

यिधि रः हा मचा सकत ह

दय धनः व चाह तो भीण य कर सकत ह पर नही कर रह ह कया आपको लगता ह िक व मन लगाकर य नही कर रह ह

सतयवादी यिधि र बोलः हा गगापऽ भीम मन लगाकर य नही कर रह ह

दय धनः भीम िपतामह मन लगाकर य नही कर रह ह इसका कया कारण होगा

यिधि रः व सतय क पकष म ह व पिवऽ आतमा ह अतः समझत ह िक कौन सचचा ह और कौन झठा कौन धमर म ह तथा कौन अधमर म व धमर क पकष म ह इसिलए उनका जी चाहता ह िक पाडव पकष की जयादा खन-खराबी न हो कयोिक व सतय क पकष म ह

दय धनः व मन लगाकर य कर इसका उपाय कया ह

यिधि रः यिद व सतय ETH धमर का पकष छोड़ दग उनका मन ग त जगह हो जाएगा तो िफर व य करग

दय धनः उनका मन य म कस लग

यिधि रः यिद व िकसी पापी क घर का अनन खायग तो उनका मन य म लग जाएगा

दय धनः आप ही बताइय िक ऐसा कौन सा पापी होगा िजसक घर का अनन खान स उनका मन सतय क पकष स हट जाय और व य करन को तयार हो जाय

यिधि रः सभा म भीम िपतामह गर िोणाचायर जस महान लोग बठ थ िफर भी िोपदी को न न करन की आजञा और जाघ ठोकन की द ता तमन की थी ऐसा धमर-िवर और पापी आदमी दसरा कहा स लाया जाय तमहार घर का अनन खान स उनकी मित सतय और धमर क पकष स नीच जायगी िफर व मन लगाकर य करग

दय धन न यि पा ली कस भी करक कपट करक अपन यहा का अनन भीम िपतामह को िखला िदया भीम िपतामह का मन बदल गया और छठव िदन स उनहोन घमासान य करना आरभ कर िदया

कहन का तातपयर यह ह िक जसा अनन होता ह वसा ही मन होता ह भोजन कर तो श भोजन कर मिलन और अपिवऽ भोजन न कर भोजन क पहल हाथ-पर जरर धोय भोजन साितवक हो पिवऽ हो सननता दन वाला हो तनदरःती बढ़ान वाला हो

आहारश ौ स वशि ः

िफर भी ठस-ठस कर भोजन न कर चबा-चबाकर ही भोजन कर भोजन क समय शात एव सननिच रह भ का ःमरण कर भोजन कर जो आहार खान स हमारा शरीर तनदरःत रहता हो वही आहार कर और िजस आहार स हािन होती हो ऐस आहार स बच खान-पान म सयम स बहत लाभ होता ह

भोजन महनत का हो साि वक हो लहसन याज मास आिद और जयादा तल-िमचर-मसाल वाला न हो उसका िनिम अचछा हो और अचछ ढग स सनन होकर भगवान को भोग लगाकर िफर भोजन कर तो उसस आपका भाव पिवऽ होगा र क कण पिवऽ होग मन पिवऽ होगा िफर सधया-ाणायाम करग तो मन म साि वकता बढ़गी मन म सननता तन म आरो यता का िवकास होगा आपका जीवन उननत होता जायगा

महनत मजदरी करक िवलासी जीवन िबताकर या कायर होकर जीन क िलय िज़दगी नही ह िज़दगी तो चतनय की मःती को जगाकर परमातमा का आननद लकर इस लोक और परलोक म सफल होन क िलए ह मि का अनभव करन क िलए िज़दगी ह

भोजन ःवाःथय क अनकल हो ऐसा िवचार करक ही महण कर तथाकिथत वनःपित घी की अपकषा तल खाना अिधक अचछा ह वनःपित घी म अनक रासायिनक पदाथर डाल जात ह जो ःवाःथय क िलए िहतकर नही होत ह

ए यमीिनयम क बतरन म खाना यह पट को बीमार करन जसा ह उसस बहत हािन होती ह कनसर तक होन की समभावना बढ़ जाती ह ताब पीतल क बतरन कलई िकय हए हो तो अचछा ह ए यमीिनयम क बतरन म रसोई नही बनानी चािहए ए यमीिनयम क बतरन म खाना भी नही चािहए

आजकल अ ड खान का चलन समाज म बहत बढ़ गया ह अतः मनयो की बि भी वसी ही हो गयी ह वजञािनको न अनसधान करक बताया ह िक 200 अ ड खान स िजतना िवटािमन सी िमलता ह उतना िवटािमन सी एक नारगी (सतरा) खान स िमल जाता ह िजतना ोटीन कि शयम अ ड म ह उसकी अपकषा चन मग मटर म एयादा ोटीन ह टमाटर म अ ड स तीन गणा कि शयम एयादा ह कल म स कलौरी िमलती ह और भी कई िवटािमनस कल म ह

िजन ािणयो का मास खाया जाता ह उनकी हतया करनी पड़ती ह िजस व उनकी हतया की जाती ह उस व व अिधक स अिधक अशात िखनन भयभीत उि न और ब होत ह अतः मास खान वाल को भी भय बोध अशाित उ ग इस आहार स िमलता ह शाकाहारी भोजन म सपाचय तत होत ह मास म व नही होत अतः मासाहारी भोजन को पचान क जीवन शि का एयादा वयय होता ह ःवाःथय क िलय एव मानिसक शाित आिद क िलए प यातमा होन की दि स भी शाकाहारी भोजन ही करना चािहए

शरीर को ःथल करना कोई बड़ी बात नही ह और न ही इसकी ज़ररत ह लिकन बि को सआम करन की ज़ररत ह आहार यिद साि वक होगा तो बि भी सआम होगी इसिलए सदव साि वक भोजन ही करना चािहए

(अनबम)

भारतीय सःकित की महानता रवरनड ऑवर नाम का एक पादरी पना म िहनद धमर की िननदा और ईसाइयत का चार

कर रहा था तब िकसी सजजन न एक बार रवरनड ऑवर स कहाः आप िहनद धमर की इतनी िननदा करत हो तो कया आपन िहनद धमर का अधययन िकया

ह कया भारतीय सःकित को परी तरह स जानन की कोिशश की ह आपन कभी िहनद धमर को समझा ही नही जाना ही नही ह िहनद धमर म तो ऐस जप धयान और सतसग की बात ह िक िजनह अपनाकर मनय िबना िवषय-िवकारी क िबना िडःको डास(नतय) क भी आराम स रह सकता ह आनिदत और ःवःथ रह सकता ह इस लोक और परलोक दोनो म सखी रह सकता ह आप िहनद धमर को जान िबना उसकी िनदा करत हो यह ठ क नही ह पहल िहनद धमर का अधययन तो करो

रवरनड ऑवर न उस सजजन की बात मानी और िहनद धमर की पःतको को पढ़न का िवचार िकया एकनाथजी और तकारामजी का जीवन चिरऽ जञान र महाराज की योग सामथयर की बात और कछ धािमरक पःतक पढ़न स उस लगा िक भारतीय सःकित म तो बहत खजाना ह मनय की जञा को िदवय करन की मन को सनन करन की और तन क र कणो को भी बदलन की इस सःकित म अदभत वयवःथा ह हम नाहक ही इन भोल-भाल िहनदःतािनयो को अपन चगल म फसान क िलए इनका धमरपिरवतरन करवात ह अर हम ःवय तो अशािनत की आग म जल ही रह ह और इनह भी अशात कर रह ह

उसन ायि -ःवरप अपनी िमशनरी रो तयागपऽ िलख भजाः िहनदःतान म ईसाइयत फलान की कोई ज़ररत नही ह िहनद सःकित की इतनी महानता ह िवशषता ह िक ईसाइय को चािहए िक उसकी महानता एव सतयता का फायदा उठाकर अपन जीवन को साथरक बनाय िहनद धमर की सतयता का फायदा दश-िवदश म पहच मानव जाित को सख-शाित िमल इसका यास हम करना चािहए

म भारतीय इितहास सशोधन म डल क मर आठ लाख डॉलर भट करता ह और तमहारी िमशनरी को सदा क िलए तयागपऽ दकर भारतीय सःकित की शरण म जाता ह

जस रवर ड ऑवर न भारतीय सःकित का अधययन िकया ऐस और लोगो को भी जो िहनद धमर की िनदा करत ह भारतीय सःकित का पकषपात और पवरमहरिहत अधययन करना चािहए मनय की सष शि या व आनद जगाकर ससार म सख-शाित आनद सननता का चार-सार करना चािहए

मा सीता की खोज करत-करत हनमान जामबत अगद आिद ःवयभा क आौम म पहच उनह जोरो की भख और यास लगी थी उनह दखकर ःवयभा न कह िदया िकः

कया तम हनमान हो ौीरामजी क दत हो सीता जी की खोज म िनकल हो

हनमानजी न कहाः हा मा हम सीता माता की खोज म इधर तक आय ह

िफर ःवयभा न अगद की ओर दखकर कहाः तम सीता जी को खोज तो रह हो िकनत आख बद करक खोज रह हो या आख

खोलकर

अगद जरा राजवी परष था बोलाः हम कया आख बनद करक खोजत होग हम तो आख खोलकर ही माता सीता की खोज कर रह ह

ःवयभा बोलीः सीताजी को खोजना ह तो आख खोलकर नही बद करक खोजना होगा सीता जी अथारत भगवान की अधािगनी सीताजी यानी िव ा आतमिव ा िव ा को खोजना ह तो आख खोलकर नही आख बद करक ही खोजना पड़गा आख खोलकर खोजोग तो सीताजी नही िमलगी तम आख बनद करक ही सीताजी ( िव ा) को पा सकत हो ठहरो म तमह बताती ह िक सीता जी कहा ह

धयान करक ःवयभा न बतायाः सीताजी यहा कही भी नही वरन सागर पार लका म ह अशोकवािटका म बठ ह और राकषिसयो स िघरी ह उनम िऽजटा नामक राकषसी ह तो रावण की सिवका िकनत सीताजी की भ बन गयी ह सीताजी वही रहती ह

वारन सोचन लग िक भगवान राम न तो एक महीन क अदर सीता माता का पता लगान क िलए कहा था अभी तीन स ाह स एयादा समय तो यही हो गया ह वापस कया मह लकर जाए सागर तट तक पहचत-पहचत कई िदन लग जाएग अब कया कर

उनक मन की बात जानकर ःवयभा न कहाः िचनता मत करो अपनी आख बद करो म योगबल स एक कषण म तमह वहा पहचा दती ह

हनमान अगद और अनय वानर अपनी आख बनद करत ह और ःवयभा अपनी योगशि स उनह सागर-तट पर कछ ही पल म पहचा दती ह

ौीरामचिरतमानस म आया ह िक ETH

ठाड़ सकल िसध क तीरा ऐसी ह भारतीय सःकित की कषमता

अमिरका को खोजन वाला कोलबस पदा भी नही हआ था उसस पाच हजार वषर पहल अजरन सशरीर ःवगर म गया था और िदवय अ लाया था ऐसी यो यता थी िक धरती क राजा खटवाग दवताओ को मदद करन क िलए दवताओ का सनापितपद सभालत थ ितःमित-िव ा चाकषषी िव ा परकायावश िव ा अ िसि िव ा एव नविनिध ा करान वाली योगिव ा और जीत-जी जीव को बनान वाली िव ा यह भारतीय सःकित की दन ह अनय जगह यह नही िमलती भारतीय सःकित की जो लोग आलोचना करत ह उन बचारो को तो पता ही नही ह िक भारतीय सःकित िकतनी महान ह

गर तगबहादर बोिलयो सनो सीखो बड़भािगयो धड़ दीज धमर न छोिड़य

यवनो न गर गोिबनदिसह क बटो स कहाः तम लोग मसलमान हो जाओ नही तो हम तमह िज़नदा ही दीवार म चनवा दग

बट बोलः हम अपन ाण द सकत ह लिकन अपना धमर नही तयाग सकत

बरो न उन दोनो को जीत-जी दीवार म चनवा िदया जब कारीगर उनह दीवार म चनन लग तब बड़ा भाई बोलता हः धमर क नाम यिद हम मरना ही पड़ता ह तो पहल मरी ओर ट बढ़ा दो तािक म छोट भाई की मतय न दख

छोटा भाई बोलता हः नही पहल मरी ओर ईट बढ़ा दो

कया साहसी थ कया वीर थ वीरता क साथ अपन जीवन का बिलदान कर िदया िकनत धमर न छोड़ा आजकल क लोग तो अपन धमर और सःकित को ही भलत जा रह ह कोई लवर-लवरी धमरपिरवतरन करक लवमरज करत ह अपना िहनद धमर छोड़कर फस मरत ह यह भी कोई िज़नदगी ह भगवान ौीकण कहत ह ETH

ःवधम िनधन ौय परधम भयावहः अपन धमर म मर जाना अचछा ह पराया धमर दःख दन वाला ह भयावह ह नरको म ल

जान वाला ह इसिलए अपन ही धमर म अपनी ही सःकित म जो जीता ह उसकी शोभा ह रवर ड ऑवर न भारतीय सःकित का खब आदर िकया एफ एच मोलम न महातमा

थोरो एव अनय कई पा ातय िचनतको न भी भारतीय सःकित का बहत आदर िकया ह उनक कछ उदगार यहा ःतत हः

बाईबल का मन यथाथर अ यास िकया ह उसम जो िदवय िलखा ह वह कवल गीता क उ रण क रप म ह म ईसाई होत हए भी गीता क ित इतना सारा आदरभाव इसिलए रखता ह िक िजन गढ़ ो का समाधान पा ातय लोग अभी तक नही खोज पाय ह उनका समाधान गीतामनथ न श एव सरल रीित स कर िदया ह उसम कई सऽ अलौिकक उपदशो स भरपर

लग इसीिलए गीता जी मर िलए साकषात योग री माता बन रही ह वह तो िव क तमाम धन स भी नही खरीदा जा सक ऐसा भारतवषर का अम य खजाना ह

- एफ एच मोलम (इगल ड) ाचीन यग की सवर रमणीय वःतओ म गीता स ौ कोई वःत नही ह गीता म ऐसा

उ म और सवरवयापी जञान ह िक उसक रचियता दवता को अस य वषर हो गय िफर भी ऐसा दसरा एक भी मनथ नही िलखा गया

महातमा थोरो (अमिरका) धमर क कषऽ म अनय सब दख दिरि ह जबिक भारत इस िवषय म अरबपित ह

माकर टवन (यएसए) इस पथवी पर सवारिधक पणर िवकिसत मानवजञा कहा ह और जीवन क मह म ो क

हल िकसन खोज ह ऐसा अगर मझस पछा जाए तो म अगिलिनदश करक कहगा िक भारत न ही

मकसमलर (जमरनी) वदानत जसा ऊधवरगामी एव उतथानकारी और एक भी धमर या त वजञान नही ह

शोपनहोअर (जमरनी) िव भर म कवल भारत ही ऐसी ौ महान परमपराए रखता ह जो सिदयो तक जीिवत

रही ह

कनो (ानस) मनय जाित क अिःततव क सबस ारिमभक िदनो स लकर आज तक जीिवत मनय

क तमाम ःव न अगर कही साकार हए हो तो वह ःथान ह भारत

रोमा रोला (ास) भारत दश समपणर मानव जाित की मातभिम ह और सःकत यरोप की सभी भाषाओ की

जननी ह भारत हमार त वजञान गिणतशा एव जनतऽ की जननी ह भारतमाता अनक रप स सभी की जननी ह

िवल डरानट (यएसए) भारतीय सःकित की महानता का एहसास करन वाल इन सब िवदशी िचनतको को हम

धनयवाद दत ह एक बार महातमा थोरो सो रह थ इतन म उनका िशय एमसरन आया दखा िक वहा

साप और िबचछ घम रह ह गरजी क जागन पर एमसरन बोलाः गरदव यह जगह बड़ी खतरनाक ह म िकसी सरिकषत जगह पर आपकी वयवःथा करवा

दता ह

महातमा थोरो बोलः नही नही िचनता करन की कोई ज़ररत नही ह मर िसरहान पर ौीमदभगवदगीता ह भगवदगीता क जञान क कारण तो मझ साप म िबचछ म सबम मरा ही आतमा-परमातमा िदखता ह व मझ नही काटत ह तो म कही कयो जाऊ

िकतनी कह गीता की महानता यही ह भारतीय सःकित की मिहमा अदभत ह उसकी महानता लाबयान ह उसकी मिहमा

(अनबम)

हिरदास की हिरभि सात वष य गौर वणर क गौराग बड़-बड़ िव ान पिडतो स ऐस-ऐस करत थ िक व

दग रह जात थ इसका कारण था गौराग की हिरभि बड़ होकर उनहोन लाखो लोगो को हिरभि म रग िदया

जो हिरभ होता हिर का भजन करता उसकी बि अचछ मागर पर ही जाती ह लोभी वयि पसो क िलए हसता-रोता ह पद एव कस क तो िकतन ही लोग हसत रोत ह पिरवार क िलए तो िकतन ही मोही हसत रोत ह िकनत धनय ह व जो भगवान क िलए रोत हसत ह भगवान क िवरह म िजस रोना आया ह भगवान क िलए िजसका दय िपघलता ह ऐस लोगो का जीवन साथरक हो जाता ह भागवत म भगवान ौीकण उ व स कहत ह-

वाग गदगदा िवत यःय िच

रदतयभीआण हसित कविचचच िवलजज उदगायित नतयत च

मदभि य ो भवन पनाित िजसकी वाणी गदगद हो जाती ह िजसका िच ििवत हो जाता ह जो बार-बार रोन

लगता ह कभी लजजा छोड़कर उचच ःवर स गान लगता ह कभी नाचन लगता ह ऐसा मरा भ समम ससार को पिवऽ करता ह (ौीमदभागवतः 111424)

धनय ह वह मसलमान बालक जो गौराग क कीतरन म आता ह और िजसन गौराग स मऽदीकषा ली ह

उस मसलमान बालक का नाम हिरदास रखा गया मसलमान लोगो न उस हिरभ हिरदास को फसलान की बहत च ा की बहत डराया िक त गौराग क पास जाना छोड़ द नही तो हम यह करग वह करग िकनत हिरदास बहका नही उसका भय न हो गया था दमरित दर हो चकी थी उसकी सदबि और िन ा भगवान क धयान म लग गयी थी भयनाशन दमरित हरण किल म हिर को नाम यह नानक जी का वचन मानो उसक जीवन म साकार हो उठा था

काज़ी न षडयऽ करक उस पर कस िकया और फरमान जारी िकया िक हिरदास को बत मारत-मारत बीच बाजार स ल जाकर यमना म डाल िदया जाय

िनभ क हिरदास न बत की मार खाना ःवीकार िकया िकनत हिरभि छोड़ना ःवीकार न िकया िनि त िदन हिरदास को बत मारत हए ल जाया जान लगा िसपाही बत मारता ह तो हिरदास बोलता हः हिर बोल

हमको हिर बोल बलवाता ह य ल हिर बोल हिर बोल (सटाकसटाक) िसपाही बोलत हः हम तझ बत मारत ह तो कया तझ पीड़ा नही होती त हमस भी हिर

बोल हिर बोल करवाना चाहता ह

हिरदासः पीड़ा तो शरीर को होती ह म तो आतमा ह मझ तो पीड़ा नही होती तम भी यार स एक बार हिर बोल कहो

िसपाहीः ह हम भी हिर बोल कह हमस हिर बोल बलवाता ह ल य हिर बोल (सटाक)

हिरदास सोचता ह िक बत मारत हए भी तो य लोग हिर बोल कह रह ह चलो इनका क याण होगा िसपाही बत मारत जात ह सटाक सटाक और हिरदास हिर बोल बोलता भी जाता ह बलवाता भी जाता ह हिरदास को कई बत पड़न पर भी उसक चहर पर दःख की रखा तक नही िखचती

हवालदार पछता हः हिरदास तझ बत पड़न क बावजद भी तरी आखो म चमक ह चहर पर धयर शाित और सननता झलक रही ह कया बात ह

हिरदासः म बोलता ह हिर बोल तब िसपाही ब होकर भी कहत हः ह हमस भी बलवाता ह हिर बोल हिर बोल हिर बोल तो ल इस बहान भी उनक मह स हिरनाम िनकलता ह दर सवर उनका भी क याण होगा इसी स मर िच म सननता ह

धनय ह हिरदास की हिरभि बर काज़ी क आदश का पालन करत हए िसपाही उस हिरभि स िहनद धमर की दीकषा स चयत करन क िलए बत मारत ह िफर भी वह िनडर हिरभि नही छोड़ता हिर बोल बोलना बद नही करता

व मसलमान िसपाही हिरदास को िहनद धमर की दीकषा क भाव स गौरा क भाव स दर हटाना चाहत थ लिकन वह दर नही हटा बत सहता रहा िकनत हिर बोल बोलना न छोड़ा आिखरकार उन बर िसपाहीयो न हिरदास को उठाकर नदी म बहा िदया

नदी म तो बहा िदया लिकन दखो हिरनाम का भाव मानो यमनाजी न उसको गोद म ल िलया डढ़ मील तक हिरदास पानी म बहता रहा वह शातिच होकर मानो उस पानी म नही हिर की कपा म बहता हआ दर िकसी गाव क िकनार िनकला दसर िदन गौराग की भातफरी म शािमल हो गया लोग आ यरचिकत हो गय िक चमतकार कस हआ

धनय ह वह मसलमान यवक हिरदास जो हिर क धयान म हिर क गान म हिर क कीतरन म गौराग क साथ रहा जस िववकाननद क साथ भिगनी िनविदता न भारत म अधयातम-धणर क चार म लगकर अपना नाम अमर कर िदया वस ही इस मसलमान यवक न हिरकीतरन म हिरधयान म अपना जीवन धनय कर िदया दजरन लोग हिरदास का बाल तक न बाका कर सक जो सचच दय स भगवान का हो जाता ह उसकी हजारो शऽ िमलकर भी कछ हािन नही कर सकत तो उस काज़ी की कया ताकत थी

लोगो न जाकर काज़ी स कहा िक आज हिरदास पनः गौराग की भातफरी म उपिःथत हो गया था काजी अतयनत अहकारी था उसन एक नोिटस भजा एक आदश चतनय महाभ (गौराग) को भजा िक कल स तम भातफरी नही िनकाल सकत तमहारी भातफरी पर बिदश लगाई जाती ह

गौराग न सोचा िक हम िकसी का बरा नही करत िकसी को कोई हािन नही पहचात अर वायम डल क दषण को दर करन क िलए तो शासन पस खचर करता ह िकनत िवचारो क दषण को दर करन क िलए हिरकीतरन जसा हिरभि जसा अमोघ उपाय कौन सा ह भल काजी और शासन की समझ म आय या न आय वातावरण को श करन क साथ-साथ िवचारो का दषण भी दर होना चािहए हम तो कीतरन करग और करवायग

जो लोग डरपोक थ भीर और कायर थ ढील-ढाल थ व बोलः बाबा जी रहन दो रहन दो अपना कया जो करग व भरग अपन तो घर म ही रहकर हिर ॐ हिर ॐ करग

गौराग न कहाः नही इस कार कायरो जसी बात करना ह तो हमार पास मत आया करो

दसर िदन जो डरपोक थ ऐस पाच-दस वयि नही आय बाकी क िहममतवाल िजतन थ व सब आय उनह दखकर और लोग भी जड़

गौराग बोलः आज हमारी भातफरी की पणारहित काजी क घर पर ही होगी

गौराग भ -म डली क साथ कीतरन करत-करत जब बाजार स गज़र तो कछ िहनद एव मसलमान भी कीतरन म जड़ गय उनको भी कीतरन म रस आन लगा व लोग काजी को गािलया दन लग िक काजी बदमाश ह ऐसा ह वसा ह आिद ETH आिद

तब गौराग कहत हः नही शऽ क िलए भी बरा मत सोचो

उनहोन सबको समझा िदया िक काजी क िलए कोई भी अपश द नही कहगा कसी महान ह हमारी िहनद सःकित िजसन हिरदास को बत मारन का आदश िदया उस कवल अपश द कहन क िलए भी गौराग मना कर रह ह इस भारती सःकित म िकतनी उदारता ह स दयता ह लिकन कायरता को कही भी ःथान नही ह

गौराग कीतरन करत-करत काजी क घर क िनकट पहच गय काजी घर की छत पर स इस भातफरी को दखकर दग रह गया िक मर मना करन पर भी इनहोन भातफरी िनकाली

और मर घर तक ल आय उसम मसलमान लड़क भी शािमल ह जयो ही वह भातफरी काजी क घर पहची काजी घर क अनदर िछप गया

गौराग न काजी का ार खटखटाया तब काजी या काजी की प ी न नही वरन चौकीदार न दरवाजा खोला वह बोलाः

काजी साहब घर पर नही ह

गौराग बोलः नही कस ह अभी तो हमन उनह घर की छत पर दखा था काजी को जाकर बोलो हमार मामा और मा भी िजस गाव की ह आप भी उसी गाव क हो इसिलए आप मर गाव क मामा लगत ह मामाजी भानजा ार पर आय और आप छप कर बठ यह शोभा नही दता बाहर आ जाईय

चौकीदार न जाकर काजी को सब कह सनाया गौराग क मभर वचन सनकर काजी का दय िपघल गया िजस पर मन ज म ढाय वह मझ मामा कहकर सबोिधत करता ह िजसक साथ मन बरता की वह मर साथ िकतना औदायर रखता ह यह सोचकर काजी का दय बदल गया वह ार पर आकर बोलाः

म तमस डरकर अनदर नही छपा कयोिक मर पास तो स ा ह कलम की ताकत ह लिकन हिरकीतरन स हिरनाम स िहनद तो कया मसलमान लड़क भी आनिदत हो रह ह उनका भी लह पिवऽ हो रहा ह यह दखकर मझ दःख हो रहा ह िक िजस नाम क उचचारण स उनकी रग-रग पावन हो रही ह उसी नाम क कारण मन हिरदास पर और तम पर ज म िकया िकसी क बहकाव म आकर तम लोगो पर फरमान जारी िकया अब म िकस मह स तमहार सामन आता इसीिलए म मह िछपाकर घर क अनदर घस गया था

भानजा(गौराग) बोलता हः मामा अब तो बाहर आ जाइय

मामा(काजी) बोलाः बाहर आकर कया कर

गौरागः कीतरन कर हिरनाम क उचचारण स छपी हई यो यता िवकिसत कर आनद गट कर

काजीः कया करना होगा

गौरागः म जसा बोलता ह ऐसा ही बोलना होगा बोिलएः हिर बोल हिर बोल

काजीः हिर बोल हिर बोल

गौरागः हिर बोल हिर बोल

काजीः हिर बोल हिर बोल

हिर बोल हिर बोल हिर बोल हिर बोल

हिर बोल हिर बोल हिर बोल हिर बोल

कीतरन करत-करत गौराग न अपनी िनगाहो स काजी पर कपा बरसाई तो काजी भी झमन लगा उस भी हिर बोल का रग लग गया जस इजन को ह डल दकर छोड़ दत ह तब भी इजन चलता रहता ह ऐस ही गौराग की कपादि स काजी भी झमन लगा

काजी क झमन स वातावरण म और भी रग आ गया काजी तो झम गया काजी की प ी भी झमी और चौकीदार भी झम उठा सब हिरकीतरन म झमत-झमत अपन र को पावन करन लग दय को हिररस स सराबोर करन लगा उनक जनम-जनम क पाप-ताप न होन लग िजस पर भगवान की दया होती ह िजसको साधओ का सग िमलता ह सतसग का सहारा िमलता ह और भारतीय सःकित की महानता को समझन की अकल िमलती ह िफर उसक उ ार म कया बाकी रह जाता ह काजी का तो उ ार हो गया

दखो सत की उदारता एव महानता िजसन िहनदओ पर ज म करवाय भ हिरदास को बत मरवात-मरवात यमना जी म डलवा िदया भातफरी पर ितबध लगवा िदया उसी काजी को गौराग न हिररग म रग िदया अपनी कपादि स िनहाल कर िदया उसक बर कम की धयान न दत हए भि का दान द िदया ऐस गौराग क ौीचरणो म हमार हजार-हजार णाम ह हम उस मसलमान यवक हिरदास को भी धनयवाद दत ह िक उसन बत खात पीड़ा सहत भी भि न छोड़ी गरदव को न छोड़ा न ही उनक दबाव म आकर पनः मसलमान बना हिर बोल क रग म ःवय रगा और िसपािहयो को भी रग िदया धनय ह हिरदास और उसकी हिरभि

(अनबम)

बनावटी ौगार स बचो जमरनी क िस दाशरिनक शोपनहार कहत ह िक िजन दशो म हिथयार बनाय जात ह

उन दशो क लोगो को य करन की उ जना होती ह और उन दशो म हिथयार बनत ही रहत ह य भी होत रहत ह ऐस ही जो लोग फशन करत ह उनक दय म काम बोध लोभ मोह रपी य होता ही रहता ह उनक जीवन म िवलािसता आती ह और पतन होता ह वस ही फशन और िवलािसता स सयम सदाचार और यो यता का सहार होता ह

इसिलए य क साधन बढ़न स जस य होता ह वस ही िवलािसता और फशन क साधनो का उपयोग करन स अतयर होता ह अपनी आितमक शि यो का सहार होता ह अतः अपना भला चाहन वाल भाई-बहनो को पफ-पाउडर िलपिःटक-लाली व -अलकार क िदखाव क पीछ नही पड़ना चािहए सयम सादगी एव पिवऽतापणर जीवन जीना चािहए

अपन शा ो म ौगार की अनमित दी गई ह सौभा यवती ि या जब पित अपन ही नगर म हो घर म हो तब ौगार कर पित यिद दर दश गया हो तब सौभा यवित ि यो को भी सादगीपणर जीवन जीना चािहए ौगार क उपयोग म आनवाली वःतए भी वनिःपतयो एव साि वक रसो स बनी हई होनी चािहए जो सननता और आरो यता दान कर

आजकल तो शरीर म उ जना पदा कर बीमािरया पदा कर ऐस किमक स(रसायनो) और जहर जस साधनो स ौगार-साधन बनाए जात ह िजसस शरीर क अनदर जहरील कण जात ह और तवचा की बीमािरया होती ह आहार म भी जहरील कणो क जान स पाचन-तऽ और मानिसक सतलन िबगड़ता ह साथ ही बौि क एव वचािरक सतलन भी िबगड़ता ह

पशओ की चब किमक स और दसर थोड़ जहरील िवयो स बन पफ-पाउडर िलपिःटक-लाली आिद िजन साधनो का यटी-पालरर म उपयोग िकया जाता ह वसी गदगी कभी-भी अपन शरीर को तो लगानी ही नही चािहए दसर लोगो न लगायी हो तो दखकर सनन भी नही होना चािहए अपन सयम और सदाचार की सनदरता को गट करना चािहए मीरा और शबरी िकस यटी-पालरर म गय थ सती अनसया गाग और मदालसा न िकस पफ-पाउडर लाली-िलपिःटक का उपयोग िकया था िफर भी उनका जीवन सनदर तजःवी था हम भी ई र स ाथरना कर िक ह भगवान हम अपना सयम और साधना का सौनदयर बढ़ाए ऐसी त दया करना िवकारी सौनदयर स अपन को बचाकर िनिवरकारी नारायण की ओर जाय ऐसी त दया करना िवलािसता म अपन समय को न लगाकर तर ही धयान-िचतन म हमारा समय बीत ऐसी त कपा करना

किऽम सौनदयर-साधन स तवचा की िःन धता और कोमलता मर जाती ह पफ-पाउडर बीम आिद स शरीर की कदरती िःन धता खतम हो जाती ह ाकितक सौनदयर को न करक

जो किऽम सौनदयर क गलाम बनत ह उनस ःनहभरी सलाह ह िक व पफ-पाउडर आिद और तड़कील-भड़कील व आिद की गलामी को छोड़कर ाकितक सौनदयर को बढ़ान की कोिशश कर मीरा और मदालसा की तरह अपन असली सौनदयर को कट करन की कोिशश कर

(अनबम)

साहसी बालक एक लड़का काशी म हिर नि हाईःकल म पढ़ता था उसका गाव काशी स आठ मील दर

था वह रोजाना वहा स पदल चलकर आता बीच म जो गगा नदी बहती ह उस पार करक िव ालय पहचता

उस जमान म गगा पार करन क िलए नाव वाल को दो पस दन पड़त थ दो पस आन क और दो पस जान क कल चार पस यािन पराना एक आना महीन म करीब दो रपय हए जब सोन क एक तोल का भाव रपया सौ स भी नीच था तब क दो रपय आज क तो पाच-पचचीस रपय हो जाए

उस लड़क न अपन मा-बाप पर अितिर बोझा न पड़ इसिलए एक भी पस की माग नही की उसन तरना सीख िलया गम हो बािरश हो या ठ ड हो गगा पार करक हाईःकल म जाना उसका बम हो गया इस कार िकतन ही महीन गजर गय

एक बार पौष मास की ठ ड म वह लड़का सबह की ःकल भरन क िलए गगा म कदा तरत-तरत मझधार म आया एक नाव म कछ याऽी नदी पार कर रह थ उनहोन दखा िक छोटा-सा लड़का अभी डब मरगा व उसक पास नाव ल गय और हाथ पकड़ कर उस नाव म खीच िलया लड़क क मख पर घबराहट या िचनता की कोई रखा नही थी सब लोग दग रह गय इतना छोटा ह और इतना साहसी ह व बोलः

त अभी डब मरता तो ऐसा साहस नही करना चािहए

तब लड़का बोलाः साहस तो होना ही चािहए जीवन म िव न-बाधाए आयगी उनह कचलन क िलए साहस तो चािहए ही अगर अभी स साहस नही जटाया तो जीवन म बड़-बड़ कायर कस कर पायग

लोगो न पछाः इस समय तरन कयो िगरा दोपहर को नहान आता

लड़का बोलता हः म नहान क िलए नदी म नही िगरा ह म तो ःकल जा रहा ह

नाव म बठकर जाता

रोज क चार पस आन-जान क लगत ह मर गरीब मा-बाप पर मझ बोझा नही बनना ह मझ तो अपन परो पर खड़ होना ह मरा खचर बढ़ तो मर मा-बाप की िचनता बढ़ उनह घर चलाना मिकल हो जाय

लोग उस आदर स दखत ही रह गय वही साहसी लड़का आग चलकर भारत का धान मऽी बना

वह लड़का कौन था पता ह व थ लाल बहादर शा ी शा ी जी उस पद भी सचचाई साहस सरलता ईमानदारी सादगी दशम आिद सदगण और सदाचार क मितरमनत ःवरप थ ऐस महापरष भल िफर थोड़ा-सा समय ही राजय कर पर एक अनोखा भाव छोड़ जात ह जनमानस पर

(अनबम)

गर-आजञापालन का चमतकार ौीम आ ाशकराचायर जी जब काशी म िनवास करत थ तब गगा-तट पर िनतय ात-

काल टहलत थ एक सबह िकसी ितभासपनन यवक न दसर िकनार स दखा िक कोई सनयासी उस पार टहल रह ह उस यवक न दसर िकनार स ही उनह णाम िकया उस यवक को दखकर आ शकराचायर जी न सकत िकया िक इधर आ जाओ उस आभासमपनन यवक न दखा िक मन तो साध को णाम कर िदया ह णाम कर िदया तो म उनका िशय हो गया और उनहोन मझ आदश िदया िक इधर आ जाओ अब गर की आजञा का उ लघन करना भी तो उिचत नही ह िकनत यही कोई नाव नही ह और म तरना भी नही जानता ह अब कया कर उसक मन म िवचार आया िक वस भी तो हजारो बार हम मर चक ह एक बार यिद गर क दशरन क िलए जात-जात मर जाय तो घाटा कया होगा

गग मात की जय कह कर उस यवक न तो गगाजी म पर रख िदया उसकी इचछा कहो ौीम आ शकराचायर जी का भाव कहो या िनयित की लीला कहो जहा उस यवक न कदम रखा वहा एक कमल पदा हो गया उसक पर को थामन क िलए जब दसरा पर रखा तो वहा भी कमल पदा हो गया इस कार जहा-जहा वह कदम रखता गया वहा कमल (प ) उतपनन होता गया और वह यवक गगा क दसर तट पर जहा आ शकराचायर जी खड़ थ पहच गया

जहा-जहा वह कदम रखता था वहा-वहा प (कमल) क कट होन क कारण उसका नाम पड़ा - प पादाचायर शकराचायर जी क म य चार प टिशयो म आग जाकर यही प पादाचायर एक प टिशय बन

कहन का तातपयर यह ह िक सिचचदानद परमातमा की शि का सामथयर का बयान करना सभव नही ह िजसकी िजतनी दढ़ता ह िजसकी िजतनी सचचाई ह िजसकी िजतनी ततपरता ह उतनी ही कित भी उसकी मदद करन को आतर रहती ह प पादाचायर की गर-आजञापालन म दढ़ता और ततपरता को दखकर गगा जी म कमल गट हो गय िशय यिद दढ़ता ततपरता और ईमानदारी स गर-आजञापालन म लग जाय तो कित भी उसक अनकल हो जाती ह

(अनबम)

अनोखी गरदिकषणा एकलवय गर िोणाचायर क पास आकर बोलाः मझ धनिवर ा िसखान की कपा कर

गरदव गर िोणाचायर क समकष धमरसकट उतपनन हआ कयोिक उनहोन भीम िपतामह को वचन

द िदया था िक कवल राजकमारो को ही म िशकषा दगा एकलवय राजकमार नही ह अतः उस धनिवर ा कस िसखाऊ अतः िोणाचायर न एकलवय स कहाः

म तझ धनिवर ा नही िसखा सकगा

एकलवय घर स िन य करक िनकला था िक म कवल गर िोणाचायर को ही गर बनाऊगा िजनक िलए मन म भी गर बनान का भाव आ गया उनक िकसी भी वयवहार क िलए िशकायत या िछिानवषण की वि नही होनी चािहए

एकलवय एकात अर य म गया और उसन गर िोणाचायर की िम टी की मितर बनायी मितर की ओर एकटक दखकर धयान करक उसी स रणा लकर वह धनिवर ा सीखन लगा एकटक दखन स एकामता आती ह एकामता गरभि अपनी सचचाई और ततपरता क कारण उस रणा िमलन लगी जञानदाता तो परमातमा ह धनिवर ा म वह बहत आग बढ़ गया

एक बार िोणाचायर पाडव एव कौरव धनिवर ा का योग करन अर य म आय उनक साथ एक क ा भी था जो थोड़ा आग िनकल गया क ा वही पहचा जहा एकलवय अपनी धनिवर ा का योग कर रहा था एकलवय क खल बाल फट कपड़ एव िविचऽ वष को दखकर क ा भ कन लगा

एकलवय न क को लग नही चोट न पहच और उसका भ कना बद हो जाय इस ढग स सात बाण उसक मह म थमा िदय क ा वािपस वहा गया जहा िोणाचायर क साथ पाडव और कौरव थ

उस दखकर अजरन को हआ िक क को चोट न लग इस ढग स बाण मह म घसाकर रख दना यह िव ा तो म भी नही जानता यह कस सभव हआ वह गर िोणाचायर स बोलाः

गरदव आपन तो कहा था िक मरी बराबरी का दसरा कोई धनधाररी नही होगा िकनत ऐसी िव ा तो मझ भी नही आती

िोणाचायर को हआ िक दख इस अर य म कौन-सा ऐसा कशल धनधरर ह आग जाकर दखा तो वह था िहर यधन का पऽ गरभ एकलवय

िोणाचायर न पछाः बटा यह िव ा त कहा स सीखा

एकलवय बोलाः गरदव आपकी ही कपा स सीखा ह

िोणाचायर तो वचन द चक थ िक अजरन की बराबरी का धनधरर दसरा कोई न होगा िकनत यह तो आग िनकल गया गर क िलए धमरसकट खड़ा हो गया एकलवय की अटट ौ ा दखकर िोणाचायर न कहाः मरी मितर को सामन रखकर त धनिवर ा तो सीखा िकनत गरदिकषणा

एकलवयः जो आप माग

िोणाचायरः तर दाय हाथ का अगठा

एकलवय न एक पल भी िवचार िकय िबना अपन दाय हाथ का अगठा काटकर गरदव क चरणो म अपरण कर िदया

िोणाचायरः बटा भल ही अजरन धनिवर ा म सबस आग रह कयोिक म उस वचन द चका ह िकनत जब तक सयर चनि नकषऽो का अिःततव रहगा तब तक लोग तरी गरिन ा का तरी गरभि का ःमरण करग तरा यशोगान होता रहगा

उसकी गरभि और एकामता न उस धनिवर ा म तो सफलता िदलायी ही लिकन सतो क दय म भी उसक िलए आदर गट करवा िदया धनय ह एकलवय जो गरमितर स रणा पाकर धनिवर ा म सफल हआ और िजसन अदभत गरदिकषणा दकर साहस तयाग और समपरण का पिरचय िदया

(अनबम)

सतसग की मिहमा तलसीदास जी महाराज कहत ह ETH

एक घड़ी आधी घड़ी आधी म पिन आध तलसी सगत साध की हर कोिट अपराध

एक बार शकदव जी क िपता भगवान वदवयासजी महाराज कही जा रह थ राःत म उनहोन दखा िक एक कीड़ा बड़ी तजी स सड़क पार कर रहा था

वदवयासजी न अपनी योगशि दत हए उसस पछाः त इतनी ज दी सड़क कयो पार कर रहा ह कया तझ िकसी काम स जाना ह त तो

नाली का कीड़ा ह इस नाली को छोड़कर दसरी नाली म ही तो जाना ह िफर इतनी तजी स कयो भाग रहा ह

कीड़ा बोलाः बाबा जी बलगाड़ी आ रही ह बलो क गल म बध घघर तथा बलगाड़ी क पिहयो की आवाज म सन रहा ह यिद म धीर-धीर सड़क पार करगा तो वह बलगाड़ी आकर मझ कचल डालगी

वदवयासजीः कचलन द कीड़ की योिन म जीकर भी कया करना

कीड़ाः महिषर ाणी िजस शरीर म होता ह उसको उसम ही ममता होती ह अनक ाणी नाना कार क क ो को सहत हए भी मरना नही चाहत

वदवयास जीः बलगाड़ी आ जाय और त मर जाय तो घबराना मत म तझ योगशि स महान बनाऊगा जब तक ा ण शरीर म न पहचा द अनय सभी योिनयो स शीय छटकारा िदलाता रहगा

उस कीड़ न बात मान ली और बीच राःत पर रक गया और मर गया िफर वदवयासजी की कपा स वह बमशः कौआ िसयार आिद योिनयो म जब-जब भी उतपनन हआ वयासजी न जाकर उस पवरजनम का ःमरण िदला िदया इस तरह वह बमशः मग पकषी शि वय जाितयो म जनम लता हआ कषिऽय जाित म उतपनन हआ उस वहा भी वदवयासजी दशरन िदय थोड़ िदनो म रणभिम म शरीर तयागकर उसन ा ण क घर जनम िलया

भगवान वदवयास जी न उस पाच वषर की उ म सारःवतय मऽ द िदया िजसका जप करत-करत वह धयान करन लगा उसकी बि बड़ी िवलकषण होन पर वद शा धमर का रहःय समझ म आ गया

सात वषर की आय म वदवयास जी न उस कहाः काि रक कषऽ म कई वष स एक ा ण ननदभि तपःया कर रहा ह तम जाकर उसकी

शका का समाधान करो

माऽ सात वषर का ा ण कमार काि रक कषऽ म तप कर रह उस ा ण क पास पहच कर बोलाः

ह ा णदव आप तप कयो कर रह ह

ा णः ह ऋिषकमार म यह जानन क िलए तप कर रहा ह िक जो अचछ लोग ह सजजन लोग ह व सहन करत ह दःखी रहत ह और पापी आदमी सखी रहत ह ऐसा कयो ह

बालकः पापी आदमी यिद सखी ह तो पाप क कारण नही वरन िपछल जनम का कोई प य ह उसक कारण सखी ह वह अपन प य खतम कर रहा ह पापी मनय भीतर स तो दःखी ही होता ह भल ही बाहर स सखी िदखाई द

धािमरक आदमी को ठ क समझ नही होती उिचत िदशा व मऽ नही िमलता इसिलए वह दःखी होता ह वह धमर क कारण दःखी नही होता अिपत समझ की कमी क कारण दःखी होता ह समझदार को यिद कोई गर िमल जाय तो वह नर म स नारायण बन जाय इसम कया आ यर ह

ा णः म इतना बढ़ा हो गया इतन वष स काि रक कषऽ म तप कर रहा ह मर तप का फल यही ह िक तमहार जस सात वषर क योगी क मझ दशरन हो रह ह म तमह णाम करता ह

बालकः नही नही महाराज आप तो भदव ह म तो बालक ह म आपको णाम करता ह

उसकी नता दखकर ा ण और खश हआ तप छोड़कर वह परमातमिचनतन म लग गया अब उस कछ जानन की इचछा नही रही िजसस सब कछ जाना जाता ह उसी परमातमा म िवौाित पान लग गया

इस कार ननदभि ा ण को उ र द िनःशक कर सात िदनो तक िनराहार रहकर वह बालक सयरमनऽ का जप करता रहा और वही बहदक तीथर म उसन शरीर तयाग िदया वही बालक दसर जनम म कषार िपता एव िमऽा माता क यहा गट हआ उसका नाम मऽय पड़ा इनहोन वयासजी क िपता पराशरजी स िवण-पराण तथा बहत पाराशर होरा शा का अधययन िकया था पकषपात रिहत अनभवकाश नामक मनथ म मऽय तथा पराशर ऋिष का सवाद आता ह

कहा तो सड़क स गजरकर नाली म िगरन जा रहा कीड़ा और कहा सत क सािननधय स वह मऽय ऋिष बन गया सतसग की बिलहारी ह इसीिलए तलसीदास जी कहत ह ETH

तात ःवगर अपवगर सख धिरअ तला एक अग तल न तािह सकल िमली जो सख लव सतसग

यहा एक शका हो सकती ह िक वह कीड़ा ही मऽय ऋिष कयो नही बन गया

अर भाई यिद आप पहली ककषा क िव ाथ हो और आपको एम ए म िबठाया जाय तो कया आप पास हो सकत हो नही दसरी तीसरी चौथी दसवी बारहवी बीए आिद पास करक ही आप एमए म वश कर सकत हो

िकसी चौकीदार पर कोई धानमनऽी अतयिधक सनन हो जाए तब भी वह उस सीधा कलकटर (िजलाधीश) नही बना सकता ऐस ही नाली म रहन वाला कीड़ा सीधा मनय तो नही

हो सकता बि क िविभनन योिनयो को पार करक ही मनय बन सकता ह हा इतना अवय ह िक सतकपा स उसका मागर छोटा हो जाता ह

सतसमागम की साध परषो स सग की मिहमा का कहा तक वणरन कर कस बयान कर एक सामानय कीड़ा उनक सतसग को पाकर महान ऋिष बन सकता ह तो िफर यिद मानव को िकसी सदगर का सािननधय िमल जाय उनक वचनानसार चल पड़ तो मि का अनभव करक जीवनम भी बन सकता ह

(अनबम)

पीड़ पराई जान र जञानी िकसी स यार करन क िलए बध हए नही ह और िकसी को डाटन म भी राजी

नही ह हमारी जसी यो यता होती ह ऐसा उनका वयवहार हमार ित होता ह लीलाशाह बाप क ौीचरणो म बहत लोग गय थ एक लड़का भी गया था वह मिणनगर

म रहता था िशवजी को जल चढ़ान क प ात ही वह जल पीता वह लड़का खब िन ा स धयान-भजन करता और सवा पजा करता

एक िदन कोई वयि राःत म बहोश पड़ा हआ था िशवजी को जल चढ़ान जात समय उस बालक न उस दखा और अपनी पजा-वजा छोड़कर उस गरीब की सवा म लग गया िबहार का कोई यवक था नौकरी की खोज म आया था कालपर(अहमदाबाद) ःटशन क लटफामर पर एक दो िदन रहा किलयो न मारपीट कर भगा िदया चलत-चलत मिणनगर म पनीत आौम की ओर रोटी की आशा म जा रहा था रोटी तो वहा नही िमलती थी इसिलए भख क कारण चलत-चलत राःत म िगर गया और बहोश हो गया

उस लड़क का घर पनीत आौम क पास ही था सबह क दस साढ़ दस बज थ वह लड़का घर स धयान-भजन स िनपटकर मिदर म िशवजी को जल चढ़ान क िलए जल का लोटा और पजा की साममी लकर जा रहा था उसन दखा िक राःत म कोई यवक पड़ा ह राःत म चलत-चलत लोग बोलत थः शराब पी होगी यह होगा वह होगा हम कया

लड़क को दया आई प य िकय हए हो तो रणा भी अचछ िमलती ह शभ कम स शभ रणा िमलती ह अपन पास की पजा साममी एक ओर रखकर उसन उस वयि को िहलाया बहत मिकल स उसकी आख खली कोई उस जत सघाता कोई कछ करता कोई कछ बोलता था

आख खोलत ही वह वयि धीर स बोलाः पानी पानी

लड़क न महादव जी क िलय लाया हआ जल का लोटा उस िपला िदया िफर दोड़कर घर जाकर अपन िहःस का दध लाकर उस िदया

यवक क जी म जी आया उसन अपनी वयथा बतात हए कहाः बाब जी म िबहार स आया ह मर बाप गजर गय काका िदन-रात टोकत रहत त िक

कमाओ नही तो खाओग कया नौकरी धधा िमलता नही ह भटकत-भटकत अहमदाबाद क ःटशन पर कली का काम करन का य िकया हमारी रोटी-रोजी िछन जायगी ऐसा समझकर किलयो न खब मारा पदल चलत-चलत मिणनगर ःटशन की ओर आत-आत यहा तीन िदन की भख और मार क कारण चककर आय और िगर गया

लड़क न उस िखलाया अपना इक ठा िकया हआ जबखचर का पसा िदया उस यवक को जहा जाना था वहा भजन की वयवःथा की इस लड़क क दय म आनद की वि हई अतर म आवाज आईः

बटा अब म तझ बहत ज दी िमलगा

लड़क न िकयाः अनदर कौन बोलता ह

उ र आयाः िजस िशव की त पजा करता ह वह तरा आतमिशव अब म तर दय म कट होऊगा सवा क अिधकारी की सवा मझ िशव की ही सवा ह

उस िदन उस अतयारमी न अनोखी ऱणा और ोतसाहन िदया वह लड़का तो िनकल पड़ा घर छोड़कर ई र-साकषातकार करन क िलए कदारनाथ वनदावन होत हए निनताल क अर य म पहचा

कदारनाथ क दशरन पाय लकषािधपित आिशष पाय

इस आशीवारद को वापस कर ई राि क िलए िफर पजा की उसक पास जो कछ रपय पस थ उनह वनदावन म साध-सतो एव गरीबो म भ डारा करक खचर कर िदया था थोड़ स पस लकर निनताल क अर यो म पहचा लोकलाड़ल लाखो दयो को हिररस िपलात पजयपाद सदगर ौी लीलाशाह बाप की राह दखत हए चालीस िदन बीत गय गरवर ौी लीलाशाह को अब पणर समिपरत िशय िमला पणर खजाना ा करन वाला पिवऽातमा िमला पणर गर की पणर िशय िमला

िजस लड़क क िवषय म यह कथा पढ़ रह ह वह लड़का कौन होगा जानत हो

पणर गर कपा िमली पणर गर का जञान आसमल स हो गय साई आसाराम

अब तो समझ ही गय होग (उस लड़क क वश म छप हए थ पवर जनम क योगी और वतरमान म िव िव यात हमार

पजयपाद सदगरदव ौी आसाराम जी महाराज)

(अनबम)

िवकास क बिरयो स सावधान किपलवःत क राजा श ोदन का यवराज था िस ाथर यौवन म कदम रखत ही िववक

और वरा य जाग उठा यवान प ी यशोधरा और नवजात िशश राहल की मोह-ममता की रशमी जजीर काटकर महाभीिनबमण (गहतयाग) िकया एकानत अर य म जाकर गहन धयान साधना करक अपन साधय त व को ा कर िलया

एकानत म तप यार और धयान साधना स िखल हए इस आधयाितमक कसम की मधर

सौरभ लोगो म फलन लगी अब िस ाथर भगवान ब क नाम स जन-समह म िस हए हजारो हजारो लोग उनक उपिद मागर पर चलन लग और अपनी अपनी यो यता क मतािबक आधयाितमक याऽा म आग बढ़त हए आितमक शाित ा करन लग अस य लोग बौ िभकषक बनकर भगवान ब क सािननधय म रहन लग उनक पीछ चलन वाल अनयायीओ का एक सघ ःथािपत हो गया चह ओर नाद गजन लग िकः

ब शरण गचछािम धमम शरण गचछािम सघ शरण गचछािम

ौावःती नगरी म भगवान ब का बहत यश फला लोगो म उनकी जय-जयकार होन लगी लोगो की भीड़-भाड़ स िवर होकर ब नगर स बाहर जतवन म आम क बगीच म रहन लग नगर क िपपास जन बड़ी तादाद म वहा हररोज िनि त समय पर पहच जात और उपदश-वचन सनत बड़-बड़ राजा महाराजा भगवान ब क सािननधय म आन जान लग

समाज म तो हर कार क लोग होत ह अनािद काल स दवी समपदा क लोग एव आसरी समपदा क लोग हआ करत ह ब का फलता हआ यश दखकर उनका तजो ष करन वाल लोग जलन लग सतो क साथ हमशा स होता आ रहा ह ऐस उन द त वो न ब को बदनाम करन क िलए कचार िकया िविभनन कार की यि -यि या लड़ाकर ब क यश को हािन पहच ऐसी बात समाज म व लोग फलान लग उन द ो न अपन ष यऽ म एक वया को समझा-बझाकर शािमल कर िलया

वया बन-ठनकर जतवन म भगवान ब क िनवास-ःथानवाल बगीच म जान लगी

धनरािश क साथ द ो का हर कार स सहारा एव ोतसाहन उस िमल रहा था रािऽ को वही रहकर सबह नगर म वािपस लोट आती अपनी सिखयो म भी उसन बात फलाई

लोग उसस पछन लगः अरी आजकल त िदखती नही ह कहा जा रही ह रोज रात को

म तो रोज रात को जतवन जाती ह व ब िदन म लोगो को उपदश दत ह और रािऽ क समय मर साथ रगरिलया मनात ह सारी रात वहा िबताकर सबह लोटती ह

वया न परा ीचिरऽ आजमाकर ष यऽ करन वालो का साथ िदया लोगो म पहल तो हलकी कानाफसी हई लिकन जयो-जयो बात फलती गई तयो-तयो लोगो म जोरदार िवरोध होन लगा लोग ब क नाम पर िफटकार बरसान लग ब क िभकषक बःती म िभकषा लन जात तो लोग उनह गािलया दन लग ब क सघ क लोग सवा-वि म सल न थ उन लोगो क सामन भी उगली उठाकर लोग बकवास करन लग

ब क िशय जरा असावधान रह थ कचार क समय साथ ही साथ स चार होता तो कचार का इतना भाव नही होता िशय अगर िनिबय रहकर सोचत रह जाय िक करगा सो भरगा भगवान उनका नाश करग तो कचार करन वालो को ख ला मदान िमल जाता ह

सत क सािननधय म आन वाल लोग ौ ाल सजजन सीध साद होत ह जबिक द वि करन वाल लोग किटलतापवरक कचार करन म कशल होत ह िफर भी िजन सतो क पीछ सजग समाज होता ह उन सतो क पीछ उठन वाल कचार क तफान समय पाकर शात हो जात ह और उनकी सतवि या काशमान हो उठती ह

कचार न इतना जोर पकड़ा िक ब क िनकटवत लोगो न ऽािहमाम पकार िलया व समझ गय िक यह वयविःथत आयोजनपवरक ष यऽ िकया गया ह ब ःवय तो पारमािथरक सतय म जाग हए थ व बोलतः सब ठ क ह चलन दो वयवहािरक सतय म वाहवाही दख ली अब िननदा भी दख ल कया फकर पड़ता ह

िशय कहन लगः भनत अब सहा नही जाता सघ क िनकटवत भ भी अफवाहो क िशकार हो रह ह समाज क लोग अफवाहो की बातो को सतय मानन लग गय ह

ब ः धयर रखो हम पारमािथरक सतय म िवौाित पात ह यह िवरोध की आधी चली ह तो शात भी हो जाएगी समय पाकर सतय ही बाहर आयगा आिखर म लोग हम जानग और मानग

कछ लोगो न अगवानी का झ डा उठाया और राजयस ा क समकष जोर-शोर स माग की

िक ब की जाच करवाई जाय लोग बात कर रह ह और वया भी कहती ह िक ब रािऽ को मर साथ होत ह और िदन म सतसग करत ह

ब क बार म जाच करन क िलए राजा न अपन आदिमयो को फरमान िदया अब ष यऽ करनवालो न सोचा िक इस जाच करन वाल पच म अगर सचचा आदमी आ जाएगा तो अफवाहो का सीना चीरकर सतय बाहर आ जाएगा अतः उनहोन अपन ष यऽ को आिखरी

पराका ा पर पहचाया अब ऐस ठोस सबत खड़ा करना चािहए िक ब की ितभा का अःत हो जाय

उनहोन वया को दार िपलाकर जतवन भज िदया पीछ स ग डो की टोली वहा गई वया पर बलातकार आिद सब द कतय करक उसका गला घोट िदया और लाश को ब क बगीच म गाड़कर पलायन हो गय

लोगो न राजयस ा क ार खटखटाय थ लिकन स ावाल भी कछ लोग द ो क साथ जड़ हए थ ऐसा थोड़ ही ह िक स ा म बठ हए सब लोग दध म धोय हए वयि होत ह

राजा क अिधकािरयो क ारा जाच करन पर वया की लाश हाथ लगी अब द ो न जोर-शोर स िच लाना शर कर िदया

दखो हम पहल ही कह रह थ वया भी बोल रही थी लिकन तम भगतड़ लोग मानत ही नही थ अब दख िलया न ब न सही बात खल जान क भय स वया को मरवाकर बगीच म गड़वा िदया न रहगा बास न बजगी बासरी लिकन सतय कहा तक िछप सकता ह म ामाल हाथ लग गया इस ठोस सबत स ब की असिलयत िस हो गई सतय बाहर आ गया

लिकन उन मख का पता नही िक तमहारा बनाया हआ कि पत सतय बाहर आया वाःतिवक सतय तो आज ढाई हजार वषर क बाद भी वसा ही चमक रहा ह आज ब को लाखो लोग जानत ह आदरपवरक मानत ह उनका तजो ष करन वाल द लोग कौन-स नरको म जलत होग कया पता

ढाई हजार वषर पहल ब क जमान म भी सतो क साथ ऐसा घोर अनयाय हआ करता था ऋिष दयाननद को भी ऐस ही त वो न तजो ष क कारण बाईस बार िवष दकर मार डालन का यास िकया ःवामी िववकाननद और ःवामी रामतीथर क पीछ भी द लोगो न वया को तयार करक कीचड़ उछाला था

एक ओर लाखो-लाखो लोग सतो की अनभवय वाणी स अपना वयावहािरक ETH आधयाितमक जीवन उननत करक सख-शाित पात ह दसरी ओर कछ द कित क ःवाथ लोग अपना उ ल सीधा करन क िलए ऐस महापरषो क िवर म ष यऽ रचकर उनको बदनाम करत ह यह तो पहल स चला आ रहा ह सत कबीर हो या नानक एकनाथ महाराज हो या सत तकाराम नरिसह महता हो या मीराबाई ायः सभी सतो को अपन जीवन क दौरान समाज क किटल त वो स पाला पड़ता ही रहा ह जीसस बाइःट को इनही त वो न बॉस पर चढ़ाया था उनही लोगो न सकरात को जहर िपलाकर मतयद ड िदया था मनसर को इसी जमात न शली पर चढ़ाया था ईसाई धमर म माट न यथर पर ज म िकया गया था अण-अण म ई र और नारीमाऽ म जगजजननी भगवती का दशरन करन वाल रामकण परमहस को भी लोगो न नही

छोड़ा था परमहस योगाननद रवीनिनाथ टगोर माट न यथर दिकषण भारत क सत ितरव लवर जापानी झन सत बाबो इितहास म िकतन-िकतन उदाहरण मौजद ह

हािसद धमरगर बा शमटोव अित पिवऽ आतमा थ िननदको न उनक इदरिगदर भी मायाजाल िबछा दी थी िसध क साई टउराम क पास अस य लोग आतमक याण हत जान लग तब िवकत िदमागवालो न उन सत को भी ऽास दना शर कर िदया उनक आौम क चह ओर गदगी डाल दत और कए म िम टी का तल उड़लकर पानी बकार कर दत मगल बादशाह बाबर को बहका कर उनही लोगो न गर नानक को कद करवाया था

भगवान ौीराम एव ौीकण को भी द जनो न छोड़ा नही था भगवान ौीराम क गर विश जी महाराज कहत हः

ह राम जी म जब बाजार स गजरता ह तब अजञानी मखर लोग मर िलए कया बकत ह म सब जानता ह लिकन मरा दयाल ःवभाव ह म इन सबका क याण चाहता ह

तमहार साथ यह ससार कछ अनयाय करता ह तमको बदनाम करता ह िननदा करता ह तो यह ससार की परानी रीत ह मनय की हीनवि कचार िननदाखोरी यह आजकल की ही बात नही ह अनािदकाल स ऐसा होता आया ह तम अपन आतमजञान क सःकार जगाकर आतमबल का िवकास करत जाओ मःकरात जाओ आधी तफानो को लाघकर आननदपवरक जीत जाओ

उस जमान म भगवान ब क पास आकर एक िभकषक न ाथरना कीः भनत मझ आजञा द म सभाए भरगा आपक िवचारो का चार करगा

मर िवचारो का चार

हा भगवन म बौ धमर फलाऊगा

लोग तरी िननदा करग गािलया दग

कोई हजर नही म भगवन को धनयवाद दगा िक य लोग िकतन अचछ ह य कवल श दहार करत ह मझ पीटत तो नही

लोग तझ पीटग भी तो कया करोग

भो म शब गजारगा िक य लोग हाथो स पीटत ह पतथर तो नही मारत

लोग पतथर भी मारग और िसर भी फोड़ दग तो कया करगा

िफर भी म आ ःत रहगा और भगवान का िदवय कायर करता रहगा कयोिक व लोग मरा िसर फोड़ग लिकन ाण तो नही लग

लोग जनन म आकर तझ मार दग तो कया करगा

भनत आपक िदवय िवचारो का चार करत-करत म मर भी गया तो समझगा िक मरा जीवन सफल हो गया

उस कतिन यी िभकषक की दढ़ िन ा दखकर भगवान ब सनन हो उठ उस पर उनकी करणा बरस पड़ी

ऐस िशय जब ब का चार करन िनकल पड़ तब कचार करन वाल धीर-धीर शात हो गय मनयो की उगिलया काट-काटकर माला बनाकर पहनन वाला अगिलमाल जसा बर हतयारा भी दयपिरवतरन पाकर ब की शरण म िभकषक होकर रहन लगा

आज हम ब को बहत आदर स जानत ह मानत ह उनक जीवनकाल क दौरान उनक पीछ लग हए द लोग कौन स नरक म सड़त होग रौरव नरक म या कभीपाक नरक म कौन-सी योिनयो म भटकत होग सअर बन होग िक नाली क कीड़ बन होग शतान बन होग िक राकषस बन होग मझ पता नही लिकन ब तो करोड़ो दयो म बस रह ह यह म मानता ह

सतय तो परमाथर ह आतमा ह परमातमा ह उसम िजतना िटकोग उतना तमहारा मगल होगा तमहारी िनगाह िजन पर पड़गी उनका भी मगल होगा

(अनबम)

कछ जानन यो य बात सय दय स पवर उठकर ःनान कर लना चािहए ातः खाली पट मटक का बासी पानी

पीना ःवाःथयद ह तलसी क प सय दय क प ात ही तोड़ दध म तलसी क प नही डालन चािहए तथा

दध क साथ खान भी नही चािहए तलसी क प खाकर थोड़ा पानी पीना िपय जलनित स पिह सौ कार क लाभ होत ह अपन मिःतक म एक कार का िवजाितय

िवय उतपनन होता ह यिद वह िवय वही अटक जाता ह तो बचपन म ही बाल सफद होन लगत ह इसस नजल की बीमारी भी होती ह यिद वह िवय नाक की तरफ आता ह तो सगनध-दगरनध का पता नही चल पाता और ज दी-ज दी जकाम हो जाता ह यिद वह िवय कान की तरफ आता ह तो कान बहर होन लगत ह और छोट-मोट ब ीस रोग हो सकत ह यिद वह िवय दात की तरफ आय तो दात छोटी उ म ही िगरन लगत ह यिद आख की तरफ वह िवय उतर तो चम लगन लगत ह जलनित यािन नाक स पानी खीचकर मह स िनकाल दन स वह िवय िनकल जाता ह गल क ऊपर क ायः सभी रोगो स मि िमल जाती ह

आईसबीम खान क बाद चाय पीना दातो क िलए अतयािधक हािनकारक होता ह

भोजन को पीना चािहए तथा पानी को खाना चािहए इसका मतलब यह ह िक भोजन को इतना चबाओ िक वह पानी की तरह पतला हो जाय और पानी अथवा अनय पय पदाथ को धीर-धीर िपयो

िकसी भी कार का पय पदाथर पीना हो तो दाया नथना बनद करक िपय इसस वह अमत जसा हो जाता ह यिद दाया ःवर(नथना) चाल हो और पानी आिद िपय तो जीवनशि (ओज) पतली होन लगती ह चयर की रकषा क िलए शरीर को तनदरःत रखन क िलए यह योग करना चािहए

तम चाह िकतनी भी महनत करो िकनत िजतना तमहारी नसो म ओज ह चयर की शि ह उतन ही तम सफल होत हो जो चाय-कॉफी आिद पीत ह उनका ओज पतला होकर पशाब ारा न होता जाता ह अतः चयर की रकषा क िलए चाय-कॉफी जस वयसनो स दर रहना रह

पढ़न क बाद थोड़ी दर शात हो जाना चािहए जो पढ़ा ह उसका मनन करो िशकषक ःकल म जब पढ़ात हो तब धयान स सनो उस व मःती-मजाक नही करना चािहए िवनोद-मःती कम स कम करो और समझन की कोिशश अिधक करो

जो सय दय क पवर नही उठता उसक ःवभाव म तमस छा जाता ह जो सय दय क पवर उठता ह उसकी बि शि बढ़ती ह

नीद म स उठकर तरत भगवान का धयान करो आतमःनान करो धयान म रिच नही होती तो समझना चािहए िक मन म दोष ह उनह िनकालन क िलए कया करना चािहए

मन को िनद ष बनान क िलए सबह-शाम माता-िपता को णाम करना चािहए गरजनो को णाम करना चािहए एव भगवान क नाम का जप करना चािहए भगवान स ाथरना करनी चािहए िक ह भगवान ह मर भ मरी धयान म रिच होन लग ऐसी कपा कर दो िकसी समय गद िवचार िनकल आय तो समझना चािहए िक अदर छप हए िवचार िनकल रह ह अतः खश होना चािहए िवचार आया और गया मर राम तो दय म ही ह ऐसी भावना करनी चािहए

िनदा करना तो अचछा नही ह िकनत िनदा सनना भी उिचत नही (अनबम)

शयन की रीत मनय को िकस ढग स सोना चािहए इसका भी तरीका होता ह सोत व पवर अथवा

दिकषण िदशा की ओर िसर करक ही सोना चािहए

भोजन करन क बाद िदन म दस िमनट आराम कर िकनत सोय नही भोजन क बाद दस िमनट बायी करवट लट सकत ह रािऽ को जागरण िकया हो इस कारण स कभी िदन म सोना पड़ वह अलग बात ह

सोत व नीच कोई गमर कबल आिद िबछाकर सोय तािक आपकी जीवनशि अिथग न हो जाय आपक शरीर की िव तशि भिम म न उतर जाय

(अनबम)

ःनान का तरीका शरीर की मजबती एव आरो यता क िलए रगड़-रगड़कर ःनान करना चािहए जो लोग

ठड दशो म रहत ह उनका ःवाःथय गमर दस क लोगो की अपकषा अचछा होता ह ठडी स अपना शरीर सधरता ह

ःनान करत व 12-15 िलटर पानी बा टी म लकर पहल उसम िसर डबाना चािहए िफर पर िभगोना चािहए पहल पर गील नही करन चािहए शरीर की गम ऊपर की ओर चढ़ती ह जो ःवाःथय क िलए हािनकारक होती ह

अतः पहल ठड पानी की बा टी भर ल िफर मह म पानी भरकर िसर को बा टी म डाल और आख पटपटाए इसस आखो की शि बढ़ती ह शरीर को रगड़-रगड़कर नहाए बाद म गील व स शरीर को रगड़-रगड़कर पोछ िजसस रोम कप का सारा मल बाहर िनकल जाय और रोमकप(तवचा क िछि) खल जायय तवचा क िछि बद रहन स ही तवचा की कई बीमािरया होती ह िफर सख कपड़ स शरीर को पोछ कर (अथवा थोड़ा गीला हो तब भी चल) सख साफ व पहन ल व भल साद हो िकनत साफ हो बासी कपड़ नही पहन हमशा धल हए कपड़ ही पहन इसस मन भी सनन रहता ह

पाच कार क ःनान होत हः ःनान दवःनान ऋिषःनान मानवःनान दानवःनान ःनानः -परमातमा का िचतन करक जल थल नहान वाला

ऐसा िचतन करक ा महतर म नहाना इस ःनान कहत ह दवःनानः दवनिदयो म ःनान या दवनिदयो का ःमरण करक सय दय स पवर नहाना यह

दवःनान ह ऋिषःनानः आकाश म तार िदखत हो और नहा ल यह ऋिषःनान ह ऋिषःनान करन

वाल की बि बड़ी तजःवी होती ह मानवःनानः सय दय क पवर का ःनान मानवःनान ह

दानवःनानः सय दय क प ात चाय पीकर नाता करक आठ नौ बज नहाना यह दानव ःनान ह

अतः हमशा ऋिषःनान करन का ही यास करना चािहए (अनबम)

ःवचछता का धयान यिद शरीर की सफाई रखी जाय तो मन भी सनन रहता ह आजकल अिधकतर लोग

श स ही मजन करत ह श की अपकषा नीम और बबल की दातौन जयादा अचछ होती ह और यिद श भी कर तो कभी-कभार श को गमर पानी स धोना चािहए अनयथा उसम बकटिरया(जीवाण) रह जात ह

िकतन ही लोग उगली स दात साफ करत ह तजरनी (अगठ क पास वाली थम उगली) स दात िघसन स मसड़ कमजोर हो जात ह तथा दात ज दी िगर जात ह कयोिक तजरनी म िव तशि का माण दसरी उगिलयो की अपकषा अिधक होता ह अतः उसस दात नही िघसन चािहए एव आखो को भी नही मसलना चािहए

िजस िदशा स हवा आती हो उस िदशा की ओर मह करक कभी-भी मलमऽ का िवसजरन नही करना चािहए सयर और चनिमा की ओर मख करक भी मलमऽ का िवसजरन नही करना चािहए

(अनबम)

ःमरणशि का िवकास यादशि बढ़ान का एक सनदर योग ह ETH ामरी ाणायाम सखासन प ासन या

िस ासन पर बठ हाथ की कोहनी की ऊचाई कनध तक रह इस कार रखकर हाथ की थम उगली(तजरनी) स दोनो कानो को धीर-स बद कर एकदम जोर स बद न कर िकनत बाहर का कछ सनाई न द इस कार धीर स कान बनद कर

अब गहर ास लकर थोड़ी दर रोक ओठ बद रखकर जस मर का गजन होता ह वस ॐsssss कहत हए गजन कर उसक बाद थोड़ी दर तक ास न ल पनः यही िबया दहराय ऐसा सबह एव शाम 8 स 10 बार कर यादशि बढ़ान का यह यौिगक योग ह इसस मिःतक की नािड़यो का शोधन होकर मिःतक म र सचार उिचत ढग स होता ह

और िवचार करन स भी बि शि का िवकास होता ह

सबह खाली पट तलसी क प एकाध काली िमचर चबाकर एक िगलास पानी पीन स भी ःमरणशि का िवकास होता ह रोग-ितकारक शि बढ़ती ह कनसर की बीमारी कभी नही होती जलदर-भगदर की बीमारी भी कभी नही होती

(अनबम)

वयि तव और वयवहार िकसी भी वयि तव का पता उसक वयवहार स ही चलता ह कई लोग वयथर च ा करत

ह एक होती ह सकाम च ा दसरी होती ह िनकाम च ा और तीसरी होती ह वयथर च ा वयथर च ा नही करनी चािहए िकसी क शरीर म कोई कमी हो तो उसका मजाक नही उड़ाना चािहए वरन उस मददरप बनना चािहए यह िनकाम सवा ह

िकसी की भी िनदा नही करनी चािहए िनदा करन वाला वयि िजसकी िनदा करता ह उसका तो इतना अिहत नही होता िजतना वह अपना अिहत करता ह जो दसरो की सवा करता ह दसरो क अनकल होता ह वह दसरो का िजतना िहत करता ह उसकी अपकषा उसका खद का िहत जयादा होता ह

अपन स जो उ स बड़ हो जञान म बड़ हो तप म बड़ हो उनका आदर करना चािहए िजस मनय क साथ बात करत हो वह मनय कौन ह यह जानकर बात करो तो आप वयवहार-कशल कहलाओग

िकसी को पऽ िलखत हो तो यिद अपन स बड़ हो तो ौी सबोधन करक िलखो सबोधन करन स सवाकयो की रचना स िश ता बढ़ती ह िकसी स बात करो तो सबोधन करक बात करो जो तकार स बात करता ह वह अिश कहलाता ह िश तापवरक बात करन स अपनी इजजत बढ़ती ह

िजसक जीवन म वयवहार-कशलता ह वह सभी कषऽो म सफल होता ह िजसम िवनता ह वही सब कछ सीख सकता ह िवनता िव ा बढ़ाती ह िजसक जीवन म िवनता नही ह समझो उसक सब काम अधर रह गय और जो समझता ह िक म सब कछ जानता ह वह वाःतव म कछ नही जानता

एक िचऽकार अपन गरदव क सममख एक सनदर िचऽ बनाकर लाया गर न िचऽ दखकर कहाः

वाह वाह सनदर ह अदभत ह

िशय बोलाः गरदव इसम कोई ऽिट रह गयी हो तो कपा करक बताइए इसीिलए म आपक चरणो म आया ह

गरः कोई ऽिट नही ह मझस भी जयादा अचछा बनाया ह

वह िशय रोन लगा उस रोता दखकर गर न पछाः तम कयो रो रह हो म तो तमहारी शसा कर रहा ह

िशयः गरदव मरी घड़ाई करन वाल आप भी यिद मरी शसा ही करग तो मझ मरी गि तया कौन बतायगा मरी गित कस होगी

यह सनकर गर अतयत सनन हो गय हमन िजतना जाना िजतना सीखा ह वह तो ठ क ह उसस जयादा जान सक सीख सक

ऐसा हमारा यास होना चािहए रामकण परमहस व हो गय थ िकसी न उनस पछाः बाबा जी आपन सब कछ जान

िलया ह

रामकण परमहसः नही म जब तक जीऊगा तब तक िव ाथ ही रहगा मझ अभी बहत कछ सीखना बाकी ह

िजनक पास सीखन को िमल उनस िवनतापवरक सीखना चािहए जो कछ सीखो सावधानीपवरक सीखो जीवन म िवनोद जररी ह िकनत िवनोद की अित न हो िजस समय पढ़त हो कछ सीखत हो कछ करत हो उस समय मःती नही िवनोद नही वरन जो कछ पढ़ो सीखो या करो उस उतसाह स धयान स और सावधानी स करो

पढ़न स पवर थोड़ धयानःथ हो जाओ पढ़न क बाद मौन हो जाओ यह गित की चाबी ह

माता-िपता स िचढ़ना नही चाह िजस मा-बाप न जनम िदया ह उनकी बातो को समझना चािहए अपन िलए उनक मन म िवशष दया हो िवशष म उतपनन हो ऐसा वयवहार करना चािहए

भल जाओ भल सब कछ माता-िपता को भलना नही अनिगनत उपकार ह उनक यह कभी िबसरना नही

माता-िपता को सतोष हो उनका दय सनन हो ऐसा हमारा वयवहार होना चािहए अपन माता-िपता एव गरजनो को सत रखकर ही हम सचची गित कर सकत ह

(अनबम)

  • पजय बाप जी का उदबोधन
  • कदम अपना आग बढाता चला जा
  • त गलाब होकर महक
  • जीवन विकास का मल सयम
  • तरिकाल सधया
  • शरीर सवासथय
  • अनन का परभाव
  • भारतीय ससकति की महानता
  • हरिदास की हरिभकति
  • बनावटी शरगार स बचो
  • साहसी बालक
  • गर-आजञापालन का चमतकार
  • अनोखी गरदकषिणा
  • सतसग की महिमा
  • पीड पराई जान र
  • विकास क बरियो स सावधान
  • कछ जानन योगय बात
  • शयन की रीत
  • सनान का तरीका
  • सवचछता का धयान
  • समरणशकति का विकास
  • वयकतितव और वयवहार
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अनबम

पजय बाप जी का उदबोधन 4

कदम अपना आग बढ़ाता चला जा 6

त गलाब होकर महक 7

जीवन िवकास का मल सयम 8

िऽकाल सधया 11

शरीर ःवाःथय 12

अनन का भाव 14

भारतीय सःकित की महानता 17

हिरदास की हिरभि 21

बनावटी ौगार स बचो 26

साहसी बालक 27

गर-आजञापालन का चमतकार 28

अनोखी गरदिकषणा 29

सतसग की मिहमा 30

पीड़ पराई जान र 33

िवकास क बिरयो स सावधान 35

कछ जानन यो य बात 39

शयन की रीत 40

ःनान का तरीका 41

ःवचछता का धयान 42

ःमरणशि का िवकास 42

वयि तव और वयवहार 43

पजय बाप जी का उदबोधन हमारा भारत उन ऋिषयो मिनयो का दश ह िजनहोन आिदकाल स ही इसकी वयवःथाओ

क उिचत सचालन क िनिम अनक िस ानतो की रचना कर तयक शभ कायर क िनिम अनक िस ानतो की रचना कर तयक शभ कायर क साथ धािमरक आचार-सिहता का िनमारण िकया ह

मनय क कमर को ही िजनहोन धमर बना िदया ऐस ऋिष-मिनयो न बालक क जनम स ही मनय क क याण का मागर शःत िकया लिकन मनय जाित का दभार य ह िक वह उनक िस ानतो को न अपनात हए पथ होकर अपन िदल म अनमोल खजाना छपा होन क बावजद भी कषिणक सख की तलाश म अपनी पावन सःकित का पिरतयाग कर िवषय-िवलास-िवकार स आकिषरत होकर िनतयित िवनाश की गहरी खाई म िगरती जा रही ह

आ यर तो मझ तब होता ह जब उ की दहलीज़ पर कदम रखन स पहल ही आज क िव ाथ को पा ातय अधानकरण की तजर पर िवदशी चनलो स भािवत होकर िडःको शराब जआ स टा भाग गाजा चरस आिद अनकानक कार की बराईयो स िल होत दखता ह

भारत वही ह लिकन कहा तो उसक भ ाद बालक ीव व आरिण-एकलवय जस परम गरभ और कहा आज क अनशासनहीन उ ड एव उचछखल बचच उनकी तलना आज क नादान बचचो स कस कर आज का बालक बचारा उिचत मागरदशरन क अभाव म पथ हए जा रहा ह िजसक सवारिधक िजममदार उसक माता-िपता ही ह

ाचीन यग म माता-िपता बचचो को ःनह तो करत थ लिकन साथ ही धमरय सयमी जीवन-यापन करत हए अपनी सतान को अनशासन आचार-सिहता एव िश ता भी िसखलात थ और आज क माता-िपता तो अपन बचचो क सामन ऐस वयवहार करत ह िक कया बतलाऊ कहन म भी शमर आती ह

ाचीन यग क माता-िपता अपन बचचो को वद उपिनषद एव गीता क क याणकारी ोक िसखाकर उनह ससःकत करत थ लिकन आजकल क माता-िपता तो अपन बचचो को गदी िवनाशकारी िफ मो क दिषत गीत िसखलान म बड़ा गवर महसस करत ह यही कारण ह िक ाचीन यग म ौवण कमार जस मात-िपतभ पदा हए जो अत समय तक माता-िपता की सवा-शौषा स ःवय का जीवन धनय कर लत थ और आज की सतान तो बीबी आयी िक बस माता-िपता स कह दत ह िक तम-तमहार हम-हमार कई तो ऐसी कसतान िनकल जाती ह िक बचार मा-बाप को ही धकका दकर घर स बाहर िनकाल दती ह

इसिलए माता-िपता को चािहए िक व अपनी सतान क गभरधारण की िबया स ही धमर व शा -विणरत सतो क कह उपदशो का पालन कर तदनसार ही जनम की िबया सपनन कर

तथा अपन बचचो क सामन कभी कोई ऐसा िबयाकलाप या कोई अ ीलता न कर िजसका बचचो क िदलो-िदमाग पर िवपरीत असर पड़

ाचीन काल म गरकल प ित िशकषा की सव म परमपरा थी गरकल म रहकर बालक दश व समाज का गौरव बनकर ही िनकलता था कयोिक बचचा ितपल गर की नज़रो क सामन रहता था और आतमव ा सदगर िजतना अपन िशय का सवागीण िवकास करत ह उतना माता-िपता तो कभी सोच भी नही सकत

आजकल क िव ालयो म तो पट भरन की िचनता म लग रहन वाल िशकषको एव शासन की दिषत िशकषा-णाली क ारा बालको को ऐसी िशकषा दी जा रही ह िक बड़ा होत ही उस िसफर नौकरी की ही तलाश रहती ह आजकल का पढ़ा-िलखा हर नौजवान माऽ कस पर बठन की ही नौकरी पसनद करता ह उ म-वयवसाय या पिरौमी कमर को करन म हर कोई कतराता ह यही कारण ह िक दश म बरोजगारी नशाखोरी और आपरािधक वि या बढ़ती जा रही ह कयोिक खाली िदमाग शतान का घर ह ऐस म ःवाभािवक ही उिचत मागरदशरन क अभाव म यवा पीढ़ी मागर स भटक गयी ह

आज समाज म आवयकता ह ऐस महापरषो की सदगरओ की तथा सतो की जो बचचो तथा यवा िव ािथरयो का मागरदशरन कर उनकी सष शि का अपनी अपनी शि पात-वषार स जामत कर सक

आज क िव ािथरयो को उिचत मागरदशरक की बहत आवयकता ह िजनक सािननधय म पा ातय-स यता का अधानकरण करन वाल ननह-मनह लिकन भारत का भिवय कहलान वाल िव ाथ अपना जीवन उननत कर सक

िव ाथ जीवन का िवकास तभी सभव ह जब उनह यथायो य मागरदशरन िदया जाए माता-िपता उनह बा यावःथा स ही भारतीय सःकित क अनरप जीवन-यापन की सयम एव सादगीय जीवन की रणा दान कर िकसी ऐस महापरष का सािननधय ा करवाय जो ःवय जीवनम होकर अनयो को भी मि दान करन का सामथयर रखत हो

भारत म ऐस कई बालक पदा हए ह िजनहोन ऐस महापरषो क चरणो म अपना जीवन अपरण कर लाखो-करोड़ो िदलो म आज भी आदरणीय पजनीय बन रहन का गौरव ा िकया ह इन मधावी वीर बालको की कथा इसी पःतक म हम आग पढ़ग भी महापरषो क सािननधय का ही यह फल ह िक व इतनी ऊचाई पर पहच सक अनयथा व कसा जीवन जीत कया पता

ह िव ाथ त भारत का भिवय िव का गौरव और अपन माता-िपता की शान ह तर भीतर भी असीम सामथर का भ डार छपा पड़ा ह त भी खोज ल ऐस जञानी परषो को और उनकी करणा-कपा का खजाना पा ल िफर दख तरा कटमब और तरी जाित तो कया सपणर िव क लोग तरी याद और तरा नाम िलया करग

इस पःतक म ऐस ही जञानी महापरषो सतो और गरभ ो तथा भगवान क लाडलो की कथाओ तथा अनभवो का वणरन ह िजसका बार-बार पठन िचनतन और मनन करक तम सचमच म महान बन जाओग करोग ना िहममत

bull िनतय धयान ाणायाम योगासन स अपनी सष शि यो को जगाओ bull दीन-हीन-कगला जीवन बहत हो चका अब उठो कमर कसो जसा बनना ह वसा आज स और

अभी स सक प करो bull मनय ःवय ही अपन भा य का िनमारता ह

(अनबम)

कदम अपना आग बढ़ाता चला जा कदम अपना आग बढ़ाता चला जा सदा म क गीत गाता चला जा

तर मागर म वीर काट बड़ ह िलय तीर हाथो म वरी खड़ ह बहादर सबको िमटाता चला जा

कदम अपना आग बढ़ाता चला जा

त ह आयरवशी ऋिषकल का बालक तापी यशःवी सदा दीनपालक त सदश सख का सनाता चला जा कदम अपना आग बढ़ाता चला जा

भल आज तफान उठकर क आय बला पर चली आ रही ह बलाए यवा वीर ह दनदनाता चला जा

कदम अपना आग बढ़ाता चला जा

जो िबछड़ हए ह उनह त िमला जा जो सोय पड़ ह उनह त जगा जा त आनद का डका बजाता चला जा

कदम अपना आग बढ़ाता चला जा

(अनबम)

त गलाब होकर महक सगित का मानव जीवन पर अतयिधक भाव पड़ता ह यिद अचछ सगत िमल तो

मनय महान हो जाता ह लिकन वही मनय यिद कसग क चककर म पड़ जाए तो अपना जीवन न कर लता ह अतः अपन स जो पढ़ाई म एव िश ता म आग हो ऐस िव ािथरयो का आदरपवरक सग करना चािहए तथा अपन स जो नीच हो उनह दयापवरक ऊपर उठान का यास करना चािहए लिकन साथ ही यह धयान भी रह की कही हम उनकी बातो म न फस जाए

एक बार मर सदगरदव पजयपाद ःवामी ौी लीलाशाह जी महाराज न मझ गलाब का फल बताकर कहाः यह कया ह

मन कहाः बाप यह गलाब का फल ह

उनहोन आग कहाः इस त डालडा क िड ब पर रख िफर सघ अथवा गड़ क ऊपर रख शककर क ऊपर रख या चन अथवा मग की दाल पर रख गदी नाली क पास रख ऑिफस म रख उस सब जगह घमा सब जगह रख िफर सघ तो उसम िकसकी सगध आएगी

मन कहाःजी गलाब की

गरदवः गलाब को कही भी रख दो और िफर सघो तो उसम स सगनध गलाब की ही आएगी ऐस ही हमारा जीवन भी गलाब जसा होना चािहए हमार सदगणो की सगनध दसरो को लनी हो तो ल िकनत हमम िकसी की दगरनध िव न हो त गलाब होकर महक तझ जमाना जान

िकसी क दोष हमम ना आय इसका धयान रखना चािहए अपन गण कोई लना चाह तो भल ल ल

भगवान का धयान करन स एकाम होन स माता-िपता का आदर करन स गरजनो की बातो को आदरपवरक मानन स हमम सदगणो की वि होती ह

ातःकाल ज दी उठकर माता-िपता को णाम करो भगवान ौीरामचनिजी ातःकाल ज दी उठकर माता-िपता एव गर को णाम करत थ

ातःकाल उठिह रघनाथा मात-िपत गर नाविह माथा ौीरामचनिजी जब गर आौम म रहत थ त गर जी स पहल ही नीद स जाग जात थ

गर स पहल जगपित जाग राम सजान ऐसा राम चिरतमानस म आता ह

माता-िपता एव गरजनो का आदर करन स हमार जीवन म दवी गण िवकिसत होत ह िजनक भाव स ही हमारा जीवन िदवय होन लगता ह

ह िव ाथ त भी िनकामता सननता असगता की महक फलाता जा (अनबम)

जीवन िवकास का मल सयम एक बड़ महापरष थ हजारो-लाखो लोग उनकी पजा करत थ जय-जयकार करत थ

लाखो लोग उनक िशय थ करोड़ो लोग उनह ौ ा-भि स नमन करत थ उन महापरष स िकसी वयि न पछाः

राजा-महाराजा रा पित जस लोगो को भी कवल सलामी मारत ह या हाथ जोड़ लत ह िकनत उनकी पजा नही करत जबिक लोग आपकी पजा करत ह णाम भी करत ह तो बड़ी ौ ा-भि स ऐसा नही िक कवल हाथ जोड़ िदय लाखो लोग आपकी फोटो क आग भोग रखत ह आप इतन महान कस बन

दिनया म मान करन यो य तो बहत लोग ह बहतो को धनयवाद और शसा िमलती ह लिकन ौ ा-भि स ऐसी पजा न तो सठो की होती ह न साहबो की न सीडट की होती ह न िमिलशी ऑिफसर की न राजा की और न महाराजा की अर ौी कण क साथ रहन वाल भीम अजरन यिधि र आिद की भी पजा नही होती जबिक ौीकण की पजा करोड़ो लोग करत ह भगवान राम को करोड़ो लोग मानत ह आपकी पजा भी भगवान जसी ही होती ह आप इतन महान कस बन

उन महापरष न जवाब म कवल एक ही श द कहा और वह श द था - सयम तब उस वयि न पनः पछाः ह गरवर कया आप बता सकत ह िक आपक जीवन म

सयम का पाठ कबस शर हआ

महापरष बोलः मर जीवन म सयम की शरआत मरी पाच वषर की आय स ही हो गयी म जब पाच वषर का था तब मर िपता जी न मझस कहाः

बटा कल हम तमह गरकल भजग गरकल जात समय तरी मा साथ म नही होगी भाई भी साथ नही आयगा और म भी साथ नही आऊगा कल सबह नौकर तझ ःनान नाता करा क घोड़ पर िबठाकर गरकल ल जायगा गरकल जात समय यिद हम सामन होग तो तरा मोह हमम हो सकता ह इसिलए हम दसर क घर म िछप जायग त हम नही दख सकगा िकनत हम ऐसी वयवःथा करग िक हम तझ दख सक ग हम दखना ह िक त रोत-रोत जाता ह या हमार कल क बालक को िजस कार जाना चािहए वस जाता ह घोड़ पर जब जायगा और

गली म मड़गा तब भी यिद त पीछ मड़कर दखगा तो हम समझग िक त हमार कल म कलक ह

पीछ मड़कर दखन स भी मना कर िदया पाच वषर क बालक स इतनी यो यता की इचछा रखन वाल मर माता-िपता को िकतना कठोर दय करना पड़ा होगा पाच वषर का बटा सबह गरकल जाय जात व माता-िपता भी सामन न हो और गली म मड़त व घर की ओर दखन की भी मनाही िकतना सयम िकतना कड़क अनशासन

िपता न कहाः िफर जब तम गरकल म पहचोग और गरजी तमहारी परीकषा क िलए तमस कहग िक बाहर बठो तब तमह बाहर बठना पड़गा गर जी जब तक बाहर स अनदर आन की आजञा न द तब तक तमह वहा सयम का पिरचय दना पड़गा िफर गरजी न तमह गरकल म वश िदया पास िकया तो त हमार घर का बालक कहलायगा अनयथा त हमार खानदान का नाम बढ़ानवाला नही नाम डबानवाला सािबत होगा इसिलए कल पर कलग मत लगाना वरन सफलतापवरक गरकल म वश पाना

मर िपता जी न मझ समझाया और म गरकल म पहचा हमार नौकर न जाकर गरजी स आजञा मागी िक यह िव ाथ गरकल म आना चाहता ह

गरजी बोलः उसको बाहर बठा दो थोड़ी दर म गरजी बाहर आय और मझस बोलः बटा दख इधर बठ जा आख बनद कर ल जब तक म नही आऊ और जब तक त मरी आवाज़ न सन तब तक तझ आख नही खोलनी ह तरा तर शरीर पर मन पर और अपन आप पर िकतना सयम ह इसकी कसौटी होगी अगर तरा अपन आप पर सयम होगा तब ही गरकल म वश िमल सकगा यिद सयम नही ह तो िफर त महापरष नही बन सकता अचछा िव ाथ भी नही बन सकगा

सयम ही जीवन की नीव ह सयम स ही एकामता आिद गण िवकिसत होत ह यिद सयम नही ह तो एकामता नही आती तजिःवता नही आती यादशि नही बढ़ती अतः जीवन म सयम चािहए चािहए और चािहए

कब हसना और कब एकामिच होकर सतसग सनना इसक िलए भी सयम चािहए कब ताली बजाना और कब नही बजाना इसक िलय भी सयम चािहए सयम ही सफलता का सोपान ह भगवान को पाना हो तो भी सयम ज़ररी ह िसि पाना हो तो भी सयम चािहए और िसि पाना हो तो भी सयम चािहए सयम तो सबका मल ह जस सब वय जनो का मल पानी ह जीवन का मल सयर ह ऐस ही जीवन क िवकास का मल सयम ह

गरजी तो कहकर चल गय िक जब तक म न आऊ तब तक आख नही खोलना थोड़ी दर म गरकल का िरसस हआ सब बचच आय मन हआ िक दख कौन ह कया ह िफर याद आया िक सयम थोड़ी दर बाद पनः कछ बचचो को मर पास भजा गया व लोग मर आसपास

खलन लग कब डी-कब डी की आवाज भी सनी मरी दखन की इचछा हई परनत मझ याद आया िक सयम

मर मन की शि बढ़ान का पहला योग हो गया सयम मरी ःमरणशि बढ़ान की पहली कजी िमल गई सयम मर जीवन को महान बनान की थम कपा गरजी ारा हई ETH सयम ऐस महान गर की कसौटी स उस पाच वषर की छोटी-सी वय म पार होना था अगर म अन ीणर हो जाता तो िफर घर पर मर िपताजी मझ बहत छोटी दि स दखत

सब बचच खल कर चल गय िकनत मन आख नही खोली थोड़ी दर क बाद गड़ और शककर की चासनी बनाकर मर आसपास उड़ल दी गई मर घटनो पर मरी जाघ पर भी चासनी की कछ बद डाल दी ग जी चाहता था िक आख खोलकर दख िक अब कया होता ह िफर गरजी की आजञा याद आयी िक आख मत खोलना अपनी आख पर अपन मन पर सयम शरीर पर चीिटया चलन लगी लिकन याद था िक पास होन क िलए सयम ज़ररी ह

तीन घट बीत गय तब गरजी आय और बड़ म स बोलः पऽ उठो उठो तम इस परीकषा म उ ीणर रह शाबाश ह तमह

ऐसा कहकर गरजी न ःवय अपन हाथो स मझ उठाया गरकल म वश िमल गया गर क आौम म वश अथारत भगवान क राजय म वश िमल गया िफर गर की आजञा क अनसार कायर करत-करत इस ऊचाई तक पहच गया

इस कार मझ महान बनान म म य भिमका सयम की ही रही ह यिद बा यकाल स ही िपता की आजञा को न मान कर सयम का पालन न करता तो आज न जान कहा होता सचमच सयम म अदभत सामथयर ह सयम क बल पर दिनया क सार कायर सभव ह िजतन भी महापरष सतपरष इस दिनया म हो चक ह या ह उनकी महानता क मल म उनका सयम ही ह

वकष क मल म उसका सयम ह इसी स उसक प हर-भर ह फल िखलत ह फल लगत ह और वह छाया दता ह वकष का मल अगर सयम छोड़ द तो प सख जायग फल कमहला जाएग फल न हो जाएग वकष का जीवन िबखर जायगा

वीणा क तार सयत ह इसी स मधर ःवर गजता ह अगर वीणा क तार ढील कर िदय जाय तो व मधर ःवर नही आलापत

रल क इजन म वाप सयत ह तो हजारो यािऽयो को दर सदर की याऽा करान म वह वाप सफल होती ह अगर वाप का सयम टट जाय इधर-उधर िबखर जाय तो रलगाड़ी दोड़ नही सकती ऐस ही ह मानव महान बनन की शतर यही ह ETH सयम सदाचार हजार बार असफल होन पर भी िफर स परषाथर कर अवय सफलता िमलगी िहममत न हार छोटा-छोटा सयम का ोत आजमात हए आग बढ़ और महान हो जा

(अनबम)

िऽकाल सधया जीवन को यिद तजःवी बनाना हो सफल बनाना हो उननत बनाना हो तो मनय को

िऽकाल सधया ज़रर करनी चािहए ातःकाल सय दय स दस िमनट पहल और दस िमनट बाद म दोपहर को बारह बज क दस िमनट पहल और दस िमनट बाद म तथा सायकाल को सयारःत क पाच-दस िमनट पहल और बाद म यह समय सिध का होता ह इस समय िकया हआ ाणायाम जप और धयान बहत लाभदायक होता ह जो मनय सषमना क ार को खोलन म भी सहयोगी होता ह सषमना का ार खलत ही मनय की छपी हई शि या जामत होन लगती ह

ाचीन ऋिष-मिन िऽकाल सधया िकया करत थ भगवान विश भी िऽकाल सधया करत थ और भगवान राम भी िऽकाल सधया करत थ भगवान राम दोपहर को सधया करन क बाद ही भोजन करत थ

सधया क समय हाथ-पर धोकर तीन च ल पानी पीकर िफर सधया म बठ और ाणायाम कर जप कर तो बहत अचछा अगर कोई आिफस म ह तो वही मानिसक रप स कर ल तो भी ठ क ह लिकन ाणायाम जप और धयान कर ज़रर

जस उ ोग करन स परषाथर करन स दिरिता नही रहती वस ही ाणायाम करन स पाप कटत ह जस य करन स धन िमलता ह वस ही ाणायाम करन स आतिरक सामथयर आतिरक बल िमलता ह छादो य उपिनषद म िलखा ह िक िजसन ाणायाम करक मन को पिवऽ िकया ह उस ही गर क आिखरी उपदश का रग लगता ह और आतम-परमातमा का साकषातकार हो जाता ह

मनय क फफड़ो तीन हजार छोट-छोट िछि होत ह जो लोग साधारण रप स ास लत ह उनक फफड़ो क कवल तीन सौ स पाच सौ तक क िछि ही काम करत ह बाकी क बद पड़ रहत ह िजसस शरीर की रोग ितकारक शि कम हो जाती ह मनय ज दी बीमार और बढ़ा हो जाता ह वयसनो एव बरी आदतो क कारण भी शरीर की शि जब िशिथल हो जाती ह रोग-ितकारक शि कमजोर हो जाती ह तो िछि बद पड़ होत ह उनम जीवाण पनपत ह और शरीर पर हमला कर दत ह िजसस दमा और टीबी की बीमारी होन की सभावना बढ़ जाती ह

परनत जो लोग गहरा ास लत ह उनक बद िछि भी खल जात ह फलतः उनम कायर करन की कषमता भी बढ़ जाती ह तथा र श होता ह नाड़ी भी श रहती ह िजसस मन भी सनन रहता ह इसीिलए सबह दोपहर और शाम को सधया क समय ाणायाम करन का िवधान ह ाणायाम स मन पिवऽ होता ह एकाम होता ह िजसस मनय म बहत बड़ा सामथयर आता ह

यिद मन य दस-दस ाणायाम तीनो समय कर और शराब मास बीड़ी व अनय वयसनो एव फशनो म न पड़ तो चालीस िदन म तो मनय को अनक अनभव होन लगत ह कवल चालीस िदन योग करक दिखय शरीर का ःवाःथय बदला हआ िमलगा मन बदला हआ िमलगा जठरा दी होगी आरो यता एव सननता बढ़गी और ःमरण शि म जादई िवकास होगा

ाणायाम स शरीर क कोषो की शि बढ़ती ह इसीिलए ऋिष-मिनयो न िऽकाल सधया की वयवःथा की थी रािऽ म अनजान म हए पाप सबह की सधया स दर होत ह सबह स दोपहर तक क दोष दोपहर की सधया स और दोपहर क बाद अनजान म हए पाप शाम की सधया करन स न हो जात ह तथा अतःकरण पिवऽ होन लगता ह

आजकल लोग सधया करना भल गय ह िनिा क सख म लग हए ह ऐसा करक व अपनी जीवन शि को न कर डालत ह

ाणायाम स जीवन शि का बौि क शि का एव ःमरण शि का िवकास होता ह ःवामी रामतीथर ातःकाल म ज दी उठत थोड़ ाणायाम करत और िफर ाकितक वातावरण म घमन जात परमहस योगानद भी ऐसा करत थ

ःवामी रामतीथर बड़ कशाम बि क िव ाथ थ गिणत उनका िय िवषय था जब व पढ़त थ उनका तीथरराम था एक बार परीकषा म 13 िदय गय िजसम स कवल 9 हल करन थ तीथरराम न 13 क 13 हल कर िदय और नीच एक िट पणी (नोट) िलख दी 13 क 13 सही ह कोई भी 9 जाच लो इतना दढ़ था उनका आतमिव ास

ाणायाम क अनक लाभ ह सधया क समय िकया हआ ाणायाम जप और धयान अनत गणा फल दता ह अिमट प यपज दन वाला होता ह सधया क समय हमारी सब नािड़यो का मल आधार जो सषमना नाड़ी ह उसका ार खला होता ह इसस जीवन शि क डिलनी शि क जागरण म सहयोग िमलता ह उस समय िकया हआ धयान-भजन प यदायी होता ह अिधक िहतकारी और उननित करन वाला होता ह वस तो धयान-भजन कभी भी करो प यदायी होता ही ह िकनत सधया क समय उसका उसका भाव और भी बढ़ जाता ह िऽकाल सधया करन स िव ाथ भी बड़ तजःवी होत ह

अतएव जीवन क सवागीण िवकास क िलए मनयमाऽ को िऽकाल सधया का सहारा लकर अपना नितक सामािजक एव आधयाितमक उतथान करना चािहए

(अनबम)

शरीर ःवाःथय

लोकमानय ितलक जब िव ाथ अवःथा म थ तो उनका शरीर बहत दबला पतला और कमजोर था िसर पर फोड़ा भी था उनहोन सोचा िक मझ दश की आजादी क िलए कछ काम करना ह माता-िपता एव समाज क िलए कछ करना ह तो शरीर तो मजबत होना ही चािहए और मन भी दढ होना चािहए तभी म कछ कर पाऊगा अगर ऐसा ही कमजोर रहा तो पढ़-िलखकर ा िकय हए माण-पऽ भी कया काम आयग

जो लोग िसकड़कर बठत ह झककर बठत ह उनक जीवन म बहत बरकत नही आती जो सीध होकर िःथर होकर बठत ह उनकी जीवन-शि ऊपर की ओर उठती ह व जीवन म सफलता भी ा करत ह

ितलक न िन य िकया िक भल ही एक साल क िलए पढ़ाई छोड़नी पड़ तो छोडगा लिकन शरीर और मन को सदढ़ बनाऊगा ितलक यह िन य करक शरीर को मजबत और मन को िनभ क बनान म जट गय रोज़ सबह-शाम दोड़ लगात ाणायाम करत तरन जात मािलश करत तथा जीवन को सयमी बनाकर चयर की िशकषावाली यौवन सरकषा जसी पःतक पढ़त सालभर म तो अचछा गठ ला बदन हो गया का पढ़ाई-िलखाई म भी आग और लोक-क याण म भी आग राममितर को सलाह दी तो राममितर न भी उनकी सलाह ःवीकार की और पहलवान बन गय

बाल गगाधर ितलक क िव ाथ जीवन क सक प को आप भी समझ जाना और अपन जीवन म लाना िक शरीर सदढ़ होना चािहए मन सदढ़ होना चािहए तभी मनय मनचाही सफलता अिजरत कर सकता ह

ितलक जी स िकसी न पछाः आपका वयि तव इतना भावशाली कस ह आपकी ओर दखत ह तो आपक चहर स अधयातम एकामता और तरणाई की तरलता िदखाई दती ह ःवराजय मरा जनमिस अिधकार ह ऐसा जब बोलत ह तो लोग दग रह जात ह िक आप िव ाथ ह यवक ह या कोई तजपज ह आपका ऐसा तजोमय वयि तव कस बना

तब ितलक न जवाब िदयाः मन िव ाथ जीवन स ही अपन शरीर को मजबत और दढ़ बनान का यास िकया था सोलह साल स लकर इककीस साल तक की उ म शरीर को िजतना भी मजबत बनाना चाह और िजतना भी िवकास करना चाह हो सकता ह

इसीिलए िव ाथ जीवन म इस बार पर धयान दना चािहए िक सोलह स इककीस साल तक की उ शरीर और मन को मजबत बनान क िलए ह

म (परम पजय गरदव आसारामजी बाप) जब चौदह-पनिह वषर का था तब मरा कद बहत छोटा था लोग मझ टणी (िठग) कहकर बलात तो मझ बरा लगता ःवािभमान तो होना ही चािहए टणी ऐसा नाम ठ क नही ह वस तो िव ाथ -काल म भी मरा हसमखा ःवभाव था इसस िशकषको न मरा नाम आसमल क बदल हसमखभाई ऱख िदया था लिकन कद छोटा था तो िकसी न टणी कह िदया जो मझ बरा लगा दिनया म सब कछ सभव ह तो टणी कयो

रहना म काकिरया तालाब पर दौड़ लगाता प लअ स करता और 30-40 माम मकखन म एक-दो माम कालीिमचर क टकड़ डालकर िनगल जाता चालीस िदन तक ऐसा योग िकया अब म उस वयि स िमला िजसन 40 िदन पहल टणी कहा था तो वह दखकर दग रह गया

आप भी चाहो तो अपन शरीर क ःवःथ रख सकत हो शरीर को ःवःथ रखन क कई तरीक ह जस धनवनतरी क आरो यशा म एक बात आती ह - उषःपान

उषःपान अथारत सय दय क पहल या सय दय क समय रात का रखा हआ पानी पीना इसस आतो की सफाई होती ह अजीणर दर होता ह तथा ःवाःथय की भी रकषा होती ह उसम आठ च ल भरकर पानी पीन की बात आयी ह आठ च ल पानी यािन िक एक िगलास पानी चार-पाच तलसी क प चबाकर सय दय क पहल पानी पीना चािहए तलसी क प सय दय क बाद तोड़न चािहए व सात िदन तक बासी नही मान जात

शरीर तनदरःत होना चािहए रगड़-रगड़कर जो नहाता ह और चबा-चबाकर खाता ह जो परमातमा का धयान करता ह और सतसग म जाता ह उसका बड़ा पार हो जाता ह

(अनबम)

अनन का भाव हमार जीवन क िवकास म भोजन का अतयिधक मह व ह वह कवल हमार तन को ही

प नही करता वरन हमार मन को हमारी बि को हमार िवचारो को भी भािवत करता ह कहत भी हः

जसा खाओ अनन वसा होता ह मन महाभारत क य म पहल दसर तीसर और चौथ िदन कवल कौरव-कल क लोग ही

मरत रह पाडवो क एक भी भाई को जरा-सी भी चोट नही लगी पाचवा िदन हआ आिखर दय धन को हआ िक हमारी सना म भीम िपतामह जस यो ा ह िफर भी पाडवो का कछ नही िबगड़ता कया कारण ह व चाह तो य म कया स कया कर सकत ह िवचार करत-करत आिखर वह इस िनकषर पर आया िक भीम िपतामह परा मन लगाकर पाडवो का मलोचछद करन को तयार नही हए ह इसका कया कारण ह यह जानन क िलए सतयवादी यिधि र क पास जाना चािहए उसस पछना चािहए िक हमार सनापित होकर भी व मन लगाकर य कयो नही करत

पाडव तो धमर क पकष म थ अतः दय धन िनःसकोच पाडवो क िशिवर म पहच गया वहा पर पाडवो न यथायो य आवभगत की िफर दय धन बोलाः

भीम अजरन तम लोग जरा बाहर जाओ मझ कवल यिधि र स बात करनी ह

चारो भाई यिधि र क िशिवर स बाहर चल गय िफर दय धन न यिधि र स पछाः यिधि र महाराज पाच-पाच िदन हो गय ह हमार कौरव-पकष क लोग ही मर रह ह

िकनत आप लोगो का बाल तक बाका नही होता कया बात ह चाह तो दवोत भीम तफान मचा सकत ह

यिधि रः हा मचा सकत ह

दय धनः व चाह तो भीण य कर सकत ह पर नही कर रह ह कया आपको लगता ह िक व मन लगाकर य नही कर रह ह

सतयवादी यिधि र बोलः हा गगापऽ भीम मन लगाकर य नही कर रह ह

दय धनः भीम िपतामह मन लगाकर य नही कर रह ह इसका कया कारण होगा

यिधि रः व सतय क पकष म ह व पिवऽ आतमा ह अतः समझत ह िक कौन सचचा ह और कौन झठा कौन धमर म ह तथा कौन अधमर म व धमर क पकष म ह इसिलए उनका जी चाहता ह िक पाडव पकष की जयादा खन-खराबी न हो कयोिक व सतय क पकष म ह

दय धनः व मन लगाकर य कर इसका उपाय कया ह

यिधि रः यिद व सतय ETH धमर का पकष छोड़ दग उनका मन ग त जगह हो जाएगा तो िफर व य करग

दय धनः उनका मन य म कस लग

यिधि रः यिद व िकसी पापी क घर का अनन खायग तो उनका मन य म लग जाएगा

दय धनः आप ही बताइय िक ऐसा कौन सा पापी होगा िजसक घर का अनन खान स उनका मन सतय क पकष स हट जाय और व य करन को तयार हो जाय

यिधि रः सभा म भीम िपतामह गर िोणाचायर जस महान लोग बठ थ िफर भी िोपदी को न न करन की आजञा और जाघ ठोकन की द ता तमन की थी ऐसा धमर-िवर और पापी आदमी दसरा कहा स लाया जाय तमहार घर का अनन खान स उनकी मित सतय और धमर क पकष स नीच जायगी िफर व मन लगाकर य करग

दय धन न यि पा ली कस भी करक कपट करक अपन यहा का अनन भीम िपतामह को िखला िदया भीम िपतामह का मन बदल गया और छठव िदन स उनहोन घमासान य करना आरभ कर िदया

कहन का तातपयर यह ह िक जसा अनन होता ह वसा ही मन होता ह भोजन कर तो श भोजन कर मिलन और अपिवऽ भोजन न कर भोजन क पहल हाथ-पर जरर धोय भोजन साितवक हो पिवऽ हो सननता दन वाला हो तनदरःती बढ़ान वाला हो

आहारश ौ स वशि ः

िफर भी ठस-ठस कर भोजन न कर चबा-चबाकर ही भोजन कर भोजन क समय शात एव सननिच रह भ का ःमरण कर भोजन कर जो आहार खान स हमारा शरीर तनदरःत रहता हो वही आहार कर और िजस आहार स हािन होती हो ऐस आहार स बच खान-पान म सयम स बहत लाभ होता ह

भोजन महनत का हो साि वक हो लहसन याज मास आिद और जयादा तल-िमचर-मसाल वाला न हो उसका िनिम अचछा हो और अचछ ढग स सनन होकर भगवान को भोग लगाकर िफर भोजन कर तो उसस आपका भाव पिवऽ होगा र क कण पिवऽ होग मन पिवऽ होगा िफर सधया-ाणायाम करग तो मन म साि वकता बढ़गी मन म सननता तन म आरो यता का िवकास होगा आपका जीवन उननत होता जायगा

महनत मजदरी करक िवलासी जीवन िबताकर या कायर होकर जीन क िलय िज़दगी नही ह िज़दगी तो चतनय की मःती को जगाकर परमातमा का आननद लकर इस लोक और परलोक म सफल होन क िलए ह मि का अनभव करन क िलए िज़दगी ह

भोजन ःवाःथय क अनकल हो ऐसा िवचार करक ही महण कर तथाकिथत वनःपित घी की अपकषा तल खाना अिधक अचछा ह वनःपित घी म अनक रासायिनक पदाथर डाल जात ह जो ःवाःथय क िलए िहतकर नही होत ह

ए यमीिनयम क बतरन म खाना यह पट को बीमार करन जसा ह उसस बहत हािन होती ह कनसर तक होन की समभावना बढ़ जाती ह ताब पीतल क बतरन कलई िकय हए हो तो अचछा ह ए यमीिनयम क बतरन म रसोई नही बनानी चािहए ए यमीिनयम क बतरन म खाना भी नही चािहए

आजकल अ ड खान का चलन समाज म बहत बढ़ गया ह अतः मनयो की बि भी वसी ही हो गयी ह वजञािनको न अनसधान करक बताया ह िक 200 अ ड खान स िजतना िवटािमन सी िमलता ह उतना िवटािमन सी एक नारगी (सतरा) खान स िमल जाता ह िजतना ोटीन कि शयम अ ड म ह उसकी अपकषा चन मग मटर म एयादा ोटीन ह टमाटर म अ ड स तीन गणा कि शयम एयादा ह कल म स कलौरी िमलती ह और भी कई िवटािमनस कल म ह

िजन ािणयो का मास खाया जाता ह उनकी हतया करनी पड़ती ह िजस व उनकी हतया की जाती ह उस व व अिधक स अिधक अशात िखनन भयभीत उि न और ब होत ह अतः मास खान वाल को भी भय बोध अशाित उ ग इस आहार स िमलता ह शाकाहारी भोजन म सपाचय तत होत ह मास म व नही होत अतः मासाहारी भोजन को पचान क जीवन शि का एयादा वयय होता ह ःवाःथय क िलय एव मानिसक शाित आिद क िलए प यातमा होन की दि स भी शाकाहारी भोजन ही करना चािहए

शरीर को ःथल करना कोई बड़ी बात नही ह और न ही इसकी ज़ररत ह लिकन बि को सआम करन की ज़ररत ह आहार यिद साि वक होगा तो बि भी सआम होगी इसिलए सदव साि वक भोजन ही करना चािहए

(अनबम)

भारतीय सःकित की महानता रवरनड ऑवर नाम का एक पादरी पना म िहनद धमर की िननदा और ईसाइयत का चार

कर रहा था तब िकसी सजजन न एक बार रवरनड ऑवर स कहाः आप िहनद धमर की इतनी िननदा करत हो तो कया आपन िहनद धमर का अधययन िकया

ह कया भारतीय सःकित को परी तरह स जानन की कोिशश की ह आपन कभी िहनद धमर को समझा ही नही जाना ही नही ह िहनद धमर म तो ऐस जप धयान और सतसग की बात ह िक िजनह अपनाकर मनय िबना िवषय-िवकारी क िबना िडःको डास(नतय) क भी आराम स रह सकता ह आनिदत और ःवःथ रह सकता ह इस लोक और परलोक दोनो म सखी रह सकता ह आप िहनद धमर को जान िबना उसकी िनदा करत हो यह ठ क नही ह पहल िहनद धमर का अधययन तो करो

रवरनड ऑवर न उस सजजन की बात मानी और िहनद धमर की पःतको को पढ़न का िवचार िकया एकनाथजी और तकारामजी का जीवन चिरऽ जञान र महाराज की योग सामथयर की बात और कछ धािमरक पःतक पढ़न स उस लगा िक भारतीय सःकित म तो बहत खजाना ह मनय की जञा को िदवय करन की मन को सनन करन की और तन क र कणो को भी बदलन की इस सःकित म अदभत वयवःथा ह हम नाहक ही इन भोल-भाल िहनदःतािनयो को अपन चगल म फसान क िलए इनका धमरपिरवतरन करवात ह अर हम ःवय तो अशािनत की आग म जल ही रह ह और इनह भी अशात कर रह ह

उसन ायि -ःवरप अपनी िमशनरी रो तयागपऽ िलख भजाः िहनदःतान म ईसाइयत फलान की कोई ज़ररत नही ह िहनद सःकित की इतनी महानता ह िवशषता ह िक ईसाइय को चािहए िक उसकी महानता एव सतयता का फायदा उठाकर अपन जीवन को साथरक बनाय िहनद धमर की सतयता का फायदा दश-िवदश म पहच मानव जाित को सख-शाित िमल इसका यास हम करना चािहए

म भारतीय इितहास सशोधन म डल क मर आठ लाख डॉलर भट करता ह और तमहारी िमशनरी को सदा क िलए तयागपऽ दकर भारतीय सःकित की शरण म जाता ह

जस रवर ड ऑवर न भारतीय सःकित का अधययन िकया ऐस और लोगो को भी जो िहनद धमर की िनदा करत ह भारतीय सःकित का पकषपात और पवरमहरिहत अधययन करना चािहए मनय की सष शि या व आनद जगाकर ससार म सख-शाित आनद सननता का चार-सार करना चािहए

मा सीता की खोज करत-करत हनमान जामबत अगद आिद ःवयभा क आौम म पहच उनह जोरो की भख और यास लगी थी उनह दखकर ःवयभा न कह िदया िकः

कया तम हनमान हो ौीरामजी क दत हो सीता जी की खोज म िनकल हो

हनमानजी न कहाः हा मा हम सीता माता की खोज म इधर तक आय ह

िफर ःवयभा न अगद की ओर दखकर कहाः तम सीता जी को खोज तो रह हो िकनत आख बद करक खोज रह हो या आख

खोलकर

अगद जरा राजवी परष था बोलाः हम कया आख बनद करक खोजत होग हम तो आख खोलकर ही माता सीता की खोज कर रह ह

ःवयभा बोलीः सीताजी को खोजना ह तो आख खोलकर नही बद करक खोजना होगा सीता जी अथारत भगवान की अधािगनी सीताजी यानी िव ा आतमिव ा िव ा को खोजना ह तो आख खोलकर नही आख बद करक ही खोजना पड़गा आख खोलकर खोजोग तो सीताजी नही िमलगी तम आख बनद करक ही सीताजी ( िव ा) को पा सकत हो ठहरो म तमह बताती ह िक सीता जी कहा ह

धयान करक ःवयभा न बतायाः सीताजी यहा कही भी नही वरन सागर पार लका म ह अशोकवािटका म बठ ह और राकषिसयो स िघरी ह उनम िऽजटा नामक राकषसी ह तो रावण की सिवका िकनत सीताजी की भ बन गयी ह सीताजी वही रहती ह

वारन सोचन लग िक भगवान राम न तो एक महीन क अदर सीता माता का पता लगान क िलए कहा था अभी तीन स ाह स एयादा समय तो यही हो गया ह वापस कया मह लकर जाए सागर तट तक पहचत-पहचत कई िदन लग जाएग अब कया कर

उनक मन की बात जानकर ःवयभा न कहाः िचनता मत करो अपनी आख बद करो म योगबल स एक कषण म तमह वहा पहचा दती ह

हनमान अगद और अनय वानर अपनी आख बनद करत ह और ःवयभा अपनी योगशि स उनह सागर-तट पर कछ ही पल म पहचा दती ह

ौीरामचिरतमानस म आया ह िक ETH

ठाड़ सकल िसध क तीरा ऐसी ह भारतीय सःकित की कषमता

अमिरका को खोजन वाला कोलबस पदा भी नही हआ था उसस पाच हजार वषर पहल अजरन सशरीर ःवगर म गया था और िदवय अ लाया था ऐसी यो यता थी िक धरती क राजा खटवाग दवताओ को मदद करन क िलए दवताओ का सनापितपद सभालत थ ितःमित-िव ा चाकषषी िव ा परकायावश िव ा अ िसि िव ा एव नविनिध ा करान वाली योगिव ा और जीत-जी जीव को बनान वाली िव ा यह भारतीय सःकित की दन ह अनय जगह यह नही िमलती भारतीय सःकित की जो लोग आलोचना करत ह उन बचारो को तो पता ही नही ह िक भारतीय सःकित िकतनी महान ह

गर तगबहादर बोिलयो सनो सीखो बड़भािगयो धड़ दीज धमर न छोिड़य

यवनो न गर गोिबनदिसह क बटो स कहाः तम लोग मसलमान हो जाओ नही तो हम तमह िज़नदा ही दीवार म चनवा दग

बट बोलः हम अपन ाण द सकत ह लिकन अपना धमर नही तयाग सकत

बरो न उन दोनो को जीत-जी दीवार म चनवा िदया जब कारीगर उनह दीवार म चनन लग तब बड़ा भाई बोलता हः धमर क नाम यिद हम मरना ही पड़ता ह तो पहल मरी ओर ट बढ़ा दो तािक म छोट भाई की मतय न दख

छोटा भाई बोलता हः नही पहल मरी ओर ईट बढ़ा दो

कया साहसी थ कया वीर थ वीरता क साथ अपन जीवन का बिलदान कर िदया िकनत धमर न छोड़ा आजकल क लोग तो अपन धमर और सःकित को ही भलत जा रह ह कोई लवर-लवरी धमरपिरवतरन करक लवमरज करत ह अपना िहनद धमर छोड़कर फस मरत ह यह भी कोई िज़नदगी ह भगवान ौीकण कहत ह ETH

ःवधम िनधन ौय परधम भयावहः अपन धमर म मर जाना अचछा ह पराया धमर दःख दन वाला ह भयावह ह नरको म ल

जान वाला ह इसिलए अपन ही धमर म अपनी ही सःकित म जो जीता ह उसकी शोभा ह रवर ड ऑवर न भारतीय सःकित का खब आदर िकया एफ एच मोलम न महातमा

थोरो एव अनय कई पा ातय िचनतको न भी भारतीय सःकित का बहत आदर िकया ह उनक कछ उदगार यहा ःतत हः

बाईबल का मन यथाथर अ यास िकया ह उसम जो िदवय िलखा ह वह कवल गीता क उ रण क रप म ह म ईसाई होत हए भी गीता क ित इतना सारा आदरभाव इसिलए रखता ह िक िजन गढ़ ो का समाधान पा ातय लोग अभी तक नही खोज पाय ह उनका समाधान गीतामनथ न श एव सरल रीित स कर िदया ह उसम कई सऽ अलौिकक उपदशो स भरपर

लग इसीिलए गीता जी मर िलए साकषात योग री माता बन रही ह वह तो िव क तमाम धन स भी नही खरीदा जा सक ऐसा भारतवषर का अम य खजाना ह

- एफ एच मोलम (इगल ड) ाचीन यग की सवर रमणीय वःतओ म गीता स ौ कोई वःत नही ह गीता म ऐसा

उ म और सवरवयापी जञान ह िक उसक रचियता दवता को अस य वषर हो गय िफर भी ऐसा दसरा एक भी मनथ नही िलखा गया

महातमा थोरो (अमिरका) धमर क कषऽ म अनय सब दख दिरि ह जबिक भारत इस िवषय म अरबपित ह

माकर टवन (यएसए) इस पथवी पर सवारिधक पणर िवकिसत मानवजञा कहा ह और जीवन क मह म ो क

हल िकसन खोज ह ऐसा अगर मझस पछा जाए तो म अगिलिनदश करक कहगा िक भारत न ही

मकसमलर (जमरनी) वदानत जसा ऊधवरगामी एव उतथानकारी और एक भी धमर या त वजञान नही ह

शोपनहोअर (जमरनी) िव भर म कवल भारत ही ऐसी ौ महान परमपराए रखता ह जो सिदयो तक जीिवत

रही ह

कनो (ानस) मनय जाित क अिःततव क सबस ारिमभक िदनो स लकर आज तक जीिवत मनय

क तमाम ःव न अगर कही साकार हए हो तो वह ःथान ह भारत

रोमा रोला (ास) भारत दश समपणर मानव जाित की मातभिम ह और सःकत यरोप की सभी भाषाओ की

जननी ह भारत हमार त वजञान गिणतशा एव जनतऽ की जननी ह भारतमाता अनक रप स सभी की जननी ह

िवल डरानट (यएसए) भारतीय सःकित की महानता का एहसास करन वाल इन सब िवदशी िचनतको को हम

धनयवाद दत ह एक बार महातमा थोरो सो रह थ इतन म उनका िशय एमसरन आया दखा िक वहा

साप और िबचछ घम रह ह गरजी क जागन पर एमसरन बोलाः गरदव यह जगह बड़ी खतरनाक ह म िकसी सरिकषत जगह पर आपकी वयवःथा करवा

दता ह

महातमा थोरो बोलः नही नही िचनता करन की कोई ज़ररत नही ह मर िसरहान पर ौीमदभगवदगीता ह भगवदगीता क जञान क कारण तो मझ साप म िबचछ म सबम मरा ही आतमा-परमातमा िदखता ह व मझ नही काटत ह तो म कही कयो जाऊ

िकतनी कह गीता की महानता यही ह भारतीय सःकित की मिहमा अदभत ह उसकी महानता लाबयान ह उसकी मिहमा

(अनबम)

हिरदास की हिरभि सात वष य गौर वणर क गौराग बड़-बड़ िव ान पिडतो स ऐस-ऐस करत थ िक व

दग रह जात थ इसका कारण था गौराग की हिरभि बड़ होकर उनहोन लाखो लोगो को हिरभि म रग िदया

जो हिरभ होता हिर का भजन करता उसकी बि अचछ मागर पर ही जाती ह लोभी वयि पसो क िलए हसता-रोता ह पद एव कस क तो िकतन ही लोग हसत रोत ह पिरवार क िलए तो िकतन ही मोही हसत रोत ह िकनत धनय ह व जो भगवान क िलए रोत हसत ह भगवान क िवरह म िजस रोना आया ह भगवान क िलए िजसका दय िपघलता ह ऐस लोगो का जीवन साथरक हो जाता ह भागवत म भगवान ौीकण उ व स कहत ह-

वाग गदगदा िवत यःय िच

रदतयभीआण हसित कविचचच िवलजज उदगायित नतयत च

मदभि य ो भवन पनाित िजसकी वाणी गदगद हो जाती ह िजसका िच ििवत हो जाता ह जो बार-बार रोन

लगता ह कभी लजजा छोड़कर उचच ःवर स गान लगता ह कभी नाचन लगता ह ऐसा मरा भ समम ससार को पिवऽ करता ह (ौीमदभागवतः 111424)

धनय ह वह मसलमान बालक जो गौराग क कीतरन म आता ह और िजसन गौराग स मऽदीकषा ली ह

उस मसलमान बालक का नाम हिरदास रखा गया मसलमान लोगो न उस हिरभ हिरदास को फसलान की बहत च ा की बहत डराया िक त गौराग क पास जाना छोड़ द नही तो हम यह करग वह करग िकनत हिरदास बहका नही उसका भय न हो गया था दमरित दर हो चकी थी उसकी सदबि और िन ा भगवान क धयान म लग गयी थी भयनाशन दमरित हरण किल म हिर को नाम यह नानक जी का वचन मानो उसक जीवन म साकार हो उठा था

काज़ी न षडयऽ करक उस पर कस िकया और फरमान जारी िकया िक हिरदास को बत मारत-मारत बीच बाजार स ल जाकर यमना म डाल िदया जाय

िनभ क हिरदास न बत की मार खाना ःवीकार िकया िकनत हिरभि छोड़ना ःवीकार न िकया िनि त िदन हिरदास को बत मारत हए ल जाया जान लगा िसपाही बत मारता ह तो हिरदास बोलता हः हिर बोल

हमको हिर बोल बलवाता ह य ल हिर बोल हिर बोल (सटाकसटाक) िसपाही बोलत हः हम तझ बत मारत ह तो कया तझ पीड़ा नही होती त हमस भी हिर

बोल हिर बोल करवाना चाहता ह

हिरदासः पीड़ा तो शरीर को होती ह म तो आतमा ह मझ तो पीड़ा नही होती तम भी यार स एक बार हिर बोल कहो

िसपाहीः ह हम भी हिर बोल कह हमस हिर बोल बलवाता ह ल य हिर बोल (सटाक)

हिरदास सोचता ह िक बत मारत हए भी तो य लोग हिर बोल कह रह ह चलो इनका क याण होगा िसपाही बत मारत जात ह सटाक सटाक और हिरदास हिर बोल बोलता भी जाता ह बलवाता भी जाता ह हिरदास को कई बत पड़न पर भी उसक चहर पर दःख की रखा तक नही िखचती

हवालदार पछता हः हिरदास तझ बत पड़न क बावजद भी तरी आखो म चमक ह चहर पर धयर शाित और सननता झलक रही ह कया बात ह

हिरदासः म बोलता ह हिर बोल तब िसपाही ब होकर भी कहत हः ह हमस भी बलवाता ह हिर बोल हिर बोल हिर बोल तो ल इस बहान भी उनक मह स हिरनाम िनकलता ह दर सवर उनका भी क याण होगा इसी स मर िच म सननता ह

धनय ह हिरदास की हिरभि बर काज़ी क आदश का पालन करत हए िसपाही उस हिरभि स िहनद धमर की दीकषा स चयत करन क िलए बत मारत ह िफर भी वह िनडर हिरभि नही छोड़ता हिर बोल बोलना बद नही करता

व मसलमान िसपाही हिरदास को िहनद धमर की दीकषा क भाव स गौरा क भाव स दर हटाना चाहत थ लिकन वह दर नही हटा बत सहता रहा िकनत हिर बोल बोलना न छोड़ा आिखरकार उन बर िसपाहीयो न हिरदास को उठाकर नदी म बहा िदया

नदी म तो बहा िदया लिकन दखो हिरनाम का भाव मानो यमनाजी न उसको गोद म ल िलया डढ़ मील तक हिरदास पानी म बहता रहा वह शातिच होकर मानो उस पानी म नही हिर की कपा म बहता हआ दर िकसी गाव क िकनार िनकला दसर िदन गौराग की भातफरी म शािमल हो गया लोग आ यरचिकत हो गय िक चमतकार कस हआ

धनय ह वह मसलमान यवक हिरदास जो हिर क धयान म हिर क गान म हिर क कीतरन म गौराग क साथ रहा जस िववकाननद क साथ भिगनी िनविदता न भारत म अधयातम-धणर क चार म लगकर अपना नाम अमर कर िदया वस ही इस मसलमान यवक न हिरकीतरन म हिरधयान म अपना जीवन धनय कर िदया दजरन लोग हिरदास का बाल तक न बाका कर सक जो सचच दय स भगवान का हो जाता ह उसकी हजारो शऽ िमलकर भी कछ हािन नही कर सकत तो उस काज़ी की कया ताकत थी

लोगो न जाकर काज़ी स कहा िक आज हिरदास पनः गौराग की भातफरी म उपिःथत हो गया था काजी अतयनत अहकारी था उसन एक नोिटस भजा एक आदश चतनय महाभ (गौराग) को भजा िक कल स तम भातफरी नही िनकाल सकत तमहारी भातफरी पर बिदश लगाई जाती ह

गौराग न सोचा िक हम िकसी का बरा नही करत िकसी को कोई हािन नही पहचात अर वायम डल क दषण को दर करन क िलए तो शासन पस खचर करता ह िकनत िवचारो क दषण को दर करन क िलए हिरकीतरन जसा हिरभि जसा अमोघ उपाय कौन सा ह भल काजी और शासन की समझ म आय या न आय वातावरण को श करन क साथ-साथ िवचारो का दषण भी दर होना चािहए हम तो कीतरन करग और करवायग

जो लोग डरपोक थ भीर और कायर थ ढील-ढाल थ व बोलः बाबा जी रहन दो रहन दो अपना कया जो करग व भरग अपन तो घर म ही रहकर हिर ॐ हिर ॐ करग

गौराग न कहाः नही इस कार कायरो जसी बात करना ह तो हमार पास मत आया करो

दसर िदन जो डरपोक थ ऐस पाच-दस वयि नही आय बाकी क िहममतवाल िजतन थ व सब आय उनह दखकर और लोग भी जड़

गौराग बोलः आज हमारी भातफरी की पणारहित काजी क घर पर ही होगी

गौराग भ -म डली क साथ कीतरन करत-करत जब बाजार स गज़र तो कछ िहनद एव मसलमान भी कीतरन म जड़ गय उनको भी कीतरन म रस आन लगा व लोग काजी को गािलया दन लग िक काजी बदमाश ह ऐसा ह वसा ह आिद ETH आिद

तब गौराग कहत हः नही शऽ क िलए भी बरा मत सोचो

उनहोन सबको समझा िदया िक काजी क िलए कोई भी अपश द नही कहगा कसी महान ह हमारी िहनद सःकित िजसन हिरदास को बत मारन का आदश िदया उस कवल अपश द कहन क िलए भी गौराग मना कर रह ह इस भारती सःकित म िकतनी उदारता ह स दयता ह लिकन कायरता को कही भी ःथान नही ह

गौराग कीतरन करत-करत काजी क घर क िनकट पहच गय काजी घर की छत पर स इस भातफरी को दखकर दग रह गया िक मर मना करन पर भी इनहोन भातफरी िनकाली

और मर घर तक ल आय उसम मसलमान लड़क भी शािमल ह जयो ही वह भातफरी काजी क घर पहची काजी घर क अनदर िछप गया

गौराग न काजी का ार खटखटाया तब काजी या काजी की प ी न नही वरन चौकीदार न दरवाजा खोला वह बोलाः

काजी साहब घर पर नही ह

गौराग बोलः नही कस ह अभी तो हमन उनह घर की छत पर दखा था काजी को जाकर बोलो हमार मामा और मा भी िजस गाव की ह आप भी उसी गाव क हो इसिलए आप मर गाव क मामा लगत ह मामाजी भानजा ार पर आय और आप छप कर बठ यह शोभा नही दता बाहर आ जाईय

चौकीदार न जाकर काजी को सब कह सनाया गौराग क मभर वचन सनकर काजी का दय िपघल गया िजस पर मन ज म ढाय वह मझ मामा कहकर सबोिधत करता ह िजसक साथ मन बरता की वह मर साथ िकतना औदायर रखता ह यह सोचकर काजी का दय बदल गया वह ार पर आकर बोलाः

म तमस डरकर अनदर नही छपा कयोिक मर पास तो स ा ह कलम की ताकत ह लिकन हिरकीतरन स हिरनाम स िहनद तो कया मसलमान लड़क भी आनिदत हो रह ह उनका भी लह पिवऽ हो रहा ह यह दखकर मझ दःख हो रहा ह िक िजस नाम क उचचारण स उनकी रग-रग पावन हो रही ह उसी नाम क कारण मन हिरदास पर और तम पर ज म िकया िकसी क बहकाव म आकर तम लोगो पर फरमान जारी िकया अब म िकस मह स तमहार सामन आता इसीिलए म मह िछपाकर घर क अनदर घस गया था

भानजा(गौराग) बोलता हः मामा अब तो बाहर आ जाइय

मामा(काजी) बोलाः बाहर आकर कया कर

गौरागः कीतरन कर हिरनाम क उचचारण स छपी हई यो यता िवकिसत कर आनद गट कर

काजीः कया करना होगा

गौरागः म जसा बोलता ह ऐसा ही बोलना होगा बोिलएः हिर बोल हिर बोल

काजीः हिर बोल हिर बोल

गौरागः हिर बोल हिर बोल

काजीः हिर बोल हिर बोल

हिर बोल हिर बोल हिर बोल हिर बोल

हिर बोल हिर बोल हिर बोल हिर बोल

कीतरन करत-करत गौराग न अपनी िनगाहो स काजी पर कपा बरसाई तो काजी भी झमन लगा उस भी हिर बोल का रग लग गया जस इजन को ह डल दकर छोड़ दत ह तब भी इजन चलता रहता ह ऐस ही गौराग की कपादि स काजी भी झमन लगा

काजी क झमन स वातावरण म और भी रग आ गया काजी तो झम गया काजी की प ी भी झमी और चौकीदार भी झम उठा सब हिरकीतरन म झमत-झमत अपन र को पावन करन लग दय को हिररस स सराबोर करन लगा उनक जनम-जनम क पाप-ताप न होन लग िजस पर भगवान की दया होती ह िजसको साधओ का सग िमलता ह सतसग का सहारा िमलता ह और भारतीय सःकित की महानता को समझन की अकल िमलती ह िफर उसक उ ार म कया बाकी रह जाता ह काजी का तो उ ार हो गया

दखो सत की उदारता एव महानता िजसन िहनदओ पर ज म करवाय भ हिरदास को बत मरवात-मरवात यमना जी म डलवा िदया भातफरी पर ितबध लगवा िदया उसी काजी को गौराग न हिररग म रग िदया अपनी कपादि स िनहाल कर िदया उसक बर कम की धयान न दत हए भि का दान द िदया ऐस गौराग क ौीचरणो म हमार हजार-हजार णाम ह हम उस मसलमान यवक हिरदास को भी धनयवाद दत ह िक उसन बत खात पीड़ा सहत भी भि न छोड़ी गरदव को न छोड़ा न ही उनक दबाव म आकर पनः मसलमान बना हिर बोल क रग म ःवय रगा और िसपािहयो को भी रग िदया धनय ह हिरदास और उसकी हिरभि

(अनबम)

बनावटी ौगार स बचो जमरनी क िस दाशरिनक शोपनहार कहत ह िक िजन दशो म हिथयार बनाय जात ह

उन दशो क लोगो को य करन की उ जना होती ह और उन दशो म हिथयार बनत ही रहत ह य भी होत रहत ह ऐस ही जो लोग फशन करत ह उनक दय म काम बोध लोभ मोह रपी य होता ही रहता ह उनक जीवन म िवलािसता आती ह और पतन होता ह वस ही फशन और िवलािसता स सयम सदाचार और यो यता का सहार होता ह

इसिलए य क साधन बढ़न स जस य होता ह वस ही िवलािसता और फशन क साधनो का उपयोग करन स अतयर होता ह अपनी आितमक शि यो का सहार होता ह अतः अपना भला चाहन वाल भाई-बहनो को पफ-पाउडर िलपिःटक-लाली व -अलकार क िदखाव क पीछ नही पड़ना चािहए सयम सादगी एव पिवऽतापणर जीवन जीना चािहए

अपन शा ो म ौगार की अनमित दी गई ह सौभा यवती ि या जब पित अपन ही नगर म हो घर म हो तब ौगार कर पित यिद दर दश गया हो तब सौभा यवित ि यो को भी सादगीपणर जीवन जीना चािहए ौगार क उपयोग म आनवाली वःतए भी वनिःपतयो एव साि वक रसो स बनी हई होनी चािहए जो सननता और आरो यता दान कर

आजकल तो शरीर म उ जना पदा कर बीमािरया पदा कर ऐस किमक स(रसायनो) और जहर जस साधनो स ौगार-साधन बनाए जात ह िजसस शरीर क अनदर जहरील कण जात ह और तवचा की बीमािरया होती ह आहार म भी जहरील कणो क जान स पाचन-तऽ और मानिसक सतलन िबगड़ता ह साथ ही बौि क एव वचािरक सतलन भी िबगड़ता ह

पशओ की चब किमक स और दसर थोड़ जहरील िवयो स बन पफ-पाउडर िलपिःटक-लाली आिद िजन साधनो का यटी-पालरर म उपयोग िकया जाता ह वसी गदगी कभी-भी अपन शरीर को तो लगानी ही नही चािहए दसर लोगो न लगायी हो तो दखकर सनन भी नही होना चािहए अपन सयम और सदाचार की सनदरता को गट करना चािहए मीरा और शबरी िकस यटी-पालरर म गय थ सती अनसया गाग और मदालसा न िकस पफ-पाउडर लाली-िलपिःटक का उपयोग िकया था िफर भी उनका जीवन सनदर तजःवी था हम भी ई र स ाथरना कर िक ह भगवान हम अपना सयम और साधना का सौनदयर बढ़ाए ऐसी त दया करना िवकारी सौनदयर स अपन को बचाकर िनिवरकारी नारायण की ओर जाय ऐसी त दया करना िवलािसता म अपन समय को न लगाकर तर ही धयान-िचतन म हमारा समय बीत ऐसी त कपा करना

किऽम सौनदयर-साधन स तवचा की िःन धता और कोमलता मर जाती ह पफ-पाउडर बीम आिद स शरीर की कदरती िःन धता खतम हो जाती ह ाकितक सौनदयर को न करक

जो किऽम सौनदयर क गलाम बनत ह उनस ःनहभरी सलाह ह िक व पफ-पाउडर आिद और तड़कील-भड़कील व आिद की गलामी को छोड़कर ाकितक सौनदयर को बढ़ान की कोिशश कर मीरा और मदालसा की तरह अपन असली सौनदयर को कट करन की कोिशश कर

(अनबम)

साहसी बालक एक लड़का काशी म हिर नि हाईःकल म पढ़ता था उसका गाव काशी स आठ मील दर

था वह रोजाना वहा स पदल चलकर आता बीच म जो गगा नदी बहती ह उस पार करक िव ालय पहचता

उस जमान म गगा पार करन क िलए नाव वाल को दो पस दन पड़त थ दो पस आन क और दो पस जान क कल चार पस यािन पराना एक आना महीन म करीब दो रपय हए जब सोन क एक तोल का भाव रपया सौ स भी नीच था तब क दो रपय आज क तो पाच-पचचीस रपय हो जाए

उस लड़क न अपन मा-बाप पर अितिर बोझा न पड़ इसिलए एक भी पस की माग नही की उसन तरना सीख िलया गम हो बािरश हो या ठ ड हो गगा पार करक हाईःकल म जाना उसका बम हो गया इस कार िकतन ही महीन गजर गय

एक बार पौष मास की ठ ड म वह लड़का सबह की ःकल भरन क िलए गगा म कदा तरत-तरत मझधार म आया एक नाव म कछ याऽी नदी पार कर रह थ उनहोन दखा िक छोटा-सा लड़का अभी डब मरगा व उसक पास नाव ल गय और हाथ पकड़ कर उस नाव म खीच िलया लड़क क मख पर घबराहट या िचनता की कोई रखा नही थी सब लोग दग रह गय इतना छोटा ह और इतना साहसी ह व बोलः

त अभी डब मरता तो ऐसा साहस नही करना चािहए

तब लड़का बोलाः साहस तो होना ही चािहए जीवन म िव न-बाधाए आयगी उनह कचलन क िलए साहस तो चािहए ही अगर अभी स साहस नही जटाया तो जीवन म बड़-बड़ कायर कस कर पायग

लोगो न पछाः इस समय तरन कयो िगरा दोपहर को नहान आता

लड़का बोलता हः म नहान क िलए नदी म नही िगरा ह म तो ःकल जा रहा ह

नाव म बठकर जाता

रोज क चार पस आन-जान क लगत ह मर गरीब मा-बाप पर मझ बोझा नही बनना ह मझ तो अपन परो पर खड़ होना ह मरा खचर बढ़ तो मर मा-बाप की िचनता बढ़ उनह घर चलाना मिकल हो जाय

लोग उस आदर स दखत ही रह गय वही साहसी लड़का आग चलकर भारत का धान मऽी बना

वह लड़का कौन था पता ह व थ लाल बहादर शा ी शा ी जी उस पद भी सचचाई साहस सरलता ईमानदारी सादगी दशम आिद सदगण और सदाचार क मितरमनत ःवरप थ ऐस महापरष भल िफर थोड़ा-सा समय ही राजय कर पर एक अनोखा भाव छोड़ जात ह जनमानस पर

(अनबम)

गर-आजञापालन का चमतकार ौीम आ ाशकराचायर जी जब काशी म िनवास करत थ तब गगा-तट पर िनतय ात-

काल टहलत थ एक सबह िकसी ितभासपनन यवक न दसर िकनार स दखा िक कोई सनयासी उस पार टहल रह ह उस यवक न दसर िकनार स ही उनह णाम िकया उस यवक को दखकर आ शकराचायर जी न सकत िकया िक इधर आ जाओ उस आभासमपनन यवक न दखा िक मन तो साध को णाम कर िदया ह णाम कर िदया तो म उनका िशय हो गया और उनहोन मझ आदश िदया िक इधर आ जाओ अब गर की आजञा का उ लघन करना भी तो उिचत नही ह िकनत यही कोई नाव नही ह और म तरना भी नही जानता ह अब कया कर उसक मन म िवचार आया िक वस भी तो हजारो बार हम मर चक ह एक बार यिद गर क दशरन क िलए जात-जात मर जाय तो घाटा कया होगा

गग मात की जय कह कर उस यवक न तो गगाजी म पर रख िदया उसकी इचछा कहो ौीम आ शकराचायर जी का भाव कहो या िनयित की लीला कहो जहा उस यवक न कदम रखा वहा एक कमल पदा हो गया उसक पर को थामन क िलए जब दसरा पर रखा तो वहा भी कमल पदा हो गया इस कार जहा-जहा वह कदम रखता गया वहा कमल (प ) उतपनन होता गया और वह यवक गगा क दसर तट पर जहा आ शकराचायर जी खड़ थ पहच गया

जहा-जहा वह कदम रखता था वहा-वहा प (कमल) क कट होन क कारण उसका नाम पड़ा - प पादाचायर शकराचायर जी क म य चार प टिशयो म आग जाकर यही प पादाचायर एक प टिशय बन

कहन का तातपयर यह ह िक सिचचदानद परमातमा की शि का सामथयर का बयान करना सभव नही ह िजसकी िजतनी दढ़ता ह िजसकी िजतनी सचचाई ह िजसकी िजतनी ततपरता ह उतनी ही कित भी उसकी मदद करन को आतर रहती ह प पादाचायर की गर-आजञापालन म दढ़ता और ततपरता को दखकर गगा जी म कमल गट हो गय िशय यिद दढ़ता ततपरता और ईमानदारी स गर-आजञापालन म लग जाय तो कित भी उसक अनकल हो जाती ह

(अनबम)

अनोखी गरदिकषणा एकलवय गर िोणाचायर क पास आकर बोलाः मझ धनिवर ा िसखान की कपा कर

गरदव गर िोणाचायर क समकष धमरसकट उतपनन हआ कयोिक उनहोन भीम िपतामह को वचन

द िदया था िक कवल राजकमारो को ही म िशकषा दगा एकलवय राजकमार नही ह अतः उस धनिवर ा कस िसखाऊ अतः िोणाचायर न एकलवय स कहाः

म तझ धनिवर ा नही िसखा सकगा

एकलवय घर स िन य करक िनकला था िक म कवल गर िोणाचायर को ही गर बनाऊगा िजनक िलए मन म भी गर बनान का भाव आ गया उनक िकसी भी वयवहार क िलए िशकायत या िछिानवषण की वि नही होनी चािहए

एकलवय एकात अर य म गया और उसन गर िोणाचायर की िम टी की मितर बनायी मितर की ओर एकटक दखकर धयान करक उसी स रणा लकर वह धनिवर ा सीखन लगा एकटक दखन स एकामता आती ह एकामता गरभि अपनी सचचाई और ततपरता क कारण उस रणा िमलन लगी जञानदाता तो परमातमा ह धनिवर ा म वह बहत आग बढ़ गया

एक बार िोणाचायर पाडव एव कौरव धनिवर ा का योग करन अर य म आय उनक साथ एक क ा भी था जो थोड़ा आग िनकल गया क ा वही पहचा जहा एकलवय अपनी धनिवर ा का योग कर रहा था एकलवय क खल बाल फट कपड़ एव िविचऽ वष को दखकर क ा भ कन लगा

एकलवय न क को लग नही चोट न पहच और उसका भ कना बद हो जाय इस ढग स सात बाण उसक मह म थमा िदय क ा वािपस वहा गया जहा िोणाचायर क साथ पाडव और कौरव थ

उस दखकर अजरन को हआ िक क को चोट न लग इस ढग स बाण मह म घसाकर रख दना यह िव ा तो म भी नही जानता यह कस सभव हआ वह गर िोणाचायर स बोलाः

गरदव आपन तो कहा था िक मरी बराबरी का दसरा कोई धनधाररी नही होगा िकनत ऐसी िव ा तो मझ भी नही आती

िोणाचायर को हआ िक दख इस अर य म कौन-सा ऐसा कशल धनधरर ह आग जाकर दखा तो वह था िहर यधन का पऽ गरभ एकलवय

िोणाचायर न पछाः बटा यह िव ा त कहा स सीखा

एकलवय बोलाः गरदव आपकी ही कपा स सीखा ह

िोणाचायर तो वचन द चक थ िक अजरन की बराबरी का धनधरर दसरा कोई न होगा िकनत यह तो आग िनकल गया गर क िलए धमरसकट खड़ा हो गया एकलवय की अटट ौ ा दखकर िोणाचायर न कहाः मरी मितर को सामन रखकर त धनिवर ा तो सीखा िकनत गरदिकषणा

एकलवयः जो आप माग

िोणाचायरः तर दाय हाथ का अगठा

एकलवय न एक पल भी िवचार िकय िबना अपन दाय हाथ का अगठा काटकर गरदव क चरणो म अपरण कर िदया

िोणाचायरः बटा भल ही अजरन धनिवर ा म सबस आग रह कयोिक म उस वचन द चका ह िकनत जब तक सयर चनि नकषऽो का अिःततव रहगा तब तक लोग तरी गरिन ा का तरी गरभि का ःमरण करग तरा यशोगान होता रहगा

उसकी गरभि और एकामता न उस धनिवर ा म तो सफलता िदलायी ही लिकन सतो क दय म भी उसक िलए आदर गट करवा िदया धनय ह एकलवय जो गरमितर स रणा पाकर धनिवर ा म सफल हआ और िजसन अदभत गरदिकषणा दकर साहस तयाग और समपरण का पिरचय िदया

(अनबम)

सतसग की मिहमा तलसीदास जी महाराज कहत ह ETH

एक घड़ी आधी घड़ी आधी म पिन आध तलसी सगत साध की हर कोिट अपराध

एक बार शकदव जी क िपता भगवान वदवयासजी महाराज कही जा रह थ राःत म उनहोन दखा िक एक कीड़ा बड़ी तजी स सड़क पार कर रहा था

वदवयासजी न अपनी योगशि दत हए उसस पछाः त इतनी ज दी सड़क कयो पार कर रहा ह कया तझ िकसी काम स जाना ह त तो

नाली का कीड़ा ह इस नाली को छोड़कर दसरी नाली म ही तो जाना ह िफर इतनी तजी स कयो भाग रहा ह

कीड़ा बोलाः बाबा जी बलगाड़ी आ रही ह बलो क गल म बध घघर तथा बलगाड़ी क पिहयो की आवाज म सन रहा ह यिद म धीर-धीर सड़क पार करगा तो वह बलगाड़ी आकर मझ कचल डालगी

वदवयासजीः कचलन द कीड़ की योिन म जीकर भी कया करना

कीड़ाः महिषर ाणी िजस शरीर म होता ह उसको उसम ही ममता होती ह अनक ाणी नाना कार क क ो को सहत हए भी मरना नही चाहत

वदवयास जीः बलगाड़ी आ जाय और त मर जाय तो घबराना मत म तझ योगशि स महान बनाऊगा जब तक ा ण शरीर म न पहचा द अनय सभी योिनयो स शीय छटकारा िदलाता रहगा

उस कीड़ न बात मान ली और बीच राःत पर रक गया और मर गया िफर वदवयासजी की कपा स वह बमशः कौआ िसयार आिद योिनयो म जब-जब भी उतपनन हआ वयासजी न जाकर उस पवरजनम का ःमरण िदला िदया इस तरह वह बमशः मग पकषी शि वय जाितयो म जनम लता हआ कषिऽय जाित म उतपनन हआ उस वहा भी वदवयासजी दशरन िदय थोड़ िदनो म रणभिम म शरीर तयागकर उसन ा ण क घर जनम िलया

भगवान वदवयास जी न उस पाच वषर की उ म सारःवतय मऽ द िदया िजसका जप करत-करत वह धयान करन लगा उसकी बि बड़ी िवलकषण होन पर वद शा धमर का रहःय समझ म आ गया

सात वषर की आय म वदवयास जी न उस कहाः काि रक कषऽ म कई वष स एक ा ण ननदभि तपःया कर रहा ह तम जाकर उसकी

शका का समाधान करो

माऽ सात वषर का ा ण कमार काि रक कषऽ म तप कर रह उस ा ण क पास पहच कर बोलाः

ह ा णदव आप तप कयो कर रह ह

ा णः ह ऋिषकमार म यह जानन क िलए तप कर रहा ह िक जो अचछ लोग ह सजजन लोग ह व सहन करत ह दःखी रहत ह और पापी आदमी सखी रहत ह ऐसा कयो ह

बालकः पापी आदमी यिद सखी ह तो पाप क कारण नही वरन िपछल जनम का कोई प य ह उसक कारण सखी ह वह अपन प य खतम कर रहा ह पापी मनय भीतर स तो दःखी ही होता ह भल ही बाहर स सखी िदखाई द

धािमरक आदमी को ठ क समझ नही होती उिचत िदशा व मऽ नही िमलता इसिलए वह दःखी होता ह वह धमर क कारण दःखी नही होता अिपत समझ की कमी क कारण दःखी होता ह समझदार को यिद कोई गर िमल जाय तो वह नर म स नारायण बन जाय इसम कया आ यर ह

ा णः म इतना बढ़ा हो गया इतन वष स काि रक कषऽ म तप कर रहा ह मर तप का फल यही ह िक तमहार जस सात वषर क योगी क मझ दशरन हो रह ह म तमह णाम करता ह

बालकः नही नही महाराज आप तो भदव ह म तो बालक ह म आपको णाम करता ह

उसकी नता दखकर ा ण और खश हआ तप छोड़कर वह परमातमिचनतन म लग गया अब उस कछ जानन की इचछा नही रही िजसस सब कछ जाना जाता ह उसी परमातमा म िवौाित पान लग गया

इस कार ननदभि ा ण को उ र द िनःशक कर सात िदनो तक िनराहार रहकर वह बालक सयरमनऽ का जप करता रहा और वही बहदक तीथर म उसन शरीर तयाग िदया वही बालक दसर जनम म कषार िपता एव िमऽा माता क यहा गट हआ उसका नाम मऽय पड़ा इनहोन वयासजी क िपता पराशरजी स िवण-पराण तथा बहत पाराशर होरा शा का अधययन िकया था पकषपात रिहत अनभवकाश नामक मनथ म मऽय तथा पराशर ऋिष का सवाद आता ह

कहा तो सड़क स गजरकर नाली म िगरन जा रहा कीड़ा और कहा सत क सािननधय स वह मऽय ऋिष बन गया सतसग की बिलहारी ह इसीिलए तलसीदास जी कहत ह ETH

तात ःवगर अपवगर सख धिरअ तला एक अग तल न तािह सकल िमली जो सख लव सतसग

यहा एक शका हो सकती ह िक वह कीड़ा ही मऽय ऋिष कयो नही बन गया

अर भाई यिद आप पहली ककषा क िव ाथ हो और आपको एम ए म िबठाया जाय तो कया आप पास हो सकत हो नही दसरी तीसरी चौथी दसवी बारहवी बीए आिद पास करक ही आप एमए म वश कर सकत हो

िकसी चौकीदार पर कोई धानमनऽी अतयिधक सनन हो जाए तब भी वह उस सीधा कलकटर (िजलाधीश) नही बना सकता ऐस ही नाली म रहन वाला कीड़ा सीधा मनय तो नही

हो सकता बि क िविभनन योिनयो को पार करक ही मनय बन सकता ह हा इतना अवय ह िक सतकपा स उसका मागर छोटा हो जाता ह

सतसमागम की साध परषो स सग की मिहमा का कहा तक वणरन कर कस बयान कर एक सामानय कीड़ा उनक सतसग को पाकर महान ऋिष बन सकता ह तो िफर यिद मानव को िकसी सदगर का सािननधय िमल जाय उनक वचनानसार चल पड़ तो मि का अनभव करक जीवनम भी बन सकता ह

(अनबम)

पीड़ पराई जान र जञानी िकसी स यार करन क िलए बध हए नही ह और िकसी को डाटन म भी राजी

नही ह हमारी जसी यो यता होती ह ऐसा उनका वयवहार हमार ित होता ह लीलाशाह बाप क ौीचरणो म बहत लोग गय थ एक लड़का भी गया था वह मिणनगर

म रहता था िशवजी को जल चढ़ान क प ात ही वह जल पीता वह लड़का खब िन ा स धयान-भजन करता और सवा पजा करता

एक िदन कोई वयि राःत म बहोश पड़ा हआ था िशवजी को जल चढ़ान जात समय उस बालक न उस दखा और अपनी पजा-वजा छोड़कर उस गरीब की सवा म लग गया िबहार का कोई यवक था नौकरी की खोज म आया था कालपर(अहमदाबाद) ःटशन क लटफामर पर एक दो िदन रहा किलयो न मारपीट कर भगा िदया चलत-चलत मिणनगर म पनीत आौम की ओर रोटी की आशा म जा रहा था रोटी तो वहा नही िमलती थी इसिलए भख क कारण चलत-चलत राःत म िगर गया और बहोश हो गया

उस लड़क का घर पनीत आौम क पास ही था सबह क दस साढ़ दस बज थ वह लड़का घर स धयान-भजन स िनपटकर मिदर म िशवजी को जल चढ़ान क िलए जल का लोटा और पजा की साममी लकर जा रहा था उसन दखा िक राःत म कोई यवक पड़ा ह राःत म चलत-चलत लोग बोलत थः शराब पी होगी यह होगा वह होगा हम कया

लड़क को दया आई प य िकय हए हो तो रणा भी अचछ िमलती ह शभ कम स शभ रणा िमलती ह अपन पास की पजा साममी एक ओर रखकर उसन उस वयि को िहलाया बहत मिकल स उसकी आख खली कोई उस जत सघाता कोई कछ करता कोई कछ बोलता था

आख खोलत ही वह वयि धीर स बोलाः पानी पानी

लड़क न महादव जी क िलय लाया हआ जल का लोटा उस िपला िदया िफर दोड़कर घर जाकर अपन िहःस का दध लाकर उस िदया

यवक क जी म जी आया उसन अपनी वयथा बतात हए कहाः बाब जी म िबहार स आया ह मर बाप गजर गय काका िदन-रात टोकत रहत त िक

कमाओ नही तो खाओग कया नौकरी धधा िमलता नही ह भटकत-भटकत अहमदाबाद क ःटशन पर कली का काम करन का य िकया हमारी रोटी-रोजी िछन जायगी ऐसा समझकर किलयो न खब मारा पदल चलत-चलत मिणनगर ःटशन की ओर आत-आत यहा तीन िदन की भख और मार क कारण चककर आय और िगर गया

लड़क न उस िखलाया अपना इक ठा िकया हआ जबखचर का पसा िदया उस यवक को जहा जाना था वहा भजन की वयवःथा की इस लड़क क दय म आनद की वि हई अतर म आवाज आईः

बटा अब म तझ बहत ज दी िमलगा

लड़क न िकयाः अनदर कौन बोलता ह

उ र आयाः िजस िशव की त पजा करता ह वह तरा आतमिशव अब म तर दय म कट होऊगा सवा क अिधकारी की सवा मझ िशव की ही सवा ह

उस िदन उस अतयारमी न अनोखी ऱणा और ोतसाहन िदया वह लड़का तो िनकल पड़ा घर छोड़कर ई र-साकषातकार करन क िलए कदारनाथ वनदावन होत हए निनताल क अर य म पहचा

कदारनाथ क दशरन पाय लकषािधपित आिशष पाय

इस आशीवारद को वापस कर ई राि क िलए िफर पजा की उसक पास जो कछ रपय पस थ उनह वनदावन म साध-सतो एव गरीबो म भ डारा करक खचर कर िदया था थोड़ स पस लकर निनताल क अर यो म पहचा लोकलाड़ल लाखो दयो को हिररस िपलात पजयपाद सदगर ौी लीलाशाह बाप की राह दखत हए चालीस िदन बीत गय गरवर ौी लीलाशाह को अब पणर समिपरत िशय िमला पणर खजाना ा करन वाला पिवऽातमा िमला पणर गर की पणर िशय िमला

िजस लड़क क िवषय म यह कथा पढ़ रह ह वह लड़का कौन होगा जानत हो

पणर गर कपा िमली पणर गर का जञान आसमल स हो गय साई आसाराम

अब तो समझ ही गय होग (उस लड़क क वश म छप हए थ पवर जनम क योगी और वतरमान म िव िव यात हमार

पजयपाद सदगरदव ौी आसाराम जी महाराज)

(अनबम)

िवकास क बिरयो स सावधान किपलवःत क राजा श ोदन का यवराज था िस ाथर यौवन म कदम रखत ही िववक

और वरा य जाग उठा यवान प ी यशोधरा और नवजात िशश राहल की मोह-ममता की रशमी जजीर काटकर महाभीिनबमण (गहतयाग) िकया एकानत अर य म जाकर गहन धयान साधना करक अपन साधय त व को ा कर िलया

एकानत म तप यार और धयान साधना स िखल हए इस आधयाितमक कसम की मधर

सौरभ लोगो म फलन लगी अब िस ाथर भगवान ब क नाम स जन-समह म िस हए हजारो हजारो लोग उनक उपिद मागर पर चलन लग और अपनी अपनी यो यता क मतािबक आधयाितमक याऽा म आग बढ़त हए आितमक शाित ा करन लग अस य लोग बौ िभकषक बनकर भगवान ब क सािननधय म रहन लग उनक पीछ चलन वाल अनयायीओ का एक सघ ःथािपत हो गया चह ओर नाद गजन लग िकः

ब शरण गचछािम धमम शरण गचछािम सघ शरण गचछािम

ौावःती नगरी म भगवान ब का बहत यश फला लोगो म उनकी जय-जयकार होन लगी लोगो की भीड़-भाड़ स िवर होकर ब नगर स बाहर जतवन म आम क बगीच म रहन लग नगर क िपपास जन बड़ी तादाद म वहा हररोज िनि त समय पर पहच जात और उपदश-वचन सनत बड़-बड़ राजा महाराजा भगवान ब क सािननधय म आन जान लग

समाज म तो हर कार क लोग होत ह अनािद काल स दवी समपदा क लोग एव आसरी समपदा क लोग हआ करत ह ब का फलता हआ यश दखकर उनका तजो ष करन वाल लोग जलन लग सतो क साथ हमशा स होता आ रहा ह ऐस उन द त वो न ब को बदनाम करन क िलए कचार िकया िविभनन कार की यि -यि या लड़ाकर ब क यश को हािन पहच ऐसी बात समाज म व लोग फलान लग उन द ो न अपन ष यऽ म एक वया को समझा-बझाकर शािमल कर िलया

वया बन-ठनकर जतवन म भगवान ब क िनवास-ःथानवाल बगीच म जान लगी

धनरािश क साथ द ो का हर कार स सहारा एव ोतसाहन उस िमल रहा था रािऽ को वही रहकर सबह नगर म वािपस लोट आती अपनी सिखयो म भी उसन बात फलाई

लोग उसस पछन लगः अरी आजकल त िदखती नही ह कहा जा रही ह रोज रात को

म तो रोज रात को जतवन जाती ह व ब िदन म लोगो को उपदश दत ह और रािऽ क समय मर साथ रगरिलया मनात ह सारी रात वहा िबताकर सबह लोटती ह

वया न परा ीचिरऽ आजमाकर ष यऽ करन वालो का साथ िदया लोगो म पहल तो हलकी कानाफसी हई लिकन जयो-जयो बात फलती गई तयो-तयो लोगो म जोरदार िवरोध होन लगा लोग ब क नाम पर िफटकार बरसान लग ब क िभकषक बःती म िभकषा लन जात तो लोग उनह गािलया दन लग ब क सघ क लोग सवा-वि म सल न थ उन लोगो क सामन भी उगली उठाकर लोग बकवास करन लग

ब क िशय जरा असावधान रह थ कचार क समय साथ ही साथ स चार होता तो कचार का इतना भाव नही होता िशय अगर िनिबय रहकर सोचत रह जाय िक करगा सो भरगा भगवान उनका नाश करग तो कचार करन वालो को ख ला मदान िमल जाता ह

सत क सािननधय म आन वाल लोग ौ ाल सजजन सीध साद होत ह जबिक द वि करन वाल लोग किटलतापवरक कचार करन म कशल होत ह िफर भी िजन सतो क पीछ सजग समाज होता ह उन सतो क पीछ उठन वाल कचार क तफान समय पाकर शात हो जात ह और उनकी सतवि या काशमान हो उठती ह

कचार न इतना जोर पकड़ा िक ब क िनकटवत लोगो न ऽािहमाम पकार िलया व समझ गय िक यह वयविःथत आयोजनपवरक ष यऽ िकया गया ह ब ःवय तो पारमािथरक सतय म जाग हए थ व बोलतः सब ठ क ह चलन दो वयवहािरक सतय म वाहवाही दख ली अब िननदा भी दख ल कया फकर पड़ता ह

िशय कहन लगः भनत अब सहा नही जाता सघ क िनकटवत भ भी अफवाहो क िशकार हो रह ह समाज क लोग अफवाहो की बातो को सतय मानन लग गय ह

ब ः धयर रखो हम पारमािथरक सतय म िवौाित पात ह यह िवरोध की आधी चली ह तो शात भी हो जाएगी समय पाकर सतय ही बाहर आयगा आिखर म लोग हम जानग और मानग

कछ लोगो न अगवानी का झ डा उठाया और राजयस ा क समकष जोर-शोर स माग की

िक ब की जाच करवाई जाय लोग बात कर रह ह और वया भी कहती ह िक ब रािऽ को मर साथ होत ह और िदन म सतसग करत ह

ब क बार म जाच करन क िलए राजा न अपन आदिमयो को फरमान िदया अब ष यऽ करनवालो न सोचा िक इस जाच करन वाल पच म अगर सचचा आदमी आ जाएगा तो अफवाहो का सीना चीरकर सतय बाहर आ जाएगा अतः उनहोन अपन ष यऽ को आिखरी

पराका ा पर पहचाया अब ऐस ठोस सबत खड़ा करना चािहए िक ब की ितभा का अःत हो जाय

उनहोन वया को दार िपलाकर जतवन भज िदया पीछ स ग डो की टोली वहा गई वया पर बलातकार आिद सब द कतय करक उसका गला घोट िदया और लाश को ब क बगीच म गाड़कर पलायन हो गय

लोगो न राजयस ा क ार खटखटाय थ लिकन स ावाल भी कछ लोग द ो क साथ जड़ हए थ ऐसा थोड़ ही ह िक स ा म बठ हए सब लोग दध म धोय हए वयि होत ह

राजा क अिधकािरयो क ारा जाच करन पर वया की लाश हाथ लगी अब द ो न जोर-शोर स िच लाना शर कर िदया

दखो हम पहल ही कह रह थ वया भी बोल रही थी लिकन तम भगतड़ लोग मानत ही नही थ अब दख िलया न ब न सही बात खल जान क भय स वया को मरवाकर बगीच म गड़वा िदया न रहगा बास न बजगी बासरी लिकन सतय कहा तक िछप सकता ह म ामाल हाथ लग गया इस ठोस सबत स ब की असिलयत िस हो गई सतय बाहर आ गया

लिकन उन मख का पता नही िक तमहारा बनाया हआ कि पत सतय बाहर आया वाःतिवक सतय तो आज ढाई हजार वषर क बाद भी वसा ही चमक रहा ह आज ब को लाखो लोग जानत ह आदरपवरक मानत ह उनका तजो ष करन वाल द लोग कौन-स नरको म जलत होग कया पता

ढाई हजार वषर पहल ब क जमान म भी सतो क साथ ऐसा घोर अनयाय हआ करता था ऋिष दयाननद को भी ऐस ही त वो न तजो ष क कारण बाईस बार िवष दकर मार डालन का यास िकया ःवामी िववकाननद और ःवामी रामतीथर क पीछ भी द लोगो न वया को तयार करक कीचड़ उछाला था

एक ओर लाखो-लाखो लोग सतो की अनभवय वाणी स अपना वयावहािरक ETH आधयाितमक जीवन उननत करक सख-शाित पात ह दसरी ओर कछ द कित क ःवाथ लोग अपना उ ल सीधा करन क िलए ऐस महापरषो क िवर म ष यऽ रचकर उनको बदनाम करत ह यह तो पहल स चला आ रहा ह सत कबीर हो या नानक एकनाथ महाराज हो या सत तकाराम नरिसह महता हो या मीराबाई ायः सभी सतो को अपन जीवन क दौरान समाज क किटल त वो स पाला पड़ता ही रहा ह जीसस बाइःट को इनही त वो न बॉस पर चढ़ाया था उनही लोगो न सकरात को जहर िपलाकर मतयद ड िदया था मनसर को इसी जमात न शली पर चढ़ाया था ईसाई धमर म माट न यथर पर ज म िकया गया था अण-अण म ई र और नारीमाऽ म जगजजननी भगवती का दशरन करन वाल रामकण परमहस को भी लोगो न नही

छोड़ा था परमहस योगाननद रवीनिनाथ टगोर माट न यथर दिकषण भारत क सत ितरव लवर जापानी झन सत बाबो इितहास म िकतन-िकतन उदाहरण मौजद ह

हािसद धमरगर बा शमटोव अित पिवऽ आतमा थ िननदको न उनक इदरिगदर भी मायाजाल िबछा दी थी िसध क साई टउराम क पास अस य लोग आतमक याण हत जान लग तब िवकत िदमागवालो न उन सत को भी ऽास दना शर कर िदया उनक आौम क चह ओर गदगी डाल दत और कए म िम टी का तल उड़लकर पानी बकार कर दत मगल बादशाह बाबर को बहका कर उनही लोगो न गर नानक को कद करवाया था

भगवान ौीराम एव ौीकण को भी द जनो न छोड़ा नही था भगवान ौीराम क गर विश जी महाराज कहत हः

ह राम जी म जब बाजार स गजरता ह तब अजञानी मखर लोग मर िलए कया बकत ह म सब जानता ह लिकन मरा दयाल ःवभाव ह म इन सबका क याण चाहता ह

तमहार साथ यह ससार कछ अनयाय करता ह तमको बदनाम करता ह िननदा करता ह तो यह ससार की परानी रीत ह मनय की हीनवि कचार िननदाखोरी यह आजकल की ही बात नही ह अनािदकाल स ऐसा होता आया ह तम अपन आतमजञान क सःकार जगाकर आतमबल का िवकास करत जाओ मःकरात जाओ आधी तफानो को लाघकर आननदपवरक जीत जाओ

उस जमान म भगवान ब क पास आकर एक िभकषक न ाथरना कीः भनत मझ आजञा द म सभाए भरगा आपक िवचारो का चार करगा

मर िवचारो का चार

हा भगवन म बौ धमर फलाऊगा

लोग तरी िननदा करग गािलया दग

कोई हजर नही म भगवन को धनयवाद दगा िक य लोग िकतन अचछ ह य कवल श दहार करत ह मझ पीटत तो नही

लोग तझ पीटग भी तो कया करोग

भो म शब गजारगा िक य लोग हाथो स पीटत ह पतथर तो नही मारत

लोग पतथर भी मारग और िसर भी फोड़ दग तो कया करगा

िफर भी म आ ःत रहगा और भगवान का िदवय कायर करता रहगा कयोिक व लोग मरा िसर फोड़ग लिकन ाण तो नही लग

लोग जनन म आकर तझ मार दग तो कया करगा

भनत आपक िदवय िवचारो का चार करत-करत म मर भी गया तो समझगा िक मरा जीवन सफल हो गया

उस कतिन यी िभकषक की दढ़ िन ा दखकर भगवान ब सनन हो उठ उस पर उनकी करणा बरस पड़ी

ऐस िशय जब ब का चार करन िनकल पड़ तब कचार करन वाल धीर-धीर शात हो गय मनयो की उगिलया काट-काटकर माला बनाकर पहनन वाला अगिलमाल जसा बर हतयारा भी दयपिरवतरन पाकर ब की शरण म िभकषक होकर रहन लगा

आज हम ब को बहत आदर स जानत ह मानत ह उनक जीवनकाल क दौरान उनक पीछ लग हए द लोग कौन स नरक म सड़त होग रौरव नरक म या कभीपाक नरक म कौन-सी योिनयो म भटकत होग सअर बन होग िक नाली क कीड़ बन होग शतान बन होग िक राकषस बन होग मझ पता नही लिकन ब तो करोड़ो दयो म बस रह ह यह म मानता ह

सतय तो परमाथर ह आतमा ह परमातमा ह उसम िजतना िटकोग उतना तमहारा मगल होगा तमहारी िनगाह िजन पर पड़गी उनका भी मगल होगा

(अनबम)

कछ जानन यो य बात सय दय स पवर उठकर ःनान कर लना चािहए ातः खाली पट मटक का बासी पानी

पीना ःवाःथयद ह तलसी क प सय दय क प ात ही तोड़ दध म तलसी क प नही डालन चािहए तथा

दध क साथ खान भी नही चािहए तलसी क प खाकर थोड़ा पानी पीना िपय जलनित स पिह सौ कार क लाभ होत ह अपन मिःतक म एक कार का िवजाितय

िवय उतपनन होता ह यिद वह िवय वही अटक जाता ह तो बचपन म ही बाल सफद होन लगत ह इसस नजल की बीमारी भी होती ह यिद वह िवय नाक की तरफ आता ह तो सगनध-दगरनध का पता नही चल पाता और ज दी-ज दी जकाम हो जाता ह यिद वह िवय कान की तरफ आता ह तो कान बहर होन लगत ह और छोट-मोट ब ीस रोग हो सकत ह यिद वह िवय दात की तरफ आय तो दात छोटी उ म ही िगरन लगत ह यिद आख की तरफ वह िवय उतर तो चम लगन लगत ह जलनित यािन नाक स पानी खीचकर मह स िनकाल दन स वह िवय िनकल जाता ह गल क ऊपर क ायः सभी रोगो स मि िमल जाती ह

आईसबीम खान क बाद चाय पीना दातो क िलए अतयािधक हािनकारक होता ह

भोजन को पीना चािहए तथा पानी को खाना चािहए इसका मतलब यह ह िक भोजन को इतना चबाओ िक वह पानी की तरह पतला हो जाय और पानी अथवा अनय पय पदाथ को धीर-धीर िपयो

िकसी भी कार का पय पदाथर पीना हो तो दाया नथना बनद करक िपय इसस वह अमत जसा हो जाता ह यिद दाया ःवर(नथना) चाल हो और पानी आिद िपय तो जीवनशि (ओज) पतली होन लगती ह चयर की रकषा क िलए शरीर को तनदरःत रखन क िलए यह योग करना चािहए

तम चाह िकतनी भी महनत करो िकनत िजतना तमहारी नसो म ओज ह चयर की शि ह उतन ही तम सफल होत हो जो चाय-कॉफी आिद पीत ह उनका ओज पतला होकर पशाब ारा न होता जाता ह अतः चयर की रकषा क िलए चाय-कॉफी जस वयसनो स दर रहना रह

पढ़न क बाद थोड़ी दर शात हो जाना चािहए जो पढ़ा ह उसका मनन करो िशकषक ःकल म जब पढ़ात हो तब धयान स सनो उस व मःती-मजाक नही करना चािहए िवनोद-मःती कम स कम करो और समझन की कोिशश अिधक करो

जो सय दय क पवर नही उठता उसक ःवभाव म तमस छा जाता ह जो सय दय क पवर उठता ह उसकी बि शि बढ़ती ह

नीद म स उठकर तरत भगवान का धयान करो आतमःनान करो धयान म रिच नही होती तो समझना चािहए िक मन म दोष ह उनह िनकालन क िलए कया करना चािहए

मन को िनद ष बनान क िलए सबह-शाम माता-िपता को णाम करना चािहए गरजनो को णाम करना चािहए एव भगवान क नाम का जप करना चािहए भगवान स ाथरना करनी चािहए िक ह भगवान ह मर भ मरी धयान म रिच होन लग ऐसी कपा कर दो िकसी समय गद िवचार िनकल आय तो समझना चािहए िक अदर छप हए िवचार िनकल रह ह अतः खश होना चािहए िवचार आया और गया मर राम तो दय म ही ह ऐसी भावना करनी चािहए

िनदा करना तो अचछा नही ह िकनत िनदा सनना भी उिचत नही (अनबम)

शयन की रीत मनय को िकस ढग स सोना चािहए इसका भी तरीका होता ह सोत व पवर अथवा

दिकषण िदशा की ओर िसर करक ही सोना चािहए

भोजन करन क बाद िदन म दस िमनट आराम कर िकनत सोय नही भोजन क बाद दस िमनट बायी करवट लट सकत ह रािऽ को जागरण िकया हो इस कारण स कभी िदन म सोना पड़ वह अलग बात ह

सोत व नीच कोई गमर कबल आिद िबछाकर सोय तािक आपकी जीवनशि अिथग न हो जाय आपक शरीर की िव तशि भिम म न उतर जाय

(अनबम)

ःनान का तरीका शरीर की मजबती एव आरो यता क िलए रगड़-रगड़कर ःनान करना चािहए जो लोग

ठड दशो म रहत ह उनका ःवाःथय गमर दस क लोगो की अपकषा अचछा होता ह ठडी स अपना शरीर सधरता ह

ःनान करत व 12-15 िलटर पानी बा टी म लकर पहल उसम िसर डबाना चािहए िफर पर िभगोना चािहए पहल पर गील नही करन चािहए शरीर की गम ऊपर की ओर चढ़ती ह जो ःवाःथय क िलए हािनकारक होती ह

अतः पहल ठड पानी की बा टी भर ल िफर मह म पानी भरकर िसर को बा टी म डाल और आख पटपटाए इसस आखो की शि बढ़ती ह शरीर को रगड़-रगड़कर नहाए बाद म गील व स शरीर को रगड़-रगड़कर पोछ िजसस रोम कप का सारा मल बाहर िनकल जाय और रोमकप(तवचा क िछि) खल जायय तवचा क िछि बद रहन स ही तवचा की कई बीमािरया होती ह िफर सख कपड़ स शरीर को पोछ कर (अथवा थोड़ा गीला हो तब भी चल) सख साफ व पहन ल व भल साद हो िकनत साफ हो बासी कपड़ नही पहन हमशा धल हए कपड़ ही पहन इसस मन भी सनन रहता ह

पाच कार क ःनान होत हः ःनान दवःनान ऋिषःनान मानवःनान दानवःनान ःनानः -परमातमा का िचतन करक जल थल नहान वाला

ऐसा िचतन करक ा महतर म नहाना इस ःनान कहत ह दवःनानः दवनिदयो म ःनान या दवनिदयो का ःमरण करक सय दय स पवर नहाना यह

दवःनान ह ऋिषःनानः आकाश म तार िदखत हो और नहा ल यह ऋिषःनान ह ऋिषःनान करन

वाल की बि बड़ी तजःवी होती ह मानवःनानः सय दय क पवर का ःनान मानवःनान ह

दानवःनानः सय दय क प ात चाय पीकर नाता करक आठ नौ बज नहाना यह दानव ःनान ह

अतः हमशा ऋिषःनान करन का ही यास करना चािहए (अनबम)

ःवचछता का धयान यिद शरीर की सफाई रखी जाय तो मन भी सनन रहता ह आजकल अिधकतर लोग

श स ही मजन करत ह श की अपकषा नीम और बबल की दातौन जयादा अचछ होती ह और यिद श भी कर तो कभी-कभार श को गमर पानी स धोना चािहए अनयथा उसम बकटिरया(जीवाण) रह जात ह

िकतन ही लोग उगली स दात साफ करत ह तजरनी (अगठ क पास वाली थम उगली) स दात िघसन स मसड़ कमजोर हो जात ह तथा दात ज दी िगर जात ह कयोिक तजरनी म िव तशि का माण दसरी उगिलयो की अपकषा अिधक होता ह अतः उसस दात नही िघसन चािहए एव आखो को भी नही मसलना चािहए

िजस िदशा स हवा आती हो उस िदशा की ओर मह करक कभी-भी मलमऽ का िवसजरन नही करना चािहए सयर और चनिमा की ओर मख करक भी मलमऽ का िवसजरन नही करना चािहए

(अनबम)

ःमरणशि का िवकास यादशि बढ़ान का एक सनदर योग ह ETH ामरी ाणायाम सखासन प ासन या

िस ासन पर बठ हाथ की कोहनी की ऊचाई कनध तक रह इस कार रखकर हाथ की थम उगली(तजरनी) स दोनो कानो को धीर-स बद कर एकदम जोर स बद न कर िकनत बाहर का कछ सनाई न द इस कार धीर स कान बनद कर

अब गहर ास लकर थोड़ी दर रोक ओठ बद रखकर जस मर का गजन होता ह वस ॐsssss कहत हए गजन कर उसक बाद थोड़ी दर तक ास न ल पनः यही िबया दहराय ऐसा सबह एव शाम 8 स 10 बार कर यादशि बढ़ान का यह यौिगक योग ह इसस मिःतक की नािड़यो का शोधन होकर मिःतक म र सचार उिचत ढग स होता ह

और िवचार करन स भी बि शि का िवकास होता ह

सबह खाली पट तलसी क प एकाध काली िमचर चबाकर एक िगलास पानी पीन स भी ःमरणशि का िवकास होता ह रोग-ितकारक शि बढ़ती ह कनसर की बीमारी कभी नही होती जलदर-भगदर की बीमारी भी कभी नही होती

(अनबम)

वयि तव और वयवहार िकसी भी वयि तव का पता उसक वयवहार स ही चलता ह कई लोग वयथर च ा करत

ह एक होती ह सकाम च ा दसरी होती ह िनकाम च ा और तीसरी होती ह वयथर च ा वयथर च ा नही करनी चािहए िकसी क शरीर म कोई कमी हो तो उसका मजाक नही उड़ाना चािहए वरन उस मददरप बनना चािहए यह िनकाम सवा ह

िकसी की भी िनदा नही करनी चािहए िनदा करन वाला वयि िजसकी िनदा करता ह उसका तो इतना अिहत नही होता िजतना वह अपना अिहत करता ह जो दसरो की सवा करता ह दसरो क अनकल होता ह वह दसरो का िजतना िहत करता ह उसकी अपकषा उसका खद का िहत जयादा होता ह

अपन स जो उ स बड़ हो जञान म बड़ हो तप म बड़ हो उनका आदर करना चािहए िजस मनय क साथ बात करत हो वह मनय कौन ह यह जानकर बात करो तो आप वयवहार-कशल कहलाओग

िकसी को पऽ िलखत हो तो यिद अपन स बड़ हो तो ौी सबोधन करक िलखो सबोधन करन स सवाकयो की रचना स िश ता बढ़ती ह िकसी स बात करो तो सबोधन करक बात करो जो तकार स बात करता ह वह अिश कहलाता ह िश तापवरक बात करन स अपनी इजजत बढ़ती ह

िजसक जीवन म वयवहार-कशलता ह वह सभी कषऽो म सफल होता ह िजसम िवनता ह वही सब कछ सीख सकता ह िवनता िव ा बढ़ाती ह िजसक जीवन म िवनता नही ह समझो उसक सब काम अधर रह गय और जो समझता ह िक म सब कछ जानता ह वह वाःतव म कछ नही जानता

एक िचऽकार अपन गरदव क सममख एक सनदर िचऽ बनाकर लाया गर न िचऽ दखकर कहाः

वाह वाह सनदर ह अदभत ह

िशय बोलाः गरदव इसम कोई ऽिट रह गयी हो तो कपा करक बताइए इसीिलए म आपक चरणो म आया ह

गरः कोई ऽिट नही ह मझस भी जयादा अचछा बनाया ह

वह िशय रोन लगा उस रोता दखकर गर न पछाः तम कयो रो रह हो म तो तमहारी शसा कर रहा ह

िशयः गरदव मरी घड़ाई करन वाल आप भी यिद मरी शसा ही करग तो मझ मरी गि तया कौन बतायगा मरी गित कस होगी

यह सनकर गर अतयत सनन हो गय हमन िजतना जाना िजतना सीखा ह वह तो ठ क ह उसस जयादा जान सक सीख सक

ऐसा हमारा यास होना चािहए रामकण परमहस व हो गय थ िकसी न उनस पछाः बाबा जी आपन सब कछ जान

िलया ह

रामकण परमहसः नही म जब तक जीऊगा तब तक िव ाथ ही रहगा मझ अभी बहत कछ सीखना बाकी ह

िजनक पास सीखन को िमल उनस िवनतापवरक सीखना चािहए जो कछ सीखो सावधानीपवरक सीखो जीवन म िवनोद जररी ह िकनत िवनोद की अित न हो िजस समय पढ़त हो कछ सीखत हो कछ करत हो उस समय मःती नही िवनोद नही वरन जो कछ पढ़ो सीखो या करो उस उतसाह स धयान स और सावधानी स करो

पढ़न स पवर थोड़ धयानःथ हो जाओ पढ़न क बाद मौन हो जाओ यह गित की चाबी ह

माता-िपता स िचढ़ना नही चाह िजस मा-बाप न जनम िदया ह उनकी बातो को समझना चािहए अपन िलए उनक मन म िवशष दया हो िवशष म उतपनन हो ऐसा वयवहार करना चािहए

भल जाओ भल सब कछ माता-िपता को भलना नही अनिगनत उपकार ह उनक यह कभी िबसरना नही

माता-िपता को सतोष हो उनका दय सनन हो ऐसा हमारा वयवहार होना चािहए अपन माता-िपता एव गरजनो को सत रखकर ही हम सचची गित कर सकत ह

(अनबम)

  • पजय बाप जी का उदबोधन
  • कदम अपना आग बढाता चला जा
  • त गलाब होकर महक
  • जीवन विकास का मल सयम
  • तरिकाल सधया
  • शरीर सवासथय
  • अनन का परभाव
  • भारतीय ससकति की महानता
  • हरिदास की हरिभकति
  • बनावटी शरगार स बचो
  • साहसी बालक
  • गर-आजञापालन का चमतकार
  • अनोखी गरदकषिणा
  • सतसग की महिमा
  • पीड पराई जान र
  • विकास क बरियो स सावधान
  • कछ जानन योगय बात
  • शयन की रीत
  • सनान का तरीका
  • सवचछता का धयान
  • समरणशकति का विकास
  • वयकतितव और वयवहार
Page 3: Tu gulabhokarmehak

पजय बाप जी का उदबोधन हमारा भारत उन ऋिषयो मिनयो का दश ह िजनहोन आिदकाल स ही इसकी वयवःथाओ

क उिचत सचालन क िनिम अनक िस ानतो की रचना कर तयक शभ कायर क िनिम अनक िस ानतो की रचना कर तयक शभ कायर क साथ धािमरक आचार-सिहता का िनमारण िकया ह

मनय क कमर को ही िजनहोन धमर बना िदया ऐस ऋिष-मिनयो न बालक क जनम स ही मनय क क याण का मागर शःत िकया लिकन मनय जाित का दभार य ह िक वह उनक िस ानतो को न अपनात हए पथ होकर अपन िदल म अनमोल खजाना छपा होन क बावजद भी कषिणक सख की तलाश म अपनी पावन सःकित का पिरतयाग कर िवषय-िवलास-िवकार स आकिषरत होकर िनतयित िवनाश की गहरी खाई म िगरती जा रही ह

आ यर तो मझ तब होता ह जब उ की दहलीज़ पर कदम रखन स पहल ही आज क िव ाथ को पा ातय अधानकरण की तजर पर िवदशी चनलो स भािवत होकर िडःको शराब जआ स टा भाग गाजा चरस आिद अनकानक कार की बराईयो स िल होत दखता ह

भारत वही ह लिकन कहा तो उसक भ ाद बालक ीव व आरिण-एकलवय जस परम गरभ और कहा आज क अनशासनहीन उ ड एव उचछखल बचच उनकी तलना आज क नादान बचचो स कस कर आज का बालक बचारा उिचत मागरदशरन क अभाव म पथ हए जा रहा ह िजसक सवारिधक िजममदार उसक माता-िपता ही ह

ाचीन यग म माता-िपता बचचो को ःनह तो करत थ लिकन साथ ही धमरय सयमी जीवन-यापन करत हए अपनी सतान को अनशासन आचार-सिहता एव िश ता भी िसखलात थ और आज क माता-िपता तो अपन बचचो क सामन ऐस वयवहार करत ह िक कया बतलाऊ कहन म भी शमर आती ह

ाचीन यग क माता-िपता अपन बचचो को वद उपिनषद एव गीता क क याणकारी ोक िसखाकर उनह ससःकत करत थ लिकन आजकल क माता-िपता तो अपन बचचो को गदी िवनाशकारी िफ मो क दिषत गीत िसखलान म बड़ा गवर महसस करत ह यही कारण ह िक ाचीन यग म ौवण कमार जस मात-िपतभ पदा हए जो अत समय तक माता-िपता की सवा-शौषा स ःवय का जीवन धनय कर लत थ और आज की सतान तो बीबी आयी िक बस माता-िपता स कह दत ह िक तम-तमहार हम-हमार कई तो ऐसी कसतान िनकल जाती ह िक बचार मा-बाप को ही धकका दकर घर स बाहर िनकाल दती ह

इसिलए माता-िपता को चािहए िक व अपनी सतान क गभरधारण की िबया स ही धमर व शा -विणरत सतो क कह उपदशो का पालन कर तदनसार ही जनम की िबया सपनन कर

तथा अपन बचचो क सामन कभी कोई ऐसा िबयाकलाप या कोई अ ीलता न कर िजसका बचचो क िदलो-िदमाग पर िवपरीत असर पड़

ाचीन काल म गरकल प ित िशकषा की सव म परमपरा थी गरकल म रहकर बालक दश व समाज का गौरव बनकर ही िनकलता था कयोिक बचचा ितपल गर की नज़रो क सामन रहता था और आतमव ा सदगर िजतना अपन िशय का सवागीण िवकास करत ह उतना माता-िपता तो कभी सोच भी नही सकत

आजकल क िव ालयो म तो पट भरन की िचनता म लग रहन वाल िशकषको एव शासन की दिषत िशकषा-णाली क ारा बालको को ऐसी िशकषा दी जा रही ह िक बड़ा होत ही उस िसफर नौकरी की ही तलाश रहती ह आजकल का पढ़ा-िलखा हर नौजवान माऽ कस पर बठन की ही नौकरी पसनद करता ह उ म-वयवसाय या पिरौमी कमर को करन म हर कोई कतराता ह यही कारण ह िक दश म बरोजगारी नशाखोरी और आपरािधक वि या बढ़ती जा रही ह कयोिक खाली िदमाग शतान का घर ह ऐस म ःवाभािवक ही उिचत मागरदशरन क अभाव म यवा पीढ़ी मागर स भटक गयी ह

आज समाज म आवयकता ह ऐस महापरषो की सदगरओ की तथा सतो की जो बचचो तथा यवा िव ािथरयो का मागरदशरन कर उनकी सष शि का अपनी अपनी शि पात-वषार स जामत कर सक

आज क िव ािथरयो को उिचत मागरदशरक की बहत आवयकता ह िजनक सािननधय म पा ातय-स यता का अधानकरण करन वाल ननह-मनह लिकन भारत का भिवय कहलान वाल िव ाथ अपना जीवन उननत कर सक

िव ाथ जीवन का िवकास तभी सभव ह जब उनह यथायो य मागरदशरन िदया जाए माता-िपता उनह बा यावःथा स ही भारतीय सःकित क अनरप जीवन-यापन की सयम एव सादगीय जीवन की रणा दान कर िकसी ऐस महापरष का सािननधय ा करवाय जो ःवय जीवनम होकर अनयो को भी मि दान करन का सामथयर रखत हो

भारत म ऐस कई बालक पदा हए ह िजनहोन ऐस महापरषो क चरणो म अपना जीवन अपरण कर लाखो-करोड़ो िदलो म आज भी आदरणीय पजनीय बन रहन का गौरव ा िकया ह इन मधावी वीर बालको की कथा इसी पःतक म हम आग पढ़ग भी महापरषो क सािननधय का ही यह फल ह िक व इतनी ऊचाई पर पहच सक अनयथा व कसा जीवन जीत कया पता

ह िव ाथ त भारत का भिवय िव का गौरव और अपन माता-िपता की शान ह तर भीतर भी असीम सामथर का भ डार छपा पड़ा ह त भी खोज ल ऐस जञानी परषो को और उनकी करणा-कपा का खजाना पा ल िफर दख तरा कटमब और तरी जाित तो कया सपणर िव क लोग तरी याद और तरा नाम िलया करग

इस पःतक म ऐस ही जञानी महापरषो सतो और गरभ ो तथा भगवान क लाडलो की कथाओ तथा अनभवो का वणरन ह िजसका बार-बार पठन िचनतन और मनन करक तम सचमच म महान बन जाओग करोग ना िहममत

bull िनतय धयान ाणायाम योगासन स अपनी सष शि यो को जगाओ bull दीन-हीन-कगला जीवन बहत हो चका अब उठो कमर कसो जसा बनना ह वसा आज स और

अभी स सक प करो bull मनय ःवय ही अपन भा य का िनमारता ह

(अनबम)

कदम अपना आग बढ़ाता चला जा कदम अपना आग बढ़ाता चला जा सदा म क गीत गाता चला जा

तर मागर म वीर काट बड़ ह िलय तीर हाथो म वरी खड़ ह बहादर सबको िमटाता चला जा

कदम अपना आग बढ़ाता चला जा

त ह आयरवशी ऋिषकल का बालक तापी यशःवी सदा दीनपालक त सदश सख का सनाता चला जा कदम अपना आग बढ़ाता चला जा

भल आज तफान उठकर क आय बला पर चली आ रही ह बलाए यवा वीर ह दनदनाता चला जा

कदम अपना आग बढ़ाता चला जा

जो िबछड़ हए ह उनह त िमला जा जो सोय पड़ ह उनह त जगा जा त आनद का डका बजाता चला जा

कदम अपना आग बढ़ाता चला जा

(अनबम)

त गलाब होकर महक सगित का मानव जीवन पर अतयिधक भाव पड़ता ह यिद अचछ सगत िमल तो

मनय महान हो जाता ह लिकन वही मनय यिद कसग क चककर म पड़ जाए तो अपना जीवन न कर लता ह अतः अपन स जो पढ़ाई म एव िश ता म आग हो ऐस िव ािथरयो का आदरपवरक सग करना चािहए तथा अपन स जो नीच हो उनह दयापवरक ऊपर उठान का यास करना चािहए लिकन साथ ही यह धयान भी रह की कही हम उनकी बातो म न फस जाए

एक बार मर सदगरदव पजयपाद ःवामी ौी लीलाशाह जी महाराज न मझ गलाब का फल बताकर कहाः यह कया ह

मन कहाः बाप यह गलाब का फल ह

उनहोन आग कहाः इस त डालडा क िड ब पर रख िफर सघ अथवा गड़ क ऊपर रख शककर क ऊपर रख या चन अथवा मग की दाल पर रख गदी नाली क पास रख ऑिफस म रख उस सब जगह घमा सब जगह रख िफर सघ तो उसम िकसकी सगध आएगी

मन कहाःजी गलाब की

गरदवः गलाब को कही भी रख दो और िफर सघो तो उसम स सगनध गलाब की ही आएगी ऐस ही हमारा जीवन भी गलाब जसा होना चािहए हमार सदगणो की सगनध दसरो को लनी हो तो ल िकनत हमम िकसी की दगरनध िव न हो त गलाब होकर महक तझ जमाना जान

िकसी क दोष हमम ना आय इसका धयान रखना चािहए अपन गण कोई लना चाह तो भल ल ल

भगवान का धयान करन स एकाम होन स माता-िपता का आदर करन स गरजनो की बातो को आदरपवरक मानन स हमम सदगणो की वि होती ह

ातःकाल ज दी उठकर माता-िपता को णाम करो भगवान ौीरामचनिजी ातःकाल ज दी उठकर माता-िपता एव गर को णाम करत थ

ातःकाल उठिह रघनाथा मात-िपत गर नाविह माथा ौीरामचनिजी जब गर आौम म रहत थ त गर जी स पहल ही नीद स जाग जात थ

गर स पहल जगपित जाग राम सजान ऐसा राम चिरतमानस म आता ह

माता-िपता एव गरजनो का आदर करन स हमार जीवन म दवी गण िवकिसत होत ह िजनक भाव स ही हमारा जीवन िदवय होन लगता ह

ह िव ाथ त भी िनकामता सननता असगता की महक फलाता जा (अनबम)

जीवन िवकास का मल सयम एक बड़ महापरष थ हजारो-लाखो लोग उनकी पजा करत थ जय-जयकार करत थ

लाखो लोग उनक िशय थ करोड़ो लोग उनह ौ ा-भि स नमन करत थ उन महापरष स िकसी वयि न पछाः

राजा-महाराजा रा पित जस लोगो को भी कवल सलामी मारत ह या हाथ जोड़ लत ह िकनत उनकी पजा नही करत जबिक लोग आपकी पजा करत ह णाम भी करत ह तो बड़ी ौ ा-भि स ऐसा नही िक कवल हाथ जोड़ िदय लाखो लोग आपकी फोटो क आग भोग रखत ह आप इतन महान कस बन

दिनया म मान करन यो य तो बहत लोग ह बहतो को धनयवाद और शसा िमलती ह लिकन ौ ा-भि स ऐसी पजा न तो सठो की होती ह न साहबो की न सीडट की होती ह न िमिलशी ऑिफसर की न राजा की और न महाराजा की अर ौी कण क साथ रहन वाल भीम अजरन यिधि र आिद की भी पजा नही होती जबिक ौीकण की पजा करोड़ो लोग करत ह भगवान राम को करोड़ो लोग मानत ह आपकी पजा भी भगवान जसी ही होती ह आप इतन महान कस बन

उन महापरष न जवाब म कवल एक ही श द कहा और वह श द था - सयम तब उस वयि न पनः पछाः ह गरवर कया आप बता सकत ह िक आपक जीवन म

सयम का पाठ कबस शर हआ

महापरष बोलः मर जीवन म सयम की शरआत मरी पाच वषर की आय स ही हो गयी म जब पाच वषर का था तब मर िपता जी न मझस कहाः

बटा कल हम तमह गरकल भजग गरकल जात समय तरी मा साथ म नही होगी भाई भी साथ नही आयगा और म भी साथ नही आऊगा कल सबह नौकर तझ ःनान नाता करा क घोड़ पर िबठाकर गरकल ल जायगा गरकल जात समय यिद हम सामन होग तो तरा मोह हमम हो सकता ह इसिलए हम दसर क घर म िछप जायग त हम नही दख सकगा िकनत हम ऐसी वयवःथा करग िक हम तझ दख सक ग हम दखना ह िक त रोत-रोत जाता ह या हमार कल क बालक को िजस कार जाना चािहए वस जाता ह घोड़ पर जब जायगा और

गली म मड़गा तब भी यिद त पीछ मड़कर दखगा तो हम समझग िक त हमार कल म कलक ह

पीछ मड़कर दखन स भी मना कर िदया पाच वषर क बालक स इतनी यो यता की इचछा रखन वाल मर माता-िपता को िकतना कठोर दय करना पड़ा होगा पाच वषर का बटा सबह गरकल जाय जात व माता-िपता भी सामन न हो और गली म मड़त व घर की ओर दखन की भी मनाही िकतना सयम िकतना कड़क अनशासन

िपता न कहाः िफर जब तम गरकल म पहचोग और गरजी तमहारी परीकषा क िलए तमस कहग िक बाहर बठो तब तमह बाहर बठना पड़गा गर जी जब तक बाहर स अनदर आन की आजञा न द तब तक तमह वहा सयम का पिरचय दना पड़गा िफर गरजी न तमह गरकल म वश िदया पास िकया तो त हमार घर का बालक कहलायगा अनयथा त हमार खानदान का नाम बढ़ानवाला नही नाम डबानवाला सािबत होगा इसिलए कल पर कलग मत लगाना वरन सफलतापवरक गरकल म वश पाना

मर िपता जी न मझ समझाया और म गरकल म पहचा हमार नौकर न जाकर गरजी स आजञा मागी िक यह िव ाथ गरकल म आना चाहता ह

गरजी बोलः उसको बाहर बठा दो थोड़ी दर म गरजी बाहर आय और मझस बोलः बटा दख इधर बठ जा आख बनद कर ल जब तक म नही आऊ और जब तक त मरी आवाज़ न सन तब तक तझ आख नही खोलनी ह तरा तर शरीर पर मन पर और अपन आप पर िकतना सयम ह इसकी कसौटी होगी अगर तरा अपन आप पर सयम होगा तब ही गरकल म वश िमल सकगा यिद सयम नही ह तो िफर त महापरष नही बन सकता अचछा िव ाथ भी नही बन सकगा

सयम ही जीवन की नीव ह सयम स ही एकामता आिद गण िवकिसत होत ह यिद सयम नही ह तो एकामता नही आती तजिःवता नही आती यादशि नही बढ़ती अतः जीवन म सयम चािहए चािहए और चािहए

कब हसना और कब एकामिच होकर सतसग सनना इसक िलए भी सयम चािहए कब ताली बजाना और कब नही बजाना इसक िलय भी सयम चािहए सयम ही सफलता का सोपान ह भगवान को पाना हो तो भी सयम ज़ररी ह िसि पाना हो तो भी सयम चािहए और िसि पाना हो तो भी सयम चािहए सयम तो सबका मल ह जस सब वय जनो का मल पानी ह जीवन का मल सयर ह ऐस ही जीवन क िवकास का मल सयम ह

गरजी तो कहकर चल गय िक जब तक म न आऊ तब तक आख नही खोलना थोड़ी दर म गरकल का िरसस हआ सब बचच आय मन हआ िक दख कौन ह कया ह िफर याद आया िक सयम थोड़ी दर बाद पनः कछ बचचो को मर पास भजा गया व लोग मर आसपास

खलन लग कब डी-कब डी की आवाज भी सनी मरी दखन की इचछा हई परनत मझ याद आया िक सयम

मर मन की शि बढ़ान का पहला योग हो गया सयम मरी ःमरणशि बढ़ान की पहली कजी िमल गई सयम मर जीवन को महान बनान की थम कपा गरजी ारा हई ETH सयम ऐस महान गर की कसौटी स उस पाच वषर की छोटी-सी वय म पार होना था अगर म अन ीणर हो जाता तो िफर घर पर मर िपताजी मझ बहत छोटी दि स दखत

सब बचच खल कर चल गय िकनत मन आख नही खोली थोड़ी दर क बाद गड़ और शककर की चासनी बनाकर मर आसपास उड़ल दी गई मर घटनो पर मरी जाघ पर भी चासनी की कछ बद डाल दी ग जी चाहता था िक आख खोलकर दख िक अब कया होता ह िफर गरजी की आजञा याद आयी िक आख मत खोलना अपनी आख पर अपन मन पर सयम शरीर पर चीिटया चलन लगी लिकन याद था िक पास होन क िलए सयम ज़ररी ह

तीन घट बीत गय तब गरजी आय और बड़ म स बोलः पऽ उठो उठो तम इस परीकषा म उ ीणर रह शाबाश ह तमह

ऐसा कहकर गरजी न ःवय अपन हाथो स मझ उठाया गरकल म वश िमल गया गर क आौम म वश अथारत भगवान क राजय म वश िमल गया िफर गर की आजञा क अनसार कायर करत-करत इस ऊचाई तक पहच गया

इस कार मझ महान बनान म म य भिमका सयम की ही रही ह यिद बा यकाल स ही िपता की आजञा को न मान कर सयम का पालन न करता तो आज न जान कहा होता सचमच सयम म अदभत सामथयर ह सयम क बल पर दिनया क सार कायर सभव ह िजतन भी महापरष सतपरष इस दिनया म हो चक ह या ह उनकी महानता क मल म उनका सयम ही ह

वकष क मल म उसका सयम ह इसी स उसक प हर-भर ह फल िखलत ह फल लगत ह और वह छाया दता ह वकष का मल अगर सयम छोड़ द तो प सख जायग फल कमहला जाएग फल न हो जाएग वकष का जीवन िबखर जायगा

वीणा क तार सयत ह इसी स मधर ःवर गजता ह अगर वीणा क तार ढील कर िदय जाय तो व मधर ःवर नही आलापत

रल क इजन म वाप सयत ह तो हजारो यािऽयो को दर सदर की याऽा करान म वह वाप सफल होती ह अगर वाप का सयम टट जाय इधर-उधर िबखर जाय तो रलगाड़ी दोड़ नही सकती ऐस ही ह मानव महान बनन की शतर यही ह ETH सयम सदाचार हजार बार असफल होन पर भी िफर स परषाथर कर अवय सफलता िमलगी िहममत न हार छोटा-छोटा सयम का ोत आजमात हए आग बढ़ और महान हो जा

(अनबम)

िऽकाल सधया जीवन को यिद तजःवी बनाना हो सफल बनाना हो उननत बनाना हो तो मनय को

िऽकाल सधया ज़रर करनी चािहए ातःकाल सय दय स दस िमनट पहल और दस िमनट बाद म दोपहर को बारह बज क दस िमनट पहल और दस िमनट बाद म तथा सायकाल को सयारःत क पाच-दस िमनट पहल और बाद म यह समय सिध का होता ह इस समय िकया हआ ाणायाम जप और धयान बहत लाभदायक होता ह जो मनय सषमना क ार को खोलन म भी सहयोगी होता ह सषमना का ार खलत ही मनय की छपी हई शि या जामत होन लगती ह

ाचीन ऋिष-मिन िऽकाल सधया िकया करत थ भगवान विश भी िऽकाल सधया करत थ और भगवान राम भी िऽकाल सधया करत थ भगवान राम दोपहर को सधया करन क बाद ही भोजन करत थ

सधया क समय हाथ-पर धोकर तीन च ल पानी पीकर िफर सधया म बठ और ाणायाम कर जप कर तो बहत अचछा अगर कोई आिफस म ह तो वही मानिसक रप स कर ल तो भी ठ क ह लिकन ाणायाम जप और धयान कर ज़रर

जस उ ोग करन स परषाथर करन स दिरिता नही रहती वस ही ाणायाम करन स पाप कटत ह जस य करन स धन िमलता ह वस ही ाणायाम करन स आतिरक सामथयर आतिरक बल िमलता ह छादो य उपिनषद म िलखा ह िक िजसन ाणायाम करक मन को पिवऽ िकया ह उस ही गर क आिखरी उपदश का रग लगता ह और आतम-परमातमा का साकषातकार हो जाता ह

मनय क फफड़ो तीन हजार छोट-छोट िछि होत ह जो लोग साधारण रप स ास लत ह उनक फफड़ो क कवल तीन सौ स पाच सौ तक क िछि ही काम करत ह बाकी क बद पड़ रहत ह िजसस शरीर की रोग ितकारक शि कम हो जाती ह मनय ज दी बीमार और बढ़ा हो जाता ह वयसनो एव बरी आदतो क कारण भी शरीर की शि जब िशिथल हो जाती ह रोग-ितकारक शि कमजोर हो जाती ह तो िछि बद पड़ होत ह उनम जीवाण पनपत ह और शरीर पर हमला कर दत ह िजसस दमा और टीबी की बीमारी होन की सभावना बढ़ जाती ह

परनत जो लोग गहरा ास लत ह उनक बद िछि भी खल जात ह फलतः उनम कायर करन की कषमता भी बढ़ जाती ह तथा र श होता ह नाड़ी भी श रहती ह िजसस मन भी सनन रहता ह इसीिलए सबह दोपहर और शाम को सधया क समय ाणायाम करन का िवधान ह ाणायाम स मन पिवऽ होता ह एकाम होता ह िजसस मनय म बहत बड़ा सामथयर आता ह

यिद मन य दस-दस ाणायाम तीनो समय कर और शराब मास बीड़ी व अनय वयसनो एव फशनो म न पड़ तो चालीस िदन म तो मनय को अनक अनभव होन लगत ह कवल चालीस िदन योग करक दिखय शरीर का ःवाःथय बदला हआ िमलगा मन बदला हआ िमलगा जठरा दी होगी आरो यता एव सननता बढ़गी और ःमरण शि म जादई िवकास होगा

ाणायाम स शरीर क कोषो की शि बढ़ती ह इसीिलए ऋिष-मिनयो न िऽकाल सधया की वयवःथा की थी रािऽ म अनजान म हए पाप सबह की सधया स दर होत ह सबह स दोपहर तक क दोष दोपहर की सधया स और दोपहर क बाद अनजान म हए पाप शाम की सधया करन स न हो जात ह तथा अतःकरण पिवऽ होन लगता ह

आजकल लोग सधया करना भल गय ह िनिा क सख म लग हए ह ऐसा करक व अपनी जीवन शि को न कर डालत ह

ाणायाम स जीवन शि का बौि क शि का एव ःमरण शि का िवकास होता ह ःवामी रामतीथर ातःकाल म ज दी उठत थोड़ ाणायाम करत और िफर ाकितक वातावरण म घमन जात परमहस योगानद भी ऐसा करत थ

ःवामी रामतीथर बड़ कशाम बि क िव ाथ थ गिणत उनका िय िवषय था जब व पढ़त थ उनका तीथरराम था एक बार परीकषा म 13 िदय गय िजसम स कवल 9 हल करन थ तीथरराम न 13 क 13 हल कर िदय और नीच एक िट पणी (नोट) िलख दी 13 क 13 सही ह कोई भी 9 जाच लो इतना दढ़ था उनका आतमिव ास

ाणायाम क अनक लाभ ह सधया क समय िकया हआ ाणायाम जप और धयान अनत गणा फल दता ह अिमट प यपज दन वाला होता ह सधया क समय हमारी सब नािड़यो का मल आधार जो सषमना नाड़ी ह उसका ार खला होता ह इसस जीवन शि क डिलनी शि क जागरण म सहयोग िमलता ह उस समय िकया हआ धयान-भजन प यदायी होता ह अिधक िहतकारी और उननित करन वाला होता ह वस तो धयान-भजन कभी भी करो प यदायी होता ही ह िकनत सधया क समय उसका उसका भाव और भी बढ़ जाता ह िऽकाल सधया करन स िव ाथ भी बड़ तजःवी होत ह

अतएव जीवन क सवागीण िवकास क िलए मनयमाऽ को िऽकाल सधया का सहारा लकर अपना नितक सामािजक एव आधयाितमक उतथान करना चािहए

(अनबम)

शरीर ःवाःथय

लोकमानय ितलक जब िव ाथ अवःथा म थ तो उनका शरीर बहत दबला पतला और कमजोर था िसर पर फोड़ा भी था उनहोन सोचा िक मझ दश की आजादी क िलए कछ काम करना ह माता-िपता एव समाज क िलए कछ करना ह तो शरीर तो मजबत होना ही चािहए और मन भी दढ होना चािहए तभी म कछ कर पाऊगा अगर ऐसा ही कमजोर रहा तो पढ़-िलखकर ा िकय हए माण-पऽ भी कया काम आयग

जो लोग िसकड़कर बठत ह झककर बठत ह उनक जीवन म बहत बरकत नही आती जो सीध होकर िःथर होकर बठत ह उनकी जीवन-शि ऊपर की ओर उठती ह व जीवन म सफलता भी ा करत ह

ितलक न िन य िकया िक भल ही एक साल क िलए पढ़ाई छोड़नी पड़ तो छोडगा लिकन शरीर और मन को सदढ़ बनाऊगा ितलक यह िन य करक शरीर को मजबत और मन को िनभ क बनान म जट गय रोज़ सबह-शाम दोड़ लगात ाणायाम करत तरन जात मािलश करत तथा जीवन को सयमी बनाकर चयर की िशकषावाली यौवन सरकषा जसी पःतक पढ़त सालभर म तो अचछा गठ ला बदन हो गया का पढ़ाई-िलखाई म भी आग और लोक-क याण म भी आग राममितर को सलाह दी तो राममितर न भी उनकी सलाह ःवीकार की और पहलवान बन गय

बाल गगाधर ितलक क िव ाथ जीवन क सक प को आप भी समझ जाना और अपन जीवन म लाना िक शरीर सदढ़ होना चािहए मन सदढ़ होना चािहए तभी मनय मनचाही सफलता अिजरत कर सकता ह

ितलक जी स िकसी न पछाः आपका वयि तव इतना भावशाली कस ह आपकी ओर दखत ह तो आपक चहर स अधयातम एकामता और तरणाई की तरलता िदखाई दती ह ःवराजय मरा जनमिस अिधकार ह ऐसा जब बोलत ह तो लोग दग रह जात ह िक आप िव ाथ ह यवक ह या कोई तजपज ह आपका ऐसा तजोमय वयि तव कस बना

तब ितलक न जवाब िदयाः मन िव ाथ जीवन स ही अपन शरीर को मजबत और दढ़ बनान का यास िकया था सोलह साल स लकर इककीस साल तक की उ म शरीर को िजतना भी मजबत बनाना चाह और िजतना भी िवकास करना चाह हो सकता ह

इसीिलए िव ाथ जीवन म इस बार पर धयान दना चािहए िक सोलह स इककीस साल तक की उ शरीर और मन को मजबत बनान क िलए ह

म (परम पजय गरदव आसारामजी बाप) जब चौदह-पनिह वषर का था तब मरा कद बहत छोटा था लोग मझ टणी (िठग) कहकर बलात तो मझ बरा लगता ःवािभमान तो होना ही चािहए टणी ऐसा नाम ठ क नही ह वस तो िव ाथ -काल म भी मरा हसमखा ःवभाव था इसस िशकषको न मरा नाम आसमल क बदल हसमखभाई ऱख िदया था लिकन कद छोटा था तो िकसी न टणी कह िदया जो मझ बरा लगा दिनया म सब कछ सभव ह तो टणी कयो

रहना म काकिरया तालाब पर दौड़ लगाता प लअ स करता और 30-40 माम मकखन म एक-दो माम कालीिमचर क टकड़ डालकर िनगल जाता चालीस िदन तक ऐसा योग िकया अब म उस वयि स िमला िजसन 40 िदन पहल टणी कहा था तो वह दखकर दग रह गया

आप भी चाहो तो अपन शरीर क ःवःथ रख सकत हो शरीर को ःवःथ रखन क कई तरीक ह जस धनवनतरी क आरो यशा म एक बात आती ह - उषःपान

उषःपान अथारत सय दय क पहल या सय दय क समय रात का रखा हआ पानी पीना इसस आतो की सफाई होती ह अजीणर दर होता ह तथा ःवाःथय की भी रकषा होती ह उसम आठ च ल भरकर पानी पीन की बात आयी ह आठ च ल पानी यािन िक एक िगलास पानी चार-पाच तलसी क प चबाकर सय दय क पहल पानी पीना चािहए तलसी क प सय दय क बाद तोड़न चािहए व सात िदन तक बासी नही मान जात

शरीर तनदरःत होना चािहए रगड़-रगड़कर जो नहाता ह और चबा-चबाकर खाता ह जो परमातमा का धयान करता ह और सतसग म जाता ह उसका बड़ा पार हो जाता ह

(अनबम)

अनन का भाव हमार जीवन क िवकास म भोजन का अतयिधक मह व ह वह कवल हमार तन को ही

प नही करता वरन हमार मन को हमारी बि को हमार िवचारो को भी भािवत करता ह कहत भी हः

जसा खाओ अनन वसा होता ह मन महाभारत क य म पहल दसर तीसर और चौथ िदन कवल कौरव-कल क लोग ही

मरत रह पाडवो क एक भी भाई को जरा-सी भी चोट नही लगी पाचवा िदन हआ आिखर दय धन को हआ िक हमारी सना म भीम िपतामह जस यो ा ह िफर भी पाडवो का कछ नही िबगड़ता कया कारण ह व चाह तो य म कया स कया कर सकत ह िवचार करत-करत आिखर वह इस िनकषर पर आया िक भीम िपतामह परा मन लगाकर पाडवो का मलोचछद करन को तयार नही हए ह इसका कया कारण ह यह जानन क िलए सतयवादी यिधि र क पास जाना चािहए उसस पछना चािहए िक हमार सनापित होकर भी व मन लगाकर य कयो नही करत

पाडव तो धमर क पकष म थ अतः दय धन िनःसकोच पाडवो क िशिवर म पहच गया वहा पर पाडवो न यथायो य आवभगत की िफर दय धन बोलाः

भीम अजरन तम लोग जरा बाहर जाओ मझ कवल यिधि र स बात करनी ह

चारो भाई यिधि र क िशिवर स बाहर चल गय िफर दय धन न यिधि र स पछाः यिधि र महाराज पाच-पाच िदन हो गय ह हमार कौरव-पकष क लोग ही मर रह ह

िकनत आप लोगो का बाल तक बाका नही होता कया बात ह चाह तो दवोत भीम तफान मचा सकत ह

यिधि रः हा मचा सकत ह

दय धनः व चाह तो भीण य कर सकत ह पर नही कर रह ह कया आपको लगता ह िक व मन लगाकर य नही कर रह ह

सतयवादी यिधि र बोलः हा गगापऽ भीम मन लगाकर य नही कर रह ह

दय धनः भीम िपतामह मन लगाकर य नही कर रह ह इसका कया कारण होगा

यिधि रः व सतय क पकष म ह व पिवऽ आतमा ह अतः समझत ह िक कौन सचचा ह और कौन झठा कौन धमर म ह तथा कौन अधमर म व धमर क पकष म ह इसिलए उनका जी चाहता ह िक पाडव पकष की जयादा खन-खराबी न हो कयोिक व सतय क पकष म ह

दय धनः व मन लगाकर य कर इसका उपाय कया ह

यिधि रः यिद व सतय ETH धमर का पकष छोड़ दग उनका मन ग त जगह हो जाएगा तो िफर व य करग

दय धनः उनका मन य म कस लग

यिधि रः यिद व िकसी पापी क घर का अनन खायग तो उनका मन य म लग जाएगा

दय धनः आप ही बताइय िक ऐसा कौन सा पापी होगा िजसक घर का अनन खान स उनका मन सतय क पकष स हट जाय और व य करन को तयार हो जाय

यिधि रः सभा म भीम िपतामह गर िोणाचायर जस महान लोग बठ थ िफर भी िोपदी को न न करन की आजञा और जाघ ठोकन की द ता तमन की थी ऐसा धमर-िवर और पापी आदमी दसरा कहा स लाया जाय तमहार घर का अनन खान स उनकी मित सतय और धमर क पकष स नीच जायगी िफर व मन लगाकर य करग

दय धन न यि पा ली कस भी करक कपट करक अपन यहा का अनन भीम िपतामह को िखला िदया भीम िपतामह का मन बदल गया और छठव िदन स उनहोन घमासान य करना आरभ कर िदया

कहन का तातपयर यह ह िक जसा अनन होता ह वसा ही मन होता ह भोजन कर तो श भोजन कर मिलन और अपिवऽ भोजन न कर भोजन क पहल हाथ-पर जरर धोय भोजन साितवक हो पिवऽ हो सननता दन वाला हो तनदरःती बढ़ान वाला हो

आहारश ौ स वशि ः

िफर भी ठस-ठस कर भोजन न कर चबा-चबाकर ही भोजन कर भोजन क समय शात एव सननिच रह भ का ःमरण कर भोजन कर जो आहार खान स हमारा शरीर तनदरःत रहता हो वही आहार कर और िजस आहार स हािन होती हो ऐस आहार स बच खान-पान म सयम स बहत लाभ होता ह

भोजन महनत का हो साि वक हो लहसन याज मास आिद और जयादा तल-िमचर-मसाल वाला न हो उसका िनिम अचछा हो और अचछ ढग स सनन होकर भगवान को भोग लगाकर िफर भोजन कर तो उसस आपका भाव पिवऽ होगा र क कण पिवऽ होग मन पिवऽ होगा िफर सधया-ाणायाम करग तो मन म साि वकता बढ़गी मन म सननता तन म आरो यता का िवकास होगा आपका जीवन उननत होता जायगा

महनत मजदरी करक िवलासी जीवन िबताकर या कायर होकर जीन क िलय िज़दगी नही ह िज़दगी तो चतनय की मःती को जगाकर परमातमा का आननद लकर इस लोक और परलोक म सफल होन क िलए ह मि का अनभव करन क िलए िज़दगी ह

भोजन ःवाःथय क अनकल हो ऐसा िवचार करक ही महण कर तथाकिथत वनःपित घी की अपकषा तल खाना अिधक अचछा ह वनःपित घी म अनक रासायिनक पदाथर डाल जात ह जो ःवाःथय क िलए िहतकर नही होत ह

ए यमीिनयम क बतरन म खाना यह पट को बीमार करन जसा ह उसस बहत हािन होती ह कनसर तक होन की समभावना बढ़ जाती ह ताब पीतल क बतरन कलई िकय हए हो तो अचछा ह ए यमीिनयम क बतरन म रसोई नही बनानी चािहए ए यमीिनयम क बतरन म खाना भी नही चािहए

आजकल अ ड खान का चलन समाज म बहत बढ़ गया ह अतः मनयो की बि भी वसी ही हो गयी ह वजञािनको न अनसधान करक बताया ह िक 200 अ ड खान स िजतना िवटािमन सी िमलता ह उतना िवटािमन सी एक नारगी (सतरा) खान स िमल जाता ह िजतना ोटीन कि शयम अ ड म ह उसकी अपकषा चन मग मटर म एयादा ोटीन ह टमाटर म अ ड स तीन गणा कि शयम एयादा ह कल म स कलौरी िमलती ह और भी कई िवटािमनस कल म ह

िजन ािणयो का मास खाया जाता ह उनकी हतया करनी पड़ती ह िजस व उनकी हतया की जाती ह उस व व अिधक स अिधक अशात िखनन भयभीत उि न और ब होत ह अतः मास खान वाल को भी भय बोध अशाित उ ग इस आहार स िमलता ह शाकाहारी भोजन म सपाचय तत होत ह मास म व नही होत अतः मासाहारी भोजन को पचान क जीवन शि का एयादा वयय होता ह ःवाःथय क िलय एव मानिसक शाित आिद क िलए प यातमा होन की दि स भी शाकाहारी भोजन ही करना चािहए

शरीर को ःथल करना कोई बड़ी बात नही ह और न ही इसकी ज़ररत ह लिकन बि को सआम करन की ज़ररत ह आहार यिद साि वक होगा तो बि भी सआम होगी इसिलए सदव साि वक भोजन ही करना चािहए

(अनबम)

भारतीय सःकित की महानता रवरनड ऑवर नाम का एक पादरी पना म िहनद धमर की िननदा और ईसाइयत का चार

कर रहा था तब िकसी सजजन न एक बार रवरनड ऑवर स कहाः आप िहनद धमर की इतनी िननदा करत हो तो कया आपन िहनद धमर का अधययन िकया

ह कया भारतीय सःकित को परी तरह स जानन की कोिशश की ह आपन कभी िहनद धमर को समझा ही नही जाना ही नही ह िहनद धमर म तो ऐस जप धयान और सतसग की बात ह िक िजनह अपनाकर मनय िबना िवषय-िवकारी क िबना िडःको डास(नतय) क भी आराम स रह सकता ह आनिदत और ःवःथ रह सकता ह इस लोक और परलोक दोनो म सखी रह सकता ह आप िहनद धमर को जान िबना उसकी िनदा करत हो यह ठ क नही ह पहल िहनद धमर का अधययन तो करो

रवरनड ऑवर न उस सजजन की बात मानी और िहनद धमर की पःतको को पढ़न का िवचार िकया एकनाथजी और तकारामजी का जीवन चिरऽ जञान र महाराज की योग सामथयर की बात और कछ धािमरक पःतक पढ़न स उस लगा िक भारतीय सःकित म तो बहत खजाना ह मनय की जञा को िदवय करन की मन को सनन करन की और तन क र कणो को भी बदलन की इस सःकित म अदभत वयवःथा ह हम नाहक ही इन भोल-भाल िहनदःतािनयो को अपन चगल म फसान क िलए इनका धमरपिरवतरन करवात ह अर हम ःवय तो अशािनत की आग म जल ही रह ह और इनह भी अशात कर रह ह

उसन ायि -ःवरप अपनी िमशनरी रो तयागपऽ िलख भजाः िहनदःतान म ईसाइयत फलान की कोई ज़ररत नही ह िहनद सःकित की इतनी महानता ह िवशषता ह िक ईसाइय को चािहए िक उसकी महानता एव सतयता का फायदा उठाकर अपन जीवन को साथरक बनाय िहनद धमर की सतयता का फायदा दश-िवदश म पहच मानव जाित को सख-शाित िमल इसका यास हम करना चािहए

म भारतीय इितहास सशोधन म डल क मर आठ लाख डॉलर भट करता ह और तमहारी िमशनरी को सदा क िलए तयागपऽ दकर भारतीय सःकित की शरण म जाता ह

जस रवर ड ऑवर न भारतीय सःकित का अधययन िकया ऐस और लोगो को भी जो िहनद धमर की िनदा करत ह भारतीय सःकित का पकषपात और पवरमहरिहत अधययन करना चािहए मनय की सष शि या व आनद जगाकर ससार म सख-शाित आनद सननता का चार-सार करना चािहए

मा सीता की खोज करत-करत हनमान जामबत अगद आिद ःवयभा क आौम म पहच उनह जोरो की भख और यास लगी थी उनह दखकर ःवयभा न कह िदया िकः

कया तम हनमान हो ौीरामजी क दत हो सीता जी की खोज म िनकल हो

हनमानजी न कहाः हा मा हम सीता माता की खोज म इधर तक आय ह

िफर ःवयभा न अगद की ओर दखकर कहाः तम सीता जी को खोज तो रह हो िकनत आख बद करक खोज रह हो या आख

खोलकर

अगद जरा राजवी परष था बोलाः हम कया आख बनद करक खोजत होग हम तो आख खोलकर ही माता सीता की खोज कर रह ह

ःवयभा बोलीः सीताजी को खोजना ह तो आख खोलकर नही बद करक खोजना होगा सीता जी अथारत भगवान की अधािगनी सीताजी यानी िव ा आतमिव ा िव ा को खोजना ह तो आख खोलकर नही आख बद करक ही खोजना पड़गा आख खोलकर खोजोग तो सीताजी नही िमलगी तम आख बनद करक ही सीताजी ( िव ा) को पा सकत हो ठहरो म तमह बताती ह िक सीता जी कहा ह

धयान करक ःवयभा न बतायाः सीताजी यहा कही भी नही वरन सागर पार लका म ह अशोकवािटका म बठ ह और राकषिसयो स िघरी ह उनम िऽजटा नामक राकषसी ह तो रावण की सिवका िकनत सीताजी की भ बन गयी ह सीताजी वही रहती ह

वारन सोचन लग िक भगवान राम न तो एक महीन क अदर सीता माता का पता लगान क िलए कहा था अभी तीन स ाह स एयादा समय तो यही हो गया ह वापस कया मह लकर जाए सागर तट तक पहचत-पहचत कई िदन लग जाएग अब कया कर

उनक मन की बात जानकर ःवयभा न कहाः िचनता मत करो अपनी आख बद करो म योगबल स एक कषण म तमह वहा पहचा दती ह

हनमान अगद और अनय वानर अपनी आख बनद करत ह और ःवयभा अपनी योगशि स उनह सागर-तट पर कछ ही पल म पहचा दती ह

ौीरामचिरतमानस म आया ह िक ETH

ठाड़ सकल िसध क तीरा ऐसी ह भारतीय सःकित की कषमता

अमिरका को खोजन वाला कोलबस पदा भी नही हआ था उसस पाच हजार वषर पहल अजरन सशरीर ःवगर म गया था और िदवय अ लाया था ऐसी यो यता थी िक धरती क राजा खटवाग दवताओ को मदद करन क िलए दवताओ का सनापितपद सभालत थ ितःमित-िव ा चाकषषी िव ा परकायावश िव ा अ िसि िव ा एव नविनिध ा करान वाली योगिव ा और जीत-जी जीव को बनान वाली िव ा यह भारतीय सःकित की दन ह अनय जगह यह नही िमलती भारतीय सःकित की जो लोग आलोचना करत ह उन बचारो को तो पता ही नही ह िक भारतीय सःकित िकतनी महान ह

गर तगबहादर बोिलयो सनो सीखो बड़भािगयो धड़ दीज धमर न छोिड़य

यवनो न गर गोिबनदिसह क बटो स कहाः तम लोग मसलमान हो जाओ नही तो हम तमह िज़नदा ही दीवार म चनवा दग

बट बोलः हम अपन ाण द सकत ह लिकन अपना धमर नही तयाग सकत

बरो न उन दोनो को जीत-जी दीवार म चनवा िदया जब कारीगर उनह दीवार म चनन लग तब बड़ा भाई बोलता हः धमर क नाम यिद हम मरना ही पड़ता ह तो पहल मरी ओर ट बढ़ा दो तािक म छोट भाई की मतय न दख

छोटा भाई बोलता हः नही पहल मरी ओर ईट बढ़ा दो

कया साहसी थ कया वीर थ वीरता क साथ अपन जीवन का बिलदान कर िदया िकनत धमर न छोड़ा आजकल क लोग तो अपन धमर और सःकित को ही भलत जा रह ह कोई लवर-लवरी धमरपिरवतरन करक लवमरज करत ह अपना िहनद धमर छोड़कर फस मरत ह यह भी कोई िज़नदगी ह भगवान ौीकण कहत ह ETH

ःवधम िनधन ौय परधम भयावहः अपन धमर म मर जाना अचछा ह पराया धमर दःख दन वाला ह भयावह ह नरको म ल

जान वाला ह इसिलए अपन ही धमर म अपनी ही सःकित म जो जीता ह उसकी शोभा ह रवर ड ऑवर न भारतीय सःकित का खब आदर िकया एफ एच मोलम न महातमा

थोरो एव अनय कई पा ातय िचनतको न भी भारतीय सःकित का बहत आदर िकया ह उनक कछ उदगार यहा ःतत हः

बाईबल का मन यथाथर अ यास िकया ह उसम जो िदवय िलखा ह वह कवल गीता क उ रण क रप म ह म ईसाई होत हए भी गीता क ित इतना सारा आदरभाव इसिलए रखता ह िक िजन गढ़ ो का समाधान पा ातय लोग अभी तक नही खोज पाय ह उनका समाधान गीतामनथ न श एव सरल रीित स कर िदया ह उसम कई सऽ अलौिकक उपदशो स भरपर

लग इसीिलए गीता जी मर िलए साकषात योग री माता बन रही ह वह तो िव क तमाम धन स भी नही खरीदा जा सक ऐसा भारतवषर का अम य खजाना ह

- एफ एच मोलम (इगल ड) ाचीन यग की सवर रमणीय वःतओ म गीता स ौ कोई वःत नही ह गीता म ऐसा

उ म और सवरवयापी जञान ह िक उसक रचियता दवता को अस य वषर हो गय िफर भी ऐसा दसरा एक भी मनथ नही िलखा गया

महातमा थोरो (अमिरका) धमर क कषऽ म अनय सब दख दिरि ह जबिक भारत इस िवषय म अरबपित ह

माकर टवन (यएसए) इस पथवी पर सवारिधक पणर िवकिसत मानवजञा कहा ह और जीवन क मह म ो क

हल िकसन खोज ह ऐसा अगर मझस पछा जाए तो म अगिलिनदश करक कहगा िक भारत न ही

मकसमलर (जमरनी) वदानत जसा ऊधवरगामी एव उतथानकारी और एक भी धमर या त वजञान नही ह

शोपनहोअर (जमरनी) िव भर म कवल भारत ही ऐसी ौ महान परमपराए रखता ह जो सिदयो तक जीिवत

रही ह

कनो (ानस) मनय जाित क अिःततव क सबस ारिमभक िदनो स लकर आज तक जीिवत मनय

क तमाम ःव न अगर कही साकार हए हो तो वह ःथान ह भारत

रोमा रोला (ास) भारत दश समपणर मानव जाित की मातभिम ह और सःकत यरोप की सभी भाषाओ की

जननी ह भारत हमार त वजञान गिणतशा एव जनतऽ की जननी ह भारतमाता अनक रप स सभी की जननी ह

िवल डरानट (यएसए) भारतीय सःकित की महानता का एहसास करन वाल इन सब िवदशी िचनतको को हम

धनयवाद दत ह एक बार महातमा थोरो सो रह थ इतन म उनका िशय एमसरन आया दखा िक वहा

साप और िबचछ घम रह ह गरजी क जागन पर एमसरन बोलाः गरदव यह जगह बड़ी खतरनाक ह म िकसी सरिकषत जगह पर आपकी वयवःथा करवा

दता ह

महातमा थोरो बोलः नही नही िचनता करन की कोई ज़ररत नही ह मर िसरहान पर ौीमदभगवदगीता ह भगवदगीता क जञान क कारण तो मझ साप म िबचछ म सबम मरा ही आतमा-परमातमा िदखता ह व मझ नही काटत ह तो म कही कयो जाऊ

िकतनी कह गीता की महानता यही ह भारतीय सःकित की मिहमा अदभत ह उसकी महानता लाबयान ह उसकी मिहमा

(अनबम)

हिरदास की हिरभि सात वष य गौर वणर क गौराग बड़-बड़ िव ान पिडतो स ऐस-ऐस करत थ िक व

दग रह जात थ इसका कारण था गौराग की हिरभि बड़ होकर उनहोन लाखो लोगो को हिरभि म रग िदया

जो हिरभ होता हिर का भजन करता उसकी बि अचछ मागर पर ही जाती ह लोभी वयि पसो क िलए हसता-रोता ह पद एव कस क तो िकतन ही लोग हसत रोत ह पिरवार क िलए तो िकतन ही मोही हसत रोत ह िकनत धनय ह व जो भगवान क िलए रोत हसत ह भगवान क िवरह म िजस रोना आया ह भगवान क िलए िजसका दय िपघलता ह ऐस लोगो का जीवन साथरक हो जाता ह भागवत म भगवान ौीकण उ व स कहत ह-

वाग गदगदा िवत यःय िच

रदतयभीआण हसित कविचचच िवलजज उदगायित नतयत च

मदभि य ो भवन पनाित िजसकी वाणी गदगद हो जाती ह िजसका िच ििवत हो जाता ह जो बार-बार रोन

लगता ह कभी लजजा छोड़कर उचच ःवर स गान लगता ह कभी नाचन लगता ह ऐसा मरा भ समम ससार को पिवऽ करता ह (ौीमदभागवतः 111424)

धनय ह वह मसलमान बालक जो गौराग क कीतरन म आता ह और िजसन गौराग स मऽदीकषा ली ह

उस मसलमान बालक का नाम हिरदास रखा गया मसलमान लोगो न उस हिरभ हिरदास को फसलान की बहत च ा की बहत डराया िक त गौराग क पास जाना छोड़ द नही तो हम यह करग वह करग िकनत हिरदास बहका नही उसका भय न हो गया था दमरित दर हो चकी थी उसकी सदबि और िन ा भगवान क धयान म लग गयी थी भयनाशन दमरित हरण किल म हिर को नाम यह नानक जी का वचन मानो उसक जीवन म साकार हो उठा था

काज़ी न षडयऽ करक उस पर कस िकया और फरमान जारी िकया िक हिरदास को बत मारत-मारत बीच बाजार स ल जाकर यमना म डाल िदया जाय

िनभ क हिरदास न बत की मार खाना ःवीकार िकया िकनत हिरभि छोड़ना ःवीकार न िकया िनि त िदन हिरदास को बत मारत हए ल जाया जान लगा िसपाही बत मारता ह तो हिरदास बोलता हः हिर बोल

हमको हिर बोल बलवाता ह य ल हिर बोल हिर बोल (सटाकसटाक) िसपाही बोलत हः हम तझ बत मारत ह तो कया तझ पीड़ा नही होती त हमस भी हिर

बोल हिर बोल करवाना चाहता ह

हिरदासः पीड़ा तो शरीर को होती ह म तो आतमा ह मझ तो पीड़ा नही होती तम भी यार स एक बार हिर बोल कहो

िसपाहीः ह हम भी हिर बोल कह हमस हिर बोल बलवाता ह ल य हिर बोल (सटाक)

हिरदास सोचता ह िक बत मारत हए भी तो य लोग हिर बोल कह रह ह चलो इनका क याण होगा िसपाही बत मारत जात ह सटाक सटाक और हिरदास हिर बोल बोलता भी जाता ह बलवाता भी जाता ह हिरदास को कई बत पड़न पर भी उसक चहर पर दःख की रखा तक नही िखचती

हवालदार पछता हः हिरदास तझ बत पड़न क बावजद भी तरी आखो म चमक ह चहर पर धयर शाित और सननता झलक रही ह कया बात ह

हिरदासः म बोलता ह हिर बोल तब िसपाही ब होकर भी कहत हः ह हमस भी बलवाता ह हिर बोल हिर बोल हिर बोल तो ल इस बहान भी उनक मह स हिरनाम िनकलता ह दर सवर उनका भी क याण होगा इसी स मर िच म सननता ह

धनय ह हिरदास की हिरभि बर काज़ी क आदश का पालन करत हए िसपाही उस हिरभि स िहनद धमर की दीकषा स चयत करन क िलए बत मारत ह िफर भी वह िनडर हिरभि नही छोड़ता हिर बोल बोलना बद नही करता

व मसलमान िसपाही हिरदास को िहनद धमर की दीकषा क भाव स गौरा क भाव स दर हटाना चाहत थ लिकन वह दर नही हटा बत सहता रहा िकनत हिर बोल बोलना न छोड़ा आिखरकार उन बर िसपाहीयो न हिरदास को उठाकर नदी म बहा िदया

नदी म तो बहा िदया लिकन दखो हिरनाम का भाव मानो यमनाजी न उसको गोद म ल िलया डढ़ मील तक हिरदास पानी म बहता रहा वह शातिच होकर मानो उस पानी म नही हिर की कपा म बहता हआ दर िकसी गाव क िकनार िनकला दसर िदन गौराग की भातफरी म शािमल हो गया लोग आ यरचिकत हो गय िक चमतकार कस हआ

धनय ह वह मसलमान यवक हिरदास जो हिर क धयान म हिर क गान म हिर क कीतरन म गौराग क साथ रहा जस िववकाननद क साथ भिगनी िनविदता न भारत म अधयातम-धणर क चार म लगकर अपना नाम अमर कर िदया वस ही इस मसलमान यवक न हिरकीतरन म हिरधयान म अपना जीवन धनय कर िदया दजरन लोग हिरदास का बाल तक न बाका कर सक जो सचच दय स भगवान का हो जाता ह उसकी हजारो शऽ िमलकर भी कछ हािन नही कर सकत तो उस काज़ी की कया ताकत थी

लोगो न जाकर काज़ी स कहा िक आज हिरदास पनः गौराग की भातफरी म उपिःथत हो गया था काजी अतयनत अहकारी था उसन एक नोिटस भजा एक आदश चतनय महाभ (गौराग) को भजा िक कल स तम भातफरी नही िनकाल सकत तमहारी भातफरी पर बिदश लगाई जाती ह

गौराग न सोचा िक हम िकसी का बरा नही करत िकसी को कोई हािन नही पहचात अर वायम डल क दषण को दर करन क िलए तो शासन पस खचर करता ह िकनत िवचारो क दषण को दर करन क िलए हिरकीतरन जसा हिरभि जसा अमोघ उपाय कौन सा ह भल काजी और शासन की समझ म आय या न आय वातावरण को श करन क साथ-साथ िवचारो का दषण भी दर होना चािहए हम तो कीतरन करग और करवायग

जो लोग डरपोक थ भीर और कायर थ ढील-ढाल थ व बोलः बाबा जी रहन दो रहन दो अपना कया जो करग व भरग अपन तो घर म ही रहकर हिर ॐ हिर ॐ करग

गौराग न कहाः नही इस कार कायरो जसी बात करना ह तो हमार पास मत आया करो

दसर िदन जो डरपोक थ ऐस पाच-दस वयि नही आय बाकी क िहममतवाल िजतन थ व सब आय उनह दखकर और लोग भी जड़

गौराग बोलः आज हमारी भातफरी की पणारहित काजी क घर पर ही होगी

गौराग भ -म डली क साथ कीतरन करत-करत जब बाजार स गज़र तो कछ िहनद एव मसलमान भी कीतरन म जड़ गय उनको भी कीतरन म रस आन लगा व लोग काजी को गािलया दन लग िक काजी बदमाश ह ऐसा ह वसा ह आिद ETH आिद

तब गौराग कहत हः नही शऽ क िलए भी बरा मत सोचो

उनहोन सबको समझा िदया िक काजी क िलए कोई भी अपश द नही कहगा कसी महान ह हमारी िहनद सःकित िजसन हिरदास को बत मारन का आदश िदया उस कवल अपश द कहन क िलए भी गौराग मना कर रह ह इस भारती सःकित म िकतनी उदारता ह स दयता ह लिकन कायरता को कही भी ःथान नही ह

गौराग कीतरन करत-करत काजी क घर क िनकट पहच गय काजी घर की छत पर स इस भातफरी को दखकर दग रह गया िक मर मना करन पर भी इनहोन भातफरी िनकाली

और मर घर तक ल आय उसम मसलमान लड़क भी शािमल ह जयो ही वह भातफरी काजी क घर पहची काजी घर क अनदर िछप गया

गौराग न काजी का ार खटखटाया तब काजी या काजी की प ी न नही वरन चौकीदार न दरवाजा खोला वह बोलाः

काजी साहब घर पर नही ह

गौराग बोलः नही कस ह अभी तो हमन उनह घर की छत पर दखा था काजी को जाकर बोलो हमार मामा और मा भी िजस गाव की ह आप भी उसी गाव क हो इसिलए आप मर गाव क मामा लगत ह मामाजी भानजा ार पर आय और आप छप कर बठ यह शोभा नही दता बाहर आ जाईय

चौकीदार न जाकर काजी को सब कह सनाया गौराग क मभर वचन सनकर काजी का दय िपघल गया िजस पर मन ज म ढाय वह मझ मामा कहकर सबोिधत करता ह िजसक साथ मन बरता की वह मर साथ िकतना औदायर रखता ह यह सोचकर काजी का दय बदल गया वह ार पर आकर बोलाः

म तमस डरकर अनदर नही छपा कयोिक मर पास तो स ा ह कलम की ताकत ह लिकन हिरकीतरन स हिरनाम स िहनद तो कया मसलमान लड़क भी आनिदत हो रह ह उनका भी लह पिवऽ हो रहा ह यह दखकर मझ दःख हो रहा ह िक िजस नाम क उचचारण स उनकी रग-रग पावन हो रही ह उसी नाम क कारण मन हिरदास पर और तम पर ज म िकया िकसी क बहकाव म आकर तम लोगो पर फरमान जारी िकया अब म िकस मह स तमहार सामन आता इसीिलए म मह िछपाकर घर क अनदर घस गया था

भानजा(गौराग) बोलता हः मामा अब तो बाहर आ जाइय

मामा(काजी) बोलाः बाहर आकर कया कर

गौरागः कीतरन कर हिरनाम क उचचारण स छपी हई यो यता िवकिसत कर आनद गट कर

काजीः कया करना होगा

गौरागः म जसा बोलता ह ऐसा ही बोलना होगा बोिलएः हिर बोल हिर बोल

काजीः हिर बोल हिर बोल

गौरागः हिर बोल हिर बोल

काजीः हिर बोल हिर बोल

हिर बोल हिर बोल हिर बोल हिर बोल

हिर बोल हिर बोल हिर बोल हिर बोल

कीतरन करत-करत गौराग न अपनी िनगाहो स काजी पर कपा बरसाई तो काजी भी झमन लगा उस भी हिर बोल का रग लग गया जस इजन को ह डल दकर छोड़ दत ह तब भी इजन चलता रहता ह ऐस ही गौराग की कपादि स काजी भी झमन लगा

काजी क झमन स वातावरण म और भी रग आ गया काजी तो झम गया काजी की प ी भी झमी और चौकीदार भी झम उठा सब हिरकीतरन म झमत-झमत अपन र को पावन करन लग दय को हिररस स सराबोर करन लगा उनक जनम-जनम क पाप-ताप न होन लग िजस पर भगवान की दया होती ह िजसको साधओ का सग िमलता ह सतसग का सहारा िमलता ह और भारतीय सःकित की महानता को समझन की अकल िमलती ह िफर उसक उ ार म कया बाकी रह जाता ह काजी का तो उ ार हो गया

दखो सत की उदारता एव महानता िजसन िहनदओ पर ज म करवाय भ हिरदास को बत मरवात-मरवात यमना जी म डलवा िदया भातफरी पर ितबध लगवा िदया उसी काजी को गौराग न हिररग म रग िदया अपनी कपादि स िनहाल कर िदया उसक बर कम की धयान न दत हए भि का दान द िदया ऐस गौराग क ौीचरणो म हमार हजार-हजार णाम ह हम उस मसलमान यवक हिरदास को भी धनयवाद दत ह िक उसन बत खात पीड़ा सहत भी भि न छोड़ी गरदव को न छोड़ा न ही उनक दबाव म आकर पनः मसलमान बना हिर बोल क रग म ःवय रगा और िसपािहयो को भी रग िदया धनय ह हिरदास और उसकी हिरभि

(अनबम)

बनावटी ौगार स बचो जमरनी क िस दाशरिनक शोपनहार कहत ह िक िजन दशो म हिथयार बनाय जात ह

उन दशो क लोगो को य करन की उ जना होती ह और उन दशो म हिथयार बनत ही रहत ह य भी होत रहत ह ऐस ही जो लोग फशन करत ह उनक दय म काम बोध लोभ मोह रपी य होता ही रहता ह उनक जीवन म िवलािसता आती ह और पतन होता ह वस ही फशन और िवलािसता स सयम सदाचार और यो यता का सहार होता ह

इसिलए य क साधन बढ़न स जस य होता ह वस ही िवलािसता और फशन क साधनो का उपयोग करन स अतयर होता ह अपनी आितमक शि यो का सहार होता ह अतः अपना भला चाहन वाल भाई-बहनो को पफ-पाउडर िलपिःटक-लाली व -अलकार क िदखाव क पीछ नही पड़ना चािहए सयम सादगी एव पिवऽतापणर जीवन जीना चािहए

अपन शा ो म ौगार की अनमित दी गई ह सौभा यवती ि या जब पित अपन ही नगर म हो घर म हो तब ौगार कर पित यिद दर दश गया हो तब सौभा यवित ि यो को भी सादगीपणर जीवन जीना चािहए ौगार क उपयोग म आनवाली वःतए भी वनिःपतयो एव साि वक रसो स बनी हई होनी चािहए जो सननता और आरो यता दान कर

आजकल तो शरीर म उ जना पदा कर बीमािरया पदा कर ऐस किमक स(रसायनो) और जहर जस साधनो स ौगार-साधन बनाए जात ह िजसस शरीर क अनदर जहरील कण जात ह और तवचा की बीमािरया होती ह आहार म भी जहरील कणो क जान स पाचन-तऽ और मानिसक सतलन िबगड़ता ह साथ ही बौि क एव वचािरक सतलन भी िबगड़ता ह

पशओ की चब किमक स और दसर थोड़ जहरील िवयो स बन पफ-पाउडर िलपिःटक-लाली आिद िजन साधनो का यटी-पालरर म उपयोग िकया जाता ह वसी गदगी कभी-भी अपन शरीर को तो लगानी ही नही चािहए दसर लोगो न लगायी हो तो दखकर सनन भी नही होना चािहए अपन सयम और सदाचार की सनदरता को गट करना चािहए मीरा और शबरी िकस यटी-पालरर म गय थ सती अनसया गाग और मदालसा न िकस पफ-पाउडर लाली-िलपिःटक का उपयोग िकया था िफर भी उनका जीवन सनदर तजःवी था हम भी ई र स ाथरना कर िक ह भगवान हम अपना सयम और साधना का सौनदयर बढ़ाए ऐसी त दया करना िवकारी सौनदयर स अपन को बचाकर िनिवरकारी नारायण की ओर जाय ऐसी त दया करना िवलािसता म अपन समय को न लगाकर तर ही धयान-िचतन म हमारा समय बीत ऐसी त कपा करना

किऽम सौनदयर-साधन स तवचा की िःन धता और कोमलता मर जाती ह पफ-पाउडर बीम आिद स शरीर की कदरती िःन धता खतम हो जाती ह ाकितक सौनदयर को न करक

जो किऽम सौनदयर क गलाम बनत ह उनस ःनहभरी सलाह ह िक व पफ-पाउडर आिद और तड़कील-भड़कील व आिद की गलामी को छोड़कर ाकितक सौनदयर को बढ़ान की कोिशश कर मीरा और मदालसा की तरह अपन असली सौनदयर को कट करन की कोिशश कर

(अनबम)

साहसी बालक एक लड़का काशी म हिर नि हाईःकल म पढ़ता था उसका गाव काशी स आठ मील दर

था वह रोजाना वहा स पदल चलकर आता बीच म जो गगा नदी बहती ह उस पार करक िव ालय पहचता

उस जमान म गगा पार करन क िलए नाव वाल को दो पस दन पड़त थ दो पस आन क और दो पस जान क कल चार पस यािन पराना एक आना महीन म करीब दो रपय हए जब सोन क एक तोल का भाव रपया सौ स भी नीच था तब क दो रपय आज क तो पाच-पचचीस रपय हो जाए

उस लड़क न अपन मा-बाप पर अितिर बोझा न पड़ इसिलए एक भी पस की माग नही की उसन तरना सीख िलया गम हो बािरश हो या ठ ड हो गगा पार करक हाईःकल म जाना उसका बम हो गया इस कार िकतन ही महीन गजर गय

एक बार पौष मास की ठ ड म वह लड़का सबह की ःकल भरन क िलए गगा म कदा तरत-तरत मझधार म आया एक नाव म कछ याऽी नदी पार कर रह थ उनहोन दखा िक छोटा-सा लड़का अभी डब मरगा व उसक पास नाव ल गय और हाथ पकड़ कर उस नाव म खीच िलया लड़क क मख पर घबराहट या िचनता की कोई रखा नही थी सब लोग दग रह गय इतना छोटा ह और इतना साहसी ह व बोलः

त अभी डब मरता तो ऐसा साहस नही करना चािहए

तब लड़का बोलाः साहस तो होना ही चािहए जीवन म िव न-बाधाए आयगी उनह कचलन क िलए साहस तो चािहए ही अगर अभी स साहस नही जटाया तो जीवन म बड़-बड़ कायर कस कर पायग

लोगो न पछाः इस समय तरन कयो िगरा दोपहर को नहान आता

लड़का बोलता हः म नहान क िलए नदी म नही िगरा ह म तो ःकल जा रहा ह

नाव म बठकर जाता

रोज क चार पस आन-जान क लगत ह मर गरीब मा-बाप पर मझ बोझा नही बनना ह मझ तो अपन परो पर खड़ होना ह मरा खचर बढ़ तो मर मा-बाप की िचनता बढ़ उनह घर चलाना मिकल हो जाय

लोग उस आदर स दखत ही रह गय वही साहसी लड़का आग चलकर भारत का धान मऽी बना

वह लड़का कौन था पता ह व थ लाल बहादर शा ी शा ी जी उस पद भी सचचाई साहस सरलता ईमानदारी सादगी दशम आिद सदगण और सदाचार क मितरमनत ःवरप थ ऐस महापरष भल िफर थोड़ा-सा समय ही राजय कर पर एक अनोखा भाव छोड़ जात ह जनमानस पर

(अनबम)

गर-आजञापालन का चमतकार ौीम आ ाशकराचायर जी जब काशी म िनवास करत थ तब गगा-तट पर िनतय ात-

काल टहलत थ एक सबह िकसी ितभासपनन यवक न दसर िकनार स दखा िक कोई सनयासी उस पार टहल रह ह उस यवक न दसर िकनार स ही उनह णाम िकया उस यवक को दखकर आ शकराचायर जी न सकत िकया िक इधर आ जाओ उस आभासमपनन यवक न दखा िक मन तो साध को णाम कर िदया ह णाम कर िदया तो म उनका िशय हो गया और उनहोन मझ आदश िदया िक इधर आ जाओ अब गर की आजञा का उ लघन करना भी तो उिचत नही ह िकनत यही कोई नाव नही ह और म तरना भी नही जानता ह अब कया कर उसक मन म िवचार आया िक वस भी तो हजारो बार हम मर चक ह एक बार यिद गर क दशरन क िलए जात-जात मर जाय तो घाटा कया होगा

गग मात की जय कह कर उस यवक न तो गगाजी म पर रख िदया उसकी इचछा कहो ौीम आ शकराचायर जी का भाव कहो या िनयित की लीला कहो जहा उस यवक न कदम रखा वहा एक कमल पदा हो गया उसक पर को थामन क िलए जब दसरा पर रखा तो वहा भी कमल पदा हो गया इस कार जहा-जहा वह कदम रखता गया वहा कमल (प ) उतपनन होता गया और वह यवक गगा क दसर तट पर जहा आ शकराचायर जी खड़ थ पहच गया

जहा-जहा वह कदम रखता था वहा-वहा प (कमल) क कट होन क कारण उसका नाम पड़ा - प पादाचायर शकराचायर जी क म य चार प टिशयो म आग जाकर यही प पादाचायर एक प टिशय बन

कहन का तातपयर यह ह िक सिचचदानद परमातमा की शि का सामथयर का बयान करना सभव नही ह िजसकी िजतनी दढ़ता ह िजसकी िजतनी सचचाई ह िजसकी िजतनी ततपरता ह उतनी ही कित भी उसकी मदद करन को आतर रहती ह प पादाचायर की गर-आजञापालन म दढ़ता और ततपरता को दखकर गगा जी म कमल गट हो गय िशय यिद दढ़ता ततपरता और ईमानदारी स गर-आजञापालन म लग जाय तो कित भी उसक अनकल हो जाती ह

(अनबम)

अनोखी गरदिकषणा एकलवय गर िोणाचायर क पास आकर बोलाः मझ धनिवर ा िसखान की कपा कर

गरदव गर िोणाचायर क समकष धमरसकट उतपनन हआ कयोिक उनहोन भीम िपतामह को वचन

द िदया था िक कवल राजकमारो को ही म िशकषा दगा एकलवय राजकमार नही ह अतः उस धनिवर ा कस िसखाऊ अतः िोणाचायर न एकलवय स कहाः

म तझ धनिवर ा नही िसखा सकगा

एकलवय घर स िन य करक िनकला था िक म कवल गर िोणाचायर को ही गर बनाऊगा िजनक िलए मन म भी गर बनान का भाव आ गया उनक िकसी भी वयवहार क िलए िशकायत या िछिानवषण की वि नही होनी चािहए

एकलवय एकात अर य म गया और उसन गर िोणाचायर की िम टी की मितर बनायी मितर की ओर एकटक दखकर धयान करक उसी स रणा लकर वह धनिवर ा सीखन लगा एकटक दखन स एकामता आती ह एकामता गरभि अपनी सचचाई और ततपरता क कारण उस रणा िमलन लगी जञानदाता तो परमातमा ह धनिवर ा म वह बहत आग बढ़ गया

एक बार िोणाचायर पाडव एव कौरव धनिवर ा का योग करन अर य म आय उनक साथ एक क ा भी था जो थोड़ा आग िनकल गया क ा वही पहचा जहा एकलवय अपनी धनिवर ा का योग कर रहा था एकलवय क खल बाल फट कपड़ एव िविचऽ वष को दखकर क ा भ कन लगा

एकलवय न क को लग नही चोट न पहच और उसका भ कना बद हो जाय इस ढग स सात बाण उसक मह म थमा िदय क ा वािपस वहा गया जहा िोणाचायर क साथ पाडव और कौरव थ

उस दखकर अजरन को हआ िक क को चोट न लग इस ढग स बाण मह म घसाकर रख दना यह िव ा तो म भी नही जानता यह कस सभव हआ वह गर िोणाचायर स बोलाः

गरदव आपन तो कहा था िक मरी बराबरी का दसरा कोई धनधाररी नही होगा िकनत ऐसी िव ा तो मझ भी नही आती

िोणाचायर को हआ िक दख इस अर य म कौन-सा ऐसा कशल धनधरर ह आग जाकर दखा तो वह था िहर यधन का पऽ गरभ एकलवय

िोणाचायर न पछाः बटा यह िव ा त कहा स सीखा

एकलवय बोलाः गरदव आपकी ही कपा स सीखा ह

िोणाचायर तो वचन द चक थ िक अजरन की बराबरी का धनधरर दसरा कोई न होगा िकनत यह तो आग िनकल गया गर क िलए धमरसकट खड़ा हो गया एकलवय की अटट ौ ा दखकर िोणाचायर न कहाः मरी मितर को सामन रखकर त धनिवर ा तो सीखा िकनत गरदिकषणा

एकलवयः जो आप माग

िोणाचायरः तर दाय हाथ का अगठा

एकलवय न एक पल भी िवचार िकय िबना अपन दाय हाथ का अगठा काटकर गरदव क चरणो म अपरण कर िदया

िोणाचायरः बटा भल ही अजरन धनिवर ा म सबस आग रह कयोिक म उस वचन द चका ह िकनत जब तक सयर चनि नकषऽो का अिःततव रहगा तब तक लोग तरी गरिन ा का तरी गरभि का ःमरण करग तरा यशोगान होता रहगा

उसकी गरभि और एकामता न उस धनिवर ा म तो सफलता िदलायी ही लिकन सतो क दय म भी उसक िलए आदर गट करवा िदया धनय ह एकलवय जो गरमितर स रणा पाकर धनिवर ा म सफल हआ और िजसन अदभत गरदिकषणा दकर साहस तयाग और समपरण का पिरचय िदया

(अनबम)

सतसग की मिहमा तलसीदास जी महाराज कहत ह ETH

एक घड़ी आधी घड़ी आधी म पिन आध तलसी सगत साध की हर कोिट अपराध

एक बार शकदव जी क िपता भगवान वदवयासजी महाराज कही जा रह थ राःत म उनहोन दखा िक एक कीड़ा बड़ी तजी स सड़क पार कर रहा था

वदवयासजी न अपनी योगशि दत हए उसस पछाः त इतनी ज दी सड़क कयो पार कर रहा ह कया तझ िकसी काम स जाना ह त तो

नाली का कीड़ा ह इस नाली को छोड़कर दसरी नाली म ही तो जाना ह िफर इतनी तजी स कयो भाग रहा ह

कीड़ा बोलाः बाबा जी बलगाड़ी आ रही ह बलो क गल म बध घघर तथा बलगाड़ी क पिहयो की आवाज म सन रहा ह यिद म धीर-धीर सड़क पार करगा तो वह बलगाड़ी आकर मझ कचल डालगी

वदवयासजीः कचलन द कीड़ की योिन म जीकर भी कया करना

कीड़ाः महिषर ाणी िजस शरीर म होता ह उसको उसम ही ममता होती ह अनक ाणी नाना कार क क ो को सहत हए भी मरना नही चाहत

वदवयास जीः बलगाड़ी आ जाय और त मर जाय तो घबराना मत म तझ योगशि स महान बनाऊगा जब तक ा ण शरीर म न पहचा द अनय सभी योिनयो स शीय छटकारा िदलाता रहगा

उस कीड़ न बात मान ली और बीच राःत पर रक गया और मर गया िफर वदवयासजी की कपा स वह बमशः कौआ िसयार आिद योिनयो म जब-जब भी उतपनन हआ वयासजी न जाकर उस पवरजनम का ःमरण िदला िदया इस तरह वह बमशः मग पकषी शि वय जाितयो म जनम लता हआ कषिऽय जाित म उतपनन हआ उस वहा भी वदवयासजी दशरन िदय थोड़ िदनो म रणभिम म शरीर तयागकर उसन ा ण क घर जनम िलया

भगवान वदवयास जी न उस पाच वषर की उ म सारःवतय मऽ द िदया िजसका जप करत-करत वह धयान करन लगा उसकी बि बड़ी िवलकषण होन पर वद शा धमर का रहःय समझ म आ गया

सात वषर की आय म वदवयास जी न उस कहाः काि रक कषऽ म कई वष स एक ा ण ननदभि तपःया कर रहा ह तम जाकर उसकी

शका का समाधान करो

माऽ सात वषर का ा ण कमार काि रक कषऽ म तप कर रह उस ा ण क पास पहच कर बोलाः

ह ा णदव आप तप कयो कर रह ह

ा णः ह ऋिषकमार म यह जानन क िलए तप कर रहा ह िक जो अचछ लोग ह सजजन लोग ह व सहन करत ह दःखी रहत ह और पापी आदमी सखी रहत ह ऐसा कयो ह

बालकः पापी आदमी यिद सखी ह तो पाप क कारण नही वरन िपछल जनम का कोई प य ह उसक कारण सखी ह वह अपन प य खतम कर रहा ह पापी मनय भीतर स तो दःखी ही होता ह भल ही बाहर स सखी िदखाई द

धािमरक आदमी को ठ क समझ नही होती उिचत िदशा व मऽ नही िमलता इसिलए वह दःखी होता ह वह धमर क कारण दःखी नही होता अिपत समझ की कमी क कारण दःखी होता ह समझदार को यिद कोई गर िमल जाय तो वह नर म स नारायण बन जाय इसम कया आ यर ह

ा णः म इतना बढ़ा हो गया इतन वष स काि रक कषऽ म तप कर रहा ह मर तप का फल यही ह िक तमहार जस सात वषर क योगी क मझ दशरन हो रह ह म तमह णाम करता ह

बालकः नही नही महाराज आप तो भदव ह म तो बालक ह म आपको णाम करता ह

उसकी नता दखकर ा ण और खश हआ तप छोड़कर वह परमातमिचनतन म लग गया अब उस कछ जानन की इचछा नही रही िजसस सब कछ जाना जाता ह उसी परमातमा म िवौाित पान लग गया

इस कार ननदभि ा ण को उ र द िनःशक कर सात िदनो तक िनराहार रहकर वह बालक सयरमनऽ का जप करता रहा और वही बहदक तीथर म उसन शरीर तयाग िदया वही बालक दसर जनम म कषार िपता एव िमऽा माता क यहा गट हआ उसका नाम मऽय पड़ा इनहोन वयासजी क िपता पराशरजी स िवण-पराण तथा बहत पाराशर होरा शा का अधययन िकया था पकषपात रिहत अनभवकाश नामक मनथ म मऽय तथा पराशर ऋिष का सवाद आता ह

कहा तो सड़क स गजरकर नाली म िगरन जा रहा कीड़ा और कहा सत क सािननधय स वह मऽय ऋिष बन गया सतसग की बिलहारी ह इसीिलए तलसीदास जी कहत ह ETH

तात ःवगर अपवगर सख धिरअ तला एक अग तल न तािह सकल िमली जो सख लव सतसग

यहा एक शका हो सकती ह िक वह कीड़ा ही मऽय ऋिष कयो नही बन गया

अर भाई यिद आप पहली ककषा क िव ाथ हो और आपको एम ए म िबठाया जाय तो कया आप पास हो सकत हो नही दसरी तीसरी चौथी दसवी बारहवी बीए आिद पास करक ही आप एमए म वश कर सकत हो

िकसी चौकीदार पर कोई धानमनऽी अतयिधक सनन हो जाए तब भी वह उस सीधा कलकटर (िजलाधीश) नही बना सकता ऐस ही नाली म रहन वाला कीड़ा सीधा मनय तो नही

हो सकता बि क िविभनन योिनयो को पार करक ही मनय बन सकता ह हा इतना अवय ह िक सतकपा स उसका मागर छोटा हो जाता ह

सतसमागम की साध परषो स सग की मिहमा का कहा तक वणरन कर कस बयान कर एक सामानय कीड़ा उनक सतसग को पाकर महान ऋिष बन सकता ह तो िफर यिद मानव को िकसी सदगर का सािननधय िमल जाय उनक वचनानसार चल पड़ तो मि का अनभव करक जीवनम भी बन सकता ह

(अनबम)

पीड़ पराई जान र जञानी िकसी स यार करन क िलए बध हए नही ह और िकसी को डाटन म भी राजी

नही ह हमारी जसी यो यता होती ह ऐसा उनका वयवहार हमार ित होता ह लीलाशाह बाप क ौीचरणो म बहत लोग गय थ एक लड़का भी गया था वह मिणनगर

म रहता था िशवजी को जल चढ़ान क प ात ही वह जल पीता वह लड़का खब िन ा स धयान-भजन करता और सवा पजा करता

एक िदन कोई वयि राःत म बहोश पड़ा हआ था िशवजी को जल चढ़ान जात समय उस बालक न उस दखा और अपनी पजा-वजा छोड़कर उस गरीब की सवा म लग गया िबहार का कोई यवक था नौकरी की खोज म आया था कालपर(अहमदाबाद) ःटशन क लटफामर पर एक दो िदन रहा किलयो न मारपीट कर भगा िदया चलत-चलत मिणनगर म पनीत आौम की ओर रोटी की आशा म जा रहा था रोटी तो वहा नही िमलती थी इसिलए भख क कारण चलत-चलत राःत म िगर गया और बहोश हो गया

उस लड़क का घर पनीत आौम क पास ही था सबह क दस साढ़ दस बज थ वह लड़का घर स धयान-भजन स िनपटकर मिदर म िशवजी को जल चढ़ान क िलए जल का लोटा और पजा की साममी लकर जा रहा था उसन दखा िक राःत म कोई यवक पड़ा ह राःत म चलत-चलत लोग बोलत थः शराब पी होगी यह होगा वह होगा हम कया

लड़क को दया आई प य िकय हए हो तो रणा भी अचछ िमलती ह शभ कम स शभ रणा िमलती ह अपन पास की पजा साममी एक ओर रखकर उसन उस वयि को िहलाया बहत मिकल स उसकी आख खली कोई उस जत सघाता कोई कछ करता कोई कछ बोलता था

आख खोलत ही वह वयि धीर स बोलाः पानी पानी

लड़क न महादव जी क िलय लाया हआ जल का लोटा उस िपला िदया िफर दोड़कर घर जाकर अपन िहःस का दध लाकर उस िदया

यवक क जी म जी आया उसन अपनी वयथा बतात हए कहाः बाब जी म िबहार स आया ह मर बाप गजर गय काका िदन-रात टोकत रहत त िक

कमाओ नही तो खाओग कया नौकरी धधा िमलता नही ह भटकत-भटकत अहमदाबाद क ःटशन पर कली का काम करन का य िकया हमारी रोटी-रोजी िछन जायगी ऐसा समझकर किलयो न खब मारा पदल चलत-चलत मिणनगर ःटशन की ओर आत-आत यहा तीन िदन की भख और मार क कारण चककर आय और िगर गया

लड़क न उस िखलाया अपना इक ठा िकया हआ जबखचर का पसा िदया उस यवक को जहा जाना था वहा भजन की वयवःथा की इस लड़क क दय म आनद की वि हई अतर म आवाज आईः

बटा अब म तझ बहत ज दी िमलगा

लड़क न िकयाः अनदर कौन बोलता ह

उ र आयाः िजस िशव की त पजा करता ह वह तरा आतमिशव अब म तर दय म कट होऊगा सवा क अिधकारी की सवा मझ िशव की ही सवा ह

उस िदन उस अतयारमी न अनोखी ऱणा और ोतसाहन िदया वह लड़का तो िनकल पड़ा घर छोड़कर ई र-साकषातकार करन क िलए कदारनाथ वनदावन होत हए निनताल क अर य म पहचा

कदारनाथ क दशरन पाय लकषािधपित आिशष पाय

इस आशीवारद को वापस कर ई राि क िलए िफर पजा की उसक पास जो कछ रपय पस थ उनह वनदावन म साध-सतो एव गरीबो म भ डारा करक खचर कर िदया था थोड़ स पस लकर निनताल क अर यो म पहचा लोकलाड़ल लाखो दयो को हिररस िपलात पजयपाद सदगर ौी लीलाशाह बाप की राह दखत हए चालीस िदन बीत गय गरवर ौी लीलाशाह को अब पणर समिपरत िशय िमला पणर खजाना ा करन वाला पिवऽातमा िमला पणर गर की पणर िशय िमला

िजस लड़क क िवषय म यह कथा पढ़ रह ह वह लड़का कौन होगा जानत हो

पणर गर कपा िमली पणर गर का जञान आसमल स हो गय साई आसाराम

अब तो समझ ही गय होग (उस लड़क क वश म छप हए थ पवर जनम क योगी और वतरमान म िव िव यात हमार

पजयपाद सदगरदव ौी आसाराम जी महाराज)

(अनबम)

िवकास क बिरयो स सावधान किपलवःत क राजा श ोदन का यवराज था िस ाथर यौवन म कदम रखत ही िववक

और वरा य जाग उठा यवान प ी यशोधरा और नवजात िशश राहल की मोह-ममता की रशमी जजीर काटकर महाभीिनबमण (गहतयाग) िकया एकानत अर य म जाकर गहन धयान साधना करक अपन साधय त व को ा कर िलया

एकानत म तप यार और धयान साधना स िखल हए इस आधयाितमक कसम की मधर

सौरभ लोगो म फलन लगी अब िस ाथर भगवान ब क नाम स जन-समह म िस हए हजारो हजारो लोग उनक उपिद मागर पर चलन लग और अपनी अपनी यो यता क मतािबक आधयाितमक याऽा म आग बढ़त हए आितमक शाित ा करन लग अस य लोग बौ िभकषक बनकर भगवान ब क सािननधय म रहन लग उनक पीछ चलन वाल अनयायीओ का एक सघ ःथािपत हो गया चह ओर नाद गजन लग िकः

ब शरण गचछािम धमम शरण गचछािम सघ शरण गचछािम

ौावःती नगरी म भगवान ब का बहत यश फला लोगो म उनकी जय-जयकार होन लगी लोगो की भीड़-भाड़ स िवर होकर ब नगर स बाहर जतवन म आम क बगीच म रहन लग नगर क िपपास जन बड़ी तादाद म वहा हररोज िनि त समय पर पहच जात और उपदश-वचन सनत बड़-बड़ राजा महाराजा भगवान ब क सािननधय म आन जान लग

समाज म तो हर कार क लोग होत ह अनािद काल स दवी समपदा क लोग एव आसरी समपदा क लोग हआ करत ह ब का फलता हआ यश दखकर उनका तजो ष करन वाल लोग जलन लग सतो क साथ हमशा स होता आ रहा ह ऐस उन द त वो न ब को बदनाम करन क िलए कचार िकया िविभनन कार की यि -यि या लड़ाकर ब क यश को हािन पहच ऐसी बात समाज म व लोग फलान लग उन द ो न अपन ष यऽ म एक वया को समझा-बझाकर शािमल कर िलया

वया बन-ठनकर जतवन म भगवान ब क िनवास-ःथानवाल बगीच म जान लगी

धनरािश क साथ द ो का हर कार स सहारा एव ोतसाहन उस िमल रहा था रािऽ को वही रहकर सबह नगर म वािपस लोट आती अपनी सिखयो म भी उसन बात फलाई

लोग उसस पछन लगः अरी आजकल त िदखती नही ह कहा जा रही ह रोज रात को

म तो रोज रात को जतवन जाती ह व ब िदन म लोगो को उपदश दत ह और रािऽ क समय मर साथ रगरिलया मनात ह सारी रात वहा िबताकर सबह लोटती ह

वया न परा ीचिरऽ आजमाकर ष यऽ करन वालो का साथ िदया लोगो म पहल तो हलकी कानाफसी हई लिकन जयो-जयो बात फलती गई तयो-तयो लोगो म जोरदार िवरोध होन लगा लोग ब क नाम पर िफटकार बरसान लग ब क िभकषक बःती म िभकषा लन जात तो लोग उनह गािलया दन लग ब क सघ क लोग सवा-वि म सल न थ उन लोगो क सामन भी उगली उठाकर लोग बकवास करन लग

ब क िशय जरा असावधान रह थ कचार क समय साथ ही साथ स चार होता तो कचार का इतना भाव नही होता िशय अगर िनिबय रहकर सोचत रह जाय िक करगा सो भरगा भगवान उनका नाश करग तो कचार करन वालो को ख ला मदान िमल जाता ह

सत क सािननधय म आन वाल लोग ौ ाल सजजन सीध साद होत ह जबिक द वि करन वाल लोग किटलतापवरक कचार करन म कशल होत ह िफर भी िजन सतो क पीछ सजग समाज होता ह उन सतो क पीछ उठन वाल कचार क तफान समय पाकर शात हो जात ह और उनकी सतवि या काशमान हो उठती ह

कचार न इतना जोर पकड़ा िक ब क िनकटवत लोगो न ऽािहमाम पकार िलया व समझ गय िक यह वयविःथत आयोजनपवरक ष यऽ िकया गया ह ब ःवय तो पारमािथरक सतय म जाग हए थ व बोलतः सब ठ क ह चलन दो वयवहािरक सतय म वाहवाही दख ली अब िननदा भी दख ल कया फकर पड़ता ह

िशय कहन लगः भनत अब सहा नही जाता सघ क िनकटवत भ भी अफवाहो क िशकार हो रह ह समाज क लोग अफवाहो की बातो को सतय मानन लग गय ह

ब ः धयर रखो हम पारमािथरक सतय म िवौाित पात ह यह िवरोध की आधी चली ह तो शात भी हो जाएगी समय पाकर सतय ही बाहर आयगा आिखर म लोग हम जानग और मानग

कछ लोगो न अगवानी का झ डा उठाया और राजयस ा क समकष जोर-शोर स माग की

िक ब की जाच करवाई जाय लोग बात कर रह ह और वया भी कहती ह िक ब रािऽ को मर साथ होत ह और िदन म सतसग करत ह

ब क बार म जाच करन क िलए राजा न अपन आदिमयो को फरमान िदया अब ष यऽ करनवालो न सोचा िक इस जाच करन वाल पच म अगर सचचा आदमी आ जाएगा तो अफवाहो का सीना चीरकर सतय बाहर आ जाएगा अतः उनहोन अपन ष यऽ को आिखरी

पराका ा पर पहचाया अब ऐस ठोस सबत खड़ा करना चािहए िक ब की ितभा का अःत हो जाय

उनहोन वया को दार िपलाकर जतवन भज िदया पीछ स ग डो की टोली वहा गई वया पर बलातकार आिद सब द कतय करक उसका गला घोट िदया और लाश को ब क बगीच म गाड़कर पलायन हो गय

लोगो न राजयस ा क ार खटखटाय थ लिकन स ावाल भी कछ लोग द ो क साथ जड़ हए थ ऐसा थोड़ ही ह िक स ा म बठ हए सब लोग दध म धोय हए वयि होत ह

राजा क अिधकािरयो क ारा जाच करन पर वया की लाश हाथ लगी अब द ो न जोर-शोर स िच लाना शर कर िदया

दखो हम पहल ही कह रह थ वया भी बोल रही थी लिकन तम भगतड़ लोग मानत ही नही थ अब दख िलया न ब न सही बात खल जान क भय स वया को मरवाकर बगीच म गड़वा िदया न रहगा बास न बजगी बासरी लिकन सतय कहा तक िछप सकता ह म ामाल हाथ लग गया इस ठोस सबत स ब की असिलयत िस हो गई सतय बाहर आ गया

लिकन उन मख का पता नही िक तमहारा बनाया हआ कि पत सतय बाहर आया वाःतिवक सतय तो आज ढाई हजार वषर क बाद भी वसा ही चमक रहा ह आज ब को लाखो लोग जानत ह आदरपवरक मानत ह उनका तजो ष करन वाल द लोग कौन-स नरको म जलत होग कया पता

ढाई हजार वषर पहल ब क जमान म भी सतो क साथ ऐसा घोर अनयाय हआ करता था ऋिष दयाननद को भी ऐस ही त वो न तजो ष क कारण बाईस बार िवष दकर मार डालन का यास िकया ःवामी िववकाननद और ःवामी रामतीथर क पीछ भी द लोगो न वया को तयार करक कीचड़ उछाला था

एक ओर लाखो-लाखो लोग सतो की अनभवय वाणी स अपना वयावहािरक ETH आधयाितमक जीवन उननत करक सख-शाित पात ह दसरी ओर कछ द कित क ःवाथ लोग अपना उ ल सीधा करन क िलए ऐस महापरषो क िवर म ष यऽ रचकर उनको बदनाम करत ह यह तो पहल स चला आ रहा ह सत कबीर हो या नानक एकनाथ महाराज हो या सत तकाराम नरिसह महता हो या मीराबाई ायः सभी सतो को अपन जीवन क दौरान समाज क किटल त वो स पाला पड़ता ही रहा ह जीसस बाइःट को इनही त वो न बॉस पर चढ़ाया था उनही लोगो न सकरात को जहर िपलाकर मतयद ड िदया था मनसर को इसी जमात न शली पर चढ़ाया था ईसाई धमर म माट न यथर पर ज म िकया गया था अण-अण म ई र और नारीमाऽ म जगजजननी भगवती का दशरन करन वाल रामकण परमहस को भी लोगो न नही

छोड़ा था परमहस योगाननद रवीनिनाथ टगोर माट न यथर दिकषण भारत क सत ितरव लवर जापानी झन सत बाबो इितहास म िकतन-िकतन उदाहरण मौजद ह

हािसद धमरगर बा शमटोव अित पिवऽ आतमा थ िननदको न उनक इदरिगदर भी मायाजाल िबछा दी थी िसध क साई टउराम क पास अस य लोग आतमक याण हत जान लग तब िवकत िदमागवालो न उन सत को भी ऽास दना शर कर िदया उनक आौम क चह ओर गदगी डाल दत और कए म िम टी का तल उड़लकर पानी बकार कर दत मगल बादशाह बाबर को बहका कर उनही लोगो न गर नानक को कद करवाया था

भगवान ौीराम एव ौीकण को भी द जनो न छोड़ा नही था भगवान ौीराम क गर विश जी महाराज कहत हः

ह राम जी म जब बाजार स गजरता ह तब अजञानी मखर लोग मर िलए कया बकत ह म सब जानता ह लिकन मरा दयाल ःवभाव ह म इन सबका क याण चाहता ह

तमहार साथ यह ससार कछ अनयाय करता ह तमको बदनाम करता ह िननदा करता ह तो यह ससार की परानी रीत ह मनय की हीनवि कचार िननदाखोरी यह आजकल की ही बात नही ह अनािदकाल स ऐसा होता आया ह तम अपन आतमजञान क सःकार जगाकर आतमबल का िवकास करत जाओ मःकरात जाओ आधी तफानो को लाघकर आननदपवरक जीत जाओ

उस जमान म भगवान ब क पास आकर एक िभकषक न ाथरना कीः भनत मझ आजञा द म सभाए भरगा आपक िवचारो का चार करगा

मर िवचारो का चार

हा भगवन म बौ धमर फलाऊगा

लोग तरी िननदा करग गािलया दग

कोई हजर नही म भगवन को धनयवाद दगा िक य लोग िकतन अचछ ह य कवल श दहार करत ह मझ पीटत तो नही

लोग तझ पीटग भी तो कया करोग

भो म शब गजारगा िक य लोग हाथो स पीटत ह पतथर तो नही मारत

लोग पतथर भी मारग और िसर भी फोड़ दग तो कया करगा

िफर भी म आ ःत रहगा और भगवान का िदवय कायर करता रहगा कयोिक व लोग मरा िसर फोड़ग लिकन ाण तो नही लग

लोग जनन म आकर तझ मार दग तो कया करगा

भनत आपक िदवय िवचारो का चार करत-करत म मर भी गया तो समझगा िक मरा जीवन सफल हो गया

उस कतिन यी िभकषक की दढ़ िन ा दखकर भगवान ब सनन हो उठ उस पर उनकी करणा बरस पड़ी

ऐस िशय जब ब का चार करन िनकल पड़ तब कचार करन वाल धीर-धीर शात हो गय मनयो की उगिलया काट-काटकर माला बनाकर पहनन वाला अगिलमाल जसा बर हतयारा भी दयपिरवतरन पाकर ब की शरण म िभकषक होकर रहन लगा

आज हम ब को बहत आदर स जानत ह मानत ह उनक जीवनकाल क दौरान उनक पीछ लग हए द लोग कौन स नरक म सड़त होग रौरव नरक म या कभीपाक नरक म कौन-सी योिनयो म भटकत होग सअर बन होग िक नाली क कीड़ बन होग शतान बन होग िक राकषस बन होग मझ पता नही लिकन ब तो करोड़ो दयो म बस रह ह यह म मानता ह

सतय तो परमाथर ह आतमा ह परमातमा ह उसम िजतना िटकोग उतना तमहारा मगल होगा तमहारी िनगाह िजन पर पड़गी उनका भी मगल होगा

(अनबम)

कछ जानन यो य बात सय दय स पवर उठकर ःनान कर लना चािहए ातः खाली पट मटक का बासी पानी

पीना ःवाःथयद ह तलसी क प सय दय क प ात ही तोड़ दध म तलसी क प नही डालन चािहए तथा

दध क साथ खान भी नही चािहए तलसी क प खाकर थोड़ा पानी पीना िपय जलनित स पिह सौ कार क लाभ होत ह अपन मिःतक म एक कार का िवजाितय

िवय उतपनन होता ह यिद वह िवय वही अटक जाता ह तो बचपन म ही बाल सफद होन लगत ह इसस नजल की बीमारी भी होती ह यिद वह िवय नाक की तरफ आता ह तो सगनध-दगरनध का पता नही चल पाता और ज दी-ज दी जकाम हो जाता ह यिद वह िवय कान की तरफ आता ह तो कान बहर होन लगत ह और छोट-मोट ब ीस रोग हो सकत ह यिद वह िवय दात की तरफ आय तो दात छोटी उ म ही िगरन लगत ह यिद आख की तरफ वह िवय उतर तो चम लगन लगत ह जलनित यािन नाक स पानी खीचकर मह स िनकाल दन स वह िवय िनकल जाता ह गल क ऊपर क ायः सभी रोगो स मि िमल जाती ह

आईसबीम खान क बाद चाय पीना दातो क िलए अतयािधक हािनकारक होता ह

भोजन को पीना चािहए तथा पानी को खाना चािहए इसका मतलब यह ह िक भोजन को इतना चबाओ िक वह पानी की तरह पतला हो जाय और पानी अथवा अनय पय पदाथ को धीर-धीर िपयो

िकसी भी कार का पय पदाथर पीना हो तो दाया नथना बनद करक िपय इसस वह अमत जसा हो जाता ह यिद दाया ःवर(नथना) चाल हो और पानी आिद िपय तो जीवनशि (ओज) पतली होन लगती ह चयर की रकषा क िलए शरीर को तनदरःत रखन क िलए यह योग करना चािहए

तम चाह िकतनी भी महनत करो िकनत िजतना तमहारी नसो म ओज ह चयर की शि ह उतन ही तम सफल होत हो जो चाय-कॉफी आिद पीत ह उनका ओज पतला होकर पशाब ारा न होता जाता ह अतः चयर की रकषा क िलए चाय-कॉफी जस वयसनो स दर रहना रह

पढ़न क बाद थोड़ी दर शात हो जाना चािहए जो पढ़ा ह उसका मनन करो िशकषक ःकल म जब पढ़ात हो तब धयान स सनो उस व मःती-मजाक नही करना चािहए िवनोद-मःती कम स कम करो और समझन की कोिशश अिधक करो

जो सय दय क पवर नही उठता उसक ःवभाव म तमस छा जाता ह जो सय दय क पवर उठता ह उसकी बि शि बढ़ती ह

नीद म स उठकर तरत भगवान का धयान करो आतमःनान करो धयान म रिच नही होती तो समझना चािहए िक मन म दोष ह उनह िनकालन क िलए कया करना चािहए

मन को िनद ष बनान क िलए सबह-शाम माता-िपता को णाम करना चािहए गरजनो को णाम करना चािहए एव भगवान क नाम का जप करना चािहए भगवान स ाथरना करनी चािहए िक ह भगवान ह मर भ मरी धयान म रिच होन लग ऐसी कपा कर दो िकसी समय गद िवचार िनकल आय तो समझना चािहए िक अदर छप हए िवचार िनकल रह ह अतः खश होना चािहए िवचार आया और गया मर राम तो दय म ही ह ऐसी भावना करनी चािहए

िनदा करना तो अचछा नही ह िकनत िनदा सनना भी उिचत नही (अनबम)

शयन की रीत मनय को िकस ढग स सोना चािहए इसका भी तरीका होता ह सोत व पवर अथवा

दिकषण िदशा की ओर िसर करक ही सोना चािहए

भोजन करन क बाद िदन म दस िमनट आराम कर िकनत सोय नही भोजन क बाद दस िमनट बायी करवट लट सकत ह रािऽ को जागरण िकया हो इस कारण स कभी िदन म सोना पड़ वह अलग बात ह

सोत व नीच कोई गमर कबल आिद िबछाकर सोय तािक आपकी जीवनशि अिथग न हो जाय आपक शरीर की िव तशि भिम म न उतर जाय

(अनबम)

ःनान का तरीका शरीर की मजबती एव आरो यता क िलए रगड़-रगड़कर ःनान करना चािहए जो लोग

ठड दशो म रहत ह उनका ःवाःथय गमर दस क लोगो की अपकषा अचछा होता ह ठडी स अपना शरीर सधरता ह

ःनान करत व 12-15 िलटर पानी बा टी म लकर पहल उसम िसर डबाना चािहए िफर पर िभगोना चािहए पहल पर गील नही करन चािहए शरीर की गम ऊपर की ओर चढ़ती ह जो ःवाःथय क िलए हािनकारक होती ह

अतः पहल ठड पानी की बा टी भर ल िफर मह म पानी भरकर िसर को बा टी म डाल और आख पटपटाए इसस आखो की शि बढ़ती ह शरीर को रगड़-रगड़कर नहाए बाद म गील व स शरीर को रगड़-रगड़कर पोछ िजसस रोम कप का सारा मल बाहर िनकल जाय और रोमकप(तवचा क िछि) खल जायय तवचा क िछि बद रहन स ही तवचा की कई बीमािरया होती ह िफर सख कपड़ स शरीर को पोछ कर (अथवा थोड़ा गीला हो तब भी चल) सख साफ व पहन ल व भल साद हो िकनत साफ हो बासी कपड़ नही पहन हमशा धल हए कपड़ ही पहन इसस मन भी सनन रहता ह

पाच कार क ःनान होत हः ःनान दवःनान ऋिषःनान मानवःनान दानवःनान ःनानः -परमातमा का िचतन करक जल थल नहान वाला

ऐसा िचतन करक ा महतर म नहाना इस ःनान कहत ह दवःनानः दवनिदयो म ःनान या दवनिदयो का ःमरण करक सय दय स पवर नहाना यह

दवःनान ह ऋिषःनानः आकाश म तार िदखत हो और नहा ल यह ऋिषःनान ह ऋिषःनान करन

वाल की बि बड़ी तजःवी होती ह मानवःनानः सय दय क पवर का ःनान मानवःनान ह

दानवःनानः सय दय क प ात चाय पीकर नाता करक आठ नौ बज नहाना यह दानव ःनान ह

अतः हमशा ऋिषःनान करन का ही यास करना चािहए (अनबम)

ःवचछता का धयान यिद शरीर की सफाई रखी जाय तो मन भी सनन रहता ह आजकल अिधकतर लोग

श स ही मजन करत ह श की अपकषा नीम और बबल की दातौन जयादा अचछ होती ह और यिद श भी कर तो कभी-कभार श को गमर पानी स धोना चािहए अनयथा उसम बकटिरया(जीवाण) रह जात ह

िकतन ही लोग उगली स दात साफ करत ह तजरनी (अगठ क पास वाली थम उगली) स दात िघसन स मसड़ कमजोर हो जात ह तथा दात ज दी िगर जात ह कयोिक तजरनी म िव तशि का माण दसरी उगिलयो की अपकषा अिधक होता ह अतः उसस दात नही िघसन चािहए एव आखो को भी नही मसलना चािहए

िजस िदशा स हवा आती हो उस िदशा की ओर मह करक कभी-भी मलमऽ का िवसजरन नही करना चािहए सयर और चनिमा की ओर मख करक भी मलमऽ का िवसजरन नही करना चािहए

(अनबम)

ःमरणशि का िवकास यादशि बढ़ान का एक सनदर योग ह ETH ामरी ाणायाम सखासन प ासन या

िस ासन पर बठ हाथ की कोहनी की ऊचाई कनध तक रह इस कार रखकर हाथ की थम उगली(तजरनी) स दोनो कानो को धीर-स बद कर एकदम जोर स बद न कर िकनत बाहर का कछ सनाई न द इस कार धीर स कान बनद कर

अब गहर ास लकर थोड़ी दर रोक ओठ बद रखकर जस मर का गजन होता ह वस ॐsssss कहत हए गजन कर उसक बाद थोड़ी दर तक ास न ल पनः यही िबया दहराय ऐसा सबह एव शाम 8 स 10 बार कर यादशि बढ़ान का यह यौिगक योग ह इसस मिःतक की नािड़यो का शोधन होकर मिःतक म र सचार उिचत ढग स होता ह

और िवचार करन स भी बि शि का िवकास होता ह

सबह खाली पट तलसी क प एकाध काली िमचर चबाकर एक िगलास पानी पीन स भी ःमरणशि का िवकास होता ह रोग-ितकारक शि बढ़ती ह कनसर की बीमारी कभी नही होती जलदर-भगदर की बीमारी भी कभी नही होती

(अनबम)

वयि तव और वयवहार िकसी भी वयि तव का पता उसक वयवहार स ही चलता ह कई लोग वयथर च ा करत

ह एक होती ह सकाम च ा दसरी होती ह िनकाम च ा और तीसरी होती ह वयथर च ा वयथर च ा नही करनी चािहए िकसी क शरीर म कोई कमी हो तो उसका मजाक नही उड़ाना चािहए वरन उस मददरप बनना चािहए यह िनकाम सवा ह

िकसी की भी िनदा नही करनी चािहए िनदा करन वाला वयि िजसकी िनदा करता ह उसका तो इतना अिहत नही होता िजतना वह अपना अिहत करता ह जो दसरो की सवा करता ह दसरो क अनकल होता ह वह दसरो का िजतना िहत करता ह उसकी अपकषा उसका खद का िहत जयादा होता ह

अपन स जो उ स बड़ हो जञान म बड़ हो तप म बड़ हो उनका आदर करना चािहए िजस मनय क साथ बात करत हो वह मनय कौन ह यह जानकर बात करो तो आप वयवहार-कशल कहलाओग

िकसी को पऽ िलखत हो तो यिद अपन स बड़ हो तो ौी सबोधन करक िलखो सबोधन करन स सवाकयो की रचना स िश ता बढ़ती ह िकसी स बात करो तो सबोधन करक बात करो जो तकार स बात करता ह वह अिश कहलाता ह िश तापवरक बात करन स अपनी इजजत बढ़ती ह

िजसक जीवन म वयवहार-कशलता ह वह सभी कषऽो म सफल होता ह िजसम िवनता ह वही सब कछ सीख सकता ह िवनता िव ा बढ़ाती ह िजसक जीवन म िवनता नही ह समझो उसक सब काम अधर रह गय और जो समझता ह िक म सब कछ जानता ह वह वाःतव म कछ नही जानता

एक िचऽकार अपन गरदव क सममख एक सनदर िचऽ बनाकर लाया गर न िचऽ दखकर कहाः

वाह वाह सनदर ह अदभत ह

िशय बोलाः गरदव इसम कोई ऽिट रह गयी हो तो कपा करक बताइए इसीिलए म आपक चरणो म आया ह

गरः कोई ऽिट नही ह मझस भी जयादा अचछा बनाया ह

वह िशय रोन लगा उस रोता दखकर गर न पछाः तम कयो रो रह हो म तो तमहारी शसा कर रहा ह

िशयः गरदव मरी घड़ाई करन वाल आप भी यिद मरी शसा ही करग तो मझ मरी गि तया कौन बतायगा मरी गित कस होगी

यह सनकर गर अतयत सनन हो गय हमन िजतना जाना िजतना सीखा ह वह तो ठ क ह उसस जयादा जान सक सीख सक

ऐसा हमारा यास होना चािहए रामकण परमहस व हो गय थ िकसी न उनस पछाः बाबा जी आपन सब कछ जान

िलया ह

रामकण परमहसः नही म जब तक जीऊगा तब तक िव ाथ ही रहगा मझ अभी बहत कछ सीखना बाकी ह

िजनक पास सीखन को िमल उनस िवनतापवरक सीखना चािहए जो कछ सीखो सावधानीपवरक सीखो जीवन म िवनोद जररी ह िकनत िवनोद की अित न हो िजस समय पढ़त हो कछ सीखत हो कछ करत हो उस समय मःती नही िवनोद नही वरन जो कछ पढ़ो सीखो या करो उस उतसाह स धयान स और सावधानी स करो

पढ़न स पवर थोड़ धयानःथ हो जाओ पढ़न क बाद मौन हो जाओ यह गित की चाबी ह

माता-िपता स िचढ़ना नही चाह िजस मा-बाप न जनम िदया ह उनकी बातो को समझना चािहए अपन िलए उनक मन म िवशष दया हो िवशष म उतपनन हो ऐसा वयवहार करना चािहए

भल जाओ भल सब कछ माता-िपता को भलना नही अनिगनत उपकार ह उनक यह कभी िबसरना नही

माता-िपता को सतोष हो उनका दय सनन हो ऐसा हमारा वयवहार होना चािहए अपन माता-िपता एव गरजनो को सत रखकर ही हम सचची गित कर सकत ह

(अनबम)

  • पजय बाप जी का उदबोधन
  • कदम अपना आग बढाता चला जा
  • त गलाब होकर महक
  • जीवन विकास का मल सयम
  • तरिकाल सधया
  • शरीर सवासथय
  • अनन का परभाव
  • भारतीय ससकति की महानता
  • हरिदास की हरिभकति
  • बनावटी शरगार स बचो
  • साहसी बालक
  • गर-आजञापालन का चमतकार
  • अनोखी गरदकषिणा
  • सतसग की महिमा
  • पीड पराई जान र
  • विकास क बरियो स सावधान
  • कछ जानन योगय बात
  • शयन की रीत
  • सनान का तरीका
  • सवचछता का धयान
  • समरणशकति का विकास
  • वयकतितव और वयवहार
Page 4: Tu gulabhokarmehak

तथा अपन बचचो क सामन कभी कोई ऐसा िबयाकलाप या कोई अ ीलता न कर िजसका बचचो क िदलो-िदमाग पर िवपरीत असर पड़

ाचीन काल म गरकल प ित िशकषा की सव म परमपरा थी गरकल म रहकर बालक दश व समाज का गौरव बनकर ही िनकलता था कयोिक बचचा ितपल गर की नज़रो क सामन रहता था और आतमव ा सदगर िजतना अपन िशय का सवागीण िवकास करत ह उतना माता-िपता तो कभी सोच भी नही सकत

आजकल क िव ालयो म तो पट भरन की िचनता म लग रहन वाल िशकषको एव शासन की दिषत िशकषा-णाली क ारा बालको को ऐसी िशकषा दी जा रही ह िक बड़ा होत ही उस िसफर नौकरी की ही तलाश रहती ह आजकल का पढ़ा-िलखा हर नौजवान माऽ कस पर बठन की ही नौकरी पसनद करता ह उ म-वयवसाय या पिरौमी कमर को करन म हर कोई कतराता ह यही कारण ह िक दश म बरोजगारी नशाखोरी और आपरािधक वि या बढ़ती जा रही ह कयोिक खाली िदमाग शतान का घर ह ऐस म ःवाभािवक ही उिचत मागरदशरन क अभाव म यवा पीढ़ी मागर स भटक गयी ह

आज समाज म आवयकता ह ऐस महापरषो की सदगरओ की तथा सतो की जो बचचो तथा यवा िव ािथरयो का मागरदशरन कर उनकी सष शि का अपनी अपनी शि पात-वषार स जामत कर सक

आज क िव ािथरयो को उिचत मागरदशरक की बहत आवयकता ह िजनक सािननधय म पा ातय-स यता का अधानकरण करन वाल ननह-मनह लिकन भारत का भिवय कहलान वाल िव ाथ अपना जीवन उननत कर सक

िव ाथ जीवन का िवकास तभी सभव ह जब उनह यथायो य मागरदशरन िदया जाए माता-िपता उनह बा यावःथा स ही भारतीय सःकित क अनरप जीवन-यापन की सयम एव सादगीय जीवन की रणा दान कर िकसी ऐस महापरष का सािननधय ा करवाय जो ःवय जीवनम होकर अनयो को भी मि दान करन का सामथयर रखत हो

भारत म ऐस कई बालक पदा हए ह िजनहोन ऐस महापरषो क चरणो म अपना जीवन अपरण कर लाखो-करोड़ो िदलो म आज भी आदरणीय पजनीय बन रहन का गौरव ा िकया ह इन मधावी वीर बालको की कथा इसी पःतक म हम आग पढ़ग भी महापरषो क सािननधय का ही यह फल ह िक व इतनी ऊचाई पर पहच सक अनयथा व कसा जीवन जीत कया पता

ह िव ाथ त भारत का भिवय िव का गौरव और अपन माता-िपता की शान ह तर भीतर भी असीम सामथर का भ डार छपा पड़ा ह त भी खोज ल ऐस जञानी परषो को और उनकी करणा-कपा का खजाना पा ल िफर दख तरा कटमब और तरी जाित तो कया सपणर िव क लोग तरी याद और तरा नाम िलया करग

इस पःतक म ऐस ही जञानी महापरषो सतो और गरभ ो तथा भगवान क लाडलो की कथाओ तथा अनभवो का वणरन ह िजसका बार-बार पठन िचनतन और मनन करक तम सचमच म महान बन जाओग करोग ना िहममत

bull िनतय धयान ाणायाम योगासन स अपनी सष शि यो को जगाओ bull दीन-हीन-कगला जीवन बहत हो चका अब उठो कमर कसो जसा बनना ह वसा आज स और

अभी स सक प करो bull मनय ःवय ही अपन भा य का िनमारता ह

(अनबम)

कदम अपना आग बढ़ाता चला जा कदम अपना आग बढ़ाता चला जा सदा म क गीत गाता चला जा

तर मागर म वीर काट बड़ ह िलय तीर हाथो म वरी खड़ ह बहादर सबको िमटाता चला जा

कदम अपना आग बढ़ाता चला जा

त ह आयरवशी ऋिषकल का बालक तापी यशःवी सदा दीनपालक त सदश सख का सनाता चला जा कदम अपना आग बढ़ाता चला जा

भल आज तफान उठकर क आय बला पर चली आ रही ह बलाए यवा वीर ह दनदनाता चला जा

कदम अपना आग बढ़ाता चला जा

जो िबछड़ हए ह उनह त िमला जा जो सोय पड़ ह उनह त जगा जा त आनद का डका बजाता चला जा

कदम अपना आग बढ़ाता चला जा

(अनबम)

त गलाब होकर महक सगित का मानव जीवन पर अतयिधक भाव पड़ता ह यिद अचछ सगत िमल तो

मनय महान हो जाता ह लिकन वही मनय यिद कसग क चककर म पड़ जाए तो अपना जीवन न कर लता ह अतः अपन स जो पढ़ाई म एव िश ता म आग हो ऐस िव ािथरयो का आदरपवरक सग करना चािहए तथा अपन स जो नीच हो उनह दयापवरक ऊपर उठान का यास करना चािहए लिकन साथ ही यह धयान भी रह की कही हम उनकी बातो म न फस जाए

एक बार मर सदगरदव पजयपाद ःवामी ौी लीलाशाह जी महाराज न मझ गलाब का फल बताकर कहाः यह कया ह

मन कहाः बाप यह गलाब का फल ह

उनहोन आग कहाः इस त डालडा क िड ब पर रख िफर सघ अथवा गड़ क ऊपर रख शककर क ऊपर रख या चन अथवा मग की दाल पर रख गदी नाली क पास रख ऑिफस म रख उस सब जगह घमा सब जगह रख िफर सघ तो उसम िकसकी सगध आएगी

मन कहाःजी गलाब की

गरदवः गलाब को कही भी रख दो और िफर सघो तो उसम स सगनध गलाब की ही आएगी ऐस ही हमारा जीवन भी गलाब जसा होना चािहए हमार सदगणो की सगनध दसरो को लनी हो तो ल िकनत हमम िकसी की दगरनध िव न हो त गलाब होकर महक तझ जमाना जान

िकसी क दोष हमम ना आय इसका धयान रखना चािहए अपन गण कोई लना चाह तो भल ल ल

भगवान का धयान करन स एकाम होन स माता-िपता का आदर करन स गरजनो की बातो को आदरपवरक मानन स हमम सदगणो की वि होती ह

ातःकाल ज दी उठकर माता-िपता को णाम करो भगवान ौीरामचनिजी ातःकाल ज दी उठकर माता-िपता एव गर को णाम करत थ

ातःकाल उठिह रघनाथा मात-िपत गर नाविह माथा ौीरामचनिजी जब गर आौम म रहत थ त गर जी स पहल ही नीद स जाग जात थ

गर स पहल जगपित जाग राम सजान ऐसा राम चिरतमानस म आता ह

माता-िपता एव गरजनो का आदर करन स हमार जीवन म दवी गण िवकिसत होत ह िजनक भाव स ही हमारा जीवन िदवय होन लगता ह

ह िव ाथ त भी िनकामता सननता असगता की महक फलाता जा (अनबम)

जीवन िवकास का मल सयम एक बड़ महापरष थ हजारो-लाखो लोग उनकी पजा करत थ जय-जयकार करत थ

लाखो लोग उनक िशय थ करोड़ो लोग उनह ौ ा-भि स नमन करत थ उन महापरष स िकसी वयि न पछाः

राजा-महाराजा रा पित जस लोगो को भी कवल सलामी मारत ह या हाथ जोड़ लत ह िकनत उनकी पजा नही करत जबिक लोग आपकी पजा करत ह णाम भी करत ह तो बड़ी ौ ा-भि स ऐसा नही िक कवल हाथ जोड़ िदय लाखो लोग आपकी फोटो क आग भोग रखत ह आप इतन महान कस बन

दिनया म मान करन यो य तो बहत लोग ह बहतो को धनयवाद और शसा िमलती ह लिकन ौ ा-भि स ऐसी पजा न तो सठो की होती ह न साहबो की न सीडट की होती ह न िमिलशी ऑिफसर की न राजा की और न महाराजा की अर ौी कण क साथ रहन वाल भीम अजरन यिधि र आिद की भी पजा नही होती जबिक ौीकण की पजा करोड़ो लोग करत ह भगवान राम को करोड़ो लोग मानत ह आपकी पजा भी भगवान जसी ही होती ह आप इतन महान कस बन

