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1. मू�ला�धा�र चक्र :- यह शर�र का� पहला� चक्र ह�।च�र प�खु�रिरय� वा�ला� यह 'आधा�र चक्र' ह�। 99%ला�गों� का� च�तना� इसी� चक्र पर अटका� रहत� ह� औरवा� इसी� चक्र मू# रहकार मूर जा�त� ह%।उनाका� ऊजा�( इसी� चक्र का� आसीप�सी एकात्रि+तरहत� ह�।मू�+ : ला� चक्र जागों�ना� का� त्रिवाधिधा : इसीका� जा�ग्रत कारना� का� त्रिनायमू ह� सी�क्षी� भा�वा मू#रहना�।प्रभा�वा : इसी चक्र का� जा�ग्रत ह�ना� पर व्यक्ति3 का� भा�तर वा�रत�, त्रिनाभा4कात� और आना�द का� भा�वाजा�ग्रत ह� जा�त� ह�।2. स्वा�धिधाष्ठा�ना चक्र :-यह वाह चक्र ह�, जा� मू�ला�धा�र चक्र सी� च�र अ�गों�ला ऊपरस्थि9त ह� जिजासीका� छ: प�खु�रिरय�� ह%। अगोंरआपका� ऊजा�( इसी चक्र पर ह� एकात्रि+त ह�त� आपका� जा�वाना मू# आमू�द-प्रमू�द, मूना�र�जाना,घू�मूना�-त्रि=रना� और मू>जा-मूस्त� कारना�का� प्रधा�नात� रह�गों�। यह सीब कारत� हुएह� आपका� जा�वाना काब व्यत�तह� जा�एगों� आपका� पत� भा� नाहA चला�गों� और ह�थत्रि=र भा� खु�ला� रह जा�ए�गों�।मू�+ : वा�का� सी� जा�ग्रत कार# : जा�वाना मू# मूना�र�जाना जारूर� ह�,ला�त्रिकाना मूना�र�जाना का� आदत नाहA। मूना�र�जानाभा� व्यक्ति3 का� च�तना� का� ब�ह�श� मू# धाका� लात� ह�।त्रि=ल्मू सीच्ची� नाहA ह�त� ला�त्रिकाना उसीसी� जा�ड़कार आपजा� अना�भावा कारत� ह% वाह आपका� ब�ह�श जा�वाना जा�ना�का� प्रमू�ण ह�। ना�टका और मूना�र�जाना सीच नाहA ह�त�।प्रभा�वा : इसीका� जा�ग्रत ह�ना� पर क्र� रत�, गोंवा(,आलास्य, प्रमू�द, अवाज्ञा�, अत्रिवाश्वा�सीआदिद दुगों(ण� का� ना�शह�त� ह�।3. मूणिणप�र चक्र :-ना�णिभा का� मू�ला मू# स्थि9त यह चक्रशर�र का� अ�तगों(त मूणिणप�र ना�मूका त�सीर� चक्र ह�,जा� दसीकामूला प�खु�रिरय� सी� य�3 ह�। जिजासीव्यक्ति3 का� च�तना� य� ऊजा�( यह�� एकात्रि+त ह� उसी�का�मू कारना� का� धा�ना-सी�रहत� ह�। ऐसी� ला�गों� का� कामू(य�गों� काहत� ह%। य� ला�गोंदुत्रिनाय� का� हर का�य( कारना� का� क्तिलाए त�य�र रहत� ह%।मू�+ : र�का� सी� जा�ग्रत कार# : आपका� का�य( का� सीका�र�त्मूकाआय�मू द�ना� का� क्तिलाए इसी चक्र पर ध्य�ना लागों�ए�गों�।प�ट सी� श्वा�सी ला#।प्रभा�वा : इसीका� सीत्रिक्रय ह�ना� सी� तPष्ण�, ईष्य�(,च�गोंला�, लाज्जा�, भाय, घूPण�, मू�ह आदिदकाल्मूष दूर ह�जा�त� ह%। यह चक्र मू�ला रूप सी� आत्मूशक्ति3 प्रद�नाकारत� ह�।आत्मूवा�ना ह�ना� का� क्तिलाए यह अना�भावाकारना� जारूर� ह� त्रिका आप शर�र नाहA, आत्मू� ह%।आत्मूशक्ति3, आत्मूबला और आत्मूसीम्मू�ना का� सी�थ जा�वाना का� का�ई भा� लाक्ष्य दुला(भा नाहA।4. अना�हत चक्र :-हृदय 9ला मू# स्थि9त स्वार्णिणZमू वाण( का� द्वा�दशदला कामूला का� प�खु�त्रिड़य� सी� य�3 द्वा�दशस्वाण�(क्षीर� सी�सी�श�णिभात चक्र ह� अना�हत चक्र ह�। अगोंरआपका� ऊजा�( अना�हत मू# सीत्रिक्रय ह�, त� आप एकासीPजानाश�लाव्यक्ति3 ह�गों�। हर क्षीण आप का� छ ना का� छ नाय� रचना�का� सी�चत� ह%। आप क्तिच+का�र, कात्रिवा, काह�ना�का�र,इ�जा�त्रिनायर आदिद ह� सीकात� ह%।