b&cysfvu fkm|eh · षवाग क § अन् अषिकार ों न § क्ष...

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iz rh;eku vu q Hko dk s ck aVus okyk e ap jk"Vªh; —f"k iz ca/ku foLrkj laLFkku] कृषि सहयोग और कृषि ᳰकसान कयाण मंालय jk"Vª h; —f"k vkSj xz keh.k fodkl cS ad ऐी-लीषनक और ऐी -षिज़नस क (एसी और एिीसी) योजना के भाग के ऱप म, ी मा गु र ामोोग संथान (एसएमजीजीएस), उरदेश, एसी और एिीसी योजना के अंतगगत एक नोडल षशण संथान, वाराणसी और लखनऊ क के ारा अषशषत कृषि वसाषयय को षशण दान कर रहा है। कुल 4,321 अषभयाᳶथगय को षशषत ᳰकया गया, षजसमे से 2,404 ने सफलतापूवगक अपने ऐी-वचर थाषपत ᳰकए है। थाषपत ऐी -वचर कᳱ ऐी-ेनेऊᳯरयल गषतषवषिय के भावी कायागवयन कᳱ षनगरानी के षलए षनयषमत ऱप से े का दौरा आयोषजत ᳰकया जाता था। कृ षि एवं ᳰकसान कयाण मंालय, भारत सरकार और राय कृ षि षवभाग, यू.पी. ने संयु ऱप से एसएमजीजीएस, लखनऊ, उरदेश का दौरा आयोषजत ᳰकया। ी.षसराज सैन, सषचव, कृ षि एवं सहकाᳯरता, भारत सरकार, ी. अषमत मोहन साद, मुय सषचव कृ षि, उर देश, डॉ. आर.के षपाठी, षनदेशक कृ षि षवतारण और आईटी, डीएसी, जीओआई, ी. आदेश कु मार षिशनोई, षनदेशक, उर देश और उर देश के कृ षि षवभाग के अय अषिकाᳯरय ने े के दौरे म भाग षलया। ी.आशुतो ि ᳲसंह, एक कृषि उमी जो एसएमजीजीएस, लखनऊ से षशण ा ᳰकया है, उहने एक कु ड पालन फामग थाषपत ᳰकया और 18 महीन के कम समय म मुᳶगय कᳱ संया को 9,000 से 25,000 तक िढ़ा ᳰदया। उहने वचर को षवषविऱपाषयत ᳰकया और 10,000 मली के ि के पालन कᳱ मता वाला एक मयपालन एकक शुऱ ᳰकया। व कु ड पालन के अपय से खाद िना रहे है और जैषवक कृ षि के दशगन के षलए एक दशगन खेत तैयार कर े म जैषवक कृ षि को िढ़ावा दे रहे है। ी. आशुतोि ने 5000-15000 मुᳶगगय कᳱ सीमा वाले छोटे तर पर कु ड पालन एकक थाषपत कर 20 कृ िक को िाइ-िअनुिं ि म पंजीकृ त ᳰकया है। उनके षलए मुगी षत उपादन कᳱ लागत र.63-65/- है जो कु ड पालन म अयषिक ᳰकफ़ायती है। उहने कृ िक के षलए कु ड पालन पर 21 ᳰदन का मुत षशण आयोषजत ᳰकया था। ी. षसराज सैन और अय पदाषिकाᳯरय ने लखनऊ म उनके फामग का दौरा ᳰकया। सषचव, कृ षि ने एसी और एिीसी योजना और एसएमजीजीएस के कृ षि उषमय को ोसाषहत करने के यास को सराहा। खंड VII अंक II मई, 2015 —f"km|eh bZ &cq ysfVu लखनऊ म कृ षि उमी के कुड पालन फामग म नीषत षनमागता का दौरा bl vad esa% iz R;sd —"kd }kjk csgrj —f"k लखनऊ म कृषि उमी के कु ड पालन फामग म नीषत षनमागता का दौरा। इस माह के कृ षि उमी : ी. ᳰदनेश कु मार इस माह का संथान : एसपीएम ारा, सोलापुर, महारा ारा उमवृष ारा षवतारण, ामीण ान ांषत के मशाल िारक ** —f"k m|ferk ,d ,slk iz rh;eku eap gS tgka —f"k m|fe;ksa ] cS adjk sa ] —f"k O;olk; daifu;k sa a] uk sMy iz f'k{k.k laLFkkuksa] foLrkj dk;Z drkZvksa ] f'k {kk'kkfL=;ksa] vuq la/kkudrkZvksa rFkk —f"k O;olk; fpardk sa ] tk s ns'k esa —f"k m|ferk fodkl ds fy, dk;Z dj jgs gS a] ds vuq Hkoksa dks lcds lkFk ck aVk tkrk gS A कृ षिउमी कᳱ मुत हेपलाइन का उपयोग कर 1800 425-1556 ी. आशुतोि ᳲसंह, कृ षि उमी नीषत षनमागता से िातषचत करते ए।

