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पे्ररि�तों के का� की पुस्तक

अध्ययन मार्ग�दर्शि��का

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अध्याय एक

पे्ररिरतों के काम की पुस्तक की पृष्ठभूमिम

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नि�षय-�स्तु सूचीइस अध्याय औ� �ार्ग�दर्शि)*का का उपयोर्ग कैसे क�ें.......................................................................................4तैया�ी.......................................................................................................................................................5ोट्स........................................................................................................................................................6

I. परि�चय (0:26).................................................................................................................................6

II. लेखक (1:58)..................................................................................................................................6क. लूका का सुसमाचार (3:04)...........................................................................................................6

1. सुस्पष्टता (3:38)..................................................................................................................72. अस्पष्टता (6:13).................................................................................................................7

ख. आरम्भि5क कलीचिसया (9:38).........................................................................................................81. पाण्डुचिलपिपयाँ (9:53)............................................................................................................82. आरम्भि5क कलीचिसयाई अरु्गवे (13:04).....................................................................................9

र्ग. नया पिनयम (15:50)....................................................................................................................101. लेखक के बारे में सुरार्ग (16:11)...........................................................................................102. लूका (19:19)...................................................................................................................10

III. ऐनितहासिसक स�या�सि3 (22:02)......................................................................................................11क. पितचि: (22:17)...........................................................................................................................11

1. 70 ई. सन् के बाद (23:00)................................................................................................112. 70 ई. सन् से पपिहले (27:34).............................................................................................12

ख. वास्तपिवक श्रोतार्गण (30:07).......................................................................................................121. चि:युपि?लुस (30:30)...........................................................................................................122. पिवस्तृत श्रोतार्गण (32:30)...................................................................................................13

र्ग. सामाजिजक संदभ� (33:58)............................................................................................................131. रोमी साम्राज्य (34:25).......................................................................................................132. यहूदी (39:38)..................................................................................................................15

IV. 3���ैज्ञानिक पृष्ठभूमि� (47:02)........................................................................................................16क. पुराना पिनयम (47:42).................................................................................................................16

1. इपितहास (48:17)...............................................................................................................162. इस्राएल (55:48)...............................................................................................................17

ख. परमेश् वर का राज्य (1:04:37)......................................................................................................191. यहूदी धम�पिवज्ञान (1:04:50)................................................................................................192. यूहन्ना बपपितस्मादाता (1:06:57)...........................................................................................203. मसीही धम�पिवज्ञान (1:10:28)...............................................................................................21

र्ग. लूका का सुसमाचार (1:15:04).....................................................................................................221. यी�ु (1:16:28).................................................................................................................222. पे्ररिरत (1:19:43)................................................................................................................22

V. सा�ां) (1:24:15)..........................................................................................................................23

पुर्वि�*चा� हेतु प्रश्न....................................................................................................................................24

लारू्ग क�े हेतु प्रश्न...................................................................................................................................29

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इस अध्याय औ� �ार्ग�दर्शि)*का का उपयोर्ग कैसे क�ेंइस अध्ययन मार्ग�दर्शि��का को सम्बद्ध वीपिडयो अ:ा�त् चचिलत दृश्य अध्यायों के सा: संयुक्त रूप में उपयोर्ग करने के चिलए पिनर्मिम�त पिकया र्गया है। यदिद आपके पास वीपिडयो उपलब्ध नहीं हैं, तो यह अध्ययन मार्ग�दर्शि��का ऑपिडयो अ:ा�त् श्रव्य अध्याय और/या अध्याय की मूल प्रपितयों के संस्करणों के सा: काय� करने के चिलए भी सहायता देंर्गे। इसके अपितरिरक्त, अध्याय और मार्ग�दर्शि��का की मं�ा एक सीखने वाले समुदाय के उपयोर्ग के चिलए की र्गई है, परन्तु सा: ही इनका उपयोर्ग यदिद आवश्यक है तो व्यचिक्तर्गत् अध्ययन के चिलए भी पिकया जा सकता है।

