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  • बैठने क िलए कसीर् की सही ऊंचाई ज़रूरी है। बैठते समय पीठ सीधी कसीर् से िचपकी होनी चािहए। कमर और क हे 90 िडगर्ी कोण पर होनेे चािहए। दोन पंजे ज़मीन से लगे होने चािहए। रीढ़ की हड् डी या पीठ म िकसी तरह का तनाव या िखंचाव नहीं होना चािहए।

    बैठने का...

    सुझाव

    िलख द और राहत पाए ंमन म िकसी राज़ को बनाए रखना िदमाग़ को क्षित पहुंचाता है। इसीिलए भगवान या पेड़-पौध क सामने बोल देने की परंपराएं ह। राज़ को बग़ैर हािन उजागर करने का उपाय यह भी है िक उसे कहीं िलख िदया जाए। लेखन क अपने लाभ ह, िजसम यह सुकन बोनस की तरह होगा।

    मधुिरमा, 12 अक्टबर 2016 (5)वि तद तक रचना समंदर

    मधुिरमा

    यह नज़ारा िकतना आम है- आपक सामने खड़ा इंसान िकसी से फोन पर अपनी उपि थित की कोई और ही जगह बता रहा हो। छोटा-सा झूठ, हम कहगे। यह छट भी दगे िक कोई बार-बार फोन करक परेशान कर रहा होगा, इसिलए बस ग़लतबयानी कर दी। इरादा धोखा देने का थोड़ ही था। लेिकन जो छोट झूठ बोलकर ख़ुद को छट िदलवाने की कोिशश करते ह, उन्ह इसकी आदत पड़ते देर नहीं लगती। नशे की तरह।

    हालांिक, ग़ौर िकया जाए, तो कई झूठ आसानी से पकड़ जा सकते ह। लेिकन जब ऐसा होता है, तो उससे यादा चोट ही पहुंचती है क्य िक जो ख़ुद को बरी कर चुका हो, उसे गुनहगार सािबत करना सबसे मुि कल काम है।

    छोट झूठ पर िगरेबान न पकड़ने का ख़ािमयाज़ा आज यह भुगतना पड़ रहा है िक बड़ धोख क रा ते खुल गए ह। ऐसा न होता, तो जुमर् क बहुत सारे राज़ मोबाइल क कॉल िरकॉड्सर् से न खुल रहे होते। सवाल तो यह उठता है िक गुनाह क्या छोट या भुला देने लायक़ होते ह? होने चािहए?

    कभी छोटी-सी भूल पर भी कान पकड़कर खड़ होन ेकी सज़ा िमलती थी। याद रहता था िक ग़लती की थी। सो, सज़ा से बचने और दोबारा उस िज़ लत से बचने क िलए ग़लती से बचते थे। आज पकड़ जाने से बचने की कोिशश म और, और बड़ झूठ क आसरे चले जाते ह।

    पता नहीं िकस िसलिसले से िसरे पकड़ िक ऐसा क्य और कसे हो गया। पहले सबर् चला गया, िफर वफ़ा गई और िफर ऐतबार चला गया। या पहले भरोसा उठा था...? िकसी ने कहा है- ‘कोई मुझसे पूछता है िक भरोसा करना इतना मुि कल क्य है? तो मेरा सवाल होता है- वादा पूरा करना इतना मुि कल क्य है?’

    बहुत आसान है दग़ा करना। लेिकन बहुत-बहुत मुि कल है िफर से यक़ीन िदला पाना। वॉरेन बफट क श द म- ‘भरोसा हवा की तरह है, जो हम िदखती नहीं, पर आसपास मौजूद रहती है।’ कभी यह न हो तो...? हम इसे िकतना आसान मानते ह! लेिकन िफर भी दुिनया क़ायम है। अराजक नहीं हो गई क्य िक सब ऐसे नहीं ह। लगता है, दुिनया उन लोग क दम पर चल रही है, जो भरोसा करते ह। या तो धोखे को नज़रअंदाज़ करते ह। या उस धोखे क साथ जीना सीख जाते ह। कल िमलाकर, ख़ुद ही नहीं, इंसान म भी भरोसे का भरम बनाए रखते ह। Â

    सामान्य दौड़ का तरीक़ा चलने जैसा होना चािहए। यानी पहले एड़ी ज़मीन पर आए, इसक बाद पंजा। इस दौरान घुटने आगे की तरफ़ होने चािहए। ध्यान रख िक दौड़ने क दौरान घुटन म झटका न लगे।

    दौड़ने का...

