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GEODL-9 - एक समावेशी क ऱ का ननमााण तकताा : याचना ससेना मऱेननयम कॉऱेज ऑफ़ एज के शन, भोऩाऱ मोबाइऱ नॊबर : 9098046258

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  • GEODL-9 - एक समावेशी स्कूऱ का ननमााण

    प्रस्तुतकताा : याचना सक्सेना

    ममऱेननयम कॉऱेज ऑफ़ एजुकेशन, भोऩाऱ

    मोबाइऱ नॊबर : 9098046258

  • खण्ड-2 समावेशी मशऺा का ननयोजन एवॊ प्रबॊधन इकाई-1 बाधा रहहत ववद्याऱय का ननमााण

    अनकु्रमाणणका क्रमाॊक ववषयवस्तु ऩषृ्ट सॊख्या 2.1 ऩररचय 1 2.2 उद्देश्य 1 - 2 2.3 समावेशी ववद्याऱय में बाधाएॊ 2 - 9

    2.3.1 भावभॊगगमा 2 - 4 2.3.2 सामाजजक बाधाएॊ 4 - 6 2.3.3 शारीररक बाधाएॊ 6 - 7 2.3.4 शैक्षऺक बाधाएॊ 7 - 9

    2.4 समावेशी ववद्याऱय की अधोसॊरचना सम्बन्धी सुववधायें 9 – 10 2.5 एक आदशा समावेशी ववद्याऱय 11 - 15

    2.5.1 एक आदशा समावेशी स्कूऱ की ववशषेताएॊ 11 - 13 2.6 समावेशी कऺा-कऺ का प्रबॊधन 13

    2.6.1 कऺा-कऺ प्रबॊधन का अथा 13 2.6.2 कऺा-कऺ प्रबॊधन की ऩररभाषा 13 2.6.3 कऺा-कऺ प्रबन्धन का प्रत्यय 13 -14 2.6.4 कऺा-कऺ प्रबॊधन के अगधननयम 14 - 15

    2.7 सॊसाधन कऺ का प्रबॊधन 15 - 18

    2.8 समावेशी ववद्याऱय में ऩाठय सहगामी क्रक्रयाओॊ के आयोजन हेतु ननयोजन एवॊ प्रबॊधन 18 -

    2.8.1 ऩाठय सहगामी (ऩाठयान्तर) क्रक्रयाओॊ का अथा 19 - 20 2.8.2 ऩाठायान्तर क्रक्रयाओॊ का महत्वः 20 2.8.3 ऩाठायान्तर क्रक्रयाओॊ के मुख्य ऱाभ 20 - 21 2.8.4 ऩाठायान्तर क्रक्रयाओॊ का वगीकरण 21 – 23

    2.9 स्मरणीय तथ्य 23 2.10 प्रगनत की जाॉच 23 – 24 2.11 क्रक्रया कऱाऩ 24 2.12 चचाा के बबन्द ु 24 2.13 अन्य ऩठनीय सामग्री 25

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    2.1 ऩररचय

    याष्ट्रीम शिऺा नीतत (1986) ने इस फात ऩय वििषे फर ददमा है कि जहाॉ ति सॊबि हो िायीरयि रूऩ से फाधधत, ऺतत-मुक्त, अऩॊग औय अन्म असभथॉ फारिों िी शिऺा साभान्म फारिों िे साथ होनी चादहमे। िेिर गॊबीय रूऩ से ऺतत-ग्रस्त फाधधत मा अऩॊगों िे शरए विशिष्ट्ट शिऺा सॊस्थाओॊ भें प्रिेि ददमा जामें। िोठायी आमोग ने सभन्न्ित शिऺा िी शसपारयि िी हैं। इन विशिष्ट्ट फारिों िी शिऺा िो भुख्मधाया भें सन्मभशरत ियने िे ऩरयणाभ स्िरूऩ वििेष शिऺा िा वििास हुआ। इस वििास िे चरते, वििेष शिऺा, ऩथृक्िीियण भें सभािेिी शिऺा िी ओय अग्रसय हुई। सभािेिी शिऺा िे अन्तगगत अऩॊग, फाधधत औय असभथीं फारिों िे िहीॊ अधधिाय हैं जो अन्म साभान्म फारिों िे हैं औय साभान्म फारिों िे सभान ही सभाज भें प्रगतत ियने िा अधधिाय है। जीिन िे उनिे िामग ऺेत्रों भें ऩहुॉचाने िे सभान अिसय हैं जो अन्म नागरयिों िे है औय िे सभाज भें याष्ट्र िी भुख्मधाया से जुड़ने िे फयाफय िे बागीदाय हैं। अत् इस ईिाई िे भाध्मभ से मह प्रमास किमा गमा है कि शिऺि-प्रशिऺि मे जानें कि सभािेिी शिऺा भें आने िारी फाधाओॊ िो िे िैसे दयू ियें तथा एि आदिग सभािेिी विद्मारम िा तनभागण िैसें ियें ?

    2.2 उद्देश्य

    (1) इस इिाई िो ऩढ़ने िे ऩश्चात ्विद्माथॉ मे जान सिें गेॱ कि सभािेशित शिऺा ऩय आधारयत एि आदिग स्िूर िैसा होना चादहए ?

    (2) इस इिाई िे अध्ममन िे ऩश्चात ् शिऺि-प्रशिऺि मे बी जान सिें गें कि सभािेिी शिऺा िे शरए साभान्म विद्मारमों भें सॊसाधन िऺ िैसा होना चादहमे?

    (3) शिऺि-प्रशिऺि, इस इिाई िे अध्ममन िे ऩश्चात ्िऺा-िऺ प्रफॊधन िे फाये भें मह बी जान सिें गे कि िऺा प्रफॊधन िे भाध्मभ से शिऺण प्रकिमा िो िैसे सॊगदठत किमा जा सिता है?

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    (4) इस इिाई िे अध्ममन िे ऩश्चात ्शिऺि प्रशिऺि मे बी सभझने भें सऺभ हो सिें गे कि सभािेिी शिऺा भें िौन-िौन सी फाधाएॊ आती है ? इस ऩय आधारयत बाि बॊधगभा, साभान्जि औय िैक्षऺि फाधाओॊ ऩय सभाधान प्राप्त िय सिें गें।

    (5) जैसा कि ऩूिग विददत है कि ऩाठम सहगाभी किमाॉए छात्रों िे जीिन भें अहभ बूशभिा तनबाती हैं। खास तौय ऩय ददवमाॊग फारिों िे शरए ऩाठम सहगाभी किमाॉए िैसी होनी चादहए, मे बी जान सिें गे।

    2.3 समावेशी ववद्याऱय में बाधाएॊ

    सभािेिी विद्मारम भें तनमनशरखखत फाधाएॊ आती हैं-

    2.3.1 प्रववृि (भावभॊगगमा) की दृजष्ट से नतरस्कृत होना

    प्रिवृि अथिा बािबॊधगभा से तात्ऩमग किसी प्राणी िा किसी िाभ, विषम मा फात िी ओय अथिा किसी विशिष्ट्ट ददिा भें प्रििृ होने मा फढ़ने िी किमा मा बाि िो िहते हैं । भनुष्ट्म िे वमन्क्तत्ि िा िह िह भनोिैऻातनि द्रन्ष्ट्टिोण है जो इस फात िा सूचि होता है कि िह अऩने उद्देश्मों मा िामों िी शसद्धध िे शरए किस प्रिाय मा किस रूऩ भें सचेष्ट्ट यहता है। अथिा भन िी िह न्स्थतत न्जसभें िह किसी ऐसे िाभ मा फात िी ओय अग्रसय होता है जो उसे वप्रम तथा रुधचिय होती है।

    विशिष्ट्ट एिॊ अऩॊग फारिों िो बािबॊधगभा (हाि-बाि) िी दृन्ष्ट्ट से ततयस्िृत सभझा जाता है। महाॊ ति कि फारि िे भाता-वऩता (अशबबािि) ऐसे फारि िे प्रतत निायात्भि दृन्ष्ट्टिोण यखते हैं । अक्सय ऐसा देखने भें आता है कि भाता-वऩता महाॉ ति िह देते हैं कि मह फारि हभाये से किस जन्भ िा फदरा रेने िे शरमे ऩैदा हुआ। मह तो हभाये शरमे सायी उम्र िा फोझ है। हाि-बाि िी दृन्ष्ट्ट से अऺभ फारिो िो फेइज्जत किमा जाता है औय इनिो घणृा िी दृन्ष्ट्ट से देखा जाता है। ऐसे फारिों िा जन्भ उन्हें दखुदामी भहसूस होता है। ऐसे फारि उम्रबय उनिो िष्ट्ट देगा। िुछ भाता-वऩता अऩने अऩॊग फारि िो ऩसन्द ही नहीॊ ियते औय सभम-सभम ऩय उनिी तनन्दा औय अऩभान ियते हैं न्जसिा सीधा प्रबाि फारि ऩय निायात्भि दृन्ष्ट्ट से फारि िे वमन्क्तत्ि ऩय ऩड़ता है औय फारि भें हीनता िी बािना ददन प्रततददन

