ऋषिराम शिक्षण संस्थान, जोशियाडा, उत्तरकाशी। आरोह – काव्य भाग
पाठ – 5 - घर की याद भवानी प्रसाद मिश्र
कवि परिचय
जीिन परिचय- भिानी प्रसाद विश्र का जन्म 1913 ई. िें
िध्य प्रदेश के होशंगाबाद जजले के विगरिया गााँ ि िें हुआ।
इन्ोनंे जबलपुि से उच्च जशक्षा प्राप्त की। इनका वहंदी,
अंग्रेजी ि संसृ्कत भाषाओ ंपि अजिकाि था। इन्ोनंे जशक्षक
के रूप िें कायय वकया। विि िे कल्पना पविका,
आकाशिाणी ि गााँिी जी की कई संस्थाओ ंसे जुडे िहे।
इनकी कविताओ ंिें सतपुडा-अंचल, िालिा आवद क्षेिो ंका
प्राकृवतक िैभि विलता है। इन्ें सावहत्य अकादिी, िध्य
प्रदेश शासन का जशखि सम्मान, वदल्ली प्रशासन का गाजलब
पुिस्काि से सम्मावनत वकया गया। इनकी सावहत्य ि सिाज
सेिा के िदे्दनजि भाित सिकाि ने इन्ें पद्मश्री से अलंकृत
वकया। इनका देहािसान 1985 ई. िें हुआ।
िचनाएाँ - इनकी िचनाएाँ वनम्नजलजखत हैं सतपुडा के जंगल,
सन्नािा, गीतफ़िोश, चवकत है दखु, बुनी हुई िस्सी, खुशबू
के जशलालेख, अनाि तुि आते हो, इदं न िि् आवद।
गीतफ़िोश इनका पहला काव्य संकलन है। गााँिी पंचशती
की कविताओ ंिें कवि ने गााँ िी जी को श्रद्ांजजल अवपयत की
है।
काव्यगत विशेषताएाँ - सहज लेखन औि सहज व्यवित्व का
नाि है-भिानी प्रसाद विश्र। ये कविता, सावहत्य औि िाष्ट्र ीय
आंदोलन के प्रिुख कवियो ंिें से एक हैं। गााँिीिाद िें
इनका अखंड विश्वास था। इन्ोनें गााँिी िाडिय के वहंदी
खंडो ंका संपादन कि कविता औि गााँिी जी के बीच सेतु
का काि वकया। इनकी कविता वहंदी की सहज लय की
कविता है। इस सहजता का संबंि गााँिी के चिखे की लय
से भी जुडता है, इसजलए उन्ें कविता का गााँिी भी कहा
गया है। इनकी कविताओ ंिें बोलचाल के गद्यात्मक से
लगते िाक्य-विन्यास को ही कविता िें बदल देने की अद्भतु
क्षिता है। इसी कािण इनकी कविता सहज औि लोक के
किीब है।
कविता का सािांश
इस कविता िें घि के ििय का उद्घघािन है। कवि को जेल-
प्रिास के दौिान घि से विस्थापन की पीडा सालती है। कवि
के स्मृवत-संसाि िें उसके परिजन एक-एक कि शाविल होते
चले जाते हैं। घि की अििािणा की साथयक औि िावियक
याद कविता की कें द्रीय संिेदना है। सािन के बादलो ंको
देखकि कवि को घि की याद आती है। िह घि के सभी
सदस्ो ंको याद किता है। उसे अपने भाइयो ंि बहनो ंकी
याद आती है। उसकी बहन भी िायके आई होगी। कवि
को अपनी अनपढ़, पुि के दखु से व्याकुल, पिंतु स्नेहियी
िााँ की याद आती है। िह पि भी नही ंजलख सकती।
कवि को अपने वपता की याद आती है जो बुढ़ापे से दिू हैं।
िे दौड सकते हैं, जखलजखलाते हैं। िो िौत या शेि से नही ं
डिते। उनकी िाणी िें जोश है। आज िे गीता का पाठ
किके, दंड लगाकि जब नीचे परििाि के बीच आए होगें, तो
अपने पााँचिें बेिे को न पाकि िो पडे होगें। िााँ ने उन्ें
सिझाया होगा। कवि सािन से वनिेदन किता है वक तुि
खूब बिसो, वकंतु िेिे िाता-वपता को िेिे जलए दखुी न होन े
देना। उन्ें िेिा संदेश देना वक िैं जेल िें खुश हाँ। िुझे
खान-ेपीने की वदक्कत नही ंहै। िैं स्वस्थ हाँ। उन्ें िेिी
सच्चाई ित बताना वक िैं वनिाश, दखुी ि असिंजस िें हाँ।
हे सािन! तुि िेिा संदेश उन्ें देकि िैयय बाँिाना। इस प्रकाि
कवि ने घि की अििािणा का जचि प्रस्तुत वकया है।
व्याख्या एिं अथयग्रहण संबंिी प्रश्न
1. आज पानी वगि िहा है,
बहुत पानी वगि िहा है,
िात भि वगिता िहा है,
प्राण-िन षिरता िहा है,
बहुत पानी वगि िहा हैं,
घि नजि िें वति िहा है,
घि वक िुझसे दिू है जो,
घि खुशी का पूि हैं जो,
2. घि वक घि िें चाि भाई,
िायके िें बवहन आई,
बवहन आई बाप के घि,
हाय िे परिताप के घि।
घि वक घि िें सब जुडे हैं,
सब वक इतन ेकब जुडे हैं,
चाि भाई चाि बवहनें,
भुजा भाई प्याि बषहनें,
शब्दाथय–
वगि िहा-बिसना। प्राण-िन षििना-प्राणो ंऔि िन िें छा
