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डा. रेखा ासएम. ए., पी-एच. डी.
सं कृत सा ह य काशन
नई द ली
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© सं कृत सा ह य काशनसं करण : २०१५
ISBN 81-87164-97-2व. .– 535.5H15*सं कृत सा ह य काशन के लएव बु स ा. ल.एम-१२, कनाट सरकस, नई द ली-११०००१
ारा वत रत
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अपनी बात
आमतौर पर सामवेद को ऋ वेद के मं का सं ह माना जाता है. छांदो य उप नषद ्मकहा भी गया ह—ै‘या ऋक् तत् साम’ अथात् जो ऋक् है, वह साम है.
इस का यह अथ कदा प नह है क सामवेद म सम त छंद ऋ वेद से ही लए गए ह.सामवेद क अनेक ऋचाए ंऋ वेद से भ ह. कुछ थल पर सामवेद क ऋचा म ऋ वेदक ऋचा से आं शक सा य दखाई देता है. इस ेपाठभेद के प म भी वीकार नह कयाजा सकता है. य द यह पाठभेद होता तो ऋचाए ंउसी प और म म ली गई होत , जस
प और म म वे ऋ वेद म ली गई ह.
सरी बात यह है क य द ऋ वेद से केवल गायन के लए ऋचा का सामवेद के पम सं ह कया गया होता तो केवल गेय मं का ही सं ह होना चा हए था, जब क उपल धसामवेद म लगभग ४५० मं पूरी तरह गेय नह ह.
तीसरी बात यह है क अगर सामवेद के मं ऋ वेद से उद ्धृत माने जाए,ं तो उन केप और वर नदश ऋ वेद से भ ह. ऋ वेद य मं म उदा , अनुदा और व रत वर
पाए जाते ह, जब क सामवेद य मं म स त वर वधान है.
इन कोण स े देखने पर प तीत होता है क सामवेद के मं ऋ वेद से ऋणव प नह लए गए ह. उन क अपनी वतं स ा है. वे उतने ही वतं ह, जतने ऋ वेद
के मं .
हां, एक बात अव य है क ऋ वेद और सामवेद के मं म व य वषयगत अंतःसंबंधहै. ऋ वेद के समान सामवेद म भी अ न, इं , सोम, अ नीकुमार आ द क तु त क गईहै. इसी मा यम से उन का व प नधा रत करने का यास कया गया है.
ऋ वेद के समान सामवेद से भी त कालीन उ त समाज का पता चलता है. चंू कसामवेद ऋ वेद के बाद क रचना है, इस लए उ संदभ म सामवेद का अ ययन रोचक हीनह , ानव क भी हो सकता है. इतना ही नह , सामवेद का अ ययन ऋ वेद काल केप ात वक सत लोककला और सं कृ त को भी रेखां कत करता है.
इस कार सामवेद को ऋ वेद का पूरक कहा जा सकता है. इस क मह ा ऋ वेद सेकसी भी प म कम नह मानी जा सकती है. इसी लए यह वेद यी (ऋक्, यजु औरसामवेद) म गना जाता है. गीता म उपदेशक कृ ण ने ‘वेदानां सामवेदो ऽ म’ कह करसामवेद क व श ता क ओर ही संकेत कया है.
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यहां एक बात और यान देने यो य है क आज ‘वेद’ श द भल ेही चार वेद —ऋक्,यजु, अथव और साम के साथ जुड़ कर ंथवाची हो गया हो, कतु मूल प म यह ान काही बोधक रहा है. आरंभ म इन चार को मला कर एक ही ‘वेद ंथ’ माना जाता था, जैसाक महाभारत म कहा भी गया है—
एक एव पुरा वेदः णवः सववाङ् मयः.
बाद म आकारगत वशालता को देखते ए इस के चार भाग कए गए—ऋ वेद,अथववेद, यजुवद और सामवेद. इ ह ‘चतुवद’ कहा जाता है. ु त परंपरा से पीढ़ दर पीढ़नरंतर वक सत होते रहने वाले इस ान के भंडार का संभवतया थम वभाजन ास नेकया था. यह वभाजन मुखतया सा ह यक वधा पर आधा रत है—प , ग औरगान. सामा यतया कसी भी भाषा का सा ह य इ ह तीन प म पाया जाता है. इस सेऋ वेद और अथववेद प धान, यजुवद ग धान और सामवेद गान धान ह.
सामवेद क आचाय परंपरासामवेद के आ द आचाय जै म न माने जाते ह. वायु, भागवत, व णु आ द पुराण से
भी इस कथन क पु होती है. पुराण के अनुसार, वेद ास ने अपने श य जै म न कोसामवेद क श ा द थी. जै म न के बाद सुमंतु, सु वान, वक य सूनु सुकमा तक पीढ़ दरपीढ़ यह अ ययन परंपरा जारी रही. सुकमा ने सामवेद सं हता का ापक व तार कया.
पौरा णक उ लेख के अनुसार सामवेद क एक हजार शाखाए ंथ . आचाय पतंज ल नेभी इस क पु क है—‘सह व मा सामवेदः.’ आज इन म से केवल तीन ही शाखाएंमलती ह—कौथुमीय, राणायणी और जै मनीय.
तीन शाखा म उपल ध सामवेद क ऋचा क सं या तो अलगअलग है ही, उनम पाठभेद भी मलता है. ा ण तथा पुराण ंथ के अनुसार, साम मं (ऋचा ) के पदक सं या एक लाख से भी अ धक है ले कन सामवेद क कुल उपल ध ऋचा क सं याअ धक नह है.
सामवेद के मु यतया दो भाग ह—आ चक और गान. आ चक का अथ है ऋचा कासमूह. इस के दो भाग ह—पूवा चक और उ रा चक.
पूवा चक म छह अ याय ह. हर अ याय म कईकई खंड ह. इ ह ‘दश त’ भी कहा गयाहै. ‘दश त’ स ेदस (सं या) का बोध होता है. कतु हर खंड म ऋचा क सं या १० नहहै. कसी म यह सं या १० से कम है तो कसी म यादा भी. इसी लए इसे ‘दश त’ न कहकर खंड कहना अ धक उ चत तीत होता है.
सामवेद के पहले अ याय म अ न से संबं धत ऋचाए ंह. इस लए इसे ‘आ नेय पव’कहा गया है. सरे से चौथे अ याय तक इं क तु त क गई है. इस लए यह ‘ पव’
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कहलाया.
पांचवां अ याय पवमान पव कहलाता है. इस म सोम वषयक ऋचाए ंह, जो ऋ वेद केनवम मंडल से ली गई ह. पहले स ेपांचव अ याय तक क ऋचाए ं‘ ाम गान’ कहलाती ह.
छठे अ याय का शीषक है ‘आर यक पव’. इस म य प देवता और छंद कभ ता है तथा प इस म गायन संबंधी एकता दखाई देती है. इस अ याय क ऋचाए ं‘अर यगान’ कही गई ह, पूवा चक के छह अ याय म कुल ६४० ऋचाए ंह.
उ रा चक म २१ अ याय ह. ऋचा क सं या १२२५ है. इस कार सामवेद म कुल१८६५ ऋचाए ंह.
यह अनुवादसामवेद क इन ऋचा का यह अनुवाद सायण भा य पर आधा रत है, य क
सायणाचाय ने वै दक ऋचा (मं ) को समझने के लए या काचाय ारा न द तीनसाधन —परंपरागत ान, तक एवं मनन का पूरा सहारा लया था. इस से भी बड़ी बात यहथी क उ ह ने अ य आचाय के समान वै दक ऋचा को कसी वशेष वाद का च मा पहनकर नह देखा है.
सायणाचाय ने वै दक ऋचा के संग के अनुसार मानव जीवन, य और अ या मसंबंधी अथ दए ह. वैस ेअ धकतर अथ मानव जीवन से संबं धत ही ह. य और अ या म सेजुड़े अथ ायः कम थान पर ही दए गए ह. इ ह कारण से अनुवाद करते समय सायणभा य को आधार बनाया गया है.
