r i s n h i p trai e n h t e a u d g o y the art of living ... · उनका...

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संसार म रहो लेकिन सांसारि भौकिििा म मि डूबे रहो तेल का दीपक जलाने के ललए सबसे जरी का है? बाती तेल म डूबी रहती है, लेलकन कालित होने के ललए उससे बाहर भी रहती है। अगर पूरी की पूरी बाती तेल म ही डूबी रहे तो काि फैलाना संभव ही नह। जीवन भी दीपक और बाती के समान है। आपको संसार म रहना है लेलकन उसम डूबे लबना। ानी लनललपत भाव से। आप अगर सांसारक भौलतकता म डूबे तो जीवन म आनंद और ान ापत नह कर पाएंगे। संसार म रहकर भी सांसाररक भौलतकता के लत लनललपत रहने पर ही आप आनंद और ान की जोलत बनकर काि फैला सकते ह। दीपावली के लदन दीपक जलाने का उेश मा घर की सजावट करना नह है, बलक उकत सत को उालित करना भी इसका एक ल है। दीपि तेि मानव िे अंदर समाकहि गुण िा िीि है तेक मनुष म कोई न कोई सण अवश होता है। आपकी ओर से जलाा जाने वाला हर दीपक इसी बात का तीक है। अपने भीतर ान का दीपक जलाकर आप अपने भीतर के अवकत मू को उालित करते ह। और ान ापत करके आप अपने अलततव के लवलभ पहलु के लत जागक होते ह। इनह जब भी कालित लका जाता है, तभी दीपावली हो जाती है। मा एक दीपक जलाकर संतुषट मत होइए। हजार दीपक जलाइए, कलक अानता का अंधकार लमटाने के ललए बहुत से दीपक जलाने की आवशकता है। पटाखे - दबी हुई इचा म कवसोट दीपावली से ही जुड़ा हुआ एक और तीक ह पटाखे। अपने जीवन म ा: भावना, कुंठा और गुसे को दबाने से आप फटने के ललए तैार पटाखे म तबदील हो जाते ह। जब आप अपनी भावना, तृषणा, घृणा और लिंता को दबाते रहते ह तो आप फटने के लबंदु के नजदीक पहुंि जाते ह। पटाखे फोड़ना एक मनोवैालनक कवाद है। ह एक साथ जमा होकर उबल रही भावना को लनकालने का संकेत देता है। जब आप बाहर कोई लवफोट देखते ह तो आपके अंदर भी ठीक इसी कार की संवेदनाएं झंकृत होती महसूस होती ह। लवफोट के साथ एकाएक बहुत जादा काि होता है। इन सारी दबी हुई भावना को लनकल जाने द, तालक िांलत का वाह िु हो। भूतकाल के पशिाताप को भूल जाएं। भलवष की लिंता को भी छोड़ द। वतमान के ण को भरपूर तरीके से जीने का आनंद ल। िड़वाहट भूलिर रशि िो नई कमठास िसाथ शु िरने िा वकि लमठाइां और उपहार संकेत देते ह लक कड़वाहट को भुलाकर नई लमठास के साथ ररशते ि लकए जाएं। दीपावली सम है अपने ारा अलजत ान को कालित कर नई िुआत का। जब सा ान उलदत होता है, तब उतसव िु होता है। परंतु उतसव म अपने ल एवं जागकता को खोने न द। उतसव के मध भी जागकता बनाए रखने के ािीन काल म अनुषठान बनाए गए। पूजा से पलवता आती है। इसी कारण दीपावली भी पूजा का सम है, जो आधालतमक पहलु को जोड़कर उतसव को गहनता दान करती है। उतसव म सेवा भाव िालमल होता है। बांट। बदले म हम भी ापत होगा। उतसव का अथ है सभी मतभेद को खतम करके आतमा के आनंद म डूबना। आनंद एवं ान फैलाना िलहए। ह तभी संभव है जब सभी ानोतसव मनाने के ललए एक जगह एकलत ह। अपने द म ेम का दीप जलाएं। घर म समृल का दीप जलाएं। दूसर की सेवा कलए कणा का दीप जलाएं। समृल के ललए कृतता का दीप जलाएं। अंतनी मतएं पहचनने म ब के सहयोग क उतसव सेवा टाइमस l बगलु देिभर के सात हजार से अलधक बे और लकिोर 2 अकटूबर 2018 को आट ऑफ ललवंग के बगलु लथत आम म एकलत हुए। ह सभी आट ऑफ लवंग के ा ोग के ातक थे। और अवसर था ा उतसव। लदनभर िले इस उतसव म मौज- मती, रोमांिक खेल गलतलवलधां और गहन धान िलमल थे। इस काम का आकिण था ा ोग ातक का दिन। उनहने अपनी इंल से परे जाकर िीज के अहसास की अपनी ाकृलतक अंतानी मता का दिन कर सबको हैरान कर लदा। आंख पर पटी बंधी होन के बाद भी उनहने पढ़कर लदखाा। रंग को पहिाना। ला का अनुकरण लका और लि को भी पहिाना। इनह म िालमलवषणु नाम के लड़के ने तो आंख बंद होने के बावजूद लबजली सी गलत के साथ लबक कूब को सुलझा लदा। वह, लनककी ने तो आंख पर पटी बांधे-बांधे अपने समानांतर लि बना रहे आलटट की कलाकारी का हूबहू अनुसरण करके लदखाा। और िफा नाम की लतभागी तो आपको पि लकए लबना ही आपकी नाड़ी असंतुलन के लवि म बता सकती है। ऐसे कारनामे करने वाले ब और लकिार की ह सूिी काफी लंबी है। लेलकन धान रलखए, ह कोई जादू का खेल नह लदखा रहे थे। ह बे अपनी ाकृलतक अंतानी मता तक पहुंिने म सफल रहे। ह मताएं जनमजात हम सबम होती ह। लेलकन इसे दुभाग ही कहा जाएगा लक वतमान लिा णाली ब को अपने ाकृलतक अंतान की तरफ बढ़ने ही नह देती। वह तो उनह बस तक पर भरोसा करके अपनी मता पर अलवशवास करना लसखाती है। हम सब कृलत से लमली अंतान की लतभा के साथ ही जनम लेते ह। ह वह लतभा है जो हम अपनी इंल से परे जाकर भी देखने, सोिने और अहसास करने की िलकत देती है। ब म ह लतभा लविेि प से लदखाई पड़ती है। कलक उनके मलतषक ताजा होते ह। वह कम जुनूनी होते ह और कृलत के साथ जादा घुले-लमले होते ह। जैसे-जैसे हम बड़े होते ह, आधुलनक जीवन िैली हम लवलभ जानकारर से भरकर मलतषक म तनाव पैदा करती जाती है। इसके कारण हमारी जनमजात अंतान की मता म अवरोध पैदा हो जाता है। ह ोगताएं लवकलसत करने के ललए मलतषक को उलित पोिण की आवशकता रहती है। गुरदेव ी ी रलव िंकर जी ारा 5 से 18 वि के ब के ललए तैार लका गा ा ोग एक सुंदर ला है, लजसके ारा आप अपनी अंतानी ोगता को जगा सकते ह। इससे ब को अपने अहसास के अनुसार काम करने का आतमलवशवास ापत होता है। बड़े लोग से लभ बे संभावना से भरपूर संसार म रहते ह। अगर वह लसफ सूिना के अलावा अपनी अंदनी बौलकता, अपने खुद के अंतान की बात सुनना सीख ल तो दुलना म हर कोई लवलण होगा। 2015 के नवरा से ारंभ हुए इस काम म अब तक भारत म 35 हजार बे भाग ले िुकह। ह काम अब हांगकांग, जमनी, ूएसए और कनाडा म भी संिाललत लका जाता है। ह ोाम कर िके बे अपनी पढ़ाई, खेलकूद और ववहार जैसे े म संपूण लवकास दलित कर रहे ह। ह ला करने के बाद कई दृलषटहीन बे ेल से पढ़ना बंद कर िुके ह। ा ोगा लिा जगत म ांलत लाने म पूणत: तैार है। बगलु आम म एकत हुए सात हजार से जादा सुपर कड ा उतसव अभििावक ने काफी हैरतिरे अनुिव सुनाए। बताया भक ाम करने के बाद कैसे ब केड सुधर रहे ह। कैसे उनका दृषकण और वयवहार बदल रहा है। सिी सुधार सकारातमक भदशा म ले जा रहे ह। -गुदेवरवशंकर अंधकर पर कश की वजय क उतसव है दीपवली अनुकूल शासन- आर ऑफ लिंग का मॉडn आर ऑफ लिंग और भारत सरकार 19 राज म 426 आदाम पंचात बनाने को साथ आए सेवा टाइमस l हैदराबाद (तेलंगाना) देिभर म सफलतापूवक लवकलसत ाम पंिात का कलटर बनाने की महतवाकांी पहल के तहत आट ऑफ ललवंग का वलकत लवकास क इंलडा (वीवीकेआई) राषी ामीण लवकास और पंिाती राज संथान (एनआईआरडीपीआर) के साथ साझेदारी कर रहा है। 2 अकटूबर को गांधी जंती के अवसर पर गवाललर म ह ोजेकट िु होने के अवसर पर एनआईआरडीपीआर और वीवीकेआई के बीि इस समझौता ापन पर हतार लकए गए। ाम पंिात लवकास ोजना (जीपीडीपी) का एकिन ररसि ोजेकट लागू करने म वीवीकेआई एनआईआरडीपीआर का सहोग करेगा। इस पररोजना (सतत लवकास के ललए 100+ पंिात कलटर लवकास काम) के तहत 19 राज के 115 आकांी-सह-लमिन अंतोद लजल के 100 कलटर की 426 ाम पंिात लिलत की गई ह। वीवीकेआई पररवतनी नेतृतव और मता लनमाण मॉूल की भागीदारी, तैारी और लवतरण, गुणातमक तरीके से सीखने के ललए िैलणक पहलागू करना, अनुसंधान और लिण पहल संिालत करना, नवािार और सामालजक उलमता को ोतसाहन देने म अपनी लविेिता का सहोग देगा। वीवीकेआई के कॉमडो एि.जी. हिा ने 100 से अलधक कलटर के लवकास को सावजलनक, लनजी और नागरक समाज के सहाेग की एक अचछी पहल करार लदा। आर ऑफ लिलिंग की तरफ से कॉमडो एचजी हर ने समझौत पन पर दसतखत लकए। गंधी जयंती के अिसर पर गिलियर म यह परयोजन िॉनच की गई थी। ान िे मोिी 2 पहि सेवा का प; कमटर चलाने वाले हाथ ने थामे करछुल पेज 3 यस अहहंसा के गांधीवादी हसदांत से हंसा का जवाब देने पर मंथन पेज 4 ेरण हिक के अथक ास से बसतर म आा बदलाव पेज संसकरण: नवंबर 2018 द आट ऑफ लिलवंग, अनरराय क, बगिु वा टाइमस THE ART OF LIVING T R P A I I H N S I R N E G D P A E R L O G H R T A U M O Y

