"सुबह का सूरज अब मेरा नहीं है!" कविता...
Post on 27-Jul-2015
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डॉ.कैलाश वाजपेयी -"कविता की भाषा में उनके संग्रह की असंलक्ष्य क्रम व्यंग्यध्वनि पढ़ने वाले को, अगर सचमुच वह सहृदय भावुक है, तो उसे एकाएक कौंधेगा कि यह कवयित्री व्यंजना के सहारे कितनी मार्मिक बात कह रही है और उसके भीतर की करुणा का आकाश कितनी दूर तक भासमान है। असल में आँखों से दीख पड़ने वाले आकाश से कहीं बड़ा और अपरिमेय है बंद आँखों का आकाश।” तेजेन्द्र शर्मा -"उनकी कविताएं परिपक्व कविता का ठोस नमूना हैं जो जीवन में संबन्धों को नई व्याख्या देती हैं। विदेशों में रची जा रही कविताओं में मीना चोपड़ा की कविताओं का स्थान विशिष्ट माना जाएगा।"SUBAH KA SOORAJ AB MERA NAHIN HAI! Kavita sankalan - Meena Chopra, Full Book(172 pages with Roman Script and only Hindi is 112 pages)is available at http://meenasartworld.blogspot.com/ Book is also available in Urdu Script
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