rey चहकती कु चेतना - vitragvani.com

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rey चहकती चतना CL oy, अकटबर-दिसमबर 2019... सपादक -विराग शासतरी, जबलपर इस अक ... शिवययययकशञश एलजी? SEE EGE oi ie re a परकाशक - सरज बन अमरखराय सठ समति टरसट, ममबई ससथापक - आचारय कनदकनद सरवोदिय फाउनडशन, जबरपर (म.पर.)

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rey चहकती क चतना

CL oy, अकटबर-दिसमबर 2019... सपादक -विराग शासतरी, जबलपर

इस अक म ... शिवययययकशञश एलजी?

SEE EGE oi ie re a

परकाशक - सरज बन अमरखराय सठ समति टरसट, ममबई ससथापक - आचारय कनदकनद सरवोदिय फाउनडशन, जबरपर (म.पर.)

परकाशक परमशिरोमणि सरकषक शरीमति सरजबन अमलखराय सठ शरीमती सनहलता धरमपतनि जन बहादर जन, कानपर समति टरसट, ममबई डॉ. उजजवला शहा-पडित दिनश शहा, ममबई

ससथापक शरी अजित परसाद जी जन, दिलली, आचारय कनदकनद सरवोदय फाऊनडशन, शरी मणिभाई कारिया, गराट रोड, मबई

जबलपर म.पर. क. अननया सपतरी शरी विवक जन बहरीन सपादक परम सरकषक

विराग शासतरी, जबलपर शरी अनतराय ए.सठ, ममबई, शरी परमचद बजाज, कोटा

परबध सपादक es शरीमति आरती पषपराज जन, कननौज उ.पर.

सवसति विराग शासतरी, जबलपर सरकषक ह : डिजाइन/गराफिकस. 5००००»... शरी आलोक जन, कानपर, शरी सनील भाई ज. शाह, भावदर, ममबई गरदव गराफिकस, जबलपर Agraeta Technik P. Ltd., Virar, Thane MH.

शरी निमितत शाह, कनाडा

1 सची 1 15 पाव - बरड 18 2 यदि आप भी मोर पख ../सोनगढ धरमशाला 2 16 मोबाईल का दरपय 19-20

3 सपादकीय 3-4 17 शराबी कौन ? 21

4. कविता- अपकषाय 5 18 एक आतम साधिका .. / सवपन 22-23

5. रावण, सीता और लकषमण .... 6, 8 19 मधय एशिया म जन धरम 24-25

6 ससकारो का बल 7-8 20 परशन आपक आगम क उततर 26

7 भकति / कषण म वरागय 9 21 समाचार 27-28

8 लकषमी पजा / कषट रोग दर ... 10 22. बट की कीमत 28 9 कला / गणवान पतनी 11 23 जनमदिन 29

10 फोन पर सबस पहल हलो / उदारता 12 24 पलासटिक का परयोग न बाबा न 30

11 कविता - मोबाईल की विदाई 13 25 सावधान 31

12 मोबाईल क कारण बटी न लिय.... 14 26 चितरो स समझिय 32

13 मायाचार का दषपरिणाम 15

14 पटाखा पोसटर 16-17

परकाशकीय व सपादकीय कारयालय Re eee जबलपर $6 चतना”!

सरवोदय, 702, जन टलीकॉम, फटाताल, लाल सकल क पास, जबलपर म.पर. 482002

9300642434, 7000104951 ee सदसयता राशि अथवा सहयोग राशि आप “चहकती कि [email protected] Sant’ क नाम स डराफट/चक/मनीआरईडर स भज सकत

चहकती चतना क परव परकाशित ह। आप यह राशि कोर बकिग स ““चहकती चतना”!

सपरण अक परापत करन क लिय | क बचत खात म जमा करक हम सचित सकत ह। लॉग ऑन कर पजाब नशनल बक,फहारा चौक, जबलपर

A A बचत खाता क.- 19370004101030106 www.vitragvani.com IFS CODE : PUBN0193700

यदि आप भी

सर परयोग करत ह तो

य चितर दखकर दिल दहल जायगा

हमार घरो म सजावट क रप म

परयोग होन लगा ह। पर दश म मोर पखो की माग बढी ह और '

इसक साथ ही दश क राषटरीय hath ze

पकषी मोर की सखया कम होती जा रही ह। मोर पख बचन वाल कहत ह कि य पख मोर

अपन आप समय क साथ छोड दता ह हम उनही पखो को बचत ह। परनत य चितर अलग

कहानी कह रह ह। कछ धन क लोभी मोरो को मारकर उनक पख बचत ह और उस मोर मास खा लत ह। सोचिय विचारिय और तयागिय ..

सोनगढ रलवसटशन पर

आधनिक वातानकलित

परतीकषा ककष का शभारभ

पजय गरदवशरी कानजी i सवामी की साधना भमि सोनगढ क रलव

सटशन पर 15 अगसत को आधनिक वटिग का उदघाटन किया गया। गरदवशरी क दवारा उदघाटित ततवजञान क परचार-परसार म सलगन ससथा गरजतो जञायक टसट परिवार क दवारा लगभग 50 लाख रपय की लागत स इस

वटिग रम का निरमाण किया गया ह। भारतीय रलव क इतिहास म परथम बार किसी धारमिक ससथा क सहयोग स रलव mt सटशन पर वटिग रम म निरमाण किया गया ह। लगभग 1500 वरगफट म निरमित इस हॉल म 85 यातरियो क बठन की सविधा ह। साथ ही इस एयरपोरट की तरह सविधा समपनन बनाया गया ह# इसम रलव का इतिहास, जन महापरषो क साथ पजय गरदवशरी का विशाल५चितर लगाया गया ह। इस महनीय कारय म ममबई बोरीबली व विदवान शरी हितशभाई चौवटिया का भमिका सराहनीय रही।

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= और लोकपरियता

हा बहोश

वीतरागी दव-शासतर-गर जन शासन का आधार सदा स रह ह। इनक दवारा परतिपादित जन सिदधानतो का पालन कोई भी जीव सवय

५ Be वीतरागी होकर परण सखी हो सकता ह। अनादि काल स परतयक जीव = = >- सख और शाति की तलाश म भटकता रहा ह। अनत जीवो न सख

और शाति का माधयम साधन और सविधाओ का माना और उनकी यातरा कभी परी नही हो पाई। आज भी समाज म धरम क नाम पर धन और लोकपरियता की दौड चल रही ह। समाज म विशाल मदिरो का निरमाण चरम पर ह। भारत क किसी भी तीरथ पर जाय तो दीवालो और बोरड पर वीतरागी भगवनतो क सनदश नही बलकि ससथा की निरमाणाधीन योजनाय और उनकी सहयोग राशि लिखी होती ह। समझ म नही आता कि आज सममदशिखर स लकर छोट तीरथो की योजनाय सकडो वरषो म भी परी कयो नही पाई? आज हर मदिर म

सबह स शातिधारा क नाम पर बोलियो का वयापार शर हो जाता ह और निरधन वयकति असहाय अपन दीन अनभव कर एक कोन म चपचाप खडा होकर अपन भागय को कोसता रहता ह। जिस वीतरागी परभ क दरबार म सवाबलबन और सवाधीनता का शखनाद होना चाहिय वहा दीनता और हीनता की भावना उभर रही ह।

छोट-बड तीरथो की परिकलपना करन वाल शायद अपन जीवनकाल म भी इन

तीरथो को परा नही कर पायग पर उनक जीवन का समापति तो निशचित हो जायगी और हर तीरथ क साथ पल‍लवित हो रही ह भयकर कषाय और राग-दवष और ईरषया। इस समापत करन म सकडो कषमावाणी क परव भी कम पड जायग। सबको समाज कलयाण की

चिता ह सवय कलयाण की नही |

आज परवो या धारमिक आयोजनो की सफलता विशदधि स नही बलकि धन सगरह स मानी जा रही ह। जिनमदिर क अनदर पाषाण क भगवान विराजमान करन म लाखो रपय दन वाल शरषठी मदिर क बाहर असहाय साधरमी को सौ रपय दन म भी सकोच करत

ह। कछ साधरमियो और दो-चार ससथाओ को छोडकर सभी को जीवत साधरमी स अधिक पाषाण की परतिमा अधिक जीवत लगती ह। कही जिनमदिर की सथापना म अपन नाम, पद और परतिषठा की गलत अभिपराय तो नही ह कयोकि आज सभी लोकपरिय होन की अविवकी

दौड म शामिल हो गय ह। इसम लौकिकजनो की कया बात कह? सवनाम धनय विदवान भी

लोकपरियता क मायाजाल म शामिल हो गय ह।

सामानयजनो का परिगरह धन-मकान आदि ह वस ही विदवानो का परिगरह शासतर ह - इस सकति क अनसार जहा एक ओर सामानयजन टिकटॉक जस एप स अशोभनीय हरकत करक लोकपरिय होना चाहत ह वस ही धरम कषतर म लाईक, वयज और कमनटस की

Cages परशान कर रही ह और यह महामारी हमार बचचो म फल रही ह और

आशचरय तो तब होता ह जब जनम-मरण क अभाव की बात कहन वाल, शरीर और आतमा को भिन‍न जस मगल सिदधानतो का परचार करन वाल और इनक

