रथम स्थिति

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A Book On Pranayam

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Page 1: रथम स्थिति

रथम स्थथति- स्थथिप्राथथनासन

सरू्य-नमस्कार की प्रथम स्स्थति स्स्थिप्राथयनासन की है।सावधान की मदु्रा में खड ेहो जार्ें।अब दोनों हथेलिर्ों को परस्पर जोडकर प्रणाम की मुद्रा में हृदर् पर रख िें।दोनों हाथों की अगँुलिर्ाँ परस्पर सटी हों और अगँठूा छािी से चिपका हुआ हो। इस स्स्थति में आपकी केहुतनर्ाँ सामन ेकी ऒर बाहर तनकि आएगँी।अब आँखें बन्द कर दोनों हथेलिर्ों का पारस्पररक दबाव बढाए ँ। श्वास-प्रक्रिर्ा तनबायध ििने दें।

द्वििीय स्थथति - हथिोत्िानासन या अर्द्थचन्द्रासन

प्रथम स्स्थति में जडुी हुई हथेलिर्ों को खोिि ेहुए ऊपर की ऒर िानें िथा साँस भरि ेहुए कमर को पीछे की ऒर मोडें।गदयन िथा रीढ की हड्डडर्ों पर पडन ेवािे िनाव को महससू करें।अपनी क्षमिा के अनसुार ही पीछे झुकें और र्थासाध्र् ही कुम्भक करि ेहुए झुके रहें।

ििृीय स्थथति - हथिपादासन या पादहथिास

दसूरी स्स्थति से सीधे होि ेहुए रेिक (तनिःश्वास) करें िथा उसी प्रवाह में सामन ेकी ऒर झुकि ेििे जाएँ । दोनों हथेलिर्ों को दोनों पँजों के पास जमीन पर जमा दें। घटुन ेसीधे रखें िथा मस्िक को घटुनों से चिपका दें र्थाशस्ति बाह्र्-कुम्भक करें। नव प्रलशक्ष ुधीरे-धीरे इस अभ्र्ास को करें और प्रारम्भ में केवि हथेलिर्ों को जमीन से स्पशय करान ेकी ही कोलशश करें।

चिुथथ स्थथति- एकपादप्रसारणासन

िीसरी स्स्थति से भूलम पर दोनों हथेलिर्ाँ जमारे् हुए अपना दार्ाँ पाँव पीछे की ऒर फें के।इसप्रर्ास में आपका बार्ाँ पाँव आपकी छािी केनीि ेघटुनों से मुड जाएगा,स्जसे अपनी छािी से दबाि ेहुए गदयनपीछे की ऒर मोडकर ऊपर आसमान कीऒर देखें।दार्ाँ घुटना जमीन पर सटा हुआ िथा पँजा अगँुलिर्ों पर खडा होगा। ध्र्ान रखें, हथेलिर्ाँ जमीन से उठन ेन पार्ें।श्वास-प्रक्रिर्ा सामान्र् रूप से िििी रहे।