उन महापरष न जवाब म कवल एक ही श द कहा और वह श द था - सयम तब उस वयि न पनः पछाः ह गरवर कया आप बता सकत ह िक आपक जीवन म

सयम का पाठ कबस शर हआ

महापरष बोलः मर जीवन म सयम की शरआत मरी पाच वषर की आय स ही हो गयी म जब पाच वषर का था तब मर िपता जी न मझस कहाः

बटा कल हम तमह गरकल भजग गरकल जात समय तरी मा साथ म नही होगी भाई भी साथ नही आयगा और म भी साथ नही आऊगा कल सबह नौकर तझ ःनान नाता करा क घोड़ पर िबठाकर गरकल ल जायगा गरकल जात समय यिद हम सामन होग तो तरा मोह हमम हो सकता ह इसिलए हम दसर क घर म िछप जायग त हम नही दख सकगा िकनत हम ऐसी वयवःथा करग िक हम तझ दख सक ग हम दखना ह िक त रोत-रोत जाता ह या हमार कल क बालक को िजस कार जाना चािहए वस जाता ह घोड़ पर जब जायगा और

गली म मड़गा तब भी यिद त पीछ मड़कर दखगा तो हम समझग िक त हमार कल म कलक ह

पीछ मड़कर दखन स भी मना कर िदया पाच वषर क बालक स इतनी यो यता की इचछा रखन वाल मर माता-िपता को िकतना कठोर दय करना पड़ा होगा पाच वषर का बटा सबह गरकल जाय जात व माता-िपता भी सामन न हो और गली म मड़त व घर की ओर दखन की भी मनाही िकतना सयम िकतना कड़क अनशासन

िपता न कहाः िफर जब तम गरकल म पहचोग और गरजी तमहारी परीकषा क िलए तमस कहग िक बाहर बठो तब तमह बाहर बठना पड़गा गर जी जब तक बाहर स अनदर आन की आजञा न द तब तक तमह वहा सयम का पिरचय दना पड़गा िफर गरजी न तमह गरकल म वश िदया पास िकया तो त हमार घर का बालक कहलायगा अनयथा त हमार खानदान का नाम बढ़ानवाला नही नाम डबानवाला सािबत होगा इसिलए कल पर कलग मत लगाना वरन सफलतापवरक गरकल म वश पाना

मर िपता जी न मझ समझाया और म गरकल म पहचा हमार नौकर न जाकर गरजी स आजञा मागी िक यह िव ाथ गरकल म आना चाहता ह

गरजी बोलः उसको बाहर बठा दो थोड़ी दर म गरजी बाहर आय और मझस बोलः बटा दख इधर बठ जा आख बनद कर ल जब तक म नही आऊ और जब तक त मरी आवाज़ न सन तब तक तझ आख नही खोलनी ह तरा तर शरीर पर मन पर और अपन आप पर िकतना सयम ह इसकी कसौटी होगी अगर तरा अपन आप पर सयम होगा तब ही गरकल म वश िमल सकगा यिद सयम नही ह तो िफर त महापरष नही बन सकता अचछा िव ाथ भी नही बन सकगा

सयम ही जीवन की नीव ह सयम स ही एकामता आिद गण िवकिसत होत ह यिद सयम नही ह तो एकामता नही आती तजिःवता नही आती यादशि नही बढ़ती अतः जीवन म सयम चािहए चािहए और चािहए

कब हसना और कब एकामिच होकर सतसग सनना इसक िलए भी सयम चािहए कब ताली बजाना और कब नही बजाना इसक िलय भी सयम चािहए सयम ही सफलता का सोपान ह भगवान को पाना हो तो भी सयम ज़ररी ह िसि पाना हो तो भी सयम चािहए और िसि पाना हो तो भी सयम चािहए सयम तो सबका मल ह जस सब वय जनो का मल पानी ह जीवन का मल सयर ह ऐस ही जीवन क िवकास का मल सयम ह

गरजी तो कहकर चल गय िक जब तक म न आऊ तब तक आख नही खोलना थोड़ी दर म गरकल का िरसस हआ सब बचच आय मन हआ िक दख कौन ह कया ह िफर याद आया िक सयम थोड़ी दर बाद पनः कछ बचचो को मर पास भजा गया व लोग मर आसपास

खलन लग कब डी-कब डी की आवाज भी सनी मरी दखन की इचछा हई परनत मझ याद आया िक सयम

मर मन की शि बढ़ान का पहला योग हो गया सयम मरी ःमरणशि बढ़ान की पहली कजी िमल गई सयम मर जीवन को महान बनान की थम कपा गरजी ारा हई ETH सयम ऐस महान गर की कसौटी स उस पाच वषर की छोटी-सी वय म पार होना था अगर म अन ीणर हो जाता तो िफर घर पर मर िपताजी मझ बहत छोटी दि स दखत

सब बचच खल कर चल गय िकनत मन आख नही खोली थोड़ी दर क बाद गड़ और शककर की चासनी बनाकर मर आसपास उड़ल दी गई मर घटनो पर मरी जाघ पर भी चासनी की कछ बद डाल दी ग जी चाहता था िक आख खोलकर दख िक अब कया होता ह िफर गरजी की आजञा याद आयी िक आख मत खोलना अपनी आख पर अपन मन पर सयम शरीर पर चीिटया चलन लगी लिकन याद था िक पास होन क िलए सयम ज़ररी ह

तीन घट बीत गय तब गरजी आय और बड़ म स बोलः पऽ उठो उठो तम इस परीकषा म उ ीणर रह शाबाश ह तमह

ऐसा कहकर गरजी न ःवय अपन हाथो स मझ उठाया गरकल म वश िमल गया गर क आौम म वश अथारत भगवान क राजय म वश िमल गया िफर गर की आजञा क अनसार कायर करत-करत इस ऊचाई तक पहच गया

इस कार मझ महान बनान म म य भिमका सयम की ही रही ह यिद बा यकाल स ही िपता की आजञा को न मान कर सयम का पालन न करता तो आज न जान कहा होता सचमच सयम म अदभत सामथयर ह सयम क बल पर दिनया क सार कायर सभव ह िजतन भी महापरष सतपरष इस दिनया म हो चक ह या ह उनकी महानता क मल म उनका सयम ही ह

वकष क मल म उसका सयम ह इसी स उसक प हर-भर ह फल िखलत ह फल लगत ह और वह छाया दता ह वकष का मल अगर सयम छोड़ द तो प सख जायग फल कमहला जाएग फल न हो जाएग वकष का जीवन िबखर जायगा

वीणा क तार सयत ह इसी स मधर ःवर गजता ह अगर वीणा क तार ढील कर िदय जाय तो व मधर ःवर नही आलापत

रल क इजन म वाप सयत ह तो हजारो यािऽयो को दर सदर की याऽा करान म वह वाप सफल होती ह अगर वाप का सयम टट जाय इधर-उधर िबखर जाय तो रलगाड़ी दोड़ नही सकती ऐस ही ह मानव महान बनन की शतर यही ह ETH सयम सदाचार हजार बार असफल होन पर भी िफर स परषाथर कर अवय सफलता िमलगी िहममत न हार छोटा-छोटा सयम का ोत आजमात हए आग बढ़ और महान हो जा

(अनबम)

िऽकाल सधया जीवन को यिद तजःवी बनाना हो सफल बनाना हो उननत बनाना हो तो मनय को

िऽकाल सधया ज़रर करनी चािहए ातःकाल सय दय स दस िमनट पहल और दस िमनट बाद म दोपहर को बारह बज क दस िमनट पहल और दस िमनट बाद म तथा सायकाल को सयारःत क पाच-दस िमनट पहल और बाद म यह समय सिध का होता ह इस समय िकया हआ ाणायाम जप और धयान बहत लाभदायक होता ह जो मनय सषमना क ार को खोलन म भी सहयोगी होता ह सषमना का ार खलत ही मनय की छपी हई शि या जामत होन लगती ह

ाचीन ऋिष-मिन िऽकाल सधया िकया करत थ भगवान विश भी िऽकाल सधया करत थ और भगवान राम भी िऽकाल सधया करत थ भगवान राम दोपहर को सधया करन क बाद ही भोजन करत थ

सधया क समय हाथ-पर धोकर तीन च ल पानी पीकर िफर सधया म बठ और ाणायाम कर जप कर तो बहत अचछा अगर कोई आिफस म ह तो वही मानिसक रप स कर ल तो भी ठ क ह लिकन ाणायाम जप और धयान कर ज़रर

जस उ ोग करन स परषाथर करन स दिरिता नही रहती वस ही ाणायाम करन स पाप कटत ह जस य करन स धन िमलता ह वस ही ाणायाम करन स आतिरक सामथयर आतिरक बल िमलता ह छादो य उपिनषद म िलखा ह िक िजसन ाणायाम करक मन को पिवऽ िकया ह उस ही गर क आिखरी उपदश का रग लगता ह और आतम-परमातमा का साकषातकार हो जाता ह

मनय क फफड़ो तीन हजार छोट-छोट िछि होत ह जो लोग साधारण रप स ास लत ह उनक फफड़ो क कवल तीन सौ स पाच सौ तक क िछि ही काम करत ह बाकी क बद पड़ रहत ह िजसस शरीर की रोग ितकारक शि कम हो जाती ह मनय ज दी बीमार और बढ़ा हो जाता ह वयसनो एव बरी आदतो क कारण भी शरीर की शि जब िशिथल हो जाती ह रोग-ितकारक शि कमजोर हो जाती ह तो िछि बद पड़ होत ह उनम जीवाण पनपत ह और शरीर पर हमला कर दत ह िजसस दमा और टीबी की बीमारी होन की सभावना बढ़ जाती ह

परनत जो लोग गहरा ास लत ह उनक बद िछि भी खल जात ह फलतः उनम कायर करन की कषमता भी बढ़ जाती ह तथा र श होता ह नाड़ी भी श रहती ह िजसस मन भी सनन रहता ह इसीिलए सबह दोपहर और शाम को सधया क समय ाणायाम करन का िवधान ह ाणायाम स मन पिवऽ होता ह एकाम होता ह िजसस मनय म बहत बड़ा सामथयर आता ह

यिद मन य दस-दस ाणायाम तीनो समय कर और शराब मास बीड़ी व अनय वयसनो एव फशनो म न पड़ तो चालीस िदन म तो मनय को अनक अनभव होन लगत ह कवल चालीस िदन योग करक दिखय शरीर का ःवाःथय बदला हआ िमलगा मन बदला हआ िमलगा जठरा दी होगी आरो यता एव सननता बढ़गी और ःमरण शि म जादई िवकास होगा

ाणायाम स शरीर क कोषो की शि बढ़ती ह इसीिलए ऋिष-मिनयो न िऽकाल सधया की वयवःथा की थी रािऽ म अनजान म हए पाप सबह की सधया स दर होत ह सबह स दोपहर तक क दोष दोपहर की सधया स और दोपहर क बाद अनजान म हए पाप शाम की सधया करन स न हो जात ह तथा अतःकरण पिवऽ होन लगता ह

आजकल लोग सधया करना भल गय ह िनिा क सख म लग हए ह ऐसा करक व अपनी जीवन शि को न कर डालत ह

ाणायाम स जीवन शि का बौि क शि का एव ःमरण शि का िवकास होता ह ःवामी रामतीथर ातःकाल म ज दी उठत थोड़ ाणायाम करत और िफर ाकितक वातावरण म घमन जात परमहस योगानद भी ऐसा करत थ

ःवामी रामतीथर बड़ कशाम बि क िव ाथ थ गिणत उनका िय िवषय था जब व पढ़त थ उनका तीथरराम था एक बार परीकषा म 13 िदय गय िजसम स कवल 9 हल करन थ तीथरराम न 13 क 13 हल कर िदय और नीच एक िट पणी (नोट) िलख दी 13 क 13 सही ह कोई भी 9 जाच लो इतना दढ़ था उनका आतमिव ास

ाणायाम क अनक लाभ ह सधया क समय िकया हआ ाणायाम जप और धयान अनत गणा फल दता ह अिमट प यपज दन वाला होता ह सधया क समय हमारी सब नािड़यो का मल आधार जो सषमना नाड़ी ह उसका ार खला होता ह इसस जीवन शि क डिलनी शि क जागरण म सहयोग िमलता ह उस समय िकया हआ धयान-भजन प यदायी होता ह अिधक िहतकारी और उननित करन वाला होता ह वस तो धयान-भजन कभी भी करो प यदायी होता ही ह िकनत सधया क समय उसका उसका भाव और भी बढ़ जाता ह िऽकाल सधया करन स िव ाथ भी बड़ तजःवी होत ह

अतएव जीवन क सवागीण िवकास क िलए मनयमाऽ को िऽकाल सधया का सहारा लकर अपना नितक सामािजक एव आधयाितमक उतथान करना चािहए

(अनबम)

शरीर ःवाःथय

लोकमानय ितलक जब िव ाथ अवःथा म थ तो उनका शरीर बहत दबला पतला और कमजोर था िसर पर फोड़ा भी था उनहोन सोचा िक मझ दश की आजादी क िलए कछ काम करना ह माता-िपता एव समाज क िलए कछ करना ह तो शरीर तो मजबत होना ही चािहए और मन भी दढ होना चािहए तभी म कछ कर पाऊगा अगर ऐसा ही कमजोर रहा तो पढ़-िलखकर ा िकय हए माण-पऽ भी कया काम आयग

जो लोग िसकड़कर बठत ह झककर बठत ह उनक जीवन म बहत बरकत नही आती जो सीध होकर िःथर होकर बठत ह उनकी जीवन-शि ऊपर की ओर उठती ह व जीवन म सफलता भी ा करत ह

ितलक न िन य िकया िक भल ही एक साल क िलए पढ़ाई छोड़नी पड़ तो छोडगा लिकन शरीर और मन को सदढ़ बनाऊगा ितलक यह िन य करक शरीर को मजबत और मन को िनभ क बनान म जट गय रोज़ सबह-शाम दोड़ लगात ाणायाम करत तरन जात मािलश करत तथा जीवन को सयमी बनाकर चयर की िशकषावाली यौवन सरकषा जसी पःतक पढ़त सालभर म तो अचछा गठ ला बदन हो गया का पढ़ाई-िलखाई म भी आग और लोक-क याण म भी आग राममितर को सलाह दी तो राममितर न भी उनकी सलाह ःवीकार की और पहलवान बन गय

बाल गगाधर ितलक क िव ाथ जीवन क सक प को आप भी समझ जाना और अपन जीवन म लाना िक शरीर सदढ़ होना चािहए मन सदढ़ होना चािहए तभी मनय मनचाही सफलता अिजरत कर सकता ह

ितलक जी स िकसी न पछाः आपका वयि तव इतना भावशाली कस ह आपकी ओर दखत ह तो आपक चहर स अधयातम एकामता और तरणाई की तरलता िदखाई दती ह ःवराजय मरा जनमिस अिधकार ह ऐसा जब बोलत ह तो लोग दग रह जात ह िक आप िव ाथ ह यवक ह या कोई तजपज ह आपका ऐसा तजोमय वयि तव कस बना

तब ितलक न जवाब िदयाः मन िव ाथ जीवन स ही अपन शरीर को मजबत और दढ़ बनान का यास िकया था सोलह साल स लकर इककीस साल तक की उ म शरीर को िजतना भी मजबत बनाना चाह और िजतना भी िवकास करना चाह हो सकता ह

इसीिलए िव ाथ जीवन म इस बार पर धयान दना चािहए िक सोलह स इककीस साल तक की उ शरीर और मन को मजबत बनान क िलए ह

म (परम पजय गरदव आसारामजी बाप) जब चौदह-पनिह वषर का था तब मरा कद बहत छोटा था लोग मझ टणी (िठग) कहकर बलात तो मझ बरा लगता ःवािभमान तो होना ही चािहए टणी ऐसा नाम ठ क नही ह वस तो िव ाथ -काल म भी मरा हसमखा ःवभाव था इसस िशकषको न मरा नाम आसमल क बदल हसमखभाई ऱख िदया था लिकन कद छोटा था तो िकसी न टणी कह िदया जो मझ बरा लगा दिनया म सब कछ सभव ह तो टणी कयो

रहना म काकिरया तालाब पर दौड़ लगाता प लअ स करता और 30-40 माम मकखन म एक-दो माम कालीिमचर क टकड़ डालकर िनगल जाता चालीस िदन तक ऐसा योग िकया अब म उस वयि स िमला िजसन 40 िदन पहल टणी कहा था तो वह दखकर दग रह गया

आप भी चाहो तो अपन शरीर क ःवःथ रख सकत हो शरीर को ःवःथ रखन क कई तरीक ह जस धनवनतरी क आरो यशा म एक बात आती ह - उषःपान

उषःपान अथारत सय दय क पहल या सय दय क समय रात का रखा हआ पानी पीना इसस आतो की सफाई होती ह अजीणर दर होता ह तथा ःवाःथय की भी रकषा होती ह उसम आठ च ल भरकर पानी पीन की बात आयी ह आठ च ल पानी यािन िक एक िगलास पानी चार-पाच तलसी क प चबाकर सय दय क पहल पानी पीना चािहए तलसी क प सय दय क बाद तोड़न चािहए व सात िदन तक बासी नही मान जात

शरीर तनदरःत होना चािहए रगड़-रगड़कर जो नहाता ह और चबा-चबाकर खाता ह जो परमातमा का धयान करता ह और सतसग म जाता ह उसका बड़ा पार हो जाता ह

(अनबम)

अनन का भाव हमार जीवन क िवकास म भोजन का अतयिधक मह व ह वह कवल हमार तन को ही

प नही करता वरन हमार मन को हमारी बि को हमार िवचारो को भी भािवत करता ह कहत भी हः

जसा खाओ अनन वसा होता ह मन महाभारत क य म पहल दसर तीसर और चौथ िदन कवल कौरव-कल क लोग ही

मरत रह पाडवो क एक भी भाई को जरा-सी भी चोट नही लगी पाचवा िदन हआ आिखर दय धन को हआ िक हमारी सना म भीम िपतामह जस यो ा ह िफर भी पाडवो का कछ नही िबगड़ता कया कारण ह व चाह तो य म कया स कया कर सकत ह िवचार करत-करत आिखर वह इस िनकषर पर आया िक भीम िपतामह परा मन लगाकर पाडवो का मलोचछद करन को तयार नही हए ह इसका कया कारण ह यह जानन क िलए सतयवादी यिधि र क पास जाना चािहए उसस पछना चािहए िक हमार सनापित होकर भी व मन लगाकर य कयो नही करत

पाडव तो धमर क पकष म थ अतः दय धन िनःसकोच पाडवो क िशिवर म पहच गया वहा पर पाडवो न यथायो य आवभगत की िफर दय धन बोलाः

भीम अजरन तम लोग जरा बाहर जाओ मझ कवल यिधि र स बात करनी ह

चारो भाई यिधि र क िशिवर स बाहर चल गय िफर दय धन न यिधि र स पछाः यिधि र महाराज पाच-पाच िदन हो गय ह हमार कौरव-पकष क लोग ही मर रह ह

िकनत आप लोगो का बाल तक बाका नही होता कया बात ह चाह तो दवोत भीम तफान मचा सकत ह

यिधि रः हा मचा सकत ह

दय धनः व चाह तो भीण य कर सकत ह पर नही कर रह ह कया आपको लगता ह िक व मन लगाकर य नही कर रह ह

सतयवादी यिधि र बोलः हा गगापऽ भीम मन लगाकर य नही कर रह ह

दय धनः भीम िपतामह मन लगाकर य नही कर रह ह इसका कया कारण होगा

यिधि रः व सतय क पकष म ह व पिवऽ आतमा ह अतः समझत ह िक कौन सचचा ह और कौन झठा कौन धमर म ह तथा कौन अधमर म व धमर क पकष म ह इसिलए उनका जी चाहता ह िक पाडव पकष की जयादा खन-खराबी न हो कयोिक व सतय क पकष म ह

दय धनः व मन लगाकर य कर इसका उपाय कया ह

यिधि रः यिद व सतय ETH धमर का पकष छोड़ दग उनका मन ग त जगह हो जाएगा तो िफर व य करग

दय धनः उनका मन य म कस लग

यिधि रः यिद व िकसी पापी क घर का अनन खायग तो उनका मन य म लग जाएगा

दय धनः आप ही बताइय िक ऐसा कौन सा पापी होगा िजसक घर का अनन खान स उनका मन सतय क पकष स हट जाय और व य करन को तयार हो जाय

यिधि रः सभा म भीम िपतामह गर िोणाचायर जस महान लोग बठ थ िफर भी िोपदी को न न करन की आजञा और जाघ ठोकन की द ता तमन की थी ऐसा धमर-िवर और पापी आदमी दसरा कहा स लाया जाय तमहार घर का अनन खान स उनकी मित सतय और धमर क पकष स नीच जायगी िफर व मन लगाकर य करग

दय धन न यि पा ली कस भी करक कपट करक अपन यहा का अनन भीम िपतामह को िखला िदया भीम िपतामह का मन बदल गया और छठव िदन स उनहोन घमासान य करना आरभ कर िदया

कहन का तातपयर यह ह िक जसा अनन होता ह वसा ही मन होता ह भोजन कर तो श भोजन कर मिलन और अपिवऽ भोजन न कर भोजन क पहल हाथ-पर जरर धोय भोजन साितवक हो पिवऽ हो सननता दन वाला हो तनदरःती बढ़ान वाला हो

आहारश ौ स वशि ः

िफर भी ठस-ठस कर भोजन न कर चबा-चबाकर ही भोजन कर भोजन क समय शात एव सननिच रह भ का ःमरण कर भोजन कर जो आहार खान स हमारा शरीर तनदरःत रहता हो वही आहार कर और िजस आहार स हािन होती हो ऐस आहार स बच खान-पान म सयम स बहत लाभ होता ह

भोजन महनत का हो साि वक हो लहसन याज मास आिद और जयादा तल-िमचर-मसाल वाला न हो उसका िनिम अचछा हो और अचछ ढग स सनन होकर भगवान को भोग लगाकर िफर भोजन कर तो उसस आपका भाव पिवऽ होगा र क कण पिवऽ होग मन पिवऽ होगा िफर सधया-ाणायाम करग तो मन म साि वकता बढ़गी मन म सननता तन म आरो यता का िवकास होगा आपका जीवन उननत होता जायगा

महनत मजदरी करक िवलासी जीवन िबताकर या कायर होकर जीन क िलय िज़दगी नही ह िज़दगी तो चतनय की मःती को जगाकर परमातमा का आननद लकर इस लोक और परलोक म सफल होन क िलए ह मि का अनभव करन क िलए िज़दगी ह

भोजन ःवाःथय क अनकल हो ऐसा िवचार करक ही महण कर तथाकिथत वनःपित घी की अपकषा तल खाना अिधक अचछा ह वनःपित घी म अनक रासायिनक पदाथर डाल जात ह जो ःवाःथय क िलए िहतकर नही होत ह

ए यमीिनयम क बतरन म खाना यह पट को बीमार करन जसा ह उसस बहत हािन होती ह कनसर तक होन की समभावना बढ़ जाती ह ताब पीतल क बतरन कलई िकय हए हो तो अचछा ह ए यमीिनयम क बतरन म रसोई नही बनानी चािहए ए यमीिनयम क बतरन म खाना भी नही चािहए

आजकल अ ड खान का चलन समाज म बहत बढ़ गया ह अतः मनयो की बि भी वसी ही हो गयी ह वजञािनको न अनसधान करक बताया ह िक 200 अ ड खान स िजतना िवटािमन सी िमलता ह उतना िवटािमन सी एक नारगी (सतरा) खान स िमल जाता ह िजतना ोटीन कि शयम अ ड म ह उसकी अपकषा चन मग मटर म एयादा ोटीन ह टमाटर म अ ड स तीन गणा कि शयम एयादा ह कल म स कलौरी िमलती ह और भी कई िवटािमनस कल म ह

िजन ािणयो का मास खाया जाता ह उनकी हतया करनी पड़ती ह िजस व उनकी हतया की जाती ह उस व व अिधक स अिधक अशात िखनन भयभीत उि न और ब होत ह अतः मास खान वाल को भी भय बोध अशाित उ ग इस आहार स िमलता ह शाकाहारी भोजन म सपाचय तत होत ह मास म व नही होत अतः मासाहारी भोजन को पचान क जीवन शि का एयादा वयय होता ह ःवाःथय क िलय एव मानिसक शाित आिद क िलए प यातमा होन की दि स भी शाकाहारी भोजन ही करना चािहए

शरीर को ःथल करना कोई बड़ी बात नही ह और न ही इसकी ज़ररत ह लिकन बि को सआम करन की ज़ररत ह आहार यिद साि वक होगा तो बि भी सआम होगी इसिलए सदव साि वक भोजन ही करना चािहए

(अनबम)

भारतीय सःकित की महानता रवरनड ऑवर नाम का एक पादरी पना म िहनद धमर की िननदा और ईसाइयत का चार

कर रहा था तब िकसी सजजन न एक बार रवरनड ऑवर स कहाः आप िहनद धमर की इतनी िननदा करत हो तो कया आपन िहनद धमर का अधययन िकया

ह कया भारतीय सःकित को परी तरह स जानन की कोिशश की ह आपन कभी िहनद धमर को समझा ही नही जाना ही नही ह िहनद धमर म तो ऐस जप धयान और सतसग की बात ह िक िजनह अपनाकर मनय िबना िवषय-िवकारी क िबना िडःको डास(नतय) क भी आराम स रह सकता ह आनिदत और ःवःथ रह सकता ह इस लोक और परलोक दोनो म सखी रह सकता ह आप िहनद धमर को जान िबना उसकी िनदा करत हो यह ठ क नही ह पहल िहनद धमर का अधययन तो करो

रवरनड ऑवर न उस सजजन की बात मानी और िहनद धमर की पःतको को पढ़न का िवचार िकया एकनाथजी और तकारामजी का जीवन चिरऽ जञान र महाराज की योग सामथयर की बात और कछ धािमरक पःतक पढ़न स उस लगा िक भारतीय सःकित म तो बहत खजाना ह मनय की जञा को िदवय करन की मन को सनन करन की और तन क र कणो को भी बदलन की इस सःकित म अदभत वयवःथा ह हम नाहक ही इन भोल-भाल िहनदःतािनयो को अपन चगल म फसान क िलए इनका धमरपिरवतरन करवात ह अर हम ःवय तो अशािनत की आग म जल ही रह ह और इनह भी अशात कर रह ह

उसन ायि -ःवरप अपनी िमशनरी रो तयागपऽ िलख भजाः िहनदःतान म ईसाइयत फलान की कोई ज़ररत नही ह िहनद सःकित की इतनी महानता ह िवशषता ह िक ईसाइय को चािहए िक उसकी महानता एव सतयता का फायदा उठाकर अपन जीवन को साथरक बनाय िहनद धमर की सतयता का फायदा दश-िवदश म पहच मानव जाित को सख-शाित िमल इसका यास हम करना चािहए

म भारतीय इितहास सशोधन म डल क मर आठ लाख डॉलर भट करता ह और तमहारी िमशनरी को सदा क िलए तयागपऽ दकर भारतीय सःकित की शरण म जाता ह

जस रवर ड ऑवर न भारतीय सःकित का अधययन िकया ऐस और लोगो को भी जो िहनद धमर की िनदा करत ह भारतीय सःकित का पकषपात और पवरमहरिहत अधययन करना चािहए मनय की सष शि या व आनद जगाकर ससार म सख-शाित आनद सननता का चार-सार करना चािहए

मा सीता की खोज करत-करत हनमान जामबत अगद आिद ःवयभा क आौम म पहच उनह जोरो की भख और यास लगी थी उनह दखकर ःवयभा न कह िदया िकः

कया तम हनमान हो ौीरामजी क दत हो सीता जी की खोज म िनकल हो

हनमानजी न कहाः हा मा हम सीता माता की खोज म इधर तक आय ह

िफर ःवयभा न अगद की ओर दखकर कहाः तम सीता जी को खोज तो रह हो िकनत आख बद करक खोज रह हो या आख

खोलकर

अगद जरा राजवी परष था बोलाः हम कया आख बनद करक खोजत होग हम तो आख खोलकर ही माता सीता की खोज कर रह ह

ःवयभा बोलीः सीताजी को खोजना ह तो आख खोलकर नही बद करक खोजना होगा सीता जी अथारत भगवान की अधािगनी सीताजी यानी िव ा आतमिव ा िव ा को खोजना ह तो आख खोलकर नही आख बद करक ही खोजना पड़गा आख खोलकर खोजोग तो सीताजी नही िमलगी तम आख बनद करक ही सीताजी ( िव ा) को पा सकत हो ठहरो म तमह बताती ह िक सीता जी कहा ह

धयान करक ःवयभा न बतायाः सीताजी यहा कही भी नही वरन सागर पार लका म ह अशोकवािटका म बठ ह और राकषिसयो स िघरी ह उनम िऽजटा नामक राकषसी ह तो रावण की सिवका िकनत सीताजी की भ बन गयी ह सीताजी वही रहती ह

वारन सोचन लग िक भगवान राम न तो एक महीन क अदर सीता माता का पता लगान क िलए कहा था अभी तीन स ाह स एयादा समय तो यही हो गया ह वापस कया मह लकर जाए सागर तट तक पहचत-पहचत कई िदन लग जाएग अब कया कर

उनक मन की बात जानकर ःवयभा न कहाः िचनता मत करो अपनी आख बद करो म योगबल स एक कषण म तमह वहा पहचा दती ह

हनमान अगद और अनय वानर अपनी आख बनद करत ह और ःवयभा अपनी योगशि स उनह सागर-तट पर कछ ही पल म पहचा दती ह

ौीरामचिरतमानस म आया ह िक ETH

ठाड़ सकल िसध क तीरा ऐसी ह भारतीय सःकित की कषमता

अमिरका को खोजन वाला कोलबस पदा भी नही हआ था उसस पाच हजार वषर पहल अजरन सशरीर ःवगर म गया था और िदवय अ लाया था ऐसी यो यता थी िक धरती क राजा खटवाग दवताओ को मदद करन क िलए दवताओ का सनापितपद सभालत थ ितःमित-िव ा चाकषषी िव ा परकायावश िव ा अ िसि िव ा एव नविनिध ा करान वाली योगिव ा और जीत-जी जीव को बनान वाली िव ा यह भारतीय सःकित की दन ह अनय जगह यह नही िमलती भारतीय सःकित की जो लोग आलोचना करत ह उन बचारो को तो पता ही नही ह िक भारतीय सःकित िकतनी महान ह

गर तगबहादर बोिलयो सनो सीखो बड़भािगयो धड़ दीज धमर न छोिड़य

यवनो न गर गोिबनदिसह क बटो स कहाः तम लोग मसलमान हो जाओ नही तो हम तमह िज़नदा ही दीवार म चनवा दग

बट बोलः हम अपन ाण द सकत ह लिकन अपना धमर नही तयाग सकत

बरो न उन दोनो को जीत-जी दीवार म चनवा िदया जब कारीगर उनह दीवार म चनन लग तब बड़ा भाई बोलता हः धमर क नाम यिद हम मरना ही पड़ता ह तो पहल मरी ओर ट बढ़ा दो तािक म छोट भाई की मतय न दख

छोटा भाई बोलता हः नही पहल मरी ओर ईट बढ़ा दो

कया साहसी थ कया वीर थ वीरता क साथ अपन जीवन का बिलदान कर िदया िकनत धमर न छोड़ा आजकल क लोग तो अपन धमर और सःकित को ही भलत जा रह ह कोई लवर-लवरी धमरपिरवतरन करक लवमरज करत ह अपना िहनद धमर छोड़कर फस मरत ह यह भी कोई िज़नदगी ह भगवान ौीकण कहत ह ETH

ःवधम िनधन ौय परधम भयावहः अपन धमर म मर जाना अचछा ह पराया धमर दःख दन वाला ह भयावह ह नरको म ल

जान वाला ह इसिलए अपन ही धमर म अपनी ही सःकित म जो जीता ह उसकी शोभा ह रवर ड ऑवर न भारतीय सःकित का खब आदर िकया एफ एच मोलम न महातमा

थोरो एव अनय कई पा ातय िचनतको न भी भारतीय सःकित का बहत आदर िकया ह उनक कछ उदगार यहा ःतत हः

बाईबल का मन यथाथर अ यास िकया ह उसम जो िदवय िलखा ह वह कवल गीता क उ रण क रप म ह म ईसाई होत हए भी गीता क ित इतना सारा आदरभाव इसिलए रखता ह िक िजन गढ़ ो का समाधान पा ातय लोग अभी तक नही खोज पाय ह उनका समाधान गीतामनथ न श एव सरल रीित स कर िदया ह उसम कई सऽ अलौिकक उपदशो स भरपर

लग इसीिलए गीता जी मर िलए साकषात योग री माता बन रही ह वह तो िव क तमाम धन स भी नही खरीदा जा सक ऐसा भारतवषर का अम य खजाना ह

- एफ एच मोलम (इगल ड) ाचीन यग की सवर रमणीय वःतओ म गीता स ौ कोई वःत नही ह गीता म ऐसा

उ म और सवरवयापी जञान ह िक उसक रचियता दवता को अस य वषर हो गय िफर भी ऐसा दसरा एक भी मनथ नही िलखा गया

महातमा थोरो (अमिरका) धमर क कषऽ म अनय सब दख दिरि ह जबिक भारत इस िवषय म अरबपित ह

माकर टवन (यएसए) इस पथवी पर सवारिधक पणर िवकिसत मानवजञा कहा ह और जीवन क मह म ो क

हल िकसन खोज ह ऐसा अगर मझस पछा जाए तो म अगिलिनदश करक कहगा िक भारत न ही

मकसमलर (जमरनी) वदानत जसा ऊधवरगामी एव उतथानकारी और एक भी धमर या त वजञान नही ह

शोपनहोअर (जमरनी) िव भर म कवल भारत ही ऐसी ौ महान परमपराए रखता ह जो सिदयो तक जीिवत

रही ह

कनो (ानस) मनय जाित क अिःततव क सबस ारिमभक िदनो स लकर आज तक जीिवत मनय

क तमाम ःव न अगर कही साकार हए हो तो वह ःथान ह भारत

रोमा रोला (ास) भारत दश समपणर मानव जाित की मातभिम ह और सःकत यरोप की सभी भाषाओ की

जननी ह भारत हमार त वजञान गिणतशा एव जनतऽ की जननी ह भारतमाता अनक रप स सभी की जननी ह

िवल डरानट (यएसए) भारतीय सःकित की महानता का एहसास करन वाल इन सब िवदशी िचनतको को हम

धनयवाद दत ह एक बार महातमा थोरो सो रह थ इतन म उनका िशय एमसरन आया दखा िक वहा

साप और िबचछ घम रह ह गरजी क जागन पर एमसरन बोलाः गरदव यह जगह बड़ी खतरनाक ह म िकसी सरिकषत जगह पर आपकी वयवःथा करवा

दता ह

महातमा थोरो बोलः नही नही िचनता करन की कोई ज़ररत नही ह मर िसरहान पर ौीमदभगवदगीता ह भगवदगीता क जञान क कारण तो मझ साप म िबचछ म सबम मरा ही आतमा-परमातमा िदखता ह व मझ नही काटत ह तो म कही कयो जाऊ

िकतनी कह गीता की महानता यही ह भारतीय सःकित की मिहमा अदभत ह उसकी महानता लाबयान ह उसकी मिहमा

(अनबम)

हिरदास की हिरभि सात वष य गौर वणर क गौराग बड़-बड़ िव ान पिडतो स ऐस-ऐस करत थ िक व

दग रह जात थ इसका कारण था गौराग की हिरभि बड़ होकर उनहोन लाखो लोगो को हिरभि म रग िदया

जो हिरभ होता हिर का भजन करता उसकी बि अचछ मागर पर ही जाती ह लोभी वयि पसो क िलए हसता-रोता ह पद एव कस क तो िकतन ही लोग हसत रोत ह पिरवार क िलए तो िकतन ही मोही हसत रोत ह िकनत धनय ह व जो भगवान क िलए रोत हसत ह भगवान क िवरह म िजस रोना आया ह भगवान क िलए िजसका दय िपघलता ह ऐस लोगो का जीवन साथरक हो जाता ह भागवत म भगवान ौीकण उ व स कहत ह-

वाग गदगदा िवत यःय िच

रदतयभीआण हसित कविचचच िवलजज उदगायित नतयत च

मदभि य ो भवन पनाित िजसकी वाणी गदगद हो जाती ह िजसका िच ििवत हो जाता ह जो बार-बार रोन

लगता ह कभी लजजा छोड़कर उचच ःवर स गान लगता ह कभी नाचन लगता ह ऐसा मरा भ समम ससार को पिवऽ करता ह (ौीमदभागवतः 111424)

धनय ह वह मसलमान बालक जो गौराग क कीतरन म आता ह और िजसन गौराग स मऽदीकषा ली ह

उस मसलमान बालक का नाम हिरदास रखा गया मसलमान लोगो न उस हिरभ हिरदास को फसलान की बहत च ा की बहत डराया िक त गौराग क पास जाना छोड़ द नही तो हम यह करग वह करग िकनत हिरदास बहका नही उसका भय न हो गया था दमरित दर हो चकी थी उसकी सदबि और िन ा भगवान क धयान म लग गयी थी भयनाशन दमरित हरण किल म हिर को नाम यह नानक जी का वचन मानो उसक जीवन म साकार हो उठा था

काज़ी न षडयऽ करक उस पर कस िकया और फरमान जारी िकया िक हिरदास को बत मारत-मारत बीच बाजार स ल जाकर यमना म डाल िदया जाय

िनभ क हिरदास न बत की मार खाना ःवीकार िकया िकनत हिरभि छोड़ना ःवीकार न िकया िनि त िदन हिरदास को बत मारत हए ल जाया जान लगा िसपाही बत मारता ह तो हिरदास बोलता हः हिर बोल

हमको हिर बोल बलवाता ह य ल हिर बोल हिर बोल (सटाकसटाक) िसपाही बोलत हः हम तझ बत मारत ह तो कया तझ पीड़ा नही होती त हमस भी हिर

बोल हिर बोल करवाना चाहता ह

हिरदासः पीड़ा तो शरीर को होती ह म तो आतमा ह मझ तो पीड़ा नही होती तम भी यार स एक बार हिर बोल कहो

िसपाहीः ह हम भी हिर बोल कह हमस हिर बोल बलवाता ह ल य हिर बोल (सटाक)

हिरदास सोचता ह िक बत मारत हए भी तो य लोग हिर बोल कह रह ह चलो इनका क याण होगा िसपाही बत मारत जात ह सटाक सटाक और हिरदास हिर बोल बोलता भी जाता ह बलवाता भी जाता ह हिरदास को कई बत पड़न पर भी उसक चहर पर दःख की रखा तक नही िखचती

हवालदार पछता हः हिरदास तझ बत पड़न क बावजद भी तरी आखो म चमक ह चहर पर धयर शाित और सननता झलक रही ह कया बात ह

हिरदासः म बोलता ह हिर बोल तब िसपाही ब होकर भी कहत हः ह हमस भी बलवाता ह हिर बोल हिर बोल हिर बोल तो ल इस बहान भी उनक मह स हिरनाम िनकलता ह दर सवर उनका भी क याण होगा इसी स मर िच म सननता ह

धनय ह हिरदास की हिरभि बर काज़ी क आदश का पालन करत हए िसपाही उस हिरभि स िहनद धमर की दीकषा स चयत करन क िलए बत मारत ह िफर भी वह िनडर हिरभि नही छोड़ता हिर बोल बोलना बद नही करता

व मसलमान िसपाही हिरदास को िहनद धमर की दीकषा क भाव स गौरा क भाव स दर हटाना चाहत थ लिकन वह दर नही हटा बत सहता रहा िकनत हिर बोल बोलना न छोड़ा आिखरकार उन बर िसपाहीयो न हिरदास को उठाकर नदी म बहा िदया

नदी म तो बहा िदया लिकन दखो हिरनाम का भाव मानो यमनाजी न उसको गोद म ल िलया डढ़ मील तक हिरदास पानी म बहता रहा वह शातिच होकर मानो उस पानी म नही हिर की कपा म बहता हआ दर िकसी गाव क िकनार िनकला दसर िदन गौराग की भातफरी म शािमल हो गया लोग आ यरचिकत हो गय िक चमतकार कस हआ

धनय ह वह मसलमान यवक हिरदास जो हिर क धयान म हिर क गान म हिर क कीतरन म गौराग क साथ रहा जस िववकाननद क साथ भिगनी िनविदता न भारत म अधयातम-धणर क चार म लगकर अपना नाम अमर कर िदया वस ही इस मसलमान यवक न हिरकीतरन म हिरधयान म अपना जीवन धनय कर िदया दजरन लोग हिरदास का बाल तक न बाका कर सक जो सचच दय स भगवान का हो जाता ह उसकी हजारो शऽ िमलकर भी कछ हािन नही कर सकत तो उस काज़ी की कया ताकत थी

लोगो न जाकर काज़ी स कहा िक आज हिरदास पनः गौराग की भातफरी म उपिःथत हो गया था काजी अतयनत अहकारी था उसन एक नोिटस भजा एक आदश चतनय महाभ (गौराग) को भजा िक कल स तम भातफरी नही िनकाल सकत तमहारी भातफरी पर बिदश लगाई जाती ह

गौराग न सोचा िक हम िकसी का बरा नही करत िकसी को कोई हािन नही पहचात अर वायम डल क दषण को दर करन क िलए तो शासन पस खचर करता ह िकनत िवचारो क दषण को दर करन क िलए हिरकीतरन जसा हिरभि जसा अमोघ उपाय कौन सा ह भल काजी और शासन की समझ म आय या न आय वातावरण को श करन क साथ-साथ िवचारो का दषण भी दर होना चािहए हम तो कीतरन करग और करवायग

जो लोग डरपोक थ भीर और कायर थ ढील-ढाल थ व बोलः बाबा जी रहन दो रहन दो अपना कया जो करग व भरग अपन तो घर म ही रहकर हिर ॐ हिर ॐ करग

गौराग न कहाः नही इस कार कायरो जसी बात करना ह तो हमार पास मत आया करो

दसर िदन जो डरपोक थ ऐस पाच-दस वयि नही आय बाकी क िहममतवाल िजतन थ व सब आय उनह दखकर और लोग भी जड़

गौराग बोलः आज हमारी भातफरी की पणारहित काजी क घर पर ही होगी

गौराग भ -म डली क साथ कीतरन करत-करत जब बाजार स गज़र तो कछ िहनद एव मसलमान भी कीतरन म जड़ गय उनको भी कीतरन म रस आन लगा व लोग काजी को गािलया दन लग िक काजी बदमाश ह ऐसा ह वसा ह आिद ETH आिद

तब गौराग कहत हः नही शऽ क िलए भी बरा मत सोचो

उनहोन सबको समझा िदया िक काजी क िलए कोई भी अपश द नही कहगा कसी महान ह हमारी िहनद सःकित िजसन हिरदास को बत मारन का आदश िदया उस कवल अपश द कहन क िलए भी गौराग मना कर रह ह इस भारती सःकित म िकतनी उदारता ह स दयता ह लिकन कायरता को कही भी ःथान नही ह

गौराग कीतरन करत-करत काजी क घर क िनकट पहच गय काजी घर की छत पर स इस भातफरी को दखकर दग रह गया िक मर मना करन पर भी इनहोन भातफरी िनकाली

और मर घर तक ल आय उसम मसलमान लड़क भी शािमल ह जयो ही वह भातफरी काजी क घर पहची काजी घर क अनदर िछप गया

गौराग न काजी का ार खटखटाया तब काजी या काजी की प ी न नही वरन चौकीदार न दरवाजा खोला वह बोलाः

काजी साहब घर पर नही ह

गौराग बोलः नही कस ह अभी तो हमन उनह घर की छत पर दखा था काजी को जाकर बोलो हमार मामा और मा भी िजस गाव की ह आप भी उसी गाव क हो इसिलए आप मर गाव क मामा लगत ह मामाजी भानजा ार पर आय और आप छप कर बठ यह शोभा नही दता बाहर आ जाईय

चौकीदार न जाकर काजी को सब कह सनाया गौराग क मभर वचन सनकर काजी का दय िपघल गया िजस पर मन ज म ढाय वह मझ मामा कहकर सबोिधत करता ह िजसक साथ मन बरता की वह मर साथ िकतना औदायर रखता ह यह सोचकर काजी का दय बदल गया वह ार पर आकर बोलाः

म तमस डरकर अनदर नही छपा कयोिक मर पास तो स ा ह कलम की ताकत ह लिकन हिरकीतरन स हिरनाम स िहनद तो कया मसलमान लड़क भी आनिदत हो रह ह उनका भी लह पिवऽ हो रहा ह यह दखकर मझ दःख हो रहा ह िक िजस नाम क उचचारण स उनकी रग-रग पावन हो रही ह उसी नाम क कारण मन हिरदास पर और तम पर ज म िकया िकसी क बहकाव म आकर तम लोगो पर फरमान जारी िकया अब म िकस मह स तमहार सामन आता इसीिलए म मह िछपाकर घर क अनदर घस गया था

भानजा(गौराग) बोलता हः मामा अब तो बाहर आ जाइय

मामा(काजी) बोलाः बाहर आकर कया कर

गौरागः कीतरन कर हिरनाम क उचचारण स छपी हई यो यता िवकिसत कर आनद गट कर

काजीः कया करना होगा

गौरागः म जसा बोलता ह ऐसा ही बोलना होगा बोिलएः हिर बोल हिर बोल

काजीः हिर बोल हिर बोल

गौरागः हिर बोल हिर बोल

काजीः हिर बोल हिर बोल

हिर बोल हिर बोल हिर बोल हिर बोल

हिर बोल हिर बोल हिर बोल हिर बोल

कीतरन करत-करत गौराग न अपनी िनगाहो स काजी पर कपा बरसाई तो काजी भी झमन लगा उस भी हिर बोल का रग लग गया जस इजन को ह डल दकर छोड़ दत ह तब भी इजन चलता रहता ह ऐस ही गौराग की कपादि स काजी भी झमन लगा

काजी क झमन स वातावरण म और भी रग आ गया काजी तो झम गया काजी की प ी भी झमी और चौकीदार भी झम उठा सब हिरकीतरन म झमत-झमत अपन र को पावन करन लग दय को हिररस स सराबोर करन लगा उनक जनम-जनम क पाप-ताप न होन लग िजस पर भगवान की दया होती ह िजसको साधओ का सग िमलता ह सतसग का सहारा िमलता ह और भारतीय सःकित की महानता को समझन की अकल िमलती ह िफर उसक उ ार म कया बाकी रह जाता ह काजी का तो उ ार हो गया

दखो सत की उदारता एव महानता िजसन िहनदओ पर ज म करवाय भ हिरदास को बत मरवात-मरवात यमना जी म डलवा िदया भातफरी पर ितबध लगवा िदया उसी काजी को गौराग न हिररग म रग िदया अपनी कपादि स िनहाल कर िदया उसक बर कम की धयान न दत हए भि का दान द िदया ऐस गौराग क ौीचरणो म हमार हजार-हजार णाम ह हम उस मसलमान यवक हिरदास को भी धनयवाद दत ह िक उसन बत खात पीड़ा सहत भी भि न छोड़ी गरदव को न छोड़ा न ही उनक दबाव म आकर पनः मसलमान बना हिर बोल क रग म ःवय रगा और िसपािहयो को भी रग िदया धनय ह हिरदास और उसकी हिरभि

(अनबम)

बनावटी ौगार स बचो जमरनी क िस दाशरिनक शोपनहार कहत ह िक िजन दशो म हिथयार बनाय जात ह

उन दशो क लोगो को य करन की उ जना होती ह और उन दशो म हिथयार बनत ही रहत ह य भी होत रहत ह ऐस ही जो लोग फशन करत ह उनक दय म काम बोध लोभ मोह रपी य होता ही रहता ह उनक जीवन म िवलािसता आती ह और पतन होता ह वस ही फशन और िवलािसता स सयम सदाचार और यो यता का सहार होता ह

इसिलए य क साधन बढ़न स जस य होता ह वस ही िवलािसता और फशन क साधनो का उपयोग करन स अतयर होता ह अपनी आितमक शि यो का सहार होता ह अतः अपना भला चाहन वाल भाई-बहनो को पफ-पाउडर िलपिःटक-लाली व -अलकार क िदखाव क पीछ नही पड़ना चािहए सयम सादगी एव पिवऽतापणर जीवन जीना चािहए

अपन शा ो म ौगार की अनमित दी गई ह सौभा यवती ि या जब पित अपन ही नगर म हो घर म हो तब ौगार कर पित यिद दर दश गया हो तब सौभा यवित ि यो को भी सादगीपणर जीवन जीना चािहए ौगार क उपयोग म आनवाली वःतए भी वनिःपतयो एव साि वक रसो स बनी हई होनी चािहए जो सननता और आरो यता दान कर

आजकल तो शरीर म उ जना पदा कर बीमािरया पदा कर ऐस किमक स(रसायनो) और जहर जस साधनो स ौगार-साधन बनाए जात ह िजसस शरीर क अनदर जहरील कण जात ह और तवचा की बीमािरया होती ह आहार म भी जहरील कणो क जान स पाचन-तऽ और मानिसक सतलन िबगड़ता ह साथ ही बौि क एव वचािरक सतलन भी िबगड़ता ह

पशओ की चब किमक स और दसर थोड़ जहरील िवयो स बन पफ-पाउडर िलपिःटक-लाली आिद िजन साधनो का यटी-पालरर म उपयोग िकया जाता ह वसी गदगी कभी-भी अपन शरीर को तो लगानी ही नही चािहए दसर लोगो न लगायी हो तो दखकर सनन भी नही होना चािहए अपन सयम और सदाचार की सनदरता को गट करना चािहए मीरा और शबरी िकस यटी-पालरर म गय थ सती अनसया गाग और मदालसा न िकस पफ-पाउडर लाली-िलपिःटक का उपयोग िकया था िफर भी उनका जीवन सनदर तजःवी था हम भी ई र स ाथरना कर िक ह भगवान हम अपना सयम और साधना का सौनदयर बढ़ाए ऐसी त दया करना िवकारी सौनदयर स अपन को बचाकर िनिवरकारी नारायण की ओर जाय ऐसी त दया करना िवलािसता म अपन समय को न लगाकर तर ही धयान-िचतन म हमारा समय बीत ऐसी त कपा करना

किऽम सौनदयर-साधन स तवचा की िःन धता और कोमलता मर जाती ह पफ-पाउडर बीम आिद स शरीर की कदरती िःन धता खतम हो जाती ह ाकितक सौनदयर को न करक

जो किऽम सौनदयर क गलाम बनत ह उनस ःनहभरी सलाह ह िक व पफ-पाउडर आिद और तड़कील-भड़कील व आिद की गलामी को छोड़कर ाकितक सौनदयर को बढ़ान की कोिशश कर मीरा और मदालसा की तरह अपन असली सौनदयर को कट करन की कोिशश कर

(अनबम)

साहसी बालक एक लड़का काशी म हिर नि हाईःकल म पढ़ता था उसका गाव काशी स आठ मील दर

था वह रोजाना वहा स पदल चलकर आता बीच म जो गगा नदी बहती ह उस पार करक िव ालय पहचता

उस जमान म गगा पार करन क िलए नाव वाल को दो पस दन पड़त थ दो पस आन क और दो पस जान क कल चार पस यािन पराना एक आना महीन म करीब दो रपय हए जब सोन क एक तोल का भाव रपया सौ स भी नीच था तब क दो रपय आज क तो पाच-पचचीस रपय हो जाए

उस लड़क न अपन मा-बाप पर अितिर बोझा न पड़ इसिलए एक भी पस की माग नही की उसन तरना सीख िलया गम हो बािरश हो या ठ ड हो गगा पार करक हाईःकल म जाना उसका बम हो गया इस कार िकतन ही महीन गजर गय

एक बार पौष मास की ठ ड म वह लड़का सबह की ःकल भरन क िलए गगा म कदा तरत-तरत मझधार म आया एक नाव म कछ याऽी नदी पार कर रह थ उनहोन दखा िक छोटा-सा लड़का अभी डब मरगा व उसक पास नाव ल गय और हाथ पकड़ कर उस नाव म खीच िलया लड़क क मख पर घबराहट या िचनता की कोई रखा नही थी सब लोग दग रह गय इतना छोटा ह और इतना साहसी ह व बोलः

त अभी डब मरता तो ऐसा साहस नही करना चािहए

तब लड़का बोलाः साहस तो होना ही चािहए जीवन म िव न-बाधाए आयगी उनह कचलन क िलए साहस तो चािहए ही अगर अभी स साहस नही जटाया तो जीवन म बड़-बड़ कायर कस कर पायग

लोगो न पछाः इस समय तरन कयो िगरा दोपहर को नहान आता

लड़का बोलता हः म नहान क िलए नदी म नही िगरा ह म तो ःकल जा रहा ह

नाव म बठकर जाता

रोज क चार पस आन-जान क लगत ह मर गरीब मा-बाप पर मझ बोझा नही बनना ह मझ तो अपन परो पर खड़ होना ह मरा खचर बढ़ तो मर मा-बाप की िचनता बढ़ उनह घर चलाना मिकल हो जाय

लोग उस आदर स दखत ही रह गय वही साहसी लड़का आग चलकर भारत का धान मऽी बना

वह लड़का कौन था पता ह व थ लाल बहादर शा ी शा ी जी उस पद भी सचचाई साहस सरलता ईमानदारी सादगी दशम आिद सदगण और सदाचार क मितरमनत ःवरप थ ऐस महापरष भल िफर थोड़ा-सा समय ही राजय कर पर एक अनोखा भाव छोड़ जात ह जनमानस पर

(अनबम)

गर-आजञापालन का चमतकार ौीम आ ाशकराचायर जी जब काशी म िनवास करत थ तब गगा-तट पर िनतय ात-

काल टहलत थ एक सबह िकसी ितभासपनन यवक न दसर िकनार स दखा िक कोई सनयासी उस पार टहल रह ह उस यवक न दसर िकनार स ही उनह णाम िकया उस यवक को दखकर आ शकराचायर जी न सकत िकया िक इधर आ जाओ उस आभासमपनन यवक न दखा िक मन तो साध को णाम कर िदया ह णाम कर िदया तो म उनका िशय हो गया और उनहोन मझ आदश िदया िक इधर आ जाओ अब गर की आजञा का उ लघन करना भी तो उिचत नही ह िकनत यही कोई नाव नही ह और म तरना भी नही जानता ह अब कया कर उसक मन म िवचार आया िक वस भी तो हजारो बार हम मर चक ह एक बार यिद गर क दशरन क िलए जात-जात मर जाय तो घाटा कया होगा

गग मात की जय कह कर उस यवक न तो गगाजी म पर रख िदया उसकी इचछा कहो ौीम आ शकराचायर जी का भाव कहो या िनयित की लीला कहो जहा उस यवक न कदम रखा वहा एक कमल पदा हो गया उसक पर को थामन क िलए जब दसरा पर रखा तो वहा भी कमल पदा हो गया इस कार जहा-जहा वह कदम रखता गया वहा कमल (प ) उतपनन होता गया और वह यवक गगा क दसर तट पर जहा आ शकराचायर जी खड़ थ पहच गया

जहा-जहा वह कदम रखता था वहा-वहा प (कमल) क कट होन क कारण उसका नाम पड़ा - प पादाचायर शकराचायर जी क म य चार प टिशयो म आग जाकर यही प पादाचायर एक प टिशय बन

कहन का तातपयर यह ह िक सिचचदानद परमातमा की शि का सामथयर का बयान करना सभव नही ह िजसकी िजतनी दढ़ता ह िजसकी िजतनी सचचाई ह िजसकी िजतनी ततपरता ह उतनी ही कित भी उसकी मदद करन को आतर रहती ह प पादाचायर की गर-आजञापालन म दढ़ता और ततपरता को दखकर गगा जी म कमल गट हो गय िशय यिद दढ़ता ततपरता और ईमानदारी स गर-आजञापालन म लग जाय तो कित भी उसक अनकल हो जाती ह

(अनबम)

अनोखी गरदिकषणा एकलवय गर िोणाचायर क पास आकर बोलाः मझ धनिवर ा िसखान की कपा कर

गरदव गर िोणाचायर क समकष धमरसकट उतपनन हआ कयोिक उनहोन भीम िपतामह को वचन

द िदया था िक कवल राजकमारो को ही म िशकषा दगा एकलवय राजकमार नही ह अतः उस धनिवर ा कस िसखाऊ अतः िोणाचायर न एकलवय स कहाः

म तझ धनिवर ा नही िसखा सकगा

एकलवय घर स िन य करक िनकला था िक म कवल गर िोणाचायर को ही गर बनाऊगा िजनक िलए मन म भी गर बनान का भाव आ गया उनक िकसी भी वयवहार क िलए िशकायत या िछिानवषण की वि नही होनी चािहए

एकलवय एकात अर य म गया और उसन गर िोणाचायर की िम टी की मितर बनायी मितर की ओर एकटक दखकर धयान करक उसी स रणा लकर वह धनिवर ा सीखन लगा एकटक दखन स एकामता आती ह एकामता गरभि अपनी सचचाई और ततपरता क कारण उस रणा िमलन लगी जञानदाता तो परमातमा ह धनिवर ा म वह बहत आग बढ़ गया

एक बार िोणाचायर पाडव एव कौरव धनिवर ा का योग करन अर य म आय उनक साथ एक क ा भी था जो थोड़ा आग िनकल गया क ा वही पहचा जहा एकलवय अपनी धनिवर ा का योग कर रहा था एकलवय क खल बाल फट कपड़ एव िविचऽ वष को दखकर क ा भ कन लगा

एकलवय न क को लग नही चोट न पहच और उसका भ कना बद हो जाय इस ढग स सात बाण उसक मह म थमा िदय क ा वािपस वहा गया जहा िोणाचायर क साथ पाडव और कौरव थ

उस दखकर अजरन को हआ िक क को चोट न लग इस ढग स बाण मह म घसाकर रख दना यह िव ा तो म भी नही जानता यह कस सभव हआ वह गर िोणाचायर स बोलाः

गरदव आपन तो कहा था िक मरी बराबरी का दसरा कोई धनधाररी नही होगा िकनत ऐसी िव ा तो मझ भी नही आती

िोणाचायर को हआ िक दख इस अर य म कौन-सा ऐसा कशल धनधरर ह आग जाकर दखा तो वह था िहर यधन का पऽ गरभ एकलवय

िोणाचायर न पछाः बटा यह िव ा त कहा स सीखा

एकलवय बोलाः गरदव आपकी ही कपा स सीखा ह

िोणाचायर तो वचन द चक थ िक अजरन की बराबरी का धनधरर दसरा कोई न होगा िकनत यह तो आग िनकल गया गर क िलए धमरसकट खड़ा हो गया एकलवय की अटट ौ ा दखकर िोणाचायर न कहाः मरी मितर को सामन रखकर त धनिवर ा तो सीखा िकनत गरदिकषणा

एकलवयः जो आप माग

िोणाचायरः तर दाय हाथ का अगठा

एकलवय न एक पल भी िवचार िकय िबना अपन दाय हाथ का अगठा काटकर गरदव क चरणो म अपरण कर िदया

िोणाचायरः बटा भल ही अजरन धनिवर ा म सबस आग रह कयोिक म उस वचन द चका ह िकनत जब तक सयर चनि नकषऽो का अिःततव रहगा तब तक लोग तरी गरिन ा का तरी गरभि का ःमरण करग तरा यशोगान होता रहगा

उसकी गरभि और एकामता न उस धनिवर ा म तो सफलता िदलायी ही लिकन सतो क दय म भी उसक िलए आदर गट करवा िदया धनय ह एकलवय जो गरमितर स रणा पाकर धनिवर ा म सफल हआ और िजसन अदभत गरदिकषणा दकर साहस तयाग और समपरण का पिरचय िदया

(अनबम)

सतसग की मिहमा तलसीदास जी महाराज कहत ह ETH

एक घड़ी आधी घड़ी आधी म पिन आध तलसी सगत साध की हर कोिट अपराध

एक बार शकदव जी क िपता भगवान वदवयासजी महाराज कही जा रह थ राःत म उनहोन दखा िक एक कीड़ा बड़ी तजी स सड़क पार कर रहा था

वदवयासजी न अपनी योगशि दत हए उसस पछाः त इतनी ज दी सड़क कयो पार कर रहा ह कया तझ िकसी काम स जाना ह त तो

नाली का कीड़ा ह इस नाली को छोड़कर दसरी नाली म ही तो जाना ह िफर इतनी तजी स कयो भाग रहा ह

कीड़ा बोलाः बाबा जी बलगाड़ी आ रही ह बलो क गल म बध घघर तथा बलगाड़ी क पिहयो की आवाज म सन रहा ह यिद म धीर-धीर सड़क पार करगा तो वह बलगाड़ी आकर मझ कचल डालगी

वदवयासजीः कचलन द कीड़ की योिन म जीकर भी कया करना

कीड़ाः महिषर ाणी िजस शरीर म होता ह उसको उसम ही ममता होती ह अनक ाणी नाना कार क क ो को सहत हए भी मरना नही चाहत

वदवयास जीः बलगाड़ी आ जाय और त मर जाय तो घबराना मत म तझ योगशि स महान बनाऊगा जब तक ा ण शरीर म न पहचा द अनय सभी योिनयो स शीय छटकारा िदलाता रहगा

उस कीड़ न बात मान ली और बीच राःत पर रक गया और मर गया िफर वदवयासजी की कपा स वह बमशः कौआ िसयार आिद योिनयो म जब-जब भी उतपनन हआ वयासजी न जाकर उस पवरजनम का ःमरण िदला िदया इस तरह वह बमशः मग पकषी शि वय जाितयो म जनम लता हआ कषिऽय जाित म उतपनन हआ उस वहा भी वदवयासजी दशरन िदय थोड़ िदनो म रणभिम म शरीर तयागकर उसन ा ण क घर जनम िलया

भगवान वदवयास जी न उस पाच वषर की उ म सारःवतय मऽ द िदया िजसका जप करत-करत वह धयान करन लगा उसकी बि बड़ी िवलकषण होन पर वद शा धमर का रहःय समझ म आ गया

सात वषर की आय म वदवयास जी न उस कहाः काि रक कषऽ म कई वष स एक ा ण ननदभि तपःया कर रहा ह तम जाकर उसकी

शका का समाधान करो

माऽ सात वषर का ा ण कमार काि रक कषऽ म तप कर रह उस ा ण क पास पहच कर बोलाः

ह ा णदव आप तप कयो कर रह ह

ा णः ह ऋिषकमार म यह जानन क िलए तप कर रहा ह िक जो अचछ लोग ह सजजन लोग ह व सहन करत ह दःखी रहत ह और पापी आदमी सखी रहत ह ऐसा कयो ह

बालकः पापी आदमी यिद सखी ह तो पाप क कारण नही वरन िपछल जनम का कोई प य ह उसक कारण सखी ह वह अपन प य खतम कर रहा ह पापी मनय भीतर स तो दःखी ही होता ह भल ही बाहर स सखी िदखाई द

धािमरक आदमी को ठ क समझ नही होती उिचत िदशा व मऽ नही िमलता इसिलए वह दःखी होता ह वह धमर क कारण दःखी नही होता अिपत समझ की कमी क कारण दःखी होता ह समझदार को यिद कोई गर िमल जाय तो वह नर म स नारायण बन जाय इसम कया आ यर ह

ा णः म इतना बढ़ा हो गया इतन वष स काि रक कषऽ म तप कर रहा ह मर तप का फल यही ह िक तमहार जस सात वषर क योगी क मझ दशरन हो रह ह म तमह णाम करता ह

बालकः नही नही महाराज आप तो भदव ह म तो बालक ह म आपको णाम करता ह

उसकी नता दखकर ा ण और खश हआ तप छोड़कर वह परमातमिचनतन म लग गया अब उस कछ जानन की इचछा नही रही िजसस सब कछ जाना जाता ह उसी परमातमा म िवौाित पान लग गया

इस कार ननदभि ा ण को उ र द िनःशक कर सात िदनो तक िनराहार रहकर वह बालक सयरमनऽ का जप करता रहा और वही बहदक तीथर म उसन शरीर तयाग िदया वही बालक दसर जनम म कषार िपता एव िमऽा माता क यहा गट हआ उसका नाम मऽय पड़ा इनहोन वयासजी क िपता पराशरजी स िवण-पराण तथा बहत पाराशर होरा शा का अधययन िकया था पकषपात रिहत अनभवकाश नामक मनथ म मऽय तथा पराशर ऋिष का सवाद आता ह

कहा तो सड़क स गजरकर नाली म िगरन जा रहा कीड़ा और कहा सत क सािननधय स वह मऽय ऋिष बन गया सतसग की बिलहारी ह इसीिलए तलसीदास जी कहत ह ETH

तात ःवगर अपवगर सख धिरअ तला एक अग तल न तािह सकल िमली जो सख लव सतसग

यहा एक शका हो सकती ह िक वह कीड़ा ही मऽय ऋिष कयो नही बन गया

अर भाई यिद आप पहली ककषा क िव ाथ हो और आपको एम ए म िबठाया जाय तो कया आप पास हो सकत हो नही दसरी तीसरी चौथी दसवी बारहवी बीए आिद पास करक ही आप एमए म वश कर सकत हो

िकसी चौकीदार पर कोई धानमनऽी अतयिधक सनन हो जाए तब भी वह उस सीधा कलकटर (िजलाधीश) नही बना सकता ऐस ही नाली म रहन वाला कीड़ा सीधा मनय तो नही

हो सकता बि क िविभनन योिनयो को पार करक ही मनय बन सकता ह हा इतना अवय ह िक सतकपा स उसका मागर छोटा हो जाता ह

सतसमागम की साध परषो स सग की मिहमा का कहा तक वणरन कर कस बयान कर एक सामानय कीड़ा उनक सतसग को पाकर महान ऋिष बन सकता ह तो िफर यिद मानव को िकसी सदगर का सािननधय िमल जाय उनक वचनानसार चल पड़ तो मि का अनभव करक जीवनम भी बन सकता ह

(अनबम)

पीड़ पराई जान र जञानी िकसी स यार करन क िलए बध हए नही ह और िकसी को डाटन म भी राजी

नही ह हमारी जसी यो यता होती ह ऐसा उनका वयवहार हमार ित होता ह लीलाशाह बाप क ौीचरणो म बहत लोग गय थ एक लड़का भी गया था वह मिणनगर

म रहता था िशवजी को जल चढ़ान क प ात ही वह जल पीता वह लड़का खब िन ा स धयान-भजन करता और सवा पजा करता

एक िदन कोई वयि राःत म बहोश पड़ा हआ था िशवजी को जल चढ़ान जात समय उस बालक न उस दखा और अपनी पजा-वजा छोड़कर उस गरीब की सवा म लग गया िबहार का कोई यवक था नौकरी की खोज म आया था कालपर(अहमदाबाद) ःटशन क लटफामर पर एक दो िदन रहा किलयो न मारपीट कर भगा िदया चलत-चलत मिणनगर म पनीत आौम की ओर रोटी की आशा म जा रहा था रोटी तो वहा नही िमलती थी इसिलए भख क कारण चलत-चलत राःत म िगर गया और बहोश हो गया

उस लड़क का घर पनीत आौम क पास ही था सबह क दस साढ़ दस बज थ वह लड़का घर स धयान-भजन स िनपटकर मिदर म िशवजी को जल चढ़ान क िलए जल का लोटा और पजा की साममी लकर जा रहा था उसन दखा िक राःत म कोई यवक पड़ा ह राःत म चलत-चलत लोग बोलत थः शराब पी होगी यह होगा वह होगा हम कया

लड़क को दया आई प य िकय हए हो तो रणा भी अचछ िमलती ह शभ कम स शभ रणा िमलती ह अपन पास की पजा साममी एक ओर रखकर उसन उस वयि को िहलाया बहत मिकल स उसकी आख खली कोई उस जत सघाता कोई कछ करता कोई कछ बोलता था

आख खोलत ही वह वयि धीर स बोलाः पानी पानी

लड़क न महादव जी क िलय लाया हआ जल का लोटा उस िपला िदया िफर दोड़कर घर जाकर अपन िहःस का दध लाकर उस िदया

यवक क जी म जी आया उसन अपनी वयथा बतात हए कहाः बाब जी म िबहार स आया ह मर बाप गजर गय काका िदन-रात टोकत रहत त िक

कमाओ नही तो खाओग कया नौकरी धधा िमलता नही ह भटकत-भटकत अहमदाबाद क ःटशन पर कली का काम करन का य िकया हमारी रोटी-रोजी िछन जायगी ऐसा समझकर किलयो न खब मारा पदल चलत-चलत मिणनगर ःटशन की ओर आत-आत यहा तीन िदन की भख और मार क कारण चककर आय और िगर गया

लड़क न उस िखलाया अपना इक ठा िकया हआ जबखचर का पसा िदया उस यवक को जहा जाना था वहा भजन की वयवःथा की इस लड़क क दय म आनद की वि हई अतर म आवाज आईः

बटा अब म तझ बहत ज दी िमलगा

लड़क न िकयाः अनदर कौन बोलता ह

उ र आयाः िजस िशव की त पजा करता ह वह तरा आतमिशव अब म तर दय म कट होऊगा सवा क अिधकारी की सवा मझ िशव की ही सवा ह

उस िदन उस अतयारमी न अनोखी ऱणा और ोतसाहन िदया वह लड़का तो िनकल पड़ा घर छोड़कर ई र-साकषातकार करन क िलए कदारनाथ वनदावन होत हए निनताल क अर य म पहचा

कदारनाथ क दशरन पाय लकषािधपित आिशष पाय

इस आशीवारद को वापस कर ई राि क िलए िफर पजा की उसक पास जो कछ रपय पस थ उनह वनदावन म साध-सतो एव गरीबो म भ डारा करक खचर कर िदया था थोड़ स पस लकर निनताल क अर यो म पहचा लोकलाड़ल लाखो दयो को हिररस िपलात पजयपाद सदगर ौी लीलाशाह बाप की राह दखत हए चालीस िदन बीत गय गरवर ौी लीलाशाह को अब पणर समिपरत िशय िमला पणर खजाना ा करन वाला पिवऽातमा िमला पणर गर की पणर िशय िमला

िजस लड़क क िवषय म यह कथा पढ़ रह ह वह लड़का कौन होगा जानत हो

पणर गर कपा िमली पणर गर का जञान आसमल स हो गय साई आसाराम

अब तो समझ ही गय होग (उस लड़क क वश म छप हए थ पवर जनम क योगी और वतरमान म िव िव यात हमार

पजयपाद सदगरदव ौी आसाराम जी महाराज)

(अनबम)

िवकास क बिरयो स सावधान किपलवःत क राजा श ोदन का यवराज था िस ाथर यौवन म कदम रखत ही िववक

और वरा य जाग उठा यवान प ी यशोधरा और नवजात िशश राहल की मोह-ममता की रशमी जजीर काटकर महाभीिनबमण (गहतयाग) िकया एकानत अर य म जाकर गहन धयान साधना करक अपन साधय त व को ा कर िलया

एकानत म तप यार और धयान साधना स िखल हए इस आधयाितमक कसम की मधर

सौरभ लोगो म फलन लगी अब िस ाथर भगवान ब क नाम स जन-समह म िस हए हजारो हजारो लोग उनक उपिद मागर पर चलन लग और अपनी अपनी यो यता क मतािबक आधयाितमक याऽा म आग बढ़त हए आितमक शाित ा करन लग अस य लोग बौ िभकषक बनकर भगवान ब क सािननधय म रहन लग उनक पीछ चलन वाल अनयायीओ का एक सघ ःथािपत हो गया चह ओर नाद गजन लग िकः

ब शरण गचछािम धमम शरण गचछािम सघ शरण गचछािम

ौावःती नगरी म भगवान ब का बहत यश फला लोगो म उनकी जय-जयकार होन लगी लोगो की भीड़-भाड़ स िवर होकर ब नगर स बाहर जतवन म आम क बगीच म रहन लग नगर क िपपास जन बड़ी तादाद म वहा हररोज िनि त समय पर पहच जात और उपदश-वचन सनत बड़-बड़ राजा महाराजा भगवान ब क सािननधय म आन जान लग

समाज म तो हर कार क लोग होत ह अनािद काल स दवी समपदा क लोग एव आसरी समपदा क लोग हआ करत ह ब का फलता हआ यश दखकर उनका तजो ष करन वाल लोग जलन लग सतो क साथ हमशा स होता आ रहा ह ऐस उन द त वो न ब को बदनाम करन क िलए कचार िकया िविभनन कार की यि -यि या लड़ाकर ब क यश को हािन पहच ऐसी बात समाज म व लोग फलान लग उन द ो न अपन ष यऽ म एक वया को समझा-बझाकर शािमल कर िलया

वया बन-ठनकर जतवन म भगवान ब क िनवास-ःथानवाल बगीच म जान लगी

धनरािश क साथ द ो का हर कार स सहारा एव ोतसाहन उस िमल रहा था रािऽ को वही रहकर सबह नगर म वािपस लोट आती अपनी सिखयो म भी उसन बात फलाई

लोग उसस पछन लगः अरी आजकल त िदखती नही ह कहा जा रही ह रोज रात को

म तो रोज रात को जतवन जाती ह व ब िदन म लोगो को उपदश दत ह और रािऽ क समय मर साथ रगरिलया मनात ह सारी रात वहा िबताकर सबह लोटती ह

वया न परा ीचिरऽ आजमाकर ष यऽ करन वालो का साथ िदया लोगो म पहल तो हलकी कानाफसी हई लिकन जयो-जयो बात फलती गई तयो-तयो लोगो म जोरदार िवरोध होन लगा लोग ब क नाम पर िफटकार बरसान लग ब क िभकषक बःती म िभकषा लन जात तो लोग उनह गािलया दन लग ब क सघ क लोग सवा-वि म सल न थ उन लोगो क सामन भी उगली उठाकर लोग बकवास करन लग

ब क िशय जरा असावधान रह थ कचार क समय साथ ही साथ स चार होता तो कचार का इतना भाव नही होता िशय अगर िनिबय रहकर सोचत रह जाय िक करगा सो भरगा भगवान उनका नाश करग तो कचार करन वालो को ख ला मदान िमल जाता ह

सत क सािननधय म आन वाल लोग ौ ाल सजजन सीध साद होत ह जबिक द वि करन वाल लोग किटलतापवरक कचार करन म कशल होत ह िफर भी िजन सतो क पीछ सजग समाज होता ह उन सतो क पीछ उठन वाल कचार क तफान समय पाकर शात हो जात ह और उनकी सतवि या काशमान हो उठती ह

कचार न इतना जोर पकड़ा िक ब क िनकटवत लोगो न ऽािहमाम पकार िलया व समझ गय िक यह वयविःथत आयोजनपवरक ष यऽ िकया गया ह ब ःवय तो पारमािथरक सतय म जाग हए थ व बोलतः सब ठ क ह चलन दो वयवहािरक सतय म वाहवाही दख ली अब िननदा भी दख ल कया फकर पड़ता ह

िशय कहन लगः भनत अब सहा नही जाता सघ क िनकटवत भ भी अफवाहो क िशकार हो रह ह समाज क लोग अफवाहो की बातो को सतय मानन लग गय ह

ब ः धयर रखो हम पारमािथरक सतय म िवौाित पात ह यह िवरोध की आधी चली ह तो शात भी हो जाएगी समय पाकर सतय ही बाहर आयगा आिखर म लोग हम जानग और मानग

कछ लोगो न अगवानी का झ डा उठाया और राजयस ा क समकष जोर-शोर स माग की

िक ब की जाच करवाई जाय लोग बात कर रह ह और वया भी कहती ह िक ब रािऽ को मर साथ होत ह और िदन म सतसग करत ह

ब क बार म जाच करन क िलए राजा न अपन आदिमयो को फरमान िदया अब ष यऽ करनवालो न सोचा िक इस जाच करन वाल पच म अगर सचचा आदमी आ जाएगा तो अफवाहो का सीना चीरकर सतय बाहर आ जाएगा अतः उनहोन अपन ष यऽ को आिखरी

पराका ा पर पहचाया अब ऐस ठोस सबत खड़ा करना चािहए िक ब की ितभा का अःत हो जाय

उनहोन वया को दार िपलाकर जतवन भज िदया पीछ स ग डो की टोली वहा गई वया पर बलातकार आिद सब द कतय करक उसका गला घोट िदया और लाश को ब क बगीच म गाड़कर पलायन हो गय

लोगो न राजयस ा क ार खटखटाय थ लिकन स ावाल भी कछ लोग द ो क साथ जड़ हए थ ऐसा थोड़ ही ह िक स ा म बठ हए सब लोग दध म धोय हए वयि होत ह

राजा क अिधकािरयो क ारा जाच करन पर वया की लाश हाथ लगी अब द ो न जोर-शोर स िच लाना शर कर िदया

दखो हम पहल ही कह रह थ वया भी बोल रही थी लिकन तम भगतड़ लोग मानत ही नही थ अब दख िलया न ब न सही बात खल जान क भय स वया को मरवाकर बगीच म गड़वा िदया न रहगा बास न बजगी बासरी लिकन सतय कहा तक िछप सकता ह म ामाल हाथ लग गया इस ठोस सबत स ब की असिलयत िस हो गई सतय बाहर आ गया

लिकन उन मख का पता नही िक तमहारा बनाया हआ कि पत सतय बाहर आया वाःतिवक सतय तो आज ढाई हजार वषर क बाद भी वसा ही चमक रहा ह आज ब को लाखो लोग जानत ह आदरपवरक मानत ह उनका तजो ष करन वाल द लोग कौन-स नरको म जलत होग कया पता

ढाई हजार वषर पहल ब क जमान म भी सतो क साथ ऐसा घोर अनयाय हआ करता था ऋिष दयाननद को भी ऐस ही त वो न तजो ष क कारण बाईस बार िवष दकर मार डालन का यास िकया ःवामी िववकाननद और ःवामी रामतीथर क पीछ भी द लोगो न वया को तयार करक कीचड़ उछाला था

एक ओर लाखो-लाखो लोग सतो की अनभवय वाणी स अपना वयावहािरक ETH आधयाितमक जीवन उननत करक सख-शाित पात ह दसरी ओर कछ द कित क ःवाथ लोग अपना उ ल सीधा करन क िलए ऐस महापरषो क िवर म ष यऽ रचकर उनको बदनाम करत ह यह तो पहल स चला आ रहा ह सत कबीर हो या नानक एकनाथ महाराज हो या सत तकाराम नरिसह महता हो या मीराबाई ायः सभी सतो को अपन जीवन क दौरान समाज क किटल त वो स पाला पड़ता ही रहा ह जीसस बाइःट को इनही त वो न बॉस पर चढ़ाया था उनही लोगो न सकरात को जहर िपलाकर मतयद ड िदया था मनसर को इसी जमात न शली पर चढ़ाया था ईसाई धमर म माट न यथर पर ज म िकया गया था अण-अण म ई र और नारीमाऽ म जगजजननी भगवती का दशरन करन वाल रामकण परमहस को भी लोगो न नही

छोड़ा था परमहस योगाननद रवीनिनाथ टगोर माट न यथर दिकषण भारत क सत ितरव लवर जापानी झन सत बाबो इितहास म िकतन-िकतन उदाहरण मौजद ह

हािसद धमरगर बा शमटोव अित पिवऽ आतमा थ िननदको न उनक इदरिगदर भी मायाजाल िबछा दी थी िसध क साई टउराम क पास अस य लोग आतमक याण हत जान लग तब िवकत िदमागवालो न उन सत को भी ऽास दना शर कर िदया उनक आौम क चह ओर गदगी डाल दत और कए म िम टी का तल उड़लकर पानी बकार कर दत मगल बादशाह बाबर को बहका कर उनही लोगो न गर नानक को कद करवाया था

भगवान ौीराम एव ौीकण को भी द जनो न छोड़ा नही था भगवान ौीराम क गर विश जी महाराज कहत हः

ह राम जी म जब बाजार स गजरता ह तब अजञानी मखर लोग मर िलए कया बकत ह म सब जानता ह लिकन मरा दयाल ःवभाव ह म इन सबका क याण चाहता ह

तमहार साथ यह ससार कछ अनयाय करता ह तमको बदनाम करता ह िननदा करता ह तो यह ससार की परानी रीत ह मनय की हीनवि कचार िननदाखोरी यह आजकल की ही बात नही ह अनािदकाल स ऐसा होता आया ह तम अपन आतमजञान क सःकार जगाकर आतमबल का िवकास करत जाओ मःकरात जाओ आधी तफानो को लाघकर आननदपवरक जीत जाओ

उस जमान म भगवान ब क पास आकर एक िभकषक न ाथरना कीः भनत मझ आजञा द म सभाए भरगा आपक िवचारो का चार करगा

मर िवचारो का चार

हा भगवन म बौ धमर फलाऊगा

लोग तरी िननदा करग गािलया दग

कोई हजर नही म भगवन को धनयवाद दगा िक य लोग िकतन अचछ ह य कवल श दहार करत ह मझ पीटत तो नही

लोग तझ पीटग भी तो कया करोग

भो म शब गजारगा िक य लोग हाथो स पीटत ह पतथर तो नही मारत

लोग पतथर भी मारग और िसर भी फोड़ दग तो कया करगा

िफर भी म आ ःत रहगा और भगवान का िदवय कायर करता रहगा कयोिक व लोग मरा िसर फोड़ग लिकन ाण तो नही लग

लोग जनन म आकर तझ मार दग तो कया करगा

भनत आपक िदवय िवचारो का चार करत-करत म मर भी गया तो समझगा िक मरा जीवन सफल हो गया

उस कतिन यी िभकषक की दढ़ िन ा दखकर भगवान ब सनन हो उठ उस पर उनकी करणा बरस पड़ी

ऐस िशय जब ब का चार करन िनकल पड़ तब कचार करन वाल धीर-धीर शात हो गय मनयो की उगिलया काट-काटकर माला बनाकर पहनन वाला अगिलमाल जसा बर हतयारा भी दयपिरवतरन पाकर ब की शरण म िभकषक होकर रहन लगा

आज हम ब को बहत आदर स जानत ह मानत ह उनक जीवनकाल क दौरान उनक पीछ लग हए द लोग कौन स नरक म सड़त होग रौरव नरक म या कभीपाक नरक म कौन-सी योिनयो म भटकत होग सअर बन होग िक नाली क कीड़ बन होग शतान बन होग िक राकषस बन होग मझ पता नही लिकन ब तो करोड़ो दयो म बस रह ह यह म मानता ह

सतय तो परमाथर ह आतमा ह परमातमा ह उसम िजतना िटकोग उतना तमहारा मगल होगा तमहारी िनगाह िजन पर पड़गी उनका भी मगल होगा

(अनबम)

कछ जानन यो य बात सय दय स पवर उठकर ःनान कर लना चािहए ातः खाली पट मटक का बासी पानी

पीना ःवाःथयद ह तलसी क प सय दय क प ात ही तोड़ दध म तलसी क प नही डालन चािहए तथा

दध क साथ खान भी नही चािहए तलसी क प खाकर थोड़ा पानी पीना िपय जलनित स पिह सौ कार क लाभ होत ह अपन मिःतक म एक कार का िवजाितय

िवय उतपनन होता ह यिद वह िवय वही अटक जाता ह तो बचपन म ही बाल सफद होन लगत ह इसस नजल की बीमारी भी होती ह यिद वह िवय नाक की तरफ आता ह तो सगनध-दगरनध का पता नही चल पाता और ज दी-ज दी जकाम हो जाता ह यिद वह िवय कान की तरफ आता ह तो कान बहर होन लगत ह और छोट-मोट ब ीस रोग हो सकत ह यिद वह िवय दात की तरफ आय तो दात छोटी उ म ही िगरन लगत ह यिद आख की तरफ वह िवय उतर तो चम लगन लगत ह जलनित यािन नाक स पानी खीचकर मह स िनकाल दन स वह िवय िनकल जाता ह गल क ऊपर क ायः सभी रोगो स मि िमल जाती ह

आईसबीम खान क बाद चाय पीना दातो क िलए अतयािधक हािनकारक होता ह

भोजन को पीना चािहए तथा पानी को खाना चािहए इसका मतलब यह ह िक भोजन को इतना चबाओ िक वह पानी की तरह पतला हो जाय और पानी अथवा अनय पय पदाथ को धीर-धीर िपयो

िकसी भी कार का पय पदाथर पीना हो तो दाया नथना बनद करक िपय इसस वह अमत जसा हो जाता ह यिद दाया ःवर(नथना) चाल हो और पानी आिद िपय तो जीवनशि (ओज) पतली होन लगती ह चयर की रकषा क िलए शरीर को तनदरःत रखन क िलए यह योग करना चािहए

तम चाह िकतनी भी महनत करो िकनत िजतना तमहारी नसो म ओज ह चयर की शि ह उतन ही तम सफल होत हो जो चाय-कॉफी आिद पीत ह उनका ओज पतला होकर पशाब ारा न होता जाता ह अतः चयर की रकषा क िलए चाय-कॉफी जस वयसनो स दर रहना रह

पढ़न क बाद थोड़ी दर शात हो जाना चािहए जो पढ़ा ह उसका मनन करो िशकषक ःकल म जब पढ़ात हो तब धयान स सनो उस व मःती-मजाक नही करना चािहए िवनोद-मःती कम स कम करो और समझन की कोिशश अिधक करो

जो सय दय क पवर नही उठता उसक ःवभाव म तमस छा जाता ह जो सय दय क पवर उठता ह उसकी बि शि बढ़ती ह

नीद म स उठकर तरत भगवान का धयान करो आतमःनान करो धयान म रिच नही होती तो समझना चािहए िक मन म दोष ह उनह िनकालन क िलए कया करना चािहए

मन को िनद ष बनान क िलए सबह-शाम माता-िपता को णाम करना चािहए गरजनो को णाम करना चािहए एव भगवान क नाम का जप करना चािहए भगवान स ाथरना करनी चािहए िक ह भगवान ह मर भ मरी धयान म रिच होन लग ऐसी कपा कर दो िकसी समय गद िवचार िनकल आय तो समझना चािहए िक अदर छप हए िवचार िनकल रह ह अतः खश होना चािहए िवचार आया और गया मर राम तो दय म ही ह ऐसी भावना करनी चािहए

िनदा करना तो अचछा नही ह िकनत िनदा सनना भी उिचत नही (अनबम)

शयन की रीत मनय को िकस ढग स सोना चािहए इसका भी तरीका होता ह सोत व पवर अथवा

दिकषण िदशा की ओर िसर करक ही सोना चािहए

भोजन करन क बाद िदन म दस िमनट आराम कर िकनत सोय नही भोजन क बाद दस िमनट बायी करवट लट सकत ह रािऽ को जागरण िकया हो इस कारण स कभी िदन म सोना पड़ वह अलग बात ह

सोत व नीच कोई गमर कबल आिद िबछाकर सोय तािक आपकी जीवनशि अिथग न हो जाय आपक शरीर की िव तशि भिम म न उतर जाय

(अनबम)

ःनान का तरीका शरीर की मजबती एव आरो यता क िलए रगड़-रगड़कर ःनान करना चािहए जो लोग

ठड दशो म रहत ह उनका ःवाःथय गमर दस क लोगो की अपकषा अचछा होता ह ठडी स अपना शरीर सधरता ह

ःनान करत व 12-15 िलटर पानी बा टी म लकर पहल उसम िसर डबाना चािहए िफर पर िभगोना चािहए पहल पर गील नही करन चािहए शरीर की गम ऊपर की ओर चढ़ती ह जो ःवाःथय क िलए हािनकारक होती ह

अतः पहल ठड पानी की बा टी भर ल िफर मह म पानी भरकर िसर को बा टी म डाल और आख पटपटाए इसस आखो की शि बढ़ती ह शरीर को रगड़-रगड़कर नहाए बाद म गील व स शरीर को रगड़-रगड़कर पोछ िजसस रोम कप का सारा मल बाहर िनकल जाय और रोमकप(तवचा क िछि) खल जायय तवचा क िछि बद रहन स ही तवचा की कई बीमािरया होती ह िफर सख कपड़ स शरीर को पोछ कर (अथवा थोड़ा गीला हो तब भी चल) सख साफ व पहन ल व भल साद हो िकनत साफ हो बासी कपड़ नही पहन हमशा धल हए कपड़ ही पहन इसस मन भी सनन रहता ह

पाच कार क ःनान होत हः ःनान दवःनान ऋिषःनान मानवःनान दानवःनान ःनानः -परमातमा का िचतन करक जल थल नहान वाला

ऐसा िचतन करक ा महतर म नहाना इस ःनान कहत ह दवःनानः दवनिदयो म ःनान या दवनिदयो का ःमरण करक सय दय स पवर नहाना यह

दवःनान ह ऋिषःनानः आकाश म तार िदखत हो और नहा ल यह ऋिषःनान ह ऋिषःनान करन

वाल की बि बड़ी तजःवी होती ह मानवःनानः सय दय क पवर का ःनान मानवःनान ह

दानवःनानः सय दय क प ात चाय पीकर नाता करक आठ नौ बज नहाना यह दानव ःनान ह

अतः हमशा ऋिषःनान करन का ही यास करना चािहए (अनबम)

ःवचछता का धयान यिद शरीर की सफाई रखी जाय तो मन भी सनन रहता ह आजकल अिधकतर लोग

श स ही मजन करत ह श की अपकषा नीम और बबल की दातौन जयादा अचछ होती ह और यिद श भी कर तो कभी-कभार श को गमर पानी स धोना चािहए अनयथा उसम बकटिरया(जीवाण) रह जात ह

िकतन ही लोग उगली स दात साफ करत ह तजरनी (अगठ क पास वाली थम उगली) स दात िघसन स मसड़ कमजोर हो जात ह तथा दात ज दी िगर जात ह कयोिक तजरनी म िव तशि का माण दसरी उगिलयो की अपकषा अिधक होता ह अतः उसस दात नही िघसन चािहए एव आखो को भी नही मसलना चािहए

िजस िदशा स हवा आती हो उस िदशा की ओर मह करक कभी-भी मलमऽ का िवसजरन नही करना चािहए सयर और चनिमा की ओर मख करक भी मलमऽ का िवसजरन नही करना चािहए

(अनबम)

ःमरणशि का िवकास यादशि बढ़ान का एक सनदर योग ह ETH ामरी ाणायाम सखासन प ासन या

िस ासन पर बठ हाथ की कोहनी की ऊचाई कनध तक रह इस कार रखकर हाथ की थम उगली(तजरनी) स दोनो कानो को धीर-स बद कर एकदम जोर स बद न कर िकनत बाहर का कछ सनाई न द इस कार धीर स कान बनद कर

अब गहर ास लकर थोड़ी दर रोक ओठ बद रखकर जस मर का गजन होता ह वस ॐsssss कहत हए गजन कर उसक बाद थोड़ी दर तक ास न ल पनः यही िबया दहराय ऐसा सबह एव शाम 8 स 10 बार कर यादशि बढ़ान का यह यौिगक योग ह इसस मिःतक की नािड़यो का शोधन होकर मिःतक म र सचार उिचत ढग स होता ह

और िवचार करन स भी बि शि का िवकास होता ह

सबह खाली पट तलसी क प एकाध काली िमचर चबाकर एक िगलास पानी पीन स भी ःमरणशि का िवकास होता ह रोग-ितकारक शि बढ़ती ह कनसर की बीमारी कभी नही होती जलदर-भगदर की बीमारी भी कभी नही होती

(अनबम)

वयि तव और वयवहार िकसी भी वयि तव का पता उसक वयवहार स ही चलता ह कई लोग वयथर च ा करत

ह एक होती ह सकाम च ा दसरी होती ह िनकाम च ा और तीसरी होती ह वयथर च ा वयथर च ा नही करनी चािहए िकसी क शरीर म कोई कमी हो तो उसका मजाक नही उड़ाना चािहए वरन उस मददरप बनना चािहए यह िनकाम सवा ह

िकसी की भी िनदा नही करनी चािहए िनदा करन वाला वयि िजसकी िनदा करता ह उसका तो इतना अिहत नही होता िजतना वह अपना अिहत करता ह जो दसरो की सवा करता ह दसरो क अनकल होता ह वह दसरो का िजतना िहत करता ह उसकी अपकषा उसका खद का िहत जयादा होता ह

अपन स जो उ स बड़ हो जञान म बड़ हो तप म बड़ हो उनका आदर करना चािहए िजस मनय क साथ बात करत हो वह मनय कौन ह यह जानकर बात करो तो आप वयवहार-कशल कहलाओग

िकसी को पऽ िलखत हो तो यिद अपन स बड़ हो तो ौी सबोधन करक िलखो सबोधन करन स सवाकयो की रचना स िश ता बढ़ती ह िकसी स बात करो तो सबोधन करक बात करो जो तकार स बात करता ह वह अिश कहलाता ह िश तापवरक बात करन स अपनी इजजत बढ़ती ह

िजसक जीवन म वयवहार-कशलता ह वह सभी कषऽो म सफल होता ह िजसम िवनता ह वही सब कछ सीख सकता ह िवनता िव ा बढ़ाती ह िजसक जीवन म िवनता नही ह समझो उसक सब काम अधर रह गय और जो समझता ह िक म सब कछ जानता ह वह वाःतव म कछ नही जानता

एक िचऽकार अपन गरदव क सममख एक सनदर िचऽ बनाकर लाया गर न िचऽ दखकर कहाः

वाह वाह सनदर ह अदभत ह

िशय बोलाः गरदव इसम कोई ऽिट रह गयी हो तो कपा करक बताइए इसीिलए म आपक चरणो म आया ह

गरः कोई ऽिट नही ह मझस भी जयादा अचछा बनाया ह

वह िशय रोन लगा उस रोता दखकर गर न पछाः तम कयो रो रह हो म तो तमहारी शसा कर रहा ह

िशयः गरदव मरी घड़ाई करन वाल आप भी यिद मरी शसा ही करग तो मझ मरी गि तया कौन बतायगा मरी गित कस होगी

यह सनकर गर अतयत सनन हो गय हमन िजतना जाना िजतना सीखा ह वह तो ठ क ह उसस जयादा जान सक सीख सक

ऐसा हमारा यास होना चािहए रामकण परमहस व हो गय थ िकसी न उनस पछाः बाबा जी आपन सब कछ जान

िलया ह

रामकण परमहसः नही म जब तक जीऊगा तब तक िव ाथ ही रहगा मझ अभी बहत कछ सीखना बाकी ह

िजनक पास सीखन को िमल उनस िवनतापवरक सीखना चािहए जो कछ सीखो सावधानीपवरक सीखो जीवन म िवनोद जररी ह िकनत िवनोद की अित न हो िजस समय पढ़त हो कछ सीखत हो कछ करत हो उस समय मःती नही िवनोद नही वरन जो कछ पढ़ो सीखो या करो उस उतसाह स धयान स और सावधानी स करो

पढ़न स पवर थोड़ धयानःथ हो जाओ पढ़न क बाद मौन हो जाओ यह गित की चाबी ह

माता-िपता स िचढ़ना नही चाह िजस मा-बाप न जनम िदया ह उनकी बातो को समझना चािहए अपन िलए उनक मन म िवशष दया हो िवशष म उतपनन हो ऐसा वयवहार करना चािहए

भल जाओ भल सब कछ माता-िपता को भलना नही अनिगनत उपकार ह उनक यह कभी िबसरना नही

माता-िपता को सतोष हो उनका दय सनन हो ऐसा हमारा वयवहार होना चािहए अपन माता-िपता एव गरजनो को सत रखकर ही हम सचची गित कर सकत ह

(अनबम)

  • पजय बाप जी का उदबोधन
  • कदम अपना आग बढाता चला जा
  • त गलाब होकर महक
  • जीवन विकास का मल सयम
  • तरिकाल सधया
  • शरीर सवासथय
  • अनन का परभाव
  • भारतीय ससकति की महानता
  • हरिदास की हरिभकति
  • बनावटी शरगार स बचो
  • साहसी बालक
  • गर-आजञापालन का चमतकार
  • अनोखी गरदकषिणा
  • सतसग की महिमा
  • पीड पराई जान र
  • विकास क बरियो स सावधान
  • कछ जानन योगय बात
  • शयन की रीत
  • सनान का तरीका
  • सवचछता का धयान
  • समरणशकति का विकास
  • वयकतितव और वयवहार
Page 5: Tu gulabhokarmehak

इस पःतक म ऐस ही जञानी महापरषो सतो और गरभ ो तथा भगवान क लाडलो की कथाओ तथा अनभवो का वणरन ह िजसका बार-बार पठन िचनतन और मनन करक तम सचमच म महान बन जाओग करोग ना िहममत

bull िनतय धयान ाणायाम योगासन स अपनी सष शि यो को जगाओ bull दीन-हीन-कगला जीवन बहत हो चका अब उठो कमर कसो जसा बनना ह वसा आज स और

अभी स सक प करो bull मनय ःवय ही अपन भा य का िनमारता ह

(अनबम)

कदम अपना आग बढ़ाता चला जा कदम अपना आग बढ़ाता चला जा सदा म क गीत गाता चला जा

तर मागर म वीर काट बड़ ह िलय तीर हाथो म वरी खड़ ह बहादर सबको िमटाता चला जा

कदम अपना आग बढ़ाता चला जा

त ह आयरवशी ऋिषकल का बालक तापी यशःवी सदा दीनपालक त सदश सख का सनाता चला जा कदम अपना आग बढ़ाता चला जा

भल आज तफान उठकर क आय बला पर चली आ रही ह बलाए यवा वीर ह दनदनाता चला जा

कदम अपना आग बढ़ाता चला जा

जो िबछड़ हए ह उनह त िमला जा जो सोय पड़ ह उनह त जगा जा त आनद का डका बजाता चला जा

कदम अपना आग बढ़ाता चला जा

(अनबम)

त गलाब होकर महक सगित का मानव जीवन पर अतयिधक भाव पड़ता ह यिद अचछ सगत िमल तो

मनय महान हो जाता ह लिकन वही मनय यिद कसग क चककर म पड़ जाए तो अपना जीवन न कर लता ह अतः अपन स जो पढ़ाई म एव िश ता म आग हो ऐस िव ािथरयो का आदरपवरक सग करना चािहए तथा अपन स जो नीच हो उनह दयापवरक ऊपर उठान का यास करना चािहए लिकन साथ ही यह धयान भी रह की कही हम उनकी बातो म न फस जाए

एक बार मर सदगरदव पजयपाद ःवामी ौी लीलाशाह जी महाराज न मझ गलाब का फल बताकर कहाः यह कया ह

मन कहाः बाप यह गलाब का फल ह

उनहोन आग कहाः इस त डालडा क िड ब पर रख िफर सघ अथवा गड़ क ऊपर रख शककर क ऊपर रख या चन अथवा मग की दाल पर रख गदी नाली क पास रख ऑिफस म रख उस सब जगह घमा सब जगह रख िफर सघ तो उसम िकसकी सगध आएगी

मन कहाःजी गलाब की

गरदवः गलाब को कही भी रख दो और िफर सघो तो उसम स सगनध गलाब की ही आएगी ऐस ही हमारा जीवन भी गलाब जसा होना चािहए हमार सदगणो की सगनध दसरो को लनी हो तो ल िकनत हमम िकसी की दगरनध िव न हो त गलाब होकर महक तझ जमाना जान

िकसी क दोष हमम ना आय इसका धयान रखना चािहए अपन गण कोई लना चाह तो भल ल ल

भगवान का धयान करन स एकाम होन स माता-िपता का आदर करन स गरजनो की बातो को आदरपवरक मानन स हमम सदगणो की वि होती ह

ातःकाल ज दी उठकर माता-िपता को णाम करो भगवान ौीरामचनिजी ातःकाल ज दी उठकर माता-िपता एव गर को णाम करत थ

ातःकाल उठिह रघनाथा मात-िपत गर नाविह माथा ौीरामचनिजी जब गर आौम म रहत थ त गर जी स पहल ही नीद स जाग जात थ

गर स पहल जगपित जाग राम सजान ऐसा राम चिरतमानस म आता ह

माता-िपता एव गरजनो का आदर करन स हमार जीवन म दवी गण िवकिसत होत ह िजनक भाव स ही हमारा जीवन िदवय होन लगता ह

ह िव ाथ त भी िनकामता सननता असगता की महक फलाता जा (अनबम)

जीवन िवकास का मल सयम एक बड़ महापरष थ हजारो-लाखो लोग उनकी पजा करत थ जय-जयकार करत थ

लाखो लोग उनक िशय थ करोड़ो लोग उनह ौ ा-भि स नमन करत थ उन महापरष स िकसी वयि न पछाः

राजा-महाराजा रा पित जस लोगो को भी कवल सलामी मारत ह या हाथ जोड़ लत ह िकनत उनकी पजा नही करत जबिक लोग आपकी पजा करत ह णाम भी करत ह तो बड़ी ौ ा-भि स ऐसा नही िक कवल हाथ जोड़ िदय लाखो लोग आपकी फोटो क आग भोग रखत ह आप इतन महान कस बन

दिनया म मान करन यो य तो बहत लोग ह बहतो को धनयवाद और शसा िमलती ह लिकन ौ ा-भि स ऐसी पजा न तो सठो की होती ह न साहबो की न सीडट की होती ह न िमिलशी ऑिफसर की न राजा की और न महाराजा की अर ौी कण क साथ रहन वाल भीम अजरन यिधि र आिद की भी पजा नही होती जबिक ौीकण की पजा करोड़ो लोग करत ह भगवान राम को करोड़ो लोग मानत ह आपकी पजा भी भगवान जसी ही होती ह आप इतन महान कस बन

उन महापरष न जवाब म कवल एक ही श द कहा और वह श द था - सयम तब उस वयि न पनः पछाः ह गरवर कया आप बता सकत ह िक आपक जीवन म

सयम का पाठ कबस शर हआ

महापरष बोलः मर जीवन म सयम की शरआत मरी पाच वषर की आय स ही हो गयी म जब पाच वषर का था तब मर िपता जी न मझस कहाः

बटा कल हम तमह गरकल भजग गरकल जात समय तरी मा साथ म नही होगी भाई भी साथ नही आयगा और म भी साथ नही आऊगा कल सबह नौकर तझ ःनान नाता करा क घोड़ पर िबठाकर गरकल ल जायगा गरकल जात समय यिद हम सामन होग तो तरा मोह हमम हो सकता ह इसिलए हम दसर क घर म िछप जायग त हम नही दख सकगा िकनत हम ऐसी वयवःथा करग िक हम तझ दख सक ग हम दखना ह िक त रोत-रोत जाता ह या हमार कल क बालक को िजस कार जाना चािहए वस जाता ह घोड़ पर जब जायगा और

गली म मड़गा तब भी यिद त पीछ मड़कर दखगा तो हम समझग िक त हमार कल म कलक ह

पीछ मड़कर दखन स भी मना कर िदया पाच वषर क बालक स इतनी यो यता की इचछा रखन वाल मर माता-िपता को िकतना कठोर दय करना पड़ा होगा पाच वषर का बटा सबह गरकल जाय जात व माता-िपता भी सामन न हो और गली म मड़त व घर की ओर दखन की भी मनाही िकतना सयम िकतना कड़क अनशासन

िपता न कहाः िफर जब तम गरकल म पहचोग और गरजी तमहारी परीकषा क िलए तमस कहग िक बाहर बठो तब तमह बाहर बठना पड़गा गर जी जब तक बाहर स अनदर आन की आजञा न द तब तक तमह वहा सयम का पिरचय दना पड़गा िफर गरजी न तमह गरकल म वश िदया पास िकया तो त हमार घर का बालक कहलायगा अनयथा त हमार खानदान का नाम बढ़ानवाला नही नाम डबानवाला सािबत होगा इसिलए कल पर कलग मत लगाना वरन सफलतापवरक गरकल म वश पाना

मर िपता जी न मझ समझाया और म गरकल म पहचा हमार नौकर न जाकर गरजी स आजञा मागी िक यह िव ाथ गरकल म आना चाहता ह

गरजी बोलः उसको बाहर बठा दो थोड़ी दर म गरजी बाहर आय और मझस बोलः बटा दख इधर बठ जा आख बनद कर ल जब तक म नही आऊ और जब तक त मरी आवाज़ न सन तब तक तझ आख नही खोलनी ह तरा तर शरीर पर मन पर और अपन आप पर िकतना सयम ह इसकी कसौटी होगी अगर तरा अपन आप पर सयम होगा तब ही गरकल म वश िमल सकगा यिद सयम नही ह तो िफर त महापरष नही बन सकता अचछा िव ाथ भी नही बन सकगा

सयम ही जीवन की नीव ह सयम स ही एकामता आिद गण िवकिसत होत ह यिद सयम नही ह तो एकामता नही आती तजिःवता नही आती यादशि नही बढ़ती अतः जीवन म सयम चािहए चािहए और चािहए

कब हसना और कब एकामिच होकर सतसग सनना इसक िलए भी सयम चािहए कब ताली बजाना और कब नही बजाना इसक िलय भी सयम चािहए सयम ही सफलता का सोपान ह भगवान को पाना हो तो भी सयम ज़ररी ह िसि पाना हो तो भी सयम चािहए और िसि पाना हो तो भी सयम चािहए सयम तो सबका मल ह जस सब वय जनो का मल पानी ह जीवन का मल सयर ह ऐस ही जीवन क िवकास का मल सयम ह

गरजी तो कहकर चल गय िक जब तक म न आऊ तब तक आख नही खोलना थोड़ी दर म गरकल का िरसस हआ सब बचच आय मन हआ िक दख कौन ह कया ह िफर याद आया िक सयम थोड़ी दर बाद पनः कछ बचचो को मर पास भजा गया व लोग मर आसपास

खलन लग कब डी-कब डी की आवाज भी सनी मरी दखन की इचछा हई परनत मझ याद आया िक सयम

मर मन की शि बढ़ान का पहला योग हो गया सयम मरी ःमरणशि बढ़ान की पहली कजी िमल गई सयम मर जीवन को महान बनान की थम कपा गरजी ारा हई ETH सयम ऐस महान गर की कसौटी स उस पाच वषर की छोटी-सी वय म पार होना था अगर म अन ीणर हो जाता तो िफर घर पर मर िपताजी मझ बहत छोटी दि स दखत

सब बचच खल कर चल गय िकनत मन आख नही खोली थोड़ी दर क बाद गड़ और शककर की चासनी बनाकर मर आसपास उड़ल दी गई मर घटनो पर मरी जाघ पर भी चासनी की कछ बद डाल दी ग जी चाहता था िक आख खोलकर दख िक अब कया होता ह िफर गरजी की आजञा याद आयी िक आख मत खोलना अपनी आख पर अपन मन पर सयम शरीर पर चीिटया चलन लगी लिकन याद था िक पास होन क िलए सयम ज़ररी ह

तीन घट बीत गय तब गरजी आय और बड़ म स बोलः पऽ उठो उठो तम इस परीकषा म उ ीणर रह शाबाश ह तमह

ऐसा कहकर गरजी न ःवय अपन हाथो स मझ उठाया गरकल म वश िमल गया गर क आौम म वश अथारत भगवान क राजय म वश िमल गया िफर गर की आजञा क अनसार कायर करत-करत इस ऊचाई तक पहच गया

इस कार मझ महान बनान म म य भिमका सयम की ही रही ह यिद बा यकाल स ही िपता की आजञा को न मान कर सयम का पालन न करता तो आज न जान कहा होता सचमच सयम म अदभत सामथयर ह सयम क बल पर दिनया क सार कायर सभव ह िजतन भी महापरष सतपरष इस दिनया म हो चक ह या ह उनकी महानता क मल म उनका सयम ही ह

वकष क मल म उसका सयम ह इसी स उसक प हर-भर ह फल िखलत ह फल लगत ह और वह छाया दता ह वकष का मल अगर सयम छोड़ द तो प सख जायग फल कमहला जाएग फल न हो जाएग वकष का जीवन िबखर जायगा

वीणा क तार सयत ह इसी स मधर ःवर गजता ह अगर वीणा क तार ढील कर िदय जाय तो व मधर ःवर नही आलापत

रल क इजन म वाप सयत ह तो हजारो यािऽयो को दर सदर की याऽा करान म वह वाप सफल होती ह अगर वाप का सयम टट जाय इधर-उधर िबखर जाय तो रलगाड़ी दोड़ नही सकती ऐस ही ह मानव महान बनन की शतर यही ह ETH सयम सदाचार हजार बार असफल होन पर भी िफर स परषाथर कर अवय सफलता िमलगी िहममत न हार छोटा-छोटा सयम का ोत आजमात हए आग बढ़ और महान हो जा

(अनबम)

िऽकाल सधया जीवन को यिद तजःवी बनाना हो सफल बनाना हो उननत बनाना हो तो मनय को

िऽकाल सधया ज़रर करनी चािहए ातःकाल सय दय स दस िमनट पहल और दस िमनट बाद म दोपहर को बारह बज क दस िमनट पहल और दस िमनट बाद म तथा सायकाल को सयारःत क पाच-दस िमनट पहल और बाद म यह समय सिध का होता ह इस समय िकया हआ ाणायाम जप और धयान बहत लाभदायक होता ह जो मनय सषमना क ार को खोलन म भी सहयोगी होता ह सषमना का ार खलत ही मनय की छपी हई शि या जामत होन लगती ह

ाचीन ऋिष-मिन िऽकाल सधया िकया करत थ भगवान विश भी िऽकाल सधया करत थ और भगवान राम भी िऽकाल सधया करत थ भगवान राम दोपहर को सधया करन क बाद ही भोजन करत थ

सधया क समय हाथ-पर धोकर तीन च ल पानी पीकर िफर सधया म बठ और ाणायाम कर जप कर तो बहत अचछा अगर कोई आिफस म ह तो वही मानिसक रप स कर ल तो भी ठ क ह लिकन ाणायाम जप और धयान कर ज़रर

जस उ ोग करन स परषाथर करन स दिरिता नही रहती वस ही ाणायाम करन स पाप कटत ह जस य करन स धन िमलता ह वस ही ाणायाम करन स आतिरक सामथयर आतिरक बल िमलता ह छादो य उपिनषद म िलखा ह िक िजसन ाणायाम करक मन को पिवऽ िकया ह उस ही गर क आिखरी उपदश का रग लगता ह और आतम-परमातमा का साकषातकार हो जाता ह

मनय क फफड़ो तीन हजार छोट-छोट िछि होत ह जो लोग साधारण रप स ास लत ह उनक फफड़ो क कवल तीन सौ स पाच सौ तक क िछि ही काम करत ह बाकी क बद पड़ रहत ह िजसस शरीर की रोग ितकारक शि कम हो जाती ह मनय ज दी बीमार और बढ़ा हो जाता ह वयसनो एव बरी आदतो क कारण भी शरीर की शि जब िशिथल हो जाती ह रोग-ितकारक शि कमजोर हो जाती ह तो िछि बद पड़ होत ह उनम जीवाण पनपत ह और शरीर पर हमला कर दत ह िजसस दमा और टीबी की बीमारी होन की सभावना बढ़ जाती ह

परनत जो लोग गहरा ास लत ह उनक बद िछि भी खल जात ह फलतः उनम कायर करन की कषमता भी बढ़ जाती ह तथा र श होता ह नाड़ी भी श रहती ह िजसस मन भी सनन रहता ह इसीिलए सबह दोपहर और शाम को सधया क समय ाणायाम करन का िवधान ह ाणायाम स मन पिवऽ होता ह एकाम होता ह िजसस मनय म बहत बड़ा सामथयर आता ह

यिद मन य दस-दस ाणायाम तीनो समय कर और शराब मास बीड़ी व अनय वयसनो एव फशनो म न पड़ तो चालीस िदन म तो मनय को अनक अनभव होन लगत ह कवल चालीस िदन योग करक दिखय शरीर का ःवाःथय बदला हआ िमलगा मन बदला हआ िमलगा जठरा दी होगी आरो यता एव सननता बढ़गी और ःमरण शि म जादई िवकास होगा

ाणायाम स शरीर क कोषो की शि बढ़ती ह इसीिलए ऋिष-मिनयो न िऽकाल सधया की वयवःथा की थी रािऽ म अनजान म हए पाप सबह की सधया स दर होत ह सबह स दोपहर तक क दोष दोपहर की सधया स और दोपहर क बाद अनजान म हए पाप शाम की सधया करन स न हो जात ह तथा अतःकरण पिवऽ होन लगता ह

आजकल लोग सधया करना भल गय ह िनिा क सख म लग हए ह ऐसा करक व अपनी जीवन शि को न कर डालत ह

ाणायाम स जीवन शि का बौि क शि का एव ःमरण शि का िवकास होता ह ःवामी रामतीथर ातःकाल म ज दी उठत थोड़ ाणायाम करत और िफर ाकितक वातावरण म घमन जात परमहस योगानद भी ऐसा करत थ

ःवामी रामतीथर बड़ कशाम बि क िव ाथ थ गिणत उनका िय िवषय था जब व पढ़त थ उनका तीथरराम था एक बार परीकषा म 13 िदय गय िजसम स कवल 9 हल करन थ तीथरराम न 13 क 13 हल कर िदय और नीच एक िट पणी (नोट) िलख दी 13 क 13 सही ह कोई भी 9 जाच लो इतना दढ़ था उनका आतमिव ास

ाणायाम क अनक लाभ ह सधया क समय िकया हआ ाणायाम जप और धयान अनत गणा फल दता ह अिमट प यपज दन वाला होता ह सधया क समय हमारी सब नािड़यो का मल आधार जो सषमना नाड़ी ह उसका ार खला होता ह इसस जीवन शि क डिलनी शि क जागरण म सहयोग िमलता ह उस समय िकया हआ धयान-भजन प यदायी होता ह अिधक िहतकारी और उननित करन वाला होता ह वस तो धयान-भजन कभी भी करो प यदायी होता ही ह िकनत सधया क समय उसका उसका भाव और भी बढ़ जाता ह िऽकाल सधया करन स िव ाथ भी बड़ तजःवी होत ह

अतएव जीवन क सवागीण िवकास क िलए मनयमाऽ को िऽकाल सधया का सहारा लकर अपना नितक सामािजक एव आधयाितमक उतथान करना चािहए

(अनबम)

शरीर ःवाःथय

लोकमानय ितलक जब िव ाथ अवःथा म थ तो उनका शरीर बहत दबला पतला और कमजोर था िसर पर फोड़ा भी था उनहोन सोचा िक मझ दश की आजादी क िलए कछ काम करना ह माता-िपता एव समाज क िलए कछ करना ह तो शरीर तो मजबत होना ही चािहए और मन भी दढ होना चािहए तभी म कछ कर पाऊगा अगर ऐसा ही कमजोर रहा तो पढ़-िलखकर ा िकय हए माण-पऽ भी कया काम आयग

जो लोग िसकड़कर बठत ह झककर बठत ह उनक जीवन म बहत बरकत नही आती जो सीध होकर िःथर होकर बठत ह उनकी जीवन-शि ऊपर की ओर उठती ह व जीवन म सफलता भी ा करत ह

ितलक न िन य िकया िक भल ही एक साल क िलए पढ़ाई छोड़नी पड़ तो छोडगा लिकन शरीर और मन को सदढ़ बनाऊगा ितलक यह िन य करक शरीर को मजबत और मन को िनभ क बनान म जट गय रोज़ सबह-शाम दोड़ लगात ाणायाम करत तरन जात मािलश करत तथा जीवन को सयमी बनाकर चयर की िशकषावाली यौवन सरकषा जसी पःतक पढ़त सालभर म तो अचछा गठ ला बदन हो गया का पढ़ाई-िलखाई म भी आग और लोक-क याण म भी आग राममितर को सलाह दी तो राममितर न भी उनकी सलाह ःवीकार की और पहलवान बन गय

बाल गगाधर ितलक क िव ाथ जीवन क सक प को आप भी समझ जाना और अपन जीवन म लाना िक शरीर सदढ़ होना चािहए मन सदढ़ होना चािहए तभी मनय मनचाही सफलता अिजरत कर सकता ह

ितलक जी स िकसी न पछाः आपका वयि तव इतना भावशाली कस ह आपकी ओर दखत ह तो आपक चहर स अधयातम एकामता और तरणाई की तरलता िदखाई दती ह ःवराजय मरा जनमिस अिधकार ह ऐसा जब बोलत ह तो लोग दग रह जात ह िक आप िव ाथ ह यवक ह या कोई तजपज ह आपका ऐसा तजोमय वयि तव कस बना

तब ितलक न जवाब िदयाः मन िव ाथ जीवन स ही अपन शरीर को मजबत और दढ़ बनान का यास िकया था सोलह साल स लकर इककीस साल तक की उ म शरीर को िजतना भी मजबत बनाना चाह और िजतना भी िवकास करना चाह हो सकता ह

इसीिलए िव ाथ जीवन म इस बार पर धयान दना चािहए िक सोलह स इककीस साल तक की उ शरीर और मन को मजबत बनान क िलए ह

म (परम पजय गरदव आसारामजी बाप) जब चौदह-पनिह वषर का था तब मरा कद बहत छोटा था लोग मझ टणी (िठग) कहकर बलात तो मझ बरा लगता ःवािभमान तो होना ही चािहए टणी ऐसा नाम ठ क नही ह वस तो िव ाथ -काल म भी मरा हसमखा ःवभाव था इसस िशकषको न मरा नाम आसमल क बदल हसमखभाई ऱख िदया था लिकन कद छोटा था तो िकसी न टणी कह िदया जो मझ बरा लगा दिनया म सब कछ सभव ह तो टणी कयो

रहना म काकिरया तालाब पर दौड़ लगाता प लअ स करता और 30-40 माम मकखन म एक-दो माम कालीिमचर क टकड़ डालकर िनगल जाता चालीस िदन तक ऐसा योग िकया अब म उस वयि स िमला िजसन 40 िदन पहल टणी कहा था तो वह दखकर दग रह गया

आप भी चाहो तो अपन शरीर क ःवःथ रख सकत हो शरीर को ःवःथ रखन क कई तरीक ह जस धनवनतरी क आरो यशा म एक बात आती ह - उषःपान

उषःपान अथारत सय दय क पहल या सय दय क समय रात का रखा हआ पानी पीना इसस आतो की सफाई होती ह अजीणर दर होता ह तथा ःवाःथय की भी रकषा होती ह उसम आठ च ल भरकर पानी पीन की बात आयी ह आठ च ल पानी यािन िक एक िगलास पानी चार-पाच तलसी क प चबाकर सय दय क पहल पानी पीना चािहए तलसी क प सय दय क बाद तोड़न चािहए व सात िदन तक बासी नही मान जात

शरीर तनदरःत होना चािहए रगड़-रगड़कर जो नहाता ह और चबा-चबाकर खाता ह जो परमातमा का धयान करता ह और सतसग म जाता ह उसका बड़ा पार हो जाता ह

(अनबम)

अनन का भाव हमार जीवन क िवकास म भोजन का अतयिधक मह व ह वह कवल हमार तन को ही

प नही करता वरन हमार मन को हमारी बि को हमार िवचारो को भी भािवत करता ह कहत भी हः

जसा खाओ अनन वसा होता ह मन महाभारत क य म पहल दसर तीसर और चौथ िदन कवल कौरव-कल क लोग ही

मरत रह पाडवो क एक भी भाई को जरा-सी भी चोट नही लगी पाचवा िदन हआ आिखर दय धन को हआ िक हमारी सना म भीम िपतामह जस यो ा ह िफर भी पाडवो का कछ नही िबगड़ता कया कारण ह व चाह तो य म कया स कया कर सकत ह िवचार करत-करत आिखर वह इस िनकषर पर आया िक भीम िपतामह परा मन लगाकर पाडवो का मलोचछद करन को तयार नही हए ह इसका कया कारण ह यह जानन क िलए सतयवादी यिधि र क पास जाना चािहए उसस पछना चािहए िक हमार सनापित होकर भी व मन लगाकर य कयो नही करत

पाडव तो धमर क पकष म थ अतः दय धन िनःसकोच पाडवो क िशिवर म पहच गया वहा पर पाडवो न यथायो य आवभगत की िफर दय धन बोलाः

भीम अजरन तम लोग जरा बाहर जाओ मझ कवल यिधि र स बात करनी ह

चारो भाई यिधि र क िशिवर स बाहर चल गय िफर दय धन न यिधि र स पछाः यिधि र महाराज पाच-पाच िदन हो गय ह हमार कौरव-पकष क लोग ही मर रह ह

िकनत आप लोगो का बाल तक बाका नही होता कया बात ह चाह तो दवोत भीम तफान मचा सकत ह

यिधि रः हा मचा सकत ह

दय धनः व चाह तो भीण य कर सकत ह पर नही कर रह ह कया आपको लगता ह िक व मन लगाकर य नही कर रह ह

सतयवादी यिधि र बोलः हा गगापऽ भीम मन लगाकर य नही कर रह ह

दय धनः भीम िपतामह मन लगाकर य नही कर रह ह इसका कया कारण होगा

यिधि रः व सतय क पकष म ह व पिवऽ आतमा ह अतः समझत ह िक कौन सचचा ह और कौन झठा कौन धमर म ह तथा कौन अधमर म व धमर क पकष म ह इसिलए उनका जी चाहता ह िक पाडव पकष की जयादा खन-खराबी न हो कयोिक व सतय क पकष म ह

दय धनः व मन लगाकर य कर इसका उपाय कया ह

यिधि रः यिद व सतय ETH धमर का पकष छोड़ दग उनका मन ग त जगह हो जाएगा तो िफर व य करग

दय धनः उनका मन य म कस लग

यिधि रः यिद व िकसी पापी क घर का अनन खायग तो उनका मन य म लग जाएगा

दय धनः आप ही बताइय िक ऐसा कौन सा पापी होगा िजसक घर का अनन खान स उनका मन सतय क पकष स हट जाय और व य करन को तयार हो जाय

यिधि रः सभा म भीम िपतामह गर िोणाचायर जस महान लोग बठ थ िफर भी िोपदी को न न करन की आजञा और जाघ ठोकन की द ता तमन की थी ऐसा धमर-िवर और पापी आदमी दसरा कहा स लाया जाय तमहार घर का अनन खान स उनकी मित सतय और धमर क पकष स नीच जायगी िफर व मन लगाकर य करग

दय धन न यि पा ली कस भी करक कपट करक अपन यहा का अनन भीम िपतामह को िखला िदया भीम िपतामह का मन बदल गया और छठव िदन स उनहोन घमासान य करना आरभ कर िदया

कहन का तातपयर यह ह िक जसा अनन होता ह वसा ही मन होता ह भोजन कर तो श भोजन कर मिलन और अपिवऽ भोजन न कर भोजन क पहल हाथ-पर जरर धोय भोजन साितवक हो पिवऽ हो सननता दन वाला हो तनदरःती बढ़ान वाला हो

आहारश ौ स वशि ः

िफर भी ठस-ठस कर भोजन न कर चबा-चबाकर ही भोजन कर भोजन क समय शात एव सननिच रह भ का ःमरण कर भोजन कर जो आहार खान स हमारा शरीर तनदरःत रहता हो वही आहार कर और िजस आहार स हािन होती हो ऐस आहार स बच खान-पान म सयम स बहत लाभ होता ह

भोजन महनत का हो साि वक हो लहसन याज मास आिद और जयादा तल-िमचर-मसाल वाला न हो उसका िनिम अचछा हो और अचछ ढग स सनन होकर भगवान को भोग लगाकर िफर भोजन कर तो उसस आपका भाव पिवऽ होगा र क कण पिवऽ होग मन पिवऽ होगा िफर सधया-ाणायाम करग तो मन म साि वकता बढ़गी मन म सननता तन म आरो यता का िवकास होगा आपका जीवन उननत होता जायगा

महनत मजदरी करक िवलासी जीवन िबताकर या कायर होकर जीन क िलय िज़दगी नही ह िज़दगी तो चतनय की मःती को जगाकर परमातमा का आननद लकर इस लोक और परलोक म सफल होन क िलए ह मि का अनभव करन क िलए िज़दगी ह

भोजन ःवाःथय क अनकल हो ऐसा िवचार करक ही महण कर तथाकिथत वनःपित घी की अपकषा तल खाना अिधक अचछा ह वनःपित घी म अनक रासायिनक पदाथर डाल जात ह जो ःवाःथय क िलए िहतकर नही होत ह

ए यमीिनयम क बतरन म खाना यह पट को बीमार करन जसा ह उसस बहत हािन होती ह कनसर तक होन की समभावना बढ़ जाती ह ताब पीतल क बतरन कलई िकय हए हो तो अचछा ह ए यमीिनयम क बतरन म रसोई नही बनानी चािहए ए यमीिनयम क बतरन म खाना भी नही चािहए

आजकल अ ड खान का चलन समाज म बहत बढ़ गया ह अतः मनयो की बि भी वसी ही हो गयी ह वजञािनको न अनसधान करक बताया ह िक 200 अ ड खान स िजतना िवटािमन सी िमलता ह उतना िवटािमन सी एक नारगी (सतरा) खान स िमल जाता ह िजतना ोटीन कि शयम अ ड म ह उसकी अपकषा चन मग मटर म एयादा ोटीन ह टमाटर म अ ड स तीन गणा कि शयम एयादा ह कल म स कलौरी िमलती ह और भी कई िवटािमनस कल म ह

िजन ािणयो का मास खाया जाता ह उनकी हतया करनी पड़ती ह िजस व उनकी हतया की जाती ह उस व व अिधक स अिधक अशात िखनन भयभीत उि न और ब होत ह अतः मास खान वाल को भी भय बोध अशाित उ ग इस आहार स िमलता ह शाकाहारी भोजन म सपाचय तत होत ह मास म व नही होत अतः मासाहारी भोजन को पचान क जीवन शि का एयादा वयय होता ह ःवाःथय क िलय एव मानिसक शाित आिद क िलए प यातमा होन की दि स भी शाकाहारी भोजन ही करना चािहए

शरीर को ःथल करना कोई बड़ी बात नही ह और न ही इसकी ज़ररत ह लिकन बि को सआम करन की ज़ररत ह आहार यिद साि वक होगा तो बि भी सआम होगी इसिलए सदव साि वक भोजन ही करना चािहए

(अनबम)

भारतीय सःकित की महानता रवरनड ऑवर नाम का एक पादरी पना म िहनद धमर की िननदा और ईसाइयत का चार

कर रहा था तब िकसी सजजन न एक बार रवरनड ऑवर स कहाः आप िहनद धमर की इतनी िननदा करत हो तो कया आपन िहनद धमर का अधययन िकया

ह कया भारतीय सःकित को परी तरह स जानन की कोिशश की ह आपन कभी िहनद धमर को समझा ही नही जाना ही नही ह िहनद धमर म तो ऐस जप धयान और सतसग की बात ह िक िजनह अपनाकर मनय िबना िवषय-िवकारी क िबना िडःको डास(नतय) क भी आराम स रह सकता ह आनिदत और ःवःथ रह सकता ह इस लोक और परलोक दोनो म सखी रह सकता ह आप िहनद धमर को जान िबना उसकी िनदा करत हो यह ठ क नही ह पहल िहनद धमर का अधययन तो करो

रवरनड ऑवर न उस सजजन की बात मानी और िहनद धमर की पःतको को पढ़न का िवचार िकया एकनाथजी और तकारामजी का जीवन चिरऽ जञान र महाराज की योग सामथयर की बात और कछ धािमरक पःतक पढ़न स उस लगा िक भारतीय सःकित म तो बहत खजाना ह मनय की जञा को िदवय करन की मन को सनन करन की और तन क र कणो को भी बदलन की इस सःकित म अदभत वयवःथा ह हम नाहक ही इन भोल-भाल िहनदःतािनयो को अपन चगल म फसान क िलए इनका धमरपिरवतरन करवात ह अर हम ःवय तो अशािनत की आग म जल ही रह ह और इनह भी अशात कर रह ह

उसन ायि -ःवरप अपनी िमशनरी रो तयागपऽ िलख भजाः िहनदःतान म ईसाइयत फलान की कोई ज़ररत नही ह िहनद सःकित की इतनी महानता ह िवशषता ह िक ईसाइय को चािहए िक उसकी महानता एव सतयता का फायदा उठाकर अपन जीवन को साथरक बनाय िहनद धमर की सतयता का फायदा दश-िवदश म पहच मानव जाित को सख-शाित िमल इसका यास हम करना चािहए

म भारतीय इितहास सशोधन म डल क मर आठ लाख डॉलर भट करता ह और तमहारी िमशनरी को सदा क िलए तयागपऽ दकर भारतीय सःकित की शरण म जाता ह

जस रवर ड ऑवर न भारतीय सःकित का अधययन िकया ऐस और लोगो को भी जो िहनद धमर की िनदा करत ह भारतीय सःकित का पकषपात और पवरमहरिहत अधययन करना चािहए मनय की सष शि या व आनद जगाकर ससार म सख-शाित आनद सननता का चार-सार करना चािहए

मा सीता की खोज करत-करत हनमान जामबत अगद आिद ःवयभा क आौम म पहच उनह जोरो की भख और यास लगी थी उनह दखकर ःवयभा न कह िदया िकः

कया तम हनमान हो ौीरामजी क दत हो सीता जी की खोज म िनकल हो

हनमानजी न कहाः हा मा हम सीता माता की खोज म इधर तक आय ह

िफर ःवयभा न अगद की ओर दखकर कहाः तम सीता जी को खोज तो रह हो िकनत आख बद करक खोज रह हो या आख

खोलकर

अगद जरा राजवी परष था बोलाः हम कया आख बनद करक खोजत होग हम तो आख खोलकर ही माता सीता की खोज कर रह ह

ःवयभा बोलीः सीताजी को खोजना ह तो आख खोलकर नही बद करक खोजना होगा सीता जी अथारत भगवान की अधािगनी सीताजी यानी िव ा आतमिव ा िव ा को खोजना ह तो आख खोलकर नही आख बद करक ही खोजना पड़गा आख खोलकर खोजोग तो सीताजी नही िमलगी तम आख बनद करक ही सीताजी ( िव ा) को पा सकत हो ठहरो म तमह बताती ह िक सीता जी कहा ह

धयान करक ःवयभा न बतायाः सीताजी यहा कही भी नही वरन सागर पार लका म ह अशोकवािटका म बठ ह और राकषिसयो स िघरी ह उनम िऽजटा नामक राकषसी ह तो रावण की सिवका िकनत सीताजी की भ बन गयी ह सीताजी वही रहती ह

वारन सोचन लग िक भगवान राम न तो एक महीन क अदर सीता माता का पता लगान क िलए कहा था अभी तीन स ाह स एयादा समय तो यही हो गया ह वापस कया मह लकर जाए सागर तट तक पहचत-पहचत कई िदन लग जाएग अब कया कर

उनक मन की बात जानकर ःवयभा न कहाः िचनता मत करो अपनी आख बद करो म योगबल स एक कषण म तमह वहा पहचा दती ह

हनमान अगद और अनय वानर अपनी आख बनद करत ह और ःवयभा अपनी योगशि स उनह सागर-तट पर कछ ही पल म पहचा दती ह

ौीरामचिरतमानस म आया ह िक ETH

ठाड़ सकल िसध क तीरा ऐसी ह भारतीय सःकित की कषमता

अमिरका को खोजन वाला कोलबस पदा भी नही हआ था उसस पाच हजार वषर पहल अजरन सशरीर ःवगर म गया था और िदवय अ लाया था ऐसी यो यता थी िक धरती क राजा खटवाग दवताओ को मदद करन क िलए दवताओ का सनापितपद सभालत थ ितःमित-िव ा चाकषषी िव ा परकायावश िव ा अ िसि िव ा एव नविनिध ा करान वाली योगिव ा और जीत-जी जीव को बनान वाली िव ा यह भारतीय सःकित की दन ह अनय जगह यह नही िमलती भारतीय सःकित की जो लोग आलोचना करत ह उन बचारो को तो पता ही नही ह िक भारतीय सःकित िकतनी महान ह

गर तगबहादर बोिलयो सनो सीखो बड़भािगयो धड़ दीज धमर न छोिड़य

यवनो न गर गोिबनदिसह क बटो स कहाः तम लोग मसलमान हो जाओ नही तो हम तमह िज़नदा ही दीवार म चनवा दग

बट बोलः हम अपन ाण द सकत ह लिकन अपना धमर नही तयाग सकत

बरो न उन दोनो को जीत-जी दीवार म चनवा िदया जब कारीगर उनह दीवार म चनन लग तब बड़ा भाई बोलता हः धमर क नाम यिद हम मरना ही पड़ता ह तो पहल मरी ओर ट बढ़ा दो तािक म छोट भाई की मतय न दख

छोटा भाई बोलता हः नही पहल मरी ओर ईट बढ़ा दो

कया साहसी थ कया वीर थ वीरता क साथ अपन जीवन का बिलदान कर िदया िकनत धमर न छोड़ा आजकल क लोग तो अपन धमर और सःकित को ही भलत जा रह ह कोई लवर-लवरी धमरपिरवतरन करक लवमरज करत ह अपना िहनद धमर छोड़कर फस मरत ह यह भी कोई िज़नदगी ह भगवान ौीकण कहत ह ETH

ःवधम िनधन ौय परधम भयावहः अपन धमर म मर जाना अचछा ह पराया धमर दःख दन वाला ह भयावह ह नरको म ल

जान वाला ह इसिलए अपन ही धमर म अपनी ही सःकित म जो जीता ह उसकी शोभा ह रवर ड ऑवर न भारतीय सःकित का खब आदर िकया एफ एच मोलम न महातमा

थोरो एव अनय कई पा ातय िचनतको न भी भारतीय सःकित का बहत आदर िकया ह उनक कछ उदगार यहा ःतत हः

बाईबल का मन यथाथर अ यास िकया ह उसम जो िदवय िलखा ह वह कवल गीता क उ रण क रप म ह म ईसाई होत हए भी गीता क ित इतना सारा आदरभाव इसिलए रखता ह िक िजन गढ़ ो का समाधान पा ातय लोग अभी तक नही खोज पाय ह उनका समाधान गीतामनथ न श एव सरल रीित स कर िदया ह उसम कई सऽ अलौिकक उपदशो स भरपर

लग इसीिलए गीता जी मर िलए साकषात योग री माता बन रही ह वह तो िव क तमाम धन स भी नही खरीदा जा सक ऐसा भारतवषर का अम य खजाना ह

- एफ एच मोलम (इगल ड) ाचीन यग की सवर रमणीय वःतओ म गीता स ौ कोई वःत नही ह गीता म ऐसा

उ म और सवरवयापी जञान ह िक उसक रचियता दवता को अस य वषर हो गय िफर भी ऐसा दसरा एक भी मनथ नही िलखा गया

महातमा थोरो (अमिरका) धमर क कषऽ म अनय सब दख दिरि ह जबिक भारत इस िवषय म अरबपित ह

माकर टवन (यएसए) इस पथवी पर सवारिधक पणर िवकिसत मानवजञा कहा ह और जीवन क मह म ो क

हल िकसन खोज ह ऐसा अगर मझस पछा जाए तो म अगिलिनदश करक कहगा िक भारत न ही

मकसमलर (जमरनी) वदानत जसा ऊधवरगामी एव उतथानकारी और एक भी धमर या त वजञान नही ह

शोपनहोअर (जमरनी) िव भर म कवल भारत ही ऐसी ौ महान परमपराए रखता ह जो सिदयो तक जीिवत

रही ह

कनो (ानस) मनय जाित क अिःततव क सबस ारिमभक िदनो स लकर आज तक जीिवत मनय

क तमाम ःव न अगर कही साकार हए हो तो वह ःथान ह भारत

रोमा रोला (ास) भारत दश समपणर मानव जाित की मातभिम ह और सःकत यरोप की सभी भाषाओ की

जननी ह भारत हमार त वजञान गिणतशा एव जनतऽ की जननी ह भारतमाता अनक रप स सभी की जननी ह

िवल डरानट (यएसए) भारतीय सःकित की महानता का एहसास करन वाल इन सब िवदशी िचनतको को हम

धनयवाद दत ह एक बार महातमा थोरो सो रह थ इतन म उनका िशय एमसरन आया दखा िक वहा

साप और िबचछ घम रह ह गरजी क जागन पर एमसरन बोलाः गरदव यह जगह बड़ी खतरनाक ह म िकसी सरिकषत जगह पर आपकी वयवःथा करवा

दता ह

महातमा थोरो बोलः नही नही िचनता करन की कोई ज़ररत नही ह मर िसरहान पर ौीमदभगवदगीता ह भगवदगीता क जञान क कारण तो मझ साप म िबचछ म सबम मरा ही आतमा-परमातमा िदखता ह व मझ नही काटत ह तो म कही कयो जाऊ

िकतनी कह गीता की महानता यही ह भारतीय सःकित की मिहमा अदभत ह उसकी महानता लाबयान ह उसकी मिहमा

(अनबम)

हिरदास की हिरभि सात वष य गौर वणर क गौराग बड़-बड़ िव ान पिडतो स ऐस-ऐस करत थ िक व

दग रह जात थ इसका कारण था गौराग की हिरभि बड़ होकर उनहोन लाखो लोगो को हिरभि म रग िदया

जो हिरभ होता हिर का भजन करता उसकी बि अचछ मागर पर ही जाती ह लोभी वयि पसो क िलए हसता-रोता ह पद एव कस क तो िकतन ही लोग हसत रोत ह पिरवार क िलए तो िकतन ही मोही हसत रोत ह िकनत धनय ह व जो भगवान क िलए रोत हसत ह भगवान क िवरह म िजस रोना आया ह भगवान क िलए िजसका दय िपघलता ह ऐस लोगो का जीवन साथरक हो जाता ह भागवत म भगवान ौीकण उ व स कहत ह-

वाग गदगदा िवत यःय िच

रदतयभीआण हसित कविचचच िवलजज उदगायित नतयत च

मदभि य ो भवन पनाित िजसकी वाणी गदगद हो जाती ह िजसका िच ििवत हो जाता ह जो बार-बार रोन

लगता ह कभी लजजा छोड़कर उचच ःवर स गान लगता ह कभी नाचन लगता ह ऐसा मरा भ समम ससार को पिवऽ करता ह (ौीमदभागवतः 111424)

धनय ह वह मसलमान बालक जो गौराग क कीतरन म आता ह और िजसन गौराग स मऽदीकषा ली ह

उस मसलमान बालक का नाम हिरदास रखा गया मसलमान लोगो न उस हिरभ हिरदास को फसलान की बहत च ा की बहत डराया िक त गौराग क पास जाना छोड़ द नही तो हम यह करग वह करग िकनत हिरदास बहका नही उसका भय न हो गया था दमरित दर हो चकी थी उसकी सदबि और िन ा भगवान क धयान म लग गयी थी भयनाशन दमरित हरण किल म हिर को नाम यह नानक जी का वचन मानो उसक जीवन म साकार हो उठा था

काज़ी न षडयऽ करक उस पर कस िकया और फरमान जारी िकया िक हिरदास को बत मारत-मारत बीच बाजार स ल जाकर यमना म डाल िदया जाय

िनभ क हिरदास न बत की मार खाना ःवीकार िकया िकनत हिरभि छोड़ना ःवीकार न िकया िनि त िदन हिरदास को बत मारत हए ल जाया जान लगा िसपाही बत मारता ह तो हिरदास बोलता हः हिर बोल

हमको हिर बोल बलवाता ह य ल हिर बोल हिर बोल (सटाकसटाक) िसपाही बोलत हः हम तझ बत मारत ह तो कया तझ पीड़ा नही होती त हमस भी हिर

बोल हिर बोल करवाना चाहता ह

हिरदासः पीड़ा तो शरीर को होती ह म तो आतमा ह मझ तो पीड़ा नही होती तम भी यार स एक बार हिर बोल कहो

िसपाहीः ह हम भी हिर बोल कह हमस हिर बोल बलवाता ह ल य हिर बोल (सटाक)

हिरदास सोचता ह िक बत मारत हए भी तो य लोग हिर बोल कह रह ह चलो इनका क याण होगा िसपाही बत मारत जात ह सटाक सटाक और हिरदास हिर बोल बोलता भी जाता ह बलवाता भी जाता ह हिरदास को कई बत पड़न पर भी उसक चहर पर दःख की रखा तक नही िखचती

हवालदार पछता हः हिरदास तझ बत पड़न क बावजद भी तरी आखो म चमक ह चहर पर धयर शाित और सननता झलक रही ह कया बात ह

हिरदासः म बोलता ह हिर बोल तब िसपाही ब होकर भी कहत हः ह हमस भी बलवाता ह हिर बोल हिर बोल हिर बोल तो ल इस बहान भी उनक मह स हिरनाम िनकलता ह दर सवर उनका भी क याण होगा इसी स मर िच म सननता ह

धनय ह हिरदास की हिरभि बर काज़ी क आदश का पालन करत हए िसपाही उस हिरभि स िहनद धमर की दीकषा स चयत करन क िलए बत मारत ह िफर भी वह िनडर हिरभि नही छोड़ता हिर बोल बोलना बद नही करता

व मसलमान िसपाही हिरदास को िहनद धमर की दीकषा क भाव स गौरा क भाव स दर हटाना चाहत थ लिकन वह दर नही हटा बत सहता रहा िकनत हिर बोल बोलना न छोड़ा आिखरकार उन बर िसपाहीयो न हिरदास को उठाकर नदी म बहा िदया

नदी म तो बहा िदया लिकन दखो हिरनाम का भाव मानो यमनाजी न उसको गोद म ल िलया डढ़ मील तक हिरदास पानी म बहता रहा वह शातिच होकर मानो उस पानी म नही हिर की कपा म बहता हआ दर िकसी गाव क िकनार िनकला दसर िदन गौराग की भातफरी म शािमल हो गया लोग आ यरचिकत हो गय िक चमतकार कस हआ

धनय ह वह मसलमान यवक हिरदास जो हिर क धयान म हिर क गान म हिर क कीतरन म गौराग क साथ रहा जस िववकाननद क साथ भिगनी िनविदता न भारत म अधयातम-धणर क चार म लगकर अपना नाम अमर कर िदया वस ही इस मसलमान यवक न हिरकीतरन म हिरधयान म अपना जीवन धनय कर िदया दजरन लोग हिरदास का बाल तक न बाका कर सक जो सचच दय स भगवान का हो जाता ह उसकी हजारो शऽ िमलकर भी कछ हािन नही कर सकत तो उस काज़ी की कया ताकत थी

लोगो न जाकर काज़ी स कहा िक आज हिरदास पनः गौराग की भातफरी म उपिःथत हो गया था काजी अतयनत अहकारी था उसन एक नोिटस भजा एक आदश चतनय महाभ (गौराग) को भजा िक कल स तम भातफरी नही िनकाल सकत तमहारी भातफरी पर बिदश लगाई जाती ह

गौराग न सोचा िक हम िकसी का बरा नही करत िकसी को कोई हािन नही पहचात अर वायम डल क दषण को दर करन क िलए तो शासन पस खचर करता ह िकनत िवचारो क दषण को दर करन क िलए हिरकीतरन जसा हिरभि जसा अमोघ उपाय कौन सा ह भल काजी और शासन की समझ म आय या न आय वातावरण को श करन क साथ-साथ िवचारो का दषण भी दर होना चािहए हम तो कीतरन करग और करवायग

जो लोग डरपोक थ भीर और कायर थ ढील-ढाल थ व बोलः बाबा जी रहन दो रहन दो अपना कया जो करग व भरग अपन तो घर म ही रहकर हिर ॐ हिर ॐ करग

गौराग न कहाः नही इस कार कायरो जसी बात करना ह तो हमार पास मत आया करो

दसर िदन जो डरपोक थ ऐस पाच-दस वयि नही आय बाकी क िहममतवाल िजतन थ व सब आय उनह दखकर और लोग भी जड़

गौराग बोलः आज हमारी भातफरी की पणारहित काजी क घर पर ही होगी

गौराग भ -म डली क साथ कीतरन करत-करत जब बाजार स गज़र तो कछ िहनद एव मसलमान भी कीतरन म जड़ गय उनको भी कीतरन म रस आन लगा व लोग काजी को गािलया दन लग िक काजी बदमाश ह ऐसा ह वसा ह आिद ETH आिद

तब गौराग कहत हः नही शऽ क िलए भी बरा मत सोचो

उनहोन सबको समझा िदया िक काजी क िलए कोई भी अपश द नही कहगा कसी महान ह हमारी िहनद सःकित िजसन हिरदास को बत मारन का आदश िदया उस कवल अपश द कहन क िलए भी गौराग मना कर रह ह इस भारती सःकित म िकतनी उदारता ह स दयता ह लिकन कायरता को कही भी ःथान नही ह

गौराग कीतरन करत-करत काजी क घर क िनकट पहच गय काजी घर की छत पर स इस भातफरी को दखकर दग रह गया िक मर मना करन पर भी इनहोन भातफरी िनकाली

और मर घर तक ल आय उसम मसलमान लड़क भी शािमल ह जयो ही वह भातफरी काजी क घर पहची काजी घर क अनदर िछप गया

गौराग न काजी का ार खटखटाया तब काजी या काजी की प ी न नही वरन चौकीदार न दरवाजा खोला वह बोलाः

काजी साहब घर पर नही ह

गौराग बोलः नही कस ह अभी तो हमन उनह घर की छत पर दखा था काजी को जाकर बोलो हमार मामा और मा भी िजस गाव की ह आप भी उसी गाव क हो इसिलए आप मर गाव क मामा लगत ह मामाजी भानजा ार पर आय और आप छप कर बठ यह शोभा नही दता बाहर आ जाईय

चौकीदार न जाकर काजी को सब कह सनाया गौराग क मभर वचन सनकर काजी का दय िपघल गया िजस पर मन ज म ढाय वह मझ मामा कहकर सबोिधत करता ह िजसक साथ मन बरता की वह मर साथ िकतना औदायर रखता ह यह सोचकर काजी का दय बदल गया वह ार पर आकर बोलाः

म तमस डरकर अनदर नही छपा कयोिक मर पास तो स ा ह कलम की ताकत ह लिकन हिरकीतरन स हिरनाम स िहनद तो कया मसलमान लड़क भी आनिदत हो रह ह उनका भी लह पिवऽ हो रहा ह यह दखकर मझ दःख हो रहा ह िक िजस नाम क उचचारण स उनकी रग-रग पावन हो रही ह उसी नाम क कारण मन हिरदास पर और तम पर ज म िकया िकसी क बहकाव म आकर तम लोगो पर फरमान जारी िकया अब म िकस मह स तमहार सामन आता इसीिलए म मह िछपाकर घर क अनदर घस गया था

भानजा(गौराग) बोलता हः मामा अब तो बाहर आ जाइय

मामा(काजी) बोलाः बाहर आकर कया कर

गौरागः कीतरन कर हिरनाम क उचचारण स छपी हई यो यता िवकिसत कर आनद गट कर

काजीः कया करना होगा

गौरागः म जसा बोलता ह ऐसा ही बोलना होगा बोिलएः हिर बोल हिर बोल

काजीः हिर बोल हिर बोल

गौरागः हिर बोल हिर बोल

काजीः हिर बोल हिर बोल

हिर बोल हिर बोल हिर बोल हिर बोल

हिर बोल हिर बोल हिर बोल हिर बोल

कीतरन करत-करत गौराग न अपनी िनगाहो स काजी पर कपा बरसाई तो काजी भी झमन लगा उस भी हिर बोल का रग लग गया जस इजन को ह डल दकर छोड़ दत ह तब भी इजन चलता रहता ह ऐस ही गौराग की कपादि स काजी भी झमन लगा

काजी क झमन स वातावरण म और भी रग आ गया काजी तो झम गया काजी की प ी भी झमी और चौकीदार भी झम उठा सब हिरकीतरन म झमत-झमत अपन र को पावन करन लग दय को हिररस स सराबोर करन लगा उनक जनम-जनम क पाप-ताप न होन लग िजस पर भगवान की दया होती ह िजसको साधओ का सग िमलता ह सतसग का सहारा िमलता ह और भारतीय सःकित की महानता को समझन की अकल िमलती ह िफर उसक उ ार म कया बाकी रह जाता ह काजी का तो उ ार हो गया

दखो सत की उदारता एव महानता िजसन िहनदओ पर ज म करवाय भ हिरदास को बत मरवात-मरवात यमना जी म डलवा िदया भातफरी पर ितबध लगवा िदया उसी काजी को गौराग न हिररग म रग िदया अपनी कपादि स िनहाल कर िदया उसक बर कम की धयान न दत हए भि का दान द िदया ऐस गौराग क ौीचरणो म हमार हजार-हजार णाम ह हम उस मसलमान यवक हिरदास को भी धनयवाद दत ह िक उसन बत खात पीड़ा सहत भी भि न छोड़ी गरदव को न छोड़ा न ही उनक दबाव म आकर पनः मसलमान बना हिर बोल क रग म ःवय रगा और िसपािहयो को भी रग िदया धनय ह हिरदास और उसकी हिरभि

(अनबम)

बनावटी ौगार स बचो जमरनी क िस दाशरिनक शोपनहार कहत ह िक िजन दशो म हिथयार बनाय जात ह

उन दशो क लोगो को य करन की उ जना होती ह और उन दशो म हिथयार बनत ही रहत ह य भी होत रहत ह ऐस ही जो लोग फशन करत ह उनक दय म काम बोध लोभ मोह रपी य होता ही रहता ह उनक जीवन म िवलािसता आती ह और पतन होता ह वस ही फशन और िवलािसता स सयम सदाचार और यो यता का सहार होता ह

इसिलए य क साधन बढ़न स जस य होता ह वस ही िवलािसता और फशन क साधनो का उपयोग करन स अतयर होता ह अपनी आितमक शि यो का सहार होता ह अतः अपना भला चाहन वाल भाई-बहनो को पफ-पाउडर िलपिःटक-लाली व -अलकार क िदखाव क पीछ नही पड़ना चािहए सयम सादगी एव पिवऽतापणर जीवन जीना चािहए

अपन शा ो म ौगार की अनमित दी गई ह सौभा यवती ि या जब पित अपन ही नगर म हो घर म हो तब ौगार कर पित यिद दर दश गया हो तब सौभा यवित ि यो को भी सादगीपणर जीवन जीना चािहए ौगार क उपयोग म आनवाली वःतए भी वनिःपतयो एव साि वक रसो स बनी हई होनी चािहए जो सननता और आरो यता दान कर

आजकल तो शरीर म उ जना पदा कर बीमािरया पदा कर ऐस किमक स(रसायनो) और जहर जस साधनो स ौगार-साधन बनाए जात ह िजसस शरीर क अनदर जहरील कण जात ह और तवचा की बीमािरया होती ह आहार म भी जहरील कणो क जान स पाचन-तऽ और मानिसक सतलन िबगड़ता ह साथ ही बौि क एव वचािरक सतलन भी िबगड़ता ह

पशओ की चब किमक स और दसर थोड़ जहरील िवयो स बन पफ-पाउडर िलपिःटक-लाली आिद िजन साधनो का यटी-पालरर म उपयोग िकया जाता ह वसी गदगी कभी-भी अपन शरीर को तो लगानी ही नही चािहए दसर लोगो न लगायी हो तो दखकर सनन भी नही होना चािहए अपन सयम और सदाचार की सनदरता को गट करना चािहए मीरा और शबरी िकस यटी-पालरर म गय थ सती अनसया गाग और मदालसा न िकस पफ-पाउडर लाली-िलपिःटक का उपयोग िकया था िफर भी उनका जीवन सनदर तजःवी था हम भी ई र स ाथरना कर िक ह भगवान हम अपना सयम और साधना का सौनदयर बढ़ाए ऐसी त दया करना िवकारी सौनदयर स अपन को बचाकर िनिवरकारी नारायण की ओर जाय ऐसी त दया करना िवलािसता म अपन समय को न लगाकर तर ही धयान-िचतन म हमारा समय बीत ऐसी त कपा करना

किऽम सौनदयर-साधन स तवचा की िःन धता और कोमलता मर जाती ह पफ-पाउडर बीम आिद स शरीर की कदरती िःन धता खतम हो जाती ह ाकितक सौनदयर को न करक

जो किऽम सौनदयर क गलाम बनत ह उनस ःनहभरी सलाह ह िक व पफ-पाउडर आिद और तड़कील-भड़कील व आिद की गलामी को छोड़कर ाकितक सौनदयर को बढ़ान की कोिशश कर मीरा और मदालसा की तरह अपन असली सौनदयर को कट करन की कोिशश कर

(अनबम)

साहसी बालक एक लड़का काशी म हिर नि हाईःकल म पढ़ता था उसका गाव काशी स आठ मील दर

था वह रोजाना वहा स पदल चलकर आता बीच म जो गगा नदी बहती ह उस पार करक िव ालय पहचता

उस जमान म गगा पार करन क िलए नाव वाल को दो पस दन पड़त थ दो पस आन क और दो पस जान क कल चार पस यािन पराना एक आना महीन म करीब दो रपय हए जब सोन क एक तोल का भाव रपया सौ स भी नीच था तब क दो रपय आज क तो पाच-पचचीस रपय हो जाए

उस लड़क न अपन मा-बाप पर अितिर बोझा न पड़ इसिलए एक भी पस की माग नही की उसन तरना सीख िलया गम हो बािरश हो या ठ ड हो गगा पार करक हाईःकल म जाना उसका बम हो गया इस कार िकतन ही महीन गजर गय

एक बार पौष मास की ठ ड म वह लड़का सबह की ःकल भरन क िलए गगा म कदा तरत-तरत मझधार म आया एक नाव म कछ याऽी नदी पार कर रह थ उनहोन दखा िक छोटा-सा लड़का अभी डब मरगा व उसक पास नाव ल गय और हाथ पकड़ कर उस नाव म खीच िलया लड़क क मख पर घबराहट या िचनता की कोई रखा नही थी सब लोग दग रह गय इतना छोटा ह और इतना साहसी ह व बोलः

त अभी डब मरता तो ऐसा साहस नही करना चािहए

तब लड़का बोलाः साहस तो होना ही चािहए जीवन म िव न-बाधाए आयगी उनह कचलन क िलए साहस तो चािहए ही अगर अभी स साहस नही जटाया तो जीवन म बड़-बड़ कायर कस कर पायग

लोगो न पछाः इस समय तरन कयो िगरा दोपहर को नहान आता

लड़का बोलता हः म नहान क िलए नदी म नही िगरा ह म तो ःकल जा रहा ह

नाव म बठकर जाता

रोज क चार पस आन-जान क लगत ह मर गरीब मा-बाप पर मझ बोझा नही बनना ह मझ तो अपन परो पर खड़ होना ह मरा खचर बढ़ तो मर मा-बाप की िचनता बढ़ उनह घर चलाना मिकल हो जाय

लोग उस आदर स दखत ही रह गय वही साहसी लड़का आग चलकर भारत का धान मऽी बना

वह लड़का कौन था पता ह व थ लाल बहादर शा ी शा ी जी उस पद भी सचचाई साहस सरलता ईमानदारी सादगी दशम आिद सदगण और सदाचार क मितरमनत ःवरप थ ऐस महापरष भल िफर थोड़ा-सा समय ही राजय कर पर एक अनोखा भाव छोड़ जात ह जनमानस पर

(अनबम)

गर-आजञापालन का चमतकार ौीम आ ाशकराचायर जी जब काशी म िनवास करत थ तब गगा-तट पर िनतय ात-

काल टहलत थ एक सबह िकसी ितभासपनन यवक न दसर िकनार स दखा िक कोई सनयासी उस पार टहल रह ह उस यवक न दसर िकनार स ही उनह णाम िकया उस यवक को दखकर आ शकराचायर जी न सकत िकया िक इधर आ जाओ उस आभासमपनन यवक न दखा िक मन तो साध को णाम कर िदया ह णाम कर िदया तो म उनका िशय हो गया और उनहोन मझ आदश िदया िक इधर आ जाओ अब गर की आजञा का उ लघन करना भी तो उिचत नही ह िकनत यही कोई नाव नही ह और म तरना भी नही जानता ह अब कया कर उसक मन म िवचार आया िक वस भी तो हजारो बार हम मर चक ह एक बार यिद गर क दशरन क िलए जात-जात मर जाय तो घाटा कया होगा

गग मात की जय कह कर उस यवक न तो गगाजी म पर रख िदया उसकी इचछा कहो ौीम आ शकराचायर जी का भाव कहो या िनयित की लीला कहो जहा उस यवक न कदम रखा वहा एक कमल पदा हो गया उसक पर को थामन क िलए जब दसरा पर रखा तो वहा भी कमल पदा हो गया इस कार जहा-जहा वह कदम रखता गया वहा कमल (प ) उतपनन होता गया और वह यवक गगा क दसर तट पर जहा आ शकराचायर जी खड़ थ पहच गया

जहा-जहा वह कदम रखता था वहा-वहा प (कमल) क कट होन क कारण उसका नाम पड़ा - प पादाचायर शकराचायर जी क म य चार प टिशयो म आग जाकर यही प पादाचायर एक प टिशय बन

कहन का तातपयर यह ह िक सिचचदानद परमातमा की शि का सामथयर का बयान करना सभव नही ह िजसकी िजतनी दढ़ता ह िजसकी िजतनी सचचाई ह िजसकी िजतनी ततपरता ह उतनी ही कित भी उसकी मदद करन को आतर रहती ह प पादाचायर की गर-आजञापालन म दढ़ता और ततपरता को दखकर गगा जी म कमल गट हो गय िशय यिद दढ़ता ततपरता और ईमानदारी स गर-आजञापालन म लग जाय तो कित भी उसक अनकल हो जाती ह

(अनबम)

अनोखी गरदिकषणा एकलवय गर िोणाचायर क पास आकर बोलाः मझ धनिवर ा िसखान की कपा कर

गरदव गर िोणाचायर क समकष धमरसकट उतपनन हआ कयोिक उनहोन भीम िपतामह को वचन

द िदया था िक कवल राजकमारो को ही म िशकषा दगा एकलवय राजकमार नही ह अतः उस धनिवर ा कस िसखाऊ अतः िोणाचायर न एकलवय स कहाः

म तझ धनिवर ा नही िसखा सकगा

एकलवय घर स िन य करक िनकला था िक म कवल गर िोणाचायर को ही गर बनाऊगा िजनक िलए मन म भी गर बनान का भाव आ गया उनक िकसी भी वयवहार क िलए िशकायत या िछिानवषण की वि नही होनी चािहए

एकलवय एकात अर य म गया और उसन गर िोणाचायर की िम टी की मितर बनायी मितर की ओर एकटक दखकर धयान करक उसी स रणा लकर वह धनिवर ा सीखन लगा एकटक दखन स एकामता आती ह एकामता गरभि अपनी सचचाई और ततपरता क कारण उस रणा िमलन लगी जञानदाता तो परमातमा ह धनिवर ा म वह बहत आग बढ़ गया

एक बार िोणाचायर पाडव एव कौरव धनिवर ा का योग करन अर य म आय उनक साथ एक क ा भी था जो थोड़ा आग िनकल गया क ा वही पहचा जहा एकलवय अपनी धनिवर ा का योग कर रहा था एकलवय क खल बाल फट कपड़ एव िविचऽ वष को दखकर क ा भ कन लगा

एकलवय न क को लग नही चोट न पहच और उसका भ कना बद हो जाय इस ढग स सात बाण उसक मह म थमा िदय क ा वािपस वहा गया जहा िोणाचायर क साथ पाडव और कौरव थ

उस दखकर अजरन को हआ िक क को चोट न लग इस ढग स बाण मह म घसाकर रख दना यह िव ा तो म भी नही जानता यह कस सभव हआ वह गर िोणाचायर स बोलाः

गरदव आपन तो कहा था िक मरी बराबरी का दसरा कोई धनधाररी नही होगा िकनत ऐसी िव ा तो मझ भी नही आती

िोणाचायर को हआ िक दख इस अर य म कौन-सा ऐसा कशल धनधरर ह आग जाकर दखा तो वह था िहर यधन का पऽ गरभ एकलवय

िोणाचायर न पछाः बटा यह िव ा त कहा स सीखा

एकलवय बोलाः गरदव आपकी ही कपा स सीखा ह

िोणाचायर तो वचन द चक थ िक अजरन की बराबरी का धनधरर दसरा कोई न होगा िकनत यह तो आग िनकल गया गर क िलए धमरसकट खड़ा हो गया एकलवय की अटट ौ ा दखकर िोणाचायर न कहाः मरी मितर को सामन रखकर त धनिवर ा तो सीखा िकनत गरदिकषणा

एकलवयः जो आप माग

िोणाचायरः तर दाय हाथ का अगठा

एकलवय न एक पल भी िवचार िकय िबना अपन दाय हाथ का अगठा काटकर गरदव क चरणो म अपरण कर िदया

िोणाचायरः बटा भल ही अजरन धनिवर ा म सबस आग रह कयोिक म उस वचन द चका ह िकनत जब तक सयर चनि नकषऽो का अिःततव रहगा तब तक लोग तरी गरिन ा का तरी गरभि का ःमरण करग तरा यशोगान होता रहगा

उसकी गरभि और एकामता न उस धनिवर ा म तो सफलता िदलायी ही लिकन सतो क दय म भी उसक िलए आदर गट करवा िदया धनय ह एकलवय जो गरमितर स रणा पाकर धनिवर ा म सफल हआ और िजसन अदभत गरदिकषणा दकर साहस तयाग और समपरण का पिरचय िदया

(अनबम)

सतसग की मिहमा तलसीदास जी महाराज कहत ह ETH

एक घड़ी आधी घड़ी आधी म पिन आध तलसी सगत साध की हर कोिट अपराध

एक बार शकदव जी क िपता भगवान वदवयासजी महाराज कही जा रह थ राःत म उनहोन दखा िक एक कीड़ा बड़ी तजी स सड़क पार कर रहा था

वदवयासजी न अपनी योगशि दत हए उसस पछाः त इतनी ज दी सड़क कयो पार कर रहा ह कया तझ िकसी काम स जाना ह त तो

नाली का कीड़ा ह इस नाली को छोड़कर दसरी नाली म ही तो जाना ह िफर इतनी तजी स कयो भाग रहा ह

कीड़ा बोलाः बाबा जी बलगाड़ी आ रही ह बलो क गल म बध घघर तथा बलगाड़ी क पिहयो की आवाज म सन रहा ह यिद म धीर-धीर सड़क पार करगा तो वह बलगाड़ी आकर मझ कचल डालगी

वदवयासजीः कचलन द कीड़ की योिन म जीकर भी कया करना

कीड़ाः महिषर ाणी िजस शरीर म होता ह उसको उसम ही ममता होती ह अनक ाणी नाना कार क क ो को सहत हए भी मरना नही चाहत

वदवयास जीः बलगाड़ी आ जाय और त मर जाय तो घबराना मत म तझ योगशि स महान बनाऊगा जब तक ा ण शरीर म न पहचा द अनय सभी योिनयो स शीय छटकारा िदलाता रहगा

उस कीड़ न बात मान ली और बीच राःत पर रक गया और मर गया िफर वदवयासजी की कपा स वह बमशः कौआ िसयार आिद योिनयो म जब-जब भी उतपनन हआ वयासजी न जाकर उस पवरजनम का ःमरण िदला िदया इस तरह वह बमशः मग पकषी शि वय जाितयो म जनम लता हआ कषिऽय जाित म उतपनन हआ उस वहा भी वदवयासजी दशरन िदय थोड़ िदनो म रणभिम म शरीर तयागकर उसन ा ण क घर जनम िलया

भगवान वदवयास जी न उस पाच वषर की उ म सारःवतय मऽ द िदया िजसका जप करत-करत वह धयान करन लगा उसकी बि बड़ी िवलकषण होन पर वद शा धमर का रहःय समझ म आ गया

सात वषर की आय म वदवयास जी न उस कहाः काि रक कषऽ म कई वष स एक ा ण ननदभि तपःया कर रहा ह तम जाकर उसकी

शका का समाधान करो

माऽ सात वषर का ा ण कमार काि रक कषऽ म तप कर रह उस ा ण क पास पहच कर बोलाः

ह ा णदव आप तप कयो कर रह ह

ा णः ह ऋिषकमार म यह जानन क िलए तप कर रहा ह िक जो अचछ लोग ह सजजन लोग ह व सहन करत ह दःखी रहत ह और पापी आदमी सखी रहत ह ऐसा कयो ह

बालकः पापी आदमी यिद सखी ह तो पाप क कारण नही वरन िपछल जनम का कोई प य ह उसक कारण सखी ह वह अपन प य खतम कर रहा ह पापी मनय भीतर स तो दःखी ही होता ह भल ही बाहर स सखी िदखाई द

धािमरक आदमी को ठ क समझ नही होती उिचत िदशा व मऽ नही िमलता इसिलए वह दःखी होता ह वह धमर क कारण दःखी नही होता अिपत समझ की कमी क कारण दःखी होता ह समझदार को यिद कोई गर िमल जाय तो वह नर म स नारायण बन जाय इसम कया आ यर ह

ा णः म इतना बढ़ा हो गया इतन वष स काि रक कषऽ म तप कर रहा ह मर तप का फल यही ह िक तमहार जस सात वषर क योगी क मझ दशरन हो रह ह म तमह णाम करता ह

बालकः नही नही महाराज आप तो भदव ह म तो बालक ह म आपको णाम करता ह

उसकी नता दखकर ा ण और खश हआ तप छोड़कर वह परमातमिचनतन म लग गया अब उस कछ जानन की इचछा नही रही िजसस सब कछ जाना जाता ह उसी परमातमा म िवौाित पान लग गया

इस कार ननदभि ा ण को उ र द िनःशक कर सात िदनो तक िनराहार रहकर वह बालक सयरमनऽ का जप करता रहा और वही बहदक तीथर म उसन शरीर तयाग िदया वही बालक दसर जनम म कषार िपता एव िमऽा माता क यहा गट हआ उसका नाम मऽय पड़ा इनहोन वयासजी क िपता पराशरजी स िवण-पराण तथा बहत पाराशर होरा शा का अधययन िकया था पकषपात रिहत अनभवकाश नामक मनथ म मऽय तथा पराशर ऋिष का सवाद आता ह

कहा तो सड़क स गजरकर नाली म िगरन जा रहा कीड़ा और कहा सत क सािननधय स वह मऽय ऋिष बन गया सतसग की बिलहारी ह इसीिलए तलसीदास जी कहत ह ETH

तात ःवगर अपवगर सख धिरअ तला एक अग तल न तािह सकल िमली जो सख लव सतसग

यहा एक शका हो सकती ह िक वह कीड़ा ही मऽय ऋिष कयो नही बन गया

अर भाई यिद आप पहली ककषा क िव ाथ हो और आपको एम ए म िबठाया जाय तो कया आप पास हो सकत हो नही दसरी तीसरी चौथी दसवी बारहवी बीए आिद पास करक ही आप एमए म वश कर सकत हो

िकसी चौकीदार पर कोई धानमनऽी अतयिधक सनन हो जाए तब भी वह उस सीधा कलकटर (िजलाधीश) नही बना सकता ऐस ही नाली म रहन वाला कीड़ा सीधा मनय तो नही

हो सकता बि क िविभनन योिनयो को पार करक ही मनय बन सकता ह हा इतना अवय ह िक सतकपा स उसका मागर छोटा हो जाता ह

सतसमागम की साध परषो स सग की मिहमा का कहा तक वणरन कर कस बयान कर एक सामानय कीड़ा उनक सतसग को पाकर महान ऋिष बन सकता ह तो िफर यिद मानव को िकसी सदगर का सािननधय िमल जाय उनक वचनानसार चल पड़ तो मि का अनभव करक जीवनम भी बन सकता ह

(अनबम)

पीड़ पराई जान र जञानी िकसी स यार करन क िलए बध हए नही ह और िकसी को डाटन म भी राजी

नही ह हमारी जसी यो यता होती ह ऐसा उनका वयवहार हमार ित होता ह लीलाशाह बाप क ौीचरणो म बहत लोग गय थ एक लड़का भी गया था वह मिणनगर

म रहता था िशवजी को जल चढ़ान क प ात ही वह जल पीता वह लड़का खब िन ा स धयान-भजन करता और सवा पजा करता

एक िदन कोई वयि राःत म बहोश पड़ा हआ था िशवजी को जल चढ़ान जात समय उस बालक न उस दखा और अपनी पजा-वजा छोड़कर उस गरीब की सवा म लग गया िबहार का कोई यवक था नौकरी की खोज म आया था कालपर(अहमदाबाद) ःटशन क लटफामर पर एक दो िदन रहा किलयो न मारपीट कर भगा िदया चलत-चलत मिणनगर म पनीत आौम की ओर रोटी की आशा म जा रहा था रोटी तो वहा नही िमलती थी इसिलए भख क कारण चलत-चलत राःत म िगर गया और बहोश हो गया

उस लड़क का घर पनीत आौम क पास ही था सबह क दस साढ़ दस बज थ वह लड़का घर स धयान-भजन स िनपटकर मिदर म िशवजी को जल चढ़ान क िलए जल का लोटा और पजा की साममी लकर जा रहा था उसन दखा िक राःत म कोई यवक पड़ा ह राःत म चलत-चलत लोग बोलत थः शराब पी होगी यह होगा वह होगा हम कया

लड़क को दया आई प य िकय हए हो तो रणा भी अचछ िमलती ह शभ कम स शभ रणा िमलती ह अपन पास की पजा साममी एक ओर रखकर उसन उस वयि को िहलाया बहत मिकल स उसकी आख खली कोई उस जत सघाता कोई कछ करता कोई कछ बोलता था

आख खोलत ही वह वयि धीर स बोलाः पानी पानी

लड़क न महादव जी क िलय लाया हआ जल का लोटा उस िपला िदया िफर दोड़कर घर जाकर अपन िहःस का दध लाकर उस िदया

यवक क जी म जी आया उसन अपनी वयथा बतात हए कहाः बाब जी म िबहार स आया ह मर बाप गजर गय काका िदन-रात टोकत रहत त िक

कमाओ नही तो खाओग कया नौकरी धधा िमलता नही ह भटकत-भटकत अहमदाबाद क ःटशन पर कली का काम करन का य िकया हमारी रोटी-रोजी िछन जायगी ऐसा समझकर किलयो न खब मारा पदल चलत-चलत मिणनगर ःटशन की ओर आत-आत यहा तीन िदन की भख और मार क कारण चककर आय और िगर गया

लड़क न उस िखलाया अपना इक ठा िकया हआ जबखचर का पसा िदया उस यवक को जहा जाना था वहा भजन की वयवःथा की इस लड़क क दय म आनद की वि हई अतर म आवाज आईः

बटा अब म तझ बहत ज दी िमलगा

लड़क न िकयाः अनदर कौन बोलता ह

उ र आयाः िजस िशव की त पजा करता ह वह तरा आतमिशव अब म तर दय म कट होऊगा सवा क अिधकारी की सवा मझ िशव की ही सवा ह

उस िदन उस अतयारमी न अनोखी ऱणा और ोतसाहन िदया वह लड़का तो िनकल पड़ा घर छोड़कर ई र-साकषातकार करन क िलए कदारनाथ वनदावन होत हए निनताल क अर य म पहचा

कदारनाथ क दशरन पाय लकषािधपित आिशष पाय

इस आशीवारद को वापस कर ई राि क िलए िफर पजा की उसक पास जो कछ रपय पस थ उनह वनदावन म साध-सतो एव गरीबो म भ डारा करक खचर कर िदया था थोड़ स पस लकर निनताल क अर यो म पहचा लोकलाड़ल लाखो दयो को हिररस िपलात पजयपाद सदगर ौी लीलाशाह बाप की राह दखत हए चालीस िदन बीत गय गरवर ौी लीलाशाह को अब पणर समिपरत िशय िमला पणर खजाना ा करन वाला पिवऽातमा िमला पणर गर की पणर िशय िमला

िजस लड़क क िवषय म यह कथा पढ़ रह ह वह लड़का कौन होगा जानत हो

पणर गर कपा िमली पणर गर का जञान आसमल स हो गय साई आसाराम

अब तो समझ ही गय होग (उस लड़क क वश म छप हए थ पवर जनम क योगी और वतरमान म िव िव यात हमार

पजयपाद सदगरदव ौी आसाराम जी महाराज)

(अनबम)

िवकास क बिरयो स सावधान किपलवःत क राजा श ोदन का यवराज था िस ाथर यौवन म कदम रखत ही िववक

और वरा य जाग उठा यवान प ी यशोधरा और नवजात िशश राहल की मोह-ममता की रशमी जजीर काटकर महाभीिनबमण (गहतयाग) िकया एकानत अर य म जाकर गहन धयान साधना करक अपन साधय त व को ा कर िलया

एकानत म तप यार और धयान साधना स िखल हए इस आधयाितमक कसम की मधर

सौरभ लोगो म फलन लगी अब िस ाथर भगवान ब क नाम स जन-समह म िस हए हजारो हजारो लोग उनक उपिद मागर पर चलन लग और अपनी अपनी यो यता क मतािबक आधयाितमक याऽा म आग बढ़त हए आितमक शाित ा करन लग अस य लोग बौ िभकषक बनकर भगवान ब क सािननधय म रहन लग उनक पीछ चलन वाल अनयायीओ का एक सघ ःथािपत हो गया चह ओर नाद गजन लग िकः

ब शरण गचछािम धमम शरण गचछािम सघ शरण गचछािम

ौावःती नगरी म भगवान ब का बहत यश फला लोगो म उनकी जय-जयकार होन लगी लोगो की भीड़-भाड़ स िवर होकर ब नगर स बाहर जतवन म आम क बगीच म रहन लग नगर क िपपास जन बड़ी तादाद म वहा हररोज िनि त समय पर पहच जात और उपदश-वचन सनत बड़-बड़ राजा महाराजा भगवान ब क सािननधय म आन जान लग

समाज म तो हर कार क लोग होत ह अनािद काल स दवी समपदा क लोग एव आसरी समपदा क लोग हआ करत ह ब का फलता हआ यश दखकर उनका तजो ष करन वाल लोग जलन लग सतो क साथ हमशा स होता आ रहा ह ऐस उन द त वो न ब को बदनाम करन क िलए कचार िकया िविभनन कार की यि -यि या लड़ाकर ब क यश को हािन पहच ऐसी बात समाज म व लोग फलान लग उन द ो न अपन ष यऽ म एक वया को समझा-बझाकर शािमल कर िलया

वया बन-ठनकर जतवन म भगवान ब क िनवास-ःथानवाल बगीच म जान लगी

धनरािश क साथ द ो का हर कार स सहारा एव ोतसाहन उस िमल रहा था रािऽ को वही रहकर सबह नगर म वािपस लोट आती अपनी सिखयो म भी उसन बात फलाई

लोग उसस पछन लगः अरी आजकल त िदखती नही ह कहा जा रही ह रोज रात को

म तो रोज रात को जतवन जाती ह व ब िदन म लोगो को उपदश दत ह और रािऽ क समय मर साथ रगरिलया मनात ह सारी रात वहा िबताकर सबह लोटती ह

वया न परा ीचिरऽ आजमाकर ष यऽ करन वालो का साथ िदया लोगो म पहल तो हलकी कानाफसी हई लिकन जयो-जयो बात फलती गई तयो-तयो लोगो म जोरदार िवरोध होन लगा लोग ब क नाम पर िफटकार बरसान लग ब क िभकषक बःती म िभकषा लन जात तो लोग उनह गािलया दन लग ब क सघ क लोग सवा-वि म सल न थ उन लोगो क सामन भी उगली उठाकर लोग बकवास करन लग

ब क िशय जरा असावधान रह थ कचार क समय साथ ही साथ स चार होता तो कचार का इतना भाव नही होता िशय अगर िनिबय रहकर सोचत रह जाय िक करगा सो भरगा भगवान उनका नाश करग तो कचार करन वालो को ख ला मदान िमल जाता ह

सत क सािननधय म आन वाल लोग ौ ाल सजजन सीध साद होत ह जबिक द वि करन वाल लोग किटलतापवरक कचार करन म कशल होत ह िफर भी िजन सतो क पीछ सजग समाज होता ह उन सतो क पीछ उठन वाल कचार क तफान समय पाकर शात हो जात ह और उनकी सतवि या काशमान हो उठती ह

कचार न इतना जोर पकड़ा िक ब क िनकटवत लोगो न ऽािहमाम पकार िलया व समझ गय िक यह वयविःथत आयोजनपवरक ष यऽ िकया गया ह ब ःवय तो पारमािथरक सतय म जाग हए थ व बोलतः सब ठ क ह चलन दो वयवहािरक सतय म वाहवाही दख ली अब िननदा भी दख ल कया फकर पड़ता ह

िशय कहन लगः भनत अब सहा नही जाता सघ क िनकटवत भ भी अफवाहो क िशकार हो रह ह समाज क लोग अफवाहो की बातो को सतय मानन लग गय ह

ब ः धयर रखो हम पारमािथरक सतय म िवौाित पात ह यह िवरोध की आधी चली ह तो शात भी हो जाएगी समय पाकर सतय ही बाहर आयगा आिखर म लोग हम जानग और मानग

कछ लोगो न अगवानी का झ डा उठाया और राजयस ा क समकष जोर-शोर स माग की

िक ब की जाच करवाई जाय लोग बात कर रह ह और वया भी कहती ह िक ब रािऽ को मर साथ होत ह और िदन म सतसग करत ह

ब क बार म जाच करन क िलए राजा न अपन आदिमयो को फरमान िदया अब ष यऽ करनवालो न सोचा िक इस जाच करन वाल पच म अगर सचचा आदमी आ जाएगा तो अफवाहो का सीना चीरकर सतय बाहर आ जाएगा अतः उनहोन अपन ष यऽ को आिखरी

पराका ा पर पहचाया अब ऐस ठोस सबत खड़ा करना चािहए िक ब की ितभा का अःत हो जाय

उनहोन वया को दार िपलाकर जतवन भज िदया पीछ स ग डो की टोली वहा गई वया पर बलातकार आिद सब द कतय करक उसका गला घोट िदया और लाश को ब क बगीच म गाड़कर पलायन हो गय

लोगो न राजयस ा क ार खटखटाय थ लिकन स ावाल भी कछ लोग द ो क साथ जड़ हए थ ऐसा थोड़ ही ह िक स ा म बठ हए सब लोग दध म धोय हए वयि होत ह

राजा क अिधकािरयो क ारा जाच करन पर वया की लाश हाथ लगी अब द ो न जोर-शोर स िच लाना शर कर िदया

दखो हम पहल ही कह रह थ वया भी बोल रही थी लिकन तम भगतड़ लोग मानत ही नही थ अब दख िलया न ब न सही बात खल जान क भय स वया को मरवाकर बगीच म गड़वा िदया न रहगा बास न बजगी बासरी लिकन सतय कहा तक िछप सकता ह म ामाल हाथ लग गया इस ठोस सबत स ब की असिलयत िस हो गई सतय बाहर आ गया

लिकन उन मख का पता नही िक तमहारा बनाया हआ कि पत सतय बाहर आया वाःतिवक सतय तो आज ढाई हजार वषर क बाद भी वसा ही चमक रहा ह आज ब को लाखो लोग जानत ह आदरपवरक मानत ह उनका तजो ष करन वाल द लोग कौन-स नरको म जलत होग कया पता

ढाई हजार वषर पहल ब क जमान म भी सतो क साथ ऐसा घोर अनयाय हआ करता था ऋिष दयाननद को भी ऐस ही त वो न तजो ष क कारण बाईस बार िवष दकर मार डालन का यास िकया ःवामी िववकाननद और ःवामी रामतीथर क पीछ भी द लोगो न वया को तयार करक कीचड़ उछाला था

एक ओर लाखो-लाखो लोग सतो की अनभवय वाणी स अपना वयावहािरक ETH आधयाितमक जीवन उननत करक सख-शाित पात ह दसरी ओर कछ द कित क ःवाथ लोग अपना उ ल सीधा करन क िलए ऐस महापरषो क िवर म ष यऽ रचकर उनको बदनाम करत ह यह तो पहल स चला आ रहा ह सत कबीर हो या नानक एकनाथ महाराज हो या सत तकाराम नरिसह महता हो या मीराबाई ायः सभी सतो को अपन जीवन क दौरान समाज क किटल त वो स पाला पड़ता ही रहा ह जीसस बाइःट को इनही त वो न बॉस पर चढ़ाया था उनही लोगो न सकरात को जहर िपलाकर मतयद ड िदया था मनसर को इसी जमात न शली पर चढ़ाया था ईसाई धमर म माट न यथर पर ज म िकया गया था अण-अण म ई र और नारीमाऽ म जगजजननी भगवती का दशरन करन वाल रामकण परमहस को भी लोगो न नही

छोड़ा था परमहस योगाननद रवीनिनाथ टगोर माट न यथर दिकषण भारत क सत ितरव लवर जापानी झन सत बाबो इितहास म िकतन-िकतन उदाहरण मौजद ह

हािसद धमरगर बा शमटोव अित पिवऽ आतमा थ िननदको न उनक इदरिगदर भी मायाजाल िबछा दी थी िसध क साई टउराम क पास अस य लोग आतमक याण हत जान लग तब िवकत िदमागवालो न उन सत को भी ऽास दना शर कर िदया उनक आौम क चह ओर गदगी डाल दत और कए म िम टी का तल उड़लकर पानी बकार कर दत मगल बादशाह बाबर को बहका कर उनही लोगो न गर नानक को कद करवाया था

भगवान ौीराम एव ौीकण को भी द जनो न छोड़ा नही था भगवान ौीराम क गर विश जी महाराज कहत हः

ह राम जी म जब बाजार स गजरता ह तब अजञानी मखर लोग मर िलए कया बकत ह म सब जानता ह लिकन मरा दयाल ःवभाव ह म इन सबका क याण चाहता ह

तमहार साथ यह ससार कछ अनयाय करता ह तमको बदनाम करता ह िननदा करता ह तो यह ससार की परानी रीत ह मनय की हीनवि कचार िननदाखोरी यह आजकल की ही बात नही ह अनािदकाल स ऐसा होता आया ह तम अपन आतमजञान क सःकार जगाकर आतमबल का िवकास करत जाओ मःकरात जाओ आधी तफानो को लाघकर आननदपवरक जीत जाओ

उस जमान म भगवान ब क पास आकर एक िभकषक न ाथरना कीः भनत मझ आजञा द म सभाए भरगा आपक िवचारो का चार करगा

मर िवचारो का चार

हा भगवन म बौ धमर फलाऊगा

लोग तरी िननदा करग गािलया दग

कोई हजर नही म भगवन को धनयवाद दगा िक य लोग िकतन अचछ ह य कवल श दहार करत ह मझ पीटत तो नही

लोग तझ पीटग भी तो कया करोग

भो म शब गजारगा िक य लोग हाथो स पीटत ह पतथर तो नही मारत

लोग पतथर भी मारग और िसर भी फोड़ दग तो कया करगा

िफर भी म आ ःत रहगा और भगवान का िदवय कायर करता रहगा कयोिक व लोग मरा िसर फोड़ग लिकन ाण तो नही लग

लोग जनन म आकर तझ मार दग तो कया करगा

भनत आपक िदवय िवचारो का चार करत-करत म मर भी गया तो समझगा िक मरा जीवन सफल हो गया

उस कतिन यी िभकषक की दढ़ िन ा दखकर भगवान ब सनन हो उठ उस पर उनकी करणा बरस पड़ी

ऐस िशय जब ब का चार करन िनकल पड़ तब कचार करन वाल धीर-धीर शात हो गय मनयो की उगिलया काट-काटकर माला बनाकर पहनन वाला अगिलमाल जसा बर हतयारा भी दयपिरवतरन पाकर ब की शरण म िभकषक होकर रहन लगा

आज हम ब को बहत आदर स जानत ह मानत ह उनक जीवनकाल क दौरान उनक पीछ लग हए द लोग कौन स नरक म सड़त होग रौरव नरक म या कभीपाक नरक म कौन-सी योिनयो म भटकत होग सअर बन होग िक नाली क कीड़ बन होग शतान बन होग िक राकषस बन होग मझ पता नही लिकन ब तो करोड़ो दयो म बस रह ह यह म मानता ह

सतय तो परमाथर ह आतमा ह परमातमा ह उसम िजतना िटकोग उतना तमहारा मगल होगा तमहारी िनगाह िजन पर पड़गी उनका भी मगल होगा

(अनबम)

कछ जानन यो य बात सय दय स पवर उठकर ःनान कर लना चािहए ातः खाली पट मटक का बासी पानी

पीना ःवाःथयद ह तलसी क प सय दय क प ात ही तोड़ दध म तलसी क प नही डालन चािहए तथा

दध क साथ खान भी नही चािहए तलसी क प खाकर थोड़ा पानी पीना िपय जलनित स पिह सौ कार क लाभ होत ह अपन मिःतक म एक कार का िवजाितय

िवय उतपनन होता ह यिद वह िवय वही अटक जाता ह तो बचपन म ही बाल सफद होन लगत ह इसस नजल की बीमारी भी होती ह यिद वह िवय नाक की तरफ आता ह तो सगनध-दगरनध का पता नही चल पाता और ज दी-ज दी जकाम हो जाता ह यिद वह िवय कान की तरफ आता ह तो कान बहर होन लगत ह और छोट-मोट ब ीस रोग हो सकत ह यिद वह िवय दात की तरफ आय तो दात छोटी उ म ही िगरन लगत ह यिद आख की तरफ वह िवय उतर तो चम लगन लगत ह जलनित यािन नाक स पानी खीचकर मह स िनकाल दन स वह िवय िनकल जाता ह गल क ऊपर क ायः सभी रोगो स मि िमल जाती ह

आईसबीम खान क बाद चाय पीना दातो क िलए अतयािधक हािनकारक होता ह

भोजन को पीना चािहए तथा पानी को खाना चािहए इसका मतलब यह ह िक भोजन को इतना चबाओ िक वह पानी की तरह पतला हो जाय और पानी अथवा अनय पय पदाथ को धीर-धीर िपयो

िकसी भी कार का पय पदाथर पीना हो तो दाया नथना बनद करक िपय इसस वह अमत जसा हो जाता ह यिद दाया ःवर(नथना) चाल हो और पानी आिद िपय तो जीवनशि (ओज) पतली होन लगती ह चयर की रकषा क िलए शरीर को तनदरःत रखन क िलए यह योग करना चािहए

तम चाह िकतनी भी महनत करो िकनत िजतना तमहारी नसो म ओज ह चयर की शि ह उतन ही तम सफल होत हो जो चाय-कॉफी आिद पीत ह उनका ओज पतला होकर पशाब ारा न होता जाता ह अतः चयर की रकषा क िलए चाय-कॉफी जस वयसनो स दर रहना रह

पढ़न क बाद थोड़ी दर शात हो जाना चािहए जो पढ़ा ह उसका मनन करो िशकषक ःकल म जब पढ़ात हो तब धयान स सनो उस व मःती-मजाक नही करना चािहए िवनोद-मःती कम स कम करो और समझन की कोिशश अिधक करो

जो सय दय क पवर नही उठता उसक ःवभाव म तमस छा जाता ह जो सय दय क पवर उठता ह उसकी बि शि बढ़ती ह

नीद म स उठकर तरत भगवान का धयान करो आतमःनान करो धयान म रिच नही होती तो समझना चािहए िक मन म दोष ह उनह िनकालन क िलए कया करना चािहए

मन को िनद ष बनान क िलए सबह-शाम माता-िपता को णाम करना चािहए गरजनो को णाम करना चािहए एव भगवान क नाम का जप करना चािहए भगवान स ाथरना करनी चािहए िक ह भगवान ह मर भ मरी धयान म रिच होन लग ऐसी कपा कर दो िकसी समय गद िवचार िनकल आय तो समझना चािहए िक अदर छप हए िवचार िनकल रह ह अतः खश होना चािहए िवचार आया और गया मर राम तो दय म ही ह ऐसी भावना करनी चािहए

िनदा करना तो अचछा नही ह िकनत िनदा सनना भी उिचत नही (अनबम)

शयन की रीत मनय को िकस ढग स सोना चािहए इसका भी तरीका होता ह सोत व पवर अथवा

दिकषण िदशा की ओर िसर करक ही सोना चािहए

भोजन करन क बाद िदन म दस िमनट आराम कर िकनत सोय नही भोजन क बाद दस िमनट बायी करवट लट सकत ह रािऽ को जागरण िकया हो इस कारण स कभी िदन म सोना पड़ वह अलग बात ह

सोत व नीच कोई गमर कबल आिद िबछाकर सोय तािक आपकी जीवनशि अिथग न हो जाय आपक शरीर की िव तशि भिम म न उतर जाय

(अनबम)

ःनान का तरीका शरीर की मजबती एव आरो यता क िलए रगड़-रगड़कर ःनान करना चािहए जो लोग

ठड दशो म रहत ह उनका ःवाःथय गमर दस क लोगो की अपकषा अचछा होता ह ठडी स अपना शरीर सधरता ह

ःनान करत व 12-15 िलटर पानी बा टी म लकर पहल उसम िसर डबाना चािहए िफर पर िभगोना चािहए पहल पर गील नही करन चािहए शरीर की गम ऊपर की ओर चढ़ती ह जो ःवाःथय क िलए हािनकारक होती ह

अतः पहल ठड पानी की बा टी भर ल िफर मह म पानी भरकर िसर को बा टी म डाल और आख पटपटाए इसस आखो की शि बढ़ती ह शरीर को रगड़-रगड़कर नहाए बाद म गील व स शरीर को रगड़-रगड़कर पोछ िजसस रोम कप का सारा मल बाहर िनकल जाय और रोमकप(तवचा क िछि) खल जायय तवचा क िछि बद रहन स ही तवचा की कई बीमािरया होती ह िफर सख कपड़ स शरीर को पोछ कर (अथवा थोड़ा गीला हो तब भी चल) सख साफ व पहन ल व भल साद हो िकनत साफ हो बासी कपड़ नही पहन हमशा धल हए कपड़ ही पहन इसस मन भी सनन रहता ह

पाच कार क ःनान होत हः ःनान दवःनान ऋिषःनान मानवःनान दानवःनान ःनानः -परमातमा का िचतन करक जल थल नहान वाला

ऐसा िचतन करक ा महतर म नहाना इस ःनान कहत ह दवःनानः दवनिदयो म ःनान या दवनिदयो का ःमरण करक सय दय स पवर नहाना यह

दवःनान ह ऋिषःनानः आकाश म तार िदखत हो और नहा ल यह ऋिषःनान ह ऋिषःनान करन

वाल की बि बड़ी तजःवी होती ह मानवःनानः सय दय क पवर का ःनान मानवःनान ह

दानवःनानः सय दय क प ात चाय पीकर नाता करक आठ नौ बज नहाना यह दानव ःनान ह

अतः हमशा ऋिषःनान करन का ही यास करना चािहए (अनबम)

ःवचछता का धयान यिद शरीर की सफाई रखी जाय तो मन भी सनन रहता ह आजकल अिधकतर लोग

श स ही मजन करत ह श की अपकषा नीम और बबल की दातौन जयादा अचछ होती ह और यिद श भी कर तो कभी-कभार श को गमर पानी स धोना चािहए अनयथा उसम बकटिरया(जीवाण) रह जात ह

िकतन ही लोग उगली स दात साफ करत ह तजरनी (अगठ क पास वाली थम उगली) स दात िघसन स मसड़ कमजोर हो जात ह तथा दात ज दी िगर जात ह कयोिक तजरनी म िव तशि का माण दसरी उगिलयो की अपकषा अिधक होता ह अतः उसस दात नही िघसन चािहए एव आखो को भी नही मसलना चािहए

िजस िदशा स हवा आती हो उस िदशा की ओर मह करक कभी-भी मलमऽ का िवसजरन नही करना चािहए सयर और चनिमा की ओर मख करक भी मलमऽ का िवसजरन नही करना चािहए

(अनबम)

ःमरणशि का िवकास यादशि बढ़ान का एक सनदर योग ह ETH ामरी ाणायाम सखासन प ासन या

िस ासन पर बठ हाथ की कोहनी की ऊचाई कनध तक रह इस कार रखकर हाथ की थम उगली(तजरनी) स दोनो कानो को धीर-स बद कर एकदम जोर स बद न कर िकनत बाहर का कछ सनाई न द इस कार धीर स कान बनद कर

अब गहर ास लकर थोड़ी दर रोक ओठ बद रखकर जस मर का गजन होता ह वस ॐsssss कहत हए गजन कर उसक बाद थोड़ी दर तक ास न ल पनः यही िबया दहराय ऐसा सबह एव शाम 8 स 10 बार कर यादशि बढ़ान का यह यौिगक योग ह इसस मिःतक की नािड़यो का शोधन होकर मिःतक म र सचार उिचत ढग स होता ह

और िवचार करन स भी बि शि का िवकास होता ह

सबह खाली पट तलसी क प एकाध काली िमचर चबाकर एक िगलास पानी पीन स भी ःमरणशि का िवकास होता ह रोग-ितकारक शि बढ़ती ह कनसर की बीमारी कभी नही होती जलदर-भगदर की बीमारी भी कभी नही होती

(अनबम)

वयि तव और वयवहार िकसी भी वयि तव का पता उसक वयवहार स ही चलता ह कई लोग वयथर च ा करत

ह एक होती ह सकाम च ा दसरी होती ह िनकाम च ा और तीसरी होती ह वयथर च ा वयथर च ा नही करनी चािहए िकसी क शरीर म कोई कमी हो तो उसका मजाक नही उड़ाना चािहए वरन उस मददरप बनना चािहए यह िनकाम सवा ह

िकसी की भी िनदा नही करनी चािहए िनदा करन वाला वयि िजसकी िनदा करता ह उसका तो इतना अिहत नही होता िजतना वह अपना अिहत करता ह जो दसरो की सवा करता ह दसरो क अनकल होता ह वह दसरो का िजतना िहत करता ह उसकी अपकषा उसका खद का िहत जयादा होता ह

अपन स जो उ स बड़ हो जञान म बड़ हो तप म बड़ हो उनका आदर करना चािहए िजस मनय क साथ बात करत हो वह मनय कौन ह यह जानकर बात करो तो आप वयवहार-कशल कहलाओग

िकसी को पऽ िलखत हो तो यिद अपन स बड़ हो तो ौी सबोधन करक िलखो सबोधन करन स सवाकयो की रचना स िश ता बढ़ती ह िकसी स बात करो तो सबोधन करक बात करो जो तकार स बात करता ह वह अिश कहलाता ह िश तापवरक बात करन स अपनी इजजत बढ़ती ह

िजसक जीवन म वयवहार-कशलता ह वह सभी कषऽो म सफल होता ह िजसम िवनता ह वही सब कछ सीख सकता ह िवनता िव ा बढ़ाती ह िजसक जीवन म िवनता नही ह समझो उसक सब काम अधर रह गय और जो समझता ह िक म सब कछ जानता ह वह वाःतव म कछ नही जानता

एक िचऽकार अपन गरदव क सममख एक सनदर िचऽ बनाकर लाया गर न िचऽ दखकर कहाः

वाह वाह सनदर ह अदभत ह

िशय बोलाः गरदव इसम कोई ऽिट रह गयी हो तो कपा करक बताइए इसीिलए म आपक चरणो म आया ह

गरः कोई ऽिट नही ह मझस भी जयादा अचछा बनाया ह

वह िशय रोन लगा उस रोता दखकर गर न पछाः तम कयो रो रह हो म तो तमहारी शसा कर रहा ह

िशयः गरदव मरी घड़ाई करन वाल आप भी यिद मरी शसा ही करग तो मझ मरी गि तया कौन बतायगा मरी गित कस होगी

यह सनकर गर अतयत सनन हो गय हमन िजतना जाना िजतना सीखा ह वह तो ठ क ह उसस जयादा जान सक सीख सक

ऐसा हमारा यास होना चािहए रामकण परमहस व हो गय थ िकसी न उनस पछाः बाबा जी आपन सब कछ जान

िलया ह

रामकण परमहसः नही म जब तक जीऊगा तब तक िव ाथ ही रहगा मझ अभी बहत कछ सीखना बाकी ह

िजनक पास सीखन को िमल उनस िवनतापवरक सीखना चािहए जो कछ सीखो सावधानीपवरक सीखो जीवन म िवनोद जररी ह िकनत िवनोद की अित न हो िजस समय पढ़त हो कछ सीखत हो कछ करत हो उस समय मःती नही िवनोद नही वरन जो कछ पढ़ो सीखो या करो उस उतसाह स धयान स और सावधानी स करो

पढ़न स पवर थोड़ धयानःथ हो जाओ पढ़न क बाद मौन हो जाओ यह गित की चाबी ह

माता-िपता स िचढ़ना नही चाह िजस मा-बाप न जनम िदया ह उनकी बातो को समझना चािहए अपन िलए उनक मन म िवशष दया हो िवशष म उतपनन हो ऐसा वयवहार करना चािहए

भल जाओ भल सब कछ माता-िपता को भलना नही अनिगनत उपकार ह उनक यह कभी िबसरना नही

माता-िपता को सतोष हो उनका दय सनन हो ऐसा हमारा वयवहार होना चािहए अपन माता-िपता एव गरजनो को सत रखकर ही हम सचची गित कर सकत ह

(अनबम)

  • पजय बाप जी का उदबोधन
  • कदम अपना आग बढाता चला जा
  • त गलाब होकर महक
  • जीवन विकास का मल सयम
  • तरिकाल सधया
  • शरीर सवासथय
  • अनन का परभाव
  • भारतीय ससकति की महानता
  • हरिदास की हरिभकति
  • बनावटी शरगार स बचो
  • साहसी बालक
  • गर-आजञापालन का चमतकार
  • अनोखी गरदकषिणा
  • सतसग की महिमा
  • पीड पराई जान र
  • विकास क बरियो स सावधान
  • कछ जानन योगय बात
  • शयन की रीत
  • सनान का तरीका
  • सवचछता का धयान
  • समरणशकति का विकास
  • वयकतितव और वयवहार
Page 6: Tu gulabhokarmehak

कदम अपना आग बढ़ाता चला जा

(अनबम)

त गलाब होकर महक सगित का मानव जीवन पर अतयिधक भाव पड़ता ह यिद अचछ सगत िमल तो

मनय महान हो जाता ह लिकन वही मनय यिद कसग क चककर म पड़ जाए तो अपना जीवन न कर लता ह अतः अपन स जो पढ़ाई म एव िश ता म आग हो ऐस िव ािथरयो का आदरपवरक सग करना चािहए तथा अपन स जो नीच हो उनह दयापवरक ऊपर उठान का यास करना चािहए लिकन साथ ही यह धयान भी रह की कही हम उनकी बातो म न फस जाए

एक बार मर सदगरदव पजयपाद ःवामी ौी लीलाशाह जी महाराज न मझ गलाब का फल बताकर कहाः यह कया ह

मन कहाः बाप यह गलाब का फल ह

उनहोन आग कहाः इस त डालडा क िड ब पर रख िफर सघ अथवा गड़ क ऊपर रख शककर क ऊपर रख या चन अथवा मग की दाल पर रख गदी नाली क पास रख ऑिफस म रख उस सब जगह घमा सब जगह रख िफर सघ तो उसम िकसकी सगध आएगी

मन कहाःजी गलाब की

गरदवः गलाब को कही भी रख दो और िफर सघो तो उसम स सगनध गलाब की ही आएगी ऐस ही हमारा जीवन भी गलाब जसा होना चािहए हमार सदगणो की सगनध दसरो को लनी हो तो ल िकनत हमम िकसी की दगरनध िव न हो त गलाब होकर महक तझ जमाना जान

िकसी क दोष हमम ना आय इसका धयान रखना चािहए अपन गण कोई लना चाह तो भल ल ल

भगवान का धयान करन स एकाम होन स माता-िपता का आदर करन स गरजनो की बातो को आदरपवरक मानन स हमम सदगणो की वि होती ह

ातःकाल ज दी उठकर माता-िपता को णाम करो भगवान ौीरामचनिजी ातःकाल ज दी उठकर माता-िपता एव गर को णाम करत थ

ातःकाल उठिह रघनाथा मात-िपत गर नाविह माथा ौीरामचनिजी जब गर आौम म रहत थ त गर जी स पहल ही नीद स जाग जात थ

गर स पहल जगपित जाग राम सजान ऐसा राम चिरतमानस म आता ह

माता-िपता एव गरजनो का आदर करन स हमार जीवन म दवी गण िवकिसत होत ह िजनक भाव स ही हमारा जीवन िदवय होन लगता ह

ह िव ाथ त भी िनकामता सननता असगता की महक फलाता जा (अनबम)

जीवन िवकास का मल सयम एक बड़ महापरष थ हजारो-लाखो लोग उनकी पजा करत थ जय-जयकार करत थ

लाखो लोग उनक िशय थ करोड़ो लोग उनह ौ ा-भि स नमन करत थ उन महापरष स िकसी वयि न पछाः

राजा-महाराजा रा पित जस लोगो को भी कवल सलामी मारत ह या हाथ जोड़ लत ह िकनत उनकी पजा नही करत जबिक लोग आपकी पजा करत ह णाम भी करत ह तो बड़ी ौ ा-भि स ऐसा नही िक कवल हाथ जोड़ िदय लाखो लोग आपकी फोटो क आग भोग रखत ह आप इतन महान कस बन

दिनया म मान करन यो य तो बहत लोग ह बहतो को धनयवाद और शसा िमलती ह लिकन ौ ा-भि स ऐसी पजा न तो सठो की होती ह न साहबो की न सीडट की होती ह न िमिलशी ऑिफसर की न राजा की और न महाराजा की अर ौी कण क साथ रहन वाल भीम अजरन यिधि र आिद की भी पजा नही होती जबिक ौीकण की पजा करोड़ो लोग करत ह भगवान राम को करोड़ो लोग मानत ह आपकी पजा भी भगवान जसी ही होती ह आप इतन महान कस बन

उन महापरष न जवाब म कवल एक ही श द कहा और वह श द था - सयम तब उस वयि न पनः पछाः ह गरवर कया आप बता सकत ह िक आपक जीवन म

सयम का पाठ कबस शर हआ

महापरष बोलः मर जीवन म सयम की शरआत मरी पाच वषर की आय स ही हो गयी म जब पाच वषर का था तब मर िपता जी न मझस कहाः

बटा कल हम तमह गरकल भजग गरकल जात समय तरी मा साथ म नही होगी भाई भी साथ नही आयगा और म भी साथ नही आऊगा कल सबह नौकर तझ ःनान नाता करा क घोड़ पर िबठाकर गरकल ल जायगा गरकल जात समय यिद हम सामन होग तो तरा मोह हमम हो सकता ह इसिलए हम दसर क घर म िछप जायग त हम नही दख सकगा िकनत हम ऐसी वयवःथा करग िक हम तझ दख सक ग हम दखना ह िक त रोत-रोत जाता ह या हमार कल क बालक को िजस कार जाना चािहए वस जाता ह घोड़ पर जब जायगा और

गली म मड़गा तब भी यिद त पीछ मड़कर दखगा तो हम समझग िक त हमार कल म कलक ह

पीछ मड़कर दखन स भी मना कर िदया पाच वषर क बालक स इतनी यो यता की इचछा रखन वाल मर माता-िपता को िकतना कठोर दय करना पड़ा होगा पाच वषर का बटा सबह गरकल जाय जात व माता-िपता भी सामन न हो और गली म मड़त व घर की ओर दखन की भी मनाही िकतना सयम िकतना कड़क अनशासन

िपता न कहाः िफर जब तम गरकल म पहचोग और गरजी तमहारी परीकषा क िलए तमस कहग िक बाहर बठो तब तमह बाहर बठना पड़गा गर जी जब तक बाहर स अनदर आन की आजञा न द तब तक तमह वहा सयम का पिरचय दना पड़गा िफर गरजी न तमह गरकल म वश िदया पास िकया तो त हमार घर का बालक कहलायगा अनयथा त हमार खानदान का नाम बढ़ानवाला नही नाम डबानवाला सािबत होगा इसिलए कल पर कलग मत लगाना वरन सफलतापवरक गरकल म वश पाना

मर िपता जी न मझ समझाया और म गरकल म पहचा हमार नौकर न जाकर गरजी स आजञा मागी िक यह िव ाथ गरकल म आना चाहता ह

गरजी बोलः उसको बाहर बठा दो थोड़ी दर म गरजी बाहर आय और मझस बोलः बटा दख इधर बठ जा आख बनद कर ल जब तक म नही आऊ और जब तक त मरी आवाज़ न सन तब तक तझ आख नही खोलनी ह तरा तर शरीर पर मन पर और अपन आप पर िकतना सयम ह इसकी कसौटी होगी अगर तरा अपन आप पर सयम होगा तब ही गरकल म वश िमल सकगा यिद सयम नही ह तो िफर त महापरष नही बन सकता अचछा िव ाथ भी नही बन सकगा

सयम ही जीवन की नीव ह सयम स ही एकामता आिद गण िवकिसत होत ह यिद सयम नही ह तो एकामता नही आती तजिःवता नही आती यादशि नही बढ़ती अतः जीवन म सयम चािहए चािहए और चािहए

कब हसना और कब एकामिच होकर सतसग सनना इसक िलए भी सयम चािहए कब ताली बजाना और कब नही बजाना इसक िलय भी सयम चािहए सयम ही सफलता का सोपान ह भगवान को पाना हो तो भी सयम ज़ररी ह िसि पाना हो तो भी सयम चािहए और िसि पाना हो तो भी सयम चािहए सयम तो सबका मल ह जस सब वय जनो का मल पानी ह जीवन का मल सयर ह ऐस ही जीवन क िवकास का मल सयम ह

गरजी तो कहकर चल गय िक जब तक म न आऊ तब तक आख नही खोलना थोड़ी दर म गरकल का िरसस हआ सब बचच आय मन हआ िक दख कौन ह कया ह िफर याद आया िक सयम थोड़ी दर बाद पनः कछ बचचो को मर पास भजा गया व लोग मर आसपास

खलन लग कब डी-कब डी की आवाज भी सनी मरी दखन की इचछा हई परनत मझ याद आया िक सयम

मर मन की शि बढ़ान का पहला योग हो गया सयम मरी ःमरणशि बढ़ान की पहली कजी िमल गई सयम मर जीवन को महान बनान की थम कपा गरजी ारा हई ETH सयम ऐस महान गर की कसौटी स उस पाच वषर की छोटी-सी वय म पार होना था अगर म अन ीणर हो जाता तो िफर घर पर मर िपताजी मझ बहत छोटी दि स दखत

सब बचच खल कर चल गय िकनत मन आख नही खोली थोड़ी दर क बाद गड़ और शककर की चासनी बनाकर मर आसपास उड़ल दी गई मर घटनो पर मरी जाघ पर भी चासनी की कछ बद डाल दी ग जी चाहता था िक आख खोलकर दख िक अब कया होता ह िफर गरजी की आजञा याद आयी िक आख मत खोलना अपनी आख पर अपन मन पर सयम शरीर पर चीिटया चलन लगी लिकन याद था िक पास होन क िलए सयम ज़ररी ह

तीन घट बीत गय तब गरजी आय और बड़ म स बोलः पऽ उठो उठो तम इस परीकषा म उ ीणर रह शाबाश ह तमह

ऐसा कहकर गरजी न ःवय अपन हाथो स मझ उठाया गरकल म वश िमल गया गर क आौम म वश अथारत भगवान क राजय म वश िमल गया िफर गर की आजञा क अनसार कायर करत-करत इस ऊचाई तक पहच गया

इस कार मझ महान बनान म म य भिमका सयम की ही रही ह यिद बा यकाल स ही िपता की आजञा को न मान कर सयम का पालन न करता तो आज न जान कहा होता सचमच सयम म अदभत सामथयर ह सयम क बल पर दिनया क सार कायर सभव ह िजतन भी महापरष सतपरष इस दिनया म हो चक ह या ह उनकी महानता क मल म उनका सयम ही ह

वकष क मल म उसका सयम ह इसी स उसक प हर-भर ह फल िखलत ह फल लगत ह और वह छाया दता ह वकष का मल अगर सयम छोड़ द तो प सख जायग फल कमहला जाएग फल न हो जाएग वकष का जीवन िबखर जायगा

वीणा क तार सयत ह इसी स मधर ःवर गजता ह अगर वीणा क तार ढील कर िदय जाय तो व मधर ःवर नही आलापत

रल क इजन म वाप सयत ह तो हजारो यािऽयो को दर सदर की याऽा करान म वह वाप सफल होती ह अगर वाप का सयम टट जाय इधर-उधर िबखर जाय तो रलगाड़ी दोड़ नही सकती ऐस ही ह मानव महान बनन की शतर यही ह ETH सयम सदाचार हजार बार असफल होन पर भी िफर स परषाथर कर अवय सफलता िमलगी िहममत न हार छोटा-छोटा सयम का ोत आजमात हए आग बढ़ और महान हो जा

(अनबम)

िऽकाल सधया जीवन को यिद तजःवी बनाना हो सफल बनाना हो उननत बनाना हो तो मनय को

िऽकाल सधया ज़रर करनी चािहए ातःकाल सय दय स दस िमनट पहल और दस िमनट बाद म दोपहर को बारह बज क दस िमनट पहल और दस िमनट बाद म तथा सायकाल को सयारःत क पाच-दस िमनट पहल और बाद म यह समय सिध का होता ह इस समय िकया हआ ाणायाम जप और धयान बहत लाभदायक होता ह जो मनय सषमना क ार को खोलन म भी सहयोगी होता ह सषमना का ार खलत ही मनय की छपी हई शि या जामत होन लगती ह

ाचीन ऋिष-मिन िऽकाल सधया िकया करत थ भगवान विश भी िऽकाल सधया करत थ और भगवान राम भी िऽकाल सधया करत थ भगवान राम दोपहर को सधया करन क बाद ही भोजन करत थ

सधया क समय हाथ-पर धोकर तीन च ल पानी पीकर िफर सधया म बठ और ाणायाम कर जप कर तो बहत अचछा अगर कोई आिफस म ह तो वही मानिसक रप स कर ल तो भी ठ क ह लिकन ाणायाम जप और धयान कर ज़रर

जस उ ोग करन स परषाथर करन स दिरिता नही रहती वस ही ाणायाम करन स पाप कटत ह जस य करन स धन िमलता ह वस ही ाणायाम करन स आतिरक सामथयर आतिरक बल िमलता ह छादो य उपिनषद म िलखा ह िक िजसन ाणायाम करक मन को पिवऽ िकया ह उस ही गर क आिखरी उपदश का रग लगता ह और आतम-परमातमा का साकषातकार हो जाता ह

मनय क फफड़ो तीन हजार छोट-छोट िछि होत ह जो लोग साधारण रप स ास लत ह उनक फफड़ो क कवल तीन सौ स पाच सौ तक क िछि ही काम करत ह बाकी क बद पड़ रहत ह िजसस शरीर की रोग ितकारक शि कम हो जाती ह मनय ज दी बीमार और बढ़ा हो जाता ह वयसनो एव बरी आदतो क कारण भी शरीर की शि जब िशिथल हो जाती ह रोग-ितकारक शि कमजोर हो जाती ह तो िछि बद पड़ होत ह उनम जीवाण पनपत ह और शरीर पर हमला कर दत ह िजसस दमा और टीबी की बीमारी होन की सभावना बढ़ जाती ह

परनत जो लोग गहरा ास लत ह उनक बद िछि भी खल जात ह फलतः उनम कायर करन की कषमता भी बढ़ जाती ह तथा र श होता ह नाड़ी भी श रहती ह िजसस मन भी सनन रहता ह इसीिलए सबह दोपहर और शाम को सधया क समय ाणायाम करन का िवधान ह ाणायाम स मन पिवऽ होता ह एकाम होता ह िजसस मनय म बहत बड़ा सामथयर आता ह

यिद मन य दस-दस ाणायाम तीनो समय कर और शराब मास बीड़ी व अनय वयसनो एव फशनो म न पड़ तो चालीस िदन म तो मनय को अनक अनभव होन लगत ह कवल चालीस िदन योग करक दिखय शरीर का ःवाःथय बदला हआ िमलगा मन बदला हआ िमलगा जठरा दी होगी आरो यता एव सननता बढ़गी और ःमरण शि म जादई िवकास होगा

ाणायाम स शरीर क कोषो की शि बढ़ती ह इसीिलए ऋिष-मिनयो न िऽकाल सधया की वयवःथा की थी रािऽ म अनजान म हए पाप सबह की सधया स दर होत ह सबह स दोपहर तक क दोष दोपहर की सधया स और दोपहर क बाद अनजान म हए पाप शाम की सधया करन स न हो जात ह तथा अतःकरण पिवऽ होन लगता ह

आजकल लोग सधया करना भल गय ह िनिा क सख म लग हए ह ऐसा करक व अपनी जीवन शि को न कर डालत ह

ाणायाम स जीवन शि का बौि क शि का एव ःमरण शि का िवकास होता ह ःवामी रामतीथर ातःकाल म ज दी उठत थोड़ ाणायाम करत और िफर ाकितक वातावरण म घमन जात परमहस योगानद भी ऐसा करत थ

ःवामी रामतीथर बड़ कशाम बि क िव ाथ थ गिणत उनका िय िवषय था जब व पढ़त थ उनका तीथरराम था एक बार परीकषा म 13 िदय गय िजसम स कवल 9 हल करन थ तीथरराम न 13 क 13 हल कर िदय और नीच एक िट पणी (नोट) िलख दी 13 क 13 सही ह कोई भी 9 जाच लो इतना दढ़ था उनका आतमिव ास

ाणायाम क अनक लाभ ह सधया क समय िकया हआ ाणायाम जप और धयान अनत गणा फल दता ह अिमट प यपज दन वाला होता ह सधया क समय हमारी सब नािड़यो का मल आधार जो सषमना नाड़ी ह उसका ार खला होता ह इसस जीवन शि क डिलनी शि क जागरण म सहयोग िमलता ह उस समय िकया हआ धयान-भजन प यदायी होता ह अिधक िहतकारी और उननित करन वाला होता ह वस तो धयान-भजन कभी भी करो प यदायी होता ही ह िकनत सधया क समय उसका उसका भाव और भी बढ़ जाता ह िऽकाल सधया करन स िव ाथ भी बड़ तजःवी होत ह

अतएव जीवन क सवागीण िवकास क िलए मनयमाऽ को िऽकाल सधया का सहारा लकर अपना नितक सामािजक एव आधयाितमक उतथान करना चािहए

(अनबम)

शरीर ःवाःथय

लोकमानय ितलक जब िव ाथ अवःथा म थ तो उनका शरीर बहत दबला पतला और कमजोर था िसर पर फोड़ा भी था उनहोन सोचा िक मझ दश की आजादी क िलए कछ काम करना ह माता-िपता एव समाज क िलए कछ करना ह तो शरीर तो मजबत होना ही चािहए और मन भी दढ होना चािहए तभी म कछ कर पाऊगा अगर ऐसा ही कमजोर रहा तो पढ़-िलखकर ा िकय हए माण-पऽ भी कया काम आयग

जो लोग िसकड़कर बठत ह झककर बठत ह उनक जीवन म बहत बरकत नही आती जो सीध होकर िःथर होकर बठत ह उनकी जीवन-शि ऊपर की ओर उठती ह व जीवन म सफलता भी ा करत ह

ितलक न िन य िकया िक भल ही एक साल क िलए पढ़ाई छोड़नी पड़ तो छोडगा लिकन शरीर और मन को सदढ़ बनाऊगा ितलक यह िन य करक शरीर को मजबत और मन को िनभ क बनान म जट गय रोज़ सबह-शाम दोड़ लगात ाणायाम करत तरन जात मािलश करत तथा जीवन को सयमी बनाकर चयर की िशकषावाली यौवन सरकषा जसी पःतक पढ़त सालभर म तो अचछा गठ ला बदन हो गया का पढ़ाई-िलखाई म भी आग और लोक-क याण म भी आग राममितर को सलाह दी तो राममितर न भी उनकी सलाह ःवीकार की और पहलवान बन गय

बाल गगाधर ितलक क िव ाथ जीवन क सक प को आप भी समझ जाना और अपन जीवन म लाना िक शरीर सदढ़ होना चािहए मन सदढ़ होना चािहए तभी मनय मनचाही सफलता अिजरत कर सकता ह

ितलक जी स िकसी न पछाः आपका वयि तव इतना भावशाली कस ह आपकी ओर दखत ह तो आपक चहर स अधयातम एकामता और तरणाई की तरलता िदखाई दती ह ःवराजय मरा जनमिस अिधकार ह ऐसा जब बोलत ह तो लोग दग रह जात ह िक आप िव ाथ ह यवक ह या कोई तजपज ह आपका ऐसा तजोमय वयि तव कस बना

तब ितलक न जवाब िदयाः मन िव ाथ जीवन स ही अपन शरीर को मजबत और दढ़ बनान का यास िकया था सोलह साल स लकर इककीस साल तक की उ म शरीर को िजतना भी मजबत बनाना चाह और िजतना भी िवकास करना चाह हो सकता ह

इसीिलए िव ाथ जीवन म इस बार पर धयान दना चािहए िक सोलह स इककीस साल तक की उ शरीर और मन को मजबत बनान क िलए ह

म (परम पजय गरदव आसारामजी बाप) जब चौदह-पनिह वषर का था तब मरा कद बहत छोटा था लोग मझ टणी (िठग) कहकर बलात तो मझ बरा लगता ःवािभमान तो होना ही चािहए टणी ऐसा नाम ठ क नही ह वस तो िव ाथ -काल म भी मरा हसमखा ःवभाव था इसस िशकषको न मरा नाम आसमल क बदल हसमखभाई ऱख िदया था लिकन कद छोटा था तो िकसी न टणी कह िदया जो मझ बरा लगा दिनया म सब कछ सभव ह तो टणी कयो

रहना म काकिरया तालाब पर दौड़ लगाता प लअ स करता और 30-40 माम मकखन म एक-दो माम कालीिमचर क टकड़ डालकर िनगल जाता चालीस िदन तक ऐसा योग िकया अब म उस वयि स िमला िजसन 40 िदन पहल टणी कहा था तो वह दखकर दग रह गया

आप भी चाहो तो अपन शरीर क ःवःथ रख सकत हो शरीर को ःवःथ रखन क कई तरीक ह जस धनवनतरी क आरो यशा म एक बात आती ह - उषःपान

उषःपान अथारत सय दय क पहल या सय दय क समय रात का रखा हआ पानी पीना इसस आतो की सफाई होती ह अजीणर दर होता ह तथा ःवाःथय की भी रकषा होती ह उसम आठ च ल भरकर पानी पीन की बात आयी ह आठ च ल पानी यािन िक एक िगलास पानी चार-पाच तलसी क प चबाकर सय दय क पहल पानी पीना चािहए तलसी क प सय दय क बाद तोड़न चािहए व सात िदन तक बासी नही मान जात

शरीर तनदरःत होना चािहए रगड़-रगड़कर जो नहाता ह और चबा-चबाकर खाता ह जो परमातमा का धयान करता ह और सतसग म जाता ह उसका बड़ा पार हो जाता ह

(अनबम)

अनन का भाव हमार जीवन क िवकास म भोजन का अतयिधक मह व ह वह कवल हमार तन को ही

प नही करता वरन हमार मन को हमारी बि को हमार िवचारो को भी भािवत करता ह कहत भी हः

जसा खाओ अनन वसा होता ह मन महाभारत क य म पहल दसर तीसर और चौथ िदन कवल कौरव-कल क लोग ही

मरत रह पाडवो क एक भी भाई को जरा-सी भी चोट नही लगी पाचवा िदन हआ आिखर दय धन को हआ िक हमारी सना म भीम िपतामह जस यो ा ह िफर भी पाडवो का कछ नही िबगड़ता कया कारण ह व चाह तो य म कया स कया कर सकत ह िवचार करत-करत आिखर वह इस िनकषर पर आया िक भीम िपतामह परा मन लगाकर पाडवो का मलोचछद करन को तयार नही हए ह इसका कया कारण ह यह जानन क िलए सतयवादी यिधि र क पास जाना चािहए उसस पछना चािहए िक हमार सनापित होकर भी व मन लगाकर य कयो नही करत

पाडव तो धमर क पकष म थ अतः दय धन िनःसकोच पाडवो क िशिवर म पहच गया वहा पर पाडवो न यथायो य आवभगत की िफर दय धन बोलाः

भीम अजरन तम लोग जरा बाहर जाओ मझ कवल यिधि र स बात करनी ह

चारो भाई यिधि र क िशिवर स बाहर चल गय िफर दय धन न यिधि र स पछाः यिधि र महाराज पाच-पाच िदन हो गय ह हमार कौरव-पकष क लोग ही मर रह ह

िकनत आप लोगो का बाल तक बाका नही होता कया बात ह चाह तो दवोत भीम तफान मचा सकत ह

यिधि रः हा मचा सकत ह

दय धनः व चाह तो भीण य कर सकत ह पर नही कर रह ह कया आपको लगता ह िक व मन लगाकर य नही कर रह ह

सतयवादी यिधि र बोलः हा गगापऽ भीम मन लगाकर य नही कर रह ह

दय धनः भीम िपतामह मन लगाकर य नही कर रह ह इसका कया कारण होगा

यिधि रः व सतय क पकष म ह व पिवऽ आतमा ह अतः समझत ह िक कौन सचचा ह और कौन झठा कौन धमर म ह तथा कौन अधमर म व धमर क पकष म ह इसिलए उनका जी चाहता ह िक पाडव पकष की जयादा खन-खराबी न हो कयोिक व सतय क पकष म ह

दय धनः व मन लगाकर य कर इसका उपाय कया ह

यिधि रः यिद व सतय ETH धमर का पकष छोड़ दग उनका मन ग त जगह हो जाएगा तो िफर व य करग

दय धनः उनका मन य म कस लग

यिधि रः यिद व िकसी पापी क घर का अनन खायग तो उनका मन य म लग जाएगा

दय धनः आप ही बताइय िक ऐसा कौन सा पापी होगा िजसक घर का अनन खान स उनका मन सतय क पकष स हट जाय और व य करन को तयार हो जाय

यिधि रः सभा म भीम िपतामह गर िोणाचायर जस महान लोग बठ थ िफर भी िोपदी को न न करन की आजञा और जाघ ठोकन की द ता तमन की थी ऐसा धमर-िवर और पापी आदमी दसरा कहा स लाया जाय तमहार घर का अनन खान स उनकी मित सतय और धमर क पकष स नीच जायगी िफर व मन लगाकर य करग

दय धन न यि पा ली कस भी करक कपट करक अपन यहा का अनन भीम िपतामह को िखला िदया भीम िपतामह का मन बदल गया और छठव िदन स उनहोन घमासान य करना आरभ कर िदया

कहन का तातपयर यह ह िक जसा अनन होता ह वसा ही मन होता ह भोजन कर तो श भोजन कर मिलन और अपिवऽ भोजन न कर भोजन क पहल हाथ-पर जरर धोय भोजन साितवक हो पिवऽ हो सननता दन वाला हो तनदरःती बढ़ान वाला हो

आहारश ौ स वशि ः

िफर भी ठस-ठस कर भोजन न कर चबा-चबाकर ही भोजन कर भोजन क समय शात एव सननिच रह भ का ःमरण कर भोजन कर जो आहार खान स हमारा शरीर तनदरःत रहता हो वही आहार कर और िजस आहार स हािन होती हो ऐस आहार स बच खान-पान म सयम स बहत लाभ होता ह

भोजन महनत का हो साि वक हो लहसन याज मास आिद और जयादा तल-िमचर-मसाल वाला न हो उसका िनिम अचछा हो और अचछ ढग स सनन होकर भगवान को भोग लगाकर िफर भोजन कर तो उसस आपका भाव पिवऽ होगा र क कण पिवऽ होग मन पिवऽ होगा िफर सधया-ाणायाम करग तो मन म साि वकता बढ़गी मन म सननता तन म आरो यता का िवकास होगा आपका जीवन उननत होता जायगा

महनत मजदरी करक िवलासी जीवन िबताकर या कायर होकर जीन क िलय िज़दगी नही ह िज़दगी तो चतनय की मःती को जगाकर परमातमा का आननद लकर इस लोक और परलोक म सफल होन क िलए ह मि का अनभव करन क िलए िज़दगी ह

भोजन ःवाःथय क अनकल हो ऐसा िवचार करक ही महण कर तथाकिथत वनःपित घी की अपकषा तल खाना अिधक अचछा ह वनःपित घी म अनक रासायिनक पदाथर डाल जात ह जो ःवाःथय क िलए िहतकर नही होत ह

ए यमीिनयम क बतरन म खाना यह पट को बीमार करन जसा ह उसस बहत हािन होती ह कनसर तक होन की समभावना बढ़ जाती ह ताब पीतल क बतरन कलई िकय हए हो तो अचछा ह ए यमीिनयम क बतरन म रसोई नही बनानी चािहए ए यमीिनयम क बतरन म खाना भी नही चािहए

आजकल अ ड खान का चलन समाज म बहत बढ़ गया ह अतः मनयो की बि भी वसी ही हो गयी ह वजञािनको न अनसधान करक बताया ह िक 200 अ ड खान स िजतना िवटािमन सी िमलता ह उतना िवटािमन सी एक नारगी (सतरा) खान स िमल जाता ह िजतना ोटीन कि शयम अ ड म ह उसकी अपकषा चन मग मटर म एयादा ोटीन ह टमाटर म अ ड स तीन गणा कि शयम एयादा ह कल म स कलौरी िमलती ह और भी कई िवटािमनस कल म ह

िजन ािणयो का मास खाया जाता ह उनकी हतया करनी पड़ती ह िजस व उनकी हतया की जाती ह उस व व अिधक स अिधक अशात िखनन भयभीत उि न और ब होत ह अतः मास खान वाल को भी भय बोध अशाित उ ग इस आहार स िमलता ह शाकाहारी भोजन म सपाचय तत होत ह मास म व नही होत अतः मासाहारी भोजन को पचान क जीवन शि का एयादा वयय होता ह ःवाःथय क िलय एव मानिसक शाित आिद क िलए प यातमा होन की दि स भी शाकाहारी भोजन ही करना चािहए

शरीर को ःथल करना कोई बड़ी बात नही ह और न ही इसकी ज़ररत ह लिकन बि को सआम करन की ज़ररत ह आहार यिद साि वक होगा तो बि भी सआम होगी इसिलए सदव साि वक भोजन ही करना चािहए

(अनबम)

भारतीय सःकित की महानता रवरनड ऑवर नाम का एक पादरी पना म िहनद धमर की िननदा और ईसाइयत का चार

कर रहा था तब िकसी सजजन न एक बार रवरनड ऑवर स कहाः आप िहनद धमर की इतनी िननदा करत हो तो कया आपन िहनद धमर का अधययन िकया

ह कया भारतीय सःकित को परी तरह स जानन की कोिशश की ह आपन कभी िहनद धमर को समझा ही नही जाना ही नही ह िहनद धमर म तो ऐस जप धयान और सतसग की बात ह िक िजनह अपनाकर मनय िबना िवषय-िवकारी क िबना िडःको डास(नतय) क भी आराम स रह सकता ह आनिदत और ःवःथ रह सकता ह इस लोक और परलोक दोनो म सखी रह सकता ह आप िहनद धमर को जान िबना उसकी िनदा करत हो यह ठ क नही ह पहल िहनद धमर का अधययन तो करो

रवरनड ऑवर न उस सजजन की बात मानी और िहनद धमर की पःतको को पढ़न का िवचार िकया एकनाथजी और तकारामजी का जीवन चिरऽ जञान र महाराज की योग सामथयर की बात और कछ धािमरक पःतक पढ़न स उस लगा िक भारतीय सःकित म तो बहत खजाना ह मनय की जञा को िदवय करन की मन को सनन करन की और तन क र कणो को भी बदलन की इस सःकित म अदभत वयवःथा ह हम नाहक ही इन भोल-भाल िहनदःतािनयो को अपन चगल म फसान क िलए इनका धमरपिरवतरन करवात ह अर हम ःवय तो अशािनत की आग म जल ही रह ह और इनह भी अशात कर रह ह

उसन ायि -ःवरप अपनी िमशनरी रो तयागपऽ िलख भजाः िहनदःतान म ईसाइयत फलान की कोई ज़ररत नही ह िहनद सःकित की इतनी महानता ह िवशषता ह िक ईसाइय को चािहए िक उसकी महानता एव सतयता का फायदा उठाकर अपन जीवन को साथरक बनाय िहनद धमर की सतयता का फायदा दश-िवदश म पहच मानव जाित को सख-शाित िमल इसका यास हम करना चािहए

म भारतीय इितहास सशोधन म डल क मर आठ लाख डॉलर भट करता ह और तमहारी िमशनरी को सदा क िलए तयागपऽ दकर भारतीय सःकित की शरण म जाता ह

जस रवर ड ऑवर न भारतीय सःकित का अधययन िकया ऐस और लोगो को भी जो िहनद धमर की िनदा करत ह भारतीय सःकित का पकषपात और पवरमहरिहत अधययन करना चािहए मनय की सष शि या व आनद जगाकर ससार म सख-शाित आनद सननता का चार-सार करना चािहए

मा सीता की खोज करत-करत हनमान जामबत अगद आिद ःवयभा क आौम म पहच उनह जोरो की भख और यास लगी थी उनह दखकर ःवयभा न कह िदया िकः

कया तम हनमान हो ौीरामजी क दत हो सीता जी की खोज म िनकल हो

हनमानजी न कहाः हा मा हम सीता माता की खोज म इधर तक आय ह

िफर ःवयभा न अगद की ओर दखकर कहाः तम सीता जी को खोज तो रह हो िकनत आख बद करक खोज रह हो या आख

खोलकर

अगद जरा राजवी परष था बोलाः हम कया आख बनद करक खोजत होग हम तो आख खोलकर ही माता सीता की खोज कर रह ह

ःवयभा बोलीः सीताजी को खोजना ह तो आख खोलकर नही बद करक खोजना होगा सीता जी अथारत भगवान की अधािगनी सीताजी यानी िव ा आतमिव ा िव ा को खोजना ह तो आख खोलकर नही आख बद करक ही खोजना पड़गा आख खोलकर खोजोग तो सीताजी नही िमलगी तम आख बनद करक ही सीताजी ( िव ा) को पा सकत हो ठहरो म तमह बताती ह िक सीता जी कहा ह

धयान करक ःवयभा न बतायाः सीताजी यहा कही भी नही वरन सागर पार लका म ह अशोकवािटका म बठ ह और राकषिसयो स िघरी ह उनम िऽजटा नामक राकषसी ह तो रावण की सिवका िकनत सीताजी की भ बन गयी ह सीताजी वही रहती ह

वारन सोचन लग िक भगवान राम न तो एक महीन क अदर सीता माता का पता लगान क िलए कहा था अभी तीन स ाह स एयादा समय तो यही हो गया ह वापस कया मह लकर जाए सागर तट तक पहचत-पहचत कई िदन लग जाएग अब कया कर

उनक मन की बात जानकर ःवयभा न कहाः िचनता मत करो अपनी आख बद करो म योगबल स एक कषण म तमह वहा पहचा दती ह

हनमान अगद और अनय वानर अपनी आख बनद करत ह और ःवयभा अपनी योगशि स उनह सागर-तट पर कछ ही पल म पहचा दती ह

ौीरामचिरतमानस म आया ह िक ETH

ठाड़ सकल िसध क तीरा ऐसी ह भारतीय सःकित की कषमता

अमिरका को खोजन वाला कोलबस पदा भी नही हआ था उसस पाच हजार वषर पहल अजरन सशरीर ःवगर म गया था और िदवय अ लाया था ऐसी यो यता थी िक धरती क राजा खटवाग दवताओ को मदद करन क िलए दवताओ का सनापितपद सभालत थ ितःमित-िव ा चाकषषी िव ा परकायावश िव ा अ िसि िव ा एव नविनिध ा करान वाली योगिव ा और जीत-जी जीव को बनान वाली िव ा यह भारतीय सःकित की दन ह अनय जगह यह नही िमलती भारतीय सःकित की जो लोग आलोचना करत ह उन बचारो को तो पता ही नही ह िक भारतीय सःकित िकतनी महान ह

गर तगबहादर बोिलयो सनो सीखो बड़भािगयो धड़ दीज धमर न छोिड़य

यवनो न गर गोिबनदिसह क बटो स कहाः तम लोग मसलमान हो जाओ नही तो हम तमह िज़नदा ही दीवार म चनवा दग

बट बोलः हम अपन ाण द सकत ह लिकन अपना धमर नही तयाग सकत

बरो न उन दोनो को जीत-जी दीवार म चनवा िदया जब कारीगर उनह दीवार म चनन लग तब बड़ा भाई बोलता हः धमर क नाम यिद हम मरना ही पड़ता ह तो पहल मरी ओर ट बढ़ा दो तािक म छोट भाई की मतय न दख

छोटा भाई बोलता हः नही पहल मरी ओर ईट बढ़ा दो

कया साहसी थ कया वीर थ वीरता क साथ अपन जीवन का बिलदान कर िदया िकनत धमर न छोड़ा आजकल क लोग तो अपन धमर और सःकित को ही भलत जा रह ह कोई लवर-लवरी धमरपिरवतरन करक लवमरज करत ह अपना िहनद धमर छोड़कर फस मरत ह यह भी कोई िज़नदगी ह भगवान ौीकण कहत ह ETH

ःवधम िनधन ौय परधम भयावहः अपन धमर म मर जाना अचछा ह पराया धमर दःख दन वाला ह भयावह ह नरको म ल

जान वाला ह इसिलए अपन ही धमर म अपनी ही सःकित म जो जीता ह उसकी शोभा ह रवर ड ऑवर न भारतीय सःकित का खब आदर िकया एफ एच मोलम न महातमा

थोरो एव अनय कई पा ातय िचनतको न भी भारतीय सःकित का बहत आदर िकया ह उनक कछ उदगार यहा ःतत हः

बाईबल का मन यथाथर अ यास िकया ह उसम जो िदवय िलखा ह वह कवल गीता क उ रण क रप म ह म ईसाई होत हए भी गीता क ित इतना सारा आदरभाव इसिलए रखता ह िक िजन गढ़ ो का समाधान पा ातय लोग अभी तक नही खोज पाय ह उनका समाधान गीतामनथ न श एव सरल रीित स कर िदया ह उसम कई सऽ अलौिकक उपदशो स भरपर

लग इसीिलए गीता जी मर िलए साकषात योग री माता बन रही ह वह तो िव क तमाम धन स भी नही खरीदा जा सक ऐसा भारतवषर का अम य खजाना ह

- एफ एच मोलम (इगल ड) ाचीन यग की सवर रमणीय वःतओ म गीता स ौ कोई वःत नही ह गीता म ऐसा

उ म और सवरवयापी जञान ह िक उसक रचियता दवता को अस य वषर हो गय िफर भी ऐसा दसरा एक भी मनथ नही िलखा गया

महातमा थोरो (अमिरका) धमर क कषऽ म अनय सब दख दिरि ह जबिक भारत इस िवषय म अरबपित ह

माकर टवन (यएसए) इस पथवी पर सवारिधक पणर िवकिसत मानवजञा कहा ह और जीवन क मह म ो क

हल िकसन खोज ह ऐसा अगर मझस पछा जाए तो म अगिलिनदश करक कहगा िक भारत न ही

मकसमलर (जमरनी) वदानत जसा ऊधवरगामी एव उतथानकारी और एक भी धमर या त वजञान नही ह

शोपनहोअर (जमरनी) िव भर म कवल भारत ही ऐसी ौ महान परमपराए रखता ह जो सिदयो तक जीिवत

रही ह

कनो (ानस) मनय जाित क अिःततव क सबस ारिमभक िदनो स लकर आज तक जीिवत मनय

क तमाम ःव न अगर कही साकार हए हो तो वह ःथान ह भारत

रोमा रोला (ास) भारत दश समपणर मानव जाित की मातभिम ह और सःकत यरोप की सभी भाषाओ की

जननी ह भारत हमार त वजञान गिणतशा एव जनतऽ की जननी ह भारतमाता अनक रप स सभी की जननी ह

िवल डरानट (यएसए) भारतीय सःकित की महानता का एहसास करन वाल इन सब िवदशी िचनतको को हम

धनयवाद दत ह एक बार महातमा थोरो सो रह थ इतन म उनका िशय एमसरन आया दखा िक वहा

साप और िबचछ घम रह ह गरजी क जागन पर एमसरन बोलाः गरदव यह जगह बड़ी खतरनाक ह म िकसी सरिकषत जगह पर आपकी वयवःथा करवा

दता ह

महातमा थोरो बोलः नही नही िचनता करन की कोई ज़ररत नही ह मर िसरहान पर ौीमदभगवदगीता ह भगवदगीता क जञान क कारण तो मझ साप म िबचछ म सबम मरा ही आतमा-परमातमा िदखता ह व मझ नही काटत ह तो म कही कयो जाऊ

िकतनी कह गीता की महानता यही ह भारतीय सःकित की मिहमा अदभत ह उसकी महानता लाबयान ह उसकी मिहमा

(अनबम)

हिरदास की हिरभि सात वष य गौर वणर क गौराग बड़-बड़ िव ान पिडतो स ऐस-ऐस करत थ िक व

दग रह जात थ इसका कारण था गौराग की हिरभि बड़ होकर उनहोन लाखो लोगो को हिरभि म रग िदया

जो हिरभ होता हिर का भजन करता उसकी बि अचछ मागर पर ही जाती ह लोभी वयि पसो क िलए हसता-रोता ह पद एव कस क तो िकतन ही लोग हसत रोत ह पिरवार क िलए तो िकतन ही मोही हसत रोत ह िकनत धनय ह व जो भगवान क िलए रोत हसत ह भगवान क िवरह म िजस रोना आया ह भगवान क िलए िजसका दय िपघलता ह ऐस लोगो का जीवन साथरक हो जाता ह भागवत म भगवान ौीकण उ व स कहत ह-

वाग गदगदा िवत यःय िच

रदतयभीआण हसित कविचचच िवलजज उदगायित नतयत च

मदभि य ो भवन पनाित िजसकी वाणी गदगद हो जाती ह िजसका िच ििवत हो जाता ह जो बार-बार रोन

लगता ह कभी लजजा छोड़कर उचच ःवर स गान लगता ह कभी नाचन लगता ह ऐसा मरा भ समम ससार को पिवऽ करता ह (ौीमदभागवतः 111424)

धनय ह वह मसलमान बालक जो गौराग क कीतरन म आता ह और िजसन गौराग स मऽदीकषा ली ह

उस मसलमान बालक का नाम हिरदास रखा गया मसलमान लोगो न उस हिरभ हिरदास को फसलान की बहत च ा की बहत डराया िक त गौराग क पास जाना छोड़ द नही तो हम यह करग वह करग िकनत हिरदास बहका नही उसका भय न हो गया था दमरित दर हो चकी थी उसकी सदबि और िन ा भगवान क धयान म लग गयी थी भयनाशन दमरित हरण किल म हिर को नाम यह नानक जी का वचन मानो उसक जीवन म साकार हो उठा था

काज़ी न षडयऽ करक उस पर कस िकया और फरमान जारी िकया िक हिरदास को बत मारत-मारत बीच बाजार स ल जाकर यमना म डाल िदया जाय

िनभ क हिरदास न बत की मार खाना ःवीकार िकया िकनत हिरभि छोड़ना ःवीकार न िकया िनि त िदन हिरदास को बत मारत हए ल जाया जान लगा िसपाही बत मारता ह तो हिरदास बोलता हः हिर बोल

हमको हिर बोल बलवाता ह य ल हिर बोल हिर बोल (सटाकसटाक) िसपाही बोलत हः हम तझ बत मारत ह तो कया तझ पीड़ा नही होती त हमस भी हिर

बोल हिर बोल करवाना चाहता ह

हिरदासः पीड़ा तो शरीर को होती ह म तो आतमा ह मझ तो पीड़ा नही होती तम भी यार स एक बार हिर बोल कहो

िसपाहीः ह हम भी हिर बोल कह हमस हिर बोल बलवाता ह ल य हिर बोल (सटाक)

हिरदास सोचता ह िक बत मारत हए भी तो य लोग हिर बोल कह रह ह चलो इनका क याण होगा िसपाही बत मारत जात ह सटाक सटाक और हिरदास हिर बोल बोलता भी जाता ह बलवाता भी जाता ह हिरदास को कई बत पड़न पर भी उसक चहर पर दःख की रखा तक नही िखचती

हवालदार पछता हः हिरदास तझ बत पड़न क बावजद भी तरी आखो म चमक ह चहर पर धयर शाित और सननता झलक रही ह कया बात ह

हिरदासः म बोलता ह हिर बोल तब िसपाही ब होकर भी कहत हः ह हमस भी बलवाता ह हिर बोल हिर बोल हिर बोल तो ल इस बहान भी उनक मह स हिरनाम िनकलता ह दर सवर उनका भी क याण होगा इसी स मर िच म सननता ह

धनय ह हिरदास की हिरभि बर काज़ी क आदश का पालन करत हए िसपाही उस हिरभि स िहनद धमर की दीकषा स चयत करन क िलए बत मारत ह िफर भी वह िनडर हिरभि नही छोड़ता हिर बोल बोलना बद नही करता

व मसलमान िसपाही हिरदास को िहनद धमर की दीकषा क भाव स गौरा क भाव स दर हटाना चाहत थ लिकन वह दर नही हटा बत सहता रहा िकनत हिर बोल बोलना न छोड़ा आिखरकार उन बर िसपाहीयो न हिरदास को उठाकर नदी म बहा िदया

नदी म तो बहा िदया लिकन दखो हिरनाम का भाव मानो यमनाजी न उसको गोद म ल िलया डढ़ मील तक हिरदास पानी म बहता रहा वह शातिच होकर मानो उस पानी म नही हिर की कपा म बहता हआ दर िकसी गाव क िकनार िनकला दसर िदन गौराग की भातफरी म शािमल हो गया लोग आ यरचिकत हो गय िक चमतकार कस हआ

धनय ह वह मसलमान यवक हिरदास जो हिर क धयान म हिर क गान म हिर क कीतरन म गौराग क साथ रहा जस िववकाननद क साथ भिगनी िनविदता न भारत म अधयातम-धणर क चार म लगकर अपना नाम अमर कर िदया वस ही इस मसलमान यवक न हिरकीतरन म हिरधयान म अपना जीवन धनय कर िदया दजरन लोग हिरदास का बाल तक न बाका कर सक जो सचच दय स भगवान का हो जाता ह उसकी हजारो शऽ िमलकर भी कछ हािन नही कर सकत तो उस काज़ी की कया ताकत थी

लोगो न जाकर काज़ी स कहा िक आज हिरदास पनः गौराग की भातफरी म उपिःथत हो गया था काजी अतयनत अहकारी था उसन एक नोिटस भजा एक आदश चतनय महाभ (गौराग) को भजा िक कल स तम भातफरी नही िनकाल सकत तमहारी भातफरी पर बिदश लगाई जाती ह

गौराग न सोचा िक हम िकसी का बरा नही करत िकसी को कोई हािन नही पहचात अर वायम डल क दषण को दर करन क िलए तो शासन पस खचर करता ह िकनत िवचारो क दषण को दर करन क िलए हिरकीतरन जसा हिरभि जसा अमोघ उपाय कौन सा ह भल काजी और शासन की समझ म आय या न आय वातावरण को श करन क साथ-साथ िवचारो का दषण भी दर होना चािहए हम तो कीतरन करग और करवायग

जो लोग डरपोक थ भीर और कायर थ ढील-ढाल थ व बोलः बाबा जी रहन दो रहन दो अपना कया जो करग व भरग अपन तो घर म ही रहकर हिर ॐ हिर ॐ करग

गौराग न कहाः नही इस कार कायरो जसी बात करना ह तो हमार पास मत आया करो

दसर िदन जो डरपोक थ ऐस पाच-दस वयि नही आय बाकी क िहममतवाल िजतन थ व सब आय उनह दखकर और लोग भी जड़

गौराग बोलः आज हमारी भातफरी की पणारहित काजी क घर पर ही होगी

गौराग भ -म डली क साथ कीतरन करत-करत जब बाजार स गज़र तो कछ िहनद एव मसलमान भी कीतरन म जड़ गय उनको भी कीतरन म रस आन लगा व लोग काजी को गािलया दन लग िक काजी बदमाश ह ऐसा ह वसा ह आिद ETH आिद

तब गौराग कहत हः नही शऽ क िलए भी बरा मत सोचो

उनहोन सबको समझा िदया िक काजी क िलए कोई भी अपश द नही कहगा कसी महान ह हमारी िहनद सःकित िजसन हिरदास को बत मारन का आदश िदया उस कवल अपश द कहन क िलए भी गौराग मना कर रह ह इस भारती सःकित म िकतनी उदारता ह स दयता ह लिकन कायरता को कही भी ःथान नही ह

गौराग कीतरन करत-करत काजी क घर क िनकट पहच गय काजी घर की छत पर स इस भातफरी को दखकर दग रह गया िक मर मना करन पर भी इनहोन भातफरी िनकाली

और मर घर तक ल आय उसम मसलमान लड़क भी शािमल ह जयो ही वह भातफरी काजी क घर पहची काजी घर क अनदर िछप गया

गौराग न काजी का ार खटखटाया तब काजी या काजी की प ी न नही वरन चौकीदार न दरवाजा खोला वह बोलाः

काजी साहब घर पर नही ह

गौराग बोलः नही कस ह अभी तो हमन उनह घर की छत पर दखा था काजी को जाकर बोलो हमार मामा और मा भी िजस गाव की ह आप भी उसी गाव क हो इसिलए आप मर गाव क मामा लगत ह मामाजी भानजा ार पर आय और आप छप कर बठ यह शोभा नही दता बाहर आ जाईय

चौकीदार न जाकर काजी को सब कह सनाया गौराग क मभर वचन सनकर काजी का दय िपघल गया िजस पर मन ज म ढाय वह मझ मामा कहकर सबोिधत करता ह िजसक साथ मन बरता की वह मर साथ िकतना औदायर रखता ह यह सोचकर काजी का दय बदल गया वह ार पर आकर बोलाः

म तमस डरकर अनदर नही छपा कयोिक मर पास तो स ा ह कलम की ताकत ह लिकन हिरकीतरन स हिरनाम स िहनद तो कया मसलमान लड़क भी आनिदत हो रह ह उनका भी लह पिवऽ हो रहा ह यह दखकर मझ दःख हो रहा ह िक िजस नाम क उचचारण स उनकी रग-रग पावन हो रही ह उसी नाम क कारण मन हिरदास पर और तम पर ज म िकया िकसी क बहकाव म आकर तम लोगो पर फरमान जारी िकया अब म िकस मह स तमहार सामन आता इसीिलए म मह िछपाकर घर क अनदर घस गया था

भानजा(गौराग) बोलता हः मामा अब तो बाहर आ जाइय

मामा(काजी) बोलाः बाहर आकर कया कर

गौरागः कीतरन कर हिरनाम क उचचारण स छपी हई यो यता िवकिसत कर आनद गट कर

काजीः कया करना होगा

गौरागः म जसा बोलता ह ऐसा ही बोलना होगा बोिलएः हिर बोल हिर बोल

काजीः हिर बोल हिर बोल

गौरागः हिर बोल हिर बोल

काजीः हिर बोल हिर बोल

हिर बोल हिर बोल हिर बोल हिर बोल

हिर बोल हिर बोल हिर बोल हिर बोल

कीतरन करत-करत गौराग न अपनी िनगाहो स काजी पर कपा बरसाई तो काजी भी झमन लगा उस भी हिर बोल का रग लग गया जस इजन को ह डल दकर छोड़ दत ह तब भी इजन चलता रहता ह ऐस ही गौराग की कपादि स काजी भी झमन लगा

काजी क झमन स वातावरण म और भी रग आ गया काजी तो झम गया काजी की प ी भी झमी और चौकीदार भी झम उठा सब हिरकीतरन म झमत-झमत अपन र को पावन करन लग दय को हिररस स सराबोर करन लगा उनक जनम-जनम क पाप-ताप न होन लग िजस पर भगवान की दया होती ह िजसको साधओ का सग िमलता ह सतसग का सहारा िमलता ह और भारतीय सःकित की महानता को समझन की अकल िमलती ह िफर उसक उ ार म कया बाकी रह जाता ह काजी का तो उ ार हो गया

दखो सत की उदारता एव महानता िजसन िहनदओ पर ज म करवाय भ हिरदास को बत मरवात-मरवात यमना जी म डलवा िदया भातफरी पर ितबध लगवा िदया उसी काजी को गौराग न हिररग म रग िदया अपनी कपादि स िनहाल कर िदया उसक बर कम की धयान न दत हए भि का दान द िदया ऐस गौराग क ौीचरणो म हमार हजार-हजार णाम ह हम उस मसलमान यवक हिरदास को भी धनयवाद दत ह िक उसन बत खात पीड़ा सहत भी भि न छोड़ी गरदव को न छोड़ा न ही उनक दबाव म आकर पनः मसलमान बना हिर बोल क रग म ःवय रगा और िसपािहयो को भी रग िदया धनय ह हिरदास और उसकी हिरभि

(अनबम)

बनावटी ौगार स बचो जमरनी क िस दाशरिनक शोपनहार कहत ह िक िजन दशो म हिथयार बनाय जात ह

उन दशो क लोगो को य करन की उ जना होती ह और उन दशो म हिथयार बनत ही रहत ह य भी होत रहत ह ऐस ही जो लोग फशन करत ह उनक दय म काम बोध लोभ मोह रपी य होता ही रहता ह उनक जीवन म िवलािसता आती ह और पतन होता ह वस ही फशन और िवलािसता स सयम सदाचार और यो यता का सहार होता ह

इसिलए य क साधन बढ़न स जस य होता ह वस ही िवलािसता और फशन क साधनो का उपयोग करन स अतयर होता ह अपनी आितमक शि यो का सहार होता ह अतः अपना भला चाहन वाल भाई-बहनो को पफ-पाउडर िलपिःटक-लाली व -अलकार क िदखाव क पीछ नही पड़ना चािहए सयम सादगी एव पिवऽतापणर जीवन जीना चािहए

अपन शा ो म ौगार की अनमित दी गई ह सौभा यवती ि या जब पित अपन ही नगर म हो घर म हो तब ौगार कर पित यिद दर दश गया हो तब सौभा यवित ि यो को भी सादगीपणर जीवन जीना चािहए ौगार क उपयोग म आनवाली वःतए भी वनिःपतयो एव साि वक रसो स बनी हई होनी चािहए जो सननता और आरो यता दान कर

आजकल तो शरीर म उ जना पदा कर बीमािरया पदा कर ऐस किमक स(रसायनो) और जहर जस साधनो स ौगार-साधन बनाए जात ह िजसस शरीर क अनदर जहरील कण जात ह और तवचा की बीमािरया होती ह आहार म भी जहरील कणो क जान स पाचन-तऽ और मानिसक सतलन िबगड़ता ह साथ ही बौि क एव वचािरक सतलन भी िबगड़ता ह

पशओ की चब किमक स और दसर थोड़ जहरील िवयो स बन पफ-पाउडर िलपिःटक-लाली आिद िजन साधनो का यटी-पालरर म उपयोग िकया जाता ह वसी गदगी कभी-भी अपन शरीर को तो लगानी ही नही चािहए दसर लोगो न लगायी हो तो दखकर सनन भी नही होना चािहए अपन सयम और सदाचार की सनदरता को गट करना चािहए मीरा और शबरी िकस यटी-पालरर म गय थ सती अनसया गाग और मदालसा न िकस पफ-पाउडर लाली-िलपिःटक का उपयोग िकया था िफर भी उनका जीवन सनदर तजःवी था हम भी ई र स ाथरना कर िक ह भगवान हम अपना सयम और साधना का सौनदयर बढ़ाए ऐसी त दया करना िवकारी सौनदयर स अपन को बचाकर िनिवरकारी नारायण की ओर जाय ऐसी त दया करना िवलािसता म अपन समय को न लगाकर तर ही धयान-िचतन म हमारा समय बीत ऐसी त कपा करना

किऽम सौनदयर-साधन स तवचा की िःन धता और कोमलता मर जाती ह पफ-पाउडर बीम आिद स शरीर की कदरती िःन धता खतम हो जाती ह ाकितक सौनदयर को न करक

जो किऽम सौनदयर क गलाम बनत ह उनस ःनहभरी सलाह ह िक व पफ-पाउडर आिद और तड़कील-भड़कील व आिद की गलामी को छोड़कर ाकितक सौनदयर को बढ़ान की कोिशश कर मीरा और मदालसा की तरह अपन असली सौनदयर को कट करन की कोिशश कर

(अनबम)

साहसी बालक एक लड़का काशी म हिर नि हाईःकल म पढ़ता था उसका गाव काशी स आठ मील दर

था वह रोजाना वहा स पदल चलकर आता बीच म जो गगा नदी बहती ह उस पार करक िव ालय पहचता

उस जमान म गगा पार करन क िलए नाव वाल को दो पस दन पड़त थ दो पस आन क और दो पस जान क कल चार पस यािन पराना एक आना महीन म करीब दो रपय हए जब सोन क एक तोल का भाव रपया सौ स भी नीच था तब क दो रपय आज क तो पाच-पचचीस रपय हो जाए

उस लड़क न अपन मा-बाप पर अितिर बोझा न पड़ इसिलए एक भी पस की माग नही की उसन तरना सीख िलया गम हो बािरश हो या ठ ड हो गगा पार करक हाईःकल म जाना उसका बम हो गया इस कार िकतन ही महीन गजर गय

एक बार पौष मास की ठ ड म वह लड़का सबह की ःकल भरन क िलए गगा म कदा तरत-तरत मझधार म आया एक नाव म कछ याऽी नदी पार कर रह थ उनहोन दखा िक छोटा-सा लड़का अभी डब मरगा व उसक पास नाव ल गय और हाथ पकड़ कर उस नाव म खीच िलया लड़क क मख पर घबराहट या िचनता की कोई रखा नही थी सब लोग दग रह गय इतना छोटा ह और इतना साहसी ह व बोलः

त अभी डब मरता तो ऐसा साहस नही करना चािहए

तब लड़का बोलाः साहस तो होना ही चािहए जीवन म िव न-बाधाए आयगी उनह कचलन क िलए साहस तो चािहए ही अगर अभी स साहस नही जटाया तो जीवन म बड़-बड़ कायर कस कर पायग

लोगो न पछाः इस समय तरन कयो िगरा दोपहर को नहान आता

लड़का बोलता हः म नहान क िलए नदी म नही िगरा ह म तो ःकल जा रहा ह

नाव म बठकर जाता

रोज क चार पस आन-जान क लगत ह मर गरीब मा-बाप पर मझ बोझा नही बनना ह मझ तो अपन परो पर खड़ होना ह मरा खचर बढ़ तो मर मा-बाप की िचनता बढ़ उनह घर चलाना मिकल हो जाय

लोग उस आदर स दखत ही रह गय वही साहसी लड़का आग चलकर भारत का धान मऽी बना

वह लड़का कौन था पता ह व थ लाल बहादर शा ी शा ी जी उस पद भी सचचाई साहस सरलता ईमानदारी सादगी दशम आिद सदगण और सदाचार क मितरमनत ःवरप थ ऐस महापरष भल िफर थोड़ा-सा समय ही राजय कर पर एक अनोखा भाव छोड़ जात ह जनमानस पर

(अनबम)

गर-आजञापालन का चमतकार ौीम आ ाशकराचायर जी जब काशी म िनवास करत थ तब गगा-तट पर िनतय ात-

काल टहलत थ एक सबह िकसी ितभासपनन यवक न दसर िकनार स दखा िक कोई सनयासी उस पार टहल रह ह उस यवक न दसर िकनार स ही उनह णाम िकया उस यवक को दखकर आ शकराचायर जी न सकत िकया िक इधर आ जाओ उस आभासमपनन यवक न दखा िक मन तो साध को णाम कर िदया ह णाम कर िदया तो म उनका िशय हो गया और उनहोन मझ आदश िदया िक इधर आ जाओ अब गर की आजञा का उ लघन करना भी तो उिचत नही ह िकनत यही कोई नाव नही ह और म तरना भी नही जानता ह अब कया कर उसक मन म िवचार आया िक वस भी तो हजारो बार हम मर चक ह एक बार यिद गर क दशरन क िलए जात-जात मर जाय तो घाटा कया होगा

गग मात की जय कह कर उस यवक न तो गगाजी म पर रख िदया उसकी इचछा कहो ौीम आ शकराचायर जी का भाव कहो या िनयित की लीला कहो जहा उस यवक न कदम रखा वहा एक कमल पदा हो गया उसक पर को थामन क िलए जब दसरा पर रखा तो वहा भी कमल पदा हो गया इस कार जहा-जहा वह कदम रखता गया वहा कमल (प ) उतपनन होता गया और वह यवक गगा क दसर तट पर जहा आ शकराचायर जी खड़ थ पहच गया

जहा-जहा वह कदम रखता था वहा-वहा प (कमल) क कट होन क कारण उसका नाम पड़ा - प पादाचायर शकराचायर जी क म य चार प टिशयो म आग जाकर यही प पादाचायर एक प टिशय बन

कहन का तातपयर यह ह िक सिचचदानद परमातमा की शि का सामथयर का बयान करना सभव नही ह िजसकी िजतनी दढ़ता ह िजसकी िजतनी सचचाई ह िजसकी िजतनी ततपरता ह उतनी ही कित भी उसकी मदद करन को आतर रहती ह प पादाचायर की गर-आजञापालन म दढ़ता और ततपरता को दखकर गगा जी म कमल गट हो गय िशय यिद दढ़ता ततपरता और ईमानदारी स गर-आजञापालन म लग जाय तो कित भी उसक अनकल हो जाती ह

(अनबम)

अनोखी गरदिकषणा एकलवय गर िोणाचायर क पास आकर बोलाः मझ धनिवर ा िसखान की कपा कर

गरदव गर िोणाचायर क समकष धमरसकट उतपनन हआ कयोिक उनहोन भीम िपतामह को वचन

द िदया था िक कवल राजकमारो को ही म िशकषा दगा एकलवय राजकमार नही ह अतः उस धनिवर ा कस िसखाऊ अतः िोणाचायर न एकलवय स कहाः

म तझ धनिवर ा नही िसखा सकगा

एकलवय घर स िन य करक िनकला था िक म कवल गर िोणाचायर को ही गर बनाऊगा िजनक िलए मन म भी गर बनान का भाव आ गया उनक िकसी भी वयवहार क िलए िशकायत या िछिानवषण की वि नही होनी चािहए

एकलवय एकात अर य म गया और उसन गर िोणाचायर की िम टी की मितर बनायी मितर की ओर एकटक दखकर धयान करक उसी स रणा लकर वह धनिवर ा सीखन लगा एकटक दखन स एकामता आती ह एकामता गरभि अपनी सचचाई और ततपरता क कारण उस रणा िमलन लगी जञानदाता तो परमातमा ह धनिवर ा म वह बहत आग बढ़ गया

एक बार िोणाचायर पाडव एव कौरव धनिवर ा का योग करन अर य म आय उनक साथ एक क ा भी था जो थोड़ा आग िनकल गया क ा वही पहचा जहा एकलवय अपनी धनिवर ा का योग कर रहा था एकलवय क खल बाल फट कपड़ एव िविचऽ वष को दखकर क ा भ कन लगा

एकलवय न क को लग नही चोट न पहच और उसका भ कना बद हो जाय इस ढग स सात बाण उसक मह म थमा िदय क ा वािपस वहा गया जहा िोणाचायर क साथ पाडव और कौरव थ

उस दखकर अजरन को हआ िक क को चोट न लग इस ढग स बाण मह म घसाकर रख दना यह िव ा तो म भी नही जानता यह कस सभव हआ वह गर िोणाचायर स बोलाः

गरदव आपन तो कहा था िक मरी बराबरी का दसरा कोई धनधाररी नही होगा िकनत ऐसी िव ा तो मझ भी नही आती

िोणाचायर को हआ िक दख इस अर य म कौन-सा ऐसा कशल धनधरर ह आग जाकर दखा तो वह था िहर यधन का पऽ गरभ एकलवय

िोणाचायर न पछाः बटा यह िव ा त कहा स सीखा

एकलवय बोलाः गरदव आपकी ही कपा स सीखा ह

िोणाचायर तो वचन द चक थ िक अजरन की बराबरी का धनधरर दसरा कोई न होगा िकनत यह तो आग िनकल गया गर क िलए धमरसकट खड़ा हो गया एकलवय की अटट ौ ा दखकर िोणाचायर न कहाः मरी मितर को सामन रखकर त धनिवर ा तो सीखा िकनत गरदिकषणा

एकलवयः जो आप माग

िोणाचायरः तर दाय हाथ का अगठा

एकलवय न एक पल भी िवचार िकय िबना अपन दाय हाथ का अगठा काटकर गरदव क चरणो म अपरण कर िदया

िोणाचायरः बटा भल ही अजरन धनिवर ा म सबस आग रह कयोिक म उस वचन द चका ह िकनत जब तक सयर चनि नकषऽो का अिःततव रहगा तब तक लोग तरी गरिन ा का तरी गरभि का ःमरण करग तरा यशोगान होता रहगा

उसकी गरभि और एकामता न उस धनिवर ा म तो सफलता िदलायी ही लिकन सतो क दय म भी उसक िलए आदर गट करवा िदया धनय ह एकलवय जो गरमितर स रणा पाकर धनिवर ा म सफल हआ और िजसन अदभत गरदिकषणा दकर साहस तयाग और समपरण का पिरचय िदया

(अनबम)

सतसग की मिहमा तलसीदास जी महाराज कहत ह ETH

एक घड़ी आधी घड़ी आधी म पिन आध तलसी सगत साध की हर कोिट अपराध

एक बार शकदव जी क िपता भगवान वदवयासजी महाराज कही जा रह थ राःत म उनहोन दखा िक एक कीड़ा बड़ी तजी स सड़क पार कर रहा था

वदवयासजी न अपनी योगशि दत हए उसस पछाः त इतनी ज दी सड़क कयो पार कर रहा ह कया तझ िकसी काम स जाना ह त तो

नाली का कीड़ा ह इस नाली को छोड़कर दसरी नाली म ही तो जाना ह िफर इतनी तजी स कयो भाग रहा ह

कीड़ा बोलाः बाबा जी बलगाड़ी आ रही ह बलो क गल म बध घघर तथा बलगाड़ी क पिहयो की आवाज म सन रहा ह यिद म धीर-धीर सड़क पार करगा तो वह बलगाड़ी आकर मझ कचल डालगी

वदवयासजीः कचलन द कीड़ की योिन म जीकर भी कया करना

कीड़ाः महिषर ाणी िजस शरीर म होता ह उसको उसम ही ममता होती ह अनक ाणी नाना कार क क ो को सहत हए भी मरना नही चाहत

वदवयास जीः बलगाड़ी आ जाय और त मर जाय तो घबराना मत म तझ योगशि स महान बनाऊगा जब तक ा ण शरीर म न पहचा द अनय सभी योिनयो स शीय छटकारा िदलाता रहगा

उस कीड़ न बात मान ली और बीच राःत पर रक गया और मर गया िफर वदवयासजी की कपा स वह बमशः कौआ िसयार आिद योिनयो म जब-जब भी उतपनन हआ वयासजी न जाकर उस पवरजनम का ःमरण िदला िदया इस तरह वह बमशः मग पकषी शि वय जाितयो म जनम लता हआ कषिऽय जाित म उतपनन हआ उस वहा भी वदवयासजी दशरन िदय थोड़ िदनो म रणभिम म शरीर तयागकर उसन ा ण क घर जनम िलया

भगवान वदवयास जी न उस पाच वषर की उ म सारःवतय मऽ द िदया िजसका जप करत-करत वह धयान करन लगा उसकी बि बड़ी िवलकषण होन पर वद शा धमर का रहःय समझ म आ गया

सात वषर की आय म वदवयास जी न उस कहाः काि रक कषऽ म कई वष स एक ा ण ननदभि तपःया कर रहा ह तम जाकर उसकी

शका का समाधान करो

माऽ सात वषर का ा ण कमार काि रक कषऽ म तप कर रह उस ा ण क पास पहच कर बोलाः

ह ा णदव आप तप कयो कर रह ह

ा णः ह ऋिषकमार म यह जानन क िलए तप कर रहा ह िक जो अचछ लोग ह सजजन लोग ह व सहन करत ह दःखी रहत ह और पापी आदमी सखी रहत ह ऐसा कयो ह

बालकः पापी आदमी यिद सखी ह तो पाप क कारण नही वरन िपछल जनम का कोई प य ह उसक कारण सखी ह वह अपन प य खतम कर रहा ह पापी मनय भीतर स तो दःखी ही होता ह भल ही बाहर स सखी िदखाई द

धािमरक आदमी को ठ क समझ नही होती उिचत िदशा व मऽ नही िमलता इसिलए वह दःखी होता ह वह धमर क कारण दःखी नही होता अिपत समझ की कमी क कारण दःखी होता ह समझदार को यिद कोई गर िमल जाय तो वह नर म स नारायण बन जाय इसम कया आ यर ह

ा णः म इतना बढ़ा हो गया इतन वष स काि रक कषऽ म तप कर रहा ह मर तप का फल यही ह िक तमहार जस सात वषर क योगी क मझ दशरन हो रह ह म तमह णाम करता ह

बालकः नही नही महाराज आप तो भदव ह म तो बालक ह म आपको णाम करता ह

उसकी नता दखकर ा ण और खश हआ तप छोड़कर वह परमातमिचनतन म लग गया अब उस कछ जानन की इचछा नही रही िजसस सब कछ जाना जाता ह उसी परमातमा म िवौाित पान लग गया

इस कार ननदभि ा ण को उ र द िनःशक कर सात िदनो तक िनराहार रहकर वह बालक सयरमनऽ का जप करता रहा और वही बहदक तीथर म उसन शरीर तयाग िदया वही बालक दसर जनम म कषार िपता एव िमऽा माता क यहा गट हआ उसका नाम मऽय पड़ा इनहोन वयासजी क िपता पराशरजी स िवण-पराण तथा बहत पाराशर होरा शा का अधययन िकया था पकषपात रिहत अनभवकाश नामक मनथ म मऽय तथा पराशर ऋिष का सवाद आता ह

कहा तो सड़क स गजरकर नाली म िगरन जा रहा कीड़ा और कहा सत क सािननधय स वह मऽय ऋिष बन गया सतसग की बिलहारी ह इसीिलए तलसीदास जी कहत ह ETH

तात ःवगर अपवगर सख धिरअ तला एक अग तल न तािह सकल िमली जो सख लव सतसग

यहा एक शका हो सकती ह िक वह कीड़ा ही मऽय ऋिष कयो नही बन गया

अर भाई यिद आप पहली ककषा क िव ाथ हो और आपको एम ए म िबठाया जाय तो कया आप पास हो सकत हो नही दसरी तीसरी चौथी दसवी बारहवी बीए आिद पास करक ही आप एमए म वश कर सकत हो

िकसी चौकीदार पर कोई धानमनऽी अतयिधक सनन हो जाए तब भी वह उस सीधा कलकटर (िजलाधीश) नही बना सकता ऐस ही नाली म रहन वाला कीड़ा सीधा मनय तो नही

हो सकता बि क िविभनन योिनयो को पार करक ही मनय बन सकता ह हा इतना अवय ह िक सतकपा स उसका मागर छोटा हो जाता ह

सतसमागम की साध परषो स सग की मिहमा का कहा तक वणरन कर कस बयान कर एक सामानय कीड़ा उनक सतसग को पाकर महान ऋिष बन सकता ह तो िफर यिद मानव को िकसी सदगर का सािननधय िमल जाय उनक वचनानसार चल पड़ तो मि का अनभव करक जीवनम भी बन सकता ह

(अनबम)

पीड़ पराई जान र जञानी िकसी स यार करन क िलए बध हए नही ह और िकसी को डाटन म भी राजी

नही ह हमारी जसी यो यता होती ह ऐसा उनका वयवहार हमार ित होता ह लीलाशाह बाप क ौीचरणो म बहत लोग गय थ एक लड़का भी गया था वह मिणनगर

म रहता था िशवजी को जल चढ़ान क प ात ही वह जल पीता वह लड़का खब िन ा स धयान-भजन करता और सवा पजा करता

एक िदन कोई वयि राःत म बहोश पड़ा हआ था िशवजी को जल चढ़ान जात समय उस बालक न उस दखा और अपनी पजा-वजा छोड़कर उस गरीब की सवा म लग गया िबहार का कोई यवक था नौकरी की खोज म आया था कालपर(अहमदाबाद) ःटशन क लटफामर पर एक दो िदन रहा किलयो न मारपीट कर भगा िदया चलत-चलत मिणनगर म पनीत आौम की ओर रोटी की आशा म जा रहा था रोटी तो वहा नही िमलती थी इसिलए भख क कारण चलत-चलत राःत म िगर गया और बहोश हो गया

उस लड़क का घर पनीत आौम क पास ही था सबह क दस साढ़ दस बज थ वह लड़का घर स धयान-भजन स िनपटकर मिदर म िशवजी को जल चढ़ान क िलए जल का लोटा और पजा की साममी लकर जा रहा था उसन दखा िक राःत म कोई यवक पड़ा ह राःत म चलत-चलत लोग बोलत थः शराब पी होगी यह होगा वह होगा हम कया

लड़क को दया आई प य िकय हए हो तो रणा भी अचछ िमलती ह शभ कम स शभ रणा िमलती ह अपन पास की पजा साममी एक ओर रखकर उसन उस वयि को िहलाया बहत मिकल स उसकी आख खली कोई उस जत सघाता कोई कछ करता कोई कछ बोलता था

आख खोलत ही वह वयि धीर स बोलाः पानी पानी

लड़क न महादव जी क िलय लाया हआ जल का लोटा उस िपला िदया िफर दोड़कर घर जाकर अपन िहःस का दध लाकर उस िदया

यवक क जी म जी आया उसन अपनी वयथा बतात हए कहाः बाब जी म िबहार स आया ह मर बाप गजर गय काका िदन-रात टोकत रहत त िक

कमाओ नही तो खाओग कया नौकरी धधा िमलता नही ह भटकत-भटकत अहमदाबाद क ःटशन पर कली का काम करन का य िकया हमारी रोटी-रोजी िछन जायगी ऐसा समझकर किलयो न खब मारा पदल चलत-चलत मिणनगर ःटशन की ओर आत-आत यहा तीन िदन की भख और मार क कारण चककर आय और िगर गया

लड़क न उस िखलाया अपना इक ठा िकया हआ जबखचर का पसा िदया उस यवक को जहा जाना था वहा भजन की वयवःथा की इस लड़क क दय म आनद की वि हई अतर म आवाज आईः

बटा अब म तझ बहत ज दी िमलगा

लड़क न िकयाः अनदर कौन बोलता ह

उ र आयाः िजस िशव की त पजा करता ह वह तरा आतमिशव अब म तर दय म कट होऊगा सवा क अिधकारी की सवा मझ िशव की ही सवा ह

उस िदन उस अतयारमी न अनोखी ऱणा और ोतसाहन िदया वह लड़का तो िनकल पड़ा घर छोड़कर ई र-साकषातकार करन क िलए कदारनाथ वनदावन होत हए निनताल क अर य म पहचा

कदारनाथ क दशरन पाय लकषािधपित आिशष पाय

इस आशीवारद को वापस कर ई राि क िलए िफर पजा की उसक पास जो कछ रपय पस थ उनह वनदावन म साध-सतो एव गरीबो म भ डारा करक खचर कर िदया था थोड़ स पस लकर निनताल क अर यो म पहचा लोकलाड़ल लाखो दयो को हिररस िपलात पजयपाद सदगर ौी लीलाशाह बाप की राह दखत हए चालीस िदन बीत गय गरवर ौी लीलाशाह को अब पणर समिपरत िशय िमला पणर खजाना ा करन वाला पिवऽातमा िमला पणर गर की पणर िशय िमला

िजस लड़क क िवषय म यह कथा पढ़ रह ह वह लड़का कौन होगा जानत हो

पणर गर कपा िमली पणर गर का जञान आसमल स हो गय साई आसाराम

अब तो समझ ही गय होग (उस लड़क क वश म छप हए थ पवर जनम क योगी और वतरमान म िव िव यात हमार

पजयपाद सदगरदव ौी आसाराम जी महाराज)

(अनबम)

िवकास क बिरयो स सावधान किपलवःत क राजा श ोदन का यवराज था िस ाथर यौवन म कदम रखत ही िववक

और वरा य जाग उठा यवान प ी यशोधरा और नवजात िशश राहल की मोह-ममता की रशमी जजीर काटकर महाभीिनबमण (गहतयाग) िकया एकानत अर य म जाकर गहन धयान साधना करक अपन साधय त व को ा कर िलया

एकानत म तप यार और धयान साधना स िखल हए इस आधयाितमक कसम की मधर

सौरभ लोगो म फलन लगी अब िस ाथर भगवान ब क नाम स जन-समह म िस हए हजारो हजारो लोग उनक उपिद मागर पर चलन लग और अपनी अपनी यो यता क मतािबक आधयाितमक याऽा म आग बढ़त हए आितमक शाित ा करन लग अस य लोग बौ िभकषक बनकर भगवान ब क सािननधय म रहन लग उनक पीछ चलन वाल अनयायीओ का एक सघ ःथािपत हो गया चह ओर नाद गजन लग िकः

ब शरण गचछािम धमम शरण गचछािम सघ शरण गचछािम

ौावःती नगरी म भगवान ब का बहत यश फला लोगो म उनकी जय-जयकार होन लगी लोगो की भीड़-भाड़ स िवर होकर ब नगर स बाहर जतवन म आम क बगीच म रहन लग नगर क िपपास जन बड़ी तादाद म वहा हररोज िनि त समय पर पहच जात और उपदश-वचन सनत बड़-बड़ राजा महाराजा भगवान ब क सािननधय म आन जान लग

समाज म तो हर कार क लोग होत ह अनािद काल स दवी समपदा क लोग एव आसरी समपदा क लोग हआ करत ह ब का फलता हआ यश दखकर उनका तजो ष करन वाल लोग जलन लग सतो क साथ हमशा स होता आ रहा ह ऐस उन द त वो न ब को बदनाम करन क िलए कचार िकया िविभनन कार की यि -यि या लड़ाकर ब क यश को हािन पहच ऐसी बात समाज म व लोग फलान लग उन द ो न अपन ष यऽ म एक वया को समझा-बझाकर शािमल कर िलया

वया बन-ठनकर जतवन म भगवान ब क िनवास-ःथानवाल बगीच म जान लगी

धनरािश क साथ द ो का हर कार स सहारा एव ोतसाहन उस िमल रहा था रािऽ को वही रहकर सबह नगर म वािपस लोट आती अपनी सिखयो म भी उसन बात फलाई

लोग उसस पछन लगः अरी आजकल त िदखती नही ह कहा जा रही ह रोज रात को

म तो रोज रात को जतवन जाती ह व ब िदन म लोगो को उपदश दत ह और रािऽ क समय मर साथ रगरिलया मनात ह सारी रात वहा िबताकर सबह लोटती ह

वया न परा ीचिरऽ आजमाकर ष यऽ करन वालो का साथ िदया लोगो म पहल तो हलकी कानाफसी हई लिकन जयो-जयो बात फलती गई तयो-तयो लोगो म जोरदार िवरोध होन लगा लोग ब क नाम पर िफटकार बरसान लग ब क िभकषक बःती म िभकषा लन जात तो लोग उनह गािलया दन लग ब क सघ क लोग सवा-वि म सल न थ उन लोगो क सामन भी उगली उठाकर लोग बकवास करन लग

ब क िशय जरा असावधान रह थ कचार क समय साथ ही साथ स चार होता तो कचार का इतना भाव नही होता िशय अगर िनिबय रहकर सोचत रह जाय िक करगा सो भरगा भगवान उनका नाश करग तो कचार करन वालो को ख ला मदान िमल जाता ह

सत क सािननधय म आन वाल लोग ौ ाल सजजन सीध साद होत ह जबिक द वि करन वाल लोग किटलतापवरक कचार करन म कशल होत ह िफर भी िजन सतो क पीछ सजग समाज होता ह उन सतो क पीछ उठन वाल कचार क तफान समय पाकर शात हो जात ह और उनकी सतवि या काशमान हो उठती ह

कचार न इतना जोर पकड़ा िक ब क िनकटवत लोगो न ऽािहमाम पकार िलया व समझ गय िक यह वयविःथत आयोजनपवरक ष यऽ िकया गया ह ब ःवय तो पारमािथरक सतय म जाग हए थ व बोलतः सब ठ क ह चलन दो वयवहािरक सतय म वाहवाही दख ली अब िननदा भी दख ल कया फकर पड़ता ह

िशय कहन लगः भनत अब सहा नही जाता सघ क िनकटवत भ भी अफवाहो क िशकार हो रह ह समाज क लोग अफवाहो की बातो को सतय मानन लग गय ह

ब ः धयर रखो हम पारमािथरक सतय म िवौाित पात ह यह िवरोध की आधी चली ह तो शात भी हो जाएगी समय पाकर सतय ही बाहर आयगा आिखर म लोग हम जानग और मानग

कछ लोगो न अगवानी का झ डा उठाया और राजयस ा क समकष जोर-शोर स माग की

िक ब की जाच करवाई जाय लोग बात कर रह ह और वया भी कहती ह िक ब रािऽ को मर साथ होत ह और िदन म सतसग करत ह

ब क बार म जाच करन क िलए राजा न अपन आदिमयो को फरमान िदया अब ष यऽ करनवालो न सोचा िक इस जाच करन वाल पच म अगर सचचा आदमी आ जाएगा तो अफवाहो का सीना चीरकर सतय बाहर आ जाएगा अतः उनहोन अपन ष यऽ को आिखरी

पराका ा पर पहचाया अब ऐस ठोस सबत खड़ा करना चािहए िक ब की ितभा का अःत हो जाय

उनहोन वया को दार िपलाकर जतवन भज िदया पीछ स ग डो की टोली वहा गई वया पर बलातकार आिद सब द कतय करक उसका गला घोट िदया और लाश को ब क बगीच म गाड़कर पलायन हो गय

लोगो न राजयस ा क ार खटखटाय थ लिकन स ावाल भी कछ लोग द ो क साथ जड़ हए थ ऐसा थोड़ ही ह िक स ा म बठ हए सब लोग दध म धोय हए वयि होत ह

राजा क अिधकािरयो क ारा जाच करन पर वया की लाश हाथ लगी अब द ो न जोर-शोर स िच लाना शर कर िदया

दखो हम पहल ही कह रह थ वया भी बोल रही थी लिकन तम भगतड़ लोग मानत ही नही थ अब दख िलया न ब न सही बात खल जान क भय स वया को मरवाकर बगीच म गड़वा िदया न रहगा बास न बजगी बासरी लिकन सतय कहा तक िछप सकता ह म ामाल हाथ लग गया इस ठोस सबत स ब की असिलयत िस हो गई सतय बाहर आ गया

लिकन उन मख का पता नही िक तमहारा बनाया हआ कि पत सतय बाहर आया वाःतिवक सतय तो आज ढाई हजार वषर क बाद भी वसा ही चमक रहा ह आज ब को लाखो लोग जानत ह आदरपवरक मानत ह उनका तजो ष करन वाल द लोग कौन-स नरको म जलत होग कया पता

ढाई हजार वषर पहल ब क जमान म भी सतो क साथ ऐसा घोर अनयाय हआ करता था ऋिष दयाननद को भी ऐस ही त वो न तजो ष क कारण बाईस बार िवष दकर मार डालन का यास िकया ःवामी िववकाननद और ःवामी रामतीथर क पीछ भी द लोगो न वया को तयार करक कीचड़ उछाला था

एक ओर लाखो-लाखो लोग सतो की अनभवय वाणी स अपना वयावहािरक ETH आधयाितमक जीवन उननत करक सख-शाित पात ह दसरी ओर कछ द कित क ःवाथ लोग अपना उ ल सीधा करन क िलए ऐस महापरषो क िवर म ष यऽ रचकर उनको बदनाम करत ह यह तो पहल स चला आ रहा ह सत कबीर हो या नानक एकनाथ महाराज हो या सत तकाराम नरिसह महता हो या मीराबाई ायः सभी सतो को अपन जीवन क दौरान समाज क किटल त वो स पाला पड़ता ही रहा ह जीसस बाइःट को इनही त वो न बॉस पर चढ़ाया था उनही लोगो न सकरात को जहर िपलाकर मतयद ड िदया था मनसर को इसी जमात न शली पर चढ़ाया था ईसाई धमर म माट न यथर पर ज म िकया गया था अण-अण म ई र और नारीमाऽ म जगजजननी भगवती का दशरन करन वाल रामकण परमहस को भी लोगो न नही

छोड़ा था परमहस योगाननद रवीनिनाथ टगोर माट न यथर दिकषण भारत क सत ितरव लवर जापानी झन सत बाबो इितहास म िकतन-िकतन उदाहरण मौजद ह

हािसद धमरगर बा शमटोव अित पिवऽ आतमा थ िननदको न उनक इदरिगदर भी मायाजाल िबछा दी थी िसध क साई टउराम क पास अस य लोग आतमक याण हत जान लग तब िवकत िदमागवालो न उन सत को भी ऽास दना शर कर िदया उनक आौम क चह ओर गदगी डाल दत और कए म िम टी का तल उड़लकर पानी बकार कर दत मगल बादशाह बाबर को बहका कर उनही लोगो न गर नानक को कद करवाया था

भगवान ौीराम एव ौीकण को भी द जनो न छोड़ा नही था भगवान ौीराम क गर विश जी महाराज कहत हः

ह राम जी म जब बाजार स गजरता ह तब अजञानी मखर लोग मर िलए कया बकत ह म सब जानता ह लिकन मरा दयाल ःवभाव ह म इन सबका क याण चाहता ह

तमहार साथ यह ससार कछ अनयाय करता ह तमको बदनाम करता ह िननदा करता ह तो यह ससार की परानी रीत ह मनय की हीनवि कचार िननदाखोरी यह आजकल की ही बात नही ह अनािदकाल स ऐसा होता आया ह तम अपन आतमजञान क सःकार जगाकर आतमबल का िवकास करत जाओ मःकरात जाओ आधी तफानो को लाघकर आननदपवरक जीत जाओ

उस जमान म भगवान ब क पास आकर एक िभकषक न ाथरना कीः भनत मझ आजञा द म सभाए भरगा आपक िवचारो का चार करगा

मर िवचारो का चार

हा भगवन म बौ धमर फलाऊगा

लोग तरी िननदा करग गािलया दग

कोई हजर नही म भगवन को धनयवाद दगा िक य लोग िकतन अचछ ह य कवल श दहार करत ह मझ पीटत तो नही

लोग तझ पीटग भी तो कया करोग

भो म शब गजारगा िक य लोग हाथो स पीटत ह पतथर तो नही मारत

लोग पतथर भी मारग और िसर भी फोड़ दग तो कया करगा

िफर भी म आ ःत रहगा और भगवान का िदवय कायर करता रहगा कयोिक व लोग मरा िसर फोड़ग लिकन ाण तो नही लग

लोग जनन म आकर तझ मार दग तो कया करगा

भनत आपक िदवय िवचारो का चार करत-करत म मर भी गया तो समझगा िक मरा जीवन सफल हो गया

उस कतिन यी िभकषक की दढ़ िन ा दखकर भगवान ब सनन हो उठ उस पर उनकी करणा बरस पड़ी

ऐस िशय जब ब का चार करन िनकल पड़ तब कचार करन वाल धीर-धीर शात हो गय मनयो की उगिलया काट-काटकर माला बनाकर पहनन वाला अगिलमाल जसा बर हतयारा भी दयपिरवतरन पाकर ब की शरण म िभकषक होकर रहन लगा

आज हम ब को बहत आदर स जानत ह मानत ह उनक जीवनकाल क दौरान उनक पीछ लग हए द लोग कौन स नरक म सड़त होग रौरव नरक म या कभीपाक नरक म कौन-सी योिनयो म भटकत होग सअर बन होग िक नाली क कीड़ बन होग शतान बन होग िक राकषस बन होग मझ पता नही लिकन ब तो करोड़ो दयो म बस रह ह यह म मानता ह

सतय तो परमाथर ह आतमा ह परमातमा ह उसम िजतना िटकोग उतना तमहारा मगल होगा तमहारी िनगाह िजन पर पड़गी उनका भी मगल होगा

(अनबम)

कछ जानन यो य बात सय दय स पवर उठकर ःनान कर लना चािहए ातः खाली पट मटक का बासी पानी

पीना ःवाःथयद ह तलसी क प सय दय क प ात ही तोड़ दध म तलसी क प नही डालन चािहए तथा

दध क साथ खान भी नही चािहए तलसी क प खाकर थोड़ा पानी पीना िपय जलनित स पिह सौ कार क लाभ होत ह अपन मिःतक म एक कार का िवजाितय

िवय उतपनन होता ह यिद वह िवय वही अटक जाता ह तो बचपन म ही बाल सफद होन लगत ह इसस नजल की बीमारी भी होती ह यिद वह िवय नाक की तरफ आता ह तो सगनध-दगरनध का पता नही चल पाता और ज दी-ज दी जकाम हो जाता ह यिद वह िवय कान की तरफ आता ह तो कान बहर होन लगत ह और छोट-मोट ब ीस रोग हो सकत ह यिद वह िवय दात की तरफ आय तो दात छोटी उ म ही िगरन लगत ह यिद आख की तरफ वह िवय उतर तो चम लगन लगत ह जलनित यािन नाक स पानी खीचकर मह स िनकाल दन स वह िवय िनकल जाता ह गल क ऊपर क ायः सभी रोगो स मि िमल जाती ह

आईसबीम खान क बाद चाय पीना दातो क िलए अतयािधक हािनकारक होता ह

भोजन को पीना चािहए तथा पानी को खाना चािहए इसका मतलब यह ह िक भोजन को इतना चबाओ िक वह पानी की तरह पतला हो जाय और पानी अथवा अनय पय पदाथ को धीर-धीर िपयो

िकसी भी कार का पय पदाथर पीना हो तो दाया नथना बनद करक िपय इसस वह अमत जसा हो जाता ह यिद दाया ःवर(नथना) चाल हो और पानी आिद िपय तो जीवनशि (ओज) पतली होन लगती ह चयर की रकषा क िलए शरीर को तनदरःत रखन क िलए यह योग करना चािहए

तम चाह िकतनी भी महनत करो िकनत िजतना तमहारी नसो म ओज ह चयर की शि ह उतन ही तम सफल होत हो जो चाय-कॉफी आिद पीत ह उनका ओज पतला होकर पशाब ारा न होता जाता ह अतः चयर की रकषा क िलए चाय-कॉफी जस वयसनो स दर रहना रह

पढ़न क बाद थोड़ी दर शात हो जाना चािहए जो पढ़ा ह उसका मनन करो िशकषक ःकल म जब पढ़ात हो तब धयान स सनो उस व मःती-मजाक नही करना चािहए िवनोद-मःती कम स कम करो और समझन की कोिशश अिधक करो

जो सय दय क पवर नही उठता उसक ःवभाव म तमस छा जाता ह जो सय दय क पवर उठता ह उसकी बि शि बढ़ती ह

नीद म स उठकर तरत भगवान का धयान करो आतमःनान करो धयान म रिच नही होती तो समझना चािहए िक मन म दोष ह उनह िनकालन क िलए कया करना चािहए

मन को िनद ष बनान क िलए सबह-शाम माता-िपता को णाम करना चािहए गरजनो को णाम करना चािहए एव भगवान क नाम का जप करना चािहए भगवान स ाथरना करनी चािहए िक ह भगवान ह मर भ मरी धयान म रिच होन लग ऐसी कपा कर दो िकसी समय गद िवचार िनकल आय तो समझना चािहए िक अदर छप हए िवचार िनकल रह ह अतः खश होना चािहए िवचार आया और गया मर राम तो दय म ही ह ऐसी भावना करनी चािहए

िनदा करना तो अचछा नही ह िकनत िनदा सनना भी उिचत नही (अनबम)

शयन की रीत मनय को िकस ढग स सोना चािहए इसका भी तरीका होता ह सोत व पवर अथवा

दिकषण िदशा की ओर िसर करक ही सोना चािहए

भोजन करन क बाद िदन म दस िमनट आराम कर िकनत सोय नही भोजन क बाद दस िमनट बायी करवट लट सकत ह रािऽ को जागरण िकया हो इस कारण स कभी िदन म सोना पड़ वह अलग बात ह

सोत व नीच कोई गमर कबल आिद िबछाकर सोय तािक आपकी जीवनशि अिथग न हो जाय आपक शरीर की िव तशि भिम म न उतर जाय

(अनबम)

ःनान का तरीका शरीर की मजबती एव आरो यता क िलए रगड़-रगड़कर ःनान करना चािहए जो लोग

ठड दशो म रहत ह उनका ःवाःथय गमर दस क लोगो की अपकषा अचछा होता ह ठडी स अपना शरीर सधरता ह

ःनान करत व 12-15 िलटर पानी बा टी म लकर पहल उसम िसर डबाना चािहए िफर पर िभगोना चािहए पहल पर गील नही करन चािहए शरीर की गम ऊपर की ओर चढ़ती ह जो ःवाःथय क िलए हािनकारक होती ह

अतः पहल ठड पानी की बा टी भर ल िफर मह म पानी भरकर िसर को बा टी म डाल और आख पटपटाए इसस आखो की शि बढ़ती ह शरीर को रगड़-रगड़कर नहाए बाद म गील व स शरीर को रगड़-रगड़कर पोछ िजसस रोम कप का सारा मल बाहर िनकल जाय और रोमकप(तवचा क िछि) खल जायय तवचा क िछि बद रहन स ही तवचा की कई बीमािरया होती ह िफर सख कपड़ स शरीर को पोछ कर (अथवा थोड़ा गीला हो तब भी चल) सख साफ व पहन ल व भल साद हो िकनत साफ हो बासी कपड़ नही पहन हमशा धल हए कपड़ ही पहन इसस मन भी सनन रहता ह

पाच कार क ःनान होत हः ःनान दवःनान ऋिषःनान मानवःनान दानवःनान ःनानः -परमातमा का िचतन करक जल थल नहान वाला

ऐसा िचतन करक ा महतर म नहाना इस ःनान कहत ह दवःनानः दवनिदयो म ःनान या दवनिदयो का ःमरण करक सय दय स पवर नहाना यह

दवःनान ह ऋिषःनानः आकाश म तार िदखत हो और नहा ल यह ऋिषःनान ह ऋिषःनान करन

वाल की बि बड़ी तजःवी होती ह मानवःनानः सय दय क पवर का ःनान मानवःनान ह

दानवःनानः सय दय क प ात चाय पीकर नाता करक आठ नौ बज नहाना यह दानव ःनान ह

अतः हमशा ऋिषःनान करन का ही यास करना चािहए (अनबम)

ःवचछता का धयान यिद शरीर की सफाई रखी जाय तो मन भी सनन रहता ह आजकल अिधकतर लोग

श स ही मजन करत ह श की अपकषा नीम और बबल की दातौन जयादा अचछ होती ह और यिद श भी कर तो कभी-कभार श को गमर पानी स धोना चािहए अनयथा उसम बकटिरया(जीवाण) रह जात ह

िकतन ही लोग उगली स दात साफ करत ह तजरनी (अगठ क पास वाली थम उगली) स दात िघसन स मसड़ कमजोर हो जात ह तथा दात ज दी िगर जात ह कयोिक तजरनी म िव तशि का माण दसरी उगिलयो की अपकषा अिधक होता ह अतः उसस दात नही िघसन चािहए एव आखो को भी नही मसलना चािहए

िजस िदशा स हवा आती हो उस िदशा की ओर मह करक कभी-भी मलमऽ का िवसजरन नही करना चािहए सयर और चनिमा की ओर मख करक भी मलमऽ का िवसजरन नही करना चािहए

(अनबम)

ःमरणशि का िवकास यादशि बढ़ान का एक सनदर योग ह ETH ामरी ाणायाम सखासन प ासन या

िस ासन पर बठ हाथ की कोहनी की ऊचाई कनध तक रह इस कार रखकर हाथ की थम उगली(तजरनी) स दोनो कानो को धीर-स बद कर एकदम जोर स बद न कर िकनत बाहर का कछ सनाई न द इस कार धीर स कान बनद कर

अब गहर ास लकर थोड़ी दर रोक ओठ बद रखकर जस मर का गजन होता ह वस ॐsssss कहत हए गजन कर उसक बाद थोड़ी दर तक ास न ल पनः यही िबया दहराय ऐसा सबह एव शाम 8 स 10 बार कर यादशि बढ़ान का यह यौिगक योग ह इसस मिःतक की नािड़यो का शोधन होकर मिःतक म र सचार उिचत ढग स होता ह

और िवचार करन स भी बि शि का िवकास होता ह

सबह खाली पट तलसी क प एकाध काली िमचर चबाकर एक िगलास पानी पीन स भी ःमरणशि का िवकास होता ह रोग-ितकारक शि बढ़ती ह कनसर की बीमारी कभी नही होती जलदर-भगदर की बीमारी भी कभी नही होती

(अनबम)

वयि तव और वयवहार िकसी भी वयि तव का पता उसक वयवहार स ही चलता ह कई लोग वयथर च ा करत

ह एक होती ह सकाम च ा दसरी होती ह िनकाम च ा और तीसरी होती ह वयथर च ा वयथर च ा नही करनी चािहए िकसी क शरीर म कोई कमी हो तो उसका मजाक नही उड़ाना चािहए वरन उस मददरप बनना चािहए यह िनकाम सवा ह

िकसी की भी िनदा नही करनी चािहए िनदा करन वाला वयि िजसकी िनदा करता ह उसका तो इतना अिहत नही होता िजतना वह अपना अिहत करता ह जो दसरो की सवा करता ह दसरो क अनकल होता ह वह दसरो का िजतना िहत करता ह उसकी अपकषा उसका खद का िहत जयादा होता ह

अपन स जो उ स बड़ हो जञान म बड़ हो तप म बड़ हो उनका आदर करना चािहए िजस मनय क साथ बात करत हो वह मनय कौन ह यह जानकर बात करो तो आप वयवहार-कशल कहलाओग

िकसी को पऽ िलखत हो तो यिद अपन स बड़ हो तो ौी सबोधन करक िलखो सबोधन करन स सवाकयो की रचना स िश ता बढ़ती ह िकसी स बात करो तो सबोधन करक बात करो जो तकार स बात करता ह वह अिश कहलाता ह िश तापवरक बात करन स अपनी इजजत बढ़ती ह

िजसक जीवन म वयवहार-कशलता ह वह सभी कषऽो म सफल होता ह िजसम िवनता ह वही सब कछ सीख सकता ह िवनता िव ा बढ़ाती ह िजसक जीवन म िवनता नही ह समझो उसक सब काम अधर रह गय और जो समझता ह िक म सब कछ जानता ह वह वाःतव म कछ नही जानता

एक िचऽकार अपन गरदव क सममख एक सनदर िचऽ बनाकर लाया गर न िचऽ दखकर कहाः

वाह वाह सनदर ह अदभत ह

िशय बोलाः गरदव इसम कोई ऽिट रह गयी हो तो कपा करक बताइए इसीिलए म आपक चरणो म आया ह

गरः कोई ऽिट नही ह मझस भी जयादा अचछा बनाया ह

वह िशय रोन लगा उस रोता दखकर गर न पछाः तम कयो रो रह हो म तो तमहारी शसा कर रहा ह

िशयः गरदव मरी घड़ाई करन वाल आप भी यिद मरी शसा ही करग तो मझ मरी गि तया कौन बतायगा मरी गित कस होगी

यह सनकर गर अतयत सनन हो गय हमन िजतना जाना िजतना सीखा ह वह तो ठ क ह उसस जयादा जान सक सीख सक

ऐसा हमारा यास होना चािहए रामकण परमहस व हो गय थ िकसी न उनस पछाः बाबा जी आपन सब कछ जान

िलया ह

रामकण परमहसः नही म जब तक जीऊगा तब तक िव ाथ ही रहगा मझ अभी बहत कछ सीखना बाकी ह

िजनक पास सीखन को िमल उनस िवनतापवरक सीखना चािहए जो कछ सीखो सावधानीपवरक सीखो जीवन म िवनोद जररी ह िकनत िवनोद की अित न हो िजस समय पढ़त हो कछ सीखत हो कछ करत हो उस समय मःती नही िवनोद नही वरन जो कछ पढ़ो सीखो या करो उस उतसाह स धयान स और सावधानी स करो

पढ़न स पवर थोड़ धयानःथ हो जाओ पढ़न क बाद मौन हो जाओ यह गित की चाबी ह

माता-िपता स िचढ़ना नही चाह िजस मा-बाप न जनम िदया ह उनकी बातो को समझना चािहए अपन िलए उनक मन म िवशष दया हो िवशष म उतपनन हो ऐसा वयवहार करना चािहए

भल जाओ भल सब कछ माता-िपता को भलना नही अनिगनत उपकार ह उनक यह कभी िबसरना नही

माता-िपता को सतोष हो उनका दय सनन हो ऐसा हमारा वयवहार होना चािहए अपन माता-िपता एव गरजनो को सत रखकर ही हम सचची गित कर सकत ह

(अनबम)

  • पजय बाप जी का उदबोधन
  • कदम अपना आग बढाता चला जा
  • त गलाब होकर महक
  • जीवन विकास का मल सयम
  • तरिकाल सधया
  • शरीर सवासथय
  • अनन का परभाव
  • भारतीय ससकति की महानता
  • हरिदास की हरिभकति
  • बनावटी शरगार स बचो
  • साहसी बालक
  • गर-आजञापालन का चमतकार
  • अनोखी गरदकषिणा
  • सतसग की महिमा
  • पीड पराई जान र
  • विकास क बरियो स सावधान
  • कछ जानन योगय बात
  • शयन की रीत
  • सनान का तरीका
  • सवचछता का धयान
  • समरणशकति का विकास
  • वयकतितव और वयवहार
Page 7: Tu gulabhokarmehak

माता-िपता एव गरजनो का आदर करन स हमार जीवन म दवी गण िवकिसत होत ह िजनक भाव स ही हमारा जीवन िदवय होन लगता ह

ह िव ाथ त भी िनकामता सननता असगता की महक फलाता जा (अनबम)

जीवन िवकास का मल सयम एक बड़ महापरष थ हजारो-लाखो लोग उनकी पजा करत थ जय-जयकार करत थ

लाखो लोग उनक िशय थ करोड़ो लोग उनह ौ ा-भि स नमन करत थ उन महापरष स िकसी वयि न पछाः

राजा-महाराजा रा पित जस लोगो को भी कवल सलामी मारत ह या हाथ जोड़ लत ह िकनत उनकी पजा नही करत जबिक लोग आपकी पजा करत ह णाम भी करत ह तो बड़ी ौ ा-भि स ऐसा नही िक कवल हाथ जोड़ िदय लाखो लोग आपकी फोटो क आग भोग रखत ह आप इतन महान कस बन

दिनया म मान करन यो य तो बहत लोग ह बहतो को धनयवाद और शसा िमलती ह लिकन ौ ा-भि स ऐसी पजा न तो सठो की होती ह न साहबो की न सीडट की होती ह न िमिलशी ऑिफसर की न राजा की और न महाराजा की अर ौी कण क साथ रहन वाल भीम अजरन यिधि र आिद की भी पजा नही होती जबिक ौीकण की पजा करोड़ो लोग करत ह भगवान राम को करोड़ो लोग मानत ह आपकी पजा भी भगवान जसी ही होती ह आप इतन महान कस बन

उन महापरष न जवाब म कवल एक ही श द कहा और वह श द था - सयम तब उस वयि न पनः पछाः ह गरवर कया आप बता सकत ह िक आपक जीवन म

सयम का पाठ कबस शर हआ

महापरष बोलः मर जीवन म सयम की शरआत मरी पाच वषर की आय स ही हो गयी म जब पाच वषर का था तब मर िपता जी न मझस कहाः

बटा कल हम तमह गरकल भजग गरकल जात समय तरी मा साथ म नही होगी भाई भी साथ नही आयगा और म भी साथ नही आऊगा कल सबह नौकर तझ ःनान नाता करा क घोड़ पर िबठाकर गरकल ल जायगा गरकल जात समय यिद हम सामन होग तो तरा मोह हमम हो सकता ह इसिलए हम दसर क घर म िछप जायग त हम नही दख सकगा िकनत हम ऐसी वयवःथा करग िक हम तझ दख सक ग हम दखना ह िक त रोत-रोत जाता ह या हमार कल क बालक को िजस कार जाना चािहए वस जाता ह घोड़ पर जब जायगा और

गली म मड़गा तब भी यिद त पीछ मड़कर दखगा तो हम समझग िक त हमार कल म कलक ह

पीछ मड़कर दखन स भी मना कर िदया पाच वषर क बालक स इतनी यो यता की इचछा रखन वाल मर माता-िपता को िकतना कठोर दय करना पड़ा होगा पाच वषर का बटा सबह गरकल जाय जात व माता-िपता भी सामन न हो और गली म मड़त व घर की ओर दखन की भी मनाही िकतना सयम िकतना कड़क अनशासन

िपता न कहाः िफर जब तम गरकल म पहचोग और गरजी तमहारी परीकषा क िलए तमस कहग िक बाहर बठो तब तमह बाहर बठना पड़गा गर जी जब तक बाहर स अनदर आन की आजञा न द तब तक तमह वहा सयम का पिरचय दना पड़गा िफर गरजी न तमह गरकल म वश िदया पास िकया तो त हमार घर का बालक कहलायगा अनयथा त हमार खानदान का नाम बढ़ानवाला नही नाम डबानवाला सािबत होगा इसिलए कल पर कलग मत लगाना वरन सफलतापवरक गरकल म वश पाना

मर िपता जी न मझ समझाया और म गरकल म पहचा हमार नौकर न जाकर गरजी स आजञा मागी िक यह िव ाथ गरकल म आना चाहता ह