अनमोदक जनम दिवस की बधाईया लत ह और दत ह। जनम दिवस तो उन महापरषो का महान होता ह जिनका रोम-रोम और जीवन का हर कषण

जिनवाणी की परभावना म समरपित ह परनत छदम परभावक तीरथ यातराओ म भगवान और तीरथो को गौण कर सवय की फोटो सोशल मीडिया पर पर पोसट सवय को धारमिक

सिदध करना चाहत ह। विचारणीय बात यह ह कि कया हम लौकिक शिषटाचार की आड

म अपनी मिथया मानयता को ही पषठ कर रह ह... |

जीवन साथी क जनमदिवस पर अथवा ववाहिक वरषगाठ पर परसपर सोशल मीडिया पर बधाई दी जा रही ह। नितात वयकतिगत जीवन को बाजार बना दिया गया ह। पति - पतनी क सनहिल निजी पलो को सारवजनिक कर रप क लोभियो को आमतरण द

रह ह, सच म यह कशील का सवन ह। कया हम शभकामनाओ का यह वयापार अपन घरो तक सीमित नही कर सकत ? घरो म साडी-घघट म रहन वाली, परिवार म सास-

ससर की मरयादाओ का पालन करन वाली बहय बाहर जात ही जीस-टी शरट, कपरी , स‍लीवलस आदि म अपन को मकत अनभव करती ह। वयकतिगत सवततरता की दहाई दन वालो स निवदन ह कि हा। य आपका अधिकार ह, पर इस सारवजनिक करक हम कौन स सामाजिक दायितव का पालन कर रह ह ? आशचरय ह इस कारय म बदधिजीवी कह जान वाल विदवान भी शामिल हो गय ह।

जन समाज की सामाजिक ससथाय सामाजिक सगठन क नाम पर सदसयो

की पल पारटी , सिगापर, बकाक जस निरलजज दशो की यातराय कर रही ह। घर म आदरश पतर और आदरश बह की भमिका का निरवाह करन वाल सवीमिग पल म पर समह क साथ अरदधनगन दिख रह ह। यह उनमकतता हमार बचचो पर गहरा परभाव छोड रही ह, इसक परिणाम आन पर हमार पास सिवाय पछतान क कोई उपाय नही होगा। आप मर विचारो

स आप सहमत हो यह जररी नही, पर विचार तो किया ही जा सकता ह।

इस लोकपरियता की लत हमार परिवार क ससकारो का सरवनाश कर, इसस

पहल हम सावधान होना होगा। हम और बचचो को समझना होगा कि जीवन लाईक और

कमनटस स नही चलता, फस बक की दोसती बडा भरम ह और इस दरलभ मनषय भव का हर समय कीमती ह। इसक परतयक पल का सदपयोग करना हमारी नतिक जिममदारी ह। साथ ही साधरमियो को आरथिक सबल मिल, जिनशासन घर-घर तक पहच, पाठशालाय जीवनत हो , हर घर पाठशाला का नारा बलनद हो, समाज आतमकलयाण को जीवन का उददशय बनाय - ऐसी योजनाओ और परयासो की आवशयकता ह। ऐस ही परयासो स जिनशासन जयवत रहगा।

- विराग शासतरी, जबलपर

>> ५ कक

Fax अपकषाय बडो को छोटो स, छोटो को बडो स, पिता की पतरो स, पतरो की पिता स, समाज की साधओ स, साधओ की समाज स, .. \ A विदवान की साधरमियो स, साधरमियो को विदवान स।

हर कषतर म खल तो इनका ही ह चल रहा, जब नही होती ह परी तो खाई खोद लत ह हम निराशा की तनाव और अनकानक परशानियो की, और हर पल रहत ह दःखी ही ।

असली जररत ह निरभार होन की, उसकी तो हम करत ह उपकषा, और दसरो स करत रहत ह अपकषा, फिर बोझ तल उसक रहत चितित, हो जात फिर वयथित और वयवहार हमारा हो जाता ह दषित।

अपकषाओ स गिरता ह आतमबल, भल जात ह हम अकसर अपन करतवय, और दखत रहत इसन-उसन क‍या किया? क‍यो किया? कस किया? फिर कछ विपरीत होत दख दःखी होत बार- बार पीडाय aad भोगत बारमबार।

इसस उबरन क लिय दत हम सचच मतर वचन जिननदर क, परनत हम उनकी भी कर दत ह उपकषा, कहत ह वो हमस, “बिना अपकषा करो अपना करतवय,” परनत हम तो जिननदर स भी अपकषाय करन लगत ह।

यदि लकष हमारा ह सख शानति, होना चाहत ह हम निशचिनत तो कभी मत दखो बाहर म कौन कया करता ह? दखो सिरफ अपन को और अपन करतवयो को, ठटोलो अपन अनतरमन को

आशा नही रख, अपकषा भी न रख, सहज रहकर बन हम आतमनिरभर, यही तो निरभार होन की ह सचची कला, जिसस आन वाला कल होगा बहत सखकारा मगलकारी

परियदरशन जन, नागपर

ह नही ©

बक. .. सीता और ,

लकषमण का भविषय rey eS हम सभी राम क जीवन स सामानय रप स परिचित ह। पदमपराण = गरनथ म आचारय रविषण न राम आदि सभी जीवो क जीवन की सभी घटनाओ का वरणन. किया ह। सारा दश जिस रावण को बरा मानकर उसक पतल जलाकर अपनी शान समझता ह आप जानत ह उसका भविषय कया ह? जानिय परमख पातरो का भविषय -

राम - न उसी भव म मनि दीकषा ली और आतम साधना करक कवलननान परापत करक सभी करमो का नाश करक मोकष पद परापत किया।

सीता - न आरयिका दीकषा लकर बहत तप किया और बारहव सवरग म परतीनदर दव क रप म जनमी। वरतमान म सीता का जीव परतीनदर ह। सीता का समाधिमरण राम क मोकष जान क परव ही हो गया था। उसन दव लोक म अपन जञान स जाना कि शरी राम धयान म लीन ह। सीता को उनक साथ धरमचरचा करन की भावना हई। उसन सीता का रप बनाया और राम पर उपसरग करक उनह विचलित करन का परयास किया। परनत राम अपन धयान म लीन रह और धयान स नही डिग। राम को कवलजञान हो गया। तब सीता क जीव न राम स कषमा याचना की। फिर कवलजञानी राम स लकषमण और रावण क विषय म पछा - व दोनो कहा ह? तब भगवान की वाणी म आया कि लकषमण का जीव चौथ नरक म ह और रावण का जीव तीसर नरक म ह। नियम क अनसार कोई भी दव... ० तीसर नरक स आग नही जा सकता इसलिय सीता क जीव परतीन‍दर &, a न तीसर नरक जाकर रावण को आतमकलयाण का उपदश दिया। , आशचरय की बात यह ह कि जिस रावण न सीता का अपहरण किया, उस उसक पति स दर किया, जिस रावण क कारण उस अगनि परीकषा दनी पडी और इसक बाद भी उस राम क.”

दवारा वन म छडवा दिया उसी रावण क परति @ + a, हक

साधरमी वातसलय | यह परिणामो की विचितरता भी ह o

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अब आग कया होगा - ह "

1. आगामी भव म लकषमण और रावण दोनो >. b- ह मनषय और तिरयनच क अनक भव धारण करत हय « 5 = a हर बार एक दसर स बर भाव स लडत हय और एक es ? दसर को मारग और अत म सग भाई बनग और इनम Tet a ह...

होगा। । ५5

naa शष भाग पज न. 8 पर

4

-ससकारी का बल सतरधार - म जीव ह, मझम जञान ह, म जञान स जानता ह। शरीर अजीव ह, शरीर म जञान नही ह, शरीर कछ नही जानता। मरा आतमा कभी नही मरता, म अजर-अमर अविनाशी ततव ह। ऐसी पाठशाला क ससकारो स ससकारित एक बालक क साथ घटित सतय घटना पर आधारित यह लघ नाटिका ह।

एक समपनन जन परिवार क दस वरष क बालक का डाकओ न अपहरण कर लिया और अपन घर क तलघर क कमर म बद कर दिया। दखत ह फिर आग कया हआ -

सरदार - कहा ह वो बचचा | शरा | जरा उस लकर आना।

शरा - जी सरदार। मगर सरदार। उस बचच न बहत परशान कर दिया ह। दो दिन स न कछ खाया ह, न पिया। पर समय कोई मतर पढता रहता ह। यदि मर गया तो हम एक रपया भी नही मिलगा।

सरदार - क‍यो? आखिर उसक न खान-पीन का कया कारण ह ? कया उस हमारा खाना

पसद नही आ रहा ?

