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कश्यप का कुल भारतीय कुल इततहास भाग-3
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जब हम सषृ्टि विकास की बात करते हैं तो इसका मतलब है जीि, जंत ुया मानि की उत्पवि से होता है। ऋवि कश्यप एक ऐसे ऋवि थे ष्जन्होंने बहुत-सी स्त्रीयों से वििाह कर अपने कुल का विस्त्तार ककया था। आदिम काल में जाततयों की विविधता आज की अपेक्षा कई गनुा अधधक थी। ऋवि कश्यप ब्रह्माजी के मानस-परु मरीची के विद्िान परु थे। मान्यता अनसुार इन्हें अतनटिनेमी के नाम से भी जाना जाता है। इनकी माता 'कला' किदम ऋवि की परुी और कवपल िेि की बहन थी। कश्यप को ऋवि-मतुनयों में श्रेटठ माना गया हैं। परुाणों अनसुार हम सभी उन्हीं की संतानें हैं। सरु-असरुों के मूल परुुि ऋवि कश्यप का आश्रम मेरू पिदत के शिखर पर था, जहााँ िे परब्रह्म परमात्मा के ध्यान में लीन रहते थे। समस्त्त िेि, िानि एिं मानि ऋवि कश्यप की आज्ञा का पालन करते थे। कश्यप ने बहुत से स्त्मतृत-गं्रथों की रचना की थी। कश्यप कथा : परुाण अनसुार सषृ्टि की रचना और विकास के काल में धरती पर सिदप्रथम भगिान ब्रह्माजी प्रकि हुए। ब्रह्माजी से िक्ष प्रजापतत का जन्म हुआ। ब्रह्माजी के तनिेिन पर िक्ष प्रजापतत ने अपनी पत्नी अशसक्नी के गभद से 66 कन्याएाँ पिैा की। इन कन्याओं में से 13 कन्याएाँ ऋवि कश्यप की पष्त्नयााँ बनीं। मखु्यत इन्हीं कन्याओं से सषृ्टि का विकास हुआ और कश्यप सषृ्टिकताद कहलाए। ऋवि कश्यप सप्तऋवियों में प्रमखु माने जाते हैं। विटण ुपरुाणों अनसुार सातिें मन्िन्तर में सप्तऋवि इस प्रकार रहे हैं- िशसटठ, कश्यप, अत्रर, जमिष्नन, गौतम, विश्िाशमर और भारद्िाज। श्रीमद्भागित के अनसुार िक्ष प्रजापतत ने अपनी साठ कन्याओं में से 10 कन्याओं का वििाह धमद के साथ, 13 कन्याओं का वििाह ऋवि कश्यप के साथ, 27 कन्याओं का वििाह चंद्रमा के साथ, 2 कन्याओं का वििाह भूत के साथ, 2 कन्याओं का वििाह अंगीरा के साथ, 2 कन्याओं का वििाह
कृिाश्ि के साथ ककया था। िेि 4 कन्याओं का वििाह भी कश्यप के साथ ही कर दिया गया। *कश्यप की पत्नीयााँ : इस प्रकार ऋवि कश्यप की अदितत, दितत, िन,ु काटठा, अररटिा, सरुसा, इला, मतुन, क्रोधििा, ताम्रा, सरुशभ, सरुसा, ततशम, विनता, कद्रू, पतांगी और याशमनी आदि पष्त्नयााँ बनीं। 1.अदिति : परुाणों अनसुार कश्यप ने अपनी पत्नी अदितत के गभद से बारह आदित्यों को जन्म दिया, ष्जनमें भगिान नारायण का िामन अितार भी िाशमल था।