गरजी बोलः उसको बाहर बठा दो थोड़ी दर म गरजी बाहर आय और मझस बोलः बटा दख इधर बठ जा आख बनद कर ल जब तक म नही आऊ और जब तक त मरी आवाज़ न सन तब तक तझ आख नही खोलनी ह तरा तर शरीर पर मन पर और अपन आप पर िकतना सयम ह इसकी कसौटी होगी अगर तरा अपन आप पर सयम होगा तब ही गरकल म वश िमल सकगा यिद सयम नही ह तो िफर त महापरष नही बन सकता अचछा िव ाथ भी नही बन सकगा

सयम ही जीवन की नीव ह सयम स ही एकामता आिद गण िवकिसत होत ह यिद सयम नही ह तो एकामता नही आती तजिःवता नही आती यादशि नही बढ़ती अतः जीवन म सयम चािहए चािहए और चािहए

कब हसना और कब एकामिच होकर सतसग सनना इसक िलए भी सयम चािहए कब ताली बजाना और कब नही बजाना इसक िलय भी सयम चािहए सयम ही सफलता का सोपान ह भगवान को पाना हो तो भी सयम ज़ररी ह िसि पाना हो तो भी सयम चािहए और िसि पाना हो तो भी सयम चािहए सयम तो सबका मल ह जस सब वय जनो का मल पानी ह जीवन का मल सयर ह ऐस ही जीवन क िवकास का मल सयम ह

गरजी तो कहकर चल गय िक जब तक म न आऊ तब तक आख नही खोलना थोड़ी दर म गरकल का िरसस हआ सब बचच आय मन हआ िक दख कौन ह कया ह िफर याद आया िक सयम थोड़ी दर बाद पनः कछ बचचो को मर पास भजा गया व लोग मर आसपास

खलन लग कब डी-कब डी की आवाज भी सनी मरी दखन की इचछा हई परनत मझ याद आया िक सयम

मर मन की शि बढ़ान का पहला योग हो गया सयम मरी ःमरणशि बढ़ान की पहली कजी िमल गई सयम मर जीवन को महान बनान की थम कपा गरजी ारा हई ETH सयम ऐस महान गर की कसौटी स उस पाच वषर की छोटी-सी वय म पार होना था अगर म अन ीणर हो जाता तो िफर घर पर मर िपताजी मझ बहत छोटी दि स दखत

सब बचच खल कर चल गय िकनत मन आख नही खोली थोड़ी दर क बाद गड़ और शककर की चासनी बनाकर मर आसपास उड़ल दी गई मर घटनो पर मरी जाघ पर भी चासनी की कछ बद डाल दी ग जी चाहता था िक आख खोलकर दख िक अब कया होता ह िफर गरजी की आजञा याद आयी िक आख मत खोलना अपनी आख पर अपन मन पर सयम शरीर पर चीिटया चलन लगी लिकन याद था िक पास होन क िलए सयम ज़ररी ह

तीन घट बीत गय तब गरजी आय और बड़ म स बोलः पऽ उठो उठो तम इस परीकषा म उ ीणर रह शाबाश ह तमह

ऐसा कहकर गरजी न ःवय अपन हाथो स मझ उठाया गरकल म वश िमल गया गर क आौम म वश अथारत भगवान क राजय म वश िमल गया िफर गर की आजञा क अनसार कायर करत-करत इस ऊचाई तक पहच गया

इस कार मझ महान बनान म म य भिमका सयम की ही रही ह यिद बा यकाल स ही िपता की आजञा को न मान कर सयम का पालन न करता तो आज न जान कहा होता सचमच सयम म अदभत सामथयर ह सयम क बल पर दिनया क सार कायर सभव ह िजतन भी महापरष सतपरष इस दिनया म हो चक ह या ह उनकी महानता क मल म उनका सयम ही ह

वकष क मल म उसका सयम ह इसी स उसक प हर-भर ह फल िखलत ह फल लगत ह और वह छाया दता ह वकष का मल अगर सयम छोड़ द तो प सख जायग फल कमहला जाएग फल न हो जाएग वकष का जीवन िबखर जायगा

वीणा क तार सयत ह इसी स मधर ःवर गजता ह अगर वीणा क तार ढील कर िदय जाय तो व मधर ःवर नही आलापत

रल क इजन म वाप सयत ह तो हजारो यािऽयो को दर सदर की याऽा करान म वह वाप सफल होती ह अगर वाप का सयम टट जाय इधर-उधर िबखर जाय तो रलगाड़ी दोड़ नही सकती ऐस ही ह मानव महान बनन की शतर यही ह ETH सयम सदाचार हजार बार असफल होन पर भी िफर स परषाथर कर अवय सफलता िमलगी िहममत न हार छोटा-छोटा सयम का ोत आजमात हए आग बढ़ और महान हो जा

(अनबम)

िऽकाल सधया जीवन को यिद तजःवी बनाना हो सफल बनाना हो उननत बनाना हो तो मनय को

िऽकाल सधया ज़रर करनी चािहए ातःकाल सय दय स दस िमनट पहल और दस िमनट बाद म दोपहर को बारह बज क दस िमनट पहल और दस िमनट बाद म तथा सायकाल को सयारःत क पाच-दस िमनट पहल और बाद म यह समय सिध का होता ह इस समय िकया हआ ाणायाम जप और धयान बहत लाभदायक होता ह जो मनय सषमना क ार को खोलन म भी सहयोगी होता ह सषमना का ार खलत ही मनय की छपी हई शि या जामत होन लगती ह

ाचीन ऋिष-मिन िऽकाल सधया िकया करत थ भगवान विश भी िऽकाल सधया करत थ और भगवान राम भी िऽकाल सधया करत थ भगवान राम दोपहर को सधया करन क बाद ही भोजन करत थ

सधया क समय हाथ-पर धोकर तीन च ल पानी पीकर िफर सधया म बठ और ाणायाम कर जप कर तो बहत अचछा अगर कोई आिफस म ह तो वही मानिसक रप स कर ल तो भी ठ क ह लिकन ाणायाम जप और धयान कर ज़रर

जस उ ोग करन स परषाथर करन स दिरिता नही रहती वस ही ाणायाम करन स पाप कटत ह जस य करन स धन िमलता ह वस ही ाणायाम करन स आतिरक सामथयर आतिरक बल िमलता ह छादो य उपिनषद म िलखा ह िक िजसन ाणायाम करक मन को पिवऽ िकया ह उस ही गर क आिखरी उपदश का रग लगता ह और आतम-परमातमा का साकषातकार हो जाता ह

मनय क फफड़ो तीन हजार छोट-छोट िछि होत ह जो लोग साधारण रप स ास लत ह उनक फफड़ो क कवल तीन सौ स पाच सौ तक क िछि ही काम करत ह बाकी क बद पड़ रहत ह िजसस शरीर की रोग ितकारक शि कम हो जाती ह मनय ज दी बीमार और बढ़ा हो जाता ह वयसनो एव बरी आदतो क कारण भी शरीर की शि जब िशिथल हो जाती ह रोग-ितकारक शि कमजोर हो जाती ह तो िछि बद पड़ होत ह उनम जीवाण पनपत ह और शरीर पर हमला कर दत ह िजसस दमा और टीबी की बीमारी होन की सभावना बढ़ जाती ह

परनत जो लोग गहरा ास लत ह उनक बद िछि भी खल जात ह फलतः उनम कायर करन की कषमता भी बढ़ जाती ह तथा र श होता ह नाड़ी भी श रहती ह िजसस मन भी सनन रहता ह इसीिलए सबह दोपहर और शाम को सधया क समय ाणायाम करन का िवधान ह ाणायाम स मन पिवऽ होता ह एकाम होता ह िजसस मनय म बहत बड़ा सामथयर आता ह

यिद मन य दस-दस ाणायाम तीनो समय कर और शराब मास बीड़ी व अनय वयसनो एव फशनो म न पड़ तो चालीस िदन म तो मनय को अनक अनभव होन लगत ह कवल चालीस िदन योग करक दिखय शरीर का ःवाःथय बदला हआ िमलगा मन बदला हआ िमलगा जठरा दी होगी आरो यता एव सननता बढ़गी और ःमरण शि म जादई िवकास होगा

ाणायाम स शरीर क कोषो की शि बढ़ती ह इसीिलए ऋिष-मिनयो न िऽकाल सधया की वयवःथा की थी रािऽ म अनजान म हए पाप सबह की सधया स दर होत ह सबह स दोपहर तक क दोष दोपहर की सधया स और दोपहर क बाद अनजान म हए पाप शाम की सधया करन स न हो जात ह तथा अतःकरण पिवऽ होन लगता ह

आजकल लोग सधया करना भल गय ह िनिा क सख म लग हए ह ऐसा करक व अपनी जीवन शि को न कर डालत ह

ाणायाम स जीवन शि का बौि क शि का एव ःमरण शि का िवकास होता ह ःवामी रामतीथर ातःकाल म ज दी उठत थोड़ ाणायाम करत और िफर ाकितक वातावरण म घमन जात परमहस योगानद भी ऐसा करत थ

ःवामी रामतीथर बड़ कशाम बि क िव ाथ थ गिणत उनका िय िवषय था जब व पढ़त थ उनका तीथरराम था एक बार परीकषा म 13 िदय गय िजसम स कवल 9 हल करन थ तीथरराम न 13 क 13 हल कर िदय और नीच एक िट पणी (नोट) िलख दी 13 क 13 सही ह कोई भी 9 जाच लो इतना दढ़ था उनका आतमिव ास

ाणायाम क अनक लाभ ह सधया क समय िकया हआ ाणायाम जप और धयान अनत गणा फल दता ह अिमट प यपज दन वाला होता ह सधया क समय हमारी सब नािड़यो का मल आधार जो सषमना नाड़ी ह उसका ार खला होता ह इसस जीवन शि क डिलनी शि क जागरण म सहयोग िमलता ह उस समय िकया हआ धयान-भजन प यदायी होता ह अिधक िहतकारी और उननित करन वाला होता ह वस तो धयान-भजन कभी भी करो प यदायी होता ही ह िकनत सधया क समय उसका उसका भाव और भी बढ़ जाता ह िऽकाल सधया करन स िव ाथ भी बड़ तजःवी होत ह

अतएव जीवन क सवागीण िवकास क िलए मनयमाऽ को िऽकाल सधया का सहारा लकर अपना नितक सामािजक एव आधयाितमक उतथान करना चािहए

(अनबम)

शरीर ःवाःथय

लोकमानय ितलक जब िव ाथ अवःथा म थ तो उनका शरीर बहत दबला पतला और कमजोर था िसर पर फोड़ा भी था उनहोन सोचा िक मझ दश की आजादी क िलए कछ काम करना ह माता-िपता एव समाज क िलए कछ करना ह तो शरीर तो मजबत होना ही चािहए और मन भी दढ होना चािहए तभी म कछ कर पाऊगा अगर ऐसा ही कमजोर रहा तो पढ़-िलखकर ा िकय हए माण-पऽ भी कया काम आयग

जो लोग िसकड़कर बठत ह झककर बठत ह उनक जीवन म बहत बरकत नही आती जो सीध होकर िःथर होकर बठत ह उनकी जीवन-शि ऊपर की ओर उठती ह व जीवन म सफलता भी ा करत ह

ितलक न िन य िकया िक भल ही एक साल क िलए पढ़ाई छोड़नी पड़ तो छोडगा लिकन शरीर और मन को सदढ़ बनाऊगा ितलक यह िन य करक शरीर को मजबत और मन को िनभ क बनान म जट गय रोज़ सबह-शाम दोड़ लगात ाणायाम करत तरन जात मािलश करत तथा जीवन को सयमी बनाकर चयर की िशकषावाली यौवन सरकषा जसी पःतक पढ़त सालभर म तो अचछा गठ ला बदन हो गया का पढ़ाई-िलखाई म भी आग और लोक-क याण म भी आग राममितर को सलाह दी तो राममितर न भी उनकी सलाह ःवीकार की और पहलवान बन गय

बाल गगाधर ितलक क िव ाथ जीवन क सक प को आप भी समझ जाना और अपन जीवन म लाना िक शरीर सदढ़ होना चािहए मन सदढ़ होना चािहए तभी मनय मनचाही सफलता अिजरत कर सकता ह

ितलक जी स िकसी न पछाः आपका वयि तव इतना भावशाली कस ह आपकी ओर दखत ह तो आपक चहर स अधयातम एकामता और तरणाई की तरलता िदखाई दती ह ःवराजय मरा जनमिस अिधकार ह ऐसा जब बोलत ह तो लोग दग रह जात ह िक आप िव ाथ ह यवक ह या कोई तजपज ह आपका ऐसा तजोमय वयि तव कस बना

तब ितलक न जवाब िदयाः मन िव ाथ जीवन स ही अपन शरीर को मजबत और दढ़ बनान का यास िकया था सोलह साल स लकर इककीस साल तक की उ म शरीर को िजतना भी मजबत बनाना चाह और िजतना भी िवकास करना चाह हो सकता ह

इसीिलए िव ाथ जीवन म इस बार पर धयान दना चािहए िक सोलह स इककीस साल तक की उ शरीर और मन को मजबत बनान क िलए ह

म (परम पजय गरदव आसारामजी बाप) जब चौदह-पनिह वषर का था तब मरा कद बहत छोटा था लोग मझ टणी (िठग) कहकर बलात तो मझ बरा लगता ःवािभमान तो होना ही चािहए टणी ऐसा नाम ठ क नही ह वस तो िव ाथ -काल म भी मरा हसमखा ःवभाव था इसस िशकषको न मरा नाम आसमल क बदल हसमखभाई ऱख िदया था लिकन कद छोटा था तो िकसी न टणी कह िदया जो मझ बरा लगा दिनया म सब कछ सभव ह तो टणी कयो

रहना म काकिरया तालाब पर दौड़ लगाता प लअ स करता और 30-40 माम मकखन म एक-दो माम कालीिमचर क टकड़ डालकर िनगल जाता चालीस िदन तक ऐसा योग िकया अब म उस वयि स िमला िजसन 40 िदन पहल टणी कहा था तो वह दखकर दग रह गया

आप भी चाहो तो अपन शरीर क ःवःथ रख सकत हो शरीर को ःवःथ रखन क कई तरीक ह जस धनवनतरी क आरो यशा म एक बात आती ह - उषःपान

उषःपान अथारत सय दय क पहल या सय दय क समय रात का रखा हआ पानी पीना इसस आतो की सफाई होती ह अजीणर दर होता ह तथा ःवाःथय की भी रकषा होती ह उसम आठ च ल भरकर पानी पीन की बात आयी ह आठ च ल पानी यािन िक एक िगलास पानी चार-पाच तलसी क प चबाकर सय दय क पहल पानी पीना चािहए तलसी क प सय दय क बाद तोड़न चािहए व सात िदन तक बासी नही मान जात

शरीर तनदरःत होना चािहए रगड़-रगड़कर जो नहाता ह और चबा-चबाकर खाता ह जो परमातमा का धयान करता ह और सतसग म जाता ह उसका बड़ा पार हो जाता ह

(अनबम)

अनन का भाव हमार जीवन क िवकास म भोजन का अतयिधक मह व ह वह कवल हमार तन को ही

प नही करता वरन हमार मन को हमारी बि को हमार िवचारो को भी भािवत करता ह कहत भी हः

जसा खाओ अनन वसा होता ह मन महाभारत क य म पहल दसर तीसर और चौथ िदन कवल कौरव-कल क लोग ही

मरत रह पाडवो क एक भी भाई को जरा-सी भी चोट नही लगी पाचवा िदन हआ आिखर दय धन को हआ िक हमारी सना म भीम िपतामह जस यो ा ह िफर भी पाडवो का कछ नही िबगड़ता कया कारण ह व चाह तो य म कया स कया कर सकत ह िवचार करत-करत आिखर वह इस िनकषर पर आया िक भीम िपतामह परा मन लगाकर पाडवो का मलोचछद करन को तयार नही हए ह इसका कया कारण ह यह जानन क िलए सतयवादी यिधि र क पास जाना चािहए उसस पछना चािहए िक हमार सनापित होकर भी व मन लगाकर य कयो नही करत

पाडव तो धमर क पकष म थ अतः दय धन िनःसकोच पाडवो क िशिवर म पहच गया वहा पर पाडवो न यथायो य आवभगत की िफर दय धन बोलाः

भीम अजरन तम लोग जरा बाहर जाओ मझ कवल यिधि र स बात करनी ह

चारो भाई यिधि र क िशिवर स बाहर चल गय िफर दय धन न यिधि र स पछाः यिधि र महाराज पाच-पाच िदन हो गय ह हमार कौरव-पकष क लोग ही मर रह ह

िकनत आप लोगो का बाल तक बाका नही होता कया बात ह चाह तो दवोत भीम तफान मचा सकत ह

यिधि रः हा मचा सकत ह

दय धनः व चाह तो भीण य कर सकत ह पर नही कर रह ह कया आपको लगता ह िक व मन लगाकर य नही कर रह ह

सतयवादी यिधि र बोलः हा गगापऽ भीम मन लगाकर य नही कर रह ह

दय धनः भीम िपतामह मन लगाकर य नही कर रह ह इसका कया कारण होगा

यिधि रः व सतय क पकष म ह व पिवऽ आतमा ह अतः समझत ह िक कौन सचचा ह और कौन झठा कौन धमर म ह तथा कौन अधमर म व धमर क पकष म ह इसिलए उनका जी चाहता ह िक पाडव पकष की जयादा खन-खराबी न हो कयोिक व सतय क पकष म ह

दय धनः व मन लगाकर य कर इसका उपाय कया ह

यिधि रः यिद व सतय ETH धमर का पकष छोड़ दग उनका मन ग त जगह हो जाएगा तो िफर व य करग

दय धनः उनका मन य म कस लग

यिधि रः यिद व िकसी पापी क घर का अनन खायग तो उनका मन य म लग जाएगा

दय धनः आप ही बताइय िक ऐसा कौन सा पापी होगा िजसक घर का अनन खान स उनका मन सतय क पकष स हट जाय और व य करन को तयार हो जाय

यिधि रः सभा म भीम िपतामह गर िोणाचायर जस महान लोग बठ थ िफर भी िोपदी को न न करन की आजञा और जाघ ठोकन की द ता तमन की थी ऐसा धमर-िवर और पापी आदमी दसरा कहा स लाया जाय तमहार घर का अनन खान स उनकी मित सतय और धमर क पकष स नीच जायगी िफर व मन लगाकर य करग

दय धन न यि पा ली कस भी करक कपट करक अपन यहा का अनन भीम िपतामह को िखला िदया भीम िपतामह का मन बदल गया और छठव िदन स उनहोन घमासान य करना आरभ कर िदया

कहन का तातपयर यह ह िक जसा अनन होता ह वसा ही मन होता ह भोजन कर तो श भोजन कर मिलन और अपिवऽ भोजन न कर भोजन क पहल हाथ-पर जरर धोय भोजन साितवक हो पिवऽ हो सननता दन वाला हो तनदरःती बढ़ान वाला हो

आहारश ौ स वशि ः

िफर भी ठस-ठस कर भोजन न कर चबा-चबाकर ही भोजन कर भोजन क समय शात एव सननिच रह भ का ःमरण कर भोजन कर जो आहार खान स हमारा शरीर तनदरःत रहता हो वही आहार कर और िजस आहार स हािन होती हो ऐस आहार स बच खान-पान म सयम स बहत लाभ होता ह

भोजन महनत का हो साि वक हो लहसन याज मास आिद और जयादा तल-िमचर-मसाल वाला न हो उसका िनिम अचछा हो और अचछ ढग स सनन होकर भगवान को भोग लगाकर िफर भोजन कर तो उसस आपका भाव पिवऽ होगा र क कण पिवऽ होग मन पिवऽ होगा िफर सधया-ाणायाम करग तो मन म साि वकता बढ़गी मन म सननता तन म आरो यता का िवकास होगा आपका जीवन उननत होता जायगा

महनत मजदरी करक िवलासी जीवन िबताकर या कायर होकर जीन क िलय िज़दगी नही ह िज़दगी तो चतनय की मःती को जगाकर परमातमा का आननद लकर इस लोक और परलोक म सफल होन क िलए ह मि का अनभव करन क िलए िज़दगी ह

भोजन ःवाःथय क अनकल हो ऐसा िवचार करक ही महण कर तथाकिथत वनःपित घी की अपकषा तल खाना अिधक अचछा ह वनःपित घी म अनक रासायिनक पदाथर डाल जात ह जो ःवाःथय क िलए िहतकर नही होत ह

ए यमीिनयम क बतरन म खाना यह पट को बीमार करन जसा ह उसस बहत हािन होती ह कनसर तक होन की समभावना बढ़ जाती ह ताब पीतल क बतरन कलई िकय हए हो तो अचछा ह ए यमीिनयम क बतरन म रसोई नही बनानी चािहए ए यमीिनयम क बतरन म खाना भी नही चािहए

आजकल अ ड खान का चलन समाज म बहत बढ़ गया ह अतः मनयो की बि भी वसी ही हो गयी ह वजञािनको न अनसधान करक बताया ह िक 200 अ ड खान स िजतना िवटािमन सी िमलता ह उतना िवटािमन सी एक नारगी (सतरा) खान स िमल जाता ह िजतना ोटीन कि शयम अ ड म ह उसकी अपकषा चन मग मटर म एयादा ोटीन ह टमाटर म अ ड स तीन गणा कि शयम एयादा ह कल म स कलौरी िमलती ह और भी कई िवटािमनस कल म ह

िजन ािणयो का मास खाया जाता ह उनकी हतया करनी पड़ती ह िजस व उनकी हतया की जाती ह उस व व अिधक स अिधक अशात िखनन भयभीत उि न और ब होत ह अतः मास खान वाल को भी भय बोध अशाित उ ग इस आहार स िमलता ह शाकाहारी भोजन म सपाचय तत होत ह मास म व नही होत अतः मासाहारी भोजन को पचान क जीवन शि का एयादा वयय होता ह ःवाःथय क िलय एव मानिसक शाित आिद क िलए प यातमा होन की दि स भी शाकाहारी भोजन ही करना चािहए

शरीर को ःथल करना कोई बड़ी बात नही ह और न ही इसकी ज़ररत ह लिकन बि को सआम करन की ज़ररत ह आहार यिद साि वक होगा तो बि भी सआम होगी इसिलए सदव साि वक भोजन ही करना चािहए

(अनबम)

भारतीय सःकित की महानता रवरनड ऑवर नाम का एक पादरी पना म िहनद धमर की िननदा और ईसाइयत का चार

कर रहा था तब िकसी सजजन न एक बार रवरनड ऑवर स कहाः आप िहनद धमर की इतनी िननदा करत हो तो कया आपन िहनद धमर का अधययन िकया

ह कया भारतीय सःकित को परी तरह स जानन की कोिशश की ह आपन कभी िहनद धमर को समझा ही नही जाना ही नही ह िहनद धमर म तो ऐस जप धयान और सतसग की बात ह िक िजनह अपनाकर मनय िबना िवषय-िवकारी क िबना िडःको डास(नतय) क भी आराम स रह सकता ह आनिदत और ःवःथ रह सकता ह इस लोक और परलोक दोनो म सखी रह सकता ह आप िहनद धमर को जान िबना उसकी िनदा करत हो यह ठ क नही ह पहल िहनद धमर का अधययन तो करो

रवरनड ऑवर न उस सजजन की बात मानी और िहनद धमर की पःतको को पढ़न का िवचार िकया एकनाथजी और तकारामजी का जीवन चिरऽ जञान र महाराज की योग सामथयर की बात और कछ धािमरक पःतक पढ़न स उस लगा िक भारतीय सःकित म तो बहत खजाना ह मनय की जञा को िदवय करन की मन को सनन करन की और तन क र कणो को भी बदलन की इस सःकित म अदभत वयवःथा ह हम नाहक ही इन भोल-भाल िहनदःतािनयो को अपन चगल म फसान क िलए इनका धमरपिरवतरन करवात ह अर हम ःवय तो अशािनत की आग म जल ही रह ह और इनह भी अशात कर रह ह

उसन ायि -ःवरप अपनी िमशनरी रो तयागपऽ िलख भजाः िहनदःतान म ईसाइयत फलान की कोई ज़ररत नही ह िहनद सःकित की इतनी महानता ह िवशषता ह िक ईसाइय को चािहए िक उसकी महानता एव सतयता का फायदा उठाकर अपन जीवन को साथरक बनाय िहनद धमर की सतयता का फायदा दश-िवदश म पहच मानव जाित को सख-शाित िमल इसका यास हम करना चािहए

म भारतीय इितहास सशोधन म डल क मर आठ लाख डॉलर भट करता ह और तमहारी िमशनरी को सदा क िलए तयागपऽ दकर भारतीय सःकित की शरण म जाता ह

जस रवर ड ऑवर न भारतीय सःकित का अधययन िकया ऐस और लोगो को भी जो िहनद धमर की िनदा करत ह भारतीय सःकित का पकषपात और पवरमहरिहत अधययन करना चािहए मनय की सष शि या व आनद जगाकर ससार म सख-शाित आनद सननता का चार-सार करना चािहए

मा सीता की खोज करत-करत हनमान जामबत अगद आिद ःवयभा क आौम म पहच उनह जोरो की भख और यास लगी थी उनह दखकर ःवयभा न कह िदया िकः

कया तम हनमान हो ौीरामजी क दत हो सीता जी की खोज म िनकल हो

हनमानजी न कहाः हा मा हम सीता माता की खोज म इधर तक आय ह

िफर ःवयभा न अगद की ओर दखकर कहाः तम सीता जी को खोज तो रह हो िकनत आख बद करक खोज रह हो या आख

खोलकर

अगद जरा राजवी परष था बोलाः हम कया आख बनद करक खोजत होग हम तो आख खोलकर ही माता सीता की खोज कर रह ह

ःवयभा बोलीः सीताजी को खोजना ह तो आख खोलकर नही बद करक खोजना होगा सीता जी अथारत भगवान की अधािगनी सीताजी यानी िव ा आतमिव ा िव ा को खोजना ह तो आख खोलकर नही आख बद करक ही खोजना पड़गा आख खोलकर खोजोग तो सीताजी नही िमलगी तम आख बनद करक ही सीताजी ( िव ा) को पा सकत हो ठहरो म तमह बताती ह िक सीता जी कहा ह

धयान करक ःवयभा न बतायाः सीताजी यहा कही भी नही वरन सागर पार लका म ह अशोकवािटका म बठ ह और राकषिसयो स िघरी ह उनम िऽजटा नामक राकषसी ह तो रावण की सिवका िकनत सीताजी की भ बन गयी ह सीताजी वही रहती ह

वारन सोचन लग िक भगवान राम न तो एक महीन क अदर सीता माता का पता लगान क िलए कहा था अभी तीन स ाह स एयादा समय तो यही हो गया ह वापस कया मह लकर जाए सागर तट तक पहचत-पहचत कई िदन लग जाएग अब कया कर

उनक मन की बात जानकर ःवयभा न कहाः िचनता मत करो अपनी आख बद करो म योगबल स एक कषण म तमह वहा पहचा दती ह

हनमान अगद और अनय वानर अपनी आख बनद करत ह और ःवयभा अपनी योगशि स उनह सागर-तट पर कछ ही पल म पहचा दती ह

ौीरामचिरतमानस म आया ह िक ETH

ठाड़ सकल िसध क तीरा ऐसी ह भारतीय सःकित की कषमता

अमिरका को खोजन वाला कोलबस पदा भी नही हआ था उसस पाच हजार वषर पहल अजरन सशरीर ःवगर म गया था और िदवय अ लाया था ऐसी यो यता थी िक धरती क राजा खटवाग दवताओ को मदद करन क िलए दवताओ का सनापितपद सभालत थ ितःमित-िव ा चाकषषी िव ा परकायावश िव ा अ िसि िव ा एव नविनिध ा करान वाली योगिव ा और जीत-जी जीव को बनान वाली िव ा यह भारतीय सःकित की दन ह अनय जगह यह नही िमलती भारतीय सःकित की जो लोग आलोचना करत ह उन बचारो को तो पता ही नही ह िक भारतीय सःकित िकतनी महान ह

गर तगबहादर बोिलयो सनो सीखो बड़भािगयो धड़ दीज धमर न छोिड़य

यवनो न गर गोिबनदिसह क बटो स कहाः तम लोग मसलमान हो जाओ नही तो हम तमह िज़नदा ही दीवार म चनवा दग

बट बोलः हम अपन ाण द सकत ह लिकन अपना धमर नही तयाग सकत

बरो न उन दोनो को जीत-जी दीवार म चनवा िदया जब कारीगर उनह दीवार म चनन लग तब बड़ा भाई बोलता हः धमर क नाम यिद हम मरना ही पड़ता ह तो पहल मरी ओर ट बढ़ा दो तािक म छोट भाई की मतय न दख

छोटा भाई बोलता हः नही पहल मरी ओर ईट बढ़ा दो

कया साहसी थ कया वीर थ वीरता क साथ अपन जीवन का बिलदान कर िदया िकनत धमर न छोड़ा आजकल क लोग तो अपन धमर और सःकित को ही भलत जा रह ह कोई लवर-लवरी धमरपिरवतरन करक लवमरज करत ह अपना िहनद धमर छोड़कर फस मरत ह यह भी कोई िज़नदगी ह भगवान ौीकण कहत ह ETH

ःवधम िनधन ौय परधम भयावहः अपन धमर म मर जाना अचछा ह पराया धमर दःख दन वाला ह भयावह ह नरको म ल

जान वाला ह इसिलए अपन ही धमर म अपनी ही सःकित म जो जीता ह उसकी शोभा ह रवर ड ऑवर न भारतीय सःकित का खब आदर िकया एफ एच मोलम न महातमा

थोरो एव अनय कई पा ातय िचनतको न भी भारतीय सःकित का बहत आदर िकया ह उनक कछ उदगार यहा ःतत हः

बाईबल का मन यथाथर अ यास िकया ह उसम जो िदवय िलखा ह वह कवल गीता क उ रण क रप म ह म ईसाई होत हए भी गीता क ित इतना सारा आदरभाव इसिलए रखता ह िक िजन गढ़ ो का समाधान पा ातय लोग अभी तक नही खोज पाय ह उनका समाधान गीतामनथ न श एव सरल रीित स कर िदया ह उसम कई सऽ अलौिकक उपदशो स भरपर

लग इसीिलए गीता जी मर िलए साकषात योग री माता बन रही ह वह तो िव क तमाम धन स भी नही खरीदा जा सक ऐसा भारतवषर का अम य खजाना ह

- एफ एच मोलम (इगल ड) ाचीन यग की सवर रमणीय वःतओ म गीता स ौ कोई वःत नही ह गीता म ऐसा

उ म और सवरवयापी जञान ह िक उसक रचियता दवता को अस य वषर हो गय िफर भी ऐसा दसरा एक भी मनथ नही िलखा गया

महातमा थोरो (अमिरका) धमर क कषऽ म अनय सब दख दिरि ह जबिक भारत इस िवषय म अरबपित ह

माकर टवन (यएसए) इस पथवी पर सवारिधक पणर िवकिसत मानवजञा कहा ह और जीवन क मह म ो क

हल िकसन खोज ह ऐसा अगर मझस पछा जाए तो म अगिलिनदश करक कहगा िक भारत न ही

मकसमलर (जमरनी) वदानत जसा ऊधवरगामी एव उतथानकारी और एक भी धमर या त वजञान नही ह

शोपनहोअर (जमरनी) िव भर म कवल भारत ही ऐसी ौ महान परमपराए रखता ह जो सिदयो तक जीिवत

रही ह

कनो (ानस) मनय जाित क अिःततव क सबस ारिमभक िदनो स लकर आज तक जीिवत मनय

क तमाम ःव न अगर कही साकार हए हो तो वह ःथान ह भारत

रोमा रोला (ास) भारत दश समपणर मानव जाित की मातभिम ह और सःकत यरोप की सभी भाषाओ की

जननी ह भारत हमार त वजञान गिणतशा एव जनतऽ की जननी ह भारतमाता अनक रप स सभी की जननी ह

िवल डरानट (यएसए) भारतीय सःकित की महानता का एहसास करन वाल इन सब िवदशी िचनतको को हम

धनयवाद दत ह एक बार महातमा थोरो सो रह थ इतन म उनका िशय एमसरन आया दखा िक वहा

साप और िबचछ घम रह ह गरजी क जागन पर एमसरन बोलाः गरदव यह जगह बड़ी खतरनाक ह म िकसी सरिकषत जगह पर आपकी वयवःथा करवा

दता ह

महातमा थोरो बोलः नही नही िचनता करन की कोई ज़ररत नही ह मर िसरहान पर ौीमदभगवदगीता ह भगवदगीता क जञान क कारण तो मझ साप म िबचछ म सबम मरा ही आतमा-परमातमा िदखता ह व मझ नही काटत ह तो म कही कयो जाऊ

िकतनी कह गीता की महानता यही ह भारतीय सःकित की मिहमा अदभत ह उसकी महानता लाबयान ह उसकी मिहमा

(अनबम)

हिरदास की हिरभि सात वष य गौर वणर क गौराग बड़-बड़ िव ान पिडतो स ऐस-ऐस करत थ िक व

दग रह जात थ इसका कारण था गौराग की हिरभि बड़ होकर उनहोन लाखो लोगो को हिरभि म रग िदया

जो हिरभ होता हिर का भजन करता उसकी बि अचछ मागर पर ही जाती ह लोभी वयि पसो क िलए हसता-रोता ह पद एव कस क तो िकतन ही लोग हसत रोत ह पिरवार क िलए तो िकतन ही मोही हसत रोत ह िकनत धनय ह व जो भगवान क िलए रोत हसत ह भगवान क िवरह म िजस रोना आया ह भगवान क िलए िजसका दय िपघलता ह ऐस लोगो का जीवन साथरक हो जाता ह भागवत म भगवान ौीकण उ व स कहत ह-

वाग गदगदा िवत यःय िच

रदतयभीआण हसित कविचचच िवलजज उदगायित नतयत च

मदभि य ो भवन पनाित िजसकी वाणी गदगद हो जाती ह िजसका िच ििवत हो जाता ह जो बार-बार रोन

लगता ह कभी लजजा छोड़कर उचच ःवर स गान लगता ह कभी नाचन लगता ह ऐसा मरा भ समम ससार को पिवऽ करता ह (ौीमदभागवतः 111424)

धनय ह वह मसलमान बालक जो गौराग क कीतरन म आता ह और िजसन गौराग स मऽदीकषा ली ह

उस मसलमान बालक का नाम हिरदास रखा गया मसलमान लोगो न उस हिरभ हिरदास को फसलान की बहत च ा की बहत डराया िक त गौराग क पास जाना छोड़ द नही तो हम यह करग वह करग िकनत हिरदास बहका नही उसका भय न हो गया था दमरित दर हो चकी थी उसकी सदबि और िन ा भगवान क धयान म लग गयी थी भयनाशन दमरित हरण किल म हिर को नाम यह नानक जी का वचन मानो उसक जीवन म साकार हो उठा था

काज़ी न षडयऽ करक उस पर कस िकया और फरमान जारी िकया िक हिरदास को बत मारत-मारत बीच बाजार स ल जाकर यमना म डाल िदया जाय

िनभ क हिरदास न बत की मार खाना ःवीकार िकया िकनत हिरभि छोड़ना ःवीकार न िकया िनि त िदन हिरदास को बत मारत हए ल जाया जान लगा िसपाही बत मारता ह तो हिरदास बोलता हः हिर बोल

हमको हिर बोल बलवाता ह य ल हिर बोल हिर बोल (सटाकसटाक) िसपाही बोलत हः हम तझ बत मारत ह तो कया तझ पीड़ा नही होती त हमस भी हिर

बोल हिर बोल करवाना चाहता ह

हिरदासः पीड़ा तो शरीर को होती ह म तो आतमा ह मझ तो पीड़ा नही होती तम भी यार स एक बार हिर बोल कहो

िसपाहीः ह हम भी हिर बोल कह हमस हिर बोल बलवाता ह ल य हिर बोल (सटाक)

हिरदास सोचता ह िक बत मारत हए भी तो य लोग हिर बोल कह रह ह चलो इनका क याण होगा िसपाही बत मारत जात ह सटाक सटाक और हिरदास हिर बोल बोलता भी जाता ह बलवाता भी जाता ह हिरदास को कई बत पड़न पर भी उसक चहर पर दःख की रखा तक नही िखचती

हवालदार पछता हः हिरदास तझ बत पड़न क बावजद भी तरी आखो म चमक ह चहर पर धयर शाित और सननता झलक रही ह कया बात ह

हिरदासः म बोलता ह हिर बोल तब िसपाही ब होकर भी कहत हः ह हमस भी बलवाता ह हिर बोल हिर बोल हिर बोल तो ल इस बहान भी उनक मह स हिरनाम िनकलता ह दर सवर उनका भी क याण होगा इसी स मर िच म सननता ह

धनय ह हिरदास की हिरभि बर काज़ी क आदश का पालन करत हए िसपाही उस हिरभि स िहनद धमर की दीकषा स चयत करन क िलए बत मारत ह िफर भी वह िनडर हिरभि नही छोड़ता हिर बोल बोलना बद नही करता

व मसलमान िसपाही हिरदास को िहनद धमर की दीकषा क भाव स गौरा क भाव स दर हटाना चाहत थ लिकन वह दर नही हटा बत सहता रहा िकनत हिर बोल बोलना न छोड़ा आिखरकार उन बर िसपाहीयो न हिरदास को उठाकर नदी म बहा िदया

नदी म तो बहा िदया लिकन दखो हिरनाम का भाव मानो यमनाजी न उसको गोद म ल िलया डढ़ मील तक हिरदास पानी म बहता रहा वह शातिच होकर मानो उस पानी म नही हिर की कपा म बहता हआ दर िकसी गाव क िकनार िनकला दसर िदन गौराग की भातफरी म शािमल हो गया लोग आ यरचिकत हो गय िक चमतकार कस हआ

धनय ह वह मसलमान यवक हिरदास जो हिर क धयान म हिर क गान म हिर क कीतरन म गौराग क साथ रहा जस िववकाननद क साथ भिगनी िनविदता न भारत म अधयातम-धणर क चार म लगकर अपना नाम अमर कर िदया वस ही इस मसलमान यवक न हिरकीतरन म हिरधयान म अपना जीवन धनय कर िदया दजरन लोग हिरदास का बाल तक न बाका कर सक जो सचच दय स भगवान का हो जाता ह उसकी हजारो शऽ िमलकर भी कछ हािन नही कर सकत तो उस काज़ी की कया ताकत थी

लोगो न जाकर काज़ी स कहा िक आज हिरदास पनः गौराग की भातफरी म उपिःथत हो गया था काजी अतयनत अहकारी था उसन एक नोिटस भजा एक आदश चतनय महाभ (गौराग) को भजा िक कल स तम भातफरी नही िनकाल सकत तमहारी भातफरी पर बिदश लगाई जाती ह

गौराग न सोचा िक हम िकसी का बरा नही करत िकसी को कोई हािन नही पहचात अर वायम डल क दषण को दर करन क िलए तो शासन पस खचर करता ह िकनत िवचारो क दषण को दर करन क िलए हिरकीतरन जसा हिरभि जसा अमोघ उपाय कौन सा ह भल काजी और शासन की समझ म आय या न आय वातावरण को श करन क साथ-साथ िवचारो का दषण भी दर होना चािहए हम तो कीतरन करग और करवायग

जो लोग डरपोक थ भीर और कायर थ ढील-ढाल थ व बोलः बाबा जी रहन दो रहन दो अपना कया जो करग व भरग अपन तो घर म ही रहकर हिर ॐ हिर ॐ करग

गौराग न कहाः नही इस कार कायरो जसी बात करना ह तो हमार पास मत आया करो

दसर िदन जो डरपोक थ ऐस पाच-दस वयि नही आय बाकी क िहममतवाल िजतन थ व सब आय उनह दखकर और लोग भी जड़

गौराग बोलः आज हमारी भातफरी की पणारहित काजी क घर पर ही होगी

गौराग भ -म डली क साथ कीतरन करत-करत जब बाजार स गज़र तो कछ िहनद एव मसलमान भी कीतरन म जड़ गय उनको भी कीतरन म रस आन लगा व लोग काजी को गािलया दन लग िक काजी बदमाश ह ऐसा ह वसा ह आिद ETH आिद

तब गौराग कहत हः नही शऽ क िलए भी बरा मत सोचो

उनहोन सबको समझा िदया िक काजी क िलए कोई भी अपश द नही कहगा कसी महान ह हमारी िहनद सःकित िजसन हिरदास को बत मारन का आदश िदया उस कवल अपश द कहन क िलए भी गौराग मना कर रह ह इस भारती सःकित म िकतनी उदारता ह स दयता ह लिकन कायरता को कही भी ःथान नही ह

गौराग कीतरन करत-करत काजी क घर क िनकट पहच गय काजी घर की छत पर स इस भातफरी को दखकर दग रह गया िक मर मना करन पर भी इनहोन भातफरी िनकाली

और मर घर तक ल आय उसम मसलमान लड़क भी शािमल ह जयो ही वह भातफरी काजी क घर पहची काजी घर क अनदर िछप गया

गौराग न काजी का ार खटखटाया तब काजी या काजी की प ी न नही वरन चौकीदार न दरवाजा खोला वह बोलाः

काजी साहब घर पर नही ह

गौराग बोलः नही कस ह अभी तो हमन उनह घर की छत पर दखा था काजी को जाकर बोलो हमार मामा और मा भी िजस गाव की ह आप भी उसी गाव क हो इसिलए आप मर गाव क मामा लगत ह मामाजी भानजा ार पर आय और आप छप कर बठ यह शोभा नही दता बाहर आ जाईय

चौकीदार न जाकर काजी को सब कह सनाया गौराग क मभर वचन सनकर काजी का दय िपघल गया िजस पर मन ज म ढाय वह मझ मामा कहकर सबोिधत करता ह िजसक साथ मन बरता की वह मर साथ िकतना औदायर रखता ह यह सोचकर काजी का दय बदल गया वह ार पर आकर बोलाः

म तमस डरकर अनदर नही छपा कयोिक मर पास तो स ा ह कलम की ताकत ह लिकन हिरकीतरन स हिरनाम स िहनद तो कया मसलमान लड़क भी आनिदत हो रह ह उनका भी लह पिवऽ हो रहा ह यह दखकर मझ दःख हो रहा ह िक िजस नाम क उचचारण स उनकी रग-रग पावन हो रही ह उसी नाम क कारण मन हिरदास पर और तम पर ज म िकया िकसी क बहकाव म आकर तम लोगो पर फरमान जारी िकया अब म िकस मह स तमहार सामन आता इसीिलए म मह िछपाकर घर क अनदर घस गया था

भानजा(गौराग) बोलता हः मामा अब तो बाहर आ जाइय

मामा(काजी) बोलाः बाहर आकर कया कर

गौरागः कीतरन कर हिरनाम क उचचारण स छपी हई यो यता िवकिसत कर आनद गट कर

काजीः कया करना होगा

गौरागः म जसा बोलता ह ऐसा ही बोलना होगा बोिलएः हिर बोल हिर बोल

काजीः हिर बोल हिर बोल

गौरागः हिर बोल हिर बोल

काजीः हिर बोल हिर बोल

हिर बोल हिर बोल हिर बोल हिर बोल

हिर बोल हिर बोल हिर बोल हिर बोल

कीतरन करत-करत गौराग न अपनी िनगाहो स काजी पर कपा बरसाई तो काजी भी झमन लगा उस भी हिर बोल का रग लग गया जस इजन को ह डल दकर छोड़ दत ह तब भी इजन चलता रहता ह ऐस ही गौराग की कपादि स काजी भी झमन लगा

काजी क झमन स वातावरण म और भी रग आ गया काजी तो झम गया काजी की प ी भी झमी और चौकीदार भी झम उठा सब हिरकीतरन म झमत-झमत अपन र को पावन करन लग दय को हिररस स सराबोर करन लगा उनक जनम-जनम क पाप-ताप न होन लग िजस पर भगवान की दया होती ह िजसको साधओ का सग िमलता ह सतसग का सहारा िमलता ह और भारतीय सःकित की महानता को समझन की अकल िमलती ह िफर उसक उ ार म कया बाकी रह जाता ह काजी का तो उ ार हो गया

दखो सत की उदारता एव महानता िजसन िहनदओ पर ज म करवाय भ हिरदास को बत मरवात-मरवात यमना जी म डलवा िदया भातफरी पर ितबध लगवा िदया उसी काजी को गौराग न हिररग म रग िदया अपनी कपादि स िनहाल कर िदया उसक बर कम की धयान न दत हए भि का दान द िदया ऐस गौराग क ौीचरणो म हमार हजार-हजार णाम ह हम उस मसलमान यवक हिरदास को भी धनयवाद दत ह िक उसन बत खात पीड़ा सहत भी भि न छोड़ी गरदव को न छोड़ा न ही उनक दबाव म आकर पनः मसलमान बना हिर बोल क रग म ःवय रगा और िसपािहयो को भी रग िदया धनय ह हिरदास और उसकी हिरभि

(अनबम)

बनावटी ौगार स बचो जमरनी क िस दाशरिनक शोपनहार कहत ह िक िजन दशो म हिथयार बनाय जात ह

उन दशो क लोगो को य करन की उ जना होती ह और उन दशो म हिथयार बनत ही रहत ह य भी होत रहत ह ऐस ही जो लोग फशन करत ह उनक दय म काम बोध लोभ मोह रपी य होता ही रहता ह उनक जीवन म िवलािसता आती ह और पतन होता ह वस ही फशन और िवलािसता स सयम सदाचार और यो यता का सहार होता ह

इसिलए य क साधन बढ़न स जस य होता ह वस ही िवलािसता और फशन क साधनो का उपयोग करन स अतयर होता ह अपनी आितमक शि यो का सहार होता ह अतः अपना भला चाहन वाल भाई-बहनो को पफ-पाउडर िलपिःटक-लाली व -अलकार क िदखाव क पीछ नही पड़ना चािहए सयम सादगी एव पिवऽतापणर जीवन जीना चािहए

अपन शा ो म ौगार की अनमित दी गई ह सौभा यवती ि या जब पित अपन ही नगर म हो घर म हो तब ौगार कर पित यिद दर दश गया हो तब सौभा यवित ि यो को भी सादगीपणर जीवन जीना चािहए ौगार क उपयोग म आनवाली वःतए भी वनिःपतयो एव साि वक रसो स बनी हई होनी चािहए जो सननता और आरो यता दान कर

आजकल तो शरीर म उ जना पदा कर बीमािरया पदा कर ऐस किमक स(रसायनो) और जहर जस साधनो स ौगार-साधन बनाए जात ह िजसस शरीर क अनदर जहरील कण जात ह और तवचा की बीमािरया होती ह आहार म भी जहरील कणो क जान स पाचन-तऽ और मानिसक सतलन िबगड़ता ह साथ ही बौि क एव वचािरक सतलन भी िबगड़ता ह

पशओ की चब किमक स और दसर थोड़ जहरील िवयो स बन पफ-पाउडर िलपिःटक-लाली आिद िजन साधनो का यटी-पालरर म उपयोग िकया जाता ह वसी गदगी कभी-भी अपन शरीर को तो लगानी ही नही चािहए दसर लोगो न लगायी हो तो दखकर सनन भी नही होना चािहए अपन सयम और सदाचार की सनदरता को गट करना चािहए मीरा और शबरी िकस यटी-पालरर म गय थ सती अनसया गाग और मदालसा न िकस पफ-पाउडर लाली-िलपिःटक का उपयोग िकया था िफर भी उनका जीवन सनदर तजःवी था हम भी ई र स ाथरना कर िक ह भगवान हम अपना सयम और साधना का सौनदयर बढ़ाए ऐसी त दया करना िवकारी सौनदयर स अपन को बचाकर िनिवरकारी नारायण की ओर जाय ऐसी त दया करना िवलािसता म अपन समय को न लगाकर तर ही धयान-िचतन म हमारा समय बीत ऐसी त कपा करना

किऽम सौनदयर-साधन स तवचा की िःन धता और कोमलता मर जाती ह पफ-पाउडर बीम आिद स शरीर की कदरती िःन धता खतम हो जाती ह ाकितक सौनदयर को न करक

जो किऽम सौनदयर क गलाम बनत ह उनस ःनहभरी सलाह ह िक व पफ-पाउडर आिद और तड़कील-भड़कील व आिद की गलामी को छोड़कर ाकितक सौनदयर को बढ़ान की कोिशश कर मीरा और मदालसा की तरह अपन असली सौनदयर को कट करन की कोिशश कर

(अनबम)

साहसी बालक एक लड़का काशी म हिर नि हाईःकल म पढ़ता था उसका गाव काशी स आठ मील दर

था वह रोजाना वहा स पदल चलकर आता बीच म जो गगा नदी बहती ह उस पार करक िव ालय पहचता

उस जमान म गगा पार करन क िलए नाव वाल को दो पस दन पड़त थ दो पस आन क और दो पस जान क कल चार पस यािन पराना एक आना महीन म करीब दो रपय हए जब सोन क एक तोल का भाव रपया सौ स भी नीच था तब क दो रपय आज क तो पाच-पचचीस रपय हो जाए

उस लड़क न अपन मा-बाप पर अितिर बोझा न पड़ इसिलए एक भी पस की माग नही की उसन तरना सीख िलया गम हो बािरश हो या ठ ड हो गगा पार करक हाईःकल म जाना उसका बम हो गया इस कार िकतन ही महीन गजर गय

एक बार पौष मास की ठ ड म वह लड़का सबह की ःकल भरन क िलए गगा म कदा तरत-तरत मझधार म आया एक नाव म कछ याऽी नदी पार कर रह थ उनहोन दखा िक छोटा-सा लड़का अभी डब मरगा व उसक पास नाव ल गय और हाथ पकड़ कर उस नाव म खीच िलया लड़क क मख पर घबराहट या िचनता की कोई रखा नही थी सब लोग दग रह गय इतना छोटा ह और इतना साहसी ह व बोलः

त अभी डब मरता तो ऐसा साहस नही करना चािहए

तब लड़का बोलाः साहस तो होना ही चािहए जीवन म िव न-बाधाए आयगी उनह कचलन क िलए साहस तो चािहए ही अगर अभी स साहस नही जटाया तो जीवन म बड़-बड़ कायर कस कर पायग

लोगो न पछाः इस समय तरन कयो िगरा दोपहर को नहान आता

लड़का बोलता हः म नहान क िलए नदी म नही िगरा ह म तो ःकल जा रहा ह

नाव म बठकर जाता

रोज क चार पस आन-जान क लगत ह मर गरीब मा-बाप पर मझ बोझा नही बनना ह मझ तो अपन परो पर खड़ होना ह मरा खचर बढ़ तो मर मा-बाप की िचनता बढ़ उनह घर चलाना मिकल हो जाय

लोग उस आदर स दखत ही रह गय वही साहसी लड़का आग चलकर भारत का धान मऽी बना

वह लड़का कौन था पता ह व थ लाल बहादर शा ी शा ी जी उस पद भी सचचाई साहस सरलता ईमानदारी सादगी दशम आिद सदगण और सदाचार क मितरमनत ःवरप थ ऐस महापरष भल िफर थोड़ा-सा समय ही राजय कर पर एक अनोखा भाव छोड़ जात ह जनमानस पर

(अनबम)

गर-आजञापालन का चमतकार ौीम आ ाशकराचायर जी जब काशी म िनवास करत थ तब गगा-तट पर िनतय ात-

काल टहलत थ एक सबह िकसी ितभासपनन यवक न दसर िकनार स दखा िक कोई सनयासी उस पार टहल रह ह उस यवक न दसर िकनार स ही उनह णाम िकया उस यवक को दखकर आ शकराचायर जी न सकत िकया िक इधर आ जाओ उस आभासमपनन यवक न दखा िक मन तो साध को णाम कर िदया ह णाम कर िदया तो म उनका िशय हो गया और उनहोन मझ आदश िदया िक इधर आ जाओ अब गर की आजञा का उ लघन करना भी तो उिचत नही ह िकनत यही कोई नाव नही ह और म तरना भी नही जानता ह अब कया कर उसक मन म िवचार आया िक वस भी तो हजारो बार हम मर चक ह एक बार यिद गर क दशरन क िलए जात-जात मर जाय तो घाटा कया होगा

गग मात की जय कह कर उस यवक न तो गगाजी म पर रख िदया उसकी इचछा कहो ौीम आ शकराचायर जी का भाव कहो या िनयित की लीला कहो जहा उस यवक न कदम रखा वहा एक कमल पदा हो गया उसक पर को थामन क िलए जब दसरा पर रखा तो वहा भी कमल पदा हो गया इस कार जहा-जहा वह कदम रखता गया वहा कमल (प ) उतपनन होता गया और वह यवक गगा क दसर तट पर जहा आ शकराचायर जी खड़ थ पहच गया

जहा-जहा वह कदम रखता था वहा-वहा प (कमल) क कट होन क कारण उसका नाम पड़ा - प पादाचायर शकराचायर जी क म य चार प टिशयो म आग जाकर यही प पादाचायर एक प टिशय बन

कहन का तातपयर यह ह िक सिचचदानद परमातमा की शि का सामथयर का बयान करना सभव नही ह िजसकी िजतनी दढ़ता ह िजसकी िजतनी सचचाई ह िजसकी िजतनी ततपरता ह उतनी ही कित भी उसकी मदद करन को आतर रहती ह प पादाचायर की गर-आजञापालन म दढ़ता और ततपरता को दखकर गगा जी म कमल गट हो गय िशय यिद दढ़ता ततपरता और ईमानदारी स गर-आजञापालन म लग जाय तो कित भी उसक अनकल हो जाती ह

(अनबम)

अनोखी गरदिकषणा एकलवय गर िोणाचायर क पास आकर बोलाः मझ धनिवर ा िसखान की कपा कर

गरदव गर िोणाचायर क समकष धमरसकट उतपनन हआ कयोिक उनहोन भीम िपतामह को वचन

द िदया था िक कवल राजकमारो को ही म िशकषा दगा एकलवय राजकमार नही ह अतः उस धनिवर ा कस िसखाऊ अतः िोणाचायर न एकलवय स कहाः

म तझ धनिवर ा नही िसखा सकगा

एकलवय घर स िन य करक िनकला था िक म कवल गर िोणाचायर को ही गर बनाऊगा िजनक िलए मन म भी गर बनान का भाव आ गया उनक िकसी भी वयवहार क िलए िशकायत या िछिानवषण की वि नही होनी चािहए

एकलवय एकात अर य म गया और उसन गर िोणाचायर की िम टी की मितर बनायी मितर की ओर एकटक दखकर धयान करक उसी स रणा लकर वह धनिवर ा सीखन लगा एकटक दखन स एकामता आती ह एकामता गरभि अपनी सचचाई और ततपरता क कारण उस रणा िमलन लगी जञानदाता तो परमातमा ह धनिवर ा म वह बहत आग बढ़ गया

एक बार िोणाचायर पाडव एव कौरव धनिवर ा का योग करन अर य म आय उनक साथ एक क ा भी था जो थोड़ा आग िनकल गया क ा वही पहचा जहा एकलवय अपनी धनिवर ा का योग कर रहा था एकलवय क खल बाल फट कपड़ एव िविचऽ वष को दखकर क ा भ कन लगा

एकलवय न क को लग नही चोट न पहच और उसका भ कना बद हो जाय इस ढग स सात बाण उसक मह म थमा िदय क ा वािपस वहा गया जहा िोणाचायर क साथ पाडव और कौरव थ

उस दखकर अजरन को हआ िक क को चोट न लग इस ढग स बाण मह म घसाकर रख दना यह िव ा तो म भी नही जानता यह कस सभव हआ वह गर िोणाचायर स बोलाः

गरदव आपन तो कहा था िक मरी बराबरी का दसरा कोई धनधाररी नही होगा िकनत ऐसी िव ा तो मझ भी नही आती

िोणाचायर को हआ िक दख इस अर य म कौन-सा ऐसा कशल धनधरर ह आग जाकर दखा तो वह था िहर यधन का पऽ गरभ एकलवय

िोणाचायर न पछाः बटा यह िव ा त कहा स सीखा

एकलवय बोलाः गरदव आपकी ही कपा स सीखा ह

िोणाचायर तो वचन द चक थ िक अजरन की बराबरी का धनधरर दसरा कोई न होगा िकनत यह तो आग िनकल गया गर क िलए धमरसकट खड़ा हो गया एकलवय की अटट ौ ा दखकर िोणाचायर न कहाः मरी मितर को सामन रखकर त धनिवर ा तो सीखा िकनत गरदिकषणा

एकलवयः जो आप माग

िोणाचायरः तर दाय हाथ का अगठा

एकलवय न एक पल भी िवचार िकय िबना अपन दाय हाथ का अगठा काटकर गरदव क चरणो म अपरण कर िदया

िोणाचायरः बटा भल ही अजरन धनिवर ा म सबस आग रह कयोिक म उस वचन द चका ह िकनत जब तक सयर चनि नकषऽो का अिःततव रहगा तब तक लोग तरी गरिन ा का तरी गरभि का ःमरण करग तरा यशोगान होता रहगा

उसकी गरभि और एकामता न उस धनिवर ा म तो सफलता िदलायी ही लिकन सतो क दय म भी उसक िलए आदर गट करवा िदया धनय ह एकलवय जो गरमितर स रणा पाकर धनिवर ा म सफल हआ और िजसन अदभत गरदिकषणा दकर साहस तयाग और समपरण का पिरचय िदया

(अनबम)

सतसग की मिहमा तलसीदास जी महाराज कहत ह ETH

एक घड़ी आधी घड़ी आधी म पिन आध तलसी सगत साध की हर कोिट अपराध

एक बार शकदव जी क िपता भगवान वदवयासजी महाराज कही जा रह थ राःत म उनहोन दखा िक एक कीड़ा बड़ी तजी स सड़क पार कर रहा था

वदवयासजी न अपनी योगशि दत हए उसस पछाः त इतनी ज दी सड़क कयो पार कर रहा ह कया तझ िकसी काम स जाना ह त तो

नाली का कीड़ा ह इस नाली को छोड़कर दसरी नाली म ही तो जाना ह िफर इतनी तजी स कयो भाग रहा ह

कीड़ा बोलाः बाबा जी बलगाड़ी आ रही ह बलो क गल म बध घघर तथा बलगाड़ी क पिहयो की आवाज म सन रहा ह यिद म धीर-धीर सड़क पार करगा तो वह बलगाड़ी आकर मझ कचल डालगी

वदवयासजीः कचलन द कीड़ की योिन म जीकर भी कया करना

कीड़ाः महिषर ाणी िजस शरीर म होता ह उसको उसम ही ममता होती ह अनक ाणी नाना कार क क ो को सहत हए भी मरना नही चाहत

वदवयास जीः बलगाड़ी आ जाय और त मर जाय तो घबराना मत म तझ योगशि स महान बनाऊगा जब तक ा ण शरीर म न पहचा द अनय सभी योिनयो स शीय छटकारा िदलाता रहगा

उस कीड़ न बात मान ली और बीच राःत पर रक गया और मर गया िफर वदवयासजी की कपा स वह बमशः कौआ िसयार आिद योिनयो म जब-जब भी उतपनन हआ वयासजी न जाकर उस पवरजनम का ःमरण िदला िदया इस तरह वह बमशः मग पकषी शि वय जाितयो म जनम लता हआ कषिऽय जाित म उतपनन हआ उस वहा भी वदवयासजी दशरन िदय थोड़ िदनो म रणभिम म शरीर तयागकर उसन ा ण क घर जनम िलया

भगवान वदवयास जी न उस पाच वषर की उ म सारःवतय मऽ द िदया िजसका जप करत-करत वह धयान करन लगा उसकी बि बड़ी िवलकषण होन पर वद शा धमर का रहःय समझ म आ गया

सात वषर की आय म वदवयास जी न उस कहाः काि रक कषऽ म कई वष स एक ा ण ननदभि तपःया कर रहा ह तम जाकर उसकी

शका का समाधान करो

माऽ सात वषर का ा ण कमार काि रक कषऽ म तप कर रह उस ा ण क पास पहच कर बोलाः

ह ा णदव आप तप कयो कर रह ह

ा णः ह ऋिषकमार म यह जानन क िलए तप कर रहा ह िक जो अचछ लोग ह सजजन लोग ह व सहन करत ह दःखी रहत ह और पापी आदमी सखी रहत ह ऐसा कयो ह

बालकः पापी आदमी यिद सखी ह तो पाप क कारण नही वरन िपछल जनम का कोई प य ह उसक कारण सखी ह वह अपन प य खतम कर रहा ह पापी मनय भीतर स तो दःखी ही होता ह भल ही बाहर स सखी िदखाई द

धािमरक आदमी को ठ क समझ नही होती उिचत िदशा व मऽ नही िमलता इसिलए वह दःखी होता ह वह धमर क कारण दःखी नही होता अिपत समझ की कमी क कारण दःखी होता ह समझदार को यिद कोई गर िमल जाय तो वह नर म स नारायण बन जाय इसम कया आ यर ह

ा णः म इतना बढ़ा हो गया इतन वष स काि रक कषऽ म तप कर रहा ह मर तप का फल यही ह िक तमहार जस सात वषर क योगी क मझ दशरन हो रह ह म तमह णाम करता ह

बालकः नही नही महाराज आप तो भदव ह म तो बालक ह म आपको णाम करता ह

उसकी नता दखकर ा ण और खश हआ तप छोड़कर वह परमातमिचनतन म लग गया अब उस कछ जानन की इचछा नही रही िजसस सब कछ जाना जाता ह उसी परमातमा म िवौाित पान लग गया

इस कार ननदभि ा ण को उ र द िनःशक कर सात िदनो तक िनराहार रहकर वह बालक सयरमनऽ का जप करता रहा और वही बहदक तीथर म उसन शरीर तयाग िदया वही बालक दसर जनम म कषार िपता एव िमऽा माता क यहा गट हआ उसका नाम मऽय पड़ा इनहोन वयासजी क िपता पराशरजी स िवण-पराण तथा बहत पाराशर होरा शा का अधययन िकया था पकषपात रिहत अनभवकाश नामक मनथ म मऽय तथा पराशर ऋिष का सवाद आता ह

कहा तो सड़क स गजरकर नाली म िगरन जा रहा कीड़ा और कहा सत क सािननधय स वह मऽय ऋिष बन गया सतसग की बिलहारी ह इसीिलए तलसीदास जी कहत ह ETH

तात ःवगर अपवगर सख धिरअ तला एक अग तल न तािह सकल िमली जो सख लव सतसग

यहा एक शका हो सकती ह िक वह कीड़ा ही मऽय ऋिष कयो नही बन गया

अर भाई यिद आप पहली ककषा क िव ाथ हो और आपको एम ए म िबठाया जाय तो कया आप पास हो सकत हो नही दसरी तीसरी चौथी दसवी बारहवी बीए आिद पास करक ही आप एमए म वश कर सकत हो

िकसी चौकीदार पर कोई धानमनऽी अतयिधक सनन हो जाए तब भी वह उस सीधा कलकटर (िजलाधीश) नही बना सकता ऐस ही नाली म रहन वाला कीड़ा सीधा मनय तो नही

हो सकता बि क िविभनन योिनयो को पार करक ही मनय बन सकता ह हा इतना अवय ह िक सतकपा स उसका मागर छोटा हो जाता ह

सतसमागम की साध परषो स सग की मिहमा का कहा तक वणरन कर कस बयान कर एक सामानय कीड़ा उनक सतसग को पाकर महान ऋिष बन सकता ह तो िफर यिद मानव को िकसी सदगर का सािननधय िमल जाय उनक वचनानसार चल पड़ तो मि का अनभव करक जीवनम भी बन सकता ह

(अनबम)

पीड़ पराई जान र जञानी िकसी स यार करन क िलए बध हए नही ह और िकसी को डाटन म भी राजी

नही ह हमारी जसी यो यता होती ह ऐसा उनका वयवहार हमार ित होता ह लीलाशाह बाप क ौीचरणो म बहत लोग गय थ एक लड़का भी गया था वह मिणनगर

म रहता था िशवजी को जल चढ़ान क प ात ही वह जल पीता वह लड़का खब िन ा स धयान-भजन करता और सवा पजा करता

एक िदन कोई वयि राःत म बहोश पड़ा हआ था िशवजी को जल चढ़ान जात समय उस बालक न उस दखा और अपनी पजा-वजा छोड़कर उस गरीब की सवा म लग गया िबहार का कोई यवक था नौकरी की खोज म आया था कालपर(अहमदाबाद) ःटशन क लटफामर पर एक दो िदन रहा किलयो न मारपीट कर भगा िदया चलत-चलत मिणनगर म पनीत आौम की ओर रोटी की आशा म जा रहा था रोटी तो वहा नही िमलती थी इसिलए भख क कारण चलत-चलत राःत म िगर गया और बहोश हो गया

उस लड़क का घर पनीत आौम क पास ही था सबह क दस साढ़ दस बज थ वह लड़का घर स धयान-भजन स िनपटकर मिदर म िशवजी को जल चढ़ान क िलए जल का लोटा और पजा की साममी लकर जा रहा था उसन दखा िक राःत म कोई यवक पड़ा ह राःत म चलत-चलत लोग बोलत थः शराब पी होगी यह होगा वह होगा हम कया

लड़क को दया आई प य िकय हए हो तो रणा भी अचछ िमलती ह शभ कम स शभ रणा िमलती ह अपन पास की पजा साममी एक ओर रखकर उसन उस वयि को िहलाया बहत मिकल स उसकी आख खली कोई उस जत सघाता कोई कछ करता कोई कछ बोलता था

आख खोलत ही वह वयि धीर स बोलाः पानी पानी

लड़क न महादव जी क िलय लाया हआ जल का लोटा उस िपला िदया िफर दोड़कर घर जाकर अपन िहःस का दध लाकर उस िदया

यवक क जी म जी आया उसन अपनी वयथा बतात हए कहाः बाब जी म िबहार स आया ह मर बाप गजर गय काका िदन-रात टोकत रहत त िक

कमाओ नही तो खाओग कया नौकरी धधा िमलता नही ह भटकत-भटकत अहमदाबाद क ःटशन पर कली का काम करन का य िकया हमारी रोटी-रोजी िछन जायगी ऐसा समझकर किलयो न खब मारा पदल चलत-चलत मिणनगर ःटशन की ओर आत-आत यहा तीन िदन की भख और मार क कारण चककर आय और िगर गया

लड़क न उस िखलाया अपना इक ठा िकया हआ जबखचर का पसा िदया उस यवक को जहा जाना था वहा भजन की वयवःथा की इस लड़क क दय म आनद की वि हई अतर म आवाज आईः

बटा अब म तझ बहत ज दी िमलगा

लड़क न िकयाः अनदर कौन बोलता ह

उ र आयाः िजस िशव की त पजा करता ह वह तरा आतमिशव अब म तर दय म कट होऊगा सवा क अिधकारी की सवा मझ िशव की ही सवा ह

उस िदन उस अतयारमी न अनोखी ऱणा और ोतसाहन िदया वह लड़का तो िनकल पड़ा घर छोड़कर ई र-साकषातकार करन क िलए कदारनाथ वनदावन होत हए निनताल क अर य म पहचा

कदारनाथ क दशरन पाय लकषािधपित आिशष पाय

इस आशीवारद को वापस कर ई राि क िलए िफर पजा की उसक पास जो कछ रपय पस थ उनह वनदावन म साध-सतो एव गरीबो म भ डारा करक खचर कर िदया था थोड़ स पस लकर निनताल क अर यो म पहचा लोकलाड़ल लाखो दयो को हिररस िपलात पजयपाद सदगर ौी लीलाशाह बाप की राह दखत हए चालीस िदन बीत गय गरवर ौी लीलाशाह को अब पणर समिपरत िशय िमला पणर खजाना ा करन वाला पिवऽातमा िमला पणर गर की पणर िशय िमला

िजस लड़क क िवषय म यह कथा पढ़ रह ह वह लड़का कौन होगा जानत हो

पणर गर कपा िमली पणर गर का जञान आसमल स हो गय साई आसाराम

अब तो समझ ही गय होग (उस लड़क क वश म छप हए थ पवर जनम क योगी और वतरमान म िव िव यात हमार

पजयपाद सदगरदव ौी आसाराम जी महाराज)

(अनबम)

िवकास क बिरयो स सावधान किपलवःत क राजा श ोदन का यवराज था िस ाथर यौवन म कदम रखत ही िववक

और वरा य जाग उठा यवान प ी यशोधरा और नवजात िशश राहल की मोह-ममता की रशमी जजीर काटकर महाभीिनबमण (गहतयाग) िकया एकानत अर य म जाकर गहन धयान साधना करक अपन साधय त व को ा कर िलया

एकानत म तप यार और धयान साधना स िखल हए इस आधयाितमक कसम की मधर

सौरभ लोगो म फलन लगी अब िस ाथर भगवान ब क नाम स जन-समह म िस हए हजारो हजारो लोग उनक उपिद मागर पर चलन लग और अपनी अपनी यो यता क मतािबक आधयाितमक याऽा म आग बढ़त हए आितमक शाित ा करन लग अस य लोग बौ िभकषक बनकर भगवान ब क सािननधय म रहन लग उनक पीछ चलन वाल अनयायीओ का एक सघ ःथािपत हो गया चह ओर नाद गजन लग िकः

ब शरण गचछािम धमम शरण गचछािम सघ शरण गचछािम

ौावःती नगरी म भगवान ब का बहत यश फला लोगो म उनकी जय-जयकार होन लगी लोगो की भीड़-भाड़ स िवर होकर ब नगर स बाहर जतवन म आम क बगीच म रहन लग नगर क िपपास जन बड़ी तादाद म वहा हररोज िनि त समय पर पहच जात और उपदश-वचन सनत बड़-बड़ राजा महाराजा भगवान ब क सािननधय म आन जान लग

समाज म तो हर कार क लोग होत ह अनािद काल स दवी समपदा क लोग एव आसरी समपदा क लोग हआ करत ह ब का फलता हआ यश दखकर उनका तजो ष करन वाल लोग जलन लग सतो क साथ हमशा स होता आ रहा ह ऐस उन द त वो न ब को बदनाम करन क िलए कचार िकया िविभनन कार की यि -यि या लड़ाकर ब क यश को हािन पहच ऐसी बात समाज म व लोग फलान लग उन द ो न अपन ष यऽ म एक वया को समझा-बझाकर शािमल कर िलया

वया बन-ठनकर जतवन म भगवान ब क िनवास-ःथानवाल बगीच म जान लगी

धनरािश क साथ द ो का हर कार स सहारा एव ोतसाहन उस िमल रहा था रािऽ को वही रहकर सबह नगर म वािपस लोट आती अपनी सिखयो म भी उसन बात फलाई

लोग उसस पछन लगः अरी आजकल त िदखती नही ह कहा जा रही ह रोज रात को

म तो रोज रात को जतवन जाती ह व ब िदन म लोगो को उपदश दत ह और रािऽ क समय मर साथ रगरिलया मनात ह सारी रात वहा िबताकर सबह लोटती ह

वया न परा ीचिरऽ आजमाकर ष यऽ करन वालो का साथ िदया लोगो म पहल तो हलकी कानाफसी हई लिकन जयो-जयो बात फलती गई तयो-तयो लोगो म जोरदार िवरोध होन लगा लोग ब क नाम पर िफटकार बरसान लग ब क िभकषक बःती म िभकषा लन जात तो लोग उनह गािलया दन लग ब क सघ क लोग सवा-वि म सल न थ उन लोगो क सामन भी उगली उठाकर लोग बकवास करन लग

ब क िशय जरा असावधान रह थ कचार क समय साथ ही साथ स चार होता तो कचार का इतना भाव नही होता िशय अगर िनिबय रहकर सोचत रह जाय िक करगा सो भरगा भगवान उनका नाश करग तो कचार करन वालो को ख ला मदान िमल जाता ह

सत क सािननधय म आन वाल लोग ौ ाल सजजन सीध साद होत ह जबिक द वि करन वाल लोग किटलतापवरक कचार करन म कशल होत ह िफर भी िजन सतो क पीछ सजग समाज होता ह उन सतो क पीछ उठन वाल कचार क तफान समय पाकर शात हो जात ह और उनकी सतवि या काशमान हो उठती ह

कचार न इतना जोर पकड़ा िक ब क िनकटवत लोगो न ऽािहमाम पकार िलया व समझ गय िक यह वयविःथत आयोजनपवरक ष यऽ िकया गया ह ब ःवय तो पारमािथरक सतय म जाग हए थ व बोलतः सब ठ क ह चलन दो वयवहािरक सतय म वाहवाही दख ली अब िननदा भी दख ल कया फकर पड़ता ह

िशय कहन लगः भनत अब सहा नही जाता सघ क िनकटवत भ भी अफवाहो क िशकार हो रह ह समाज क लोग अफवाहो की बातो को सतय मानन लग गय ह

ब ः धयर रखो हम पारमािथरक सतय म िवौाित पात ह यह िवरोध की आधी चली ह तो शात भी हो जाएगी समय पाकर सतय ही बाहर आयगा आिखर म लोग हम जानग और मानग

कछ लोगो न अगवानी का झ डा उठाया और राजयस ा क समकष जोर-शोर स माग की

िक ब की जाच करवाई जाय लोग बात कर रह ह और वया भी कहती ह िक ब रािऽ को मर साथ होत ह और िदन म सतसग करत ह

ब क बार म जाच करन क िलए राजा न अपन आदिमयो को फरमान िदया अब ष यऽ करनवालो न सोचा िक इस जाच करन वाल पच म अगर सचचा आदमी आ जाएगा तो अफवाहो का सीना चीरकर सतय बाहर आ जाएगा अतः उनहोन अपन ष यऽ को आिखरी

पराका ा पर पहचाया अब ऐस ठोस सबत खड़ा करना चािहए िक ब की ितभा का अःत हो जाय

उनहोन वया को दार िपलाकर जतवन भज िदया पीछ स ग डो की टोली वहा गई वया पर बलातकार आिद सब द कतय करक उसका गला घोट िदया और लाश को ब क बगीच म गाड़कर पलायन हो गय

लोगो न राजयस ा क ार खटखटाय थ लिकन स ावाल भी कछ लोग द ो क साथ जड़ हए थ ऐसा थोड़ ही ह िक स ा म बठ हए सब लोग दध म धोय हए वयि होत ह

राजा क अिधकािरयो क ारा जाच करन पर वया की लाश हाथ लगी अब द ो न जोर-शोर स िच लाना शर कर िदया

दखो हम पहल ही कह रह थ वया भी बोल रही थी लिकन तम भगतड़ लोग मानत ही नही थ अब दख िलया न ब न सही बात खल जान क भय स वया को मरवाकर बगीच म गड़वा िदया न रहगा बास न बजगी बासरी लिकन सतय कहा तक िछप सकता ह म ामाल हाथ लग गया इस ठोस सबत स ब की असिलयत िस हो गई सतय बाहर आ गया

लिकन उन मख का पता नही िक तमहारा बनाया हआ कि पत सतय बाहर आया वाःतिवक सतय तो आज ढाई हजार वषर क बाद भी वसा ही चमक रहा ह आज ब को लाखो लोग जानत ह आदरपवरक मानत ह उनका तजो ष करन वाल द लोग कौन-स नरको म जलत होग कया पता

ढाई हजार वषर पहल ब क जमान म भी सतो क साथ ऐसा घोर अनयाय हआ करता था ऋिष दयाननद को भी ऐस ही त वो न तजो ष क कारण बाईस बार िवष दकर मार डालन का यास िकया ःवामी िववकाननद और ःवामी रामतीथर क पीछ भी द लोगो न वया को तयार करक कीचड़ उछाला था

एक ओर लाखो-लाखो लोग सतो की अनभवय वाणी स अपना वयावहािरक ETH आधयाितमक जीवन उननत करक सख-शाित पात ह दसरी ओर कछ द कित क ःवाथ लोग अपना उ ल सीधा करन क िलए ऐस महापरषो क िवर म ष यऽ रचकर उनको बदनाम करत ह यह तो पहल स चला आ रहा ह सत कबीर हो या नानक एकनाथ महाराज हो या सत तकाराम नरिसह महता हो या मीराबाई ायः सभी सतो को अपन जीवन क दौरान समाज क किटल त वो स पाला पड़ता ही रहा ह जीसस बाइःट को इनही त वो न बॉस पर चढ़ाया था उनही लोगो न सकरात को जहर िपलाकर मतयद ड िदया था मनसर को इसी जमात न शली पर चढ़ाया था ईसाई धमर म माट न यथर पर ज म िकया गया था अण-अण म ई र और नारीमाऽ म जगजजननी भगवती का दशरन करन वाल रामकण परमहस को भी लोगो न नही

छोड़ा था परमहस योगाननद रवीनिनाथ टगोर माट न यथर दिकषण भारत क सत ितरव लवर जापानी झन सत बाबो इितहास म िकतन-िकतन उदाहरण मौजद ह

हािसद धमरगर बा शमटोव अित पिवऽ आतमा थ िननदको न उनक इदरिगदर भी मायाजाल िबछा दी थी िसध क साई टउराम क पास अस य लोग आतमक याण हत जान लग तब िवकत िदमागवालो न उन सत को भी ऽास दना शर कर िदया उनक आौम क चह ओर गदगी डाल दत और कए म िम टी का तल उड़लकर पानी बकार कर दत मगल बादशाह बाबर को बहका कर उनही लोगो न गर नानक को कद करवाया था

भगवान ौीराम एव ौीकण को भी द जनो न छोड़ा नही था भगवान ौीराम क गर विश जी महाराज कहत हः

ह राम जी म जब बाजार स गजरता ह तब अजञानी मखर लोग मर िलए कया बकत ह म सब जानता ह लिकन मरा दयाल ःवभाव ह म इन सबका क याण चाहता ह

तमहार साथ यह ससार कछ अनयाय करता ह तमको बदनाम करता ह िननदा करता ह तो यह ससार की परानी रीत ह मनय की हीनवि कचार िननदाखोरी यह आजकल की ही बात नही ह अनािदकाल स ऐसा होता आया ह तम अपन आतमजञान क सःकार जगाकर आतमबल का िवकास करत जाओ मःकरात जाओ आधी तफानो को लाघकर आननदपवरक जीत जाओ

उस जमान म भगवान ब क पास आकर एक िभकषक न ाथरना कीः भनत मझ आजञा द म सभाए भरगा आपक िवचारो का चार करगा

मर िवचारो का चार

हा भगवन म बौ धमर फलाऊगा

लोग तरी िननदा करग गािलया दग

कोई हजर नही म भगवन को धनयवाद दगा िक य लोग िकतन अचछ ह य कवल श दहार करत ह मझ पीटत तो नही

लोग तझ पीटग भी तो कया करोग

भो म शब गजारगा िक य लोग हाथो स पीटत ह पतथर तो नही मारत

लोग पतथर भी मारग और िसर भी फोड़ दग तो कया करगा

िफर भी म आ ःत रहगा और भगवान का िदवय कायर करता रहगा कयोिक व लोग मरा िसर फोड़ग लिकन ाण तो नही लग

लोग जनन म आकर तझ मार दग तो कया करगा

भनत आपक िदवय िवचारो का चार करत-करत म मर भी गया तो समझगा िक मरा जीवन सफल हो गया

उस कतिन यी िभकषक की दढ़ िन ा दखकर भगवान ब सनन हो उठ उस पर उनकी करणा बरस पड़ी

ऐस िशय जब ब का चार करन िनकल पड़ तब कचार करन वाल धीर-धीर शात हो गय मनयो की उगिलया काट-काटकर माला बनाकर पहनन वाला अगिलमाल जसा बर हतयारा भी दयपिरवतरन पाकर ब की शरण म िभकषक होकर रहन लगा

आज हम ब को बहत आदर स जानत ह मानत ह उनक जीवनकाल क दौरान उनक पीछ लग हए द लोग कौन स नरक म सड़त होग रौरव नरक म या कभीपाक नरक म कौन-सी योिनयो म भटकत होग सअर बन होग िक नाली क कीड़ बन होग शतान बन होग िक राकषस बन होग मझ पता नही लिकन ब तो करोड़ो दयो म बस रह ह यह म मानता ह

सतय तो परमाथर ह आतमा ह परमातमा ह उसम िजतना िटकोग उतना तमहारा मगल होगा तमहारी िनगाह िजन पर पड़गी उनका भी मगल होगा

(अनबम)

कछ जानन यो य बात सय दय स पवर उठकर ःनान कर लना चािहए ातः खाली पट मटक का बासी पानी

पीना ःवाःथयद ह तलसी क प सय दय क प ात ही तोड़ दध म तलसी क प नही डालन चािहए तथा

दध क साथ खान भी नही चािहए तलसी क प खाकर थोड़ा पानी पीना िपय जलनित स पिह सौ कार क लाभ होत ह अपन मिःतक म एक कार का िवजाितय

िवय उतपनन होता ह यिद वह िवय वही अटक जाता ह तो बचपन म ही बाल सफद होन लगत ह इसस नजल की बीमारी भी होती ह यिद वह िवय नाक की तरफ आता ह तो सगनध-दगरनध का पता नही चल पाता और ज दी-ज दी जकाम हो जाता ह यिद वह िवय कान की तरफ आता ह तो कान बहर होन लगत ह और छोट-मोट ब ीस रोग हो सकत ह यिद वह िवय दात की तरफ आय तो दात छोटी उ म ही िगरन लगत ह यिद आख की तरफ वह िवय उतर तो चम लगन लगत ह जलनित यािन नाक स पानी खीचकर मह स िनकाल दन स वह िवय िनकल जाता ह गल क ऊपर क ायः सभी रोगो स मि िमल जाती ह

आईसबीम खान क बाद चाय पीना दातो क िलए अतयािधक हािनकारक होता ह

भोजन को पीना चािहए तथा पानी को खाना चािहए इसका मतलब यह ह िक भोजन को इतना चबाओ िक वह पानी की तरह पतला हो जाय और पानी अथवा अनय पय पदाथ को धीर-धीर िपयो

िकसी भी कार का पय पदाथर पीना हो तो दाया नथना बनद करक िपय इसस वह अमत जसा हो जाता ह यिद दाया ःवर(नथना) चाल हो और पानी आिद िपय तो जीवनशि (ओज) पतली होन लगती ह चयर की रकषा क िलए शरीर को तनदरःत रखन क िलए यह योग करना चािहए

तम चाह िकतनी भी महनत करो िकनत िजतना तमहारी नसो म ओज ह चयर की शि ह उतन ही तम सफल होत हो जो चाय-कॉफी आिद पीत ह उनका ओज पतला होकर पशाब ारा न होता जाता ह अतः चयर की रकषा क िलए चाय-कॉफी जस वयसनो स दर रहना रह

पढ़न क बाद थोड़ी दर शात हो जाना चािहए जो पढ़ा ह उसका मनन करो िशकषक ःकल म जब पढ़ात हो तब धयान स सनो उस व मःती-मजाक नही करना चािहए िवनोद-मःती कम स कम करो और समझन की कोिशश अिधक करो

जो सय दय क पवर नही उठता उसक ःवभाव म तमस छा जाता ह जो सय दय क पवर उठता ह उसकी बि शि बढ़ती ह

नीद म स उठकर तरत भगवान का धयान करो आतमःनान करो धयान म रिच नही होती तो समझना चािहए िक मन म दोष ह उनह िनकालन क िलए कया करना चािहए

मन को िनद ष बनान क िलए सबह-शाम माता-िपता को णाम करना चािहए गरजनो को णाम करना चािहए एव भगवान क नाम का जप करना चािहए भगवान स ाथरना करनी चािहए िक ह भगवान ह मर भ मरी धयान म रिच होन लग ऐसी कपा कर दो िकसी समय गद िवचार िनकल आय तो समझना चािहए िक अदर छप हए िवचार िनकल रह ह अतः खश होना चािहए िवचार आया और गया मर राम तो दय म ही ह ऐसी भावना करनी चािहए

िनदा करना तो अचछा नही ह िकनत िनदा सनना भी उिचत नही (अनबम)

शयन की रीत मनय को िकस ढग स सोना चािहए इसका भी तरीका होता ह सोत व पवर अथवा

दिकषण िदशा की ओर िसर करक ही सोना चािहए

भोजन करन क बाद िदन म दस िमनट आराम कर िकनत सोय नही भोजन क बाद दस िमनट बायी करवट लट सकत ह रािऽ को जागरण िकया हो इस कारण स कभी िदन म सोना पड़ वह अलग बात ह

सोत व नीच कोई गमर कबल आिद िबछाकर सोय तािक आपकी जीवनशि अिथग न हो जाय आपक शरीर की िव तशि भिम म न उतर जाय

(अनबम)

ःनान का तरीका शरीर की मजबती एव आरो यता क िलए रगड़-रगड़कर ःनान करना चािहए जो लोग

ठड दशो म रहत ह उनका ःवाःथय गमर दस क लोगो की अपकषा अचछा होता ह ठडी स अपना शरीर सधरता ह

ःनान करत व 12-15 िलटर पानी बा टी म लकर पहल उसम िसर डबाना चािहए िफर पर िभगोना चािहए पहल पर गील नही करन चािहए शरीर की गम ऊपर की ओर चढ़ती ह जो ःवाःथय क िलए हािनकारक होती ह

अतः पहल ठड पानी की बा टी भर ल िफर मह म पानी भरकर िसर को बा टी म डाल और आख पटपटाए इसस आखो की शि बढ़ती ह शरीर को रगड़-रगड़कर नहाए बाद म गील व स शरीर को रगड़-रगड़कर पोछ िजसस रोम कप का सारा मल बाहर िनकल जाय और रोमकप(तवचा क िछि) खल जायय तवचा क िछि बद रहन स ही तवचा की कई बीमािरया होती ह िफर सख कपड़ स शरीर को पोछ कर (अथवा थोड़ा गीला हो तब भी चल) सख साफ व पहन ल व भल साद हो िकनत साफ हो बासी कपड़ नही पहन हमशा धल हए कपड़ ही पहन इसस मन भी सनन रहता ह

पाच कार क ःनान होत हः ःनान दवःनान ऋिषःनान मानवःनान दानवःनान ःनानः -परमातमा का िचतन करक जल थल नहान वाला

ऐसा िचतन करक ा महतर म नहाना इस ःनान कहत ह दवःनानः दवनिदयो म ःनान या दवनिदयो का ःमरण करक सय दय स पवर नहाना यह

दवःनान ह ऋिषःनानः आकाश म तार िदखत हो और नहा ल यह ऋिषःनान ह ऋिषःनान करन

वाल की बि बड़ी तजःवी होती ह मानवःनानः सय दय क पवर का ःनान मानवःनान ह

दानवःनानः सय दय क प ात चाय पीकर नाता करक आठ नौ बज नहाना यह दानव ःनान ह

अतः हमशा ऋिषःनान करन का ही यास करना चािहए (अनबम)

ःवचछता का धयान यिद शरीर की सफाई रखी जाय तो मन भी सनन रहता ह आजकल अिधकतर लोग

श स ही मजन करत ह श की अपकषा नीम और बबल की दातौन जयादा अचछ होती ह और यिद श भी कर तो कभी-कभार श को गमर पानी स धोना चािहए अनयथा उसम बकटिरया(जीवाण) रह जात ह

िकतन ही लोग उगली स दात साफ करत ह तजरनी (अगठ क पास वाली थम उगली) स दात िघसन स मसड़ कमजोर हो जात ह तथा दात ज दी िगर जात ह कयोिक तजरनी म िव तशि का माण दसरी उगिलयो की अपकषा अिधक होता ह अतः उसस दात नही िघसन चािहए एव आखो को भी नही मसलना चािहए

िजस िदशा स हवा आती हो उस िदशा की ओर मह करक कभी-भी मलमऽ का िवसजरन नही करना चािहए सयर और चनिमा की ओर मख करक भी मलमऽ का िवसजरन नही करना चािहए

(अनबम)

ःमरणशि का िवकास यादशि बढ़ान का एक सनदर योग ह ETH ामरी ाणायाम सखासन प ासन या

िस ासन पर बठ हाथ की कोहनी की ऊचाई कनध तक रह इस कार रखकर हाथ की थम उगली(तजरनी) स दोनो कानो को धीर-स बद कर एकदम जोर स बद न कर िकनत बाहर का कछ सनाई न द इस कार धीर स कान बनद कर

अब गहर ास लकर थोड़ी दर रोक ओठ बद रखकर जस मर का गजन होता ह वस ॐsssss कहत हए गजन कर उसक बाद थोड़ी दर तक ास न ल पनः यही िबया दहराय ऐसा सबह एव शाम 8 स 10 बार कर यादशि बढ़ान का यह यौिगक योग ह इसस मिःतक की नािड़यो का शोधन होकर मिःतक म र सचार उिचत ढग स होता ह

और िवचार करन स भी बि शि का िवकास होता ह

सबह खाली पट तलसी क प एकाध काली िमचर चबाकर एक िगलास पानी पीन स भी ःमरणशि का िवकास होता ह रोग-ितकारक शि बढ़ती ह कनसर की बीमारी कभी नही होती जलदर-भगदर की बीमारी भी कभी नही होती

(अनबम)

वयि तव और वयवहार िकसी भी वयि तव का पता उसक वयवहार स ही चलता ह कई लोग वयथर च ा करत

ह एक होती ह सकाम च ा दसरी होती ह िनकाम च ा और तीसरी होती ह वयथर च ा वयथर च ा नही करनी चािहए िकसी क शरीर म कोई कमी हो तो उसका मजाक नही उड़ाना चािहए वरन उस मददरप बनना चािहए यह िनकाम सवा ह

िकसी की भी िनदा नही करनी चािहए िनदा करन वाला वयि िजसकी िनदा करता ह उसका तो इतना अिहत नही होता िजतना वह अपना अिहत करता ह जो दसरो की सवा करता ह दसरो क अनकल होता ह वह दसरो का िजतना िहत करता ह उसकी अपकषा उसका खद का िहत जयादा होता ह

अपन स जो उ स बड़ हो जञान म बड़ हो तप म बड़ हो उनका आदर करना चािहए िजस मनय क साथ बात करत हो वह मनय कौन ह यह जानकर बात करो तो आप वयवहार-कशल कहलाओग

िकसी को पऽ िलखत हो तो यिद अपन स बड़ हो तो ौी सबोधन करक िलखो सबोधन करन स सवाकयो की रचना स िश ता बढ़ती ह िकसी स बात करो तो सबोधन करक बात करो जो तकार स बात करता ह वह अिश कहलाता ह िश तापवरक बात करन स अपनी इजजत बढ़ती ह

िजसक जीवन म वयवहार-कशलता ह वह सभी कषऽो म सफल होता ह िजसम िवनता ह वही सब कछ सीख सकता ह िवनता िव ा बढ़ाती ह िजसक जीवन म िवनता नही ह समझो उसक सब काम अधर रह गय और जो समझता ह िक म सब कछ जानता ह वह वाःतव म कछ नही जानता

एक िचऽकार अपन गरदव क सममख एक सनदर िचऽ बनाकर लाया गर न िचऽ दखकर कहाः

वाह वाह सनदर ह अदभत ह

िशय बोलाः गरदव इसम कोई ऽिट रह गयी हो तो कपा करक बताइए इसीिलए म आपक चरणो म आया ह

गरः कोई ऽिट नही ह मझस भी जयादा अचछा बनाया ह

वह िशय रोन लगा उस रोता दखकर गर न पछाः तम कयो रो रह हो म तो तमहारी शसा कर रहा ह

िशयः गरदव मरी घड़ाई करन वाल आप भी यिद मरी शसा ही करग तो मझ मरी गि तया कौन बतायगा मरी गित कस होगी

यह सनकर गर अतयत सनन हो गय हमन िजतना जाना िजतना सीखा ह वह तो ठ क ह उसस जयादा जान सक सीख सक

ऐसा हमारा यास होना चािहए रामकण परमहस व हो गय थ िकसी न उनस पछाः बाबा जी आपन सब कछ जान

िलया ह

रामकण परमहसः नही म जब तक जीऊगा तब तक िव ाथ ही रहगा मझ अभी बहत कछ सीखना बाकी ह

िजनक पास सीखन को िमल उनस िवनतापवरक सीखना चािहए जो कछ सीखो सावधानीपवरक सीखो जीवन म िवनोद जररी ह िकनत िवनोद की अित न हो िजस समय पढ़त हो कछ सीखत हो कछ करत हो उस समय मःती नही िवनोद नही वरन जो कछ पढ़ो सीखो या करो उस उतसाह स धयान स और सावधानी स करो

पढ़न स पवर थोड़ धयानःथ हो जाओ पढ़न क बाद मौन हो जाओ यह गित की चाबी ह

माता-िपता स िचढ़ना नही चाह िजस मा-बाप न जनम िदया ह उनकी बातो को समझना चािहए अपन िलए उनक मन म िवशष दया हो िवशष म उतपनन हो ऐसा वयवहार करना चािहए

भल जाओ भल सब कछ माता-िपता को भलना नही अनिगनत उपकार ह उनक यह कभी िबसरना नही

माता-िपता को सतोष हो उनका दय सनन हो ऐसा हमारा वयवहार होना चािहए अपन माता-िपता एव गरजनो को सत रखकर ही हम सचची गित कर सकत ह

(अनबम)

  • पजय बाप जी का उदबोधन
  • कदम अपना आग बढाता चला जा
  • त गलाब होकर महक
  • जीवन विकास का मल सयम
  • तरिकाल सधया
  • शरीर सवासथय
  • अनन का परभाव
  • भारतीय ससकति की महानता
  • हरिदास की हरिभकति
  • बनावटी शरगार स बचो
  • साहसी बालक
  • गर-आजञापालन का चमतकार
  • अनोखी गरदकषिणा
  • सतसग की महिमा
  • पीड पराई जान र
  • विकास क बरियो स सावधान
  • कछ जानन योगय बात
  • शयन की रीत
  • सनान का तरीका
  • सवचछता का धयान
  • समरणशकति का विकास
  • वयकतितव और वयवहार
Page 8: Tu gulabhokarmehak

गली म मड़गा तब भी यिद त पीछ मड़कर दखगा तो हम समझग िक त हमार कल म कलक ह

पीछ मड़कर दखन स भी मना कर िदया पाच वषर क बालक स इतनी यो यता की इचछा रखन वाल मर माता-िपता को िकतना कठोर दय करना पड़ा होगा पाच वषर का बटा सबह गरकल जाय जात व माता-िपता भी सामन न हो और गली म मड़त व घर की ओर दखन की भी मनाही िकतना सयम िकतना कड़क अनशासन

िपता न कहाः िफर जब तम गरकल म पहचोग और गरजी तमहारी परीकषा क िलए तमस कहग िक बाहर बठो तब तमह बाहर बठना पड़गा गर जी जब तक बाहर स अनदर आन की आजञा न द तब तक तमह वहा सयम का पिरचय दना पड़गा िफर गरजी न तमह गरकल म वश िदया पास िकया तो त हमार घर का बालक कहलायगा अनयथा त हमार खानदान का नाम बढ़ानवाला नही नाम डबानवाला सािबत होगा इसिलए कल पर कलग मत लगाना वरन सफलतापवरक गरकल म वश पाना

मर िपता जी न मझ समझाया और म गरकल म पहचा हमार नौकर न जाकर गरजी स आजञा मागी िक यह िव ाथ गरकल म आना चाहता ह

गरजी बोलः उसको बाहर बठा दो थोड़ी दर म गरजी बाहर आय और मझस बोलः बटा दख इधर बठ जा आख बनद कर ल जब तक म नही आऊ और जब तक त मरी आवाज़ न सन तब तक तझ आख नही खोलनी ह तरा तर शरीर पर मन पर और अपन आप पर िकतना सयम ह इसकी कसौटी होगी अगर तरा अपन आप पर सयम होगा तब ही गरकल म वश िमल सकगा यिद सयम नही ह तो िफर त महापरष नही बन सकता अचछा िव ाथ भी नही बन सकगा

सयम ही जीवन की नीव ह सयम स ही एकामता आिद गण िवकिसत होत ह यिद सयम नही ह तो एकामता नही आती तजिःवता नही आती यादशि नही बढ़ती अतः जीवन म सयम चािहए चािहए और चािहए

कब हसना और कब एकामिच होकर सतसग सनना इसक िलए भी सयम चािहए कब ताली बजाना और कब नही बजाना इसक िलय भी सयम चािहए सयम ही सफलता का सोपान ह भगवान को पाना हो तो भी सयम ज़ररी ह िसि पाना हो तो भी सयम चािहए और िसि पाना हो तो भी सयम चािहए सयम तो सबका मल ह जस सब वय जनो का मल पानी ह जीवन का मल सयर ह ऐस ही जीवन क िवकास का मल सयम ह

गरजी तो कहकर चल गय िक जब तक म न आऊ तब तक आख नही खोलना थोड़ी दर म गरकल का िरसस हआ सब बचच आय मन हआ िक दख कौन ह कया ह िफर याद आया िक सयम थोड़ी दर बाद पनः कछ बचचो को मर पास भजा गया व लोग मर आसपास

खलन लग कब डी-कब डी की आवाज भी सनी मरी दखन की इचछा हई परनत मझ याद आया िक सयम

मर मन की शि बढ़ान का पहला योग हो गया सयम मरी ःमरणशि बढ़ान की पहली कजी िमल गई सयम मर जीवन को महान बनान की थम कपा गरजी ारा हई ETH सयम ऐस महान गर की कसौटी स उस पाच वषर की छोटी-सी वय म पार होना था अगर म अन ीणर हो जाता तो िफर घर पर मर िपताजी मझ बहत छोटी दि स दखत

सब बचच खल कर चल गय िकनत मन आख नही खोली थोड़ी दर क बाद गड़ और शककर की चासनी बनाकर मर आसपास उड़ल दी गई मर घटनो पर मरी जाघ पर भी चासनी की कछ बद डाल दी ग जी चाहता था िक आख खोलकर दख िक अब कया होता ह िफर गरजी की आजञा याद आयी िक आख मत खोलना अपनी आख पर अपन मन पर सयम शरीर पर चीिटया चलन लगी लिकन याद था िक पास होन क िलए सयम ज़ररी ह

तीन घट बीत गय तब गरजी आय और बड़ म स बोलः पऽ उठो उठो तम इस परीकषा म उ ीणर रह शाबाश ह तमह

ऐसा कहकर गरजी न ःवय अपन हाथो स मझ उठाया गरकल म वश िमल गया गर क आौम म वश अथारत भगवान क राजय म वश िमल गया िफर गर की आजञा क अनसार कायर करत-करत इस ऊचाई तक पहच गया

इस कार मझ महान बनान म म य भिमका सयम की ही रही ह यिद बा यकाल स ही िपता की आजञा को न मान कर सयम का पालन न करता तो आज न जान कहा होता सचमच सयम म अदभत सामथयर ह सयम क बल पर दिनया क सार कायर सभव ह िजतन भी महापरष सतपरष इस दिनया म हो चक ह या ह उनकी महानता क मल म उनका सयम ही ह

वकष क मल म उसका सयम ह इसी स उसक प हर-भर ह फल िखलत ह फल लगत ह और वह छाया दता ह वकष का मल अगर सयम छोड़ द तो प सख जायग फल कमहला जाएग फल न हो जाएग वकष का जीवन िबखर जायगा

वीणा क तार सयत ह इसी स मधर ःवर गजता ह अगर वीणा क तार ढील कर िदय जाय तो व मधर ःवर नही आलापत

रल क इजन म वाप सयत ह तो हजारो यािऽयो को दर सदर की याऽा करान म वह वाप सफल होती ह अगर वाप का सयम टट जाय इधर-उधर िबखर जाय तो रलगाड़ी दोड़ नही सकती ऐस ही ह मानव महान बनन की शतर यही ह ETH सयम सदाचार हजार बार असफल होन पर भी िफर स परषाथर कर अवय सफलता िमलगी िहममत न हार छोटा-छोटा सयम का ोत आजमात हए आग बढ़ और महान हो जा

(अनबम)

िऽकाल सधया जीवन को यिद तजःवी बनाना हो सफल बनाना हो उननत बनाना हो तो मनय को

िऽकाल सधया ज़रर करनी चािहए ातःकाल सय दय स दस िमनट पहल और दस िमनट बाद म दोपहर को बारह बज क दस िमनट पहल और दस िमनट बाद म तथा सायकाल को सयारःत क पाच-दस िमनट पहल और बाद म यह समय सिध का होता ह इस समय िकया हआ ाणायाम जप और धयान बहत लाभदायक होता ह जो मनय सषमना क ार को खोलन म भी सहयोगी होता ह सषमना का ार खलत ही मनय की छपी हई शि या जामत होन लगती ह

ाचीन ऋिष-मिन िऽकाल सधया िकया करत थ भगवान विश भी िऽकाल सधया करत थ और भगवान राम भी िऽकाल सधया करत थ भगवान राम दोपहर को सधया करन क बाद ही भोजन करत थ

सधया क समय हाथ-पर धोकर तीन च ल पानी पीकर िफर सधया म बठ और ाणायाम कर जप कर तो बहत अचछा अगर कोई आिफस म ह तो वही मानिसक रप स कर ल तो भी ठ क ह लिकन ाणायाम जप और धयान कर ज़रर

जस उ ोग करन स परषाथर करन स दिरिता नही रहती वस ही ाणायाम करन स पाप कटत ह जस य करन स धन िमलता ह वस ही ाणायाम करन स आतिरक सामथयर आतिरक बल िमलता ह छादो य उपिनषद म िलखा ह िक िजसन ाणायाम करक मन को पिवऽ िकया ह उस ही गर क आिखरी उपदश का रग लगता ह और आतम-परमातमा का साकषातकार हो जाता ह

मनय क फफड़ो तीन हजार छोट-छोट िछि होत ह जो लोग साधारण रप स ास लत ह उनक फफड़ो क कवल तीन सौ स पाच सौ तक क िछि ही काम करत ह बाकी क बद पड़ रहत ह िजसस शरीर की रोग ितकारक शि कम हो जाती ह मनय ज दी बीमार और बढ़ा हो जाता ह वयसनो एव बरी आदतो क कारण भी शरीर की शि जब िशिथल हो जाती ह रोग-ितकारक शि कमजोर हो जाती ह तो िछि बद पड़ होत ह उनम जीवाण पनपत ह और शरीर पर हमला कर दत ह िजसस दमा और टीबी की बीमारी होन की सभावना बढ़ जाती ह

परनत जो लोग गहरा ास लत ह उनक बद िछि भी खल जात ह फलतः उनम कायर करन की कषमता भी बढ़ जाती ह तथा र श होता ह नाड़ी भी श रहती ह िजसस मन भी सनन रहता ह इसीिलए सबह दोपहर और शाम को सधया क समय ाणायाम करन का िवधान ह ाणायाम स मन पिवऽ होता ह एकाम होता ह िजसस मनय म बहत बड़ा सामथयर आता ह

यिद मन य दस-दस ाणायाम तीनो समय कर और शराब मास बीड़ी व अनय वयसनो एव फशनो म न पड़ तो चालीस िदन म तो मनय को अनक अनभव होन लगत ह कवल चालीस िदन योग करक दिखय शरीर का ःवाःथय बदला हआ िमलगा मन बदला हआ िमलगा जठरा दी होगी आरो यता एव सननता बढ़गी और ःमरण शि म जादई िवकास होगा

ाणायाम स शरीर क कोषो की शि बढ़ती ह इसीिलए ऋिष-मिनयो न िऽकाल सधया की वयवःथा की थी रािऽ म अनजान म हए पाप सबह की सधया स दर होत ह सबह स दोपहर तक क दोष दोपहर की सधया स और दोपहर क बाद अनजान म हए पाप शाम की सधया करन स न हो जात ह तथा अतःकरण पिवऽ होन लगता ह

आजकल लोग सधया करना भल गय ह िनिा क सख म लग हए ह ऐसा करक व अपनी जीवन शि को न कर डालत ह

ाणायाम स जीवन शि का बौि क शि का एव ःमरण शि का िवकास होता ह ःवामी रामतीथर ातःकाल म ज दी उठत थोड़ ाणायाम करत और िफर ाकितक वातावरण म घमन जात परमहस योगानद भी ऐसा करत थ

ःवामी रामतीथर बड़ कशाम बि क िव ाथ थ गिणत उनका िय िवषय था जब व पढ़त थ उनका तीथरराम था एक बार परीकषा म 13 िदय गय िजसम स कवल 9 हल करन थ तीथरराम न 13 क 13 हल कर िदय और नीच एक िट पणी (नोट) िलख दी 13 क 13 सही ह कोई भी 9 जाच लो इतना दढ़ था उनका आतमिव ास

ाणायाम क अनक लाभ ह सधया क समय िकया हआ ाणायाम जप और धयान अनत गणा फल दता ह अिमट प यपज दन वाला होता ह सधया क समय हमारी सब नािड़यो का मल आधार जो सषमना नाड़ी ह उसका ार खला होता ह इसस जीवन शि क डिलनी शि क जागरण म सहयोग िमलता ह उस समय िकया हआ धयान-भजन प यदायी होता ह अिधक िहतकारी और उननित करन वाला होता ह वस तो धयान-भजन कभी भी करो प यदायी होता ही ह िकनत सधया क समय उसका उसका भाव और भी बढ़ जाता ह िऽकाल सधया करन स िव ाथ भी बड़ तजःवी होत ह

अतएव जीवन क सवागीण िवकास क िलए मनयमाऽ को िऽकाल सधया का सहारा लकर अपना नितक सामािजक एव आधयाितमक उतथान करना चािहए

(अनबम)

शरीर ःवाःथय

लोकमानय ितलक जब िव ाथ अवःथा म थ तो उनका शरीर बहत दबला पतला और कमजोर था िसर पर फोड़ा भी था उनहोन सोचा िक मझ दश की आजादी क िलए कछ काम करना ह माता-िपता एव समाज क िलए कछ करना ह तो शरीर तो मजबत होना ही चािहए और मन भी दढ होना चािहए तभी म कछ कर पाऊगा अगर ऐसा ही कमजोर रहा तो पढ़-िलखकर ा िकय हए माण-पऽ भी कया काम आयग

जो लोग िसकड़कर बठत ह झककर बठत ह उनक जीवन म बहत बरकत नही आती जो सीध होकर िःथर होकर बठत ह उनकी जीवन-शि ऊपर की ओर उठती ह व जीवन म सफलता भी ा करत ह

ितलक न िन य िकया िक भल ही एक साल क िलए पढ़ाई छोड़नी पड़ तो छोडगा लिकन शरीर और मन को सदढ़ बनाऊगा ितलक यह िन य करक शरीर को मजबत और मन को िनभ क बनान म जट गय रोज़ सबह-शाम दोड़ लगात ाणायाम करत तरन जात मािलश करत तथा जीवन को सयमी बनाकर चयर की िशकषावाली यौवन सरकषा जसी पःतक पढ़त सालभर म तो अचछा गठ ला बदन हो गया का पढ़ाई-िलखाई म भी आग और लोक-क याण म भी आग राममितर को सलाह दी तो राममितर न भी उनकी सलाह ःवीकार की और पहलवान बन गय

बाल गगाधर ितलक क िव ाथ जीवन क सक प को आप भी समझ जाना और अपन जीवन म लाना िक शरीर सदढ़ होना चािहए मन सदढ़ होना चािहए तभी मनय मनचाही सफलता अिजरत कर सकता ह

ितलक जी स िकसी न पछाः आपका वयि तव इतना भावशाली कस ह आपकी ओर दखत ह तो आपक चहर स अधयातम एकामता और तरणाई की तरलता िदखाई दती ह ःवराजय मरा जनमिस अिधकार ह ऐसा जब बोलत ह तो लोग दग रह जात ह िक आप िव ाथ ह यवक ह या कोई तजपज ह आपका ऐसा तजोमय वयि तव कस बना

तब ितलक न जवाब िदयाः मन िव ाथ जीवन स ही अपन शरीर को मजबत और दढ़ बनान का यास िकया था सोलह साल स लकर इककीस साल तक की उ म शरीर को िजतना भी मजबत बनाना चाह और िजतना भी िवकास करना चाह हो सकता ह

इसीिलए िव ाथ जीवन म इस बार पर धयान दना चािहए िक सोलह स इककीस साल तक की उ शरीर और मन को मजबत बनान क िलए ह

म (परम पजय गरदव आसारामजी बाप) जब चौदह-पनिह वषर का था तब मरा कद बहत छोटा था लोग मझ टणी (िठग) कहकर बलात तो मझ बरा लगता ःवािभमान तो होना ही चािहए टणी ऐसा नाम ठ क नही ह वस तो िव ाथ -काल म भी मरा हसमखा ःवभाव था इसस िशकषको न मरा नाम आसमल क बदल हसमखभाई ऱख िदया था लिकन कद छोटा था तो िकसी न टणी कह िदया जो मझ बरा लगा दिनया म सब कछ सभव ह तो टणी कयो

रहना म काकिरया तालाब पर दौड़ लगाता प लअ स करता और 30-40 माम मकखन म एक-दो माम कालीिमचर क टकड़ डालकर िनगल जाता चालीस िदन तक ऐसा योग िकया अब म उस वयि स िमला िजसन 40 िदन पहल टणी कहा था तो वह दखकर दग रह गया

आप भी चाहो तो अपन शरीर क ःवःथ रख सकत हो शरीर को ःवःथ रखन क कई तरीक ह जस धनवनतरी क आरो यशा म एक बात आती ह - उषःपान

उषःपान अथारत सय दय क पहल या सय दय क समय रात का रखा हआ पानी पीना इसस आतो की सफाई होती ह अजीणर दर होता ह तथा ःवाःथय की भी रकषा होती ह उसम आठ च ल भरकर पानी पीन की बात आयी ह आठ च ल पानी यािन िक एक िगलास पानी चार-पाच तलसी क प चबाकर सय दय क पहल पानी पीना चािहए तलसी क प सय दय क बाद तोड़न चािहए व सात िदन तक बासी नही मान जात

शरीर तनदरःत होना चािहए रगड़-रगड़कर जो नहाता ह और चबा-चबाकर खाता ह जो परमातमा का धयान करता ह और सतसग म जाता ह उसका बड़ा पार हो जाता ह

(अनबम)

अनन का भाव हमार जीवन क िवकास म भोजन का अतयिधक मह व ह वह कवल हमार तन को ही

प नही करता वरन हमार मन को हमारी बि को हमार िवचारो को भी भािवत करता ह कहत भी हः

जसा खाओ अनन वसा होता ह मन महाभारत क य म पहल दसर तीसर और चौथ िदन कवल कौरव-कल क लोग ही

मरत रह पाडवो क एक भी भाई को जरा-सी भी चोट नही लगी पाचवा िदन हआ आिखर दय धन को हआ िक हमारी सना म भीम िपतामह जस यो ा ह िफर भी पाडवो का कछ नही िबगड़ता कया कारण ह व चाह तो य म कया स कया कर सकत ह िवचार करत-करत आिखर वह इस िनकषर पर आया िक भीम िपतामह परा मन लगाकर पाडवो का मलोचछद करन को तयार नही हए ह इसका कया कारण ह यह जानन क िलए सतयवादी यिधि र क पास जाना चािहए उसस पछना चािहए िक हमार सनापित होकर भी व मन लगाकर य कयो नही करत

पाडव तो धमर क पकष म थ अतः दय धन िनःसकोच पाडवो क िशिवर म पहच गया वहा पर पाडवो न यथायो य आवभगत की िफर दय धन बोलाः

भीम अजरन तम लोग जरा बाहर जाओ मझ कवल यिधि र स बात करनी ह

चारो भाई यिधि र क िशिवर स बाहर चल गय िफर दय धन न यिधि र स पछाः यिधि र महाराज पाच-पाच िदन हो गय ह हमार कौरव-पकष क लोग ही मर रह ह

िकनत आप लोगो का बाल तक बाका नही होता कया बात ह चाह तो दवोत भीम तफान मचा सकत ह

यिधि रः हा मचा सकत ह

दय धनः व चाह तो भीण य कर सकत ह पर नही कर रह ह कया आपको लगता ह िक व मन लगाकर य नही कर रह ह

सतयवादी यिधि र बोलः हा गगापऽ भीम मन लगाकर य नही कर रह ह

दय धनः भीम िपतामह मन लगाकर य नही कर रह ह इसका कया कारण होगा

यिधि रः व सतय क पकष म ह व पिवऽ आतमा ह अतः समझत ह िक कौन सचचा ह और कौन झठा कौन धमर म ह तथा कौन अधमर म व धमर क पकष म ह इसिलए उनका जी चाहता ह िक पाडव पकष की जयादा खन-खराबी न हो कयोिक व सतय क पकष म ह

दय धनः व मन लगाकर य कर इसका उपाय कया ह

यिधि रः यिद व सतय ETH धमर का पकष छोड़ दग उनका मन ग त जगह हो जाएगा तो िफर व य करग

दय धनः उनका मन य म कस लग

यिधि रः यिद व िकसी पापी क घर का अनन खायग तो उनका मन य म लग जाएगा

दय धनः आप ही बताइय िक ऐसा कौन सा पापी होगा िजसक घर का अनन खान स उनका मन सतय क पकष स हट जाय और व य करन को तयार हो जाय

यिधि रः सभा म भीम िपतामह गर िोणाचायर जस महान लोग बठ थ िफर भी िोपदी को न न करन की आजञा और जाघ ठोकन की द ता तमन की थी ऐसा धमर-िवर और पापी आदमी दसरा कहा स लाया जाय तमहार घर का अनन खान स उनकी मित सतय और धमर क पकष स नीच जायगी िफर व मन लगाकर य करग

दय धन न यि पा ली कस भी करक कपट करक अपन यहा का अनन भीम िपतामह को िखला िदया भीम िपतामह का मन बदल गया और छठव िदन स उनहोन घमासान य करना आरभ कर िदया

कहन का तातपयर यह ह िक जसा अनन होता ह वसा ही मन होता ह भोजन कर तो श भोजन कर मिलन और अपिवऽ भोजन न कर भोजन क पहल हाथ-पर जरर धोय भोजन साितवक हो पिवऽ हो सननता दन वाला हो तनदरःती बढ़ान वाला हो

आहारश ौ स वशि ः

िफर भी ठस-ठस कर भोजन न कर चबा-चबाकर ही भोजन कर भोजन क समय शात एव सननिच रह भ का ःमरण कर भोजन कर जो आहार खान स हमारा शरीर तनदरःत रहता हो वही आहार कर और िजस आहार स हािन होती हो ऐस आहार स बच खान-पान म सयम स बहत लाभ होता ह

भोजन महनत का हो साि वक हो लहसन याज मास आिद और जयादा तल-िमचर-मसाल वाला न हो उसका िनिम अचछा हो और अचछ ढग स सनन होकर भगवान को भोग लगाकर िफर भोजन कर तो उसस आपका भाव पिवऽ होगा र क कण पिवऽ होग मन पिवऽ होगा िफर सधया-ाणायाम करग तो मन म साि वकता बढ़गी मन म सननता तन म आरो यता का िवकास होगा आपका जीवन उननत होता जायगा

महनत मजदरी करक िवलासी जीवन िबताकर या कायर होकर जीन क िलय िज़दगी नही ह िज़दगी तो चतनय की मःती को जगाकर परमातमा का आननद लकर इस लोक और परलोक म सफल होन क िलए ह मि का अनभव करन क िलए िज़दगी ह

भोजन ःवाःथय क अनकल हो ऐसा िवचार करक ही महण कर तथाकिथत वनःपित घी की अपकषा तल खाना अिधक अचछा ह वनःपित घी म अनक रासायिनक पदाथर डाल जात ह जो ःवाःथय क िलए िहतकर नही होत ह

ए यमीिनयम क बतरन म खाना यह पट को बीमार करन जसा ह उसस बहत हािन होती ह कनसर तक होन की समभावना बढ़ जाती ह ताब पीतल क बतरन कलई िकय हए हो तो अचछा ह ए यमीिनयम क बतरन म रसोई नही बनानी चािहए ए यमीिनयम क बतरन म खाना भी नही चािहए

आजकल अ ड खान का चलन समाज म बहत बढ़ गया ह अतः मनयो की बि भी वसी ही हो गयी ह वजञािनको न अनसधान करक बताया ह िक 200 अ ड खान स िजतना िवटािमन सी िमलता ह उतना िवटािमन सी एक नारगी (सतरा) खान स िमल जाता ह िजतना ोटीन कि शयम अ ड म ह उसकी अपकषा चन मग मटर म एयादा ोटीन ह टमाटर म अ ड स तीन गणा कि शयम एयादा ह कल म स कलौरी िमलती ह और भी कई िवटािमनस कल म ह

िजन ािणयो का मास खाया जाता ह उनकी हतया करनी पड़ती ह िजस व उनकी हतया की जाती ह उस व व अिधक स अिधक अशात िखनन भयभीत उि न और ब होत ह अतः मास खान वाल को भी भय बोध अशाित उ ग इस आहार स िमलता ह शाकाहारी भोजन म सपाचय तत होत ह मास म व नही होत अतः मासाहारी भोजन को पचान क जीवन शि का एयादा वयय होता ह ःवाःथय क िलय एव मानिसक शाित आिद क िलए प यातमा होन की दि स भी शाकाहारी भोजन ही करना चािहए

शरीर को ःथल करना कोई बड़ी बात नही ह और न ही इसकी ज़ररत ह लिकन बि को सआम करन की ज़ररत ह आहार यिद साि वक होगा तो बि भी सआम होगी इसिलए सदव साि वक भोजन ही करना चािहए

(अनबम)

भारतीय सःकित की महानता रवरनड ऑवर नाम का एक पादरी पना म िहनद धमर की िननदा और ईसाइयत का चार

कर रहा था तब िकसी सजजन न एक बार रवरनड ऑवर स कहाः आप िहनद धमर की इतनी िननदा करत हो तो कया आपन िहनद धमर का अधययन िकया

ह कया भारतीय सःकित को परी तरह स जानन की कोिशश की ह आपन कभी िहनद धमर को समझा ही नही जाना ही नही ह िहनद धमर म तो ऐस जप धयान और सतसग की बात ह िक िजनह अपनाकर मनय िबना िवषय-िवकारी क िबना िडःको डास(नतय) क भी आराम स रह सकता ह आनिदत और ःवःथ रह सकता ह इस लोक और परलोक दोनो म सखी रह सकता ह आप िहनद धमर को जान िबना उसकी िनदा करत हो यह ठ क नही ह पहल िहनद धमर का अधययन तो करो

रवरनड ऑवर न उस सजजन की बात मानी और िहनद धमर की पःतको को पढ़न का िवचार िकया एकनाथजी और तकारामजी का जीवन चिरऽ जञान र महाराज की योग सामथयर की बात और कछ धािमरक पःतक पढ़न स उस लगा िक भारतीय सःकित म तो बहत खजाना ह मनय की जञा को िदवय करन की मन को सनन करन की और तन क र कणो को भी बदलन की इस सःकित म अदभत वयवःथा ह हम नाहक ही इन भोल-भाल िहनदःतािनयो को अपन चगल म फसान क िलए इनका धमरपिरवतरन करवात ह अर हम ःवय तो अशािनत की आग म जल ही रह ह और इनह भी अशात कर रह ह

उसन ायि -ःवरप अपनी िमशनरी रो तयागपऽ िलख भजाः िहनदःतान म ईसाइयत फलान की कोई ज़ररत नही ह िहनद सःकित की इतनी महानता ह िवशषता ह िक ईसाइय को चािहए िक उसकी महानता एव सतयता का फायदा उठाकर अपन जीवन को साथरक बनाय िहनद धमर की सतयता का फायदा दश-िवदश म पहच मानव जाित को सख-शाित िमल इसका यास हम करना चािहए

म भारतीय इितहास सशोधन म डल क मर आठ लाख डॉलर भट करता ह और तमहारी िमशनरी को सदा क िलए तयागपऽ दकर भारतीय सःकित की शरण म जाता ह

जस रवर ड ऑवर न भारतीय सःकित का अधययन िकया ऐस और लोगो को भी जो िहनद धमर की िनदा करत ह भारतीय सःकित का पकषपात और पवरमहरिहत अधययन करना चािहए मनय की सष शि या व आनद जगाकर ससार म सख-शाित आनद सननता का चार-सार करना चािहए

मा सीता की खोज करत-करत हनमान जामबत अगद आिद ःवयभा क आौम म पहच उनह जोरो की भख और यास लगी थी उनह दखकर ःवयभा न कह िदया िकः

कया तम हनमान हो ौीरामजी क दत हो सीता जी की खोज म िनकल हो

हनमानजी न कहाः हा मा हम सीता माता की खोज म इधर तक आय ह

िफर ःवयभा न अगद की ओर दखकर कहाः तम सीता जी को खोज तो रह हो िकनत आख बद करक खोज रह हो या आख

खोलकर

अगद जरा राजवी परष था बोलाः हम कया आख बनद करक खोजत होग हम तो आख खोलकर ही माता सीता की खोज कर रह ह

ःवयभा बोलीः सीताजी को खोजना ह तो आख खोलकर नही बद करक खोजना होगा सीता जी अथारत भगवान की अधािगनी सीताजी यानी िव ा आतमिव ा िव ा को खोजना ह तो आख खोलकर नही आख बद करक ही खोजना पड़गा आख खोलकर खोजोग तो सीताजी नही िमलगी तम आख बनद करक ही सीताजी ( िव ा) को पा सकत हो ठहरो म तमह बताती ह िक सीता जी कहा ह

धयान करक ःवयभा न बतायाः सीताजी यहा कही भी नही वरन सागर पार लका म ह अशोकवािटका म बठ ह और राकषिसयो स िघरी ह उनम िऽजटा नामक राकषसी ह तो रावण की सिवका िकनत सीताजी की भ बन गयी ह सीताजी वही रहती ह

वारन सोचन लग िक भगवान राम न तो एक महीन क अदर सीता माता का पता लगान क िलए कहा था अभी तीन स ाह स एयादा समय तो यही हो गया ह वापस कया मह लकर जाए सागर तट तक पहचत-पहचत कई िदन लग जाएग अब कया कर

उनक मन की बात जानकर ःवयभा न कहाः िचनता मत करो अपनी आख बद करो म योगबल स एक कषण म तमह वहा पहचा दती ह

हनमान अगद और अनय वानर अपनी आख बनद करत ह और ःवयभा अपनी योगशि स उनह सागर-तट पर कछ ही पल म पहचा दती ह

ौीरामचिरतमानस म आया ह िक ETH

ठाड़ सकल िसध क तीरा ऐसी ह भारतीय सःकित की कषमता

अमिरका को खोजन वाला कोलबस पदा भी नही हआ था उसस पाच हजार वषर पहल अजरन सशरीर ःवगर म गया था और िदवय अ लाया था ऐसी यो यता थी िक धरती क राजा खटवाग दवताओ को मदद करन क िलए दवताओ का सनापितपद सभालत थ ितःमित-िव ा चाकषषी िव ा परकायावश िव ा अ िसि िव ा एव नविनिध ा करान वाली योगिव ा और जीत-जी जीव को बनान वाली िव ा यह भारतीय सःकित की दन ह अनय जगह यह नही िमलती भारतीय सःकित की जो लोग आलोचना करत ह उन बचारो को तो पता ही नही ह िक भारतीय सःकित िकतनी महान ह

गर तगबहादर बोिलयो सनो सीखो बड़भािगयो धड़ दीज धमर न छोिड़य

यवनो न गर गोिबनदिसह क बटो स कहाः तम लोग मसलमान हो जाओ नही तो हम तमह िज़नदा ही दीवार म चनवा दग

बट बोलः हम अपन ाण द सकत ह लिकन अपना धमर नही तयाग सकत

बरो न उन दोनो को जीत-जी दीवार म चनवा िदया जब कारीगर उनह दीवार म चनन लग तब बड़ा भाई बोलता हः धमर क नाम यिद हम मरना ही पड़ता ह तो पहल मरी ओर ट बढ़ा दो तािक म छोट भाई की मतय न दख

छोटा भाई बोलता हः नही पहल मरी ओर ईट बढ़ा दो

कया साहसी थ कया वीर थ वीरता क साथ अपन जीवन का बिलदान कर िदया िकनत धमर न छोड़ा आजकल क लोग तो अपन धमर और सःकित को ही भलत जा रह ह कोई लवर-लवरी धमरपिरवतरन करक लवमरज करत ह अपना िहनद धमर छोड़कर फस मरत ह यह भी कोई िज़नदगी ह भगवान ौीकण कहत ह ETH

ःवधम िनधन ौय परधम भयावहः अपन धमर म मर जाना अचछा ह पराया धमर दःख दन वाला ह भयावह ह नरको म ल

जान वाला ह इसिलए अपन ही धमर म अपनी ही सःकित म जो जीता ह उसकी शोभा ह रवर ड ऑवर न भारतीय सःकित का खब आदर िकया एफ एच मोलम न महातमा

थोरो एव अनय कई पा ातय िचनतको न भी भारतीय सःकित का बहत आदर िकया ह उनक कछ उदगार यहा ःतत हः

बाईबल का मन यथाथर अ यास िकया ह उसम जो िदवय िलखा ह वह कवल गीता क उ रण क रप म ह म ईसाई होत हए भी गीता क ित इतना सारा आदरभाव इसिलए रखता ह िक िजन गढ़ ो का समाधान पा ातय लोग अभी तक नही खोज पाय ह उनका समाधान गीतामनथ न श एव सरल रीित स कर िदया ह उसम कई सऽ अलौिकक उपदशो स भरपर

लग इसीिलए गीता जी मर िलए साकषात योग री माता बन रही ह वह तो िव क तमाम धन स भी नही खरीदा जा सक ऐसा भारतवषर का अम य खजाना ह

- एफ एच मोलम (इगल ड) ाचीन यग की सवर रमणीय वःतओ म गीता स ौ कोई वःत नही ह गीता म ऐसा

उ म और सवरवयापी जञान ह िक उसक रचियता दवता को अस य वषर हो गय िफर भी ऐसा दसरा एक भी मनथ नही िलखा गया

महातमा थोरो (अमिरका) धमर क कषऽ म अनय सब दख दिरि ह जबिक भारत इस िवषय म अरबपित ह

माकर टवन (यएसए) इस पथवी पर सवारिधक पणर िवकिसत मानवजञा कहा ह और जीवन क मह म ो क

हल िकसन खोज ह ऐसा अगर मझस पछा जाए तो म अगिलिनदश करक कहगा िक भारत न ही

मकसमलर (जमरनी) वदानत जसा ऊधवरगामी एव उतथानकारी और एक भी धमर या त वजञान नही ह

शोपनहोअर (जमरनी) िव भर म कवल भारत ही ऐसी ौ महान परमपराए रखता ह जो सिदयो तक जीिवत

रही ह

कनो (ानस) मनय जाित क अिःततव क सबस ारिमभक िदनो स लकर आज तक जीिवत मनय

क तमाम ःव न अगर कही साकार हए हो तो वह ःथान ह भारत

रोमा रोला (ास) भारत दश समपणर मानव जाित की मातभिम ह और सःकत यरोप की सभी भाषाओ की

जननी ह भारत हमार त वजञान गिणतशा एव जनतऽ की जननी ह भारतमाता अनक रप स सभी की जननी ह

िवल डरानट (यएसए) भारतीय सःकित की महानता का एहसास करन वाल इन सब िवदशी िचनतको को हम

धनयवाद दत ह एक बार महातमा थोरो सो रह थ इतन म उनका िशय एमसरन आया दखा िक वहा

साप और िबचछ घम रह ह गरजी क जागन पर एमसरन बोलाः गरदव यह जगह बड़ी खतरनाक ह म िकसी सरिकषत जगह पर आपकी वयवःथा करवा

दता ह

महातमा थोरो बोलः नही नही िचनता करन की कोई ज़ररत नही ह मर िसरहान पर ौीमदभगवदगीता ह भगवदगीता क जञान क कारण तो मझ साप म िबचछ म सबम मरा ही आतमा-परमातमा िदखता ह व मझ नही काटत ह तो म कही कयो जाऊ

िकतनी कह गीता की महानता यही ह भारतीय सःकित की मिहमा अदभत ह उसकी महानता लाबयान ह उसकी मिहमा

(अनबम)

हिरदास की हिरभि सात वष य गौर वणर क गौराग बड़-बड़ िव ान पिडतो स ऐस-ऐस करत थ िक व

दग रह जात थ इसका कारण था गौराग की हिरभि बड़ होकर उनहोन लाखो लोगो को हिरभि म रग िदया

जो हिरभ होता हिर का भजन करता उसकी बि अचछ मागर पर ही जाती ह लोभी वयि पसो क िलए हसता-रोता ह पद एव कस क तो िकतन ही लोग हसत रोत ह पिरवार क िलए तो िकतन ही मोही हसत रोत ह िकनत धनय ह व जो भगवान क िलए रोत हसत ह भगवान क िवरह म िजस रोना आया ह भगवान क िलए िजसका दय िपघलता ह ऐस लोगो का जीवन साथरक हो जाता ह भागवत म भगवान ौीकण उ व स कहत ह-

वाग गदगदा िवत यःय िच

रदतयभीआण हसित कविचचच िवलजज उदगायित नतयत च

मदभि य ो भवन पनाित िजसकी वाणी गदगद हो जाती ह िजसका िच ििवत हो जाता ह जो बार-बार रोन

लगता ह कभी लजजा छोड़कर उचच ःवर स गान लगता ह कभी नाचन लगता ह ऐसा मरा भ समम ससार को पिवऽ करता ह (ौीमदभागवतः 111424)

धनय ह वह मसलमान बालक जो गौराग क कीतरन म आता ह और िजसन गौराग स मऽदीकषा ली ह

उस मसलमान बालक का नाम हिरदास रखा गया मसलमान लोगो न उस हिरभ हिरदास को फसलान की बहत च ा की बहत डराया िक त गौराग क पास जाना छोड़ द नही तो हम यह करग वह करग िकनत हिरदास बहका नही उसका भय न हो गया था दमरित दर हो चकी थी उसकी सदबि और िन ा भगवान क धयान म लग गयी थी भयनाशन दमरित हरण किल म हिर को नाम यह नानक जी का वचन मानो उसक जीवन म साकार हो उठा था

काज़ी न षडयऽ करक उस पर कस िकया और फरमान जारी िकया िक हिरदास को बत मारत-मारत बीच बाजार स ल जाकर यमना म डाल िदया जाय

िनभ क हिरदास न बत की मार खाना ःवीकार िकया िकनत हिरभि छोड़ना ःवीकार न िकया िनि त िदन हिरदास को बत मारत हए ल जाया जान लगा िसपाही बत मारता ह तो हिरदास बोलता हः हिर बोल

हमको हिर बोल बलवाता ह य ल हिर बोल हिर बोल (सटाकसटाक) िसपाही बोलत हः हम तझ बत मारत ह तो कया तझ पीड़ा नही होती त हमस भी हिर

बोल हिर बोल करवाना चाहता ह

हिरदासः पीड़ा तो शरीर को होती ह म तो आतमा ह मझ तो पीड़ा नही होती तम भी यार स एक बार हिर बोल कहो

िसपाहीः ह हम भी हिर बोल कह हमस हिर बोल बलवाता ह ल य हिर बोल (सटाक)

हिरदास सोचता ह िक बत मारत हए भी तो य लोग हिर बोल कह रह ह चलो इनका क याण होगा िसपाही बत मारत जात ह सटाक सटाक और हिरदास हिर बोल बोलता भी जाता ह बलवाता भी जाता ह हिरदास को कई बत पड़न पर भी उसक चहर पर दःख की रखा तक नही िखचती

हवालदार पछता हः हिरदास तझ बत पड़न क बावजद भी तरी आखो म चमक ह चहर पर धयर शाित और सननता झलक रही ह कया बात ह

हिरदासः म बोलता ह हिर बोल तब िसपाही ब होकर भी कहत हः ह हमस भी बलवाता ह हिर बोल हिर बोल हिर बोल तो ल इस बहान भी उनक मह स हिरनाम िनकलता ह दर सवर उनका भी क याण होगा इसी स मर िच म सननता ह

धनय ह हिरदास की हिरभि बर काज़ी क आदश का पालन करत हए िसपाही उस हिरभि स िहनद धमर की दीकषा स चयत करन क िलए बत मारत ह िफर भी वह िनडर हिरभि नही छोड़ता हिर बोल बोलना बद नही करता

व मसलमान िसपाही हिरदास को िहनद धमर की दीकषा क भाव स गौरा क भाव स दर हटाना चाहत थ लिकन वह दर नही हटा बत सहता रहा िकनत हिर बोल बोलना न छोड़ा आिखरकार उन बर िसपाहीयो न हिरदास को उठाकर नदी म बहा िदया

नदी म तो बहा िदया लिकन दखो हिरनाम का भाव मानो यमनाजी न उसको गोद म ल िलया डढ़ मील तक हिरदास पानी म बहता रहा वह शातिच होकर मानो उस पानी म नही हिर की कपा म बहता हआ दर िकसी गाव क िकनार िनकला दसर िदन गौराग की भातफरी म शािमल हो गया लोग आ यरचिकत हो गय िक चमतकार कस हआ

धनय ह वह मसलमान यवक हिरदास जो हिर क धयान म हिर क गान म हिर क कीतरन म गौराग क साथ रहा जस िववकाननद क साथ भिगनी िनविदता न भारत म अधयातम-धणर क चार म लगकर अपना नाम अमर कर िदया वस ही इस मसलमान यवक न हिरकीतरन म हिरधयान म अपना जीवन धनय कर िदया दजरन लोग हिरदास का बाल तक न बाका कर सक जो सचच दय स भगवान का हो जाता ह उसकी हजारो शऽ िमलकर भी कछ हािन नही कर सकत तो उस काज़ी की कया ताकत थी

लोगो न जाकर काज़ी स कहा िक आज हिरदास पनः गौराग की भातफरी म उपिःथत हो गया था काजी अतयनत अहकारी था उसन एक नोिटस भजा एक आदश चतनय महाभ (गौराग) को भजा िक कल स तम भातफरी नही िनकाल सकत तमहारी भातफरी पर बिदश लगाई जाती ह

गौराग न सोचा िक हम िकसी का बरा नही करत िकसी को कोई हािन नही पहचात अर वायम डल क दषण को दर करन क िलए तो शासन पस खचर करता ह िकनत िवचारो क दषण को दर करन क िलए हिरकीतरन जसा हिरभि जसा अमोघ उपाय कौन सा ह भल काजी और शासन की समझ म आय या न आय वातावरण को श करन क साथ-साथ िवचारो का दषण भी दर होना चािहए हम तो कीतरन करग और करवायग

जो लोग डरपोक थ भीर और कायर थ ढील-ढाल थ व बोलः बाबा जी रहन दो रहन दो अपना कया जो करग व भरग अपन तो घर म ही रहकर हिर ॐ हिर ॐ करग

गौराग न कहाः नही इस कार कायरो जसी बात करना ह तो हमार पास मत आया करो

दसर िदन जो डरपोक थ ऐस पाच-दस वयि नही आय बाकी क िहममतवाल िजतन थ व सब आय उनह दखकर और लोग भी जड़

गौराग बोलः आज हमारी भातफरी की पणारहित काजी क घर पर ही होगी

गौराग भ -म डली क साथ कीतरन करत-करत जब बाजार स गज़र तो कछ िहनद एव मसलमान भी कीतरन म जड़ गय उनको भी कीतरन म रस आन लगा व लोग काजी को गािलया दन लग िक काजी बदमाश ह ऐसा ह वसा ह आिद ETH आिद

तब गौराग कहत हः नही शऽ क िलए भी बरा मत सोचो

उनहोन सबको समझा िदया िक काजी क िलए कोई भी अपश द नही कहगा कसी महान ह हमारी िहनद सःकित िजसन हिरदास को बत मारन का आदश िदया उस कवल अपश द कहन क िलए भी गौराग मना कर रह ह इस भारती सःकित म िकतनी उदारता ह स दयता ह लिकन कायरता को कही भी ःथान नही ह

गौराग कीतरन करत-करत काजी क घर क िनकट पहच गय काजी घर की छत पर स इस भातफरी को दखकर दग रह गया िक मर मना करन पर भी इनहोन भातफरी िनकाली

और मर घर तक ल आय उसम मसलमान लड़क भी शािमल ह जयो ही वह भातफरी काजी क घर पहची काजी घर क अनदर िछप गया

गौराग न काजी का ार खटखटाया तब काजी या काजी की प ी न नही वरन चौकीदार न दरवाजा खोला वह बोलाः

काजी साहब घर पर नही ह

गौराग बोलः नही कस ह अभी तो हमन उनह घर की छत पर दखा था काजी को जाकर बोलो हमार मामा और मा भी िजस गाव की ह आप भी उसी गाव क हो इसिलए आप मर गाव क मामा लगत ह मामाजी भानजा ार पर आय और आप छप कर बठ यह शोभा नही दता बाहर आ जाईय

चौकीदार न जाकर काजी को सब कह सनाया गौराग क मभर वचन सनकर काजी का दय िपघल गया िजस पर मन ज म ढाय वह मझ मामा कहकर सबोिधत करता ह िजसक साथ मन बरता की वह मर साथ िकतना औदायर रखता ह यह सोचकर काजी का दय बदल गया वह ार पर आकर बोलाः

म तमस डरकर अनदर नही छपा कयोिक मर पास तो स ा ह कलम की ताकत ह लिकन हिरकीतरन स हिरनाम स िहनद तो कया मसलमान लड़क भी आनिदत हो रह ह उनका भी लह पिवऽ हो रहा ह यह दखकर मझ दःख हो रहा ह िक िजस नाम क उचचारण स उनकी रग-रग पावन हो रही ह उसी नाम क कारण मन हिरदास पर और तम पर ज म िकया िकसी क बहकाव म आकर तम लोगो पर फरमान जारी िकया अब म िकस मह स तमहार सामन आता इसीिलए म मह िछपाकर घर क अनदर घस गया था

भानजा(गौराग) बोलता हः मामा अब तो बाहर आ जाइय

मामा(काजी) बोलाः बाहर आकर कया कर

गौरागः कीतरन कर हिरनाम क उचचारण स छपी हई यो यता िवकिसत कर आनद गट कर

काजीः कया करना होगा

गौरागः म जसा बोलता ह ऐसा ही बोलना होगा बोिलएः हिर बोल हिर बोल

काजीः हिर बोल हिर बोल

गौरागः हिर बोल हिर बोल

काजीः हिर बोल हिर बोल

हिर बोल हिर बोल हिर बोल हिर बोल

हिर बोल हिर बोल हिर बोल हिर बोल

कीतरन करत-करत गौराग न अपनी िनगाहो स काजी पर कपा बरसाई तो काजी भी झमन लगा उस भी हिर बोल का रग लग गया जस इजन को ह डल दकर छोड़ दत ह तब भी इजन चलता रहता ह ऐस ही गौराग की कपादि स काजी भी झमन लगा

काजी क झमन स वातावरण म और भी रग आ गया काजी तो झम गया काजी की प ी भी झमी और चौकीदार भी झम उठा सब हिरकीतरन म झमत-झमत अपन र को पावन करन लग दय को हिररस स सराबोर करन लगा उनक जनम-जनम क पाप-ताप न होन लग िजस पर भगवान की दया होती ह िजसको साधओ का सग िमलता ह सतसग का सहारा िमलता ह और भारतीय सःकित की महानता को समझन की अकल िमलती ह िफर उसक उ ार म कया बाकी रह जाता ह काजी का तो उ ार हो गया

दखो सत की उदारता एव महानता िजसन िहनदओ पर ज म करवाय भ हिरदास को बत मरवात-मरवात यमना जी म डलवा िदया भातफरी पर ितबध लगवा िदया उसी काजी को गौराग न हिररग म रग िदया अपनी कपादि स िनहाल कर िदया उसक बर कम की धयान न दत हए भि का दान द िदया ऐस गौराग क ौीचरणो म हमार हजार-हजार णाम ह हम उस मसलमान यवक हिरदास को भी धनयवाद दत ह िक उसन बत खात पीड़ा सहत भी भि न छोड़ी गरदव को न छोड़ा न ही उनक दबाव म आकर पनः मसलमान बना हिर बोल क रग म ःवय रगा और िसपािहयो को भी रग िदया धनय ह हिरदास और उसकी हिरभि

(अनबम)

बनावटी ौगार स बचो जमरनी क िस दाशरिनक शोपनहार कहत ह िक िजन दशो म हिथयार बनाय जात ह

उन दशो क लोगो को य करन की उ जना होती ह और उन दशो म हिथयार बनत ही रहत ह य भी होत रहत ह ऐस ही जो लोग फशन करत ह उनक दय म काम बोध लोभ मोह रपी य होता ही रहता ह उनक जीवन म िवलािसता आती ह और पतन होता ह वस ही फशन और िवलािसता स सयम सदाचार और यो यता का सहार होता ह

इसिलए य क साधन बढ़न स जस य होता ह वस ही िवलािसता और फशन क साधनो का उपयोग करन स अतयर होता ह अपनी आितमक शि यो का सहार होता ह अतः अपना भला चाहन वाल भाई-बहनो को पफ-पाउडर िलपिःटक-लाली व -अलकार क िदखाव क पीछ नही पड़ना चािहए सयम सादगी एव पिवऽतापणर जीवन जीना चािहए

अपन शा ो म ौगार की अनमित दी गई ह सौभा यवती ि या जब पित अपन ही नगर म हो घर म हो तब ौगार कर पित यिद दर दश गया हो तब सौभा यवित ि यो को भी सादगीपणर जीवन जीना चािहए ौगार क उपयोग म आनवाली वःतए भी वनिःपतयो एव साि वक रसो स बनी हई होनी चािहए जो सननता और आरो यता दान कर

आजकल तो शरीर म उ जना पदा कर बीमािरया पदा कर ऐस किमक स(रसायनो) और जहर जस साधनो स ौगार-साधन बनाए जात ह िजसस शरीर क अनदर जहरील कण जात ह और तवचा की बीमािरया होती ह आहार म भी जहरील कणो क जान स पाचन-तऽ और मानिसक सतलन िबगड़ता ह साथ ही बौि क एव वचािरक सतलन भी िबगड़ता ह

पशओ की चब किमक स और दसर थोड़ जहरील िवयो स बन पफ-पाउडर िलपिःटक-लाली आिद िजन साधनो का यटी-पालरर म उपयोग िकया जाता ह वसी गदगी कभी-भी अपन शरीर को तो लगानी ही नही चािहए दसर लोगो न लगायी हो तो दखकर सनन भी नही होना चािहए अपन सयम और सदाचार की सनदरता को गट करना चािहए मीरा और शबरी िकस यटी-पालरर म गय थ सती अनसया गाग और मदालसा न िकस पफ-पाउडर लाली-िलपिःटक का उपयोग िकया था िफर भी उनका जीवन सनदर तजःवी था हम भी ई र स ाथरना कर िक ह भगवान हम अपना सयम और साधना का सौनदयर बढ़ाए ऐसी त दया करना िवकारी सौनदयर स अपन को बचाकर िनिवरकारी नारायण की ओर जाय ऐसी त दया करना िवलािसता म अपन समय को न लगाकर तर ही धयान-िचतन म हमारा समय बीत ऐसी त कपा करना

किऽम सौनदयर-साधन स तवचा की िःन धता और कोमलता मर जाती ह पफ-पाउडर बीम आिद स शरीर की कदरती िःन धता खतम हो जाती ह ाकितक सौनदयर को न करक

जो किऽम सौनदयर क गलाम बनत ह उनस ःनहभरी सलाह ह िक व पफ-पाउडर आिद और तड़कील-भड़कील व आिद की गलामी को छोड़कर ाकितक सौनदयर को बढ़ान की कोिशश कर मीरा और मदालसा की तरह अपन असली सौनदयर को कट करन की कोिशश कर

(अनबम)

साहसी बालक एक लड़का काशी म हिर नि हाईःकल म पढ़ता था उसका गाव काशी स आठ मील दर

था वह रोजाना वहा स पदल चलकर आता बीच म जो गगा नदी बहती ह उस पार करक िव ालय पहचता

उस जमान म गगा पार करन क िलए नाव वाल को दो पस दन पड़त थ दो पस आन क और दो पस जान क कल चार पस यािन पराना एक आना महीन म करीब दो रपय हए जब सोन क एक तोल का भाव रपया सौ स भी नीच था तब क दो रपय आज क तो पाच-पचचीस रपय हो जाए

उस लड़क न अपन मा-बाप पर अितिर बोझा न पड़ इसिलए एक भी पस की माग नही की उसन तरना सीख िलया गम हो बािरश हो या ठ ड हो गगा पार करक हाईःकल म जाना उसका बम हो गया इस कार िकतन ही महीन गजर गय

एक बार पौष मास की ठ ड म वह लड़का सबह की ःकल भरन क िलए गगा म कदा तरत-तरत मझधार म आया एक नाव म कछ याऽी नदी पार कर रह थ उनहोन दखा िक छोटा-सा लड़का अभी डब मरगा व उसक पास नाव ल गय और हाथ पकड़ कर उस नाव म खीच िलया लड़क क मख पर घबराहट या िचनता की कोई रखा नही थी सब लोग दग रह गय इतना छोटा ह और इतना साहसी ह व बोलः

त अभी डब मरता तो ऐसा साहस नही करना चािहए

तब लड़का बोलाः साहस तो होना ही चािहए जीवन म िव न-बाधाए आयगी उनह कचलन क िलए साहस तो चािहए ही अगर अभी स साहस नही जटाया तो जीवन म बड़-बड़ कायर कस कर पायग

लोगो न पछाः इस समय तरन कयो िगरा दोपहर को नहान आता

लड़का बोलता हः म नहान क िलए नदी म नही िगरा ह म तो ःकल जा रहा ह

नाव म बठकर जाता

रोज क चार पस आन-जान क लगत ह मर गरीब मा-बाप पर मझ बोझा नही बनना ह मझ तो अपन परो पर खड़ होना ह मरा खचर बढ़ तो मर मा-बाप की िचनता बढ़ उनह घर चलाना मिकल हो जाय

लोग उस आदर स दखत ही रह गय वही साहसी लड़का आग चलकर भारत का धान मऽी बना

वह लड़का कौन था पता ह व थ लाल बहादर शा ी शा ी जी उस पद भी सचचाई साहस सरलता ईमानदारी सादगी दशम आिद सदगण और सदाचार क मितरमनत ःवरप थ ऐस महापरष भल िफर थोड़ा-सा समय ही राजय कर पर एक अनोखा भाव छोड़ जात ह जनमानस पर

(अनबम)

गर-आजञापालन का चमतकार ौीम आ ाशकराचायर जी जब काशी म िनवास करत थ तब गगा-तट पर िनतय ात-

काल टहलत थ एक सबह िकसी ितभासपनन यवक न दसर िकनार स दखा िक कोई सनयासी उस पार टहल रह ह उस यवक न दसर िकनार स ही उनह णाम िकया उस यवक को दखकर आ शकराचायर जी न सकत िकया िक इधर आ जाओ उस आभासमपनन यवक न दखा िक मन तो साध को णाम कर िदया ह णाम कर िदया तो म उनका िशय हो गया और उनहोन मझ आदश िदया िक इधर आ जाओ अब गर की आजञा का उ लघन करना भी तो उिचत नही ह िकनत यही कोई नाव नही ह और म तरना भी नही जानता ह अब कया कर उसक मन म िवचार आया िक वस भी तो हजारो बार हम मर चक ह एक बार यिद गर क दशरन क िलए जात-जात मर जाय तो घाटा कया होगा

गग मात की जय कह कर उस यवक न तो गगाजी म पर रख िदया उसकी इचछा कहो ौीम आ शकराचायर जी का भाव कहो या िनयित की लीला कहो जहा उस यवक न कदम रखा वहा एक कमल पदा हो गया उसक पर को थामन क िलए जब दसरा पर रखा तो वहा भी कमल पदा हो गया इस कार जहा-जहा वह कदम रखता गया वहा कमल (प ) उतपनन होता गया और वह यवक गगा क दसर तट पर जहा आ शकराचायर जी खड़ थ पहच गया

जहा-जहा वह कदम रखता था वहा-वहा प (कमल) क कट होन क कारण उसका नाम पड़ा - प पादाचायर शकराचायर जी क म य चार प टिशयो म आग जाकर यही प पादाचायर एक प टिशय बन

कहन का तातपयर यह ह िक सिचचदानद परमातमा की शि का सामथयर का बयान करना सभव नही ह िजसकी िजतनी दढ़ता ह िजसकी िजतनी सचचाई ह िजसकी िजतनी ततपरता ह उतनी ही कित भी उसकी मदद करन को आतर रहती ह प पादाचायर की गर-आजञापालन म दढ़ता और ततपरता को दखकर गगा जी म कमल गट हो गय िशय यिद दढ़ता ततपरता और ईमानदारी स गर-आजञापालन म लग जाय तो कित भी उसक अनकल हो जाती ह

(अनबम)

अनोखी गरदिकषणा एकलवय गर िोणाचायर क पास आकर बोलाः मझ धनिवर ा िसखान की कपा कर

गरदव गर िोणाचायर क समकष धमरसकट उतपनन हआ कयोिक उनहोन भीम िपतामह को वचन

द िदया था िक कवल राजकमारो को ही म िशकषा दगा एकलवय राजकमार नही ह अतः उस धनिवर ा कस िसखाऊ अतः िोणाचायर न एकलवय स कहाः

म तझ धनिवर ा नही िसखा सकगा

एकलवय घर स िन य करक िनकला था िक म कवल गर िोणाचायर को ही गर बनाऊगा िजनक िलए मन म भी गर बनान का भाव आ गया उनक िकसी भी वयवहार क िलए िशकायत या िछिानवषण की वि नही होनी चािहए

एकलवय एकात अर य म गया और उसन गर िोणाचायर की िम टी की मितर बनायी मितर की ओर एकटक दखकर धयान करक उसी स रणा लकर वह धनिवर ा सीखन लगा एकटक दखन स एकामता आती ह एकामता गरभि अपनी सचचाई और ततपरता क कारण उस रणा िमलन लगी जञानदाता तो परमातमा ह धनिवर ा म वह बहत आग बढ़ गया

एक बार िोणाचायर पाडव एव कौरव धनिवर ा का योग करन अर य म आय उनक साथ एक क ा भी था जो थोड़ा आग िनकल गया क ा वही पहचा जहा एकलवय अपनी धनिवर ा का योग कर रहा था एकलवय क खल बाल फट कपड़ एव िविचऽ वष को दखकर क ा भ कन लगा

एकलवय न क को लग नही चोट न पहच और उसका भ कना बद हो जाय इस ढग स सात बाण उसक मह म थमा िदय क ा वािपस वहा गया जहा िोणाचायर क साथ पाडव और कौरव थ

उस दखकर अजरन को हआ िक क को चोट न लग इस ढग स बाण मह म घसाकर रख दना यह िव ा तो म भी नही जानता यह कस सभव हआ वह गर िोणाचायर स बोलाः

गरदव आपन तो कहा था िक मरी बराबरी का दसरा कोई धनधाररी नही होगा िकनत ऐसी िव ा तो मझ भी नही आती

िोणाचायर को हआ िक दख इस अर य म कौन-सा ऐसा कशल धनधरर ह आग जाकर दखा तो वह था िहर यधन का पऽ गरभ एकलवय

िोणाचायर न पछाः बटा यह िव ा त कहा स सीखा

एकलवय बोलाः गरदव आपकी ही कपा स सीखा ह

िोणाचायर तो वचन द चक थ िक अजरन की बराबरी का धनधरर दसरा कोई न होगा िकनत यह तो आग िनकल गया गर क िलए धमरसकट खड़ा हो गया एकलवय की अटट ौ ा दखकर िोणाचायर न कहाः मरी मितर को सामन रखकर त धनिवर ा तो सीखा िकनत गरदिकषणा

एकलवयः जो आप माग

िोणाचायरः तर दाय हाथ का अगठा

एकलवय न एक पल भी िवचार िकय िबना अपन दाय हाथ का अगठा काटकर गरदव क चरणो म अपरण कर िदया

िोणाचायरः बटा भल ही अजरन धनिवर ा म सबस आग रह कयोिक म उस वचन द चका ह िकनत जब तक सयर चनि नकषऽो का अिःततव रहगा तब तक लोग तरी गरिन ा का तरी गरभि का ःमरण करग तरा यशोगान होता रहगा

उसकी गरभि और एकामता न उस धनिवर ा म तो सफलता िदलायी ही लिकन सतो क दय म भी उसक िलए आदर गट करवा िदया धनय ह एकलवय जो गरमितर स रणा पाकर धनिवर ा म सफल हआ और िजसन अदभत गरदिकषणा दकर साहस तयाग और समपरण का पिरचय िदया

(अनबम)

सतसग की मिहमा तलसीदास जी महाराज कहत ह ETH

एक घड़ी आधी घड़ी आधी म पिन आध तलसी सगत साध की हर कोिट अपराध

एक बार शकदव जी क िपता भगवान वदवयासजी महाराज कही जा रह थ राःत म उनहोन दखा िक एक कीड़ा बड़ी तजी स सड़क पार कर रहा था

वदवयासजी न अपनी योगशि दत हए उसस पछाः त इतनी ज दी सड़क कयो पार कर रहा ह कया तझ िकसी काम स जाना ह त तो

नाली का कीड़ा ह इस नाली को छोड़कर दसरी नाली म ही तो जाना ह िफर इतनी तजी स कयो भाग रहा ह

कीड़ा बोलाः बाबा जी बलगाड़ी आ रही ह बलो क गल म बध घघर तथा बलगाड़ी क पिहयो की आवाज म सन रहा ह यिद म धीर-धीर सड़क पार करगा तो वह बलगाड़ी आकर मझ कचल डालगी

वदवयासजीः कचलन द कीड़ की योिन म जीकर भी कया करना

कीड़ाः महिषर ाणी िजस शरीर म होता ह उसको उसम ही ममता होती ह अनक ाणी नाना कार क क ो को सहत हए भी मरना नही चाहत

वदवयास जीः बलगाड़ी आ जाय और त मर जाय तो घबराना मत म तझ योगशि स महान बनाऊगा जब तक ा ण शरीर म न पहचा द अनय सभी योिनयो स शीय छटकारा िदलाता रहगा

उस कीड़ न बात मान ली और बीच राःत पर रक गया और मर गया िफर वदवयासजी की कपा स वह बमशः कौआ िसयार आिद योिनयो म जब-जब भी उतपनन हआ वयासजी न जाकर उस पवरजनम का ःमरण िदला िदया इस तरह वह बमशः मग पकषी शि वय जाितयो म जनम लता हआ कषिऽय जाित म उतपनन हआ उस वहा भी वदवयासजी दशरन िदय थोड़ िदनो म रणभिम म शरीर तयागकर उसन ा ण क घर जनम िलया

भगवान वदवयास जी न उस पाच वषर की उ म सारःवतय मऽ द िदया िजसका जप करत-करत वह धयान करन लगा उसकी बि बड़ी िवलकषण होन पर वद शा धमर का रहःय समझ म आ गया

सात वषर की आय म वदवयास जी न उस कहाः काि रक कषऽ म कई वष स एक ा ण ननदभि तपःया कर रहा ह तम जाकर उसकी

शका का समाधान करो

माऽ सात वषर का ा ण कमार काि रक कषऽ म तप कर रह उस ा ण क पास पहच कर बोलाः

ह ा णदव आप तप कयो कर रह ह

ा णः ह ऋिषकमार म यह जानन क िलए तप कर रहा ह िक जो अचछ लोग ह सजजन लोग ह व सहन करत ह दःखी रहत ह और पापी आदमी सखी रहत ह ऐसा कयो ह

बालकः पापी आदमी यिद सखी ह तो पाप क कारण नही वरन िपछल जनम का कोई प य ह उसक कारण सखी ह वह अपन प य खतम कर रहा ह पापी मनय भीतर स तो दःखी ही होता ह भल ही बाहर स सखी िदखाई द

धािमरक आदमी को ठ क समझ नही होती उिचत िदशा व मऽ नही िमलता इसिलए वह दःखी होता ह वह धमर क कारण दःखी नही होता अिपत समझ की कमी क कारण दःखी होता ह समझदार को यिद कोई गर िमल जाय तो वह नर म स नारायण बन जाय इसम कया आ यर ह

ा णः म इतना बढ़ा हो गया इतन वष स काि रक कषऽ म तप कर रहा ह मर तप का फल यही ह िक तमहार जस सात वषर क योगी क मझ दशरन हो रह ह म तमह णाम करता ह

बालकः नही नही महाराज आप तो भदव ह म तो बालक ह म आपको णाम करता ह

उसकी नता दखकर ा ण और खश हआ तप छोड़कर वह परमातमिचनतन म लग गया अब उस कछ जानन की इचछा नही रही िजसस सब कछ जाना जाता ह उसी परमातमा म िवौाित पान लग गया

इस कार ननदभि ा ण को उ र द िनःशक कर सात िदनो तक िनराहार रहकर वह बालक सयरमनऽ का जप करता रहा और वही बहदक तीथर म उसन शरीर तयाग िदया वही बालक दसर जनम म कषार िपता एव िमऽा माता क यहा गट हआ उसका नाम मऽय पड़ा इनहोन वयासजी क िपता पराशरजी स िवण-पराण तथा बहत पाराशर होरा शा का अधययन िकया था पकषपात रिहत अनभवकाश नामक मनथ म मऽय तथा पराशर ऋिष का सवाद आता ह

कहा तो सड़क स गजरकर नाली म िगरन जा रहा कीड़ा और कहा सत क सािननधय स वह मऽय ऋिष बन गया सतसग की बिलहारी ह इसीिलए तलसीदास जी कहत ह ETH

तात ःवगर अपवगर सख धिरअ तला एक अग तल न तािह सकल िमली जो सख लव सतसग

यहा एक शका हो सकती ह िक वह कीड़ा ही मऽय ऋिष कयो नही बन गया

अर भाई यिद आप पहली ककषा क िव ाथ हो और आपको एम ए म िबठाया जाय तो कया आप पास हो सकत हो नही दसरी तीसरी चौथी दसवी बारहवी बीए आिद पास करक ही आप एमए म वश कर सकत हो

िकसी चौकीदार पर कोई धानमनऽी अतयिधक सनन हो जाए तब भी वह उस सीधा कलकटर (िजलाधीश) नही बना सकता ऐस ही नाली म रहन वाला कीड़ा सीधा मनय तो नही

हो सकता बि क िविभनन योिनयो को पार करक ही मनय बन सकता ह हा इतना अवय ह िक सतकपा स उसका मागर छोटा हो जाता ह

सतसमागम की साध परषो स सग की मिहमा का कहा तक वणरन कर कस बयान कर एक सामानय कीड़ा उनक सतसग को पाकर महान ऋिष बन सकता ह तो िफर यिद मानव को िकसी सदगर का सािननधय िमल जाय उनक वचनानसार चल पड़ तो मि का अनभव करक जीवनम भी बन सकता ह

(अनबम)

पीड़ पराई जान र जञानी िकसी स यार करन क िलए बध हए नही ह और िकसी को डाटन म भी राजी

नही ह हमारी जसी यो यता होती ह ऐसा उनका वयवहार हमार ित होता ह लीलाशाह बाप क ौीचरणो म बहत लोग गय थ एक लड़का भी गया था वह मिणनगर

म रहता था िशवजी को जल चढ़ान क प ात ही वह जल पीता वह लड़का खब िन ा स धयान-भजन करता और सवा पजा करता

एक िदन कोई वयि राःत म बहोश पड़ा हआ था िशवजी को जल चढ़ान जात समय उस बालक न उस दखा और अपनी पजा-वजा छोड़कर उस गरीब की सवा म लग गया िबहार का कोई यवक था नौकरी की खोज म आया था कालपर(अहमदाबाद) ःटशन क लटफामर पर एक दो िदन रहा किलयो न मारपीट कर भगा िदया चलत-चलत मिणनगर म पनीत आौम की ओर रोटी की आशा म जा रहा था रोटी तो वहा नही िमलती थी इसिलए भख क कारण चलत-चलत राःत म िगर गया और बहोश हो गया

उस लड़क का घर पनीत आौम क पास ही था सबह क दस साढ़ दस बज थ वह लड़का घर स धयान-भजन स िनपटकर मिदर म िशवजी को जल चढ़ान क िलए जल का लोटा और पजा की साममी लकर जा रहा था उसन दखा िक राःत म कोई यवक पड़ा ह राःत म चलत-चलत लोग बोलत थः शराब पी होगी यह होगा वह होगा हम कया

लड़क को दया आई प य िकय हए हो तो रणा भी अचछ िमलती ह शभ कम स शभ रणा िमलती ह अपन पास की पजा साममी एक ओर रखकर उसन उस वयि को िहलाया बहत मिकल स उसकी आख खली कोई उस जत सघाता कोई कछ करता कोई कछ बोलता था

आख खोलत ही वह वयि धीर स बोलाः पानी पानी

लड़क न महादव जी क िलय लाया हआ जल का लोटा उस िपला िदया िफर दोड़कर घर जाकर अपन िहःस का दध लाकर उस िदया

यवक क जी म जी आया उसन अपनी वयथा बतात हए कहाः बाब जी म िबहार स आया ह मर बाप गजर गय काका िदन-रात टोकत रहत त िक

कमाओ नही तो खाओग कया नौकरी धधा िमलता नही ह भटकत-भटकत अहमदाबाद क ःटशन पर कली का काम करन का य िकया हमारी रोटी-रोजी िछन जायगी ऐसा समझकर किलयो न खब मारा पदल चलत-चलत मिणनगर ःटशन की ओर आत-आत यहा तीन िदन की भख और मार क कारण चककर आय और िगर गया

लड़क न उस िखलाया अपना इक ठा िकया हआ जबखचर का पसा िदया उस यवक को जहा जाना था वहा भजन की वयवःथा की इस लड़क क दय म आनद की वि हई अतर म आवाज आईः

बटा अब म तझ बहत ज दी िमलगा

लड़क न िकयाः अनदर कौन बोलता ह

उ र आयाः िजस िशव की त पजा करता ह वह तरा आतमिशव अब म तर दय म कट होऊगा सवा क अिधकारी की सवा मझ िशव की ही सवा ह

उस िदन उस अतयारमी न अनोखी ऱणा और ोतसाहन िदया वह लड़का तो िनकल पड़ा घर छोड़कर ई र-साकषातकार करन क िलए कदारनाथ वनदावन होत हए निनताल क अर य म पहचा

कदारनाथ क दशरन पाय लकषािधपित आिशष पाय

इस आशीवारद को वापस कर ई राि क िलए िफर पजा की उसक पास जो कछ रपय पस थ उनह वनदावन म साध-सतो एव गरीबो म भ डारा करक खचर कर िदया था थोड़ स पस लकर निनताल क अर यो म पहचा लोकलाड़ल लाखो दयो को हिररस िपलात पजयपाद सदगर ौी लीलाशाह बाप की राह दखत हए चालीस िदन बीत गय गरवर ौी लीलाशाह को अब पणर समिपरत िशय िमला पणर खजाना ा करन वाला पिवऽातमा िमला पणर गर की पणर िशय िमला

िजस लड़क क िवषय म यह कथा पढ़ रह ह वह लड़का कौन होगा जानत हो

पणर गर कपा िमली पणर गर का जञान आसमल स हो गय साई आसाराम

अब तो समझ ही गय होग (उस लड़क क वश म छप हए थ पवर जनम क योगी और वतरमान म िव िव यात हमार

पजयपाद सदगरदव ौी आसाराम जी महाराज)

(अनबम)

िवकास क बिरयो स सावधान किपलवःत क राजा श ोदन का यवराज था िस ाथर यौवन म कदम रखत ही िववक

और वरा य जाग उठा यवान प ी यशोधरा और नवजात िशश राहल की मोह-ममता की रशमी जजीर काटकर महाभीिनबमण (गहतयाग) िकया एकानत अर य म जाकर गहन धयान साधना करक अपन साधय त व को ा कर िलया

एकानत म तप यार और धयान साधना स िखल हए इस आधयाितमक कसम की मधर

सौरभ लोगो म फलन लगी अब िस ाथर भगवान ब क नाम स जन-समह म िस हए हजारो हजारो लोग उनक उपिद मागर पर चलन लग और अपनी अपनी यो यता क मतािबक आधयाितमक याऽा म आग बढ़त हए आितमक शाित ा करन लग अस य लोग बौ िभकषक बनकर भगवान ब क सािननधय म रहन लग उनक पीछ चलन वाल अनयायीओ का एक सघ ःथािपत हो गया चह ओर नाद गजन लग िकः

ब शरण गचछािम धमम शरण गचछािम सघ शरण गचछािम

ौावःती नगरी म भगवान ब का बहत यश फला लोगो म उनकी जय-जयकार होन लगी लोगो की भीड़-भाड़ स िवर होकर ब नगर स बाहर जतवन म आम क बगीच म रहन लग नगर क िपपास जन बड़ी तादाद म वहा हररोज िनि त समय पर पहच जात और उपदश-वचन सनत बड़-बड़ राजा महाराजा भगवान ब क सािननधय म आन जान लग

समाज म तो हर कार क लोग होत ह अनािद काल स दवी समपदा क लोग एव आसरी समपदा क लोग हआ करत ह ब का फलता हआ यश दखकर उनका तजो ष करन वाल लोग जलन लग सतो क साथ हमशा स होता आ रहा ह ऐस उन द त वो न ब को बदनाम करन क िलए कचार िकया िविभनन कार की यि -यि या लड़ाकर ब क यश को हािन पहच ऐसी बात समाज म व लोग फलान लग उन द ो न अपन ष यऽ म एक वया को समझा-बझाकर शािमल कर िलया

वया बन-ठनकर जतवन म भगवान ब क िनवास-ःथानवाल बगीच म जान लगी

धनरािश क साथ द ो का हर कार स सहारा एव ोतसाहन उस िमल रहा था रािऽ को वही रहकर सबह नगर म वािपस लोट आती अपनी सिखयो म भी उसन बात फलाई

लोग उसस पछन लगः अरी आजकल त िदखती नही ह कहा जा रही ह रोज रात को

म तो रोज रात को जतवन जाती ह व ब िदन म लोगो को उपदश दत ह और रािऽ क समय मर साथ रगरिलया मनात ह सारी रात वहा िबताकर सबह लोटती ह

वया न परा ीचिरऽ आजमाकर ष यऽ करन वालो का साथ िदया लोगो म पहल तो हलकी कानाफसी हई लिकन जयो-जयो बात फलती गई तयो-तयो लोगो म जोरदार िवरोध होन लगा लोग ब क नाम पर िफटकार बरसान लग ब क िभकषक बःती म िभकषा लन जात तो लोग उनह गािलया दन लग ब क सघ क लोग सवा-वि म सल न थ उन लोगो क सामन भी उगली उठाकर लोग बकवास करन लग

ब क िशय जरा असावधान रह थ कचार क समय साथ ही साथ स चार होता तो कचार का इतना भाव नही होता िशय अगर िनिबय रहकर सोचत रह जाय िक करगा सो भरगा भगवान उनका नाश करग तो कचार करन वालो को ख ला मदान िमल जाता ह

सत क सािननधय म आन वाल लोग ौ ाल सजजन सीध साद होत ह जबिक द वि करन वाल लोग किटलतापवरक कचार करन म कशल होत ह िफर भी िजन सतो क पीछ सजग समाज होता ह उन सतो क पीछ उठन वाल कचार क तफान समय पाकर शात हो जात ह और उनकी सतवि या काशमान हो उठती ह

कचार न इतना जोर पकड़ा िक ब क िनकटवत लोगो न ऽािहमाम पकार िलया व समझ गय िक यह वयविःथत आयोजनपवरक ष यऽ िकया गया ह ब ःवय तो पारमािथरक सतय म जाग हए थ व बोलतः सब ठ क ह चलन दो वयवहािरक सतय म वाहवाही दख ली अब िननदा भी दख ल कया फकर पड़ता ह

िशय कहन लगः भनत अब सहा नही जाता सघ क िनकटवत भ भी अफवाहो क िशकार हो रह ह समाज क लोग अफवाहो की बातो को सतय मानन लग गय ह

ब ः धयर रखो हम पारमािथरक सतय म िवौाित पात ह यह िवरोध की आधी चली ह तो शात भी हो जाएगी समय पाकर सतय ही बाहर आयगा आिखर म लोग हम जानग और मानग

कछ लोगो न अगवानी का झ डा उठाया और राजयस ा क समकष जोर-शोर स माग की

िक ब की जाच करवाई जाय लोग बात कर रह ह और वया भी कहती ह िक ब रािऽ को मर साथ होत ह और िदन म सतसग करत ह

ब क बार म जाच करन क िलए राजा न अपन आदिमयो को फरमान िदया अब ष यऽ करनवालो न सोचा िक इस जाच करन वाल पच म अगर सचचा आदमी आ जाएगा तो अफवाहो का सीना चीरकर सतय बाहर आ जाएगा अतः उनहोन अपन ष यऽ को आिखरी

पराका ा पर पहचाया अब ऐस ठोस सबत खड़ा करना चािहए िक ब की ितभा का अःत हो जाय

उनहोन वया को दार िपलाकर जतवन भज िदया पीछ स ग डो की टोली वहा गई वया पर बलातकार आिद सब द कतय करक उसका गला घोट िदया और लाश को ब क बगीच म गाड़कर पलायन हो गय

लोगो न राजयस ा क ार खटखटाय थ लिकन स ावाल भी कछ लोग द ो क साथ जड़ हए थ ऐसा थोड़ ही ह िक स ा म बठ हए सब लोग दध म धोय हए वयि होत ह

राजा क अिधकािरयो क ारा जाच करन पर वया की लाश हाथ लगी अब द ो न जोर-शोर स िच लाना शर कर िदया

दखो हम पहल ही कह रह थ वया भी बोल रही थी लिकन तम भगतड़ लोग मानत ही नही थ अब दख िलया न ब न सही बात खल जान क भय स वया को मरवाकर बगीच म गड़वा िदया न रहगा बास न बजगी बासरी लिकन सतय कहा तक िछप सकता ह म ामाल हाथ लग गया इस ठोस सबत स ब की असिलयत िस हो गई सतय बाहर आ गया

लिकन उन मख का पता नही िक तमहारा बनाया हआ कि पत सतय बाहर आया वाःतिवक सतय तो आज ढाई हजार वषर क बाद भी वसा ही चमक रहा ह आज ब को लाखो लोग जानत ह आदरपवरक मानत ह उनका तजो ष करन वाल द लोग कौन-स नरको म जलत होग कया पता

ढाई हजार वषर पहल ब क जमान म भी सतो क साथ ऐसा घोर अनयाय हआ करता था ऋिष दयाननद को भी ऐस ही त वो न तजो ष क कारण बाईस बार िवष दकर मार डालन का यास िकया ःवामी िववकाननद और ःवामी रामतीथर क पीछ भी द लोगो न वया को तयार करक कीचड़ उछाला था

एक ओर लाखो-लाखो लोग सतो की अनभवय वाणी स अपना वयावहािरक ETH आधयाितमक जीवन उननत करक सख-शाित पात ह दसरी ओर कछ द कित क ःवाथ लोग अपना उ ल सीधा करन क िलए ऐस महापरषो क िवर म ष यऽ रचकर उनको बदनाम करत ह यह तो पहल स चला आ रहा ह सत कबीर हो या नानक एकनाथ महाराज हो या सत तकाराम नरिसह महता हो या मीराबाई ायः सभी सतो को अपन जीवन क दौरान समाज क किटल त वो स पाला पड़ता ही रहा ह जीसस बाइःट को इनही त वो न बॉस पर चढ़ाया था उनही लोगो न सकरात को जहर िपलाकर मतयद ड िदया था मनसर को इसी जमात न शली पर चढ़ाया था ईसाई धमर म माट न यथर पर ज म िकया गया था अण-अण म ई र और नारीमाऽ म जगजजननी भगवती का दशरन करन वाल रामकण परमहस को भी लोगो न नही

छोड़ा था परमहस योगाननद रवीनिनाथ टगोर माट न यथर दिकषण भारत क सत ितरव लवर जापानी झन सत बाबो इितहास म िकतन-िकतन उदाहरण मौजद ह

हािसद धमरगर बा शमटोव अित पिवऽ आतमा थ िननदको न उनक इदरिगदर भी मायाजाल िबछा दी थी िसध क साई टउराम क पास अस य लोग आतमक याण हत जान लग तब िवकत िदमागवालो न उन सत को भी ऽास दना शर कर िदया उनक आौम क चह ओर गदगी डाल दत और कए म िम टी का तल उड़लकर पानी बकार कर दत मगल बादशाह बाबर को बहका कर उनही लोगो न गर नानक को कद करवाया था

भगवान ौीराम एव ौीकण को भी द जनो न छोड़ा नही था भगवान ौीराम क गर विश जी महाराज कहत हः

ह राम जी म जब बाजार स गजरता ह तब अजञानी मखर लोग मर िलए कया बकत ह म सब जानता ह लिकन मरा दयाल ःवभाव ह म इन सबका क याण चाहता ह

तमहार साथ यह ससार कछ अनयाय करता ह तमको बदनाम करता ह िननदा करता ह तो यह ससार की परानी रीत ह मनय की हीनवि कचार िननदाखोरी यह आजकल की ही बात नही ह अनािदकाल स ऐसा होता आया ह तम अपन आतमजञान क सःकार जगाकर आतमबल का िवकास करत जाओ मःकरात जाओ आधी तफानो को लाघकर आननदपवरक जीत जाओ

उस जमान म भगवान ब क पास आकर एक िभकषक न ाथरना कीः भनत मझ आजञा द म सभाए भरगा आपक िवचारो का चार करगा

मर िवचारो का चार

हा भगवन म बौ धमर फलाऊगा

लोग तरी िननदा करग गािलया दग

कोई हजर नही म भगवन को धनयवाद दगा िक य लोग िकतन अचछ ह य कवल श दहार करत ह मझ पीटत तो नही

लोग तझ पीटग भी तो कया करोग

भो म शब गजारगा िक य लोग हाथो स पीटत ह पतथर तो नही मारत

लोग पतथर भी मारग और िसर भी फोड़ दग तो कया करगा

िफर भी म आ ःत रहगा और भगवान का िदवय कायर करता रहगा कयोिक व लोग मरा िसर फोड़ग लिकन ाण तो नही लग

लोग जनन म आकर तझ मार दग तो कया करगा

भनत आपक िदवय िवचारो का चार करत-करत म मर भी गया तो समझगा िक मरा जीवन सफल हो गया

उस कतिन यी िभकषक की दढ़ िन ा दखकर भगवान ब सनन हो उठ उस पर उनकी करणा बरस पड़ी

ऐस िशय जब ब का चार करन िनकल पड़ तब कचार करन वाल धीर-धीर शात हो गय मनयो की उगिलया काट-काटकर माला बनाकर पहनन वाला अगिलमाल जसा बर हतयारा भी दयपिरवतरन पाकर ब की शरण म िभकषक होकर रहन लगा

आज हम ब को बहत आदर स जानत ह मानत ह उनक जीवनकाल क दौरान उनक पीछ लग हए द लोग कौन स नरक म सड़त होग रौरव नरक म या कभीपाक नरक म कौन-सी योिनयो म भटकत होग सअर बन होग िक नाली क कीड़ बन होग शतान बन होग िक राकषस बन होग मझ पता नही लिकन ब तो करोड़ो दयो म बस रह ह यह म मानता ह

सतय तो परमाथर ह आतमा ह परमातमा ह उसम िजतना िटकोग उतना तमहारा मगल होगा तमहारी िनगाह िजन पर पड़गी उनका भी मगल होगा

(अनबम)

कछ जानन यो य बात सय दय स पवर उठकर ःनान कर लना चािहए ातः खाली पट मटक का बासी पानी

पीना ःवाःथयद ह तलसी क प सय दय क प ात ही तोड़ दध म तलसी क प नही डालन चािहए तथा

दध क साथ खान भी नही चािहए तलसी क प खाकर थोड़ा पानी पीना िपय जलनित स पिह सौ कार क लाभ होत ह अपन मिःतक म एक कार का िवजाितय

िवय उतपनन होता ह यिद वह िवय वही अटक जाता ह तो बचपन म ही बाल सफद होन लगत ह इसस नजल की बीमारी भी होती ह यिद वह िवय नाक की तरफ आता ह तो सगनध-दगरनध का पता नही चल पाता और ज दी-ज दी जकाम हो जाता ह यिद वह िवय कान की तरफ आता ह तो कान बहर होन लगत ह और छोट-मोट ब ीस रोग हो सकत ह यिद वह िवय दात की तरफ आय तो दात छोटी उ म ही िगरन लगत ह यिद आख की तरफ वह िवय उतर तो चम लगन लगत ह जलनित यािन नाक स पानी खीचकर मह स िनकाल दन स वह िवय िनकल जाता ह गल क ऊपर क ायः सभी रोगो स मि िमल जाती ह

आईसबीम खान क बाद चाय पीना दातो क िलए अतयािधक हािनकारक होता ह

भोजन को पीना चािहए तथा पानी को खाना चािहए इसका मतलब यह ह िक भोजन को इतना चबाओ िक वह पानी की तरह पतला हो जाय और पानी अथवा अनय पय पदाथ को धीर-धीर िपयो

िकसी भी कार का पय पदाथर पीना हो तो दाया नथना बनद करक िपय इसस वह अमत जसा हो जाता ह यिद दाया ःवर(नथना) चाल हो और पानी आिद िपय तो जीवनशि (ओज) पतली होन लगती ह चयर की रकषा क िलए शरीर को तनदरःत रखन क िलए यह योग करना चािहए

तम चाह िकतनी भी महनत करो िकनत िजतना तमहारी नसो म ओज ह चयर की शि ह उतन ही तम सफल होत हो जो चाय-कॉफी आिद पीत ह उनका ओज पतला होकर पशाब ारा न होता जाता ह अतः चयर की रकषा क िलए चाय-कॉफी जस वयसनो स दर रहना रह

पढ़न क बाद थोड़ी दर शात हो जाना चािहए जो पढ़ा ह उसका मनन करो िशकषक ःकल म जब पढ़ात हो तब धयान स सनो उस व मःती-मजाक नही करना चािहए िवनोद-मःती कम स कम करो और समझन की कोिशश अिधक करो

जो सय दय क पवर नही उठता उसक ःवभाव म तमस छा जाता ह जो सय दय क पवर उठता ह उसकी बि शि बढ़ती ह

नीद म स उठकर तरत भगवान का धयान करो आतमःनान करो धयान म रिच नही होती तो समझना चािहए िक मन म दोष ह उनह िनकालन क िलए कया करना चािहए

मन को िनद ष बनान क िलए सबह-शाम माता-िपता को णाम करना चािहए गरजनो को णाम करना चािहए एव भगवान क नाम का जप करना चािहए भगवान स ाथरना करनी चािहए िक ह भगवान ह मर भ मरी धयान म रिच होन लग ऐसी कपा कर दो िकसी समय गद िवचार िनकल आय तो समझना चािहए िक अदर छप हए िवचार िनकल रह ह अतः खश होना चािहए िवचार आया और गया मर राम तो दय म ही ह ऐसी भावना करनी चािहए

िनदा करना तो अचछा नही ह िकनत िनदा सनना भी उिचत नही (अनबम)

शयन की रीत मनय को िकस ढग स सोना चािहए इसका भी तरीका होता ह सोत व पवर अथवा

दिकषण िदशा की ओर िसर करक ही सोना चािहए

भोजन करन क बाद िदन म दस िमनट आराम कर िकनत सोय नही भोजन क बाद दस िमनट बायी करवट लट सकत ह रािऽ को जागरण िकया हो इस कारण स कभी िदन म सोना पड़ वह अलग बात ह

सोत व नीच कोई गमर कबल आिद िबछाकर सोय तािक आपकी जीवनशि अिथग न हो जाय आपक शरीर की िव तशि भिम म न उतर जाय

(अनबम)

ःनान का तरीका शरीर की मजबती एव आरो यता क िलए रगड़-रगड़कर ःनान करना चािहए जो लोग

ठड दशो म रहत ह उनका ःवाःथय गमर दस क लोगो की अपकषा अचछा होता ह ठडी स अपना शरीर सधरता ह

ःनान करत व 12-15 िलटर पानी बा टी म लकर पहल उसम िसर डबाना चािहए िफर पर िभगोना चािहए पहल पर गील नही करन चािहए शरीर की गम ऊपर की ओर चढ़ती ह जो ःवाःथय क िलए हािनकारक होती ह

अतः पहल ठड पानी की बा टी भर ल िफर मह म पानी भरकर िसर को बा टी म डाल और आख पटपटाए इसस आखो की शि बढ़ती ह शरीर को रगड़-रगड़कर नहाए बाद म गील व स शरीर को रगड़-रगड़कर पोछ िजसस रोम कप का सारा मल बाहर िनकल जाय और रोमकप(तवचा क िछि) खल जायय तवचा क िछि बद रहन स ही तवचा की कई बीमािरया होती ह िफर सख कपड़ स शरीर को पोछ कर (अथवा थोड़ा गीला हो तब भी चल) सख साफ व पहन ल व भल साद हो िकनत साफ हो बासी कपड़ नही पहन हमशा धल हए कपड़ ही पहन इसस मन भी सनन रहता ह

पाच कार क ःनान होत हः ःनान दवःनान ऋिषःनान मानवःनान दानवःनान ःनानः -परमातमा का िचतन करक जल थल नहान वाला

ऐसा िचतन करक ा महतर म नहाना इस ःनान कहत ह दवःनानः दवनिदयो म ःनान या दवनिदयो का ःमरण करक सय दय स पवर नहाना यह

दवःनान ह ऋिषःनानः आकाश म तार िदखत हो और नहा ल यह ऋिषःनान ह ऋिषःनान करन

वाल की बि बड़ी तजःवी होती ह मानवःनानः सय दय क पवर का ःनान मानवःनान ह

दानवःनानः सय दय क प ात चाय पीकर नाता करक आठ नौ बज नहाना यह दानव ःनान ह

अतः हमशा ऋिषःनान करन का ही यास करना चािहए (अनबम)

ःवचछता का धयान यिद शरीर की सफाई रखी जाय तो मन भी सनन रहता ह आजकल अिधकतर लोग

श स ही मजन करत ह श की अपकषा नीम और बबल की दातौन जयादा अचछ होती ह और यिद श भी कर तो कभी-कभार श को गमर पानी स धोना चािहए अनयथा उसम बकटिरया(जीवाण) रह जात ह

िकतन ही लोग उगली स दात साफ करत ह तजरनी (अगठ क पास वाली थम उगली) स दात िघसन स मसड़ कमजोर हो जात ह तथा दात ज दी िगर जात ह कयोिक तजरनी म िव तशि का माण दसरी उगिलयो की अपकषा अिधक होता ह अतः उसस दात नही िघसन चािहए एव आखो को भी नही मसलना चािहए

िजस िदशा स हवा आती हो उस िदशा की ओर मह करक कभी-भी मलमऽ का िवसजरन नही करना चािहए सयर और चनिमा की ओर मख करक भी मलमऽ का िवसजरन नही करना चािहए

(अनबम)

ःमरणशि का िवकास यादशि बढ़ान का एक सनदर योग ह ETH ामरी ाणायाम सखासन प ासन या

िस ासन पर बठ हाथ की कोहनी की ऊचाई कनध तक रह इस कार रखकर हाथ की थम उगली(तजरनी) स दोनो कानो को धीर-स बद कर एकदम जोर स बद न कर िकनत बाहर का कछ सनाई न द इस कार धीर स कान बनद कर

अब गहर ास लकर थोड़ी दर रोक ओठ बद रखकर जस मर का गजन होता ह वस ॐsssss कहत हए गजन कर उसक बाद थोड़ी दर तक ास न ल पनः यही िबया दहराय ऐसा सबह एव शाम 8 स 10 बार कर यादशि बढ़ान का यह यौिगक योग ह इसस मिःतक की नािड़यो का शोधन होकर मिःतक म र सचार उिचत ढग स होता ह

और िवचार करन स भी बि शि का िवकास होता ह

सबह खाली पट तलसी क प एकाध काली िमचर चबाकर एक िगलास पानी पीन स भी ःमरणशि का िवकास होता ह रोग-ितकारक शि बढ़ती ह कनसर की बीमारी कभी नही होती जलदर-भगदर की बीमारी भी कभी नही होती

(अनबम)

वयि तव और वयवहार िकसी भी वयि तव का पता उसक वयवहार स ही चलता ह कई लोग वयथर च ा करत

ह एक होती ह सकाम च ा दसरी होती ह िनकाम च ा और तीसरी होती ह वयथर च ा वयथर च ा नही करनी चािहए िकसी क शरीर म कोई कमी हो तो उसका मजाक नही उड़ाना चािहए वरन उस मददरप बनना चािहए यह िनकाम सवा ह

िकसी की भी िनदा नही करनी चािहए िनदा करन वाला वयि िजसकी िनदा करता ह उसका तो इतना अिहत नही होता िजतना वह अपना अिहत करता ह जो दसरो की सवा करता ह दसरो क अनकल होता ह वह दसरो का िजतना िहत करता ह उसकी अपकषा उसका खद का िहत जयादा होता ह

अपन स जो उ स बड़ हो जञान म बड़ हो तप म बड़ हो उनका आदर करना चािहए िजस मनय क साथ बात करत हो वह मनय कौन ह यह जानकर बात करो तो आप वयवहार-कशल कहलाओग

िकसी को पऽ िलखत हो तो यिद अपन स बड़ हो तो ौी सबोधन करक िलखो सबोधन करन स सवाकयो की रचना स िश ता बढ़ती ह िकसी स बात करो तो सबोधन करक बात करो जो तकार स बात करता ह वह अिश कहलाता ह िश तापवरक बात करन स अपनी इजजत बढ़ती ह

िजसक जीवन म वयवहार-कशलता ह वह सभी कषऽो म सफल होता ह िजसम िवनता ह वही सब कछ सीख सकता ह िवनता िव ा बढ़ाती ह िजसक जीवन म िवनता नही ह समझो उसक सब काम अधर रह गय और जो समझता ह िक म सब कछ जानता ह वह वाःतव म कछ नही जानता

एक िचऽकार अपन गरदव क सममख एक सनदर िचऽ बनाकर लाया गर न िचऽ दखकर कहाः

वाह वाह सनदर ह अदभत ह

िशय बोलाः गरदव इसम कोई ऽिट रह गयी हो तो कपा करक बताइए इसीिलए म आपक चरणो म आया ह

गरः कोई ऽिट नही ह मझस भी जयादा अचछा बनाया ह

वह िशय रोन लगा उस रोता दखकर गर न पछाः तम कयो रो रह हो म तो तमहारी शसा कर रहा ह

िशयः गरदव मरी घड़ाई करन वाल आप भी यिद मरी शसा ही करग तो मझ मरी गि तया कौन बतायगा मरी गित कस होगी

यह सनकर गर अतयत सनन हो गय हमन िजतना जाना िजतना सीखा ह वह तो ठ क ह उसस जयादा जान सक सीख सक

ऐसा हमारा यास होना चािहए रामकण परमहस व हो गय थ िकसी न उनस पछाः बाबा जी आपन सब कछ जान

िलया ह

रामकण परमहसः नही म जब तक जीऊगा तब तक िव ाथ ही रहगा मझ अभी बहत कछ सीखना बाकी ह

िजनक पास सीखन को िमल उनस िवनतापवरक सीखना चािहए जो कछ सीखो सावधानीपवरक सीखो जीवन म िवनोद जररी ह िकनत िवनोद की अित न हो िजस समय पढ़त हो कछ सीखत हो कछ करत हो उस समय मःती नही िवनोद नही वरन जो कछ पढ़ो सीखो या करो उस उतसाह स धयान स और सावधानी स करो

पढ़न स पवर थोड़ धयानःथ हो जाओ पढ़न क बाद मौन हो जाओ यह गित की चाबी ह

माता-िपता स िचढ़ना नही चाह िजस मा-बाप न जनम िदया ह उनकी बातो को समझना चािहए अपन िलए उनक मन म िवशष दया हो िवशष म उतपनन हो ऐसा वयवहार करना चािहए

भल जाओ भल सब कछ माता-िपता को भलना नही अनिगनत उपकार ह उनक यह कभी िबसरना नही

माता-िपता को सतोष हो उनका दय सनन हो ऐसा हमारा वयवहार होना चािहए अपन माता-िपता एव गरजनो को सत रखकर ही हम सचची गित कर सकत ह

(अनबम)

  • पजय बाप जी का उदबोधन
  • कदम अपना आग बढाता चला जा
  • त गलाब होकर महक
  • जीवन विकास का मल सयम
  • तरिकाल सधया
  • शरीर सवासथय
  • अनन का परभाव
  • भारतीय ससकति की महानता
  • हरिदास की हरिभकति
  • बनावटी शरगार स बचो
  • साहसी बालक
  • गर-आजञापालन का चमतकार
  • अनोखी गरदकषिणा
  • सतसग की महिमा
  • पीड पराई जान र
  • विकास क बरियो स सावधान
  • कछ जानन योगय बात
  • शयन की रीत
  • सनान का तरीका
  • सवचछता का धयान
  • समरणशकति का विकास
  • वयकतितव और वयवहार
Page 9: Tu gulabhokarmehak

खलन लग कब डी-कब डी की आवाज भी सनी मरी दखन की इचछा हई परनत मझ याद आया िक सयम

मर मन की शि बढ़ान का पहला योग हो गया सयम मरी ःमरणशि बढ़ान की पहली कजी िमल गई सयम मर जीवन को महान बनान की थम कपा गरजी ारा हई ETH सयम ऐस महान गर की कसौटी स उस पाच वषर की छोटी-सी वय म पार होना था अगर म अन ीणर हो जाता तो िफर घर पर मर िपताजी मझ बहत छोटी दि स दखत

सब बचच खल कर चल गय िकनत मन आख नही खोली थोड़ी दर क बाद गड़ और शककर की चासनी बनाकर मर आसपास उड़ल दी गई मर घटनो पर मरी जाघ पर भी चासनी की कछ बद डाल दी ग जी चाहता था िक आख खोलकर दख िक अब कया होता ह िफर गरजी की आजञा याद आयी िक आख मत खोलना अपनी आख पर अपन मन पर सयम शरीर पर चीिटया चलन लगी लिकन याद था िक पास होन क िलए सयम ज़ररी ह

तीन घट बीत गय तब गरजी आय और बड़ म स बोलः पऽ उठो उठो तम इस परीकषा म उ ीणर रह शाबाश ह तमह

ऐसा कहकर गरजी न ःवय अपन हाथो स मझ उठाया गरकल म वश िमल गया गर क आौम म वश अथारत भगवान क राजय म वश िमल गया िफर गर की आजञा क अनसार कायर करत-करत इस ऊचाई तक पहच गया

इस कार मझ महान बनान म म य भिमका सयम की ही रही ह यिद बा यकाल स ही िपता की आजञा को न मान कर सयम का पालन न करता तो आज न जान कहा होता सचमच सयम म अदभत सामथयर ह सयम क बल पर दिनया क सार कायर सभव ह िजतन भी महापरष सतपरष इस दिनया म हो चक ह या ह उनकी महानता क मल म उनका सयम ही ह

वकष क मल म उसका सयम ह इसी स उसक प हर-भर ह फल िखलत ह फल लगत ह और वह छाया दता ह वकष का मल अगर सयम छोड़ द तो प सख जायग फल कमहला जाएग फल न हो जाएग वकष का जीवन िबखर जायगा

वीणा क तार सयत ह इसी स मधर ःवर गजता ह अगर वीणा क तार ढील कर िदय जाय तो व मधर ःवर नही आलापत

रल क इजन म वाप सयत ह तो हजारो यािऽयो को दर सदर की याऽा करान म वह वाप सफल होती ह अगर वाप का सयम टट जाय इधर-उधर िबखर जाय तो रलगाड़ी दोड़ नही सकती ऐस ही ह मानव महान बनन की शतर यही ह ETH सयम सदाचार हजार बार असफल होन पर भी िफर स परषाथर कर अवय सफलता िमलगी िहममत न हार छोटा-छोटा सयम का ोत आजमात हए आग बढ़ और महान हो जा

(अनबम)

िऽकाल सधया जीवन को यिद तजःवी बनाना हो सफल बनाना हो उननत बनाना हो तो मनय को

िऽकाल सधया ज़रर करनी चािहए ातःकाल सय दय स दस िमनट पहल और दस िमनट बाद म दोपहर को बारह बज क दस िमनट पहल और दस िमनट बाद म तथा सायकाल को सयारःत क पाच-दस िमनट पहल और बाद म यह समय सिध का होता ह इस समय िकया हआ ाणायाम जप और धयान बहत लाभदायक होता ह जो मनय सषमना क ार को खोलन म भी सहयोगी होता ह सषमना का ार खलत ही मनय की छपी हई शि या जामत होन लगती ह

ाचीन ऋिष-मिन िऽकाल सधया िकया करत थ भगवान विश भी िऽकाल सधया करत थ और भगवान राम भी िऽकाल सधया करत थ भगवान राम दोपहर को सधया करन क बाद ही भोजन करत थ

सधया क समय हाथ-पर धोकर तीन च ल पानी पीकर िफर सधया म बठ और ाणायाम कर जप कर तो बहत अचछा अगर कोई आिफस म ह तो वही मानिसक रप स कर ल तो भी ठ क ह लिकन ाणायाम जप और धयान कर ज़रर

जस उ ोग करन स परषाथर करन स दिरिता नही रहती वस ही ाणायाम करन स पाप कटत ह जस य करन स धन िमलता ह वस ही ाणायाम करन स आतिरक सामथयर आतिरक बल िमलता ह छादो य उपिनषद म िलखा ह िक िजसन ाणायाम करक मन को पिवऽ िकया ह उस ही गर क आिखरी उपदश का रग लगता ह और आतम-परमातमा का साकषातकार हो जाता ह

मनय क फफड़ो तीन हजार छोट-छोट िछि होत ह जो लोग साधारण रप स ास लत ह उनक फफड़ो क कवल तीन सौ स पाच सौ तक क िछि ही काम करत ह बाकी क बद पड़ रहत ह िजसस शरीर की रोग ितकारक शि कम हो जाती ह मनय ज दी बीमार और बढ़ा हो जाता ह वयसनो एव बरी आदतो क कारण भी शरीर की शि जब िशिथल हो जाती ह रोग-ितकारक शि कमजोर हो जाती ह तो िछि बद पड़ होत ह उनम जीवाण पनपत ह और शरीर पर हमला कर दत ह िजसस दमा और टीबी की बीमारी होन की सभावना बढ़ जाती ह

परनत जो लोग गहरा ास लत ह उनक बद िछि भी खल जात ह फलतः उनम कायर करन की कषमता भी बढ़ जाती ह तथा र श होता ह नाड़ी भी श रहती ह िजसस मन भी सनन रहता ह इसीिलए सबह दोपहर और शाम को सधया क समय ाणायाम करन का िवधान ह ाणायाम स मन पिवऽ होता ह एकाम होता ह िजसस मनय म बहत बड़ा सामथयर आता ह

यिद मन य दस-दस ाणायाम तीनो समय कर और शराब मास बीड़ी व अनय वयसनो एव फशनो म न पड़ तो चालीस िदन म तो मनय को अनक अनभव होन लगत ह कवल चालीस िदन योग करक दिखय शरीर का ःवाःथय बदला हआ िमलगा मन बदला हआ िमलगा जठरा दी होगी आरो यता एव सननता बढ़गी और ःमरण शि म जादई िवकास होगा

ाणायाम स शरीर क कोषो की शि बढ़ती ह इसीिलए ऋिष-मिनयो न िऽकाल सधया की वयवःथा की थी रािऽ म अनजान म हए पाप सबह की सधया स दर होत ह सबह स दोपहर तक क दोष दोपहर की सधया स और दोपहर क बाद अनजान म हए पाप शाम की सधया करन स न हो जात ह तथा अतःकरण पिवऽ होन लगता ह

आजकल लोग सधया करना भल गय ह िनिा क सख म लग हए ह ऐसा करक व अपनी जीवन शि को न कर डालत ह

ाणायाम स जीवन शि का बौि क शि का एव ःमरण शि का िवकास होता ह ःवामी रामतीथर ातःकाल म ज दी उठत थोड़ ाणायाम करत और िफर ाकितक वातावरण म घमन जात परमहस योगानद भी ऐसा करत थ

ःवामी रामतीथर बड़ कशाम बि क िव ाथ थ गिणत उनका िय िवषय था जब व पढ़त थ उनका तीथरराम था एक बार परीकषा म 13 िदय गय िजसम स कवल 9 हल करन थ तीथरराम न 13 क 13 हल कर िदय और नीच एक िट पणी (नोट) िलख दी 13 क 13 सही ह कोई भी 9 जाच लो इतना दढ़ था उनका आतमिव ास

ाणायाम क अनक लाभ ह सधया क समय िकया हआ ाणायाम जप और धयान अनत गणा फल दता ह अिमट प यपज दन वाला होता ह सधया क समय हमारी सब नािड़यो का मल आधार जो सषमना नाड़ी ह उसका ार खला होता ह इसस जीवन शि क डिलनी शि क जागरण म सहयोग िमलता ह उस समय िकया हआ धयान-भजन प यदायी होता ह अिधक िहतकारी और उननित करन वाला होता ह वस तो धयान-भजन कभी भी करो प यदायी होता ही ह िकनत सधया क समय उसका उसका भाव और भी बढ़ जाता ह िऽकाल सधया करन स िव ाथ भी बड़ तजःवी होत ह

अतएव जीवन क सवागीण िवकास क िलए मनयमाऽ को िऽकाल सधया का सहारा लकर अपना नितक सामािजक एव आधयाितमक उतथान करना चािहए

(अनबम)

शरीर ःवाःथय

लोकमानय ितलक जब िव ाथ अवःथा म थ तो उनका शरीर बहत दबला पतला और कमजोर था िसर पर फोड़ा भी था उनहोन सोचा िक मझ दश की आजादी क िलए कछ काम करना ह माता-िपता एव समाज क िलए कछ करना ह तो शरीर तो मजबत होना ही चािहए और मन भी दढ होना चािहए तभी म कछ कर पाऊगा अगर ऐसा ही कमजोर रहा तो पढ़-िलखकर ा िकय हए माण-पऽ भी कया काम आयग

जो लोग िसकड़कर बठत ह झककर बठत ह उनक जीवन म बहत बरकत नही आती जो सीध होकर िःथर होकर बठत ह उनकी जीवन-शि ऊपर की ओर उठती ह व जीवन म सफलता भी ा करत ह

ितलक न िन य िकया िक भल ही एक साल क िलए पढ़ाई छोड़नी पड़ तो छोडगा लिकन शरीर और मन को सदढ़ बनाऊगा ितलक यह िन य करक शरीर को मजबत और मन को िनभ क बनान म जट गय रोज़ सबह-शाम दोड़ लगात ाणायाम करत तरन जात मािलश करत तथा जीवन को सयमी बनाकर चयर की िशकषावाली यौवन सरकषा जसी पःतक पढ़त सालभर म तो अचछा गठ ला बदन हो गया का पढ़ाई-िलखाई म भी आग और लोक-क याण म भी आग राममितर को सलाह दी तो राममितर न भी उनकी सलाह ःवीकार की और पहलवान बन गय

बाल गगाधर ितलक क िव ाथ जीवन क सक प को आप भी समझ जाना और अपन जीवन म लाना िक शरीर सदढ़ होना चािहए मन सदढ़ होना चािहए तभी मनय मनचाही सफलता अिजरत कर सकता ह

ितलक जी स िकसी न पछाः आपका वयि तव इतना भावशाली कस ह आपकी ओर दखत ह तो आपक चहर स अधयातम एकामता और तरणाई की तरलता िदखाई दती ह ःवराजय मरा जनमिस अिधकार ह ऐसा जब बोलत ह तो लोग दग रह जात ह िक आप िव ाथ ह यवक ह या कोई तजपज ह आपका ऐसा तजोमय वयि तव कस बना

तब ितलक न जवाब िदयाः मन िव ाथ जीवन स ही अपन शरीर को मजबत और दढ़ बनान का यास िकया था सोलह साल स लकर इककीस साल तक की उ म शरीर को िजतना भी मजबत बनाना चाह और िजतना भी िवकास करना चाह हो सकता ह

इसीिलए िव ाथ जीवन म इस बार पर धयान दना चािहए िक सोलह स इककीस साल तक की उ शरीर और मन को मजबत बनान क िलए ह

म (परम पजय गरदव आसारामजी बाप) जब चौदह-पनिह वषर का था तब मरा कद बहत छोटा था लोग मझ टणी (िठग) कहकर बलात तो मझ बरा लगता ःवािभमान तो होना ही चािहए टणी ऐसा नाम ठ क नही ह वस तो िव ाथ -काल म भी मरा हसमखा ःवभाव था इसस िशकषको न मरा नाम आसमल क बदल हसमखभाई ऱख िदया था लिकन कद छोटा था तो िकसी न टणी कह िदया जो मझ बरा लगा दिनया म सब कछ सभव ह तो टणी कयो

रहना म काकिरया तालाब पर दौड़ लगाता प लअ स करता और 30-40 माम मकखन म एक-दो माम कालीिमचर क टकड़ डालकर िनगल जाता चालीस िदन तक ऐसा योग िकया अब म उस वयि स िमला िजसन 40 िदन पहल टणी कहा था तो वह दखकर दग रह गया

आप भी चाहो तो अपन शरीर क ःवःथ रख सकत हो शरीर को ःवःथ रखन क कई तरीक ह जस धनवनतरी क आरो यशा म एक बात आती ह - उषःपान

उषःपान अथारत सय दय क पहल या सय दय क समय रात का रखा हआ पानी पीना इसस आतो की सफाई होती ह अजीणर दर होता ह तथा ःवाःथय की भी रकषा होती ह उसम आठ च ल भरकर पानी पीन की बात आयी ह आठ च ल पानी यािन िक एक िगलास पानी चार-पाच तलसी क प चबाकर सय दय क पहल पानी पीना चािहए तलसी क प सय दय क बाद तोड़न चािहए व सात िदन तक बासी नही मान जात

शरीर तनदरःत होना चािहए रगड़-रगड़कर जो नहाता ह और चबा-चबाकर खाता ह जो परमातमा का धयान करता ह और सतसग म जाता ह उसका बड़ा पार हो जाता ह

(अनबम)

अनन का भाव हमार जीवन क िवकास म भोजन का अतयिधक मह व ह वह कवल हमार तन को ही

प नही करता वरन हमार मन को हमारी बि को हमार िवचारो को भी भािवत करता ह कहत भी हः

जसा खाओ अनन वसा होता ह मन महाभारत क य म पहल दसर तीसर और चौथ िदन कवल कौरव-कल क लोग ही

मरत रह पाडवो क एक भी भाई को जरा-सी भी चोट नही लगी पाचवा िदन हआ आिखर दय धन को हआ िक हमारी सना म भीम िपतामह जस यो ा ह िफर भी पाडवो का कछ नही िबगड़ता कया कारण ह व चाह तो य म कया स कया कर सकत ह िवचार करत-करत आिखर वह इस िनकषर पर आया िक भीम िपतामह परा मन लगाकर पाडवो का मलोचछद करन को तयार नही हए ह इसका कया कारण ह यह जानन क िलए सतयवादी यिधि र क पास जाना चािहए उसस पछना चािहए िक हमार सनापित होकर भी व मन लगाकर य कयो नही करत

पाडव तो धमर क पकष म थ अतः दय धन िनःसकोच पाडवो क िशिवर म पहच गया वहा पर पाडवो न यथायो य आवभगत की िफर दय धन बोलाः

भीम अजरन तम लोग जरा बाहर जाओ मझ कवल यिधि र स बात करनी ह

चारो भाई यिधि र क िशिवर स बाहर चल गय िफर दय धन न यिधि र स पछाः यिधि र महाराज पाच-पाच िदन हो गय ह हमार कौरव-पकष क लोग ही मर रह ह

िकनत आप लोगो का बाल तक बाका नही होता कया बात ह चाह तो दवोत भीम तफान मचा सकत ह

यिधि रः हा मचा सकत ह

दय धनः व चाह तो भीण य कर सकत ह पर नही कर रह ह कया आपको लगता ह िक व मन लगाकर य नही कर रह ह

सतयवादी यिधि र बोलः हा गगापऽ भीम मन लगाकर य नही कर रह ह

दय धनः भीम िपतामह मन लगाकर य नही कर रह ह इसका कया कारण होगा

यिधि रः व सतय क पकष म ह व पिवऽ आतमा ह अतः समझत ह िक कौन सचचा ह और कौन झठा कौन धमर म ह तथा कौन अधमर म व धमर क पकष म ह इसिलए उनका जी चाहता ह िक पाडव पकष की जयादा खन-खराबी न हो कयोिक व सतय क पकष म ह

दय धनः व मन लगाकर य कर इसका उपाय कया ह

यिधि रः यिद व सतय ETH धमर का पकष छोड़ दग उनका मन ग त जगह हो जाएगा तो िफर व य करग

दय धनः उनका मन य म कस लग

यिधि रः यिद व िकसी पापी क घर का अनन खायग तो उनका मन य म लग जाएगा

दय धनः आप ही बताइय िक ऐसा कौन सा पापी होगा िजसक घर का अनन खान स उनका मन सतय क पकष स हट जाय और व य करन को तयार हो जाय

यिधि रः सभा म भीम िपतामह गर िोणाचायर जस महान लोग बठ थ िफर भी िोपदी को न न करन की आजञा और जाघ ठोकन की द ता तमन की थी ऐसा धमर-िवर और पापी आदमी दसरा कहा स लाया जाय तमहार घर का अनन खान स उनकी मित सतय और धमर क पकष स नीच जायगी िफर व मन लगाकर य करग

दय धन न यि पा ली कस भी करक कपट करक अपन यहा का अनन भीम िपतामह को िखला िदया भीम िपतामह का मन बदल गया और छठव िदन स उनहोन घमासान य करना आरभ कर िदया

कहन का तातपयर यह ह िक जसा अनन होता ह वसा ही मन होता ह भोजन कर तो श भोजन कर मिलन और अपिवऽ भोजन न कर भोजन क पहल हाथ-पर जरर धोय भोजन साितवक हो पिवऽ हो सननता दन वाला हो तनदरःती बढ़ान वाला हो

आहारश ौ स वशि ः

िफर भी ठस-ठस कर भोजन न कर चबा-चबाकर ही भोजन कर भोजन क समय शात एव सननिच रह भ का ःमरण कर भोजन कर जो आहार खान स हमारा शरीर तनदरःत रहता हो वही आहार कर और िजस आहार स हािन होती हो ऐस आहार स बच खान-पान म सयम स बहत लाभ होता ह

भोजन महनत का हो साि वक हो लहसन याज मास आिद और जयादा तल-िमचर-मसाल वाला न हो उसका िनिम अचछा हो और अचछ ढग स सनन होकर भगवान को भोग लगाकर िफर भोजन कर तो उसस आपका भाव पिवऽ होगा र क कण पिवऽ होग मन पिवऽ होगा िफर सधया-ाणायाम करग तो मन म साि वकता बढ़गी मन म सननता तन म आरो यता का िवकास होगा आपका जीवन उननत होता जायगा

महनत मजदरी करक िवलासी जीवन िबताकर या कायर होकर जीन क िलय िज़दगी नही ह िज़दगी तो चतनय की मःती को जगाकर परमातमा का आननद लकर इस लोक और परलोक म सफल होन क िलए ह मि का अनभव करन क िलए िज़दगी ह

भोजन ःवाःथय क अनकल हो ऐसा िवचार करक ही महण कर तथाकिथत वनःपित घी की अपकषा तल खाना अिधक अचछा ह वनःपित घी म अनक रासायिनक पदाथर डाल जात ह जो ःवाःथय क िलए िहतकर नही होत ह

ए यमीिनयम क बतरन म खाना यह पट को बीमार करन जसा ह उसस बहत हािन होती ह कनसर तक होन की समभावना बढ़ जाती ह ताब पीतल क बतरन कलई िकय हए हो तो अचछा ह ए यमीिनयम क बतरन म रसोई नही बनानी चािहए ए यमीिनयम क बतरन म खाना भी नही चािहए

आजकल अ ड खान का चलन समाज म बहत बढ़ गया ह अतः मनयो की बि भी वसी ही हो गयी ह वजञािनको न अनसधान करक बताया ह िक 200 अ ड खान स िजतना िवटािमन सी िमलता ह उतना िवटािमन सी एक नारगी (सतरा) खान स िमल जाता ह िजतना ोटीन कि शयम अ ड म ह उसकी अपकषा चन मग मटर म एयादा ोटीन ह टमाटर म अ ड स तीन गणा कि शयम एयादा ह कल म स कलौरी िमलती ह और भी कई िवटािमनस कल म ह

िजन ािणयो का मास खाया जाता ह उनकी हतया करनी पड़ती ह िजस व उनकी हतया की जाती ह उस व व अिधक स अिधक अशात िखनन भयभीत उि न और ब होत ह अतः मास खान वाल को भी भय बोध अशाित उ ग इस आहार स िमलता ह शाकाहारी भोजन म सपाचय तत होत ह मास म व नही होत अतः मासाहारी भोजन को पचान क जीवन शि का एयादा वयय होता ह ःवाःथय क िलय एव मानिसक शाित आिद क िलए प यातमा होन की दि स भी शाकाहारी भोजन ही करना चािहए

शरीर को ःथल करना कोई बड़ी बात नही ह और न ही इसकी ज़ररत ह लिकन बि को सआम करन की ज़ररत ह आहार यिद साि वक होगा तो बि भी सआम होगी इसिलए सदव साि वक भोजन ही करना चािहए

(अनबम)

भारतीय सःकित की महानता रवरनड ऑवर नाम का एक पादरी पना म िहनद धमर की िननदा और ईसाइयत का चार

कर रहा था तब िकसी सजजन न एक बार रवरनड ऑवर स कहाः आप िहनद धमर की इतनी िननदा करत हो तो कया आपन िहनद धमर का अधययन िकया

ह कया भारतीय सःकित को परी तरह स जानन की कोिशश की ह आपन कभी िहनद धमर को समझा ही नही जाना ही नही ह िहनद धमर म तो ऐस जप धयान और सतसग की बात ह िक िजनह अपनाकर मनय िबना िवषय-िवकारी क िबना िडःको डास(नतय) क भी आराम स रह सकता ह आनिदत और ःवःथ रह सकता ह इस लोक और परलोक दोनो म सखी रह सकता ह आप िहनद धमर को जान िबना उसकी िनदा करत हो यह ठ क नही ह पहल िहनद धमर का अधययन तो करो

रवरनड ऑवर न उस सजजन की बात मानी और िहनद धमर की पःतको को पढ़न का िवचार िकया एकनाथजी और तकारामजी का जीवन चिरऽ जञान र महाराज की योग सामथयर की बात और कछ धािमरक पःतक पढ़न स उस लगा िक भारतीय सःकित म तो बहत खजाना ह मनय की जञा को िदवय करन की मन को सनन करन की और तन क र कणो को भी बदलन की इस सःकित म अदभत वयवःथा ह हम नाहक ही इन भोल-भाल िहनदःतािनयो को अपन चगल म फसान क िलए इनका धमरपिरवतरन करवात ह अर हम ःवय तो अशािनत की आग म जल ही रह ह और इनह भी अशात कर रह ह

उसन ायि -ःवरप अपनी िमशनरी रो तयागपऽ िलख भजाः िहनदःतान म ईसाइयत फलान की कोई ज़ररत नही ह िहनद सःकित की इतनी महानता ह िवशषता ह िक ईसाइय को चािहए िक उसकी महानता एव सतयता का फायदा उठाकर अपन जीवन को साथरक बनाय िहनद धमर की सतयता का फायदा दश-िवदश म पहच मानव जाित को सख-शाित िमल इसका यास हम करना चािहए

म भारतीय इितहास सशोधन म डल क मर आठ लाख डॉलर भट करता ह और तमहारी िमशनरी को सदा क िलए तयागपऽ दकर भारतीय सःकित की शरण म जाता ह

जस रवर ड ऑवर न भारतीय सःकित का अधययन िकया ऐस और लोगो को भी जो िहनद धमर की िनदा करत ह भारतीय सःकित का पकषपात और पवरमहरिहत अधययन करना चािहए मनय की सष शि या व आनद जगाकर ससार म सख-शाित आनद सननता का चार-सार करना चािहए

मा सीता की खोज करत-करत हनमान जामबत अगद आिद ःवयभा क आौम म पहच उनह जोरो की भख और यास लगी थी उनह दखकर ःवयभा न कह िदया िकः

कया तम हनमान हो ौीरामजी क दत हो सीता जी की खोज म िनकल हो

हनमानजी न कहाः हा मा हम सीता माता की खोज म इधर तक आय ह

िफर ःवयभा न अगद की ओर दखकर कहाः तम सीता जी को खोज तो रह हो िकनत आख बद करक खोज रह हो या आख

खोलकर

अगद जरा राजवी परष था बोलाः हम कया आख बनद करक खोजत होग हम तो आख खोलकर ही माता सीता की खोज कर रह ह

ःवयभा बोलीः सीताजी को खोजना ह तो आख खोलकर नही बद करक खोजना होगा सीता जी अथारत भगवान की अधािगनी सीताजी यानी िव ा आतमिव ा िव ा को खोजना ह तो आख खोलकर नही आख बद करक ही खोजना पड़गा आख खोलकर खोजोग तो सीताजी नही िमलगी तम आख बनद करक ही सीताजी ( िव ा) को पा सकत हो ठहरो म तमह बताती ह िक सीता जी कहा ह

धयान करक ःवयभा न बतायाः सीताजी यहा कही भी नही वरन सागर पार लका म ह अशोकवािटका म बठ ह और राकषिसयो स िघरी ह उनम िऽजटा नामक राकषसी ह तो रावण की सिवका िकनत सीताजी की भ बन गयी ह सीताजी वही रहती ह

वारन सोचन लग िक भगवान राम न तो एक महीन क अदर सीता माता का पता लगान क िलए कहा था अभी तीन स ाह स एयादा समय तो यही हो गया ह वापस कया मह लकर जाए सागर तट तक पहचत-पहचत कई िदन लग जाएग अब कया कर

उनक मन की बात जानकर ःवयभा न कहाः िचनता मत करो अपनी आख बद करो म योगबल स एक कषण म तमह वहा पहचा दती ह

हनमान अगद और अनय वानर अपनी आख बनद करत ह और ःवयभा अपनी योगशि स उनह सागर-तट पर कछ ही पल म पहचा दती ह

ौीरामचिरतमानस म आया ह िक ETH

ठाड़ सकल िसध क तीरा ऐसी ह भारतीय सःकित की कषमता

अमिरका को खोजन वाला कोलबस पदा भी नही हआ था उसस पाच हजार वषर पहल अजरन सशरीर ःवगर म गया था और िदवय अ लाया था ऐसी यो यता थी िक धरती क राजा खटवाग दवताओ को मदद करन क िलए दवताओ का सनापितपद सभालत थ ितःमित-िव ा चाकषषी िव ा परकायावश िव ा अ िसि िव ा एव नविनिध ा करान वाली योगिव ा और जीत-जी जीव को बनान वाली िव ा यह भारतीय सःकित की दन ह अनय जगह यह नही िमलती भारतीय सःकित की जो लोग आलोचना करत ह उन बचारो को तो पता ही नही ह िक भारतीय सःकित िकतनी महान ह

गर तगबहादर बोिलयो सनो सीखो बड़भािगयो धड़ दीज धमर न छोिड़य

यवनो न गर गोिबनदिसह क बटो स कहाः तम लोग मसलमान हो जाओ नही तो हम तमह िज़नदा ही दीवार म चनवा दग

बट बोलः हम अपन ाण द सकत ह लिकन अपना धमर नही तयाग सकत

बरो न उन दोनो को जीत-जी दीवार म चनवा िदया जब कारीगर उनह दीवार म चनन लग तब बड़ा भाई बोलता हः धमर क नाम यिद हम मरना ही पड़ता ह तो पहल मरी ओर ट बढ़ा दो तािक म छोट भाई की मतय न दख

छोटा भाई बोलता हः नही पहल मरी ओर ईट बढ़ा दो

कया साहसी थ कया वीर थ वीरता क साथ अपन जीवन का बिलदान कर िदया िकनत धमर न छोड़ा आजकल क लोग तो अपन धमर और सःकित को ही भलत जा रह ह कोई लवर-लवरी धमरपिरवतरन करक लवमरज करत ह अपना िहनद धमर छोड़कर फस मरत ह यह भी कोई िज़नदगी ह भगवान ौीकण कहत ह ETH

ःवधम िनधन ौय परधम भयावहः अपन धमर म मर जाना अचछा ह पराया धमर दःख दन वाला ह भयावह ह नरको म ल

जान वाला ह इसिलए अपन ही धमर म अपनी ही सःकित म जो जीता ह उसकी शोभा ह रवर ड ऑवर न भारतीय सःकित का खब आदर िकया एफ एच मोलम न महातमा

थोरो एव अनय कई पा ातय िचनतको न भी भारतीय सःकित का बहत आदर िकया ह उनक कछ उदगार यहा ःतत हः

बाईबल का मन यथाथर अ यास िकया ह उसम जो िदवय िलखा ह वह कवल गीता क उ रण क रप म ह म ईसाई होत हए भी गीता क ित इतना सारा आदरभाव इसिलए रखता ह िक िजन गढ़ ो का समाधान पा ातय लोग अभी तक नही खोज पाय ह उनका समाधान गीतामनथ न श एव सरल रीित स कर िदया ह उसम कई सऽ अलौिकक उपदशो स भरपर

लग इसीिलए गीता जी मर िलए साकषात योग री माता बन रही ह वह तो िव क तमाम धन स भी नही खरीदा जा सक ऐसा भारतवषर का अम य खजाना ह

- एफ एच मोलम (इगल ड) ाचीन यग की सवर रमणीय वःतओ म गीता स ौ कोई वःत नही ह गीता म ऐसा

उ म और सवरवयापी जञान ह िक उसक रचियता दवता को अस य वषर हो गय िफर भी ऐसा दसरा एक भी मनथ नही िलखा गया

महातमा थोरो (अमिरका) धमर क कषऽ म अनय सब दख दिरि ह जबिक भारत इस िवषय म अरबपित ह

माकर टवन (यएसए) इस पथवी पर सवारिधक पणर िवकिसत मानवजञा कहा ह और जीवन क मह म ो क

हल िकसन खोज ह ऐसा अगर मझस पछा जाए तो म अगिलिनदश करक कहगा िक भारत न ही

मकसमलर (जमरनी) वदानत जसा ऊधवरगामी एव उतथानकारी और एक भी धमर या त वजञान नही ह

शोपनहोअर (जमरनी) िव भर म कवल भारत ही ऐसी ौ महान परमपराए रखता ह जो सिदयो तक जीिवत

रही ह

कनो (ानस) मनय जाित क अिःततव क सबस ारिमभक िदनो स लकर आज तक जीिवत मनय

क तमाम ःव न अगर कही साकार हए हो तो वह ःथान ह भारत

रोमा रोला (ास) भारत दश समपणर मानव जाित की मातभिम ह और सःकत यरोप की सभी भाषाओ की

जननी ह भारत हमार त वजञान गिणतशा एव जनतऽ की जननी ह भारतमाता अनक रप स सभी की जननी ह

िवल डरानट (यएसए) भारतीय सःकित की महानता का एहसास करन वाल इन सब िवदशी िचनतको को हम

धनयवाद दत ह एक बार महातमा थोरो सो रह थ इतन म उनका िशय एमसरन आया दखा िक वहा

साप और िबचछ घम रह ह गरजी क जागन पर एमसरन बोलाः गरदव यह जगह बड़ी खतरनाक ह म िकसी सरिकषत जगह पर आपकी वयवःथा करवा

दता ह

महातमा थोरो बोलः नही नही िचनता करन की कोई ज़ररत नही ह मर िसरहान पर ौीमदभगवदगीता ह भगवदगीता क जञान क कारण तो मझ साप म िबचछ म सबम मरा ही आतमा-परमातमा िदखता ह व मझ नही काटत ह तो म कही कयो जाऊ

िकतनी कह गीता की महानता यही ह भारतीय सःकित की मिहमा अदभत ह उसकी महानता लाबयान ह उसकी मिहमा

(अनबम)

हिरदास की हिरभि सात वष य गौर वणर क गौराग बड़-बड़ िव ान पिडतो स ऐस-ऐस करत थ िक व

दग रह जात थ इसका कारण था गौराग की हिरभि बड़ होकर उनहोन लाखो लोगो को हिरभि म रग िदया

जो हिरभ होता हिर का भजन करता उसकी बि अचछ मागर पर ही जाती ह लोभी वयि पसो क िलए हसता-रोता ह पद एव कस क तो िकतन ही लोग हसत रोत ह पिरवार क िलए तो िकतन ही मोही हसत रोत ह िकनत धनय ह व जो भगवान क िलए रोत हसत ह भगवान क िवरह म िजस रोना आया ह भगवान क िलए िजसका दय िपघलता ह ऐस लोगो का जीवन साथरक हो जाता ह भागवत म भगवान ौीकण उ व स कहत ह-

वाग गदगदा िवत यःय िच

रदतयभीआण हसित कविचचच िवलजज उदगायित नतयत च

मदभि य ो भवन पनाित िजसकी वाणी गदगद हो जाती ह िजसका िच ििवत हो जाता ह जो बार-बार रोन

लगता ह कभी लजजा छोड़कर उचच ःवर स गान लगता ह कभी नाचन लगता ह ऐसा मरा भ समम ससार को पिवऽ करता ह (ौीमदभागवतः 111424)

धनय ह वह मसलमान बालक जो गौराग क कीतरन म आता ह और िजसन गौराग स मऽदीकषा ली ह

उस मसलमान बालक का नाम हिरदास रखा गया मसलमान लोगो न उस हिरभ हिरदास को फसलान की बहत च ा की बहत डराया िक त गौराग क पास जाना छोड़ द नही तो हम यह करग वह करग िकनत हिरदास बहका नही उसका भय न हो गया था दमरित दर हो चकी थी उसकी सदबि और िन ा भगवान क धयान म लग गयी थी भयनाशन दमरित हरण किल म हिर को नाम यह नानक जी का वचन मानो उसक जीवन म साकार हो उठा था

काज़ी न षडयऽ करक उस पर कस िकया और फरमान जारी िकया िक हिरदास को बत मारत-मारत बीच बाजार स ल जाकर यमना म डाल िदया जाय

िनभ क हिरदास न बत की मार खाना ःवीकार िकया िकनत हिरभि छोड़ना ःवीकार न िकया िनि त िदन हिरदास को बत मारत हए ल जाया जान लगा िसपाही बत मारता ह तो हिरदास बोलता हः हिर बोल

हमको हिर बोल बलवाता ह य ल हिर बोल हिर बोल (सटाकसटाक) िसपाही बोलत हः हम तझ बत मारत ह तो कया तझ पीड़ा नही होती त हमस भी हिर

बोल हिर बोल करवाना चाहता ह

हिरदासः पीड़ा तो शरीर को होती ह म तो आतमा ह मझ तो पीड़ा नही होती तम भी यार स एक बार हिर बोल कहो

िसपाहीः ह हम भी हिर बोल कह हमस हिर बोल बलवाता ह ल य हिर बोल (सटाक)

हिरदास सोचता ह िक बत मारत हए भी तो य लोग हिर बोल कह रह ह चलो इनका क याण होगा िसपाही बत मारत जात ह सटाक सटाक और हिरदास हिर बोल बोलता भी जाता ह बलवाता भी जाता ह हिरदास को कई बत पड़न पर भी उसक चहर पर दःख की रखा तक नही िखचती

हवालदार पछता हः हिरदास तझ बत पड़न क बावजद भी तरी आखो म चमक ह चहर पर धयर शाित और सननता झलक रही ह कया बात ह

हिरदासः म बोलता ह हिर बोल तब िसपाही ब होकर भी कहत हः ह हमस भी बलवाता ह हिर बोल हिर बोल हिर बोल तो ल इस बहान भी उनक मह स हिरनाम िनकलता ह दर सवर उनका भी क याण होगा इसी स मर िच म सननता ह

धनय ह हिरदास की हिरभि बर काज़ी क आदश का पालन करत हए िसपाही उस हिरभि स िहनद धमर की दीकषा स चयत करन क िलए बत मारत ह िफर भी वह िनडर हिरभि नही छोड़ता हिर बोल बोलना बद नही करता

व मसलमान िसपाही हिरदास को िहनद धमर की दीकषा क भाव स गौरा क भाव स दर हटाना चाहत थ लिकन वह दर नही हटा बत सहता रहा िकनत हिर बोल बोलना न छोड़ा आिखरकार उन बर िसपाहीयो न हिरदास को उठाकर नदी म बहा िदया

नदी म तो बहा िदया लिकन दखो हिरनाम का भाव मानो यमनाजी न उसको गोद म ल िलया डढ़ मील तक हिरदास पानी म बहता रहा वह शातिच होकर मानो उस पानी म नही हिर की कपा म बहता हआ दर िकसी गाव क िकनार िनकला दसर िदन गौराग की भातफरी म शािमल हो गया लोग आ यरचिकत हो गय िक चमतकार कस हआ

धनय ह वह मसलमान यवक हिरदास जो हिर क धयान म हिर क गान म हिर क कीतरन म गौराग क साथ रहा जस िववकाननद क साथ भिगनी िनविदता न भारत म अधयातम-धणर क चार म लगकर अपना नाम अमर कर िदया वस ही इस मसलमान यवक न हिरकीतरन म हिरधयान म अपना जीवन धनय कर िदया दजरन लोग हिरदास का बाल तक न बाका कर सक जो सचच दय स भगवान का हो जाता ह उसकी हजारो शऽ िमलकर भी कछ हािन नही कर सकत तो उस काज़ी की कया ताकत थी

लोगो न जाकर काज़ी स कहा िक आज हिरदास पनः गौराग की भातफरी म उपिःथत हो गया था काजी अतयनत अहकारी था उसन एक नोिटस भजा एक आदश चतनय महाभ (गौराग) को भजा िक कल स तम भातफरी नही िनकाल सकत तमहारी भातफरी पर बिदश लगाई जाती ह

गौराग न सोचा िक हम िकसी का बरा नही करत िकसी को कोई हािन नही पहचात अर वायम डल क दषण को दर करन क िलए तो शासन पस खचर करता ह िकनत िवचारो क दषण को दर करन क िलए हिरकीतरन जसा हिरभि जसा अमोघ उपाय कौन सा ह भल काजी और शासन की समझ म आय या न आय वातावरण को श करन क साथ-साथ िवचारो का दषण भी दर होना चािहए हम तो कीतरन करग और करवायग

जो लोग डरपोक थ भीर और कायर थ ढील-ढाल थ व बोलः बाबा जी रहन दो रहन दो अपना कया जो करग व भरग अपन तो घर म ही रहकर हिर ॐ हिर ॐ करग

गौराग न कहाः नही इस कार कायरो जसी बात करना ह तो हमार पास मत आया करो

दसर िदन जो डरपोक थ ऐस पाच-दस वयि नही आय बाकी क िहममतवाल िजतन थ व सब आय उनह दखकर और लोग भी जड़

गौराग बोलः आज हमारी भातफरी की पणारहित काजी क घर पर ही होगी

गौराग भ -म डली क साथ कीतरन करत-करत जब बाजार स गज़र तो कछ िहनद एव मसलमान भी कीतरन म जड़ गय उनको भी कीतरन म रस आन लगा व लोग काजी को गािलया दन लग िक काजी बदमाश ह ऐसा ह वसा ह आिद ETH आिद

तब गौराग कहत हः नही शऽ क िलए भी बरा मत सोचो

उनहोन सबको समझा िदया िक काजी क िलए कोई भी अपश द नही कहगा कसी महान ह हमारी िहनद सःकित िजसन हिरदास को बत मारन का आदश िदया उस कवल अपश द कहन क िलए भी गौराग मना कर रह ह इस भारती सःकित म िकतनी उदारता ह स दयता ह लिकन कायरता को कही भी ःथान नही ह

गौराग कीतरन करत-करत काजी क घर क िनकट पहच गय काजी घर की छत पर स इस भातफरी को दखकर दग रह गया िक मर मना करन पर भी इनहोन भातफरी िनकाली

और मर घर तक ल आय उसम मसलमान लड़क भी शािमल ह जयो ही वह भातफरी काजी क घर पहची काजी घर क अनदर िछप गया

गौराग न काजी का ार खटखटाया तब काजी या काजी की प ी न नही वरन चौकीदार न दरवाजा खोला वह बोलाः

काजी साहब घर पर नही ह

गौराग बोलः नही कस ह अभी तो हमन उनह घर की छत पर दखा था काजी को जाकर बोलो हमार मामा और मा भी िजस गाव की ह आप भी उसी गाव क हो इसिलए आप मर गाव क मामा लगत ह मामाजी भानजा ार पर आय और आप छप कर बठ यह शोभा नही दता बाहर आ जाईय

चौकीदार न जाकर काजी को सब कह सनाया गौराग क मभर वचन सनकर काजी का दय िपघल गया िजस पर मन ज म ढाय वह मझ मामा कहकर सबोिधत करता ह िजसक साथ मन बरता की वह मर साथ िकतना औदायर रखता ह यह सोचकर काजी का दय बदल गया वह ार पर आकर बोलाः

म तमस डरकर अनदर नही छपा कयोिक मर पास तो स ा ह कलम की ताकत ह लिकन हिरकीतरन स हिरनाम स िहनद तो कया मसलमान लड़क भी आनिदत हो रह ह उनका भी लह पिवऽ हो रहा ह यह दखकर मझ दःख हो रहा ह िक िजस नाम क उचचारण स उनकी रग-रग पावन हो रही ह उसी नाम क कारण मन हिरदास पर और तम पर ज म िकया िकसी क बहकाव म आकर तम लोगो पर फरमान जारी िकया अब म िकस मह स तमहार सामन आता इसीिलए म मह िछपाकर घर क अनदर घस गया था

भानजा(गौराग) बोलता हः मामा अब तो बाहर आ जाइय

मामा(काजी) बोलाः बाहर आकर कया कर

गौरागः कीतरन कर हिरनाम क उचचारण स छपी हई यो यता िवकिसत कर आनद गट कर

काजीः कया करना होगा

गौरागः म जसा बोलता ह ऐसा ही बोलना होगा बोिलएः हिर बोल हिर बोल

काजीः हिर बोल हिर बोल

गौरागः हिर बोल हिर बोल

काजीः हिर बोल हिर बोल

हिर बोल हिर बोल हिर बोल हिर बोल

हिर बोल हिर बोल हिर बोल हिर बोल

कीतरन करत-करत गौराग न अपनी िनगाहो स काजी पर कपा बरसाई तो काजी भी झमन लगा उस भी हिर बोल का रग लग गया जस इजन को ह डल दकर छोड़ दत ह तब भी इजन चलता रहता ह ऐस ही गौराग की कपादि स काजी भी झमन लगा

काजी क झमन स वातावरण म और भी रग आ गया काजी तो झम गया काजी की प ी भी झमी और चौकीदार भी झम उठा सब हिरकीतरन म झमत-झमत अपन र को पावन करन लग दय को हिररस स सराबोर करन लगा उनक जनम-जनम क पाप-ताप न होन लग िजस पर भगवान की दया होती ह िजसको साधओ का सग िमलता ह सतसग का सहारा िमलता ह और भारतीय सःकित की महानता को समझन की अकल िमलती ह िफर उसक उ ार म कया बाकी रह जाता ह काजी का तो उ ार हो गया

दखो सत की उदारता एव महानता िजसन िहनदओ पर ज म करवाय भ हिरदास को बत मरवात-मरवात यमना जी म डलवा िदया भातफरी पर ितबध लगवा िदया उसी काजी को गौराग न हिररग म रग िदया अपनी कपादि स िनहाल कर िदया उसक बर कम की धयान न दत हए भि का दान द िदया ऐस गौराग क ौीचरणो म हमार हजार-हजार णाम ह हम उस मसलमान यवक हिरदास को भी धनयवाद दत ह िक उसन बत खात पीड़ा सहत भी भि न छोड़ी गरदव को न छोड़ा न ही उनक दबाव म आकर पनः मसलमान बना हिर बोल क रग म ःवय रगा और िसपािहयो को भी रग िदया धनय ह हिरदास और उसकी हिरभि

(अनबम)

बनावटी ौगार स बचो जमरनी क िस दाशरिनक शोपनहार कहत ह िक िजन दशो म हिथयार बनाय जात ह

उन दशो क लोगो को य करन की उ जना होती ह और उन दशो म हिथयार बनत ही रहत ह य भी होत रहत ह ऐस ही जो लोग फशन करत ह उनक दय म काम बोध लोभ मोह रपी य होता ही रहता ह उनक जीवन म िवलािसता आती ह और पतन होता ह वस ही फशन और िवलािसता स सयम सदाचार और यो यता का सहार होता ह

इसिलए य क साधन बढ़न स जस य होता ह वस ही िवलािसता और फशन क साधनो का उपयोग करन स अतयर होता ह अपनी आितमक शि यो का सहार होता ह अतः अपना भला चाहन वाल भाई-बहनो को पफ-पाउडर िलपिःटक-लाली व -अलकार क िदखाव क पीछ नही पड़ना चािहए सयम सादगी एव पिवऽतापणर जीवन जीना चािहए

अपन शा ो म ौगार की अनमित दी गई ह सौभा यवती ि या जब पित अपन ही नगर म हो घर म हो तब ौगार कर पित यिद दर दश गया हो तब सौभा यवित ि यो को भी सादगीपणर जीवन जीना चािहए ौगार क उपयोग म आनवाली वःतए भी वनिःपतयो एव साि वक रसो स बनी हई होनी चािहए जो सननता और आरो यता दान कर

आजकल तो शरीर म उ जना पदा कर बीमािरया पदा कर ऐस किमक स(रसायनो) और जहर जस साधनो स ौगार-साधन बनाए जात ह िजसस शरीर क अनदर जहरील कण जात ह और तवचा की बीमािरया होती ह आहार म भी जहरील कणो क जान स पाचन-तऽ और मानिसक सतलन िबगड़ता ह साथ ही बौि क एव वचािरक सतलन भी िबगड़ता ह

पशओ की चब किमक स और दसर थोड़ जहरील िवयो स बन पफ-पाउडर िलपिःटक-लाली आिद िजन साधनो का यटी-पालरर म उपयोग िकया जाता ह वसी गदगी कभी-भी अपन शरीर को तो लगानी ही नही चािहए दसर लोगो न लगायी हो तो दखकर सनन भी नही होना चािहए अपन सयम और सदाचार की सनदरता को गट करना चािहए मीरा और शबरी िकस यटी-पालरर म गय थ सती अनसया गाग और मदालसा न िकस पफ-पाउडर लाली-िलपिःटक का उपयोग िकया था िफर भी उनका जीवन सनदर तजःवी था हम भी ई र स ाथरना कर िक ह भगवान हम अपना सयम और साधना का सौनदयर बढ़ाए ऐसी त दया करना िवकारी सौनदयर स अपन को बचाकर िनिवरकारी नारायण की ओर जाय ऐसी त दया करना िवलािसता म अपन समय को न लगाकर तर ही धयान-िचतन म हमारा समय बीत ऐसी त कपा करना

किऽम सौनदयर-साधन स तवचा की िःन धता और कोमलता मर जाती ह पफ-पाउडर बीम आिद स शरीर की कदरती िःन धता खतम हो जाती ह ाकितक सौनदयर को न करक

जो किऽम सौनदयर क गलाम बनत ह उनस ःनहभरी सलाह ह िक व पफ-पाउडर आिद और तड़कील-भड़कील व आिद की गलामी को छोड़कर ाकितक सौनदयर को बढ़ान की कोिशश कर मीरा और मदालसा की तरह अपन असली सौनदयर को कट करन की कोिशश कर

(अनबम)

साहसी बालक एक लड़का काशी म हिर नि हाईःकल म पढ़ता था उसका गाव काशी स आठ मील दर

था वह रोजाना वहा स पदल चलकर आता बीच म जो गगा नदी बहती ह उस पार करक िव ालय पहचता

उस जमान म गगा पार करन क िलए नाव वाल को दो पस दन पड़त थ दो पस आन क और दो पस जान क कल चार पस यािन पराना एक आना महीन म करीब दो रपय हए जब सोन क एक तोल का भाव रपया सौ स भी नीच था तब क दो रपय आज क तो पाच-पचचीस रपय हो जाए

उस लड़क न अपन मा-बाप पर अितिर बोझा न पड़ इसिलए एक भी पस की माग नही की उसन तरना सीख िलया गम हो बािरश हो या ठ ड हो गगा पार करक हाईःकल म जाना उसका बम हो गया इस कार िकतन ही महीन गजर गय

एक बार पौष मास की ठ ड म वह लड़का सबह की ःकल भरन क िलए गगा म कदा तरत-तरत मझधार म आया एक नाव म कछ याऽी नदी पार कर रह थ उनहोन दखा िक छोटा-सा लड़का अभी डब मरगा व उसक पास नाव ल गय और हाथ पकड़ कर उस नाव म खीच िलया लड़क क मख पर घबराहट या िचनता की कोई रखा नही थी सब लोग दग रह गय इतना छोटा ह और इतना साहसी ह व बोलः

त अभी डब मरता तो ऐसा साहस नही करना चािहए

तब लड़का बोलाः साहस तो होना ही चािहए जीवन म िव न-बाधाए आयगी उनह कचलन क िलए साहस तो चािहए ही अगर अभी स साहस नही जटाया तो जीवन म बड़-बड़ कायर कस कर पायग

लोगो न पछाः इस समय तरन कयो िगरा दोपहर को नहान आता

लड़का बोलता हः म नहान क िलए नदी म नही िगरा ह म तो ःकल जा रहा ह

नाव म बठकर जाता

रोज क चार पस आन-जान क लगत ह मर गरीब मा-बाप पर मझ बोझा नही बनना ह मझ तो अपन परो पर खड़ होना ह मरा खचर बढ़ तो मर मा-बाप की िचनता बढ़ उनह घर चलाना मिकल हो जाय

लोग उस आदर स दखत ही रह गय वही साहसी लड़का आग चलकर भारत का धान मऽी बना

वह लड़का कौन था पता ह व थ लाल बहादर शा ी शा ी जी उस पद भी सचचाई साहस सरलता ईमानदारी सादगी दशम आिद सदगण और सदाचार क मितरमनत ःवरप थ ऐस महापरष भल िफर थोड़ा-सा समय ही राजय कर पर एक अनोखा भाव छोड़ जात ह जनमानस पर

(अनबम)

गर-आजञापालन का चमतकार ौीम आ ाशकराचायर जी जब काशी म िनवास करत थ तब गगा-तट पर िनतय ात-

काल टहलत थ एक सबह िकसी ितभासपनन यवक न दसर िकनार स दखा िक कोई सनयासी उस पार टहल रह ह उस यवक न दसर िकनार स ही उनह णाम िकया उस यवक को दखकर आ शकराचायर जी न सकत िकया िक इधर आ जाओ उस आभासमपनन यवक न दखा िक मन तो साध को णाम कर िदया ह णाम कर िदया तो म उनका िशय हो गया और उनहोन मझ आदश िदया िक इधर आ जाओ अब गर की आजञा का उ लघन करना भी तो उिचत नही ह िकनत यही कोई नाव नही ह और म तरना भी नही जानता ह अब कया कर उसक मन म िवचार आया िक वस भी तो हजारो बार हम मर चक ह एक बार यिद गर क दशरन क िलए जात-जात मर जाय तो घाटा कया होगा

गग मात की जय कह कर उस यवक न तो गगाजी म पर रख िदया उसकी इचछा कहो ौीम आ शकराचायर जी का भाव कहो या िनयित की लीला कहो जहा उस यवक न कदम रखा वहा एक कमल पदा हो गया उसक पर को थामन क िलए जब दसरा पर रखा तो वहा भी कमल पदा हो गया इस कार जहा-जहा वह कदम रखता गया वहा कमल (प ) उतपनन होता गया और वह यवक गगा क दसर तट पर जहा आ शकराचायर जी खड़ थ पहच गया

जहा-जहा वह कदम रखता था वहा-वहा प (कमल) क कट होन क कारण उसका नाम पड़ा - प पादाचायर शकराचायर जी क म य चार प टिशयो म आग जाकर यही प पादाचायर एक प टिशय बन

कहन का तातपयर यह ह िक सिचचदानद परमातमा की शि का सामथयर का बयान करना सभव नही ह िजसकी िजतनी दढ़ता ह िजसकी िजतनी सचचाई ह िजसकी िजतनी ततपरता ह उतनी ही कित भी उसकी मदद करन को आतर रहती ह प पादाचायर की गर-आजञापालन म दढ़ता और ततपरता को दखकर गगा जी म कमल गट हो गय िशय यिद दढ़ता ततपरता और ईमानदारी स गर-आजञापालन म लग जाय तो कित भी उसक अनकल हो जाती ह

(अनबम)

अनोखी गरदिकषणा एकलवय गर िोणाचायर क पास आकर बोलाः मझ धनिवर ा िसखान की कपा कर

गरदव गर िोणाचायर क समकष धमरसकट उतपनन हआ कयोिक उनहोन भीम िपतामह को वचन

द िदया था िक कवल राजकमारो को ही म िशकषा दगा एकलवय राजकमार नही ह अतः उस धनिवर ा कस िसखाऊ अतः िोणाचायर न एकलवय स कहाः

म तझ धनिवर ा नही िसखा सकगा

एकलवय घर स िन य करक िनकला था िक म कवल गर िोणाचायर को ही गर बनाऊगा िजनक िलए मन म भी गर बनान का भाव आ गया उनक िकसी भी वयवहार क िलए िशकायत या िछिानवषण की वि नही होनी चािहए

एकलवय एकात अर य म गया और उसन गर िोणाचायर की िम टी की मितर बनायी मितर की ओर एकटक दखकर धयान करक उसी स रणा लकर वह धनिवर ा सीखन लगा एकटक दखन स एकामता आती ह एकामता गरभि अपनी सचचाई और ततपरता क कारण उस रणा िमलन लगी जञानदाता तो परमातमा ह धनिवर ा म वह बहत आग बढ़ गया

एक बार िोणाचायर पाडव एव कौरव धनिवर ा का योग करन अर य म आय उनक साथ एक क ा भी था जो थोड़ा आग िनकल गया क ा वही पहचा जहा एकलवय अपनी धनिवर ा का योग कर रहा था एकलवय क खल बाल फट कपड़ एव िविचऽ वष को दखकर क ा भ कन लगा

एकलवय न क को लग नही चोट न पहच और उसका भ कना बद हो जाय इस ढग स सात बाण उसक मह म थमा िदय क ा वािपस वहा गया जहा िोणाचायर क साथ पाडव और कौरव थ

उस दखकर अजरन को हआ िक क को चोट न लग इस ढग स बाण मह म घसाकर रख दना यह िव ा तो म भी नही जानता यह कस सभव हआ वह गर िोणाचायर स बोलाः

गरदव आपन तो कहा था िक मरी बराबरी का दसरा कोई धनधाररी नही होगा िकनत ऐसी िव ा तो मझ भी नही आती

िोणाचायर को हआ िक दख इस अर य म कौन-सा ऐसा कशल धनधरर ह आग जाकर दखा तो वह था िहर यधन का पऽ गरभ एकलवय

िोणाचायर न पछाः बटा यह िव ा त कहा स सीखा

एकलवय बोलाः गरदव आपकी ही कपा स सीखा ह

िोणाचायर तो वचन द चक थ िक अजरन की बराबरी का धनधरर दसरा कोई न होगा िकनत यह तो आग िनकल गया गर क िलए धमरसकट खड़ा हो गया एकलवय की अटट ौ ा दखकर िोणाचायर न कहाः मरी मितर को सामन रखकर त धनिवर ा तो सीखा िकनत गरदिकषणा

एकलवयः जो आप माग

िोणाचायरः तर दाय हाथ का अगठा

एकलवय न एक पल भी िवचार िकय िबना अपन दाय हाथ का अगठा काटकर गरदव क चरणो म अपरण कर िदया

िोणाचायरः बटा भल ही अजरन धनिवर ा म सबस आग रह कयोिक म उस वचन द चका ह िकनत जब तक सयर चनि नकषऽो का अिःततव रहगा तब तक लोग तरी गरिन ा का तरी गरभि का ःमरण करग तरा यशोगान होता रहगा

उसकी गरभि और एकामता न उस धनिवर ा म तो सफलता िदलायी ही लिकन सतो क दय म भी उसक िलए आदर गट करवा िदया धनय ह एकलवय जो गरमितर स रणा पाकर धनिवर ा म सफल हआ और िजसन अदभत गरदिकषणा दकर साहस तयाग और समपरण का पिरचय िदया

(अनबम)

सतसग की मिहमा तलसीदास जी महाराज कहत ह ETH

एक घड़ी आधी घड़ी आधी म पिन आध तलसी सगत साध की हर कोिट अपराध

एक बार शकदव जी क िपता भगवान वदवयासजी महाराज कही जा रह थ राःत म उनहोन दखा िक एक कीड़ा बड़ी तजी स सड़क पार कर रहा था

वदवयासजी न अपनी योगशि दत हए उसस पछाः त इतनी ज दी सड़क कयो पार कर रहा ह कया तझ िकसी काम स जाना ह त तो

नाली का कीड़ा ह इस नाली को छोड़कर दसरी नाली म ही तो जाना ह िफर इतनी तजी स कयो भाग रहा ह

कीड़ा बोलाः बाबा जी बलगाड़ी आ रही ह बलो क गल म बध घघर तथा बलगाड़ी क पिहयो की आवाज म सन रहा ह यिद म धीर-धीर सड़क पार करगा तो वह बलगाड़ी आकर मझ कचल डालगी

वदवयासजीः कचलन द कीड़ की योिन म जीकर भी कया करना

कीड़ाः महिषर ाणी िजस शरीर म होता ह उसको उसम ही ममता होती ह अनक ाणी नाना कार क क ो को सहत हए भी मरना नही चाहत

वदवयास जीः बलगाड़ी आ जाय और त मर जाय तो घबराना मत म तझ योगशि स महान बनाऊगा जब तक ा ण शरीर म न पहचा द अनय सभी योिनयो स शीय छटकारा िदलाता रहगा

उस कीड़ न बात मान ली और बीच राःत पर रक गया और मर गया िफर वदवयासजी की कपा स वह बमशः कौआ िसयार आिद योिनयो म जब-जब भी उतपनन हआ वयासजी न जाकर उस पवरजनम का ःमरण िदला िदया इस तरह वह बमशः मग पकषी शि वय जाितयो म जनम लता हआ कषिऽय जाित म उतपनन हआ उस वहा भी वदवयासजी दशरन िदय थोड़ िदनो म रणभिम म शरीर तयागकर उसन ा ण क घर जनम िलया

भगवान वदवयास जी न उस पाच वषर की उ म सारःवतय मऽ द िदया िजसका जप करत-करत वह धयान करन लगा उसकी बि बड़ी िवलकषण होन पर वद शा धमर का रहःय समझ म आ गया

सात वषर की आय म वदवयास जी न उस कहाः काि रक कषऽ म कई वष स एक ा ण ननदभि तपःया कर रहा ह तम जाकर उसकी

शका का समाधान करो

माऽ सात वषर का ा ण कमार काि रक कषऽ म तप कर रह उस ा ण क पास पहच कर बोलाः

ह ा णदव आप तप कयो कर रह ह

ा णः ह ऋिषकमार म यह जानन क िलए तप कर रहा ह िक जो अचछ लोग ह सजजन लोग ह व सहन करत ह दःखी रहत ह और पापी आदमी सखी रहत ह ऐसा कयो ह

बालकः पापी आदमी यिद सखी ह तो पाप क कारण नही वरन िपछल जनम का कोई प य ह उसक कारण सखी ह वह अपन प य खतम कर रहा ह पापी मनय भीतर स तो दःखी ही होता ह भल ही बाहर स सखी िदखाई द

धािमरक आदमी को ठ क समझ नही होती उिचत िदशा व मऽ नही िमलता इसिलए वह दःखी होता ह वह धमर क कारण दःखी नही होता अिपत समझ की कमी क कारण दःखी होता ह समझदार को यिद कोई गर िमल जाय तो वह नर म स नारायण बन जाय इसम कया आ यर ह

ा णः म इतना बढ़ा हो गया इतन वष स काि रक कषऽ म तप कर रहा ह मर तप का फल यही ह िक तमहार जस सात वषर क योगी क मझ दशरन हो रह ह म तमह णाम करता ह

बालकः नही नही महाराज आप तो भदव ह म तो बालक ह म आपको णाम करता ह

उसकी नता दखकर ा ण और खश हआ तप छोड़कर वह परमातमिचनतन म लग गया अब उस कछ जानन की इचछा नही रही िजसस सब कछ जाना जाता ह उसी परमातमा म िवौाित पान लग गया

इस कार ननदभि ा ण को उ र द िनःशक कर सात िदनो तक िनराहार रहकर वह बालक सयरमनऽ का जप करता रहा और वही बहदक तीथर म उसन शरीर तयाग िदया वही बालक दसर जनम म कषार िपता एव िमऽा माता क यहा गट हआ उसका नाम मऽय पड़ा इनहोन वयासजी क िपता पराशरजी स िवण-पराण तथा बहत पाराशर होरा शा का अधययन िकया था पकषपात रिहत अनभवकाश नामक मनथ म मऽय तथा पराशर ऋिष का सवाद आता ह

कहा तो सड़क स गजरकर नाली म िगरन जा रहा कीड़ा और कहा सत क सािननधय स वह मऽय ऋिष बन गया सतसग की बिलहारी ह इसीिलए तलसीदास जी कहत ह ETH

तात ःवगर अपवगर सख धिरअ तला एक अग तल न तािह सकल िमली जो सख लव सतसग

यहा एक शका हो सकती ह िक वह कीड़ा ही मऽय ऋिष कयो नही बन गया

अर भाई यिद आप पहली ककषा क िव ाथ हो और आपको एम ए म िबठाया जाय तो कया आप पास हो सकत हो नही दसरी तीसरी चौथी दसवी बारहवी बीए आिद पास करक ही आप एमए म वश कर सकत हो

िकसी चौकीदार पर कोई धानमनऽी अतयिधक सनन हो जाए तब भी वह उस सीधा कलकटर (िजलाधीश) नही बना सकता ऐस ही नाली म रहन वाला कीड़ा सीधा मनय तो नही

हो सकता बि क िविभनन योिनयो को पार करक ही मनय बन सकता ह हा इतना अवय ह िक सतकपा स उसका मागर छोटा हो जाता ह

सतसमागम की साध परषो स सग की मिहमा का कहा तक वणरन कर कस बयान कर एक सामानय कीड़ा उनक सतसग को पाकर महान ऋिष बन सकता ह तो िफर यिद मानव को िकसी सदगर का सािननधय िमल जाय उनक वचनानसार चल पड़ तो मि का अनभव करक जीवनम भी बन सकता ह

(अनबम)

पीड़ पराई जान र जञानी िकसी स यार करन क िलए बध हए नही ह और िकसी को डाटन म भी राजी

नही ह हमारी जसी यो यता होती ह ऐसा उनका वयवहार हमार ित होता ह लीलाशाह बाप क ौीचरणो म बहत लोग गय थ एक लड़का भी गया था वह मिणनगर

म रहता था िशवजी को जल चढ़ान क प ात ही वह जल पीता वह लड़का खब िन ा स धयान-भजन करता और सवा पजा करता

एक िदन कोई वयि राःत म बहोश पड़ा हआ था िशवजी को जल चढ़ान जात समय उस बालक न उस दखा और अपनी पजा-वजा छोड़कर उस गरीब की सवा म लग गया िबहार का कोई यवक था नौकरी की खोज म आया था कालपर(अहमदाबाद) ःटशन क लटफामर पर एक दो िदन रहा किलयो न मारपीट कर भगा िदया चलत-चलत मिणनगर म पनीत आौम की ओर रोटी की आशा म जा रहा था रोटी तो वहा नही िमलती थी इसिलए भख क कारण चलत-चलत राःत म िगर गया और बहोश हो गया

उस लड़क का घर पनीत आौम क पास ही था सबह क दस साढ़ दस बज थ वह लड़का घर स धयान-भजन स िनपटकर मिदर म िशवजी को जल चढ़ान क िलए जल का लोटा और पजा की साममी लकर जा रहा था उसन दखा िक राःत म कोई यवक पड़ा ह राःत म चलत-चलत लोग बोलत थः शराब पी होगी यह होगा वह होगा हम कया

लड़क को दया आई प य िकय हए हो तो रणा भी अचछ िमलती ह शभ कम स शभ रणा िमलती ह अपन पास की पजा साममी एक ओर रखकर उसन उस वयि को िहलाया बहत मिकल स उसकी आख खली कोई उस जत सघाता कोई कछ करता कोई कछ बोलता था

आख खोलत ही वह वयि धीर स बोलाः पानी पानी

लड़क न महादव जी क िलय लाया हआ जल का लोटा उस िपला िदया िफर दोड़कर घर जाकर अपन िहःस का दध लाकर उस िदया

यवक क जी म जी आया उसन अपनी वयथा बतात हए कहाः बाब जी म िबहार स आया ह मर बाप गजर गय काका िदन-रात टोकत रहत त िक

कमाओ नही तो खाओग कया नौकरी धधा िमलता नही ह भटकत-भटकत अहमदाबाद क ःटशन पर कली का काम करन का य िकया हमारी रोटी-रोजी िछन जायगी ऐसा समझकर किलयो न खब मारा पदल चलत-चलत मिणनगर ःटशन की ओर आत-आत यहा तीन िदन की भख और मार क कारण चककर आय और िगर गया

लड़क न उस िखलाया अपना इक ठा िकया हआ जबखचर का पसा िदया उस यवक को जहा जाना था वहा भजन की वयवःथा की इस लड़क क दय म आनद की वि हई अतर म आवाज आईः

बटा अब म तझ बहत ज दी िमलगा

लड़क न िकयाः अनदर कौन बोलता ह

उ र आयाः िजस िशव की त पजा करता ह वह तरा आतमिशव अब म तर दय म कट होऊगा सवा क अिधकारी की सवा मझ िशव की ही सवा ह

उस िदन उस अतयारमी न अनोखी ऱणा और ोतसाहन िदया वह लड़का तो िनकल पड़ा घर छोड़कर ई र-साकषातकार करन क िलए कदारनाथ वनदावन होत हए निनताल क अर य म पहचा

कदारनाथ क दशरन पाय लकषािधपित आिशष पाय

इस आशीवारद को वापस कर ई राि क िलए िफर पजा की उसक पास जो कछ रपय पस थ उनह वनदावन म साध-सतो एव गरीबो म भ डारा करक खचर कर िदया था थोड़ स पस लकर निनताल क अर यो म पहचा लोकलाड़ल लाखो दयो को हिररस िपलात पजयपाद सदगर ौी लीलाशाह बाप की राह दखत हए चालीस िदन बीत गय गरवर ौी लीलाशाह को अब पणर समिपरत िशय िमला पणर खजाना ा करन वाला पिवऽातमा िमला पणर गर की पणर िशय िमला

िजस लड़क क िवषय म यह कथा पढ़ रह ह वह लड़का कौन होगा जानत हो

पणर गर कपा िमली पणर गर का जञान आसमल स हो गय साई आसाराम

अब तो समझ ही गय होग (उस लड़क क वश म छप हए थ पवर जनम क योगी और वतरमान म िव िव यात हमार

पजयपाद सदगरदव ौी आसाराम जी महाराज)

(अनबम)

िवकास क बिरयो स सावधान किपलवःत क राजा श ोदन का यवराज था िस ाथर यौवन म कदम रखत ही िववक

और वरा य जाग उठा यवान प ी यशोधरा और नवजात िशश राहल की मोह-ममता की रशमी जजीर काटकर महाभीिनबमण (गहतयाग) िकया एकानत अर य म जाकर गहन धयान साधना करक अपन साधय त व को ा कर िलया

एकानत म तप यार और धयान साधना स िखल हए इस आधयाितमक कसम की मधर

सौरभ लोगो म फलन लगी अब िस ाथर भगवान ब क नाम स जन-समह म िस हए हजारो हजारो लोग उनक उपिद मागर पर चलन लग और अपनी अपनी यो यता क मतािबक आधयाितमक याऽा म आग बढ़त हए आितमक शाित ा करन लग अस य लोग बौ िभकषक बनकर भगवान ब क सािननधय म रहन लग उनक पीछ चलन वाल अनयायीओ का एक सघ ःथािपत हो गया चह ओर नाद गजन लग िकः

ब शरण गचछािम धमम शरण गचछािम सघ शरण गचछािम

ौावःती नगरी म भगवान ब का बहत यश फला लोगो म उनकी जय-जयकार होन लगी लोगो की भीड़-भाड़ स िवर होकर ब नगर स बाहर जतवन म आम क बगीच म रहन लग नगर क िपपास जन बड़ी तादाद म वहा हररोज िनि त समय पर पहच जात और उपदश-वचन सनत बड़-बड़ राजा महाराजा भगवान ब क सािननधय म आन जान लग

समाज म तो हर कार क लोग होत ह अनािद काल स दवी समपदा क लोग एव आसरी समपदा क लोग हआ करत ह ब का फलता हआ यश दखकर उनका तजो ष करन वाल लोग जलन लग सतो क साथ हमशा स होता आ रहा ह ऐस उन द त वो न ब को बदनाम करन क िलए कचार िकया िविभनन कार की यि -यि या लड़ाकर ब क यश को हािन पहच ऐसी बात समाज म व लोग फलान लग उन द ो न अपन ष यऽ म एक वया को समझा-बझाकर शािमल कर िलया

वया बन-ठनकर जतवन म भगवान ब क िनवास-ःथानवाल बगीच म जान लगी

धनरािश क साथ द ो का हर कार स सहारा एव ोतसाहन उस िमल रहा था रािऽ को वही रहकर सबह नगर म वािपस लोट आती अपनी सिखयो म भी उसन बात फलाई

लोग उसस पछन लगः अरी आजकल त िदखती नही ह कहा जा रही ह रोज रात को

म तो रोज रात को जतवन जाती ह व ब िदन म लोगो को उपदश दत ह और रािऽ क समय मर साथ रगरिलया मनात ह सारी रात वहा िबताकर सबह लोटती ह

वया न परा ीचिरऽ आजमाकर ष यऽ करन वालो का साथ िदया लोगो म पहल तो हलकी कानाफसी हई लिकन जयो-जयो बात फलती गई तयो-तयो लोगो म जोरदार िवरोध होन लगा लोग ब क नाम पर िफटकार बरसान लग ब क िभकषक बःती म िभकषा लन जात तो लोग उनह गािलया दन लग ब क सघ क लोग सवा-वि म सल न थ उन लोगो क सामन भी उगली उठाकर लोग बकवास करन लग

ब क िशय जरा असावधान रह थ कचार क समय साथ ही साथ स चार होता तो कचार का इतना भाव नही होता िशय अगर िनिबय रहकर सोचत रह जाय िक करगा सो भरगा भगवान उनका नाश करग तो कचार करन वालो को ख ला मदान िमल जाता ह

सत क सािननधय म आन वाल लोग ौ ाल सजजन सीध साद होत ह जबिक द वि करन वाल लोग किटलतापवरक कचार करन म कशल होत ह िफर भी िजन सतो क पीछ सजग समाज होता ह उन सतो क पीछ उठन वाल कचार क तफान समय पाकर शात हो जात ह और उनकी सतवि या काशमान हो उठती ह

कचार न इतना जोर पकड़ा िक ब क िनकटवत लोगो न ऽािहमाम पकार िलया व समझ गय िक यह वयविःथत आयोजनपवरक ष यऽ िकया गया ह ब ःवय तो पारमािथरक सतय म जाग हए थ व बोलतः सब ठ क ह चलन दो वयवहािरक सतय म वाहवाही दख ली अब िननदा भी दख ल कया फकर पड़ता ह

िशय कहन लगः भनत अब सहा नही जाता सघ क िनकटवत भ भी अफवाहो क िशकार हो रह ह समाज क लोग अफवाहो की बातो को सतय मानन लग गय ह

ब ः धयर रखो हम पारमािथरक सतय म िवौाित पात ह यह िवरोध की आधी चली ह तो शात भी हो जाएगी समय पाकर सतय ही बाहर आयगा आिखर म लोग हम जानग और मानग

कछ लोगो न अगवानी का झ डा उठाया और राजयस ा क समकष जोर-शोर स माग की

िक ब की जाच करवाई जाय लोग बात कर रह ह और वया भी कहती ह िक ब रािऽ को मर साथ होत ह और िदन म सतसग करत ह

ब क बार म जाच करन क िलए राजा न अपन आदिमयो को फरमान िदया अब ष यऽ करनवालो न सोचा िक इस जाच करन वाल पच म अगर सचचा आदमी आ जाएगा तो अफवाहो का सीना चीरकर सतय बाहर आ जाएगा अतः उनहोन अपन ष यऽ को आिखरी

पराका ा पर पहचाया अब ऐस ठोस सबत खड़ा करना चािहए िक ब की ितभा का अःत हो जाय

उनहोन वया को दार िपलाकर जतवन भज िदया पीछ स ग डो की टोली वहा गई वया पर बलातकार आिद सब द कतय करक उसका गला घोट िदया और लाश को ब क बगीच म गाड़कर पलायन हो गय

लोगो न राजयस ा क ार खटखटाय थ लिकन स ावाल भी कछ लोग द ो क साथ जड़ हए थ ऐसा थोड़ ही ह िक स ा म बठ हए सब लोग दध म धोय हए वयि होत ह

राजा क अिधकािरयो क ारा जाच करन पर वया की लाश हाथ लगी अब द ो न जोर-शोर स िच लाना शर कर िदया

दखो हम पहल ही कह रह थ वया भी बोल रही थी लिकन तम भगतड़ लोग मानत ही नही थ अब दख िलया न ब न सही बात खल जान क भय स वया को मरवाकर बगीच म गड़वा िदया न रहगा बास न बजगी बासरी लिकन सतय कहा तक िछप सकता ह म ामाल हाथ लग गया इस ठोस सबत स ब की असिलयत िस हो गई सतय बाहर आ गया

लिकन उन मख का पता नही िक तमहारा बनाया हआ कि पत सतय बाहर आया वाःतिवक सतय तो आज ढाई हजार वषर क बाद भी वसा ही चमक रहा ह आज ब को लाखो लोग जानत ह आदरपवरक मानत ह उनका तजो ष करन वाल द लोग कौन-स नरको म जलत होग कया पता

ढाई हजार वषर पहल ब क जमान म भी सतो क साथ ऐसा घोर अनयाय हआ करता था ऋिष दयाननद को भी ऐस ही त वो न तजो ष क कारण बाईस बार िवष दकर मार डालन का यास िकया ःवामी िववकाननद और ःवामी रामतीथर क पीछ भी द लोगो न वया को तयार करक कीचड़ उछाला था

एक ओर लाखो-लाखो लोग सतो की अनभवय वाणी स अपना वयावहािरक ETH आधयाितमक जीवन उननत करक सख-शाित पात ह दसरी ओर कछ द कित क ःवाथ लोग अपना उ ल सीधा करन क िलए ऐस महापरषो क िवर म ष यऽ रचकर उनको बदनाम करत ह यह तो पहल स चला आ रहा ह सत कबीर हो या नानक एकनाथ महाराज हो या सत तकाराम नरिसह महता हो या मीराबाई ायः सभी सतो को अपन जीवन क दौरान समाज क किटल त वो स पाला पड़ता ही रहा ह जीसस बाइःट को इनही त वो न बॉस पर चढ़ाया था उनही लोगो न सकरात को जहर िपलाकर मतयद ड िदया था मनसर को इसी जमात न शली पर चढ़ाया था ईसाई धमर म माट न यथर पर ज म िकया गया था अण-अण म ई र और नारीमाऽ म जगजजननी भगवती का दशरन करन वाल रामकण परमहस को भी लोगो न नही

छोड़ा था परमहस योगाननद रवीनिनाथ टगोर माट न यथर दिकषण भारत क सत ितरव लवर जापानी झन सत बाबो इितहास म िकतन-िकतन उदाहरण मौजद ह

हािसद धमरगर बा शमटोव अित पिवऽ आतमा थ िननदको न उनक इदरिगदर भी मायाजाल िबछा दी थी िसध क साई टउराम क पास अस य लोग आतमक याण हत जान लग तब िवकत िदमागवालो न उन सत को भी ऽास दना शर कर िदया उनक आौम क चह ओर गदगी डाल दत और कए म िम टी का तल उड़लकर पानी बकार कर दत मगल बादशाह बाबर को बहका कर उनही लोगो न गर नानक को कद करवाया था

भगवान ौीराम एव ौीकण को भी द जनो न छोड़ा नही था भगवान ौीराम क गर विश जी महाराज कहत हः

ह राम जी म जब बाजार स गजरता ह तब अजञानी मखर लोग मर िलए कया बकत ह म सब जानता ह लिकन मरा दयाल ःवभाव ह म इन सबका क याण चाहता ह

तमहार साथ यह ससार कछ अनयाय करता ह तमको बदनाम करता ह िननदा करता ह तो यह ससार की परानी रीत ह मनय की हीनवि कचार िननदाखोरी यह आजकल की ही बात नही ह अनािदकाल स ऐसा होता आया ह तम अपन आतमजञान क सःकार जगाकर आतमबल का िवकास करत जाओ मःकरात जाओ आधी तफानो को लाघकर आननदपवरक जीत जाओ

उस जमान म भगवान ब क पास आकर एक िभकषक न ाथरना कीः भनत मझ आजञा द म सभाए भरगा आपक िवचारो का चार करगा

मर िवचारो का चार

हा भगवन म बौ धमर फलाऊगा

लोग तरी िननदा करग गािलया दग

कोई हजर नही म भगवन को धनयवाद दगा िक य लोग िकतन अचछ ह य कवल श दहार करत ह मझ पीटत तो नही

लोग तझ पीटग भी तो कया करोग

भो म शब गजारगा िक य लोग हाथो स पीटत ह पतथर तो नही मारत

लोग पतथर भी मारग और िसर भी फोड़ दग तो कया करगा

िफर भी म आ ःत रहगा और भगवान का िदवय कायर करता रहगा कयोिक व लोग मरा िसर फोड़ग लिकन ाण तो नही लग

लोग जनन म आकर तझ मार दग तो कया करगा

भनत आपक िदवय िवचारो का चार करत-करत म मर भी गया तो समझगा िक मरा जीवन सफल हो गया

उस कतिन यी िभकषक की दढ़ िन ा दखकर भगवान ब सनन हो उठ उस पर उनकी करणा बरस पड़ी

ऐस िशय जब ब का चार करन िनकल पड़ तब कचार करन वाल धीर-धीर शात हो गय मनयो की उगिलया काट-काटकर माला बनाकर पहनन वाला अगिलमाल जसा बर हतयारा भी दयपिरवतरन पाकर ब की शरण म िभकषक होकर रहन लगा

आज हम ब को बहत आदर स जानत ह मानत ह उनक जीवनकाल क दौरान उनक पीछ लग हए द लोग कौन स नरक म सड़त होग रौरव नरक म या कभीपाक नरक म कौन-सी योिनयो म भटकत होग सअर बन होग िक नाली क कीड़ बन होग शतान बन होग िक राकषस बन होग मझ पता नही लिकन ब तो करोड़ो दयो म बस रह ह यह म मानता ह

सतय तो परमाथर ह आतमा ह परमातमा ह उसम िजतना िटकोग उतना तमहारा मगल होगा तमहारी िनगाह िजन पर पड़गी उनका भी मगल होगा

(अनबम)

कछ जानन यो य बात सय दय स पवर उठकर ःनान कर लना चािहए ातः खाली पट मटक का बासी पानी

पीना ःवाःथयद ह तलसी क प सय दय क प ात ही तोड़ दध म तलसी क प नही डालन चािहए तथा

दध क साथ खान भी नही चािहए तलसी क प खाकर थोड़ा पानी पीना िपय जलनित स पिह सौ कार क लाभ होत ह अपन मिःतक म एक कार का िवजाितय

िवय उतपनन होता ह यिद वह िवय वही अटक जाता ह तो बचपन म ही बाल सफद होन लगत ह इसस नजल की बीमारी भी होती ह यिद वह िवय नाक की तरफ आता ह तो सगनध-दगरनध का पता नही चल पाता और ज दी-ज दी जकाम हो जाता ह यिद वह िवय कान की तरफ आता ह तो कान बहर होन लगत ह और छोट-मोट ब ीस रोग हो सकत ह यिद वह िवय दात की तरफ आय तो दात छोटी उ म ही िगरन लगत ह यिद आख की तरफ वह िवय उतर तो चम लगन लगत ह जलनित यािन नाक स पानी खीचकर मह स िनकाल दन स वह िवय िनकल जाता ह गल क ऊपर क ायः सभी रोगो स मि िमल जाती ह

आईसबीम खान क बाद चाय पीना दातो क िलए अतयािधक हािनकारक होता ह

भोजन को पीना चािहए तथा पानी को खाना चािहए इसका मतलब यह ह िक भोजन को इतना चबाओ िक वह पानी की तरह पतला हो जाय और पानी अथवा अनय पय पदाथ को धीर-धीर िपयो

िकसी भी कार का पय पदाथर पीना हो तो दाया नथना बनद करक िपय इसस वह अमत जसा हो जाता ह यिद दाया ःवर(नथना) चाल हो और पानी आिद िपय तो जीवनशि (ओज) पतली होन लगती ह चयर की रकषा क िलए शरीर को तनदरःत रखन क िलए यह योग करना चािहए

तम चाह िकतनी भी महनत करो िकनत िजतना तमहारी नसो म ओज ह चयर की शि ह उतन ही तम सफल होत हो जो चाय-कॉफी आिद पीत ह उनका ओज पतला होकर पशाब ारा न होता जाता ह अतः चयर की रकषा क िलए चाय-कॉफी जस वयसनो स दर रहना रह

पढ़न क बाद थोड़ी दर शात हो जाना चािहए जो पढ़ा ह उसका मनन करो िशकषक ःकल म जब पढ़ात हो तब धयान स सनो उस व मःती-मजाक नही करना चािहए िवनोद-मःती कम स कम करो और समझन की कोिशश अिधक करो

जो सय दय क पवर नही उठता उसक ःवभाव म तमस छा जाता ह जो सय दय क पवर उठता ह उसकी बि शि बढ़ती ह

नीद म स उठकर तरत भगवान का धयान करो आतमःनान करो धयान म रिच नही होती तो समझना चािहए िक मन म दोष ह उनह िनकालन क िलए कया करना चािहए

मन को िनद ष बनान क िलए सबह-शाम माता-िपता को णाम करना चािहए गरजनो को णाम करना चािहए एव भगवान क नाम का जप करना चािहए भगवान स ाथरना करनी चािहए िक ह भगवान ह मर भ मरी धयान म रिच होन लग ऐसी कपा कर दो िकसी समय गद िवचार िनकल आय तो समझना चािहए िक अदर छप हए िवचार िनकल रह ह अतः खश होना चािहए िवचार आया और गया मर राम तो दय म ही ह ऐसी भावना करनी चािहए

िनदा करना तो अचछा नही ह िकनत िनदा सनना भी उिचत नही (अनबम)

शयन की रीत मनय को िकस ढग स सोना चािहए इसका भी तरीका होता ह सोत व पवर अथवा

दिकषण िदशा की ओर िसर करक ही सोना चािहए

भोजन करन क बाद िदन म दस िमनट आराम कर िकनत सोय नही भोजन क बाद दस िमनट बायी करवट लट सकत ह रािऽ को जागरण िकया हो इस कारण स कभी िदन म सोना पड़ वह अलग बात ह

सोत व नीच कोई गमर कबल आिद िबछाकर सोय तािक आपकी जीवनशि अिथग न हो जाय आपक शरीर की िव तशि भिम म न उतर जाय

(अनबम)

ःनान का तरीका शरीर की मजबती एव आरो यता क िलए रगड़-रगड़कर ःनान करना चािहए जो लोग

ठड दशो म रहत ह उनका ःवाःथय गमर दस क लोगो की अपकषा अचछा होता ह ठडी स अपना शरीर सधरता ह

ःनान करत व 12-15 िलटर पानी बा टी म लकर पहल उसम िसर डबाना चािहए िफर पर िभगोना चािहए पहल पर गील नही करन चािहए शरीर की गम ऊपर की ओर चढ़ती ह जो ःवाःथय क िलए हािनकारक होती ह

अतः पहल ठड पानी की बा टी भर ल िफर मह म पानी भरकर िसर को बा टी म डाल और आख पटपटाए इसस आखो की शि बढ़ती ह शरीर को रगड़-रगड़कर नहाए बाद म गील व स शरीर को रगड़-रगड़कर पोछ िजसस रोम कप का सारा मल बाहर िनकल जाय और रोमकप(तवचा क िछि) खल जायय तवचा क िछि बद रहन स ही तवचा की कई बीमािरया होती ह िफर सख कपड़ स शरीर को पोछ कर (अथवा थोड़ा गीला हो तब भी चल) सख साफ व पहन ल व भल साद हो िकनत साफ हो बासी कपड़ नही पहन हमशा धल हए कपड़ ही पहन इसस मन भी सनन रहता ह

पाच कार क ःनान होत हः ःनान दवःनान ऋिषःनान मानवःनान दानवःनान ःनानः -परमातमा का िचतन करक जल थल नहान वाला

ऐसा िचतन करक ा महतर म नहाना इस ःनान कहत ह दवःनानः दवनिदयो म ःनान या दवनिदयो का ःमरण करक सय दय स पवर नहाना यह

दवःनान ह ऋिषःनानः आकाश म तार िदखत हो और नहा ल यह ऋिषःनान ह ऋिषःनान करन

वाल की बि बड़ी तजःवी होती ह मानवःनानः सय दय क पवर का ःनान मानवःनान ह

दानवःनानः सय दय क प ात चाय पीकर नाता करक आठ नौ बज नहाना यह दानव ःनान ह

अतः हमशा ऋिषःनान करन का ही यास करना चािहए (अनबम)

ःवचछता का धयान यिद शरीर की सफाई रखी जाय तो मन भी सनन रहता ह आजकल अिधकतर लोग

श स ही मजन करत ह श की अपकषा नीम और बबल की दातौन जयादा अचछ होती ह और यिद श भी कर तो कभी-कभार श को गमर पानी स धोना चािहए अनयथा उसम बकटिरया(जीवाण) रह जात ह

िकतन ही लोग उगली स दात साफ करत ह तजरनी (अगठ क पास वाली थम उगली) स दात िघसन स मसड़ कमजोर हो जात ह तथा दात ज दी िगर जात ह कयोिक तजरनी म िव तशि का माण दसरी उगिलयो की अपकषा अिधक होता ह अतः उसस दात नही िघसन चािहए एव आखो को भी नही मसलना चािहए

िजस िदशा स हवा आती हो उस िदशा की ओर मह करक कभी-भी मलमऽ का िवसजरन नही करना चािहए सयर और चनिमा की ओर मख करक भी मलमऽ का िवसजरन नही करना चािहए

(अनबम)

ःमरणशि का िवकास यादशि बढ़ान का एक सनदर योग ह ETH ामरी ाणायाम सखासन प ासन या

िस ासन पर बठ हाथ की कोहनी की ऊचाई कनध तक रह इस कार रखकर हाथ की थम उगली(तजरनी) स दोनो कानो को धीर-स बद कर एकदम जोर स बद न कर िकनत बाहर का कछ सनाई न द इस कार धीर स कान बनद कर

अब गहर ास लकर थोड़ी दर रोक ओठ बद रखकर जस मर का गजन होता ह वस ॐsssss कहत हए गजन कर उसक बाद थोड़ी दर तक ास न ल पनः यही िबया दहराय ऐसा सबह एव शाम 8 स 10 बार कर यादशि बढ़ान का यह यौिगक योग ह इसस मिःतक की नािड़यो का शोधन होकर मिःतक म र सचार उिचत ढग स होता ह

और िवचार करन स भी बि शि का िवकास होता ह

सबह खाली पट तलसी क प एकाध काली िमचर चबाकर एक िगलास पानी पीन स भी ःमरणशि का िवकास होता ह रोग-ितकारक शि बढ़ती ह कनसर की बीमारी कभी नही होती जलदर-भगदर की बीमारी भी कभी नही होती

(अनबम)

वयि तव और वयवहार िकसी भी वयि तव का पता उसक वयवहार स ही चलता ह कई लोग वयथर च ा करत

ह एक होती ह सकाम च ा दसरी होती ह िनकाम च ा और तीसरी होती ह वयथर च ा वयथर च ा नही करनी चािहए िकसी क शरीर म कोई कमी हो तो उसका मजाक नही उड़ाना चािहए वरन उस मददरप बनना चािहए यह िनकाम सवा ह

िकसी की भी िनदा नही करनी चािहए िनदा करन वाला वयि िजसकी िनदा करता ह उसका तो इतना अिहत नही होता िजतना वह अपना अिहत करता ह जो दसरो की सवा करता ह दसरो क अनकल होता ह वह दसरो का िजतना िहत करता ह उसकी अपकषा उसका खद का िहत जयादा होता ह

अपन स जो उ स बड़ हो जञान म बड़ हो तप म बड़ हो उनका आदर करना चािहए िजस मनय क साथ बात करत हो वह मनय कौन ह यह जानकर बात करो तो आप वयवहार-कशल कहलाओग

िकसी को पऽ िलखत हो तो यिद अपन स बड़ हो तो ौी सबोधन करक िलखो सबोधन करन स सवाकयो की रचना स िश ता बढ़ती ह िकसी स बात करो तो सबोधन करक बात करो जो तकार स बात करता ह वह अिश कहलाता ह िश तापवरक बात करन स अपनी इजजत बढ़ती ह

िजसक जीवन म वयवहार-कशलता ह वह सभी कषऽो म सफल होता ह िजसम िवनता ह वही सब कछ सीख सकता ह िवनता िव ा बढ़ाती ह िजसक जीवन म िवनता नही ह समझो उसक सब काम अधर रह गय और जो समझता ह िक म सब कछ जानता ह वह वाःतव म कछ नही जानता

एक िचऽकार अपन गरदव क सममख एक सनदर िचऽ बनाकर लाया गर न िचऽ दखकर कहाः

वाह वाह सनदर ह अदभत ह

िशय बोलाः गरदव इसम कोई ऽिट रह गयी हो तो कपा करक बताइए इसीिलए म आपक चरणो म आया ह

गरः कोई ऽिट नही ह मझस भी जयादा अचछा बनाया ह

वह िशय रोन लगा उस रोता दखकर गर न पछाः तम कयो रो रह हो म तो तमहारी शसा कर रहा ह

िशयः गरदव मरी घड़ाई करन वाल आप भी यिद मरी शसा ही करग तो मझ मरी गि तया कौन बतायगा मरी गित कस होगी

यह सनकर गर अतयत सनन हो गय हमन िजतना जाना िजतना सीखा ह वह तो ठ क ह उसस जयादा जान सक सीख सक

ऐसा हमारा यास होना चािहए रामकण परमहस व हो गय थ िकसी न उनस पछाः बाबा जी आपन सब कछ जान

िलया ह

रामकण परमहसः नही म जब तक जीऊगा तब तक िव ाथ ही रहगा मझ अभी बहत कछ सीखना बाकी ह

िजनक पास सीखन को िमल उनस िवनतापवरक सीखना चािहए जो कछ सीखो सावधानीपवरक सीखो जीवन म िवनोद जररी ह िकनत िवनोद की अित न हो िजस समय पढ़त हो कछ सीखत हो कछ करत हो उस समय मःती नही िवनोद नही वरन जो कछ पढ़ो सीखो या करो उस उतसाह स धयान स और सावधानी स करो

पढ़न स पवर थोड़ धयानःथ हो जाओ पढ़न क बाद मौन हो जाओ यह गित की चाबी ह

माता-िपता स िचढ़ना नही चाह िजस मा-बाप न जनम िदया ह उनकी बातो को समझना चािहए अपन िलए उनक मन म िवशष दया हो िवशष म उतपनन हो ऐसा वयवहार करना चािहए

भल जाओ भल सब कछ माता-िपता को भलना नही अनिगनत उपकार ह उनक यह कभी िबसरना नही

माता-िपता को सतोष हो उनका दय सनन हो ऐसा हमारा वयवहार होना चािहए अपन माता-िपता एव गरजनो को सत रखकर ही हम सचची गित कर सकत ह

(अनबम)

  • पजय बाप जी का उदबोधन
  • कदम अपना आग बढाता चला जा
  • त गलाब होकर महक
  • जीवन विकास का मल सयम
  • तरिकाल सधया
  • शरीर सवासथय
  • अनन का परभाव
  • भारतीय ससकति की महानता
  • हरिदास की हरिभकति
  • बनावटी शरगार स बचो
  • साहसी बालक
  • गर-आजञापालन का चमतकार
  • अनोखी गरदकषिणा
  • सतसग की महिमा
  • पीड पराई जान र
  • विकास क बरियो स सावधान
  • कछ जानन योगय बात
  • शयन की रीत
  • सनान का तरीका
  • सवचछता का धयान
  • समरणशकति का विकास
  • वयकतितव और वयवहार
Page 10: Tu gulabhokarmehak

िऽकाल सधया जीवन को यिद तजःवी बनाना हो सफल बनाना हो उननत बनाना हो तो मनय को

िऽकाल सधया ज़रर करनी चािहए ातःकाल सय दय स दस िमनट पहल और दस िमनट बाद म दोपहर को बारह बज क दस िमनट पहल और दस िमनट बाद म तथा सायकाल को सयारःत क पाच-दस िमनट पहल और बाद म यह समय सिध का होता ह इस समय िकया हआ ाणायाम जप और धयान बहत लाभदायक होता ह जो मनय सषमना क ार को खोलन म भी सहयोगी होता ह सषमना का ार खलत ही मनय की छपी हई शि या जामत होन लगती ह

ाचीन ऋिष-मिन िऽकाल सधया िकया करत थ भगवान विश भी िऽकाल सधया करत थ और भगवान राम भी िऽकाल सधया करत थ भगवान राम दोपहर को सधया करन क बाद ही भोजन करत थ

सधया क समय हाथ-पर धोकर तीन च ल पानी पीकर िफर सधया म बठ और ाणायाम कर जप कर तो बहत अचछा अगर कोई आिफस म ह तो वही मानिसक रप स कर ल तो भी ठ क ह लिकन ाणायाम जप और धयान कर ज़रर

जस उ ोग करन स परषाथर करन स दिरिता नही रहती वस ही ाणायाम करन स पाप कटत ह जस य करन स धन िमलता ह वस ही ाणायाम करन स आतिरक सामथयर आतिरक बल िमलता ह छादो य उपिनषद म िलखा ह िक िजसन ाणायाम करक मन को पिवऽ िकया ह उस ही गर क आिखरी उपदश का रग लगता ह और आतम-परमातमा का साकषातकार हो जाता ह

मनय क फफड़ो तीन हजार छोट-छोट िछि होत ह जो लोग साधारण रप स ास लत ह उनक फफड़ो क कवल तीन सौ स पाच सौ तक क िछि ही काम करत ह बाकी क बद पड़ रहत ह िजसस शरीर की रोग ितकारक शि कम हो जाती ह मनय ज दी बीमार और बढ़ा हो जाता ह वयसनो एव बरी आदतो क कारण भी शरीर की शि जब िशिथल हो जाती ह रोग-ितकारक शि कमजोर हो जाती ह तो िछि बद पड़ होत ह उनम जीवाण पनपत ह और शरीर पर हमला कर दत ह िजसस दमा और टीबी की बीमारी होन की सभावना बढ़ जाती ह

परनत जो लोग गहरा ास लत ह उनक बद िछि भी खल जात ह फलतः उनम कायर करन की कषमता भी बढ़ जाती ह तथा र श होता ह नाड़ी भी श रहती ह िजसस मन भी सनन रहता ह इसीिलए सबह दोपहर और शाम को सधया क समय ाणायाम करन का िवधान ह ाणायाम स मन पिवऽ होता ह एकाम होता ह िजसस मनय म बहत बड़ा सामथयर आता ह

यिद मन य दस-दस ाणायाम तीनो समय कर और शराब मास बीड़ी व अनय वयसनो एव फशनो म न पड़ तो चालीस िदन म तो मनय को अनक अनभव होन लगत ह कवल चालीस िदन योग करक दिखय शरीर का ःवाःथय बदला हआ िमलगा मन बदला हआ िमलगा जठरा दी होगी आरो यता एव सननता बढ़गी और ःमरण शि म जादई िवकास होगा

ाणायाम स शरीर क कोषो की शि बढ़ती ह इसीिलए ऋिष-मिनयो न िऽकाल सधया की वयवःथा की थी रािऽ म अनजान म हए पाप सबह की सधया स दर होत ह सबह स दोपहर तक क दोष दोपहर की सधया स और दोपहर क बाद अनजान म हए पाप शाम की सधया करन स न हो जात ह तथा अतःकरण पिवऽ होन लगता ह

आजकल लोग सधया करना भल गय ह िनिा क सख म लग हए ह ऐसा करक व अपनी जीवन शि को न कर डालत ह

ाणायाम स जीवन शि का बौि क शि का एव ःमरण शि का िवकास होता ह ःवामी रामतीथर ातःकाल म ज दी उठत थोड़ ाणायाम करत और िफर ाकितक वातावरण म घमन जात परमहस योगानद भी ऐसा करत थ

ःवामी रामतीथर बड़ कशाम बि क िव ाथ थ गिणत उनका िय िवषय था जब व पढ़त थ उनका तीथरराम था एक बार परीकषा म 13 िदय गय िजसम स कवल 9 हल करन थ तीथरराम न 13 क 13 हल कर िदय और नीच एक िट पणी (नोट) िलख दी 13 क 13 सही ह कोई भी 9 जाच लो इतना दढ़ था उनका आतमिव ास

ाणायाम क अनक लाभ ह सधया क समय िकया हआ ाणायाम जप और धयान अनत गणा फल दता ह अिमट प यपज दन वाला होता ह सधया क समय हमारी सब नािड़यो का मल आधार जो सषमना नाड़ी ह उसका ार खला होता ह इसस जीवन शि क डिलनी शि क जागरण म सहयोग िमलता ह उस समय िकया हआ धयान-भजन प यदायी होता ह अिधक िहतकारी और उननित करन वाला होता ह वस तो धयान-भजन कभी भी करो प यदायी होता ही ह िकनत सधया क समय उसका उसका भाव और भी बढ़ जाता ह िऽकाल सधया करन स िव ाथ भी बड़ तजःवी होत ह

अतएव जीवन क सवागीण िवकास क िलए मनयमाऽ को िऽकाल सधया का सहारा लकर अपना नितक सामािजक एव आधयाितमक उतथान करना चािहए

(अनबम)

शरीर ःवाःथय

लोकमानय ितलक जब िव ाथ अवःथा म थ तो उनका शरीर बहत दबला पतला और कमजोर था िसर पर फोड़ा भी था उनहोन सोचा िक मझ दश की आजादी क िलए कछ काम करना ह माता-िपता एव समाज क िलए कछ करना ह तो शरीर तो मजबत होना ही चािहए और मन भी दढ होना चािहए तभी म कछ कर पाऊगा अगर ऐसा ही कमजोर रहा तो पढ़-िलखकर ा िकय हए माण-पऽ भी कया काम आयग

जो लोग िसकड़कर बठत ह झककर बठत ह उनक जीवन म बहत बरकत नही आती जो सीध होकर िःथर होकर बठत ह उनकी जीवन-शि ऊपर की ओर उठती ह व जीवन म सफलता भी ा करत ह

ितलक न िन य िकया िक भल ही एक साल क िलए पढ़ाई छोड़नी पड़ तो छोडगा लिकन शरीर और मन को सदढ़ बनाऊगा ितलक यह िन य करक शरीर को मजबत और मन को िनभ क बनान म जट गय रोज़ सबह-शाम दोड़ लगात ाणायाम करत तरन जात मािलश करत तथा जीवन को सयमी बनाकर चयर की िशकषावाली यौवन सरकषा जसी पःतक पढ़त सालभर म तो अचछा गठ ला बदन हो गया का पढ़ाई-िलखाई म भी आग और लोक-क याण म भी आग राममितर को सलाह दी तो राममितर न भी उनकी सलाह ःवीकार की और पहलवान बन गय

बाल गगाधर ितलक क िव ाथ जीवन क सक प को आप भी समझ जाना और अपन जीवन म लाना िक शरीर सदढ़ होना चािहए मन सदढ़ होना चािहए तभी मनय मनचाही सफलता अिजरत कर सकता ह

ितलक जी स िकसी न पछाः आपका वयि तव इतना भावशाली कस ह आपकी ओर दखत ह तो आपक चहर स अधयातम एकामता और तरणाई की तरलता िदखाई दती ह ःवराजय मरा जनमिस अिधकार ह ऐसा जब बोलत ह तो लोग दग रह जात ह िक आप िव ाथ ह यवक ह या कोई तजपज ह आपका ऐसा तजोमय वयि तव कस बना

तब ितलक न जवाब िदयाः मन िव ाथ जीवन स ही अपन शरीर को मजबत और दढ़ बनान का यास िकया था सोलह साल स लकर इककीस साल तक की उ म शरीर को िजतना भी मजबत बनाना चाह और िजतना भी िवकास करना चाह हो सकता ह

इसीिलए िव ाथ जीवन म इस बार पर धयान दना चािहए िक सोलह स इककीस साल तक की उ शरीर और मन को मजबत बनान क िलए ह

म (परम पजय गरदव आसारामजी बाप) जब चौदह-पनिह वषर का था तब मरा कद बहत छोटा था लोग मझ टणी (िठग) कहकर बलात तो मझ बरा लगता ःवािभमान तो होना ही चािहए टणी ऐसा नाम ठ क नही ह वस तो िव ाथ -काल म भी मरा हसमखा ःवभाव था इसस िशकषको न मरा नाम आसमल क बदल हसमखभाई ऱख िदया था लिकन कद छोटा था तो िकसी न टणी कह िदया जो मझ बरा लगा दिनया म सब कछ सभव ह तो टणी कयो

रहना म काकिरया तालाब पर दौड़ लगाता प लअ स करता और 30-40 माम मकखन म एक-दो माम कालीिमचर क टकड़ डालकर िनगल जाता चालीस िदन तक ऐसा योग िकया अब म उस वयि स िमला िजसन 40 िदन पहल टणी कहा था तो वह दखकर दग रह गया

आप भी चाहो तो अपन शरीर क ःवःथ रख सकत हो शरीर को ःवःथ रखन क कई तरीक ह जस धनवनतरी क आरो यशा म एक बात आती ह - उषःपान

उषःपान अथारत सय दय क पहल या सय दय क समय रात का रखा हआ पानी पीना इसस आतो की सफाई होती ह अजीणर दर होता ह तथा ःवाःथय की भी रकषा होती ह उसम आठ च ल भरकर पानी पीन की बात आयी ह आठ च ल पानी यािन िक एक िगलास पानी चार-पाच तलसी क प चबाकर सय दय क पहल पानी पीना चािहए तलसी क प सय दय क बाद तोड़न चािहए व सात िदन तक बासी नही मान जात

शरीर तनदरःत होना चािहए रगड़-रगड़कर जो नहाता ह और चबा-चबाकर खाता ह जो परमातमा का धयान करता ह और सतसग म जाता ह उसका बड़ा पार हो जाता ह

(अनबम)

अनन का भाव हमार जीवन क िवकास म भोजन का अतयिधक मह व ह वह कवल हमार तन को ही

प नही करता वरन हमार मन को हमारी बि को हमार िवचारो को भी भािवत करता ह कहत भी हः

जसा खाओ अनन वसा होता ह मन महाभारत क य म पहल दसर तीसर और चौथ िदन कवल कौरव-कल क लोग ही

मरत रह पाडवो क एक भी भाई को जरा-सी भी चोट नही लगी पाचवा िदन हआ आिखर दय धन को हआ िक हमारी सना म भीम िपतामह जस यो ा ह िफर भी पाडवो का कछ नही िबगड़ता कया कारण ह व चाह तो य म कया स कया कर सकत ह िवचार करत-करत आिखर वह इस िनकषर पर आया िक भीम िपतामह परा मन लगाकर पाडवो का मलोचछद करन को तयार नही हए ह इसका कया कारण ह यह जानन क िलए सतयवादी यिधि र क पास जाना चािहए उसस पछना चािहए िक हमार सनापित होकर भी व मन लगाकर य कयो नही करत

पाडव तो धमर क पकष म थ अतः दय धन िनःसकोच पाडवो क िशिवर म पहच गया वहा पर पाडवो न यथायो य आवभगत की िफर दय धन बोलाः

भीम अजरन तम लोग जरा बाहर जाओ मझ कवल यिधि र स बात करनी ह

चारो भाई यिधि र क िशिवर स बाहर चल गय िफर दय धन न यिधि र स पछाः यिधि र महाराज पाच-पाच िदन हो गय ह हमार कौरव-पकष क लोग ही मर रह ह

िकनत आप लोगो का बाल तक बाका नही होता कया बात ह चाह तो दवोत भीम तफान मचा सकत ह

यिधि रः हा मचा सकत ह

दय धनः व चाह तो भीण य कर सकत ह पर नही कर रह ह कया आपको लगता ह िक व मन लगाकर य नही कर रह ह

सतयवादी यिधि र बोलः हा गगापऽ भीम मन लगाकर य नही कर रह ह

दय धनः भीम िपतामह मन लगाकर य नही कर रह ह इसका कया कारण होगा

यिधि रः व सतय क पकष म ह व पिवऽ आतमा ह अतः समझत ह िक कौन सचचा ह और कौन झठा कौन धमर म ह तथा कौन अधमर म व धमर क पकष म ह इसिलए उनका जी चाहता ह िक पाडव पकष की जयादा खन-खराबी न हो कयोिक व सतय क पकष म ह

दय धनः व मन लगाकर य कर इसका उपाय कया ह

यिधि रः यिद व सतय ETH धमर का पकष छोड़ दग उनका मन ग त जगह हो जाएगा तो िफर व य करग

दय धनः उनका मन य म कस लग

यिधि रः यिद व िकसी पापी क घर का अनन खायग तो उनका मन य म लग जाएगा

दय धनः आप ही बताइय िक ऐसा कौन सा पापी होगा िजसक घर का अनन खान स उनका मन सतय क पकष स हट जाय और व य करन को तयार हो जाय

यिधि रः सभा म भीम िपतामह गर िोणाचायर जस महान लोग बठ थ िफर भी िोपदी को न न करन की आजञा और जाघ ठोकन की द ता तमन की थी ऐसा धमर-िवर और पापी आदमी दसरा कहा स लाया जाय तमहार घर का अनन खान स उनकी मित सतय और धमर क पकष स नीच जायगी िफर व मन लगाकर य करग

दय धन न यि पा ली कस भी करक कपट करक अपन यहा का अनन भीम िपतामह को िखला िदया भीम िपतामह का मन बदल गया और छठव िदन स उनहोन घमासान य करना आरभ कर िदया

कहन का तातपयर यह ह िक जसा अनन होता ह वसा ही मन होता ह भोजन कर तो श भोजन कर मिलन और अपिवऽ भोजन न कर भोजन क पहल हाथ-पर जरर धोय भोजन साितवक हो पिवऽ हो सननता दन वाला हो तनदरःती बढ़ान वाला हो

आहारश ौ स वशि ः

िफर भी ठस-ठस कर भोजन न कर चबा-चबाकर ही भोजन कर भोजन क समय शात एव सननिच रह भ का ःमरण कर भोजन कर जो आहार खान स हमारा शरीर तनदरःत रहता हो वही आहार कर और िजस आहार स हािन होती हो ऐस आहार स बच खान-पान म सयम स बहत लाभ होता ह

भोजन महनत का हो साि वक हो लहसन याज मास आिद और जयादा तल-िमचर-मसाल वाला न हो उसका िनिम अचछा हो और अचछ ढग स सनन होकर भगवान को भोग लगाकर िफर भोजन कर तो उसस आपका भाव पिवऽ होगा र क कण पिवऽ होग मन पिवऽ होगा िफर सधया-ाणायाम करग तो मन म साि वकता बढ़गी मन म सननता तन म आरो यता का िवकास होगा आपका जीवन उननत होता जायगा

महनत मजदरी करक िवलासी जीवन िबताकर या कायर होकर जीन क िलय िज़दगी नही ह िज़दगी तो चतनय की मःती को जगाकर परमातमा का आननद लकर इस लोक और परलोक म सफल होन क िलए ह मि का अनभव करन क िलए िज़दगी ह

भोजन ःवाःथय क अनकल हो ऐसा िवचार करक ही महण कर तथाकिथत वनःपित घी की अपकषा तल खाना अिधक अचछा ह वनःपित घी म अनक रासायिनक पदाथर डाल जात ह जो ःवाःथय क िलए िहतकर नही होत ह

ए यमीिनयम क बतरन म खाना यह पट को बीमार करन जसा ह उसस बहत हािन होती ह कनसर तक होन की समभावना बढ़ जाती ह ताब पीतल क बतरन कलई िकय हए हो तो अचछा ह ए यमीिनयम क बतरन म रसोई नही बनानी चािहए ए यमीिनयम क बतरन म खाना भी नही चािहए

आजकल अ ड खान का चलन समाज म बहत बढ़ गया ह अतः मनयो की बि भी वसी ही हो गयी ह वजञािनको न अनसधान करक बताया ह िक 200 अ ड खान स िजतना िवटािमन सी िमलता ह उतना िवटािमन सी एक नारगी (सतरा) खान स िमल जाता ह िजतना ोटीन कि शयम अ ड म ह उसकी अपकषा चन मग मटर म एयादा ोटीन ह टमाटर म अ ड स तीन गणा कि शयम एयादा ह कल म स कलौरी िमलती ह और भी कई िवटािमनस कल म ह

िजन ािणयो का मास खाया जाता ह उनकी हतया करनी पड़ती ह िजस व उनकी हतया की जाती ह उस व व अिधक स अिधक अशात िखनन भयभीत उि न और ब होत ह अतः मास खान वाल को भी भय बोध अशाित उ ग इस आहार स िमलता ह शाकाहारी भोजन म सपाचय तत होत ह मास म व नही होत अतः मासाहारी भोजन को पचान क जीवन शि का एयादा वयय होता ह ःवाःथय क िलय एव मानिसक शाित आिद क िलए प यातमा होन की दि स भी शाकाहारी भोजन ही करना चािहए

शरीर को ःथल करना कोई बड़ी बात नही ह और न ही इसकी ज़ररत ह लिकन बि को सआम करन की ज़ररत ह आहार यिद साि वक होगा तो बि भी सआम होगी इसिलए सदव साि वक भोजन ही करना चािहए

(अनबम)

भारतीय सःकित की महानता रवरनड ऑवर नाम का एक पादरी पना म िहनद धमर की िननदा और ईसाइयत का चार

कर रहा था तब िकसी सजजन न एक बार रवरनड ऑवर स कहाः आप िहनद धमर की इतनी िननदा करत हो तो कया आपन िहनद धमर का अधययन िकया

ह कया भारतीय सःकित को परी तरह स जानन की कोिशश की ह आपन कभी िहनद धमर को समझा ही नही जाना ही नही ह िहनद धमर म तो ऐस जप धयान और सतसग की बात ह िक िजनह अपनाकर मनय िबना िवषय-िवकारी क िबना िडःको डास(नतय) क भी आराम स रह सकता ह आनिदत और ःवःथ रह सकता ह इस लोक और परलोक दोनो म सखी रह सकता ह आप िहनद धमर को जान िबना उसकी िनदा करत हो यह ठ क नही ह पहल िहनद धमर का अधययन तो करो

रवरनड ऑवर न उस सजजन की बात मानी और िहनद धमर की पःतको को पढ़न का िवचार िकया एकनाथजी और तकारामजी का जीवन चिरऽ जञान र महाराज की योग सामथयर की बात और कछ धािमरक पःतक पढ़न स उस लगा िक भारतीय सःकित म तो बहत खजाना ह मनय की जञा को िदवय करन की मन को सनन करन की और तन क र कणो को भी बदलन की इस सःकित म अदभत वयवःथा ह हम नाहक ही इन भोल-भाल िहनदःतािनयो को अपन चगल म फसान क िलए इनका धमरपिरवतरन करवात ह अर हम ःवय तो अशािनत की आग म जल ही रह ह और इनह भी अशात कर रह ह

उसन ायि -ःवरप अपनी िमशनरी रो तयागपऽ िलख भजाः िहनदःतान म ईसाइयत फलान की कोई ज़ररत नही ह िहनद सःकित की इतनी महानता ह िवशषता ह िक ईसाइय को चािहए िक उसकी महानता एव सतयता का फायदा उठाकर अपन जीवन को साथरक बनाय िहनद धमर की सतयता का फायदा दश-िवदश म पहच मानव जाित को सख-शाित िमल इसका यास हम करना चािहए

म भारतीय इितहास सशोधन म डल क मर आठ लाख डॉलर भट करता ह और तमहारी िमशनरी को सदा क िलए तयागपऽ दकर भारतीय सःकित की शरण म जाता ह

जस रवर ड ऑवर न भारतीय सःकित का अधययन िकया ऐस और लोगो को भी जो िहनद धमर की िनदा करत ह भारतीय सःकित का पकषपात और पवरमहरिहत अधययन करना चािहए मनय की सष शि या व आनद जगाकर ससार म सख-शाित आनद सननता का चार-सार करना चािहए

मा सीता की खोज करत-करत हनमान जामबत अगद आिद ःवयभा क आौम म पहच उनह जोरो की भख और यास लगी थी उनह दखकर ःवयभा न कह िदया िकः

कया तम हनमान हो ौीरामजी क दत हो सीता जी की खोज म िनकल हो

हनमानजी न कहाः हा मा हम सीता माता की खोज म इधर तक आय ह

िफर ःवयभा न अगद की ओर दखकर कहाः तम सीता जी को खोज तो रह हो िकनत आख बद करक खोज रह हो या आख

