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videhaिवदेह Ĥथम मैिथली पािक पिğका १५ मई २००८ (वष मास अंक १०)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम ् 1 िवह १५ मई २००८ वष मास अ ंक १० 'िवह' १५ मई २००८ (वष मास अ ंक १०)एिह अिछ:- .Ǧ एंíी: मा õिवश ûी उदय नारायण िसं 'निचता' िथली सािहeक õिसě õगधमी नाटककार ûी निचताजीक टटका नाटक, िवगत 25 वषक नभंगक पात् पाठकक सķुख õŁुत ' रहल अिछ। सवõथम िवह एकरा धारावािहक -õकािशत कएल जा रहल अिछ। नाटकक सर कĻोलक पिहल प। . : मायानģ िमûक इितहास (आगाँ ) . उपlास सहüबाि(आगाँ ) . महाका महाभारत (आगाँ ) . कथा (ि-फटक) . प@ . िवृत किव . रामजी धरी , . ûी गं जन , .ßोित झा धरी ' . ग¬ɑ ठार . सं ृत िथली िशा (आगाँ ) . िमिथला कला (आगाँ )

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  • videhaिवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पि का १५ मई २००८ (वषर् १ मास ५ अंक १०)http://www.videha.co.in/

    मानुषीिमह ससं्कृताम ्

    1

    िवदेह १५ मई २००८ वष र् १ मास ५ अकं १० 'िवदेह' १५ मई २००८ (वष र् १ मास ५ अकं १०)एिह अकंमे अिछ:-

    १. एं ी: मा िवश ी उदय नारायण िसहं 'निचकेता'

    मैिथली सािह क सु िस योगधमीर् नाटककार ी निचकेताजीक टटका नाटक, जे िवगत 25 वष र्क मौनभंगक प ात् पाठकक स खु तु भ' रहल अिछ। सव र् थम िवदेहमे एकरा धारावािहक पे ँई- कािशत कएल जा रहल अिछ। पढ़◌ ूनाटकक दोसर क ोलक पिहल खेप।

    २. शोध लेख: मायान िम क इितहास बोध (आगा)ँ

    ३. उप ास सह बाढ़िन (आगा)ँ

    ४. महाका महाभारत (आगा)ँ ५. कथा(फूिस-फटक)

    ६. प अ. िव तृ किव . रामजी चौधरी,

    आ. ी गगंेश गुजंन, इ. ोित झा चौधरी

    आ' ई. गजे ठाकुर

    ७. स ं तृ –मैिथली िशक्षा(आगा)ँ

    ८. िमिथला कला(आगा)ँ

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    मानुषीिमह ससं्कृताम ्

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    ९.पाबिन ( जानकी नवमी पर िवशेष)- नतून झा

    १०. सगंीत िशक्षा 1११. बालाना ंकृते- बिगयाक गाछ

    १२. प ी बधं (आगा)ँ प ी-स ं ाहक ी िव ानदं झा प ीकार ( िस मोहनजी )

    १३. स ं तृ िमिथला १४ भाषापाक १५. रचना लेखन (आगा)ँ

    १६VI DEHA FOR NON RESI DENT MAI THI LS

    VI DEHA MI THI LA TI RBHUKTI TI RHUT ..

    महत् पणू र् सचूना:(१) िव तृ किव . रामजी चौधरी (1878-1952)पर शोध-लेख िवदेहक पिहल अकँमे ई- कािशत भेल छल।तकर बाद हनुकर पु ी दगुा र्न चौधरी, ाम- पुर,थाना-अधंरा-ठाढ़◌ी, िजला-मधबुनी किवजीक अ कािशत पा िुलिप िवदेह काया र्लयकँे डाकस ँिवदेहमे काशनाथ र् पठओलि अिछ। ई गोट-पचासेक प िवदेहमे नवम अकंस ँधारावािहक पे ँई- कािशत भ' रहल अिछ।

    महत् पणू र् सचूना:(२) 'िवदेह' ारा कएल गेल शोधक आधार पर मैिथली-अं जी आऽ अं जी-मैिथली श कोश (सपंादक गजे ठाकुर आऽ नागे कुमार झा) कािशत करबाओल जा' रहल अिछ। काशकक, काशन ितिथक, पु क- ाि क िविधक आऽ पोथीक म ू क सचूना एिह प ृ पर शी देल जायत।

    महत् पणू र् सचूना:(३) 'िवदेह' ारा धारावािहक पे ई- कािशत कएल जा' रहल गजे ठाकुरक 'सह बाढ़िन'(उप ास), 'ग -गु '(कथा स ं ह) , 'भालसिर' (प स ं ह), 'बालाना ंकृते', 'एका ी स ं ह', 'महाभारत' 'ब ु चिरत' (महाका )आऽ 'या ा व ृ ातं' िवदेहमे सपंणू र् ई- काशनक बाद ि टं फ◌ॉम र्मे कािशत होएत। काशकक, काशन ितिथक, पु क- ाि क िविधक आऽ पोथीक म ू क सचूना एिह प ृ पर शी देल जायत।

    महत् पणू र् सचूना(४): ी आ ाचरण झा, ी फु कुमार िसहं 'मौन' ी कैलाश कुमार िम (इिंदरा गाधँी राष् ीय कला के ), ी ाम झा आऽ ड◌ॉ. ी िशव साद यादव जीक स ित आयल अिछ आऽ िहनकर सभक रचना अिगला १-२ अकंक बादस ँ'िवदेह'

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    मानुषीिमह ससं्कृताम ्

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    मे ई- कािशत होमय लागत।

    महत् पणू र् सचूना(५): २० म शता ीक सव र् िमिथला र ी रामा य झा 'रामरगं' िजनका लोक 'अिभनव भातख 'े केर नामस ँसेहो सोर करैत छि , 'िवदेह' केर हेतु अपन सदंेश पठओ छिथ आऽ तािह आधार पर हनुकर जीवन आऽ कृितक िवषयमे िव तृ िनबधं िवदेहक सगंीत िशक्षा भंमे ई- कािशत करबाक हमरा लोकिनकंे सौभा भेटल अिछ।

    िवदेह (िदनाकं १५मई, २००८)

    सपंादकीय

    वष र्: १ मास: ५ अकं:१०

    मा वर,

    िवदेहक नव अकं (अकं १० िदनाकं १५ मई २००८) ई पिब्लश भ’ रहल अिछ। एिह हेतु ल◌ॉग ऑन क ht t p wwwvi deha co i n:// . . . |

    अहाकँँे सिूचत करैत हष र् भ’ रहल अिछ, जे ‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पि का केर १० टा अकं ht t p wwwvi deha co i n:// . . . / पर ई- कािशत भ’ चकुल अिछ। इटंर ट पर ई- कािशत करबाक उ े छल एकटा एहन फ◌ॉरम केर ापना जािहमे लेखक आ’ पाठकक बीच एकटा एहन मा म होए जे कतहसु ँचौबीसो घटंा आ’ सातो िदन उपल होए। जािहमे काशनक िनयिमतता होए आ’ जािहस ँिवतरण केर सम ा आ’ भौगोिलक दरूीक अतं भ’ जाय। फेर सचूना- ौ ोिगकीक मे ािंतक फल प एकटा नव पाठक आ’ लेखक व क हेतु, पुरान पाठक आ’ लेखकक सगं, फ◌ॉरम दान कएनाइ सेहो एकर उ े छ्ल। एिह हेतु द ूटा काज भेल। नव अकंक सगं पुरान अकं सेहो देल जा रहल अिछ। पुरान अकं pdf पमे डाउनलोड कएल जा सकैत अिछ आ’ जतए इटंर टक ीड कम छैक वा इटंर ट महग छैक ओतह ु ाहक ब कम समयमे ‘िवदेह’ केर पुरान अकंक फाइल

