volume-35 ई पत्रिका - nppballia.innppballia.in/documents/e_news letter/fe-ballia...

18
E-Newsletter November-2018 1 Ballia Sandesh -पिका Volume-35 01-11-2018 To 30-11-2018

Upload: vuliem

Post on 29-Aug-2019

225 views

Category:

Documents


0 download

TRANSCRIPT

  • E-Newsletter November-2018 1

    Ballia

    San

    desh

    ई-पत्रिका Volume-35

    01-11-2018 To 30-11-2018

  • E-Newsletter November-2018 2

    नगर पालिका पररषद, बलिया के नगरवालियों को नवम्बर 2018 के ई-पत्रिका बलिया िंदेश में स्वागत है | नवम्बर माह में हुये ववकाि कायो को ई-पत्रिका बलिया िंदेश के द्वारा आपिब को बताना चाहता ह ूँ | बलिया नगर पालिका प्रत्येक माह ई-पत्रिका बलिया िंदेश के द्वारा नगर पालिका में हुये ववकाि कायो को आपिब के िामने िाने का प्रयाि करता है , जिििे बलिया नगर पालिका पररषद के ववकाि और नई योिनाओं िे िाभाजववत हो िके | नगर पालिका पररषद बलिया का एक माि उद्दशे्य नगर पालिका का ववकाि है | जििमे त्रबना ककिी भेद-भाव, िभी िमदुायों के िोगो को एकिाथ िेकर आगे बढने का उदे्दश्य है | जििके लिए नगर पालिका पररषद बलिया के ननवालियों को इिमें िहयोग महत्वप र्ण है, और नगर पालिका इिका उम्मीद करता है | नगरवालियों िे अपीि है की नगर को स्वच्छ और िवुदर बनाने में नगर पालिका की मदद करे | अपने आि-पाि िाफ-िथुरा रखे| क ड़ा-कचरा डस्टत्रबन में रखे , गवदगी न फैिाये | आने वािा कि अच्छा हो इिके लिये आि बेहतर बनायें |

    बलिया संदेश

    (अधिशाषी अधिकारी)

    श्री अजय कुमार

    (अध्यक्ष)

    श्री ददनेश कुo विश्िकमाा

  • E-Newsletter November-2018 3

    Mr. Dinesh Kumar Vishwakarma

    (Executive Officer)

    I am happy to present the November 2018 issue to all of you. A number of

    projects have been commissioned in the month of November. The former

    will help smoothen the flow of traffic, reduce the travel time of citizens,

    ease the congestion and reduce pollution on Nagar Palika Parishad Ballia’s

    road. There have been a lot of lessons to learned and these insights will cer-

    tainly stand in good stead with us in our endeavors in future. The one thing

    that stands out is the most active participation of citizens. We, the residence

    of the Nagar Palika Parishad Ballia respective of ages, castes, creeds, reli-

    gions, localities have untidily participated in creation of Ballia’s Swachh

    Nagar Palika Parishad proposal. As I look into the future with great expecta-

    tion, it is this one aspect of the municipality which gives me the greatest

    hope. We in the Nagar Palika Parishad Ballia, would be very happy to re-

    ceive your feedbacks on all matters that you feel are important.

    बलिया संदेश

  • E-Newsletter November-2018 4

    I am delighted to present the tasks and issue of Ballia Nagar Palika by e-

    Patrika Ballia Sandesh in November 2018. Nagar Palika Parishad Ballia is

    grateful to the citizens who displayed tremendous enthusiasm and whole

    heartedly participated in numerous activities throughout this period. All of

    us should bear in mind that this is not end but a beginning of the exercise

    pertaining to development and Swachh Mission program. The coming times

    will surely be very hectic and eventful. Ballia promises to leave no room for

    complacency and will work even harder to achieve the targets. We solicit ac-

    tive participation from the citizens in our endeavor. We sincerely believe

    that decisions taken by Nagar Palika Parishad Ballia should benefit Nagar

    Palika Parishad Ballia and the citizens in the ultimate analysis. Many pro-

    jects process in work in Nagar Palika Parishad Ballia for development our

    Nagar Palika and citizens. Thanks to all citizens of Nagar Palika Parishad

    Ballia for supporting to develop Ballia.

