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तततततततत (बबबबबबब) बब बबबबब बबब बबब बबबबब बबब बबबबबब बबब बबबबब बबब बबब बबबबब | बबब-बबब-बबब-बबब बबब बबब-बबब बबबबब बब बब || बबब बबबबब बबबबबब, बबब-बबबब-बबब-बबब-बबबबबब | बबबबबबब बब-बबब, बबबबबबब-बबबबब बबबब बबबब || बबबबबब बबबबब-बबबब बबबबबबबबब, बब बबबबबबबब बबबब | बबबबबबबबब बबबब बब बबबबब, बब बबब बबबब ब बबब || बबबब बबबब बबब-बबब बबबब बब बबबबबब बबबबब बबबबब | बबब-बबबबब बबब बबबबबब बबब बबबब, बबबब बब ब बबबब || बबब बबब-बबबब बबब बबबब बबबब, बबब बबबब बबब बबबब | बबबबबबबबबब बबबबब-बबब-बबबब बबब-बबब बबबबबब बबबबब || बबब-बबबब, बबब बबबबबबबबबब, बबबब बबबबब बबब बबब | बबबब-बबब बबबबब बबबबबबब बबब बबब बबब बबबबब || बबब बबबबबबब बबबब बबबबब बबबब बबबबब बबबबब बबबब | बबबबबब बबबबब बबबब बबबबब, बबब बबबब बबब बबबबबब || बबबबबबब बबबबबब-बबब, बबबबब बबब बबबब बबबबब | बबबबबब बबब-बब-बबबब बबबबब बबब बबबबबब बबबबबब || बबबब बबबब-बब-बबबब-बबब-बबब, बबबबबब बबबबबब |

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तुलसीदास  (बालकाण्ड) आज सुदि�न सुभ घरी सुहाई

राग आसावरी

आजु सुदिदन सुभ घरी सुहाई |रूप-सील-गुन- धाम राम नृप- भवन प्रगट भए आई ||

अतित पुनीत मधुमास, लगन-ग्रह-बार-जोग- समुदाई | हरषवन्त चर-अचर, भूमिमसुर- तनरुह पुलक जनाई ||

बरषहिहं तिबबुध- तिनकर कुसुमावलिल, नभ दुन्दुभी बजाई | कौसल्यादिद मातु मन हरतिषत, यह सुख बरतिन न जाई ||

सुतिन दसरथ सुत- जनम लिलये सब गुरुजन तिबप्र बोलाई |बेद- तिबतिहत करिर ति6या परम सुलिच, आनँद उर न समाई ||

सदन बेद- धुतिन करत मधुर मुतिन, बहु तिबमिध बाज बधाई | पुरबालिसन्ह तिप्रय-नाथ- हेतु तिनज- तिनज सम्पदा लुटाई ||

मतिन-तोरन, बहु केतुपताकतिन, पुरी रुलिचर करिर छाई |मागध- सूत द्वार बन्दीजन जहँ तहँ करत बड़ाई ||

सहज लिसङ्गार तिकये बतिनता चलीं मङ्गल तिबपुल बनाई | गावहिहं देहिहं असीस मुदिदत, लिचर जिजवौ तनय सुखदाई || बीलिथन्ह कुङ्कम-कीच, अरगजा अगर अबीर उड़ाई |

नाचहिहं पुर-नर- नारिर पे्रम भरिर देहदसा तिबसराई || अमिमत धेनु-गज-तुरग-बसन-मतिन, जातरुप अमिधकाई |

देत भूप अनुरुप जातिह जोइ, सकल लिसजिE गृह आई || सुखी भए सुर-सन्त-भूमिमसुर, खलगन- मन मलिलनाई |

सबै सुमन तिबकसत रतिब तिनकसत, कुमुद- तिबतिपन तिबलखाई || जो सुखलिसन्धु-सकृत- सीकर तें लिसव-तिबरञ्चिJच- प्रभुताई | सोइ सुख अवध उमँतिग रह्यो दस दिदलिस, कौन जतन कहौं गाई ||

जे रघुबीर-चरन-लिचन्तक, तितन्हकी गतित प्रगट दिदखाई | अतिबरल अमल अनुप भगतित दृढ़ तुललिसदास तब पाई ||

सहेली सुनु सोहिहलो रे राग जैतश्री

सहेली सुनु सोतिहलो रे |सोतिहलो, सोतिहलो, सोतिहलो, सोतिहलो सब जग आज |

पूत सपूत कौलिसला जायो, अचल भयो कुल- राज || चैत चारु नौमी तितलिथ लिसतपख, मध्य-गगन- गत भानु |

नखत जोग ग्रह लगन भले दिदन मङ्गल-मोद- तिनधान ||ब्योम, पवन, पावक, जल, थल, दिदलिस दसहु सुमङ्गल-मूल|

सुर दुन्दुभी बजावहिहं, गावहिहं, हरषहिहं, बरषहिहं फूल ||भूपतित- सदन सोतिहलो सुतिन बाजैं गहगहे तिनसान |जहँ- तहँ सजहिहं कलस धुज चामर तोरन केतु तिबतान ||

सीञ्चिJच सुगन्ध रचैं चौकें गृह- आँगन गली- बजार | दल फल फूल दूब दमिध रोचन, घर- घर मङ्गलचार || सुतिन सानन्द उठे दसस्यन्दन सकल समाज समेत | लिलये बोलिल गुर-सलिचव-भूमिमसुर, प्रमुदिदत चले तिनकेत ||

जातकरम करिर, पूजिज तिपतर-सुर, दिदये मतिहदेवन दान |

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तेतिह औसर सुत तीतिन प्रगट भए मङ्गल, मुद, कल्यान || आनँद महँ आनन्द अवध, आनन्द बधावन होइ | उपमा कहौं चारिर फलकी, मोहिहं भलो न कहै कतिब कोइ || सजिज आरती तिबलिचत्र थारकर जूथ- जूथ बरनारिर | गावत चलीं बधावन लै लै तिनज- तिनज कुल अनुहारिर || असही दुसही मरहु मनतिह मन, बैरिरन बढ़हु तिबषाद | नृपसुत चारिर चारु लिचरजीवहु सङ्कर-गौरिर- प्रसाद ||

लै लै ढोव प्रजा प्रमुदिदत चले भाँतित- भाँतित भरिर भार | करहिहं गान करिर आन रायकी, नाचहिहं राजदुवार ||

गज, रथ, बाजिज, बातिहनी, बाहन सबतिन सँवारे साज| जनु रतितपतित ऋतुपतित कोसलपुर तिबहरत सतिहत समाज ||

घण्टा-घण्टिण्ट, पखाउज-आउज, झाँझ, बेनु डफ- तार | नूपुर धुतिन, मञ्जीर मनोहर, कर कङ्कन- झनकार || नृत्य करहिहं नट-नटी, नारिर- नर अपने- अपने रङ्ग | मनहुँ मदन- रतित तिबतिबध बेष धरिर नटत सुदेस सुढङ्ग ||

उघटहिहं छन्द-प्रबन्ध, गीत-पद, राग-तान- बन्धान | सुतिन तिकन्नर गन्धरब सराहत, तिबथके हैं, तिबबुध- तिबमान ||

कुङ्कुम-अगर- अरगजा लिछरकहिहं, भरहिहं गुलाल- अबीर | नभ प्रसून झरिर, पुरी कोलाहल, भै मन भावतित भीर || बड़ी बयस तिबमिध भयो दातिहनो सुर-गुर- आलिसरबाद |

दसरथ-सुकृत- सुधासागर सब उमगे हैं तजिज मरजाद || बाह्मण बेद, बजिन्द तिबरदावलिल, जय-धुतिन, मङ्गल- गान | तिनकसत पैठत लोग परसपर बोलत लतिग लतिग कान ||

बारहिहं मुकुता- रतन राजमतिहतिष पुर- सुमुखिख समान | बगरे नगर तिनछावरिर मतिनगन जनु जुवारिर-जव- धान || कीखिन्ह बेदतिबमिध लोकरीतित नृप, मजिन्दर परम हुलास |

कौसल्या, कैकयी, सुमिमत्रा, रहस- तिबबस रतिनवास || रातिनन दिदए बसन-मतिन-भूषन, राजा सहन- भँडार |

