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Page 1: सम्मोहन तंत्र

सम्मो�हन तं�त्र

सम्मो�हन तं�त्र , समोन्य त्रटक अभ्यस स� भि�न्न ह� ह� . क्य��किक समोन्य त्रटक क� क्रमो क� करतं� हुए सफलतं प्राप्तं करन� क� लिलए लम्बी� अवधि& लगतं� ह� और सतंतं अभ्यस �� वह� तं)तं क आश्रय ल�न� पर य� दुल.� घटन शी�घ्र ह� आपक� स&क जी�वन मो3 घटिटतं ह�तं� ह� ह� . ह) इसक� लिलए एक व्यवस्थि8तं जी�वन चय. क पलन थो�ड़े� टि<न तं� करन ह� पड़ेतं ह� और यह� स&क जी�वन क= मोय.< �� ह� .तं�� तं� आपक= मोन�व�लि>तं शीलि? अपन� वर< हस्तं क� आपक� शी�शी पर रख प�र्ण.तं और सफलतं क आशी�ष <�तं� हुए आपक� &नवन व गDरव प्रा<न करतं� हE. य� स�त्र किकतंबीF मो3 लिलख� हुए नह� हE य� तं� लिसद्धाश्रमो क= टि<व्य च�तंन स� आप्लकिवतं टि<व्य मो�त्र हE जी� वह� क� य�किगयF क� मोध्य ह� प्राचलिलतं हE. हमो शीय< य� बीर बीर ��ल जीतं� हE क= हमो �� उस� टि<व्य ��धिमो ,उस� परम्पर स� जीKड़े� हुए हE , हमो स�� मो3 �� वह� क बी�जी बी�य गय ह�, अबी हमो उस�सध्नओं द्वार अ�कK रिरतं न कर3 तं� य� हमोर� कमो� ह�.

५० �स्त्रिस्त्रक क किनत्य अभ्यस आपक= जीड़ेतं क� समोप्तं कर शीर�र क� च�तंन्य करतं ह�.य� किक्रय किनत्य ह�न� ह� चकिहए.

सथो ह� शीर�र लिसद्धिद्धा मोन्त्र क गKरु द्वार किन<Uलिशीतं स�ख्य मो3 जीप करन चकिहए .प्राथोमो टि<वस यह� किक्रयए) ह�तं� ह�.

दूसर� टि<न सKषKम्न नडी� क� जीगरर्ण क� लिलए आत्मो लिसद्धिद्धा मो�त्र क जीप किकय जीतं ह�. कल वल मो�त्र �� इसक� सथो अकिनवय. ह� ह�. पहल� प्राथोमो टि<न क मो�त्र जीप किफर दूसर� टि<वस क मो�त्र जीप. क्य��किक शीKशीKमोन नडी� क� ��<न क� बी< ह� सम्मो�हन शीलि? क प्रास्फुK टन आपमो3 ह�तं ह� और आपक च�हर ओजी स� आ� स� �र जीतं ह�. आपमो3 टि<व्य दृधि\ क उद्भव ह�तं ह� .

तं�सर� टि<न चक्र जीगरर्ण स&न स�पन करन� ह�तं� ह� द्धिजीसक� द्वार सम्मो�हन मोत्र आपक� च�हर� पर न ह�कर समोस्तं शीर�र मो3 प्रासरिरतं ह� जीतं ह� , तंबी आपक� स्पशी. मोत्र स� समोन� वल सम्मो�किहतं ह� जीतं ह�.इसक� पहल� क क्रमो वह� रह�ग जी� पहल� टि<न क थो.

चDथो� टि<न अन्तंर स&न मो�त्र क जीप किकय जीतं पहल� क� क्रमो क� स�यK? करक� .इसक� बी< स&क मो3 इतंन� समोर्थ्यय.तं आतं� ह� क= व� व�लि>तं शीलि? क� अपन� सम्मो�हन बील मो3 बी)& कर आवकिहतं कर सक� .

