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के. वि. सं. वाराणसी संभाग द्वीतीय पूर्वपरिषदीय-परीक्षा

अंक योजना हिन्दी (केंद्रिक)

कक्षा – 12वीं विषय - हिन्दी (आधार)

निर्धारित समय : 3 घंटे अधिकतम अंक :100

प्रश्न संख्या

उत्तर संकेत/ मूल्य बिन्दु

निर्धारित अंक विभाजन

1.

खंड क

1- हिंदी भाषा और संचार क्रांति (अन्य उपयुक्त शीर्षक भी स्वीकार्य)

2- हिंदी द्वारा अन्य भाषाओं के शब्दों को आत्मसात कर उन्हे स्वीकृत कर लेना साथ ही उनके सांस्कृतिक परिवेश को भी अपना लेने की ताकत |

3- इसके लचीलेपन ने अन्य भाषाओं के शब्दों को ही नहीं वरन उनके सांस्कृतिक तेवरों को भी अपने में समेट लिया है । यही कारण है कि हिंदी सामासिक-संस्कृति और विभिन्न भाषा-भाषियों की प्रमुख पहचान बन गई है ।

4- गैर हिंदी भाषी बोलियों और भाषाओं से शब्द ग्रहण करने की प्रवृत्ति से बचना ही शुद्धतावाद है । इससे हिंदी को विश्वभाषा बनने में समस्या होगी ।

5- सम् + प्रेषण , समास + इक |

6- संवाद के अवसर से हिंदी को प्रभावी सम्प्रेषण का माध्यम बनने का सुअवसर मिल रहा है । इसको भुनाने के लिए आवश्यकता है जिससे प्रयोजनवादी हिंदी का विकास सुगमता से हो ।

7- सरकार के सहयोग और आम आदमी की सोच यदि एक साथ मिल जाए तो वह दिन दूर नहीं जब इसे विश्वभाषा के रूप में स्वत:मान्यता मिल जाएगी ।

8- हिंदी के सतत प्रवाहमान होने के कारण हैं सृजनशीलता का प्रभूत मात्रा में गुण ।

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2.

1- इसका तात्पर्य है जाति-भेद ,राग द्वेष आदि विषमताओं के बंधनों से मुक्ति और अग्रगामी सोच से है ।

2- संसार जातिभेद धर्म वेष काले गोरे रंग द्वेष आदि विषमताओं से ग्रस्त है ।

3- अतीत से उतना ही शीखा जाए जितना आवश्यक हो , व्यर्थ की संग्रही प्रवृत्ति विनाशक होती है ।

4- जीवन का शाश्वत सत्य गति है क्योंकि गतिहीनता मृत्यु का संकेत होती है ।

ड.- कविता में मनुष्य को सतत आगे बढ़ने ,भेद-भाव से दूर रहने तथा परिवर्तन को स्वीकार करने की बात की गई है ।

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3.

खंड ख

किसी एक विषय पर निबंध

· भूमिका/प्रस्तावना

· विषय-वस्तु का विस्तार

· भाषा-शैली एवं उपसंहार

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4.

· पत्र लेखन :

· आरंभ एवं अंत (प्रारूप)

· प्रभावी विषय-वस्तु

· भाषा एवं अभिव्यक्ति

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5.

· किसी विशेष क्षेत्र की गहन जानकारी देना विश्लेषण करना जैसे संसदीय , आर्थिक,खेल,विज्ञान,अपराध,फैशन तथा फिल्म पत्रकारिता

· गोवा ,सन् 1556 ।

· सम्पादकीय किसी समाचार पत्र समूह का व्यष्टिगत नजरिए को व्यक्त करता है न कि किसि व्यक्ति के ,अतएव सम्पादक का नाम उसमें नहीं रहता है ।

· समाचारों को संकलित करने वाले व्यक्ति को सम्वाददाता कहते हैं ।

· स्वतंत्र पत्रकार,जो किसी भी पत्र के लिए लिखे और पारिश्रमिक प्राप्त करे ।

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6.

आलेख:

· विषयवस्तु

· प्रभावी प्रस्तुति

· भाषा

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7.

फीचर आलेख:

· विषय वस्तु

· प्रभावी अभिव्यक्ति

· भाषा

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8.