    डाउनलोड कए अपन कं टुरमे सुरिक्षत रािख सकैत छिथ आ’ अपना सुिवधा सारे एकरा पढ़ि◌ सकैत छिथ। एकर अितिर सपंकर् खोज ंभमे िवदेह आ' आन-आन िमिथला आ' मैिथलीस ँसबंिंधत साइटमे सच र् हेतु सच र् इिंजन िवकिसत कए राखल गेल अिछ। ओिह प ृ पर िमिथला आ' मैिथलीस ँसबंिंधत समाचारक िलकं िवकिसत कए सेहो राखल गेल अिछ। सपंकर्-खोज प ृ पर िमिथला आ' मैिथलीस ँसबंिंधत साइटक सकंलनकँे आर दढ़ृ कएल गेल अिछ। िवदेहक सभ प ृ कँे १० िलिपमे देखल जा' सकैत अिछ आ' तािह हेित सभ प ृ पर िलकं देल गेल अिछ। भाषा मैिथिलये रहत मुदा आन भाषा-भाषी मैिथलीक आनदं अपन िलिपमे पिढ कए लए सकैत छिथ।

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    निचकेताजी अपन २५ सालक चु ी तोड़ि◌ एं ी: मा िवश नाटक मैिथलीक पाठकक समक्ष िवदेह ई-पि काक मा मस ँपह ुँचा रहल छिथ। धारावािहक ँपे ई नाटक िवदेहमे ई- कािशत भ’ रहल अिछ।

    ३ जनूकँे एिह बेर वट सािव ी अिछ। एिह अवसर पर एिहस ँसबंिंधत िनबधं देल जा' रहल अिछ।एिह िनबधंक लेिखका छिथ ीमित नतून झा।

    बालाना ंकृतेमे बिगयाक गाछ शीष र्क लोककथाकँे ोितजीक िच स ँसुसि त कएल गेल अिछ।

    ी गगंेश गुजंन जीक किवता पाठकक समक्ष अिछ।

    ी फु कुमार िसहं मौन, ी आ ाचरण झा आऽ ड◌ॉ. ी िशव साद यादव जीक स ित आयल अिछ आऽ िवदेहमे एक-द ूअकंक बाद िहनकर सभक रचना िवदेहक पाठकक लोकिनक समक्ष आबय लागत।

    िमिथलाक र ंभकँे नाम आ' वष र्स ँजतय तक सभंव भ' सकल िवभूिषत कएल गेल अिछ। एकर पिरव र्नक हेतु सुझाव आमिं त अिछ। िमिथला र मे बैक ाउ ड सगंीत सेहो अिछ, आ' ई अिछ िव वक थम राष् भिक् गीत (शु यजवुे र्द अ ाय २२, म ं २२) जकरा िमिथलामे दवूा र्क्षत आशीश म ं सेहो कहल जाइत अिछ, एकर अथ र् िवदेह आका र्इव भंमे अिभनव पमे देल गेल अिछ, आ' ि िफथक देल अथ र्स ँएकर िभ ता देखाओल गेल अिछ। मु प ृ क बैक ाउ ड सगंीत िव ापितक बड़ सुख सार तँ अिछये पिह स।ँ

    'िवदेह' ई पि काक चार सच र् इिंजन ारा, गगूल आ' याहू ुप ारा, वडर् स आ' ब्ल◌ॉग ◌ॉटमे देलगेल ब्ल◌ॉग ारा, फेसबकु, आउटलकू, माय ेस, ओरकुट आ' िच ाजगतक मा मस ँकएल गेल। मुदा जखन डाटा देखलह ुँ तँ आधस ँबेशी पाठक सोझे ht t p wwwvi deha co i n:// . . . पता टाइप कए एिह ई-पि काकँे पढ़लि ।

    अप क रचना आ’ िति याक तीक्षामे। विर रचनाकार अपन रचना ह िलिखत पमे सेहो नीचा ँिलखल पता पर पठा सकैत छिथ।

    गजे ठाकुर

    389,प◌ॉकेट-सी, से र-ए, बस कंुज,नव देहली-११००७०.

    फै :०११-४१७७१७२५

    १५ मई २००८ नव देहली

    ht t p wwwvi deha co i n:// . . .

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    ggaj endr a vi deha co i n@ . .

    ggaj endr a yahoo co i n@ . .

    (c)२००८. सवा र्िधकार लेखकाधीन आ’ जतय लेखकक नाम निह अिछ ततय सपंादकाधीन।

    िवदेह (पािक्षक) सपंादक- गजे ठाकुर। एतय कािशत रचना सभक क◌ॉपीराइट लेखक लोकिनक लगमे रहति , मा एकर थम काशनक/आका र्इवक/अं जी-स ं ृत अ वादक अिधकार एिह ई पि काकँे छैक। रचनाकार अपन मौिलक आ’ अ कािशत रचना (जकर मौिलकताक सपंणू र् उ रदािय लेखक गणक म छि ) ggaj endr a yahoo co i n@ . . आिक ggaj endr a vi deha co i n@ . . कँे मेल अटैचमे क पमे ँ doc docx. , . आ’ t xt. फ◌ॉमे र्टमे पठा सकैत छिथ। रचनाक सगं रचनाकार अपन सिंक्ष पिरचय आ’ अपन ैन कएल गेल फोटो पठेताह, से आशा करैत छी। रचनाक अतंमे टाइप रहय, जे ई रचना मौिलक अिछ, आ’ पिहल काशनक हेतु िवदेह (पािक्षक) ई पि काकँे देल जा रहल अिछ। मेल ा होयबाक बाद यथासभंव शी ( सात िदनक भीतर) एकर काशनक अकंक सचूना देल जायत। एिह ई पि काकँे ीमित ल ी ठाकुर ारा मासक 1 आ’ 15 ितिथकँे ई कािशत कएल जाइत अिछ।

    १. नाटक

    ी उदय नारायण िसहं ‘निचकेता’ ज -1951 ई. कलक ामे।1966 मे 15 वष र्क उ मे पिहल का स ं ह ‘कवयो वदि ’ | 1971 ‘अमतृ पु ाः’(किवता सकंलन) आ’ ‘नायकक नाम जीवन’(नाटक)| 1974 मे ‘एक छल राजा’/’नाटकक लेल’(नाटक)। 1976-77 ‘ ाव र्न’/ ’रामलीला’(नाटक)। 1978मे जनक आ’ अ एकाकंी। 1981 ‘अ रण’(किवता-सकंलन)। 1988 ‘ि यवंदा’ (नािटका)। 1997-‘रवी नाथक बाल-

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    सािह ’(अ वाद)। 1998 ‘अ कृित’- आध ुिनक मैिथली किवताक बगंलामे अ वाद, सगंिह बगंलामे दटूा किवता सकंलन। 1999 ‘अ ु ओ पिरहास’। 2002 ‘खाम खेयाली’। 2006मे ‘म मपु ष एकवचन’(किवता स ं ह। भाषा-िवज्ञानक मे दसटा पोथी आ’ द ूसयस ँबेशी शोध-प कािशत। 14 टा पी.एह.डी. आ’ 29 टा एम.िफल. शोध-कम र्क िदशा िनदेर्श। बड़◌ौदा, सरूत, िद ी आ’ हैदराबाद िव.िव.मे अ ापन। स ं ित िनदेशक, के ीय भारतीय भाषा स ं ान, मैसरू।

    एं ी : मा िवश

    (चािर-अकंीय मैिथली नाटक)

    नाटककार उदय नारायण िसहं ‘निचकेता’ िनदेशक, कंे ीय भारतीय भाषा स ं ान, मैसरू

    (मैिथली सािह क सु िस योगधमीर् नाटककार ी निचकेताजीक टटका नाटक, जे िवगत 25 वष र्क मौन भंगक प ात् पाठकक स खु तु भ’ रहल अिछ।)

    दोसर क ोलक पिहल भाग जारी....िवदेहक एिह दसम अकं १५ मई २००८ मे।

    एं ी : मा िवश

    दोसर क ोल पिहल खेप

    दोसर क ोल [प ाद्पट मे - ारे लखा दैछ मुदा मचंक एक िदिस ारक बाम भागक देबार लग एकटा भाषण देबा जोकर क क ऊँच भाषण-मचं आ तािह पर एकटा माईक देखल जायत। भाषण-मचं पर तीनटा नीक कुसीर् देखल