शरा - सरदार | वो कहता ह य पानी बिना छना हआ ह, म नही पी सकता। य भोजन अशदध ह, म नही खाता। पता नही कसी-कसी बात करता ह? मरी तो कछ समझ म नही आता। म अभी उस ऊपर लकर आता ह।

(शरा बचच को धकका दकर ऊपर लाता ह और कहता ह चल सरदार न

बॉ5 तझ बलाया ह। बचच क हाथ बध ह और आखो पर पटटी बधी हई ह।)

कब सरदार - कयो र! बहत परशान कर रखा ह, दो दिन पर हो गय। तन कछ नही खाया-पिया और तर बाप न एक रपया भी नही भजा। यदि आज रपया नही भजा तो तझ गोली स उडा दग। (इतना कहकर सरदार बचच क माथ पर बदक रखता ह।)

बचचा - (निडरता क साथ) मार दो, मार डालो मझ। म मरन स नही डरता। तम मर शरीर को तो मार सकत हो, पर मरी आतमा को नही।

Raa o

Wa - कया कहा? मर शरीर को मार सकत हो,

मरी आतमा को नही। बचच | तन य आतमा की बडी-बडी बात

कहा स सीखी ?

बचचा - मर मदिर म पाठशाला लगती ह, वहा हम ऐसी बात सिखाई जाती ह। आप भी चलो मरी पाठशाला, य हिसा और चोरी-डकती करना सब भल जाओग। मरी पाठशाला की दीदी कहती ह - सभी जीव भगवान बन सकत ह। आप भी भगवान बन

सकत हो।

सरदार - बचचा ! त बडी पयारी बात करता ह। आज पहली बार किसी न मझ भगवान कहा ह। हम गलती स तझ यहा पकड लाय। चल। तझ तर घर पहचा दता ह

सतरधार - इसक बाद डाकओ का हदय परिवरतन हो गया। आप मानो या न मानो, पर रात क दो बज अधर म डाकओ का सरदार सवय उसक घर क पास उस छोड दिया और जब तक बचचा घर क अनदर नही चला गया, तब तक वही खडा रहा। आप भी

अपन बचचो की हर तरह स सरकषा चाहत ह तो पाठशाला क सरकषा चकर म शामिल कर, जिसस उनका यह भव तो सरकषित होगा ही, अनत काल का भविषय सरकषित हो जायगा।

eR SRE ao oi. 6 का शष भाग...

ee

8.

9.

फिर य सवरग म दव बनग।

फिर म मनषय क रप म जनम लग।

उसक बाद सवरग म दव होग।

इसक अगल भव म राजा क पतर होग और दिगमबर दीकषा लग।

इसक बाद साथ म सातव सवरग म दव बनग।

इस समय सीता का जीव भरत कषतर म चकरवरती बनगा। रावण और लकषमण क जीव

उनक इनदर रथ और मघरथ नाम क पतर बनग।

इसक बाद तीनो मरकर अनततर विमान म अहमिनदर बनग।

वहा स निकलकर रावण का जीव तीरथकर और सीता का जीव उनका गणधर बनगा। लकषमण का जीव पषकर दवीप म महाविदह म चकरवरती क साथ तीरथकर बनगा।

कलालणथथछा ए हा यह मत सोचो कि यदि हम ऑकसीजन नही लग तो ऑकसीजन का क‍या होगा? बलकि

यह सोचो कि यदि हम ऑकसीजन नही लग तो हमारा कया होगा ? ठीक इसी तरह यह मत सोचो कि हम मदिर नही जायग तो इन मदिरो का कया होगा ? बलकि यह सोचो कि हम मदिर नही जायग तो हमारा कया होगा?

ह नही

atferet 4A क शरषठी शरी धरमघोष न

वरागयपरवक मनिदीकषा ल ली। व एक माह उपवास करत और एक दिन आहार करत। एक बार एक माह क उपवास क बाद व आहार क लिय जा रह थ परनत उस रासत पर घास उग रही थी इसलिय गगा नदी किनार एक विशाल वकष क नीच बठकर तपसया करन लग। तभी उनकी तपसया स परभावित होकर एक दवी आई उस अपन जञान स मालम चला कि मनिराज पयास ह उनहोन आज आहार भी नही किया। वह पानी स भरा एक कलश सामन रखकर बोली - ह मनिवर| आप इस कलश का पानी पीकर अपनी पयास शानत कीजिय। मनिवर बोल - दवी| यह हमार लिय अयोगय ह।

दवी को यह सनकर कौतहल हआ - भयकर पयास की तकलीफ होत हय भी मनिवर मर दवारा लाया हआ पानी नही पी रह ह। इसका कोई विशष कारण होना चाहिय।

वह तरनत परव विदह म विराजमान तीरथकर क समवशरण म गई और भगवान स परशन किया तो भगवान बोल - मनिराज दव-दवियो क दवारा लाया हआ आहार-जल गरहण नही करत। दव-दविया भगवान की पजा-भकति आदि कारय तो कर सकत ह।

तीरथकर वाणी सनकर दवी फिर गगा नदी क पास आई और उसन भकति क साथ मनिराज क ऊपर शीतल जल की वरषा कर दी। मनिराज शकलधयान म लीन थ। उनहोन चार घातिया करमो का नाश करक कवलजञान परापत किया और उसक बाद चार अघातिया करमो का नाश करक व सिदध बनकर अननत काल क लिय सिदधशिला पर विराजमान हो गय।

मिथिला का राजा पदमरथ एक बार सरयाभ नगर म गया। वहा सधरम नामक a 4 गणधर विराजमान थ। राजा न उनक दरशन किय और उनका उपदश सना।

| Sue PARK FV बडा सन‍तोष और आननद हआ। उसन विनय भाव स कहा - भगवन | कया तीनो लोको म ऐसा कोई वयकति ह जो आपक समान

उपदश द सक | गणधर बोल - हा ह। मर समान नही, मझस भी अधिक जगतगर बरिलोकपजय भगवान वासपजय चमपापर नगरी म विराजमान ह। राजा बोला - यदि व आपस भी बड ह तो म उनक दरशन अवशय करगा। राजा न यह कहकर भोगो का तयाग कर दिया और भगवान क दरशन क लिय चल पडा।

रासत म विशवानल दव न उन पर बहत उपसरग किय पर राजा उसस नही घबराय और तीरथकर वासपजय क चरणो म जा पहच। उनह ससार स वरागय हो गया और उनहोन वही दिगमबर दीकषा ल ली और व भगवान वासपजय क गणधर बन और अनत म पदमरथ गणधर न अषटकरम को नाशकर मोकष पद परापत किया।

चतना.) >«ऋऋए 22 अ :! 9५5 45

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जाता Wl इनदौर क एक सठजी न अपना मानयता अनसार लकषमी पजन की

और उनक दवारा जलाय गय दीपको स परा घर परकाशमय हो गया। सभी A ह को उनहोन मिठाई बाटी। किसी मितर की सलाह पर उनहोन घर क सभी

दरवाज खोल दिय क‍योकि मितर का कहना था कि दीपावली को लकषमी

रात म आती ह और यदि घर क दरवाज बनद मिल तो व वापस लौट जाती ‘ ह। घर वाल रात को बहत दर तक लकषमी का इतजार करत रह, सबह 4 बज तक इतजार करत-करत सभी सदसय सो गय। उसी समय चोर i हर आय और पजन क लिय निकाल गय सार आभषण और रपय चराकर 4

| सार की बात यह ह कि धन का आना और जाना अपन पणय हि

ल गय। उनकी लकषमी पजा महगी पडी। 7

पाप करम क उदय क अनसार होता ह। इसलिय हम किसी मिथया मानयता स बचकर रहना चाहिय।

| कल poe: क कष रोग दर कस हआ ? OP ENG, ० Y) (7B = fy

कोटीभट शरीपाल और उनक 700 साथियो. / oA ex का कषठ रोग पाप का उदय टल जान स नषट हो fr

गया। शरीपाल स उनक साथियो स पछा - कया -

आपन कषठ रोग दर करन क लिय महारानी मना स सिदधचकर विधान करवाया था ?

राजा शरीपाल न उततर दिया - सासारिक कामना लकर भगवान की पजा करना तो पाप

भाव ह। पाप भाव स पणय बध कस हो सकता ह ? तब सकट भी कस ठल सकता ह?

भगवान की पजा तो भगवान बनन क लिय अरथात वीतरागता परापत करन क लिय की

जाती ह, उसस वीतराग भाव क साथ सहज ही पणय का बध हो जाता ह, जिसस सकट

टल जात ह और हम अनकलता मिलती ह।

बादशाह अकबर क महामतरी अबदल रहीम <a a उनक सवक न हाथ जोडकर कहा - हजर !

एक विदवान आपस भट करना चाहता ह। वह

काफी दर स महल क बाहर आपक आदश की

परतीकषा कर रहा ह। वह लोह स सोना बनान की विदया जानता ह इसलिय वह आपस एकात म मिलना चाहता ह।

रत

महामतरी बोल - उसस जाकर कहो कि वह तरनत यहा स चला जाय। म सोना बनान का तरीका नही सीखना चाहता। उस समय खानखाना क एक मितर वही बठ थ। उनहोन कहा - उस बलाकर परदरशन दखन म कया परशानी ह ? तब खानखाना बोल - मर पयार मितर। आप बहत सजजन ह। यह कोई धरत और पाखणडी मालम होता ह। उसन सोचा होगा कि चलो अकबर क महामतरी को मरख बनाकर रपय लकर आयग। यदि वह सच म लोह स सोना बनान की कला का जानता होता तो उस मर पास आन की जररत ही नही थी। वह सवय सोन स लोहा बनाकर राजय का सबस धनवान वयकति बन जाता।

a पतनी परसिदध विदवान पणडित गोपालदासजी बरया की पतनी

सवभाव स बहत तज थी। एक बार एक वयकति उनस मिलन उनक घर आया तो दखा कि उनकी पतनी पणडितजी पर जोर-जोर स चिलला रही ह और पणडितजी जबाब न दकर मौन खड हय. +>

ह। जब उनकी पतनी चली गई तो उस वयकति न पणडितजी स छा पछा - आपकी पतनी इतनी बात सनाती रही और आप. हज बिलकल चप रह। आखिर क‍यो ?