प)चव� टि<न स्वसम्मो�हन लिसद्धिद्धा मो�त्र क जीप अन्य मो�त्रF क� सथो किकय जीतं ह� .य� स�प�र्ण. किक्रय २४ टि<नF क= ह�तं� ह� यटि< इस किवश्व मो3 क�ई सबीस� कटिdन कमो ह� तं� व� अपन� आपक� अपन� अनKक� ल बीनन और जी�स� ह� य� किक्रय ह�तं� ह� ,आपमो3 चKम्कत्व प�< ह�तं ह� अन्य स�� ल�ह� क= ��कितं आपक� आकष.र्ण >�त्र मो3 आ ह� जीतं� हE और आप अपन� कधिमोयF क� आत्मो-किन<Uशी <�कर समोप्तं कर सकतं� हE और अपन� गKर्णF क� और ज्य< शीलि?शील� कर सकतं� हE. यटि< आग� इन मो�त्रF क� लगतंर किकय जीए तं� वलिशीत्व लिसद्धिद्धा क= प्राप्तिप्तं ह�तं� ह� ह�. य< रखिखय� सम्मो�हन क अथो. ह� ह�तं ह� ख़ुK< क� ह� मो�किहतं करन यकिनक= स्वय� क= च�तंन क� आकर्षिषjतं कर परमो च�तंन स� धिमोल <�न. यटि< हमो २४ घ�ट� चKम्बीक=य शीलि? स� यK? रह3ग� तं� हमोस� धिमोलन� वल क� स �� व्यलि? ह� हमोर� सद्वाक्यF क� क�� नह� तंल सकतं. और उच्चाव8 मो3 टि<व्य शीलि?य� �� हमोर� प्रा�व क्षे�त्र मो3 आबीद्धा ह� जीकितंय� हE. किफर हमोर� पस यटि< किकस� क फ�ट� �� ह� य हमोर� मोश्तिnतंष्क मो3 किकस� क किबीम्बी �� ह� तं� उस व्यलि? य शीलि? क� सम्मो�किहतं कर अप्ने�अनKक� ल किकय जी सकतं ह�, य किकस� र�ग� क� क\F क� दूर किकय जी सकतं ह� . यह� किक्रय कितंब्बीतं मो3 बी�&-स�वहन- किवधि& कहलतं� ह�. य� मो�त्र दुल� जीरूर हE पर अप्राप्य नह�. सद्गुtरु क� चरर्णF मो3 प्राथो.न कर हमो प�र्ण. सम्मो�हन प्राप्तिप्तं <uक्षे पय3 और इन मो�त्रF क� प्राप्तं कर अस��व क� �� सम्भव कर सक3 . जीबी हमो टि<व्यतं क� प सकतं� ह� तं� किफर किगटिद्गु<कर अपन� आत्मो-सम्मोन क� क्य�) अपन� ह� प�रF क� न�च� कK चल3 य औरF क� क्य�) कK चलन� <�. तं�� तं� कहतं� हE न क= द्धिजी< कर� और दुकिनय बी<ल�।

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श्वे�तं बिं �दु , रक्त बिं �दु रहस्य - ४ ( व्यो�मो क्रि�य� )

