दिव्य मातंगी कवच

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।। ददददद दददददद ददद ।। ददददददददददददद दददद-दददद दद ददद – दद ददददददद दद दददददददद दददददददद दद दददद-दददददद- ददददददददद दददददद-ददद ददद ददददद दद, दद ददद दद ददददद दददद।। दददद ददददद दददद ।। ददददद दद ददद – दद ददददद ददददद दददददद-ददद दददद ददद, दददद दद ददद-ददददद दद ददद दद ददददद दददद, दददद दददद दद ददददद दददददददद- द दददद दददददददददद-दददददद दददद ददददददद- ददददददद दददद द दददददद ददददद द दददददददददद ददददद द ददददददददद-ददददददद ददद दददददददद द ददददददद-दददददद- दददद ददददददद-ददददददद दददद ददद ददददद दददददद दददददद ददद दददद दददददददददद ददददददद ददद दददद ददददददददद-ददददददद ददद ददददददददद ददद दददददददद द ।। ददद ददद-ददददददद ।। द दददद दददददददद दददद, ददददददद दद ददददददद ददददद दददद-ददददद, दददददददद दददद दद ।।

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Matangi

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Page 1: दिव्य मातंगी कवच

।। दि�व्य मा�तं�गी कवच ।। श्री��व्य�व�च  श्री�-दे�वी� ने� कहा – हा� महादे�वी। हा� सु रे�श्वरे। मने ष्यों� क� सुवी�-सिसुद्धि�-प्रदेदिदेव्य मतं�गी�-कवीच अतितं उत्तम हा#, उसु कवीच क� म झसु� कतिहाए। 

।। श्री ईश्वर उव�च ।। ईश्वरे ने� कहा – हा� दे�तिवी। उत्तम मतं�गी�-कवीच कहातं हूँ(, सु ने�। हा� महा-दे�तिवी। इसु कवीच क� गी प्तं रेखने, म,ने� हा�करे जप करेने।विववि�यो�गी�- ॐ अस्यों श्री�मतं�गी�-कवीचस्यों श्री� देक्षि2णा-म4र्तिःतं67 ऋति97 । तिवीरेट्; छन्दे7 । श्री�मतं�गी� दे�वीतं । चतं वी�गी�-सिसु�यों� जप� तिवीतिनेयों�गी7 । ऋष्यो�दि�-न्यो�सः�- श्री� देक्षि2णा-म4र्तिःतं67 ऋ9यों� नेम7 सि>रेसिसु । तिवीरेट्; छन्देसु� नेम7 म ख� । श्री�मतं�गी� दे�वीतंयों# नेम7 हृदिदे । चतं वी�गी�-सिसु�यों� जप� तिवीतिनेयों�गीयों नेम7 सुवी@गी� । ।। मा�ल कवच-स्तं�त्र ।।

ॐ शि#र� मा�तं�विगी� पा�तं�, भु�व��# तं� चक्षु�षी । तं�डल� कर्ण*-यो�गील�, वित्रपा�र� व��� मामा ।।पा�तं� कण्ठे� माहा�-मा�यो�, हृदि� मा�हा�श्वर तंथा� । वित्र-पा�ष्पा� पा�श्व*यो�� पा�तं�, गी��� क�मा�श्वर मामा ।।ऊरु-द्वयो� तंथा� चण्ड, जं�घयो�श्च हार-वि6यो� । माहा�-मा�यो� मा��-यो�ग्मा�, सःव�8गी�षी� क� ल�श्वर ।।अं�गी 6त्यो�गीक� च;व, सः�� रक्षुतं� व;ष्र्णव । ब्रह्म-रन्घ्रे� सः�� रक्षु��?, मा�तं�गी ��मा-सः�स्थिAतं� ।।

रक्षु�न्निCत्यो� लल�टे� सः�, माहा�-विपा#�न्निच�वितं च । ��त्रयो�� सः�मा�खी रक्षु�तं?, ��व रक्षुतं� ��न्निसःक�मा? ।।माहा�-विपा#�न्निच� पा�यो�न्मा�खी� रक्षुतं� सःव*�� । लज्जा� रक्षुतं� मा�� �न्तं��?, च�ष्ठौH सःम्मा�जं*�-कर� ।।