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  • izrh;eku vuqHko dks ckaVus okyk eap

    jk"Vªh; —f"k izca/ku foLrkj laLFkku] कृषि सहयोग और कृषि ककसान कल्याण

    मंत्रालय

    jk"Vªh; —f"k vkSj

    xzkeh.k fodkl cSad

    ऐग्री-क्लीषनक और ऐग्री-षिज़नस केंद्र (एसी और एिीसी) योजना के भाग के रूप में, श्री मााँ गरुु ग्रामोद्योग संस्थान

    (एसएमजीजीएस), उत्तरप्रदशे, एसी और एिीसी योजना के अतंगगत एक नोडल प्रषशक्षण संस्थान, वाराणसी और लखनऊ केंद्र के

    द्वारा अषशषक्षत कृषि व्यवसाषययों को

    प्रषशक्षण प्रदान कर रहा ह।ै कुल

    4,321 अषभयार्थगयों को प्रषशषक्षत

    ककया गया, षजसम े से 2,404 ने

    सफलतापवूगक अपन े ऐग्री-वैंचर

    स्थाषपत ककए ह।ै स्थाषपत ऐग्री-वेंचरों

    की ऐग्री-प्रनेऊेररयल गषतषवषियों के

    प्रभावी कायागन्वयन की षनगरानी के

    षलए षनयषमत रूप से क्षते्रों का दौरा

    आयोषजत ककया जाता था।

    कृषि एव ं ककसान कल्याण

    मतं्रालय, भारत सरकार और राज्य

    कृषि षवभाग, यू.पी. न े संयुक्त रूप से

    एसएमजीजीएस, लखनऊ, उत्तरप्रदशे

    का दौरा आयोषजत ककया। श्री.षसराज

    हुसैन, सषचव, कृषि एव ंसहकाररता, भारत सरकार, श्री. अषमत मोहन प्रसाद, मखु्य सषचव कृषि, उत्तर प्रदशे, डॉ. आर.के षत्रपाठी,

    षनदशेक कृषि षवस्तारण और आईटी, डीएसी, जीओआई, श्री. आदशे कुमार षिशनोई, षनदशेक, उत्तर प्रदशे और उत्तर प्रदशे के कृषि

    षवभाग के अन्य अषिकाररयों न ेक्षते्र के दौरे में भाग षलया। श्री.आशतुोि ससंह, एक कृषि उद्यमी जो एसएमजीजीएस, लखनऊ से

    प्रषशक्षण प्राप्त ककया ह,ै उन्होंन ेएक कुक्कड पालन फामग स्थाषपत ककया और 18 महीनों के कम समय में मरु्गगयों की संख्या को 9,000

    से 25,000 तक िढ़ा कदया। उन्होंन ेवैंचर को षवषविरूपाषयत ककया और 10,000 मछ्ली के िच्चों के पालन की क्षमता वाला एक