जाना। वतिना-तैिना। नजि-वनगाह। खुशी का पूि-खुशी का
भडाि। परिताप-कष्ट्।
प्रसंग-प्रस्तुत काव्यांश पाठ्यपुस्तक आिोह भाग-1 िें
संकजलत कविता ‘घि की याद’ से जलया गया है। इसके
िचवयता भिानी प्रसाद विश्र हैं। यह कविता जेल प्रिास के
दौिान जलखी गई। एक िात लगाताि बारिश हो िही थी तो
कवि को घि की याद आती है तो िह अपनी पीडा व्यि
किता है।
व्याख्या-कवि बताता है वक आज बहुत तेज बारिश हो िही
है। िातभि िषाय होती िही है। ऐसे िें उसके िन औि प्राण
घि की याद से वघि गए। बिसते हुए पानी के बीच िातभि
घि कवि की नजिो ंिें घूिता िहा। उसका घि बहुत दिू है,
पिंतु िह खुजशयो ंका भंडाि है। उसके घि िें चाि भाई हैं।
बहन िायके िें यानी वपता के घि आई है। यहााँ आकि उसे
दखु ही विला, क्योवंक उसका एक भाई जेल िें बंद है। घि
िें आज सभी एकि होगें। िे सब आपस िें जुडे हुए हैं।
उसके चाि भाई ि चाि बहने हैं। चािो ंभाई भुजाएाँ हैं तथा
बहनें प्याि हैं। भाई भुजा के सिान कियशील ि बजलष्ठ हैं
तथा बहनें स्नेह की भंडाि हैं।
विशेष-
1. सािन के िहीने का स्वाभाविक िणयन है।
2. घि की याद आने के कािण स्वाभाविक अलंकाि है।
3. ‘पानी वगि िहा है’ िें यिक अलंकाि तथा आिृवि होने
से अनुप्रास अलंकाि है।
4.‘घि नजि िें वति िहा है’ िें चाक्षषु वबंब है।
5. खडी बोली िें सहज अजभव्यवि है।
6. ‘भुजा भाई’ िें उपिा ि अनुप्रास अलंकाि हैं।
7.प्रश्न शैली का सुं दि प्रयोग है।
8. संयुि परििाि का आदशय उदाहिण है।
अथयग्रहण संबंिी प्रश्न
1. ‘पानी वगिने’ से कवि क्या कहना चाहता है?
2. बिसात से कवि के हृदय पि क्या प्रभाि हुआ?
3. ‘भुजा भाई प्याि बवहनें’ का आशय स्पष्ट् कीजजए।
4.िायके िें आई बहन को क्या कष्ट् हुआ होगा?
उिि –
1. कवि ने पानी वगिने के दो अथय वदए हैं। पहले अथय िें
यहााँ िषाय हो िही है। दसूिे अथय िें, बिसात को देखकि
कवि को घि की याद आती है तथा इस कािण उसकी
आाँखो ंसे आाँसू बहने लगे हैं।
2. बिसात के कािण कवि को अपने घि की याद आ गई।
िह स्मृवतयो ंिें खो गया। जेल िें िह अकेलेपन के
कािण दखुी है। िह भािुक होकि िोने लगा।
3. कवि ने भाइयो ंको भुजाओ ंके सिान कियशील ि
बजलष्ठ बताया है। िे एक-दसूिे के गिीबी ि सहयोगी हैं।
उसकी बहनें स्नेह का भंडाि हैं।
4.सािन के िहीने िें ससुिाल से बहन िायके आई। िहााँ
सबको देखकि िह खुश होती है, पिंतु एक भाई के जेल
िें होने के कािण िह दखुी भी है।
3. औि िााँ वबन-पढ़ी मेिी,
द:ुख िें िह गढ़ी िेिी
िााँ वक जजसकी गोद िें जसि,
िख जलया तो दखु नही ंविि,
िााँ वक जजसकी स्नेह-िािा,
का यहााँ तक भी पसािा,
उसे जलखना नही ंआता,
जो वक उसका पि पाता।
4. वपता जी जजनको बुढ़ापा,
एक क्षण भी नही ंव्यापा,
जो अभी भी दौड जाएाँ
जो अभी भी जखलजखलाएाँ ,
िौत के आगे न वहचकें ,
िेर के आगे न वबचकें ,
बोल िें बादल गिजता,
काि िें झंझा लिजता,
शब्दाथय–
गढ़ी-डूबी। स्नेह-पे्रि। पसािा-िैलाि। पि-जचट्ठी। व्यापा-
िैला हुआ। जखलजखलाएाँ -खुलकि हाँसना। वहचकें -संकोच
किना। वबचकें -डिें। बोल-आिाज। झंझा-तूिान। लिजता-
कााँपता।
प्रसंग-प्रस्तुत काव्यांश पाठ्यपुस्तक आिोह भाग-1 िें
संकजलत कविता ‘घि की याद’ से जलया गया है। इसके
िचवयता भिानी प्रसाद विश्र हैं। यह कविता जेल प्रिास के
दौिान जलखी गई। एक िात लगाताि बारिश हो िही थी तो
कवि को घि की याद आती है तो िह अपनी पीडा व्यि
किता है। इस काव्यांश िें वपता ि िााँ के बािे िें बताया
गया है।
व्याख्या-सािन की बिसात िें कवि को घि के सभी सदस्ो ं
की याद आती है। उसे अपनी िााँ की याद आती है। उसकी
िााँ अनपढ़ है। उसन ेबहुत कष्ट् सहन वकया है। िह दखुो ं
िें ही िची हुई है। िााँ बहुत स्नेहियी है। उसकी गोद िें
जसि िखन ेके बाद दखु शेष नही ंिहता अथायत् दखु का
अनुभि नही ंहोता। िााँ का स्नेह इतना व्यापक है वक जेल