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    फढ़ने रगती है जफ किसी एि फारि भें किसी प्रिाय िा अॊग वििाय आ जाता है तो बी भाता वऩता अन्म फच्चों िी अऩेऺा उस फारि िा ततयस्िाय ियते हैं। जफ भाता-वऩता औय अऩॊग फारि भें वमन्क्तत्ि रूऩ से शबन्नता ददखाई देती है तो बी भाता-वऩता उस फारि से ततयस्िाय ऩूणग वमिहाय ियने रगते हैं। अक्सय मह बी देखा जाता है कि फहुत से भाता-वऩता अऩने साभान्म फारि औय अऩॊग फारि िे प्रतत बेद-बाि बी ददखाते हैं । भाता-वऩता िे ऐसे वमिहाय िो देखते हुए अऩॊग फारिे िे बाई-फहन बी उसिो ततयस्िृत ियते हैं। प्रायॊब िी अिस्था भें तो इन वििराॊग फारिों िे साथ दुगवमिहाय किमा जाता मा औय इनिो इनिे हार ऩय छोड़ ददमा जाता था। ऐसे फारिों िो अशबिाऩ भाना जाता था औय भाता-वऩता बी ऐसे फारिों िो फोझ िे अततरयक्त िुछ नहीॊ सभझते थे। इनिे फाये भें मह धायणा फनी हुई थी कि वििराॊग ऩूयी तयह से फेिाय हैं, िे स्िमॊ िुछ बी ियने भें असभथग है, मा ऐसे जीि हैं जो दमा िा ऩात्र हैं औय जफ ति िे जीवित हैं तफ ति उनिी देख बार ियनी ऩडे

    े़गी । इस प्रिाय िी विचाय धाया िे चरते इनिी शिऺा, प्रवषऺण, आजीवििा िभाने मोग्म फनाने औय इनिे ऩुनिागस िे शरमे किसी प्रिाय िे िोई प्रमास नहीॊ किमे गमे। िारान्तय भें उनिी शिऺा िे प्रमास किमे गमे ऩयन्तु वििराॊग फारिो िो साभान्म फारिों से ऩूणग रूऩ से शबन्न भाना गमा। इस अरगाििादी दृन्ष्ट्टिोण िे िायण मह विचाय ऩनऩा कि विशिष्ट्ट फारि साभान्म स्िूरों भें शिऺा ग्रहण ियने भें सभथग नहीॊ है अथागत आमोग्म हैं। मही िायण है कि कपय फाद भें ऐसे फारिों िी शिऺा िे शरमे अरग से वििेि सॊस्थाऐॊ खोरी गई। इतना होने ऩय बी मह नहीॊ िहा जा सिता ओय उनिो साभान्म फारिों िी तयह ऩरयिाय से सभाज से औय साभान्म स्िूरों से प्माय, दरुाय औय समभान नहीॊ शभरता है।

    प्रववृि (भावभॊगगमा) बाधाएॊ को दरू करने सॊबॊधी सझुाव

    ऐसे फारिों िो ततयस्िृत न ियिे फन्कि ऐसे िायगय िदभ उठामे जाने चादहमें न्जससे भाता-वऩता अऩने फारिों िो िस्तुतनष्ट्ठ रूऩ से स्िीिाय ियने रगें। मे िायगय िदभ तनमन हैं-

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    अऩॊग मा वििराॊग फारिो िो इस फात से ऩूणग रूऩ से अिगत िया देना चादहमे कि उनिी ही सभस्मा दरुगब नहीॊ है फन्कि अन्म भाता-वऩता िी बी इस प्रिाय सभस्मा है।

    शिऺि न्जनिा स्िस्थ दृन्ष्ट्टिोण हैं िे अशबबाििों िो जीिन िे प्रजातान्न्त्रि विचाय स्ऩष्ट्ट ियिे उनिो अऩने फारिो िी औय उन्भुख िय सिते हैं।

    अनेि भाता-वऩता जीिन िी सभस्माओॊ िे प्रतत धाशभगि विचाय यखते हैं। उन्हें मह फताना चादहमे कि प्रत्मेि वमन्क्त बगिान िा फारि है। इस शरमे प्रत्मेि वमन्क्त िा मह ितगवम फनता है कि िह उसिा समभान िये औय उसिे वििास िे शरमे प्रमास यत यहें।

    मदद भाता-वऩता अऩने जीिन िो सुखभम फनाना चाहते हैं तो उनिों अऩॊग फारिो िे अिगुणों िी ओय ध्मान न देिय गुणों िी ओय ध्मान देना चादहमे।

    फहुत से भाता-वऩता जो कि अऩने अऩॊग मा प्रततबािन फारि से ऩयेिान यहते हैं उन्हें शिऺि िी सराह रे रेनी चादहमे। इस सराह िे आधाय ऩय अशबबािि फारिों िे प्रशिऺण िी सही ददषा तनधागरयत ियने भें सपर होगे।

    अगय उऩय शरखखत सुझािों िो ध्मान भें यखते हुए भाता-वऩता सिायात्भि सोच िा वििास ियते हुए उन फारि िे प्रतत निायात्भि दृन्ष्ट्टिोण से सॊफॊधधत हाि-बाि अथागत बाि-बॊधगभा मा कपय निायात्भि िायीरयि बाषा भें सुधाय ियने भें सपर होते हैं तो ऐसे फारिो िे सभािेिी स्िूर भें प्रिेि ऩाने भें अिश्म ही इस फाधा िो िभ किमा जा सिता है।

    2.3.2 सामाजजक बाधाएॊ

    सभािेिी शिऺा भें दसूयी फाधा है साभान्जि िाताियण जो विशिष्ट्ट फारिों िे शरमे अनुिुर न होिय प्रततिूर होती है। सभाज िे अधधिाॊि रोग ऐसे फारिों िे प्रतत दमा औय सहानूबूतत िे बाि तो अिश्म प्रिट ियते हैं रेकिन जफ इन फारिो िे साथ सहमोग ियने िा प्रश्न उठता है तो िे शिष्ट्टाचाय ढॊग से ऩीछे हट जाने िा प्रमास ियते है आज बी सभाज िे रोगों िा दृन्ष्ट्टिोण इन फारिो िे प्रतत निायात्भि है। िे आज बी अऩॊग (ऺततग्रस्त) फारिों िो हीन बािना से देखते है।