अनुवाद के दौरान इस बात का वशेष यान रखा गया है क सायणाचाय का आशयपूरी तरह प हो जाए. अनुवाद क भाषा यथासंभव सरल एवं सुबोध रखी गई है, ता कआम हद पाठक भी आसानी स ेसमझ सक क वा तव म वेद म या है!
— काशक
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वषय सूची
पूवा चकआ नेय पवपहला अ याय
पवसरा अ याय
तीसरा अ यायचौथा अ यायपवमान पवपांचवां अ यायआर यक पवछठा अ याय
उ रा चकपहला अ यायसरा अ याय
तीसरा अ यायचौथा अ यायपांचवां अ यायछठा अ यायसातवां अ यायआठवां अ यायनौवां अ याय
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दसवां अ याययारहवां अ याय
बारहवां अ यायतेरहवां अ यायचौदहवां अ यायपं हवां अ यायसोलहवां अ यायस हवां अ यायअठारहवां अ यायउ ीसवां अ यायबीसवां अ यायइ क सवां अ याय
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पूवा चक
आ नेय पव
अ याय खंड वषय मं
१. १. अ न क तु त १-१०य पुरो हत २धन के वामी ३धनदाता अ न ४सव े अ न ९
२. अ न क तु त १-१०अ न क े ता १
ान के वामी अ न २य र क अ न ७
३. अ न क तु त १-१४सूय के प म अ न ११श ुनाशक अ न १२क याणकारी जल १३
४. अ न क तु त १-१०५. अ न के लए आमं ण १-१०
अ न क तु त २-६वग के नवासी ७
६. धनदाता अ न १-८क याणकारी यश २अ न क तु त ३-८
७. उपासक के लए संबोधन १-१०बाल एवं त ण अ न २मृ युधमा मनु य ३अ न क तु त ४-१०
८. अ न क तु त १-८क याणकारी पूषा देव ३
९. अ न क तु त १-१०१०. सोम, व ण, अ न आ द का आ ान१-६
अं गरस २अ न क तु त ३-६
११. अ न क तु त १-१०अ द त देव ६
१२. अ न क तु त १-८******ebook converter DEMO Watermarks*******
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सुखशां त दाता ४देव े ६
पव२. १. उपासक के लए उद ्बोधन १-१०
इं क तु त २गौ क तु त ३उपासक को सलाह ४इं क तु त ५-८शूरवीर इं ९अंतयामी इं १०
२. े वीर इं १-१०इं क तु त २-८चर युवा इं ९इं क तु त १०
३. म द ्गण का चाबुक १-१०इं क तु त २-३देवता क तु त ४
ण प त क तु त ५वृ ासुर हंता इं ६सूय क तु त ७समथ इं ८बु मान इं ९इं क तु त १०
४. इं क तु त १-१०सूय का द तेज ३इं के सहायक पूषा ४धन संप पृ वी ५इं क तु त ६-९सोम और पूषा १०
५. उपासक का आ ान १-१०इं क तु त ३-९उपासक का आ ान १०
६. इं क तु त १-१०गाय के वामी इं ४श ुनाशक इं ५
७. इं क माता १-१०वेदानुसार आचरण २अथववेद ा ण ३अपूव उषा ४
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इं क तु त ५-९वायु से नवेदन १०
८. व ण, म और अयमा १-९इं क तु त २-४व ा क देवी सर वती ५मनु य म मता ६इं का आ ान ७इं , अयमा और व ण ८धनवान इं ९
९. इं क तु त १-१०महान इं ३-४बृह साम ५ऋभु देव ६सव ा इं ७इं क तु त ८इं और पूषा ९वृ ासुर संहारक इं १०
१०. भयनाशक इं १-१०इं क तु त २-१०
११. इं और सोमरस १-९इं क तु त २इं का ३लोक क र ा ४म और व ण ५उषा ६म व व ण ७म त् ८वामन अवतार ९
१२. इं क तु त १-१०
३. १. इं क तु त १-१०धनवान व ःखनाशक इं ३-४श ुनाशक इं ५तारनहार इं ६इं क तु त ७-८म द ्गण क तु त ९बलवान इं १०
२. उ तशील इं १-१०इं क तु त २-१०
३. इं क तु त १-१०म , व ण और अयमा ३इं क तु त ४
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यजमान को संबोधन ५बृह साम तो ६इं क तु त ७-१०
४. इं क तु त १-१०यश वी इं ३सुखदायी मकान ४आ यदाता इं ५इं क तु त ६-१०
५. इं क तु त १-१०६. इं क तु त १-१०
व धारी इं ३स जन पालक इं ४अ नीकुमार क तु त ५पाप नवारक व ण ६इं क तु त ७-१०
७. इं क तु त १-१०व भ देवीदेवता क तु त७काशमान इं ८
बलवान इं ९व धारी इं १०
८. सूय पु ी उषा १-१०अ नीकुमार क तु त २-४पोषक इं ५पुरो हत को संबोधन ६इं क तु त ७-१०
९. गाय के ध से सोमरस १-१०इं क तु त २-७सूय क तु त ८
तेज ९महावीर इं १०
१०. सव य इं १-९म द ्गण क म ता २अ मट म हमाशाली इं ३अजातश ुइं ४वजयदाता इं ५क याणकारी इं ६अ दाता इं ७व स क तु त ८जलवषक इं ९
११. देव त ग ड़ १-१०र क इं २वेगशील इं ३
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श मान इं ४इं क तु त ६-१०
१२. इं क तु त १-१०
४. १. य संचालक इं १-८पवतवासी इं २श ु जत् इं ३देवपालक इं ४आनंददायी म द ्गण ५हतकारी इं ६द ध ाव ऋ ष ७व पालक इं ८
२. वीर इं १-१०सव इं २श ु जत् इं ३
मतावान इं ४इं के लए आमं ण ५इं क तु त ६-७उषा क तु त ८देवता से ९य सदन १०
३. सेनानायक इं १-११जन क याण के लए जलवषा२वग के वामी ३
इं क तु त ४-६धन के भंडार ७आ म ाता ८वगलोक और पृ वीलोक ९
स ाट् १०इं का आ ान ११
४. इं क तु त १-१०उपासक के लए उद ्बोधन २इं के ओज क शंसा ३इं ारा सोमपान ४वीर इं ५रसीला सोमरस ६सखा का आ ान ७
ा ण के लए उद ्बोधन ८सब ा णय के वामी ९सब के क याण के लए १०
५. इं क तु त १-८आ द य क तु त ५
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व न नवारक इं ६आ द य क तु त ७अ वान ८
६. ातृ कलह से मु १-१०धनदाता इं २म द ्गण क तु त ३गाय के वामी ४बैल के समान बलवान इं ५सम भाव वाले म द ्गण ६इं क तु त ७-१०
७. सूय पी इं क करण १-१०वरा य क थापना २स ता और उ साह क कामना३
इं क तु त ४-८सूय और चं ९अ नीकुमार क तु त १०
८. अ न क तु त १-८उषा क तु त ३सोम क तु त ४इं क तु त ५-६अ न क उपासना ७अयमा, म और व ण ८
९. सोम क तु त १-१०म द ्गण से का संबंध ७ऊह तो ८तेजोमय स वता ९
काशमान सोम १०१०. इं क तु त १-१०
देव कृपा स ेधन ा त ५प व गाएं ६धनधा य ७इं /म द ्गण क उपासना ९
ा ण और गाथाएं १०११. अ न क तु त १-१०
उषा क बहन रात ५इं क तु त ६-१०
१२. द गुण वाला सोमरस १-१०काशमान सूय २
इं क तु त ३-४अ न क उपासना ५एवयाम त् ऋ ष ६ह रत सोम ७
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स वता क उपासना ८अ न क उपासना ९
े इं १०
पवमान पव५. १. सोम क तु त १-१०