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  • संसार में रहो लेकिन सांसाररि भौकिििा में मि डूबे रहो

    तेल का दीपक जलाने के ललए सबसे जरूरी क्ा है? बाती तेल में डूबी रहती है, लेलकन प्रकालित होने के ललए उससे बाहर भी रहती है। अगर पूरी की पूरी बाती तेल में ही डूबी रहे तो प्रकाि फैलाना संभव ही नहीं। जीवन भी दीपक और बाती के समान है। आपको संसार में रहना है लेलकन उसमें डूबे लबना। ्ानी लनलललिपत भाव से। आप अगर सांसाररक भौलतकता में डूबे तो जीवन में आनंद और ज्ान प्रापत नहीं कर पाएंगे। संसार में रहकर भी सांसाररक भौलतकता के प्रलत लनलललिपत रहने पर ही आप आनंद और ज्ान की ज्ोलत बनकर प्रकाि फैला सकते हैं। दीपावली के लदन दीपक जलाने का उद्ेश् मात्र घरों की सजावट करना नहीं है, बल्क उकत सत् को उद्ालित करना भी इसका एक लक्् है।

    दीपि प्रत्ेि मानव िे अंदर समाकहि सद् गुणों िा प्रिीि है

    प्रत्ेक मनुष् में कोई न कोई सद्गुण अवश् होता है। आपकी ओर से जला्ा जाने वाला हर दीपक इसी बात का प्रतीक है। अपने भीतर ज्ान का दीपक जलाकर आप अपने भीतर के अव्कत मू््ों को उद्ालित करते हैं। और ज्ान प्रापत करके आप अपने अल्ततव के लवलभन्न पहलुओं के प्रलत जागरूक होते हैं। इनहें जब भी प्रकालित लक्ा जाता है, तभी दीपावली हो जाती है। मात्र एक दीपक जलाकर संतुषट मत होइए। हजारों दीपक जलाइए, क्ोंलक अज्ानता का अंधकार लमटाने के ललए बहुत से दीपक जलाने की आवश्कता है।

    पटाखे - दबी हुई इच्ाओं में कवस्ोटदीपावली से ही जुड़ा हुआ एक और प्रतीक हैं पटाखे। अपने जीवन में प्रा्: भावनाओं, कुंठा और गु्से को दबाने से आप फटने के ललए तै्ार पटाखे में तबदील हो जाते हैं। जब आप अपनी भावनाओं, तृषणा, घृणा और लिंता को दबाते रहते हैं तो आप फटने के लबंदु के नजदीक पहुंि जाते हैं। पटाखे फोड़ना एक मनोवैज्ालनक कवा्द है। ्ह एक साथ जमा होकर उबल रही भावनाओं को लनकालने का संकेत देता है। जब आप बाहर कोई लव्फोट देखते हैं तो आपके अंदर भी ठीक इसी प्रकार की संवेदनाएं झंकृत होती महसूस होती हैं। लव्फोट के साथ एकाएक बहुत ज्ादा प्रकाि होता है। इन सारी दबी हुई भावनाओं को लनकल जाने दें, तालक िांलत का प्रवाह िुरू हो। भूतकाल के पशिातापों को भूल जाएं। भलवष् की लिंताओं को भी छोड़ दें। वतलिमान के क्षणों को भरपूर तरीके से जीने का आनंद लें।

    िड़वाहट भूलिर ररशिों िो नई कमठास िे साथ शुरू िरने िा वकि

    लमठाइ्ां और उपहार संकेत देते हैं लक कड़वाहट को भुलाकर नई लमठास के साथ ररशते िुरू लकए जाएं। दीपावली सम् है अपने द्ारा अलजलित ज्ान को प्रकालित कर नई िुरुआत का। जब सच्ा ज्ान उलदत होता है, तब उतसव िुरू होता है। परंतु उतसव में अपने लक्् एवं जागरूकता को खोने न दें। उतसव के मध् भी जागरूकता बनाए रखने के प्रािीन काल में अनुषठान बनाए गए। पूजा से पलवत्रता आती है। इसी कारण दीपावली भी पूजा का सम् है, जो आध्ालतमक पहलुओं को जोड़कर उतसव को गहनता प्रदान करती है।उतसव में सेवा भाव िालमल होता है। बांटें। बदले में हमें भी प्रापत होगा। उतसव का अथलि है सभी मतभेदों को खतम करके आतमा के आनंद में डूबना। आनंद एवं ज्ान फैलाना िालहए। ्ह तभी संभव है जब सभी ज्ानोतसव मनाने के ललए एक जगह एकलत्रत हों। अपने हृद् में प्रेम का दीप जलाएं। घर में समृलधि का दीप जलाएं। दूसरों की सेवा के ललए करुणा का दीप जलाएं। समृलधि के ललए कृतज्ता का दीप जलाएं।

    अंतर्ज्ञानी क्षमतज्एं पहचज्नने में बच्चों के सहयोग कज् उतसव

    सेवा टाइमस l बेंगलुरू

    देिभर के सात हजार से अलधक बच्े और लकिोर 2 अकटूबर 2018 को आट्ट ऑफ लललवंग के बेंगलुरू ल्थत आश्रम में एकलत्रत हुए। ्ह सभी आट्ट ऑफ लललवंग के प्रज्ा ्ोग के स्ातक थे। और अवसर था प्रज्ा उतसव। लदनभर िले इस उतसव में मौज-म्ती, रोमांिक खेल गलतलवलध्ां और गहन ध्ान िालमल थे।

    इस का्लिक्रम का आकिलिण था प्रज्ा ्ोग स्ातकों का प्रदिलिन। उनहोंने अपनी इंलरि्ों से परे जाकर िीजों के अहसास की अपनी प्राकृलतक अंतज्ालिनी क्षमताओं का प्रदिलिन कर सबको हैरान कर लद्ा। आंखों पर पट् टी बंधी होन के बाद भी उनहोंने पढ़कर लदखा्ा। रंगों को पहिाना। लक्र्ाओं का अनुकरण लक्ा और लित्रों को भी पहिाना। इनहीं में िालमल लवषणु नाम के लड़के ने तो आंखें बंद होने के बावजूद लबजली सी गलत के साथ रुलबक क्ूब को सुलझा लद्ा। वहीं, लनककी ने तो आंखों पर पट् टी बांधे-बांधे अपने समानांतर लित्र बना रहे आलट्ट्ट की कलाकारी का हूबहू अनुसरण करके लदखा्ा। और िफा नाम की प्रलतभागी तो आपको ् पिलि लकए लबना ही आपकी नाड़ी असंतुलन के लवि् में बता सकती है।