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    इन फारिो िो दमा िा ऩात्र दानमोग्म, सहानूबूतत इच्छुि औय हॊसी भजाि िा ऩात्र फना शरमा जाता है। िुछ रोग भजफूरयमों िे िायण सफ िुछ सहन िय रेंगे। रेकिन उनिा ऐसा सोचना गरत है क्मोंकि सभाज िे ततयस्िृत ियने से इन फारिों भें औय अधधि हीन बािना जागतृ होतो है औय न्जससे सभाज िे ततयस्िृत ियने से इन फारिों भें औय अधधि हीन बािना जागतृ हो ऺततग्रस्तता िे िायण औय सभाज िी अिहेरना िे िायण साभान्जि किमा-िराऩों औय गततविधधमों से दयू यहना ऩड़ता है न्जससे उनिे सभाजीियण िी प्रकिमा भें फाधा आती है। बायतीम सभाज दो बागों भें विबान्जत है। 1. फन्द सभाज औय 2. खुरा सभाज । बायतीम सभाज भें फन्द सभाज िे रोगों िी सॊख्मा अधधिाॊि रूऩ से हैं औय खुरे सभाज िे रेागों िी सॊख्मा फन्द सभाज िे रोगों िे अनुऩात भें फहुत िभ हैं । फन्द सभाज िे रोग अधधितय गािों भें तनिास ियते हैं। जैसा कि नाभ से ही ऩता चरता है फन्द सभाज िे रोग अन्धविश्िासी, रूद े़ढिादी औय सॊिीणग विचाय यखते है औय िे अऩने यीतत रयिाजों, ऩायमऩारयि ऩरयऩादटमों िो त्मागने िा िदावऩ बी प्रमास नहीॊ ियते। बौतति ऩरयितगन ियना नहीॊ ियते चाहे िे विचाय मा भूकम आज िे मुग भें प्रासाॊधगि न बी हो। इस सभाज िे रोग अऩने फारिों िो सभािेवषत िो प्राथशभि शिऺा िे ऩूया किमे बफना स्िूर से हटा रेते हैं तो उनसे मह आषा िैसे यखी बेज देंगी। इन फन्द सभाज िे रोगों िी विचाय धाया िे चरते आज बी हभ 6 िषग से 14 रेाग उदाय विचायों से ही िॊधचत नहीॊ है फन्कि आधथगि दृन्ष्ट्ट से बी फहुत िभजोय हैं। इन्हीॊ िायणों से आज बी हभ अऩवमम औय अियोधन िी सभस्मा िा ऩूयी तयह से सभाधान नहीॊ िय ऩामे हैं। इन रोगों भें आज बी रड़िे औय रड़िी िे फीच बेद-बाि िी बािना घय किमे हुए है। इस प्रिाय िे सभाज िे रोगों से मह आषा नहीॊ िी जा सिती कि सभािेिी स्िूर भें अऩने फारिों िो बेजने भें सकिम रूऩ से मोगदान देंगे। खुरे सभाज से सॊफॊध यखने िारे रोगों से िुछ अॊिो ति सभािेिी स्िूर िी शिऺा भें सपरता शभर सिती है रेकिन ऩमागप्त रूऩ से अबी सॊबि नहीॊ है। िहय िे सयिायी स्िूरों भें तो सयिाय सकिम रूऩ से सभािेिी शिऺा िो सुतनन्श्चत ियने िा आश्िासन दे सिती है रेकिन गैय-सयिायी स्िूरों िो सभािेिी स्िूर भें ऩरयितगन

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    ियना असॊबि तो नहीॊ ऩयन्तु िदठन फहुत हैं। िहयों भें साभान्म स्िूरों भें सभािेिी वमिस्थाएॊ देिय वियोध ियेंगे। उनिा मह तिग होगा कि हभाये साभान्म फारिों िी सुचारू रूऩ से होने िारी शिऺण प्रकिमा भें िभी आमेगी। उनिी इस धायणा िे चरते िे अऩने साभान्म फारिों िो स्िूर से हटा रेंगे औय किसी अन्म स्िूर भें अऩने फारिों िा प्रिेि ियाने िा प्रमास ियेंगे जहाॊ सभािेिन नहीॊ है। िैसे तनजी स्िूर बी इस सभािेिी स्िूर ऩद्धतत िा खुरिय वियोध न ियें ऩयन्तु अऩॊग फारिो िो स्िीिाय ियने भें ऩूणग रूऩ से आना िानी अिश्म ही ियेंगे। इस प्रिाय से देंखें तो सभािेिी शिऺा िो साभान्जि फाधाओॊ िा साभना ियना ऩड़गेा।

    सामाजजक बाधाओॊ को दरू करने के उऩाय

    इन फाधाओॊ िो ऩूयी तयह से सभाप्त तो नहीॊ किमा जा सिता रेकिन इनिो िभ अिश्म किमा जा सिता है। इसिे शरमे हभें सिगप्रथभ साभान्जि दृन्ष्ट्टिोण भें ऩरयितगन िी आिश्िता है। अऩॊग (वििराॊग) फारिों िे प्रतत सभाज िे रोगों िा जो दृन्ष्ट्टिोण फना हुआ है उसे ऩरयितत गत ियने िी आिश्मिता है। सभाज िे रोगों ने इन फारिों िे प्रतत अस्िस्थ औय निायात्भि दृन्ष्ट्टिोण फना यखा है। सभाज िे रोगों ने इन फारिों िे प्रतत उनिो मह फताना होगा कि उनिा ऐसा सोचना फारि िे अदहत भें ही नहीॊ है फन्कि ऐसी सोच सभाज औय याष्ट्र वियोधी है। िास्तवििता औय सिायात्भि सोच मह हैं कि इन फारिों िो दमा मा सहानूबूतत िी आिश्िता न होिय फन्कि सकिम सहमेाग औय पे्रयणा िी आिश्मिता है। सभाज िो चादहमे कि ऐसे फारिों िे शरमे इस प्रिाय िे प्रमास ियें न्जससे ऐसे फारि देि (याष्ट्र) िी भुख्म धाया से जुड़ सिें । इस शरमे रोगों िे दृन्ष्ट्टिोण भें ऩरयतिगन राना आिश्मि है।

    2.3.3 िायीरयि फाधाएॊ सभािेशित वषऺा वमिस्था भें, िैसे ददवमाॊग फारिों िो ऩढने समफॊधी सबी सुविधाएॊ उऩरब्ध ियिाई जाती है, रेकिन वषऺा प्राप्त ियने भें िुछ िायीरयि फाधाएॊ आती है। जोकि ददवमाॊग फारिों िो विद्मारम जाने से िॊधचत ियती है। जैसे िायीरयि रूऩ से ददवमाॊग फारिो िे शरमे िऺा भें फैठने िी सीट वमिस्था ठीि से

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    नहीॊ होती है। इसिे अततरयक्त इस प्रिाय िे फारि अऩने फस्ते िा फोझ उठाने भें असभथग होते है औय सभािेवषत विद्मारम भें रारी िा अबाि होता है। मे वमिस्था बी विद्मारम जाने भें फाधा उत्ऩन्न ियती है। िौचारमों भें सहामि यॉड िे न रगे हाने से फारि िौच िामग स्िमॊ सॊऩाददत नहीॊ िय ऩाते है। इसिे अततरयक्त सिर गाभि किमाएॊ तथा सूक्ष्भ गाभि किमाएॊ से फाधधत फारि बी िऺा भें उऩन्स्थत नहीॊ यह ऩाते हैं। मदद फारि िे ऊॊ गशरमों भे िुछ सभस्मा है। तो िऺा भें शरखने से िॊधचत यह जाते है।

    िायीरयि फाधा सॊफॊधध उऩाम -

    सभािेशित विद्मारम भें िायीरयि रूऩ से फाधधत सबी विद्माथॉ िऺा भें सुचारू रूऩ से उऩन्स्थत यह सिे इसिे शरमे तनमन शरखत उऩाम उऩरब्ध ियिामे जाते है -

    1. विद्मारम भें सेमऩ िी वमिस्था होनी चादहमे।

    2. विद्मारम भें ऩमागप्त भात्रा भें वहीर चेमय उऩरब्ध ियिानी चादहमे।

    3. फस्ते िे फोझ िो िभ ियने िे शरमे रॉरी उऩरब्ध ियिाई जानी चादहमे।

    4. िौचारमों भें सहामि यॉड िी वमिस्था होनी चादहमे।

    5. सभम-सभम ऩय सिर एिॊ सूक्ष्भ गाभि किमाएॊ ियिाते यहना चादहमे न्जससे िे फच्चों िी ऊॊ गशरमाॊ शरखने िामग भें सकिम यहे।

    2.3.4 शकै्षऺक बाधाएॊ सभािेिी स्िूर भें साभान्जि फाधाओॊ िे साथ-साथ अनेि प्रिाय िी िैक्षऺि फाधाएॊ बी हैं। अधधिाॊि रूऩ से सभाज भें ऐसे फारिों िे अशबबािि अनऩढ़ होते है औय िे शिऺा िे भहत्ि िो नहीॊ सभझते औय िे सभािेिी स्िूर भें अऩने फारिो िो बेजने िे शरमे तैमाय नहीॊ होते हैं। ग्राभीण ऺेत्र जो वऩछड़ ेहुए हैं िहाॊ ऩय प्राईभयी स्िूर ही नहीॊ हैं जो फारिों िो साभान्म शिऺा प्रदान िय सिें । गाॊि भें तो फहुत से स्िूर अऩूणग हैं क्मोंकि िऺा चाय ऩास िय रेने िे फाद आगे ऩढ़ने िे शरमे किसी प्रिाय िा

