sant avataran

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पूज्य संत श्री आसारामजी बापू की जीवनी पर आधारित लघु पुस्तिका

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Page 1: Sant avataran

अनकरभ

मग परवरततक सॊत शरी आसायाभजी फाऩ सॊत मभरन

सॊसायवमवहाय क मरए बायतीम दषटिकोण

Page 2: Sant avataran

मग परवततक सॊत शरी आसायाभजी फाऩ

बायत बमभ अनादद कार स ही सॊतो-भहातभाओॊ औय अवतायी भहाऩरषो की चयणयज स ऩावन होती चरी आ यही ह। महाॉ कबी भमातदाऩरषोरतभ शरीयाभ अवतरयत हए तो कबी कबी रोकनामक शरीकषण। शासतरो क ऻान को सॊकमरत कयक ऩय षटवशव को अधमातभऻान स आरोककत कयन वार बगवान वदवमास की जनभसथरी बी बायत ही थी औय षटवशवबय भ अदहॊसा, सतम, असतम आदद को परानवार बगवान फदध बी इसी धयती ऩय अवतरयत हए थ। सय, तरसी, यदास, भीया, एकनाथ, नाभदव, कफीय, नानक, गरगोषटवनदमसॊह, याभतीथत, याभकषण ऩयभहॊस, षटववकानॊद, यभभ भहषटषत, भाॉ आनॊदभमी, उडिमा फाफा, सवाभी रीराशाहजी भहायाज आदद अनकानक नाभी-अनाभी सॊत-भहाऩरषो की रीरासथरी बी मही बायतबमभ यही ह, जहाॉ स परभ, बाईचाया, सौहादत, भानवता, शाॊतत औय आधमाततभकता की सभधय सवामसत वाम का परवाह सॊऩणत जगत भ परता यहा ह।

इसी किी भ आज एक ह अरौककक आतभायाभी, शरोतरिम, बरहमतनषठ, मोगगयाज परात सभयणीम ऩयभ ऩजमऩाद सॊत शरी आसायाभजी फाऩ, तजनहोन कवर बायत ही नहीॊ, वयन सॊऩणत षटवशव को अऩनी अभतभमी वाणी स आपराषटवत कय ददमा ह।

फारक आसभर का जनभ मसॊध पराॊत क फयाणी गाॉव भ चिवद षषठी, षटवकरभ सॊवत 1998, तदनसाय 17 अपरर 1941 क ददन हआ था। आऩक षटऩता थाऊभरजी मसयभरानी नगयसठ थ तथा भाता भहॉगीफा सयर सवबाव औय धभतऩयामणा थीॊ। फालमकार स ही आऩशरी क चहय ऩय आततभक तज तथा अरौककक सौममता, षटवरण शाॊतत औय निो भ एक अदबत तज दषटिगोचय होता था, तजस दखकय आऩक करगर न बषटवषमवाणी बी की थी कक 'आग चरकय मह फारक एक भहान सॊत फनगा। रोगो का उदधाय कयगा।' इस बषटवषमवाणी की सतमता आज ककसी स तिऩी नहीॊ ह।

रौककक षटवदया भ तीसयी का तक की ऩढाई कयन वार आसभर आज फि-फि वऻातनको, दाशततनको, नताओॊ तथा अपसयो स रकय अनक मशकषत-अमशकषत साधक-सागधकाओॊ को अधमातभऻान की मशा द यह ह, बटक हए भानव-सभदाम को सही ददशा परदान कय यह ह.... आऩ शरी फालमकार स ही अऩनी तीवर षटववकसॊऩनन फषटदध स सॊसाय की असतमता को जानकय तथा परफर वयागम क कायण अभयऩद की पराति हत गह तमागकय परबमभरन की पमास भ जॊगरो-फीहिो भ घभत-तिऩत यह। ईशवय की कऩा कहो मा ईशवय-पराति की तीवर रारसा, ननीतार क जॊगर भ ऩयभ मोगी बरहमतनषठ सवाभी शरी रीराशाहजी फाऩ आऩको सदगर क रऩ भ पराि हए। आऩकी ईशवय-पराति की तीवर तिऩ को दखकय उनहोन आऩको मशषम क रऩ भ सवीकाय ककमा।