क- बात की चूड़ी मरने का तात्पर्य उचित और सरल भाषा का प्रयोग न कर पाना ,इससे भाषा प्रभावहीन हो जाती है ।

ख- भाषा में बात को सरल और सहज रुप में प्रयुक्त किया जाना चाहिए था न कि दिखावे के लिए अलंकारादि से बोझिल बनाना चहिए ।

ग- इसका तात्पर्य है अभिव्यक्ति और और कथ्य की निरर्थकता और निरुद्देश्यता तथा अस्पष्टता ।

घ- कवि को डर था कि भाषा के सफल सम्प्रेषण में वह असफल न हो जाए इसलिए वह तरह –तरह के प्रयोग कर रहा था ।

अथवा

क-कवि प्रिय के द्वारा प्रदत्त अत्यधिक दुलार को सहन नहीं कर पाता ।

ख- कवि को डर है कि यह अतिशय प्रेम कहीं,आत्मा को कमजोर और अक्षम न बना दे।

ग- आत्मीयता का अत्यधिक बरताव व्यक्ति को कमजोर और असमर्थ बना देता है जिसके कारण वह संघर्ष नहीं कर पाता ।

घ- कमजोर और अक्षम इन दो विशेषणों से आत्मा की दशा को व्यक्त किया गया है ।

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9.

क. कविता में अपाहिज के प्रति मिडियाकर्मी की क्रूरता को दर्शाया गया है। प्रस्तोता उसके दुख को उभार कर उसका उपयोग अपंए कार्यक्रम की सफलताके लिए करना चाहता है ।

ख. अनुप्रास – अ वर्ण की आवृत्ति में, पुनरुक्तप्रकाश – बड़ा–बड़ा में ।

ग. भाषा- भावानूकूल खड़ी बोली, रस – करूण रस ,छंद – अतुकांत ।

अथवा

क. 1.शुद्ध संस्कृतनिष्ठ 2. लक्षणात्मक ।

ख. क्रांति से धनी वर्ग डर गया है । यद्यपि उसके पास खजाना भरा पड़ा है,परन्तु संतोष नहीं है ।क्रांति की भीषणता से बचने के उपाय ढ़ूढ रहा है ।

ग. रस- वीर , अलंकार – अनुप्रास,रूपक

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10.

दो प्रश्नों के उत्तर अपेक्षित

क – आत्मपरिचय कविता में कवि हरिवंश राय बच्चन ने संसार से अपने द्वंद्वात्मक सम्बंधों को उजागर किया है । इसे प्रीति - कलह काभी माना जा सकता है । एक तरफ उसे संसार बोझ दिखाई देता है तो दूसरी ओर उससे प्यार भी करता है ।

ख - पहले बिम्ब में भोर के नभ को शंख तथा राख से लीपे चौके के बारे में कहा गया है ।

· दूसरे बिम्ब में उसकी तुलना काली सिल और और लाल केशर से की गयी है

· तीसरे बिम्ब में स्लेट और लाल खड़िया का सदृश्य विधान

ग – पतंग कविता बच्चों के बालमन और पतंग के बीच सहज सादृश्य की कविता है । बच्चे पतंग की तरह असीम आकाश की ऊचाईयों को छूना चाहते हैं तो वहीं उनकी दुनिया खुशियों से भरी और रंगीन होती है । वे भयहीन होते हैं ।

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11.

गद्यांश पर आधारित प्रश्न

1. रात्रि की विभीषिका, जिसमें गाँव वाले महामारी से ग्रस्त हो दम तोड़ रहे होते हैं, उस परिस्थिति को चुनौती देती है ।

1. गाँव वालों को ढ़ोलक की आवाज संजीवनी लगती थी क्योंकि वे उसी के सहारे अपना दु:ख सह रहे थे ।

1. गाँव के लोग अर्धमृत ,औषधि-उपचार पथ्य-विहीन से हो गये थे जिनमें ढ़ोलक संजीवनी शक्ति ही भरती थी । बूढ़े-बच्चे,जवानों की शक्तिहीन आँखों के आगे दंगल का दृश्य नाचने लगता ।

1. ढ़ोलक की आवाज में न तो बुखार हटाने का कोई गुण था और न ही महामारी की सर्वनाशी शक्ति को रोकने की शक्ति ।