    मधुिरमा, 12 अक्टबर 2016 (4)युवमन

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    मधुिरमा

    िदमाग़ी क़सरत

    हल बताएं

    Âफशन डायरी आयुषी नरुला 06/10/16 @ 10:27 AM

    कम म करनी है यादा शॉिपंग...शॉ िपंग मेरे िलए मानो रोज़ का काम है। कभी दो त क साथ िवंडो शॉिपंग, तो कभी घर वाल क साथ असली ख़रीदारी। जब कछ नहीं होता तो इंटरनेट की आभासी दुुिनया का बाज़ार ही घूम लेती हूं, इसीिलए मेरा एक नाम शॉिपंग क्वीन भी रख िदया गया है। घर या पहचान म िकसी को भी स ते म अच्छा सामान लेना होता है, तो वह मुझसे पूछना नहीं भूलता। यही इन िदन भी हो रहा है क्य िक अब तो मौसम भी शबाब पर है। अरे, ये मत समिझए िक म ठंड-गमीर् की बात कर रही। यहां बात हो रही है फि टव सीजन क साथ आए सेल सीजन की। ऐसे म मने भी थोड़ी-सी ख़रीदारी कर ही डाली। पर आप िचंता न कर, म यहां शॉिपंग की िल ट खोलने नहीं, बि क कछ तरीक़ साझा करने आई हूं तािक आप भी कम पैस म यादा शॉिपंग कर पाएं।

    वैसे ख़रीदारी की बारीिकयां समझने क िलए िवंडो शॉिपंग करते रहना ज़रूरी है। इससे पता चलता है कहां सामान स ता व अच्छा िमलेगा। अक्सर लोग की िशकायत होती है िक जब हम दुकान म गए तो सारा अच्छा व स ता सामान दूसरे ख़रीद चुक थे। इसक िलए ज़रूरी है गुरुवार को ख़रीदारी करना क्य िक सभी दुकान पर इसी िदन से वीकड की तैयारी शुरू होती है, क्य िक सबसे अिधक भीड़ की स भावना होती है। उसी िदन सेल का नया टॉक भी रखा जाता है। यह उपयुक्त समय होता है जब मनपसंद सामान क कम दाम म िमलने की स भावना पर्बल हो जाती है। कम भीड़, कम दाम और अिधक िवक प आपक अनुभव को बेहतर बनाते ह।

    अब चिलए आपको अपनी एक ग़लती बताती हूं, वह भी एक अनुभव क ज़िरए। मुझे एक बार 15 हज़ार की बर्ांडड जूितयां पसंद आ गई थीं। म उन्ह ख़रीदने क िलए घर पर ख़ूब लड़ी, रोई, िगड़िगड़ाई और िफर ख़रीद लाई। जूितयां

    इतनी सुंदर और क़ीमती थीं िक म इतराती थी, पर झटका मुझे तब लगा जब 15 िदन बाद वही जिूतयां एक ऑफर म मेरी दो त पांच हज़ार म ख़रीद लाई। इसिलए अब म थोड़ा धैयर् रखने व आते ही नया सामान न ख़रीदने की सलाह देती हूं। वही सामान दो माह क भीतर कम दाम म भी पाया जा सकता है। हालांिक ऐसे म कई बार व तु क पूरी तरह िबक जाने का जोिखम होता है, पर ऑनलाइन उसकी उपल धता जानकर धैयर् रखा जा सकता है।