    मत्सस्यपालन एकक शरुू ककया। वें कुक्कड पालन के अपव्ययों से खाद िना रह ेह ैऔर जषैवक कृषि के प्रदशगन के षलए एक प्रदशगन खते

    तयैार कर क्षते्र में जषैवक कृषि को िढ़ावा द ेरह ेह।ै

    श्री. आशतुोि न े5000-15000 मरु्गगयों की सीमा वाल ेछोटे स्तर पर कुक्कड पालन एकक स्थाषपत कर 20 कृिकों को िाइ-िकै

    अनिुिं में पजंीकृत ककया ह।ै उनके षलए मगुी प्रषत उत्सपादन की लागत रु.63-65/- ह ैजो कुक्कड पालन में अत्सयषिक ककफ़ायती ह।ै

    उन्होंन े कृिकों के षलए कुक्कड पालन पर 21 कदनों का मफु्त प्रषशक्षण आयोषजत ककया था। श्री. षसराज हुसैन और अन्य

    पदाषिकाररयों न ेलखनऊ में उनके फामग का दौरा ककया। सषचव, कृषि न ेएसी और एिीसी योजना और एसएमजीजीएस के कृषि

    उद्यषमयों को प्रोत्ससाषहत करन ेके प्रयासों को सराहा।

    खंड VII अकं II मई, 2015

    —f"km|eh

    bZ&cqysfVu

    लखनऊ में कृषि उद्यमी के कुक्कड पालन फामग में नीषत षनमागताओं का दौरा bl vad esa%

    izR;sd —"kd }kjk csgrj —f"k

    लखनऊ में कृषि उद्यमी

    के कुक्कड पालन फामग में

    नीषत षनमागताओं का

    दौरा।

    इस माह के कृषि

    उद्यमी : श्री. कदनेश

    कुमार

    इस माह का संस्थान :

    एसपीएम द्वारा,

    सोलापुर, महाराष्ट्र द्वारा

    उद्यमवृषत्त द्वारा

    षवस्तारण,

    ग्रामीण ज्ञान क्ाषंत के

    मशाल िारक

    ** —f"k m|ferk ,d ,slk

    izrh;eku eap gS tgka —f"k

    m|fe;ksa] cSadjksa] —f"k O;olk;

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    —f"k O;olk; fpardksa] tks ns'k esa

    —f"k m|ferk fodkl ds fy,

    dk;Z dj jgs gSa] ds vuqHkoksa dks

    lcds lkFk ckaVk tkrk gSA

    कृषिउद्यमी की मफु्त

    हले्पलाइन का उपयोग करें

    1800 –425-1556

    श्री. आशतुोि ससहं, कृषि उद्यमी नीषत षनमागताओं स ेिातषचत करत ेहुए।

  • सभी के षलए लाभदायक सुअर पालन

    माह का कृषिउद्यमी खंड VII अकं II

    श्री.कदनशे कुमार सागर

    कदनशे कुमार स्वान फामग, ग्राम: गगंापरुिहापरु, पोस्ट: षिलासपरु, षजला: रामपरु, उत्तर प्रदशे, मोिाइल: 9456422403

    श्री. कदनशे कुमार सागर (24), ग्राम गंगापुर, िहापुर, षिलासपुर, उत्तरप्रदशे को सुअर पालन अन्य पशुिन व्यवसाय स ेज़्यादा ककफ़ायती और सभंाव्य लगा।

    अन्य पशुिन उपक्मों की तुलना में मुनाफा काफी अच्छा और जल्द षमलता ह।ै अतः, उन्होंने इस व्यवसाय में षनवशे करने का षनणगय षलया। कृषि षवज्ञान में

    स्नातकता न ेभी उन्हें दो विों तक नौकरी प्राप्त करने में मदद नहीं की। उस दौरान, उन्हें स्थानीय समाचार पत्रों द्वारा एसी और एिीसी योजना के षविय में पता