मागध-सूत-भाट-नट- जाचक जहँ तहँ करहिहं कबार || तिबप्रबधू सनमातिन सुआलिसतिन, जन- पुरजन पतिहराइ | सनमाने अवनीस, असीसत ईस- रमेस मनाइ ||

अष्टलिसजिE, नवतिनजिE, भूतित सब भूपतित भवन कमाहिहं |समौ- समाज राज दसरथको लोकप सकल लिसहाहिहं ||

को कतिह सकै अवधबालिसनको पे्रम-प्रमोद- उछाह | सारद सेस-गनेस- तिगरीसहिहं अगम तिनगम अवगाह ||

लिसव-तिबरञ्चिJच-मुतिन- लिसE प्रसंसत, बडे़ भूप के भाग | तुललिसदास प्रभु सोतिहलो गावत उमतिग- उमतिग अनुराग ||

आजु महामङ्गल कोसलपुर सुहिन नृपके सुत चारिर भए राग हि!लावल आजु महामङ्गल कोसलपुर सुतिन नृपके सुत चारिर भए |

सदन- सदन सोतिहलो सोहावनो, नभ अरु नगर- तिनसान हए ||सजिज- सजिज जान अमर-तिकन्नर- मुतिन जातिन समय- सम गान ठए |

नाचहिहं नभ अपसरा मुदिदत मन, पुतिन- पुतिन बरषहिहं सुमन- चए || अतित सुख बेतिग बोलिल गुरु भूसुर भूपतित भीतर भवन गए |

जातकरम करिर कनक, बसन, मतिन भूतिषत सुरभिभ- समूह दए ||दल-फल-फूल, दूब-दमिध-रोचन, जुबतितन्ह भरिर- भरिर थार लए |

गावत चलीं भीर भै बीलिथन्ह, बजिन्दन्ह बाँकुरे तिबरद बए ||

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कनक-कलस, चामर-पताक-धुज, जहँ तहँ बन्दनवार नए | भरहिहं अबीर, अरगजा लिछरकहिहं, सकल लोक एक रङ्ग रए || उमतिग चल्यौ आनन्द लोक तितहुँ, देत सबतिन मजिन्दर रिरतए |

तुललिसदास पुतिन भरेइ देखिखयत, रामकृपा लिचतवतिन लिचतए

गावैं हि!!ुध हि!मल !र !ानीजैतश्रीी

गावैं तिबबुध तिबमल बर बानी |भुवन-कोदिट-कल्यान- कन्द जो, जायो पूत कौलिसला रानी ||मास, पाख, तिततित, बार, नखत, ग्रह, जोग, लगन सुभ ठानी |जल-थल- गगन प्रसन्न साधु-मन, दस दिदलिस तिहय हुलसानी ||

बरषत सुमन, बधाव नगर-नभ, हरष न जात बखानी | ज्यों हुलास रतिनवास नरेसतिह, त्यों जनपद रजधानी ||

अमर, नाग, मुतिन, मनुज सपरिरजन तिबगततिबषाद- गलानी | मिमलेतिह माँझ रावन रजनीचर लङ्क सङ्क अकुलानी ||

देव-तिपतर, गुरु- तिबप्र पूजिज नृप दिदये दान रुलिच जानी |मुतिन-बतिनता, पुरनारिर, सुआलिसतिन सहस भाँतित सनमानी ||

पाइ अघाइ असीसत तिनकसत जाचक- जन भए दानी |" यों प्रसन्न कैकयी सुमिमत्रतिह होउ महेस- भवानी ||

दिदन दूसरे भूप- भामिमतिन दोउ भईं सुमङ्गल- खानी | भयो सोतिहलो सोतिहले मो जनु सृमिष्ट सोतिहले- सानी ||

गावत-नाचत, मो मन भावत, सुख सों अवध अमिधकानी |देत-लेत, पतिहरत- पतिहरावत प्रजा प्रमोद- अघानी ||गान-तिनसान-कुलाहल- कौतुक देखत दुनी लिसहानी |

हरिर तिबरञ्चिJच-हर- पुर सोभा कुलिल कोसलपुरी लोभानी ||आनँद-अवतिन, राजरानी सब माँगहु कोखिख जुड़ानी |

आलिसष दै दै सराहहिहं सादर उमा-रमा- ब्रह्मानी ||तिबभव-तिबलास- बादिढ़ दसरथकी देखिख न जिजनहिहं सोहानी |कीरतित, कुसल, भूतित, जय, ऋमिध- लिसमिध तितन्हपर सबै कोहानी ||छठी- बारहौं लोक-बेद- तिबमिध करिर सुतिबधान तिबधानी |राम-लषन-रिरपुदवन- भरत धरे नाम ललिलत गुर ग्यानी ||सुकृत- सुमन तितल- मोद बालिस तिबमिध जतन- जन्त्र भरिर घानी |सुख- सनेह सब दिदये दसरथतिह खरिर खलेल लिथर- थानी ||

अनुदिदन उदय-उछाह, उमग जग, घर- घर अवध कहानी | तुलसी राम-जनम- जस गावत सो समाज उर आनी ||

घर- घर अवध !धावने मङ्गल-साज- समाज राग के�ारा

घर- घर अवध बधावने मङ्गल-साज- समाज | सगुन सोहावने मुदिदत- मन कर सब तिनज- तिनज काज || तिनज काज सजत सँवारिर पुर-नर- नारिर रचना अनगनी |

गृह, अजिजर, अटतिन, बजार, बीलिथन्ह चारु चौकैं तिबमिध घनी ||चामर, पताक, तिबतान, तोरन, कलस, दीपावलिल बनी |सुख-सुकृत- सोभामय पुरी तिबमिध सुमतित जननी जनु जनी ||

चैत चतुरदलिस चाँदनी, अमल उदिदत तिनलिसराज |

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उडुगन अवलिल प्रकासहीं, उमगत आनँद आज || आनन्द उमगत आजु, तिबबुध तिबमान तिबपुल बनाइकै |

गावत, बजावत, नटत, हरषत, सुमन बरषत आइकै || नर तिनरखिख नभ, सुर पेखिख पुरछतिब परसपर सचु पाइकै |

रघुराज- साज सरातिह लोचन- लाहु लेत अघाइकै || जातिगय राम छठी सजतिन रजनी रुलिचर तिनहारिर |

मङ्गल-मोद- मढ़ी मुरतित नृपके बालक चारिर || मूरतित मनोहर चारिर तिबरलिच तिबरञ्चिJच परमारथमई | अनुरुप भूपतित जातिन पूजन- जोग तिबमिध सङ्कर दई || तितन्हकी छठी मञ्जुलमठी, जग सरस जिजन्हकी सरसई |

तिकए नीन्द- भामिमतिन जागरन, अभिभरामिमनी जामिमतिन भई || सेवक सजग भए समय- साधन सलिचव सुजान | मुतिनबर लिसखये लौतिककौ बैदिदक तिबतिबध तिबधान || बैदिदक तिबधान अनेक लौतिकक आचरत सुतिन जातिनकै |

बलिलदान- पूजा मूलिलकामतिन सामिध राखी आतिनकै || जे देव- देवी सेइयत तिहत लातिग लिचत सनमातिनकै | ते जन्त्र- मन्त्र लिसखाइ राखत सबतिनसों पतिहचातिनकै ||

सकल सुआलिसतिन, गुरजन, पुरजन, पाहुन लोग |तिबबुध-तिबलालिसतिन, सुर-मुतिन, जाचक, जो जेतिह जोग ||

जतेिह जोग जे तेतिह भाँतित ते पतिहराइ परिरपूरन तिकये | जय कहत, देत असीस, तुलसीदास ज्यों हुलसत तिहये || ज्यों आजु कालिलहु परहँु जागन होतिहङे्ग, नेवते दिदये |

ते धन्य पुन्य- पयोमिध जे तेतिह समै सुख- जीवन जिजये ||भूपतित- भाग बली सुर- बर नाग सरातिह लिसहाहिहं |तितय- बरबेष अली रमा लिसमिध अतिनमादिद कमाहिहं ||अतिनमादिद, सारद, सैलनजिन्दतिन बाल लालतिह पालहीं |

भरिर जनम जे पाए न, ते परिरतोष उमा- रमा लहीं || तिनज लोक तिबसरे लोकपतित, घरकी न चरचा चालहीं | तुलसी तपत तितहु ताप जग, जनु प्रभुछठी- छाया लहीं ||