Page 3: Sant avataran

कि ही सभम क ऩशचात 23 वषत की अलऩाम भ ही ऩणत गर की कऩा स आऩन ऩणततव का साातकाय कय मरमा। उसी ददन स आऩ आसभर भ साॉई शरी आसायाभजी फाऩ क रऩ भ ऩहचान जान रग।

आऩ शरी क षटवषम भ करभ चराना भानो, सयज को दीमा ददखान क फयाफय ह। साय षटवशव क मरए षटवशवशवय रऩ गरहण कयन वार आऩशरी क फाय भ तजतना बी मरखा जाम, कभ ही होगा। कहाॉ तो आऩ शाॊत गगरय-गपाओॊ भ आतभा की भसती भ भसत फन औय कहाॉ इस करह मग भ िर-कऩट, याग-दवष स बय भानव-सभदाम क फीच रोकसॊगरह क षटवशार कामो भ ओत-परोत ! सॊसाय क कोराहर स बय वातावयण भ बी आऩ अऩन ऩजम सदगरदव की आऻा मशयोधामत कयक, अऩनी उचच सभागध अवसथा का सख िोिकय अशाॊतत की बीषण आग स ति रोगो भ शाॊतत का सॊचाय कयन हत सभाज क फीच आ गम।

आज स कयीफ 30 वषत ऩहर सन 1972 भ आऩ शरी साफयभती क ऩावन तट ऩय ऩधाय जहाॉ ददन भ बी बमानक भायऩीट, रट-ऩाट, डकती व असाभातजक कामत होत थ। वही भोटया गाॉव आज राखो कयोिो शरदधारओॊ का ऩावन तीथतधाभ, शाॊततधाभ फन चका ह। इस साफय तट तसथत आशरभरऩी षटवशार वटव की शाखाएॉ आज बायत ही नहीॊ, अषटऩत सॊऩणत षटवशवबय भ पर चकी ह। आज षटवशवबय भ कयीफ 130 आशरभ सथाषटऩत हो चक ह तजनभ सबी वणत, जातत औय सॊपरदाम क रोग दश-षटवदश स आकय आतभानॊद भ डफकी रगात ह, अऩन को धनम-धनम अनबव कयत ह तथा रदम भ ऩयभशवयीम शाॊतत का परसाद ऩात ह।

अधमातभ भ सबी भागो का सभनवम कयक ऩजमशरी अऩन मशषमो क सवाागीण षटवकास का भागत सगभ कयत ह। बडिमोग, ऻानमोग, तनषकाभ कभतमोग औय कणडमरनीमोग स साधक-मशषमो का, तजऻासओॊ का आधमाततभक भागत सयर कय दत ह। ऩजम शरी सभगर षटवशव क भानव-सभदाम की उननतत क परफर ऩधय ह। इसीमरए दहनद, भतसरभ, मसकख, ईसाई, ऩायसी व अनम धभातवरमफी बी ऩजम फाऩ को अऩन रदम-सथर भ फसाम हए ह औय अऩन को ऩजम फाऩ क मशषम कहरान भ गवत भहसस कयत ह। आज राखो रोग ऩजमशरी स दीकषत हो चक ह तथा दश-षटवदश क कयोिो रोग उनह शरदधासदहत जानत-भानत ह व सतसॊग-यस भ सयाफोय होत ह। बायत की याषटरीम एकता औय अखणडता तथा शाॊतत क परफर सभथतक ऩजमशरी न याषटर क कलमाणाथत अऩना ऩया जीवन सभषटऩतत कय ददमा ह।

ऩजम फाऩ कहत ह- "ह दश क नौतनहारो ! सॊसाय क तजतन बी भजहफ, ऩॊथ, भत, नात, जात आदद जो बी ह, व उसी एक चतनम ऩयभातभा की सरता स सपरयत हए ह औय साय-क-साय एक ददन उसी भ सभा जामग। कपय अऻातनमो की तयह बायत को धभत, जातत, बाषा व समपरदाम क नाभ ऩय कमो काटा-तोिा जा यहा ह ? तनदोष रोगो क यि स बायत की ऩषटवि धया को यॊतजत कयन वार रोगो था अऩन तचि सवाथो की खाततय दश की जनता भ षटवदरोह परान वारो को