खोलकर

अगद जरा राजवी परष था बोलाः हम कया आख बनद करक खोजत होग हम तो आख खोलकर ही माता सीता की खोज कर रह ह

ःवयभा बोलीः सीताजी को खोजना ह तो आख खोलकर नही बद करक खोजना होगा सीता जी अथारत भगवान की अधािगनी सीताजी यानी िव ा आतमिव ा िव ा को खोजना ह तो आख खोलकर नही आख बद करक ही खोजना पड़गा आख खोलकर खोजोग तो सीताजी नही िमलगी तम आख बनद करक ही सीताजी ( िव ा) को पा सकत हो ठहरो म तमह बताती ह िक सीता जी कहा ह

धयान करक ःवयभा न बतायाः सीताजी यहा कही भी नही वरन सागर पार लका म ह अशोकवािटका म बठ ह और राकषिसयो स िघरी ह उनम िऽजटा नामक राकषसी ह तो रावण की सिवका िकनत सीताजी की भ बन गयी ह सीताजी वही रहती ह

वारन सोचन लग िक भगवान राम न तो एक महीन क अदर सीता माता का पता लगान क िलए कहा था अभी तीन स ाह स एयादा समय तो यही हो गया ह वापस कया मह लकर जाए सागर तट तक पहचत-पहचत कई िदन लग जाएग अब कया कर

उनक मन की बात जानकर ःवयभा न कहाः िचनता मत करो अपनी आख बद करो म योगबल स एक कषण म तमह वहा पहचा दती ह

हनमान अगद और अनय वानर अपनी आख बनद करत ह और ःवयभा अपनी योगशि स उनह सागर-तट पर कछ ही पल म पहचा दती ह

ौीरामचिरतमानस म आया ह िक ETH

ठाड़ सकल िसध क तीरा ऐसी ह भारतीय सःकित की कषमता

अमिरका को खोजन वाला कोलबस पदा भी नही हआ था उसस पाच हजार वषर पहल अजरन सशरीर ःवगर म गया था और िदवय अ लाया था ऐसी यो यता थी िक धरती क राजा खटवाग दवताओ को मदद करन क िलए दवताओ का सनापितपद सभालत थ ितःमित-िव ा चाकषषी िव ा परकायावश िव ा अ िसि िव ा एव नविनिध ा करान वाली योगिव ा और जीत-जी जीव को बनान वाली िव ा यह भारतीय सःकित की दन ह अनय जगह यह नही िमलती भारतीय सःकित की जो लोग आलोचना करत ह उन बचारो को तो पता ही नही ह िक भारतीय सःकित िकतनी महान ह

गर तगबहादर बोिलयो सनो सीखो बड़भािगयो धड़ दीज धमर न छोिड़य

यवनो न गर गोिबनदिसह क बटो स कहाः तम लोग मसलमान हो जाओ नही तो हम तमह िज़नदा ही दीवार म चनवा दग

बट बोलः हम अपन ाण द सकत ह लिकन अपना धमर नही तयाग सकत

बरो न उन दोनो को जीत-जी दीवार म चनवा िदया जब कारीगर उनह दीवार म चनन लग तब बड़ा भाई बोलता हः धमर क नाम यिद हम मरना ही पड़ता ह तो पहल मरी ओर ट बढ़ा दो तािक म छोट भाई की मतय न दख

छोटा भाई बोलता हः नही पहल मरी ओर ईट बढ़ा दो

कया साहसी थ कया वीर थ वीरता क साथ अपन जीवन का बिलदान कर िदया िकनत धमर न छोड़ा आजकल क लोग तो अपन धमर और सःकित को ही भलत जा रह ह कोई लवर-लवरी धमरपिरवतरन करक लवमरज करत ह अपना िहनद धमर छोड़कर फस मरत ह यह भी कोई िज़नदगी ह भगवान ौीकण कहत ह ETH

ःवधम िनधन ौय परधम भयावहः अपन धमर म मर जाना अचछा ह पराया धमर दःख दन वाला ह भयावह ह नरको म ल

जान वाला ह इसिलए अपन ही धमर म अपनी ही सःकित म जो जीता ह उसकी शोभा ह रवर ड ऑवर न भारतीय सःकित का खब आदर िकया एफ एच मोलम न महातमा

थोरो एव अनय कई पा ातय िचनतको न भी भारतीय सःकित का बहत आदर िकया ह उनक कछ उदगार यहा ःतत हः

बाईबल का मन यथाथर अ यास िकया ह उसम जो िदवय िलखा ह वह कवल गीता क उ रण क रप म ह म ईसाई होत हए भी गीता क ित इतना सारा आदरभाव इसिलए रखता ह िक िजन गढ़ ो का समाधान पा ातय लोग अभी तक नही खोज पाय ह उनका समाधान गीतामनथ न श एव सरल रीित स कर िदया ह उसम कई सऽ अलौिकक उपदशो स भरपर

लग इसीिलए गीता जी मर िलए साकषात योग री माता बन रही ह वह तो िव क तमाम धन स भी नही खरीदा जा सक ऐसा भारतवषर का अम य खजाना ह

- एफ एच मोलम (इगल ड) ाचीन यग की सवर रमणीय वःतओ म गीता स ौ कोई वःत नही ह गीता म ऐसा

उ म और सवरवयापी जञान ह िक उसक रचियता दवता को अस य वषर हो गय िफर भी ऐसा दसरा एक भी मनथ नही िलखा गया

महातमा थोरो (अमिरका) धमर क कषऽ म अनय सब दख दिरि ह जबिक भारत इस िवषय म अरबपित ह

माकर टवन (यएसए) इस पथवी पर सवारिधक पणर िवकिसत मानवजञा कहा ह और जीवन क मह म ो क

हल िकसन खोज ह ऐसा अगर मझस पछा जाए तो म अगिलिनदश करक कहगा िक भारत न ही

मकसमलर (जमरनी) वदानत जसा ऊधवरगामी एव उतथानकारी और एक भी धमर या त वजञान नही ह

शोपनहोअर (जमरनी) िव भर म कवल भारत ही ऐसी ौ महान परमपराए रखता ह जो सिदयो तक जीिवत

रही ह

कनो (ानस) मनय जाित क अिःततव क सबस ारिमभक िदनो स लकर आज तक जीिवत मनय

क तमाम ःव न अगर कही साकार हए हो तो वह ःथान ह भारत

रोमा रोला (ास) भारत दश समपणर मानव जाित की मातभिम ह और सःकत यरोप की सभी भाषाओ की

जननी ह भारत हमार त वजञान गिणतशा एव जनतऽ की जननी ह भारतमाता अनक रप स सभी की जननी ह

िवल डरानट (यएसए) भारतीय सःकित की महानता का एहसास करन वाल इन सब िवदशी िचनतको को हम

धनयवाद दत ह एक बार महातमा थोरो सो रह थ इतन म उनका िशय एमसरन आया दखा िक वहा

साप और िबचछ घम रह ह गरजी क जागन पर एमसरन बोलाः गरदव यह जगह बड़ी खतरनाक ह म िकसी सरिकषत जगह पर आपकी वयवःथा करवा

दता ह

महातमा थोरो बोलः नही नही िचनता करन की कोई ज़ररत नही ह मर िसरहान पर ौीमदभगवदगीता ह भगवदगीता क जञान क कारण तो मझ साप म िबचछ म सबम मरा ही आतमा-परमातमा िदखता ह व मझ नही काटत ह तो म कही कयो जाऊ

िकतनी कह गीता की महानता यही ह भारतीय सःकित की मिहमा अदभत ह उसकी महानता लाबयान ह उसकी मिहमा

(अनबम)

हिरदास की हिरभि सात वष य गौर वणर क गौराग बड़-बड़ िव ान पिडतो स ऐस-ऐस करत थ िक व

दग रह जात थ इसका कारण था गौराग की हिरभि बड़ होकर उनहोन लाखो लोगो को हिरभि म रग िदया

जो हिरभ होता हिर का भजन करता उसकी बि अचछ मागर पर ही जाती ह लोभी वयि पसो क िलए हसता-रोता ह पद एव कस क तो िकतन ही लोग हसत रोत ह पिरवार क िलए तो िकतन ही मोही हसत रोत ह िकनत धनय ह व जो भगवान क िलए रोत हसत ह भगवान क िवरह म िजस रोना आया ह भगवान क िलए िजसका दय िपघलता ह ऐस लोगो का जीवन साथरक हो जाता ह भागवत म भगवान ौीकण उ व स कहत ह-

वाग गदगदा िवत यःय िच

रदतयभीआण हसित कविचचच िवलजज उदगायित नतयत च

मदभि य ो भवन पनाित िजसकी वाणी गदगद हो जाती ह िजसका िच ििवत हो जाता ह जो बार-बार रोन

लगता ह कभी लजजा छोड़कर उचच ःवर स गान लगता ह कभी नाचन लगता ह ऐसा मरा भ समम ससार को पिवऽ करता ह (ौीमदभागवतः 111424)

धनय ह वह मसलमान बालक जो गौराग क कीतरन म आता ह और िजसन गौराग स मऽदीकषा ली ह

उस मसलमान बालक का नाम हिरदास रखा गया मसलमान लोगो न उस हिरभ हिरदास को फसलान की बहत च ा की बहत डराया िक त गौराग क पास जाना छोड़ द नही तो हम यह करग वह करग िकनत हिरदास बहका नही उसका भय न हो गया था दमरित दर हो चकी थी उसकी सदबि और िन ा भगवान क धयान म लग गयी थी भयनाशन दमरित हरण किल म हिर को नाम यह नानक जी का वचन मानो उसक जीवन म साकार हो उठा था

काज़ी न षडयऽ करक उस पर कस िकया और फरमान जारी िकया िक हिरदास को बत मारत-मारत बीच बाजार स ल जाकर यमना म डाल िदया जाय

िनभ क हिरदास न बत की मार खाना ःवीकार िकया िकनत हिरभि छोड़ना ःवीकार न िकया िनि त िदन हिरदास को बत मारत हए ल जाया जान लगा िसपाही बत मारता ह तो हिरदास बोलता हः हिर बोल

हमको हिर बोल बलवाता ह य ल हिर बोल हिर बोल (सटाकसटाक) िसपाही बोलत हः हम तझ बत मारत ह तो कया तझ पीड़ा नही होती त हमस भी हिर

बोल हिर बोल करवाना चाहता ह

हिरदासः पीड़ा तो शरीर को होती ह म तो आतमा ह मझ तो पीड़ा नही होती तम भी यार स एक बार हिर बोल कहो

िसपाहीः ह हम भी हिर बोल कह हमस हिर बोल बलवाता ह ल य हिर बोल (सटाक)

हिरदास सोचता ह िक बत मारत हए भी तो य लोग हिर बोल कह रह ह चलो इनका क याण होगा िसपाही बत मारत जात ह सटाक सटाक और हिरदास हिर बोल बोलता भी जाता ह बलवाता भी जाता ह हिरदास को कई बत पड़न पर भी उसक चहर पर दःख की रखा तक नही िखचती

हवालदार पछता हः हिरदास तझ बत पड़न क बावजद भी तरी आखो म चमक ह चहर पर धयर शाित और सननता झलक रही ह कया बात ह

हिरदासः म बोलता ह हिर बोल तब िसपाही ब होकर भी कहत हः ह हमस भी बलवाता ह हिर बोल हिर बोल हिर बोल तो ल इस बहान भी उनक मह स हिरनाम िनकलता ह दर सवर उनका भी क याण होगा इसी स मर िच म सननता ह

धनय ह हिरदास की हिरभि बर काज़ी क आदश का पालन करत हए िसपाही उस हिरभि स िहनद धमर की दीकषा स चयत करन क िलए बत मारत ह िफर भी वह िनडर हिरभि नही छोड़ता हिर बोल बोलना बद नही करता

व मसलमान िसपाही हिरदास को िहनद धमर की दीकषा क भाव स गौरा क भाव स दर हटाना चाहत थ लिकन वह दर नही हटा बत सहता रहा िकनत हिर बोल बोलना न छोड़ा आिखरकार उन बर िसपाहीयो न हिरदास को उठाकर नदी म बहा िदया

नदी म तो बहा िदया लिकन दखो हिरनाम का भाव मानो यमनाजी न उसको गोद म ल िलया डढ़ मील तक हिरदास पानी म बहता रहा वह शातिच होकर मानो उस पानी म नही हिर की कपा म बहता हआ दर िकसी गाव क िकनार िनकला दसर िदन गौराग की भातफरी म शािमल हो गया लोग आ यरचिकत हो गय िक चमतकार कस हआ

धनय ह वह मसलमान यवक हिरदास जो हिर क धयान म हिर क गान म हिर क कीतरन म गौराग क साथ रहा जस िववकाननद क साथ भिगनी िनविदता न भारत म अधयातम-धणर क चार म लगकर अपना नाम अमर कर िदया वस ही इस मसलमान यवक न हिरकीतरन म हिरधयान म अपना जीवन धनय कर िदया दजरन लोग हिरदास का बाल तक न बाका कर सक जो सचच दय स भगवान का हो जाता ह उसकी हजारो शऽ िमलकर भी कछ हािन नही कर सकत तो उस काज़ी की कया ताकत थी

लोगो न जाकर काज़ी स कहा िक आज हिरदास पनः गौराग की भातफरी म उपिःथत हो गया था काजी अतयनत अहकारी था उसन एक नोिटस भजा एक आदश चतनय महाभ (गौराग) को भजा िक कल स तम भातफरी नही िनकाल सकत तमहारी भातफरी पर बिदश लगाई जाती ह

गौराग न सोचा िक हम िकसी का बरा नही करत िकसी को कोई हािन नही पहचात अर वायम डल क दषण को दर करन क िलए तो शासन पस खचर करता ह िकनत िवचारो क दषण को दर करन क िलए हिरकीतरन जसा हिरभि जसा अमोघ उपाय कौन सा ह भल काजी और शासन की समझ म आय या न आय वातावरण को श करन क साथ-साथ िवचारो का दषण भी दर होना चािहए हम तो कीतरन करग और करवायग

जो लोग डरपोक थ भीर और कायर थ ढील-ढाल थ व बोलः बाबा जी रहन दो रहन दो अपना कया जो करग व भरग अपन तो घर म ही रहकर हिर ॐ हिर ॐ करग

गौराग न कहाः नही इस कार कायरो जसी बात करना ह तो हमार पास मत आया करो

दसर िदन जो डरपोक थ ऐस पाच-दस वयि नही आय बाकी क िहममतवाल िजतन थ व सब आय उनह दखकर और लोग भी जड़

गौराग बोलः आज हमारी भातफरी की पणारहित काजी क घर पर ही होगी

गौराग भ -म डली क साथ कीतरन करत-करत जब बाजार स गज़र तो कछ िहनद एव मसलमान भी कीतरन म जड़ गय उनको भी कीतरन म रस आन लगा व लोग काजी को गािलया दन लग िक काजी बदमाश ह ऐसा ह वसा ह आिद ETH आिद

तब गौराग कहत हः नही शऽ क िलए भी बरा मत सोचो

उनहोन सबको समझा िदया िक काजी क िलए कोई भी अपश द नही कहगा कसी महान ह हमारी िहनद सःकित िजसन हिरदास को बत मारन का आदश िदया उस कवल अपश द कहन क िलए भी गौराग मना कर रह ह इस भारती सःकित म िकतनी उदारता ह स दयता ह लिकन कायरता को कही भी ःथान नही ह

गौराग कीतरन करत-करत काजी क घर क िनकट पहच गय काजी घर की छत पर स इस भातफरी को दखकर दग रह गया िक मर मना करन पर भी इनहोन भातफरी िनकाली

और मर घर तक ल आय उसम मसलमान लड़क भी शािमल ह जयो ही वह भातफरी काजी क घर पहची काजी घर क अनदर िछप गया

गौराग न काजी का ार खटखटाया तब काजी या काजी की प ी न नही वरन चौकीदार न दरवाजा खोला वह बोलाः

काजी साहब घर पर नही ह

गौराग बोलः नही कस ह अभी तो हमन उनह घर की छत पर दखा था काजी को जाकर बोलो हमार मामा और मा भी िजस गाव की ह आप भी उसी गाव क हो इसिलए आप मर गाव क मामा लगत ह मामाजी भानजा ार पर आय और आप छप कर बठ यह शोभा नही दता बाहर आ जाईय

चौकीदार न जाकर काजी को सब कह सनाया गौराग क मभर वचन सनकर काजी का दय िपघल गया िजस पर मन ज म ढाय वह मझ मामा कहकर सबोिधत करता ह िजसक साथ मन बरता की वह मर साथ िकतना औदायर रखता ह यह सोचकर काजी का दय बदल गया वह ार पर आकर बोलाः

म तमस डरकर अनदर नही छपा कयोिक मर पास तो स ा ह कलम की ताकत ह लिकन हिरकीतरन स हिरनाम स िहनद तो कया मसलमान लड़क भी आनिदत हो रह ह उनका भी लह पिवऽ हो रहा ह यह दखकर मझ दःख हो रहा ह िक िजस नाम क उचचारण स उनकी रग-रग पावन हो रही ह उसी नाम क कारण मन हिरदास पर और तम पर ज म िकया िकसी क बहकाव म आकर तम लोगो पर फरमान जारी िकया अब म िकस मह स तमहार सामन आता इसीिलए म मह िछपाकर घर क अनदर घस गया था

भानजा(गौराग) बोलता हः मामा अब तो बाहर आ जाइय

मामा(काजी) बोलाः बाहर आकर कया कर

गौरागः कीतरन कर हिरनाम क उचचारण स छपी हई यो यता िवकिसत कर आनद गट कर

काजीः कया करना होगा

गौरागः म जसा बोलता ह ऐसा ही बोलना होगा बोिलएः हिर बोल हिर बोल

काजीः हिर बोल हिर बोल

गौरागः हिर बोल हिर बोल

काजीः हिर बोल हिर बोल

हिर बोल हिर बोल हिर बोल हिर बोल

हिर बोल हिर बोल हिर बोल हिर बोल

कीतरन करत-करत गौराग न अपनी िनगाहो स काजी पर कपा बरसाई तो काजी भी झमन लगा उस भी हिर बोल का रग लग गया जस इजन को ह डल दकर छोड़ दत ह तब भी इजन चलता रहता ह ऐस ही गौराग की कपादि स काजी भी झमन लगा

काजी क झमन स वातावरण म और भी रग आ गया काजी तो झम गया काजी की प ी भी झमी और चौकीदार भी झम उठा सब हिरकीतरन म झमत-झमत अपन र को पावन करन लग दय को हिररस स सराबोर करन लगा उनक जनम-जनम क पाप-ताप न होन लग िजस पर भगवान की दया होती ह िजसको साधओ का सग िमलता ह सतसग का सहारा िमलता ह और भारतीय सःकित की महानता को समझन की अकल िमलती ह िफर उसक उ ार म कया बाकी रह जाता ह काजी का तो उ ार हो गया

दखो सत की उदारता एव महानता िजसन िहनदओ पर ज म करवाय भ हिरदास को बत मरवात-मरवात यमना जी म डलवा िदया भातफरी पर ितबध लगवा िदया उसी काजी को गौराग न हिररग म रग िदया अपनी कपादि स िनहाल कर िदया उसक बर कम की धयान न दत हए भि का दान द िदया ऐस गौराग क ौीचरणो म हमार हजार-हजार णाम ह हम उस मसलमान यवक हिरदास को भी धनयवाद दत ह िक उसन बत खात पीड़ा सहत भी भि न छोड़ी गरदव को न छोड़ा न ही उनक दबाव म आकर पनः मसलमान बना हिर बोल क रग म ःवय रगा और िसपािहयो को भी रग िदया धनय ह हिरदास और उसकी हिरभि

(अनबम)

बनावटी ौगार स बचो जमरनी क िस दाशरिनक शोपनहार कहत ह िक िजन दशो म हिथयार बनाय जात ह

उन दशो क लोगो को य करन की उ जना होती ह और उन दशो म हिथयार बनत ही रहत ह य भी होत रहत ह ऐस ही जो लोग फशन करत ह उनक दय म काम बोध लोभ मोह रपी य होता ही रहता ह उनक जीवन म िवलािसता आती ह और पतन होता ह वस ही फशन और िवलािसता स सयम सदाचार और यो यता का सहार होता ह

इसिलए य क साधन बढ़न स जस य होता ह वस ही िवलािसता और फशन क साधनो का उपयोग करन स अतयर होता ह अपनी आितमक शि यो का सहार होता ह अतः अपना भला चाहन वाल भाई-बहनो को पफ-पाउडर िलपिःटक-लाली व -अलकार क िदखाव क पीछ नही पड़ना चािहए सयम सादगी एव पिवऽतापणर जीवन जीना चािहए

अपन शा ो म ौगार की अनमित दी गई ह सौभा यवती ि या जब पित अपन ही नगर म हो घर म हो तब ौगार कर पित यिद दर दश गया हो तब सौभा यवित ि यो को भी सादगीपणर जीवन जीना चािहए ौगार क उपयोग म आनवाली वःतए भी वनिःपतयो एव साि वक रसो स बनी हई होनी चािहए जो सननता और आरो यता दान कर

आजकल तो शरीर म उ जना पदा कर बीमािरया पदा कर ऐस किमक स(रसायनो) और जहर जस साधनो स ौगार-साधन बनाए जात ह िजसस शरीर क अनदर जहरील कण जात ह और तवचा की बीमािरया होती ह आहार म भी जहरील कणो क जान स पाचन-तऽ और मानिसक सतलन िबगड़ता ह साथ ही बौि क एव वचािरक सतलन भी िबगड़ता ह

पशओ की चब किमक स और दसर थोड़ जहरील िवयो स बन पफ-पाउडर िलपिःटक-लाली आिद िजन साधनो का यटी-पालरर म उपयोग िकया जाता ह वसी गदगी कभी-भी अपन शरीर को तो लगानी ही नही चािहए दसर लोगो न लगायी हो तो दखकर सनन भी नही होना चािहए अपन सयम और सदाचार की सनदरता को गट करना चािहए मीरा और शबरी िकस यटी-पालरर म गय थ सती अनसया गाग और मदालसा न िकस पफ-पाउडर लाली-िलपिःटक का उपयोग िकया था िफर भी उनका जीवन सनदर तजःवी था हम भी ई र स ाथरना कर िक ह भगवान हम अपना सयम और साधना का सौनदयर बढ़ाए ऐसी त दया करना िवकारी सौनदयर स अपन को बचाकर िनिवरकारी नारायण की ओर जाय ऐसी त दया करना िवलािसता म अपन समय को न लगाकर तर ही धयान-िचतन म हमारा समय बीत ऐसी त कपा करना

किऽम सौनदयर-साधन स तवचा की िःन धता और कोमलता मर जाती ह पफ-पाउडर बीम आिद स शरीर की कदरती िःन धता खतम हो जाती ह ाकितक सौनदयर को न करक

जो किऽम सौनदयर क गलाम बनत ह उनस ःनहभरी सलाह ह िक व पफ-पाउडर आिद और तड़कील-भड़कील व आिद की गलामी को छोड़कर ाकितक सौनदयर को बढ़ान की कोिशश कर मीरा और मदालसा की तरह अपन असली सौनदयर को कट करन की कोिशश कर

(अनबम)

साहसी बालक एक लड़का काशी म हिर नि हाईःकल म पढ़ता था उसका गाव काशी स आठ मील दर

था वह रोजाना वहा स पदल चलकर आता बीच म जो गगा नदी बहती ह उस पार करक िव ालय पहचता

उस जमान म गगा पार करन क िलए नाव वाल को दो पस दन पड़त थ दो पस आन क और दो पस जान क कल चार पस यािन पराना एक आना महीन म करीब दो रपय हए जब सोन क एक तोल का भाव रपया सौ स भी नीच था तब क दो रपय आज क तो पाच-पचचीस रपय हो जाए

उस लड़क न अपन मा-बाप पर अितिर बोझा न पड़ इसिलए एक भी पस की माग नही की उसन तरना सीख िलया गम हो बािरश हो या ठ ड हो गगा पार करक हाईःकल म जाना उसका बम हो गया इस कार िकतन ही महीन गजर गय

एक बार पौष मास की ठ ड म वह लड़का सबह की ःकल भरन क िलए गगा म कदा तरत-तरत मझधार म आया एक नाव म कछ याऽी नदी पार कर रह थ उनहोन दखा िक छोटा-सा लड़का अभी डब मरगा व उसक पास नाव ल गय और हाथ पकड़ कर उस नाव म खीच िलया लड़क क मख पर घबराहट या िचनता की कोई रखा नही थी सब लोग दग रह गय इतना छोटा ह और इतना साहसी ह व बोलः

त अभी डब मरता तो ऐसा साहस नही करना चािहए

तब लड़का बोलाः साहस तो होना ही चािहए जीवन म िव न-बाधाए आयगी उनह कचलन क िलए साहस तो चािहए ही अगर अभी स साहस नही जटाया तो जीवन म बड़-बड़ कायर कस कर पायग

लोगो न पछाः इस समय तरन कयो िगरा दोपहर को नहान आता

लड़का बोलता हः म नहान क िलए नदी म नही िगरा ह म तो ःकल जा रहा ह

नाव म बठकर जाता

रोज क चार पस आन-जान क लगत ह मर गरीब मा-बाप पर मझ बोझा नही बनना ह मझ तो अपन परो पर खड़ होना ह मरा खचर बढ़ तो मर मा-बाप की िचनता बढ़ उनह घर चलाना मिकल हो जाय

लोग उस आदर स दखत ही रह गय वही साहसी लड़का आग चलकर भारत का धान मऽी बना

वह लड़का कौन था पता ह व थ लाल बहादर शा ी शा ी जी उस पद भी सचचाई साहस सरलता ईमानदारी सादगी दशम आिद सदगण और सदाचार क मितरमनत ःवरप थ ऐस महापरष भल िफर थोड़ा-सा समय ही राजय कर पर एक अनोखा भाव छोड़ जात ह जनमानस पर

(अनबम)

गर-आजञापालन का चमतकार ौीम आ ाशकराचायर जी जब काशी म िनवास करत थ तब गगा-तट पर िनतय ात-

काल टहलत थ एक सबह िकसी ितभासपनन यवक न दसर िकनार स दखा िक कोई सनयासी उस पार टहल रह ह उस यवक न दसर िकनार स ही उनह णाम िकया उस यवक को दखकर आ शकराचायर जी न सकत िकया िक इधर आ जाओ उस आभासमपनन यवक न दखा िक मन तो साध को णाम कर िदया ह णाम कर िदया तो म उनका िशय हो गया और उनहोन मझ आदश िदया िक इधर आ जाओ अब गर की आजञा का उ लघन करना भी तो उिचत नही ह िकनत यही कोई नाव नही ह और म तरना भी नही जानता ह अब कया कर उसक मन म िवचार आया िक वस भी तो हजारो बार हम मर चक ह एक बार यिद गर क दशरन क िलए जात-जात मर जाय तो घाटा कया होगा

गग मात की जय कह कर उस यवक न तो गगाजी म पर रख िदया उसकी इचछा कहो ौीम आ शकराचायर जी का भाव कहो या िनयित की लीला कहो जहा उस यवक न कदम रखा वहा एक कमल पदा हो गया उसक पर को थामन क िलए जब दसरा पर रखा तो वहा भी कमल पदा हो गया इस कार जहा-जहा वह कदम रखता गया वहा कमल (प ) उतपनन होता गया और वह यवक गगा क दसर तट पर जहा आ शकराचायर जी खड़ थ पहच गया

जहा-जहा वह कदम रखता था वहा-वहा प (कमल) क कट होन क कारण उसका नाम पड़ा - प पादाचायर शकराचायर जी क म य चार प टिशयो म आग जाकर यही प पादाचायर एक प टिशय बन

कहन का तातपयर यह ह िक सिचचदानद परमातमा की शि का सामथयर का बयान करना सभव नही ह िजसकी िजतनी दढ़ता ह िजसकी िजतनी सचचाई ह िजसकी िजतनी ततपरता ह उतनी ही कित भी उसकी मदद करन को आतर रहती ह प पादाचायर की गर-आजञापालन म दढ़ता और ततपरता को दखकर गगा जी म कमल गट हो गय िशय यिद दढ़ता ततपरता और ईमानदारी स गर-आजञापालन म लग जाय तो कित भी उसक अनकल हो जाती ह

(अनबम)

अनोखी गरदिकषणा एकलवय गर िोणाचायर क पास आकर बोलाः मझ धनिवर ा िसखान की कपा कर

गरदव गर िोणाचायर क समकष धमरसकट उतपनन हआ कयोिक उनहोन भीम िपतामह को वचन

द िदया था िक कवल राजकमारो को ही म िशकषा दगा एकलवय राजकमार नही ह अतः उस धनिवर ा कस िसखाऊ अतः िोणाचायर न एकलवय स कहाः

म तझ धनिवर ा नही िसखा सकगा

एकलवय घर स िन य करक िनकला था िक म कवल गर िोणाचायर को ही गर बनाऊगा िजनक िलए मन म भी गर बनान का भाव आ गया उनक िकसी भी वयवहार क िलए िशकायत या िछिानवषण की वि नही होनी चािहए

एकलवय एकात अर य म गया और उसन गर िोणाचायर की िम टी की मितर बनायी मितर की ओर एकटक दखकर धयान करक उसी स रणा लकर वह धनिवर ा सीखन लगा एकटक दखन स एकामता आती ह एकामता गरभि अपनी सचचाई और ततपरता क कारण उस रणा िमलन लगी जञानदाता तो परमातमा ह धनिवर ा म वह बहत आग बढ़ गया

एक बार िोणाचायर पाडव एव कौरव धनिवर ा का योग करन अर य म आय उनक साथ एक क ा भी था जो थोड़ा आग िनकल गया क ा वही पहचा जहा एकलवय अपनी धनिवर ा का योग कर रहा था एकलवय क खल बाल फट कपड़ एव िविचऽ वष को दखकर क ा भ कन लगा

एकलवय न क को लग नही चोट न पहच और उसका भ कना बद हो जाय इस ढग स सात बाण उसक मह म थमा िदय क ा वािपस वहा गया जहा िोणाचायर क साथ पाडव और कौरव थ

उस दखकर अजरन को हआ िक क को चोट न लग इस ढग स बाण मह म घसाकर रख दना यह िव ा तो म भी नही जानता यह कस सभव हआ वह गर िोणाचायर स बोलाः

गरदव आपन तो कहा था िक मरी बराबरी का दसरा कोई धनधाररी नही होगा िकनत ऐसी िव ा तो मझ भी नही आती

िोणाचायर को हआ िक दख इस अर य म कौन-सा ऐसा कशल धनधरर ह आग जाकर दखा तो वह था िहर यधन का पऽ गरभ एकलवय

िोणाचायर न पछाः बटा यह िव ा त कहा स सीखा

एकलवय बोलाः गरदव आपकी ही कपा स सीखा ह

िोणाचायर तो वचन द चक थ िक अजरन की बराबरी का धनधरर दसरा कोई न होगा िकनत यह तो आग िनकल गया गर क िलए धमरसकट खड़ा हो गया एकलवय की अटट ौ ा दखकर िोणाचायर न कहाः मरी मितर को सामन रखकर त धनिवर ा तो सीखा िकनत गरदिकषणा

एकलवयः जो आप माग

िोणाचायरः तर दाय हाथ का अगठा

एकलवय न एक पल भी िवचार िकय िबना अपन दाय हाथ का अगठा काटकर गरदव क चरणो म अपरण कर िदया

िोणाचायरः बटा भल ही अजरन धनिवर ा म सबस आग रह कयोिक म उस वचन द चका ह िकनत जब तक सयर चनि नकषऽो का अिःततव रहगा तब तक लोग तरी गरिन ा का तरी गरभि का ःमरण करग तरा यशोगान होता रहगा

उसकी गरभि और एकामता न उस धनिवर ा म तो सफलता िदलायी ही लिकन सतो क दय म भी उसक िलए आदर गट करवा िदया धनय ह एकलवय जो गरमितर स रणा पाकर धनिवर ा म सफल हआ और िजसन अदभत गरदिकषणा दकर साहस तयाग और समपरण का पिरचय िदया

(अनबम)

सतसग की मिहमा तलसीदास जी महाराज कहत ह ETH

एक घड़ी आधी घड़ी आधी म पिन आध तलसी सगत साध की हर कोिट अपराध

एक बार शकदव जी क िपता भगवान वदवयासजी महाराज कही जा रह थ राःत म उनहोन दखा िक एक कीड़ा बड़ी तजी स सड़क पार कर रहा था

वदवयासजी न अपनी योगशि दत हए उसस पछाः त इतनी ज दी सड़क कयो पार कर रहा ह कया तझ िकसी काम स जाना ह त तो

नाली का कीड़ा ह इस नाली को छोड़कर दसरी नाली म ही तो जाना ह िफर इतनी तजी स कयो भाग रहा ह

कीड़ा बोलाः बाबा जी बलगाड़ी आ रही ह बलो क गल म बध घघर तथा बलगाड़ी क पिहयो की आवाज म सन रहा ह यिद म धीर-धीर सड़क पार करगा तो वह बलगाड़ी आकर मझ कचल डालगी

वदवयासजीः कचलन द कीड़ की योिन म जीकर भी कया करना

कीड़ाः महिषर ाणी िजस शरीर म होता ह उसको उसम ही ममता होती ह अनक ाणी नाना कार क क ो को सहत हए भी मरना नही चाहत

वदवयास जीः बलगाड़ी आ जाय और त मर जाय तो घबराना मत म तझ योगशि स महान बनाऊगा जब तक ा ण शरीर म न पहचा द अनय सभी योिनयो स शीय छटकारा िदलाता रहगा

उस कीड़ न बात मान ली और बीच राःत पर रक गया और मर गया िफर वदवयासजी की कपा स वह बमशः कौआ िसयार आिद योिनयो म जब-जब भी उतपनन हआ वयासजी न जाकर उस पवरजनम का ःमरण िदला िदया इस तरह वह बमशः मग पकषी शि वय जाितयो म जनम लता हआ कषिऽय जाित म उतपनन हआ उस वहा भी वदवयासजी दशरन िदय थोड़ िदनो म रणभिम म शरीर तयागकर उसन ा ण क घर जनम िलया

भगवान वदवयास जी न उस पाच वषर की उ म सारःवतय मऽ द िदया िजसका जप करत-करत वह धयान करन लगा उसकी बि बड़ी िवलकषण होन पर वद शा धमर का रहःय समझ म आ गया

सात वषर की आय म वदवयास जी न उस कहाः काि रक कषऽ म कई वष स एक ा ण ननदभि तपःया कर रहा ह तम जाकर उसकी

शका का समाधान करो

माऽ सात वषर का ा ण कमार काि रक कषऽ म तप कर रह उस ा ण क पास पहच कर बोलाः

ह ा णदव आप तप कयो कर रह ह

ा णः ह ऋिषकमार म यह जानन क िलए तप कर रहा ह िक जो अचछ लोग ह सजजन लोग ह व सहन करत ह दःखी रहत ह और पापी आदमी सखी रहत ह ऐसा कयो ह

बालकः पापी आदमी यिद सखी ह तो पाप क कारण नही वरन िपछल जनम का कोई प य ह उसक कारण सखी ह वह अपन प य खतम कर रहा ह पापी मनय भीतर स तो दःखी ही होता ह भल ही बाहर स सखी िदखाई द

धािमरक आदमी को ठ क समझ नही होती उिचत िदशा व मऽ नही िमलता इसिलए वह दःखी होता ह वह धमर क कारण दःखी नही होता अिपत समझ की कमी क कारण दःखी होता ह समझदार को यिद कोई गर िमल जाय तो वह नर म स नारायण बन जाय इसम कया आ यर ह

ा णः म इतना बढ़ा हो गया इतन वष स काि रक कषऽ म तप कर रहा ह मर तप का फल यही ह िक तमहार जस सात वषर क योगी क मझ दशरन हो रह ह म तमह णाम करता ह

बालकः नही नही महाराज आप तो भदव ह म तो बालक ह म आपको णाम करता ह

उसकी नता दखकर ा ण और खश हआ तप छोड़कर वह परमातमिचनतन म लग गया अब उस कछ जानन की इचछा नही रही िजसस सब कछ जाना जाता ह उसी परमातमा म िवौाित पान लग गया

इस कार ननदभि ा ण को उ र द िनःशक कर सात िदनो तक िनराहार रहकर वह बालक सयरमनऽ का जप करता रहा और वही बहदक तीथर म उसन शरीर तयाग िदया वही बालक दसर जनम म कषार िपता एव िमऽा माता क यहा गट हआ उसका नाम मऽय पड़ा इनहोन वयासजी क िपता पराशरजी स िवण-पराण तथा बहत पाराशर होरा शा का अधययन िकया था पकषपात रिहत अनभवकाश नामक मनथ म मऽय तथा पराशर ऋिष का सवाद आता ह

कहा तो सड़क स गजरकर नाली म िगरन जा रहा कीड़ा और कहा सत क सािननधय स वह मऽय ऋिष बन गया सतसग की बिलहारी ह इसीिलए तलसीदास जी कहत ह ETH

तात ःवगर अपवगर सख धिरअ तला एक अग तल न तािह सकल िमली जो सख लव सतसग

यहा एक शका हो सकती ह िक वह कीड़ा ही मऽय ऋिष कयो नही बन गया

अर भाई यिद आप पहली ककषा क िव ाथ हो और आपको एम ए म िबठाया जाय तो कया आप पास हो सकत हो नही दसरी तीसरी चौथी दसवी बारहवी बीए आिद पास करक ही आप एमए म वश कर सकत हो

िकसी चौकीदार पर कोई धानमनऽी अतयिधक सनन हो जाए तब भी वह उस सीधा कलकटर (िजलाधीश) नही बना सकता ऐस ही नाली म रहन वाला कीड़ा सीधा मनय तो नही

हो सकता बि क िविभनन योिनयो को पार करक ही मनय बन सकता ह हा इतना अवय ह िक सतकपा स उसका मागर छोटा हो जाता ह

सतसमागम की साध परषो स सग की मिहमा का कहा तक वणरन कर कस बयान कर एक सामानय कीड़ा उनक सतसग को पाकर महान ऋिष बन सकता ह तो िफर यिद मानव को िकसी सदगर का सािननधय िमल जाय उनक वचनानसार चल पड़ तो मि का अनभव करक जीवनम भी बन सकता ह

(अनबम)

पीड़ पराई जान र जञानी िकसी स यार करन क िलए बध हए नही ह और िकसी को डाटन म भी राजी

नही ह हमारी जसी यो यता होती ह ऐसा उनका वयवहार हमार ित होता ह लीलाशाह बाप क ौीचरणो म बहत लोग गय थ एक लड़का भी गया था वह मिणनगर

म रहता था िशवजी को जल चढ़ान क प ात ही वह जल पीता वह लड़का खब िन ा स धयान-भजन करता और सवा पजा करता

एक िदन कोई वयि राःत म बहोश पड़ा हआ था िशवजी को जल चढ़ान जात समय उस बालक न उस दखा और अपनी पजा-वजा छोड़कर उस गरीब की सवा म लग गया िबहार का कोई यवक था नौकरी की खोज म आया था कालपर(अहमदाबाद) ःटशन क लटफामर पर एक दो िदन रहा किलयो न मारपीट कर भगा िदया चलत-चलत मिणनगर म पनीत आौम की ओर रोटी की आशा म जा रहा था रोटी तो वहा नही िमलती थी इसिलए भख क कारण चलत-चलत राःत म िगर गया और बहोश हो गया

उस लड़क का घर पनीत आौम क पास ही था सबह क दस साढ़ दस बज थ वह लड़का घर स धयान-भजन स िनपटकर मिदर म िशवजी को जल चढ़ान क िलए जल का लोटा और पजा की साममी लकर जा रहा था उसन दखा िक राःत म कोई यवक पड़ा ह राःत म चलत-चलत लोग बोलत थः शराब पी होगी यह होगा वह होगा हम कया

लड़क को दया आई प य िकय हए हो तो रणा भी अचछ िमलती ह शभ कम स शभ रणा िमलती ह अपन पास की पजा साममी एक ओर रखकर उसन उस वयि को िहलाया बहत मिकल स उसकी आख खली कोई उस जत सघाता कोई कछ करता कोई कछ बोलता था

आख खोलत ही वह वयि धीर स बोलाः पानी पानी

लड़क न महादव जी क िलय लाया हआ जल का लोटा उस िपला िदया िफर दोड़कर घर जाकर अपन िहःस का दध लाकर उस िदया

यवक क जी म जी आया उसन अपनी वयथा बतात हए कहाः बाब जी म िबहार स आया ह मर बाप गजर गय काका िदन-रात टोकत रहत त िक

कमाओ नही तो खाओग कया नौकरी धधा िमलता नही ह भटकत-भटकत अहमदाबाद क ःटशन पर कली का काम करन का य िकया हमारी रोटी-रोजी िछन जायगी ऐसा समझकर किलयो न खब मारा पदल चलत-चलत मिणनगर ःटशन की ओर आत-आत यहा तीन िदन की भख और मार क कारण चककर आय और िगर गया

लड़क न उस िखलाया अपना इक ठा िकया हआ जबखचर का पसा िदया उस यवक को जहा जाना था वहा भजन की वयवःथा की इस लड़क क दय म आनद की वि हई अतर म आवाज आईः

बटा अब म तझ बहत ज दी िमलगा

लड़क न िकयाः अनदर कौन बोलता ह

उ र आयाः िजस िशव की त पजा करता ह वह तरा आतमिशव अब म तर दय म कट होऊगा सवा क अिधकारी की सवा मझ िशव की ही सवा ह

उस िदन उस अतयारमी न अनोखी ऱणा और ोतसाहन िदया वह लड़का तो िनकल पड़ा घर छोड़कर ई र-साकषातकार करन क िलए कदारनाथ वनदावन होत हए निनताल क अर य म पहचा

कदारनाथ क दशरन पाय लकषािधपित आिशष पाय

इस आशीवारद को वापस कर ई राि क िलए िफर पजा की उसक पास जो कछ रपय पस थ उनह वनदावन म साध-सतो एव गरीबो म भ डारा करक खचर कर िदया था थोड़ स पस लकर निनताल क अर यो म पहचा लोकलाड़ल लाखो दयो को हिररस िपलात पजयपाद सदगर ौी लीलाशाह बाप की राह दखत हए चालीस िदन बीत गय गरवर ौी लीलाशाह को अब पणर समिपरत िशय िमला पणर खजाना ा करन वाला पिवऽातमा िमला पणर गर की पणर िशय िमला

िजस लड़क क िवषय म यह कथा पढ़ रह ह वह लड़का कौन होगा जानत हो

पणर गर कपा िमली पणर गर का जञान आसमल स हो गय साई आसाराम

अब तो समझ ही गय होग (उस लड़क क वश म छप हए थ पवर जनम क योगी और वतरमान म िव िव यात हमार

पजयपाद सदगरदव ौी आसाराम जी महाराज)

(अनबम)

िवकास क बिरयो स सावधान किपलवःत क राजा श ोदन का यवराज था िस ाथर यौवन म कदम रखत ही िववक

और वरा य जाग उठा यवान प ी यशोधरा और नवजात िशश राहल की मोह-ममता की रशमी जजीर काटकर महाभीिनबमण (गहतयाग) िकया एकानत अर य म जाकर गहन धयान साधना करक अपन साधय त व को ा कर िलया

एकानत म तप यार और धयान साधना स िखल हए इस आधयाितमक कसम की मधर

सौरभ लोगो म फलन लगी अब िस ाथर भगवान ब क नाम स जन-समह म िस हए हजारो हजारो लोग उनक उपिद मागर पर चलन लग और अपनी अपनी यो यता क मतािबक आधयाितमक याऽा म आग बढ़त हए आितमक शाित ा करन लग अस य लोग बौ िभकषक बनकर भगवान ब क सािननधय म रहन लग उनक पीछ चलन वाल अनयायीओ का एक सघ ःथािपत हो गया चह ओर नाद गजन लग िकः

ब शरण गचछािम धमम शरण गचछािम सघ शरण गचछािम

ौावःती नगरी म भगवान ब का बहत यश फला लोगो म उनकी जय-जयकार होन लगी लोगो की भीड़-भाड़ स िवर होकर ब नगर स बाहर जतवन म आम क बगीच म रहन लग नगर क िपपास जन बड़ी तादाद म वहा हररोज िनि त समय पर पहच जात और उपदश-वचन सनत बड़-बड़ राजा महाराजा भगवान ब क सािननधय म आन जान लग

समाज म तो हर कार क लोग होत ह अनािद काल स दवी समपदा क लोग एव आसरी समपदा क लोग हआ करत ह ब का फलता हआ यश दखकर उनका तजो ष करन वाल लोग जलन लग सतो क साथ हमशा स होता आ रहा ह ऐस उन द त वो न ब को बदनाम करन क िलए कचार िकया िविभनन कार की यि -यि या लड़ाकर ब क यश को हािन पहच ऐसी बात समाज म व लोग फलान लग उन द ो न अपन ष यऽ म एक वया को समझा-बझाकर शािमल कर िलया

वया बन-ठनकर जतवन म भगवान ब क िनवास-ःथानवाल बगीच म जान लगी

धनरािश क साथ द ो का हर कार स सहारा एव ोतसाहन उस िमल रहा था रािऽ को वही रहकर सबह नगर म वािपस लोट आती अपनी सिखयो म भी उसन बात फलाई

लोग उसस पछन लगः अरी आजकल त िदखती नही ह कहा जा रही ह रोज रात को

म तो रोज रात को जतवन जाती ह व ब िदन म लोगो को उपदश दत ह और रािऽ क समय मर साथ रगरिलया मनात ह सारी रात वहा िबताकर सबह लोटती ह

वया न परा ीचिरऽ आजमाकर ष यऽ करन वालो का साथ िदया लोगो म पहल तो हलकी कानाफसी हई लिकन जयो-जयो बात फलती गई तयो-तयो लोगो म जोरदार िवरोध होन लगा लोग ब क नाम पर िफटकार बरसान लग ब क िभकषक बःती म िभकषा लन जात तो लोग उनह गािलया दन लग ब क सघ क लोग सवा-वि म सल न थ उन लोगो क सामन भी उगली उठाकर लोग बकवास करन लग

ब क िशय जरा असावधान रह थ कचार क समय साथ ही साथ स चार होता तो कचार का इतना भाव नही होता िशय अगर िनिबय रहकर सोचत रह जाय िक करगा सो भरगा भगवान उनका नाश करग तो कचार करन वालो को ख ला मदान िमल जाता ह

सत क सािननधय म आन वाल लोग ौ ाल सजजन सीध साद होत ह जबिक द वि करन वाल लोग किटलतापवरक कचार करन म कशल होत ह िफर भी िजन सतो क पीछ सजग समाज होता ह उन सतो क पीछ उठन वाल कचार क तफान समय पाकर शात हो जात ह और उनकी सतवि या काशमान हो उठती ह

कचार न इतना जोर पकड़ा िक ब क िनकटवत लोगो न ऽािहमाम पकार िलया व समझ गय िक यह वयविःथत आयोजनपवरक ष यऽ िकया गया ह ब ःवय तो पारमािथरक सतय म जाग हए थ व बोलतः सब ठ क ह चलन दो वयवहािरक सतय म वाहवाही दख ली अब िननदा भी दख ल कया फकर पड़ता ह

िशय कहन लगः भनत अब सहा नही जाता सघ क िनकटवत भ भी अफवाहो क िशकार हो रह ह समाज क लोग अफवाहो की बातो को सतय मानन लग गय ह

ब ः धयर रखो हम पारमािथरक सतय म िवौाित पात ह यह िवरोध की आधी चली ह तो शात भी हो जाएगी समय पाकर सतय ही बाहर आयगा आिखर म लोग हम जानग और मानग

कछ लोगो न अगवानी का झ डा उठाया और राजयस ा क समकष जोर-शोर स माग की

िक ब की जाच करवाई जाय लोग बात कर रह ह और वया भी कहती ह िक ब रािऽ को मर साथ होत ह और िदन म सतसग करत ह

ब क बार म जाच करन क िलए राजा न अपन आदिमयो को फरमान िदया अब ष यऽ करनवालो न सोचा िक इस जाच करन वाल पच म अगर सचचा आदमी आ जाएगा तो अफवाहो का सीना चीरकर सतय बाहर आ जाएगा अतः उनहोन अपन ष यऽ को आिखरी

पराका ा पर पहचाया अब ऐस ठोस सबत खड़ा करना चािहए िक ब की ितभा का अःत हो जाय

उनहोन वया को दार िपलाकर जतवन भज िदया पीछ स ग डो की टोली वहा गई वया पर बलातकार आिद सब द कतय करक उसका गला घोट िदया और लाश को ब क बगीच म गाड़कर पलायन हो गय

लोगो न राजयस ा क ार खटखटाय थ लिकन स ावाल भी कछ लोग द ो क साथ जड़ हए थ ऐसा थोड़ ही ह िक स ा म बठ हए सब लोग दध म धोय हए वयि होत ह

राजा क अिधकािरयो क ारा जाच करन पर वया की लाश हाथ लगी अब द ो न जोर-शोर स िच लाना शर कर िदया

दखो हम पहल ही कह रह थ वया भी बोल रही थी लिकन तम भगतड़ लोग मानत ही नही थ अब दख िलया न ब न सही बात खल जान क भय स वया को मरवाकर बगीच म गड़वा िदया न रहगा बास न बजगी बासरी लिकन सतय कहा तक िछप सकता ह म ामाल हाथ लग गया इस ठोस सबत स ब की असिलयत िस हो गई सतय बाहर आ गया

लिकन उन मख का पता नही िक तमहारा बनाया हआ कि पत सतय बाहर आया वाःतिवक सतय तो आज ढाई हजार वषर क बाद भी वसा ही चमक रहा ह आज ब को लाखो लोग जानत ह आदरपवरक मानत ह उनका तजो ष करन वाल द लोग कौन-स नरको म जलत होग कया पता

ढाई हजार वषर पहल ब क जमान म भी सतो क साथ ऐसा घोर अनयाय हआ करता था ऋिष दयाननद को भी ऐस ही त वो न तजो ष क कारण बाईस बार िवष दकर मार डालन का यास िकया ःवामी िववकाननद और ःवामी रामतीथर क पीछ भी द लोगो न वया को तयार करक कीचड़ उछाला था

एक ओर लाखो-लाखो लोग सतो की अनभवय वाणी स अपना वयावहािरक ETH आधयाितमक जीवन उननत करक सख-शाित पात ह दसरी ओर कछ द कित क ःवाथ लोग अपना उ ल सीधा करन क िलए ऐस महापरषो क िवर म ष यऽ रचकर उनको बदनाम करत ह यह तो पहल स चला आ रहा ह सत कबीर हो या नानक एकनाथ महाराज हो या सत तकाराम नरिसह महता हो या मीराबाई ायः सभी सतो को अपन जीवन क दौरान समाज क किटल त वो स पाला पड़ता ही रहा ह जीसस बाइःट को इनही त वो न बॉस पर चढ़ाया था उनही लोगो न सकरात को जहर िपलाकर मतयद ड िदया था मनसर को इसी जमात न शली पर चढ़ाया था ईसाई धमर म माट न यथर पर ज म िकया गया था अण-अण म ई र और नारीमाऽ म जगजजननी भगवती का दशरन करन वाल रामकण परमहस को भी लोगो न नही

छोड़ा था परमहस योगाननद रवीनिनाथ टगोर माट न यथर दिकषण भारत क सत ितरव लवर जापानी झन सत बाबो इितहास म िकतन-िकतन उदाहरण मौजद ह

हािसद धमरगर बा शमटोव अित पिवऽ आतमा थ िननदको न उनक इदरिगदर भी मायाजाल िबछा दी थी िसध क साई टउराम क पास अस य लोग आतमक याण हत जान लग तब िवकत िदमागवालो न उन सत को भी ऽास दना शर कर िदया उनक आौम क चह ओर गदगी डाल दत और कए म िम टी का तल उड़लकर पानी बकार कर दत मगल बादशाह बाबर को बहका कर उनही लोगो न गर नानक को कद करवाया था

भगवान ौीराम एव ौीकण को भी द जनो न छोड़ा नही था भगवान ौीराम क गर विश जी महाराज कहत हः

ह राम जी म जब बाजार स गजरता ह तब अजञानी मखर लोग मर िलए कया बकत ह म सब जानता ह लिकन मरा दयाल ःवभाव ह म इन सबका क याण चाहता ह

तमहार साथ यह ससार कछ अनयाय करता ह तमको बदनाम करता ह िननदा करता ह तो यह ससार की परानी रीत ह मनय की हीनवि कचार िननदाखोरी यह आजकल की ही बात नही ह अनािदकाल स ऐसा होता आया ह तम अपन आतमजञान क सःकार जगाकर आतमबल का िवकास करत जाओ मःकरात जाओ आधी तफानो को लाघकर आननदपवरक जीत जाओ

उस जमान म भगवान ब क पास आकर एक िभकषक न ाथरना कीः भनत मझ आजञा द म सभाए भरगा आपक िवचारो का चार करगा

मर िवचारो का चार

हा भगवन म बौ धमर फलाऊगा

लोग तरी िननदा करग गािलया दग

कोई हजर नही म भगवन को धनयवाद दगा िक य लोग िकतन अचछ ह य कवल श दहार करत ह मझ पीटत तो नही

लोग तझ पीटग भी तो कया करोग

भो म शब गजारगा िक य लोग हाथो स पीटत ह पतथर तो नही मारत

लोग पतथर भी मारग और िसर भी फोड़ दग तो कया करगा

िफर भी म आ ःत रहगा और भगवान का िदवय कायर करता रहगा कयोिक व लोग मरा िसर फोड़ग लिकन ाण तो नही लग

लोग जनन म आकर तझ मार दग तो कया करगा

भनत आपक िदवय िवचारो का चार करत-करत म मर भी गया तो समझगा िक मरा जीवन सफल हो गया

उस कतिन यी िभकषक की दढ़ िन ा दखकर भगवान ब सनन हो उठ उस पर उनकी करणा बरस पड़ी

ऐस िशय जब ब का चार करन िनकल पड़ तब कचार करन वाल धीर-धीर शात हो गय मनयो की उगिलया काट-काटकर माला बनाकर पहनन वाला अगिलमाल जसा बर हतयारा भी दयपिरवतरन पाकर ब की शरण म िभकषक होकर रहन लगा

आज हम ब को बहत आदर स जानत ह मानत ह उनक जीवनकाल क दौरान उनक पीछ लग हए द लोग कौन स नरक म सड़त होग रौरव नरक म या कभीपाक नरक म कौन-सी योिनयो म भटकत होग सअर बन होग िक नाली क कीड़ बन होग शतान बन होग िक राकषस बन होग मझ पता नही लिकन ब तो करोड़ो दयो म बस रह ह यह म मानता ह

सतय तो परमाथर ह आतमा ह परमातमा ह उसम िजतना िटकोग उतना तमहारा मगल होगा तमहारी िनगाह िजन पर पड़गी उनका भी मगल होगा

(अनबम)

कछ जानन यो य बात सय दय स पवर उठकर ःनान कर लना चािहए ातः खाली पट मटक का बासी पानी

पीना ःवाःथयद ह तलसी क प सय दय क प ात ही तोड़ दध म तलसी क प नही डालन चािहए तथा

दध क साथ खान भी नही चािहए तलसी क प खाकर थोड़ा पानी पीना िपय जलनित स पिह सौ कार क लाभ होत ह अपन मिःतक म एक कार का िवजाितय

िवय उतपनन होता ह यिद वह िवय वही अटक जाता ह तो बचपन म ही बाल सफद होन लगत ह इसस नजल की बीमारी भी होती ह यिद वह िवय नाक की तरफ आता ह तो सगनध-दगरनध का पता नही चल पाता और ज दी-ज दी जकाम हो जाता ह यिद वह िवय कान की तरफ आता ह तो कान बहर होन लगत ह और छोट-मोट ब ीस रोग हो सकत ह यिद वह िवय दात की तरफ आय तो दात छोटी उ म ही िगरन लगत ह यिद आख की तरफ वह िवय उतर तो चम लगन लगत ह जलनित यािन नाक स पानी खीचकर मह स िनकाल दन स वह िवय िनकल जाता ह गल क ऊपर क ायः सभी रोगो स मि िमल जाती ह

आईसबीम खान क बाद चाय पीना दातो क िलए अतयािधक हािनकारक होता ह

भोजन को पीना चािहए तथा पानी को खाना चािहए इसका मतलब यह ह िक भोजन को इतना चबाओ िक वह पानी की तरह पतला हो जाय और पानी अथवा अनय पय पदाथ को धीर-धीर िपयो

िकसी भी कार का पय पदाथर पीना हो तो दाया नथना बनद करक िपय इसस वह अमत जसा हो जाता ह यिद दाया ःवर(नथना) चाल हो और पानी आिद िपय तो जीवनशि (ओज) पतली होन लगती ह चयर की रकषा क िलए शरीर को तनदरःत रखन क िलए यह योग करना चािहए

तम चाह िकतनी भी महनत करो िकनत िजतना तमहारी नसो म ओज ह चयर की शि ह उतन ही तम सफल होत हो जो चाय-कॉफी आिद पीत ह उनका ओज पतला होकर पशाब ारा न होता जाता ह अतः चयर की रकषा क िलए चाय-कॉफी जस वयसनो स दर रहना रह

पढ़न क बाद थोड़ी दर शात हो जाना चािहए जो पढ़ा ह उसका मनन करो िशकषक ःकल म जब पढ़ात हो तब धयान स सनो उस व मःती-मजाक नही करना चािहए िवनोद-मःती कम स कम करो और समझन की कोिशश अिधक करो

जो सय दय क पवर नही उठता उसक ःवभाव म तमस छा जाता ह जो सय दय क पवर उठता ह उसकी बि शि बढ़ती ह

नीद म स उठकर तरत भगवान का धयान करो आतमःनान करो धयान म रिच नही होती तो समझना चािहए िक मन म दोष ह उनह िनकालन क िलए कया करना चािहए

मन को िनद ष बनान क िलए सबह-शाम माता-िपता को णाम करना चािहए गरजनो को णाम करना चािहए एव भगवान क नाम का जप करना चािहए भगवान स ाथरना करनी चािहए िक ह भगवान ह मर भ मरी धयान म रिच होन लग ऐसी कपा कर दो िकसी समय गद िवचार िनकल आय तो समझना चािहए िक अदर छप हए िवचार िनकल रह ह अतः खश होना चािहए िवचार आया और गया मर राम तो दय म ही ह ऐसी भावना करनी चािहए

िनदा करना तो अचछा नही ह िकनत िनदा सनना भी उिचत नही (अनबम)

शयन की रीत मनय को िकस ढग स सोना चािहए इसका भी तरीका होता ह सोत व पवर अथवा

दिकषण िदशा की ओर िसर करक ही सोना चािहए

भोजन करन क बाद िदन म दस िमनट आराम कर िकनत सोय नही भोजन क बाद दस िमनट बायी करवट लट सकत ह रािऽ को जागरण िकया हो इस कारण स कभी िदन म सोना पड़ वह अलग बात ह

सोत व नीच कोई गमर कबल आिद िबछाकर सोय तािक आपकी जीवनशि अिथग न हो जाय आपक शरीर की िव तशि भिम म न उतर जाय

(अनबम)

ःनान का तरीका शरीर की मजबती एव आरो यता क िलए रगड़-रगड़कर ःनान करना चािहए जो लोग

ठड दशो म रहत ह उनका ःवाःथय गमर दस क लोगो की अपकषा अचछा होता ह ठडी स अपना शरीर सधरता ह

ःनान करत व 12-15 िलटर पानी बा टी म लकर पहल उसम िसर डबाना चािहए िफर पर िभगोना चािहए पहल पर गील नही करन चािहए शरीर की गम ऊपर की ओर चढ़ती ह जो ःवाःथय क िलए हािनकारक होती ह

अतः पहल ठड पानी की बा टी भर ल िफर मह म पानी भरकर िसर को बा टी म डाल और आख पटपटाए इसस आखो की शि बढ़ती ह शरीर को रगड़-रगड़कर नहाए बाद म गील व स शरीर को रगड़-रगड़कर पोछ िजसस रोम कप का सारा मल बाहर िनकल जाय और रोमकप(तवचा क िछि) खल जायय तवचा क िछि बद रहन स ही तवचा की कई बीमािरया होती ह िफर सख कपड़ स शरीर को पोछ कर (अथवा थोड़ा गीला हो तब भी चल) सख साफ व पहन ल व भल साद हो िकनत साफ हो बासी कपड़ नही पहन हमशा धल हए कपड़ ही पहन इसस मन भी सनन रहता ह

पाच कार क ःनान होत हः ःनान दवःनान ऋिषःनान मानवःनान दानवःनान ःनानः -परमातमा का िचतन करक जल थल नहान वाला

ऐसा िचतन करक ा महतर म नहाना इस ःनान कहत ह दवःनानः दवनिदयो म ःनान या दवनिदयो का ःमरण करक सय दय स पवर नहाना यह

दवःनान ह ऋिषःनानः आकाश म तार िदखत हो और नहा ल यह ऋिषःनान ह ऋिषःनान करन

वाल की बि बड़ी तजःवी होती ह मानवःनानः सय दय क पवर का ःनान मानवःनान ह

दानवःनानः सय दय क प ात चाय पीकर नाता करक आठ नौ बज नहाना यह दानव ःनान ह

अतः हमशा ऋिषःनान करन का ही यास करना चािहए (अनबम)

ःवचछता का धयान यिद शरीर की सफाई रखी जाय तो मन भी सनन रहता ह आजकल अिधकतर लोग

श स ही मजन करत ह श की अपकषा नीम और बबल की दातौन जयादा अचछ होती ह और यिद श भी कर तो कभी-कभार श को गमर पानी स धोना चािहए अनयथा उसम बकटिरया(जीवाण) रह जात ह

िकतन ही लोग उगली स दात साफ करत ह तजरनी (अगठ क पास वाली थम उगली) स दात िघसन स मसड़ कमजोर हो जात ह तथा दात ज दी िगर जात ह कयोिक तजरनी म िव तशि का माण दसरी उगिलयो की अपकषा अिधक होता ह अतः उसस दात नही िघसन चािहए एव आखो को भी नही मसलना चािहए

िजस िदशा स हवा आती हो उस िदशा की ओर मह करक कभी-भी मलमऽ का िवसजरन नही करना चािहए सयर और चनिमा की ओर मख करक भी मलमऽ का िवसजरन नही करना चािहए

(अनबम)

ःमरणशि का िवकास यादशि बढ़ान का एक सनदर योग ह ETH ामरी ाणायाम सखासन प ासन या

िस ासन पर बठ हाथ की कोहनी की ऊचाई कनध तक रह इस कार रखकर हाथ की थम उगली(तजरनी) स दोनो कानो को धीर-स बद कर एकदम जोर स बद न कर िकनत बाहर का कछ सनाई न द इस कार धीर स कान बनद कर

अब गहर ास लकर थोड़ी दर रोक ओठ बद रखकर जस मर का गजन होता ह वस ॐsssss कहत हए गजन कर उसक बाद थोड़ी दर तक ास न ल पनः यही िबया दहराय ऐसा सबह एव शाम 8 स 10 बार कर यादशि बढ़ान का यह यौिगक योग ह इसस मिःतक की नािड़यो का शोधन होकर मिःतक म र सचार उिचत ढग स होता ह

और िवचार करन स भी बि शि का िवकास होता ह

सबह खाली पट तलसी क प एकाध काली िमचर चबाकर एक िगलास पानी पीन स भी ःमरणशि का िवकास होता ह रोग-ितकारक शि बढ़ती ह कनसर की बीमारी कभी नही होती जलदर-भगदर की बीमारी भी कभी नही होती

(अनबम)

वयि तव और वयवहार िकसी भी वयि तव का पता उसक वयवहार स ही चलता ह कई लोग वयथर च ा करत

ह एक होती ह सकाम च ा दसरी होती ह िनकाम च ा और तीसरी होती ह वयथर च ा वयथर च ा नही करनी चािहए िकसी क शरीर म कोई कमी हो तो उसका मजाक नही उड़ाना चािहए वरन उस मददरप बनना चािहए यह िनकाम सवा ह

िकसी की भी िनदा नही करनी चािहए िनदा करन वाला वयि िजसकी िनदा करता ह उसका तो इतना अिहत नही होता िजतना वह अपना अिहत करता ह जो दसरो की सवा करता ह दसरो क अनकल होता ह वह दसरो का िजतना िहत करता ह उसकी अपकषा उसका खद का िहत जयादा होता ह

अपन स जो उ स बड़ हो जञान म बड़ हो तप म बड़ हो उनका आदर करना चािहए िजस मनय क साथ बात करत हो वह मनय कौन ह यह जानकर बात करो तो आप वयवहार-कशल कहलाओग

िकसी को पऽ िलखत हो तो यिद अपन स बड़ हो तो ौी सबोधन करक िलखो सबोधन करन स सवाकयो की रचना स िश ता बढ़ती ह िकसी स बात करो तो सबोधन करक बात करो जो तकार स बात करता ह वह अिश कहलाता ह िश तापवरक बात करन स अपनी इजजत बढ़ती ह

िजसक जीवन म वयवहार-कशलता ह वह सभी कषऽो म सफल होता ह िजसम िवनता ह वही सब कछ सीख सकता ह िवनता िव ा बढ़ाती ह िजसक जीवन म िवनता नही ह समझो उसक सब काम अधर रह गय और जो समझता ह िक म सब कछ जानता ह वह वाःतव म कछ नही जानता

एक िचऽकार अपन गरदव क सममख एक सनदर िचऽ बनाकर लाया गर न िचऽ दखकर कहाः

वाह वाह सनदर ह अदभत ह

िशय बोलाः गरदव इसम कोई ऽिट रह गयी हो तो कपा करक बताइए इसीिलए म आपक चरणो म आया ह

गरः कोई ऽिट नही ह मझस भी जयादा अचछा बनाया ह

वह िशय रोन लगा उस रोता दखकर गर न पछाः तम कयो रो रह हो म तो तमहारी शसा कर रहा ह

िशयः गरदव मरी घड़ाई करन वाल आप भी यिद मरी शसा ही करग तो मझ मरी गि तया कौन बतायगा मरी गित कस होगी

यह सनकर गर अतयत सनन हो गय हमन िजतना जाना िजतना सीखा ह वह तो ठ क ह उसस जयादा जान सक सीख सक

ऐसा हमारा यास होना चािहए रामकण परमहस व हो गय थ िकसी न उनस पछाः बाबा जी आपन सब कछ जान

िलया ह

रामकण परमहसः नही म जब तक जीऊगा तब तक िव ाथ ही रहगा मझ अभी बहत कछ सीखना बाकी ह

िजनक पास सीखन को िमल उनस िवनतापवरक सीखना चािहए जो कछ सीखो सावधानीपवरक सीखो जीवन म िवनोद जररी ह िकनत िवनोद की अित न हो िजस समय पढ़त हो कछ सीखत हो कछ करत हो उस समय मःती नही िवनोद नही वरन जो कछ पढ़ो सीखो या करो उस उतसाह स धयान स और सावधानी स करो

पढ़न स पवर थोड़ धयानःथ हो जाओ पढ़न क बाद मौन हो जाओ यह गित की चाबी ह

माता-िपता स िचढ़ना नही चाह िजस मा-बाप न जनम िदया ह उनकी बातो को समझना चािहए अपन िलए उनक मन म िवशष दया हो िवशष म उतपनन हो ऐसा वयवहार करना चािहए

भल जाओ भल सब कछ माता-िपता को भलना नही अनिगनत उपकार ह उनक यह कभी िबसरना नही

माता-िपता को सतोष हो उनका दय सनन हो ऐसा हमारा वयवहार होना चािहए अपन माता-िपता एव गरजनो को सत रखकर ही हम सचची गित कर सकत ह

(अनबम)

  • पजय बाप जी का उदबोधन
  • कदम अपना आग बढाता चला जा
  • त गलाब होकर महक
  • जीवन विकास का मल सयम
  • तरिकाल सधया
  • शरीर सवासथय
  • अनन का परभाव
  • भारतीय ससकति की महानता
  • हरिदास की हरिभकति
  • बनावटी शरगार स बचो
  • साहसी बालक
  • गर-आजञापालन का चमतकार
  • अनोखी गरदकषिणा
  • सतसग की महिमा
  • पीड पराई जान र
  • विकास क बरियो स सावधान
  • कछ जानन योगय बात
  • शयन की रीत
  • सनान का तरीका
  • सवचछता का धयान
  • समरणशकति का विकास
  • वयकतितव और वयवहार
Page 11: Tu gulabhokarmehak

यिद मन य दस-दस ाणायाम तीनो समय कर और शराब मास बीड़ी व अनय वयसनो एव फशनो म न पड़ तो चालीस िदन म तो मनय को अनक अनभव होन लगत ह कवल चालीस िदन योग करक दिखय शरीर का ःवाःथय बदला हआ िमलगा मन बदला हआ िमलगा जठरा दी होगी आरो यता एव सननता बढ़गी और ःमरण शि म जादई िवकास होगा

ाणायाम स शरीर क कोषो की शि बढ़ती ह इसीिलए ऋिष-मिनयो न िऽकाल सधया की वयवःथा की थी रािऽ म अनजान म हए पाप सबह की सधया स दर होत ह सबह स दोपहर तक क दोष दोपहर की सधया स और दोपहर क बाद अनजान म हए पाप शाम की सधया करन स न हो जात ह तथा अतःकरण पिवऽ होन लगता ह

आजकल लोग सधया करना भल गय ह िनिा क सख म लग हए ह ऐसा करक व अपनी जीवन शि को न कर डालत ह

ाणायाम स जीवन शि का बौि क शि का एव ःमरण शि का िवकास होता ह ःवामी रामतीथर ातःकाल म ज दी उठत थोड़ ाणायाम करत और िफर ाकितक वातावरण म घमन जात परमहस योगानद भी ऐसा करत थ

ःवामी रामतीथर बड़ कशाम बि क िव ाथ थ गिणत उनका िय िवषय था जब व पढ़त थ उनका तीथरराम था एक बार परीकषा म 13 िदय गय िजसम स कवल 9 हल करन थ तीथरराम न 13 क 13 हल कर िदय और नीच एक िट पणी (नोट) िलख दी 13 क 13 सही ह कोई भी 9 जाच लो इतना दढ़ था उनका आतमिव ास

ाणायाम क अनक लाभ ह सधया क समय िकया हआ ाणायाम जप और धयान अनत गणा फल दता ह अिमट प यपज दन वाला होता ह सधया क समय हमारी सब नािड़यो का मल आधार जो सषमना नाड़ी ह उसका ार खला होता ह इसस जीवन शि क डिलनी शि क जागरण म सहयोग िमलता ह उस समय िकया हआ धयान-भजन प यदायी होता ह अिधक िहतकारी और उननित करन वाला होता ह वस तो धयान-भजन कभी भी करो प यदायी होता ही ह िकनत सधया क समय उसका उसका भाव और भी बढ़ जाता ह िऽकाल सधया करन स िव ाथ भी बड़ तजःवी होत ह

अतएव जीवन क सवागीण िवकास क िलए मनयमाऽ को िऽकाल सधया का सहारा लकर अपना नितक सामािजक एव आधयाितमक उतथान करना चािहए

(अनबम)

शरीर ःवाःथय

लोकमानय ितलक जब िव ाथ अवःथा म थ तो उनका शरीर बहत दबला पतला और कमजोर था िसर पर फोड़ा भी था उनहोन सोचा िक मझ दश की आजादी क िलए कछ काम करना ह माता-िपता एव समाज क िलए कछ करना ह तो शरीर तो मजबत होना ही चािहए और मन भी दढ होना चािहए तभी म कछ कर पाऊगा अगर ऐसा ही कमजोर रहा तो पढ़-िलखकर ा िकय हए माण-पऽ भी कया काम आयग

जो लोग िसकड़कर बठत ह झककर बठत ह उनक जीवन म बहत बरकत नही आती जो सीध होकर िःथर होकर बठत ह उनकी जीवन-शि ऊपर की ओर उठती ह व जीवन म सफलता भी ा करत ह

ितलक न िन य िकया िक भल ही एक साल क िलए पढ़ाई छोड़नी पड़ तो छोडगा लिकन शरीर और मन को सदढ़ बनाऊगा ितलक यह िन य करक शरीर को मजबत और मन को िनभ क बनान म जट गय रोज़ सबह-शाम दोड़ लगात ाणायाम करत तरन जात मािलश करत तथा जीवन को सयमी बनाकर चयर की िशकषावाली यौवन सरकषा जसी पःतक पढ़त सालभर म तो अचछा गठ ला बदन हो गया का पढ़ाई-िलखाई म भी आग और लोक-क याण म भी आग राममितर को सलाह दी तो राममितर न भी उनकी सलाह ःवीकार की और पहलवान बन गय

बाल गगाधर ितलक क िव ाथ जीवन क सक प को आप भी समझ जाना और अपन जीवन म लाना िक शरीर सदढ़ होना चािहए मन सदढ़ होना चािहए तभी मनय मनचाही सफलता अिजरत कर सकता ह

ितलक जी स िकसी न पछाः आपका वयि तव इतना भावशाली कस ह आपकी ओर दखत ह तो आपक चहर स अधयातम एकामता और तरणाई की तरलता िदखाई दती ह ःवराजय मरा जनमिस अिधकार ह ऐसा जब बोलत ह तो लोग दग रह जात ह िक आप िव ाथ ह यवक ह या कोई तजपज ह आपका ऐसा तजोमय वयि तव कस बना

तब ितलक न जवाब िदयाः मन िव ाथ जीवन स ही अपन शरीर को मजबत और दढ़ बनान का यास िकया था सोलह साल स लकर इककीस साल तक की उ म शरीर को िजतना भी मजबत बनाना चाह और िजतना भी िवकास करना चाह हो सकता ह

इसीिलए िव ाथ जीवन म इस बार पर धयान दना चािहए िक सोलह स इककीस साल तक की उ शरीर और मन को मजबत बनान क िलए ह

म (परम पजय गरदव आसारामजी बाप) जब चौदह-पनिह वषर का था तब मरा कद बहत छोटा था लोग मझ टणी (िठग) कहकर बलात तो मझ बरा लगता ःवािभमान तो होना ही चािहए टणी ऐसा नाम ठ क नही ह वस तो िव ाथ -काल म भी मरा हसमखा ःवभाव था इसस िशकषको न मरा नाम आसमल क बदल हसमखभाई ऱख िदया था लिकन कद छोटा था तो िकसी न टणी कह िदया जो मझ बरा लगा दिनया म सब कछ सभव ह तो टणी कयो

रहना म काकिरया तालाब पर दौड़ लगाता प लअ स करता और 30-40 माम मकखन म एक-दो माम कालीिमचर क टकड़ डालकर िनगल जाता चालीस िदन तक ऐसा योग िकया अब म उस वयि स िमला िजसन 40 िदन पहल टणी कहा था तो वह दखकर दग रह गया

आप भी चाहो तो अपन शरीर क ःवःथ रख सकत हो शरीर को ःवःथ रखन क कई तरीक ह जस धनवनतरी क आरो यशा म एक बात आती ह - उषःपान

उषःपान अथारत सय दय क पहल या सय दय क समय रात का रखा हआ पानी पीना इसस आतो की सफाई होती ह अजीणर दर होता ह तथा ःवाःथय की भी रकषा होती ह उसम आठ च ल भरकर पानी पीन की बात आयी ह आठ च ल पानी यािन िक एक िगलास पानी चार-पाच तलसी क प चबाकर सय दय क पहल पानी पीना चािहए तलसी क प सय दय क बाद तोड़न चािहए व सात िदन तक बासी नही मान जात

शरीर तनदरःत होना चािहए रगड़-रगड़कर जो नहाता ह और चबा-चबाकर खाता ह जो परमातमा का धयान करता ह और सतसग म जाता ह उसका बड़ा पार हो जाता ह

(अनबम)

अनन का भाव हमार जीवन क िवकास म भोजन का अतयिधक मह व ह वह कवल हमार तन को ही

प नही करता वरन हमार मन को हमारी बि को हमार िवचारो को भी भािवत करता ह कहत भी हः

जसा खाओ अनन वसा होता ह मन महाभारत क य म पहल दसर तीसर और चौथ िदन कवल कौरव-कल क लोग ही

मरत रह पाडवो क एक भी भाई को जरा-सी भी चोट नही लगी पाचवा िदन हआ आिखर दय धन को हआ िक हमारी सना म भीम िपतामह जस यो ा ह िफर भी पाडवो का कछ नही िबगड़ता कया कारण ह व चाह तो य म कया स कया कर सकत ह िवचार करत-करत आिखर वह इस िनकषर पर आया िक भीम िपतामह परा मन लगाकर पाडवो का मलोचछद करन को तयार नही हए ह इसका कया कारण ह यह जानन क िलए सतयवादी यिधि र क पास जाना चािहए उसस पछना चािहए िक हमार सनापित होकर भी व मन लगाकर य कयो नही करत

पाडव तो धमर क पकष म थ अतः दय धन िनःसकोच पाडवो क िशिवर म पहच गया वहा पर पाडवो न यथायो य आवभगत की िफर दय धन बोलाः

भीम अजरन तम लोग जरा बाहर जाओ मझ कवल यिधि र स बात करनी ह

चारो भाई यिधि र क िशिवर स बाहर चल गय िफर दय धन न यिधि र स पछाः यिधि र महाराज पाच-पाच िदन हो गय ह हमार कौरव-पकष क लोग ही मर रह ह

िकनत आप लोगो का बाल तक बाका नही होता कया बात ह चाह तो दवोत भीम तफान मचा सकत ह

यिधि रः हा मचा सकत ह

दय धनः व चाह तो भीण य कर सकत ह पर नही कर रह ह कया आपको लगता ह िक व मन लगाकर य नही कर रह ह

सतयवादी यिधि र बोलः हा गगापऽ भीम मन लगाकर य नही कर रह ह

दय धनः भीम िपतामह मन लगाकर य नही कर रह ह इसका कया कारण होगा

यिधि रः व सतय क पकष म ह व पिवऽ आतमा ह अतः समझत ह िक कौन सचचा ह और कौन झठा कौन धमर म ह तथा कौन अधमर म व धमर क पकष म ह इसिलए उनका जी चाहता ह िक पाडव पकष की जयादा खन-खराबी न हो कयोिक व सतय क पकष म ह

दय धनः व मन लगाकर य कर इसका उपाय कया ह

यिधि रः यिद व सतय ETH धमर का पकष छोड़ दग उनका मन ग त जगह हो जाएगा तो िफर व य करग

दय धनः उनका मन य म कस लग

यिधि रः यिद व िकसी पापी क घर का अनन खायग तो उनका मन य म लग जाएगा

दय धनः आप ही बताइय िक ऐसा कौन सा पापी होगा िजसक घर का अनन खान स उनका मन सतय क पकष स हट जाय और व य करन को तयार हो जाय

यिधि रः सभा म भीम िपतामह गर िोणाचायर जस महान लोग बठ थ िफर भी िोपदी को न न करन की आजञा और जाघ ठोकन की द ता तमन की थी ऐसा धमर-िवर और पापी आदमी दसरा कहा स लाया जाय तमहार घर का अनन खान स उनकी मित सतय और धमर क पकष स नीच जायगी िफर व मन लगाकर य करग

दय धन न यि पा ली कस भी करक कपट करक अपन यहा का अनन भीम िपतामह को िखला िदया भीम िपतामह का मन बदल गया और छठव िदन स उनहोन घमासान य करना आरभ कर िदया

कहन का तातपयर यह ह िक जसा अनन होता ह वसा ही मन होता ह भोजन कर तो श भोजन कर मिलन और अपिवऽ भोजन न कर भोजन क पहल हाथ-पर जरर धोय भोजन साितवक हो पिवऽ हो सननता दन वाला हो तनदरःती बढ़ान वाला हो

आहारश ौ स वशि ः

िफर भी ठस-ठस कर भोजन न कर चबा-चबाकर ही भोजन कर भोजन क समय शात एव सननिच रह भ का ःमरण कर भोजन कर जो आहार खान स हमारा शरीर तनदरःत रहता हो वही आहार कर और िजस आहार स हािन होती हो ऐस आहार स बच खान-पान म सयम स बहत लाभ होता ह

भोजन महनत का हो साि वक हो लहसन याज मास आिद और जयादा तल-िमचर-मसाल वाला न हो उसका िनिम अचछा हो और अचछ ढग स सनन होकर भगवान को भोग लगाकर िफर भोजन कर तो उसस आपका भाव पिवऽ होगा र क कण पिवऽ होग मन पिवऽ होगा िफर सधया-ाणायाम करग तो मन म साि वकता बढ़गी मन म सननता तन म आरो यता का िवकास होगा आपका जीवन उननत होता जायगा

महनत मजदरी करक िवलासी जीवन िबताकर या कायर होकर जीन क िलय िज़दगी नही ह िज़दगी तो चतनय की मःती को जगाकर परमातमा का आननद लकर इस लोक और परलोक म सफल होन क िलए ह मि का अनभव करन क िलए िज़दगी ह

भोजन ःवाःथय क अनकल हो ऐसा िवचार करक ही महण कर तथाकिथत वनःपित घी की अपकषा तल खाना अिधक अचछा ह वनःपित घी म अनक रासायिनक पदाथर डाल जात ह जो ःवाःथय क िलए िहतकर नही होत ह

ए यमीिनयम क बतरन म खाना यह पट को बीमार करन जसा ह उसस बहत हािन होती ह कनसर तक होन की समभावना बढ़ जाती ह ताब पीतल क बतरन कलई िकय हए हो तो अचछा ह ए यमीिनयम क बतरन म रसोई नही बनानी चािहए ए यमीिनयम क बतरन म खाना भी नही चािहए

आजकल अ ड खान का चलन समाज म बहत बढ़ गया ह अतः मनयो की बि भी वसी ही हो गयी ह वजञािनको न अनसधान करक बताया ह िक 200 अ ड खान स िजतना िवटािमन सी िमलता ह उतना िवटािमन सी एक नारगी (सतरा) खान स िमल जाता ह िजतना ोटीन कि शयम अ ड म ह उसकी अपकषा चन मग मटर म एयादा ोटीन ह टमाटर म अ ड स तीन गणा कि शयम एयादा ह कल म स कलौरी िमलती ह और भी कई िवटािमनस कल म ह

िजन ािणयो का मास खाया जाता ह उनकी हतया करनी पड़ती ह िजस व उनकी हतया की जाती ह उस व व अिधक स अिधक अशात िखनन भयभीत उि न और ब होत ह अतः मास खान वाल को भी भय बोध अशाित उ ग इस आहार स िमलता ह शाकाहारी भोजन म सपाचय तत होत ह मास म व नही होत अतः मासाहारी भोजन को पचान क जीवन शि का एयादा वयय होता ह ःवाःथय क िलय एव मानिसक शाित आिद क िलए प यातमा होन की दि स भी शाकाहारी भोजन ही करना चािहए

शरीर को ःथल करना कोई बड़ी बात नही ह और न ही इसकी ज़ररत ह लिकन बि को सआम करन की ज़ररत ह आहार यिद साि वक होगा तो बि भी सआम होगी इसिलए सदव साि वक भोजन ही करना चािहए

(अनबम)

भारतीय सःकित की महानता रवरनड ऑवर नाम का एक पादरी पना म िहनद धमर की िननदा और ईसाइयत का चार

कर रहा था तब िकसी सजजन न एक बार रवरनड ऑवर स कहाः आप िहनद धमर की इतनी िननदा करत हो तो कया आपन िहनद धमर का अधययन िकया

ह कया भारतीय सःकित को परी तरह स जानन की कोिशश की ह आपन कभी िहनद धमर को समझा ही नही जाना ही नही ह िहनद धमर म तो ऐस जप धयान और सतसग की बात ह िक िजनह अपनाकर मनय िबना िवषय-िवकारी क िबना िडःको डास(नतय) क भी आराम स रह सकता ह आनिदत और ःवःथ रह सकता ह इस लोक और परलोक दोनो म सखी रह सकता ह आप िहनद धमर को जान िबना उसकी िनदा करत हो यह ठ क नही ह पहल िहनद धमर का अधययन तो करो

रवरनड ऑवर न उस सजजन की बात मानी और िहनद धमर की पःतको को पढ़न का िवचार िकया एकनाथजी और तकारामजी का जीवन चिरऽ जञान र महाराज की योग सामथयर की बात और कछ धािमरक पःतक पढ़न स उस लगा िक भारतीय सःकित म तो बहत खजाना ह मनय की जञा को िदवय करन की मन को सनन करन की और तन क र कणो को भी बदलन की इस सःकित म अदभत वयवःथा ह हम नाहक ही इन भोल-भाल िहनदःतािनयो को अपन चगल म फसान क िलए इनका धमरपिरवतरन करवात ह अर हम ःवय तो अशािनत की आग म जल ही रह ह और इनह भी अशात कर रह ह

उसन ायि -ःवरप अपनी िमशनरी रो तयागपऽ िलख भजाः िहनदःतान म ईसाइयत फलान की कोई ज़ररत नही ह िहनद सःकित की इतनी महानता ह िवशषता ह िक ईसाइय को चािहए िक उसकी महानता एव सतयता का फायदा उठाकर अपन जीवन को साथरक बनाय िहनद धमर की सतयता का फायदा दश-िवदश म पहच मानव जाित को सख-शाित िमल इसका यास हम करना चािहए

म भारतीय इितहास सशोधन म डल क मर आठ लाख डॉलर भट करता ह और तमहारी िमशनरी को सदा क िलए तयागपऽ दकर भारतीय सःकित की शरण म जाता ह

जस रवर ड ऑवर न भारतीय सःकित का अधययन िकया ऐस और लोगो को भी जो िहनद धमर की िनदा करत ह भारतीय सःकित का पकषपात और पवरमहरिहत अधययन करना चािहए मनय की सष शि या व आनद जगाकर ससार म सख-शाित आनद सननता का चार-सार करना चािहए

मा सीता की खोज करत-करत हनमान जामबत अगद आिद ःवयभा क आौम म पहच उनह जोरो की भख और यास लगी थी उनह दखकर ःवयभा न कह िदया िकः

कया तम हनमान हो ौीरामजी क दत हो सीता जी की खोज म िनकल हो

हनमानजी न कहाः हा मा हम सीता माता की खोज म इधर तक आय ह

िफर ःवयभा न अगद की ओर दखकर कहाः तम सीता जी को खोज तो रह हो िकनत आख बद करक खोज रह हो या आख

खोलकर

अगद जरा राजवी परष था बोलाः हम कया आख बनद करक खोजत होग हम तो आख खोलकर ही माता सीता की खोज कर रह ह

ःवयभा बोलीः सीताजी को खोजना ह तो आख खोलकर नही बद करक खोजना होगा सीता जी अथारत भगवान की अधािगनी सीताजी यानी िव ा आतमिव ा िव ा को खोजना ह तो आख खोलकर नही आख बद करक ही खोजना पड़गा आख खोलकर खोजोग तो सीताजी नही िमलगी तम आख बनद करक ही सीताजी ( िव ा) को पा सकत हो ठहरो म तमह बताती ह िक सीता जी कहा ह

धयान करक ःवयभा न बतायाः सीताजी यहा कही भी नही वरन सागर पार लका म ह अशोकवािटका म बठ ह और राकषिसयो स िघरी ह उनम िऽजटा नामक राकषसी ह तो रावण की सिवका िकनत सीताजी की भ बन गयी ह सीताजी वही रहती ह

वारन सोचन लग िक भगवान राम न तो एक महीन क अदर सीता माता का पता लगान क िलए कहा था अभी तीन स ाह स एयादा समय तो यही हो गया ह वापस कया मह लकर जाए सागर तट तक पहचत-पहचत कई िदन लग जाएग अब कया कर

उनक मन की बात जानकर ःवयभा न कहाः िचनता मत करो अपनी आख बद करो म योगबल स एक कषण म तमह वहा पहचा दती ह

हनमान अगद और अनय वानर अपनी आख बनद करत ह और ःवयभा अपनी योगशि स उनह सागर-तट पर कछ ही पल म पहचा दती ह

ौीरामचिरतमानस म आया ह िक ETH

ठाड़ सकल िसध क तीरा ऐसी ह भारतीय सःकित की कषमता

अमिरका को खोजन वाला कोलबस पदा भी नही हआ था उसस पाच हजार वषर पहल अजरन सशरीर ःवगर म गया था और िदवय अ लाया था ऐसी यो यता थी िक धरती क राजा खटवाग दवताओ को मदद करन क िलए दवताओ का सनापितपद सभालत थ ितःमित-िव ा चाकषषी िव ा परकायावश िव ा अ िसि िव ा एव नविनिध ा करान वाली योगिव ा और जीत-जी जीव को बनान वाली िव ा यह भारतीय सःकित की दन ह अनय जगह यह नही िमलती भारतीय सःकित की जो लोग आलोचना करत ह उन बचारो को तो पता ही नही ह िक भारतीय सःकित िकतनी महान ह

गर तगबहादर बोिलयो सनो सीखो बड़भािगयो धड़ दीज धमर न छोिड़य

यवनो न गर गोिबनदिसह क बटो स कहाः तम लोग मसलमान हो जाओ नही तो हम तमह िज़नदा ही दीवार म चनवा दग

बट बोलः हम अपन ाण द सकत ह लिकन अपना धमर नही तयाग सकत

बरो न उन दोनो को जीत-जी दीवार म चनवा िदया जब कारीगर उनह दीवार म चनन लग तब बड़ा भाई बोलता हः धमर क नाम यिद हम मरना ही पड़ता ह तो पहल मरी ओर ट बढ़ा दो तािक म छोट भाई की मतय न दख

छोटा भाई बोलता हः नही पहल मरी ओर ईट बढ़ा दो

कया साहसी थ कया वीर थ वीरता क साथ अपन जीवन का बिलदान कर िदया िकनत धमर न छोड़ा आजकल क लोग तो अपन धमर और सःकित को ही भलत जा रह ह कोई लवर-लवरी धमरपिरवतरन करक लवमरज करत ह अपना िहनद धमर छोड़कर फस मरत ह यह भी कोई िज़नदगी ह भगवान ौीकण कहत ह ETH

ःवधम िनधन ौय परधम भयावहः अपन धमर म मर जाना अचछा ह पराया धमर दःख दन वाला ह भयावह ह नरको म ल

जान वाला ह इसिलए अपन ही धमर म अपनी ही सःकित म जो जीता ह उसकी शोभा ह रवर ड ऑवर न भारतीय सःकित का खब आदर िकया एफ एच मोलम न महातमा

थोरो एव अनय कई पा ातय िचनतको न भी भारतीय सःकित का बहत आदर िकया ह उनक कछ उदगार यहा ःतत हः

बाईबल का मन यथाथर अ यास िकया ह उसम जो िदवय िलखा ह वह कवल गीता क उ रण क रप म ह म ईसाई होत हए भी गीता क ित इतना सारा आदरभाव इसिलए रखता ह िक िजन गढ़ ो का समाधान पा ातय लोग अभी तक नही खोज पाय ह उनका समाधान गीतामनथ न श एव सरल रीित स कर िदया ह उसम कई सऽ अलौिकक उपदशो स भरपर

लग इसीिलए गीता जी मर िलए साकषात योग री माता बन रही ह वह तो िव क तमाम धन स भी नही खरीदा जा सक ऐसा भारतवषर का अम य खजाना ह

- एफ एच मोलम (इगल ड) ाचीन यग की सवर रमणीय वःतओ म गीता स ौ कोई वःत नही ह गीता म ऐसा

उ म और सवरवयापी जञान ह िक उसक रचियता दवता को अस य वषर हो गय िफर भी ऐसा दसरा एक भी मनथ नही िलखा गया

महातमा थोरो (अमिरका) धमर क कषऽ म अनय सब दख दिरि ह जबिक भारत इस िवषय म अरबपित ह

माकर टवन (यएसए) इस पथवी पर सवारिधक पणर िवकिसत मानवजञा कहा ह और जीवन क मह म ो क

हल िकसन खोज ह ऐसा अगर मझस पछा जाए तो म अगिलिनदश करक कहगा िक भारत न ही

मकसमलर (जमरनी) वदानत जसा ऊधवरगामी एव उतथानकारी और एक भी धमर या त वजञान नही ह

शोपनहोअर (जमरनी) िव भर म कवल भारत ही ऐसी ौ महान परमपराए रखता ह जो सिदयो तक जीिवत

रही ह

कनो (ानस) मनय जाित क अिःततव क सबस ारिमभक िदनो स लकर आज तक जीिवत मनय

क तमाम ःव न अगर कही साकार हए हो तो वह ःथान ह भारत

रोमा रोला (ास) भारत दश समपणर मानव जाित की मातभिम ह और सःकत यरोप की सभी भाषाओ की

जननी ह भारत हमार त वजञान गिणतशा एव जनतऽ की जननी ह भारतमाता अनक रप स सभी की जननी ह

िवल डरानट (यएसए) भारतीय सःकित की महानता का एहसास करन वाल इन सब िवदशी िचनतको को हम

धनयवाद दत ह एक बार महातमा थोरो सो रह थ इतन म उनका िशय एमसरन आया दखा िक वहा

साप और िबचछ घम रह ह गरजी क जागन पर एमसरन बोलाः गरदव यह जगह बड़ी खतरनाक ह म िकसी सरिकषत जगह पर आपकी वयवःथा करवा

दता ह

महातमा थोरो बोलः नही नही िचनता करन की कोई ज़ररत नही ह मर िसरहान पर ौीमदभगवदगीता ह भगवदगीता क जञान क कारण तो मझ साप म िबचछ म सबम मरा ही आतमा-परमातमा िदखता ह व मझ नही काटत ह तो म कही कयो जाऊ

िकतनी कह गीता की महानता यही ह भारतीय सःकित की मिहमा अदभत ह उसकी महानता लाबयान ह उसकी मिहमा

(अनबम)

हिरदास की हिरभि सात वष य गौर वणर क गौराग बड़-बड़ िव ान पिडतो स ऐस-ऐस करत थ िक व

दग रह जात थ इसका कारण था गौराग की हिरभि बड़ होकर उनहोन लाखो लोगो को हिरभि म रग िदया

जो हिरभ होता हिर का भजन करता उसकी बि अचछ मागर पर ही जाती ह लोभी वयि पसो क िलए हसता-रोता ह पद एव कस क तो िकतन ही लोग हसत रोत ह पिरवार क िलए तो िकतन ही मोही हसत रोत ह िकनत धनय ह व जो भगवान क िलए रोत हसत ह भगवान क िवरह म िजस रोना आया ह भगवान क िलए िजसका दय िपघलता ह ऐस लोगो का जीवन साथरक हो जाता ह भागवत म भगवान ौीकण उ व स कहत ह-

वाग गदगदा िवत यःय िच

रदतयभीआण हसित कविचचच िवलजज उदगायित नतयत च

मदभि य ो भवन पनाित िजसकी वाणी गदगद हो जाती ह िजसका िच ििवत हो जाता ह जो बार-बार रोन

लगता ह कभी लजजा छोड़कर उचच ःवर स गान लगता ह कभी नाचन लगता ह ऐसा मरा भ समम ससार को पिवऽ करता ह (ौीमदभागवतः 111424)

धनय ह वह मसलमान बालक जो गौराग क कीतरन म आता ह और िजसन गौराग स मऽदीकषा ली ह

उस मसलमान बालक का नाम हिरदास रखा गया मसलमान लोगो न उस हिरभ हिरदास को फसलान की बहत च ा की बहत डराया िक त गौराग क पास जाना छोड़ द नही तो हम यह करग वह करग िकनत हिरदास बहका नही उसका भय न हो गया था दमरित दर हो चकी थी उसकी सदबि और िन ा भगवान क धयान म लग गयी थी भयनाशन दमरित हरण किल म हिर को नाम यह नानक जी का वचन मानो उसक जीवन म साकार हो उठा था

काज़ी न षडयऽ करक उस पर कस िकया और फरमान जारी िकया िक हिरदास को बत मारत-मारत बीच बाजार स ल जाकर यमना म डाल िदया जाय

िनभ क हिरदास न बत की मार खाना ःवीकार िकया िकनत हिरभि छोड़ना ःवीकार न िकया िनि त िदन हिरदास को बत मारत हए ल जाया जान लगा िसपाही बत मारता ह तो हिरदास बोलता हः हिर बोल

हमको हिर बोल बलवाता ह य ल हिर बोल हिर बोल (सटाकसटाक) िसपाही बोलत हः हम तझ बत मारत ह तो कया तझ पीड़ा नही होती त हमस भी हिर

बोल हिर बोल करवाना चाहता ह

हिरदासः पीड़ा तो शरीर को होती ह म तो आतमा ह मझ तो पीड़ा नही होती तम भी यार स एक बार हिर बोल कहो

िसपाहीः ह हम भी हिर बोल कह हमस हिर बोल बलवाता ह ल य हिर बोल (सटाक)

हिरदास सोचता ह िक बत मारत हए भी तो य लोग हिर बोल कह रह ह चलो इनका क याण होगा िसपाही बत मारत जात ह सटाक सटाक और हिरदास हिर बोल बोलता भी जाता ह बलवाता भी जाता ह हिरदास को कई बत पड़न पर भी उसक चहर पर दःख की रखा तक नही िखचती

हवालदार पछता हः हिरदास तझ बत पड़न क बावजद भी तरी आखो म चमक ह चहर पर धयर शाित और सननता झलक रही ह कया बात ह

हिरदासः म बोलता ह हिर बोल तब िसपाही ब होकर भी कहत हः ह हमस भी बलवाता ह हिर बोल हिर बोल हिर बोल तो ल इस बहान भी उनक मह स हिरनाम िनकलता ह दर सवर उनका भी क याण होगा इसी स मर िच म सननता ह

धनय ह हिरदास की हिरभि बर काज़ी क आदश का पालन करत हए िसपाही उस हिरभि स िहनद धमर की दीकषा स चयत करन क िलए बत मारत ह िफर भी वह िनडर हिरभि नही छोड़ता हिर बोल बोलना बद नही करता

व मसलमान िसपाही हिरदास को िहनद धमर की दीकषा क भाव स गौरा क भाव स दर हटाना चाहत थ लिकन वह दर नही हटा बत सहता रहा िकनत हिर बोल बोलना न छोड़ा आिखरकार उन बर िसपाहीयो न हिरदास को उठाकर नदी म बहा िदया

नदी म तो बहा िदया लिकन दखो हिरनाम का भाव मानो यमनाजी न उसको गोद म ल िलया डढ़ मील तक हिरदास पानी म बहता रहा वह शातिच होकर मानो उस पानी म नही हिर की कपा म बहता हआ दर िकसी गाव क िकनार िनकला दसर िदन गौराग की भातफरी म शािमल हो गया लोग आ यरचिकत हो गय िक चमतकार कस हआ

धनय ह वह मसलमान यवक हिरदास जो हिर क धयान म हिर क गान म हिर क कीतरन म गौराग क साथ रहा जस िववकाननद क साथ भिगनी िनविदता न भारत म अधयातम-धणर क चार म लगकर अपना नाम अमर कर िदया वस ही इस मसलमान यवक न हिरकीतरन म हिरधयान म अपना जीवन धनय कर िदया दजरन लोग हिरदास का बाल तक न बाका कर सक जो सचच दय स भगवान का हो जाता ह उसकी हजारो शऽ िमलकर भी कछ हािन नही कर सकत तो उस काज़ी की कया ताकत थी

लोगो न जाकर काज़ी स कहा िक आज हिरदास पनः गौराग की भातफरी म उपिःथत हो गया था काजी अतयनत अहकारी था उसन एक नोिटस भजा एक आदश चतनय महाभ (गौराग) को भजा िक कल स तम भातफरी नही िनकाल सकत तमहारी भातफरी पर बिदश लगाई जाती ह

गौराग न सोचा िक हम िकसी का बरा नही करत िकसी को कोई हािन नही पहचात अर वायम डल क दषण को दर करन क िलए तो शासन पस खचर करता ह िकनत िवचारो क दषण को दर करन क िलए हिरकीतरन जसा हिरभि जसा अमोघ उपाय कौन सा ह भल काजी और शासन की समझ म आय या न आय वातावरण को श करन क साथ-साथ िवचारो का दषण भी दर होना चािहए हम तो कीतरन करग और करवायग

जो लोग डरपोक थ भीर और कायर थ ढील-ढाल थ व बोलः बाबा जी रहन दो रहन दो अपना कया जो करग व भरग अपन तो घर म ही रहकर हिर ॐ हिर ॐ करग

गौराग न कहाः नही इस कार कायरो जसी बात करना ह तो हमार पास मत आया करो

दसर िदन जो डरपोक थ ऐस पाच-दस वयि नही आय बाकी क िहममतवाल िजतन थ व सब आय उनह दखकर और लोग भी जड़

गौराग बोलः आज हमारी भातफरी की पणारहित काजी क घर पर ही होगी

गौराग भ -म डली क साथ कीतरन करत-करत जब बाजार स गज़र तो कछ िहनद एव मसलमान भी कीतरन म जड़ गय उनको भी कीतरन म रस आन लगा व लोग काजी को गािलया दन लग िक काजी बदमाश ह ऐसा ह वसा ह आिद ETH आिद

तब गौराग कहत हः नही शऽ क िलए भी बरा मत सोचो

उनहोन सबको समझा िदया िक काजी क िलए कोई भी अपश द नही कहगा कसी महान ह हमारी िहनद सःकित िजसन हिरदास को बत मारन का आदश िदया उस कवल अपश द कहन क िलए भी गौराग मना कर रह ह इस भारती सःकित म िकतनी उदारता ह स दयता ह लिकन कायरता को कही भी ःथान नही ह

गौराग कीतरन करत-करत काजी क घर क िनकट पहच गय काजी घर की छत पर स इस भातफरी को दखकर दग रह गया िक मर मना करन पर भी इनहोन भातफरी िनकाली

और मर घर तक ल आय उसम मसलमान लड़क भी शािमल ह जयो ही वह भातफरी काजी क घर पहची काजी घर क अनदर िछप गया

गौराग न काजी का ार खटखटाया तब काजी या काजी की प ी न नही वरन चौकीदार न दरवाजा खोला वह बोलाः

काजी साहब घर पर नही ह

गौराग बोलः नही कस ह अभी तो हमन उनह घर की छत पर दखा था काजी को जाकर बोलो हमार मामा और मा भी िजस गाव की ह आप भी उसी गाव क हो इसिलए आप मर गाव क मामा लगत ह मामाजी भानजा ार पर आय और आप छप कर बठ यह शोभा नही दता बाहर आ जाईय

चौकीदार न जाकर काजी को सब कह सनाया गौराग क मभर वचन सनकर काजी का दय िपघल गया िजस पर मन ज म ढाय वह मझ मामा कहकर सबोिधत करता ह िजसक साथ मन बरता की वह मर साथ िकतना औदायर रखता ह यह सोचकर काजी का दय बदल गया वह ार पर आकर बोलाः

म तमस डरकर अनदर नही छपा कयोिक मर पास तो स ा ह कलम की ताकत ह लिकन हिरकीतरन स हिरनाम स िहनद तो कया मसलमान लड़क भी आनिदत हो रह ह उनका भी लह पिवऽ हो रहा ह यह दखकर मझ दःख हो रहा ह िक िजस नाम क उचचारण स उनकी रग-रग पावन हो रही ह उसी नाम क कारण मन हिरदास पर और तम पर ज म िकया िकसी क बहकाव म आकर तम लोगो पर फरमान जारी िकया अब म िकस मह स तमहार सामन आता इसीिलए म मह िछपाकर घर क अनदर घस गया था

भानजा(गौराग) बोलता हः मामा अब तो बाहर आ जाइय

मामा(काजी) बोलाः बाहर आकर कया कर

गौरागः कीतरन कर हिरनाम क उचचारण स छपी हई यो यता िवकिसत कर आनद गट कर

काजीः कया करना होगा

गौरागः म जसा बोलता ह ऐसा ही बोलना होगा बोिलएः हिर बोल हिर बोल

काजीः हिर बोल हिर बोल

गौरागः हिर बोल हिर बोल

काजीः हिर बोल हिर बोल

हिर बोल हिर बोल हिर बोल हिर बोल

हिर बोल हिर बोल हिर बोल हिर बोल

कीतरन करत-करत गौराग न अपनी िनगाहो स काजी पर कपा बरसाई तो काजी भी झमन लगा उस भी हिर बोल का रग लग गया जस इजन को ह डल दकर छोड़ दत ह तब भी इजन चलता रहता ह ऐस ही गौराग की कपादि स काजी भी झमन लगा

काजी क झमन स वातावरण म और भी रग आ गया काजी तो झम गया काजी की प ी भी झमी और चौकीदार भी झम उठा सब हिरकीतरन म झमत-झमत अपन र को पावन करन लग दय को हिररस स सराबोर करन लगा उनक जनम-जनम क पाप-ताप न होन लग िजस पर भगवान की दया होती ह िजसको साधओ का सग िमलता ह सतसग का सहारा िमलता ह और भारतीय सःकित की महानता को समझन की अकल िमलती ह िफर उसक उ ार म कया बाकी रह जाता ह काजी का तो उ ार हो गया

दखो सत की उदारता एव महानता िजसन िहनदओ पर ज म करवाय भ हिरदास को बत मरवात-मरवात यमना जी म डलवा िदया भातफरी पर ितबध लगवा िदया उसी काजी को गौराग न हिररग म रग िदया अपनी कपादि स िनहाल कर िदया उसक बर कम की धयान न दत हए भि का दान द िदया ऐस गौराग क ौीचरणो म हमार हजार-हजार णाम ह हम उस मसलमान यवक हिरदास को भी धनयवाद दत ह िक उसन बत खात पीड़ा सहत भी भि न छोड़ी गरदव को न छोड़ा न ही उनक दबाव म आकर पनः मसलमान बना हिर बोल क रग म ःवय रगा और िसपािहयो को भी रग िदया धनय ह हिरदास और उसकी हिरभि

(अनबम)

बनावटी ौगार स बचो जमरनी क िस दाशरिनक शोपनहार कहत ह िक िजन दशो म हिथयार बनाय जात ह

उन दशो क लोगो को य करन की उ जना होती ह और उन दशो म हिथयार बनत ही रहत ह य भी होत रहत ह ऐस ही जो लोग फशन करत ह उनक दय म काम बोध लोभ मोह रपी य होता ही रहता ह उनक जीवन म िवलािसता आती ह और पतन होता ह वस ही फशन और िवलािसता स सयम सदाचार और यो यता का सहार होता ह

इसिलए य क साधन बढ़न स जस य होता ह वस ही िवलािसता और फशन क साधनो का उपयोग करन स अतयर होता ह अपनी आितमक शि यो का सहार होता ह अतः अपना भला चाहन वाल भाई-बहनो को पफ-पाउडर िलपिःटक-लाली व -अलकार क िदखाव क पीछ नही पड़ना चािहए सयम सादगी एव पिवऽतापणर जीवन जीना चािहए

अपन शा ो म ौगार की अनमित दी गई ह सौभा यवती ि या जब पित अपन ही नगर म हो घर म हो तब ौगार कर पित यिद दर दश गया हो तब सौभा यवित ि यो को भी सादगीपणर जीवन जीना चािहए ौगार क उपयोग म आनवाली वःतए भी वनिःपतयो एव साि वक रसो स बनी हई होनी चािहए जो सननता और आरो यता दान कर

आजकल तो शरीर म उ जना पदा कर बीमािरया पदा कर ऐस किमक स(रसायनो) और जहर जस साधनो स ौगार-साधन बनाए जात ह िजसस शरीर क अनदर जहरील कण जात ह और तवचा की बीमािरया होती ह आहार म भी जहरील कणो क जान स पाचन-तऽ और मानिसक सतलन िबगड़ता ह साथ ही बौि क एव वचािरक सतलन भी िबगड़ता ह

पशओ की चब किमक स और दसर थोड़ जहरील िवयो स बन पफ-पाउडर िलपिःटक-लाली आिद िजन साधनो का यटी-पालरर म उपयोग िकया जाता ह वसी गदगी कभी-भी अपन शरीर को तो लगानी ही नही चािहए दसर लोगो न लगायी हो तो दखकर सनन भी नही होना चािहए अपन सयम और सदाचार की सनदरता को गट करना चािहए मीरा और शबरी िकस यटी-पालरर म गय थ सती अनसया गाग और मदालसा न िकस पफ-पाउडर लाली-िलपिःटक का उपयोग िकया था िफर भी उनका जीवन सनदर तजःवी था हम भी ई र स ाथरना कर िक ह भगवान हम अपना सयम और साधना का सौनदयर बढ़ाए ऐसी त दया करना िवकारी सौनदयर स अपन को बचाकर िनिवरकारी नारायण की ओर जाय ऐसी त दया करना िवलािसता म अपन समय को न लगाकर तर ही धयान-िचतन म हमारा समय बीत ऐसी त कपा करना

किऽम सौनदयर-साधन स तवचा की िःन धता और कोमलता मर जाती ह पफ-पाउडर बीम आिद स शरीर की कदरती िःन धता खतम हो जाती ह ाकितक सौनदयर को न करक

जो किऽम सौनदयर क गलाम बनत ह उनस ःनहभरी सलाह ह िक व पफ-पाउडर आिद और तड़कील-भड़कील व आिद की गलामी को छोड़कर ाकितक सौनदयर को बढ़ान की कोिशश कर मीरा और मदालसा की तरह अपन असली सौनदयर को कट करन की कोिशश कर

(अनबम)

साहसी बालक एक लड़का काशी म हिर नि हाईःकल म पढ़ता था उसका गाव काशी स आठ मील दर

था वह रोजाना वहा स पदल चलकर आता बीच म जो गगा नदी बहती ह उस पार करक िव ालय पहचता

उस जमान म गगा पार करन क िलए नाव वाल को दो पस दन पड़त थ दो पस आन क और दो पस जान क कल चार पस यािन पराना एक आना महीन म करीब दो रपय हए जब सोन क एक तोल का भाव रपया सौ स भी नीच था तब क दो रपय आज क तो पाच-पचचीस रपय हो जाए

उस लड़क न अपन मा-बाप पर अितिर बोझा न पड़ इसिलए एक भी पस की माग नही की उसन तरना सीख िलया गम हो बािरश हो या ठ ड हो गगा पार करक हाईःकल म जाना उसका बम हो गया इस कार िकतन ही महीन गजर गय

एक बार पौष मास की ठ ड म वह लड़का सबह की ःकल भरन क िलए गगा म कदा तरत-तरत मझधार म आया एक नाव म कछ याऽी नदी पार कर रह थ उनहोन दखा िक छोटा-सा लड़का अभी डब मरगा व उसक पास नाव ल गय और हाथ पकड़ कर उस नाव म खीच िलया लड़क क मख पर घबराहट या िचनता की कोई रखा नही थी सब लोग दग रह गय इतना छोटा ह और इतना साहसी ह व बोलः

त अभी डब मरता तो ऐसा साहस नही करना चािहए

तब लड़का बोलाः साहस तो होना ही चािहए जीवन म िव न-बाधाए आयगी उनह कचलन क िलए साहस तो चािहए ही अगर अभी स साहस नही जटाया तो जीवन म बड़-बड़ कायर कस कर पायग

लोगो न पछाः इस समय तरन कयो िगरा दोपहर को नहान आता

लड़का बोलता हः म नहान क िलए नदी म नही िगरा ह म तो ःकल जा रहा ह

नाव म बठकर जाता

रोज क चार पस आन-जान क लगत ह मर गरीब मा-बाप पर मझ बोझा नही बनना ह मझ तो अपन परो पर खड़ होना ह मरा खचर बढ़ तो मर मा-बाप की िचनता बढ़ उनह घर चलाना मिकल हो जाय

लोग उस आदर स दखत ही रह गय वही साहसी लड़का आग चलकर भारत का धान मऽी बना

वह लड़का कौन था पता ह व थ लाल बहादर शा ी शा ी जी उस पद भी सचचाई साहस सरलता ईमानदारी सादगी दशम आिद सदगण और सदाचार क मितरमनत ःवरप थ ऐस महापरष भल िफर थोड़ा-सा समय ही राजय कर पर एक अनोखा भाव छोड़ जात ह जनमानस पर

(अनबम)

गर-आजञापालन का चमतकार ौीम आ ाशकराचायर जी जब काशी म िनवास करत थ तब गगा-तट पर िनतय ात-

काल टहलत थ एक सबह िकसी ितभासपनन यवक न दसर िकनार स दखा िक कोई सनयासी उस पार टहल रह ह उस यवक न दसर िकनार स ही उनह णाम िकया उस यवक को दखकर आ शकराचायर जी न सकत िकया िक इधर आ जाओ उस आभासमपनन यवक न दखा िक मन तो साध को णाम कर िदया ह णाम कर िदया तो म उनका िशय हो गया और उनहोन मझ आदश िदया िक इधर आ जाओ अब गर की आजञा का उ लघन करना भी तो उिचत नही ह िकनत यही कोई नाव नही ह और म तरना भी नही जानता ह अब कया कर उसक मन म िवचार आया िक वस भी तो हजारो बार हम मर चक ह एक बार यिद गर क दशरन क िलए जात-जात मर जाय तो घाटा कया होगा

गग मात की जय कह कर उस यवक न तो गगाजी म पर रख िदया उसकी इचछा कहो ौीम आ शकराचायर जी का भाव कहो या िनयित की लीला कहो जहा उस यवक न कदम रखा वहा एक कमल पदा हो गया उसक पर को थामन क िलए जब दसरा पर रखा तो वहा भी कमल पदा हो गया इस कार जहा-जहा वह कदम रखता गया वहा कमल (प ) उतपनन होता गया और वह यवक गगा क दसर तट पर जहा आ शकराचायर जी खड़ थ पहच गया

जहा-जहा वह कदम रखता था वहा-वहा प (कमल) क कट होन क कारण उसका नाम पड़ा - प पादाचायर शकराचायर जी क म य चार प टिशयो म आग जाकर यही प पादाचायर एक प टिशय बन

कहन का तातपयर यह ह िक सिचचदानद परमातमा की शि का सामथयर का बयान करना सभव नही ह िजसकी िजतनी दढ़ता ह िजसकी िजतनी सचचाई ह िजसकी िजतनी ततपरता ह उतनी ही कित भी उसकी मदद करन को आतर रहती ह प पादाचायर की गर-आजञापालन म दढ़ता और ततपरता को दखकर गगा जी म कमल गट हो गय िशय यिद दढ़ता ततपरता और ईमानदारी स गर-आजञापालन म लग जाय तो कित भी उसक अनकल हो जाती ह

(अनबम)

अनोखी गरदिकषणा एकलवय गर िोणाचायर क पास आकर बोलाः मझ धनिवर ा िसखान की कपा कर

गरदव गर िोणाचायर क समकष धमरसकट उतपनन हआ कयोिक उनहोन भीम िपतामह को वचन

द िदया था िक कवल राजकमारो को ही म िशकषा दगा एकलवय राजकमार नही ह अतः उस धनिवर ा कस िसखाऊ अतः िोणाचायर न एकलवय स कहाः

म तझ धनिवर ा नही िसखा सकगा

एकलवय घर स िन य करक िनकला था िक म कवल गर िोणाचायर को ही गर बनाऊगा िजनक िलए मन म भी गर बनान का भाव आ गया उनक िकसी भी वयवहार क िलए िशकायत या िछिानवषण की वि नही होनी चािहए

एकलवय एकात अर य म गया और उसन गर िोणाचायर की िम टी की मितर बनायी मितर की ओर एकटक दखकर धयान करक उसी स रणा लकर वह धनिवर ा सीखन लगा एकटक दखन स एकामता आती ह एकामता गरभि अपनी सचचाई और ततपरता क कारण उस रणा िमलन लगी जञानदाता तो परमातमा ह धनिवर ा म वह बहत आग बढ़ गया

एक बार िोणाचायर पाडव एव कौरव धनिवर ा का योग करन अर य म आय उनक साथ एक क ा भी था जो थोड़ा आग िनकल गया क ा वही पहचा जहा एकलवय अपनी धनिवर ा का योग कर रहा था एकलवय क खल बाल फट कपड़ एव िविचऽ वष को दखकर क ा भ कन लगा

एकलवय न क को लग नही चोट न पहच और उसका भ कना बद हो जाय इस ढग स सात बाण उसक मह म थमा िदय क ा वािपस वहा गया जहा िोणाचायर क साथ पाडव और कौरव थ

उस दखकर अजरन को हआ िक क को चोट न लग इस ढग स बाण मह म घसाकर रख दना यह िव ा तो म भी नही जानता यह कस सभव हआ वह गर िोणाचायर स बोलाः

गरदव आपन तो कहा था िक मरी बराबरी का दसरा कोई धनधाररी नही होगा िकनत ऐसी िव ा तो मझ भी नही आती

िोणाचायर को हआ िक दख इस अर य म कौन-सा ऐसा कशल धनधरर ह आग जाकर दखा तो वह था िहर यधन का पऽ गरभ एकलवय

िोणाचायर न पछाः बटा यह िव ा त कहा स सीखा

एकलवय बोलाः गरदव आपकी ही कपा स सीखा ह

िोणाचायर तो वचन द चक थ िक अजरन की बराबरी का धनधरर दसरा कोई न होगा िकनत यह तो आग िनकल गया गर क िलए धमरसकट खड़ा हो गया एकलवय की अटट ौ ा दखकर िोणाचायर न कहाः मरी मितर को सामन रखकर त धनिवर ा तो सीखा िकनत गरदिकषणा

एकलवयः जो आप माग

िोणाचायरः तर दाय हाथ का अगठा

एकलवय न एक पल भी िवचार िकय िबना अपन दाय हाथ का अगठा काटकर गरदव क चरणो म अपरण कर िदया

िोणाचायरः बटा भल ही अजरन धनिवर ा म सबस आग रह कयोिक म उस वचन द चका ह िकनत जब तक सयर चनि नकषऽो का अिःततव रहगा तब तक लोग तरी गरिन ा का तरी गरभि का ःमरण करग तरा यशोगान होता रहगा

उसकी गरभि और एकामता न उस धनिवर ा म तो सफलता िदलायी ही लिकन सतो क दय म भी उसक िलए आदर गट करवा िदया धनय ह एकलवय जो गरमितर स रणा पाकर धनिवर ा म सफल हआ और िजसन अदभत गरदिकषणा दकर साहस तयाग और समपरण का पिरचय िदया

(अनबम)

सतसग की मिहमा तलसीदास जी महाराज कहत ह ETH

एक घड़ी आधी घड़ी आधी म पिन आध तलसी सगत साध की हर कोिट अपराध

एक बार शकदव जी क िपता भगवान वदवयासजी महाराज कही जा रह थ राःत म उनहोन दखा िक एक कीड़ा बड़ी तजी स सड़क पार कर रहा था

वदवयासजी न अपनी योगशि दत हए उसस पछाः त इतनी ज दी सड़क कयो पार कर रहा ह कया तझ िकसी काम स जाना ह त तो

नाली का कीड़ा ह इस नाली को छोड़कर दसरी नाली म ही तो जाना ह िफर इतनी तजी स कयो भाग रहा ह

कीड़ा बोलाः बाबा जी बलगाड़ी आ रही ह बलो क गल म बध घघर तथा बलगाड़ी क पिहयो की आवाज म सन रहा ह यिद म धीर-धीर सड़क पार करगा तो वह बलगाड़ी आकर मझ कचल डालगी

वदवयासजीः कचलन द कीड़ की योिन म जीकर भी कया करना

कीड़ाः महिषर ाणी िजस शरीर म होता ह उसको उसम ही ममता होती ह अनक ाणी नाना कार क क ो को सहत हए भी मरना नही चाहत

वदवयास जीः बलगाड़ी आ जाय और त मर जाय तो घबराना मत म तझ योगशि स महान बनाऊगा जब तक ा ण शरीर म न पहचा द अनय सभी योिनयो स शीय छटकारा िदलाता रहगा

उस कीड़ न बात मान ली और बीच राःत पर रक गया और मर गया िफर वदवयासजी की कपा स वह बमशः कौआ िसयार आिद योिनयो म जब-जब भी उतपनन हआ वयासजी न जाकर उस पवरजनम का ःमरण िदला िदया इस तरह वह बमशः मग पकषी शि वय जाितयो म जनम लता हआ कषिऽय जाित म उतपनन हआ उस वहा भी वदवयासजी दशरन िदय थोड़ िदनो म रणभिम म शरीर तयागकर उसन ा ण क घर जनम िलया

भगवान वदवयास जी न उस पाच वषर की उ म सारःवतय मऽ द िदया िजसका जप करत-करत वह धयान करन लगा उसकी बि बड़ी िवलकषण होन पर वद शा धमर का रहःय समझ म आ गया

सात वषर की आय म वदवयास जी न उस कहाः काि रक कषऽ म कई वष स एक ा ण ननदभि तपःया कर रहा ह तम जाकर उसकी

शका का समाधान करो

माऽ सात वषर का ा ण कमार काि रक कषऽ म तप कर रह उस ा ण क पास पहच कर बोलाः

ह ा णदव आप तप कयो कर रह ह

ा णः ह ऋिषकमार म यह जानन क िलए तप कर रहा ह िक जो अचछ लोग ह सजजन लोग ह व सहन करत ह दःखी रहत ह और पापी आदमी सखी रहत ह ऐसा कयो ह

बालकः पापी आदमी यिद सखी ह तो पाप क कारण नही वरन िपछल जनम का कोई प य ह उसक कारण सखी ह वह अपन प य खतम कर रहा ह पापी मनय भीतर स तो दःखी ही होता ह भल ही बाहर स सखी िदखाई द

धािमरक आदमी को ठ क समझ नही होती उिचत िदशा व मऽ नही िमलता इसिलए वह दःखी होता ह वह धमर क कारण दःखी नही होता अिपत समझ की कमी क कारण दःखी होता ह समझदार को यिद कोई गर िमल जाय तो वह नर म स नारायण बन जाय इसम कया आ यर ह

ा णः म इतना बढ़ा हो गया इतन वष स काि रक कषऽ म तप कर रहा ह मर तप का फल यही ह िक तमहार जस सात वषर क योगी क मझ दशरन हो रह ह म तमह णाम करता ह

बालकः नही नही महाराज आप तो भदव ह म तो बालक ह म आपको णाम करता ह

उसकी नता दखकर ा ण और खश हआ तप छोड़कर वह परमातमिचनतन म लग गया अब उस कछ जानन की इचछा नही रही िजसस सब कछ जाना जाता ह उसी परमातमा म िवौाित पान लग गया

इस कार ननदभि ा ण को उ र द िनःशक कर सात िदनो तक िनराहार रहकर वह बालक सयरमनऽ का जप करता रहा और वही बहदक तीथर म उसन शरीर तयाग िदया वही बालक दसर जनम म कषार िपता एव िमऽा माता क यहा गट हआ उसका नाम मऽय पड़ा इनहोन वयासजी क िपता पराशरजी स िवण-पराण तथा बहत पाराशर होरा शा का अधययन िकया था पकषपात रिहत अनभवकाश नामक मनथ म मऽय तथा पराशर ऋिष का सवाद आता ह

कहा तो सड़क स गजरकर नाली म िगरन जा रहा कीड़ा और कहा सत क सािननधय स वह मऽय ऋिष बन गया सतसग की बिलहारी ह इसीिलए तलसीदास जी कहत ह ETH

तात ःवगर अपवगर सख धिरअ तला एक अग तल न तािह सकल िमली जो सख लव सतसग

यहा एक शका हो सकती ह िक वह कीड़ा ही मऽय ऋिष कयो नही बन गया

अर भाई यिद आप पहली ककषा क िव ाथ हो और आपको एम ए म िबठाया जाय तो कया आप पास हो सकत हो नही दसरी तीसरी चौथी दसवी बारहवी बीए आिद पास करक ही आप एमए म वश कर सकत हो

िकसी चौकीदार पर कोई धानमनऽी अतयिधक सनन हो जाए तब भी वह उस सीधा कलकटर (िजलाधीश) नही बना सकता ऐस ही नाली म रहन वाला कीड़ा सीधा मनय तो नही

हो सकता बि क िविभनन योिनयो को पार करक ही मनय बन सकता ह हा इतना अवय ह िक सतकपा स उसका मागर छोटा हो जाता ह

सतसमागम की साध परषो स सग की मिहमा का कहा तक वणरन कर कस बयान कर एक सामानय कीड़ा उनक सतसग को पाकर महान ऋिष बन सकता ह तो िफर यिद मानव को िकसी सदगर का सािननधय िमल जाय उनक वचनानसार चल पड़ तो मि का अनभव करक जीवनम भी बन सकता ह

(अनबम)

पीड़ पराई जान र जञानी िकसी स यार करन क िलए बध हए नही ह और िकसी को डाटन म भी राजी

नही ह हमारी जसी यो यता होती ह ऐसा उनका वयवहार हमार ित होता ह लीलाशाह बाप क ौीचरणो म बहत लोग गय थ एक लड़का भी गया था वह मिणनगर

म रहता था िशवजी को जल चढ़ान क प ात ही वह जल पीता वह लड़का खब िन ा स धयान-भजन करता और सवा पजा करता

एक िदन कोई वयि राःत म बहोश पड़ा हआ था िशवजी को जल चढ़ान जात समय उस बालक न उस दखा और अपनी पजा-वजा छोड़कर उस गरीब की सवा म लग गया िबहार का कोई यवक था नौकरी की खोज म आया था कालपर(अहमदाबाद) ःटशन क लटफामर पर एक दो िदन रहा किलयो न मारपीट कर भगा िदया चलत-चलत मिणनगर म पनीत आौम की ओर रोटी की आशा म जा रहा था रोटी तो वहा नही िमलती थी इसिलए भख क कारण चलत-चलत राःत म िगर गया और बहोश हो गया

उस लड़क का घर पनीत आौम क पास ही था सबह क दस साढ़ दस बज थ वह लड़का घर स धयान-भजन स िनपटकर मिदर म िशवजी को जल चढ़ान क िलए जल का लोटा और पजा की साममी लकर जा रहा था उसन दखा िक राःत म कोई यवक पड़ा ह राःत म चलत-चलत लोग बोलत थः शराब पी होगी यह होगा वह होगा हम कया

लड़क को दया आई प य िकय हए हो तो रणा भी अचछ िमलती ह शभ कम स शभ रणा िमलती ह अपन पास की पजा साममी एक ओर रखकर उसन उस वयि को िहलाया बहत मिकल स उसकी आख खली कोई उस जत सघाता कोई कछ करता कोई कछ बोलता था

आख खोलत ही वह वयि धीर स बोलाः पानी पानी

लड़क न महादव जी क िलय लाया हआ जल का लोटा उस िपला िदया िफर दोड़कर घर जाकर अपन िहःस का दध लाकर उस िदया

यवक क जी म जी आया उसन अपनी वयथा बतात हए कहाः बाब जी म िबहार स आया ह मर बाप गजर गय काका िदन-रात टोकत रहत त िक

कमाओ नही तो खाओग कया नौकरी धधा िमलता नही ह भटकत-भटकत अहमदाबाद क ःटशन पर कली का काम करन का य िकया हमारी रोटी-रोजी िछन जायगी ऐसा समझकर किलयो न खब मारा पदल चलत-चलत मिणनगर ःटशन की ओर आत-आत यहा तीन िदन की भख और मार क कारण चककर आय और िगर गया

लड़क न उस िखलाया अपना इक ठा िकया हआ जबखचर का पसा िदया उस यवक को जहा जाना था वहा भजन की वयवःथा की इस लड़क क दय म आनद की वि हई अतर म आवाज आईः

बटा अब म तझ बहत ज दी िमलगा

लड़क न िकयाः अनदर कौन बोलता ह

उ र आयाः िजस िशव की त पजा करता ह वह तरा आतमिशव अब म तर दय म कट होऊगा सवा क अिधकारी की सवा मझ िशव की ही सवा ह

उस िदन उस अतयारमी न अनोखी ऱणा और ोतसाहन िदया वह लड़का तो िनकल पड़ा घर छोड़कर ई र-साकषातकार करन क िलए कदारनाथ वनदावन होत हए निनताल क अर य म पहचा

कदारनाथ क दशरन पाय लकषािधपित आिशष पाय

इस आशीवारद को वापस कर ई राि क िलए िफर पजा की उसक पास जो कछ रपय पस थ उनह वनदावन म साध-सतो एव गरीबो म भ डारा करक खचर कर िदया था थोड़ स पस लकर निनताल क अर यो म पहचा लोकलाड़ल लाखो दयो को हिररस िपलात पजयपाद सदगर ौी लीलाशाह बाप की राह दखत हए चालीस िदन बीत गय गरवर ौी लीलाशाह को अब पणर समिपरत िशय िमला पणर खजाना ा करन वाला पिवऽातमा िमला पणर गर की पणर िशय िमला

िजस लड़क क िवषय म यह कथा पढ़ रह ह वह लड़का कौन होगा जानत हो

पणर गर कपा िमली पणर गर का जञान आसमल स हो गय साई आसाराम

अब तो समझ ही गय होग (उस लड़क क वश म छप हए थ पवर जनम क योगी और वतरमान म िव िव यात हमार

पजयपाद सदगरदव ौी आसाराम जी महाराज)

(अनबम)

िवकास क बिरयो स सावधान किपलवःत क राजा श ोदन का यवराज था िस ाथर यौवन म कदम रखत ही िववक

और वरा य जाग उठा यवान प ी यशोधरा और नवजात िशश राहल की मोह-ममता की रशमी जजीर काटकर महाभीिनबमण (गहतयाग) िकया एकानत अर य म जाकर गहन धयान साधना करक अपन साधय त व को ा कर िलया

एकानत म तप यार और धयान साधना स िखल हए इस आधयाितमक कसम की मधर

सौरभ लोगो म फलन लगी अब िस ाथर भगवान ब क नाम स जन-समह म िस हए हजारो हजारो लोग उनक उपिद मागर पर चलन लग और अपनी अपनी यो यता क मतािबक आधयाितमक याऽा म आग बढ़त हए आितमक शाित ा करन लग अस य लोग बौ िभकषक बनकर भगवान ब क सािननधय म रहन लग उनक पीछ चलन वाल अनयायीओ का एक सघ ःथािपत हो गया चह ओर नाद गजन लग िकः

ब शरण गचछािम धमम शरण गचछािम सघ शरण गचछािम

ौावःती नगरी म भगवान ब का बहत यश फला लोगो म उनकी जय-जयकार होन लगी लोगो की भीड़-भाड़ स िवर होकर ब नगर स बाहर जतवन म आम क बगीच म रहन लग नगर क िपपास जन बड़ी तादाद म वहा हररोज िनि त समय पर पहच जात और उपदश-वचन सनत बड़-बड़ राजा महाराजा भगवान ब क सािननधय म आन जान लग

समाज म तो हर कार क लोग होत ह अनािद काल स दवी समपदा क लोग एव आसरी समपदा क लोग हआ करत ह ब का फलता हआ यश दखकर उनका तजो ष करन वाल लोग जलन लग सतो क साथ हमशा स होता आ रहा ह ऐस उन द त वो न ब को बदनाम करन क िलए कचार िकया िविभनन कार की यि -यि या लड़ाकर ब क यश को हािन पहच ऐसी बात समाज म व लोग फलान लग उन द ो न अपन ष यऽ म एक वया को समझा-बझाकर शािमल कर िलया

वया बन-ठनकर जतवन म भगवान ब क िनवास-ःथानवाल बगीच म जान लगी

धनरािश क साथ द ो का हर कार स सहारा एव ोतसाहन उस िमल रहा था रािऽ को वही रहकर सबह नगर म वािपस लोट आती अपनी सिखयो म भी उसन बात फलाई

लोग उसस पछन लगः अरी आजकल त िदखती नही ह कहा जा रही ह रोज रात को

म तो रोज रात को जतवन जाती ह व ब िदन म लोगो को उपदश दत ह और रािऽ क समय मर साथ रगरिलया मनात ह सारी रात वहा िबताकर सबह लोटती ह

वया न परा ीचिरऽ आजमाकर ष यऽ करन वालो का साथ िदया लोगो म पहल तो हलकी कानाफसी हई लिकन जयो-जयो बात फलती गई तयो-तयो लोगो म जोरदार िवरोध होन लगा लोग ब क नाम पर िफटकार बरसान लग ब क िभकषक बःती म िभकषा लन जात तो लोग उनह गािलया दन लग ब क सघ क लोग सवा-वि म सल न थ उन लोगो क सामन भी उगली उठाकर लोग बकवास करन लग

ब क िशय जरा असावधान रह थ कचार क समय साथ ही साथ स चार होता तो कचार का इतना भाव नही होता िशय अगर िनिबय रहकर सोचत रह जाय िक करगा सो भरगा भगवान उनका नाश करग तो कचार करन वालो को ख ला मदान िमल जाता ह

सत क सािननधय म आन वाल लोग ौ ाल सजजन सीध साद होत ह जबिक द वि करन वाल लोग किटलतापवरक कचार करन म कशल होत ह िफर भी िजन सतो क पीछ सजग समाज होता ह उन सतो क पीछ उठन वाल कचार क तफान समय पाकर शात हो जात ह और उनकी सतवि या काशमान हो उठती ह

कचार न इतना जोर पकड़ा िक ब क िनकटवत लोगो न ऽािहमाम पकार िलया व समझ गय िक यह वयविःथत आयोजनपवरक ष यऽ िकया गया ह ब ःवय तो पारमािथरक सतय म जाग हए थ व बोलतः सब ठ क ह चलन दो वयवहािरक सतय म वाहवाही दख ली अब िननदा भी दख ल कया फकर पड़ता ह

िशय कहन लगः भनत अब सहा नही जाता सघ क िनकटवत भ भी अफवाहो क िशकार हो रह ह समाज क लोग अफवाहो की बातो को सतय मानन लग गय ह

ब ः धयर रखो हम पारमािथरक सतय म िवौाित पात ह यह िवरोध की आधी चली ह तो शात भी हो जाएगी समय पाकर सतय ही बाहर आयगा आिखर म लोग हम जानग और मानग

कछ लोगो न अगवानी का झ डा उठाया और राजयस ा क समकष जोर-शोर स माग की

िक ब की जाच करवाई जाय लोग बात कर रह ह और वया भी कहती ह िक ब रािऽ को मर साथ होत ह और िदन म सतसग करत ह

ब क बार म जाच करन क िलए राजा न अपन आदिमयो को फरमान िदया अब ष यऽ करनवालो न सोचा िक इस जाच करन वाल पच म अगर सचचा आदमी आ जाएगा तो अफवाहो का सीना चीरकर सतय बाहर आ जाएगा अतः उनहोन अपन ष यऽ को आिखरी

पराका ा पर पहचाया अब ऐस ठोस सबत खड़ा करना चािहए िक ब की ितभा का अःत हो जाय

उनहोन वया को दार िपलाकर जतवन भज िदया पीछ स ग डो की टोली वहा गई वया पर बलातकार आिद सब द कतय करक उसका गला घोट िदया और लाश को ब क बगीच म गाड़कर पलायन हो गय

लोगो न राजयस ा क ार खटखटाय थ लिकन स ावाल भी कछ लोग द ो क साथ जड़ हए थ ऐसा थोड़ ही ह िक स ा म बठ हए सब लोग दध म धोय हए वयि होत ह

राजा क अिधकािरयो क ारा जाच करन पर वया की लाश हाथ लगी अब द ो न जोर-शोर स िच लाना शर कर िदया

दखो हम पहल ही कह रह थ वया भी बोल रही थी लिकन तम भगतड़ लोग मानत ही नही थ अब दख िलया न ब न सही बात खल जान क भय स वया को मरवाकर बगीच म गड़वा िदया न रहगा बास न बजगी बासरी लिकन सतय कहा तक िछप सकता ह म ामाल हाथ लग गया इस ठोस सबत स ब की असिलयत िस हो गई सतय बाहर आ गया

लिकन उन मख का पता नही िक तमहारा बनाया हआ कि पत सतय बाहर आया वाःतिवक सतय तो आज ढाई हजार वषर क बाद भी वसा ही चमक रहा ह आज ब को लाखो लोग जानत ह आदरपवरक मानत ह उनका तजो ष करन वाल द लोग कौन-स नरको म जलत होग कया पता

ढाई हजार वषर पहल ब क जमान म भी सतो क साथ ऐसा घोर अनयाय हआ करता था ऋिष दयाननद को भी ऐस ही त वो न तजो ष क कारण बाईस बार िवष दकर मार डालन का यास िकया ःवामी िववकाननद और ःवामी रामतीथर क पीछ भी द लोगो न वया को तयार करक कीचड़ उछाला था

एक ओर लाखो-लाखो लोग सतो की अनभवय वाणी स अपना वयावहािरक ETH आधयाितमक जीवन उननत करक सख-शाित पात ह दसरी ओर कछ द कित क ःवाथ लोग अपना उ ल सीधा करन क िलए ऐस महापरषो क िवर म ष यऽ रचकर उनको बदनाम करत ह यह तो पहल स चला आ रहा ह सत कबीर हो या नानक एकनाथ महाराज हो या सत तकाराम नरिसह महता हो या मीराबाई ायः सभी सतो को अपन जीवन क दौरान समाज क किटल त वो स पाला पड़ता ही रहा ह जीसस बाइःट को इनही त वो न बॉस पर चढ़ाया था उनही लोगो न सकरात को जहर िपलाकर मतयद ड िदया था मनसर को इसी जमात न शली पर चढ़ाया था ईसाई धमर म माट न यथर पर ज म िकया गया था अण-अण म ई र और नारीमाऽ म जगजजननी भगवती का दशरन करन वाल रामकण परमहस को भी लोगो न नही

छोड़ा था परमहस योगाननद रवीनिनाथ टगोर माट न यथर दिकषण भारत क सत ितरव लवर जापानी झन सत बाबो इितहास म िकतन-िकतन उदाहरण मौजद ह

हािसद धमरगर बा शमटोव अित पिवऽ आतमा थ िननदको न उनक इदरिगदर भी मायाजाल िबछा दी थी िसध क साई टउराम क पास अस य लोग आतमक याण हत जान लग तब िवकत िदमागवालो न उन सत को भी ऽास दना शर कर िदया उनक आौम क चह ओर गदगी डाल दत और कए म िम टी का तल उड़लकर पानी बकार कर दत मगल बादशाह बाबर को बहका कर उनही लोगो न गर नानक को कद करवाया था

भगवान ौीराम एव ौीकण को भी द जनो न छोड़ा नही था भगवान ौीराम क गर विश जी महाराज कहत हः

ह राम जी म जब बाजार स गजरता ह तब अजञानी मखर लोग मर िलए कया बकत ह म सब जानता ह लिकन मरा दयाल ःवभाव ह म इन सबका क याण चाहता ह

तमहार साथ यह ससार कछ अनयाय करता ह तमको बदनाम करता ह िननदा करता ह तो यह ससार की परानी रीत ह मनय की हीनवि कचार िननदाखोरी यह आजकल की ही बात नही ह अनािदकाल स ऐसा होता आया ह तम अपन आतमजञान क सःकार जगाकर आतमबल का िवकास करत जाओ मःकरात जाओ आधी तफानो को लाघकर आननदपवरक जीत जाओ

उस जमान म भगवान ब क पास आकर एक िभकषक न ाथरना कीः भनत मझ आजञा द म सभाए भरगा आपक िवचारो का चार करगा

मर िवचारो का चार

हा भगवन म बौ धमर फलाऊगा

लोग तरी िननदा करग गािलया दग

कोई हजर नही म भगवन को धनयवाद दगा िक य लोग िकतन अचछ ह य कवल श दहार करत ह मझ पीटत तो नही

लोग तझ पीटग भी तो कया करोग

भो म शब गजारगा िक य लोग हाथो स पीटत ह पतथर तो नही मारत

लोग पतथर भी मारग और िसर भी फोड़ दग तो कया करगा

िफर भी म आ ःत रहगा और भगवान का िदवय कायर करता रहगा कयोिक व लोग मरा िसर फोड़ग लिकन ाण तो नही लग

लोग जनन म आकर तझ मार दग तो कया करगा

भनत आपक िदवय िवचारो का चार करत-करत म मर भी गया तो समझगा िक मरा जीवन सफल हो गया

उस कतिन यी िभकषक की दढ़ िन ा दखकर भगवान ब सनन हो उठ उस पर उनकी करणा बरस पड़ी

ऐस िशय जब ब का चार करन िनकल पड़ तब कचार करन वाल धीर-धीर शात हो गय मनयो की उगिलया काट-काटकर माला बनाकर पहनन वाला अगिलमाल जसा बर हतयारा भी दयपिरवतरन पाकर ब की शरण म िभकषक होकर रहन लगा

आज हम ब को बहत आदर स जानत ह मानत ह उनक जीवनकाल क दौरान उनक पीछ लग हए द लोग कौन स नरक म सड़त होग रौरव नरक म या कभीपाक नरक म कौन-सी योिनयो म भटकत होग सअर बन होग िक नाली क कीड़ बन होग शतान बन होग िक राकषस बन होग मझ पता नही लिकन ब तो करोड़ो दयो म बस रह ह यह म मानता ह

सतय तो परमाथर ह आतमा ह परमातमा ह उसम िजतना िटकोग उतना तमहारा मगल होगा तमहारी िनगाह िजन पर पड़गी उनका भी मगल होगा

(अनबम)

कछ जानन यो य बात सय दय स पवर उठकर ःनान कर लना चािहए ातः खाली पट मटक का बासी पानी

पीना ःवाःथयद ह तलसी क प सय दय क प ात ही तोड़ दध म तलसी क प नही डालन चािहए तथा

दध क साथ खान भी नही चािहए तलसी क प खाकर थोड़ा पानी पीना िपय जलनित स पिह सौ कार क लाभ होत ह अपन मिःतक म एक कार का िवजाितय

िवय उतपनन होता ह यिद वह िवय वही अटक जाता ह तो बचपन म ही बाल सफद होन लगत ह इसस नजल की बीमारी भी होती ह यिद वह िवय नाक की तरफ आता ह तो सगनध-दगरनध का पता नही चल पाता और ज दी-ज दी जकाम हो जाता ह यिद वह िवय कान की तरफ आता ह तो कान बहर होन लगत ह और छोट-मोट ब ीस रोग हो सकत ह यिद वह िवय दात की तरफ आय तो दात छोटी उ म ही िगरन लगत ह यिद आख की तरफ वह िवय उतर तो चम लगन लगत ह जलनित यािन नाक स पानी खीचकर मह स िनकाल दन स वह िवय िनकल जाता ह गल क ऊपर क ायः सभी रोगो स मि िमल जाती ह

आईसबीम खान क बाद चाय पीना दातो क िलए अतयािधक हािनकारक होता ह

भोजन को पीना चािहए तथा पानी को खाना चािहए इसका मतलब यह ह िक भोजन को इतना चबाओ िक वह पानी की तरह पतला हो जाय और पानी अथवा अनय पय पदाथ को धीर-धीर िपयो

िकसी भी कार का पय पदाथर पीना हो तो दाया नथना बनद करक िपय इसस वह अमत जसा हो जाता ह यिद दाया ःवर(नथना) चाल हो और पानी आिद िपय तो जीवनशि (ओज) पतली होन लगती ह चयर की रकषा क िलए शरीर को तनदरःत रखन क िलए यह योग करना चािहए

तम चाह िकतनी भी महनत करो िकनत िजतना तमहारी नसो म ओज ह चयर की शि ह उतन ही तम सफल होत हो जो चाय-कॉफी आिद पीत ह उनका ओज पतला होकर पशाब ारा न होता जाता ह अतः चयर की रकषा क िलए चाय-कॉफी जस वयसनो स दर रहना रह

पढ़न क बाद थोड़ी दर शात हो जाना चािहए जो पढ़ा ह उसका मनन करो िशकषक ःकल म जब पढ़ात हो तब धयान स सनो उस व मःती-मजाक नही करना चािहए िवनोद-मःती कम स कम करो और समझन की कोिशश अिधक करो

जो सय दय क पवर नही उठता उसक ःवभाव म तमस छा जाता ह जो सय दय क पवर उठता ह उसकी बि शि बढ़ती ह

नीद म स उठकर तरत भगवान का धयान करो आतमःनान करो धयान म रिच नही होती तो समझना चािहए िक मन म दोष ह उनह िनकालन क िलए कया करना चािहए

मन को िनद ष बनान क िलए सबह-शाम माता-िपता को णाम करना चािहए गरजनो को णाम करना चािहए एव भगवान क नाम का जप करना चािहए भगवान स ाथरना करनी चािहए िक ह भगवान ह मर भ मरी धयान म रिच होन लग ऐसी कपा कर दो िकसी समय गद िवचार िनकल आय तो समझना चािहए िक अदर छप हए िवचार िनकल रह ह अतः खश होना चािहए िवचार आया और गया मर राम तो दय म ही ह ऐसी भावना करनी चािहए

िनदा करना तो अचछा नही ह िकनत िनदा सनना भी उिचत नही (अनबम)

शयन की रीत मनय को िकस ढग स सोना चािहए इसका भी तरीका होता ह सोत व पवर अथवा

दिकषण िदशा की ओर िसर करक ही सोना चािहए

भोजन करन क बाद िदन म दस िमनट आराम कर िकनत सोय नही भोजन क बाद दस िमनट बायी करवट लट सकत ह रािऽ को जागरण िकया हो इस कारण स कभी िदन म सोना पड़ वह अलग बात ह

सोत व नीच कोई गमर कबल आिद िबछाकर सोय तािक आपकी जीवनशि अिथग न हो जाय आपक शरीर की िव तशि भिम म न उतर जाय

(अनबम)

ःनान का तरीका शरीर की मजबती एव आरो यता क िलए रगड़-रगड़कर ःनान करना चािहए जो लोग

ठड दशो म रहत ह उनका ःवाःथय गमर दस क लोगो की अपकषा अचछा होता ह ठडी स अपना शरीर सधरता ह

ःनान करत व 12-15 िलटर पानी बा टी म लकर पहल उसम िसर डबाना चािहए िफर पर िभगोना चािहए पहल पर गील नही करन चािहए शरीर की गम ऊपर की ओर चढ़ती ह जो ःवाःथय क िलए हािनकारक होती ह

अतः पहल ठड पानी की बा टी भर ल िफर मह म पानी भरकर िसर को बा टी म डाल और आख पटपटाए इसस आखो की शि बढ़ती ह शरीर को रगड़-रगड़कर नहाए बाद म गील व स शरीर को रगड़-रगड़कर पोछ िजसस रोम कप का सारा मल बाहर िनकल जाय और रोमकप(तवचा क िछि) खल जायय तवचा क िछि बद रहन स ही तवचा की कई बीमािरया होती ह िफर सख कपड़ स शरीर को पोछ कर (अथवा थोड़ा गीला हो तब भी चल) सख साफ व पहन ल व भल साद हो िकनत साफ हो बासी कपड़ नही पहन हमशा धल हए कपड़ ही पहन इसस मन भी सनन रहता ह

पाच कार क ःनान होत हः ःनान दवःनान ऋिषःनान मानवःनान दानवःनान ःनानः -परमातमा का िचतन करक जल थल नहान वाला

ऐसा िचतन करक ा महतर म नहाना इस ःनान कहत ह दवःनानः दवनिदयो म ःनान या दवनिदयो का ःमरण करक सय दय स पवर नहाना यह

दवःनान ह ऋिषःनानः आकाश म तार िदखत हो और नहा ल यह ऋिषःनान ह ऋिषःनान करन

वाल की बि बड़ी तजःवी होती ह मानवःनानः सय दय क पवर का ःनान मानवःनान ह

दानवःनानः सय दय क प ात चाय पीकर नाता करक आठ नौ बज नहाना यह दानव ःनान ह

अतः हमशा ऋिषःनान करन का ही यास करना चािहए (अनबम)

ःवचछता का धयान यिद शरीर की सफाई रखी जाय तो मन भी सनन रहता ह आजकल अिधकतर लोग

श स ही मजन करत ह श की अपकषा नीम और बबल की दातौन जयादा अचछ होती ह और यिद श भी कर तो कभी-कभार श को गमर पानी स धोना चािहए अनयथा उसम बकटिरया(जीवाण) रह जात ह

िकतन ही लोग उगली स दात साफ करत ह तजरनी (अगठ क पास वाली थम उगली) स दात िघसन स मसड़ कमजोर हो जात ह तथा दात ज दी िगर जात ह कयोिक तजरनी म िव तशि का माण दसरी उगिलयो की अपकषा अिधक होता ह अतः उसस दात नही िघसन चािहए एव आखो को भी नही मसलना चािहए

िजस िदशा स हवा आती हो उस िदशा की ओर मह करक कभी-भी मलमऽ का िवसजरन नही करना चािहए सयर और चनिमा की ओर मख करक भी मलमऽ का िवसजरन नही करना चािहए

(अनबम)

ःमरणशि का िवकास यादशि बढ़ान का एक सनदर योग ह ETH ामरी ाणायाम सखासन प ासन या

िस ासन पर बठ हाथ की कोहनी की ऊचाई कनध तक रह इस कार रखकर हाथ की थम उगली(तजरनी) स दोनो कानो को धीर-स बद कर एकदम जोर स बद न कर िकनत बाहर का कछ सनाई न द इस कार धीर स कान बनद कर

अब गहर ास लकर थोड़ी दर रोक ओठ बद रखकर जस मर का गजन होता ह वस ॐsssss कहत हए गजन कर उसक बाद थोड़ी दर तक ास न ल पनः यही िबया दहराय ऐसा सबह एव शाम 8 स 10 बार कर यादशि बढ़ान का यह यौिगक योग ह इसस मिःतक की नािड़यो का शोधन होकर मिःतक म र सचार उिचत ढग स होता ह

और िवचार करन स भी बि शि का िवकास होता ह

सबह खाली पट तलसी क प एकाध काली िमचर चबाकर एक िगलास पानी पीन स भी ःमरणशि का िवकास होता ह रोग-ितकारक शि बढ़ती ह कनसर की बीमारी कभी नही होती जलदर-भगदर की बीमारी भी कभी नही होती

(अनबम)

वयि तव और वयवहार िकसी भी वयि तव का पता उसक वयवहार स ही चलता ह कई लोग वयथर च ा करत

ह एक होती ह सकाम च ा दसरी होती ह िनकाम च ा और तीसरी होती ह वयथर च ा वयथर च ा नही करनी चािहए िकसी क शरीर म कोई कमी हो तो उसका मजाक नही उड़ाना चािहए वरन उस मददरप बनना चािहए यह िनकाम सवा ह

िकसी की भी िनदा नही करनी चािहए िनदा करन वाला वयि िजसकी िनदा करता ह उसका तो इतना अिहत नही होता िजतना वह अपना अिहत करता ह जो दसरो की सवा करता ह दसरो क अनकल होता ह वह दसरो का िजतना िहत करता ह उसकी अपकषा उसका खद का िहत जयादा होता ह

अपन स जो उ स बड़ हो जञान म बड़ हो तप म बड़ हो उनका आदर करना चािहए िजस मनय क साथ बात करत हो वह मनय कौन ह यह जानकर बात करो तो आप वयवहार-कशल कहलाओग

िकसी को पऽ िलखत हो तो यिद अपन स बड़ हो तो ौी सबोधन करक िलखो सबोधन करन स सवाकयो की रचना स िश ता बढ़ती ह िकसी स बात करो तो सबोधन करक बात करो जो तकार स बात करता ह वह अिश कहलाता ह िश तापवरक बात करन स अपनी इजजत बढ़ती ह

िजसक जीवन म वयवहार-कशलता ह वह सभी कषऽो म सफल होता ह िजसम िवनता ह वही सब कछ सीख सकता ह िवनता िव ा बढ़ाती ह िजसक जीवन म िवनता नही ह समझो उसक सब काम अधर रह गय और जो समझता ह िक म सब कछ जानता ह वह वाःतव म कछ नही जानता

एक िचऽकार अपन गरदव क सममख एक सनदर िचऽ बनाकर लाया गर न िचऽ दखकर कहाः

वाह वाह सनदर ह अदभत ह

िशय बोलाः गरदव इसम कोई ऽिट रह गयी हो तो कपा करक बताइए इसीिलए म आपक चरणो म आया ह

गरः कोई ऽिट नही ह मझस भी जयादा अचछा बनाया ह

वह िशय रोन लगा उस रोता दखकर गर न पछाः तम कयो रो रह हो म तो तमहारी शसा कर रहा ह

िशयः गरदव मरी घड़ाई करन वाल आप भी यिद मरी शसा ही करग तो मझ मरी गि तया कौन बतायगा मरी गित कस होगी

यह सनकर गर अतयत सनन हो गय हमन िजतना जाना िजतना सीखा ह वह तो ठ क ह उसस जयादा जान सक सीख सक

ऐसा हमारा यास होना चािहए रामकण परमहस व हो गय थ िकसी न उनस पछाः बाबा जी आपन सब कछ जान

िलया ह

रामकण परमहसः नही म जब तक जीऊगा तब तक िव ाथ ही रहगा मझ अभी बहत कछ सीखना बाकी ह

िजनक पास सीखन को िमल उनस िवनतापवरक सीखना चािहए जो कछ सीखो सावधानीपवरक सीखो जीवन म िवनोद जररी ह िकनत िवनोद की अित न हो िजस समय पढ़त हो कछ सीखत हो कछ करत हो उस समय मःती नही िवनोद नही वरन जो कछ पढ़ो सीखो या करो उस उतसाह स धयान स और सावधानी स करो

पढ़न स पवर थोड़ धयानःथ हो जाओ पढ़न क बाद मौन हो जाओ यह गित की चाबी ह

माता-िपता स िचढ़ना नही चाह िजस मा-बाप न जनम िदया ह उनकी बातो को समझना चािहए अपन िलए उनक मन म िवशष दया हो िवशष म उतपनन हो ऐसा वयवहार करना चािहए

भल जाओ भल सब कछ माता-िपता को भलना नही अनिगनत उपकार ह उनक यह कभी िबसरना नही

माता-िपता को सतोष हो उनका दय सनन हो ऐसा हमारा वयवहार होना चािहए अपन माता-िपता एव गरजनो को सत रखकर ही हम सचची गित कर सकत ह

(अनबम)

  • पजय बाप जी का उदबोधन
  • कदम अपना आग बढाता चला जा
  • त गलाब होकर महक
  • जीवन विकास का मल सयम
  • तरिकाल सधया
  • शरीर सवासथय
  • अनन का परभाव
  • भारतीय ससकति की महानता
  • हरिदास की हरिभकति
  • बनावटी शरगार स बचो
  • साहसी बालक
  • गर-आजञापालन का चमतकार
  • अनोखी गरदकषिणा
  • सतसग की महिमा
  • पीड पराई जान र
  • विकास क बरियो स सावधान
  • कछ जानन योगय बात
  • शयन की रीत
  • सनान का तरीका
  • सवचछता का धयान
  • समरणशकति का विकास
  • वयकतितव और वयवहार
Page 12: Tu gulabhokarmehak

लोकमानय ितलक जब िव ाथ अवःथा म थ तो उनका शरीर बहत दबला पतला और कमजोर था िसर पर फोड़ा भी था उनहोन सोचा िक मझ दश की आजादी क िलए कछ काम करना ह माता-िपता एव समाज क िलए कछ करना ह तो शरीर तो मजबत होना ही चािहए और मन भी दढ होना चािहए तभी म कछ कर पाऊगा अगर ऐसा ही कमजोर रहा तो पढ़-िलखकर ा िकय हए माण-पऽ भी कया काम आयग

जो लोग िसकड़कर बठत ह झककर बठत ह उनक जीवन म बहत बरकत नही आती जो सीध होकर िःथर होकर बठत ह उनकी जीवन-शि ऊपर की ओर उठती ह व जीवन म सफलता भी ा करत ह

ितलक न िन य िकया िक भल ही एक साल क िलए पढ़ाई छोड़नी पड़ तो छोडगा लिकन शरीर और मन को सदढ़ बनाऊगा ितलक यह िन य करक शरीर को मजबत और मन को िनभ क बनान म जट गय रोज़ सबह-शाम दोड़ लगात ाणायाम करत तरन जात मािलश करत तथा जीवन को सयमी बनाकर चयर की िशकषावाली यौवन सरकषा जसी पःतक पढ़त सालभर म तो अचछा गठ ला बदन हो गया का पढ़ाई-िलखाई म भी आग और लोक-क याण म भी आग राममितर को सलाह दी तो राममितर न भी उनकी सलाह ःवीकार की और पहलवान बन गय

बाल गगाधर ितलक क िव ाथ जीवन क सक प को आप भी समझ जाना और अपन जीवन म लाना िक शरीर सदढ़ होना चािहए मन सदढ़ होना चािहए तभी मनय मनचाही सफलता अिजरत कर सकता ह

ितलक जी स िकसी न पछाः आपका वयि तव इतना भावशाली कस ह आपकी ओर दखत ह तो आपक चहर स अधयातम एकामता और तरणाई की तरलता िदखाई दती ह ःवराजय मरा जनमिस अिधकार ह ऐसा जब बोलत ह तो लोग दग रह जात ह िक आप िव ाथ ह यवक ह या कोई तजपज ह आपका ऐसा तजोमय वयि तव कस बना

तब ितलक न जवाब िदयाः मन िव ाथ जीवन स ही अपन शरीर को मजबत और दढ़ बनान का यास िकया था सोलह साल स लकर इककीस साल तक की उ म शरीर को िजतना भी मजबत बनाना चाह और िजतना भी िवकास करना चाह हो सकता ह

इसीिलए िव ाथ जीवन म इस बार पर धयान दना चािहए िक सोलह स इककीस साल तक की उ शरीर और मन को मजबत बनान क िलए ह

म (परम पजय गरदव आसारामजी बाप) जब चौदह-पनिह वषर का था तब मरा कद बहत छोटा था लोग मझ टणी (िठग) कहकर बलात तो मझ बरा लगता ःवािभमान तो होना ही चािहए टणी ऐसा नाम ठ क नही ह वस तो िव ाथ -काल म भी मरा हसमखा ःवभाव था इसस िशकषको न मरा नाम आसमल क बदल हसमखभाई ऱख िदया था लिकन कद छोटा था तो िकसी न टणी कह िदया जो मझ बरा लगा दिनया म सब कछ सभव ह तो टणी कयो

रहना म काकिरया तालाब पर दौड़ लगाता प लअ स करता और 30-40 माम मकखन म एक-दो माम कालीिमचर क टकड़ डालकर िनगल जाता चालीस िदन तक ऐसा योग िकया अब म उस वयि स िमला िजसन 40 िदन पहल टणी कहा था तो वह दखकर दग रह गया

आप भी चाहो तो अपन शरीर क ःवःथ रख सकत हो शरीर को ःवःथ रखन क कई तरीक ह जस धनवनतरी क आरो यशा म एक बात आती ह - उषःपान

उषःपान अथारत सय दय क पहल या सय दय क समय रात का रखा हआ पानी पीना इसस आतो की सफाई होती ह अजीणर दर होता ह तथा ःवाःथय की भी रकषा होती ह उसम आठ च ल भरकर पानी पीन की बात आयी ह आठ च ल पानी यािन िक एक िगलास पानी चार-पाच तलसी क प चबाकर सय दय क पहल पानी पीना चािहए तलसी क प सय दय क बाद तोड़न चािहए व सात िदन तक बासी नही मान जात

शरीर तनदरःत होना चािहए रगड़-रगड़कर जो नहाता ह और चबा-चबाकर खाता ह जो परमातमा का धयान करता ह और सतसग म जाता ह उसका बड़ा पार हो जाता ह

(अनबम)

अनन का भाव हमार जीवन क िवकास म भोजन का अतयिधक मह व ह वह कवल हमार तन को ही

प नही करता वरन हमार मन को हमारी बि को हमार िवचारो को भी भािवत करता ह कहत भी हः

जसा खाओ अनन वसा होता ह मन महाभारत क य म पहल दसर तीसर और चौथ िदन कवल कौरव-कल क लोग ही

मरत रह पाडवो क एक भी भाई को जरा-सी भी चोट नही लगी पाचवा िदन हआ आिखर दय धन को हआ िक हमारी सना म भीम िपतामह जस यो ा ह िफर भी पाडवो का कछ नही िबगड़ता कया कारण ह व चाह तो य म कया स कया कर सकत ह िवचार करत-करत आिखर वह इस िनकषर पर आया िक भीम िपतामह परा मन लगाकर पाडवो का मलोचछद करन को तयार नही हए ह इसका कया कारण ह यह जानन क िलए सतयवादी यिधि र क पास जाना चािहए उसस पछना चािहए िक हमार सनापित होकर भी व मन लगाकर य कयो नही करत

पाडव तो धमर क पकष म थ अतः दय धन िनःसकोच पाडवो क िशिवर म पहच गया वहा पर पाडवो न यथायो य आवभगत की िफर दय धन बोलाः

भीम अजरन तम लोग जरा बाहर जाओ मझ कवल यिधि र स बात करनी ह

चारो भाई यिधि र क िशिवर स बाहर चल गय िफर दय धन न यिधि र स पछाः यिधि र महाराज पाच-पाच िदन हो गय ह हमार कौरव-पकष क लोग ही मर रह ह

िकनत आप लोगो का बाल तक बाका नही होता कया बात ह चाह तो दवोत भीम तफान मचा सकत ह

यिधि रः हा मचा सकत ह

दय धनः व चाह तो भीण य कर सकत ह पर नही कर रह ह कया आपको लगता ह िक व मन लगाकर य नही कर रह ह

सतयवादी यिधि र बोलः हा गगापऽ भीम मन लगाकर य नही कर रह ह

दय धनः भीम िपतामह मन लगाकर य नही कर रह ह इसका कया कारण होगा

यिधि रः व सतय क पकष म ह व पिवऽ आतमा ह अतः समझत ह िक कौन सचचा ह और कौन झठा कौन धमर म ह तथा कौन अधमर म व धमर क पकष म ह इसिलए उनका जी चाहता ह िक पाडव पकष की जयादा खन-खराबी न हो कयोिक व सतय क पकष म ह

दय धनः व मन लगाकर य कर इसका उपाय कया ह

यिधि रः यिद व सतय ETH धमर का पकष छोड़ दग उनका मन ग त जगह हो जाएगा तो िफर व य करग

दय धनः उनका मन य म कस लग

यिधि रः यिद व िकसी पापी क घर का अनन खायग तो उनका मन य म लग जाएगा

दय धनः आप ही बताइय िक ऐसा कौन सा पापी होगा िजसक घर का अनन खान स उनका मन सतय क पकष स हट जाय और व य करन को तयार हो जाय

यिधि रः सभा म भीम िपतामह गर िोणाचायर जस महान लोग बठ थ िफर भी िोपदी को न न करन की आजञा और जाघ ठोकन की द ता तमन की थी ऐसा धमर-िवर और पापी आदमी दसरा कहा स लाया जाय तमहार घर का अनन खान स उनकी मित सतय और धमर क पकष स नीच जायगी िफर व मन लगाकर य करग

दय धन न यि पा ली कस भी करक कपट करक अपन यहा का अनन भीम िपतामह को िखला िदया भीम िपतामह का मन बदल गया और छठव िदन स उनहोन घमासान य करना आरभ कर िदया

कहन का तातपयर यह ह िक जसा अनन होता ह वसा ही मन होता ह भोजन कर तो श भोजन कर मिलन और अपिवऽ भोजन न कर भोजन क पहल हाथ-पर जरर धोय भोजन साितवक हो पिवऽ हो सननता दन वाला हो तनदरःती बढ़ान वाला हो

आहारश ौ स वशि ः

िफर भी ठस-ठस कर भोजन न कर चबा-चबाकर ही भोजन कर भोजन क समय शात एव सननिच रह भ का ःमरण कर भोजन कर जो आहार खान स हमारा शरीर तनदरःत रहता हो वही आहार कर और िजस आहार स हािन होती हो ऐस आहार स बच खान-पान म सयम स बहत लाभ होता ह

भोजन महनत का हो साि वक हो लहसन याज मास आिद और जयादा तल-िमचर-मसाल वाला न हो उसका िनिम अचछा हो और अचछ ढग स सनन होकर भगवान को भोग लगाकर िफर भोजन कर तो उसस आपका भाव पिवऽ होगा र क कण पिवऽ होग मन पिवऽ होगा िफर सधया-ाणायाम करग तो मन म साि वकता बढ़गी मन म सननता तन म आरो यता का िवकास होगा आपका जीवन उननत होता जायगा

महनत मजदरी करक िवलासी जीवन िबताकर या कायर होकर जीन क िलय िज़दगी नही ह िज़दगी तो चतनय की मःती को जगाकर परमातमा का आननद लकर इस लोक और परलोक म सफल होन क िलए ह मि का अनभव करन क िलए िज़दगी ह

भोजन ःवाःथय क अनकल हो ऐसा िवचार करक ही महण कर तथाकिथत वनःपित घी की अपकषा तल खाना अिधक अचछा ह वनःपित घी म अनक रासायिनक पदाथर डाल जात ह जो ःवाःथय क िलए िहतकर नही होत ह

ए यमीिनयम क बतरन म खाना यह पट को बीमार करन जसा ह उसस बहत हािन होती ह कनसर तक होन की समभावना बढ़ जाती ह ताब पीतल क बतरन कलई िकय हए हो तो अचछा ह ए यमीिनयम क बतरन म रसोई नही बनानी चािहए ए यमीिनयम क बतरन म खाना भी नही चािहए

आजकल अ ड खान का चलन समाज म बहत बढ़ गया ह अतः मनयो की बि भी वसी ही हो गयी ह वजञािनको न अनसधान करक बताया ह िक 200 अ ड खान स िजतना िवटािमन सी िमलता ह उतना िवटािमन सी एक नारगी (सतरा) खान स िमल जाता ह िजतना ोटीन कि शयम अ ड म ह उसकी अपकषा चन मग मटर म एयादा ोटीन ह टमाटर म अ ड स तीन गणा कि शयम एयादा ह कल म स कलौरी िमलती ह और भी कई िवटािमनस कल म ह

िजन ािणयो का मास खाया जाता ह उनकी हतया करनी पड़ती ह िजस व उनकी हतया की जाती ह उस व व अिधक स अिधक अशात िखनन भयभीत उि न और ब होत ह अतः मास खान वाल को भी भय बोध अशाित उ ग इस आहार स िमलता ह शाकाहारी भोजन म सपाचय तत होत ह मास म व नही होत अतः मासाहारी भोजन को पचान क जीवन शि का एयादा वयय होता ह ःवाःथय क िलय एव मानिसक शाित आिद क िलए प यातमा होन की दि स भी शाकाहारी भोजन ही करना चािहए

शरीर को ःथल करना कोई बड़ी बात नही ह और न ही इसकी ज़ररत ह लिकन बि को सआम करन की ज़ररत ह आहार यिद साि वक होगा तो बि भी सआम होगी इसिलए सदव साि वक भोजन ही करना चािहए

(अनबम)

भारतीय सःकित की महानता रवरनड ऑवर नाम का एक पादरी पना म िहनद धमर की िननदा और ईसाइयत का चार

कर रहा था तब िकसी सजजन न एक बार रवरनड ऑवर स कहाः आप िहनद धमर की इतनी िननदा करत हो तो कया आपन िहनद धमर का अधययन िकया

ह कया भारतीय सःकित को परी तरह स जानन की कोिशश की ह आपन कभी िहनद धमर को समझा ही नही जाना ही नही ह िहनद धमर म तो ऐस जप धयान और सतसग की बात ह िक िजनह अपनाकर मनय िबना िवषय-िवकारी क िबना िडःको डास(नतय) क भी आराम स रह सकता ह आनिदत और ःवःथ रह सकता ह इस लोक और परलोक दोनो म सखी रह सकता ह आप िहनद धमर को जान िबना उसकी िनदा करत हो यह ठ क नही ह पहल िहनद धमर का अधययन तो करो

रवरनड ऑवर न उस सजजन की बात मानी और िहनद धमर की पःतको को पढ़न का िवचार िकया एकनाथजी और तकारामजी का जीवन चिरऽ जञान र महाराज की योग सामथयर की बात और कछ धािमरक पःतक पढ़न स उस लगा िक भारतीय सःकित म तो बहत खजाना ह मनय की जञा को िदवय करन की मन को सनन करन की और तन क र कणो को भी बदलन की इस सःकित म अदभत वयवःथा ह हम नाहक ही इन भोल-भाल िहनदःतािनयो को अपन चगल म फसान क िलए इनका धमरपिरवतरन करवात ह अर हम ःवय तो अशािनत की आग म जल ही रह ह और इनह भी अशात कर रह ह

उसन ायि -ःवरप अपनी िमशनरी रो तयागपऽ िलख भजाः िहनदःतान म ईसाइयत फलान की कोई ज़ररत नही ह िहनद सःकित की इतनी महानता ह िवशषता ह िक ईसाइय को चािहए िक उसकी महानता एव सतयता का फायदा उठाकर अपन जीवन को साथरक बनाय िहनद धमर की सतयता का फायदा दश-िवदश म पहच मानव जाित को सख-शाित िमल इसका यास हम करना चािहए

म भारतीय इितहास सशोधन म डल क मर आठ लाख डॉलर भट करता ह और तमहारी िमशनरी को सदा क िलए तयागपऽ दकर भारतीय सःकित की शरण म जाता ह

जस रवर ड ऑवर न भारतीय सःकित का अधययन िकया ऐस और लोगो को भी जो िहनद धमर की िनदा करत ह भारतीय सःकित का पकषपात और पवरमहरिहत अधययन करना चािहए मनय की सष शि या व आनद जगाकर ससार म सख-शाित आनद सननता का चार-सार करना चािहए

मा सीता की खोज करत-करत हनमान जामबत अगद आिद ःवयभा क आौम म पहच उनह जोरो की भख और यास लगी थी उनह दखकर ःवयभा न कह िदया िकः

कया तम हनमान हो ौीरामजी क दत हो सीता जी की खोज म िनकल हो

हनमानजी न कहाः हा मा हम सीता माता की खोज म इधर तक आय ह

िफर ःवयभा न अगद की ओर दखकर कहाः तम सीता जी को खोज तो रह हो िकनत आख बद करक खोज रह हो या आख

खोलकर

अगद जरा राजवी परष था बोलाः हम कया आख बनद करक खोजत होग हम तो आख खोलकर ही माता सीता की खोज कर रह ह

ःवयभा बोलीः सीताजी को खोजना ह तो आख खोलकर नही बद करक खोजना होगा सीता जी अथारत भगवान की अधािगनी सीताजी यानी िव ा आतमिव ा िव ा को खोजना ह तो आख खोलकर नही आख बद करक ही खोजना पड़गा आख खोलकर खोजोग तो सीताजी नही िमलगी तम आख बनद करक ही सीताजी ( िव ा) को पा सकत हो ठहरो म तमह बताती ह िक सीता जी कहा ह

धयान करक ःवयभा न बतायाः सीताजी यहा कही भी नही वरन सागर पार लका म ह अशोकवािटका म बठ ह और राकषिसयो स िघरी ह उनम िऽजटा नामक राकषसी ह तो रावण की सिवका िकनत सीताजी की भ बन गयी ह सीताजी वही रहती ह

वारन सोचन लग िक भगवान राम न तो एक महीन क अदर सीता माता का पता लगान क िलए कहा था अभी तीन स ाह स एयादा समय तो यही हो गया ह वापस कया मह लकर जाए सागर तट तक पहचत-पहचत कई िदन लग जाएग अब कया कर

उनक मन की बात जानकर ःवयभा न कहाः िचनता मत करो अपनी आख बद करो म योगबल स एक कषण म तमह वहा पहचा दती ह

हनमान अगद और अनय वानर अपनी आख बनद करत ह और ःवयभा अपनी योगशि स उनह सागर-तट पर कछ ही पल म पहचा दती ह

ौीरामचिरतमानस म आया ह िक ETH

ठाड़ सकल िसध क तीरा ऐसी ह भारतीय सःकित की कषमता

अमिरका को खोजन वाला कोलबस पदा भी नही हआ था उसस पाच हजार वषर पहल अजरन सशरीर ःवगर म गया था और िदवय अ लाया था ऐसी यो यता थी िक धरती क राजा खटवाग दवताओ को मदद करन क िलए दवताओ का सनापितपद सभालत थ ितःमित-िव ा चाकषषी िव ा परकायावश िव ा अ िसि िव ा एव नविनिध ा करान वाली योगिव ा और जीत-जी जीव को बनान वाली िव ा यह भारतीय सःकित की दन ह अनय जगह यह नही िमलती भारतीय सःकित की जो लोग आलोचना करत ह उन बचारो को तो पता ही नही ह िक भारतीय सःकित िकतनी महान ह

गर तगबहादर बोिलयो सनो सीखो बड़भािगयो धड़ दीज धमर न छोिड़य

यवनो न गर गोिबनदिसह क बटो स कहाः तम लोग मसलमान हो जाओ नही तो हम तमह िज़नदा ही दीवार म चनवा दग

बट बोलः हम अपन ाण द सकत ह लिकन अपना धमर नही तयाग सकत

बरो न उन दोनो को जीत-जी दीवार म चनवा िदया जब कारीगर उनह दीवार म चनन लग तब बड़ा भाई बोलता हः धमर क नाम यिद हम मरना ही पड़ता ह तो पहल मरी ओर ट बढ़ा दो तािक म छोट भाई की मतय न दख

छोटा भाई बोलता हः नही पहल मरी ओर ईट बढ़ा दो

कया साहसी थ कया वीर थ वीरता क साथ अपन जीवन का बिलदान कर िदया िकनत धमर न छोड़ा आजकल क लोग तो अपन धमर और सःकित को ही भलत जा रह ह कोई लवर-लवरी धमरपिरवतरन करक लवमरज करत ह अपना िहनद धमर छोड़कर फस मरत ह यह भी कोई िज़नदगी ह भगवान ौीकण कहत ह ETH

ःवधम िनधन ौय परधम भयावहः अपन धमर म मर जाना अचछा ह पराया धमर दःख दन वाला ह भयावह ह नरको म ल

जान वाला ह इसिलए अपन ही धमर म अपनी ही सःकित म जो जीता ह उसकी शोभा ह रवर ड ऑवर न भारतीय सःकित का खब आदर िकया एफ एच मोलम न महातमा

थोरो एव अनय कई पा ातय िचनतको न भी भारतीय सःकित का बहत आदर िकया ह उनक कछ उदगार यहा ःतत हः

बाईबल का मन यथाथर अ यास िकया ह उसम जो िदवय िलखा ह वह कवल गीता क उ रण क रप म ह म ईसाई होत हए भी गीता क ित इतना सारा आदरभाव इसिलए रखता ह िक िजन गढ़ ो का समाधान पा ातय लोग अभी तक नही खोज पाय ह उनका समाधान गीतामनथ न श एव सरल रीित स कर िदया ह उसम कई सऽ अलौिकक उपदशो स भरपर

लग इसीिलए गीता जी मर िलए साकषात योग री माता बन रही ह वह तो िव क तमाम धन स भी नही खरीदा जा सक ऐसा भारतवषर का अम य खजाना ह

- एफ एच मोलम (इगल ड) ाचीन यग की सवर रमणीय वःतओ म गीता स ौ कोई वःत नही ह गीता म ऐसा

उ म और सवरवयापी जञान ह िक उसक रचियता दवता को अस य वषर हो गय िफर भी ऐसा दसरा एक भी मनथ नही िलखा गया

महातमा थोरो (अमिरका) धमर क कषऽ म अनय सब दख दिरि ह जबिक भारत इस िवषय म अरबपित ह

माकर टवन (यएसए) इस पथवी पर सवारिधक पणर िवकिसत मानवजञा कहा ह और जीवन क मह म ो क

हल िकसन खोज ह ऐसा अगर मझस पछा जाए तो म अगिलिनदश करक कहगा िक भारत न ही

मकसमलर (जमरनी) वदानत जसा ऊधवरगामी एव उतथानकारी और एक भी धमर या त वजञान नही ह

शोपनहोअर (जमरनी) िव भर म कवल भारत ही ऐसी ौ महान परमपराए रखता ह जो सिदयो तक जीिवत

रही ह

कनो (ानस) मनय जाित क अिःततव क सबस ारिमभक िदनो स लकर आज तक जीिवत मनय

क तमाम ःव न अगर कही साकार हए हो तो वह ःथान ह भारत

रोमा रोला (ास) भारत दश समपणर मानव जाित की मातभिम ह और सःकत यरोप की सभी भाषाओ की

जननी ह भारत हमार त वजञान गिणतशा एव जनतऽ की जननी ह भारतमाता अनक रप स सभी की जननी ह

िवल डरानट (यएसए) भारतीय सःकित की महानता का एहसास करन वाल इन सब िवदशी िचनतको को हम

धनयवाद दत ह एक बार महातमा थोरो सो रह थ इतन म उनका िशय एमसरन आया दखा िक वहा

साप और िबचछ घम रह ह गरजी क जागन पर एमसरन बोलाः गरदव यह जगह बड़ी खतरनाक ह म िकसी सरिकषत जगह पर आपकी वयवःथा करवा

दता ह

महातमा थोरो बोलः नही नही िचनता करन की कोई ज़ररत नही ह मर िसरहान पर ौीमदभगवदगीता ह भगवदगीता क जञान क कारण तो मझ साप म िबचछ म सबम मरा ही आतमा-परमातमा िदखता ह व मझ नही काटत ह तो म कही कयो जाऊ

िकतनी कह गीता की महानता यही ह भारतीय सःकित की मिहमा अदभत ह उसकी महानता लाबयान ह उसकी मिहमा

(अनबम)

हिरदास की हिरभि सात वष य गौर वणर क गौराग बड़-बड़ िव ान पिडतो स ऐस-ऐस करत थ िक व

दग रह जात थ इसका कारण था गौराग की हिरभि बड़ होकर उनहोन लाखो लोगो को हिरभि म रग िदया

जो हिरभ होता हिर का भजन करता उसकी बि अचछ मागर पर ही जाती ह लोभी वयि पसो क िलए हसता-रोता ह पद एव कस क तो िकतन ही लोग हसत रोत ह पिरवार क िलए तो िकतन ही मोही हसत रोत ह िकनत धनय ह व जो भगवान क िलए रोत हसत ह भगवान क िवरह म िजस रोना आया ह भगवान क िलए िजसका दय िपघलता ह ऐस लोगो का जीवन साथरक हो जाता ह भागवत म भगवान ौीकण उ व स कहत ह-

वाग गदगदा िवत यःय िच

रदतयभीआण हसित कविचचच िवलजज उदगायित नतयत च

मदभि य ो भवन पनाित िजसकी वाणी गदगद हो जाती ह िजसका िच ििवत हो जाता ह जो बार-बार रोन

लगता ह कभी लजजा छोड़कर उचच ःवर स गान लगता ह कभी नाचन लगता ह ऐसा मरा भ समम ससार को पिवऽ करता ह (ौीमदभागवतः 111424)

धनय ह वह मसलमान बालक जो गौराग क कीतरन म आता ह और िजसन गौराग स मऽदीकषा ली ह

उस मसलमान बालक का नाम हिरदास रखा गया मसलमान लोगो न उस हिरभ हिरदास को फसलान की बहत च ा की बहत डराया िक त गौराग क पास जाना छोड़ द नही तो हम यह करग वह करग िकनत हिरदास बहका नही उसका भय न हो गया था दमरित दर हो चकी थी उसकी सदबि और िन ा भगवान क धयान म लग गयी थी भयनाशन दमरित हरण किल म हिर को नाम यह नानक जी का वचन मानो उसक जीवन म साकार हो उठा था

काज़ी न षडयऽ करक उस पर कस िकया और फरमान जारी िकया िक हिरदास को बत मारत-मारत बीच बाजार स ल जाकर यमना म डाल िदया जाय

िनभ क हिरदास न बत की मार खाना ःवीकार िकया िकनत हिरभि छोड़ना ःवीकार न िकया िनि त िदन हिरदास को बत मारत हए ल जाया जान लगा िसपाही बत मारता ह तो हिरदास बोलता हः हिर बोल

हमको हिर बोल बलवाता ह य ल हिर बोल हिर बोल (सटाकसटाक) िसपाही बोलत हः हम तझ बत मारत ह तो कया तझ पीड़ा नही होती त हमस भी हिर

बोल हिर बोल करवाना चाहता ह

हिरदासः पीड़ा तो शरीर को होती ह म तो आतमा ह मझ तो पीड़ा नही होती तम भी यार स एक बार हिर बोल कहो

िसपाहीः ह हम भी हिर बोल कह हमस हिर बोल बलवाता ह ल य हिर बोल (सटाक)

हिरदास सोचता ह िक बत मारत हए भी तो य लोग हिर बोल कह रह ह चलो इनका क याण होगा िसपाही बत मारत जात ह सटाक सटाक और हिरदास हिर बोल बोलता भी जाता ह बलवाता भी जाता ह हिरदास को कई बत पड़न पर भी उसक चहर पर दःख की रखा तक नही िखचती

हवालदार पछता हः हिरदास तझ बत पड़न क बावजद भी तरी आखो म चमक ह चहर पर धयर शाित और सननता झलक रही ह कया बात ह

हिरदासः म बोलता ह हिर बोल तब िसपाही ब होकर भी कहत हः ह हमस भी बलवाता ह हिर बोल हिर बोल हिर बोल तो ल इस बहान भी उनक मह स हिरनाम िनकलता ह दर सवर उनका भी क याण होगा इसी स मर िच म सननता ह

धनय ह हिरदास की हिरभि बर काज़ी क आदश का पालन करत हए िसपाही उस हिरभि स िहनद धमर की दीकषा स चयत करन क िलए बत मारत ह िफर भी वह िनडर हिरभि नही छोड़ता हिर बोल बोलना बद नही करता

व मसलमान िसपाही हिरदास को िहनद धमर की दीकषा क भाव स गौरा क भाव स दर हटाना चाहत थ लिकन वह दर नही हटा बत सहता रहा िकनत हिर बोल बोलना न छोड़ा आिखरकार उन बर िसपाहीयो न हिरदास को उठाकर नदी म बहा िदया

नदी म तो बहा िदया लिकन दखो हिरनाम का भाव मानो यमनाजी न उसको गोद म ल िलया डढ़ मील तक हिरदास पानी म बहता रहा वह शातिच होकर मानो उस पानी म नही हिर की कपा म बहता हआ दर िकसी गाव क िकनार िनकला दसर िदन गौराग की भातफरी म शािमल हो गया लोग आ यरचिकत हो गय िक चमतकार कस हआ

धनय ह वह मसलमान यवक हिरदास जो हिर क धयान म हिर क गान म हिर क कीतरन म गौराग क साथ रहा जस िववकाननद क साथ भिगनी िनविदता न भारत म अधयातम-धणर क चार म लगकर अपना नाम अमर कर िदया वस ही इस मसलमान यवक न हिरकीतरन म हिरधयान म अपना जीवन धनय कर िदया दजरन लोग हिरदास का बाल तक न बाका कर सक जो सचच दय स भगवान का हो जाता ह उसकी हजारो शऽ िमलकर भी कछ हािन नही कर सकत तो उस काज़ी की कया ताकत थी

लोगो न जाकर काज़ी स कहा िक आज हिरदास पनः गौराग की भातफरी म उपिःथत हो गया था काजी अतयनत अहकारी था उसन एक नोिटस भजा एक आदश चतनय महाभ (गौराग) को भजा िक कल स तम भातफरी नही िनकाल सकत तमहारी भातफरी पर बिदश लगाई जाती ह

गौराग न सोचा िक हम िकसी का बरा नही करत िकसी को कोई हािन नही पहचात अर वायम डल क दषण को दर करन क िलए तो शासन पस खचर करता ह िकनत िवचारो क दषण को दर करन क िलए हिरकीतरन जसा हिरभि जसा अमोघ उपाय कौन सा ह भल काजी और शासन की समझ म आय या न आय वातावरण को श करन क साथ-साथ िवचारो का दषण भी दर होना चािहए हम तो कीतरन करग और करवायग

जो लोग डरपोक थ भीर और कायर थ ढील-ढाल थ व बोलः बाबा जी रहन दो रहन दो अपना कया जो करग व भरग अपन तो घर म ही रहकर हिर ॐ हिर ॐ करग

गौराग न कहाः नही इस कार कायरो जसी बात करना ह तो हमार पास मत आया करो

दसर िदन जो डरपोक थ ऐस पाच-दस वयि नही आय बाकी क िहममतवाल िजतन थ व सब आय उनह दखकर और लोग भी जड़

गौराग बोलः आज हमारी भातफरी की पणारहित काजी क घर पर ही होगी

गौराग भ -म डली क साथ कीतरन करत-करत जब बाजार स गज़र तो कछ िहनद एव मसलमान भी कीतरन म जड़ गय उनको भी कीतरन म रस आन लगा व लोग काजी को गािलया दन लग िक काजी बदमाश ह ऐसा ह वसा ह आिद ETH आिद

तब गौराग कहत हः नही शऽ क िलए भी बरा मत सोचो

उनहोन सबको समझा िदया िक काजी क िलए कोई भी अपश द नही कहगा कसी महान ह हमारी िहनद सःकित िजसन हिरदास को बत मारन का आदश िदया उस कवल अपश द कहन क िलए भी गौराग मना कर रह ह इस भारती सःकित म िकतनी उदारता ह स दयता ह लिकन कायरता को कही भी ःथान नही ह

गौराग कीतरन करत-करत काजी क घर क िनकट पहच गय काजी घर की छत पर स इस भातफरी को दखकर दग रह गया िक मर मना करन पर भी इनहोन भातफरी िनकाली

और मर घर तक ल आय उसम मसलमान लड़क भी शािमल ह जयो ही वह भातफरी काजी क घर पहची काजी घर क अनदर िछप गया

गौराग न काजी का ार खटखटाया तब काजी या काजी की प ी न नही वरन चौकीदार न दरवाजा खोला वह बोलाः

काजी साहब घर पर नही ह

गौराग बोलः नही कस ह अभी तो हमन उनह घर की छत पर दखा था काजी को जाकर बोलो हमार मामा और मा भी िजस गाव की ह आप भी उसी गाव क हो इसिलए आप मर गाव क मामा लगत ह मामाजी भानजा ार पर आय और आप छप कर बठ यह शोभा नही दता बाहर आ जाईय

चौकीदार न जाकर काजी को सब कह सनाया गौराग क मभर वचन सनकर काजी का दय िपघल गया िजस पर मन ज म ढाय वह मझ मामा कहकर सबोिधत करता ह िजसक साथ मन बरता की वह मर साथ िकतना औदायर रखता ह यह सोचकर काजी का दय बदल गया वह ार पर आकर बोलाः

म तमस डरकर अनदर नही छपा कयोिक मर पास तो स ा ह कलम की ताकत ह लिकन हिरकीतरन स हिरनाम स िहनद तो कया मसलमान लड़क भी आनिदत हो रह ह उनका भी लह पिवऽ हो रहा ह यह दखकर मझ दःख हो रहा ह िक िजस नाम क उचचारण स उनकी रग-रग पावन हो रही ह उसी नाम क कारण मन हिरदास पर और तम पर ज म िकया िकसी क बहकाव म आकर तम लोगो पर फरमान जारी िकया अब म िकस मह स तमहार सामन आता इसीिलए म मह िछपाकर घर क अनदर घस गया था

भानजा(गौराग) बोलता हः मामा अब तो बाहर आ जाइय

मामा(काजी) बोलाः बाहर आकर कया कर

गौरागः कीतरन कर हिरनाम क उचचारण स छपी हई यो यता िवकिसत कर आनद गट कर

काजीः कया करना होगा

गौरागः म जसा बोलता ह ऐसा ही बोलना होगा बोिलएः हिर बोल हिर बोल

काजीः हिर बोल हिर बोल

गौरागः हिर बोल हिर बोल

काजीः हिर बोल हिर बोल

हिर बोल हिर बोल हिर बोल हिर बोल

हिर बोल हिर बोल हिर बोल हिर बोल

कीतरन करत-करत गौराग न अपनी िनगाहो स काजी पर कपा बरसाई तो काजी भी झमन लगा उस भी हिर बोल का रग लग गया जस इजन को ह डल दकर छोड़ दत ह तब भी इजन चलता रहता ह ऐस ही गौराग की कपादि स काजी भी झमन लगा

काजी क झमन स वातावरण म और भी रग आ गया काजी तो झम गया काजी की प ी भी झमी और चौकीदार भी झम उठा सब हिरकीतरन म झमत-झमत अपन र को पावन करन लग दय को हिररस स सराबोर करन लगा उनक जनम-जनम क पाप-ताप न होन लग िजस पर भगवान की दया होती ह िजसको साधओ का सग िमलता ह सतसग का सहारा िमलता ह और भारतीय सःकित की महानता को समझन की अकल िमलती ह िफर उसक उ ार म कया बाकी रह जाता ह काजी का तो उ ार हो गया

दखो सत की उदारता एव महानता िजसन िहनदओ पर ज म करवाय भ हिरदास को बत मरवात-मरवात यमना जी म डलवा िदया भातफरी पर ितबध लगवा िदया उसी काजी को गौराग न हिररग म रग िदया अपनी कपादि स िनहाल कर िदया उसक बर कम की धयान न दत हए भि का दान द िदया ऐस गौराग क ौीचरणो म हमार हजार-हजार णाम ह हम उस मसलमान यवक हिरदास को भी धनयवाद दत ह िक उसन बत खात पीड़ा सहत भी भि न छोड़ी गरदव को न छोड़ा न ही उनक दबाव म आकर पनः मसलमान बना हिर बोल क रग म ःवय रगा और िसपािहयो को भी रग िदया धनय ह हिरदास और उसकी हिरभि

(अनबम)

बनावटी ौगार स बचो जमरनी क िस दाशरिनक शोपनहार कहत ह िक िजन दशो म हिथयार बनाय जात ह

उन दशो क लोगो को य करन की उ जना होती ह और उन दशो म हिथयार बनत ही रहत ह य भी होत रहत ह ऐस ही जो लोग फशन करत ह उनक दय म काम बोध लोभ मोह रपी य होता ही रहता ह उनक जीवन म िवलािसता आती ह और पतन होता ह वस ही फशन और िवलािसता स सयम सदाचार और यो यता का सहार होता ह

इसिलए य क साधन बढ़न स जस य होता ह वस ही िवलािसता और फशन क साधनो का उपयोग करन स अतयर होता ह अपनी आितमक शि यो का सहार होता ह अतः अपना भला चाहन वाल भाई-बहनो को पफ-पाउडर िलपिःटक-लाली व -अलकार क िदखाव क पीछ नही पड़ना चािहए सयम सादगी एव पिवऽतापणर जीवन जीना चािहए

अपन शा ो म ौगार की अनमित दी गई ह सौभा यवती ि या जब पित अपन ही नगर म हो घर म हो तब ौगार कर पित यिद दर दश गया हो तब सौभा यवित ि यो को भी सादगीपणर जीवन जीना चािहए ौगार क उपयोग म आनवाली वःतए भी वनिःपतयो एव साि वक रसो स बनी हई होनी चािहए जो सननता और आरो यता दान कर

आजकल तो शरीर म उ जना पदा कर बीमािरया पदा कर ऐस किमक स(रसायनो) और जहर जस साधनो स ौगार-साधन बनाए जात ह िजसस शरीर क अनदर जहरील कण जात ह और तवचा की बीमािरया होती ह आहार म भी जहरील कणो क जान स पाचन-तऽ और मानिसक सतलन िबगड़ता ह साथ ही बौि क एव वचािरक सतलन भी िबगड़ता ह

पशओ की चब किमक स और दसर थोड़ जहरील िवयो स बन पफ-पाउडर िलपिःटक-लाली आिद िजन साधनो का यटी-पालरर म उपयोग िकया जाता ह वसी गदगी कभी-भी अपन शरीर को तो लगानी ही नही चािहए दसर लोगो न लगायी हो तो दखकर सनन भी नही होना चािहए अपन सयम और सदाचार की सनदरता को गट करना चािहए मीरा और शबरी िकस यटी-पालरर म गय थ सती अनसया गाग और मदालसा न िकस पफ-पाउडर लाली-िलपिःटक का उपयोग िकया था िफर भी उनका जीवन सनदर तजःवी था हम भी ई र स ाथरना कर िक ह भगवान हम अपना सयम और साधना का सौनदयर बढ़ाए ऐसी त दया करना िवकारी सौनदयर स अपन को बचाकर िनिवरकारी नारायण की ओर जाय ऐसी त दया करना िवलािसता म अपन समय को न लगाकर तर ही धयान-िचतन म हमारा समय बीत ऐसी त कपा करना

किऽम सौनदयर-साधन स तवचा की िःन धता और कोमलता मर जाती ह पफ-पाउडर बीम आिद स शरीर की कदरती िःन धता खतम हो जाती ह ाकितक सौनदयर को न करक

जो किऽम सौनदयर क गलाम बनत ह उनस ःनहभरी सलाह ह िक व पफ-पाउडर आिद और तड़कील-भड़कील व आिद की गलामी को छोड़कर ाकितक सौनदयर को बढ़ान की कोिशश कर मीरा और मदालसा की तरह अपन असली सौनदयर को कट करन की कोिशश कर

(अनबम)

साहसी बालक एक लड़का काशी म हिर नि हाईःकल म पढ़ता था उसका गाव काशी स आठ मील दर

था वह रोजाना वहा स पदल चलकर आता बीच म जो गगा नदी बहती ह उस पार करक िव ालय पहचता

उस जमान म गगा पार करन क िलए नाव वाल को दो पस दन पड़त थ दो पस आन क और दो पस जान क कल चार पस यािन पराना एक आना महीन म करीब दो रपय हए जब सोन क एक तोल का भाव रपया सौ स भी नीच था तब क दो रपय आज क तो पाच-पचचीस रपय हो जाए

उस लड़क न अपन मा-बाप पर अितिर बोझा न पड़ इसिलए एक भी पस की माग नही की उसन तरना सीख िलया गम हो बािरश हो या ठ ड हो गगा पार करक हाईःकल म जाना उसका बम हो गया इस कार िकतन ही महीन गजर गय

एक बार पौष मास की ठ ड म वह लड़का सबह की ःकल भरन क िलए गगा म कदा तरत-तरत मझधार म आया एक नाव म कछ याऽी नदी पार कर रह थ उनहोन दखा िक छोटा-सा लड़का अभी डब मरगा व उसक पास नाव ल गय और हाथ पकड़ कर उस नाव म खीच िलया लड़क क मख पर घबराहट या िचनता की कोई रखा नही थी सब लोग दग रह गय इतना छोटा ह और इतना साहसी ह व बोलः

त अभी डब मरता तो ऐसा साहस नही करना चािहए

तब लड़का बोलाः साहस तो होना ही चािहए जीवन म िव न-बाधाए आयगी उनह कचलन क िलए साहस तो चािहए ही अगर अभी स साहस नही जटाया तो जीवन म बड़-बड़ कायर कस कर पायग

लोगो न पछाः इस समय तरन कयो िगरा दोपहर को नहान आता

लड़का बोलता हः म नहान क िलए नदी म नही िगरा ह म तो ःकल जा रहा ह

नाव म बठकर जाता

रोज क चार पस आन-जान क लगत ह मर गरीब मा-बाप पर मझ बोझा नही बनना ह मझ तो अपन परो पर खड़ होना ह मरा खचर बढ़ तो मर मा-बाप की िचनता बढ़ उनह घर चलाना मिकल हो जाय

लोग उस आदर स दखत ही रह गय वही साहसी लड़का आग चलकर भारत का धान मऽी बना

वह लड़का कौन था पता ह व थ लाल बहादर शा ी शा ी जी उस पद भी सचचाई साहस सरलता ईमानदारी सादगी दशम आिद सदगण और सदाचार क मितरमनत ःवरप थ ऐस महापरष भल िफर थोड़ा-सा समय ही राजय कर पर एक अनोखा भाव छोड़ जात ह जनमानस पर

(अनबम)

गर-आजञापालन का चमतकार ौीम आ ाशकराचायर जी जब काशी म िनवास करत थ तब गगा-तट पर िनतय ात-

काल टहलत थ एक सबह िकसी ितभासपनन यवक न दसर िकनार स दखा िक कोई सनयासी उस पार टहल रह ह उस यवक न दसर िकनार स ही उनह णाम िकया उस यवक को दखकर आ शकराचायर जी न सकत िकया िक इधर आ जाओ उस आभासमपनन यवक न दखा िक मन तो साध को णाम कर िदया ह णाम कर िदया तो म उनका िशय हो गया और उनहोन मझ आदश िदया िक इधर आ जाओ अब गर की आजञा का उ लघन करना भी तो उिचत नही ह िकनत यही कोई नाव नही ह और म तरना भी नही जानता ह अब कया कर उसक मन म िवचार आया िक वस भी तो हजारो बार हम मर चक ह एक बार यिद गर क दशरन क िलए जात-जात मर जाय तो घाटा कया होगा

गग मात की जय कह कर उस यवक न तो गगाजी म पर रख िदया उसकी इचछा कहो ौीम आ शकराचायर जी का भाव कहो या िनयित की लीला कहो जहा उस यवक न कदम रखा वहा एक कमल पदा हो गया उसक पर को थामन क िलए जब दसरा पर रखा तो वहा भी कमल पदा हो गया इस कार जहा-जहा वह कदम रखता गया वहा कमल (प ) उतपनन होता गया और वह यवक गगा क दसर तट पर जहा आ शकराचायर जी खड़ थ पहच गया

जहा-जहा वह कदम रखता था वहा-वहा प (कमल) क कट होन क कारण उसका नाम पड़ा - प पादाचायर शकराचायर जी क म य चार प टिशयो म आग जाकर यही प पादाचायर एक प टिशय बन

कहन का तातपयर यह ह िक सिचचदानद परमातमा की शि का सामथयर का बयान करना सभव नही ह िजसकी िजतनी दढ़ता ह िजसकी िजतनी सचचाई ह िजसकी िजतनी ततपरता ह उतनी ही कित भी उसकी मदद करन को आतर रहती ह प पादाचायर की गर-आजञापालन म दढ़ता और ततपरता को दखकर गगा जी म कमल गट हो गय िशय यिद दढ़ता ततपरता और ईमानदारी स गर-आजञापालन म लग जाय तो कित भी उसक अनकल हो जाती ह

(अनबम)

अनोखी गरदिकषणा एकलवय गर िोणाचायर क पास आकर बोलाः मझ धनिवर ा िसखान की कपा कर

गरदव गर िोणाचायर क समकष धमरसकट उतपनन हआ कयोिक उनहोन भीम िपतामह को वचन

द िदया था िक कवल राजकमारो को ही म िशकषा दगा एकलवय राजकमार नही ह अतः उस धनिवर ा कस िसखाऊ अतः िोणाचायर न एकलवय स कहाः

म तझ धनिवर ा नही िसखा सकगा

एकलवय घर स िन य करक िनकला था िक म कवल गर िोणाचायर को ही गर बनाऊगा िजनक िलए मन म भी गर बनान का भाव आ गया उनक िकसी भी वयवहार क िलए िशकायत या िछिानवषण की वि नही होनी चािहए

एकलवय एकात अर य म गया और उसन गर िोणाचायर की िम टी की मितर बनायी मितर की ओर एकटक दखकर धयान करक उसी स रणा लकर वह धनिवर ा सीखन लगा एकटक दखन स एकामता आती ह एकामता गरभि अपनी सचचाई और ततपरता क कारण उस रणा िमलन लगी जञानदाता तो परमातमा ह धनिवर ा म वह बहत आग बढ़ गया

एक बार िोणाचायर पाडव एव कौरव धनिवर ा का योग करन अर य म आय उनक साथ एक क ा भी था जो थोड़ा आग िनकल गया क ा वही पहचा जहा एकलवय अपनी धनिवर ा का योग कर रहा था एकलवय क खल बाल फट कपड़ एव िविचऽ वष को दखकर क ा भ कन लगा

एकलवय न क को लग नही चोट न पहच और उसका भ कना बद हो जाय इस ढग स सात बाण उसक मह म थमा िदय क ा वािपस वहा गया जहा िोणाचायर क साथ पाडव और कौरव थ

उस दखकर अजरन को हआ िक क को चोट न लग इस ढग स बाण मह म घसाकर रख दना यह िव ा तो म भी नही जानता यह कस सभव हआ वह गर िोणाचायर स बोलाः

गरदव आपन तो कहा था िक मरी बराबरी का दसरा कोई धनधाररी नही होगा िकनत ऐसी िव ा तो मझ भी नही आती

िोणाचायर को हआ िक दख इस अर य म कौन-सा ऐसा कशल धनधरर ह आग जाकर दखा तो वह था िहर यधन का पऽ गरभ एकलवय

िोणाचायर न पछाः बटा यह िव ा त कहा स सीखा

एकलवय बोलाः गरदव आपकी ही कपा स सीखा ह

िोणाचायर तो वचन द चक थ िक अजरन की बराबरी का धनधरर दसरा कोई न होगा िकनत यह तो आग िनकल गया गर क िलए धमरसकट खड़ा हो गया एकलवय की अटट ौ ा दखकर िोणाचायर न कहाः मरी मितर को सामन रखकर त धनिवर ा तो सीखा िकनत गरदिकषणा

एकलवयः जो आप माग

िोणाचायरः तर दाय हाथ का अगठा

एकलवय न एक पल भी िवचार िकय िबना अपन दाय हाथ का अगठा काटकर गरदव क चरणो म अपरण कर िदया

िोणाचायरः बटा भल ही अजरन धनिवर ा म सबस आग रह कयोिक म उस वचन द चका ह िकनत जब तक सयर चनि नकषऽो का अिःततव रहगा तब तक लोग तरी गरिन ा का तरी गरभि का ःमरण करग तरा यशोगान होता रहगा

उसकी गरभि और एकामता न उस धनिवर ा म तो सफलता िदलायी ही लिकन सतो क दय म भी उसक िलए आदर गट करवा िदया धनय ह एकलवय जो गरमितर स रणा पाकर धनिवर ा म सफल हआ और िजसन अदभत गरदिकषणा दकर साहस तयाग और समपरण का पिरचय िदया

(अनबम)

सतसग की मिहमा तलसीदास जी महाराज कहत ह ETH

एक घड़ी आधी घड़ी आधी म पिन आध तलसी सगत साध की हर कोिट अपराध

एक बार शकदव जी क िपता भगवान वदवयासजी महाराज कही जा रह थ राःत म उनहोन दखा िक एक कीड़ा बड़ी तजी स सड़क पार कर रहा था

वदवयासजी न अपनी योगशि दत हए उसस पछाः त इतनी ज दी सड़क कयो पार कर रहा ह कया तझ िकसी काम स जाना ह त तो

नाली का कीड़ा ह इस नाली को छोड़कर दसरी नाली म ही तो जाना ह िफर इतनी तजी स कयो भाग रहा ह

कीड़ा बोलाः बाबा जी बलगाड़ी आ रही ह बलो क गल म बध घघर तथा बलगाड़ी क पिहयो की आवाज म सन रहा ह यिद म धीर-धीर सड़क पार करगा तो वह बलगाड़ी आकर मझ कचल डालगी

वदवयासजीः कचलन द कीड़ की योिन म जीकर भी कया करना

कीड़ाः महिषर ाणी िजस शरीर म होता ह उसको उसम ही ममता होती ह अनक ाणी नाना कार क क ो को सहत हए भी मरना नही चाहत

वदवयास जीः बलगाड़ी आ जाय और त मर जाय तो घबराना मत म तझ योगशि स महान बनाऊगा जब तक ा ण शरीर म न पहचा द अनय सभी योिनयो स शीय छटकारा िदलाता रहगा

उस कीड़ न बात मान ली और बीच राःत पर रक गया और मर गया िफर वदवयासजी की कपा स वह बमशः कौआ िसयार आिद योिनयो म जब-जब भी उतपनन हआ वयासजी न जाकर उस पवरजनम का ःमरण िदला िदया इस तरह वह बमशः मग पकषी शि वय जाितयो म जनम लता हआ कषिऽय जाित म उतपनन हआ उस वहा भी वदवयासजी दशरन िदय थोड़ िदनो म रणभिम म शरीर तयागकर उसन ा ण क घर जनम िलया

भगवान वदवयास जी न उस पाच वषर की उ म सारःवतय मऽ द िदया िजसका जप करत-करत वह धयान करन लगा उसकी बि बड़ी िवलकषण होन पर वद शा धमर का रहःय समझ म आ गया

सात वषर की आय म वदवयास जी न उस कहाः काि रक कषऽ म कई वष स एक ा ण ननदभि तपःया कर रहा ह तम जाकर उसकी

शका का समाधान करो

माऽ सात वषर का ा ण कमार काि रक कषऽ म तप कर रह उस ा ण क पास पहच कर बोलाः

ह ा णदव आप तप कयो कर रह ह

ा णः ह ऋिषकमार म यह जानन क िलए तप कर रहा ह िक जो अचछ लोग ह सजजन लोग ह व सहन करत ह दःखी रहत ह और पापी आदमी सखी रहत ह ऐसा कयो ह

बालकः पापी आदमी यिद सखी ह तो पाप क कारण नही वरन िपछल जनम का कोई प य ह उसक कारण सखी ह वह अपन प य खतम कर रहा ह पापी मनय भीतर स तो दःखी ही होता ह भल ही बाहर स सखी िदखाई द

धािमरक आदमी को ठ क समझ नही होती उिचत िदशा व मऽ नही िमलता इसिलए वह दःखी होता ह वह धमर क कारण दःखी नही होता अिपत समझ की कमी क कारण दःखी होता ह समझदार को यिद कोई गर िमल जाय तो वह नर म स नारायण बन जाय इसम कया आ यर ह

ा णः म इतना बढ़ा हो गया इतन वष स काि रक कषऽ म तप कर रहा ह मर तप का फल यही ह िक तमहार जस सात वषर क योगी क मझ दशरन हो रह ह म तमह णाम करता ह

बालकः नही नही महाराज आप तो भदव ह म तो बालक ह म आपको णाम करता ह

उसकी नता दखकर ा ण और खश हआ तप छोड़कर वह परमातमिचनतन म लग गया अब उस कछ जानन की इचछा नही रही िजसस सब कछ जाना जाता ह उसी परमातमा म िवौाित पान लग गया

इस कार ननदभि ा ण को उ र द िनःशक कर सात िदनो तक िनराहार रहकर वह बालक सयरमनऽ का जप करता रहा और वही बहदक तीथर म उसन शरीर तयाग िदया वही बालक दसर जनम म कषार िपता एव िमऽा माता क यहा गट हआ उसका नाम मऽय पड़ा इनहोन वयासजी क िपता पराशरजी स िवण-पराण तथा बहत पाराशर होरा शा का अधययन िकया था पकषपात रिहत अनभवकाश नामक मनथ म मऽय तथा पराशर ऋिष का सवाद आता ह

कहा तो सड़क स गजरकर नाली म िगरन जा रहा कीड़ा और कहा सत क सािननधय स वह मऽय ऋिष बन गया सतसग की बिलहारी ह इसीिलए तलसीदास जी कहत ह ETH

तात ःवगर अपवगर सख धिरअ तला एक अग तल न तािह सकल िमली जो सख लव सतसग

यहा एक शका हो सकती ह िक वह कीड़ा ही मऽय ऋिष कयो नही बन गया

अर भाई यिद आप पहली ककषा क िव ाथ हो और आपको एम ए म िबठाया जाय तो कया आप पास हो सकत हो नही दसरी तीसरी चौथी दसवी बारहवी बीए आिद पास करक ही आप एमए म वश कर सकत हो

िकसी चौकीदार पर कोई धानमनऽी अतयिधक सनन हो जाए तब भी वह उस सीधा कलकटर (िजलाधीश) नही बना सकता ऐस ही नाली म रहन वाला कीड़ा सीधा मनय तो नही

हो सकता बि क िविभनन योिनयो को पार करक ही मनय बन सकता ह हा इतना अवय ह िक सतकपा स उसका मागर छोटा हो जाता ह

सतसमागम की साध परषो स सग की मिहमा का कहा तक वणरन कर कस बयान कर एक सामानय कीड़ा उनक सतसग को पाकर महान ऋिष बन सकता ह तो िफर यिद मानव को िकसी सदगर का सािननधय िमल जाय उनक वचनानसार चल पड़ तो मि का अनभव करक जीवनम भी बन सकता ह

(अनबम)

पीड़ पराई जान र जञानी िकसी स यार करन क िलए बध हए नही ह और िकसी को डाटन म भी राजी

नही ह हमारी जसी यो यता होती ह ऐसा उनका वयवहार हमार ित होता ह लीलाशाह बाप क ौीचरणो म बहत लोग गय थ एक लड़का भी गया था वह मिणनगर

म रहता था िशवजी को जल चढ़ान क प ात ही वह जल पीता वह लड़का खब िन ा स धयान-भजन करता और सवा पजा करता

एक िदन कोई वयि राःत म बहोश पड़ा हआ था िशवजी को जल चढ़ान जात समय उस बालक न उस दखा और अपनी पजा-वजा छोड़कर उस गरीब की सवा म लग गया िबहार का कोई यवक था नौकरी की खोज म आया था कालपर(अहमदाबाद) ःटशन क लटफामर पर एक दो िदन रहा किलयो न मारपीट कर भगा िदया चलत-चलत मिणनगर म पनीत आौम की ओर रोटी की आशा म जा रहा था रोटी तो वहा नही िमलती थी इसिलए भख क कारण चलत-चलत राःत म िगर गया और बहोश हो गया

उस लड़क का घर पनीत आौम क पास ही था सबह क दस साढ़ दस बज थ वह लड़का घर स धयान-भजन स िनपटकर मिदर म िशवजी को जल चढ़ान क िलए जल का लोटा और पजा की साममी लकर जा रहा था उसन दखा िक राःत म कोई यवक पड़ा ह राःत म चलत-चलत लोग बोलत थः शराब पी होगी यह होगा वह होगा हम कया

लड़क को दया आई प य िकय हए हो तो रणा भी अचछ िमलती ह शभ कम स शभ रणा िमलती ह अपन पास की पजा साममी एक ओर रखकर उसन उस वयि को िहलाया बहत मिकल स उसकी आख खली कोई उस जत सघाता कोई कछ करता कोई कछ बोलता था

आख खोलत ही वह वयि धीर स बोलाः पानी पानी

लड़क न महादव जी क िलय लाया हआ जल का लोटा उस िपला िदया िफर दोड़कर घर जाकर अपन िहःस का दध लाकर उस िदया

यवक क जी म जी आया उसन अपनी वयथा बतात हए कहाः बाब जी म िबहार स आया ह मर बाप गजर गय काका िदन-रात टोकत रहत त िक

कमाओ नही तो खाओग कया नौकरी धधा िमलता नही ह भटकत-भटकत अहमदाबाद क ःटशन पर कली का काम करन का य िकया हमारी रोटी-रोजी िछन जायगी ऐसा समझकर किलयो न खब मारा पदल चलत-चलत मिणनगर ःटशन की ओर आत-आत यहा तीन िदन की भख और मार क कारण चककर आय और िगर गया

लड़क न उस िखलाया अपना इक ठा िकया हआ जबखचर का पसा िदया उस यवक को जहा जाना था वहा भजन की वयवःथा की इस लड़क क दय म आनद की वि हई अतर म आवाज आईः

बटा अब म तझ बहत ज दी िमलगा

लड़क न िकयाः अनदर कौन बोलता ह

उ र आयाः िजस िशव की त पजा करता ह वह तरा आतमिशव अब म तर दय म कट होऊगा सवा क अिधकारी की सवा मझ िशव की ही सवा ह

उस िदन उस अतयारमी न अनोखी ऱणा और ोतसाहन िदया वह लड़का तो िनकल पड़ा घर छोड़कर ई र-साकषातकार करन क िलए कदारनाथ वनदावन होत हए निनताल क अर य म पहचा

कदारनाथ क दशरन पाय लकषािधपित आिशष पाय

इस आशीवारद को वापस कर ई राि क िलए िफर पजा की उसक पास जो कछ रपय पस थ उनह वनदावन म साध-सतो एव गरीबो म भ डारा करक खचर कर िदया था थोड़ स पस लकर निनताल क अर यो म पहचा लोकलाड़ल लाखो दयो को हिररस िपलात पजयपाद सदगर ौी लीलाशाह बाप की राह दखत हए चालीस िदन बीत गय गरवर ौी लीलाशाह को अब पणर समिपरत िशय िमला पणर खजाना ा करन वाला पिवऽातमा िमला पणर गर की पणर िशय िमला

िजस लड़क क िवषय म यह कथा पढ़ रह ह वह लड़का कौन होगा जानत हो

पणर गर कपा िमली पणर गर का जञान आसमल स हो गय साई आसाराम

अब तो समझ ही गय होग (उस लड़क क वश म छप हए थ पवर जनम क योगी और वतरमान म िव िव यात हमार

पजयपाद सदगरदव ौी आसाराम जी महाराज)

(अनबम)

िवकास क बिरयो स सावधान किपलवःत क राजा श ोदन का यवराज था िस ाथर यौवन म कदम रखत ही िववक

और वरा य जाग उठा यवान प ी यशोधरा और नवजात िशश राहल की मोह-ममता की रशमी जजीर काटकर महाभीिनबमण (गहतयाग) िकया एकानत अर य म जाकर गहन धयान साधना करक अपन साधय त व को ा कर िलया

एकानत म तप यार और धयान साधना स िखल हए इस आधयाितमक कसम की मधर

सौरभ लोगो म फलन लगी अब िस ाथर भगवान ब क नाम स जन-समह म िस हए हजारो हजारो लोग उनक उपिद मागर पर चलन लग और अपनी अपनी यो यता क मतािबक आधयाितमक याऽा म आग बढ़त हए आितमक शाित ा करन लग अस य लोग बौ िभकषक बनकर भगवान ब क सािननधय म रहन लग उनक पीछ चलन वाल अनयायीओ का एक सघ ःथािपत हो गया चह ओर नाद गजन लग िकः

ब शरण गचछािम धमम शरण गचछािम सघ शरण गचछािम

ौावःती नगरी म भगवान ब का बहत यश फला लोगो म उनकी जय-जयकार होन लगी लोगो की भीड़-भाड़ स िवर होकर ब नगर स बाहर जतवन म आम क बगीच म रहन लग नगर क िपपास जन बड़ी तादाद म वहा हररोज िनि त समय पर पहच जात और उपदश-वचन सनत बड़-बड़ राजा महाराजा भगवान ब क सािननधय म आन जान लग

समाज म तो हर कार क लोग होत ह अनािद काल स दवी समपदा क लोग एव आसरी समपदा क लोग हआ करत ह ब का फलता हआ यश दखकर उनका तजो ष करन वाल लोग जलन लग सतो क साथ हमशा स होता आ रहा ह ऐस उन द त वो न ब को बदनाम करन क िलए कचार िकया िविभनन कार की यि -यि या लड़ाकर ब क यश को हािन पहच ऐसी बात समाज म व लोग फलान लग उन द ो न अपन ष यऽ म एक वया को समझा-बझाकर शािमल कर िलया

वया बन-ठनकर जतवन म भगवान ब क िनवास-ःथानवाल बगीच म जान लगी

धनरािश क साथ द ो का हर कार स सहारा एव ोतसाहन उस िमल रहा था रािऽ को वही रहकर सबह नगर म वािपस लोट आती अपनी सिखयो म भी उसन बात फलाई

लोग उसस पछन लगः अरी आजकल त िदखती नही ह कहा जा रही ह रोज रात को

म तो रोज रात को जतवन जाती ह व ब िदन म लोगो को उपदश दत ह और रािऽ क समय मर साथ रगरिलया मनात ह सारी रात वहा िबताकर सबह लोटती ह

वया न परा ीचिरऽ आजमाकर ष यऽ करन वालो का साथ िदया लोगो म पहल तो हलकी कानाफसी हई लिकन जयो-जयो बात फलती गई तयो-तयो लोगो म जोरदार िवरोध होन लगा लोग ब क नाम पर िफटकार बरसान लग ब क िभकषक बःती म िभकषा लन जात तो लोग उनह गािलया दन लग ब क सघ क लोग सवा-वि म सल न थ उन लोगो क सामन भी उगली उठाकर लोग बकवास करन लग

ब क िशय जरा असावधान रह थ कचार क समय साथ ही साथ स चार होता तो कचार का इतना भाव नही होता िशय अगर िनिबय रहकर सोचत रह जाय िक करगा सो भरगा भगवान उनका नाश करग तो कचार करन वालो को ख ला मदान िमल जाता ह

सत क सािननधय म आन वाल लोग ौ ाल सजजन सीध साद होत ह जबिक द वि करन वाल लोग किटलतापवरक कचार करन म कशल होत ह िफर भी िजन सतो क पीछ सजग समाज होता ह उन सतो क पीछ उठन वाल कचार क तफान समय पाकर शात हो जात ह और उनकी सतवि या काशमान हो उठती ह

कचार न इतना जोर पकड़ा िक ब क िनकटवत लोगो न ऽािहमाम पकार िलया व समझ गय िक यह वयविःथत आयोजनपवरक ष यऽ िकया गया ह ब ःवय तो पारमािथरक सतय म जाग हए थ व बोलतः सब ठ क ह चलन दो वयवहािरक सतय म वाहवाही दख ली अब िननदा भी दख ल कया फकर पड़ता ह

िशय कहन लगः भनत अब सहा नही जाता सघ क िनकटवत भ भी अफवाहो क िशकार हो रह ह समाज क लोग अफवाहो की बातो को सतय मानन लग गय ह

ब ः धयर रखो हम पारमािथरक सतय म िवौाित पात ह यह िवरोध की आधी चली ह तो शात भी हो जाएगी समय पाकर सतय ही बाहर आयगा आिखर म लोग हम जानग और मानग

कछ लोगो न अगवानी का झ डा उठाया और राजयस ा क समकष जोर-शोर स माग की

िक ब की जाच करवाई जाय लोग बात कर रह ह और वया भी कहती ह िक ब रािऽ को मर साथ होत ह और िदन म सतसग करत ह

ब क बार म जाच करन क िलए राजा न अपन आदिमयो को फरमान िदया अब ष यऽ करनवालो न सोचा िक इस जाच करन वाल पच म अगर सचचा आदमी आ जाएगा तो अफवाहो का सीना चीरकर सतय बाहर आ जाएगा अतः उनहोन अपन ष यऽ को आिखरी

पराका ा पर पहचाया अब ऐस ठोस सबत खड़ा करना चािहए िक ब की ितभा का अःत हो जाय

उनहोन वया को दार िपलाकर जतवन भज िदया पीछ स ग डो की टोली वहा गई वया पर बलातकार आिद सब द कतय करक उसका गला घोट िदया और लाश को ब क बगीच म गाड़कर पलायन हो गय

लोगो न राजयस ा क ार खटखटाय थ लिकन स ावाल भी कछ लोग द ो क साथ जड़ हए थ ऐसा थोड़ ही ह िक स ा म बठ हए सब लोग दध म धोय हए वयि होत ह

राजा क अिधकािरयो क ारा जाच करन पर वया की लाश हाथ लगी अब द ो न जोर-शोर स िच लाना शर कर िदया

दखो हम पहल ही कह रह थ वया भी बोल रही थी लिकन तम भगतड़ लोग मानत ही नही थ अब दख िलया न ब न सही बात खल जान क भय स वया को मरवाकर बगीच म गड़वा िदया न रहगा बास न बजगी बासरी लिकन सतय कहा तक िछप सकता ह म ामाल हाथ लग गया इस ठोस सबत स ब की असिलयत िस हो गई सतय बाहर आ गया

लिकन उन मख का पता नही िक तमहारा बनाया हआ कि पत सतय बाहर आया वाःतिवक सतय तो आज ढाई हजार वषर क बाद भी वसा ही चमक रहा ह आज ब को लाखो लोग जानत ह आदरपवरक मानत ह उनका तजो ष करन वाल द लोग कौन-स नरको म जलत होग कया पता

ढाई हजार वषर पहल ब क जमान म भी सतो क साथ ऐसा घोर अनयाय हआ करता था ऋिष दयाननद को भी ऐस ही त वो न तजो ष क कारण बाईस बार िवष दकर मार डालन का यास िकया ःवामी िववकाननद और ःवामी रामतीथर क पीछ भी द लोगो न वया को तयार करक कीचड़ उछाला था

एक ओर लाखो-लाखो लोग सतो की अनभवय वाणी स अपना वयावहािरक ETH आधयाितमक जीवन उननत करक सख-शाित पात ह दसरी ओर कछ द कित क ःवाथ लोग अपना उ ल सीधा करन क िलए ऐस महापरषो क िवर म ष यऽ रचकर उनको बदनाम करत ह यह तो पहल स चला आ रहा ह सत कबीर हो या नानक एकनाथ महाराज हो या सत तकाराम नरिसह महता हो या मीराबाई ायः सभी सतो को अपन जीवन क दौरान समाज क किटल त वो स पाला पड़ता ही रहा ह जीसस बाइःट को इनही त वो न बॉस पर चढ़ाया था उनही लोगो न सकरात को जहर िपलाकर मतयद ड िदया था मनसर को इसी जमात न शली पर चढ़ाया था ईसाई धमर म माट न यथर पर ज म िकया गया था अण-अण म ई र और नारीमाऽ म जगजजननी भगवती का दशरन करन वाल रामकण परमहस को भी लोगो न नही

छोड़ा था परमहस योगाननद रवीनिनाथ टगोर माट न यथर दिकषण भारत क सत ितरव लवर जापानी झन सत बाबो इितहास म िकतन-िकतन उदाहरण मौजद ह

हािसद धमरगर बा शमटोव अित पिवऽ आतमा थ िननदको न उनक इदरिगदर भी मायाजाल िबछा दी थी िसध क साई टउराम क पास अस य लोग आतमक याण हत जान लग तब िवकत िदमागवालो न उन सत को भी ऽास दना शर कर िदया उनक आौम क चह ओर गदगी डाल दत और कए म िम टी का तल उड़लकर पानी बकार कर दत मगल बादशाह बाबर को बहका कर उनही लोगो न गर नानक को कद करवाया था

भगवान ौीराम एव ौीकण को भी द जनो न छोड़ा नही था भगवान ौीराम क गर विश जी महाराज कहत हः

ह राम जी म जब बाजार स गजरता ह तब अजञानी मखर लोग मर िलए कया बकत ह म सब जानता ह लिकन मरा दयाल ःवभाव ह म इन सबका क याण चाहता ह

तमहार साथ यह ससार कछ अनयाय करता ह तमको बदनाम करता ह िननदा करता ह तो यह ससार की परानी रीत ह मनय की हीनवि कचार िननदाखोरी यह आजकल की ही बात नही ह अनािदकाल स ऐसा होता आया ह तम अपन आतमजञान क सःकार जगाकर आतमबल का िवकास करत जाओ मःकरात जाओ आधी तफानो को लाघकर आननदपवरक जीत जाओ

उस जमान म भगवान ब क पास आकर एक िभकषक न ाथरना कीः भनत मझ आजञा द म सभाए भरगा आपक िवचारो का चार करगा

मर िवचारो का चार

हा भगवन म बौ धमर फलाऊगा

लोग तरी िननदा करग गािलया दग

कोई हजर नही म भगवन को धनयवाद दगा िक य लोग िकतन अचछ ह य कवल श दहार करत ह मझ पीटत तो नही

लोग तझ पीटग भी तो कया करोग

भो म शब गजारगा िक य लोग हाथो स पीटत ह पतथर तो नही मारत

लोग पतथर भी मारग और िसर भी फोड़ दग तो कया करगा

िफर भी म आ ःत रहगा और भगवान का िदवय कायर करता रहगा कयोिक व लोग मरा िसर फोड़ग लिकन ाण तो नही लग

लोग जनन म आकर तझ मार दग तो कया करगा

भनत आपक िदवय िवचारो का चार करत-करत म मर भी गया तो समझगा िक मरा जीवन सफल हो गया

उस कतिन यी िभकषक की दढ़ िन ा दखकर भगवान ब सनन हो उठ उस पर उनकी करणा बरस पड़ी

ऐस िशय जब ब का चार करन िनकल पड़ तब कचार करन वाल धीर-धीर शात हो गय मनयो की उगिलया काट-काटकर माला बनाकर पहनन वाला अगिलमाल जसा बर हतयारा भी दयपिरवतरन पाकर ब की शरण म िभकषक होकर रहन लगा

आज हम ब को बहत आदर स जानत ह मानत ह उनक जीवनकाल क दौरान उनक पीछ लग हए द लोग कौन स नरक म सड़त होग रौरव नरक म या कभीपाक नरक म कौन-सी योिनयो म भटकत होग सअर बन होग िक नाली क कीड़ बन होग शतान बन होग िक राकषस बन होग मझ पता नही लिकन ब तो करोड़ो दयो म बस रह ह यह म मानता ह

सतय तो परमाथर ह आतमा ह परमातमा ह उसम िजतना िटकोग उतना तमहारा मगल होगा तमहारी िनगाह िजन पर पड़गी उनका भी मगल होगा

(अनबम)

कछ जानन यो य बात सय दय स पवर उठकर ःनान कर लना चािहए ातः खाली पट मटक का बासी पानी

पीना ःवाःथयद ह तलसी क प सय दय क प ात ही तोड़ दध म तलसी क प नही डालन चािहए तथा

दध क साथ खान भी नही चािहए तलसी क प खाकर थोड़ा पानी पीना िपय जलनित स पिह सौ कार क लाभ होत ह अपन मिःतक म एक कार का िवजाितय

िवय उतपनन होता ह यिद वह िवय वही अटक जाता ह तो बचपन म ही बाल सफद होन लगत ह इसस नजल की बीमारी भी होती ह यिद वह िवय नाक की तरफ आता ह तो सगनध-दगरनध का पता नही चल पाता और ज दी-ज दी जकाम हो जाता ह यिद वह िवय कान की तरफ आता ह तो कान बहर होन लगत ह और छोट-मोट ब ीस रोग हो सकत ह यिद वह िवय दात की तरफ आय तो दात छोटी उ म ही िगरन लगत ह यिद आख की तरफ वह िवय उतर तो चम लगन लगत ह जलनित यािन नाक स पानी खीचकर मह स िनकाल दन स वह िवय िनकल जाता ह गल क ऊपर क ायः सभी रोगो स मि िमल जाती ह

आईसबीम खान क बाद चाय पीना दातो क िलए अतयािधक हािनकारक होता ह

भोजन को पीना चािहए तथा पानी को खाना चािहए इसका मतलब यह ह िक भोजन को इतना चबाओ िक वह पानी की तरह पतला हो जाय और पानी अथवा अनय पय पदाथ को धीर-धीर िपयो

िकसी भी कार का पय पदाथर पीना हो तो दाया नथना बनद करक िपय इसस वह अमत जसा हो जाता ह यिद दाया ःवर(नथना) चाल हो और पानी आिद िपय तो जीवनशि (ओज) पतली होन लगती ह चयर की रकषा क िलए शरीर को तनदरःत रखन क िलए यह योग करना चािहए

तम चाह िकतनी भी महनत करो िकनत िजतना तमहारी नसो म ओज ह चयर की शि ह उतन ही तम सफल होत हो जो चाय-कॉफी आिद पीत ह उनका ओज पतला होकर पशाब ारा न होता जाता ह अतः चयर की रकषा क िलए चाय-कॉफी जस वयसनो स दर रहना रह

पढ़न क बाद थोड़ी दर शात हो जाना चािहए जो पढ़ा ह उसका मनन करो िशकषक ःकल म जब पढ़ात हो तब धयान स सनो उस व मःती-मजाक नही करना चािहए िवनोद-मःती कम स कम करो और समझन की कोिशश अिधक करो

जो सय दय क पवर नही उठता उसक ःवभाव म तमस छा जाता ह जो सय दय क पवर उठता ह उसकी बि शि बढ़ती ह

नीद म स उठकर तरत भगवान का धयान करो आतमःनान करो धयान म रिच नही होती तो समझना चािहए िक मन म दोष ह उनह िनकालन क िलए कया करना चािहए

मन को िनद ष बनान क िलए सबह-शाम माता-िपता को णाम करना चािहए गरजनो को णाम करना चािहए एव भगवान क नाम का जप करना चािहए भगवान स ाथरना करनी चािहए िक ह भगवान ह मर भ मरी धयान म रिच होन लग ऐसी कपा कर दो िकसी समय गद िवचार िनकल आय तो समझना चािहए िक अदर छप हए िवचार िनकल रह ह अतः खश होना चािहए िवचार आया और गया मर राम तो दय म ही ह ऐसी भावना करनी चािहए

िनदा करना तो अचछा नही ह िकनत िनदा सनना भी उिचत नही (अनबम)

शयन की रीत मनय को िकस ढग स सोना चािहए इसका भी तरीका होता ह सोत व पवर अथवा

दिकषण िदशा की ओर िसर करक ही सोना चािहए

भोजन करन क बाद िदन म दस िमनट आराम कर िकनत सोय नही भोजन क बाद दस िमनट बायी करवट लट सकत ह रािऽ को जागरण िकया हो इस कारण स कभी िदन म सोना पड़ वह अलग बात ह

सोत व नीच कोई गमर कबल आिद िबछाकर सोय तािक आपकी जीवनशि अिथग न हो जाय आपक शरीर की िव तशि भिम म न उतर जाय

(अनबम)

ःनान का तरीका शरीर की मजबती एव आरो यता क िलए रगड़-रगड़कर ःनान करना चािहए जो लोग

ठड दशो म रहत ह उनका ःवाःथय गमर दस क लोगो की अपकषा अचछा होता ह ठडी स अपना शरीर सधरता ह

ःनान करत व 12-15 िलटर पानी बा टी म लकर पहल उसम िसर डबाना चािहए िफर पर िभगोना चािहए पहल पर गील नही करन चािहए शरीर की गम ऊपर की ओर चढ़ती ह जो ःवाःथय क िलए हािनकारक होती ह

अतः पहल ठड पानी की बा टी भर ल िफर मह म पानी भरकर िसर को बा टी म डाल और आख पटपटाए इसस आखो की शि बढ़ती ह शरीर को रगड़-रगड़कर नहाए बाद म गील व स शरीर को रगड़-रगड़कर पोछ िजसस रोम कप का सारा मल बाहर िनकल जाय और रोमकप(तवचा क िछि) खल जायय तवचा क िछि बद रहन स ही तवचा की कई बीमािरया होती ह िफर सख कपड़ स शरीर को पोछ कर (अथवा थोड़ा गीला हो तब भी चल) सख साफ व पहन ल व भल साद हो िकनत साफ हो बासी कपड़ नही पहन हमशा धल हए कपड़ ही पहन इसस मन भी सनन रहता ह

पाच कार क ःनान होत हः ःनान दवःनान ऋिषःनान मानवःनान दानवःनान ःनानः -परमातमा का िचतन करक जल थल नहान वाला

ऐसा िचतन करक ा महतर म नहाना इस ःनान कहत ह दवःनानः दवनिदयो म ःनान या दवनिदयो का ःमरण करक सय दय स पवर नहाना यह

दवःनान ह ऋिषःनानः आकाश म तार िदखत हो और नहा ल यह ऋिषःनान ह ऋिषःनान करन

वाल की बि बड़ी तजःवी होती ह मानवःनानः सय दय क पवर का ःनान मानवःनान ह

दानवःनानः सय दय क प ात चाय पीकर नाता करक आठ नौ बज नहाना यह दानव ःनान ह

अतः हमशा ऋिषःनान करन का ही यास करना चािहए (अनबम)

ःवचछता का धयान यिद शरीर की सफाई रखी जाय तो मन भी सनन रहता ह आजकल अिधकतर लोग

श स ही मजन करत ह श की अपकषा नीम और बबल की दातौन जयादा अचछ होती ह और यिद श भी कर तो कभी-कभार श को गमर पानी स धोना चािहए अनयथा उसम बकटिरया(जीवाण) रह जात ह

िकतन ही लोग उगली स दात साफ करत ह तजरनी (अगठ क पास वाली थम उगली) स दात िघसन स मसड़ कमजोर हो जात ह तथा दात ज दी िगर जात ह कयोिक तजरनी म िव तशि का माण दसरी उगिलयो की अपकषा अिधक होता ह अतः उसस दात नही िघसन चािहए एव आखो को भी नही मसलना चािहए

िजस िदशा स हवा आती हो उस िदशा की ओर मह करक कभी-भी मलमऽ का िवसजरन नही करना चािहए सयर और चनिमा की ओर मख करक भी मलमऽ का िवसजरन नही करना चािहए

(अनबम)

ःमरणशि का िवकास यादशि बढ़ान का एक सनदर योग ह ETH ामरी ाणायाम सखासन प ासन या

िस ासन पर बठ हाथ की कोहनी की ऊचाई कनध तक रह इस कार रखकर हाथ की थम उगली(तजरनी) स दोनो कानो को धीर-स बद कर एकदम जोर स बद न कर िकनत बाहर का कछ सनाई न द इस कार धीर स कान बनद कर

अब गहर ास लकर थोड़ी दर रोक ओठ बद रखकर जस मर का गजन होता ह वस ॐsssss कहत हए गजन कर उसक बाद थोड़ी दर तक ास न ल पनः यही िबया दहराय ऐसा सबह एव शाम 8 स 10 बार कर यादशि बढ़ान का यह यौिगक योग ह इसस मिःतक की नािड़यो का शोधन होकर मिःतक म र सचार उिचत ढग स होता ह

और िवचार करन स भी बि शि का िवकास होता ह

सबह खाली पट तलसी क प एकाध काली िमचर चबाकर एक िगलास पानी पीन स भी ःमरणशि का िवकास होता ह रोग-ितकारक शि बढ़ती ह कनसर की बीमारी कभी नही होती जलदर-भगदर की बीमारी भी कभी नही होती

(अनबम)

वयि तव और वयवहार िकसी भी वयि तव का पता उसक वयवहार स ही चलता ह कई लोग वयथर च ा करत

ह एक होती ह सकाम च ा दसरी होती ह िनकाम च ा और तीसरी होती ह वयथर च ा वयथर च ा नही करनी चािहए िकसी क शरीर म कोई कमी हो तो उसका मजाक नही उड़ाना चािहए वरन उस मददरप बनना चािहए यह िनकाम सवा ह

िकसी की भी िनदा नही करनी चािहए िनदा करन वाला वयि िजसकी िनदा करता ह उसका तो इतना अिहत नही होता िजतना वह अपना अिहत करता ह जो दसरो की सवा करता ह दसरो क अनकल होता ह वह दसरो का िजतना िहत करता ह उसकी अपकषा उसका खद का िहत जयादा होता ह

अपन स जो उ स बड़ हो जञान म बड़ हो तप म बड़ हो उनका आदर करना चािहए िजस मनय क साथ बात करत हो वह मनय कौन ह यह जानकर बात करो तो आप वयवहार-कशल कहलाओग

िकसी को पऽ िलखत हो तो यिद अपन स बड़ हो तो ौी सबोधन करक िलखो सबोधन करन स सवाकयो की रचना स िश ता बढ़ती ह िकसी स बात करो तो सबोधन करक बात करो जो तकार स बात करता ह वह अिश कहलाता ह िश तापवरक बात करन स अपनी इजजत बढ़ती ह

िजसक जीवन म वयवहार-कशलता ह वह सभी कषऽो म सफल होता ह िजसम िवनता ह वही सब कछ सीख सकता ह िवनता िव ा बढ़ाती ह िजसक जीवन म िवनता नही ह समझो उसक सब काम अधर रह गय और जो समझता ह िक म सब कछ जानता ह वह वाःतव म कछ नही जानता

एक िचऽकार अपन गरदव क सममख एक सनदर िचऽ बनाकर लाया गर न िचऽ दखकर कहाः

वाह वाह सनदर ह अदभत ह

िशय बोलाः गरदव इसम कोई ऽिट रह गयी हो तो कपा करक बताइए इसीिलए म आपक चरणो म आया ह

गरः कोई ऽिट नही ह मझस भी जयादा अचछा बनाया ह

वह िशय रोन लगा उस रोता दखकर गर न पछाः तम कयो रो रह हो म तो तमहारी शसा कर रहा ह

िशयः गरदव मरी घड़ाई करन वाल आप भी यिद मरी शसा ही करग तो मझ मरी गि तया कौन बतायगा मरी गित कस होगी

यह सनकर गर अतयत सनन हो गय हमन िजतना जाना िजतना सीखा ह वह तो ठ क ह उसस जयादा जान सक सीख सक

ऐसा हमारा यास होना चािहए रामकण परमहस व हो गय थ िकसी न उनस पछाः बाबा जी आपन सब कछ जान

िलया ह

रामकण परमहसः नही म जब तक जीऊगा तब तक िव ाथ ही रहगा मझ अभी बहत कछ सीखना बाकी ह

िजनक पास सीखन को िमल उनस िवनतापवरक सीखना चािहए जो कछ सीखो सावधानीपवरक सीखो जीवन म िवनोद जररी ह िकनत िवनोद की अित न हो िजस समय पढ़त हो कछ सीखत हो कछ करत हो उस समय मःती नही िवनोद नही वरन जो कछ पढ़ो सीखो या करो उस उतसाह स धयान स और सावधानी स करो

पढ़न स पवर थोड़ धयानःथ हो जाओ पढ़न क बाद मौन हो जाओ यह गित की चाबी ह

माता-िपता स िचढ़ना नही चाह िजस मा-बाप न जनम िदया ह उनकी बातो को समझना चािहए अपन िलए उनक मन म िवशष दया हो िवशष म उतपनन हो ऐसा वयवहार करना चािहए

भल जाओ भल सब कछ माता-िपता को भलना नही अनिगनत उपकार ह उनक यह कभी िबसरना नही

माता-िपता को सतोष हो उनका दय सनन हो ऐसा हमारा वयवहार होना चािहए अपन माता-िपता एव गरजनो को सत रखकर ही हम सचची गित कर सकत ह

(अनबम)

  • पजय बाप जी का उदबोधन
  • कदम अपना आग बढाता चला जा
  • त गलाब होकर महक
  • जीवन विकास का मल सयम
  • तरिकाल सधया
  • शरीर सवासथय
  • अनन का परभाव
  • भारतीय ससकति की महानता
  • हरिदास की हरिभकति
  • बनावटी शरगार स बचो
  • साहसी बालक
  • गर-आजञापालन का चमतकार
  • अनोखी गरदकषिणा
  • सतसग की महिमा
  • पीड पराई जान र
  • विकास क बरियो स सावधान
  • कछ जानन योगय बात
  • शयन की रीत
  • सनान का तरीका
  • सवचछता का धयान
  • समरणशकति का विकास
  • वयकतितव और वयवहार
Page 13: Tu gulabhokarmehak

रहना म काकिरया तालाब पर दौड़ लगाता प लअ स करता और 30-40 माम मकखन म एक-दो माम कालीिमचर क टकड़ डालकर िनगल जाता चालीस िदन तक ऐसा योग िकया अब म उस वयि स िमला िजसन 40 िदन पहल टणी कहा था तो वह दखकर दग रह गया

आप भी चाहो तो अपन शरीर क ःवःथ रख सकत हो शरीर को ःवःथ रखन क कई तरीक ह जस धनवनतरी क आरो यशा म एक बात आती ह - उषःपान

उषःपान अथारत सय दय क पहल या सय दय क समय रात का रखा हआ पानी पीना इसस आतो की सफाई होती ह अजीणर दर होता ह तथा ःवाःथय की भी रकषा होती ह उसम आठ च ल भरकर पानी पीन की बात आयी ह आठ च ल पानी यािन िक एक िगलास पानी चार-पाच तलसी क प चबाकर सय दय क पहल पानी पीना चािहए तलसी क प सय दय क बाद तोड़न चािहए व सात िदन तक बासी नही मान जात

शरीर तनदरःत होना चािहए रगड़-रगड़कर जो नहाता ह और चबा-चबाकर खाता ह जो परमातमा का धयान करता ह और सतसग म जाता ह उसका बड़ा पार हो जाता ह

(अनबम)

अनन का भाव हमार जीवन क िवकास म भोजन का अतयिधक मह व ह वह कवल हमार तन को ही

प नही करता वरन हमार मन को हमारी बि को हमार िवचारो को भी भािवत करता ह कहत भी हः

जसा खाओ अनन वसा होता ह मन महाभारत क य म पहल दसर तीसर और चौथ िदन कवल कौरव-कल क लोग ही

मरत रह पाडवो क एक भी भाई को जरा-सी भी चोट नही लगी पाचवा िदन हआ आिखर दय धन को हआ िक हमारी सना म भीम िपतामह जस यो ा ह िफर भी पाडवो का कछ नही िबगड़ता कया कारण ह व चाह तो य म कया स कया कर सकत ह िवचार करत-करत आिखर वह इस िनकषर पर आया िक भीम िपतामह परा मन लगाकर पाडवो का मलोचछद करन को तयार नही हए ह इसका कया कारण ह यह जानन क िलए सतयवादी यिधि र क पास जाना चािहए उसस पछना चािहए िक हमार सनापित होकर भी व मन लगाकर य कयो नही करत

पाडव तो धमर क पकष म थ अतः दय धन िनःसकोच पाडवो क िशिवर म पहच गया वहा पर पाडवो न यथायो य आवभगत की िफर दय धन बोलाः

भीम अजरन तम लोग जरा बाहर जाओ मझ कवल यिधि र स बात करनी ह

चारो भाई यिधि र क िशिवर स बाहर चल गय िफर दय धन न यिधि र स पछाः यिधि र महाराज पाच-पाच िदन हो गय ह हमार कौरव-पकष क लोग ही मर रह ह

िकनत आप लोगो का बाल तक बाका नही होता कया बात ह चाह तो दवोत भीम तफान मचा सकत ह

यिधि रः हा मचा सकत ह

दय धनः व चाह तो भीण य कर सकत ह पर नही कर रह ह कया आपको लगता ह िक व मन लगाकर य नही कर रह ह

सतयवादी यिधि र बोलः हा गगापऽ भीम मन लगाकर य नही कर रह ह

दय धनः भीम िपतामह मन लगाकर य नही कर रह ह इसका कया कारण होगा

यिधि रः व सतय क पकष म ह व पिवऽ आतमा ह अतः समझत ह िक कौन सचचा ह और कौन झठा कौन धमर म ह तथा कौन अधमर म व धमर क पकष म ह इसिलए उनका जी चाहता ह िक पाडव पकष की जयादा खन-खराबी न हो कयोिक व सतय क पकष म ह

दय धनः व मन लगाकर य कर इसका उपाय कया ह

यिधि रः यिद व सतय ETH धमर का पकष छोड़ दग उनका मन ग त जगह हो जाएगा तो िफर व य करग

दय धनः उनका मन य म कस लग

यिधि रः यिद व िकसी पापी क घर का अनन खायग तो उनका मन य म लग जाएगा

दय धनः आप ही बताइय िक ऐसा कौन सा पापी होगा िजसक घर का अनन खान स उनका मन सतय क पकष स हट जाय और व य करन को तयार हो जाय

यिधि रः सभा म भीम िपतामह गर िोणाचायर जस महान लोग बठ थ िफर भी िोपदी को न न करन की आजञा और जाघ ठोकन की द ता तमन की थी ऐसा धमर-िवर और पापी आदमी दसरा कहा स लाया जाय तमहार घर का अनन खान स उनकी मित सतय और धमर क पकष स नीच जायगी िफर व मन लगाकर य करग

दय धन न यि पा ली कस भी करक कपट करक अपन यहा का अनन भीम िपतामह को िखला िदया भीम िपतामह का मन बदल गया और छठव िदन स उनहोन घमासान य करना आरभ कर िदया

कहन का तातपयर यह ह िक जसा अनन होता ह वसा ही मन होता ह भोजन कर तो श भोजन कर मिलन और अपिवऽ भोजन न कर भोजन क पहल हाथ-पर जरर धोय भोजन साितवक हो पिवऽ हो सननता दन वाला हो तनदरःती बढ़ान वाला हो

आहारश ौ स वशि ः

िफर भी ठस-ठस कर भोजन न कर चबा-चबाकर ही भोजन कर भोजन क समय शात एव सननिच रह भ का ःमरण कर भोजन कर जो आहार खान स हमारा शरीर तनदरःत रहता हो वही आहार कर और िजस आहार स हािन होती हो ऐस आहार स बच खान-पान म सयम स बहत लाभ होता ह

भोजन महनत का हो साि वक हो लहसन याज मास आिद और जयादा तल-िमचर-मसाल वाला न हो उसका िनिम अचछा हो और अचछ ढग स सनन होकर भगवान को भोग लगाकर िफर भोजन कर तो उसस आपका भाव पिवऽ होगा र क कण पिवऽ होग मन पिवऽ होगा िफर सधया-ाणायाम करग तो मन म साि वकता बढ़गी मन म सननता तन म आरो यता का िवकास होगा आपका जीवन उननत होता जायगा

महनत मजदरी करक िवलासी जीवन िबताकर या कायर होकर जीन क िलय िज़दगी नही ह िज़दगी तो चतनय की मःती को जगाकर परमातमा का आननद लकर इस लोक और परलोक म सफल होन क िलए ह मि का अनभव करन क िलए िज़दगी ह

भोजन ःवाःथय क अनकल हो ऐसा िवचार करक ही महण कर तथाकिथत वनःपित घी की अपकषा तल खाना अिधक अचछा ह वनःपित घी म अनक रासायिनक पदाथर डाल जात ह जो ःवाःथय क िलए िहतकर नही होत ह

ए यमीिनयम क बतरन म खाना यह पट को बीमार करन जसा ह उसस बहत हािन होती ह कनसर तक होन की समभावना बढ़ जाती ह ताब पीतल क बतरन कलई िकय हए हो तो अचछा ह ए यमीिनयम क बतरन म रसोई नही बनानी चािहए ए यमीिनयम क बतरन म खाना भी नही चािहए

आजकल अ ड खान का चलन समाज म बहत बढ़ गया ह अतः मनयो की बि भी वसी ही हो गयी ह वजञािनको न अनसधान करक बताया ह िक 200 अ ड खान स िजतना िवटािमन सी िमलता ह उतना िवटािमन सी एक नारगी (सतरा) खान स िमल जाता ह िजतना ोटीन कि शयम अ ड म ह उसकी अपकषा चन मग मटर म एयादा ोटीन ह टमाटर म अ ड स तीन गणा कि शयम एयादा ह कल म स कलौरी िमलती ह और भी कई िवटािमनस कल म ह

िजन ािणयो का मास खाया जाता ह उनकी हतया करनी पड़ती ह िजस व उनकी हतया की जाती ह उस व व अिधक स अिधक अशात िखनन भयभीत उि न और ब होत ह अतः मास खान वाल को भी भय बोध अशाित उ ग इस आहार स िमलता ह शाकाहारी भोजन म सपाचय तत होत ह मास म व नही होत अतः मासाहारी भोजन को पचान क जीवन शि का एयादा वयय होता ह ःवाःथय क िलय एव मानिसक शाित आिद क िलए प यातमा होन की दि स भी शाकाहारी भोजन ही करना चािहए

शरीर को ःथल करना कोई बड़ी बात नही ह और न ही इसकी ज़ररत ह लिकन बि को सआम करन की ज़ररत ह आहार यिद साि वक होगा तो बि भी सआम होगी इसिलए सदव साि वक भोजन ही करना चािहए

(अनबम)

भारतीय सःकित की महानता रवरनड ऑवर नाम का एक पादरी पना म िहनद धमर की िननदा और ईसाइयत का चार

कर रहा था तब िकसी सजजन न एक बार रवरनड ऑवर स कहाः आप िहनद धमर की इतनी िननदा करत हो तो कया आपन िहनद धमर का अधययन िकया

ह कया भारतीय सःकित को परी तरह स जानन की कोिशश की ह आपन कभी िहनद धमर को समझा ही नही जाना ही नही ह िहनद धमर म तो ऐस जप धयान और सतसग की बात ह िक िजनह अपनाकर मनय िबना िवषय-िवकारी क िबना िडःको डास(नतय) क भी आराम स रह सकता ह आनिदत और ःवःथ रह सकता ह इस लोक और परलोक दोनो म सखी रह सकता ह आप िहनद धमर को जान िबना उसकी िनदा करत हो यह ठ क नही ह पहल िहनद धमर का अधययन तो करो

रवरनड ऑवर न उस सजजन की बात मानी और िहनद धमर की पःतको को पढ़न का िवचार िकया एकनाथजी और तकारामजी का जीवन चिरऽ जञान र महाराज की योग सामथयर की बात और कछ धािमरक पःतक पढ़न स उस लगा िक भारतीय सःकित म तो बहत खजाना ह मनय की जञा को िदवय करन की मन को सनन करन की और तन क र कणो को भी बदलन की इस सःकित म अदभत वयवःथा ह हम नाहक ही इन भोल-भाल िहनदःतािनयो को अपन चगल म फसान क िलए इनका धमरपिरवतरन करवात ह अर हम ःवय तो अशािनत की आग म जल ही रह ह और इनह भी अशात कर रह ह

उसन ायि -ःवरप अपनी िमशनरी रो तयागपऽ िलख भजाः िहनदःतान म ईसाइयत फलान की कोई ज़ररत नही ह िहनद सःकित की इतनी महानता ह िवशषता ह िक ईसाइय को चािहए िक उसकी महानता एव सतयता का फायदा उठाकर अपन जीवन को साथरक बनाय िहनद धमर की सतयता का फायदा दश-िवदश म पहच मानव जाित को सख-शाित िमल इसका यास हम करना चािहए

म भारतीय इितहास सशोधन म डल क मर आठ लाख डॉलर भट करता ह और तमहारी िमशनरी को सदा क िलए तयागपऽ दकर भारतीय सःकित की शरण म जाता ह

जस रवर ड ऑवर न भारतीय सःकित का अधययन िकया ऐस और लोगो को भी जो िहनद धमर की िनदा करत ह भारतीय सःकित का पकषपात और पवरमहरिहत अधययन करना चािहए मनय की सष शि या व आनद जगाकर ससार म सख-शाित आनद सननता का चार-सार करना चािहए

मा सीता की खोज करत-करत हनमान जामबत अगद आिद ःवयभा क आौम म पहच उनह जोरो की भख और यास लगी थी उनह दखकर ःवयभा न कह िदया िकः

कया तम हनमान हो ौीरामजी क दत हो सीता जी की खोज म िनकल हो

हनमानजी न कहाः हा मा हम सीता माता की खोज म इधर तक आय ह

िफर ःवयभा न अगद की ओर दखकर कहाः तम सीता जी को खोज तो रह हो िकनत आख बद करक खोज रह हो या आख

खोलकर

अगद जरा राजवी परष था बोलाः हम कया आख बनद करक खोजत होग हम तो आख खोलकर ही माता सीता की खोज कर रह ह

ःवयभा बोलीः सीताजी को खोजना ह तो आख खोलकर नही बद करक खोजना होगा सीता जी अथारत भगवान की अधािगनी सीताजी यानी िव ा आतमिव ा िव ा को खोजना ह तो आख खोलकर नही आख बद करक ही खोजना पड़गा आख खोलकर खोजोग तो सीताजी नही िमलगी तम आख बनद करक ही सीताजी ( िव ा) को पा सकत हो ठहरो म तमह बताती ह िक सीता जी कहा ह

धयान करक ःवयभा न बतायाः सीताजी यहा कही भी नही वरन सागर पार लका म ह अशोकवािटका म बठ ह और राकषिसयो स िघरी ह उनम िऽजटा नामक राकषसी ह तो रावण की सिवका िकनत सीताजी की भ बन गयी ह सीताजी वही रहती ह

वारन सोचन लग िक भगवान राम न तो एक महीन क अदर सीता माता का पता लगान क िलए कहा था अभी तीन स ाह स एयादा समय तो यही हो गया ह वापस कया मह लकर जाए सागर तट तक पहचत-पहचत कई िदन लग जाएग अब कया कर

उनक मन की बात जानकर ःवयभा न कहाः िचनता मत करो अपनी आख बद करो म योगबल स एक कषण म तमह वहा पहचा दती ह

हनमान अगद और अनय वानर अपनी आख बनद करत ह और ःवयभा अपनी योगशि स उनह सागर-तट पर कछ ही पल म पहचा दती ह

ौीरामचिरतमानस म आया ह िक ETH

ठाड़ सकल िसध क तीरा ऐसी ह भारतीय सःकित की कषमता

अमिरका को खोजन वाला कोलबस पदा भी नही हआ था उसस पाच हजार वषर पहल अजरन सशरीर ःवगर म गया था और िदवय अ लाया था ऐसी यो यता थी िक धरती क राजा खटवाग दवताओ को मदद करन क िलए दवताओ का सनापितपद सभालत थ ितःमित-िव ा चाकषषी िव ा परकायावश िव ा अ िसि िव ा एव नविनिध ा करान वाली योगिव ा और जीत-जी जीव को बनान वाली िव ा यह भारतीय सःकित की दन ह अनय जगह यह नही िमलती भारतीय सःकित की जो लोग आलोचना करत ह उन बचारो को तो पता ही नही ह िक भारतीय सःकित िकतनी महान ह

गर तगबहादर बोिलयो सनो सीखो बड़भािगयो धड़ दीज धमर न छोिड़य

यवनो न गर गोिबनदिसह क बटो स कहाः तम लोग मसलमान हो जाओ नही तो हम तमह िज़नदा ही दीवार म चनवा दग

बट बोलः हम अपन ाण द सकत ह लिकन अपना धमर नही तयाग सकत

बरो न उन दोनो को जीत-जी दीवार म चनवा िदया जब कारीगर उनह दीवार म चनन लग तब बड़ा भाई बोलता हः धमर क नाम यिद हम मरना ही पड़ता ह तो पहल मरी ओर ट बढ़ा दो तािक म छोट भाई की मतय न दख

छोटा भाई बोलता हः नही पहल मरी ओर ईट बढ़ा दो

कया साहसी थ कया वीर थ वीरता क साथ अपन जीवन का बिलदान कर िदया िकनत धमर न छोड़ा आजकल क लोग तो अपन धमर और सःकित को ही भलत जा रह ह कोई लवर-लवरी धमरपिरवतरन करक लवमरज करत ह अपना िहनद धमर छोड़कर फस मरत ह यह भी कोई िज़नदगी ह भगवान ौीकण कहत ह ETH

ःवधम िनधन ौय परधम भयावहः अपन धमर म मर जाना अचछा ह पराया धमर दःख दन वाला ह भयावह ह नरको म ल

जान वाला ह इसिलए अपन ही धमर म अपनी ही सःकित म जो जीता ह उसकी शोभा ह रवर ड ऑवर न भारतीय सःकित का खब आदर िकया एफ एच मोलम न महातमा

थोरो एव अनय कई पा ातय िचनतको न भी भारतीय सःकित का बहत आदर िकया ह उनक कछ उदगार यहा ःतत हः

बाईबल का मन यथाथर अ यास िकया ह उसम जो िदवय िलखा ह वह कवल गीता क उ रण क रप म ह म ईसाई होत हए भी गीता क ित इतना सारा आदरभाव इसिलए रखता ह िक िजन गढ़ ो का समाधान पा ातय लोग अभी तक नही खोज पाय ह उनका समाधान गीतामनथ न श एव सरल रीित स कर िदया ह उसम कई सऽ अलौिकक उपदशो स भरपर

लग इसीिलए गीता जी मर िलए साकषात योग री माता बन रही ह वह तो िव क तमाम धन स भी नही खरीदा जा सक ऐसा भारतवषर का अम य खजाना ह

- एफ एच मोलम (इगल ड) ाचीन यग की सवर रमणीय वःतओ म गीता स ौ कोई वःत नही ह गीता म ऐसा

उ म और सवरवयापी जञान ह िक उसक रचियता दवता को अस य वषर हो गय िफर भी ऐसा दसरा एक भी मनथ नही िलखा गया

महातमा थोरो (अमिरका) धमर क कषऽ म अनय सब दख दिरि ह जबिक भारत इस िवषय म अरबपित ह

माकर टवन (यएसए) इस पथवी पर सवारिधक पणर िवकिसत मानवजञा कहा ह और जीवन क मह म ो क

हल िकसन खोज ह ऐसा अगर मझस पछा जाए तो म अगिलिनदश करक कहगा िक भारत न ही

मकसमलर (जमरनी) वदानत जसा ऊधवरगामी एव उतथानकारी और एक भी धमर या त वजञान नही ह

शोपनहोअर (जमरनी) िव भर म कवल भारत ही ऐसी ौ महान परमपराए रखता ह जो सिदयो तक जीिवत

रही ह

कनो (ानस) मनय जाित क अिःततव क सबस ारिमभक िदनो स लकर आज तक जीिवत मनय

क तमाम ःव न अगर कही साकार हए हो तो वह ःथान ह भारत

रोमा रोला (ास) भारत दश समपणर मानव जाित की मातभिम ह और सःकत यरोप की सभी भाषाओ की

जननी ह भारत हमार त वजञान गिणतशा एव जनतऽ की जननी ह भारतमाता अनक रप स सभी की जननी ह

िवल डरानट (यएसए) भारतीय सःकित की महानता का एहसास करन वाल इन सब िवदशी िचनतको को हम

धनयवाद दत ह एक बार महातमा थोरो सो रह थ इतन म उनका िशय एमसरन आया दखा िक वहा

साप और िबचछ घम रह ह गरजी क जागन पर एमसरन बोलाः गरदव यह जगह बड़ी खतरनाक ह म िकसी सरिकषत जगह पर आपकी वयवःथा करवा

दता ह

महातमा थोरो बोलः नही नही िचनता करन की कोई ज़ररत नही ह मर िसरहान पर ौीमदभगवदगीता ह भगवदगीता क जञान क कारण तो मझ साप म िबचछ म सबम मरा ही आतमा-परमातमा िदखता ह व मझ नही काटत ह तो म कही कयो जाऊ

िकतनी कह गीता की महानता यही ह भारतीय सःकित की मिहमा अदभत ह उसकी महानता लाबयान ह उसकी मिहमा

(अनबम)

हिरदास की हिरभि सात वष य गौर वणर क गौराग बड़-बड़ िव ान पिडतो स ऐस-ऐस करत थ िक व

दग रह जात थ इसका कारण था गौराग की हिरभि बड़ होकर उनहोन लाखो लोगो को हिरभि म रग िदया

जो हिरभ होता हिर का भजन करता उसकी बि अचछ मागर पर ही जाती ह लोभी वयि पसो क िलए हसता-रोता ह पद एव कस क तो िकतन ही लोग हसत रोत ह पिरवार क िलए तो िकतन ही मोही हसत रोत ह िकनत धनय ह व जो भगवान क िलए रोत हसत ह भगवान क िवरह म िजस रोना आया ह भगवान क िलए िजसका दय िपघलता ह ऐस लोगो का जीवन साथरक हो जाता ह भागवत म भगवान ौीकण उ व स कहत ह-

वाग गदगदा िवत यःय िच

रदतयभीआण हसित कविचचच िवलजज उदगायित नतयत च

मदभि य ो भवन पनाित िजसकी वाणी गदगद हो जाती ह िजसका िच ििवत हो जाता ह जो बार-बार रोन

लगता ह कभी लजजा छोड़कर उचच ःवर स गान लगता ह कभी नाचन लगता ह ऐसा मरा भ समम ससार को पिवऽ करता ह (ौीमदभागवतः 111424)

धनय ह वह मसलमान बालक जो गौराग क कीतरन म आता ह और िजसन गौराग स मऽदीकषा ली ह

उस मसलमान बालक का नाम हिरदास रखा गया मसलमान लोगो न उस हिरभ हिरदास को फसलान की बहत च ा की बहत डराया िक त गौराग क पास जाना छोड़ द नही तो हम यह करग वह करग िकनत हिरदास बहका नही उसका भय न हो गया था दमरित दर हो चकी थी उसकी सदबि और िन ा भगवान क धयान म लग गयी थी भयनाशन दमरित हरण किल म हिर को नाम यह नानक जी का वचन मानो उसक जीवन म साकार हो उठा था

काज़ी न षडयऽ करक उस पर कस िकया और फरमान जारी िकया िक हिरदास को बत मारत-मारत बीच बाजार स ल जाकर यमना म डाल िदया जाय

िनभ क हिरदास न बत की मार खाना ःवीकार िकया िकनत हिरभि छोड़ना ःवीकार न िकया िनि त िदन हिरदास को बत मारत हए ल जाया जान लगा िसपाही बत मारता ह तो हिरदास बोलता हः हिर बोल

हमको हिर बोल बलवाता ह य ल हिर बोल हिर बोल (सटाकसटाक) िसपाही बोलत हः हम तझ बत मारत ह तो कया तझ पीड़ा नही होती त हमस भी हिर

बोल हिर बोल करवाना चाहता ह

हिरदासः पीड़ा तो शरीर को होती ह म तो आतमा ह मझ तो पीड़ा नही होती तम भी यार स एक बार हिर बोल कहो

िसपाहीः ह हम भी हिर बोल कह हमस हिर बोल बलवाता ह ल य हिर बोल (सटाक)

हिरदास सोचता ह िक बत मारत हए भी तो य लोग हिर बोल कह रह ह चलो इनका क याण होगा िसपाही बत मारत जात ह सटाक सटाक और हिरदास हिर बोल बोलता भी जाता ह बलवाता भी जाता ह हिरदास को कई बत पड़न पर भी उसक चहर पर दःख की रखा तक नही िखचती

हवालदार पछता हः हिरदास तझ बत पड़न क बावजद भी तरी आखो म चमक ह चहर पर धयर शाित और सननता झलक रही ह कया बात ह

हिरदासः म बोलता ह हिर बोल तब िसपाही ब होकर भी कहत हः ह हमस भी बलवाता ह हिर बोल हिर बोल हिर बोल तो ल इस बहान भी उनक मह स हिरनाम िनकलता ह दर सवर उनका भी क याण होगा इसी स मर िच म सननता ह

धनय ह हिरदास की हिरभि बर काज़ी क आदश का पालन करत हए िसपाही उस हिरभि स िहनद धमर की दीकषा स चयत करन क िलए बत मारत ह िफर भी वह िनडर हिरभि नही छोड़ता हिर बोल बोलना बद नही करता

व मसलमान िसपाही हिरदास को िहनद धमर की दीकषा क भाव स गौरा क भाव स दर हटाना चाहत थ लिकन वह दर नही हटा बत सहता रहा िकनत हिर बोल बोलना न छोड़ा आिखरकार उन बर िसपाहीयो न हिरदास को उठाकर नदी म बहा िदया

नदी म तो बहा िदया लिकन दखो हिरनाम का भाव मानो यमनाजी न उसको गोद म ल िलया डढ़ मील तक हिरदास पानी म बहता रहा वह शातिच होकर मानो उस पानी म नही हिर की कपा म बहता हआ दर िकसी गाव क िकनार िनकला दसर िदन गौराग की भातफरी म शािमल हो गया लोग आ यरचिकत हो गय िक चमतकार कस हआ

धनय ह वह मसलमान यवक हिरदास जो हिर क धयान म हिर क गान म हिर क कीतरन म गौराग क साथ रहा जस िववकाननद क साथ भिगनी िनविदता न भारत म अधयातम-धणर क चार म लगकर अपना नाम अमर कर िदया वस ही इस मसलमान यवक न हिरकीतरन म हिरधयान म अपना जीवन धनय कर िदया दजरन लोग हिरदास का बाल तक न बाका कर सक जो सचच दय स भगवान का हो जाता ह उसकी हजारो शऽ िमलकर भी कछ हािन नही कर सकत तो उस काज़ी की कया ताकत थी

लोगो न जाकर काज़ी स कहा िक आज हिरदास पनः गौराग की भातफरी म उपिःथत हो गया था काजी अतयनत अहकारी था उसन एक नोिटस भजा एक आदश चतनय महाभ (गौराग) को भजा िक कल स तम भातफरी नही िनकाल सकत तमहारी भातफरी पर बिदश लगाई जाती ह

गौराग न सोचा िक हम िकसी का बरा नही करत िकसी को कोई हािन नही पहचात अर वायम डल क दषण को दर करन क िलए तो शासन पस खचर करता ह िकनत िवचारो क दषण को दर करन क िलए हिरकीतरन जसा हिरभि जसा अमोघ उपाय कौन सा ह भल काजी और शासन की समझ म आय या न आय वातावरण को श करन क साथ-साथ िवचारो का दषण भी दर होना चािहए हम तो कीतरन करग और करवायग

जो लोग डरपोक थ भीर और कायर थ ढील-ढाल थ व बोलः बाबा जी रहन दो रहन दो अपना कया जो करग व भरग अपन तो घर म ही रहकर हिर ॐ हिर ॐ करग

गौराग न कहाः नही इस कार कायरो जसी बात करना ह तो हमार पास मत आया करो

दसर िदन जो डरपोक थ ऐस पाच-दस वयि नही आय बाकी क िहममतवाल िजतन थ व सब आय उनह दखकर और लोग भी जड़

गौराग बोलः आज हमारी भातफरी की पणारहित काजी क घर पर ही होगी

गौराग भ -म डली क साथ कीतरन करत-करत जब बाजार स गज़र तो कछ िहनद एव मसलमान भी कीतरन म जड़ गय उनको भी कीतरन म रस आन लगा व लोग काजी को गािलया दन लग िक काजी बदमाश ह ऐसा ह वसा ह आिद ETH आिद

तब गौराग कहत हः नही शऽ क िलए भी बरा मत सोचो

उनहोन सबको समझा िदया िक काजी क िलए कोई भी अपश द नही कहगा कसी महान ह हमारी िहनद सःकित िजसन हिरदास को बत मारन का आदश िदया उस कवल अपश द कहन क िलए भी गौराग मना कर रह ह इस भारती सःकित म िकतनी उदारता ह स दयता ह लिकन कायरता को कही भी ःथान नही ह

गौराग कीतरन करत-करत काजी क घर क िनकट पहच गय काजी घर की छत पर स इस भातफरी को दखकर दग रह गया िक मर मना करन पर भी इनहोन भातफरी िनकाली

और मर घर तक ल आय उसम मसलमान लड़क भी शािमल ह जयो ही वह भातफरी काजी क घर पहची काजी घर क अनदर िछप गया

गौराग न काजी का ार खटखटाया तब काजी या काजी की प ी न नही वरन चौकीदार न दरवाजा खोला वह बोलाः

काजी साहब घर पर नही ह

गौराग बोलः नही कस ह अभी तो हमन उनह घर की छत पर दखा था काजी को जाकर बोलो हमार मामा और मा भी िजस गाव की ह आप भी उसी गाव क हो इसिलए आप मर गाव क मामा लगत ह मामाजी भानजा ार पर आय और आप छप कर बठ यह शोभा नही दता बाहर आ जाईय

चौकीदार न जाकर काजी को सब कह सनाया गौराग क मभर वचन सनकर काजी का दय िपघल गया िजस पर मन ज म ढाय वह मझ मामा कहकर सबोिधत करता ह िजसक साथ मन बरता की वह मर साथ िकतना औदायर रखता ह यह सोचकर काजी का दय बदल गया वह ार पर आकर बोलाः

म तमस डरकर अनदर नही छपा कयोिक मर पास तो स ा ह कलम की ताकत ह लिकन हिरकीतरन स हिरनाम स िहनद तो कया मसलमान लड़क भी आनिदत हो रह ह उनका भी लह पिवऽ हो रहा ह यह दखकर मझ दःख हो रहा ह िक िजस नाम क उचचारण स उनकी रग-रग पावन हो रही ह उसी नाम क कारण मन हिरदास पर और तम पर ज म िकया िकसी क बहकाव म आकर तम लोगो पर फरमान जारी िकया अब म िकस मह स तमहार सामन आता इसीिलए म मह िछपाकर घर क अनदर घस गया था

भानजा(गौराग) बोलता हः मामा अब तो बाहर आ जाइय

मामा(काजी) बोलाः बाहर आकर कया कर

गौरागः कीतरन कर हिरनाम क उचचारण स छपी हई यो यता िवकिसत कर आनद गट कर

काजीः कया करना होगा

गौरागः म जसा बोलता ह ऐसा ही बोलना होगा बोिलएः हिर बोल हिर बोल

काजीः हिर बोल हिर बोल

गौरागः हिर बोल हिर बोल

काजीः हिर बोल हिर बोल

हिर बोल हिर बोल हिर बोल हिर बोल

हिर बोल हिर बोल हिर बोल हिर बोल

कीतरन करत-करत गौराग न अपनी िनगाहो स काजी पर कपा बरसाई तो काजी भी झमन लगा उस भी हिर बोल का रग लग गया जस इजन को ह डल दकर छोड़ दत ह तब भी इजन चलता रहता ह ऐस ही गौराग की कपादि स काजी भी झमन लगा

काजी क झमन स वातावरण म और भी रग आ गया काजी तो झम गया काजी की प ी भी झमी और चौकीदार भी झम उठा सब हिरकीतरन म झमत-झमत अपन र को पावन करन लग दय को हिररस स सराबोर करन लगा उनक जनम-जनम क पाप-ताप न होन लग िजस पर भगवान की दया होती ह िजसको साधओ का सग िमलता ह सतसग का सहारा िमलता ह और भारतीय सःकित की महानता को समझन की अकल िमलती ह िफर उसक उ ार म कया बाकी रह जाता ह काजी का तो उ ार हो गया

दखो सत की उदारता एव महानता िजसन िहनदओ पर ज म करवाय भ हिरदास को बत मरवात-मरवात यमना जी म डलवा िदया भातफरी पर ितबध लगवा िदया उसी काजी को गौराग न हिररग म रग िदया अपनी कपादि स िनहाल कर िदया उसक बर कम की धयान न दत हए भि का दान द िदया ऐस गौराग क ौीचरणो म हमार हजार-हजार णाम ह हम उस मसलमान यवक हिरदास को भी धनयवाद दत ह िक उसन बत खात पीड़ा सहत भी भि न छोड़ी गरदव को न छोड़ा न ही उनक दबाव म आकर पनः मसलमान बना हिर बोल क रग म ःवय रगा और िसपािहयो को भी रग िदया धनय ह हिरदास और उसकी हिरभि

(अनबम)

बनावटी ौगार स बचो जमरनी क िस दाशरिनक शोपनहार कहत ह िक िजन दशो म हिथयार बनाय जात ह

उन दशो क लोगो को य करन की उ जना होती ह और उन दशो म हिथयार बनत ही रहत ह य भी होत रहत ह ऐस ही जो लोग फशन करत ह उनक दय म काम बोध लोभ मोह रपी य होता ही रहता ह उनक जीवन म िवलािसता आती ह और पतन होता ह वस ही फशन और िवलािसता स सयम सदाचार और यो यता का सहार होता ह

इसिलए य क साधन बढ़न स जस य होता ह वस ही िवलािसता और फशन क साधनो का उपयोग करन स अतयर होता ह अपनी आितमक शि यो का सहार होता ह अतः अपना भला चाहन वाल भाई-बहनो को पफ-पाउडर िलपिःटक-लाली व -अलकार क िदखाव क पीछ नही पड़ना चािहए सयम सादगी एव पिवऽतापणर जीवन जीना चािहए

अपन शा ो म ौगार की अनमित दी गई ह सौभा यवती ि या जब पित अपन ही नगर म हो घर म हो तब ौगार कर पित यिद दर दश गया हो तब सौभा यवित ि यो को भी सादगीपणर जीवन जीना चािहए ौगार क उपयोग म आनवाली वःतए भी वनिःपतयो एव साि वक रसो स बनी हई होनी चािहए जो सननता और आरो यता दान कर

आजकल तो शरीर म उ जना पदा कर बीमािरया पदा कर ऐस किमक स(रसायनो) और जहर जस साधनो स ौगार-साधन बनाए जात ह िजसस शरीर क अनदर जहरील कण जात ह और तवचा की बीमािरया होती ह आहार म भी जहरील कणो क जान स पाचन-तऽ और मानिसक सतलन िबगड़ता ह साथ ही बौि क एव वचािरक सतलन भी िबगड़ता ह

पशओ की चब किमक स और दसर थोड़ जहरील िवयो स बन पफ-पाउडर िलपिःटक-लाली आिद िजन साधनो का यटी-पालरर म उपयोग िकया जाता ह वसी गदगी कभी-भी अपन शरीर को तो लगानी ही नही चािहए दसर लोगो न लगायी हो तो दखकर सनन भी नही होना चािहए अपन सयम और सदाचार की सनदरता को गट करना चािहए मीरा और शबरी िकस यटी-पालरर म गय थ सती अनसया गाग और मदालसा न िकस पफ-पाउडर लाली-िलपिःटक का उपयोग िकया था िफर भी उनका जीवन सनदर तजःवी था हम भी ई र स ाथरना कर िक ह भगवान हम अपना सयम और साधना का सौनदयर बढ़ाए ऐसी त दया करना िवकारी सौनदयर स अपन को बचाकर िनिवरकारी नारायण की ओर जाय ऐसी त दया करना िवलािसता म अपन समय को न लगाकर तर ही धयान-िचतन म हमारा समय बीत ऐसी त कपा करना

किऽम सौनदयर-साधन स तवचा की िःन धता और कोमलता मर जाती ह पफ-पाउडर बीम आिद स शरीर की कदरती िःन धता खतम हो जाती ह ाकितक सौनदयर को न करक

जो किऽम सौनदयर क गलाम बनत ह उनस ःनहभरी सलाह ह िक व पफ-पाउडर आिद और तड़कील-भड़कील व आिद की गलामी को छोड़कर ाकितक सौनदयर को बढ़ान की कोिशश कर मीरा और मदालसा की तरह अपन असली सौनदयर को कट करन की कोिशश कर

(अनबम)

साहसी बालक एक लड़का काशी म हिर नि हाईःकल म पढ़ता था उसका गाव काशी स आठ मील दर

था वह रोजाना वहा स पदल चलकर आता बीच म जो गगा नदी बहती ह उस पार करक िव ालय पहचता

उस जमान म गगा पार करन क िलए नाव वाल को दो पस दन पड़त थ दो पस आन क और दो पस जान क कल चार पस यािन पराना एक आना महीन म करीब दो रपय हए जब सोन क एक तोल का भाव रपया सौ स भी नीच था तब क दो रपय आज क तो पाच-पचचीस रपय हो जाए

उस लड़क न अपन मा-बाप पर अितिर बोझा न पड़ इसिलए एक भी पस की माग नही की उसन तरना सीख िलया गम हो बािरश हो या ठ ड हो गगा पार करक हाईःकल म जाना उसका बम हो गया इस कार िकतन ही महीन गजर गय

एक बार पौष मास की ठ ड म वह लड़का सबह की ःकल भरन क िलए गगा म कदा तरत-तरत मझधार म आया एक नाव म कछ याऽी नदी पार कर रह थ उनहोन दखा िक छोटा-सा लड़का अभी डब मरगा व उसक पास नाव ल गय और हाथ पकड़ कर उस नाव म खीच िलया लड़क क मख पर घबराहट या िचनता की कोई रखा नही थी सब लोग दग रह गय इतना छोटा ह और इतना साहसी ह व बोलः

त अभी डब मरता तो ऐसा साहस नही करना चािहए

तब लड़का बोलाः साहस तो होना ही चािहए जीवन म िव न-बाधाए आयगी उनह कचलन क िलए साहस तो चािहए ही अगर अभी स साहस नही जटाया तो जीवन म बड़-बड़ कायर कस कर पायग

लोगो न पछाः इस समय तरन कयो िगरा दोपहर को नहान आता

लड़का बोलता हः म नहान क िलए नदी म नही िगरा ह म तो ःकल जा रहा ह

नाव म बठकर जाता

रोज क चार पस आन-जान क लगत ह मर गरीब मा-बाप पर मझ बोझा नही बनना ह मझ तो अपन परो पर खड़ होना ह मरा खचर बढ़ तो मर मा-बाप की िचनता बढ़ उनह घर चलाना मिकल हो जाय

लोग उस आदर स दखत ही रह गय वही साहसी लड़का आग चलकर भारत का धान मऽी बना

वह लड़का कौन था पता ह व थ लाल बहादर शा ी शा ी जी उस पद भी सचचाई साहस सरलता ईमानदारी सादगी दशम आिद सदगण और सदाचार क मितरमनत ःवरप थ ऐस महापरष भल िफर थोड़ा-सा समय ही राजय कर पर एक अनोखा भाव छोड़ जात ह जनमानस पर

(अनबम)

गर-आजञापालन का चमतकार ौीम आ ाशकराचायर जी जब काशी म िनवास करत थ तब गगा-तट पर िनतय ात-

काल टहलत थ एक सबह िकसी ितभासपनन यवक न दसर िकनार स दखा िक कोई सनयासी उस पार टहल रह ह उस यवक न दसर िकनार स ही उनह णाम िकया उस यवक को दखकर आ शकराचायर जी न सकत िकया िक इधर आ जाओ उस आभासमपनन यवक न दखा िक मन तो साध को णाम कर िदया ह णाम कर िदया तो म उनका िशय हो गया और उनहोन मझ आदश िदया िक इधर आ जाओ अब गर की आजञा का उ लघन करना भी तो उिचत नही ह िकनत यही कोई नाव नही ह और म तरना भी नही जानता ह अब कया कर उसक मन म िवचार आया िक वस भी तो हजारो बार हम मर चक ह एक बार यिद गर क दशरन क िलए जात-जात मर जाय तो घाटा कया होगा

गग मात की जय कह कर उस यवक न तो गगाजी म पर रख िदया उसकी इचछा कहो ौीम आ शकराचायर जी का भाव कहो या िनयित की लीला कहो जहा उस यवक न कदम रखा वहा एक कमल पदा हो गया उसक पर को थामन क िलए जब दसरा पर रखा तो वहा भी कमल पदा हो गया इस कार जहा-जहा वह कदम रखता गया वहा कमल (प ) उतपनन होता गया और वह यवक गगा क दसर तट पर जहा आ शकराचायर जी खड़ थ पहच गया

जहा-जहा वह कदम रखता था वहा-वहा प (कमल) क कट होन क कारण उसका नाम पड़ा - प पादाचायर शकराचायर जी क म य चार प टिशयो म आग जाकर यही प पादाचायर एक प टिशय बन

कहन का तातपयर यह ह िक सिचचदानद परमातमा की शि का सामथयर का बयान करना सभव नही ह िजसकी िजतनी दढ़ता ह िजसकी िजतनी सचचाई ह िजसकी िजतनी ततपरता ह उतनी ही कित भी उसकी मदद करन को आतर रहती ह प पादाचायर की गर-आजञापालन म दढ़ता और ततपरता को दखकर गगा जी म कमल गट हो गय िशय यिद दढ़ता ततपरता और ईमानदारी स गर-आजञापालन म लग जाय तो कित भी उसक अनकल हो जाती ह

(अनबम)

अनोखी गरदिकषणा एकलवय गर िोणाचायर क पास आकर बोलाः मझ धनिवर ा िसखान की कपा कर

गरदव गर िोणाचायर क समकष धमरसकट उतपनन हआ कयोिक उनहोन भीम िपतामह को वचन

द िदया था िक कवल राजकमारो को ही म िशकषा दगा एकलवय राजकमार नही ह अतः उस धनिवर ा कस िसखाऊ अतः िोणाचायर न एकलवय स कहाः

म तझ धनिवर ा नही िसखा सकगा

एकलवय घर स िन य करक िनकला था िक म कवल गर िोणाचायर को ही गर बनाऊगा िजनक िलए मन म भी गर बनान का भाव आ गया उनक िकसी भी वयवहार क िलए िशकायत या िछिानवषण की वि नही होनी चािहए

एकलवय एकात अर य म गया और उसन गर िोणाचायर की िम टी की मितर बनायी मितर की ओर एकटक दखकर धयान करक उसी स रणा लकर वह धनिवर ा सीखन लगा एकटक दखन स एकामता आती ह एकामता गरभि अपनी सचचाई और ततपरता क कारण उस रणा िमलन लगी जञानदाता तो परमातमा ह धनिवर ा म वह बहत आग बढ़ गया

एक बार िोणाचायर पाडव एव कौरव धनिवर ा का योग करन अर य म आय उनक साथ एक क ा भी था जो थोड़ा आग िनकल गया क ा वही पहचा जहा एकलवय अपनी धनिवर ा का योग कर रहा था एकलवय क खल बाल फट कपड़ एव िविचऽ वष को दखकर क ा भ कन लगा

एकलवय न क को लग नही चोट न पहच और उसका भ कना बद हो जाय इस ढग स सात बाण उसक मह म थमा िदय क ा वािपस वहा गया जहा िोणाचायर क साथ पाडव और कौरव थ

उस दखकर अजरन को हआ िक क को चोट न लग इस ढग स बाण मह म घसाकर रख दना यह िव ा तो म भी नही जानता यह कस सभव हआ वह गर िोणाचायर स बोलाः

गरदव आपन तो कहा था िक मरी बराबरी का दसरा कोई धनधाररी नही होगा िकनत ऐसी िव ा तो मझ भी नही आती

िोणाचायर को हआ िक दख इस अर य म कौन-सा ऐसा कशल धनधरर ह आग जाकर दखा तो वह था िहर यधन का पऽ गरभ एकलवय

िोणाचायर न पछाः बटा यह िव ा त कहा स सीखा

एकलवय बोलाः गरदव आपकी ही कपा स सीखा ह

िोणाचायर तो वचन द चक थ िक अजरन की बराबरी का धनधरर दसरा कोई न होगा िकनत यह तो आग िनकल गया गर क िलए धमरसकट खड़ा हो गया एकलवय की अटट ौ ा दखकर िोणाचायर न कहाः मरी मितर को सामन रखकर त धनिवर ा तो सीखा िकनत गरदिकषणा

एकलवयः जो आप माग

िोणाचायरः तर दाय हाथ का अगठा

एकलवय न एक पल भी िवचार िकय िबना अपन दाय हाथ का अगठा काटकर गरदव क चरणो म अपरण कर िदया

िोणाचायरः बटा भल ही अजरन धनिवर ा म सबस आग रह कयोिक म उस वचन द चका ह िकनत जब तक सयर चनि नकषऽो का अिःततव रहगा तब तक लोग तरी गरिन ा का तरी गरभि का ःमरण करग तरा यशोगान होता रहगा

उसकी गरभि और एकामता न उस धनिवर ा म तो सफलता िदलायी ही लिकन सतो क दय म भी उसक िलए आदर गट करवा िदया धनय ह एकलवय जो गरमितर स रणा पाकर धनिवर ा म सफल हआ और िजसन अदभत गरदिकषणा दकर साहस तयाग और समपरण का पिरचय िदया

(अनबम)

सतसग की मिहमा तलसीदास जी महाराज कहत ह ETH

एक घड़ी आधी घड़ी आधी म पिन आध तलसी सगत साध की हर कोिट अपराध

एक बार शकदव जी क िपता भगवान वदवयासजी महाराज कही जा रह थ राःत म उनहोन दखा िक एक कीड़ा बड़ी तजी स सड़क पार कर रहा था

वदवयासजी न अपनी योगशि दत हए उसस पछाः त इतनी ज दी सड़क कयो पार कर रहा ह कया तझ िकसी काम स जाना ह त तो

नाली का कीड़ा ह इस नाली को छोड़कर दसरी नाली म ही तो जाना ह िफर इतनी तजी स कयो भाग रहा ह

कीड़ा बोलाः बाबा जी बलगाड़ी आ रही ह बलो क गल म बध घघर तथा बलगाड़ी क पिहयो की आवाज म सन रहा ह यिद म धीर-धीर सड़क पार करगा तो वह बलगाड़ी आकर मझ कचल डालगी

वदवयासजीः कचलन द कीड़ की योिन म जीकर भी कया करना

कीड़ाः महिषर ाणी िजस शरीर म होता ह उसको उसम ही ममता होती ह अनक ाणी नाना कार क क ो को सहत हए भी मरना नही चाहत

वदवयास जीः बलगाड़ी आ जाय और त मर जाय तो घबराना मत म तझ योगशि स महान बनाऊगा जब तक ा ण शरीर म न पहचा द अनय सभी योिनयो स शीय छटकारा िदलाता रहगा

उस कीड़ न बात मान ली और बीच राःत पर रक गया और मर गया िफर वदवयासजी की कपा स वह बमशः कौआ िसयार आिद योिनयो म जब-जब भी उतपनन हआ वयासजी न जाकर उस पवरजनम का ःमरण िदला िदया इस तरह वह बमशः मग पकषी शि वय जाितयो म जनम लता हआ कषिऽय जाित म उतपनन हआ उस वहा भी वदवयासजी दशरन िदय थोड़ िदनो म रणभिम म शरीर तयागकर उसन ा ण क घर जनम िलया

भगवान वदवयास जी न उस पाच वषर की उ म सारःवतय मऽ द िदया िजसका जप करत-करत वह धयान करन लगा उसकी बि बड़ी िवलकषण होन पर वद शा धमर का रहःय समझ म आ गया

सात वषर की आय म वदवयास जी न उस कहाः काि रक कषऽ म कई वष स एक ा ण ननदभि तपःया कर रहा ह तम जाकर उसकी

शका का समाधान करो

माऽ सात वषर का ा ण कमार काि रक कषऽ म तप कर रह उस ा ण क पास पहच कर बोलाः

ह ा णदव आप तप कयो कर रह ह

ा णः ह ऋिषकमार म यह जानन क िलए तप कर रहा ह िक जो अचछ लोग ह सजजन लोग ह व सहन करत ह दःखी रहत ह और पापी आदमी सखी रहत ह ऐसा कयो ह

बालकः पापी आदमी यिद सखी ह तो पाप क कारण नही वरन िपछल जनम का कोई प य ह उसक कारण सखी ह वह अपन प य खतम कर रहा ह पापी मनय भीतर स तो दःखी ही होता ह भल ही बाहर स सखी िदखाई द

धािमरक आदमी को ठ क समझ नही होती उिचत िदशा व मऽ नही िमलता इसिलए वह दःखी होता ह वह धमर क कारण दःखी नही होता अिपत समझ की कमी क कारण दःखी होता ह समझदार को यिद कोई गर िमल जाय तो वह नर म स नारायण बन जाय इसम कया आ यर ह

ा णः म इतना बढ़ा हो गया इतन वष स काि रक कषऽ म तप कर रहा ह मर तप का फल यही ह िक तमहार जस सात वषर क योगी क मझ दशरन हो रह ह म तमह णाम करता ह

बालकः नही नही महाराज आप तो भदव ह म तो बालक ह म आपको णाम करता ह

उसकी नता दखकर ा ण और खश हआ तप छोड़कर वह परमातमिचनतन म लग गया अब उस कछ जानन की इचछा नही रही िजसस सब कछ जाना जाता ह उसी परमातमा म िवौाित पान लग गया

इस कार ननदभि ा ण को उ र द िनःशक कर सात िदनो तक िनराहार रहकर वह बालक सयरमनऽ का जप करता रहा और वही बहदक तीथर म उसन शरीर तयाग िदया वही बालक दसर जनम म कषार िपता एव िमऽा माता क यहा गट हआ उसका नाम मऽय पड़ा इनहोन वयासजी क िपता पराशरजी स िवण-पराण तथा बहत पाराशर होरा शा का अधययन िकया था पकषपात रिहत अनभवकाश नामक मनथ म मऽय तथा पराशर ऋिष का सवाद आता ह

कहा तो सड़क स गजरकर नाली म िगरन जा रहा कीड़ा और कहा सत क सािननधय स वह मऽय ऋिष बन गया सतसग की बिलहारी ह इसीिलए तलसीदास जी कहत ह ETH

तात ःवगर अपवगर सख धिरअ तला एक अग तल न तािह सकल िमली जो सख लव सतसग

यहा एक शका हो सकती ह िक वह कीड़ा ही मऽय ऋिष कयो नही बन गया

अर भाई यिद आप पहली ककषा क िव ाथ हो और आपको एम ए म िबठाया जाय तो कया आप पास हो सकत हो नही दसरी तीसरी चौथी दसवी बारहवी बीए आिद पास करक ही आप एमए म वश कर सकत हो

िकसी चौकीदार पर कोई धानमनऽी अतयिधक सनन हो जाए तब भी वह उस सीधा कलकटर (िजलाधीश) नही बना सकता ऐस ही नाली म रहन वाला कीड़ा सीधा मनय तो नही

हो सकता बि क िविभनन योिनयो को पार करक ही मनय बन सकता ह हा इतना अवय ह िक सतकपा स उसका मागर छोटा हो जाता ह

सतसमागम की साध परषो स सग की मिहमा का कहा तक वणरन कर कस बयान कर एक सामानय कीड़ा उनक सतसग को पाकर महान ऋिष बन सकता ह तो िफर यिद मानव को िकसी सदगर का सािननधय िमल जाय उनक वचनानसार चल पड़ तो मि का अनभव करक जीवनम भी बन सकता ह

(अनबम)

पीड़ पराई जान र जञानी िकसी स यार करन क िलए बध हए नही ह और िकसी को डाटन म भी राजी

नही ह हमारी जसी यो यता होती ह ऐसा उनका वयवहार हमार ित होता ह लीलाशाह बाप क ौीचरणो म बहत लोग गय थ एक लड़का भी गया था वह मिणनगर

म रहता था िशवजी को जल चढ़ान क प ात ही वह जल पीता वह लड़का खब िन ा स धयान-भजन करता और सवा पजा करता

एक िदन कोई वयि राःत म बहोश पड़ा हआ था िशवजी को जल चढ़ान जात समय उस बालक न उस दखा और अपनी पजा-वजा छोड़कर उस गरीब की सवा म लग गया िबहार का कोई यवक था नौकरी की खोज म आया था कालपर(अहमदाबाद) ःटशन क लटफामर पर एक दो िदन रहा किलयो न मारपीट कर भगा िदया चलत-चलत मिणनगर म पनीत आौम की ओर रोटी की आशा म जा रहा था रोटी तो वहा नही िमलती थी इसिलए भख क कारण चलत-चलत राःत म िगर गया और बहोश हो गया

उस लड़क का घर पनीत आौम क पास ही था सबह क दस साढ़ दस बज थ वह लड़का घर स धयान-भजन स िनपटकर मिदर म िशवजी को जल चढ़ान क िलए जल का लोटा और पजा की साममी लकर जा रहा था उसन दखा िक राःत म कोई यवक पड़ा ह राःत म चलत-चलत लोग बोलत थः शराब पी होगी यह होगा वह होगा हम कया

लड़क को दया आई प य िकय हए हो तो रणा भी अचछ िमलती ह शभ कम स शभ रणा िमलती ह अपन पास की पजा साममी एक ओर रखकर उसन उस वयि को िहलाया बहत मिकल स उसकी आख खली कोई उस जत सघाता कोई कछ करता कोई कछ बोलता था

आख खोलत ही वह वयि धीर स बोलाः पानी पानी

लड़क न महादव जी क िलय लाया हआ जल का लोटा उस िपला िदया िफर दोड़कर घर जाकर अपन िहःस का दध लाकर उस िदया

यवक क जी म जी आया उसन अपनी वयथा बतात हए कहाः बाब जी म िबहार स आया ह मर बाप गजर गय काका िदन-रात टोकत रहत त िक

कमाओ नही तो खाओग कया नौकरी धधा िमलता नही ह भटकत-भटकत अहमदाबाद क ःटशन पर कली का काम करन का य िकया हमारी रोटी-रोजी िछन जायगी ऐसा समझकर किलयो न खब मारा पदल चलत-चलत मिणनगर ःटशन की ओर आत-आत यहा तीन िदन की भख और मार क कारण चककर आय और िगर गया

लड़क न उस िखलाया अपना इक ठा िकया हआ जबखचर का पसा िदया उस यवक को जहा जाना था वहा भजन की वयवःथा की इस लड़क क दय म आनद की वि हई अतर म आवाज आईः

बटा अब म तझ बहत ज दी िमलगा

लड़क न िकयाः अनदर कौन बोलता ह

उ र आयाः िजस िशव की त पजा करता ह वह तरा आतमिशव अब म तर दय म कट होऊगा सवा क अिधकारी की सवा मझ िशव की ही सवा ह

उस िदन उस अतयारमी न अनोखी ऱणा और ोतसाहन िदया वह लड़का तो िनकल पड़ा घर छोड़कर ई र-साकषातकार करन क िलए कदारनाथ वनदावन होत हए निनताल क अर य म पहचा

कदारनाथ क दशरन पाय लकषािधपित आिशष पाय

इस आशीवारद को वापस कर ई राि क िलए िफर पजा की उसक पास जो कछ रपय पस थ उनह वनदावन म साध-सतो एव गरीबो म भ डारा करक खचर कर िदया था थोड़ स पस लकर निनताल क अर यो म पहचा लोकलाड़ल लाखो दयो को हिररस िपलात पजयपाद सदगर ौी लीलाशाह बाप की राह दखत हए चालीस िदन बीत गय गरवर ौी लीलाशाह को अब पणर समिपरत िशय िमला पणर खजाना ा करन वाला पिवऽातमा िमला पणर गर की पणर िशय िमला

िजस लड़क क िवषय म यह कथा पढ़ रह ह वह लड़का कौन होगा जानत हो

पणर गर कपा िमली पणर गर का जञान आसमल स हो गय साई आसाराम

अब तो समझ ही गय होग (उस लड़क क वश म छप हए थ पवर जनम क योगी और वतरमान म िव िव यात हमार

पजयपाद सदगरदव ौी आसाराम जी महाराज)

(अनबम)

िवकास क बिरयो स सावधान किपलवःत क राजा श ोदन का यवराज था िस ाथर यौवन म कदम रखत ही िववक

और वरा य जाग उठा यवान प ी यशोधरा और नवजात िशश राहल की मोह-ममता की रशमी जजीर काटकर महाभीिनबमण (गहतयाग) िकया एकानत अर य म जाकर गहन धयान साधना करक अपन साधय त व को ा कर िलया

एकानत म तप यार और धयान साधना स िखल हए इस आधयाितमक कसम की मधर

सौरभ लोगो म फलन लगी अब िस ाथर भगवान ब क नाम स जन-समह म िस हए हजारो हजारो लोग उनक उपिद मागर पर चलन लग और अपनी अपनी यो यता क मतािबक आधयाितमक याऽा म आग बढ़त हए आितमक शाित ा करन लग अस य लोग बौ िभकषक बनकर भगवान ब क सािननधय म रहन लग उनक पीछ चलन वाल अनयायीओ का एक सघ ःथािपत हो गया चह ओर नाद गजन लग िकः

ब शरण गचछािम धमम शरण गचछािम सघ शरण गचछािम

ौावःती नगरी म भगवान ब का बहत यश फला लोगो म उनकी जय-जयकार होन लगी लोगो की भीड़-भाड़ स िवर होकर ब नगर स बाहर जतवन म आम क बगीच म रहन लग नगर क िपपास जन बड़ी तादाद म वहा हररोज िनि त समय पर पहच जात और उपदश-वचन सनत बड़-बड़ राजा महाराजा भगवान ब क सािननधय म आन जान लग

समाज म तो हर कार क लोग होत ह अनािद काल स दवी समपदा क लोग एव आसरी समपदा क लोग हआ करत ह ब का फलता हआ यश दखकर उनका तजो ष करन वाल लोग जलन लग सतो क साथ हमशा स होता आ रहा ह ऐस उन द त वो न ब को बदनाम करन क िलए कचार िकया िविभनन कार की यि -यि या लड़ाकर ब क यश को हािन पहच ऐसी बात समाज म व लोग फलान लग उन द ो न अपन ष यऽ म एक वया को समझा-बझाकर शािमल कर िलया

वया बन-ठनकर जतवन म भगवान ब क िनवास-ःथानवाल बगीच म जान लगी

धनरािश क साथ द ो का हर कार स सहारा एव ोतसाहन उस िमल रहा था रािऽ को वही रहकर सबह नगर म वािपस लोट आती अपनी सिखयो म भी उसन बात फलाई

लोग उसस पछन लगः अरी आजकल त िदखती नही ह कहा जा रही ह रोज रात को

म तो रोज रात को जतवन जाती ह व ब िदन म लोगो को उपदश दत ह और रािऽ क समय मर साथ रगरिलया मनात ह सारी रात वहा िबताकर सबह लोटती ह

वया न परा ीचिरऽ आजमाकर ष यऽ करन वालो का साथ िदया लोगो म पहल तो हलकी कानाफसी हई लिकन जयो-जयो बात फलती गई तयो-तयो लोगो म जोरदार िवरोध होन लगा लोग ब क नाम पर िफटकार बरसान लग ब क िभकषक बःती म िभकषा लन जात तो लोग उनह गािलया दन लग ब क सघ क लोग सवा-वि म सल न थ उन लोगो क सामन भी उगली उठाकर लोग बकवास करन लग

ब क िशय जरा असावधान रह थ कचार क समय साथ ही साथ स चार होता तो कचार का इतना भाव नही होता िशय अगर िनिबय रहकर सोचत रह जाय िक करगा सो भरगा भगवान उनका नाश करग तो कचार करन वालो को ख ला मदान िमल जाता ह

सत क सािननधय म आन वाल लोग ौ ाल सजजन सीध साद होत ह जबिक द वि करन वाल लोग किटलतापवरक कचार करन म कशल होत ह िफर भी िजन सतो क पीछ सजग समाज होता ह उन सतो क पीछ उठन वाल कचार क तफान समय पाकर शात हो जात ह और उनकी सतवि या काशमान हो उठती ह

कचार न इतना जोर पकड़ा िक ब क िनकटवत लोगो न ऽािहमाम पकार िलया व समझ गय िक यह वयविःथत आयोजनपवरक ष यऽ िकया गया ह ब ःवय तो पारमािथरक सतय म जाग हए थ व बोलतः सब ठ क ह चलन दो वयवहािरक सतय म वाहवाही दख ली अब िननदा भी दख ल कया फकर पड़ता ह

िशय कहन लगः भनत अब सहा नही जाता सघ क िनकटवत भ भी अफवाहो क िशकार हो रह ह समाज क लोग अफवाहो की बातो को सतय मानन लग गय ह

ब ः धयर रखो हम पारमािथरक सतय म िवौाित पात ह यह िवरोध की आधी चली ह तो शात भी हो जाएगी समय पाकर सतय ही बाहर आयगा आिखर म लोग हम जानग और मानग

कछ लोगो न अगवानी का झ डा उठाया और राजयस ा क समकष जोर-शोर स माग की

िक ब की जाच करवाई जाय लोग बात कर रह ह और वया भी कहती ह िक ब रािऽ को मर साथ होत ह और िदन म सतसग करत ह

ब क बार म जाच करन क िलए राजा न अपन आदिमयो को फरमान िदया अब ष यऽ करनवालो न सोचा िक इस जाच करन वाल पच म अगर सचचा आदमी आ जाएगा तो अफवाहो का सीना चीरकर सतय बाहर आ जाएगा अतः उनहोन अपन ष यऽ को आिखरी

पराका ा पर पहचाया अब ऐस ठोस सबत खड़ा करना चािहए िक ब की ितभा का अःत हो जाय

उनहोन वया को दार िपलाकर जतवन भज िदया पीछ स ग डो की टोली वहा गई वया पर बलातकार आिद सब द कतय करक उसका गला घोट िदया और लाश को ब क बगीच म गाड़कर पलायन हो गय

लोगो न राजयस ा क ार खटखटाय थ लिकन स ावाल भी कछ लोग द ो क साथ जड़ हए थ ऐसा थोड़ ही ह िक स ा म बठ हए सब लोग दध म धोय हए वयि होत ह

राजा क अिधकािरयो क ारा जाच करन पर वया की लाश हाथ लगी अब द ो न जोर-शोर स िच लाना शर कर िदया

दखो हम पहल ही कह रह थ वया भी बोल रही थी लिकन तम भगतड़ लोग मानत ही नही थ अब दख िलया न ब न सही बात खल जान क भय स वया को मरवाकर बगीच म गड़वा िदया न रहगा बास न बजगी बासरी लिकन सतय कहा तक िछप सकता ह म ामाल हाथ लग गया इस ठोस सबत स ब की असिलयत िस हो गई सतय बाहर आ गया

लिकन उन मख का पता नही िक तमहारा बनाया हआ कि पत सतय बाहर आया वाःतिवक सतय तो आज ढाई हजार वषर क बाद भी वसा ही चमक रहा ह आज ब को लाखो लोग जानत ह आदरपवरक मानत ह उनका तजो ष करन वाल द लोग कौन-स नरको म जलत होग कया पता

ढाई हजार वषर पहल ब क जमान म भी सतो क साथ ऐसा घोर अनयाय हआ करता था ऋिष दयाननद को भी ऐस ही त वो न तजो ष क कारण बाईस बार िवष दकर मार डालन का यास िकया ःवामी िववकाननद और ःवामी रामतीथर क पीछ भी द लोगो न वया को तयार करक कीचड़ उछाला था

एक ओर लाखो-लाखो लोग सतो की अनभवय वाणी स अपना वयावहािरक ETH आधयाितमक जीवन उननत करक सख-शाित पात ह दसरी ओर कछ द कित क ःवाथ लोग अपना उ ल सीधा करन क िलए ऐस महापरषो क िवर म ष यऽ रचकर उनको बदनाम करत ह यह तो पहल स चला आ रहा ह सत कबीर हो या नानक एकनाथ महाराज हो या सत तकाराम नरिसह महता हो या मीराबाई ायः सभी सतो को अपन जीवन क दौरान समाज क किटल त वो स पाला पड़ता ही रहा ह जीसस बाइःट को इनही त वो न बॉस पर चढ़ाया था उनही लोगो न सकरात को जहर िपलाकर मतयद ड िदया था मनसर को इसी जमात न शली पर चढ़ाया था ईसाई धमर म माट न यथर पर ज म िकया गया था अण-अण म ई र और नारीमाऽ म जगजजननी भगवती का दशरन करन वाल रामकण परमहस को भी लोगो न नही

छोड़ा था परमहस योगाननद रवीनिनाथ टगोर माट न यथर दिकषण भारत क सत ितरव लवर जापानी झन सत बाबो इितहास म िकतन-िकतन उदाहरण मौजद ह