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    जायत। ओमहर दरब ाक साम आ भाषण-मचंक लग बाईस-चौबीस-टा भाड◌�◌ा केर कुसीर् सेहो राखल रहत जािह पर चािर-टा मतृ सिैनक स ँ ल’ कए चािर-गोट बाजा बजौिनहार आ थम क ोल मे देखल सब गोटे – नदंी– ं गी कँे ल’ कए चौदहो गोटे बैसल तीक्षा करैत छिथ। लगैछ सब ो तीक्षा करैत-करैत परेशान भ’ गेल छिथ।]

    अ चर-1 :( ताजी एखनह ुधिर निह आयल छलाह। हनुक दटूा अ चर मे स ँएक गोटे कहनुा माईक पर िकछु िकछु बजबाक यास क’ रहल छल – जािह स ँलोग ऊिब कए कतह ुसरिक जाय!) त’ भाई – बिहन सब ! जे हम कहै छलह ुँ ... आजकु एिह अशािंतमय पिरवेश मे एकमा बदरीये बाब ू छिथ जे शािंतक दतू बिन कए मिथले मा निह, सम भारतक आतंकवादी, कलेसवादी, उ वादी, अ ू वादी, चडंवादी, चडंवादी स ँ ल’ कए सब तरहक िववादीक झगड◌�◌ा-िववादकँे मेटैबाक लेल ि च यान स ँ ल’ कए वायुयान धिर , सभ तरहक वाहन मे अ ंत क आ जोिखम उठा कए सफर करैत रहलाह। आ अिहना सब ठाम... सगरे, अपन बातक जादईु छड◌�◌ीकँे चलबैत सभक दःुख- दद र् कँे दरू करैत रहलाह। िमिथलाक महान ता एक ब ी-िवशाल िसहंे छिथ जे...

    बाजारी : (परेशान भ’ कए) हौ, से सबटा त’ बझुिलयह मुदा

    ई त’ बताब’ जे ब ी बाब ूछिथ कत’?

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    बीमा-बाब ू : आर कतेक देर तीक्षा करय पड◌�त ?

    अ चर 2 : (जे भाषण-मचंक कोना पर ठाढ◌� रहैत अिछ आ

    बीच-बीच मे उतिर कए बाहर जा कए झािँक कए

    देखबाक यास क’ कए घ ुिर-घ ुिर आबैत छल।) हे,

    आब आिबये रहल हेताह !

    बाजारी : हे हौ! इयैह बात त’ हम सब बड◌�◌ी काल स ँसुिन

    रहल िछयह ! “आब आिबये रहल छिथ...”

    बीमा-बाब ू : आ बैसल बैसल पैर मे बघा लािग रहल

    अिछ...हमरा स ँत’ बेसी देर धिर बैसले निह

    जाइत अिछ।

    अ चर 1 : (सब कँे शातं करैत) हे...बात सुन.ू.. बात सुन ू

    भाइ-सब ! बैस ैजाउ, क शातं भ’ कए बैसल

    जाइ जाउ!

    अ चर 2 : (बजबाक भंिगमा स ँ भ’ जाइत छिन जे फूिस बािज रहल छिथ-) किनये काल पवू र् ओ धम र्-िशला हैिलक◌ॉप्टर पर स ँउतरल छिथ। आब ओ रा ा मे छिथ– कखनह ुपह ुँ िच सकै छिथ... !

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    अ चर 1 : आब जखन ओ आिबये रहल छिथ, ायः पह ुँ िचये

    गेल छिथ, आजकु समय-सम य-सामा जन

    आ चा कात चिल रहल अनाचार दय ब ी बाबकँूे

    की कहबाक छिन, से सु त जाय जाउ !

    बाजारी : अ ा त’ कह’ कोन नव बात कहब’!

    अ चर1 : ओना अहीं िकयैक हम सब चाहै छी जे सब िकछु

    नव हो... ! रा ा नव हो, ओ पथ जतय पह ुँचत से

    ल नव हो, एहन पथ पर स ँचलिनहार हमरा-

    अहा ँसनक पुरनका जमानाक लोग मा निञ –

    नवीन युगक नवतुिरया सब हो ! पुरातन ािन,

    पुरना दःुख-दद र् सब, ाची इितहासक प ृ पर

    हमसब ओझरायल जका ँमा ठाढ◌� निह रही,

    िकछु नव करी... !

    बीमा-बाब ू : ई बात त’ ठीके किह रहल छी।

    भ ि : (दनु ूगोटे) ‘ठीक, ठीक ! एकदम ठीक”,आिद।

    अ चर1 : आ इयैह बात ब ी िवशाल बाब ूसेहो बाजैत छिथ-

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    िवशाल जिनक दय, म-जीवी म क लेल

    जिनक दय स ँसिदखन र झरै छिन, जिनका

    लेल पुरनका लोक, रीित-रेवाज ततबे मह पणू र्

    जतबा नवयौवनक ार, नवीन पीढ◌�◌ीक आशा-

    आकाकं्षा - ई सब िकछु। आजकु युग मे वैह एकटा

    राज ता छिथ जे नव आ पुरानक बीच मे एकटा

    सेतु बनल य ंठाढ छिथ आ ओ सेतु जेना

    किह रहल हो---

    आउ पुरातन, आऊ हे नतून।

    हे नवयौवन, आऊ सनातन ।।

    ाण-परायण, जीण र् जरायन।

    ब -किठन ण गौण गरायन।।

    सुत सुध सुख स ँगायन।

    जीण र् ई धरणी तटमुख ायन ।।

    अघन सधन मन धन-दखु-दायन।

    जाऊ पुरातन, आऊ नवायन।।

    [एहन उ ृ का -पाठ सुिन रदद्ी-बला आ िभख-मगंनी शसंा सचूक “वाह-वाह” कहैत ताली बजाब’ लागै’

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    मानुषीिमह ससं्कृताम ्

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    छिथ। त’ िहनका दनु ूकँे देिख अ चर 2 आ नदंी- ं गी कँे छोड◌�ि◌ बाकी सब सोटे ताली बजाब’ लागैत छिथ।]

    चोर : (लगमे बैसल रदद्ी-बला कँे) हे... िकछु बझुलह

    एकर किवता िक आिहना ? (रदद्ी-बला आिँख उठा

    कए मा देखैत अिछ, िजज्ञासा आिँख मे...) हमरा

    त’ िकछु निह बझु’ मे आयल।

    रदद्ी-बला : नव िकछु भिर िजनगी कै रिहत’ तखन ? एिह ठामक

    माल ओ र...आ ओिह ठामक ए र... !

    िभख-मगंनी : ठीके त’! तो ँकोना बझुबह ?

    चोर : पिहल दटूा पातँी त’ बिुझये गेल छलह ुँ। मुदा तकर

    बाद सबटा कुहेस जका ँअ ...ए ेक नवीन छल

    जे बझु’ मे निह आयल !

    अ चर 2 : हे! के ह ा क’ रहल छी ?

    िभख-मगंनी : हे ई चोरबा कहै छल...

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    चोर : (डाटँैत) चपु! िभख-मगंनी निहतन...हमरा ‘चोर’

    कहैये!

    िभख-मगंनी : हाय गौ माय! ‘चोर’ कँे ‘चोर’ निह कहबै त’ की

    कहू ? कोन नव नामे बजाऊ ?

    अ चर 1 : (माईक स,ँ क क र कँे ककर्श करैत) हे अहा ँ

    सब एक दोसरा स ँझगड◌�◌ा निह क ! जे िकछु

    बितआबक अिछ, हमरे स ँपुछू ! (िभख-मगंनी कँे

    देखा कए) हे अहा.ँ.. (िभख-मगंनी ए र-ओ र

    देखैत अिछ) हँ,हँ – अही कँे कहै छी ! बाज.ू..की

    बाजै छलह ुँ ? पिह बाज-ू अहा ँके छी ?