इससे पहले निक आप अध्याय को देखें o स्�यं को तैया� क�ें – पिकसी भी अनु�ंचिसत अध्यायों को पढ़ कर पूरा कर लें। o देखे के सिलए स�य नि3ा�रि�त क�ें – इस मार्ग�दर्शि��का के नोट्स खण्ड में, अध्याय को उन भार्गों में

पिवभाजिजत पिकया र्गया है जो पिक वीपिडयो के सा: सम्बद्ध हैं। प्रत्येक मुख्य भार्ग के सा: दिदए हुए लघुकोष्ठकों में दिदए हुए समय कोड्स का उपयोर्ग, यह पिनधा�रिरत करता है कहाँ से अध्याय देखना आर5 पिकया जाए और कहाँ देखना समाप्त होता है। :ड� मिमलेपिनयम के अध्याय सघनता से सूचनाओं के सा: भरे हुए हैं, इसचिलए हो सकता है पिक आप इसे कई टुकड़ों में देखना चाहेंर्गे। इन टुकड़ों को मुख्य भार्गों के अनुसार होना चापिहए

जब आप अध्याय को देख �हे हैं तब o नोट्स बनाए ं— अध्ययन मार्ग�दर्शि��का के नोट्स खण्ड अध्याय की मूल रूपरेखा की जानकारी रखते हैं,

जिजसमें प्रत्येक खण्ड को आर5 पिकए जाने के चिलए समय कोड्स और कँुजी नोट्स सम्मिम्मचिलत हैं जो पिक आपका मार्ग�द��न इन सूचनाओं के चिलए करेंर्गे। अमिधकां� मुख्य पिवचारों को पहले से ही सारांचि�त कर दिदया र्गया है, परन्तु इन्हें स्वयं के नोट्स के द्वारा पूरक पिकया जाना सुपिनश्चिgत करें। आपको सम:�न देने वाली अपितरिरक्त सामग्री को भी जोड़ना चापिहए जो आपको मुख्य पिवचारों को स्मरण करने, पिववरण देने से और इनका बचाव करने में सहायता प्रदान करेंर्गे।

o टिटप्पणिCयों औ� प्रश्नों को सिलख लें – जब आप वीपिडयो को देखते हैं, तब हो सकता है पिक जो कुछ आप सीख रहे हैं उसके प्रपित आपके पास दिटप्पश्चिणयाँ और/या प्रश्न हों। अपनी दिटप्पश्चिणयों और प्रश्नों को हाचि�ये में चिलखें तापिक इन्हें आप अध्याय को देखने के पgात् समूह के सा: साझा कर सकते हैं।

o अध्याय के भार्गों को देखते स�य लघु ठह�ा�/पु: आ�म्भ बट का उपयोर्ग क�ें – आप पाएरं्गे पिक कुछ पिनश्चिgत स्थानों पर पुनर्विव�चार के चिलए कदिnन अवधारणाए,ँ या रूचिचपूण� बातों पर पिवचार पिवम�� या अपितरिरक्त नोट्स चिलखने के चिलए वीपिडयो का लघु nहराव या इसे पुन: आर5 करना सहायतापूण� है।

आपके द्वा�ा अध्याय को देख लेे के पश्चात् o पुर्वि�*चा� के सिलए प्रश्नों को पू�ा क�ें – पुनर्विव�चार के चिलए प्रश्न अध्याय की मूल पिवषय-वस्तु के ऊपर

आधारिरत है। आपको उपलब्ध पिकए हुए स्थान में पुनर्विव�चार के प्रश्नों के उत्तर को देना चापिहए। इन प्रश्नों को एक समूह की अपेक्षा व्यचिक्तर्गत् रूप से पूरा पिकया जाना चापिहए।

o उपयोर्ग के सिलए प्रश्नों का उत्त� दें/नि�चा� नि��)� क�ें – उपयोर्ग हेतु प्रश्न ऐसे प्रश्न हैं जो पिक इस अध्याय की पिवषय-वस्तु के सा: सम्बद्ध होते हुए मसीही जीवन यापन, धम�पिवज्ञान और सेवकाई से सम्बमिधत हैं। उपयोर्ग हेतु प्रश्न चिलखिखत र्गृहकायu या समूह के पिवचार पिवम�� के चिलए पिवषयों के चिलए उपयुक्त हैं। क्योंपिक चिलखिखत र्गृहकायu के चिलए, यह अनु�ंसा की जाती है पिक उत्तर एक पृष्ठ से अमिधक लम्बा नहीं होना चापिहए।