    चला। श्री.कदनशे इस योजना के षवषभन्न लाभों स े आकर्िगत हुय;े उन्होंने विग 2003 में आवेदन ककया और जुषिलेंट ऐग्रीकल्चर डवे्लपमेंट सोसाइटी

    (जेएआरडीएस), मुरादािाद, उत्तरप्रदशे में दो माह के मुफ्त आवासीय कायगक्म में चयषनत हुये। श्री. कदनशे का कहना ह ै कक, “मझुे प्रषशक्षण से पहले सुअर

    पालन के षविय में कोई ज्ञान नहीं था परंतु लगा की यही समय था ककसी पर एक मौका आज़मान ेका और पूरी तरह से उसम ेषलन हो जाने का।

    श्री. कदनशे न ेसुअर पालन आरंभ करन ेका षनणगय लनेे स ेपहल ेिाज़ार का पूरा सवेक्षण ककया और पाया की स्थानीय िाज़ार में सअुर के मीट की िहुत मााँग ह।ै

    उन्होंन ेतुरंत ‘कदनशे कुमार स्वान फामग’ के नाम से अपना फ़मग पंजीकृत करवाया। वैंचर की स्थापना रु.20 लाख की पूजंी से की गयी। उन्होंने 450 स्वेर फीट के

    क्षेत्र को 10 खलुे कक्षों और दो फेरौइंग शेड में षवभाषजत कर षपग पने का षनमागण ककया। उन्होंने लंिे िालों वाले यॉकग शाइर नसल के 2 िोर (वयस्क) और 10

    सौस (मषहला सुअर) भी खरीद।े इस िीच, उन्होंने षवस्तृत पररयोजना ररपोटग प्रस्तुत की और अंततः पररयोजना स्वीकृत करवा षलया। 100 ककलोग्राम का एक

    पररपव सुअर से 70% पोकग प्राप्त होता ह।ै िाज़ार का दर जीषवत सअुर के वजन के आिार पर होता ह ैजैसे रु.80 स ेलेकर रु.100 प्रषत ककलो। वतगमान में,

    श्री.कदनेश के पास 15 पेरेंट सुअर, अलग-अलग आयु के 35 सुअर के िच्चे और लगभग 39 षिकक्योग्य सुअर ह।ै

    श्री.कदनेश का कहना ह ैकक, “षपछले दो विों में, मैंन े100 से अषिक सुअरों का पालन कर उन्हें काटन ेके षलए भेजा ह।ै एक िार राजस्थान से 200

    सुअरों की मांग थी परंतु में इतनी िड़ी मांग को पूरा करने के षलए तयैार नहीं था।, िाद में मुझ ेएहसास हुआ और मैंने सोचा कक मुझ ेइस तरह के अवसरों के

    षलए तैयार रहना चाषहए अतः, मुझ ेसुअर के छोट ेिच्चों को लाकर, उनका पालन कर, उन्हें िचेन ेके िदले स्वय ंके प्रजनन भंडार पर ध्यान केषन्द्रत करना

    चाषहए। ‘कदनेश कुमार स्वान फामग’ सुअर प्रजनन, सुअर पालन पर प्रषशक्षण, सुअरपालन पररयोजना पर परामशग सेवाएाँ, आकद सेवाएाँ प्रदान कर रहा ह।ै 10

    ग्रामों के 75 कृिकों और ग्रामीण युवाओं को सुअरपालन में प्रषशषक्षत ककया गया ह ैऔर उन्होंने व्यषक्तगत एकक आरंभ ककए ह।ै इस फामग का वार्िगक कारोिार

    रु.30 लाख ह।ै श्री.कदनेश का कहना कक, “भारत में सुअरपालन लिंे समय तक उपेषक्षत था और केवल समाज के षनषित अनभुाग तक ही सीषमत था।

    हालांकक, वतगमान पररदशृ्य में, इसके आर्थगक महत्सव और इन पशुओं के पालन और प्रजनन में नई तकनीकों के प्रारम्भ होने को दखे कर दशे भर के प्रगषतशील