नामकरण !ाजत अवध गहागहे अनन्�- !धाए

राग जैतश्रीी बाजत अवध गहागहे अनन्द- बधाए |

नामकरन रघुबरतिनके नृप सुदिदन सोधाए || पाय रजायसु रायको ऋतिषराज बोलाए |

लिसष्य-सलिचव-सेवक- सखा सादर लिसर नाए || साधु सुमतित समरथ सबै सानन्द लिसखाए |

जल, दल, फल, मतिन-मूलिलका, कुलिल काज लिलखाए ||गनप-गौरिर- हर पूजिजकै गोवृन्द दुहाए |घर- घर मुद मङ्गल महा गुन- गान सुहाए ||

तुरत मुदिदत जहँ तहँ चले मनके भए भाए |सुरपतित- सासनु घन मनो मारुत मिमलिल धाए ||गृह, आँगन, चौहट, गली, बाजार बनाए |कलस, चँवर, तोरन, धुजा, सुतिबतान तनाए ||

लिचत्र चारु चौकैं रचीं, लिलखिख नाम जनाए |भरिर- भरिर सरवर- बातिपका अरगजा सनाए ||नर- नारिरन्ह पल चारिरमें सब साज सजाए |

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दसरथ- पुर छतिब आपनी सुरनगर लजाए || तिबबुध तिबमान बनाइकै आनजिन्दत आए | हरतिष सुमन बरसन लगे, गए धन जनु पाए ||

बरे तिबप्र चहँु बेदके, रतिबकुल- गुर ग्यानी | आपु बलिसष्ठ अथरबणी, मतिहमा जग जानी ||

लोक- रीतित तिबमिध बेदकी करिर कह्यो सुबानी-"लिससु- समेत बेतिग बोलिलए कौसल्या रानी ||

सुनत सुआलिसतिन लै चलीं गावत बड़भागीं |उमा-रमा, सारद- सची लखिख सुतिन अनुरागीं ||तिनज- तिनज रुलिच बेष तिबरलिचकै तिहलिल- मिमलिल सङ्ग लागीं |

तेतिह अवसर तितहु लोककी सुदसा जनु जागीं || चारु चौक बैठत भई भूप- भामिमनी सोहैं | गोद मोद-मूरतित, लिलए, सुकृती जन जोहैं ||

सुख-सुखमा, कौतुक कला देखिख- सुतिन मुतिन मोहैं | सो समाज कहैं बरतिनकै, ऐसे कतिब को हैं ? || लगे पढ़न रच्छा- ऋचा ऋतिषराज तिबराजे | गगन सुमन-झरिर, जय-जय, बहु बाजन बाजे ||

भए अमङ्गल लङ्कमें, सङ्क- सङ्कट गाजे | भुवन चारिरदसके बडे़ दुख- दारिरद भाजे || बाल तिबलोतिक अथरबणी हँलिस हरतिह जनायो |

सुभको सुभ, मोद मोदको, राम नाम सुनायो || आलबाल कल कौलिसला, दल बरन सोहायो |

कन्द सकल आनन्दको जनु अंकुर आयो ||जोतिह, जातिन, जतिप जोरिरकै करपुट लिसर राखे |" जय जय जय करुनातिनधे! सादर सुर भाषे ||" सत्यसन्ध ! साँचे सदा जे आखर आषे |

प्रनतपाल ! पाए सही, जे फल अभिभलाषे || भूमिमदेव देव देखिखकै नरदेव सुखारी |

बोलिल सलिचव सेवक सखा पटधारिर भँडारी || देहु जातिह जोइ चातिहए सनमातिन सँभारी | लगे देन तिहय हरतिषकै हेरिर- हेरिर हँकारी ||

राम- तिनछावरिर लेनको हदिठ होत भिभखारी | बहुरिर देत तेतिह देखिखए मानहुँ धनधारी || भरत लषन रिरपुदवनहूँ धरे नाम तिबचारी |

फलदायक फल चारिरके दसरथ- सुत चारी || भए भूप बालकतिनके नाम तिनरुपम नीके | सबै सोच- सङ्कट मिमटे तबतें पुर- तीके ||

सुफल मनोरथ तिबमिध तिकए सब तिबमिध सबहीके | अब होइहै गाए सुने सबके तुलसीके ||

दुलार सुभग सेज सोभिभत कौसिसल्या रुसिचर राम- सिससु गो� सिलये

राग हि!लावल सुभग सेज सोभिभत कौलिसल्या रुलिचर राम- लिससु गोद लिलये |

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बार- बार तिबधुबदन तिबलोकतित लोचन चारु चकोर तिकये || कबहँु पौदिढ़ पयपान करावतित, कबहँू राखतित लाइ तिहये |

बालकेलिल गावतित हलरावतित, पुलकतित प्रेम- तिपयूष तिपये ||तिबमिध-महेस, मुतिन- सुर लिसहात सब, देखत अंबुद ओट दिदये |

तुललिसदास ऐसो सुख रघुपतित पै काहू तो पायो न तिबये ||कनक- रतनमय पालनो रच्यो मनहँु मार- सुतहार

राग आसावरीकनक- रतनमय पालनो रच्यो मनहँु मार- सुतहार |

तिबतिबध खेलौना, तिकङ्तिकनी, लागे मञु्जल मुकुताहार ||रघुकुल- मण्डन राम लला ||

जनतिन उबदिट, अन्हवाइकै, मतिनभूषन सजिज लिलये गोद | पौढ़ाए पटु पालने, लिससु तिनरखिख मगन मन मोद ||

दसरथनन्दन राम लला ||मदन, मोरकै चन्दकी झलकतिन, तिनदरतित तनु जोतित |

नील कमल, मतिन जलदकी उपमा कहे लघु मतित होतित ||मातु-सुकृत- फल राम लला ||लघु, लघु लोतिहत ललिलक हैं पद, पातिन, अधर एक रङ्ग |

को कतिब जो छतिब कतिह सकै नखलिसख सुन्दर सब अंग ||परिरजन- रञ्जन राम लला ||

पग नूपुर कदिट तिकङ्तिकनी, कर- कञ्जतिन पहुँची मञ्जु | तिहय हरिर नख अदभुत बन्यो मानो मनलिसज मतिन-गन- गञ्जु ||

पुरजन- लिसरमतिन राम लला || लोयन नील सरोजसे, भू्रपर मलिसतिबन्दु तिबराज |

जनु तिबधु-मुख-छतिब- अमिमयको रच्छक राखै रसराज || सोभासागर राम लला ||

गभुआरी अलकावली लसै, लटकन ललिलत ललाट | जनु उडुगन तिबधु मिमलनको चले तम तिबदारिर करिर बाट ||

सहज सोहावनो राम लला || देखिख खेलौना तिकलकहीं, पद पातिन तिबलोचन लोल |

तिबलिचत्र तिबहँग अलिल- जलज ज्यों सुखमा- सर करत कलोल ||भगत- कलपतरु राम लला ||बाल- बोल तिबनु अरथके सुतिन देत पदारथ चारिर |

जनु इन्ह बचनखिन्हतें भए सुरतरु तापस तित्रपुरारिर ||नाम- कामधुक राम लला ||

सखी सुमिमत्रा वारहीं मतिन भूषन बसन तिबभाग | मधुर झुलाइ मल्हावहीं गावैं उमँतिग उमँतिग अनुराग ||

हैं जग- मङ्गल राम लला || मोती जायो सीपमें अरु अदिदतित जन्यो जग- भानु |

रघुपतित जायो कौलिसला गुन-मङ्गल-रूप- तिनधान ||भुवन- तिबभूषन राम लला ||

राम प्रगट जबतें भए गए सकल अमङ्गल- मूल | मीत मुदिदत, तिहत उदिदत हैं, तिनत बैरिरनके लिचत सूल ||

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भव-भय- भञ्जन राम लला ||अनुज-सखा- लिससु सङ्ग लै खेलन जैहैं चौगान |

लङ्का खरभर परैगी, सुरपुर बाजिजहैं तिनसान ||रिरपुगन- गञ्जन राम लला ||

राम अहेरे चलतिहङे्ग जब गज रथ बाजिज सँवारिर | दसकन्धर उर धुकधुकी अब जतिन धावै धनु- धारिर ||