पणडितजी गमभीरता स उततर दिया - भाई | वह मर लिय भोजन बनाती ह, मर

गनद कपड धोती ह, मरी सवा करती ह, घर क सार काम करती ह और सबस बडी बात वह मझ कषमा सिखाती ह तो इतनी गणवान पतनी क उपकार भलकर उसस लडाई करना मझ अचछा नही लगता।

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कक 1 4 oly =

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A

ह ' a

i aa एहल हलो [10॥०) कयो ? आज सभी लोग हलो कहकर मोबाइल या फोन

पर बात शर करत ह। कया आप हलो का अरथ जानत ह या हलो क‍यो कहा जाता ह ? और इसकी शरआत कब हई ? यदि य कहा जाय हलो किसी का नाम ह आप तो सोच म पड जायग। तो आइय इसका रहसय जानत ह। आप जानत होग कि फोन का आविषकार गराहम बल न

किया। गराहम बल की परमिका का नाम था- मारगरट

हलो। जब गराहम बल न सबस फोन का परयोग करक

दिखाया तो उनहोन अपनी गरलपरनड (परमिका) को फोन लगाया और उस हलो कहकर बात करना शर की। तबस यह शबद परचलित हो गया।

दरभागय ह फोन पर बात करन वाल 90 परतिशत लोग अनजञान क कारण वयाभिचारी सतरी क नाम हलो शबद का परयोग करत ह। हम अपनी जनतव की ससकति का सनदर शबद जय जिननदर का उपयोग करना चाहिय।

गजरात क धौलनगर क महाराज वीरधवल एक दिन भोजन करन क बाद सो

रह थ और उनका सवक उनक पर दबा रहा था। राजा को सोता हआ दखकर सवक न पर की अगली स रतन की अगठी निकालकर मह म छिपा ली। राजा को इस बात का पता था पर उनहोन सवक स कछ नही कहा।

दसर दिन उनहोन वसी ही दसरी अगठी पहन ली। दसर दिन पर दबात समय सवक न फिर अगठी निकाली तो राजा बोल - अब यह अगठी तो रहन दो। कल जो अगठी तमन निकाली थी वह म तमह द चका। यह सनकर सवक घबराकर रोत हय उनक चरणो म गिर पडा। राजा बोल - डरो मत, इसम दोष मरा ही ह। कम वतन स तमहारा काम नही चलता होगा इसलिय तमन चोरी की ह। आज स तमहारा वतन दगना करता ह। अब कभी चोरी नही करना।

मोबारडल की विदारड

मरी जिद परी करन म पापा भी चकराय। जिद छोडो बटा तम पयार मममी भी समझाय।

पर मर गसस और जिद क आग हार गय थ सार, दादा - दादी मान गय थ व थ मर पयार ।।

मनोरजन क बिना य दनिया फीकी-फीकी लगती। बिन मोबाइल क जीवन म बात अधरी लगती।। मरा भी मोबाइल आया, जो चाह वो दख। वहाटसएप और फसबक पर दनिया सारी जान ।।

नय दोसतो की नई बातो स दिन भर बहलाता। मोबाइल को हाथ म लकर म पीता और खाता।।

मोबाइल ही दोसत बन गया, साथ म सोता-उठता। मोबाइल लकर जब चलता, गौरव मझको आता।।

कछ दिन बीत गय य हसत, सकट बडा ह छाया। सिर दरद की हई बीमारी, चशमा आख पर आया। आय एगजाम फाइनल मर, पपर कठिन ह आया। सोचा कछ था हाय अब, कछ का कछ लिख पाया।

फल हआ Sst स मरी, मरी जमकर हई पिठाई। नालायक फल हआ क‍यो, नाक मरी कटवाई।

दादा न समझाया मझको, बात समझ म आई। मोबाइल य आफत का पद... इसकी कर विदाई।।

वीर परभ निरवाण महोतसव, मगलमय यह आया। मोकषमारग की शिकषा दता, सबक मन को भाया। नही जलाय कोई पटाख, नही पाप का कारय कर।

नही फलझडी अनार का दाना, न हिसा का पाप कर।।

सतय अहिसा धरम हमारा, इसकी रकषा करना। वीर परभ स शिकषा लकर, मन म धारण करना।। समयगजञान क महादीप स, आतमगणो को पाना। ऐसा मगल कारय कर और सवय वीर बन जाना।

रचनाए - विराग शासतरी, जबलपर GD)

aa मोबाईल क कारण बटी न लिय ० = भानर पिता क पराण

बनता जा रहा ह। पहल तो हम मातर आख खराब

' 2५

iy d होना, माईगरन, डिपरशन जस बीमारियो की

चिनता होती थी पर अब यह मोबाइल हतया जस जघनय अपराधो का कारण बनता जा

रहा ह।

दश क विखयात शहर बगलोर म पिछल महीन घटित दो घटनाओ न फिर सोचन पर मजबर कर दिया ह कि जीवन क लिय मोबाइल की मरयादाय करना कितना आवशयक हो गया ह।

पहली घटना म बगलौर क राजाजी नगर म रहन वाल जय कमार गोधा अपनी नवमी ककषा म पढन वाली 15 वरषीय बटी की

मोबाइल की दीवानगी स परशान रहत थ | व कई बार परम स

अपनी बटी स मोबाइल का परयोग कम कर पढाई पर धयान दन की सलाह दत थ

कारण व कई बार उस व डाट भी दत थ। इसस उनकी बटी मन ही मन ह सन

रहन लगी थी और अपन पिता को अपनना विरोधी समझन लगी। उसन अपन पित मारन क लिय एक योजना बनाई, पर परिवार क अनय सदसयो क घर म क i 5 वह सफल नही हो पा रही थी। 17 अगसत को जयकमार जी धरमपतनी और का ब पारिवारिक कारय स पडचरी गय और बटी को मौका मिल गया। उसन अपन पिता को किसी पय पदारथ म नीद की दवा मिलाकर पिला दी, जिसस जयकमारजी बहोश हो गय। बाद म उसन अपन 19 वरषीय दोसत परवीण कमार को बलाकर चाक मारकर उनकी हतया कर दी। हतया क सबत मिठातत क लिय उन दोनो न जयकमारजी क कपडो को

वाशिग मशीन म धोया और जमीन पर गिर खन क दाग साफ किय। बाद म शव को बाथरम म ल जाकर पढोल डालकर आग लगा दी और मदद क लिय शोर मचान लगी। जब लोग आय तो उनह बताया कि पापा बाथरम म नहान गय थ और अचानक वहा आग लग गई। पलिस को शका हई तो उनहोन दोनो को थान ल जाकर पछताछ की तो उनहोन हतया का अपराध सवीकार कर लिया। परवीण को जल भज दिया गया और लडकी को

नाबालिग होन क कारण सधार गह भज दिया गया।

जस ही इस घटना लोगो तक पहची तो परा बगलोर और दश आशचरयचकित रह गया। जय कमारजी दव-शासतर-गर क उपासक और अतयत हसमख सरल सवभावी थ और परवीण भी अपन समपनन माता-पिता की इकलौती सतान ह। एक मोबाइल की दीवानगी न दो परिवारो का परा जीवन अधकारमय कर दिया।

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मोबाइल दरपयोग निरनतर घातक

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rare SEE | दरग परवत पर चारण ऋदधिधारी गणनिधि नाम क मनिराज चार माह क उपवास

का नियम लकर तपसया म लीन थ। इनकी चार माह की तपसया स गाव वाल बहत परभावित थ। चातरमास क बाद गणनिधि मनिराज न वहा स विहार किया।

उसी परवत क पास आलोक नगर म एक मदमति नाम क दसर मनिराज आहार क लिय आय। लोगो न इन मनिराज को गणनिधि मनिराज समझकर उनकी बहत भकति - पजा की और विशष सनमानपरवक आहार दिया।

मनि मदमति को यह आभास हो गया कि लोग मझ गणनिधि मनि समझ रह ह और मझ इतना सनमान द रह ह। परनत मान क लोभ स मदमति मनिराज न लोगो स यह नही कि कहा कि म गणनिधि नही ह और बाद म गर क पास जाकर कोई परायशचित भी नही लिया। परव म आय बध जान क कारण व मरण क बाद सवरग म दव बन गय और सवरग की आय परी करक मायाचारी क परिणाम स शललकी वन म हाथी बन गय। इस हाथी को रावण न पकड लिया और अपनी सना म रख लिया और उसका नाम तरिलोकमणडन नाम रखा।