तैया�ी पे्ररिरतों के काम की पुस्तक को पढ़ें

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ोट्स

I. परि�चय (0:26)

जब हम बाइबल के लेखकों की पृष्ठभूमिम, उनके संसार, उनके जीवनों और उनके उदे्दश्यों के बारे में जान जाते हैं, तो हमारी समझ और सराहना पपिवत्र�ास्त्र के चिलए और भी ज्यादा र्गहरी हो जाती है।

II. लेखक (1:58)

पपिवत्र आत्मा ने पपिवत्र�ास्त्र के मौचिलक लेखन को तु्रदिट से मुक्त रखा, परन्तु उसने पि?र भी मानव लेखकों के व्यचिक्तत्व, पृष्ठभूमिम और इरादों को प्रयोर्ग पिकया।

न तो तीसरा सुसमाचार और न ही पे्ररिरतों के काम की पुस्तक पिव�ेष रूप से लेखक के नाम का उल्लेख करती है।

क. लूका का सुस�ाचा� (3:04)

दो प्रकार की श्रेणी के प्रमाण एक ही व्यचिक्त के द्वारा प्रेरिरतों के काम की पुस्तक और लूका के चिलखे होने का सुझाव देते हैं।

1. सुस्पष्टता (3:38)

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नोट्स

पे्ररिरतों के काम की पुस्तक और तीसरा सुसमाचार चि:युपि?लुस को समर्विप�त पिकए र्गए हैं

पे्ररिरतों के काम की पुस्तक का संकेत 'पहली पुम्भिस्तका' के तौर पर पिकया र्गया है।

इसी तरह की प्रस्तावनाए ँपुरातन सापिहत्यित्यक परम्परा को द�ा�ता है

2. अस्पष्टता (6:13)

कई समानताए ंतीसरे सुसमाचार और पे्ररिरतों के काम की पुस्तक के मध्य पाई जाती हैं:

क्रमानुसार पिववरण

संयोजन की संरचना

कालानुक्रमिमक लम्बाई

पिवषय

एक ही कहानी

समानताए ंएक सामान्य छुटकारे से भरे-हुए-ऐपितहाचिसक द��न, उदे्दश्य और पिवश् वास की एक संयुक्त भावना की ओर संकेत करता है।

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नोट्स

ख. आ�म्भिम्भक कलीसिसया (9:38)

1. पाण्रु्डसिलनिपयाँ (9:53)

पपाईरस 75 (ई. सन् 175-200) संकेत देते हैं पिक लूका ने तीसरे सुसमाचार और पे्ररिरतों के काम की पुस्तक को चिलखा ।

मारटोरिरयन के टुकडे़ (ई. सन् 170 -180) लूका के द्वारा तीसरे सुसमाचार और पे्ररिरतों के काम की पुस्तक के चिलखे जाने की पुमिष्ट का संकेत देते हैं ।

पिवरोधी मारसोनाईट की प्रस्तावना (160 -180 ई. सन्., तीसरे सुसमाचार का एक परिरचय) लूका को ही तीसरे सुसमाचार और पे्ररिरतों के काम की पुस्तक के लेखक का वण�न करता है।

2. आ�म्भिम्भक कलीसिसयाई अरु्ग�े (13:04)

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नोट्स

इरापिनयुस (130- 202 ई. सन)्: " लूका भी, जो पौलुस का सहकम~ :ा, ने एक पुस्तक में उस द्वारा प्रचार पिकये हुए सुसमाचार को अश्चिभचिलखिखत पिकया है।"

अलैक्जैखि�या का क्लेमेंट (150 -150 ई. सन्): " पे्ररिरतों के काम की पुस्तक में लूका सम्बम्मि�त करता है..."

