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  • हिमालयन वन अनसंुधान संस्थान, पंथाघाटी, शिमला, हिमाचल प्रदेि द्वारा 5 जून 2020 को ववश्व पयाावरण हदवस का आयोजन

    हिमालयन वन अनुसंधान संस्थान, शिमला द्वारा हिनांक 5 जून 2020 को ववश्व पयाावरण हदवस मनाया गया, जजसमें संस्थान के वैज्ञाननकों, अधधकारियों, कममचारियों, संस्थान के ववशिन्न अनुसंधान केन्रों के कममचारियों, इन क्षेत्रों से जुड़ े ककसानों, जजला शिमला के ववशिन्न ग्राम पंचायतों की जैव-ववववधता प्रबंधन सशमनतयों के सिस्यों तथा स्थानीय गणमान्य व्यजततयों न े

    वेबबनाि ‘गूगल मीट’ (Google Meet) के माध्यम से िागीिािी की । कायमक्रम का िुिािंि किते िुए डॉ. एस. एस. सामंत, ननदेिक, हिमालयन वन अनुसंधान संस्थान, शिमला ने सिी प्रनतिाधगयों का स्वागत ककया औि किा कक पयामविण के बबना मानव का अजस्तत्व असंिव िै। िनुनया में िि वर्म की तिि इस बाि िी 5 जून को ववश्व पयामविण हिवस मनाया जा

    ििा िै । उन्िोने किा कक ववश्व पयामविण हिवस की नींव 1972 में स्वीडन की िाजधानी स्टॉकिोम में संयुतत िाष्ट्र मिासिा की बैठक में िखी गई। 1974 में पिली बाि ववश्व पयामविण हिवस मनाया गया । पयामविण के प्रनत बढ़ते खतिों को िोकने औि इसे सुिक्षक्षत किने के शलए लोगों में जागरूकता पैिा किने के शलए यि हिन मनाया जाता िै। पयामविण सुधािने औि इसे बबगाड़ने के शलए मानव जजम्मेिाि िै। ऐसे में िमें पयामविण को बेिति बनाने के शलए अपना योगिान िेना चाहिए। कोिोना संकट के िौिान प्रकृनत का नया रूप सामने आया िै, जो बताता िै कक यि िनुनया बिुत खबूसूित िै औि इसे पयामविण को बेिति बनाकि औि सुंिि बनाया जा सकता िै । डॉ. एस. एस. सामंत ने ‘जैव-ववववधता, पाररस्स्थनतकी तंत्र सेवाएं और जलवाय ुपररवतान’ पि अपनी प्रस्तुनत िी, उन्िोने बताया कक जैव-ववववधता जीवों के बीच पायी जाने वाली ववववधता एवं ववशिन्नता िै जोकक प्रजानतयों में, प्रजानतयों के बीच औि उनकी पारितंत्रों की ववववधता को िी समाहित किती िै। उन्िोने हिमालय में पाई जाने वाली जैव-ववववधता के संिक्षण एवं संवधमन पि ववस्ततृ जानकािी प्रिान की । डॉ. सामंत ने किा कक जैव-ववववधता का स्ति, मूल्य, पारिजस्थकी तंत्र सेवाएँ, जैव-ववववधता के ह्रास के कािण, जलवायु परिवतमन का जैव-ववववधता पि असि, सतत उपयोग एवं सिंक्षण वविरे्कि हिमालयी क्षेत्रों की जैव-ववववधता के सिंक्षण के बािे में ववस्ततृ जानकािी प्रिान की । डॉ. सामंत ने बताया कक कोिोना जैसी बीमािी का समाधान िी जैव-ववववधता के घटकों से संिव िै । वविरे् रूप से जड़ी बूहटयों व जंगली खाद्य पिाथम इसमें मित्वपूणम िूशमका अिा कि सकते िैं ।

  • श्री जगदीि शसिं, वैज्ञाननक ‘एफ’ ने ‘उत्तर पस्श्चमी हिमालयी क्षेत्र में औषधीय पौधों की ववववधता’ पि अपनी प्रस्तुनत िी तथा बताया कक वतममान समय में और्धीय पौधों के मित्व तथा स्थानीय उपयोगों एवं कृवर्किण से आय बढ़ोतिी के बािे में ववस्ततृ जानकािी प्रिान की।

    डॉ. अश्वनी तपवाल, वैज्ञाननक ‘ई’ ने ‘वन पाररस्स्थनतकी तंत्र में कवक की भूशमका’ पि प्रस्तुनत के माध्यम से ववस्ततृ जानकािी प्रिान की तथा वनों में कई खाने योग्य कवक प्रजानतयों एवं माइकोिाईजा के मित्व पि िी प्रकाि डाला ।

    डॉ. संदीप िमाा, वैज्ञाननक ‘जी’ ने ‘जैववक खेती, खाद एवं कें चआु खाद तकनीकों’ पि प्रस्तुनत िी तथा जीवअमतृ, संतुशलत शमट्टी, िरित कचिे से खाि के ननमामण एवं वतममान में जैववक खेती के मित्व पि प्रकाि डाला । कायमक्रम के अतं में ननिेिक ने जजला शिमला की ववशिन्न ग्राम पंचायतों की जैव-ववववधता प्रबंधन सशमनतयों के सिस्यों, जम्मू, ताबो, ब्रूनधाि, बीड प्लासी, शिलारू, शिल्ली के प्रनतिाधगयों, स्थानीय गणमान्य व्यजततयों, संस्थान के वैज्ञाननकों, अधधकारियों, कममचारियों एवं िोधाधथमयों का इस आयोजन िेतु अपना बिुमूल्य समय ननकाल कि इस आयोजन में अपनी िागीिािी सुननजश्चत किने के शलए आिाि व्यतत ककया तथा आिा व्यतत की कक िववष्ट्य में िी संस्थान को इसी प्रकाि उनका सियोग शमलता ििेगा । इस आयोजन में लगिग 90 प्रनतिाधगयों ने िाग शलया ।

  • कायाक्रम की कुछ झलककयााँ

  • मीडडया कवरेज़

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