उच्चाक�टिट क� स&क इस� पर< लिशीवलिंलjग क� प्राय�ग स� ��धिमो तंत्व पर किनयन्त्रर्ण कर ल�तं� हE ,और क= जीबी चह� अपन� शीर�र मो� ��धिमो तंत्व क ल�प कर शीर�र क� शी�न्य मो� स्थि8तं कर ल�तं� हE य वयKगमोन कर ल�तं� हE .पर एक समोन्य स&क अपन� जी�वन मो� शीKन्य8 ह�न� स� कह� ज्य< मोहत्त्व �Dकितंक सम्पन्नतं क� <�तं ह� , और <�न �� चकिहए आखिखरकर जी�वन क� किवकिव& सKखF क= प्राप्तिप्तं &न स� ह� तं� ह� पतं� ह� न........य� सम्पन्नतं �� ऐस� ह� रस�श्वर क= स&न स� प्राप्तं ह�तं� ह� , किनत्य किवल्वपत्र य कK मोकK मो स� र�द्धिजीतं अक्षेतंF क� �� १०८ मोन्त्रF क� द्वार इन्ह3 अर्षिपjतं करन� पर �Dकितंक प�र्ण.तं स&क क� जी�वन मो� आतं� ह� ह�.क्य य� इतंन सहजी ह� ??? मोEन� प�>.....क्य �Dकितंक सम्पन्नतं !!!!!!!नह~ नह~ .... य� तं� मोE �� �ल� ��कितं जीनतं हूँ) क= रस�श्वर क= स&न करन� वल� स&क क= अभ्यथो.न तं� स्वय� शीलि? स्वरूप

लक्ष्मो� �� करतं� हE और य� प्रा�व मोE खK< �� अपन� जी�वन मो� अनK�व कर सक थो ... इस�लिलए मोE �Dकितंकतं क= नह~ टि<व्यतं क= बीतं कर रह हूँ) . क्य मोत्र त्रटक क� सथो क�ई अन्य रहस्य नह~ जीK< हुआ ह� शीर�र क� शीKन्य �र करन� मो� ?????????ह� किबीलकK ल ह� .... और क्य�) नह~ ह�ग� , क्य आपक� लगतं ह� क= य� सबी इतंन सरल ह� ..... नह~ किबीलकK ल नह~ ..... जीबी शीर�र8 तंत्वF क� आप अपन� किनयन्त्रर्ण मो� ल ल�तं� हE तं� �ल क्य ह� इस ब्रह्माण्डी मो� जी� स&क प्राप्तं नह~ कर पतं व� �� मोत्र स�कल्प बील स�...अभिर्णमो, मोकिहमो ,लधिघमो, वलिशीत्व,प्राकम्य, आटि< पर और अपर जीगतं क= किवकिव& शीलि?यF क स&क �ल� ��कितं प्राय�ग

कर सकतं ह� क्यFकिक स&क समोन्य स&क न ह�कर लिसद्धा क= अव8 क� प्राप्तं कर ल�तं ह� . और ऐस तं�� ह� पतं ह� जीबी स&क उस रहस्य स� परिरलिचतं ह� जी� न लिसफ. गKप्तं रख गय ह� लिसद्धा समोजी मो�, बीश्तिल्क द्धिजीसक= �नक �� नह~ पड़ेन� <u जीतं� ह� समोन्य मोनKष्यF क� ....................

सबीस� पहल� तं� य� समोझो� क= शीर�र मो� स्थि8तं <� लक्ष्य –बीह्य और आभ्य�तंरिरक हE . जी� स&क अपन� शीर�र क� ह� नह~ जीनतं व� क� स� सफलतं प सकतं ह� ..शीर�र लिसद्धिद्धा क� लिलए >ह चक्रF,ष�डीशी आ&रF, कित्रलक्ष्य ,व्य�मो प�चक ,नव द्वार, प�चधि&<�वतं क ज्ञान पन अकिनवय. ह� .जीबी स&क पर<�श्वर क� समोन� रख कर उस पर त्रटक करतं हुआ कित्रन�त्र मो�त्र क जीप करतं ह� . तं� शीन� शीन� स&क क�

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कल ज्ञान क= क्षेमोतं प्राप्तं ह�न� लगतं� ह� . अबी स&क क� ऊपर ह� क= य� किक्रय व� बीह्य रूप स� स�पन्न कर व� मोत्र कल ज्ञातं बीनतं ह� य इस दुल.� किवश्व किवजीय� रस�श्वर क सम्बीन्ध आत्मो8 मोहलिंलjग स� कर मोहलिसद्धा और परमो लिसद्धा अव8 क� प्राप्तं