हािसद धमरगर बा शमटोव अित पिवऽ आतमा थ िननदको न उनक इदरिगदर भी मायाजाल िबछा दी थी िसध क साई टउराम क पास अस य लोग आतमक याण हत जान लग तब िवकत िदमागवालो न उन सत को भी ऽास दना शर कर िदया उनक आौम क चह ओर गदगी डाल दत और कए म िम टी का तल उड़लकर पानी बकार कर दत मगल बादशाह बाबर को बहका कर उनही लोगो न गर नानक को कद करवाया था

भगवान ौीराम एव ौीकण को भी द जनो न छोड़ा नही था भगवान ौीराम क गर विश जी महाराज कहत हः

ह राम जी म जब बाजार स गजरता ह तब अजञानी मखर लोग मर िलए कया बकत ह म सब जानता ह लिकन मरा दयाल ःवभाव ह म इन सबका क याण चाहता ह

तमहार साथ यह ससार कछ अनयाय करता ह तमको बदनाम करता ह िननदा करता ह तो यह ससार की परानी रीत ह मनय की हीनवि कचार िननदाखोरी यह आजकल की ही बात नही ह अनािदकाल स ऐसा होता आया ह तम अपन आतमजञान क सःकार जगाकर आतमबल का िवकास करत जाओ मःकरात जाओ आधी तफानो को लाघकर आननदपवरक जीत जाओ

उस जमान म भगवान ब क पास आकर एक िभकषक न ाथरना कीः भनत मझ आजञा द म सभाए भरगा आपक िवचारो का चार करगा

मर िवचारो का चार

हा भगवन म बौ धमर फलाऊगा

लोग तरी िननदा करग गािलया दग

कोई हजर नही म भगवन को धनयवाद दगा िक य लोग िकतन अचछ ह य कवल श दहार करत ह मझ पीटत तो नही

लोग तझ पीटग भी तो कया करोग

भो म शब गजारगा िक य लोग हाथो स पीटत ह पतथर तो नही मारत

लोग पतथर भी मारग और िसर भी फोड़ दग तो कया करगा

िफर भी म आ ःत रहगा और भगवान का िदवय कायर करता रहगा कयोिक व लोग मरा िसर फोड़ग लिकन ाण तो नही लग

लोग जनन म आकर तझ मार दग तो कया करगा

भनत आपक िदवय िवचारो का चार करत-करत म मर भी गया तो समझगा िक मरा जीवन सफल हो गया

उस कतिन यी िभकषक की दढ़ िन ा दखकर भगवान ब सनन हो उठ उस पर उनकी करणा बरस पड़ी

ऐस िशय जब ब का चार करन िनकल पड़ तब कचार करन वाल धीर-धीर शात हो गय मनयो की उगिलया काट-काटकर माला बनाकर पहनन वाला अगिलमाल जसा बर हतयारा भी दयपिरवतरन पाकर ब की शरण म िभकषक होकर रहन लगा

आज हम ब को बहत आदर स जानत ह मानत ह उनक जीवनकाल क दौरान उनक पीछ लग हए द लोग कौन स नरक म सड़त होग रौरव नरक म या कभीपाक नरक म कौन-सी योिनयो म भटकत होग सअर बन होग िक नाली क कीड़ बन होग शतान बन होग िक राकषस बन होग मझ पता नही लिकन ब तो करोड़ो दयो म बस रह ह यह म मानता ह

सतय तो परमाथर ह आतमा ह परमातमा ह उसम िजतना िटकोग उतना तमहारा मगल होगा तमहारी िनगाह िजन पर पड़गी उनका भी मगल होगा

(अनबम)

कछ जानन यो य बात सय दय स पवर उठकर ःनान कर लना चािहए ातः खाली पट मटक का बासी पानी

पीना ःवाःथयद ह तलसी क प सय दय क प ात ही तोड़ दध म तलसी क प नही डालन चािहए तथा

दध क साथ खान भी नही चािहए तलसी क प खाकर थोड़ा पानी पीना िपय जलनित स पिह सौ कार क लाभ होत ह अपन मिःतक म एक कार का िवजाितय

िवय उतपनन होता ह यिद वह िवय वही अटक जाता ह तो बचपन म ही बाल सफद होन लगत ह इसस नजल की बीमारी भी होती ह यिद वह िवय नाक की तरफ आता ह तो सगनध-दगरनध का पता नही चल पाता और ज दी-ज दी जकाम हो जाता ह यिद वह िवय कान की तरफ आता ह तो कान बहर होन लगत ह और छोट-मोट ब ीस रोग हो सकत ह यिद वह िवय दात की तरफ आय तो दात छोटी उ म ही िगरन लगत ह यिद आख की तरफ वह िवय उतर तो चम लगन लगत ह जलनित यािन नाक स पानी खीचकर मह स िनकाल दन स वह िवय िनकल जाता ह गल क ऊपर क ायः सभी रोगो स मि िमल जाती ह

आईसबीम खान क बाद चाय पीना दातो क िलए अतयािधक हािनकारक होता ह

भोजन को पीना चािहए तथा पानी को खाना चािहए इसका मतलब यह ह िक भोजन को इतना चबाओ िक वह पानी की तरह पतला हो जाय और पानी अथवा अनय पय पदाथ को धीर-धीर िपयो

िकसी भी कार का पय पदाथर पीना हो तो दाया नथना बनद करक िपय इसस वह अमत जसा हो जाता ह यिद दाया ःवर(नथना) चाल हो और पानी आिद िपय तो जीवनशि (ओज) पतली होन लगती ह चयर की रकषा क िलए शरीर को तनदरःत रखन क िलए यह योग करना चािहए

तम चाह िकतनी भी महनत करो िकनत िजतना तमहारी नसो म ओज ह चयर की शि ह उतन ही तम सफल होत हो जो चाय-कॉफी आिद पीत ह उनका ओज पतला होकर पशाब ारा न होता जाता ह अतः चयर की रकषा क िलए चाय-कॉफी जस वयसनो स दर रहना रह

पढ़न क बाद थोड़ी दर शात हो जाना चािहए जो पढ़ा ह उसका मनन करो िशकषक ःकल म जब पढ़ात हो तब धयान स सनो उस व मःती-मजाक नही करना चािहए िवनोद-मःती कम स कम करो और समझन की कोिशश अिधक करो

जो सय दय क पवर नही उठता उसक ःवभाव म तमस छा जाता ह जो सय दय क पवर उठता ह उसकी बि शि बढ़ती ह

नीद म स उठकर तरत भगवान का धयान करो आतमःनान करो धयान म रिच नही होती तो समझना चािहए िक मन म दोष ह उनह िनकालन क िलए कया करना चािहए

मन को िनद ष बनान क िलए सबह-शाम माता-िपता को णाम करना चािहए गरजनो को णाम करना चािहए एव भगवान क नाम का जप करना चािहए भगवान स ाथरना करनी चािहए िक ह भगवान ह मर भ मरी धयान म रिच होन लग ऐसी कपा कर दो िकसी समय गद िवचार िनकल आय तो समझना चािहए िक अदर छप हए िवचार िनकल रह ह अतः खश होना चािहए िवचार आया और गया मर राम तो दय म ही ह ऐसी भावना करनी चािहए

िनदा करना तो अचछा नही ह िकनत िनदा सनना भी उिचत नही (अनबम)

शयन की रीत मनय को िकस ढग स सोना चािहए इसका भी तरीका होता ह सोत व पवर अथवा

दिकषण िदशा की ओर िसर करक ही सोना चािहए

भोजन करन क बाद िदन म दस िमनट आराम कर िकनत सोय नही भोजन क बाद दस िमनट बायी करवट लट सकत ह रािऽ को जागरण िकया हो इस कारण स कभी िदन म सोना पड़ वह अलग बात ह

सोत व नीच कोई गमर कबल आिद िबछाकर सोय तािक आपकी जीवनशि अिथग न हो जाय आपक शरीर की िव तशि भिम म न उतर जाय

(अनबम)

ःनान का तरीका शरीर की मजबती एव आरो यता क िलए रगड़-रगड़कर ःनान करना चािहए जो लोग

ठड दशो म रहत ह उनका ःवाःथय गमर दस क लोगो की अपकषा अचछा होता ह ठडी स अपना शरीर सधरता ह

ःनान करत व 12-15 िलटर पानी बा टी म लकर पहल उसम िसर डबाना चािहए िफर पर िभगोना चािहए पहल पर गील नही करन चािहए शरीर की गम ऊपर की ओर चढ़ती ह जो ःवाःथय क िलए हािनकारक होती ह

अतः पहल ठड पानी की बा टी भर ल िफर मह म पानी भरकर िसर को बा टी म डाल और आख पटपटाए इसस आखो की शि बढ़ती ह शरीर को रगड़-रगड़कर नहाए बाद म गील व स शरीर को रगड़-रगड़कर पोछ िजसस रोम कप का सारा मल बाहर िनकल जाय और रोमकप(तवचा क िछि) खल जायय तवचा क िछि बद रहन स ही तवचा की कई बीमािरया होती ह िफर सख कपड़ स शरीर को पोछ कर (अथवा थोड़ा गीला हो तब भी चल) सख साफ व पहन ल व भल साद हो िकनत साफ हो बासी कपड़ नही पहन हमशा धल हए कपड़ ही पहन इसस मन भी सनन रहता ह

पाच कार क ःनान होत हः ःनान दवःनान ऋिषःनान मानवःनान दानवःनान ःनानः -परमातमा का िचतन करक जल थल नहान वाला

ऐसा िचतन करक ा महतर म नहाना इस ःनान कहत ह दवःनानः दवनिदयो म ःनान या दवनिदयो का ःमरण करक सय दय स पवर नहाना यह

दवःनान ह ऋिषःनानः आकाश म तार िदखत हो और नहा ल यह ऋिषःनान ह ऋिषःनान करन

वाल की बि बड़ी तजःवी होती ह मानवःनानः सय दय क पवर का ःनान मानवःनान ह

दानवःनानः सय दय क प ात चाय पीकर नाता करक आठ नौ बज नहाना यह दानव ःनान ह

अतः हमशा ऋिषःनान करन का ही यास करना चािहए (अनबम)

ःवचछता का धयान यिद शरीर की सफाई रखी जाय तो मन भी सनन रहता ह आजकल अिधकतर लोग

श स ही मजन करत ह श की अपकषा नीम और बबल की दातौन जयादा अचछ होती ह और यिद श भी कर तो कभी-कभार श को गमर पानी स धोना चािहए अनयथा उसम बकटिरया(जीवाण) रह जात ह

िकतन ही लोग उगली स दात साफ करत ह तजरनी (अगठ क पास वाली थम उगली) स दात िघसन स मसड़ कमजोर हो जात ह तथा दात ज दी िगर जात ह कयोिक तजरनी म िव तशि का माण दसरी उगिलयो की अपकषा अिधक होता ह अतः उसस दात नही िघसन चािहए एव आखो को भी नही मसलना चािहए

िजस िदशा स हवा आती हो उस िदशा की ओर मह करक कभी-भी मलमऽ का िवसजरन नही करना चािहए सयर और चनिमा की ओर मख करक भी मलमऽ का िवसजरन नही करना चािहए

(अनबम)

ःमरणशि का िवकास यादशि बढ़ान का एक सनदर योग ह ETH ामरी ाणायाम सखासन प ासन या

िस ासन पर बठ हाथ की कोहनी की ऊचाई कनध तक रह इस कार रखकर हाथ की थम उगली(तजरनी) स दोनो कानो को धीर-स बद कर एकदम जोर स बद न कर िकनत बाहर का कछ सनाई न द इस कार धीर स कान बनद कर

अब गहर ास लकर थोड़ी दर रोक ओठ बद रखकर जस मर का गजन होता ह वस ॐsssss कहत हए गजन कर उसक बाद थोड़ी दर तक ास न ल पनः यही िबया दहराय ऐसा सबह एव शाम 8 स 10 बार कर यादशि बढ़ान का यह यौिगक योग ह इसस मिःतक की नािड़यो का शोधन होकर मिःतक म र सचार उिचत ढग स होता ह

और िवचार करन स भी बि शि का िवकास होता ह

सबह खाली पट तलसी क प एकाध काली िमचर चबाकर एक िगलास पानी पीन स भी ःमरणशि का िवकास होता ह रोग-ितकारक शि बढ़ती ह कनसर की बीमारी कभी नही होती जलदर-भगदर की बीमारी भी कभी नही होती

(अनबम)

वयि तव और वयवहार िकसी भी वयि तव का पता उसक वयवहार स ही चलता ह कई लोग वयथर च ा करत

ह एक होती ह सकाम च ा दसरी होती ह िनकाम च ा और तीसरी होती ह वयथर च ा वयथर च ा नही करनी चािहए िकसी क शरीर म कोई कमी हो तो उसका मजाक नही उड़ाना चािहए वरन उस मददरप बनना चािहए यह िनकाम सवा ह

िकसी की भी िनदा नही करनी चािहए िनदा करन वाला वयि िजसकी िनदा करता ह उसका तो इतना अिहत नही होता िजतना वह अपना अिहत करता ह जो दसरो की सवा करता ह दसरो क अनकल होता ह वह दसरो का िजतना िहत करता ह उसकी अपकषा उसका खद का िहत जयादा होता ह

अपन स जो उ स बड़ हो जञान म बड़ हो तप म बड़ हो उनका आदर करना चािहए िजस मनय क साथ बात करत हो वह मनय कौन ह यह जानकर बात करो तो आप वयवहार-कशल कहलाओग

िकसी को पऽ िलखत हो तो यिद अपन स बड़ हो तो ौी सबोधन करक िलखो सबोधन करन स सवाकयो की रचना स िश ता बढ़ती ह िकसी स बात करो तो सबोधन करक बात करो जो तकार स बात करता ह वह अिश कहलाता ह िश तापवरक बात करन स अपनी इजजत बढ़ती ह

िजसक जीवन म वयवहार-कशलता ह वह सभी कषऽो म सफल होता ह िजसम िवनता ह वही सब कछ सीख सकता ह िवनता िव ा बढ़ाती ह िजसक जीवन म िवनता नही ह समझो उसक सब काम अधर रह गय और जो समझता ह िक म सब कछ जानता ह वह वाःतव म कछ नही जानता

एक िचऽकार अपन गरदव क सममख एक सनदर िचऽ बनाकर लाया गर न िचऽ दखकर कहाः

वाह वाह सनदर ह अदभत ह

िशय बोलाः गरदव इसम कोई ऽिट रह गयी हो तो कपा करक बताइए इसीिलए म आपक चरणो म आया ह

गरः कोई ऽिट नही ह मझस भी जयादा अचछा बनाया ह

वह िशय रोन लगा उस रोता दखकर गर न पछाः तम कयो रो रह हो म तो तमहारी शसा कर रहा ह

िशयः गरदव मरी घड़ाई करन वाल आप भी यिद मरी शसा ही करग तो मझ मरी गि तया कौन बतायगा मरी गित कस होगी

यह सनकर गर अतयत सनन हो गय हमन िजतना जाना िजतना सीखा ह वह तो ठ क ह उसस जयादा जान सक सीख सक

ऐसा हमारा यास होना चािहए रामकण परमहस व हो गय थ िकसी न उनस पछाः बाबा जी आपन सब कछ जान

िलया ह

रामकण परमहसः नही म जब तक जीऊगा तब तक िव ाथ ही रहगा मझ अभी बहत कछ सीखना बाकी ह

िजनक पास सीखन को िमल उनस िवनतापवरक सीखना चािहए जो कछ सीखो सावधानीपवरक सीखो जीवन म िवनोद जररी ह िकनत िवनोद की अित न हो िजस समय पढ़त हो कछ सीखत हो कछ करत हो उस समय मःती नही िवनोद नही वरन जो कछ पढ़ो सीखो या करो उस उतसाह स धयान स और सावधानी स करो

पढ़न स पवर थोड़ धयानःथ हो जाओ पढ़न क बाद मौन हो जाओ यह गित की चाबी ह

माता-िपता स िचढ़ना नही चाह िजस मा-बाप न जनम िदया ह उनकी बातो को समझना चािहए अपन िलए उनक मन म िवशष दया हो िवशष म उतपनन हो ऐसा वयवहार करना चािहए

भल जाओ भल सब कछ माता-िपता को भलना नही अनिगनत उपकार ह उनक यह कभी िबसरना नही

माता-िपता को सतोष हो उनका दय सनन हो ऐसा हमारा वयवहार होना चािहए अपन माता-िपता एव गरजनो को सत रखकर ही हम सचची गित कर सकत ह

(अनबम)

  • पजय बाप जी का उदबोधन
  • कदम अपना आग बढाता चला जा
  • त गलाब होकर महक
  • जीवन विकास का मल सयम
  • तरिकाल सधया
  • शरीर सवासथय
  • अनन का परभाव
  • भारतीय ससकति की महानता
  • हरिदास की हरिभकति
  • बनावटी शरगार स बचो
  • साहसी बालक
  • गर-आजञापालन का चमतकार
  • अनोखी गरदकषिणा
  • सतसग की महिमा
  • पीड पराई जान र
  • विकास क बरियो स सावधान
  • कछ जानन योगय बात
  • शयन की रीत
  • सनान का तरीका
  • सवचछता का धयान
  • समरणशकति का विकास
  • वयकतितव और वयवहार
Page 14: Tu gulabhokarmehak

चारो भाई यिधि र क िशिवर स बाहर चल गय िफर दय धन न यिधि र स पछाः यिधि र महाराज पाच-पाच िदन हो गय ह हमार कौरव-पकष क लोग ही मर रह ह

िकनत आप लोगो का बाल तक बाका नही होता कया बात ह चाह तो दवोत भीम तफान मचा सकत ह

यिधि रः हा मचा सकत ह

दय धनः व चाह तो भीण य कर सकत ह पर नही कर रह ह कया आपको लगता ह िक व मन लगाकर य नही कर रह ह

सतयवादी यिधि र बोलः हा गगापऽ भीम मन लगाकर य नही कर रह ह

दय धनः भीम िपतामह मन लगाकर य नही कर रह ह इसका कया कारण होगा

यिधि रः व सतय क पकष म ह व पिवऽ आतमा ह अतः समझत ह िक कौन सचचा ह और कौन झठा कौन धमर म ह तथा कौन अधमर म व धमर क पकष म ह इसिलए उनका जी चाहता ह िक पाडव पकष की जयादा खन-खराबी न हो कयोिक व सतय क पकष म ह

दय धनः व मन लगाकर य कर इसका उपाय कया ह

यिधि रः यिद व सतय ETH धमर का पकष छोड़ दग उनका मन ग त जगह हो जाएगा तो िफर व य करग

दय धनः उनका मन य म कस लग

यिधि रः यिद व िकसी पापी क घर का अनन खायग तो उनका मन य म लग जाएगा

दय धनः आप ही बताइय िक ऐसा कौन सा पापी होगा िजसक घर का अनन खान स उनका मन सतय क पकष स हट जाय और व य करन को तयार हो जाय

यिधि रः सभा म भीम िपतामह गर िोणाचायर जस महान लोग बठ थ िफर भी िोपदी को न न करन की आजञा और जाघ ठोकन की द ता तमन की थी ऐसा धमर-िवर और पापी आदमी दसरा कहा स लाया जाय तमहार घर का अनन खान स उनकी मित सतय और धमर क पकष स नीच जायगी िफर व मन लगाकर य करग

दय धन न यि पा ली कस भी करक कपट करक अपन यहा का अनन भीम िपतामह को िखला िदया भीम िपतामह का मन बदल गया और छठव िदन स उनहोन घमासान य करना आरभ कर िदया

कहन का तातपयर यह ह िक जसा अनन होता ह वसा ही मन होता ह भोजन कर तो श भोजन कर मिलन और अपिवऽ भोजन न कर भोजन क पहल हाथ-पर जरर धोय भोजन साितवक हो पिवऽ हो सननता दन वाला हो तनदरःती बढ़ान वाला हो

आहारश ौ स वशि ः

िफर भी ठस-ठस कर भोजन न कर चबा-चबाकर ही भोजन कर भोजन क समय शात एव सननिच रह भ का ःमरण कर भोजन कर जो आहार खान स हमारा शरीर तनदरःत रहता हो वही आहार कर और िजस आहार स हािन होती हो ऐस आहार स बच खान-पान म सयम स बहत लाभ होता ह

भोजन महनत का हो साि वक हो लहसन याज मास आिद और जयादा तल-िमचर-मसाल वाला न हो उसका िनिम अचछा हो और अचछ ढग स सनन होकर भगवान को भोग लगाकर िफर भोजन कर तो उसस आपका भाव पिवऽ होगा र क कण पिवऽ होग मन पिवऽ होगा िफर सधया-ाणायाम करग तो मन म साि वकता बढ़गी मन म सननता तन म आरो यता का िवकास होगा आपका जीवन उननत होता जायगा

महनत मजदरी करक िवलासी जीवन िबताकर या कायर होकर जीन क िलय िज़दगी नही ह िज़दगी तो चतनय की मःती को जगाकर परमातमा का आननद लकर इस लोक और परलोक म सफल होन क िलए ह मि का अनभव करन क िलए िज़दगी ह

भोजन ःवाःथय क अनकल हो ऐसा िवचार करक ही महण कर तथाकिथत वनःपित घी की अपकषा तल खाना अिधक अचछा ह वनःपित घी म अनक रासायिनक पदाथर डाल जात ह जो ःवाःथय क िलए िहतकर नही होत ह

ए यमीिनयम क बतरन म खाना यह पट को बीमार करन जसा ह उसस बहत हािन होती ह कनसर तक होन की समभावना बढ़ जाती ह ताब पीतल क बतरन कलई िकय हए हो तो अचछा ह ए यमीिनयम क बतरन म रसोई नही बनानी चािहए ए यमीिनयम क बतरन म खाना भी नही चािहए

आजकल अ ड खान का चलन समाज म बहत बढ़ गया ह अतः मनयो की बि भी वसी ही हो गयी ह वजञािनको न अनसधान करक बताया ह िक 200 अ ड खान स िजतना िवटािमन सी िमलता ह उतना िवटािमन सी एक नारगी (सतरा) खान स िमल जाता ह िजतना ोटीन कि शयम अ ड म ह उसकी अपकषा चन मग मटर म एयादा ोटीन ह टमाटर म अ ड स तीन गणा कि शयम एयादा ह कल म स कलौरी िमलती ह और भी कई िवटािमनस कल म ह

िजन ािणयो का मास खाया जाता ह उनकी हतया करनी पड़ती ह िजस व उनकी हतया की जाती ह उस व व अिधक स अिधक अशात िखनन भयभीत उि न और ब होत ह अतः मास खान वाल को भी भय बोध अशाित उ ग इस आहार स िमलता ह शाकाहारी भोजन म सपाचय तत होत ह मास म व नही होत अतः मासाहारी भोजन को पचान क जीवन शि का एयादा वयय होता ह ःवाःथय क िलय एव मानिसक शाित आिद क िलए प यातमा होन की दि स भी शाकाहारी भोजन ही करना चािहए

शरीर को ःथल करना कोई बड़ी बात नही ह और न ही इसकी ज़ररत ह लिकन बि को सआम करन की ज़ररत ह आहार यिद साि वक होगा तो बि भी सआम होगी इसिलए सदव साि वक भोजन ही करना चािहए

(अनबम)

भारतीय सःकित की महानता रवरनड ऑवर नाम का एक पादरी पना म िहनद धमर की िननदा और ईसाइयत का चार

कर रहा था तब िकसी सजजन न एक बार रवरनड ऑवर स कहाः आप िहनद धमर की इतनी िननदा करत हो तो कया आपन िहनद धमर का अधययन िकया

ह कया भारतीय सःकित को परी तरह स जानन की कोिशश की ह आपन कभी िहनद धमर को समझा ही नही जाना ही नही ह िहनद धमर म तो ऐस जप धयान और सतसग की बात ह िक िजनह अपनाकर मनय िबना िवषय-िवकारी क िबना िडःको डास(नतय) क भी आराम स रह सकता ह आनिदत और ःवःथ रह सकता ह इस लोक और परलोक दोनो म सखी रह सकता ह आप िहनद धमर को जान िबना उसकी िनदा करत हो यह ठ क नही ह पहल िहनद धमर का अधययन तो करो

रवरनड ऑवर न उस सजजन की बात मानी और िहनद धमर की पःतको को पढ़न का िवचार िकया एकनाथजी और तकारामजी का जीवन चिरऽ जञान र महाराज की योग सामथयर की बात और कछ धािमरक पःतक पढ़न स उस लगा िक भारतीय सःकित म तो बहत खजाना ह मनय की जञा को िदवय करन की मन को सनन करन की और तन क र कणो को भी बदलन की इस सःकित म अदभत वयवःथा ह हम नाहक ही इन भोल-भाल िहनदःतािनयो को अपन चगल म फसान क िलए इनका धमरपिरवतरन करवात ह अर हम ःवय तो अशािनत की आग म जल ही रह ह और इनह भी अशात कर रह ह

उसन ायि -ःवरप अपनी िमशनरी रो तयागपऽ िलख भजाः िहनदःतान म ईसाइयत फलान की कोई ज़ररत नही ह िहनद सःकित की इतनी महानता ह िवशषता ह िक ईसाइय को चािहए िक उसकी महानता एव सतयता का फायदा उठाकर अपन जीवन को साथरक बनाय िहनद धमर की सतयता का फायदा दश-िवदश म पहच मानव जाित को सख-शाित िमल इसका यास हम करना चािहए

म भारतीय इितहास सशोधन म डल क मर आठ लाख डॉलर भट करता ह और तमहारी िमशनरी को सदा क िलए तयागपऽ दकर भारतीय सःकित की शरण म जाता ह

जस रवर ड ऑवर न भारतीय सःकित का अधययन िकया ऐस और लोगो को भी जो िहनद धमर की िनदा करत ह भारतीय सःकित का पकषपात और पवरमहरिहत अधययन करना चािहए मनय की सष शि या व आनद जगाकर ससार म सख-शाित आनद सननता का चार-सार करना चािहए

मा सीता की खोज करत-करत हनमान जामबत अगद आिद ःवयभा क आौम म पहच उनह जोरो की भख और यास लगी थी उनह दखकर ःवयभा न कह िदया िकः

कया तम हनमान हो ौीरामजी क दत हो सीता जी की खोज म िनकल हो

हनमानजी न कहाः हा मा हम सीता माता की खोज म इधर तक आय ह

िफर ःवयभा न अगद की ओर दखकर कहाः तम सीता जी को खोज तो रह हो िकनत आख बद करक खोज रह हो या आख

खोलकर

अगद जरा राजवी परष था बोलाः हम कया आख बनद करक खोजत होग हम तो आख खोलकर ही माता सीता की खोज कर रह ह

ःवयभा बोलीः सीताजी को खोजना ह तो आख खोलकर नही बद करक खोजना होगा सीता जी अथारत भगवान की अधािगनी सीताजी यानी िव ा आतमिव ा िव ा को खोजना ह तो आख खोलकर नही आख बद करक ही खोजना पड़गा आख खोलकर खोजोग तो सीताजी नही िमलगी तम आख बनद करक ही सीताजी ( िव ा) को पा सकत हो ठहरो म तमह बताती ह िक सीता जी कहा ह

धयान करक ःवयभा न बतायाः सीताजी यहा कही भी नही वरन सागर पार लका म ह अशोकवािटका म बठ ह और राकषिसयो स िघरी ह उनम िऽजटा नामक राकषसी ह तो रावण की सिवका िकनत सीताजी की भ बन गयी ह सीताजी वही रहती ह

वारन सोचन लग िक भगवान राम न तो एक महीन क अदर सीता माता का पता लगान क िलए कहा था अभी तीन स ाह स एयादा समय तो यही हो गया ह वापस कया मह लकर जाए सागर तट तक पहचत-पहचत कई िदन लग जाएग अब कया कर

उनक मन की बात जानकर ःवयभा न कहाः िचनता मत करो अपनी आख बद करो म योगबल स एक कषण म तमह वहा पहचा दती ह

हनमान अगद और अनय वानर अपनी आख बनद करत ह और ःवयभा अपनी योगशि स उनह सागर-तट पर कछ ही पल म पहचा दती ह

ौीरामचिरतमानस म आया ह िक ETH

ठाड़ सकल िसध क तीरा ऐसी ह भारतीय सःकित की कषमता

अमिरका को खोजन वाला कोलबस पदा भी नही हआ था उसस पाच हजार वषर पहल अजरन सशरीर ःवगर म गया था और िदवय अ लाया था ऐसी यो यता थी िक धरती क राजा खटवाग दवताओ को मदद करन क िलए दवताओ का सनापितपद सभालत थ ितःमित-िव ा चाकषषी िव ा परकायावश िव ा अ िसि िव ा एव नविनिध ा करान वाली योगिव ा और जीत-जी जीव को बनान वाली िव ा यह भारतीय सःकित की दन ह अनय जगह यह नही िमलती भारतीय सःकित की जो लोग आलोचना करत ह उन बचारो को तो पता ही नही ह िक भारतीय सःकित िकतनी महान ह

गर तगबहादर बोिलयो सनो सीखो बड़भािगयो धड़ दीज धमर न छोिड़य

यवनो न गर गोिबनदिसह क बटो स कहाः तम लोग मसलमान हो जाओ नही तो हम तमह िज़नदा ही दीवार म चनवा दग

बट बोलः हम अपन ाण द सकत ह लिकन अपना धमर नही तयाग सकत

बरो न उन दोनो को जीत-जी दीवार म चनवा िदया जब कारीगर उनह दीवार म चनन लग तब बड़ा भाई बोलता हः धमर क नाम यिद हम मरना ही पड़ता ह तो पहल मरी ओर ट बढ़ा दो तािक म छोट भाई की मतय न दख

छोटा भाई बोलता हः नही पहल मरी ओर ईट बढ़ा दो

कया साहसी थ कया वीर थ वीरता क साथ अपन जीवन का बिलदान कर िदया िकनत धमर न छोड़ा आजकल क लोग तो अपन धमर और सःकित को ही भलत जा रह ह कोई लवर-लवरी धमरपिरवतरन करक लवमरज करत ह अपना िहनद धमर छोड़कर फस मरत ह यह भी कोई िज़नदगी ह भगवान ौीकण कहत ह ETH

ःवधम िनधन ौय परधम भयावहः अपन धमर म मर जाना अचछा ह पराया धमर दःख दन वाला ह भयावह ह नरको म ल

जान वाला ह इसिलए अपन ही धमर म अपनी ही सःकित म जो जीता ह उसकी शोभा ह रवर ड ऑवर न भारतीय सःकित का खब आदर िकया एफ एच मोलम न महातमा

थोरो एव अनय कई पा ातय िचनतको न भी भारतीय सःकित का बहत आदर िकया ह उनक कछ उदगार यहा ःतत हः

बाईबल का मन यथाथर अ यास िकया ह उसम जो िदवय िलखा ह वह कवल गीता क उ रण क रप म ह म ईसाई होत हए भी गीता क ित इतना सारा आदरभाव इसिलए रखता ह िक िजन गढ़ ो का समाधान पा ातय लोग अभी तक नही खोज पाय ह उनका समाधान गीतामनथ न श एव सरल रीित स कर िदया ह उसम कई सऽ अलौिकक उपदशो स भरपर

लग इसीिलए गीता जी मर िलए साकषात योग री माता बन रही ह वह तो िव क तमाम धन स भी नही खरीदा जा सक ऐसा भारतवषर का अम य खजाना ह

- एफ एच मोलम (इगल ड) ाचीन यग की सवर रमणीय वःतओ म गीता स ौ कोई वःत नही ह गीता म ऐसा

उ म और सवरवयापी जञान ह िक उसक रचियता दवता को अस य वषर हो गय िफर भी ऐसा दसरा एक भी मनथ नही िलखा गया

महातमा थोरो (अमिरका) धमर क कषऽ म अनय सब दख दिरि ह जबिक भारत इस िवषय म अरबपित ह

माकर टवन (यएसए) इस पथवी पर सवारिधक पणर िवकिसत मानवजञा कहा ह और जीवन क मह म ो क

हल िकसन खोज ह ऐसा अगर मझस पछा जाए तो म अगिलिनदश करक कहगा िक भारत न ही

मकसमलर (जमरनी) वदानत जसा ऊधवरगामी एव उतथानकारी और एक भी धमर या त वजञान नही ह

शोपनहोअर (जमरनी) िव भर म कवल भारत ही ऐसी ौ महान परमपराए रखता ह जो सिदयो तक जीिवत

रही ह

कनो (ानस) मनय जाित क अिःततव क सबस ारिमभक िदनो स लकर आज तक जीिवत मनय

क तमाम ःव न अगर कही साकार हए हो तो वह ःथान ह भारत

रोमा रोला (ास) भारत दश समपणर मानव जाित की मातभिम ह और सःकत यरोप की सभी भाषाओ की

जननी ह भारत हमार त वजञान गिणतशा एव जनतऽ की जननी ह भारतमाता अनक रप स सभी की जननी ह

िवल डरानट (यएसए) भारतीय सःकित की महानता का एहसास करन वाल इन सब िवदशी िचनतको को हम

धनयवाद दत ह एक बार महातमा थोरो सो रह थ इतन म उनका िशय एमसरन आया दखा िक वहा

साप और िबचछ घम रह ह गरजी क जागन पर एमसरन बोलाः गरदव यह जगह बड़ी खतरनाक ह म िकसी सरिकषत जगह पर आपकी वयवःथा करवा

दता ह

महातमा थोरो बोलः नही नही िचनता करन की कोई ज़ररत नही ह मर िसरहान पर ौीमदभगवदगीता ह भगवदगीता क जञान क कारण तो मझ साप म िबचछ म सबम मरा ही आतमा-परमातमा िदखता ह व मझ नही काटत ह तो म कही कयो जाऊ

िकतनी कह गीता की महानता यही ह भारतीय सःकित की मिहमा अदभत ह उसकी महानता लाबयान ह उसकी मिहमा

(अनबम)

हिरदास की हिरभि सात वष य गौर वणर क गौराग बड़-बड़ िव ान पिडतो स ऐस-ऐस करत थ िक व

दग रह जात थ इसका कारण था गौराग की हिरभि बड़ होकर उनहोन लाखो लोगो को हिरभि म रग िदया

जो हिरभ होता हिर का भजन करता उसकी बि अचछ मागर पर ही जाती ह लोभी वयि पसो क िलए हसता-रोता ह पद एव कस क तो िकतन ही लोग हसत रोत ह पिरवार क िलए तो िकतन ही मोही हसत रोत ह िकनत धनय ह व जो भगवान क िलए रोत हसत ह भगवान क िवरह म िजस रोना आया ह भगवान क िलए िजसका दय िपघलता ह ऐस लोगो का जीवन साथरक हो जाता ह भागवत म भगवान ौीकण उ व स कहत ह-

वाग गदगदा िवत यःय िच

रदतयभीआण हसित कविचचच िवलजज उदगायित नतयत च

मदभि य ो भवन पनाित िजसकी वाणी गदगद हो जाती ह िजसका िच ििवत हो जाता ह जो बार-बार रोन

लगता ह कभी लजजा छोड़कर उचच ःवर स गान लगता ह कभी नाचन लगता ह ऐसा मरा भ समम ससार को पिवऽ करता ह (ौीमदभागवतः 111424)

धनय ह वह मसलमान बालक जो गौराग क कीतरन म आता ह और िजसन गौराग स मऽदीकषा ली ह

उस मसलमान बालक का नाम हिरदास रखा गया मसलमान लोगो न उस हिरभ हिरदास को फसलान की बहत च ा की बहत डराया िक त गौराग क पास जाना छोड़ द नही तो हम यह करग वह करग िकनत हिरदास बहका नही उसका भय न हो गया था दमरित दर हो चकी थी उसकी सदबि और िन ा भगवान क धयान म लग गयी थी भयनाशन दमरित हरण किल म हिर को नाम यह नानक जी का वचन मानो उसक जीवन म साकार हो उठा था

काज़ी न षडयऽ करक उस पर कस िकया और फरमान जारी िकया िक हिरदास को बत मारत-मारत बीच बाजार स ल जाकर यमना म डाल िदया जाय

िनभ क हिरदास न बत की मार खाना ःवीकार िकया िकनत हिरभि छोड़ना ःवीकार न िकया िनि त िदन हिरदास को बत मारत हए ल जाया जान लगा िसपाही बत मारता ह तो हिरदास बोलता हः हिर बोल

हमको हिर बोल बलवाता ह य ल हिर बोल हिर बोल (सटाकसटाक) िसपाही बोलत हः हम तझ बत मारत ह तो कया तझ पीड़ा नही होती त हमस भी हिर

बोल हिर बोल करवाना चाहता ह

हिरदासः पीड़ा तो शरीर को होती ह म तो आतमा ह मझ तो पीड़ा नही होती तम भी यार स एक बार हिर बोल कहो

िसपाहीः ह हम भी हिर बोल कह हमस हिर बोल बलवाता ह ल य हिर बोल (सटाक)

हिरदास सोचता ह िक बत मारत हए भी तो य लोग हिर बोल कह रह ह चलो इनका क याण होगा िसपाही बत मारत जात ह सटाक सटाक और हिरदास हिर बोल बोलता भी जाता ह बलवाता भी जाता ह हिरदास को कई बत पड़न पर भी उसक चहर पर दःख की रखा तक नही िखचती

हवालदार पछता हः हिरदास तझ बत पड़न क बावजद भी तरी आखो म चमक ह चहर पर धयर शाित और सननता झलक रही ह कया बात ह

हिरदासः म बोलता ह हिर बोल तब िसपाही ब होकर भी कहत हः ह हमस भी बलवाता ह हिर बोल हिर बोल हिर बोल तो ल इस बहान भी उनक मह स हिरनाम िनकलता ह दर सवर उनका भी क याण होगा इसी स मर िच म सननता ह

धनय ह हिरदास की हिरभि बर काज़ी क आदश का पालन करत हए िसपाही उस हिरभि स िहनद धमर की दीकषा स चयत करन क िलए बत मारत ह िफर भी वह िनडर हिरभि नही छोड़ता हिर बोल बोलना बद नही करता

व मसलमान िसपाही हिरदास को िहनद धमर की दीकषा क भाव स गौरा क भाव स दर हटाना चाहत थ लिकन वह दर नही हटा बत सहता रहा िकनत हिर बोल बोलना न छोड़ा आिखरकार उन बर िसपाहीयो न हिरदास को उठाकर नदी म बहा िदया

नदी म तो बहा िदया लिकन दखो हिरनाम का भाव मानो यमनाजी न उसको गोद म ल िलया डढ़ मील तक हिरदास पानी म बहता रहा वह शातिच होकर मानो उस पानी म नही हिर की कपा म बहता हआ दर िकसी गाव क िकनार िनकला दसर िदन गौराग की भातफरी म शािमल हो गया लोग आ यरचिकत हो गय िक चमतकार कस हआ

धनय ह वह मसलमान यवक हिरदास जो हिर क धयान म हिर क गान म हिर क कीतरन म गौराग क साथ रहा जस िववकाननद क साथ भिगनी िनविदता न भारत म अधयातम-धणर क चार म लगकर अपना नाम अमर कर िदया वस ही इस मसलमान यवक न हिरकीतरन म हिरधयान म अपना जीवन धनय कर िदया दजरन लोग हिरदास का बाल तक न बाका कर सक जो सचच दय स भगवान का हो जाता ह उसकी हजारो शऽ िमलकर भी कछ हािन नही कर सकत तो उस काज़ी की कया ताकत थी

लोगो न जाकर काज़ी स कहा िक आज हिरदास पनः गौराग की भातफरी म उपिःथत हो गया था काजी अतयनत अहकारी था उसन एक नोिटस भजा एक आदश चतनय महाभ (गौराग) को भजा िक कल स तम भातफरी नही िनकाल सकत तमहारी भातफरी पर बिदश लगाई जाती ह

गौराग न सोचा िक हम िकसी का बरा नही करत िकसी को कोई हािन नही पहचात अर वायम डल क दषण को दर करन क िलए तो शासन पस खचर करता ह िकनत िवचारो क दषण को दर करन क िलए हिरकीतरन जसा हिरभि जसा अमोघ उपाय कौन सा ह भल काजी और शासन की समझ म आय या न आय वातावरण को श करन क साथ-साथ िवचारो का दषण भी दर होना चािहए हम तो कीतरन करग और करवायग

जो लोग डरपोक थ भीर और कायर थ ढील-ढाल थ व बोलः बाबा जी रहन दो रहन दो अपना कया जो करग व भरग अपन तो घर म ही रहकर हिर ॐ हिर ॐ करग

गौराग न कहाः नही इस कार कायरो जसी बात करना ह तो हमार पास मत आया करो

दसर िदन जो डरपोक थ ऐस पाच-दस वयि नही आय बाकी क िहममतवाल िजतन थ व सब आय उनह दखकर और लोग भी जड़

गौराग बोलः आज हमारी भातफरी की पणारहित काजी क घर पर ही होगी

गौराग भ -म डली क साथ कीतरन करत-करत जब बाजार स गज़र तो कछ िहनद एव मसलमान भी कीतरन म जड़ गय उनको भी कीतरन म रस आन लगा व लोग काजी को गािलया दन लग िक काजी बदमाश ह ऐसा ह वसा ह आिद ETH आिद

तब गौराग कहत हः नही शऽ क िलए भी बरा मत सोचो

उनहोन सबको समझा िदया िक काजी क िलए कोई भी अपश द नही कहगा कसी महान ह हमारी िहनद सःकित िजसन हिरदास को बत मारन का आदश िदया उस कवल अपश द कहन क िलए भी गौराग मना कर रह ह इस भारती सःकित म िकतनी उदारता ह स दयता ह लिकन कायरता को कही भी ःथान नही ह

गौराग कीतरन करत-करत काजी क घर क िनकट पहच गय काजी घर की छत पर स इस भातफरी को दखकर दग रह गया िक मर मना करन पर भी इनहोन भातफरी िनकाली

और मर घर तक ल आय उसम मसलमान लड़क भी शािमल ह जयो ही वह भातफरी काजी क घर पहची काजी घर क अनदर िछप गया

गौराग न काजी का ार खटखटाया तब काजी या काजी की प ी न नही वरन चौकीदार न दरवाजा खोला वह बोलाः

काजी साहब घर पर नही ह

गौराग बोलः नही कस ह अभी तो हमन उनह घर की छत पर दखा था काजी को जाकर बोलो हमार मामा और मा भी िजस गाव की ह आप भी उसी गाव क हो इसिलए आप मर गाव क मामा लगत ह मामाजी भानजा ार पर आय और आप छप कर बठ यह शोभा नही दता बाहर आ जाईय

चौकीदार न जाकर काजी को सब कह सनाया गौराग क मभर वचन सनकर काजी का दय िपघल गया िजस पर मन ज म ढाय वह मझ मामा कहकर सबोिधत करता ह िजसक साथ मन बरता की वह मर साथ िकतना औदायर रखता ह यह सोचकर काजी का दय बदल गया वह ार पर आकर बोलाः

म तमस डरकर अनदर नही छपा कयोिक मर पास तो स ा ह कलम की ताकत ह लिकन हिरकीतरन स हिरनाम स िहनद तो कया मसलमान लड़क भी आनिदत हो रह ह उनका भी लह पिवऽ हो रहा ह यह दखकर मझ दःख हो रहा ह िक िजस नाम क उचचारण स उनकी रग-रग पावन हो रही ह उसी नाम क कारण मन हिरदास पर और तम पर ज म िकया िकसी क बहकाव म आकर तम लोगो पर फरमान जारी िकया अब म िकस मह स तमहार सामन आता इसीिलए म मह िछपाकर घर क अनदर घस गया था

भानजा(गौराग) बोलता हः मामा अब तो बाहर आ जाइय

मामा(काजी) बोलाः बाहर आकर कया कर

गौरागः कीतरन कर हिरनाम क उचचारण स छपी हई यो यता िवकिसत कर आनद गट कर

काजीः कया करना होगा

गौरागः म जसा बोलता ह ऐसा ही बोलना होगा बोिलएः हिर बोल हिर बोल

काजीः हिर बोल हिर बोल

गौरागः हिर बोल हिर बोल

काजीः हिर बोल हिर बोल

हिर बोल हिर बोल हिर बोल हिर बोल

हिर बोल हिर बोल हिर बोल हिर बोल

कीतरन करत-करत गौराग न अपनी िनगाहो स काजी पर कपा बरसाई तो काजी भी झमन लगा उस भी हिर बोल का रग लग गया जस इजन को ह डल दकर छोड़ दत ह तब भी इजन चलता रहता ह ऐस ही गौराग की कपादि स काजी भी झमन लगा

काजी क झमन स वातावरण म और भी रग आ गया काजी तो झम गया काजी की प ी भी झमी और चौकीदार भी झम उठा सब हिरकीतरन म झमत-झमत अपन र को पावन करन लग दय को हिररस स सराबोर करन लगा उनक जनम-जनम क पाप-ताप न होन लग िजस पर भगवान की दया होती ह िजसको साधओ का सग िमलता ह सतसग का सहारा िमलता ह और भारतीय सःकित की महानता को समझन की अकल िमलती ह िफर उसक उ ार म कया बाकी रह जाता ह काजी का तो उ ार हो गया

दखो सत की उदारता एव महानता िजसन िहनदओ पर ज म करवाय भ हिरदास को बत मरवात-मरवात यमना जी म डलवा िदया भातफरी पर ितबध लगवा िदया उसी काजी को गौराग न हिररग म रग िदया अपनी कपादि स िनहाल कर िदया उसक बर कम की धयान न दत हए भि का दान द िदया ऐस गौराग क ौीचरणो म हमार हजार-हजार णाम ह हम उस मसलमान यवक हिरदास को भी धनयवाद दत ह िक उसन बत खात पीड़ा सहत भी भि न छोड़ी गरदव को न छोड़ा न ही उनक दबाव म आकर पनः मसलमान बना हिर बोल क रग म ःवय रगा और िसपािहयो को भी रग िदया धनय ह हिरदास और उसकी हिरभि

(अनबम)

बनावटी ौगार स बचो जमरनी क िस दाशरिनक शोपनहार कहत ह िक िजन दशो म हिथयार बनाय जात ह

उन दशो क लोगो को य करन की उ जना होती ह और उन दशो म हिथयार बनत ही रहत ह य भी होत रहत ह ऐस ही जो लोग फशन करत ह उनक दय म काम बोध लोभ मोह रपी य होता ही रहता ह उनक जीवन म िवलािसता आती ह और पतन होता ह वस ही फशन और िवलािसता स सयम सदाचार और यो यता का सहार होता ह

इसिलए य क साधन बढ़न स जस य होता ह वस ही िवलािसता और फशन क साधनो का उपयोग करन स अतयर होता ह अपनी आितमक शि यो का सहार होता ह अतः अपना भला चाहन वाल भाई-बहनो को पफ-पाउडर िलपिःटक-लाली व -अलकार क िदखाव क पीछ नही पड़ना चािहए सयम सादगी एव पिवऽतापणर जीवन जीना चािहए

अपन शा ो म ौगार की अनमित दी गई ह सौभा यवती ि या जब पित अपन ही नगर म हो घर म हो तब ौगार कर पित यिद दर दश गया हो तब सौभा यवित ि यो को भी सादगीपणर जीवन जीना चािहए ौगार क उपयोग म आनवाली वःतए भी वनिःपतयो एव साि वक रसो स बनी हई होनी चािहए जो सननता और आरो यता दान कर

आजकल तो शरीर म उ जना पदा कर बीमािरया पदा कर ऐस किमक स(रसायनो) और जहर जस साधनो स ौगार-साधन बनाए जात ह िजसस शरीर क अनदर जहरील कण जात ह और तवचा की बीमािरया होती ह आहार म भी जहरील कणो क जान स पाचन-तऽ और मानिसक सतलन िबगड़ता ह साथ ही बौि क एव वचािरक सतलन भी िबगड़ता ह

पशओ की चब किमक स और दसर थोड़ जहरील िवयो स बन पफ-पाउडर िलपिःटक-लाली आिद िजन साधनो का यटी-पालरर म उपयोग िकया जाता ह वसी गदगी कभी-भी अपन शरीर को तो लगानी ही नही चािहए दसर लोगो न लगायी हो तो दखकर सनन भी नही होना चािहए अपन सयम और सदाचार की सनदरता को गट करना चािहए मीरा और शबरी िकस यटी-पालरर म गय थ सती अनसया गाग और मदालसा न िकस पफ-पाउडर लाली-िलपिःटक का उपयोग िकया था िफर भी उनका जीवन सनदर तजःवी था हम भी ई र स ाथरना कर िक ह भगवान हम अपना सयम और साधना का सौनदयर बढ़ाए ऐसी त दया करना िवकारी सौनदयर स अपन को बचाकर िनिवरकारी नारायण की ओर जाय ऐसी त दया करना िवलािसता म अपन समय को न लगाकर तर ही धयान-िचतन म हमारा समय बीत ऐसी त कपा करना

किऽम सौनदयर-साधन स तवचा की िःन धता और कोमलता मर जाती ह पफ-पाउडर बीम आिद स शरीर की कदरती िःन धता खतम हो जाती ह ाकितक सौनदयर को न करक

जो किऽम सौनदयर क गलाम बनत ह उनस ःनहभरी सलाह ह िक व पफ-पाउडर आिद और तड़कील-भड़कील व आिद की गलामी को छोड़कर ाकितक सौनदयर को बढ़ान की कोिशश कर मीरा और मदालसा की तरह अपन असली सौनदयर को कट करन की कोिशश कर

(अनबम)

साहसी बालक एक लड़का काशी म हिर नि हाईःकल म पढ़ता था उसका गाव काशी स आठ मील दर

था वह रोजाना वहा स पदल चलकर आता बीच म जो गगा नदी बहती ह उस पार करक िव ालय पहचता

उस जमान म गगा पार करन क िलए नाव वाल को दो पस दन पड़त थ दो पस आन क और दो पस जान क कल चार पस यािन पराना एक आना महीन म करीब दो रपय हए जब सोन क एक तोल का भाव रपया सौ स भी नीच था तब क दो रपय आज क तो पाच-पचचीस रपय हो जाए

उस लड़क न अपन मा-बाप पर अितिर बोझा न पड़ इसिलए एक भी पस की माग नही की उसन तरना सीख िलया गम हो बािरश हो या ठ ड हो गगा पार करक हाईःकल म जाना उसका बम हो गया इस कार िकतन ही महीन गजर गय

एक बार पौष मास की ठ ड म वह लड़का सबह की ःकल भरन क िलए गगा म कदा तरत-तरत मझधार म आया एक नाव म कछ याऽी नदी पार कर रह थ उनहोन दखा िक छोटा-सा लड़का अभी डब मरगा व उसक पास नाव ल गय और हाथ पकड़ कर उस नाव म खीच िलया लड़क क मख पर घबराहट या िचनता की कोई रखा नही थी सब लोग दग रह गय इतना छोटा ह और इतना साहसी ह व बोलः

त अभी डब मरता तो ऐसा साहस नही करना चािहए

तब लड़का बोलाः साहस तो होना ही चािहए जीवन म िव न-बाधाए आयगी उनह कचलन क िलए साहस तो चािहए ही अगर अभी स साहस नही जटाया तो जीवन म बड़-बड़ कायर कस कर पायग

लोगो न पछाः इस समय तरन कयो िगरा दोपहर को नहान आता

लड़का बोलता हः म नहान क िलए नदी म नही िगरा ह म तो ःकल जा रहा ह

नाव म बठकर जाता

रोज क चार पस आन-जान क लगत ह मर गरीब मा-बाप पर मझ बोझा नही बनना ह मझ तो अपन परो पर खड़ होना ह मरा खचर बढ़ तो मर मा-बाप की िचनता बढ़ उनह घर चलाना मिकल हो जाय

लोग उस आदर स दखत ही रह गय वही साहसी लड़का आग चलकर भारत का धान मऽी बना

वह लड़का कौन था पता ह व थ लाल बहादर शा ी शा ी जी उस पद भी सचचाई साहस सरलता ईमानदारी सादगी दशम आिद सदगण और सदाचार क मितरमनत ःवरप थ ऐस महापरष भल िफर थोड़ा-सा समय ही राजय कर पर एक अनोखा भाव छोड़ जात ह जनमानस पर

(अनबम)

गर-आजञापालन का चमतकार ौीम आ ाशकराचायर जी जब काशी म िनवास करत थ तब गगा-तट पर िनतय ात-

काल टहलत थ एक सबह िकसी ितभासपनन यवक न दसर िकनार स दखा िक कोई सनयासी उस पार टहल रह ह उस यवक न दसर िकनार स ही उनह णाम िकया उस यवक को दखकर आ शकराचायर जी न सकत िकया िक इधर आ जाओ उस आभासमपनन यवक न दखा िक मन तो साध को णाम कर िदया ह णाम कर िदया तो म उनका िशय हो गया और उनहोन मझ आदश िदया िक इधर आ जाओ अब गर की आजञा का उ लघन करना भी तो उिचत नही ह िकनत यही कोई नाव नही ह और म तरना भी नही जानता ह अब कया कर उसक मन म िवचार आया िक वस भी तो हजारो बार हम मर चक ह एक बार यिद गर क दशरन क िलए जात-जात मर जाय तो घाटा कया होगा

गग मात की जय कह कर उस यवक न तो गगाजी म पर रख िदया उसकी इचछा कहो ौीम आ शकराचायर जी का भाव कहो या िनयित की लीला कहो जहा उस यवक न कदम रखा वहा एक कमल पदा हो गया उसक पर को थामन क िलए जब दसरा पर रखा तो वहा भी कमल पदा हो गया इस कार जहा-जहा वह कदम रखता गया वहा कमल (प ) उतपनन होता गया और वह यवक गगा क दसर तट पर जहा आ शकराचायर जी खड़ थ पहच गया

जहा-जहा वह कदम रखता था वहा-वहा प (कमल) क कट होन क कारण उसका नाम पड़ा - प पादाचायर शकराचायर जी क म य चार प टिशयो म आग जाकर यही प पादाचायर एक प टिशय बन

कहन का तातपयर यह ह िक सिचचदानद परमातमा की शि का सामथयर का बयान करना सभव नही ह िजसकी िजतनी दढ़ता ह िजसकी िजतनी सचचाई ह िजसकी िजतनी ततपरता ह उतनी ही कित भी उसकी मदद करन को आतर रहती ह प पादाचायर की गर-आजञापालन म दढ़ता और ततपरता को दखकर गगा जी म कमल गट हो गय िशय यिद दढ़ता ततपरता और ईमानदारी स गर-आजञापालन म लग जाय तो कित भी उसक अनकल हो जाती ह

(अनबम)

अनोखी गरदिकषणा एकलवय गर िोणाचायर क पास आकर बोलाः मझ धनिवर ा िसखान की कपा कर

गरदव गर िोणाचायर क समकष धमरसकट उतपनन हआ कयोिक उनहोन भीम िपतामह को वचन

द िदया था िक कवल राजकमारो को ही म िशकषा दगा एकलवय राजकमार नही ह अतः उस धनिवर ा कस िसखाऊ अतः िोणाचायर न एकलवय स कहाः

म तझ धनिवर ा नही िसखा सकगा

एकलवय घर स िन य करक िनकला था िक म कवल गर िोणाचायर को ही गर बनाऊगा िजनक िलए मन म भी गर बनान का भाव आ गया उनक िकसी भी वयवहार क िलए िशकायत या िछिानवषण की वि नही होनी चािहए

एकलवय एकात अर य म गया और उसन गर िोणाचायर की िम टी की मितर बनायी मितर की ओर एकटक दखकर धयान करक उसी स रणा लकर वह धनिवर ा सीखन लगा एकटक दखन स एकामता आती ह एकामता गरभि अपनी सचचाई और ततपरता क कारण उस रणा िमलन लगी जञानदाता तो परमातमा ह धनिवर ा म वह बहत आग बढ़ गया

एक बार िोणाचायर पाडव एव कौरव धनिवर ा का योग करन अर य म आय उनक साथ एक क ा भी था जो थोड़ा आग िनकल गया क ा वही पहचा जहा एकलवय अपनी धनिवर ा का योग कर रहा था एकलवय क खल बाल फट कपड़ एव िविचऽ वष को दखकर क ा भ कन लगा

एकलवय न क को लग नही चोट न पहच और उसका भ कना बद हो जाय इस ढग स सात बाण उसक मह म थमा िदय क ा वािपस वहा गया जहा िोणाचायर क साथ पाडव और कौरव थ

उस दखकर अजरन को हआ िक क को चोट न लग इस ढग स बाण मह म घसाकर रख दना यह िव ा तो म भी नही जानता यह कस सभव हआ वह गर िोणाचायर स बोलाः

गरदव आपन तो कहा था िक मरी बराबरी का दसरा कोई धनधाररी नही होगा िकनत ऐसी िव ा तो मझ भी नही आती

िोणाचायर को हआ िक दख इस अर य म कौन-सा ऐसा कशल धनधरर ह आग जाकर दखा तो वह था िहर यधन का पऽ गरभ एकलवय

िोणाचायर न पछाः बटा यह िव ा त कहा स सीखा

एकलवय बोलाः गरदव आपकी ही कपा स सीखा ह

िोणाचायर तो वचन द चक थ िक अजरन की बराबरी का धनधरर दसरा कोई न होगा िकनत यह तो आग िनकल गया गर क िलए धमरसकट खड़ा हो गया एकलवय की अटट ौ ा दखकर िोणाचायर न कहाः मरी मितर को सामन रखकर त धनिवर ा तो सीखा िकनत गरदिकषणा

एकलवयः जो आप माग

िोणाचायरः तर दाय हाथ का अगठा

एकलवय न एक पल भी िवचार िकय िबना अपन दाय हाथ का अगठा काटकर गरदव क चरणो म अपरण कर िदया

िोणाचायरः बटा भल ही अजरन धनिवर ा म सबस आग रह कयोिक म उस वचन द चका ह िकनत जब तक सयर चनि नकषऽो का अिःततव रहगा तब तक लोग तरी गरिन ा का तरी गरभि का ःमरण करग तरा यशोगान होता रहगा

उसकी गरभि और एकामता न उस धनिवर ा म तो सफलता िदलायी ही लिकन सतो क दय म भी उसक िलए आदर गट करवा िदया धनय ह एकलवय जो गरमितर स रणा पाकर धनिवर ा म सफल हआ और िजसन अदभत गरदिकषणा दकर साहस तयाग और समपरण का पिरचय िदया

(अनबम)

सतसग की मिहमा तलसीदास जी महाराज कहत ह ETH

एक घड़ी आधी घड़ी आधी म पिन आध तलसी सगत साध की हर कोिट अपराध

एक बार शकदव जी क िपता भगवान वदवयासजी महाराज कही जा रह थ राःत म उनहोन दखा िक एक कीड़ा बड़ी तजी स सड़क पार कर रहा था

वदवयासजी न अपनी योगशि दत हए उसस पछाः त इतनी ज दी सड़क कयो पार कर रहा ह कया तझ िकसी काम स जाना ह त तो

नाली का कीड़ा ह इस नाली को छोड़कर दसरी नाली म ही तो जाना ह िफर इतनी तजी स कयो भाग रहा ह

कीड़ा बोलाः बाबा जी बलगाड़ी आ रही ह बलो क गल म बध घघर तथा बलगाड़ी क पिहयो की आवाज म सन रहा ह यिद म धीर-धीर सड़क पार करगा तो वह बलगाड़ी आकर मझ कचल डालगी

वदवयासजीः कचलन द कीड़ की योिन म जीकर भी कया करना

कीड़ाः महिषर ाणी िजस शरीर म होता ह उसको उसम ही ममता होती ह अनक ाणी नाना कार क क ो को सहत हए भी मरना नही चाहत

वदवयास जीः बलगाड़ी आ जाय और त मर जाय तो घबराना मत म तझ योगशि स महान बनाऊगा जब तक ा ण शरीर म न पहचा द अनय सभी योिनयो स शीय छटकारा िदलाता रहगा

उस कीड़ न बात मान ली और बीच राःत पर रक गया और मर गया िफर वदवयासजी की कपा स वह बमशः कौआ िसयार आिद योिनयो म जब-जब भी उतपनन हआ वयासजी न जाकर उस पवरजनम का ःमरण िदला िदया इस तरह वह बमशः मग पकषी शि वय जाितयो म जनम लता हआ कषिऽय जाित म उतपनन हआ उस वहा भी वदवयासजी दशरन िदय थोड़ िदनो म रणभिम म शरीर तयागकर उसन ा ण क घर जनम िलया

भगवान वदवयास जी न उस पाच वषर की उ म सारःवतय मऽ द िदया िजसका जप करत-करत वह धयान करन लगा उसकी बि बड़ी िवलकषण होन पर वद शा धमर का रहःय समझ म आ गया

सात वषर की आय म वदवयास जी न उस कहाः काि रक कषऽ म कई वष स एक ा ण ननदभि तपःया कर रहा ह तम जाकर उसकी

शका का समाधान करो

माऽ सात वषर का ा ण कमार काि रक कषऽ म तप कर रह उस ा ण क पास पहच कर बोलाः

ह ा णदव आप तप कयो कर रह ह

ा णः ह ऋिषकमार म यह जानन क िलए तप कर रहा ह िक जो अचछ लोग ह सजजन लोग ह व सहन करत ह दःखी रहत ह और पापी आदमी सखी रहत ह ऐसा कयो ह

बालकः पापी आदमी यिद सखी ह तो पाप क कारण नही वरन िपछल जनम का कोई प य ह उसक कारण सखी ह वह अपन प य खतम कर रहा ह पापी मनय भीतर स तो दःखी ही होता ह भल ही बाहर स सखी िदखाई द

धािमरक आदमी को ठ क समझ नही होती उिचत िदशा व मऽ नही िमलता इसिलए वह दःखी होता ह वह धमर क कारण दःखी नही होता अिपत समझ की कमी क कारण दःखी होता ह समझदार को यिद कोई गर िमल जाय तो वह नर म स नारायण बन जाय इसम कया आ यर ह

ा णः म इतना बढ़ा हो गया इतन वष स काि रक कषऽ म तप कर रहा ह मर तप का फल यही ह िक तमहार जस सात वषर क योगी क मझ दशरन हो रह ह म तमह णाम करता ह

बालकः नही नही महाराज आप तो भदव ह म तो बालक ह म आपको णाम करता ह

उसकी नता दखकर ा ण और खश हआ तप छोड़कर वह परमातमिचनतन म लग गया अब उस कछ जानन की इचछा नही रही िजसस सब कछ जाना जाता ह उसी परमातमा म िवौाित पान लग गया

इस कार ननदभि ा ण को उ र द िनःशक कर सात िदनो तक िनराहार रहकर वह बालक सयरमनऽ का जप करता रहा और वही बहदक तीथर म उसन शरीर तयाग िदया वही बालक दसर जनम म कषार िपता एव िमऽा माता क यहा गट हआ उसका नाम मऽय पड़ा इनहोन वयासजी क िपता पराशरजी स िवण-पराण तथा बहत पाराशर होरा शा का अधययन िकया था पकषपात रिहत अनभवकाश नामक मनथ म मऽय तथा पराशर ऋिष का सवाद आता ह

कहा तो सड़क स गजरकर नाली म िगरन जा रहा कीड़ा और कहा सत क सािननधय स वह मऽय ऋिष बन गया सतसग की बिलहारी ह इसीिलए तलसीदास जी कहत ह ETH

तात ःवगर अपवगर सख धिरअ तला एक अग तल न तािह सकल िमली जो सख लव सतसग

यहा एक शका हो सकती ह िक वह कीड़ा ही मऽय ऋिष कयो नही बन गया

अर भाई यिद आप पहली ककषा क िव ाथ हो और आपको एम ए म िबठाया जाय तो कया आप पास हो सकत हो नही दसरी तीसरी चौथी दसवी बारहवी बीए आिद पास करक ही आप एमए म वश कर सकत हो

िकसी चौकीदार पर कोई धानमनऽी अतयिधक सनन हो जाए तब भी वह उस सीधा कलकटर (िजलाधीश) नही बना सकता ऐस ही नाली म रहन वाला कीड़ा सीधा मनय तो नही

हो सकता बि क िविभनन योिनयो को पार करक ही मनय बन सकता ह हा इतना अवय ह िक सतकपा स उसका मागर छोटा हो जाता ह

सतसमागम की साध परषो स सग की मिहमा का कहा तक वणरन कर कस बयान कर एक सामानय कीड़ा उनक सतसग को पाकर महान ऋिष बन सकता ह तो िफर यिद मानव को िकसी सदगर का सािननधय िमल जाय उनक वचनानसार चल पड़ तो मि का अनभव करक जीवनम भी बन सकता ह

(अनबम)

पीड़ पराई जान र जञानी िकसी स यार करन क िलए बध हए नही ह और िकसी को डाटन म भी राजी

नही ह हमारी जसी यो यता होती ह ऐसा उनका वयवहार हमार ित होता ह लीलाशाह बाप क ौीचरणो म बहत लोग गय थ एक लड़का भी गया था वह मिणनगर

म रहता था िशवजी को जल चढ़ान क प ात ही वह जल पीता वह लड़का खब िन ा स धयान-भजन करता और सवा पजा करता

एक िदन कोई वयि राःत म बहोश पड़ा हआ था िशवजी को जल चढ़ान जात समय उस बालक न उस दखा और अपनी पजा-वजा छोड़कर उस गरीब की सवा म लग गया िबहार का कोई यवक था नौकरी की खोज म आया था कालपर(अहमदाबाद) ःटशन क लटफामर पर एक दो िदन रहा किलयो न मारपीट कर भगा िदया चलत-चलत मिणनगर म पनीत आौम की ओर रोटी की आशा म जा रहा था रोटी तो वहा नही िमलती थी इसिलए भख क कारण चलत-चलत राःत म िगर गया और बहोश हो गया

उस लड़क का घर पनीत आौम क पास ही था सबह क दस साढ़ दस बज थ वह लड़का घर स धयान-भजन स िनपटकर मिदर म िशवजी को जल चढ़ान क िलए जल का लोटा और पजा की साममी लकर जा रहा था उसन दखा िक राःत म कोई यवक पड़ा ह राःत म चलत-चलत लोग बोलत थः शराब पी होगी यह होगा वह होगा हम कया

लड़क को दया आई प य िकय हए हो तो रणा भी अचछ िमलती ह शभ कम स शभ रणा िमलती ह अपन पास की पजा साममी एक ओर रखकर उसन उस वयि को िहलाया बहत मिकल स उसकी आख खली कोई उस जत सघाता कोई कछ करता कोई कछ बोलता था

आख खोलत ही वह वयि धीर स बोलाः पानी पानी

लड़क न महादव जी क िलय लाया हआ जल का लोटा उस िपला िदया िफर दोड़कर घर जाकर अपन िहःस का दध लाकर उस िदया

यवक क जी म जी आया उसन अपनी वयथा बतात हए कहाः बाब जी म िबहार स आया ह मर बाप गजर गय काका िदन-रात टोकत रहत त िक

कमाओ नही तो खाओग कया नौकरी धधा िमलता नही ह भटकत-भटकत अहमदाबाद क ःटशन पर कली का काम करन का य िकया हमारी रोटी-रोजी िछन जायगी ऐसा समझकर किलयो न खब मारा पदल चलत-चलत मिणनगर ःटशन की ओर आत-आत यहा तीन िदन की भख और मार क कारण चककर आय और िगर गया

लड़क न उस िखलाया अपना इक ठा िकया हआ जबखचर का पसा िदया उस यवक को जहा जाना था वहा भजन की वयवःथा की इस लड़क क दय म आनद की वि हई अतर म आवाज आईः

बटा अब म तझ बहत ज दी िमलगा

लड़क न िकयाः अनदर कौन बोलता ह

उ र आयाः िजस िशव की त पजा करता ह वह तरा आतमिशव अब म तर दय म कट होऊगा सवा क अिधकारी की सवा मझ िशव की ही सवा ह

उस िदन उस अतयारमी न अनोखी ऱणा और ोतसाहन िदया वह लड़का तो िनकल पड़ा घर छोड़कर ई र-साकषातकार करन क िलए कदारनाथ वनदावन होत हए निनताल क अर य म पहचा

कदारनाथ क दशरन पाय लकषािधपित आिशष पाय

इस आशीवारद को वापस कर ई राि क िलए िफर पजा की उसक पास जो कछ रपय पस थ उनह वनदावन म साध-सतो एव गरीबो म भ डारा करक खचर कर िदया था थोड़ स पस लकर निनताल क अर यो म पहचा लोकलाड़ल लाखो दयो को हिररस िपलात पजयपाद सदगर ौी लीलाशाह बाप की राह दखत हए चालीस िदन बीत गय गरवर ौी लीलाशाह को अब पणर समिपरत िशय िमला पणर खजाना ा करन वाला पिवऽातमा िमला पणर गर की पणर िशय िमला

िजस लड़क क िवषय म यह कथा पढ़ रह ह वह लड़का कौन होगा जानत हो

पणर गर कपा िमली पणर गर का जञान आसमल स हो गय साई आसाराम

अब तो समझ ही गय होग (उस लड़क क वश म छप हए थ पवर जनम क योगी और वतरमान म िव िव यात हमार

पजयपाद सदगरदव ौी आसाराम जी महाराज)

(अनबम)

िवकास क बिरयो स सावधान किपलवःत क राजा श ोदन का यवराज था िस ाथर यौवन म कदम रखत ही िववक

और वरा य जाग उठा यवान प ी यशोधरा और नवजात िशश राहल की मोह-ममता की रशमी जजीर काटकर महाभीिनबमण (गहतयाग) िकया एकानत अर य म जाकर गहन धयान साधना करक अपन साधय त व को ा कर िलया

एकानत म तप यार और धयान साधना स िखल हए इस आधयाितमक कसम की मधर

सौरभ लोगो म फलन लगी अब िस ाथर भगवान ब क नाम स जन-समह म िस हए हजारो हजारो लोग उनक उपिद मागर पर चलन लग और अपनी अपनी यो यता क मतािबक आधयाितमक याऽा म आग बढ़त हए आितमक शाित ा करन लग अस य लोग बौ िभकषक बनकर भगवान ब क सािननधय म रहन लग उनक पीछ चलन वाल अनयायीओ का एक सघ ःथािपत हो गया चह ओर नाद गजन लग िकः

ब शरण गचछािम धमम शरण गचछािम सघ शरण गचछािम

ौावःती नगरी म भगवान ब का बहत यश फला लोगो म उनकी जय-जयकार होन लगी लोगो की भीड़-भाड़ स िवर होकर ब नगर स बाहर जतवन म आम क बगीच म रहन लग नगर क िपपास जन बड़ी तादाद म वहा हररोज िनि त समय पर पहच जात और उपदश-वचन सनत बड़-बड़ राजा महाराजा भगवान ब क सािननधय म आन जान लग

समाज म तो हर कार क लोग होत ह अनािद काल स दवी समपदा क लोग एव आसरी समपदा क लोग हआ करत ह ब का फलता हआ यश दखकर उनका तजो ष करन वाल लोग जलन लग सतो क साथ हमशा स होता आ रहा ह ऐस उन द त वो न ब को बदनाम करन क िलए कचार िकया िविभनन कार की यि -यि या लड़ाकर ब क यश को हािन पहच ऐसी बात समाज म व लोग फलान लग उन द ो न अपन ष यऽ म एक वया को समझा-बझाकर शािमल कर िलया

वया बन-ठनकर जतवन म भगवान ब क िनवास-ःथानवाल बगीच म जान लगी

धनरािश क साथ द ो का हर कार स सहारा एव ोतसाहन उस िमल रहा था रािऽ को वही रहकर सबह नगर म वािपस लोट आती अपनी सिखयो म भी उसन बात फलाई

लोग उसस पछन लगः अरी आजकल त िदखती नही ह कहा जा रही ह रोज रात को

म तो रोज रात को जतवन जाती ह व ब िदन म लोगो को उपदश दत ह और रािऽ क समय मर साथ रगरिलया मनात ह सारी रात वहा िबताकर सबह लोटती ह

वया न परा ीचिरऽ आजमाकर ष यऽ करन वालो का साथ िदया लोगो म पहल तो हलकी कानाफसी हई लिकन जयो-जयो बात फलती गई तयो-तयो लोगो म जोरदार िवरोध होन लगा लोग ब क नाम पर िफटकार बरसान लग ब क िभकषक बःती म िभकषा लन जात तो लोग उनह गािलया दन लग ब क सघ क लोग सवा-वि म सल न थ उन लोगो क सामन भी उगली उठाकर लोग बकवास करन लग

ब क िशय जरा असावधान रह थ कचार क समय साथ ही साथ स चार होता तो कचार का इतना भाव नही होता िशय अगर िनिबय रहकर सोचत रह जाय िक करगा सो भरगा भगवान उनका नाश करग तो कचार करन वालो को ख ला मदान िमल जाता ह

सत क सािननधय म आन वाल लोग ौ ाल सजजन सीध साद होत ह जबिक द वि करन वाल लोग किटलतापवरक कचार करन म कशल होत ह िफर भी िजन सतो क पीछ सजग समाज होता ह उन सतो क पीछ उठन वाल कचार क तफान समय पाकर शात हो जात ह और उनकी सतवि या काशमान हो उठती ह

कचार न इतना जोर पकड़ा िक ब क िनकटवत लोगो न ऽािहमाम पकार िलया व समझ गय िक यह वयविःथत आयोजनपवरक ष यऽ िकया गया ह ब ःवय तो पारमािथरक सतय म जाग हए थ व बोलतः सब ठ क ह चलन दो वयवहािरक सतय म वाहवाही दख ली अब िननदा भी दख ल कया फकर पड़ता ह

िशय कहन लगः भनत अब सहा नही जाता सघ क िनकटवत भ भी अफवाहो क िशकार हो रह ह समाज क लोग अफवाहो की बातो को सतय मानन लग गय ह

ब ः धयर रखो हम पारमािथरक सतय म िवौाित पात ह यह िवरोध की आधी चली ह तो शात भी हो जाएगी समय पाकर सतय ही बाहर आयगा आिखर म लोग हम जानग और मानग

कछ लोगो न अगवानी का झ डा उठाया और राजयस ा क समकष जोर-शोर स माग की

िक ब की जाच करवाई जाय लोग बात कर रह ह और वया भी कहती ह िक ब रािऽ को मर साथ होत ह और िदन म सतसग करत ह

ब क बार म जाच करन क िलए राजा न अपन आदिमयो को फरमान िदया अब ष यऽ करनवालो न सोचा िक इस जाच करन वाल पच म अगर सचचा आदमी आ जाएगा तो अफवाहो का सीना चीरकर सतय बाहर आ जाएगा अतः उनहोन अपन ष यऽ को आिखरी

पराका ा पर पहचाया अब ऐस ठोस सबत खड़ा करना चािहए िक ब की ितभा का अःत हो जाय

उनहोन वया को दार िपलाकर जतवन भज िदया पीछ स ग डो की टोली वहा गई वया पर बलातकार आिद सब द कतय करक उसका गला घोट िदया और लाश को ब क बगीच म गाड़कर पलायन हो गय

लोगो न राजयस ा क ार खटखटाय थ लिकन स ावाल भी कछ लोग द ो क साथ जड़ हए थ ऐसा थोड़ ही ह िक स ा म बठ हए सब लोग दध म धोय हए वयि होत ह

राजा क अिधकािरयो क ारा जाच करन पर वया की लाश हाथ लगी अब द ो न जोर-शोर स िच लाना शर कर िदया

दखो हम पहल ही कह रह थ वया भी बोल रही थी लिकन तम भगतड़ लोग मानत ही नही थ अब दख िलया न ब न सही बात खल जान क भय स वया को मरवाकर बगीच म गड़वा िदया न रहगा बास न बजगी बासरी लिकन सतय कहा तक िछप सकता ह म ामाल हाथ लग गया इस ठोस सबत स ब की असिलयत िस हो गई सतय बाहर आ गया

लिकन उन मख का पता नही िक तमहारा बनाया हआ कि पत सतय बाहर आया वाःतिवक सतय तो आज ढाई हजार वषर क बाद भी वसा ही चमक रहा ह आज ब को लाखो लोग जानत ह आदरपवरक मानत ह उनका तजो ष करन वाल द लोग कौन-स नरको म जलत होग कया पता

ढाई हजार वषर पहल ब क जमान म भी सतो क साथ ऐसा घोर अनयाय हआ करता था ऋिष दयाननद को भी ऐस ही त वो न तजो ष क कारण बाईस बार िवष दकर मार डालन का यास िकया ःवामी िववकाननद और ःवामी रामतीथर क पीछ भी द लोगो न वया को तयार करक कीचड़ उछाला था

एक ओर लाखो-लाखो लोग सतो की अनभवय वाणी स अपना वयावहािरक ETH आधयाितमक जीवन उननत करक सख-शाित पात ह दसरी ओर कछ द कित क ःवाथ लोग अपना उ ल सीधा करन क िलए ऐस महापरषो क िवर म ष यऽ रचकर उनको बदनाम करत ह यह तो पहल स चला आ रहा ह सत कबीर हो या नानक एकनाथ महाराज हो या सत तकाराम नरिसह महता हो या मीराबाई ायः सभी सतो को अपन जीवन क दौरान समाज क किटल त वो स पाला पड़ता ही रहा ह जीसस बाइःट को इनही त वो न बॉस पर चढ़ाया था उनही लोगो न सकरात को जहर िपलाकर मतयद ड िदया था मनसर को इसी जमात न शली पर चढ़ाया था ईसाई धमर म माट न यथर पर ज म िकया गया था अण-अण म ई र और नारीमाऽ म जगजजननी भगवती का दशरन करन वाल रामकण परमहस को भी लोगो न नही

छोड़ा था परमहस योगाननद रवीनिनाथ टगोर माट न यथर दिकषण भारत क सत ितरव लवर जापानी झन सत बाबो इितहास म िकतन-िकतन उदाहरण मौजद ह

हािसद धमरगर बा शमटोव अित पिवऽ आतमा थ िननदको न उनक इदरिगदर भी मायाजाल िबछा दी थी िसध क साई टउराम क पास अस य लोग आतमक याण हत जान लग तब िवकत िदमागवालो न उन सत को भी ऽास दना शर कर िदया उनक आौम क चह ओर गदगी डाल दत और कए म िम टी का तल उड़लकर पानी बकार कर दत मगल बादशाह बाबर को बहका कर उनही लोगो न गर नानक को कद करवाया था

भगवान ौीराम एव ौीकण को भी द जनो न छोड़ा नही था भगवान ौीराम क गर विश जी महाराज कहत हः

ह राम जी म जब बाजार स गजरता ह तब अजञानी मखर लोग मर िलए कया बकत ह म सब जानता ह लिकन मरा दयाल ःवभाव ह म इन सबका क याण चाहता ह

तमहार साथ यह ससार कछ अनयाय करता ह तमको बदनाम करता ह िननदा करता ह तो यह ससार की परानी रीत ह मनय की हीनवि कचार िननदाखोरी यह आजकल की ही बात नही ह अनािदकाल स ऐसा होता आया ह तम अपन आतमजञान क सःकार जगाकर आतमबल का िवकास करत जाओ मःकरात जाओ आधी तफानो को लाघकर आननदपवरक जीत जाओ

उस जमान म भगवान ब क पास आकर एक िभकषक न ाथरना कीः भनत मझ आजञा द म सभाए भरगा आपक िवचारो का चार करगा

मर िवचारो का चार

हा भगवन म बौ धमर फलाऊगा

लोग तरी िननदा करग गािलया दग

कोई हजर नही म भगवन को धनयवाद दगा िक य लोग िकतन अचछ ह य कवल श दहार करत ह मझ पीटत तो नही

लोग तझ पीटग भी तो कया करोग

भो म शब गजारगा िक य लोग हाथो स पीटत ह पतथर तो नही मारत

लोग पतथर भी मारग और िसर भी फोड़ दग तो कया करगा

िफर भी म आ ःत रहगा और भगवान का िदवय कायर करता रहगा कयोिक व लोग मरा िसर फोड़ग लिकन ाण तो नही लग

लोग जनन म आकर तझ मार दग तो कया करगा

भनत आपक िदवय िवचारो का चार करत-करत म मर भी गया तो समझगा िक मरा जीवन सफल हो गया

उस कतिन यी िभकषक की दढ़ िन ा दखकर भगवान ब सनन हो उठ उस पर उनकी करणा बरस पड़ी

ऐस िशय जब ब का चार करन िनकल पड़ तब कचार करन वाल धीर-धीर शात हो गय मनयो की उगिलया काट-काटकर माला बनाकर पहनन वाला अगिलमाल जसा बर हतयारा भी दयपिरवतरन पाकर ब की शरण म िभकषक होकर रहन लगा

आज हम ब को बहत आदर स जानत ह मानत ह उनक जीवनकाल क दौरान उनक पीछ लग हए द लोग कौन स नरक म सड़त होग रौरव नरक म या कभीपाक नरक म कौन-सी योिनयो म भटकत होग सअर बन होग िक नाली क कीड़ बन होग शतान बन होग िक राकषस बन होग मझ पता नही लिकन ब तो करोड़ो दयो म बस रह ह यह म मानता ह

सतय तो परमाथर ह आतमा ह परमातमा ह उसम िजतना िटकोग उतना तमहारा मगल होगा तमहारी िनगाह िजन पर पड़गी उनका भी मगल होगा

(अनबम)

कछ जानन यो य बात सय दय स पवर उठकर ःनान कर लना चािहए ातः खाली पट मटक का बासी पानी

पीना ःवाःथयद ह तलसी क प सय दय क प ात ही तोड़ दध म तलसी क प नही डालन चािहए तथा

दध क साथ खान भी नही चािहए तलसी क प खाकर थोड़ा पानी पीना िपय जलनित स पिह सौ कार क लाभ होत ह अपन मिःतक म एक कार का िवजाितय

िवय उतपनन होता ह यिद वह िवय वही अटक जाता ह तो बचपन म ही बाल सफद होन लगत ह इसस नजल की बीमारी भी होती ह यिद वह िवय नाक की तरफ आता ह तो सगनध-दगरनध का पता नही चल पाता और ज दी-ज दी जकाम हो जाता ह यिद वह िवय कान की तरफ आता ह तो कान बहर होन लगत ह और छोट-मोट ब ीस रोग हो सकत ह यिद वह िवय दात की तरफ आय तो दात छोटी उ म ही िगरन लगत ह यिद आख की तरफ वह िवय उतर तो चम लगन लगत ह जलनित यािन नाक स पानी खीचकर मह स िनकाल दन स वह िवय िनकल जाता ह गल क ऊपर क ायः सभी रोगो स मि िमल जाती ह

आईसबीम खान क बाद चाय पीना दातो क िलए अतयािधक हािनकारक होता ह

भोजन को पीना चािहए तथा पानी को खाना चािहए इसका मतलब यह ह िक भोजन को इतना चबाओ िक वह पानी की तरह पतला हो जाय और पानी अथवा अनय पय पदाथ को धीर-धीर िपयो

िकसी भी कार का पय पदाथर पीना हो तो दाया नथना बनद करक िपय इसस वह अमत जसा हो जाता ह यिद दाया ःवर(नथना) चाल हो और पानी आिद िपय तो जीवनशि (ओज) पतली होन लगती ह चयर की रकषा क िलए शरीर को तनदरःत रखन क िलए यह योग करना चािहए

तम चाह िकतनी भी महनत करो िकनत िजतना तमहारी नसो म ओज ह चयर की शि ह उतन ही तम सफल होत हो जो चाय-कॉफी आिद पीत ह उनका ओज पतला होकर पशाब ारा न होता जाता ह अतः चयर की रकषा क िलए चाय-कॉफी जस वयसनो स दर रहना रह

पढ़न क बाद थोड़ी दर शात हो जाना चािहए जो पढ़ा ह उसका मनन करो िशकषक ःकल म जब पढ़ात हो तब धयान स सनो उस व मःती-मजाक नही करना चािहए िवनोद-मःती कम स कम करो और समझन की कोिशश अिधक करो

जो सय दय क पवर नही उठता उसक ःवभाव म तमस छा जाता ह जो सय दय क पवर उठता ह उसकी बि शि बढ़ती ह

नीद म स उठकर तरत भगवान का धयान करो आतमःनान करो धयान म रिच नही होती तो समझना चािहए िक मन म दोष ह उनह िनकालन क िलए कया करना चािहए

मन को िनद ष बनान क िलए सबह-शाम माता-िपता को णाम करना चािहए गरजनो को णाम करना चािहए एव भगवान क नाम का जप करना चािहए भगवान स ाथरना करनी चािहए िक ह भगवान ह मर भ मरी धयान म रिच होन लग ऐसी कपा कर दो िकसी समय गद िवचार िनकल आय तो समझना चािहए िक अदर छप हए िवचार िनकल रह ह अतः खश होना चािहए िवचार आया और गया मर राम तो दय म ही ह ऐसी भावना करनी चािहए

िनदा करना तो अचछा नही ह िकनत िनदा सनना भी उिचत नही (अनबम)

शयन की रीत मनय को िकस ढग स सोना चािहए इसका भी तरीका होता ह सोत व पवर अथवा

दिकषण िदशा की ओर िसर करक ही सोना चािहए

भोजन करन क बाद िदन म दस िमनट आराम कर िकनत सोय नही भोजन क बाद दस िमनट बायी करवट लट सकत ह रािऽ को जागरण िकया हो इस कारण स कभी िदन म सोना पड़ वह अलग बात ह

सोत व नीच कोई गमर कबल आिद िबछाकर सोय तािक आपकी जीवनशि अिथग न हो जाय आपक शरीर की िव तशि भिम म न उतर जाय

(अनबम)

ःनान का तरीका शरीर की मजबती एव आरो यता क िलए रगड़-रगड़कर ःनान करना चािहए जो लोग

ठड दशो म रहत ह उनका ःवाःथय गमर दस क लोगो की अपकषा अचछा होता ह ठडी स अपना शरीर सधरता ह

ःनान करत व 12-15 िलटर पानी बा टी म लकर पहल उसम िसर डबाना चािहए िफर पर िभगोना चािहए पहल पर गील नही करन चािहए शरीर की गम ऊपर की ओर चढ़ती ह जो ःवाःथय क िलए हािनकारक होती ह

अतः पहल ठड पानी की बा टी भर ल िफर मह म पानी भरकर िसर को बा टी म डाल और आख पटपटाए इसस आखो की शि बढ़ती ह शरीर को रगड़-रगड़कर नहाए बाद म गील व स शरीर को रगड़-रगड़कर पोछ िजसस रोम कप का सारा मल बाहर िनकल जाय और रोमकप(तवचा क िछि) खल जायय तवचा क िछि बद रहन स ही तवचा की कई बीमािरया होती ह िफर सख कपड़ स शरीर को पोछ कर (अथवा थोड़ा गीला हो तब भी चल) सख साफ व पहन ल व भल साद हो िकनत साफ हो बासी कपड़ नही पहन हमशा धल हए कपड़ ही पहन इसस मन भी सनन रहता ह

पाच कार क ःनान होत हः ःनान दवःनान ऋिषःनान मानवःनान दानवःनान ःनानः -परमातमा का िचतन करक जल थल नहान वाला

ऐसा िचतन करक ा महतर म नहाना इस ःनान कहत ह दवःनानः दवनिदयो म ःनान या दवनिदयो का ःमरण करक सय दय स पवर नहाना यह

दवःनान ह ऋिषःनानः आकाश म तार िदखत हो और नहा ल यह ऋिषःनान ह ऋिषःनान करन

वाल की बि बड़ी तजःवी होती ह मानवःनानः सय दय क पवर का ःनान मानवःनान ह

दानवःनानः सय दय क प ात चाय पीकर नाता करक आठ नौ बज नहाना यह दानव ःनान ह

अतः हमशा ऋिषःनान करन का ही यास करना चािहए (अनबम)

ःवचछता का धयान यिद शरीर की सफाई रखी जाय तो मन भी सनन रहता ह आजकल अिधकतर लोग

श स ही मजन करत ह श की अपकषा नीम और बबल की दातौन जयादा अचछ होती ह और यिद श भी कर तो कभी-कभार श को गमर पानी स धोना चािहए अनयथा उसम बकटिरया(जीवाण) रह जात ह

िकतन ही लोग उगली स दात साफ करत ह तजरनी (अगठ क पास वाली थम उगली) स दात िघसन स मसड़ कमजोर हो जात ह तथा दात ज दी िगर जात ह कयोिक तजरनी म िव तशि का माण दसरी उगिलयो की अपकषा अिधक होता ह अतः उसस दात नही िघसन चािहए एव आखो को भी नही मसलना चािहए

िजस िदशा स हवा आती हो उस िदशा की ओर मह करक कभी-भी मलमऽ का िवसजरन नही करना चािहए सयर और चनिमा की ओर मख करक भी मलमऽ का िवसजरन नही करना चािहए

(अनबम)

ःमरणशि का िवकास यादशि बढ़ान का एक सनदर योग ह ETH ामरी ाणायाम सखासन प ासन या

िस ासन पर बठ हाथ की कोहनी की ऊचाई कनध तक रह इस कार रखकर हाथ की थम उगली(तजरनी) स दोनो कानो को धीर-स बद कर एकदम जोर स बद न कर िकनत बाहर का कछ सनाई न द इस कार धीर स कान बनद कर

अब गहर ास लकर थोड़ी दर रोक ओठ बद रखकर जस मर का गजन होता ह वस ॐsssss कहत हए गजन कर उसक बाद थोड़ी दर तक ास न ल पनः यही िबया दहराय ऐसा सबह एव शाम 8 स 10 बार कर यादशि बढ़ान का यह यौिगक योग ह इसस मिःतक की नािड़यो का शोधन होकर मिःतक म र सचार उिचत ढग स होता ह

और िवचार करन स भी बि शि का िवकास होता ह

सबह खाली पट तलसी क प एकाध काली िमचर चबाकर एक िगलास पानी पीन स भी ःमरणशि का िवकास होता ह रोग-ितकारक शि बढ़ती ह कनसर की बीमारी कभी नही होती जलदर-भगदर की बीमारी भी कभी नही होती

(अनबम)

वयि तव और वयवहार िकसी भी वयि तव का पता उसक वयवहार स ही चलता ह कई लोग वयथर च ा करत

ह एक होती ह सकाम च ा दसरी होती ह िनकाम च ा और तीसरी होती ह वयथर च ा वयथर च ा नही करनी चािहए िकसी क शरीर म कोई कमी हो तो उसका मजाक नही उड़ाना चािहए वरन उस मददरप बनना चािहए यह िनकाम सवा ह

िकसी की भी िनदा नही करनी चािहए िनदा करन वाला वयि िजसकी िनदा करता ह उसका तो इतना अिहत नही होता िजतना वह अपना अिहत करता ह जो दसरो की सवा करता ह दसरो क अनकल होता ह वह दसरो का िजतना िहत करता ह उसकी अपकषा उसका खद का िहत जयादा होता ह

अपन स जो उ स बड़ हो जञान म बड़ हो तप म बड़ हो उनका आदर करना चािहए िजस मनय क साथ बात करत हो वह मनय कौन ह यह जानकर बात करो तो आप वयवहार-कशल कहलाओग

िकसी को पऽ िलखत हो तो यिद अपन स बड़ हो तो ौी सबोधन करक िलखो सबोधन करन स सवाकयो की रचना स िश ता बढ़ती ह िकसी स बात करो तो सबोधन करक बात करो जो तकार स बात करता ह वह अिश कहलाता ह िश तापवरक बात करन स अपनी इजजत बढ़ती ह

िजसक जीवन म वयवहार-कशलता ह वह सभी कषऽो म सफल होता ह िजसम िवनता ह वही सब कछ सीख सकता ह िवनता िव ा बढ़ाती ह िजसक जीवन म िवनता नही ह समझो उसक सब काम अधर रह गय और जो समझता ह िक म सब कछ जानता ह वह वाःतव म कछ नही जानता

एक िचऽकार अपन गरदव क सममख एक सनदर िचऽ बनाकर लाया गर न िचऽ दखकर कहाः

वाह वाह सनदर ह अदभत ह

िशय बोलाः गरदव इसम कोई ऽिट रह गयी हो तो कपा करक बताइए इसीिलए म आपक चरणो म आया ह

गरः कोई ऽिट नही ह मझस भी जयादा अचछा बनाया ह

वह िशय रोन लगा उस रोता दखकर गर न पछाः तम कयो रो रह हो म तो तमहारी शसा कर रहा ह

िशयः गरदव मरी घड़ाई करन वाल आप भी यिद मरी शसा ही करग तो मझ मरी गि तया कौन बतायगा मरी गित कस होगी

यह सनकर गर अतयत सनन हो गय हमन िजतना जाना िजतना सीखा ह वह तो ठ क ह उसस जयादा जान सक सीख सक

ऐसा हमारा यास होना चािहए रामकण परमहस व हो गय थ िकसी न उनस पछाः बाबा जी आपन सब कछ जान

िलया ह

रामकण परमहसः नही म जब तक जीऊगा तब तक िव ाथ ही रहगा मझ अभी बहत कछ सीखना बाकी ह

िजनक पास सीखन को िमल उनस िवनतापवरक सीखना चािहए जो कछ सीखो सावधानीपवरक सीखो जीवन म िवनोद जररी ह िकनत िवनोद की अित न हो िजस समय पढ़त हो कछ सीखत हो कछ करत हो उस समय मःती नही िवनोद नही वरन जो कछ पढ़ो सीखो या करो उस उतसाह स धयान स और सावधानी स करो

पढ़न स पवर थोड़ धयानःथ हो जाओ पढ़न क बाद मौन हो जाओ यह गित की चाबी ह

माता-िपता स िचढ़ना नही चाह िजस मा-बाप न जनम िदया ह उनकी बातो को समझना चािहए अपन िलए उनक मन म िवशष दया हो िवशष म उतपनन हो ऐसा वयवहार करना चािहए

भल जाओ भल सब कछ माता-िपता को भलना नही अनिगनत उपकार ह उनक यह कभी िबसरना नही

माता-िपता को सतोष हो उनका दय सनन हो ऐसा हमारा वयवहार होना चािहए अपन माता-िपता एव गरजनो को सत रखकर ही हम सचची गित कर सकत ह

(अनबम)

  • पजय बाप जी का उदबोधन
  • कदम अपना आग बढाता चला जा
  • त गलाब होकर महक
  • जीवन विकास का मल सयम
  • तरिकाल सधया
  • शरीर सवासथय
  • अनन का परभाव
  • भारतीय ससकति की महानता
  • हरिदास की हरिभकति
  • बनावटी शरगार स बचो
  • साहसी बालक
  • गर-आजञापालन का चमतकार
  • अनोखी गरदकषिणा
  • सतसग की महिमा
  • पीड पराई जान र
  • विकास क बरियो स सावधान
  • कछ जानन योगय बात
  • शयन की रीत
  • सनान का तरीका
  • सवचछता का धयान
  • समरणशकति का विकास
  • वयकतितव और वयवहार
Page 15: Tu gulabhokarmehak

िफर भी ठस-ठस कर भोजन न कर चबा-चबाकर ही भोजन कर भोजन क समय शात एव सननिच रह भ का ःमरण कर भोजन कर जो आहार खान स हमारा शरीर तनदरःत रहता हो वही आहार कर और िजस आहार स हािन होती हो ऐस आहार स बच खान-पान म सयम स बहत लाभ होता ह

भोजन महनत का हो साि वक हो लहसन याज मास आिद और जयादा तल-िमचर-मसाल वाला न हो उसका िनिम अचछा हो और अचछ ढग स सनन होकर भगवान को भोग लगाकर िफर भोजन कर तो उसस आपका भाव पिवऽ होगा र क कण पिवऽ होग मन पिवऽ होगा िफर सधया-ाणायाम करग तो मन म साि वकता बढ़गी मन म सननता तन म आरो यता का िवकास होगा आपका जीवन उननत होता जायगा

महनत मजदरी करक िवलासी जीवन िबताकर या कायर होकर जीन क िलय िज़दगी नही ह िज़दगी तो चतनय की मःती को जगाकर परमातमा का आननद लकर इस लोक और परलोक म सफल होन क िलए ह मि का अनभव करन क िलए िज़दगी ह

भोजन ःवाःथय क अनकल हो ऐसा िवचार करक ही महण कर तथाकिथत वनःपित घी की अपकषा तल खाना अिधक अचछा ह वनःपित घी म अनक रासायिनक पदाथर डाल जात ह जो ःवाःथय क िलए िहतकर नही होत ह

ए यमीिनयम क बतरन म खाना यह पट को बीमार करन जसा ह उसस बहत हािन होती ह कनसर तक होन की समभावना बढ़ जाती ह ताब पीतल क बतरन कलई िकय हए हो तो अचछा ह ए यमीिनयम क बतरन म रसोई नही बनानी चािहए ए यमीिनयम क बतरन म खाना भी नही चािहए

आजकल अ ड खान का चलन समाज म बहत बढ़ गया ह अतः मनयो की बि भी वसी ही हो गयी ह वजञािनको न अनसधान करक बताया ह िक 200 अ ड खान स िजतना िवटािमन सी िमलता ह उतना िवटािमन सी एक नारगी (सतरा) खान स िमल जाता ह िजतना ोटीन कि शयम अ ड म ह उसकी अपकषा चन मग मटर म एयादा ोटीन ह टमाटर म अ ड स तीन गणा कि शयम एयादा ह कल म स कलौरी िमलती ह और भी कई िवटािमनस कल म ह

िजन ािणयो का मास खाया जाता ह उनकी हतया करनी पड़ती ह िजस व उनकी हतया की जाती ह उस व व अिधक स अिधक अशात िखनन भयभीत उि न और ब होत ह अतः मास खान वाल को भी भय बोध अशाित उ ग इस आहार स िमलता ह शाकाहारी भोजन म सपाचय तत होत ह मास म व नही होत अतः मासाहारी भोजन को पचान क जीवन शि का एयादा वयय होता ह ःवाःथय क िलय एव मानिसक शाित आिद क िलए प यातमा होन की दि स भी शाकाहारी भोजन ही करना चािहए

शरीर को ःथल करना कोई बड़ी बात नही ह और न ही इसकी ज़ररत ह लिकन बि को सआम करन की ज़ररत ह आहार यिद साि वक होगा तो बि भी सआम होगी इसिलए सदव साि वक भोजन ही करना चािहए

(अनबम)

भारतीय सःकित की महानता रवरनड ऑवर नाम का एक पादरी पना म िहनद धमर की िननदा और ईसाइयत का चार

कर रहा था तब िकसी सजजन न एक बार रवरनड ऑवर स कहाः आप िहनद धमर की इतनी िननदा करत हो तो कया आपन िहनद धमर का अधययन िकया

ह कया भारतीय सःकित को परी तरह स जानन की कोिशश की ह आपन कभी िहनद धमर को समझा ही नही जाना ही नही ह िहनद धमर म तो ऐस जप धयान और सतसग की बात ह िक िजनह अपनाकर मनय िबना िवषय-िवकारी क िबना िडःको डास(नतय) क भी आराम स रह सकता ह आनिदत और ःवःथ रह सकता ह इस लोक और परलोक दोनो म सखी रह सकता ह आप िहनद धमर को जान िबना उसकी िनदा करत हो यह ठ क नही ह पहल िहनद धमर का अधययन तो करो

रवरनड ऑवर न उस सजजन की बात मानी और िहनद धमर की पःतको को पढ़न का िवचार िकया एकनाथजी और तकारामजी का जीवन चिरऽ जञान र महाराज की योग सामथयर की बात और कछ धािमरक पःतक पढ़न स उस लगा िक भारतीय सःकित म तो बहत खजाना ह मनय की जञा को िदवय करन की मन को सनन करन की और तन क र कणो को भी बदलन की इस सःकित म अदभत वयवःथा ह हम नाहक ही इन भोल-भाल िहनदःतािनयो को अपन चगल म फसान क िलए इनका धमरपिरवतरन करवात ह अर हम ःवय तो अशािनत की आग म जल ही रह ह और इनह भी अशात कर रह ह

उसन ायि -ःवरप अपनी िमशनरी रो तयागपऽ िलख भजाः िहनदःतान म ईसाइयत फलान की कोई ज़ररत नही ह िहनद सःकित की इतनी महानता ह िवशषता ह िक ईसाइय को चािहए िक उसकी महानता एव सतयता का फायदा उठाकर अपन जीवन को साथरक बनाय िहनद धमर की सतयता का फायदा दश-िवदश म पहच मानव जाित को सख-शाित िमल इसका यास हम करना चािहए

म भारतीय इितहास सशोधन म डल क मर आठ लाख डॉलर भट करता ह और तमहारी िमशनरी को सदा क िलए तयागपऽ दकर भारतीय सःकित की शरण म जाता ह

जस रवर ड ऑवर न भारतीय सःकित का अधययन िकया ऐस और लोगो को भी जो िहनद धमर की िनदा करत ह भारतीय सःकित का पकषपात और पवरमहरिहत अधययन करना चािहए मनय की सष शि या व आनद जगाकर ससार म सख-शाित आनद सननता का चार-सार करना चािहए

मा सीता की खोज करत-करत हनमान जामबत अगद आिद ःवयभा क आौम म पहच उनह जोरो की भख और यास लगी थी उनह दखकर ःवयभा न कह िदया िकः

कया तम हनमान हो ौीरामजी क दत हो सीता जी की खोज म िनकल हो

हनमानजी न कहाः हा मा हम सीता माता की खोज म इधर तक आय ह

िफर ःवयभा न अगद की ओर दखकर कहाः तम सीता जी को खोज तो रह हो िकनत आख बद करक खोज रह हो या आख

खोलकर

अगद जरा राजवी परष था बोलाः हम कया आख बनद करक खोजत होग हम तो आख खोलकर ही माता सीता की खोज कर रह ह

ःवयभा बोलीः सीताजी को खोजना ह तो आख खोलकर नही बद करक खोजना होगा सीता जी अथारत भगवान की अधािगनी सीताजी यानी िव ा आतमिव ा िव ा को खोजना ह तो आख खोलकर नही आख बद करक ही खोजना पड़गा आख खोलकर खोजोग तो सीताजी नही िमलगी तम आख बनद करक ही सीताजी ( िव ा) को पा सकत हो ठहरो म तमह बताती ह िक सीता जी कहा ह

धयान करक ःवयभा न बतायाः सीताजी यहा कही भी नही वरन सागर पार लका म ह अशोकवािटका म बठ ह और राकषिसयो स िघरी ह उनम िऽजटा नामक राकषसी ह तो रावण की सिवका िकनत सीताजी की भ बन गयी ह सीताजी वही रहती ह

वारन सोचन लग िक भगवान राम न तो एक महीन क अदर सीता माता का पता लगान क िलए कहा था अभी तीन स ाह स एयादा समय तो यही हो गया ह वापस कया मह लकर जाए सागर तट तक पहचत-पहचत कई िदन लग जाएग अब कया कर

उनक मन की बात जानकर ःवयभा न कहाः िचनता मत करो अपनी आख बद करो म योगबल स एक कषण म तमह वहा पहचा दती ह

हनमान अगद और अनय वानर अपनी आख बनद करत ह और ःवयभा अपनी योगशि स उनह सागर-तट पर कछ ही पल म पहचा दती ह

ौीरामचिरतमानस म आया ह िक ETH

ठाड़ सकल िसध क तीरा ऐसी ह भारतीय सःकित की कषमता

अमिरका को खोजन वाला कोलबस पदा भी नही हआ था उसस पाच हजार वषर पहल अजरन सशरीर ःवगर म गया था और िदवय अ लाया था ऐसी यो यता थी िक धरती क राजा खटवाग दवताओ को मदद करन क िलए दवताओ का सनापितपद सभालत थ ितःमित-िव ा चाकषषी िव ा परकायावश िव ा अ िसि िव ा एव नविनिध ा करान वाली योगिव ा और जीत-जी जीव को बनान वाली िव ा यह भारतीय सःकित की दन ह अनय जगह यह नही िमलती भारतीय सःकित की जो लोग आलोचना करत ह उन बचारो को तो पता ही नही ह िक भारतीय सःकित िकतनी महान ह

गर तगबहादर बोिलयो सनो सीखो बड़भािगयो धड़ दीज धमर न छोिड़य

यवनो न गर गोिबनदिसह क बटो स कहाः तम लोग मसलमान हो जाओ नही तो हम तमह िज़नदा ही दीवार म चनवा दग

बट बोलः हम अपन ाण द सकत ह लिकन अपना धमर नही तयाग सकत

बरो न उन दोनो को जीत-जी दीवार म चनवा िदया जब कारीगर उनह दीवार म चनन लग तब बड़ा भाई बोलता हः धमर क नाम यिद हम मरना ही पड़ता ह तो पहल मरी ओर ट बढ़ा दो तािक म छोट भाई की मतय न दख

छोटा भाई बोलता हः नही पहल मरी ओर ईट बढ़ा दो

कया साहसी थ कया वीर थ वीरता क साथ अपन जीवन का बिलदान कर िदया िकनत धमर न छोड़ा आजकल क लोग तो अपन धमर और सःकित को ही भलत जा रह ह कोई लवर-लवरी धमरपिरवतरन करक लवमरज करत ह अपना िहनद धमर छोड़कर फस मरत ह यह भी कोई िज़नदगी ह भगवान ौीकण कहत ह ETH

ःवधम िनधन ौय परधम भयावहः अपन धमर म मर जाना अचछा ह पराया धमर दःख दन वाला ह भयावह ह नरको म ल

जान वाला ह इसिलए अपन ही धमर म अपनी ही सःकित म जो जीता ह उसकी शोभा ह रवर ड ऑवर न भारतीय सःकित का खब आदर िकया एफ एच मोलम न महातमा

थोरो एव अनय कई पा ातय िचनतको न भी भारतीय सःकित का बहत आदर िकया ह उनक कछ उदगार यहा ःतत हः

बाईबल का मन यथाथर अ यास िकया ह उसम जो िदवय िलखा ह वह कवल गीता क उ रण क रप म ह म ईसाई होत हए भी गीता क ित इतना सारा आदरभाव इसिलए रखता ह िक िजन गढ़ ो का समाधान पा ातय लोग अभी तक नही खोज पाय ह उनका समाधान गीतामनथ न श एव सरल रीित स कर िदया ह उसम कई सऽ अलौिकक उपदशो स भरपर

लग इसीिलए गीता जी मर िलए साकषात योग री माता बन रही ह वह तो िव क तमाम धन स भी नही खरीदा जा सक ऐसा भारतवषर का अम य खजाना ह

- एफ एच मोलम (इगल ड) ाचीन यग की सवर रमणीय वःतओ म गीता स ौ कोई वःत नही ह गीता म ऐसा

उ म और सवरवयापी जञान ह िक उसक रचियता दवता को अस य वषर हो गय िफर भी ऐसा दसरा एक भी मनथ नही िलखा गया

महातमा थोरो (अमिरका) धमर क कषऽ म अनय सब दख दिरि ह जबिक भारत इस िवषय म अरबपित ह

माकर टवन (यएसए) इस पथवी पर सवारिधक पणर िवकिसत मानवजञा कहा ह और जीवन क मह म ो क

हल िकसन खोज ह ऐसा अगर मझस पछा जाए तो म अगिलिनदश करक कहगा िक भारत न ही

मकसमलर (जमरनी) वदानत जसा ऊधवरगामी एव उतथानकारी और एक भी धमर या त वजञान नही ह

शोपनहोअर (जमरनी) िव भर म कवल भारत ही ऐसी ौ महान परमपराए रखता ह जो सिदयो तक जीिवत

रही ह

कनो (ानस) मनय जाित क अिःततव क सबस ारिमभक िदनो स लकर आज तक जीिवत मनय

क तमाम ःव न अगर कही साकार हए हो तो वह ःथान ह भारत

रोमा रोला (ास) भारत दश समपणर मानव जाित की मातभिम ह और सःकत यरोप की सभी भाषाओ की

जननी ह भारत हमार त वजञान गिणतशा एव जनतऽ की जननी ह भारतमाता अनक रप स सभी की जननी ह

िवल डरानट (यएसए) भारतीय सःकित की महानता का एहसास करन वाल इन सब िवदशी िचनतको को हम

धनयवाद दत ह एक बार महातमा थोरो सो रह थ इतन म उनका िशय एमसरन आया दखा िक वहा

साप और िबचछ घम रह ह गरजी क जागन पर एमसरन बोलाः गरदव यह जगह बड़ी खतरनाक ह म िकसी सरिकषत जगह पर आपकी वयवःथा करवा

दता ह

महातमा थोरो बोलः नही नही िचनता करन की कोई ज़ररत नही ह मर िसरहान पर ौीमदभगवदगीता ह भगवदगीता क जञान क कारण तो मझ साप म िबचछ म सबम मरा ही आतमा-परमातमा िदखता ह व मझ नही काटत ह तो म कही कयो जाऊ

िकतनी कह गीता की महानता यही ह भारतीय सःकित की मिहमा अदभत ह उसकी महानता लाबयान ह उसकी मिहमा

(अनबम)

हिरदास की हिरभि सात वष य गौर वणर क गौराग बड़-बड़ िव ान पिडतो स ऐस-ऐस करत थ िक व

दग रह जात थ इसका कारण था गौराग की हिरभि बड़ होकर उनहोन लाखो लोगो को हिरभि म रग िदया

जो हिरभ होता हिर का भजन करता उसकी बि अचछ मागर पर ही जाती ह लोभी वयि पसो क िलए हसता-रोता ह पद एव कस क तो िकतन ही लोग हसत रोत ह पिरवार क िलए तो िकतन ही मोही हसत रोत ह िकनत धनय ह व जो भगवान क िलए रोत हसत ह भगवान क िवरह म िजस रोना आया ह भगवान क िलए िजसका दय िपघलता ह ऐस लोगो का जीवन साथरक हो जाता ह भागवत म भगवान ौीकण उ व स कहत ह-

वाग गदगदा िवत यःय िच

रदतयभीआण हसित कविचचच िवलजज उदगायित नतयत च

मदभि य ो भवन पनाित िजसकी वाणी गदगद हो जाती ह िजसका िच ििवत हो जाता ह जो बार-बार रोन

लगता ह कभी लजजा छोड़कर उचच ःवर स गान लगता ह कभी नाचन लगता ह ऐसा मरा भ समम ससार को पिवऽ करता ह (ौीमदभागवतः 111424)

धनय ह वह मसलमान बालक जो गौराग क कीतरन म आता ह और िजसन गौराग स मऽदीकषा ली ह

उस मसलमान बालक का नाम हिरदास रखा गया मसलमान लोगो न उस हिरभ हिरदास को फसलान की बहत च ा की बहत डराया िक त गौराग क पास जाना छोड़ द नही तो हम यह करग वह करग िकनत हिरदास बहका नही उसका भय न हो गया था दमरित दर हो चकी थी उसकी सदबि और िन ा भगवान क धयान म लग गयी थी भयनाशन दमरित हरण किल म हिर को नाम यह नानक जी का वचन मानो उसक जीवन म साकार हो उठा था

काज़ी न षडयऽ करक उस पर कस िकया और फरमान जारी िकया िक हिरदास को बत मारत-मारत बीच बाजार स ल जाकर यमना म डाल िदया जाय

िनभ क हिरदास न बत की मार खाना ःवीकार िकया िकनत हिरभि छोड़ना ःवीकार न िकया िनि त िदन हिरदास को बत मारत हए ल जाया जान लगा िसपाही बत मारता ह तो हिरदास बोलता हः हिर बोल

हमको हिर बोल बलवाता ह य ल हिर बोल हिर बोल (सटाकसटाक) िसपाही बोलत हः हम तझ बत मारत ह तो कया तझ पीड़ा नही होती त हमस भी हिर

बोल हिर बोल करवाना चाहता ह

हिरदासः पीड़ा तो शरीर को होती ह म तो आतमा ह मझ तो पीड़ा नही होती तम भी यार स एक बार हिर बोल कहो

िसपाहीः ह हम भी हिर बोल कह हमस हिर बोल बलवाता ह ल य हिर बोल (सटाक)

हिरदास सोचता ह िक बत मारत हए भी तो य लोग हिर बोल कह रह ह चलो इनका क याण होगा िसपाही बत मारत जात ह सटाक सटाक और हिरदास हिर बोल बोलता भी जाता ह बलवाता भी जाता ह हिरदास को कई बत पड़न पर भी उसक चहर पर दःख की रखा तक नही िखचती

हवालदार पछता हः हिरदास तझ बत पड़न क बावजद भी तरी आखो म चमक ह चहर पर धयर शाित और सननता झलक रही ह कया बात ह

हिरदासः म बोलता ह हिर बोल तब िसपाही ब होकर भी कहत हः ह हमस भी बलवाता ह हिर बोल हिर बोल हिर बोल तो ल इस बहान भी उनक मह स हिरनाम िनकलता ह दर सवर उनका भी क याण होगा इसी स मर िच म सननता ह

धनय ह हिरदास की हिरभि बर काज़ी क आदश का पालन करत हए िसपाही उस हिरभि स िहनद धमर की दीकषा स चयत करन क िलए बत मारत ह िफर भी वह िनडर हिरभि नही छोड़ता हिर बोल बोलना बद नही करता

व मसलमान िसपाही हिरदास को िहनद धमर की दीकषा क भाव स गौरा क भाव स दर हटाना चाहत थ लिकन वह दर नही हटा बत सहता रहा िकनत हिर बोल बोलना न छोड़ा आिखरकार उन बर िसपाहीयो न हिरदास को उठाकर नदी म बहा िदया

नदी म तो बहा िदया लिकन दखो हिरनाम का भाव मानो यमनाजी न उसको गोद म ल िलया डढ़ मील तक हिरदास पानी म बहता रहा वह शातिच होकर मानो उस पानी म नही हिर की कपा म बहता हआ दर िकसी गाव क िकनार िनकला दसर िदन गौराग की भातफरी म शािमल हो गया लोग आ यरचिकत हो गय िक चमतकार कस हआ

धनय ह वह मसलमान यवक हिरदास जो हिर क धयान म हिर क गान म हिर क कीतरन म गौराग क साथ रहा जस िववकाननद क साथ भिगनी िनविदता न भारत म अधयातम-धणर क चार म लगकर अपना नाम अमर कर िदया वस ही इस मसलमान यवक न हिरकीतरन म हिरधयान म अपना जीवन धनय कर िदया दजरन लोग हिरदास का बाल तक न बाका कर सक जो सचच दय स भगवान का हो जाता ह उसकी हजारो शऽ िमलकर भी कछ हािन नही कर सकत तो उस काज़ी की कया ताकत थी

लोगो न जाकर काज़ी स कहा िक आज हिरदास पनः गौराग की भातफरी म उपिःथत हो गया था काजी अतयनत अहकारी था उसन एक नोिटस भजा एक आदश चतनय महाभ (गौराग) को भजा िक कल स तम भातफरी नही िनकाल सकत तमहारी भातफरी पर बिदश लगाई जाती ह

गौराग न सोचा िक हम िकसी का बरा नही करत िकसी को कोई हािन नही पहचात अर वायम डल क दषण को दर करन क िलए तो शासन पस खचर करता ह िकनत िवचारो क दषण को दर करन क िलए हिरकीतरन जसा हिरभि जसा अमोघ उपाय कौन सा ह भल काजी और शासन की समझ म आय या न आय वातावरण को श करन क साथ-साथ िवचारो का दषण भी दर होना चािहए हम तो कीतरन करग और करवायग

जो लोग डरपोक थ भीर और कायर थ ढील-ढाल थ व बोलः बाबा जी रहन दो रहन दो अपना कया जो करग व भरग अपन तो घर म ही रहकर हिर ॐ हिर ॐ करग

गौराग न कहाः नही इस कार कायरो जसी बात करना ह तो हमार पास मत आया करो

दसर िदन जो डरपोक थ ऐस पाच-दस वयि नही आय बाकी क िहममतवाल िजतन थ व सब आय उनह दखकर और लोग भी जड़

गौराग बोलः आज हमारी भातफरी की पणारहित काजी क घर पर ही होगी

गौराग भ -म डली क साथ कीतरन करत-करत जब बाजार स गज़र तो कछ िहनद एव मसलमान भी कीतरन म जड़ गय उनको भी कीतरन म रस आन लगा व लोग काजी को गािलया दन लग िक काजी बदमाश ह ऐसा ह वसा ह आिद ETH आिद

तब गौराग कहत हः नही शऽ क िलए भी बरा मत सोचो

उनहोन सबको समझा िदया िक काजी क िलए कोई भी अपश द नही कहगा कसी महान ह हमारी िहनद सःकित िजसन हिरदास को बत मारन का आदश िदया उस कवल अपश द कहन क िलए भी गौराग मना कर रह ह इस भारती सःकित म िकतनी उदारता ह स दयता ह लिकन कायरता को कही भी ःथान नही ह

गौराग कीतरन करत-करत काजी क घर क िनकट पहच गय काजी घर की छत पर स इस भातफरी को दखकर दग रह गया िक मर मना करन पर भी इनहोन भातफरी िनकाली

और मर घर तक ल आय उसम मसलमान लड़क भी शािमल ह जयो ही वह भातफरी काजी क घर पहची काजी घर क अनदर िछप गया

गौराग न काजी का ार खटखटाया तब काजी या काजी की प ी न नही वरन चौकीदार न दरवाजा खोला वह बोलाः

काजी साहब घर पर नही ह

गौराग बोलः नही कस ह अभी तो हमन उनह घर की छत पर दखा था काजी को जाकर बोलो हमार मामा और मा भी िजस गाव की ह आप भी उसी गाव क हो इसिलए आप मर गाव क मामा लगत ह मामाजी भानजा ार पर आय और आप छप कर बठ यह शोभा नही दता बाहर आ जाईय

चौकीदार न जाकर काजी को सब कह सनाया गौराग क मभर वचन सनकर काजी का दय िपघल गया िजस पर मन ज म ढाय वह मझ मामा कहकर सबोिधत करता ह िजसक साथ मन बरता की वह मर साथ िकतना औदायर रखता ह यह सोचकर काजी का दय बदल गया वह ार पर आकर बोलाः

म तमस डरकर अनदर नही छपा कयोिक मर पास तो स ा ह कलम की ताकत ह लिकन हिरकीतरन स हिरनाम स िहनद तो कया मसलमान लड़क भी आनिदत हो रह ह उनका भी लह पिवऽ हो रहा ह यह दखकर मझ दःख हो रहा ह िक िजस नाम क उचचारण स उनकी रग-रग पावन हो रही ह उसी नाम क कारण मन हिरदास पर और तम पर ज म िकया िकसी क बहकाव म आकर तम लोगो पर फरमान जारी िकया अब म िकस मह स तमहार सामन आता इसीिलए म मह िछपाकर घर क अनदर घस गया था

भानजा(गौराग) बोलता हः मामा अब तो बाहर आ जाइय

मामा(काजी) बोलाः बाहर आकर कया कर

गौरागः कीतरन कर हिरनाम क उचचारण स छपी हई यो यता िवकिसत कर आनद गट कर

काजीः कया करना होगा

गौरागः म जसा बोलता ह ऐसा ही बोलना होगा बोिलएः हिर बोल हिर बोल

काजीः हिर बोल हिर बोल

गौरागः हिर बोल हिर बोल

काजीः हिर बोल हिर बोल

हिर बोल हिर बोल हिर बोल हिर बोल

हिर बोल हिर बोल हिर बोल हिर बोल

कीतरन करत-करत गौराग न अपनी िनगाहो स काजी पर कपा बरसाई तो काजी भी झमन लगा उस भी हिर बोल का रग लग गया जस इजन को ह डल दकर छोड़ दत ह तब भी इजन चलता रहता ह ऐस ही गौराग की कपादि स काजी भी झमन लगा

काजी क झमन स वातावरण म और भी रग आ गया काजी तो झम गया काजी की प ी भी झमी और चौकीदार भी झम उठा सब हिरकीतरन म झमत-झमत अपन र को पावन करन लग दय को हिररस स सराबोर करन लगा उनक जनम-जनम क पाप-ताप न होन लग िजस पर भगवान की दया होती ह िजसको साधओ का सग िमलता ह सतसग का सहारा िमलता ह और भारतीय सःकित की महानता को समझन की अकल िमलती ह िफर उसक उ ार म कया बाकी रह जाता ह काजी का तो उ ार हो गया

दखो सत की उदारता एव महानता िजसन िहनदओ पर ज म करवाय भ हिरदास को बत मरवात-मरवात यमना जी म डलवा िदया भातफरी पर ितबध लगवा िदया उसी काजी को गौराग न हिररग म रग िदया अपनी कपादि स िनहाल कर िदया उसक बर कम की धयान न दत हए भि का दान द िदया ऐस गौराग क ौीचरणो म हमार हजार-हजार णाम ह हम उस मसलमान यवक हिरदास को भी धनयवाद दत ह िक उसन बत खात पीड़ा सहत भी भि न छोड़ी गरदव को न छोड़ा न ही उनक दबाव म आकर पनः मसलमान बना हिर बोल क रग म ःवय रगा और िसपािहयो को भी रग िदया धनय ह हिरदास और उसकी हिरभि

(अनबम)

बनावटी ौगार स बचो जमरनी क िस दाशरिनक शोपनहार कहत ह िक िजन दशो म हिथयार बनाय जात ह

उन दशो क लोगो को य करन की उ जना होती ह और उन दशो म हिथयार बनत ही रहत ह य भी होत रहत ह ऐस ही जो लोग फशन करत ह उनक दय म काम बोध लोभ मोह रपी य होता ही रहता ह उनक जीवन म िवलािसता आती ह और पतन होता ह वस ही फशन और िवलािसता स सयम सदाचार और यो यता का सहार होता ह

इसिलए य क साधन बढ़न स जस य होता ह वस ही िवलािसता और फशन क साधनो का उपयोग करन स अतयर होता ह अपनी आितमक शि यो का सहार होता ह अतः अपना भला चाहन वाल भाई-बहनो को पफ-पाउडर िलपिःटक-लाली व -अलकार क िदखाव क पीछ नही पड़ना चािहए सयम सादगी एव पिवऽतापणर जीवन जीना चािहए

अपन शा ो म ौगार की अनमित दी गई ह सौभा यवती ि या जब पित अपन ही नगर म हो घर म हो तब ौगार कर पित यिद दर दश गया हो तब सौभा यवित ि यो को भी सादगीपणर जीवन जीना चािहए ौगार क उपयोग म आनवाली वःतए भी वनिःपतयो एव साि वक रसो स बनी हई होनी चािहए जो सननता और आरो यता दान कर

आजकल तो शरीर म उ जना पदा कर बीमािरया पदा कर ऐस किमक स(रसायनो) और जहर जस साधनो स ौगार-साधन बनाए जात ह िजसस शरीर क अनदर जहरील कण जात ह और तवचा की बीमािरया होती ह आहार म भी जहरील कणो क जान स पाचन-तऽ और मानिसक सतलन िबगड़ता ह साथ ही बौि क एव वचािरक सतलन भी िबगड़ता ह

पशओ की चब किमक स और दसर थोड़ जहरील िवयो स बन पफ-पाउडर िलपिःटक-लाली आिद िजन साधनो का यटी-पालरर म उपयोग िकया जाता ह वसी गदगी कभी-भी अपन शरीर को तो लगानी ही नही चािहए दसर लोगो न लगायी हो तो दखकर सनन भी नही होना चािहए अपन सयम और सदाचार की सनदरता को गट करना चािहए मीरा और शबरी िकस यटी-पालरर म गय थ सती अनसया गाग और मदालसा न िकस पफ-पाउडर लाली-िलपिःटक का उपयोग िकया था िफर भी उनका जीवन सनदर तजःवी था हम भी ई र स ाथरना कर िक ह भगवान हम अपना सयम और साधना का सौनदयर बढ़ाए ऐसी त दया करना िवकारी सौनदयर स अपन को बचाकर िनिवरकारी नारायण की ओर जाय ऐसी त दया करना िवलािसता म अपन समय को न लगाकर तर ही धयान-िचतन म हमारा समय बीत ऐसी त कपा करना

किऽम सौनदयर-साधन स तवचा की िःन धता और कोमलता मर जाती ह पफ-पाउडर बीम आिद स शरीर की कदरती िःन धता खतम हो जाती ह ाकितक सौनदयर को न करक

जो किऽम सौनदयर क गलाम बनत ह उनस ःनहभरी सलाह ह िक व पफ-पाउडर आिद और तड़कील-भड़कील व आिद की गलामी को छोड़कर ाकितक सौनदयर को बढ़ान की कोिशश कर मीरा और मदालसा की तरह अपन असली सौनदयर को कट करन की कोिशश कर

(अनबम)

साहसी बालक एक लड़का काशी म हिर नि हाईःकल म पढ़ता था उसका गाव काशी स आठ मील दर

था वह रोजाना वहा स पदल चलकर आता बीच म जो गगा नदी बहती ह उस पार करक िव ालय पहचता

उस जमान म गगा पार करन क िलए नाव वाल को दो पस दन पड़त थ दो पस आन क और दो पस जान क कल चार पस यािन पराना एक आना महीन म करीब दो रपय हए जब सोन क एक तोल का भाव रपया सौ स भी नीच था तब क दो रपय आज क तो पाच-पचचीस रपय हो जाए

उस लड़क न अपन मा-बाप पर अितिर बोझा न पड़ इसिलए एक भी पस की माग नही की उसन तरना सीख िलया गम हो बािरश हो या ठ ड हो गगा पार करक हाईःकल म जाना उसका बम हो गया इस कार िकतन ही महीन गजर गय

एक बार पौष मास की ठ ड म वह लड़का सबह की ःकल भरन क िलए गगा म कदा तरत-तरत मझधार म आया एक नाव म कछ याऽी नदी पार कर रह थ उनहोन दखा िक छोटा-सा लड़का अभी डब मरगा व उसक पास नाव ल गय और हाथ पकड़ कर उस नाव म खीच िलया लड़क क मख पर घबराहट या िचनता की कोई रखा नही थी सब लोग दग रह गय इतना छोटा ह और इतना साहसी ह व बोलः

त अभी डब मरता तो ऐसा साहस नही करना चािहए

तब लड़का बोलाः साहस तो होना ही चािहए जीवन म िव न-बाधाए आयगी उनह कचलन क िलए साहस तो चािहए ही अगर अभी स साहस नही जटाया तो जीवन म बड़-बड़ कायर कस कर पायग

लोगो न पछाः इस समय तरन कयो िगरा दोपहर को नहान आता

लड़का बोलता हः म नहान क िलए नदी म नही िगरा ह म तो ःकल जा रहा ह

नाव म बठकर जाता

रोज क चार पस आन-जान क लगत ह मर गरीब मा-बाप पर मझ बोझा नही बनना ह मझ तो अपन परो पर खड़ होना ह मरा खचर बढ़ तो मर मा-बाप की िचनता बढ़ उनह घर चलाना मिकल हो जाय

लोग उस आदर स दखत ही रह गय वही साहसी लड़का आग चलकर भारत का धान मऽी बना

वह लड़का कौन था पता ह व थ लाल बहादर शा ी शा ी जी उस पद भी सचचाई साहस सरलता ईमानदारी सादगी दशम आिद सदगण और सदाचार क मितरमनत ःवरप थ ऐस महापरष भल िफर थोड़ा-सा समय ही राजय कर पर एक अनोखा भाव छोड़ जात ह जनमानस पर

(अनबम)

गर-आजञापालन का चमतकार ौीम आ ाशकराचायर जी जब काशी म िनवास करत थ तब गगा-तट पर िनतय ात-

काल टहलत थ एक सबह िकसी ितभासपनन यवक न दसर िकनार स दखा िक कोई सनयासी उस पार टहल रह ह उस यवक न दसर िकनार स ही उनह णाम िकया उस यवक को दखकर आ शकराचायर जी न सकत िकया िक इधर आ जाओ उस आभासमपनन यवक न दखा िक मन तो साध को णाम कर िदया ह णाम कर िदया तो म उनका िशय हो गया और उनहोन मझ आदश िदया िक इधर आ जाओ अब गर की आजञा का उ लघन करना भी तो उिचत नही ह िकनत यही कोई नाव नही ह और म तरना भी नही जानता ह अब कया कर उसक मन म िवचार आया िक वस भी तो हजारो बार हम मर चक ह एक बार यिद गर क दशरन क िलए जात-जात मर जाय तो घाटा कया होगा

गग मात की जय कह कर उस यवक न तो गगाजी म पर रख िदया उसकी इचछा कहो ौीम आ शकराचायर जी का भाव कहो या िनयित की लीला कहो जहा उस यवक न कदम रखा वहा एक कमल पदा हो गया उसक पर को थामन क िलए जब दसरा पर रखा तो वहा भी कमल पदा हो गया इस कार जहा-जहा वह कदम रखता गया वहा कमल (प ) उतपनन होता गया और वह यवक गगा क दसर तट पर जहा आ शकराचायर जी खड़ थ पहच गया

जहा-जहा वह कदम रखता था वहा-वहा प (कमल) क कट होन क कारण उसका नाम पड़ा - प पादाचायर शकराचायर जी क म य चार प टिशयो म आग जाकर यही प पादाचायर एक प टिशय बन

कहन का तातपयर यह ह िक सिचचदानद परमातमा की शि का सामथयर का बयान करना सभव नही ह िजसकी िजतनी दढ़ता ह िजसकी िजतनी सचचाई ह िजसकी िजतनी ततपरता ह उतनी ही कित भी उसकी मदद करन को आतर रहती ह प पादाचायर की गर-आजञापालन म दढ़ता और ततपरता को दखकर गगा जी म कमल गट हो गय िशय यिद दढ़ता ततपरता और ईमानदारी स गर-आजञापालन म लग जाय तो कित भी उसक अनकल हो जाती ह

(अनबम)

अनोखी गरदिकषणा एकलवय गर िोणाचायर क पास आकर बोलाः मझ धनिवर ा िसखान की कपा कर

गरदव गर िोणाचायर क समकष धमरसकट उतपनन हआ कयोिक उनहोन भीम िपतामह को वचन

द िदया था िक कवल राजकमारो को ही म िशकषा दगा एकलवय राजकमार नही ह अतः उस धनिवर ा कस िसखाऊ अतः िोणाचायर न एकलवय स कहाः

म तझ धनिवर ा नही िसखा सकगा

एकलवय घर स िन य करक िनकला था िक म कवल गर िोणाचायर को ही गर बनाऊगा िजनक िलए मन म भी गर बनान का भाव आ गया उनक िकसी भी वयवहार क िलए िशकायत या िछिानवषण की वि नही होनी चािहए

एकलवय एकात अर य म गया और उसन गर िोणाचायर की िम टी की मितर बनायी मितर की ओर एकटक दखकर धयान करक उसी स रणा लकर वह धनिवर ा सीखन लगा एकटक दखन स एकामता आती ह एकामता गरभि अपनी सचचाई और ततपरता क कारण उस रणा िमलन लगी जञानदाता तो परमातमा ह धनिवर ा म वह बहत आग बढ़ गया

एक बार िोणाचायर पाडव एव कौरव धनिवर ा का योग करन अर य म आय उनक साथ एक क ा भी था जो थोड़ा आग िनकल गया क ा वही पहचा जहा एकलवय अपनी धनिवर ा का योग कर रहा था एकलवय क खल बाल फट कपड़ एव िविचऽ वष को दखकर क ा भ कन लगा

एकलवय न क को लग नही चोट न पहच और उसका भ कना बद हो जाय इस ढग स सात बाण उसक मह म थमा िदय क ा वािपस वहा गया जहा िोणाचायर क साथ पाडव और कौरव थ

उस दखकर अजरन को हआ िक क को चोट न लग इस ढग स बाण मह म घसाकर रख दना यह िव ा तो म भी नही जानता यह कस सभव हआ वह गर िोणाचायर स बोलाः

गरदव आपन तो कहा था िक मरी बराबरी का दसरा कोई धनधाररी नही होगा िकनत ऐसी िव ा तो मझ भी नही आती

िोणाचायर को हआ िक दख इस अर य म कौन-सा ऐसा कशल धनधरर ह आग जाकर दखा तो वह था िहर यधन का पऽ गरभ एकलवय

िोणाचायर न पछाः बटा यह िव ा त कहा स सीखा

एकलवय बोलाः गरदव आपकी ही कपा स सीखा ह

िोणाचायर तो वचन द चक थ िक अजरन की बराबरी का धनधरर दसरा कोई न होगा िकनत यह तो आग िनकल गया गर क िलए धमरसकट खड़ा हो गया एकलवय की अटट ौ ा दखकर िोणाचायर न कहाः मरी मितर को सामन रखकर त धनिवर ा तो सीखा िकनत गरदिकषणा

एकलवयः जो आप माग

िोणाचायरः तर दाय हाथ का अगठा

एकलवय न एक पल भी िवचार िकय िबना अपन दाय हाथ का अगठा काटकर गरदव क चरणो म अपरण कर िदया

िोणाचायरः बटा भल ही अजरन धनिवर ा म सबस आग रह कयोिक म उस वचन द चका ह िकनत जब तक सयर चनि नकषऽो का अिःततव रहगा तब तक लोग तरी गरिन ा का तरी गरभि का ःमरण करग तरा यशोगान होता रहगा

उसकी गरभि और एकामता न उस धनिवर ा म तो सफलता िदलायी ही लिकन सतो क दय म भी उसक िलए आदर गट करवा िदया धनय ह एकलवय जो गरमितर स रणा पाकर धनिवर ा म सफल हआ और िजसन अदभत गरदिकषणा दकर साहस तयाग और समपरण का पिरचय िदया

(अनबम)

सतसग की मिहमा तलसीदास जी महाराज कहत ह ETH

एक घड़ी आधी घड़ी आधी म पिन आध तलसी सगत साध की हर कोिट अपराध

एक बार शकदव जी क िपता भगवान वदवयासजी महाराज कही जा रह थ राःत म उनहोन दखा िक एक कीड़ा बड़ी तजी स सड़क पार कर रहा था

वदवयासजी न अपनी योगशि दत हए उसस पछाः त इतनी ज दी सड़क कयो पार कर रहा ह कया तझ िकसी काम स जाना ह त तो

नाली का कीड़ा ह इस नाली को छोड़कर दसरी नाली म ही तो जाना ह िफर इतनी तजी स कयो भाग रहा ह

कीड़ा बोलाः बाबा जी बलगाड़ी आ रही ह बलो क गल म बध घघर तथा बलगाड़ी क पिहयो की आवाज म सन रहा ह यिद म धीर-धीर सड़क पार करगा तो वह बलगाड़ी आकर मझ कचल डालगी

वदवयासजीः कचलन द कीड़ की योिन म जीकर भी कया करना

कीड़ाः महिषर ाणी िजस शरीर म होता ह उसको उसम ही ममता होती ह अनक ाणी नाना कार क क ो को सहत हए भी मरना नही चाहत

वदवयास जीः बलगाड़ी आ जाय और त मर जाय तो घबराना मत म तझ योगशि स महान बनाऊगा जब तक ा ण शरीर म न पहचा द अनय सभी योिनयो स शीय छटकारा िदलाता रहगा

उस कीड़ न बात मान ली और बीच राःत पर रक गया और मर गया िफर वदवयासजी की कपा स वह बमशः कौआ िसयार आिद योिनयो म जब-जब भी उतपनन हआ वयासजी न जाकर उस पवरजनम का ःमरण िदला िदया इस तरह वह बमशः मग पकषी शि वय जाितयो म जनम लता हआ कषिऽय जाित म उतपनन हआ उस वहा भी वदवयासजी दशरन िदय थोड़ िदनो म रणभिम म शरीर तयागकर उसन ा ण क घर जनम िलया

भगवान वदवयास जी न उस पाच वषर की उ म सारःवतय मऽ द िदया िजसका जप करत-करत वह धयान करन लगा उसकी बि बड़ी िवलकषण होन पर वद शा धमर का रहःय समझ म आ गया

सात वषर की आय म वदवयास जी न उस कहाः काि रक कषऽ म कई वष स एक ा ण ननदभि तपःया कर रहा ह तम जाकर उसकी

शका का समाधान करो

माऽ सात वषर का ा ण कमार काि रक कषऽ म तप कर रह उस ा ण क पास पहच कर बोलाः

ह ा णदव आप तप कयो कर रह ह

ा णः ह ऋिषकमार म यह जानन क िलए तप कर रहा ह िक जो अचछ लोग ह सजजन लोग ह व सहन करत ह दःखी रहत ह और पापी आदमी सखी रहत ह ऐसा कयो ह

बालकः पापी आदमी यिद सखी ह तो पाप क कारण नही वरन िपछल जनम का कोई प य ह उसक कारण सखी ह वह अपन प य खतम कर रहा ह पापी मनय भीतर स तो दःखी ही होता ह भल ही बाहर स सखी िदखाई द

धािमरक आदमी को ठ क समझ नही होती उिचत िदशा व मऽ नही िमलता इसिलए वह दःखी होता ह वह धमर क कारण दःखी नही होता अिपत समझ की कमी क कारण दःखी होता ह समझदार को यिद कोई गर िमल जाय तो वह नर म स नारायण बन जाय इसम कया आ यर ह

ा णः म इतना बढ़ा हो गया इतन वष स काि रक कषऽ म तप कर रहा ह मर तप का फल यही ह िक तमहार जस सात वषर क योगी क मझ दशरन हो रह ह म तमह णाम करता ह

बालकः नही नही महाराज आप तो भदव ह म तो बालक ह म आपको णाम करता ह

उसकी नता दखकर ा ण और खश हआ तप छोड़कर वह परमातमिचनतन म लग गया अब उस कछ जानन की इचछा नही रही िजसस सब कछ जाना जाता ह उसी परमातमा म िवौाित पान लग गया

इस कार ननदभि ा ण को उ र द िनःशक कर सात िदनो तक िनराहार रहकर वह बालक सयरमनऽ का जप करता रहा और वही बहदक तीथर म उसन शरीर तयाग िदया वही बालक दसर जनम म कषार िपता एव िमऽा माता क यहा गट हआ उसका नाम मऽय पड़ा इनहोन वयासजी क िपता पराशरजी स िवण-पराण तथा बहत पाराशर होरा शा का अधययन िकया था पकषपात रिहत अनभवकाश नामक मनथ म मऽय तथा पराशर ऋिष का सवाद आता ह

कहा तो सड़क स गजरकर नाली म िगरन जा रहा कीड़ा और कहा सत क सािननधय स वह मऽय ऋिष बन गया सतसग की बिलहारी ह इसीिलए तलसीदास जी कहत ह ETH

तात ःवगर अपवगर सख धिरअ तला एक अग तल न तािह सकल िमली जो सख लव सतसग

यहा एक शका हो सकती ह िक वह कीड़ा ही मऽय ऋिष कयो नही बन गया

अर भाई यिद आप पहली ककषा क िव ाथ हो और आपको एम ए म िबठाया जाय तो कया आप पास हो सकत हो नही दसरी तीसरी चौथी दसवी बारहवी बीए आिद पास करक ही आप एमए म वश कर सकत हो

िकसी चौकीदार पर कोई धानमनऽी अतयिधक सनन हो जाए तब भी वह उस सीधा कलकटर (िजलाधीश) नही बना सकता ऐस ही नाली म रहन वाला कीड़ा सीधा मनय तो नही

हो सकता बि क िविभनन योिनयो को पार करक ही मनय बन सकता ह हा इतना अवय ह िक सतकपा स उसका मागर छोटा हो जाता ह

सतसमागम की साध परषो स सग की मिहमा का कहा तक वणरन कर कस बयान कर एक सामानय कीड़ा उनक सतसग को पाकर महान ऋिष बन सकता ह तो िफर यिद मानव को िकसी सदगर का सािननधय िमल जाय उनक वचनानसार चल पड़ तो मि का अनभव करक जीवनम भी बन सकता ह

(अनबम)

पीड़ पराई जान र जञानी िकसी स यार करन क िलए बध हए नही ह और िकसी को डाटन म भी राजी

नही ह हमारी जसी यो यता होती ह ऐसा उनका वयवहार हमार ित होता ह लीलाशाह बाप क ौीचरणो म बहत लोग गय थ एक लड़का भी गया था वह मिणनगर

म रहता था िशवजी को जल चढ़ान क प ात ही वह जल पीता वह लड़का खब िन ा स धयान-भजन करता और सवा पजा करता

एक िदन कोई वयि राःत म बहोश पड़ा हआ था िशवजी को जल चढ़ान जात समय उस बालक न उस दखा और अपनी पजा-वजा छोड़कर उस गरीब की सवा म लग गया िबहार का कोई यवक था नौकरी की खोज म आया था कालपर(अहमदाबाद) ःटशन क लटफामर पर एक दो िदन रहा किलयो न मारपीट कर भगा िदया चलत-चलत मिणनगर म पनीत आौम की ओर रोटी की आशा म जा रहा था रोटी तो वहा नही िमलती थी इसिलए भख क कारण चलत-चलत राःत म िगर गया और बहोश हो गया

उस लड़क का घर पनीत आौम क पास ही था सबह क दस साढ़ दस बज थ वह लड़का घर स धयान-भजन स िनपटकर मिदर म िशवजी को जल चढ़ान क िलए जल का लोटा और पजा की साममी लकर जा रहा था उसन दखा िक राःत म कोई यवक पड़ा ह राःत म चलत-चलत लोग बोलत थः शराब पी होगी यह होगा वह होगा हम कया

लड़क को दया आई प य िकय हए हो तो रणा भी अचछ िमलती ह शभ कम स शभ रणा िमलती ह अपन पास की पजा साममी एक ओर रखकर उसन उस वयि को िहलाया बहत मिकल स उसकी आख खली कोई उस जत सघाता कोई कछ करता कोई कछ बोलता था

आख खोलत ही वह वयि धीर स बोलाः पानी पानी

लड़क न महादव जी क िलय लाया हआ जल का लोटा उस िपला िदया िफर दोड़कर घर जाकर अपन िहःस का दध लाकर उस िदया

यवक क जी म जी आया उसन अपनी वयथा बतात हए कहाः बाब जी म िबहार स आया ह मर बाप गजर गय काका िदन-रात टोकत रहत त िक

कमाओ नही तो खाओग कया नौकरी धधा िमलता नही ह भटकत-भटकत अहमदाबाद क ःटशन पर कली का काम करन का य िकया हमारी रोटी-रोजी िछन जायगी ऐसा समझकर किलयो न खब मारा पदल चलत-चलत मिणनगर ःटशन की ओर आत-आत यहा तीन िदन की भख और मार क कारण चककर आय और िगर गया

लड़क न उस िखलाया अपना इक ठा िकया हआ जबखचर का पसा िदया उस यवक को जहा जाना था वहा भजन की वयवःथा की इस लड़क क दय म आनद की वि हई अतर म आवाज आईः

बटा अब म तझ बहत ज दी िमलगा

लड़क न िकयाः अनदर कौन बोलता ह

उ र आयाः िजस िशव की त पजा करता ह वह तरा आतमिशव अब म तर दय म कट होऊगा सवा क अिधकारी की सवा मझ िशव की ही सवा ह

उस िदन उस अतयारमी न अनोखी ऱणा और ोतसाहन िदया वह लड़का तो िनकल पड़ा घर छोड़कर ई र-साकषातकार करन क िलए कदारनाथ वनदावन होत हए निनताल क अर य म पहचा

कदारनाथ क दशरन पाय लकषािधपित आिशष पाय

इस आशीवारद को वापस कर ई राि क िलए िफर पजा की उसक पास जो कछ रपय पस थ उनह वनदावन म साध-सतो एव गरीबो म भ डारा करक खचर कर िदया था थोड़ स पस लकर निनताल क अर यो म पहचा लोकलाड़ल लाखो दयो को हिररस िपलात पजयपाद सदगर ौी लीलाशाह बाप की राह दखत हए चालीस िदन बीत गय गरवर ौी लीलाशाह को अब पणर समिपरत िशय िमला पणर खजाना ा करन वाला पिवऽातमा िमला पणर गर की पणर िशय िमला

िजस लड़क क िवषय म यह कथा पढ़ रह ह वह लड़का कौन होगा जानत हो

पणर गर कपा िमली पणर गर का जञान आसमल स हो गय साई आसाराम

अब तो समझ ही गय होग (उस लड़क क वश म छप हए थ पवर जनम क योगी और वतरमान म िव िव यात हमार

पजयपाद सदगरदव ौी आसाराम जी महाराज)

(अनबम)

िवकास क बिरयो स सावधान किपलवःत क राजा श ोदन का यवराज था िस ाथर यौवन म कदम रखत ही िववक

और वरा य जाग उठा यवान प ी यशोधरा और नवजात िशश राहल की मोह-ममता की रशमी जजीर काटकर महाभीिनबमण (गहतयाग) िकया एकानत अर य म जाकर गहन धयान साधना करक अपन साधय त व को ा कर िलया

एकानत म तप यार और धयान साधना स िखल हए इस आधयाितमक कसम की मधर

सौरभ लोगो म फलन लगी अब िस ाथर भगवान ब क नाम स जन-समह म िस हए हजारो हजारो लोग उनक उपिद मागर पर चलन लग और अपनी अपनी यो यता क मतािबक आधयाितमक याऽा म आग बढ़त हए आितमक शाित ा करन लग अस य लोग बौ िभकषक बनकर भगवान ब क सािननधय म रहन लग उनक पीछ चलन वाल अनयायीओ का एक सघ ःथािपत हो गया चह ओर नाद गजन लग िकः

ब शरण गचछािम धमम शरण गचछािम सघ शरण गचछािम

ौावःती नगरी म भगवान ब का बहत यश फला लोगो म उनकी जय-जयकार होन लगी लोगो की भीड़-भाड़ स िवर होकर ब नगर स बाहर जतवन म आम क बगीच म रहन लग नगर क िपपास जन बड़ी तादाद म वहा हररोज िनि त समय पर पहच जात और उपदश-वचन सनत बड़-बड़ राजा महाराजा भगवान ब क सािननधय म आन जान लग

समाज म तो हर कार क लोग होत ह अनािद काल स दवी समपदा क लोग एव आसरी समपदा क लोग हआ करत ह ब का फलता हआ यश दखकर उनका तजो ष करन वाल लोग जलन लग सतो क साथ हमशा स होता आ रहा ह ऐस उन द त वो न ब को बदनाम करन क िलए कचार िकया िविभनन कार की यि -यि या लड़ाकर ब क यश को हािन पहच ऐसी बात समाज म व लोग फलान लग उन द ो न अपन ष यऽ म एक वया को समझा-बझाकर शािमल कर िलया

वया बन-ठनकर जतवन म भगवान ब क िनवास-ःथानवाल बगीच म जान लगी

धनरािश क साथ द ो का हर कार स सहारा एव ोतसाहन उस िमल रहा था रािऽ को वही रहकर सबह नगर म वािपस लोट आती अपनी सिखयो म भी उसन बात फलाई

लोग उसस पछन लगः अरी आजकल त िदखती नही ह कहा जा रही ह रोज रात को

म तो रोज रात को जतवन जाती ह व ब िदन म लोगो को उपदश दत ह और रािऽ क समय मर साथ रगरिलया मनात ह सारी रात वहा िबताकर सबह लोटती ह

वया न परा ीचिरऽ आजमाकर ष यऽ करन वालो का साथ िदया लोगो म पहल तो हलकी कानाफसी हई लिकन जयो-जयो बात फलती गई तयो-तयो लोगो म जोरदार िवरोध होन लगा लोग ब क नाम पर िफटकार बरसान लग ब क िभकषक बःती म िभकषा लन जात तो लोग उनह गािलया दन लग ब क सघ क लोग सवा-वि म सल न थ उन लोगो क सामन भी उगली उठाकर लोग बकवास करन लग

ब क िशय जरा असावधान रह थ कचार क समय साथ ही साथ स चार होता तो कचार का इतना भाव नही होता िशय अगर िनिबय रहकर सोचत रह जाय िक करगा सो भरगा भगवान उनका नाश करग तो कचार करन वालो को ख ला मदान िमल जाता ह

सत क सािननधय म आन वाल लोग ौ ाल सजजन सीध साद होत ह जबिक द वि करन वाल लोग किटलतापवरक कचार करन म कशल होत ह िफर भी िजन सतो क पीछ सजग समाज होता ह उन सतो क पीछ उठन वाल कचार क तफान समय पाकर शात हो जात ह और उनकी सतवि या काशमान हो उठती ह

कचार न इतना जोर पकड़ा िक ब क िनकटवत लोगो न ऽािहमाम पकार िलया व समझ गय िक यह वयविःथत आयोजनपवरक ष यऽ िकया गया ह ब ःवय तो पारमािथरक सतय म जाग हए थ व बोलतः सब ठ क ह चलन दो वयवहािरक सतय म वाहवाही दख ली अब िननदा भी दख ल कया फकर पड़ता ह

िशय कहन लगः भनत अब सहा नही जाता सघ क िनकटवत भ भी अफवाहो क िशकार हो रह ह समाज क लोग अफवाहो की बातो को सतय मानन लग गय ह

ब ः धयर रखो हम पारमािथरक सतय म िवौाित पात ह यह िवरोध की आधी चली ह तो शात भी हो जाएगी समय पाकर सतय ही बाहर आयगा आिखर म लोग हम जानग और मानग

कछ लोगो न अगवानी का झ डा उठाया और राजयस ा क समकष जोर-शोर स माग की

िक ब की जाच करवाई जाय लोग बात कर रह ह और वया भी कहती ह िक ब रािऽ को मर साथ होत ह और िदन म सतसग करत ह

ब क बार म जाच करन क िलए राजा न अपन आदिमयो को फरमान िदया अब ष यऽ करनवालो न सोचा िक इस जाच करन वाल पच म अगर सचचा आदमी आ जाएगा तो अफवाहो का सीना चीरकर सतय बाहर आ जाएगा अतः उनहोन अपन ष यऽ को आिखरी

पराका ा पर पहचाया अब ऐस ठोस सबत खड़ा करना चािहए िक ब की ितभा का अःत हो जाय

उनहोन वया को दार िपलाकर जतवन भज िदया पीछ स ग डो की टोली वहा गई वया पर बलातकार आिद सब द कतय करक उसका गला घोट िदया और लाश को ब क बगीच म गाड़कर पलायन हो गय

लोगो न राजयस ा क ार खटखटाय थ लिकन स ावाल भी कछ लोग द ो क साथ जड़ हए थ ऐसा थोड़ ही ह िक स ा म बठ हए सब लोग दध म धोय हए वयि होत ह

राजा क अिधकािरयो क ारा जाच करन पर वया की लाश हाथ लगी अब द ो न जोर-शोर स िच लाना शर कर िदया

दखो हम पहल ही कह रह थ वया भी बोल रही थी लिकन तम भगतड़ लोग मानत ही नही थ अब दख िलया न ब न सही बात खल जान क भय स वया को मरवाकर बगीच म गड़वा िदया न रहगा बास न बजगी बासरी लिकन सतय कहा तक िछप सकता ह म ामाल हाथ लग गया इस ठोस सबत स ब की असिलयत िस हो गई सतय बाहर आ गया

लिकन उन मख का पता नही िक तमहारा बनाया हआ कि पत सतय बाहर आया वाःतिवक सतय तो आज ढाई हजार वषर क बाद भी वसा ही चमक रहा ह आज ब को लाखो लोग जानत ह आदरपवरक मानत ह उनका तजो ष करन वाल द लोग कौन-स नरको म जलत होग कया पता

ढाई हजार वषर पहल ब क जमान म भी सतो क साथ ऐसा घोर अनयाय हआ करता था ऋिष दयाननद को भी ऐस ही त वो न तजो ष क कारण बाईस बार िवष दकर मार डालन का यास िकया ःवामी िववकाननद और ःवामी रामतीथर क पीछ भी द लोगो न वया को तयार करक कीचड़ उछाला था

एक ओर लाखो-लाखो लोग सतो की अनभवय वाणी स अपना वयावहािरक ETH आधयाितमक जीवन उननत करक सख-शाित पात ह दसरी ओर कछ द कित क ःवाथ लोग अपना उ ल सीधा करन क िलए ऐस महापरषो क िवर म ष यऽ रचकर उनको बदनाम करत ह यह तो पहल स चला आ रहा ह सत कबीर हो या नानक एकनाथ महाराज हो या सत तकाराम नरिसह महता हो या मीराबाई ायः सभी सतो को अपन जीवन क दौरान समाज क किटल त वो स पाला पड़ता ही रहा ह जीसस बाइःट को इनही त वो न बॉस पर चढ़ाया था उनही लोगो न सकरात को जहर िपलाकर मतयद ड िदया था मनसर को इसी जमात न शली पर चढ़ाया था ईसाई धमर म माट न यथर पर ज म िकया गया था अण-अण म ई र और नारीमाऽ म जगजजननी भगवती का दशरन करन वाल रामकण परमहस को भी लोगो न नही

छोड़ा था परमहस योगाननद रवीनिनाथ टगोर माट न यथर दिकषण भारत क सत ितरव लवर जापानी झन सत बाबो इितहास म िकतन-िकतन उदाहरण मौजद ह

हािसद धमरगर बा शमटोव अित पिवऽ आतमा थ िननदको न उनक इदरिगदर भी मायाजाल िबछा दी थी िसध क साई टउराम क पास अस य लोग आतमक याण हत जान लग तब िवकत िदमागवालो न उन सत को भी ऽास दना शर कर िदया उनक आौम क चह ओर गदगी डाल दत और कए म िम टी का तल उड़लकर पानी बकार कर दत मगल बादशाह बाबर को बहका कर उनही लोगो न गर नानक को कद करवाया था

भगवान ौीराम एव ौीकण को भी द जनो न छोड़ा नही था भगवान ौीराम क गर विश जी महाराज कहत हः

ह राम जी म जब बाजार स गजरता ह तब अजञानी मखर लोग मर िलए कया बकत ह म सब जानता ह लिकन मरा दयाल ःवभाव ह म इन सबका क याण चाहता ह

तमहार साथ यह ससार कछ अनयाय करता ह तमको बदनाम करता ह िननदा करता ह तो यह ससार की परानी रीत ह मनय की हीनवि कचार िननदाखोरी यह आजकल की ही बात नही ह अनािदकाल स ऐसा होता आया ह तम अपन आतमजञान क सःकार जगाकर आतमबल का िवकास करत जाओ मःकरात जाओ आधी तफानो को लाघकर आननदपवरक जीत जाओ

उस जमान म भगवान ब क पास आकर एक िभकषक न ाथरना कीः भनत मझ आजञा द म सभाए भरगा आपक िवचारो का चार करगा

मर िवचारो का चार

हा भगवन म बौ धमर फलाऊगा

लोग तरी िननदा करग गािलया दग

कोई हजर नही म भगवन को धनयवाद दगा िक य लोग िकतन अचछ ह य कवल श दहार करत ह मझ पीटत तो नही

लोग तझ पीटग भी तो कया करोग

भो म शब गजारगा िक य लोग हाथो स पीटत ह पतथर तो नही मारत

लोग पतथर भी मारग और िसर भी फोड़ दग तो कया करगा

िफर भी म आ ःत रहगा और भगवान का िदवय कायर करता रहगा कयोिक व लोग मरा िसर फोड़ग लिकन ाण तो नही लग

लोग जनन म आकर तझ मार दग तो कया करगा

भनत आपक िदवय िवचारो का चार करत-करत म मर भी गया तो समझगा िक मरा जीवन सफल हो गया

उस कतिन यी िभकषक की दढ़ िन ा दखकर भगवान ब सनन हो उठ उस पर उनकी करणा बरस पड़ी

ऐस िशय जब ब का चार करन िनकल पड़ तब कचार करन वाल धीर-धीर शात हो गय मनयो की उगिलया काट-काटकर माला बनाकर पहनन वाला अगिलमाल जसा बर हतयारा भी दयपिरवतरन पाकर ब की शरण म िभकषक होकर रहन लगा

आज हम ब को बहत आदर स जानत ह मानत ह उनक जीवनकाल क दौरान उनक पीछ लग हए द लोग कौन स नरक म सड़त होग रौरव नरक म या कभीपाक नरक म कौन-सी योिनयो म भटकत होग सअर बन होग िक नाली क कीड़ बन होग शतान बन होग िक राकषस बन होग मझ पता नही लिकन ब तो करोड़ो दयो म बस रह ह यह म मानता ह

सतय तो परमाथर ह आतमा ह परमातमा ह उसम िजतना िटकोग उतना तमहारा मगल होगा तमहारी िनगाह िजन पर पड़गी उनका भी मगल होगा

(अनबम)

कछ जानन यो य बात सय दय स पवर उठकर ःनान कर लना चािहए ातः खाली पट मटक का बासी पानी

पीना ःवाःथयद ह तलसी क प सय दय क प ात ही तोड़ दध म तलसी क प नही डालन चािहए तथा

दध क साथ खान भी नही चािहए तलसी क प खाकर थोड़ा पानी पीना िपय जलनित स पिह सौ कार क लाभ होत ह अपन मिःतक म एक कार का िवजाितय

िवय उतपनन होता ह यिद वह िवय वही अटक जाता ह तो बचपन म ही बाल सफद होन लगत ह इसस नजल की बीमारी भी होती ह यिद वह िवय नाक की तरफ आता ह तो सगनध-दगरनध का पता नही चल पाता और ज दी-ज दी जकाम हो जाता ह यिद वह िवय कान की तरफ आता ह तो कान बहर होन लगत ह और छोट-मोट ब ीस रोग हो सकत ह यिद वह िवय दात की तरफ आय तो दात छोटी उ म ही िगरन लगत ह यिद आख की तरफ वह िवय उतर तो चम लगन लगत ह जलनित यािन नाक स पानी खीचकर मह स िनकाल दन स वह िवय िनकल जाता ह गल क ऊपर क ायः सभी रोगो स मि िमल जाती ह

आईसबीम खान क बाद चाय पीना दातो क िलए अतयािधक हािनकारक होता ह

भोजन को पीना चािहए तथा पानी को खाना चािहए इसका मतलब यह ह िक भोजन को इतना चबाओ िक वह पानी की तरह पतला हो जाय और पानी अथवा अनय पय पदाथ को धीर-धीर िपयो

िकसी भी कार का पय पदाथर पीना हो तो दाया नथना बनद करक िपय इसस वह अमत जसा हो जाता ह यिद दाया ःवर(नथना) चाल हो और पानी आिद िपय तो जीवनशि (ओज) पतली होन लगती ह चयर की रकषा क िलए शरीर को तनदरःत रखन क िलए यह योग करना चािहए

तम चाह िकतनी भी महनत करो िकनत िजतना तमहारी नसो म ओज ह चयर की शि ह उतन ही तम सफल होत हो जो चाय-कॉफी आिद पीत ह उनका ओज पतला होकर पशाब ारा न होता जाता ह अतः चयर की रकषा क िलए चाय-कॉफी जस वयसनो स दर रहना रह

पढ़न क बाद थोड़ी दर शात हो जाना चािहए जो पढ़ा ह उसका मनन करो िशकषक ःकल म जब पढ़ात हो तब धयान स सनो उस व मःती-मजाक नही करना चािहए िवनोद-मःती कम स कम करो और समझन की कोिशश अिधक करो

जो सय दय क पवर नही उठता उसक ःवभाव म तमस छा जाता ह जो सय दय क पवर उठता ह उसकी बि शि बढ़ती ह

नीद म स उठकर तरत भगवान का धयान करो आतमःनान करो धयान म रिच नही होती तो समझना चािहए िक मन म दोष ह उनह िनकालन क िलए कया करना चािहए

मन को िनद ष बनान क िलए सबह-शाम माता-िपता को णाम करना चािहए गरजनो को णाम करना चािहए एव भगवान क नाम का जप करना चािहए भगवान स ाथरना करनी चािहए िक ह भगवान ह मर भ मरी धयान म रिच होन लग ऐसी कपा कर दो िकसी समय गद िवचार िनकल आय तो समझना चािहए िक अदर छप हए िवचार िनकल रह ह अतः खश होना चािहए िवचार आया और गया मर राम तो दय म ही ह ऐसी भावना करनी चािहए

िनदा करना तो अचछा नही ह िकनत िनदा सनना भी उिचत नही (अनबम)

शयन की रीत मनय को िकस ढग स सोना चािहए इसका भी तरीका होता ह सोत व पवर अथवा

दिकषण िदशा की ओर िसर करक ही सोना चािहए

भोजन करन क बाद िदन म दस िमनट आराम कर िकनत सोय नही भोजन क बाद दस िमनट बायी करवट लट सकत ह रािऽ को जागरण िकया हो इस कारण स कभी िदन म सोना पड़ वह अलग बात ह

सोत व नीच कोई गमर कबल आिद िबछाकर सोय तािक आपकी जीवनशि अिथग न हो जाय आपक शरीर की िव तशि भिम म न उतर जाय

(अनबम)

ःनान का तरीका शरीर की मजबती एव आरो यता क िलए रगड़-रगड़कर ःनान करना चािहए जो लोग

ठड दशो म रहत ह उनका ःवाःथय गमर दस क लोगो की अपकषा अचछा होता ह ठडी स अपना शरीर सधरता ह

ःनान करत व 12-15 िलटर पानी बा टी म लकर पहल उसम िसर डबाना चािहए िफर पर िभगोना चािहए पहल पर गील नही करन चािहए शरीर की गम ऊपर की ओर चढ़ती ह जो ःवाःथय क िलए हािनकारक होती ह

अतः पहल ठड पानी की बा टी भर ल िफर मह म पानी भरकर िसर को बा टी म डाल और आख पटपटाए इसस आखो की शि बढ़ती ह शरीर को रगड़-रगड़कर नहाए बाद म गील व स शरीर को रगड़-रगड़कर पोछ िजसस रोम कप का सारा मल बाहर िनकल जाय और रोमकप(तवचा क िछि) खल जायय तवचा क िछि बद रहन स ही तवचा की कई बीमािरया होती ह िफर सख कपड़ स शरीर को पोछ कर (अथवा थोड़ा गीला हो तब भी चल) सख साफ व पहन ल व भल साद हो िकनत साफ हो बासी कपड़ नही पहन हमशा धल हए कपड़ ही पहन इसस मन भी सनन रहता ह

पाच कार क ःनान होत हः ःनान दवःनान ऋिषःनान मानवःनान दानवःनान ःनानः -परमातमा का िचतन करक जल थल नहान वाला

ऐसा िचतन करक ा महतर म नहाना इस ःनान कहत ह दवःनानः दवनिदयो म ःनान या दवनिदयो का ःमरण करक सय दय स पवर नहाना यह

दवःनान ह ऋिषःनानः आकाश म तार िदखत हो और नहा ल यह ऋिषःनान ह ऋिषःनान करन

वाल की बि बड़ी तजःवी होती ह मानवःनानः सय दय क पवर का ःनान मानवःनान ह

दानवःनानः सय दय क प ात चाय पीकर नाता करक आठ नौ बज नहाना यह दानव ःनान ह

अतः हमशा ऋिषःनान करन का ही यास करना चािहए (अनबम)

ःवचछता का धयान यिद शरीर की सफाई रखी जाय तो मन भी सनन रहता ह आजकल अिधकतर लोग

श स ही मजन करत ह श की अपकषा नीम और बबल की दातौन जयादा अचछ होती ह और यिद श भी कर तो कभी-कभार श को गमर पानी स धोना चािहए अनयथा उसम बकटिरया(जीवाण) रह जात ह

िकतन ही लोग उगली स दात साफ करत ह तजरनी (अगठ क पास वाली थम उगली) स दात िघसन स मसड़ कमजोर हो जात ह तथा दात ज दी िगर जात ह कयोिक तजरनी म िव तशि का माण दसरी उगिलयो की अपकषा अिधक होता ह अतः उसस दात नही िघसन चािहए एव आखो को भी नही मसलना चािहए

िजस िदशा स हवा आती हो उस िदशा की ओर मह करक कभी-भी मलमऽ का िवसजरन नही करना चािहए सयर और चनिमा की ओर मख करक भी मलमऽ का िवसजरन नही करना चािहए

(अनबम)

ःमरणशि का िवकास यादशि बढ़ान का एक सनदर योग ह ETH ामरी ाणायाम सखासन प ासन या

िस ासन पर बठ हाथ की कोहनी की ऊचाई कनध तक रह इस कार रखकर हाथ की थम उगली(तजरनी) स दोनो कानो को धीर-स बद कर एकदम जोर स बद न कर िकनत बाहर का कछ सनाई न द इस कार धीर स कान बनद कर

अब गहर ास लकर थोड़ी दर रोक ओठ बद रखकर जस मर का गजन होता ह वस ॐsssss कहत हए गजन कर उसक बाद थोड़ी दर तक ास न ल पनः यही िबया दहराय ऐसा सबह एव शाम 8 स 10 बार कर यादशि बढ़ान का यह यौिगक योग ह इसस मिःतक की नािड़यो का शोधन होकर मिःतक म र सचार उिचत ढग स होता ह

और िवचार करन स भी बि शि का िवकास होता ह

सबह खाली पट तलसी क प एकाध काली िमचर चबाकर एक िगलास पानी पीन स भी ःमरणशि का िवकास होता ह रोग-ितकारक शि बढ़ती ह कनसर की बीमारी कभी नही होती जलदर-भगदर की बीमारी भी कभी नही होती

(अनबम)

वयि तव और वयवहार िकसी भी वयि तव का पता उसक वयवहार स ही चलता ह कई लोग वयथर च ा करत

ह एक होती ह सकाम च ा दसरी होती ह िनकाम च ा और तीसरी होती ह वयथर च ा वयथर च ा नही करनी चािहए िकसी क शरीर म कोई कमी हो तो उसका मजाक नही उड़ाना चािहए वरन उस मददरप बनना चािहए यह िनकाम सवा ह

िकसी की भी िनदा नही करनी चािहए िनदा करन वाला वयि िजसकी िनदा करता ह उसका तो इतना अिहत नही होता िजतना वह अपना अिहत करता ह जो दसरो की सवा करता ह दसरो क अनकल होता ह वह दसरो का िजतना िहत करता ह उसकी अपकषा उसका खद का िहत जयादा होता ह

अपन स जो उ स बड़ हो जञान म बड़ हो तप म बड़ हो उनका आदर करना चािहए िजस मनय क साथ बात करत हो वह मनय कौन ह यह जानकर बात करो तो आप वयवहार-कशल कहलाओग

िकसी को पऽ िलखत हो तो यिद अपन स बड़ हो तो ौी सबोधन करक िलखो सबोधन करन स सवाकयो की रचना स िश ता बढ़ती ह िकसी स बात करो तो सबोधन करक बात करो जो तकार स बात करता ह वह अिश कहलाता ह िश तापवरक बात करन स अपनी इजजत बढ़ती ह

िजसक जीवन म वयवहार-कशलता ह वह सभी कषऽो म सफल होता ह िजसम िवनता ह वही सब कछ सीख सकता ह िवनता िव ा बढ़ाती ह िजसक जीवन म िवनता नही ह समझो उसक सब काम अधर रह गय और जो समझता ह िक म सब कछ जानता ह वह वाःतव म कछ नही जानता

एक िचऽकार अपन गरदव क सममख एक सनदर िचऽ बनाकर लाया गर न िचऽ दखकर कहाः

वाह वाह सनदर ह अदभत ह

िशय बोलाः गरदव इसम कोई ऽिट रह गयी हो तो कपा करक बताइए इसीिलए म आपक चरणो म आया ह

गरः कोई ऽिट नही ह मझस भी जयादा अचछा बनाया ह

वह िशय रोन लगा उस रोता दखकर गर न पछाः तम कयो रो रह हो म तो तमहारी शसा कर रहा ह

िशयः गरदव मरी घड़ाई करन वाल आप भी यिद मरी शसा ही करग तो मझ मरी गि तया कौन बतायगा मरी गित कस होगी

यह सनकर गर अतयत सनन हो गय हमन िजतना जाना िजतना सीखा ह वह तो ठ क ह उसस जयादा जान सक सीख सक

ऐसा हमारा यास होना चािहए रामकण परमहस व हो गय थ िकसी न उनस पछाः बाबा जी आपन सब कछ जान

िलया ह

रामकण परमहसः नही म जब तक जीऊगा तब तक िव ाथ ही रहगा मझ अभी बहत कछ सीखना बाकी ह

िजनक पास सीखन को िमल उनस िवनतापवरक सीखना चािहए जो कछ सीखो सावधानीपवरक सीखो जीवन म िवनोद जररी ह िकनत िवनोद की अित न हो िजस समय पढ़त हो कछ सीखत हो कछ करत हो उस समय मःती नही िवनोद नही वरन जो कछ पढ़ो सीखो या करो उस उतसाह स धयान स और सावधानी स करो

पढ़न स पवर थोड़ धयानःथ हो जाओ पढ़न क बाद मौन हो जाओ यह गित की चाबी ह

माता-िपता स िचढ़ना नही चाह िजस मा-बाप न जनम िदया ह उनकी बातो को समझना चािहए अपन िलए उनक मन म िवशष दया हो िवशष म उतपनन हो ऐसा वयवहार करना चािहए

भल जाओ भल सब कछ माता-िपता को भलना नही अनिगनत उपकार ह उनक यह कभी िबसरना नही

माता-िपता को सतोष हो उनका दय सनन हो ऐसा हमारा वयवहार होना चािहए अपन माता-िपता एव गरजनो को सत रखकर ही हम सचची गित कर सकत ह

(अनबम)

  • पजय बाप जी का उदबोधन
  • कदम अपना आग बढाता चला जा
  • त गलाब होकर महक
  • जीवन विकास का मल सयम
  • तरिकाल सधया
  • शरीर सवासथय
  • अनन का परभाव
  • भारतीय ससकति की महानता
  • हरिदास की हरिभकति
  • बनावटी शरगार स बचो
  • साहसी बालक
  • गर-आजञापालन का चमतकार
  • अनोखी गरदकषिणा
  • सतसग की महिमा
  • पीड पराई जान र
  • विकास क बरियो स सावधान
  • कछ जानन योगय बात
  • शयन की रीत
  • सनान का तरीका
  • सवचछता का धयान
  • समरणशकति का विकास
  • वयकतितव और वयवहार
Page 16: Tu gulabhokarmehak

शरीर को ःथल करना कोई बड़ी बात नही ह और न ही इसकी ज़ररत ह लिकन बि को सआम करन की ज़ररत ह आहार यिद साि वक होगा तो बि भी सआम होगी इसिलए सदव साि वक भोजन ही करना चािहए

(अनबम)

भारतीय सःकित की महानता रवरनड ऑवर नाम का एक पादरी पना म िहनद धमर की िननदा और ईसाइयत का चार

कर रहा था तब िकसी सजजन न एक बार रवरनड ऑवर स कहाः आप िहनद धमर की इतनी िननदा करत हो तो कया आपन िहनद धमर का अधययन िकया

ह कया भारतीय सःकित को परी तरह स जानन की कोिशश की ह आपन कभी िहनद धमर को समझा ही नही जाना ही नही ह िहनद धमर म तो ऐस जप धयान और सतसग की बात ह िक िजनह अपनाकर मनय िबना िवषय-िवकारी क िबना िडःको डास(नतय) क भी आराम स रह सकता ह आनिदत और ःवःथ रह सकता ह इस लोक और परलोक दोनो म सखी रह सकता ह आप िहनद धमर को जान िबना उसकी िनदा करत हो यह ठ क नही ह पहल िहनद धमर का अधययन तो करो

रवरनड ऑवर न उस सजजन की बात मानी और िहनद धमर की पःतको को पढ़न का िवचार िकया एकनाथजी और तकारामजी का जीवन चिरऽ जञान र महाराज की योग सामथयर की बात और कछ धािमरक पःतक पढ़न स उस लगा िक भारतीय सःकित म तो बहत खजाना ह मनय की जञा को िदवय करन की मन को सनन करन की और तन क र कणो को भी बदलन की इस सःकित म अदभत वयवःथा ह हम नाहक ही इन भोल-भाल िहनदःतािनयो को अपन चगल म फसान क िलए इनका धमरपिरवतरन करवात ह अर हम ःवय तो अशािनत की आग म जल ही रह ह और इनह भी अशात कर रह ह

उसन ायि -ःवरप अपनी िमशनरी रो तयागपऽ िलख भजाः िहनदःतान म ईसाइयत फलान की कोई ज़ररत नही ह िहनद सःकित की इतनी महानता ह िवशषता ह िक ईसाइय को चािहए िक उसकी महानता एव सतयता का फायदा उठाकर अपन जीवन को साथरक बनाय िहनद धमर की सतयता का फायदा दश-िवदश म पहच मानव जाित को सख-शाित िमल इसका यास हम करना चािहए

म भारतीय इितहास सशोधन म डल क मर आठ लाख डॉलर भट करता ह और तमहारी िमशनरी को सदा क िलए तयागपऽ दकर भारतीय सःकित की शरण म जाता ह

जस रवर ड ऑवर न भारतीय सःकित का अधययन िकया ऐस और लोगो को भी जो िहनद धमर की िनदा करत ह भारतीय सःकित का पकषपात और पवरमहरिहत अधययन करना चािहए मनय की सष शि या व आनद जगाकर ससार म सख-शाित आनद सननता का चार-सार करना चािहए

मा सीता की खोज करत-करत हनमान जामबत अगद आिद ःवयभा क आौम म पहच उनह जोरो की भख और यास लगी थी उनह दखकर ःवयभा न कह िदया िकः

कया तम हनमान हो ौीरामजी क दत हो सीता जी की खोज म िनकल हो

हनमानजी न कहाः हा मा हम सीता माता की खोज म इधर तक आय ह

िफर ःवयभा न अगद की ओर दखकर कहाः तम सीता जी को खोज तो रह हो िकनत आख बद करक खोज रह हो या आख

खोलकर

अगद जरा राजवी परष था बोलाः हम कया आख बनद करक खोजत होग हम तो आख खोलकर ही माता सीता की खोज कर रह ह

ःवयभा बोलीः सीताजी को खोजना ह तो आख खोलकर नही बद करक खोजना होगा सीता जी अथारत भगवान की अधािगनी सीताजी यानी िव ा आतमिव ा िव ा को खोजना ह तो आख खोलकर नही आख बद करक ही खोजना पड़गा आख खोलकर खोजोग तो सीताजी नही िमलगी तम आख बनद करक ही सीताजी ( िव ा) को पा सकत हो ठहरो म तमह बताती ह िक सीता जी कहा ह

धयान करक ःवयभा न बतायाः सीताजी यहा कही भी नही वरन सागर पार लका म ह अशोकवािटका म बठ ह और राकषिसयो स िघरी ह उनम िऽजटा नामक राकषसी ह तो रावण की सिवका िकनत सीताजी की भ बन गयी ह सीताजी वही रहती ह

वारन सोचन लग िक भगवान राम न तो एक महीन क अदर सीता माता का पता लगान क िलए कहा था अभी तीन स ाह स एयादा समय तो यही हो गया ह वापस कया मह लकर जाए सागर तट तक पहचत-पहचत कई िदन लग जाएग अब कया कर

उनक मन की बात जानकर ःवयभा न कहाः िचनता मत करो अपनी आख बद करो म योगबल स एक कषण म तमह वहा पहचा दती ह

हनमान अगद और अनय वानर अपनी आख बनद करत ह और ःवयभा अपनी योगशि स उनह सागर-तट पर कछ ही पल म पहचा दती ह

ौीरामचिरतमानस म आया ह िक ETH

ठाड़ सकल िसध क तीरा ऐसी ह भारतीय सःकित की कषमता

अमिरका को खोजन वाला कोलबस पदा भी नही हआ था उसस पाच हजार वषर पहल अजरन सशरीर ःवगर म गया था और िदवय अ लाया था ऐसी यो यता थी िक धरती क राजा खटवाग दवताओ को मदद करन क िलए दवताओ का सनापितपद सभालत थ ितःमित-िव ा चाकषषी िव ा परकायावश िव ा अ िसि िव ा एव नविनिध ा करान वाली योगिव ा और जीत-जी जीव को बनान वाली िव ा यह भारतीय सःकित की दन ह अनय जगह यह नही िमलती भारतीय सःकित की जो लोग आलोचना करत ह उन बचारो को तो पता ही नही ह िक भारतीय सःकित िकतनी महान ह

गर तगबहादर बोिलयो सनो सीखो बड़भािगयो धड़ दीज धमर न छोिड़य

यवनो न गर गोिबनदिसह क बटो स कहाः तम लोग मसलमान हो जाओ नही तो हम तमह िज़नदा ही दीवार म चनवा दग

बट बोलः हम अपन ाण द सकत ह लिकन अपना धमर नही तयाग सकत

बरो न उन दोनो को जीत-जी दीवार म चनवा िदया जब कारीगर उनह दीवार म चनन लग तब बड़ा भाई बोलता हः धमर क नाम यिद हम मरना ही पड़ता ह तो पहल मरी ओर ट बढ़ा दो तािक म छोट भाई की मतय न दख

छोटा भाई बोलता हः नही पहल मरी ओर ईट बढ़ा दो

कया साहसी थ कया वीर थ वीरता क साथ अपन जीवन का बिलदान कर िदया िकनत धमर न छोड़ा आजकल क लोग तो अपन धमर और सःकित को ही भलत जा रह ह कोई लवर-लवरी धमरपिरवतरन करक लवमरज करत ह अपना िहनद धमर छोड़कर फस मरत ह यह भी कोई िज़नदगी ह भगवान ौीकण कहत ह ETH

ःवधम िनधन ौय परधम भयावहः अपन धमर म मर जाना अचछा ह पराया धमर दःख दन वाला ह भयावह ह नरको म ल

जान वाला ह इसिलए अपन ही धमर म अपनी ही सःकित म जो जीता ह उसकी शोभा ह रवर ड ऑवर न भारतीय सःकित का खब आदर िकया एफ एच मोलम न महातमा

थोरो एव अनय कई पा ातय िचनतको न भी भारतीय सःकित का बहत आदर िकया ह उनक कछ उदगार यहा ःतत हः

बाईबल का मन यथाथर अ यास िकया ह उसम जो िदवय िलखा ह वह कवल गीता क उ रण क रप म ह म ईसाई होत हए भी गीता क ित इतना सारा आदरभाव इसिलए रखता ह िक िजन गढ़ ो का समाधान पा ातय लोग अभी तक नही खोज पाय ह उनका समाधान गीतामनथ न श एव सरल रीित स कर िदया ह उसम कई सऽ अलौिकक उपदशो स भरपर

लग इसीिलए गीता जी मर िलए साकषात योग री माता बन रही ह वह तो िव क तमाम धन स भी नही खरीदा जा सक ऐसा भारतवषर का अम य खजाना ह

- एफ एच मोलम (इगल ड) ाचीन यग की सवर रमणीय वःतओ म गीता स ौ कोई वःत नही ह गीता म ऐसा

उ म और सवरवयापी जञान ह िक उसक रचियता दवता को अस य वषर हो गय िफर भी ऐसा दसरा एक भी मनथ नही िलखा गया

महातमा थोरो (अमिरका) धमर क कषऽ म अनय सब दख दिरि ह जबिक भारत इस िवषय म अरबपित ह

माकर टवन (यएसए) इस पथवी पर सवारिधक पणर िवकिसत मानवजञा कहा ह और जीवन क मह म ो क

हल िकसन खोज ह ऐसा अगर मझस पछा जाए तो म अगिलिनदश करक कहगा िक भारत न ही

मकसमलर (जमरनी) वदानत जसा ऊधवरगामी एव उतथानकारी और एक भी धमर या त वजञान नही ह

शोपनहोअर (जमरनी) िव भर म कवल भारत ही ऐसी ौ महान परमपराए रखता ह जो सिदयो तक जीिवत

रही ह

कनो (ानस) मनय जाित क अिःततव क सबस ारिमभक िदनो स लकर आज तक जीिवत मनय

क तमाम ःव न अगर कही साकार हए हो तो वह ःथान ह भारत

रोमा रोला (ास) भारत दश समपणर मानव जाित की मातभिम ह और सःकत यरोप की सभी भाषाओ की

जननी ह भारत हमार त वजञान गिणतशा एव जनतऽ की जननी ह भारतमाता अनक रप स सभी की जननी ह

िवल डरानट (यएसए) भारतीय सःकित की महानता का एहसास करन वाल इन सब िवदशी िचनतको को हम

धनयवाद दत ह एक बार महातमा थोरो सो रह थ इतन म उनका िशय एमसरन आया दखा िक वहा

साप और िबचछ घम रह ह गरजी क जागन पर एमसरन बोलाः गरदव यह जगह बड़ी खतरनाक ह म िकसी सरिकषत जगह पर आपकी वयवःथा करवा

दता ह

महातमा थोरो बोलः नही नही िचनता करन की कोई ज़ररत नही ह मर िसरहान पर ौीमदभगवदगीता ह भगवदगीता क जञान क कारण तो मझ साप म िबचछ म सबम मरा ही आतमा-परमातमा िदखता ह व मझ नही काटत ह तो म कही कयो जाऊ

िकतनी कह गीता की महानता यही ह भारतीय सःकित की मिहमा अदभत ह उसकी महानता लाबयान ह उसकी मिहमा

(अनबम)

हिरदास की हिरभि सात वष य गौर वणर क गौराग बड़-बड़ िव ान पिडतो स ऐस-ऐस करत थ िक व

दग रह जात थ इसका कारण था गौराग की हिरभि बड़ होकर उनहोन लाखो लोगो को हिरभि म रग िदया

जो हिरभ होता हिर का भजन करता उसकी बि अचछ मागर पर ही जाती ह लोभी वयि पसो क िलए हसता-रोता ह पद एव कस क तो िकतन ही लोग हसत रोत ह पिरवार क िलए तो िकतन ही मोही हसत रोत ह िकनत धनय ह व जो भगवान क िलए रोत हसत ह भगवान क िवरह म िजस रोना आया ह भगवान क िलए िजसका दय िपघलता ह ऐस लोगो का जीवन साथरक हो जाता ह भागवत म भगवान ौीकण उ व स कहत ह-

वाग गदगदा िवत यःय िच

रदतयभीआण हसित कविचचच िवलजज उदगायित नतयत च

मदभि य ो भवन पनाित िजसकी वाणी गदगद हो जाती ह िजसका िच ििवत हो जाता ह जो बार-बार रोन

लगता ह कभी लजजा छोड़कर उचच ःवर स गान लगता ह कभी नाचन लगता ह ऐसा मरा भ समम ससार को पिवऽ करता ह (ौीमदभागवतः 111424)

धनय ह वह मसलमान बालक जो गौराग क कीतरन म आता ह और िजसन गौराग स मऽदीकषा ली ह

उस मसलमान बालक का नाम हिरदास रखा गया मसलमान लोगो न उस हिरभ हिरदास को फसलान की बहत च ा की बहत डराया िक त गौराग क पास जाना छोड़ द नही तो हम यह करग वह करग िकनत हिरदास बहका नही उसका भय न हो गया था दमरित दर हो चकी थी उसकी सदबि और िन ा भगवान क धयान म लग गयी थी भयनाशन दमरित हरण किल म हिर को नाम यह नानक जी का वचन मानो उसक जीवन म साकार हो उठा था

काज़ी न षडयऽ करक उस पर कस िकया और फरमान जारी िकया िक हिरदास को बत मारत-मारत बीच बाजार स ल जाकर यमना म डाल िदया जाय

िनभ क हिरदास न बत की मार खाना ःवीकार िकया िकनत हिरभि छोड़ना ःवीकार न िकया िनि त िदन हिरदास को बत मारत हए ल जाया जान लगा िसपाही बत मारता ह तो हिरदास बोलता हः हिर बोल

हमको हिर बोल बलवाता ह य ल हिर बोल हिर बोल (सटाकसटाक) िसपाही बोलत हः हम तझ बत मारत ह तो कया तझ पीड़ा नही होती त हमस भी हिर

बोल हिर बोल करवाना चाहता ह

हिरदासः पीड़ा तो शरीर को होती ह म तो आतमा ह मझ तो पीड़ा नही होती तम भी यार स एक बार हिर बोल कहो

िसपाहीः ह हम भी हिर बोल कह हमस हिर बोल बलवाता ह ल य हिर बोल (सटाक)

हिरदास सोचता ह िक बत मारत हए भी तो य लोग हिर बोल कह रह ह चलो इनका क याण होगा िसपाही बत मारत जात ह सटाक सटाक और हिरदास हिर बोल बोलता भी जाता ह बलवाता भी जाता ह हिरदास को कई बत पड़न पर भी उसक चहर पर दःख की रखा तक नही िखचती

हवालदार पछता हः हिरदास तझ बत पड़न क बावजद भी तरी आखो म चमक ह चहर पर धयर शाित और सननता झलक रही ह कया बात ह

हिरदासः म बोलता ह हिर बोल तब िसपाही ब होकर भी कहत हः ह हमस भी बलवाता ह हिर बोल हिर बोल हिर बोल तो ल इस बहान भी उनक मह स हिरनाम िनकलता ह दर सवर उनका भी क याण होगा इसी स मर िच म सननता ह

धनय ह हिरदास की हिरभि बर काज़ी क आदश का पालन करत हए िसपाही उस हिरभि स िहनद धमर की दीकषा स चयत करन क िलए बत मारत ह िफर भी वह िनडर हिरभि नही छोड़ता हिर बोल बोलना बद नही करता

व मसलमान िसपाही हिरदास को िहनद धमर की दीकषा क भाव स गौरा क भाव स दर हटाना चाहत थ लिकन वह दर नही हटा बत सहता रहा िकनत हिर बोल बोलना न छोड़ा आिखरकार उन बर िसपाहीयो न हिरदास को उठाकर नदी म बहा िदया

नदी म तो बहा िदया लिकन दखो हिरनाम का भाव मानो यमनाजी न उसको गोद म ल िलया डढ़ मील तक हिरदास पानी म बहता रहा वह शातिच होकर मानो उस पानी म नही हिर की कपा म बहता हआ दर िकसी गाव क िकनार िनकला दसर िदन गौराग की भातफरी म शािमल हो गया लोग आ यरचिकत हो गय िक चमतकार कस हआ

धनय ह वह मसलमान यवक हिरदास जो हिर क धयान म हिर क गान म हिर क कीतरन म गौराग क साथ रहा जस िववकाननद क साथ भिगनी िनविदता न भारत म अधयातम-धणर क चार म लगकर अपना नाम अमर कर िदया वस ही इस मसलमान यवक न हिरकीतरन म हिरधयान म अपना जीवन धनय कर िदया दजरन लोग हिरदास का बाल तक न बाका कर सक जो सचच दय स भगवान का हो जाता ह उसकी हजारो शऽ िमलकर भी कछ हािन नही कर सकत तो उस काज़ी की कया ताकत थी

लोगो न जाकर काज़ी स कहा िक आज हिरदास पनः गौराग की भातफरी म उपिःथत हो गया था काजी अतयनत अहकारी था उसन एक नोिटस भजा एक आदश चतनय महाभ (गौराग) को भजा िक कल स तम भातफरी नही िनकाल सकत तमहारी भातफरी पर बिदश लगाई जाती ह

गौराग न सोचा िक हम िकसी का बरा नही करत िकसी को कोई हािन नही पहचात अर वायम डल क दषण को दर करन क िलए तो शासन पस खचर करता ह िकनत िवचारो क दषण को दर करन क िलए हिरकीतरन जसा हिरभि जसा अमोघ उपाय कौन सा ह भल काजी और शासन की समझ म आय या न आय वातावरण को श करन क साथ-साथ िवचारो का दषण भी दर होना चािहए हम तो कीतरन करग और करवायग

जो लोग डरपोक थ भीर और कायर थ ढील-ढाल थ व बोलः बाबा जी रहन दो रहन दो अपना कया जो करग व भरग अपन तो घर म ही रहकर हिर ॐ हिर ॐ करग

गौराग न कहाः नही इस कार कायरो जसी बात करना ह तो हमार पास मत आया करो

दसर िदन जो डरपोक थ ऐस पाच-दस वयि नही आय बाकी क िहममतवाल िजतन थ व सब आय उनह दखकर और लोग भी जड़

गौराग बोलः आज हमारी भातफरी की पणारहित काजी क घर पर ही होगी

गौराग भ -म डली क साथ कीतरन करत-करत जब बाजार स गज़र तो कछ िहनद एव मसलमान भी कीतरन म जड़ गय उनको भी कीतरन म रस आन लगा व लोग काजी को गािलया दन लग िक काजी बदमाश ह ऐसा ह वसा ह आिद ETH आिद

तब गौराग कहत हः नही शऽ क िलए भी बरा मत सोचो

उनहोन सबको समझा िदया िक काजी क िलए कोई भी अपश द नही कहगा कसी महान ह हमारी िहनद सःकित िजसन हिरदास को बत मारन का आदश िदया उस कवल अपश द कहन क िलए भी गौराग मना कर रह ह इस भारती सःकित म िकतनी उदारता ह स दयता ह लिकन कायरता को कही भी ःथान नही ह

गौराग कीतरन करत-करत काजी क घर क िनकट पहच गय काजी घर की छत पर स इस भातफरी को दखकर दग रह गया िक मर मना करन पर भी इनहोन भातफरी िनकाली

और मर घर तक ल आय उसम मसलमान लड़क भी शािमल ह जयो ही वह भातफरी काजी क घर पहची काजी घर क अनदर िछप गया

गौराग न काजी का ार खटखटाया तब काजी या काजी की प ी न नही वरन चौकीदार न दरवाजा खोला वह बोलाः

काजी साहब घर पर नही ह

गौराग बोलः नही कस ह अभी तो हमन उनह घर की छत पर दखा था काजी को जाकर बोलो हमार मामा और मा भी िजस गाव की ह आप भी उसी गाव क हो इसिलए आप मर गाव क मामा लगत ह मामाजी भानजा ार पर आय और आप छप कर बठ यह शोभा नही दता बाहर आ जाईय

चौकीदार न जाकर काजी को सब कह सनाया गौराग क मभर वचन सनकर काजी का दय िपघल गया िजस पर मन ज म ढाय वह मझ मामा कहकर सबोिधत करता ह िजसक साथ मन बरता की वह मर साथ िकतना औदायर रखता ह यह सोचकर काजी का दय बदल गया वह ार पर आकर बोलाः

म तमस डरकर अनदर नही छपा कयोिक मर पास तो स ा ह कलम की ताकत ह लिकन हिरकीतरन स हिरनाम स िहनद तो कया मसलमान लड़क भी आनिदत हो रह ह उनका भी लह पिवऽ हो रहा ह यह दखकर मझ दःख हो रहा ह िक िजस नाम क उचचारण स उनकी रग-रग पावन हो रही ह उसी नाम क कारण मन हिरदास पर और तम पर ज म िकया िकसी क बहकाव म आकर तम लोगो पर फरमान जारी िकया अब म िकस मह स तमहार सामन आता इसीिलए म मह िछपाकर घर क अनदर घस गया था

भानजा(गौराग) बोलता हः मामा अब तो बाहर आ जाइय

मामा(काजी) बोलाः बाहर आकर कया कर

गौरागः कीतरन कर हिरनाम क उचचारण स छपी हई यो यता िवकिसत कर आनद गट कर

काजीः कया करना होगा

गौरागः म जसा बोलता ह ऐसा ही बोलना होगा बोिलएः हिर बोल हिर बोल

काजीः हिर बोल हिर बोल

गौरागः हिर बोल हिर बोल

काजीः हिर बोल हिर बोल

हिर बोल हिर बोल हिर बोल हिर बोल

हिर बोल हिर बोल हिर बोल हिर बोल

कीतरन करत-करत गौराग न अपनी िनगाहो स काजी पर कपा बरसाई तो काजी भी झमन लगा उस भी हिर बोल का रग लग गया जस इजन को ह डल दकर छोड़ दत ह तब भी इजन चलता रहता ह ऐस ही गौराग की कपादि स काजी भी झमन लगा

काजी क झमन स वातावरण म और भी रग आ गया काजी तो झम गया काजी की प ी भी झमी और चौकीदार भी झम उठा सब हिरकीतरन म झमत-झमत अपन र को पावन करन लग दय को हिररस स सराबोर करन लगा उनक जनम-जनम क पाप-ताप न होन लग िजस पर भगवान की दया होती ह िजसको साधओ का सग िमलता ह सतसग का सहारा िमलता ह और भारतीय सःकित की महानता को समझन की अकल िमलती ह िफर उसक उ ार म कया बाकी रह जाता ह काजी का तो उ ार हो गया

दखो सत की उदारता एव महानता िजसन िहनदओ पर ज म करवाय भ हिरदास को बत मरवात-मरवात यमना जी म डलवा िदया भातफरी पर ितबध लगवा िदया उसी काजी को गौराग न हिररग म रग िदया अपनी कपादि स िनहाल कर िदया उसक बर कम की धयान न दत हए भि का दान द िदया ऐस गौराग क ौीचरणो म हमार हजार-हजार णाम ह हम उस मसलमान यवक हिरदास को भी धनयवाद दत ह िक उसन बत खात पीड़ा सहत भी भि न छोड़ी गरदव को न छोड़ा न ही उनक दबाव म आकर पनः मसलमान बना हिर बोल क रग म ःवय रगा और िसपािहयो को भी रग िदया धनय ह हिरदास और उसकी हिरभि

(अनबम)

बनावटी ौगार स बचो जमरनी क िस दाशरिनक शोपनहार कहत ह िक िजन दशो म हिथयार बनाय जात ह

उन दशो क लोगो को य करन की उ जना होती ह और उन दशो म हिथयार बनत ही रहत ह य भी होत रहत ह ऐस ही जो लोग फशन करत ह उनक दय म काम बोध लोभ मोह रपी य होता ही रहता ह उनक जीवन म िवलािसता आती ह और पतन होता ह वस ही फशन और िवलािसता स सयम सदाचार और यो यता का सहार होता ह

इसिलए य क साधन बढ़न स जस य होता ह वस ही िवलािसता और फशन क साधनो का उपयोग करन स अतयर होता ह अपनी आितमक शि यो का सहार होता ह अतः अपना भला चाहन वाल भाई-बहनो को पफ-पाउडर िलपिःटक-लाली व -अलकार क िदखाव क पीछ नही पड़ना चािहए सयम सादगी एव पिवऽतापणर जीवन जीना चािहए

अपन शा ो म ौगार की अनमित दी गई ह सौभा यवती ि या जब पित अपन ही नगर म हो घर म हो तब ौगार कर पित यिद दर दश गया हो तब सौभा यवित ि यो को भी सादगीपणर जीवन जीना चािहए ौगार क उपयोग म आनवाली वःतए भी वनिःपतयो एव साि वक रसो स बनी हई होनी चािहए जो सननता और आरो यता दान कर

आजकल तो शरीर म उ जना पदा कर बीमािरया पदा कर ऐस किमक स(रसायनो) और जहर जस साधनो स ौगार-साधन बनाए जात ह िजसस शरीर क अनदर जहरील कण जात ह और तवचा की बीमािरया होती ह आहार म भी जहरील कणो क जान स पाचन-तऽ और मानिसक सतलन िबगड़ता ह साथ ही बौि क एव वचािरक सतलन भी िबगड़ता ह

पशओ की चब किमक स और दसर थोड़ जहरील िवयो स बन पफ-पाउडर िलपिःटक-लाली आिद िजन साधनो का यटी-पालरर म उपयोग िकया जाता ह वसी गदगी कभी-भी अपन शरीर को तो लगानी ही नही चािहए दसर लोगो न लगायी हो तो दखकर सनन भी नही होना चािहए अपन सयम और सदाचार की सनदरता को गट करना चािहए मीरा और शबरी िकस यटी-पालरर म गय थ सती अनसया गाग और मदालसा न िकस पफ-पाउडर लाली-िलपिःटक का उपयोग िकया था िफर भी उनका जीवन सनदर तजःवी था हम भी ई र स ाथरना कर िक ह भगवान हम अपना सयम और साधना का सौनदयर बढ़ाए ऐसी त दया करना िवकारी सौनदयर स अपन को बचाकर िनिवरकारी नारायण की ओर जाय ऐसी त दया करना िवलािसता म अपन समय को न लगाकर तर ही धयान-िचतन म हमारा समय बीत ऐसी त कपा करना

किऽम सौनदयर-साधन स तवचा की िःन धता और कोमलता मर जाती ह पफ-पाउडर बीम आिद स शरीर की कदरती िःन धता खतम हो जाती ह ाकितक सौनदयर को न करक

जो किऽम सौनदयर क गलाम बनत ह उनस ःनहभरी सलाह ह िक व पफ-पाउडर आिद और तड़कील-भड़कील व आिद की गलामी को छोड़कर ाकितक सौनदयर को बढ़ान की कोिशश कर मीरा और मदालसा की तरह अपन असली सौनदयर को कट करन की कोिशश कर

(अनबम)

साहसी बालक एक लड़का काशी म हिर नि हाईःकल म पढ़ता था उसका गाव काशी स आठ मील दर

था वह रोजाना वहा स पदल चलकर आता बीच म जो गगा नदी बहती ह उस पार करक िव ालय पहचता

उस जमान म गगा पार करन क िलए नाव वाल को दो पस दन पड़त थ दो पस आन क और दो पस जान क कल चार पस यािन पराना एक आना महीन म करीब दो रपय हए जब सोन क एक तोल का भाव रपया सौ स भी नीच था तब क दो रपय आज क तो पाच-पचचीस रपय हो जाए

उस लड़क न अपन मा-बाप पर अितिर बोझा न पड़ इसिलए एक भी पस की माग नही की उसन तरना सीख िलया गम हो बािरश हो या ठ ड हो गगा पार करक हाईःकल म जाना उसका बम हो गया इस कार िकतन ही महीन गजर गय

एक बार पौष मास की ठ ड म वह लड़का सबह की ःकल भरन क िलए गगा म कदा तरत-तरत मझधार म आया एक नाव म कछ याऽी नदी पार कर रह थ उनहोन दखा िक छोटा-सा लड़का अभी डब मरगा व उसक पास नाव ल गय और हाथ पकड़ कर उस नाव म खीच िलया लड़क क मख पर घबराहट या िचनता की कोई रखा नही थी सब लोग दग रह गय इतना छोटा ह और इतना साहसी ह व बोलः

त अभी डब मरता तो ऐसा साहस नही करना चािहए

तब लड़का बोलाः साहस तो होना ही चािहए जीवन म िव न-बाधाए आयगी उनह कचलन क िलए साहस तो चािहए ही अगर अभी स साहस नही जटाया तो जीवन म बड़-बड़ कायर कस कर पायग

लोगो न पछाः इस समय तरन कयो िगरा दोपहर को नहान आता

लड़का बोलता हः म नहान क िलए नदी म नही िगरा ह म तो ःकल जा रहा ह

नाव म बठकर जाता

रोज क चार पस आन-जान क लगत ह मर गरीब मा-बाप पर मझ बोझा नही बनना ह मझ तो अपन परो पर खड़ होना ह मरा खचर बढ़ तो मर मा-बाप की िचनता बढ़ उनह घर चलाना मिकल हो जाय

लोग उस आदर स दखत ही रह गय वही साहसी लड़का आग चलकर भारत का धान मऽी बना

वह लड़का कौन था पता ह व थ लाल बहादर शा ी शा ी जी उस पद भी सचचाई साहस सरलता ईमानदारी सादगी दशम आिद सदगण और सदाचार क मितरमनत ःवरप थ ऐस महापरष भल िफर थोड़ा-सा समय ही राजय कर पर एक अनोखा भाव छोड़ जात ह जनमानस पर

(अनबम)

गर-आजञापालन का चमतकार ौीम आ ाशकराचायर जी जब काशी म िनवास करत थ तब गगा-तट पर िनतय ात-

काल टहलत थ एक सबह िकसी ितभासपनन यवक न दसर िकनार स दखा िक कोई सनयासी उस पार टहल रह ह उस यवक न दसर िकनार स ही उनह णाम िकया उस यवक को दखकर आ शकराचायर जी न सकत िकया िक इधर आ जाओ उस आभासमपनन यवक न दखा िक मन तो साध को णाम कर िदया ह णाम कर िदया तो म उनका िशय हो गया और उनहोन मझ आदश िदया िक इधर आ जाओ अब गर की आजञा का उ लघन करना भी तो उिचत नही ह िकनत यही कोई नाव नही ह और म तरना भी नही जानता ह अब कया कर उसक मन म िवचार आया िक वस भी तो हजारो बार हम मर चक ह एक बार यिद गर क दशरन क िलए जात-जात मर जाय तो घाटा कया होगा

गग मात की जय कह कर उस यवक न तो गगाजी म पर रख िदया उसकी इचछा कहो ौीम आ शकराचायर जी का भाव कहो या िनयित की लीला कहो जहा उस यवक न कदम रखा वहा एक कमल पदा हो गया उसक पर को थामन क िलए जब दसरा पर रखा तो वहा भी कमल पदा हो गया इस कार जहा-जहा वह कदम रखता गया वहा कमल (प ) उतपनन होता गया और वह यवक गगा क दसर तट पर जहा आ शकराचायर जी खड़ थ पहच गया

जहा-जहा वह कदम रखता था वहा-वहा प (कमल) क कट होन क कारण उसका नाम पड़ा - प पादाचायर शकराचायर जी क म य चार प टिशयो म आग जाकर यही प पादाचायर एक प टिशय बन

कहन का तातपयर यह ह िक सिचचदानद परमातमा की शि का सामथयर का बयान करना सभव नही ह िजसकी िजतनी दढ़ता ह िजसकी िजतनी सचचाई ह िजसकी िजतनी ततपरता ह उतनी ही कित भी उसकी मदद करन को आतर रहती ह प पादाचायर की गर-आजञापालन म दढ़ता और ततपरता को दखकर गगा जी म कमल गट हो गय िशय यिद दढ़ता ततपरता और ईमानदारी स गर-आजञापालन म लग जाय तो कित भी उसक अनकल हो जाती ह

(अनबम)

अनोखी गरदिकषणा एकलवय गर िोणाचायर क पास आकर बोलाः मझ धनिवर ा िसखान की कपा कर

गरदव गर िोणाचायर क समकष धमरसकट उतपनन हआ कयोिक उनहोन भीम िपतामह को वचन

द िदया था िक कवल राजकमारो को ही म िशकषा दगा एकलवय राजकमार नही ह अतः उस धनिवर ा कस िसखाऊ अतः िोणाचायर न एकलवय स कहाः

म तझ धनिवर ा नही िसखा सकगा

एकलवय घर स िन य करक िनकला था िक म कवल गर िोणाचायर को ही गर बनाऊगा िजनक िलए मन म भी गर बनान का भाव आ गया उनक िकसी भी वयवहार क िलए िशकायत या िछिानवषण की वि नही होनी चािहए

एकलवय एकात अर य म गया और उसन गर िोणाचायर की िम टी की मितर बनायी मितर की ओर एकटक दखकर धयान करक उसी स रणा लकर वह धनिवर ा सीखन लगा एकटक दखन स एकामता आती ह एकामता गरभि अपनी सचचाई और ततपरता क कारण उस रणा िमलन लगी जञानदाता तो परमातमा ह धनिवर ा म वह बहत आग बढ़ गया

एक बार िोणाचायर पाडव एव कौरव धनिवर ा का योग करन अर य म आय उनक साथ एक क ा भी था जो थोड़ा आग िनकल गया क ा वही पहचा जहा एकलवय अपनी धनिवर ा का योग कर रहा था एकलवय क खल बाल फट कपड़ एव िविचऽ वष को दखकर क ा भ कन लगा

एकलवय न क को लग नही चोट न पहच और उसका भ कना बद हो जाय इस ढग स सात बाण उसक मह म थमा िदय क ा वािपस वहा गया जहा िोणाचायर क साथ पाडव और कौरव थ

उस दखकर अजरन को हआ िक क को चोट न लग इस ढग स बाण मह म घसाकर रख दना यह िव ा तो म भी नही जानता यह कस सभव हआ वह गर िोणाचायर स बोलाः

गरदव आपन तो कहा था िक मरी बराबरी का दसरा कोई धनधाररी नही होगा िकनत ऐसी िव ा तो मझ भी नही आती

िोणाचायर को हआ िक दख इस अर य म कौन-सा ऐसा कशल धनधरर ह आग जाकर दखा तो वह था िहर यधन का पऽ गरभ एकलवय

िोणाचायर न पछाः बटा यह िव ा त कहा स सीखा

एकलवय बोलाः गरदव आपकी ही कपा स सीखा ह

िोणाचायर तो वचन द चक थ िक अजरन की बराबरी का धनधरर दसरा कोई न होगा िकनत यह तो आग िनकल गया गर क िलए धमरसकट खड़ा हो गया एकलवय की अटट ौ ा दखकर िोणाचायर न कहाः मरी मितर को सामन रखकर त धनिवर ा तो सीखा िकनत गरदिकषणा

एकलवयः जो आप माग

िोणाचायरः तर दाय हाथ का अगठा

एकलवय न एक पल भी िवचार िकय िबना अपन दाय हाथ का अगठा काटकर गरदव क चरणो म अपरण कर िदया

िोणाचायरः बटा भल ही अजरन धनिवर ा म सबस आग रह कयोिक म उस वचन द चका ह िकनत जब तक सयर चनि नकषऽो का अिःततव रहगा तब तक लोग तरी गरिन ा का तरी गरभि का ःमरण करग तरा यशोगान होता रहगा

उसकी गरभि और एकामता न उस धनिवर ा म तो सफलता िदलायी ही लिकन सतो क दय म भी उसक िलए आदर गट करवा िदया धनय ह एकलवय जो गरमितर स रणा पाकर धनिवर ा म सफल हआ और िजसन अदभत गरदिकषणा दकर साहस तयाग और समपरण का पिरचय िदया

(अनबम)

सतसग की मिहमा तलसीदास जी महाराज कहत ह ETH

एक घड़ी आधी घड़ी आधी म पिन आध तलसी सगत साध की हर कोिट अपराध

एक बार शकदव जी क िपता भगवान वदवयासजी महाराज कही जा रह थ राःत म उनहोन दखा िक एक कीड़ा बड़ी तजी स सड़क पार कर रहा था

वदवयासजी न अपनी योगशि दत हए उसस पछाः त इतनी ज दी सड़क कयो पार कर रहा ह कया तझ िकसी काम स जाना ह त तो

नाली का कीड़ा ह इस नाली को छोड़कर दसरी नाली म ही तो जाना ह िफर इतनी तजी स कयो भाग रहा ह

कीड़ा बोलाः बाबा जी बलगाड़ी आ रही ह बलो क गल म बध घघर तथा बलगाड़ी क पिहयो की आवाज म सन रहा ह यिद म धीर-धीर सड़क पार करगा तो वह बलगाड़ी आकर मझ कचल डालगी

वदवयासजीः कचलन द कीड़ की योिन म जीकर भी कया करना

कीड़ाः महिषर ाणी िजस शरीर म होता ह उसको उसम ही ममता होती ह अनक ाणी नाना कार क क ो को सहत हए भी मरना नही चाहत

वदवयास जीः बलगाड़ी आ जाय और त मर जाय तो घबराना मत म तझ योगशि स महान बनाऊगा जब तक ा ण शरीर म न पहचा द अनय सभी योिनयो स शीय छटकारा िदलाता रहगा

उस कीड़ न बात मान ली और बीच राःत पर रक गया और मर गया िफर वदवयासजी की कपा स वह बमशः कौआ िसयार आिद योिनयो म जब-जब भी उतपनन हआ वयासजी न जाकर उस पवरजनम का ःमरण िदला िदया इस तरह वह बमशः मग पकषी शि वय जाितयो म जनम लता हआ कषिऽय जाित म उतपनन हआ उस वहा भी वदवयासजी दशरन िदय थोड़ िदनो म रणभिम म शरीर तयागकर उसन ा ण क घर जनम िलया

भगवान वदवयास जी न उस पाच वषर की उ म सारःवतय मऽ द िदया िजसका जप करत-करत वह धयान करन लगा उसकी बि बड़ी िवलकषण होन पर वद शा धमर का रहःय समझ म आ गया

सात वषर की आय म वदवयास जी न उस कहाः काि रक कषऽ म कई वष स एक ा ण ननदभि तपःया कर रहा ह तम जाकर उसकी

शका का समाधान करो

माऽ सात वषर का ा ण कमार काि रक कषऽ म तप कर रह उस ा ण क पास पहच कर बोलाः

ह ा णदव आप तप कयो कर रह ह

ा णः ह ऋिषकमार म यह जानन क िलए तप कर रहा ह िक जो अचछ लोग ह सजजन लोग ह व सहन करत ह दःखी रहत ह और पापी आदमी सखी रहत ह ऐसा कयो ह

बालकः पापी आदमी यिद सखी ह तो पाप क कारण नही वरन िपछल जनम का कोई प य ह उसक कारण सखी ह वह अपन प य खतम कर रहा ह पापी मनय भीतर स तो दःखी ही होता ह भल ही बाहर स सखी िदखाई द

धािमरक आदमी को ठ क समझ नही होती उिचत िदशा व मऽ नही िमलता इसिलए वह दःखी होता ह वह धमर क कारण दःखी नही होता अिपत समझ की कमी क कारण दःखी होता ह समझदार को यिद कोई गर िमल जाय तो वह नर म स नारायण बन जाय इसम कया आ यर ह

ा णः म इतना बढ़ा हो गया इतन वष स काि रक कषऽ म तप कर रहा ह मर तप का फल यही ह िक तमहार जस सात वषर क योगी क मझ दशरन हो रह ह म तमह णाम करता ह

बालकः नही नही महाराज आप तो भदव ह म तो बालक ह म आपको णाम करता ह

उसकी नता दखकर ा ण और खश हआ तप छोड़कर वह परमातमिचनतन म लग गया अब उस कछ जानन की इचछा नही रही िजसस सब कछ जाना जाता ह उसी परमातमा म िवौाित पान लग गया

इस कार ननदभि ा ण को उ र द िनःशक कर सात िदनो तक िनराहार रहकर वह बालक सयरमनऽ का जप करता रहा और वही बहदक तीथर म उसन शरीर तयाग िदया वही बालक दसर जनम म कषार िपता एव िमऽा माता क यहा गट हआ उसका नाम मऽय पड़ा इनहोन वयासजी क िपता पराशरजी स िवण-पराण तथा बहत पाराशर होरा शा का अधययन िकया था पकषपात रिहत अनभवकाश नामक मनथ म मऽय तथा पराशर ऋिष का सवाद आता ह

कहा तो सड़क स गजरकर नाली म िगरन जा रहा कीड़ा और कहा सत क सािननधय स वह मऽय ऋिष बन गया सतसग की बिलहारी ह इसीिलए तलसीदास जी कहत ह ETH

तात ःवगर अपवगर सख धिरअ तला एक अग तल न तािह सकल िमली जो सख लव सतसग

यहा एक शका हो सकती ह िक वह कीड़ा ही मऽय ऋिष कयो नही बन गया

अर भाई यिद आप पहली ककषा क िव ाथ हो और आपको एम ए म िबठाया जाय तो कया आप पास हो सकत हो नही दसरी तीसरी चौथी दसवी बारहवी बीए आिद पास करक ही आप एमए म वश कर सकत हो

िकसी चौकीदार पर कोई धानमनऽी अतयिधक सनन हो जाए तब भी वह उस सीधा कलकटर (िजलाधीश) नही बना सकता ऐस ही नाली म रहन वाला कीड़ा सीधा मनय तो नही

हो सकता बि क िविभनन योिनयो को पार करक ही मनय बन सकता ह हा इतना अवय ह िक सतकपा स उसका मागर छोटा हो जाता ह

सतसमागम की साध परषो स सग की मिहमा का कहा तक वणरन कर कस बयान कर एक सामानय कीड़ा उनक सतसग को पाकर महान ऋिष बन सकता ह तो िफर यिद मानव को िकसी सदगर का सािननधय िमल जाय उनक वचनानसार चल पड़ तो मि का अनभव करक जीवनम भी बन सकता ह

(अनबम)

पीड़ पराई जान र जञानी िकसी स यार करन क िलए बध हए नही ह और िकसी को डाटन म भी राजी

नही ह हमारी जसी यो यता होती ह ऐसा उनका वयवहार हमार ित होता ह लीलाशाह बाप क ौीचरणो म बहत लोग गय थ एक लड़का भी गया था वह मिणनगर

म रहता था िशवजी को जल चढ़ान क प ात ही वह जल पीता वह लड़का खब िन ा स धयान-भजन करता और सवा पजा करता

एक िदन कोई वयि राःत म बहोश पड़ा हआ था िशवजी को जल चढ़ान जात समय उस बालक न उस दखा और अपनी पजा-वजा छोड़कर उस गरीब की सवा म लग गया िबहार का कोई यवक था नौकरी की खोज म आया था कालपर(अहमदाबाद) ःटशन क लटफामर पर एक दो िदन रहा किलयो न मारपीट कर भगा िदया चलत-चलत मिणनगर म पनीत आौम की ओर रोटी की आशा म जा रहा था रोटी तो वहा नही िमलती थी इसिलए भख क कारण चलत-चलत राःत म िगर गया और बहोश हो गया

उस लड़क का घर पनीत आौम क पास ही था सबह क दस साढ़ दस बज थ वह लड़का घर स धयान-भजन स िनपटकर मिदर म िशवजी को जल चढ़ान क िलए जल का लोटा और पजा की साममी लकर जा रहा था उसन दखा िक राःत म कोई यवक पड़ा ह राःत म चलत-चलत लोग बोलत थः शराब पी होगी यह होगा वह होगा हम कया

लड़क को दया आई प य िकय हए हो तो रणा भी अचछ िमलती ह शभ कम स शभ रणा िमलती ह अपन पास की पजा साममी एक ओर रखकर उसन उस वयि को िहलाया बहत मिकल स उसकी आख खली कोई उस जत सघाता कोई कछ करता कोई कछ बोलता था

आख खोलत ही वह वयि धीर स बोलाः पानी पानी

लड़क न महादव जी क िलय लाया हआ जल का लोटा उस िपला िदया िफर दोड़कर घर जाकर अपन िहःस का दध लाकर उस िदया

यवक क जी म जी आया उसन अपनी वयथा बतात हए कहाः बाब जी म िबहार स आया ह मर बाप गजर गय काका िदन-रात टोकत रहत त िक

कमाओ नही तो खाओग कया नौकरी धधा िमलता नही ह भटकत-भटकत अहमदाबाद क ःटशन पर कली का काम करन का य िकया हमारी रोटी-रोजी िछन जायगी ऐसा समझकर किलयो न खब मारा पदल चलत-चलत मिणनगर ःटशन की ओर आत-आत यहा तीन िदन की भख और मार क कारण चककर आय और िगर गया

लड़क न उस िखलाया अपना इक ठा िकया हआ जबखचर का पसा िदया उस यवक को जहा जाना था वहा भजन की वयवःथा की इस लड़क क दय म आनद की वि हई अतर म आवाज आईः

बटा अब म तझ बहत ज दी िमलगा

लड़क न िकयाः अनदर कौन बोलता ह

उ र आयाः िजस िशव की त पजा करता ह वह तरा आतमिशव अब म तर दय म कट होऊगा सवा क अिधकारी की सवा मझ िशव की ही सवा ह

उस िदन उस अतयारमी न अनोखी ऱणा और ोतसाहन िदया वह लड़का तो िनकल पड़ा घर छोड़कर ई र-साकषातकार करन क िलए कदारनाथ वनदावन होत हए निनताल क अर य म पहचा

कदारनाथ क दशरन पाय लकषािधपित आिशष पाय

इस आशीवारद को वापस कर ई राि क िलए िफर पजा की उसक पास जो कछ रपय पस थ उनह वनदावन म साध-सतो एव गरीबो म भ डारा करक खचर कर िदया था थोड़ स पस लकर निनताल क अर यो म पहचा लोकलाड़ल लाखो दयो को हिररस िपलात पजयपाद सदगर ौी लीलाशाह बाप की राह दखत हए चालीस िदन बीत गय गरवर ौी लीलाशाह को अब पणर समिपरत िशय िमला पणर खजाना ा करन वाला पिवऽातमा िमला पणर गर की पणर िशय िमला

िजस लड़क क िवषय म यह कथा पढ़ रह ह वह लड़का कौन होगा जानत हो

पणर गर कपा िमली पणर गर का जञान आसमल स हो गय साई आसाराम

अब तो समझ ही गय होग (उस लड़क क वश म छप हए थ पवर जनम क योगी और वतरमान म िव िव यात हमार

पजयपाद सदगरदव ौी आसाराम जी महाराज)

(अनबम)

िवकास क बिरयो स सावधान किपलवःत क राजा श ोदन का यवराज था िस ाथर यौवन म कदम रखत ही िववक

और वरा य जाग उठा यवान प ी यशोधरा और नवजात िशश राहल की मोह-ममता की रशमी जजीर काटकर महाभीिनबमण (गहतयाग) िकया एकानत अर य म जाकर गहन धयान साधना करक अपन साधय त व को ा कर िलया

एकानत म तप यार और धयान साधना स िखल हए इस आधयाितमक कसम की मधर

सौरभ लोगो म फलन लगी अब िस ाथर भगवान ब क नाम स जन-समह म िस हए हजारो हजारो लोग उनक उपिद मागर पर चलन लग और अपनी अपनी यो यता क मतािबक आधयाितमक याऽा म आग बढ़त हए आितमक शाित ा करन लग अस य लोग बौ िभकषक बनकर भगवान ब क सािननधय म रहन लग उनक पीछ चलन वाल अनयायीओ का एक सघ ःथािपत हो गया चह ओर नाद गजन लग िकः

ब शरण गचछािम धमम शरण गचछािम सघ शरण गचछािम

ौावःती नगरी म भगवान ब का बहत यश फला लोगो म उनकी जय-जयकार होन लगी लोगो की भीड़-भाड़ स िवर होकर ब नगर स बाहर जतवन म आम क बगीच म रहन लग नगर क िपपास जन बड़ी तादाद म वहा हररोज िनि त समय पर पहच जात और उपदश-वचन सनत बड़-बड़ राजा महाराजा भगवान ब क सािननधय म आन जान लग

समाज म तो हर कार क लोग होत ह अनािद काल स दवी समपदा क लोग एव आसरी समपदा क लोग हआ करत ह ब का फलता हआ यश दखकर उनका तजो ष करन वाल लोग जलन लग सतो क साथ हमशा स होता आ रहा ह ऐस उन द त वो न ब को बदनाम करन क िलए कचार िकया िविभनन कार की यि -यि या लड़ाकर ब क यश को हािन पहच ऐसी बात समाज म व लोग फलान लग उन द ो न अपन ष यऽ म एक वया को समझा-बझाकर शािमल कर िलया

वया बन-ठनकर जतवन म भगवान ब क िनवास-ःथानवाल बगीच म जान लगी

धनरािश क साथ द ो का हर कार स सहारा एव ोतसाहन उस िमल रहा था रािऽ को वही रहकर सबह नगर म वािपस लोट आती अपनी सिखयो म भी उसन बात फलाई

लोग उसस पछन लगः अरी आजकल त िदखती नही ह कहा जा रही ह रोज रात को

म तो रोज रात को जतवन जाती ह व ब िदन म लोगो को उपदश दत ह और रािऽ क समय मर साथ रगरिलया मनात ह सारी रात वहा िबताकर सबह लोटती ह

वया न परा ीचिरऽ आजमाकर ष यऽ करन वालो का साथ िदया लोगो म पहल तो हलकी कानाफसी हई लिकन जयो-जयो बात फलती गई तयो-तयो लोगो म जोरदार िवरोध होन लगा लोग ब क नाम पर िफटकार बरसान लग ब क िभकषक बःती म िभकषा लन जात तो लोग उनह गािलया दन लग ब क सघ क लोग सवा-वि म सल न थ उन लोगो क सामन भी उगली उठाकर लोग बकवास करन लग

ब क िशय जरा असावधान रह थ कचार क समय साथ ही साथ स चार होता तो कचार का इतना भाव नही होता िशय अगर िनिबय रहकर सोचत रह जाय िक करगा सो भरगा भगवान उनका नाश करग तो कचार करन वालो को ख ला मदान िमल जाता ह

सत क सािननधय म आन वाल लोग ौ ाल सजजन सीध साद होत ह जबिक द वि करन वाल लोग किटलतापवरक कचार करन म कशल होत ह िफर भी िजन सतो क पीछ सजग समाज होता ह उन सतो क पीछ उठन वाल कचार क तफान समय पाकर शात हो जात ह और उनकी सतवि या काशमान हो उठती ह

कचार न इतना जोर पकड़ा िक ब क िनकटवत लोगो न ऽािहमाम पकार िलया व समझ गय िक यह वयविःथत आयोजनपवरक ष यऽ िकया गया ह ब ःवय तो पारमािथरक सतय म जाग हए थ व बोलतः सब ठ क ह चलन दो वयवहािरक सतय म वाहवाही दख ली अब िननदा भी दख ल कया फकर पड़ता ह

िशय कहन लगः भनत अब सहा नही जाता सघ क िनकटवत भ भी अफवाहो क िशकार हो रह ह समाज क लोग अफवाहो की बातो को सतय मानन लग गय ह

ब ः धयर रखो हम पारमािथरक सतय म िवौाित पात ह यह िवरोध की आधी चली ह तो शात भी हो जाएगी समय पाकर सतय ही बाहर आयगा आिखर म लोग हम जानग और मानग

कछ लोगो न अगवानी का झ डा उठाया और राजयस ा क समकष जोर-शोर स माग की

िक ब की जाच करवाई जाय लोग बात कर रह ह और वया भी कहती ह िक ब रािऽ को मर साथ होत ह और िदन म सतसग करत ह

ब क बार म जाच करन क िलए राजा न अपन आदिमयो को फरमान िदया अब ष यऽ करनवालो न सोचा िक इस जाच करन वाल पच म अगर सचचा आदमी आ जाएगा तो अफवाहो का सीना चीरकर सतय बाहर आ जाएगा अतः उनहोन अपन ष यऽ को आिखरी

पराका ा पर पहचाया अब ऐस ठोस सबत खड़ा करना चािहए िक ब की ितभा का अःत हो जाय

उनहोन वया को दार िपलाकर जतवन भज िदया पीछ स ग डो की टोली वहा गई वया पर बलातकार आिद सब द कतय करक उसका गला घोट िदया और लाश को ब क बगीच म गाड़कर पलायन हो गय

लोगो न राजयस ा क ार खटखटाय थ लिकन स ावाल भी कछ लोग द ो क साथ जड़ हए थ ऐसा थोड़ ही ह िक स ा म बठ हए सब लोग दध म धोय हए वयि होत ह

राजा क अिधकािरयो क ारा जाच करन पर वया की लाश हाथ लगी अब द ो न जोर-शोर स िच लाना शर कर िदया

दखो हम पहल ही कह रह थ वया भी बोल रही थी लिकन तम भगतड़ लोग मानत ही नही थ अब दख िलया न ब न सही बात खल जान क भय स वया को मरवाकर बगीच म गड़वा िदया न रहगा बास न बजगी बासरी लिकन सतय कहा तक िछप सकता ह म ामाल हाथ लग गया इस ठोस सबत स ब की असिलयत िस हो गई सतय बाहर आ गया

लिकन उन मख का पता नही िक तमहारा बनाया हआ कि पत सतय बाहर आया वाःतिवक सतय तो आज ढाई हजार वषर क बाद भी वसा ही चमक रहा ह आज ब को लाखो लोग जानत ह आदरपवरक मानत ह उनका तजो ष करन वाल द लोग कौन-स नरको म जलत होग कया पता

ढाई हजार वषर पहल ब क जमान म भी सतो क साथ ऐसा घोर अनयाय हआ करता था ऋिष दयाननद को भी ऐस ही त वो न तजो ष क कारण बाईस बार िवष दकर मार डालन का यास िकया ःवामी िववकाननद और ःवामी रामतीथर क पीछ भी द लोगो न वया को तयार करक कीचड़ उछाला था

एक ओर लाखो-लाखो लोग सतो की अनभवय वाणी स अपना वयावहािरक ETH आधयाितमक जीवन उननत करक सख-शाित पात ह दसरी ओर कछ द कित क ःवाथ लोग अपना उ ल सीधा करन क िलए ऐस महापरषो क िवर म ष यऽ रचकर उनको बदनाम करत ह यह तो पहल स चला आ रहा ह सत कबीर हो या नानक एकनाथ महाराज हो या सत तकाराम नरिसह महता हो या मीराबाई ायः सभी सतो को अपन जीवन क दौरान समाज क किटल त वो स पाला पड़ता ही रहा ह जीसस बाइःट को इनही त वो न बॉस पर चढ़ाया था उनही लोगो न सकरात को जहर िपलाकर मतयद ड िदया था मनसर को इसी जमात न शली पर चढ़ाया था ईसाई धमर म माट न यथर पर ज म िकया गया था अण-अण म ई र और नारीमाऽ म जगजजननी भगवती का दशरन करन वाल रामकण परमहस को भी लोगो न नही

छोड़ा था परमहस योगाननद रवीनिनाथ टगोर माट न यथर दिकषण भारत क सत ितरव लवर जापानी झन सत बाबो इितहास म िकतन-िकतन उदाहरण मौजद ह

हािसद धमरगर बा शमटोव अित पिवऽ आतमा थ िननदको न उनक इदरिगदर भी मायाजाल िबछा दी थी िसध क साई टउराम क पास अस य लोग आतमक याण हत जान लग तब िवकत िदमागवालो न उन सत को भी ऽास दना शर कर िदया उनक आौम क चह ओर गदगी डाल दत और कए म िम टी का तल उड़लकर पानी बकार कर दत मगल बादशाह बाबर को बहका कर उनही लोगो न गर नानक को कद करवाया था

भगवान ौीराम एव ौीकण को भी द जनो न छोड़ा नही था भगवान ौीराम क गर विश जी महाराज कहत हः

ह राम जी म जब बाजार स गजरता ह तब अजञानी मखर लोग मर िलए कया बकत ह म सब जानता ह लिकन मरा दयाल ःवभाव ह म इन सबका क याण चाहता ह

तमहार साथ यह ससार कछ अनयाय करता ह तमको बदनाम करता ह िननदा करता ह तो यह ससार की परानी रीत ह मनय की हीनवि कचार िननदाखोरी यह आजकल की ही बात नही ह अनािदकाल स ऐसा होता आया ह तम अपन आतमजञान क सःकार जगाकर आतमबल का िवकास करत जाओ मःकरात जाओ आधी तफानो को लाघकर आननदपवरक जीत जाओ

उस जमान म भगवान ब क पास आकर एक िभकषक न ाथरना कीः भनत मझ आजञा द म सभाए भरगा आपक िवचारो का चार करगा

मर िवचारो का चार

हा भगवन म बौ धमर फलाऊगा

लोग तरी िननदा करग गािलया दग

कोई हजर नही म भगवन को धनयवाद दगा िक य लोग िकतन अचछ ह य कवल श दहार करत ह मझ पीटत तो नही

लोग तझ पीटग भी तो कया करोग

भो म शब गजारगा िक य लोग हाथो स पीटत ह पतथर तो नही मारत

लोग पतथर भी मारग और िसर भी फोड़ दग तो कया करगा

िफर भी म आ ःत रहगा और भगवान का िदवय कायर करता रहगा कयोिक व लोग मरा िसर फोड़ग लिकन ाण तो नही लग

लोग जनन म आकर तझ मार दग तो कया करगा

भनत आपक िदवय िवचारो का चार करत-करत म मर भी गया तो समझगा िक मरा जीवन सफल हो गया

उस कतिन यी िभकषक की दढ़ िन ा दखकर भगवान ब सनन हो उठ उस पर उनकी करणा बरस पड़ी

ऐस िशय जब ब का चार करन िनकल पड़ तब कचार करन वाल धीर-धीर शात हो गय मनयो की उगिलया काट-काटकर माला बनाकर पहनन वाला अगिलमाल जसा बर हतयारा भी दयपिरवतरन पाकर ब की शरण म िभकषक होकर रहन लगा

आज हम ब को बहत आदर स जानत ह मानत ह उनक जीवनकाल क दौरान उनक पीछ लग हए द लोग कौन स नरक म सड़त होग रौरव नरक म या कभीपाक नरक म कौन-सी योिनयो म भटकत होग सअर बन होग िक नाली क कीड़ बन होग शतान बन होग िक राकषस बन होग मझ पता नही लिकन ब तो करोड़ो दयो म बस रह ह यह म मानता ह

सतय तो परमाथर ह आतमा ह परमातमा ह उसम िजतना िटकोग उतना तमहारा मगल होगा तमहारी िनगाह िजन पर पड़गी उनका भी मगल होगा

(अनबम)

कछ जानन यो य बात सय दय स पवर उठकर ःनान कर लना चािहए ातः खाली पट मटक का बासी पानी

पीना ःवाःथयद ह तलसी क प सय दय क प ात ही तोड़ दध म तलसी क प नही डालन चािहए तथा

दध क साथ खान भी नही चािहए तलसी क प खाकर थोड़ा पानी पीना िपय जलनित स पिह सौ कार क लाभ होत ह अपन मिःतक म एक कार का िवजाितय

िवय उतपनन होता ह यिद वह िवय वही अटक जाता ह तो बचपन म ही बाल सफद होन लगत ह इसस नजल की बीमारी भी होती ह यिद वह िवय नाक की तरफ आता ह तो सगनध-दगरनध का पता नही चल पाता और ज दी-ज दी जकाम हो जाता ह यिद वह िवय कान की तरफ आता ह तो कान बहर होन लगत ह और छोट-मोट ब ीस रोग हो सकत ह यिद वह िवय दात की तरफ आय तो दात छोटी उ म ही िगरन लगत ह यिद आख की तरफ वह िवय उतर तो चम लगन लगत ह जलनित यािन नाक स पानी खीचकर मह स िनकाल दन स वह िवय िनकल जाता ह गल क ऊपर क ायः सभी रोगो स मि िमल जाती ह

आईसबीम खान क बाद चाय पीना दातो क िलए अतयािधक हािनकारक होता ह

भोजन को पीना चािहए तथा पानी को खाना चािहए इसका मतलब यह ह िक भोजन को इतना चबाओ िक वह पानी की तरह पतला हो जाय और पानी अथवा अनय पय पदाथ को धीर-धीर िपयो

िकसी भी कार का पय पदाथर पीना हो तो दाया नथना बनद करक िपय इसस वह अमत जसा हो जाता ह यिद दाया ःवर(नथना) चाल हो और पानी आिद िपय तो जीवनशि (ओज) पतली होन लगती ह चयर की रकषा क िलए शरीर को तनदरःत रखन क िलए यह योग करना चािहए

तम चाह िकतनी भी महनत करो िकनत िजतना तमहारी नसो म ओज ह चयर की शि ह उतन ही तम सफल होत हो जो चाय-कॉफी आिद पीत ह उनका ओज पतला होकर पशाब ारा न होता जाता ह अतः चयर की रकषा क िलए चाय-कॉफी जस वयसनो स दर रहना रह

पढ़न क बाद थोड़ी दर शात हो जाना चािहए जो पढ़ा ह उसका मनन करो िशकषक ःकल म जब पढ़ात हो तब धयान स सनो उस व मःती-मजाक नही करना चािहए िवनोद-मःती कम स कम करो और समझन की कोिशश अिधक करो

जो सय दय क पवर नही उठता उसक ःवभाव म तमस छा जाता ह जो सय दय क पवर उठता ह उसकी बि शि बढ़ती ह

नीद म स उठकर तरत भगवान का धयान करो आतमःनान करो धयान म रिच नही होती तो समझना चािहए िक मन म दोष ह उनह िनकालन क िलए कया करना चािहए

मन को िनद ष बनान क िलए सबह-शाम माता-िपता को णाम करना चािहए गरजनो को णाम करना चािहए एव भगवान क नाम का जप करना चािहए भगवान स ाथरना करनी चािहए िक ह भगवान ह मर भ मरी धयान म रिच होन लग ऐसी कपा कर दो िकसी समय गद िवचार िनकल आय तो समझना चािहए िक अदर छप हए िवचार िनकल रह ह अतः खश होना चािहए िवचार आया और गया मर राम तो दय म ही ह ऐसी भावना करनी चािहए

िनदा करना तो अचछा नही ह िकनत िनदा सनना भी उिचत नही (अनबम)

शयन की रीत मनय को िकस ढग स सोना चािहए इसका भी तरीका होता ह सोत व पवर अथवा

दिकषण िदशा की ओर िसर करक ही सोना चािहए

भोजन करन क बाद िदन म दस िमनट आराम कर िकनत सोय नही भोजन क बाद दस िमनट बायी करवट लट सकत ह रािऽ को जागरण िकया हो इस कारण स कभी िदन म सोना पड़ वह अलग बात ह

सोत व नीच कोई गमर कबल आिद िबछाकर सोय तािक आपकी जीवनशि अिथग न हो जाय आपक शरीर की िव तशि भिम म न उतर जाय

(अनबम)

ःनान का तरीका शरीर की मजबती एव आरो यता क िलए रगड़-रगड़कर ःनान करना चािहए जो लोग

ठड दशो म रहत ह उनका ःवाःथय गमर दस क लोगो की अपकषा अचछा होता ह ठडी स अपना शरीर सधरता ह

ःनान करत व 12-15 िलटर पानी बा टी म लकर पहल उसम िसर डबाना चािहए िफर पर िभगोना चािहए पहल पर गील नही करन चािहए शरीर की गम ऊपर की ओर चढ़ती ह जो ःवाःथय क िलए हािनकारक होती ह

अतः पहल ठड पानी की बा टी भर ल िफर मह म पानी भरकर िसर को बा टी म डाल और आख पटपटाए इसस आखो की शि बढ़ती ह शरीर को रगड़-रगड़कर नहाए बाद म गील व स शरीर को रगड़-रगड़कर पोछ िजसस रोम कप का सारा मल बाहर िनकल जाय और रोमकप(तवचा क िछि) खल जायय तवचा क िछि बद रहन स ही तवचा की कई बीमािरया होती ह िफर सख कपड़ स शरीर को पोछ कर (अथवा थोड़ा गीला हो तब भी चल) सख साफ व पहन ल व भल साद हो िकनत साफ हो बासी कपड़ नही पहन हमशा धल हए कपड़ ही पहन इसस मन भी सनन रहता ह

पाच कार क ःनान होत हः ःनान दवःनान ऋिषःनान मानवःनान दानवःनान ःनानः -परमातमा का िचतन करक जल थल नहान वाला

ऐसा िचतन करक ा महतर म नहाना इस ःनान कहत ह दवःनानः दवनिदयो म ःनान या दवनिदयो का ःमरण करक सय दय स पवर नहाना यह

दवःनान ह ऋिषःनानः आकाश म तार िदखत हो और नहा ल यह ऋिषःनान ह ऋिषःनान करन

वाल की बि बड़ी तजःवी होती ह मानवःनानः सय दय क पवर का ःनान मानवःनान ह

दानवःनानः सय दय क प ात चाय पीकर नाता करक आठ नौ बज नहाना यह दानव ःनान ह

अतः हमशा ऋिषःनान करन का ही यास करना चािहए (अनबम)

ःवचछता का धयान यिद शरीर की सफाई रखी जाय तो मन भी सनन रहता ह आजकल अिधकतर लोग

श स ही मजन करत ह श की अपकषा नीम और बबल की दातौन जयादा अचछ होती ह और यिद श भी कर तो कभी-कभार श को गमर पानी स धोना चािहए अनयथा उसम बकटिरया(जीवाण) रह जात ह

िकतन ही लोग उगली स दात साफ करत ह तजरनी (अगठ क पास वाली थम उगली) स दात िघसन स मसड़ कमजोर हो जात ह तथा दात ज दी िगर जात ह कयोिक तजरनी म िव तशि का माण दसरी उगिलयो की अपकषा अिधक होता ह अतः उसस दात नही िघसन चािहए एव आखो को भी नही मसलना चािहए

िजस िदशा स हवा आती हो उस िदशा की ओर मह करक कभी-भी मलमऽ का िवसजरन नही करना चािहए सयर और चनिमा की ओर मख करक भी मलमऽ का िवसजरन नही करना चािहए

(अनबम)

ःमरणशि का िवकास यादशि बढ़ान का एक सनदर योग ह ETH ामरी ाणायाम सखासन प ासन या

िस ासन पर बठ हाथ की कोहनी की ऊचाई कनध तक रह इस कार रखकर हाथ की थम उगली(तजरनी) स दोनो कानो को धीर-स बद कर एकदम जोर स बद न कर िकनत बाहर का कछ सनाई न द इस कार धीर स कान बनद कर

अब गहर ास लकर थोड़ी दर रोक ओठ बद रखकर जस मर का गजन होता ह वस ॐsssss कहत हए गजन कर उसक बाद थोड़ी दर तक ास न ल पनः यही िबया दहराय ऐसा सबह एव शाम 8 स 10 बार कर यादशि बढ़ान का यह यौिगक योग ह इसस मिःतक की नािड़यो का शोधन होकर मिःतक म र सचार उिचत ढग स होता ह

और िवचार करन स भी बि शि का िवकास होता ह

सबह खाली पट तलसी क प एकाध काली िमचर चबाकर एक िगलास पानी पीन स भी ःमरणशि का िवकास होता ह रोग-ितकारक शि बढ़ती ह कनसर की बीमारी कभी नही होती जलदर-भगदर की बीमारी भी कभी नही होती

(अनबम)

वयि तव और वयवहार िकसी भी वयि तव का पता उसक वयवहार स ही चलता ह कई लोग वयथर च ा करत

ह एक होती ह सकाम च ा दसरी होती ह िनकाम च ा और तीसरी होती ह वयथर च ा वयथर च ा नही करनी चािहए िकसी क शरीर म कोई कमी हो तो उसका मजाक नही उड़ाना चािहए वरन उस मददरप बनना चािहए यह िनकाम सवा ह

िकसी की भी िनदा नही करनी चािहए िनदा करन वाला वयि िजसकी िनदा करता ह उसका तो इतना अिहत नही होता िजतना वह अपना अिहत करता ह जो दसरो की सवा करता ह दसरो क अनकल होता ह वह दसरो का िजतना िहत करता ह उसकी अपकषा उसका खद का िहत जयादा होता ह

अपन स जो उ स बड़ हो जञान म बड़ हो तप म बड़ हो उनका आदर करना चािहए िजस मनय क साथ बात करत हो वह मनय कौन ह यह जानकर बात करो तो आप वयवहार-कशल कहलाओग

िकसी को पऽ िलखत हो तो यिद अपन स बड़ हो तो ौी सबोधन करक िलखो सबोधन करन स सवाकयो की रचना स िश ता बढ़ती ह िकसी स बात करो तो सबोधन करक बात करो जो तकार स बात करता ह वह अिश कहलाता ह िश तापवरक बात करन स अपनी इजजत बढ़ती ह

िजसक जीवन म वयवहार-कशलता ह वह सभी कषऽो म सफल होता ह िजसम िवनता ह वही सब कछ सीख सकता ह िवनता िव ा बढ़ाती ह िजसक जीवन म िवनता नही ह समझो उसक सब काम अधर रह गय और जो समझता ह िक म सब कछ जानता ह वह वाःतव म कछ नही जानता

एक िचऽकार अपन गरदव क सममख एक सनदर िचऽ बनाकर लाया गर न िचऽ दखकर कहाः

वाह वाह सनदर ह अदभत ह

िशय बोलाः गरदव इसम कोई ऽिट रह गयी हो तो कपा करक बताइए इसीिलए म आपक चरणो म आया ह

गरः कोई ऽिट नही ह मझस भी जयादा अचछा बनाया ह

वह िशय रोन लगा उस रोता दखकर गर न पछाः तम कयो रो रह हो म तो तमहारी शसा कर रहा ह

िशयः गरदव मरी घड़ाई करन वाल आप भी यिद मरी शसा ही करग तो मझ मरी गि तया कौन बतायगा मरी गित कस होगी

यह सनकर गर अतयत सनन हो गय हमन िजतना जाना िजतना सीखा ह वह तो ठ क ह उसस जयादा जान सक सीख सक

ऐसा हमारा यास होना चािहए रामकण परमहस व हो गय थ िकसी न उनस पछाः बाबा जी आपन सब कछ जान

िलया ह

रामकण परमहसः नही म जब तक जीऊगा तब तक िव ाथ ही रहगा मझ अभी बहत कछ सीखना बाकी ह

िजनक पास सीखन को िमल उनस िवनतापवरक सीखना चािहए जो कछ सीखो सावधानीपवरक सीखो जीवन म िवनोद जररी ह िकनत िवनोद की अित न हो िजस समय पढ़त हो कछ सीखत हो कछ करत हो उस समय मःती नही िवनोद नही वरन जो कछ पढ़ो सीखो या करो उस उतसाह स धयान स और सावधानी स करो

पढ़न स पवर थोड़ धयानःथ हो जाओ पढ़न क बाद मौन हो जाओ यह गित की चाबी ह

माता-िपता स िचढ़ना नही चाह िजस मा-बाप न जनम िदया ह उनकी बातो को समझना चािहए अपन िलए उनक मन म िवशष दया हो िवशष म उतपनन हो ऐसा वयवहार करना चािहए

भल जाओ भल सब कछ माता-िपता को भलना नही अनिगनत उपकार ह उनक यह कभी िबसरना नही

माता-िपता को सतोष हो उनका दय सनन हो ऐसा हमारा वयवहार होना चािहए अपन माता-िपता एव गरजनो को सत रखकर ही हम सचची गित कर सकत ह

(अनबम)

  • पजय बाप जी का उदबोधन
  • कदम अपना आग बढाता चला जा
  • त गलाब होकर महक
  • जीवन विकास का मल सयम
  • तरिकाल सधया
  • शरीर सवासथय
  • अनन का परभाव
  • भारतीय ससकति की महानता
  • हरिदास की हरिभकति
  • बनावटी शरगार स बचो
  • साहसी बालक
  • गर-आजञापालन का चमतकार
  • अनोखी गरदकषिणा
  • सतसग की महिमा
  • पीड पराई जान र
  • विकास क बरियो स सावधान
  • कछ जानन योगय बात
  • शयन की रीत
  • सनान का तरीका
  • सवचछता का धयान
  • समरणशकति का विकास
  • वयकतितव और वयवहार
Page 17: Tu gulabhokarmehak

जस रवर ड ऑवर न भारतीय सःकित का अधययन िकया ऐस और लोगो को भी जो िहनद धमर की िनदा करत ह भारतीय सःकित का पकषपात और पवरमहरिहत अधययन करना चािहए मनय की सष शि या व आनद जगाकर ससार म सख-शाित आनद सननता का चार-सार करना चािहए

मा सीता की खोज करत-करत हनमान जामबत अगद आिद ःवयभा क आौम म पहच उनह जोरो की भख और यास लगी थी उनह दखकर ःवयभा न कह िदया िकः

कया तम हनमान हो ौीरामजी क दत हो सीता जी की खोज म िनकल हो

हनमानजी न कहाः हा मा हम सीता माता की खोज म इधर तक आय ह

िफर ःवयभा न अगद की ओर दखकर कहाः तम सीता जी को खोज तो रह हो िकनत आख बद करक खोज रह हो या आख

खोलकर

अगद जरा राजवी परष था बोलाः हम कया आख बनद करक खोजत होग हम तो आख खोलकर ही माता सीता की खोज कर रह ह

ःवयभा बोलीः सीताजी को खोजना ह तो आख खोलकर नही बद करक खोजना होगा सीता जी अथारत भगवान की अधािगनी सीताजी यानी िव ा आतमिव ा िव ा को खोजना ह तो आख खोलकर नही आख बद करक ही खोजना पड़गा आख खोलकर खोजोग तो सीताजी नही िमलगी तम आख बनद करक ही सीताजी ( िव ा) को पा सकत हो ठहरो म तमह बताती ह िक सीता जी कहा ह

धयान करक ःवयभा न बतायाः सीताजी यहा कही भी नही वरन सागर पार लका म ह अशोकवािटका म बठ ह और राकषिसयो स िघरी ह उनम िऽजटा नामक राकषसी ह तो रावण की सिवका िकनत सीताजी की भ बन गयी ह सीताजी वही रहती ह

वारन सोचन लग िक भगवान राम न तो एक महीन क अदर सीता माता का पता लगान क िलए कहा था अभी तीन स ाह स एयादा समय तो यही हो गया ह वापस कया मह लकर जाए सागर तट तक पहचत-पहचत कई िदन लग जाएग अब कया कर

उनक मन की बात जानकर ःवयभा न कहाः िचनता मत करो अपनी आख बद करो म योगबल स एक कषण म तमह वहा पहचा दती ह

हनमान अगद और अनय वानर अपनी आख बनद करत ह और ःवयभा अपनी योगशि स उनह सागर-तट पर कछ ही पल म पहचा दती ह

ौीरामचिरतमानस म आया ह िक ETH

ठाड़ सकल िसध क तीरा ऐसी ह भारतीय सःकित की कषमता

अमिरका को खोजन वाला कोलबस पदा भी नही हआ था उसस पाच हजार वषर पहल अजरन सशरीर ःवगर म गया था और िदवय अ लाया था ऐसी यो यता थी िक धरती क राजा खटवाग दवताओ को मदद करन क िलए दवताओ का सनापितपद सभालत थ ितःमित-िव ा चाकषषी िव ा परकायावश िव ा अ िसि िव ा एव नविनिध ा करान वाली योगिव ा और जीत-जी जीव को बनान वाली िव ा यह भारतीय सःकित की दन ह अनय जगह यह नही िमलती भारतीय सःकित की जो लोग आलोचना करत ह उन बचारो को तो पता ही नही ह िक भारतीय सःकित िकतनी महान ह

गर तगबहादर बोिलयो सनो सीखो बड़भािगयो धड़ दीज धमर न छोिड़य

यवनो न गर गोिबनदिसह क बटो स कहाः तम लोग मसलमान हो जाओ नही तो हम तमह िज़नदा ही दीवार म चनवा दग

बट बोलः हम अपन ाण द सकत ह लिकन अपना धमर नही तयाग सकत

बरो न उन दोनो को जीत-जी दीवार म चनवा िदया जब कारीगर उनह दीवार म चनन लग तब बड़ा भाई बोलता हः धमर क नाम यिद हम मरना ही पड़ता ह तो पहल मरी ओर ट बढ़ा दो तािक म छोट भाई की मतय न दख

छोटा भाई बोलता हः नही पहल मरी ओर ईट बढ़ा दो

कया साहसी थ कया वीर थ वीरता क साथ अपन जीवन का बिलदान कर िदया िकनत धमर न छोड़ा आजकल क लोग तो अपन धमर और सःकित को ही भलत जा रह ह कोई लवर-लवरी धमरपिरवतरन करक लवमरज करत ह अपना िहनद धमर छोड़कर फस मरत ह यह भी कोई िज़नदगी ह भगवान ौीकण कहत ह ETH

ःवधम िनधन ौय परधम भयावहः अपन धमर म मर जाना अचछा ह पराया धमर दःख दन वाला ह भयावह ह नरको म ल

जान वाला ह इसिलए अपन ही धमर म अपनी ही सःकित म जो जीता ह उसकी शोभा ह रवर ड ऑवर न भारतीय सःकित का खब आदर िकया एफ एच मोलम न महातमा

थोरो एव अनय कई पा ातय िचनतको न भी भारतीय सःकित का बहत आदर िकया ह उनक कछ उदगार यहा ःतत हः

बाईबल का मन यथाथर अ यास िकया ह उसम जो िदवय िलखा ह वह कवल गीता क उ रण क रप म ह म ईसाई होत हए भी गीता क ित इतना सारा आदरभाव इसिलए रखता ह िक िजन गढ़ ो का समाधान पा ातय लोग अभी तक नही खोज पाय ह उनका समाधान गीतामनथ न श एव सरल रीित स कर िदया ह उसम कई सऽ अलौिकक उपदशो स भरपर

लग इसीिलए गीता जी मर िलए साकषात योग री माता बन रही ह वह तो िव क तमाम धन स भी नही खरीदा जा सक ऐसा भारतवषर का अम य खजाना ह

- एफ एच मोलम (इगल ड) ाचीन यग की सवर रमणीय वःतओ म गीता स ौ कोई वःत नही ह गीता म ऐसा

उ म और सवरवयापी जञान ह िक उसक रचियता दवता को अस य वषर हो गय िफर भी ऐसा दसरा एक भी मनथ नही िलखा गया

महातमा थोरो (अमिरका) धमर क कषऽ म अनय सब दख दिरि ह जबिक भारत इस िवषय म अरबपित ह

माकर टवन (यएसए) इस पथवी पर सवारिधक पणर िवकिसत मानवजञा कहा ह और जीवन क मह म ो क

हल िकसन खोज ह ऐसा अगर मझस पछा जाए तो म अगिलिनदश करक कहगा िक भारत न ही

मकसमलर (जमरनी) वदानत जसा ऊधवरगामी एव उतथानकारी और एक भी धमर या त वजञान नही ह

शोपनहोअर (जमरनी) िव भर म कवल भारत ही ऐसी ौ महान परमपराए रखता ह जो सिदयो तक जीिवत

रही ह

कनो (ानस) मनय जाित क अिःततव क सबस ारिमभक िदनो स लकर आज तक जीिवत मनय

क तमाम ःव न अगर कही साकार हए हो तो वह ःथान ह भारत

रोमा रोला (ास) भारत दश समपणर मानव जाित की मातभिम ह और सःकत यरोप की सभी भाषाओ की

जननी ह भारत हमार त वजञान गिणतशा एव जनतऽ की जननी ह भारतमाता अनक रप स सभी की जननी ह

िवल डरानट (यएसए) भारतीय सःकित की महानता का एहसास करन वाल इन सब िवदशी िचनतको को हम

धनयवाद दत ह एक बार महातमा थोरो सो रह थ इतन म उनका िशय एमसरन आया दखा िक वहा

साप और िबचछ घम रह ह गरजी क जागन पर एमसरन बोलाः गरदव यह जगह बड़ी खतरनाक ह म िकसी सरिकषत जगह पर आपकी वयवःथा करवा

दता ह

महातमा थोरो बोलः नही नही िचनता करन की कोई ज़ररत नही ह मर िसरहान पर ौीमदभगवदगीता ह भगवदगीता क जञान क कारण तो मझ साप म िबचछ म सबम मरा ही आतमा-परमातमा िदखता ह व मझ नही काटत ह तो म कही कयो जाऊ

िकतनी कह गीता की महानता यही ह भारतीय सःकित की मिहमा अदभत ह उसकी महानता लाबयान ह उसकी मिहमा

(अनबम)

हिरदास की हिरभि सात वष य गौर वणर क गौराग बड़-बड़ िव ान पिडतो स ऐस-ऐस करत थ िक व

दग रह जात थ इसका कारण था गौराग की हिरभि बड़ होकर उनहोन लाखो लोगो को हिरभि म रग िदया

जो हिरभ होता हिर का भजन करता उसकी बि अचछ मागर पर ही जाती ह लोभी वयि पसो क िलए हसता-रोता ह पद एव कस क तो िकतन ही लोग हसत रोत ह पिरवार क िलए तो िकतन ही मोही हसत रोत ह िकनत धनय ह व जो भगवान क िलए रोत हसत ह भगवान क िवरह म िजस रोना आया ह भगवान क िलए िजसका दय िपघलता ह ऐस लोगो का जीवन साथरक हो जाता ह भागवत म भगवान ौीकण उ व स कहत ह-

वाग गदगदा िवत यःय िच

रदतयभीआण हसित कविचचच िवलजज उदगायित नतयत च

मदभि य ो भवन पनाित िजसकी वाणी गदगद हो जाती ह िजसका िच ििवत हो जाता ह जो बार-बार रोन

लगता ह कभी लजजा छोड़कर उचच ःवर स गान लगता ह कभी नाचन लगता ह ऐसा मरा भ समम ससार को पिवऽ करता ह (ौीमदभागवतः 111424)

धनय ह वह मसलमान बालक जो गौराग क कीतरन म आता ह और िजसन गौराग स मऽदीकषा ली ह

उस मसलमान बालक का नाम हिरदास रखा गया मसलमान लोगो न उस हिरभ हिरदास को फसलान की बहत च ा की बहत डराया िक त गौराग क पास जाना छोड़ द नही तो हम यह करग वह करग िकनत हिरदास बहका नही उसका भय न हो गया था दमरित दर हो चकी थी उसकी सदबि और िन ा भगवान क धयान म लग गयी थी भयनाशन दमरित हरण किल म हिर को नाम यह नानक जी का वचन मानो उसक जीवन म साकार हो उठा था

काज़ी न षडयऽ करक उस पर कस िकया और फरमान जारी िकया िक हिरदास को बत मारत-मारत बीच बाजार स ल जाकर यमना म डाल िदया जाय

िनभ क हिरदास न बत की मार खाना ःवीकार िकया िकनत हिरभि छोड़ना ःवीकार न िकया िनि त िदन हिरदास को बत मारत हए ल जाया जान लगा िसपाही बत मारता ह तो हिरदास बोलता हः हिर बोल

हमको हिर बोल बलवाता ह य ल हिर बोल हिर बोल (सटाकसटाक) िसपाही बोलत हः हम तझ बत मारत ह तो कया तझ पीड़ा नही होती त हमस भी हिर

बोल हिर बोल करवाना चाहता ह

हिरदासः पीड़ा तो शरीर को होती ह म तो आतमा ह मझ तो पीड़ा नही होती तम भी यार स एक बार हिर बोल कहो

िसपाहीः ह हम भी हिर बोल कह हमस हिर बोल बलवाता ह ल य हिर बोल (सटाक)

हिरदास सोचता ह िक बत मारत हए भी तो य लोग हिर बोल कह रह ह चलो इनका क याण होगा िसपाही बत मारत जात ह सटाक सटाक और हिरदास हिर बोल बोलता भी जाता ह बलवाता भी जाता ह हिरदास को कई बत पड़न पर भी उसक चहर पर दःख की रखा तक नही िखचती

हवालदार पछता हः हिरदास तझ बत पड़न क बावजद भी तरी आखो म चमक ह चहर पर धयर शाित और सननता झलक रही ह कया बात ह

हिरदासः म बोलता ह हिर बोल तब िसपाही ब होकर भी कहत हः ह हमस भी बलवाता ह हिर बोल हिर बोल हिर बोल तो ल इस बहान भी उनक मह स हिरनाम िनकलता ह दर सवर उनका भी क याण होगा इसी स मर िच म सननता ह

धनय ह हिरदास की हिरभि बर काज़ी क आदश का पालन करत हए िसपाही उस हिरभि स िहनद धमर की दीकषा स चयत करन क िलए बत मारत ह िफर भी वह िनडर हिरभि नही छोड़ता हिर बोल बोलना बद नही करता

व मसलमान िसपाही हिरदास को िहनद धमर की दीकषा क भाव स गौरा क भाव स दर हटाना चाहत थ लिकन वह दर नही हटा बत सहता रहा िकनत हिर बोल बोलना न छोड़ा आिखरकार उन बर िसपाहीयो न हिरदास को उठाकर नदी म बहा िदया

नदी म तो बहा िदया लिकन दखो हिरनाम का भाव मानो यमनाजी न उसको गोद म ल िलया डढ़ मील तक हिरदास पानी म बहता रहा वह शातिच होकर मानो उस पानी म नही हिर की कपा म बहता हआ दर िकसी गाव क िकनार िनकला दसर िदन गौराग की भातफरी म शािमल हो गया लोग आ यरचिकत हो गय िक चमतकार कस हआ

धनय ह वह मसलमान यवक हिरदास जो हिर क धयान म हिर क गान म हिर क कीतरन म गौराग क साथ रहा जस िववकाननद क साथ भिगनी िनविदता न भारत म अधयातम-धणर क चार म लगकर अपना नाम अमर कर िदया वस ही इस मसलमान यवक न हिरकीतरन म हिरधयान म अपना जीवन धनय कर िदया दजरन लोग हिरदास का बाल तक न बाका कर सक जो सचच दय स भगवान का हो जाता ह उसकी हजारो शऽ िमलकर भी कछ हािन नही कर सकत तो उस काज़ी की कया ताकत थी

लोगो न जाकर काज़ी स कहा िक आज हिरदास पनः गौराग की भातफरी म उपिःथत हो गया था काजी अतयनत अहकारी था उसन एक नोिटस भजा एक आदश चतनय महाभ (गौराग) को भजा िक कल स तम भातफरी नही िनकाल सकत तमहारी भातफरी पर बिदश लगाई जाती ह

गौराग न सोचा िक हम िकसी का बरा नही करत िकसी को कोई हािन नही पहचात अर वायम डल क दषण को दर करन क िलए तो शासन पस खचर करता ह िकनत िवचारो क दषण को दर करन क िलए हिरकीतरन जसा हिरभि जसा अमोघ उपाय कौन सा ह भल काजी और शासन की समझ म आय या न आय वातावरण को श करन क साथ-साथ िवचारो का दषण भी दर होना चािहए हम तो कीतरन करग और करवायग

जो लोग डरपोक थ भीर और कायर थ ढील-ढाल थ व बोलः बाबा जी रहन दो रहन दो अपना कया जो करग व भरग अपन तो घर म ही रहकर हिर ॐ हिर ॐ करग

गौराग न कहाः नही इस कार कायरो जसी बात करना ह तो हमार पास मत आया करो

दसर िदन जो डरपोक थ ऐस पाच-दस वयि नही आय बाकी क िहममतवाल िजतन थ व सब आय उनह दखकर और लोग भी जड़

गौराग बोलः आज हमारी भातफरी की पणारहित काजी क घर पर ही होगी

गौराग भ -म डली क साथ कीतरन करत-करत जब बाजार स गज़र तो कछ िहनद एव मसलमान भी कीतरन म जड़ गय उनको भी कीतरन म रस आन लगा व लोग काजी को गािलया दन लग िक काजी बदमाश ह ऐसा ह वसा ह आिद ETH आिद

तब गौराग कहत हः नही शऽ क िलए भी बरा मत सोचो

उनहोन सबको समझा िदया िक काजी क िलए कोई भी अपश द नही कहगा कसी महान ह हमारी िहनद सःकित िजसन हिरदास को बत मारन का आदश िदया उस कवल अपश द कहन क िलए भी गौराग मना कर रह ह इस भारती सःकित म िकतनी उदारता ह स दयता ह लिकन कायरता को कही भी ःथान नही ह

गौराग कीतरन करत-करत काजी क घर क िनकट पहच गय काजी घर की छत पर स इस भातफरी को दखकर दग रह गया िक मर मना करन पर भी इनहोन भातफरी िनकाली

और मर घर तक ल आय उसम मसलमान लड़क भी शािमल ह जयो ही वह भातफरी काजी क घर पहची काजी घर क अनदर िछप गया

गौराग न काजी का ार खटखटाया तब काजी या काजी की प ी न नही वरन चौकीदार न दरवाजा खोला वह बोलाः

काजी साहब घर पर नही ह

गौराग बोलः नही कस ह अभी तो हमन उनह घर की छत पर दखा था काजी को जाकर बोलो हमार मामा और मा भी िजस गाव की ह आप भी उसी गाव क हो इसिलए आप मर गाव क मामा लगत ह मामाजी भानजा ार पर आय और आप छप कर बठ यह शोभा नही दता बाहर आ जाईय

चौकीदार न जाकर काजी को सब कह सनाया गौराग क मभर वचन सनकर काजी का दय िपघल गया िजस पर मन ज म ढाय वह मझ मामा कहकर सबोिधत करता ह िजसक साथ मन बरता की वह मर साथ िकतना औदायर रखता ह यह सोचकर काजी का दय बदल गया वह ार पर आकर बोलाः

म तमस डरकर अनदर नही छपा कयोिक मर पास तो स ा ह कलम की ताकत ह लिकन हिरकीतरन स हिरनाम स िहनद तो कया मसलमान लड़क भी आनिदत हो रह ह उनका भी लह पिवऽ हो रहा ह यह दखकर मझ दःख हो रहा ह िक िजस नाम क उचचारण स उनकी रग-रग पावन हो रही ह उसी नाम क कारण मन हिरदास पर और तम पर ज म िकया िकसी क बहकाव म आकर तम लोगो पर फरमान जारी िकया अब म िकस मह स तमहार सामन आता इसीिलए म मह िछपाकर घर क अनदर घस गया था

भानजा(गौराग) बोलता हः मामा अब तो बाहर आ जाइय

मामा(काजी) बोलाः बाहर आकर कया कर

गौरागः कीतरन कर हिरनाम क उचचारण स छपी हई यो यता िवकिसत कर आनद गट कर

काजीः कया करना होगा

गौरागः म जसा बोलता ह ऐसा ही बोलना होगा बोिलएः हिर बोल हिर बोल

काजीः हिर बोल हिर बोल

गौरागः हिर बोल हिर बोल

काजीः हिर बोल हिर बोल

हिर बोल हिर बोल हिर बोल हिर बोल

हिर बोल हिर बोल हिर बोल हिर बोल

कीतरन करत-करत गौराग न अपनी िनगाहो स काजी पर कपा बरसाई तो काजी भी झमन लगा उस भी हिर बोल का रग लग गया जस इजन को ह डल दकर छोड़ दत ह तब भी इजन चलता रहता ह ऐस ही गौराग की कपादि स काजी भी झमन लगा

काजी क झमन स वातावरण म और भी रग आ गया काजी तो झम गया काजी की प ी भी झमी और चौकीदार भी झम उठा सब हिरकीतरन म झमत-झमत अपन र को पावन करन लग दय को हिररस स सराबोर करन लगा उनक जनम-जनम क पाप-ताप न होन लग िजस पर भगवान की दया होती ह िजसको साधओ का सग िमलता ह सतसग का सहारा िमलता ह और भारतीय सःकित की महानता को समझन की अकल िमलती ह िफर उसक उ ार म कया बाकी रह जाता ह काजी का तो उ ार हो गया

दखो सत की उदारता एव महानता िजसन िहनदओ पर ज म करवाय भ हिरदास को बत मरवात-मरवात यमना जी म डलवा िदया भातफरी पर ितबध लगवा िदया उसी काजी को गौराग न हिररग म रग िदया अपनी कपादि स िनहाल कर िदया उसक बर कम की धयान न दत हए भि का दान द िदया ऐस गौराग क ौीचरणो म हमार हजार-हजार णाम ह हम उस मसलमान यवक हिरदास को भी धनयवाद दत ह िक उसन बत खात पीड़ा सहत भी भि न छोड़ी गरदव को न छोड़ा न ही उनक दबाव म आकर पनः मसलमान बना हिर बोल क रग म ःवय रगा और िसपािहयो को भी रग िदया धनय ह हिरदास और उसकी हिरभि

(अनबम)

बनावटी ौगार स बचो जमरनी क िस दाशरिनक शोपनहार कहत ह िक िजन दशो म हिथयार बनाय जात ह

उन दशो क लोगो को य करन की उ जना होती ह और उन दशो म हिथयार बनत ही रहत ह य भी होत रहत ह ऐस ही जो लोग फशन करत ह उनक दय म काम बोध लोभ मोह रपी य होता ही रहता ह उनक जीवन म िवलािसता आती ह और पतन होता ह वस ही फशन और िवलािसता स सयम सदाचार और यो यता का सहार होता ह

इसिलए य क साधन बढ़न स जस य होता ह वस ही िवलािसता और फशन क साधनो का उपयोग करन स अतयर होता ह अपनी आितमक शि यो का सहार होता ह अतः अपना भला चाहन वाल भाई-बहनो को पफ-पाउडर िलपिःटक-लाली व -अलकार क िदखाव क पीछ नही पड़ना चािहए सयम सादगी एव पिवऽतापणर जीवन जीना चािहए

अपन शा ो म ौगार की अनमित दी गई ह सौभा यवती ि या जब पित अपन ही नगर म हो घर म हो तब ौगार कर पित यिद दर दश गया हो तब सौभा यवित ि यो को भी सादगीपणर जीवन जीना चािहए ौगार क उपयोग म आनवाली वःतए भी वनिःपतयो एव साि वक रसो स बनी हई होनी चािहए जो सननता और आरो यता दान कर

आजकल तो शरीर म उ जना पदा कर बीमािरया पदा कर ऐस किमक स(रसायनो) और जहर जस साधनो स ौगार-साधन बनाए जात ह िजसस शरीर क अनदर जहरील कण जात ह और तवचा की बीमािरया होती ह आहार म भी जहरील कणो क जान स पाचन-तऽ और मानिसक सतलन िबगड़ता ह साथ ही बौि क एव वचािरक सतलन भी िबगड़ता ह

पशओ की चब किमक स और दसर थोड़ जहरील िवयो स बन पफ-पाउडर िलपिःटक-लाली आिद िजन साधनो का यटी-पालरर म उपयोग िकया जाता ह वसी गदगी कभी-भी अपन शरीर को तो लगानी ही नही चािहए दसर लोगो न लगायी हो तो दखकर सनन भी नही होना चािहए अपन सयम और सदाचार की सनदरता को गट करना चािहए मीरा और शबरी िकस यटी-पालरर म गय थ सती अनसया गाग और मदालसा न िकस पफ-पाउडर लाली-िलपिःटक का उपयोग िकया था िफर भी उनका जीवन सनदर तजःवी था हम भी ई र स ाथरना कर िक ह भगवान हम अपना सयम और साधना का सौनदयर बढ़ाए ऐसी त दया करना िवकारी सौनदयर स अपन को बचाकर िनिवरकारी नारायण की ओर जाय ऐसी त दया करना िवलािसता म अपन समय को न लगाकर तर ही धयान-िचतन म हमारा समय बीत ऐसी त कपा करना

किऽम सौनदयर-साधन स तवचा की िःन धता और कोमलता मर जाती ह पफ-पाउडर बीम आिद स शरीर की कदरती िःन धता खतम हो जाती ह ाकितक सौनदयर को न करक

जो किऽम सौनदयर क गलाम बनत ह उनस ःनहभरी सलाह ह िक व पफ-पाउडर आिद और तड़कील-भड़कील व आिद की गलामी को छोड़कर ाकितक सौनदयर को बढ़ान की कोिशश कर मीरा और मदालसा की तरह अपन असली सौनदयर को कट करन की कोिशश कर

(अनबम)

साहसी बालक एक लड़का काशी म हिर नि हाईःकल म पढ़ता था उसका गाव काशी स आठ मील दर

था वह रोजाना वहा स पदल चलकर आता बीच म जो गगा नदी बहती ह उस पार करक िव ालय पहचता

उस जमान म गगा पार करन क िलए नाव वाल को दो पस दन पड़त थ दो पस आन क और दो पस जान क कल चार पस यािन पराना एक आना महीन म करीब दो रपय हए जब सोन क एक तोल का भाव रपया सौ स भी नीच था तब क दो रपय आज क तो पाच-पचचीस रपय हो जाए

उस लड़क न अपन मा-बाप पर अितिर बोझा न पड़ इसिलए एक भी पस की माग नही की उसन तरना सीख िलया गम हो बािरश हो या ठ ड हो गगा पार करक हाईःकल म जाना उसका बम हो गया इस कार िकतन ही महीन गजर गय

एक बार पौष मास की ठ ड म वह लड़का सबह की ःकल भरन क िलए गगा म कदा तरत-तरत मझधार म आया एक नाव म कछ याऽी नदी पार कर रह थ उनहोन दखा िक छोटा-सा लड़का अभी डब मरगा व उसक पास नाव ल गय और हाथ पकड़ कर उस नाव म खीच िलया लड़क क मख पर घबराहट या िचनता की कोई रखा नही थी सब लोग दग रह गय इतना छोटा ह और इतना साहसी ह व बोलः

त अभी डब मरता तो ऐसा साहस नही करना चािहए

तब लड़का बोलाः साहस तो होना ही चािहए जीवन म िव न-बाधाए आयगी उनह कचलन क िलए साहस तो चािहए ही अगर अभी स साहस नही जटाया तो जीवन म बड़-बड़ कायर कस कर पायग

लोगो न पछाः इस समय तरन कयो िगरा दोपहर को नहान आता

लड़का बोलता हः म नहान क िलए नदी म नही िगरा ह म तो ःकल जा रहा ह

नाव म बठकर जाता

रोज क चार पस आन-जान क लगत ह मर गरीब मा-बाप पर मझ बोझा नही बनना ह मझ तो अपन परो पर खड़ होना ह मरा खचर बढ़ तो मर मा-बाप की िचनता बढ़ उनह घर चलाना मिकल हो जाय

लोग उस आदर स दखत ही रह गय वही साहसी लड़का आग चलकर भारत का धान मऽी बना

वह लड़का कौन था पता ह व थ लाल बहादर शा ी शा ी जी उस पद भी सचचाई साहस सरलता ईमानदारी सादगी दशम आिद सदगण और सदाचार क मितरमनत ःवरप थ ऐस महापरष भल िफर थोड़ा-सा समय ही राजय कर पर एक अनोखा भाव छोड़ जात ह जनमानस पर

(अनबम)

गर-आजञापालन का चमतकार ौीम आ ाशकराचायर जी जब काशी म िनवास करत थ तब गगा-तट पर िनतय ात-

काल टहलत थ एक सबह िकसी ितभासपनन यवक न दसर िकनार स दखा िक कोई सनयासी उस पार टहल रह ह उस यवक न दसर िकनार स ही उनह णाम िकया उस यवक को दखकर आ शकराचायर जी न सकत िकया िक इधर आ जाओ उस आभासमपनन यवक न दखा िक मन तो साध को णाम कर िदया ह णाम कर िदया तो म उनका िशय हो गया और उनहोन मझ आदश िदया िक इधर आ जाओ अब गर की आजञा का उ लघन करना भी तो उिचत नही ह िकनत यही कोई नाव नही ह और म तरना भी नही जानता ह अब कया कर उसक मन म िवचार आया िक वस भी तो हजारो बार हम मर चक ह एक बार यिद गर क दशरन क िलए जात-जात मर जाय तो घाटा कया होगा

गग मात की जय कह कर उस यवक न तो गगाजी म पर रख िदया उसकी इचछा कहो ौीम आ शकराचायर जी का भाव कहो या िनयित की लीला कहो जहा उस यवक न कदम रखा वहा एक कमल पदा हो गया उसक पर को थामन क िलए जब दसरा पर रखा तो वहा भी कमल पदा हो गया इस कार जहा-जहा वह कदम रखता गया वहा कमल (प ) उतपनन होता गया और वह यवक गगा क दसर तट पर जहा आ शकराचायर जी खड़ थ पहच गया

जहा-जहा वह कदम रखता था वहा-वहा प (कमल) क कट होन क कारण उसका नाम पड़ा - प पादाचायर शकराचायर जी क म य चार प टिशयो म आग जाकर यही प पादाचायर एक प टिशय बन

कहन का तातपयर यह ह िक सिचचदानद परमातमा की शि का सामथयर का बयान करना सभव नही ह िजसकी िजतनी दढ़ता ह िजसकी िजतनी सचचाई ह िजसकी िजतनी ततपरता ह उतनी ही कित भी उसकी मदद करन को आतर रहती ह प पादाचायर की गर-आजञापालन म दढ़ता और ततपरता को दखकर गगा जी म कमल गट हो गय िशय यिद दढ़ता ततपरता और ईमानदारी स गर-आजञापालन म लग जाय तो कित भी उसक अनकल हो जाती ह

(अनबम)

अनोखी गरदिकषणा एकलवय गर िोणाचायर क पास आकर बोलाः मझ धनिवर ा िसखान की कपा कर

गरदव गर िोणाचायर क समकष धमरसकट उतपनन हआ कयोिक उनहोन भीम िपतामह को वचन

द िदया था िक कवल राजकमारो को ही म िशकषा दगा एकलवय राजकमार नही ह अतः उस धनिवर ा कस िसखाऊ अतः िोणाचायर न एकलवय स कहाः

म तझ धनिवर ा नही िसखा सकगा

एकलवय घर स िन य करक िनकला था िक म कवल गर िोणाचायर को ही गर बनाऊगा िजनक िलए मन म भी गर बनान का भाव आ गया उनक िकसी भी वयवहार क िलए िशकायत या िछिानवषण की वि नही होनी चािहए

एकलवय एकात अर य म गया और उसन गर िोणाचायर की िम टी की मितर बनायी मितर की ओर एकटक दखकर धयान करक उसी स रणा लकर वह धनिवर ा सीखन लगा एकटक दखन स एकामता आती ह एकामता गरभि अपनी सचचाई और ततपरता क कारण उस रणा िमलन लगी जञानदाता तो परमातमा ह धनिवर ा म वह बहत आग बढ़ गया

एक बार िोणाचायर पाडव एव कौरव धनिवर ा का योग करन अर य म आय उनक साथ एक क ा भी था जो थोड़ा आग िनकल गया क ा वही पहचा जहा एकलवय अपनी धनिवर ा का योग कर रहा था एकलवय क खल बाल फट कपड़ एव िविचऽ वष को दखकर क ा भ कन लगा

एकलवय न क को लग नही चोट न पहच और उसका भ कना बद हो जाय इस ढग स सात बाण उसक मह म थमा िदय क ा वािपस वहा गया जहा िोणाचायर क साथ पाडव और कौरव थ

उस दखकर अजरन को हआ िक क को चोट न लग इस ढग स बाण मह म घसाकर रख दना यह िव ा तो म भी नही जानता यह कस सभव हआ वह गर िोणाचायर स बोलाः

गरदव आपन तो कहा था िक मरी बराबरी का दसरा कोई धनधाररी नही होगा िकनत ऐसी िव ा तो मझ भी नही आती

िोणाचायर को हआ िक दख इस अर य म कौन-सा ऐसा कशल धनधरर ह आग जाकर दखा तो वह था िहर यधन का पऽ गरभ एकलवय

िोणाचायर न पछाः बटा यह िव ा त कहा स सीखा

एकलवय बोलाः गरदव आपकी ही कपा स सीखा ह

िोणाचायर तो वचन द चक थ िक अजरन की बराबरी का धनधरर दसरा कोई न होगा िकनत यह तो आग िनकल गया गर क िलए धमरसकट खड़ा हो गया एकलवय की अटट ौ ा दखकर िोणाचायर न कहाः मरी मितर को सामन रखकर त धनिवर ा तो सीखा िकनत गरदिकषणा

एकलवयः जो आप माग

िोणाचायरः तर दाय हाथ का अगठा

एकलवय न एक पल भी िवचार िकय िबना अपन दाय हाथ का अगठा काटकर गरदव क चरणो म अपरण कर िदया

िोणाचायरः बटा भल ही अजरन धनिवर ा म सबस आग रह कयोिक म उस वचन द चका ह िकनत जब तक सयर चनि नकषऽो का अिःततव रहगा तब तक लोग तरी गरिन ा का तरी गरभि का ःमरण करग तरा यशोगान होता रहगा

उसकी गरभि और एकामता न उस धनिवर ा म तो सफलता िदलायी ही लिकन सतो क दय म भी उसक िलए आदर गट करवा िदया धनय ह एकलवय जो गरमितर स रणा पाकर धनिवर ा म सफल हआ और िजसन अदभत गरदिकषणा दकर साहस तयाग और समपरण का पिरचय िदया

(अनबम)

सतसग की मिहमा तलसीदास जी महाराज कहत ह ETH

एक घड़ी आधी घड़ी आधी म पिन आध तलसी सगत साध की हर कोिट अपराध

एक बार शकदव जी क िपता भगवान वदवयासजी महाराज कही जा रह थ राःत म उनहोन दखा िक एक कीड़ा बड़ी तजी स सड़क पार कर रहा था

वदवयासजी न अपनी योगशि दत हए उसस पछाः त इतनी ज दी सड़क कयो पार कर रहा ह कया तझ िकसी काम स जाना ह त तो

नाली का कीड़ा ह इस नाली को छोड़कर दसरी नाली म ही तो जाना ह िफर इतनी तजी स कयो भाग रहा ह

कीड़ा बोलाः बाबा जी बलगाड़ी आ रही ह बलो क गल म बध घघर तथा बलगाड़ी क पिहयो की आवाज म सन रहा ह यिद म धीर-धीर सड़क पार करगा तो वह बलगाड़ी आकर मझ कचल डालगी

वदवयासजीः कचलन द कीड़ की योिन म जीकर भी कया करना

कीड़ाः महिषर ाणी िजस शरीर म होता ह उसको उसम ही ममता होती ह अनक ाणी नाना कार क क ो को सहत हए भी मरना नही चाहत

वदवयास जीः बलगाड़ी आ जाय और त मर जाय तो घबराना मत म तझ योगशि स महान बनाऊगा जब तक ा ण शरीर म न पहचा द अनय सभी योिनयो स शीय छटकारा िदलाता रहगा

उस कीड़ न बात मान ली और बीच राःत पर रक गया और मर गया िफर वदवयासजी की कपा स वह बमशः कौआ िसयार आिद योिनयो म जब-जब भी उतपनन हआ वयासजी न जाकर उस पवरजनम का ःमरण िदला िदया इस तरह वह बमशः मग पकषी शि वय जाितयो म जनम लता हआ कषिऽय जाित म उतपनन हआ उस वहा भी वदवयासजी दशरन िदय थोड़ िदनो म रणभिम म शरीर तयागकर उसन ा ण क घर जनम िलया

भगवान वदवयास जी न उस पाच वषर की उ म सारःवतय मऽ द िदया िजसका जप करत-करत वह धयान करन लगा उसकी बि बड़ी िवलकषण होन पर वद शा धमर का रहःय समझ म आ गया

सात वषर की आय म वदवयास जी न उस कहाः काि रक कषऽ म कई वष स एक ा ण ननदभि तपःया कर रहा ह तम जाकर उसकी

शका का समाधान करो

माऽ सात वषर का ा ण कमार काि रक कषऽ म तप कर रह उस ा ण क पास पहच कर बोलाः

ह ा णदव आप तप कयो कर रह ह

ा णः ह ऋिषकमार म यह जानन क िलए तप कर रहा ह िक जो अचछ लोग ह सजजन लोग ह व सहन करत ह दःखी रहत ह और पापी आदमी सखी रहत ह ऐसा कयो ह

बालकः पापी आदमी यिद सखी ह तो पाप क कारण नही वरन िपछल जनम का कोई प य ह उसक कारण सखी ह वह अपन प य खतम कर रहा ह पापी मनय भीतर स तो दःखी ही होता ह भल ही बाहर स सखी िदखाई द

धािमरक आदमी को ठ क समझ नही होती उिचत िदशा व मऽ नही िमलता इसिलए वह दःखी होता ह वह धमर क कारण दःखी नही होता अिपत समझ की कमी क कारण दःखी होता ह समझदार को यिद कोई गर िमल जाय तो वह नर म स नारायण बन जाय इसम कया आ यर ह

ा णः म इतना बढ़ा हो गया इतन वष स काि रक कषऽ म तप कर रहा ह मर तप का फल यही ह िक तमहार जस सात वषर क योगी क मझ दशरन हो रह ह म तमह णाम करता ह

बालकः नही नही महाराज आप तो भदव ह म तो बालक ह म आपको णाम करता ह

उसकी नता दखकर ा ण और खश हआ तप छोड़कर वह परमातमिचनतन म लग गया अब उस कछ जानन की इचछा नही रही िजसस सब कछ जाना जाता ह उसी परमातमा म िवौाित पान लग गया

इस कार ननदभि ा ण को उ र द िनःशक कर सात िदनो तक िनराहार रहकर वह बालक सयरमनऽ का जप करता रहा और वही बहदक तीथर म उसन शरीर तयाग िदया वही बालक दसर जनम म कषार िपता एव िमऽा माता क यहा गट हआ उसका नाम मऽय पड़ा इनहोन वयासजी क िपता पराशरजी स िवण-पराण तथा बहत पाराशर होरा शा का अधययन िकया था पकषपात रिहत अनभवकाश नामक मनथ म मऽय तथा पराशर ऋिष का सवाद आता ह

कहा तो सड़क स गजरकर नाली म िगरन जा रहा कीड़ा और कहा सत क सािननधय स वह मऽय ऋिष बन गया सतसग की बिलहारी ह इसीिलए तलसीदास जी कहत ह ETH

तात ःवगर अपवगर सख धिरअ तला एक अग तल न तािह सकल िमली जो सख लव सतसग

यहा एक शका हो सकती ह िक वह कीड़ा ही मऽय ऋिष कयो नही बन गया

अर भाई यिद आप पहली ककषा क िव ाथ हो और आपको एम ए म िबठाया जाय तो कया आप पास हो सकत हो नही दसरी तीसरी चौथी दसवी बारहवी बीए आिद पास करक ही आप एमए म वश कर सकत हो

िकसी चौकीदार पर कोई धानमनऽी अतयिधक सनन हो जाए तब भी वह उस सीधा कलकटर (िजलाधीश) नही बना सकता ऐस ही नाली म रहन वाला कीड़ा सीधा मनय तो नही

हो सकता बि क िविभनन योिनयो को पार करक ही मनय बन सकता ह हा इतना अवय ह िक सतकपा स उसका मागर छोटा हो जाता ह

सतसमागम की साध परषो स सग की मिहमा का कहा तक वणरन कर कस बयान कर एक सामानय कीड़ा उनक सतसग को पाकर महान ऋिष बन सकता ह तो िफर यिद मानव को िकसी सदगर का सािननधय िमल जाय उनक वचनानसार चल पड़ तो मि का अनभव करक जीवनम भी बन सकता ह

(अनबम)

पीड़ पराई जान र जञानी िकसी स यार करन क िलए बध हए नही ह और िकसी को डाटन म भी राजी

नही ह हमारी जसी यो यता होती ह ऐसा उनका वयवहार हमार ित होता ह लीलाशाह बाप क ौीचरणो म बहत लोग गय थ एक लड़का भी गया था वह मिणनगर

म रहता था िशवजी को जल चढ़ान क प ात ही वह जल पीता वह लड़का खब िन ा स धयान-भजन करता और सवा पजा करता

एक िदन कोई वयि राःत म बहोश पड़ा हआ था िशवजी को जल चढ़ान जात समय उस बालक न उस दखा और अपनी पजा-वजा छोड़कर उस गरीब की सवा म लग गया िबहार का कोई यवक था नौकरी की खोज म आया था कालपर(अहमदाबाद) ःटशन क लटफामर पर एक दो िदन रहा किलयो न मारपीट कर भगा िदया चलत-चलत मिणनगर म पनीत आौम की ओर रोटी की आशा म जा रहा था रोटी तो वहा नही िमलती थी इसिलए भख क कारण चलत-चलत राःत म िगर गया और बहोश हो गया

उस लड़क का घर पनीत आौम क पास ही था सबह क दस साढ़ दस बज थ वह लड़का घर स धयान-भजन स िनपटकर मिदर म िशवजी को जल चढ़ान क िलए जल का लोटा और पजा की साममी लकर जा रहा था उसन दखा िक राःत म कोई यवक पड़ा ह राःत म चलत-चलत लोग बोलत थः शराब पी होगी यह होगा वह होगा हम कया

लड़क को दया आई प य िकय हए हो तो रणा भी अचछ िमलती ह शभ कम स शभ रणा िमलती ह अपन पास की पजा साममी एक ओर रखकर उसन उस वयि को िहलाया बहत मिकल स उसकी आख खली कोई उस जत सघाता कोई कछ करता कोई कछ बोलता था

आख खोलत ही वह वयि धीर स बोलाः पानी पानी

लड़क न महादव जी क िलय लाया हआ जल का लोटा उस िपला िदया िफर दोड़कर घर जाकर अपन िहःस का दध लाकर उस िदया

यवक क जी म जी आया उसन अपनी वयथा बतात हए कहाः बाब जी म िबहार स आया ह मर बाप गजर गय काका िदन-रात टोकत रहत त िक

कमाओ नही तो खाओग कया नौकरी धधा िमलता नही ह भटकत-भटकत अहमदाबाद क ःटशन पर कली का काम करन का य िकया हमारी रोटी-रोजी िछन जायगी ऐसा समझकर किलयो न खब मारा पदल चलत-चलत मिणनगर ःटशन की ओर आत-आत यहा तीन िदन की भख और मार क कारण चककर आय और िगर गया

लड़क न उस िखलाया अपना इक ठा िकया हआ जबखचर का पसा िदया उस यवक को जहा जाना था वहा भजन की वयवःथा की इस लड़क क दय म आनद की वि हई अतर म आवाज आईः

बटा अब म तझ बहत ज दी िमलगा

लड़क न िकयाः अनदर कौन बोलता ह

उ र आयाः िजस िशव की त पजा करता ह वह तरा आतमिशव अब म तर दय म कट होऊगा सवा क अिधकारी की सवा मझ िशव की ही सवा ह

उस िदन उस अतयारमी न अनोखी ऱणा और ोतसाहन िदया वह लड़का तो िनकल पड़ा घर छोड़कर ई र-साकषातकार करन क िलए कदारनाथ वनदावन होत हए निनताल क अर य म पहचा

कदारनाथ क दशरन पाय लकषािधपित आिशष पाय

इस आशीवारद को वापस कर ई राि क िलए िफर पजा की उसक पास जो कछ रपय पस थ उनह वनदावन म साध-सतो एव गरीबो म भ डारा करक खचर कर िदया था थोड़ स पस लकर निनताल क अर यो म पहचा लोकलाड़ल लाखो दयो को हिररस िपलात पजयपाद सदगर ौी लीलाशाह बाप की राह दखत हए चालीस िदन बीत गय गरवर ौी लीलाशाह को अब पणर समिपरत िशय िमला पणर खजाना ा करन वाला पिवऽातमा िमला पणर गर की पणर िशय िमला

िजस लड़क क िवषय म यह कथा पढ़ रह ह वह लड़का कौन होगा जानत हो

पणर गर कपा िमली पणर गर का जञान आसमल स हो गय साई आसाराम

अब तो समझ ही गय होग (उस लड़क क वश म छप हए थ पवर जनम क योगी और वतरमान म िव िव यात हमार

पजयपाद सदगरदव ौी आसाराम जी महाराज)

(अनबम)

िवकास क बिरयो स सावधान किपलवःत क राजा श ोदन का यवराज था िस ाथर यौवन म कदम रखत ही िववक

और वरा य जाग उठा यवान प ी यशोधरा और नवजात िशश राहल की मोह-ममता की रशमी जजीर काटकर महाभीिनबमण (गहतयाग) िकया एकानत अर य म जाकर गहन धयान साधना करक अपन साधय त व को ा कर िलया

एकानत म तप यार और धयान साधना स िखल हए इस आधयाितमक कसम की मधर

सौरभ लोगो म फलन लगी अब िस ाथर भगवान ब क नाम स जन-समह म िस हए हजारो हजारो लोग उनक उपिद मागर पर चलन लग और अपनी अपनी यो यता क मतािबक आधयाितमक याऽा म आग बढ़त हए आितमक शाित ा करन लग अस य लोग बौ िभकषक बनकर भगवान ब क सािननधय म रहन लग उनक पीछ चलन वाल अनयायीओ का एक सघ ःथािपत हो गया चह ओर नाद गजन लग िकः

ब शरण गचछािम धमम शरण गचछािम सघ शरण गचछािम

ौावःती नगरी म भगवान ब का बहत यश फला लोगो म उनकी जय-जयकार होन लगी लोगो की भीड़-भाड़ स िवर होकर ब नगर स बाहर जतवन म आम क बगीच म रहन लग नगर क िपपास जन बड़ी तादाद म वहा हररोज िनि त समय पर पहच जात और उपदश-वचन सनत बड़-बड़ राजा महाराजा भगवान ब क सािननधय म आन जान लग

समाज म तो हर कार क लोग होत ह अनािद काल स दवी समपदा क लोग एव आसरी समपदा क लोग हआ करत ह ब का फलता हआ यश दखकर उनका तजो ष करन वाल लोग जलन लग सतो क साथ हमशा स होता आ रहा ह ऐस उन द त वो न ब को बदनाम करन क िलए कचार िकया िविभनन कार की यि -यि या लड़ाकर ब क यश को हािन पहच ऐसी बात समाज म व लोग फलान लग उन द ो न अपन ष यऽ म एक वया को समझा-बझाकर शािमल कर िलया

वया बन-ठनकर जतवन म भगवान ब क िनवास-ःथानवाल बगीच म जान लगी

धनरािश क साथ द ो का हर कार स सहारा एव ोतसाहन उस िमल रहा था रािऽ को वही रहकर सबह नगर म वािपस लोट आती अपनी सिखयो म भी उसन बात फलाई

लोग उसस पछन लगः अरी आजकल त िदखती नही ह कहा जा रही ह रोज रात को

म तो रोज रात को जतवन जाती ह व ब िदन म लोगो को उपदश दत ह और रािऽ क समय मर साथ रगरिलया मनात ह सारी रात वहा िबताकर सबह लोटती ह

वया न परा ीचिरऽ आजमाकर ष यऽ करन वालो का साथ िदया लोगो म पहल तो हलकी कानाफसी हई लिकन जयो-जयो बात फलती गई तयो-तयो लोगो म जोरदार िवरोध होन लगा लोग ब क नाम पर िफटकार बरसान लग ब क िभकषक बःती म िभकषा लन जात तो लोग उनह गािलया दन लग ब क सघ क लोग सवा-वि म सल न थ उन लोगो क सामन भी उगली उठाकर लोग बकवास करन लग

ब क िशय जरा असावधान रह थ कचार क समय साथ ही साथ स चार होता तो कचार का इतना भाव नही होता िशय अगर िनिबय रहकर सोचत रह जाय िक करगा सो भरगा भगवान उनका नाश करग तो कचार करन वालो को ख ला मदान िमल जाता ह

सत क सािननधय म आन वाल लोग ौ ाल सजजन सीध साद होत ह जबिक द वि करन वाल लोग किटलतापवरक कचार करन म कशल होत ह िफर भी िजन सतो क पीछ सजग समाज होता ह उन सतो क पीछ उठन वाल कचार क तफान समय पाकर शात हो जात ह और उनकी सतवि या काशमान हो उठती ह

कचार न इतना जोर पकड़ा िक ब क िनकटवत लोगो न ऽािहमाम पकार िलया व समझ गय िक यह वयविःथत आयोजनपवरक ष यऽ िकया गया ह ब ःवय तो पारमािथरक सतय म जाग हए थ व बोलतः सब ठ क ह चलन दो वयवहािरक सतय म वाहवाही दख ली अब िननदा भी दख ल कया फकर पड़ता ह

िशय कहन लगः भनत अब सहा नही जाता सघ क िनकटवत भ भी अफवाहो क िशकार हो रह ह समाज क लोग अफवाहो की बातो को सतय मानन लग गय ह

ब ः धयर रखो हम पारमािथरक सतय म िवौाित पात ह यह िवरोध की आधी चली ह तो शात भी हो जाएगी समय पाकर सतय ही बाहर आयगा आिखर म लोग हम जानग और मानग

कछ लोगो न अगवानी का झ डा उठाया और राजयस ा क समकष जोर-शोर स माग की

िक ब की जाच करवाई जाय लोग बात कर रह ह और वया भी कहती ह िक ब रािऽ को मर साथ होत ह और िदन म सतसग करत ह

ब क बार म जाच करन क िलए राजा न अपन आदिमयो को फरमान िदया अब ष यऽ करनवालो न सोचा िक इस जाच करन वाल पच म अगर सचचा आदमी आ जाएगा तो अफवाहो का सीना चीरकर सतय बाहर आ जाएगा अतः उनहोन अपन ष यऽ को आिखरी

पराका ा पर पहचाया अब ऐस ठोस सबत खड़ा करना चािहए िक ब की ितभा का अःत हो जाय

उनहोन वया को दार िपलाकर जतवन भज िदया पीछ स ग डो की टोली वहा गई वया पर बलातकार आिद सब द कतय करक उसका गला घोट िदया और लाश को ब क बगीच म गाड़कर पलायन हो गय

लोगो न राजयस ा क ार खटखटाय थ लिकन स ावाल भी कछ लोग द ो क साथ जड़ हए थ ऐसा थोड़ ही ह िक स ा म बठ हए सब लोग दध म धोय हए वयि होत ह

राजा क अिधकािरयो क ारा जाच करन पर वया की लाश हाथ लगी अब द ो न जोर-शोर स िच लाना शर कर िदया

दखो हम पहल ही कह रह थ वया भी बोल रही थी लिकन तम भगतड़ लोग मानत ही नही थ अब दख िलया न ब न सही बात खल जान क भय स वया को मरवाकर बगीच म गड़वा िदया न रहगा बास न बजगी बासरी लिकन सतय कहा तक िछप सकता ह म ामाल हाथ लग गया इस ठोस सबत स ब की असिलयत िस हो गई सतय बाहर आ गया

लिकन उन मख का पता नही िक तमहारा बनाया हआ कि पत सतय बाहर आया वाःतिवक सतय तो आज ढाई हजार वषर क बाद भी वसा ही चमक रहा ह आज ब को लाखो लोग जानत ह आदरपवरक मानत ह उनका तजो ष करन वाल द लोग कौन-स नरको म जलत होग कया पता

ढाई हजार वषर पहल ब क जमान म भी सतो क साथ ऐसा घोर अनयाय हआ करता था ऋिष दयाननद को भी ऐस ही त वो न तजो ष क कारण बाईस बार िवष दकर मार डालन का यास िकया ःवामी िववकाननद और ःवामी रामतीथर क पीछ भी द लोगो न वया को तयार करक कीचड़ उछाला था

एक ओर लाखो-लाखो लोग सतो की अनभवय वाणी स अपना वयावहािरक ETH आधयाितमक जीवन उननत करक सख-शाित पात ह दसरी ओर कछ द कित क ःवाथ लोग अपना उ ल सीधा करन क िलए ऐस महापरषो क िवर म ष यऽ रचकर उनको बदनाम करत ह यह तो पहल स चला आ रहा ह सत कबीर हो या नानक एकनाथ महाराज हो या सत तकाराम नरिसह महता हो या मीराबाई ायः सभी सतो को अपन जीवन क दौरान समाज क किटल त वो स पाला पड़ता ही रहा ह जीसस बाइःट को इनही त वो न बॉस पर चढ़ाया था उनही लोगो न सकरात को जहर िपलाकर मतयद ड िदया था मनसर को इसी जमात न शली पर चढ़ाया था ईसाई धमर म माट न यथर पर ज म िकया गया था अण-अण म ई र और नारीमाऽ म जगजजननी भगवती का दशरन करन वाल रामकण परमहस को भी लोगो न नही

छोड़ा था परमहस योगाननद रवीनिनाथ टगोर माट न यथर दिकषण भारत क सत ितरव लवर जापानी झन सत बाबो इितहास म िकतन-िकतन उदाहरण मौजद ह

हािसद धमरगर बा शमटोव अित पिवऽ आतमा थ िननदको न उनक इदरिगदर भी मायाजाल िबछा दी थी िसध क साई टउराम क पास अस य लोग आतमक याण हत जान लग तब िवकत िदमागवालो न उन सत को भी ऽास दना शर कर िदया उनक आौम क चह ओर गदगी डाल दत और कए म िम टी का तल उड़लकर पानी बकार कर दत मगल बादशाह बाबर को बहका कर उनही लोगो न गर नानक को कद करवाया था

भगवान ौीराम एव ौीकण को भी द जनो न छोड़ा नही था भगवान ौीराम क गर विश जी महाराज कहत हः

ह राम जी म जब बाजार स गजरता ह तब अजञानी मखर लोग मर िलए कया बकत ह म सब जानता ह लिकन मरा दयाल ःवभाव ह म इन सबका क याण चाहता ह

तमहार साथ यह ससार कछ अनयाय करता ह तमको बदनाम करता ह िननदा करता ह तो यह ससार की परानी रीत ह मनय की हीनवि कचार िननदाखोरी यह आजकल की ही बात नही ह अनािदकाल स ऐसा होता आया ह तम अपन आतमजञान क सःकार जगाकर आतमबल का िवकास करत जाओ मःकरात जाओ आधी तफानो को लाघकर आननदपवरक जीत जाओ

उस जमान म भगवान ब क पास आकर एक िभकषक न ाथरना कीः भनत मझ आजञा द म सभाए भरगा आपक िवचारो का चार करगा

मर िवचारो का चार

हा भगवन म बौ धमर फलाऊगा

लोग तरी िननदा करग गािलया दग

कोई हजर नही म भगवन को धनयवाद दगा िक य लोग िकतन अचछ ह य कवल श दहार करत ह मझ पीटत तो नही

लोग तझ पीटग भी तो कया करोग

भो म शब गजारगा िक य लोग हाथो स पीटत ह पतथर तो नही मारत

लोग पतथर भी मारग और िसर भी फोड़ दग तो कया करगा

िफर भी म आ ःत रहगा और भगवान का िदवय कायर करता रहगा कयोिक व लोग मरा िसर फोड़ग लिकन ाण तो नही लग

लोग जनन म आकर तझ मार दग तो कया करगा

भनत आपक िदवय िवचारो का चार करत-करत म मर भी गया तो समझगा िक मरा जीवन सफल हो गया

उस कतिन यी िभकषक की दढ़ िन ा दखकर भगवान ब सनन हो उठ उस पर उनकी करणा बरस पड़ी

ऐस िशय जब ब का चार करन िनकल पड़ तब कचार करन वाल धीर-धीर शात हो गय मनयो की उगिलया काट-काटकर माला बनाकर पहनन वाला अगिलमाल जसा बर हतयारा भी दयपिरवतरन पाकर ब की शरण म िभकषक होकर रहन लगा

आज हम ब को बहत आदर स जानत ह मानत ह उनक जीवनकाल क दौरान उनक पीछ लग हए द लोग कौन स नरक म सड़त होग रौरव नरक म या कभीपाक नरक म कौन-सी योिनयो म भटकत होग सअर बन होग िक नाली क कीड़ बन होग शतान बन होग िक राकषस बन होग मझ पता नही लिकन ब तो करोड़ो दयो म बस रह ह यह म मानता ह

सतय तो परमाथर ह आतमा ह परमातमा ह उसम िजतना िटकोग उतना तमहारा मगल होगा तमहारी िनगाह िजन पर पड़गी उनका भी मगल होगा

(अनबम)

कछ जानन यो य बात सय दय स पवर उठकर ःनान कर लना चािहए ातः खाली पट मटक का बासी पानी

पीना ःवाःथयद ह तलसी क प सय दय क प ात ही तोड़ दध म तलसी क प नही डालन चािहए तथा

दध क साथ खान भी नही चािहए तलसी क प खाकर थोड़ा पानी पीना िपय जलनित स पिह सौ कार क लाभ होत ह अपन मिःतक म एक कार का िवजाितय

िवय उतपनन होता ह यिद वह िवय वही अटक जाता ह तो बचपन म ही बाल सफद होन लगत ह इसस नजल की बीमारी भी होती ह यिद वह िवय नाक की तरफ आता ह तो सगनध-दगरनध का पता नही चल पाता और ज दी-ज दी जकाम हो जाता ह यिद वह िवय कान की तरफ आता ह तो कान बहर होन लगत ह और छोट-मोट ब ीस रोग हो सकत ह यिद वह िवय दात की तरफ आय तो दात छोटी उ म ही िगरन लगत ह यिद आख की तरफ वह िवय उतर तो चम लगन लगत ह जलनित यािन नाक स पानी खीचकर मह स िनकाल दन स वह िवय िनकल जाता ह गल क ऊपर क ायः सभी रोगो स मि िमल जाती ह

आईसबीम खान क बाद चाय पीना दातो क िलए अतयािधक हािनकारक होता ह

भोजन को पीना चािहए तथा पानी को खाना चािहए इसका मतलब यह ह िक भोजन को इतना चबाओ िक वह पानी की तरह पतला हो जाय और पानी अथवा अनय पय पदाथ को धीर-धीर िपयो

िकसी भी कार का पय पदाथर पीना हो तो दाया नथना बनद करक िपय इसस वह अमत जसा हो जाता ह यिद दाया ःवर(नथना) चाल हो और पानी आिद िपय तो जीवनशि (ओज) पतली होन लगती ह चयर की रकषा क िलए शरीर को तनदरःत रखन क िलए यह योग करना चािहए

तम चाह िकतनी भी महनत करो िकनत िजतना तमहारी नसो म ओज ह चयर की शि ह उतन ही तम सफल होत हो जो चाय-कॉफी आिद पीत ह उनका ओज पतला होकर पशाब ारा न होता जाता ह अतः चयर की रकषा क िलए चाय-कॉफी जस वयसनो स दर रहना रह

पढ़न क बाद थोड़ी दर शात हो जाना चािहए जो पढ़ा ह उसका मनन करो िशकषक ःकल म जब पढ़ात हो तब धयान स सनो उस व मःती-मजाक नही करना चािहए िवनोद-मःती कम स कम करो और समझन की कोिशश अिधक करो

जो सय दय क पवर नही उठता उसक ःवभाव म तमस छा जाता ह जो सय दय क पवर उठता ह उसकी बि शि बढ़ती ह

नीद म स उठकर तरत भगवान का धयान करो आतमःनान करो धयान म रिच नही होती तो समझना चािहए िक मन म दोष ह उनह िनकालन क िलए कया करना चािहए

मन को िनद ष बनान क िलए सबह-शाम माता-िपता को णाम करना चािहए गरजनो को णाम करना चािहए एव भगवान क नाम का जप करना चािहए भगवान स ाथरना करनी चािहए िक ह भगवान ह मर भ मरी धयान म रिच होन लग ऐसी कपा कर दो िकसी समय गद िवचार िनकल आय तो समझना चािहए िक अदर छप हए िवचार िनकल रह ह अतः खश होना चािहए िवचार आया और गया मर राम तो दय म ही ह ऐसी भावना करनी चािहए

िनदा करना तो अचछा नही ह िकनत िनदा सनना भी उिचत नही (अनबम)

शयन की रीत मनय को िकस ढग स सोना चािहए इसका भी तरीका होता ह सोत व पवर अथवा

दिकषण िदशा की ओर िसर करक ही सोना चािहए

भोजन करन क बाद िदन म दस िमनट आराम कर िकनत सोय नही भोजन क बाद दस िमनट बायी करवट लट सकत ह रािऽ को जागरण िकया हो इस कारण स कभी िदन म सोना पड़ वह अलग बात ह

सोत व नीच कोई गमर कबल आिद िबछाकर सोय तािक आपकी जीवनशि अिथग न हो जाय आपक शरीर की िव तशि भिम म न उतर जाय