अरिर-करिर- केहरिर राम लला || गीत सुमिमत्रा सखिखन्हकै सुतिन सुतिन सुर मुतिन अनुकूल |

दै असीस जय जय कहैं हरषैं बरषैं फूल ||सुर- सुखदायक राम लला ||

बालचरिरतमय चन्द्रमा यह सोरह-कला- तिनधान |लिचत- चकोर तुलसी तिकयो कर पे्रम-अमिमय- रसपान ||

तुलसीको जीवन राम लला ||

पालने रघुपहित झुलावै राग कान्हरा

पालने रघुपतित झुलावै | लै लै नाम सप्रेम सरस स्वर कौसल्या कल कीरतित गावै ||

केतिककण्ठ दुतित स्यामबरन बपु, बाल- तिबभूषन तिबरलिच बनाए | अलकैं कुदिटल, ललिलत लटकनभू्र, नील नलिलन दोउ नयन सुहाए ||

लिससु- सुभाय सोहत जब कर गतिह बदन तिनकट पदपल्लव लाए | मनहुँ सुभग जुग भुजग जलज भरिर लेत सुधा सलिस सों सचु पाए || उपर अनूप तिबलोतिक खेलौना तिकलकत पुतिन- पुतिन पातिन पसारत | मनहुँ उभय अंभोज अरुन सों तिबधु- भय तिबनय करत अतित आरत ||

तुललिसदास बहु बास तिबबस अलिल गुञ्जत, सुछतिब न जातित बखानी | मनहुँ सकल श्रुतित ऋचा मधुप है्व तिबसद सुजस बरनत बर बानी || पालने रघुपतित झुलावै |

लै लै नाम सप्रेम सरस स्वर कौसल्या कल कीरतित गावै || केतिककण्ठ दुतित स्यामबरन बपु, बाल- तिबभूषन तिबरलिच बनाए |

अलकैं कुदिटल, ललिलत लटकनभू्र, नील नलिलन दोउ नयन सुहाए ||लिससु- सुभाय सोहत जब कर गतिह बदन तिनकट पदपल्लव लाए |

मनहुँ सुभग जुग भुजग जलज भरिर लेत सुधा सलिस सों सचु पाए || उपर अनूप तिबलोतिक खेलौना तिकलकत पुतिन- पुतिन पातिन पसारत | मनहुँ उभय अंभोज अरुन सों तिबधु- भय तिबनय करत अतित आरत ||

तुललिसदास बहु बास तिबबस अलिल गुञ्जत, सुछतिब न जातित बखानी | मनहुँ सकल श्रुतित ऋचा मधुप है्व तिबसद सुजस बरनत बर बानी ||

झूलत राम पालने सोहै राग हि!लावल

झूलत राम पालने सोहैं | भूरिर- भाग जननीजन जोहैं ||

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तन मृदु मञ्जुल मेचकताई | झलकतित बाल तिबभूषन झाँई ||अधर-पातिन- पद लोतिहत लोने | सर-लिसङ्गार- भव सारस सोने ||

तिकलकत तिनरखिख तिबलोल खेलौना | मनहुँ तिबनोद लरत छतिब छौना ||रञ्चिञ्जत- अंजन कञ्ज- तिबलोचन | भ्राजत भाल तितलक गोरोचन ||

लस मलिसतिबन्दु बदन- तिबधु नीको | लिचतवत लिचतचकोर तुलसीको ||

राजत सिससुरूप राम सकल गुन-हिनकाय-धाम राग कल्याण राजत लिससुरूप राम सकल गुन-तिनकाय-धाम, कौतुकी कृपालु ब्रह्म जानु-पातिन- चारी |

नीलकञ्ज-जलदपुञ्ज-मरकतमतिन- सरिरस स्याम, काम कोदिट सोभा अंग अंग उपर बारी ||

हाटक-मतिन-रत्न- खलिचत रलिचत इंद्र-मजिन्दराभ, इंदिदरातिनवास सदन तिबमिध रच्यो सँवारी |

तिबहरत नृप- अजिजर अनुज सतिहत बालकेलिल-कुसल,नील-जलज- लोचन हरिर मोचन भय भारी ||

अरुन चरन अंकुस-धुज-कञ्ज-कुलिलस- लिचन्ह रुलिचर, भ्राजत अतित नूपुर बर मधुर मुखरकारी |

तिकङ्तिकनी तिबलिचत्र जाल, कम्बुकण्ठ ललिलत माल, उर तिबसाल केहरिर-नख, कङ्कन करधारी || चारु लिचबुक नालिसका कपोल, भाल तितलक, भु्रकुदिट, श्रवन अधर सुन्दर, तिद्वज- छतिब अनूप न्यारी | मनहुँ अरुन कञ्ज- कोस मञ्जुल जुगपाँतित प्रसव,

कुन्दकली जुगल जुगल परम सुभ्रवारी || लिचक्कन लिचकुरावली मनो षडङ्मिx-मण्डली,

बनी, तिबसेतिष गुञ्जत जनु बालक तिकलकारी | इकटक प्रतिततिबम्ब तिनरखिख पुलकत हरिर हरतिष हरतिष,

लै उछङ्ग जननी रसभङ्ग जिजय तिबचारी || जाकहँ सनकादिद सम्भु नारदादिद सुक मुनीन्द्र,

करत तिबतिबध जोग काम 6ोध लोभ जारी | दसरथ गृह सोइ उदार, भञ्जन संसार-भार,

लीला अवतार तुललिसदास- त्रासहारी ||

आँगन हि6रत घुटुरुवहिन धाए -तुलसी�ास राग कान्हरा

आँगन तिफरत घुटुरुवतिन धाए|नील- जलद तनु- स्याम राम- लिससु जनतिन तिनरखिख मुख तिनकट बोलाए ||

बन्धुक सुमन अरुन पद- पङ्कज अंकुस प्रमुख लिचन्ह बतिन आए | नूपुर जनु मुतिनबर- कलहंसतिन रचे नीड़ दै बाँह बसाए ||

कदिटमेखल, बर हार ग्रीव-दर, रुलिचर बाँह भूषन पतिहराए | उर श्रीवत्स मनोहर हरिरनख हेम मध्य मतिनगन बहु लाए ||

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सुभग लिचबुक, तिद्वज, अधर, नालिसका, श्रवन, कपोल मोतिह अतित भाए | भू्र सुन्दर करुनारस-पूरन, लोचन मनहु जुगल जलजाए ||

भाल तिबसाल ललिलत लटकन बर, बालदसाके लिचकुर सोहाए | मनु दोउ गुर सतिन कुज आगे करिर सलिसतिह मिमलन तमके गन आए ||

उपमा एक अभूत भई तब जब जननी पट पीत ओढ़ाए | नील जलदपर उडुगन तिनरखत तजिज सुभाव मनो ततिड़त छपाए ||

अंग- अंगपर मार- तिनकर मिमलिल छतिब समूह लै- लै जनु छाए | तुललिसदास रघुनाथ रूप- गुन तौ कहौं जो तिबमिध होहिहं बनाए ||

रघु!र !ाल छहि! कहौं !रहिन -तुलसी�ास राग के�ारा रघुबर बाल छतिब कहौं बरतिन | सकल सुखकी सींव, कोदिट-मनोज- सोभाहरतिन ||

बसी मानहु चरन- कमलतिन अरुनता तजिज तरतिन | रुलिचर नूपुर तिकङ्तिकनी मन हरतित रुनझुनु करतिन || मञु्ज मेचक मृदुल तनु अनुहरतित भूषन भरतिन |

जनु सुभग लिसङ्गार लिससु तरु फयz है अदभुत फरतिन || भुजतिन भुजग, सरोज नयनतिन, बदन तिबधु जिजत्यो लरतिन |

रहे कुहरतिन सलिलल, नभ, उपमा अपर दुरिर डरतिन || लसत कर- प्रतिततिबम्ब मतिन- आँगन घुटुरुवतिन चरतिन |

जनु जलज- सम्पुट सुछतिब भरिर- भरिर धरतित उर धरतिन || पुन्यफल अनुभवतित सुततिह तिबलोतिक दसरथ- घरतिन |

बसतित तुलसी- हृदय प्रभु- तिकलकतिन ललिलत लरखरतिन ||

नेकु तिबलोतिक धौं रघुबरतिन | चारु फल तित्रपुरारिर तोको दिदये कर नृप- घरतिन || बाल भूषन बसन, तन सुन्दर रुलिचर रजभरतिन |