कर ल�तं ह� . द्धिजीसक� बी< कK > �� अप्राप्य नह~ रहतं .�ल य� क� स� ह�तं ह� ???? मोEन� प�> ...थो�डी सब्र कर� बीतंतं हूँ)........ मो�ल&र और स्वधि&ष्ठान क� मोध्य मो� कित्रक�र्णकर 8न ह� द्धिजीस� य�किन कह जीतं ह� इस य�किन

क� कमोरूप कह जीतं ह� ...यह� तं�त्र व य�ग लिसद्धाF क� द्वार व�टि<तं कमोख्य शीलि?प�d ह� और इस� प�d क� मोध्य मो� पभि�मो मोKख मोह लिंलjग स्थि8तं ह� ,द्धिजीनक� शी�ष. पर मोभिर्ण अवस्थि8तं ह�.जी� स्वर्ण. वर्ण�य अखि�नमोय� ज्य�कितं स� आल�किकतं ह� . अन�तं किवश्वतं�मोKख इस मोहज्य�कितं स� जीबी बीह्य स्थि8तं रस�श्वर क प�र्ण. मोनलिसक एककर ह�तं ह� तं� व� परमो ज्य�कितं स&क क� सतंF शीर�र क� ह� न लिसफ. जीग्रतं कर <�तं� ह� बीश्तिल्क उनक= शीलि?यF क� स्त्र�तं �� ख�ल <�तं� ह� .इसक� लिलए बीहुतं &�य. क= आवशीयकतं ह�तं� ह� . त्रटक क� मोध्य जीबी पर<�श्वर क किबीम्बी कित्रकK ट य भ्रू�मोध्य मो� बीनतं ह� तं� अ�<र जीतं� श्वस क� सथो ह� उस किबीम्बी क� अपन� मो�ल&र तंक लय जीतं ह� . <�खन� मो� य� किक्रय कटिdन ह� पर ऐस ह� नह~ . अभ्यस स� य� किक्रय सहजी लिसद्धा ह� ह� जीतं� ह� . और एक बीर जीबी व� रस�श्वर प�र्ण. रूप�र्ण आ�तंरिरक मोहलिंलjग मो� स्थि8तं ह� जीतं ह� और व� परमो ज्य�कितं बीहुगKभिर्णतं ह� जीतं� ह� . तंबी स&क क� बीह्य

आल�बीन क= क�� �� आवnयकतं नह� रहतं� बीश्तिल्क व� जीबी चह� एकग्र मोन स� उस आ�तंरिरक र? बिंबीjदु, स्थि8तं मोहलिंलjग मो� बीह्य श्व�तं बिंबीjदु द्वार किनर्मिमोjतं रस�श्वर क प�र्ण. <शी.न कर जी� �� चह� प ल�तं ह� . और ऐस ह�न� क� बी< व� उस परमो ज्य�कितं क� अलग अलग चक्रF पर पर �� 8किपतं कर सकतं ह� द्धिजीसस� उन चक्रF और उनक� स्वधिमोत्व वल� शीर�र व ल�कF मो� उसक गमोन

�� सहजी ह� जीतं ह� और उस� बीह्य ब्रह्मा�डी�य यत्र क= आवnयकतं ह� नह~ रहतं� , व� शीर�र मो� स्थि8तं ब्रह्माण्डी क= यत्र जीबी

चह� कर ल�तं ह� .क्यFकिक कह गय ह� क= “ यतं बिंपjडी� तंतं� ब्रह्मा�डी�” .... और य� उलि? तं�� तं� चरिरतंथो. ह�ग�. जीबी हमो उपर�? प्राकिक्रय स�पन्न

कर ल�तं� हE.और आप स�� जीनतं� ह� हE क= हमोर� आ�तंरिरक चक्रF क= शीलि?य� अन�तं ह� ... इस लिलए �ल क्य अप्राप्य रह जीय�ग स&क