    चोर : (िबह ुँसतै) िभख-मगं- (वा अधरूे रिह जाइत

    छिन, िकयैक त’ िभख-मगंनी झपिट कए चोरक

    मँुह पर हाथ ध’ दैत अिछ-बाकँी बाजै निह दैछ।)

    (तावत् दनु ूअ चर झपटा-झपटी देिख कए,

    “हे...हे...!” कहैत मना करबाक यास मे अगुआ अबैत अिछ।)

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    िभख-मगंनी : (चोरक मँुह पर स ँ अपन हाथ कँे हँटाबैत, ठाढ◌�

    भ’ कए अपन पिरचय दैत, क लजबैत...) हमर

    नाम भेल ‘अनसयूा!’

    अ चर1 : अ ा, अ ा! त’ अहा ँअव े मजीवी व क

    छी...सहै लागैत अिछ !

    िभख-मगंनी : हँ!

    अ चर 2 : कोन ठाम घर भेल ?

    िभख-मगंनी : घर त’ भेल सिरसवपाही...मुदा,

    अ चर 2 : मुदा?

    िभख-मगंनी : रहै छलह ुँ िद ी मे... असोक नगर ब ी मे...

    अ चर 1 : आ’ काज कोन करैत छलह ुँ बिहन ?

    िभख-मगंनी : गेल त’ छलह ुँ िमिथला िच कलाक हनुर ल’ कए,

    अपन बनायल िकछु कृित बेच’ लेल... मुदा,...

    (दीघ र्- ास ािग) के जा छल, जे ओ शहरे

    एहन छल जत’ कला-तला केर को कदर निह... अतंत: हमरा को चौराहाक िभख-मगंनी बना कए

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    छोड◌�ि◌ देलक।

    अ चर 2 : आ-हा-हा,ई त’ घोर अ ाय भेल अहाकँ सगं। घोर

    अ ाय... अ ेर भ’ गेल!

    अ चर 1 : ( यास करैत सगंकँे बदलैत छिथ– गला

    खखाड◌�ि◌ कए) मुदा ई निह बतैलह ुँ जे अहा ँकह’

    की चाहैत छलह ुँ ?

    िभख-मगंनी : हमरा लागल, अहा ँजे बात किह रहल छलह ुँ तािह

    मे बहतु िकछु नव छल, तकर अलावे-

    रदद्ी-बला : हमरा सब कँे त’ बझु’ मे को िद ित निह

    भेल, मुदा

    अ चर 2 : मुदा ?

    िभख-मगंनी : (चोर कँे देखा कए) िहनकर कहब छिन जे मा

    पिहल दटूा पातँीक अथ र् छल, आ तकर

    बाद...

    अ चर 1 : ओ...आब बझुलह ुँ। भ’ सकैछ...ई भ’ सकैछ जे

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    िकनको-िकनको हमर सभक व किठन आ

    निह त’ अपा लगिन। ई सभंव अिछ जे िहनका

    लेल नव-पुरानक सजं्ञा िकछु आरे...

    [बात परूा हैबाक पवूे र् रदद्ी-बला आ िभख-मगंनी हँिस दैत अिछ...सगंिह उच ा आ बाजारी सेहो। अ चर-

    य बिुझ निह पबैत छिथ जे ओसब िकयैक हँिस रहल

    छलाह।] िकयैक ? की भेल ? हम िकछु गलत कहलह ुँ

    की ?

    रदद्ी-बला : अहा ँिकयैक गलत वा फूिस बाजब?

    िभख-मगंनी : अहा ँत’ उिचते कहिलयैक।

    बाजारी : मुदा िहनका पिूछ कए त’ देख-ूई कोन तरहक सेवा

    मे िनयु छिथ !

    अ चर 2 : [अ चर- य बिूझ निह पबैत छिथ जे की कहताह।]

    क.. िकयैक?

    अ चर 1 : (चोर स)ँ की सब बािज रहल छिथ ई-सब?

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    [चोर शातं-िच ेँ उिठ कए ठाढ होइत अिछ आ भाषण–मचंक िदिस आगा ँबढैत जाइत अिछ। अतं मे मचं पर चढ◌�ि◌ कए बजैत छिथ...]

    चोर : (अ चर 1 कँे) जँ ई चाहै छी हमर उ र सुनब,आ जँ स े

    िकछु नव सुन’ चाहै छी तखन हमरा कनीकाल माईक स ँ

    बाजै देमे पड◌�त।

    (अ चर- य कँे चपु देिख) कहू की िवचार!

    अ चर 1 : (नव र्स भ’ जाइत छिथ) हँ-हँ, िकयै निञ?

    चोर : [माईक हाथ मे पािब चोर कुता र् केर आ ीन आिद समटैत एकटा दीघ र् भाषणक लेल ुत होइत

    छिथ।] अहा ँसब आ य र्चिकत हैब आ भिरसक परेशान

    सेहो, जे हम कोन नव बात किह सकब। [अ चर-

    य कँे अपन पिरचय दैत] आिखर छी त’ हम एकटा सामा चोरे, छोट-छीन चोिर करैत छलह ुँ , मुदा भूलो स ँककरह ु जान छी आ आघाते के छी।

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    चोिर कँे हम अपन कम र् आ धम र् बझुैत छलह ुँ – ई जेना हमर ढाल जका ँ छल हमरा को बड◌�का अपराध स ँबचैबाक! सोचै छलह ुँ जे चोिर, मा त रता – एकटा ऊँच दजा र् केर कला सहै िथक। सामा भ ि क लेल एतेक सहजे ई काज सभंव निह भ’ सकैत छिन। (दनु ूभ ि कँे देखा कए) िहनके दनु ूकँे देिखऔन ...त’ हमर बात बिूझ जायब।(हँसतै) िहनका दनुकू समक्ष को लोभनीय व ु रािख िदय ... तैयह,ु इ ा होइतह ुई लोकिन ओिह व ु कँे ल’ कए च त् निह भ’ सकैत छिथ। (गभंीर मु ामे) कहबाक ता य र् ई जे जेना िमिथला िच कला एकटा कला िथक, चोिर करब सेहो चौसंिठ कलाक भीतर एकटा कला होइत अिछ।

    अ चर 2 : मानलह ुँ। ई मािन गेलह ुँ जे चौय र्कला एकटा

    मह पणू र् विृ िथक, मा विृ निह। मुदा...

    चोर : (हनुक बात कँे जेना हवा मे लोिक लैत छिथ) मुदा ई

    उिठ सकैत अिछ जे हम चोिर किरते िकएक छी ?

    िवशेष...तखन, जखन िक पिरवारमे ो अिछये निह.. तखन एहन काय र् अथवा कलाक योगक कोन योजन छल?

    बाजारी : ठीक !

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    चोर : जँ आन-आन विृत सभ दय सोची त’ ई बझूब

    किठन भ’ जाइत अिछ जे चोरी वा त री कत’ निह अिछ ? आजकु सगंीतकार पिछलुका जमाना केर गीत-सगंीतस ँ ‘ रणा’ लैत छिथ। तिहयौका सगंीतकार पुरनका सगंीतकँे नव शरीरमे गबबै छलाह। हनुकर सभक ‘ रणा’ छलिन कीतर्न आ लोक-सगंीत। आ कीतर्िनञा लोकिन कँे कथी लेल िहचिकचाहिट हैतिन अपनह ु स ँ ाचीन शास् ीय सगंीत स ँ कनी-मनी नकल उतारबामे ? (थ ैत सभक ‘मडू’ कँे बझुबाक यास करैत) सहै बात सनीमा मे िथयेटर मे ... कथा, किवता मे सेहो....!

    बाजारी : तो ँ कहैत छह आजकु सभटा लेखक क ुका सािह कारक नकल करैत अिछ, आ क ुका लोक परसुका किव लेखकक रचनास ँचोरी करै छल...?

    अ चर 1 : मा चोिर पर चोिर...?

    अ चर 2 : आ चोिरये पर िटकल अिछ दिुनया ँ?