परसपर खेलतिन अजिजर, उदिठ चलतिन, तिगरिर तिगरिर परतिन ||झुकतिन, झाँकतिन, छाँह सों तिकलकतिन, नटतिन हदिठ लरतिन |

तोतरी बोलतिन, तिबलोकतिन, मोहनी मनहरतिन ||सखिख- बचन सुतिन कौलिसला लखिख सुढर पासे ढरतिन |

लेतित भरिर भरिर अंक सैन्ततित पैन्त जनु दुहु करतिन || चरिरत तिनरखत तिबबुध तुलसी ओट दै जलधरतिन | चहत सुर सुरपतित भयो सुरपतित भये चहै तरतिन ||

छँगन मँगन अँगना खेलत चारु चाय; भाई राग आसावरी छँगन मँगन अँगना खेलत चारु चायz भाई | सानुज भरत लाल लषन राम लोने लोने लरिरका लखिख मुदिदत मातु समुदाई ||

बाल बसन भूषन धरे, नख- लिसख छतिब छाई |

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नील पीत मनलिसज- सरलिसज मञ्जुल मालतिन मानो है देहतिनतें दुतित पाई ||

ठुमुकु ठुमुकु पग धरतिन, नटतिन, लरखरतिन सुहाई |भजतिन, मिमलतिन, रुठतिन, तूठतिन, तिकलकतिन,अवलोकतिन, बोलतिन बरतिन न जाई ||

जनतिन सकल चहुँ ओर आलबाल मतिन- अँगनाई |दसरथ- सुकृत तिबबुध- तिबरवा तिबलसत

तिबलोतिक जनु तिबमिध बर बारिर बनाई || हरिर तिबरञ्चिJच हर हेरिर राम प्रेम- परबसताई |

सुख- समाज रघुराजके बरनत तिबसुE मन सुरतिन सुमन झरिर लाई || सुमिमरत श्रीरघुबरतिनकी लीला लरिरकाई |

तुललिसदास अनुराग अवध आनँद अनुभवत तब को सो अजहुँ अघाई ||

आँगन खेलत आनँ�कन्� राग हि!लावल

आँगन खेलत आनँदकन्द | रघुकुल-कुमुद- सुखद चारु चन्द || सानुज भरत लषन सँग सोहैं | लिससु- भूषन भूतिषत मन मोहैं |

तन दुतित मोरचन्द जिजमिम झलकैं | मनहुँ उमतिग अँग- अँग छतिब छलकैं || कदिट तिकङ्तिकतिन पग पैजतिन बाजैं | पङ्कज पातिन पहुँलिचआँ राजैं |

कठुला कण्ठ बघनहा नीके | नयन-सरोज-मयन- सरसीके || लटकन लसत ललाट लटूरीं | दमकतित दै्व दै्व दँतुरिरयाँ रुरीं |

मुतिन- मन हरत मञ्जु मलिस बुन्दा | ललिलत बदन बलिल बाल मुकुन्दा || कुलही लिचत्र तिबलिचत्र झँगूलीं | तिनरखत मातु मुदिदत मन फूलीं |

गतिह मतिनखम्भ तिडम्भ डतिग डोलत | कल बल बचन तोतरे बोलत ||तिकलकत, झुतिक झाँकत प्रतिततिबम्बतिन | देत परम सुख तिपतु अरु अंबतिन |

सुमिमरत सुखमा तिहय हुलसी है | गावत पे्रम पुलतिक तुलसी है ||

लसिलत सुतहिह लालहित सचु पाये राग कान्हरा

ललिलत सुततिह लालतित सचु पाये | कौसल्या कल कनक अजिजर महँ लिसखवतित चलन अँगुरिरयाँ लाये ||

कदिट तिकङ्तिकनी, पैजनी पायतिन बाजतित रुनझुन मधुर रेङ्गाये | पहुँची करतिन, कण्ठ कठुला बन्यो केहरिर नख मतिन- जरिरत जराये ||

पीत पुनीत तिबलिचत्र झँगुलिलया सोहतित स्याम सरीर सोहाये | दँतितयाँ दै्व- दै्व मनोहर मुख छतिब, अरुन अधर लिचत लेत चोराये || लिचबुक कपोल नालिसका सुन्दर, भाल तितलक मलिसतिबन्दु बनाये | राजत नयन मञ्जु अंजनजुत खञ्जन कञ्ज मीन मद नाये || लटकन चारु भु्रकुदिटया टेढ़ी, मेढ़ी सुभग सुदेस सुभाये | तिकलतिक तिकलतिक नाचत चुटकी सुतिन, डरपतित जनतिन पातिन छुटकाये ||

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तिगरिर घुटुरुवतिन टेतिक उदिठ अनुजतिन तोतरिर बोलत पूप देखाये |बाल- केलिल अवलोतिक मातु सब मुदिदत मगन आनँद न अमाये ||

देखत नभ घन- ओट चरिरत मुतिन जोग समामिध तिबरतित तिबसराये | तुललिसदास जे रलिसक न यतिह रस ते नर जड जीवत जग जाये ||

छोटी छोटी गोहि=याँ अँगुरिरयाँ छ!ीलीं छोटी राग लसिलत छोटी छोटी गोतिड़याँ अँगुरिरयाँ छबीलीं छोटी

नख- जोतित मोती मानो कमल- दलतिनपर | ललिलत आँगन खेलैं, ठुमुकु ठुमुकु चलैं, झुँझुनु झुँझुनु पाँय पैजनी मृदु मुखर ||

तिकङ्तिकनी कलिलत कदिट हाटक जदिटत मतिन, मञु्ज कर- कञ्जतिन पहुँलिचयाँ रुलिचरतर | तिपयरी झीनी झँगुली साँवरे सरीर खुली, बालक दामिमतिन ओढ़ी मानो बारे बारिरधर ||

उर बघनहा, कण्ठ कठुला, झँडूले केश, मेढ़ी लटकन मलिसतिबन्दु मुतिन-मन- हर |

अंजन- रञ्चिञ्जत नैन, लिचत चोरै लिचतवतिन,मुख- सोभापर वारौं अमिमत असमसर ||

चुटकी बजावती नचावती कौसल्या माता, बालकेलिल गावती मल्हावती सुपे्रम- भर |

तिकलतिक तिकलतिक हँसैं, दै्व- दै्व दँतुरिरयाँ लसैं, तुलसीके मन बसैं तोतरे बचन बर ||

सादर सुमुखिख तिबलोतिक राम-लिससुरूप, अनूप भूप लिलये कतिनयाँ | सुदंर स्याम सरोज बरन तनु, नखलिसख सुभग सकल सुखदतिनयाँ || अरुन चरन नखजोतित जगमगतित, रुनझुनु करतित पाँय पैञ्जतिनयाँ |

कनक-रतन- मतिन जदिटत रटतित कदिट तिकङ्तिकतिन कलिलत पीतपट- ततिनयाँ || पहुँची करतिन, पदिदक हरिरनख उर, कठुला कण्ठ, मञु्ज गजमतिनयाँ | रुलिचर लिचबुक, रद, अधर मनोहर, ललिलत

नालिसका लसतित नथुतिनयाँ || तिबकट भ्रुकुदिट, सुखमातिनमिध आनन, कल

कपोल, कानतिन नगफतिनयाँ | भाल तितलक मलिसतिबन्दु तिबराजत, सोहतित सीस लाल चौततिनयाँ ||

मनमोहनी तोतरी बोलतिन, मुतिन-मन- हरतिन हँसतिन तिकलकतिनयाँ | बाल सुभाय तिबलोल तिबलोचन, चोरतित लिचततिह चारु लिचतवतिनयाँ || सुतिन कुलबधू झरोखतिन झाँकतित रामचन्द्र- छतिब चन्दबदतिनयाँ |

तुलसीदास प्रभु देखिख मगन भईं प्रेमतिबबस कछु सुमिध न अपतिनयाँ

गीतावली - तुलसीदास  (बालकाण्ड)

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है्व हौ लाल क!हिहं !=े !सिल मैया राग सोरठा

है्व हौ लाल कबहिहं बडे़ बलिल मैया | राम लखन भावते भरत- रिरपुदवन चारु चायz भैया || बाल तिबभूषन बसन मनोहर अंगतिन तिबरलिच बनैहों | सोभा तिनरखिख, तिनछावरिर करिर, उर लाइ बारने जैहों ||