तरतुचिलयन (155 - 230 ई. सन)्: "इसचिलए, पे्ररिरत, यूहन्ना और मत्ती सबसे पहले हममें पिवश् वास को अपिवरत प्रयास से चिसखा देते हैं... लूका और मरकुस इसे बाद में

नवीनीकृत करते हैं।"

ईसुबीयुस (323 ई. सन्): "लूका... का ही उल्लेख... पे्ररिरतों के काम की पुस्तक में करता है।"

आर5 की कलीचिसया के सापिहत्य में ऐसा एक भी संकेत नहीं मिमलता है जिजसमेंतीसरे सुसमाचार और प्रेरिरतों के काम की पुस्तक के चिलए लेखन लूका के चिसवाय पिकसी अन्य को नामिमत पिकया र्गया हो

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नोट्स

र्ग. या निय� (15:50)

1. लेखक के बा�े �ें सु�ार्ग (16:11)

न तो प्रेरिरत या न ही यी�ु के जीवन का एक प्रत्यक्षद�~ ।

यूनानी भाषा की लेखन �ैली यह संकेत देती है पिक लेखक अच्छी तरह से चि�श्चिक्षत :ा।

पौलुस के सा: एक सहयात्री :ा।

2. लूका (19:19)

वह एक प्रेरिरत नहीं :ा।

अच्छी तरह चि�श्चिक्षत : एक चिचपिकत्सक

पौलुस के सा: यात्रा करने वाला एक सहकम~ :ा।

III. ऐनितहासिसक स�या�सि3 (22:02)

क. नितसिथ (22:17)

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नोट्स

1. 70 ई. स् के बाद (23:00)

आ�ावाद :

पे्ररिरतों के काम की पुस्तक बहुत ज्यादा आर5 की कलीचिसया के इपितहास के बारे में सकारात्मक है जो पिक बहुत पहले चिलख दिदया र्गया :ा।

परन्तु पे्ररिरतों के काम की पुस्तक कलीचिसया के अन्दर और बाहर की सभी तरह की समस्याओं का पिनपटारा करता है।

जोसे?ुस :

जोसे?ुस के सम्बम्मि�त लेखन 79 ई. सन.्, से पपिहले संकचिलत पिकए र्गए:े, और 85 ई. सन्., से पपिहले उपलब्ध नहीं हुुए :े।

चि:यूदास ( पे्ररिरतों के काम 5:36) यहूदी क्रात्यिन्तकारी हो सकता है जिजसके बारे में जोसे?ुस की ऐन्टीक्विक्वटीस नामक पुस्तक (20.97) में उल्लेख हुआ

है।

र्गलील कुा यहूदा (( पे्ररिरतों के काम 5:37)) जोसे?ुस की 2 री पुस्तक यहूदी लड़ाइयुाँ (2:117-118) और ऐन्टीक्विक्वटीस नामक पुस्तकों

(18.1-18) में प्रर्गट होता है।

मिमस्री ( पे्ररिरतों के काम 21:38) में जोसे?ुस की यहूदी लड़ाइयुाँ (2.261-263) और ऐन्टीक्विक्वटीस नामक पुस्तक (20.171) में प्रकट

होता है।

हेरोदेस की मृत्यु का पिववरण ( पे्ररिरतों के काम 12:19-23) में जोसे?ुसकीऐन्टीक्विक्वटीस नामक पुस्तक (19.343-352) में दिदए पिववरण जैसा है।

ऐसा जान पड़ता है पिक पे्ररिरतों के काम की पुस्तक और जोसे?ुस:

ने जानुी-पहचानुी प्रचिसद्ध ऐपितहाचिसक घटनाओं का वण�न किुया या

एक ही सामान्य स्रोत पर पिनभ�र रहुे

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नोट्स

2. 70 ई. स् से पनिहले (27:34)

पे्ररिरतों के काम की पुस्तक पौलुस के घर के अन्दर रोम में कैद होने के सा: बन्द होते हुए, महत्वपूण� घटना के सा: रूक जाता है :

रोम में आर्ग लर्गी (64 ई. सन्.,)

पौलुस की �हादत (65 ई. सन.्,)

मजिन्दर का ना� पिकया जाना (70 ई. सन.्,)

ख. �ास्तनि�क श्रोतार्गC (30:07)

