भाग - 3 · 2017-04-18 · 2 गणित णिक्षि की प्ाय:...

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RH भाग - 3 गिणत का िशण

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  • RH

    भाग - 3गिणत का िशक्षण

  • LH

    1 बी.एस. उपा याय, प्रोफेसर, आरआईई. मसैरू

    2. जी.पी. दीिक्षत, प्रोफेसर (सेवािनवृ ), लखनऊ िव विवद्यालय, लखनऊ

    3. हुकुम िसंह, प्रोफेसर (सेवािनवृ ), डीईएसएम, एनसीईआरटी, नई िद ली

    4. योती शमार्, अिस टट प्रोफेसर, एसपीएम कालेज, नई िद ली

    5. महे द्र शकंर, प्रवक्ता (एसजी)(सेवािनवृ ), एनसीईआरटी, नई िद ली

    6. राम अवतार, प्रोफेसर, (सेवािनवृ ), डीईएसएम, एनसीईआरटी, नई िद ली

    7. आर.पी. मौयार्, प्रोफेसर (सेवािनवृ ), डीईएसएम, एनसीईआरटी, नई िद ली

    (सद य सम वयक अगं्रजी सं करण)

    8. वंिदता कालरा, सह प्राचायर्, जीजीएसएसएस, नई िद ली

    9. वी.पी. िसंह, प्रोफेसर (सेवािनवृ ), डीईएसएम, एनसीईआरटी, नई िद ली

    िह दी अनुवादक

    1. डी.आर. शमार्, प्रधानाचायर्, ज.न.िव. जाल धर

    2. महे द्र शकंर, प्रवक्ता (एसजी)(सेवािनवृ ), एनसीईआरटी, नई िद ली

    3. वी.पी. िसंह, प्रोफेसर (सेवािनवृ ), डीईएसएम, एनसीईआरटी, नई िद ली

    समीक्षा एवं सपंादन समूह

    1. ए.के. वझलवार, प्रोफेसर एवं िवभागा यक्ष, डी.ई.के. एनसीईआरटी, नई िद ली

    2. आर.पी. मौयार्, प्रोफेसर (सेवािनवृ ), डीईएसएम, एनसीईआरटी, नई िद ली

    3. डी.आर. शमार्, प्रधानाचायर्, ज.न.िव. जाल धर

    4. महे द्र शकंर, प्रवक्ता (एसजी)(सेवािनवृ ), एनसीईआरटी, नई िद ली

    5. राम अवतार, प्रोफेसर, (सेवािनवृ ), डीईएसएम, एनसीईआरटी, नई िद ली

    6. िशव शरण यादव, टी.जी.टी. गिणत, ज.न.िव. बलरामपरु

    7. वी.पी. िसंह, प्रोफेसर (सेवािनवृ ), डीईएसएम, एनसीईआरटी, नई िद ली

    8. यशपाल वमार्, उप िनदशेक (सेवािनवृ ), डी.ए.वी. प्रब ध सिमित

    सम वयक

    आशीष कुमार ीवा तव, अिस टट प्रोफेसर, डीईएसएम, एनसीईआरटी, नई िद ली

    िवकास समूह

  • प्रस्तावनताएक गणित णिक्षक को एक महान अवसर प्ाप्त ह।ै यणि वह अपने णनराधाररत समय को णनयणमत संणरियाओ ंमें अपने णवद्ाण ध्ायों से अभयास कराने में वयतीत करता ह,ै तो वह उनकी रूणि को नष्ट करता ह,ै उनके बौणधिक णवकास में बारा डालता ह ैत्ा अपने अवसर का िरुुपयोग करता ह।ै परंत ुयणि वह अपने णवद्ाण ध्ायों की उतसकुता को उनके ज्ान के अनरुूप समसयाए ंप्सततु करके िनुौती ितेा ह ैत्ा उतपे्रक प्श्नों के सा् उनकी समसयाओ ंको हल करने में उनकी सहायता करता ह,ै तो वह उनहें सवतंत्र णितंन का एक अहसास करा सकता ह ैत्ा उसके कुछ सारन प्िान कर सकता ह।ै

    (जीपोल्ता)