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    िोई प्रािधान नहीॊ होता। ऐसी न्स्थतत भें तो ऺततग्रस्त फारिों िी शिऺा िा प्रािधान ियने हेतु वििेि रूऩ से शिक्षऺत शिऺिो िी आिश्िता होती है। सोचने िी फात मह है कि जफ साभान्म िऺा िो ऩढ़ने िे शरमे शिऺि उऩरब्ध नहीॊ हैं तो इन फारिों िी शिऺा िा वििेि प्रफॊध िैसे हो सिता है? इन फधधत (ऺततग्रस्त) फारिों िी तो िैसे बी वििेि िैक्षऺि आिश्ितामें होती हैं न्जनिी ऩूतत ग असॊबि हैं। स्िूरों भें घदटमा िाताियण हैं न्जसिे चरते िैक्षऺि िामगिभ िो सुवमिन्स्थत ढॊग से नहीॊ चरामा जा सिता। स्िूरों भें साज-सभान ऩमागप्त रूऩ से नहीॊ होता । स्िूर बिन आिषगि नहीॊ होते । उदासीन अप्रशिक्षऺत शिऺि होते है। िऺा भें विद्माधथगमों िी सॊख्मा बी अधधि होती है। शिऺि औय अशबबािािों िे सौहाद्गधऩूणग सॊफॊध बी नहीॊ होते हैं। ऐसे फारिों िी वििेि आिश्मताओॊ िी फात न बी िये तो स्िूरों भें भूर बूत आिश्मताओॊ िी बी ऩूतत ग नहीॊ होती है। अगय हभ मह बी भानिय चरे कि ऐसे विद्माधथगमों िे स्िूर सीशभत होंगे औय उन सभािेिी स्िूरों भें प्रफन्ध ठीि ठाि होता तो कपय बी जो फारि ऺत ग्रस्त हैं कि िे किन साधनों से स्िूर जामेंगे औय कपय स्िूर से िाऩस आमेंगे।

    स्िूरों भें शिऺा ऩाठमिभ दोषऩूणग है। इसभें तनमन दोष ऩामे जाते हैं- 1. मह वमिहारयि रूऩ से राब प्रद नहीॊ है। 2. मह शििु िेन्न्द्रत नहीॊ है। 3. मह सकिमता िेन्न्द्रत नहीॊ है। 4. मह जीिन िेन्न्द्रत नहीॊ है। 5. मह अयोचि है। 6. मह हभाये देि िी साॊस्िृतति विचायधाया से भेर नहीॊ खाता।

    शकै्षऺक बाधाओॊ को दरू करन ेके उऩाय

    ऩयीऺा-प्रणारी बी दोषऩूणग है। यटने ऩय जोय ददमा जाता है। फारिों िो िुछ भहत्िऩूणग प्रश्न ियिा देते हैं न्जनिों यट िय फारि ऩास तो अिश्म हो जाते हैं रेकिन जीिन िी दौड़ भें ऩीछे यह जाते हैं। इसिे साथ-साथ स्िूरों भें सहामि

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    सेिाओॊ िी िभी औय विशिष्ट्ट फारिों ऩय वििेि रूऩ से िाभ आने िारे उऩियणों िी बी फहुत िभी है। भॊदफुद्धध फारिों ऩय वििेि रूऩ से ध्मान िा न देना। इन अऺभ फारिों िो शिऺि द्िाया ऩूयी तयह स्िीिाय न किमा जाना ही इनिी शिऺा भें सफसे फड़ी फाधा है। साभान्म फारि जफ शिऺि िे इस वमिहाय िो देखते हैं तो िे बी ऺततग्रस्त फारिों िो किसी प्रिाय सहमोग नहीॊ देते। अत: इस िभी िो दयू ियना बी जरुयी है । प्राम् ऐसा देखा गमा है कि वििेष रूऩ से प्रशिक्षऺत शिऺिो िी फहुत िभी है जो सभािेिी स्िूर िे शरमे अऩमागप्त है। इन फारिो िे शरमे वमन्क्तगत शिऺा मोजना िा होना अत्मन्त आिश्मि है। इस फात से इॊिाय नहीॊ किमा जा सिता िी सभािेिी शिऺा प्रदान ियने हेतु अनेि िामग फहुत िदठन है रेकिन असॊबि नहीॊ है। हभें सभािेिी शिऺा िे प्रतत अथि प्रमास ियते यहना चादहमे औय मथा सॊबि सहमोग बी देना चादहमे न्जससे कि देय सिेय हभ इस रक्ष्म िो प्राप्त ियने भें सपर हो सिें ।

    2.4 समावेशी ववद्याऱय की अधोसॊरचना सम्बन्धी सवुवधायें प्राम् मह देखा गमा है कि िुछ ददवमाॊग फारिों िा योग औय उनिी अऺभता ज्मादा गॊबीय नहीॊ होती है अत् िे साभान्म विद्माधथगमों िे साथ शिऺा ग्रहण ियने भें सऺभ होते हैं अत् ऐसे ददवमाॊग फारिों िो साभान्म फारिों िे साथ शिऺा ग्रहण ियने भें सभामोजन स्थावऩत िय सिें अत् ऐसी न्स्थतत भें सभािेिी स्िूर िी अधोसॊयचना इस प्रिाय होना चादहए- 1) सभािेिी स्िूर भें उऩचाय िऺ (Physical Therapy Room) िा तनभागण इस प्रिाय होना चादहए कि ददवमाॊग विद्माथॉ अऩनी सुविधानुसाय उसिा प्रमोग िय सिें । इसिा तनभागण वििराॊगता िे आधाय ऩय होना चादहए। 2) फारिों िी िायीरयि अऺभताओॊ िो ध्मान भें यखते हुए वमामाभिारा िी िऺ वमिस्था हो तथा साथ ही साथ भनोयॊजन िऺ िी वमिस्था बी होनी चादहए। 3) एि िामगिारा िऺ िी वमिस्था हो। न्जसने न्जसभें अऺभ औय योगी फारिों िी आिश्मितानुसाय उऩियण फनाएॊ जाते हों जैसे वििेष प्रिाय िे िूज औय गेशरस आदद।

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    4) इस स्िूर भें एि विश्राभ िऺ बी अिश्म फना हुआ होना चादहए। इस विश्राभ िऺ भें पनॉचय, फारिों िी अऺभताओॊ औय आिश्िताओॊ िे अनुिूर होना चादहए। 5) ऩुस्तिारम िऺ िी वमिस्था इस प्रिाय हों न्जसभें साभान्म विद्माधथगमों िे साथ-साथ ददवमाॊग विद्माथॉ बी िऺ िा सही प्रमोग िय सिें । जैसे प्रिाि बी वमिस्था िा ध्मान यखते हुए ऩुस्तिारम िऺ िा तनभागण किमा जाना चादहए। 6) ऐसे िऺ िी बी वमिस्था िी जानी चादहए न्जसभें वििेष शिऺि आऩस भें फैठिय चचाग िय सिें । औय उनिी शिऺा वमिस्था भें सुधाय रा सिें । 7) सभािेिी स्िूर भें यैमऩ िी वमिस्था बी जानी चादहए न्जससे वििेष आिश्मिता िारे विद्माथॉ अऩने गॊतवम ति आसानी से ऩहॎुच सिें । इसिे अततरयक्त फहुभॊन्जर विद्मारमों भें शरफ्ट िी वमिस्था बी जानी चादहए न्जससे िायीरयि रूऩ से वििराॊग विद्माथॉ, विद्मारम भें एि भॊन्जर से दसूयी भॊन्जर ति आसानी से जा सिें । 8) सभािेिी स्िूर िा बिन बी इन फारिों िी विशिष्ट्ट आिश्िताओॊ िो ध्मान भें यखिय ही फनामा जाना चादहए। मदद बिन ऩहरे से फना हुआ होता तो उसभें आिश्ितानुिुर ऩरयितगन िय रेना चादहमे। जो फारि रििे से ऩीड े़डत हो उन्हें नीचे िी िऺा भें ही यखना चादहए। िभयों िे दयिाजों िा आिय फड़ा होना चादहए न्जससे ऩदहमादाय िुसॉ िा आसानी से प्रमोग किमा जा सिे। ऐसे बिन भें भॊन्जरों िे फनाने िी आिश्िता नहीॊ होती। 9) इस स्िूर भें आिासीम सुविधा िे शरए छात्रािास िी बी वमिस्था होनी चादहए छात्रािास बी फारिों िी अऺभताओॊ फीभायी औय आिश्िता जो िो ध्मान भें यखिय ही फनामा जाना चादहमे। 10) इन स्िूरों िे शिऺण िऺ ददवमाॊग फारिों िी आिश्िता िे अनुसाय ही हों। चाॉि, फोडग िी रमफाई-चौड़ाई, उॉचाई, िुसॉ, भेज ि अन्म पनॉचय बी उनिी सुविधा िे अनुिुर हो। 11) सभािेिी विद्मारम भें एि िाउॊसशरॊग िऺ िी वमिस्था बी िी जानी चादहए। जहाॊ ददवमाॊग विद्माधथगमों िी िाउसशरॊग िी जा सिें ।