य के समय ५सोम क तु त ६-१०
२. सोम क तु त १-१०३. श ुनाशक सोम १-१०
बु वधक सोम २शु सोमरस ३वेगमान सोम ४-५मदम तकता सोम ६सोम क तु त ७-१०
४. सूय के समान काशमान १-१४बलदाता सोम २नचोड़ा गया सोम ३-४सोम क उ प ६सोम क तु त ७-१४
५. सोम क तु त १-१२आनंददायी सोमरस ५श ुनाशक सोम ६धनदाता सोम ७आनंददायी सोमरस ८प व और े सोम ९आनंददायी सोमरस १०अ दाता सोम ११इं य सोम १२
६. सोम का आ ान १-१०काशमान सोमरस २
सोम तु त ३-४आनंदमय सोमरस ५सवदाता सोम ६र क सोम ७प व सोमरस ८इं य सोमरस ९सोम तु त १०
७. सोम क तु त १-१२बलशाली सोम ६
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सूय ारा स जत सोम ७बलवधक सोमरस ८सोम क तु त ९देवता के पालक सोम १०धन दाता सोम ११तु तयां १२
८. यजमान को संबोधन १-९पालनहार सोमरस २सोम का आनंददायी व प ३आ म ाता सोम ४सोम क तु त ५इं य सोमरस ६श ुहंता सोम ७गुणागार सोमरस ८यजमान को संबोधन ९
९. द सोम १-१२सोम क तु त २-३म वत सोमरस ४वेगवान सोमरस ५श दाता सोम ६क याणकारी सोम ७तु त सोम ८काशमान सोमरस ९
मधुर सोमरस १०आनंदमय सोमरस ११साम यवान सोम १२
१०. सोम क तु त १-१२जल पु सोम ५सोम क तु त ६प व सोमरस ७सोम क तु त ८-१२
११. सोम क तु त १-८श वधक सोमरस ४संतानदाता सोम ५पूजनीय सोम ६आनंददायी सोम ७श ुनाशक सोम ८
आर यक पव६. १. इं क तु त १-९
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धन देने वाले इं २दानी इं ३व ण क तु त ४सोम क तु त ५-८अ देव ारा आ म शंसा ९
२. इं क तु त १-७सूय क तु त २व धारी इं ३इं क तु त ४
थ और स थ ५वायु क तु त ६इं क तु त ७
३. जाप त क तु त १-१३सोम क तु त २-३अ न क तु त ४तु तय क उ प ५
आनंदकारी सोमरस ६आरामदायी रा ७
काशमान अ न ८देवगण क तु त ९यजमान क यशकामना १०इं क तु त ११सव व प आ मा १२र क अ न १३
४. अ न क तु त १-१२ऋतुएं २पूण पु ष ३-७वगलोक और पृ वीलोक क तु त८
इं क तु त ९तेज वता १०इं क तु त ११-१२
५. अ न क तु त १-१४अ देने व आयु बढ़ाने क ाथना१सूय क तु त २-१४
उ रा चक१. १. यजमान को संबोधन १-९
द सोमरस २सोम क तु त ३उ वल सोमरस ४
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सोम क तु त ५-९२. अ न क तु त १-१२
म और व ण क तु त ४-६इं क तु त ७-९अ न क तु त १०-१२
३. सोम क तु त १-८उशना ऋ ष ८
४. इं क तु त १-९आदरणीय सोम ४इं क तु त ५-७सहायक इं ८इं क तु त ९
५. इं हेतु सोमरस १-१४रा सनाशक सोम २सोम क तु त ३-५चमक ला सोमरस ६से सोमरस ७-८सोम क तु त ९यजमान सहायक सोमरस १०
नाशक सोम ११क याणकारी सोम १२मधुर सोमरस १३
ापक सोमरस १४६. यजमान को संबोधन १-१०
क याणकारी अ न २अ न क तु त ३-५इं क तु त ६-१०
२. १. यजमान को संबोधन १-१२इं क तु त ६-८सोमय ९सोम क तु त १०सोमय ११-१२
२. इं क तु त १-१२३. इं क तु त १-१२
यजमान को संबोधन ४, ५, ७, ९, ११४. अ न क तु त १-६
उषा ३सूय ४अ नीकुमार का आ ान ५-६
५. ानवधक सोमरस १-९वहमान सोम २
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त त सोम ३द सोमरस ४सव प र सोम ५प र कृत सोमरस ६सोम क तु त ७सोम का आ ान ८यजमान को संबोधन ९
६. घुलनशील सोमरस १-११श मान सोमरस २सभी देव को ा त सोम ३सोम क तु त ४वेगवान सोम ५यशदाता सोमरस ६सोमरस ७सोम क तु त ८प व सोम ९हरा सोमरस १०भृगु ११
३. १. सोम क तु त १-१५फू तदायी सोमरस ४
सोम क तु त ५-१५२. य संचालक अ न १-१३
अ न क तु त २-३म और व ण का आ ान ४-६सामगान से इं क तु त ७आभूषणधारी इं ८इं क तु त ९-१०इं और अ न क उपासना ११-१३
३. सोम क तु त १-६४. इं क तु त १-६
यजमान को संबोधन ३र क इं ४इं क तु त ५श धारी इं ६
५. सोम क तु त १-९अपूव सोम ८हतकारी सोम ९
६. इं क तु त १-६
४. १. सोम क तु त १-१४२. अ न क तु त १-१२
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म क तु त ४-६म द ्गण क तु त ७-८इं क तु त ९-१२
३. सोम क तु त १-६४. इं क तु त १-७५. यजमान क वाणी १-९
सोम क उपासना २सोम क तु त ३-४इं क तु त ५इं के सखा ६प व सोम ान के वामी८सूय क तु त ९
६. यजमान को संबोधन १-८अ न क तु त २इं क तु त ३-८
५. १. सोम क तु त १-१२२. सोम क तु त १-९३. अ न क तु त १-१२
म और व ण क तु त ४-५यजमान को संबोधन ६वैभववान इं ७पवतप त इं ८यजमान को संबोधन ९अ न क तु त १०-१२
४. सोम क तु त १-८अ ण आभा वाला सोमरस ७
५. इं क तु त १-८राजा इं ७यजमान को संबोधन ८
६. सोम क तु त १-११सूय क तु त ५सोमरस का प र करण ७सवलोक जनक सोम ९सव ा त सोम १०
७. यजमान को संबोधन १-९अ न क तु त ३इं क तु त ४-५यजमान को संबोधन ६इं क तु त ७-९
६. १. सोम क तु त १-१३
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इं क तु त ८, १०२. सोम क तु त १-१४३. अ न क तु त १-१२
सूय क तु त ४-५म और व ण क तु त ६इं क तु त ७-१२
४. सोम क तु त १-८इं और सोम क तु त ८
५. इं क तु त १-६६. सोम क तु त १-१४७. अ न क तु त १-९
ा ण को संबोधन ४
७. १. सोम क तु त १-१६शो धत सोमरस ९श दायी सोमरस १२
२. सोम क तु त १-१७यजमान को संबोधन ४मददायी सोमरस १५
३. अ न क तु त १-१२म और व ण क तु त ४-६इं क तु त ७-१२
४. सोम क तु त १-८५. इं क तु त १-९६. सोम क तु त १-१४
यजमान को संबोधन ६७. अ न क तु त १-९
इं क तु त ४-५च क सा ६उपासक को संबोधन ७
८. १. पोषक सोम १-१२श ुहंता सोम २सोम क तु त ३-५सोमरस का प र करण ६मादक सोमरस ७सोमरस का प र करण ८सोम क तु त ९-१०व ान् सोम ११सव य सोमरस १२
२. सोम क तु त १-१२हरी आभायु सोमरस ६
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यजमान को आ ासन ७३. अ न क तु त १-१२
यजमान को संबोधन ४-५म और व ण को संबोधन ६इं क तु त ७-९बलशाली अ न १०इं क तु त ११-१२
४. प र कृत सोमरस १-५सोम क तु त २-३इं क तु त ४इं क अ यथना ५