छगन- मगन अँगना खेलिलहौ मिमलिल, ठुमुकु- ठुमुकु कब धैहौ | कलबल बचन तोतरे मञ्जुल कतिह " माँ मोहिहं बुलैहौ ||

पुरजन-सलिचव, राउ- रानी सब, सेवक-सखा- सहेली | लैहैं लोचन लाहु सुफल लखिख ललिलत मनोरथ- बेली || जा सुखकी लालसा लटू लिसव, सुक- सनकादिद उदासी |

तुलसी तेतिह सुखलिसनु्ध कौलिसला मगन, पै पे्रम- तिपयासी ||

पगतिन कब चलिलहौ चारौ भैया ?पे्रम-पुलतिक, उर लाइ सुवन सब, कहतित सुमिमत्रा मैया ||

सुन्दर तनु लिससु-बसन- तिबभुषन नखलिसख तिनरखिख तिनकैया | दलिल तृन, प्रान तिनछावरिर करिर करिर लैहैं मातु बलैया ||

तिकलकतिन, नटतिन, चलतिन,लिचतवतिन, भजिज मिमलतिन मनोहर तैया |मतिन-खम्भतिन- प्रतिततिबम्ब झलक, छतिब छलतिकहै भरिर अँगनैया ||बालतिबनोद, मोद मञ्जुल तिबधु, लीला ललिलत जुन्हैया |

भूपतित पुन्य- पयोमिध उमँग, घर- घर आनन्द- बधैया || है्व हैं सकल सुकृत-सुख-भाजन, लोचन- लाहु लुटैया |

अनायास पाइहैं जनमफल तोतरें बचन सुनैया ||भरत, राम, रिरपुदवन, लषनके चरिरत- सरिरत अन्हवैया |

तुलसी तबके- से अजहँु जातिनबे रघुबर-नगर- बसैया ||

चुपरिर उ!दिट अनाहवाइकै नयन आँजे राग के�ारा

चुपरिर उबदिट अनाहवाइकै नयन आँजे, लिचर रुलिच तितलक गोरोचनको तिकयो है | भू्रपर अनूप मलिसतिबन्दु, बारे बारे बार

तिबलसत सीसपर, हेरिर हरै तिहयो है || मोदभरी गोद लिलये लालतित सुमिमत्रा देखिख

देव कहैं, सबको सुकृत उपतिवयो है |मातु, तिपतु, तिप्रय, परिरजन, पुरजन धन्य,

पुन्यपुञ्ज पेखिख पेखिख पे्रमरस तिपयो है || लोतिहत ललिलत लघु चरन- कमल चारु,

चाल चातिह सो छतिब सुकतिब जिजय जिजयो है | बालकेलिल बातबस झलतिक झलमलत सोभाकी दीयदिट मानो रुप- दीप दिदयो है ||

राम- लिससु सानुज चरिरत चारु गाइ-सुतिन सुजन सादर जनम- लाहु लिलयो है | तुलसी तिबहाइ दसरथ दसचारिरपुर

ऐसे सुख जोग तिबमिध तिबरच्यो न तिबयो है ||

राम- लिससु गोद महामोद भरे दसरथ, कौलिसलाहु ललतिक लषनलाल लये हैं |

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भरत सुमिमत्रा लये, कैकयी सतु्रसमन, तन पे्रम- पुलक मगन मन भये हैं || मेढ़ी लटकन मतिन-कनक-रलिचत, बाल- भूषन बनाइ आछे अंग अंग ठये हैं | चातिह चुचुकारिर चूमिम लालत लावत उर

तैसे फल पावत जैसे सुबीज बये हैं ||घन- ओट तिबबुध तिबलोतिक बरषत फूल

अनुकूल बचन कहत नेह नये हैं | ऐसे तिपतु, मातु, पूत, तित्रय, परिरजन तिबमिध

जातिनयत आयु भरिर येई तिनरमये हैं ||" अजर अमर होहु, " करौ हरिरहर छोहु

जरठ जठेरिरन्ह आलिसरबाद दये हैं | तुलसी सराहैं भाग तितन्हके, जिजन्हके तिहये

तिडम्भ-राम-रुप- अनुराग रङ्ग रये हैं ||

आजु अनरसे हैं भोरके, पय हिपयत न नीके राग आसावरी

" आजु अनरसे हैं भोरके, पय तिपयत न नीके | रहत न बैठे, ठाढे़, पालने झुलावत हू, रोवत राम मेरो

सो सोच सबहीके ||देव, तिपतर, ग्रह पूजिजये तुला तौलिलये घीके |

तदतिप कबहुँ कबहुँक सखी ऐसेतिह अरत जब परत दृमिष्ट दुष्ट तीके || बेतिग बोलिल कुलगुर, छुऔ माथे हाथ अमीके | सुनत आइ ऋतिष कुस हरे नरसिसंह मन्त्र पढे़, जो

सुमिमरत भय भीके || जासु नाम सरबस सदालिसव- पारबतीके | तातिह झरावतित कौलिसला, यह रीतित प्रीतितकी तिहय

हुलसतित तुलसीके ||

माथे हाथ ऋतिष जब दिदयो राम तिकलकन लागे | मतिहमा समुजिझ, लीला तिबलोतिक गुरु सजल नयन, तनु पुलक,

रोम रोम जागे || लिलये गोद, धाए गोदतें, मोद मुतिन मन अनुरागे |

तिनरखिख मातु हरषी तिहये आली- ओट कहतित मृदु बचनपे्रमके- से पागे ||

तुम्ह सुरतरु रघुबंसके, देत अभिभमत माँगे | मेरे तिबसेतिष गतित रावरी, तुलसी प्रसाद जाके सकल

अमङ्गल भागे ||

अमिमय- तिबलोकतिन करिर कृपा मुतिनबर जब जोए | तबतें राम अरु भरत, लषन, रिरपुदवन, सुमुख सखिख, सकल सुवन सुख सोए || सुमिमत्रा लाय तिहये फतिन मतिन ज्यों गोए | तुलसी नेवछावरिर करतित मातु अतितपे्रम-मगन-मन, सजल सुलोचन कोये ||

मातु सकल, कुल-गुर-बधू, तिप्रय सखी सुहाई |

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सादर सब मङ्गल तिकए मतिह-मतिन- महेस पर सबतिन सुधेनु दुहाई || बोलिल भूपभूसुर लिलये अतित तिबनय बड़ाई | पूजिज पायँ, सनमातिन, दान दिदये, लतिह असीस, सुतिन बरषैं सुमन सुरसाइ~ ||

घर- घर पुर बाजन लगीं आनन्द- बधाई |सुख- सनेह तेतिह समयको तुलसी जानै जाको चोयz है लिचत चहँु भाई ||

या सिससुके गुन नाम- !=ाई राग धनाश्री

या लिससुके गुन नाम- बड़ाई | को कतिह सकै, सुनहु नरपतित, श्रीपतित समान प्रभुताई ||

जद्यतिप बुमिध, बय, रुप, सील, गुन समै चारु चायz भाई | तदतिप लोक-लोचन-चकोर- सलिस राम भगत- सुखदाई ||

सुर, नर, मुतिन करिर अभय, दनुज हतित, हरतिह, धरतिन गरुआई | कीरतित तिबमल तिबस्व- अघमोचतिन रतिहतिह सकल जग छाई ||

याके चरन- सरोज कपट तजिज जे भजिजहै मन लाई | ते कुल जुगल सतिहत तरिरहैं भव, यह न कछू अमिधकाई ||

सुतिन गुरबचन पुलक तन दम्पतित, हरष न हृदय समाई | तुललिसदास अवलोतिक मातु- मुख प्रभु मनमें मुसुकाई ||

अवध आजु आगमी एकु आयो राग हि!लावल अवध आजु आगमी एकु आयो | करतल तिनरखिख कहत सब गुनगन, बहुतन्ह परिरचौ पायो ||

बूढ़ो बड़ो प्रमातिनक ब्राह्मन सङ्कर नाम सुहायो | सँग लिससुलिसष्य, सुनत कौसल्या भीतर भवन बुलायो || पायँ पखारिर, पूजिज दिदयो आसन असन बसन पतिहरायो | मेले चरन चारु चायz सुत माथे हाथ दिदवायो ||