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    2.5 एि आदिग सभािेिी विद्मारम

    एि आदिग सभािेिी विद्मारम भें प्राम् मह देखा जाता है कि िुछ ददवमाॊग फारिों िा योग औय उनिी अऺभता इतनी गॊबीय औय अधधि होती है कि िे साभान्म फारिों िे साथ शिऺा िी दृन्ष्ट्ट से राबान्न्ित नहीॊ हो सिते। अत् ऐसे फारिों िे शरए विशिष्ट्ट स्िूर िी वमिस्था िी जाती है। मदद मे विचाय हभ अऩने भन्स्तष्ट्ि भें राए कि क्मा इस वमिस्था से ददवमाॊग फारिों िो भुख्मधाया भें रामा जा सिता है िामद मे िदावऩ सॊबि नहीॊ है। अत् ऐसे फारिों िो भुख्मधाया भें िाशभर ियने िे शरए साभान्म फारिों िे साथ शिऺा देना ही जरूयी है। इसशरए मे विचायणीम प्रश्न है कि ददवमाॊग विद्माधथगमों िी शिऺा वमिस्था िैसी होनी चादहए, इस तथ्म ऩय विचाय ियने हेतु सभािेिी शिऺा िा ध्मान हभाये साभने आता है मदद सभािेिी शिऺा िो हद्रम से अऩनामा जाए तो िास्ति भें िह ददन दयू नहीॊ कि ददवमाॊग फारि भुख्मधाया भें न हो । औय इसिे शरए मे ऩयभ आिश्मि है कि एि आदिग सभािेिी स्िूर िी स्थाऩना हो। ऐसे स्िूर िी स्थाऩना िे शरए हभें िुछ फातों िो इस तॊत्र भें सन्मभशरत ियना होगा।

    2.5.1 एक आदशा समावेशी स्कूऱ की ववशेषताएॊ-

    एि आदिगसभािेिी स्िूर िी वििेषताएॊ तनमनशरखखत सायणी भे िखणगत हैं-

    िभाॊि वििेिता िणगन

    1 स्िूर िाताियण सभस्त स्िूर स्टाप सबी विद्तमाधथगमों िी न्जमभेदायी

    सभान रूऩ से रेंगें। जैसे सभम सीभा, सह-शिऺण इत्मादद भें अध्माऩि ऩूणग सहमोग ियेंगें।

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    ऩाठमिभ तनदेिऔय भूकमाॊिन

    वििेष आिश्मिता िारे फच्चे साभान्म िऺा से जो तनदेि ग्रहण ियेगें उनिा ऩारन बी ियेंगे। औय स्िूर भें आमोन्जत ऩाठ्म सहगाभी किमाओॊ भें फयाफयी से सहबाधगता तनबाएॊगें।स्िूर िे सबी विद्माधथगमों िो आिश्मितानुसाय याज्म एिॊ न्जरा भूकमाॊिन भें आिश्मि अथिा स्िीिृत सॊिोधन िे साथ बाग रेना चादहए औय उनिे दिाया प्राप्त आिड़ों िी जिाफदेही तम िी जानी चादहए। जोकि फाद भें मोजनात्भि सॊफॊध तनणगम रेने भें उऩमोगी शसद्ध होंगे । सबी स्टाप िे सदस्म स्िूर िे वििास हेतु स्िूर िी मोजनाओॊ िो फनाएगें। टीभ िे सदस्मों द्िाया मह ऩता रगामा जाएगा कि प्रत्मेि विद्माधथगमों िो आिश्मितानुसाय सहामता शभर यही है मा नहीॊ।

    3 स्टाप िा वििास

    वििेष आिश्मिता फारे फच्चों िे वििास िे शरए एि आदिगस्िूर दिाया वमिसातमि रूऩ से स्टाप िो िुिर फनामा जाएगा न्जससे ऐसे फच्चों िा ऩूणग वििास हो सिें ।

    सहमोगी सेिाएॊ सबी सहमोगी ि सऺभ सदस्म स्िूर सभुदाम िे भुख्म सदस्म होंगें।

    अशबबािि सहबाधगता

    स्िूर िी मे न्जमभेदायी होगी कि िे सबी अशबबाििों िो भुख्म रूऩ से जो ददवमाॊग फारिों िे अशबबािि है उनिो सबी गततविधधमों भें िाशभर ियेगा।

    साभुदातमि सहबाधगता

    स्िूर िे स्टाप िो विशबन्न प्रिाय िे वििराॊग फच्चों िे अशबबाििगण से फातचीत ियने िे शरए फहुउ्देिीम उऩागभों िो प्रमोग भें राना चादहए।

    सॊसाधन सबी सॊसाधन ऩूये विद्मारम भें भौजूद होंगे न कि िेिर िऺा-िऺ भें। स्िूर िभगचायी एि दसूये िे शरए सॊसाधनों िे रूऩ भें सेिा देने िे शरए तत्ऩय यहें।

    विद्मारम िा स्िभूकमाॊिन

    स्िूर प्रफॊधन स्िमॊ इस ओय उन्भुख यहेगा कि स्िूरी िाताियण भें सबी सुविधाएॊ उऩरब्ध है मा नहीॊ।

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    िहृदशिऺा मोजना

    स्िूर मोजना से सॊफॊधधत दस्तािेज औय प्रकिमामें उऩमुगक्त सूचीफद्ध ऺेत्रों िे सबी छात्रों िी आिश्मिताओॊ िो ऩूया ियती हों।

    2.6 सभािेिी िऺा-िऺ िा प्रफॊधन

    2.6.1 कऺा-कऺ प्रबॊधन का अथा

    प्रफॊधन िो ऐसी सॊगठनात्भि किमा िे रूऩ भें सभझा जाता है न्जसिे अन्तगगत विशबन्न वमिस्थाओॊ िे आधाय ऩय विशबन्न िामग किमे जाते है न्जनिे ऩरयणाभस्िरूऩ विशबन्न भूकमों जैसे भानिीम समभान, िैमन्क्ति एिता, स्ि् अनुदेिन तथा सभूह सभीऩता िा सभािेि होता है। िऺा प्रफॊधन िो प्रत्मम िी दृन्ष्ट्ट से देखने ऩय मह एि प्रफॊधन िी सॊगठनात्भि किमा िा अथग फताती है न्जसभें हभ िऺा प्रफॊधन से समफॊधधत आधुतनि, ितगभान, सिायात्भि तथा निायात्भि ऩुनफगरन, प्रफन्धनीम-विश्रेषण तथा अन्म सहामि-प्रफन्धन-साभग्री िा अध्ममन ियते हैं। प्रफॊधन िा एि विस्ततृ एिॊ वमिहारयि शसद्धान्त अनुदेिन िे स्िरूऩ िो बी सुतनन्श्चत ियता है।

    2.6.2 कऺा-कऺ प्रबॊधन की ऩररभाषा िऺा प्रफॊधन िे भाध्मभ से शिऺण प्रकिमा िो सॊगदठत किमा जाता है। िरा प्रफॊधन िो किमा प्रिवृि िे आधाय ऩय ऩरयबावषत किमा गमा है। िऺा प्रफॊधन िह प्रकिमा है न्जसभें अध्माऩि औय विद्माधथगमों िे सॊफॊधों औय अन्त् सॊफॊधों िे भाध्मभ से अधधगभ िी प्रकिमा समऩाददत होती है तथा िरा भें िामग तथा किमािराऩ से अधधगभ ऩरयन्स्थततमाॊ उत्ऩन्न िी जाती है। 2.6.3 कऺा-कऺ प्रबन्धन का प्रत्यय आमाभों िे भाध्मभ से अध्माऩि िो ऐसे तनदेिन तथा ठोस ऩयाभिग िी जानिायी होती है न्जनिे भाध्मभ से अध्माऩि अऩने विद्माधथगमों भें रूधचऩूणग अधधगभ िे प्रतत रूधच उत्ऩन्न ियिे अधधगभ िो प्रबािऩूणग फना सिते हैं औय विद्माधथगमों िा साभान्जि वििास िय सिते हैं। प्राम् अध्माऩिों िो इस फात िी जानिायी नहीॊ होती कि उन्हें क्मा आधाय शभरना है कि िऺा शिऺण भें सुधाय हेतु िऺा िे वमिहाय