1. सिथयुनिRलुस (30:30)

लूका का संरक्षक है

लूका का पिवद्या:~ है

2. नि�स्तृत श्रोतार्गC (32:30)

पहली सदी की क लीचिसया कई पिवषयों के सा: संघष� कर रही :ी जिजन्हें लूका ने पे्ररिरतों के काम की पुस्तक में उक्विल्लखिखत पिकया है :

यहूदिदयों और अन्यजापित पिवश् वाचिसयों में झर्गडे़

नेतृत्व आधारिरत पिवभाजन

धम�चिसद्धान्तों की र्गलपितयुाँ एवं झूnे चि�क्षक प्रेरिरतों के काम की पुस्तक

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नोट्स

कलीचिसया और सरकार के मध्य दिदवानी झर्गडे़

म्मिस्त्रयों और र्गरीबों के पिवषयों के ऊपर

सतावों, दुखों और बन्दीर्गृह में डाल दिदए जाने कुे ऊपर

लूका का इरादा कई श्चिभन्न पिवश् वाचिसयों द्वारा इसे पढे़ जाने का रहा :ा।

र्ग. सा�ाजिजक संदभ� (33:58)

1. �ो�ी साम्राज्य (34:25)

पूरे भूमध्य संसार पर पिवजय प्राप्त कर इसे अपने पिनयंत्रण में कर चिलया :ा, और इसने अपने साम्राज्य को वत�मान के पि�टेन, उत्तरी अफ्रीका और एचि�या के कुछ भार्गों तक पिवस्तार कर चिलया :ा।

साम्राज्य अभी भी पिवस्तार कर रहा :ा

राजनीपितक और आर्शि:�क प्रभाव :

o सरकार : स्थानीय अमिधकारिरयों के ऊपर �चिक्त�ाली पिनयंत्रण करना :ा।

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नोट्स

o जनसंख्या : रोमन नार्गरिरकों को पिवजयी दे�ों की जनसंख्या में समापिहत कर दिदया र्गया :ा।

o लोक पिनमा�ण काय� : सड़कों, पिवस्तृत इमारतों और साव�जपिनक बैnकों के स्थानों का पिनमा�ण करना।

धार्मिम�क प्रभाव :

o कैसर को उसके लोर्गों के ऊपर प्रभु और देवता के रूप में देखा जाता :ा।

o पिवजय कर चिलए हुए लोर्गों को उनकी धार्मिम�क प्र:ाओं को पालन करते रहने की अनुमपित दी र्गई :ी

o लोर्गों से कैसर की श्रेष्ठता को भी स्वीकार करने की मांर्ग की र्गई :ी।

2. यहूदी (39:38)

अ. घ पिनष्ठ सम्ब�

पिवरासत

पपिवत्र�ास्त्र

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नोट्स

अमिधकारुी

ब. बुपिनयादी मतभेदों

यी�ु

व्याख्या

अन्यजापित

IV. 3���ैज्ञानिक पृष्ठभूमि� (47:02)

क. पुराना पिनयम (47:42)

1. इपितहास (48:17)

लूका ने आर5 की कलीचिसया के उन तरीकों के बारे में चिलखा जिजसने इपितहास के ऊपर पास्कल के तीनपक्षीय दृमिष्टकोण के चिच�तन को प्रकट पिकया है।

सृमिष्ट

o सामान्य रूप में प्रेरिरतों के काम की पुस्तक

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नोट्स

o पे्ररिरतों के काम की पुस्तक में

पतन

o सामान्य रूप में

o पे्ररिरतों के काम की पुस्तक में

छुटकारा

o सामान्य रूप में

o पे्ररिरतों के काम की पुस्तक में

2. इस्राएल (55:48)

लूका ने पे्ररिरतों के काम की पुस्तक को इस्राएल के इपितहास के ऊपर आधारिरत हो कर चिलखा ।

अ�ाहम

परमेश् वर ने अ�ाहम को प्रपितज्ञा पिकए हुए दे� में जाने के चिलए दो मुख्य उदे्दश्यों के चिलए बुलाया :