नखलिसख बाल तिबलोतिक तिबप्रतनु पुलक, नयन जल छायो | लै लै गोद कमल- कर तिनरखत, उर प्रमोद न अमायो ||

जनम प्रसङ्ग कह्यो कौलिसक मिमस सीय- स्वयम्बर गायो |राम, भरत, रिरपुदवन, लखनको जय सुख सुजस सुनायो ||

तुललिसदास रतिनवास रहसबस, भयो सबको मन भायो | सनमान्यो मतिहदेव असीसत सानँद सदन लिसधायो ||

पौदिEये लालन, पालने हौं झुलावौं राग के�ारा

पौदिढ़ये लालन, पालने हौं झुलावौं कर पद मुख चखकमल लसत लखिख लोचन- भँवर भुलावौं ||

बाल-तिबनोद-मोद- मञु्जलमतिन तिकलकतिन- खातिन खुलावौं | तेइ अनुराग ताग गुतिहबे कहँ मतित मृगनयतिन बुलावौं ||

तुलसी भतिनत भली भामिमतिन उर सो पतिहराइ फुलावौं | चारु चरिरत रघुबर तेरे तेतिह मिमलिल गाइ चरन लिचतु लावौं ||

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सोइये लाल लातिडले रघुराई | मगन मोद लिलये गोद सुमिमत्रा बार बार बलिल जाई ||

हँसे हँसत, अनरसे अनरसत प्रतिततिबम्बतिन ज्यों झाँई | तुम सबके जीवनके जीवन, सकल सुमङ्गलदाई || मूल मूल सुरबीलिथ-बेलिल, तम- तोम सुदल अमिधकाई |

नखत-सुमन, नभ- तिबटप बौञ्चिण्ड मानो छपा लिछटतिक छतिब छाई || हौ जँभात, अलसात, तात! तेरी बातिन जातिन मैं पाई | गाइ गाइ हलराइ बोलिलहौं सुख नीन्दरी सुहाई ||

बछरु, छबीलो छगनमगन मेरे, कहतित मल्हाइ मल्हाई | सानुज तिहय हुलसतित तुलसीके प्रभुकी ललिलत लरिरकाई ||

ललन लोने लेरुआ, बलिल मैया | सुख सोइए नीन्द- बेरिरया भई, चारु- चरिरत चायz भैया || कहतित मल्हाइ लाइ उर लिछन-लिछन, " छगन छबीले छोटे छैया |

मोद- कन्द कुल कुमुद- चन्द्र मेरे रामचन्द्र रघुरैया|| रघुबर बालकेलिल सन्तनकी सुभग सुभद सुरगैया | तुलसी दुतिह पीवत सुख जीवत पय सपे्रम घनी घैया ||

सुखनीन्द कहतित आलिल आइहौं |राम, लखन, रिरपुदवन, भरत लिससु करिर सब सुमुख सोआइहौं ||रोवतिन, धोवतिन, अनखातिन, अनरसतिन, तिडदिठ- मुदिठ तिनठुर नसाइहौं |हँसतिन, खेलतिन, तिकलकतिन, आनन्दतिन भूपतित- भवन बसाइहौं ||

गोद तिबनोद- मोदमय मूरतित हरतिष हरतिष हलराइहौं | तनु तितल तितल करिर, बारिर रामपर, लेहौं रोग बलाइहौं ||

रानी- राउ सतिहत सुत परिरजन तिनरखिख नयन- फल पाइहौं | चारु चरिरत रघुबंस- तितलकके तहँ तुलसी मिमलिल गाइहौं ||

 

खेसिल खेल सुखेलहिनहारे राग टो=ीी

खेलिल खेल सुखेलतिनहारे | उतरिर उतरिर, चुचुकारिर तुरङ्गतिन, सादर जाइ जोहारे ||

बन्धु-सखा- सेवक सरातिह, सनमातिन सनेह सँभारे | दिदये बसन-गज- बाजिज साजिज सुभ साज सुभाँतित सँवारे || मुदिदत नयन- फल पाइ, गाइ गुन सुर सानन्द लिसधारे | सतिहत समाज राजमजिन्दर कहँ राम राउ पगु धारे ||

भूप- भवन घर- घर घमण्ड कल्यान कोलाहल भारे | तिनरखिख हरतिष आरती- तिनछावरिर करत सरीर तिबसारे ||

तिनत नए मङ्गल- मोद अवध सब, सब तिबमिध लोग सुखारे | तुलसी तितन्ह सम तेउ जिजन्हके प्रभुतें प्रभु- चरिरत तिपयारे ||

सोहत सहज सुहाये नैन राग हि!लावल

सोहत सहज सुहाये नैन | खञ्जन मीन कमल सकुचत तब जब उपमा चाहत कतिब दैन ||

सुन्दर सब अंगतिन लिससु- भूषन राजत जनु सोभा आये लैन | बड़ो लाभ, लालची लोभबस रतिह गयो लखिख सुखमा बहु मैन ||

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भोर भूप लिलये गोद मोद भरे, तिनरखत बदन, सुनत कल बैन |बालक- रूप अनूप राम- छतिब तिनवसतित तुललिसदास-उर- ऐन ||

भोर भयो जागहु, रघुनन्�न राग हि!भास भोर भयो जागहु, रघुनन्दन | गत- व्यलीक भगततिन उर- चन्दन || सलिस करहीन, छीन दुतित तारे | तमचुर मुखर, सुनहु मेरे प्यारे ||

तिबकलिसत कञ्ज, कुमुद तिबलखाने | लै पराग रस मधुप उड़ाने || अनुज सखा सब बोलतिन आये | बजिन्दन्ह अतित पुनीत गुन गाये ||

मनभावतो कलेऊ कीजै | तुललिसदास कहँ जूठतिन दीजै ||

प्रात भयो तात, !सिल मातु हि!धु-!�नपर राग हि!भास

प्रात भयो तात, बलिल मातु तिबधु-बदनपर मदन वारौं कोदिट, उठो प्रान- प्यारे !

सूत-मागध- बजिन्द बदत तिबरुदावली, द्वार लिससु अनुज तिप्रयतम तितहारे || कोक गतसोक अवलोतिक सलिस छीनछतिब,

अरुनमय गगन राजत रुलिच तारे | मनहुँ रतिब बाल मृगराज तमतिनकर- करिर

दलिलत, अतित ललिलत मतिनगन तिबथारे || सुनहु तमचुर मुखर, कीर कलहंस तिपक केतिक रव कलिलत, बोलत तिबहँग बारे | मनहुँ मुतिनबृन्द रघुबंसमतिन! रावरे गुनत गुन आश्रमतिन सपरिरवारे || सरतिन तिबकलिसत कञ्जपुञ्ज मकरन्दवर,

मञु्जतर मधुर मधुकर गुँजारे | मनहुँ प्रभुजनम सुतिन चैन अमरावती,

इजिन्दरानन्द- मजिन्दर सँवारे ||पे्रम- सण्टिम्मलिलत बर बचन- रचना अकतिन

राम राजीव- लोचन उघारे | दास तुलसी मुदिदत, जनतिन करै आरती, सहज सुन्दर अजिजर पाँव धारे ||

जाहिगये कृपाहिनधान जानराय रामचन्द्र राग हि!भास

जातिगये कृपातिनधान जानराय रामचन्द्र जननी कहै बार- बार भोर भयो प्यारे |

राजिजवलोचन तिबसाल, प्रीतित- बातिपका मराल, ललिलत कमल- बदन ऊपर मदन कोदिट बारे || अरुन उदिदत, तिबगत सरबरी, ससाङ्क तिकरनहीन,

दीन दीपजोतित, मलिलन, दुतित समूह तारे | मनहुँ ग्यानघन-प्रकास, बीते सब भव-तिबलास

आस- त्रास तितमिमर तोष तरतिन- तेज जारे || बोलत खगतिनकर मुखर मधुर करिर प्रतीतित सुनहु

श्रवन, प्रानजीवन धन, मेरे तुम बारे |

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मनहुँ बेद-बन्दी-मुतिनबृन्द-सूत-मागधादिद तिबरुद बदत " जय जय जय जयतित कैटभारे||

तिबकलिसत कमलावली, चले प्रपुञ्ज चJचरीक, गुञ्जत कल कोमल धुतिन त्यातिग कञ्ज न्यारे |

