वो फूल खुशबु देगा क्या जो ना कभी खिला
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वो फूऱ खुशबु देगा क्या जो ना कभी खखऱा
वो ददद समझगेा क्या जजसको जख्म ना ममऱा
कमजोर को ठोकर ममऱी करते हो क्यों गगऱा
सददयों से यही चऱ रहा है कू्रर मसऱमसऱा
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वो फूऱ खुशबु देगा क्या जो ना कभी खखऱा
वो ददद समझगेा क्या जजसको जख्म ना ममऱा
कमजोर को ठोकर ममऱी करते हो क्यों गगऱा
सददयों से यही चऱ रहा है कू्रर मसऱमसऱा