    ऐसे कारनामे करने वाले बच्ों और लकिारों की ्ह सूिी काफी लंबी है। लेलकन ध्ान रलखए, ्ह कोई जादू का खेल नहीं लदखा रहे थे। ्ह बच्े अपनी प्राकृलतक अंतज्ालिनी क्षमताओं तक पहुंिने में सफल रहे। ्ह क्षमताएं जनमजात हम सबमें होती हैं। लेलकन इसे दुभालिग् ही कहा जाएगा लक वतलिमान लिक्षा प्रणाली बच्ों को अपने प्राकृलतक अंतज्ालिन की तरफ बढ़ने ही नहीं देती। वह तो उनहें बस तक्क पर भरोसा करके अपनी क्षमताओं पर अलवशवास करना लसखाती है।

    हम सब प्रकृलत से लमली अंतज्ालिन की प्रलतभा के साथ ही जनम लेते हैं। ्ह वह प्रलतभा है जो हमें

    अपनी इंलरि्ों से परे जाकर भी देखने, सोिने और अहसास करने की िलकत देती है। बच्ों में ्ह प्रलतभा लविेि रूप से लदखाई पड़ती है। क्ोंलक उनके मल्तषक ताजा होते हैं। वह कम जुनूनी होते हैं और प्रकृलत के साथ ज्ादा घुले-लमले होते हैं। जैसे-जैसे हम बड़े होते हैं, आधुलनक जीवन िैली हमें लवलभन्न जानकारर्ों से भरकर मल्तषक में तनाव पैदा करती जाती है। इसके कारण हमारी जनमजात अंतज्ालिन की क्षमता में अवरोध पैदा हो जाता है। ्ह ्ोग्ताएं लवकलसत करने के ललए मल्तषक को उलित पोिण की आवश्कता रहती है।

    गुरदेव श्री श्री रलव िंकर जी द्ारा 5 से 18 विलि के बच्ों के ललए तै्ार लक्ा ग्ा प्रज्ा ्ोग एक सुंदर प्रलक्र्ा है, लजसके द्ारा आप अपनी अंतज्ालिनी ्ोग्ता को जगा सकते हैं। इससे बच्ों को अपने

    अहसास के अनुसार काम करने का आतमलवशवास प्रापत होता है। बड़े लोगों से लभन्न बच्े संभावनाओं से भरपूर संसार में रहते हैं। अगर वह लसफ्क सूिनाओं के अलावा अपनी अंदरूनी बौलधिकता, अपने खुद के अंतज्ालिन की बात सुनना सीख लें तो दुलन्ा में हर कोई लवलक्षण होगा।

    2015 के नवरात्र से प्रारंभ हुए इस का्लिक्रम में अब तक भारत में 35 हजार बच्े भाग ले िुके हैं। ्ह का्लिक्रम अब हांगकांग, जमलिनी, ्ूएसए और कनाडा में भी संिाललत लक्ा जाता है। ् ह प्रोग्ाम कर िुके बच्े अपनी पढ़ाई, खेलकूद और व्वहार जैसे क्षेत्रों में संपूणलि लवकास प्रदलिलित कर रहे हैं। ्ह प्रलक्र्ा करने के बाद कई दृलषटहीन बच्े ब्ेल से पढ़ना बंद कर िुके हैं। प्रज्ा ्ोगा लिक्षा जगत में क्रांलत लाने में पूणलित: तै्ार है।

    बेंगलुरू आश्रम में एकत्रित हुए सात हजार से ज्ादा सुपर त्कडप्रज्ा उतसव

    “ अभििावकों ने काफी हैरतिरे अनुिव सुनाए। बताया भक प्रोग्ाम करने के बाद कैसे बच्ों के ग्ेड सुधर रहे हैं। कैसे उनका दृष्टिकरोण और वयवहार बदल रहा है। सिी सुधार सकारातमक भदशा में ले जा रहे हैं। - गुरुदेव श्री श्री रवव शंकर

    अंधकज्र पर प्रकज्श की ववजय कज् उतसव है

    दीपज्वली

    अनुकूल प्रशासन- आर्ट ऑफ लललिंग का मॉडलn आर्ट ऑफ त्लत्िंग और भारत

    सरकार 19 राज्ों में 426 आदर्श ग्ाम पंचा्त बनाने को साथ आए

    सेवा टाइमस l हैदराबाद (तेलंगाना)

    देिभर में सफलतापूवलिक लवकलसत ग्ाम पंिा्तों का कल्टर बनाने की महतवाकांक्षी पहल के तहत आट्ट ऑफ लललवंग का व्लकत लवकास केंरि इंलड्ा (वीवीकेआई) राषट्ी् ग्ामीण लवकास और पंिा्ती राज सं्थान (एनआईआरडीपीआर) के साथ साझेदारी कर रहा है। 2 अकटूबर को गांधी ज्ंती के अवसर पर गवालल्र में ्ह प्रोजेकट िुरू होने के अवसर पर एनआईआरडीपीआर और वीवीकेआई के बीि इस समझौता ज्ापन पर ह्ताक्षर लकए गए। ग्ाम पंिा्त लवकास ्ोजना (जीपीडीपी) का एकिन ररसिलि प्रोजेकट लागू करने में वीवीकेआई एनआईआरडीपीआर का सह्ोग करेगा।

    इस परर्ोजना (सतत लवकास के ललए 100+ पंिा्त कल्टर लवकास का्लिक्रम) के तहत 19 राज्ों के 115 आकांक्षी-सह-लमिन अंत्ोद् लजलों के 100 कल्टर की 426 ग्ाम पंिा्त लिलनित की गई हैं। वीवीकेआई पररवतलिनी् नेतृतव और क्षमता

    लनमालिण मॉड्ूल की भागीदारी, तै्ारी और लवतरण, गुणातमक तरीके से सीखने के ललए िैक्षलणक पहल लागू करना, अनुसंधान और प्रलिक्षण पहल संिाललत करना, नवािार और सामालजक उद्यलमता को प्रोतसाहन

    देने में अपनी लविेिज्ता का सह्ोग देगा। वीवीकेआई के कॉमडो एि.जी. हिालि ने 100 से अलधक कल्टर के लवकास को सावलिजलनक, लनजी और नागररक समाज के सह्ाेग की एक अचछी पहल करार लद्ा।

    आर्ट ऑफ लिलिंग की तरफ से कॉमडो एचजी हर्षा ने समझौत् ज््पन पर दसतखत लकए। ग्ंधी जयंती के अिसर पर गि्लियर में यह पररयोजन् िॉनच की गई थी।

    ज्ान िे मोिी

    2 पहिसेवा का रूप; कम्प्यूटर चलाने वाले हाथों ने थामे करछुलपेज 3 प्रय्सअहहंसा के गांधीवादी हसदांत से हहंसा का जवाब देने पर मंथनपेज 4 प्रेरण्हिक्षक के अथक प्र्ासों से बसतर में आ्ा बदलावपेजसंसकरण: नवंबर 2018 द आट्ट ऑफ लिलवंग, अन्तरराष्ट्रीय केंद्र, बेंगिुरू

    सवेा टाइमसTHE ART OF LIVING

    T RP AI IH NS IR NE GD PAE RL O GH RT AU MOY

  • भररीरोला (छत्तीसगढ़) l मलहंरिा फाइनेंस के साथ लमलकर आट्ट ऑफ लललवंग ने भररीटोला ग्ाम पंिा्त के तुमदीक्षा गांव में 4 अकटूबर को पौधारोपण अलभ्ान का आ्ोजन लक्ा। इस अलभ्ान के दौरान वालंलट्सलि ने करीब 500 फलदार पौधे लगाए। इनमें जामुन, आम और करौंदा जैसे पौधे िालमल थे। गांव के हर आ्ु

    वगलि के लोगों ने इस का्लिक्रम में उतसाह के साथ भागीदारी की। इन सभी ने लमलकर हमारे वनों को बिाने का संक्प लल्ा। साथ ही ्ह भी फैसला लक्ा लक वह सभी लमलकर साल में एक बार पौधे लगाएंगे, तालक उनका गांव और ज्ादा हराभरा और ्वचछ रहे। पौधारोपण अलभ्ान का नेतृतव आट्ट ऑफ लललवंग की फैक्टी धनी राम साहू ने लक्ा।

    पद्ा कोटरी l बेंगलुरू

    िंडी होम के लदन आश्रम की रसोई का अन्नपूणालि डाइलनंग हॉल बहुत ही सुंदर तरीके से सजा्ा ग्ा था। इस लदन डेढ़ लाख से ज्ादा लोगों ने ्हां पर भोजन लक्ा। लेलकन बहुत ही कम लोगों को पता होगा लक इस बेहद लजीज खाने के साथ एक आईटी-टेक्ोलाॅजी का कोण भी जुड़ा हुआ है। हैरान हो रहे हैं? दरअसल, नवरात्र के नौ लदनों में भोजन पकाने और परोसने की सेवा में 10 आईटी प्रोफेिन्स की एक टीम काफी उतसाह से लगी रही थी।