जब रावण को जीतकर राम वापस अयोधया जान लग तो राम उस हाथी को

अपन साथ अयोधया ल आय। एक दिन उस हाथी न राम क छोट भाई भरत को दखा

और उस परव भव की याद आ गई और उस हाथी को वरागय हो गया।

ऊचा पद लकर थोडी सी भल कितनी दःखदायक होती ह कयोकि जितन अधिक ऊच सथान स मनषय गिरता ह उतनी ही जयादा चोट लगती ह। सफद कपड

पर दाग जलदी लगता ह और सभी को दाग जलदी दिखता ह।

अतः जियो और जीन दो का अमर सदश दन वाल

[ a भगवान महावीर क निरवाण दिवस पर

०.३ हिसा का ताडब मत करिय । राम, बदध, नानक एव सतो-महापरषो क

क अहिसा सदश का पालन कीजिय । सख शाति क परव

दीपावली पर अनय जीवो क लिय यमराज न बन ।

1. पाव मदा स बनता ह । मदा गह म स बनता ह । BE AP. Torte a tetas frat gat 2-4 we Get ey a

अनगिनत धानयकीट होत ह । ऐस गह को गरम पानी म Be भिगोन या चककी म पीसन स धानयकीट मर जात ह यह “A

पहली हिसा ।

. भीग गह को सखाकर, पीसकर, मदा बोरियो म पक होता ह। कई दिनो तक पड रहन स मदा खान लायक नही रहता। अनक जीव उतपनन होत ह । ऐसा मदा बकरीवाल लत ह। उसम खटठा पदारथ मिलान पर अनक जीव मर जात ह । यह दसरी हिसा ।

3. आट डालन म उसम फफद भी होती ह और तरस जीव <7 5 उतपरजन होत ह । उसको ओवन म पकान स वह सब

जीव मरत ह । यह तीसरी हिसा ।

4. थोडा गीला पाव ओवन स बाहर निकाल लत ह । रात रहन स बह बासी होता ह, जिसम फिर स तरस जीवो (बकटरीया ) की उतपतति होती ह, ऐस पाव खान स चौथी हिसा ।

5, ऐस जीव जत वाल पराव खान स बीमारी का कारण बनत ह और एलोपथिक Casal gM पट म रहन वाल जीव मर जात ह यह पाचवी हिसा ।

ऐसी हिसा की परपरा स बना हआ पाव-बरड क आग जन शबद लगाकर

ह । जो बिलकल खान लायक नही ह ऐस पाव-बरड का जीवनभर तयाग करक . आतमा को पाप स और शरीर को रोग स बचाइय |

ararse ht street =| 4 कारण

10% बचचो की टढी हो गई

आख 18% बचचो की कमजोर

हो गई दषटि

मोबाईल का दरपयोग अथात‌ IA atc प

बचचो क लिय मोबाइल की आदत डरगस स भी अधिक खतरनाक हो गई ह।

इसस पढाई म एकागरता तो कम हो ही रही ह साथ ही बचचो की आख भी कमजोर हो

रही ह। गजरात म हय एक सरव क अनसार मोबाइल की सकरीन को लगातार दखन क कारण राजय क 30 परतिशत लोगो की आख सख (09 ६५०४) गई ह। 10 परतिशत बचचो

की आखो म टढापन आ गया ह। अहमदाबाद क सिविल असपताल की सीनियर आई

सपशलिसट डॉ. हसा न बताया कि 8 साल तक क बचचो की आख विकसित हो रही होती

ह इसलिय इस उमर धयान न दिया जाय तो ठढापन आन की अधिक सभावना होती ह।

अहमदाबाद की वरिषठ आई चिकितसक डॉ. कामिनी न बताया कि हमार पास आन वाल

आख क मरीजो म स 85 परतिशत मरीजो की बीमारी का कारण दिन म 5 घट स अधिक

मोबाइल, आई पड, टब या टीवी क का उपयोग करना ह और इन मरीजो म अधिकाश

मरीज 6 स 20 साल क ह। इन बचचो को भविषय म आरमी या पलिस की नौकरी मिलना मशकिल ह कयोकि इन नौकरियो की शरत म आखो की दषटि अचछी होना शामिल ह।

माता-पिता क वयसतता स मोबाइल की लत लगी - अहमदाबाद क 8 साल का विकरम क

माता-पिता दोनो नौकरी करत ह इसलिय वह अधिकाश समय दादाजी क पास रहता

ह। हर दिन सकल स आन क बाद दोपहर म 4 घट तक लगातार मोबाइल पर कॉरटन दखन स उस उसकी लत लग गई। इसक कारण उसकी आखो का एलाइनमनट बिगड

गया।

बरथड फोटो स पता चला ठढी हो गई आख - अहमदाबाद क जहापरा की 6 साल की समीरा शख अपन पिता क टब पर गम खलती थी और सकल का कारय भी करती थी। पिताजी नौकरी म रात की शिफट होन क कारण दिन म आराम करत थ। समीरा को

सकल म नोटबक म लिखत समय आखो म तकलीफ महसस होन लगी। बरथ ड की एक फोटो म उसकी आख ठटढी आई तो डॉकटर को दिखाया। डॉकटर न दवाईया दी और कहा

यदि 6 माह म आख ठीक नही हई तो इसका ऑपरशन करना पडगा।

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QL मममी दिखन लगी - बोटाद नगर की 5 साल की

टीना को उसकी मा न घर क बाहर खलन स मना किया तो

वह घर म ही मोबाइल पर गम खलन लगी। हर दिन दो घट लगातार मोबाइल खलन स उस अचानक दो मममी दिखन लगी और उसकी आख भी ठढी हो गई।

डॉकटर क पास जान पर उस चशमा लग गया और यह चशमा उस जीवन भर पहनना पडगा।

आदत कस लग जाती ह -

७ माता - पिता काम म वयसत हो जात ह और उनह बचच डिसटरब न कर इसस बचन क लिय व बचचो को मोबाइल दकर निशचित हो जात ह।

दो माह क बचच को मोबाइल पर कॉरटन दिखाना शर कर दत ह। बचचो की जिद क आग हार जात ह।

बचच भोजन ठीक स कर इसलिय उनक सामन मोबाइल रखत ह।

बचच घर क सार बड सदसयो को अपन मोबाइल पर वयसत दखत ह।

कया कर -

७ बचचो क सामन मोबाइल का परयोग मातर बात करन क लिय कर; गम खलन या

वीडियो दखन क लिय नही।

७ बचचो क साथ थोडा समय बिताय। उनह नीति की शिकषा द। जीवन की अचछी - बरी बातो क बार म बताय।

७ बचचो को अनय खल खलन क लिय कह।

७ बचचो जिद क आग झरक नही, बलकि उनका मन कही और लगान का परयास कर। ७ बचच हमार ह, उनकी किसी भी समसया क जिममदारी हमारी ह और परशानी भी

हमारी ही बढगी। विचार कर।

मोबाईल गम पबजी न फिर एक और पराण लिय

sesh cI कल

एक शराबी शराब पीकर नश म सडक क किनार पडा हआ था। उस सारी धरती घमत हय दिखाई पड रही थी। उसी समय दश का राजा अपन हाथी पर बठा हआ वहा स जा रहा था। राजा को दखकर शराबी बोला - कयो र रजआ क लडक | अपन गध को बचगा कया ? राजा न उस नश म जानकर उसस बोलना उचित नही समझा और उसस बात किय बिना वहा स चला गया।

दसर दिन राजा न अपन सिपाहियो को भजकर उस शराबी को अपनी राजसभा म बलवाया और उसस पछा - FAT भाई ! कल तम हमार हाथी को गधा कह रह थ, खरीदना ह कया ?

यह दखकर शराबी घबरा गया। वह बोला - महाराज! म गरीब भिखारी ह। मझ तो पट भरकर भोजन भी नही मिलता, म कया आपका हाथी खरीदगा ?

कल तो तम कह रह थ क‍यो व रजआ ! गधा बचगा कया ? - राजा कडक आवाज म बोला - महाराज! वह गधा खरीदन वाला तो गया। वह तो शराब का नशा

था। शराब गई तो नशा भी गया। - शराबी न हाथ जोडकर कहा।

राजा न कहा- जब तझ पट भरकर भोजन भी नही मिलता तो शराब कयो पीता ह ?

यह सनकर शराबी चप हो गया। तभी एक विदवान मतरी बोला - महाराज! इसका अपराध कषमा किया जाय। आज सारा विशव ही नश म बहोश ह। कोई पद क नश म, कोई सनदरता क नश म तो कोई तयाग और विराग क नश म ह। महाराज! जब तक

आतमजञान नही होगा तब तक यह मोह का नशा नही उतर सकता | हम और आपको राजसतता का नशा चढा ह, विदवान लोकपरियता क नश म ह, सठ यश क नश म ह,

जिसस हम सभी दसर को तचछ और हीन मानत ह और अपन को विशष। जस यह शराबी भखा रहकर भोजन म धन खरच नही करक शराब म धन बरबाद करता ह वस ही हम अनादिकाल स नरक आदि क भयकर द:ख भोगत हय अपन जञान रपी धन को आतमकलयाण म न लगाकर पद-परतिषठा पान म बरबाद करत ह।

यह सनकर राजा और परी सभा विचार करन लगी कि सभा क बीच म खडा

वयकति ही नशा नही करता बलकि भी हम म नश म ह तो फिर अपराधी कौन ?