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    िो िखणगत ियने हेतु िामगिभ ऩयमऩयागत रूऩ से अध्माऩि िो विशिष्ट्ट वमिहाय िो प्रशिऺण नहीॊ देते हैं। मह विश्िास है कि मदद अध्माऩि िऺा प्रफॊधन िे िामों तथा किमा-िराऩों तथा िऺा शिऺण भें सहामि होता है तो अध्माऩि विशिष्ट्ट िौिर भें दऺ होना चादहमे। िऺा प्रफॊधन भुख्म रूऩ से शिऺा से जुड़ा हुआ है इसभें अध्माऩि िी किमाएॊ जैसे अनुिासन, तनमॊत्रण, आऻा देना, अशबपे्रयणा तथा अधधगभ िे प्रतत सिायात्भि दृन्ष्ट्टिोण सन्मभशरत होती है। मह अधधगभ िाताियण िे तनभागण भें अध्माऩि िी बूशभिा ऩय िेन्न्द्रत िय देता है। अध्माऩि िी िऺा प्रफन्धन िी प्रणारी वििेष िय िे प्रविधधमो न्जन्हें अध्माऩि िऺा भें उत्ऩादि तथा स्ितॊत्र किमा-िराऩों िो ियिाने हेतु प्रमुक्त ियता है िऺा प्रफॊधन िे भुख्म तनधागयि घटि है। मह प्रत्मऺ तथा असमफद्ध अनुिासन तनमॊत्रण शबन्न है। प्रफॊधन िी सभस्मामें जफ उत्ऩन्न होती है तफ उन्हें सभाप्त ियने अथिा योिने भे सहामि होता है। 2.6.4 कऺा-कऺ प्रबॊधन के अगधननयम

    िऺा प्रफॊधन िी जदटर प्रकिमा िो साधायण रूऩ से अथिा सयरता से नहीॊ सभझा जा सिता हैं। िऺा प्रफॊधन हेतु िुछ साभान्म शसद्धान्त हैं न्जनिा िऺा प्रफॊधन हेतु वमिन्स्थत रूऩ से सभझा जा सिता है। इनिा अभ्मास किमा जा सिता है तथा ऩरयन्स्थतत अनुसाय इन्हें िरा प्रफन्धन हेतु प्रमुक्त किमा जा सिता है। मद्मवऩ िह ऩूणग नहीॊ है कपय बी िह िऺा प्रफन्धन िी सभस्माओॊ िो सुरझाने िे शरए तथा अध्माऩि िो विशिष्ट्ट ध्मान हेतु अध्माऩि िे शरमे सहामि होते हैं। 1. िऺा प्रफॊधन िे साभान्म अधधतनमभ: शिऺा प्रफॊधन िे भुख्म शसद्धान्त तनमनशरखखत हैं- अ. जफ विद्माथॉ िऺा िे तनमभों िो सभझ रे तथा इन्हें स्िीिाय िय रे तो िह उनिा अनुसयण ियें। फ. िऺा प्रफॊधन भें इस तथ्म िो ध्मान यखना चादहमे कि उसभें तनमॊत्रण ऩय ही फर न ददमा जामे फन्कि इस तथ्म ऩय बी ध्मान ददमा जामे कि विद्माधथगमों िा अधधि से अधधि सभम उत्ऩादि किमा-िराऩों भें वमतीॊत हो। स. विद्माधथगमों भें न िेिर फाहम तनमॊत्रण िा वििास अवऩतु उनभे आन्तरयि तनमॊत्रण िा वििास ियना बी अध्माऩि िा रक्ष्म होना चादहमे।

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    द. मदद विद्माधथगमों िो उनिी रूधचमों तथा मोग्मताओॊ िे अनुसाय अथगऩूणग िामों भें रगामा जामे तो उनिो िभ अनुिासन सॊफॊधी सभस्माओॊ िा साभना ियना ऩड़ता है। 2. िऺा प्रफॊधन िे विशिष्ट्ट अधधतनमभ: शिऺा प्रफॊधन िे विशिष्ट्ट अधधतनमभ तनमनशरखखत हैं- अ. मदद तनमभ आिश्मि हो तो स्ऩष्ट्ट तनमभ फनामे जामें। फ. विरमफ तथा अियोध िभ से िभ हो। स. वमिन्स्थत ऩाठ तथा स्ितॊत्र किमा-िराऩों िा तनमोजन। द. विद्माधथगमों िो उियदातमत्ि भहसूस ियने दें। ि. प्रमत्नों िो प्रोत्साहन दें तथा ख. सॊिेत ऩुनफगरन तथा उऩमुक्त वमिहाय िा प्रमोग। तनमभ प्रत्मेि ऩरयन्स्थतत भें रागू नहीॊ होते कपय बी इस तथ्म िा ध्मान यखना कि तात्िाशरि ऩरयन्स्थतत भें िैसे औय िभ अनुदेिन ददमे जामे औय विद्माधथगमों िे अच्छे वमिहाय िा िणगन ियना तथा उन्हें अच्छे वमिहाय हेतु ऩुरूस्िृत ियना न्जससे उन्हें ऻात हो कि उन्हें क्मा ियना चादहमे अथिा िैसा वमिहाय ियना चादहए औय िह अच्छे वमिहाय ियने हेतु पे्ररयत हों। इन साभान्म वििेषताओॊ िे अततरयक्त अध्माऩि िा वमिहाय बी िऺा भें अच्छे िाताियण िी उत्ऩवि तथा सभम तथा प्रमत्नों िे अधधिाधधि सदऩुमोग भें सहामि होता है।

    2.7 सॊसाधन कऺ का प्रबॊधन

    सॊसाधन कऺ के सन्दभा में अध्याऩक को ननम्नमऱणखत कारकों को ध्यान में रखना चाहहये- 1. िायीरयि िाताियण िी वमिस्था 2. अनुदेिनीम िाताियण िा सॊगठन 3. िैक्षऺि तिनीि िा प्रमोग तथा 4. सभम तथा अन्म शिऺण सॊसाधनों िा प्रफन्ध। 1. शारीररक वातावरण की व्यवस्था िायीरयि िाताियण िी वमिस्था िे शरए विशबन्न सुझाि तनमनशरखखत हैं-

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    अ. पिग एिॊ डेस्ि ऩय ऩड़ी िस्तुओॊ िो तथा अन्म उऩियण तथा तनभागण सॊफॊधी फाधाओॊ िो हटािय, सुयक्षऺत तथा फाधा यदहत िाताियण िी सुतनन्श्चतता । फ. ताऩभान, प्रिाि, ध्ितन, स्तय, िामु तथा आिषगि साज-सज्जा िे भाध्मभ से िामग ऩरयन्स्थतत िो सुखद फनाना। स. ऐसा पनॉचय तथा वििेि पनॉचय िा प्रमोग ियें जो कि आयाभदामि, स्थामी, वमिहारयि तथा किमात्भि हो। द. एिीियण िामग ियने तथा अन्म किमािराऩों िो ियने िे शरए स्थान िी वमिस्था। ि. फैठने िी वमिस्था ियते सभम िैक्षऺि उद्देश्म िो ध्मान भें यखना चादहए क्मोंकि उन विद्माधथगमों ऩय साभान्जि अन्त् साधनों िा प्रबाि ऩड़ता है। 2. अनुदेिात्भि िाताियण िा सॊगठन िऺा िे अनुदेिनीम िाताियण िे अन्तगगत विद्माधथगमों साभग्री तथा िामग िो सन्मभशरत किमा जाता है, अध्माऩि ऩाठ्मिभ िो सॊगदठत ियता है, विद्माधथगमों िा सभूह तैमाय ियता है, तनऩुणता तथा सूचनाओॊ िे प्रस्तुतीियण तथा अभ्मास हेतु ऩहुॉचता है, इस प्रारूऩ िा प्रबाि विद्माधथगमों िी उऩरन्ब्ध तथा िैक्षऺि िामों ऩय ऩड़ता है। इसिे भुख्म शसद्धान्त तनमनशरखखत हैं। अ. ऩाठमिभ तनऩुणता तथा सूचनाओॊ िो अनुिभ भें सॊगदठत ियना, तनऩुणताऔ तथा सूचनाओॊ िो वििमों तथा रूधचऩूणग किमािराऩों िे अनुसाय वमिन्स्थत ियना। फ. अनुदेिन हेतु विद्माधथगमों िो उनिी फाधधताओॊ िो प्रिायों आधाय ऩय सभूह फनाना तथा सभम-सभम ऩय इसभे ऩरयितगन ियना। स. ऩमगिेऺण अभ्मास हेतु वमिस्था ियना एिॊ विद्माधथगमों िो स्ि् अनुदेिा- नात्भि साभग्री प्रदान ियना इसिे अन्तगगत स्ि् सॊषोधनात्भि साभग्री िामगिभ अनुदेिन तथा भधस्थ साभग्री सन्मभशरत िी जाती है।