    और ऑफ सीजन सेल क बारे म तो आप जानते ही ह गे, यानी िक ख़ास अवसर या मौसम क बाद उससे स बंिधत सामान की सेल जैसे ठंड क कपड़ ख़रीदने ह तो जनवरी म शॉिपंग कर, वहीं गमीर् क ख़रीदने ह तो अग त म ल। ऐसे म बर्ांडड कपड़ बजट म िलए जा सकते ह। इसम ऑनलाइन टोसर् क न्यूज़लेटर स सकर्ाइब करक रखने से भी जानकारी िमलती रहती है।

    और अब आिख़री बात। क्या आपको पता है कई बार आपको कपड़ उनक वा तिवक मू य से भी महंगे पड़ जाते ह! अब आप सोच रहे ह गे िक यह तो तभी स भव है जब दुकानदार ही मूखर् बना दे। परंतु हम ख़ुद भी अनजाने म ऐसा कर जाते ह। जैसे एक उदाहरण है- मेरे दो त ने बहुत महंगा कतार् ख़रीदा पर उसने ख़रीदते समय यह िनदश नहीं पढ़ा िक कत को िसफ़ डर्ायक्लीन कराया जा सकता है, धोया नहीं जा सकता। ऐसे अक्सर पहने जाने वाले कपड़ यिद ले िलए जाएं, तो उन पर बाद क ख़चर् असल मू य से भी अिधक हो जाते ह।

    तो भइया, यहां आज की फशन की क्लास ख़त्म हुई। उ मीद है आप लोग को इन उपाय से कछ मदद िमल जाएगी। चलो अब चलती हूं थोड़ा आभासी दुिनया म तांक-झांक करने िक क्या नया आया है मेरे िलए। Â

    लो ग जीवन म सफलता का पैमाना यिक्त क आई क्यू (इंटलीजस कोशंट) यानी बौि क क्षमता को मानते ह। यह कछ हद तक सही भी है क्य िक िशक्षा से स बंिधत मामल म इसकी उपयोिगता है। परंतु इसक साथ ही कई अन्य क्षमता (अन्य कोशंट का अच्छा कोर) का होना भी उतना ही आव यक है, जो िविभ सामािजक व िनजी मामल म अहम भूिमका िनभाती ह। इनम से कछ वै ािनक आधार पर परखी जा चुकी ह, तो कछ पर इस िदशा म कायर् हो रहा है। चूंिक बौि क क्षमता को बहुत अिधक पर्भािवत कर पाना आसान नहीं, ऐसे म जीवन क अनुभव से सीखकर अन्य क्षमता को बढ़ाया जा सकता है।

    1 इमोशनल कोशंट (ई.क्यू.) यह दूसर की भावनाएं समझने की क्षमता दशार्ता है। अक्सर देखा गया है िक अच्छ आईक्यू क बावजूद, यिद यिक्त दूसर की भावनाएं व यवहार नहीं समझ पाता और अपने यवहार म बदलाव नहीं कर पाता तो जीवन क कई अहम पड़ाव पर असफल होता है। यह वै ािनक आधार पर भी परखा जा चुका है। हालांिक ध्यान देकर व अन्य लोग क पर्ित संवेदनशील बनकर इसे बेहतर िकया जा सकता है।

    2 क युिनकशन कोशंट (कॉम.क्यू.)इसक तहत बोलचाल व शारीिरक भाषा आती है। कई बार लोग को लगता है िक कम बोलने वाले इसम कमज़ोर ह गे और वाचाल मज़बूत। हालांिक कम बोलने वाले भी अपनी बात ठीक तरह से दूसरे यिक्त तक पहुंचा पाने व मनवाने की क्षमता रखते ह, तो उनका कॉम.क्यू अच्छा होता है। दूसरी ओर वाचाल पर्वृि क चलते काम िबगाड़ लेने और लोग से बुराई

    ले लेने की ि थित म यह उलटा हो जाता है। इसिलए शारीिरक व शाि दक भाषा पर िनयंतर्ण व उसका उिचत उपयोग इसे बेहतर बनाता है।