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एक आतमसाधिका का इस तरह चल जाना...

a जिनमदिर म जिननदर दव को

i ——————————_—

af Pl Oot an ex fea a a ard ह पर-उनकी।| मौत भी।हम जिनदा कर गई।

य शर कभी-कभी जीवन की हकीकत बन जाता ह। जबलपर क वीतराग विजञान मणडल की सदसया शरीमति शकन जन न दशलकषण महापरव क अतिम दिन अनत चतरदशी को उपवास क साथ अगल दिन सबह भोजन तक मौन का सकलप लिया और कषमावाणी क पावन दिवस पर दसर दिन परातः उनह घर पर ही पसीना आया तो उनक सयोगय बट आशीष न उनह डॉकटर क पास चलन का आगरह किया परनत जिनधरम की भकति म लीन आराधिका पहल जिननदर दव क पास जाना चाहती थी और जिननदर पजन और सवाधयाय क बाद पारणा और उसक बाद कही और। परातःकाल स आराधना परारमभ की और नितय नियम पजन क पशचात‌ रतनतरय पजन कर रही थी। समयगजञान की पजा क अरघय म जस ही नमो सदा शबद आया तो उनहोन पर मनोयोग स तीन लोक क नाथ को नमसकार किया मानो व तरिलोकीनाथ क सामन भावना कर रही हो कि ह परभो ! जस आपन जञान की परणता कर अनत सख को परापत किया वस ही मझ भी समयगजञान की परापति हो और आशचरय हआ कि उनका शरीर नमसकार की मदरा म सथिर हो गया। कछ पल उनक साथ महिलाओ को भी समझ नही आया, कछ पल बाद जस ही कछ अनहोनी की आशका हई तो पजन करन वाल साधरमी उनह लकर तजी हॉसपिटल की ओर भाग, इस उममीद म हमारी आशाओ की तरह शकनजी भी जीवित हो। हॉसपिटल पहचन क कछ दर बाद ही सभी की उममीदो का सरय असत हो गया और एक आराधक जीव हमार बीच स विदा हो गया। जिननदर पजन की व पकतिया शकनजी क जीवन का शभ शकन बन गई।

इस एक परसग मातर स उनकी यशगाथा नही बन सकती उनका परा जीवन ही आदरश और साहस की पाठशाला ह। अलप वय म ही पति का वियोग, चार छोट बचचो की जिममदारी, आशाय साकार हो इसस परव ही 22 वरष क यवा पतर क दरघटना म सवरगवास की असहनीय पीडा जसी न जान कितनी परतिकलताओ को अपन अदमय

साहस और सहजता स सामना किया इस मा न। पहाड जसी परतिकलताय भी एक

जिनभकत को अपन करतवय स नही डिगा पाई। उनको दखकर लगता कि जस सती

सीता, सती अजना का रप हो। विपदाओ म शात बन रहना, कम बात करना, दव- शासतर-गर क परति अगाध शरदधा, अपनी चारो सतानो को जिनधरम क दढ ससकारो स

पल‍लवित करना, सविधाओ को गौण कर यथासभव जिनधरम क शिविरो म लाभ लन बाहर जाना, परतिदिन पजय गरदवशरी की वाणी स आराधना परारमभ करना, परतिदिन

कब) ®

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ee ae समय सवाधयाय, न जान कितन सार गणो की खान थी वातसलयमयी मा शरीमति शकनजी। व हमशा भावना करती

थी कि मरा मरण दव-शासतर-गर की आराधना करत हय ही हो किसी हॉसपिटल म भगवनतो क विरह म नही। मानो परकति न इस उततम शराविका की

भावना को परा करन का वचन द दिया और भगवनतो क सामन ही उनक दह छोडन की

तयारी हो गई।

हम सब उनक इस अकसमात‌ स शोकाकल ह परनत आदरणीया शकनजी न भव क अत की तयारी परी कर ली और हम द गई हर पल सजग, सतरक और सावधान रहन का सदश। ऐस मगलमय आराधक जीव को शत-शत नमन।

- विराग शासतरी

सवपन एक दिन महाराजा जनक न सवपन म दखा कि किसी राजा

न उनक ऊपर आकरमण कर दिया ह और उनका राजय छीनकर उनह

दश स बाहर निकाल दिया ह। जनक घोर जगलो म पथरीली जमीन

पर चल रह ह और भख-पयास स वयाकल हो रह ह। तीन दिन बाद व एक गाव म पहच।

उस गाव म एक सठ की ओर स गरीबो को खिचडी बाटी जा रही ह और जनक

वहा जाकर लमबी लाइन म लग गय और बहत दीनता स खिचडी माग रह ह। जब जनक

का नमबर आया तो तब तक खिचडी समापत हो गई। जनकर न कहा - भाई । मझ बहत जोर स भख लगी ह यदि भोजन नही मिला तो म मर जाऊगा। जनक की दयनीय हालत दखकर सठ न चममच स बरतन म चिपकी हई जली - हई खिचडी खरचकर जनक को द दी। जस ही जनक न खिचडी हाथ म ली, इतन म एक चील (६१७७) झपटटा मारकर

खिचडी छडाकर ल गई और जनक दखत रह गय। इतन म घबराकर जनक की नीद

खल गई। व सोचन लग कि ऐसा सवपन मझ कयो आया ? इस सवपन को दखन क बाद उनका किसी काम म मन नही लग रहा था।

राजसभा म उनहोन समति मतरी स सवपन बताकर पछा - कि य राजसभा, सिहासन, राजमहल-वभव सतय ह या रात का सवपन सतय ह ? मतरी बोला - राजन‌ ! न

य सतय ह न वह सतय ह। वह रातरि का सवपन था और यह दिन का सवपन ह।

he. Kaa) 23

Me. 2 . मधय एशिया और दकषिण एशिया म लनिन गराड पराततव spas परोफसर

यरि जडनयाहसकी न एक पतरकार सममलन म कहा था कि भारत और मधय एशिया क बीच लगभग 1 लाख वरष पराना समबनध ह। उस समय जन धरम मधय एशिया म फला हआ था। इतिहास क परसिदध जानकार शरी ज.ए. दब न लिखा ह कि आकसियाना, कसमिया, बलख और समरकद नगर जन धरम क कनदर थ। परोफसर एन. रामसवामी आयगर क अनसार गरीस, रोम, नारव म जन मनिराज विहार करत थ। नाव क मयजियम म भगवान आदिनाथ की परतिमाय ह। व नरन और खडगासन ह। तरजिकिसतान म जमीन खदाई म हजारो वरष परानी सिकक और सील महर मिली ह, इन पर नगन मदराय बनी ह। हगरी क बडापसट नगर म भगवान आदिनाथ और भगवान महावीर की परतिमाय खदाई म परापत हई ह।

ईसा मसीह क परव ईराक, ईरान और फिलिसतीन म हजारो जन मनि विहार करत थ। पशचिम एशिया, मिर, यनान और इथियोपिया म क पहाडो और जगलो म

अनगिनत जन मनि जञानःधयान म लीन रहत थ। परसिदध लखक वानकरपर क अनसार मधय-परव क सामानिया समपरदाय शरमण शबद का ही रप ह। परसिदध इतिहास लखक

मजर जनरल ज.जी.आर फरलाग न लिखा ह कि ईसा स 330 वरष पहल पराचीन यहदी वासतव म इकषवाक वशी जन थ जो जदिया रहन क कारण यहदी कहलान लग थ। इस परकार यहदी धरम का सरोत भी जन धरम लगता ह। इसताबल नगर स 570 कोस की दरी पर तारा तमबोल नगर म बड-बड विशाल जन मदिर विराजमान थ। विदवान जी.एफ.कार

न लिखा ह- ईसा क जनम स 100 वरष मधय एशिया ईराक, डबरान और फिलिसतीन म

हजारो जन मनि जन धरम का परचार करत थ।-मिसर का दकषिण भाग राकषसतान कहा जाता ह। राकषस शबद जन धरम म विदयाधर दव आदि क रप म परयोग किया जाता ह। उस समय यह भ भाग सडानप, एबीसिनिया और इथियोपिया कहलाता था। यह सारा कषतर

जनधरम का कषतर था।

मिसर एजिपट की पराचीन राजधानी पविकस एव मिसर की विशिषट पहाड क बार

म लखराम न लिखा कि यहा की गफाओ की परतिमाय गिरनार तीरथ की मरतियो स मिलती ह। भारत क अनक जन लोग मिसर आदि दशो म जाकर बस गय। मिसर क बोलान शहर म अनक जन मदिरो निरमाण हआ। घोलक राजय क राजा वीर धवल महामतरी वसतपाल क साथ अनक लोगो न विकरम सवत‌ 1275 स 1303 तक जन धरम क