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    द. वमिन्स्थत अशबरेख प्रकिमा िा प्रमोग फाधधत फारिों िी मोग्मतानुसाय तथा उनिे अनुरूऩ हाने चादहए। 3. िैक्षऺि तिनीिी िा प्रमोग ितगभान िैक्षऺि तिनीिी िे अन्तगगत वमिन्स्थत अनुदेिानात्भि प्रविधधमाॉ, वमिहाय ऩरयितगन सॊफॊधी प्रकिमा उऩियण भें उच्च तिनीि पे्रस तथा अधधगभ सॊसाधनों प्रकिमा िो सन्मभशरत किमा जाता है। विद्मुत प्रविधधमों जैसे टेरीविजन, येडडमों आडडमो औय िीडडमो टेऩ, तथा िमप्मूटय ने शिऺा िी गुणिता, उऩमोधगता तथा साथगि िे ऺेत्र भें िान्न्त रा दी है। 4. सभम तथा अन्म सॊसाधनों िा प्रफॊधन शिऺि सभस्त अधधगभ िाताियण िा प्रफॊधि होता है िह आिश्मि अधधगभ सॊसाधनों िे आिॊटन, तथा प्रमोग िो ऩमगिेऺण ियता है। (अ) अनुदेिन सभम औय अिधध, (फ) अधधगभ साभग्री तथा (स) अनुदेिनात्भि िामगिताग (अ) अनुदेिन सभम औय अिधध-प्रततददन िे तनमशभत िामगिभ िो सभम िे आधाय ऩय फाॉटना तथा विद्माधथगमों िो फतराता है कि किस सभम िौन से किमािराऩ होंगे िामगिभ से सॊफॊधधत िुछ सुझाि तनमनशरखखत है। 1. तनन्श्चत िामगिभ से रचीरे ऩरयितगनिीर िामगिभ िी ओय। 2. आयॊब से छोटे ि सयर गहृ िामग देना चादहए तथा फाद भें फड़ें ि िदठन गहृ िामग ददमे जामे। 3. अधधि ऩसन्द किमे जाने िारे किमािराऩों िो ऩहरे ियना तथा िभ ऩसन्द किमे जाने िारे किमािराऩों िो फाद भें ियना। 4. अििाि िे सभम हेतु मोजना फनानी चादहए। 5. ऐसे तनन्श्चत िामग जो एि ददने भें ऩूये हो सिें । 6. विशबन्न किमािराऩों िा तनभागण। 7. तनमशभत िामगिभ फतराना तथा उसिा अनुसयण ियना।

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    (फ) अधधगभ साभग्री:साभग्री िा चुनाि ियने सभम इस तथ्म िा ध्मान यखना चादहमे कि िे िफ ति सुचारू रूऩ से िामग ियेंगें उसिा भूकम क्मा है ? उसे कितने विद्माथीं प्रमोग िय सिते हैं ? िह स्िस्थ हैं उन्हें सुगभता से एि स्थान से दसूये स्थान ति रे जामा जा सिे उनिी प्रस्तुती अनुिभ, वमम, उऩमोधगता तथा स्थामीऩन िा बी ध्मान यखा जाना चादहमे। (स) अनुदेिानात्भि िामगिताग- मदद अध्माऩि िो ऐसा प्रतीत हो कि उन्हें इन सफ िो स्िमॊ सॊचाशरत ियने भें िदठनाई हो यही है तो साधथमों िी सहामता रे सिते हैं औय अनुदेिन भें सुधाय िय सिता हैं।

    2.8 समावशेी ववद्याऱय में ऩाठय सहगामी क्रक्रयाओॊ के आयोजन हेत ुननयोजन एवॊ प्रबॊधन

    एि िहाित है कि जफ िोई किसी िामग िो ियने िे शरमे तत्ऩयता दिागता है तो महाॊ ति िह ददमा जाता है कि अफ इस िामग िो समऩन्न होने भें किसी प्रिाय िी देयी नहीॊ होगी अथागत मह िामग फड़ी सयरता औय सुगभता से समऩन्न हो जामेगा। अगय हभ िृवष ऺेत्र िी फात ियते हैं तो अक्सय किसानों िे भुख मह फात सुनी होगी कि अगय खेत िो फीज डारने से ऩहरे तैमाय िय शरमा जाता है तो इसिा अथग होता है कि आधा िाभ हो गमा है। (If the ground is prepared the half work is done) थानगडाईि ने सीखने िे शसद्धान्त भें तत्ऩयता िे तनमभ िी फात िी है । इसिे अनुसाय फारि िोई किमा ियने िे शरमे तैमाय हो जाता है तो उसिो उस किमा िे ियने मा कपय सीखने िे शरमे अधधि सभम नहीॊ रगता है। तत्ऩयता से अशबप्राम है कि मदद िोई ढॊग मा विधध प्रततकिमा िे शरमे तैमायी ियती है तो इससे सन्तुन्ष्ट्ट प्राप्त होती है। इसिे विऩयीत मदद िोई विधध प्रततकिमा िे शरमे तैमाय नहीॊ होगी तो इसिा ऩरयणाभ असन्तोष होता है । मदद किसी वमन्क्त िो ददमे हुए िामग भें रूधच होती है तो िह उस िामग िो फहुत िीघ्र सीख रेता है। इसिे विऩयीत रूधच िे अबाि भें िामग उसिो आिषगि प्रतीत नहीॊ होता फन्कि नीयस रगता है औय िह उस िामग िो सीख नहीॊ सिता । उदाहयण िे शरमे मदद िोई फारि खेर भें रूधच नहीॊ रेता हो तो उसिो खेरने िे शरमे वििि किमा जामे तो

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    उसिो खेर िे प्रतत घणृा हो जाती है मा कपय हो जो जामेगी। इसी िायण सीखने िी प्रकिमा सीखने िारे िी पे्रयणा ऩय तनबगय ियती हैं। इस प्रिाय जफ ऺततग्रस्त वििेि िैक्षऺि आिश्िताओॊ िारे फारिों िा साभान्म स्िूर भें सभािेिन िा सिार उठता है तो स्िूर, शिऺि, भुख्म शिऺि औय स्िूर से सॊफॊधधत अन्म बौतति एिॊ भानि सॊसाधनों िी ऩूयी तन्भमता से इन फारिों िो स्िीिाय ियने िी तैमायी िा होना अत्मन्त आिश्मि है। स्िूर िामग-िराऩ स्िूर िे ऩाठमिभ से अरग न होिय फन्कि ऩाठमिभ िा अटूट बाग हैं। इस शरमे इन्हें ऩाठम-सहगाभी मा ऩाठामन्तय किमाएॊ िहा जाता है । जफ मह प्रश्न उठता है कि क्मा साभान्म फारिों िी तयह ही इन असभथगता मुक्त फारिों िो बी इनभे बाग रेना चादहमे तो इसिा उिय होगा कि ऐसा ियना न तो उधचत हैं औय न ही सॊबि है। इन ऺततग्रस्त फारिों िी अरग-अरग ऺेत्रों भे असभथगता है न्जससे उनिो इन गततविधधमों भें साभान्म रूऩ से बाग रेने भें अनेि फाधाएॊ है। इस शरमे मह आिश्मि है कि इन असभथगता मुक्त फारिों िो ऐसी गततविधधमों भें बाग रेने िे शरए पे्ररयत किमा जामे न्जसभें उनिी असभथगता किसी बी प्रिाय से आड़ ेन आ सिे। उदाहयण िे रूऩ भें एि फारि ऩैय से ऺततग्रस्त है तो स्िाबाविि है कि िह साभान्म फारिों िे साथ दौड़ भें बाग नही रे सिता ऩयन्तु स्िूर भें िविता ऩाठ िा आमोजन मा कपय अन्त्माऺयी प्रततमोधगता िा आमोजन हो तो उसिो बाग रेने भें किसी प्रिाय से िोई दहचकिचाहट िा अनुबि नहीॊ होगा। हो सिता है कि ऐसा फारि प्रततमोधगता भें प्रथभ ि द्वितीम स्थान बी प्राप्त िय रे। इस शरमे स्िूर अधधिारयमों, प्राचामो, शिऺिों औय अन्म सॊफॊधधत रोगों औय साभान्म फारिों िो चादहमे कि िे इन फारिों ऩय किसी प्रिाय िी दमा न ददखािय इनिे सहमोगी फने औय आगे फढ़ने िे शरमे पे्ररयत ियें। हभाये शरमे मह जान रेना अत्मन्त आिश्मि है कि ऩाठमान्तय किमाओॊ से हभाया क्मा तात्ऩमग है, इनिा क्मा भहत्ि है औय मे कितने प्रिाय िी हैं-