    Mr. Ajay Kumar (Chairman)

    बलिया संदेश

  • E-Newsletter November-2018 5

    दीिािी की हाददाक शुभकामनायें ! भारत में दहन्दओुं द्िारा मनाया जाने िािा सबसे बडा त्योहार है। दीपों का खास पिा होने के कारण इस ेदीपाििी या ददिािी नाम ददया गया। दीपाििी का मतिब होता है, दीपों की अििी यानन पंक्तत। इस प्रकार दीपों की पंक्ततयों से सुसक््ज त इस त्योहार को दीपाििी कहा जाता है। इस ददन ि्मी के पजजन का विशषे वििान है। रात्रि के समय प्रत्येक घर में िनिान्य की अधिष्ठािी देिी महाि्मीजी,विघ्न-विनाशक गणेश जी और विद्या एिं किा की देिी मातेश्िरी सरस्िती देिी की पजजा-आरािना की जाती है। ब्रह्मपुराण के अनुसार कानताक अमािस्या की इस अिेंरी रात्रि अर्ाात अिारात्रि में महाि्मी स्ियं भजिोक में आती हैं और प्रत्येक सद्गहृस्र् के घर में विचरण करती हैं। जो घर हर प्रकार से स्िच्छ, शुद्ध और सुंदर तरीके से सुसक््जत और प्रकाशयुतत होता है िहां अशं रूप में ठहर जाती हैं और गंदे स्र्ानों की तरफ देखती भी नहीं। इसलिए इस ददन घर-बाहर को खजब साफ-सुर्रा करके सजाया-संिारा जाता है। कहा जाता है कक दीपाििी मनाने से ि्मीजी प्रसन्न होकर स्र्ायी रूप से सदगहृस्र्ों के घर ननिास करती हैं। त्योहारों का जो िातािरण िनतेरस से प्रारम्भ होता है,िह इस ददन पजरे चरम पर आता है। यह पिा अिग-अिग नाम और वििानों से पजरी दनुनया में मनाया जाता है। इसका एक कारण यह भी कक इसी ददन अनेक विजयश्री युतत काया हुए हैं। बहुत से शुभ कायों का प्रारम्भ भी इसी ददन से माना गया है। इसी ददन उ्जैन के सम्राट विक्रमाददत्य का राजनतिक हुआ र्ा। विक्रम संित का आरंभ भी इसी ददन स ेमाना जाता है। यानी यह नए िषा का प्रर्म ददन भी है। इसी ददन व्यापारी अपने बही-खाते बदिते हैं तर्ा िाभ-हानन का ब्यौरा तैयार करते हैं। हर प्रातं या क्षेि में दीिािी मनाने के कारण एिं तरीके अिग हैं पर सभी जगह कई पीद़ियों से यह त्योहार चिा आ रहा है। िोगों में दीिािी की बहुत उमंग होती है। िोग अपन ेघरों का कोना-कोना साफ करते हैं, नये कपड ेपहनते हैं। लमठाइयों के उपहार एक दजसरे को बांटते हैं,एक दजसरे से लमिते हैं। घर-घर में सुन्दर रंगोिी बनाई जाती है, ददये जिाए जाते हैं और आनतशबाजी की जाती है। बड ेछोटे सभी इस त्योहार में भाग िेते हैं। यह पिा सामजदहक ि व्यक्ततगत दोनों तरह से मनाए जाने िािा ऐसा विलशष्ट पिा है जो िालमाक,सांस्कृनतक ि सामाक्जक विलशष्टता रखता है। अिंकार पर प्रकाश की विजय का यह पिा समाज में उल्िास, भाईचारे ि प्रेम का संदेश फैिाता है।