    3 करेज कोशंट (सी.क्यू.) यह यिक्तगत रूप से साहस िदखाने, कड़ क़दम उठा पाने, आगे बढ़कर पहल करने, बतौर नेता अगुअाई करने जैसी क्षमता को दशार्ता है। जीवन क पर्त्येक क्षेतर् म सफलता क िलए इसकी अहम भूिमका है। कई बार यह जन्मजात होता है, तो कई बार लगातार िविभ साहिसक, रचनात्मक, सां कितक गितिविधय म िह सा लेने से िवकिसत हो जाता है।

    4 अन्य कोशंट पेशस कोशंट (पीक्यू) धैयर् रखने की क्षमता से स बंिधत और फाइनिशयल कोशंट (एफक्यू) आिथर्क पर्बंधन व इससे जुड़ िनणर्य लेने की क्षमता को दशार्ता है। सारी क्षमता का तर हर यिक्त म अलग-अलग होना ही उनकी पहचान बताता है, लेिकन आई क्य ूव ई क्यू का अच्छा होना आव यक है। Â

    1

    3

    2

    िविभ रंगीन डंिडय से बना एक ग़लत गिणतीय समीकरण िदया है। इसम से िसफ़ एक डंडी की जगह इस तरह बदल िक यह समीकरण सही हो जाए।

    उर- जोड़ क िच म से पीले रंग की डंडी को हटाकर अंक छह म लगाएं तािक वह

    आठ बन जाए।

    मु कराहट

    घर है या...

    बेटा- पापा म पाटीर् क िलए अपने दो त क घर जा सकता हूं?पापा- मुझसे नहीं, अपनी मां से पूछो।मां- मुझसे नहीं, जाओ अपने िपताजी से पूछो।बेटा- अरे, ये घर है या बक की बर्ांच!

    सपना टीचर- सोनू कल तुम कल क्य नहीं आए?सोनू- सर, म कल सपने म अमेिरका चला गया था।टीचर- ठीक है, मोनू तुम क्य नहीं आए कल?मोनू- सर, म सोनू को एयरपोट छोड़ने गया था।

    मॉिनटर चीक क्लास म हंस रहा था। तभी एक लड़की बोली- कौन हंस रहा है? खड़ हो जाओ।चीक- तुम कौन हो?लड़की- म मॉिनटर हूं।चीक - हाहाहा, तेेरे िदन गए पगली। अब तो लैपटॉप, एलसीडी और एलईडी का ज़माना है। Â

    जानकारी डॉ. ीकांत रेड् डी, मनोिवशेष

    आईक्यू क साथ िकतने क्यू? पूरे यिक्तत्व को बुि क साथ कई अन्य बात भी पर्भािवत करती ह। इन्ह भी जानना ज़रूरी है...

    कर्ा ट

    जगमग बनाएं अपना घरत्योहार पर घर को सजाने क िलए िदये व छोट ब ब की लड़ी का तो ख़ूब उपयोग िकया होगा, इस बार कछ पर्योग ग्लो ि टक से करक देख।

    बोतल भी चमक- पारदशीर् बोतल ल और पानी भरने क बाद उसम ग्लो ि टक डालकर कमर क कोन या घर क ऊपर लटका द।

    िग्लटर संग पर्योग-पारदशीर् िड ब म ग्लो ि टक काटकर डाल व अच्छी तरह िहलाएं। िफर इसम िग्लटर को िछड़क। शाम क व त इसे बाग़ीचे या छत पर रखकर जगमगाने द।

    बड्स से बनाएं पैटनर्- बाज़ार म उपल ध ग्लो बड्स व नेकलेस से है पी िदवाली, शुभ-लाभ िलखकर व अन्य पसंदीदा आकितयां देकर भी इ तेमाल कर सकते ह।

    यायाम डॉ अिमत सार वत

    िछप न जाए ख़ूबसूरती

    कई मिहला को हाथ क ऊपरी िह से म वसा क एकितर्त होने की सम या का सामना करना पड़ता है। ऐसा यायाम क अभाव म कंधे की पेिशयां कमज़ोर होने व वसा क नीचे उतरकर हाथ म जमने से होता है। कछ आसान घरेलू यायाम इससे िनजात िदला सकते ह।