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ऐसा सफक मसखामा जाना चादहए कक बषटवषम भ बायत क साध गददायी कयन की फात व सोच बी न सक ।"

आज एक ओय जहाॉ साया षटवशव गचॊता, तनाव, अयाजकता, असाभातजकता औय अशाॊतत की आग भ जर यहा ह, वहीॊ दसयी औय गाॉव-गाॉव, नगय-नगय भ ऩजम फाऩ सवमॊ जाकय अऩनी ऩावन-वाणी स सभाज भ परभ, शाॊतत, सदबाव तथा अधमातभ का सॊचाय कय यह ह।

अनकरभ

ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ

सॊत मभरन

भनषम नहीॊ वह जॊत ह, तजस धभत का बान नहीॊ। भत ह वह दश, तजस दश भ सॊतो का भान नहीॊ।।

व कहत ह- "दशबय की ऩरयकरभा कयत हए जन-जन क भन भ अचि सॊसकाय जगाना एक ऐसा ऩयभ

याषटरीम करततवम ह तजसन आज तक हभाय दश को जीषटवत यखा ह औय तजसक फर ऩय हभ उजजवर बषटवषम का सऩना दख यह ह। उस सऩन को साकाय कयन की शडि औय बडि एकि कय यह ह, ऩजम फाऩजी। साय दश भ भरभण कयक व जागयण का शॊखनाद कय यह ह, अचि सॊसकाय द यह ह। अचि औय फय भ बद कयना मसखा यह ह। हभायी जो पराचीन धयोहय थी, तजस हभ रगबग बरन का ऩाऩ कय फठ थ, उस धयोहय को कपय स हभायी आॉखो क आग औय ऐसी आॉखो क आग यख यह ह तजसभ उनहोन ऻान का अॊजन रगामा ह।"

शरी अटर तरफहायी वाजऩमी, परधानभॊिी, बायत सयकाय। "ऩजम फाऩ दवाया दश क कोन-कोन भ ददमा जान वारा नततकता का सॊदश तजतना

अगधक परसारयत होगा, तजतना अगधक फढगा उतनी ही भािा भ याषटर का सख-सॊवधतन होगा, याषटर की परगतत होगी। जीवन क हय ि भ इस परकाय क सॊदश की जरयत ह।"

शरी रारकषण आडवाणी, कतनदरम गहभॊिी, बायत सयकाय। "सवाभी आसायाभजी क ऩास स भराॊतत तोिन की दषटि मभरती ह।"

मगऩरष सवाभी शरी ऩयभानॊदजी भहायाज। "करह, षटवगरह औय दवष स गरसत वरततभान वातावयण भ फाऩ तजस तयह सतम, करणा औय

सॊवदनशीरता क सॊदश का परसाय कय यह ह, इसक मरए याषटर उनका ऋणी ह।" शरी चॊदरशखय, ऩवत परधानभॊिी, बायत सयकाय।

"सॊतो की तनगाह स तन परबाषटवत होता ह औय उनक वचनो स भन बी ऩषटविता का भागत ऩकि रता ह।"

Page 5: Sant avataran

शरी गरजायी रार ननदा, बतऩवत परधानभॊिी, बायत सयकाय। "ऩजम फाऩ की वाणी भानवभाि क मरए कलमाणकायी वाणी ह।"

शरी हो.व. शषाददर, सहकामतवाहय याषटरीम सवमॊसवक सॊघ। "ऩजम फाऩ जस भहान सॊतऩरष क फाय भ भ अगधक कमा कहॉ ? भनषम चाह राख

सोच-षटवचाय कय, ऩय ऐस सॊत क दयफाय भ वही ऩहॉच सकता ह तजसक ऩणमो का उदम हआ हो तथा उस ऩय बगवान की कऩा हो।"

शरी भोतीरार वोया, ततकारीन याजमऩार, उरतय परदश। "षटवदशो भ जान क कायण भय ऩय दषटषत ऩयभाण रग गम थ, ऩयॊत वहाॉ स रौटन क

फाद मह भया ऩयभ सौबागम ह कक महाॉ भहायाजशरी क दशतन व ऩावन सतसॊग-शरवण कयन स भय गचरत की सपाई हो गमी। भय मह सौबागम ह कक भझ महाॉ भहायाजशरी को सनन का सअवसय पराि हआ ह।"

