shri guru amar das ji sakhi - 028

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Page 1: Shri Guru Amar Das Ji Sakhi - 028
Page 2: Shri Guru Amar Das Ji Sakhi - 028

भाई खानू, मईया और गोबि�ंद गुरु अमरदास जी के पास आए| इन्होने प्रार्थ"ना की हमें भक्ति& का उपदेश दो ताकिक हमारा कल्याण हो जाये| गुरु जी ने कहा भक्ति& तीन प्रकार की होतो है-नवधा,प्रेमा और परा|

नवधा भक्ति� :-

१. गुरु जी के वचनों को श्रद्धा सकिहत सुनकर दिदल में �साना| २. कर्था कीत"न के द्वारा परमात्मा के गुन गायन करना|

३. सत्यनाम का सुमिमरन श्वास-२ करना| 1 of 5 Contd…

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४. परमत्मा व गुरु चरणों का धयान करना व सन्तो का चरण धोकर चरणामृत लेना|

५. पकिवत्र भोजन करना और गुरु किनमिमत देना|

६. गुरु स्थल पर जा कर नमस्कार करनी और परिरकमा" करनी|

७. धूप,दीप व फूल माला चडाना|

८. परमेश्वर को माक्तिलक व खुद को सेवक जानना|

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९. अपने मन को स्थिस्थर रखना| प्रभु के हुकम को अच्छा संयम कर मानना|

१०. पदार्थP की माया छोड़कर स� कुछ प्रभु को जानना|

इस नवधा भक्ति& का एक गुण भी धारण हो जाये तो �ंदे का उद्धार हो सकता है| मगर सभी गुण धारण करके �ंदे का कल्याण हो सकता है|

पे्रमा भक्ति� :-

जिजस प्रकार वृक्ष का फल पहले हरा होता है,

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उसका स्वाद भी कड़वा होता ह ैकिफर यह खट्टा हो जाता है और किफर वृक्ष से रस लेकर रसीला हो जाता है मीठा �न जाता ह|ै इसी तरह ही प्रेमा भक्ति& वाल ेपुरुष का पहले रोने का जी करता है उसको अपने किप्रयतम के दश"नों की लालसा �ढती है| वह यह समझकर किक मिमत्र से कि�छडकर दुःख पा रहा है और गद ्गद ्हो जाता है| कभी परमेश्वर के गुण गाता है और कभी चुप धारण कर लेता ह|ै इस अवस्था में वह सांवला हो जाता है| जैसे जैसे प्रेम �ढता है खाना र्थोड़ा होता जाता है, रात दिदन प्रेम में मस्त रहता है| मुँह का रंग पीला हो जाता है|

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ज� सत्य संग ज्यादा हो जाता है तो पूरण प्रभु को स� जगह देखता है| इस देशा में मुख का रंग लाल हो जाता है, मन ज्ञानमय हो जाता ह|ै

परा भक्ति� :-

उच्च अवस्था में पहुँच कर परा भक्ति& शुरू होती है| त� पुरुष ब्रहम स्वरुप हो जाता है, यही कल्याण का स्वरुप है| इस प्रकार तीनों ही आनंद अवस्था भक्ति& को प्राप्त हुए|

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