चतशा:)

rs: परचार म अपना योगदान दिया। इन लोगो न

भारत क बाहर सिध, मलतान, गाधार , पशावर आदि नगरो म जन मदिरो का निरमाण करवाया। पराचीन समय म शिकषा क परमख

कनदर तकषशिला म अनक जन मदिर और सतप विदयमान थ। अरबिया म इसलाम क फलन क बाद भगवान आदिनाथ, भगवान नमिनाथ, भगवान बाहबली क मदिर और अनक मरतिया नषट हो गई। अरबिया की राजधानी पोदनपर जन धरम का गढ था और

यहा भगवान बाहबली की विशाल परतिमा विराजमान थी। भगवान ऋषभदव को अरबिया म बाबा आदम कहा जाता ह। मौरय समराट समपरति म यहा और फारस म जनधरम का बहत परचार हआ। इसलाम की सामराजय होन क बाद जन मदिरो को मसजिद म परिवरतित कर दिया गया। इस समय वहा जो पराचीन मसलिद ह उनकी निरमाण शली जन मदिरो क अनसार ह। इस बात की पषटि जमस फरगयसन न अपनी पसतक विशव की दषटि क पज न. 26 पर की ह। बीच म जन विदवानो न बगदाद और मधय एशिया जाकर जन धरम का परचार-परसार किया था।

यनानी दश क पाइथागोरस, पायरो, पलॉटिन आदि दारशनिक विदवान शरमण दरशन क मखय परतिपादक थ। एथनस म दिगमबर जन सत शरमणाचारय की परतिमा ह। आसटरिया और हगरी क बडापसट म भकप क कारण एक बगीच की जमीन स भगवान महावीर की परतिमा बाहर आ गई।

सीरिया म भी दिगमबर मनिराज विहार करत थ। ईसा मसीह न भी भारत म आकर सिदधकषतर पालीताना म रहकर जन तथा भारतीय दरशनो का अधययन किया था।

सकडिनविया म जन धरम क बार म करनल टाड न लिखा कि सकडिनविया म भगवान नमिनाथ औडन नाम क दवता थ और चीनियो क फ नाम क दवता थ।

इन सभी परमाणो स मालम चलता था कि पराचीन समय म जन धरम समदध होन क साथ-साथ विसतत था। यह सब जानकर हम गौरव क साथ अपन महान जन धरम का

शरदधान दढ होना चाहिय।

सविचार ह शराब, शहद, मास, सिगरट, रातरिभोजन और अभकषय भकषण करन वाल वयकति को

जन समाज या जन समाज की किसी भी ससथा म किसी भी पद पर रहन का कोई

अधिकार नही ह। यदि समाज का नता ही आचरण विहीन होगा तो उसस जिनधरम

परभावना की उममीद करना बडी भल होगी।

अब समाज को सामराजय विसतार की सथान पर ससकति विसतार की ओर कदम बढाना चाहिय।

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परशन -1

उततर -

परशन 2.

उततर -

परशन 3.

उततर -

परशन 4.

उततर -

परशन 5.

उततर -

परशन 6.

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परशन 7.

उततर -

उततर -

-सकल म की पसतको म बताया गया ह कि पथवी घमती ह और जन शासतरो म बताया ह कि पथवी सथिर ह। इनम स किस सचचा मान ?

इस समबनध म वजञानिको म ही आपस म ही मतभद ह। कछ वजञानिक पथवी को सथिर ही मानत ह। जन शासतरो म सरवजञ क जञान क अनसार पथवी को सथिर और सरय-चनदरमा को गतिमान बताया गया ह।

जनधरम क अनसार कया पथवी गोल नही ह ?

जन धरम क अनसार पथवी गोल तो ह परनत सतर क आकार की नही बलकि थाली क आकार की गोल ह।

कचचा पपीता अभकषय ह या भकषय ?

कचचा पपीता कषीरफल होन क कारण अभषय ह। कषीर फल अरथ जिन फलो स दध निकलता ह। पका पपीता कषीर फल नही रह जाता इसलिय वह भकषय अरथात‌ खान योगय ह।

कया किसी क मकान पर मदिर की छाया पडना अशभ ह ?

यह कोई शासतरीय विधान नही ह। मन स बनाई हई कलपना ह और झठ पणडितो का धन कमान का वयापार ह।

कया दीपावली म रातरि पजन कर सकत ह ?

दीपावली म ही नही बलकि कभी भी रातरि म पजन करन म पाप ह। रातरि भोजन तयाग जसा ही नियम पजन क साथ लाग होता ह।

कया परम करना धरम ह ?

नही, परम करना धरम नही बलकि राग का परिणाम होन स भावकरम ह।

जिसक पास अधिक धन वभव हो तो कया वह परिगरही ह ?

नही। जिस धन और वभव क परति ममता ह वह परिगरही ह। गरीब भी परिगरही हो सकता ह और धनवान भी अपरिगरही।

- मरा मन बहत चचल ह। इस एकागर करन का कया उपाय ह ?

शासतराभयास करना और जो बात ह जिनवाणी म आई ह उनका विचार करना ही मन एकागर करन का उपाय ह। -(सनमति सदश पतरिव

a) 9)

ea क परसिदध आई.टी. नगर बगलौर म शरी आदिनाथ दिगमबर

जिन मदिर, वलपठ म आराधना क शाशवत दशलकषण महापरव साननद सपन‍न हय। इस कारयकरम म विशष आमतरित शरी विराग शासतरी जबलपर का लाभ

परापत हआ। कारयकरम क अनतरगत परातः शरी जिननदर परकाल और पजन क बाद दशलकषण मणडल विधान का आयोजन हआ। पजन क बाद पजय गरदवशरी का मागलिक सीडी वयाखयान और इसक पशचात‌ समयसार गरनथराज पर सवाधयाय का लाभ परापत हआ। रातरि म परतिकरमण क बाद जिनागम क विभिन‍न विषयो पर सवाधयाय हआ। विधान म सथानीय विदवान पणडित किशोरजी शासतरी और मगलारथी शरी सदीप जन का लाभ परापत हआ।

अवकाश क दिनो म पाठशाला क बचचो दवारा सासकतिक कारयकरम सपनन हय। जिनमदिर क परमख शरी चमपालालजी भभतमलजी भणडारी न आभार वयकत किया।

दशलकषण महापरव पर पडित सौरभ शासतरी इदौर दवारा आसटरलिया म जिनधरम परभावना

दशलकषण महापरव पर यवा विदवान पणडित सौरभ शासतरी इदौर दवारा आसटरलिया क सिडनी और मलबोरन शहरो म जिनधरम परभावना का अभतपरव कारय किया समपनन हआ। आसटरलिया म निवास कर रह जन धरमावलमबियो क आमतरण पर शरी सौरभ शासतरी दिनाक 30 अकटबर स 17 सितमबर तक आसटरलिया परवास पर रह। यहा क साधरमियो को सौरभ जी की ककषाओ और परवचनो का लाभ परापत हआ। आसटरलिया क मलबोरन म शरी आदिनाथ दिगमबर जन चतयालय ह। इस जिनालय स 70 स अधिक जन परिवार जड ह।

जञातवय ह कि शरी सौरभजी न पणडित टोडरमल समारक भवन जयपर म रहकर शासतरी की उपाधि परापत करन क बाद विगत लगभग 20 वरषो स जिनधरम क परचार-परसार म अतयत सकरियता स सलगन ह। इस कारय म उनक भराता शरी गौरव शासतरी भी ककषाओ और परवचनो क साथ-साथ डिजिटल मीडिया की आधनिक पदधति स जिनशासन क परचार- परसार म अपना योगदान द रह ह। इदौर यग जन परोफशलस ससथा क माधयम स यवाओ को जिनागम का अभयास करा रह ह। चहकती चतना की सदसयता अब पटीएम स भी

चहकती चतना का लाभ सभी को सरलता स मिल सक और सभी आसानी स इसक सदसय बन सक - पटीएम भगतान सविधा परारमभ की गई ह। अब आप सदसयता शलक 9300642434 पर पटीएम स भी जमा कर सकत ह। आप राशि बक अथवा

पटीएम स जमा कर अपना परा पता हम वहाटसएप / कर। 500/-र. तीन वरष हत 1500/-दस वरष हत | आप 11000/- दवारा चहकती चतना क सथायी सतभ बनकर आजीवन सदसय बन और पाईय ससथा दवारा समसत वीडियो सीडी, साहितय और अनय

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समबनध आय, लकिन मन वहा समबनध

नही किया। वो तो आपकी गरीब परिसथिति और आपकी बटी गणवान दखकर आपक घर बट का समबनध तय कर रहा ह। आप 15 लाख ही द दना। लडक क पिता की ऐसी बात

सनकर लडकी क पिता को करोध आ गया परनत उनहोन धरय रखत हय पछा - वस आपक पतर का वजन कितना होगा ? लडक क पिता न आशचरय क साथ कहा- लगभग 60 किलो

होगा। तब तो आपक बट का मास 40 हजार र. किलो होगा। म अहिसावादी जन धरम का अनयायी ह और आपक इस मास क बट को नही खरीद सकता।

