kavita nari swatantrata कविता- नारी स्वतन्त्रता

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n]vs\—cfrfo{ 8f=s\zj z/0f n'O{6]n नार वतता कवता ± आदश नार तम हौ जननी पव / वासय ेम रसक तम हौ तक // मात व को छ तभा मनभ धेर / गछउ काश घरमा हणी बनेर // १ // + नार तमी बढ अगी वद षी भएर / ता वत अधकारह लएर // अयाय को गर दमन परत याग / नभक नार तमी आज वत माग // २ // + छोरा समान अधकार छ छोर लाई / याउ वत क रत क था हटाइ // शा र ानहले गरदेउ काश / नार वत पथको गरदेउ वकास // ३ // + गा बनेर तमीले धरती सजाउ / दासवको पददलत था हटाउ // नारव माथी गरने अपराधलाई / देउ कठोर तमी दड वत याई // ४ //

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यो मेरो व्यक्तिगत रचना हो यो रचना मैले सिक्किम मा गरेको हो रचनाकाल १८-अगष्ट १९९४ मा स्थान- मध्य पाण्डाम पुर्व जिल्ला सिक्किम

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Page 1: kavita nari swatantrata     कविता- नारी स्वतन्त्रता

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नार� �वतता क�वता ±

आदश� नार� �त�म हौ जननी प�व /

वा�स�य �ेम रसक �त�म हौ ��तक //

मात�ृव को छ ��तभा मन�भ धेर /

गछ'उ �काश घरमा ग*ृहणी बनेर // १ //

+

नार� �तमी बढ अगी �वदषुी भएर /

�त3ा �वत अ4धकारह5 �लएर //

अयाय को ग7र दमन परत �याग /

�न�भ�क नार� �तमी आज �वत माग // २ //

+

छोरा समान अ4धकार छ छोर� लाई /

�याउ �वत कुर��त कु�था हटाइ //

�श=ा र >ानह5ले ग7रदेउ �काश /

नार� �वत पथको ग7रदेउ �वकास // ३ //

+

दगुा� बनेर �तमीले धरती सजाउ /

दास�वको पदद�लत �था हटाउ //

नार��व माथी ग7रने अपराधलाई /

देउ कठोर �तमी दAड �वत �याई // ४ //

Page 2: kavita nari swatantrata     कविता- नारी स्वतन्त्रता

+

एDलै परा4धन 4थयौ घरमा रहेर /

सामती शोषण �नती श*दयौ सहेर //

साधन बयौ पु5षको �तमी भोग गन' /

दासी भएर घरमा �तमी ब�न ुपन' // ५ //

+

ए�तो �Gसंश �नतीलाई परा�त पा7र /

नौलो Iकरण छर �वत भएर नार� //

योJा बनेर �तमी आज �वत �याउ /

आदश� नार� �तमी आज अगाडी आउ // ६ //

लेखक- आचाय� डा. केशव शरण लुईटेल