५. यजमान को संबोधन १-९सोम क तु त ४-५इं के न म सोमरस ६सोम का प र करण ७सोमरस क उ प ८पोषक सोमरस ९
६. अ न क तु त ९इं क तु त ४-९
९. १. सोम क तु त १-१२२. वायु और इं के न म सोम १-९
ा ण को संबोधन २सोम क तु त ३-९
३. सोम क तु त १-९यजमान को संबोधन २प व सोमरस ५मधुमय सोमरस ६
४. सोम क तु त १-५५. सोम क तु त १-९
वकार र हत सोमरस ४इं सहायक सोम ९
६. देवगण को संबोधन १-६अ न २अ न क तु त ३समथ इं ४ब ल इं ५इं क तु त ६
७. पुरो हत को संबोधन १-१०सोम क तु त २यजमान को संबोधन ३
शंसनीय सोमरस ४
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श धारी सोम ५सोम क तु त ६इं क तु त ७-१०
८. सोम क तु त १-९तेज वी सोमरस ६
९. अ न क तु त १-९त त अ न २
इं क तु त ३-९
१०. १. र क सोम १-१३उ ेरक सोमरस २गभ व प सोम ३अमर सोम ४द सोम ५ऐ यशाली सोम ६प व सोम ७व छ सोम ८
श ुहंता सोम ९श ु जत् सोम १०साम यवान सोम ११हरी आभायु सोम १२पोषक सोम १३
२. शूरवीर सोम १-८य २अ उ पादक सोमरस ३य ह व सोमरस ४रसराज सोम ५श शाली सोम ६
मतावान सोम ७मदकारी सोम ८
३. ग तमान सोम १-६इं के न म सोमरस २तगामी सोमरस ३
सव ा सोम ४सवधारक सोम ५इं हेतु सोम ६
४. सवजनीन सोम १-६अमर सोम २देव य सोम ३श शाली सोम ४आनंदमय सोम ५बंधनमु सोम ६
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५. फू तदायी सोम १-६सुखदाता सोम २सव ाता सोम ३फू तदायी सोम ४
बलवान सोम ५देव र क सोम ६
६. व नहता सोम १-६वल ण सोम २
हंता सोम ३काशमान सोम ४
धनदाता सोम ५देव समथक सोम ६
७. भा यवान यजमान १-६सर वती २क याणकारी मं ३हतकारी मं ४प व मं ५यजमान ६
८. अ न क तु त १-६महान इं देव ४इं क तु त ५इं सहायक अ न ६
९. सोम तु त १-९े ह व सोमरस ४
वल ण सोमरस ६दशनीय सोमरस ७सोम क काया ८
१०. यजमान को संबोधन १-४दाता इं २इं क तु त ३-४
११. सोम क तु त १-१५आनंदकारी सोमरस ७सव य सोमरस ८इं य सोमरस १४
१२. युवा इं १-९यजमान म इं २श ुहंता इं ३संसार के ई र इं ४इं क तु त ५-७य म त पर इं ८य म आने का आ ह ९
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११. १. अ न क तु त १-१०धन क इ छा ५देवता क तु त ६देवतागण ७इं क तु त ८-१०
२. जा त सोम १-१३प व सोम २अभी साधक सोम ३यजमान को संबोधन ४श ुनाशक इं ५इं क अचना ६व ा त इं ७सोम क तु त ८-१३
३. सा रत सोम १-९ेरक सोम २
द प सोम ३नर को संबोधन ४अ न क तु त ५-७सूय क तु त ८तेज वी सूय ९
१२. १. अ न उपासना १-१०काशमान अ न २
क याणकारी अ न ३श ु जत् अ न ४अ न तु त ५-७से सोमरस ८
ाता समान सोम ९पोषक सोम १०
२. इं क तु त १-७यजमान को संबोधन ६सुखकारी सोमरस ७
३. अ न क तु त १-९काशमान सोम ४
सोम क तु त ५-६इं क तु त ७-९
४. अ न क तु त १-१०सोम क तु त ४-६इं क तु त ७-८
५. अ न क तु त १-११द सोमरस ४सव े सोमरस ५
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बु मान सोम ६इं क तु त ७-८सोम उपासना ९अमृत ाही सोमरस १०अमर सोम ११
६. सोम क तु त १-९इं क तु त ४-९
१३. १. सोम क तु त १-९प व सोम ५यजमान को संबोधन ६-८पुरो हत को संबोधन ९
२. यजमान को संबोधन १-९सोम क तु त ४मन के वामी इं ५धन याचना ६इं क तु त ७-९
३. जापालक सूय १-७नाशक सूय २
मतावान सूय ३इं क तु त ४-७
४. सर वती क तु त १-११स वता क उपासना ३
ण प त क तु त ४अ न क तु त ५व ण क तु त ६स यपालक व ण ७म क तु त ८अ न व प सूय ९इं क तु त १०सूय क अ यथना ११
५. इं क तु त १-९सोम क तु त ३अ न क तु त ४-७बलवान अ न ८सव ापक ९
६. देवता को संबोधन १-९सरल सोम २इं और अ न ३
४इं क तु त ५-६इं हेतु सोम ७
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इं क तु त ८-९
१४. १. यजमान को संबोधन १-१४इं के अ २इं का सोमरस पान ३इं क तु त ४-५अमृत तु य सोमरस ६
ाता तु य सोम ७सोम क तु त ८अ न क तु त ९-१२क व ऋ ष १३इं क तु त १४
२. अ न क तु त १-१०सोम क तु त ४-६यजमान को संबोधन ७इं क तु त ८-९
३. यजमान को संबोधन १-११होता अ न २पथ दशक अ न ३य कराने वाले अ न ५अ न क तु त ६-११
४. अ न क तु त १-११
१५. १. अ न क तु त १-११२. अ न क तु त १-१०३. अ न क तु त १-८४. अ न क तु त १-९
१६. १. इं क तु त १-१२अ न क तु त ११-१२
२. व ण क तु त १-८इं क तु त २-५सोम क तु त ६-८
३. पूषा देव १-१२म द ्गण क तु त २-३वगलोक ४
देवी ५-६इं क तु त ७-९गौएं १०सोमरस का वसजन ११यजमान क याचना १२
४. इं क तु त १-१२
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सोम क तु त ७-८सुख याचना ९सव ा इं १०यजमान को संबोधन ११-१२
१७. १. अ न क तु त १-११यजमान को संबोधन ४इं क तु त ५-६व णु क तु त ९-११
२. वायु क तु त १-११इं क तु त २-३सोम क तु त ४मददायी सोमरस ५सोम क उपासना ६अ न क तु त ७-९व नहारी व र क इं १०-११
३. य १-९इं शंसा २सूय शंसा ३इं क तु त ४-९
४. अ न का आ ान १-९वृ ासुरहंता इं ५ओजवान इं ६इं तु त ७-८यजमान को संबोधन ९
१८. १. यजमान को संबोधन १-१२इं क तु त २-७, ११-१२अ न क तु त ८-९
२. व णु शंसा १-१५यजमान को संबोधन ३व णु ४यजमान ५
त ा था पत करना ६इं क तु त ७-८, १०-११, १४-१५यजमान को संबोधन ९परा मी सोमरस १२मनोहर सोमरस १३
३. यजमान को संबोधन १-१५इं क तु त २-३, १०-१५
ा ण ५, ७सोम क तु त ६
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४. सोम क तु त १-१२इं क तु त ४-६अ न क तु त ७-१२
१९. १. अ न क तु त १-१४सोम क तु त ४-७इं क तु त ८-१४
२. सूय पु ी उषा १-१२उषा तु त ४, ७-९अ नीकुमार क तु त ५-६, १०-१२
३. अ न तु त १-९उषा तु त ४-६अ नीकुमार क तु त ७-९
४. अ न क तु त १-९उषा क तु त ४-५उषा और रा ६अ न और उषा ७अ नीकुमार क तु त ८-९
५. उषा क तु त १-१०यजमान को लोभन ३अ न, सूय, उषा ४अ नीकुमार ५अ नीकुमार को संबोधन ६सोम क तु त ७-१०
२०. १. सोम क तु त १-१५इं क तु त ४-९अ न क तु त १०-१५
