।।त ु तत।। मात शैस ु तास ऩनी सस ु धांगार धरावऱी । वगाारोहण जैजयंती भकतीं भागीरथी ाथाये।। ।।दोहा।। जम जम जम जग ऩावनी, जमति देवसरय गंग। जम शिव जटा तनवाशसनी , अन ु ऩभ ि ु ंग ियंग।। ।।चौऩाई।। जम जम जननी हयाना अघखानी। आनंद कयनी गंगा भहायानी।। जम बगीयथी स ु यसरय भािा। कशरभर भ ू र डाशरनी ववमािा।। जम जम जहान ु स ु िा अघ हनानी। बीभ की भािा जगा जननी।। धवर कभर दर भभ िन ु सजे। रखी िि ियद चं छवव रजाई।। वहां भकय ववभर ि ु ची सोह। अशभमा करि कय रखी भन भोह।। जददिा यना कं चन आब ू षण। दहम भणण हय , हयातनिभ द ू षण।। जग ऩावनी म िाऩ नासवनी। ियर ियंग ि ु ंग भन बावनी।। जो गणऩति अति ऩ ू म धान। इह ू ं िे थभ गंगा अनाना।। भा कभंडर वाशसनी देवी। ी ब ु ऩद ऩंकज स ु ख सेवव।।