(अनबम)

ःनान का तरीका शरीर की मजबती एव आरो यता क िलए रगड़-रगड़कर ःनान करना चािहए जो लोग

ठड दशो म रहत ह उनका ःवाःथय गमर दस क लोगो की अपकषा अचछा होता ह ठडी स अपना शरीर सधरता ह

ःनान करत व 12-15 िलटर पानी बा टी म लकर पहल उसम िसर डबाना चािहए िफर पर िभगोना चािहए पहल पर गील नही करन चािहए शरीर की गम ऊपर की ओर चढ़ती ह जो ःवाःथय क िलए हािनकारक होती ह

अतः पहल ठड पानी की बा टी भर ल िफर मह म पानी भरकर िसर को बा टी म डाल और आख पटपटाए इसस आखो की शि बढ़ती ह शरीर को रगड़-रगड़कर नहाए बाद म गील व स शरीर को रगड़-रगड़कर पोछ िजसस रोम कप का सारा मल बाहर िनकल जाय और रोमकप(तवचा क िछि) खल जायय तवचा क िछि बद रहन स ही तवचा की कई बीमािरया होती ह िफर सख कपड़ स शरीर को पोछ कर (अथवा थोड़ा गीला हो तब भी चल) सख साफ व पहन ल व भल साद हो िकनत साफ हो बासी कपड़ नही पहन हमशा धल हए कपड़ ही पहन इसस मन भी सनन रहता ह

पाच कार क ःनान होत हः ःनान दवःनान ऋिषःनान मानवःनान दानवःनान ःनानः -परमातमा का िचतन करक जल थल नहान वाला

ऐसा िचतन करक ा महतर म नहाना इस ःनान कहत ह दवःनानः दवनिदयो म ःनान या दवनिदयो का ःमरण करक सय दय स पवर नहाना यह

दवःनान ह ऋिषःनानः आकाश म तार िदखत हो और नहा ल यह ऋिषःनान ह ऋिषःनान करन

वाल की बि बड़ी तजःवी होती ह मानवःनानः सय दय क पवर का ःनान मानवःनान ह

दानवःनानः सय दय क प ात चाय पीकर नाता करक आठ नौ बज नहाना यह दानव ःनान ह

अतः हमशा ऋिषःनान करन का ही यास करना चािहए (अनबम)

ःवचछता का धयान यिद शरीर की सफाई रखी जाय तो मन भी सनन रहता ह आजकल अिधकतर लोग

श स ही मजन करत ह श की अपकषा नीम और बबल की दातौन जयादा अचछ होती ह और यिद श भी कर तो कभी-कभार श को गमर पानी स धोना चािहए अनयथा उसम बकटिरया(जीवाण) रह जात ह

िकतन ही लोग उगली स दात साफ करत ह तजरनी (अगठ क पास वाली थम उगली) स दात िघसन स मसड़ कमजोर हो जात ह तथा दात ज दी िगर जात ह कयोिक तजरनी म िव तशि का माण दसरी उगिलयो की अपकषा अिधक होता ह अतः उसस दात नही िघसन चािहए एव आखो को भी नही मसलना चािहए

िजस िदशा स हवा आती हो उस िदशा की ओर मह करक कभी-भी मलमऽ का िवसजरन नही करना चािहए सयर और चनिमा की ओर मख करक भी मलमऽ का िवसजरन नही करना चािहए

(अनबम)

ःमरणशि का िवकास यादशि बढ़ान का एक सनदर योग ह ETH ामरी ाणायाम सखासन प ासन या

िस ासन पर बठ हाथ की कोहनी की ऊचाई कनध तक रह इस कार रखकर हाथ की थम उगली(तजरनी) स दोनो कानो को धीर-स बद कर एकदम जोर स बद न कर िकनत बाहर का कछ सनाई न द इस कार धीर स कान बनद कर

अब गहर ास लकर थोड़ी दर रोक ओठ बद रखकर जस मर का गजन होता ह वस ॐsssss कहत हए गजन कर उसक बाद थोड़ी दर तक ास न ल पनः यही िबया दहराय ऐसा सबह एव शाम 8 स 10 बार कर यादशि बढ़ान का यह यौिगक योग ह इसस मिःतक की नािड़यो का शोधन होकर मिःतक म र सचार उिचत ढग स होता ह

और िवचार करन स भी बि शि का िवकास होता ह

सबह खाली पट तलसी क प एकाध काली िमचर चबाकर एक िगलास पानी पीन स भी ःमरणशि का िवकास होता ह रोग-ितकारक शि बढ़ती ह कनसर की बीमारी कभी नही होती जलदर-भगदर की बीमारी भी कभी नही होती

(अनबम)

वयि तव और वयवहार िकसी भी वयि तव का पता उसक वयवहार स ही चलता ह कई लोग वयथर च ा करत

ह एक होती ह सकाम च ा दसरी होती ह िनकाम च ा और तीसरी होती ह वयथर च ा वयथर च ा नही करनी चािहए िकसी क शरीर म कोई कमी हो तो उसका मजाक नही उड़ाना चािहए वरन उस मददरप बनना चािहए यह िनकाम सवा ह

िकसी की भी िनदा नही करनी चािहए िनदा करन वाला वयि िजसकी िनदा करता ह उसका तो इतना अिहत नही होता िजतना वह अपना अिहत करता ह जो दसरो की सवा करता ह दसरो क अनकल होता ह वह दसरो का िजतना िहत करता ह उसकी अपकषा उसका खद का िहत जयादा होता ह

अपन स जो उ स बड़ हो जञान म बड़ हो तप म बड़ हो उनका आदर करना चािहए िजस मनय क साथ बात करत हो वह मनय कौन ह यह जानकर बात करो तो आप वयवहार-कशल कहलाओग

िकसी को पऽ िलखत हो तो यिद अपन स बड़ हो तो ौी सबोधन करक िलखो सबोधन करन स सवाकयो की रचना स िश ता बढ़ती ह िकसी स बात करो तो सबोधन करक बात करो जो तकार स बात करता ह वह अिश कहलाता ह िश तापवरक बात करन स अपनी इजजत बढ़ती ह

िजसक जीवन म वयवहार-कशलता ह वह सभी कषऽो म सफल होता ह िजसम िवनता ह वही सब कछ सीख सकता ह िवनता िव ा बढ़ाती ह िजसक जीवन म िवनता नही ह समझो उसक सब काम अधर रह गय और जो समझता ह िक म सब कछ जानता ह वह वाःतव म कछ नही जानता

एक िचऽकार अपन गरदव क सममख एक सनदर िचऽ बनाकर लाया गर न िचऽ दखकर कहाः

वाह वाह सनदर ह अदभत ह

िशय बोलाः गरदव इसम कोई ऽिट रह गयी हो तो कपा करक बताइए इसीिलए म आपक चरणो म आया ह

गरः कोई ऽिट नही ह मझस भी जयादा अचछा बनाया ह

वह िशय रोन लगा उस रोता दखकर गर न पछाः तम कयो रो रह हो म तो तमहारी शसा कर रहा ह

िशयः गरदव मरी घड़ाई करन वाल आप भी यिद मरी शसा ही करग तो मझ मरी गि तया कौन बतायगा मरी गित कस होगी

यह सनकर गर अतयत सनन हो गय हमन िजतना जाना िजतना सीखा ह वह तो ठ क ह उसस जयादा जान सक सीख सक

ऐसा हमारा यास होना चािहए रामकण परमहस व हो गय थ िकसी न उनस पछाः बाबा जी आपन सब कछ जान

िलया ह

रामकण परमहसः नही म जब तक जीऊगा तब तक िव ाथ ही रहगा मझ अभी बहत कछ सीखना बाकी ह

िजनक पास सीखन को िमल उनस िवनतापवरक सीखना चािहए जो कछ सीखो सावधानीपवरक सीखो जीवन म िवनोद जररी ह िकनत िवनोद की अित न हो िजस समय पढ़त हो कछ सीखत हो कछ करत हो उस समय मःती नही िवनोद नही वरन जो कछ पढ़ो सीखो या करो उस उतसाह स धयान स और सावधानी स करो

पढ़न स पवर थोड़ धयानःथ हो जाओ पढ़न क बाद मौन हो जाओ यह गित की चाबी ह

माता-िपता स िचढ़ना नही चाह िजस मा-बाप न जनम िदया ह उनकी बातो को समझना चािहए अपन िलए उनक मन म िवशष दया हो िवशष म उतपनन हो ऐसा वयवहार करना चािहए

भल जाओ भल सब कछ माता-िपता को भलना नही अनिगनत उपकार ह उनक यह कभी िबसरना नही

माता-िपता को सतोष हो उनका दय सनन हो ऐसा हमारा वयवहार होना चािहए अपन माता-िपता एव गरजनो को सत रखकर ही हम सचची गित कर सकत ह

(अनबम)

  • पजय बाप जी का उदबोधन
  • कदम अपना आग बढाता चला जा
  • त गलाब होकर महक
  • जीवन विकास का मल सयम
  • तरिकाल सधया
  • शरीर सवासथय
  • अनन का परभाव
  • भारतीय ससकति की महानता
  • हरिदास की हरिभकति
  • बनावटी शरगार स बचो
  • साहसी बालक
  • गर-आजञापालन का चमतकार
  • अनोखी गरदकषिणा
  • सतसग की महिमा
  • पीड पराई जान र
  • विकास क बरियो स सावधान
  • कछ जानन योगय बात
  • शयन की रीत
  • सनान का तरीका
  • सवचछता का धयान
  • समरणशकति का विकास
  • वयकतितव और वयवहार
Page 18: Tu gulabhokarmehak

अमिरका को खोजन वाला कोलबस पदा भी नही हआ था उसस पाच हजार वषर पहल अजरन सशरीर ःवगर म गया था और िदवय अ लाया था ऐसी यो यता थी िक धरती क राजा खटवाग दवताओ को मदद करन क िलए दवताओ का सनापितपद सभालत थ ितःमित-िव ा चाकषषी िव ा परकायावश िव ा अ िसि िव ा एव नविनिध ा करान वाली योगिव ा और जीत-जी जीव को बनान वाली िव ा यह भारतीय सःकित की दन ह अनय जगह यह नही िमलती भारतीय सःकित की जो लोग आलोचना करत ह उन बचारो को तो पता ही नही ह िक भारतीय सःकित िकतनी महान ह

गर तगबहादर बोिलयो सनो सीखो बड़भािगयो धड़ दीज धमर न छोिड़य

यवनो न गर गोिबनदिसह क बटो स कहाः तम लोग मसलमान हो जाओ नही तो हम तमह िज़नदा ही दीवार म चनवा दग

बट बोलः हम अपन ाण द सकत ह लिकन अपना धमर नही तयाग सकत

बरो न उन दोनो को जीत-जी दीवार म चनवा िदया जब कारीगर उनह दीवार म चनन लग तब बड़ा भाई बोलता हः धमर क नाम यिद हम मरना ही पड़ता ह तो पहल मरी ओर ट बढ़ा दो तािक म छोट भाई की मतय न दख

छोटा भाई बोलता हः नही पहल मरी ओर ईट बढ़ा दो

कया साहसी थ कया वीर थ वीरता क साथ अपन जीवन का बिलदान कर िदया िकनत धमर न छोड़ा आजकल क लोग तो अपन धमर और सःकित को ही भलत जा रह ह कोई लवर-लवरी धमरपिरवतरन करक लवमरज करत ह अपना िहनद धमर छोड़कर फस मरत ह यह भी कोई िज़नदगी ह भगवान ौीकण कहत ह ETH

ःवधम िनधन ौय परधम भयावहः अपन धमर म मर जाना अचछा ह पराया धमर दःख दन वाला ह भयावह ह नरको म ल

जान वाला ह इसिलए अपन ही धमर म अपनी ही सःकित म जो जीता ह उसकी शोभा ह रवर ड ऑवर न भारतीय सःकित का खब आदर िकया एफ एच मोलम न महातमा

थोरो एव अनय कई पा ातय िचनतको न भी भारतीय सःकित का बहत आदर िकया ह उनक कछ उदगार यहा ःतत हः

बाईबल का मन यथाथर अ यास िकया ह उसम जो िदवय िलखा ह वह कवल गीता क उ रण क रप म ह म ईसाई होत हए भी गीता क ित इतना सारा आदरभाव इसिलए रखता ह िक िजन गढ़ ो का समाधान पा ातय लोग अभी तक नही खोज पाय ह उनका समाधान गीतामनथ न श एव सरल रीित स कर िदया ह उसम कई सऽ अलौिकक उपदशो स भरपर

लग इसीिलए गीता जी मर िलए साकषात योग री माता बन रही ह वह तो िव क तमाम धन स भी नही खरीदा जा सक ऐसा भारतवषर का अम य खजाना ह

- एफ एच मोलम (इगल ड) ाचीन यग की सवर रमणीय वःतओ म गीता स ौ कोई वःत नही ह गीता म ऐसा

उ म और सवरवयापी जञान ह िक उसक रचियता दवता को अस य वषर हो गय िफर भी ऐसा दसरा एक भी मनथ नही िलखा गया

महातमा थोरो (अमिरका) धमर क कषऽ म अनय सब दख दिरि ह जबिक भारत इस िवषय म अरबपित ह

माकर टवन (यएसए) इस पथवी पर सवारिधक पणर िवकिसत मानवजञा कहा ह और जीवन क मह म ो क

हल िकसन खोज ह ऐसा अगर मझस पछा जाए तो म अगिलिनदश करक कहगा िक भारत न ही

मकसमलर (जमरनी) वदानत जसा ऊधवरगामी एव उतथानकारी और एक भी धमर या त वजञान नही ह

शोपनहोअर (जमरनी) िव भर म कवल भारत ही ऐसी ौ महान परमपराए रखता ह जो सिदयो तक जीिवत

रही ह

कनो (ानस) मनय जाित क अिःततव क सबस ारिमभक िदनो स लकर आज तक जीिवत मनय

क तमाम ःव न अगर कही साकार हए हो तो वह ःथान ह भारत

रोमा रोला (ास) भारत दश समपणर मानव जाित की मातभिम ह और सःकत यरोप की सभी भाषाओ की

जननी ह भारत हमार त वजञान गिणतशा एव जनतऽ की जननी ह भारतमाता अनक रप स सभी की जननी ह

िवल डरानट (यएसए) भारतीय सःकित की महानता का एहसास करन वाल इन सब िवदशी िचनतको को हम

धनयवाद दत ह एक बार महातमा थोरो सो रह थ इतन म उनका िशय एमसरन आया दखा िक वहा

साप और िबचछ घम रह ह गरजी क जागन पर एमसरन बोलाः गरदव यह जगह बड़ी खतरनाक ह म िकसी सरिकषत जगह पर आपकी वयवःथा करवा

दता ह

महातमा थोरो बोलः नही नही िचनता करन की कोई ज़ररत नही ह मर िसरहान पर ौीमदभगवदगीता ह भगवदगीता क जञान क कारण तो मझ साप म िबचछ म सबम मरा ही आतमा-परमातमा िदखता ह व मझ नही काटत ह तो म कही कयो जाऊ

िकतनी कह गीता की महानता यही ह भारतीय सःकित की मिहमा अदभत ह उसकी महानता लाबयान ह उसकी मिहमा

(अनबम)

हिरदास की हिरभि सात वष य गौर वणर क गौराग बड़-बड़ िव ान पिडतो स ऐस-ऐस करत थ िक व

दग रह जात थ इसका कारण था गौराग की हिरभि बड़ होकर उनहोन लाखो लोगो को हिरभि म रग िदया

जो हिरभ होता हिर का भजन करता उसकी बि अचछ मागर पर ही जाती ह लोभी वयि पसो क िलए हसता-रोता ह पद एव कस क तो िकतन ही लोग हसत रोत ह पिरवार क िलए तो िकतन ही मोही हसत रोत ह िकनत धनय ह व जो भगवान क िलए रोत हसत ह भगवान क िवरह म िजस रोना आया ह भगवान क िलए िजसका दय िपघलता ह ऐस लोगो का जीवन साथरक हो जाता ह भागवत म भगवान ौीकण उ व स कहत ह-

वाग गदगदा िवत यःय िच

रदतयभीआण हसित कविचचच िवलजज उदगायित नतयत च

मदभि य ो भवन पनाित िजसकी वाणी गदगद हो जाती ह िजसका िच ििवत हो जाता ह जो बार-बार रोन

लगता ह कभी लजजा छोड़कर उचच ःवर स गान लगता ह कभी नाचन लगता ह ऐसा मरा भ समम ससार को पिवऽ करता ह (ौीमदभागवतः 111424)

धनय ह वह मसलमान बालक जो गौराग क कीतरन म आता ह और िजसन गौराग स मऽदीकषा ली ह

उस मसलमान बालक का नाम हिरदास रखा गया मसलमान लोगो न उस हिरभ हिरदास को फसलान की बहत च ा की बहत डराया िक त गौराग क पास जाना छोड़ द नही तो हम यह करग वह करग िकनत हिरदास बहका नही उसका भय न हो गया था दमरित दर हो चकी थी उसकी सदबि और िन ा भगवान क धयान म लग गयी थी भयनाशन दमरित हरण किल म हिर को नाम यह नानक जी का वचन मानो उसक जीवन म साकार हो उठा था

काज़ी न षडयऽ करक उस पर कस िकया और फरमान जारी िकया िक हिरदास को बत मारत-मारत बीच बाजार स ल जाकर यमना म डाल िदया जाय

िनभ क हिरदास न बत की मार खाना ःवीकार िकया िकनत हिरभि छोड़ना ःवीकार न िकया िनि त िदन हिरदास को बत मारत हए ल जाया जान लगा िसपाही बत मारता ह तो हिरदास बोलता हः हिर बोल

हमको हिर बोल बलवाता ह य ल हिर बोल हिर बोल (सटाकसटाक) िसपाही बोलत हः हम तझ बत मारत ह तो कया तझ पीड़ा नही होती त हमस भी हिर

बोल हिर बोल करवाना चाहता ह

हिरदासः पीड़ा तो शरीर को होती ह म तो आतमा ह मझ तो पीड़ा नही होती तम भी यार स एक बार हिर बोल कहो

िसपाहीः ह हम भी हिर बोल कह हमस हिर बोल बलवाता ह ल य हिर बोल (सटाक)

हिरदास सोचता ह िक बत मारत हए भी तो य लोग हिर बोल कह रह ह चलो इनका क याण होगा िसपाही बत मारत जात ह सटाक सटाक और हिरदास हिर बोल बोलता भी जाता ह बलवाता भी जाता ह हिरदास को कई बत पड़न पर भी उसक चहर पर दःख की रखा तक नही िखचती

हवालदार पछता हः हिरदास तझ बत पड़न क बावजद भी तरी आखो म चमक ह चहर पर धयर शाित और सननता झलक रही ह कया बात ह

हिरदासः म बोलता ह हिर बोल तब िसपाही ब होकर भी कहत हः ह हमस भी बलवाता ह हिर बोल हिर बोल हिर बोल तो ल इस बहान भी उनक मह स हिरनाम िनकलता ह दर सवर उनका भी क याण होगा इसी स मर िच म सननता ह

धनय ह हिरदास की हिरभि बर काज़ी क आदश का पालन करत हए िसपाही उस हिरभि स िहनद धमर की दीकषा स चयत करन क िलए बत मारत ह िफर भी वह िनडर हिरभि नही छोड़ता हिर बोल बोलना बद नही करता

व मसलमान िसपाही हिरदास को िहनद धमर की दीकषा क भाव स गौरा क भाव स दर हटाना चाहत थ लिकन वह दर नही हटा बत सहता रहा िकनत हिर बोल बोलना न छोड़ा आिखरकार उन बर िसपाहीयो न हिरदास को उठाकर नदी म बहा िदया

नदी म तो बहा िदया लिकन दखो हिरनाम का भाव मानो यमनाजी न उसको गोद म ल िलया डढ़ मील तक हिरदास पानी म बहता रहा वह शातिच होकर मानो उस पानी म नही हिर की कपा म बहता हआ दर िकसी गाव क िकनार िनकला दसर िदन गौराग की भातफरी म शािमल हो गया लोग आ यरचिकत हो गय िक चमतकार कस हआ

धनय ह वह मसलमान यवक हिरदास जो हिर क धयान म हिर क गान म हिर क कीतरन म गौराग क साथ रहा जस िववकाननद क साथ भिगनी िनविदता न भारत म अधयातम-धणर क चार म लगकर अपना नाम अमर कर िदया वस ही इस मसलमान यवक न हिरकीतरन म हिरधयान म अपना जीवन धनय कर िदया दजरन लोग हिरदास का बाल तक न बाका कर सक जो सचच दय स भगवान का हो जाता ह उसकी हजारो शऽ िमलकर भी कछ हािन नही कर सकत तो उस काज़ी की कया ताकत थी

लोगो न जाकर काज़ी स कहा िक आज हिरदास पनः गौराग की भातफरी म उपिःथत हो गया था काजी अतयनत अहकारी था उसन एक नोिटस भजा एक आदश चतनय महाभ (गौराग) को भजा िक कल स तम भातफरी नही िनकाल सकत तमहारी भातफरी पर बिदश लगाई जाती ह

गौराग न सोचा िक हम िकसी का बरा नही करत िकसी को कोई हािन नही पहचात अर वायम डल क दषण को दर करन क िलए तो शासन पस खचर करता ह िकनत िवचारो क दषण को दर करन क िलए हिरकीतरन जसा हिरभि जसा अमोघ उपाय कौन सा ह भल काजी और शासन की समझ म आय या न आय वातावरण को श करन क साथ-साथ िवचारो का दषण भी दर होना चािहए हम तो कीतरन करग और करवायग

जो लोग डरपोक थ भीर और कायर थ ढील-ढाल थ व बोलः बाबा जी रहन दो रहन दो अपना कया जो करग व भरग अपन तो घर म ही रहकर हिर ॐ हिर ॐ करग

गौराग न कहाः नही इस कार कायरो जसी बात करना ह तो हमार पास मत आया करो

दसर िदन जो डरपोक थ ऐस पाच-दस वयि नही आय बाकी क िहममतवाल िजतन थ व सब आय उनह दखकर और लोग भी जड़

गौराग बोलः आज हमारी भातफरी की पणारहित काजी क घर पर ही होगी

गौराग भ -म डली क साथ कीतरन करत-करत जब बाजार स गज़र तो कछ िहनद एव मसलमान भी कीतरन म जड़ गय उनको भी कीतरन म रस आन लगा व लोग काजी को गािलया दन लग िक काजी बदमाश ह ऐसा ह वसा ह आिद ETH आिद

तब गौराग कहत हः नही शऽ क िलए भी बरा मत सोचो

उनहोन सबको समझा िदया िक काजी क िलए कोई भी अपश द नही कहगा कसी महान ह हमारी िहनद सःकित िजसन हिरदास को बत मारन का आदश िदया उस कवल अपश द कहन क िलए भी गौराग मना कर रह ह इस भारती सःकित म िकतनी उदारता ह स दयता ह लिकन कायरता को कही भी ःथान नही ह

गौराग कीतरन करत-करत काजी क घर क िनकट पहच गय काजी घर की छत पर स इस भातफरी को दखकर दग रह गया िक मर मना करन पर भी इनहोन भातफरी िनकाली

और मर घर तक ल आय उसम मसलमान लड़क भी शािमल ह जयो ही वह भातफरी काजी क घर पहची काजी घर क अनदर िछप गया

गौराग न काजी का ार खटखटाया तब काजी या काजी की प ी न नही वरन चौकीदार न दरवाजा खोला वह बोलाः

काजी साहब घर पर नही ह

गौराग बोलः नही कस ह अभी तो हमन उनह घर की छत पर दखा था काजी को जाकर बोलो हमार मामा और मा भी िजस गाव की ह आप भी उसी गाव क हो इसिलए आप मर गाव क मामा लगत ह मामाजी भानजा ार पर आय और आप छप कर बठ यह शोभा नही दता बाहर आ जाईय

चौकीदार न जाकर काजी को सब कह सनाया गौराग क मभर वचन सनकर काजी का दय िपघल गया िजस पर मन ज म ढाय वह मझ मामा कहकर सबोिधत करता ह िजसक साथ मन बरता की वह मर साथ िकतना औदायर रखता ह यह सोचकर काजी का दय बदल गया वह ार पर आकर बोलाः

म तमस डरकर अनदर नही छपा कयोिक मर पास तो स ा ह कलम की ताकत ह लिकन हिरकीतरन स हिरनाम स िहनद तो कया मसलमान लड़क भी आनिदत हो रह ह उनका भी लह पिवऽ हो रहा ह यह दखकर मझ दःख हो रहा ह िक िजस नाम क उचचारण स उनकी रग-रग पावन हो रही ह उसी नाम क कारण मन हिरदास पर और तम पर ज म िकया िकसी क बहकाव म आकर तम लोगो पर फरमान जारी िकया अब म िकस मह स तमहार सामन आता इसीिलए म मह िछपाकर घर क अनदर घस गया था

भानजा(गौराग) बोलता हः मामा अब तो बाहर आ जाइय

मामा(काजी) बोलाः बाहर आकर कया कर

गौरागः कीतरन कर हिरनाम क उचचारण स छपी हई यो यता िवकिसत कर आनद गट कर

काजीः कया करना होगा

गौरागः म जसा बोलता ह ऐसा ही बोलना होगा बोिलएः हिर बोल हिर बोल

काजीः हिर बोल हिर बोल

गौरागः हिर बोल हिर बोल

काजीः हिर बोल हिर बोल

हिर बोल हिर बोल हिर बोल हिर बोल

हिर बोल हिर बोल हिर बोल हिर बोल

कीतरन करत-करत गौराग न अपनी िनगाहो स काजी पर कपा बरसाई तो काजी भी झमन लगा उस भी हिर बोल का रग लग गया जस इजन को ह डल दकर छोड़ दत ह तब भी इजन चलता रहता ह ऐस ही गौराग की कपादि स काजी भी झमन लगा

काजी क झमन स वातावरण म और भी रग आ गया काजी तो झम गया काजी की प ी भी झमी और चौकीदार भी झम उठा सब हिरकीतरन म झमत-झमत अपन र को पावन करन लग दय को हिररस स सराबोर करन लगा उनक जनम-जनम क पाप-ताप न होन लग िजस पर भगवान की दया होती ह िजसको साधओ का सग िमलता ह सतसग का सहारा िमलता ह और भारतीय सःकित की महानता को समझन की अकल िमलती ह िफर उसक उ ार म कया बाकी रह जाता ह काजी का तो उ ार हो गया

दखो सत की उदारता एव महानता िजसन िहनदओ पर ज म करवाय भ हिरदास को बत मरवात-मरवात यमना जी म डलवा िदया भातफरी पर ितबध लगवा िदया उसी काजी को गौराग न हिररग म रग िदया अपनी कपादि स िनहाल कर िदया उसक बर कम की धयान न दत हए भि का दान द िदया ऐस गौराग क ौीचरणो म हमार हजार-हजार णाम ह हम उस मसलमान यवक हिरदास को भी धनयवाद दत ह िक उसन बत खात पीड़ा सहत भी भि न छोड़ी गरदव को न छोड़ा न ही उनक दबाव म आकर पनः मसलमान बना हिर बोल क रग म ःवय रगा और िसपािहयो को भी रग िदया धनय ह हिरदास और उसकी हिरभि

(अनबम)

बनावटी ौगार स बचो जमरनी क िस दाशरिनक शोपनहार कहत ह िक िजन दशो म हिथयार बनाय जात ह

उन दशो क लोगो को य करन की उ जना होती ह और उन दशो म हिथयार बनत ही रहत ह य भी होत रहत ह ऐस ही जो लोग फशन करत ह उनक दय म काम बोध लोभ मोह रपी य होता ही रहता ह उनक जीवन म िवलािसता आती ह और पतन होता ह वस ही फशन और िवलािसता स सयम सदाचार और यो यता का सहार होता ह

इसिलए य क साधन बढ़न स जस य होता ह वस ही िवलािसता और फशन क साधनो का उपयोग करन स अतयर होता ह अपनी आितमक शि यो का सहार होता ह अतः अपना भला चाहन वाल भाई-बहनो को पफ-पाउडर िलपिःटक-लाली व -अलकार क िदखाव क पीछ नही पड़ना चािहए सयम सादगी एव पिवऽतापणर जीवन जीना चािहए

अपन शा ो म ौगार की अनमित दी गई ह सौभा यवती ि या जब पित अपन ही नगर म हो घर म हो तब ौगार कर पित यिद दर दश गया हो तब सौभा यवित ि यो को भी सादगीपणर जीवन जीना चािहए ौगार क उपयोग म आनवाली वःतए भी वनिःपतयो एव साि वक रसो स बनी हई होनी चािहए जो सननता और आरो यता दान कर

आजकल तो शरीर म उ जना पदा कर बीमािरया पदा कर ऐस किमक स(रसायनो) और जहर जस साधनो स ौगार-साधन बनाए जात ह िजसस शरीर क अनदर जहरील कण जात ह और तवचा की बीमािरया होती ह आहार म भी जहरील कणो क जान स पाचन-तऽ और मानिसक सतलन िबगड़ता ह साथ ही बौि क एव वचािरक सतलन भी िबगड़ता ह

पशओ की चब किमक स और दसर थोड़ जहरील िवयो स बन पफ-पाउडर िलपिःटक-लाली आिद िजन साधनो का यटी-पालरर म उपयोग िकया जाता ह वसी गदगी कभी-भी अपन शरीर को तो लगानी ही नही चािहए दसर लोगो न लगायी हो तो दखकर सनन भी नही होना चािहए अपन सयम और सदाचार की सनदरता को गट करना चािहए मीरा और शबरी िकस यटी-पालरर म गय थ सती अनसया गाग और मदालसा न िकस पफ-पाउडर लाली-िलपिःटक का उपयोग िकया था िफर भी उनका जीवन सनदर तजःवी था हम भी ई र स ाथरना कर िक ह भगवान हम अपना सयम और साधना का सौनदयर बढ़ाए ऐसी त दया करना िवकारी सौनदयर स अपन को बचाकर िनिवरकारी नारायण की ओर जाय ऐसी त दया करना िवलािसता म अपन समय को न लगाकर तर ही धयान-िचतन म हमारा समय बीत ऐसी त कपा करना

किऽम सौनदयर-साधन स तवचा की िःन धता और कोमलता मर जाती ह पफ-पाउडर बीम आिद स शरीर की कदरती िःन धता खतम हो जाती ह ाकितक सौनदयर को न करक

जो किऽम सौनदयर क गलाम बनत ह उनस ःनहभरी सलाह ह िक व पफ-पाउडर आिद और तड़कील-भड़कील व आिद की गलामी को छोड़कर ाकितक सौनदयर को बढ़ान की कोिशश कर मीरा और मदालसा की तरह अपन असली सौनदयर को कट करन की कोिशश कर

(अनबम)

साहसी बालक एक लड़का काशी म हिर नि हाईःकल म पढ़ता था उसका गाव काशी स आठ मील दर

था वह रोजाना वहा स पदल चलकर आता बीच म जो गगा नदी बहती ह उस पार करक िव ालय पहचता

उस जमान म गगा पार करन क िलए नाव वाल को दो पस दन पड़त थ दो पस आन क और दो पस जान क कल चार पस यािन पराना एक आना महीन म करीब दो रपय हए जब सोन क एक तोल का भाव रपया सौ स भी नीच था तब क दो रपय आज क तो पाच-पचचीस रपय हो जाए

उस लड़क न अपन मा-बाप पर अितिर बोझा न पड़ इसिलए एक भी पस की माग नही की उसन तरना सीख िलया गम हो बािरश हो या ठ ड हो गगा पार करक हाईःकल म जाना उसका बम हो गया इस कार िकतन ही महीन गजर गय

एक बार पौष मास की ठ ड म वह लड़का सबह की ःकल भरन क िलए गगा म कदा तरत-तरत मझधार म आया एक नाव म कछ याऽी नदी पार कर रह थ उनहोन दखा िक छोटा-सा लड़का अभी डब मरगा व उसक पास नाव ल गय और हाथ पकड़ कर उस नाव म खीच िलया लड़क क मख पर घबराहट या िचनता की कोई रखा नही थी सब लोग दग रह गय इतना छोटा ह और इतना साहसी ह व बोलः

त अभी डब मरता तो ऐसा साहस नही करना चािहए

तब लड़का बोलाः साहस तो होना ही चािहए जीवन म िव न-बाधाए आयगी उनह कचलन क िलए साहस तो चािहए ही अगर अभी स साहस नही जटाया तो जीवन म बड़-बड़ कायर कस कर पायग

लोगो न पछाः इस समय तरन कयो िगरा दोपहर को नहान आता

लड़का बोलता हः म नहान क िलए नदी म नही िगरा ह म तो ःकल जा रहा ह

नाव म बठकर जाता

रोज क चार पस आन-जान क लगत ह मर गरीब मा-बाप पर मझ बोझा नही बनना ह मझ तो अपन परो पर खड़ होना ह मरा खचर बढ़ तो मर मा-बाप की िचनता बढ़ उनह घर चलाना मिकल हो जाय

लोग उस आदर स दखत ही रह गय वही साहसी लड़का आग चलकर भारत का धान मऽी बना

वह लड़का कौन था पता ह व थ लाल बहादर शा ी शा ी जी उस पद भी सचचाई साहस सरलता ईमानदारी सादगी दशम आिद सदगण और सदाचार क मितरमनत ःवरप थ ऐस महापरष भल िफर थोड़ा-सा समय ही राजय कर पर एक अनोखा भाव छोड़ जात ह जनमानस पर

(अनबम)

गर-आजञापालन का चमतकार ौीम आ ाशकराचायर जी जब काशी म िनवास करत थ तब गगा-तट पर िनतय ात-

काल टहलत थ एक सबह िकसी ितभासपनन यवक न दसर िकनार स दखा िक कोई सनयासी उस पार टहल रह ह उस यवक न दसर िकनार स ही उनह णाम िकया उस यवक को दखकर आ शकराचायर जी न सकत िकया िक इधर आ जाओ उस आभासमपनन यवक न दखा िक मन तो साध को णाम कर िदया ह णाम कर िदया तो म उनका िशय हो गया और उनहोन मझ आदश िदया िक इधर आ जाओ अब गर की आजञा का उ लघन करना भी तो उिचत नही ह िकनत यही कोई नाव नही ह और म तरना भी नही जानता ह अब कया कर उसक मन म िवचार आया िक वस भी तो हजारो बार हम मर चक ह एक बार यिद गर क दशरन क िलए जात-जात मर जाय तो घाटा कया होगा

गग मात की जय कह कर उस यवक न तो गगाजी म पर रख िदया उसकी इचछा कहो ौीम आ शकराचायर जी का भाव कहो या िनयित की लीला कहो जहा उस यवक न कदम रखा वहा एक कमल पदा हो गया उसक पर को थामन क िलए जब दसरा पर रखा तो वहा भी कमल पदा हो गया इस कार जहा-जहा वह कदम रखता गया वहा कमल (प ) उतपनन होता गया और वह यवक गगा क दसर तट पर जहा आ शकराचायर जी खड़ थ पहच गया

जहा-जहा वह कदम रखता था वहा-वहा प (कमल) क कट होन क कारण उसका नाम पड़ा - प पादाचायर शकराचायर जी क म य चार प टिशयो म आग जाकर यही प पादाचायर एक प टिशय बन

कहन का तातपयर यह ह िक सिचचदानद परमातमा की शि का सामथयर का बयान करना सभव नही ह िजसकी िजतनी दढ़ता ह िजसकी िजतनी सचचाई ह िजसकी िजतनी ततपरता ह उतनी ही कित भी उसकी मदद करन को आतर रहती ह प पादाचायर की गर-आजञापालन म दढ़ता और ततपरता को दखकर गगा जी म कमल गट हो गय िशय यिद दढ़ता ततपरता और ईमानदारी स गर-आजञापालन म लग जाय तो कित भी उसक अनकल हो जाती ह

(अनबम)

अनोखी गरदिकषणा एकलवय गर िोणाचायर क पास आकर बोलाः मझ धनिवर ा िसखान की कपा कर

गरदव गर िोणाचायर क समकष धमरसकट उतपनन हआ कयोिक उनहोन भीम िपतामह को वचन

द िदया था िक कवल राजकमारो को ही म िशकषा दगा एकलवय राजकमार नही ह अतः उस धनिवर ा कस िसखाऊ अतः िोणाचायर न एकलवय स कहाः

म तझ धनिवर ा नही िसखा सकगा

एकलवय घर स िन य करक िनकला था िक म कवल गर िोणाचायर को ही गर बनाऊगा िजनक िलए मन म भी गर बनान का भाव आ गया उनक िकसी भी वयवहार क िलए िशकायत या िछिानवषण की वि नही होनी चािहए

एकलवय एकात अर य म गया और उसन गर िोणाचायर की िम टी की मितर बनायी मितर की ओर एकटक दखकर धयान करक उसी स रणा लकर वह धनिवर ा सीखन लगा एकटक दखन स एकामता आती ह एकामता गरभि अपनी सचचाई और ततपरता क कारण उस रणा िमलन लगी जञानदाता तो परमातमा ह धनिवर ा म वह बहत आग बढ़ गया

एक बार िोणाचायर पाडव एव कौरव धनिवर ा का योग करन अर य म आय उनक साथ एक क ा भी था जो थोड़ा आग िनकल गया क ा वही पहचा जहा एकलवय अपनी धनिवर ा का योग कर रहा था एकलवय क खल बाल फट कपड़ एव िविचऽ वष को दखकर क ा भ कन लगा

एकलवय न क को लग नही चोट न पहच और उसका भ कना बद हो जाय इस ढग स सात बाण उसक मह म थमा िदय क ा वािपस वहा गया जहा िोणाचायर क साथ पाडव और कौरव थ

उस दखकर अजरन को हआ िक क को चोट न लग इस ढग स बाण मह म घसाकर रख दना यह िव ा तो म भी नही जानता यह कस सभव हआ वह गर िोणाचायर स बोलाः

गरदव आपन तो कहा था िक मरी बराबरी का दसरा कोई धनधाररी नही होगा िकनत ऐसी िव ा तो मझ भी नही आती

िोणाचायर को हआ िक दख इस अर य म कौन-सा ऐसा कशल धनधरर ह आग जाकर दखा तो वह था िहर यधन का पऽ गरभ एकलवय

िोणाचायर न पछाः बटा यह िव ा त कहा स सीखा

एकलवय बोलाः गरदव आपकी ही कपा स सीखा ह

िोणाचायर तो वचन द चक थ िक अजरन की बराबरी का धनधरर दसरा कोई न होगा िकनत यह तो आग िनकल गया गर क िलए धमरसकट खड़ा हो गया एकलवय की अटट ौ ा दखकर िोणाचायर न कहाः मरी मितर को सामन रखकर त धनिवर ा तो सीखा िकनत गरदिकषणा

एकलवयः जो आप माग

िोणाचायरः तर दाय हाथ का अगठा

एकलवय न एक पल भी िवचार िकय िबना अपन दाय हाथ का अगठा काटकर गरदव क चरणो म अपरण कर िदया

िोणाचायरः बटा भल ही अजरन धनिवर ा म सबस आग रह कयोिक म उस वचन द चका ह िकनत जब तक सयर चनि नकषऽो का अिःततव रहगा तब तक लोग तरी गरिन ा का तरी गरभि का ःमरण करग तरा यशोगान होता रहगा

उसकी गरभि और एकामता न उस धनिवर ा म तो सफलता िदलायी ही लिकन सतो क दय म भी उसक िलए आदर गट करवा िदया धनय ह एकलवय जो गरमितर स रणा पाकर धनिवर ा म सफल हआ और िजसन अदभत गरदिकषणा दकर साहस तयाग और समपरण का पिरचय िदया

(अनबम)

सतसग की मिहमा तलसीदास जी महाराज कहत ह ETH

एक घड़ी आधी घड़ी आधी म पिन आध तलसी सगत साध की हर कोिट अपराध

एक बार शकदव जी क िपता भगवान वदवयासजी महाराज कही जा रह थ राःत म उनहोन दखा िक एक कीड़ा बड़ी तजी स सड़क पार कर रहा था

वदवयासजी न अपनी योगशि दत हए उसस पछाः त इतनी ज दी सड़क कयो पार कर रहा ह कया तझ िकसी काम स जाना ह त तो

नाली का कीड़ा ह इस नाली को छोड़कर दसरी नाली म ही तो जाना ह िफर इतनी तजी स कयो भाग रहा ह

कीड़ा बोलाः बाबा जी बलगाड़ी आ रही ह बलो क गल म बध घघर तथा बलगाड़ी क पिहयो की आवाज म सन रहा ह यिद म धीर-धीर सड़क पार करगा तो वह बलगाड़ी आकर मझ कचल डालगी

वदवयासजीः कचलन द कीड़ की योिन म जीकर भी कया करना

कीड़ाः महिषर ाणी िजस शरीर म होता ह उसको उसम ही ममता होती ह अनक ाणी नाना कार क क ो को सहत हए भी मरना नही चाहत

वदवयास जीः बलगाड़ी आ जाय और त मर जाय तो घबराना मत म तझ योगशि स महान बनाऊगा जब तक ा ण शरीर म न पहचा द अनय सभी योिनयो स शीय छटकारा िदलाता रहगा

उस कीड़ न बात मान ली और बीच राःत पर रक गया और मर गया िफर वदवयासजी की कपा स वह बमशः कौआ िसयार आिद योिनयो म जब-जब भी उतपनन हआ वयासजी न जाकर उस पवरजनम का ःमरण िदला िदया इस तरह वह बमशः मग पकषी शि वय जाितयो म जनम लता हआ कषिऽय जाित म उतपनन हआ उस वहा भी वदवयासजी दशरन िदय थोड़ िदनो म रणभिम म शरीर तयागकर उसन ा ण क घर जनम िलया

भगवान वदवयास जी न उस पाच वषर की उ म सारःवतय मऽ द िदया िजसका जप करत-करत वह धयान करन लगा उसकी बि बड़ी िवलकषण होन पर वद शा धमर का रहःय समझ म आ गया

सात वषर की आय म वदवयास जी न उस कहाः काि रक कषऽ म कई वष स एक ा ण ननदभि तपःया कर रहा ह तम जाकर उसकी

शका का समाधान करो

माऽ सात वषर का ा ण कमार काि रक कषऽ म तप कर रह उस ा ण क पास पहच कर बोलाः

ह ा णदव आप तप कयो कर रह ह

ा णः ह ऋिषकमार म यह जानन क िलए तप कर रहा ह िक जो अचछ लोग ह सजजन लोग ह व सहन करत ह दःखी रहत ह और पापी आदमी सखी रहत ह ऐसा कयो ह

बालकः पापी आदमी यिद सखी ह तो पाप क कारण नही वरन िपछल जनम का कोई प य ह उसक कारण सखी ह वह अपन प य खतम कर रहा ह पापी मनय भीतर स तो दःखी ही होता ह भल ही बाहर स सखी िदखाई द

धािमरक आदमी को ठ क समझ नही होती उिचत िदशा व मऽ नही िमलता इसिलए वह दःखी होता ह वह धमर क कारण दःखी नही होता अिपत समझ की कमी क कारण दःखी होता ह समझदार को यिद कोई गर िमल जाय तो वह नर म स नारायण बन जाय इसम कया आ यर ह

ा णः म इतना बढ़ा हो गया इतन वष स काि रक कषऽ म तप कर रहा ह मर तप का फल यही ह िक तमहार जस सात वषर क योगी क मझ दशरन हो रह ह म तमह णाम करता ह

बालकः नही नही महाराज आप तो भदव ह म तो बालक ह म आपको णाम करता ह

उसकी नता दखकर ा ण और खश हआ तप छोड़कर वह परमातमिचनतन म लग गया अब उस कछ जानन की इचछा नही रही िजसस सब कछ जाना जाता ह उसी परमातमा म िवौाित पान लग गया

इस कार ननदभि ा ण को उ र द िनःशक कर सात िदनो तक िनराहार रहकर वह बालक सयरमनऽ का जप करता रहा और वही बहदक तीथर म उसन शरीर तयाग िदया वही बालक दसर जनम म कषार िपता एव िमऽा माता क यहा गट हआ उसका नाम मऽय पड़ा इनहोन वयासजी क िपता पराशरजी स िवण-पराण तथा बहत पाराशर होरा शा का अधययन िकया था पकषपात रिहत अनभवकाश नामक मनथ म मऽय तथा पराशर ऋिष का सवाद आता ह

कहा तो सड़क स गजरकर नाली म िगरन जा रहा कीड़ा और कहा सत क सािननधय स वह मऽय ऋिष बन गया सतसग की बिलहारी ह इसीिलए तलसीदास जी कहत ह ETH

तात ःवगर अपवगर सख धिरअ तला एक अग तल न तािह सकल िमली जो सख लव सतसग

यहा एक शका हो सकती ह िक वह कीड़ा ही मऽय ऋिष कयो नही बन गया

अर भाई यिद आप पहली ककषा क िव ाथ हो और आपको एम ए म िबठाया जाय तो कया आप पास हो सकत हो नही दसरी तीसरी चौथी दसवी बारहवी बीए आिद पास करक ही आप एमए म वश कर सकत हो

िकसी चौकीदार पर कोई धानमनऽी अतयिधक सनन हो जाए तब भी वह उस सीधा कलकटर (िजलाधीश) नही बना सकता ऐस ही नाली म रहन वाला कीड़ा सीधा मनय तो नही

हो सकता बि क िविभनन योिनयो को पार करक ही मनय बन सकता ह हा इतना अवय ह िक सतकपा स उसका मागर छोटा हो जाता ह

सतसमागम की साध परषो स सग की मिहमा का कहा तक वणरन कर कस बयान कर एक सामानय कीड़ा उनक सतसग को पाकर महान ऋिष बन सकता ह तो िफर यिद मानव को िकसी सदगर का सािननधय िमल जाय उनक वचनानसार चल पड़ तो मि का अनभव करक जीवनम भी बन सकता ह

(अनबम)

पीड़ पराई जान र जञानी िकसी स यार करन क िलए बध हए नही ह और िकसी को डाटन म भी राजी

नही ह हमारी जसी यो यता होती ह ऐसा उनका वयवहार हमार ित होता ह लीलाशाह बाप क ौीचरणो म बहत लोग गय थ एक लड़का भी गया था वह मिणनगर

म रहता था िशवजी को जल चढ़ान क प ात ही वह जल पीता वह लड़का खब िन ा स धयान-भजन करता और सवा पजा करता

एक िदन कोई वयि राःत म बहोश पड़ा हआ था िशवजी को जल चढ़ान जात समय उस बालक न उस दखा और अपनी पजा-वजा छोड़कर उस गरीब की सवा म लग गया िबहार का कोई यवक था नौकरी की खोज म आया था कालपर(अहमदाबाद) ःटशन क लटफामर पर एक दो िदन रहा किलयो न मारपीट कर भगा िदया चलत-चलत मिणनगर म पनीत आौम की ओर रोटी की आशा म जा रहा था रोटी तो वहा नही िमलती थी इसिलए भख क कारण चलत-चलत राःत म िगर गया और बहोश हो गया

उस लड़क का घर पनीत आौम क पास ही था सबह क दस साढ़ दस बज थ वह लड़का घर स धयान-भजन स िनपटकर मिदर म िशवजी को जल चढ़ान क िलए जल का लोटा और पजा की साममी लकर जा रहा था उसन दखा िक राःत म कोई यवक पड़ा ह राःत म चलत-चलत लोग बोलत थः शराब पी होगी यह होगा वह होगा हम कया

लड़क को दया आई प य िकय हए हो तो रणा भी अचछ िमलती ह शभ कम स शभ रणा िमलती ह अपन पास की पजा साममी एक ओर रखकर उसन उस वयि को िहलाया बहत मिकल स उसकी आख खली कोई उस जत सघाता कोई कछ करता कोई कछ बोलता था

आख खोलत ही वह वयि धीर स बोलाः पानी पानी

लड़क न महादव जी क िलय लाया हआ जल का लोटा उस िपला िदया िफर दोड़कर घर जाकर अपन िहःस का दध लाकर उस िदया

यवक क जी म जी आया उसन अपनी वयथा बतात हए कहाः बाब जी म िबहार स आया ह मर बाप गजर गय काका िदन-रात टोकत रहत त िक

कमाओ नही तो खाओग कया नौकरी धधा िमलता नही ह भटकत-भटकत अहमदाबाद क ःटशन पर कली का काम करन का य िकया हमारी रोटी-रोजी िछन जायगी ऐसा समझकर किलयो न खब मारा पदल चलत-चलत मिणनगर ःटशन की ओर आत-आत यहा तीन िदन की भख और मार क कारण चककर आय और िगर गया

लड़क न उस िखलाया अपना इक ठा िकया हआ जबखचर का पसा िदया उस यवक को जहा जाना था वहा भजन की वयवःथा की इस लड़क क दय म आनद की वि हई अतर म आवाज आईः

बटा अब म तझ बहत ज दी िमलगा

लड़क न िकयाः अनदर कौन बोलता ह

उ र आयाः िजस िशव की त पजा करता ह वह तरा आतमिशव अब म तर दय म कट होऊगा सवा क अिधकारी की सवा मझ िशव की ही सवा ह

उस िदन उस अतयारमी न अनोखी ऱणा और ोतसाहन िदया वह लड़का तो िनकल पड़ा घर छोड़कर ई र-साकषातकार करन क िलए कदारनाथ वनदावन होत हए निनताल क अर य म पहचा

कदारनाथ क दशरन पाय लकषािधपित आिशष पाय

इस आशीवारद को वापस कर ई राि क िलए िफर पजा की उसक पास जो कछ रपय पस थ उनह वनदावन म साध-सतो एव गरीबो म भ डारा करक खचर कर िदया था थोड़ स पस लकर निनताल क अर यो म पहचा लोकलाड़ल लाखो दयो को हिररस िपलात पजयपाद सदगर ौी लीलाशाह बाप की राह दखत हए चालीस िदन बीत गय गरवर ौी लीलाशाह को अब पणर समिपरत िशय िमला पणर खजाना ा करन वाला पिवऽातमा िमला पणर गर की पणर िशय िमला

िजस लड़क क िवषय म यह कथा पढ़ रह ह वह लड़का कौन होगा जानत हो

पणर गर कपा िमली पणर गर का जञान आसमल स हो गय साई आसाराम

अब तो समझ ही गय होग (उस लड़क क वश म छप हए थ पवर जनम क योगी और वतरमान म िव िव यात हमार

पजयपाद सदगरदव ौी आसाराम जी महाराज)

(अनबम)

िवकास क बिरयो स सावधान किपलवःत क राजा श ोदन का यवराज था िस ाथर यौवन म कदम रखत ही िववक

और वरा य जाग उठा यवान प ी यशोधरा और नवजात िशश राहल की मोह-ममता की रशमी जजीर काटकर महाभीिनबमण (गहतयाग) िकया एकानत अर य म जाकर गहन धयान साधना करक अपन साधय त व को ा कर िलया

एकानत म तप यार और धयान साधना स िखल हए इस आधयाितमक कसम की मधर

सौरभ लोगो म फलन लगी अब िस ाथर भगवान ब क नाम स जन-समह म िस हए हजारो हजारो लोग उनक उपिद मागर पर चलन लग और अपनी अपनी यो यता क मतािबक आधयाितमक याऽा म आग बढ़त हए आितमक शाित ा करन लग अस य लोग बौ िभकषक बनकर भगवान ब क सािननधय म रहन लग उनक पीछ चलन वाल अनयायीओ का एक सघ ःथािपत हो गया चह ओर नाद गजन लग िकः

ब शरण गचछािम धमम शरण गचछािम सघ शरण गचछािम

ौावःती नगरी म भगवान ब का बहत यश फला लोगो म उनकी जय-जयकार होन लगी लोगो की भीड़-भाड़ स िवर होकर ब नगर स बाहर जतवन म आम क बगीच म रहन लग नगर क िपपास जन बड़ी तादाद म वहा हररोज िनि त समय पर पहच जात और उपदश-वचन सनत बड़-बड़ राजा महाराजा भगवान ब क सािननधय म आन जान लग

समाज म तो हर कार क लोग होत ह अनािद काल स दवी समपदा क लोग एव आसरी समपदा क लोग हआ करत ह ब का फलता हआ यश दखकर उनका तजो ष करन वाल लोग जलन लग सतो क साथ हमशा स होता आ रहा ह ऐस उन द त वो न ब को बदनाम करन क िलए कचार िकया िविभनन कार की यि -यि या लड़ाकर ब क यश को हािन पहच ऐसी बात समाज म व लोग फलान लग उन द ो न अपन ष यऽ म एक वया को समझा-बझाकर शािमल कर िलया

वया बन-ठनकर जतवन म भगवान ब क िनवास-ःथानवाल बगीच म जान लगी

धनरािश क साथ द ो का हर कार स सहारा एव ोतसाहन उस िमल रहा था रािऽ को वही रहकर सबह नगर म वािपस लोट आती अपनी सिखयो म भी उसन बात फलाई

लोग उसस पछन लगः अरी आजकल त िदखती नही ह कहा जा रही ह रोज रात को

म तो रोज रात को जतवन जाती ह व ब िदन म लोगो को उपदश दत ह और रािऽ क समय मर साथ रगरिलया मनात ह सारी रात वहा िबताकर सबह लोटती ह

वया न परा ीचिरऽ आजमाकर ष यऽ करन वालो का साथ िदया लोगो म पहल तो हलकी कानाफसी हई लिकन जयो-जयो बात फलती गई तयो-तयो लोगो म जोरदार िवरोध होन लगा लोग ब क नाम पर िफटकार बरसान लग ब क िभकषक बःती म िभकषा लन जात तो लोग उनह गािलया दन लग ब क सघ क लोग सवा-वि म सल न थ उन लोगो क सामन भी उगली उठाकर लोग बकवास करन लग

ब क िशय जरा असावधान रह थ कचार क समय साथ ही साथ स चार होता तो कचार का इतना भाव नही होता िशय अगर िनिबय रहकर सोचत रह जाय िक करगा सो भरगा भगवान उनका नाश करग तो कचार करन वालो को ख ला मदान िमल जाता ह

सत क सािननधय म आन वाल लोग ौ ाल सजजन सीध साद होत ह जबिक द वि करन वाल लोग किटलतापवरक कचार करन म कशल होत ह िफर भी िजन सतो क पीछ सजग समाज होता ह उन सतो क पीछ उठन वाल कचार क तफान समय पाकर शात हो जात ह और उनकी सतवि या काशमान हो उठती ह

कचार न इतना जोर पकड़ा िक ब क िनकटवत लोगो न ऽािहमाम पकार िलया व समझ गय िक यह वयविःथत आयोजनपवरक ष यऽ िकया गया ह ब ःवय तो पारमािथरक सतय म जाग हए थ व बोलतः सब ठ क ह चलन दो वयवहािरक सतय म वाहवाही दख ली अब िननदा भी दख ल कया फकर पड़ता ह

िशय कहन लगः भनत अब सहा नही जाता सघ क िनकटवत भ भी अफवाहो क िशकार हो रह ह समाज क लोग अफवाहो की बातो को सतय मानन लग गय ह

ब ः धयर रखो हम पारमािथरक सतय म िवौाित पात ह यह िवरोध की आधी चली ह तो शात भी हो जाएगी समय पाकर सतय ही बाहर आयगा आिखर म लोग हम जानग और मानग

कछ लोगो न अगवानी का झ डा उठाया और राजयस ा क समकष जोर-शोर स माग की

िक ब की जाच करवाई जाय लोग बात कर रह ह और वया भी कहती ह िक ब रािऽ को मर साथ होत ह और िदन म सतसग करत ह

ब क बार म जाच करन क िलए राजा न अपन आदिमयो को फरमान िदया अब ष यऽ करनवालो न सोचा िक इस जाच करन वाल पच म अगर सचचा आदमी आ जाएगा तो अफवाहो का सीना चीरकर सतय बाहर आ जाएगा अतः उनहोन अपन ष यऽ को आिखरी

पराका ा पर पहचाया अब ऐस ठोस सबत खड़ा करना चािहए िक ब की ितभा का अःत हो जाय

उनहोन वया को दार िपलाकर जतवन भज िदया पीछ स ग डो की टोली वहा गई वया पर बलातकार आिद सब द कतय करक उसका गला घोट िदया और लाश को ब क बगीच म गाड़कर पलायन हो गय

लोगो न राजयस ा क ार खटखटाय थ लिकन स ावाल भी कछ लोग द ो क साथ जड़ हए थ ऐसा थोड़ ही ह िक स ा म बठ हए सब लोग दध म धोय हए वयि होत ह

राजा क अिधकािरयो क ारा जाच करन पर वया की लाश हाथ लगी अब द ो न जोर-शोर स िच लाना शर कर िदया

दखो हम पहल ही कह रह थ वया भी बोल रही थी लिकन तम भगतड़ लोग मानत ही नही थ अब दख िलया न ब न सही बात खल जान क भय स वया को मरवाकर बगीच म गड़वा िदया न रहगा बास न बजगी बासरी लिकन सतय कहा तक िछप सकता ह म ामाल हाथ लग गया इस ठोस सबत स ब की असिलयत िस हो गई सतय बाहर आ गया

लिकन उन मख का पता नही िक तमहारा बनाया हआ कि पत सतय बाहर आया वाःतिवक सतय तो आज ढाई हजार वषर क बाद भी वसा ही चमक रहा ह आज ब को लाखो लोग जानत ह आदरपवरक मानत ह उनका तजो ष करन वाल द लोग कौन-स नरको म जलत होग कया पता

ढाई हजार वषर पहल ब क जमान म भी सतो क साथ ऐसा घोर अनयाय हआ करता था ऋिष दयाननद को भी ऐस ही त वो न तजो ष क कारण बाईस बार िवष दकर मार डालन का यास िकया ःवामी िववकाननद और ःवामी रामतीथर क पीछ भी द लोगो न वया को तयार करक कीचड़ उछाला था

एक ओर लाखो-लाखो लोग सतो की अनभवय वाणी स अपना वयावहािरक ETH आधयाितमक जीवन उननत करक सख-शाित पात ह दसरी ओर कछ द कित क ःवाथ लोग अपना उ ल सीधा करन क िलए ऐस महापरषो क िवर म ष यऽ रचकर उनको बदनाम करत ह यह तो पहल स चला आ रहा ह सत कबीर हो या नानक एकनाथ महाराज हो या सत तकाराम नरिसह महता हो या मीराबाई ायः सभी सतो को अपन जीवन क दौरान समाज क किटल त वो स पाला पड़ता ही रहा ह जीसस बाइःट को इनही त वो न बॉस पर चढ़ाया था उनही लोगो न सकरात को जहर िपलाकर मतयद ड िदया था मनसर को इसी जमात न शली पर चढ़ाया था ईसाई धमर म माट न यथर पर ज म िकया गया था अण-अण म ई र और नारीमाऽ म जगजजननी भगवती का दशरन करन वाल रामकण परमहस को भी लोगो न नही

छोड़ा था परमहस योगाननद रवीनिनाथ टगोर माट न यथर दिकषण भारत क सत ितरव लवर जापानी झन सत बाबो इितहास म िकतन-िकतन उदाहरण मौजद ह

हािसद धमरगर बा शमटोव अित पिवऽ आतमा थ िननदको न उनक इदरिगदर भी मायाजाल िबछा दी थी िसध क साई टउराम क पास अस य लोग आतमक याण हत जान लग तब िवकत िदमागवालो न उन सत को भी ऽास दना शर कर िदया उनक आौम क चह ओर गदगी डाल दत और कए म िम टी का तल उड़लकर पानी बकार कर दत मगल बादशाह बाबर को बहका कर उनही लोगो न गर नानक को कद करवाया था

भगवान ौीराम एव ौीकण को भी द जनो न छोड़ा नही था भगवान ौीराम क गर विश जी महाराज कहत हः

ह राम जी म जब बाजार स गजरता ह तब अजञानी मखर लोग मर िलए कया बकत ह म सब जानता ह लिकन मरा दयाल ःवभाव ह म इन सबका क याण चाहता ह

तमहार साथ यह ससार कछ अनयाय करता ह तमको बदनाम करता ह िननदा करता ह तो यह ससार की परानी रीत ह मनय की हीनवि कचार िननदाखोरी यह आजकल की ही बात नही ह अनािदकाल स ऐसा होता आया ह तम अपन आतमजञान क सःकार जगाकर आतमबल का िवकास करत जाओ मःकरात जाओ आधी तफानो को लाघकर आननदपवरक जीत जाओ

उस जमान म भगवान ब क पास आकर एक िभकषक न ाथरना कीः भनत मझ आजञा द म सभाए भरगा आपक िवचारो का चार करगा

मर िवचारो का चार

हा भगवन म बौ धमर फलाऊगा

लोग तरी िननदा करग गािलया दग

कोई हजर नही म भगवन को धनयवाद दगा िक य लोग िकतन अचछ ह य कवल श दहार करत ह मझ पीटत तो नही

लोग तझ पीटग भी तो कया करोग

भो म शब गजारगा िक य लोग हाथो स पीटत ह पतथर तो नही मारत

लोग पतथर भी मारग और िसर भी फोड़ दग तो कया करगा

िफर भी म आ ःत रहगा और भगवान का िदवय कायर करता रहगा कयोिक व लोग मरा िसर फोड़ग लिकन ाण तो नही लग

लोग जनन म आकर तझ मार दग तो कया करगा

भनत आपक िदवय िवचारो का चार करत-करत म मर भी गया तो समझगा िक मरा जीवन सफल हो गया

उस कतिन यी िभकषक की दढ़ िन ा दखकर भगवान ब सनन हो उठ उस पर उनकी करणा बरस पड़ी

ऐस िशय जब ब का चार करन िनकल पड़ तब कचार करन वाल धीर-धीर शात हो गय मनयो की उगिलया काट-काटकर माला बनाकर पहनन वाला अगिलमाल जसा बर हतयारा भी दयपिरवतरन पाकर ब की शरण म िभकषक होकर रहन लगा

आज हम ब को बहत आदर स जानत ह मानत ह उनक जीवनकाल क दौरान उनक पीछ लग हए द लोग कौन स नरक म सड़त होग रौरव नरक म या कभीपाक नरक म कौन-सी योिनयो म भटकत होग सअर बन होग िक नाली क कीड़ बन होग शतान बन होग िक राकषस बन होग मझ पता नही लिकन ब तो करोड़ो दयो म बस रह ह यह म मानता ह

सतय तो परमाथर ह आतमा ह परमातमा ह उसम िजतना िटकोग उतना तमहारा मगल होगा तमहारी िनगाह िजन पर पड़गी उनका भी मगल होगा

(अनबम)

कछ जानन यो य बात सय दय स पवर उठकर ःनान कर लना चािहए ातः खाली पट मटक का बासी पानी

पीना ःवाःथयद ह तलसी क प सय दय क प ात ही तोड़ दध म तलसी क प नही डालन चािहए तथा

दध क साथ खान भी नही चािहए तलसी क प खाकर थोड़ा पानी पीना िपय जलनित स पिह सौ कार क लाभ होत ह अपन मिःतक म एक कार का िवजाितय

िवय उतपनन होता ह यिद वह िवय वही अटक जाता ह तो बचपन म ही बाल सफद होन लगत ह इसस नजल की बीमारी भी होती ह यिद वह िवय नाक की तरफ आता ह तो सगनध-दगरनध का पता नही चल पाता और ज दी-ज दी जकाम हो जाता ह यिद वह िवय कान की तरफ आता ह तो कान बहर होन लगत ह और छोट-मोट ब ीस रोग हो सकत ह यिद वह िवय दात की तरफ आय तो दात छोटी उ म ही िगरन लगत ह यिद आख की तरफ वह िवय उतर तो चम लगन लगत ह जलनित यािन नाक स पानी खीचकर मह स िनकाल दन स वह िवय िनकल जाता ह गल क ऊपर क ायः सभी रोगो स मि िमल जाती ह

आईसबीम खान क बाद चाय पीना दातो क िलए अतयािधक हािनकारक होता ह

भोजन को पीना चािहए तथा पानी को खाना चािहए इसका मतलब यह ह िक भोजन को इतना चबाओ िक वह पानी की तरह पतला हो जाय और पानी अथवा अनय पय पदाथ को धीर-धीर िपयो

िकसी भी कार का पय पदाथर पीना हो तो दाया नथना बनद करक िपय इसस वह अमत जसा हो जाता ह यिद दाया ःवर(नथना) चाल हो और पानी आिद िपय तो जीवनशि (ओज) पतली होन लगती ह चयर की रकषा क िलए शरीर को तनदरःत रखन क िलए यह योग करना चािहए

तम चाह िकतनी भी महनत करो िकनत िजतना तमहारी नसो म ओज ह चयर की शि ह उतन ही तम सफल होत हो जो चाय-कॉफी आिद पीत ह उनका ओज पतला होकर पशाब ारा न होता जाता ह अतः चयर की रकषा क िलए चाय-कॉफी जस वयसनो स दर रहना रह

पढ़न क बाद थोड़ी दर शात हो जाना चािहए जो पढ़ा ह उसका मनन करो िशकषक ःकल म जब पढ़ात हो तब धयान स सनो उस व मःती-मजाक नही करना चािहए िवनोद-मःती कम स कम करो और समझन की कोिशश अिधक करो

जो सय दय क पवर नही उठता उसक ःवभाव म तमस छा जाता ह जो सय दय क पवर उठता ह उसकी बि शि बढ़ती ह

नीद म स उठकर तरत भगवान का धयान करो आतमःनान करो धयान म रिच नही होती तो समझना चािहए िक मन म दोष ह उनह िनकालन क िलए कया करना चािहए

मन को िनद ष बनान क िलए सबह-शाम माता-िपता को णाम करना चािहए गरजनो को णाम करना चािहए एव भगवान क नाम का जप करना चािहए भगवान स ाथरना करनी चािहए िक ह भगवान ह मर भ मरी धयान म रिच होन लग ऐसी कपा कर दो िकसी समय गद िवचार िनकल आय तो समझना चािहए िक अदर छप हए िवचार िनकल रह ह अतः खश होना चािहए िवचार आया और गया मर राम तो दय म ही ह ऐसी भावना करनी चािहए

िनदा करना तो अचछा नही ह िकनत िनदा सनना भी उिचत नही (अनबम)

शयन की रीत मनय को िकस ढग स सोना चािहए इसका भी तरीका होता ह सोत व पवर अथवा

दिकषण िदशा की ओर िसर करक ही सोना चािहए

भोजन करन क बाद िदन म दस िमनट आराम कर िकनत सोय नही भोजन क बाद दस िमनट बायी करवट लट सकत ह रािऽ को जागरण िकया हो इस कारण स कभी िदन म सोना पड़ वह अलग बात ह

सोत व नीच कोई गमर कबल आिद िबछाकर सोय तािक आपकी जीवनशि अिथग न हो जाय आपक शरीर की िव तशि भिम म न उतर जाय

(अनबम)

ःनान का तरीका शरीर की मजबती एव आरो यता क िलए रगड़-रगड़कर ःनान करना चािहए जो लोग

ठड दशो म रहत ह उनका ःवाःथय गमर दस क लोगो की अपकषा अचछा होता ह ठडी स अपना शरीर सधरता ह

ःनान करत व 12-15 िलटर पानी बा टी म लकर पहल उसम िसर डबाना चािहए िफर पर िभगोना चािहए पहल पर गील नही करन चािहए शरीर की गम ऊपर की ओर चढ़ती ह जो ःवाःथय क िलए हािनकारक होती ह

अतः पहल ठड पानी की बा टी भर ल िफर मह म पानी भरकर िसर को बा टी म डाल और आख पटपटाए इसस आखो की शि बढ़ती ह शरीर को रगड़-रगड़कर नहाए बाद म गील व स शरीर को रगड़-रगड़कर पोछ िजसस रोम कप का सारा मल बाहर िनकल जाय और रोमकप(तवचा क िछि) खल जायय तवचा क िछि बद रहन स ही तवचा की कई बीमािरया होती ह िफर सख कपड़ स शरीर को पोछ कर (अथवा थोड़ा गीला हो तब भी चल) सख साफ व पहन ल व भल साद हो िकनत साफ हो बासी कपड़ नही पहन हमशा धल हए कपड़ ही पहन इसस मन भी सनन रहता ह

पाच कार क ःनान होत हः ःनान दवःनान ऋिषःनान मानवःनान दानवःनान ःनानः -परमातमा का िचतन करक जल थल नहान वाला

ऐसा िचतन करक ा महतर म नहाना इस ःनान कहत ह दवःनानः दवनिदयो म ःनान या दवनिदयो का ःमरण करक सय दय स पवर नहाना यह

दवःनान ह ऋिषःनानः आकाश म तार िदखत हो और नहा ल यह ऋिषःनान ह ऋिषःनान करन

वाल की बि बड़ी तजःवी होती ह मानवःनानः सय दय क पवर का ःनान मानवःनान ह

दानवःनानः सय दय क प ात चाय पीकर नाता करक आठ नौ बज नहाना यह दानव ःनान ह

अतः हमशा ऋिषःनान करन का ही यास करना चािहए (अनबम)

ःवचछता का धयान यिद शरीर की सफाई रखी जाय तो मन भी सनन रहता ह आजकल अिधकतर लोग

श स ही मजन करत ह श की अपकषा नीम और बबल की दातौन जयादा अचछ होती ह और यिद श भी कर तो कभी-कभार श को गमर पानी स धोना चािहए अनयथा उसम बकटिरया(जीवाण) रह जात ह

िकतन ही लोग उगली स दात साफ करत ह तजरनी (अगठ क पास वाली थम उगली) स दात िघसन स मसड़ कमजोर हो जात ह तथा दात ज दी िगर जात ह कयोिक तजरनी म िव तशि का माण दसरी उगिलयो की अपकषा अिधक होता ह अतः उसस दात नही िघसन चािहए एव आखो को भी नही मसलना चािहए

िजस िदशा स हवा आती हो उस िदशा की ओर मह करक कभी-भी मलमऽ का िवसजरन नही करना चािहए सयर और चनिमा की ओर मख करक भी मलमऽ का िवसजरन नही करना चािहए

(अनबम)

ःमरणशि का िवकास यादशि बढ़ान का एक सनदर योग ह ETH ामरी ाणायाम सखासन प ासन या

िस ासन पर बठ हाथ की कोहनी की ऊचाई कनध तक रह इस कार रखकर हाथ की थम उगली(तजरनी) स दोनो कानो को धीर-स बद कर एकदम जोर स बद न कर िकनत बाहर का कछ सनाई न द इस कार धीर स कान बनद कर

अब गहर ास लकर थोड़ी दर रोक ओठ बद रखकर जस मर का गजन होता ह वस ॐsssss कहत हए गजन कर उसक बाद थोड़ी दर तक ास न ल पनः यही िबया दहराय ऐसा सबह एव शाम 8 स 10 बार कर यादशि बढ़ान का यह यौिगक योग ह इसस मिःतक की नािड़यो का शोधन होकर मिःतक म र सचार उिचत ढग स होता ह

और िवचार करन स भी बि शि का िवकास होता ह

सबह खाली पट तलसी क प एकाध काली िमचर चबाकर एक िगलास पानी पीन स भी ःमरणशि का िवकास होता ह रोग-ितकारक शि बढ़ती ह कनसर की बीमारी कभी नही होती जलदर-भगदर की बीमारी भी कभी नही होती

(अनबम)

वयि तव और वयवहार िकसी भी वयि तव का पता उसक वयवहार स ही चलता ह कई लोग वयथर च ा करत

ह एक होती ह सकाम च ा दसरी होती ह िनकाम च ा और तीसरी होती ह वयथर च ा वयथर च ा नही करनी चािहए िकसी क शरीर म कोई कमी हो तो उसका मजाक नही उड़ाना चािहए वरन उस मददरप बनना चािहए यह िनकाम सवा ह

िकसी की भी िनदा नही करनी चािहए िनदा करन वाला वयि िजसकी िनदा करता ह उसका तो इतना अिहत नही होता िजतना वह अपना अिहत करता ह जो दसरो की सवा करता ह दसरो क अनकल होता ह वह दसरो का िजतना िहत करता ह उसकी अपकषा उसका खद का िहत जयादा होता ह

अपन स जो उ स बड़ हो जञान म बड़ हो तप म बड़ हो उनका आदर करना चािहए िजस मनय क साथ बात करत हो वह मनय कौन ह यह जानकर बात करो तो आप वयवहार-कशल कहलाओग

िकसी को पऽ िलखत हो तो यिद अपन स बड़ हो तो ौी सबोधन करक िलखो सबोधन करन स सवाकयो की रचना स िश ता बढ़ती ह िकसी स बात करो तो सबोधन करक बात करो जो तकार स बात करता ह वह अिश कहलाता ह िश तापवरक बात करन स अपनी इजजत बढ़ती ह

िजसक जीवन म वयवहार-कशलता ह वह सभी कषऽो म सफल होता ह िजसम िवनता ह वही सब कछ सीख सकता ह िवनता िव ा बढ़ाती ह िजसक जीवन म िवनता नही ह समझो उसक सब काम अधर रह गय और जो समझता ह िक म सब कछ जानता ह वह वाःतव म कछ नही जानता

एक िचऽकार अपन गरदव क सममख एक सनदर िचऽ बनाकर लाया गर न िचऽ दखकर कहाः

वाह वाह सनदर ह अदभत ह

िशय बोलाः गरदव इसम कोई ऽिट रह गयी हो तो कपा करक बताइए इसीिलए म आपक चरणो म आया ह

गरः कोई ऽिट नही ह मझस भी जयादा अचछा बनाया ह

वह िशय रोन लगा उस रोता दखकर गर न पछाः तम कयो रो रह हो म तो तमहारी शसा कर रहा ह

िशयः गरदव मरी घड़ाई करन वाल आप भी यिद मरी शसा ही करग तो मझ मरी गि तया कौन बतायगा मरी गित कस होगी

यह सनकर गर अतयत सनन हो गय हमन िजतना जाना िजतना सीखा ह वह तो ठ क ह उसस जयादा जान सक सीख सक

ऐसा हमारा यास होना चािहए रामकण परमहस व हो गय थ िकसी न उनस पछाः बाबा जी आपन सब कछ जान

िलया ह

रामकण परमहसः नही म जब तक जीऊगा तब तक िव ाथ ही रहगा मझ अभी बहत कछ सीखना बाकी ह

िजनक पास सीखन को िमल उनस िवनतापवरक सीखना चािहए जो कछ सीखो सावधानीपवरक सीखो जीवन म िवनोद जररी ह िकनत िवनोद की अित न हो िजस समय पढ़त हो कछ सीखत हो कछ करत हो उस समय मःती नही िवनोद नही वरन जो कछ पढ़ो सीखो या करो उस उतसाह स धयान स और सावधानी स करो

पढ़न स पवर थोड़ धयानःथ हो जाओ पढ़न क बाद मौन हो जाओ यह गित की चाबी ह

माता-िपता स िचढ़ना नही चाह िजस मा-बाप न जनम िदया ह उनकी बातो को समझना चािहए अपन िलए उनक मन म िवशष दया हो िवशष म उतपनन हो ऐसा वयवहार करना चािहए

भल जाओ भल सब कछ माता-िपता को भलना नही अनिगनत उपकार ह उनक यह कभी िबसरना नही

माता-िपता को सतोष हो उनका दय सनन हो ऐसा हमारा वयवहार होना चािहए अपन माता-िपता एव गरजनो को सत रखकर ही हम सचची गित कर सकत ह

(अनबम)

  • पजय बाप जी का उदबोधन
  • कदम अपना आग बढाता चला जा
  • त गलाब होकर महक
  • जीवन विकास का मल सयम
  • तरिकाल सधया
  • शरीर सवासथय
  • अनन का परभाव
  • भारतीय ससकति की महानता
  • हरिदास की हरिभकति
  • बनावटी शरगार स बचो
  • साहसी बालक
  • गर-आजञापालन का चमतकार
  • अनोखी गरदकषिणा
  • सतसग की महिमा
  • पीड पराई जान र
  • विकास क बरियो स सावधान
  • कछ जानन योगय बात
  • शयन की रीत
  • सनान का तरीका
  • सवचछता का धयान
  • समरणशकति का विकास
  • वयकतितव और वयवहार
Page 19: Tu gulabhokarmehak

लग इसीिलए गीता जी मर िलए साकषात योग री माता बन रही ह वह तो िव क तमाम धन स भी नही खरीदा जा सक ऐसा भारतवषर का अम य खजाना ह

- एफ एच मोलम (इगल ड) ाचीन यग की सवर रमणीय वःतओ म गीता स ौ कोई वःत नही ह गीता म ऐसा

उ म और सवरवयापी जञान ह िक उसक रचियता दवता को अस य वषर हो गय िफर भी ऐसा दसरा एक भी मनथ नही िलखा गया

महातमा थोरो (अमिरका) धमर क कषऽ म अनय सब दख दिरि ह जबिक भारत इस िवषय म अरबपित ह

माकर टवन (यएसए) इस पथवी पर सवारिधक पणर िवकिसत मानवजञा कहा ह और जीवन क मह म ो क

हल िकसन खोज ह ऐसा अगर मझस पछा जाए तो म अगिलिनदश करक कहगा िक भारत न ही

मकसमलर (जमरनी) वदानत जसा ऊधवरगामी एव उतथानकारी और एक भी धमर या त वजञान नही ह

शोपनहोअर (जमरनी) िव भर म कवल भारत ही ऐसी ौ महान परमपराए रखता ह जो सिदयो तक जीिवत

रही ह

कनो (ानस) मनय जाित क अिःततव क सबस ारिमभक िदनो स लकर आज तक जीिवत मनय

क तमाम ःव न अगर कही साकार हए हो तो वह ःथान ह भारत

रोमा रोला (ास) भारत दश समपणर मानव जाित की मातभिम ह और सःकत यरोप की सभी भाषाओ की

जननी ह भारत हमार त वजञान गिणतशा एव जनतऽ की जननी ह भारतमाता अनक रप स सभी की जननी ह

िवल डरानट (यएसए) भारतीय सःकित की महानता का एहसास करन वाल इन सब िवदशी िचनतको को हम

धनयवाद दत ह एक बार महातमा थोरो सो रह थ इतन म उनका िशय एमसरन आया दखा िक वहा

साप और िबचछ घम रह ह गरजी क जागन पर एमसरन बोलाः गरदव यह जगह बड़ी खतरनाक ह म िकसी सरिकषत जगह पर आपकी वयवःथा करवा

दता ह

महातमा थोरो बोलः नही नही िचनता करन की कोई ज़ररत नही ह मर िसरहान पर ौीमदभगवदगीता ह भगवदगीता क जञान क कारण तो मझ साप म िबचछ म सबम मरा ही आतमा-परमातमा िदखता ह व मझ नही काटत ह तो म कही कयो जाऊ

िकतनी कह गीता की महानता यही ह भारतीय सःकित की मिहमा अदभत ह उसकी महानता लाबयान ह उसकी मिहमा

(अनबम)

हिरदास की हिरभि सात वष य गौर वणर क गौराग बड़-बड़ िव ान पिडतो स ऐस-ऐस करत थ िक व

दग रह जात थ इसका कारण था गौराग की हिरभि बड़ होकर उनहोन लाखो लोगो को हिरभि म रग िदया

जो हिरभ होता हिर का भजन करता उसकी बि अचछ मागर पर ही जाती ह लोभी वयि पसो क िलए हसता-रोता ह पद एव कस क तो िकतन ही लोग हसत रोत ह पिरवार क िलए तो िकतन ही मोही हसत रोत ह िकनत धनय ह व जो भगवान क िलए रोत हसत ह भगवान क िवरह म िजस रोना आया ह भगवान क िलए िजसका दय िपघलता ह ऐस लोगो का जीवन साथरक हो जाता ह भागवत म भगवान ौीकण उ व स कहत ह-

वाग गदगदा िवत यःय िच

रदतयभीआण हसित कविचचच िवलजज उदगायित नतयत च

मदभि य ो भवन पनाित िजसकी वाणी गदगद हो जाती ह िजसका िच ििवत हो जाता ह जो बार-बार रोन

लगता ह कभी लजजा छोड़कर उचच ःवर स गान लगता ह कभी नाचन लगता ह ऐसा मरा भ समम ससार को पिवऽ करता ह (ौीमदभागवतः 111424)

धनय ह वह मसलमान बालक जो गौराग क कीतरन म आता ह और िजसन गौराग स मऽदीकषा ली ह

उस मसलमान बालक का नाम हिरदास रखा गया मसलमान लोगो न उस हिरभ हिरदास को फसलान की बहत च ा की बहत डराया िक त गौराग क पास जाना छोड़ द नही तो हम यह करग वह करग िकनत हिरदास बहका नही उसका भय न हो गया था दमरित दर हो चकी थी उसकी सदबि और िन ा भगवान क धयान म लग गयी थी भयनाशन दमरित हरण किल म हिर को नाम यह नानक जी का वचन मानो उसक जीवन म साकार हो उठा था

काज़ी न षडयऽ करक उस पर कस िकया और फरमान जारी िकया िक हिरदास को बत मारत-मारत बीच बाजार स ल जाकर यमना म डाल िदया जाय

िनभ क हिरदास न बत की मार खाना ःवीकार िकया िकनत हिरभि छोड़ना ःवीकार न िकया िनि त िदन हिरदास को बत मारत हए ल जाया जान लगा िसपाही बत मारता ह तो हिरदास बोलता हः हिर बोल

हमको हिर बोल बलवाता ह य ल हिर बोल हिर बोल (सटाकसटाक) िसपाही बोलत हः हम तझ बत मारत ह तो कया तझ पीड़ा नही होती त हमस भी हिर

बोल हिर बोल करवाना चाहता ह

हिरदासः पीड़ा तो शरीर को होती ह म तो आतमा ह मझ तो पीड़ा नही होती तम भी यार स एक बार हिर बोल कहो

िसपाहीः ह हम भी हिर बोल कह हमस हिर बोल बलवाता ह ल य हिर बोल (सटाक)

हिरदास सोचता ह िक बत मारत हए भी तो य लोग हिर बोल कह रह ह चलो इनका क याण होगा िसपाही बत मारत जात ह सटाक सटाक और हिरदास हिर बोल बोलता भी जाता ह बलवाता भी जाता ह हिरदास को कई बत पड़न पर भी उसक चहर पर दःख की रखा तक नही िखचती

हवालदार पछता हः हिरदास तझ बत पड़न क बावजद भी तरी आखो म चमक ह चहर पर धयर शाित और सननता झलक रही ह कया बात ह

हिरदासः म बोलता ह हिर बोल तब िसपाही ब होकर भी कहत हः ह हमस भी बलवाता ह हिर बोल हिर बोल हिर बोल तो ल इस बहान भी उनक मह स हिरनाम िनकलता ह दर सवर उनका भी क याण होगा इसी स मर िच म सननता ह

धनय ह हिरदास की हिरभि बर काज़ी क आदश का पालन करत हए िसपाही उस हिरभि स िहनद धमर की दीकषा स चयत करन क िलए बत मारत ह िफर भी वह िनडर हिरभि नही छोड़ता हिर बोल बोलना बद नही करता

व मसलमान िसपाही हिरदास को िहनद धमर की दीकषा क भाव स गौरा क भाव स दर हटाना चाहत थ लिकन वह दर नही हटा बत सहता रहा िकनत हिर बोल बोलना न छोड़ा आिखरकार उन बर िसपाहीयो न हिरदास को उठाकर नदी म बहा िदया

नदी म तो बहा िदया लिकन दखो हिरनाम का भाव मानो यमनाजी न उसको गोद म ल िलया डढ़ मील तक हिरदास पानी म बहता रहा वह शातिच होकर मानो उस पानी म नही हिर की कपा म बहता हआ दर िकसी गाव क िकनार िनकला दसर िदन गौराग की भातफरी म शािमल हो गया लोग आ यरचिकत हो गय िक चमतकार कस हआ

धनय ह वह मसलमान यवक हिरदास जो हिर क धयान म हिर क गान म हिर क कीतरन म गौराग क साथ रहा जस िववकाननद क साथ भिगनी िनविदता न भारत म अधयातम-धणर क चार म लगकर अपना नाम अमर कर िदया वस ही इस मसलमान यवक न हिरकीतरन म हिरधयान म अपना जीवन धनय कर िदया दजरन लोग हिरदास का बाल तक न बाका कर सक जो सचच दय स भगवान का हो जाता ह उसकी हजारो शऽ िमलकर भी कछ हािन नही कर सकत तो उस काज़ी की कया ताकत थी

लोगो न जाकर काज़ी स कहा िक आज हिरदास पनः गौराग की भातफरी म उपिःथत हो गया था काजी अतयनत अहकारी था उसन एक नोिटस भजा एक आदश चतनय महाभ (गौराग) को भजा िक कल स तम भातफरी नही िनकाल सकत तमहारी भातफरी पर बिदश लगाई जाती ह

गौराग न सोचा िक हम िकसी का बरा नही करत िकसी को कोई हािन नही पहचात अर वायम डल क दषण को दर करन क िलए तो शासन पस खचर करता ह िकनत िवचारो क दषण को दर करन क िलए हिरकीतरन जसा हिरभि जसा अमोघ उपाय कौन सा ह भल काजी और शासन की समझ म आय या न आय वातावरण को श करन क साथ-साथ िवचारो का दषण भी दर होना चािहए हम तो कीतरन करग और करवायग

जो लोग डरपोक थ भीर और कायर थ ढील-ढाल थ व बोलः बाबा जी रहन दो रहन दो अपना कया जो करग व भरग अपन तो घर म ही रहकर हिर ॐ हिर ॐ करग

गौराग न कहाः नही इस कार कायरो जसी बात करना ह तो हमार पास मत आया करो

दसर िदन जो डरपोक थ ऐस पाच-दस वयि नही आय बाकी क िहममतवाल िजतन थ व सब आय उनह दखकर और लोग भी जड़

गौराग बोलः आज हमारी भातफरी की पणारहित काजी क घर पर ही होगी

गौराग भ -म डली क साथ कीतरन करत-करत जब बाजार स गज़र तो कछ िहनद एव मसलमान भी कीतरन म जड़ गय उनको भी कीतरन म रस आन लगा व लोग काजी को गािलया दन लग िक काजी बदमाश ह ऐसा ह वसा ह आिद ETH आिद

तब गौराग कहत हः नही शऽ क िलए भी बरा मत सोचो

उनहोन सबको समझा िदया िक काजी क िलए कोई भी अपश द नही कहगा कसी महान ह हमारी िहनद सःकित िजसन हिरदास को बत मारन का आदश िदया उस कवल अपश द कहन क िलए भी गौराग मना कर रह ह इस भारती सःकित म िकतनी उदारता ह स दयता ह लिकन कायरता को कही भी ःथान नही ह

गौराग कीतरन करत-करत काजी क घर क िनकट पहच गय काजी घर की छत पर स इस भातफरी को दखकर दग रह गया िक मर मना करन पर भी इनहोन भातफरी िनकाली

और मर घर तक ल आय उसम मसलमान लड़क भी शािमल ह जयो ही वह भातफरी काजी क घर पहची काजी घर क अनदर िछप गया

गौराग न काजी का ार खटखटाया तब काजी या काजी की प ी न नही वरन चौकीदार न दरवाजा खोला वह बोलाः

काजी साहब घर पर नही ह

गौराग बोलः नही कस ह अभी तो हमन उनह घर की छत पर दखा था काजी को जाकर बोलो हमार मामा और मा भी िजस गाव की ह आप भी उसी गाव क हो इसिलए आप मर गाव क मामा लगत ह मामाजी भानजा ार पर आय और आप छप कर बठ यह शोभा नही दता बाहर आ जाईय

चौकीदार न जाकर काजी को सब कह सनाया गौराग क मभर वचन सनकर काजी का दय िपघल गया िजस पर मन ज म ढाय वह मझ मामा कहकर सबोिधत करता ह िजसक साथ मन बरता की वह मर साथ िकतना औदायर रखता ह यह सोचकर काजी का दय बदल गया वह ार पर आकर बोलाः

म तमस डरकर अनदर नही छपा कयोिक मर पास तो स ा ह कलम की ताकत ह लिकन हिरकीतरन स हिरनाम स िहनद तो कया मसलमान लड़क भी आनिदत हो रह ह उनका भी लह पिवऽ हो रहा ह यह दखकर मझ दःख हो रहा ह िक िजस नाम क उचचारण स उनकी रग-रग पावन हो रही ह उसी नाम क कारण मन हिरदास पर और तम पर ज म िकया िकसी क बहकाव म आकर तम लोगो पर फरमान जारी िकया अब म िकस मह स तमहार सामन आता इसीिलए म मह िछपाकर घर क अनदर घस गया था

भानजा(गौराग) बोलता हः मामा अब तो बाहर आ जाइय

मामा(काजी) बोलाः बाहर आकर कया कर

गौरागः कीतरन कर हिरनाम क उचचारण स छपी हई यो यता िवकिसत कर आनद गट कर

काजीः कया करना होगा

गौरागः म जसा बोलता ह ऐसा ही बोलना होगा बोिलएः हिर बोल हिर बोल

काजीः हिर बोल हिर बोल

गौरागः हिर बोल हिर बोल

काजीः हिर बोल हिर बोल

हिर बोल हिर बोल हिर बोल हिर बोल

हिर बोल हिर बोल हिर बोल हिर बोल

कीतरन करत-करत गौराग न अपनी िनगाहो स काजी पर कपा बरसाई तो काजी भी झमन लगा उस भी हिर बोल का रग लग गया जस इजन को ह डल दकर छोड़ दत ह तब भी इजन चलता रहता ह ऐस ही गौराग की कपादि स काजी भी झमन लगा

काजी क झमन स वातावरण म और भी रग आ गया काजी तो झम गया काजी की प ी भी झमी और चौकीदार भी झम उठा सब हिरकीतरन म झमत-झमत अपन र को पावन करन लग दय को हिररस स सराबोर करन लगा उनक जनम-जनम क पाप-ताप न होन लग िजस पर भगवान की दया होती ह िजसको साधओ का सग िमलता ह सतसग का सहारा िमलता ह और भारतीय सःकित की महानता को समझन की अकल िमलती ह िफर उसक उ ार म कया बाकी रह जाता ह काजी का तो उ ार हो गया

दखो सत की उदारता एव महानता िजसन िहनदओ पर ज म करवाय भ हिरदास को बत मरवात-मरवात यमना जी म डलवा िदया भातफरी पर ितबध लगवा िदया उसी काजी को गौराग न हिररग म रग िदया अपनी कपादि स िनहाल कर िदया उसक बर कम की धयान न दत हए भि का दान द िदया ऐस गौराग क ौीचरणो म हमार हजार-हजार णाम ह हम उस मसलमान यवक हिरदास को भी धनयवाद दत ह िक उसन बत खात पीड़ा सहत भी भि न छोड़ी गरदव को न छोड़ा न ही उनक दबाव म आकर पनः मसलमान बना हिर बोल क रग म ःवय रगा और िसपािहयो को भी रग िदया धनय ह हिरदास और उसकी हिरभि

(अनबम)

बनावटी ौगार स बचो जमरनी क िस दाशरिनक शोपनहार कहत ह िक िजन दशो म हिथयार बनाय जात ह

उन दशो क लोगो को य करन की उ जना होती ह और उन दशो म हिथयार बनत ही रहत ह य भी होत रहत ह ऐस ही जो लोग फशन करत ह उनक दय म काम बोध लोभ मोह रपी य होता ही रहता ह उनक जीवन म िवलािसता आती ह और पतन होता ह वस ही फशन और िवलािसता स सयम सदाचार और यो यता का सहार होता ह

इसिलए य क साधन बढ़न स जस य होता ह वस ही िवलािसता और फशन क साधनो का उपयोग करन स अतयर होता ह अपनी आितमक शि यो का सहार होता ह अतः अपना भला चाहन वाल भाई-बहनो को पफ-पाउडर िलपिःटक-लाली व -अलकार क िदखाव क पीछ नही पड़ना चािहए सयम सादगी एव पिवऽतापणर जीवन जीना चािहए

अपन शा ो म ौगार की अनमित दी गई ह सौभा यवती ि या जब पित अपन ही नगर म हो घर म हो तब ौगार कर पित यिद दर दश गया हो तब सौभा यवित ि यो को भी सादगीपणर जीवन जीना चािहए ौगार क उपयोग म आनवाली वःतए भी वनिःपतयो एव साि वक रसो स बनी हई होनी चािहए जो सननता और आरो यता दान कर

आजकल तो शरीर म उ जना पदा कर बीमािरया पदा कर ऐस किमक स(रसायनो) और जहर जस साधनो स ौगार-साधन बनाए जात ह िजसस शरीर क अनदर जहरील कण जात ह और तवचा की बीमािरया होती ह आहार म भी जहरील कणो क जान स पाचन-तऽ और मानिसक सतलन िबगड़ता ह साथ ही बौि क एव वचािरक सतलन भी िबगड़ता ह

पशओ की चब किमक स और दसर थोड़ जहरील िवयो स बन पफ-पाउडर िलपिःटक-लाली आिद िजन साधनो का यटी-पालरर म उपयोग िकया जाता ह वसी गदगी कभी-भी अपन शरीर को तो लगानी ही नही चािहए दसर लोगो न लगायी हो तो दखकर सनन भी नही होना चािहए अपन सयम और सदाचार की सनदरता को गट करना चािहए मीरा और शबरी िकस यटी-पालरर म गय थ सती अनसया गाग और मदालसा न िकस पफ-पाउडर लाली-िलपिःटक का उपयोग िकया था िफर भी उनका जीवन सनदर तजःवी था हम भी ई र स ाथरना कर िक ह भगवान हम अपना सयम और साधना का सौनदयर बढ़ाए ऐसी त दया करना िवकारी सौनदयर स अपन को बचाकर िनिवरकारी नारायण की ओर जाय ऐसी त दया करना िवलािसता म अपन समय को न लगाकर तर ही धयान-िचतन म हमारा समय बीत ऐसी त कपा करना

किऽम सौनदयर-साधन स तवचा की िःन धता और कोमलता मर जाती ह पफ-पाउडर बीम आिद स शरीर की कदरती िःन धता खतम हो जाती ह ाकितक सौनदयर को न करक

जो किऽम सौनदयर क गलाम बनत ह उनस ःनहभरी सलाह ह िक व पफ-पाउडर आिद और तड़कील-भड़कील व आिद की गलामी को छोड़कर ाकितक सौनदयर को बढ़ान की कोिशश कर मीरा और मदालसा की तरह अपन असली सौनदयर को कट करन की कोिशश कर

(अनबम)

साहसी बालक एक लड़का काशी म हिर नि हाईःकल म पढ़ता था उसका गाव काशी स आठ मील दर

था वह रोजाना वहा स पदल चलकर आता बीच म जो गगा नदी बहती ह उस पार करक िव ालय पहचता

उस जमान म गगा पार करन क िलए नाव वाल को दो पस दन पड़त थ दो पस आन क और दो पस जान क कल चार पस यािन पराना एक आना महीन म करीब दो रपय हए जब सोन क एक तोल का भाव रपया सौ स भी नीच था तब क दो रपय आज क तो पाच-पचचीस रपय हो जाए

उस लड़क न अपन मा-बाप पर अितिर बोझा न पड़ इसिलए एक भी पस की माग नही की उसन तरना सीख िलया गम हो बािरश हो या ठ ड हो गगा पार करक हाईःकल म जाना उसका बम हो गया इस कार िकतन ही महीन गजर गय

एक बार पौष मास की ठ ड म वह लड़का सबह की ःकल भरन क िलए गगा म कदा तरत-तरत मझधार म आया एक नाव म कछ याऽी नदी पार कर रह थ उनहोन दखा िक छोटा-सा लड़का अभी डब मरगा व उसक पास नाव ल गय और हाथ पकड़ कर उस नाव म खीच िलया लड़क क मख पर घबराहट या िचनता की कोई रखा नही थी सब लोग दग रह गय इतना छोटा ह और इतना साहसी ह व बोलः

त अभी डब मरता तो ऐसा साहस नही करना चािहए

तब लड़का बोलाः साहस तो होना ही चािहए जीवन म िव न-बाधाए आयगी उनह कचलन क िलए साहस तो चािहए ही अगर अभी स साहस नही जटाया तो जीवन म बड़-बड़ कायर कस कर पायग

लोगो न पछाः इस समय तरन कयो िगरा दोपहर को नहान आता

लड़का बोलता हः म नहान क िलए नदी म नही िगरा ह म तो ःकल जा रहा ह

नाव म बठकर जाता

रोज क चार पस आन-जान क लगत ह मर गरीब मा-बाप पर मझ बोझा नही बनना ह मझ तो अपन परो पर खड़ होना ह मरा खचर बढ़ तो मर मा-बाप की िचनता बढ़ उनह घर चलाना मिकल हो जाय

लोग उस आदर स दखत ही रह गय वही साहसी लड़का आग चलकर भारत का धान मऽी बना

वह लड़का कौन था पता ह व थ लाल बहादर शा ी शा ी जी उस पद भी सचचाई साहस सरलता ईमानदारी सादगी दशम आिद सदगण और सदाचार क मितरमनत ःवरप थ ऐस महापरष भल िफर थोड़ा-सा समय ही राजय कर पर एक अनोखा भाव छोड़ जात ह जनमानस पर

(अनबम)

गर-आजञापालन का चमतकार ौीम आ ाशकराचायर जी जब काशी म िनवास करत थ तब गगा-तट पर िनतय ात-

काल टहलत थ एक सबह िकसी ितभासपनन यवक न दसर िकनार स दखा िक कोई सनयासी उस पार टहल रह ह उस यवक न दसर िकनार स ही उनह णाम िकया उस यवक को दखकर आ शकराचायर जी न सकत िकया िक इधर आ जाओ उस आभासमपनन यवक न दखा िक मन तो साध को णाम कर िदया ह णाम कर िदया तो म उनका िशय हो गया और उनहोन मझ आदश िदया िक इधर आ जाओ अब गर की आजञा का उ लघन करना भी तो उिचत नही ह िकनत यही कोई नाव नही ह और म तरना भी नही जानता ह अब कया कर उसक मन म िवचार आया िक वस भी तो हजारो बार हम मर चक ह एक बार यिद गर क दशरन क िलए जात-जात मर जाय तो घाटा कया होगा

गग मात की जय कह कर उस यवक न तो गगाजी म पर रख िदया उसकी इचछा कहो ौीम आ शकराचायर जी का भाव कहो या िनयित की लीला कहो जहा उस यवक न कदम रखा वहा एक कमल पदा हो गया उसक पर को थामन क िलए जब दसरा पर रखा तो वहा भी कमल पदा हो गया इस कार जहा-जहा वह कदम रखता गया वहा कमल (प ) उतपनन होता गया और वह यवक गगा क दसर तट पर जहा आ शकराचायर जी खड़ थ पहच गया

जहा-जहा वह कदम रखता था वहा-वहा प (कमल) क कट होन क कारण उसका नाम पड़ा - प पादाचायर शकराचायर जी क म य चार प टिशयो म आग जाकर यही प पादाचायर एक प टिशय बन

कहन का तातपयर यह ह िक सिचचदानद परमातमा की शि का सामथयर का बयान करना सभव नही ह िजसकी िजतनी दढ़ता ह िजसकी िजतनी सचचाई ह िजसकी िजतनी ततपरता ह उतनी ही कित भी उसकी मदद करन को आतर रहती ह प पादाचायर की गर-आजञापालन म दढ़ता और ततपरता को दखकर गगा जी म कमल गट हो गय िशय यिद दढ़ता ततपरता और ईमानदारी स गर-आजञापालन म लग जाय तो कित भी उसक अनकल हो जाती ह

(अनबम)

अनोखी गरदिकषणा एकलवय गर िोणाचायर क पास आकर बोलाः मझ धनिवर ा िसखान की कपा कर

गरदव गर िोणाचायर क समकष धमरसकट उतपनन हआ कयोिक उनहोन भीम िपतामह को वचन

द िदया था िक कवल राजकमारो को ही म िशकषा दगा एकलवय राजकमार नही ह अतः उस धनिवर ा कस िसखाऊ अतः िोणाचायर न एकलवय स कहाः

म तझ धनिवर ा नही िसखा सकगा

एकलवय घर स िन य करक िनकला था िक म कवल गर िोणाचायर को ही गर बनाऊगा िजनक िलए मन म भी गर बनान का भाव आ गया उनक िकसी भी वयवहार क िलए िशकायत या िछिानवषण की वि नही होनी चािहए

एकलवय एकात अर य म गया और उसन गर िोणाचायर की िम टी की मितर बनायी मितर की ओर एकटक दखकर धयान करक उसी स रणा लकर वह धनिवर ा सीखन लगा एकटक दखन स एकामता आती ह एकामता गरभि अपनी सचचाई और ततपरता क कारण उस रणा िमलन लगी जञानदाता तो परमातमा ह धनिवर ा म वह बहत आग बढ़ गया

एक बार िोणाचायर पाडव एव कौरव धनिवर ा का योग करन अर य म आय उनक साथ एक क ा भी था जो थोड़ा आग िनकल गया क ा वही पहचा जहा एकलवय अपनी धनिवर ा का योग कर रहा था एकलवय क खल बाल फट कपड़ एव िविचऽ वष को दखकर क ा भ कन लगा

एकलवय न क को लग नही चोट न पहच और उसका भ कना बद हो जाय इस ढग स सात बाण उसक मह म थमा िदय क ा वािपस वहा गया जहा िोणाचायर क साथ पाडव और कौरव थ

उस दखकर अजरन को हआ िक क को चोट न लग इस ढग स बाण मह म घसाकर रख दना यह िव ा तो म भी नही जानता यह कस सभव हआ वह गर िोणाचायर स बोलाः

गरदव आपन तो कहा था िक मरी बराबरी का दसरा कोई धनधाररी नही होगा िकनत ऐसी िव ा तो मझ भी नही आती

िोणाचायर को हआ िक दख इस अर य म कौन-सा ऐसा कशल धनधरर ह आग जाकर दखा तो वह था िहर यधन का पऽ गरभ एकलवय

िोणाचायर न पछाः बटा यह िव ा त कहा स सीखा

एकलवय बोलाः गरदव आपकी ही कपा स सीखा ह

िोणाचायर तो वचन द चक थ िक अजरन की बराबरी का धनधरर दसरा कोई न होगा िकनत यह तो आग िनकल गया गर क िलए धमरसकट खड़ा हो गया एकलवय की अटट ौ ा दखकर िोणाचायर न कहाः मरी मितर को सामन रखकर त धनिवर ा तो सीखा िकनत गरदिकषणा

एकलवयः जो आप माग

िोणाचायरः तर दाय हाथ का अगठा

एकलवय न एक पल भी िवचार िकय िबना अपन दाय हाथ का अगठा काटकर गरदव क चरणो म अपरण कर िदया

िोणाचायरः बटा भल ही अजरन धनिवर ा म सबस आग रह कयोिक म उस वचन द चका ह िकनत जब तक सयर चनि नकषऽो का अिःततव रहगा तब तक लोग तरी गरिन ा का तरी गरभि का ःमरण करग तरा यशोगान होता रहगा

उसकी गरभि और एकामता न उस धनिवर ा म तो सफलता िदलायी ही लिकन सतो क दय म भी उसक िलए आदर गट करवा िदया धनय ह एकलवय जो गरमितर स रणा पाकर धनिवर ा म सफल हआ और िजसन अदभत गरदिकषणा दकर साहस तयाग और समपरण का पिरचय िदया

(अनबम)

सतसग की मिहमा तलसीदास जी महाराज कहत ह ETH

एक घड़ी आधी घड़ी आधी म पिन आध तलसी सगत साध की हर कोिट अपराध

एक बार शकदव जी क िपता भगवान वदवयासजी महाराज कही जा रह थ राःत म उनहोन दखा िक एक कीड़ा बड़ी तजी स सड़क पार कर रहा था

वदवयासजी न अपनी योगशि दत हए उसस पछाः त इतनी ज दी सड़क कयो पार कर रहा ह कया तझ िकसी काम स जाना ह त तो

नाली का कीड़ा ह इस नाली को छोड़कर दसरी नाली म ही तो जाना ह िफर इतनी तजी स कयो भाग रहा ह

कीड़ा बोलाः बाबा जी बलगाड़ी आ रही ह बलो क गल म बध घघर तथा बलगाड़ी क पिहयो की आवाज म सन रहा ह यिद म धीर-धीर सड़क पार करगा तो वह बलगाड़ी आकर मझ कचल डालगी

वदवयासजीः कचलन द कीड़ की योिन म जीकर भी कया करना

कीड़ाः महिषर ाणी िजस शरीर म होता ह उसको उसम ही ममता होती ह अनक ाणी नाना कार क क ो को सहत हए भी मरना नही चाहत

वदवयास जीः बलगाड़ी आ जाय और त मर जाय तो घबराना मत म तझ योगशि स महान बनाऊगा जब तक ा ण शरीर म न पहचा द अनय सभी योिनयो स शीय छटकारा िदलाता रहगा

उस कीड़ न बात मान ली और बीच राःत पर रक गया और मर गया िफर वदवयासजी की कपा स वह बमशः कौआ िसयार आिद योिनयो म जब-जब भी उतपनन हआ वयासजी न जाकर उस पवरजनम का ःमरण िदला िदया इस तरह वह बमशः मग पकषी शि वय जाितयो म जनम लता हआ कषिऽय जाित म उतपनन हआ उस वहा भी वदवयासजी दशरन िदय थोड़ िदनो म रणभिम म शरीर तयागकर उसन ा ण क घर जनम िलया

भगवान वदवयास जी न उस पाच वषर की उ म सारःवतय मऽ द िदया िजसका जप करत-करत वह धयान करन लगा उसकी बि बड़ी िवलकषण होन पर वद शा धमर का रहःय समझ म आ गया

सात वषर की आय म वदवयास जी न उस कहाः काि रक कषऽ म कई वष स एक ा ण ननदभि तपःया कर रहा ह तम जाकर उसकी

शका का समाधान करो

माऽ सात वषर का ा ण कमार काि रक कषऽ म तप कर रह उस ा ण क पास पहच कर बोलाः

ह ा णदव आप तप कयो कर रह ह

ा णः ह ऋिषकमार म यह जानन क िलए तप कर रहा ह िक जो अचछ लोग ह सजजन लोग ह व सहन करत ह दःखी रहत ह और पापी आदमी सखी रहत ह ऐसा कयो ह

बालकः पापी आदमी यिद सखी ह तो पाप क कारण नही वरन िपछल जनम का कोई प य ह उसक कारण सखी ह वह अपन प य खतम कर रहा ह पापी मनय भीतर स तो दःखी ही होता ह भल ही बाहर स सखी िदखाई द

धािमरक आदमी को ठ क समझ नही होती उिचत िदशा व मऽ नही िमलता इसिलए वह दःखी होता ह वह धमर क कारण दःखी नही होता अिपत समझ की कमी क कारण दःखी होता ह समझदार को यिद कोई गर िमल जाय तो वह नर म स नारायण बन जाय इसम कया आ यर ह

ा णः म इतना बढ़ा हो गया इतन वष स काि रक कषऽ म तप कर रहा ह मर तप का फल यही ह िक तमहार जस सात वषर क योगी क मझ दशरन हो रह ह म तमह णाम करता ह

बालकः नही नही महाराज आप तो भदव ह म तो बालक ह म आपको णाम करता ह

उसकी नता दखकर ा ण और खश हआ तप छोड़कर वह परमातमिचनतन म लग गया अब उस कछ जानन की इचछा नही रही िजसस सब कछ जाना जाता ह उसी परमातमा म िवौाित पान लग गया

इस कार ननदभि ा ण को उ र द िनःशक कर सात िदनो तक िनराहार रहकर वह बालक सयरमनऽ का जप करता रहा और वही बहदक तीथर म उसन शरीर तयाग िदया वही बालक दसर जनम म कषार िपता एव िमऽा माता क यहा गट हआ उसका नाम मऽय पड़ा इनहोन वयासजी क िपता पराशरजी स िवण-पराण तथा बहत पाराशर होरा शा का अधययन िकया था पकषपात रिहत अनभवकाश नामक मनथ म मऽय तथा पराशर ऋिष का सवाद आता ह

कहा तो सड़क स गजरकर नाली म िगरन जा रहा कीड़ा और कहा सत क सािननधय स वह मऽय ऋिष बन गया सतसग की बिलहारी ह इसीिलए तलसीदास जी कहत ह ETH

तात ःवगर अपवगर सख धिरअ तला एक अग तल न तािह सकल िमली जो सख लव सतसग

यहा एक शका हो सकती ह िक वह कीड़ा ही मऽय ऋिष कयो नही बन गया

अर भाई यिद आप पहली ककषा क िव ाथ हो और आपको एम ए म िबठाया जाय तो कया आप पास हो सकत हो नही दसरी तीसरी चौथी दसवी बारहवी बीए आिद पास करक ही आप एमए म वश कर सकत हो

िकसी चौकीदार पर कोई धानमनऽी अतयिधक सनन हो जाए तब भी वह उस सीधा कलकटर (िजलाधीश) नही बना सकता ऐस ही नाली म रहन वाला कीड़ा सीधा मनय तो नही

हो सकता बि क िविभनन योिनयो को पार करक ही मनय बन सकता ह हा इतना अवय ह िक सतकपा स उसका मागर छोटा हो जाता ह

सतसमागम की साध परषो स सग की मिहमा का कहा तक वणरन कर कस बयान कर एक सामानय कीड़ा उनक सतसग को पाकर महान ऋिष बन सकता ह तो िफर यिद मानव को िकसी सदगर का सािननधय िमल जाय उनक वचनानसार चल पड़ तो मि का अनभव करक जीवनम भी बन सकता ह

(अनबम)

पीड़ पराई जान र जञानी िकसी स यार करन क िलए बध हए नही ह और िकसी को डाटन म भी राजी

नही ह हमारी जसी यो यता होती ह ऐसा उनका वयवहार हमार ित होता ह लीलाशाह बाप क ौीचरणो म बहत लोग गय थ एक लड़का भी गया था वह मिणनगर

म रहता था िशवजी को जल चढ़ान क प ात ही वह जल पीता वह लड़का खब िन ा स धयान-भजन करता और सवा पजा करता

एक िदन कोई वयि राःत म बहोश पड़ा हआ था िशवजी को जल चढ़ान जात समय उस बालक न उस दखा और अपनी पजा-वजा छोड़कर उस गरीब की सवा म लग गया िबहार का कोई यवक था नौकरी की खोज म आया था कालपर(अहमदाबाद) ःटशन क लटफामर पर एक दो िदन रहा किलयो न मारपीट कर भगा िदया चलत-चलत मिणनगर म पनीत आौम की ओर रोटी की आशा म जा रहा था रोटी तो वहा नही िमलती थी इसिलए भख क कारण चलत-चलत राःत म िगर गया और बहोश हो गया

उस लड़क का घर पनीत आौम क पास ही था सबह क दस साढ़ दस बज थ वह लड़का घर स धयान-भजन स िनपटकर मिदर म िशवजी को जल चढ़ान क िलए जल का लोटा और पजा की साममी लकर जा रहा था उसन दखा िक राःत म कोई यवक पड़ा ह राःत म चलत-चलत लोग बोलत थः शराब पी होगी यह होगा वह होगा हम कया

लड़क को दया आई प य िकय हए हो तो रणा भी अचछ िमलती ह शभ कम स शभ रणा िमलती ह अपन पास की पजा साममी एक ओर रखकर उसन उस वयि को िहलाया बहत मिकल स उसकी आख खली कोई उस जत सघाता कोई कछ करता कोई कछ बोलता था

आख खोलत ही वह वयि धीर स बोलाः पानी पानी

लड़क न महादव जी क िलय लाया हआ जल का लोटा उस िपला िदया िफर दोड़कर घर जाकर अपन िहःस का दध लाकर उस िदया

यवक क जी म जी आया उसन अपनी वयथा बतात हए कहाः बाब जी म िबहार स आया ह मर बाप गजर गय काका िदन-रात टोकत रहत त िक

कमाओ नही तो खाओग कया नौकरी धधा िमलता नही ह भटकत-भटकत अहमदाबाद क ःटशन पर कली का काम करन का य िकया हमारी रोटी-रोजी िछन जायगी ऐसा समझकर किलयो न खब मारा पदल चलत-चलत मिणनगर ःटशन की ओर आत-आत यहा तीन िदन की भख और मार क कारण चककर आय और िगर गया

लड़क न उस िखलाया अपना इक ठा िकया हआ जबखचर का पसा िदया उस यवक को जहा जाना था वहा भजन की वयवःथा की इस लड़क क दय म आनद की वि हई अतर म आवाज आईः

बटा अब म तझ बहत ज दी िमलगा

लड़क न िकयाः अनदर कौन बोलता ह

उ र आयाः िजस िशव की त पजा करता ह वह तरा आतमिशव अब म तर दय म कट होऊगा सवा क अिधकारी की सवा मझ िशव की ही सवा ह

उस िदन उस अतयारमी न अनोखी ऱणा और ोतसाहन िदया वह लड़का तो िनकल पड़ा घर छोड़कर ई र-साकषातकार करन क िलए कदारनाथ वनदावन होत हए निनताल क अर य म पहचा

कदारनाथ क दशरन पाय लकषािधपित आिशष पाय

इस आशीवारद को वापस कर ई राि क िलए िफर पजा की उसक पास जो कछ रपय पस थ उनह वनदावन म साध-सतो एव गरीबो म भ डारा करक खचर कर िदया था थोड़ स पस लकर निनताल क अर यो म पहचा लोकलाड़ल लाखो दयो को हिररस िपलात पजयपाद सदगर ौी लीलाशाह बाप की राह दखत हए चालीस िदन बीत गय गरवर ौी लीलाशाह को अब पणर समिपरत िशय िमला पणर खजाना ा करन वाला पिवऽातमा िमला पणर गर की पणर िशय िमला

िजस लड़क क िवषय म यह कथा पढ़ रह ह वह लड़का कौन होगा जानत हो

पणर गर कपा िमली पणर गर का जञान आसमल स हो गय साई आसाराम

अब तो समझ ही गय होग (उस लड़क क वश म छप हए थ पवर जनम क योगी और वतरमान म िव िव यात हमार

पजयपाद सदगरदव ौी आसाराम जी महाराज)

(अनबम)

िवकास क बिरयो स सावधान किपलवःत क राजा श ोदन का यवराज था िस ाथर यौवन म कदम रखत ही िववक

और वरा य जाग उठा यवान प ी यशोधरा और नवजात िशश राहल की मोह-ममता की रशमी जजीर काटकर महाभीिनबमण (गहतयाग) िकया एकानत अर य म जाकर गहन धयान साधना करक अपन साधय त व को ा कर िलया

एकानत म तप यार और धयान साधना स िखल हए इस आधयाितमक कसम की मधर

सौरभ लोगो म फलन लगी अब िस ाथर भगवान ब क नाम स जन-समह म िस हए हजारो हजारो लोग उनक उपिद मागर पर चलन लग और अपनी अपनी यो यता क मतािबक आधयाितमक याऽा म आग बढ़त हए आितमक शाित ा करन लग अस य लोग बौ िभकषक बनकर भगवान ब क सािननधय म रहन लग उनक पीछ चलन वाल अनयायीओ का एक सघ ःथािपत हो गया चह ओर नाद गजन लग िकः

ब शरण गचछािम धमम शरण गचछािम सघ शरण गचछािम

ौावःती नगरी म भगवान ब का बहत यश फला लोगो म उनकी जय-जयकार होन लगी लोगो की भीड़-भाड़ स िवर होकर ब नगर स बाहर जतवन म आम क बगीच म रहन लग नगर क िपपास जन बड़ी तादाद म वहा हररोज िनि त समय पर पहच जात और उपदश-वचन सनत बड़-बड़ राजा महाराजा भगवान ब क सािननधय म आन जान लग

समाज म तो हर कार क लोग होत ह अनािद काल स दवी समपदा क लोग एव आसरी समपदा क लोग हआ करत ह ब का फलता हआ यश दखकर उनका तजो ष करन वाल लोग जलन लग सतो क साथ हमशा स होता आ रहा ह ऐस उन द त वो न ब को बदनाम करन क िलए कचार िकया िविभनन कार की यि -यि या लड़ाकर ब क यश को हािन पहच ऐसी बात समाज म व लोग फलान लग उन द ो न अपन ष यऽ म एक वया को समझा-बझाकर शािमल कर िलया

वया बन-ठनकर जतवन म भगवान ब क िनवास-ःथानवाल बगीच म जान लगी

धनरािश क साथ द ो का हर कार स सहारा एव ोतसाहन उस िमल रहा था रािऽ को वही रहकर सबह नगर म वािपस लोट आती अपनी सिखयो म भी उसन बात फलाई

लोग उसस पछन लगः अरी आजकल त िदखती नही ह कहा जा रही ह रोज रात को

म तो रोज रात को जतवन जाती ह व ब िदन म लोगो को उपदश दत ह और रािऽ क समय मर साथ रगरिलया मनात ह सारी रात वहा िबताकर सबह लोटती ह

वया न परा ीचिरऽ आजमाकर ष यऽ करन वालो का साथ िदया लोगो म पहल तो हलकी कानाफसी हई लिकन जयो-जयो बात फलती गई तयो-तयो लोगो म जोरदार िवरोध होन लगा लोग ब क नाम पर िफटकार बरसान लग ब क िभकषक बःती म िभकषा लन जात तो लोग उनह गािलया दन लग ब क सघ क लोग सवा-वि म सल न थ उन लोगो क सामन भी उगली उठाकर लोग बकवास करन लग

ब क िशय जरा असावधान रह थ कचार क समय साथ ही साथ स चार होता तो कचार का इतना भाव नही होता िशय अगर िनिबय रहकर सोचत रह जाय िक करगा सो भरगा भगवान उनका नाश करग तो कचार करन वालो को ख ला मदान िमल जाता ह

सत क सािननधय म आन वाल लोग ौ ाल सजजन सीध साद होत ह जबिक द वि करन वाल लोग किटलतापवरक कचार करन म कशल होत ह िफर भी िजन सतो क पीछ सजग समाज होता ह उन सतो क पीछ उठन वाल कचार क तफान समय पाकर शात हो जात ह और उनकी सतवि या काशमान हो उठती ह

कचार न इतना जोर पकड़ा िक ब क िनकटवत लोगो न ऽािहमाम पकार िलया व समझ गय िक यह वयविःथत आयोजनपवरक ष यऽ िकया गया ह ब ःवय तो पारमािथरक सतय म जाग हए थ व बोलतः सब ठ क ह चलन दो वयवहािरक सतय म वाहवाही दख ली अब िननदा भी दख ल कया फकर पड़ता ह

िशय कहन लगः भनत अब सहा नही जाता सघ क िनकटवत भ भी अफवाहो क िशकार हो रह ह समाज क लोग अफवाहो की बातो को सतय मानन लग गय ह

ब ः धयर रखो हम पारमािथरक सतय म िवौाित पात ह यह िवरोध की आधी चली ह तो शात भी हो जाएगी समय पाकर सतय ही बाहर आयगा आिखर म लोग हम जानग और मानग

कछ लोगो न अगवानी का झ डा उठाया और राजयस ा क समकष जोर-शोर स माग की

िक ब की जाच करवाई जाय लोग बात कर रह ह और वया भी कहती ह िक ब रािऽ को मर साथ होत ह और िदन म सतसग करत ह

ब क बार म जाच करन क िलए राजा न अपन आदिमयो को फरमान िदया अब ष यऽ करनवालो न सोचा िक इस जाच करन वाल पच म अगर सचचा आदमी आ जाएगा तो अफवाहो का सीना चीरकर सतय बाहर आ जाएगा अतः उनहोन अपन ष यऽ को आिखरी

पराका ा पर पहचाया अब ऐस ठोस सबत खड़ा करना चािहए िक ब की ितभा का अःत हो जाय

उनहोन वया को दार िपलाकर जतवन भज िदया पीछ स ग डो की टोली वहा गई वया पर बलातकार आिद सब द कतय करक उसका गला घोट िदया और लाश को ब क बगीच म गाड़कर पलायन हो गय

लोगो न राजयस ा क ार खटखटाय थ लिकन स ावाल भी कछ लोग द ो क साथ जड़ हए थ ऐसा थोड़ ही ह िक स ा म बठ हए सब लोग दध म धोय हए वयि होत ह

राजा क अिधकािरयो क ारा जाच करन पर वया की लाश हाथ लगी अब द ो न जोर-शोर स िच लाना शर कर िदया

दखो हम पहल ही कह रह थ वया भी बोल रही थी लिकन तम भगतड़ लोग मानत ही नही थ अब दख िलया न ब न सही बात खल जान क भय स वया को मरवाकर बगीच म गड़वा िदया न रहगा बास न बजगी बासरी लिकन सतय कहा तक िछप सकता ह म ामाल हाथ लग गया इस ठोस सबत स ब की असिलयत िस हो गई सतय बाहर आ गया

लिकन उन मख का पता नही िक तमहारा बनाया हआ कि पत सतय बाहर आया वाःतिवक सतय तो आज ढाई हजार वषर क बाद भी वसा ही चमक रहा ह आज ब को लाखो लोग जानत ह आदरपवरक मानत ह उनका तजो ष करन वाल द लोग कौन-स नरको म जलत होग कया पता

ढाई हजार वषर पहल ब क जमान म भी सतो क साथ ऐसा घोर अनयाय हआ करता था ऋिष दयाननद को भी ऐस ही त वो न तजो ष क कारण बाईस बार िवष दकर मार डालन का यास िकया ःवामी िववकाननद और ःवामी रामतीथर क पीछ भी द लोगो न वया को तयार करक कीचड़ उछाला था

एक ओर लाखो-लाखो लोग सतो की अनभवय वाणी स अपना वयावहािरक ETH आधयाितमक जीवन उननत करक सख-शाित पात ह दसरी ओर कछ द कित क ःवाथ लोग अपना उ ल सीधा करन क िलए ऐस महापरषो क िवर म ष यऽ रचकर उनको बदनाम करत ह यह तो पहल स चला आ रहा ह सत कबीर हो या नानक एकनाथ महाराज हो या सत तकाराम नरिसह महता हो या मीराबाई ायः सभी सतो को अपन जीवन क दौरान समाज क किटल त वो स पाला पड़ता ही रहा ह जीसस बाइःट को इनही त वो न बॉस पर चढ़ाया था उनही लोगो न सकरात को जहर िपलाकर मतयद ड िदया था मनसर को इसी जमात न शली पर चढ़ाया था ईसाई धमर म माट न यथर पर ज म िकया गया था अण-अण म ई र और नारीमाऽ म जगजजननी भगवती का दशरन करन वाल रामकण परमहस को भी लोगो न नही

छोड़ा था परमहस योगाननद रवीनिनाथ टगोर माट न यथर दिकषण भारत क सत ितरव लवर जापानी झन सत बाबो इितहास म िकतन-िकतन उदाहरण मौजद ह

हािसद धमरगर बा शमटोव अित पिवऽ आतमा थ िननदको न उनक इदरिगदर भी मायाजाल िबछा दी थी िसध क साई टउराम क पास अस य लोग आतमक याण हत जान लग तब िवकत िदमागवालो न उन सत को भी ऽास दना शर कर िदया उनक आौम क चह ओर गदगी डाल दत और कए म िम टी का तल उड़लकर पानी बकार कर दत मगल बादशाह बाबर को बहका कर उनही लोगो न गर नानक को कद करवाया था

भगवान ौीराम एव ौीकण को भी द जनो न छोड़ा नही था भगवान ौीराम क गर विश जी महाराज कहत हः

ह राम जी म जब बाजार स गजरता ह तब अजञानी मखर लोग मर िलए कया बकत ह म सब जानता ह लिकन मरा दयाल ःवभाव ह म इन सबका क याण चाहता ह

तमहार साथ यह ससार कछ अनयाय करता ह तमको बदनाम करता ह िननदा करता ह तो यह ससार की परानी रीत ह मनय की हीनवि कचार िननदाखोरी यह आजकल की ही बात नही ह अनािदकाल स ऐसा होता आया ह तम अपन आतमजञान क सःकार जगाकर आतमबल का िवकास करत जाओ मःकरात जाओ आधी तफानो को लाघकर आननदपवरक जीत जाओ

उस जमान म भगवान ब क पास आकर एक िभकषक न ाथरना कीः भनत मझ आजञा द म सभाए भरगा आपक िवचारो का चार करगा

मर िवचारो का चार

हा भगवन म बौ धमर फलाऊगा

लोग तरी िननदा करग गािलया दग

कोई हजर नही म भगवन को धनयवाद दगा िक य लोग िकतन अचछ ह य कवल श दहार करत ह मझ पीटत तो नही

लोग तझ पीटग भी तो कया करोग

भो म शब गजारगा िक य लोग हाथो स पीटत ह पतथर तो नही मारत

लोग पतथर भी मारग और िसर भी फोड़ दग तो कया करगा

िफर भी म आ ःत रहगा और भगवान का िदवय कायर करता रहगा कयोिक व लोग मरा िसर फोड़ग लिकन ाण तो नही लग

लोग जनन म आकर तझ मार दग तो कया करगा

भनत आपक िदवय िवचारो का चार करत-करत म मर भी गया तो समझगा िक मरा जीवन सफल हो गया

उस कतिन यी िभकषक की दढ़ िन ा दखकर भगवान ब सनन हो उठ उस पर उनकी करणा बरस पड़ी

ऐस िशय जब ब का चार करन िनकल पड़ तब कचार करन वाल धीर-धीर शात हो गय मनयो की उगिलया काट-काटकर माला बनाकर पहनन वाला अगिलमाल जसा बर हतयारा भी दयपिरवतरन पाकर ब की शरण म िभकषक होकर रहन लगा

आज हम ब को बहत आदर स जानत ह मानत ह उनक जीवनकाल क दौरान उनक पीछ लग हए द लोग कौन स नरक म सड़त होग रौरव नरक म या कभीपाक नरक म कौन-सी योिनयो म भटकत होग सअर बन होग िक नाली क कीड़ बन होग शतान बन होग िक राकषस बन होग मझ पता नही लिकन ब तो करोड़ो दयो म बस रह ह यह म मानता ह

सतय तो परमाथर ह आतमा ह परमातमा ह उसम िजतना िटकोग उतना तमहारा मगल होगा तमहारी िनगाह िजन पर पड़गी उनका भी मगल होगा

(अनबम)

कछ जानन यो य बात सय दय स पवर उठकर ःनान कर लना चािहए ातः खाली पट मटक का बासी पानी

पीना ःवाःथयद ह तलसी क प सय दय क प ात ही तोड़ दध म तलसी क प नही डालन चािहए तथा

दध क साथ खान भी नही चािहए तलसी क प खाकर थोड़ा पानी पीना िपय जलनित स पिह सौ कार क लाभ होत ह अपन मिःतक म एक कार का िवजाितय

िवय उतपनन होता ह यिद वह िवय वही अटक जाता ह तो बचपन म ही बाल सफद होन लगत ह इसस नजल की बीमारी भी होती ह यिद वह िवय नाक की तरफ आता ह तो सगनध-दगरनध का पता नही चल पाता और ज दी-ज दी जकाम हो जाता ह यिद वह िवय कान की तरफ आता ह तो कान बहर होन लगत ह और छोट-मोट ब ीस रोग हो सकत ह यिद वह िवय दात की तरफ आय तो दात छोटी उ म ही िगरन लगत ह यिद आख की तरफ वह िवय उतर तो चम लगन लगत ह जलनित यािन नाक स पानी खीचकर मह स िनकाल दन स वह िवय िनकल जाता ह गल क ऊपर क ायः सभी रोगो स मि िमल जाती ह

आईसबीम खान क बाद चाय पीना दातो क िलए अतयािधक हािनकारक होता ह

भोजन को पीना चािहए तथा पानी को खाना चािहए इसका मतलब यह ह िक भोजन को इतना चबाओ िक वह पानी की तरह पतला हो जाय और पानी अथवा अनय पय पदाथ को धीर-धीर िपयो

िकसी भी कार का पय पदाथर पीना हो तो दाया नथना बनद करक िपय इसस वह अमत जसा हो जाता ह यिद दाया ःवर(नथना) चाल हो और पानी आिद िपय तो जीवनशि (ओज) पतली होन लगती ह चयर की रकषा क िलए शरीर को तनदरःत रखन क िलए यह योग करना चािहए

तम चाह िकतनी भी महनत करो िकनत िजतना तमहारी नसो म ओज ह चयर की शि ह उतन ही तम सफल होत हो जो चाय-कॉफी आिद पीत ह उनका ओज पतला होकर पशाब ारा न होता जाता ह अतः चयर की रकषा क िलए चाय-कॉफी जस वयसनो स दर रहना रह

पढ़न क बाद थोड़ी दर शात हो जाना चािहए जो पढ़ा ह उसका मनन करो िशकषक ःकल म जब पढ़ात हो तब धयान स सनो उस व मःती-मजाक नही करना चािहए िवनोद-मःती कम स कम करो और समझन की कोिशश अिधक करो

जो सय दय क पवर नही उठता उसक ःवभाव म तमस छा जाता ह जो सय दय क पवर उठता ह उसकी बि शि बढ़ती ह

नीद म स उठकर तरत भगवान का धयान करो आतमःनान करो धयान म रिच नही होती तो समझना चािहए िक मन म दोष ह उनह िनकालन क िलए कया करना चािहए

मन को िनद ष बनान क िलए सबह-शाम माता-िपता को णाम करना चािहए गरजनो को णाम करना चािहए एव भगवान क नाम का जप करना चािहए भगवान स ाथरना करनी चािहए िक ह भगवान ह मर भ मरी धयान म रिच होन लग ऐसी कपा कर दो िकसी समय गद िवचार िनकल आय तो समझना चािहए िक अदर छप हए िवचार िनकल रह ह अतः खश होना चािहए िवचार आया और गया मर राम तो दय म ही ह ऐसी भावना करनी चािहए

िनदा करना तो अचछा नही ह िकनत िनदा सनना भी उिचत नही (अनबम)

शयन की रीत मनय को िकस ढग स सोना चािहए इसका भी तरीका होता ह सोत व पवर अथवा

दिकषण िदशा की ओर िसर करक ही सोना चािहए

भोजन करन क बाद िदन म दस िमनट आराम कर िकनत सोय नही भोजन क बाद दस िमनट बायी करवट लट सकत ह रािऽ को जागरण िकया हो इस कारण स कभी िदन म सोना पड़ वह अलग बात ह

सोत व नीच कोई गमर कबल आिद िबछाकर सोय तािक आपकी जीवनशि अिथग न हो जाय आपक शरीर की िव तशि भिम म न उतर जाय

(अनबम)

ःनान का तरीका शरीर की मजबती एव आरो यता क िलए रगड़-रगड़कर ःनान करना चािहए जो लोग

ठड दशो म रहत ह उनका ःवाःथय गमर दस क लोगो की अपकषा अचछा होता ह ठडी स अपना शरीर सधरता ह

ःनान करत व 12-15 िलटर पानी बा टी म लकर पहल उसम िसर डबाना चािहए िफर पर िभगोना चािहए पहल पर गील नही करन चािहए शरीर की गम ऊपर की ओर चढ़ती ह जो ःवाःथय क िलए हािनकारक होती ह

अतः पहल ठड पानी की बा टी भर ल िफर मह म पानी भरकर िसर को बा टी म डाल और आख पटपटाए इसस आखो की शि बढ़ती ह शरीर को रगड़-रगड़कर नहाए बाद म गील व स शरीर को रगड़-रगड़कर पोछ िजसस रोम कप का सारा मल बाहर िनकल जाय और रोमकप(तवचा क िछि) खल जायय तवचा क िछि बद रहन स ही तवचा की कई बीमािरया होती ह िफर सख कपड़ स शरीर को पोछ कर (अथवा थोड़ा गीला हो तब भी चल) सख साफ व पहन ल व भल साद हो िकनत साफ हो बासी कपड़ नही पहन हमशा धल हए कपड़ ही पहन इसस मन भी सनन रहता ह

पाच कार क ःनान होत हः ःनान दवःनान ऋिषःनान मानवःनान दानवःनान ःनानः -परमातमा का िचतन करक जल थल नहान वाला

ऐसा िचतन करक ा महतर म नहाना इस ःनान कहत ह दवःनानः दवनिदयो म ःनान या दवनिदयो का ःमरण करक सय दय स पवर नहाना यह

दवःनान ह ऋिषःनानः आकाश म तार िदखत हो और नहा ल यह ऋिषःनान ह ऋिषःनान करन

वाल की बि बड़ी तजःवी होती ह मानवःनानः सय दय क पवर का ःनान मानवःनान ह

दानवःनानः सय दय क प ात चाय पीकर नाता करक आठ नौ बज नहाना यह दानव ःनान ह

अतः हमशा ऋिषःनान करन का ही यास करना चािहए (अनबम)

ःवचछता का धयान यिद शरीर की सफाई रखी जाय तो मन भी सनन रहता ह आजकल अिधकतर लोग

श स ही मजन करत ह श की अपकषा नीम और बबल की दातौन जयादा अचछ होती ह और यिद श भी कर तो कभी-कभार श को गमर पानी स धोना चािहए अनयथा उसम बकटिरया(जीवाण) रह जात ह

िकतन ही लोग उगली स दात साफ करत ह तजरनी (अगठ क पास वाली थम उगली) स दात िघसन स मसड़ कमजोर हो जात ह तथा दात ज दी िगर जात ह कयोिक तजरनी म िव तशि का माण दसरी उगिलयो की अपकषा अिधक होता ह अतः उसस दात नही िघसन चािहए एव आखो को भी नही मसलना चािहए

िजस िदशा स हवा आती हो उस िदशा की ओर मह करक कभी-भी मलमऽ का िवसजरन नही करना चािहए सयर और चनिमा की ओर मख करक भी मलमऽ का िवसजरन नही करना चािहए

(अनबम)

ःमरणशि का िवकास यादशि बढ़ान का एक सनदर योग ह ETH ामरी ाणायाम सखासन प ासन या

िस ासन पर बठ हाथ की कोहनी की ऊचाई कनध तक रह इस कार रखकर हाथ की थम उगली(तजरनी) स दोनो कानो को धीर-स बद कर एकदम जोर स बद न कर िकनत बाहर का कछ सनाई न द इस कार धीर स कान बनद कर

अब गहर ास लकर थोड़ी दर रोक ओठ बद रखकर जस मर का गजन होता ह वस ॐsssss कहत हए गजन कर उसक बाद थोड़ी दर तक ास न ल पनः यही िबया दहराय ऐसा सबह एव शाम 8 स 10 बार कर यादशि बढ़ान का यह यौिगक योग ह इसस मिःतक की नािड़यो का शोधन होकर मिःतक म र सचार उिचत ढग स होता ह

और िवचार करन स भी बि शि का िवकास होता ह

सबह खाली पट तलसी क प एकाध काली िमचर चबाकर एक िगलास पानी पीन स भी ःमरणशि का िवकास होता ह रोग-ितकारक शि बढ़ती ह कनसर की बीमारी कभी नही होती जलदर-भगदर की बीमारी भी कभी नही होती

(अनबम)

वयि तव और वयवहार िकसी भी वयि तव का पता उसक वयवहार स ही चलता ह कई लोग वयथर च ा करत

ह एक होती ह सकाम च ा दसरी होती ह िनकाम च ा और तीसरी होती ह वयथर च ा वयथर च ा नही करनी चािहए िकसी क शरीर म कोई कमी हो तो उसका मजाक नही उड़ाना चािहए वरन उस मददरप बनना चािहए यह िनकाम सवा ह

िकसी की भी िनदा नही करनी चािहए िनदा करन वाला वयि िजसकी िनदा करता ह उसका तो इतना अिहत नही होता िजतना वह अपना अिहत करता ह जो दसरो की सवा करता ह दसरो क अनकल होता ह वह दसरो का िजतना िहत करता ह उसकी अपकषा उसका खद का िहत जयादा होता ह

अपन स जो उ स बड़ हो जञान म बड़ हो तप म बड़ हो उनका आदर करना चािहए िजस मनय क साथ बात करत हो वह मनय कौन ह यह जानकर बात करो तो आप वयवहार-कशल कहलाओग

िकसी को पऽ िलखत हो तो यिद अपन स बड़ हो तो ौी सबोधन करक िलखो सबोधन करन स सवाकयो की रचना स िश ता बढ़ती ह िकसी स बात करो तो सबोधन करक बात करो जो तकार स बात करता ह वह अिश कहलाता ह िश तापवरक बात करन स अपनी इजजत बढ़ती ह

िजसक जीवन म वयवहार-कशलता ह वह सभी कषऽो म सफल होता ह िजसम िवनता ह वही सब कछ सीख सकता ह िवनता िव ा बढ़ाती ह िजसक जीवन म िवनता नही ह समझो उसक सब काम अधर रह गय और जो समझता ह िक म सब कछ जानता ह वह वाःतव म कछ नही जानता

एक िचऽकार अपन गरदव क सममख एक सनदर िचऽ बनाकर लाया गर न िचऽ दखकर कहाः

वाह वाह सनदर ह अदभत ह

िशय बोलाः गरदव इसम कोई ऽिट रह गयी हो तो कपा करक बताइए इसीिलए म आपक चरणो म आया ह

गरः कोई ऽिट नही ह मझस भी जयादा अचछा बनाया ह

वह िशय रोन लगा उस रोता दखकर गर न पछाः तम कयो रो रह हो म तो तमहारी शसा कर रहा ह

िशयः गरदव मरी घड़ाई करन वाल आप भी यिद मरी शसा ही करग तो मझ मरी गि तया कौन बतायगा मरी गित कस होगी

यह सनकर गर अतयत सनन हो गय हमन िजतना जाना िजतना सीखा ह वह तो ठ क ह उसस जयादा जान सक सीख सक

ऐसा हमारा यास होना चािहए रामकण परमहस व हो गय थ िकसी न उनस पछाः बाबा जी आपन सब कछ जान

िलया ह

रामकण परमहसः नही म जब तक जीऊगा तब तक िव ाथ ही रहगा मझ अभी बहत कछ सीखना बाकी ह

िजनक पास सीखन को िमल उनस िवनतापवरक सीखना चािहए जो कछ सीखो सावधानीपवरक सीखो जीवन म िवनोद जररी ह िकनत िवनोद की अित न हो िजस समय पढ़त हो कछ सीखत हो कछ करत हो उस समय मःती नही िवनोद नही वरन जो कछ पढ़ो सीखो या करो उस उतसाह स धयान स और सावधानी स करो

पढ़न स पवर थोड़ धयानःथ हो जाओ पढ़न क बाद मौन हो जाओ यह गित की चाबी ह

माता-िपता स िचढ़ना नही चाह िजस मा-बाप न जनम िदया ह उनकी बातो को समझना चािहए अपन िलए उनक मन म िवशष दया हो िवशष म उतपनन हो ऐसा वयवहार करना चािहए

भल जाओ भल सब कछ माता-िपता को भलना नही अनिगनत उपकार ह उनक यह कभी िबसरना नही

माता-िपता को सतोष हो उनका दय सनन हो ऐसा हमारा वयवहार होना चािहए अपन माता-िपता एव गरजनो को सत रखकर ही हम सचची गित कर सकत ह

(अनबम)

  • पजय बाप जी का उदबोधन
  • कदम अपना आग बढाता चला जा
  • त गलाब होकर महक
  • जीवन विकास का मल सयम
  • तरिकाल सधया
  • शरीर सवासथय
  • अनन का परभाव
  • भारतीय ससकति की महानता
  • हरिदास की हरिभकति
  • बनावटी शरगार स बचो
  • साहसी बालक
  • गर-आजञापालन का चमतकार
  • अनोखी गरदकषिणा
  • सतसग की महिमा
  • पीड पराई जान र
  • विकास क बरियो स सावधान
  • कछ जानन योगय बात
  • शयन की रीत
  • सनान का तरीका
  • सवचछता का धयान
  • समरणशकति का विकास
  • वयकतितव और वयवहार
Page 20: Tu gulabhokarmehak

महातमा थोरो बोलः नही नही िचनता करन की कोई ज़ररत नही ह मर िसरहान पर ौीमदभगवदगीता ह भगवदगीता क जञान क कारण तो मझ साप म िबचछ म सबम मरा ही आतमा-परमातमा िदखता ह व मझ नही काटत ह तो म कही कयो जाऊ

िकतनी कह गीता की महानता यही ह भारतीय सःकित की मिहमा अदभत ह उसकी महानता लाबयान ह उसकी मिहमा

(अनबम)

हिरदास की हिरभि सात वष य गौर वणर क गौराग बड़-बड़ िव ान पिडतो स ऐस-ऐस करत थ िक व

दग रह जात थ इसका कारण था गौराग की हिरभि बड़ होकर उनहोन लाखो लोगो को हिरभि म रग िदया

जो हिरभ होता हिर का भजन करता उसकी बि अचछ मागर पर ही जाती ह लोभी वयि पसो क िलए हसता-रोता ह पद एव कस क तो िकतन ही लोग हसत रोत ह पिरवार क िलए तो िकतन ही मोही हसत रोत ह िकनत धनय ह व जो भगवान क िलए रोत हसत ह भगवान क िवरह म िजस रोना आया ह भगवान क िलए िजसका दय िपघलता ह ऐस लोगो का जीवन साथरक हो जाता ह भागवत म भगवान ौीकण उ व स कहत ह-

वाग गदगदा िवत यःय िच

रदतयभीआण हसित कविचचच िवलजज उदगायित नतयत च

मदभि य ो भवन पनाित िजसकी वाणी गदगद हो जाती ह िजसका िच ििवत हो जाता ह जो बार-बार रोन

लगता ह कभी लजजा छोड़कर उचच ःवर स गान लगता ह कभी नाचन लगता ह ऐसा मरा भ समम ससार को पिवऽ करता ह (ौीमदभागवतः 111424)

धनय ह वह मसलमान बालक जो गौराग क कीतरन म आता ह और िजसन गौराग स मऽदीकषा ली ह

उस मसलमान बालक का नाम हिरदास रखा गया मसलमान लोगो न उस हिरभ हिरदास को फसलान की बहत च ा की बहत डराया िक त गौराग क पास जाना छोड़ द नही तो हम यह करग वह करग िकनत हिरदास बहका नही उसका भय न हो गया था दमरित दर हो चकी थी उसकी सदबि और िन ा भगवान क धयान म लग गयी थी भयनाशन दमरित हरण किल म हिर को नाम यह नानक जी का वचन मानो उसक जीवन म साकार हो उठा था

काज़ी न षडयऽ करक उस पर कस िकया और फरमान जारी िकया िक हिरदास को बत मारत-मारत बीच बाजार स ल जाकर यमना म डाल िदया जाय

िनभ क हिरदास न बत की मार खाना ःवीकार िकया िकनत हिरभि छोड़ना ःवीकार न िकया िनि त िदन हिरदास को बत मारत हए ल जाया जान लगा िसपाही बत मारता ह तो हिरदास बोलता हः हिर बोल

हमको हिर बोल बलवाता ह य ल हिर बोल हिर बोल (सटाकसटाक) िसपाही बोलत हः हम तझ बत मारत ह तो कया तझ पीड़ा नही होती त हमस भी हिर

बोल हिर बोल करवाना चाहता ह

हिरदासः पीड़ा तो शरीर को होती ह म तो आतमा ह मझ तो पीड़ा नही होती तम भी यार स एक बार हिर बोल कहो

िसपाहीः ह हम भी हिर बोल कह हमस हिर बोल बलवाता ह ल य हिर बोल (सटाक)

हिरदास सोचता ह िक बत मारत हए भी तो य लोग हिर बोल कह रह ह चलो इनका क याण होगा िसपाही बत मारत जात ह सटाक सटाक और हिरदास हिर बोल बोलता भी जाता ह बलवाता भी जाता ह हिरदास को कई बत पड़न पर भी उसक चहर पर दःख की रखा तक नही िखचती

हवालदार पछता हः हिरदास तझ बत पड़न क बावजद भी तरी आखो म चमक ह चहर पर धयर शाित और सननता झलक रही ह कया बात ह

हिरदासः म बोलता ह हिर बोल तब िसपाही ब होकर भी कहत हः ह हमस भी बलवाता ह हिर बोल हिर बोल हिर बोल तो ल इस बहान भी उनक मह स हिरनाम िनकलता ह दर सवर उनका भी क याण होगा इसी स मर िच म सननता ह

धनय ह हिरदास की हिरभि बर काज़ी क आदश का पालन करत हए िसपाही उस हिरभि स िहनद धमर की दीकषा स चयत करन क िलए बत मारत ह िफर भी वह िनडर हिरभि नही छोड़ता हिर बोल बोलना बद नही करता

व मसलमान िसपाही हिरदास को िहनद धमर की दीकषा क भाव स गौरा क भाव स दर हटाना चाहत थ लिकन वह दर नही हटा बत सहता रहा िकनत हिर बोल बोलना न छोड़ा आिखरकार उन बर िसपाहीयो न हिरदास को उठाकर नदी म बहा िदया

नदी म तो बहा िदया लिकन दखो हिरनाम का भाव मानो यमनाजी न उसको गोद म ल िलया डढ़ मील तक हिरदास पानी म बहता रहा वह शातिच होकर मानो उस पानी म नही हिर की कपा म बहता हआ दर िकसी गाव क िकनार िनकला दसर िदन गौराग की भातफरी म शािमल हो गया लोग आ यरचिकत हो गय िक चमतकार कस हआ

धनय ह वह मसलमान यवक हिरदास जो हिर क धयान म हिर क गान म हिर क कीतरन म गौराग क साथ रहा जस िववकाननद क साथ भिगनी िनविदता न भारत म अधयातम-धणर क चार म लगकर अपना नाम अमर कर िदया वस ही इस मसलमान यवक न हिरकीतरन म हिरधयान म अपना जीवन धनय कर िदया दजरन लोग हिरदास का बाल तक न बाका कर सक जो सचच दय स भगवान का हो जाता ह उसकी हजारो शऽ िमलकर भी कछ हािन नही कर सकत तो उस काज़ी की कया ताकत थी

लोगो न जाकर काज़ी स कहा िक आज हिरदास पनः गौराग की भातफरी म उपिःथत हो गया था काजी अतयनत अहकारी था उसन एक नोिटस भजा एक आदश चतनय महाभ (गौराग) को भजा िक कल स तम भातफरी नही िनकाल सकत तमहारी भातफरी पर बिदश लगाई जाती ह

गौराग न सोचा िक हम िकसी का बरा नही करत िकसी को कोई हािन नही पहचात अर वायम डल क दषण को दर करन क िलए तो शासन पस खचर करता ह िकनत िवचारो क दषण को दर करन क िलए हिरकीतरन जसा हिरभि जसा अमोघ उपाय कौन सा ह भल काजी और शासन की समझ म आय या न आय वातावरण को श करन क साथ-साथ िवचारो का दषण भी दर होना चािहए हम तो कीतरन करग और करवायग

जो लोग डरपोक थ भीर और कायर थ ढील-ढाल थ व बोलः बाबा जी रहन दो रहन दो अपना कया जो करग व भरग अपन तो घर म ही रहकर हिर ॐ हिर ॐ करग

गौराग न कहाः नही इस कार कायरो जसी बात करना ह तो हमार पास मत आया करो

दसर िदन जो डरपोक थ ऐस पाच-दस वयि नही आय बाकी क िहममतवाल िजतन थ व सब आय उनह दखकर और लोग भी जड़

गौराग बोलः आज हमारी भातफरी की पणारहित काजी क घर पर ही होगी

गौराग भ -म डली क साथ कीतरन करत-करत जब बाजार स गज़र तो कछ िहनद एव मसलमान भी कीतरन म जड़ गय उनको भी कीतरन म रस आन लगा व लोग काजी को गािलया दन लग िक काजी बदमाश ह ऐसा ह वसा ह आिद ETH आिद

तब गौराग कहत हः नही शऽ क िलए भी बरा मत सोचो

उनहोन सबको समझा िदया िक काजी क िलए कोई भी अपश द नही कहगा कसी महान ह हमारी िहनद सःकित िजसन हिरदास को बत मारन का आदश िदया उस कवल अपश द कहन क िलए भी गौराग मना कर रह ह इस भारती सःकित म िकतनी उदारता ह स दयता ह लिकन कायरता को कही भी ःथान नही ह

गौराग कीतरन करत-करत काजी क घर क िनकट पहच गय काजी घर की छत पर स इस भातफरी को दखकर दग रह गया िक मर मना करन पर भी इनहोन भातफरी िनकाली

और मर घर तक ल आय उसम मसलमान लड़क भी शािमल ह जयो ही वह भातफरी काजी क घर पहची काजी घर क अनदर िछप गया

गौराग न काजी का ार खटखटाया तब काजी या काजी की प ी न नही वरन चौकीदार न दरवाजा खोला वह बोलाः

काजी साहब घर पर नही ह

गौराग बोलः नही कस ह अभी तो हमन उनह घर की छत पर दखा था काजी को जाकर बोलो हमार मामा और मा भी िजस गाव की ह आप भी उसी गाव क हो इसिलए आप मर गाव क मामा लगत ह मामाजी भानजा ार पर आय और आप छप कर बठ यह शोभा नही दता बाहर आ जाईय

चौकीदार न जाकर काजी को सब कह सनाया गौराग क मभर वचन सनकर काजी का दय िपघल गया िजस पर मन ज म ढाय वह मझ मामा कहकर सबोिधत करता ह िजसक साथ मन बरता की वह मर साथ िकतना औदायर रखता ह यह सोचकर काजी का दय बदल गया वह ार पर आकर बोलाः

म तमस डरकर अनदर नही छपा कयोिक मर पास तो स ा ह कलम की ताकत ह लिकन हिरकीतरन स हिरनाम स िहनद तो कया मसलमान लड़क भी आनिदत हो रह ह उनका भी लह पिवऽ हो रहा ह यह दखकर मझ दःख हो रहा ह िक िजस नाम क उचचारण स उनकी रग-रग पावन हो रही ह उसी नाम क कारण मन हिरदास पर और तम पर ज म िकया िकसी क बहकाव म आकर तम लोगो पर फरमान जारी िकया अब म िकस मह स तमहार सामन आता इसीिलए म मह िछपाकर घर क अनदर घस गया था

भानजा(गौराग) बोलता हः मामा अब तो बाहर आ जाइय

मामा(काजी) बोलाः बाहर आकर कया कर

गौरागः कीतरन कर हिरनाम क उचचारण स छपी हई यो यता िवकिसत कर आनद गट कर

काजीः कया करना होगा

गौरागः म जसा बोलता ह ऐसा ही बोलना होगा बोिलएः हिर बोल हिर बोल

काजीः हिर बोल हिर बोल

गौरागः हिर बोल हिर बोल

काजीः हिर बोल हिर बोल

हिर बोल हिर बोल हिर बोल हिर बोल

हिर बोल हिर बोल हिर बोल हिर बोल

कीतरन करत-करत गौराग न अपनी िनगाहो स काजी पर कपा बरसाई तो काजी भी झमन लगा उस भी हिर बोल का रग लग गया जस इजन को ह डल दकर छोड़ दत ह तब भी इजन चलता रहता ह ऐस ही गौराग की कपादि स काजी भी झमन लगा

काजी क झमन स वातावरण म और भी रग आ गया काजी तो झम गया काजी की प ी भी झमी और चौकीदार भी झम उठा सब हिरकीतरन म झमत-झमत अपन र को पावन करन लग दय को हिररस स सराबोर करन लगा उनक जनम-जनम क पाप-ताप न होन लग िजस पर भगवान की दया होती ह िजसको साधओ का सग िमलता ह सतसग का सहारा िमलता ह और भारतीय सःकित की महानता को समझन की अकल िमलती ह िफर उसक उ ार म कया बाकी रह जाता ह काजी का तो उ ार हो गया

दखो सत की उदारता एव महानता िजसन िहनदओ पर ज म करवाय भ हिरदास को बत मरवात-मरवात यमना जी म डलवा िदया भातफरी पर ितबध लगवा िदया उसी काजी को गौराग न हिररग म रग िदया अपनी कपादि स िनहाल कर िदया उसक बर कम की धयान न दत हए भि का दान द िदया ऐस गौराग क ौीचरणो म हमार हजार-हजार णाम ह हम उस मसलमान यवक हिरदास को भी धनयवाद दत ह िक उसन बत खात पीड़ा सहत भी भि न छोड़ी गरदव को न छोड़ा न ही उनक दबाव म आकर पनः मसलमान बना हिर बोल क रग म ःवय रगा और िसपािहयो को भी रग िदया धनय ह हिरदास और उसकी हिरभि

(अनबम)

बनावटी ौगार स बचो जमरनी क िस दाशरिनक शोपनहार कहत ह िक िजन दशो म हिथयार बनाय जात ह

उन दशो क लोगो को य करन की उ जना होती ह और उन दशो म हिथयार बनत ही रहत ह य भी होत रहत ह ऐस ही जो लोग फशन करत ह उनक दय म काम बोध लोभ मोह रपी य होता ही रहता ह उनक जीवन म िवलािसता आती ह और पतन होता ह वस ही फशन और िवलािसता स सयम सदाचार और यो यता का सहार होता ह

इसिलए य क साधन बढ़न स जस य होता ह वस ही िवलािसता और फशन क साधनो का उपयोग करन स अतयर होता ह अपनी आितमक शि यो का सहार होता ह अतः अपना भला चाहन वाल भाई-बहनो को पफ-पाउडर िलपिःटक-लाली व -अलकार क िदखाव क पीछ नही पड़ना चािहए सयम सादगी एव पिवऽतापणर जीवन जीना चािहए

अपन शा ो म ौगार की अनमित दी गई ह सौभा यवती ि या जब पित अपन ही नगर म हो घर म हो तब ौगार कर पित यिद दर दश गया हो तब सौभा यवित ि यो को भी सादगीपणर जीवन जीना चािहए ौगार क उपयोग म आनवाली वःतए भी वनिःपतयो एव साि वक रसो स बनी हई होनी चािहए जो सननता और आरो यता दान कर

आजकल तो शरीर म उ जना पदा कर बीमािरया पदा कर ऐस किमक स(रसायनो) और जहर जस साधनो स ौगार-साधन बनाए जात ह िजसस शरीर क अनदर जहरील कण जात ह और तवचा की बीमािरया होती ह आहार म भी जहरील कणो क जान स पाचन-तऽ और मानिसक सतलन िबगड़ता ह साथ ही बौि क एव वचािरक सतलन भी िबगड़ता ह

पशओ की चब किमक स और दसर थोड़ जहरील िवयो स बन पफ-पाउडर िलपिःटक-लाली आिद िजन साधनो का यटी-पालरर म उपयोग िकया जाता ह वसी गदगी कभी-भी अपन शरीर को तो लगानी ही नही चािहए दसर लोगो न लगायी हो तो दखकर सनन भी नही होना चािहए अपन सयम और सदाचार की सनदरता को गट करना चािहए मीरा और शबरी िकस यटी-पालरर म गय थ सती अनसया गाग और मदालसा न िकस पफ-पाउडर लाली-िलपिःटक का उपयोग िकया था िफर भी उनका जीवन सनदर तजःवी था हम भी ई र स ाथरना कर िक ह भगवान हम अपना सयम और साधना का सौनदयर बढ़ाए ऐसी त दया करना िवकारी सौनदयर स अपन को बचाकर िनिवरकारी नारायण की ओर जाय ऐसी त दया करना िवलािसता म अपन समय को न लगाकर तर ही धयान-िचतन म हमारा समय बीत ऐसी त कपा करना

किऽम सौनदयर-साधन स तवचा की िःन धता और कोमलता मर जाती ह पफ-पाउडर बीम आिद स शरीर की कदरती िःन धता खतम हो जाती ह ाकितक सौनदयर को न करक

जो किऽम सौनदयर क गलाम बनत ह उनस ःनहभरी सलाह ह िक व पफ-पाउडर आिद और तड़कील-भड़कील व आिद की गलामी को छोड़कर ाकितक सौनदयर को बढ़ान की कोिशश कर मीरा और मदालसा की तरह अपन असली सौनदयर को कट करन की कोिशश कर

(अनबम)

साहसी बालक एक लड़का काशी म हिर नि हाईःकल म पढ़ता था उसका गाव काशी स आठ मील दर

था वह रोजाना वहा स पदल चलकर आता बीच म जो गगा नदी बहती ह उस पार करक िव ालय पहचता

उस जमान म गगा पार करन क िलए नाव वाल को दो पस दन पड़त थ दो पस आन क और दो पस जान क कल चार पस यािन पराना एक आना महीन म करीब दो रपय हए जब सोन क एक तोल का भाव रपया सौ स भी नीच था तब क दो रपय आज क तो पाच-पचचीस रपय हो जाए

उस लड़क न अपन मा-बाप पर अितिर बोझा न पड़ इसिलए एक भी पस की माग नही की उसन तरना सीख िलया गम हो बािरश हो या ठ ड हो गगा पार करक हाईःकल म जाना उसका बम हो गया इस कार िकतन ही महीन गजर गय

एक बार पौष मास की ठ ड म वह लड़का सबह की ःकल भरन क िलए गगा म कदा तरत-तरत मझधार म आया एक नाव म कछ याऽी नदी पार कर रह थ उनहोन दखा िक छोटा-सा लड़का अभी डब मरगा व उसक पास नाव ल गय और हाथ पकड़ कर उस नाव म खीच िलया लड़क क मख पर घबराहट या िचनता की कोई रखा नही थी सब लोग दग रह गय इतना छोटा ह और इतना साहसी ह व बोलः

त अभी डब मरता तो ऐसा साहस नही करना चािहए

तब लड़का बोलाः साहस तो होना ही चािहए जीवन म िव न-बाधाए आयगी उनह कचलन क िलए साहस तो चािहए ही अगर अभी स साहस नही जटाया तो जीवन म बड़-बड़ कायर कस कर पायग

लोगो न पछाः इस समय तरन कयो िगरा दोपहर को नहान आता

लड़का बोलता हः म नहान क िलए नदी म नही िगरा ह म तो ःकल जा रहा ह

नाव म बठकर जाता

रोज क चार पस आन-जान क लगत ह मर गरीब मा-बाप पर मझ बोझा नही बनना ह मझ तो अपन परो पर खड़ होना ह मरा खचर बढ़ तो मर मा-बाप की िचनता बढ़ उनह घर चलाना मिकल हो जाय

लोग उस आदर स दखत ही रह गय वही साहसी लड़का आग चलकर भारत का धान मऽी बना

वह लड़का कौन था पता ह व थ लाल बहादर शा ी शा ी जी उस पद भी सचचाई साहस सरलता ईमानदारी सादगी दशम आिद सदगण और सदाचार क मितरमनत ःवरप थ ऐस महापरष भल िफर थोड़ा-सा समय ही राजय कर पर एक अनोखा भाव छोड़ जात ह जनमानस पर

(अनबम)

गर-आजञापालन का चमतकार ौीम आ ाशकराचायर जी जब काशी म िनवास करत थ तब गगा-तट पर िनतय ात-

काल टहलत थ एक सबह िकसी ितभासपनन यवक न दसर िकनार स दखा िक कोई सनयासी उस पार टहल रह ह उस यवक न दसर िकनार स ही उनह णाम िकया उस यवक को दखकर आ शकराचायर जी न सकत िकया िक इधर आ जाओ उस आभासमपनन यवक न दखा िक मन तो साध को णाम कर िदया ह णाम कर िदया तो म उनका िशय हो गया और उनहोन मझ आदश िदया िक इधर आ जाओ अब गर की आजञा का उ लघन करना भी तो उिचत नही ह िकनत यही कोई नाव नही ह और म तरना भी नही जानता ह अब कया कर उसक मन म िवचार आया िक वस भी तो हजारो बार हम मर चक ह एक बार यिद गर क दशरन क िलए जात-जात मर जाय तो घाटा कया होगा

गग मात की जय कह कर उस यवक न तो गगाजी म पर रख िदया उसकी इचछा कहो ौीम आ शकराचायर जी का भाव कहो या िनयित की लीला कहो जहा उस यवक न कदम रखा वहा एक कमल पदा हो गया उसक पर को थामन क िलए जब दसरा पर रखा तो वहा भी कमल पदा हो गया इस कार जहा-जहा वह कदम रखता गया वहा कमल (प ) उतपनन होता गया और वह यवक गगा क दसर तट पर जहा आ शकराचायर जी खड़ थ पहच गया

जहा-जहा वह कदम रखता था वहा-वहा प (कमल) क कट होन क कारण उसका नाम पड़ा - प पादाचायर शकराचायर जी क म य चार प टिशयो म आग जाकर यही प पादाचायर एक प टिशय बन

कहन का तातपयर यह ह िक सिचचदानद परमातमा की शि का सामथयर का बयान करना सभव नही ह िजसकी िजतनी दढ़ता ह िजसकी िजतनी सचचाई ह िजसकी िजतनी ततपरता ह उतनी ही कित भी उसकी मदद करन को आतर रहती ह प पादाचायर की गर-आजञापालन म दढ़ता और ततपरता को दखकर गगा जी म कमल गट हो गय िशय यिद दढ़ता ततपरता और ईमानदारी स गर-आजञापालन म लग जाय तो कित भी उसक अनकल हो जाती ह

(अनबम)

अनोखी गरदिकषणा एकलवय गर िोणाचायर क पास आकर बोलाः मझ धनिवर ा िसखान की कपा कर

गरदव गर िोणाचायर क समकष धमरसकट उतपनन हआ कयोिक उनहोन भीम िपतामह को वचन

द िदया था िक कवल राजकमारो को ही म िशकषा दगा एकलवय राजकमार नही ह अतः उस धनिवर ा कस िसखाऊ अतः िोणाचायर न एकलवय स कहाः

म तझ धनिवर ा नही िसखा सकगा

एकलवय घर स िन य करक िनकला था िक म कवल गर िोणाचायर को ही गर बनाऊगा िजनक िलए मन म भी गर बनान का भाव आ गया उनक िकसी भी वयवहार क िलए िशकायत या िछिानवषण की वि नही होनी चािहए

एकलवय एकात अर य म गया और उसन गर िोणाचायर की िम टी की मितर बनायी मितर की ओर एकटक दखकर धयान करक उसी स रणा लकर वह धनिवर ा सीखन लगा एकटक दखन स एकामता आती ह एकामता गरभि अपनी सचचाई और ततपरता क कारण उस रणा िमलन लगी जञानदाता तो परमातमा ह धनिवर ा म वह बहत आग बढ़ गया

एक बार िोणाचायर पाडव एव कौरव धनिवर ा का योग करन अर य म आय उनक साथ एक क ा भी था जो थोड़ा आग िनकल गया क ा वही पहचा जहा एकलवय अपनी धनिवर ा का योग कर रहा था एकलवय क खल बाल फट कपड़ एव िविचऽ वष को दखकर क ा भ कन लगा

एकलवय न क को लग नही चोट न पहच और उसका भ कना बद हो जाय इस ढग स सात बाण उसक मह म थमा िदय क ा वािपस वहा गया जहा िोणाचायर क साथ पाडव और कौरव थ

उस दखकर अजरन को हआ िक क को चोट न लग इस ढग स बाण मह म घसाकर रख दना यह िव ा तो म भी नही जानता यह कस सभव हआ वह गर िोणाचायर स बोलाः

गरदव आपन तो कहा था िक मरी बराबरी का दसरा कोई धनधाररी नही होगा िकनत ऐसी िव ा तो मझ भी नही आती

िोणाचायर को हआ िक दख इस अर य म कौन-सा ऐसा कशल धनधरर ह आग जाकर दखा तो वह था िहर यधन का पऽ गरभ एकलवय

िोणाचायर न पछाः बटा यह िव ा त कहा स सीखा

एकलवय बोलाः गरदव आपकी ही कपा स सीखा ह

िोणाचायर तो वचन द चक थ िक अजरन की बराबरी का धनधरर दसरा कोई न होगा िकनत यह तो आग िनकल गया गर क िलए धमरसकट खड़ा हो गया एकलवय की अटट ौ ा दखकर िोणाचायर न कहाः मरी मितर को सामन रखकर त धनिवर ा तो सीखा िकनत गरदिकषणा

एकलवयः जो आप माग

िोणाचायरः तर दाय हाथ का अगठा

एकलवय न एक पल भी िवचार िकय िबना अपन दाय हाथ का अगठा काटकर गरदव क चरणो म अपरण कर िदया

िोणाचायरः बटा भल ही अजरन धनिवर ा म सबस आग रह कयोिक म उस वचन द चका ह िकनत जब तक सयर चनि नकषऽो का अिःततव रहगा तब तक लोग तरी गरिन ा का तरी गरभि का ःमरण करग तरा यशोगान होता रहगा

उसकी गरभि और एकामता न उस धनिवर ा म तो सफलता िदलायी ही लिकन सतो क दय म भी उसक िलए आदर गट करवा िदया धनय ह एकलवय जो गरमितर स रणा पाकर धनिवर ा म सफल हआ और िजसन अदभत गरदिकषणा दकर साहस तयाग और समपरण का पिरचय िदया

(अनबम)

सतसग की मिहमा तलसीदास जी महाराज कहत ह ETH

एक घड़ी आधी घड़ी आधी म पिन आध तलसी सगत साध की हर कोिट अपराध

एक बार शकदव जी क िपता भगवान वदवयासजी महाराज कही जा रह थ राःत म उनहोन दखा िक एक कीड़ा बड़ी तजी स सड़क पार कर रहा था

वदवयासजी न अपनी योगशि दत हए उसस पछाः त इतनी ज दी सड़क कयो पार कर रहा ह कया तझ िकसी काम स जाना ह त तो

नाली का कीड़ा ह इस नाली को छोड़कर दसरी नाली म ही तो जाना ह िफर इतनी तजी स कयो भाग रहा ह

कीड़ा बोलाः बाबा जी बलगाड़ी आ रही ह बलो क गल म बध घघर तथा बलगाड़ी क पिहयो की आवाज म सन रहा ह यिद म धीर-धीर सड़क पार करगा तो वह बलगाड़ी आकर मझ कचल डालगी

वदवयासजीः कचलन द कीड़ की योिन म जीकर भी कया करना

कीड़ाः महिषर ाणी िजस शरीर म होता ह उसको उसम ही ममता होती ह अनक ाणी नाना कार क क ो को सहत हए भी मरना नही चाहत

वदवयास जीः बलगाड़ी आ जाय और त मर जाय तो घबराना मत म तझ योगशि स महान बनाऊगा जब तक ा ण शरीर म न पहचा द अनय सभी योिनयो स शीय छटकारा िदलाता रहगा

उस कीड़ न बात मान ली और बीच राःत पर रक गया और मर गया िफर वदवयासजी की कपा स वह बमशः कौआ िसयार आिद योिनयो म जब-जब भी उतपनन हआ वयासजी न जाकर उस पवरजनम का ःमरण िदला िदया इस तरह वह बमशः मग पकषी शि वय जाितयो म जनम लता हआ कषिऽय जाित म उतपनन हआ उस वहा भी वदवयासजी दशरन िदय थोड़ िदनो म रणभिम म शरीर तयागकर उसन ा ण क घर जनम िलया

भगवान वदवयास जी न उस पाच वषर की उ म सारःवतय मऽ द िदया िजसका जप करत-करत वह धयान करन लगा उसकी बि बड़ी िवलकषण होन पर वद शा धमर का रहःय समझ म आ गया

सात वषर की आय म वदवयास जी न उस कहाः काि रक कषऽ म कई वष स एक ा ण ननदभि तपःया कर रहा ह तम जाकर उसकी

शका का समाधान करो

माऽ सात वषर का ा ण कमार काि रक कषऽ म तप कर रह उस ा ण क पास पहच कर बोलाः

ह ा णदव आप तप कयो कर रह ह

ा णः ह ऋिषकमार म यह जानन क िलए तप कर रहा ह िक जो अचछ लोग ह सजजन लोग ह व सहन करत ह दःखी रहत ह और पापी आदमी सखी रहत ह ऐसा कयो ह

बालकः पापी आदमी यिद सखी ह तो पाप क कारण नही वरन िपछल जनम का कोई प य ह उसक कारण सखी ह वह अपन प य खतम कर रहा ह पापी मनय भीतर स तो दःखी ही होता ह भल ही बाहर स सखी िदखाई द

धािमरक आदमी को ठ क समझ नही होती उिचत िदशा व मऽ नही िमलता इसिलए वह दःखी होता ह वह धमर क कारण दःखी नही होता अिपत समझ की कमी क कारण दःखी होता ह समझदार को यिद कोई गर िमल जाय तो वह नर म स नारायण बन जाय इसम कया आ यर ह

ा णः म इतना बढ़ा हो गया इतन वष स काि रक कषऽ म तप कर रहा ह मर तप का फल यही ह िक तमहार जस सात वषर क योगी क मझ दशरन हो रह ह म तमह णाम करता ह

बालकः नही नही महाराज आप तो भदव ह म तो बालक ह म आपको णाम करता ह

उसकी नता दखकर ा ण और खश हआ तप छोड़कर वह परमातमिचनतन म लग गया अब उस कछ जानन की इचछा नही रही िजसस सब कछ जाना जाता ह उसी परमातमा म िवौाित पान लग गया

इस कार ननदभि ा ण को उ र द िनःशक कर सात िदनो तक िनराहार रहकर वह बालक सयरमनऽ का जप करता रहा और वही बहदक तीथर म उसन शरीर तयाग िदया वही बालक दसर जनम म कषार िपता एव िमऽा माता क यहा गट हआ उसका नाम मऽय पड़ा इनहोन वयासजी क िपता पराशरजी स िवण-पराण तथा बहत पाराशर होरा शा का अधययन िकया था पकषपात रिहत अनभवकाश नामक मनथ म मऽय तथा पराशर ऋिष का सवाद आता ह

कहा तो सड़क स गजरकर नाली म िगरन जा रहा कीड़ा और कहा सत क सािननधय स वह मऽय ऋिष बन गया सतसग की बिलहारी ह इसीिलए तलसीदास जी कहत ह ETH

तात ःवगर अपवगर सख धिरअ तला एक अग तल न तािह सकल िमली जो सख लव सतसग

यहा एक शका हो सकती ह िक वह कीड़ा ही मऽय ऋिष कयो नही बन गया

अर भाई यिद आप पहली ककषा क िव ाथ हो और आपको एम ए म िबठाया जाय तो कया आप पास हो सकत हो नही दसरी तीसरी चौथी दसवी बारहवी बीए आिद पास करक ही आप एमए म वश कर सकत हो

िकसी चौकीदार पर कोई धानमनऽी अतयिधक सनन हो जाए तब भी वह उस सीधा कलकटर (िजलाधीश) नही बना सकता ऐस ही नाली म रहन वाला कीड़ा सीधा मनय तो नही

हो सकता बि क िविभनन योिनयो को पार करक ही मनय बन सकता ह हा इतना अवय ह िक सतकपा स उसका मागर छोटा हो जाता ह

सतसमागम की साध परषो स सग की मिहमा का कहा तक वणरन कर कस बयान कर एक सामानय कीड़ा उनक सतसग को पाकर महान ऋिष बन सकता ह तो िफर यिद मानव को िकसी सदगर का सािननधय िमल जाय उनक वचनानसार चल पड़ तो मि का अनभव करक जीवनम भी बन सकता ह

(अनबम)

पीड़ पराई जान र जञानी िकसी स यार करन क िलए बध हए नही ह और िकसी को डाटन म भी राजी

नही ह हमारी जसी यो यता होती ह ऐसा उनका वयवहार हमार ित होता ह लीलाशाह बाप क ौीचरणो म बहत लोग गय थ एक लड़का भी गया था वह मिणनगर

म रहता था िशवजी को जल चढ़ान क प ात ही वह जल पीता वह लड़का खब िन ा स धयान-भजन करता और सवा पजा करता

एक िदन कोई वयि राःत म बहोश पड़ा हआ था िशवजी को जल चढ़ान जात समय उस बालक न उस दखा और अपनी पजा-वजा छोड़कर उस गरीब की सवा म लग गया िबहार का कोई यवक था नौकरी की खोज म आया था कालपर(अहमदाबाद) ःटशन क लटफामर पर एक दो िदन रहा किलयो न मारपीट कर भगा िदया चलत-चलत मिणनगर म पनीत आौम की ओर रोटी की आशा म जा रहा था रोटी तो वहा नही िमलती थी इसिलए भख क कारण चलत-चलत राःत म िगर गया और बहोश हो गया

उस लड़क का घर पनीत आौम क पास ही था सबह क दस साढ़ दस बज थ वह लड़का घर स धयान-भजन स िनपटकर मिदर म िशवजी को जल चढ़ान क िलए जल का लोटा और पजा की साममी लकर जा रहा था उसन दखा िक राःत म कोई यवक पड़ा ह राःत म चलत-चलत लोग बोलत थः शराब पी होगी यह होगा वह होगा हम कया

लड़क को दया आई प य िकय हए हो तो रणा भी अचछ िमलती ह शभ कम स शभ रणा िमलती ह अपन पास की पजा साममी एक ओर रखकर उसन उस वयि को िहलाया बहत मिकल स उसकी आख खली कोई उस जत सघाता कोई कछ करता कोई कछ बोलता था

आख खोलत ही वह वयि धीर स बोलाः पानी पानी

लड़क न महादव जी क िलय लाया हआ जल का लोटा उस िपला िदया िफर दोड़कर घर जाकर अपन िहःस का दध लाकर उस िदया

यवक क जी म जी आया उसन अपनी वयथा बतात हए कहाः बाब जी म िबहार स आया ह मर बाप गजर गय काका िदन-रात टोकत रहत त िक

कमाओ नही तो खाओग कया नौकरी धधा िमलता नही ह भटकत-भटकत अहमदाबाद क ःटशन पर कली का काम करन का य िकया हमारी रोटी-रोजी िछन जायगी ऐसा समझकर किलयो न खब मारा पदल चलत-चलत मिणनगर ःटशन की ओर आत-आत यहा तीन िदन की भख और मार क कारण चककर आय और िगर गया

लड़क न उस िखलाया अपना इक ठा िकया हआ जबखचर का पसा िदया उस यवक को जहा जाना था वहा भजन की वयवःथा की इस लड़क क दय म आनद की वि हई अतर म आवाज आईः

बटा अब म तझ बहत ज दी िमलगा

लड़क न िकयाः अनदर कौन बोलता ह

उ र आयाः िजस िशव की त पजा करता ह वह तरा आतमिशव अब म तर दय म कट होऊगा सवा क अिधकारी की सवा मझ िशव की ही सवा ह

उस िदन उस अतयारमी न अनोखी ऱणा और ोतसाहन िदया वह लड़का तो िनकल पड़ा घर छोड़कर ई र-साकषातकार करन क िलए कदारनाथ वनदावन होत हए निनताल क अर य म पहचा

कदारनाथ क दशरन पाय लकषािधपित आिशष पाय

इस आशीवारद को वापस कर ई राि क िलए िफर पजा की उसक पास जो कछ रपय पस थ उनह वनदावन म साध-सतो एव गरीबो म भ डारा करक खचर कर िदया था थोड़ स पस लकर निनताल क अर यो म पहचा लोकलाड़ल लाखो दयो को हिररस िपलात पजयपाद सदगर ौी लीलाशाह बाप की राह दखत हए चालीस िदन बीत गय गरवर ौी लीलाशाह को अब पणर समिपरत िशय िमला पणर खजाना ा करन वाला पिवऽातमा िमला पणर गर की पणर िशय िमला

िजस लड़क क िवषय म यह कथा पढ़ रह ह वह लड़का कौन होगा जानत हो

पणर गर कपा िमली पणर गर का जञान आसमल स हो गय साई आसाराम

अब तो समझ ही गय होग (उस लड़क क वश म छप हए थ पवर जनम क योगी और वतरमान म िव िव यात हमार

पजयपाद सदगरदव ौी आसाराम जी महाराज)

(अनबम)

िवकास क बिरयो स सावधान किपलवःत क राजा श ोदन का यवराज था िस ाथर यौवन म कदम रखत ही िववक

और वरा य जाग उठा यवान प ी यशोधरा और नवजात िशश राहल की मोह-ममता की रशमी जजीर काटकर महाभीिनबमण (गहतयाग) िकया एकानत अर य म जाकर गहन धयान साधना करक अपन साधय त व को ा कर िलया

एकानत म तप यार और धयान साधना स िखल हए इस आधयाितमक कसम की मधर

सौरभ लोगो म फलन लगी अब िस ाथर भगवान ब क नाम स जन-समह म िस हए हजारो हजारो लोग उनक उपिद मागर पर चलन लग और अपनी अपनी यो यता क मतािबक आधयाितमक याऽा म आग बढ़त हए आितमक शाित ा करन लग अस य लोग बौ िभकषक बनकर भगवान ब क सािननधय म रहन लग उनक पीछ चलन वाल अनयायीओ का एक सघ ःथािपत हो गया चह ओर नाद गजन लग िकः

ब शरण गचछािम धमम शरण गचछािम सघ शरण गचछािम

ौावःती नगरी म भगवान ब का बहत यश फला लोगो म उनकी जय-जयकार होन लगी लोगो की भीड़-भाड़ स िवर होकर ब नगर स बाहर जतवन म आम क बगीच म रहन लग नगर क िपपास जन बड़ी तादाद म वहा हररोज िनि त समय पर पहच जात और उपदश-वचन सनत बड़-बड़ राजा महाराजा भगवान ब क सािननधय म आन जान लग

समाज म तो हर कार क लोग होत ह अनािद काल स दवी समपदा क लोग एव आसरी समपदा क लोग हआ करत ह ब का फलता हआ यश दखकर उनका तजो ष करन वाल लोग जलन लग सतो क साथ हमशा स होता आ रहा ह ऐस उन द त वो न ब को बदनाम करन क िलए कचार िकया िविभनन कार की यि -यि या लड़ाकर ब क यश को हािन पहच ऐसी बात समाज म व लोग फलान लग उन द ो न अपन ष यऽ म एक वया को समझा-बझाकर शािमल कर िलया

वया बन-ठनकर जतवन म भगवान ब क िनवास-ःथानवाल बगीच म जान लगी

धनरािश क साथ द ो का हर कार स सहारा एव ोतसाहन उस िमल रहा था रािऽ को वही रहकर सबह नगर म वािपस लोट आती अपनी सिखयो म भी उसन बात फलाई

लोग उसस पछन लगः अरी आजकल त िदखती नही ह कहा जा रही ह रोज रात को

म तो रोज रात को जतवन जाती ह व ब िदन म लोगो को उपदश दत ह और रािऽ क समय मर साथ रगरिलया मनात ह सारी रात वहा िबताकर सबह लोटती ह

वया न परा ीचिरऽ आजमाकर ष यऽ करन वालो का साथ िदया लोगो म पहल तो हलकी कानाफसी हई लिकन जयो-जयो बात फलती गई तयो-तयो लोगो म जोरदार िवरोध होन लगा लोग ब क नाम पर िफटकार बरसान लग ब क िभकषक बःती म िभकषा लन जात तो लोग उनह गािलया दन लग ब क सघ क लोग सवा-वि म सल न थ उन लोगो क सामन भी उगली उठाकर लोग बकवास करन लग

ब क िशय जरा असावधान रह थ कचार क समय साथ ही साथ स चार होता तो कचार का इतना भाव नही होता िशय अगर िनिबय रहकर सोचत रह जाय िक करगा सो भरगा भगवान उनका नाश करग तो कचार करन वालो को ख ला मदान िमल जाता ह

सत क सािननधय म आन वाल लोग ौ ाल सजजन सीध साद होत ह जबिक द वि करन वाल लोग किटलतापवरक कचार करन म कशल होत ह िफर भी िजन सतो क पीछ सजग समाज होता ह उन सतो क पीछ उठन वाल कचार क तफान समय पाकर शात हो जात ह और उनकी सतवि या काशमान हो उठती ह

कचार न इतना जोर पकड़ा िक ब क िनकटवत लोगो न ऽािहमाम पकार िलया व समझ गय िक यह वयविःथत आयोजनपवरक ष यऽ िकया गया ह ब ःवय तो पारमािथरक सतय म जाग हए थ व बोलतः सब ठ क ह चलन दो वयवहािरक सतय म वाहवाही दख ली अब िननदा भी दख ल कया फकर पड़ता ह

िशय कहन लगः भनत अब सहा नही जाता सघ क िनकटवत भ भी अफवाहो क िशकार हो रह ह समाज क लोग अफवाहो की बातो को सतय मानन लग गय ह

ब ः धयर रखो हम पारमािथरक सतय म िवौाित पात ह यह िवरोध की आधी चली ह तो शात भी हो जाएगी समय पाकर सतय ही बाहर आयगा आिखर म लोग हम जानग और मानग

कछ लोगो न अगवानी का झ डा उठाया और राजयस ा क समकष जोर-शोर स माग की

िक ब की जाच करवाई जाय लोग बात कर रह ह और वया भी कहती ह िक ब रािऽ को मर साथ होत ह और िदन म सतसग करत ह

ब क बार म जाच करन क िलए राजा न अपन आदिमयो को फरमान िदया अब ष यऽ करनवालो न सोचा िक इस जाच करन वाल पच म अगर सचचा आदमी आ जाएगा तो अफवाहो का सीना चीरकर सतय बाहर आ जाएगा अतः उनहोन अपन ष यऽ को आिखरी

पराका ा पर पहचाया अब ऐस ठोस सबत खड़ा करना चािहए िक ब की ितभा का अःत हो जाय

उनहोन वया को दार िपलाकर जतवन भज िदया पीछ स ग डो की टोली वहा गई वया पर बलातकार आिद सब द कतय करक उसका गला घोट िदया और लाश को ब क बगीच म गाड़कर पलायन हो गय

लोगो न राजयस ा क ार खटखटाय थ लिकन स ावाल भी कछ लोग द ो क साथ जड़ हए थ ऐसा थोड़ ही ह िक स ा म बठ हए सब लोग दध म धोय हए वयि होत ह

राजा क अिधकािरयो क ारा जाच करन पर वया की लाश हाथ लगी अब द ो न जोर-शोर स िच लाना शर कर िदया

दखो हम पहल ही कह रह थ वया भी बोल रही थी लिकन तम भगतड़ लोग मानत ही नही थ अब दख िलया न ब न सही बात खल जान क भय स वया को मरवाकर बगीच म गड़वा िदया न रहगा बास न बजगी बासरी लिकन सतय कहा तक िछप सकता ह म ामाल हाथ लग गया इस ठोस सबत स ब की असिलयत िस हो गई सतय बाहर आ गया

लिकन उन मख का पता नही िक तमहारा बनाया हआ कि पत सतय बाहर आया वाःतिवक सतय तो आज ढाई हजार वषर क बाद भी वसा ही चमक रहा ह आज ब को लाखो लोग जानत ह आदरपवरक मानत ह उनका तजो ष करन वाल द लोग कौन-स नरको म जलत होग कया पता

ढाई हजार वषर पहल ब क जमान म भी सतो क साथ ऐसा घोर अनयाय हआ करता था ऋिष दयाननद को भी ऐस ही त वो न तजो ष क कारण बाईस बार िवष दकर मार डालन का यास िकया ःवामी िववकाननद और ःवामी रामतीथर क पीछ भी द लोगो न वया को तयार करक कीचड़ उछाला था

एक ओर लाखो-लाखो लोग सतो की अनभवय वाणी स अपना वयावहािरक ETH आधयाितमक जीवन उननत करक सख-शाित पात ह दसरी ओर कछ द कित क ःवाथ लोग अपना उ ल सीधा करन क िलए ऐस महापरषो क िवर म ष यऽ रचकर उनको बदनाम करत ह यह तो पहल स चला आ रहा ह सत कबीर हो या नानक एकनाथ महाराज हो या सत तकाराम नरिसह महता हो या मीराबाई ायः सभी सतो को अपन जीवन क दौरान समाज क किटल त वो स पाला पड़ता ही रहा ह जीसस बाइःट को इनही त वो न बॉस पर चढ़ाया था उनही लोगो न सकरात को जहर िपलाकर मतयद ड िदया था मनसर को इसी जमात न शली पर चढ़ाया था ईसाई धमर म माट न यथर पर ज म िकया गया था अण-अण म ई र और नारीमाऽ म जगजजननी भगवती का दशरन करन वाल रामकण परमहस को भी लोगो न नही

छोड़ा था परमहस योगाननद रवीनिनाथ टगोर माट न यथर दिकषण भारत क सत ितरव लवर जापानी झन सत बाबो इितहास म िकतन-िकतन उदाहरण मौजद ह

हािसद धमरगर बा शमटोव अित पिवऽ आतमा थ िननदको न उनक इदरिगदर भी मायाजाल िबछा दी थी िसध क साई टउराम क पास अस य लोग आतमक याण हत जान लग तब िवकत िदमागवालो न उन सत को भी ऽास दना शर कर िदया उनक आौम क चह ओर गदगी डाल दत और कए म िम टी का तल उड़लकर पानी बकार कर दत मगल बादशाह बाबर को बहका कर उनही लोगो न गर नानक को कद करवाया था

भगवान ौीराम एव ौीकण को भी द जनो न छोड़ा नही था भगवान ौीराम क गर विश जी महाराज कहत हः

ह राम जी म जब बाजार स गजरता ह तब अजञानी मखर लोग मर िलए कया बकत ह म सब जानता ह लिकन मरा दयाल ःवभाव ह म इन सबका क याण चाहता ह

तमहार साथ यह ससार कछ अनयाय करता ह तमको बदनाम करता ह िननदा करता ह तो यह ससार की परानी रीत ह मनय की हीनवि कचार िननदाखोरी यह आजकल की ही बात नही ह अनािदकाल स ऐसा होता आया ह तम अपन आतमजञान क सःकार जगाकर आतमबल का िवकास करत जाओ मःकरात जाओ आधी तफानो को लाघकर आननदपवरक जीत जाओ

उस जमान म भगवान ब क पास आकर एक िभकषक न ाथरना कीः भनत मझ आजञा द म सभाए भरगा आपक िवचारो का चार करगा

मर िवचारो का चार

हा भगवन म बौ धमर फलाऊगा

लोग तरी िननदा करग गािलया दग

कोई हजर नही म भगवन को धनयवाद दगा िक य लोग िकतन अचछ ह य कवल श दहार करत ह मझ पीटत तो नही

लोग तझ पीटग भी तो कया करोग

भो म शब गजारगा िक य लोग हाथो स पीटत ह पतथर तो नही मारत

लोग पतथर भी मारग और िसर भी फोड़ दग तो कया करगा

िफर भी म आ ःत रहगा और भगवान का िदवय कायर करता रहगा कयोिक व लोग मरा िसर फोड़ग लिकन ाण तो नही लग

लोग जनन म आकर तझ मार दग तो कया करगा

भनत आपक िदवय िवचारो का चार करत-करत म मर भी गया तो समझगा िक मरा जीवन सफल हो गया

उस कतिन यी िभकषक की दढ़ िन ा दखकर भगवान ब सनन हो उठ उस पर उनकी करणा बरस पड़ी

ऐस िशय जब ब का चार करन िनकल पड़ तब कचार करन वाल धीर-धीर शात हो गय मनयो की उगिलया काट-काटकर माला बनाकर पहनन वाला अगिलमाल जसा बर हतयारा भी दयपिरवतरन पाकर ब की शरण म िभकषक होकर रहन लगा

आज हम ब को बहत आदर स जानत ह मानत ह उनक जीवनकाल क दौरान उनक पीछ लग हए द लोग कौन स नरक म सड़त होग रौरव नरक म या कभीपाक नरक म कौन-सी योिनयो म भटकत होग सअर बन होग िक नाली क कीड़ बन होग शतान बन होग िक राकषस बन होग मझ पता नही लिकन ब तो करोड़ो दयो म बस रह ह यह म मानता ह

सतय तो परमाथर ह आतमा ह परमातमा ह उसम िजतना िटकोग उतना तमहारा मगल होगा तमहारी िनगाह िजन पर पड़गी उनका भी मगल होगा

(अनबम)

कछ जानन यो य बात सय दय स पवर उठकर ःनान कर लना चािहए ातः खाली पट मटक का बासी पानी

पीना ःवाःथयद ह तलसी क प सय दय क प ात ही तोड़ दध म तलसी क प नही डालन चािहए तथा

दध क साथ खान भी नही चािहए तलसी क प खाकर थोड़ा पानी पीना िपय जलनित स पिह सौ कार क लाभ होत ह अपन मिःतक म एक कार का िवजाितय

िवय उतपनन होता ह यिद वह िवय वही अटक जाता ह तो बचपन म ही बाल सफद होन लगत ह इसस नजल की बीमारी भी होती ह यिद वह िवय नाक की तरफ आता ह तो सगनध-दगरनध का पता नही चल पाता और ज दी-ज दी जकाम हो जाता ह यिद वह िवय कान की तरफ आता ह तो कान बहर होन लगत ह और छोट-मोट ब ीस रोग हो सकत ह यिद वह िवय दात की तरफ आय तो दात छोटी उ म ही िगरन लगत ह यिद आख की तरफ वह िवय उतर तो चम लगन लगत ह जलनित यािन नाक स पानी खीचकर मह स िनकाल दन स वह िवय िनकल जाता ह गल क ऊपर क ायः सभी रोगो स मि िमल जाती ह

आईसबीम खान क बाद चाय पीना दातो क िलए अतयािधक हािनकारक होता ह

भोजन को पीना चािहए तथा पानी को खाना चािहए इसका मतलब यह ह िक भोजन को इतना चबाओ िक वह पानी की तरह पतला हो जाय और पानी अथवा अनय पय पदाथ को धीर-धीर िपयो

िकसी भी कार का पय पदाथर पीना हो तो दाया नथना बनद करक िपय इसस वह अमत जसा हो जाता ह यिद दाया ःवर(नथना) चाल हो और पानी आिद िपय तो जीवनशि (ओज) पतली होन लगती ह चयर की रकषा क िलए शरीर को तनदरःत रखन क िलए यह योग करना चािहए

तम चाह िकतनी भी महनत करो िकनत िजतना तमहारी नसो म ओज ह चयर की शि ह उतन ही तम सफल होत हो जो चाय-कॉफी आिद पीत ह उनका ओज पतला होकर पशाब ारा न होता जाता ह अतः चयर की रकषा क िलए चाय-कॉफी जस वयसनो स दर रहना रह

पढ़न क बाद थोड़ी दर शात हो जाना चािहए जो पढ़ा ह उसका मनन करो िशकषक ःकल म जब पढ़ात हो तब धयान स सनो उस व मःती-मजाक नही करना चािहए िवनोद-मःती कम स कम करो और समझन की कोिशश अिधक करो

जो सय दय क पवर नही उठता उसक ःवभाव म तमस छा जाता ह जो सय दय क पवर उठता ह उसकी बि शि बढ़ती ह

नीद म स उठकर तरत भगवान का धयान करो आतमःनान करो धयान म रिच नही होती तो समझना चािहए िक मन म दोष ह उनह िनकालन क िलए कया करना चािहए

मन को िनद ष बनान क िलए सबह-शाम माता-िपता को णाम करना चािहए गरजनो को णाम करना चािहए एव भगवान क नाम का जप करना चािहए भगवान स ाथरना करनी चािहए िक ह भगवान ह मर भ मरी धयान म रिच होन लग ऐसी कपा कर दो िकसी समय गद िवचार िनकल आय तो समझना चािहए िक अदर छप हए िवचार िनकल रह ह अतः खश होना चािहए िवचार आया और गया मर राम तो दय म ही ह ऐसी भावना करनी चािहए

िनदा करना तो अचछा नही ह िकनत िनदा सनना भी उिचत नही (अनबम)

शयन की रीत मनय को िकस ढग स सोना चािहए इसका भी तरीका होता ह सोत व पवर अथवा

दिकषण िदशा की ओर िसर करक ही सोना चािहए

भोजन करन क बाद िदन म दस िमनट आराम कर िकनत सोय नही भोजन क बाद दस िमनट बायी करवट लट सकत ह रािऽ को जागरण िकया हो इस कारण स कभी िदन म सोना पड़ वह अलग बात ह

सोत व नीच कोई गमर कबल आिद िबछाकर सोय तािक आपकी जीवनशि अिथग न हो जाय आपक शरीर की िव तशि भिम म न उतर जाय

(अनबम)

ःनान का तरीका शरीर की मजबती एव आरो यता क िलए रगड़-रगड़कर ःनान करना चािहए जो लोग

ठड दशो म रहत ह उनका ःवाःथय गमर दस क लोगो की अपकषा अचछा होता ह ठडी स अपना शरीर सधरता ह

ःनान करत व 12-15 िलटर पानी बा टी म लकर पहल उसम िसर डबाना चािहए िफर पर िभगोना चािहए पहल पर गील नही करन चािहए शरीर की गम ऊपर की ओर चढ़ती ह जो ःवाःथय क िलए हािनकारक होती ह

अतः पहल ठड पानी की बा टी भर ल िफर मह म पानी भरकर िसर को बा टी म डाल और आख पटपटाए इसस आखो की शि बढ़ती ह शरीर को रगड़-रगड़कर नहाए बाद म गील व स शरीर को रगड़-रगड़कर पोछ िजसस रोम कप का सारा मल बाहर िनकल जाय और रोमकप(तवचा क िछि) खल जायय तवचा क िछि बद रहन स ही तवचा की कई बीमािरया होती ह िफर सख कपड़ स शरीर को पोछ कर (अथवा थोड़ा गीला हो तब भी चल) सख साफ व पहन ल व भल साद हो िकनत साफ हो बासी कपड़ नही पहन हमशा धल हए कपड़ ही पहन इसस मन भी सनन रहता ह

पाच कार क ःनान होत हः ःनान दवःनान ऋिषःनान मानवःनान दानवःनान ःनानः -परमातमा का िचतन करक जल थल नहान वाला

ऐसा िचतन करक ा महतर म नहाना इस ःनान कहत ह दवःनानः दवनिदयो म ःनान या दवनिदयो का ःमरण करक सय दय स पवर नहाना यह

दवःनान ह ऋिषःनानः आकाश म तार िदखत हो और नहा ल यह ऋिषःनान ह ऋिषःनान करन

वाल की बि बड़ी तजःवी होती ह मानवःनानः सय दय क पवर का ःनान मानवःनान ह

दानवःनानः सय दय क प ात चाय पीकर नाता करक आठ नौ बज नहाना यह दानव ःनान ह

अतः हमशा ऋिषःनान करन का ही यास करना चािहए (अनबम)

ःवचछता का धयान यिद शरीर की सफाई रखी जाय तो मन भी सनन रहता ह आजकल अिधकतर लोग

श स ही मजन करत ह श की अपकषा नीम और बबल की दातौन जयादा अचछ होती ह और यिद श भी कर तो कभी-कभार श को गमर पानी स धोना चािहए अनयथा उसम बकटिरया(जीवाण) रह जात ह

िकतन ही लोग उगली स दात साफ करत ह तजरनी (अगठ क पास वाली थम उगली) स दात िघसन स मसड़ कमजोर हो जात ह तथा दात ज दी िगर जात ह कयोिक तजरनी म िव तशि का माण दसरी उगिलयो की अपकषा अिधक होता ह अतः उसस दात नही िघसन चािहए एव आखो को भी नही मसलना चािहए

िजस िदशा स हवा आती हो उस िदशा की ओर मह करक कभी-भी मलमऽ का िवसजरन नही करना चािहए सयर और चनिमा की ओर मख करक भी मलमऽ का िवसजरन नही करना चािहए

(अनबम)

ःमरणशि का िवकास यादशि बढ़ान का एक सनदर योग ह ETH ामरी ाणायाम सखासन प ासन या

िस ासन पर बठ हाथ की कोहनी की ऊचाई कनध तक रह इस कार रखकर हाथ की थम उगली(तजरनी) स दोनो कानो को धीर-स बद कर एकदम जोर स बद न कर िकनत बाहर का कछ सनाई न द इस कार धीर स कान बनद कर

अब गहर ास लकर थोड़ी दर रोक ओठ बद रखकर जस मर का गजन होता ह वस ॐsssss कहत हए गजन कर उसक बाद थोड़ी दर तक ास न ल पनः यही िबया दहराय ऐसा सबह एव शाम 8 स 10 बार कर यादशि बढ़ान का यह यौिगक योग ह इसस मिःतक की नािड़यो का शोधन होकर मिःतक म र सचार उिचत ढग स होता ह

और िवचार करन स भी बि शि का िवकास होता ह

सबह खाली पट तलसी क प एकाध काली िमचर चबाकर एक िगलास पानी पीन स भी ःमरणशि का िवकास होता ह रोग-ितकारक शि बढ़ती ह कनसर की बीमारी कभी नही होती जलदर-भगदर की बीमारी भी कभी नही होती

(अनबम)

वयि तव और वयवहार िकसी भी वयि तव का पता उसक वयवहार स ही चलता ह कई लोग वयथर च ा करत

ह एक होती ह सकाम च ा दसरी होती ह िनकाम च ा और तीसरी होती ह वयथर च ा वयथर च ा नही करनी चािहए िकसी क शरीर म कोई कमी हो तो उसका मजाक नही उड़ाना चािहए वरन उस मददरप बनना चािहए यह िनकाम सवा ह

िकसी की भी िनदा नही करनी चािहए िनदा करन वाला वयि िजसकी िनदा करता ह उसका तो इतना अिहत नही होता िजतना वह अपना अिहत करता ह जो दसरो की सवा करता ह दसरो क अनकल होता ह वह दसरो का िजतना िहत करता ह उसकी अपकषा उसका खद का िहत जयादा होता ह

अपन स जो उ स बड़ हो जञान म बड़ हो तप म बड़ हो उनका आदर करना चािहए िजस मनय क साथ बात करत हो वह मनय कौन ह यह जानकर बात करो तो आप वयवहार-कशल कहलाओग

िकसी को पऽ िलखत हो तो यिद अपन स बड़ हो तो ौी सबोधन करक िलखो सबोधन करन स सवाकयो की रचना स िश ता बढ़ती ह िकसी स बात करो तो सबोधन करक बात करो जो तकार स बात करता ह वह अिश कहलाता ह िश तापवरक बात करन स अपनी इजजत बढ़ती ह

िजसक जीवन म वयवहार-कशलता ह वह सभी कषऽो म सफल होता ह िजसम िवनता ह वही सब कछ सीख सकता ह िवनता िव ा बढ़ाती ह िजसक जीवन म िवनता नही ह समझो उसक सब काम अधर रह गय और जो समझता ह िक म सब कछ जानता ह वह वाःतव म कछ नही जानता

एक िचऽकार अपन गरदव क सममख एक सनदर िचऽ बनाकर लाया गर न िचऽ दखकर कहाः

वाह वाह सनदर ह अदभत ह

िशय बोलाः गरदव इसम कोई ऽिट रह गयी हो तो कपा करक बताइए इसीिलए म आपक चरणो म आया ह

गरः कोई ऽिट नही ह मझस भी जयादा अचछा बनाया ह

वह िशय रोन लगा उस रोता दखकर गर न पछाः तम कयो रो रह हो म तो तमहारी शसा कर रहा ह

िशयः गरदव मरी घड़ाई करन वाल आप भी यिद मरी शसा ही करग तो मझ मरी गि तया कौन बतायगा मरी गित कस होगी

यह सनकर गर अतयत सनन हो गय हमन िजतना जाना िजतना सीखा ह वह तो ठ क ह उसस जयादा जान सक सीख सक

ऐसा हमारा यास होना चािहए रामकण परमहस व हो गय थ िकसी न उनस पछाः बाबा जी आपन सब कछ जान

िलया ह

रामकण परमहसः नही म जब तक जीऊगा तब तक िव ाथ ही रहगा मझ अभी बहत कछ सीखना बाकी ह

िजनक पास सीखन को िमल उनस िवनतापवरक सीखना चािहए जो कछ सीखो सावधानीपवरक सीखो जीवन म िवनोद जररी ह िकनत िवनोद की अित न हो िजस समय पढ़त हो कछ सीखत हो कछ करत हो उस समय मःती नही िवनोद नही वरन जो कछ पढ़ो सीखो या करो उस उतसाह स धयान स और सावधानी स करो

पढ़न स पवर थोड़ धयानःथ हो जाओ पढ़न क बाद मौन हो जाओ यह गित की चाबी ह

माता-िपता स िचढ़ना नही चाह िजस मा-बाप न जनम िदया ह उनकी बातो को समझना चािहए अपन िलए उनक मन म िवशष दया हो िवशष म उतपनन हो ऐसा वयवहार करना चािहए

भल जाओ भल सब कछ माता-िपता को भलना नही अनिगनत उपकार ह उनक यह कभी िबसरना नही

माता-िपता को सतोष हो उनका दय सनन हो ऐसा हमारा वयवहार होना चािहए अपन माता-िपता एव गरजनो को सत रखकर ही हम सचची गित कर सकत ह

(अनबम)

  • पजय बाप जी का उदबोधन
  • कदम अपना आग बढाता चला जा
  • त गलाब होकर महक
  • जीवन विकास का मल सयम
  • तरिकाल सधया
  • शरीर सवासथय
  • अनन का परभाव
  • भारतीय ससकति की महानता
  • हरिदास की हरिभकति
  • बनावटी शरगार स बचो
  • साहसी बालक
  • गर-आजञापालन का चमतकार
  • अनोखी गरदकषिणा
  • सतसग की महिमा
  • पीड पराई जान र
  • विकास क बरियो स सावधान
  • कछ जानन योगय बात
  • शयन की रीत
  • सनान का तरीका
  • सवचछता का धयान
  • समरणशकति का विकास
  • वयकतितव और वयवहार
Page 21: Tu gulabhokarmehak

काज़ी न षडयऽ करक उस पर कस िकया और फरमान जारी िकया िक हिरदास को बत मारत-मारत बीच बाजार स ल जाकर यमना म डाल िदया जाय

िनभ क हिरदास न बत की मार खाना ःवीकार िकया िकनत हिरभि छोड़ना ःवीकार न िकया िनि त िदन हिरदास को बत मारत हए ल जाया जान लगा िसपाही बत मारता ह तो हिरदास बोलता हः हिर बोल

हमको हिर बोल बलवाता ह य ल हिर बोल हिर बोल (सटाकसटाक) िसपाही बोलत हः हम तझ बत मारत ह तो कया तझ पीड़ा नही होती त हमस भी हिर

बोल हिर बोल करवाना चाहता ह

हिरदासः पीड़ा तो शरीर को होती ह म तो आतमा ह मझ तो पीड़ा नही होती तम भी यार स एक बार हिर बोल कहो

िसपाहीः ह हम भी हिर बोल कह हमस हिर बोल बलवाता ह ल य हिर बोल (सटाक)

हिरदास सोचता ह िक बत मारत हए भी तो य लोग हिर बोल कह रह ह चलो इनका क याण होगा िसपाही बत मारत जात ह सटाक सटाक और हिरदास हिर बोल बोलता भी जाता ह बलवाता भी जाता ह हिरदास को कई बत पड़न पर भी उसक चहर पर दःख की रखा तक नही िखचती

हवालदार पछता हः हिरदास तझ बत पड़न क बावजद भी तरी आखो म चमक ह चहर पर धयर शाित और सननता झलक रही ह कया बात ह

हिरदासः म बोलता ह हिर बोल तब िसपाही ब होकर भी कहत हः ह हमस भी बलवाता ह हिर बोल हिर बोल हिर बोल तो ल इस बहान भी उनक मह स हिरनाम िनकलता ह दर सवर उनका भी क याण होगा इसी स मर िच म सननता ह

धनय ह हिरदास की हिरभि बर काज़ी क आदश का पालन करत हए िसपाही उस हिरभि स िहनद धमर की दीकषा स चयत करन क िलए बत मारत ह िफर भी वह िनडर हिरभि नही छोड़ता हिर बोल बोलना बद नही करता

व मसलमान िसपाही हिरदास को िहनद धमर की दीकषा क भाव स गौरा क भाव स दर हटाना चाहत थ लिकन वह दर नही हटा बत सहता रहा िकनत हिर बोल बोलना न छोड़ा आिखरकार उन बर िसपाहीयो न हिरदास को उठाकर नदी म बहा िदया

नदी म तो बहा िदया लिकन दखो हिरनाम का भाव मानो यमनाजी न उसको गोद म ल िलया डढ़ मील तक हिरदास पानी म बहता रहा वह शातिच होकर मानो उस पानी म नही हिर की कपा म बहता हआ दर िकसी गाव क िकनार िनकला दसर िदन गौराग की भातफरी म शािमल हो गया लोग आ यरचिकत हो गय िक चमतकार कस हआ

धनय ह वह मसलमान यवक हिरदास जो हिर क धयान म हिर क गान म हिर क कीतरन म गौराग क साथ रहा जस िववकाननद क साथ भिगनी िनविदता न भारत म अधयातम-धणर क चार म लगकर अपना नाम अमर कर िदया वस ही इस मसलमान यवक न हिरकीतरन म हिरधयान म अपना जीवन धनय कर िदया दजरन लोग हिरदास का बाल तक न बाका कर सक जो सचच दय स भगवान का हो जाता ह उसकी हजारो शऽ िमलकर भी कछ हािन नही कर सकत तो उस काज़ी की कया ताकत थी

लोगो न जाकर काज़ी स कहा िक आज हिरदास पनः गौराग की भातफरी म उपिःथत हो गया था काजी अतयनत अहकारी था उसन एक नोिटस भजा एक आदश चतनय महाभ (गौराग) को भजा िक कल स तम भातफरी नही िनकाल सकत तमहारी भातफरी पर बिदश लगाई जाती ह

गौराग न सोचा िक हम िकसी का बरा नही करत िकसी को कोई हािन नही पहचात अर वायम डल क दषण को दर करन क िलए तो शासन पस खचर करता ह िकनत िवचारो क दषण को दर करन क िलए हिरकीतरन जसा हिरभि जसा अमोघ उपाय कौन सा ह भल काजी और शासन की समझ म आय या न आय वातावरण को श करन क साथ-साथ िवचारो का दषण भी दर होना चािहए हम तो कीतरन करग और करवायग

जो लोग डरपोक थ भीर और कायर थ ढील-ढाल थ व बोलः बाबा जी रहन दो रहन दो अपना कया जो करग व भरग अपन तो घर म ही रहकर हिर ॐ हिर ॐ करग

गौराग न कहाः नही इस कार कायरो जसी बात करना ह तो हमार पास मत आया करो

दसर िदन जो डरपोक थ ऐस पाच-दस वयि नही आय बाकी क िहममतवाल िजतन थ व सब आय उनह दखकर और लोग भी जड़

गौराग बोलः आज हमारी भातफरी की पणारहित काजी क घर पर ही होगी

गौराग भ -म डली क साथ कीतरन करत-करत जब बाजार स गज़र तो कछ िहनद एव मसलमान भी कीतरन म जड़ गय उनको भी कीतरन म रस आन लगा व लोग काजी को गािलया दन लग िक काजी बदमाश ह ऐसा ह वसा ह आिद ETH आिद

तब गौराग कहत हः नही शऽ क िलए भी बरा मत सोचो

उनहोन सबको समझा िदया िक काजी क िलए कोई भी अपश द नही कहगा कसी महान ह हमारी िहनद सःकित िजसन हिरदास को बत मारन का आदश िदया उस कवल अपश द कहन क िलए भी गौराग मना कर रह ह इस भारती सःकित म िकतनी उदारता ह स दयता ह लिकन कायरता को कही भी ःथान नही ह

गौराग कीतरन करत-करत काजी क घर क िनकट पहच गय काजी घर की छत पर स इस भातफरी को दखकर दग रह गया िक मर मना करन पर भी इनहोन भातफरी िनकाली

और मर घर तक ल आय उसम मसलमान लड़क भी शािमल ह जयो ही वह भातफरी काजी क घर पहची काजी घर क अनदर िछप गया

गौराग न काजी का ार खटखटाया तब काजी या काजी की प ी न नही वरन चौकीदार न दरवाजा खोला वह बोलाः

काजी साहब घर पर नही ह

गौराग बोलः नही कस ह अभी तो हमन उनह घर की छत पर दखा था काजी को जाकर बोलो हमार मामा और मा भी िजस गाव की ह आप भी उसी गाव क हो इसिलए आप मर गाव क मामा लगत ह मामाजी भानजा ार पर आय और आप छप कर बठ यह शोभा नही दता बाहर आ जाईय

चौकीदार न जाकर काजी को सब कह सनाया गौराग क मभर वचन सनकर काजी का दय िपघल गया िजस पर मन ज म ढाय वह मझ मामा कहकर सबोिधत करता ह िजसक साथ मन बरता की वह मर साथ िकतना औदायर रखता ह यह सोचकर काजी का दय बदल गया वह ार पर आकर बोलाः

म तमस डरकर अनदर नही छपा कयोिक मर पास तो स ा ह कलम की ताकत ह लिकन हिरकीतरन स हिरनाम स िहनद तो कया मसलमान लड़क भी आनिदत हो रह ह उनका भी लह पिवऽ हो रहा ह यह दखकर मझ दःख हो रहा ह िक िजस नाम क उचचारण स उनकी रग-रग पावन हो रही ह उसी नाम क कारण मन हिरदास पर और तम पर ज म िकया िकसी क बहकाव म आकर तम लोगो पर फरमान जारी िकया अब म िकस मह स तमहार सामन आता इसीिलए म मह िछपाकर घर क अनदर घस गया था

भानजा(गौराग) बोलता हः मामा अब तो बाहर आ जाइय

मामा(काजी) बोलाः बाहर आकर कया कर

गौरागः कीतरन कर हिरनाम क उचचारण स छपी हई यो यता िवकिसत कर आनद गट कर

काजीः कया करना होगा

गौरागः म जसा बोलता ह ऐसा ही बोलना होगा बोिलएः हिर बोल हिर बोल

काजीः हिर बोल हिर बोल

गौरागः हिर बोल हिर बोल

काजीः हिर बोल हिर बोल

हिर बोल हिर बोल हिर बोल हिर बोल

हिर बोल हिर बोल हिर बोल हिर बोल

कीतरन करत-करत गौराग न अपनी िनगाहो स काजी पर कपा बरसाई तो काजी भी झमन लगा उस भी हिर बोल का रग लग गया जस इजन को ह डल दकर छोड़ दत ह तब भी इजन चलता रहता ह ऐस ही गौराग की कपादि स काजी भी झमन लगा

काजी क झमन स वातावरण म और भी रग आ गया काजी तो झम गया काजी की प ी भी झमी और चौकीदार भी झम उठा सब हिरकीतरन म झमत-झमत अपन र को पावन करन लग दय को हिररस स सराबोर करन लगा उनक जनम-जनम क पाप-ताप न होन लग िजस पर भगवान की दया होती ह िजसको साधओ का सग िमलता ह सतसग का सहारा िमलता ह और भारतीय सःकित की महानता को समझन की अकल िमलती ह िफर उसक उ ार म कया बाकी रह जाता ह काजी का तो उ ार हो गया

दखो सत की उदारता एव महानता िजसन िहनदओ पर ज म करवाय भ हिरदास को बत मरवात-मरवात यमना जी म डलवा िदया भातफरी पर ितबध लगवा िदया उसी काजी को गौराग न हिररग म रग िदया अपनी कपादि स िनहाल कर िदया उसक बर कम की धयान न दत हए भि का दान द िदया ऐस गौराग क ौीचरणो म हमार हजार-हजार णाम ह हम उस मसलमान यवक हिरदास को भी धनयवाद दत ह िक उसन बत खात पीड़ा सहत भी भि न छोड़ी गरदव को न छोड़ा न ही उनक दबाव म आकर पनः मसलमान बना हिर बोल क रग म ःवय रगा और िसपािहयो को भी रग िदया धनय ह हिरदास और उसकी हिरभि

(अनबम)

बनावटी ौगार स बचो जमरनी क िस दाशरिनक शोपनहार कहत ह िक िजन दशो म हिथयार बनाय जात ह

उन दशो क लोगो को य करन की उ जना होती ह और उन दशो म हिथयार बनत ही रहत ह य भी होत रहत ह ऐस ही जो लोग फशन करत ह उनक दय म काम बोध लोभ मोह रपी य होता ही रहता ह उनक जीवन म िवलािसता आती ह और पतन होता ह वस ही फशन और िवलािसता स सयम सदाचार और यो यता का सहार होता ह

इसिलए य क साधन बढ़न स जस य होता ह वस ही िवलािसता और फशन क साधनो का उपयोग करन स अतयर होता ह अपनी आितमक शि यो का सहार होता ह अतः अपना भला चाहन वाल भाई-बहनो को पफ-पाउडर िलपिःटक-लाली व -अलकार क िदखाव क पीछ नही पड़ना चािहए सयम सादगी एव पिवऽतापणर जीवन जीना चािहए

अपन शा ो म ौगार की अनमित दी गई ह सौभा यवती ि या जब पित अपन ही नगर म हो घर म हो तब ौगार कर पित यिद दर दश गया हो तब सौभा यवित ि यो को भी सादगीपणर जीवन जीना चािहए ौगार क उपयोग म आनवाली वःतए भी वनिःपतयो एव साि वक रसो स बनी हई होनी चािहए जो सननता और आरो यता दान कर

आजकल तो शरीर म उ जना पदा कर बीमािरया पदा कर ऐस किमक स(रसायनो) और जहर जस साधनो स ौगार-साधन बनाए जात ह िजसस शरीर क अनदर जहरील कण जात ह और तवचा की बीमािरया होती ह आहार म भी जहरील कणो क जान स पाचन-तऽ और मानिसक सतलन िबगड़ता ह साथ ही बौि क एव वचािरक सतलन भी िबगड़ता ह

पशओ की चब किमक स और दसर थोड़ जहरील िवयो स बन पफ-पाउडर िलपिःटक-लाली आिद िजन साधनो का यटी-पालरर म उपयोग िकया जाता ह वसी गदगी कभी-भी अपन शरीर को तो लगानी ही नही चािहए दसर लोगो न लगायी हो तो दखकर सनन भी नही होना चािहए अपन सयम और सदाचार की सनदरता को गट करना चािहए मीरा और शबरी िकस यटी-पालरर म गय थ सती अनसया गाग और मदालसा न िकस पफ-पाउडर लाली-िलपिःटक का उपयोग िकया था िफर भी उनका जीवन सनदर तजःवी था हम भी ई र स ाथरना कर िक ह भगवान हम अपना सयम और साधना का सौनदयर बढ़ाए ऐसी त दया करना िवकारी सौनदयर स अपन को बचाकर िनिवरकारी नारायण की ओर जाय ऐसी त दया करना िवलािसता म अपन समय को न लगाकर तर ही धयान-िचतन म हमारा समय बीत ऐसी त कपा करना

किऽम सौनदयर-साधन स तवचा की िःन धता और कोमलता मर जाती ह पफ-पाउडर बीम आिद स शरीर की कदरती िःन धता खतम हो जाती ह ाकितक सौनदयर को न करक

जो किऽम सौनदयर क गलाम बनत ह उनस ःनहभरी सलाह ह िक व पफ-पाउडर आिद और तड़कील-भड़कील व आिद की गलामी को छोड़कर ाकितक सौनदयर को बढ़ान की कोिशश कर मीरा और मदालसा की तरह अपन असली सौनदयर को कट करन की कोिशश कर

(अनबम)

साहसी बालक एक लड़का काशी म हिर नि हाईःकल म पढ़ता था उसका गाव काशी स आठ मील दर

था वह रोजाना वहा स पदल चलकर आता बीच म जो गगा नदी बहती ह उस पार करक िव ालय पहचता

उस जमान म गगा पार करन क िलए नाव वाल को दो पस दन पड़त थ दो पस आन क और दो पस जान क कल चार पस यािन पराना एक आना महीन म करीब दो रपय हए जब सोन क एक तोल का भाव रपया सौ स भी नीच था तब क दो रपय आज क तो पाच-पचचीस रपय हो जाए

उस लड़क न अपन मा-बाप पर अितिर बोझा न पड़ इसिलए एक भी पस की माग नही की उसन तरना सीख िलया गम हो बािरश हो या ठ ड हो गगा पार करक हाईःकल म जाना उसका बम हो गया इस कार िकतन ही महीन गजर गय

एक बार पौष मास की ठ ड म वह लड़का सबह की ःकल भरन क िलए गगा म कदा तरत-तरत मझधार म आया एक नाव म कछ याऽी नदी पार कर रह थ उनहोन दखा िक छोटा-सा लड़का अभी डब मरगा व उसक पास नाव ल गय और हाथ पकड़ कर उस नाव म खीच िलया लड़क क मख पर घबराहट या िचनता की कोई रखा नही थी सब लोग दग रह गय इतना छोटा ह और इतना साहसी ह व बोलः

त अभी डब मरता तो ऐसा साहस नही करना चािहए

तब लड़का बोलाः साहस तो होना ही चािहए जीवन म िव न-बाधाए आयगी उनह कचलन क िलए साहस तो चािहए ही अगर अभी स साहस नही जटाया तो जीवन म बड़-बड़ कायर कस कर पायग

लोगो न पछाः इस समय तरन कयो िगरा दोपहर को नहान आता

लड़का बोलता हः म नहान क िलए नदी म नही िगरा ह म तो ःकल जा रहा ह

नाव म बठकर जाता

रोज क चार पस आन-जान क लगत ह मर गरीब मा-बाप पर मझ बोझा नही बनना ह मझ तो अपन परो पर खड़ होना ह मरा खचर बढ़ तो मर मा-बाप की िचनता बढ़ उनह घर चलाना मिकल हो जाय

लोग उस आदर स दखत ही रह गय वही साहसी लड़का आग चलकर भारत का धान मऽी बना

वह लड़का कौन था पता ह व थ लाल बहादर शा ी शा ी जी उस पद भी सचचाई साहस सरलता ईमानदारी सादगी दशम आिद सदगण और सदाचार क मितरमनत ःवरप थ ऐस महापरष भल िफर थोड़ा-सा समय ही राजय कर पर एक अनोखा भाव छोड़ जात ह जनमानस पर

(अनबम)

गर-आजञापालन का चमतकार ौीम आ ाशकराचायर जी जब काशी म िनवास करत थ तब गगा-तट पर िनतय ात-

काल टहलत थ एक सबह िकसी ितभासपनन यवक न दसर िकनार स दखा िक कोई सनयासी उस पार टहल रह ह उस यवक न दसर िकनार स ही उनह णाम िकया उस यवक को दखकर आ शकराचायर जी न सकत िकया िक इधर आ जाओ उस आभासमपनन यवक न दखा िक मन तो साध को णाम कर िदया ह णाम कर िदया तो म उनका िशय हो गया और उनहोन मझ आदश िदया िक इधर आ जाओ अब गर की आजञा का उ लघन करना भी तो उिचत नही ह िकनत यही कोई नाव नही ह और म तरना भी नही जानता ह अब कया कर उसक मन म िवचार आया िक वस भी तो हजारो बार हम मर चक ह एक बार यिद गर क दशरन क िलए जात-जात मर जाय तो घाटा कया होगा

गग मात की जय कह कर उस यवक न तो गगाजी म पर रख िदया उसकी इचछा कहो ौीम आ शकराचायर जी का भाव कहो या िनयित की लीला कहो जहा उस यवक न कदम रखा वहा एक कमल पदा हो गया उसक पर को थामन क िलए जब दसरा पर रखा तो वहा भी कमल पदा हो गया इस कार जहा-जहा वह कदम रखता गया वहा कमल (प ) उतपनन होता गया और वह यवक गगा क दसर तट पर जहा आ शकराचायर जी खड़ थ पहच गया

जहा-जहा वह कदम रखता था वहा-वहा प (कमल) क कट होन क कारण उसका नाम पड़ा - प पादाचायर शकराचायर जी क म य चार प टिशयो म आग जाकर यही प पादाचायर एक प टिशय बन

कहन का तातपयर यह ह िक सिचचदानद परमातमा की शि का सामथयर का बयान करना सभव नही ह िजसकी िजतनी दढ़ता ह िजसकी िजतनी सचचाई ह िजसकी िजतनी ततपरता ह उतनी ही कित भी उसकी मदद करन को आतर रहती ह प पादाचायर की गर-आजञापालन म दढ़ता और ततपरता को दखकर गगा जी म कमल गट हो गय िशय यिद दढ़ता ततपरता और ईमानदारी स गर-आजञापालन म लग जाय तो कित भी उसक अनकल हो जाती ह

(अनबम)

अनोखी गरदिकषणा एकलवय गर िोणाचायर क पास आकर बोलाः मझ धनिवर ा िसखान की कपा कर

गरदव गर िोणाचायर क समकष धमरसकट उतपनन हआ कयोिक उनहोन भीम िपतामह को वचन

द िदया था िक कवल राजकमारो को ही म िशकषा दगा एकलवय राजकमार नही ह अतः उस धनिवर ा कस िसखाऊ अतः िोणाचायर न एकलवय स कहाः

म तझ धनिवर ा नही िसखा सकगा

एकलवय घर स िन य करक िनकला था िक म कवल गर िोणाचायर को ही गर बनाऊगा िजनक िलए मन म भी गर बनान का भाव आ गया उनक िकसी भी वयवहार क िलए िशकायत या िछिानवषण की वि नही होनी चािहए

एकलवय एकात अर य म गया और उसन गर िोणाचायर की िम टी की मितर बनायी मितर की ओर एकटक दखकर धयान करक उसी स रणा लकर वह धनिवर ा सीखन लगा एकटक दखन स एकामता आती ह एकामता गरभि अपनी सचचाई और ततपरता क कारण उस रणा िमलन लगी जञानदाता तो परमातमा ह धनिवर ा म वह बहत आग बढ़ गया

एक बार िोणाचायर पाडव एव कौरव धनिवर ा का योग करन अर य म आय उनक साथ एक क ा भी था जो थोड़ा आग िनकल गया क ा वही पहचा जहा एकलवय अपनी धनिवर ा का योग कर रहा था एकलवय क खल बाल फट कपड़ एव िविचऽ वष को दखकर क ा भ कन लगा

एकलवय न क को लग नही चोट न पहच और उसका भ कना बद हो जाय इस ढग स सात बाण उसक मह म थमा िदय क ा वािपस वहा गया जहा िोणाचायर क साथ पाडव और कौरव थ

उस दखकर अजरन को हआ िक क को चोट न लग इस ढग स बाण मह म घसाकर रख दना यह िव ा तो म भी नही जानता यह कस सभव हआ वह गर िोणाचायर स बोलाः

गरदव आपन तो कहा था िक मरी बराबरी का दसरा कोई धनधाररी नही होगा िकनत ऐसी िव ा तो मझ भी नही आती

िोणाचायर को हआ िक दख इस अर य म कौन-सा ऐसा कशल धनधरर ह आग जाकर दखा तो वह था िहर यधन का पऽ गरभ एकलवय

िोणाचायर न पछाः बटा यह िव ा त कहा स सीखा

एकलवय बोलाः गरदव आपकी ही कपा स सीखा ह

िोणाचायर तो वचन द चक थ िक अजरन की बराबरी का धनधरर दसरा कोई न होगा िकनत यह तो आग िनकल गया गर क िलए धमरसकट खड़ा हो गया एकलवय की अटट ौ ा दखकर िोणाचायर न कहाः मरी मितर को सामन रखकर त धनिवर ा तो सीखा िकनत गरदिकषणा

एकलवयः जो आप माग

िोणाचायरः तर दाय हाथ का अगठा

एकलवय न एक पल भी िवचार िकय िबना अपन दाय हाथ का अगठा काटकर गरदव क चरणो म अपरण कर िदया

िोणाचायरः बटा भल ही अजरन धनिवर ा म सबस आग रह कयोिक म उस वचन द चका ह िकनत जब तक सयर चनि नकषऽो का अिःततव रहगा तब तक लोग तरी गरिन ा का तरी गरभि का ःमरण करग तरा यशोगान होता रहगा

उसकी गरभि और एकामता न उस धनिवर ा म तो सफलता िदलायी ही लिकन सतो क दय म भी उसक िलए आदर गट करवा िदया धनय ह एकलवय जो गरमितर स रणा पाकर धनिवर ा म सफल हआ और िजसन अदभत गरदिकषणा दकर साहस तयाग और समपरण का पिरचय िदया

(अनबम)

सतसग की मिहमा तलसीदास जी महाराज कहत ह ETH

एक घड़ी आधी घड़ी आधी म पिन आध तलसी सगत साध की हर कोिट अपराध

एक बार शकदव जी क िपता भगवान वदवयासजी महाराज कही जा रह थ राःत म उनहोन दखा िक एक कीड़ा बड़ी तजी स सड़क पार कर रहा था

वदवयासजी न अपनी योगशि दत हए उसस पछाः त इतनी ज दी सड़क कयो पार कर रहा ह कया तझ िकसी काम स जाना ह त तो

नाली का कीड़ा ह इस नाली को छोड़कर दसरी नाली म ही तो जाना ह िफर इतनी तजी स कयो भाग रहा ह

कीड़ा बोलाः बाबा जी बलगाड़ी आ रही ह बलो क गल म बध घघर तथा बलगाड़ी क पिहयो की आवाज म सन रहा ह यिद म धीर-धीर सड़क पार करगा तो वह बलगाड़ी आकर मझ कचल डालगी

वदवयासजीः कचलन द कीड़ की योिन म जीकर भी कया करना

कीड़ाः महिषर ाणी िजस शरीर म होता ह उसको उसम ही ममता होती ह अनक ाणी नाना कार क क ो को सहत हए भी मरना नही चाहत

वदवयास जीः बलगाड़ी आ जाय और त मर जाय तो घबराना मत म तझ योगशि स महान बनाऊगा जब तक ा ण शरीर म न पहचा द अनय सभी योिनयो स शीय छटकारा िदलाता रहगा

उस कीड़ न बात मान ली और बीच राःत पर रक गया और मर गया िफर वदवयासजी की कपा स वह बमशः कौआ िसयार आिद योिनयो म जब-जब भी उतपनन हआ वयासजी न जाकर उस पवरजनम का ःमरण िदला िदया इस तरह वह बमशः मग पकषी शि वय जाितयो म जनम लता हआ कषिऽय जाित म उतपनन हआ उस वहा भी वदवयासजी दशरन िदय थोड़ िदनो म रणभिम म शरीर तयागकर उसन ा ण क घर जनम िलया

भगवान वदवयास जी न उस पाच वषर की उ म सारःवतय मऽ द िदया िजसका जप करत-करत वह धयान करन लगा उसकी बि बड़ी िवलकषण होन पर वद शा धमर का रहःय समझ म आ गया

सात वषर की आय म वदवयास जी न उस कहाः काि रक कषऽ म कई वष स एक ा ण ननदभि तपःया कर रहा ह तम जाकर उसकी

शका का समाधान करो

माऽ सात वषर का ा ण कमार काि रक कषऽ म तप कर रह उस ा ण क पास पहच कर बोलाः

ह ा णदव आप तप कयो कर रह ह

ा णः ह ऋिषकमार म यह जानन क िलए तप कर रहा ह िक जो अचछ लोग ह सजजन लोग ह व सहन करत ह दःखी रहत ह और पापी आदमी सखी रहत ह ऐसा कयो ह

बालकः पापी आदमी यिद सखी ह तो पाप क कारण नही वरन िपछल जनम का कोई प य ह उसक कारण सखी ह वह अपन प य खतम कर रहा ह पापी मनय भीतर स तो दःखी ही होता ह भल ही बाहर स सखी िदखाई द

धािमरक आदमी को ठ क समझ नही होती उिचत िदशा व मऽ नही िमलता इसिलए वह दःखी होता ह वह धमर क कारण दःखी नही होता अिपत समझ की कमी क कारण दःखी होता ह समझदार को यिद कोई गर िमल जाय तो वह नर म स नारायण बन जाय इसम कया आ यर ह

ा णः म इतना बढ़ा हो गया इतन वष स काि रक कषऽ म तप कर रहा ह मर तप का फल यही ह िक तमहार जस सात वषर क योगी क मझ दशरन हो रह ह म तमह णाम करता ह

बालकः नही नही महाराज आप तो भदव ह म तो बालक ह म आपको णाम करता ह

उसकी नता दखकर ा ण और खश हआ तप छोड़कर वह परमातमिचनतन म लग गया अब उस कछ जानन की इचछा नही रही िजसस सब कछ जाना जाता ह उसी परमातमा म िवौाित पान लग गया

इस कार ननदभि ा ण को उ र द िनःशक कर सात िदनो तक िनराहार रहकर वह बालक सयरमनऽ का जप करता रहा और वही बहदक तीथर म उसन शरीर तयाग िदया वही बालक दसर जनम म कषार िपता एव िमऽा माता क यहा गट हआ उसका नाम मऽय पड़ा इनहोन वयासजी क िपता पराशरजी स िवण-पराण तथा बहत पाराशर होरा शा का अधययन िकया था पकषपात रिहत अनभवकाश नामक मनथ म मऽय तथा पराशर ऋिष का सवाद आता ह

कहा तो सड़क स गजरकर नाली म िगरन जा रहा कीड़ा और कहा सत क सािननधय स वह मऽय ऋिष बन गया सतसग की बिलहारी ह इसीिलए तलसीदास जी कहत ह ETH

तात ःवगर अपवगर सख धिरअ तला एक अग तल न तािह सकल िमली जो सख लव सतसग

यहा एक शका हो सकती ह िक वह कीड़ा ही मऽय ऋिष कयो नही बन गया

अर भाई यिद आप पहली ककषा क िव ाथ हो और आपको एम ए म िबठाया जाय तो कया आप पास हो सकत हो नही दसरी तीसरी चौथी दसवी बारहवी बीए आिद पास करक ही आप एमए म वश कर सकत हो

िकसी चौकीदार पर कोई धानमनऽी अतयिधक सनन हो जाए तब भी वह उस सीधा कलकटर (िजलाधीश) नही बना सकता ऐस ही नाली म रहन वाला कीड़ा सीधा मनय तो नही

हो सकता बि क िविभनन योिनयो को पार करक ही मनय बन सकता ह हा इतना अवय ह िक सतकपा स उसका मागर छोटा हो जाता ह

सतसमागम की साध परषो स सग की मिहमा का कहा तक वणरन कर कस बयान कर एक सामानय कीड़ा उनक सतसग को पाकर महान ऋिष बन सकता ह तो िफर यिद मानव को िकसी सदगर का सािननधय िमल जाय उनक वचनानसार चल पड़ तो मि का अनभव करक जीवनम भी बन सकता ह

(अनबम)

पीड़ पराई जान र जञानी िकसी स यार करन क िलए बध हए नही ह और िकसी को डाटन म भी राजी

नही ह हमारी जसी यो यता होती ह ऐसा उनका वयवहार हमार ित होता ह लीलाशाह बाप क ौीचरणो म बहत लोग गय थ एक लड़का भी गया था वह मिणनगर

म रहता था िशवजी को जल चढ़ान क प ात ही वह जल पीता वह लड़का खब िन ा स धयान-भजन करता और सवा पजा करता

एक िदन कोई वयि राःत म बहोश पड़ा हआ था िशवजी को जल चढ़ान जात समय उस बालक न उस दखा और अपनी पजा-वजा छोड़कर उस गरीब की सवा म लग गया िबहार का कोई यवक था नौकरी की खोज म आया था कालपर(अहमदाबाद) ःटशन क लटफामर पर एक दो िदन रहा किलयो न मारपीट कर भगा िदया चलत-चलत मिणनगर म पनीत आौम की ओर रोटी की आशा म जा रहा था रोटी तो वहा नही िमलती थी इसिलए भख क कारण चलत-चलत राःत म िगर गया और बहोश हो गया

उस लड़क का घर पनीत आौम क पास ही था सबह क दस साढ़ दस बज थ वह लड़का घर स धयान-भजन स िनपटकर मिदर म िशवजी को जल चढ़ान क िलए जल का लोटा और पजा की साममी लकर जा रहा था उसन दखा िक राःत म कोई यवक पड़ा ह राःत म चलत-चलत लोग बोलत थः शराब पी होगी यह होगा वह होगा हम कया

लड़क को दया आई प य िकय हए हो तो रणा भी अचछ िमलती ह शभ कम स शभ रणा िमलती ह अपन पास की पजा साममी एक ओर रखकर उसन उस वयि को िहलाया बहत मिकल स उसकी आख खली कोई उस जत सघाता कोई कछ करता कोई कछ बोलता था

आख खोलत ही वह वयि धीर स बोलाः पानी पानी

लड़क न महादव जी क िलय लाया हआ जल का लोटा उस िपला िदया िफर दोड़कर घर जाकर अपन िहःस का दध लाकर उस िदया

यवक क जी म जी आया उसन अपनी वयथा बतात हए कहाः बाब जी म िबहार स आया ह मर बाप गजर गय काका िदन-रात टोकत रहत त िक

कमाओ नही तो खाओग कया नौकरी धधा िमलता नही ह भटकत-भटकत अहमदाबाद क ःटशन पर कली का काम करन का य िकया हमारी रोटी-रोजी िछन जायगी ऐसा समझकर किलयो न खब मारा पदल चलत-चलत मिणनगर ःटशन की ओर आत-आत यहा तीन िदन की भख और मार क कारण चककर आय और िगर गया

लड़क न उस िखलाया अपना इक ठा िकया हआ जबखचर का पसा िदया उस यवक को जहा जाना था वहा भजन की वयवःथा की इस लड़क क दय म आनद की वि हई अतर म आवाज आईः

बटा अब म तझ बहत ज दी िमलगा

लड़क न िकयाः अनदर कौन बोलता ह

उ र आयाः िजस िशव की त पजा करता ह वह तरा आतमिशव अब म तर दय म कट होऊगा सवा क अिधकारी की सवा मझ िशव की ही सवा ह

उस िदन उस अतयारमी न अनोखी ऱणा और ोतसाहन िदया वह लड़का तो िनकल पड़ा घर छोड़कर ई र-साकषातकार करन क िलए कदारनाथ वनदावन होत हए निनताल क अर य म पहचा

कदारनाथ क दशरन पाय लकषािधपित आिशष पाय

इस आशीवारद को वापस कर ई राि क िलए िफर पजा की उसक पास जो कछ रपय पस थ उनह वनदावन म साध-सतो एव गरीबो म भ डारा करक खचर कर िदया था थोड़ स पस लकर निनताल क अर यो म पहचा लोकलाड़ल लाखो दयो को हिररस िपलात पजयपाद सदगर ौी लीलाशाह बाप की राह दखत हए चालीस िदन बीत गय गरवर ौी लीलाशाह को अब पणर समिपरत िशय िमला पणर खजाना ा करन वाला पिवऽातमा िमला पणर गर की पणर िशय िमला

िजस लड़क क िवषय म यह कथा पढ़ रह ह वह लड़का कौन होगा जानत हो

पणर गर कपा िमली पणर गर का जञान आसमल स हो गय साई आसाराम

अब तो समझ ही गय होग (उस लड़क क वश म छप हए थ पवर जनम क योगी और वतरमान म िव िव यात हमार

पजयपाद सदगरदव ौी आसाराम जी महाराज)

(अनबम)

िवकास क बिरयो स सावधान किपलवःत क राजा श ोदन का यवराज था िस ाथर यौवन म कदम रखत ही िववक

और वरा य जाग उठा यवान प ी यशोधरा और नवजात िशश राहल की मोह-ममता की रशमी जजीर काटकर महाभीिनबमण (गहतयाग) िकया एकानत अर य म जाकर गहन धयान साधना करक अपन साधय त व को ा कर िलया

एकानत म तप यार और धयान साधना स िखल हए इस आधयाितमक कसम की मधर

सौरभ लोगो म फलन लगी अब िस ाथर भगवान ब क नाम स जन-समह म िस हए हजारो हजारो लोग उनक उपिद मागर पर चलन लग और अपनी अपनी यो यता क मतािबक आधयाितमक याऽा म आग बढ़त हए आितमक शाित ा करन लग अस य लोग बौ िभकषक बनकर भगवान ब क सािननधय म रहन लग उनक पीछ चलन वाल अनयायीओ का एक सघ ःथािपत हो गया चह ओर नाद गजन लग िकः

ब शरण गचछािम धमम शरण गचछािम सघ शरण गचछािम

ौावःती नगरी म भगवान ब का बहत यश फला लोगो म उनकी जय-जयकार होन लगी लोगो की भीड़-भाड़ स िवर होकर ब नगर स बाहर जतवन म आम क बगीच म रहन लग नगर क िपपास जन बड़ी तादाद म वहा हररोज िनि त समय पर पहच जात और उपदश-वचन सनत बड़-बड़ राजा महाराजा भगवान ब क सािननधय म आन जान लग

समाज म तो हर कार क लोग होत ह अनािद काल स दवी समपदा क लोग एव आसरी समपदा क लोग हआ करत ह ब का फलता हआ यश दखकर उनका तजो ष करन वाल लोग जलन लग सतो क साथ हमशा स होता आ रहा ह ऐस उन द त वो न ब को बदनाम करन क िलए कचार िकया िविभनन कार की यि -यि या लड़ाकर ब क यश को हािन पहच ऐसी बात समाज म व लोग फलान लग उन द ो न अपन ष यऽ म एक वया को समझा-बझाकर शािमल कर िलया

वया बन-ठनकर जतवन म भगवान ब क िनवास-ःथानवाल बगीच म जान लगी

धनरािश क साथ द ो का हर कार स सहारा एव ोतसाहन उस िमल रहा था रािऽ को वही रहकर सबह नगर म वािपस लोट आती अपनी सिखयो म भी उसन बात फलाई

लोग उसस पछन लगः अरी आजकल त िदखती नही ह कहा जा रही ह रोज रात को

म तो रोज रात को जतवन जाती ह व ब िदन म लोगो को उपदश दत ह और रािऽ क समय मर साथ रगरिलया मनात ह सारी रात वहा िबताकर सबह लोटती ह

वया न परा ीचिरऽ आजमाकर ष यऽ करन वालो का साथ िदया लोगो म पहल तो हलकी कानाफसी हई लिकन जयो-जयो बात फलती गई तयो-तयो लोगो म जोरदार िवरोध होन लगा लोग ब क नाम पर िफटकार बरसान लग ब क िभकषक बःती म िभकषा लन जात तो लोग उनह गािलया दन लग ब क सघ क लोग सवा-वि म सल न थ उन लोगो क सामन भी उगली उठाकर लोग बकवास करन लग

ब क िशय जरा असावधान रह थ कचार क समय साथ ही साथ स चार होता तो कचार का इतना भाव नही होता िशय अगर िनिबय रहकर सोचत रह जाय िक करगा सो भरगा भगवान उनका नाश करग तो कचार करन वालो को ख ला मदान िमल जाता ह

सत क सािननधय म आन वाल लोग ौ ाल सजजन सीध साद होत ह जबिक द वि करन वाल लोग किटलतापवरक कचार करन म कशल होत ह िफर भी िजन सतो क पीछ सजग समाज होता ह उन सतो क पीछ उठन वाल कचार क तफान समय पाकर शात हो जात ह और उनकी सतवि या काशमान हो उठती ह

कचार न इतना जोर पकड़ा िक ब क िनकटवत लोगो न ऽािहमाम पकार िलया व समझ गय िक यह वयविःथत आयोजनपवरक ष यऽ िकया गया ह ब ःवय तो पारमािथरक सतय म जाग हए थ व बोलतः सब ठ क ह चलन दो वयवहािरक सतय म वाहवाही दख ली अब िननदा भी दख ल कया फकर पड़ता ह

िशय कहन लगः भनत अब सहा नही जाता सघ क िनकटवत भ भी अफवाहो क िशकार हो रह ह समाज क लोग अफवाहो की बातो को सतय मानन लग गय ह

ब ः धयर रखो हम पारमािथरक सतय म िवौाित पात ह यह िवरोध की आधी चली ह तो शात भी हो जाएगी समय पाकर सतय ही बाहर आयगा आिखर म लोग हम जानग और मानग

कछ लोगो न अगवानी का झ डा उठाया और राजयस ा क समकष जोर-शोर स माग की

िक ब की जाच करवाई जाय लोग बात कर रह ह और वया भी कहती ह िक ब रािऽ को मर साथ होत ह और िदन म सतसग करत ह

ब क बार म जाच करन क िलए राजा न अपन आदिमयो को फरमान िदया अब ष यऽ करनवालो न सोचा िक इस जाच करन वाल पच म अगर सचचा आदमी आ जाएगा तो अफवाहो का सीना चीरकर सतय बाहर आ जाएगा अतः उनहोन अपन ष यऽ को आिखरी

पराका ा पर पहचाया अब ऐस ठोस सबत खड़ा करना चािहए िक ब की ितभा का अःत हो जाय

उनहोन वया को दार िपलाकर जतवन भज िदया पीछ स ग डो की टोली वहा गई वया पर बलातकार आिद सब द कतय करक उसका गला घोट िदया और लाश को ब क बगीच म गाड़कर पलायन हो गय

लोगो न राजयस ा क ार खटखटाय थ लिकन स ावाल भी कछ लोग द ो क साथ जड़ हए थ ऐसा थोड़ ही ह िक स ा म बठ हए सब लोग दध म धोय हए वयि होत ह

राजा क अिधकािरयो क ारा जाच करन पर वया की लाश हाथ लगी अब द ो न जोर-शोर स िच लाना शर कर िदया

दखो हम पहल ही कह रह थ वया भी बोल रही थी लिकन तम भगतड़ लोग मानत ही नही थ अब दख िलया न ब न सही बात खल जान क भय स वया को मरवाकर बगीच म गड़वा िदया न रहगा बास न बजगी बासरी लिकन सतय कहा तक िछप सकता ह म ामाल हाथ लग गया इस ठोस सबत स ब की असिलयत िस हो गई सतय बाहर आ गया

लिकन उन मख का पता नही िक तमहारा बनाया हआ कि पत सतय बाहर आया वाःतिवक सतय तो आज ढाई हजार वषर क बाद भी वसा ही चमक रहा ह आज ब को लाखो लोग जानत ह आदरपवरक मानत ह उनका तजो ष करन वाल द लोग कौन-स नरको म जलत होग कया पता

ढाई हजार वषर पहल ब क जमान म भी सतो क साथ ऐसा घोर अनयाय हआ करता था ऋिष दयाननद को भी ऐस ही त वो न तजो ष क कारण बाईस बार िवष दकर मार डालन का यास िकया ःवामी िववकाननद और ःवामी रामतीथर क पीछ भी द लोगो न वया को तयार करक कीचड़ उछाला था

एक ओर लाखो-लाखो लोग सतो की अनभवय वाणी स अपना वयावहािरक ETH आधयाितमक जीवन उननत करक सख-शाित पात ह दसरी ओर कछ द कित क ःवाथ लोग अपना उ ल सीधा करन क िलए ऐस महापरषो क िवर म ष यऽ रचकर उनको बदनाम करत ह यह तो पहल स चला आ रहा ह सत कबीर हो या नानक एकनाथ महाराज हो या सत तकाराम नरिसह महता हो या मीराबाई ायः सभी सतो को अपन जीवन क दौरान समाज क किटल त वो स पाला पड़ता ही रहा ह जीसस बाइःट को इनही त वो न बॉस पर चढ़ाया था उनही लोगो न सकरात को जहर िपलाकर मतयद ड िदया था मनसर को इसी जमात न शली पर चढ़ाया था ईसाई धमर म माट न यथर पर ज म िकया गया था अण-अण म ई र और नारीमाऽ म जगजजननी भगवती का दशरन करन वाल रामकण परमहस को भी लोगो न नही

छोड़ा था परमहस योगाननद रवीनिनाथ टगोर माट न यथर दिकषण भारत क सत ितरव लवर जापानी झन सत बाबो इितहास म िकतन-िकतन उदाहरण मौजद ह

हािसद धमरगर बा शमटोव अित पिवऽ आतमा थ िननदको न उनक इदरिगदर भी मायाजाल िबछा दी थी िसध क साई टउराम क पास अस य लोग आतमक याण हत जान लग तब िवकत िदमागवालो न उन सत को भी ऽास दना शर कर िदया उनक आौम क चह ओर गदगी डाल दत और कए म िम टी का तल उड़लकर पानी बकार कर दत मगल बादशाह बाबर को बहका कर उनही लोगो न गर नानक को कद करवाया था

भगवान ौीराम एव ौीकण को भी द जनो न छोड़ा नही था भगवान ौीराम क गर विश जी महाराज कहत हः

ह राम जी म जब बाजार स गजरता ह तब अजञानी मखर लोग मर िलए कया बकत ह म सब जानता ह लिकन मरा दयाल ःवभाव ह म इन सबका क याण चाहता ह

तमहार साथ यह ससार कछ अनयाय करता ह तमको बदनाम करता ह िननदा करता ह तो यह ससार की परानी रीत ह मनय की हीनवि कचार िननदाखोरी यह आजकल की ही बात नही ह अनािदकाल स ऐसा होता आया ह तम अपन आतमजञान क सःकार जगाकर आतमबल का िवकास करत जाओ मःकरात जाओ आधी तफानो को लाघकर आननदपवरक जीत जाओ

उस जमान म भगवान ब क पास आकर एक िभकषक न ाथरना कीः भनत मझ आजञा द म सभाए भरगा आपक िवचारो का चार करगा

मर िवचारो का चार

हा भगवन म बौ धमर फलाऊगा

लोग तरी िननदा करग गािलया दग

कोई हजर नही म भगवन को धनयवाद दगा िक य लोग िकतन अचछ ह य कवल श दहार करत ह मझ पीटत तो नही

लोग तझ पीटग भी तो कया करोग

भो म शब गजारगा िक य लोग हाथो स पीटत ह पतथर तो नही मारत

लोग पतथर भी मारग और िसर भी फोड़ दग तो कया करगा

िफर भी म आ ःत रहगा और भगवान का िदवय कायर करता रहगा कयोिक व लोग मरा िसर फोड़ग लिकन ाण तो नही लग

लोग जनन म आकर तझ मार दग तो कया करगा

भनत आपक िदवय िवचारो का चार करत-करत म मर भी गया तो समझगा िक मरा जीवन सफल हो गया

उस कतिन यी िभकषक की दढ़ िन ा दखकर भगवान ब सनन हो उठ उस पर उनकी करणा बरस पड़ी

ऐस िशय जब ब का चार करन िनकल पड़ तब कचार करन वाल धीर-धीर शात हो गय मनयो की उगिलया काट-काटकर माला बनाकर पहनन वाला अगिलमाल जसा बर हतयारा भी दयपिरवतरन पाकर ब की शरण म िभकषक होकर रहन लगा

आज हम ब को बहत आदर स जानत ह मानत ह उनक जीवनकाल क दौरान उनक पीछ लग हए द लोग कौन स नरक म सड़त होग रौरव नरक म या कभीपाक नरक म कौन-सी योिनयो म भटकत होग सअर बन होग िक नाली क कीड़ बन होग शतान बन होग िक राकषस बन होग मझ पता नही लिकन ब तो करोड़ो दयो म बस रह ह यह म मानता ह

सतय तो परमाथर ह आतमा ह परमातमा ह उसम िजतना िटकोग उतना तमहारा मगल होगा तमहारी िनगाह िजन पर पड़गी उनका भी मगल होगा

(अनबम)

कछ जानन यो य बात सय दय स पवर उठकर ःनान कर लना चािहए ातः खाली पट मटक का बासी पानी

पीना ःवाःथयद ह तलसी क प सय दय क प ात ही तोड़ दध म तलसी क प नही डालन चािहए तथा

दध क साथ खान भी नही चािहए तलसी क प खाकर थोड़ा पानी पीना िपय जलनित स पिह सौ कार क लाभ होत ह अपन मिःतक म एक कार का िवजाितय

िवय उतपनन होता ह यिद वह िवय वही अटक जाता ह तो बचपन म ही बाल सफद होन लगत ह इसस नजल की बीमारी भी होती ह यिद वह िवय नाक की तरफ आता ह तो सगनध-दगरनध का पता नही चल पाता और ज दी-ज दी जकाम हो जाता ह यिद वह िवय कान की तरफ आता ह तो कान बहर होन लगत ह और छोट-मोट ब ीस रोग हो सकत ह यिद वह िवय दात की तरफ आय तो दात छोटी उ म ही िगरन लगत ह यिद आख की तरफ वह िवय उतर तो चम लगन लगत ह जलनित यािन नाक स पानी खीचकर मह स िनकाल दन स वह िवय िनकल जाता ह गल क ऊपर क ायः सभी रोगो स मि िमल जाती ह

आईसबीम खान क बाद चाय पीना दातो क िलए अतयािधक हािनकारक होता ह

भोजन को पीना चािहए तथा पानी को खाना चािहए इसका मतलब यह ह िक भोजन को इतना चबाओ िक वह पानी की तरह पतला हो जाय और पानी अथवा अनय पय पदाथ को धीर-धीर िपयो

िकसी भी कार का पय पदाथर पीना हो तो दाया नथना बनद करक िपय इसस वह अमत जसा हो जाता ह यिद दाया ःवर(नथना) चाल हो और पानी आिद िपय तो जीवनशि (ओज) पतली होन लगती ह चयर की रकषा क िलए शरीर को तनदरःत रखन क िलए यह योग करना चािहए

तम चाह िकतनी भी महनत करो िकनत िजतना तमहारी नसो म ओज ह चयर की शि ह उतन ही तम सफल होत हो जो चाय-कॉफी आिद पीत ह उनका ओज पतला होकर पशाब ारा न होता जाता ह अतः चयर की रकषा क िलए चाय-कॉफी जस वयसनो स दर रहना रह

पढ़न क बाद थोड़ी दर शात हो जाना चािहए जो पढ़ा ह उसका मनन करो िशकषक ःकल म जब पढ़ात हो तब धयान स सनो उस व मःती-मजाक नही करना चािहए िवनोद-मःती कम स कम करो और समझन की कोिशश अिधक करो

जो सय दय क पवर नही उठता उसक ःवभाव म तमस छा जाता ह जो सय दय क पवर उठता ह उसकी बि शि बढ़ती ह

नीद म स उठकर तरत भगवान का धयान करो आतमःनान करो धयान म रिच नही होती तो समझना चािहए िक मन म दोष ह उनह िनकालन क िलए कया करना चािहए

मन को िनद ष बनान क िलए सबह-शाम माता-िपता को णाम करना चािहए गरजनो को णाम करना चािहए एव भगवान क नाम का जप करना चािहए भगवान स ाथरना करनी चािहए िक ह भगवान ह मर भ मरी धयान म रिच होन लग ऐसी कपा कर दो िकसी समय गद िवचार िनकल आय तो समझना चािहए िक अदर छप हए िवचार िनकल रह ह अतः खश होना चािहए िवचार आया और गया मर राम तो दय म ही ह ऐसी भावना करनी चािहए

िनदा करना तो अचछा नही ह िकनत िनदा सनना भी उिचत नही (अनबम)

शयन की रीत मनय को िकस ढग स सोना चािहए इसका भी तरीका होता ह सोत व पवर अथवा

दिकषण िदशा की ओर िसर करक ही सोना चािहए

भोजन करन क बाद िदन म दस िमनट आराम कर िकनत सोय नही भोजन क बाद दस िमनट बायी करवट लट सकत ह रािऽ को जागरण िकया हो इस कारण स कभी िदन म सोना पड़ वह अलग बात ह

सोत व नीच कोई गमर कबल आिद िबछाकर सोय तािक आपकी जीवनशि अिथग न हो जाय आपक शरीर की िव तशि भिम म न उतर जाय

(अनबम)

ःनान का तरीका शरीर की मजबती एव आरो यता क िलए रगड़-रगड़कर ःनान करना चािहए जो लोग

ठड दशो म रहत ह उनका ःवाःथय गमर दस क लोगो की अपकषा अचछा होता ह ठडी स अपना शरीर सधरता ह

ःनान करत व 12-15 िलटर पानी बा टी म लकर पहल उसम िसर डबाना चािहए िफर पर िभगोना चािहए पहल पर गील नही करन चािहए शरीर की गम ऊपर की ओर चढ़ती ह जो ःवाःथय क िलए हािनकारक होती ह

अतः पहल ठड पानी की बा टी भर ल िफर मह म पानी भरकर िसर को बा टी म डाल और आख पटपटाए इसस आखो की शि बढ़ती ह शरीर को रगड़-रगड़कर नहाए बाद म गील व स शरीर को रगड़-रगड़कर पोछ िजसस रोम कप का सारा मल बाहर िनकल जाय और रोमकप(तवचा क िछि) खल जायय तवचा क िछि बद रहन स ही तवचा की कई बीमािरया होती ह िफर सख कपड़ स शरीर को पोछ कर (अथवा थोड़ा गीला हो तब भी चल) सख साफ व पहन ल व भल साद हो िकनत साफ हो बासी कपड़ नही पहन हमशा धल हए कपड़ ही पहन इसस मन भी सनन रहता ह

पाच कार क ःनान होत हः ःनान दवःनान ऋिषःनान मानवःनान दानवःनान ःनानः -परमातमा का िचतन करक जल थल नहान वाला

ऐसा िचतन करक ा महतर म नहाना इस ःनान कहत ह दवःनानः दवनिदयो म ःनान या दवनिदयो का ःमरण करक सय दय स पवर नहाना यह

दवःनान ह ऋिषःनानः आकाश म तार िदखत हो और नहा ल यह ऋिषःनान ह ऋिषःनान करन

वाल की बि बड़ी तजःवी होती ह मानवःनानः सय दय क पवर का ःनान मानवःनान ह

दानवःनानः सय दय क प ात चाय पीकर नाता करक आठ नौ बज नहाना यह दानव ःनान ह

अतः हमशा ऋिषःनान करन का ही यास करना चािहए (अनबम)

ःवचछता का धयान यिद शरीर की सफाई रखी जाय तो मन भी सनन रहता ह आजकल अिधकतर लोग

श स ही मजन करत ह श की अपकषा नीम और बबल की दातौन जयादा अचछ होती ह और यिद श भी कर तो कभी-कभार श को गमर पानी स धोना चािहए अनयथा उसम बकटिरया(जीवाण) रह जात ह

िकतन ही लोग उगली स दात साफ करत ह तजरनी (अगठ क पास वाली थम उगली) स दात िघसन स मसड़ कमजोर हो जात ह तथा दात ज दी िगर जात ह कयोिक तजरनी म िव तशि का माण दसरी उगिलयो की अपकषा अिधक होता ह अतः उसस दात नही िघसन चािहए एव आखो को भी नही मसलना चािहए

िजस िदशा स हवा आती हो उस िदशा की ओर मह करक कभी-भी मलमऽ का िवसजरन नही करना चािहए सयर और चनिमा की ओर मख करक भी मलमऽ का िवसजरन नही करना चािहए

(अनबम)

ःमरणशि का िवकास यादशि बढ़ान का एक सनदर योग ह ETH ामरी ाणायाम सखासन प ासन या

िस ासन पर बठ हाथ की कोहनी की ऊचाई कनध तक रह इस कार रखकर हाथ की थम उगली(तजरनी) स दोनो कानो को धीर-स बद कर एकदम जोर स बद न कर िकनत बाहर का कछ सनाई न द इस कार धीर स कान बनद कर

अब गहर ास लकर थोड़ी दर रोक ओठ बद रखकर जस मर का गजन होता ह वस ॐsssss कहत हए गजन कर उसक बाद थोड़ी दर तक ास न ल पनः यही िबया दहराय ऐसा सबह एव शाम 8 स 10 बार कर यादशि बढ़ान का यह यौिगक योग ह इसस मिःतक की नािड़यो का शोधन होकर मिःतक म र सचार उिचत ढग स होता ह

और िवचार करन स भी बि शि का िवकास होता ह

सबह खाली पट तलसी क प एकाध काली िमचर चबाकर एक िगलास पानी पीन स भी ःमरणशि का िवकास होता ह रोग-ितकारक शि बढ़ती ह कनसर की बीमारी कभी नही होती जलदर-भगदर की बीमारी भी कभी नही होती

(अनबम)

वयि तव और वयवहार िकसी भी वयि तव का पता उसक वयवहार स ही चलता ह कई लोग वयथर च ा करत

ह एक होती ह सकाम च ा दसरी होती ह िनकाम च ा और तीसरी होती ह वयथर च ा वयथर च ा नही करनी चािहए िकसी क शरीर म कोई कमी हो तो उसका मजाक नही उड़ाना चािहए वरन उस मददरप बनना चािहए यह िनकाम सवा ह

िकसी की भी िनदा नही करनी चािहए िनदा करन वाला वयि िजसकी िनदा करता ह उसका तो इतना अिहत नही होता िजतना वह अपना अिहत करता ह जो दसरो की सवा करता ह दसरो क अनकल होता ह वह दसरो का िजतना िहत करता ह उसकी अपकषा उसका खद का िहत जयादा होता ह

अपन स जो उ स बड़ हो जञान म बड़ हो तप म बड़ हो उनका आदर करना चािहए िजस मनय क साथ बात करत हो वह मनय कौन ह यह जानकर बात करो तो आप वयवहार-कशल कहलाओग

िकसी को पऽ िलखत हो तो यिद अपन स बड़ हो तो ौी सबोधन करक िलखो सबोधन करन स सवाकयो की रचना स िश ता बढ़ती ह िकसी स बात करो तो सबोधन करक बात करो जो तकार स बात करता ह वह अिश कहलाता ह िश तापवरक बात करन स अपनी इजजत बढ़ती ह

िजसक जीवन म वयवहार-कशलता ह वह सभी कषऽो म सफल होता ह िजसम िवनता ह वही सब कछ सीख सकता ह िवनता िव ा बढ़ाती ह िजसक जीवन म िवनता नही ह समझो उसक सब काम अधर रह गय और जो समझता ह िक म सब कछ जानता ह वह वाःतव म कछ नही जानता

एक िचऽकार अपन गरदव क सममख एक सनदर िचऽ बनाकर लाया गर न िचऽ दखकर कहाः

वाह वाह सनदर ह अदभत ह

िशय बोलाः गरदव इसम कोई ऽिट रह गयी हो तो कपा करक बताइए इसीिलए म आपक चरणो म आया ह

गरः कोई ऽिट नही ह मझस भी जयादा अचछा बनाया ह

वह िशय रोन लगा उस रोता दखकर गर न पछाः तम कयो रो रह हो म तो तमहारी शसा कर रहा ह

िशयः गरदव मरी घड़ाई करन वाल आप भी यिद मरी शसा ही करग तो मझ मरी गि तया कौन बतायगा मरी गित कस होगी

यह सनकर गर अतयत सनन हो गय हमन िजतना जाना िजतना सीखा ह वह तो ठ क ह उसस जयादा जान सक सीख सक

ऐसा हमारा यास होना चािहए रामकण परमहस व हो गय थ िकसी न उनस पछाः बाबा जी आपन सब कछ जान

िलया ह

रामकण परमहसः नही म जब तक जीऊगा तब तक िव ाथ ही रहगा मझ अभी बहत कछ सीखना बाकी ह

िजनक पास सीखन को िमल उनस िवनतापवरक सीखना चािहए जो कछ सीखो सावधानीपवरक सीखो जीवन म िवनोद जररी ह िकनत िवनोद की अित न हो िजस समय पढ़त हो कछ सीखत हो कछ करत हो उस समय मःती नही िवनोद नही वरन जो कछ पढ़ो सीखो या करो उस उतसाह स धयान स और सावधानी स करो

पढ़न स पवर थोड़ धयानःथ हो जाओ पढ़न क बाद मौन हो जाओ यह गित की चाबी ह

माता-िपता स िचढ़ना नही चाह िजस मा-बाप न जनम िदया ह उनकी बातो को समझना चािहए अपन िलए उनक मन म िवशष दया हो िवशष म उतपनन हो ऐसा वयवहार करना चािहए

भल जाओ भल सब कछ माता-िपता को भलना नही अनिगनत उपकार ह उनक यह कभी िबसरना नही

माता-िपता को सतोष हो उनका दय सनन हो ऐसा हमारा वयवहार होना चािहए अपन माता-िपता एव गरजनो को सत रखकर ही हम सचची गित कर सकत ह

(अनबम)

  • पजय बाप जी का उदबोधन
  • कदम अपना आग बढाता चला जा
  • त गलाब होकर महक
  • जीवन विकास का मल सयम
  • तरिकाल सधया
  • शरीर सवासथय
  • अनन का परभाव
  • भारतीय ससकति की महानता
  • हरिदास की हरिभकति
  • बनावटी शरगार स बचो
  • साहसी बालक
  • गर-आजञापालन का चमतकार
  • अनोखी गरदकषिणा
  • सतसग की महिमा
  • पीड पराई जान र
  • विकास क बरियो स सावधान
  • कछ जानन योगय बात
  • शयन की रीत
  • सनान का तरीका
  • सवचछता का धयान
  • समरणशकति का विकास
  • वयकतितव और वयवहार
Page 22: Tu gulabhokarmehak

धनय ह वह मसलमान यवक हिरदास जो हिर क धयान म हिर क गान म हिर क कीतरन म गौराग क साथ रहा जस िववकाननद क साथ भिगनी िनविदता न भारत म अधयातम-धणर क चार म लगकर अपना नाम अमर कर िदया वस ही इस मसलमान यवक न हिरकीतरन म हिरधयान म अपना जीवन धनय कर िदया दजरन लोग हिरदास का बाल तक न बाका कर सक जो सचच दय स भगवान का हो जाता ह उसकी हजारो शऽ िमलकर भी कछ हािन नही कर सकत तो उस काज़ी की कया ताकत थी

लोगो न जाकर काज़ी स कहा िक आज हिरदास पनः गौराग की भातफरी म उपिःथत हो गया था काजी अतयनत अहकारी था उसन एक नोिटस भजा एक आदश चतनय महाभ (गौराग) को भजा िक कल स तम भातफरी नही िनकाल सकत तमहारी भातफरी पर बिदश लगाई जाती ह

गौराग न सोचा िक हम िकसी का बरा नही करत िकसी को कोई हािन नही पहचात अर वायम डल क दषण को दर करन क िलए तो शासन पस खचर करता ह िकनत िवचारो क दषण को दर करन क िलए हिरकीतरन जसा हिरभि जसा अमोघ उपाय कौन सा ह भल काजी और शासन की समझ म आय या न आय वातावरण को श करन क साथ-साथ िवचारो का दषण भी दर होना चािहए हम तो कीतरन करग और करवायग

जो लोग डरपोक थ भीर और कायर थ ढील-ढाल थ व बोलः बाबा जी रहन दो रहन दो अपना कया जो करग व भरग अपन तो घर म ही रहकर हिर ॐ हिर ॐ करग

गौराग न कहाः नही इस कार कायरो जसी बात करना ह तो हमार पास मत आया करो

दसर िदन जो डरपोक थ ऐस पाच-दस वयि नही आय बाकी क िहममतवाल िजतन थ व सब आय उनह दखकर और लोग भी जड़

गौराग बोलः आज हमारी भातफरी की पणारहित काजी क घर पर ही होगी

गौराग भ -म डली क साथ कीतरन करत-करत जब बाजार स गज़र तो कछ िहनद एव मसलमान भी कीतरन म जड़ गय उनको भी कीतरन म रस आन लगा व लोग काजी को गािलया दन लग िक काजी बदमाश ह ऐसा ह वसा ह आिद ETH आिद

तब गौराग कहत हः नही शऽ क िलए भी बरा मत सोचो

उनहोन सबको समझा िदया िक काजी क िलए कोई भी अपश द नही कहगा कसी महान ह हमारी िहनद सःकित िजसन हिरदास को बत मारन का आदश िदया उस कवल अपश द कहन क िलए भी गौराग मना कर रह ह इस भारती सःकित म िकतनी उदारता ह स दयता ह लिकन कायरता को कही भी ःथान नही ह

गौराग कीतरन करत-करत काजी क घर क िनकट पहच गय काजी घर की छत पर स इस भातफरी को दखकर दग रह गया िक मर मना करन पर भी इनहोन भातफरी िनकाली

और मर घर तक ल आय उसम मसलमान लड़क भी शािमल ह जयो ही वह भातफरी काजी क घर पहची काजी घर क अनदर िछप गया

गौराग न काजी का ार खटखटाया तब काजी या काजी की प ी न नही वरन चौकीदार न दरवाजा खोला वह बोलाः

काजी साहब घर पर नही ह

गौराग बोलः नही कस ह अभी तो हमन उनह घर की छत पर दखा था काजी को जाकर बोलो हमार मामा और मा भी िजस गाव की ह आप भी उसी गाव क हो इसिलए आप मर गाव क मामा लगत ह मामाजी भानजा ार पर आय और आप छप कर बठ यह शोभा नही दता बाहर आ जाईय

चौकीदार न जाकर काजी को सब कह सनाया गौराग क मभर वचन सनकर काजी का दय िपघल गया िजस पर मन ज म ढाय वह मझ मामा कहकर सबोिधत करता ह िजसक साथ मन बरता की वह मर साथ िकतना औदायर रखता ह यह सोचकर काजी का दय बदल गया वह ार पर आकर बोलाः

म तमस डरकर अनदर नही छपा कयोिक मर पास तो स ा ह कलम की ताकत ह लिकन हिरकीतरन स हिरनाम स िहनद तो कया मसलमान लड़क भी आनिदत हो रह ह उनका भी लह पिवऽ हो रहा ह यह दखकर मझ दःख हो रहा ह िक िजस नाम क उचचारण स उनकी रग-रग पावन हो रही ह उसी नाम क कारण मन हिरदास पर और तम पर ज म िकया िकसी क बहकाव म आकर तम लोगो पर फरमान जारी िकया अब म िकस मह स तमहार सामन आता इसीिलए म मह िछपाकर घर क अनदर घस गया था

भानजा(गौराग) बोलता हः मामा अब तो बाहर आ जाइय

मामा(काजी) बोलाः बाहर आकर कया कर

गौरागः कीतरन कर हिरनाम क उचचारण स छपी हई यो यता िवकिसत कर आनद गट कर

काजीः कया करना होगा

गौरागः म जसा बोलता ह ऐसा ही बोलना होगा बोिलएः हिर बोल हिर बोल

काजीः हिर बोल हिर बोल

गौरागः हिर बोल हिर बोल

काजीः हिर बोल हिर बोल

हिर बोल हिर बोल हिर बोल हिर बोल

हिर बोल हिर बोल हिर बोल हिर बोल

कीतरन करत-करत गौराग न अपनी िनगाहो स काजी पर कपा बरसाई तो काजी भी झमन लगा उस भी हिर बोल का रग लग गया जस इजन को ह डल दकर छोड़ दत ह तब भी इजन चलता रहता ह ऐस ही गौराग की कपादि स काजी भी झमन लगा

काजी क झमन स वातावरण म और भी रग आ गया काजी तो झम गया काजी की प ी भी झमी और चौकीदार भी झम उठा सब हिरकीतरन म झमत-झमत अपन र को पावन करन लग दय को हिररस स सराबोर करन लगा उनक जनम-जनम क पाप-ताप न होन लग िजस पर भगवान की दया होती ह िजसको साधओ का सग िमलता ह सतसग का सहारा िमलता ह और भारतीय सःकित की महानता को समझन की अकल िमलती ह िफर उसक उ ार म कया बाकी रह जाता ह काजी का तो उ ार हो गया

दखो सत की उदारता एव महानता िजसन िहनदओ पर ज म करवाय भ हिरदास को बत मरवात-मरवात यमना जी म डलवा िदया भातफरी पर ितबध लगवा िदया उसी काजी को गौराग न हिररग म रग िदया अपनी कपादि स िनहाल कर िदया उसक बर कम की धयान न दत हए भि का दान द िदया ऐस गौराग क ौीचरणो म हमार हजार-हजार णाम ह हम उस मसलमान यवक हिरदास को भी धनयवाद दत ह िक उसन बत खात पीड़ा सहत भी भि न छोड़ी गरदव को न छोड़ा न ही उनक दबाव म आकर पनः मसलमान बना हिर बोल क रग म ःवय रगा और िसपािहयो को भी रग िदया धनय ह हिरदास और उसकी हिरभि

(अनबम)

बनावटी ौगार स बचो जमरनी क िस दाशरिनक शोपनहार कहत ह िक िजन दशो म हिथयार बनाय जात ह

उन दशो क लोगो को य करन की उ जना होती ह और उन दशो म हिथयार बनत ही रहत ह य भी होत रहत ह ऐस ही जो लोग फशन करत ह उनक दय म काम बोध लोभ मोह रपी य होता ही रहता ह उनक जीवन म िवलािसता आती ह और पतन होता ह वस ही फशन और िवलािसता स सयम सदाचार और यो यता का सहार होता ह

इसिलए य क साधन बढ़न स जस य होता ह वस ही िवलािसता और फशन क साधनो का उपयोग करन स अतयर होता ह अपनी आितमक शि यो का सहार होता ह अतः अपना भला चाहन वाल भाई-बहनो को पफ-पाउडर िलपिःटक-लाली व -अलकार क िदखाव क पीछ नही पड़ना चािहए सयम सादगी एव पिवऽतापणर जीवन जीना चािहए

अपन शा ो म ौगार की अनमित दी गई ह सौभा यवती ि या जब पित अपन ही नगर म हो घर म हो तब ौगार कर पित यिद दर दश गया हो तब सौभा यवित ि यो को भी सादगीपणर जीवन जीना चािहए ौगार क उपयोग म आनवाली वःतए भी वनिःपतयो एव साि वक रसो स बनी हई होनी चािहए जो सननता और आरो यता दान कर

आजकल तो शरीर म उ जना पदा कर बीमािरया पदा कर ऐस किमक स(रसायनो) और जहर जस साधनो स ौगार-साधन बनाए जात ह िजसस शरीर क अनदर जहरील कण जात ह और तवचा की बीमािरया होती ह आहार म भी जहरील कणो क जान स पाचन-तऽ और मानिसक सतलन िबगड़ता ह साथ ही बौि क एव वचािरक सतलन भी िबगड़ता ह

पशओ की चब किमक स और दसर थोड़ जहरील िवयो स बन पफ-पाउडर िलपिःटक-लाली आिद िजन साधनो का यटी-पालरर म उपयोग िकया जाता ह वसी गदगी कभी-भी अपन शरीर को तो लगानी ही नही चािहए दसर लोगो न लगायी हो तो दखकर सनन भी नही होना चािहए अपन सयम और सदाचार की सनदरता को गट करना चािहए मीरा और शबरी िकस यटी-पालरर म गय थ सती अनसया गाग और मदालसा न िकस पफ-पाउडर लाली-िलपिःटक का उपयोग िकया था िफर भी उनका जीवन सनदर तजःवी था हम भी ई र स ाथरना कर िक ह भगवान हम अपना सयम और साधना का सौनदयर बढ़ाए ऐसी त दया करना िवकारी सौनदयर स अपन को बचाकर िनिवरकारी नारायण की ओर जाय ऐसी त दया करना िवलािसता म अपन समय को न लगाकर तर ही धयान-िचतन म हमारा समय बीत ऐसी त कपा करना

किऽम सौनदयर-साधन स तवचा की िःन धता और कोमलता मर जाती ह पफ-पाउडर बीम आिद स शरीर की कदरती िःन धता खतम हो जाती ह ाकितक सौनदयर को न करक

जो किऽम सौनदयर क गलाम बनत ह उनस ःनहभरी सलाह ह िक व पफ-पाउडर आिद और तड़कील-भड़कील व आिद की गलामी को छोड़कर ाकितक सौनदयर को बढ़ान की कोिशश कर मीरा और मदालसा की तरह अपन असली सौनदयर को कट करन की कोिशश कर

(अनबम)

साहसी बालक एक लड़का काशी म हिर नि हाईःकल म पढ़ता था उसका गाव काशी स आठ मील दर

था वह रोजाना वहा स पदल चलकर आता बीच म जो गगा नदी बहती ह उस पार करक िव ालय पहचता

उस जमान म गगा पार करन क िलए नाव वाल को दो पस दन पड़त थ दो पस आन क और दो पस जान क कल चार पस यािन पराना एक आना महीन म करीब दो रपय हए जब सोन क एक तोल का भाव रपया सौ स भी नीच था तब क दो रपय आज क तो पाच-पचचीस रपय हो जाए

उस लड़क न अपन मा-बाप पर अितिर बोझा न पड़ इसिलए एक भी पस की माग नही की उसन तरना सीख िलया गम हो बािरश हो या ठ ड हो गगा पार करक हाईःकल म जाना उसका बम हो गया इस कार िकतन ही महीन गजर गय

एक बार पौष मास की ठ ड म वह लड़का सबह की ःकल भरन क िलए गगा म कदा तरत-तरत मझधार म आया एक नाव म कछ याऽी नदी पार कर रह थ उनहोन दखा िक छोटा-सा लड़का अभी डब मरगा व उसक पास नाव ल गय और हाथ पकड़ कर उस नाव म खीच िलया लड़क क मख पर घबराहट या िचनता की कोई रखा नही थी सब लोग दग रह गय इतना छोटा ह और इतना साहसी ह व बोलः

त अभी डब मरता तो ऐसा साहस नही करना चािहए

तब लड़का बोलाः साहस तो होना ही चािहए जीवन म िव न-बाधाए आयगी उनह कचलन क िलए साहस तो चािहए ही अगर अभी स साहस नही जटाया तो जीवन म बड़-बड़ कायर कस कर पायग

लोगो न पछाः इस समय तरन कयो िगरा दोपहर को नहान आता

लड़का बोलता हः म नहान क िलए नदी म नही िगरा ह म तो ःकल जा रहा ह

नाव म बठकर जाता

रोज क चार पस आन-जान क लगत ह मर गरीब मा-बाप पर मझ बोझा नही बनना ह मझ तो अपन परो पर खड़ होना ह मरा खचर बढ़ तो मर मा-बाप की िचनता बढ़ उनह घर चलाना मिकल हो जाय

लोग उस आदर स दखत ही रह गय वही साहसी लड़का आग चलकर भारत का धान मऽी बना

वह लड़का कौन था पता ह व थ लाल बहादर शा ी शा ी जी उस पद भी सचचाई साहस सरलता ईमानदारी सादगी दशम आिद सदगण और सदाचार क मितरमनत ःवरप थ ऐस महापरष भल िफर थोड़ा-सा समय ही राजय कर पर एक अनोखा भाव छोड़ जात ह जनमानस पर

(अनबम)

गर-आजञापालन का चमतकार ौीम आ ाशकराचायर जी जब काशी म िनवास करत थ तब गगा-तट पर िनतय ात-

काल टहलत थ एक सबह िकसी ितभासपनन यवक न दसर िकनार स दखा िक कोई सनयासी उस पार टहल रह ह उस यवक न दसर िकनार स ही उनह णाम िकया उस यवक को दखकर आ शकराचायर जी न सकत िकया िक इधर आ जाओ उस आभासमपनन यवक न दखा िक मन तो साध को णाम कर िदया ह णाम कर िदया तो म उनका िशय हो गया और उनहोन मझ आदश िदया िक इधर आ जाओ अब गर की आजञा का उ लघन करना भी तो उिचत नही ह िकनत यही कोई नाव नही ह और म तरना भी नही जानता ह अब कया कर उसक मन म िवचार आया िक वस भी तो हजारो बार हम मर चक ह एक बार यिद गर क दशरन क िलए जात-जात मर जाय तो घाटा कया होगा

गग मात की जय कह कर उस यवक न तो गगाजी म पर रख िदया उसकी इचछा कहो ौीम आ शकराचायर जी का भाव कहो या िनयित की लीला कहो जहा उस यवक न कदम रखा वहा एक कमल पदा हो गया उसक पर को थामन क िलए जब दसरा पर रखा तो वहा भी कमल पदा हो गया इस कार जहा-जहा वह कदम रखता गया वहा कमल (प ) उतपनन होता गया और वह यवक गगा क दसर तट पर जहा आ शकराचायर जी खड़ थ पहच गया

जहा-जहा वह कदम रखता था वहा-वहा प (कमल) क कट होन क कारण उसका नाम पड़ा - प पादाचायर शकराचायर जी क म य चार प टिशयो म आग जाकर यही प पादाचायर एक प टिशय बन

कहन का तातपयर यह ह िक सिचचदानद परमातमा की शि का सामथयर का बयान करना सभव नही ह िजसकी िजतनी दढ़ता ह िजसकी िजतनी सचचाई ह िजसकी िजतनी ततपरता ह उतनी ही कित भी उसकी मदद करन को आतर रहती ह प पादाचायर की गर-आजञापालन म दढ़ता और ततपरता को दखकर गगा जी म कमल गट हो गय िशय यिद दढ़ता ततपरता और ईमानदारी स गर-आजञापालन म लग जाय तो कित भी उसक अनकल हो जाती ह

(अनबम)

अनोखी गरदिकषणा एकलवय गर िोणाचायर क पास आकर बोलाः मझ धनिवर ा िसखान की कपा कर

गरदव गर िोणाचायर क समकष धमरसकट उतपनन हआ कयोिक उनहोन भीम िपतामह को वचन

द िदया था िक कवल राजकमारो को ही म िशकषा दगा एकलवय राजकमार नही ह अतः उस धनिवर ा कस िसखाऊ अतः िोणाचायर न एकलवय स कहाः

म तझ धनिवर ा नही िसखा सकगा

एकलवय घर स िन य करक िनकला था िक म कवल गर िोणाचायर को ही गर बनाऊगा िजनक िलए मन म भी गर बनान का भाव आ गया उनक िकसी भी वयवहार क िलए िशकायत या िछिानवषण की वि नही होनी चािहए

एकलवय एकात अर य म गया और उसन गर िोणाचायर की िम टी की मितर बनायी मितर की ओर एकटक दखकर धयान करक उसी स रणा लकर वह धनिवर ा सीखन लगा एकटक दखन स एकामता आती ह एकामता गरभि अपनी सचचाई और ततपरता क कारण उस रणा िमलन लगी जञानदाता तो परमातमा ह धनिवर ा म वह बहत आग बढ़ गया

एक बार िोणाचायर पाडव एव कौरव धनिवर ा का योग करन अर य म आय उनक साथ एक क ा भी था जो थोड़ा आग िनकल गया क ा वही पहचा जहा एकलवय अपनी धनिवर ा का योग कर रहा था एकलवय क खल बाल फट कपड़ एव िविचऽ वष को दखकर क ा भ कन लगा

एकलवय न क को लग नही चोट न पहच और उसका भ कना बद हो जाय इस ढग स सात बाण उसक मह म थमा िदय क ा वािपस वहा गया जहा िोणाचायर क साथ पाडव और कौरव थ

उस दखकर अजरन को हआ िक क को चोट न लग इस ढग स बाण मह म घसाकर रख दना यह िव ा तो म भी नही जानता यह कस सभव हआ वह गर िोणाचायर स बोलाः

गरदव आपन तो कहा था िक मरी बराबरी का दसरा कोई धनधाररी नही होगा िकनत ऐसी िव ा तो मझ भी नही आती

िोणाचायर को हआ िक दख इस अर य म कौन-सा ऐसा कशल धनधरर ह आग जाकर दखा तो वह था िहर यधन का पऽ गरभ एकलवय

िोणाचायर न पछाः बटा यह िव ा त कहा स सीखा

एकलवय बोलाः गरदव आपकी ही कपा स सीखा ह

िोणाचायर तो वचन द चक थ िक अजरन की बराबरी का धनधरर दसरा कोई न होगा िकनत यह तो आग िनकल गया गर क िलए धमरसकट खड़ा हो गया एकलवय की अटट ौ ा दखकर िोणाचायर न कहाः मरी मितर को सामन रखकर त धनिवर ा तो सीखा िकनत गरदिकषणा

एकलवयः जो आप माग

िोणाचायरः तर दाय हाथ का अगठा

एकलवय न एक पल भी िवचार िकय िबना अपन दाय हाथ का अगठा काटकर गरदव क चरणो म अपरण कर िदया

िोणाचायरः बटा भल ही अजरन धनिवर ा म सबस आग रह कयोिक म उस वचन द चका ह िकनत जब तक सयर चनि नकषऽो का अिःततव रहगा तब तक लोग तरी गरिन ा का तरी गरभि का ःमरण करग तरा यशोगान होता रहगा

उसकी गरभि और एकामता न उस धनिवर ा म तो सफलता िदलायी ही लिकन सतो क दय म भी उसक िलए आदर गट करवा िदया धनय ह एकलवय जो गरमितर स रणा पाकर धनिवर ा म सफल हआ और िजसन अदभत गरदिकषणा दकर साहस तयाग और समपरण का पिरचय िदया

(अनबम)

सतसग की मिहमा तलसीदास जी महाराज कहत ह ETH

एक घड़ी आधी घड़ी आधी म पिन आध तलसी सगत साध की हर कोिट अपराध

एक बार शकदव जी क िपता भगवान वदवयासजी महाराज कही जा रह थ राःत म उनहोन दखा िक एक कीड़ा बड़ी तजी स सड़क पार कर रहा था

वदवयासजी न अपनी योगशि दत हए उसस पछाः त इतनी ज दी सड़क कयो पार कर रहा ह कया तझ िकसी काम स जाना ह त तो

नाली का कीड़ा ह इस नाली को छोड़कर दसरी नाली म ही तो जाना ह िफर इतनी तजी स कयो भाग रहा ह

कीड़ा बोलाः बाबा जी बलगाड़ी आ रही ह बलो क गल म बध घघर तथा बलगाड़ी क पिहयो की आवाज म सन रहा ह यिद म धीर-धीर सड़क पार करगा तो वह बलगाड़ी आकर मझ कचल डालगी

वदवयासजीः कचलन द कीड़ की योिन म जीकर भी कया करना

कीड़ाः महिषर ाणी िजस शरीर म होता ह उसको उसम ही ममता होती ह अनक ाणी नाना कार क क ो को सहत हए भी मरना नही चाहत

वदवयास जीः बलगाड़ी आ जाय और त मर जाय तो घबराना मत म तझ योगशि स महान बनाऊगा जब तक ा ण शरीर म न पहचा द अनय सभी योिनयो स शीय छटकारा िदलाता रहगा

उस कीड़ न बात मान ली और बीच राःत पर रक गया और मर गया िफर वदवयासजी की कपा स वह बमशः कौआ िसयार आिद योिनयो म जब-जब भी उतपनन हआ वयासजी न जाकर उस पवरजनम का ःमरण िदला िदया इस तरह वह बमशः मग पकषी शि वय जाितयो म जनम लता हआ कषिऽय जाित म उतपनन हआ उस वहा भी वदवयासजी दशरन िदय थोड़ िदनो म रणभिम म शरीर तयागकर उसन ा ण क घर जनम िलया

भगवान वदवयास जी न उस पाच वषर की उ म सारःवतय मऽ द िदया िजसका जप करत-करत वह धयान करन लगा उसकी बि बड़ी िवलकषण होन पर वद शा धमर का रहःय समझ म आ गया

सात वषर की आय म वदवयास जी न उस कहाः काि रक कषऽ म कई वष स एक ा ण ननदभि तपःया कर रहा ह तम जाकर उसकी

शका का समाधान करो

माऽ सात वषर का ा ण कमार काि रक कषऽ म तप कर रह उस ा ण क पास पहच कर बोलाः

ह ा णदव आप तप कयो कर रह ह

ा णः ह ऋिषकमार म यह जानन क िलए तप कर रहा ह िक जो अचछ लोग ह सजजन लोग ह व सहन करत ह दःखी रहत ह और पापी आदमी सखी रहत ह ऐसा कयो ह

बालकः पापी आदमी यिद सखी ह तो पाप क कारण नही वरन िपछल जनम का कोई प य ह उसक कारण सखी ह वह अपन प य खतम कर रहा ह पापी मनय भीतर स तो दःखी ही होता ह भल ही बाहर स सखी िदखाई द

धािमरक आदमी को ठ क समझ नही होती उिचत िदशा व मऽ नही िमलता इसिलए वह दःखी होता ह वह धमर क कारण दःखी नही होता अिपत समझ की कमी क कारण दःखी होता ह समझदार को यिद कोई गर िमल जाय तो वह नर म स नारायण बन जाय इसम कया आ यर ह

ा णः म इतना बढ़ा हो गया इतन वष स काि रक कषऽ म तप कर रहा ह मर तप का फल यही ह िक तमहार जस सात वषर क योगी क मझ दशरन हो रह ह म तमह णाम करता ह

बालकः नही नही महाराज आप तो भदव ह म तो बालक ह म आपको णाम करता ह

उसकी नता दखकर ा ण और खश हआ तप छोड़कर वह परमातमिचनतन म लग गया अब उस कछ जानन की इचछा नही रही िजसस सब कछ जाना जाता ह उसी परमातमा म िवौाित पान लग गया

इस कार ननदभि ा ण को उ र द िनःशक कर सात िदनो तक िनराहार रहकर वह बालक सयरमनऽ का जप करता रहा और वही बहदक तीथर म उसन शरीर तयाग िदया वही बालक दसर जनम म कषार िपता एव िमऽा माता क यहा गट हआ उसका नाम मऽय पड़ा इनहोन वयासजी क िपता पराशरजी स िवण-पराण तथा बहत पाराशर होरा शा का अधययन िकया था पकषपात रिहत अनभवकाश नामक मनथ म मऽय तथा पराशर ऋिष का सवाद आता ह

कहा तो सड़क स गजरकर नाली म िगरन जा रहा कीड़ा और कहा सत क सािननधय स वह मऽय ऋिष बन गया सतसग की बिलहारी ह इसीिलए तलसीदास जी कहत ह ETH

तात ःवगर अपवगर सख धिरअ तला एक अग तल न तािह सकल िमली जो सख लव सतसग

यहा एक शका हो सकती ह िक वह कीड़ा ही मऽय ऋिष कयो नही बन गया

अर भाई यिद आप पहली ककषा क िव ाथ हो और आपको एम ए म िबठाया जाय तो कया आप पास हो सकत हो नही दसरी तीसरी चौथी दसवी बारहवी बीए आिद पास करक ही आप एमए म वश कर सकत हो

िकसी चौकीदार पर कोई धानमनऽी अतयिधक सनन हो जाए तब भी वह उस सीधा कलकटर (िजलाधीश) नही बना सकता ऐस ही नाली म रहन वाला कीड़ा सीधा मनय तो नही

हो सकता बि क िविभनन योिनयो को पार करक ही मनय बन सकता ह हा इतना अवय ह िक सतकपा स उसका मागर छोटा हो जाता ह

सतसमागम की साध परषो स सग की मिहमा का कहा तक वणरन कर कस बयान कर एक सामानय कीड़ा उनक सतसग को पाकर महान ऋिष बन सकता ह तो िफर यिद मानव को िकसी सदगर का सािननधय िमल जाय उनक वचनानसार चल पड़ तो मि का अनभव करक जीवनम भी बन सकता ह

(अनबम)

पीड़ पराई जान र जञानी िकसी स यार करन क िलए बध हए नही ह और िकसी को डाटन म भी राजी

नही ह हमारी जसी यो यता होती ह ऐसा उनका वयवहार हमार ित होता ह लीलाशाह बाप क ौीचरणो म बहत लोग गय थ एक लड़का भी गया था वह मिणनगर

म रहता था िशवजी को जल चढ़ान क प ात ही वह जल पीता वह लड़का खब िन ा स धयान-भजन करता और सवा पजा करता

एक िदन कोई वयि राःत म बहोश पड़ा हआ था िशवजी को जल चढ़ान जात समय उस बालक न उस दखा और अपनी पजा-वजा छोड़कर उस गरीब की सवा म लग गया िबहार का कोई यवक था नौकरी की खोज म आया था कालपर(अहमदाबाद) ःटशन क लटफामर पर एक दो िदन रहा किलयो न मारपीट कर भगा िदया चलत-चलत मिणनगर म पनीत आौम की ओर रोटी की आशा म जा रहा था रोटी तो वहा नही िमलती थी इसिलए भख क कारण चलत-चलत राःत म िगर गया और बहोश हो गया

उस लड़क का घर पनीत आौम क पास ही था सबह क दस साढ़ दस बज थ वह लड़का घर स धयान-भजन स िनपटकर मिदर म िशवजी को जल चढ़ान क िलए जल का लोटा और पजा की साममी लकर जा रहा था उसन दखा िक राःत म कोई यवक पड़ा ह राःत म चलत-चलत लोग बोलत थः शराब पी होगी यह होगा वह होगा हम कया

लड़क को दया आई प य िकय हए हो तो रणा भी अचछ िमलती ह शभ कम स शभ रणा िमलती ह अपन पास की पजा साममी एक ओर रखकर उसन उस वयि को िहलाया बहत मिकल स उसकी आख खली कोई उस जत सघाता कोई कछ करता कोई कछ बोलता था

आख खोलत ही वह वयि धीर स बोलाः पानी पानी

लड़क न महादव जी क िलय लाया हआ जल का लोटा उस िपला िदया िफर दोड़कर घर जाकर अपन िहःस का दध लाकर उस िदया

यवक क जी म जी आया उसन अपनी वयथा बतात हए कहाः बाब जी म िबहार स आया ह मर बाप गजर गय काका िदन-रात टोकत रहत त िक

कमाओ नही तो खाओग कया नौकरी धधा िमलता नही ह भटकत-भटकत अहमदाबाद क ःटशन पर कली का काम करन का य िकया हमारी रोटी-रोजी िछन जायगी ऐसा समझकर किलयो न खब मारा पदल चलत-चलत मिणनगर ःटशन की ओर आत-आत यहा तीन िदन की भख और मार क कारण चककर आय और िगर गया

लड़क न उस िखलाया अपना इक ठा िकया हआ जबखचर का पसा िदया उस यवक को जहा जाना था वहा भजन की वयवःथा की इस लड़क क दय म आनद की वि हई अतर म आवाज आईः

बटा अब म तझ बहत ज दी िमलगा

लड़क न िकयाः अनदर कौन बोलता ह

उ र आयाः िजस िशव की त पजा करता ह वह तरा आतमिशव अब म तर दय म कट होऊगा सवा क अिधकारी की सवा मझ िशव की ही सवा ह

उस िदन उस अतयारमी न अनोखी ऱणा और ोतसाहन िदया वह लड़का तो िनकल पड़ा घर छोड़कर ई र-साकषातकार करन क िलए कदारनाथ वनदावन होत हए निनताल क अर य म पहचा

कदारनाथ क दशरन पाय लकषािधपित आिशष पाय

इस आशीवारद को वापस कर ई राि क िलए िफर पजा की उसक पास जो कछ रपय पस थ उनह वनदावन म साध-सतो एव गरीबो म भ डारा करक खचर कर िदया था थोड़ स पस लकर निनताल क अर यो म पहचा लोकलाड़ल लाखो दयो को हिररस िपलात पजयपाद सदगर ौी लीलाशाह बाप की राह दखत हए चालीस िदन बीत गय गरवर ौी लीलाशाह को अब पणर समिपरत िशय िमला पणर खजाना ा करन वाला पिवऽातमा िमला पणर गर की पणर िशय िमला

िजस लड़क क िवषय म यह कथा पढ़ रह ह वह लड़का कौन होगा जानत हो

पणर गर कपा िमली पणर गर का जञान आसमल स हो गय साई आसाराम

अब तो समझ ही गय होग (उस लड़क क वश म छप हए थ पवर जनम क योगी और वतरमान म िव िव यात हमार

पजयपाद सदगरदव ौी आसाराम जी महाराज)

(अनबम)

िवकास क बिरयो स सावधान किपलवःत क राजा श ोदन का यवराज था िस ाथर यौवन म कदम रखत ही िववक

और वरा य जाग उठा यवान प ी यशोधरा और नवजात िशश राहल की मोह-ममता की रशमी जजीर काटकर महाभीिनबमण (गहतयाग) िकया एकानत अर य म जाकर गहन धयान साधना करक अपन साधय त व को ा कर िलया

एकानत म तप यार और धयान साधना स िखल हए इस आधयाितमक कसम की मधर

सौरभ लोगो म फलन लगी अब िस ाथर भगवान ब क नाम स जन-समह म िस हए हजारो हजारो लोग उनक उपिद मागर पर चलन लग और अपनी अपनी यो यता क मतािबक आधयाितमक याऽा म आग बढ़त हए आितमक शाित ा करन लग अस य लोग बौ िभकषक बनकर भगवान ब क सािननधय म रहन लग उनक पीछ चलन वाल अनयायीओ का एक सघ ःथािपत हो गया चह ओर नाद गजन लग िकः

ब शरण गचछािम धमम शरण गचछािम सघ शरण गचछािम

ौावःती नगरी म भगवान ब का बहत यश फला लोगो म उनकी जय-जयकार होन लगी लोगो की भीड़-भाड़ स िवर होकर ब नगर स बाहर जतवन म आम क बगीच म रहन लग नगर क िपपास जन बड़ी तादाद म वहा हररोज िनि त समय पर पहच जात और उपदश-वचन सनत बड़-बड़ राजा महाराजा भगवान ब क सािननधय म आन जान लग

समाज म तो हर कार क लोग होत ह अनािद काल स दवी समपदा क लोग एव आसरी समपदा क लोग हआ करत ह ब का फलता हआ यश दखकर उनका तजो ष करन वाल लोग जलन लग सतो क साथ हमशा स होता आ रहा ह ऐस उन द त वो न ब को बदनाम करन क िलए कचार िकया िविभनन कार की यि -यि या लड़ाकर ब क यश को हािन पहच ऐसी बात समाज म व लोग फलान लग उन द ो न अपन ष यऽ म एक वया को समझा-बझाकर शािमल कर िलया

वया बन-ठनकर जतवन म भगवान ब क िनवास-ःथानवाल बगीच म जान लगी

धनरािश क साथ द ो का हर कार स सहारा एव ोतसाहन उस िमल रहा था रािऽ को वही रहकर सबह नगर म वािपस लोट आती अपनी सिखयो म भी उसन बात फलाई

लोग उसस पछन लगः अरी आजकल त िदखती नही ह कहा जा रही ह रोज रात को

म तो रोज रात को जतवन जाती ह व ब िदन म लोगो को उपदश दत ह और रािऽ क समय मर साथ रगरिलया मनात ह सारी रात वहा िबताकर सबह लोटती ह

वया न परा ीचिरऽ आजमाकर ष यऽ करन वालो का साथ िदया लोगो म पहल तो हलकी कानाफसी हई लिकन जयो-जयो बात फलती गई तयो-तयो लोगो म जोरदार िवरोध होन लगा लोग ब क नाम पर िफटकार बरसान लग ब क िभकषक बःती म िभकषा लन जात तो लोग उनह गािलया दन लग ब क सघ क लोग सवा-वि म सल न थ उन लोगो क सामन भी उगली उठाकर लोग बकवास करन लग

ब क िशय जरा असावधान रह थ कचार क समय साथ ही साथ स चार होता तो कचार का इतना भाव नही होता िशय अगर िनिबय रहकर सोचत रह जाय िक करगा सो भरगा भगवान उनका नाश करग तो कचार करन वालो को ख ला मदान िमल जाता ह

सत क सािननधय म आन वाल लोग ौ ाल सजजन सीध साद होत ह जबिक द वि करन वाल लोग किटलतापवरक कचार करन म कशल होत ह िफर भी िजन सतो क पीछ सजग समाज होता ह उन सतो क पीछ उठन वाल कचार क तफान समय पाकर शात हो जात ह और उनकी सतवि या काशमान हो उठती ह

कचार न इतना जोर पकड़ा िक ब क िनकटवत लोगो न ऽािहमाम पकार िलया व समझ गय िक यह वयविःथत आयोजनपवरक ष यऽ िकया गया ह ब ःवय तो पारमािथरक सतय म जाग हए थ व बोलतः सब ठ क ह चलन दो वयवहािरक सतय म वाहवाही दख ली अब िननदा भी दख ल कया फकर पड़ता ह

िशय कहन लगः भनत अब सहा नही जाता सघ क िनकटवत भ भी अफवाहो क िशकार हो रह ह समाज क लोग अफवाहो की बातो को सतय मानन लग गय ह

ब ः धयर रखो हम पारमािथरक सतय म िवौाित पात ह यह िवरोध की आधी चली ह तो शात भी हो जाएगी समय पाकर सतय ही बाहर आयगा आिखर म लोग हम जानग और मानग

कछ लोगो न अगवानी का झ डा उठाया और राजयस ा क समकष जोर-शोर स माग की

िक ब की जाच करवाई जाय लोग बात कर रह ह और वया भी कहती ह िक ब रािऽ को मर साथ होत ह और िदन म सतसग करत ह

ब क बार म जाच करन क िलए राजा न अपन आदिमयो को फरमान िदया अब ष यऽ करनवालो न सोचा िक इस जाच करन वाल पच म अगर सचचा आदमी आ जाएगा तो अफवाहो का सीना चीरकर सतय बाहर आ जाएगा अतः उनहोन अपन ष यऽ को आिखरी

पराका ा पर पहचाया अब ऐस ठोस सबत खड़ा करना चािहए िक ब की ितभा का अःत हो जाय

उनहोन वया को दार िपलाकर जतवन भज िदया पीछ स ग डो की टोली वहा गई वया पर बलातकार आिद सब द कतय करक उसका गला घोट िदया और लाश को ब क बगीच म गाड़कर पलायन हो गय

लोगो न राजयस ा क ार खटखटाय थ लिकन स ावाल भी कछ लोग द ो क साथ जड़ हए थ ऐसा थोड़ ही ह िक स ा म बठ हए सब लोग दध म धोय हए वयि होत ह

राजा क अिधकािरयो क ारा जाच करन पर वया की लाश हाथ लगी अब द ो न जोर-शोर स िच लाना शर कर िदया

दखो हम पहल ही कह रह थ वया भी बोल रही थी लिकन तम भगतड़ लोग मानत ही नही थ अब दख िलया न ब न सही बात खल जान क भय स वया को मरवाकर बगीच म गड़वा िदया न रहगा बास न बजगी बासरी लिकन सतय कहा तक िछप सकता ह म ामाल हाथ लग गया इस ठोस सबत स ब की असिलयत िस हो गई सतय बाहर आ गया

लिकन उन मख का पता नही िक तमहारा बनाया हआ कि पत सतय बाहर आया वाःतिवक सतय तो आज ढाई हजार वषर क बाद भी वसा ही चमक रहा ह आज ब को लाखो लोग जानत ह आदरपवरक मानत ह उनका तजो ष करन वाल द लोग कौन-स नरको म जलत होग कया पता

ढाई हजार वषर पहल ब क जमान म भी सतो क साथ ऐसा घोर अनयाय हआ करता था ऋिष दयाननद को भी ऐस ही त वो न तजो ष क कारण बाईस बार िवष दकर मार डालन का यास िकया ःवामी िववकाननद और ःवामी रामतीथर क पीछ भी द लोगो न वया को तयार करक कीचड़ उछाला था

एक ओर लाखो-लाखो लोग सतो की अनभवय वाणी स अपना वयावहािरक ETH आधयाितमक जीवन उननत करक सख-शाित पात ह दसरी ओर कछ द कित क ःवाथ लोग अपना उ ल सीधा करन क िलए ऐस महापरषो क िवर म ष यऽ रचकर उनको बदनाम करत ह यह तो पहल स चला आ रहा ह सत कबीर हो या नानक एकनाथ महाराज हो या सत तकाराम नरिसह महता हो या मीराबाई ायः सभी सतो को अपन जीवन क दौरान समाज क किटल त वो स पाला पड़ता ही रहा ह जीसस बाइःट को इनही त वो न बॉस पर चढ़ाया था उनही लोगो न सकरात को जहर िपलाकर मतयद ड िदया था मनसर को इसी जमात न शली पर चढ़ाया था ईसाई धमर म माट न यथर पर ज म िकया गया था अण-अण म ई र और नारीमाऽ म जगजजननी भगवती का दशरन करन वाल रामकण परमहस को भी लोगो न नही

छोड़ा था परमहस योगाननद रवीनिनाथ टगोर माट न यथर दिकषण भारत क सत ितरव लवर जापानी झन सत बाबो इितहास म िकतन-िकतन उदाहरण मौजद ह

हािसद धमरगर बा शमटोव अित पिवऽ आतमा थ िननदको न उनक इदरिगदर भी मायाजाल िबछा दी थी िसध क साई टउराम क पास अस य लोग आतमक याण हत जान लग तब िवकत िदमागवालो न उन सत को भी ऽास दना शर कर िदया उनक आौम क चह ओर गदगी डाल दत और कए म िम टी का तल उड़लकर पानी बकार कर दत मगल बादशाह बाबर को बहका कर उनही लोगो न गर नानक को कद करवाया था

भगवान ौीराम एव ौीकण को भी द जनो न छोड़ा नही था भगवान ौीराम क गर विश जी महाराज कहत हः

ह राम जी म जब बाजार स गजरता ह तब अजञानी मखर लोग मर िलए कया बकत ह म सब जानता ह लिकन मरा दयाल ःवभाव ह म इन सबका क याण चाहता ह

तमहार साथ यह ससार कछ अनयाय करता ह तमको बदनाम करता ह िननदा करता ह तो यह ससार की परानी रीत ह मनय की हीनवि कचार िननदाखोरी यह आजकल की ही बात नही ह अनािदकाल स ऐसा होता आया ह तम अपन आतमजञान क सःकार जगाकर आतमबल का िवकास करत जाओ मःकरात जाओ आधी तफानो को लाघकर आननदपवरक जीत जाओ

उस जमान म भगवान ब क पास आकर एक िभकषक न ाथरना कीः भनत मझ आजञा द म सभाए भरगा आपक िवचारो का चार करगा

मर िवचारो का चार

हा भगवन म बौ धमर फलाऊगा

लोग तरी िननदा करग गािलया दग

कोई हजर नही म भगवन को धनयवाद दगा िक य लोग िकतन अचछ ह य कवल श दहार करत ह मझ पीटत तो नही

लोग तझ पीटग भी तो कया करोग

भो म शब गजारगा िक य लोग हाथो स पीटत ह पतथर तो नही मारत

लोग पतथर भी मारग और िसर भी फोड़ दग तो कया करगा

िफर भी म आ ःत रहगा और भगवान का िदवय कायर करता रहगा कयोिक व लोग मरा िसर फोड़ग लिकन ाण तो नही लग