२. अ न क तु त १-१०यजमान को संबोधन ३इं क तु त ४-५सोम क तु त ६-७सूय क तु त ९, १०
३. इं क तु त १-११४. यजमान को संबोधन १-१२
इं क तु त २-८सोम क तु त ९-१२
५. अ न क तु त १-९६. अ न क तु त १-१२
जा त के म सोम ५जा त अ न ६देवता को नम कार ७
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गेय ऋचाएं ८अ न क तु त ९-१२
७. इं क तु त १-१५जल क तु त ४-६वायु क तु त ७-९अ न क तु त १०-११यजमान को संबोधन १२वेन क तु त १३-१५
२१. इं क तु त १-२७पाप को संबोधन १३मनु य को संबोधन १४अ भमं त बाण १५देवगण को संबोधन २६सवदेव उपासना २७
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पूवा चक
आ नेय पवपहला अ याय
पहला खंडअ न आ या ह वीतये गृणानो ह दातये. न होता स स ब ह ष.. (१)
हे अ न! हम सब आप क तु त (पूजा) करते ह. य म आप को आमं त करते ह.आप आ कर कुश (घास) के आसन पर बै ठए. आप ह व (अ न म डाली जाने वाली प वचीज) देवता तक प ंचाइए. (यह माना जाता है क हम अ न म जो पदाथ डालते ह, वेअ न के ारा मं से संबं धत देवता तक प ंचते ह). (१)
वम ने य ाना होता व ेषा हतः. देवे भमानुषे जने.. (२)
हे अ न! आप य के पुरो हत ह. आप सब का क याण करने वाले ह. देवता ने हीआप को मनु य (जन ) के बीच म था पत कया है. (२)
अ नं त वृणीमहे होतारं व वेदसम्. अ य य य सु तुम्.. (३)
हे अ न! आप सब कुछ जानने वाले ह. आप धन के वामी ह. इस य को अ छतरह करने के लए हम आप को त मान कर भेज रहे ह. (ह व अ न के मा यम से संबं धतदेवता तक प ंचती है, इस लए अ न को देवता का त माना जाता है). (३)
अ नवृ ा ण जङ्घनद ् वण यु वप यया. स म ः शु आ तः.. (४)
हे अ न! आप अपने पूजक को धन देने वाल े ह. स मधा ( जस से य क अ नव लत क जाती है) से आप को अ छ तरह का शत कया गया है. आप हमारी तु त से
स होइए. य म व न डालने वाल (रा स एवं वृ य ) को न क जए. (४)
े ं वो अ त थ तुष े म मव यम्. अ ने रथं न वे म्.. (५)
हे अ न! आप पूजक को धन देने वाले ह. उ ह म क तरह ब त य ह. मेहमानक तरह पूजा करने यो य ह. आप हमारी पूजा से स होइए. (५)
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वं नो अ ने महो भः पा ह व या अरातेः. उत षो म य य.. (६)
हे अ न! आप ई या ेष करने वाले लोग और मन से हम बचाइए. हे अ न! हमब त सुखसंप ता दान क जए. (६)
ए ष ु वा ण ते ऽ न इ थेतरा गरः. ए भवधास इ भः.. (७)
हे अ न! आप पधा रए. हम आप के लए शु वाणी से मं पढ़ रहे ह. आप उ हसु नए. सोमरस से आप समृ ब नए. (७)
आ ते व सो मनो यम परमा च सध थात्. अ ने वां कामये गरा.. (८)
हे अ न! हम आप के पु ह. मन स ेआप को आमं त करना चाहते ह. आप ेजगह से भी हमारे लए आइए. हम वाणी (मं पाठ) स ेआप को भजते ह. (८)
वाम ने पु कराद यथवा नरम थत. मू न व य वाघतः.. (९)
हे अ न! आप सव े और सारे संसार के धारक ह. अथवा (ऋ ष) ने कमल के पपर अर ण (लकड़ी) मथ कर आप को उ प ( का शत) कया. (९)
अ ने वव वदा भरा म यमूतये महे. देवो स नो शे.. (१०)
हे अ न! आप हमारी र ा क जए. वग देने वाले इस काम को स क रए (सा धए).आप ही हम राह दखाने वाले ह. (१०)
सरा खंडनम ते अ न ओजस ेगृण त देव कृ यः. अमैर म मदय.. (१)
हे अ न! बल चाहने वाल ेमनु य आप को नम कार करते ह. म भी आप को नम कारकरता ं. आप अपने बल से मन का नाश क जए. (१)
तं वो व वेदस ह वाहमम यम्. य ज मृ से गरा.. (२)
हे अ न! आप ान के वामी ह. आप ह व को देवता तक ले जाने वाले ह. आपदेवता के त ह. म आप क कृपा पाने के लए ाथना करता ं. (२)
उप वा जामयो गरो दे दशतीह व कृतः. वायोरनीके अ थरन्.. (३)
हे अ न! यजमान क वाणी स े कट होने वाली े तु तयां आप का गुणगान कररही ह. हम आप को वायु के पास था पत करते ह. (३)
उप वा ने दवे दवे दोषाव त धया वयम्. नमो भर त एम स.. (४)
हे अ न! हम आप के स चे भ ह. दनरात आप क पूजा करते ह. दनरात आप का
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गुणगान करते ह. आप हम पर कृपा क रए. (४)
जराबोध त व वशे वशे य याय. तोम ाय शीकम्.. (५)
हे अ न! हम ाथना कर के आप को आमं त करते ह. आप हम सब पर कृपा करनेके लए य मंडप म आइए. का नाश करने वाले आप को हम सुंदर ाथना सेबारबार आमं त कर रहे ह. (५)
त यं चा म वरं गोपीथाय यसे. म र न आ ग ह.. (६)
हे अ न! आप इस उ म य म सोमपान के लए बुलाए जाते ह. आप म त(देवता ) के साथ आइए. (६)
अ ं न वा वारव तं व द या अ नं नमो भः. स ाज तम वराणाम्.. (७)
हे अ न! आप स (य के) पंूछ वाल ेघोड़े के समान ह. आप य के र क ह. हमाथना से आप क पूजा व नम कार कर रह ेह. अथात् जैसे घोड़ा अपनी पंूछ से क देने
वाले म छर आ द हटा देता ह,ै वैस े ही आप अपनी लपट ( वाला ) से हमारे क रक जए. (७)
औवभृगुव छु चम वानवदा वे. अ न समु वाससम्.. (८)
हे अ न! आप समु म रहने वाले ह. भृगु और अ वान जैसे ऋ षय ने जस तरहस चे मन से आप क ाथना क , उसी तरह हम भी स चे मन से आप क ाथना करते ह.(८)
अ न म धानो मनसा धय सचेत म यः. अ न म धे वव व भः.. (९)
हे अ न! मनु य मन लगा कर आप को तथा अपनी ा को जगाता है. सूय ककरण के साथ आप को का शत करता है. (९)
आ द न य रेतसो यो तः प य त वासरम्. परो य द यते द व.. (१०)
हे अ न! वगलोक से ऊपर सूय प म अ न का शत होती है. तभी सब ाणी उसकाश वाले तेज का दशन करते ह. (१०)
तीसरा खंडअ नं वो वृध तम वराणां पु तमम्. अ छा न ेसह वते.. (१)
हे ऋ वजो (उपासको)! अ न तु हारे अ हसक य म सहायक, े (उ म), सब केहतकारी व बलशाली ह. तुम वाला (लपट ) से बढ़ते ए अ न क सेवा म जाओ. (१)
अ न त मेन शो चषा य स ं य ३ णम्. अ नन व सते र यम्.. (२)
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अ न अपनी तेज लपट से रा स और अ य व न को न कर. अ न हम सब कारका धन (सुख) दान कर. (२)