शरी सयजबान, ततकारीन याजमऩार, उरतय परदश। "अनक परकाय की षटवकततमाॉ भानव क भन ऩय, साभातजक जीवन ऩय, सॊसकाय औय

सॊसकतत ऩय आकरभण कय यही ह। वसतत इस सभम सॊसकतत औय षटवकतत क फीच एक भहा सॊघषत चर यहा ह जो ककसी सयहद क मरए नहीॊ फतलक सॊसकायो क मरए रिा जा यहा ह। इसभ सॊसकतत को तजतान का फभ ह मोगशडि। आऩकी कऩा स इस मोग की ददवम अणशडि राखो रोगो भ ऩदा हो यही ह.... म सॊसकतत क सतनक फन यह ह।"

शरी अशोकबाई बटट, आयोगमभॊिी, गजयात। "भ षटवगत 16 वषो स ऩजम सॊत शरी आसायाभजी फाऩ क सातननधम भ आशीवातद व परयणा

पराि कयता यहा हॉ।" शरी सबाष मादव, उऩभखमभॊिी, भधम परदश।

"बायतबमभ सदव स ही ऋषटष-भतनमो तथा सॊत-भहातभाओॊ की बमभ यही ह, तजनहोन षटवशव को शाॊतत औय अधमातभ का सॊदश ददमा ह। आज क मग भ ऩजम सॊत शरी आसायाभजी दवाया अऩन सतसॊगो भ ददवम आधमाततभक सॊदश ददमा जा यहा ह, तजसस न कवर बायत वयन षटवशवबय भ रोग राबातनवत हो यह ह।

शरी सयजीत मसॊह फयनारा, याजमऩार उरतयाॊचर। "उरतयाॊचर याजम का सौबागम ह कक दवबमभ भ दवता-सवरऩ ऩजम आसायाभजी फाऩ का

आशरभ फन यहा ह। समभतत महाॉ ऐसा आशरभ फनाम जसा कहीॊ बी न हो। मह हभ रोगो का सौबागम ह कक अफ ऩजम फाऩजी की ऻानरऩी गॊगाजी सवमॊ फहकय महाॉ आ गमी ह। अफ गॊगा जाकय दशतन कयन व सनान कयन की उतनी आवशमकता नहीॊ ह तजतनी सॊत शरी आसायाभजी फाऩ क चयणो भ फठकय उनक आशीवातद रन की ह।"

शरी तनतमानॊद सवाभी जी भहायाज, ततकारीन भखमभॊिी, उरतयाॊचर।

Page 6: Sant avataran

"फाऩ जी ! ऩिोसी (ऩाककसतान) अऩना घय तो सॉबार नहीॊ ऩा यह औय हभ अभन-चन स यहन नहीॊ दत ह। सफस फिी चीज सॊतो की दआ ह, ऩयभातभा की ताकत ह। हभ दहनदसतानी भसरभान ह। हभाय दहनदसतान भ अभन-चन यह, ऐसी आऩ दआ कय।"

डॉ. पारख अबदलरा, भखमभॊिी, जमभ कशभीय। "भन अबी तक भहायाजशरी का नाभ बय सना था। आज दशतन कयन का अवसय मभरा ह

रककन भ अऩन-आऩको कभनसीफ भानता हॉ कमोकक दय स आन क कायण इतन सभम तक गरदव की वाणी सनन स वॊगचत यहा। अफ भयी कोमशश यहगी कक भ भहायाजशरी की अभतवाणी सनन का हय अवसय मथासॊबव ऩा सकॉ ।"

शरी ददतगवजम मसॊह, भखमभॊिी, भधमपरदश। "दहनदसतान ऋषटषमो की, गरओॊ की धयती ह। इस दहनदसतान भ अभन, शाॊतत, एकता

औय बाईचाया फना यह इसमरए ऩजम फाऩ जी स आशीवातद रन आमा हॉ। भ आशीष रन आमा हॉ औय भय मरए मह एक फहत फिी उऩरतबध ह। जफ-जफ ऩजम फाऩजी ऩॊजाफ आमग, भ दशतन कयन अवशम आऊॉ गा।"