लोग जनन म आकर तझ मार दग तो कया करगा

भनत आपक िदवय िवचारो का चार करत-करत म मर भी गया तो समझगा िक मरा जीवन सफल हो गया

उस कतिन यी िभकषक की दढ़ िन ा दखकर भगवान ब सनन हो उठ उस पर उनकी करणा बरस पड़ी

ऐस िशय जब ब का चार करन िनकल पड़ तब कचार करन वाल धीर-धीर शात हो गय मनयो की उगिलया काट-काटकर माला बनाकर पहनन वाला अगिलमाल जसा बर हतयारा भी दयपिरवतरन पाकर ब की शरण म िभकषक होकर रहन लगा

आज हम ब को बहत आदर स जानत ह मानत ह उनक जीवनकाल क दौरान उनक पीछ लग हए द लोग कौन स नरक म सड़त होग रौरव नरक म या कभीपाक नरक म कौन-सी योिनयो म भटकत होग सअर बन होग िक नाली क कीड़ बन होग शतान बन होग िक राकषस बन होग मझ पता नही लिकन ब तो करोड़ो दयो म बस रह ह यह म मानता ह

सतय तो परमाथर ह आतमा ह परमातमा ह उसम िजतना िटकोग उतना तमहारा मगल होगा तमहारी िनगाह िजन पर पड़गी उनका भी मगल होगा

(अनबम)

कछ जानन यो य बात सय दय स पवर उठकर ःनान कर लना चािहए ातः खाली पट मटक का बासी पानी

पीना ःवाःथयद ह तलसी क प सय दय क प ात ही तोड़ दध म तलसी क प नही डालन चािहए तथा

दध क साथ खान भी नही चािहए तलसी क प खाकर थोड़ा पानी पीना िपय जलनित स पिह सौ कार क लाभ होत ह अपन मिःतक म एक कार का िवजाितय

िवय उतपनन होता ह यिद वह िवय वही अटक जाता ह तो बचपन म ही बाल सफद होन लगत ह इसस नजल की बीमारी भी होती ह यिद वह िवय नाक की तरफ आता ह तो सगनध-दगरनध का पता नही चल पाता और ज दी-ज दी जकाम हो जाता ह यिद वह िवय कान की तरफ आता ह तो कान बहर होन लगत ह और छोट-मोट ब ीस रोग हो सकत ह यिद वह िवय दात की तरफ आय तो दात छोटी उ म ही िगरन लगत ह यिद आख की तरफ वह िवय उतर तो चम लगन लगत ह जलनित यािन नाक स पानी खीचकर मह स िनकाल दन स वह िवय िनकल जाता ह गल क ऊपर क ायः सभी रोगो स मि िमल जाती ह

आईसबीम खान क बाद चाय पीना दातो क िलए अतयािधक हािनकारक होता ह

भोजन को पीना चािहए तथा पानी को खाना चािहए इसका मतलब यह ह िक भोजन को इतना चबाओ िक वह पानी की तरह पतला हो जाय और पानी अथवा अनय पय पदाथ को धीर-धीर िपयो

िकसी भी कार का पय पदाथर पीना हो तो दाया नथना बनद करक िपय इसस वह अमत जसा हो जाता ह यिद दाया ःवर(नथना) चाल हो और पानी आिद िपय तो जीवनशि (ओज) पतली होन लगती ह चयर की रकषा क िलए शरीर को तनदरःत रखन क िलए यह योग करना चािहए

तम चाह िकतनी भी महनत करो िकनत िजतना तमहारी नसो म ओज ह चयर की शि ह उतन ही तम सफल होत हो जो चाय-कॉफी आिद पीत ह उनका ओज पतला होकर पशाब ारा न होता जाता ह अतः चयर की रकषा क िलए चाय-कॉफी जस वयसनो स दर रहना रह

पढ़न क बाद थोड़ी दर शात हो जाना चािहए जो पढ़ा ह उसका मनन करो िशकषक ःकल म जब पढ़ात हो तब धयान स सनो उस व मःती-मजाक नही करना चािहए िवनोद-मःती कम स कम करो और समझन की कोिशश अिधक करो

जो सय दय क पवर नही उठता उसक ःवभाव म तमस छा जाता ह जो सय दय क पवर उठता ह उसकी बि शि बढ़ती ह

नीद म स उठकर तरत भगवान का धयान करो आतमःनान करो धयान म रिच नही होती तो समझना चािहए िक मन म दोष ह उनह िनकालन क िलए कया करना चािहए

मन को िनद ष बनान क िलए सबह-शाम माता-िपता को णाम करना चािहए गरजनो को णाम करना चािहए एव भगवान क नाम का जप करना चािहए भगवान स ाथरना करनी चािहए िक ह भगवान ह मर भ मरी धयान म रिच होन लग ऐसी कपा कर दो िकसी समय गद िवचार िनकल आय तो समझना चािहए िक अदर छप हए िवचार िनकल रह ह अतः खश होना चािहए िवचार आया और गया मर राम तो दय म ही ह ऐसी भावना करनी चािहए

िनदा करना तो अचछा नही ह िकनत िनदा सनना भी उिचत नही (अनबम)

शयन की रीत मनय को िकस ढग स सोना चािहए इसका भी तरीका होता ह सोत व पवर अथवा

दिकषण िदशा की ओर िसर करक ही सोना चािहए

भोजन करन क बाद िदन म दस िमनट आराम कर िकनत सोय नही भोजन क बाद दस िमनट बायी करवट लट सकत ह रािऽ को जागरण िकया हो इस कारण स कभी िदन म सोना पड़ वह अलग बात ह

सोत व नीच कोई गमर कबल आिद िबछाकर सोय तािक आपकी जीवनशि अिथग न हो जाय आपक शरीर की िव तशि भिम म न उतर जाय

(अनबम)

ःनान का तरीका शरीर की मजबती एव आरो यता क िलए रगड़-रगड़कर ःनान करना चािहए जो लोग

ठड दशो म रहत ह उनका ःवाःथय गमर दस क लोगो की अपकषा अचछा होता ह ठडी स अपना शरीर सधरता ह

ःनान करत व 12-15 िलटर पानी बा टी म लकर पहल उसम िसर डबाना चािहए िफर पर िभगोना चािहए पहल पर गील नही करन चािहए शरीर की गम ऊपर की ओर चढ़ती ह जो ःवाःथय क िलए हािनकारक होती ह

अतः पहल ठड पानी की बा टी भर ल िफर मह म पानी भरकर िसर को बा टी म डाल और आख पटपटाए इसस आखो की शि बढ़ती ह शरीर को रगड़-रगड़कर नहाए बाद म गील व स शरीर को रगड़-रगड़कर पोछ िजसस रोम कप का सारा मल बाहर िनकल जाय और रोमकप(तवचा क िछि) खल जायय तवचा क िछि बद रहन स ही तवचा की कई बीमािरया होती ह िफर सख कपड़ स शरीर को पोछ कर (अथवा थोड़ा गीला हो तब भी चल) सख साफ व पहन ल व भल साद हो िकनत साफ हो बासी कपड़ नही पहन हमशा धल हए कपड़ ही पहन इसस मन भी सनन रहता ह

पाच कार क ःनान होत हः ःनान दवःनान ऋिषःनान मानवःनान दानवःनान ःनानः -परमातमा का िचतन करक जल थल नहान वाला

ऐसा िचतन करक ा महतर म नहाना इस ःनान कहत ह दवःनानः दवनिदयो म ःनान या दवनिदयो का ःमरण करक सय दय स पवर नहाना यह

दवःनान ह ऋिषःनानः आकाश म तार िदखत हो और नहा ल यह ऋिषःनान ह ऋिषःनान करन

वाल की बि बड़ी तजःवी होती ह मानवःनानः सय दय क पवर का ःनान मानवःनान ह

दानवःनानः सय दय क प ात चाय पीकर नाता करक आठ नौ बज नहाना यह दानव ःनान ह

अतः हमशा ऋिषःनान करन का ही यास करना चािहए (अनबम)

ःवचछता का धयान यिद शरीर की सफाई रखी जाय तो मन भी सनन रहता ह आजकल अिधकतर लोग

श स ही मजन करत ह श की अपकषा नीम और बबल की दातौन जयादा अचछ होती ह और यिद श भी कर तो कभी-कभार श को गमर पानी स धोना चािहए अनयथा उसम बकटिरया(जीवाण) रह जात ह

िकतन ही लोग उगली स दात साफ करत ह तजरनी (अगठ क पास वाली थम उगली) स दात िघसन स मसड़ कमजोर हो जात ह तथा दात ज दी िगर जात ह कयोिक तजरनी म िव तशि का माण दसरी उगिलयो की अपकषा अिधक होता ह अतः उसस दात नही िघसन चािहए एव आखो को भी नही मसलना चािहए

िजस िदशा स हवा आती हो उस िदशा की ओर मह करक कभी-भी मलमऽ का िवसजरन नही करना चािहए सयर और चनिमा की ओर मख करक भी मलमऽ का िवसजरन नही करना चािहए

(अनबम)

ःमरणशि का िवकास यादशि बढ़ान का एक सनदर योग ह ETH ामरी ाणायाम सखासन प ासन या

िस ासन पर बठ हाथ की कोहनी की ऊचाई कनध तक रह इस कार रखकर हाथ की थम उगली(तजरनी) स दोनो कानो को धीर-स बद कर एकदम जोर स बद न कर िकनत बाहर का कछ सनाई न द इस कार धीर स कान बनद कर

अब गहर ास लकर थोड़ी दर रोक ओठ बद रखकर जस मर का गजन होता ह वस ॐsssss कहत हए गजन कर उसक बाद थोड़ी दर तक ास न ल पनः यही िबया दहराय ऐसा सबह एव शाम 8 स 10 बार कर यादशि बढ़ान का यह यौिगक योग ह इसस मिःतक की नािड़यो का शोधन होकर मिःतक म र सचार उिचत ढग स होता ह

और िवचार करन स भी बि शि का िवकास होता ह

सबह खाली पट तलसी क प एकाध काली िमचर चबाकर एक िगलास पानी पीन स भी ःमरणशि का िवकास होता ह रोग-ितकारक शि बढ़ती ह कनसर की बीमारी कभी नही होती जलदर-भगदर की बीमारी भी कभी नही होती

(अनबम)

वयि तव और वयवहार िकसी भी वयि तव का पता उसक वयवहार स ही चलता ह कई लोग वयथर च ा करत

ह एक होती ह सकाम च ा दसरी होती ह िनकाम च ा और तीसरी होती ह वयथर च ा वयथर च ा नही करनी चािहए िकसी क शरीर म कोई कमी हो तो उसका मजाक नही उड़ाना चािहए वरन उस मददरप बनना चािहए यह िनकाम सवा ह

िकसी की भी िनदा नही करनी चािहए िनदा करन वाला वयि िजसकी िनदा करता ह उसका तो इतना अिहत नही होता िजतना वह अपना अिहत करता ह जो दसरो की सवा करता ह दसरो क अनकल होता ह वह दसरो का िजतना िहत करता ह उसकी अपकषा उसका खद का िहत जयादा होता ह

अपन स जो उ स बड़ हो जञान म बड़ हो तप म बड़ हो उनका आदर करना चािहए िजस मनय क साथ बात करत हो वह मनय कौन ह यह जानकर बात करो तो आप वयवहार-कशल कहलाओग

िकसी को पऽ िलखत हो तो यिद अपन स बड़ हो तो ौी सबोधन करक िलखो सबोधन करन स सवाकयो की रचना स िश ता बढ़ती ह िकसी स बात करो तो सबोधन करक बात करो जो तकार स बात करता ह वह अिश कहलाता ह िश तापवरक बात करन स अपनी इजजत बढ़ती ह

िजसक जीवन म वयवहार-कशलता ह वह सभी कषऽो म सफल होता ह िजसम िवनता ह वही सब कछ सीख सकता ह िवनता िव ा बढ़ाती ह िजसक जीवन म िवनता नही ह समझो उसक सब काम अधर रह गय और जो समझता ह िक म सब कछ जानता ह वह वाःतव म कछ नही जानता

एक िचऽकार अपन गरदव क सममख एक सनदर िचऽ बनाकर लाया गर न िचऽ दखकर कहाः

वाह वाह सनदर ह अदभत ह

िशय बोलाः गरदव इसम कोई ऽिट रह गयी हो तो कपा करक बताइए इसीिलए म आपक चरणो म आया ह

गरः कोई ऽिट नही ह मझस भी जयादा अचछा बनाया ह

वह िशय रोन लगा उस रोता दखकर गर न पछाः तम कयो रो रह हो म तो तमहारी शसा कर रहा ह

िशयः गरदव मरी घड़ाई करन वाल आप भी यिद मरी शसा ही करग तो मझ मरी गि तया कौन बतायगा मरी गित कस होगी

यह सनकर गर अतयत सनन हो गय हमन िजतना जाना िजतना सीखा ह वह तो ठ क ह उसस जयादा जान सक सीख सक

ऐसा हमारा यास होना चािहए रामकण परमहस व हो गय थ िकसी न उनस पछाः बाबा जी आपन सब कछ जान

िलया ह

रामकण परमहसः नही म जब तक जीऊगा तब तक िव ाथ ही रहगा मझ अभी बहत कछ सीखना बाकी ह

िजनक पास सीखन को िमल उनस िवनतापवरक सीखना चािहए जो कछ सीखो सावधानीपवरक सीखो जीवन म िवनोद जररी ह िकनत िवनोद की अित न हो िजस समय पढ़त हो कछ सीखत हो कछ करत हो उस समय मःती नही िवनोद नही वरन जो कछ पढ़ो सीखो या करो उस उतसाह स धयान स और सावधानी स करो

पढ़न स पवर थोड़ धयानःथ हो जाओ पढ़न क बाद मौन हो जाओ यह गित की चाबी ह

माता-िपता स िचढ़ना नही चाह िजस मा-बाप न जनम िदया ह उनकी बातो को समझना चािहए अपन िलए उनक मन म िवशष दया हो िवशष म उतपनन हो ऐसा वयवहार करना चािहए

भल जाओ भल सब कछ माता-िपता को भलना नही अनिगनत उपकार ह उनक यह कभी िबसरना नही

माता-िपता को सतोष हो उनका दय सनन हो ऐसा हमारा वयवहार होना चािहए अपन माता-िपता एव गरजनो को सत रखकर ही हम सचची गित कर सकत ह

(अनबम)

  • पजय बाप जी का उदबोधन
  • कदम अपना आग बढाता चला जा
  • त गलाब होकर महक
  • जीवन विकास का मल सयम
  • तरिकाल सधया
  • शरीर सवासथय
  • अनन का परभाव
  • भारतीय ससकति की महानता
  • हरिदास की हरिभकति
  • बनावटी शरगार स बचो
  • साहसी बालक
  • गर-आजञापालन का चमतकार
  • अनोखी गरदकषिणा
  • सतसग की महिमा
  • पीड पराई जान र
  • विकास क बरियो स सावधान
  • कछ जानन योगय बात
  • शयन की रीत
  • सनान का तरीका
  • सवचछता का धयान
  • समरणशकति का विकास
  • वयकतितव और वयवहार
Page 23: Tu gulabhokarmehak

और मर घर तक ल आय उसम मसलमान लड़क भी शािमल ह जयो ही वह भातफरी काजी क घर पहची काजी घर क अनदर िछप गया

गौराग न काजी का ार खटखटाया तब काजी या काजी की प ी न नही वरन चौकीदार न दरवाजा खोला वह बोलाः

काजी साहब घर पर नही ह

गौराग बोलः नही कस ह अभी तो हमन उनह घर की छत पर दखा था काजी को जाकर बोलो हमार मामा और मा भी िजस गाव की ह आप भी उसी गाव क हो इसिलए आप मर गाव क मामा लगत ह मामाजी भानजा ार पर आय और आप छप कर बठ यह शोभा नही दता बाहर आ जाईय

चौकीदार न जाकर काजी को सब कह सनाया गौराग क मभर वचन सनकर काजी का दय िपघल गया िजस पर मन ज म ढाय वह मझ मामा कहकर सबोिधत करता ह िजसक साथ मन बरता की वह मर साथ िकतना औदायर रखता ह यह सोचकर काजी का दय बदल गया वह ार पर आकर बोलाः

म तमस डरकर अनदर नही छपा कयोिक मर पास तो स ा ह कलम की ताकत ह लिकन हिरकीतरन स हिरनाम स िहनद तो कया मसलमान लड़क भी आनिदत हो रह ह उनका भी लह पिवऽ हो रहा ह यह दखकर मझ दःख हो रहा ह िक िजस नाम क उचचारण स उनकी रग-रग पावन हो रही ह उसी नाम क कारण मन हिरदास पर और तम पर ज म िकया िकसी क बहकाव म आकर तम लोगो पर फरमान जारी िकया अब म िकस मह स तमहार सामन आता इसीिलए म मह िछपाकर घर क अनदर घस गया था

भानजा(गौराग) बोलता हः मामा अब तो बाहर आ जाइय

मामा(काजी) बोलाः बाहर आकर कया कर

गौरागः कीतरन कर हिरनाम क उचचारण स छपी हई यो यता िवकिसत कर आनद गट कर

काजीः कया करना होगा

गौरागः म जसा बोलता ह ऐसा ही बोलना होगा बोिलएः हिर बोल हिर बोल

काजीः हिर बोल हिर बोल

गौरागः हिर बोल हिर बोल

काजीः हिर बोल हिर बोल

हिर बोल हिर बोल हिर बोल हिर बोल

हिर बोल हिर बोल हिर बोल हिर बोल

कीतरन करत-करत गौराग न अपनी िनगाहो स काजी पर कपा बरसाई तो काजी भी झमन लगा उस भी हिर बोल का रग लग गया जस इजन को ह डल दकर छोड़ दत ह तब भी इजन चलता रहता ह ऐस ही गौराग की कपादि स काजी भी झमन लगा

काजी क झमन स वातावरण म और भी रग आ गया काजी तो झम गया काजी की प ी भी झमी और चौकीदार भी झम उठा सब हिरकीतरन म झमत-झमत अपन र को पावन करन लग दय को हिररस स सराबोर करन लगा उनक जनम-जनम क पाप-ताप न होन लग िजस पर भगवान की दया होती ह िजसको साधओ का सग िमलता ह सतसग का सहारा िमलता ह और भारतीय सःकित की महानता को समझन की अकल िमलती ह िफर उसक उ ार म कया बाकी रह जाता ह काजी का तो उ ार हो गया

दखो सत की उदारता एव महानता िजसन िहनदओ पर ज म करवाय भ हिरदास को बत मरवात-मरवात यमना जी म डलवा िदया भातफरी पर ितबध लगवा िदया उसी काजी को गौराग न हिररग म रग िदया अपनी कपादि स िनहाल कर िदया उसक बर कम की धयान न दत हए भि का दान द िदया ऐस गौराग क ौीचरणो म हमार हजार-हजार णाम ह हम उस मसलमान यवक हिरदास को भी धनयवाद दत ह िक उसन बत खात पीड़ा सहत भी भि न छोड़ी गरदव को न छोड़ा न ही उनक दबाव म आकर पनः मसलमान बना हिर बोल क रग म ःवय रगा और िसपािहयो को भी रग िदया धनय ह हिरदास और उसकी हिरभि

(अनबम)

बनावटी ौगार स बचो जमरनी क िस दाशरिनक शोपनहार कहत ह िक िजन दशो म हिथयार बनाय जात ह

उन दशो क लोगो को य करन की उ जना होती ह और उन दशो म हिथयार बनत ही रहत ह य भी होत रहत ह ऐस ही जो लोग फशन करत ह उनक दय म काम बोध लोभ मोह रपी य होता ही रहता ह उनक जीवन म िवलािसता आती ह और पतन होता ह वस ही फशन और िवलािसता स सयम सदाचार और यो यता का सहार होता ह

इसिलए य क साधन बढ़न स जस य होता ह वस ही िवलािसता और फशन क साधनो का उपयोग करन स अतयर होता ह अपनी आितमक शि यो का सहार होता ह अतः अपना भला चाहन वाल भाई-बहनो को पफ-पाउडर िलपिःटक-लाली व -अलकार क िदखाव क पीछ नही पड़ना चािहए सयम सादगी एव पिवऽतापणर जीवन जीना चािहए

अपन शा ो म ौगार की अनमित दी गई ह सौभा यवती ि या जब पित अपन ही नगर म हो घर म हो तब ौगार कर पित यिद दर दश गया हो तब सौभा यवित ि यो को भी सादगीपणर जीवन जीना चािहए ौगार क उपयोग म आनवाली वःतए भी वनिःपतयो एव साि वक रसो स बनी हई होनी चािहए जो सननता और आरो यता दान कर

आजकल तो शरीर म उ जना पदा कर बीमािरया पदा कर ऐस किमक स(रसायनो) और जहर जस साधनो स ौगार-साधन बनाए जात ह िजसस शरीर क अनदर जहरील कण जात ह और तवचा की बीमािरया होती ह आहार म भी जहरील कणो क जान स पाचन-तऽ और मानिसक सतलन िबगड़ता ह साथ ही बौि क एव वचािरक सतलन भी िबगड़ता ह

पशओ की चब किमक स और दसर थोड़ जहरील िवयो स बन पफ-पाउडर िलपिःटक-लाली आिद िजन साधनो का यटी-पालरर म उपयोग िकया जाता ह वसी गदगी कभी-भी अपन शरीर को तो लगानी ही नही चािहए दसर लोगो न लगायी हो तो दखकर सनन भी नही होना चािहए अपन सयम और सदाचार की सनदरता को गट करना चािहए मीरा और शबरी िकस यटी-पालरर म गय थ सती अनसया गाग और मदालसा न िकस पफ-पाउडर लाली-िलपिःटक का उपयोग िकया था िफर भी उनका जीवन सनदर तजःवी था हम भी ई र स ाथरना कर िक ह भगवान हम अपना सयम और साधना का सौनदयर बढ़ाए ऐसी त दया करना िवकारी सौनदयर स अपन को बचाकर िनिवरकारी नारायण की ओर जाय ऐसी त दया करना िवलािसता म अपन समय को न लगाकर तर ही धयान-िचतन म हमारा समय बीत ऐसी त कपा करना

किऽम सौनदयर-साधन स तवचा की िःन धता और कोमलता मर जाती ह पफ-पाउडर बीम आिद स शरीर की कदरती िःन धता खतम हो जाती ह ाकितक सौनदयर को न करक

जो किऽम सौनदयर क गलाम बनत ह उनस ःनहभरी सलाह ह िक व पफ-पाउडर आिद और तड़कील-भड़कील व आिद की गलामी को छोड़कर ाकितक सौनदयर को बढ़ान की कोिशश कर मीरा और मदालसा की तरह अपन असली सौनदयर को कट करन की कोिशश कर

(अनबम)

साहसी बालक एक लड़का काशी म हिर नि हाईःकल म पढ़ता था उसका गाव काशी स आठ मील दर

था वह रोजाना वहा स पदल चलकर आता बीच म जो गगा नदी बहती ह उस पार करक िव ालय पहचता

उस जमान म गगा पार करन क िलए नाव वाल को दो पस दन पड़त थ दो पस आन क और दो पस जान क कल चार पस यािन पराना एक आना महीन म करीब दो रपय हए जब सोन क एक तोल का भाव रपया सौ स भी नीच था तब क दो रपय आज क तो पाच-पचचीस रपय हो जाए

उस लड़क न अपन मा-बाप पर अितिर बोझा न पड़ इसिलए एक भी पस की माग नही की उसन तरना सीख िलया गम हो बािरश हो या ठ ड हो गगा पार करक हाईःकल म जाना उसका बम हो गया इस कार िकतन ही महीन गजर गय

एक बार पौष मास की ठ ड म वह लड़का सबह की ःकल भरन क िलए गगा म कदा तरत-तरत मझधार म आया एक नाव म कछ याऽी नदी पार कर रह थ उनहोन दखा िक छोटा-सा लड़का अभी डब मरगा व उसक पास नाव ल गय और हाथ पकड़ कर उस नाव म खीच िलया लड़क क मख पर घबराहट या िचनता की कोई रखा नही थी सब लोग दग रह गय इतना छोटा ह और इतना साहसी ह व बोलः

त अभी डब मरता तो ऐसा साहस नही करना चािहए

तब लड़का बोलाः साहस तो होना ही चािहए जीवन म िव न-बाधाए आयगी उनह कचलन क िलए साहस तो चािहए ही अगर अभी स साहस नही जटाया तो जीवन म बड़-बड़ कायर कस कर पायग

लोगो न पछाः इस समय तरन कयो िगरा दोपहर को नहान आता

लड़का बोलता हः म नहान क िलए नदी म नही िगरा ह म तो ःकल जा रहा ह

नाव म बठकर जाता

रोज क चार पस आन-जान क लगत ह मर गरीब मा-बाप पर मझ बोझा नही बनना ह मझ तो अपन परो पर खड़ होना ह मरा खचर बढ़ तो मर मा-बाप की िचनता बढ़ उनह घर चलाना मिकल हो जाय

लोग उस आदर स दखत ही रह गय वही साहसी लड़का आग चलकर भारत का धान मऽी बना

वह लड़का कौन था पता ह व थ लाल बहादर शा ी शा ी जी उस पद भी सचचाई साहस सरलता ईमानदारी सादगी दशम आिद सदगण और सदाचार क मितरमनत ःवरप थ ऐस महापरष भल िफर थोड़ा-सा समय ही राजय कर पर एक अनोखा भाव छोड़ जात ह जनमानस पर

(अनबम)

गर-आजञापालन का चमतकार ौीम आ ाशकराचायर जी जब काशी म िनवास करत थ तब गगा-तट पर िनतय ात-

काल टहलत थ एक सबह िकसी ितभासपनन यवक न दसर िकनार स दखा िक कोई सनयासी उस पार टहल रह ह उस यवक न दसर िकनार स ही उनह णाम िकया उस यवक को दखकर आ शकराचायर जी न सकत िकया िक इधर आ जाओ उस आभासमपनन यवक न दखा िक मन तो साध को णाम कर िदया ह णाम कर िदया तो म उनका िशय हो गया और उनहोन मझ आदश िदया िक इधर आ जाओ अब गर की आजञा का उ लघन करना भी तो उिचत नही ह िकनत यही कोई नाव नही ह और म तरना भी नही जानता ह अब कया कर उसक मन म िवचार आया िक वस भी तो हजारो बार हम मर चक ह एक बार यिद गर क दशरन क िलए जात-जात मर जाय तो घाटा कया होगा

गग मात की जय कह कर उस यवक न तो गगाजी म पर रख िदया उसकी इचछा कहो ौीम आ शकराचायर जी का भाव कहो या िनयित की लीला कहो जहा उस यवक न कदम रखा वहा एक कमल पदा हो गया उसक पर को थामन क िलए जब दसरा पर रखा तो वहा भी कमल पदा हो गया इस कार जहा-जहा वह कदम रखता गया वहा कमल (प ) उतपनन होता गया और वह यवक गगा क दसर तट पर जहा आ शकराचायर जी खड़ थ पहच गया

जहा-जहा वह कदम रखता था वहा-वहा प (कमल) क कट होन क कारण उसका नाम पड़ा - प पादाचायर शकराचायर जी क म य चार प टिशयो म आग जाकर यही प पादाचायर एक प टिशय बन

कहन का तातपयर यह ह िक सिचचदानद परमातमा की शि का सामथयर का बयान करना सभव नही ह िजसकी िजतनी दढ़ता ह िजसकी िजतनी सचचाई ह िजसकी िजतनी ततपरता ह उतनी ही कित भी उसकी मदद करन को आतर रहती ह प पादाचायर की गर-आजञापालन म दढ़ता और ततपरता को दखकर गगा जी म कमल गट हो गय िशय यिद दढ़ता ततपरता और ईमानदारी स गर-आजञापालन म लग जाय तो कित भी उसक अनकल हो जाती ह

(अनबम)

अनोखी गरदिकषणा एकलवय गर िोणाचायर क पास आकर बोलाः मझ धनिवर ा िसखान की कपा कर

गरदव गर िोणाचायर क समकष धमरसकट उतपनन हआ कयोिक उनहोन भीम िपतामह को वचन

द िदया था िक कवल राजकमारो को ही म िशकषा दगा एकलवय राजकमार नही ह अतः उस धनिवर ा कस िसखाऊ अतः िोणाचायर न एकलवय स कहाः

म तझ धनिवर ा नही िसखा सकगा

एकलवय घर स िन य करक िनकला था िक म कवल गर िोणाचायर को ही गर बनाऊगा िजनक िलए मन म भी गर बनान का भाव आ गया उनक िकसी भी वयवहार क िलए िशकायत या िछिानवषण की वि नही होनी चािहए

एकलवय एकात अर य म गया और उसन गर िोणाचायर की िम टी की मितर बनायी मितर की ओर एकटक दखकर धयान करक उसी स रणा लकर वह धनिवर ा सीखन लगा एकटक दखन स एकामता आती ह एकामता गरभि अपनी सचचाई और ततपरता क कारण उस रणा िमलन लगी जञानदाता तो परमातमा ह धनिवर ा म वह बहत आग बढ़ गया

एक बार िोणाचायर पाडव एव कौरव धनिवर ा का योग करन अर य म आय उनक साथ एक क ा भी था जो थोड़ा आग िनकल गया क ा वही पहचा जहा एकलवय अपनी धनिवर ा का योग कर रहा था एकलवय क खल बाल फट कपड़ एव िविचऽ वष को दखकर क ा भ कन लगा

एकलवय न क को लग नही चोट न पहच और उसका भ कना बद हो जाय इस ढग स सात बाण उसक मह म थमा िदय क ा वािपस वहा गया जहा िोणाचायर क साथ पाडव और कौरव थ

उस दखकर अजरन को हआ िक क को चोट न लग इस ढग स बाण मह म घसाकर रख दना यह िव ा तो म भी नही जानता यह कस सभव हआ वह गर िोणाचायर स बोलाः

गरदव आपन तो कहा था िक मरी बराबरी का दसरा कोई धनधाररी नही होगा िकनत ऐसी िव ा तो मझ भी नही आती

िोणाचायर को हआ िक दख इस अर य म कौन-सा ऐसा कशल धनधरर ह आग जाकर दखा तो वह था िहर यधन का पऽ गरभ एकलवय

िोणाचायर न पछाः बटा यह िव ा त कहा स सीखा

एकलवय बोलाः गरदव आपकी ही कपा स सीखा ह

िोणाचायर तो वचन द चक थ िक अजरन की बराबरी का धनधरर दसरा कोई न होगा िकनत यह तो आग िनकल गया गर क िलए धमरसकट खड़ा हो गया एकलवय की अटट ौ ा दखकर िोणाचायर न कहाः मरी मितर को सामन रखकर त धनिवर ा तो सीखा िकनत गरदिकषणा

एकलवयः जो आप माग

िोणाचायरः तर दाय हाथ का अगठा

एकलवय न एक पल भी िवचार िकय िबना अपन दाय हाथ का अगठा काटकर गरदव क चरणो म अपरण कर िदया

िोणाचायरः बटा भल ही अजरन धनिवर ा म सबस आग रह कयोिक म उस वचन द चका ह िकनत जब तक सयर चनि नकषऽो का अिःततव रहगा तब तक लोग तरी गरिन ा का तरी गरभि का ःमरण करग तरा यशोगान होता रहगा

उसकी गरभि और एकामता न उस धनिवर ा म तो सफलता िदलायी ही लिकन सतो क दय म भी उसक िलए आदर गट करवा िदया धनय ह एकलवय जो गरमितर स रणा पाकर धनिवर ा म सफल हआ और िजसन अदभत गरदिकषणा दकर साहस तयाग और समपरण का पिरचय िदया

(अनबम)

सतसग की मिहमा तलसीदास जी महाराज कहत ह ETH

एक घड़ी आधी घड़ी आधी म पिन आध तलसी सगत साध की हर कोिट अपराध

एक बार शकदव जी क िपता भगवान वदवयासजी महाराज कही जा रह थ राःत म उनहोन दखा िक एक कीड़ा बड़ी तजी स सड़क पार कर रहा था

वदवयासजी न अपनी योगशि दत हए उसस पछाः त इतनी ज दी सड़क कयो पार कर रहा ह कया तझ िकसी काम स जाना ह त तो

नाली का कीड़ा ह इस नाली को छोड़कर दसरी नाली म ही तो जाना ह िफर इतनी तजी स कयो भाग रहा ह

कीड़ा बोलाः बाबा जी बलगाड़ी आ रही ह बलो क गल म बध घघर तथा बलगाड़ी क पिहयो की आवाज म सन रहा ह यिद म धीर-धीर सड़क पार करगा तो वह बलगाड़ी आकर मझ कचल डालगी

वदवयासजीः कचलन द कीड़ की योिन म जीकर भी कया करना

कीड़ाः महिषर ाणी िजस शरीर म होता ह उसको उसम ही ममता होती ह अनक ाणी नाना कार क क ो को सहत हए भी मरना नही चाहत

वदवयास जीः बलगाड़ी आ जाय और त मर जाय तो घबराना मत म तझ योगशि स महान बनाऊगा जब तक ा ण शरीर म न पहचा द अनय सभी योिनयो स शीय छटकारा िदलाता रहगा

उस कीड़ न बात मान ली और बीच राःत पर रक गया और मर गया िफर वदवयासजी की कपा स वह बमशः कौआ िसयार आिद योिनयो म जब-जब भी उतपनन हआ वयासजी न जाकर उस पवरजनम का ःमरण िदला िदया इस तरह वह बमशः मग पकषी शि वय जाितयो म जनम लता हआ कषिऽय जाित म उतपनन हआ उस वहा भी वदवयासजी दशरन िदय थोड़ िदनो म रणभिम म शरीर तयागकर उसन ा ण क घर जनम िलया

भगवान वदवयास जी न उस पाच वषर की उ म सारःवतय मऽ द िदया िजसका जप करत-करत वह धयान करन लगा उसकी बि बड़ी िवलकषण होन पर वद शा धमर का रहःय समझ म आ गया

सात वषर की आय म वदवयास जी न उस कहाः काि रक कषऽ म कई वष स एक ा ण ननदभि तपःया कर रहा ह तम जाकर उसकी

शका का समाधान करो

माऽ सात वषर का ा ण कमार काि रक कषऽ म तप कर रह उस ा ण क पास पहच कर बोलाः

ह ा णदव आप तप कयो कर रह ह

ा णः ह ऋिषकमार म यह जानन क िलए तप कर रहा ह िक जो अचछ लोग ह सजजन लोग ह व सहन करत ह दःखी रहत ह और पापी आदमी सखी रहत ह ऐसा कयो ह

बालकः पापी आदमी यिद सखी ह तो पाप क कारण नही वरन िपछल जनम का कोई प य ह उसक कारण सखी ह वह अपन प य खतम कर रहा ह पापी मनय भीतर स तो दःखी ही होता ह भल ही बाहर स सखी िदखाई द

धािमरक आदमी को ठ क समझ नही होती उिचत िदशा व मऽ नही िमलता इसिलए वह दःखी होता ह वह धमर क कारण दःखी नही होता अिपत समझ की कमी क कारण दःखी होता ह समझदार को यिद कोई गर िमल जाय तो वह नर म स नारायण बन जाय इसम कया आ यर ह

ा णः म इतना बढ़ा हो गया इतन वष स काि रक कषऽ म तप कर रहा ह मर तप का फल यही ह िक तमहार जस सात वषर क योगी क मझ दशरन हो रह ह म तमह णाम करता ह

बालकः नही नही महाराज आप तो भदव ह म तो बालक ह म आपको णाम करता ह

उसकी नता दखकर ा ण और खश हआ तप छोड़कर वह परमातमिचनतन म लग गया अब उस कछ जानन की इचछा नही रही िजसस सब कछ जाना जाता ह उसी परमातमा म िवौाित पान लग गया

इस कार ननदभि ा ण को उ र द िनःशक कर सात िदनो तक िनराहार रहकर वह बालक सयरमनऽ का जप करता रहा और वही बहदक तीथर म उसन शरीर तयाग िदया वही बालक दसर जनम म कषार िपता एव िमऽा माता क यहा गट हआ उसका नाम मऽय पड़ा इनहोन वयासजी क िपता पराशरजी स िवण-पराण तथा बहत पाराशर होरा शा का अधययन िकया था पकषपात रिहत अनभवकाश नामक मनथ म मऽय तथा पराशर ऋिष का सवाद आता ह

कहा तो सड़क स गजरकर नाली म िगरन जा रहा कीड़ा और कहा सत क सािननधय स वह मऽय ऋिष बन गया सतसग की बिलहारी ह इसीिलए तलसीदास जी कहत ह ETH

तात ःवगर अपवगर सख धिरअ तला एक अग तल न तािह सकल िमली जो सख लव सतसग

यहा एक शका हो सकती ह िक वह कीड़ा ही मऽय ऋिष कयो नही बन गया

अर भाई यिद आप पहली ककषा क िव ाथ हो और आपको एम ए म िबठाया जाय तो कया आप पास हो सकत हो नही दसरी तीसरी चौथी दसवी बारहवी बीए आिद पास करक ही आप एमए म वश कर सकत हो

िकसी चौकीदार पर कोई धानमनऽी अतयिधक सनन हो जाए तब भी वह उस सीधा कलकटर (िजलाधीश) नही बना सकता ऐस ही नाली म रहन वाला कीड़ा सीधा मनय तो नही

हो सकता बि क िविभनन योिनयो को पार करक ही मनय बन सकता ह हा इतना अवय ह िक सतकपा स उसका मागर छोटा हो जाता ह

सतसमागम की साध परषो स सग की मिहमा का कहा तक वणरन कर कस बयान कर एक सामानय कीड़ा उनक सतसग को पाकर महान ऋिष बन सकता ह तो िफर यिद मानव को िकसी सदगर का सािननधय िमल जाय उनक वचनानसार चल पड़ तो मि का अनभव करक जीवनम भी बन सकता ह

(अनबम)

पीड़ पराई जान र जञानी िकसी स यार करन क िलए बध हए नही ह और िकसी को डाटन म भी राजी

नही ह हमारी जसी यो यता होती ह ऐसा उनका वयवहार हमार ित होता ह लीलाशाह बाप क ौीचरणो म बहत लोग गय थ एक लड़का भी गया था वह मिणनगर

म रहता था िशवजी को जल चढ़ान क प ात ही वह जल पीता वह लड़का खब िन ा स धयान-भजन करता और सवा पजा करता

एक िदन कोई वयि राःत म बहोश पड़ा हआ था िशवजी को जल चढ़ान जात समय उस बालक न उस दखा और अपनी पजा-वजा छोड़कर उस गरीब की सवा म लग गया िबहार का कोई यवक था नौकरी की खोज म आया था कालपर(अहमदाबाद) ःटशन क लटफामर पर एक दो िदन रहा किलयो न मारपीट कर भगा िदया चलत-चलत मिणनगर म पनीत आौम की ओर रोटी की आशा म जा रहा था रोटी तो वहा नही िमलती थी इसिलए भख क कारण चलत-चलत राःत म िगर गया और बहोश हो गया

उस लड़क का घर पनीत आौम क पास ही था सबह क दस साढ़ दस बज थ वह लड़का घर स धयान-भजन स िनपटकर मिदर म िशवजी को जल चढ़ान क िलए जल का लोटा और पजा की साममी लकर जा रहा था उसन दखा िक राःत म कोई यवक पड़ा ह राःत म चलत-चलत लोग बोलत थः शराब पी होगी यह होगा वह होगा हम कया

लड़क को दया आई प य िकय हए हो तो रणा भी अचछ िमलती ह शभ कम स शभ रणा िमलती ह अपन पास की पजा साममी एक ओर रखकर उसन उस वयि को िहलाया बहत मिकल स उसकी आख खली कोई उस जत सघाता कोई कछ करता कोई कछ बोलता था

आख खोलत ही वह वयि धीर स बोलाः पानी पानी

लड़क न महादव जी क िलय लाया हआ जल का लोटा उस िपला िदया िफर दोड़कर घर जाकर अपन िहःस का दध लाकर उस िदया

यवक क जी म जी आया उसन अपनी वयथा बतात हए कहाः बाब जी म िबहार स आया ह मर बाप गजर गय काका िदन-रात टोकत रहत त िक

कमाओ नही तो खाओग कया नौकरी धधा िमलता नही ह भटकत-भटकत अहमदाबाद क ःटशन पर कली का काम करन का य िकया हमारी रोटी-रोजी िछन जायगी ऐसा समझकर किलयो न खब मारा पदल चलत-चलत मिणनगर ःटशन की ओर आत-आत यहा तीन िदन की भख और मार क कारण चककर आय और िगर गया

लड़क न उस िखलाया अपना इक ठा िकया हआ जबखचर का पसा िदया उस यवक को जहा जाना था वहा भजन की वयवःथा की इस लड़क क दय म आनद की वि हई अतर म आवाज आईः

बटा अब म तझ बहत ज दी िमलगा

लड़क न िकयाः अनदर कौन बोलता ह

उ र आयाः िजस िशव की त पजा करता ह वह तरा आतमिशव अब म तर दय म कट होऊगा सवा क अिधकारी की सवा मझ िशव की ही सवा ह

उस िदन उस अतयारमी न अनोखी ऱणा और ोतसाहन िदया वह लड़का तो िनकल पड़ा घर छोड़कर ई र-साकषातकार करन क िलए कदारनाथ वनदावन होत हए निनताल क अर य म पहचा

कदारनाथ क दशरन पाय लकषािधपित आिशष पाय

इस आशीवारद को वापस कर ई राि क िलए िफर पजा की उसक पास जो कछ रपय पस थ उनह वनदावन म साध-सतो एव गरीबो म भ डारा करक खचर कर िदया था थोड़ स पस लकर निनताल क अर यो म पहचा लोकलाड़ल लाखो दयो को हिररस िपलात पजयपाद सदगर ौी लीलाशाह बाप की राह दखत हए चालीस िदन बीत गय गरवर ौी लीलाशाह को अब पणर समिपरत िशय िमला पणर खजाना ा करन वाला पिवऽातमा िमला पणर गर की पणर िशय िमला

िजस लड़क क िवषय म यह कथा पढ़ रह ह वह लड़का कौन होगा जानत हो

पणर गर कपा िमली पणर गर का जञान आसमल स हो गय साई आसाराम

अब तो समझ ही गय होग (उस लड़क क वश म छप हए थ पवर जनम क योगी और वतरमान म िव िव यात हमार

पजयपाद सदगरदव ौी आसाराम जी महाराज)

(अनबम)

िवकास क बिरयो स सावधान किपलवःत क राजा श ोदन का यवराज था िस ाथर यौवन म कदम रखत ही िववक

और वरा य जाग उठा यवान प ी यशोधरा और नवजात िशश राहल की मोह-ममता की रशमी जजीर काटकर महाभीिनबमण (गहतयाग) िकया एकानत अर य म जाकर गहन धयान साधना करक अपन साधय त व को ा कर िलया

एकानत म तप यार और धयान साधना स िखल हए इस आधयाितमक कसम की मधर

सौरभ लोगो म फलन लगी अब िस ाथर भगवान ब क नाम स जन-समह म िस हए हजारो हजारो लोग उनक उपिद मागर पर चलन लग और अपनी अपनी यो यता क मतािबक आधयाितमक याऽा म आग बढ़त हए आितमक शाित ा करन लग अस य लोग बौ िभकषक बनकर भगवान ब क सािननधय म रहन लग उनक पीछ चलन वाल अनयायीओ का एक सघ ःथािपत हो गया चह ओर नाद गजन लग िकः

ब शरण गचछािम धमम शरण गचछािम सघ शरण गचछािम

ौावःती नगरी म भगवान ब का बहत यश फला लोगो म उनकी जय-जयकार होन लगी लोगो की भीड़-भाड़ स िवर होकर ब नगर स बाहर जतवन म आम क बगीच म रहन लग नगर क िपपास जन बड़ी तादाद म वहा हररोज िनि त समय पर पहच जात और उपदश-वचन सनत बड़-बड़ राजा महाराजा भगवान ब क सािननधय म आन जान लग

समाज म तो हर कार क लोग होत ह अनािद काल स दवी समपदा क लोग एव आसरी समपदा क लोग हआ करत ह ब का फलता हआ यश दखकर उनका तजो ष करन वाल लोग जलन लग सतो क साथ हमशा स होता आ रहा ह ऐस उन द त वो न ब को बदनाम करन क िलए कचार िकया िविभनन कार की यि -यि या लड़ाकर ब क यश को हािन पहच ऐसी बात समाज म व लोग फलान लग उन द ो न अपन ष यऽ म एक वया को समझा-बझाकर शािमल कर िलया

वया बन-ठनकर जतवन म भगवान ब क िनवास-ःथानवाल बगीच म जान लगी

धनरािश क साथ द ो का हर कार स सहारा एव ोतसाहन उस िमल रहा था रािऽ को वही रहकर सबह नगर म वािपस लोट आती अपनी सिखयो म भी उसन बात फलाई

लोग उसस पछन लगः अरी आजकल त िदखती नही ह कहा जा रही ह रोज रात को

म तो रोज रात को जतवन जाती ह व ब िदन म लोगो को उपदश दत ह और रािऽ क समय मर साथ रगरिलया मनात ह सारी रात वहा िबताकर सबह लोटती ह

वया न परा ीचिरऽ आजमाकर ष यऽ करन वालो का साथ िदया लोगो म पहल तो हलकी कानाफसी हई लिकन जयो-जयो बात फलती गई तयो-तयो लोगो म जोरदार िवरोध होन लगा लोग ब क नाम पर िफटकार बरसान लग ब क िभकषक बःती म िभकषा लन जात तो लोग उनह गािलया दन लग ब क सघ क लोग सवा-वि म सल न थ उन लोगो क सामन भी उगली उठाकर लोग बकवास करन लग

ब क िशय जरा असावधान रह थ कचार क समय साथ ही साथ स चार होता तो कचार का इतना भाव नही होता िशय अगर िनिबय रहकर सोचत रह जाय िक करगा सो भरगा भगवान उनका नाश करग तो कचार करन वालो को ख ला मदान िमल जाता ह

सत क सािननधय म आन वाल लोग ौ ाल सजजन सीध साद होत ह जबिक द वि करन वाल लोग किटलतापवरक कचार करन म कशल होत ह िफर भी िजन सतो क पीछ सजग समाज होता ह उन सतो क पीछ उठन वाल कचार क तफान समय पाकर शात हो जात ह और उनकी सतवि या काशमान हो उठती ह

कचार न इतना जोर पकड़ा िक ब क िनकटवत लोगो न ऽािहमाम पकार िलया व समझ गय िक यह वयविःथत आयोजनपवरक ष यऽ िकया गया ह ब ःवय तो पारमािथरक सतय म जाग हए थ व बोलतः सब ठ क ह चलन दो वयवहािरक सतय म वाहवाही दख ली अब िननदा भी दख ल कया फकर पड़ता ह

िशय कहन लगः भनत अब सहा नही जाता सघ क िनकटवत भ भी अफवाहो क िशकार हो रह ह समाज क लोग अफवाहो की बातो को सतय मानन लग गय ह

ब ः धयर रखो हम पारमािथरक सतय म िवौाित पात ह यह िवरोध की आधी चली ह तो शात भी हो जाएगी समय पाकर सतय ही बाहर आयगा आिखर म लोग हम जानग और मानग

कछ लोगो न अगवानी का झ डा उठाया और राजयस ा क समकष जोर-शोर स माग की

िक ब की जाच करवाई जाय लोग बात कर रह ह और वया भी कहती ह िक ब रािऽ को मर साथ होत ह और िदन म सतसग करत ह

ब क बार म जाच करन क िलए राजा न अपन आदिमयो को फरमान िदया अब ष यऽ करनवालो न सोचा िक इस जाच करन वाल पच म अगर सचचा आदमी आ जाएगा तो अफवाहो का सीना चीरकर सतय बाहर आ जाएगा अतः उनहोन अपन ष यऽ को आिखरी

पराका ा पर पहचाया अब ऐस ठोस सबत खड़ा करना चािहए िक ब की ितभा का अःत हो जाय

उनहोन वया को दार िपलाकर जतवन भज िदया पीछ स ग डो की टोली वहा गई वया पर बलातकार आिद सब द कतय करक उसका गला घोट िदया और लाश को ब क बगीच म गाड़कर पलायन हो गय

लोगो न राजयस ा क ार खटखटाय थ लिकन स ावाल भी कछ लोग द ो क साथ जड़ हए थ ऐसा थोड़ ही ह िक स ा म बठ हए सब लोग दध म धोय हए वयि होत ह

राजा क अिधकािरयो क ारा जाच करन पर वया की लाश हाथ लगी अब द ो न जोर-शोर स िच लाना शर कर िदया

दखो हम पहल ही कह रह थ वया भी बोल रही थी लिकन तम भगतड़ लोग मानत ही नही थ अब दख िलया न ब न सही बात खल जान क भय स वया को मरवाकर बगीच म गड़वा िदया न रहगा बास न बजगी बासरी लिकन सतय कहा तक िछप सकता ह म ामाल हाथ लग गया इस ठोस सबत स ब की असिलयत िस हो गई सतय बाहर आ गया

लिकन उन मख का पता नही िक तमहारा बनाया हआ कि पत सतय बाहर आया वाःतिवक सतय तो आज ढाई हजार वषर क बाद भी वसा ही चमक रहा ह आज ब को लाखो लोग जानत ह आदरपवरक मानत ह उनका तजो ष करन वाल द लोग कौन-स नरको म जलत होग कया पता

ढाई हजार वषर पहल ब क जमान म भी सतो क साथ ऐसा घोर अनयाय हआ करता था ऋिष दयाननद को भी ऐस ही त वो न तजो ष क कारण बाईस बार िवष दकर मार डालन का यास िकया ःवामी िववकाननद और ःवामी रामतीथर क पीछ भी द लोगो न वया को तयार करक कीचड़ उछाला था

एक ओर लाखो-लाखो लोग सतो की अनभवय वाणी स अपना वयावहािरक ETH आधयाितमक जीवन उननत करक सख-शाित पात ह दसरी ओर कछ द कित क ःवाथ लोग अपना उ ल सीधा करन क िलए ऐस महापरषो क िवर म ष यऽ रचकर उनको बदनाम करत ह यह तो पहल स चला आ रहा ह सत कबीर हो या नानक एकनाथ महाराज हो या सत तकाराम नरिसह महता हो या मीराबाई ायः सभी सतो को अपन जीवन क दौरान समाज क किटल त वो स पाला पड़ता ही रहा ह जीसस बाइःट को इनही त वो न बॉस पर चढ़ाया था उनही लोगो न सकरात को जहर िपलाकर मतयद ड िदया था मनसर को इसी जमात न शली पर चढ़ाया था ईसाई धमर म माट न यथर पर ज म िकया गया था अण-अण म ई र और नारीमाऽ म जगजजननी भगवती का दशरन करन वाल रामकण परमहस को भी लोगो न नही

छोड़ा था परमहस योगाननद रवीनिनाथ टगोर माट न यथर दिकषण भारत क सत ितरव लवर जापानी झन सत बाबो इितहास म िकतन-िकतन उदाहरण मौजद ह

हािसद धमरगर बा शमटोव अित पिवऽ आतमा थ िननदको न उनक इदरिगदर भी मायाजाल िबछा दी थी िसध क साई टउराम क पास अस य लोग आतमक याण हत जान लग तब िवकत िदमागवालो न उन सत को भी ऽास दना शर कर िदया उनक आौम क चह ओर गदगी डाल दत और कए म िम टी का तल उड़लकर पानी बकार कर दत मगल बादशाह बाबर को बहका कर उनही लोगो न गर नानक को कद करवाया था

भगवान ौीराम एव ौीकण को भी द जनो न छोड़ा नही था भगवान ौीराम क गर विश जी महाराज कहत हः

ह राम जी म जब बाजार स गजरता ह तब अजञानी मखर लोग मर िलए कया बकत ह म सब जानता ह लिकन मरा दयाल ःवभाव ह म इन सबका क याण चाहता ह

तमहार साथ यह ससार कछ अनयाय करता ह तमको बदनाम करता ह िननदा करता ह तो यह ससार की परानी रीत ह मनय की हीनवि कचार िननदाखोरी यह आजकल की ही बात नही ह अनािदकाल स ऐसा होता आया ह तम अपन आतमजञान क सःकार जगाकर आतमबल का िवकास करत जाओ मःकरात जाओ आधी तफानो को लाघकर आननदपवरक जीत जाओ

उस जमान म भगवान ब क पास आकर एक िभकषक न ाथरना कीः भनत मझ आजञा द म सभाए भरगा आपक िवचारो का चार करगा

मर िवचारो का चार

हा भगवन म बौ धमर फलाऊगा

लोग तरी िननदा करग गािलया दग

कोई हजर नही म भगवन को धनयवाद दगा िक य लोग िकतन अचछ ह य कवल श दहार करत ह मझ पीटत तो नही

लोग तझ पीटग भी तो कया करोग

भो म शब गजारगा िक य लोग हाथो स पीटत ह पतथर तो नही मारत

लोग पतथर भी मारग और िसर भी फोड़ दग तो कया करगा

िफर भी म आ ःत रहगा और भगवान का िदवय कायर करता रहगा कयोिक व लोग मरा िसर फोड़ग लिकन ाण तो नही लग

लोग जनन म आकर तझ मार दग तो कया करगा

भनत आपक िदवय िवचारो का चार करत-करत म मर भी गया तो समझगा िक मरा जीवन सफल हो गया

उस कतिन यी िभकषक की दढ़ िन ा दखकर भगवान ब सनन हो उठ उस पर उनकी करणा बरस पड़ी

ऐस िशय जब ब का चार करन िनकल पड़ तब कचार करन वाल धीर-धीर शात हो गय मनयो की उगिलया काट-काटकर माला बनाकर पहनन वाला अगिलमाल जसा बर हतयारा भी दयपिरवतरन पाकर ब की शरण म िभकषक होकर रहन लगा

आज हम ब को बहत आदर स जानत ह मानत ह उनक जीवनकाल क दौरान उनक पीछ लग हए द लोग कौन स नरक म सड़त होग रौरव नरक म या कभीपाक नरक म कौन-सी योिनयो म भटकत होग सअर बन होग िक नाली क कीड़ बन होग शतान बन होग िक राकषस बन होग मझ पता नही लिकन ब तो करोड़ो दयो म बस रह ह यह म मानता ह

सतय तो परमाथर ह आतमा ह परमातमा ह उसम िजतना िटकोग उतना तमहारा मगल होगा तमहारी िनगाह िजन पर पड़गी उनका भी मगल होगा

(अनबम)

कछ जानन यो य बात सय दय स पवर उठकर ःनान कर लना चािहए ातः खाली पट मटक का बासी पानी

पीना ःवाःथयद ह तलसी क प सय दय क प ात ही तोड़ दध म तलसी क प नही डालन चािहए तथा

दध क साथ खान भी नही चािहए तलसी क प खाकर थोड़ा पानी पीना िपय जलनित स पिह सौ कार क लाभ होत ह अपन मिःतक म एक कार का िवजाितय

िवय उतपनन होता ह यिद वह िवय वही अटक जाता ह तो बचपन म ही बाल सफद होन लगत ह इसस नजल की बीमारी भी होती ह यिद वह िवय नाक की तरफ आता ह तो सगनध-दगरनध का पता नही चल पाता और ज दी-ज दी जकाम हो जाता ह यिद वह िवय कान की तरफ आता ह तो कान बहर होन लगत ह और छोट-मोट ब ीस रोग हो सकत ह यिद वह िवय दात की तरफ आय तो दात छोटी उ म ही िगरन लगत ह यिद आख की तरफ वह िवय उतर तो चम लगन लगत ह जलनित यािन नाक स पानी खीचकर मह स िनकाल दन स वह िवय िनकल जाता ह गल क ऊपर क ायः सभी रोगो स मि िमल जाती ह

आईसबीम खान क बाद चाय पीना दातो क िलए अतयािधक हािनकारक होता ह

भोजन को पीना चािहए तथा पानी को खाना चािहए इसका मतलब यह ह िक भोजन को इतना चबाओ िक वह पानी की तरह पतला हो जाय और पानी अथवा अनय पय पदाथ को धीर-धीर िपयो

िकसी भी कार का पय पदाथर पीना हो तो दाया नथना बनद करक िपय इसस वह अमत जसा हो जाता ह यिद दाया ःवर(नथना) चाल हो और पानी आिद िपय तो जीवनशि (ओज) पतली होन लगती ह चयर की रकषा क िलए शरीर को तनदरःत रखन क िलए यह योग करना चािहए

तम चाह िकतनी भी महनत करो िकनत िजतना तमहारी नसो म ओज ह चयर की शि ह उतन ही तम सफल होत हो जो चाय-कॉफी आिद पीत ह उनका ओज पतला होकर पशाब ारा न होता जाता ह अतः चयर की रकषा क िलए चाय-कॉफी जस वयसनो स दर रहना रह

पढ़न क बाद थोड़ी दर शात हो जाना चािहए जो पढ़ा ह उसका मनन करो िशकषक ःकल म जब पढ़ात हो तब धयान स सनो उस व मःती-मजाक नही करना चािहए िवनोद-मःती कम स कम करो और समझन की कोिशश अिधक करो

जो सय दय क पवर नही उठता उसक ःवभाव म तमस छा जाता ह जो सय दय क पवर उठता ह उसकी बि शि बढ़ती ह

नीद म स उठकर तरत भगवान का धयान करो आतमःनान करो धयान म रिच नही होती तो समझना चािहए िक मन म दोष ह उनह िनकालन क िलए कया करना चािहए

मन को िनद ष बनान क िलए सबह-शाम माता-िपता को णाम करना चािहए गरजनो को णाम करना चािहए एव भगवान क नाम का जप करना चािहए भगवान स ाथरना करनी चािहए िक ह भगवान ह मर भ मरी धयान म रिच होन लग ऐसी कपा कर दो िकसी समय गद िवचार िनकल आय तो समझना चािहए िक अदर छप हए िवचार िनकल रह ह अतः खश होना चािहए िवचार आया और गया मर राम तो दय म ही ह ऐसी भावना करनी चािहए

िनदा करना तो अचछा नही ह िकनत िनदा सनना भी उिचत नही (अनबम)

शयन की रीत मनय को िकस ढग स सोना चािहए इसका भी तरीका होता ह सोत व पवर अथवा

दिकषण िदशा की ओर िसर करक ही सोना चािहए

भोजन करन क बाद िदन म दस िमनट आराम कर िकनत सोय नही भोजन क बाद दस िमनट बायी करवट लट सकत ह रािऽ को जागरण िकया हो इस कारण स कभी िदन म सोना पड़ वह अलग बात ह

सोत व नीच कोई गमर कबल आिद िबछाकर सोय तािक आपकी जीवनशि अिथग न हो जाय आपक शरीर की िव तशि भिम म न उतर जाय

(अनबम)

ःनान का तरीका शरीर की मजबती एव आरो यता क िलए रगड़-रगड़कर ःनान करना चािहए जो लोग

ठड दशो म रहत ह उनका ःवाःथय गमर दस क लोगो की अपकषा अचछा होता ह ठडी स अपना शरीर सधरता ह

ःनान करत व 12-15 िलटर पानी बा टी म लकर पहल उसम िसर डबाना चािहए िफर पर िभगोना चािहए पहल पर गील नही करन चािहए शरीर की गम ऊपर की ओर चढ़ती ह जो ःवाःथय क िलए हािनकारक होती ह

अतः पहल ठड पानी की बा टी भर ल िफर मह म पानी भरकर िसर को बा टी म डाल और आख पटपटाए इसस आखो की शि बढ़ती ह शरीर को रगड़-रगड़कर नहाए बाद म गील व स शरीर को रगड़-रगड़कर पोछ िजसस रोम कप का सारा मल बाहर िनकल जाय और रोमकप(तवचा क िछि) खल जायय तवचा क िछि बद रहन स ही तवचा की कई बीमािरया होती ह िफर सख कपड़ स शरीर को पोछ कर (अथवा थोड़ा गीला हो तब भी चल) सख साफ व पहन ल व भल साद हो िकनत साफ हो बासी कपड़ नही पहन हमशा धल हए कपड़ ही पहन इसस मन भी सनन रहता ह

पाच कार क ःनान होत हः ःनान दवःनान ऋिषःनान मानवःनान दानवःनान ःनानः -परमातमा का िचतन करक जल थल नहान वाला

ऐसा िचतन करक ा महतर म नहाना इस ःनान कहत ह दवःनानः दवनिदयो म ःनान या दवनिदयो का ःमरण करक सय दय स पवर नहाना यह

दवःनान ह ऋिषःनानः आकाश म तार िदखत हो और नहा ल यह ऋिषःनान ह ऋिषःनान करन

वाल की बि बड़ी तजःवी होती ह मानवःनानः सय दय क पवर का ःनान मानवःनान ह

दानवःनानः सय दय क प ात चाय पीकर नाता करक आठ नौ बज नहाना यह दानव ःनान ह

अतः हमशा ऋिषःनान करन का ही यास करना चािहए (अनबम)

ःवचछता का धयान यिद शरीर की सफाई रखी जाय तो मन भी सनन रहता ह आजकल अिधकतर लोग

श स ही मजन करत ह श की अपकषा नीम और बबल की दातौन जयादा अचछ होती ह और यिद श भी कर तो कभी-कभार श को गमर पानी स धोना चािहए अनयथा उसम बकटिरया(जीवाण) रह जात ह

िकतन ही लोग उगली स दात साफ करत ह तजरनी (अगठ क पास वाली थम उगली) स दात िघसन स मसड़ कमजोर हो जात ह तथा दात ज दी िगर जात ह कयोिक तजरनी म िव तशि का माण दसरी उगिलयो की अपकषा अिधक होता ह अतः उसस दात नही िघसन चािहए एव आखो को भी नही मसलना चािहए

िजस िदशा स हवा आती हो उस िदशा की ओर मह करक कभी-भी मलमऽ का िवसजरन नही करना चािहए सयर और चनिमा की ओर मख करक भी मलमऽ का िवसजरन नही करना चािहए

(अनबम)

ःमरणशि का िवकास यादशि बढ़ान का एक सनदर योग ह ETH ामरी ाणायाम सखासन प ासन या

िस ासन पर बठ हाथ की कोहनी की ऊचाई कनध तक रह इस कार रखकर हाथ की थम उगली(तजरनी) स दोनो कानो को धीर-स बद कर एकदम जोर स बद न कर िकनत बाहर का कछ सनाई न द इस कार धीर स कान बनद कर

अब गहर ास लकर थोड़ी दर रोक ओठ बद रखकर जस मर का गजन होता ह वस ॐsssss कहत हए गजन कर उसक बाद थोड़ी दर तक ास न ल पनः यही िबया दहराय ऐसा सबह एव शाम 8 स 10 बार कर यादशि बढ़ान का यह यौिगक योग ह इसस मिःतक की नािड़यो का शोधन होकर मिःतक म र सचार उिचत ढग स होता ह

और िवचार करन स भी बि शि का िवकास होता ह

सबह खाली पट तलसी क प एकाध काली िमचर चबाकर एक िगलास पानी पीन स भी ःमरणशि का िवकास होता ह रोग-ितकारक शि बढ़ती ह कनसर की बीमारी कभी नही होती जलदर-भगदर की बीमारी भी कभी नही होती

(अनबम)

वयि तव और वयवहार िकसी भी वयि तव का पता उसक वयवहार स ही चलता ह कई लोग वयथर च ा करत

ह एक होती ह सकाम च ा दसरी होती ह िनकाम च ा और तीसरी होती ह वयथर च ा वयथर च ा नही करनी चािहए िकसी क शरीर म कोई कमी हो तो उसका मजाक नही उड़ाना चािहए वरन उस मददरप बनना चािहए यह िनकाम सवा ह

िकसी की भी िनदा नही करनी चािहए िनदा करन वाला वयि िजसकी िनदा करता ह उसका तो इतना अिहत नही होता िजतना वह अपना अिहत करता ह जो दसरो की सवा करता ह दसरो क अनकल होता ह वह दसरो का िजतना िहत करता ह उसकी अपकषा उसका खद का िहत जयादा होता ह

अपन स जो उ स बड़ हो जञान म बड़ हो तप म बड़ हो उनका आदर करना चािहए िजस मनय क साथ बात करत हो वह मनय कौन ह यह जानकर बात करो तो आप वयवहार-कशल कहलाओग

िकसी को पऽ िलखत हो तो यिद अपन स बड़ हो तो ौी सबोधन करक िलखो सबोधन करन स सवाकयो की रचना स िश ता बढ़ती ह िकसी स बात करो तो सबोधन करक बात करो जो तकार स बात करता ह वह अिश कहलाता ह िश तापवरक बात करन स अपनी इजजत बढ़ती ह

िजसक जीवन म वयवहार-कशलता ह वह सभी कषऽो म सफल होता ह िजसम िवनता ह वही सब कछ सीख सकता ह िवनता िव ा बढ़ाती ह िजसक जीवन म िवनता नही ह समझो उसक सब काम अधर रह गय और जो समझता ह िक म सब कछ जानता ह वह वाःतव म कछ नही जानता

एक िचऽकार अपन गरदव क सममख एक सनदर िचऽ बनाकर लाया गर न िचऽ दखकर कहाः

वाह वाह सनदर ह अदभत ह

िशय बोलाः गरदव इसम कोई ऽिट रह गयी हो तो कपा करक बताइए इसीिलए म आपक चरणो म आया ह

गरः कोई ऽिट नही ह मझस भी जयादा अचछा बनाया ह

वह िशय रोन लगा उस रोता दखकर गर न पछाः तम कयो रो रह हो म तो तमहारी शसा कर रहा ह

िशयः गरदव मरी घड़ाई करन वाल आप भी यिद मरी शसा ही करग तो मझ मरी गि तया कौन बतायगा मरी गित कस होगी

यह सनकर गर अतयत सनन हो गय हमन िजतना जाना िजतना सीखा ह वह तो ठ क ह उसस जयादा जान सक सीख सक

ऐसा हमारा यास होना चािहए रामकण परमहस व हो गय थ िकसी न उनस पछाः बाबा जी आपन सब कछ जान

िलया ह

रामकण परमहसः नही म जब तक जीऊगा तब तक िव ाथ ही रहगा मझ अभी बहत कछ सीखना बाकी ह

िजनक पास सीखन को िमल उनस िवनतापवरक सीखना चािहए जो कछ सीखो सावधानीपवरक सीखो जीवन म िवनोद जररी ह िकनत िवनोद की अित न हो िजस समय पढ़त हो कछ सीखत हो कछ करत हो उस समय मःती नही िवनोद नही वरन जो कछ पढ़ो सीखो या करो उस उतसाह स धयान स और सावधानी स करो

पढ़न स पवर थोड़ धयानःथ हो जाओ पढ़न क बाद मौन हो जाओ यह गित की चाबी ह

माता-िपता स िचढ़ना नही चाह िजस मा-बाप न जनम िदया ह उनकी बातो को समझना चािहए अपन िलए उनक मन म िवशष दया हो िवशष म उतपनन हो ऐसा वयवहार करना चािहए

भल जाओ भल सब कछ माता-िपता को भलना नही अनिगनत उपकार ह उनक यह कभी िबसरना नही

माता-िपता को सतोष हो उनका दय सनन हो ऐसा हमारा वयवहार होना चािहए अपन माता-िपता एव गरजनो को सत रखकर ही हम सचची गित कर सकत ह

(अनबम)

  • पजय बाप जी का उदबोधन
  • कदम अपना आग बढाता चला जा
  • त गलाब होकर महक
  • जीवन विकास का मल सयम
  • तरिकाल सधया
  • शरीर सवासथय
  • अनन का परभाव
  • भारतीय ससकति की महानता
  • हरिदास की हरिभकति
  • बनावटी शरगार स बचो
  • साहसी बालक
  • गर-आजञापालन का चमतकार
  • अनोखी गरदकषिणा
  • सतसग की महिमा
  • पीड पराई जान र
  • विकास क बरियो स सावधान
  • कछ जानन योगय बात
  • शयन की रीत
  • सनान का तरीका
  • सवचछता का धयान
  • समरणशकति का विकास
  • वयकतितव और वयवहार
Page 24: Tu gulabhokarmehak

कीतरन करत-करत गौराग न अपनी िनगाहो स काजी पर कपा बरसाई तो काजी भी झमन लगा उस भी हिर बोल का रग लग गया जस इजन को ह डल दकर छोड़ दत ह तब भी इजन चलता रहता ह ऐस ही गौराग की कपादि स काजी भी झमन लगा

काजी क झमन स वातावरण म और भी रग आ गया काजी तो झम गया काजी की प ी भी झमी और चौकीदार भी झम उठा सब हिरकीतरन म झमत-झमत अपन र को पावन करन लग दय को हिररस स सराबोर करन लगा उनक जनम-जनम क पाप-ताप न होन लग िजस पर भगवान की दया होती ह िजसको साधओ का सग िमलता ह सतसग का सहारा िमलता ह और भारतीय सःकित की महानता को समझन की अकल िमलती ह िफर उसक उ ार म कया बाकी रह जाता ह काजी का तो उ ार हो गया

दखो सत की उदारता एव महानता िजसन िहनदओ पर ज म करवाय भ हिरदास को बत मरवात-मरवात यमना जी म डलवा िदया भातफरी पर ितबध लगवा िदया उसी काजी को गौराग न हिररग म रग िदया अपनी कपादि स िनहाल कर िदया उसक बर कम की धयान न दत हए भि का दान द िदया ऐस गौराग क ौीचरणो म हमार हजार-हजार णाम ह हम उस मसलमान यवक हिरदास को भी धनयवाद दत ह िक उसन बत खात पीड़ा सहत भी भि न छोड़ी गरदव को न छोड़ा न ही उनक दबाव म आकर पनः मसलमान बना हिर बोल क रग म ःवय रगा और िसपािहयो को भी रग िदया धनय ह हिरदास और उसकी हिरभि

(अनबम)

बनावटी ौगार स बचो जमरनी क िस दाशरिनक शोपनहार कहत ह िक िजन दशो म हिथयार बनाय जात ह

उन दशो क लोगो को य करन की उ जना होती ह और उन दशो म हिथयार बनत ही रहत ह य भी होत रहत ह ऐस ही जो लोग फशन करत ह उनक दय म काम बोध लोभ मोह रपी य होता ही रहता ह उनक जीवन म िवलािसता आती ह और पतन होता ह वस ही फशन और िवलािसता स सयम सदाचार और यो यता का सहार होता ह

इसिलए य क साधन बढ़न स जस य होता ह वस ही िवलािसता और फशन क साधनो का उपयोग करन स अतयर होता ह अपनी आितमक शि यो का सहार होता ह अतः अपना भला चाहन वाल भाई-बहनो को पफ-पाउडर िलपिःटक-लाली व -अलकार क िदखाव क पीछ नही पड़ना चािहए सयम सादगी एव पिवऽतापणर जीवन जीना चािहए

अपन शा ो म ौगार की अनमित दी गई ह सौभा यवती ि या जब पित अपन ही नगर म हो घर म हो तब ौगार कर पित यिद दर दश गया हो तब सौभा यवित ि यो को भी सादगीपणर जीवन जीना चािहए ौगार क उपयोग म आनवाली वःतए भी वनिःपतयो एव साि वक रसो स बनी हई होनी चािहए जो सननता और आरो यता दान कर

आजकल तो शरीर म उ जना पदा कर बीमािरया पदा कर ऐस किमक स(रसायनो) और जहर जस साधनो स ौगार-साधन बनाए जात ह िजसस शरीर क अनदर जहरील कण जात ह और तवचा की बीमािरया होती ह आहार म भी जहरील कणो क जान स पाचन-तऽ और मानिसक सतलन िबगड़ता ह साथ ही बौि क एव वचािरक सतलन भी िबगड़ता ह

पशओ की चब किमक स और दसर थोड़ जहरील िवयो स बन पफ-पाउडर िलपिःटक-लाली आिद िजन साधनो का यटी-पालरर म उपयोग िकया जाता ह वसी गदगी कभी-भी अपन शरीर को तो लगानी ही नही चािहए दसर लोगो न लगायी हो तो दखकर सनन भी नही होना चािहए अपन सयम और सदाचार की सनदरता को गट करना चािहए मीरा और शबरी िकस यटी-पालरर म गय थ सती अनसया गाग और मदालसा न िकस पफ-पाउडर लाली-िलपिःटक का उपयोग िकया था िफर भी उनका जीवन सनदर तजःवी था हम भी ई र स ाथरना कर िक ह भगवान हम अपना सयम और साधना का सौनदयर बढ़ाए ऐसी त दया करना िवकारी सौनदयर स अपन को बचाकर िनिवरकारी नारायण की ओर जाय ऐसी त दया करना िवलािसता म अपन समय को न लगाकर तर ही धयान-िचतन म हमारा समय बीत ऐसी त कपा करना

किऽम सौनदयर-साधन स तवचा की िःन धता और कोमलता मर जाती ह पफ-पाउडर बीम आिद स शरीर की कदरती िःन धता खतम हो जाती ह ाकितक सौनदयर को न करक

जो किऽम सौनदयर क गलाम बनत ह उनस ःनहभरी सलाह ह िक व पफ-पाउडर आिद और तड़कील-भड़कील व आिद की गलामी को छोड़कर ाकितक सौनदयर को बढ़ान की कोिशश कर मीरा और मदालसा की तरह अपन असली सौनदयर को कट करन की कोिशश कर

(अनबम)

साहसी बालक एक लड़का काशी म हिर नि हाईःकल म पढ़ता था उसका गाव काशी स आठ मील दर

था वह रोजाना वहा स पदल चलकर आता बीच म जो गगा नदी बहती ह उस पार करक िव ालय पहचता

उस जमान म गगा पार करन क िलए नाव वाल को दो पस दन पड़त थ दो पस आन क और दो पस जान क कल चार पस यािन पराना एक आना महीन म करीब दो रपय हए जब सोन क एक तोल का भाव रपया सौ स भी नीच था तब क दो रपय आज क तो पाच-पचचीस रपय हो जाए

उस लड़क न अपन मा-बाप पर अितिर बोझा न पड़ इसिलए एक भी पस की माग नही की उसन तरना सीख िलया गम हो बािरश हो या ठ ड हो गगा पार करक हाईःकल म जाना उसका बम हो गया इस कार िकतन ही महीन गजर गय

एक बार पौष मास की ठ ड म वह लड़का सबह की ःकल भरन क िलए गगा म कदा तरत-तरत मझधार म आया एक नाव म कछ याऽी नदी पार कर रह थ उनहोन दखा िक छोटा-सा लड़का अभी डब मरगा व उसक पास नाव ल गय और हाथ पकड़ कर उस नाव म खीच िलया लड़क क मख पर घबराहट या िचनता की कोई रखा नही थी सब लोग दग रह गय इतना छोटा ह और इतना साहसी ह व बोलः

त अभी डब मरता तो ऐसा साहस नही करना चािहए

तब लड़का बोलाः साहस तो होना ही चािहए जीवन म िव न-बाधाए आयगी उनह कचलन क िलए साहस तो चािहए ही अगर अभी स साहस नही जटाया तो जीवन म बड़-बड़ कायर कस कर पायग

लोगो न पछाः इस समय तरन कयो िगरा दोपहर को नहान आता

लड़का बोलता हः म नहान क िलए नदी म नही िगरा ह म तो ःकल जा रहा ह

नाव म बठकर जाता

रोज क चार पस आन-जान क लगत ह मर गरीब मा-बाप पर मझ बोझा नही बनना ह मझ तो अपन परो पर खड़ होना ह मरा खचर बढ़ तो मर मा-बाप की िचनता बढ़ उनह घर चलाना मिकल हो जाय

लोग उस आदर स दखत ही रह गय वही साहसी लड़का आग चलकर भारत का धान मऽी बना

वह लड़का कौन था पता ह व थ लाल बहादर शा ी शा ी जी उस पद भी सचचाई साहस सरलता ईमानदारी सादगी दशम आिद सदगण और सदाचार क मितरमनत ःवरप थ ऐस महापरष भल िफर थोड़ा-सा समय ही राजय कर पर एक अनोखा भाव छोड़ जात ह जनमानस पर

(अनबम)

गर-आजञापालन का चमतकार ौीम आ ाशकराचायर जी जब काशी म िनवास करत थ तब गगा-तट पर िनतय ात-

काल टहलत थ एक सबह िकसी ितभासपनन यवक न दसर िकनार स दखा िक कोई सनयासी उस पार टहल रह ह उस यवक न दसर िकनार स ही उनह णाम िकया उस यवक को दखकर आ शकराचायर जी न सकत िकया िक इधर आ जाओ उस आभासमपनन यवक न दखा िक मन तो साध को णाम कर िदया ह णाम कर िदया तो म उनका िशय हो गया और उनहोन मझ आदश िदया िक इधर आ जाओ अब गर की आजञा का उ लघन करना भी तो उिचत नही ह िकनत यही कोई नाव नही ह और म तरना भी नही जानता ह अब कया कर उसक मन म िवचार आया िक वस भी तो हजारो बार हम मर चक ह एक बार यिद गर क दशरन क िलए जात-जात मर जाय तो घाटा कया होगा

गग मात की जय कह कर उस यवक न तो गगाजी म पर रख िदया उसकी इचछा कहो ौीम आ शकराचायर जी का भाव कहो या िनयित की लीला कहो जहा उस यवक न कदम रखा वहा एक कमल पदा हो गया उसक पर को थामन क िलए जब दसरा पर रखा तो वहा भी कमल पदा हो गया इस कार जहा-जहा वह कदम रखता गया वहा कमल (प ) उतपनन होता गया और वह यवक गगा क दसर तट पर जहा आ शकराचायर जी खड़ थ पहच गया

जहा-जहा वह कदम रखता था वहा-वहा प (कमल) क कट होन क कारण उसका नाम पड़ा - प पादाचायर शकराचायर जी क म य चार प टिशयो म आग जाकर यही प पादाचायर एक प टिशय बन

कहन का तातपयर यह ह िक सिचचदानद परमातमा की शि का सामथयर का बयान करना सभव नही ह िजसकी िजतनी दढ़ता ह िजसकी िजतनी सचचाई ह िजसकी िजतनी ततपरता ह उतनी ही कित भी उसकी मदद करन को आतर रहती ह प पादाचायर की गर-आजञापालन म दढ़ता और ततपरता को दखकर गगा जी म कमल गट हो गय िशय यिद दढ़ता ततपरता और ईमानदारी स गर-आजञापालन म लग जाय तो कित भी उसक अनकल हो जाती ह

(अनबम)

अनोखी गरदिकषणा एकलवय गर िोणाचायर क पास आकर बोलाः मझ धनिवर ा िसखान की कपा कर

गरदव गर िोणाचायर क समकष धमरसकट उतपनन हआ कयोिक उनहोन भीम िपतामह को वचन

द िदया था िक कवल राजकमारो को ही म िशकषा दगा एकलवय राजकमार नही ह अतः उस धनिवर ा कस िसखाऊ अतः िोणाचायर न एकलवय स कहाः

म तझ धनिवर ा नही िसखा सकगा

एकलवय घर स िन य करक िनकला था िक म कवल गर िोणाचायर को ही गर बनाऊगा िजनक िलए मन म भी गर बनान का भाव आ गया उनक िकसी भी वयवहार क िलए िशकायत या िछिानवषण की वि नही होनी चािहए

एकलवय एकात अर य म गया और उसन गर िोणाचायर की िम टी की मितर बनायी मितर की ओर एकटक दखकर धयान करक उसी स रणा लकर वह धनिवर ा सीखन लगा एकटक दखन स एकामता आती ह एकामता गरभि अपनी सचचाई और ततपरता क कारण उस रणा िमलन लगी जञानदाता तो परमातमा ह धनिवर ा म वह बहत आग बढ़ गया

एक बार िोणाचायर पाडव एव कौरव धनिवर ा का योग करन अर य म आय उनक साथ एक क ा भी था जो थोड़ा आग िनकल गया क ा वही पहचा जहा एकलवय अपनी धनिवर ा का योग कर रहा था एकलवय क खल बाल फट कपड़ एव िविचऽ वष को दखकर क ा भ कन लगा

एकलवय न क को लग नही चोट न पहच और उसका भ कना बद हो जाय इस ढग स सात बाण उसक मह म थमा िदय क ा वािपस वहा गया जहा िोणाचायर क साथ पाडव और कौरव थ

उस दखकर अजरन को हआ िक क को चोट न लग इस ढग स बाण मह म घसाकर रख दना यह िव ा तो म भी नही जानता यह कस सभव हआ वह गर िोणाचायर स बोलाः

गरदव आपन तो कहा था िक मरी बराबरी का दसरा कोई धनधाररी नही होगा िकनत ऐसी िव ा तो मझ भी नही आती

िोणाचायर को हआ िक दख इस अर य म कौन-सा ऐसा कशल धनधरर ह आग जाकर दखा तो वह था िहर यधन का पऽ गरभ एकलवय

िोणाचायर न पछाः बटा यह िव ा त कहा स सीखा

एकलवय बोलाः गरदव आपकी ही कपा स सीखा ह

िोणाचायर तो वचन द चक थ िक अजरन की बराबरी का धनधरर दसरा कोई न होगा िकनत यह तो आग िनकल गया गर क िलए धमरसकट खड़ा हो गया एकलवय की अटट ौ ा दखकर िोणाचायर न कहाः मरी मितर को सामन रखकर त धनिवर ा तो सीखा िकनत गरदिकषणा

एकलवयः जो आप माग

िोणाचायरः तर दाय हाथ का अगठा

एकलवय न एक पल भी िवचार िकय िबना अपन दाय हाथ का अगठा काटकर गरदव क चरणो म अपरण कर िदया

िोणाचायरः बटा भल ही अजरन धनिवर ा म सबस आग रह कयोिक म उस वचन द चका ह िकनत जब तक सयर चनि नकषऽो का अिःततव रहगा तब तक लोग तरी गरिन ा का तरी गरभि का ःमरण करग तरा यशोगान होता रहगा

उसकी गरभि और एकामता न उस धनिवर ा म तो सफलता िदलायी ही लिकन सतो क दय म भी उसक िलए आदर गट करवा िदया धनय ह एकलवय जो गरमितर स रणा पाकर धनिवर ा म सफल हआ और िजसन अदभत गरदिकषणा दकर साहस तयाग और समपरण का पिरचय िदया

(अनबम)

सतसग की मिहमा तलसीदास जी महाराज कहत ह ETH

एक घड़ी आधी घड़ी आधी म पिन आध तलसी सगत साध की हर कोिट अपराध

एक बार शकदव जी क िपता भगवान वदवयासजी महाराज कही जा रह थ राःत म उनहोन दखा िक एक कीड़ा बड़ी तजी स सड़क पार कर रहा था

वदवयासजी न अपनी योगशि दत हए उसस पछाः त इतनी ज दी सड़क कयो पार कर रहा ह कया तझ िकसी काम स जाना ह त तो

नाली का कीड़ा ह इस नाली को छोड़कर दसरी नाली म ही तो जाना ह िफर इतनी तजी स कयो भाग रहा ह

कीड़ा बोलाः बाबा जी बलगाड़ी आ रही ह बलो क गल म बध घघर तथा बलगाड़ी क पिहयो की आवाज म सन रहा ह यिद म धीर-धीर सड़क पार करगा तो वह बलगाड़ी आकर मझ कचल डालगी

वदवयासजीः कचलन द कीड़ की योिन म जीकर भी कया करना

कीड़ाः महिषर ाणी िजस शरीर म होता ह उसको उसम ही ममता होती ह अनक ाणी नाना कार क क ो को सहत हए भी मरना नही चाहत

वदवयास जीः बलगाड़ी आ जाय और त मर जाय तो घबराना मत म तझ योगशि स महान बनाऊगा जब तक ा ण शरीर म न पहचा द अनय सभी योिनयो स शीय छटकारा िदलाता रहगा

उस कीड़ न बात मान ली और बीच राःत पर रक गया और मर गया िफर वदवयासजी की कपा स वह बमशः कौआ िसयार आिद योिनयो म जब-जब भी उतपनन हआ वयासजी न जाकर उस पवरजनम का ःमरण िदला िदया इस तरह वह बमशः मग पकषी शि वय जाितयो म जनम लता हआ कषिऽय जाित म उतपनन हआ उस वहा भी वदवयासजी दशरन िदय थोड़ िदनो म रणभिम म शरीर तयागकर उसन ा ण क घर जनम िलया

भगवान वदवयास जी न उस पाच वषर की उ म सारःवतय मऽ द िदया िजसका जप करत-करत वह धयान करन लगा उसकी बि बड़ी िवलकषण होन पर वद शा धमर का रहःय समझ म आ गया

सात वषर की आय म वदवयास जी न उस कहाः काि रक कषऽ म कई वष स एक ा ण ननदभि तपःया कर रहा ह तम जाकर उसकी

शका का समाधान करो

माऽ सात वषर का ा ण कमार काि रक कषऽ म तप कर रह उस ा ण क पास पहच कर बोलाः

ह ा णदव आप तप कयो कर रह ह

ा णः ह ऋिषकमार म यह जानन क िलए तप कर रहा ह िक जो अचछ लोग ह सजजन लोग ह व सहन करत ह दःखी रहत ह और पापी आदमी सखी रहत ह ऐसा कयो ह

बालकः पापी आदमी यिद सखी ह तो पाप क कारण नही वरन िपछल जनम का कोई प य ह उसक कारण सखी ह वह अपन प य खतम कर रहा ह पापी मनय भीतर स तो दःखी ही होता ह भल ही बाहर स सखी िदखाई द

धािमरक आदमी को ठ क समझ नही होती उिचत िदशा व मऽ नही िमलता इसिलए वह दःखी होता ह वह धमर क कारण दःखी नही होता अिपत समझ की कमी क कारण दःखी होता ह समझदार को यिद कोई गर िमल जाय तो वह नर म स नारायण बन जाय इसम कया आ यर ह

ा णः म इतना बढ़ा हो गया इतन वष स काि रक कषऽ म तप कर रहा ह मर तप का फल यही ह िक तमहार जस सात वषर क योगी क मझ दशरन हो रह ह म तमह णाम करता ह

बालकः नही नही महाराज आप तो भदव ह म तो बालक ह म आपको णाम करता ह

उसकी नता दखकर ा ण और खश हआ तप छोड़कर वह परमातमिचनतन म लग गया अब उस कछ जानन की इचछा नही रही िजसस सब कछ जाना जाता ह उसी परमातमा म िवौाित पान लग गया

इस कार ननदभि ा ण को उ र द िनःशक कर सात िदनो तक िनराहार रहकर वह बालक सयरमनऽ का जप करता रहा और वही बहदक तीथर म उसन शरीर तयाग िदया वही बालक दसर जनम म कषार िपता एव िमऽा माता क यहा गट हआ उसका नाम मऽय पड़ा इनहोन वयासजी क िपता पराशरजी स िवण-पराण तथा बहत पाराशर होरा शा का अधययन िकया था पकषपात रिहत अनभवकाश नामक मनथ म मऽय तथा पराशर ऋिष का सवाद आता ह

कहा तो सड़क स गजरकर नाली म िगरन जा रहा कीड़ा और कहा सत क सािननधय स वह मऽय ऋिष बन गया सतसग की बिलहारी ह इसीिलए तलसीदास जी कहत ह ETH

तात ःवगर अपवगर सख धिरअ तला एक अग तल न तािह सकल िमली जो सख लव सतसग

यहा एक शका हो सकती ह िक वह कीड़ा ही मऽय ऋिष कयो नही बन गया

अर भाई यिद आप पहली ककषा क िव ाथ हो और आपको एम ए म िबठाया जाय तो कया आप पास हो सकत हो नही दसरी तीसरी चौथी दसवी बारहवी बीए आिद पास करक ही आप एमए म वश कर सकत हो

िकसी चौकीदार पर कोई धानमनऽी अतयिधक सनन हो जाए तब भी वह उस सीधा कलकटर (िजलाधीश) नही बना सकता ऐस ही नाली म रहन वाला कीड़ा सीधा मनय तो नही

हो सकता बि क िविभनन योिनयो को पार करक ही मनय बन सकता ह हा इतना अवय ह िक सतकपा स उसका मागर छोटा हो जाता ह

सतसमागम की साध परषो स सग की मिहमा का कहा तक वणरन कर कस बयान कर एक सामानय कीड़ा उनक सतसग को पाकर महान ऋिष बन सकता ह तो िफर यिद मानव को िकसी सदगर का सािननधय िमल जाय उनक वचनानसार चल पड़ तो मि का अनभव करक जीवनम भी बन सकता ह

(अनबम)

पीड़ पराई जान र जञानी िकसी स यार करन क िलए बध हए नही ह और िकसी को डाटन म भी राजी

नही ह हमारी जसी यो यता होती ह ऐसा उनका वयवहार हमार ित होता ह लीलाशाह बाप क ौीचरणो म बहत लोग गय थ एक लड़का भी गया था वह मिणनगर

म रहता था िशवजी को जल चढ़ान क प ात ही वह जल पीता वह लड़का खब िन ा स धयान-भजन करता और सवा पजा करता

एक िदन कोई वयि राःत म बहोश पड़ा हआ था िशवजी को जल चढ़ान जात समय उस बालक न उस दखा और अपनी पजा-वजा छोड़कर उस गरीब की सवा म लग गया िबहार का कोई यवक था नौकरी की खोज म आया था कालपर(अहमदाबाद) ःटशन क लटफामर पर एक दो िदन रहा किलयो न मारपीट कर भगा िदया चलत-चलत मिणनगर म पनीत आौम की ओर रोटी की आशा म जा रहा था रोटी तो वहा नही िमलती थी इसिलए भख क कारण चलत-चलत राःत म िगर गया और बहोश हो गया

उस लड़क का घर पनीत आौम क पास ही था सबह क दस साढ़ दस बज थ वह लड़का घर स धयान-भजन स िनपटकर मिदर म िशवजी को जल चढ़ान क िलए जल का लोटा और पजा की साममी लकर जा रहा था उसन दखा िक राःत म कोई यवक पड़ा ह राःत म चलत-चलत लोग बोलत थः शराब पी होगी यह होगा वह होगा हम कया

लड़क को दया आई प य िकय हए हो तो रणा भी अचछ िमलती ह शभ कम स शभ रणा िमलती ह अपन पास की पजा साममी एक ओर रखकर उसन उस वयि को िहलाया बहत मिकल स उसकी आख खली कोई उस जत सघाता कोई कछ करता कोई कछ बोलता था

आख खोलत ही वह वयि धीर स बोलाः पानी पानी

लड़क न महादव जी क िलय लाया हआ जल का लोटा उस िपला िदया िफर दोड़कर घर जाकर अपन िहःस का दध लाकर उस िदया

यवक क जी म जी आया उसन अपनी वयथा बतात हए कहाः बाब जी म िबहार स आया ह मर बाप गजर गय काका िदन-रात टोकत रहत त िक

कमाओ नही तो खाओग कया नौकरी धधा िमलता नही ह भटकत-भटकत अहमदाबाद क ःटशन पर कली का काम करन का य िकया हमारी रोटी-रोजी िछन जायगी ऐसा समझकर किलयो न खब मारा पदल चलत-चलत मिणनगर ःटशन की ओर आत-आत यहा तीन िदन की भख और मार क कारण चककर आय और िगर गया

लड़क न उस िखलाया अपना इक ठा िकया हआ जबखचर का पसा िदया उस यवक को जहा जाना था वहा भजन की वयवःथा की इस लड़क क दय म आनद की वि हई अतर म आवाज आईः

बटा अब म तझ बहत ज दी िमलगा

लड़क न िकयाः अनदर कौन बोलता ह

उ र आयाः िजस िशव की त पजा करता ह वह तरा आतमिशव अब म तर दय म कट होऊगा सवा क अिधकारी की सवा मझ िशव की ही सवा ह

उस िदन उस अतयारमी न अनोखी ऱणा और ोतसाहन िदया वह लड़का तो िनकल पड़ा घर छोड़कर ई र-साकषातकार करन क िलए कदारनाथ वनदावन होत हए निनताल क अर य म पहचा

कदारनाथ क दशरन पाय लकषािधपित आिशष पाय

इस आशीवारद को वापस कर ई राि क िलए िफर पजा की उसक पास जो कछ रपय पस थ उनह वनदावन म साध-सतो एव गरीबो म भ डारा करक खचर कर िदया था थोड़ स पस लकर निनताल क अर यो म पहचा लोकलाड़ल लाखो दयो को हिररस िपलात पजयपाद सदगर ौी लीलाशाह बाप की राह दखत हए चालीस िदन बीत गय गरवर ौी लीलाशाह को अब पणर समिपरत िशय िमला पणर खजाना ा करन वाला पिवऽातमा िमला पणर गर की पणर िशय िमला

िजस लड़क क िवषय म यह कथा पढ़ रह ह वह लड़का कौन होगा जानत हो

पणर गर कपा िमली पणर गर का जञान आसमल स हो गय साई आसाराम

अब तो समझ ही गय होग (उस लड़क क वश म छप हए थ पवर जनम क योगी और वतरमान म िव िव यात हमार

पजयपाद सदगरदव ौी आसाराम जी महाराज)

(अनबम)

िवकास क बिरयो स सावधान किपलवःत क राजा श ोदन का यवराज था िस ाथर यौवन म कदम रखत ही िववक

और वरा य जाग उठा यवान प ी यशोधरा और नवजात िशश राहल की मोह-ममता की रशमी जजीर काटकर महाभीिनबमण (गहतयाग) िकया एकानत अर य म जाकर गहन धयान साधना करक अपन साधय त व को ा कर िलया

एकानत म तप यार और धयान साधना स िखल हए इस आधयाितमक कसम की मधर

सौरभ लोगो म फलन लगी अब िस ाथर भगवान ब क नाम स जन-समह म िस हए हजारो हजारो लोग उनक उपिद मागर पर चलन लग और अपनी अपनी यो यता क मतािबक आधयाितमक याऽा म आग बढ़त हए आितमक शाित ा करन लग अस य लोग बौ िभकषक बनकर भगवान ब क सािननधय म रहन लग उनक पीछ चलन वाल अनयायीओ का एक सघ ःथािपत हो गया चह ओर नाद गजन लग िकः

ब शरण गचछािम धमम शरण गचछािम सघ शरण गचछािम

ौावःती नगरी म भगवान ब का बहत यश फला लोगो म उनकी जय-जयकार होन लगी लोगो की भीड़-भाड़ स िवर होकर ब नगर स बाहर जतवन म आम क बगीच म रहन लग नगर क िपपास जन बड़ी तादाद म वहा हररोज िनि त समय पर पहच जात और उपदश-वचन सनत बड़-बड़ राजा महाराजा भगवान ब क सािननधय म आन जान लग

समाज म तो हर कार क लोग होत ह अनािद काल स दवी समपदा क लोग एव आसरी समपदा क लोग हआ करत ह ब का फलता हआ यश दखकर उनका तजो ष करन वाल लोग जलन लग सतो क साथ हमशा स होता आ रहा ह ऐस उन द त वो न ब को बदनाम करन क िलए कचार िकया िविभनन कार की यि -यि या लड़ाकर ब क यश को हािन पहच ऐसी बात समाज म व लोग फलान लग उन द ो न अपन ष यऽ म एक वया को समझा-बझाकर शािमल कर िलया

वया बन-ठनकर जतवन म भगवान ब क िनवास-ःथानवाल बगीच म जान लगी

धनरािश क साथ द ो का हर कार स सहारा एव ोतसाहन उस िमल रहा था रािऽ को वही रहकर सबह नगर म वािपस लोट आती अपनी सिखयो म भी उसन बात फलाई

लोग उसस पछन लगः अरी आजकल त िदखती नही ह कहा जा रही ह रोज रात को

म तो रोज रात को जतवन जाती ह व ब िदन म लोगो को उपदश दत ह और रािऽ क समय मर साथ रगरिलया मनात ह सारी रात वहा िबताकर सबह लोटती ह

वया न परा ीचिरऽ आजमाकर ष यऽ करन वालो का साथ िदया लोगो म पहल तो हलकी कानाफसी हई लिकन जयो-जयो बात फलती गई तयो-तयो लोगो म जोरदार िवरोध होन लगा लोग ब क नाम पर िफटकार बरसान लग ब क िभकषक बःती म िभकषा लन जात तो लोग उनह गािलया दन लग ब क सघ क लोग सवा-वि म सल न थ उन लोगो क सामन भी उगली उठाकर लोग बकवास करन लग

ब क िशय जरा असावधान रह थ कचार क समय साथ ही साथ स चार होता तो कचार का इतना भाव नही होता िशय अगर िनिबय रहकर सोचत रह जाय िक करगा सो भरगा भगवान उनका नाश करग तो कचार करन वालो को ख ला मदान िमल जाता ह

सत क सािननधय म आन वाल लोग ौ ाल सजजन सीध साद होत ह जबिक द वि करन वाल लोग किटलतापवरक कचार करन म कशल होत ह िफर भी िजन सतो क पीछ सजग समाज होता ह उन सतो क पीछ उठन वाल कचार क तफान समय पाकर शात हो जात ह और उनकी सतवि या काशमान हो उठती ह

कचार न इतना जोर पकड़ा िक ब क िनकटवत लोगो न ऽािहमाम पकार िलया व समझ गय िक यह वयविःथत आयोजनपवरक ष यऽ िकया गया ह ब ःवय तो पारमािथरक सतय म जाग हए थ व बोलतः सब ठ क ह चलन दो वयवहािरक सतय म वाहवाही दख ली अब िननदा भी दख ल कया फकर पड़ता ह

िशय कहन लगः भनत अब सहा नही जाता सघ क िनकटवत भ भी अफवाहो क िशकार हो रह ह समाज क लोग अफवाहो की बातो को सतय मानन लग गय ह

ब ः धयर रखो हम पारमािथरक सतय म िवौाित पात ह यह िवरोध की आधी चली ह तो शात भी हो जाएगी समय पाकर सतय ही बाहर आयगा आिखर म लोग हम जानग और मानग

कछ लोगो न अगवानी का झ डा उठाया और राजयस ा क समकष जोर-शोर स माग की

िक ब की जाच करवाई जाय लोग बात कर रह ह और वया भी कहती ह िक ब रािऽ को मर साथ होत ह और िदन म सतसग करत ह

ब क बार म जाच करन क िलए राजा न अपन आदिमयो को फरमान िदया अब ष यऽ करनवालो न सोचा िक इस जाच करन वाल पच म अगर सचचा आदमी आ जाएगा तो अफवाहो का सीना चीरकर सतय बाहर आ जाएगा अतः उनहोन अपन ष यऽ को आिखरी

पराका ा पर पहचाया अब ऐस ठोस सबत खड़ा करना चािहए िक ब की ितभा का अःत हो जाय

उनहोन वया को दार िपलाकर जतवन भज िदया पीछ स ग डो की टोली वहा गई वया पर बलातकार आिद सब द कतय करक उसका गला घोट िदया और लाश को ब क बगीच म गाड़कर पलायन हो गय

लोगो न राजयस ा क ार खटखटाय थ लिकन स ावाल भी कछ लोग द ो क साथ जड़ हए थ ऐसा थोड़ ही ह िक स ा म बठ हए सब लोग दध म धोय हए वयि होत ह

राजा क अिधकािरयो क ारा जाच करन पर वया की लाश हाथ लगी अब द ो न जोर-शोर स िच लाना शर कर िदया

दखो हम पहल ही कह रह थ वया भी बोल रही थी लिकन तम भगतड़ लोग मानत ही नही थ अब दख िलया न ब न सही बात खल जान क भय स वया को मरवाकर बगीच म गड़वा िदया न रहगा बास न बजगी बासरी लिकन सतय कहा तक िछप सकता ह म ामाल हाथ लग गया इस ठोस सबत स ब की असिलयत िस हो गई सतय बाहर आ गया

लिकन उन मख का पता नही िक तमहारा बनाया हआ कि पत सतय बाहर आया वाःतिवक सतय तो आज ढाई हजार वषर क बाद भी वसा ही चमक रहा ह आज ब को लाखो लोग जानत ह आदरपवरक मानत ह उनका तजो ष करन वाल द लोग कौन-स नरको म जलत होग कया पता

ढाई हजार वषर पहल ब क जमान म भी सतो क साथ ऐसा घोर अनयाय हआ करता था ऋिष दयाननद को भी ऐस ही त वो न तजो ष क कारण बाईस बार िवष दकर मार डालन का यास िकया ःवामी िववकाननद और ःवामी रामतीथर क पीछ भी द लोगो न वया को तयार करक कीचड़ उछाला था

एक ओर लाखो-लाखो लोग सतो की अनभवय वाणी स अपना वयावहािरक ETH आधयाितमक जीवन उननत करक सख-शाित पात ह दसरी ओर कछ द कित क ःवाथ लोग अपना उ ल सीधा करन क िलए ऐस महापरषो क िवर म ष यऽ रचकर उनको बदनाम करत ह यह तो पहल स चला आ रहा ह सत कबीर हो या नानक एकनाथ महाराज हो या सत तकाराम नरिसह महता हो या मीराबाई ायः सभी सतो को अपन जीवन क दौरान समाज क किटल त वो स पाला पड़ता ही रहा ह जीसस बाइःट को इनही त वो न बॉस पर चढ़ाया था उनही लोगो न सकरात को जहर िपलाकर मतयद ड िदया था मनसर को इसी जमात न शली पर चढ़ाया था ईसाई धमर म माट न यथर पर ज म िकया गया था अण-अण म ई र और नारीमाऽ म जगजजननी भगवती का दशरन करन वाल रामकण परमहस को भी लोगो न नही

छोड़ा था परमहस योगाननद रवीनिनाथ टगोर माट न यथर दिकषण भारत क सत ितरव लवर जापानी झन सत बाबो इितहास म िकतन-िकतन उदाहरण मौजद ह

हािसद धमरगर बा शमटोव अित पिवऽ आतमा थ िननदको न उनक इदरिगदर भी मायाजाल िबछा दी थी िसध क साई टउराम क पास अस य लोग आतमक याण हत जान लग तब िवकत िदमागवालो न उन सत को भी ऽास दना शर कर िदया उनक आौम क चह ओर गदगी डाल दत और कए म िम टी का तल उड़लकर पानी बकार कर दत मगल बादशाह बाबर को बहका कर उनही लोगो न गर नानक को कद करवाया था

भगवान ौीराम एव ौीकण को भी द जनो न छोड़ा नही था भगवान ौीराम क गर विश जी महाराज कहत हः

ह राम जी म जब बाजार स गजरता ह तब अजञानी मखर लोग मर िलए कया बकत ह म सब जानता ह लिकन मरा दयाल ःवभाव ह म इन सबका क याण चाहता ह

तमहार साथ यह ससार कछ अनयाय करता ह तमको बदनाम करता ह िननदा करता ह तो यह ससार की परानी रीत ह मनय की हीनवि कचार िननदाखोरी यह आजकल की ही बात नही ह अनािदकाल स ऐसा होता आया ह तम अपन आतमजञान क सःकार जगाकर आतमबल का िवकास करत जाओ मःकरात जाओ आधी तफानो को लाघकर आननदपवरक जीत जाओ

उस जमान म भगवान ब क पास आकर एक िभकषक न ाथरना कीः भनत मझ आजञा द म सभाए भरगा आपक िवचारो का चार करगा

मर िवचारो का चार

हा भगवन म बौ धमर फलाऊगा

लोग तरी िननदा करग गािलया दग

कोई हजर नही म भगवन को धनयवाद दगा िक य लोग िकतन अचछ ह य कवल श दहार करत ह मझ पीटत तो नही

लोग तझ पीटग भी तो कया करोग

भो म शब गजारगा िक य लोग हाथो स पीटत ह पतथर तो नही मारत

लोग पतथर भी मारग और िसर भी फोड़ दग तो कया करगा

िफर भी म आ ःत रहगा और भगवान का िदवय कायर करता रहगा कयोिक व लोग मरा िसर फोड़ग लिकन ाण तो नही लग

लोग जनन म आकर तझ मार दग तो कया करगा

भनत आपक िदवय िवचारो का चार करत-करत म मर भी गया तो समझगा िक मरा जीवन सफल हो गया

उस कतिन यी िभकषक की दढ़ िन ा दखकर भगवान ब सनन हो उठ उस पर उनकी करणा बरस पड़ी

ऐस िशय जब ब का चार करन िनकल पड़ तब कचार करन वाल धीर-धीर शात हो गय मनयो की उगिलया काट-काटकर माला बनाकर पहनन वाला अगिलमाल जसा बर हतयारा भी दयपिरवतरन पाकर ब की शरण म िभकषक होकर रहन लगा

आज हम ब को बहत आदर स जानत ह मानत ह उनक जीवनकाल क दौरान उनक पीछ लग हए द लोग कौन स नरक म सड़त होग रौरव नरक म या कभीपाक नरक म कौन-सी योिनयो म भटकत होग सअर बन होग िक नाली क कीड़ बन होग शतान बन होग िक राकषस बन होग मझ पता नही लिकन ब तो करोड़ो दयो म बस रह ह यह म मानता ह

सतय तो परमाथर ह आतमा ह परमातमा ह उसम िजतना िटकोग उतना तमहारा मगल होगा तमहारी िनगाह िजन पर पड़गी उनका भी मगल होगा

(अनबम)

कछ जानन यो य बात सय दय स पवर उठकर ःनान कर लना चािहए ातः खाली पट मटक का बासी पानी

पीना ःवाःथयद ह तलसी क प सय दय क प ात ही तोड़ दध म तलसी क प नही डालन चािहए तथा

दध क साथ खान भी नही चािहए तलसी क प खाकर थोड़ा पानी पीना िपय जलनित स पिह सौ कार क लाभ होत ह अपन मिःतक म एक कार का िवजाितय

िवय उतपनन होता ह यिद वह िवय वही अटक जाता ह तो बचपन म ही बाल सफद होन लगत ह इसस नजल की बीमारी भी होती ह यिद वह िवय नाक की तरफ आता ह तो सगनध-दगरनध का पता नही चल पाता और ज दी-ज दी जकाम हो जाता ह यिद वह िवय कान की तरफ आता ह तो कान बहर होन लगत ह और छोट-मोट ब ीस रोग हो सकत ह यिद वह िवय दात की तरफ आय तो दात छोटी उ म ही िगरन लगत ह यिद आख की तरफ वह िवय उतर तो चम लगन लगत ह जलनित यािन नाक स पानी खीचकर मह स िनकाल दन स वह िवय िनकल जाता ह गल क ऊपर क ायः सभी रोगो स मि िमल जाती ह

आईसबीम खान क बाद चाय पीना दातो क िलए अतयािधक हािनकारक होता ह

भोजन को पीना चािहए तथा पानी को खाना चािहए इसका मतलब यह ह िक भोजन को इतना चबाओ िक वह पानी की तरह पतला हो जाय और पानी अथवा अनय पय पदाथ को धीर-धीर िपयो

िकसी भी कार का पय पदाथर पीना हो तो दाया नथना बनद करक िपय इसस वह अमत जसा हो जाता ह यिद दाया ःवर(नथना) चाल हो और पानी आिद िपय तो जीवनशि (ओज) पतली होन लगती ह चयर की रकषा क िलए शरीर को तनदरःत रखन क िलए यह योग करना चािहए

तम चाह िकतनी भी महनत करो िकनत िजतना तमहारी नसो म ओज ह चयर की शि ह उतन ही तम सफल होत हो जो चाय-कॉफी आिद पीत ह उनका ओज पतला होकर पशाब ारा न होता जाता ह अतः चयर की रकषा क िलए चाय-कॉफी जस वयसनो स दर रहना रह

पढ़न क बाद थोड़ी दर शात हो जाना चािहए जो पढ़ा ह उसका मनन करो िशकषक ःकल म जब पढ़ात हो तब धयान स सनो उस व मःती-मजाक नही करना चािहए िवनोद-मःती कम स कम करो और समझन की कोिशश अिधक करो

जो सय दय क पवर नही उठता उसक ःवभाव म तमस छा जाता ह जो सय दय क पवर उठता ह उसकी बि शि बढ़ती ह

नीद म स उठकर तरत भगवान का धयान करो आतमःनान करो धयान म रिच नही होती तो समझना चािहए िक मन म दोष ह उनह िनकालन क िलए कया करना चािहए

मन को िनद ष बनान क िलए सबह-शाम माता-िपता को णाम करना चािहए गरजनो को णाम करना चािहए एव भगवान क नाम का जप करना चािहए भगवान स ाथरना करनी चािहए िक ह भगवान ह मर भ मरी धयान म रिच होन लग ऐसी कपा कर दो िकसी समय गद िवचार िनकल आय तो समझना चािहए िक अदर छप हए िवचार िनकल रह ह अतः खश होना चािहए िवचार आया और गया मर राम तो दय म ही ह ऐसी भावना करनी चािहए

िनदा करना तो अचछा नही ह िकनत िनदा सनना भी उिचत नही (अनबम)

शयन की रीत मनय को िकस ढग स सोना चािहए इसका भी तरीका होता ह सोत व पवर अथवा

दिकषण िदशा की ओर िसर करक ही सोना चािहए

भोजन करन क बाद िदन म दस िमनट आराम कर िकनत सोय नही भोजन क बाद दस िमनट बायी करवट लट सकत ह रािऽ को जागरण िकया हो इस कारण स कभी िदन म सोना पड़ वह अलग बात ह

सोत व नीच कोई गमर कबल आिद िबछाकर सोय तािक आपकी जीवनशि अिथग न हो जाय आपक शरीर की िव तशि भिम म न उतर जाय

(अनबम)

ःनान का तरीका शरीर की मजबती एव आरो यता क िलए रगड़-रगड़कर ःनान करना चािहए जो लोग

ठड दशो म रहत ह उनका ःवाःथय गमर दस क लोगो की अपकषा अचछा होता ह ठडी स अपना शरीर सधरता ह

ःनान करत व 12-15 िलटर पानी बा टी म लकर पहल उसम िसर डबाना चािहए िफर पर िभगोना चािहए पहल पर गील नही करन चािहए शरीर की गम ऊपर की ओर चढ़ती ह जो ःवाःथय क िलए हािनकारक होती ह

अतः पहल ठड पानी की बा टी भर ल िफर मह म पानी भरकर िसर को बा टी म डाल और आख पटपटाए इसस आखो की शि बढ़ती ह शरीर को रगड़-रगड़कर नहाए बाद म गील व स शरीर को रगड़-रगड़कर पोछ िजसस रोम कप का सारा मल बाहर िनकल जाय और रोमकप(तवचा क िछि) खल जायय तवचा क िछि बद रहन स ही तवचा की कई बीमािरया होती ह िफर सख कपड़ स शरीर को पोछ कर (अथवा थोड़ा गीला हो तब भी चल) सख साफ व पहन ल व भल साद हो िकनत साफ हो बासी कपड़ नही पहन हमशा धल हए कपड़ ही पहन इसस मन भी सनन रहता ह

पाच कार क ःनान होत हः ःनान दवःनान ऋिषःनान मानवःनान दानवःनान ःनानः -परमातमा का िचतन करक जल थल नहान वाला

ऐसा िचतन करक ा महतर म नहाना इस ःनान कहत ह दवःनानः दवनिदयो म ःनान या दवनिदयो का ःमरण करक सय दय स पवर नहाना यह

दवःनान ह ऋिषःनानः आकाश म तार िदखत हो और नहा ल यह ऋिषःनान ह ऋिषःनान करन

वाल की बि बड़ी तजःवी होती ह मानवःनानः सय दय क पवर का ःनान मानवःनान ह

दानवःनानः सय दय क प ात चाय पीकर नाता करक आठ नौ बज नहाना यह दानव ःनान ह

अतः हमशा ऋिषःनान करन का ही यास करना चािहए (अनबम)

ःवचछता का धयान यिद शरीर की सफाई रखी जाय तो मन भी सनन रहता ह आजकल अिधकतर लोग

श स ही मजन करत ह श की अपकषा नीम और बबल की दातौन जयादा अचछ होती ह और यिद श भी कर तो कभी-कभार श को गमर पानी स धोना चािहए अनयथा उसम बकटिरया(जीवाण) रह जात ह

िकतन ही लोग उगली स दात साफ करत ह तजरनी (अगठ क पास वाली थम उगली) स दात िघसन स मसड़ कमजोर हो जात ह तथा दात ज दी िगर जात ह कयोिक तजरनी म िव तशि का माण दसरी उगिलयो की अपकषा अिधक होता ह अतः उसस दात नही िघसन चािहए एव आखो को भी नही मसलना चािहए

िजस िदशा स हवा आती हो उस िदशा की ओर मह करक कभी-भी मलमऽ का िवसजरन नही करना चािहए सयर और चनिमा की ओर मख करक भी मलमऽ का िवसजरन नही करना चािहए

(अनबम)

ःमरणशि का िवकास यादशि बढ़ान का एक सनदर योग ह ETH ामरी ाणायाम सखासन प ासन या

िस ासन पर बठ हाथ की कोहनी की ऊचाई कनध तक रह इस कार रखकर हाथ की थम उगली(तजरनी) स दोनो कानो को धीर-स बद कर एकदम जोर स बद न कर िकनत बाहर का कछ सनाई न द इस कार धीर स कान बनद कर

अब गहर ास लकर थोड़ी दर रोक ओठ बद रखकर जस मर का गजन होता ह वस ॐsssss कहत हए गजन कर उसक बाद थोड़ी दर तक ास न ल पनः यही िबया दहराय ऐसा सबह एव शाम 8 स 10 बार कर यादशि बढ़ान का यह यौिगक योग ह इसस मिःतक की नािड़यो का शोधन होकर मिःतक म र सचार उिचत ढग स होता ह

और िवचार करन स भी बि शि का िवकास होता ह

सबह खाली पट तलसी क प एकाध काली िमचर चबाकर एक िगलास पानी पीन स भी ःमरणशि का िवकास होता ह रोग-ितकारक शि बढ़ती ह कनसर की बीमारी कभी नही होती जलदर-भगदर की बीमारी भी कभी नही होती

(अनबम)

वयि तव और वयवहार िकसी भी वयि तव का पता उसक वयवहार स ही चलता ह कई लोग वयथर च ा करत

ह एक होती ह सकाम च ा दसरी होती ह िनकाम च ा और तीसरी होती ह वयथर च ा वयथर च ा नही करनी चािहए िकसी क शरीर म कोई कमी हो तो उसका मजाक नही उड़ाना चािहए वरन उस मददरप बनना चािहए यह िनकाम सवा ह

िकसी की भी िनदा नही करनी चािहए िनदा करन वाला वयि िजसकी िनदा करता ह उसका तो इतना अिहत नही होता िजतना वह अपना अिहत करता ह जो दसरो की सवा करता ह दसरो क अनकल होता ह वह दसरो का िजतना िहत करता ह उसकी अपकषा उसका खद का िहत जयादा होता ह

अपन स जो उ स बड़ हो जञान म बड़ हो तप म बड़ हो उनका आदर करना चािहए िजस मनय क साथ बात करत हो वह मनय कौन ह यह जानकर बात करो तो आप वयवहार-कशल कहलाओग

िकसी को पऽ िलखत हो तो यिद अपन स बड़ हो तो ौी सबोधन करक िलखो सबोधन करन स सवाकयो की रचना स िश ता बढ़ती ह िकसी स बात करो तो सबोधन करक बात करो जो तकार स बात करता ह वह अिश कहलाता ह िश तापवरक बात करन स अपनी इजजत बढ़ती ह

िजसक जीवन म वयवहार-कशलता ह वह सभी कषऽो म सफल होता ह िजसम िवनता ह वही सब कछ सीख सकता ह िवनता िव ा बढ़ाती ह िजसक जीवन म िवनता नही ह समझो उसक सब काम अधर रह गय और जो समझता ह िक म सब कछ जानता ह वह वाःतव म कछ नही जानता

एक िचऽकार अपन गरदव क सममख एक सनदर िचऽ बनाकर लाया गर न िचऽ दखकर कहाः

वाह वाह सनदर ह अदभत ह

िशय बोलाः गरदव इसम कोई ऽिट रह गयी हो तो कपा करक बताइए इसीिलए म आपक चरणो म आया ह

गरः कोई ऽिट नही ह मझस भी जयादा अचछा बनाया ह

वह िशय रोन लगा उस रोता दखकर गर न पछाः तम कयो रो रह हो म तो तमहारी शसा कर रहा ह

िशयः गरदव मरी घड़ाई करन वाल आप भी यिद मरी शसा ही करग तो मझ मरी गि तया कौन बतायगा मरी गित कस होगी

यह सनकर गर अतयत सनन हो गय हमन िजतना जाना िजतना सीखा ह वह तो ठ क ह उसस जयादा जान सक सीख सक

ऐसा हमारा यास होना चािहए रामकण परमहस व हो गय थ िकसी न उनस पछाः बाबा जी आपन सब कछ जान

िलया ह

रामकण परमहसः नही म जब तक जीऊगा तब तक िव ाथ ही रहगा मझ अभी बहत कछ सीखना बाकी ह

िजनक पास सीखन को िमल उनस िवनतापवरक सीखना चािहए जो कछ सीखो सावधानीपवरक सीखो जीवन म िवनोद जररी ह िकनत िवनोद की अित न हो िजस समय पढ़त हो कछ सीखत हो कछ करत हो उस समय मःती नही िवनोद नही वरन जो कछ पढ़ो सीखो या करो उस उतसाह स धयान स और सावधानी स करो

पढ़न स पवर थोड़ धयानःथ हो जाओ पढ़न क बाद मौन हो जाओ यह गित की चाबी ह

माता-िपता स िचढ़ना नही चाह िजस मा-बाप न जनम िदया ह उनकी बातो को समझना चािहए अपन िलए उनक मन म िवशष दया हो िवशष म उतपनन हो ऐसा वयवहार करना चािहए

भल जाओ भल सब कछ माता-िपता को भलना नही अनिगनत उपकार ह उनक यह कभी िबसरना नही

माता-िपता को सतोष हो उनका दय सनन हो ऐसा हमारा वयवहार होना चािहए अपन माता-िपता एव गरजनो को सत रखकर ही हम सचची गित कर सकत ह

(अनबम)

  • पजय बाप जी का उदबोधन
  • कदम अपना आग बढाता चला जा
  • त गलाब होकर महक
  • जीवन विकास का मल सयम
  • तरिकाल सधया
  • शरीर सवासथय
  • अनन का परभाव
  • भारतीय ससकति की महानता
  • हरिदास की हरिभकति
  • बनावटी शरगार स बचो
  • साहसी बालक
  • गर-आजञापालन का चमतकार
  • अनोखी गरदकषिणा
  • सतसग की महिमा
  • पीड पराई जान र
  • विकास क बरियो स सावधान
  • कछ जानन योगय बात
  • शयन की रीत
  • सनान का तरीका
  • सवचछता का धयान
  • समरणशकति का विकास
  • वयकतितव और वयवहार
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बनावटी ौगार स बचो जमरनी क िस दाशरिनक शोपनहार कहत ह िक िजन दशो म हिथयार बनाय जात ह

उन दशो क लोगो को य करन की उ जना होती ह और उन दशो म हिथयार बनत ही रहत ह य भी होत रहत ह ऐस ही जो लोग फशन करत ह उनक दय म काम बोध लोभ मोह रपी य होता ही रहता ह उनक जीवन म िवलािसता आती ह और पतन होता ह वस ही फशन और िवलािसता स सयम सदाचार और यो यता का सहार होता ह

इसिलए य क साधन बढ़न स जस य होता ह वस ही िवलािसता और फशन क साधनो का उपयोग करन स अतयर होता ह अपनी आितमक शि यो का सहार होता ह अतः अपना भला चाहन वाल भाई-बहनो को पफ-पाउडर िलपिःटक-लाली व -अलकार क िदखाव क पीछ नही पड़ना चािहए सयम सादगी एव पिवऽतापणर जीवन जीना चािहए

अपन शा ो म ौगार की अनमित दी गई ह सौभा यवती ि या जब पित अपन ही नगर म हो घर म हो तब ौगार कर पित यिद दर दश गया हो तब सौभा यवित ि यो को भी सादगीपणर जीवन जीना चािहए ौगार क उपयोग म आनवाली वःतए भी वनिःपतयो एव साि वक रसो स बनी हई होनी चािहए जो सननता और आरो यता दान कर

आजकल तो शरीर म उ जना पदा कर बीमािरया पदा कर ऐस किमक स(रसायनो) और जहर जस साधनो स ौगार-साधन बनाए जात ह िजसस शरीर क अनदर जहरील कण जात ह और तवचा की बीमािरया होती ह आहार म भी जहरील कणो क जान स पाचन-तऽ और मानिसक सतलन िबगड़ता ह साथ ही बौि क एव वचािरक सतलन भी िबगड़ता ह

पशओ की चब किमक स और दसर थोड़ जहरील िवयो स बन पफ-पाउडर िलपिःटक-लाली आिद िजन साधनो का यटी-पालरर म उपयोग िकया जाता ह वसी गदगी कभी-भी अपन शरीर को तो लगानी ही नही चािहए दसर लोगो न लगायी हो तो दखकर सनन भी नही होना चािहए अपन सयम और सदाचार की सनदरता को गट करना चािहए मीरा और शबरी िकस यटी-पालरर म गय थ सती अनसया गाग और मदालसा न िकस पफ-पाउडर लाली-िलपिःटक का उपयोग िकया था िफर भी उनका जीवन सनदर तजःवी था हम भी ई र स ाथरना कर िक ह भगवान हम अपना सयम और साधना का सौनदयर बढ़ाए ऐसी त दया करना िवकारी सौनदयर स अपन को बचाकर िनिवरकारी नारायण की ओर जाय ऐसी त दया करना िवलािसता म अपन समय को न लगाकर तर ही धयान-िचतन म हमारा समय बीत ऐसी त कपा करना

किऽम सौनदयर-साधन स तवचा की िःन धता और कोमलता मर जाती ह पफ-पाउडर बीम आिद स शरीर की कदरती िःन धता खतम हो जाती ह ाकितक सौनदयर को न करक

जो किऽम सौनदयर क गलाम बनत ह उनस ःनहभरी सलाह ह िक व पफ-पाउडर आिद और तड़कील-भड़कील व आिद की गलामी को छोड़कर ाकितक सौनदयर को बढ़ान की कोिशश कर मीरा और मदालसा की तरह अपन असली सौनदयर को कट करन की कोिशश कर

(अनबम)

साहसी बालक एक लड़का काशी म हिर नि हाईःकल म पढ़ता था उसका गाव काशी स आठ मील दर

था वह रोजाना वहा स पदल चलकर आता बीच म जो गगा नदी बहती ह उस पार करक िव ालय पहचता

उस जमान म गगा पार करन क िलए नाव वाल को दो पस दन पड़त थ दो पस आन क और दो पस जान क कल चार पस यािन पराना एक आना महीन म करीब दो रपय हए जब सोन क एक तोल का भाव रपया सौ स भी नीच था तब क दो रपय आज क तो पाच-पचचीस रपय हो जाए

उस लड़क न अपन मा-बाप पर अितिर बोझा न पड़ इसिलए एक भी पस की माग नही की उसन तरना सीख िलया गम हो बािरश हो या ठ ड हो गगा पार करक हाईःकल म जाना उसका बम हो गया इस कार िकतन ही महीन गजर गय

एक बार पौष मास की ठ ड म वह लड़का सबह की ःकल भरन क िलए गगा म कदा तरत-तरत मझधार म आया एक नाव म कछ याऽी नदी पार कर रह थ उनहोन दखा िक छोटा-सा लड़का अभी डब मरगा व उसक पास नाव ल गय और हाथ पकड़ कर उस नाव म खीच िलया लड़क क मख पर घबराहट या िचनता की कोई रखा नही थी सब लोग दग रह गय इतना छोटा ह और इतना साहसी ह व बोलः

त अभी डब मरता तो ऐसा साहस नही करना चािहए

तब लड़का बोलाः साहस तो होना ही चािहए जीवन म िव न-बाधाए आयगी उनह कचलन क िलए साहस तो चािहए ही अगर अभी स साहस नही जटाया तो जीवन म बड़-बड़ कायर कस कर पायग

लोगो न पछाः इस समय तरन कयो िगरा दोपहर को नहान आता

लड़का बोलता हः म नहान क िलए नदी म नही िगरा ह म तो ःकल जा रहा ह

नाव म बठकर जाता

रोज क चार पस आन-जान क लगत ह मर गरीब मा-बाप पर मझ बोझा नही बनना ह मझ तो अपन परो पर खड़ होना ह मरा खचर बढ़ तो मर मा-बाप की िचनता बढ़ उनह घर चलाना मिकल हो जाय

लोग उस आदर स दखत ही रह गय वही साहसी लड़का आग चलकर भारत का धान मऽी बना

वह लड़का कौन था पता ह व थ लाल बहादर शा ी शा ी जी उस पद भी सचचाई साहस सरलता ईमानदारी सादगी दशम आिद सदगण और सदाचार क मितरमनत ःवरप थ ऐस महापरष भल िफर थोड़ा-सा समय ही राजय कर पर एक अनोखा भाव छोड़ जात ह जनमानस पर

(अनबम)

गर-आजञापालन का चमतकार ौीम आ ाशकराचायर जी जब काशी म िनवास करत थ तब गगा-तट पर िनतय ात-

काल टहलत थ एक सबह िकसी ितभासपनन यवक न दसर िकनार स दखा िक कोई सनयासी उस पार टहल रह ह उस यवक न दसर िकनार स ही उनह णाम िकया उस यवक को दखकर आ शकराचायर जी न सकत िकया िक इधर आ जाओ उस आभासमपनन यवक न दखा िक मन तो साध को णाम कर िदया ह णाम कर िदया तो म उनका िशय हो गया और उनहोन मझ आदश िदया िक इधर आ जाओ अब गर की आजञा का उ लघन करना भी तो उिचत नही ह िकनत यही कोई नाव नही ह और म तरना भी नही जानता ह अब कया कर उसक मन म िवचार आया िक वस भी तो हजारो बार हम मर चक ह एक बार यिद गर क दशरन क िलए जात-जात मर जाय तो घाटा कया होगा

गग मात की जय कह कर उस यवक न तो गगाजी म पर रख िदया उसकी इचछा कहो ौीम आ शकराचायर जी का भाव कहो या िनयित की लीला कहो जहा उस यवक न कदम रखा वहा एक कमल पदा हो गया उसक पर को थामन क िलए जब दसरा पर रखा तो वहा भी कमल पदा हो गया इस कार जहा-जहा वह कदम रखता गया वहा कमल (प ) उतपनन होता गया और वह यवक गगा क दसर तट पर जहा आ शकराचायर जी खड़ थ पहच गया

जहा-जहा वह कदम रखता था वहा-वहा प (कमल) क कट होन क कारण उसका नाम पड़ा - प पादाचायर शकराचायर जी क म य चार प टिशयो म आग जाकर यही प पादाचायर एक प टिशय बन

कहन का तातपयर यह ह िक सिचचदानद परमातमा की शि का सामथयर का बयान करना सभव नही ह िजसकी िजतनी दढ़ता ह िजसकी िजतनी सचचाई ह िजसकी िजतनी ततपरता ह उतनी ही कित भी उसकी मदद करन को आतर रहती ह प पादाचायर की गर-आजञापालन म दढ़ता और ततपरता को दखकर गगा जी म कमल गट हो गय िशय यिद दढ़ता ततपरता और ईमानदारी स गर-आजञापालन म लग जाय तो कित भी उसक अनकल हो जाती ह

(अनबम)

अनोखी गरदिकषणा एकलवय गर िोणाचायर क पास आकर बोलाः मझ धनिवर ा िसखान की कपा कर

गरदव गर िोणाचायर क समकष धमरसकट उतपनन हआ कयोिक उनहोन भीम िपतामह को वचन

द िदया था िक कवल राजकमारो को ही म िशकषा दगा एकलवय राजकमार नही ह अतः उस धनिवर ा कस िसखाऊ अतः िोणाचायर न एकलवय स कहाः

म तझ धनिवर ा नही िसखा सकगा

एकलवय घर स िन य करक िनकला था िक म कवल गर िोणाचायर को ही गर बनाऊगा िजनक िलए मन म भी गर बनान का भाव आ गया उनक िकसी भी वयवहार क िलए िशकायत या िछिानवषण की वि नही होनी चािहए

एकलवय एकात अर य म गया और उसन गर िोणाचायर की िम टी की मितर बनायी मितर की ओर एकटक दखकर धयान करक उसी स रणा लकर वह धनिवर ा सीखन लगा एकटक दखन स एकामता आती ह एकामता गरभि अपनी सचचाई और ततपरता क कारण उस रणा िमलन लगी जञानदाता तो परमातमा ह धनिवर ा म वह बहत आग बढ़ गया

एक बार िोणाचायर पाडव एव कौरव धनिवर ा का योग करन अर य म आय उनक साथ एक क ा भी था जो थोड़ा आग िनकल गया क ा वही पहचा जहा एकलवय अपनी धनिवर ा का योग कर रहा था एकलवय क खल बाल फट कपड़ एव िविचऽ वष को दखकर क ा भ कन लगा

एकलवय न क को लग नही चोट न पहच और उसका भ कना बद हो जाय इस ढग स सात बाण उसक मह म थमा िदय क ा वािपस वहा गया जहा िोणाचायर क साथ पाडव और कौरव थ

उस दखकर अजरन को हआ िक क को चोट न लग इस ढग स बाण मह म घसाकर रख दना यह िव ा तो म भी नही जानता यह कस सभव हआ वह गर िोणाचायर स बोलाः

गरदव आपन तो कहा था िक मरी बराबरी का दसरा कोई धनधाररी नही होगा िकनत ऐसी िव ा तो मझ भी नही आती

िोणाचायर को हआ िक दख इस अर य म कौन-सा ऐसा कशल धनधरर ह आग जाकर दखा तो वह था िहर यधन का पऽ गरभ एकलवय

िोणाचायर न पछाः बटा यह िव ा त कहा स सीखा

एकलवय बोलाः गरदव आपकी ही कपा स सीखा ह

िोणाचायर तो वचन द चक थ िक अजरन की बराबरी का धनधरर दसरा कोई न होगा िकनत यह तो आग िनकल गया गर क िलए धमरसकट खड़ा हो गया एकलवय की अटट ौ ा दखकर िोणाचायर न कहाः मरी मितर को सामन रखकर त धनिवर ा तो सीखा िकनत गरदिकषणा

एकलवयः जो आप माग

िोणाचायरः तर दाय हाथ का अगठा

एकलवय न एक पल भी िवचार िकय िबना अपन दाय हाथ का अगठा काटकर गरदव क चरणो म अपरण कर िदया

िोणाचायरः बटा भल ही अजरन धनिवर ा म सबस आग रह कयोिक म उस वचन द चका ह िकनत जब तक सयर चनि नकषऽो का अिःततव रहगा तब तक लोग तरी गरिन ा का तरी गरभि का ःमरण करग तरा यशोगान होता रहगा

उसकी गरभि और एकामता न उस धनिवर ा म तो सफलता िदलायी ही लिकन सतो क दय म भी उसक िलए आदर गट करवा िदया धनय ह एकलवय जो गरमितर स रणा पाकर धनिवर ा म सफल हआ और िजसन अदभत गरदिकषणा दकर साहस तयाग और समपरण का पिरचय िदया

(अनबम)

सतसग की मिहमा तलसीदास जी महाराज कहत ह ETH

एक घड़ी आधी घड़ी आधी म पिन आध तलसी सगत साध की हर कोिट अपराध

एक बार शकदव जी क िपता भगवान वदवयासजी महाराज कही जा रह थ राःत म उनहोन दखा िक एक कीड़ा बड़ी तजी स सड़क पार कर रहा था

वदवयासजी न अपनी योगशि दत हए उसस पछाः त इतनी ज दी सड़क कयो पार कर रहा ह कया तझ िकसी काम स जाना ह त तो

नाली का कीड़ा ह इस नाली को छोड़कर दसरी नाली म ही तो जाना ह िफर इतनी तजी स कयो भाग रहा ह

कीड़ा बोलाः बाबा जी बलगाड़ी आ रही ह बलो क गल म बध घघर तथा बलगाड़ी क पिहयो की आवाज म सन रहा ह यिद म धीर-धीर सड़क पार करगा तो वह बलगाड़ी आकर मझ कचल डालगी

वदवयासजीः कचलन द कीड़ की योिन म जीकर भी कया करना

कीड़ाः महिषर ाणी िजस शरीर म होता ह उसको उसम ही ममता होती ह अनक ाणी नाना कार क क ो को सहत हए भी मरना नही चाहत

वदवयास जीः बलगाड़ी आ जाय और त मर जाय तो घबराना मत म तझ योगशि स महान बनाऊगा जब तक ा ण शरीर म न पहचा द अनय सभी योिनयो स शीय छटकारा िदलाता रहगा

उस कीड़ न बात मान ली और बीच राःत पर रक गया और मर गया िफर वदवयासजी की कपा स वह बमशः कौआ िसयार आिद योिनयो म जब-जब भी उतपनन हआ वयासजी न जाकर उस पवरजनम का ःमरण िदला िदया इस तरह वह बमशः मग पकषी शि वय जाितयो म जनम लता हआ कषिऽय जाित म उतपनन हआ उस वहा भी वदवयासजी दशरन िदय थोड़ िदनो म रणभिम म शरीर तयागकर उसन ा ण क घर जनम िलया

भगवान वदवयास जी न उस पाच वषर की उ म सारःवतय मऽ द िदया िजसका जप करत-करत वह धयान करन लगा उसकी बि बड़ी िवलकषण होन पर वद शा धमर का रहःय समझ म आ गया

सात वषर की आय म वदवयास जी न उस कहाः काि रक कषऽ म कई वष स एक ा ण ननदभि तपःया कर रहा ह तम जाकर उसकी

शका का समाधान करो

माऽ सात वषर का ा ण कमार काि रक कषऽ म तप कर रह उस ा ण क पास पहच कर बोलाः

ह ा णदव आप तप कयो कर रह ह

ा णः ह ऋिषकमार म यह जानन क िलए तप कर रहा ह िक जो अचछ लोग ह सजजन लोग ह व सहन करत ह दःखी रहत ह और पापी आदमी सखी रहत ह ऐसा कयो ह

बालकः पापी आदमी यिद सखी ह तो पाप क कारण नही वरन िपछल जनम का कोई प य ह उसक कारण सखी ह वह अपन प य खतम कर रहा ह पापी मनय भीतर स तो दःखी ही होता ह भल ही बाहर स सखी िदखाई द

धािमरक आदमी को ठ क समझ नही होती उिचत िदशा व मऽ नही िमलता इसिलए वह दःखी होता ह वह धमर क कारण दःखी नही होता अिपत समझ की कमी क कारण दःखी होता ह समझदार को यिद कोई गर िमल जाय तो वह नर म स नारायण बन जाय इसम कया आ यर ह

ा णः म इतना बढ़ा हो गया इतन वष स काि रक कषऽ म तप कर रहा ह मर तप का फल यही ह िक तमहार जस सात वषर क योगी क मझ दशरन हो रह ह म तमह णाम करता ह

बालकः नही नही महाराज आप तो भदव ह म तो बालक ह म आपको णाम करता ह

उसकी नता दखकर ा ण और खश हआ तप छोड़कर वह परमातमिचनतन म लग गया अब उस कछ जानन की इचछा नही रही िजसस सब कछ जाना जाता ह उसी परमातमा म िवौाित पान लग गया

इस कार ननदभि ा ण को उ र द िनःशक कर सात िदनो तक िनराहार रहकर वह बालक सयरमनऽ का जप करता रहा और वही बहदक तीथर म उसन शरीर तयाग िदया वही बालक दसर जनम म कषार िपता एव िमऽा माता क यहा गट हआ उसका नाम मऽय पड़ा इनहोन वयासजी क िपता पराशरजी स िवण-पराण तथा बहत पाराशर होरा शा का अधययन िकया था पकषपात रिहत अनभवकाश नामक मनथ म मऽय तथा पराशर ऋिष का सवाद आता ह

कहा तो सड़क स गजरकर नाली म िगरन जा रहा कीड़ा और कहा सत क सािननधय स वह मऽय ऋिष बन गया सतसग की बिलहारी ह इसीिलए तलसीदास जी कहत ह ETH

तात ःवगर अपवगर सख धिरअ तला एक अग तल न तािह सकल िमली जो सख लव सतसग

यहा एक शका हो सकती ह िक वह कीड़ा ही मऽय ऋिष कयो नही बन गया

अर भाई यिद आप पहली ककषा क िव ाथ हो और आपको एम ए म िबठाया जाय तो कया आप पास हो सकत हो नही दसरी तीसरी चौथी दसवी बारहवी बीए आिद पास करक ही आप एमए म वश कर सकत हो

िकसी चौकीदार पर कोई धानमनऽी अतयिधक सनन हो जाए तब भी वह उस सीधा कलकटर (िजलाधीश) नही बना सकता ऐस ही नाली म रहन वाला कीड़ा सीधा मनय तो नही

हो सकता बि क िविभनन योिनयो को पार करक ही मनय बन सकता ह हा इतना अवय ह िक सतकपा स उसका मागर छोटा हो जाता ह

सतसमागम की साध परषो स सग की मिहमा का कहा तक वणरन कर कस बयान कर एक सामानय कीड़ा उनक सतसग को पाकर महान ऋिष बन सकता ह तो िफर यिद मानव को िकसी सदगर का सािननधय िमल जाय उनक वचनानसार चल पड़ तो मि का अनभव करक जीवनम भी बन सकता ह

(अनबम)

पीड़ पराई जान र जञानी िकसी स यार करन क िलए बध हए नही ह और िकसी को डाटन म भी राजी

नही ह हमारी जसी यो यता होती ह ऐसा उनका वयवहार हमार ित होता ह लीलाशाह बाप क ौीचरणो म बहत लोग गय थ एक लड़का भी गया था वह मिणनगर

म रहता था िशवजी को जल चढ़ान क प ात ही वह जल पीता वह लड़का खब िन ा स धयान-भजन करता और सवा पजा करता

एक िदन कोई वयि राःत म बहोश पड़ा हआ था िशवजी को जल चढ़ान जात समय उस बालक न उस दखा और अपनी पजा-वजा छोड़कर उस गरीब की सवा म लग गया िबहार का कोई यवक था नौकरी की खोज म आया था कालपर(अहमदाबाद) ःटशन क लटफामर पर एक दो िदन रहा किलयो न मारपीट कर भगा िदया चलत-चलत मिणनगर म पनीत आौम की ओर रोटी की आशा म जा रहा था रोटी तो वहा नही िमलती थी इसिलए भख क कारण चलत-चलत राःत म िगर गया और बहोश हो गया

उस लड़क का घर पनीत आौम क पास ही था सबह क दस साढ़ दस बज थ वह लड़का घर स धयान-भजन स िनपटकर मिदर म िशवजी को जल चढ़ान क िलए जल का लोटा और पजा की साममी लकर जा रहा था उसन दखा िक राःत म कोई यवक पड़ा ह राःत म चलत-चलत लोग बोलत थः शराब पी होगी यह होगा वह होगा हम कया

लड़क को दया आई प य िकय हए हो तो रणा भी अचछ िमलती ह शभ कम स शभ रणा िमलती ह अपन पास की पजा साममी एक ओर रखकर उसन उस वयि को िहलाया बहत मिकल स उसकी आख खली कोई उस जत सघाता कोई कछ करता कोई कछ बोलता था

आख खोलत ही वह वयि धीर स बोलाः पानी पानी

लड़क न महादव जी क िलय लाया हआ जल का लोटा उस िपला िदया िफर दोड़कर घर जाकर अपन िहःस का दध लाकर उस िदया

यवक क जी म जी आया उसन अपनी वयथा बतात हए कहाः बाब जी म िबहार स आया ह मर बाप गजर गय काका िदन-रात टोकत रहत त िक

कमाओ नही तो खाओग कया नौकरी धधा िमलता नही ह भटकत-भटकत अहमदाबाद क ःटशन पर कली का काम करन का य िकया हमारी रोटी-रोजी िछन जायगी ऐसा समझकर किलयो न खब मारा पदल चलत-चलत मिणनगर ःटशन की ओर आत-आत यहा तीन िदन की भख और मार क कारण चककर आय और िगर गया

लड़क न उस िखलाया अपना इक ठा िकया हआ जबखचर का पसा िदया उस यवक को जहा जाना था वहा भजन की वयवःथा की इस लड़क क दय म आनद की वि हई अतर म आवाज आईः

बटा अब म तझ बहत ज दी िमलगा

लड़क न िकयाः अनदर कौन बोलता ह

उ र आयाः िजस िशव की त पजा करता ह वह तरा आतमिशव अब म तर दय म कट होऊगा सवा क अिधकारी की सवा मझ िशव की ही सवा ह

उस िदन उस अतयारमी न अनोखी ऱणा और ोतसाहन िदया वह लड़का तो िनकल पड़ा घर छोड़कर ई र-साकषातकार करन क िलए कदारनाथ वनदावन होत हए निनताल क अर य म पहचा

कदारनाथ क दशरन पाय लकषािधपित आिशष पाय

इस आशीवारद को वापस कर ई राि क िलए िफर पजा की उसक पास जो कछ रपय पस थ उनह वनदावन म साध-सतो एव गरीबो म भ डारा करक खचर कर िदया था थोड़ स पस लकर निनताल क अर यो म पहचा लोकलाड़ल लाखो दयो को हिररस िपलात पजयपाद सदगर ौी लीलाशाह बाप की राह दखत हए चालीस िदन बीत गय गरवर ौी लीलाशाह को अब पणर समिपरत िशय िमला पणर खजाना ा करन वाला पिवऽातमा िमला पणर गर की पणर िशय िमला

िजस लड़क क िवषय म यह कथा पढ़ रह ह वह लड़का कौन होगा जानत हो

पणर गर कपा िमली पणर गर का जञान आसमल स हो गय साई आसाराम

अब तो समझ ही गय होग (उस लड़क क वश म छप हए थ पवर जनम क योगी और वतरमान म िव िव यात हमार

पजयपाद सदगरदव ौी आसाराम जी महाराज)

(अनबम)

िवकास क बिरयो स सावधान किपलवःत क राजा श ोदन का यवराज था िस ाथर यौवन म कदम रखत ही िववक

और वरा य जाग उठा यवान प ी यशोधरा और नवजात िशश राहल की मोह-ममता की रशमी जजीर काटकर महाभीिनबमण (गहतयाग) िकया एकानत अर य म जाकर गहन धयान साधना करक अपन साधय त व को ा कर िलया

एकानत म तप यार और धयान साधना स िखल हए इस आधयाितमक कसम की मधर

सौरभ लोगो म फलन लगी अब िस ाथर भगवान ब क नाम स जन-समह म िस हए हजारो हजारो लोग उनक उपिद मागर पर चलन लग और अपनी अपनी यो यता क मतािबक आधयाितमक याऽा म आग बढ़त हए आितमक शाित ा करन लग अस य लोग बौ िभकषक बनकर भगवान ब क सािननधय म रहन लग उनक पीछ चलन वाल अनयायीओ का एक सघ ःथािपत हो गया चह ओर नाद गजन लग िकः

ब शरण गचछािम धमम शरण गचछािम सघ शरण गचछािम

ौावःती नगरी म भगवान ब का बहत यश फला लोगो म उनकी जय-जयकार होन लगी लोगो की भीड़-भाड़ स िवर होकर ब नगर स बाहर जतवन म आम क बगीच म रहन लग नगर क िपपास जन बड़ी तादाद म वहा हररोज िनि त समय पर पहच जात और उपदश-वचन सनत बड़-बड़ राजा महाराजा भगवान ब क सािननधय म आन जान लग

समाज म तो हर कार क लोग होत ह अनािद काल स दवी समपदा क लोग एव आसरी समपदा क लोग हआ करत ह ब का फलता हआ यश दखकर उनका तजो ष करन वाल लोग जलन लग सतो क साथ हमशा स होता आ रहा ह ऐस उन द त वो न ब को बदनाम करन क िलए कचार िकया िविभनन कार की यि -यि या लड़ाकर ब क यश को हािन पहच ऐसी बात समाज म व लोग फलान लग उन द ो न अपन ष यऽ म एक वया को समझा-बझाकर शािमल कर िलया

वया बन-ठनकर जतवन म भगवान ब क िनवास-ःथानवाल बगीच म जान लगी

धनरािश क साथ द ो का हर कार स सहारा एव ोतसाहन उस िमल रहा था रािऽ को वही रहकर सबह नगर म वािपस लोट आती अपनी सिखयो म भी उसन बात फलाई

लोग उसस पछन लगः अरी आजकल त िदखती नही ह कहा जा रही ह रोज रात को

म तो रोज रात को जतवन जाती ह व ब िदन म लोगो को उपदश दत ह और रािऽ क समय मर साथ रगरिलया मनात ह सारी रात वहा िबताकर सबह लोटती ह

वया न परा ीचिरऽ आजमाकर ष यऽ करन वालो का साथ िदया लोगो म पहल तो हलकी कानाफसी हई लिकन जयो-जयो बात फलती गई तयो-तयो लोगो म जोरदार िवरोध होन लगा लोग ब क नाम पर िफटकार बरसान लग ब क िभकषक बःती म िभकषा लन जात तो लोग उनह गािलया दन लग ब क सघ क लोग सवा-वि म सल न थ उन लोगो क सामन भी उगली उठाकर लोग बकवास करन लग

ब क िशय जरा असावधान रह थ कचार क समय साथ ही साथ स चार होता तो कचार का इतना भाव नही होता िशय अगर िनिबय रहकर सोचत रह जाय िक करगा सो भरगा भगवान उनका नाश करग तो कचार करन वालो को ख ला मदान िमल जाता ह

सत क सािननधय म आन वाल लोग ौ ाल सजजन सीध साद होत ह जबिक द वि करन वाल लोग किटलतापवरक कचार करन म कशल होत ह िफर भी िजन सतो क पीछ सजग समाज होता ह उन सतो क पीछ उठन वाल कचार क तफान समय पाकर शात हो जात ह और उनकी सतवि या काशमान हो उठती ह

कचार न इतना जोर पकड़ा िक ब क िनकटवत लोगो न ऽािहमाम पकार िलया व समझ गय िक यह वयविःथत आयोजनपवरक ष यऽ िकया गया ह ब ःवय तो पारमािथरक सतय म जाग हए थ व बोलतः सब ठ क ह चलन दो वयवहािरक सतय म वाहवाही दख ली अब िननदा भी दख ल कया फकर पड़ता ह

िशय कहन लगः भनत अब सहा नही जाता सघ क िनकटवत भ भी अफवाहो क िशकार हो रह ह समाज क लोग अफवाहो की बातो को सतय मानन लग गय ह

ब ः धयर रखो हम पारमािथरक सतय म िवौाित पात ह यह िवरोध की आधी चली ह तो शात भी हो जाएगी समय पाकर सतय ही बाहर आयगा आिखर म लोग हम जानग और मानग

कछ लोगो न अगवानी का झ डा उठाया और राजयस ा क समकष जोर-शोर स माग की

िक ब की जाच करवाई जाय लोग बात कर रह ह और वया भी कहती ह िक ब रािऽ को मर साथ होत ह और िदन म सतसग करत ह

ब क बार म जाच करन क िलए राजा न अपन आदिमयो को फरमान िदया अब ष यऽ करनवालो न सोचा िक इस जाच करन वाल पच म अगर सचचा आदमी आ जाएगा तो अफवाहो का सीना चीरकर सतय बाहर आ जाएगा अतः उनहोन अपन ष यऽ को आिखरी

पराका ा पर पहचाया अब ऐस ठोस सबत खड़ा करना चािहए िक ब की ितभा का अःत हो जाय

उनहोन वया को दार िपलाकर जतवन भज िदया पीछ स ग डो की टोली वहा गई वया पर बलातकार आिद सब द कतय करक उसका गला घोट िदया और लाश को ब क बगीच म गाड़कर पलायन हो गय

लोगो न राजयस ा क ार खटखटाय थ लिकन स ावाल भी कछ लोग द ो क साथ जड़ हए थ ऐसा थोड़ ही ह िक स ा म बठ हए सब लोग दध म धोय हए वयि होत ह

राजा क अिधकािरयो क ारा जाच करन पर वया की लाश हाथ लगी अब द ो न जोर-शोर स िच लाना शर कर िदया

दखो हम पहल ही कह रह थ वया भी बोल रही थी लिकन तम भगतड़ लोग मानत ही नही थ अब दख िलया न ब न सही बात खल जान क भय स वया को मरवाकर बगीच म गड़वा िदया न रहगा बास न बजगी बासरी लिकन सतय कहा तक िछप सकता ह म ामाल हाथ लग गया इस ठोस सबत स ब की असिलयत िस हो गई सतय बाहर आ गया

लिकन उन मख का पता नही िक तमहारा बनाया हआ कि पत सतय बाहर आया वाःतिवक सतय तो आज ढाई हजार वषर क बाद भी वसा ही चमक रहा ह आज ब को लाखो लोग जानत ह आदरपवरक मानत ह उनका तजो ष करन वाल द लोग कौन-स नरको म जलत होग कया पता

ढाई हजार वषर पहल ब क जमान म भी सतो क साथ ऐसा घोर अनयाय हआ करता था ऋिष दयाननद को भी ऐस ही त वो न तजो ष क कारण बाईस बार िवष दकर मार डालन का यास िकया ःवामी िववकाननद और ःवामी रामतीथर क पीछ भी द लोगो न वया को तयार करक कीचड़ उछाला था

एक ओर लाखो-लाखो लोग सतो की अनभवय वाणी स अपना वयावहािरक ETH आधयाितमक जीवन उननत करक सख-शाित पात ह दसरी ओर कछ द कित क ःवाथ लोग अपना उ ल सीधा करन क िलए ऐस महापरषो क िवर म ष यऽ रचकर उनको बदनाम करत ह यह तो पहल स चला आ रहा ह सत कबीर हो या नानक एकनाथ महाराज हो या सत तकाराम नरिसह महता हो या मीराबाई ायः सभी सतो को अपन जीवन क दौरान समाज क किटल त वो स पाला पड़ता ही रहा ह जीसस बाइःट को इनही त वो न बॉस पर चढ़ाया था उनही लोगो न सकरात को जहर िपलाकर मतयद ड िदया था मनसर को इसी जमात न शली पर चढ़ाया था ईसाई धमर म माट न यथर पर ज म िकया गया था अण-अण म ई र और नारीमाऽ म जगजजननी भगवती का दशरन करन वाल रामकण परमहस को भी लोगो न नही

छोड़ा था परमहस योगाननद रवीनिनाथ टगोर माट न यथर दिकषण भारत क सत ितरव लवर जापानी झन सत बाबो इितहास म िकतन-िकतन उदाहरण मौजद ह

हािसद धमरगर बा शमटोव अित पिवऽ आतमा थ िननदको न उनक इदरिगदर भी मायाजाल िबछा दी थी िसध क साई टउराम क पास अस य लोग आतमक याण हत जान लग तब िवकत िदमागवालो न उन सत को भी ऽास दना शर कर िदया उनक आौम क चह ओर गदगी डाल दत और कए म िम टी का तल उड़लकर पानी बकार कर दत मगल बादशाह बाबर को बहका कर उनही लोगो न गर नानक को कद करवाया था

भगवान ौीराम एव ौीकण को भी द जनो न छोड़ा नही था भगवान ौीराम क गर विश जी महाराज कहत हः

ह राम जी म जब बाजार स गजरता ह तब अजञानी मखर लोग मर िलए कया बकत ह म सब जानता ह लिकन मरा दयाल ःवभाव ह म इन सबका क याण चाहता ह

तमहार साथ यह ससार कछ अनयाय करता ह तमको बदनाम करता ह िननदा करता ह तो यह ससार की परानी रीत ह मनय की हीनवि कचार िननदाखोरी यह आजकल की ही बात नही ह अनािदकाल स ऐसा होता आया ह तम अपन आतमजञान क सःकार जगाकर आतमबल का िवकास करत जाओ मःकरात जाओ आधी तफानो को लाघकर आननदपवरक जीत जाओ

उस जमान म भगवान ब क पास आकर एक िभकषक न ाथरना कीः भनत मझ आजञा द म सभाए भरगा आपक िवचारो का चार करगा

मर िवचारो का चार

हा भगवन म बौ धमर फलाऊगा

लोग तरी िननदा करग गािलया दग

कोई हजर नही म भगवन को धनयवाद दगा िक य लोग िकतन अचछ ह य कवल श दहार करत ह मझ पीटत तो नही

लोग तझ पीटग भी तो कया करोग

भो म शब गजारगा िक य लोग हाथो स पीटत ह पतथर तो नही मारत

लोग पतथर भी मारग और िसर भी फोड़ दग तो कया करगा

िफर भी म आ ःत रहगा और भगवान का िदवय कायर करता रहगा कयोिक व लोग मरा िसर फोड़ग लिकन ाण तो नही लग

लोग जनन म आकर तझ मार दग तो कया करगा

भनत आपक िदवय िवचारो का चार करत-करत म मर भी गया तो समझगा िक मरा जीवन सफल हो गया

उस कतिन यी िभकषक की दढ़ िन ा दखकर भगवान ब सनन हो उठ उस पर उनकी करणा बरस पड़ी

ऐस िशय जब ब का चार करन िनकल पड़ तब कचार करन वाल धीर-धीर शात हो गय मनयो की उगिलया काट-काटकर माला बनाकर पहनन वाला अगिलमाल जसा बर हतयारा भी दयपिरवतरन पाकर ब की शरण म िभकषक होकर रहन लगा

आज हम ब को बहत आदर स जानत ह मानत ह उनक जीवनकाल क दौरान उनक पीछ लग हए द लोग कौन स नरक म सड़त होग रौरव नरक म या कभीपाक नरक म कौन-सी योिनयो म भटकत होग सअर बन होग िक नाली क कीड़ बन होग शतान बन होग िक राकषस बन होग मझ पता नही लिकन ब तो करोड़ो दयो म बस रह ह यह म मानता ह

सतय तो परमाथर ह आतमा ह परमातमा ह उसम िजतना िटकोग उतना तमहारा मगल होगा तमहारी िनगाह िजन पर पड़गी उनका भी मगल होगा

(अनबम)

कछ जानन यो य बात सय दय स पवर उठकर ःनान कर लना चािहए ातः खाली पट मटक का बासी पानी

पीना ःवाःथयद ह तलसी क प सय दय क प ात ही तोड़ दध म तलसी क प नही डालन चािहए तथा

दध क साथ खान भी नही चािहए तलसी क प खाकर थोड़ा पानी पीना िपय जलनित स पिह सौ कार क लाभ होत ह अपन मिःतक म एक कार का िवजाितय

िवय उतपनन होता ह यिद वह िवय वही अटक जाता ह तो बचपन म ही बाल सफद होन लगत ह इसस नजल की बीमारी भी होती ह यिद वह िवय नाक की तरफ आता ह तो सगनध-दगरनध का पता नही चल पाता और ज दी-ज दी जकाम हो जाता ह यिद वह िवय कान की तरफ आता ह तो कान बहर होन लगत ह और छोट-मोट ब ीस रोग हो सकत ह यिद वह िवय दात की तरफ आय तो दात छोटी उ म ही िगरन लगत ह यिद आख की तरफ वह िवय उतर तो चम लगन लगत ह जलनित यािन नाक स पानी खीचकर मह स िनकाल दन स वह िवय िनकल जाता ह गल क ऊपर क ायः सभी रोगो स मि िमल जाती ह

आईसबीम खान क बाद चाय पीना दातो क िलए अतयािधक हािनकारक होता ह

भोजन को पीना चािहए तथा पानी को खाना चािहए इसका मतलब यह ह िक भोजन को इतना चबाओ िक वह पानी की तरह पतला हो जाय और पानी अथवा अनय पय पदाथ को धीर-धीर िपयो

िकसी भी कार का पय पदाथर पीना हो तो दाया नथना बनद करक िपय इसस वह अमत जसा हो जाता ह यिद दाया ःवर(नथना) चाल हो और पानी आिद िपय तो जीवनशि (ओज) पतली होन लगती ह चयर की रकषा क िलए शरीर को तनदरःत रखन क िलए यह योग करना चािहए

तम चाह िकतनी भी महनत करो िकनत िजतना तमहारी नसो म ओज ह चयर की शि ह उतन ही तम सफल होत हो जो चाय-कॉफी आिद पीत ह उनका ओज पतला होकर पशाब ारा न होता जाता ह अतः चयर की रकषा क िलए चाय-कॉफी जस वयसनो स दर रहना रह

पढ़न क बाद थोड़ी दर शात हो जाना चािहए जो पढ़ा ह उसका मनन करो िशकषक ःकल म जब पढ़ात हो तब धयान स सनो उस व मःती-मजाक नही करना चािहए िवनोद-मःती कम स कम करो और समझन की कोिशश अिधक करो

जो सय दय क पवर नही उठता उसक ःवभाव म तमस छा जाता ह जो सय दय क पवर उठता ह उसकी बि शि बढ़ती ह

नीद म स उठकर तरत भगवान का धयान करो आतमःनान करो धयान म रिच नही होती तो समझना चािहए िक मन म दोष ह उनह िनकालन क िलए कया करना चािहए

मन को िनद ष बनान क िलए सबह-शाम माता-िपता को णाम करना चािहए गरजनो को णाम करना चािहए एव भगवान क नाम का जप करना चािहए भगवान स ाथरना करनी चािहए िक ह भगवान ह मर भ मरी धयान म रिच होन लग ऐसी कपा कर दो िकसी समय गद िवचार िनकल आय तो समझना चािहए िक अदर छप हए िवचार िनकल रह ह अतः खश होना चािहए िवचार आया और गया मर राम तो दय म ही ह ऐसी भावना करनी चािहए

िनदा करना तो अचछा नही ह िकनत िनदा सनना भी उिचत नही (अनबम)

शयन की रीत मनय को िकस ढग स सोना चािहए इसका भी तरीका होता ह सोत व पवर अथवा

दिकषण िदशा की ओर िसर करक ही सोना चािहए

भोजन करन क बाद िदन म दस िमनट आराम कर िकनत सोय नही भोजन क बाद दस िमनट बायी करवट लट सकत ह रािऽ को जागरण िकया हो इस कारण स कभी िदन म सोना पड़ वह अलग बात ह

सोत व नीच कोई गमर कबल आिद िबछाकर सोय तािक आपकी जीवनशि अिथग न हो जाय आपक शरीर की िव तशि भिम म न उतर जाय

(अनबम)

ःनान का तरीका शरीर की मजबती एव आरो यता क िलए रगड़-रगड़कर ःनान करना चािहए जो लोग

ठड दशो म रहत ह उनका ःवाःथय गमर दस क लोगो की अपकषा अचछा होता ह ठडी स अपना शरीर सधरता ह

ःनान करत व 12-15 िलटर पानी बा टी म लकर पहल उसम िसर डबाना चािहए िफर पर िभगोना चािहए पहल पर गील नही करन चािहए शरीर की गम ऊपर की ओर चढ़ती ह जो ःवाःथय क िलए हािनकारक होती ह

अतः पहल ठड पानी की बा टी भर ल िफर मह म पानी भरकर िसर को बा टी म डाल और आख पटपटाए इसस आखो की शि बढ़ती ह शरीर को रगड़-रगड़कर नहाए बाद म गील व स शरीर को रगड़-रगड़कर पोछ िजसस रोम कप का सारा मल बाहर िनकल जाय और रोमकप(तवचा क िछि) खल जायय तवचा क िछि बद रहन स ही तवचा की कई बीमािरया होती ह िफर सख कपड़ स शरीर को पोछ कर (अथवा थोड़ा गीला हो तब भी चल) सख साफ व पहन ल व भल साद हो िकनत साफ हो बासी कपड़ नही पहन हमशा धल हए कपड़ ही पहन इसस मन भी सनन रहता ह

पाच कार क ःनान होत हः ःनान दवःनान ऋिषःनान मानवःनान दानवःनान ःनानः -परमातमा का िचतन करक जल थल नहान वाला

ऐसा िचतन करक ा महतर म नहाना इस ःनान कहत ह दवःनानः दवनिदयो म ःनान या दवनिदयो का ःमरण करक सय दय स पवर नहाना यह

दवःनान ह ऋिषःनानः आकाश म तार िदखत हो और नहा ल यह ऋिषःनान ह ऋिषःनान करन

वाल की बि बड़ी तजःवी होती ह मानवःनानः सय दय क पवर का ःनान मानवःनान ह

दानवःनानः सय दय क प ात चाय पीकर नाता करक आठ नौ बज नहाना यह दानव ःनान ह

अतः हमशा ऋिषःनान करन का ही यास करना चािहए (अनबम)

ःवचछता का धयान यिद शरीर की सफाई रखी जाय तो मन भी सनन रहता ह आजकल अिधकतर लोग

श स ही मजन करत ह श की अपकषा नीम और बबल की दातौन जयादा अचछ होती ह और यिद श भी कर तो कभी-कभार श को गमर पानी स धोना चािहए अनयथा उसम बकटिरया(जीवाण) रह जात ह

िकतन ही लोग उगली स दात साफ करत ह तजरनी (अगठ क पास वाली थम उगली) स दात िघसन स मसड़ कमजोर हो जात ह तथा दात ज दी िगर जात ह कयोिक तजरनी म िव तशि का माण दसरी उगिलयो की अपकषा अिधक होता ह अतः उसस दात नही िघसन चािहए एव आखो को भी नही मसलना चािहए

िजस िदशा स हवा आती हो उस िदशा की ओर मह करक कभी-भी मलमऽ का िवसजरन नही करना चािहए सयर और चनिमा की ओर मख करक भी मलमऽ का िवसजरन नही करना चािहए

(अनबम)

ःमरणशि का िवकास यादशि बढ़ान का एक सनदर योग ह ETH ामरी ाणायाम सखासन प ासन या

िस ासन पर बठ हाथ की कोहनी की ऊचाई कनध तक रह इस कार रखकर हाथ की थम उगली(तजरनी) स दोनो कानो को धीर-स बद कर एकदम जोर स बद न कर िकनत बाहर का कछ सनाई न द इस कार धीर स कान बनद कर

अब गहर ास लकर थोड़ी दर रोक ओठ बद रखकर जस मर का गजन होता ह वस ॐsssss कहत हए गजन कर उसक बाद थोड़ी दर तक ास न ल पनः यही िबया दहराय ऐसा सबह एव शाम 8 स 10 बार कर यादशि बढ़ान का यह यौिगक योग ह इसस मिःतक की नािड़यो का शोधन होकर मिःतक म र सचार उिचत ढग स होता ह

और िवचार करन स भी बि शि का िवकास होता ह

सबह खाली पट तलसी क प एकाध काली िमचर चबाकर एक िगलास पानी पीन स भी ःमरणशि का िवकास होता ह रोग-ितकारक शि बढ़ती ह कनसर की बीमारी कभी नही होती जलदर-भगदर की बीमारी भी कभी नही होती

(अनबम)

वयि तव और वयवहार िकसी भी वयि तव का पता उसक वयवहार स ही चलता ह कई लोग वयथर च ा करत

ह एक होती ह सकाम च ा दसरी होती ह िनकाम च ा और तीसरी होती ह वयथर च ा वयथर च ा नही करनी चािहए िकसी क शरीर म कोई कमी हो तो उसका मजाक नही उड़ाना चािहए वरन उस मददरप बनना चािहए यह िनकाम सवा ह

िकसी की भी िनदा नही करनी चािहए िनदा करन वाला वयि िजसकी िनदा करता ह उसका तो इतना अिहत नही होता िजतना वह अपना अिहत करता ह जो दसरो की सवा करता ह दसरो क अनकल होता ह वह दसरो का िजतना िहत करता ह उसकी अपकषा उसका खद का िहत जयादा होता ह

अपन स जो उ स बड़ हो जञान म बड़ हो तप म बड़ हो उनका आदर करना चािहए िजस मनय क साथ बात करत हो वह मनय कौन ह यह जानकर बात करो तो आप वयवहार-कशल कहलाओग

िकसी को पऽ िलखत हो तो यिद अपन स बड़ हो तो ौी सबोधन करक िलखो सबोधन करन स सवाकयो की रचना स िश ता बढ़ती ह िकसी स बात करो तो सबोधन करक बात करो जो तकार स बात करता ह वह अिश कहलाता ह िश तापवरक बात करन स अपनी इजजत बढ़ती ह

िजसक जीवन म वयवहार-कशलता ह वह सभी कषऽो म सफल होता ह िजसम िवनता ह वही सब कछ सीख सकता ह िवनता िव ा बढ़ाती ह िजसक जीवन म िवनता नही ह समझो उसक सब काम अधर रह गय और जो समझता ह िक म सब कछ जानता ह वह वाःतव म कछ नही जानता

एक िचऽकार अपन गरदव क सममख एक सनदर िचऽ बनाकर लाया गर न िचऽ दखकर कहाः

वाह वाह सनदर ह अदभत ह

िशय बोलाः गरदव इसम कोई ऽिट रह गयी हो तो कपा करक बताइए इसीिलए म आपक चरणो म आया ह

गरः कोई ऽिट नही ह मझस भी जयादा अचछा बनाया ह

वह िशय रोन लगा उस रोता दखकर गर न पछाः तम कयो रो रह हो म तो तमहारी शसा कर रहा ह

िशयः गरदव मरी घड़ाई करन वाल आप भी यिद मरी शसा ही करग तो मझ मरी गि तया कौन बतायगा मरी गित कस होगी

यह सनकर गर अतयत सनन हो गय हमन िजतना जाना िजतना सीखा ह वह तो ठ क ह उसस जयादा जान सक सीख सक

ऐसा हमारा यास होना चािहए रामकण परमहस व हो गय थ िकसी न उनस पछाः बाबा जी आपन सब कछ जान

िलया ह

रामकण परमहसः नही म जब तक जीऊगा तब तक िव ाथ ही रहगा मझ अभी बहत कछ सीखना बाकी ह

िजनक पास सीखन को िमल उनस िवनतापवरक सीखना चािहए जो कछ सीखो सावधानीपवरक सीखो जीवन म िवनोद जररी ह िकनत िवनोद की अित न हो िजस समय पढ़त हो कछ सीखत हो कछ करत हो उस समय मःती नही िवनोद नही वरन जो कछ पढ़ो सीखो या करो उस उतसाह स धयान स और सावधानी स करो

पढ़न स पवर थोड़ धयानःथ हो जाओ पढ़न क बाद मौन हो जाओ यह गित की चाबी ह

माता-िपता स िचढ़ना नही चाह िजस मा-बाप न जनम िदया ह उनकी बातो को समझना चािहए अपन िलए उनक मन म िवशष दया हो िवशष म उतपनन हो ऐसा वयवहार करना चािहए

भल जाओ भल सब कछ माता-िपता को भलना नही अनिगनत उपकार ह उनक यह कभी िबसरना नही

माता-िपता को सतोष हो उनका दय सनन हो ऐसा हमारा वयवहार होना चािहए अपन माता-िपता एव गरजनो को सत रखकर ही हम सचची गित कर सकत ह

(अनबम)

  • पजय बाप जी का उदबोधन
  • कदम अपना आग बढाता चला जा
  • त गलाब होकर महक
  • जीवन विकास का मल सयम
  • तरिकाल सधया
  • शरीर सवासथय
  • अनन का परभाव
  • भारतीय ससकति की महानता
  • हरिदास की हरिभकति
  • बनावटी शरगार स बचो
  • साहसी बालक
  • गर-आजञापालन का चमतकार
  • अनोखी गरदकषिणा
  • सतसग की महिमा
  • पीड पराई जान र
  • विकास क बरियो स सावधान
  • कछ जानन योगय बात
  • शयन की रीत
  • सनान का तरीका
  • सवचछता का धयान
  • समरणशकति का विकास
  • वयकतितव और वयवहार
Page 26: Tu gulabhokarmehak

जो किऽम सौनदयर क गलाम बनत ह उनस ःनहभरी सलाह ह िक व पफ-पाउडर आिद और तड़कील-भड़कील व आिद की गलामी को छोड़कर ाकितक सौनदयर को बढ़ान की कोिशश कर मीरा और मदालसा की तरह अपन असली सौनदयर को कट करन की कोिशश कर

(अनबम)

साहसी बालक एक लड़का काशी म हिर नि हाईःकल म पढ़ता था उसका गाव काशी स आठ मील दर

था वह रोजाना वहा स पदल चलकर आता बीच म जो गगा नदी बहती ह उस पार करक िव ालय पहचता

उस जमान म गगा पार करन क िलए नाव वाल को दो पस दन पड़त थ दो पस आन क और दो पस जान क कल चार पस यािन पराना एक आना महीन म करीब दो रपय हए जब सोन क एक तोल का भाव रपया सौ स भी नीच था तब क दो रपय आज क तो पाच-पचचीस रपय हो जाए

उस लड़क न अपन मा-बाप पर अितिर बोझा न पड़ इसिलए एक भी पस की माग नही की उसन तरना सीख िलया गम हो बािरश हो या ठ ड हो गगा पार करक हाईःकल म जाना उसका बम हो गया इस कार िकतन ही महीन गजर गय

एक बार पौष मास की ठ ड म वह लड़का सबह की ःकल भरन क िलए गगा म कदा तरत-तरत मझधार म आया एक नाव म कछ याऽी नदी पार कर रह थ उनहोन दखा िक छोटा-सा लड़का अभी डब मरगा व उसक पास नाव ल गय और हाथ पकड़ कर उस नाव म खीच िलया लड़क क मख पर घबराहट या िचनता की कोई रखा नही थी सब लोग दग रह गय इतना छोटा ह और इतना साहसी ह व बोलः

त अभी डब मरता तो ऐसा साहस नही करना चािहए

तब लड़का बोलाः साहस तो होना ही चािहए जीवन म िव न-बाधाए आयगी उनह कचलन क िलए साहस तो चािहए ही अगर अभी स साहस नही जटाया तो जीवन म बड़-बड़ कायर कस कर पायग

लोगो न पछाः इस समय तरन कयो िगरा दोपहर को नहान आता

लड़का बोलता हः म नहान क िलए नदी म नही िगरा ह म तो ःकल जा रहा ह

नाव म बठकर जाता

रोज क चार पस आन-जान क लगत ह मर गरीब मा-बाप पर मझ बोझा नही बनना ह मझ तो अपन परो पर खड़ होना ह मरा खचर बढ़ तो मर मा-बाप की िचनता बढ़ उनह घर चलाना मिकल हो जाय

लोग उस आदर स दखत ही रह गय वही साहसी लड़का आग चलकर भारत का धान मऽी बना

वह लड़का कौन था पता ह व थ लाल बहादर शा ी शा ी जी उस पद भी सचचाई साहस सरलता ईमानदारी सादगी दशम आिद सदगण और सदाचार क मितरमनत ःवरप थ ऐस महापरष भल िफर थोड़ा-सा समय ही राजय कर पर एक अनोखा भाव छोड़ जात ह जनमानस पर

(अनबम)

गर-आजञापालन का चमतकार ौीम आ ाशकराचायर जी जब काशी म िनवास करत थ तब गगा-तट पर िनतय ात-

काल टहलत थ एक सबह िकसी ितभासपनन यवक न दसर िकनार स दखा िक कोई सनयासी उस पार टहल रह ह उस यवक न दसर िकनार स ही उनह णाम िकया उस यवक को दखकर आ शकराचायर जी न सकत िकया िक इधर आ जाओ उस आभासमपनन यवक न दखा िक मन तो साध को णाम कर िदया ह णाम कर िदया तो म उनका िशय हो गया और उनहोन मझ आदश िदया िक इधर आ जाओ अब गर की आजञा का उ लघन करना भी तो उिचत नही ह िकनत यही कोई नाव नही ह और म तरना भी नही जानता ह अब कया कर उसक मन म िवचार आया िक वस भी तो हजारो बार हम मर चक ह एक बार यिद गर क दशरन क िलए जात-जात मर जाय तो घाटा कया होगा

गग मात की जय कह कर उस यवक न तो गगाजी म पर रख िदया उसकी इचछा कहो ौीम आ शकराचायर जी का भाव कहो या िनयित की लीला कहो जहा उस यवक न कदम रखा वहा एक कमल पदा हो गया उसक पर को थामन क िलए जब दसरा पर रखा तो वहा भी कमल पदा हो गया इस कार जहा-जहा वह कदम रखता गया वहा कमल (प ) उतपनन होता गया और वह यवक गगा क दसर तट पर जहा आ शकराचायर जी खड़ थ पहच गया

जहा-जहा वह कदम रखता था वहा-वहा प (कमल) क कट होन क कारण उसका नाम पड़ा - प पादाचायर शकराचायर जी क म य चार प टिशयो म आग जाकर यही प पादाचायर एक प टिशय बन

कहन का तातपयर यह ह िक सिचचदानद परमातमा की शि का सामथयर का बयान करना सभव नही ह िजसकी िजतनी दढ़ता ह िजसकी िजतनी सचचाई ह िजसकी िजतनी ततपरता ह उतनी ही कित भी उसकी मदद करन को आतर रहती ह प पादाचायर की गर-आजञापालन म दढ़ता और ततपरता को दखकर गगा जी म कमल गट हो गय िशय यिद दढ़ता ततपरता और ईमानदारी स गर-आजञापालन म लग जाय तो कित भी उसक अनकल हो जाती ह

(अनबम)

अनोखी गरदिकषणा एकलवय गर िोणाचायर क पास आकर बोलाः मझ धनिवर ा िसखान की कपा कर

गरदव गर िोणाचायर क समकष धमरसकट उतपनन हआ कयोिक उनहोन भीम िपतामह को वचन

द िदया था िक कवल राजकमारो को ही म िशकषा दगा एकलवय राजकमार नही ह अतः उस धनिवर ा कस िसखाऊ अतः िोणाचायर न एकलवय स कहाः

म तझ धनिवर ा नही िसखा सकगा

एकलवय घर स िन य करक िनकला था िक म कवल गर िोणाचायर को ही गर बनाऊगा िजनक िलए मन म भी गर बनान का भाव आ गया उनक िकसी भी वयवहार क िलए िशकायत या िछिानवषण की वि नही होनी चािहए

एकलवय एकात अर य म गया और उसन गर िोणाचायर की िम टी की मितर बनायी मितर की ओर एकटक दखकर धयान करक उसी स रणा लकर वह धनिवर ा सीखन लगा एकटक दखन स एकामता आती ह एकामता गरभि अपनी सचचाई और ततपरता क कारण उस रणा िमलन लगी जञानदाता तो परमातमा ह धनिवर ा म वह बहत आग बढ़ गया

एक बार िोणाचायर पाडव एव कौरव धनिवर ा का योग करन अर य म आय उनक साथ एक क ा भी था जो थोड़ा आग िनकल गया क ा वही पहचा जहा एकलवय अपनी धनिवर ा का योग कर रहा था एकलवय क खल बाल फट कपड़ एव िविचऽ वष को दखकर क ा भ कन लगा

एकलवय न क को लग नही चोट न पहच और उसका भ कना बद हो जाय इस ढग स सात बाण उसक मह म थमा िदय क ा वािपस वहा गया जहा िोणाचायर क साथ पाडव और कौरव थ

उस दखकर अजरन को हआ िक क को चोट न लग इस ढग स बाण मह म घसाकर रख दना यह िव ा तो म भी नही जानता यह कस सभव हआ वह गर िोणाचायर स बोलाः

गरदव आपन तो कहा था िक मरी बराबरी का दसरा कोई धनधाररी नही होगा िकनत ऐसी िव ा तो मझ भी नही आती

िोणाचायर को हआ िक दख इस अर य म कौन-सा ऐसा कशल धनधरर ह आग जाकर दखा तो वह था िहर यधन का पऽ गरभ एकलवय

िोणाचायर न पछाः बटा यह िव ा त कहा स सीखा

एकलवय बोलाः गरदव आपकी ही कपा स सीखा ह

िोणाचायर तो वचन द चक थ िक अजरन की बराबरी का धनधरर दसरा कोई न होगा िकनत यह तो आग िनकल गया गर क िलए धमरसकट खड़ा हो गया एकलवय की अटट ौ ा दखकर िोणाचायर न कहाः मरी मितर को सामन रखकर त धनिवर ा तो सीखा िकनत गरदिकषणा

एकलवयः जो आप माग

िोणाचायरः तर दाय हाथ का अगठा

एकलवय न एक पल भी िवचार िकय िबना अपन दाय हाथ का अगठा काटकर गरदव क चरणो म अपरण कर िदया

िोणाचायरः बटा भल ही अजरन धनिवर ा म सबस आग रह कयोिक म उस वचन द चका ह िकनत जब तक सयर चनि नकषऽो का अिःततव रहगा तब तक लोग तरी गरिन ा का तरी गरभि का ःमरण करग तरा यशोगान होता रहगा

उसकी गरभि और एकामता न उस धनिवर ा म तो सफलता िदलायी ही लिकन सतो क दय म भी उसक िलए आदर गट करवा िदया धनय ह एकलवय जो गरमितर स रणा पाकर धनिवर ा म सफल हआ और िजसन अदभत गरदिकषणा दकर साहस तयाग और समपरण का पिरचय िदया

(अनबम)

सतसग की मिहमा तलसीदास जी महाराज कहत ह ETH

एक घड़ी आधी घड़ी आधी म पिन आध तलसी सगत साध की हर कोिट अपराध

एक बार शकदव जी क िपता भगवान वदवयासजी महाराज कही जा रह थ राःत म उनहोन दखा िक एक कीड़ा बड़ी तजी स सड़क पार कर रहा था

वदवयासजी न अपनी योगशि दत हए उसस पछाः त इतनी ज दी सड़क कयो पार कर रहा ह कया तझ िकसी काम स जाना ह त तो

नाली का कीड़ा ह इस नाली को छोड़कर दसरी नाली म ही तो जाना ह िफर इतनी तजी स कयो भाग रहा ह

कीड़ा बोलाः बाबा जी बलगाड़ी आ रही ह बलो क गल म बध घघर तथा बलगाड़ी क पिहयो की आवाज म सन रहा ह यिद म धीर-धीर सड़क पार करगा तो वह बलगाड़ी आकर मझ कचल डालगी

वदवयासजीः कचलन द कीड़ की योिन म जीकर भी कया करना

कीड़ाः महिषर ाणी िजस शरीर म होता ह उसको उसम ही ममता होती ह अनक ाणी नाना कार क क ो को सहत हए भी मरना नही चाहत

वदवयास जीः बलगाड़ी आ जाय और त मर जाय तो घबराना मत म तझ योगशि स महान बनाऊगा जब तक ा ण शरीर म न पहचा द अनय सभी योिनयो स शीय छटकारा िदलाता रहगा

उस कीड़ न बात मान ली और बीच राःत पर रक गया और मर गया िफर वदवयासजी की कपा स वह बमशः कौआ िसयार आिद योिनयो म जब-जब भी उतपनन हआ वयासजी न जाकर उस पवरजनम का ःमरण िदला िदया इस तरह वह बमशः मग पकषी शि वय जाितयो म जनम लता हआ कषिऽय जाित म उतपनन हआ उस वहा भी वदवयासजी दशरन िदय थोड़ िदनो म रणभिम म शरीर तयागकर उसन ा ण क घर जनम िलया

भगवान वदवयास जी न उस पाच वषर की उ म सारःवतय मऽ द िदया िजसका जप करत-करत वह धयान करन लगा उसकी बि बड़ी िवलकषण होन पर वद शा धमर का रहःय समझ म आ गया

सात वषर की आय म वदवयास जी न उस कहाः काि रक कषऽ म कई वष स एक ा ण ननदभि तपःया कर रहा ह तम जाकर उसकी

शका का समाधान करो

माऽ सात वषर का ा ण कमार काि रक कषऽ म तप कर रह उस ा ण क पास पहच कर बोलाः

ह ा णदव आप तप कयो कर रह ह

ा णः ह ऋिषकमार म यह जानन क िलए तप कर रहा ह िक जो अचछ लोग ह सजजन लोग ह व सहन करत ह दःखी रहत ह और पापी आदमी सखी रहत ह ऐसा कयो ह

बालकः पापी आदमी यिद सखी ह तो पाप क कारण नही वरन िपछल जनम का कोई प य ह उसक कारण सखी ह वह अपन प य खतम कर रहा ह पापी मनय भीतर स तो दःखी ही होता ह भल ही बाहर स सखी िदखाई द

धािमरक आदमी को ठ क समझ नही होती उिचत िदशा व मऽ नही िमलता इसिलए वह दःखी होता ह वह धमर क कारण दःखी नही होता अिपत समझ की कमी क कारण दःखी होता ह समझदार को यिद कोई गर िमल जाय तो वह नर म स नारायण बन जाय इसम कया आ यर ह

ा णः म इतना बढ़ा हो गया इतन वष स काि रक कषऽ म तप कर रहा ह मर तप का फल यही ह िक तमहार जस सात वषर क योगी क मझ दशरन हो रह ह म तमह णाम करता ह

बालकः नही नही महाराज आप तो भदव ह म तो बालक ह म आपको णाम करता ह

उसकी नता दखकर ा ण और खश हआ तप छोड़कर वह परमातमिचनतन म लग गया अब उस कछ जानन की इचछा नही रही िजसस सब कछ जाना जाता ह उसी परमातमा म िवौाित पान लग गया

इस कार ननदभि ा ण को उ र द िनःशक कर सात िदनो तक िनराहार रहकर वह बालक सयरमनऽ का जप करता रहा और वही बहदक तीथर म उसन शरीर तयाग िदया वही बालक दसर जनम म कषार िपता एव िमऽा माता क यहा गट हआ उसका नाम मऽय पड़ा इनहोन वयासजी क िपता पराशरजी स िवण-पराण तथा बहत पाराशर होरा शा का अधययन िकया था पकषपात रिहत अनभवकाश नामक मनथ म मऽय तथा पराशर ऋिष का सवाद आता ह

कहा तो सड़क स गजरकर नाली म िगरन जा रहा कीड़ा और कहा सत क सािननधय स वह मऽय ऋिष बन गया सतसग की बिलहारी ह इसीिलए तलसीदास जी कहत ह ETH

तात ःवगर अपवगर सख धिरअ तला एक अग तल न तािह सकल िमली जो सख लव सतसग

यहा एक शका हो सकती ह िक वह कीड़ा ही मऽय ऋिष कयो नही बन गया

अर भाई यिद आप पहली ककषा क िव ाथ हो और आपको एम ए म िबठाया जाय तो कया आप पास हो सकत हो नही दसरी तीसरी चौथी दसवी बारहवी बीए आिद पास करक ही आप एमए म वश कर सकत हो

िकसी चौकीदार पर कोई धानमनऽी अतयिधक सनन हो जाए तब भी वह उस सीधा कलकटर (िजलाधीश) नही बना सकता ऐस ही नाली म रहन वाला कीड़ा सीधा मनय तो नही

हो सकता बि क िविभनन योिनयो को पार करक ही मनय बन सकता ह हा इतना अवय ह िक सतकपा स उसका मागर छोटा हो जाता ह

सतसमागम की साध परषो स सग की मिहमा का कहा तक वणरन कर कस बयान कर एक सामानय कीड़ा उनक सतसग को पाकर महान ऋिष बन सकता ह तो िफर यिद मानव को िकसी सदगर का सािननधय िमल जाय उनक वचनानसार चल पड़ तो मि का अनभव करक जीवनम भी बन सकता ह

(अनबम)

पीड़ पराई जान र जञानी िकसी स यार करन क िलए बध हए नही ह और िकसी को डाटन म भी राजी

नही ह हमारी जसी यो यता होती ह ऐसा उनका वयवहार हमार ित होता ह लीलाशाह बाप क ौीचरणो म बहत लोग गय थ एक लड़का भी गया था वह मिणनगर

म रहता था िशवजी को जल चढ़ान क प ात ही वह जल पीता वह लड़का खब िन ा स धयान-भजन करता और सवा पजा करता

एक िदन कोई वयि राःत म बहोश पड़ा हआ था िशवजी को जल चढ़ान जात समय उस बालक न उस दखा और अपनी पजा-वजा छोड़कर उस गरीब की सवा म लग गया िबहार का कोई यवक था नौकरी की खोज म आया था कालपर(अहमदाबाद) ःटशन क लटफामर पर एक दो िदन रहा किलयो न मारपीट कर भगा िदया चलत-चलत मिणनगर म पनीत आौम की ओर रोटी की आशा म जा रहा था रोटी तो वहा नही िमलती थी इसिलए भख क कारण चलत-चलत राःत म िगर गया और बहोश हो गया

उस लड़क का घर पनीत आौम क पास ही था सबह क दस साढ़ दस बज थ वह लड़का घर स धयान-भजन स िनपटकर मिदर म िशवजी को जल चढ़ान क िलए जल का लोटा और पजा की साममी लकर जा रहा था उसन दखा िक राःत म कोई यवक पड़ा ह राःत म चलत-चलत लोग बोलत थः शराब पी होगी यह होगा वह होगा हम कया

लड़क को दया आई प य िकय हए हो तो रणा भी अचछ िमलती ह शभ कम स शभ रणा िमलती ह अपन पास की पजा साममी एक ओर रखकर उसन उस वयि को िहलाया बहत मिकल स उसकी आख खली कोई उस जत सघाता कोई कछ करता कोई कछ बोलता था

आख खोलत ही वह वयि धीर स बोलाः पानी पानी

लड़क न महादव जी क िलय लाया हआ जल का लोटा उस िपला िदया िफर दोड़कर घर जाकर अपन िहःस का दध लाकर उस िदया

यवक क जी म जी आया उसन अपनी वयथा बतात हए कहाः बाब जी म िबहार स आया ह मर बाप गजर गय काका िदन-रात टोकत रहत त िक

कमाओ नही तो खाओग कया नौकरी धधा िमलता नही ह भटकत-भटकत अहमदाबाद क ःटशन पर कली का काम करन का य िकया हमारी रोटी-रोजी िछन जायगी ऐसा समझकर किलयो न खब मारा पदल चलत-चलत मिणनगर ःटशन की ओर आत-आत यहा तीन िदन की भख और मार क कारण चककर आय और िगर गया

लड़क न उस िखलाया अपना इक ठा िकया हआ जबखचर का पसा िदया उस यवक को जहा जाना था वहा भजन की वयवःथा की इस लड़क क दय म आनद की वि हई अतर म आवाज आईः

बटा अब म तझ बहत ज दी िमलगा

लड़क न िकयाः अनदर कौन बोलता ह

उ र आयाः िजस िशव की त पजा करता ह वह तरा आतमिशव अब म तर दय म कट होऊगा सवा क अिधकारी की सवा मझ िशव की ही सवा ह

उस िदन उस अतयारमी न अनोखी ऱणा और ोतसाहन िदया वह लड़का तो िनकल पड़ा घर छोड़कर ई र-साकषातकार करन क िलए कदारनाथ वनदावन होत हए निनताल क अर य म पहचा

कदारनाथ क दशरन पाय लकषािधपित आिशष पाय

इस आशीवारद को वापस कर ई राि क िलए िफर पजा की उसक पास जो कछ रपय पस थ उनह वनदावन म साध-सतो एव गरीबो म भ डारा करक खचर कर िदया था थोड़ स पस लकर निनताल क अर यो म पहचा लोकलाड़ल लाखो दयो को हिररस िपलात पजयपाद सदगर ौी लीलाशाह बाप की राह दखत हए चालीस िदन बीत गय गरवर ौी लीलाशाह को अब पणर समिपरत िशय िमला पणर खजाना ा करन वाला पिवऽातमा िमला पणर गर की पणर िशय िमला

िजस लड़क क िवषय म यह कथा पढ़ रह ह वह लड़का कौन होगा जानत हो

पणर गर कपा िमली पणर गर का जञान आसमल स हो गय साई आसाराम

अब तो समझ ही गय होग (उस लड़क क वश म छप हए थ पवर जनम क योगी और वतरमान म िव िव यात हमार

पजयपाद सदगरदव ौी आसाराम जी महाराज)

(अनबम)

िवकास क बिरयो स सावधान किपलवःत क राजा श ोदन का यवराज था िस ाथर यौवन म कदम रखत ही िववक

और वरा य जाग उठा यवान प ी यशोधरा और नवजात िशश राहल की मोह-ममता की रशमी जजीर काटकर महाभीिनबमण (गहतयाग) िकया एकानत अर य म जाकर गहन धयान साधना करक अपन साधय त व को ा कर िलया

एकानत म तप यार और धयान साधना स िखल हए इस आधयाितमक कसम की मधर

सौरभ लोगो म फलन लगी अब िस ाथर भगवान ब क नाम स जन-समह म िस हए हजारो हजारो लोग उनक उपिद मागर पर चलन लग और अपनी अपनी यो यता क मतािबक आधयाितमक याऽा म आग बढ़त हए आितमक शाित ा करन लग अस य लोग बौ िभकषक बनकर भगवान ब क सािननधय म रहन लग उनक पीछ चलन वाल अनयायीओ का एक सघ ःथािपत हो गया चह ओर नाद गजन लग िकः

ब शरण गचछािम धमम शरण गचछािम सघ शरण गचछािम

ौावःती नगरी म भगवान ब का बहत यश फला लोगो म उनकी जय-जयकार होन लगी लोगो की भीड़-भाड़ स िवर होकर ब नगर स बाहर जतवन म आम क बगीच म रहन लग नगर क िपपास जन बड़ी तादाद म वहा हररोज िनि त समय पर पहच जात और उपदश-वचन सनत बड़-बड़ राजा महाराजा भगवान ब क सािननधय म आन जान लग

समाज म तो हर कार क लोग होत ह अनािद काल स दवी समपदा क लोग एव आसरी समपदा क लोग हआ करत ह ब का फलता हआ यश दखकर उनका तजो ष करन वाल लोग जलन लग सतो क साथ हमशा स होता आ रहा ह ऐस उन द त वो न ब को बदनाम करन क िलए कचार िकया िविभनन कार की यि -यि या लड़ाकर ब क यश को हािन पहच ऐसी बात समाज म व लोग फलान लग उन द ो न अपन ष यऽ म एक वया को समझा-बझाकर शािमल कर िलया

वया बन-ठनकर जतवन म भगवान ब क िनवास-ःथानवाल बगीच म जान लगी

धनरािश क साथ द ो का हर कार स सहारा एव ोतसाहन उस िमल रहा था रािऽ को वही रहकर सबह नगर म वािपस लोट आती अपनी सिखयो म भी उसन बात फलाई

लोग उसस पछन लगः अरी आजकल त िदखती नही ह कहा जा रही ह रोज रात को

म तो रोज रात को जतवन जाती ह व ब िदन म लोगो को उपदश दत ह और रािऽ क समय मर साथ रगरिलया मनात ह सारी रात वहा िबताकर सबह लोटती ह

वया न परा ीचिरऽ आजमाकर ष यऽ करन वालो का साथ िदया लोगो म पहल तो हलकी कानाफसी हई लिकन जयो-जयो बात फलती गई तयो-तयो लोगो म जोरदार िवरोध होन लगा लोग ब क नाम पर िफटकार बरसान लग ब क िभकषक बःती म िभकषा लन जात तो लोग उनह गािलया दन लग ब क सघ क लोग सवा-वि म सल न थ उन लोगो क सामन भी उगली उठाकर लोग बकवास करन लग

ब क िशय जरा असावधान रह थ कचार क समय साथ ही साथ स चार होता तो कचार का इतना भाव नही होता िशय अगर िनिबय रहकर सोचत रह जाय िक करगा सो भरगा भगवान उनका नाश करग तो कचार करन वालो को ख ला मदान िमल जाता ह

सत क सािननधय म आन वाल लोग ौ ाल सजजन सीध साद होत ह जबिक द वि करन वाल लोग किटलतापवरक कचार करन म कशल होत ह िफर भी िजन सतो क पीछ सजग समाज होता ह उन सतो क पीछ उठन वाल कचार क तफान समय पाकर शात हो जात ह और उनकी सतवि या काशमान हो उठती ह

कचार न इतना जोर पकड़ा िक ब क िनकटवत लोगो न ऽािहमाम पकार िलया व समझ गय िक यह वयविःथत आयोजनपवरक ष यऽ िकया गया ह ब ःवय तो पारमािथरक सतय म जाग हए थ व बोलतः सब ठ क ह चलन दो वयवहािरक सतय म वाहवाही दख ली अब िननदा भी दख ल कया फकर पड़ता ह

िशय कहन लगः भनत अब सहा नही जाता सघ क िनकटवत भ भी अफवाहो क िशकार हो रह ह समाज क लोग अफवाहो की बातो को सतय मानन लग गय ह

ब ः धयर रखो हम पारमािथरक सतय म िवौाित पात ह यह िवरोध की आधी चली ह तो शात भी हो जाएगी समय पाकर सतय ही बाहर आयगा आिखर म लोग हम जानग और मानग

कछ लोगो न अगवानी का झ डा उठाया और राजयस ा क समकष जोर-शोर स माग की

िक ब की जाच करवाई जाय लोग बात कर रह ह और वया भी कहती ह िक ब रािऽ को मर साथ होत ह और िदन म सतसग करत ह

ब क बार म जाच करन क िलए राजा न अपन आदिमयो को फरमान िदया अब ष यऽ करनवालो न सोचा िक इस जाच करन वाल पच म अगर सचचा आदमी आ जाएगा तो अफवाहो का सीना चीरकर सतय बाहर आ जाएगा अतः उनहोन अपन ष यऽ को आिखरी

पराका ा पर पहचाया अब ऐस ठोस सबत खड़ा करना चािहए िक ब की ितभा का अःत हो जाय

उनहोन वया को दार िपलाकर जतवन भज िदया पीछ स ग डो की टोली वहा गई वया पर बलातकार आिद सब द कतय करक उसका गला घोट िदया और लाश को ब क बगीच म गाड़कर पलायन हो गय

लोगो न राजयस ा क ार खटखटाय थ लिकन स ावाल भी कछ लोग द ो क साथ जड़ हए थ ऐसा थोड़ ही ह िक स ा म बठ हए सब लोग दध म धोय हए वयि होत ह

राजा क अिधकािरयो क ारा जाच करन पर वया की लाश हाथ लगी अब द ो न जोर-शोर स िच लाना शर कर िदया

दखो हम पहल ही कह रह थ वया भी बोल रही थी लिकन तम भगतड़ लोग मानत ही नही थ अब दख िलया न ब न सही बात खल जान क भय स वया को मरवाकर बगीच म गड़वा िदया न रहगा बास न बजगी बासरी लिकन सतय कहा तक िछप सकता ह म ामाल हाथ लग गया इस ठोस सबत स ब की असिलयत िस हो गई सतय बाहर आ गया

लिकन उन मख का पता नही िक तमहारा बनाया हआ कि पत सतय बाहर आया वाःतिवक सतय तो आज ढाई हजार वषर क बाद भी वसा ही चमक रहा ह आज ब को लाखो लोग जानत ह आदरपवरक मानत ह उनका तजो ष करन वाल द लोग कौन-स नरको म जलत होग कया पता

ढाई हजार वषर पहल ब क जमान म भी सतो क साथ ऐसा घोर अनयाय हआ करता था ऋिष दयाननद को भी ऐस ही त वो न तजो ष क कारण बाईस बार िवष दकर मार डालन का यास िकया ःवामी िववकाननद और ःवामी रामतीथर क पीछ भी द लोगो न वया को तयार करक कीचड़ उछाला था

एक ओर लाखो-लाखो लोग सतो की अनभवय वाणी स अपना वयावहािरक ETH आधयाितमक जीवन उननत करक सख-शाित पात ह दसरी ओर कछ द कित क ःवाथ लोग अपना उ ल सीधा करन क िलए ऐस महापरषो क िवर म ष यऽ रचकर उनको बदनाम करत ह यह तो पहल स चला आ रहा ह सत कबीर हो या नानक एकनाथ महाराज हो या सत तकाराम नरिसह महता हो या मीराबाई ायः सभी सतो को अपन जीवन क दौरान समाज क किटल त वो स पाला पड़ता ही रहा ह जीसस बाइःट को इनही त वो न बॉस पर चढ़ाया था उनही लोगो न सकरात को जहर िपलाकर मतयद ड िदया था मनसर को इसी जमात न शली पर चढ़ाया था ईसाई धमर म माट न यथर पर ज म िकया गया था अण-अण म ई र और नारीमाऽ म जगजजननी भगवती का दशरन करन वाल रामकण परमहस को भी लोगो न नही

छोड़ा था परमहस योगाननद रवीनिनाथ टगोर माट न यथर दिकषण भारत क सत ितरव लवर जापानी झन सत बाबो इितहास म िकतन-िकतन उदाहरण मौजद ह

हािसद धमरगर बा शमटोव अित पिवऽ आतमा थ िननदको न उनक इदरिगदर भी मायाजाल िबछा दी थी िसध क साई टउराम क पास अस य लोग आतमक याण हत जान लग तब िवकत िदमागवालो न उन सत को भी ऽास दना शर कर िदया उनक आौम क चह ओर गदगी डाल दत और कए म िम टी का तल उड़लकर पानी बकार कर दत मगल बादशाह बाबर को बहका कर उनही लोगो न गर नानक को कद करवाया था

भगवान ौीराम एव ौीकण को भी द जनो न छोड़ा नही था भगवान ौीराम क गर विश जी महाराज कहत हः

ह राम जी म जब बाजार स गजरता ह तब अजञानी मखर लोग मर िलए कया बकत ह म सब जानता ह लिकन मरा दयाल ःवभाव ह म इन सबका क याण चाहता ह

तमहार साथ यह ससार कछ अनयाय करता ह तमको बदनाम करता ह िननदा करता ह तो यह ससार की परानी रीत ह मनय की हीनवि कचार िननदाखोरी यह आजकल की ही बात नही ह अनािदकाल स ऐसा होता आया ह तम अपन आतमजञान क सःकार जगाकर आतमबल का िवकास करत जाओ मःकरात जाओ आधी तफानो को लाघकर आननदपवरक जीत जाओ

उस जमान म भगवान ब क पास आकर एक िभकषक न ाथरना कीः भनत मझ आजञा द म सभाए भरगा आपक िवचारो का चार करगा

मर िवचारो का चार

हा भगवन म बौ धमर फलाऊगा

लोग तरी िननदा करग गािलया दग

कोई हजर नही म भगवन को धनयवाद दगा िक य लोग िकतन अचछ ह य कवल श दहार करत ह मझ पीटत तो नही

लोग तझ पीटग भी तो कया करोग

भो म शब गजारगा िक य लोग हाथो स पीटत ह पतथर तो नही मारत

लोग पतथर भी मारग और िसर भी फोड़ दग तो कया करगा

िफर भी म आ ःत रहगा और भगवान का िदवय कायर करता रहगा कयोिक व लोग मरा िसर फोड़ग लिकन ाण तो नही लग

लोग जनन म आकर तझ मार दग तो कया करगा

भनत आपक िदवय िवचारो का चार करत-करत म मर भी गया तो समझगा िक मरा जीवन सफल हो गया

उस कतिन यी िभकषक की दढ़ िन ा दखकर भगवान ब सनन हो उठ उस पर उनकी करणा बरस पड़ी

ऐस िशय जब ब का चार करन िनकल पड़ तब कचार करन वाल धीर-धीर शात हो गय मनयो की उगिलया काट-काटकर माला बनाकर पहनन वाला अगिलमाल जसा बर हतयारा भी दयपिरवतरन पाकर ब की शरण म िभकषक होकर रहन लगा

आज हम ब को बहत आदर स जानत ह मानत ह उनक जीवनकाल क दौरान उनक पीछ लग हए द लोग कौन स नरक म सड़त होग रौरव नरक म या कभीपाक नरक म कौन-सी योिनयो म भटकत होग सअर बन होग िक नाली क कीड़ बन होग शतान बन होग िक राकषस बन होग मझ पता नही लिकन ब तो करोड़ो दयो म बस रह ह यह म मानता ह

सतय तो परमाथर ह आतमा ह परमातमा ह उसम िजतना िटकोग उतना तमहारा मगल होगा तमहारी िनगाह िजन पर पड़गी उनका भी मगल होगा

(अनबम)

कछ जानन यो य बात सय दय स पवर उठकर ःनान कर लना चािहए ातः खाली पट मटक का बासी पानी

पीना ःवाःथयद ह तलसी क प सय दय क प ात ही तोड़ दध म तलसी क प नही डालन चािहए तथा

दध क साथ खान भी नही चािहए तलसी क प खाकर थोड़ा पानी पीना िपय जलनित स पिह सौ कार क लाभ होत ह अपन मिःतक म एक कार का िवजाितय

िवय उतपनन होता ह यिद वह िवय वही अटक जाता ह तो बचपन म ही बाल सफद होन लगत ह इसस नजल की बीमारी भी होती ह यिद वह िवय नाक की तरफ आता ह तो सगनध-दगरनध का पता नही चल पाता और ज दी-ज दी जकाम हो जाता ह यिद वह िवय कान की तरफ आता ह तो कान बहर होन लगत ह और छोट-मोट ब ीस रोग हो सकत ह यिद वह िवय दात की तरफ आय तो दात छोटी उ म ही िगरन लगत ह यिद आख की तरफ वह िवय उतर तो चम लगन लगत ह जलनित यािन नाक स पानी खीचकर मह स िनकाल दन स वह िवय िनकल जाता ह गल क ऊपर क ायः सभी रोगो स मि िमल जाती ह

आईसबीम खान क बाद चाय पीना दातो क िलए अतयािधक हािनकारक होता ह

भोजन को पीना चािहए तथा पानी को खाना चािहए इसका मतलब यह ह िक भोजन को इतना चबाओ िक वह पानी की तरह पतला हो जाय और पानी अथवा अनय पय पदाथ को धीर-धीर िपयो

िकसी भी कार का पय पदाथर पीना हो तो दाया नथना बनद करक िपय इसस वह अमत जसा हो जाता ह यिद दाया ःवर(नथना) चाल हो और पानी आिद िपय तो जीवनशि (ओज) पतली होन लगती ह चयर की रकषा क िलए शरीर को तनदरःत रखन क िलए यह योग करना चािहए

तम चाह िकतनी भी महनत करो िकनत िजतना तमहारी नसो म ओज ह चयर की शि ह उतन ही तम सफल होत हो जो चाय-कॉफी आिद पीत ह उनका ओज पतला होकर पशाब ारा न होता जाता ह अतः चयर की रकषा क िलए चाय-कॉफी जस वयसनो स दर रहना रह

पढ़न क बाद थोड़ी दर शात हो जाना चािहए जो पढ़ा ह उसका मनन करो िशकषक ःकल म जब पढ़ात हो तब धयान स सनो उस व मःती-मजाक नही करना चािहए िवनोद-मःती कम स कम करो और समझन की कोिशश अिधक करो

जो सय दय क पवर नही उठता उसक ःवभाव म तमस छा जाता ह जो सय दय क पवर उठता ह उसकी बि शि बढ़ती ह

नीद म स उठकर तरत भगवान का धयान करो आतमःनान करो धयान म रिच नही होती तो समझना चािहए िक मन म दोष ह उनह िनकालन क िलए कया करना चािहए

मन को िनद ष बनान क िलए सबह-शाम माता-िपता को णाम करना चािहए गरजनो को णाम करना चािहए एव भगवान क नाम का जप करना चािहए भगवान स ाथरना करनी चािहए िक ह भगवान ह मर भ मरी धयान म रिच होन लग ऐसी कपा कर दो िकसी समय गद िवचार िनकल आय तो समझना चािहए िक अदर छप हए िवचार िनकल रह ह अतः खश होना चािहए िवचार आया और गया मर राम तो दय म ही ह ऐसी भावना करनी चािहए

िनदा करना तो अचछा नही ह िकनत िनदा सनना भी उिचत नही (अनबम)

शयन की रीत मनय को िकस ढग स सोना चािहए इसका भी तरीका होता ह सोत व पवर अथवा

दिकषण िदशा की ओर िसर करक ही सोना चािहए

भोजन करन क बाद िदन म दस िमनट आराम कर िकनत सोय नही भोजन क बाद दस िमनट बायी करवट लट सकत ह रािऽ को जागरण िकया हो इस कारण स कभी िदन म सोना पड़ वह अलग बात ह

सोत व नीच कोई गमर कबल आिद िबछाकर सोय तािक आपकी जीवनशि अिथग न हो जाय आपक शरीर की िव तशि भिम म न उतर जाय

(अनबम)

ःनान का तरीका शरीर की मजबती एव आरो यता क िलए रगड़-रगड़कर ःनान करना चािहए जो लोग

ठड दशो म रहत ह उनका ःवाःथय गमर दस क लोगो की अपकषा अचछा होता ह ठडी स अपना शरीर सधरता ह

ःनान करत व 12-15 िलटर पानी बा टी म लकर पहल उसम िसर डबाना चािहए िफर पर िभगोना चािहए पहल पर गील नही करन चािहए शरीर की गम ऊपर की ओर चढ़ती ह जो ःवाःथय क िलए हािनकारक होती ह

अतः पहल ठड पानी की बा टी भर ल िफर मह म पानी भरकर िसर को बा टी म डाल और आख पटपटाए इसस आखो की शि बढ़ती ह शरीर को रगड़-रगड़कर नहाए बाद म गील व स शरीर को रगड़-रगड़कर पोछ िजसस रोम कप का सारा मल बाहर िनकल जाय और रोमकप(तवचा क िछि) खल जायय तवचा क िछि बद रहन स ही तवचा की कई बीमािरया होती ह िफर सख कपड़ स शरीर को पोछ कर (अथवा थोड़ा गीला हो तब भी चल) सख साफ व पहन ल व भल साद हो िकनत साफ हो बासी कपड़ नही पहन हमशा धल हए कपड़ ही पहन इसस मन भी सनन रहता ह

पाच कार क ःनान होत हः ःनान दवःनान ऋिषःनान मानवःनान दानवःनान ःनानः -परमातमा का िचतन करक जल थल नहान वाला

ऐसा िचतन करक ा महतर म नहाना इस ःनान कहत ह दवःनानः दवनिदयो म ःनान या दवनिदयो का ःमरण करक सय दय स पवर नहाना यह

दवःनान ह ऋिषःनानः आकाश म तार िदखत हो और नहा ल यह ऋिषःनान ह ऋिषःनान करन

वाल की बि बड़ी तजःवी होती ह मानवःनानः सय दय क पवर का ःनान मानवःनान ह

दानवःनानः सय दय क प ात चाय पीकर नाता करक आठ नौ बज नहाना यह दानव ःनान ह

अतः हमशा ऋिषःनान करन का ही यास करना चािहए (अनबम)

ःवचछता का धयान यिद शरीर की सफाई रखी जाय तो मन भी सनन रहता ह आजकल अिधकतर लोग

श स ही मजन करत ह श की अपकषा नीम और बबल की दातौन जयादा अचछ होती ह और यिद श भी कर तो कभी-कभार श को गमर पानी स धोना चािहए अनयथा उसम बकटिरया(जीवाण) रह जात ह

िकतन ही लोग उगली स दात साफ करत ह तजरनी (अगठ क पास वाली थम उगली) स दात िघसन स मसड़ कमजोर हो जात ह तथा दात ज दी िगर जात ह कयोिक तजरनी म िव तशि का माण दसरी उगिलयो की अपकषा अिधक होता ह अतः उसस दात नही िघसन चािहए एव आखो को भी नही मसलना चािहए

िजस िदशा स हवा आती हो उस िदशा की ओर मह करक कभी-भी मलमऽ का िवसजरन नही करना चािहए सयर और चनिमा की ओर मख करक भी मलमऽ का िवसजरन नही करना चािहए

(अनबम)

ःमरणशि का िवकास यादशि बढ़ान का एक सनदर योग ह ETH ामरी ाणायाम सखासन प ासन या

िस ासन पर बठ हाथ की कोहनी की ऊचाई कनध तक रह इस कार रखकर हाथ की थम उगली(तजरनी) स दोनो कानो को धीर-स बद कर एकदम जोर स बद न कर िकनत बाहर का कछ सनाई न द इस कार धीर स कान बनद कर

अब गहर ास लकर थोड़ी दर रोक ओठ बद रखकर जस मर का गजन होता ह वस ॐsssss कहत हए गजन कर उसक बाद थोड़ी दर तक ास न ल पनः यही िबया दहराय ऐसा सबह एव शाम 8 स 10 बार कर यादशि बढ़ान का यह यौिगक योग ह इसस मिःतक की नािड़यो का शोधन होकर मिःतक म र सचार उिचत ढग स होता ह

और िवचार करन स भी बि शि का िवकास होता ह

सबह खाली पट तलसी क प एकाध काली िमचर चबाकर एक िगलास पानी पीन स भी ःमरणशि का िवकास होता ह रोग-ितकारक शि बढ़ती ह कनसर की बीमारी कभी नही होती जलदर-भगदर की बीमारी भी कभी नही होती

(अनबम)

वयि तव और वयवहार िकसी भी वयि तव का पता उसक वयवहार स ही चलता ह कई लोग वयथर च ा करत

ह एक होती ह सकाम च ा दसरी होती ह िनकाम च ा और तीसरी होती ह वयथर च ा वयथर च ा नही करनी चािहए िकसी क शरीर म कोई कमी हो तो उसका मजाक नही उड़ाना चािहए वरन उस मददरप बनना चािहए यह िनकाम सवा ह

िकसी की भी िनदा नही करनी चािहए िनदा करन वाला वयि िजसकी िनदा करता ह उसका तो इतना अिहत नही होता िजतना वह अपना अिहत करता ह जो दसरो की सवा करता ह दसरो क अनकल होता ह वह दसरो का िजतना िहत करता ह उसकी अपकषा उसका खद का िहत जयादा होता ह

अपन स जो उ स बड़ हो जञान म बड़ हो तप म बड़ हो उनका आदर करना चािहए िजस मनय क साथ बात करत हो वह मनय कौन ह यह जानकर बात करो तो आप वयवहार-कशल कहलाओग

िकसी को पऽ िलखत हो तो यिद अपन स बड़ हो तो ौी सबोधन करक िलखो सबोधन करन स सवाकयो की रचना स िश ता बढ़ती ह िकसी स बात करो तो सबोधन करक बात करो जो तकार स बात करता ह वह अिश कहलाता ह िश तापवरक बात करन स अपनी इजजत बढ़ती ह

िजसक जीवन म वयवहार-कशलता ह वह सभी कषऽो म सफल होता ह िजसम िवनता ह वही सब कछ सीख सकता ह िवनता िव ा बढ़ाती ह िजसक जीवन म िवनता नही ह समझो उसक सब काम अधर रह गय और जो समझता ह िक म सब कछ जानता ह वह वाःतव म कछ नही जानता

एक िचऽकार अपन गरदव क सममख एक सनदर िचऽ बनाकर लाया गर न िचऽ दखकर कहाः

वाह वाह सनदर ह अदभत ह

िशय बोलाः गरदव इसम कोई ऽिट रह गयी हो तो कपा करक बताइए इसीिलए म आपक चरणो म आया ह

गरः कोई ऽिट नही ह मझस भी जयादा अचछा बनाया ह

वह िशय रोन लगा उस रोता दखकर गर न पछाः तम कयो रो रह हो म तो तमहारी शसा कर रहा ह

िशयः गरदव मरी घड़ाई करन वाल आप भी यिद मरी शसा ही करग तो मझ मरी गि तया कौन बतायगा मरी गित कस होगी

यह सनकर गर अतयत सनन हो गय हमन िजतना जाना िजतना सीखा ह वह तो ठ क ह उसस जयादा जान सक सीख सक

ऐसा हमारा यास होना चािहए रामकण परमहस व हो गय थ िकसी न उनस पछाः बाबा जी आपन सब कछ जान

िलया ह

रामकण परमहसः नही म जब तक जीऊगा तब तक िव ाथ ही रहगा मझ अभी बहत कछ सीखना बाकी ह

िजनक पास सीखन को िमल उनस िवनतापवरक सीखना चािहए जो कछ सीखो सावधानीपवरक सीखो जीवन म िवनोद जररी ह िकनत िवनोद की अित न हो िजस समय पढ़त हो कछ सीखत हो कछ करत हो उस समय मःती नही िवनोद नही वरन जो कछ पढ़ो सीखो या करो उस उतसाह स धयान स और सावधानी स करो

पढ़न स पवर थोड़ धयानःथ हो जाओ पढ़न क बाद मौन हो जाओ यह गित की चाबी ह

माता-िपता स िचढ़ना नही चाह िजस मा-बाप न जनम िदया ह उनकी बातो को समझना चािहए अपन िलए उनक मन म िवशष दया हो िवशष म उतपनन हो ऐसा वयवहार करना चािहए

भल जाओ भल सब कछ माता-िपता को भलना नही अनिगनत उपकार ह उनक यह कभी िबसरना नही

माता-िपता को सतोष हो उनका दय सनन हो ऐसा हमारा वयवहार होना चािहए अपन माता-िपता एव गरजनो को सत रखकर ही हम सचची गित कर सकत ह

(अनबम)

  • पजय बाप जी का उदबोधन
  • कदम अपना आग बढाता चला जा
  • त गलाब होकर महक
  • जीवन विकास का मल सयम
  • तरिकाल सधया
  • शरीर सवासथय
  • अनन का परभाव
  • भारतीय ससकति की महानता
  • हरिदास की हरिभकति
  • बनावटी शरगार स बचो
  • साहसी बालक
  • गर-आजञापालन का चमतकार
  • अनोखी गरदकषिणा
  • सतसग की महिमा
  • पीड पराई जान र
  • विकास क बरियो स सावधान
  • कछ जानन योगय बात
  • शयन की रीत
  • सनान का तरीका
  • सवचछता का धयान
  • समरणशकति का विकास
  • वयकतितव और वयवहार
Page 27: Tu gulabhokarmehak

रोज क चार पस आन-जान क लगत ह मर गरीब मा-बाप पर मझ बोझा नही बनना ह मझ तो अपन परो पर खड़ होना ह मरा खचर बढ़ तो मर मा-बाप की िचनता बढ़ उनह घर चलाना मिकल हो जाय

लोग उस आदर स दखत ही रह गय वही साहसी लड़का आग चलकर भारत का धान मऽी बना

वह लड़का कौन था पता ह व थ लाल बहादर शा ी शा ी जी उस पद भी सचचाई साहस सरलता ईमानदारी सादगी दशम आिद सदगण और सदाचार क मितरमनत ःवरप थ ऐस महापरष भल िफर थोड़ा-सा समय ही राजय कर पर एक अनोखा भाव छोड़ जात ह जनमानस पर

(अनबम)

गर-आजञापालन का चमतकार ौीम आ ाशकराचायर जी जब काशी म िनवास करत थ तब गगा-तट पर िनतय ात-

काल टहलत थ एक सबह िकसी ितभासपनन यवक न दसर िकनार स दखा िक कोई सनयासी उस पार टहल रह ह उस यवक न दसर िकनार स ही उनह णाम िकया उस यवक को दखकर आ शकराचायर जी न सकत िकया िक इधर आ जाओ उस आभासमपनन यवक न दखा िक मन तो साध को णाम कर िदया ह णाम कर िदया तो म उनका िशय हो गया और उनहोन मझ आदश िदया िक इधर आ जाओ अब गर की आजञा का उ लघन करना भी तो उिचत नही ह िकनत यही कोई नाव नही ह और म तरना भी नही जानता ह अब कया कर उसक मन म िवचार आया िक वस भी तो हजारो बार हम मर चक ह एक बार यिद गर क दशरन क िलए जात-जात मर जाय तो घाटा कया होगा

गग मात की जय कह कर उस यवक न तो गगाजी म पर रख िदया उसकी इचछा कहो ौीम आ शकराचायर जी का भाव कहो या िनयित की लीला कहो जहा उस यवक न कदम रखा वहा एक कमल पदा हो गया उसक पर को थामन क िलए जब दसरा पर रखा तो वहा भी कमल पदा हो गया इस कार जहा-जहा वह कदम रखता गया वहा कमल (प ) उतपनन होता गया और वह यवक गगा क दसर तट पर जहा आ शकराचायर जी खड़ थ पहच गया

जहा-जहा वह कदम रखता था वहा-वहा प (कमल) क कट होन क कारण उसका नाम पड़ा - प पादाचायर शकराचायर जी क म य चार प टिशयो म आग जाकर यही प पादाचायर एक प टिशय बन

कहन का तातपयर यह ह िक सिचचदानद परमातमा की शि का सामथयर का बयान करना सभव नही ह िजसकी िजतनी दढ़ता ह िजसकी िजतनी सचचाई ह िजसकी िजतनी ततपरता ह उतनी ही कित भी उसकी मदद करन को आतर रहती ह प पादाचायर की गर-आजञापालन म दढ़ता और ततपरता को दखकर गगा जी म कमल गट हो गय िशय यिद दढ़ता ततपरता और ईमानदारी स गर-आजञापालन म लग जाय तो कित भी उसक अनकल हो जाती ह

(अनबम)

अनोखी गरदिकषणा एकलवय गर िोणाचायर क पास आकर बोलाः मझ धनिवर ा िसखान की कपा कर

गरदव गर िोणाचायर क समकष धमरसकट उतपनन हआ कयोिक उनहोन भीम िपतामह को वचन

द िदया था िक कवल राजकमारो को ही म िशकषा दगा एकलवय राजकमार नही ह अतः उस धनिवर ा कस िसखाऊ अतः िोणाचायर न एकलवय स कहाः

म तझ धनिवर ा नही िसखा सकगा

एकलवय घर स िन य करक िनकला था िक म कवल गर िोणाचायर को ही गर बनाऊगा िजनक िलए मन म भी गर बनान का भाव आ गया उनक िकसी भी वयवहार क िलए िशकायत या िछिानवषण की वि नही होनी चािहए

एकलवय एकात अर य म गया और उसन गर िोणाचायर की िम टी की मितर बनायी मितर की ओर एकटक दखकर धयान करक उसी स रणा लकर वह धनिवर ा सीखन लगा एकटक दखन स एकामता आती ह एकामता गरभि अपनी सचचाई और ततपरता क कारण उस रणा िमलन लगी जञानदाता तो परमातमा ह धनिवर ा म वह बहत आग बढ़ गया

एक बार िोणाचायर पाडव एव कौरव धनिवर ा का योग करन अर य म आय उनक साथ एक क ा भी था जो थोड़ा आग िनकल गया क ा वही पहचा जहा एकलवय अपनी धनिवर ा का योग कर रहा था एकलवय क खल बाल फट कपड़ एव िविचऽ वष को दखकर क ा भ कन लगा

एकलवय न क को लग नही चोट न पहच और उसका भ कना बद हो जाय इस ढग स सात बाण उसक मह म थमा िदय क ा वािपस वहा गया जहा िोणाचायर क साथ पाडव और कौरव थ

उस दखकर अजरन को हआ िक क को चोट न लग इस ढग स बाण मह म घसाकर रख दना यह िव ा तो म भी नही जानता यह कस सभव हआ वह गर िोणाचायर स बोलाः

गरदव आपन तो कहा था िक मरी बराबरी का दसरा कोई धनधाररी नही होगा िकनत ऐसी िव ा तो मझ भी नही आती

िोणाचायर को हआ िक दख इस अर य म कौन-सा ऐसा कशल धनधरर ह आग जाकर दखा तो वह था िहर यधन का पऽ गरभ एकलवय

िोणाचायर न पछाः बटा यह िव ा त कहा स सीखा

एकलवय बोलाः गरदव आपकी ही कपा स सीखा ह

िोणाचायर तो वचन द चक थ िक अजरन की बराबरी का धनधरर दसरा कोई न होगा िकनत यह तो आग िनकल गया गर क िलए धमरसकट खड़ा हो गया एकलवय की अटट ौ ा दखकर िोणाचायर न कहाः मरी मितर को सामन रखकर त धनिवर ा तो सीखा िकनत गरदिकषणा

एकलवयः जो आप माग

िोणाचायरः तर दाय हाथ का अगठा

एकलवय न एक पल भी िवचार िकय िबना अपन दाय हाथ का अगठा काटकर गरदव क चरणो म अपरण कर िदया

िोणाचायरः बटा भल ही अजरन धनिवर ा म सबस आग रह कयोिक म उस वचन द चका ह िकनत जब तक सयर चनि नकषऽो का अिःततव रहगा तब तक लोग तरी गरिन ा का तरी गरभि का ःमरण करग तरा यशोगान होता रहगा

उसकी गरभि और एकामता न उस धनिवर ा म तो सफलता िदलायी ही लिकन सतो क दय म भी उसक िलए आदर गट करवा िदया धनय ह एकलवय जो गरमितर स रणा पाकर धनिवर ा म सफल हआ और िजसन अदभत गरदिकषणा दकर साहस तयाग और समपरण का पिरचय िदया

(अनबम)

सतसग की मिहमा तलसीदास जी महाराज कहत ह ETH

एक घड़ी आधी घड़ी आधी म पिन आध तलसी सगत साध की हर कोिट अपराध

एक बार शकदव जी क िपता भगवान वदवयासजी महाराज कही जा रह थ राःत म उनहोन दखा िक एक कीड़ा बड़ी तजी स सड़क पार कर रहा था

वदवयासजी न अपनी योगशि दत हए उसस पछाः त इतनी ज दी सड़क कयो पार कर रहा ह कया तझ िकसी काम स जाना ह त तो

नाली का कीड़ा ह इस नाली को छोड़कर दसरी नाली म ही तो जाना ह िफर इतनी तजी स कयो भाग रहा ह

कीड़ा बोलाः बाबा जी बलगाड़ी आ रही ह बलो क गल म बध घघर तथा बलगाड़ी क पिहयो की आवाज म सन रहा ह यिद म धीर-धीर सड़क पार करगा तो वह बलगाड़ी आकर मझ कचल डालगी

वदवयासजीः कचलन द कीड़ की योिन म जीकर भी कया करना

कीड़ाः महिषर ाणी िजस शरीर म होता ह उसको उसम ही ममता होती ह अनक ाणी नाना कार क क ो को सहत हए भी मरना नही चाहत

वदवयास जीः बलगाड़ी आ जाय और त मर जाय तो घबराना मत म तझ योगशि स महान बनाऊगा जब तक ा ण शरीर म न पहचा द अनय सभी योिनयो स शीय छटकारा िदलाता रहगा

उस कीड़ न बात मान ली और बीच राःत पर रक गया और मर गया िफर वदवयासजी की कपा स वह बमशः कौआ िसयार आिद योिनयो म जब-जब भी उतपनन हआ वयासजी न जाकर उस पवरजनम का ःमरण िदला िदया इस तरह वह बमशः मग पकषी शि वय जाितयो म जनम लता हआ कषिऽय जाित म उतपनन हआ उस वहा भी वदवयासजी दशरन िदय थोड़ िदनो म रणभिम म शरीर तयागकर उसन ा ण क घर जनम िलया

भगवान वदवयास जी न उस पाच वषर की उ म सारःवतय मऽ द िदया िजसका जप करत-करत वह धयान करन लगा उसकी बि बड़ी िवलकषण होन पर वद शा धमर का रहःय समझ म आ गया

सात वषर की आय म वदवयास जी न उस कहाः काि रक कषऽ म कई वष स एक ा ण ननदभि तपःया कर रहा ह तम जाकर उसकी

शका का समाधान करो

माऽ सात वषर का ा ण कमार काि रक कषऽ म तप कर रह उस ा ण क पास पहच कर बोलाः

ह ा णदव आप तप कयो कर रह ह

ा णः ह ऋिषकमार म यह जानन क िलए तप कर रहा ह िक जो अचछ लोग ह सजजन लोग ह व सहन करत ह दःखी रहत ह और पापी आदमी सखी रहत ह ऐसा कयो ह

बालकः पापी आदमी यिद सखी ह तो पाप क कारण नही वरन िपछल जनम का कोई प य ह उसक कारण सखी ह वह अपन प य खतम कर रहा ह पापी मनय भीतर स तो दःखी ही होता ह भल ही बाहर स सखी िदखाई द

धािमरक आदमी को ठ क समझ नही होती उिचत िदशा व मऽ नही िमलता इसिलए वह दःखी होता ह वह धमर क कारण दःखी नही होता अिपत समझ की कमी क कारण दःखी होता ह समझदार को यिद कोई गर िमल जाय तो वह नर म स नारायण बन जाय इसम कया आ यर ह

ा णः म इतना बढ़ा हो गया इतन वष स काि रक कषऽ म तप कर रहा ह मर तप का फल यही ह िक तमहार जस सात वषर क योगी क मझ दशरन हो रह ह म तमह णाम करता ह

बालकः नही नही महाराज आप तो भदव ह म तो बालक ह म आपको णाम करता ह

उसकी नता दखकर ा ण और खश हआ तप छोड़कर वह परमातमिचनतन म लग गया अब उस कछ जानन की इचछा नही रही िजसस सब कछ जाना जाता ह उसी परमातमा म िवौाित पान लग गया

इस कार ननदभि ा ण को उ र द िनःशक कर सात िदनो तक िनराहार रहकर वह बालक सयरमनऽ का जप करता रहा और वही बहदक तीथर म उसन शरीर तयाग िदया वही बालक दसर जनम म कषार िपता एव िमऽा माता क यहा गट हआ उसका नाम मऽय पड़ा इनहोन वयासजी क िपता पराशरजी स िवण-पराण तथा बहत पाराशर होरा शा का अधययन िकया था पकषपात रिहत अनभवकाश नामक मनथ म मऽय तथा पराशर ऋिष का सवाद आता ह

कहा तो सड़क स गजरकर नाली म िगरन जा रहा कीड़ा और कहा सत क सािननधय स वह मऽय ऋिष बन गया सतसग की बिलहारी ह इसीिलए तलसीदास जी कहत ह ETH

तात ःवगर अपवगर सख धिरअ तला एक अग तल न तािह सकल िमली जो सख लव सतसग

यहा एक शका हो सकती ह िक वह कीड़ा ही मऽय ऋिष कयो नही बन गया

अर भाई यिद आप पहली ककषा क िव ाथ हो और आपको एम ए म िबठाया जाय तो कया आप पास हो सकत हो नही दसरी तीसरी चौथी दसवी बारहवी बीए आिद पास करक ही आप एमए म वश कर सकत हो

िकसी चौकीदार पर कोई धानमनऽी अतयिधक सनन हो जाए तब भी वह उस सीधा कलकटर (िजलाधीश) नही बना सकता ऐस ही नाली म रहन वाला कीड़ा सीधा मनय तो नही

हो सकता बि क िविभनन योिनयो को पार करक ही मनय बन सकता ह हा इतना अवय ह िक सतकपा स उसका मागर छोटा हो जाता ह

सतसमागम की साध परषो स सग की मिहमा का कहा तक वणरन कर कस बयान कर एक सामानय कीड़ा उनक सतसग को पाकर महान ऋिष बन सकता ह तो िफर यिद मानव को िकसी सदगर का सािननधय िमल जाय उनक वचनानसार चल पड़ तो मि का अनभव करक जीवनम भी बन सकता ह

(अनबम)

पीड़ पराई जान र जञानी िकसी स यार करन क िलए बध हए नही ह और िकसी को डाटन म भी राजी

नही ह हमारी जसी यो यता होती ह ऐसा उनका वयवहार हमार ित होता ह लीलाशाह बाप क ौीचरणो म बहत लोग गय थ एक लड़का भी गया था वह मिणनगर

म रहता था िशवजी को जल चढ़ान क प ात ही वह जल पीता वह लड़का खब िन ा स धयान-भजन करता और सवा पजा करता

एक िदन कोई वयि राःत म बहोश पड़ा हआ था िशवजी को जल चढ़ान जात समय उस बालक न उस दखा और अपनी पजा-वजा छोड़कर उस गरीब की सवा म लग गया िबहार का कोई यवक था नौकरी की खोज म आया था कालपर(अहमदाबाद) ःटशन क लटफामर पर एक दो िदन रहा किलयो न मारपीट कर भगा िदया चलत-चलत मिणनगर म पनीत आौम की ओर रोटी की आशा म जा रहा था रोटी तो वहा नही िमलती थी इसिलए भख क कारण चलत-चलत राःत म िगर गया और बहोश हो गया

उस लड़क का घर पनीत आौम क पास ही था सबह क दस साढ़ दस बज थ वह लड़का घर स धयान-भजन स िनपटकर मिदर म िशवजी को जल चढ़ान क िलए जल का लोटा और पजा की साममी लकर जा रहा था उसन दखा िक राःत म कोई यवक पड़ा ह राःत म चलत-चलत लोग बोलत थः शराब पी होगी यह होगा वह होगा हम कया

लड़क को दया आई प य िकय हए हो तो रणा भी अचछ िमलती ह शभ कम स शभ रणा िमलती ह अपन पास की पजा साममी एक ओर रखकर उसन उस वयि को िहलाया बहत मिकल स उसकी आख खली कोई उस जत सघाता कोई कछ करता कोई कछ बोलता था

आख खोलत ही वह वयि धीर स बोलाः पानी पानी

लड़क न महादव जी क िलय लाया हआ जल का लोटा उस िपला िदया िफर दोड़कर घर जाकर अपन िहःस का दध लाकर उस िदया

यवक क जी म जी आया उसन अपनी वयथा बतात हए कहाः बाब जी म िबहार स आया ह मर बाप गजर गय काका िदन-रात टोकत रहत त िक

कमाओ नही तो खाओग कया नौकरी धधा िमलता नही ह भटकत-भटकत अहमदाबाद क ःटशन पर कली का काम करन का य िकया हमारी रोटी-रोजी िछन जायगी ऐसा समझकर किलयो न खब मारा पदल चलत-चलत मिणनगर ःटशन की ओर आत-आत यहा तीन िदन की भख और मार क कारण चककर आय और िगर गया

लड़क न उस िखलाया अपना इक ठा िकया हआ जबखचर का पसा िदया उस यवक को जहा जाना था वहा भजन की वयवःथा की इस लड़क क दय म आनद की वि हई अतर म आवाज आईः

बटा अब म तझ बहत ज दी िमलगा

लड़क न िकयाः अनदर कौन बोलता ह

उ र आयाः िजस िशव की त पजा करता ह वह तरा आतमिशव अब म तर दय म कट होऊगा सवा क अिधकारी की सवा मझ िशव की ही सवा ह

उस िदन उस अतयारमी न अनोखी ऱणा और ोतसाहन िदया वह लड़का तो िनकल पड़ा घर छोड़कर ई र-साकषातकार करन क िलए कदारनाथ वनदावन होत हए निनताल क अर य म पहचा

कदारनाथ क दशरन पाय लकषािधपित आिशष पाय

इस आशीवारद को वापस कर ई राि क िलए िफर पजा की उसक पास जो कछ रपय पस थ उनह वनदावन म साध-सतो एव गरीबो म भ डारा करक खचर कर िदया था थोड़ स पस लकर निनताल क अर यो म पहचा लोकलाड़ल लाखो दयो को हिररस िपलात पजयपाद सदगर ौी लीलाशाह बाप की राह दखत हए चालीस िदन बीत गय गरवर ौी लीलाशाह को अब पणर समिपरत िशय िमला पणर खजाना ा करन वाला पिवऽातमा िमला पणर गर की पणर िशय िमला

िजस लड़क क िवषय म यह कथा पढ़ रह ह वह लड़का कौन होगा जानत हो

पणर गर कपा िमली पणर गर का जञान आसमल स हो गय साई आसाराम

अब तो समझ ही गय होग (उस लड़क क वश म छप हए थ पवर जनम क योगी और वतरमान म िव िव यात हमार

पजयपाद सदगरदव ौी आसाराम जी महाराज)

(अनबम)

िवकास क बिरयो स सावधान किपलवःत क राजा श ोदन का यवराज था िस ाथर यौवन म कदम रखत ही िववक

और वरा य जाग उठा यवान प ी यशोधरा और नवजात िशश राहल की मोह-ममता की रशमी जजीर काटकर महाभीिनबमण (गहतयाग) िकया एकानत अर य म जाकर गहन धयान साधना करक अपन साधय त व को ा कर िलया

एकानत म तप यार और धयान साधना स िखल हए इस आधयाितमक कसम की मधर

सौरभ लोगो म फलन लगी अब िस ाथर भगवान ब क नाम स जन-समह म िस हए हजारो हजारो लोग उनक उपिद मागर पर चलन लग और अपनी अपनी यो यता क मतािबक आधयाितमक याऽा म आग बढ़त हए आितमक शाित ा करन लग अस य लोग बौ िभकषक बनकर भगवान ब क सािननधय म रहन लग उनक पीछ चलन वाल अनयायीओ का एक सघ ःथािपत हो गया चह ओर नाद गजन लग िकः

ब शरण गचछािम धमम शरण गचछािम सघ शरण गचछािम

ौावःती नगरी म भगवान ब का बहत यश फला लोगो म उनकी जय-जयकार होन लगी लोगो की भीड़-भाड़ स िवर होकर ब नगर स बाहर जतवन म आम क बगीच म रहन लग नगर क िपपास जन बड़ी तादाद म वहा हररोज िनि त समय पर पहच जात और उपदश-वचन सनत बड़-बड़ राजा महाराजा भगवान ब क सािननधय म आन जान लग

समाज म तो हर कार क लोग होत ह अनािद काल स दवी समपदा क लोग एव आसरी समपदा क लोग हआ करत ह ब का फलता हआ यश दखकर उनका तजो ष करन वाल लोग जलन लग सतो क साथ हमशा स होता आ रहा ह ऐस उन द त वो न ब को बदनाम करन क िलए कचार िकया िविभनन कार की यि -यि या लड़ाकर ब क यश को हािन पहच ऐसी बात समाज म व लोग फलान लग उन द ो न अपन ष यऽ म एक वया को समझा-बझाकर शािमल कर िलया

वया बन-ठनकर जतवन म भगवान ब क िनवास-ःथानवाल बगीच म जान लगी

धनरािश क साथ द ो का हर कार स सहारा एव ोतसाहन उस िमल रहा था रािऽ को वही रहकर सबह नगर म वािपस लोट आती अपनी सिखयो म भी उसन बात फलाई

लोग उसस पछन लगः अरी आजकल त िदखती नही ह कहा जा रही ह रोज रात को

म तो रोज रात को जतवन जाती ह व ब िदन म लोगो को उपदश दत ह और रािऽ क समय मर साथ रगरिलया मनात ह सारी रात वहा िबताकर सबह लोटती ह

वया न परा ीचिरऽ आजमाकर ष यऽ करन वालो का साथ िदया लोगो म पहल तो हलकी कानाफसी हई लिकन जयो-जयो बात फलती गई तयो-तयो लोगो म जोरदार िवरोध होन लगा लोग ब क नाम पर िफटकार बरसान लग ब क िभकषक बःती म िभकषा लन जात तो लोग उनह गािलया दन लग ब क सघ क लोग सवा-वि म सल न थ उन लोगो क सामन भी उगली उठाकर लोग बकवास करन लग

ब क िशय जरा असावधान रह थ कचार क समय साथ ही साथ स चार होता तो कचार का इतना भाव नही होता िशय अगर िनिबय रहकर सोचत रह जाय िक करगा सो भरगा भगवान उनका नाश करग तो कचार करन वालो को ख ला मदान िमल जाता ह

सत क सािननधय म आन वाल लोग ौ ाल सजजन सीध साद होत ह जबिक द वि करन वाल लोग किटलतापवरक कचार करन म कशल होत ह िफर भी िजन सतो क पीछ सजग समाज होता ह उन सतो क पीछ उठन वाल कचार क तफान समय पाकर शात हो जात ह और उनकी सतवि या काशमान हो उठती ह

कचार न इतना जोर पकड़ा िक ब क िनकटवत लोगो न ऽािहमाम पकार िलया व समझ गय िक यह वयविःथत आयोजनपवरक ष यऽ िकया गया ह ब ःवय तो पारमािथरक सतय म जाग हए थ व बोलतः सब ठ क ह चलन दो वयवहािरक सतय म वाहवाही दख ली अब िननदा भी दख ल कया फकर पड़ता ह

िशय कहन लगः भनत अब सहा नही जाता सघ क िनकटवत भ भी अफवाहो क िशकार हो रह ह समाज क लोग अफवाहो की बातो को सतय मानन लग गय ह

ब ः धयर रखो हम पारमािथरक सतय म िवौाित पात ह यह िवरोध की आधी चली ह तो शात भी हो जाएगी समय पाकर सतय ही बाहर आयगा आिखर म लोग हम जानग और मानग

कछ लोगो न अगवानी का झ डा उठाया और राजयस ा क समकष जोर-शोर स माग की

िक ब की जाच करवाई जाय लोग बात कर रह ह और वया भी कहती ह िक ब रािऽ को मर साथ होत ह और िदन म सतसग करत ह

ब क बार म जाच करन क िलए राजा न अपन आदिमयो को फरमान िदया अब ष यऽ करनवालो न सोचा िक इस जाच करन वाल पच म अगर सचचा आदमी आ जाएगा तो अफवाहो का सीना चीरकर सतय बाहर आ जाएगा अतः उनहोन अपन ष यऽ को आिखरी

पराका ा पर पहचाया अब ऐस ठोस सबत खड़ा करना चािहए िक ब की ितभा का अःत हो जाय

उनहोन वया को दार िपलाकर जतवन भज िदया पीछ स ग डो की टोली वहा गई वया पर बलातकार आिद सब द कतय करक उसका गला घोट िदया और लाश को ब क बगीच म गाड़कर पलायन हो गय

लोगो न राजयस ा क ार खटखटाय थ लिकन स ावाल भी कछ लोग द ो क साथ जड़ हए थ ऐसा थोड़ ही ह िक स ा म बठ हए सब लोग दध म धोय हए वयि होत ह

राजा क अिधकािरयो क ारा जाच करन पर वया की लाश हाथ लगी अब द ो न जोर-शोर स िच लाना शर कर िदया

दखो हम पहल ही कह रह थ वया भी बोल रही थी लिकन तम भगतड़ लोग मानत ही नही थ अब दख िलया न ब न सही बात खल जान क भय स वया को मरवाकर बगीच म गड़वा िदया न रहगा बास न बजगी बासरी लिकन सतय कहा तक िछप सकता ह म ामाल हाथ लग गया इस ठोस सबत स ब की असिलयत िस हो गई सतय बाहर आ गया

लिकन उन मख का पता नही िक तमहारा बनाया हआ कि पत सतय बाहर आया वाःतिवक सतय तो आज ढाई हजार वषर क बाद भी वसा ही चमक रहा ह आज ब को लाखो लोग जानत ह आदरपवरक मानत ह उनका तजो ष करन वाल द लोग कौन-स नरको म जलत होग कया पता

ढाई हजार वषर पहल ब क जमान म भी सतो क साथ ऐसा घोर अनयाय हआ करता था ऋिष दयाननद को भी ऐस ही त वो न तजो ष क कारण बाईस बार िवष दकर मार डालन का यास िकया ःवामी िववकाननद और ःवामी रामतीथर क पीछ भी द लोगो न वया को तयार करक कीचड़ उछाला था

एक ओर लाखो-लाखो लोग सतो की अनभवय वाणी स अपना वयावहािरक ETH आधयाितमक जीवन उननत करक सख-शाित पात ह दसरी ओर कछ द कित क ःवाथ लोग अपना उ ल सीधा करन क िलए ऐस महापरषो क िवर म ष यऽ रचकर उनको बदनाम करत ह यह तो पहल स चला आ रहा ह सत कबीर हो या नानक एकनाथ महाराज हो या सत तकाराम नरिसह महता हो या मीराबाई ायः सभी सतो को अपन जीवन क दौरान समाज क किटल त वो स पाला पड़ता ही रहा ह जीसस बाइःट को इनही त वो न बॉस पर चढ़ाया था उनही लोगो न सकरात को जहर िपलाकर मतयद ड िदया था मनसर को इसी जमात न शली पर चढ़ाया था ईसाई धमर म माट न यथर पर ज म िकया गया था अण-अण म ई र और नारीमाऽ म जगजजननी भगवती का दशरन करन वाल रामकण परमहस को भी लोगो न नही

छोड़ा था परमहस योगाननद रवीनिनाथ टगोर माट न यथर दिकषण भारत क सत ितरव लवर जापानी झन सत बाबो इितहास म िकतन-िकतन उदाहरण मौजद ह

हािसद धमरगर बा शमटोव अित पिवऽ आतमा थ िननदको न उनक इदरिगदर भी मायाजाल िबछा दी थी िसध क साई टउराम क पास अस य लोग आतमक याण हत जान लग तब िवकत िदमागवालो न उन सत को भी ऽास दना शर कर िदया उनक आौम क चह ओर गदगी डाल दत और कए म िम टी का तल उड़लकर पानी बकार कर दत मगल बादशाह बाबर को बहका कर उनही लोगो न गर नानक को कद करवाया था

भगवान ौीराम एव ौीकण को भी द जनो न छोड़ा नही था भगवान ौीराम क गर विश जी महाराज कहत हः

ह राम जी म जब बाजार स गजरता ह तब अजञानी मखर लोग मर िलए कया बकत ह म सब जानता ह लिकन मरा दयाल ःवभाव ह म इन सबका क याण चाहता ह

तमहार साथ यह ससार कछ अनयाय करता ह तमको बदनाम करता ह िननदा करता ह तो यह ससार की परानी रीत ह मनय की हीनवि कचार िननदाखोरी यह आजकल की ही बात नही ह अनािदकाल स ऐसा होता आया ह तम अपन आतमजञान क सःकार जगाकर आतमबल का िवकास करत जाओ मःकरात जाओ आधी तफानो को लाघकर आननदपवरक जीत जाओ

उस जमान म भगवान ब क पास आकर एक िभकषक न ाथरना कीः भनत मझ आजञा द म सभाए भरगा आपक िवचारो का चार करगा

मर िवचारो का चार

हा भगवन म बौ धमर फलाऊगा

लोग तरी िननदा करग गािलया दग

कोई हजर नही म भगवन को धनयवाद दगा िक य लोग िकतन अचछ ह य कवल श दहार करत ह मझ पीटत तो नही

लोग तझ पीटग भी तो कया करोग

भो म शब गजारगा िक य लोग हाथो स पीटत ह पतथर तो नही मारत

लोग पतथर भी मारग और िसर भी फोड़ दग तो कया करगा

िफर भी म आ ःत रहगा और भगवान का िदवय कायर करता रहगा कयोिक व लोग मरा िसर फोड़ग लिकन ाण तो नही लग

लोग जनन म आकर तझ मार दग तो कया करगा

भनत आपक िदवय िवचारो का चार करत-करत म मर भी गया तो समझगा िक मरा जीवन सफल हो गया

उस कतिन यी िभकषक की दढ़ िन ा दखकर भगवान ब सनन हो उठ उस पर उनकी करणा बरस पड़ी

ऐस िशय जब ब का चार करन िनकल पड़ तब कचार करन वाल धीर-धीर शात हो गय मनयो की उगिलया काट-काटकर माला बनाकर पहनन वाला अगिलमाल जसा बर हतयारा भी दयपिरवतरन पाकर ब की शरण म िभकषक होकर रहन लगा

आज हम ब को बहत आदर स जानत ह मानत ह उनक जीवनकाल क दौरान उनक पीछ लग हए द लोग कौन स नरक म सड़त होग रौरव नरक म या कभीपाक नरक म कौन-सी योिनयो म भटकत होग सअर बन होग िक नाली क कीड़ बन होग शतान बन होग िक राकषस बन होग मझ पता नही लिकन ब तो करोड़ो दयो म बस रह ह यह म मानता ह

सतय तो परमाथर ह आतमा ह परमातमा ह उसम िजतना िटकोग उतना तमहारा मगल होगा तमहारी िनगाह िजन पर पड़गी उनका भी मगल होगा

(अनबम)

कछ जानन यो य बात सय दय स पवर उठकर ःनान कर लना चािहए ातः खाली पट मटक का बासी पानी

पीना ःवाःथयद ह तलसी क प सय दय क प ात ही तोड़ दध म तलसी क प नही डालन चािहए तथा

दध क साथ खान भी नही चािहए तलसी क प खाकर थोड़ा पानी पीना िपय जलनित स पिह सौ कार क लाभ होत ह अपन मिःतक म एक कार का िवजाितय

िवय उतपनन होता ह यिद वह िवय वही अटक जाता ह तो बचपन म ही बाल सफद होन लगत ह इसस नजल की बीमारी भी होती ह यिद वह िवय नाक की तरफ आता ह तो सगनध-दगरनध का पता नही चल पाता और ज दी-ज दी जकाम हो जाता ह यिद वह िवय कान की तरफ आता ह तो कान बहर होन लगत ह और छोट-मोट ब ीस रोग हो सकत ह यिद वह िवय दात की तरफ आय तो दात छोटी उ म ही िगरन लगत ह यिद आख की तरफ वह िवय उतर तो चम लगन लगत ह जलनित यािन नाक स पानी खीचकर मह स िनकाल दन स वह िवय िनकल जाता ह गल क ऊपर क ायः सभी रोगो स मि िमल जाती ह

आईसबीम खान क बाद चाय पीना दातो क िलए अतयािधक हािनकारक होता ह

भोजन को पीना चािहए तथा पानी को खाना चािहए इसका मतलब यह ह िक भोजन को इतना चबाओ िक वह पानी की तरह पतला हो जाय और पानी अथवा अनय पय पदाथ को धीर-धीर िपयो

िकसी भी कार का पय पदाथर पीना हो तो दाया नथना बनद करक िपय इसस वह अमत जसा हो जाता ह यिद दाया ःवर(नथना) चाल हो और पानी आिद िपय तो जीवनशि (ओज) पतली होन लगती ह चयर की रकषा क िलए शरीर को तनदरःत रखन क िलए यह योग करना चािहए

तम चाह िकतनी भी महनत करो िकनत िजतना तमहारी नसो म ओज ह चयर की शि ह उतन ही तम सफल होत हो जो चाय-कॉफी आिद पीत ह उनका ओज पतला होकर पशाब ारा न होता जाता ह अतः चयर की रकषा क िलए चाय-कॉफी जस वयसनो स दर रहना रह

पढ़न क बाद थोड़ी दर शात हो जाना चािहए जो पढ़ा ह उसका मनन करो िशकषक ःकल म जब पढ़ात हो तब धयान स सनो उस व मःती-मजाक नही करना चािहए िवनोद-मःती कम स कम करो और समझन की कोिशश अिधक करो

जो सय दय क पवर नही उठता उसक ःवभाव म तमस छा जाता ह जो सय दय क पवर उठता ह उसकी बि शि बढ़ती ह

नीद म स उठकर तरत भगवान का धयान करो आतमःनान करो धयान म रिच नही होती तो समझना चािहए िक मन म दोष ह उनह िनकालन क िलए कया करना चािहए

मन को िनद ष बनान क िलए सबह-शाम माता-िपता को णाम करना चािहए गरजनो को णाम करना चािहए एव भगवान क नाम का जप करना चािहए भगवान स ाथरना करनी चािहए िक ह भगवान ह मर भ मरी धयान म रिच होन लग ऐसी कपा कर दो िकसी समय गद िवचार िनकल आय तो समझना चािहए िक अदर छप हए िवचार िनकल रह ह अतः खश होना चािहए िवचार आया और गया मर राम तो दय म ही ह ऐसी भावना करनी चािहए

िनदा करना तो अचछा नही ह िकनत िनदा सनना भी उिचत नही (अनबम)

शयन की रीत मनय को िकस ढग स सोना चािहए इसका भी तरीका होता ह सोत व पवर अथवा

दिकषण िदशा की ओर िसर करक ही सोना चािहए

भोजन करन क बाद िदन म दस िमनट आराम कर िकनत सोय नही भोजन क बाद दस िमनट बायी करवट लट सकत ह रािऽ को जागरण िकया हो इस कारण स कभी िदन म सोना पड़ वह अलग बात ह

सोत व नीच कोई गमर कबल आिद िबछाकर सोय तािक आपकी जीवनशि अिथग न हो जाय आपक शरीर की िव तशि भिम म न उतर जाय

(अनबम)

ःनान का तरीका शरीर की मजबती एव आरो यता क िलए रगड़-रगड़कर ःनान करना चािहए जो लोग

ठड दशो म रहत ह उनका ःवाःथय गमर दस क लोगो की अपकषा अचछा होता ह ठडी स अपना शरीर सधरता ह

ःनान करत व 12-15 िलटर पानी बा टी म लकर पहल उसम िसर डबाना चािहए िफर पर िभगोना चािहए पहल पर गील नही करन चािहए शरीर की गम ऊपर की ओर चढ़ती ह जो ःवाःथय क िलए हािनकारक होती ह

अतः पहल ठड पानी की बा टी भर ल िफर मह म पानी भरकर िसर को बा टी म डाल और आख पटपटाए इसस आखो की शि बढ़ती ह शरीर को रगड़-रगड़कर नहाए बाद म गील व स शरीर को रगड़-रगड़कर पोछ िजसस रोम कप का सारा मल बाहर िनकल जाय और रोमकप(तवचा क िछि) खल जायय तवचा क िछि बद रहन स ही तवचा की कई बीमािरया होती ह िफर सख कपड़ स शरीर को पोछ कर (अथवा थोड़ा गीला हो तब भी चल) सख साफ व पहन ल व भल साद हो िकनत साफ हो बासी कपड़ नही पहन हमशा धल हए कपड़ ही पहन इसस मन भी सनन रहता ह

पाच कार क ःनान होत हः ःनान दवःनान ऋिषःनान मानवःनान दानवःनान ःनानः -परमातमा का िचतन करक जल थल नहान वाला

ऐसा िचतन करक ा महतर म नहाना इस ःनान कहत ह दवःनानः दवनिदयो म ःनान या दवनिदयो का ःमरण करक सय दय स पवर नहाना यह

दवःनान ह ऋिषःनानः आकाश म तार िदखत हो और नहा ल यह ऋिषःनान ह ऋिषःनान करन

वाल की बि बड़ी तजःवी होती ह मानवःनानः सय दय क पवर का ःनान मानवःनान ह

दानवःनानः सय दय क प ात चाय पीकर नाता करक आठ नौ बज नहाना यह दानव ःनान ह

अतः हमशा ऋिषःनान करन का ही यास करना चािहए (अनबम)

ःवचछता का धयान यिद शरीर की सफाई रखी जाय तो मन भी सनन रहता ह आजकल अिधकतर लोग

श स ही मजन करत ह श की अपकषा नीम और बबल की दातौन जयादा अचछ होती ह और यिद श भी कर तो कभी-कभार श को गमर पानी स धोना चािहए अनयथा उसम बकटिरया(जीवाण) रह जात ह

िकतन ही लोग उगली स दात साफ करत ह तजरनी (अगठ क पास वाली थम उगली) स दात िघसन स मसड़ कमजोर हो जात ह तथा दात ज दी िगर जात ह कयोिक तजरनी म िव तशि का माण दसरी उगिलयो की अपकषा अिधक होता ह अतः उसस दात नही िघसन चािहए एव आखो को भी नही मसलना चािहए

िजस िदशा स हवा आती हो उस िदशा की ओर मह करक कभी-भी मलमऽ का िवसजरन नही करना चािहए सयर और चनिमा की ओर मख करक भी मलमऽ का िवसजरन नही करना चािहए

(अनबम)

ःमरणशि का िवकास यादशि बढ़ान का एक सनदर योग ह ETH ामरी ाणायाम सखासन प ासन या

िस ासन पर बठ हाथ की कोहनी की ऊचाई कनध तक रह इस कार रखकर हाथ की थम उगली(तजरनी) स दोनो कानो को धीर-स बद कर एकदम जोर स बद न कर िकनत बाहर का कछ सनाई न द इस कार धीर स कान बनद कर

अब गहर ास लकर थोड़ी दर रोक ओठ बद रखकर जस मर का गजन होता ह वस ॐsssss कहत हए गजन कर उसक बाद थोड़ी दर तक ास न ल पनः यही िबया दहराय ऐसा सबह एव शाम 8 स 10 बार कर यादशि बढ़ान का यह यौिगक योग ह इसस मिःतक की नािड़यो का शोधन होकर मिःतक म र सचार उिचत ढग स होता ह

और िवचार करन स भी बि शि का िवकास होता ह

सबह खाली पट तलसी क प एकाध काली िमचर चबाकर एक िगलास पानी पीन स भी ःमरणशि का िवकास होता ह रोग-ितकारक शि बढ़ती ह कनसर की बीमारी कभी नही होती जलदर-भगदर की बीमारी भी कभी नही होती

(अनबम)

वयि तव और वयवहार िकसी भी वयि तव का पता उसक वयवहार स ही चलता ह कई लोग वयथर च ा करत

ह एक होती ह सकाम च ा दसरी होती ह िनकाम च ा और तीसरी होती ह वयथर च ा वयथर च ा नही करनी चािहए िकसी क शरीर म कोई कमी हो तो उसका मजाक नही उड़ाना चािहए वरन उस मददरप बनना चािहए यह िनकाम सवा ह

िकसी की भी िनदा नही करनी चािहए िनदा करन वाला वयि िजसकी िनदा करता ह उसका तो इतना अिहत नही होता िजतना वह अपना अिहत करता ह जो दसरो की सवा करता ह दसरो क अनकल होता ह वह दसरो का िजतना िहत करता ह उसकी अपकषा उसका खद का िहत जयादा होता ह

अपन स जो उ स बड़ हो जञान म बड़ हो तप म बड़ हो उनका आदर करना चािहए िजस मनय क साथ बात करत हो वह मनय कौन ह यह जानकर बात करो तो आप वयवहार-कशल कहलाओग

िकसी को पऽ िलखत हो तो यिद अपन स बड़ हो तो ौी सबोधन करक िलखो सबोधन करन स सवाकयो की रचना स िश ता बढ़ती ह िकसी स बात करो तो सबोधन करक बात करो जो तकार स बात करता ह वह अिश कहलाता ह िश तापवरक बात करन स अपनी इजजत बढ़ती ह

िजसक जीवन म वयवहार-कशलता ह वह सभी कषऽो म सफल होता ह िजसम िवनता ह वही सब कछ सीख सकता ह िवनता िव ा बढ़ाती ह िजसक जीवन म िवनता नही ह समझो उसक सब काम अधर रह गय और जो समझता ह िक म सब कछ जानता ह वह वाःतव म कछ नही जानता

एक िचऽकार अपन गरदव क सममख एक सनदर िचऽ बनाकर लाया गर न िचऽ दखकर कहाः

वाह वाह सनदर ह अदभत ह

िशय बोलाः गरदव इसम कोई ऽिट रह गयी हो तो कपा करक बताइए इसीिलए म आपक चरणो म आया ह

गरः कोई ऽिट नही ह मझस भी जयादा अचछा बनाया ह

वह िशय रोन लगा उस रोता दखकर गर न पछाः तम कयो रो रह हो म तो तमहारी शसा कर रहा ह

िशयः गरदव मरी घड़ाई करन वाल आप भी यिद मरी शसा ही करग तो मझ मरी गि तया कौन बतायगा मरी गित कस होगी

यह सनकर गर अतयत सनन हो गय हमन िजतना जाना िजतना सीखा ह वह तो ठ क ह उसस जयादा जान सक सीख सक

ऐसा हमारा यास होना चािहए रामकण परमहस व हो गय थ िकसी न उनस पछाः बाबा जी आपन सब कछ जान

िलया ह

रामकण परमहसः नही म जब तक जीऊगा तब तक िव ाथ ही रहगा मझ अभी बहत कछ सीखना बाकी ह

िजनक पास सीखन को िमल उनस िवनतापवरक सीखना चािहए जो कछ सीखो सावधानीपवरक सीखो जीवन म िवनोद जररी ह िकनत िवनोद की अित न हो िजस समय पढ़त हो कछ सीखत हो कछ करत हो उस समय मःती नही िवनोद नही वरन जो कछ पढ़ो सीखो या करो उस उतसाह स धयान स और सावधानी स करो

पढ़न स पवर थोड़ धयानःथ हो जाओ पढ़न क बाद मौन हो जाओ यह गित की चाबी ह

माता-िपता स िचढ़ना नही चाह िजस मा-बाप न जनम िदया ह उनकी बातो को समझना चािहए अपन िलए उनक मन म िवशष दया हो िवशष म उतपनन हो ऐसा वयवहार करना चािहए

भल जाओ भल सब कछ माता-िपता को भलना नही अनिगनत उपकार ह उनक यह कभी िबसरना नही

माता-िपता को सतोष हो उनका दय सनन हो ऐसा हमारा वयवहार होना चािहए अपन माता-िपता एव गरजनो को सत रखकर ही हम सचची गित कर सकत ह

(अनबम)

  • पजय बाप जी का उदबोधन
  • कदम अपना आग बढाता चला जा
  • त गलाब होकर महक
  • जीवन विकास का मल सयम
  • तरिकाल सधया
  • शरीर सवासथय
  • अनन का परभाव
  • भारतीय ससकति की महानता
  • हरिदास की हरिभकति
  • बनावटी शरगार स बचो
  • साहसी बालक
  • गर-आजञापालन का चमतकार
  • अनोखी गरदकषिणा
  • सतसग की महिमा
  • पीड पराई जान र
  • विकास क बरियो स सावधान
  • कछ जानन योगय बात
  • शयन की रीत
  • सनान का तरीका
  • सवचछता का धयान
  • समरणशकति का विकास
  • वयकतितव और वयवहार
Page 28: Tu gulabhokarmehak

कहन का तातपयर यह ह िक सिचचदानद परमातमा की शि का सामथयर का बयान करना सभव नही ह िजसकी िजतनी दढ़ता ह िजसकी िजतनी सचचाई ह िजसकी िजतनी ततपरता ह उतनी ही कित भी उसकी मदद करन को आतर रहती ह प पादाचायर की गर-आजञापालन म दढ़ता और ततपरता को दखकर गगा जी म कमल गट हो गय िशय यिद दढ़ता ततपरता और ईमानदारी स गर-आजञापालन म लग जाय तो कित भी उसक अनकल हो जाती ह

(अनबम)

अनोखी गरदिकषणा एकलवय गर िोणाचायर क पास आकर बोलाः मझ धनिवर ा िसखान की कपा कर

गरदव गर िोणाचायर क समकष धमरसकट उतपनन हआ कयोिक उनहोन भीम िपतामह को वचन

द िदया था िक कवल राजकमारो को ही म िशकषा दगा एकलवय राजकमार नही ह अतः उस धनिवर ा कस िसखाऊ अतः िोणाचायर न एकलवय स कहाः

म तझ धनिवर ा नही िसखा सकगा

एकलवय घर स िन य करक िनकला था िक म कवल गर िोणाचायर को ही गर बनाऊगा िजनक िलए मन म भी गर बनान का भाव आ गया उनक िकसी भी वयवहार क िलए िशकायत या िछिानवषण की वि नही होनी चािहए

एकलवय एकात अर य म गया और उसन गर िोणाचायर की िम टी की मितर बनायी मितर की ओर एकटक दखकर धयान करक उसी स रणा लकर वह धनिवर ा सीखन लगा एकटक दखन स एकामता आती ह एकामता गरभि अपनी सचचाई और ततपरता क कारण उस रणा िमलन लगी जञानदाता तो परमातमा ह धनिवर ा म वह बहत आग बढ़ गया

एक बार िोणाचायर पाडव एव कौरव धनिवर ा का योग करन अर य म आय उनक साथ एक क ा भी था जो थोड़ा आग िनकल गया क ा वही पहचा जहा एकलवय अपनी धनिवर ा का योग कर रहा था एकलवय क खल बाल फट कपड़ एव िविचऽ वष को दखकर क ा भ कन लगा

एकलवय न क को लग नही चोट न पहच और उसका भ कना बद हो जाय इस ढग स सात बाण उसक मह म थमा िदय क ा वािपस वहा गया जहा िोणाचायर क साथ पाडव और कौरव थ

उस दखकर अजरन को हआ िक क को चोट न लग इस ढग स बाण मह म घसाकर रख दना यह िव ा तो म भी नही जानता यह कस सभव हआ वह गर िोणाचायर स बोलाः

गरदव आपन तो कहा था िक मरी बराबरी का दसरा कोई धनधाररी नही होगा िकनत ऐसी िव ा तो मझ भी नही आती

िोणाचायर को हआ िक दख इस अर य म कौन-सा ऐसा कशल धनधरर ह आग जाकर दखा तो वह था िहर यधन का पऽ गरभ एकलवय

िोणाचायर न पछाः बटा यह िव ा त कहा स सीखा

एकलवय बोलाः गरदव आपकी ही कपा स सीखा ह

िोणाचायर तो वचन द चक थ िक अजरन की बराबरी का धनधरर दसरा कोई न होगा िकनत यह तो आग िनकल गया गर क िलए धमरसकट खड़ा हो गया एकलवय की अटट ौ ा दखकर िोणाचायर न कहाः मरी मितर को सामन रखकर त धनिवर ा तो सीखा िकनत गरदिकषणा

एकलवयः जो आप माग

िोणाचायरः तर दाय हाथ का अगठा

एकलवय न एक पल भी िवचार िकय िबना अपन दाय हाथ का अगठा काटकर गरदव क चरणो म अपरण कर िदया

िोणाचायरः बटा भल ही अजरन धनिवर ा म सबस आग रह कयोिक म उस वचन द चका ह िकनत जब तक सयर चनि नकषऽो का अिःततव रहगा तब तक लोग तरी गरिन ा का तरी गरभि का ःमरण करग तरा यशोगान होता रहगा

उसकी गरभि और एकामता न उस धनिवर ा म तो सफलता िदलायी ही लिकन सतो क दय म भी उसक िलए आदर गट करवा िदया धनय ह एकलवय जो गरमितर स रणा पाकर धनिवर ा म सफल हआ और िजसन अदभत गरदिकषणा दकर साहस तयाग और समपरण का पिरचय िदया

(अनबम)

सतसग की मिहमा तलसीदास जी महाराज कहत ह ETH

एक घड़ी आधी घड़ी आधी म पिन आध तलसी सगत साध की हर कोिट अपराध

एक बार शकदव जी क िपता भगवान वदवयासजी महाराज कही जा रह थ राःत म उनहोन दखा िक एक कीड़ा बड़ी तजी स सड़क पार कर रहा था

वदवयासजी न अपनी योगशि दत हए उसस पछाः त इतनी ज दी सड़क कयो पार कर रहा ह कया तझ िकसी काम स जाना ह त तो

नाली का कीड़ा ह इस नाली को छोड़कर दसरी नाली म ही तो जाना ह िफर इतनी तजी स कयो भाग रहा ह

कीड़ा बोलाः बाबा जी बलगाड़ी आ रही ह बलो क गल म बध घघर तथा बलगाड़ी क पिहयो की आवाज म सन रहा ह यिद म धीर-धीर सड़क पार करगा तो वह बलगाड़ी आकर मझ कचल डालगी

वदवयासजीः कचलन द कीड़ की योिन म जीकर भी कया करना

कीड़ाः महिषर ाणी िजस शरीर म होता ह उसको उसम ही ममता होती ह अनक ाणी नाना कार क क ो को सहत हए भी मरना नही चाहत

वदवयास जीः बलगाड़ी आ जाय और त मर जाय तो घबराना मत म तझ योगशि स महान बनाऊगा जब तक ा ण शरीर म न पहचा द अनय सभी योिनयो स शीय छटकारा िदलाता रहगा

उस कीड़ न बात मान ली और बीच राःत पर रक गया और मर गया िफर वदवयासजी की कपा स वह बमशः कौआ िसयार आिद योिनयो म जब-जब भी उतपनन हआ वयासजी न जाकर उस पवरजनम का ःमरण िदला िदया इस तरह वह बमशः मग पकषी शि वय जाितयो म जनम लता हआ कषिऽय जाित म उतपनन हआ उस वहा भी वदवयासजी दशरन िदय थोड़ िदनो म रणभिम म शरीर तयागकर उसन ा ण क घर जनम िलया

भगवान वदवयास जी न उस पाच वषर की उ म सारःवतय मऽ द िदया िजसका जप करत-करत वह धयान करन लगा उसकी बि बड़ी िवलकषण होन पर वद शा धमर का रहःय समझ म आ गया

सात वषर की आय म वदवयास जी न उस कहाः काि रक कषऽ म कई वष स एक ा ण ननदभि तपःया कर रहा ह तम जाकर उसकी

शका का समाधान करो

माऽ सात वषर का ा ण कमार काि रक कषऽ म तप कर रह उस ा ण क पास पहच कर बोलाः

ह ा णदव आप तप कयो कर रह ह

ा णः ह ऋिषकमार म यह जानन क िलए तप कर रहा ह िक जो अचछ लोग ह सजजन लोग ह व सहन करत ह दःखी रहत ह और पापी आदमी सखी रहत ह ऐसा कयो ह

बालकः पापी आदमी यिद सखी ह तो पाप क कारण नही वरन िपछल जनम का कोई प य ह उसक कारण सखी ह वह अपन प य खतम कर रहा ह पापी मनय भीतर स तो दःखी ही होता ह भल ही बाहर स सखी िदखाई द

धािमरक आदमी को ठ क समझ नही होती उिचत िदशा व मऽ नही िमलता इसिलए वह दःखी होता ह वह धमर क कारण दःखी नही होता अिपत समझ की कमी क कारण दःखी होता ह समझदार को यिद कोई गर िमल जाय तो वह नर म स नारायण बन जाय इसम कया आ यर ह

ा णः म इतना बढ़ा हो गया इतन वष स काि रक कषऽ म तप कर रहा ह मर तप का फल यही ह िक तमहार जस सात वषर क योगी क मझ दशरन हो रह ह म तमह णाम करता ह

बालकः नही नही महाराज आप तो भदव ह म तो बालक ह म आपको णाम करता ह

उसकी नता दखकर ा ण और खश हआ तप छोड़कर वह परमातमिचनतन म लग गया अब उस कछ जानन की इचछा नही रही िजसस सब कछ जाना जाता ह उसी परमातमा म िवौाित पान लग गया

इस कार ननदभि ा ण को उ र द िनःशक कर सात िदनो तक िनराहार रहकर वह बालक सयरमनऽ का जप करता रहा और वही बहदक तीथर म उसन शरीर तयाग िदया वही बालक दसर जनम म कषार िपता एव िमऽा माता क यहा गट हआ उसका नाम मऽय पड़ा इनहोन वयासजी क िपता पराशरजी स िवण-पराण तथा बहत पाराशर होरा शा का अधययन िकया था पकषपात रिहत अनभवकाश नामक मनथ म मऽय तथा पराशर ऋिष का सवाद आता ह

कहा तो सड़क स गजरकर नाली म िगरन जा रहा कीड़ा और कहा सत क सािननधय स वह मऽय ऋिष बन गया सतसग की बिलहारी ह इसीिलए तलसीदास जी कहत ह ETH

तात ःवगर अपवगर सख धिरअ तला एक अग तल न तािह सकल िमली जो सख लव सतसग

यहा एक शका हो सकती ह िक वह कीड़ा ही मऽय ऋिष कयो नही बन गया

अर भाई यिद आप पहली ककषा क िव ाथ हो और आपको एम ए म िबठाया जाय तो कया आप पास हो सकत हो नही दसरी तीसरी चौथी दसवी बारहवी बीए आिद पास करक ही आप एमए म वश कर सकत हो

िकसी चौकीदार पर कोई धानमनऽी अतयिधक सनन हो जाए तब भी वह उस सीधा कलकटर (िजलाधीश) नही बना सकता ऐस ही नाली म रहन वाला कीड़ा सीधा मनय तो नही

हो सकता बि क िविभनन योिनयो को पार करक ही मनय बन सकता ह हा इतना अवय ह िक सतकपा स उसका मागर छोटा हो जाता ह

सतसमागम की साध परषो स सग की मिहमा का कहा तक वणरन कर कस बयान कर एक सामानय कीड़ा उनक सतसग को पाकर महान ऋिष बन सकता ह तो िफर यिद मानव को िकसी सदगर का सािननधय िमल जाय उनक वचनानसार चल पड़ तो मि का अनभव करक जीवनम भी बन सकता ह

(अनबम)

पीड़ पराई जान र जञानी िकसी स यार करन क िलए बध हए नही ह और िकसी को डाटन म भी राजी

नही ह हमारी जसी यो यता होती ह ऐसा उनका वयवहार हमार ित होता ह लीलाशाह बाप क ौीचरणो म बहत लोग गय थ एक लड़का भी गया था वह मिणनगर

म रहता था िशवजी को जल चढ़ान क प ात ही वह जल पीता वह लड़का खब िन ा स धयान-भजन करता और सवा पजा करता

एक िदन कोई वयि राःत म बहोश पड़ा हआ था िशवजी को जल चढ़ान जात समय उस बालक न उस दखा और अपनी पजा-वजा छोड़कर उस गरीब की सवा म लग गया िबहार का कोई यवक था नौकरी की खोज म आया था कालपर(अहमदाबाद) ःटशन क लटफामर पर एक दो िदन रहा किलयो न मारपीट कर भगा िदया चलत-चलत मिणनगर म पनीत आौम की ओर रोटी की आशा म जा रहा था रोटी तो वहा नही िमलती थी इसिलए भख क कारण चलत-चलत राःत म िगर गया और बहोश हो गया

उस लड़क का घर पनीत आौम क पास ही था सबह क दस साढ़ दस बज थ वह लड़का घर स धयान-भजन स िनपटकर मिदर म िशवजी को जल चढ़ान क िलए जल का लोटा और पजा की साममी लकर जा रहा था उसन दखा िक राःत म कोई यवक पड़ा ह राःत म चलत-चलत लोग बोलत थः शराब पी होगी यह होगा वह होगा हम कया

लड़क को दया आई प य िकय हए हो तो रणा भी अचछ िमलती ह शभ कम स शभ रणा िमलती ह अपन पास की पजा साममी एक ओर रखकर उसन उस वयि को िहलाया बहत मिकल स उसकी आख खली कोई उस जत सघाता कोई कछ करता कोई कछ बोलता था

आख खोलत ही वह वयि धीर स बोलाः पानी पानी

लड़क न महादव जी क िलय लाया हआ जल का लोटा उस िपला िदया िफर दोड़कर घर जाकर अपन िहःस का दध लाकर उस िदया

यवक क जी म जी आया उसन अपनी वयथा बतात हए कहाः बाब जी म िबहार स आया ह मर बाप गजर गय काका िदन-रात टोकत रहत त िक

कमाओ नही तो खाओग कया नौकरी धधा िमलता नही ह भटकत-भटकत अहमदाबाद क ःटशन पर कली का काम करन का य िकया हमारी रोटी-रोजी िछन जायगी ऐसा समझकर किलयो न खब मारा पदल चलत-चलत मिणनगर ःटशन की ओर आत-आत यहा तीन िदन की भख और मार क कारण चककर आय और िगर गया

लड़क न उस िखलाया अपना इक ठा िकया हआ जबखचर का पसा िदया उस यवक को जहा जाना था वहा भजन की वयवःथा की इस लड़क क दय म आनद की वि हई अतर म आवाज आईः

बटा अब म तझ बहत ज दी िमलगा

लड़क न िकयाः अनदर कौन बोलता ह

उ र आयाः िजस िशव की त पजा करता ह वह तरा आतमिशव अब म तर दय म कट होऊगा सवा क अिधकारी की सवा मझ िशव की ही सवा ह

उस िदन उस अतयारमी न अनोखी ऱणा और ोतसाहन िदया वह लड़का तो िनकल पड़ा घर छोड़कर ई र-साकषातकार करन क िलए कदारनाथ वनदावन होत हए निनताल क अर य म पहचा

कदारनाथ क दशरन पाय लकषािधपित आिशष पाय

इस आशीवारद को वापस कर ई राि क िलए िफर पजा की उसक पास जो कछ रपय पस थ उनह वनदावन म साध-सतो एव गरीबो म भ डारा करक खचर कर िदया था थोड़ स पस लकर निनताल क अर यो म पहचा लोकलाड़ल लाखो दयो को हिररस िपलात पजयपाद सदगर ौी लीलाशाह बाप की राह दखत हए चालीस िदन बीत गय गरवर ौी लीलाशाह को अब पणर समिपरत िशय िमला पणर खजाना ा करन वाला पिवऽातमा िमला पणर गर की पणर िशय िमला

िजस लड़क क िवषय म यह कथा पढ़ रह ह वह लड़का कौन होगा जानत हो

पणर गर कपा िमली पणर गर का जञान आसमल स हो गय साई आसाराम

अब तो समझ ही गय होग (उस लड़क क वश म छप हए थ पवर जनम क योगी और वतरमान म िव िव यात हमार

पजयपाद सदगरदव ौी आसाराम जी महाराज)

(अनबम)

िवकास क बिरयो स सावधान किपलवःत क राजा श ोदन का यवराज था िस ाथर यौवन म कदम रखत ही िववक

और वरा य जाग उठा यवान प ी यशोधरा और नवजात िशश राहल की मोह-ममता की रशमी जजीर काटकर महाभीिनबमण (गहतयाग) िकया एकानत अर य म जाकर गहन धयान साधना करक अपन साधय त व को ा कर िलया

एकानत म तप यार और धयान साधना स िखल हए इस आधयाितमक कसम की मधर

सौरभ लोगो म फलन लगी अब िस ाथर भगवान ब क नाम स जन-समह म िस हए हजारो हजारो लोग उनक उपिद मागर पर चलन लग और अपनी अपनी यो यता क मतािबक आधयाितमक याऽा म आग बढ़त हए आितमक शाित ा करन लग अस य लोग बौ िभकषक बनकर भगवान ब क सािननधय म रहन लग उनक पीछ चलन वाल अनयायीओ का एक सघ ःथािपत हो गया चह ओर नाद गजन लग िकः

ब शरण गचछािम धमम शरण गचछािम सघ शरण गचछािम

ौावःती नगरी म भगवान ब का बहत यश फला लोगो म उनकी जय-जयकार होन लगी लोगो की भीड़-भाड़ स िवर होकर ब नगर स बाहर जतवन म आम क बगीच म रहन लग नगर क िपपास जन बड़ी तादाद म वहा हररोज िनि त समय पर पहच जात और उपदश-वचन सनत बड़-बड़ राजा महाराजा भगवान ब क सािननधय म आन जान लग

समाज म तो हर कार क लोग होत ह अनािद काल स दवी समपदा क लोग एव आसरी समपदा क लोग हआ करत ह ब का फलता हआ यश दखकर उनका तजो ष करन वाल लोग जलन लग सतो क साथ हमशा स होता आ रहा ह ऐस उन द त वो न ब को बदनाम करन क िलए कचार िकया िविभनन कार की यि -यि या लड़ाकर ब क यश को हािन पहच ऐसी बात समाज म व लोग फलान लग उन द ो न अपन ष यऽ म एक वया को समझा-बझाकर शािमल कर िलया

वया बन-ठनकर जतवन म भगवान ब क िनवास-ःथानवाल बगीच म जान लगी

धनरािश क साथ द ो का हर कार स सहारा एव ोतसाहन उस िमल रहा था रािऽ को वही रहकर सबह नगर म वािपस लोट आती अपनी सिखयो म भी उसन बात फलाई

लोग उसस पछन लगः अरी आजकल त िदखती नही ह कहा जा रही ह रोज रात को

म तो रोज रात को जतवन जाती ह व ब िदन म लोगो को उपदश दत ह और रािऽ क समय मर साथ रगरिलया मनात ह सारी रात वहा िबताकर सबह लोटती ह

वया न परा ीचिरऽ आजमाकर ष यऽ करन वालो का साथ िदया लोगो म पहल तो हलकी कानाफसी हई लिकन जयो-जयो बात फलती गई तयो-तयो लोगो म जोरदार िवरोध होन लगा लोग ब क नाम पर िफटकार बरसान लग ब क िभकषक बःती म िभकषा लन जात तो लोग उनह गािलया दन लग ब क सघ क लोग सवा-वि म सल न थ उन लोगो क सामन भी उगली उठाकर लोग बकवास करन लग

ब क िशय जरा असावधान रह थ कचार क समय साथ ही साथ स चार होता तो कचार का इतना भाव नही होता िशय अगर िनिबय रहकर सोचत रह जाय िक करगा सो भरगा भगवान उनका नाश करग तो कचार करन वालो को ख ला मदान िमल जाता ह

सत क सािननधय म आन वाल लोग ौ ाल सजजन सीध साद होत ह जबिक द वि करन वाल लोग किटलतापवरक कचार करन म कशल होत ह िफर भी िजन सतो क पीछ सजग समाज होता ह उन सतो क पीछ उठन वाल कचार क तफान समय पाकर शात हो जात ह और उनकी सतवि या काशमान हो उठती ह

कचार न इतना जोर पकड़ा िक ब क िनकटवत लोगो न ऽािहमाम पकार िलया व समझ गय िक यह वयविःथत आयोजनपवरक ष यऽ िकया गया ह ब ःवय तो पारमािथरक सतय म जाग हए थ व बोलतः सब ठ क ह चलन दो वयवहािरक सतय म वाहवाही दख ली अब िननदा भी दख ल कया फकर पड़ता ह

िशय कहन लगः भनत अब सहा नही जाता सघ क िनकटवत भ भी अफवाहो क िशकार हो रह ह समाज क लोग अफवाहो की बातो को सतय मानन लग गय ह

ब ः धयर रखो हम पारमािथरक सतय म िवौाित पात ह यह िवरोध की आधी चली ह तो शात भी हो जाएगी समय पाकर सतय ही बाहर आयगा आिखर म लोग हम जानग और मानग

कछ लोगो न अगवानी का झ डा उठाया और राजयस ा क समकष जोर-शोर स माग की

िक ब की जाच करवाई जाय लोग बात कर रह ह और वया भी कहती ह िक ब रािऽ को मर साथ होत ह और िदन म सतसग करत ह

ब क बार म जाच करन क िलए राजा न अपन आदिमयो को फरमान िदया अब ष यऽ करनवालो न सोचा िक इस जाच करन वाल पच म अगर सचचा आदमी आ जाएगा तो अफवाहो का सीना चीरकर सतय बाहर आ जाएगा अतः उनहोन अपन ष यऽ को आिखरी

पराका ा पर पहचाया अब ऐस ठोस सबत खड़ा करना चािहए िक ब की ितभा का अःत हो जाय

उनहोन वया को दार िपलाकर जतवन भज िदया पीछ स ग डो की टोली वहा गई वया पर बलातकार आिद सब द कतय करक उसका गला घोट िदया और लाश को ब क बगीच म गाड़कर पलायन हो गय

लोगो न राजयस ा क ार खटखटाय थ लिकन स ावाल भी कछ लोग द ो क साथ जड़ हए थ ऐसा थोड़ ही ह िक स ा म बठ हए सब लोग दध म धोय हए वयि होत ह

राजा क अिधकािरयो क ारा जाच करन पर वया की लाश हाथ लगी अब द ो न जोर-शोर स िच लाना शर कर िदया

दखो हम पहल ही कह रह थ वया भी बोल रही थी लिकन तम भगतड़ लोग मानत ही नही थ अब दख िलया न ब न सही बात खल जान क भय स वया को मरवाकर बगीच म गड़वा िदया न रहगा बास न बजगी बासरी लिकन सतय कहा तक िछप सकता ह म ामाल हाथ लग गया इस ठोस सबत स ब की असिलयत िस हो गई सतय बाहर आ गया

लिकन उन मख का पता नही िक तमहारा बनाया हआ कि पत सतय बाहर आया वाःतिवक सतय तो आज ढाई हजार वषर क बाद भी वसा ही चमक रहा ह आज ब को लाखो लोग जानत ह आदरपवरक मानत ह उनका तजो ष करन वाल द लोग कौन-स नरको म जलत होग कया पता

ढाई हजार वषर पहल ब क जमान म भी सतो क साथ ऐसा घोर अनयाय हआ करता था ऋिष दयाननद को भी ऐस ही त वो न तजो ष क कारण बाईस बार िवष दकर मार डालन का यास िकया ःवामी िववकाननद और ःवामी रामतीथर क पीछ भी द लोगो न वया को तयार करक कीचड़ उछाला था

एक ओर लाखो-लाखो लोग सतो की अनभवय वाणी स अपना वयावहािरक ETH आधयाितमक जीवन उननत करक सख-शाित पात ह दसरी ओर कछ द कित क ःवाथ लोग अपना उ ल सीधा करन क िलए ऐस महापरषो क िवर म ष यऽ रचकर उनको बदनाम करत ह यह तो पहल स चला आ रहा ह सत कबीर हो या नानक एकनाथ महाराज हो या सत तकाराम नरिसह महता हो या मीराबाई ायः सभी सतो को अपन जीवन क दौरान समाज क किटल त वो स पाला पड़ता ही रहा ह जीसस बाइःट को इनही त वो न बॉस पर चढ़ाया था उनही लोगो न सकरात को जहर िपलाकर मतयद ड िदया था मनसर को इसी जमात न शली पर चढ़ाया था ईसाई धमर म माट न यथर पर ज म िकया गया था अण-अण म ई र और नारीमाऽ म जगजजननी भगवती का दशरन करन वाल रामकण परमहस को भी लोगो न नही

छोड़ा था परमहस योगाननद रवीनिनाथ टगोर माट न यथर दिकषण भारत क सत ितरव लवर जापानी झन सत बाबो इितहास म िकतन-िकतन उदाहरण मौजद ह

हािसद धमरगर बा शमटोव अित पिवऽ आतमा थ िननदको न उनक इदरिगदर भी मायाजाल िबछा दी थी िसध क साई टउराम क पास अस य लोग आतमक याण हत जान लग तब िवकत िदमागवालो न उन सत को भी ऽास दना शर कर िदया उनक आौम क चह ओर गदगी डाल दत और कए म िम टी का तल उड़लकर पानी बकार कर दत मगल बादशाह बाबर को बहका कर उनही लोगो न गर नानक को कद करवाया था

भगवान ौीराम एव ौीकण को भी द जनो न छोड़ा नही था भगवान ौीराम क गर विश जी महाराज कहत हः

ह राम जी म जब बाजार स गजरता ह तब अजञानी मखर लोग मर िलए कया बकत ह म सब जानता ह लिकन मरा दयाल ःवभाव ह म इन सबका क याण चाहता ह

तमहार साथ यह ससार कछ अनयाय करता ह तमको बदनाम करता ह िननदा करता ह तो यह ससार की परानी रीत ह मनय की हीनवि कचार िननदाखोरी यह आजकल की ही बात नही ह अनािदकाल स ऐसा होता आया ह तम अपन आतमजञान क सःकार जगाकर आतमबल का िवकास करत जाओ मःकरात जाओ आधी तफानो को लाघकर आननदपवरक जीत जाओ

उस जमान म भगवान ब क पास आकर एक िभकषक न ाथरना कीः भनत मझ आजञा द म सभाए भरगा आपक िवचारो का चार करगा

मर िवचारो का चार

हा भगवन म बौ धमर फलाऊगा

लोग तरी िननदा करग गािलया दग

कोई हजर नही म भगवन को धनयवाद दगा िक य लोग िकतन अचछ ह य कवल श दहार करत ह मझ पीटत तो नही

लोग तझ पीटग भी तो कया करोग

भो म शब गजारगा िक य लोग हाथो स पीटत ह पतथर तो नही मारत

लोग पतथर भी मारग और िसर भी फोड़ दग तो कया करगा

िफर भी म आ ःत रहगा और भगवान का िदवय कायर करता रहगा कयोिक व लोग मरा िसर फोड़ग लिकन ाण तो नही लग

लोग जनन म आकर तझ मार दग तो कया करगा

भनत आपक िदवय िवचारो का चार करत-करत म मर भी गया तो समझगा िक मरा जीवन सफल हो गया

उस कतिन यी िभकषक की दढ़ िन ा दखकर भगवान ब सनन हो उठ उस पर उनकी करणा बरस पड़ी

ऐस िशय जब ब का चार करन िनकल पड़ तब कचार करन वाल धीर-धीर शात हो गय मनयो की उगिलया काट-काटकर माला बनाकर पहनन वाला अगिलमाल जसा बर हतयारा भी दयपिरवतरन पाकर ब की शरण म िभकषक होकर रहन लगा

आज हम ब को बहत आदर स जानत ह मानत ह उनक जीवनकाल क दौरान उनक पीछ लग हए द लोग कौन स नरक म सड़त होग रौरव नरक म या कभीपाक नरक म कौन-सी योिनयो म भटकत होग सअर बन होग िक नाली क कीड़ बन होग शतान बन होग िक राकषस बन होग मझ पता नही लिकन ब तो करोड़ो दयो म बस रह ह यह म मानता ह

सतय तो परमाथर ह आतमा ह परमातमा ह उसम िजतना िटकोग उतना तमहारा मगल होगा तमहारी िनगाह िजन पर पड़गी उनका भी मगल होगा

(अनबम)

कछ जानन यो य बात सय दय स पवर उठकर ःनान कर लना चािहए ातः खाली पट मटक का बासी पानी

पीना ःवाःथयद ह तलसी क प सय दय क प ात ही तोड़ दध म तलसी क प नही डालन चािहए तथा

दध क साथ खान भी नही चािहए तलसी क प खाकर थोड़ा पानी पीना िपय जलनित स पिह सौ कार क लाभ होत ह अपन मिःतक म एक कार का िवजाितय

िवय उतपनन होता ह यिद वह िवय वही अटक जाता ह तो बचपन म ही बाल सफद होन लगत ह इसस नजल की बीमारी भी होती ह यिद वह िवय नाक की तरफ आता ह तो सगनध-दगरनध का पता नही चल पाता और ज दी-ज दी जकाम हो जाता ह यिद वह िवय कान की तरफ आता ह तो कान बहर होन लगत ह और छोट-मोट ब ीस रोग हो सकत ह यिद वह िवय दात की तरफ आय तो दात छोटी उ म ही िगरन लगत ह यिद आख की तरफ वह िवय उतर तो चम लगन लगत ह जलनित यािन नाक स पानी खीचकर मह स िनकाल दन स वह िवय िनकल जाता ह गल क ऊपर क ायः सभी रोगो स मि िमल जाती ह

आईसबीम खान क बाद चाय पीना दातो क िलए अतयािधक हािनकारक होता ह

भोजन को पीना चािहए तथा पानी को खाना चािहए इसका मतलब यह ह िक भोजन को इतना चबाओ िक वह पानी की तरह पतला हो जाय और पानी अथवा अनय पय पदाथ को धीर-धीर िपयो

िकसी भी कार का पय पदाथर पीना हो तो दाया नथना बनद करक िपय इसस वह अमत जसा हो जाता ह यिद दाया ःवर(नथना) चाल हो और पानी आिद िपय तो जीवनशि (ओज) पतली होन लगती ह चयर की रकषा क िलए शरीर को तनदरःत रखन क िलए यह योग करना चािहए

तम चाह िकतनी भी महनत करो िकनत िजतना तमहारी नसो म ओज ह चयर की शि ह उतन ही तम सफल होत हो जो चाय-कॉफी आिद पीत ह उनका ओज पतला होकर पशाब ारा न होता जाता ह अतः चयर की रकषा क िलए चाय-कॉफी जस वयसनो स दर रहना रह

पढ़न क बाद थोड़ी दर शात हो जाना चािहए जो पढ़ा ह उसका मनन करो िशकषक ःकल म जब पढ़ात हो तब धयान स सनो उस व मःती-मजाक नही करना चािहए िवनोद-मःती कम स कम करो और समझन की कोिशश अिधक करो

जो सय दय क पवर नही उठता उसक ःवभाव म तमस छा जाता ह जो सय दय क पवर उठता ह उसकी बि शि बढ़ती ह

नीद म स उठकर तरत भगवान का धयान करो आतमःनान करो धयान म रिच नही होती तो समझना चािहए िक मन म दोष ह उनह िनकालन क िलए कया करना चािहए

मन को िनद ष बनान क िलए सबह-शाम माता-िपता को णाम करना चािहए गरजनो को णाम करना चािहए एव भगवान क नाम का जप करना चािहए भगवान स ाथरना करनी चािहए िक ह भगवान ह मर भ मरी धयान म रिच होन लग ऐसी कपा कर दो िकसी समय गद िवचार िनकल आय तो समझना चािहए िक अदर छप हए िवचार िनकल रह ह अतः खश होना चािहए िवचार आया और गया मर राम तो दय म ही ह ऐसी भावना करनी चािहए

िनदा करना तो अचछा नही ह िकनत िनदा सनना भी उिचत नही (अनबम)

शयन की रीत मनय को िकस ढग स सोना चािहए इसका भी तरीका होता ह सोत व पवर अथवा

दिकषण िदशा की ओर िसर करक ही सोना चािहए

भोजन करन क बाद िदन म दस िमनट आराम कर िकनत सोय नही भोजन क बाद दस िमनट बायी करवट लट सकत ह रािऽ को जागरण िकया हो इस कारण स कभी िदन म सोना पड़ वह अलग बात ह

सोत व नीच कोई गमर कबल आिद िबछाकर सोय तािक आपकी जीवनशि अिथग न हो जाय आपक शरीर की िव तशि भिम म न उतर जाय

(अनबम)

ःनान का तरीका शरीर की मजबती एव आरो यता क िलए रगड़-रगड़कर ःनान करना चािहए जो लोग

ठड दशो म रहत ह उनका ःवाःथय गमर दस क लोगो की अपकषा अचछा होता ह ठडी स अपना शरीर सधरता ह

ःनान करत व 12-15 िलटर पानी बा टी म लकर पहल उसम िसर डबाना चािहए िफर पर िभगोना चािहए पहल पर गील नही करन चािहए शरीर की गम ऊपर की ओर चढ़ती ह जो ःवाःथय क िलए हािनकारक होती ह

अतः पहल ठड पानी की बा टी भर ल िफर मह म पानी भरकर िसर को बा टी म डाल और आख पटपटाए इसस आखो की शि बढ़ती ह शरीर को रगड़-रगड़कर नहाए बाद म गील व स शरीर को रगड़-रगड़कर पोछ िजसस रोम कप का सारा मल बाहर िनकल जाय और रोमकप(तवचा क िछि) खल जायय तवचा क िछि बद रहन स ही तवचा की कई बीमािरया होती ह िफर सख कपड़ स शरीर को पोछ कर (अथवा थोड़ा गीला हो तब भी चल) सख साफ व पहन ल व भल साद हो िकनत साफ हो बासी कपड़ नही पहन हमशा धल हए कपड़ ही पहन इसस मन भी सनन रहता ह

पाच कार क ःनान होत हः ःनान दवःनान ऋिषःनान मानवःनान दानवःनान ःनानः -परमातमा का िचतन करक जल थल नहान वाला

ऐसा िचतन करक ा महतर म नहाना इस ःनान कहत ह दवःनानः दवनिदयो म ःनान या दवनिदयो का ःमरण करक सय दय स पवर नहाना यह

दवःनान ह ऋिषःनानः आकाश म तार िदखत हो और नहा ल यह ऋिषःनान ह ऋिषःनान करन

वाल की बि बड़ी तजःवी होती ह मानवःनानः सय दय क पवर का ःनान मानवःनान ह

दानवःनानः सय दय क प ात चाय पीकर नाता करक आठ नौ बज नहाना यह दानव ःनान ह

अतः हमशा ऋिषःनान करन का ही यास करना चािहए (अनबम)

ःवचछता का धयान यिद शरीर की सफाई रखी जाय तो मन भी सनन रहता ह आजकल अिधकतर लोग

श स ही मजन करत ह श की अपकषा नीम और बबल की दातौन जयादा अचछ होती ह और यिद श भी कर तो कभी-कभार श को गमर पानी स धोना चािहए अनयथा उसम बकटिरया(जीवाण) रह जात ह

िकतन ही लोग उगली स दात साफ करत ह तजरनी (अगठ क पास वाली थम उगली) स दात िघसन स मसड़ कमजोर हो जात ह तथा दात ज दी िगर जात ह कयोिक तजरनी म िव तशि का माण दसरी उगिलयो की अपकषा अिधक होता ह अतः उसस दात नही िघसन चािहए एव आखो को भी नही मसलना चािहए

िजस िदशा स हवा आती हो उस िदशा की ओर मह करक कभी-भी मलमऽ का िवसजरन नही करना चािहए सयर और चनिमा की ओर मख करक भी मलमऽ का िवसजरन नही करना चािहए

(अनबम)

ःमरणशि का िवकास यादशि बढ़ान का एक सनदर योग ह ETH ामरी ाणायाम सखासन प ासन या

िस ासन पर बठ हाथ की कोहनी की ऊचाई कनध तक रह इस कार रखकर हाथ की थम उगली(तजरनी) स दोनो कानो को धीर-स बद कर एकदम जोर स बद न कर िकनत बाहर का कछ सनाई न द इस कार धीर स कान बनद कर

अब गहर ास लकर थोड़ी दर रोक ओठ बद रखकर जस मर का गजन होता ह वस ॐsssss कहत हए गजन कर उसक बाद थोड़ी दर तक ास न ल पनः यही िबया दहराय ऐसा सबह एव शाम 8 स 10 बार कर यादशि बढ़ान का यह यौिगक योग ह इसस मिःतक की नािड़यो का शोधन होकर मिःतक म र सचार उिचत ढग स होता ह

और िवचार करन स भी बि शि का िवकास होता ह

सबह खाली पट तलसी क प एकाध काली िमचर चबाकर एक िगलास पानी पीन स भी ःमरणशि का िवकास होता ह रोग-ितकारक शि बढ़ती ह कनसर की बीमारी कभी नही होती जलदर-भगदर की बीमारी भी कभी नही होती

(अनबम)

वयि तव और वयवहार िकसी भी वयि तव का पता उसक वयवहार स ही चलता ह कई लोग वयथर च ा करत

ह एक होती ह सकाम च ा दसरी होती ह िनकाम च ा और तीसरी होती ह वयथर च ा वयथर च ा नही करनी चािहए िकसी क शरीर म कोई कमी हो तो उसका मजाक नही उड़ाना चािहए वरन उस मददरप बनना चािहए यह िनकाम सवा ह

िकसी की भी िनदा नही करनी चािहए िनदा करन वाला वयि िजसकी िनदा करता ह उसका तो इतना अिहत नही होता िजतना वह अपना अिहत करता ह जो दसरो की सवा करता ह दसरो क अनकल होता ह वह दसरो का िजतना िहत करता ह उसकी अपकषा उसका खद का िहत जयादा होता ह

अपन स जो उ स बड़ हो जञान म बड़ हो तप म बड़ हो उनका आदर करना चािहए िजस मनय क साथ बात करत हो वह मनय कौन ह यह जानकर बात करो तो आप वयवहार-कशल कहलाओग

िकसी को पऽ िलखत हो तो यिद अपन स बड़ हो तो ौी सबोधन करक िलखो सबोधन करन स सवाकयो की रचना स िश ता बढ़ती ह िकसी स बात करो तो सबोधन करक बात करो जो तकार स बात करता ह वह अिश कहलाता ह िश तापवरक बात करन स अपनी इजजत बढ़ती ह

िजसक जीवन म वयवहार-कशलता ह वह सभी कषऽो म सफल होता ह िजसम िवनता ह वही सब कछ सीख सकता ह िवनता िव ा बढ़ाती ह िजसक जीवन म िवनता नही ह समझो उसक सब काम अधर रह गय और जो समझता ह िक म सब कछ जानता ह वह वाःतव म कछ नही जानता

एक िचऽकार अपन गरदव क सममख एक सनदर िचऽ बनाकर लाया गर न िचऽ दखकर कहाः

वाह वाह सनदर ह अदभत ह

िशय बोलाः गरदव इसम कोई ऽिट रह गयी हो तो कपा करक बताइए इसीिलए म आपक चरणो म आया ह

गरः कोई ऽिट नही ह मझस भी जयादा अचछा बनाया ह

वह िशय रोन लगा उस रोता दखकर गर न पछाः तम कयो रो रह हो म तो तमहारी शसा कर रहा ह

िशयः गरदव मरी घड़ाई करन वाल आप भी यिद मरी शसा ही करग तो मझ मरी गि तया कौन बतायगा मरी गित कस होगी

यह सनकर गर अतयत सनन हो गय हमन िजतना जाना िजतना सीखा ह वह तो ठ क ह उसस जयादा जान सक सीख सक

ऐसा हमारा यास होना चािहए रामकण परमहस व हो गय थ िकसी न उनस पछाः बाबा जी आपन सब कछ जान

िलया ह

रामकण परमहसः नही म जब तक जीऊगा तब तक िव ाथ ही रहगा मझ अभी बहत कछ सीखना बाकी ह

िजनक पास सीखन को िमल उनस िवनतापवरक सीखना चािहए जो कछ सीखो सावधानीपवरक सीखो जीवन म िवनोद जररी ह िकनत िवनोद की अित न हो िजस समय पढ़त हो कछ सीखत हो कछ करत हो उस समय मःती नही िवनोद नही वरन जो कछ पढ़ो सीखो या करो उस उतसाह स धयान स और सावधानी स करो

पढ़न स पवर थोड़ धयानःथ हो जाओ पढ़न क बाद मौन हो जाओ यह गित की चाबी ह

माता-िपता स िचढ़ना नही चाह िजस मा-बाप न जनम िदया ह उनकी बातो को समझना चािहए अपन िलए उनक मन म िवशष दया हो िवशष म उतपनन हो ऐसा वयवहार करना चािहए

भल जाओ भल सब कछ माता-िपता को भलना नही अनिगनत उपकार ह उनक यह कभी िबसरना नही

माता-िपता को सतोष हो उनका दय सनन हो ऐसा हमारा वयवहार होना चािहए अपन माता-िपता एव गरजनो को सत रखकर ही हम सचची गित कर सकत ह

(अनबम)

  • पजय बाप जी का उदबोधन
  • कदम अपना आग बढाता चला जा
  • त गलाब होकर महक
  • जीवन विकास का मल सयम
  • तरिकाल सधया
  • शरीर सवासथय
  • अनन का परभाव
  • भारतीय ससकति की महानता
  • हरिदास की हरिभकति
  • बनावटी शरगार स बचो
  • साहसी बालक
  • गर-आजञापालन का चमतकार
  • अनोखी गरदकषिणा
  • सतसग की महिमा
  • पीड पराई जान र
  • विकास क बरियो स सावधान
  • कछ जानन योगय बात
  • शयन की रीत
  • सनान का तरीका
  • सवचछता का धयान
  • समरणशकति का विकास
  • वयकतितव और वयवहार
Page 29: Tu gulabhokarmehak

उस दखकर अजरन को हआ िक क को चोट न लग इस ढग स बाण मह म घसाकर रख दना यह िव ा तो म भी नही जानता यह कस सभव हआ वह गर िोणाचायर स बोलाः

गरदव आपन तो कहा था िक मरी बराबरी का दसरा कोई धनधाररी नही होगा िकनत ऐसी िव ा तो मझ भी नही आती

िोणाचायर को हआ िक दख इस अर य म कौन-सा ऐसा कशल धनधरर ह आग जाकर दखा तो वह था िहर यधन का पऽ गरभ एकलवय

िोणाचायर न पछाः बटा यह िव ा त कहा स सीखा

एकलवय बोलाः गरदव आपकी ही कपा स सीखा ह

िोणाचायर तो वचन द चक थ िक अजरन की बराबरी का धनधरर दसरा कोई न होगा िकनत यह तो आग िनकल गया गर क िलए धमरसकट खड़ा हो गया एकलवय की अटट ौ ा दखकर िोणाचायर न कहाः मरी मितर को सामन रखकर त धनिवर ा तो सीखा िकनत गरदिकषणा

एकलवयः जो आप माग

िोणाचायरः तर दाय हाथ का अगठा

एकलवय न एक पल भी िवचार िकय िबना अपन दाय हाथ का अगठा काटकर गरदव क चरणो म अपरण कर िदया

िोणाचायरः बटा भल ही अजरन धनिवर ा म सबस आग रह कयोिक म उस वचन द चका ह िकनत जब तक सयर चनि नकषऽो का अिःततव रहगा तब तक लोग तरी गरिन ा का तरी गरभि का ःमरण करग तरा यशोगान होता रहगा

उसकी गरभि और एकामता न उस धनिवर ा म तो सफलता िदलायी ही लिकन सतो क दय म भी उसक िलए आदर गट करवा िदया धनय ह एकलवय जो गरमितर स रणा पाकर धनिवर ा म सफल हआ और िजसन अदभत गरदिकषणा दकर साहस तयाग और समपरण का पिरचय िदया

(अनबम)

सतसग की मिहमा तलसीदास जी महाराज कहत ह ETH

एक घड़ी आधी घड़ी आधी म पिन आध तलसी सगत साध की हर कोिट अपराध

एक बार शकदव जी क िपता भगवान वदवयासजी महाराज कही जा रह थ राःत म उनहोन दखा िक एक कीड़ा बड़ी तजी स सड़क पार कर रहा था

वदवयासजी न अपनी योगशि दत हए उसस पछाः त इतनी ज दी सड़क कयो पार कर रहा ह कया तझ िकसी काम स जाना ह त तो

नाली का कीड़ा ह इस नाली को छोड़कर दसरी नाली म ही तो जाना ह िफर इतनी तजी स कयो भाग रहा ह

कीड़ा बोलाः बाबा जी बलगाड़ी आ रही ह बलो क गल म बध घघर तथा बलगाड़ी क पिहयो की आवाज म सन रहा ह यिद म धीर-धीर सड़क पार करगा तो वह बलगाड़ी आकर मझ कचल डालगी

वदवयासजीः कचलन द कीड़ की योिन म जीकर भी कया करना

कीड़ाः महिषर ाणी िजस शरीर म होता ह उसको उसम ही ममता होती ह अनक ाणी नाना कार क क ो को सहत हए भी मरना नही चाहत

वदवयास जीः बलगाड़ी आ जाय और त मर जाय तो घबराना मत म तझ योगशि स महान बनाऊगा जब तक ा ण शरीर म न पहचा द अनय सभी योिनयो स शीय छटकारा िदलाता रहगा

उस कीड़ न बात मान ली और बीच राःत पर रक गया और मर गया िफर वदवयासजी की कपा स वह बमशः कौआ िसयार आिद योिनयो म जब-जब भी उतपनन हआ वयासजी न जाकर उस पवरजनम का ःमरण िदला िदया इस तरह वह बमशः मग पकषी शि वय जाितयो म जनम लता हआ कषिऽय जाित म उतपनन हआ उस वहा भी वदवयासजी दशरन िदय थोड़ िदनो म रणभिम म शरीर तयागकर उसन ा ण क घर जनम िलया