    बाजारी : हे... ई त’ अ ेर क’ देलह हौ...!

    चोर : अ ेर िकयै हैत ? को द ूटा पािँत ल’ िलय’ -

    ‘मेघक बरखा....

    बाजारी : ई त’ रवी नाथ ठाकुरक किवता भेल, ना-भुटका सभ

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    लेल िलखल...

    भ ि 1 : (असतंु रमे) एिहमे चोरी केर कोन बात भेल ?

    बाजारी : ओ ककर नकल उतािर रहल छलाह ?

    भ ि 2 : हनुका सन महान किवकँे चोर कहै छी ?

    चोर : (जेना िहनका सभक बात सुनतिह निह छिथ-हाथस ँसभटा बात कँे झारैत...) िव ापितयेक पािँत िलय—“माधव बहतु िमनती करी तोय !”

    उच ा : एकरा लखे तँ सभ ो चोर...

    प◌ॉिकट-मार : (हँसतै) आ सबटा दिुनया ँ अिछ भरल फिुसस.ँ..सबटा महामाया...

    बाजारी : हे एकर बातमे निह आउ ! (अ चर यस)ँ अहासँभ कोन नव बात कहै दय छलह ुँ ...सहै कह ु।

    चोर : (उ रमे) कोना कहताह ओ नव बात ? िव ापितक एिह एक पािँतमे कोन एहन श छल जे अहा ँजा छी आ हम ? ‘माधव’... ‘बहतु’... वा ‘िमनती’... अथवा एहन कोन वा ओ बाजैत छलाह जे हनुकास ँ पिहनिह ो निह बािज दे छल ? आ शतेको एहन किव भेल हेताह जे मेघक बिरसब दय बज हेताह आ एहन सभटा श स ँगढ◌� हेताह अपन किवता कँे ?

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    (सभ ो एिह तकर् पर क क चपु भ’ क’ सोच’ लेल बा भ’ जाइत छिथ।)

    अ चर 1 : मा ...?

    चोर : मा ई जे दिुनया ँमे एहन को वा निञ भ’ सकैछ जकर एकटा बड◌�का टा अशं आन ो कखनह ुकतह ुको को उ े स ँवा मजबरूीस ँबािज निञ दे होिथ ! भ’ सकैछ अहा ँ तीन ि क तीनटा बातक टकुड◌�◌ी- टकुड◌�◌ी जोड◌�ि◌ कय िकछु बािज रहल होइक ! एिहमे नव कोन बात भ’ सकैछ ?

    बाजारी : हम सिदखन नव बात कहबा लेल थोड◌�◌े बाजै छी ? हम त’ मोनक को को भावनाकँे बस उगड◌�ि◌ दैत छी....।

    चोर : आ तै ँआइ धिर जे िकछु बजलह ुँ से सभटा बाजारमे.... मा एिह प ृ ीक को को बाजारमे ो ो अथवा कैक गोटे पिहनह ुँ बज छल ?

    अ चर 1 : तखन अहा ँकह’ चाहै छी जे....

    चोर : (पुन: बातकँे काटैत) अहा ँ िकछु नव बात किह सकै छी आ अहा ँकेर ता...।

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    (तावत प मे शोर होइत छैक ..” ताजी अयलाह”, “हे वैह छिथ ताजी” कतय, कतय यौ ! हे देखै निञ छी ? आिद सुनबामे अबैत अिछ। ो नारा देम’ लागैत अिछ---‘ ताजी िज ाबाद’ देशक ता बदरी बाब ू िज ाबाद, िज ाबाद ! आिद सुनल जाइछ। मचंपर बैसल सब गोटामे जेना खलबली मिच गेल होइक। सभ उिठ कय ठाढ◌� भ’ जाइत छिथ। ो- ो अनका सभक परवािह कय िब अगुआ ऐबाक यास करैत छिथ।

    तावत गर मे एकटा गेदंाक माला पिहर आ कपार पर एकटा ललका ितलक लगौ कुता र् - पैजामामे सभकँे नम ार करैत ताजी मचं पर अबैत छिथ...पाछू- पाछू पाचँ-सात गोटे आर अबैत छिथ आ सब िमिल कए एकटा अकारण भीड◌�क कारण बिन जाइत छिथ। “नम ार ! नम ार ! जय िमिथला... जय जानकी माता..कहैत ओ मचं पर उपि त होइत छिथ आ बगलिहमे माईक पर चोरकँे पबैत छिथ।

    धीरे-धीरे सब ो अपन-अपन आसन पर बैिस जाइत छिथ, अ चर दनु ूकोना की करताह ताजीक लेल से बिुझ निह पबैत छिथ, कखनह ुलोककँे शातं करैत छिथ त’ कखनह ु “ ताजी िज ाबाद” ! किह छिथ त’ फेरो कखनह ुँ हनुक पाछू-पाछू आिब कए कुसीर् आिद सिरआब’ लगैत छिथ। अितिर लोक सभ तावत् बाहर चिल जाइत छिथ।)

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    ( मश:) *****************

    २.शोध लेख

    मायान िम क इितहास बोध (आगँा)

    थम ंशलै पु ी च/ म ं पु / /पुरोिहत/ आ' स् ी-धन केर सदंभर्मे

    ी मायाना िम क ज सहरसा िजलाक ब िनया गाममे 17 अग 1934 ई.कँे भेलि । मैिथलीमे एम.ए. कएलाक बाद िकछु िदन ई आकाशवानी पटनाक चौपाल स ँसबं रहलाह । तकरा बाद सहरसा क◌ॉलेजमे मैिथलीक ा ाता आ’ िवभागा क्ष रहलाह। पिह मायान जी किवता िलखलि ,पछाित जा कय िहनक ितभा आलोचना क िनबधं, उप ास आ’ कथामे सेहो कट भेलि । भा लोटा, आिग मोम आ’ पाथर आओर च -िब -ु िहनकर कथा स ं ह सभ छि । िबहाड़ि◌ पात पाथर , म ं -पु ,खोता आ’ िचडै आ’ सयूा र् िहनकर उप ास सभ अिछ॥ िदशातंर िहनकर किवता स ं ह अिछ। एकर अितिर सो की ा माटी के लोग, थम ंशलै पु ी च,म ं पु , पुरोिहत आ’ स् ी-धन िहनकर िह ीक कृित अिछ। म ं पु िह ी आ’ मैिथली दनु ूभाषामे कािशत भेल आ’ एकर मैिथली स ं रणक हेतु िहनका सािह अकादमी पुर ारस ँस ािनत कएल गेलि । ी मायान िम बोध स ानस ँसेहो पुर तृ छिथ। पिह मायान जी कोमल पदावलीक रचना करैत छलाह , पाछा ँजा’ कय योगवादी किवता सभ सेहो रचलि ।

    मायान िम जीक इितहास बोध

    थम ंशलै पु ी च/ म ं पु / /पुरोिहत/ आ' स् ी-धन केर सदंभर्मे

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    ि तीय म लमे राजाक सिमित ारा एिह गपक लेल पद ुत कएल जएबाक चचा र् अिछ, िक धे क चोिरक बादो ग -यु ओऽ निह कएलि ।अिभषेकक स राजा सेहो ायः िनि त होमए लगलाह आऽ कौिलक पर रा चिल गेल। पिह सिमितक िनण र्यक बादे ो समथ र्न-याचनामे जाइत छलाह, राजद स ारैत छलाह। धे क हरण कए छल अनास द ु सभ। सुवा ,ु ुमु, िवत ा आऽ अ नीक तट पर ुित अ ास आऽ यु -काय र् सगंिह चलैत छल, एके सगं ा ण, क्षि य आऽ वै कम र् करैत छिथ, मुदा सर तीक तट पर बात िकछु दोसरे भऽ गेल, ऋिष ाम फराक होमय लागल। सभटा अनास द ु दास बिन गेल आऽ दासीस ँआय र्गणक सतंान उ होमय लगलि । दासीपु लोकिनकँे तँ गाममे घर ब बाक अ मित चलि मुदा अनास द ुकँे ओऽ अ मित निह छलि । एिह गपक चचा र् अिछ, जे आय र् चम र् वस् पिहरैत छलाह आऽ अनास द ु ओकिनक सपंकर्स ँ सतूक वस् आऽ लवणक योग िसखलि । एिह दनु ूचीजक आपिू र् एख अनास लोकिनक हाथमे छलि । अनाय र् लोकिनक सपंकर्स ँअपन श कोश िबसरबाक आऽ तकर सकंलनक आव कताक पिू र्क हेतु िनघ ुक सकंलनक चचा र् सेहो अिछ। गधंव र् िववाहक सेहो चचा र् अिछ।