िें भी कवि उसको अनुभि कि िहा है। िह जलखना भी
नही ंजानती। इस कािण उसका पि भी नही ंआ सकता।
कवि अपने वपता के बािे िें बताता है वक िे अभी भी चुस्त
हैं। बुढ़ापा उन्ें एक क्षण के जलए भी आगोश िें नही ंले
पाया है। िे आज भी दौड सकते हैं तथा खूब जखल-
जखलाकि हाँसते हैं। िे इतने साहसी हैं वक िौत के सािन े
भी वहचकते नही ंहैं तथा शेि के आगे डिते नही ंहै। उनकी
िाणी िें ओज है। उसिें बादल के सिान गजयना है। जब िे
काि किते हैं तो उनसे तूफ़ान भी शििा जाता है अथायत ्िे
तेज गवत से काि किते हैं।
विशेष–
1. िााँ के स्वाभाविक स्नेह तथा वपता के साहस ि
जीिनशैली का सुं दि ि स्वाभाविक िणयन है।
2. िााँ की गोद िें जसि िखने से चाक्षषु वबंब साकाि हो
उठता है।
3. वपता के िणयन िें िीि िस का आनंद विलता है।
4.‘अभी भी’ की आिृवि िें अनुप्रास अलंकाि है।
5. ‘बोल िें बादल गिजता’ तथा ‘काि िें झंझा लिजता’
िें उपिा अलंकाि है।
6. खडी बोली है।
7.भाषा सहज ि सिल है।
अथयग्रहण संबंिी प्रश्न
1. िााँ के बािे िें कवि क्या बताता है?
2. कवि को िााँ का पि क्यो ंनही ंविल पाता?
3. कवि के वपता की चाि विशेषताएाँ बताइए।
4.‘वपता जी को बुढ़ापा नही ंव्यापा’-आशय स्पष्ट् किें।
उिि –
1. िााँ के बािे िें कवि बताता है वक िह दखुो ंिें िची हुई
है। िह वनिक्षि है। िह बच्चो ंसे बहुत स्नेह किती है।
2. कवि को िााँ का पि इसजलए नही ंविल पाता, क्योवंक
िह अनपढ़ है। वनिक्षि होने के कािण िह पि भी नही ं
जलख सकती।
3. कवि के वपता की चाि विशेषताएाँ हैं-
(क) उन पि बुढ़ापे का प्रभाि नही ंहै।
(ख) िे खुलकि हाँसते हैं।
(ग) िे दौड लगाते हैं।
(घ) उनकी आिाज िें गजयना है।
4.कवि अपने वपता के विषय िें बताता है वक िे सदैि
हाँसते िहते हैं, व्यायाि किते हैं। िे जजंदावदल हैं तथा
िौत से नही ंघबिाते। ये सभी लक्षण युिािस्था के हैं।
अत: कवि के वपता जी पि बुढ़ापे का कोई असि नही ं
है।
5. आज गीता पाठ किके,
दंड दो सौ साठ किके,
खूब िुगदि वहला लेकि,
िूठ उनकी विला लेकि,
जब वक नीचे आए होगें,
नैन जल से छाए होगें,
हाय, पानी वगि िहा है,
घि नजि िें वति िहा हैं,
6. चाि भाई चाि बवहनें
भुजा भाई प्याि बवहनें
खेलते या खडे होगें,
नजि उनकी पडे होगें।
वपता जी जजनको बुढ़ापा,
एक क्षण भी नही ंव्यापा,
िो पडे होगें बिाबि,
पााँचिें का नाि लेकि,
शब्दाथय–
दंड-व्यायाि का तिीका। िुगदि-व्यायाि किन ेका
उपकिण। िूठ-पकडने का स्थान। नैन-नयन। वति-वतिना।
क्षण-पल। व्यापा-िैला।
प्रसंग-प्रस्तुत काव्यांश पाठ्यपुस्तक आिोह भाग-1 िें
संकजलत कविता ‘घि की याद’ से जलया गया है। इसके
िचवयता भिानी प्रसाद विश्र हैं। यह कविता जेल प्रिास के
दौिान जलखी गई। एक िात लगाताि बारिश हो िही थी तो
कवि को घि की याद आती है तो िह अपनी पीडा व्यि
किता है।
व्याख्या-कवि अपने वपता के विषय िें बताता है वक आज िे
गीता का पाठ किके, दो सौ साठ दंड-बैठक लगाकि,
िुगदि को दोनो ंहाथो ंसे वहलाकि ि उनकी िूठो ंको
विलाकि जब िे नीचे आए होगें तो उनकी आाँखो ंिें पानी
आ गया होगा। कवि को याद किके उनकी आाँखें नि हो
गई होगंी। कवि को घि की याद सताती है। घि िें चाि
भाई ि चाि बहनें हैं जो सुिक्षा ि प्याि िें बाँिे हैं। उन्ें
खेलते या खडे देखकि वपता जी को पााँचिें की याद आई
होगो ंऔि िे जजन्ें कभी बुढ़ापा नही ंव्यापा था, कवि का
नाि लेकि िो पडे होगें।
विशेष–
1. वपता के संस्कािी रूप, स्वस्थ शिीि ि भािुकता का
िणयन है।
2. दृश्य वबंब है।
3. संयुि परििाि का आदशय रूप प्रस्तुत है।
4.भाषा सहज ि सिल है।
5. ‘भुजा भाई’ िें उपिा ि अनुप्रास अलंकाि है।
6. खडी बोली िें प्रभािपूणय अजभव्यवि है।
7.शांत िस है।
8. िुि छंद है।
अथयग्रहण संबंिी प्रश्न
1. कवि अपने वपता की वदनचयाय के बािे िें क्या बताता है?