    इन उतसालह्ों में से एक व्लकत से हमने बातिीत की। जानना िाहा लक आलखर उनकी प्रेरणा क्ा है? कैसे कमप्ूटर पर कोलडंग करते-करते वह कुलकंग में लग गए? आशि्लिजनक बात ्ह भी है लक इस टीम में िालमल सभी लोग आट्ट ऑफ लललवंग के टीिर और वालंलट्र हैं, जो लन्लमत रूप से कोसलि संिाललत करते रहते हैं।

    इनका सफर करीब 11 साल पहले िुरू हुआ था। उस सम् उनहें नवरालत्र, लिवरालत्र और गुरुदेव के

    जनमलदन पर सेवा करने के ललए आश्रम में आमंलत्रत लक्ा ग्ा था। लेलकन कुछ विषों के बाद वह रसोई की सेवा के प्रलत काफी आकलितलि हुए। िूंलक वह लोग सेवा और सीखने की प्रलक्र्ा को आपस में जोड़ना िाहते थे, तो उनहोंने पाक कला सीखनी िुरू की। उनहोंने रसोई में सामान् और लविेि पकवान बनाने सीखे। बूंदी, वडा, लमक्िर, मूंग दाल का हलवा, कोफता, सांभर, रसम जैसे न जाने लकतने पकवान उनहोंने सीखे।

    उनमें िालमल एक ने कहा, "रसोई के अद्भुत माहौल से मुझे ऊजालि प्रापत होती है। खाना पकाने वाले एक-एक करछुल का ही वजन करीब 10 लकलोग्ाम तक होता है। इतने भारी करछुल को लंबे सम् तक उठाए रहना और िू्हे पर उबल रहे कई हजार लकलो खाने को उससे िलाते रहना कुछ और नहीं, बल्क जादू है। इतनी भारी मात्रा में खाना बनाने जैसा काम हमारे ललए िुटलक्ों में हाेता लदखता है। काम करने के दौरान मुझे हर पल अपने आसपास गुरुदेव की मौजूदगी का अहसास होता रहता है।' इस टीम में िालमल सभी लोग खुद काे सौंपे गए इस गजब के सेवा का्लि के ललए अाभार जताते हैं। साथ ही वह कहते हैं लक गुरुदेव की कृपा से ही ्ह सब

    संभव हो पा्ा है।्हां एक बात और है, जो आपको िौंका देगी। सेवा

    का्षों के ललए ्ह सभी लोग अपने काम से 7-10 लदन की छुट् टी लेते हैं और अपने घरों से आश्रम में पहुंिते हैं। आश्रम में आने वाले हजारों श्रधिालुओं की सेवा करना उनके ललए अलत प्रेरणादा्ी का्लि है। इस टीम में िालमल लाेगों में से एकाध को छोड़कर ज्ादातर घर पर खाना नहीं बनाते। लेलकन आश्रम में वह लोग ्वालदषट परंपरागत व्ंजनों के साथ-साथ पूरा का पूरा खाना बनाते हैं।

    नवरात्र में खाना पकाने की इस श्रमसाध् सेवा के बाद क्ा वह लाेग आराम करते हैं? नहीं, वह इससे एक कदम और आगे जाते हैं। लजतने आनंद के साथ वह लोग खाना बनाते हैं, उतनी ही प्रसन्नता इनहें लोगों के सामने खाना परोसकर भी महसूस होती है। इस दौरान इनके िेहरों पर हमेिा मु्कुराहट और संतोि का भाव रहता है। ्हां पर वह 74 से ज्ादा देिों से आने वाले हजारों लोगों को अपने हाथों से बने व्ंजनों का ्वाद िखाते हैं। इस प्रकार हमने जाना लक लकस तरह कमप्ूटर से लेकर खाना पकाने तक उनकी ्ात्रा पहुंिी।

    सेिा का एक रूप यह भती; कम्पययूरर चलाने िाले हाथों ने थामे करछुल

    n ्ुिाचा्यों की ओर से हुआ कला और खेल प्रत्त्ोत्गताओं का आ्ोजन

    n नजदीक के 10 गांिों के 250 से ज्ादा लोग आ्ोजनों में हुए रात्मल

    सेवा टाइमस l धमतरती (छत्तीसगढ़)

    नवरालत्र के अवसर पर आट्ट ऑफ लललवंग के टीिसलि और ्ुवािा्षों ने छत्ीसगढ़ में मागरलोड बलॉक के करेली बडी गांव में खेल और कला प्रलत्ोलगताओं का आ्ोजन लक्ा। ्ह का्लिक्रम 15 से 21 अकटूबर तक िला। इस आ्ोजन का उद्ेश् ग्ामीण खेलों और कला ् वरूपों को लवलुपत होने से बिाना था। एक हफते िले खेल आ्ोजन में आसपास के 10 गांवों से 250 से अलधक ग्ामीण ्ुवाओं ने भागीदारी की। उनहोंने खो-खो, कबड् डी, जलेबी दौड़, मैराथन (5 लकलोमीटर), ऊंिी कूद, लंबी कूद, गोला फेंक और तैराकी जैसे खेलों में अपनी प्रलतभा लदखाई। गाने और

    ढोलक बजाने की प्रलत्ोलगताएं भी आ्ोलजत की गईं। दुगालि अषटमी के मौके पर आ्ोलजत रंगोली प्रलत्ोलगता इन सभी प्रलत्ोलगताओं में सबसे ज्ादा आकिलिण का केंरि रही। इसमें गांवों की मलहलाओं, लड़लक्ों और कुछ ्ुवा लड़कों ने बड़े ही उतसाह के साथ लह्सा लल्ा। बेहद सुंदर, िमकदार और रंगीन रंगोलल्ों से दुगालि पंडाल

    सजाए गए। इन आ्ोजनाें के ललए ग्ामीणों ने वालंलट्सलि की खूब प्रिंसा की। उनहोंने इचछा जताई लक ऐसी प्रलत्ोलगताएं आने वाले सम् में भी गांव में आ्ोलजत की जाएं। इनसे ग्ामीणों के बीि खुिलमजाजी और भाईिारे की भावना बढ़ती है। साथ ही ्ुवाओं को अपनी प्रलतभाएं प्रदलिलित करने का मौका भी लमलता है।

    निरालरि के उतसि पर छत्तीसगढ़ में खेल और कला प्रलतयोलगताओं का आयोजन

    n जननी धाम, भारती मै्ा आनंद आश्रम और त्दव्ांग कल्ाण ट्रसर के त्निात्स्ों के त्लए मत्हला कलब ने निरात्रि को ्ादगार बना्ा

    सेवा टाइमस l सयूरत

    हममें से ज्ादातर लोगों के ललए त्ोहार का मतलब क्ा होता है? अपने पररवार और दो्तों के साथ लमलकर उतसव मनाना और ज्ादा से ज्ादा सम् आनंदपूणलि तरीके से व्तीत करना। लेलकन कभी सोिा है लक हमारे आसपास लकतने ही लोग ऐसे भी होंगे, जो पररवार के साथ नहीं हैं। उनका त्ोहार कैसे बीतता होगा? उदास, आतम प्रलतलबंलबत, एकाकी और लिंतापूणलि माहौल में। त्ोहार पर इनहें खुिी के दो पल देना हमारी सामालजक लजममेदारी है। समाज में तनहा रह रहे इस वगलि को नवरालत्र पर खुिी देने के ललए आट्ट ऑफ लललवंग मलहला कलब सूरत ने कुछ मनोरंजक का्लिक्रमों का आ्ोजन लक्ा।

    कलब की सद्् 4 अकटूबर को जननी धाम में पहुंिीं। एिआईवी पॉजीलटव होने की वजह से ठुकरा दी गईं लड़लक्ां ्हां रहती हैं। ्हां रहने वाली 60 लड़लक्ों ने कलब की सद््ों द्ारा परोसे गए लजीज खाने का लुतफ उठा्ा और उनके साथ डांस करके म्ती की। ्हां रहने वाले सभी लाेगों को बाद में ट्रैवल बैग लगफट लकए गए।

    6 अकटूबर को कलब की सद्् भारती मै्ा आनंद आश्रम में पहुंिीं। ्हां पर रहने वाली 100 से ज्ादा मलहलाओं के साथ सतसंग लक्ा। उनहें अचछा खाना भी लखला्ा। इसके बाद सभी ने साथ लमलकर डांस लक्ा।

    इसी तरह, 8 अकटूबर को कलब की सद््ों ने भारती् लदव्ांग क््ाण ट््ट की ओर से लदव्ांग बच्ों के ललए संिाललत ्कूल में 250 से ज्ादा लदव्ांग बच्ों के साथ नवरालत्र का उतसव मना्ा। कलब की प्रलतभािाली सद््ों ने