अ ने मृड महाँ अ यय आ देवयंु जनम्. इयेथ ब हरासदम्.. (३)
हे अ न! आप हम सुख द जए. आप महान व ग तशील यानी साम यवान ह. आपदेवता के दशन के इ छुक यजमान के पास कुश (घास) के आसन पर वराजने के लएयहां पधा रए. (३)
अ ने र ा णो अ हसः त म देव रीषतः. त प ैरजरो दह.. (४)
हे अ न! आप पाप से हमारी र ा क जए. आप द तेज वाले ह. आप अजर(बुढ़ापे से र हत) ह. आप हमारा नुकसान करने क इ छा रखने वाले श ु को अपनेतेजताप से भ म कर द जए. (४)
अ ने युङ् वा ह ये तवा ासो देव साधवः. अरं वह याशवः.. (५)
हे अ न! अपने तेज ग त वाले े और कुशल घोड़ को (यहां पधारने के लए) रथ मजो तए. (५)
न वा न य व पते ुम तं धीमहे वयम्. सुवीरम न आ त.. (६)
हे अ न! हम आप क शरण म ह. यजमान आप को आमं त करते ह. आप क पूजाकरते ह. आप क पूजा से सब कार के सुख ा त होते ह. हम ने दय से आप को यहांथा पत कया है. (६)
अ नमूधा दवः ककु प तः पृ थ ा अयम्. अपा रेता स ज व त.. (७)
हे अ न! आप सव च (सब से ऊंचे) ह. आप वगलोक और पृ वीलोक का पालनकरने वाले ह. आप इन के वामी ह. आप जल के सारे जीव को जीवन देते ह और काम मलगाते ह. (७)
इममू षु वम माक स न गाय ंन सम्. अ ने देवेष ु वोचः.. (८)
हे अ न! आप हमारी इस ह व को देवता तक प ंचाइए. हम गाय ी छंद म आप काथना कर रहे ह. आप हमारी इन दोन चीज को देवता तक प ंचा द जए. (८)
तं वा गोपवनो गरा ज न द ने अ रः. स पावक ुधी हवम्.. (९)
हे अ न! गोपवन ऋ ष ने आप को अपनी तु त से उ प कया है. आप अंग म रसके प म नवास करते ह. आप प व करने वाल ेह. आप हमारी ाथना सु नए. (९)
प र वाजप तः क वर नह ा य मीत्. दध ना न दाशुषे.. (१०)
हे अ न! आप सव व अ के वामी ह. आप ह व के प म दए गए पदाथ को
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वीकार करते ह. उन ह वय को ा त करते ह यानी देवता तक प ंचाते ह. आपदानशील लोग को धनधा य दान करते ह. (१०)
उ यं जातवेदसं देवं वह त केतवः. शे व ाय सूयम्.. (११)
सारे भुवन को देखने के लए सूय क करण जस से उ प ई ह, ऐस ेसूय के प मवे अ न को भलीभां त धारण कए रहती ह. (११)
क वम नमुप तु ह स यधमाणम वरे. देवममीवचातनम्.. (१२)
हे ऋ वजो (य करने वालो)! इस य म आप सब ान वाल े अ न क तु तक जए. वे स य धम से यु ह. वे श ु का (रोग का) नाश करने वाले ह. (१२)
शं नो देवीर भ ये शं नो भव तु पीतये. शं योर भ व तु नः.. (१३)
हमारा क याण हो. द जल हमारे पीने के लए क याणकारी हो. जल रोग शांतकरने वाला हो. जल सुखशां त देते ए अमृत प म वा हत हो. (१३)
क य नूनं परीण स धयो ज व स स पते. गोषाता य य ते गरः.. (१४)
हे अ न! आप स य (स जन) के पालनहार ह. आप इस समय कस तरह के मानव केकम को स य माग ( ज) तक प ंचा रहे ह. कस कम से आप क कृपा गौ को ा तकराने वाली होगी. (१४)
चौथा खंडय ाय ा वो अ नये गरा गरा व द से.
वयममृतं जातवेदसं यं म ंन श सषम्.. (१)
हे अ न! आप सब कुछ जानने वाले व अमर ह. आप म क तरह सहयोग करनेवाले ह. हम आप क तु त करते ह. हे ोताओ! आप भी ऐस ेअ न क तु त क जए. (१)
पा ह नो अ न एकया पा ३ त तीयया.पा ह गी भ तसृ भ जा पते पा ह चतसृ भवसो.. (२)
हे अ न! आप पहली तु त से हमारी र ा क जए. सरी तु त से हम संर ण दानक जए. तीसरी तु त से हमारी र ा (पालनपोषण प) क जए. चौथी तु त स े आपहमारी सब कार से र ा क जए. हे अ न! आप सब को संर ण देने वाल ेह. (२)
बृह र ने अ च भः शु े ण देव शो चषा.भर ाजे स मधानो य व रेव पावक द द ह.. (३)
हे अ न! आप बड़ी वाला वाल ेव युवा ह. आप संप ता व प व ता देने वाले ह.
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आप अपने खर तेज से भर ाज (ऋ ष) के लए अ यंत तेज वी प म व लत होइए.(३)
वे अ ने वा त यासः स तु सूरयः.य तारो ये मघवानो जनानामूव दय त गोनाम्.. (४)
हे अ न! यजमान भलीभां त हवन करते ह. वे आप को य ह . जो धन देने वाल ेऔरजा क देखभाल करने वाले ह, वे भी आप को य ह . गौ का पालन करने वाले आप
को य ह . (४)
अ ने ज रत व प त तपानो देव र सः.अ ो षवान् गृहपते महाँ अ स दव पायु रोणयुः.. (५)
हे अ न! आप ानी, जा का पालनपोषण करने वाल,े रा स (क देने वाल ) कानाश करने वाले, घर के वामी, उपासक के घर को नह छोड़ने वाले व वगलोक के र कह. आप हमारे घर म सदा नवास क रए. (५)
अ ने वव व षस राधो अम य.आ दाशुष ेजातवेदो वहा वम ा देवाँ उषबुधः.. (६)
हे अ न! आप अमर, ा णमा को जानने वाल ेऔर उषा (उषाकाल) से ा त होनेवाला वशेष धन दानदाता यजमान को द जए. आप सब कुछ जानने वाले ह. आपउषाकाल म जागे ए देवता को भी यहां आमं त क जए. (६)
वं न ऊ या वसो राधा स चोदय.अ य राय वम ने रथीर स वदा गाधं तुचे तु नः.. (७)
हे अ न! आप सव ापक, अद ्भुत श वाले, दशनीय, अपार व ब त मतावान ह.आप समृ (वैभव) लाने म समथ ह. आप हम समृ द जए. आप हमारी संतान को भीसमृ एवं त ा द जए. (७)
व म स था अ य ने ातऋतः क वः.वां व ासः स मधान द दव आ ववास त वेधसः.. (८)
हे अ न! आप र क ह. आप (अपने गुण तथा धम के लए) ब त स ह. आपस यवान और ानी ह. हे तेज वी अ न! व लत ( का शत) हो जाने पर ानी जन आपक उपासना व सेवा करते ह. (८)
आ नो अ ने वयोवृध र य पावक श यम्.रा वा च न उपमाते पु पृह सुनीती सुयश तरम्.. (९)
हे अ न! आप प व करने वाले व धनधा य क समृ करने वाले ह. आप हम यश
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बढ़ाने वाला धन द जए. आप हम सही रा ते स ेआने वाला धन दान कर. आप हम ऐसाधन दान कर जस ेअनेक लोग चाहते ह . (९)
यो व ा दयते वसु होता म ो जनानाम्.मधोन पा ा थमा य मै तोमा य व नये.. (१०)
यजमान को सब कार क समृ दे कर आनं दत करने वाल ेअ न क हम पहलेतु त करते ह, जैसे उ ह सब से पहले सोमरस का पा सम पत कया जाता है. (१०)
पांचवां खंडएना वो अ नं नमसोज नपातमा वे.