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नोट्स

o अ�ाहम एक बड़ी जापित का पिपता होर्गा।

o अ�ाहम के माध्यम से पृथ्वी पर सभी लोर्ग आ�ीषें पाएरं्गे।

लूका उल्लेख करता है :

o मसीह में उद्धार का आ�ीवा�द यहूदिदयों के चिलए, अ�ाहम को परमेश् वर के द्वारा की र्गई प्रपितज्ञाओं को पूरे करने के द्वारा आया।

o यहूदी पिवश् वासी मसीह के सुसमाचार को अन्यजापित तक, अ�ाहम को परमेश् वर द्वारा दी र्गई बाकी की प्रपितज्ञाओं को पूरा करते हुए ले र्गए।

मूसा की अधीनता में पिनर्ग�मन

मूसा ने भपिवष्यद्वाणी की पिक परमेश् वर एक दिदन उसके जैसे एक अन्य भपिवष्यद्वक्ता को भेजेर्गा जो पिक उसके लोर्गों को पाप के दासत्व से मुक्त कराएर्गा।

लूका ने इंपिर्गत पिकया :

o यह भपिवष्यद्वक्ता यी�ु के रूप में आया।

प्रेरिरतों के काम की पुस्तक अध्याय एक: प्रेरिरतों के काम की पुस्तक की पृष्ठभूमिम

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नोट्स

o यी�ु का इन्कार करना मूसा और व्यवस्था का इन्कार करना :ा

दाऊद का राजवं�

परमेश् वर ने दाऊद के घराने को :

o स्थाई राजवं� के रूप में उसके लोर्गों को नेतृत्व देने के चिलए चुना।

o परमेश् वर के राज्य को इस्राएल से लेकर पृथ्वी की छोर तक बढ़ा दिदया।

लूका ने यी�ु को पिनम्न रूप में समझ चिलया :ा :

o दाऊद का पुत्र ।o परमेश् वर के राज्य का राजकीय �ासक :ा ।

o उसके राज्य को कलीचिसया के माध्यम से पिवस्तार कर रहा :ा।

लूका चाहता :ा पिक उसके पाnक यह समझ लें पिक यी�ु :

अ�ाहम से की र्गई प्रपितज्ञाओं का वं�ज :ा ।

मूसा के जैसा भपिवष्यद्वक्ता ।

दाऊदवं�ीय अत्यिन्तम राजा :ा। प्रेरिरतों के काम की पुस्तक

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नोट्स

ख. परमेश् वर का राज्य (1:04:37)

1. यहूदी धम�पिवज्ञान (1:04:50)

परमेश् वर इस्राएल में मसीहवं�ीय उद्धारक को भेजेर्गा ।

जलोती: परमेश् वर इस्राएचिलयों के द्वारा रोमी अमिधकारिरयों के पिवरूद्ध पिवद्रोह को बढ़ानुा चाहतुा :ुा।

रहस्योदघाटनवादी: परमेश् वर अलौचिलक तरीके से उसके �त्रुओं को ना� करने के चिलए हस्तक्षेप करेर्गा और पिवजेताओं के रूप में अपने लोर्गों को स्थापिपत

करेर्गा।

कानूनपिवद् (जैसे ?रीसुी और सदूकुी): परमेश् वर तब तक हस्तके्षप नहीं करेर्गा जब तक इस्राएल व्यवस्था के प्रपित पूण� पिवश् वास योग्य नहीं हो जाता है।

2. यूहन्ना बपपितस्मादाता (1:06:57) सच्चे पgाताप के चिलए बुलाहट दी।

�ुभ सन्दे� की घोषणा की पिक मसीह परमेश् वर के राज्य को इस पृथ्वी पर लाने वाला :ा।

सही तरह से यी�ु की पहचान मसीह के रूप में की।

घोषणा की पिक मसीह पपिवत्र आत्मा की महान् आ�ीषों और �ुद्धता को लाएर्गा, जिजसमें न्याय भी सम्मिम्मचिलत है।

यूहन्ना भपिवष्य के चिलए नहीं देखता पिक मसीह कई चरणों में इस संसार में उद्धार और न्याय को लाएर्गा।