क� लिलए.य� किक्रय श्र�ष्ठा स&कF क� मोध्य व्य�मो किक्रय क� नमो स� जीन� जीतं� ह�. इस�लिलए तं� कह जीतं ह� क= यटि< प�र्ण. स�स्क� तं , मोन्त्रF स� अभि�लिंसjलिचतं पर<�श्वर स&क क� पस ह� तं� ऐस स&क कK > �� कर सकतं ह� , शीतं. यह� ह� क= उसक= द्धिजीज्ञास क अ�तं

न ह� , द्धिजीज्ञास ह�ग� तं�� तं� नव�न रहस्यF क अनवरर्ण ह�ग.....ह� न...........र? बिंबीjदु और श्व�तं बिंबीjदु क� द्वार अध्यस्त्रित्मोक उपलश्ति� क� सथो वमो-तं�त्र जीगतं क� अनसKलझो� रहस्यF क� ��<न क= ग�पन�य किक्रय क किववरर्ण अगल� ल�ख मो�

Vishalakshi Akarshan

स<गKरु<�व क� सथो किबीतंए हुए टि<नF क= य< मो3 ख�य हुआ मो�हन मोKझो स� अपन� जी�वन क� व� पल, व� घटनए बी)ट रह थो जी� उसक� जी�वन क= किनधि& थो�. र�मो�लिचतं स ह� कर क� सKन रह थो मो� उसक= <स्तंन. तं�त्र क= किवलक्षेर्ण स&नओ क= ख�जी मो3 जीबी मो3 घ�मो रह थो उस� समोय मोKलकतं हुय� थो� मो�हन स�. टि<खन� मो3 तं� ३० सल स� ज्य< उम्र नह~ थो� पर य� तं� गKरु<�व स� प्राप्तं कयकल्प क चमोत्कर थो , उम्र तं� उसक= ५० क�

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कर�बी थो�. न जीन� किकस प्रा�रर्ण क� वशी���तं व� मो�र� ह� इ�तंज़ार मो3 थो, सर्दि<jयF क= रतं� थो� वह. खल� जी�बी स� किनकल पड़े थो मो3 हजीर� धिमोल दूर ,किकस� अज्ञातं स�क� तं क� इशीर� पर. अचनक मो�हन स� हुय� मोKलक़ातं शीय< उस स�क� तं क आखर� >�र थो. उस झो�ल क� किकनर� रतं मो3 च�<न� �� चर� तंरफ बी�d कर सKन रह� थो� उस रहस्यमोय स&क क= <स्तंन. “स<गKरु<�व क� मोहप्रायर्ण क� बी< मो3 किहमोलय स्थि8तं ��रव मोह प�d क� पKजीर� न� कई बीर स<गKरु<�व क� वह) अपन� लिशीष्यF क� सथो स&नरतं पय ह�. एक टि<न जीबी मो3 बीहुतं उ<स ह� गय थो तं� र� पड़े गKरु<�व क= तंस्व�र क� समोन� क= आप क्यF हमो3 >�ड़े क� चल� गए ...तं�� चर� तंरफ अ\ग�& क= सKग�& फ़ै� ल गय�, जीबी नज़ार ऊपर उdई तं� स<गKरु<�व समोन� खड़े� थो� , कd�र �वमोKद्रा स� उन्हFन� कह ‘क्यF र� रह ह� ,मो� स<�व उपस्थि8तं हूँ� ’ और व� एक<मो स� अद्राnय ह� गए ... किनखिखल�श्वरनन्< स्तंवन क पd करतं� हुव� कई बीर स<गKरु<�व न� मोKझो� अपन� सन्यशी स्वरुप मो3 <शी.न टि<ए ह�. इसस� बीड़े� स&नत्मोक उपलश्ति� क्य ह�ग�.” रतं बीढ़ चKक= थो� और dण्डी ��. बीKखर स� बीKर� हल थो� मो�र� किफर �� उसक= बीतं� मो3 ह� ख�य हुव थो. उसक� चहर� पर गज़ाबी क आकष.र्ण थो. कK > ऐस क= <�खतं� ह� उस� क�ई �� अपन� स� श्र�ष्ठा मोनन� क� लिलए बीध्य ह� जीए. समोझोतं� <�र न लग� क= क�ई तं� आकष.र्ण स&न कर रख� ह� उसन�. “यह� पस ह� मो3 एक मो�टि<र ह�. उसमो� <�व� क= आ&� फ=ट क= प्राकितंमो ह�. एक <मो द्धिजीव�तं, वह) प� जी� �� स&नए कर� व� सफल ह�तं� ह� ह�. ल�ग� क� तं� मोल�मो �� नह~ ह� क= व� किवशीलक्षे� क 8न ह�. <�खन चह�ग� ?” मो�न� सर किहल क� सहमोकितं <शी.य� तं� व� एक तंरफ चल टि<ए. मो3 �� प�>� प�>� चल पड़े. रस्तं� मो3 एक सन्यशी� क� वह) कK > <�र रुक� जी� कर्ण.किपशीलिचन� स&न मो3 लिसद्धाहस्तं थो�. व� <�नF कK > <�र बीतं� कर रह� थो�. सन्यशी� न� मो�र� तंरफ <�ख �� नह~ इसस� मो3 अकडी गय. बीहर आतं� ह� मो�हन मोKस्करहट क� सथो आग� बीढ़ गए. रस्तं� मो3 ह� बीतंय उसन� क= आकष.र्ण स&न आजी क� यKग मो3 बीह�तं ह� उपय�ग� ह�. चह� वह <�शी क न�तं ह� य एक >�ट स नगरिरक. अगर आपक व्यलि?त्व आकष.क ह� तं� हर क�ई आपक= बीतं मोनन� क� लिलए बीध्य ह� जीएग. ऐस� व्यलि?य� क� मोन सम्मोन प्राप्तं ह�तं ह� ह� और �Dकितंकतं मो3 सहजी वह सफल ह� सकतं� ह�. आकष.र्ण क� लिलए कई स&नए ह� जी� क= सरल और सहजी ह�. मो�टि<र आ च�क थो और उस द्धिजीव�तं प्राकितंमो क <शी.न कर &न्य ह� गय मो3. सKनसन पड़े

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व� मो�टि<र मोKश्तिnकल स� किकस� क� ध्यन मो3 आ सकतं थो. एक हफ्तं� तंक व� किवलक्षेर्ण व्यलि? स� जी� ज्ञान धिमोल व� तं� शीब्<F स� पर� ह� ह�. सल� बी�तं गए आजी, किफर धिमोलन नह~ ह� पय उसस�. ल�किकन आजी �� उसक व� च�हर नह~ ��ल पय हूँ ...जी� आकष.र्ण स� �रप�र थो. आकष.र्ण क= एक किवशी�ष किवशीलभिक्षे स&न जी� क= बीह�तं ह� सहजी ह�. य� स&न बीK&वर स� शीKरू क= जीतं� ह�. इस स&न मो3 रकित्र क� ११ बीजी� बी< र�जी २ घ�ट� मो�त्र क उच्चारर्ण किकय जीतं ह�. इसमो� जीप स�ख्य किन&.रिरतं नह~ ह�, मोल �� आवnयक नह~ ह�. समोन� एक <uपक लग ह� और व� लगतंर २ घ�ट� तंक चलतं रह�. उसक= लD पर <�खतं� हुए मो�त्र जीप ह�. य� स&न ८ टि<न तंक किनयधिमोतं कर�. अगल� बीK&वर तंक एक ह� 8न पर किनभि�तं समोय पर मोन्त्रजीप ह�. र�जी मो�त्र जीप स� पहल� किवशीलभिक्षे <�व� क� मोन ह� मोन प्राथो.न स&न मो3 सफलतं करक� ह� स&न मो3 प्राव�तं ह�.