जनु तिबराग पाइ सकल सोक-कूप- गृह तिबहाइ भृत्य पे्रममत्त तिफरत गुनत गुन तितहारे || सुनत बचन तिप्रय रसाल जागे अतितसय दयाल भागे जञ्जाल तिबपुल, दुख- कदम्ब दारे |

तुललिसदास अतित अनन्द देखिखकै मुखारतिबन्द, छूटे भ्रमफन्द परम मन्द द्वन्द भारे ||

बोलत अवतिनप- कुमार ठाढे़ नृपभवन-द्वार,रुप-सील- गुन उदार जागहु मेरे प्यारे |

हि!लखिखत कुमु�हिन, चकोर, चक्रवाक हरष भोर, -तुलसी�ास राग हि!भास

तिबलखिखत कुमुदतिन, चकोर, च6वाक हरष भोर, करत सोर तमचुर खग, गुञ्जत अलिल न्यारे || रुलिचर मधुर भोजन करिर, भूषन सजिज सकल अंग,

सङ्ग अनुज बालक सब तिबतिबध तिबमिध सँवारे | करतल गतिह ललिलत चाप भञ्जन रिरपु-तिनकर-दाप, कदिटतट पटपीत, तून सायक अतिनयारे ||

उपबन मृगया-तिबहार- कारन गवने कृपाल, जननी मुख तिनरखिख पुन्यपुञ्ज तिनज तिबचारे |

तुललिसदास सङ्ग लीजै, जातिन दीन अभय कीजै दीजै मतित तिबमल गावै चरिरत बर तितहारे ||

खेलन चसिलये आनँ�कन्� राग नट

खेलन चलिलये आनँदकन्द | सखा तिप्रय नृपद्वार ठाढे़ तिबपुल बालक- बृन्द || तृतिषत तुम्हरे दरस कारन चतुर चातक- दास |

बपुष- बारिरद बरतिष छतिब- जल हरहु लोचन- प्यास ||बन्धु- बचन तिबनीत सुतिन उठे मनहुँ केहरिर- बाल |

ललिलत लघु सर- चाप कर, उर-नयन- बाहु तिबसाल || चलत पद प्रतिततिबम्ब राजत अजिजर सुखमा- पुञ्ज | पे्रमबस प्रतित चरन मतिह मानो देतित आसन कञ्ज || तिनरखिख परम तिबलिचत्र सोभा चतिकत लिचतवहिहं मात |

हरष- तिबबस न जात कतिह, " तिनज भवन तिबहरहु, तात || देखिख तुलसीदास प्रभु- छतिब रहे सब पल रोतिक |

थतिकत तिनकर चकोर मानहुँ सरद इंदु तिबलोतिक ||

हि!हरत अवध- !ीसिKन राम राग नट

तिबहरत अवध- बीलिथन राम | सङ्ग अनुज अनेक लिससु, नव-नील- नीरद स्याम ||

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तरुन अरुन-सरोज- पद बनी कनकमय पदत्रान |पीत- पट कदिट तून बर, कर ललिलत लघु धनु- बान ||

लोचनतिनको लहत फल छतिब तिनरखिख पुर-नर- नारिर | बसत तुलसीदास उर अवधेसके सुत चारिर ||

जैसे राम लसिलत तैसे लोने लषन लालु राग नट जैसे राम ललिलत तैसे लोने लषन लालु | तैसेई भरत सील-सुखमा-सनेह-तिनमिध, तैसेई सुभग सँग सत्रुसालु ||

धरे धनु- सर कर, कसे कदिट तरकसी, पीरे पट ओढे़ चले चारु चालु |अंग- अंग भूषन जरायके जगमगत, हरत जनके जीको तितमिमरजालु ||

खेलत चौहट घाट बीथी बादिटकतिन प्रभु लिसव सुपे्रम-मानस- महालु |सोभा- दान दै दै सनमानत जाचकजन करत लोक- लोचन तिनहालु ||रावन-दुरिरत- दुख दलैं सुर कहैं आजु " अवध सकल सुखको सुकालु|

तुलसी सराहैं लिसE सुकृत कौसल्याजूके, भूरिर भाग- भाजन भुवालु ||

लसिलत- लसिलत लघु- लघु धनु- सर कर राग लसिलत

ललिलत- ललिलत लघु- लघु धनु- सर कर, तैसी तरकसी कदिट कसे, पट तिपयरे |

ललिलत पनही पाँय पैञ्जनी-तिकङ्तिकतिन-धुतिन, सुतिन सुख लहै मनु, रहै तिनत तिनयरे || पहुँची अंगद चारु, हृदय पदिदक हारु,

कुण्डल-तितलक- छतिब गड़ी कतिब जिजयरे | लिसरलिस दिटपारो लाल, नीरज- नयन तिबसाल,

सुन्दर बदन, ठाढे़ सुरतरु लिसयरे || सुभग सकल अंग, अनुज बालक सङ्ग,

देखिख नर- नारिर रहैं ज्यों कुरङ्ग दिदयरे | खेलत अवध-खोरिर, गोली भौंरा चक डोरिर, मुरतित मधुर बसै तुलसीके तिहयरे ||

छोदिटऐ धनुहिहयाँ, पनहिहयाँ पगहिन छोटी राग लसिलत

छोदिटऐ धनुतिहयाँ, पनतिहयाँ पगतिन छोटी, छोदिटऐ कछौटी कदिट, छोदिटऐ तरकसी |

लसत झँगूली झीनी, दामिमतिनकी छतिब छीनी, सुन्दर बदन, लिसर पतिगया जरकसी ||

बय- अनुहरत तिबभूषन तिबलिचत्र अंग, जोहे जिजय आवतित सनेह की सरक सी |

मुरतितकी सूरतित कही न परै तुलसी पै, जानै सोई जाके उर कसकै करक सी ||

राम- लषन इक ओर, भरत- रिरपु�वन लाल इक ओर भये

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राग टो=ीी

राम- लषन इक ओर, भरत- रिरपुदवन लाल इक ओर भये | सरजुतीर सम सुखद भूमिम-थल, गतिन- गतिन गोइयाँ बाँदिट लये ||

कन्दुक-केलिल- कुसल हय चदिढ़-चदिढ़, मन कलिस- कलिस ठोङ्तिक- ठोङ्तिक खये |कर- कमलतिन तिबलिचत्र चौगानैं, खेलन लगे खेल रिरझये ||

ब्योम तिबमानतिन तिबबुध तिबलोकत खेलक पेखक छाँह छये | सतिहत समाज सरातिह दसरथतिह बरषत तिनज तरु-कुसुम- चये ||

एक लै बढ़त एक फेरत, सब पे्रम-प्रमोद-तिबनोद- मये | एक कहत भै हार रामजूकी, एक कहत भैया भरत जये || प्रभु बकसत गज बाजिज, बसन-मतिन, जय धुतिन गगन तिनसान हये | पाइ सखा- सेवक जाचक भरिर जनम न दुसरे द्वार गये ||

नभ- पुर परतित तिनछावरिर जहँ तहँ, सुर- लिसEतिन बरदान दये |भूरिर- भाग अनुराग उमतिग जे गावत- सुनत चरिरत तिनत ये ||

हारे हरष होत तिहय भरततिह, जिजते सकुच लिसर नयन नये | तुलसी सुमिमरिर सुभाव- सील सुकृती तेइ जे एतिह रङ्ग रए ||

भूमिमतल भूपके !=े भाग - तुलसी�ास राग जैतश्री

भूमिमतल भूपके बडे़ भाग | राम लखन रिरपुदमन भरत लिससु तिनरखत अतित अनुराग ||

बालतिबभूषन लसत पायँ मृदु मञ्जुल अंग- तिबभाग |दसरथ- सुकृत मनोहर तिबरवतिन रूप- करह जनु लाग ||

राजमराल तिबराजत तिबहरत जे हर-हृदय- तड़ाग | ते नृप- अजिजर जानु कर धावत धरन चटक चल काग ||

लिसE लिसहात, सराहत मुतिनगन, कहैं सुर तिकन्नर नाग |" है्व बरु तिबहँग तिबलोतिकय बालक बलिस पुर उपबन बाग||

परिरजन सतिहत राय रातिनन्ह तिकयो मज्जन पे्रम- प्रयाग | तुलसी फल ताके चायz मतिन मरकत पङ्कजराग ||