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नोट्स

यी�ु यूहन्ना बपपितस्मा देने वाले को आश्वस्त करता है पिक वह पुराने पिनयम में दी हुई मसीहवं�ीय भपिवष्यद्वाश्चिणयों की आ�ाओं को पूरी करने की प्रपिक्रया में लर्गा हुआ :ा।

3. मसीही धम�पिवज्ञान (1:10:28)

मसीही धम�पिवज्ञान मसीही सुसमाचार के सा: पिनकटता से सम्बम्मि�त है:

परमेश् वर का राज्य इस पृथ्वी पर यी�ु जो मसीह है के व्यचिक्तत्व और काय� के द्वारा आ पहुँचा है, और यह अपने बडे़ समापन की ओर जैसे जैसे परमेश् वर उन लोर्गों को मुचिक्त प्रदान कर रहा है जो पिक इसे यी�ु जो मसीह से प्राप्त करते और उसमें भरोसा रखते हैं, बढ़ रहा है।

लूका पिनम्न पर जोर देता है:

परमेश् वर का मसीह में पिकया र्गया महान् काय� उद्धार की वास्तपिवकता के ऊपर है।

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नोट्स

लोर्गों की महत्वपूण�ता जो मसीह की सच्चाई को व्यचिक्तर्गत् तौर पर स्वीकार करें तापिक उनके जीवनों में परिरवत�न आ जाए।

मसीह का राज्य धीरे धीरे कलीचिसया के द्वारा और लोर्गों के व्यचिक्तर्गत् परिरवत�न के द्वारा पिवकास होता रहता है।

र्ग. लूका का सुस�ाचा� (1:15:04)

पे्ररिरतों के काम की पुस्तक लूका में आर5 हुई कहानी का दूसरा पिहस्सा है।

1. यी�ु (1:16:28)

भपिवष्यद्वक्ता जिजसने परमेश् वर के राज्य के आने के बारे में घोषणा की।

राजा जो राज्य को अपनी सामथ्य� से उसके चिस�हासन से नीचे ला रहा है।

यी�ु ने चि�क्षा दी पिक वह ऐसे राज्य को ला रहा :ा जो पिक धीरे धीरे और पिवश्चिभन्न चरणों में आएर्गा।

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नोट्स

2. पे्ररिरत (1:19:43)

यी�ु ने प्रेरिरतों को पिनद�� दिदया पिक वे उसके काय� को राज्य को बढ़ाने के द्वारा आर्गे बढ़ाए।ँ

यी�ु के मरे हुओं में से पुनरुत्थान और उसके द्वारा स्वर्ग� में चढ़ने तक उसने पे्ररिरतों को चि�क्षा देने में समय को व्यतीत पिकया।

पे्ररिरतों ने:

परमेश् वर के राज्य के वत�मान ढाँचे में कलीचिसया की स्थापना की।

राज्य के सुसमाचार को नए स्थानों और लोर्गों के पास ले आए ।

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नोट्स

V. सा�ां) (1:24:15)

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पुर्वि�*चा� हेतु प्रश्न

1. लूका के सुसमाचार से मिमलने वाले स्पष्ट और अस्पष्ट प्रमाणों के ऊपर पिवचार पिवम�� करें जो बड़ी दृढ़ता से सुझाव देते हैं पिक एक ही व्यचिक्त ने दोनों पुस्तकें लूका का सुसमाचार और पे्ररिरतों के काम की पुस्तक को चिलखा है।

2. आर5 की कलीचिसया से मिमलने वाले ऐपितहाचिसक प्रमाणों के ऊपर पिवचार पिवम�� कीजिजए जो इस पिवचारधारा का सम:�न करते हैं पिक एक ही व्यचिक्त ने लूका का सुसमाचार और पे्ररिरतों के काम की पुस्तक को चिलखा है।

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पुनर्विव�चार हेतु प्रश्न

3. पे्ररिरतों के काम की पुस्तक के बारे में नए पिनयम से आप कौन से सुरार्गों को प्राप्त कर सकते हैं? कैसे ये सुरार्ग इस पिवचार का सम:�न करते हैं पिक लूका ने ही प्रेरिरतों के काम की पुस्तक को चिलखा :ा?