    1 वज़न उठाएंपानी की आधा या एक लीटर की बोतल को अच्छी तरह भरकर वज़न उठाने का यायाम कर। इसम बांह की आगे की पेिशय क िलए पहले हाथ को सीधा सामने लाकर हथेिलय पर बोतल को िलटाएं। िफर ड ब स की तरह वज़न उठाकर कंधे तक लाएं व वापस ले जाएं। दोन हाथ क ज़िरए कई बार यह यायाम कर। िफर कंधे की पेिशय क िलए दोन हाथ म बोतल को लेकर उन्ह पंख की तरह फलाकर कंधे की सीध म लाएं। िफर एक साथ बोतल को पकड़ हुए हाथ को ठीक िसर क ऊपर ले जाएं व वापस लाएं। यह पर्िकर्या बार-बार दोहराएं।

    2 िखंचाव भी है कारगर यह कहीं भी 5 िमनट म होने वाला यायाम है। अपने दोन हाथ को िसर क पीछ रख उनकी उंगिलय को एक-दूसरे म फंसाएं। िफर हाथ को ऊपर की ओर ले जाएं व खींच। ऐसा कई बार कर। इसका एक िवक प है िक पीठ क पीछ दोन हाथ को ले जाकर एक-दूसरे की उंगिलय म फंसाएं और िफर हाथ खींच।

    3 हाथ को घुमाएं दोन हाथ को फलाकर पंखे की तरह गोल-गोल आगे व पीछ की िदशा म घुमाने से भी कंधे की पेिशय का यायाम िकया जाता है। यह यायाम दोन हाथ म पानी की बोतल भरकर भी कर सकते ह। इसम ज़रूरी है िजतनी बार हाथ को घड़ी की िदशा म घुमाएं, उतनी ही बार िवपरीत िदशा म भी घुमाया जाए। Â

    शोध

    प ी अ लमंद, तो पित सेहतमंद प ी की अ लमंदी पित क जीवन क कई पहलु को बेहतर बना सकती है। इनम एक महत्वपूणर् पहलू है उसकी िदमाग़ी सेहत। एक शोध कहता है िक तर्ी िवदुषी हो, यानी पढ़ी-िलखी होने क साथ जानकार और जागरूक भी हो, तो पित को अ ज़ाइमसर् रोग होन ेकी आशंका कम हो जाती है।

    यूिनविसर्टी ऑफ़ एबर्ेडीन क पर्ोफ़सर डॉ. लॉरस हाली ने अपने शोध क आधार पर यह दावा िकया है। "अंडर टिडंग बर्ेन एिजंग एंड िडमिशया' नामक चिचर्त िकताब िलखने वाले डॉ. लॉरस इस क्षेतर् क जानेमाने िवशेष ह। उनका कहना है िक अ लमंद प ी अपने पित को ऐसी गितिविधय म य त रखती है, जो उसक िदमाग़ को सिकर्य बनाए रखते ह। इसीिलए याद््दा त म कमी और अन्य सं ानात्मक (कॉिग्निटव) क्षमता म ास उमर् क बाद भी कम ही होता है। बौि क चचार्, अध्ययन, िदमाग़ी चुनौितय का

    सामना, ये कछ ऐसी गितिविधयां ह जो अ ज़ाइमसर् को पीछ धकलती ह। Â

    Âसेहत डॉ. िहमांशु गगर्, डायरेक्टर, लीप क्योर सॉ यूशन, गुड़गांव

    सोना कम खोना यादाअधूरी व अिनयिमत नींद कई सम या की जड़ है। यह सम या अब आम पिरवार म भी घर करने लगी है। इसक बारे म जान और बच।

    यु वा क देर रात जागने व नींद स बंधी अिनयिमतता से तो हम वािकफ़ ह, लेिकन बदलती जीवनशैली म अब पिरवार भी इससे अछते नहीं ह। कई बार इसका कारण कामकाज़ी द पती का घर देर से आना, िफर पिरवार क साथ समय िबताना होता है। कई बार देर रात तक टीवी देखने, चैिटंग करने क चलते भी सोने का समय पीछ िखसकता जा रहा है। यह जीवनशैली पर पर्भाव डालने क साथ ही घातक बीमािरय की आशंका भी बढ़ा देता है। ऐसे म समय पर जागरूक होना और उपाय करना आव यक है।