भगवान वदवयास जी न उस पाच वषर की उ म सारःवतय मऽ द िदया िजसका जप करत-करत वह धयान करन लगा उसकी बि बड़ी िवलकषण होन पर वद शा धमर का रहःय समझ म आ गया

सात वषर की आय म वदवयास जी न उस कहाः काि रक कषऽ म कई वष स एक ा ण ननदभि तपःया कर रहा ह तम जाकर उसकी

शका का समाधान करो

माऽ सात वषर का ा ण कमार काि रक कषऽ म तप कर रह उस ा ण क पास पहच कर बोलाः

ह ा णदव आप तप कयो कर रह ह

ा णः ह ऋिषकमार म यह जानन क िलए तप कर रहा ह िक जो अचछ लोग ह सजजन लोग ह व सहन करत ह दःखी रहत ह और पापी आदमी सखी रहत ह ऐसा कयो ह

बालकः पापी आदमी यिद सखी ह तो पाप क कारण नही वरन िपछल जनम का कोई प य ह उसक कारण सखी ह वह अपन प य खतम कर रहा ह पापी मनय भीतर स तो दःखी ही होता ह भल ही बाहर स सखी िदखाई द

धािमरक आदमी को ठ क समझ नही होती उिचत िदशा व मऽ नही िमलता इसिलए वह दःखी होता ह वह धमर क कारण दःखी नही होता अिपत समझ की कमी क कारण दःखी होता ह समझदार को यिद कोई गर िमल जाय तो वह नर म स नारायण बन जाय इसम कया आ यर ह

ा णः म इतना बढ़ा हो गया इतन वष स काि रक कषऽ म तप कर रहा ह मर तप का फल यही ह िक तमहार जस सात वषर क योगी क मझ दशरन हो रह ह म तमह णाम करता ह

बालकः नही नही महाराज आप तो भदव ह म तो बालक ह म आपको णाम करता ह

उसकी नता दखकर ा ण और खश हआ तप छोड़कर वह परमातमिचनतन म लग गया अब उस कछ जानन की इचछा नही रही िजसस सब कछ जाना जाता ह उसी परमातमा म िवौाित पान लग गया

इस कार ननदभि ा ण को उ र द िनःशक कर सात िदनो तक िनराहार रहकर वह बालक सयरमनऽ का जप करता रहा और वही बहदक तीथर म उसन शरीर तयाग िदया वही बालक दसर जनम म कषार िपता एव िमऽा माता क यहा गट हआ उसका नाम मऽय पड़ा इनहोन वयासजी क िपता पराशरजी स िवण-पराण तथा बहत पाराशर होरा शा का अधययन िकया था पकषपात रिहत अनभवकाश नामक मनथ म मऽय तथा पराशर ऋिष का सवाद आता ह

कहा तो सड़क स गजरकर नाली म िगरन जा रहा कीड़ा और कहा सत क सािननधय स वह मऽय ऋिष बन गया सतसग की बिलहारी ह इसीिलए तलसीदास जी कहत ह ETH

तात ःवगर अपवगर सख धिरअ तला एक अग तल न तािह सकल िमली जो सख लव सतसग

यहा एक शका हो सकती ह िक वह कीड़ा ही मऽय ऋिष कयो नही बन गया

अर भाई यिद आप पहली ककषा क िव ाथ हो और आपको एम ए म िबठाया जाय तो कया आप पास हो सकत हो नही दसरी तीसरी चौथी दसवी बारहवी बीए आिद पास करक ही आप एमए म वश कर सकत हो

िकसी चौकीदार पर कोई धानमनऽी अतयिधक सनन हो जाए तब भी वह उस सीधा कलकटर (िजलाधीश) नही बना सकता ऐस ही नाली म रहन वाला कीड़ा सीधा मनय तो नही

हो सकता बि क िविभनन योिनयो को पार करक ही मनय बन सकता ह हा इतना अवय ह िक सतकपा स उसका मागर छोटा हो जाता ह

सतसमागम की साध परषो स सग की मिहमा का कहा तक वणरन कर कस बयान कर एक सामानय कीड़ा उनक सतसग को पाकर महान ऋिष बन सकता ह तो िफर यिद मानव को िकसी सदगर का सािननधय िमल जाय उनक वचनानसार चल पड़ तो मि का अनभव करक जीवनम भी बन सकता ह

(अनबम)

पीड़ पराई जान र जञानी िकसी स यार करन क िलए बध हए नही ह और िकसी को डाटन म भी राजी

नही ह हमारी जसी यो यता होती ह ऐसा उनका वयवहार हमार ित होता ह लीलाशाह बाप क ौीचरणो म बहत लोग गय थ एक लड़का भी गया था वह मिणनगर

म रहता था िशवजी को जल चढ़ान क प ात ही वह जल पीता वह लड़का खब िन ा स धयान-भजन करता और सवा पजा करता

एक िदन कोई वयि राःत म बहोश पड़ा हआ था िशवजी को जल चढ़ान जात समय उस बालक न उस दखा और अपनी पजा-वजा छोड़कर उस गरीब की सवा म लग गया िबहार का कोई यवक था नौकरी की खोज म आया था कालपर(अहमदाबाद) ःटशन क लटफामर पर एक दो िदन रहा किलयो न मारपीट कर भगा िदया चलत-चलत मिणनगर म पनीत आौम की ओर रोटी की आशा म जा रहा था रोटी तो वहा नही िमलती थी इसिलए भख क कारण चलत-चलत राःत म िगर गया और बहोश हो गया

उस लड़क का घर पनीत आौम क पास ही था सबह क दस साढ़ दस बज थ वह लड़का घर स धयान-भजन स िनपटकर मिदर म िशवजी को जल चढ़ान क िलए जल का लोटा और पजा की साममी लकर जा रहा था उसन दखा िक राःत म कोई यवक पड़ा ह राःत म चलत-चलत लोग बोलत थः शराब पी होगी यह होगा वह होगा हम कया

लड़क को दया आई प य िकय हए हो तो रणा भी अचछ िमलती ह शभ कम स शभ रणा िमलती ह अपन पास की पजा साममी एक ओर रखकर उसन उस वयि को िहलाया बहत मिकल स उसकी आख खली कोई उस जत सघाता कोई कछ करता कोई कछ बोलता था

आख खोलत ही वह वयि धीर स बोलाः पानी पानी

लड़क न महादव जी क िलय लाया हआ जल का लोटा उस िपला िदया िफर दोड़कर घर जाकर अपन िहःस का दध लाकर उस िदया

यवक क जी म जी आया उसन अपनी वयथा बतात हए कहाः बाब जी म िबहार स आया ह मर बाप गजर गय काका िदन-रात टोकत रहत त िक

कमाओ नही तो खाओग कया नौकरी धधा िमलता नही ह भटकत-भटकत अहमदाबाद क ःटशन पर कली का काम करन का य िकया हमारी रोटी-रोजी िछन जायगी ऐसा समझकर किलयो न खब मारा पदल चलत-चलत मिणनगर ःटशन की ओर आत-आत यहा तीन िदन की भख और मार क कारण चककर आय और िगर गया

लड़क न उस िखलाया अपना इक ठा िकया हआ जबखचर का पसा िदया उस यवक को जहा जाना था वहा भजन की वयवःथा की इस लड़क क दय म आनद की वि हई अतर म आवाज आईः

बटा अब म तझ बहत ज दी िमलगा

लड़क न िकयाः अनदर कौन बोलता ह

उ र आयाः िजस िशव की त पजा करता ह वह तरा आतमिशव अब म तर दय म कट होऊगा सवा क अिधकारी की सवा मझ िशव की ही सवा ह

उस िदन उस अतयारमी न अनोखी ऱणा और ोतसाहन िदया वह लड़का तो िनकल पड़ा घर छोड़कर ई र-साकषातकार करन क िलए कदारनाथ वनदावन होत हए निनताल क अर य म पहचा

कदारनाथ क दशरन पाय लकषािधपित आिशष पाय

इस आशीवारद को वापस कर ई राि क िलए िफर पजा की उसक पास जो कछ रपय पस थ उनह वनदावन म साध-सतो एव गरीबो म भ डारा करक खचर कर िदया था थोड़ स पस लकर निनताल क अर यो म पहचा लोकलाड़ल लाखो दयो को हिररस िपलात पजयपाद सदगर ौी लीलाशाह बाप की राह दखत हए चालीस िदन बीत गय गरवर ौी लीलाशाह को अब पणर समिपरत िशय िमला पणर खजाना ा करन वाला पिवऽातमा िमला पणर गर की पणर िशय िमला

िजस लड़क क िवषय म यह कथा पढ़ रह ह वह लड़का कौन होगा जानत हो

पणर गर कपा िमली पणर गर का जञान आसमल स हो गय साई आसाराम

अब तो समझ ही गय होग (उस लड़क क वश म छप हए थ पवर जनम क योगी और वतरमान म िव िव यात हमार

पजयपाद सदगरदव ौी आसाराम जी महाराज)

(अनबम)

िवकास क बिरयो स सावधान किपलवःत क राजा श ोदन का यवराज था िस ाथर यौवन म कदम रखत ही िववक

और वरा य जाग उठा यवान प ी यशोधरा और नवजात िशश राहल की मोह-ममता की रशमी जजीर काटकर महाभीिनबमण (गहतयाग) िकया एकानत अर य म जाकर गहन धयान साधना करक अपन साधय त व को ा कर िलया

एकानत म तप यार और धयान साधना स िखल हए इस आधयाितमक कसम की मधर

सौरभ लोगो म फलन लगी अब िस ाथर भगवान ब क नाम स जन-समह म िस हए हजारो हजारो लोग उनक उपिद मागर पर चलन लग और अपनी अपनी यो यता क मतािबक आधयाितमक याऽा म आग बढ़त हए आितमक शाित ा करन लग अस य लोग बौ िभकषक बनकर भगवान ब क सािननधय म रहन लग उनक पीछ चलन वाल अनयायीओ का एक सघ ःथािपत हो गया चह ओर नाद गजन लग िकः

ब शरण गचछािम धमम शरण गचछािम सघ शरण गचछािम

ौावःती नगरी म भगवान ब का बहत यश फला लोगो म उनकी जय-जयकार होन लगी लोगो की भीड़-भाड़ स िवर होकर ब नगर स बाहर जतवन म आम क बगीच म रहन लग नगर क िपपास जन बड़ी तादाद म वहा हररोज िनि त समय पर पहच जात और उपदश-वचन सनत बड़-बड़ राजा महाराजा भगवान ब क सािननधय म आन जान लग

समाज म तो हर कार क लोग होत ह अनािद काल स दवी समपदा क लोग एव आसरी समपदा क लोग हआ करत ह ब का फलता हआ यश दखकर उनका तजो ष करन वाल लोग जलन लग सतो क साथ हमशा स होता आ रहा ह ऐस उन द त वो न ब को बदनाम करन क िलए कचार िकया िविभनन कार की यि -यि या लड़ाकर ब क यश को हािन पहच ऐसी बात समाज म व लोग फलान लग उन द ो न अपन ष यऽ म एक वया को समझा-बझाकर शािमल कर िलया

वया बन-ठनकर जतवन म भगवान ब क िनवास-ःथानवाल बगीच म जान लगी

धनरािश क साथ द ो का हर कार स सहारा एव ोतसाहन उस िमल रहा था रािऽ को वही रहकर सबह नगर म वािपस लोट आती अपनी सिखयो म भी उसन बात फलाई

लोग उसस पछन लगः अरी आजकल त िदखती नही ह कहा जा रही ह रोज रात को

म तो रोज रात को जतवन जाती ह व ब िदन म लोगो को उपदश दत ह और रािऽ क समय मर साथ रगरिलया मनात ह सारी रात वहा िबताकर सबह लोटती ह

वया न परा ीचिरऽ आजमाकर ष यऽ करन वालो का साथ िदया लोगो म पहल तो हलकी कानाफसी हई लिकन जयो-जयो बात फलती गई तयो-तयो लोगो म जोरदार िवरोध होन लगा लोग ब क नाम पर िफटकार बरसान लग ब क िभकषक बःती म िभकषा लन जात तो लोग उनह गािलया दन लग ब क सघ क लोग सवा-वि म सल न थ उन लोगो क सामन भी उगली उठाकर लोग बकवास करन लग

ब क िशय जरा असावधान रह थ कचार क समय साथ ही साथ स चार होता तो कचार का इतना भाव नही होता िशय अगर िनिबय रहकर सोचत रह जाय िक करगा सो भरगा भगवान उनका नाश करग तो कचार करन वालो को ख ला मदान िमल जाता ह

सत क सािननधय म आन वाल लोग ौ ाल सजजन सीध साद होत ह जबिक द वि करन वाल लोग किटलतापवरक कचार करन म कशल होत ह िफर भी िजन सतो क पीछ सजग समाज होता ह उन सतो क पीछ उठन वाल कचार क तफान समय पाकर शात हो जात ह और उनकी सतवि या काशमान हो उठती ह

कचार न इतना जोर पकड़ा िक ब क िनकटवत लोगो न ऽािहमाम पकार िलया व समझ गय िक यह वयविःथत आयोजनपवरक ष यऽ िकया गया ह ब ःवय तो पारमािथरक सतय म जाग हए थ व बोलतः सब ठ क ह चलन दो वयवहािरक सतय म वाहवाही दख ली अब िननदा भी दख ल कया फकर पड़ता ह

िशय कहन लगः भनत अब सहा नही जाता सघ क िनकटवत भ भी अफवाहो क िशकार हो रह ह समाज क लोग अफवाहो की बातो को सतय मानन लग गय ह

ब ः धयर रखो हम पारमािथरक सतय म िवौाित पात ह यह िवरोध की आधी चली ह तो शात भी हो जाएगी समय पाकर सतय ही बाहर आयगा आिखर म लोग हम जानग और मानग

कछ लोगो न अगवानी का झ डा उठाया और राजयस ा क समकष जोर-शोर स माग की

िक ब की जाच करवाई जाय लोग बात कर रह ह और वया भी कहती ह िक ब रािऽ को मर साथ होत ह और िदन म सतसग करत ह

ब क बार म जाच करन क िलए राजा न अपन आदिमयो को फरमान िदया अब ष यऽ करनवालो न सोचा िक इस जाच करन वाल पच म अगर सचचा आदमी आ जाएगा तो अफवाहो का सीना चीरकर सतय बाहर आ जाएगा अतः उनहोन अपन ष यऽ को आिखरी

पराका ा पर पहचाया अब ऐस ठोस सबत खड़ा करना चािहए िक ब की ितभा का अःत हो जाय

उनहोन वया को दार िपलाकर जतवन भज िदया पीछ स ग डो की टोली वहा गई वया पर बलातकार आिद सब द कतय करक उसका गला घोट िदया और लाश को ब क बगीच म गाड़कर पलायन हो गय

लोगो न राजयस ा क ार खटखटाय थ लिकन स ावाल भी कछ लोग द ो क साथ जड़ हए थ ऐसा थोड़ ही ह िक स ा म बठ हए सब लोग दध म धोय हए वयि होत ह

राजा क अिधकािरयो क ारा जाच करन पर वया की लाश हाथ लगी अब द ो न जोर-शोर स िच लाना शर कर िदया

दखो हम पहल ही कह रह थ वया भी बोल रही थी लिकन तम भगतड़ लोग मानत ही नही थ अब दख िलया न ब न सही बात खल जान क भय स वया को मरवाकर बगीच म गड़वा िदया न रहगा बास न बजगी बासरी लिकन सतय कहा तक िछप सकता ह म ामाल हाथ लग गया इस ठोस सबत स ब की असिलयत िस हो गई सतय बाहर आ गया

लिकन उन मख का पता नही िक तमहारा बनाया हआ कि पत सतय बाहर आया वाःतिवक सतय तो आज ढाई हजार वषर क बाद भी वसा ही चमक रहा ह आज ब को लाखो लोग जानत ह आदरपवरक मानत ह उनका तजो ष करन वाल द लोग कौन-स नरको म जलत होग कया पता

ढाई हजार वषर पहल ब क जमान म भी सतो क साथ ऐसा घोर अनयाय हआ करता था ऋिष दयाननद को भी ऐस ही त वो न तजो ष क कारण बाईस बार िवष दकर मार डालन का यास िकया ःवामी िववकाननद और ःवामी रामतीथर क पीछ भी द लोगो न वया को तयार करक कीचड़ उछाला था

एक ओर लाखो-लाखो लोग सतो की अनभवय वाणी स अपना वयावहािरक ETH आधयाितमक जीवन उननत करक सख-शाित पात ह दसरी ओर कछ द कित क ःवाथ लोग अपना उ ल सीधा करन क िलए ऐस महापरषो क िवर म ष यऽ रचकर उनको बदनाम करत ह यह तो पहल स चला आ रहा ह सत कबीर हो या नानक एकनाथ महाराज हो या सत तकाराम नरिसह महता हो या मीराबाई ायः सभी सतो को अपन जीवन क दौरान समाज क किटल त वो स पाला पड़ता ही रहा ह जीसस बाइःट को इनही त वो न बॉस पर चढ़ाया था उनही लोगो न सकरात को जहर िपलाकर मतयद ड िदया था मनसर को इसी जमात न शली पर चढ़ाया था ईसाई धमर म माट न यथर पर ज म िकया गया था अण-अण म ई र और नारीमाऽ म जगजजननी भगवती का दशरन करन वाल रामकण परमहस को भी लोगो न नही

छोड़ा था परमहस योगाननद रवीनिनाथ टगोर माट न यथर दिकषण भारत क सत ितरव लवर जापानी झन सत बाबो इितहास म िकतन-िकतन उदाहरण मौजद ह

हािसद धमरगर बा शमटोव अित पिवऽ आतमा थ िननदको न उनक इदरिगदर भी मायाजाल िबछा दी थी िसध क साई टउराम क पास अस य लोग आतमक याण हत जान लग तब िवकत िदमागवालो न उन सत को भी ऽास दना शर कर िदया उनक आौम क चह ओर गदगी डाल दत और कए म िम टी का तल उड़लकर पानी बकार कर दत मगल बादशाह बाबर को बहका कर उनही लोगो न गर नानक को कद करवाया था

भगवान ौीराम एव ौीकण को भी द जनो न छोड़ा नही था भगवान ौीराम क गर विश जी महाराज कहत हः

ह राम जी म जब बाजार स गजरता ह तब अजञानी मखर लोग मर िलए कया बकत ह म सब जानता ह लिकन मरा दयाल ःवभाव ह म इन सबका क याण चाहता ह

तमहार साथ यह ससार कछ अनयाय करता ह तमको बदनाम करता ह िननदा करता ह तो यह ससार की परानी रीत ह मनय की हीनवि कचार िननदाखोरी यह आजकल की ही बात नही ह अनािदकाल स ऐसा होता आया ह तम अपन आतमजञान क सःकार जगाकर आतमबल का िवकास करत जाओ मःकरात जाओ आधी तफानो को लाघकर आननदपवरक जीत जाओ

उस जमान म भगवान ब क पास आकर एक िभकषक न ाथरना कीः भनत मझ आजञा द म सभाए भरगा आपक िवचारो का चार करगा

मर िवचारो का चार

हा भगवन म बौ धमर फलाऊगा

लोग तरी िननदा करग गािलया दग

कोई हजर नही म भगवन को धनयवाद दगा िक य लोग िकतन अचछ ह य कवल श दहार करत ह मझ पीटत तो नही

लोग तझ पीटग भी तो कया करोग

भो म शब गजारगा िक य लोग हाथो स पीटत ह पतथर तो नही मारत

लोग पतथर भी मारग और िसर भी फोड़ दग तो कया करगा

िफर भी म आ ःत रहगा और भगवान का िदवय कायर करता रहगा कयोिक व लोग मरा िसर फोड़ग लिकन ाण तो नही लग

लोग जनन म आकर तझ मार दग तो कया करगा

भनत आपक िदवय िवचारो का चार करत-करत म मर भी गया तो समझगा िक मरा जीवन सफल हो गया

उस कतिन यी िभकषक की दढ़ िन ा दखकर भगवान ब सनन हो उठ उस पर उनकी करणा बरस पड़ी

ऐस िशय जब ब का चार करन िनकल पड़ तब कचार करन वाल धीर-धीर शात हो गय मनयो की उगिलया काट-काटकर माला बनाकर पहनन वाला अगिलमाल जसा बर हतयारा भी दयपिरवतरन पाकर ब की शरण म िभकषक होकर रहन लगा

आज हम ब को बहत आदर स जानत ह मानत ह उनक जीवनकाल क दौरान उनक पीछ लग हए द लोग कौन स नरक म सड़त होग रौरव नरक म या कभीपाक नरक म कौन-सी योिनयो म भटकत होग सअर बन होग िक नाली क कीड़ बन होग शतान बन होग िक राकषस बन होग मझ पता नही लिकन ब तो करोड़ो दयो म बस रह ह यह म मानता ह

सतय तो परमाथर ह आतमा ह परमातमा ह उसम िजतना िटकोग उतना तमहारा मगल होगा तमहारी िनगाह िजन पर पड़गी उनका भी मगल होगा

(अनबम)

कछ जानन यो य बात सय दय स पवर उठकर ःनान कर लना चािहए ातः खाली पट मटक का बासी पानी

पीना ःवाःथयद ह तलसी क प सय दय क प ात ही तोड़ दध म तलसी क प नही डालन चािहए तथा

दध क साथ खान भी नही चािहए तलसी क प खाकर थोड़ा पानी पीना िपय जलनित स पिह सौ कार क लाभ होत ह अपन मिःतक म एक कार का िवजाितय

िवय उतपनन होता ह यिद वह िवय वही अटक जाता ह तो बचपन म ही बाल सफद होन लगत ह इसस नजल की बीमारी भी होती ह यिद वह िवय नाक की तरफ आता ह तो सगनध-दगरनध का पता नही चल पाता और ज दी-ज दी जकाम हो जाता ह यिद वह िवय कान की तरफ आता ह तो कान बहर होन लगत ह और छोट-मोट ब ीस रोग हो सकत ह यिद वह िवय दात की तरफ आय तो दात छोटी उ म ही िगरन लगत ह यिद आख की तरफ वह िवय उतर तो चम लगन लगत ह जलनित यािन नाक स पानी खीचकर मह स िनकाल दन स वह िवय िनकल जाता ह गल क ऊपर क ायः सभी रोगो स मि िमल जाती ह

आईसबीम खान क बाद चाय पीना दातो क िलए अतयािधक हािनकारक होता ह

भोजन को पीना चािहए तथा पानी को खाना चािहए इसका मतलब यह ह िक भोजन को इतना चबाओ िक वह पानी की तरह पतला हो जाय और पानी अथवा अनय पय पदाथ को धीर-धीर िपयो

िकसी भी कार का पय पदाथर पीना हो तो दाया नथना बनद करक िपय इसस वह अमत जसा हो जाता ह यिद दाया ःवर(नथना) चाल हो और पानी आिद िपय तो जीवनशि (ओज) पतली होन लगती ह चयर की रकषा क िलए शरीर को तनदरःत रखन क िलए यह योग करना चािहए

तम चाह िकतनी भी महनत करो िकनत िजतना तमहारी नसो म ओज ह चयर की शि ह उतन ही तम सफल होत हो जो चाय-कॉफी आिद पीत ह उनका ओज पतला होकर पशाब ारा न होता जाता ह अतः चयर की रकषा क िलए चाय-कॉफी जस वयसनो स दर रहना रह

पढ़न क बाद थोड़ी दर शात हो जाना चािहए जो पढ़ा ह उसका मनन करो िशकषक ःकल म जब पढ़ात हो तब धयान स सनो उस व मःती-मजाक नही करना चािहए िवनोद-मःती कम स कम करो और समझन की कोिशश अिधक करो

जो सय दय क पवर नही उठता उसक ःवभाव म तमस छा जाता ह जो सय दय क पवर उठता ह उसकी बि शि बढ़ती ह

नीद म स उठकर तरत भगवान का धयान करो आतमःनान करो धयान म रिच नही होती तो समझना चािहए िक मन म दोष ह उनह िनकालन क िलए कया करना चािहए

मन को िनद ष बनान क िलए सबह-शाम माता-िपता को णाम करना चािहए गरजनो को णाम करना चािहए एव भगवान क नाम का जप करना चािहए भगवान स ाथरना करनी चािहए िक ह भगवान ह मर भ मरी धयान म रिच होन लग ऐसी कपा कर दो िकसी समय गद िवचार िनकल आय तो समझना चािहए िक अदर छप हए िवचार िनकल रह ह अतः खश होना चािहए िवचार आया और गया मर राम तो दय म ही ह ऐसी भावना करनी चािहए

िनदा करना तो अचछा नही ह िकनत िनदा सनना भी उिचत नही (अनबम)

शयन की रीत मनय को िकस ढग स सोना चािहए इसका भी तरीका होता ह सोत व पवर अथवा

दिकषण िदशा की ओर िसर करक ही सोना चािहए

भोजन करन क बाद िदन म दस िमनट आराम कर िकनत सोय नही भोजन क बाद दस िमनट बायी करवट लट सकत ह रािऽ को जागरण िकया हो इस कारण स कभी िदन म सोना पड़ वह अलग बात ह

सोत व नीच कोई गमर कबल आिद िबछाकर सोय तािक आपकी जीवनशि अिथग न हो जाय आपक शरीर की िव तशि भिम म न उतर जाय

(अनबम)

ःनान का तरीका शरीर की मजबती एव आरो यता क िलए रगड़-रगड़कर ःनान करना चािहए जो लोग

ठड दशो म रहत ह उनका ःवाःथय गमर दस क लोगो की अपकषा अचछा होता ह ठडी स अपना शरीर सधरता ह

ःनान करत व 12-15 िलटर पानी बा टी म लकर पहल उसम िसर डबाना चािहए िफर पर िभगोना चािहए पहल पर गील नही करन चािहए शरीर की गम ऊपर की ओर चढ़ती ह जो ःवाःथय क िलए हािनकारक होती ह

अतः पहल ठड पानी की बा टी भर ल िफर मह म पानी भरकर िसर को बा टी म डाल और आख पटपटाए इसस आखो की शि बढ़ती ह शरीर को रगड़-रगड़कर नहाए बाद म गील व स शरीर को रगड़-रगड़कर पोछ िजसस रोम कप का सारा मल बाहर िनकल जाय और रोमकप(तवचा क िछि) खल जायय तवचा क िछि बद रहन स ही तवचा की कई बीमािरया होती ह िफर सख कपड़ स शरीर को पोछ कर (अथवा थोड़ा गीला हो तब भी चल) सख साफ व पहन ल व भल साद हो िकनत साफ हो बासी कपड़ नही पहन हमशा धल हए कपड़ ही पहन इसस मन भी सनन रहता ह

पाच कार क ःनान होत हः ःनान दवःनान ऋिषःनान मानवःनान दानवःनान ःनानः -परमातमा का िचतन करक जल थल नहान वाला

ऐसा िचतन करक ा महतर म नहाना इस ःनान कहत ह दवःनानः दवनिदयो म ःनान या दवनिदयो का ःमरण करक सय दय स पवर नहाना यह

दवःनान ह ऋिषःनानः आकाश म तार िदखत हो और नहा ल यह ऋिषःनान ह ऋिषःनान करन

वाल की बि बड़ी तजःवी होती ह मानवःनानः सय दय क पवर का ःनान मानवःनान ह

दानवःनानः सय दय क प ात चाय पीकर नाता करक आठ नौ बज नहाना यह दानव ःनान ह

अतः हमशा ऋिषःनान करन का ही यास करना चािहए (अनबम)

ःवचछता का धयान यिद शरीर की सफाई रखी जाय तो मन भी सनन रहता ह आजकल अिधकतर लोग

श स ही मजन करत ह श की अपकषा नीम और बबल की दातौन जयादा अचछ होती ह और यिद श भी कर तो कभी-कभार श को गमर पानी स धोना चािहए अनयथा उसम बकटिरया(जीवाण) रह जात ह

िकतन ही लोग उगली स दात साफ करत ह तजरनी (अगठ क पास वाली थम उगली) स दात िघसन स मसड़ कमजोर हो जात ह तथा दात ज दी िगर जात ह कयोिक तजरनी म िव तशि का माण दसरी उगिलयो की अपकषा अिधक होता ह अतः उसस दात नही िघसन चािहए एव आखो को भी नही मसलना चािहए

िजस िदशा स हवा आती हो उस िदशा की ओर मह करक कभी-भी मलमऽ का िवसजरन नही करना चािहए सयर और चनिमा की ओर मख करक भी मलमऽ का िवसजरन नही करना चािहए

(अनबम)

ःमरणशि का िवकास यादशि बढ़ान का एक सनदर योग ह ETH ामरी ाणायाम सखासन प ासन या

िस ासन पर बठ हाथ की कोहनी की ऊचाई कनध तक रह इस कार रखकर हाथ की थम उगली(तजरनी) स दोनो कानो को धीर-स बद कर एकदम जोर स बद न कर िकनत बाहर का कछ सनाई न द इस कार धीर स कान बनद कर

अब गहर ास लकर थोड़ी दर रोक ओठ बद रखकर जस मर का गजन होता ह वस ॐsssss कहत हए गजन कर उसक बाद थोड़ी दर तक ास न ल पनः यही िबया दहराय ऐसा सबह एव शाम 8 स 10 बार कर यादशि बढ़ान का यह यौिगक योग ह इसस मिःतक की नािड़यो का शोधन होकर मिःतक म र सचार उिचत ढग स होता ह

और िवचार करन स भी बि शि का िवकास होता ह

सबह खाली पट तलसी क प एकाध काली िमचर चबाकर एक िगलास पानी पीन स भी ःमरणशि का िवकास होता ह रोग-ितकारक शि बढ़ती ह कनसर की बीमारी कभी नही होती जलदर-भगदर की बीमारी भी कभी नही होती

(अनबम)

वयि तव और वयवहार िकसी भी वयि तव का पता उसक वयवहार स ही चलता ह कई लोग वयथर च ा करत

ह एक होती ह सकाम च ा दसरी होती ह िनकाम च ा और तीसरी होती ह वयथर च ा वयथर च ा नही करनी चािहए िकसी क शरीर म कोई कमी हो तो उसका मजाक नही उड़ाना चािहए वरन उस मददरप बनना चािहए यह िनकाम सवा ह

िकसी की भी िनदा नही करनी चािहए िनदा करन वाला वयि िजसकी िनदा करता ह उसका तो इतना अिहत नही होता िजतना वह अपना अिहत करता ह जो दसरो की सवा करता ह दसरो क अनकल होता ह वह दसरो का िजतना िहत करता ह उसकी अपकषा उसका खद का िहत जयादा होता ह

अपन स जो उ स बड़ हो जञान म बड़ हो तप म बड़ हो उनका आदर करना चािहए िजस मनय क साथ बात करत हो वह मनय कौन ह यह जानकर बात करो तो आप वयवहार-कशल कहलाओग

िकसी को पऽ िलखत हो तो यिद अपन स बड़ हो तो ौी सबोधन करक िलखो सबोधन करन स सवाकयो की रचना स िश ता बढ़ती ह िकसी स बात करो तो सबोधन करक बात करो जो तकार स बात करता ह वह अिश कहलाता ह िश तापवरक बात करन स अपनी इजजत बढ़ती ह

िजसक जीवन म वयवहार-कशलता ह वह सभी कषऽो म सफल होता ह िजसम िवनता ह वही सब कछ सीख सकता ह िवनता िव ा बढ़ाती ह िजसक जीवन म िवनता नही ह समझो उसक सब काम अधर रह गय और जो समझता ह िक म सब कछ जानता ह वह वाःतव म कछ नही जानता

एक िचऽकार अपन गरदव क सममख एक सनदर िचऽ बनाकर लाया गर न िचऽ दखकर कहाः

वाह वाह सनदर ह अदभत ह

िशय बोलाः गरदव इसम कोई ऽिट रह गयी हो तो कपा करक बताइए इसीिलए म आपक चरणो म आया ह

गरः कोई ऽिट नही ह मझस भी जयादा अचछा बनाया ह

वह िशय रोन लगा उस रोता दखकर गर न पछाः तम कयो रो रह हो म तो तमहारी शसा कर रहा ह

िशयः गरदव मरी घड़ाई करन वाल आप भी यिद मरी शसा ही करग तो मझ मरी गि तया कौन बतायगा मरी गित कस होगी

यह सनकर गर अतयत सनन हो गय हमन िजतना जाना िजतना सीखा ह वह तो ठ क ह उसस जयादा जान सक सीख सक

ऐसा हमारा यास होना चािहए रामकण परमहस व हो गय थ िकसी न उनस पछाः बाबा जी आपन सब कछ जान

िलया ह

रामकण परमहसः नही म जब तक जीऊगा तब तक िव ाथ ही रहगा मझ अभी बहत कछ सीखना बाकी ह

िजनक पास सीखन को िमल उनस िवनतापवरक सीखना चािहए जो कछ सीखो सावधानीपवरक सीखो जीवन म िवनोद जररी ह िकनत िवनोद की अित न हो िजस समय पढ़त हो कछ सीखत हो कछ करत हो उस समय मःती नही िवनोद नही वरन जो कछ पढ़ो सीखो या करो उस उतसाह स धयान स और सावधानी स करो

पढ़न स पवर थोड़ धयानःथ हो जाओ पढ़न क बाद मौन हो जाओ यह गित की चाबी ह

माता-िपता स िचढ़ना नही चाह िजस मा-बाप न जनम िदया ह उनकी बातो को समझना चािहए अपन िलए उनक मन म िवशष दया हो िवशष म उतपनन हो ऐसा वयवहार करना चािहए

भल जाओ भल सब कछ माता-िपता को भलना नही अनिगनत उपकार ह उनक यह कभी िबसरना नही

माता-िपता को सतोष हो उनका दय सनन हो ऐसा हमारा वयवहार होना चािहए अपन माता-िपता एव गरजनो को सत रखकर ही हम सचची गित कर सकत ह

(अनबम)

  • पजय बाप जी का उदबोधन
  • कदम अपना आग बढाता चला जा
  • त गलाब होकर महक
  • जीवन विकास का मल सयम
  • तरिकाल सधया
  • शरीर सवासथय
  • अनन का परभाव
  • भारतीय ससकति की महानता
  • हरिदास की हरिभकति
  • बनावटी शरगार स बचो
  • साहसी बालक
  • गर-आजञापालन का चमतकार
  • अनोखी गरदकषिणा
  • सतसग की महिमा
  • पीड पराई जान र
  • विकास क बरियो स सावधान
  • कछ जानन योगय बात
  • शयन की रीत
  • सनान का तरीका
  • सवचछता का धयान
  • समरणशकति का विकास
  • वयकतितव और वयवहार
Page 30: Tu gulabhokarmehak

एक बार शकदव जी क िपता भगवान वदवयासजी महाराज कही जा रह थ राःत म उनहोन दखा िक एक कीड़ा बड़ी तजी स सड़क पार कर रहा था

वदवयासजी न अपनी योगशि दत हए उसस पछाः त इतनी ज दी सड़क कयो पार कर रहा ह कया तझ िकसी काम स जाना ह त तो

नाली का कीड़ा ह इस नाली को छोड़कर दसरी नाली म ही तो जाना ह िफर इतनी तजी स कयो भाग रहा ह

कीड़ा बोलाः बाबा जी बलगाड़ी आ रही ह बलो क गल म बध घघर तथा बलगाड़ी क पिहयो की आवाज म सन रहा ह यिद म धीर-धीर सड़क पार करगा तो वह बलगाड़ी आकर मझ कचल डालगी

वदवयासजीः कचलन द कीड़ की योिन म जीकर भी कया करना

कीड़ाः महिषर ाणी िजस शरीर म होता ह उसको उसम ही ममता होती ह अनक ाणी नाना कार क क ो को सहत हए भी मरना नही चाहत

वदवयास जीः बलगाड़ी आ जाय और त मर जाय तो घबराना मत म तझ योगशि स महान बनाऊगा जब तक ा ण शरीर म न पहचा द अनय सभी योिनयो स शीय छटकारा िदलाता रहगा

उस कीड़ न बात मान ली और बीच राःत पर रक गया और मर गया िफर वदवयासजी की कपा स वह बमशः कौआ िसयार आिद योिनयो म जब-जब भी उतपनन हआ वयासजी न जाकर उस पवरजनम का ःमरण िदला िदया इस तरह वह बमशः मग पकषी शि वय जाितयो म जनम लता हआ कषिऽय जाित म उतपनन हआ उस वहा भी वदवयासजी दशरन िदय थोड़ िदनो म रणभिम म शरीर तयागकर उसन ा ण क घर जनम िलया

भगवान वदवयास जी न उस पाच वषर की उ म सारःवतय मऽ द िदया िजसका जप करत-करत वह धयान करन लगा उसकी बि बड़ी िवलकषण होन पर वद शा धमर का रहःय समझ म आ गया

सात वषर की आय म वदवयास जी न उस कहाः काि रक कषऽ म कई वष स एक ा ण ननदभि तपःया कर रहा ह तम जाकर उसकी

शका का समाधान करो

माऽ सात वषर का ा ण कमार काि रक कषऽ म तप कर रह उस ा ण क पास पहच कर बोलाः

ह ा णदव आप तप कयो कर रह ह

ा णः ह ऋिषकमार म यह जानन क िलए तप कर रहा ह िक जो अचछ लोग ह सजजन लोग ह व सहन करत ह दःखी रहत ह और पापी आदमी सखी रहत ह ऐसा कयो ह

बालकः पापी आदमी यिद सखी ह तो पाप क कारण नही वरन िपछल जनम का कोई प य ह उसक कारण सखी ह वह अपन प य खतम कर रहा ह पापी मनय भीतर स तो दःखी ही होता ह भल ही बाहर स सखी िदखाई द

धािमरक आदमी को ठ क समझ नही होती उिचत िदशा व मऽ नही िमलता इसिलए वह दःखी होता ह वह धमर क कारण दःखी नही होता अिपत समझ की कमी क कारण दःखी होता ह समझदार को यिद कोई गर िमल जाय तो वह नर म स नारायण बन जाय इसम कया आ यर ह

ा णः म इतना बढ़ा हो गया इतन वष स काि रक कषऽ म तप कर रहा ह मर तप का फल यही ह िक तमहार जस सात वषर क योगी क मझ दशरन हो रह ह म तमह णाम करता ह

बालकः नही नही महाराज आप तो भदव ह म तो बालक ह म आपको णाम करता ह

उसकी नता दखकर ा ण और खश हआ तप छोड़कर वह परमातमिचनतन म लग गया अब उस कछ जानन की इचछा नही रही िजसस सब कछ जाना जाता ह उसी परमातमा म िवौाित पान लग गया

इस कार ननदभि ा ण को उ र द िनःशक कर सात िदनो तक िनराहार रहकर वह बालक सयरमनऽ का जप करता रहा और वही बहदक तीथर म उसन शरीर तयाग िदया वही बालक दसर जनम म कषार िपता एव िमऽा माता क यहा गट हआ उसका नाम मऽय पड़ा इनहोन वयासजी क िपता पराशरजी स िवण-पराण तथा बहत पाराशर होरा शा का अधययन िकया था पकषपात रिहत अनभवकाश नामक मनथ म मऽय तथा पराशर ऋिष का सवाद आता ह

कहा तो सड़क स गजरकर नाली म िगरन जा रहा कीड़ा और कहा सत क सािननधय स वह मऽय ऋिष बन गया सतसग की बिलहारी ह इसीिलए तलसीदास जी कहत ह ETH

तात ःवगर अपवगर सख धिरअ तला एक अग तल न तािह सकल िमली जो सख लव सतसग

यहा एक शका हो सकती ह िक वह कीड़ा ही मऽय ऋिष कयो नही बन गया

अर भाई यिद आप पहली ककषा क िव ाथ हो और आपको एम ए म िबठाया जाय तो कया आप पास हो सकत हो नही दसरी तीसरी चौथी दसवी बारहवी बीए आिद पास करक ही आप एमए म वश कर सकत हो

िकसी चौकीदार पर कोई धानमनऽी अतयिधक सनन हो जाए तब भी वह उस सीधा कलकटर (िजलाधीश) नही बना सकता ऐस ही नाली म रहन वाला कीड़ा सीधा मनय तो नही

हो सकता बि क िविभनन योिनयो को पार करक ही मनय बन सकता ह हा इतना अवय ह िक सतकपा स उसका मागर छोटा हो जाता ह

सतसमागम की साध परषो स सग की मिहमा का कहा तक वणरन कर कस बयान कर एक सामानय कीड़ा उनक सतसग को पाकर महान ऋिष बन सकता ह तो िफर यिद मानव को िकसी सदगर का सािननधय िमल जाय उनक वचनानसार चल पड़ तो मि का अनभव करक जीवनम भी बन सकता ह

(अनबम)

पीड़ पराई जान र जञानी िकसी स यार करन क िलए बध हए नही ह और िकसी को डाटन म भी राजी

नही ह हमारी जसी यो यता होती ह ऐसा उनका वयवहार हमार ित होता ह लीलाशाह बाप क ौीचरणो म बहत लोग गय थ एक लड़का भी गया था वह मिणनगर

म रहता था िशवजी को जल चढ़ान क प ात ही वह जल पीता वह लड़का खब िन ा स धयान-भजन करता और सवा पजा करता

एक िदन कोई वयि राःत म बहोश पड़ा हआ था िशवजी को जल चढ़ान जात समय उस बालक न उस दखा और अपनी पजा-वजा छोड़कर उस गरीब की सवा म लग गया िबहार का कोई यवक था नौकरी की खोज म आया था कालपर(अहमदाबाद) ःटशन क लटफामर पर एक दो िदन रहा किलयो न मारपीट कर भगा िदया चलत-चलत मिणनगर म पनीत आौम की ओर रोटी की आशा म जा रहा था रोटी तो वहा नही िमलती थी इसिलए भख क कारण चलत-चलत राःत म िगर गया और बहोश हो गया

उस लड़क का घर पनीत आौम क पास ही था सबह क दस साढ़ दस बज थ वह लड़का घर स धयान-भजन स िनपटकर मिदर म िशवजी को जल चढ़ान क िलए जल का लोटा और पजा की साममी लकर जा रहा था उसन दखा िक राःत म कोई यवक पड़ा ह राःत म चलत-चलत लोग बोलत थः शराब पी होगी यह होगा वह होगा हम कया

लड़क को दया आई प य िकय हए हो तो रणा भी अचछ िमलती ह शभ कम स शभ रणा िमलती ह अपन पास की पजा साममी एक ओर रखकर उसन उस वयि को िहलाया बहत मिकल स उसकी आख खली कोई उस जत सघाता कोई कछ करता कोई कछ बोलता था

आख खोलत ही वह वयि धीर स बोलाः पानी पानी

लड़क न महादव जी क िलय लाया हआ जल का लोटा उस िपला िदया िफर दोड़कर घर जाकर अपन िहःस का दध लाकर उस िदया

यवक क जी म जी आया उसन अपनी वयथा बतात हए कहाः बाब जी म िबहार स आया ह मर बाप गजर गय काका िदन-रात टोकत रहत त िक

कमाओ नही तो खाओग कया नौकरी धधा िमलता नही ह भटकत-भटकत अहमदाबाद क ःटशन पर कली का काम करन का य िकया हमारी रोटी-रोजी िछन जायगी ऐसा समझकर किलयो न खब मारा पदल चलत-चलत मिणनगर ःटशन की ओर आत-आत यहा तीन िदन की भख और मार क कारण चककर आय और िगर गया

लड़क न उस िखलाया अपना इक ठा िकया हआ जबखचर का पसा िदया उस यवक को जहा जाना था वहा भजन की वयवःथा की इस लड़क क दय म आनद की वि हई अतर म आवाज आईः

बटा अब म तझ बहत ज दी िमलगा

लड़क न िकयाः अनदर कौन बोलता ह

उ र आयाः िजस िशव की त पजा करता ह वह तरा आतमिशव अब म तर दय म कट होऊगा सवा क अिधकारी की सवा मझ िशव की ही सवा ह

उस िदन उस अतयारमी न अनोखी ऱणा और ोतसाहन िदया वह लड़का तो िनकल पड़ा घर छोड़कर ई र-साकषातकार करन क िलए कदारनाथ वनदावन होत हए निनताल क अर य म पहचा

कदारनाथ क दशरन पाय लकषािधपित आिशष पाय

इस आशीवारद को वापस कर ई राि क िलए िफर पजा की उसक पास जो कछ रपय पस थ उनह वनदावन म साध-सतो एव गरीबो म भ डारा करक खचर कर िदया था थोड़ स पस लकर निनताल क अर यो म पहचा लोकलाड़ल लाखो दयो को हिररस िपलात पजयपाद सदगर ौी लीलाशाह बाप की राह दखत हए चालीस िदन बीत गय गरवर ौी लीलाशाह को अब पणर समिपरत िशय िमला पणर खजाना ा करन वाला पिवऽातमा िमला पणर गर की पणर िशय िमला

िजस लड़क क िवषय म यह कथा पढ़ रह ह वह लड़का कौन होगा जानत हो

पणर गर कपा िमली पणर गर का जञान आसमल स हो गय साई आसाराम

अब तो समझ ही गय होग (उस लड़क क वश म छप हए थ पवर जनम क योगी और वतरमान म िव िव यात हमार

पजयपाद सदगरदव ौी आसाराम जी महाराज)

(अनबम)

िवकास क बिरयो स सावधान किपलवःत क राजा श ोदन का यवराज था िस ाथर यौवन म कदम रखत ही िववक

और वरा य जाग उठा यवान प ी यशोधरा और नवजात िशश राहल की मोह-ममता की रशमी जजीर काटकर महाभीिनबमण (गहतयाग) िकया एकानत अर य म जाकर गहन धयान साधना करक अपन साधय त व को ा कर िलया

एकानत म तप यार और धयान साधना स िखल हए इस आधयाितमक कसम की मधर

सौरभ लोगो म फलन लगी अब िस ाथर भगवान ब क नाम स जन-समह म िस हए हजारो हजारो लोग उनक उपिद मागर पर चलन लग और अपनी अपनी यो यता क मतािबक आधयाितमक याऽा म आग बढ़त हए आितमक शाित ा करन लग अस य लोग बौ िभकषक बनकर भगवान ब क सािननधय म रहन लग उनक पीछ चलन वाल अनयायीओ का एक सघ ःथािपत हो गया चह ओर नाद गजन लग िकः

ब शरण गचछािम धमम शरण गचछािम सघ शरण गचछािम

ौावःती नगरी म भगवान ब का बहत यश फला लोगो म उनकी जय-जयकार होन लगी लोगो की भीड़-भाड़ स िवर होकर ब नगर स बाहर जतवन म आम क बगीच म रहन लग नगर क िपपास जन बड़ी तादाद म वहा हररोज िनि त समय पर पहच जात और उपदश-वचन सनत बड़-बड़ राजा महाराजा भगवान ब क सािननधय म आन जान लग

समाज म तो हर कार क लोग होत ह अनािद काल स दवी समपदा क लोग एव आसरी समपदा क लोग हआ करत ह ब का फलता हआ यश दखकर उनका तजो ष करन वाल लोग जलन लग सतो क साथ हमशा स होता आ रहा ह ऐस उन द त वो न ब को बदनाम करन क िलए कचार िकया िविभनन कार की यि -यि या लड़ाकर ब क यश को हािन पहच ऐसी बात समाज म व लोग फलान लग उन द ो न अपन ष यऽ म एक वया को समझा-बझाकर शािमल कर िलया

वया बन-ठनकर जतवन म भगवान ब क िनवास-ःथानवाल बगीच म जान लगी

धनरािश क साथ द ो का हर कार स सहारा एव ोतसाहन उस िमल रहा था रािऽ को वही रहकर सबह नगर म वािपस लोट आती अपनी सिखयो म भी उसन बात फलाई

लोग उसस पछन लगः अरी आजकल त िदखती नही ह कहा जा रही ह रोज रात को

म तो रोज रात को जतवन जाती ह व ब िदन म लोगो को उपदश दत ह और रािऽ क समय मर साथ रगरिलया मनात ह सारी रात वहा िबताकर सबह लोटती ह

वया न परा ीचिरऽ आजमाकर ष यऽ करन वालो का साथ िदया लोगो म पहल तो हलकी कानाफसी हई लिकन जयो-जयो बात फलती गई तयो-तयो लोगो म जोरदार िवरोध होन लगा लोग ब क नाम पर िफटकार बरसान लग ब क िभकषक बःती म िभकषा लन जात तो लोग उनह गािलया दन लग ब क सघ क लोग सवा-वि म सल न थ उन लोगो क सामन भी उगली उठाकर लोग बकवास करन लग

ब क िशय जरा असावधान रह थ कचार क समय साथ ही साथ स चार होता तो कचार का इतना भाव नही होता िशय अगर िनिबय रहकर सोचत रह जाय िक करगा सो भरगा भगवान उनका नाश करग तो कचार करन वालो को ख ला मदान िमल जाता ह

सत क सािननधय म आन वाल लोग ौ ाल सजजन सीध साद होत ह जबिक द वि करन वाल लोग किटलतापवरक कचार करन म कशल होत ह िफर भी िजन सतो क पीछ सजग समाज होता ह उन सतो क पीछ उठन वाल कचार क तफान समय पाकर शात हो जात ह और उनकी सतवि या काशमान हो उठती ह

कचार न इतना जोर पकड़ा िक ब क िनकटवत लोगो न ऽािहमाम पकार िलया व समझ गय िक यह वयविःथत आयोजनपवरक ष यऽ िकया गया ह ब ःवय तो पारमािथरक सतय म जाग हए थ व बोलतः सब ठ क ह चलन दो वयवहािरक सतय म वाहवाही दख ली अब िननदा भी दख ल कया फकर पड़ता ह

िशय कहन लगः भनत अब सहा नही जाता सघ क िनकटवत भ भी अफवाहो क िशकार हो रह ह समाज क लोग अफवाहो की बातो को सतय मानन लग गय ह

ब ः धयर रखो हम पारमािथरक सतय म िवौाित पात ह यह िवरोध की आधी चली ह तो शात भी हो जाएगी समय पाकर सतय ही बाहर आयगा आिखर म लोग हम जानग और मानग

कछ लोगो न अगवानी का झ डा उठाया और राजयस ा क समकष जोर-शोर स माग की

िक ब की जाच करवाई जाय लोग बात कर रह ह और वया भी कहती ह िक ब रािऽ को मर साथ होत ह और िदन म सतसग करत ह

ब क बार म जाच करन क िलए राजा न अपन आदिमयो को फरमान िदया अब ष यऽ करनवालो न सोचा िक इस जाच करन वाल पच म अगर सचचा आदमी आ जाएगा तो अफवाहो का सीना चीरकर सतय बाहर आ जाएगा अतः उनहोन अपन ष यऽ को आिखरी

पराका ा पर पहचाया अब ऐस ठोस सबत खड़ा करना चािहए िक ब की ितभा का अःत हो जाय

उनहोन वया को दार िपलाकर जतवन भज िदया पीछ स ग डो की टोली वहा गई वया पर बलातकार आिद सब द कतय करक उसका गला घोट िदया और लाश को ब क बगीच म गाड़कर पलायन हो गय

लोगो न राजयस ा क ार खटखटाय थ लिकन स ावाल भी कछ लोग द ो क साथ जड़ हए थ ऐसा थोड़ ही ह िक स ा म बठ हए सब लोग दध म धोय हए वयि होत ह

राजा क अिधकािरयो क ारा जाच करन पर वया की लाश हाथ लगी अब द ो न जोर-शोर स िच लाना शर कर िदया

दखो हम पहल ही कह रह थ वया भी बोल रही थी लिकन तम भगतड़ लोग मानत ही नही थ अब दख िलया न ब न सही बात खल जान क भय स वया को मरवाकर बगीच म गड़वा िदया न रहगा बास न बजगी बासरी लिकन सतय कहा तक िछप सकता ह म ामाल हाथ लग गया इस ठोस सबत स ब की असिलयत िस हो गई सतय बाहर आ गया

लिकन उन मख का पता नही िक तमहारा बनाया हआ कि पत सतय बाहर आया वाःतिवक सतय तो आज ढाई हजार वषर क बाद भी वसा ही चमक रहा ह आज ब को लाखो लोग जानत ह आदरपवरक मानत ह उनका तजो ष करन वाल द लोग कौन-स नरको म जलत होग कया पता

ढाई हजार वषर पहल ब क जमान म भी सतो क साथ ऐसा घोर अनयाय हआ करता था ऋिष दयाननद को भी ऐस ही त वो न तजो ष क कारण बाईस बार िवष दकर मार डालन का यास िकया ःवामी िववकाननद और ःवामी रामतीथर क पीछ भी द लोगो न वया को तयार करक कीचड़ उछाला था

एक ओर लाखो-लाखो लोग सतो की अनभवय वाणी स अपना वयावहािरक ETH आधयाितमक जीवन उननत करक सख-शाित पात ह दसरी ओर कछ द कित क ःवाथ लोग अपना उ ल सीधा करन क िलए ऐस महापरषो क िवर म ष यऽ रचकर उनको बदनाम करत ह यह तो पहल स चला आ रहा ह सत कबीर हो या नानक एकनाथ महाराज हो या सत तकाराम नरिसह महता हो या मीराबाई ायः सभी सतो को अपन जीवन क दौरान समाज क किटल त वो स पाला पड़ता ही रहा ह जीसस बाइःट को इनही त वो न बॉस पर चढ़ाया था उनही लोगो न सकरात को जहर िपलाकर मतयद ड िदया था मनसर को इसी जमात न शली पर चढ़ाया था ईसाई धमर म माट न यथर पर ज म िकया गया था अण-अण म ई र और नारीमाऽ म जगजजननी भगवती का दशरन करन वाल रामकण परमहस को भी लोगो न नही

छोड़ा था परमहस योगाननद रवीनिनाथ टगोर माट न यथर दिकषण भारत क सत ितरव लवर जापानी झन सत बाबो इितहास म िकतन-िकतन उदाहरण मौजद ह

हािसद धमरगर बा शमटोव अित पिवऽ आतमा थ िननदको न उनक इदरिगदर भी मायाजाल िबछा दी थी िसध क साई टउराम क पास अस य लोग आतमक याण हत जान लग तब िवकत िदमागवालो न उन सत को भी ऽास दना शर कर िदया उनक आौम क चह ओर गदगी डाल दत और कए म िम टी का तल उड़लकर पानी बकार कर दत मगल बादशाह बाबर को बहका कर उनही लोगो न गर नानक को कद करवाया था

भगवान ौीराम एव ौीकण को भी द जनो न छोड़ा नही था भगवान ौीराम क गर विश जी महाराज कहत हः

ह राम जी म जब बाजार स गजरता ह तब अजञानी मखर लोग मर िलए कया बकत ह म सब जानता ह लिकन मरा दयाल ःवभाव ह म इन सबका क याण चाहता ह

तमहार साथ यह ससार कछ अनयाय करता ह तमको बदनाम करता ह िननदा करता ह तो यह ससार की परानी रीत ह मनय की हीनवि कचार िननदाखोरी यह आजकल की ही बात नही ह अनािदकाल स ऐसा होता आया ह तम अपन आतमजञान क सःकार जगाकर आतमबल का िवकास करत जाओ मःकरात जाओ आधी तफानो को लाघकर आननदपवरक जीत जाओ

उस जमान म भगवान ब क पास आकर एक िभकषक न ाथरना कीः भनत मझ आजञा द म सभाए भरगा आपक िवचारो का चार करगा

मर िवचारो का चार

हा भगवन म बौ धमर फलाऊगा

लोग तरी िननदा करग गािलया दग

कोई हजर नही म भगवन को धनयवाद दगा िक य लोग िकतन अचछ ह य कवल श दहार करत ह मझ पीटत तो नही

लोग तझ पीटग भी तो कया करोग

भो म शब गजारगा िक य लोग हाथो स पीटत ह पतथर तो नही मारत

लोग पतथर भी मारग और िसर भी फोड़ दग तो कया करगा

िफर भी म आ ःत रहगा और भगवान का िदवय कायर करता रहगा कयोिक व लोग मरा िसर फोड़ग लिकन ाण तो नही लग

लोग जनन म आकर तझ मार दग तो कया करगा

भनत आपक िदवय िवचारो का चार करत-करत म मर भी गया तो समझगा िक मरा जीवन सफल हो गया

उस कतिन यी िभकषक की दढ़ िन ा दखकर भगवान ब सनन हो उठ उस पर उनकी करणा बरस पड़ी

ऐस िशय जब ब का चार करन िनकल पड़ तब कचार करन वाल धीर-धीर शात हो गय मनयो की उगिलया काट-काटकर माला बनाकर पहनन वाला अगिलमाल जसा बर हतयारा भी दयपिरवतरन पाकर ब की शरण म िभकषक होकर रहन लगा

आज हम ब को बहत आदर स जानत ह मानत ह उनक जीवनकाल क दौरान उनक पीछ लग हए द लोग कौन स नरक म सड़त होग रौरव नरक म या कभीपाक नरक म कौन-सी योिनयो म भटकत होग सअर बन होग िक नाली क कीड़ बन होग शतान बन होग िक राकषस बन होग मझ पता नही लिकन ब तो करोड़ो दयो म बस रह ह यह म मानता ह

सतय तो परमाथर ह आतमा ह परमातमा ह उसम िजतना िटकोग उतना तमहारा मगल होगा तमहारी िनगाह िजन पर पड़गी उनका भी मगल होगा

(अनबम)

कछ जानन यो य बात सय दय स पवर उठकर ःनान कर लना चािहए ातः खाली पट मटक का बासी पानी

पीना ःवाःथयद ह तलसी क प सय दय क प ात ही तोड़ दध म तलसी क प नही डालन चािहए तथा

दध क साथ खान भी नही चािहए तलसी क प खाकर थोड़ा पानी पीना िपय जलनित स पिह सौ कार क लाभ होत ह अपन मिःतक म एक कार का िवजाितय

िवय उतपनन होता ह यिद वह िवय वही अटक जाता ह तो बचपन म ही बाल सफद होन लगत ह इसस नजल की बीमारी भी होती ह यिद वह िवय नाक की तरफ आता ह तो सगनध-दगरनध का पता नही चल पाता और ज दी-ज दी जकाम हो जाता ह यिद वह िवय कान की तरफ आता ह तो कान बहर होन लगत ह और छोट-मोट ब ीस रोग हो सकत ह यिद वह िवय दात की तरफ आय तो दात छोटी उ म ही िगरन लगत ह यिद आख की तरफ वह िवय उतर तो चम लगन लगत ह जलनित यािन नाक स पानी खीचकर मह स िनकाल दन स वह िवय िनकल जाता ह गल क ऊपर क ायः सभी रोगो स मि िमल जाती ह

आईसबीम खान क बाद चाय पीना दातो क िलए अतयािधक हािनकारक होता ह

भोजन को पीना चािहए तथा पानी को खाना चािहए इसका मतलब यह ह िक भोजन को इतना चबाओ िक वह पानी की तरह पतला हो जाय और पानी अथवा अनय पय पदाथ को धीर-धीर िपयो

िकसी भी कार का पय पदाथर पीना हो तो दाया नथना बनद करक िपय इसस वह अमत जसा हो जाता ह यिद दाया ःवर(नथना) चाल हो और पानी आिद िपय तो जीवनशि (ओज) पतली होन लगती ह चयर की रकषा क िलए शरीर को तनदरःत रखन क िलए यह योग करना चािहए

तम चाह िकतनी भी महनत करो िकनत िजतना तमहारी नसो म ओज ह चयर की शि ह उतन ही तम सफल होत हो जो चाय-कॉफी आिद पीत ह उनका ओज पतला होकर पशाब ारा न होता जाता ह अतः चयर की रकषा क िलए चाय-कॉफी जस वयसनो स दर रहना रह

पढ़न क बाद थोड़ी दर शात हो जाना चािहए जो पढ़ा ह उसका मनन करो िशकषक ःकल म जब पढ़ात हो तब धयान स सनो उस व मःती-मजाक नही करना चािहए िवनोद-मःती कम स कम करो और समझन की कोिशश अिधक करो

जो सय दय क पवर नही उठता उसक ःवभाव म तमस छा जाता ह जो सय दय क पवर उठता ह उसकी बि शि बढ़ती ह

नीद म स उठकर तरत भगवान का धयान करो आतमःनान करो धयान म रिच नही होती तो समझना चािहए िक मन म दोष ह उनह िनकालन क िलए कया करना चािहए

मन को िनद ष बनान क िलए सबह-शाम माता-िपता को णाम करना चािहए गरजनो को णाम करना चािहए एव भगवान क नाम का जप करना चािहए भगवान स ाथरना करनी चािहए िक ह भगवान ह मर भ मरी धयान म रिच होन लग ऐसी कपा कर दो िकसी समय गद िवचार िनकल आय तो समझना चािहए िक अदर छप हए िवचार िनकल रह ह अतः खश होना चािहए िवचार आया और गया मर राम तो दय म ही ह ऐसी भावना करनी चािहए

िनदा करना तो अचछा नही ह िकनत िनदा सनना भी उिचत नही (अनबम)

शयन की रीत मनय को िकस ढग स सोना चािहए इसका भी तरीका होता ह सोत व पवर अथवा

दिकषण िदशा की ओर िसर करक ही सोना चािहए

भोजन करन क बाद िदन म दस िमनट आराम कर िकनत सोय नही भोजन क बाद दस िमनट बायी करवट लट सकत ह रािऽ को जागरण िकया हो इस कारण स कभी िदन म सोना पड़ वह अलग बात ह

सोत व नीच कोई गमर कबल आिद िबछाकर सोय तािक आपकी जीवनशि अिथग न हो जाय आपक शरीर की िव तशि भिम म न उतर जाय

(अनबम)

ःनान का तरीका शरीर की मजबती एव आरो यता क िलए रगड़-रगड़कर ःनान करना चािहए जो लोग

ठड दशो म रहत ह उनका ःवाःथय गमर दस क लोगो की अपकषा अचछा होता ह ठडी स अपना शरीर सधरता ह

ःनान करत व 12-15 िलटर पानी बा टी म लकर पहल उसम िसर डबाना चािहए िफर पर िभगोना चािहए पहल पर गील नही करन चािहए शरीर की गम ऊपर की ओर चढ़ती ह जो ःवाःथय क िलए हािनकारक होती ह

अतः पहल ठड पानी की बा टी भर ल िफर मह म पानी भरकर िसर को बा टी म डाल और आख पटपटाए इसस आखो की शि बढ़ती ह शरीर को रगड़-रगड़कर नहाए बाद म गील व स शरीर को रगड़-रगड़कर पोछ िजसस रोम कप का सारा मल बाहर िनकल जाय और रोमकप(तवचा क िछि) खल जायय तवचा क िछि बद रहन स ही तवचा की कई बीमािरया होती ह िफर सख कपड़ स शरीर को पोछ कर (अथवा थोड़ा गीला हो तब भी चल) सख साफ व पहन ल व भल साद हो िकनत साफ हो बासी कपड़ नही पहन हमशा धल हए कपड़ ही पहन इसस मन भी सनन रहता ह

पाच कार क ःनान होत हः ःनान दवःनान ऋिषःनान मानवःनान दानवःनान ःनानः -परमातमा का िचतन करक जल थल नहान वाला

ऐसा िचतन करक ा महतर म नहाना इस ःनान कहत ह दवःनानः दवनिदयो म ःनान या दवनिदयो का ःमरण करक सय दय स पवर नहाना यह

दवःनान ह ऋिषःनानः आकाश म तार िदखत हो और नहा ल यह ऋिषःनान ह ऋिषःनान करन

वाल की बि बड़ी तजःवी होती ह मानवःनानः सय दय क पवर का ःनान मानवःनान ह

दानवःनानः सय दय क प ात चाय पीकर नाता करक आठ नौ बज नहाना यह दानव ःनान ह

अतः हमशा ऋिषःनान करन का ही यास करना चािहए (अनबम)

ःवचछता का धयान यिद शरीर की सफाई रखी जाय तो मन भी सनन रहता ह आजकल अिधकतर लोग

श स ही मजन करत ह श की अपकषा नीम और बबल की दातौन जयादा अचछ होती ह और यिद श भी कर तो कभी-कभार श को गमर पानी स धोना चािहए अनयथा उसम बकटिरया(जीवाण) रह जात ह

िकतन ही लोग उगली स दात साफ करत ह तजरनी (अगठ क पास वाली थम उगली) स दात िघसन स मसड़ कमजोर हो जात ह तथा दात ज दी िगर जात ह कयोिक तजरनी म िव तशि का माण दसरी उगिलयो की अपकषा अिधक होता ह अतः उसस दात नही िघसन चािहए एव आखो को भी नही मसलना चािहए

िजस िदशा स हवा आती हो उस िदशा की ओर मह करक कभी-भी मलमऽ का िवसजरन नही करना चािहए सयर और चनिमा की ओर मख करक भी मलमऽ का िवसजरन नही करना चािहए

(अनबम)

ःमरणशि का िवकास यादशि बढ़ान का एक सनदर योग ह ETH ामरी ाणायाम सखासन प ासन या

िस ासन पर बठ हाथ की कोहनी की ऊचाई कनध तक रह इस कार रखकर हाथ की थम उगली(तजरनी) स दोनो कानो को धीर-स बद कर एकदम जोर स बद न कर िकनत बाहर का कछ सनाई न द इस कार धीर स कान बनद कर

अब गहर ास लकर थोड़ी दर रोक ओठ बद रखकर जस मर का गजन होता ह वस ॐsssss कहत हए गजन कर उसक बाद थोड़ी दर तक ास न ल पनः यही िबया दहराय ऐसा सबह एव शाम 8 स 10 बार कर यादशि बढ़ान का यह यौिगक योग ह इसस मिःतक की नािड़यो का शोधन होकर मिःतक म र सचार उिचत ढग स होता ह

और िवचार करन स भी बि शि का िवकास होता ह

सबह खाली पट तलसी क प एकाध काली िमचर चबाकर एक िगलास पानी पीन स भी ःमरणशि का िवकास होता ह रोग-ितकारक शि बढ़ती ह कनसर की बीमारी कभी नही होती जलदर-भगदर की बीमारी भी कभी नही होती

(अनबम)

वयि तव और वयवहार िकसी भी वयि तव का पता उसक वयवहार स ही चलता ह कई लोग वयथर च ा करत

ह एक होती ह सकाम च ा दसरी होती ह िनकाम च ा और तीसरी होती ह वयथर च ा वयथर च ा नही करनी चािहए िकसी क शरीर म कोई कमी हो तो उसका मजाक नही उड़ाना चािहए वरन उस मददरप बनना चािहए यह िनकाम सवा ह

िकसी की भी िनदा नही करनी चािहए िनदा करन वाला वयि िजसकी िनदा करता ह उसका तो इतना अिहत नही होता िजतना वह अपना अिहत करता ह जो दसरो की सवा करता ह दसरो क अनकल होता ह वह दसरो का िजतना िहत करता ह उसकी अपकषा उसका खद का िहत जयादा होता ह

अपन स जो उ स बड़ हो जञान म बड़ हो तप म बड़ हो उनका आदर करना चािहए िजस मनय क साथ बात करत हो वह मनय कौन ह यह जानकर बात करो तो आप वयवहार-कशल कहलाओग

िकसी को पऽ िलखत हो तो यिद अपन स बड़ हो तो ौी सबोधन करक िलखो सबोधन करन स सवाकयो की रचना स िश ता बढ़ती ह िकसी स बात करो तो सबोधन करक बात करो जो तकार स बात करता ह वह अिश कहलाता ह िश तापवरक बात करन स अपनी इजजत बढ़ती ह

िजसक जीवन म वयवहार-कशलता ह वह सभी कषऽो म सफल होता ह िजसम िवनता ह वही सब कछ सीख सकता ह िवनता िव ा बढ़ाती ह िजसक जीवन म िवनता नही ह समझो उसक सब काम अधर रह गय और जो समझता ह िक म सब कछ जानता ह वह वाःतव म कछ नही जानता

एक िचऽकार अपन गरदव क सममख एक सनदर िचऽ बनाकर लाया गर न िचऽ दखकर कहाः

वाह वाह सनदर ह अदभत ह

िशय बोलाः गरदव इसम कोई ऽिट रह गयी हो तो कपा करक बताइए इसीिलए म आपक चरणो म आया ह

गरः कोई ऽिट नही ह मझस भी जयादा अचछा बनाया ह

वह िशय रोन लगा उस रोता दखकर गर न पछाः तम कयो रो रह हो म तो तमहारी शसा कर रहा ह

िशयः गरदव मरी घड़ाई करन वाल आप भी यिद मरी शसा ही करग तो मझ मरी गि तया कौन बतायगा मरी गित कस होगी

यह सनकर गर अतयत सनन हो गय हमन िजतना जाना िजतना सीखा ह वह तो ठ क ह उसस जयादा जान सक सीख सक

ऐसा हमारा यास होना चािहए रामकण परमहस व हो गय थ िकसी न उनस पछाः बाबा जी आपन सब कछ जान

िलया ह

रामकण परमहसः नही म जब तक जीऊगा तब तक िव ाथ ही रहगा मझ अभी बहत कछ सीखना बाकी ह

िजनक पास सीखन को िमल उनस िवनतापवरक सीखना चािहए जो कछ सीखो सावधानीपवरक सीखो जीवन म िवनोद जररी ह िकनत िवनोद की अित न हो िजस समय पढ़त हो कछ सीखत हो कछ करत हो उस समय मःती नही िवनोद नही वरन जो कछ पढ़ो सीखो या करो उस उतसाह स धयान स और सावधानी स करो

पढ़न स पवर थोड़ धयानःथ हो जाओ पढ़न क बाद मौन हो जाओ यह गित की चाबी ह

माता-िपता स िचढ़ना नही चाह िजस मा-बाप न जनम िदया ह उनकी बातो को समझना चािहए अपन िलए उनक मन म िवशष दया हो िवशष म उतपनन हो ऐसा वयवहार करना चािहए

भल जाओ भल सब कछ माता-िपता को भलना नही अनिगनत उपकार ह उनक यह कभी िबसरना नही

माता-िपता को सतोष हो उनका दय सनन हो ऐसा हमारा वयवहार होना चािहए अपन माता-िपता एव गरजनो को सत रखकर ही हम सचची गित कर सकत ह

(अनबम)

  • पजय बाप जी का उदबोधन
  • कदम अपना आग बढाता चला जा
  • त गलाब होकर महक
  • जीवन विकास का मल सयम
  • तरिकाल सधया
  • शरीर सवासथय
  • अनन का परभाव
  • भारतीय ससकति की महानता
  • हरिदास की हरिभकति
  • बनावटी शरगार स बचो
  • साहसी बालक
  • गर-आजञापालन का चमतकार
  • अनोखी गरदकषिणा
  • सतसग की महिमा
  • पीड पराई जान र
  • विकास क बरियो स सावधान
  • कछ जानन योगय बात
  • शयन की रीत
  • सनान का तरीका
  • सवचछता का धयान
  • समरणशकति का विकास
  • वयकतितव और वयवहार
Page 31: Tu gulabhokarmehak

बालकः पापी आदमी यिद सखी ह तो पाप क कारण नही वरन िपछल जनम का कोई प य ह उसक कारण सखी ह वह अपन प य खतम कर रहा ह पापी मनय भीतर स तो दःखी ही होता ह भल ही बाहर स सखी िदखाई द

धािमरक आदमी को ठ क समझ नही होती उिचत िदशा व मऽ नही िमलता इसिलए वह दःखी होता ह वह धमर क कारण दःखी नही होता अिपत समझ की कमी क कारण दःखी होता ह समझदार को यिद कोई गर िमल जाय तो वह नर म स नारायण बन जाय इसम कया आ यर ह

ा णः म इतना बढ़ा हो गया इतन वष स काि रक कषऽ म तप कर रहा ह मर तप का फल यही ह िक तमहार जस सात वषर क योगी क मझ दशरन हो रह ह म तमह णाम करता ह

बालकः नही नही महाराज आप तो भदव ह म तो बालक ह म आपको णाम करता ह

उसकी नता दखकर ा ण और खश हआ तप छोड़कर वह परमातमिचनतन म लग गया अब उस कछ जानन की इचछा नही रही िजसस सब कछ जाना जाता ह उसी परमातमा म िवौाित पान लग गया

इस कार ननदभि ा ण को उ र द िनःशक कर सात िदनो तक िनराहार रहकर वह बालक सयरमनऽ का जप करता रहा और वही बहदक तीथर म उसन शरीर तयाग िदया वही बालक दसर जनम म कषार िपता एव िमऽा माता क यहा गट हआ उसका नाम मऽय पड़ा इनहोन वयासजी क िपता पराशरजी स िवण-पराण तथा बहत पाराशर होरा शा का अधययन िकया था पकषपात रिहत अनभवकाश नामक मनथ म मऽय तथा पराशर ऋिष का सवाद आता ह

कहा तो सड़क स गजरकर नाली म िगरन जा रहा कीड़ा और कहा सत क सािननधय स वह मऽय ऋिष बन गया सतसग की बिलहारी ह इसीिलए तलसीदास जी कहत ह ETH

तात ःवगर अपवगर सख धिरअ तला एक अग तल न तािह सकल िमली जो सख लव सतसग

यहा एक शका हो सकती ह िक वह कीड़ा ही मऽय ऋिष कयो नही बन गया

अर भाई यिद आप पहली ककषा क िव ाथ हो और आपको एम ए म िबठाया जाय तो कया आप पास हो सकत हो नही दसरी तीसरी चौथी दसवी बारहवी बीए आिद पास करक ही आप एमए म वश कर सकत हो

िकसी चौकीदार पर कोई धानमनऽी अतयिधक सनन हो जाए तब भी वह उस सीधा कलकटर (िजलाधीश) नही बना सकता ऐस ही नाली म रहन वाला कीड़ा सीधा मनय तो नही

हो सकता बि क िविभनन योिनयो को पार करक ही मनय बन सकता ह हा इतना अवय ह िक सतकपा स उसका मागर छोटा हो जाता ह

सतसमागम की साध परषो स सग की मिहमा का कहा तक वणरन कर कस बयान कर एक सामानय कीड़ा उनक सतसग को पाकर महान ऋिष बन सकता ह तो िफर यिद मानव को िकसी सदगर का सािननधय िमल जाय उनक वचनानसार चल पड़ तो मि का अनभव करक जीवनम भी बन सकता ह

(अनबम)

पीड़ पराई जान र जञानी िकसी स यार करन क िलए बध हए नही ह और िकसी को डाटन म भी राजी

नही ह हमारी जसी यो यता होती ह ऐसा उनका वयवहार हमार ित होता ह लीलाशाह बाप क ौीचरणो म बहत लोग गय थ एक लड़का भी गया था वह मिणनगर

म रहता था िशवजी को जल चढ़ान क प ात ही वह जल पीता वह लड़का खब िन ा स धयान-भजन करता और सवा पजा करता

एक िदन कोई वयि राःत म बहोश पड़ा हआ था िशवजी को जल चढ़ान जात समय उस बालक न उस दखा और अपनी पजा-वजा छोड़कर उस गरीब की सवा म लग गया िबहार का कोई यवक था नौकरी की खोज म आया था कालपर(अहमदाबाद) ःटशन क लटफामर पर एक दो िदन रहा किलयो न मारपीट कर भगा िदया चलत-चलत मिणनगर म पनीत आौम की ओर रोटी की आशा म जा रहा था रोटी तो वहा नही िमलती थी इसिलए भख क कारण चलत-चलत राःत म िगर गया और बहोश हो गया

उस लड़क का घर पनीत आौम क पास ही था सबह क दस साढ़ दस बज थ वह लड़का घर स धयान-भजन स िनपटकर मिदर म िशवजी को जल चढ़ान क िलए जल का लोटा और पजा की साममी लकर जा रहा था उसन दखा िक राःत म कोई यवक पड़ा ह राःत म चलत-चलत लोग बोलत थः शराब पी होगी यह होगा वह होगा हम कया

लड़क को दया आई प य िकय हए हो तो रणा भी अचछ िमलती ह शभ कम स शभ रणा िमलती ह अपन पास की पजा साममी एक ओर रखकर उसन उस वयि को िहलाया बहत मिकल स उसकी आख खली कोई उस जत सघाता कोई कछ करता कोई कछ बोलता था

आख खोलत ही वह वयि धीर स बोलाः पानी पानी

लड़क न महादव जी क िलय लाया हआ जल का लोटा उस िपला िदया िफर दोड़कर घर जाकर अपन िहःस का दध लाकर उस िदया

यवक क जी म जी आया उसन अपनी वयथा बतात हए कहाः बाब जी म िबहार स आया ह मर बाप गजर गय काका िदन-रात टोकत रहत त िक

कमाओ नही तो खाओग कया नौकरी धधा िमलता नही ह भटकत-भटकत अहमदाबाद क ःटशन पर कली का काम करन का य िकया हमारी रोटी-रोजी िछन जायगी ऐसा समझकर किलयो न खब मारा पदल चलत-चलत मिणनगर ःटशन की ओर आत-आत यहा तीन िदन की भख और मार क कारण चककर आय और िगर गया

लड़क न उस िखलाया अपना इक ठा िकया हआ जबखचर का पसा िदया उस यवक को जहा जाना था वहा भजन की वयवःथा की इस लड़क क दय म आनद की वि हई अतर म आवाज आईः

बटा अब म तझ बहत ज दी िमलगा

लड़क न िकयाः अनदर कौन बोलता ह

उ र आयाः िजस िशव की त पजा करता ह वह तरा आतमिशव अब म तर दय म कट होऊगा सवा क अिधकारी की सवा मझ िशव की ही सवा ह

उस िदन उस अतयारमी न अनोखी ऱणा और ोतसाहन िदया वह लड़का तो िनकल पड़ा घर छोड़कर ई र-साकषातकार करन क िलए कदारनाथ वनदावन होत हए निनताल क अर य म पहचा

कदारनाथ क दशरन पाय लकषािधपित आिशष पाय

इस आशीवारद को वापस कर ई राि क िलए िफर पजा की उसक पास जो कछ रपय पस थ उनह वनदावन म साध-सतो एव गरीबो म भ डारा करक खचर कर िदया था थोड़ स पस लकर निनताल क अर यो म पहचा लोकलाड़ल लाखो दयो को हिररस िपलात पजयपाद सदगर ौी लीलाशाह बाप की राह दखत हए चालीस िदन बीत गय गरवर ौी लीलाशाह को अब पणर समिपरत िशय िमला पणर खजाना ा करन वाला पिवऽातमा िमला पणर गर की पणर िशय िमला

िजस लड़क क िवषय म यह कथा पढ़ रह ह वह लड़का कौन होगा जानत हो

पणर गर कपा िमली पणर गर का जञान आसमल स हो गय साई आसाराम

अब तो समझ ही गय होग (उस लड़क क वश म छप हए थ पवर जनम क योगी और वतरमान म िव िव यात हमार

पजयपाद सदगरदव ौी आसाराम जी महाराज)

(अनबम)

िवकास क बिरयो स सावधान किपलवःत क राजा श ोदन का यवराज था िस ाथर यौवन म कदम रखत ही िववक

और वरा य जाग उठा यवान प ी यशोधरा और नवजात िशश राहल की मोह-ममता की रशमी जजीर काटकर महाभीिनबमण (गहतयाग) िकया एकानत अर य म जाकर गहन धयान साधना करक अपन साधय त व को ा कर िलया

एकानत म तप यार और धयान साधना स िखल हए इस आधयाितमक कसम की मधर

सौरभ लोगो म फलन लगी अब िस ाथर भगवान ब क नाम स जन-समह म िस हए हजारो हजारो लोग उनक उपिद मागर पर चलन लग और अपनी अपनी यो यता क मतािबक आधयाितमक याऽा म आग बढ़त हए आितमक शाित ा करन लग अस य लोग बौ िभकषक बनकर भगवान ब क सािननधय म रहन लग उनक पीछ चलन वाल अनयायीओ का एक सघ ःथािपत हो गया चह ओर नाद गजन लग िकः

ब शरण गचछािम धमम शरण गचछािम सघ शरण गचछािम

ौावःती नगरी म भगवान ब का बहत यश फला लोगो म उनकी जय-जयकार होन लगी लोगो की भीड़-भाड़ स िवर होकर ब नगर स बाहर जतवन म आम क बगीच म रहन लग नगर क िपपास जन बड़ी तादाद म वहा हररोज िनि त समय पर पहच जात और उपदश-वचन सनत बड़-बड़ राजा महाराजा भगवान ब क सािननधय म आन जान लग

समाज म तो हर कार क लोग होत ह अनािद काल स दवी समपदा क लोग एव आसरी समपदा क लोग हआ करत ह ब का फलता हआ यश दखकर उनका तजो ष करन वाल लोग जलन लग सतो क साथ हमशा स होता आ रहा ह ऐस उन द त वो न ब को बदनाम करन क िलए कचार िकया िविभनन कार की यि -यि या लड़ाकर ब क यश को हािन पहच ऐसी बात समाज म व लोग फलान लग उन द ो न अपन ष यऽ म एक वया को समझा-बझाकर शािमल कर िलया

वया बन-ठनकर जतवन म भगवान ब क िनवास-ःथानवाल बगीच म जान लगी

धनरािश क साथ द ो का हर कार स सहारा एव ोतसाहन उस िमल रहा था रािऽ को वही रहकर सबह नगर म वािपस लोट आती अपनी सिखयो म भी उसन बात फलाई

लोग उसस पछन लगः अरी आजकल त िदखती नही ह कहा जा रही ह रोज रात को

म तो रोज रात को जतवन जाती ह व ब िदन म लोगो को उपदश दत ह और रािऽ क समय मर साथ रगरिलया मनात ह सारी रात वहा िबताकर सबह लोटती ह

वया न परा ीचिरऽ आजमाकर ष यऽ करन वालो का साथ िदया लोगो म पहल तो हलकी कानाफसी हई लिकन जयो-जयो बात फलती गई तयो-तयो लोगो म जोरदार िवरोध होन लगा लोग ब क नाम पर िफटकार बरसान लग ब क िभकषक बःती म िभकषा लन जात तो लोग उनह गािलया दन लग ब क सघ क लोग सवा-वि म सल न थ उन लोगो क सामन भी उगली उठाकर लोग बकवास करन लग

ब क िशय जरा असावधान रह थ कचार क समय साथ ही साथ स चार होता तो कचार का इतना भाव नही होता िशय अगर िनिबय रहकर सोचत रह जाय िक करगा सो भरगा भगवान उनका नाश करग तो कचार करन वालो को ख ला मदान िमल जाता ह

सत क सािननधय म आन वाल लोग ौ ाल सजजन सीध साद होत ह जबिक द वि करन वाल लोग किटलतापवरक कचार करन म कशल होत ह िफर भी िजन सतो क पीछ सजग समाज होता ह उन सतो क पीछ उठन वाल कचार क तफान समय पाकर शात हो जात ह और उनकी सतवि या काशमान हो उठती ह

कचार न इतना जोर पकड़ा िक ब क िनकटवत लोगो न ऽािहमाम पकार िलया व समझ गय िक यह वयविःथत आयोजनपवरक ष यऽ िकया गया ह ब ःवय तो पारमािथरक सतय म जाग हए थ व बोलतः सब ठ क ह चलन दो वयवहािरक सतय म वाहवाही दख ली अब िननदा भी दख ल कया फकर पड़ता ह

िशय कहन लगः भनत अब सहा नही जाता सघ क िनकटवत भ भी अफवाहो क िशकार हो रह ह समाज क लोग अफवाहो की बातो को सतय मानन लग गय ह

ब ः धयर रखो हम पारमािथरक सतय म िवौाित पात ह यह िवरोध की आधी चली ह तो शात भी हो जाएगी समय पाकर सतय ही बाहर आयगा आिखर म लोग हम जानग और मानग

कछ लोगो न अगवानी का झ डा उठाया और राजयस ा क समकष जोर-शोर स माग की

िक ब की जाच करवाई जाय लोग बात कर रह ह और वया भी कहती ह िक ब रािऽ को मर साथ होत ह और िदन म सतसग करत ह

ब क बार म जाच करन क िलए राजा न अपन आदिमयो को फरमान िदया अब ष यऽ करनवालो न सोचा िक इस जाच करन वाल पच म अगर सचचा आदमी आ जाएगा तो अफवाहो का सीना चीरकर सतय बाहर आ जाएगा अतः उनहोन अपन ष यऽ को आिखरी

पराका ा पर पहचाया अब ऐस ठोस सबत खड़ा करना चािहए िक ब की ितभा का अःत हो जाय

उनहोन वया को दार िपलाकर जतवन भज िदया पीछ स ग डो की टोली वहा गई वया पर बलातकार आिद सब द कतय करक उसका गला घोट िदया और लाश को ब क बगीच म गाड़कर पलायन हो गय

लोगो न राजयस ा क ार खटखटाय थ लिकन स ावाल भी कछ लोग द ो क साथ जड़ हए थ ऐसा थोड़ ही ह िक स ा म बठ हए सब लोग दध म धोय हए वयि होत ह

राजा क अिधकािरयो क ारा जाच करन पर वया की लाश हाथ लगी अब द ो न जोर-शोर स िच लाना शर कर िदया

दखो हम पहल ही कह रह थ वया भी बोल रही थी लिकन तम भगतड़ लोग मानत ही नही थ अब दख िलया न ब न सही बात खल जान क भय स वया को मरवाकर बगीच म गड़वा िदया न रहगा बास न बजगी बासरी लिकन सतय कहा तक िछप सकता ह म ामाल हाथ लग गया इस ठोस सबत स ब की असिलयत िस हो गई सतय बाहर आ गया

लिकन उन मख का पता नही िक तमहारा बनाया हआ कि पत सतय बाहर आया वाःतिवक सतय तो आज ढाई हजार वषर क बाद भी वसा ही चमक रहा ह आज ब को लाखो लोग जानत ह आदरपवरक मानत ह उनका तजो ष करन वाल द लोग कौन-स नरको म जलत होग कया पता

ढाई हजार वषर पहल ब क जमान म भी सतो क साथ ऐसा घोर अनयाय हआ करता था ऋिष दयाननद को भी ऐस ही त वो न तजो ष क कारण बाईस बार िवष दकर मार डालन का यास िकया ःवामी िववकाननद और ःवामी रामतीथर क पीछ भी द लोगो न वया को तयार करक कीचड़ उछाला था

एक ओर लाखो-लाखो लोग सतो की अनभवय वाणी स अपना वयावहािरक ETH आधयाितमक जीवन उननत करक सख-शाित पात ह दसरी ओर कछ द कित क ःवाथ लोग अपना उ ल सीधा करन क िलए ऐस महापरषो क िवर म ष यऽ रचकर उनको बदनाम करत ह यह तो पहल स चला आ रहा ह सत कबीर हो या नानक एकनाथ महाराज हो या सत तकाराम नरिसह महता हो या मीराबाई ायः सभी सतो को अपन जीवन क दौरान समाज क किटल त वो स पाला पड़ता ही रहा ह जीसस बाइःट को इनही त वो न बॉस पर चढ़ाया था उनही लोगो न सकरात को जहर िपलाकर मतयद ड िदया था मनसर को इसी जमात न शली पर चढ़ाया था ईसाई धमर म माट न यथर पर ज म िकया गया था अण-अण म ई र और नारीमाऽ म जगजजननी भगवती का दशरन करन वाल रामकण परमहस को भी लोगो न नही

छोड़ा था परमहस योगाननद रवीनिनाथ टगोर माट न यथर दिकषण भारत क सत ितरव लवर जापानी झन सत बाबो इितहास म िकतन-िकतन उदाहरण मौजद ह

हािसद धमरगर बा शमटोव अित पिवऽ आतमा थ िननदको न उनक इदरिगदर भी मायाजाल िबछा दी थी िसध क साई टउराम क पास अस य लोग आतमक याण हत जान लग तब िवकत िदमागवालो न उन सत को भी ऽास दना शर कर िदया उनक आौम क चह ओर गदगी डाल दत और कए म िम टी का तल उड़लकर पानी बकार कर दत मगल बादशाह बाबर को बहका कर उनही लोगो न गर नानक को कद करवाया था

भगवान ौीराम एव ौीकण को भी द जनो न छोड़ा नही था भगवान ौीराम क गर विश जी महाराज कहत हः

ह राम जी म जब बाजार स गजरता ह तब अजञानी मखर लोग मर िलए कया बकत ह म सब जानता ह लिकन मरा दयाल ःवभाव ह म इन सबका क याण चाहता ह

तमहार साथ यह ससार कछ अनयाय करता ह तमको बदनाम करता ह िननदा करता ह तो यह ससार की परानी रीत ह मनय की हीनवि कचार िननदाखोरी यह आजकल की ही बात नही ह अनािदकाल स ऐसा होता आया ह तम अपन आतमजञान क सःकार जगाकर आतमबल का िवकास करत जाओ मःकरात जाओ आधी तफानो को लाघकर आननदपवरक जीत जाओ

उस जमान म भगवान ब क पास आकर एक िभकषक न ाथरना कीः भनत मझ आजञा द म सभाए भरगा आपक िवचारो का चार करगा

मर िवचारो का चार

हा भगवन म बौ धमर फलाऊगा

लोग तरी िननदा करग गािलया दग

कोई हजर नही म भगवन को धनयवाद दगा िक य लोग िकतन अचछ ह य कवल श दहार करत ह मझ पीटत तो नही

लोग तझ पीटग भी तो कया करोग

भो म शब गजारगा िक य लोग हाथो स पीटत ह पतथर तो नही मारत

लोग पतथर भी मारग और िसर भी फोड़ दग तो कया करगा

िफर भी म आ ःत रहगा और भगवान का िदवय कायर करता रहगा कयोिक व लोग मरा िसर फोड़ग लिकन ाण तो नही लग

लोग जनन म आकर तझ मार दग तो कया करगा

भनत आपक िदवय िवचारो का चार करत-करत म मर भी गया तो समझगा िक मरा जीवन सफल हो गया

उस कतिन यी िभकषक की दढ़ िन ा दखकर भगवान ब सनन हो उठ उस पर उनकी करणा बरस पड़ी

ऐस िशय जब ब का चार करन िनकल पड़ तब कचार करन वाल धीर-धीर शात हो गय मनयो की उगिलया काट-काटकर माला बनाकर पहनन वाला अगिलमाल जसा बर हतयारा भी दयपिरवतरन पाकर ब की शरण म िभकषक होकर रहन लगा

आज हम ब को बहत आदर स जानत ह मानत ह उनक जीवनकाल क दौरान उनक पीछ लग हए द लोग कौन स नरक म सड़त होग रौरव नरक म या कभीपाक नरक म कौन-सी योिनयो म भटकत होग सअर बन होग िक नाली क कीड़ बन होग शतान बन होग िक राकषस बन होग मझ पता नही लिकन ब तो करोड़ो दयो म बस रह ह यह म मानता ह

सतय तो परमाथर ह आतमा ह परमातमा ह उसम िजतना िटकोग उतना तमहारा मगल होगा तमहारी िनगाह िजन पर पड़गी उनका भी मगल होगा

(अनबम)

कछ जानन यो य बात सय दय स पवर उठकर ःनान कर लना चािहए ातः खाली पट मटक का बासी पानी

पीना ःवाःथयद ह तलसी क प सय दय क प ात ही तोड़ दध म तलसी क प नही डालन चािहए तथा

दध क साथ खान भी नही चािहए तलसी क प खाकर थोड़ा पानी पीना िपय जलनित स पिह सौ कार क लाभ होत ह अपन मिःतक म एक कार का िवजाितय

िवय उतपनन होता ह यिद वह िवय वही अटक जाता ह तो बचपन म ही बाल सफद होन लगत ह इसस नजल की बीमारी भी होती ह यिद वह िवय नाक की तरफ आता ह तो सगनध-दगरनध का पता नही चल पाता और ज दी-ज दी जकाम हो जाता ह यिद वह िवय कान की तरफ आता ह तो कान बहर होन लगत ह और छोट-मोट ब ीस रोग हो सकत ह यिद वह िवय दात की तरफ आय तो दात छोटी उ म ही िगरन लगत ह यिद आख की तरफ वह िवय उतर तो चम लगन लगत ह जलनित यािन नाक स पानी खीचकर मह स िनकाल दन स वह िवय िनकल जाता ह गल क ऊपर क ायः सभी रोगो स मि िमल जाती ह

आईसबीम खान क बाद चाय पीना दातो क िलए अतयािधक हािनकारक होता ह

भोजन को पीना चािहए तथा पानी को खाना चािहए इसका मतलब यह ह िक भोजन को इतना चबाओ िक वह पानी की तरह पतला हो जाय और पानी अथवा अनय पय पदाथ को धीर-धीर िपयो

िकसी भी कार का पय पदाथर पीना हो तो दाया नथना बनद करक िपय इसस वह अमत जसा हो जाता ह यिद दाया ःवर(नथना) चाल हो और पानी आिद िपय तो जीवनशि (ओज) पतली होन लगती ह चयर की रकषा क िलए शरीर को तनदरःत रखन क िलए यह योग करना चािहए

तम चाह िकतनी भी महनत करो िकनत िजतना तमहारी नसो म ओज ह चयर की शि ह उतन ही तम सफल होत हो जो चाय-कॉफी आिद पीत ह उनका ओज पतला होकर पशाब ारा न होता जाता ह अतः चयर की रकषा क िलए चाय-कॉफी जस वयसनो स दर रहना रह

पढ़न क बाद थोड़ी दर शात हो जाना चािहए जो पढ़ा ह उसका मनन करो िशकषक ःकल म जब पढ़ात हो तब धयान स सनो उस व मःती-मजाक नही करना चािहए िवनोद-मःती कम स कम करो और समझन की कोिशश अिधक करो

जो सय दय क पवर नही उठता उसक ःवभाव म तमस छा जाता ह जो सय दय क पवर उठता ह उसकी बि शि बढ़ती ह

नीद म स उठकर तरत भगवान का धयान करो आतमःनान करो धयान म रिच नही होती तो समझना चािहए िक मन म दोष ह उनह िनकालन क िलए कया करना चािहए

मन को िनद ष बनान क िलए सबह-शाम माता-िपता को णाम करना चािहए गरजनो को णाम करना चािहए एव भगवान क नाम का जप करना चािहए भगवान स ाथरना करनी चािहए िक ह भगवान ह मर भ मरी धयान म रिच होन लग ऐसी कपा कर दो िकसी समय गद िवचार िनकल आय तो समझना चािहए िक अदर छप हए िवचार िनकल रह ह अतः खश होना चािहए िवचार आया और गया मर राम तो दय म ही ह ऐसी भावना करनी चािहए

िनदा करना तो अचछा नही ह िकनत िनदा सनना भी उिचत नही (अनबम)

शयन की रीत मनय को िकस ढग स सोना चािहए इसका भी तरीका होता ह सोत व पवर अथवा

दिकषण िदशा की ओर िसर करक ही सोना चािहए

भोजन करन क बाद िदन म दस िमनट आराम कर िकनत सोय नही भोजन क बाद दस िमनट बायी करवट लट सकत ह रािऽ को जागरण िकया हो इस कारण स कभी िदन म सोना पड़ वह अलग बात ह

सोत व नीच कोई गमर कबल आिद िबछाकर सोय तािक आपकी जीवनशि अिथग न हो जाय आपक शरीर की िव तशि भिम म न उतर जाय

(अनबम)

ःनान का तरीका शरीर की मजबती एव आरो यता क िलए रगड़-रगड़कर ःनान करना चािहए जो लोग

ठड दशो म रहत ह उनका ःवाःथय गमर दस क लोगो की अपकषा अचछा होता ह ठडी स अपना शरीर सधरता ह

ःनान करत व 12-15 िलटर पानी बा टी म लकर पहल उसम िसर डबाना चािहए िफर पर िभगोना चािहए पहल पर गील नही करन चािहए शरीर की गम ऊपर की ओर चढ़ती ह जो ःवाःथय क िलए हािनकारक होती ह

अतः पहल ठड पानी की बा टी भर ल िफर मह म पानी भरकर िसर को बा टी म डाल और आख पटपटाए इसस आखो की शि बढ़ती ह शरीर को रगड़-रगड़कर नहाए बाद म गील व स शरीर को रगड़-रगड़कर पोछ िजसस रोम कप का सारा मल बाहर िनकल जाय और रोमकप(तवचा क िछि) खल जायय तवचा क िछि बद रहन स ही तवचा की कई बीमािरया होती ह िफर सख कपड़ स शरीर को पोछ कर (अथवा थोड़ा गीला हो तब भी चल) सख साफ व पहन ल व भल साद हो िकनत साफ हो बासी कपड़ नही पहन हमशा धल हए कपड़ ही पहन इसस मन भी सनन रहता ह

पाच कार क ःनान होत हः ःनान दवःनान ऋिषःनान मानवःनान दानवःनान ःनानः -परमातमा का िचतन करक जल थल नहान वाला

ऐसा िचतन करक ा महतर म नहाना इस ःनान कहत ह दवःनानः दवनिदयो म ःनान या दवनिदयो का ःमरण करक सय दय स पवर नहाना यह

दवःनान ह ऋिषःनानः आकाश म तार िदखत हो और नहा ल यह ऋिषःनान ह ऋिषःनान करन

वाल की बि बड़ी तजःवी होती ह मानवःनानः सय दय क पवर का ःनान मानवःनान ह

दानवःनानः सय दय क प ात चाय पीकर नाता करक आठ नौ बज नहाना यह दानव ःनान ह

अतः हमशा ऋिषःनान करन का ही यास करना चािहए (अनबम)

ःवचछता का धयान यिद शरीर की सफाई रखी जाय तो मन भी सनन रहता ह आजकल अिधकतर लोग

श स ही मजन करत ह श की अपकषा नीम और बबल की दातौन जयादा अचछ होती ह और यिद श भी कर तो कभी-कभार श को गमर पानी स धोना चािहए अनयथा उसम बकटिरया(जीवाण) रह जात ह

िकतन ही लोग उगली स दात साफ करत ह तजरनी (अगठ क पास वाली थम उगली) स दात िघसन स मसड़ कमजोर हो जात ह तथा दात ज दी िगर जात ह कयोिक तजरनी म िव तशि का माण दसरी उगिलयो की अपकषा अिधक होता ह अतः उसस दात नही िघसन चािहए एव आखो को भी नही मसलना चािहए

िजस िदशा स हवा आती हो उस िदशा की ओर मह करक कभी-भी मलमऽ का िवसजरन नही करना चािहए सयर और चनिमा की ओर मख करक भी मलमऽ का िवसजरन नही करना चािहए

(अनबम)

ःमरणशि का िवकास यादशि बढ़ान का एक सनदर योग ह ETH ामरी ाणायाम सखासन प ासन या

िस ासन पर बठ हाथ की कोहनी की ऊचाई कनध तक रह इस कार रखकर हाथ की थम उगली(तजरनी) स दोनो कानो को धीर-स बद कर एकदम जोर स बद न कर िकनत बाहर का कछ सनाई न द इस कार धीर स कान बनद कर

अब गहर ास लकर थोड़ी दर रोक ओठ बद रखकर जस मर का गजन होता ह वस ॐsssss कहत हए गजन कर उसक बाद थोड़ी दर तक ास न ल पनः यही िबया दहराय ऐसा सबह एव शाम 8 स 10 बार कर यादशि बढ़ान का यह यौिगक योग ह इसस मिःतक की नािड़यो का शोधन होकर मिःतक म र सचार उिचत ढग स होता ह

और िवचार करन स भी बि शि का िवकास होता ह

सबह खाली पट तलसी क प एकाध काली िमचर चबाकर एक िगलास पानी पीन स भी ःमरणशि का िवकास होता ह रोग-ितकारक शि बढ़ती ह कनसर की बीमारी कभी नही होती जलदर-भगदर की बीमारी भी कभी नही होती

(अनबम)

वयि तव और वयवहार िकसी भी वयि तव का पता उसक वयवहार स ही चलता ह कई लोग वयथर च ा करत

ह एक होती ह सकाम च ा दसरी होती ह िनकाम च ा और तीसरी होती ह वयथर च ा वयथर च ा नही करनी चािहए िकसी क शरीर म कोई कमी हो तो उसका मजाक नही उड़ाना चािहए वरन उस मददरप बनना चािहए यह िनकाम सवा ह

िकसी की भी िनदा नही करनी चािहए िनदा करन वाला वयि िजसकी िनदा करता ह उसका तो इतना अिहत नही होता िजतना वह अपना अिहत करता ह जो दसरो की सवा करता ह दसरो क अनकल होता ह वह दसरो का िजतना िहत करता ह उसकी अपकषा उसका खद का िहत जयादा होता ह

अपन स जो उ स बड़ हो जञान म बड़ हो तप म बड़ हो उनका आदर करना चािहए िजस मनय क साथ बात करत हो वह मनय कौन ह यह जानकर बात करो तो आप वयवहार-कशल कहलाओग

िकसी को पऽ िलखत हो तो यिद अपन स बड़ हो तो ौी सबोधन करक िलखो सबोधन करन स सवाकयो की रचना स िश ता बढ़ती ह िकसी स बात करो तो सबोधन करक बात करो जो तकार स बात करता ह वह अिश कहलाता ह िश तापवरक बात करन स अपनी इजजत बढ़ती ह

िजसक जीवन म वयवहार-कशलता ह वह सभी कषऽो म सफल होता ह िजसम िवनता ह वही सब कछ सीख सकता ह िवनता िव ा बढ़ाती ह िजसक जीवन म िवनता नही ह समझो उसक सब काम अधर रह गय और जो समझता ह िक म सब कछ जानता ह वह वाःतव म कछ नही जानता

एक िचऽकार अपन गरदव क सममख एक सनदर िचऽ बनाकर लाया गर न िचऽ दखकर कहाः

वाह वाह सनदर ह अदभत ह

िशय बोलाः गरदव इसम कोई ऽिट रह गयी हो तो कपा करक बताइए इसीिलए म आपक चरणो म आया ह

गरः कोई ऽिट नही ह मझस भी जयादा अचछा बनाया ह

वह िशय रोन लगा उस रोता दखकर गर न पछाः तम कयो रो रह हो म तो तमहारी शसा कर रहा ह

िशयः गरदव मरी घड़ाई करन वाल आप भी यिद मरी शसा ही करग तो मझ मरी गि तया कौन बतायगा मरी गित कस होगी

यह सनकर गर अतयत सनन हो गय हमन िजतना जाना िजतना सीखा ह वह तो ठ क ह उसस जयादा जान सक सीख सक

ऐसा हमारा यास होना चािहए रामकण परमहस व हो गय थ िकसी न उनस पछाः बाबा जी आपन सब कछ जान

िलया ह

रामकण परमहसः नही म जब तक जीऊगा तब तक िव ाथ ही रहगा मझ अभी बहत कछ सीखना बाकी ह

िजनक पास सीखन को िमल उनस िवनतापवरक सीखना चािहए जो कछ सीखो सावधानीपवरक सीखो जीवन म िवनोद जररी ह िकनत िवनोद की अित न हो िजस समय पढ़त हो कछ सीखत हो कछ करत हो उस समय मःती नही िवनोद नही वरन जो कछ पढ़ो सीखो या करो उस उतसाह स धयान स और सावधानी स करो

पढ़न स पवर थोड़ धयानःथ हो जाओ पढ़न क बाद मौन हो जाओ यह गित की चाबी ह

माता-िपता स िचढ़ना नही चाह िजस मा-बाप न जनम िदया ह उनकी बातो को समझना चािहए अपन िलए उनक मन म िवशष दया हो िवशष म उतपनन हो ऐसा वयवहार करना चािहए

भल जाओ भल सब कछ माता-िपता को भलना नही अनिगनत उपकार ह उनक यह कभी िबसरना नही

माता-िपता को सतोष हो उनका दय सनन हो ऐसा हमारा वयवहार होना चािहए अपन माता-िपता एव गरजनो को सत रखकर ही हम सचची गित कर सकत ह

(अनबम)

  • पजय बाप जी का उदबोधन
  • कदम अपना आग बढाता चला जा
  • त गलाब होकर महक
  • जीवन विकास का मल सयम
  • तरिकाल सधया
  • शरीर सवासथय
  • अनन का परभाव
  • भारतीय ससकति की महानता
  • हरिदास की हरिभकति
  • बनावटी शरगार स बचो
  • साहसी बालक
  • गर-आजञापालन का चमतकार
  • अनोखी गरदकषिणा
  • सतसग की महिमा
  • पीड पराई जान र
  • विकास क बरियो स सावधान
  • कछ जानन योगय बात
  • शयन की रीत
  • सनान का तरीका
  • सवचछता का धयान
  • समरणशकति का विकास
  • वयकतितव और वयवहार
Page 32: Tu gulabhokarmehak

हो सकता बि क िविभनन योिनयो को पार करक ही मनय बन सकता ह हा इतना अवय ह िक सतकपा स उसका मागर छोटा हो जाता ह

सतसमागम की साध परषो स सग की मिहमा का कहा तक वणरन कर कस बयान कर एक सामानय कीड़ा उनक सतसग को पाकर महान ऋिष बन सकता ह तो िफर यिद मानव को िकसी सदगर का सािननधय िमल जाय उनक वचनानसार चल पड़ तो मि का अनभव करक जीवनम भी बन सकता ह

(अनबम)

पीड़ पराई जान र जञानी िकसी स यार करन क िलए बध हए नही ह और िकसी को डाटन म भी राजी

नही ह हमारी जसी यो यता होती ह ऐसा उनका वयवहार हमार ित होता ह लीलाशाह बाप क ौीचरणो म बहत लोग गय थ एक लड़का भी गया था वह मिणनगर

म रहता था िशवजी को जल चढ़ान क प ात ही वह जल पीता वह लड़का खब िन ा स धयान-भजन करता और सवा पजा करता

एक िदन कोई वयि राःत म बहोश पड़ा हआ था िशवजी को जल चढ़ान जात समय उस बालक न उस दखा और अपनी पजा-वजा छोड़कर उस गरीब की सवा म लग गया िबहार का कोई यवक था नौकरी की खोज म आया था कालपर(अहमदाबाद) ःटशन क लटफामर पर एक दो िदन रहा किलयो न मारपीट कर भगा िदया चलत-चलत मिणनगर म पनीत आौम की ओर रोटी की आशा म जा रहा था रोटी तो वहा नही िमलती थी इसिलए भख क कारण चलत-चलत राःत म िगर गया और बहोश हो गया

उस लड़क का घर पनीत आौम क पास ही था सबह क दस साढ़ दस बज थ वह लड़का घर स धयान-भजन स िनपटकर मिदर म िशवजी को जल चढ़ान क िलए जल का लोटा और पजा की साममी लकर जा रहा था उसन दखा िक राःत म कोई यवक पड़ा ह राःत म चलत-चलत लोग बोलत थः शराब पी होगी यह होगा वह होगा हम कया

लड़क को दया आई प य िकय हए हो तो रणा भी अचछ िमलती ह शभ कम स शभ रणा िमलती ह अपन पास की पजा साममी एक ओर रखकर उसन उस वयि को िहलाया बहत मिकल स उसकी आख खली कोई उस जत सघाता कोई कछ करता कोई कछ बोलता था

आख खोलत ही वह वयि धीर स बोलाः पानी पानी

लड़क न महादव जी क िलय लाया हआ जल का लोटा उस िपला िदया िफर दोड़कर घर जाकर अपन िहःस का दध लाकर उस िदया

यवक क जी म जी आया उसन अपनी वयथा बतात हए कहाः बाब जी म िबहार स आया ह मर बाप गजर गय काका िदन-रात टोकत रहत त िक

कमाओ नही तो खाओग कया नौकरी धधा िमलता नही ह भटकत-भटकत अहमदाबाद क ःटशन पर कली का काम करन का य िकया हमारी रोटी-रोजी िछन जायगी ऐसा समझकर किलयो न खब मारा पदल चलत-चलत मिणनगर ःटशन की ओर आत-आत यहा तीन िदन की भख और मार क कारण चककर आय और िगर गया

लड़क न उस िखलाया अपना इक ठा िकया हआ जबखचर का पसा िदया उस यवक को जहा जाना था वहा भजन की वयवःथा की इस लड़क क दय म आनद की वि हई अतर म आवाज आईः

बटा अब म तझ बहत ज दी िमलगा

लड़क न िकयाः अनदर कौन बोलता ह

उ र आयाः िजस िशव की त पजा करता ह वह तरा आतमिशव अब म तर दय म कट होऊगा सवा क अिधकारी की सवा मझ िशव की ही सवा ह

उस िदन उस अतयारमी न अनोखी ऱणा और ोतसाहन िदया वह लड़का तो िनकल पड़ा घर छोड़कर ई र-साकषातकार करन क िलए कदारनाथ वनदावन होत हए निनताल क अर य म पहचा

कदारनाथ क दशरन पाय लकषािधपित आिशष पाय

इस आशीवारद को वापस कर ई राि क िलए िफर पजा की उसक पास जो कछ रपय पस थ उनह वनदावन म साध-सतो एव गरीबो म भ डारा करक खचर कर िदया था थोड़ स पस लकर निनताल क अर यो म पहचा लोकलाड़ल लाखो दयो को हिररस िपलात पजयपाद सदगर ौी लीलाशाह बाप की राह दखत हए चालीस िदन बीत गय गरवर ौी लीलाशाह को अब पणर समिपरत िशय िमला पणर खजाना ा करन वाला पिवऽातमा िमला पणर गर की पणर िशय िमला

िजस लड़क क िवषय म यह कथा पढ़ रह ह वह लड़का कौन होगा जानत हो

पणर गर कपा िमली पणर गर का जञान आसमल स हो गय साई आसाराम

अब तो समझ ही गय होग (उस लड़क क वश म छप हए थ पवर जनम क योगी और वतरमान म िव िव यात हमार

पजयपाद सदगरदव ौी आसाराम जी महाराज)

(अनबम)

िवकास क बिरयो स सावधान किपलवःत क राजा श ोदन का यवराज था िस ाथर यौवन म कदम रखत ही िववक

और वरा य जाग उठा यवान प ी यशोधरा और नवजात िशश राहल की मोह-ममता की रशमी जजीर काटकर महाभीिनबमण (गहतयाग) िकया एकानत अर य म जाकर गहन धयान साधना करक अपन साधय त व को ा कर िलया

एकानत म तप यार और धयान साधना स िखल हए इस आधयाितमक कसम की मधर

सौरभ लोगो म फलन लगी अब िस ाथर भगवान ब क नाम स जन-समह म िस हए हजारो हजारो लोग उनक उपिद मागर पर चलन लग और अपनी अपनी यो यता क मतािबक आधयाितमक याऽा म आग बढ़त हए आितमक शाित ा करन लग अस य लोग बौ िभकषक बनकर भगवान ब क सािननधय म रहन लग उनक पीछ चलन वाल अनयायीओ का एक सघ ःथािपत हो गया चह ओर नाद गजन लग िकः

ब शरण गचछािम धमम शरण गचछािम सघ शरण गचछािम

ौावःती नगरी म भगवान ब का बहत यश फला लोगो म उनकी जय-जयकार होन लगी लोगो की भीड़-भाड़ स िवर होकर ब नगर स बाहर जतवन म आम क बगीच म रहन लग नगर क िपपास जन बड़ी तादाद म वहा हररोज िनि त समय पर पहच जात और उपदश-वचन सनत बड़-बड़ राजा महाराजा भगवान ब क सािननधय म आन जान लग

समाज म तो हर कार क लोग होत ह अनािद काल स दवी समपदा क लोग एव आसरी समपदा क लोग हआ करत ह ब का फलता हआ यश दखकर उनका तजो ष करन वाल लोग जलन लग सतो क साथ हमशा स होता आ रहा ह ऐस उन द त वो न ब को बदनाम करन क िलए कचार िकया िविभनन कार की यि -यि या लड़ाकर ब क यश को हािन पहच ऐसी बात समाज म व लोग फलान लग उन द ो न अपन ष यऽ म एक वया को समझा-बझाकर शािमल कर िलया

वया बन-ठनकर जतवन म भगवान ब क िनवास-ःथानवाल बगीच म जान लगी

धनरािश क साथ द ो का हर कार स सहारा एव ोतसाहन उस िमल रहा था रािऽ को वही रहकर सबह नगर म वािपस लोट आती अपनी सिखयो म भी उसन बात फलाई

लोग उसस पछन लगः अरी आजकल त िदखती नही ह कहा जा रही ह रोज रात को

म तो रोज रात को जतवन जाती ह व ब िदन म लोगो को उपदश दत ह और रािऽ क समय मर साथ रगरिलया मनात ह सारी रात वहा िबताकर सबह लोटती ह

वया न परा ीचिरऽ आजमाकर ष यऽ करन वालो का साथ िदया लोगो म पहल तो हलकी कानाफसी हई लिकन जयो-जयो बात फलती गई तयो-तयो लोगो म जोरदार िवरोध होन लगा लोग ब क नाम पर िफटकार बरसान लग ब क िभकषक बःती म िभकषा लन जात तो लोग उनह गािलया दन लग ब क सघ क लोग सवा-वि म सल न थ उन लोगो क सामन भी उगली उठाकर लोग बकवास करन लग

ब क िशय जरा असावधान रह थ कचार क समय साथ ही साथ स चार होता तो कचार का इतना भाव नही होता िशय अगर िनिबय रहकर सोचत रह जाय िक करगा सो भरगा भगवान उनका नाश करग तो कचार करन वालो को ख ला मदान िमल जाता ह

सत क सािननधय म आन वाल लोग ौ ाल सजजन सीध साद होत ह जबिक द वि करन वाल लोग किटलतापवरक कचार करन म कशल होत ह िफर भी िजन सतो क पीछ सजग समाज होता ह उन सतो क पीछ उठन वाल कचार क तफान समय पाकर शात हो जात ह और उनकी सतवि या काशमान हो उठती ह

कचार न इतना जोर पकड़ा िक ब क िनकटवत लोगो न ऽािहमाम पकार िलया व समझ गय िक यह वयविःथत आयोजनपवरक ष यऽ िकया गया ह ब ःवय तो पारमािथरक सतय म जाग हए थ व बोलतः सब ठ क ह चलन दो वयवहािरक सतय म वाहवाही दख ली अब िननदा भी दख ल कया फकर पड़ता ह

िशय कहन लगः भनत अब सहा नही जाता सघ क िनकटवत भ भी अफवाहो क िशकार हो रह ह समाज क लोग अफवाहो की बातो को सतय मानन लग गय ह

ब ः धयर रखो हम पारमािथरक सतय म िवौाित पात ह यह िवरोध की आधी चली ह तो शात भी हो जाएगी समय पाकर सतय ही बाहर आयगा आिखर म लोग हम जानग और मानग

कछ लोगो न अगवानी का झ डा उठाया और राजयस ा क समकष जोर-शोर स माग की

िक ब की जाच करवाई जाय लोग बात कर रह ह और वया भी कहती ह िक ब रािऽ को मर साथ होत ह और िदन म सतसग करत ह

ब क बार म जाच करन क िलए राजा न अपन आदिमयो को फरमान िदया अब ष यऽ करनवालो न सोचा िक इस जाच करन वाल पच म अगर सचचा आदमी आ जाएगा तो अफवाहो का सीना चीरकर सतय बाहर आ जाएगा अतः उनहोन अपन ष यऽ को आिखरी

पराका ा पर पहचाया अब ऐस ठोस सबत खड़ा करना चािहए िक ब की ितभा का अःत हो जाय

उनहोन वया को दार िपलाकर जतवन भज िदया पीछ स ग डो की टोली वहा गई वया पर बलातकार आिद सब द कतय करक उसका गला घोट िदया और लाश को ब क बगीच म गाड़कर पलायन हो गय

लोगो न राजयस ा क ार खटखटाय थ लिकन स ावाल भी कछ लोग द ो क साथ जड़ हए थ ऐसा थोड़ ही ह िक स ा म बठ हए सब लोग दध म धोय हए वयि होत ह

राजा क अिधकािरयो क ारा जाच करन पर वया की लाश हाथ लगी अब द ो न जोर-शोर स िच लाना शर कर िदया

दखो हम पहल ही कह रह थ वया भी बोल रही थी लिकन तम भगतड़ लोग मानत ही नही थ अब दख िलया न ब न सही बात खल जान क भय स वया को मरवाकर बगीच म गड़वा िदया न रहगा बास न बजगी बासरी लिकन सतय कहा तक िछप सकता ह म ामाल हाथ लग गया इस ठोस सबत स ब की असिलयत िस हो गई सतय बाहर आ गया

लिकन उन मख का पता नही िक तमहारा बनाया हआ कि पत सतय बाहर आया वाःतिवक सतय तो आज ढाई हजार वषर क बाद भी वसा ही चमक रहा ह आज ब को लाखो लोग जानत ह आदरपवरक मानत ह उनका तजो ष करन वाल द लोग कौन-स नरको म जलत होग कया पता

ढाई हजार वषर पहल ब क जमान म भी सतो क साथ ऐसा घोर अनयाय हआ करता था ऋिष दयाननद को भी ऐस ही त वो न तजो ष क कारण बाईस बार िवष दकर मार डालन का यास िकया ःवामी िववकाननद और ःवामी रामतीथर क पीछ भी द लोगो न वया को तयार करक कीचड़ उछाला था

एक ओर लाखो-लाखो लोग सतो की अनभवय वाणी स अपना वयावहािरक ETH आधयाितमक जीवन उननत करक सख-शाित पात ह दसरी ओर कछ द कित क ःवाथ लोग अपना उ ल सीधा करन क िलए ऐस महापरषो क िवर म ष यऽ रचकर उनको बदनाम करत ह यह तो पहल स चला आ रहा ह सत कबीर हो या नानक एकनाथ महाराज हो या सत तकाराम नरिसह महता हो या मीराबाई ायः सभी सतो को अपन जीवन क दौरान समाज क किटल त वो स पाला पड़ता ही रहा ह जीसस बाइःट को इनही त वो न बॉस पर चढ़ाया था उनही लोगो न सकरात को जहर िपलाकर मतयद ड िदया था मनसर को इसी जमात न शली पर चढ़ाया था ईसाई धमर म माट न यथर पर ज म िकया गया था अण-अण म ई र और नारीमाऽ म जगजजननी भगवती का दशरन करन वाल रामकण परमहस को भी लोगो न नही

छोड़ा था परमहस योगाननद रवीनिनाथ टगोर माट न यथर दिकषण भारत क सत ितरव लवर जापानी झन सत बाबो इितहास म िकतन-िकतन उदाहरण मौजद ह

हािसद धमरगर बा शमटोव अित पिवऽ आतमा थ िननदको न उनक इदरिगदर भी मायाजाल िबछा दी थी िसध क साई टउराम क पास अस य लोग आतमक याण हत जान लग तब िवकत िदमागवालो न उन सत को भी ऽास दना शर कर िदया उनक आौम क चह ओर गदगी डाल दत और कए म िम टी का तल उड़लकर पानी बकार कर दत मगल बादशाह बाबर को बहका कर उनही लोगो न गर नानक को कद करवाया था

भगवान ौीराम एव ौीकण को भी द जनो न छोड़ा नही था भगवान ौीराम क गर विश जी महाराज कहत हः

ह राम जी म जब बाजार स गजरता ह तब अजञानी मखर लोग मर िलए कया बकत ह म सब जानता ह लिकन मरा दयाल ःवभाव ह म इन सबका क याण चाहता ह

तमहार साथ यह ससार कछ अनयाय करता ह तमको बदनाम करता ह िननदा करता ह तो यह ससार की परानी रीत ह मनय की हीनवि कचार िननदाखोरी यह आजकल की ही बात नही ह अनािदकाल स ऐसा होता आया ह तम अपन आतमजञान क सःकार जगाकर आतमबल का िवकास करत जाओ मःकरात जाओ आधी तफानो को लाघकर आननदपवरक जीत जाओ

उस जमान म भगवान ब क पास आकर एक िभकषक न ाथरना कीः भनत मझ आजञा द म सभाए भरगा आपक िवचारो का चार करगा

मर िवचारो का चार

हा भगवन म बौ धमर फलाऊगा

लोग तरी िननदा करग गािलया दग

कोई हजर नही म भगवन को धनयवाद दगा िक य लोग िकतन अचछ ह य कवल श दहार करत ह मझ पीटत तो नही

लोग तझ पीटग भी तो कया करोग

भो म शब गजारगा िक य लोग हाथो स पीटत ह पतथर तो नही मारत

लोग पतथर भी मारग और िसर भी फोड़ दग तो कया करगा

िफर भी म आ ःत रहगा और भगवान का िदवय कायर करता रहगा कयोिक व लोग मरा िसर फोड़ग लिकन ाण तो नही लग

लोग जनन म आकर तझ मार दग तो कया करगा

भनत आपक िदवय िवचारो का चार करत-करत म मर भी गया तो समझगा िक मरा जीवन सफल हो गया

उस कतिन यी िभकषक की दढ़ िन ा दखकर भगवान ब सनन हो उठ उस पर उनकी करणा बरस पड़ी

ऐस िशय जब ब का चार करन िनकल पड़ तब कचार करन वाल धीर-धीर शात हो गय मनयो की उगिलया काट-काटकर माला बनाकर पहनन वाला अगिलमाल जसा बर हतयारा भी दयपिरवतरन पाकर ब की शरण म िभकषक होकर रहन लगा

आज हम ब को बहत आदर स जानत ह मानत ह उनक जीवनकाल क दौरान उनक पीछ लग हए द लोग कौन स नरक म सड़त होग रौरव नरक म या कभीपाक नरक म कौन-सी योिनयो म भटकत होग सअर बन होग िक नाली क कीड़ बन होग शतान बन होग िक राकषस बन होग मझ पता नही लिकन ब तो करोड़ो दयो म बस रह ह यह म मानता ह

सतय तो परमाथर ह आतमा ह परमातमा ह उसम िजतना िटकोग उतना तमहारा मगल होगा तमहारी िनगाह िजन पर पड़गी उनका भी मगल होगा

(अनबम)

कछ जानन यो य बात सय दय स पवर उठकर ःनान कर लना चािहए ातः खाली पट मटक का बासी पानी

पीना ःवाःथयद ह तलसी क प सय दय क प ात ही तोड़ दध म तलसी क प नही डालन चािहए तथा

दध क साथ खान भी नही चािहए तलसी क प खाकर थोड़ा पानी पीना िपय जलनित स पिह सौ कार क लाभ होत ह अपन मिःतक म एक कार का िवजाितय

िवय उतपनन होता ह यिद वह िवय वही अटक जाता ह तो बचपन म ही बाल सफद होन लगत ह इसस नजल की बीमारी भी होती ह यिद वह िवय नाक की तरफ आता ह तो सगनध-दगरनध का पता नही चल पाता और ज दी-ज दी जकाम हो जाता ह यिद वह िवय कान की तरफ आता ह तो कान बहर होन लगत ह और छोट-मोट ब ीस रोग हो सकत ह यिद वह िवय दात की तरफ आय तो दात छोटी उ म ही िगरन लगत ह यिद आख की तरफ वह िवय उतर तो चम लगन लगत ह जलनित यािन नाक स पानी खीचकर मह स िनकाल दन स वह िवय िनकल जाता ह गल क ऊपर क ायः सभी रोगो स मि िमल जाती ह

आईसबीम खान क बाद चाय पीना दातो क िलए अतयािधक हािनकारक होता ह

भोजन को पीना चािहए तथा पानी को खाना चािहए इसका मतलब यह ह िक भोजन को इतना चबाओ िक वह पानी की तरह पतला हो जाय और पानी अथवा अनय पय पदाथ को धीर-धीर िपयो

िकसी भी कार का पय पदाथर पीना हो तो दाया नथना बनद करक िपय इसस वह अमत जसा हो जाता ह यिद दाया ःवर(नथना) चाल हो और पानी आिद िपय तो जीवनशि (ओज) पतली होन लगती ह चयर की रकषा क िलए शरीर को तनदरःत रखन क िलए यह योग करना चािहए

तम चाह िकतनी भी महनत करो िकनत िजतना तमहारी नसो म ओज ह चयर की शि ह उतन ही तम सफल होत हो जो चाय-कॉफी आिद पीत ह उनका ओज पतला होकर पशाब ारा न होता जाता ह अतः चयर की रकषा क िलए चाय-कॉफी जस वयसनो स दर रहना रह

पढ़न क बाद थोड़ी दर शात हो जाना चािहए जो पढ़ा ह उसका मनन करो िशकषक ःकल म जब पढ़ात हो तब धयान स सनो उस व मःती-मजाक नही करना चािहए िवनोद-मःती कम स कम करो और समझन की कोिशश अिधक करो

जो सय दय क पवर नही उठता उसक ःवभाव म तमस छा जाता ह जो सय दय क पवर उठता ह उसकी बि शि बढ़ती ह

नीद म स उठकर तरत भगवान का धयान करो आतमःनान करो धयान म रिच नही होती तो समझना चािहए िक मन म दोष ह उनह िनकालन क िलए कया करना चािहए

मन को िनद ष बनान क िलए सबह-शाम माता-िपता को णाम करना चािहए गरजनो को णाम करना चािहए एव भगवान क नाम का जप करना चािहए भगवान स ाथरना करनी चािहए िक ह भगवान ह मर भ मरी धयान म रिच होन लग ऐसी कपा कर दो िकसी समय गद िवचार िनकल आय तो समझना चािहए िक अदर छप हए िवचार िनकल रह ह अतः खश होना चािहए िवचार आया और गया मर राम तो दय म ही ह ऐसी भावना करनी चािहए

िनदा करना तो अचछा नही ह िकनत िनदा सनना भी उिचत नही (अनबम)

शयन की रीत मनय को िकस ढग स सोना चािहए इसका भी तरीका होता ह सोत व पवर अथवा

दिकषण िदशा की ओर िसर करक ही सोना चािहए

भोजन करन क बाद िदन म दस िमनट आराम कर िकनत सोय नही भोजन क बाद दस िमनट बायी करवट लट सकत ह रािऽ को जागरण िकया हो इस कारण स कभी िदन म सोना पड़ वह अलग बात ह

सोत व नीच कोई गमर कबल आिद िबछाकर सोय तािक आपकी जीवनशि अिथग न हो जाय आपक शरीर की िव तशि भिम म न उतर जाय

(अनबम)

ःनान का तरीका शरीर की मजबती एव आरो यता क िलए रगड़-रगड़कर ःनान करना चािहए जो लोग

ठड दशो म रहत ह उनका ःवाःथय गमर दस क लोगो की अपकषा अचछा होता ह ठडी स अपना शरीर सधरता ह

ःनान करत व 12-15 िलटर पानी बा टी म लकर पहल उसम िसर डबाना चािहए िफर पर िभगोना चािहए पहल पर गील नही करन चािहए शरीर की गम ऊपर की ओर चढ़ती ह जो ःवाःथय क िलए हािनकारक होती ह

अतः पहल ठड पानी की बा टी भर ल िफर मह म पानी भरकर िसर को बा टी म डाल और आख पटपटाए इसस आखो की शि बढ़ती ह शरीर को रगड़-रगड़कर नहाए बाद म गील व स शरीर को रगड़-रगड़कर पोछ िजसस रोम कप का सारा मल बाहर िनकल जाय और रोमकप(तवचा क िछि) खल जायय तवचा क िछि बद रहन स ही तवचा की कई बीमािरया होती ह िफर सख कपड़ स शरीर को पोछ कर (अथवा थोड़ा गीला हो तब भी चल) सख साफ व पहन ल व भल साद हो िकनत साफ हो बासी कपड़ नही पहन हमशा धल हए कपड़ ही पहन इसस मन भी सनन रहता ह

पाच कार क ःनान होत हः ःनान दवःनान ऋिषःनान मानवःनान दानवःनान ःनानः -परमातमा का िचतन करक जल थल नहान वाला

ऐसा िचतन करक ा महतर म नहाना इस ःनान कहत ह दवःनानः दवनिदयो म ःनान या दवनिदयो का ःमरण करक सय दय स पवर नहाना यह

दवःनान ह ऋिषःनानः आकाश म तार िदखत हो और नहा ल यह ऋिषःनान ह ऋिषःनान करन

वाल की बि बड़ी तजःवी होती ह मानवःनानः सय दय क पवर का ःनान मानवःनान ह

दानवःनानः सय दय क प ात चाय पीकर नाता करक आठ नौ बज नहाना यह दानव ःनान ह

अतः हमशा ऋिषःनान करन का ही यास करना चािहए (अनबम)

ःवचछता का धयान यिद शरीर की सफाई रखी जाय तो मन भी सनन रहता ह आजकल अिधकतर लोग

श स ही मजन करत ह श की अपकषा नीम और बबल की दातौन जयादा अचछ होती ह और यिद श भी कर तो कभी-कभार श को गमर पानी स धोना चािहए अनयथा उसम बकटिरया(जीवाण) रह जात ह

िकतन ही लोग उगली स दात साफ करत ह तजरनी (अगठ क पास वाली थम उगली) स दात िघसन स मसड़ कमजोर हो जात ह तथा दात ज दी िगर जात ह कयोिक तजरनी म िव तशि का माण दसरी उगिलयो की अपकषा अिधक होता ह अतः उसस दात नही िघसन चािहए एव आखो को भी नही मसलना चािहए

िजस िदशा स हवा आती हो उस िदशा की ओर मह करक कभी-भी मलमऽ का िवसजरन नही करना चािहए सयर और चनिमा की ओर मख करक भी मलमऽ का िवसजरन नही करना चािहए

(अनबम)

ःमरणशि का िवकास यादशि बढ़ान का एक सनदर योग ह ETH ामरी ाणायाम सखासन प ासन या

िस ासन पर बठ हाथ की कोहनी की ऊचाई कनध तक रह इस कार रखकर हाथ की थम उगली(तजरनी) स दोनो कानो को धीर-स बद कर एकदम जोर स बद न कर िकनत बाहर का कछ सनाई न द इस कार धीर स कान बनद कर

अब गहर ास लकर थोड़ी दर रोक ओठ बद रखकर जस मर का गजन होता ह वस ॐsssss कहत हए गजन कर उसक बाद थोड़ी दर तक ास न ल पनः यही िबया दहराय ऐसा सबह एव शाम 8 स 10 बार कर यादशि बढ़ान का यह यौिगक योग ह इसस मिःतक की नािड़यो का शोधन होकर मिःतक म र सचार उिचत ढग स होता ह

और िवचार करन स भी बि शि का िवकास होता ह

सबह खाली पट तलसी क प एकाध काली िमचर चबाकर एक िगलास पानी पीन स भी ःमरणशि का िवकास होता ह रोग-ितकारक शि बढ़ती ह कनसर की बीमारी कभी नही होती जलदर-भगदर की बीमारी भी कभी नही होती

(अनबम)

वयि तव और वयवहार िकसी भी वयि तव का पता उसक वयवहार स ही चलता ह कई लोग वयथर च ा करत

ह एक होती ह सकाम च ा दसरी होती ह िनकाम च ा और तीसरी होती ह वयथर च ा वयथर च ा नही करनी चािहए िकसी क शरीर म कोई कमी हो तो उसका मजाक नही उड़ाना चािहए वरन उस मददरप बनना चािहए यह िनकाम सवा ह

िकसी की भी िनदा नही करनी चािहए िनदा करन वाला वयि िजसकी िनदा करता ह उसका तो इतना अिहत नही होता िजतना वह अपना अिहत करता ह जो दसरो की सवा करता ह दसरो क अनकल होता ह वह दसरो का िजतना िहत करता ह उसकी अपकषा उसका खद का िहत जयादा होता ह

अपन स जो उ स बड़ हो जञान म बड़ हो तप म बड़ हो उनका आदर करना चािहए िजस मनय क साथ बात करत हो वह मनय कौन ह यह जानकर बात करो तो आप वयवहार-कशल कहलाओग

िकसी को पऽ िलखत हो तो यिद अपन स बड़ हो तो ौी सबोधन करक िलखो सबोधन करन स सवाकयो की रचना स िश ता बढ़ती ह िकसी स बात करो तो सबोधन करक बात करो जो तकार स बात करता ह वह अिश कहलाता ह िश तापवरक बात करन स अपनी इजजत बढ़ती ह

िजसक जीवन म वयवहार-कशलता ह वह सभी कषऽो म सफल होता ह िजसम िवनता ह वही सब कछ सीख सकता ह िवनता िव ा बढ़ाती ह िजसक जीवन म िवनता नही ह समझो उसक सब काम अधर रह गय और जो समझता ह िक म सब कछ जानता ह वह वाःतव म कछ नही जानता

एक िचऽकार अपन गरदव क सममख एक सनदर िचऽ बनाकर लाया गर न िचऽ दखकर कहाः

वाह वाह सनदर ह अदभत ह

िशय बोलाः गरदव इसम कोई ऽिट रह गयी हो तो कपा करक बताइए इसीिलए म आपक चरणो म आया ह

गरः कोई ऽिट नही ह मझस भी जयादा अचछा बनाया ह

वह िशय रोन लगा उस रोता दखकर गर न पछाः तम कयो रो रह हो म तो तमहारी शसा कर रहा ह

िशयः गरदव मरी घड़ाई करन वाल आप भी यिद मरी शसा ही करग तो मझ मरी गि तया कौन बतायगा मरी गित कस होगी

यह सनकर गर अतयत सनन हो गय हमन िजतना जाना िजतना सीखा ह वह तो ठ क ह उसस जयादा जान सक सीख सक

ऐसा हमारा यास होना चािहए रामकण परमहस व हो गय थ िकसी न उनस पछाः बाबा जी आपन सब कछ जान

िलया ह

रामकण परमहसः नही म जब तक जीऊगा तब तक िव ाथ ही रहगा मझ अभी बहत कछ सीखना बाकी ह

िजनक पास सीखन को िमल उनस िवनतापवरक सीखना चािहए जो कछ सीखो सावधानीपवरक सीखो जीवन म िवनोद जररी ह िकनत िवनोद की अित न हो िजस समय पढ़त हो कछ सीखत हो कछ करत हो उस समय मःती नही िवनोद नही वरन जो कछ पढ़ो सीखो या करो उस उतसाह स धयान स और सावधानी स करो

पढ़न स पवर थोड़ धयानःथ हो जाओ पढ़न क बाद मौन हो जाओ यह गित की चाबी ह

माता-िपता स िचढ़ना नही चाह िजस मा-बाप न जनम िदया ह उनकी बातो को समझना चािहए अपन िलए उनक मन म िवशष दया हो िवशष म उतपनन हो ऐसा वयवहार करना चािहए

भल जाओ भल सब कछ माता-िपता को भलना नही अनिगनत उपकार ह उनक यह कभी िबसरना नही

माता-िपता को सतोष हो उनका दय सनन हो ऐसा हमारा वयवहार होना चािहए अपन माता-िपता एव गरजनो को सत रखकर ही हम सचची गित कर सकत ह

(अनबम)

  • पजय बाप जी का उदबोधन
  • कदम अपना आग बढाता चला जा
  • त गलाब होकर महक
  • जीवन विकास का मल सयम
  • तरिकाल सधया
  • शरीर सवासथय
  • अनन का परभाव
  • भारतीय ससकति की महानता
  • हरिदास की हरिभकति
  • बनावटी शरगार स बचो
  • साहसी बालक
  • गर-आजञापालन का चमतकार
  • अनोखी गरदकषिणा
  • सतसग की महिमा
  • पीड पराई जान र
  • विकास क बरियो स सावधान
  • कछ जानन योगय बात
  • शयन की रीत
  • सनान का तरीका
  • सवचछता का धयान
  • समरणशकति का विकास
  • वयकतितव और वयवहार
Page 33: Tu gulabhokarmehak

लड़क न महादव जी क िलय लाया हआ जल का लोटा उस िपला िदया िफर दोड़कर घर जाकर अपन िहःस का दध लाकर उस िदया

यवक क जी म जी आया उसन अपनी वयथा बतात हए कहाः बाब जी म िबहार स आया ह मर बाप गजर गय काका िदन-रात टोकत रहत त िक

कमाओ नही तो खाओग कया नौकरी धधा िमलता नही ह भटकत-भटकत अहमदाबाद क ःटशन पर कली का काम करन का य िकया हमारी रोटी-रोजी िछन जायगी ऐसा समझकर किलयो न खब मारा पदल चलत-चलत मिणनगर ःटशन की ओर आत-आत यहा तीन िदन की भख और मार क कारण चककर आय और िगर गया

लड़क न उस िखलाया अपना इक ठा िकया हआ जबखचर का पसा िदया उस यवक को जहा जाना था वहा भजन की वयवःथा की इस लड़क क दय म आनद की वि हई अतर म आवाज आईः

बटा अब म तझ बहत ज दी िमलगा

लड़क न िकयाः अनदर कौन बोलता ह

उ र आयाः िजस िशव की त पजा करता ह वह तरा आतमिशव अब म तर दय म कट होऊगा सवा क अिधकारी की सवा मझ िशव की ही सवा ह

उस िदन उस अतयारमी न अनोखी ऱणा और ोतसाहन िदया वह लड़का तो िनकल पड़ा घर छोड़कर ई र-साकषातकार करन क िलए कदारनाथ वनदावन होत हए निनताल क अर य म पहचा

कदारनाथ क दशरन पाय लकषािधपित आिशष पाय

इस आशीवारद को वापस कर ई राि क िलए िफर पजा की उसक पास जो कछ रपय पस थ उनह वनदावन म साध-सतो एव गरीबो म भ डारा करक खचर कर िदया था थोड़ स पस लकर निनताल क अर यो म पहचा लोकलाड़ल लाखो दयो को हिररस िपलात पजयपाद सदगर ौी लीलाशाह बाप की राह दखत हए चालीस िदन बीत गय गरवर ौी लीलाशाह को अब पणर समिपरत िशय िमला पणर खजाना ा करन वाला पिवऽातमा िमला पणर गर की पणर िशय िमला

िजस लड़क क िवषय म यह कथा पढ़ रह ह वह लड़का कौन होगा जानत हो

पणर गर कपा िमली पणर गर का जञान आसमल स हो गय साई आसाराम

अब तो समझ ही गय होग (उस लड़क क वश म छप हए थ पवर जनम क योगी और वतरमान म िव िव यात हमार

पजयपाद सदगरदव ौी आसाराम जी महाराज)

(अनबम)

िवकास क बिरयो स सावधान किपलवःत क राजा श ोदन का यवराज था िस ाथर यौवन म कदम रखत ही िववक

और वरा य जाग उठा यवान प ी यशोधरा और नवजात िशश राहल की मोह-ममता की रशमी जजीर काटकर महाभीिनबमण (गहतयाग) िकया एकानत अर य म जाकर गहन धयान साधना करक अपन साधय त व को ा कर िलया

एकानत म तप यार और धयान साधना स िखल हए इस आधयाितमक कसम की मधर

सौरभ लोगो म फलन लगी अब िस ाथर भगवान ब क नाम स जन-समह म िस हए हजारो हजारो लोग उनक उपिद मागर पर चलन लग और अपनी अपनी यो यता क मतािबक आधयाितमक याऽा म आग बढ़त हए आितमक शाित ा करन लग अस य लोग बौ िभकषक बनकर भगवान ब क सािननधय म रहन लग उनक पीछ चलन वाल अनयायीओ का एक सघ ःथािपत हो गया चह ओर नाद गजन लग िकः

ब शरण गचछािम धमम शरण गचछािम सघ शरण गचछािम

ौावःती नगरी म भगवान ब का बहत यश फला लोगो म उनकी जय-जयकार होन लगी लोगो की भीड़-भाड़ स िवर होकर ब नगर स बाहर जतवन म आम क बगीच म रहन लग नगर क िपपास जन बड़ी तादाद म वहा हररोज िनि त समय पर पहच जात और उपदश-वचन सनत बड़-बड़ राजा महाराजा भगवान ब क सािननधय म आन जान लग

समाज म तो हर कार क लोग होत ह अनािद काल स दवी समपदा क लोग एव आसरी समपदा क लोग हआ करत ह ब का फलता हआ यश दखकर उनका तजो ष करन वाल लोग जलन लग सतो क साथ हमशा स होता आ रहा ह ऐस उन द त वो न ब को बदनाम करन क िलए कचार िकया िविभनन कार की यि -यि या लड़ाकर ब क यश को हािन पहच ऐसी बात समाज म व लोग फलान लग उन द ो न अपन ष यऽ म एक वया को समझा-बझाकर शािमल कर िलया

वया बन-ठनकर जतवन म भगवान ब क िनवास-ःथानवाल बगीच म जान लगी

धनरािश क साथ द ो का हर कार स सहारा एव ोतसाहन उस िमल रहा था रािऽ को वही रहकर सबह नगर म वािपस लोट आती अपनी सिखयो म भी उसन बात फलाई

लोग उसस पछन लगः अरी आजकल त िदखती नही ह कहा जा रही ह रोज रात को

म तो रोज रात को जतवन जाती ह व ब िदन म लोगो को उपदश दत ह और रािऽ क समय मर साथ रगरिलया मनात ह सारी रात वहा िबताकर सबह लोटती ह

वया न परा ीचिरऽ आजमाकर ष यऽ करन वालो का साथ िदया लोगो म पहल तो हलकी कानाफसी हई लिकन जयो-जयो बात फलती गई तयो-तयो लोगो म जोरदार िवरोध होन लगा लोग ब क नाम पर िफटकार बरसान लग ब क िभकषक बःती म िभकषा लन जात तो लोग उनह गािलया दन लग ब क सघ क लोग सवा-वि म सल न थ उन लोगो क सामन भी उगली उठाकर लोग बकवास करन लग

ब क िशय जरा असावधान रह थ कचार क समय साथ ही साथ स चार होता तो कचार का इतना भाव नही होता िशय अगर िनिबय रहकर सोचत रह जाय िक करगा सो भरगा भगवान उनका नाश करग तो कचार करन वालो को ख ला मदान िमल जाता ह

सत क सािननधय म आन वाल लोग ौ ाल सजजन सीध साद होत ह जबिक द वि करन वाल लोग किटलतापवरक कचार करन म कशल होत ह िफर भी िजन सतो क पीछ सजग समाज होता ह उन सतो क पीछ उठन वाल कचार क तफान समय पाकर शात हो जात ह और उनकी सतवि या काशमान हो उठती ह

कचार न इतना जोर पकड़ा िक ब क िनकटवत लोगो न ऽािहमाम पकार िलया व समझ गय िक यह वयविःथत आयोजनपवरक ष यऽ िकया गया ह ब ःवय तो पारमािथरक सतय म जाग हए थ व बोलतः सब ठ क ह चलन दो वयवहािरक सतय म वाहवाही दख ली अब िननदा भी दख ल कया फकर पड़ता ह

िशय कहन लगः भनत अब सहा नही जाता सघ क िनकटवत भ भी अफवाहो क िशकार हो रह ह समाज क लोग अफवाहो की बातो को सतय मानन लग गय ह

ब ः धयर रखो हम पारमािथरक सतय म िवौाित पात ह यह िवरोध की आधी चली ह तो शात भी हो जाएगी समय पाकर सतय ही बाहर आयगा आिखर म लोग हम जानग और मानग

कछ लोगो न अगवानी का झ डा उठाया और राजयस ा क समकष जोर-शोर स माग की

िक ब की जाच करवाई जाय लोग बात कर रह ह और वया भी कहती ह िक ब रािऽ को मर साथ होत ह और िदन म सतसग करत ह

ब क बार म जाच करन क िलए राजा न अपन आदिमयो को फरमान िदया अब ष यऽ करनवालो न सोचा िक इस जाच करन वाल पच म अगर सचचा आदमी आ जाएगा तो अफवाहो का सीना चीरकर सतय बाहर आ जाएगा अतः उनहोन अपन ष यऽ को आिखरी

पराका ा पर पहचाया अब ऐस ठोस सबत खड़ा करना चािहए िक ब की ितभा का अःत हो जाय

उनहोन वया को दार िपलाकर जतवन भज िदया पीछ स ग डो की टोली वहा गई वया पर बलातकार आिद सब द कतय करक उसका गला घोट िदया और लाश को ब क बगीच म गाड़कर पलायन हो गय

लोगो न राजयस ा क ार खटखटाय थ लिकन स ावाल भी कछ लोग द ो क साथ जड़ हए थ ऐसा थोड़ ही ह िक स ा म बठ हए सब लोग दध म धोय हए वयि होत ह

राजा क अिधकािरयो क ारा जाच करन पर वया की लाश हाथ लगी अब द ो न जोर-शोर स िच लाना शर कर िदया

दखो हम पहल ही कह रह थ वया भी बोल रही थी लिकन तम भगतड़ लोग मानत ही नही थ अब दख िलया न ब न सही बात खल जान क भय स वया को मरवाकर बगीच म गड़वा िदया न रहगा बास न बजगी बासरी लिकन सतय कहा तक िछप सकता ह म ामाल हाथ लग गया इस ठोस सबत स ब की असिलयत िस हो गई सतय बाहर आ गया

लिकन उन मख का पता नही िक तमहारा बनाया हआ कि पत सतय बाहर आया वाःतिवक सतय तो आज ढाई हजार वषर क बाद भी वसा ही चमक रहा ह आज ब को लाखो लोग जानत ह आदरपवरक मानत ह उनका तजो ष करन वाल द लोग कौन-स नरको म जलत होग कया पता

ढाई हजार वषर पहल ब क जमान म भी सतो क साथ ऐसा घोर अनयाय हआ करता था ऋिष दयाननद को भी ऐस ही त वो न तजो ष क कारण बाईस बार िवष दकर मार डालन का यास िकया ःवामी िववकाननद और ःवामी रामतीथर क पीछ भी द लोगो न वया को तयार करक कीचड़ उछाला था

एक ओर लाखो-लाखो लोग सतो की अनभवय वाणी स अपना वयावहािरक ETH आधयाितमक जीवन उननत करक सख-शाित पात ह दसरी ओर कछ द कित क ःवाथ लोग अपना उ ल सीधा करन क िलए ऐस महापरषो क िवर म ष यऽ रचकर उनको बदनाम करत ह यह तो पहल स चला आ रहा ह सत कबीर हो या नानक एकनाथ महाराज हो या सत तकाराम नरिसह महता हो या मीराबाई ायः सभी सतो को अपन जीवन क दौरान समाज क किटल त वो स पाला पड़ता ही रहा ह जीसस बाइःट को इनही त वो न बॉस पर चढ़ाया था उनही लोगो न सकरात को जहर िपलाकर मतयद ड िदया था मनसर को इसी जमात न शली पर चढ़ाया था ईसाई धमर म माट न यथर पर ज म िकया गया था अण-अण म ई र और नारीमाऽ म जगजजननी भगवती का दशरन करन वाल रामकण परमहस को भी लोगो न नही

छोड़ा था परमहस योगाननद रवीनिनाथ टगोर माट न यथर दिकषण भारत क सत ितरव लवर जापानी झन सत बाबो इितहास म िकतन-िकतन उदाहरण मौजद ह

हािसद धमरगर बा शमटोव अित पिवऽ आतमा थ िननदको न उनक इदरिगदर भी मायाजाल िबछा दी थी िसध क साई टउराम क पास अस य लोग आतमक याण हत जान लग तब िवकत िदमागवालो न उन सत को भी ऽास दना शर कर िदया उनक आौम क चह ओर गदगी डाल दत और कए म िम टी का तल उड़लकर पानी बकार कर दत मगल बादशाह बाबर को बहका कर उनही लोगो न गर नानक को कद करवाया था

भगवान ौीराम एव ौीकण को भी द जनो न छोड़ा नही था भगवान ौीराम क गर विश जी महाराज कहत हः

ह राम जी म जब बाजार स गजरता ह तब अजञानी मखर लोग मर िलए कया बकत ह म सब जानता ह लिकन मरा दयाल ःवभाव ह म इन सबका क याण चाहता ह

तमहार साथ यह ससार कछ अनयाय करता ह तमको बदनाम करता ह िननदा करता ह तो यह ससार की परानी रीत ह मनय की हीनवि कचार िननदाखोरी यह आजकल की ही बात नही ह अनािदकाल स ऐसा होता आया ह तम अपन आतमजञान क सःकार जगाकर आतमबल का िवकास करत जाओ मःकरात जाओ आधी तफानो को लाघकर आननदपवरक जीत जाओ

उस जमान म भगवान ब क पास आकर एक िभकषक न ाथरना कीः भनत मझ आजञा द म सभाए भरगा आपक िवचारो का चार करगा

मर िवचारो का चार

हा भगवन म बौ धमर फलाऊगा

लोग तरी िननदा करग गािलया दग

कोई हजर नही म भगवन को धनयवाद दगा िक य लोग िकतन अचछ ह य कवल श दहार करत ह मझ पीटत तो नही

लोग तझ पीटग भी तो कया करोग

भो म शब गजारगा िक य लोग हाथो स पीटत ह पतथर तो नही मारत

लोग पतथर भी मारग और िसर भी फोड़ दग तो कया करगा

िफर भी म आ ःत रहगा और भगवान का िदवय कायर करता रहगा कयोिक व लोग मरा िसर फोड़ग लिकन ाण तो नही लग

लोग जनन म आकर तझ मार दग तो कया करगा

भनत आपक िदवय िवचारो का चार करत-करत म मर भी गया तो समझगा िक मरा जीवन सफल हो गया

उस कतिन यी िभकषक की दढ़ िन ा दखकर भगवान ब सनन हो उठ उस पर उनकी करणा बरस पड़ी

ऐस िशय जब ब का चार करन िनकल पड़ तब कचार करन वाल धीर-धीर शात हो गय मनयो की उगिलया काट-काटकर माला बनाकर पहनन वाला अगिलमाल जसा बर हतयारा भी दयपिरवतरन पाकर ब की शरण म िभकषक होकर रहन लगा

आज हम ब को बहत आदर स जानत ह मानत ह उनक जीवनकाल क दौरान उनक पीछ लग हए द लोग कौन स नरक म सड़त होग रौरव नरक म या कभीपाक नरक म कौन-सी योिनयो म भटकत होग सअर बन होग िक नाली क कीड़ बन होग शतान बन होग िक राकषस बन होग मझ पता नही लिकन ब तो करोड़ो दयो म बस रह ह यह म मानता ह

सतय तो परमाथर ह आतमा ह परमातमा ह उसम िजतना िटकोग उतना तमहारा मगल होगा तमहारी िनगाह िजन पर पड़गी उनका भी मगल होगा

(अनबम)

कछ जानन यो य बात सय दय स पवर उठकर ःनान कर लना चािहए ातः खाली पट मटक का बासी पानी

पीना ःवाःथयद ह तलसी क प सय दय क प ात ही तोड़ दध म तलसी क प नही डालन चािहए तथा

दध क साथ खान भी नही चािहए तलसी क प खाकर थोड़ा पानी पीना िपय जलनित स पिह सौ कार क लाभ होत ह अपन मिःतक म एक कार का िवजाितय

िवय उतपनन होता ह यिद वह िवय वही अटक जाता ह तो बचपन म ही बाल सफद होन लगत ह इसस नजल की बीमारी भी होती ह यिद वह िवय नाक की तरफ आता ह तो सगनध-दगरनध का पता नही चल पाता और ज दी-ज दी जकाम हो जाता ह यिद वह िवय कान की तरफ आता ह तो कान बहर होन लगत ह और छोट-मोट ब ीस रोग हो सकत ह यिद वह िवय दात की तरफ आय तो दात छोटी उ म ही िगरन लगत ह यिद आख की तरफ वह िवय उतर तो चम लगन लगत ह जलनित यािन नाक स पानी खीचकर मह स िनकाल दन स वह िवय िनकल जाता ह गल क ऊपर क ायः सभी रोगो स मि िमल जाती ह

आईसबीम खान क बाद चाय पीना दातो क िलए अतयािधक हािनकारक होता ह

भोजन को पीना चािहए तथा पानी को खाना चािहए इसका मतलब यह ह िक भोजन को इतना चबाओ िक वह पानी की तरह पतला हो जाय और पानी अथवा अनय पय पदाथ को धीर-धीर िपयो

िकसी भी कार का पय पदाथर पीना हो तो दाया नथना बनद करक िपय इसस वह अमत जसा हो जाता ह यिद दाया ःवर(नथना) चाल हो और पानी आिद िपय तो जीवनशि (ओज) पतली होन लगती ह चयर की रकषा क िलए शरीर को तनदरःत रखन क िलए यह योग करना चािहए

तम चाह िकतनी भी महनत करो िकनत िजतना तमहारी नसो म ओज ह चयर की शि ह उतन ही तम सफल होत हो जो चाय-कॉफी आिद पीत ह उनका ओज पतला होकर पशाब ारा न होता जाता ह अतः चयर की रकषा क िलए चाय-कॉफी जस वयसनो स दर रहना रह

पढ़न क बाद थोड़ी दर शात हो जाना चािहए जो पढ़ा ह उसका मनन करो िशकषक ःकल म जब पढ़ात हो तब धयान स सनो उस व मःती-मजाक नही करना चािहए िवनोद-मःती कम स कम करो और समझन की कोिशश अिधक करो

जो सय दय क पवर नही उठता उसक ःवभाव म तमस छा जाता ह जो सय दय क पवर उठता ह उसकी बि शि बढ़ती ह

नीद म स उठकर तरत भगवान का धयान करो आतमःनान करो धयान म रिच नही होती तो समझना चािहए िक मन म दोष ह उनह िनकालन क िलए कया करना चािहए

मन को िनद ष बनान क िलए सबह-शाम माता-िपता को णाम करना चािहए गरजनो को णाम करना चािहए एव भगवान क नाम का जप करना चािहए भगवान स ाथरना करनी चािहए िक ह भगवान ह मर भ मरी धयान म रिच होन लग ऐसी कपा कर दो िकसी समय गद िवचार िनकल आय तो समझना चािहए िक अदर छप हए िवचार िनकल रह ह अतः खश होना चािहए िवचार आया और गया मर राम तो दय म ही ह ऐसी भावना करनी चािहए

िनदा करना तो अचछा नही ह िकनत िनदा सनना भी उिचत नही (अनबम)

शयन की रीत मनय को िकस ढग स सोना चािहए इसका भी तरीका होता ह सोत व पवर अथवा

दिकषण िदशा की ओर िसर करक ही सोना चािहए

भोजन करन क बाद िदन म दस िमनट आराम कर िकनत सोय नही भोजन क बाद दस िमनट बायी करवट लट सकत ह रािऽ को जागरण िकया हो इस कारण स कभी िदन म सोना पड़ वह अलग बात ह

सोत व नीच कोई गमर कबल आिद िबछाकर सोय तािक आपकी जीवनशि अिथग न हो जाय आपक शरीर की िव तशि भिम म न उतर जाय

(अनबम)

ःनान का तरीका शरीर की मजबती एव आरो यता क िलए रगड़-रगड़कर ःनान करना चािहए जो लोग

ठड दशो म रहत ह उनका ःवाःथय गमर दस क लोगो की अपकषा अचछा होता ह ठडी स अपना शरीर सधरता ह

ःनान करत व 12-15 िलटर पानी बा टी म लकर पहल उसम िसर डबाना चािहए िफर पर िभगोना चािहए पहल पर गील नही करन चािहए शरीर की गम ऊपर की ओर चढ़ती ह जो ःवाःथय क िलए हािनकारक होती ह

अतः पहल ठड पानी की बा टी भर ल िफर मह म पानी भरकर िसर को बा टी म डाल और आख पटपटाए इसस आखो की शि बढ़ती ह शरीर को रगड़-रगड़कर नहाए बाद म गील व स शरीर को रगड़-रगड़कर पोछ िजसस रोम कप का सारा मल बाहर िनकल जाय और रोमकप(तवचा क िछि) खल जायय तवचा क िछि बद रहन स ही तवचा की कई बीमािरया होती ह िफर सख कपड़ स शरीर को पोछ कर (अथवा थोड़ा गीला हो तब भी चल) सख साफ व पहन ल व भल साद हो िकनत साफ हो बासी कपड़ नही पहन हमशा धल हए कपड़ ही पहन इसस मन भी सनन रहता ह

पाच कार क ःनान होत हः ःनान दवःनान ऋिषःनान मानवःनान दानवःनान ःनानः -परमातमा का िचतन करक जल थल नहान वाला

ऐसा िचतन करक ा महतर म नहाना इस ःनान कहत ह दवःनानः दवनिदयो म ःनान या दवनिदयो का ःमरण करक सय दय स पवर नहाना यह

दवःनान ह ऋिषःनानः आकाश म तार िदखत हो और नहा ल यह ऋिषःनान ह ऋिषःनान करन

वाल की बि बड़ी तजःवी होती ह मानवःनानः सय दय क पवर का ःनान मानवःनान ह

दानवःनानः सय दय क प ात चाय पीकर नाता करक आठ नौ बज नहाना यह दानव ःनान ह

अतः हमशा ऋिषःनान करन का ही यास करना चािहए (अनबम)

ःवचछता का धयान यिद शरीर की सफाई रखी जाय तो मन भी सनन रहता ह आजकल अिधकतर लोग

श स ही मजन करत ह श की अपकषा नीम और बबल की दातौन जयादा अचछ होती ह और यिद श भी कर तो कभी-कभार श को गमर पानी स धोना चािहए अनयथा उसम बकटिरया(जीवाण) रह जात ह

िकतन ही लोग उगली स दात साफ करत ह तजरनी (अगठ क पास वाली थम उगली) स दात िघसन स मसड़ कमजोर हो जात ह तथा दात ज दी िगर जात ह कयोिक तजरनी म िव तशि का माण दसरी उगिलयो की अपकषा अिधक होता ह अतः उसस दात नही िघसन चािहए एव आखो को भी नही मसलना चािहए

िजस िदशा स हवा आती हो उस िदशा की ओर मह करक कभी-भी मलमऽ का िवसजरन नही करना चािहए सयर और चनिमा की ओर मख करक भी मलमऽ का िवसजरन नही करना चािहए

(अनबम)

ःमरणशि का िवकास यादशि बढ़ान का एक सनदर योग ह ETH ामरी ाणायाम सखासन प ासन या

िस ासन पर बठ हाथ की कोहनी की ऊचाई कनध तक रह इस कार रखकर हाथ की थम उगली(तजरनी) स दोनो कानो को धीर-स बद कर एकदम जोर स बद न कर िकनत बाहर का कछ सनाई न द इस कार धीर स कान बनद कर

अब गहर ास लकर थोड़ी दर रोक ओठ बद रखकर जस मर का गजन होता ह वस ॐsssss कहत हए गजन कर उसक बाद थोड़ी दर तक ास न ल पनः यही िबया दहराय ऐसा सबह एव शाम 8 स 10 बार कर यादशि बढ़ान का यह यौिगक योग ह इसस मिःतक की नािड़यो का शोधन होकर मिःतक म र सचार उिचत ढग स होता ह

और िवचार करन स भी बि शि का िवकास होता ह

सबह खाली पट तलसी क प एकाध काली िमचर चबाकर एक िगलास पानी पीन स भी ःमरणशि का िवकास होता ह रोग-ितकारक शि बढ़ती ह कनसर की बीमारी कभी नही होती जलदर-भगदर की बीमारी भी कभी नही होती

(अनबम)

वयि तव और वयवहार िकसी भी वयि तव का पता उसक वयवहार स ही चलता ह कई लोग वयथर च ा करत

ह एक होती ह सकाम च ा दसरी होती ह िनकाम च ा और तीसरी होती ह वयथर च ा वयथर च ा नही करनी चािहए िकसी क शरीर म कोई कमी हो तो उसका मजाक नही उड़ाना चािहए वरन उस मददरप बनना चािहए यह िनकाम सवा ह

िकसी की भी िनदा नही करनी चािहए िनदा करन वाला वयि िजसकी िनदा करता ह उसका तो इतना अिहत नही होता िजतना वह अपना अिहत करता ह जो दसरो की सवा करता ह दसरो क अनकल होता ह वह दसरो का िजतना िहत करता ह उसकी अपकषा उसका खद का िहत जयादा होता ह

अपन स जो उ स बड़ हो जञान म बड़ हो तप म बड़ हो उनका आदर करना चािहए िजस मनय क साथ बात करत हो वह मनय कौन ह यह जानकर बात करो तो आप वयवहार-कशल कहलाओग

िकसी को पऽ िलखत हो तो यिद अपन स बड़ हो तो ौी सबोधन करक िलखो सबोधन करन स सवाकयो की रचना स िश ता बढ़ती ह िकसी स बात करो तो सबोधन करक बात करो जो तकार स बात करता ह वह अिश कहलाता ह िश तापवरक बात करन स अपनी इजजत बढ़ती ह

िजसक जीवन म वयवहार-कशलता ह वह सभी कषऽो म सफल होता ह िजसम िवनता ह वही सब कछ सीख सकता ह िवनता िव ा बढ़ाती ह िजसक जीवन म िवनता नही ह समझो उसक सब काम अधर रह गय और जो समझता ह िक म सब कछ जानता ह वह वाःतव म कछ नही जानता

एक िचऽकार अपन गरदव क सममख एक सनदर िचऽ बनाकर लाया गर न िचऽ दखकर कहाः

वाह वाह सनदर ह अदभत ह

िशय बोलाः गरदव इसम कोई ऽिट रह गयी हो तो कपा करक बताइए इसीिलए म आपक चरणो म आया ह

गरः कोई ऽिट नही ह मझस भी जयादा अचछा बनाया ह

वह िशय रोन लगा उस रोता दखकर गर न पछाः तम कयो रो रह हो म तो तमहारी शसा कर रहा ह

िशयः गरदव मरी घड़ाई करन वाल आप भी यिद मरी शसा ही करग तो मझ मरी गि तया कौन बतायगा मरी गित कस होगी

यह सनकर गर अतयत सनन हो गय हमन िजतना जाना िजतना सीखा ह वह तो ठ क ह उसस जयादा जान सक सीख सक

ऐसा हमारा यास होना चािहए रामकण परमहस व हो गय थ िकसी न उनस पछाः बाबा जी आपन सब कछ जान

िलया ह

रामकण परमहसः नही म जब तक जीऊगा तब तक िव ाथ ही रहगा मझ अभी बहत कछ सीखना बाकी ह

िजनक पास सीखन को िमल उनस िवनतापवरक सीखना चािहए जो कछ सीखो सावधानीपवरक सीखो जीवन म िवनोद जररी ह िकनत िवनोद की अित न हो िजस समय पढ़त हो कछ सीखत हो कछ करत हो उस समय मःती नही िवनोद नही वरन जो कछ पढ़ो सीखो या करो उस उतसाह स धयान स और सावधानी स करो

पढ़न स पवर थोड़ धयानःथ हो जाओ पढ़न क बाद मौन हो जाओ यह गित की चाबी ह

माता-िपता स िचढ़ना नही चाह िजस मा-बाप न जनम िदया ह उनकी बातो को समझना चािहए अपन िलए उनक मन म िवशष दया हो िवशष म उतपनन हो ऐसा वयवहार करना चािहए

भल जाओ भल सब कछ माता-िपता को भलना नही अनिगनत उपकार ह उनक यह कभी िबसरना नही

माता-िपता को सतोष हो उनका दय सनन हो ऐसा हमारा वयवहार होना चािहए अपन माता-िपता एव गरजनो को सत रखकर ही हम सचची गित कर सकत ह

(अनबम)

  • पजय बाप जी का उदबोधन
  • कदम अपना आग बढाता चला जा
  • त गलाब होकर महक
  • जीवन विकास का मल सयम
  • तरिकाल सधया
  • शरीर सवासथय
  • अनन का परभाव
  • भारतीय ससकति की महानता
  • हरिदास की हरिभकति
  • बनावटी शरगार स बचो
  • साहसी बालक
  • गर-आजञापालन का चमतकार
  • अनोखी गरदकषिणा
  • सतसग की महिमा
  • पीड पराई जान र
  • विकास क बरियो स सावधान
  • कछ जानन योगय बात
  • शयन की रीत
  • सनान का तरीका
  • सवचछता का धयान
  • समरणशकति का विकास
  • वयकतितव और वयवहार
Page 34: Tu gulabhokarmehak

(अनबम)

िवकास क बिरयो स सावधान किपलवःत क राजा श ोदन का यवराज था िस ाथर यौवन म कदम रखत ही िववक

और वरा य जाग उठा यवान प ी यशोधरा और नवजात िशश राहल की मोह-ममता की रशमी जजीर काटकर महाभीिनबमण (गहतयाग) िकया एकानत अर य म जाकर गहन धयान साधना करक अपन साधय त व को ा कर िलया

एकानत म तप यार और धयान साधना स िखल हए इस आधयाितमक कसम की मधर

सौरभ लोगो म फलन लगी अब िस ाथर भगवान ब क नाम स जन-समह म िस हए हजारो हजारो लोग उनक उपिद मागर पर चलन लग और अपनी अपनी यो यता क मतािबक आधयाितमक याऽा म आग बढ़त हए आितमक शाित ा करन लग अस य लोग बौ िभकषक बनकर भगवान ब क सािननधय म रहन लग उनक पीछ चलन वाल अनयायीओ का एक सघ ःथािपत हो गया चह ओर नाद गजन लग िकः

ब शरण गचछािम धमम शरण गचछािम सघ शरण गचछािम

ौावःती नगरी म भगवान ब का बहत यश फला लोगो म उनकी जय-जयकार होन लगी लोगो की भीड़-भाड़ स िवर होकर ब नगर स बाहर जतवन म आम क बगीच म रहन लग नगर क िपपास जन बड़ी तादाद म वहा हररोज िनि त समय पर पहच जात और उपदश-वचन सनत बड़-बड़ राजा महाराजा भगवान ब क सािननधय म आन जान लग

समाज म तो हर कार क लोग होत ह अनािद काल स दवी समपदा क लोग एव आसरी समपदा क लोग हआ करत ह ब का फलता हआ यश दखकर उनका तजो ष करन वाल लोग जलन लग सतो क साथ हमशा स होता आ रहा ह ऐस उन द त वो न ब को बदनाम करन क िलए कचार िकया िविभनन कार की यि -यि या लड़ाकर ब क यश को हािन पहच ऐसी बात समाज म व लोग फलान लग उन द ो न अपन ष यऽ म एक वया को समझा-बझाकर शािमल कर िलया

वया बन-ठनकर जतवन म भगवान ब क िनवास-ःथानवाल बगीच म जान लगी

धनरािश क साथ द ो का हर कार स सहारा एव ोतसाहन उस िमल रहा था रािऽ को वही रहकर सबह नगर म वािपस लोट आती अपनी सिखयो म भी उसन बात फलाई

लोग उसस पछन लगः अरी आजकल त िदखती नही ह कहा जा रही ह रोज रात को

म तो रोज रात को जतवन जाती ह व ब िदन म लोगो को उपदश दत ह और रािऽ क समय मर साथ रगरिलया मनात ह सारी रात वहा िबताकर सबह लोटती ह

वया न परा ीचिरऽ आजमाकर ष यऽ करन वालो का साथ िदया लोगो म पहल तो हलकी कानाफसी हई लिकन जयो-जयो बात फलती गई तयो-तयो लोगो म जोरदार िवरोध होन लगा लोग ब क नाम पर िफटकार बरसान लग ब क िभकषक बःती म िभकषा लन जात तो लोग उनह गािलया दन लग ब क सघ क लोग सवा-वि म सल न थ उन लोगो क सामन भी उगली उठाकर लोग बकवास करन लग

ब क िशय जरा असावधान रह थ कचार क समय साथ ही साथ स चार होता तो कचार का इतना भाव नही होता िशय अगर िनिबय रहकर सोचत रह जाय िक करगा सो भरगा भगवान उनका नाश करग तो कचार करन वालो को ख ला मदान िमल जाता ह

सत क सािननधय म आन वाल लोग ौ ाल सजजन सीध साद होत ह जबिक द वि करन वाल लोग किटलतापवरक कचार करन म कशल होत ह िफर भी िजन सतो क पीछ सजग समाज होता ह उन सतो क पीछ उठन वाल कचार क तफान समय पाकर शात हो जात ह और उनकी सतवि या काशमान हो उठती ह

कचार न इतना जोर पकड़ा िक ब क िनकटवत लोगो न ऽािहमाम पकार िलया व समझ गय िक यह वयविःथत आयोजनपवरक ष यऽ िकया गया ह ब ःवय तो पारमािथरक सतय म जाग हए थ व बोलतः सब ठ क ह चलन दो वयवहािरक सतय म वाहवाही दख ली अब िननदा भी दख ल कया फकर पड़ता ह

िशय कहन लगः भनत अब सहा नही जाता सघ क िनकटवत भ भी अफवाहो क िशकार हो रह ह समाज क लोग अफवाहो की बातो को सतय मानन लग गय ह

ब ः धयर रखो हम पारमािथरक सतय म िवौाित पात ह यह िवरोध की आधी चली ह तो शात भी हो जाएगी समय पाकर सतय ही बाहर आयगा आिखर म लोग हम जानग और मानग

कछ लोगो न अगवानी का झ डा उठाया और राजयस ा क समकष जोर-शोर स माग की

िक ब की जाच करवाई जाय लोग बात कर रह ह और वया भी कहती ह िक ब रािऽ को मर साथ होत ह और िदन म सतसग करत ह

ब क बार म जाच करन क िलए राजा न अपन आदिमयो को फरमान िदया अब ष यऽ करनवालो न सोचा िक इस जाच करन वाल पच म अगर सचचा आदमी आ जाएगा तो अफवाहो का सीना चीरकर सतय बाहर आ जाएगा अतः उनहोन अपन ष यऽ को आिखरी

पराका ा पर पहचाया अब ऐस ठोस सबत खड़ा करना चािहए िक ब की ितभा का अःत हो जाय

उनहोन वया को दार िपलाकर जतवन भज िदया पीछ स ग डो की टोली वहा गई वया पर बलातकार आिद सब द कतय करक उसका गला घोट िदया और लाश को ब क बगीच म गाड़कर पलायन हो गय

लोगो न राजयस ा क ार खटखटाय थ लिकन स ावाल भी कछ लोग द ो क साथ जड़ हए थ ऐसा थोड़ ही ह िक स ा म बठ हए सब लोग दध म धोय हए वयि होत ह

राजा क अिधकािरयो क ारा जाच करन पर वया की लाश हाथ लगी अब द ो न जोर-शोर स िच लाना शर कर िदया

दखो हम पहल ही कह रह थ वया भी बोल रही थी लिकन तम भगतड़ लोग मानत ही नही थ अब दख िलया न ब न सही बात खल जान क भय स वया को मरवाकर बगीच म गड़वा िदया न रहगा बास न बजगी बासरी लिकन सतय कहा तक िछप सकता ह म ामाल हाथ लग गया इस ठोस सबत स ब की असिलयत िस हो गई सतय बाहर आ गया

लिकन उन मख का पता नही िक तमहारा बनाया हआ कि पत सतय बाहर आया वाःतिवक सतय तो आज ढाई हजार वषर क बाद भी वसा ही चमक रहा ह आज ब को लाखो लोग जानत ह आदरपवरक मानत ह उनका तजो ष करन वाल द लोग कौन-स नरको म जलत होग कया पता

ढाई हजार वषर पहल ब क जमान म भी सतो क साथ ऐसा घोर अनयाय हआ करता था ऋिष दयाननद को भी ऐस ही त वो न तजो ष क कारण बाईस बार िवष दकर मार डालन का यास िकया ःवामी िववकाननद और ःवामी रामतीथर क पीछ भी द लोगो न वया को तयार करक कीचड़ उछाला था

एक ओर लाखो-लाखो लोग सतो की अनभवय वाणी स अपना वयावहािरक ETH आधयाितमक जीवन उननत करक सख-शाित पात ह दसरी ओर कछ द कित क ःवाथ लोग अपना उ ल सीधा करन क िलए ऐस महापरषो क िवर म ष यऽ रचकर उनको बदनाम करत ह यह तो पहल स चला आ रहा ह सत कबीर हो या नानक एकनाथ महाराज हो या सत तकाराम नरिसह महता हो या मीराबाई ायः सभी सतो को अपन जीवन क दौरान समाज क किटल त वो स पाला पड़ता ही रहा ह जीसस बाइःट को इनही त वो न बॉस पर चढ़ाया था उनही लोगो न सकरात को जहर िपलाकर मतयद ड िदया था मनसर को इसी जमात न शली पर चढ़ाया था ईसाई धमर म माट न यथर पर ज म िकया गया था अण-अण म ई र और नारीमाऽ म जगजजननी भगवती का दशरन करन वाल रामकण परमहस को भी लोगो न नही

छोड़ा था परमहस योगाननद रवीनिनाथ टगोर माट न यथर दिकषण भारत क सत ितरव लवर जापानी झन सत बाबो इितहास म िकतन-िकतन उदाहरण मौजद ह

हािसद धमरगर बा शमटोव अित पिवऽ आतमा थ िननदको न उनक इदरिगदर भी मायाजाल िबछा दी थी िसध क साई टउराम क पास अस य लोग आतमक याण हत जान लग तब िवकत िदमागवालो न उन सत को भी ऽास दना शर कर िदया उनक आौम क चह ओर गदगी डाल दत और कए म िम टी का तल उड़लकर पानी बकार कर दत मगल बादशाह बाबर को बहका कर उनही लोगो न गर नानक को कद करवाया था

भगवान ौीराम एव ौीकण को भी द जनो न छोड़ा नही था भगवान ौीराम क गर विश जी महाराज कहत हः

ह राम जी म जब बाजार स गजरता ह तब अजञानी मखर लोग मर िलए कया बकत ह म सब जानता ह लिकन मरा दयाल ःवभाव ह म इन सबका क याण चाहता ह

तमहार साथ यह ससार कछ अनयाय करता ह तमको बदनाम करता ह िननदा करता ह तो यह ससार की परानी रीत ह मनय की हीनवि कचार िननदाखोरी यह आजकल की ही बात नही ह अनािदकाल स ऐसा होता आया ह तम अपन आतमजञान क सःकार जगाकर आतमबल का िवकास करत जाओ मःकरात जाओ आधी तफानो को लाघकर आननदपवरक जीत जाओ

उस जमान म भगवान ब क पास आकर एक िभकषक न ाथरना कीः भनत मझ आजञा द म सभाए भरगा आपक िवचारो का चार करगा

मर िवचारो का चार

हा भगवन म बौ धमर फलाऊगा

लोग तरी िननदा करग गािलया दग

कोई हजर नही म भगवन को धनयवाद दगा िक य लोग िकतन अचछ ह य कवल श दहार करत ह मझ पीटत तो नही

लोग तझ पीटग भी तो कया करोग

भो म शब गजारगा िक य लोग हाथो स पीटत ह पतथर तो नही मारत

लोग पतथर भी मारग और िसर भी फोड़ दग तो कया करगा

िफर भी म आ ःत रहगा और भगवान का िदवय कायर करता रहगा कयोिक व लोग मरा िसर फोड़ग लिकन ाण तो नही लग

लोग जनन म आकर तझ मार दग तो कया करगा

भनत आपक िदवय िवचारो का चार करत-करत म मर भी गया तो समझगा िक मरा जीवन सफल हो गया

उस कतिन यी िभकषक की दढ़ िन ा दखकर भगवान ब सनन हो उठ उस पर उनकी करणा बरस पड़ी

ऐस िशय जब ब का चार करन िनकल पड़ तब कचार करन वाल धीर-धीर शात हो गय मनयो की उगिलया काट-काटकर माला बनाकर पहनन वाला अगिलमाल जसा बर हतयारा भी दयपिरवतरन पाकर ब की शरण म िभकषक होकर रहन लगा

आज हम ब को बहत आदर स जानत ह मानत ह उनक जीवनकाल क दौरान उनक पीछ लग हए द लोग कौन स नरक म सड़त होग रौरव नरक म या कभीपाक नरक म कौन-सी योिनयो म भटकत होग सअर बन होग िक नाली क कीड़ बन होग शतान बन होग िक राकषस बन होग मझ पता नही लिकन ब तो करोड़ो दयो म बस रह ह यह म मानता ह

सतय तो परमाथर ह आतमा ह परमातमा ह उसम िजतना िटकोग उतना तमहारा मगल होगा तमहारी िनगाह िजन पर पड़गी उनका भी मगल होगा

(अनबम)

कछ जानन यो य बात सय दय स पवर उठकर ःनान कर लना चािहए ातः खाली पट मटक का बासी पानी

पीना ःवाःथयद ह तलसी क प सय दय क प ात ही तोड़ दध म तलसी क प नही डालन चािहए तथा

दध क साथ खान भी नही चािहए तलसी क प खाकर थोड़ा पानी पीना िपय जलनित स पिह सौ कार क लाभ होत ह अपन मिःतक म एक कार का िवजाितय

िवय उतपनन होता ह यिद वह िवय वही अटक जाता ह तो बचपन म ही बाल सफद होन लगत ह इसस नजल की बीमारी भी होती ह यिद वह िवय नाक की तरफ आता ह तो सगनध-दगरनध का पता नही चल पाता और ज दी-ज दी जकाम हो जाता ह यिद वह िवय कान की तरफ आता ह तो कान बहर होन लगत ह और छोट-मोट ब ीस रोग हो सकत ह यिद वह िवय दात की तरफ आय तो दात छोटी उ म ही िगरन लगत ह यिद आख की तरफ वह िवय उतर तो चम लगन लगत ह जलनित यािन नाक स पानी खीचकर मह स िनकाल दन स वह िवय िनकल जाता ह गल क ऊपर क ायः सभी रोगो स मि िमल जाती ह

आईसबीम खान क बाद चाय पीना दातो क िलए अतयािधक हािनकारक होता ह

भोजन को पीना चािहए तथा पानी को खाना चािहए इसका मतलब यह ह िक भोजन को इतना चबाओ िक वह पानी की तरह पतला हो जाय और पानी अथवा अनय पय पदाथ को धीर-धीर िपयो

िकसी भी कार का पय पदाथर पीना हो तो दाया नथना बनद करक िपय इसस वह अमत जसा हो जाता ह यिद दाया ःवर(नथना) चाल हो और पानी आिद िपय तो जीवनशि (ओज) पतली होन लगती ह चयर की रकषा क िलए शरीर को तनदरःत रखन क िलए यह योग करना चािहए

तम चाह िकतनी भी महनत करो िकनत िजतना तमहारी नसो म ओज ह चयर की शि ह उतन ही तम सफल होत हो जो चाय-कॉफी आिद पीत ह उनका ओज पतला होकर पशाब ारा न होता जाता ह अतः चयर की रकषा क िलए चाय-कॉफी जस वयसनो स दर रहना रह

पढ़न क बाद थोड़ी दर शात हो जाना चािहए जो पढ़ा ह उसका मनन करो िशकषक ःकल म जब पढ़ात हो तब धयान स सनो उस व मःती-मजाक नही करना चािहए िवनोद-मःती कम स कम करो और समझन की कोिशश अिधक करो

जो सय दय क पवर नही उठता उसक ःवभाव म तमस छा जाता ह जो सय दय क पवर उठता ह उसकी बि शि बढ़ती ह

नीद म स उठकर तरत भगवान का धयान करो आतमःनान करो धयान म रिच नही होती तो समझना चािहए िक मन म दोष ह उनह िनकालन क िलए कया करना चािहए

मन को िनद ष बनान क िलए सबह-शाम माता-िपता को णाम करना चािहए गरजनो को णाम करना चािहए एव भगवान क नाम का जप करना चािहए भगवान स ाथरना करनी चािहए िक ह भगवान ह मर भ मरी धयान म रिच होन लग ऐसी कपा कर दो िकसी समय गद िवचार िनकल आय तो समझना चािहए िक अदर छप हए िवचार िनकल रह ह अतः खश होना चािहए िवचार आया और गया मर राम तो दय म ही ह ऐसी भावना करनी चािहए

िनदा करना तो अचछा नही ह िकनत िनदा सनना भी उिचत नही (अनबम)

शयन की रीत मनय को िकस ढग स सोना चािहए इसका भी तरीका होता ह सोत व पवर अथवा

दिकषण िदशा की ओर िसर करक ही सोना चािहए

भोजन करन क बाद िदन म दस िमनट आराम कर िकनत सोय नही भोजन क बाद दस िमनट बायी करवट लट सकत ह रािऽ को जागरण िकया हो इस कारण स कभी िदन म सोना पड़ वह अलग बात ह

सोत व नीच कोई गमर कबल आिद िबछाकर सोय तािक आपकी जीवनशि अिथग न हो जाय आपक शरीर की िव तशि भिम म न उतर जाय

(अनबम)

ःनान का तरीका शरीर की मजबती एव आरो यता क िलए रगड़-रगड़कर ःनान करना चािहए जो लोग

ठड दशो म रहत ह उनका ःवाःथय गमर दस क लोगो की अपकषा अचछा होता ह ठडी स अपना शरीर सधरता ह

ःनान करत व 12-15 िलटर पानी बा टी म लकर पहल उसम िसर डबाना चािहए िफर पर िभगोना चािहए पहल पर गील नही करन चािहए शरीर की गम ऊपर की ओर चढ़ती ह जो ःवाःथय क िलए हािनकारक होती ह

अतः पहल ठड पानी की बा टी भर ल िफर मह म पानी भरकर िसर को बा टी म डाल और आख पटपटाए इसस आखो की शि बढ़ती ह शरीर को रगड़-रगड़कर नहाए बाद म गील व स शरीर को रगड़-रगड़कर पोछ िजसस रोम कप का सारा मल बाहर िनकल जाय और रोमकप(तवचा क िछि) खल जायय तवचा क िछि बद रहन स ही तवचा की कई बीमािरया होती ह िफर सख कपड़ स शरीर को पोछ कर (अथवा थोड़ा गीला हो तब भी चल) सख साफ व पहन ल व भल साद हो िकनत साफ हो बासी कपड़ नही पहन हमशा धल हए कपड़ ही पहन इसस मन भी सनन रहता ह

पाच कार क ःनान होत हः ःनान दवःनान ऋिषःनान मानवःनान दानवःनान ःनानः -परमातमा का िचतन करक जल थल नहान वाला

ऐसा िचतन करक ा महतर म नहाना इस ःनान कहत ह दवःनानः दवनिदयो म ःनान या दवनिदयो का ःमरण करक सय दय स पवर नहाना यह

दवःनान ह ऋिषःनानः आकाश म तार िदखत हो और नहा ल यह ऋिषःनान ह ऋिषःनान करन

वाल की बि बड़ी तजःवी होती ह मानवःनानः सय दय क पवर का ःनान मानवःनान ह

दानवःनानः सय दय क प ात चाय पीकर नाता करक आठ नौ बज नहाना यह दानव ःनान ह

अतः हमशा ऋिषःनान करन का ही यास करना चािहए (अनबम)

ःवचछता का धयान यिद शरीर की सफाई रखी जाय तो मन भी सनन रहता ह आजकल अिधकतर लोग

श स ही मजन करत ह श की अपकषा नीम और बबल की दातौन जयादा अचछ होती ह और यिद श भी कर तो कभी-कभार श को गमर पानी स धोना चािहए अनयथा उसम बकटिरया(जीवाण) रह जात ह

िकतन ही लोग उगली स दात साफ करत ह तजरनी (अगठ क पास वाली थम उगली) स दात िघसन स मसड़ कमजोर हो जात ह तथा दात ज दी िगर जात ह कयोिक तजरनी म िव तशि का माण दसरी उगिलयो की अपकषा अिधक होता ह अतः उसस दात नही िघसन चािहए एव आखो को भी नही मसलना चािहए

िजस िदशा स हवा आती हो उस िदशा की ओर मह करक कभी-भी मलमऽ का िवसजरन नही करना चािहए सयर और चनिमा की ओर मख करक भी मलमऽ का िवसजरन नही करना चािहए

(अनबम)

ःमरणशि का िवकास यादशि बढ़ान का एक सनदर योग ह ETH ामरी ाणायाम सखासन प ासन या

िस ासन पर बठ हाथ की कोहनी की ऊचाई कनध तक रह इस कार रखकर हाथ की थम उगली(तजरनी) स दोनो कानो को धीर-स बद कर एकदम जोर स बद न कर िकनत बाहर का कछ सनाई न द इस कार धीर स कान बनद कर

अब गहर ास लकर थोड़ी दर रोक ओठ बद रखकर जस मर का गजन होता ह वस ॐsssss कहत हए गजन कर उसक बाद थोड़ी दर तक ास न ल पनः यही िबया दहराय ऐसा सबह एव शाम 8 स 10 बार कर यादशि बढ़ान का यह यौिगक योग ह इसस मिःतक की नािड़यो का शोधन होकर मिःतक म र सचार उिचत ढग स होता ह

और िवचार करन स भी बि शि का िवकास होता ह

सबह खाली पट तलसी क प एकाध काली िमचर चबाकर एक िगलास पानी पीन स भी ःमरणशि का िवकास होता ह रोग-ितकारक शि बढ़ती ह कनसर की बीमारी कभी नही होती जलदर-भगदर की बीमारी भी कभी नही होती

(अनबम)

वयि तव और वयवहार िकसी भी वयि तव का पता उसक वयवहार स ही चलता ह कई लोग वयथर च ा करत

ह एक होती ह सकाम च ा दसरी होती ह िनकाम च ा और तीसरी होती ह वयथर च ा वयथर च ा नही करनी चािहए िकसी क शरीर म कोई कमी हो तो उसका मजाक नही उड़ाना चािहए वरन उस मददरप बनना चािहए यह िनकाम सवा ह

िकसी की भी िनदा नही करनी चािहए िनदा करन वाला वयि िजसकी िनदा करता ह उसका तो इतना अिहत नही होता िजतना वह अपना अिहत करता ह जो दसरो की सवा करता ह दसरो क अनकल होता ह वह दसरो का िजतना िहत करता ह उसकी अपकषा उसका खद का िहत जयादा होता ह

अपन स जो उ स बड़ हो जञान म बड़ हो तप म बड़ हो उनका आदर करना चािहए िजस मनय क साथ बात करत हो वह मनय कौन ह यह जानकर बात करो तो आप वयवहार-कशल कहलाओग

िकसी को पऽ िलखत हो तो यिद अपन स बड़ हो तो ौी सबोधन करक िलखो सबोधन करन स सवाकयो की रचना स िश ता बढ़ती ह िकसी स बात करो तो सबोधन करक बात करो जो तकार स बात करता ह वह अिश कहलाता ह िश तापवरक बात करन स अपनी इजजत बढ़ती ह

िजसक जीवन म वयवहार-कशलता ह वह सभी कषऽो म सफल होता ह िजसम िवनता ह वही सब कछ सीख सकता ह िवनता िव ा बढ़ाती ह िजसक जीवन म िवनता नही ह समझो उसक सब काम अधर रह गय और जो समझता ह िक म सब कछ जानता ह वह वाःतव म कछ नही जानता

एक िचऽकार अपन गरदव क सममख एक सनदर िचऽ बनाकर लाया गर न िचऽ दखकर कहाः

वाह वाह सनदर ह अदभत ह

िशय बोलाः गरदव इसम कोई ऽिट रह गयी हो तो कपा करक बताइए इसीिलए म आपक चरणो म आया ह

गरः कोई ऽिट नही ह मझस भी जयादा अचछा बनाया ह

वह िशय रोन लगा उस रोता दखकर गर न पछाः तम कयो रो रह हो म तो तमहारी शसा कर रहा ह

िशयः गरदव मरी घड़ाई करन वाल आप भी यिद मरी शसा ही करग तो मझ मरी गि तया कौन बतायगा मरी गित कस होगी

यह सनकर गर अतयत सनन हो गय हमन िजतना जाना िजतना सीखा ह वह तो ठ क ह उसस जयादा जान सक सीख सक

ऐसा हमारा यास होना चािहए रामकण परमहस व हो गय थ िकसी न उनस पछाः बाबा जी आपन सब कछ जान

िलया ह

रामकण परमहसः नही म जब तक जीऊगा तब तक िव ाथ ही रहगा मझ अभी बहत कछ सीखना बाकी ह

िजनक पास सीखन को िमल उनस िवनतापवरक सीखना चािहए जो कछ सीखो सावधानीपवरक सीखो जीवन म िवनोद जररी ह िकनत िवनोद की अित न हो िजस समय पढ़त हो कछ सीखत हो कछ करत हो उस समय मःती नही िवनोद नही वरन जो कछ पढ़ो सीखो या करो उस उतसाह स धयान स और सावधानी स करो

पढ़न स पवर थोड़ धयानःथ हो जाओ पढ़न क बाद मौन हो जाओ यह गित की चाबी ह

माता-िपता स िचढ़ना नही चाह िजस मा-बाप न जनम िदया ह उनकी बातो को समझना चािहए अपन िलए उनक मन म िवशष दया हो िवशष म उतपनन हो ऐसा वयवहार करना चािहए

भल जाओ भल सब कछ माता-िपता को भलना नही अनिगनत उपकार ह उनक यह कभी िबसरना नही

माता-िपता को सतोष हो उनका दय सनन हो ऐसा हमारा वयवहार होना चािहए अपन माता-िपता एव गरजनो को सत रखकर ही हम सचची गित कर सकत ह

(अनबम)

  • पजय बाप जी का उदबोधन
  • कदम अपना आग बढाता चला जा
  • त गलाब होकर महक
  • जीवन विकास का मल सयम
  • तरिकाल सधया
  • शरीर सवासथय
  • अनन का परभाव
  • भारतीय ससकति की महानता
  • हरिदास की हरिभकति
  • बनावटी शरगार स बचो
  • साहसी बालक
  • गर-आजञापालन का चमतकार
  • अनोखी गरदकषिणा
  • सतसग की महिमा
  • पीड पराई जान र
  • विकास क बरियो स सावधान
  • कछ जानन योगय बात
  • शयन की रीत
  • सनान का तरीका
  • सवचछता का धयान
  • समरणशकति का विकास
  • वयकतितव और वयवहार
Page 35: Tu gulabhokarmehak

लोग उसस पछन लगः अरी आजकल त िदखती नही ह कहा जा रही ह रोज रात को

म तो रोज रात को जतवन जाती ह व ब िदन म लोगो को उपदश दत ह और रािऽ क समय मर साथ रगरिलया मनात ह सारी रात वहा िबताकर सबह लोटती ह

वया न परा ीचिरऽ आजमाकर ष यऽ करन वालो का साथ िदया लोगो म पहल तो हलकी कानाफसी हई लिकन जयो-जयो बात फलती गई तयो-तयो लोगो म जोरदार िवरोध होन लगा लोग ब क नाम पर िफटकार बरसान लग ब क िभकषक बःती म िभकषा लन जात तो लोग उनह गािलया दन लग ब क सघ क लोग सवा-वि म सल न थ उन लोगो क सामन भी उगली उठाकर लोग बकवास करन लग

ब क िशय जरा असावधान रह थ कचार क समय साथ ही साथ स चार होता तो कचार का इतना भाव नही होता िशय अगर िनिबय रहकर सोचत रह जाय िक करगा सो भरगा भगवान उनका नाश करग तो कचार करन वालो को ख ला मदान िमल जाता ह

सत क सािननधय म आन वाल लोग ौ ाल सजजन सीध साद होत ह जबिक द वि करन वाल लोग किटलतापवरक कचार करन म कशल होत ह िफर भी िजन सतो क पीछ सजग समाज होता ह उन सतो क पीछ उठन वाल कचार क तफान समय पाकर शात हो जात ह और उनकी सतवि या काशमान हो उठती ह

कचार न इतना जोर पकड़ा िक ब क िनकटवत लोगो न ऽािहमाम पकार िलया व समझ गय िक यह वयविःथत आयोजनपवरक ष यऽ िकया गया ह ब ःवय तो पारमािथरक सतय म जाग हए थ व बोलतः सब ठ क ह चलन दो वयवहािरक सतय म वाहवाही दख ली अब िननदा भी दख ल कया फकर पड़ता ह

िशय कहन लगः भनत अब सहा नही जाता सघ क िनकटवत भ भी अफवाहो क िशकार हो रह ह समाज क लोग अफवाहो की बातो को सतय मानन लग गय ह

ब ः धयर रखो हम पारमािथरक सतय म िवौाित पात ह यह िवरोध की आधी चली ह तो शात भी हो जाएगी समय पाकर सतय ही बाहर आयगा आिखर म लोग हम जानग और मानग

कछ लोगो न अगवानी का झ डा उठाया और राजयस ा क समकष जोर-शोर स माग की

िक ब की जाच करवाई जाय लोग बात कर रह ह और वया भी कहती ह िक ब रािऽ को मर साथ होत ह और िदन म सतसग करत ह

ब क बार म जाच करन क िलए राजा न अपन आदिमयो को फरमान िदया अब ष यऽ करनवालो न सोचा िक इस जाच करन वाल पच म अगर सचचा आदमी आ जाएगा तो अफवाहो का सीना चीरकर सतय बाहर आ जाएगा अतः उनहोन अपन ष यऽ को आिखरी

पराका ा पर पहचाया अब ऐस ठोस सबत खड़ा करना चािहए िक ब की ितभा का अःत हो जाय

उनहोन वया को दार िपलाकर जतवन भज िदया पीछ स ग डो की टोली वहा गई वया पर बलातकार आिद सब द कतय करक उसका गला घोट िदया और लाश को ब क बगीच म गाड़कर पलायन हो गय

लोगो न राजयस ा क ार खटखटाय थ लिकन स ावाल भी कछ लोग द ो क साथ जड़ हए थ ऐसा थोड़ ही ह िक स ा म बठ हए सब लोग दध म धोय हए वयि होत ह

राजा क अिधकािरयो क ारा जाच करन पर वया की लाश हाथ लगी अब द ो न जोर-शोर स िच लाना शर कर िदया

दखो हम पहल ही कह रह थ वया भी बोल रही थी लिकन तम भगतड़ लोग मानत ही नही थ अब दख िलया न ब न सही बात खल जान क भय स वया को मरवाकर बगीच म गड़वा िदया न रहगा बास न बजगी बासरी लिकन सतय कहा तक िछप सकता ह म ामाल हाथ लग गया इस ठोस सबत स ब की असिलयत िस हो गई सतय बाहर आ गया

लिकन उन मख का पता नही िक तमहारा बनाया हआ कि पत सतय बाहर आया वाःतिवक सतय तो आज ढाई हजार वषर क बाद भी वसा ही चमक रहा ह आज ब को लाखो लोग जानत ह आदरपवरक मानत ह उनका तजो ष करन वाल द लोग कौन-स नरको म जलत होग कया पता

ढाई हजार वषर पहल ब क जमान म भी सतो क साथ ऐसा घोर अनयाय हआ करता था ऋिष दयाननद को भी ऐस ही त वो न तजो ष क कारण बाईस बार िवष दकर मार डालन का यास िकया ःवामी िववकाननद और ःवामी रामतीथर क पीछ भी द लोगो न वया को तयार करक कीचड़ उछाला था

एक ओर लाखो-लाखो लोग सतो की अनभवय वाणी स अपना वयावहािरक ETH आधयाितमक जीवन उननत करक सख-शाित पात ह दसरी ओर कछ द कित क ःवाथ लोग अपना उ ल सीधा करन क िलए ऐस महापरषो क िवर म ष यऽ रचकर उनको बदनाम करत ह यह तो पहल स चला आ रहा ह सत कबीर हो या नानक एकनाथ महाराज हो या सत तकाराम नरिसह महता हो या मीराबाई ायः सभी सतो को अपन जीवन क दौरान समाज क किटल त वो स पाला पड़ता ही रहा ह जीसस बाइःट को इनही त वो न बॉस पर चढ़ाया था उनही लोगो न सकरात को जहर िपलाकर मतयद ड िदया था मनसर को इसी जमात न शली पर चढ़ाया था ईसाई धमर म माट न यथर पर ज म िकया गया था अण-अण म ई र और नारीमाऽ म जगजजननी भगवती का दशरन करन वाल रामकण परमहस को भी लोगो न नही

छोड़ा था परमहस योगाननद रवीनिनाथ टगोर माट न यथर दिकषण भारत क सत ितरव लवर जापानी झन सत बाबो इितहास म िकतन-िकतन उदाहरण मौजद ह

हािसद धमरगर बा शमटोव अित पिवऽ आतमा थ िननदको न उनक इदरिगदर भी मायाजाल िबछा दी थी िसध क साई टउराम क पास अस य लोग आतमक याण हत जान लग तब िवकत िदमागवालो न उन सत को भी ऽास दना शर कर िदया उनक आौम क चह ओर गदगी डाल दत और कए म िम टी का तल उड़लकर पानी बकार कर दत मगल बादशाह बाबर को बहका कर उनही लोगो न गर नानक को कद करवाया था

भगवान ौीराम एव ौीकण को भी द जनो न छोड़ा नही था भगवान ौीराम क गर विश जी महाराज कहत हः

ह राम जी म जब बाजार स गजरता ह तब अजञानी मखर लोग मर िलए कया बकत ह म सब जानता ह लिकन मरा दयाल ःवभाव ह म इन सबका क याण चाहता ह

तमहार साथ यह ससार कछ अनयाय करता ह तमको बदनाम करता ह िननदा करता ह तो यह ससार की परानी रीत ह मनय की हीनवि कचार िननदाखोरी यह आजकल की ही बात नही ह अनािदकाल स ऐसा होता आया ह तम अपन आतमजञान क सःकार जगाकर आतमबल का िवकास करत जाओ मःकरात जाओ आधी तफानो को लाघकर आननदपवरक जीत जाओ

उस जमान म भगवान ब क पास आकर एक िभकषक न ाथरना कीः भनत मझ आजञा द म सभाए भरगा आपक िवचारो का चार करगा

मर िवचारो का चार

हा भगवन म बौ धमर फलाऊगा

लोग तरी िननदा करग गािलया दग

कोई हजर नही म भगवन को धनयवाद दगा िक य लोग िकतन अचछ ह य कवल श दहार करत ह मझ पीटत तो नही

लोग तझ पीटग भी तो कया करोग

भो म शब गजारगा िक य लोग हाथो स पीटत ह पतथर तो नही मारत

लोग पतथर भी मारग और िसर भी फोड़ दग तो कया करगा

िफर भी म आ ःत रहगा और भगवान का िदवय कायर करता रहगा कयोिक व लोग मरा िसर फोड़ग लिकन ाण तो नही लग

लोग जनन म आकर तझ मार दग तो कया करगा

भनत आपक िदवय िवचारो का चार करत-करत म मर भी गया तो समझगा िक मरा जीवन सफल हो गया

उस कतिन यी िभकषक की दढ़ िन ा दखकर भगवान ब सनन हो उठ उस पर उनकी करणा बरस पड़ी

ऐस िशय जब ब का चार करन िनकल पड़ तब कचार करन वाल धीर-धीर शात हो गय मनयो की उगिलया काट-काटकर माला बनाकर पहनन वाला अगिलमाल जसा बर हतयारा भी दयपिरवतरन पाकर ब की शरण म िभकषक होकर रहन लगा

आज हम ब को बहत आदर स जानत ह मानत ह उनक जीवनकाल क दौरान उनक पीछ लग हए द लोग कौन स नरक म सड़त होग रौरव नरक म या कभीपाक नरक म कौन-सी योिनयो म भटकत होग सअर बन होग िक नाली क कीड़ बन होग शतान बन होग िक राकषस बन होग मझ पता नही लिकन ब तो करोड़ो दयो म बस रह ह यह म मानता ह

सतय तो परमाथर ह आतमा ह परमातमा ह उसम िजतना िटकोग उतना तमहारा मगल होगा तमहारी िनगाह िजन पर पड़गी उनका भी मगल होगा

(अनबम)

कछ जानन यो य बात सय दय स पवर उठकर ःनान कर लना चािहए ातः खाली पट मटक का बासी पानी

पीना ःवाःथयद ह तलसी क प सय दय क प ात ही तोड़ दध म तलसी क प नही डालन चािहए तथा

दध क साथ खान भी नही चािहए तलसी क प खाकर थोड़ा पानी पीना िपय जलनित स पिह सौ कार क लाभ होत ह अपन मिःतक म एक कार का िवजाितय

िवय उतपनन होता ह यिद वह िवय वही अटक जाता ह तो बचपन म ही बाल सफद होन लगत ह इसस नजल की बीमारी भी होती ह यिद वह िवय नाक की तरफ आता ह तो सगनध-दगरनध का पता नही चल पाता और ज दी-ज दी जकाम हो जाता ह यिद वह िवय कान की तरफ आता ह तो कान बहर होन लगत ह और छोट-मोट ब ीस रोग हो सकत ह यिद वह िवय दात की तरफ आय तो दात छोटी उ म ही िगरन लगत ह यिद आख की तरफ वह िवय उतर तो चम लगन लगत ह जलनित यािन नाक स पानी खीचकर मह स िनकाल दन स वह िवय िनकल जाता ह गल क ऊपर क ायः सभी रोगो स मि िमल जाती ह

आईसबीम खान क बाद चाय पीना दातो क िलए अतयािधक हािनकारक होता ह

भोजन को पीना चािहए तथा पानी को खाना चािहए इसका मतलब यह ह िक भोजन को इतना चबाओ िक वह पानी की तरह पतला हो जाय और पानी अथवा अनय पय पदाथ को धीर-धीर िपयो

िकसी भी कार का पय पदाथर पीना हो तो दाया नथना बनद करक िपय इसस वह अमत जसा हो जाता ह यिद दाया ःवर(नथना) चाल हो और पानी आिद िपय तो जीवनशि (ओज) पतली होन लगती ह चयर की रकषा क िलए शरीर को तनदरःत रखन क िलए यह योग करना चािहए

तम चाह िकतनी भी महनत करो िकनत िजतना तमहारी नसो म ओज ह चयर की शि ह उतन ही तम सफल होत हो जो चाय-कॉफी आिद पीत ह उनका ओज पतला होकर पशाब ारा न होता जाता ह अतः चयर की रकषा क िलए चाय-कॉफी जस वयसनो स दर रहना रह

पढ़न क बाद थोड़ी दर शात हो जाना चािहए जो पढ़ा ह उसका मनन करो िशकषक ःकल म जब पढ़ात हो तब धयान स सनो उस व मःती-मजाक नही करना चािहए िवनोद-मःती कम स कम करो और समझन की कोिशश अिधक करो

जो सय दय क पवर नही उठता उसक ःवभाव म तमस छा जाता ह जो सय दय क पवर उठता ह उसकी बि शि बढ़ती ह

नीद म स उठकर तरत भगवान का धयान करो आतमःनान करो धयान म रिच नही होती तो समझना चािहए िक मन म दोष ह उनह िनकालन क िलए कया करना चािहए

मन को िनद ष बनान क िलए सबह-शाम माता-िपता को णाम करना चािहए गरजनो को णाम करना चािहए एव भगवान क नाम का जप करना चािहए भगवान स ाथरना करनी चािहए िक ह भगवान ह मर भ मरी धयान म रिच होन लग ऐसी कपा कर दो िकसी समय गद िवचार िनकल आय तो समझना चािहए िक अदर छप हए िवचार िनकल रह ह अतः खश होना चािहए िवचार आया और गया मर राम तो दय म ही ह ऐसी भावना करनी चािहए

िनदा करना तो अचछा नही ह िकनत िनदा सनना भी उिचत नही (अनबम)

शयन की रीत मनय को िकस ढग स सोना चािहए इसका भी तरीका होता ह सोत व पवर अथवा

दिकषण िदशा की ओर िसर करक ही सोना चािहए

भोजन करन क बाद िदन म दस िमनट आराम कर िकनत सोय नही भोजन क बाद दस िमनट बायी करवट लट सकत ह रािऽ को जागरण िकया हो इस कारण स कभी िदन म सोना पड़ वह अलग बात ह

सोत व नीच कोई गमर कबल आिद िबछाकर सोय तािक आपकी जीवनशि अिथग न हो जाय आपक शरीर की िव तशि भिम म न उतर जाय

(अनबम)

ःनान का तरीका शरीर की मजबती एव आरो यता क िलए रगड़-रगड़कर ःनान करना चािहए जो लोग

ठड दशो म रहत ह उनका ःवाःथय गमर दस क लोगो की अपकषा अचछा होता ह ठडी स अपना शरीर सधरता ह

ःनान करत व 12-15 िलटर पानी बा टी म लकर पहल उसम िसर डबाना चािहए िफर पर िभगोना चािहए पहल पर गील नही करन चािहए शरीर की गम ऊपर की ओर चढ़ती ह जो ःवाःथय क िलए हािनकारक होती ह

अतः पहल ठड पानी की बा टी भर ल िफर मह म पानी भरकर िसर को बा टी म डाल और आख पटपटाए इसस आखो की शि बढ़ती ह शरीर को रगड़-रगड़कर नहाए बाद म गील व स शरीर को रगड़-रगड़कर पोछ िजसस रोम कप का सारा मल बाहर िनकल जाय और रोमकप(तवचा क िछि) खल जायय तवचा क िछि बद रहन स ही तवचा की कई बीमािरया होती ह िफर सख कपड़ स शरीर को पोछ कर (अथवा थोड़ा गीला हो तब भी चल) सख साफ व पहन ल व भल साद हो िकनत साफ हो बासी कपड़ नही पहन हमशा धल हए कपड़ ही पहन इसस मन भी सनन रहता ह

पाच कार क ःनान होत हः ःनान दवःनान ऋिषःनान मानवःनान दानवःनान ःनानः -परमातमा का िचतन करक जल थल नहान वाला

ऐसा िचतन करक ा महतर म नहाना इस ःनान कहत ह दवःनानः दवनिदयो म ःनान या दवनिदयो का ःमरण करक सय दय स पवर नहाना यह

दवःनान ह ऋिषःनानः आकाश म तार िदखत हो और नहा ल यह ऋिषःनान ह ऋिषःनान करन

वाल की बि बड़ी तजःवी होती ह मानवःनानः सय दय क पवर का ःनान मानवःनान ह

दानवःनानः सय दय क प ात चाय पीकर नाता करक आठ नौ बज नहाना यह दानव ःनान ह

अतः हमशा ऋिषःनान करन का ही यास करना चािहए (अनबम)

ःवचछता का धयान यिद शरीर की सफाई रखी जाय तो मन भी सनन रहता ह आजकल अिधकतर लोग

श स ही मजन करत ह श की अपकषा नीम और बबल की दातौन जयादा अचछ होती ह और यिद श भी कर तो कभी-कभार श को गमर पानी स धोना चािहए अनयथा उसम बकटिरया(जीवाण) रह जात ह

िकतन ही लोग उगली स दात साफ करत ह तजरनी (अगठ क पास वाली थम उगली) स दात िघसन स मसड़ कमजोर हो जात ह तथा दात ज दी िगर जात ह कयोिक तजरनी म िव तशि का माण दसरी उगिलयो की अपकषा अिधक होता ह अतः उसस दात नही िघसन चािहए एव आखो को भी नही मसलना चािहए

िजस िदशा स हवा आती हो उस िदशा की ओर मह करक कभी-भी मलमऽ का िवसजरन नही करना चािहए सयर और चनिमा की ओर मख करक भी मलमऽ का िवसजरन नही करना चािहए

(अनबम)

ःमरणशि का िवकास यादशि बढ़ान का एक सनदर योग ह ETH ामरी ाणायाम सखासन प ासन या

िस ासन पर बठ हाथ की कोहनी की ऊचाई कनध तक रह इस कार रखकर हाथ की थम उगली(तजरनी) स दोनो कानो को धीर-स बद कर एकदम जोर स बद न कर िकनत बाहर का कछ सनाई न द इस कार धीर स कान बनद कर

अब गहर ास लकर थोड़ी दर रोक ओठ बद रखकर जस मर का गजन होता ह वस ॐsssss कहत हए गजन कर उसक बाद थोड़ी दर तक ास न ल पनः यही िबया दहराय ऐसा सबह एव शाम 8 स 10 बार कर यादशि बढ़ान का यह यौिगक योग ह इसस मिःतक की नािड़यो का शोधन होकर मिःतक म र सचार उिचत ढग स होता ह

और िवचार करन स भी बि शि का िवकास होता ह

सबह खाली पट तलसी क प एकाध काली िमचर चबाकर एक िगलास पानी पीन स भी ःमरणशि का िवकास होता ह रोग-ितकारक शि बढ़ती ह कनसर की बीमारी कभी नही होती जलदर-भगदर की बीमारी भी कभी नही होती

(अनबम)

वयि तव और वयवहार िकसी भी वयि तव का पता उसक वयवहार स ही चलता ह कई लोग वयथर च ा करत

ह एक होती ह सकाम च ा दसरी होती ह िनकाम च ा और तीसरी होती ह वयथर च ा वयथर च ा नही करनी चािहए िकसी क शरीर म कोई कमी हो तो उसका मजाक नही उड़ाना चािहए वरन उस मददरप बनना चािहए यह िनकाम सवा ह

िकसी की भी िनदा नही करनी चािहए िनदा करन वाला वयि िजसकी िनदा करता ह उसका तो इतना अिहत नही होता िजतना वह अपना अिहत करता ह जो दसरो की सवा करता ह दसरो क अनकल होता ह वह दसरो का िजतना िहत करता ह उसकी अपकषा उसका खद का िहत जयादा होता ह

अपन स जो उ स बड़ हो जञान म बड़ हो तप म बड़ हो उनका आदर करना चािहए िजस मनय क साथ बात करत हो वह मनय कौन ह यह जानकर बात करो तो आप वयवहार-कशल कहलाओग

िकसी को पऽ िलखत हो तो यिद अपन स बड़ हो तो ौी सबोधन करक िलखो सबोधन करन स सवाकयो की रचना स िश ता बढ़ती ह िकसी स बात करो तो सबोधन करक बात करो जो तकार स बात करता ह वह अिश कहलाता ह िश तापवरक बात करन स अपनी इजजत बढ़ती ह

िजसक जीवन म वयवहार-कशलता ह वह सभी कषऽो म सफल होता ह िजसम िवनता ह वही सब कछ सीख सकता ह िवनता िव ा बढ़ाती ह िजसक जीवन म िवनता नही ह समझो उसक सब काम अधर रह गय और जो समझता ह िक म सब कछ जानता ह वह वाःतव म कछ नही जानता

एक िचऽकार अपन गरदव क सममख एक सनदर िचऽ बनाकर लाया गर न िचऽ दखकर कहाः

वाह वाह सनदर ह अदभत ह

िशय बोलाः गरदव इसम कोई ऽिट रह गयी हो तो कपा करक बताइए इसीिलए म आपक चरणो म आया ह

गरः कोई ऽिट नही ह मझस भी जयादा अचछा बनाया ह

वह िशय रोन लगा उस रोता दखकर गर न पछाः तम कयो रो रह हो म तो तमहारी शसा कर रहा ह

िशयः गरदव मरी घड़ाई करन वाल आप भी यिद मरी शसा ही करग तो मझ मरी गि तया कौन बतायगा मरी गित कस होगी

यह सनकर गर अतयत सनन हो गय हमन िजतना जाना िजतना सीखा ह वह तो ठ क ह उसस जयादा जान सक सीख सक

ऐसा हमारा यास होना चािहए रामकण परमहस व हो गय थ िकसी न उनस पछाः बाबा जी आपन सब कछ जान

िलया ह

रामकण परमहसः नही म जब तक जीऊगा तब तक िव ाथ ही रहगा मझ अभी बहत कछ सीखना बाकी ह

िजनक पास सीखन को िमल उनस िवनतापवरक सीखना चािहए जो कछ सीखो सावधानीपवरक सीखो जीवन म िवनोद जररी ह िकनत िवनोद की अित न हो िजस समय पढ़त हो कछ सीखत हो कछ करत हो उस समय मःती नही िवनोद नही वरन जो कछ पढ़ो सीखो या करो उस उतसाह स धयान स और सावधानी स करो

पढ़न स पवर थोड़ धयानःथ हो जाओ पढ़न क बाद मौन हो जाओ यह गित की चाबी ह

माता-िपता स िचढ़ना नही चाह िजस मा-बाप न जनम िदया ह उनकी बातो को समझना चािहए अपन िलए उनक मन म िवशष दया हो िवशष म उतपनन हो ऐसा वयवहार करना चािहए

भल जाओ भल सब कछ माता-िपता को भलना नही अनिगनत उपकार ह उनक यह कभी िबसरना नही

माता-िपता को सतोष हो उनका दय सनन हो ऐसा हमारा वयवहार होना चािहए अपन माता-िपता एव गरजनो को सत रखकर ही हम सचची गित कर सकत ह

(अनबम)

  • पजय बाप जी का उदबोधन
  • कदम अपना आग बढाता चला जा
  • त गलाब होकर महक
  • जीवन विकास का मल सयम
  • तरिकाल सधया
  • शरीर सवासथय
  • अनन का परभाव
  • भारतीय ससकति की महानता
  • हरिदास की हरिभकति
  • बनावटी शरगार स बचो
  • साहसी बालक
  • गर-आजञापालन का चमतकार
  • अनोखी गरदकषिणा
  • सतसग की महिमा
  • पीड पराई जान र
  • विकास क बरियो स सावधान
  • कछ जानन योगय बात
  • शयन की रीत
  • सनान का तरीका
  • सवचछता का धयान
  • समरणशकति का विकास
  • वयकतितव और वयवहार
Page 36: Tu gulabhokarmehak

पराका ा पर पहचाया अब ऐस ठोस सबत खड़ा करना चािहए िक ब की ितभा का अःत हो जाय

उनहोन वया को दार िपलाकर जतवन भज िदया पीछ स ग डो की टोली वहा गई वया पर बलातकार आिद सब द कतय करक उसका गला घोट िदया और लाश को ब क बगीच म गाड़कर पलायन हो गय

लोगो न राजयस ा क ार खटखटाय थ लिकन स ावाल भी कछ लोग द ो क साथ जड़ हए थ ऐसा थोड़ ही ह िक स ा म बठ हए सब लोग दध म धोय हए वयि होत ह

राजा क अिधकािरयो क ारा जाच करन पर वया की लाश हाथ लगी अब द ो न जोर-शोर स िच लाना शर कर िदया

दखो हम पहल ही कह रह थ वया भी बोल रही थी लिकन तम भगतड़ लोग मानत ही नही थ अब दख िलया न ब न सही बात खल जान क भय स वया को मरवाकर बगीच म गड़वा िदया न रहगा बास न बजगी बासरी लिकन सतय कहा तक िछप सकता ह म ामाल हाथ लग गया इस ठोस सबत स ब की असिलयत िस हो गई सतय बाहर आ गया

लिकन उन मख का पता नही िक तमहारा बनाया हआ कि पत सतय बाहर आया वाःतिवक सतय तो आज ढाई हजार वषर क बाद भी वसा ही चमक रहा ह आज ब को लाखो लोग जानत ह आदरपवरक मानत ह उनका तजो ष करन वाल द लोग कौन-स नरको म जलत होग कया पता

ढाई हजार वषर पहल ब क जमान म भी सतो क साथ ऐसा घोर अनयाय हआ करता था ऋिष दयाननद को भी ऐस ही त वो न तजो ष क कारण बाईस बार िवष दकर मार डालन का यास िकया ःवामी िववकाननद और ःवामी रामतीथर क पीछ भी द लोगो न वया को तयार करक कीचड़ उछाला था

एक ओर लाखो-लाखो लोग सतो की अनभवय वाणी स अपना वयावहािरक ETH आधयाितमक जीवन उननत करक सख-शाित पात ह दसरी ओर कछ द कित क ःवाथ लोग अपना उ ल सीधा करन क िलए ऐस महापरषो क िवर म ष यऽ रचकर उनको बदनाम करत ह यह तो पहल स चला आ रहा ह सत कबीर हो या नानक एकनाथ महाराज हो या सत तकाराम नरिसह महता हो या मीराबाई ायः सभी सतो को अपन जीवन क दौरान समाज क किटल त वो स पाला पड़ता ही रहा ह जीसस बाइःट को इनही त वो न बॉस पर चढ़ाया था उनही लोगो न सकरात को जहर िपलाकर मतयद ड िदया था मनसर को इसी जमात न शली पर चढ़ाया था ईसाई धमर म माट न यथर पर ज म िकया गया था अण-अण म ई र और नारीमाऽ म जगजजननी भगवती का दशरन करन वाल रामकण परमहस को भी लोगो न नही

छोड़ा था परमहस योगाननद रवीनिनाथ टगोर माट न यथर दिकषण भारत क सत ितरव लवर जापानी झन सत बाबो इितहास म िकतन-िकतन उदाहरण मौजद ह

हािसद धमरगर बा शमटोव अित पिवऽ आतमा थ िननदको न उनक इदरिगदर भी मायाजाल िबछा दी थी िसध क साई टउराम क पास अस य लोग आतमक याण हत जान लग तब िवकत िदमागवालो न उन सत को भी ऽास दना शर कर िदया उनक आौम क चह ओर गदगी डाल दत और कए म िम टी का तल उड़लकर पानी बकार कर दत मगल बादशाह बाबर को बहका कर उनही लोगो न गर नानक को कद करवाया था

भगवान ौीराम एव ौीकण को भी द जनो न छोड़ा नही था भगवान ौीराम क गर विश जी महाराज कहत हः

ह राम जी म जब बाजार स गजरता ह तब अजञानी मखर लोग मर िलए कया बकत ह म सब जानता ह लिकन मरा दयाल ःवभाव ह म इन सबका क याण चाहता ह

तमहार साथ यह ससार कछ अनयाय करता ह तमको बदनाम करता ह िननदा करता ह तो यह ससार की परानी रीत ह मनय की हीनवि कचार िननदाखोरी यह आजकल की ही बात नही ह अनािदकाल स ऐसा होता आया ह तम अपन आतमजञान क सःकार जगाकर आतमबल का िवकास करत जाओ मःकरात जाओ आधी तफानो को लाघकर आननदपवरक जीत जाओ

उस जमान म भगवान ब क पास आकर एक िभकषक न ाथरना कीः भनत मझ आजञा द म सभाए भरगा आपक िवचारो का चार करगा

मर िवचारो का चार

हा भगवन म बौ धमर फलाऊगा

लोग तरी िननदा करग गािलया दग

कोई हजर नही म भगवन को धनयवाद दगा िक य लोग िकतन अचछ ह य कवल श दहार करत ह मझ पीटत तो नही

लोग तझ पीटग भी तो कया करोग

भो म शब गजारगा िक य लोग हाथो स पीटत ह पतथर तो नही मारत

लोग पतथर भी मारग और िसर भी फोड़ दग तो कया करगा

िफर भी म आ ःत रहगा और भगवान का िदवय कायर करता रहगा कयोिक व लोग मरा िसर फोड़ग लिकन ाण तो नही लग

लोग जनन म आकर तझ मार दग तो कया करगा

भनत आपक िदवय िवचारो का चार करत-करत म मर भी गया तो समझगा िक मरा जीवन सफल हो गया

उस कतिन यी िभकषक की दढ़ िन ा दखकर भगवान ब सनन हो उठ उस पर उनकी करणा बरस पड़ी

ऐस िशय जब ब का चार करन िनकल पड़ तब कचार करन वाल धीर-धीर शात हो गय मनयो की उगिलया काट-काटकर माला बनाकर पहनन वाला अगिलमाल जसा बर हतयारा भी दयपिरवतरन पाकर ब की शरण म िभकषक होकर रहन लगा

आज हम ब को बहत आदर स जानत ह मानत ह उनक जीवनकाल क दौरान उनक पीछ लग हए द लोग कौन स नरक म सड़त होग रौरव नरक म या कभीपाक नरक म कौन-सी योिनयो म भटकत होग सअर बन होग िक नाली क कीड़ बन होग शतान बन होग िक राकषस बन होग मझ पता नही लिकन ब तो करोड़ो दयो म बस रह ह यह म मानता ह

सतय तो परमाथर ह आतमा ह परमातमा ह उसम िजतना िटकोग उतना तमहारा मगल होगा तमहारी िनगाह िजन पर पड़गी उनका भी मगल होगा

(अनबम)

कछ जानन यो य बात सय दय स पवर उठकर ःनान कर लना चािहए ातः खाली पट मटक का बासी पानी

पीना ःवाःथयद ह तलसी क प सय दय क प ात ही तोड़ दध म तलसी क प नही डालन चािहए तथा

दध क साथ खान भी नही चािहए तलसी क प खाकर थोड़ा पानी पीना िपय जलनित स पिह सौ कार क लाभ होत ह अपन मिःतक म एक कार का िवजाितय

िवय उतपनन होता ह यिद वह िवय वही अटक जाता ह तो बचपन म ही बाल सफद होन लगत ह इसस नजल की बीमारी भी होती ह यिद वह िवय नाक की तरफ आता ह तो सगनध-दगरनध का पता नही चल पाता और ज दी-ज दी जकाम हो जाता ह यिद वह िवय कान की तरफ आता ह तो कान बहर होन लगत ह और छोट-मोट ब ीस रोग हो सकत ह यिद वह िवय दात की तरफ आय तो दात छोटी उ म ही िगरन लगत ह यिद आख की तरफ वह िवय उतर तो चम लगन लगत ह जलनित यािन नाक स पानी खीचकर मह स िनकाल दन स वह िवय िनकल जाता ह गल क ऊपर क ायः सभी रोगो स मि िमल जाती ह

आईसबीम खान क बाद चाय पीना दातो क िलए अतयािधक हािनकारक होता ह

भोजन को पीना चािहए तथा पानी को खाना चािहए इसका मतलब यह ह िक भोजन को इतना चबाओ िक वह पानी की तरह पतला हो जाय और पानी अथवा अनय पय पदाथ को धीर-धीर िपयो

िकसी भी कार का पय पदाथर पीना हो तो दाया नथना बनद करक िपय इसस वह अमत जसा हो जाता ह यिद दाया ःवर(नथना) चाल हो और पानी आिद िपय तो जीवनशि (ओज) पतली होन लगती ह चयर की रकषा क िलए शरीर को तनदरःत रखन क िलए यह योग करना चािहए

तम चाह िकतनी भी महनत करो िकनत िजतना तमहारी नसो म ओज ह चयर की शि ह उतन ही तम सफल होत हो जो चाय-कॉफी आिद पीत ह उनका ओज पतला होकर पशाब ारा न होता जाता ह अतः चयर की रकषा क िलए चाय-कॉफी जस वयसनो स दर रहना रह

पढ़न क बाद थोड़ी दर शात हो जाना चािहए जो पढ़ा ह उसका मनन करो िशकषक ःकल म जब पढ़ात हो तब धयान स सनो उस व मःती-मजाक नही करना चािहए िवनोद-मःती कम स कम करो और समझन की कोिशश अिधक करो

जो सय दय क पवर नही उठता उसक ःवभाव म तमस छा जाता ह जो सय दय क पवर उठता ह उसकी बि शि बढ़ती ह

नीद म स उठकर तरत भगवान का धयान करो आतमःनान करो धयान म रिच नही होती तो समझना चािहए िक मन म दोष ह उनह िनकालन क िलए कया करना चािहए

मन को िनद ष बनान क िलए सबह-शाम माता-िपता को णाम करना चािहए गरजनो को णाम करना चािहए एव भगवान क नाम का जप करना चािहए भगवान स ाथरना करनी चािहए िक ह भगवान ह मर भ मरी धयान म रिच होन लग ऐसी कपा कर दो िकसी समय गद िवचार िनकल आय तो समझना चािहए िक अदर छप हए िवचार िनकल रह ह अतः खश होना चािहए िवचार आया और गया मर राम तो दय म ही ह ऐसी भावना करनी चािहए

िनदा करना तो अचछा नही ह िकनत िनदा सनना भी उिचत नही (अनबम)

शयन की रीत मनय को िकस ढग स सोना चािहए इसका भी तरीका होता ह सोत व पवर अथवा

दिकषण िदशा की ओर िसर करक ही सोना चािहए

भोजन करन क बाद िदन म दस िमनट आराम कर िकनत सोय नही भोजन क बाद दस िमनट बायी करवट लट सकत ह रािऽ को जागरण िकया हो इस कारण स कभी िदन म सोना पड़ वह अलग बात ह

सोत व नीच कोई गमर कबल आिद िबछाकर सोय तािक आपकी जीवनशि अिथग न हो जाय आपक शरीर की िव तशि भिम म न उतर जाय

(अनबम)

ःनान का तरीका शरीर की मजबती एव आरो यता क िलए रगड़-रगड़कर ःनान करना चािहए जो लोग

ठड दशो म रहत ह उनका ःवाःथय गमर दस क लोगो की अपकषा अचछा होता ह ठडी स अपना शरीर सधरता ह

ःनान करत व 12-15 िलटर पानी बा टी म लकर पहल उसम िसर डबाना चािहए िफर पर िभगोना चािहए पहल पर गील नही करन चािहए शरीर की गम ऊपर की ओर चढ़ती ह जो ःवाःथय क िलए हािनकारक होती ह

अतः पहल ठड पानी की बा टी भर ल िफर मह म पानी भरकर िसर को बा टी म डाल और आख पटपटाए इसस आखो की शि बढ़ती ह शरीर को रगड़-रगड़कर नहाए बाद म गील व स शरीर को रगड़-रगड़कर पोछ िजसस रोम कप का सारा मल बाहर िनकल जाय और रोमकप(तवचा क िछि) खल जायय तवचा क िछि बद रहन स ही तवचा की कई बीमािरया होती ह िफर सख कपड़ स शरीर को पोछ कर (अथवा थोड़ा गीला हो तब भी चल) सख साफ व पहन ल व भल साद हो िकनत साफ हो बासी कपड़ नही पहन हमशा धल हए कपड़ ही पहन इसस मन भी सनन रहता ह

पाच कार क ःनान होत हः ःनान दवःनान ऋिषःनान मानवःनान दानवःनान ःनानः -परमातमा का िचतन करक जल थल नहान वाला

ऐसा िचतन करक ा महतर म नहाना इस ःनान कहत ह दवःनानः दवनिदयो म ःनान या दवनिदयो का ःमरण करक सय दय स पवर नहाना यह

दवःनान ह ऋिषःनानः आकाश म तार िदखत हो और नहा ल यह ऋिषःनान ह ऋिषःनान करन

वाल की बि बड़ी तजःवी होती ह मानवःनानः सय दय क पवर का ःनान मानवःनान ह

दानवःनानः सय दय क प ात चाय पीकर नाता करक आठ नौ बज नहाना यह दानव ःनान ह

अतः हमशा ऋिषःनान करन का ही यास करना चािहए (अनबम)

ःवचछता का धयान यिद शरीर की सफाई रखी जाय तो मन भी सनन रहता ह आजकल अिधकतर लोग

श स ही मजन करत ह श की अपकषा नीम और बबल की दातौन जयादा अचछ होती ह और यिद श भी कर तो कभी-कभार श को गमर पानी स धोना चािहए अनयथा उसम बकटिरया(जीवाण) रह जात ह

िकतन ही लोग उगली स दात साफ करत ह तजरनी (अगठ क पास वाली थम उगली) स दात िघसन स मसड़ कमजोर हो जात ह तथा दात ज दी िगर जात ह कयोिक तजरनी म िव तशि का माण दसरी उगिलयो की अपकषा अिधक होता ह अतः उसस दात नही िघसन चािहए एव आखो को भी नही मसलना चािहए

िजस िदशा स हवा आती हो उस िदशा की ओर मह करक कभी-भी मलमऽ का िवसजरन नही करना चािहए सयर और चनिमा की ओर मख करक भी मलमऽ का िवसजरन नही करना चािहए

(अनबम)

ःमरणशि का िवकास यादशि बढ़ान का एक सनदर योग ह ETH ामरी ाणायाम सखासन प ासन या

िस ासन पर बठ हाथ की कोहनी की ऊचाई कनध तक रह इस कार रखकर हाथ की थम उगली(तजरनी) स दोनो कानो को धीर-स बद कर एकदम जोर स बद न कर िकनत बाहर का कछ सनाई न द इस कार धीर स कान बनद कर

अब गहर ास लकर थोड़ी दर रोक ओठ बद रखकर जस मर का गजन होता ह वस ॐsssss कहत हए गजन कर उसक बाद थोड़ी दर तक ास न ल पनः यही िबया दहराय ऐसा सबह एव शाम 8 स 10 बार कर यादशि बढ़ान का यह यौिगक योग ह इसस मिःतक की नािड़यो का शोधन होकर मिःतक म र सचार उिचत ढग स होता ह

और िवचार करन स भी बि शि का िवकास होता ह

सबह खाली पट तलसी क प एकाध काली िमचर चबाकर एक िगलास पानी पीन स भी ःमरणशि का िवकास होता ह रोग-ितकारक शि बढ़ती ह कनसर की बीमारी कभी नही होती जलदर-भगदर की बीमारी भी कभी नही होती

(अनबम)

वयि तव और वयवहार िकसी भी वयि तव का पता उसक वयवहार स ही चलता ह कई लोग वयथर च ा करत

ह एक होती ह सकाम च ा दसरी होती ह िनकाम च ा और तीसरी होती ह वयथर च ा वयथर च ा नही करनी चािहए िकसी क शरीर म कोई कमी हो तो उसका मजाक नही उड़ाना चािहए वरन उस मददरप बनना चािहए यह िनकाम सवा ह

िकसी की भी िनदा नही करनी चािहए िनदा करन वाला वयि िजसकी िनदा करता ह उसका तो इतना अिहत नही होता िजतना वह अपना अिहत करता ह जो दसरो की सवा करता ह दसरो क अनकल होता ह वह दसरो का िजतना िहत करता ह उसकी अपकषा उसका खद का िहत जयादा होता ह

अपन स जो उ स बड़ हो जञान म बड़ हो तप म बड़ हो उनका आदर करना चािहए िजस मनय क साथ बात करत हो वह मनय कौन ह यह जानकर बात करो तो आप वयवहार-कशल कहलाओग

िकसी को पऽ िलखत हो तो यिद अपन स बड़ हो तो ौी सबोधन करक िलखो सबोधन करन स सवाकयो की रचना स िश ता बढ़ती ह िकसी स बात करो तो सबोधन करक बात करो जो तकार स बात करता ह वह अिश कहलाता ह िश तापवरक बात करन स अपनी इजजत बढ़ती ह

िजसक जीवन म वयवहार-कशलता ह वह सभी कषऽो म सफल होता ह िजसम िवनता ह वही सब कछ सीख सकता ह िवनता िव ा बढ़ाती ह िजसक जीवन म िवनता नही ह समझो उसक सब काम अधर रह गय और जो समझता ह िक म सब कछ जानता ह वह वाःतव म कछ नही जानता

एक िचऽकार अपन गरदव क सममख एक सनदर िचऽ बनाकर लाया गर न िचऽ दखकर कहाः

वाह वाह सनदर ह अदभत ह

िशय बोलाः गरदव इसम कोई ऽिट रह गयी हो तो कपा करक बताइए इसीिलए म आपक चरणो म आया ह

गरः कोई ऽिट नही ह मझस भी जयादा अचछा बनाया ह

वह िशय रोन लगा उस रोता दखकर गर न पछाः तम कयो रो रह हो म तो तमहारी शसा कर रहा ह

िशयः गरदव मरी घड़ाई करन वाल आप भी यिद मरी शसा ही करग तो मझ मरी गि तया कौन बतायगा मरी गित कस होगी

यह सनकर गर अतयत सनन हो गय हमन िजतना जाना िजतना सीखा ह वह तो ठ क ह उसस जयादा जान सक सीख सक

ऐसा हमारा यास होना चािहए रामकण परमहस व हो गय थ िकसी न उनस पछाः बाबा जी आपन सब कछ जान

िलया ह

रामकण परमहसः नही म जब तक जीऊगा तब तक िव ाथ ही रहगा मझ अभी बहत कछ सीखना बाकी ह

िजनक पास सीखन को िमल उनस िवनतापवरक सीखना चािहए जो कछ सीखो सावधानीपवरक सीखो जीवन म िवनोद जररी ह िकनत िवनोद की अित न हो िजस समय पढ़त हो कछ सीखत हो कछ करत हो उस समय मःती नही िवनोद नही वरन जो कछ पढ़ो सीखो या करो उस उतसाह स धयान स और सावधानी स करो

पढ़न स पवर थोड़ धयानःथ हो जाओ पढ़न क बाद मौन हो जाओ यह गित की चाबी ह

माता-िपता स िचढ़ना नही चाह िजस मा-बाप न जनम िदया ह उनकी बातो को समझना चािहए अपन िलए उनक मन म िवशष दया हो िवशष म उतपनन हो ऐसा वयवहार करना चािहए

भल जाओ भल सब कछ माता-िपता को भलना नही अनिगनत उपकार ह उनक यह कभी िबसरना नही

माता-िपता को सतोष हो उनका दय सनन हो ऐसा हमारा वयवहार होना चािहए अपन माता-िपता एव गरजनो को सत रखकर ही हम सचची गित कर सकत ह

(अनबम)

  • पजय बाप जी का उदबोधन
  • कदम अपना आग बढाता चला जा
  • त गलाब होकर महक
  • जीवन विकास का मल सयम
  • तरिकाल सधया
  • शरीर सवासथय
  • अनन का परभाव
  • भारतीय ससकति की महानता
  • हरिदास की हरिभकति
  • बनावटी शरगार स बचो
  • साहसी बालक
  • गर-आजञापालन का चमतकार
  • अनोखी गरदकषिणा
  • सतसग की महिमा
  • पीड पराई जान र
  • विकास क बरियो स सावधान
  • कछ जानन योगय बात
  • शयन की रीत
  • सनान का तरीका
  • सवचछता का धयान
  • समरणशकति का विकास
  • वयकतितव और वयवहार
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छोड़ा था परमहस योगाननद रवीनिनाथ टगोर माट न यथर दिकषण भारत क सत ितरव लवर जापानी झन सत बाबो इितहास म िकतन-िकतन उदाहरण मौजद ह

हािसद धमरगर बा शमटोव अित पिवऽ आतमा थ िननदको न उनक इदरिगदर भी मायाजाल िबछा दी थी िसध क साई टउराम क पास अस य लोग आतमक याण हत जान लग तब िवकत िदमागवालो न उन सत को भी ऽास दना शर कर िदया उनक आौम क चह ओर गदगी डाल दत और कए म िम टी का तल उड़लकर पानी बकार कर दत मगल बादशाह बाबर को बहका कर उनही लोगो न गर नानक को कद करवाया था

भगवान ौीराम एव ौीकण को भी द जनो न छोड़ा नही था भगवान ौीराम क गर विश जी महाराज कहत हः

ह राम जी म जब बाजार स गजरता ह तब अजञानी मखर लोग मर िलए कया बकत ह म सब जानता ह लिकन मरा दयाल ःवभाव ह म इन सबका क याण चाहता ह

तमहार साथ यह ससार कछ अनयाय करता ह तमको बदनाम करता ह िननदा करता ह तो यह ससार की परानी रीत ह मनय की हीनवि कचार िननदाखोरी यह आजकल की ही बात नही ह अनािदकाल स ऐसा होता आया ह तम अपन आतमजञान क सःकार जगाकर आतमबल का िवकास करत जाओ मःकरात जाओ आधी तफानो को लाघकर आननदपवरक जीत जाओ

उस जमान म भगवान ब क पास आकर एक िभकषक न ाथरना कीः भनत मझ आजञा द म सभाए भरगा आपक िवचारो का चार करगा

मर िवचारो का चार

हा भगवन म बौ धमर फलाऊगा

लोग तरी िननदा करग गािलया दग

कोई हजर नही म भगवन को धनयवाद दगा िक य लोग िकतन अचछ ह य कवल श दहार करत ह मझ पीटत तो नही

लोग तझ पीटग भी तो कया करोग

भो म शब गजारगा िक य लोग हाथो स पीटत ह पतथर तो नही मारत

लोग पतथर भी मारग और िसर भी फोड़ दग तो कया करगा

िफर भी म आ ःत रहगा और भगवान का िदवय कायर करता रहगा कयोिक व लोग मरा िसर फोड़ग लिकन ाण तो नही लग

लोग जनन म आकर तझ मार दग तो कया करगा

भनत आपक िदवय िवचारो का चार करत-करत म मर भी गया तो समझगा िक मरा जीवन सफल हो गया

उस कतिन यी िभकषक की दढ़ िन ा दखकर भगवान ब सनन हो उठ उस पर उनकी करणा बरस पड़ी

ऐस िशय जब ब का चार करन िनकल पड़ तब कचार करन वाल धीर-धीर शात हो गय मनयो की उगिलया काट-काटकर माला बनाकर पहनन वाला अगिलमाल जसा बर हतयारा भी दयपिरवतरन पाकर ब की शरण म िभकषक होकर रहन लगा

आज हम ब को बहत आदर स जानत ह मानत ह उनक जीवनकाल क दौरान उनक पीछ लग हए द लोग कौन स नरक म सड़त होग रौरव नरक म या कभीपाक नरक म कौन-सी योिनयो म भटकत होग सअर बन होग िक नाली क कीड़ बन होग शतान बन होग िक राकषस बन होग मझ पता नही लिकन ब तो करोड़ो दयो म बस रह ह यह म मानता ह

सतय तो परमाथर ह आतमा ह परमातमा ह उसम िजतना िटकोग उतना तमहारा मगल होगा तमहारी िनगाह िजन पर पड़गी उनका भी मगल होगा

(अनबम)

कछ जानन यो य बात सय दय स पवर उठकर ःनान कर लना चािहए ातः खाली पट मटक का बासी पानी

पीना ःवाःथयद ह तलसी क प सय दय क प ात ही तोड़ दध म तलसी क प नही डालन चािहए तथा

दध क साथ खान भी नही चािहए तलसी क प खाकर थोड़ा पानी पीना िपय जलनित स पिह सौ कार क लाभ होत ह अपन मिःतक म एक कार का िवजाितय

िवय उतपनन होता ह यिद वह िवय वही अटक जाता ह तो बचपन म ही बाल सफद होन लगत ह इसस नजल की बीमारी भी होती ह यिद वह िवय नाक की तरफ आता ह तो सगनध-दगरनध का पता नही चल पाता और ज दी-ज दी जकाम हो जाता ह यिद वह िवय कान की तरफ आता ह तो कान बहर होन लगत ह और छोट-मोट ब ीस रोग हो सकत ह यिद वह िवय दात की तरफ आय तो दात छोटी उ म ही िगरन लगत ह यिद आख की तरफ वह िवय उतर तो चम लगन लगत ह जलनित यािन नाक स पानी खीचकर मह स िनकाल दन स वह िवय िनकल जाता ह गल क ऊपर क ायः सभी रोगो स मि िमल जाती ह

आईसबीम खान क बाद चाय पीना दातो क िलए अतयािधक हािनकारक होता ह

भोजन को पीना चािहए तथा पानी को खाना चािहए इसका मतलब यह ह िक भोजन को इतना चबाओ िक वह पानी की तरह पतला हो जाय और पानी अथवा अनय पय पदाथ को धीर-धीर िपयो

िकसी भी कार का पय पदाथर पीना हो तो दाया नथना बनद करक िपय इसस वह अमत जसा हो जाता ह यिद दाया ःवर(नथना) चाल हो और पानी आिद िपय तो जीवनशि (ओज) पतली होन लगती ह चयर की रकषा क िलए शरीर को तनदरःत रखन क िलए यह योग करना चािहए

तम चाह िकतनी भी महनत करो िकनत िजतना तमहारी नसो म ओज ह चयर की शि ह उतन ही तम सफल होत हो जो चाय-कॉफी आिद पीत ह उनका ओज पतला होकर पशाब ारा न होता जाता ह अतः चयर की रकषा क िलए चाय-कॉफी जस वयसनो स दर रहना रह

पढ़न क बाद थोड़ी दर शात हो जाना चािहए जो पढ़ा ह उसका मनन करो िशकषक ःकल म जब पढ़ात हो तब धयान स सनो उस व मःती-मजाक नही करना चािहए िवनोद-मःती कम स कम करो और समझन की कोिशश अिधक करो

जो सय दय क पवर नही उठता उसक ःवभाव म तमस छा जाता ह जो सय दय क पवर उठता ह उसकी बि शि बढ़ती ह

नीद म स उठकर तरत भगवान का धयान करो आतमःनान करो धयान म रिच नही होती तो समझना चािहए िक मन म दोष ह उनह िनकालन क िलए कया करना चािहए

मन को िनद ष बनान क िलए सबह-शाम माता-िपता को णाम करना चािहए गरजनो को णाम करना चािहए एव भगवान क नाम का जप करना चािहए भगवान स ाथरना करनी चािहए िक ह भगवान ह मर भ मरी धयान म रिच होन लग ऐसी कपा कर दो िकसी समय गद िवचार िनकल आय तो समझना चािहए िक अदर छप हए िवचार िनकल रह ह अतः खश होना चािहए िवचार आया और गया मर राम तो दय म ही ह ऐसी भावना करनी चािहए

िनदा करना तो अचछा नही ह िकनत िनदा सनना भी उिचत नही (अनबम)

शयन की रीत मनय को िकस ढग स सोना चािहए इसका भी तरीका होता ह सोत व पवर अथवा

दिकषण िदशा की ओर िसर करक ही सोना चािहए

भोजन करन क बाद िदन म दस िमनट आराम कर िकनत सोय नही भोजन क बाद दस िमनट बायी करवट लट सकत ह रािऽ को जागरण िकया हो इस कारण स कभी िदन म सोना पड़ वह अलग बात ह

सोत व नीच कोई गमर कबल आिद िबछाकर सोय तािक आपकी जीवनशि अिथग न हो जाय आपक शरीर की िव तशि भिम म न उतर जाय

(अनबम)

ःनान का तरीका शरीर की मजबती एव आरो यता क िलए रगड़-रगड़कर ःनान करना चािहए जो लोग

ठड दशो म रहत ह उनका ःवाःथय गमर दस क लोगो की अपकषा अचछा होता ह ठडी स अपना शरीर सधरता ह

ःनान करत व 12-15 िलटर पानी बा टी म लकर पहल उसम िसर डबाना चािहए िफर पर िभगोना चािहए पहल पर गील नही करन चािहए शरीर की गम ऊपर की ओर चढ़ती ह जो ःवाःथय क िलए हािनकारक होती ह

अतः पहल ठड पानी की बा टी भर ल िफर मह म पानी भरकर िसर को बा टी म डाल और आख पटपटाए इसस आखो की शि बढ़ती ह शरीर को रगड़-रगड़कर नहाए बाद म गील व स शरीर को रगड़-रगड़कर पोछ िजसस रोम कप का सारा मल बाहर िनकल जाय और रोमकप(तवचा क िछि) खल जायय तवचा क िछि बद रहन स ही तवचा की कई बीमािरया होती ह िफर सख कपड़ स शरीर को पोछ कर (अथवा थोड़ा गीला हो तब भी चल) सख साफ व पहन ल व भल साद हो िकनत साफ हो बासी कपड़ नही पहन हमशा धल हए कपड़ ही पहन इसस मन भी सनन रहता ह

पाच कार क ःनान होत हः ःनान दवःनान ऋिषःनान मानवःनान दानवःनान ःनानः -परमातमा का िचतन करक जल थल नहान वाला

ऐसा िचतन करक ा महतर म नहाना इस ःनान कहत ह दवःनानः दवनिदयो म ःनान या दवनिदयो का ःमरण करक सय दय स पवर नहाना यह

दवःनान ह ऋिषःनानः आकाश म तार िदखत हो और नहा ल यह ऋिषःनान ह ऋिषःनान करन

वाल की बि बड़ी तजःवी होती ह मानवःनानः सय दय क पवर का ःनान मानवःनान ह

दानवःनानः सय दय क प ात चाय पीकर नाता करक आठ नौ बज नहाना यह दानव ःनान ह

अतः हमशा ऋिषःनान करन का ही यास करना चािहए (अनबम)

ःवचछता का धयान यिद शरीर की सफाई रखी जाय तो मन भी सनन रहता ह आजकल अिधकतर लोग

श स ही मजन करत ह श की अपकषा नीम और बबल की दातौन जयादा अचछ होती ह और यिद श भी कर तो कभी-कभार श को गमर पानी स धोना चािहए अनयथा उसम बकटिरया(जीवाण) रह जात ह

िकतन ही लोग उगली स दात साफ करत ह तजरनी (अगठ क पास वाली थम उगली) स दात िघसन स मसड़ कमजोर हो जात ह तथा दात ज दी िगर जात ह कयोिक तजरनी म िव तशि का माण दसरी उगिलयो की अपकषा अिधक होता ह अतः उसस दात नही िघसन चािहए एव आखो को भी नही मसलना चािहए

िजस िदशा स हवा आती हो उस िदशा की ओर मह करक कभी-भी मलमऽ का िवसजरन नही करना चािहए सयर और चनिमा की ओर मख करक भी मलमऽ का िवसजरन नही करना चािहए

(अनबम)

ःमरणशि का िवकास यादशि बढ़ान का एक सनदर योग ह ETH ामरी ाणायाम सखासन प ासन या

िस ासन पर बठ हाथ की कोहनी की ऊचाई कनध तक रह इस कार रखकर हाथ की थम उगली(तजरनी) स दोनो कानो को धीर-स बद कर एकदम जोर स बद न कर िकनत बाहर का कछ सनाई न द इस कार धीर स कान बनद कर

अब गहर ास लकर थोड़ी दर रोक ओठ बद रखकर जस मर का गजन होता ह वस ॐsssss कहत हए गजन कर उसक बाद थोड़ी दर तक ास न ल पनः यही िबया दहराय ऐसा सबह एव शाम 8 स 10 बार कर यादशि बढ़ान का यह यौिगक योग ह इसस मिःतक की नािड़यो का शोधन होकर मिःतक म र सचार उिचत ढग स होता ह

और िवचार करन स भी बि शि का िवकास होता ह

सबह खाली पट तलसी क प एकाध काली िमचर चबाकर एक िगलास पानी पीन स भी ःमरणशि का िवकास होता ह रोग-ितकारक शि बढ़ती ह कनसर की बीमारी कभी नही होती जलदर-भगदर की बीमारी भी कभी नही होती

(अनबम)

वयि तव और वयवहार िकसी भी वयि तव का पता उसक वयवहार स ही चलता ह कई लोग वयथर च ा करत

ह एक होती ह सकाम च ा दसरी होती ह िनकाम च ा और तीसरी होती ह वयथर च ा वयथर च ा नही करनी चािहए िकसी क शरीर म कोई कमी हो तो उसका मजाक नही उड़ाना चािहए वरन उस मददरप बनना चािहए यह िनकाम सवा ह

िकसी की भी िनदा नही करनी चािहए िनदा करन वाला वयि िजसकी िनदा करता ह उसका तो इतना अिहत नही होता िजतना वह अपना अिहत करता ह जो दसरो की सवा करता ह दसरो क अनकल होता ह वह दसरो का िजतना िहत करता ह उसकी अपकषा उसका खद का िहत जयादा होता ह

अपन स जो उ स बड़ हो जञान म बड़ हो तप म बड़ हो उनका आदर करना चािहए िजस मनय क साथ बात करत हो वह मनय कौन ह यह जानकर बात करो तो आप वयवहार-कशल कहलाओग

िकसी को पऽ िलखत हो तो यिद अपन स बड़ हो तो ौी सबोधन करक िलखो सबोधन करन स सवाकयो की रचना स िश ता बढ़ती ह िकसी स बात करो तो सबोधन करक बात करो जो तकार स बात करता ह वह अिश कहलाता ह िश तापवरक बात करन स अपनी इजजत बढ़ती ह

िजसक जीवन म वयवहार-कशलता ह वह सभी कषऽो म सफल होता ह िजसम िवनता ह वही सब कछ सीख सकता ह िवनता िव ा बढ़ाती ह िजसक जीवन म िवनता नही ह समझो उसक सब काम अधर रह गय और जो समझता ह िक म सब कछ जानता ह वह वाःतव म कछ नही जानता

एक िचऽकार अपन गरदव क सममख एक सनदर िचऽ बनाकर लाया गर न िचऽ दखकर कहाः

वाह वाह सनदर ह अदभत ह

िशय बोलाः गरदव इसम कोई ऽिट रह गयी हो तो कपा करक बताइए इसीिलए म आपक चरणो म आया ह

गरः कोई ऽिट नही ह मझस भी जयादा अचछा बनाया ह

वह िशय रोन लगा उस रोता दखकर गर न पछाः तम कयो रो रह हो म तो तमहारी शसा कर रहा ह

िशयः गरदव मरी घड़ाई करन वाल आप भी यिद मरी शसा ही करग तो मझ मरी गि तया कौन बतायगा मरी गित कस होगी

यह सनकर गर अतयत सनन हो गय हमन िजतना जाना िजतना सीखा ह वह तो ठ क ह उसस जयादा जान सक सीख सक

ऐसा हमारा यास होना चािहए रामकण परमहस व हो गय थ िकसी न उनस पछाः बाबा जी आपन सब कछ जान

िलया ह

रामकण परमहसः नही म जब तक जीऊगा तब तक िव ाथ ही रहगा मझ अभी बहत कछ सीखना बाकी ह

िजनक पास सीखन को िमल उनस िवनतापवरक सीखना चािहए जो कछ सीखो सावधानीपवरक सीखो जीवन म िवनोद जररी ह िकनत िवनोद की अित न हो िजस समय पढ़त हो कछ सीखत हो कछ करत हो उस समय मःती नही िवनोद नही वरन जो कछ पढ़ो सीखो या करो उस उतसाह स धयान स और सावधानी स करो

पढ़न स पवर थोड़ धयानःथ हो जाओ पढ़न क बाद मौन हो जाओ यह गित की चाबी ह

माता-िपता स िचढ़ना नही चाह िजस मा-बाप न जनम िदया ह उनकी बातो को समझना चािहए अपन िलए उनक मन म िवशष दया हो िवशष म उतपनन हो ऐसा वयवहार करना चािहए

भल जाओ भल सब कछ माता-िपता को भलना नही अनिगनत उपकार ह उनक यह कभी िबसरना नही

माता-िपता को सतोष हो उनका दय सनन हो ऐसा हमारा वयवहार होना चािहए अपन माता-िपता एव गरजनो को सत रखकर ही हम सचची गित कर सकत ह

(अनबम)

  • पजय बाप जी का उदबोधन
  • कदम अपना आग बढाता चला जा
  • त गलाब होकर महक
  • जीवन विकास का मल सयम
  • तरिकाल सधया
  • शरीर सवासथय
  • अनन का परभाव
  • भारतीय ससकति की महानता
  • हरिदास की हरिभकति
  • बनावटी शरगार स बचो
  • साहसी बालक
  • गर-आजञापालन का चमतकार
  • अनोखी गरदकषिणा
  • सतसग की महिमा
  • पीड पराई जान र
  • विकास क बरियो स सावधान
  • कछ जानन योगय बात
  • शयन की रीत
  • सनान का तरीका
  • सवचछता का धयान
  • समरणशकति का विकास
  • वयकतितव और वयवहार
Page 38: Tu gulabhokarmehak

उस कतिन यी िभकषक की दढ़ िन ा दखकर भगवान ब सनन हो उठ उस पर उनकी करणा बरस पड़ी

ऐस िशय जब ब का चार करन िनकल पड़ तब कचार करन वाल धीर-धीर शात हो गय मनयो की उगिलया काट-काटकर माला बनाकर पहनन वाला अगिलमाल जसा बर हतयारा भी दयपिरवतरन पाकर ब की शरण म िभकषक होकर रहन लगा

आज हम ब को बहत आदर स जानत ह मानत ह उनक जीवनकाल क दौरान उनक पीछ लग हए द लोग कौन स नरक म सड़त होग रौरव नरक म या कभीपाक नरक म कौन-सी योिनयो म भटकत होग सअर बन होग िक नाली क कीड़ बन होग शतान बन होग िक राकषस बन होग मझ पता नही लिकन ब तो करोड़ो दयो म बस रह ह यह म मानता ह

सतय तो परमाथर ह आतमा ह परमातमा ह उसम िजतना िटकोग उतना तमहारा मगल होगा तमहारी िनगाह िजन पर पड़गी उनका भी मगल होगा

(अनबम)

कछ जानन यो य बात सय दय स पवर उठकर ःनान कर लना चािहए ातः खाली पट मटक का बासी पानी

पीना ःवाःथयद ह तलसी क प सय दय क प ात ही तोड़ दध म तलसी क प नही डालन चािहए तथा

दध क साथ खान भी नही चािहए तलसी क प खाकर थोड़ा पानी पीना िपय जलनित स पिह सौ कार क लाभ होत ह अपन मिःतक म एक कार का िवजाितय

िवय उतपनन होता ह यिद वह िवय वही अटक जाता ह तो बचपन म ही बाल सफद होन लगत ह इसस नजल की बीमारी भी होती ह यिद वह िवय नाक की तरफ आता ह तो सगनध-दगरनध का पता नही चल पाता और ज दी-ज दी जकाम हो जाता ह यिद वह िवय कान की तरफ आता ह तो कान बहर होन लगत ह और छोट-मोट ब ीस रोग हो सकत ह यिद वह िवय दात की तरफ आय तो दात छोटी उ म ही िगरन लगत ह यिद आख की तरफ वह िवय उतर तो चम लगन लगत ह जलनित यािन नाक स पानी खीचकर मह स िनकाल दन स वह िवय िनकल जाता ह गल क ऊपर क ायः सभी रोगो स मि िमल जाती ह

आईसबीम खान क बाद चाय पीना दातो क िलए अतयािधक हािनकारक होता ह

भोजन को पीना चािहए तथा पानी को खाना चािहए इसका मतलब यह ह िक भोजन को इतना चबाओ िक वह पानी की तरह पतला हो जाय और पानी अथवा अनय पय पदाथ को धीर-धीर िपयो

िकसी भी कार का पय पदाथर पीना हो तो दाया नथना बनद करक िपय इसस वह अमत जसा हो जाता ह यिद दाया ःवर(नथना) चाल हो और पानी आिद िपय तो जीवनशि (ओज) पतली होन लगती ह चयर की रकषा क िलए शरीर को तनदरःत रखन क िलए यह योग करना चािहए

तम चाह िकतनी भी महनत करो िकनत िजतना तमहारी नसो म ओज ह चयर की शि ह उतन ही तम सफल होत हो जो चाय-कॉफी आिद पीत ह उनका ओज पतला होकर पशाब ारा न होता जाता ह अतः चयर की रकषा क िलए चाय-कॉफी जस वयसनो स दर रहना रह

पढ़न क बाद थोड़ी दर शात हो जाना चािहए जो पढ़ा ह उसका मनन करो िशकषक ःकल म जब पढ़ात हो तब धयान स सनो उस व मःती-मजाक नही करना चािहए िवनोद-मःती कम स कम करो और समझन की कोिशश अिधक करो

जो सय दय क पवर नही उठता उसक ःवभाव म तमस छा जाता ह जो सय दय क पवर उठता ह उसकी बि शि बढ़ती ह

नीद म स उठकर तरत भगवान का धयान करो आतमःनान करो धयान म रिच नही होती तो समझना चािहए िक मन म दोष ह उनह िनकालन क िलए कया करना चािहए

मन को िनद ष बनान क िलए सबह-शाम माता-िपता को णाम करना चािहए गरजनो को णाम करना चािहए एव भगवान क नाम का जप करना चािहए भगवान स ाथरना करनी चािहए िक ह भगवान ह मर भ मरी धयान म रिच होन लग ऐसी कपा कर दो िकसी समय गद िवचार िनकल आय तो समझना चािहए िक अदर छप हए िवचार िनकल रह ह अतः खश होना चािहए िवचार आया और गया मर राम तो दय म ही ह ऐसी भावना करनी चािहए

िनदा करना तो अचछा नही ह िकनत िनदा सनना भी उिचत नही (अनबम)

शयन की रीत मनय को िकस ढग स सोना चािहए इसका भी तरीका होता ह सोत व पवर अथवा

दिकषण िदशा की ओर िसर करक ही सोना चािहए

भोजन करन क बाद िदन म दस िमनट आराम कर िकनत सोय नही भोजन क बाद दस िमनट बायी करवट लट सकत ह रािऽ को जागरण िकया हो इस कारण स कभी िदन म सोना पड़ वह अलग बात ह

सोत व नीच कोई गमर कबल आिद िबछाकर सोय तािक आपकी जीवनशि अिथग न हो जाय आपक शरीर की िव तशि भिम म न उतर जाय

(अनबम)

ःनान का तरीका शरीर की मजबती एव आरो यता क िलए रगड़-रगड़कर ःनान करना चािहए जो लोग

ठड दशो म रहत ह उनका ःवाःथय गमर दस क लोगो की अपकषा अचछा होता ह ठडी स अपना शरीर सधरता ह

ःनान करत व 12-15 िलटर पानी बा टी म लकर पहल उसम िसर डबाना चािहए िफर पर िभगोना चािहए पहल पर गील नही करन चािहए शरीर की गम ऊपर की ओर चढ़ती ह जो ःवाःथय क िलए हािनकारक होती ह

अतः पहल ठड पानी की बा टी भर ल िफर मह म पानी भरकर िसर को बा टी म डाल और आख पटपटाए इसस आखो की शि बढ़ती ह शरीर को रगड़-रगड़कर नहाए बाद म गील व स शरीर को रगड़-रगड़कर पोछ िजसस रोम कप का सारा मल बाहर िनकल जाय और रोमकप(तवचा क िछि) खल जायय तवचा क िछि बद रहन स ही तवचा की कई बीमािरया होती ह िफर सख कपड़ स शरीर को पोछ कर (अथवा थोड़ा गीला हो तब भी चल) सख साफ व पहन ल व भल साद हो िकनत साफ हो बासी कपड़ नही पहन हमशा धल हए कपड़ ही पहन इसस मन भी सनन रहता ह

पाच कार क ःनान होत हः ःनान दवःनान ऋिषःनान मानवःनान दानवःनान ःनानः -परमातमा का िचतन करक जल थल नहान वाला

ऐसा िचतन करक ा महतर म नहाना इस ःनान कहत ह दवःनानः दवनिदयो म ःनान या दवनिदयो का ःमरण करक सय दय स पवर नहाना यह

दवःनान ह ऋिषःनानः आकाश म तार िदखत हो और नहा ल यह ऋिषःनान ह ऋिषःनान करन

वाल की बि बड़ी तजःवी होती ह मानवःनानः सय दय क पवर का ःनान मानवःनान ह

दानवःनानः सय दय क प ात चाय पीकर नाता करक आठ नौ बज नहाना यह दानव ःनान ह

अतः हमशा ऋिषःनान करन का ही यास करना चािहए (अनबम)

ःवचछता का धयान यिद शरीर की सफाई रखी जाय तो मन भी सनन रहता ह आजकल अिधकतर लोग

श स ही मजन करत ह श की अपकषा नीम और बबल की दातौन जयादा अचछ होती ह और यिद श भी कर तो कभी-कभार श को गमर पानी स धोना चािहए अनयथा उसम बकटिरया(जीवाण) रह जात ह

िकतन ही लोग उगली स दात साफ करत ह तजरनी (अगठ क पास वाली थम उगली) स दात िघसन स मसड़ कमजोर हो जात ह तथा दात ज दी िगर जात ह कयोिक तजरनी म िव तशि का माण दसरी उगिलयो की अपकषा अिधक होता ह अतः उसस दात नही िघसन चािहए एव आखो को भी नही मसलना चािहए

िजस िदशा स हवा आती हो उस िदशा की ओर मह करक कभी-भी मलमऽ का िवसजरन नही करना चािहए सयर और चनिमा की ओर मख करक भी मलमऽ का िवसजरन नही करना चािहए

(अनबम)

ःमरणशि का िवकास यादशि बढ़ान का एक सनदर योग ह ETH ामरी ाणायाम सखासन प ासन या

िस ासन पर बठ हाथ की कोहनी की ऊचाई कनध तक रह इस कार रखकर हाथ की थम उगली(तजरनी) स दोनो कानो को धीर-स बद कर एकदम जोर स बद न कर िकनत बाहर का कछ सनाई न द इस कार धीर स कान बनद कर

अब गहर ास लकर थोड़ी दर रोक ओठ बद रखकर जस मर का गजन होता ह वस ॐsssss कहत हए गजन कर उसक बाद थोड़ी दर तक ास न ल पनः यही िबया दहराय ऐसा सबह एव शाम 8 स 10 बार कर यादशि बढ़ान का यह यौिगक योग ह इसस मिःतक की नािड़यो का शोधन होकर मिःतक म र सचार उिचत ढग स होता ह

और िवचार करन स भी बि शि का िवकास होता ह

सबह खाली पट तलसी क प एकाध काली िमचर चबाकर एक िगलास पानी पीन स भी ःमरणशि का िवकास होता ह रोग-ितकारक शि बढ़ती ह कनसर की बीमारी कभी नही होती जलदर-भगदर की बीमारी भी कभी नही होती

(अनबम)

वयि तव और वयवहार िकसी भी वयि तव का पता उसक वयवहार स ही चलता ह कई लोग वयथर च ा करत

ह एक होती ह सकाम च ा दसरी होती ह िनकाम च ा और तीसरी होती ह वयथर च ा वयथर च ा नही करनी चािहए िकसी क शरीर म कोई कमी हो तो उसका मजाक नही उड़ाना चािहए वरन उस मददरप बनना चािहए यह िनकाम सवा ह

िकसी की भी िनदा नही करनी चािहए िनदा करन वाला वयि िजसकी िनदा करता ह उसका तो इतना अिहत नही होता िजतना वह अपना अिहत करता ह जो दसरो की सवा करता ह दसरो क अनकल होता ह वह दसरो का िजतना िहत करता ह उसकी अपकषा उसका खद का िहत जयादा होता ह

अपन स जो उ स बड़ हो जञान म बड़ हो तप म बड़ हो उनका आदर करना चािहए िजस मनय क साथ बात करत हो वह मनय कौन ह यह जानकर बात करो तो आप वयवहार-कशल कहलाओग

िकसी को पऽ िलखत हो तो यिद अपन स बड़ हो तो ौी सबोधन करक िलखो सबोधन करन स सवाकयो की रचना स िश ता बढ़ती ह िकसी स बात करो तो सबोधन करक बात करो जो तकार स बात करता ह वह अिश कहलाता ह िश तापवरक बात करन स अपनी इजजत बढ़ती ह

िजसक जीवन म वयवहार-कशलता ह वह सभी कषऽो म सफल होता ह िजसम िवनता ह वही सब कछ सीख सकता ह िवनता िव ा बढ़ाती ह िजसक जीवन म िवनता नही ह समझो उसक सब काम अधर रह गय और जो समझता ह िक म सब कछ जानता ह वह वाःतव म कछ नही जानता

एक िचऽकार अपन गरदव क सममख एक सनदर िचऽ बनाकर लाया गर न िचऽ दखकर कहाः

वाह वाह सनदर ह अदभत ह

िशय बोलाः गरदव इसम कोई ऽिट रह गयी हो तो कपा करक बताइए इसीिलए म आपक चरणो म आया ह

गरः कोई ऽिट नही ह मझस भी जयादा अचछा बनाया ह

वह िशय रोन लगा उस रोता दखकर गर न पछाः तम कयो रो रह हो म तो तमहारी शसा कर रहा ह

िशयः गरदव मरी घड़ाई करन वाल आप भी यिद मरी शसा ही करग तो मझ मरी गि तया कौन बतायगा मरी गित कस होगी

यह सनकर गर अतयत सनन हो गय हमन िजतना जाना िजतना सीखा ह वह तो ठ क ह उसस जयादा जान सक सीख सक

ऐसा हमारा यास होना चािहए रामकण परमहस व हो गय थ िकसी न उनस पछाः बाबा जी आपन सब कछ जान

िलया ह

रामकण परमहसः नही म जब तक जीऊगा तब तक िव ाथ ही रहगा मझ अभी बहत कछ सीखना बाकी ह

िजनक पास सीखन को िमल उनस िवनतापवरक सीखना चािहए जो कछ सीखो सावधानीपवरक सीखो जीवन म िवनोद जररी ह िकनत िवनोद की अित न हो िजस समय पढ़त हो कछ सीखत हो कछ करत हो उस समय मःती नही िवनोद नही वरन जो कछ पढ़ो सीखो या करो उस उतसाह स धयान स और सावधानी स करो

पढ़न स पवर थोड़ धयानःथ हो जाओ पढ़न क बाद मौन हो जाओ यह गित की चाबी ह

माता-िपता स िचढ़ना नही चाह िजस मा-बाप न जनम िदया ह उनकी बातो को समझना चािहए अपन िलए उनक मन म िवशष दया हो िवशष म उतपनन हो ऐसा वयवहार करना चािहए

भल जाओ भल सब कछ माता-िपता को भलना नही अनिगनत उपकार ह उनक यह कभी िबसरना नही

माता-िपता को सतोष हो उनका दय सनन हो ऐसा हमारा वयवहार होना चािहए अपन माता-िपता एव गरजनो को सत रखकर ही हम सचची गित कर सकत ह

(अनबम)

  • पजय बाप जी का उदबोधन
  • कदम अपना आग बढाता चला जा
  • त गलाब होकर महक
  • जीवन विकास का मल सयम
  • तरिकाल सधया
  • शरीर सवासथय
  • अनन का परभाव
  • भारतीय ससकति की महानता
  • हरिदास की हरिभकति
  • बनावटी शरगार स बचो
  • साहसी बालक
  • गर-आजञापालन का चमतकार
  • अनोखी गरदकषिणा
  • सतसग की महिमा
  • पीड पराई जान र
  • विकास क बरियो स सावधान
  • कछ जानन योगय बात
  • शयन की रीत
  • सनान का तरीका
  • सवचछता का धयान
  • समरणशकति का विकास
  • वयकतितव और वयवहार
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भोजन को पीना चािहए तथा पानी को खाना चािहए इसका मतलब यह ह िक भोजन को इतना चबाओ िक वह पानी की तरह पतला हो जाय और पानी अथवा अनय पय पदाथ को धीर-धीर िपयो

िकसी भी कार का पय पदाथर पीना हो तो दाया नथना बनद करक िपय इसस वह अमत जसा हो जाता ह यिद दाया ःवर(नथना) चाल हो और पानी आिद िपय तो जीवनशि (ओज) पतली होन लगती ह चयर की रकषा क िलए शरीर को तनदरःत रखन क िलए यह योग करना चािहए

तम चाह िकतनी भी महनत करो िकनत िजतना तमहारी नसो म ओज ह चयर की शि ह उतन ही तम सफल होत हो जो चाय-कॉफी आिद पीत ह उनका ओज पतला होकर पशाब ारा न होता जाता ह अतः चयर की रकषा क िलए चाय-कॉफी जस वयसनो स दर रहना रह

पढ़न क बाद थोड़ी दर शात हो जाना चािहए जो पढ़ा ह उसका मनन करो िशकषक ःकल म जब पढ़ात हो तब धयान स सनो उस व मःती-मजाक नही करना चािहए िवनोद-मःती कम स कम करो और समझन की कोिशश अिधक करो

जो सय दय क पवर नही उठता उसक ःवभाव म तमस छा जाता ह जो सय दय क पवर उठता ह उसकी बि शि बढ़ती ह

नीद म स उठकर तरत भगवान का धयान करो आतमःनान करो धयान म रिच नही होती तो समझना चािहए िक मन म दोष ह उनह िनकालन क िलए कया करना चािहए

मन को िनद ष बनान क िलए सबह-शाम माता-िपता को णाम करना चािहए गरजनो को णाम करना चािहए एव भगवान क नाम का जप करना चािहए भगवान स ाथरना करनी चािहए िक ह भगवान ह मर भ मरी धयान म रिच होन लग ऐसी कपा कर दो िकसी समय गद िवचार िनकल आय तो समझना चािहए िक अदर छप हए िवचार िनकल रह ह अतः खश होना चािहए िवचार आया और गया मर राम तो दय म ही ह ऐसी भावना करनी चािहए

िनदा करना तो अचछा नही ह िकनत िनदा सनना भी उिचत नही (अनबम)

शयन की रीत मनय को िकस ढग स सोना चािहए इसका भी तरीका होता ह सोत व पवर अथवा

दिकषण िदशा की ओर िसर करक ही सोना चािहए

भोजन करन क बाद िदन म दस िमनट आराम कर िकनत सोय नही भोजन क बाद दस िमनट बायी करवट लट सकत ह रािऽ को जागरण िकया हो इस कारण स कभी िदन म सोना पड़ वह अलग बात ह

सोत व नीच कोई गमर कबल आिद िबछाकर सोय तािक आपकी जीवनशि अिथग न हो जाय आपक शरीर की िव तशि भिम म न उतर जाय

(अनबम)

ःनान का तरीका शरीर की मजबती एव आरो यता क िलए रगड़-रगड़कर ःनान करना चािहए जो लोग

ठड दशो म रहत ह उनका ःवाःथय गमर दस क लोगो की अपकषा अचछा होता ह ठडी स अपना शरीर सधरता ह

ःनान करत व 12-15 िलटर पानी बा टी म लकर पहल उसम िसर डबाना चािहए िफर पर िभगोना चािहए पहल पर गील नही करन चािहए शरीर की गम ऊपर की ओर चढ़ती ह जो ःवाःथय क िलए हािनकारक होती ह

अतः पहल ठड पानी की बा टी भर ल िफर मह म पानी भरकर िसर को बा टी म डाल और आख पटपटाए इसस आखो की शि बढ़ती ह शरीर को रगड़-रगड़कर नहाए बाद म गील व स शरीर को रगड़-रगड़कर पोछ िजसस रोम कप का सारा मल बाहर िनकल जाय और रोमकप(तवचा क िछि) खल जायय तवचा क िछि बद रहन स ही तवचा की कई बीमािरया होती ह िफर सख कपड़ स शरीर को पोछ कर (अथवा थोड़ा गीला हो तब भी चल) सख साफ व पहन ल व भल साद हो िकनत साफ हो बासी कपड़ नही पहन हमशा धल हए कपड़ ही पहन इसस मन भी सनन रहता ह

पाच कार क ःनान होत हः ःनान दवःनान ऋिषःनान मानवःनान दानवःनान ःनानः -परमातमा का िचतन करक जल थल नहान वाला

ऐसा िचतन करक ा महतर म नहाना इस ःनान कहत ह दवःनानः दवनिदयो म ःनान या दवनिदयो का ःमरण करक सय दय स पवर नहाना यह

दवःनान ह ऋिषःनानः आकाश म तार िदखत हो और नहा ल यह ऋिषःनान ह ऋिषःनान करन

वाल की बि बड़ी तजःवी होती ह मानवःनानः सय दय क पवर का ःनान मानवःनान ह

दानवःनानः सय दय क प ात चाय पीकर नाता करक आठ नौ बज नहाना यह दानव ःनान ह

अतः हमशा ऋिषःनान करन का ही यास करना चािहए (अनबम)

ःवचछता का धयान यिद शरीर की सफाई रखी जाय तो मन भी सनन रहता ह आजकल अिधकतर लोग

श स ही मजन करत ह श की अपकषा नीम और बबल की दातौन जयादा अचछ होती ह और यिद श भी कर तो कभी-कभार श को गमर पानी स धोना चािहए अनयथा उसम बकटिरया(जीवाण) रह जात ह

िकतन ही लोग उगली स दात साफ करत ह तजरनी (अगठ क पास वाली थम उगली) स दात िघसन स मसड़ कमजोर हो जात ह तथा दात ज दी िगर जात ह कयोिक तजरनी म िव तशि का माण दसरी उगिलयो की अपकषा अिधक होता ह अतः उसस दात नही िघसन चािहए एव आखो को भी नही मसलना चािहए

िजस िदशा स हवा आती हो उस िदशा की ओर मह करक कभी-भी मलमऽ का िवसजरन नही करना चािहए सयर और चनिमा की ओर मख करक भी मलमऽ का िवसजरन नही करना चािहए

(अनबम)

ःमरणशि का िवकास यादशि बढ़ान का एक सनदर योग ह ETH ामरी ाणायाम सखासन प ासन या

िस ासन पर बठ हाथ की कोहनी की ऊचाई कनध तक रह इस कार रखकर हाथ की थम उगली(तजरनी) स दोनो कानो को धीर-स बद कर एकदम जोर स बद न कर िकनत बाहर का कछ सनाई न द इस कार धीर स कान बनद कर

अब गहर ास लकर थोड़ी दर रोक ओठ बद रखकर जस मर का गजन होता ह वस ॐsssss कहत हए गजन कर उसक बाद थोड़ी दर तक ास न ल पनः यही िबया दहराय ऐसा सबह एव शाम 8 स 10 बार कर यादशि बढ़ान का यह यौिगक योग ह इसस मिःतक की नािड़यो का शोधन होकर मिःतक म र सचार उिचत ढग स होता ह

और िवचार करन स भी बि शि का िवकास होता ह

सबह खाली पट तलसी क प एकाध काली िमचर चबाकर एक िगलास पानी पीन स भी ःमरणशि का िवकास होता ह रोग-ितकारक शि बढ़ती ह कनसर की बीमारी कभी नही होती जलदर-भगदर की बीमारी भी कभी नही होती

(अनबम)

वयि तव और वयवहार िकसी भी वयि तव का पता उसक वयवहार स ही चलता ह कई लोग वयथर च ा करत

ह एक होती ह सकाम च ा दसरी होती ह िनकाम च ा और तीसरी होती ह वयथर च ा वयथर च ा नही करनी चािहए िकसी क शरीर म कोई कमी हो तो उसका मजाक नही उड़ाना चािहए वरन उस मददरप बनना चािहए यह िनकाम सवा ह

िकसी की भी िनदा नही करनी चािहए िनदा करन वाला वयि िजसकी िनदा करता ह उसका तो इतना अिहत नही होता िजतना वह अपना अिहत करता ह जो दसरो की सवा करता ह दसरो क अनकल होता ह वह दसरो का िजतना िहत करता ह उसकी अपकषा उसका खद का िहत जयादा होता ह

अपन स जो उ स बड़ हो जञान म बड़ हो तप म बड़ हो उनका आदर करना चािहए िजस मनय क साथ बात करत हो वह मनय कौन ह यह जानकर बात करो तो आप वयवहार-कशल कहलाओग

िकसी को पऽ िलखत हो तो यिद अपन स बड़ हो तो ौी सबोधन करक िलखो सबोधन करन स सवाकयो की रचना स िश ता बढ़ती ह िकसी स बात करो तो सबोधन करक बात करो जो तकार स बात करता ह वह अिश कहलाता ह िश तापवरक बात करन स अपनी इजजत बढ़ती ह

िजसक जीवन म वयवहार-कशलता ह वह सभी कषऽो म सफल होता ह िजसम िवनता ह वही सब कछ सीख सकता ह िवनता िव ा बढ़ाती ह िजसक जीवन म िवनता नही ह समझो उसक सब काम अधर रह गय और जो समझता ह िक म सब कछ जानता ह वह वाःतव म कछ नही जानता

एक िचऽकार अपन गरदव क सममख एक सनदर िचऽ बनाकर लाया गर न िचऽ दखकर कहाः

वाह वाह सनदर ह अदभत ह

िशय बोलाः गरदव इसम कोई ऽिट रह गयी हो तो कपा करक बताइए इसीिलए म आपक चरणो म आया ह

गरः कोई ऽिट नही ह मझस भी जयादा अचछा बनाया ह

वह िशय रोन लगा उस रोता दखकर गर न पछाः तम कयो रो रह हो म तो तमहारी शसा कर रहा ह

िशयः गरदव मरी घड़ाई करन वाल आप भी यिद मरी शसा ही करग तो मझ मरी गि तया कौन बतायगा मरी गित कस होगी

यह सनकर गर अतयत सनन हो गय हमन िजतना जाना िजतना सीखा ह वह तो ठ क ह उसस जयादा जान सक सीख सक

ऐसा हमारा यास होना चािहए रामकण परमहस व हो गय थ िकसी न उनस पछाः बाबा जी आपन सब कछ जान

िलया ह

रामकण परमहसः नही म जब तक जीऊगा तब तक िव ाथ ही रहगा मझ अभी बहत कछ सीखना बाकी ह

िजनक पास सीखन को िमल उनस िवनतापवरक सीखना चािहए जो कछ सीखो सावधानीपवरक सीखो जीवन म िवनोद जररी ह िकनत िवनोद की अित न हो िजस समय पढ़त हो कछ सीखत हो कछ करत हो उस समय मःती नही िवनोद नही वरन जो कछ पढ़ो सीखो या करो उस उतसाह स धयान स और सावधानी स करो

पढ़न स पवर थोड़ धयानःथ हो जाओ पढ़न क बाद मौन हो जाओ यह गित की चाबी ह

माता-िपता स िचढ़ना नही चाह िजस मा-बाप न जनम िदया ह उनकी बातो को समझना चािहए अपन िलए उनक मन म िवशष दया हो िवशष म उतपनन हो ऐसा वयवहार करना चािहए

भल जाओ भल सब कछ माता-िपता को भलना नही अनिगनत उपकार ह उनक यह कभी िबसरना नही

माता-िपता को सतोष हो उनका दय सनन हो ऐसा हमारा वयवहार होना चािहए अपन माता-िपता एव गरजनो को सत रखकर ही हम सचची गित कर सकत ह

(अनबम)

  • पजय बाप जी का उदबोधन
  • कदम अपना आग बढाता चला जा
  • त गलाब होकर महक
  • जीवन विकास का मल सयम
  • तरिकाल सधया
  • शरीर सवासथय
  • अनन का परभाव
  • भारतीय ससकति की महानता
  • हरिदास की हरिभकति
  • बनावटी शरगार स बचो
  • साहसी बालक
  • गर-आजञापालन का चमतकार
  • अनोखी गरदकषिणा
  • सतसग की महिमा
  • पीड पराई जान र
  • विकास क बरियो स सावधान
  • कछ जानन योगय बात
  • शयन की रीत
  • सनान का तरीका
  • सवचछता का धयान
  • समरणशकति का विकास
  • वयकतितव और वयवहार
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भोजन करन क बाद िदन म दस िमनट आराम कर िकनत सोय नही भोजन क बाद दस िमनट बायी करवट लट सकत ह रािऽ को जागरण िकया हो इस कारण स कभी िदन म सोना पड़ वह अलग बात ह

सोत व नीच कोई गमर कबल आिद िबछाकर सोय तािक आपकी जीवनशि अिथग न हो जाय आपक शरीर की िव तशि भिम म न उतर जाय

(अनबम)

ःनान का तरीका शरीर की मजबती एव आरो यता क िलए रगड़-रगड़कर ःनान करना चािहए जो लोग

ठड दशो म रहत ह उनका ःवाःथय गमर दस क लोगो की अपकषा अचछा होता ह ठडी स अपना शरीर सधरता ह

ःनान करत व 12-15 िलटर पानी बा टी म लकर पहल उसम िसर डबाना चािहए िफर पर िभगोना चािहए पहल पर गील नही करन चािहए शरीर की गम ऊपर की ओर चढ़ती ह जो ःवाःथय क िलए हािनकारक होती ह

अतः पहल ठड पानी की बा टी भर ल िफर मह म पानी भरकर िसर को बा टी म डाल और आख पटपटाए इसस आखो की शि बढ़ती ह शरीर को रगड़-रगड़कर नहाए बाद म गील व स शरीर को रगड़-रगड़कर पोछ िजसस रोम कप का सारा मल बाहर िनकल जाय और रोमकप(तवचा क िछि) खल जायय तवचा क िछि बद रहन स ही तवचा की कई बीमािरया होती ह िफर सख कपड़ स शरीर को पोछ कर (अथवा थोड़ा गीला हो तब भी चल) सख साफ व पहन ल व भल साद हो िकनत साफ हो बासी कपड़ नही पहन हमशा धल हए कपड़ ही पहन इसस मन भी सनन रहता ह

पाच कार क ःनान होत हः ःनान दवःनान ऋिषःनान मानवःनान दानवःनान ःनानः -परमातमा का िचतन करक जल थल नहान वाला

ऐसा िचतन करक ा महतर म नहाना इस ःनान कहत ह दवःनानः दवनिदयो म ःनान या दवनिदयो का ःमरण करक सय दय स पवर नहाना यह

दवःनान ह ऋिषःनानः आकाश म तार िदखत हो और नहा ल यह ऋिषःनान ह ऋिषःनान करन

वाल की बि बड़ी तजःवी होती ह मानवःनानः सय दय क पवर का ःनान मानवःनान ह

दानवःनानः सय दय क प ात चाय पीकर नाता करक आठ नौ बज नहाना यह दानव ःनान ह

अतः हमशा ऋिषःनान करन का ही यास करना चािहए (अनबम)

ःवचछता का धयान यिद शरीर की सफाई रखी जाय तो मन भी सनन रहता ह आजकल अिधकतर लोग

श स ही मजन करत ह श की अपकषा नीम और बबल की दातौन जयादा अचछ होती ह और यिद श भी कर तो कभी-कभार श को गमर पानी स धोना चािहए अनयथा उसम बकटिरया(जीवाण) रह जात ह

िकतन ही लोग उगली स दात साफ करत ह तजरनी (अगठ क पास वाली थम उगली) स दात िघसन स मसड़ कमजोर हो जात ह तथा दात ज दी िगर जात ह कयोिक तजरनी म िव तशि का माण दसरी उगिलयो की अपकषा अिधक होता ह अतः उसस दात नही िघसन चािहए एव आखो को भी नही मसलना चािहए

िजस िदशा स हवा आती हो उस िदशा की ओर मह करक कभी-भी मलमऽ का िवसजरन नही करना चािहए सयर और चनिमा की ओर मख करक भी मलमऽ का िवसजरन नही करना चािहए

(अनबम)

ःमरणशि का िवकास यादशि बढ़ान का एक सनदर योग ह ETH ामरी ाणायाम सखासन प ासन या

िस ासन पर बठ हाथ की कोहनी की ऊचाई कनध तक रह इस कार रखकर हाथ की थम उगली(तजरनी) स दोनो कानो को धीर-स बद कर एकदम जोर स बद न कर िकनत बाहर का कछ सनाई न द इस कार धीर स कान बनद कर

अब गहर ास लकर थोड़ी दर रोक ओठ बद रखकर जस मर का गजन होता ह वस ॐsssss कहत हए गजन कर उसक बाद थोड़ी दर तक ास न ल पनः यही िबया दहराय ऐसा सबह एव शाम 8 स 10 बार कर यादशि बढ़ान का यह यौिगक योग ह इसस मिःतक की नािड़यो का शोधन होकर मिःतक म र सचार उिचत ढग स होता ह

और िवचार करन स भी बि शि का िवकास होता ह

सबह खाली पट तलसी क प एकाध काली िमचर चबाकर एक िगलास पानी पीन स भी ःमरणशि का िवकास होता ह रोग-ितकारक शि बढ़ती ह कनसर की बीमारी कभी नही होती जलदर-भगदर की बीमारी भी कभी नही होती

(अनबम)

वयि तव और वयवहार िकसी भी वयि तव का पता उसक वयवहार स ही चलता ह कई लोग वयथर च ा करत

ह एक होती ह सकाम च ा दसरी होती ह िनकाम च ा और तीसरी होती ह वयथर च ा वयथर च ा नही करनी चािहए िकसी क शरीर म कोई कमी हो तो उसका मजाक नही उड़ाना चािहए वरन उस मददरप बनना चािहए यह िनकाम सवा ह

िकसी की भी िनदा नही करनी चािहए िनदा करन वाला वयि िजसकी िनदा करता ह उसका तो इतना अिहत नही होता िजतना वह अपना अिहत करता ह जो दसरो की सवा करता ह दसरो क अनकल होता ह वह दसरो का िजतना िहत करता ह उसकी अपकषा उसका खद का िहत जयादा होता ह

अपन स जो उ स बड़ हो जञान म बड़ हो तप म बड़ हो उनका आदर करना चािहए िजस मनय क साथ बात करत हो वह मनय कौन ह यह जानकर बात करो तो आप वयवहार-कशल कहलाओग

िकसी को पऽ िलखत हो तो यिद अपन स बड़ हो तो ौी सबोधन करक िलखो सबोधन करन स सवाकयो की रचना स िश ता बढ़ती ह िकसी स बात करो तो सबोधन करक बात करो जो तकार स बात करता ह वह अिश कहलाता ह िश तापवरक बात करन स अपनी इजजत बढ़ती ह

िजसक जीवन म वयवहार-कशलता ह वह सभी कषऽो म सफल होता ह िजसम िवनता ह वही सब कछ सीख सकता ह िवनता िव ा बढ़ाती ह िजसक जीवन म िवनता नही ह समझो उसक सब काम अधर रह गय और जो समझता ह िक म सब कछ जानता ह वह वाःतव म कछ नही जानता

एक िचऽकार अपन गरदव क सममख एक सनदर िचऽ बनाकर लाया गर न िचऽ दखकर कहाः

वाह वाह सनदर ह अदभत ह

िशय बोलाः गरदव इसम कोई ऽिट रह गयी हो तो कपा करक बताइए इसीिलए म आपक चरणो म आया ह

गरः कोई ऽिट नही ह मझस भी जयादा अचछा बनाया ह

वह िशय रोन लगा उस रोता दखकर गर न पछाः तम कयो रो रह हो म तो तमहारी शसा कर रहा ह

िशयः गरदव मरी घड़ाई करन वाल आप भी यिद मरी शसा ही करग तो मझ मरी गि तया कौन बतायगा मरी गित कस होगी

यह सनकर गर अतयत सनन हो गय हमन िजतना जाना िजतना सीखा ह वह तो ठ क ह उसस जयादा जान सक सीख सक

ऐसा हमारा यास होना चािहए रामकण परमहस व हो गय थ िकसी न उनस पछाः बाबा जी आपन सब कछ जान

िलया ह

रामकण परमहसः नही म जब तक जीऊगा तब तक िव ाथ ही रहगा मझ अभी बहत कछ सीखना बाकी ह

िजनक पास सीखन को िमल उनस िवनतापवरक सीखना चािहए जो कछ सीखो सावधानीपवरक सीखो जीवन म िवनोद जररी ह िकनत िवनोद की अित न हो िजस समय पढ़त हो कछ सीखत हो कछ करत हो उस समय मःती नही िवनोद नही वरन जो कछ पढ़ो सीखो या करो उस उतसाह स धयान स और सावधानी स करो

पढ़न स पवर थोड़ धयानःथ हो जाओ पढ़न क बाद मौन हो जाओ यह गित की चाबी ह

माता-िपता स िचढ़ना नही चाह िजस मा-बाप न जनम िदया ह उनकी बातो को समझना चािहए अपन िलए उनक मन म िवशष दया हो िवशष म उतपनन हो ऐसा वयवहार करना चािहए

भल जाओ भल सब कछ माता-िपता को भलना नही अनिगनत उपकार ह उनक यह कभी िबसरना नही

माता-िपता को सतोष हो उनका दय सनन हो ऐसा हमारा वयवहार होना चािहए अपन माता-िपता एव गरजनो को सत रखकर ही हम सचची गित कर सकत ह

(अनबम)

  • पजय बाप जी का उदबोधन
  • कदम अपना आग बढाता चला जा
  • त गलाब होकर महक
  • जीवन विकास का मल सयम
  • तरिकाल सधया
  • शरीर सवासथय
  • अनन का परभाव
  • भारतीय ससकति की महानता
  • हरिदास की हरिभकति
  • बनावटी शरगार स बचो
  • साहसी बालक
  • गर-आजञापालन का चमतकार
  • अनोखी गरदकषिणा
  • सतसग की महिमा
  • पीड पराई जान र
  • विकास क बरियो स सावधान
  • कछ जानन योगय बात
  • शयन की रीत
  • सनान का तरीका
  • सवचछता का धयान
  • समरणशकति का विकास
  • वयकतितव और वयवहार
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दानवःनानः सय दय क प ात चाय पीकर नाता करक आठ नौ बज नहाना यह दानव ःनान ह

अतः हमशा ऋिषःनान करन का ही यास करना चािहए (अनबम)

ःवचछता का धयान यिद शरीर की सफाई रखी जाय तो मन भी सनन रहता ह आजकल अिधकतर लोग

श स ही मजन करत ह श की अपकषा नीम और बबल की दातौन जयादा अचछ होती ह और यिद श भी कर तो कभी-कभार श को गमर पानी स धोना चािहए अनयथा उसम बकटिरया(जीवाण) रह जात ह

िकतन ही लोग उगली स दात साफ करत ह तजरनी (अगठ क पास वाली थम उगली) स दात िघसन स मसड़ कमजोर हो जात ह तथा दात ज दी िगर जात ह कयोिक तजरनी म िव तशि का माण दसरी उगिलयो की अपकषा अिधक होता ह अतः उसस दात नही िघसन चािहए एव आखो को भी नही मसलना चािहए

िजस िदशा स हवा आती हो उस िदशा की ओर मह करक कभी-भी मलमऽ का िवसजरन नही करना चािहए सयर और चनिमा की ओर मख करक भी मलमऽ का िवसजरन नही करना चािहए

(अनबम)

ःमरणशि का िवकास यादशि बढ़ान का एक सनदर योग ह ETH ामरी ाणायाम सखासन प ासन या

िस ासन पर बठ हाथ की कोहनी की ऊचाई कनध तक रह इस कार रखकर हाथ की थम उगली(तजरनी) स दोनो कानो को धीर-स बद कर एकदम जोर स बद न कर िकनत बाहर का कछ सनाई न द इस कार धीर स कान बनद कर

अब गहर ास लकर थोड़ी दर रोक ओठ बद रखकर जस मर का गजन होता ह वस ॐsssss कहत हए गजन कर उसक बाद थोड़ी दर तक ास न ल पनः यही िबया दहराय ऐसा सबह एव शाम 8 स 10 बार कर यादशि बढ़ान का यह यौिगक योग ह इसस मिःतक की नािड़यो का शोधन होकर मिःतक म र सचार उिचत ढग स होता ह

और िवचार करन स भी बि शि का िवकास होता ह

सबह खाली पट तलसी क प एकाध काली िमचर चबाकर एक िगलास पानी पीन स भी ःमरणशि का िवकास होता ह रोग-ितकारक शि बढ़ती ह कनसर की बीमारी कभी नही होती जलदर-भगदर की बीमारी भी कभी नही होती

(अनबम)

वयि तव और वयवहार िकसी भी वयि तव का पता उसक वयवहार स ही चलता ह कई लोग वयथर च ा करत

ह एक होती ह सकाम च ा दसरी होती ह िनकाम च ा और तीसरी होती ह वयथर च ा वयथर च ा नही करनी चािहए िकसी क शरीर म कोई कमी हो तो उसका मजाक नही उड़ाना चािहए वरन उस मददरप बनना चािहए यह िनकाम सवा ह

िकसी की भी िनदा नही करनी चािहए िनदा करन वाला वयि िजसकी िनदा करता ह उसका तो इतना अिहत नही होता िजतना वह अपना अिहत करता ह जो दसरो की सवा करता ह दसरो क अनकल होता ह वह दसरो का िजतना िहत करता ह उसकी अपकषा उसका खद का िहत जयादा होता ह

अपन स जो उ स बड़ हो जञान म बड़ हो तप म बड़ हो उनका आदर करना चािहए िजस मनय क साथ बात करत हो वह मनय कौन ह यह जानकर बात करो तो आप वयवहार-कशल कहलाओग

िकसी को पऽ िलखत हो तो यिद अपन स बड़ हो तो ौी सबोधन करक िलखो सबोधन करन स सवाकयो की रचना स िश ता बढ़ती ह िकसी स बात करो तो सबोधन करक बात करो जो तकार स बात करता ह वह अिश कहलाता ह िश तापवरक बात करन स अपनी इजजत बढ़ती ह

िजसक जीवन म वयवहार-कशलता ह वह सभी कषऽो म सफल होता ह िजसम िवनता ह वही सब कछ सीख सकता ह िवनता िव ा बढ़ाती ह िजसक जीवन म िवनता नही ह समझो उसक सब काम अधर रह गय और जो समझता ह िक म सब कछ जानता ह वह वाःतव म कछ नही जानता

एक िचऽकार अपन गरदव क सममख एक सनदर िचऽ बनाकर लाया गर न िचऽ दखकर कहाः

वाह वाह सनदर ह अदभत ह

िशय बोलाः गरदव इसम कोई ऽिट रह गयी हो तो कपा करक बताइए इसीिलए म आपक चरणो म आया ह

गरः कोई ऽिट नही ह मझस भी जयादा अचछा बनाया ह

वह िशय रोन लगा उस रोता दखकर गर न पछाः तम कयो रो रह हो म तो तमहारी शसा कर रहा ह

िशयः गरदव मरी घड़ाई करन वाल आप भी यिद मरी शसा ही करग तो मझ मरी गि तया कौन बतायगा मरी गित कस होगी

यह सनकर गर अतयत सनन हो गय हमन िजतना जाना िजतना सीखा ह वह तो ठ क ह उसस जयादा जान सक सीख सक

ऐसा हमारा यास होना चािहए रामकण परमहस व हो गय थ िकसी न उनस पछाः बाबा जी आपन सब कछ जान

िलया ह

रामकण परमहसः नही म जब तक जीऊगा तब तक िव ाथ ही रहगा मझ अभी बहत कछ सीखना बाकी ह

िजनक पास सीखन को िमल उनस िवनतापवरक सीखना चािहए जो कछ सीखो सावधानीपवरक सीखो जीवन म िवनोद जररी ह िकनत िवनोद की अित न हो िजस समय पढ़त हो कछ सीखत हो कछ करत हो उस समय मःती नही िवनोद नही वरन जो कछ पढ़ो सीखो या करो उस उतसाह स धयान स और सावधानी स करो

पढ़न स पवर थोड़ धयानःथ हो जाओ पढ़न क बाद मौन हो जाओ यह गित की चाबी ह

माता-िपता स िचढ़ना नही चाह िजस मा-बाप न जनम िदया ह उनकी बातो को समझना चािहए अपन िलए उनक मन म िवशष दया हो िवशष म उतपनन हो ऐसा वयवहार करना चािहए

भल जाओ भल सब कछ माता-िपता को भलना नही अनिगनत उपकार ह उनक यह कभी िबसरना नही

माता-िपता को सतोष हो उनका दय सनन हो ऐसा हमारा वयवहार होना चािहए अपन माता-िपता एव गरजनो को सत रखकर ही हम सचची गित कर सकत ह

(अनबम)

  • पजय बाप जी का उदबोधन
  • कदम अपना आग बढाता चला जा
  • त गलाब होकर महक
  • जीवन विकास का मल सयम
  • तरिकाल सधया
  • शरीर सवासथय
  • अनन का परभाव
  • भारतीय ससकति की महानता
  • हरिदास की हरिभकति
  • बनावटी शरगार स बचो
  • साहसी बालक
  • गर-आजञापालन का चमतकार
  • अनोखी गरदकषिणा
  • सतसग की महिमा
  • पीड पराई जान र
  • विकास क बरियो स सावधान
  • कछ जानन योगय बात
  • शयन की रीत
  • सनान का तरीका
  • सवचछता का धयान
  • समरणशकति का विकास
  • वयकतितव और वयवहार
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सबह खाली पट तलसी क प एकाध काली िमचर चबाकर एक िगलास पानी पीन स भी ःमरणशि का िवकास होता ह रोग-ितकारक शि बढ़ती ह कनसर की बीमारी कभी नही होती जलदर-भगदर की बीमारी भी कभी नही होती

(अनबम)

वयि तव और वयवहार िकसी भी वयि तव का पता उसक वयवहार स ही चलता ह कई लोग वयथर च ा करत

ह एक होती ह सकाम च ा दसरी होती ह िनकाम च ा और तीसरी होती ह वयथर च ा वयथर च ा नही करनी चािहए िकसी क शरीर म कोई कमी हो तो उसका मजाक नही उड़ाना चािहए वरन उस मददरप बनना चािहए यह िनकाम सवा ह

िकसी की भी िनदा नही करनी चािहए िनदा करन वाला वयि िजसकी िनदा करता ह उसका तो इतना अिहत नही होता िजतना वह अपना अिहत करता ह जो दसरो की सवा करता ह दसरो क अनकल होता ह वह दसरो का िजतना िहत करता ह उसकी अपकषा उसका खद का िहत जयादा होता ह

अपन स जो उ स बड़ हो जञान म बड़ हो तप म बड़ हो उनका आदर करना चािहए िजस मनय क साथ बात करत हो वह मनय कौन ह यह जानकर बात करो तो आप वयवहार-कशल कहलाओग

िकसी को पऽ िलखत हो तो यिद अपन स बड़ हो तो ौी सबोधन करक िलखो सबोधन करन स सवाकयो की रचना स िश ता बढ़ती ह िकसी स बात करो तो सबोधन करक बात करो जो तकार स बात करता ह वह अिश कहलाता ह िश तापवरक बात करन स अपनी इजजत बढ़ती ह

िजसक जीवन म वयवहार-कशलता ह वह सभी कषऽो म सफल होता ह िजसम िवनता ह वही सब कछ सीख सकता ह िवनता िव ा बढ़ाती ह िजसक जीवन म िवनता नही ह समझो उसक सब काम अधर रह गय और जो समझता ह िक म सब कछ जानता ह वह वाःतव म कछ नही जानता

एक िचऽकार अपन गरदव क सममख एक सनदर िचऽ बनाकर लाया गर न िचऽ दखकर कहाः

वाह वाह सनदर ह अदभत ह

िशय बोलाः गरदव इसम कोई ऽिट रह गयी हो तो कपा करक बताइए इसीिलए म आपक चरणो म आया ह

गरः कोई ऽिट नही ह मझस भी जयादा अचछा बनाया ह

वह िशय रोन लगा उस रोता दखकर गर न पछाः तम कयो रो रह हो म तो तमहारी शसा कर रहा ह

िशयः गरदव मरी घड़ाई करन वाल आप भी यिद मरी शसा ही करग तो मझ मरी गि तया कौन बतायगा मरी गित कस होगी

यह सनकर गर अतयत सनन हो गय हमन िजतना जाना िजतना सीखा ह वह तो ठ क ह उसस जयादा जान सक सीख सक

ऐसा हमारा यास होना चािहए रामकण परमहस व हो गय थ िकसी न उनस पछाः बाबा जी आपन सब कछ जान

िलया ह

रामकण परमहसः नही म जब तक जीऊगा तब तक िव ाथ ही रहगा मझ अभी बहत कछ सीखना बाकी ह

िजनक पास सीखन को िमल उनस िवनतापवरक सीखना चािहए जो कछ सीखो सावधानीपवरक सीखो जीवन म िवनोद जररी ह िकनत िवनोद की अित न हो िजस समय पढ़त हो कछ सीखत हो कछ करत हो उस समय मःती नही िवनोद नही वरन जो कछ पढ़ो सीखो या करो उस उतसाह स धयान स और सावधानी स करो

पढ़न स पवर थोड़ धयानःथ हो जाओ पढ़न क बाद मौन हो जाओ यह गित की चाबी ह

माता-िपता स िचढ़ना नही चाह िजस मा-बाप न जनम िदया ह उनकी बातो को समझना चािहए अपन िलए उनक मन म िवशष दया हो िवशष म उतपनन हो ऐसा वयवहार करना चािहए

भल जाओ भल सब कछ माता-िपता को भलना नही अनिगनत उपकार ह उनक यह कभी िबसरना नही

माता-िपता को सतोष हो उनका दय सनन हो ऐसा हमारा वयवहार होना चािहए अपन माता-िपता एव गरजनो को सत रखकर ही हम सचची गित कर सकत ह

(अनबम)

  • पजय बाप जी का उदबोधन
  • कदम अपना आग बढाता चला जा
  • त गलाब होकर महक
  • जीवन विकास का मल सयम
  • तरिकाल सधया
  • शरीर सवासथय
  • अनन का परभाव
  • भारतीय ससकति की महानता
  • हरिदास की हरिभकति
  • बनावटी शरगार स बचो
  • साहसी बालक
  • गर-आजञापालन का चमतकार
  • अनोखी गरदकषिणा
  • सतसग की महिमा
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  • विकास क बरियो स सावधान
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गरः कोई ऽिट नही ह मझस भी जयादा अचछा बनाया ह

वह िशय रोन लगा उस रोता दखकर गर न पछाः तम कयो रो रह हो म तो तमहारी शसा कर रहा ह

िशयः गरदव मरी घड़ाई करन वाल आप भी यिद मरी शसा ही करग तो मझ मरी गि तया कौन बतायगा मरी गित कस होगी

यह सनकर गर अतयत सनन हो गय हमन िजतना जाना िजतना सीखा ह वह तो ठ क ह उसस जयादा जान सक सीख सक

ऐसा हमारा यास होना चािहए रामकण परमहस व हो गय थ िकसी न उनस पछाः बाबा जी आपन सब कछ जान

िलया ह

रामकण परमहसः नही म जब तक जीऊगा तब तक िव ाथ ही रहगा मझ अभी बहत कछ सीखना बाकी ह

िजनक पास सीखन को िमल उनस िवनतापवरक सीखना चािहए जो कछ सीखो सावधानीपवरक सीखो जीवन म िवनोद जररी ह िकनत िवनोद की अित न हो िजस समय पढ़त हो कछ सीखत हो कछ करत हो उस समय मःती नही िवनोद नही वरन जो कछ पढ़ो सीखो या करो उस उतसाह स धयान स और सावधानी स करो

पढ़न स पवर थोड़ धयानःथ हो जाओ पढ़न क बाद मौन हो जाओ यह गित की चाबी ह

माता-िपता स िचढ़ना नही चाह िजस मा-बाप न जनम िदया ह उनकी बातो को समझना चािहए अपन िलए उनक मन म िवशष दया हो िवशष म उतपनन हो ऐसा वयवहार करना चािहए

भल जाओ भल सब कछ माता-िपता को भलना नही अनिगनत उपकार ह उनक यह कभी िबसरना नही

माता-िपता को सतोष हो उनका दय सनन हो ऐसा हमारा वयवहार होना चािहए अपन माता-िपता एव गरजनो को सत रखकर ही हम सचची गित कर सकत ह

(अनबम)

  • पजय बाप जी का उदबोधन
  • कदम अपना आग बढाता चला जा
  • त गलाब होकर महक
  • जीवन विकास का मल सयम
  • तरिकाल सधया
  • शरीर सवासथय
  • अनन का परभाव
  • भारतीय ससकति की महानता
  • हरिदास की हरिभकति
  • बनावटी शरगार स बचो
  • साहसी बालक
  • गर-आजञापालन का चमतकार
  • अनोखी गरदकषिणा
  • सतसग की महिमा
  • पीड पराई जान र
  • विकास क बरियो स सावधान
  • कछ जानन योगय बात
  • शयन की रीत
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