4. कौन से प्रमाण सुझाव देते हैं पिक पे्ररिरतों के काम की पुस्तक 70 ईस्वी सन्., के पgात् चिलखी र्गई :ी? कौन से प्रमाण सुझाव देते हैं पिक यह 70 ईस्वी सन्., से पहले चिलखी र्गई :ी?

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पुनर्विव�चार हेतु प्रश्न

5. पे्ररिरतों के काम की पुस्तक के मूल पाnकों का पिववरण दें।

6. पे्ररिरतों के काम की पुस्तक का सामाजिजक संदभ� में पिववरण दें जिजसमें (1) रोमी साम्राज्य और (2) कलीचिसया और यहूदिदयों के मध्य के सम्ब� का पिवचार पिवम�� सम्मिम्मचिलत हो।

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पुनर्विव�चार हेतु प्रश्न

7. द�ा�ए ँपिक लूका के धम�वैज्ञापिनक दृमिष्टकोण सामान्य रूप में पुराने पिनयम के इपितहास के दृमिष्टकोण और पिव�ेष रूप में इस्राएल के इपितहास के इसके दृमिष्टकोण के ऊपर आधारिरत :े।

8. परमेश् वर के मसीहवं�ीय राज्य की मसीही पिवचारधारा की तुलना और इसके पिवरोधों को समकालीन यहूदी धम�पिवज्ञान के दृमिष्टकोणों और यूहन्ना बपपितस्मा देने वाले के दृमिष्टकोण के सा: करें।

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पुनर्विव�चार हेतु प्रश्न

9. पिकस तरह से लूका के सुसमाचार में परमेश् वर के राज्य का धम�पिवज्ञान हमें प्रेरिरतों के काम की पुस्तक के सन्दे� को समझने के चिलए तैयार करता है? आपके उत्तर में, यी�ु और पे्ररिरतों की भूमिमकाओं के ऊपर पिव�ेष ध्यान दें।

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लार्गू क�े हेतु प्रश्न

1. कैसे लूका की ग्रन्थकारिरता हमें पे्ररिरतों के काम की पुस्तक को स्वयं के जीवन के ऊपर लार्गू करने और बेहतर समझ के चिलए सहायता करती है?

2. पिकस तरह से हमारे जीवन और धम�पिवज्ञान हमारी अपनी सरकार और संस्कृपित से प्रभापिवत होते हैं?

3. अपिवश् वासी यहूदी और मसीही पिवश् वाचिसयों में आज कौन सी कुछ समानताए ँऔर श्चिभन्नताए ँहैं? कैसे इन समानताओं और श्चिभन्नताओं को समझना आधुपिनक यहूदिदयों को सुसमाचार सुनाने में हमारी सहायता कर सकता है?

4. क्यों यहूदी और अन्यजापित पृष्ठभूमिम से आए हुए मसीही पिवश् वाचिसयों को कलीचिसया में पूण� सदस्यता मिमली हुई है? क्यों यह स्वीकार करना महत्वपूण� है पिक दोनों अ:ा�त् यहूदी और अन्यजापित पृष्ठभूमिम के मसीही पिवश् वासी को बराबर का अमिधकार है?

5. पिकस तरह से पुराने पिनयम का संसार के इपितहास के प्रपित धारणा मसीही पिवश् वासी होने के नाते आधुपिनक संसार के प्रपित हमारी सोच को समझ प्रदान करता है?

6. पिकस तरह हम वत�मान में परमेश् वर के राज्य में भार्गीदार हों? राज्य के पिनमा�ण की प्रपिक्रया में हमारी क्या भूमिमका है?

7. परमेश् वर के राज्य का पिवस्तार जैसे जैसे लोर्ग यी�ु को मसीह के रूप में स्वीकार करते और उसमें भरोसा रखते के रूप में हो रहा है की सच्चाई के प्रका� में कैसे हमारी सोच और प्रा:मिमकताओं को परिरवर्वित�त करना चापिहए?

8. इस अध्ययन से कौन सी सबसे महत्वपूण� बात को आपने सीखा है?

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