2. वपता की औााँखें भीगने का क्या कािण िहा होगा?
3. कवि ने भाई-बहन के बािे िें क्या बताया है?
4.कवि के वपता क्यो ंिोने लगे होगें?
उिि –
1. कवि के वपता गीता का पाठ किते हैं तथा दो सौ साठ
दंड लगाकि िुगदि वहलाते हैं। िलस्वरूप उनका शिीि
िजबूत बन गया है तथा गीता पाठ के कािण िन
साहसी हो गया है।
2. कवि के वपता गीता पाठ ि व्यायाि किके नीचे आए
होगें तो उन्ें अपने छोिे पुि भिानी की याद आई
होगी। िह उस सिय जेल िें था। इस वियोग के कािण
उनकी आाँखो ंिें पानी आ गया होगा।
3. कवि ने बताया वक उसके चाि भाई ि चाि बहनें हैं, जो
इकटे्ठ िहते हैं।
4.कवि के वपता ने जब सभी भाई-बहनो ंको खडे या
खेलते देखा होगा तो उन्ें पााँचिें पुि भिानी की याद
आई होगी। िे उसका नाि लेकि िो पडे होगें।
7. पााँचिााँ िैं हाँ अभागा,
जजसे सोने पि सुहागा,
वपता जी कहते िहे हैं,
प्याि िें बहते रहे हैं,
आज उनके स्वणय बेिे,
लग ेहोगें उन्ें हेिे,
क्योवंक िैं उन पि सुहागा
बँधा बैठा हाँ अभागा,
शब्दाथय–
अभागा-भाग्यहीन। सोने पि सुहागा-िस्तु या व्यवि का
दसूिो ंसे बेहति होना। प्याि िें बहना-भाि-विभोि होना।
स्वणय-सोना। हेिे—तुच्छ।
प्रसंग-प्रस्तुत काव्यांश पाठ्यपुस्तक आिोह भाग-1 िें
संकजलत कविता ‘घि की याद’ से जलया गया है। इसके
िचवयता भिानी प्रसाद विश्र हैं। यह कविता जेल प्रिास के
दौिान जलखी गई। एक िात लगाताि बारिश हो िही थी तो
कवि को घि की याद आती है, तो िह अपनी पीडा व्यि
किता है।
िह वपता के प्याि के बािे िें बताता है।
व्याख्या-कवि कहता है वक िह उनका भाग्यहीन पााँचिााँ पुि
है। िह उनके साथ नही ंहै, पिंतु वपता जी को सबसे प्यािा
है। जब भी कभी कवि के बािे िें चचाय चलती है तो िे
भाि-विभोि हो जाते हैं। आज उन्ें अपने सोने जसैे बेिे
तुच्छ लग ेहोगें, क्योवंक उनका सबसे प्यािा बेिा उनसे दिू
जेल िें बैठा है। .
विशेष–
1. वपता को भिानी से बहुत लगाि था।
2. ‘सोने पि सुहागा’ िुहाििे का सुं दि प्रयोग है।
3. भाषा सहज ि सिल है।
4.खडी बोली है।
अथयग्रहण संबंिी प्रश्न
1. कवि स्वयं को क्या कहता है? तथा क्यो?ं
2. कवि स्वयं को अभागा क्यो ंकहता है?
3. वपता अपने पााँचो ंबेिो ंको क्या िानते हैं?
4.वपता को आज अपने बेिे हीन क्यो ंलग िहे होगें?
उिि –
1. कवि स्वयं को अभागा कहता है, क्योवंक िह परििाि के
सदस्ो-ंभाइयो,ं बहनो,ं औि िृद् िाता-वपता के सावनध्य
से दिू है। उसे उनके प्याि की किी खल िही है।
2. कवि स्वयं को इसजलए अभागा कहता है, क्योवंक िह
जेल िें बंद है। सािन के अिसि पि सािा परििाि इकट्ठा
हुआ है औि िह उनसे दिू है।
3. वपता अपने चाि बेिो ंको सोने के सिान तथा पााँचिें को
सुहागा िानते हैं।
4.वपता अपने चाि बेिो ंको सोने के सिान िानते थे तथा
पााँचिें को सुहागा। आज उनका पााँचिााँ बेिा जो उन्ें
सबसे प्यािा लगता है, जेल िें उनसे दिू बैठा है। अत:
उसके वबना चािो ंबेिे उन्ें हीन लग िहे होगें।
8. औि िााँ ने कहा होगा,
द:ुख वकतना बहा होगा,
आाँख िें वकस जलए पानी
िहााँ अच्छा है भिानी
िह तुम्हारा िन सिझकि,
औि अपनापन सिझकि,
गया है सो ठीक ही है,
यह तुम्हािी लीक ही है,
9. पााँ ि जो पीछे हिाता,
कोख को िेिी लजाता,
इस तिह होआो न कच्चे,
िो पडगे औि बच्चे,
शब्दाथय–
लीक-पिंपिा। पााँि पीछे हिान-कतयव्य से हिना। कोख को
लजाना-िााँ को लज्जित किना। कच्चे-किजोि।
प्रसंग-प्रस्तुत काव्यांश पाठ्यपुस्तक आिोह भाग-1 िें
संकजलत कविता ‘घि की याद’ से जलया गया है। इसके
िचवयता भिानी प्रसाद विश्र हैं। यह कविता जेल प्रिास के
दौिान जलखी गई है। एक िात लगाताि बारिश हो िही थी
तो कवि को घि की याद आती है। ऐसे िें िह अपनी पीडा
कविता के िाध्यि से व्यि किता है। इस काव्यांश िें कवि
की िााँ वपता को सिझाती है।
व्याख्या-िााँ ने वपता जी को सिझाया होगा। ऐसा किते
सिय उसके िन िें भी बहुत द:ुख बहा होगा। िह कहती
है वक भिानी जेल िें बहुत अच्छा है। तुम्हें आाँसू बहान ेकी
जरूित नही ंहै। िह आपके वदखाए िागय पि चला है औि
इसे अपना उदे्दश्य बनाकि गया है। यह ठीक है। यह
तुम्हािी ही पिंपिा है। यवद िह आगे बढ़कि िापस आता तो
यह िेिे िातृत्व के जलए लिा की बात होती। अत: तुम्हें
अजिक किजोि होन ेकी जरूित नही ंहै। यवद तुि िोओगे
तो बच्चे भी िोने लगेंगे।
विशेष–
1. िााँ द्वािा िैयय बाँ िाने का स्वाभाविक िणयन है।
2. लीक पि चलना, पााँ ि पीछे हिाना, कोख लजाना,
कच्चा होना आवद िुहाििो ंका साजभप्राय प्रयोग है।
3. संिाद शैली है।
4.खडी बोली िें सशि अजभव्यवि है।’
अथयग्रहण संबंिी प्रश्न
1. िााँ ने भिानी के वपता को क्या सांत्वना दी?