अथवा

1. लेखक के तर्कपूर्ण विचारों को सुनकर जीजी कुछ देर क्यों चुप रह गई ।

2. त्याग तो वह होता है कि जो चीज तेरे पास भी कम है, जिसकी तुझको भी जरुरत है तो अपनी जरुरत पीछे रखकर दूसरे के कल्याण के लिए उसे दे तो त्याग तो वह होता है ।

3. अगर तेरे पास लाखों-करोडों रुपये हैं और उसमें से तू दो-चार रुपये किसीको दे तो यह क्या त्याग हुआ। मनुष्य को संसार में त्याग पूर्वक भोग करना चाहिए

4. मेढ़क मंडली के ऊपर पानी फेंकने को गलत सिद्ध कर रहे लेखक को समझाने के लिए ।

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12.

किन्ही चार प्रश्नों के उत्तर अपेक्षित है

1. भक्तिन महादेवी वर्मा के अनुसार हनुमान की तरह सेवा में निपुण थी तथा वह उनकी छाया बन कर रहती है ।एक पल के लिए भी उन्हे अपने से दूर नहीं होने देना चाहती थी ।

1. बाजार का मतलब है- आवश्यकता के लिए सहज उपलब्धता परन्तु आज दिखावे के लिए बाजार का उपयोग किया जा रहा है । बाजार से जरूरत के बिना ही सामानों की खरीददारी करना और दिखावा करना प्रवृत्ति बन गई है ।आदमी गैरजरूरी चीजों को खरीदता है और बाद में पश्चाताप करता है ।

ग – चार्ली की फिल्में इतनी लोकप्रिय हैं कि सभी आयु वर्ग के ,धर्म सम्प्रदाय के लोग बिना भेद-भाव के इन्हे देखते हैं ।पागलखाने के मरीज हों या आइंसटीन सभी इन्हें पसंद करते थे । इसने वर्ग विभेद को तोड़ दिया अत: इसे भावनाधारित कह सकते हैं ।

घ – अम्बेडकर जाति प्रथा को श्रम विभाजन का रूप मानने से इंकार करते हैं इसके निम्न कारण देते हैं –

0. यह मनुष्य की रुचि पर आधारित नहीं है ।

0. व्यक्ति की क्षमता की उपेक्षा की जाती है ।

0. जन्म से निर्धारित हो जाती है ।

ड़- नमक कहानी का संदेश निम्न बिंदुओं में समझा जा सकता है -

· देश का विभाजन गलत था

· व्यक्ति अपनी धरती से सदैव प्रेम करता है और मानवता से बड़ा कोई धर्म नहीं होता

· दिए गए वचन का महत्त्व सर्वोपरि है

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13.

· यशोधर पंत के आदर्श किशन दा थे । वह पुराने ख्यालात के थे जिसका प्रभाव स्पष्टत: इनपर पड़ा ।

· यशोधर नये विचारों को पचा नहीं पाते थे ।

· बच्चों और पत्नी से मत वैभिन्न के कारण घर में अकेला महसूस करते थे ।

· पुराने संस्कारों और नियमों के प्रति प्रतिबद्धता उन्हे अलोकप्रिय बनाती थी चाहे घर हो या दफ्तर ।

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14.

क-एन फ्रैंक की डायरी से हमें उसके जीवन व तात्कालिक परिवेश का पता चलता है । इसमें द्वीतीय विश्वयुद्ध में नाजियों के अत्याचारों का दिनांकवार ,स्थान और परिस्थितियों का वर्णन किया गया है । हिटलर के भाषणों और युद्ध की बातों का सलीके से वर्णन किया गया।यह केवल डायरी नहीं उस समय का जीवंत दस्तावेज भी है ।

ख –पर्यटकों को मोहनजोदड़ो में निम्न स्थल देखने चाहिए –

0. अजायबघर – यहाँ गेहूँ,मुहरें,चौपड़, दीये आदि देख सकते हैं ।

0. विशाल स्नानागार और कुंड आठ स्नानागार देखे जा सकते हैं जो अलग अलग खुलते हैं ।गहरा कुंड ईट और चूने से निर्मित है ।

0. स्तूप – इसे गढ़ भी कहा जाता है। यह सबसे ऊँचे चबूतरे पर है।

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