  • E-Newsletter November-2018 6

    गोििान पजजा

    गोििान पजजा को दीिािी के अगिे ददन बाद मनाया जाता है। गोििान पजजा पंजाब, हररयाना, उत् तर प्रदेश और त्रबहार में काफी प्रलसद्ध है। परंपरा के अनुसार इस ददन खास तौर पर गाय के गोबर से गोििान पहाड बनाया जाता है, क्जसे गोििान पहाड के नाम से जाना जाता है। गोििान पजजा को अन्नकज ट पजजा के नाम से भी जाना जाता है। इस ददन घरों में गाय के गोबर से गोििाननार् जी की छवि बनाकर उनका पजजन ककया जाता है तर्ा अन्नकज ट का भोग िगाया जाता है। यह परंपरा द्िापर युग से चिी आ रही है। श्रीमद्भागित में इस बारे में कई स्र्ानों पर उल्िेख प्राप्त होत ेहैं। उसके अनुसार भगिान कृष्ण ने ब्रज में इंद्र की पजजा के स्र्ान पर कानताक शुति प्रनतपदा के ददन गोििान पिात की पजजा आरंभ करिाई र्ी। इस संबंि में एक िोकवप्रय कर्ा है। कर्ानुसार भगिान श्री कृष्ण ने इंद्र का अलभमान चजर करने के लिए गोििान पिात को अपनी छोटी उंगिी पर उठाकर संपजणा गोकज ि िालसयों की इंद्र के कोप से रक्षा की र्ी। जब इन् द्र का अलभमान चजर हो गया तब उन् होने श्री कृष् ण से क्षमा मांगी। सात ददन बाद श्री कृष्ण ने गोििान पिात नीचे रखा और ब्रजबालसयों को प्रनतिषा गोििान पजजा और अन्नकज ट पिा मनाने को कहा। तभी से यह पिा मनाया जाता है।

  • E-Newsletter November-2018 7

    भाई दजज भाई दजज का त्योहार भाई बहन के स्नेह को सदृृढ करता है । यह त्योहार ददिािी के दो ददन बाद मनाया जाता है। दहन्दज िमा में भाई-बहन के स्नेह-प्रनतक त्योहार मनाये जाते है-एक रक्षाबंिन जो श्रािण मास की पजर्णामा को मनाया जाता है । इसमें भाई बहन रक्षा की प्रनतज्ञा करता है । दजसरा त्योहार ' भाई दजज ' का होता है इसमें बहन भाई की िम्बी आयु की प्रार्ाना करती है । भाई दजज का त्योहार कानताक मास की दवु्तीय को मनाया जाता है ।

    भाई दजज व्रत कर्ा :- छाया भगिान सजयादेि की पत्नी हैं क्जनकी दो संतान हुई यमराज तर्ा यमुना. यमुना अपने भाई यमराज से बहुत स्नेह करती र्ी. िह उनसे सदा यह ननिेदन करती र्ी िे उनके घर आकर भोजन करें. िेककन यमराज अपने काम में व्यस्त रहने के कारण यमुना की बात को टाि जाते रे्। एक बार कानताक शुति द्वितीया को यमुना ने अपने भाई यमराज को भोजन करने के लिए बुिाया तो यमराज मना न कर सके और बहन के घर चि पड।े रास्ते में यमराज ने नरक में रहनेिािे जीिों को मुतत कर ददया। भाई को देखते ही यमुना ने बहुत हवषात हुई और भाई का स्िागत सत्कार ककया। यमुना के प्रेम भरा भोजन ग्रहण करने के बाद प्रसन्न होकर यमराज ने बहन से कुछ मांगने को कहा। यमुना ने उनसे मांगा कक- आप प्रनतिषा इस ददन मेरे यहां भोजन करने आएंगे और इस ददन जो भाई अपनी बहन से लमिेगा और बहन अपने भाई को टीका करके भोजन कराएगी उसे आपका डर न रहे। यमराज ने यमुना की बात मानते हुए तर्ास्तु कहा और यमिोक चिे गए। तभी से यह यह मान्यता चिी आ रही है कक कानताक शुति द्वितीय को जो भाई अपनी बहन का आनतथ्य स्िीकार करते हैं उन्हें यमराज का भय नहीं रहता ।