    तीय म ल

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    अि ोम यज्ञक चचा र् अिछ। छागर आऽ महीँ सक बिल केर चच र् अिछ।

    मासँ-भात महिष र् लोकिनकँे ि य लगलि , तकर चचा र् अिछ, मुदा भातक बदला गहूमक सोहारीक चलन एख बेशी होएबाक चचा र् अिछ।

    चतुथ र् म ल

    राजाक अिभषेक यज्ञक चचा र् आऽ ओिहमे अिर िमक ा बनबाक चचा र् अिछ। ामणी, रथकार, क िर, सतू, सेनानी सेहो यज्ञमे सि िलत छलाह।

    ’अित ाचीन कालमे सिृ जलमय छल!’ एकर चचा र् मायान िम जी निह जिन ऋगवेिदक युगमे कोन कए देलि ।

    प म म ल

    अ ारोहन ितयोिगताक चचा र् अिछ। अनास दास-रजंक ना विृ क चचा र् सेहो अिछ। राजा ारा एकर अिभषेक काय र् ममे ीकृित आऽ एकर भेल िवरोधक सेहो चचा र् अिछ। दासकँे तं कृिष अिधकार आऽ एकरा हेतु िवदथक अ मित राजा ारा लेल जाए आिक निह तकर चचा र् अिछ।

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    25

    ष म ल

    महावैराजी यज्ञक चचा र् अिछ। सम द ु ामक दास बिन जएबाक सेहो चचा र् अिछ, आऽ ओऽ सभ पशुपालन आऽ पिण काय र् कऽ सकैत छिथ। न िजतक सगं लए म ं गायन केिनहार ा ण, गिवि यु कएिनहार क्षि य आऽ ए अितिरक् जे कृिष िवकासमे बेशी ान दैत छालाह से िवश- सामा जन छलाह मुदा एिहमे मायान जी वै श सेहो जोड़ि◌ दे छिथ।

    स म म ल

    बब र्र उजरा आय र्क आ मणक चचा र् आब जाऽ कए भेल अिछ। ायः िवदेशी िवशेषज्ञक सगं मायान जी सेहो पैशाची आ मणकँे बादमे जाऽ कए बिूझ सकलाह आऽ एकरा सेहो आय र्क दोसर भाग बना देलि । आय र् हिरयिूपयाकँे डािह कए न कए दे छलाह एकर फेर चच र् आिब गेल अिछ। मोहनजोदड़◌ो आतंकस ँउजड़ि◌ गेल, फेर भूक ो आयल ताहूस ँनगर भेल। आब मायान जी ओझड़◌ायल बझुाइत छिथ। वषा र् कम होएबाक सेहो चचा र् अिछ।

    अ म ्म ल

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    26

    ऋिष ामक चचा र् अिछ। कुलमे दास आऽ दासी होएबाक सकंेत अिछ। वषृभ पालनक सेहो सकंेत अिछ। म ं -पु क ामाचंल चिल जएबाक आऽ िवशः-वै बिन जएबाक सेहो चचा र् अिछ। मुदा आगा ँ मायान जी ओझराइत जाइत छिथ। क प सागर तटस ँ ान-पवू र् ौस आऽ राष् ी केर गौण देव भऽ जएबाक चचा र् अिछ। ा ण आऽ क्षि यक िवभाजन निह होएबाक चच र् अिछ आऽ ो को कम र् करबाक हेतु तं छल। देवासुर स ं ाम आऽ हेलम तटक यु आऽ पशुपालनक चचा र् अिछ। प ात ण आऽ क्षि यक कम र्क फराक होयब ार भए गेल। प ात् म ं - ा ऋिष ारा म ं मे देवक आऽ अपन नाम रखबाक ार भेल- एकर चचा र् अिछ। िुत अ ासक ार होएबाक चचा र् अिछ कारण म ं क स ं ा बढ़ि◌ गेल छल।

    नवम ्म ल

    व ु िवनमयक हेतु हाट व ाक ार भेल। हाटमे मिृ का भागमे दास-िश ीक पा क उपि ित आऽ वस् भागक चचा र् अिछ। मिृ का, हि -द , ता सीपी आिदक बनल व ुजातक चचा र् अिछ। िशशु-रजंन व ुजात- जेना हि , वषृभ आिदक मिू र्क, लवणक, अ क, का क आऽ क लक िब ीक चचा र् अिछ।

    दशम ्म ल

    ेत-जनक आगमनक -बब र्र ेत आय र्- सचूना नागजनकँे भेटबाक चचा र् अिछ। नाग ज्न ारा अपन दलपितकँे राजा कहल जायब, नागक पवू र्-कालमे ससिर कए यमुना तट िदिश आयब आऽ ओतुका लोककँे ठेल कए पाछा ँकए देबाक सेहो चचा र्

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    मानुषीिमह ससं्कृताम ्

    27

    अिछ।कृ जनक का द ु आऽ नागक सगं हनुका लोकिनकँे सेहो अनास कहल गेल अिछ। मुदा ण लोकिन दीघ र्काय छलाह आऽ नागजन क क छोट। एिह म लमे दासक सगं श ू क आऽ गगंा तटक सेहो चचा र् आिब गेल अिछ। आय र्, दास आऽ श ू क बीचमे सहयोगक सकंेत अिछ।

    अतंमे ऋचालोक नामस ँ भूिमका िलखल गेल अिछ। देवासुर स ं ामक बाद इ असुर उपािध ागलि , िह ी िम ानी चलल, आऽ आय र् पवू र् िदशा िदिश बढ़ल आिदक आधार पर िलखल ई म ं पु ऐितहािसकताक सभटा मानद निह अपनाऽ सकल।

    (अ वतर्ते)

    ३.उप ास

    सह बाढ़िन -गजे ठाकुर

    आब ओऽ छौड़◌ा कानय खीजय लागल, आऽ पैघ व क को बदमाश िव ाथीर्कँे बाजाबए हेतु गेल। फेर घ ुिर कए जे आयल

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    मानुषीिमह ससं्कृताम ्

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    तँ ओकर कानब-खीजब ब भए गेल छलैक, हमरा कहलक जे हमर भा नीक अिछ जे जकरा ओऽ बजाबए गेल छल से आइ लू निह आएल अिछ।