2. ‘िह तुम्हािा िन सिझकि”-का आशय स्पष्ट् कीजजए।
3. िााँ की कोख कवि के वकस कायय से-लज्जित होती?
4.‘यह तुम्हािी लीक ही है’-का आशय स्पष्ट् कीजजए।
उिि –
1. िााँ ने भिानी के वपता को कहा वक भािुक होकि आाँखें
नि ित किो, िह जेल िें ठीक है। भिानी तुम्हािी िन
की बात सिझकि ही आजादी की लडाई िें कूदा है तथा
तुम्हािी पिंपिा का वनिायह वकया है। अत: दखु जताने की
आिश्यकता नही ंहै।
2. इसका अथय है वक भिानी के वपता देशभि थे। िह
विविश सिा को खत्म किना चाहते थे। इसी भाि को
सिझकि भिानी ने स्वािीनता आंदोलन िें भाग जलया।
3. यवद कवि देश के सम्मान ि िक्षा के कायय से अपने
कदि पीछे हिा लेता तो िााँ की कोख लजा जाती।
4.आशय है वक िााँ वपता जी को सिझाती है वक भिानी
तुम्हािे ही आदशो ंपि चलकि जेल गया है। तुि भी
भाित । िाता को पितंि नही ंदेख सकते हो। िह भी
अंग्रेजी शासन का वििोि किते हुए जेल गया है। यह
आपकी ही तो पिंपिा है।
वपता जी ने कहा होगा,
हाय, वकतना सहा होगा,
कहााँ , िैं िोता कहााँ हाँ
िीि िैं खोता, कहााँ हाँ
10. हे सजील हिे सािन,
हे वक मेिे पुण्य पािन,
तुि बिस लो िे न बिसें
पााँचिें को िे न तिसें,
िैं िजे िें हाँ सही है,
घि नही ंहाँ बस यही है,
वकंतु यह बस बडा बस है,
इसी बस से सब वििस है,
शब्दाथय–
िीि खोना-िैयय खोना। पुण्य पािन-अवत पविि। बस-
वनयंिण, केिल। वििस-िसहीन, िीका।
प्रसंग-प्रस्तुत काव्यांश पाठ्यपुस्तक आिोह भाग-1 िें
संकजलत कविता ‘घि की याद’ से जलया गया है। इसके
िचवयता भिानी प्रसाद विश्र हैं। यह कविता जेल प्रिास के
दौिान जलखी गई। एक िात लगाताि बारिश हो िही थी तो
कवि को घि की याद आती है। ऐसे िें िह अपनी पीडा
कविता के िाध्यि से व्यि किता है।
व्याख्या-िााँ की बातें सुनकि वपता ने कहा होगा वक िैं िो
नही ंिहा हाँ औि न ही िैयय खो िहा हाँ। यह बात कहते हुए
उन्ोनंे सािी पीडा िन िें सिेिी होगी। कवि सािन को
संबोजित किते हुए कहता है वक हे सजीले हरियाले सािन!
तुि अतं्यत पविि हो। तुि चाहे बिसते िहो, पिंतु िेिे
िाता-वपता की आाँखो ंसे आाँसू न बिसें। िे अपने पााँचिें बेिे
की याद किके दखुी न हो।ं िह िजे िें है, इसिें कोई संदेह
नही ंहै। इसिें केिल इतना ही अंति है वक िैं घि पि नही ं
हाँ। िह घि के वियोग को िािूली िान िहा है, पिंतु यह
कोई सािािण घिना नही ंहै। इस वियोग से िेिा जीिन
दखुिय बन गया है। िैं अलगाि का निक भोग िहा हाँ।
विशेष–
1. वपता की भािुकता का सजीि िणयन है।
2. सािन को दतू बनाने की प्राचीन पिंपिा को प्रयोग वकया
गया है।
3. संिाद शैली है।
4.‘पुण्य पािन’ िें अनुप्रास अलंकाि है।
5. ‘बस’ शब्द िें यिक अलंकाि है। इसके दो अथय हैं-
केिल ि वनयंिण।
6. खडी बोली है।
7.िुि छद है।
अथयग्रहण संबंिी प्रश्न
1. िााँ की बात पि वपता ने अपनी व्यथा को वकस प्रकाि
जछपाने का प्रयास वकया?