मू�+ : य�का� सी� जा�ग्रत कार# : हृदय पर सी�यमू कारना� और ध्य�नालागों�ना� सी� यह चक्र जा�ग्रत ह�ना� लागोंत� ह�। खु�सीकारर�त्रि+ का� सी�ना� सी� प�वा( इसी चक्र पर ध्य�ना लागों�ना�सी� यह अभ्य�सी सी� जा�ग्रत ह�ना� लागोंत� ह� औरसी�ष�म्ना�इसी चक्र का� भा�दकार ऊपर गोंमूना कारना� लागोंत� ह�।प्रभा�वा : इसीका� सीत्रिक्रय ह�ना� पर क्तिलाप्सी�, कापट,हिंहZसी�, का� तका( , चिंचZत�, मू�ह, द�भा, अत्रिवावा�का औरअह�का�रसीमू�प्त ह� जा�त� ह%। इसी चक्र का� जा�ग्रत ह�ना� सी�व्यक्ति3 का� भा�तर प्र�मू और सी�वा�दना� का� जा�गोंरणह�त� ह�।इसीका� जा�ग्रत ह�ना� पर व्यक्ति3 का� सीमूय ज्ञा�नास्वात: ह� प्रकाट ह�ना� लागोंत� ह�।व्यक्ति3 अत्य�तआत्मूत्रिवाश्वास्त, सी�रणिक्षीत, च�रिरत्रि+का रूप सी�जिजाम्मू�द�र एवा� भा�वाना�त्मूका रूप सी� सी�त�क्तिलातव्यक्ति3त्वा बना जा�त� ह%। ऐसी� व्यक्ति3 अत्य�तत्रिहत�ष� एवा� त्रिबना� त्रिकासी� स्वा�थ( का� मू�नावात� प्र�मू� एवा� सीवा(त्रिप्रय बना जा�त� ह�।5. त्रिवाश�द्ध चक्र :-का� ठ मू# सीरस्वात� का� 9�ना ह�, जाह�� त्रिवाश�द्ध चक्रह� और जा� सी�लाह प�खु�रिरय� वा�ला� ह�। सी�मू�न्यत>रपरयदिद आपका� ऊजा�( इसी चक्र का� आसीप�सीएकात्रि+त ह� त� आप अत्रित शक्ति3श�ला� ह�गों�।मू�+ : ह�का� सी� जा�ग्रत कार# : का� ठ मू# सी�यमू कारना� और ध्य�नालागों�ना� सी� यह चक्र जा�ग्रत ह�ना� लागोंत� ह�।प्रभा�वा : इसीका� जा�ग्रत ह�ना� कार सी�लाह काला�ओंऔर सी�लाह त्रिवाभा�त्रितय� का� ज्ञा�ना ह� जा�त� ह�। इसीका� जा�ग्रतह�ना� सी� जाह�� भा�खु और प्य�सीका� र�का� जा� सीकात� ह� वाहA मू>सीमू का� प्रभा�वाका� भा� र�का� जा� सीकात� ह�।6. आज्ञा�चक्र :-भ्रू�मूध्य (द�ना� आ�खु� का� ब�च भाPका� टe मू#) मू#आज्ञा� चक्र ह�। सी�मू�न्यत>र पर जिजासीव्यक्ति3 का� ऊजा�( यह��ज्य�द� सीत्रिक्रय ह� त� ऐसी� व्यक्ति3 ब>जिद्धका रूप सी�सी�पन्न, सी�वा�दनाश�ला और त�जा दिदमू�गों का� बनाजा�त� ह�ला�त्रिकाना वाह सीब का� छ जा�नाना� का� ब�वाजा�द मू>नारहत�

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ह�। इसी ब>जिद्धका क्तिसीजिद्ध काहत� ह%।मू�+ : ऊ�का� सी� जा�ग्रत कार# : भाPका� टe का� मूध्य ध्य�ना लागों�त� हुएसी�क्षी� भा�वा मू# रहना� सी� यह चक्र जा�ग्रत ह�ना�लागोंत� ह�।प्रभा�वा : यह�� अप�र शक्ति3य�� औरक्तिसीजिद्धय�� त्रिनावा�सी कारत� ह%। इसी आज्ञा� चक्रका� जा�गोंरण ह�ना� सी� य� सीभा�शक्ति3य�� जा�गों पड़त� ह% और व्यक्ति3 एकाक्तिसीद्धप�रुष बना जा�त� ह�।7. सीहस्रा�र चक्र :-सीहस्रा�र का� स्थि9त्रित मूस्तिस्तष्का का� मूध्य भा�गों मू# ह�अथ�(त जाह�� च�टe रखुत� ह%। यदिद व्यक्ति3त्रिनायमूका� प�लाना कारत� हुए यह�� तका पहु�च गोंय� ह� त� वाहआना�दमूय शर�र मू# स्थि9त ह� गोंय� ह�। ऐसी�व्यक्ति3 का�सी�सी�र, सी�न्य�सी और क्तिसीजिद्धय� सी� का�ई मूतलाबनाहA रहत� ह�।का� सी� जा�ग्रत कार# : मू�ला�धा�र सी� ह�त� हुए ह� सीहस्रा�र तकापहु�च� जा� सीकात� ह�। लागों�त�र ध्य�ना कारत� रहना� सी�यह चक्र जा�ग्रतह� जा�त� ह� और व्यक्ति3 परमूह�सी का� पद का� प्र�प्तकार ला�त� ह�।प्रभा�वा : शर�र सी�रचना� मू# इसी 9�ना पर अना�कामूहत्वाप�ण( त्रिवाद्यु�त�य और जा�वा�य त्रिवाद्यु�तका� सी�ग्रह ह�। यह� मू�क्षी का� द्वा�र ह� ।


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