  • E-Newsletter November-2018 8

    गरुु नानक जयंती की हाददाक शुभकामनाएँ ! श्री गुरु नानक देि जी का जन्म 15 अप्रैि,1469 में गाँि तििंडी, शइेखपुुरा डडक्स्ितट में हुआ जो की िाहौर पाककस्तान से 65 KM पक्श्चम में क्स्तर् है। उनके वपता बाबा कािजचदं्र बेदी और माता त्रिपता नें उनका नाम नानक रखा। उनके वपता गाँि में स्र्ानीय राजस्ि प्रशासन के अधिकारी रे्। अपने बाल्य काि में श्री गुरु नानक जी नें कई प्रादेलशक भाषाएँ लसखा जैसे फारसी और अरबी। उनका वििाह िषा 1487 में हुआ और उनके दो पुि भी हुए एक िषा 1491 में और दजसरा 1496 में हुआ। िषा 1485 में अपने भैया और भाभी के कहने पर उन्होंने दौित खान िोिी के स्टोर में अधिकारी के रूप में ननकुक्तत िी जो की सुल्तानपुर में मुसिमानों का शासक र्ा। िही पर उनकी मुिाकात एक मुक्स्िम किी के सार् हुई क्जसका नाम र्ा लमरासी। िषा 1496 में उन्होंने अपना पहिा भविष्यिाणी ककया – क्जसमें उन्होंने कहा कक “कोई भी दहन्दज नहीं और ना ही कोई मुस्िमान है” और कहा कक यह एक महत्िपजणा घोषणा है जो ना लसफा आदमी के भाईचारा और परमेश्िर के वपततृ्ि की घोषणा है, बक्ल्क यह भी स्पष्ट है की मनुष्य की प्रार्लमक रूधच ककसी भी प्रकार के अध्याक्त्मक लसिांत में नहीं है, िह तो मनुष्य और उसके ककस्मत में हैं। इसका मतिब है अपने पडोसी से अपने क्जतना प्यार करो। गुरु नानक जी नें अपने लमशन की शुरुिात मरदाना के सार् लमि के ककया। अपने इस सन्देश के सार् सार् उन्होंने कमज़ोर िोगों के मदद के लिए ज़ोरदार प्रचार ककया उन्होंने अपने लसद्धांतो और ननयमों के प्रचार के लिए अपने घर तक को छोड ददया और एक सन्यासी के रूप में रहने िगे। उन्होंने दहन्दज और मुस्िमान दोनों िमों के विचारों को सक्म्मलित करके एक नए िमा की स्र्ापना की जो बाद में लसख िमा के नाम से जाना गया। भारत में अपने ज्ञान के प्रसार के लिए कई दहन्दज और मुक्श्िम िमा की जगहों का भ्रमण ककया। पुरे भारत में अपने ज्ञान को बाँटने के पश्चात उन्होंने मतका मदीना की भी यािा की और िहां भी िोग उनके विचारों और बातों से अत्यंत प्रभावित हुए। क्जस जगह पर गुरु नानक जी नें उन गरीब और संत व्यक्ततयों को भोजन र्खिाया र्ा िहां सच्चा सौदा नाम का गुरुद्िारा बनाया गया है। आर्खर में अपनी 25 िषा की यािा के बाद श्री गुरु नानक देि जी करतारपुर, पंजाब के एक गाँि में ककसान के रूप में रहने िगे और बाद में उनकी मतृ्यु भी िही हुई। भाई गुरुदास क्जनका जन्म गुरु नानक के मतृ्यु के 12 िषा बाद हुआ बचपन से ही लसख लमशन से जुड गए। उन्हें लसख गुरुओं का प्रमुख चनुा गया। उन्होंने लसख समुदाय जगह-जगह पर बनाया और अपने बैठक के लिए सभा बनाया क्जन्हें िरमशािा के नाम से जाना जाता है। आज के ददन में िरमशािाओं में लसख समुदाय गरीब िोगों के लिए खाना देता है।