2. कवि ने वकसे क्या कहा?
3. भिानी का जीिन वििस, क्यो ंहै?
4.कवि सािन से अपने िाता-वपता के जलए क्या कहता
है?
उिि –
1. िााँ की बात पि वपता ने कहा वक िह िो नही ंिहा है
औि न ही िह िैयय खो िहा है। इस तिह उन्ोनंे अपनी
व्यथा जछपाने का प्रयास वकया।
2. कवि ने सािन को यह संदेश देने को कहा वक िह िजे
िें है। घििाले उसकी जचंता न किें। िह जसिय घि से दिू
है।
3. भिानी का जीिन िसहीन है, क्योवंक िह घि से दिू है।
पारििारिक स्नेह के अभाि िें िह स्वयं को अकेला
िहसूस कि िहा है।
4.कवि सािन से कहता है वक तुि चाहे जजतना बिस लो,
लेवकन ऐसा कुछ किो वक िेिे िाता-वपता िेिे जलए न
तिसें तथा आाँसू न बहाएाँ ।
11. वकंतु उनसे यह न कहना,
उन्ें देते िीि िहना,
उन्ें कहना जलख िहा हाँ,
उन्ें कहना पढ़ िहा हाँ,
काि किता हाँ वक कहना,
नाि किता हाँ वक कहना,
चाहते हैं लोग कहना
ित किो कुछ शोक कहना,
12. औि कहना िस्त हाँ िैं,
कातने िें व्यस्त हाँ िैं,
िजन सिि सेि िेिा,
औि भोजन ढेि ििा,
कूदता हाँ खेलता हाँ,
द:ुख डिकि ठेलता हाँ,
औि कहना िस्त हाँ िैं,
यो ंन कहना अस्त हाँ िैं,
शब्दाथय–
िीि-िैयय। शोक-दखु। डिकि ठेलना-तल्लीनता से हिाना।
िस्त-अपने िें िग्न िहना। अस्त-वनिाश।
प्रसंग-प्रस्तुत काव्यांश पाठ्यपुस्तक आिोह भाग-1 िें
संकजलत कविता ‘घि की याद’ से जलया गया है। इसके
िचवयता भिानी प्रसाद विश्र हैं। यह कविता जेल प्रिास के
दौिान जलखी गई। एक िात लगाताि बारिश हो िही थी तो
कवि को घि की याद आती है। ऐसे िें िह अपनी पीडा
कविता के िाध्यि व्यि किता है।
व्याख्या-कवि सािन से कहता है वक तुि िेिे िाता-वपता से
िेिे कष्ट्ो ंके बािे िें न बताना। तुि उन्ें िैयय देते हुए यह
कहना वक यह कहना जेल िें भी पढ़ िहा है। सावहत्य जलख
िहा है। िह यहााँ काि किता है तथा परििाि, देश का नाि
िोशन कि िहा है। उसे अनेक लोग चाहते हैं। उनसे शोक
न किन ेकी बात कहना। उन्ें यह भी बताना वक िैं यहााँ
सुखी हाँ। िैं यहााँ सूत कातने िें व्यस्त िहता हाँ। िेिा िजन
सिि सेि है। िैं ढेि सािा भोजन किता हाँ, खेलता-कूदता हाँ
तथा दखु को अपने नजदीक आन ेनही ंदेता। िैं यहााँ िस्त
िहता हाँ, पिंतु उन्ें यह न कहना वक िैं डूबते सूयय-सा
वनस्तेज हो गया हाँ।
विशेष–
1. कवि के संदेश का सुं दि िणयन है।
2. सािन का िानिीकिण वकया गया है।
3. ‘कहना’ शब्द की आिृवि िनिोहक बनी है।
4.‘काि किता’, ‘वक कहना’ िें अनुप्रास अलंकाि है।
5. खडी बोली है।
6. ‘डिकि ठेलना’, ‘अस्त होना’ िुहाििे का सुं दि
प्रयोग है।
7.भाषा िें प्रिाह है। 8. प्रसाद गुण है।
अथयग्रहण संबंिी प्रश्न
1. कवि जेल की िानजसक यातना को क्यो ंजछपाना चाहता
है?
2. यहााँ कौन वकससे क्यो ंकह िहा है?
3. कवि अपने पुि ििय का वनिायह कैसे कि िहा है?
4.कवि जेल िें कौन-कौन-सा कायय किता है?