    बच्ों को डांस के ्टेपस भी लसखाए। सभी ने लमलकर डांस करते हुए काफी म्ती की। कलब सद््ों द्ारा परोसे गए लजीज भोजन का भी इन बच्ों ने बाद में लुतफ उठा्ा। इन बच्ों को भी उपहार के तौर पर ट्रैवल बैग लदए गए।

    अकेले छोड़े बच्ों, बुजुगगों और लदवयांगों के साथ मनाया निरालरि उतसि

    लभलाई: बुजुगगों और तनहा लोगों के ललए खुशती के पल संतोषती लनमबाडकर (छत्तीसगढ़) l लभलाई में बुजुगषों और जीवन में अकेले हो िुके लोगों के ललए आट्ट ऑफ लललवंग ने एक आनंद और सह्ोग भरे लदन का आ्ोजन लक्ा। भारत पररिद के सह्ोग से ्ह आ्ोजन 1 अकटूबर को अंतरराषट्ी् वृधि लदवस पर लक्ा ग्ा। इस अवसर पर बुजुगषों की मुफत में लिलकतसा जांि भी की गई। उनहें आ्ु और वजन के अनुसार पोिण, व्ा्ाम और जीवनिैली में पररवतलिन के ललए मू््वान लटपस भी लदए गए। वालंलट्सलि ने उनहें ्ोग, प्राणा्ाम और ध्ान की ऐसी तकनीकें लसखाईं, जो उनहें ् व्थ रहने और बीमारर्ों से बिे रहने में मदद कर सकती हैं। बुजुगषों ने कई खेलों, प्रश्ोत्री, संगीत, भजन और िुटकुला प्रलत्ोलगताओं में लह्सा भी लल्ा। इस आ्ोजन के ललए प्रेरणा कहां से लमली? ्ह पूछने पर आट्ट ऑफ लललवंग की फैक्टी अज् िुकला कहते हैं लक प्रलतभागी तनहा बुजुगलि लोग थे। ्ा तो इनके बच्े लवदेिों में रह रहे हैं ्ा लफर लकसी दूसरे िहर में नौकरी कर रहे हैं। इन लोगों के पास पैसा, बंगला और गालड़्ां तो हैं, लेलकन कोई अपना नहीं है, लजसके साथ ्ह अपना सुख-दुख बांट सकें। इस आ्ोजन ने इनहें इनकी तनहाइ्ों से बाहर लनकाला। आनंद भरे लदन के दौरान इन लोगों ने नए लमत्र भी बनाए। लवलभन्न खेलों और प्रलत्ोलगताओं में लह्सा लल्ा। साथ ही िारीररक और मानलसक ्वा््थ् बनाए रखने के ललए तकनीकें भी सीखीं।

    भररीरोला में पौधारोपण अलभयान

    2 सेवा टाइमस द आट्ट ऑफ लिलवंग, अन्तरराष्ट्रीय केंद्र, बेंगिुरूनवंबर 2018

  • सेवा टाइमस l िाराणसती

    उत्र प्रदेि में 23 लसतंबर को आट्ट ऑफ लललवंग की महतवाकांक्षी परर्ोजना ‘प्रोजेकट भारत’ के संदभलि में राज् ्तरी् सममेलन आ्ोलजत लक्ा ग्ा। इसमें पूवरी उत्र प्रदेि के 21 लजलों के 225 बलॉक प्रलतलनलध, 35 लजला प्रलतलनलध और 15 अलतलथ उपल्थलत हुए। इस अलभ्ान के तहत भारत के सभी गांवों में सेवा ग्ाम प्रलतलनलध्ों का ि्न लक्ा जा रहा है। इन सेवा ग्ाम प्रलतलनलध्ों को सेवा ्ोधिा का नाम लद्ा ग्ा है।

    इस सममेलन के मुख् अलतलथ गोरखपुर के जीएसटी कलमश्र श्ामधर लत्रपाठी थे। वहीं, का्लिक्रम की अध्क्षता आट्ट ऑफ लललवंग के समन्वक एवं पूवलि ट््टी राकेि टंडन ने की। उपल्थत अलतलथ अन्ना आंदोलन के सद्् राम धीरज भाई और सत्देव आजाद, आससेलनक जल के ररसिलि ्कॉलर डॉ. सौरभ, समाजसेवी अज् क्रांलतकारी, सुखदेव, श्ामधर आलद ने अपने वकतव् में गांवों के उतथान की लदिा में

    अपने-अपने अनुभव साझा कर लोगों को प्रेररत लक्ा। वाईएलटीपी की राज् पररिद के सद्् आलदत्नाथ िौबे ने बता्ा लक लवलभन्न जनपदों के प्रलतलनलध्ों के माध्म से उत्रप्रदेि के एक लाख गांवों तक पहुंिने का लक्् रखा ग्ा है। इस अवसर पर वाईएलटीपी की राज् पररिद के सद्् उद्िंकर लसंह मुन्ना, ज्ान प्रकाि लगरी, कृषण कुमार लमश्र और केडी लसंह आलद ने गुरुदेव के लक्् को पूरा करने का संक्प लल्ा।

    ्वचछताधारी के रूप में आट्ट ऑफ लललवंग के ्ुवािा्लि अभी तक लगभग 36 जनपदों में संपूणलि ्वचछता अलभ्ान में सहभालगता कर रहे हैं। बलल्ा, वाराणसी, भदोही और लमजालिपुर में गंगा ्वचछता अलभ्ान संिाललत लक्ा जा रहा है। ग्ामीण ् तर पर ् ुवािा्षों की ओर से लनिु्क लिक्षा के ललए 250 सं्कार केंरि संिाललत लकए जा रहे हैं। इसके अलावा आट्ट ऑफ लललवंग के ्व्ंसेवकों द्ारा निामुलकत, तनावमुलकत, आनंद और समृधि जीवन जीने की कला लसखाई जा रही है।

    िाराणसती में युिाओं कती राजय सतरतीय बैठक सभती गांिों में लनयुकत लकए जाएंगे सेिा योद्ा

    सेवा टाइमस l लफरोजपुर (पंजाब)

    पंजाब के लफरोजपुर लजले के घल खुदलि गांव में 30 लसतंबर 2018 को अपनी तरह का पहला खेल सममेलन आ्ोलजत लक्ा ग्ा। इसका उद्ेश् ्ुवाओं को निीली दवाओं के सेवन से दूर रहने और ्व्थ जीवनिैली के ललए प्रेररत करना था। ्ह आ्ोजन आट्ट ऑफ लललवंग के प्रलिक्षक मनप्रीत और लकरण लांबा के नेतृतव में हुआ। वाईएलटीपी की राज् पररिद के सद्् लदनेि कंिन और ्ोगेि खुराना इसमें मुख् अलतलथ थे। इस सममेलन में करवाई गई लवलभन्न खेल प्रलत्ोलगताओं में 26 टीमों के 250 लखलालड़्ों ने भागीदारी की।

    सेवा टाइमस से बातिीत में मनप्रीत ने कहा लक खेल पंजाब के ्ुवाओं के जीवन का अलभन्न अंग रहे हैं। ्ह खेल मेला भी वही भावना जीलवत रखने के ललए आ्ोलजत लक्ा ग्ा है। ्ह लखलालड़्ों को एक मंि मुहै्ा करवाएगा। साथ ही दूसरों को प्रेररत करेगा। लदन भर िलने वाले इस सममेलन में दो वगषों में लवभालजत कबड्ी की 8, खो-खो की 2 और वॉलीबॉल की 16 टीमों ने भाग लल्ा। वगलि की प्रत्ेक लवजेता टीम को ्थानी् आट्ट ऑफ लललवंग प्राध्ापकों की ओर

    से नगद रालि पुर्कार के तौर पर प्रदान की गई। सभी 250 लखलालड़्ों को पदक और ्मृलत लिनि प्रदान लकए गए। इनहें जीरा के िाम सुंदर अरोड़ा ने प्रा्ोलजत लक्ा था।

    ्थानी् कलाकारों ने प्रत्ेक खेल के बाद ऊजालि ्ुकत नृत् प्रदिलिन कर ्हां उपल्थत सभी लोगों को रोमांलित लक्ा। इस संपूणलि आ्ोजन के दौरान सामूलहक रसोई का भी प्रबंध लक्ा ग्ा था। इसकी व्व्था जीरा के लवकास लमत्ल और मलकीत लसंह की ओर से की गई थी। िाम को कुछ ननहे ्ोलग्ों ने ्ोग का प्रदिलिन भी लक्ा। लखलालड़्ों को अपने दैलनक जीवन में ्ोग को अलभन्न अंग बनाने के ललए प्रेररत लक्ा ग्ा।