    द ूतीन िदन धिर हम ई गुन-धनु करैत रहलह ुँ जे ओऽ ओिह बदमाशकँे बजाऽ कए निह आिन लए। ओिहना िकछु िद का बाद ओकरा फेर को दोसर छौड़◌ास ँ झगड़◌ा भेलैक आऽ ओिह िदन ओऽ हीरो छौड़◌ा लू आएल छल। हमरे सोझामँे ओऽ हमर कक्षामे आएल आऽ एक फैट पेटमे दोसर िव ाथीर्कँे मारलकैक। ो बचबए लेल तँ निह गेलैक मुदा बादमे जखन एकटा ासमे िशक्षक निह अएलाह आऽ िव ाथीर् सभ खाली गप शप कए रहल छल तखन एिह बातक िनण र्य भेल जे आब ओिह िव ाथीर्स ँ ो गप निह करत आऽ ास टीचरस ँ एिह गपक िशकाइत कएल जायय जािहस ँओऽ ओिह बदमाश िव ाथीर्क ास टीचरकँे एिह घटनाक िवषयमे बताबिथ। आब ओऽ िपनकाह िव ाथीर् शुक-पाक करए लागल।फेर ओिह िव ाथीर्क लग गेल ओकरा कान भड़ि◌ कए आयल जे सभ ओकरा िव मे चािल चिल रहल अिछ। ओऽ बदमाश आिब कए सभकँे उठबाक लेल कहलक, मुदा ो निह उठल। त ओऽ हमरा कहलक जे उठ।ू हम उिठ गेलह ुँ आऽ तखन ओिहना एक-एक कऽ कए तीन चािर गोते कँे उठेलक आऽ फेर सभकँे उठबाक लेल कहलक। सभ उिठ गेल। तखन सभकँे धमकी देमय लागल। मुदा एिह बेर हमर सभक ास मोनीटर िकछु िह तस ँकाज लेलक आऽ ओकरा ओिह छौड़◌ाक िवषयमे कहए लागल। हमरा देखाय कए कहलक जे एकरा देखैत छी? किनयो बदमाश लगैत अिछ, एकरो अहाकँ नाम लऽ कए दबाड़ि◌ रहल छल। ओऽ छौड़◌ा तँ ह ु छल से

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    ओकर पारा चढ़ि◌ गेलैक आऽ हमर व क िपनकाहा छौड़◌ाकँे चेतौनी देलकैक जे आइ िदनस ँक त िखजैत ओकरा लग निह आओत आऽ ओकर नाम लऽ कए ककरोस ँझगड़◌ा निह करत।

    एिहना लू चिल रहल छल आिक एक िदन एकटा छौड़◌ा व मे िपहकी मािर देलकैक। ओऽ छौड़◌ा बीचिहमे ब ई भािग गेल छल बाल कलाकार बिन कए। घ ुिर कए आयल तँ व िशक्षक पुछलि जे िकएक घ ुिर अएलह ुँ तँ कहलकि जे सभ कहलक जे एतय तँ सभ बी.ए., एम.ए. अिछ, अहा ँ कमस ँ कम मैि को कए िलअह। आब िपहकीक बाद व िशक्षक पढ़◌ाइ छोड़ि◌ कए ओकर अ षेणमे लािग गेल। िपहकी कोन िदिशस ँआयल। बहमुतक आधार पर एक कातकँे छािँट देल गेल। आब आगसू ँआयल आिक पाछूस।ँ तािह आधार पर सेहो एकटा बेचं िनधा र्रण भए गेल। ओिह बेचं पर छह गोटे छलाह। आब ई िनधा र्रण होमए लागल जे बाम कातस ँआयल आिक दिहनस।ँ फेर छहमे स ँ द ूगोटेक िनधा र्रण बहमुतक आधार पर कएल गेल। ओिहमेस ँ एकटा हमरा लोकिनक ब इया हीरो छलाह, जिनकर ब इक िख ा िटिपनस ँलऽ कए लीजर ास धिर चलैत रहैत छल। मुदा एिह दनु ूगोटेमे १:१ केर टाइ भए गेल कारण ो मानए हेतु तैयार निह जे िपहकी के मारलि ।

    एकर बाद डायरी खाली छल। न बेटाकँे बजा कए डायरी दए देलि आऽ मा ई कहलि जे पढ़◌ाई पर ान िदअ। एिह बात पर लि त होएबाक को बात निह छल मुदा आ िणकँे हनुकर भाए बिहन एिह गपक लेल बहतु िदन धिर िकचिकचाबैत

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    मानुषीिमह ससं्कृताम ्

    30

    रहलाह। अ ुएक िदन ओऽ डायरीकँे फाड़ि◌ देलि , आऽ ई आ कथा क उप ास पणू र् होएबास ँपिहनिह खतम भए गेल।