    अणरकतर हम तकधा ितेे हैं णक गणित में भांत अवरारिाए ँ अप्भावी णिक्षि के पररिामसवरूप उतपनन होती हैं। यह हो सकता ह ैणक णवद्ाण ध्ायों को उस अवरारिा के अनमुोिन के णलए ििाधा और गणितीय णववेिन पर प्णतणरिया वयक्त करने के पयाधाप्त अवसर न णमल पाए हों। प्भावी कणिनाई जो अभी भी रह जाती ह ैवह ह ैणक कुछ गणितीय गलणतयाँ परेू णवश्व में की जाती हैं, िाह ेवहाँ कोई सी भी पाि्यियाधा और णिक्षािासत्र संबंरी यणुतियाँ अपनाई गई हों। हमें यह समझना िाणहए णक णिक्षा्थी, अपने णपछले अनभुवों के आरार पर, गणित के णलए सवंय अपने अ ध्ा और अपनी संरिनाए ँरणित करते हैं।

    गणित णिक्षि एक िनुौती त्ा एक पे्रिातमक प्यास िोनों ही हैं। नई अतंर्धाणटि और नए अनभुव णिक्षकों की उनके द्ारा अपनाए जाने वाले णिक्षािासत्र की णवश्वसनीय पधिणत की जाि ँकरने में सहायता करते हैं। गणित की अमतूधा प्कृणत ने अणनवायधा रूप से णिक्षकों को इसके णलए बाधय णकया ह ै णक वे गणितीय णविारों त्ा उनके णनणहत अवरारिातमक संरिना को णिक्षाण ध्ायों द्ारा समझने में सहायता करने के णलए णिक्षािासत्र और संसारनों की पनु: संरिना करें। वतधामान मॉड्यलू माधयाणमक सतर पर पढाए जाने वाली महतवपिूधा गणितीय अवरारिाओ ं के पनुगधामन पर एक प्यतन ह।ै कुछ णवणिष्ट भांत अवरारिाओ ंऔर णवद्ाण ध्ायों द्ारा अणरकतर की जाने वाली त्र ुणटयों त्ा उनके संभव कारिों के बारे में माधयणमक सतर के गणित णिक्षकों से प्ाप्त संणक्षप्त समीक्षा के उपरांत, यह महतवपिूधा समझा गया णक इन अवरारिाओ ंपर पनुगधामन करने त्ा अणरक आकरधाक और प्भावी णिक्षािासत्र का उपयोग करने में णिक्षकों की सहायता करने के णलए एक णरिज (सेत)ु मॉड्यलू णवकणसत णकया जाए।

    परिच्

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    गणित णिक्षि की प्ाय: मौणलक तथयों, णनयमों और सतू्रों को रटने पर बल णिए जाने पर आलोिना की जाती ह।ै यह सिवै सझुाव णिया जाता ह ैणक गणितीय णववेिन त्ा अनपु्योग, णवश्लेरण्ा, संश्लेरि, मलूयांकन और रिना जैसे उचि रिम के णितंन कौिलों पर बल णिया जाना िाणहए (बलमू की संिोणरत ैटक्सोनॉमी।

    गणितीय अवरारिाए ँप्कृणत से अमतूधा हैं त्ा इनकी अ ध्ापिूधा रिना में णिक्षाण ध्ायों की सहायता करना णिक्षकों के णलए सिवै ही िनुौतीपिूधा रहा ह।ै गणित णिक्षि के णलए, अवरारिाओ ंके बारे में णितंन, णिक्षा्थी केणनरित णिक्षािासत्र त्ा णवणवरतापिूधा रिनातमक मलूयांकन की आवश्यकता ह।ै णिक्षि का कायधा एक तीन िरिीय प्णरिया ह ै:

    यह एक रैणिक प्णरिया नही ह।ै प्तयेक िरि अनय िो को जोड़ने की कड़ी त्ा पनुणनधावेिन प्िान करता ह।ै णिक्षक को णिक्षा्थी की प्कृणत त्ा अवरारिा की प्कृणत का संज्ान होना िाणहए। गणितीय णविार एक पाि के पररिाम के रूप में नही सीि ेजाते हैं। बणलक ये णपछले गणितीय अनभुवों का एक संिय होता ह ै। गणित के प्णत णितंा (या वयग्रता) एक अनय कारि ह,ै जो गलत गणित अणरगम के णलए योगिान ितेा ह।ै क्योंणक गणित णिक्षि पहले से सीि ेगए गणितीय ज्ान के णलए त्ा भणवष्य के गणित अणरगम के बारे में णनिधाय लेने के णलए सीरा उत्तरिायी ह,ै इसणलए पवूधा में सीिी गई गणितीय अवरारिाओ ंकी सही और िोस आरारणिलाए ँणवद्ाण ध्ायों के ज्ान के अ ध्ापिूधा णवसतार में एक णिक्षक की एक उपयकु्त यणुति की योजना बनाने में सहायता कर सकती ह।ै

    णिक्षा्थी के णवश्वास को गणित के प्णत इस प्कार ढालना िाणहए की एक सकारातमक सोि जणनत हो। णवद्ाण ध्ायों को गणितीय अवरारिाओ ंकी समझ में वयसत रिने के णलए, णिक्षकों को इन अवरारिाओ ंका िोस ज्ान होना आवश्यक ह।ै णिक्षक समसया हल करने के णवणभनन पहलओु ंके आििधा प्सततु कर सकता ह ैत्ा णवद्ाण्धायों को उस अवरारिा से संबंणरत णरियाकलाप और ििाधाए ँकराने में वयसत रि सकता ह।ै

    प्भावी गणित णिक्षि का उद्शे्य णवद्ाण ध्ायों में गणित के प्णत आतमणवश्वास त्ा गणित करने के णलए उतसकुता, सवतंत्रता और णवश्वास स्ाणपत करना ह।ै

    एन सी टी एम (1991) का वयावसाणयक णिक्षि मानक गणित णिक्षकों की भणूमका को णनमन रूप में पररभाणरत करता ह ै:

    (a) अवरारिाओ,ं प्णरियाओ ंऔर ढृढ णवश्वास का णिक्षि िनेा।(b) गणितीय समसया हल करने, णववेिन और ढृढ णवश्वास को बढावा िनेा।(c) णवद्ाण ध्ायों की गणितीय प्वणृत्तयों को उतसाणहत करना।

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  • पररिय 3

    (d) णवद्ाण ध्ायों की गणित की समझ का मलूयांकन करना।(e) एक ऐसा अणरगम पररवेि रणित करना जो प्तयेक बचि ेकी गणितीय िणति के णवकास को बढावा ि।े

    गणित णिक्षि के णलए आवश्यक ह ै णक णिक्षाण्धायों द्ारा नई अवरारिातमक संरिनाए ँरणित करने त्ा णवद्मान संरिनाओ ंको आगे णवसततृ करने की क्षमता को जगाने में उनकी सहायता करने के णलए बेहतर प्कार से तैयार रहना। इसे प्भावी रूप से करने के णलए णिक्षक को

    • इसका संज्ान होना िाणहए णक णिक्षा्थी णकस प्कार गणित की संरिना करता ह।ै • परसपर संबंणरत गणितीय अवरारिाओ ंसे पररणित होना िाणहए। • ऐसी बहु- प्भावी यणुतियों और णरियाकलापों से ससुण्जत होना िाणहए, णजनसे गणितीय ज्ान को

    बचिों द्ारा ििेने, िोजने और संिाररत करने में सहायता णमल सके। • णवकास के सतर का मलूयांकन करने त्ा भांत अवरारिाओ ंको िरू करने हते ुणनिानातमक योजना

    बनाने में सम ध्ा होना िाणहए। णपछले कुछ ििकों में, णवद्ाण ध्ायों द्ारा की जाने वाली गणितीय त्रणुटयों त्ा उनमें णिक्षि-