    कृिकों और यवुाओं ने सुअर की खतेी शुरू की ह।ै िेरोजगार यवुा सुअरपालन द्वारा रोज़ी-रोटी कमा सकते ह”ै।

    श्री.अमर ससंह (32), गंगापुर ग्राम, रामपुर षजले, उत्तर प्रदेश के षनवासी का कहना

    है कक, “हमारे के्षत्र में सुअर पालन को नीचे दजे का व्यवसाय माना जाता था और

    कोई इसमे शाषमल नहीं होना चाहता था। हालांकक, मैं उसी गााँव में रेहता हाँ, मैंने

    कभी सुअरपालन एकक का दौरा नहीं ककया। एक िार जि मेरे षपताजी ने कदनेश के

    फामग की सफलता के िारे में िताया, मैंने उसके फामग का दौरा करने का षनणगय

    षलया। श्री.कदनेश से िातषचत के दौरान मुझे पता चला की सुअरपालन में उच्च

    आर्थगक प्रषतफल, उच्च पैदावार, और तेज़ षवकास दर, पीढ़ी का कम अंतराल, पालन

    में कम लागत और उच्च डे्रसससंग प्रषतशत है। इससे प्रभाषवत हो कर, मैंने उसी फ़मग से

    तीन सुअर के िच्चे खरीदे और उनका पालन शुरू ककया। आज, मेरे पास लगभग 50

    षिकक्योग्य सुअर है।

    श्री.कदनशे कुमार सागर

  • उद्यमवषृत्त द्वारा षवस्तारण

    “उद्यमवृषत्त द्वारा षवस्तारण” कें द्र प्रायोषजत एसी और एिीसी योजना की मुख्य सकंल्पना है। विग 2010

    से, श्रीराम ग्रामीण संशोिन एवं षवकास प्रषतष्ठान मण्डल (एसपीएम), महाराष्ट्र के वाडला, रत्नाषगरी,

    उस्मानािाद और अकोला में षस्थत उनके छः प्रादषेशक केन्द्रों; कनागटक के िेलगाम, छत्तीसगढ़ के रायपुर के

    द्वारा एसी और एिीसी योजना का कायागन्वयन कर रहा है। एसी और एिीसी योजना के कायागन्वयन को

    दढ़ृ करन े के षलए िैंकरों और अन्य स्टेकहोल्डरों के षलए यह संगठन षनयषमत रूप स े कायगशालाएं,

    प्रषशक्षण, और

    सम्मेलन आयोषजत

    करता है। एसपीएम

    और एटीएमए न े

    संयुक्त रूप स े

    भंडारकवाते, सोलापुर

    में “गने्न में अंतःफसलन

    और उसके लाभ” पर

    एक कदवसीय सम्मेलन

    आयोषजत ककया। इस

    समारोह में उप

    षनदेशक, एटीएमए

    प्रस्तुत रहे।

    यह पूरा प्रषशक्षण

    कायगक्म पूरी तरह से

    प्रषशक्षार्थगयों द्वारा

    तैयार ककया गया था।

    कृिकों को गने्न की

    अन्तः फसलन और

    संयुक्त गषतषवषियों

    जैस े इनपुट्स को एक

    साथ खरीदने और

    कृषि उत्सपाद षवपणन

    के षविय में अवगत करवाया गया। कृिक प्रषशक्षार्थगयों में स ेअषिक शोलापुर षजले से थे। प्रषशक्षण के

    दौरान, कृिक-षवशेिज्ञ के िीच िातचीत ने कृिकों को गने्न की खतेी में करठनाईओं को पहचानने और

    उसका हल षनकालने में मदद प्रदान की।

    ekg dk laLFkku

    सशु्री. अषनता ढोिल,े

    नोडल अषिकारी

    एनटीआई का नाम: श्रीराम

    ग्रामीण संशोिन एवं षवकास

    प्रषतष्ठान मण्डल (एसपीएम)