न्निचबु�क� कण्ठे-��#� च, ठे-क�र-वित्रतंयो� पा��� । सः-विवसःगी* माहा�-��विव । हृ�यो� पा�तं� सःव*�� ।।��शिभु रक्षुतं� मा�� ल�ल�, क�न्निलक�ऽवतं? ल�च�� । उ�र� पा�तं� च�मा�ण्ड�, लिंलMगी� क�त्यो�यो� तंथा� ।।उग्र-तं�र� गी��� पा�तं�, पा��H रक्षुतं� च�म्बिम्बुक� । भु�जंH रक्षुतं� #व�*र्ण, हृ�यो� चण्ड-भु�षीर्ण� ।।जिजंह्वा�यो�� मा�तंRक� रक्षु�तं?, पा�वS रक्षुतं� पा�विTक� । विवजंयो� �शिक्षुर्ण� पा�तं�, मा�धा� रक्षुतं� व�रुर्ण� ।।

�;ऋ* त्यो�� सः�-�यो� रक्षु�तं?, व�योव्य�� पा�तं� लक्ष्मार्ण� । ऐ#�न्यो�� रक्षु�न्मा�� ��व, मा�तं�गी #�भुक�रिरर्ण ।।रक्षु�तं? सः�र�# च�ग्��यो�, बुगील� पा�तं� च�त्तर� । ऊर्घ्वंव8 पा�तं� माहा�-��विव । ��व���� विहातं-क�रिरर्ण ।।पा�तं�ल� पा�तं� मा�� वि�त्यो�, वशि#� विवश्व-रुविपार्ण । 6र्णव� च तंतं� मा�यो�, क�मा-वजं� च क� च*क� ।।मा�तं�विगी� ङे� -यो�तं�ऽस्त्र�, वह्नि]-जं�यो�ऽवन्निधापा�*�� । सः�र्द्धेSक��#-वर्ण�* सः�, सःव*त्र पा�तं� मा�� सः�� ।।

मतं�तिगीने� दे�वी� म�रे� मस्तंक कA रे2 करे�, भु वीने�श्वरे� दे� ने�त्रों� कA, तं�तंला दे�वी� दे� कणाE कA, तित्रोंप रे दे�वी� म�रे� बदेने-मण्डला कA, महा-मयों म�रे� कण्ठ कA, महा�श्वरे� म�रे� हृदेयों कA, तित्रोंप रे दे�ने� पश्वE कA औरे कम�श्वरे� म�रे� गी ह्य-दे�> कA रे2 करे�। चण्ड� दे�ने� ऊरु कA, रेतितं-तिप्रयों ज�घा कA, महा-मयों दे�ने� चरेणा� कA औरे क ला�श्वरे� म�रे� सुवी@गी कA रे2 करे�। वी#ष्णावी� सुतंतं म�रे� अ�गी-प्रत्यों�गी कA रे2 करे�, मतं�गी� ब्रह्म-रेन्घ्र मS अवीस्थाने करेक� म�रे� रे2 करे�। महा-तिप>सिचने� बरेबरे म�रे� लालाट् कA रे2 करे�, सु म ख� च2 कA रे2 करे�, दे�वी� नेसिसुक कA रे2 करे�। महा-तिप>सिचने� वीदेने क� पश्चादे;-भुगी कA रे2 करे�, लाज्जा म�रे� देन्तं कA औरे सुम्मज�ने�-हास्तं म�रे� दे� ओष्ठों� कA रे2 करे�।हा� महा-दे�तिवी। तं�ने ‘ठे� ’ म�रे� सिचब क औरे कण्ठ कA औरे तं�ने ‘ठे� ’ सुदे म�रे� हृदेयों-दे�> कA रे2 करे�। ला�ला म( म�रे� नेक्षिभु-दे�> कA रे2 करे�, कसिलाक च2 कA रे2 करे�, चम ण्ड जठरे कA रे2 करे� औरे कत्योंयोंने� लिंला6गी कA रे2 करे�। उग्र-तंरे म�रे� गी ह्य कA, अम्बिम्बक म�रे� पदे-द्वयों कA, >वी�णा� म�रे� दे�ने� बहुओं कA औरे चण्ड-भु49णा म�रे� हृदेयों-दे�> कA रे2 करे�। मत̀ंक रेसुने कA रे2 करे�, प ष्टिbक प4वी�-दिदे> कA तंरेफ, तिवीजयों देक्षि2णा-दिदे> कA तंरेफ औरे म�धा पक्षिश्चाम दिदे> कA तंरेफ म�रे� रे2 करे�। श्री� ने#ऋत्यों-क�णा कA तंरेफ, लाक्ष्मणा वीयों -क�णा कA तंरेफ, > भु-करिरेणा� मतं�गी� दे�वी� ई>ने-क�णा कA तंरेफ, सु वी�> अग्निhने-क�णा कA तंरेफ, बला उत्तरे दिदेक; कA तंरेफ औरे दे�वी-वी`न्दे कA तिहातं-करिरेणा� महा-दे�वी� ऊर्ध्ववी�-दिदेक; कA तंरेफ रे2 करे�। तिवीश्व-रुतिपक्षिणा वीसि>ने� सुवी�दे पतंला मS म�रे� रे2 करे�। ‘ॐ ह्रीं` क्ल` हूं� मा�तं�विगीन्यो; फटे? स्व�हा�” – योंहा सु�jकदे>-वीणा�-मन्त्रोंमयों� मतं�गी� सुतंतं सुकला स्थाने� मS म�रे� रे2 करे�।