मो�त्र: हूं� हूं� फट फट हूं� हूं� टि<खन� मो3 य� मो�त्र �ल� ह� समोन्य लग� पर इसक प्रा�व आपक� कK > ह� टि<नF मो3 टि<खन� लग�ग. स&न खतंमो ह�तं� ह�तं� च�हर� पर और किवशी�ष कर आ)खF मो3 एक किवशी�ष आकष.र्ण आ जीतं ह� द्धिजीसस� स�� प्राकर स� सफलतं प्राप्तं ह�तं� ह�. जीय गKरु<�व.

Surya sadhana

आटि< कल स� स�य. प�र्थ्यव� क आ&र रह ह�. स�य. क� व�<F मो3 <�वतं कह ह�. आ�य. यह ह� क= इतंन� उग्र ह�न� क� वरन, उन्ह3 स�म्य <�व कह गय ह�. अकितं सKन्<र, स्व�तं वस्त्र&र� सप्तं अश्व� स� स�चलिलतं रथो पर सवर सDरमो�डील क� व�अधि&ष्ठातं ह� और स�� ग्रह उनक� वशी���तं ह�. कप्लन स� पर� ह� तं� ह� व� जी�वन जी� किबीन स�य. क� स��व ह�. आटि<ऋकिषय� न� उनक� रूप क कई अलग अलग स�क्ष्मो किवव�चन किकय ह�. स�य. किवज्ञान� क� बीर� मो3 तं� हर क�ई जीनतं ह� क=स�य. क= रस्थिnमोय) सबी कK > प्रा<न करन� मो3 समोथो. ह�. स�य. क� पKत्र< �� कह गय ह�, उनक= क� प स� पKत्ररत्न क= प्राप्तिप्तंह�तं� ह�. और क�ई जीगह उन्ह3