    का्लिक्रम खूब सफल रहा और लखलाड़ी अनोखे अनुभव के साथ घर लौटे। मनप्रीत ने कहा लक का्लिक्रम के बाद ्कूलों से उनके लवद्यालथलि्ों को ्ोग और ध्ान लसखाने के ललए लगातार फोन आ रहे हैं। लफरोजपुर, फरीदकोट और जीरा की पूरी आट्ट ऑफ लललवंग टीम ने लिक्षक जोड़े को ्ह का्लिक्रम आ्ोलजत करने में पूणलि सह्ोग व समथलिन प्रदान लक्ा। इस का्लिक्रम को आ्ोलजत करने में ्व्ंसेवकों मंगत, राजीव सेलत्ा, सुधीर, रीदम और अनमोल ने उतसाहपूणलि तरीके से ्ोगदान लक्ा।

    पंजाब के लफराेजपुर में खेल सममेलन हुआ, नाम था- खुलशयां दा खेड मेला

    खेि मेिे क् आयोजन लिक्षक जोड़े मनप्रीत ि्ंब् और लकरण ि्ंब् ने लकय् थ्। इस आयोजन में लफर्ेजपुर, फरीदकोर और जीर् से आर्ट ऑफ लिलिंग की रीमों ने मदद की।

    पद्ा कोटरी l बेंगलुरू

    दुलन्ा में हर साल 5500 खरब पौणड नए पलाल्टक का लनमालिण होता है। और इसमें से 33% पलाल्टक लसफ्क एक बार प्र्ोग करने वाला ही होता है। ्ानी प्र्ोग करो और फेंको। एक बार प्र्ोग के बाद जब आप पलाल्टक फेंकते हैं तो जानते हैं, वह कहां जाता है? आपका फेंका हुआ पलाल्टक का किरा कहीं पर भूलमगत जल तो कहीं जलाि्ों और कहीं सागर को प्रदूलित करता है। समुरिों और जलाि्ों में फेंका ग्ा पलाल्टक आज समुरिी जीवों के ललए खतरा बन िुका है। नाले, जलाि् और नलद्ां पलाल्टक के किरे से भर जाती हैं। इसके पररणाम्वरूप आने वाली भीिण बाढ़ जीवन एवं संपलत् काे बड़े ्तर पर नुकसान पहुंिाती है।

    पलाल्टक से आलखर इतनी सम््ाएं क्ों होती हैं? इसकी वजह ्ह है लक पलाल्टक बा्ो लडग्ेडेबल नहीं होता। ्ानी बाकी िीजों की तरह प्ालिवरण में पड़े-पड़े ्ह प्राकृलतक तौर पर कभी भी नषट नहीं होता। किरा फेंकने की जगहें, जहां पर लन्तारण के ललए किरे को दबा्ा जाता है, वह भी जगह कम पड़ने की वजह से बंद करनी पड़ रही हैं।

    पलाल्टक की वजह से होने वाली इतनी सम््ाओं को ध्ान में रखते हुए ही आट्ट ऑफ लललवंग के बेंगलुरू ल्थत अंतरराषट्ी् केंरि में पलाल्टक ररसाइलकललंग पलांट िुरू लक्ा ग्ा है। इसका उद्ेश् है लक जो पलाल्टक ररसाइलकल नहीं हो सकता है, उसे ईंधन में पररवलतलित करके प्ालिवरण को नुकसान से बिा्ा जा सके। ्ह पलांट 13 मई 2015 को िुरू हुआ था। गुरुदेव श्री श्री रलव िंकर जी लपछले कई दिकों से प्ालिवरण संबंधी मुद्ों को महतव दे रहे हैं। उनके इस उद्ेश् को देखते हुए ्ह पलांट अत्नत उप्ोगी लसधि हुआ है।

    पलाल्टक किरा आश्रम, पंिकमालि, आ्ुवसेद अ्पताल और आसपास के गांवों से एकलत्रत लक्ा जाता है। पलांट का मुख् लह्सा एक बॉ्लर है। इसमें एक बैि में 200 लकलो

    पलाल्टक डालने की क्षमता है। ररसाइलकललंग की प्रलक्र्ा में मेलडकल किरा नहीं डाला जाता।

    पलांट के प्रभारी संज् पालटल इसकी प्रलक्र्ा को समझाते हुए बताते हैं लक पहले एकलत्रत लकए गए पलाल्टक को दो लह्सों में बांटा जाता है। एक ररसाइलकल होने ला्क होता है और दूसरा ररसाइलकल नहीं हो सकता है। ररसाइलकल नहीं हो सकने वाले पलाल्टक को कतर कर बलोअर के जरर्े साफ लक्ा जाता है। लफर 200-200 लकलो के बैि में इनहें ऑकसीजन रलहत िैमबर में 400 लडग्ी सेल्स्स पर गमलि लक्ा जाता है। पलाल्टक को ईंधन में पररवलतलित करने की प्रलक्र्ा को पा्रोलललसस कहते हैं। पा्रोलललसस की प्रलक्र्ा ् ा दहन िुरू करने के ललए थोड़ी सीएनजी डाली जाती है। जैसे ही पलाल्टक लपघलता है, ईंधन पैदा हो जाता है। सह उतपाद के तौर पर गैस

    अलग कर ली जाती है। ईंधन को साफ करके छान लल्ा जाता है। गैस का प्र्ोग पा्रोलललसस मिीन िलाने में लक्ा जाता है। िूंलक, ् हां पर पलाल्टक जलाने के बजा् लपघला्ा जा रहा है, इसललए इससे कोई जहरीले ततव नहीं फैलते।

    200 लकलो किरे से 100 लीटर ईंधन, 50 लीटर लललकवड गैस और करीब 50 लकलोग्ाम काबलिन पैदा होता है। ईंधन का प्र्ोग डीजल जेनरेटर िलाने, मिीनों के पुजषों की सफाई इत्ालद में लक्ा जाता है। पलांट से उतपन्न काबलिन का इ्तेमाल लमट् टी को प्रभालवत लकए लबना सड़क लनमालिण में लक्ा जाता है। इस तरह सह उतपादों का भी इ्तेमाल हो जाता है। पूरी प्रलक्र्ा में कोई खतरा नहीं है। ररसाइलकललंग के ्ोग् पलाल्टक को वेंडर एकलत्रत करते हैं। वह अलग-अलग का्षों में इनका इ्तेमाल करते हैं।

    ्पलाससरक कचरे से ईंधन का लनमामाणजहरीले पदाथ्श छोड़े त्बना त्बना पलाससरक से उप्ोगी सहउतपाद बनाता है पा्रोत्लत्सस

    3 सेवा टाइमस द आट्ट ऑफ लिलवंग, अन्तरराष्ट्रीय केंद्र, बेंगिुरूनवंबर 2018

    सेवा टाइमस l बेंगलुरू

    आट्ट ऑफ लललवंग की ही एक आनुिांलगक सं्था इंटरनेिनल एसोलसएिन फॉर ह्ूमैन वै््ूज ने "फ्ॉम इंलड्ा लवद लव' प्रोजेकट के साथ लमलकर "लहंसा के लखलाफ लवशव सममेलन' के नाम से दो लदन का आ्ोजन लक्ा। महातमा गांधी की 149वीं ज्ंती पर 1 और 2 अकटूबर को आट्ट ऑफ लललवंग के इंटरनेिनल केंरि में ्ह आ्ोजन हुआ। ्ूएस नेिनल पुललस फाउंडेिन के प्रलतलनलधमंडल के अलावा एकेडलमकस से जुड़े लोग, वैलशवक लिंतक और नीलत लनमालिताओं ने एक साथ बैठकर मंथन लक्ा लक गांधी के अलहंसा के लसधिांत का पालन करके आधुलनक सम् के संघिषों का कैसे समाधान लनकाला जा सकता है।

    उद्ाटन समारोह के मुख् अलतलथ केंरिी् गृह राज् मंत्री हंसराज अहीर थे। का्लिक्रम में उपल्थत लोगों को संबोलधत करते हुए मंत्री अहीर ने बेंगलुरू में आश्रम ्थालपत करने के ललए गुरुदेव की तारीफ की। साथ ही उनहोंने कहा लक िांलत को आम लोगों और समाज की लविारधारा का लह्सा बनाने के ललए आध्ालतमकता ही एकमात्र रा्ता है। उनहोंने दृढ़ लवशवास जताते हुए कहा लक दुलन्ाभर में फैली लहंसा और आतंकवाद को खतम करने के ललए बुधि, महावीर और महातमा गांधी की धरती भारत से ही कोई समाधान लद्ा जा सकता है।

    इस सममेलन के लवलभन्न सत्रों में लवलभन्न लवि्ों पर बात की गई। जैसे "िांलत को लाभदा्क बनाना', "भारत की सं्कृलत में िांलत और अलहंसा के आधार' और "िांलत के सकारातमक ढांिे का

    लनमालिण' करना इत्ालद लवि्ों पर ििालि हुई। इन सबके साथ ही गुरुदेव श्री श्री रलविंकर के साथ अलहंसा पर एक मा्टर कलास भी हुई। गुरुदेव ने आधुलनक समाज में लहंसा के मलहमामंडन पर गंभीर लिंता जताई। उनहोंने कहा लक हमें अलहंसा पर गवलि के भाव काे पुन: ्थालपत करना है। उनहोंने कहा लक लन्लमत रूप से ् ोग करने, दूसरों के साथ संबंधों का