माना जाता है कक चाक्षुि मन्िन्तर काल में तवुित नामक बारह श्रेटठगणों ने बारह आदित्यों के रूप में जन्म शलया, जो कक इस प्रकार थे- वििस्त्िान,् अयदमा, पूिा, त्िटिा, सविता, भग, धाता, विधाता, िरुण, शमर, इंद्र और त्ररविक्रम (भगिान िामन)। ऋवि कश्यप के परु विस्त्िान से मन ुका जन्म हुआ। महाराज मन ुको इक्ष्िाकु, नगृ, धृटि, ियादतत, नररटयन्त, प्रान्ि,ु नाभाग, दिटि, करूि और पिृध्र नामक िस श्रेटठ परुों की प्राष्प्त हुई। 2.दिति : कश्यप ऋवि ने दितत के गभद से दहरण्यकश्यप और दहरण्याक्ष नामक िो परु एिं शसदंहका नामक एक परुी को जन्म दिया। श्रीमद्भागित ्के अनसुार इन तीन संतानों के अलािा दितत के गभद से कश्यप के 49 अन्य परुों का जन्म भी हुआ, जो कक मरुन्िण कहलाए। कश्यप के ये परु तनसंतान रहे। जबकक दहरण्यकश्यप के चार परु थे- अनहुल्लाि, हल्लाि, भक्त प्रह्लाि और संहल्लाि। 3.िन ु: ऋवि कश्यप को उनकी पत्नी िन ुके गभद से द्विमधुाद, िम्बर, अररटि, हयग्रीि, विभािस,ु अरुण, अनतुापन, धूम्रकेि, विरूपाक्ष, िजुदय, अयोमखु, िंकुशिरा, कवपल, िंकर, एकचक्र, महाबाहु, तारक, महाबल, स्त्िभादन,ु ििृपिाद, महाबली पलुोम और विप्रधचतत आदि 61 महान परुों की प्राष्प्त हुई। 4.अन्य पत्नीयााँ : रानी काटठा से घोडे आदि एक खुर िाले पि ुउत्पन्न हुए। पत्नी अररटिा से गंधिद पिैा हुए। सरुसा नामक रानी से यातधुान (राक्षस) उत्पन्न हुए। इला से िकृ्ष, लता आदि पथृ्िी पर उत्पन्न होने िाली िनस्त्पततयों का जन्म हुआ। मतुन के गभद से अप्सराएाँ जन्मीं। कश्यप की क्रोधििा नामक रानी ने सााँप, त्रबच्छु आदि वििलैे जन्त ुपिैा ककए।
ताम्रा ने बाज, धगद्ध आदि शिकारी पक्षक्षयों को अपनी संतान के रूप में जन्म दिया। सरुशभ ने भैंस, गाय तथा िो खुर िाले पिओुं की उत्पवि की। रानी सरसा ने बाघ आदि दहंसक जीिों को पिैा ककया। ततशम ने जलचर जन्तओुं को अपनी संतान के रूप में उत्पन्न ककया। रानी विनता के गभद से गरुड (विटण ुका िाहन) और िरुण (सूयद का सारधथ) पिैा हुए। कद्रू की कोख से बहुत से नागों की उत्पवि हुई, ष्जनमें प्रमखु आठ नाग थे-अनंत (िेि), िासकुी, तक्षक, ककोिक, पद्म, महापद्म, िंख और कुशलक। रानी पतंगी से पक्षक्षयों का जन्म हुआ। याशमनी के गभद से िलभों (पतंगों) का जन्म हुआ। ब्रह्माजी की आज्ञा से प्रजापतत कश्यप ने िशै्िानर की िो पतु्ररयों पलुोमा और कालका के साथ भी वििाह ककया। उनसे पौलोम और कालकेय नाम के साठ हजार रणिीर िानिों का जन्म हुआ जो कक कालान्तर में तनिातकिच के नाम से विख्यात हुए। माना जाता है कक कश्यप ऋवि के नाम पर ही कश्मीर का प्राचीन नाम था। समूचे कश्मीर पर ऋवि कश्यप और उनके परुों का ही िासन था। कश्यप ऋवि का इततहास प्राचीन माना जाता है। कैलाि पिदत के आसपास भगिान शिि के गणों की सिा थी। उक्त इलाके में ही िक्ष राजाओं का साम्राज्य भी था। कश्यप ऋवि के जीिन पर िोध ककए जाने की आिश्यकता है। इतत।
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