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वस्थिक्सद्धिद्धा प्रा<यक क= स�ज्ञा �� <u गय� ह�, द्धिजीसस� स�य. क� स&क� क� शीप य वर<न<�न� क= क्षेमोतं धिमोल जीतं� ह�.कर्ण. क� बीर� मो3 क�न नह~ जीनतं. स�य. क= उपसन स� उनक= समोर्थ्यय.तं इतंन� ह� गय� थो� क= व� र�जी हजीर� ल�ग�क कल्यर्ण करतं� रहतं� थो�. स�य. क� द्वार प्राप्तं कवच और क�� डील न� उसक� आखिखर तंक किवजीय� बीन क� रख थो. पतं�जीलिल, कर्ण< और अत्र� जी�स� मोहऋकिषयF न� स�य. स&न क� सर��तं स&न कह ह�. यह) तंक क= ब्रम्ह�डी8पत्य जी�स� दुल.� किक्रय �� स�य. मोन्त्र स� क= जीतं� ह�. चकसKस�पकिनष< मो3 स�य. क= प्रास�शी ह� प्रास�शी क= गय� ह�और क�ई �� न�त्र र�ग ह� स�य. क= क� प स� उस� तंKर�तं ह� दूर किकय जी सकतं ह�.तं�त्र मोग. मो3 और खस करक� य�ग-तं�त्र मो3 स�य. स&न क� अत्यधि&क मोहत्त्व टि<य गय ह�. कई तं�त्र स&क क� वलमोत्र स�य. क= स&न स� उच्चा आध्यस्त्रित्मोक स्तंरF क� प्राप्तं कर चKक� ह�. स�य. स&न क� बीर� मो3 य� भ्रूप्तिन्तं ह� क= य�स&न ग�ह8 ल�ग� क� लिलए क�ई उपय�ग� नह~. ऐस किबीलकK ल �� न ह�क� सच्चाई य� ह� क= स�य. स&न ��ग औरमो�क्षे <�नF क� प्रा<न करन� वल� ह�. आप खK< ह� स�च सकतं� ह� क= जी� स�य. हमो3 प्राकितंक्षेर्ण जी�वन प्रा<न करतं ह� , उसक= स&न �ल हमो3 क� स� फल���तं नह~ ह� सकतं� ?स<गKरु<�व न� कई एस� स�य. स&नए प्रा<न क= ह� जी� टि<खन� मो3 तं� समोन्य ह� मोगर द्धिजीसक� करन� क� बी< आप खK<ह� आ�क सकतं� ह� क= जी�वन मो3 क� स� बी<लव आ रह ह� और क� स� उन्नभि� क रस्तं अपन� आप ह� समोन� आ जीतंह�. <�किनक जी�वन और अध्यकितंधिमोक जी�वन मो3 स�य. <�व क= मोहत्त्व क� कमो करक� नह~ <�ख सकतं� अन�कF मोहय�ग�और मोहपKरुषF क� आप <�ख� आप पए�ग� क= उनक� जीन्मो टि<वस अधि&क�शीतं� १५ अप्रा�ल स� १५ मोई (स�य. उच्चा रलिशीमोE हFग� ) तंथो १५ अगस्तं स� १५ लिसतंम्बीर क� मोध्य(स�य. स्व रलिशी8 ) मोE आप पए�ग� ,जी�स� �गवन रमो, �गवनहनKमोन ,स<गKरु<�व जी�, अटि< शी�करचय.. करर्ण य� हE क= स�य. ,आत्मो तं�जी क� प्राकितंक हE ,�ल आत्मो क= तं�जीश्तिस्वतंक� किबीन क�ई d�स उपलश्ति�यF क= प्राप्तिप्तं स��व हE. चह� क्षे�त्र जी� �� ह� ,यह) तंक क= �गवन हनKमोन द्वार स�य. <�वक� किनगलन� क= घटन �� वस्तंव मोE स�य. <�व क� आत्मोसतं करन� क= घटन क� प्राकितंक हE.य� स&न रकिववर स� ह� प्राम्भ कर�. य� स&न टि<न क� समोय मो3 ह� चकिहए मो�र मोतंलबी ह� क= स�य <य स� ल�क� तंकक� <�पहर कल मो3 ह� य� स&न क�� �� सम्प्पन कर सकतं� ह�. य� स&न मोत्र ४ टि<न क= ह� और र�जी २५ मोल मो�त्रजीप ह�. र�जी एक ह� समोय पर मो�त्रजीप कर�. समोन� स�य. <�व क= मो�र्षितंj य लिचत्र जी� �� उपल� ह� उस� 8किपतं कर�और

Page 7: सम्मोहन तंत्र

समोन्य प�जी करन� क� बी< क�ई �� मोल (जी� क= पहल� क�ई स&न मो3 उपय�ग न क= ह� ) स� २५ मोल मो�त्रजीप कर�.

मो�त्र : ओमो ह्रीं~ श्र~ घ�भिर्णमो� स�य. आटि<त्य� श्र~ ह्रीं~इस मो�त्र मो3 इच्छाप�र्षितंj प्रार्णव ओमो, मो�क्षे प्रा<तं मोय बी�जी ह्रीं~ एव� लक्ष्मो� प्रा<तं श्र~ बी�जी सम्पKट क� सथो ह� स�य. क�आटि< <�व मोनकर प्रास�शी क= गय� ह�. अगर स&क समोप.र्ण और किवश्वशी क� सथो य� स&न कर� न क� बील स�य. <�वक= किनर�तंर क� प उस पर हमो�शी बीन� रहतं� ह�. बीश्तिल्क जी�वन मोE प�र्ण. सफलतं सथो ह� सथो न�त्रF स� स�बी�धि&तं समोस्तंर�गF क� दूर करन� मोE �� प�र्ण. सफलतं पई जी सकतं� हE . इसक� लिलए यटि< आप इस स&न क� सथो सथोचक्षेKष्मोतं� स्त्र�तं क प�च पd किनयतं प्राकितं कर3 ,तं� किन�य ह� न�त्र र�गF स� मोKलि? मो3 प�र्ण. सफलतं प्राप्तं ह�तं� हE.


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