कृ ण सुदामा कȧ कहानी हमारे जीवन मɅ कु छ ǐरते बहत अनमोल होते हɇ। िमऽता ऐसा हȣ ǐरता है। कहते हɇ िमऽ बनाए नहȣं जाते ु , अǔज[त Ǒकए जाते हɇ। ये ǐरता हमारȣ पूंजी भी है , सहारा भी। सुदामा ौीकृ ण के परम िमऽ थे। सुदामा के घर दǐरिता का राÏय था। पƤी सुशीला के पास एक हȣ वƸ था। कई Ǒदनɉ तक भूखा भी रहना पड़ता था, Ǒफर भी वह Èलेश नहȣं मानती थी। पित से भुकथा सुनती रहती थी। कई बार बालकɉ को भी खाने को नहȣं िमलता था। सुशीला से अपनी संतानɉ कȧ दद[शा नहȣं देखी गई। ु एक Ǒदन वह åयाकु लतावश अपने पित से कहने लगी- एक ाथ[ना करनी है आपसे। आप कथा मɅ कहते हɇ Ǒक कÛहैया को अपने िमऽɉ से बड़ा ेम है। तो Ǒफर Èयɉ न उससे अपना यह दख दर Ǒकया जाए ु ू ? सुदामा- मɇ दǐरि हं। वहां जाऊंगा तो लोग कहɅगे Ǒक भीख मांगने आया है। मेरा िनयम है Ǒक परमा×मा से भी ू कु छ मांगने नहȣं जाऊंगा। सुशीला- मɇ तुàहɅ मांगने के िलए नहȣं भेज रहȣ हं। वे तो हजार आंख वाले हɇ। अपने आप हȣ सब कु छ समझ ू जाएंगे। के वल उनके दश[न तो कर आओ। सुदामा तो घर बैठे हȣ कृ ण के दश[न कर लेते थे Ǒकं तु सोचा Ǒक पƤी मेरȣ हर बात मान लेती है तो मुझे भी उसकȧ यह बात माननी चाǑहए। वे पƤी से कहने लगे - कãयाणी, िमऽ से िमलने जा रहा हं ू , Ǒकं तु खाली हाथ जाने मɅ हमारȣ शोभा नहȣं है। घर मɅ तो कु छ भी नहȣं था। सो सुशीला पड़ोसी के घर से दो मुÒठȤ भर तÛदल ु मांग लाई। सारे के सारे एक चीथड़े मɅ बांधकर भगवान के िलए दे Ǒदए। ऐसी भɅट देने मɅ तुàहɅ संकोच तो होगा Ǒकं तु कहना Ǒक भाभी ने यह भेजा है। सुदामा Ʈाǐरका कȧ Ǒदशा मɅ चल Ǒदए। फटȣ हई धोती ु , एक हाथ मɅ लकड़ȣ और बगल मɅ तंदल कȧ पोटली थी। ु सुशीला सोच रहȣ है Ǒक कई Ǒदनɉ के भूखे मेरे पित वहां तक कै से पहंच पाएंगे। मɇने हȣ उनको जाने के िलए ु ǒववश Ǒकया। Ǒकं तु और कोई उपाय भी तो नहȣं था। अपने बालकɉ कȧ दद[शा भी तो देखी नहȣं जाती। वह ु भगवान सूय[नारायण से ाथ[ना करने लगी- मेरे पित कȧ र¢ा करना। सुदामा पौष शुÈल सƯमी के Ǒदन Ʈाǐरका गए। अितशय ठं ड के कारण शरȣर कांप रहा था। सात Ǒदनɉ के भूखे थे। दो मील चलते हȣ थक गए। सोचते जाते हɇ Ǒक Ʈाǐरकानाथ के दश[न भी हɉगे या नहȣं। राःते मɅ दब[लता ु और िचÛता के कारण उनको मूछा[ भी आ जाती थी। Ʈाǐरकाधीश को समाचार िमला Ǒक सुदामा आ रहा है। ऐसे िनƵावान, सदाचारȣ, अयाचक तपःवी को पैदल चलाना मुझे शोभा नहȣं देता है। उÛहɉने गǽड़ जी को भेजकर सुदामा को आकाशमाग[ से Ʈाǐरका नगर तक पहंचा Ǒदया। सुदामा ने लोगɉ से पूछकर जाना Ǒक वे Ʈाǐरका मɅ ु आ पहंचे हɇ। उÛहɉने सोचा Ʈाǐरका बहत दर नहȣं है। सुबह िनकला था ु ु ू , शाम आ गया। वे नहȣं जानते Ǒक उÛहɅ