    भाव लवकलसत करने और न्ल, देि एवं राषट्ी्ता के आधार पर पूवालिग्हों से ऊपर उठकर ही हम लहंसा के लखलाफ जवाब दे सकते हैं। अपनी बात को लवराम देते हुए गुरुदेव ने कहा, "लहंसा मुकत समाज, रोग मुकत समाज, भ्रम मुकत मन, अवरोध ्ा पूवालिग्ह मुकत बुलधि, आघात मुकत ्मृलत और दुख से मुकत आतमा हर व्लकत का जनमलसधि अलधकार है।'

    अलहंसा के गांधतीिादती लसद्ांत अपना कर लहंसा का जिाब देने पर मंथन

    हिंसा और चरमपंथ के हिलाफ हिशि समममेलन

    गुरुदेव ने कहा- अहहंसा मुक्त समाज के हनमामाण के हिए योग, अहहंसा पर गवमा, पूवामाग्रहों से मुकक्त और एक दूसरे-से जुड़ाव का भाव पुन: उतपन्न करना जरूरी है

    गुरुदेव िो फ्रेंड ऑ् कमकलट्ी पुकलस सममानबेंगलुरू ससथत आर्ट

    ऑफ त्लत्िंग के इंररनेरनल केंद्र में आ्ोत्जत सममेलन में काफी संख्ा में

    त्िदेरी प्रत्तत्नत्ध आए थे। इस दौरान ब्ाजील

    सरकार ने गुरुदेि को "फ्ेंड ऑफ

    त्मत्लट्री पुत्लस ऑफ ब्ाजील' सममान भी प्रदान त्क्ा। आर्ट

    ऑफ त्लत्िंग के िक्करॉप से ब्ाजील त्मत्लट्री पुत्लस के 1000+ अत्धकारी लाभास्ित हुए हैं।

  • सेवा टाइमस l बसतर (छत्तीसगढ़)

    छत्ीसगढ़ का एक छोटा सा लजला है ब्तर। ्हां की करीब 70% आबादी आलदवासी है। प्ालिपत सुलवधाओं से वंलित ्ह अलदवासी घने जंगलों में रहते हैं। अपनी सं्कृलत की रक्षा के ललए ्ह बाहरी लोगों से मेलजोल भी नहीं रखते। साथ ही ्ह क्षेत्र नकसलवाद से बहुत ज्ादा प्रभालवत है। नकसलवाद की गलतलवलध आलदवालस्ों के मुद्ों के साथ बहुत गहरे तक जुड़ी है। आलदवालस्ों में एक आक्रामक, क्रांलतकारी और सरकार लवरोधी दृलषटकोण लवकलसत हो िुका है, जो लक प्रदिलिनों और सि्त्र हमलों के रूप में अकसर लदखाई देता है। सरकार की ओर से ह्तक्षेप का कोई भी प्र्ास ित्रुता भाव से देखा जाता है। उनके क््ाण के ललए िुरू की गई ्ोजनाएं नकार दी जाती हैं। अज् लसंह ने इसी क्षेत्र में सरकारी ्कूल में अध्ापक के तौर पर अपना कॅरर्र िुरू लक्ा था। उनके लदल में हमेिा समाज सेवा की तरफ झुकाव रहा है। उनके लदल में एक इचछा थी लक इस क्षेत्र के हालात बदलने िालहए। लेलकन कैसे, इसके बारे में उनहें कुछ सूझ नहीं रहा था। ्ह उनके समक्ष बड़ी िुनौती थी।

    अज् लसंह ने 2002 में आट्ट ऑफ लललवंग का ्ूथ लीडरलिप ट्ेलनंग प्रोग्ाम (वाईएलटीपी) लक्ा। गुरुदेव के तनाव एवं लहंसामुकत लवशव, वसुधैव् कुटुमबकम एवं दूसरों की सेवा में लगे रहने की लविारों ने उनहें गहराई से प्रभालवत लक्ा। इससे दूसरों के प्रलत अपना जीवन समलपलित करने की उनकी इचछा और

    बलवती हुई। अपना पहला एडवांस मेडीटेिन प्रोग्ाम करने के ललए अज् 2003 में बेंगलुरू आश्रम पहुंिे। कुछ सम् बाद ही गुरुदेव ने पहली बार ब्तर की ्ात्रा की। उसी दौरान श्री श्री ज्ान मंलदर की नींव रखी गई। ्हां पर अब 200 से ज्ादा लवद्याथरी हैं। आट्ट ऑफ लललवंग के प्रोग्ाम ने अज् लसंह को इतना आतम लवशवास प्रदान कर लद्ा लक वह ब्तर में भी बदलाव की ब्ार ला सकते हैं। इस क्षेत्र में फैला नकसलवाद, गरीबी, ् वा््थ् और लिक्षा सुलवधाओं के अलावा अन् मूलभूत सुलवधाओं की कमी न केवल एक बड़ी िुनौती है, बल्क ्ह इस क्षेत्र में एक व्ापक पररवतलिन लाने का अवसर भी प्रदान करते हैं। गुरुदेव से गहराई तक प्रभालवत और समाज की सेवा भावना से प्रेररत अज् लसंह ने िुनौती ्वीकार की। उनहोंने साल 2007 में नौकरी छोड़ दी और आट्ट आॅफ लललवंग के पूणलिकाललक लिक्षक बन गए।

    अज् नकसल प्रभालवत दंतेवाड़ा, सुकमा, कांकेर, बीजापुर, नारा्णपुर, काेंडागांव और जगदलपुर में वाईएलटीपी का संिालन करते हैं। अभी तक वह पांि हजार से अलधक ग्ामीण ्ुवाओं काे प्रलिलक्षत कर िुके हैं। पांि हजार से अलधक पुललसकलमलि्ों और तीन हजार लिक्षकों को भी वह सुदिलिन लक्र्ा लसखा िुके हैं। उनहोंने आईएएस अौर आईपीएस अलधकारर्ों के अलावा छत्ीसगढ़ के कुछ मंलत्र्ों के ललए भी प्रोग्ाम संिाललत लकए हैं। अधिलिसैलनक बलों, बीएसएफ, सीआरपीएफ, आईटीबीपी और अन् के ललए भी उनहोंने का्लिक्रम संिाललत

    लकए हैं। अज् बताते हैं लक आट्ट ऑफ लललवंग के का्लिक्रमों से

    ब्तर इलाके में लाेगों के जीवन में बड़े ्तर पर पररवतलिन आ्ा है। अब लोगों के अंदर ज्ादा जागरूकता और एकता है। कई ्ुवकों ने निे की लत और लहंसक गलतलवलध्ां छोड़ दी हैं। पुललसकलमलि्ों पर भी इन का्लिक्रमों का सकारातमक असर लदखा है। उनका अनुिासन और आतमलवशवास दोनों ही बढ़े हुए लदखते हैं। काम के माहौल की वजह से पहले उनके तनाव का ्तर काफी बढ़ा हुआ रहता था लेलकन अब वह काफी कम हो ग्ा है।

    अज् के मागलिदिलिन में 700 से ज्ादा कैलद्ों ने लप्रजन ्माट्ट कोसलि लक्ा। इससे उनका जीवन लहंसा अौर तनाव से मुकत हो ग्ा। वह बताते हैं लक कैलद्ों के जीवन में एक सकारातमक प्रभाव लदखता है। अब वह समाज की मुख्धारा में िालमल होकर सामान् जीवन जीना िाहते हैं। साल 2016 में अज् को डा्नेलमजम फॉर से्फ एंड नेिन (डीएसएन) लिक्षक बनने का सौभाग् प्रापत हुआ। वतलिमान में वह छत्ीसगढ़ सरकार की सहा्ता से 60 गांवों में हैपपीनेस प्रोग्ाम का अलभ्ान िला रहे हैं। इसके अलावा इस क्षेत्र में लकसानों को प्राकृलतक खेती का प्रलिक्षण भी लद्ा जा रहा है। अभी तक 400 से अलधक लकसान प्रलिक्षण प्रापत कर िुके हैं। अज् बताते हैं लक ्ह क्षेत्र ्वा््थ् और लिक्षा जैसी मूल सुलवधाओं से वंलित है। सरकारी ्ोजनाओं के लवरोध के कारण लवकास रुका रहता है। ्ुवाओं में बढ़ती लहंसा एवं व्सन का ्ही प्रमुख कारण है।

    वशक्षक के अथक प्रयज्सचों से बसतर में आयज् बदलज्व

    n 5 हजार से ज्ादा ्ुिाओं को करिा चुके हैं िाईएलरीपी, 700 कैत्द्ों के जीिन में भी त्प्रजन समार्ट काेस्श से बदलाि लाए