    1 सम याएं क्या और कसी?{कभी ज दी सोना, तो कभी देर से। {पूरे पिरवार क देर रात जागने से िजन्ह ज दी सोने की ज़रूरत है जैसे- वृ व ब े, उनकी भी नींद अिनयिमत होना। {देर रात सोने और सुबह ज दी उठने से नींद पूरी न होना।{लंबे समय तक सोना, पर अच्छी गुणव ा की नींद न लेना।

    2 जानना ज़रूरी है क्य िक...यिद िदन म आठ घंट अच्छी गुणव ा की नींद न ली जाए तो कई शारीिरक व मानिसक परेशािनय का सामना करना पड़ सकता है। उनम से कछ इस पर्कार ह...{ दयाघात- दयघात क मरीज़ पर हुए एक शोध मंे सामने आया िक उनम से 90 पर्ितशत लोग को सात घंट से कम नींद लेने की आदत थी। {मि त क पर पर्भाव- नींद क गड़बड़ाने से िदनभर मन की ि थित क ठीक न रहने, िचड़िचड़ाहट, मानिसक सुकन न िमल पाने की सम या आती है। सपने आने की पर्िकर्या भी बािधत होती है िजससे या ा त पर पर्भाव पड़ता है, सो अलग।

    {नींद स बंधी रोग- ल बे समय तक िबगड़ी जीवनशैली से लीप एि या यानी सोते समय नाक की जगह मुंह से सांस लेना, खरार्ट की आदत, रातभर नींद न आने जैसी सम या की आशंका बढ़ जाती है। इसम जो अहम बात है, वह यह िक बड़ी संख्या म लोग इनसे पीिड़त होकर भी इलाज नहीं लेते। {अन्य- बीमािरय की फ़हिर त यहीं ख़त्म नहीं होती है। इनक अलावा डायिबटीज़, तनाव, अवसाद, मोटापा, टर्ोक, उ रक्तचाप आिद का ख़तरा बढ़ जाता है। नींद की कमी बड़ी संख्या म होने वाली दुघर्टना का कारण भी बनती है।

    3 िनयम िनधार्रण का महत्व{सोने और जागने का एक समय िनधार्िरत करना आव यक है िजससे शरीर भर्म की ि थित म न रहे। {कम से कम आठ घंट की एक साथ नींद लेना ज़रूरी है, टकड़ म होने वाली ल बे समय की नींद का पूरा लाभ नहीं िमलता। {िनयिमत गुणव ापूणर् नींद ल।

    4 ऐसे िमलेगा अच्छा आराम नींद की गुणव ा क िलए कछ बात का ध्यान रख िजससे देर से भी सोएं तो पूरी नींद हो सक, जैसे- पहला, सोने क तय समय से 4-6 घंट पहले कॉफ़ी, चाय, चॉकलेट, त बाक उत्पाद व कछ ददर् िनवारक दवाएं लेने से बच। दूसरा, सोने का कमरा ठंडा, अंधेरा व शांत हो। िफर भी रोशनी आए, तो आंख का मा क पहन। तीसरा, कमरे म टीवी, क यूटर, घड़ी जैसे नींद भटकाने वाले सामान न रख। चौथा, तुरंत नींद न आए तो उपकरण पर काम करने क बजाय िकताब पढ़ या गाने सुन। पांचवां, सोने से कछ अरसा पहले कमरे की रोशनी ह की कर द, तािक िदमाग़ तैयार हो जाए। छठा, रात को सोने से 2-3 घंट पहले ह का भोजन कर। Â

    कछ लोग ह, जो यक़ीन की क़ीमत समझते ह। वो यह भी जानते ह िक भरोसा ज़मीन का दूसरा नाम भी है। लेिकन कछ ही क्य ...सब या अिधकतर क्य नहीं...?

    िकसक भरोसे है दुिनया


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