शरी परकाश मसॊह फादर, ततकारीन भखमभॊिी, ऩॊजाफ। अनकरभ

ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ

सॊसाय वमवहाय क मरए बायतीम दषटिकोण

बायतीम ऋषटष-भतनमो न ततगथमो औय तमोहायो का तनधातयण फिी सकषभता स शायीरयक, भानमसक व आधमाततभक राब को दषटि भ यखकय ककमा ह। अत इन ददनो भ कयणीम-अकयणीम षटवषमो भ उनक आदशो का मथावत ऩारन सवसथ, सखी व समभातनत जीवन अनामास पराि कया दता ह।

बायतीम ततगथ-तमौहाय परकतत स सीधा तारभर यखत ह। जस, ऩरणतभा क ददन चनदरभा की ककयण सीधी धयती ऩय ऩिती ह। उस ददन षटवशार सागय ऩय जवाय-बाटा का परबाव षटवशष रऩ स दखा जा सकता ह। इसी तयह इन ततगथमो का परबाव हभाय शयीय क जरीम अॊश व सिधात ऩय बी ऩिता ह। अत अिभी, एकादशी, चतदतशी, ऩरणतभा, अभावसमा, सॊकरातनत, इिजमॊती आदद ऩवो भ, ऋतकार की तीन यातरिमो भ, परदोषकार भ, गरहण क ददनो भ औय शरादध तथा ऩवत क ददनो भ सॊसायवमवहाय कयन वार क महाॉ कभ आम वार, योगी, द ख दन वार, षटवकत अॊगवार, दफतर तन, भन औय फषटदधवार फारक ऩदा कयत ह।

शासतराऻा की अवहरना कयक अऩनी षटवषम-वासना की अनधता भ अमोगम दश, कार औय यीतत स सॊसायवमवहाय कयन स फीभाय, तजोहीन, चॊचर, दर सवबाववार, झगिार, अशाॊत,

Page 7: Sant avataran

उऩदरवी फचच ऩदा होत ह। इसी तयह परदोषकार भ भथन कयन आगध-वमागध-उऩागध आ घय रत ह तथा ददन भ औय सॊधमा की वरा भ ककम गम गबातधान स उतऩनन सॊतान दयाचायी औय अधभ होती ह।

इन ददनो आधमाततभक दषटिकोण स जऩ, धमान, साधना कयन स अनऩभ राब होता ह। तजसवी, भधावी, सशीर, फषटदधभान, षटववकी, बि, वीय, उदाय सॊतान पराि कयन क मरए बायतीम दषटिकोण ही अनकयणीम ह।

अनकरभ

ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ

"तजस परकाय समत की योशनी, चॊदा की चाॉदनी तथा फादरो की वषात का राब सबी रत ह उसी परकाय सतसॊग औय ईशवय की फनदगी का राब बी सबी को रना चादहए। अऩन-ऩयाम का बद भन की हरकी अवसथा भ होता ह। वासतव भ सफ तमहाय ही ह औय तभ सबी क हो, कमोकक सफभ तमहाया ऩयभातभा फस यहा ह।"

तझभ याभ भझभ याभ सफभ याभ सभामा ह। कय रो सबी स पमाय जगत भ कोई नहीॊ ऩयामा ह।।

तजनहोन अऩन को अनॊत ऩयभातभा क साथ मभरा मरमा, ऐस सॊतो क मरए दश-कार-जातत-धभत-ऊॉ च-नीच कोई भहततव नहीॊ यखत। व सबी को अऩना जानत ह, सबी स परभ कयत ह। उनका दवाय सबी क मरए खरा यहता ह। चाह कोई ककसी बी धभत-सॊपरदाम का कमो न हो परतमक शरदधार उनक दवाय स अऩनी मोगमता क अनसाय कि-न-कि रकय ही जाता ह। सबी को उनकी तनगाहो भ अऩना ऩयभातभा नजय आता ह।

एक नय त सफ जग उऩजा, कौन बर कौन भॊद ? षटवशार रदम स जीनवार भहाऩरष को ककसी बी धभत, जातत, सॊपरदाम क मरए नपयत

नहीॊ होगी। ऐस नक षटवचायवादी इनसान धयती ऩय क दवता भान जात ह। शरी मोग वदानत सवा समभतत, सॊत शरी आसायाभजी आशरभ,

साफयभती, अभदावाद।

अनकरभ

ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