उिि –
1. कवि जेल की िानजसक यातनाओ ंको अपने िाता-वपता
से जछपाना चाहता है, तावक उसके िृद् िाता-वपता
अपने पााँचिें बेिे के जलए जचंवतत न हो।ं
2. यहााँ कवि सािन को संबोजित कि िहा है तावक िह
अपने िाता-वपता को उसका संदेश दे सके।
3. कवि जेल िें उदास है। उसे परििाि की याद आ िही
है, विि भी िह झूठ बोल िहा है; क्योवंक िह अपने
परिजनो ंको दखुी नही ंकिना चाहता। इस प्रकाि कवि
अपने पुि ििय का वनिायह कि िहा है।
4.कवि जेल िें जलखता है, पढ़ता है, काि किता है, सूत
कातता है तथा खेलता-कूदता है। इस प्रकाि से कवि
दखुो ंका डिकि िुकाबला किता है।
13. हाय िे, ऐसा न कहना,
है वक जो िैसा न कहना,
कह न देना जागता हाँ,
आदिी से भागता हाँ
कह न देना िौन हाँ िैं,
खुद न समझ ँ कौन हाँ िैं,
देखना कुछ बक न देना,
उन्ें कोई शक न देना,
हे सजीले हिे सािन,
हे षक मेरे पुण्य पािन,
तुि बिस लो िे न बिसें,
पााँचिें को िे न तरसें
शब्दाथय–
िौन-चुपचाप बक देना-विजूल की बात कहना। शक-
संदेह। पािन-पविि।
प्रसंग-प्रस्तुत काव्यांश पाठ्यपुस्तक आिोह भाग-1 िें
संकजलत कविता ‘घि की याद’ से जलया गया है। इसके
िचवयता भिानी प्रसाद विश्र हैं। यह कविता जेल प्रिास के
दौिान जलखी गई। एक िात लगाताि बारिश हो िही थी तो
कवि को घि की याद आती है। ऐसे िें िह अपनी पीडा
कविता के िाध्यि से व्यि किता है।
व्याख्या-कवि सािन को साििान कित ेहुए कहता है वक
िेिे परिजनो ंको िेिी सच्चाई न बताना। उन्ें यह न बताना
वक िैं देि िात तक जागता िहता हाँ, आि व्यवि से दिू
भागता हाँ िैं चुपचाप िहता हाँ। यह भी न बताना वक जचंता
िें डूबकि िैं स्वयं को भूल जाता हाँ। तुि साििानी से बातें
कहना। उन्ें कोई शक न होने देना वक िैं दखुी हाँ। हे
सािन! तुि पुण्य कायय िें लीन हो, तुि स्वयं बिसकि ििती
को प्रसन्न किो, पिंतु िेिे िाता-वपता की आाँखो ंिें आाँसू न
बहने देना, उन्ें िेिी याद न आन ेदेना।
विशेष–
1. कवि अपनी व्यथा को अपने तक सीवित िखना चाहता
है।
2. ‘आदिी से भागता हाँ िें कवि की पीडा का िणयन है।
3. ‘पााँचिें’ शब्द से अजभव्यि होने िाली करुणा िियस्पशी
है।
4.सािन का िानिीकिण वकया है।
5. ‘सािन’ के जलए सजीले, हिे, पुण्य, पािन आवद
विशेषणो ंका प्रयोग है।
6. ‘बक’ ि ‘शक’ शब्द भाषा को प्रभािी बनाते हैं।
7.‘पुण्य पािन’ िें अनुप्रास अलंकाि है।
8. खडी-बोली िें प्रभािी अजभव्यवि है।
9. संिाद शैली है।
10. प्रसाद गुण है।
अथयग्रहण संबंिी प्रश्न
1. कवि सािन से क्या आग्रह किता है? औि क्यो?ं
2. कवि की िास्तविक दशा कैसी है?
3. कवि ने सािन को क्या उपिा दी है?
4.कवि सािन को क्या चेतािनी देता है?
उिि –
1. कवि सािन से आग्रह किता है वक िह उसके िाता-
वपता ि परिजनो ंको उसकी िास्तविकता के बािे िें न
बताए तावक िे अपने वप्रय पुि की दशा से दखुी न हो।ं
2. कवि वनिाश है। िह िातभि जागता िहता है। वनिाशा
के कािण िह आदिी के संपकय से दिू भागता है। िह
चुप िहता है तथा स्वयं की पहचान भी भूल चुका है।
3. कवि ने सािन को ‘सजीले’, ‘हिे’, ‘पुण्य-पािन’ की
उपिा दी है, क्योवंक िह सािन को संदेशिाहक बनाकि
अपने िाता-वपता तक संदेश भेजना चाहता है।
4.कवि सािन को चेतािनी देता है वक िह उसके परिजनो ं
के सािने विजूल िें न बोले तथा कवि के बािे िें सही
तिीके से बताए तावक उन्ें कोई शक न हो।
काव्य-सौदंयय संबंिी प्रश्न
1. वपता जी जजनको बुढ़ापा,
एक क्षण भी नही ंव्यापा,
जो अभी भी दौड जाएाँ
जो अभी भी जखलजखलाएाँ ,
िौत के आगे न वहचकें ,
शि के आगे न वबचकें ,
बोल िें बादल गिजता,
काि िें झझ लिजता,
प्रश्न
1. भाि-सौदंयय स्पष्ट् किें।
2. जशल्प-सौदंयय पि प्रकाश डालें।
उिि –
1. इस काव्यांश िें कवि ने अपने वपता की विशेषताएाँ
बताई हैं। िे सहज स्वभाि के हैं तथा शिीि से स्वस्थ
हैं। िे जजदावदल हैं। उनकी आिाज िें गंभीिता है तथा
काि िें तीव्रता है।
2. बोल, वहचकना, वबचकना, लिजना स्थानीय शब्दो ंके
साथ िौत, शेि आवद विदेशी शब्दो ंका प्रयोग वकया गया
है।
o जचिात्मकता है।
o िीि िस की अजभव्यवि है।
o ‘अभी भी’ की आिृवत िें अनुप्रास है।
o ‘बोल िें बादल गिजता’ तथा ‘काि िें झझा
लिजता’ िें उपिा अलंकाि है।
o खडी बोली िें सहज अजभव्यवि है।
o भाषा िें प्रिाह है।
o प्रसाद गुण है।
पाठ्यपुस्तक से हल प्रश्न
कविता के साथ
प्रश्न 1: पानी के िात भि वगिन ेऔि प्राण-िन के जििन ेिें
पिस्पि क्या संबंि है?