    पता: श्रीराम प्रषतष्ठान मण्डल,

    ऐग्री-क्लीषनक और ऐग्री व्यवसाय

    कें द्र, ए/पी-वडाला, तालुका-उत्तर

    सोलापुर, षजला-सोलापुर षपन-

    413222

    ईमेल- coordinator-

    [email protected], [email protected]

    वैिसाइट -

    www.lokmangaledu.org

    प्रषशक्षण कायगक्म: 70

    प्रषशषक्षत अभयथी: 2,361

    स्थाषपत वैंचर: 1,166

    सफलता दर: 49.38%

    गषतषवषियों का नाम: ऐग्री-

    इनपुट, िीज प्रक्मण, मिुमाखी

    पालन, कस्टम हाइररंग, डेरी,

    कुक्कड पालन, नसगरी, सअुरपालन,

    सूक्ष्म पोशाक तत्सवों का उत्सपादन,

    खाद्य प्रक्मण, तेल षनष्किगण

    इकाई, कृषि परामशग, पशु आहार

    का उत्सपादन, आकद

    खंड VII अकं II

    एसपीएम और एटीएमए, सोलापुर ने गन्न ेके ककसानों के षलए सहयोगी कायगक्म आयोषजत

    ककया।

  • **izR;sd —"kd }kjk csgrj —f"k**

    “कृषिउद्यमी” श्री के सत्सयगोपाल, आईएएस, महाषनदशेक (मनैजे)

    द्वारा प्रकाषशत

    हमस ेसपंकग करें:

    कृषि उद्यषमता षवकास कें द्र, (सीएडी)

    कृषि षवस्तार प्रििंन के राषष्ट्रय ससं्थान (मनैजे)

    (मनैजे), राजेंद्रनगर, हदैरािाद, षपन-500 030, भारत

    ई-मले: [email protected]

    विेसाइट: www.agriclinics.net

    कृषि उद्यमी का टोल फ्री हले्पलाइन न:ं 1800 425 1556

    ई मले: [email protected]

    प्रमखु सपंादक :डॉ.के.सत्सयगोपाल, आईएएस

    सपंादक :डॉ. पी चन्द्रशखेर

    सहयाक सपंादक : : डॉ. लक्ष्मीमरू्तग

    :सशु्री ज्योषत सहारे

    षहन्दी अनवुाद :डॉ. के. श्रीवल्ली

    www.agriclinics.net og iksVZy gS tks ,lh rFkk ,chlh ;kstuk ds ckjs esa lwpuk iznku djrk gSA ;g iksVZy ik=rk ekunaMksa] izf'k{k.k laLFkkuksa]

    izf'k{k.k dk;ZØeksa] lgk;rk dk;ksZa] foÙk fodYiksa rFkk Hkkoh m|fe;ksa dks lfClMh iznku djus ds laca/k esa v|ru tkudkjh nsrk gSA;g osclkbV LFkkfir

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    ì"B 4

    www.agriclinics.net वह पोटगल है जो एसी तथा एिीसी योजना के िारे में सूचना प्रदान करता है। यह पोटगल पात्रता मानदंडों, प्रषशक्षण संस्थानों, प्रषशक्षण कायगक्मों, सहायता कायों, षवत्त षवकल्पों तथा भावी

    उद्यषमयों को सषससडी प्रदान करने के संिंि में अद्यतन जानकारी देता है। यह वेिसाइट स्थाषपत कृषि नव उद्यमों, लंषित पररयोजनाओं, संिषन्ित योजनाओं के सयौरों से संिषन्ित सूचना तथा राज्य सरकारों,

    कृषि षवश्वषवद्यालयों, िैंकों, प्रषशक्षण संस्थानों तथा कृषि उद्यषमयों, के षलए उपयोगी अन्य सूचना भी प्रदान करती है।