यं चे त मर त व वरं व य तममृतम्.. (१)
हे उपासको! अ से श देने वाल े(बल के पु ), पूण ानी, नेह देने वाले, सुंदर यवाले देवता के त अ न को म नम कारपूवक ाथना से आमं त करता ं. (१)
शेष ेवनेष ुमातृष ुसं वा मतास इ धते.अत ो ह ं वह स ह व कृत आ द ेवेष ुराज स.. (२)
हे अ न! आप वन म ा त ह. आप माता म गभ के प म ा त ह. आप शेषपदाथ म भी फैले ह. हम मनु य स मधा ारा आप को व लत करते ह. आप आल यर हत ह. आप यजमान क ह व देवता तक प ंचाते ह. आप देवता के म य (बीच म)सुशो भत होते ह. (२)
अद श गातु व मो य म ता यादधुः.उपो ष ुजातमाय य वधनम नं न तु नो गरः.. (३)
धम के माग को पूरी तरह जानने वाल ेअ न कट हो रहे ह. इन के मा यम से य केनयम पूरे कए जाते ह. अ न आय को ग त देने वाले ह. वे वाणी प म क जा रहीहमारी ाथना को वीकार करने क कृपा कर. (३)
अ न थे पुरो हतो ावाणो ब हर वरे.ऋचा या म म तो ण पते देवा अवो वरे यम्.. (४)
तो वाल े हसा र हत य म सब से पहले अ न देवता क थापना क जाती है.सोमलता से रस नकालने वाल ेप थर एवं आसन भी था पत कए जाते ह. हे म तो! हे
ण प त! हे देव! हम वेदमं ारा अपनी र ा का अनुरोध करते ह. (४)
अ नमी ड वावस ेगाथा भः शीरशो चषम्.अ न राये पु मीढ ुतं नरो ऽ नः सुद तये छ दः.. (५)
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हे उपासको! अपनी र ा के लए व तृत तथा वकराल व प वाले अ न क तु तकरो. धन ा त के लए अ न क तु त करो. (५)
ु ध ु कण व भदवैर ने सयाव भः.आ सीदतु ब ह ष म ो अयमा ातयाव भर वरे.. (६)
हे अ न! आप समथ कान वाल ेह. आप हमारी ाथना वीकार क जए. अ न केसाथ म और अयमा आ द देवता भी य के कुशासन पर वराजमान ह . (६)
दैवोदासो अ नदव इ ो न म मना.अनु मातरं पृ थव व वावृते त थौ नाक य शम ण.. (७)
अ न इं के समान श शाली ह. अ न द (अ छे) काय करने वाल के लए पृ वीपर कट ए. ह व प ंचाने के अपने े काम से वे वग म रहने लगे. (७)
अध मो अध वा दवो बृहतो रोचनाद ध.अया वध व त वा गरा ममा जाता सु तो पृण.. (८)
हे अ न! आप उ म य के आधार ह. आप वगलोक एवं पृ वीलोक म अपनी आभाफैलाए.ं आप हमारी तथा हमारे संबं धय क मनोकामनाए ंपूरी क जए. (८)
कायमानो वना वं य मातृरजग पः.न त े अ ने मृषे नवतनं यद ् रे स हाभुवः.. (९)
हे अ न! आप वन क इ छा करने वाल ेहो कर भी माता के समान जल के पास गए.आप का जाना हम से नह सहा गया. आप अ य हो कर भी हमारे आसपास कट हो जातेह. (९)
न वाम ने मनुदधे यो तजनाय श ते.द देथ क व ऋतजात उ तो यं नम य त कृ यः.. (१०)
हे अ न! मननशील मनु य आप को धारण करते ह. अनंत काल से मानव जा त केलए आप का काश का शत है. आप ानी ऋ षय के आ म म का शत होते ह.जाप त ने यजमान के लए आप को देव य थान म था पत कया. हम सब आप को
नम कार करते ह. (१०)
छठा खंडदेवो वो वणोदाः पूणा वव ्वा सचम्.उ ा स वमुप वा पृण वमा द ो देव ओहते.. (१)
अ न धन देने वाले ह. इस लए हे होताओ! य म अ छ तरह भरे ए ुक (एक
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पा ) से बारबार आ त दो. सोमरस से पा को स चो. इस तरह अ न आ त प ंचा करयजमान क मनोकामनाए ंपूरी करते ह. (१)
ैतु ण प तः दे ेतु सूनृता.अ छा वीरं नय पङ् राधसं देवा य ं नय तु नः.. (२)
हम ण प त देवता ा त ह (यानी हमारे पास प ंच). स य और य देवी एवं वाग्देवता (वाणी के देवता) हम ा त ह . सभी देवगण हमारे श ु का नाश कर. क याणकारीयश देने वाले वीर को सब देवता े माग से ल ेजाए.ं (२)
ऊ व ऊ षु ण ऊतये त ा देवो न स वता.ऊ व वाज य स नता यद भवाघ व यामहे.. (३)
हे अ न! हमारे संर ण के लए आप ऊंचे आसन पर वरा जए. सूय के समान उ तहो कर हम अ आ द दान क जए. हम इसी लए अ छे तो से तु त करते ए आप कोआमं त करते ह. (३)
यो राये ननीष त मत य ते वसो दाशत्.स वीरं ध ेअ न उ थश सनं मना सह पो षणम् .. (४)
हे अ न! आप ापक ह. हम आप के भ धन के लए आप को स करना चाहतेह. जो मनु य आप को ह व दान करता है, वह तु त करने वाल े हजार मनु य कापालनपोषण करने वाले वीर पु को ा त करता है. (४)
वो य ं पु णां वशां देवयतीनाम्.अ न सू े भवचो भवृणीमहे य स मद य इ धते.. (५)
हे अ न! आप मनु य म देव व का वकास करने वाले ह. हम अपनी तु तय से आपक महानता का वणन करते ह. हे अ न! आप को अ य ऋ षय ने भी अ छ तरह द त( स ) कया है. (५)
अयम नः सुवीय येशे ह सौभाग य.राय ईशे वप य य गोमत ईशे वृ हथानाम्.. (६)
अ न संप और सौभा य के ईश ह. वे गौ आ द पशु के वामी ह. संतान और धनके वामी ह. श ु का नाश करने वाल के भी वामी ह. (६)
वम ने गृहप त व होता नो अ वरे.वं पोता व वार चेता य या स च वायम्.. (७)
हे अ न! आप घर के वामी ह. हमारे हसा र हत य के होता (पुरो हत) ह. आप कआराधना सभी कर सकते ह. आप प व करने वाले ह. आप े ह व का य क जए. हम
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धना द (सुख) दान क जए. (७)
सखाय वा ववृमहे देवं मतास ऊतये.अपां नपात सुभग सुद सम सु तू तमनेहसम्.. (८)
हे अ न! आप हमारे सखा ह. आप े कम करने वाले ह. मनु य क शी इ छा पू तकरते ह. आप धन के वामी व जल को धारण करने वाले ह. हम समान बु वाल ेसभीसाधक आप से अपने संर ण क ाथना करते ह. (८)
सातवां खंडआ जुहोता ह वषा मजय वं न होतारं गृहप त द ध वम्.इड पदे नमसा रातह सपयता यजतं प यानाम्.. (१)
हे ऋ वजो (यजमानो)! आप अ न देव को आमं त क जए. आप सब ओर शु ताफैलाने वाली ह व अ न देव को दान क जए. गृहप त गृह क र ा करने वाली अ न कथापना कर. हवन क चीज के साथसाथ आप तु त कर के उन का वागतस कार कर.