    4 सेवा टाइमस द आट्ट ऑफ लिलवंग, अन्तरराष्ट्रीय केंद्र, बेंगिुरूनवंबर 2018

    पद्ा कोटरी l बेंगलुरू

    ्ह साल 1997 था। वह वॉकहार््ट नाम की कंपनी में मैनेजमेंट ट्ेनी थे। उनहीं लदनों दफतर का भवन ढह ग्ा था। इस हादसे में कई लोगों की जान िली गई थी। लेलकन समीर जॉली लकसी तरह भागकर अपनी जान बिाने में काम्ाब रहे। इस आपदा ने उनहें सोिने पर मजबूर कर लद्ा लक ईशवर ने लकसी उद्ेश् के ललए ही उनकी लजंदगी बिाई है।

    समीर कभी सेना के एक लब्गेलड्र का लबगड़ा हुआ बेटा था। दो बड़ी बहनों के साथ वह माता-लपता की सबसे छोटी संतान थे। िुरू से ही लवरिोही ्वभाव के समीर कभी घर से भाग जाते तो कभी परीक्षाओं में नहीं बैठते। 17 विलि की आ्ु में वैषणो देवी की ्ात्रा के दौरान वह अपने लपता के एक लमत्र से लमले। उनहोंने समीर को बता्ा लक अपने बेटे के अवारापन की वजह से उनके माता-लपता बेहद दुखी हैं। उनहोंने समीर को सलाह दी लक वह रोज सुबह और िाम "ओम' का उच्ारण करें। उनहोंने समीर को भरोसा लद्ा लक इससे उनकी लजंदगी में एक बेहतर पररवतलिन आएगा। समीर ने इस पर अमल लक्ा और उन पर इसका प्रभाव भी लदखा।

    लद्ली ्ूलनवलसलिटी से राजनीलतक लवज्ान से आॅनसलि करने के बाद उनहोंने पुणे की लसमबा्ोलसस ्ूलनवलसलिटी से एमबीए लक्ा। उनकी सुबह प्रोफेससलि के साथ पलेटो और माक्क पर ििालि के साथ गुजरती। जबलक दोपहर लमत्रों के साथ लनरथलिक बातें करने में बीत जाती। वह गुड़गांव के एक अलवकलसत क्षेत्र में रहते थे। इसललए रात में खाना खाने के ललए उनहें एक ऐसे ढाबे पर ही जाना पड़ता था, जहां ्थानी् गुंडों का भी आना-जाना लगा

    रहता था। लकसी तरह वह उनके साथ ही बैठकर िराब पीने लगे और दो्ती हो गई।

    एक ही लदन की इस लवलित्र संगलत ने उनहें ्ह सोिने पर लववि कर लद्ा लक उनका जीवन लफर से दूसरी लदिा ले रहा है। उनमें ्ह इचछा लगातार बलवती होने लगी लक उनहें अपना सम् वंलितों की बेहतरी के ललए देना िालहए।

    सन 2003 में समीर ने ऊंिे ्तर पर पहुंि िुके अपने कॉपपोरेट कॅरर्र से इ्तीफा दे लद्ा। सम् पूवलि ररटा्रमेंट लेकर वह आट्ट आॅफ लललवंग के पूणलिकालीन लिक्षक बन गए। ्ह

    रा्ता धीरे-धीरे उनहें भारत के अिांत पूवपोत्र क्षेत्र की ओर ले ग्ा। कापपोरेट के बोड्टरूम से लनकलकर वह असम के घने और तनावपूणलि जंगलों में पहुंि गए। कॉपपोरेट के िु्त सूट की जगह कुतालि-पा्जामा वाली पोिाक के पररवतलिन ने उनहें वह सामालजक राजनीलतक प्रलक्र्ा समझा दी, लजसके कारण ्ुवक उग्वाद की ओर झुकते हैं। वह समझ िुके थे लक उग्वादी भी हालात की पैदाइि होते हैं। हालात के लिकार ्ुवकों को कोई लमत्र बताता है लक कोई मीलटंग होने वाली है और वह लोग उसमें िालमल होते हैं। वहां उनहें बता्ा जाता है लक एक प्रलिक्षण हो रहा है। इससे पहले

    लक वह िीजों को पूरी तरह समझें, वह ऐसा कुछ कर िुके होते हैं, जाे लक कानून की नजर में गलत होता है। इसके बाद उन लोगों के पास पीछे मुड़ने का रा्ता ही नहीं बिता। और इस प्रकार वह नहीं िाहते हुए भी उग्वादी बन जाते हैं।

    समीर कहते हैं लक िांलत के प्र्ासों के ललए ्ह बात हर लह्सेदार को समझाई जानी आवश्क है, तालक वह उग्वालद्ों के साथ भी समान व्वहार करें। लसफ्क ्ही एक पहल सुलह वातालिओं के दूरगामी पररणाम सामने ला सकती है। उग्वालद्ों को लगता है लक वह हालिए पर हैं और िोलित हैं। उनहें लवकास की प्रलक्र्ा

    से भी अलग रखा ग्ा है। उनमें हमेिा हीनता का भाव रहता है। जो की आैपलनवेलिक सरकारों के सम् से ही जड़ें जमाए हुए है।

    वह कहते हैं लक कम आतम सममान का भाव इंसान को आक्रामकता की ओर ले जाता है। लोगों को इस अव्था से बाहर लनकालने के ललए आध्ालतमकता ही सबसे बेहतर साधन है। आध्ालतमकता के जरर्े उनके साथ भरोसा और सहजता ्थालपत करके उनहें राषट् की मुख् धारा में िालमल होने के ललए समझा्ा जा सकता है। और अलगाव की इस भावना से पार पाने में मदद में आट्ट ऑफ लललवंग जैसे संगठन काफी कारगर

    सालबत होते हैं।लकसी भी प्रकार के हलथ्ार से रलहत एक आध्ालतमक गुरु ही

    लवशवास की इस कमी की पूलतलि कर सकता है। समीर कहते हैं लक उनहोंने कई मौकों पर गुरुदेव की सच्ी मध््थता को देखा है। इस दौरान उनहोंने अनुभव लक्ा लक उनका सहज प्रेम ही सभी प्रकार के झगड़ों को सुलझाने में सफल रहता है। िांलत की प्रलक्र्ा जारी रखने के ललए असीम धै्लि, अपनापन और संपक्क कौिल की जरूरत है।

    हाल ही में समीर ने अपने साथ काम कर रहे सरेंडर कर िुके लोगों को गुरुदेव की एफएआरसी वातालि का वीलड्ो लदखा्ा। वह लोग ्ह देखकर हैरान रह गए लक इनहोंने अपना राजनीलतक लक्् नहीं छोड़ा, बल्क उसे पाने के ललए अपना्ा ग्ा लहंसा का तरीका छोड़ा है। ्ह उनके ललए रह््ोद्ाटन जैसा था।

    सरकार और उग्वालद्ों के बीि िांलत वातालि में एक कड़ी के रूप में काम कर रहे समीर कहते हैं लक उनका काम दोनों पक्षों के बीि भरोसा पैदा करना और उसे पोलित करना है। उनहोंने सीखा है लक हाथ पकड़ने से पररणाम लमलते हैं।

    समीर को एक बार उग्वालद्ों ने पकड़ लल्ा था। उस दौरान अदम् साहस का प्रदिलिन करते हुए वह नंगे पैर ही अपनी जान बिाकर लनकलने में काम्ाब रहे थे। हाल ही में अपने का्लि के ललए उनहें 18 लदन जेल में भी काटने पड़े थे। िुनौलत्ों के बावजूद उनकी श्रधिा एवं प्रलतबधिता उनहें इस राह पर बरकरार रखे हुए हैं। उनके द्ारा िुने हुए मागलि को अब उनके माता-लपता ने भी ्वीकार कर लल्ा है। गुरुदेव से प्रापत प्रेरणा उनहें प्रदीपत रखती है। वह कहते हैं, ‘मैं तो लसफ्क उनका सूत्रधार हूं। मैं अपनी अंलतम सांस तक उनके ललए उप्ोगी रहना िाहता हूं।’

    शांलत प्रलरिया में आधयासतमकता से भरोसे का लनमामाणपथ से भरके ्ुिाओं को मुख् धारा में िापस लाने के त्लए छोड़ा रानदार कॉपपोरेर कॅरर्र समीर जॉली

    कॉपपोरेट कॅररयर में ऊंचे पद पर पहुंच चुके समीर ने 2003 में इसतीफज् देकर आट्ट आॅफ वलववंग के टीचर बन गए। यह रज्सतज् उनहें

    अशज्ंत पूवपोत्तर क्षेत्र में ले गयज्। कज्पपोरेट के बोर्टरूम से वनकलकर वह असम के घने और तनज्वपूरञा जंगलचों में पहुंच चुके थे।

    क्ेरि के हालात बदलने की भािना के चलते सरकारी नौकरी छोड़ समाज सेिा में जुरेअजय हसंि

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