उिि – ‘घि की याद’ का आिंभ इसी पंवि स ेहोता है वक
‘आज पानी वगि िहा है। इसी बात को कवि कई बाि
अलग-अलग ढंग से कहता है-‘बहुत पानी वगि िहा है’,
‘िात भि वगिता िहा है। भाि यह है वक सािन की झडी के
साथ-साथ ‘घि की यादो’ं से कवि का िन भि आया है।
प्राणो ंसे प्यािे अपने घि को, एक-एक परिजन को, िाता-
वपता को याद किके उसकी आाँखो ंसे भी पानी वगि िहा है।
िह कहता है वक ‘घि नज़ि िें तैि िहा है। बादलो ंसे िषाय
हो िही है औि यादो ंसे वघिे िन का बोझ कवि की आाँखो ंसे
बिस िहा है।
प्रश्न 2: िायके आई बहन के जलए कवि ने घि को ‘परिताप
का घि’ क्यो ंकहा है?
उिि – कवि ने बहन के जलए घि को परिताप का घि कहा
है। बहन िायके िें अपने परििाि िालो ंसे विलने के जलए
खुशी से आती है। िह भाई-बहनो ंके साथ वबताए हुए
क्षणो ंको याद किती है। घि पहुाँचकि जब उसे पता चलता
है वक उसका एक भाई जेल िें है तो िह बहुत दखुी होती
है। इस कािण कवि ने घि को परिताप का घि कहा है।
प्रश्न 3: वपता के व्यवित्व की वकन विशेषताओ ंको उकेिा
गया है?
उिि – कवि अपने वपता की वनम्नजलजखत विशेषताएाँ बताता
है –
1. उनके वपता को िृद्ािस्था कभी किजोि नही ंकि पाई।
2. िे िुतीले हैं वक आज भी दौड लगा सकते हैं।
3. जखलजखलाकि हाँस सकते हैं।
4.िे इतने उत्साही हैं वक िौत के सािने भी वहचवकचा
नही ंसकते।
5. उनिें इतना साहस है वक िे शेि के सािने भी भयभीत
नही ंहोगें। उनकी आिाज़ िानो बादलो ंकी गजयना है।
6. हि काि को तूफ़ान की िफ्ताि से किने की उनिें
अद्भतु क्षिता है।
7.िे गीता का पाठ किते हैं औि आज भी 260 (दो सौ
साठ) तक दंड पेलते हैं, िगुदि (व्यायाि किने का
िजबूत भािी लकडी का यंि) घुिाते हैं।
8. आाँखो ंिें जल भि वदया है। िे भािुक भी हैं।
प्रश्न 4: वनम्नजलजखत पंवियो ंिें ‘बड्स’ शब्द के प्रयोग की
विशेषता बताइए-
िैं िजे िें हाँ सही है
घि नही ंहाँ बस यही है
वकंतु यह बस बडा बस है।
इसी बस से सब वििस हैं।
उिि – कवि ने बस शब्द का लाक्षजणक प्रयोग वकया है।
पहली बाि के प्रयोग का अथय है वक िह केिल घि पि ही
नही ंहै। दसूिे प्रयोग का अथय है वक िह घि से दिू िहने के
जलए वििश है। तीसिा प्रयोग उसकी लाचािी ि वििशता
को दशयता है। चौथे बस से कवि के िन की व्यथा प्रकि
होती है जजसके कािण उसके सािे सुख जछन गए हैं।
प्रश्न 5: कविता की अंवति 12 पंवियो ंको पढ़कि कल्पना
कीजजए वक कवि अपनी वकस ज्जस्थवत ि िन:ज्जस्थवत को
अपने परिजनो ंसे जछपाना चाहता है?
उिि – इन पंवियो ंिें कवि स्वािीनता आंदोलन का िह
सेनानी है जो जेल की यातना झेलकि भी यातनाओ ंकी
जानकािी अपने परििाि के लोगो ंको इसजलए नही ंदेना
चाहता है, क्योवंक इससे िे दखुी होगें। कवि कहता है वक हे
सािन ! उन्ें ित बताना वक िैं अस्त हाँ। यहााँ जैसा
दखुदायी िाहौल है उसकी जानकािी िेिे घििालो ंको ित
देना। उन्ें यह ित बताना । वक िैं ठीक से सो भी नही ं
पाता औि िनुष्य से भागता हाँ। कही ंउन्ें यह ित बताना
वक जेल की यातनाओ ंसे िैं िौन हो गया हाँ, कुछ नही ं
बोलता। िैं स्वयं यह नही ंसिझ पा िहा वक िैं कौन हाँ?
अथायत् देश-पे्रि अपिाि की सजा? कही ंऐसा न हो वक िेिे
िाता-वपता को शक हो जाए वक िैं दखुी हाँ औि िे िेिे जलए
िोन ेलगें हे सािन! तुि बिस लो जजतना बिसना है, पि िेिे
िाता-वपता को िोना न पडे। अपने पााँचिें पुि के जलए िे न
तिसे अथायत् िे हि हाल िें खुश िहें। कवि उन्ें ऐसा कोई
संदेश नही ंदेना चाहता जो दखु का कािण बने।
कविता के आसपास
प्रश्न 1: ऐसी पााँच िचनाओ ंका संकलन कीजजए जजसिें
प्रकृवत के उपादानो ंकी कल्पना संदेशिाहक के रूप िें. की
गई है।
उिि – षिद्यार्थी स्वयं किें।
प्रश्न 2: घि से अलग होकि आप घि को वकस तिह से याद
कित ेहैं? जलखें।
उिि – विद्याथी अपने अनुभि जलखें।