(१)
च इ छशो त ण य व थो न यो मातराव वे त धातवे.अनूधा यदजीजनदधा चदा वव स ो म ह यां ३ चरन्.. (२)
हे अ न! बाल एवं त ण (युवा) प आप का ह व प ंचाना ब त आ य वाला है.आप पैदा होने के बाद ध पीने के लए अपनी दोन ही माता (पृ वी और अर णय ) केपास नह जाते, ब क अ छे त क भू मका नभाते ए देवता के पास ह व प ंचानेजाते ह. (२)
इदं त एकं पर ऊ त एकं तृतीयेन यो तषा सं वश व.संवेशन त वे ३ चा रे ध यो देवानां परमे ज न े.. (३)
हे मृ यु धम वाले मनु य! अ न तु हारा एक भाग है. वायु तु हारा सरा भाग (शरीर)है. सूय प तीसरे भाग (तेज) से तुम मलते हो. उन से मु हो कर मुन य तेज वी प
ा त करता है. अथात् मनु य को पावन थान म ज म ले कर देव श य के लए य तथाे बनना चा हए. ( पछले मं म मृ यु के बाद पुनः कृ त म मलने क या बताई है).
(३)
इम तोममहते जातवेदसे रथ मव सं महेमा मनीषया.भ ा ह नः म तर य स स ने स ये मा रषामा वयं तव.. (४)
हे अ न! आप सब कुछ जानने वाले ह. हम तो प को रथ के समान उ म बु सेतैयार करते ह. हे अ न! हम आप के म ह. हम कसी कार का कोई क न हो. (४)
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मूधानं दवो अर त पृ थ ा वै ानरमृत आ जातम नम्.क व स ाजम त थ जनानामास ः पा ं जनय त देवाः.. (५)
हे अ न! आप सब से ऊपर (सव प र) ह. आप वगलोक के वासी ह. आप भूलोक केवामी ह. आप य म उ प ह. आप ानी मनु य म मेहमान क तरह पूजनीय ह. मुख क
तरह मु य ह. आप को देवता ने उ प कया है. (५)
व वदापो न पवत य पृ ा थे भर ने जनय त देवाः.तं वा गरः सु ुतयो वाजय या ज न गववाहो ज युर ाः.. (६)
हे अ न! जैसे पवत के ऊपरी भाग से जल उ प होता है, वैस ेही व ान् यजमानआप को अपनी तु तय से कट करते ह. जैसे घोड़े यु म वजय पाते ह, वैसे ही आपहमारी तु तय से संचा लत होते ह. इस से हम वजय (कामना स ) मलती है. (६)
आ वो राजानम वर य होतार स ययज रोद योः.अ नं पुरा तन य नोर च ा र य पमवसे कृणु वम्.. (७)
हे अ न! आप य के वामी ह. आप देवता को बुलाने वाल ेह. आप श ु कोलाने वाल ेह. आप वगलोक तथा पृ वीलोक के अ दाता ह. आप आनंद एवं स य प
को ा त कराने वाल ेह. आप वण के समान चमक वाले ह. ऐस े व प वाले अ न कोवाभा वक प से व ुत् से पहले संर ण के लए उ प कया है. (७)
इ धे राजा समय नमो भय य तीकमा तं घृतेन.नरो ह े भरीडते सबाध आ नर मुषसामशो च.. (८)
हे अ न! आप े ह. आप राजा ह. आप को अ स े व लत कया जाता है. आपको घी से बढ़ाया जाता है. सभी मल कर हवन स ेआप क पूजा करते ह. इस कार अ नउषा काल के पूव (यानी माता के गभ से ही) उ प ए ह. (८)
केतुना बृहता या य नरा रोदसी वृषभो रोरवी त.दव द ता पमामुदानडपामुप थे म हषो ववध.. (९)
हे अ न! आप महान काश के साथ कट होते ह. वगलोक और पृ वीलोक मबलवान हो कर गजना करते ह. बजली के गजन और जल मेघ के बीच बढ़ते ह. (९)
अ नं नरो द ध त भरर योह त युतं जनयत श तम्.रे शं गृहप तमथ ुम्.. (१०)
हे अ न! आप शंसा के यो य ह. आप र से दखाई देते ह. आप घर के र क ह.यजमान ने अ न को अर ण मथ कर कट कया. (यानी अंगु लय म अर णय को पकड़कर, घस कर कट कया है). (१०)
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आठवां खंडअबो य नः स मधा जनानां त धेनु मवायतीमुषासम्.य ा इव वयामु जहानाः भानवः स ते नाकम छ.. (१)
हे अ न! आप यजमान क ा से व लत ह. जैसे अ नहो (सुबह य करनेवाले) के लए पाली ई गाय ातःकाल उठ जाती है, वैसे ही ातःकाल आप व लत होतेह ( कए जाते ह). पेड़ क फैली ई शाखा के समान आप क करण भी र र तकफैलती ह. (१)
भूजय तं महां वपोधां मूरैरमूरं पुरां दमाणम्.नय तं गी भवना धयं धा ह र म ुं न वमणा धन चम्.. (२)
हे अ न! आप रा स को जीतने वाल ेह. आप व ान को धारण करने वाले ह. मूखके आ य ( थान) का नाश करने वाले ह. आप तु त करने वाले को ऐ य देने वाले ह. आपकवच के समान र ा करने वाले ह. आप सुनहरी वाला वाल ेह. हे मनु य! तुम ऐसे अ नक आराधना करो. (२)
शु ं ते अ य जतं ते अ य षु पे अहनी ौ रवा स.व ा ह माया अव स वधाव भ ा ते पूष ह रा तर तु.. (३)
हे पूषा! आप का तेज वी रंग वाला दन अलग है. उसी तरह काले रंग वाली राअलग है. आप क म हमा से ये अलगअलग रंग वाले भाग एक ही दनरात के ह. आपपोषण करने वाले ह. आप सारे जग क र ा करने वाले ह. आप क याण करने वाले ह. आपहमारा क याण कर. (३)
इडाम ने पु द स स न गोः श म हवमानाय साध.या ः सूनु तनयो वजावा ने सा ते सुम तभू व मे.. (४)
हे अ न! आप अनेक काम म उपयोगी सुम त हम द जए. आप गाय को देने वालीतु त हम द जए. आप हम पु पौ दान क जए. आप उ म बु वाले ह. कृपया भलीकार आराधना करने वाले यजमान को ये सब दान क जए. (४)
होता जातो महा भो व ृष ा सीददपां ववत.दध ो धायी सुते वया स य ता वसू न वधते तनूपाः.. (५)
हे अ न! आप सभी घर म मौजूद रहते ह. आप बादल के बीच बजली के प मरहते ह. इस समय आप य म मौजूद ह. आप महान ह. आप अंत र को जानने वाले ह.ह व को धारण करने वाले ह. आप हम अ , धन व संर ण दान क जए. (५)
स ाजमसुर य श तं पु सः कृ ीनामनुमा य.
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इ येव तवस कृता न व द ारा व दमाना वव ु .. (६)
हे अ न! आप बलवान और वीर मनु य के तु त यो य ह. आप बल म इं के समानह. आप के इस शंसनीय व प क तु त करते ह. हे यजमान! तु त और आराधना सेअ न क उपासना करो. (६)
अर यो न हतो जातवेदा गभ इवे सुभृतो ग भणी भः.दवे दव ई ो जागृव ह व म मनु ये भर नः.. (७)
हे अ न! आप सब कार के ान वाल ेह. आप अ छ तरह गभ धारण करने वालीी के समान अर णय ारा धारण कए जाते ह. य के लए जाग क रहने वाल ेयजमान
ारा त दन आप वंदनीय ह. (७)
सनाद ने मृण स यातुधाना वा र ा स पृतनास ु ज युः.अनु दह सहमूरा कयादो मा ते हे या मु त दै ायाः.. (८)
हे अ न! आप हमेशा श ु को बाधा देने वाले ह. आप को यु म रा स नह जीतसकते. आप मांस खाने वाल े रा स को अपने तेज स े भ म कर द जए. आप के इसह थयार से कोई श ु न बचे. (८)
नौवां खंडअ न ओ ज मा भर ु नम म यम गो.
नो राये पनीयसे र स वाजाय प थाम्.. (१)
हे अ न! आप हम खूब बल तथा धन द जए. आप बेरोकटोक ग त वाल ेह. धन कामाग हम दखाइए. आप अ और बल वाला माग हम दखाइए. (१)
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