    खंड VII अकं I

    “कृषि उद्यमी” श्रीमषत वी.उिा रानी, आईएएस, महाषनदशेक, मनैेज द्वारा प्रकाषशत ह।ै

    कृषि-उद्यमवृषत्त षवकास कें द्र (सीएडी),

    राष्ट्रीय कृषि षवस्तारण प्रििंन संस्थान (मनैेज),

    राजेंद्रनगर, हदैरािाद -500 030, भारत

    ई-मेल: [email protected]

    मखु्य सपंादक : श्रीमषत वी.उिा रानी, आईएएस, महाषनदशेक, सपंादक : डॉ.पी. चन्द्रशखेर ,सहायक सपंादक: डॉ. लक्ष्मी मरू्तग, श्रीमषत ज्योषत सहारे,

    षहन्दी अनवुाद : डॉ. के. श्रीवल्ली

    अषिक प्र ों के षलए कृपया [email protected] को संपकग करें

    ग्रामीण ज्ञान क्ाषंत के मशाल िारक

    श्री.वीरेंद्र ससंह (35), एसी और एिीसी योजना के अंतगगत

    प्रषशषक्षत और एक स्थाषपत कृषि उद्यमी को उनके ‘एंरट-षनल

    जैव-कीटनाशक के आषवष्कार के षलए पहचान षमली। यह

    कीटनाशक खड़ी फसल की नीलगाई (िोसेलाफस ट्रागोंकमेलस)

    से रक्षा करता है। उन्होंन ेयह पाया कक नीलगाई खड़ी फसल के

    फू्ररटंग हैड को ििागद करके फसल खराि करता है षजसके कारण

    िहुत आर्थगक नुकसान होता है। इस संकट की गंभीरता को

    पहचान कर, श्री.वीरेंद्र ससंह न ेइस संकट का हल ढंूढन ेके षलए

    साषहत्सय का गहन अध्ययन ककया। दो विग िाद वो इस नतीज ेपर

    पहुंचे कक औििीय पौिे इस सकंट से षनपटने में कुछ हद तक

    मददगार साषित होंगे। उन्होंन े षवषभन्न औििीय पौिों से तले

    षनकाला और एक जैव-सोल्युशन तैयार ककया। उन्होंने इस

    सोल्युशन स े फसलों पर षछटकाव कर प्रयोग ककया। उन्होंने

    पाया कक जैव-सोल्युशन के षवषशष्ट गंि ने नीलगाय को खेत स े

    दरू रखने में मदद की। यह जैव-कीटनाशक पूरी तरह स ेजषैवक है और पयागवरण के अनुकूल भी ह ैअतः प्रयोग के षलए सरुषक्षत है।

    डॉ.एम.एस स्वामीनाथन फ़ाउंडेशन, चेन्नई, तषमलनाडू ने श्री.ससंह के योगदान को पहचाना और उन्हें “ग्रामीण ज्ञान क्ांषत के मशाल

    िारक” के शीिग स ेसम्माषनत ककया। जमसेटजी टाटा नेशनल वचुगअल अकादमी ने भी इनकी अमूल्य सेवा के षलए इन्हें अध्येतावृषत्त से

    सम्माषनत ककया। श्री.वीरेंद्र ससंह एक कृषि षवद्यालय चला रह ेहै और और कृषि समदुाय को परामशग और कृषि में प्रषशक्षण प्रदान कर

    सहायता प्रदान कर रहे है।

    श्री.वीरेंद्र ससहं

    पुत्र. श्री. डोरी लाल, ग्राम: चौपारा जनूवी, पोस्ट: भोजीपुरा, षजला: िरेली, -243202, उत्तर प्रदेश

    ईमेल: [email protected] मोिाइल: 9412667062

    श्री.वीरेंद्र ससंह और डॉ.एम.एस स्वामीनाथन फ़ाउंडशेन, चने्नई, तषमलनाडू

    http://www.agriclinics.net/mailto:[email protected]://www.agriclinics.netmailto:[email protected]