  • E-Newsletter November-2018 9

    बाि ददिस की हाददाक बिाई ! पंडडत िवाहर िाि नेहरू का िवम 14 नवंबर 1889 को इिाहबाद में हुआ था। उनके िवमददन को बाि ददवि के रूप में मनाया िाता है। नेहरू िी का बच्चों िे बड़ा स्नेह था और वे बच्चों को देश का भावी ननमाणता मानत ेथे। बच्चों के प्रनत उनके इि स्नेह भाव के कारर् बच्च ेभी उनिे बेहद िगाव और पे्रम रखत ेथे और उवहें चाचा नेहरू कहकर पकुारत ेथे। यही कारर् है कक नेहरू िी के िवमददन को बाि ददवि के रूप में मनाया िाता है। इिे नेहरू ियंती कहें या कफर बाि ददवि, यह ददन प र्णत: बच्चों के लिए िमवपणत है। इि ददन ववशषे रूप िे बच्चों के लिए कायणक्रम एवं खेि-क द िे ि ड़ ेआयोिन होत ेहैं। बच्च ेदेश का भववष्य हैं, वे ऐिे बीि के िमान हैं जिवहें ददया गया पोषर् उनके ववकाि और गुर्वत्ता ननर्ाणररत करेगा। यही कारर् है कक इि ददन बच्चों िे िुड़ ेववलभवन मदु्दों िैिे लशक्षा, िंस्कार, उनकी िेहत, मानलिक और शारीररक ववकाि हेतु िरूरी ववषयों पर ववचार ववमशण ककया िाता है। कई स्क िों व िंस्थानों में बाि मेिा एवं प्रनतयोगगताएं भी आयोजित की िाती हैं, ताकक बच्चों की क्षमता और प्रनतभा को और बढावा लमिे। इि ददन ववशषे रूप िे गरीब बच्चों को म िभ त िवुवर्ाएं महैुया कराने एवं बाि श्रमृ एवं बाि शोषर् िैिे गंभीर मदु्दों पर भी ववचार ववमशण ककया िाता है। बच्च ेनािुक मन के होते हैं और हर छोटी चीि या बात उनके ददमाग पर अिर डािती है। उनका आि, देश के आन ेवािे कि के लिए बेहद महत्वप र्ण है। इिलिए उनके कक्रयाकिापों, उवहें ददए िाने वािे ज्ञान और िंस्कारों पर ववशषे रूप िे ध्यान ददया िाना चादहए। इिके िाथ ही बच्चों की मानलिक और शारीररक िेहत का ख्याि रखना भी बेहद िरूरी है। बच्चों को िही लशक्षा, पोषर्, िंस्कार लमिे य ह देशदहत के लिए बेहद अहम है, ्योंकक आि के बच्च ेही कि का भववष्य है।

  • E-Newsletter November-2018 10

  • E-Newsletter November-2018 11

  • E-Newsletter November-2018 12

  • E-Newsletter November-2018 13

  • E-Newsletter November-2018 14

  • E-Newsletter November-2018 15

  • E-Newsletter November-2018 16

  • E-Newsletter November-2018 17

    स्िच्छ भारत लमशन के अन्तगात खुिे मे शौच से मुक्तत के सम्बन्ि में जागरूकता हेतु एक मालमाक अपीि

    जागो युिा जागो स्िच्छ भारत है तुम्हारा अधिकार िेककन पहिे उठाओं पहिे कताव्य का भार मैं नही ंतज , तज नहीं मैं सदा करत ेहै तज तज मैं मैं करो कोई भी अच्छा काम

    ब़िाये जो भारत देश का नाम देश की िरोहर पर है सबका अधिकार कफर तयज ँहै इसकी सफाई से इनकार

    नहीं है कोई बहुत बडा उपकार बस करना है जीिन में बदिाि शहर को मानकर घर अपना

    ननमाि स्िच्छ है उसे भी रखना कज ड ेदान में फें को कज डा हर जगह न फें को पुडा

    र्जकने को नहीं है िरती मयैा बदिो अपनी आदत भयैा

    न करो ककसी पडोसी का इंतजार देश है सबका ब़िाओ स्िच्छता अलभयान

    स्िच्छ भारत लमशन

    श्री ददनेश कुo विश्िकमाा श्री अजय कुमार ( अधिशाषी अधिकारी ) ( अध्यक्ष )

  • E-Newsletter November-2018 18

    : www.fageosystems.in

    : [email protected]

    Tel/Fax : 01204349756

    Ballia Sandesh