।। फल-श्री�वितं ।।इवितं तं� कन्निथातं� ��विव । गी�ह्या�तं? गी�ह्या-तंर� पारमा� । त्र;ल�क्यो-मा�गील� ��मा, कवच� ��व-दुल*भुमा? ।।

यो� इ�� 6पाठे�तं? वि�त्यो�, जं�योतं� सःम्प��लयो� । पारमा;श्वयो*मातं�ल�, 6�प्नु�यो�C�त्र सः�#यो� ।।गी�रुमाभ्योर्च्ययो* विवन्निधा-वतं?, कवच� 6पाठे��? योदि� । ऐश्वयो8 सः�-कविवत्व� च, व�क? -न्निसःद्धिंर्द्धेM लभुतं� ध्रु�वमा? ।।वि�त्यो� तंस्यो तं� मा�तं�गी, माविहाल� मा�गील� चर�तं? । ब्रह्म� विवष्र्ण�श्च रुद्रश्च, यो� ��व� सः�र-सःत्तमा�� ।।

ब्रह्म-र�क्षुसः-व�तं�ल��, ग्रहा�द्या� भु�तं-जं�तंयो� । तं� दृT?व� सः�धाक� ��विव । लज्जा�-यो�क्ता� भुवम्बिन्तं तं� ।।

Page 2: दिव्य मातंगी कवच

कवच� धा�रयो��? योस्तं�, सःव�8 न्निसःशिर्द्धे लभु��? ध्रु�व� । र�जं���ऽविपा च ��सःत्व�, षीटे?-कमा�*शिर्ण च सः�धायो�तं? ।।न्निसःर्द्धे� भुववितं सःव*त्र, विकमान्यो;बु*हु-भु�विषीतं;� । इ�� कवचमाज्ञा�त्व�, मा�तं�गी` यो� भुजं�Cर� ।।

झल्पा�यो�र्नि�Mधा�� मा�खीv, भुवत्यो�व � सः�#यो� । गी�रH भुन्निक्ता� सः�� क�यो�*, कवच� च दृढा� मावितं� ।।हा� दे�तिवी। तं मसु� मkने� योंहा “त्र;ल�क्यो-मा�हा�” नेम क अतितं गी ह्य दे�वी दुला�भु कवीच कहा हा#। ज� तिनेत्यों इसुक पठ करेतं हा#, वीहा सुम्पक्षित्त क आधारे हा�तं हा# औरे अतं ला परेम#श्वयों� प्रप्तं करेतं हा#, इसुमS सु�>यों नेहाo हा#। योंथा-तिवीष्टिधा गी रु-प4ज करेक� उक्त कवीच क पठ करेने� सु� ऐश्वयों�, सु -कतिवीत्वी औरे वीक; -सिसुद्धि� तिनेश्चायों हा� प्रप्तं कA ज सुकतं� हा#। मतं�गी� उसु� तिनेत्यों नेरे�-सु�गी दिदेलातं� हा#। हा� दे�तिवी। ब्रह्म, तिवीष्णा , महा�श्वरे, दूसुरे� प्रधाने दे�वी-वी`न्दे, ब्रह्म-रे2सु, वी#तंला, ग्रहा आदिदे भु4तं-गीणा उसु सुधाक क� दे�खकरे लाज्जिज्जातं हा�तं� हाk।ज� व्यसिक्त इसु कवीच क� धारेणा करेतं हा#, वीहा सुवी�-सिसुद्धि�यों( लाभु करेतं हा#। नेप̀तितं-गीणा उसुक देसुत्वी करेतं� हाk। वीहा 9ट्;-कम� सुधाने करे सुकतं हा#। अष्टिधाक क्यों, वीहा सुवी�त्रों सिसु� हा�तं हा#। इसु कवीच क� ने जनेकरे, ज� मतं�गी� कA प4ज करेतं हा#, वीहा अल्पयों , धाने-हा�ने औरे म4ख� हा�तं हा#। गी रु-भुसिक्त सुवी�दे परेमवीश्योंक हा#। इसु कवीच परे भु� दृढ़ मतितं अथा�तं; प4णा� तिवीश्वसु रेखने परेम कतं�व्य हा#। तिफरे मतं�गी� दे�वी� सुवी�-सिसुद्धि�यों( प्रदेने करेतं� हा#।