    2.8.1 ऩाठम सहगाभी (ऩाठमान्तय) किमाओॊ िा अथग् विशबन्न विषमों िे शि- ऺण अधधगभ िे साथ विद्मारम भें फारिो िे सिागगीण वििास िे शरए जो किमाएॊ ियाई जाती है उन्हें ऩाठमान्तय किमामें िहा जाता है। मे किमामें अध्ममन िे िामग भे तो

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    सहामि शसद्ध होती ही है, अवऩतु मे किमाएॊ छात्रों िो जीिन िी शिऺा देने भें फहुत सहामि शसद्ध होती हैं। इन किमाओॊ िी सफसे भहत्िऩूणग वििेि ता मह है कि इसभे छात्र िी बूशभिा सकिम होती है। 2.8.2 ऩाठामान्तय किमाओॊ िा भहत्ि् ऩाठामान्तय किमाओॊ िा ऩाठमिभ भें उतना ही भहत्ि है न्जतना अन्म वििमों िा। शिऺा िा रक्ष्म िेिर ऩढ़ना शरखना औय गखणत िी शिऺा देनी नहीॊ है अवऩतु किमाओॊ िा स्िूर भें उधचत प्रफॊध हो । िास्ति भें जीिन िी शिऺा देने िे शरए तो मह ऩाठामान्तय किमाएॊ ऩाठमिभ िे अन्म वििमों से बी भहत्िऩूणग हैं। प्रत्मेि स्िूर किमािीर स्िूर होना चादहए। ऐसे ही स्िूर भें छात्रों िो जीिन िी शिऺा शभर सिती है तथा उनिी भनोिैऻातनि आिश्िताएॊ ऩूयी हो सिती हैं औय िह जनतन्त्रिाद िे शरए रैतनॊग रे सिते हैं।

    2.8.3 ऩाठायान्तर क्रक्रयाओॊ के मुख्य ऱाभ

    ऩाठामान्तय किमाओॊ िे भुख्म राब इस प्रिाय है-

    1. ऩाठामान्तय किमाओॊ द्िाया छात्रों िी भूर प्रिवृिमों िा उन्नमन होता है। 2. छात्रों भें साभान्जि बािना िा वििास होता है। 3. छात्रों भें सहमोग िी बािना वििशसत होती है। 4. छात्र अििाि िे सभम िा सदऩुमोग ियना सीखते हैं। 5. विषम-िस्तु िो योचि फनाने, अभ्मास ियाने तथा आत्भसात ियाने भें मे भहत्िऩूणग मोगदान देती हैं। 6. नैतति वििास िो फढ़ािा शभरता है। 7. छात्रों भें नेततृ्ि िे गुणों िा वििास होता है। 8. छात्रों भें िपादायी िी बािना आती है। 9. फारिों भें स्िूर िे प्रतत आदय िी बािना ऩनऩती है। 10. वमन्क्तगत रूधचमों औय अशबरूधचमों िो ऩनऩने िे अिसय प्राप्त होते हैं। 11. फारिों भें साभूदहि रूऩ से िाभ ियने िी बािना अथागत टीभ बािना िा वििास होता है।

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    12. फारि सभझने रगते हैं कि अधधिायों िे साथ ितगवमों िा बी उतना ही भहत्ि है। 13. िायीरयि वििास भें सहामता शभरती है। 14. अनुिासन, आत्भनुिासन तथा साभान्जि अनुिासन फड जाता है। 15. वमािसातमि वििास भें सहामता शभरती है। 16. सहऩाठीम किमाओॊ द्िाया छात्रों िो स्िमॊ अऩने िो ऩूणग रूऩ से जानने िे अिसय शभरते हैं। 17. साॊस्िृतति एिता िो फढ़ािा शभरता है। 18. याष्ट्रीम एिता तथा बािात्भि एिता िे भूकमों िा वििास होता है। 19. स्ििासन भें प्रशिऺण प्राप्त होता है। 2.8.4 ऩाठामान्तय किमाओॊ िा िगॉियण

    1. िायीरयि वििास सॊफॊधी किमाएॊ

    (1) खेर (2) साभूदहि ऩयेड (3) साभूदहि डिर (4) िुश्ती (5) साईकिर चराना (6) तैयना (7) नौिा चराना (8) फागिानी (9) सैतनि शिऺा (एन. सी.सी.) (10) वमामाभ (11) घुड़सिायी (12) रेन्जमभ आदद।

    2. सादहन्त्मि किमाएॊ

    (1) िाद-वििाद प्रततमोधगताएॊ (2) विस्ताय बािण (3) बािण प्रततमोधगताएॊ (4) तत्िारीन बािण प्रततमोधगताएॊ (5) िहानी रेखन (6) िहानी सुनाना (7) तनफॊध-रेखन (8) िविता ऩाठ (9) तात्िाशरि प्रश्नौिय प्रततमोधगता (10) नाटि (11) सादहत्म सबा (12) सभाचाय ऩत्र िाचन (13) स्िूर ऩबत्रिा आदद।

    3. िैक्षऺि किमाएॊ -

    (1) विशबन्न वििमों सॊफॊधी ऩरयषदें (2) चाटग तथा भाॉडर फनाना।

    4. िरा सॊफॊधी किमाएॊ -

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    (1) सॊगीत (2) रोिगीत (3) रोि नतृ्म (4) विविध नाटिीम प्रदषगन (5) िाइॊग तथा धचत्रिरा (6) स्िूर सजािट (7) स्िूर प्रदषगनी (8) भूतत गिरा (9) पैं सी िसै (10) ऩुष्ट्ऩोत्सि (11) फैंड फजाना आदद।

    5. पुसगत िी गततविधधमाॉ -

    (1) दटिटें इिटठी ियना (2) शसक्िे इिटठे ियना (3) धचत्रों आदद िा इिटठा ियना (4) एरफभ तैमाय ियना।

    6. शिकऩ सॊफॊधी किमाएॊ -

    (1) िातना (2) फनना (3) िॊ गना (4) धचिनदोजी (5) शसराई (6) िऩड़ा तैमाय ियना (7) न्जकद फनाना (8) खखरौने फनाना (9) िाडग फोडग िा िामग (10) साफुन फनाना (11) चभड़ ेिा िाभ (12) यसोई िा िाभ (13) िढ़ाई ियना आदद। 7. अन्म किमाएॊ - (1) वऩितनि भानना (1) ऩहाड़ो ऩय चढ़ना आदद। 8. नागररक मशऺा सॊबॊधी क्रक्रयाएॊ - (1) स्िूर सहिायी सशभतत (2) फार-सबा (3) स्थानीम, याज्मीम तथा िेन्द्रीम सॊस्थाओॊ भें छात्रों िो रे जाना जैसे ग्राभ-ऩॊचामत, विधानसबा आदद। (4) साभान्जि उत्सिों भें बाग रेना (5) याष्ट्रीम उत्सिों भें बाग रनेा (6) भहाऩुरूषों िी जमॊततमा भनाना (7) मुिा सॊसद (8) स्िूर उत्सि भनाना (9) जनशिऺा िामगिभाॊेे भें बाग रेना (10) प्रौढ़ शिऺा िामगिभों भें बाग रेना आदद। 9. बहुमुखी गनतववगधयाॉ - (1) िैक्षऺि भ्रभण (2) श्रभदान (3) सहिायी फैंि चराना (4) फारचय आदद