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  • एक को जानो, एक को मानो, एक हो जाओ।

    मानव एकता दिवस के उपलक्ष में ववशषे सत्सगं।

    1981 से ही 24 अप्रैल को संत वनरंकारी वमशन मानव एकता दिवस के रूप में मनात ेआ रहा ह।ै जाती-पााँती, धमम-सम्प्प्रिाय

    के भेिभाव से ऊपर उठकर अध्यात्म की सुिढ़ृ नींव पर आधाररत जीवन जीने की प्रेरणा िेन ेवाले बाबा गुरबचन ससंह जी

    महाराज अंवतम सवांसो तक मानव को मानव के नजिीक लाने का अवत वववशष्ठ कायम करत ेरह|े आध्यावत्मक जीवन

    अपनाकर वे मानव एकता के वलए वजए और मानव एकता के वलए ही 24 अप्रलै, 1980 को अपना सवोच्च बवलिान दिया|

    मुंबई में भी यह दिवस चेंबूर, वडाला, अंधेरी, गोरेगांव, कांदिवली, भायंिर, घाटकोपर, कलवा, ठाणे, घंसौली, सी.बी.डी.

    बेलापुर जैसे 12 सथानों पर मनाया गया। हजारों की संख्या में भक्तगण मानवता के मसीहा बाबा गुरबचन ससंह जी के जीवंत

  • वशक्षा को धारण करन ेहतेु सत्संग में उपवसथत हुए। श्रद्धालु भक्तों ने जो बवलिान 1980 के समय में हुए उनसे प्ररेणा लेत े

    हुए मानवता के वहत में योगिान िेने का िढ़ृ वनश्चय दकया।

    िेशभर में 3000 तक एवं वविेशों में 200 तक वमशन की ब्ांचों न ेमानव एकता दिवस के रूप में ववशेष सत्संग का लाभ

    वलया।

  • भारत के बाहर भी कई िेशों में 22 अप्रैल को ही मानव एकता दिवस मनाया गया। सतगरुु माता ससवंिर हरिेव जी के पावन

    सावनध्य में 22 अप्रैल को यह समागम सेन फ्ांवससको में सम्प्पन हुआ।


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