परानी सीडी निसतारण की सविधा परारभ

यदि आपक पास परानी सीडी रखी ह और उनका कोई उपयोग नही हो रहा

ह तो आपकी समसया क निवारण क लिय शरी कनदकनद कहान पारमारथिक टरसट, ममबई क सयोजन सीडी निसतारण की वयवसथा परारमभ की गई ह। इन सीडी का एक विशष पलाट म पाउडर बनाया जायगा जिसस अनय उपयोगी सामगरी का निरमाण होगा। हमन इस पलाट म जाकर सवय निरीकषण किया ह और कमपनी न हमार अनरोध पर परानी सीडी लन की सहमति द दी ह। परनत इन सीडी को एक परकरिया क तहत ही सवीकार किया जायगा। आप इस कारय क लिय विराग शासतरी, जबलपर स 7000104951 पर समपरक कर सकत ह।

- सपादक

5100/- रतलाम निवासी शरीमान‌ आननदकमारजी अजमरा क सवरगवास क परसग ि पर उनक पतर शरी राजकमारजी अजमरा परिवार दवारा परापत |

5101/- शरी दरपण जन, कोटा की ओर चहकती चतना क लिय परापत। 2100/- अहमदाबाद निवासी शरी परतीक भाई शाह क सपतर समकित क सगाई

क परसग परर परापत। 1100/- शरीमती हसा विजय जी पामचा, जबलपर दवारा चहकती चतना म परापत |

सभी दातारो क परति आभार। सतपथ सविचार

० यदि आप जन धरम क किसी भी पथ स लगाव रखत ह और आप रातरि भोजन करत ह तो आपका जन धरम क परति परम ढोग ह और सवय क साथ छल।

० निःसनदह रातरिभोजन पाप ह और सामहिक रातरि भोजन महापाप। ० यदि आप अचछ काम की अनमोदना नही करत ह तो बर काम को बढावा द रह ह।

7 sma ro ana BH भावना म ही re जनम दिवस मनान की सारथकता ह।

नीरज जिनवर वचन स, जल जञान क दीप ।

हो परशात निज आतमाहहो मकति क गीत ।। नीरज परशानत जन, बगलोर 10 अकटबर

उततम भव जिनधरम मिला, ह सौभागय विवान | शरदधा स जिनपद मिल, पाओ मकति धाम ।।

विवान अश-शरदधा मोदी, नागपर 3 सितमबर

जिनधरम की बटी समयका, मख पर हो मसकान। मन मयर भी नतय कर, जब भकति हो निषकराम।।

समयका मयर जन सनचती बगलोर 10 अकटबर

कवल जञान आदितय ह, करता वसत परकाश। हो परशात जग जीव सब, हो सख का आवास।।

आदितय परशानत जन, बगलोर 09 अकटडर

जिनकल म जनमी हो बटी, सीता जसा धरय धरो। शरी जिननदर की सतति करक, भव अभाव भाव धरो।

सतति शरी अरविनद - राखी जन, बणडा जि. सागर 16 दिसमबर D4 f

शरी जिनवर आशीष हो, हो निज परजञा काम । आतम सतता की अनजञा, जीवन हो निषकाम II

अनजञा आशीष शासतरी, टीकमगढ 23 अकटबर

यही अनगरह आपस अननय कर कर जोड । निज म निज की असति हो चलो मोकष ओर |

अनगरह आलोक जन, आगरा, 7 अकटबर

आप भी अपन बचचो क जनमदिन पर शभकामनाय परकाशित करवाय ।

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दश, समाज और निरीह पराणियो को

बचाईय। दखिय इस गाय को। इसक पट

स किस तरह पलासटिक निकाला गया ह। जिस दश म हिनद समाज जिस गाय को मा कहा जाता ह उसी दश म उस मा का यह

दरदशा। इस अपराध का जिममदार कौन ? कही इस अपराध म आप भी तो शामिल

नही....

इसलिय सावन =

सावधान.... a बह पणय सयोग मिला जीवन, जिनशरत जिनदव चरण दरशन | हो समयगदरशन परापत मझ तो सफल बन मानव जीवन ।।

पिता का उपकार कभी नही भलिय

| have a hero

| call him Dad @

मरहमनिराज अचारय कनदकनद Ga wt eUN पोनबर मलल म आयोजित

कक 7 w9. Y ) OO चककी LOO OCU NS,

शकरवार, 21 फरवरी स मगलवार 25 फरवरी 2020 तक

विदवत साननिधय - प, शलष भाई शाह अहमदाबाद # प. नीलशभाई शाह ममबई

विशष आकरषण :- # आचारय कनवकनद की तपो एव विदह गमन भमि पोननर एव आसपातत क अनक पराचीन जिनमदिरो क दरन $सीमनधर भगवान क मनोहारी दरशन एव पजन विधान का मधर आयोजन पराकतिक एव जञात वातावरण म जिनवाणी की अमत दशना

पजय गरदवशरी क सीडी परवचन एव उसक रहसयो का लाभ # अनय समागत विदवानो का परासगिक लाभ

कारयकरम सथल : आचारय कनदकनद जन ससकति सनटर, कनदकनद नगर, पोननर मल

तह. वनदवासी, वडक‍कमवाडी जि. तिरवणणामल 604505

विशष : इस शिविर म सहभनागिता करन क इचछक साधरमी सयोजक स समपरक कर। सथान सीमित होन स सीमित साधरमियो को पहल आओ-पहल पाओ क आधार पर परवश दिया जायगा। कारयकरम 21 फरवरी को दोपहर स परारमभष होगा।

Glee चननई स 18) किमी, बगलोर स 360 किमी, पाणटिचरी स 88 किमी, वनदवासी स 8 किमी, चटपठ स 20 किमी की दरी पर सथित ह। चननई क कोयमबह बस सटणड स पोन‍नर क लिय सरकारी बस करमाक 104, 130, 148, 208, 422 उपलबध रहती ह।

पोन‍नर आवाणमन क समबनध म आप निमन नमबरो पर सपरक कर पौननरमल : 9489360976, मो, 09976975074 चननई सपरक : शरी दीपक कामदार : 09383370033

समपरण विशव की एक मातर लोकपरिय बाल-किशोर वरग की पतरिका चहकती चतना विगत 13 वरषो स अनवरत परकाशित हो रही ह। साथ ही इसका रगीन वारषिक कलणडर भी परकाशित होता रहा ह। इस वरष भी वरष अपरल 2020 स मारच 2021 तक क कलणडर की परकाशन का परथम चरण परारमभ हो गया ह। इस रगीन कलणडर परतिवरष नय परयोग परवक नई परिकलपनाओ क आधार स

2 चितर परकाशित किय जात ह। 3000 की सखया म परकाशित होन वाला यह ह तिथि कलणडर क साथ-साथ जञान वदधि म भी निमितत बनता ह।

आप अपनी ससथा, फरम, टरसट अथवा वयकतिगत नाम स विजञापन दकर इसम परकाशन सहभागी बन सकत ह। विजञापन दन क इचछक 700104951 पर सपरक कर। आशा ह आप इस महनीय कारय म सहभागी बनग।

कर अनतरगत

जनमदिवस उपहार योजना जि

ARC ऊऋन [०० आपक बचचो का जनम दिवस et ©

हम बनायग यादगार

भजग उपहार और शभकामनाय अपार तो दर किस बात की

आज ही इस योजना क

सदसय बनिय ae a आप पायग तीन उपहार अपन जनमदिवस क 10 दिन परव

आपक नाम पर लिखी कविता क साथ एक सनदर मोमनटो, एक आकरषक उपहार साथ ही एक पयारा सा गरीटिग कारड

जिसम होगी जनम दिवस मनान की सनदर विधि

शलक मातर 500 / - एक वरष हत

आप सवय सदसय बन और आप अपनी ओर स अपन रिशतदारो, समबनधियो को भी सदसय बनाकर उनह सरपराइज द सकत ह। इस उपहार म भठकरता क रप म आपका नाम होगा। आप आप सदसयता राशि पटीएम 9300642434 स या हमार बक खात म जमा कर हम अपना परा पता, वहाटसएप या एसएमएस कर।

मोबाइल लाइफ कयर चिप दी MOBILE LIFE CARE CHIP i

* कया आप जानत ह कि बचचो दवारा परयोग किया जान वाला मोबाइल कितना घातक हो सकता ह

* कया आप जानत ह कि अधिक दर तक मोबाइल क परयोग स हमार दिमाग की हजारो कोशिकाय नषट हो जाती ह

* कया आप जानत ह मोबाइल का रडियशन बचचो क लिय कितना खतरनाक ह

७ मोबाइल की तरग मतलब दिल क लिय खतरा

# मोबाइल मतलब बरन टयमर और कसर स घातक बीमारी दन वाला यतर

घबराईय नही, हमारा उददशय आपको डराना नही बलकि बचाना ह इन सब समसयाओ स बचन का सरवोततम उपाय अनक वजञानिको दवारा परमाणित

मोबाइल लाइफ कयर चिप अपन फोन क पीछ लगाईय और रडियशन पर कटरोल कीजिय

मातर 650/- र.,म घर बठ पाईय और सात साल तक निशचित हो जाईय

earch - 7000104951 (Whatsapp No.)

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