    (अ वतर्ते) ४.महाका

    महाभारत –गजे ठाकुर(आगँा) ------

    ३. वन पव र्

    पािब युिधि रक आज्ञा चललाह अज ुर्न,

    पव र्त कैलास पर पार कए कऽ गधंमदन।

    तूणीर आऽ ध ष हनुकर सगंमे छल,

    साध ुजटाधारी तप ी अज ुर्नस ँपुछल।

    ई छी तपोभूिम शस् क काज निह को ,

    अज ुर्न कहल हम क्षा धम र् कहा ँछोड़ल।

    तावत शस् सेहो तािह ारे राखल अिछ,

    स भए इ अपन असल प धरल।

    मागँ ूव वर हमरास ँ स ा छी हम,

    िशक्षाक सगं िद ास् भेटय एिह क्षण।

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    31

    अज ुर्न अहाकँ ई लालसा पणू र् होयत मुदा,

    जाऊ िशवकँे स कए पाशुपत पाऊ।

    फेर देवगण देताह िद ास् अहाकँँे,

    ई शस् सभ मानव पर चलायब अिछ विजर्त,

    कहू अहा ँपािब करब की िद ास् सभ ई।

    शिक् -सचंय अिछ हमर उ े मा देव,

    कौरव छीनल अिछ रा छलस ँपर ,

    निह करब एकर को कु योग निह हम।

    इ क अ धा र्न भेलाक उ र अज ुर्नक,

    िशव तप ा कठोर छल होमय लागल।

    तखन पाव र्ती सगं िशव चललाह तपोभूिम,

    अज ुर्न पु बीिछ रहल छलाह अबैत क्षण,

    वाराह वनस ँिनकिल कए स खु आएल।

    जखनिहँ तूणीर ध ष रािख सधंान कएलक,

    िकरात वराहकँे ल कए दिृ आएल।

    दनु ूगोटे चलाओल वाण वाराह मारल,

    एिह बात पर दहुू गोटे झगड़◌ा बजारल।

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    32

    अज ुर्नक गप पर जखन ठठाइत िकरात,

    अज ुर्न ओकरा पर तखन वाण चलाओल,

    पर देिख निह घाव को कारक,

    अज ुर्न िकरात पर छल तलवार भाजँल।

    मुदा िकरातक देहस ँटकाराइत देरी,

    भेल अज ुर्नक ख क टकुड़◌ी छुबैत देरी।

    म यु शु भेल भेल अचेत अज ुर्न,

    उठल जखन शु कएल पजून कुलदेवक ओ;,

    पु पिहराए िशवकँे उठल गर छल ओऽ माला,

    िकरातक गरदिन म , देिख सा ागं कएल तिहखन।

    िकरात वेशधारी िशव कहल वर मागँ अज ुर्न,

    पाशुपत अस् मागँल छोड़ब रोकब सीखल पुिन।

    िशव कहल बझु ूमुदा ई त अिछ जे,

    म क ऊपर एकर योग कखनह ुकरब निञ।

    तखन अज ुर्न िनकिल गेल इ लोक िदशामे,

    पािब िद अस् क िशक्षा मारल असुर ओिहस।ँ

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    33

    एक िद क गप उव र्शा आयिल करैत याचना मक,

    अज ुर्न कहल अहा ँतँ छी अ रा गु इ क।

    माता तु भेलह ुँ ओिह सबंधंस ँअहा ँहमर,

    आयल छी हम एतय िशक्षा ाि क लेल शस् क,

    तप ा न ृ क आऽ सगंीतक करए भोग निह,

    तािह दिृ ये अहा ँभेलह ुँ हमर माता गु द ु ।

    उव र्शी तखन देलक ओकरा शाप ई टा,

    कािमनीक अहा ँशाप सुन ूिनवीर्य र् रहब अहा,ँ

    वष र् भिर मुदा िकएक तँ कहल माता,

    शाप ई पुिन बनत वरदान िक सकब अहा।ँ

    पा व जन सेहो पािब रहल ऋिष मुिनस ँिशक्षा,

    समाचार देलि नारद अज ुर्नक कहल आएत,

    लोमश ऋिष आिब समाचार अज ुर्नक सुनाएत।

    िकछु िदनमे लोमश ऋिष अएलाह ओतए,

    कहल ा कए पाशुपत िशवस ँकैलासमे,

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    मानुषीिमह ससं्कृताम ्

    34

    अज ुर्न देवलोकमे ा िद ाशस् कएल,

    न ृ सगंीतक िशक्षा अ रा गधंव र्गणस ँ

    लए रहल िशक्षा अज ुर्न देवलोकमे सनजमस।ँ

    तखन ऋिष तीथा र्टन कराऊ हमरा लोकिनकँे,

    लोमश तखन गेलाह िमषार पा व सगं।

    याग गया गगंासागर पुिन टिप किलगं पह ुँचल,

    पि म िदिश भासतीथ र् यादवगण जतए छल।

    ागत भेल ओतए सुभ ा िमलिल ौपदीस,ँ

    बलराम कृ क सा ं ना पािब बढ़ल आगा,ँ

    सर ती पार कए क ीर आऽ गधंमादन पव र्त,

    पार कए चढ़ल पव र्त एक वषा र् आऽ िशलापतन िबच।

    पह ुँ िच गेलाह बदिरका म िव ाम कएल ठहिर।

    ओतिह दःुशला पित जय थ का क वनस,ँ

    छल जाऽ रहल देखल ौपदीकँे असगर ओतए,

    पा वगण गेल छल िशकारक लेल तखन।

    बैसल कुटीमे िववाह ाव देल ौपदीकँे,

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    35

    नीचता देिख ौपदी कठोर वचन जखन कहल,

    रथमे लए भागल अपहरण कए द ु जय थ।

    आ म आिब पािब समाचार भीम ओकरा पर छुटल,

    तखनिह अज ुर्न सेहो आएल पाछू जय थक गेल,

    युिधि र कहल ाणदान देब पित दःुशलाक छी ओऽ,

    जय थ देखल अबैत दनु ूभाएकँे ौपदीकँे छोड़ि◌ भागल,

    भीम पटिक बाि आनल ओकरा ौपदीक सोझा,ँ

    ौपदी अपमािनत कए छोड़बाओल ओकरा।

    िशवक तप ा कएल जय थ वरदान मागँल,

    िजतबाक पाचूँ पा वस ँकहल िशव ई,

    निह हारब अहा ँको भाएस ँअज ुर्नकँे छोड़ि◌।

    कण र् छल तप ा कए रहल अज ुर्नकँ हरएबाले,

    इ सोचल शरीरक कवच कु ल अछैत ओऽ,

    हारत निह ककरहसु ँदानवीर परा मी ओऽ छल।

    सोिच ओकरास ँहम मागँब कवच कु ल,

    देिख ई सयू र् कएलि होऊ सचेत अज ुर्न,

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    36

    आिब रहल इ छ वेषमे याचना करत ई,

    कवच कु ल छोड़ि◌ िकछु मागँत निह ओऽ।

    कहल कण र् याचककँे हम निह निञ कहब ण,

    ण हमर निह टूटत चाहे जे पिरणाम होमए।

    तखनिह िव वेशमे इ आिब दहु ुव ुमागँल,

    ठोढ़ पर मम र्क मु ी कण र्क हाथ शस् आयल,

    कािट देहस ँकवच कु ल समिप र्त कएल तखनिह,

    इ देल वर मागँ ूछोड़ि◌ ई व हमर आर िकछुओ,

    अमोघ शिक् मागँल कण र् इ देलि किह कए,

    मारत जकरा पर चलत पुिन घरुत लग हमर आयत।

    श ः-श ः छल बीित रहल बारह वष र् एिहना,

    एक वष र्क अज्ञातवासक िवषयमे िवचािर रहल,

    िवचािर युिधि र रहल भाय आऽ ौपदीक सगं,

    तख क त िखजैत एकटा िव आएल,

    कहल अरणीक लकुड़◌ी छल कुटीक बाहर टागँल,

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    37

    हिरण एक आिब कुरयाबय लागल ओिहस,ँ

    जाए काल िसहंमे ओझरायल अिरणी ओकर,

    िवि त भागल ओऽ लए हमर लकुड़◌ी,

    कोना कए होमक अि आनब िचि त छी।

    िव क सगं पाचँो भायँ हिरणकँे खेहारल,

    मुदा छल ओऽ चपल भए गेल ओझल।

    वरक गाछक नीचा ँओऽ सभ लि त िपयासल,

    ठेिहआयल बैसल नकुल गेल सरोवर पािन आनए।

    एकटा िन आएल ई चभ ा हमर छी,

    उ र हमर क िब दे पािन निञ भेटत ई।

    निह कान देल ओिह गप पर हकासल िपयासल,

    पािन जख िपएल अरड़◌ा कए मतृ ओऽ खसल।

    सहदेवक सगं सेहो एह घटना घटल छल,

    अज ुर्न जखन आएल फेर वैह िन सुनल,

    श भेदी बाण छोड़ल मुदा निह को ितफल,

    पािन पीबैत देरी ओहो मतृ भए खसल छल।

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    38

    युिधि र भए िचि त भीमकँे पठाओल ताकए,

    पािन पीिब मतृ भए निह घरुल ओतए।

    युिधि र जखन वन बीच सरोवर पह ुँचल,

    मतृ भाए सभकँे देिख ाकुल पािनमे उतरल।

    वैह िन आएल उ रक िबना ासल रहब,

    होएत एिह तरहक पिरणाम जौ ँध ृ ता करब।

    ई अिछ को यक्ष सोिच युिधि र बाजल,

    पुछू उ र स क देब शु भेल यक्ष।

    म क सगं के अिछ दैत? थमतः ई बाज,ू

    धैय र् टा दैछ सगं म क सिदखन सोकाज।ू

    यशलाभक अिछ कोन उपाय एकटा?

    दान िब यश निह भेटैछ को टा।

    वायुस ँ िरत अिछ कोन व ?ु

    मनक आगा ँवायुक गित निह कतह ु।

    वासीक सगंी अिछ के एकेटा?

    िव ाक इतर निह सगंी एकोटा।

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    39

    ककरा िज कए म कँे भेटैछ मुिक् ?

    अहं छोड़ल तखन भेटत िवमुिक् ।

    कोन व कु हराएलास ँनिह होइछ मन दःुिखत?

    ोधक हरएलास ँिकए होयय ो शोिकत।

    कोन व कु चोिरस ँहोइछ म धिनक?

    लोभक क्षित बनबैछ पु सबिहँ।

    ा ण ज , िव ा, शील कोन गप पर अवलि त?

    शील भाव िब ा ण रहत निह िकछु।

    धम र्स ँबढ़ि◌ अिछ की जगतमे?

    उदार मनिस उ पद सभस।ँ

    कोन िम निह होइत अिछ पुरान?

    स नस ँकएल गेल िम ाताक कोना अवसान।

    सभस ँपैघ अ तु की अिछ एिह जगमे?

    म ृ ुसभ िद देखनह ुअछैतो जीवन लालसा,

    एिहस ँबढ़ि◌ अ तु आ य र् अिछ की?

    स िच भए यक्ष कहल युिधि र कहू,

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    40

    को एक भाएकँे हम जीिवत कए सकब।

    तखन नकुलकँे कए िदअ जीिवत,

    सुिन यक्ष पछूल कहब तँ भीम अज ुर्न को कँे,

    जीिवत करब जकर रण कौशल करत रक्षा।

    धम र्राज कहल धम र्क िबना निह होइछ रक्षा,

    कु ी पु हम युिधि र िजबैत छी,

    मा ी मातुक पु िजबथ ुनकुल सहै उिचत।

    सुिन कहल िहरण वेशधारी यमराज हे पु ,

    पक्षपात रिहत छी अहा ँतँे सभ भाए जीबथ।ु

    पु कँे देिख मोन भेलि यमक,

    पा व गण तखन घ ुिर ौपदीक लग गेलाह।

    ४. िवराट पव र्

    (अ वतर्ते) ५. कथा

    १०.फूिस-फटक

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    मानुषीिमह ससं्कृताम ्

    41

    “को काज भेला पर हमरास ँ कहब। कल रक ओिहठाम भोर-साझँ बैसारी होइत अिछ हमर। घटंाक-