    अणरगम प्णरिया के िौरान णवकणसत भांत अवरारिाओ ंके पनुरूत्ान की ओर वयणतियों में रुणि उतपनन हुई ह।ै यद्णप भांत अवरारिाओ ंपर पनु: णविार करना गणितीय प्ोग्रामों का सिवै एक अणभनन अगं रहा ह,ै परंत ुइसे सिवै एक संभव णनिानातमक योजना के संकुणित अ ध्ा के रूप में ही ििेा जाता रहा ह।ै कुछ समय पहले ही, णिक्षाण ध्ायों के संज्ान, गणितीय णितंन और जाँि को समझने में, अनसुंरान ने भांत अवरारिाओ ंके महतव पर पनु: बल णिया ह।ै

    वतधामान प्णिक्षि मॉड्यलू गणितीय अवरारिाओ ंकी अ ध्ापिूधा रिना में णवद्ाण ध्ायों को वयसत रिने के णलए, णिक्षि-अणरगम णविारों के बारे में ह।ै यह णनिाधायक गणितीय अवरारिाओ ंकी पनुरधािना के णलए णवद्ाण ध्ायों के उत्तरों से गणित णिक्षकों को हल योजनाए ँिोजने में सिक्त बनाने के बारे में भी ह।ै

    मताध्ममकस्ि पिमहतवपूर्णगमर्

    गणितीय रूप से साक्षर होने में गणित के मलूय और सुंिरता की सराहना करना सणममणलत ह ैत्ा सा् ही पररिातमक सिूना का आकलन और प्योग करने में सम ध्ा होना और इस ओर झकुाव होना भी सणममणलत ह।ै गणितीय िणति ‘‘िोजने, अनमुान लगाने त्ा ताणकधा क णववेिन करने की सामथयधा त्ा सा् ही अनमुान अणनयणमत समसयाओ ंको हल करने में णवणभनन प्कार की गणितीय णवणरयों को प्भावी रूप से प्योग करने के सामथयधा त्ा आतमणवश्वास और ऐसा करने के साक्य’’ सणममणलत करती ह।ै

    (एनसीटीएम1989)

    णवद्ा्थी में गणितीय िणति णवकणसत करने में सम ध्ा होने के णलए पाि्यियाधा और णिक्षािासत्र में एक संतलुन की आवश्यकता ह ैताणक कक्षा का कमरा गणितीय णविारों को बढावा िनेे के णलए णवद्ाण ध्ायों को बौणधिक णरियाकलापों में वयसत रिने हते ुससुण्जत हो जाए।

    माधयणमक सतर के गणित में, णवणभनन णवरयों संबंरी वयवस्ाए ँहैं, जैसे बीजगणित, ् याणमणत और प्ाणयकता, परनत ुये सभी बल पड़ी हुई रणससयाँ अतं में पिूधातया अतंरसंयोणजत हो जाती हैं। इन अतंरसंयोजनों

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    को संसारनपिूधा णिक्षि द्ारा प्भावी रूप से बनुना िाणहए। एक ससुंगत पाि्यियाधा महतवपिूधा गणितीय णविारों की रिना करने त्ा उनहें एकीकृत करने में सहायता करती ह ैताणक और अणरक संिोणरत अवरारिातमक संरिनाए ँणनणमधात हो सकें ।

    माधयणमक वरधा, पररवतधान का एक िरि ह,ै जब णिक्षा्थी अणरक महतवाकांक्षी, सवतंत्र, िोजने वाला और परावतथी हो जाता ह।ै माधयणमक गणित पाि्यियाधा को णवद्ाण ध्ायों को इसमें सम ध्ा बनाना िाणहए णक वे बीजगणित, ्याणमणत, प्ाणयकता, सांण्यकी में जो जोड़ने वाली कड़ी ह ैउसे ििे पाए ँत्ा गणितीय णविारों को णवणभनन णवणरयों से णनरूणपत करने को भी ििे पाए।ँ उनहें अणरक आकरधाक नवीनतम और अतंर्धाणष्ट समय के माधयम से गणितीय पिों में, कलपना करने, णनरूणपत करने और अनभुवों का णवश्लेरि करने में अपनी सामथययों में वणृधि करनी िाणहए।

    माधयणमक गणित पाि्यियाधा के उद्शे्य हैं णक णवद्ाण ध्ायों को बेहतर िणैक्षक वयावसाणयक/सामाणजक णवकलपों के णलए आवश्यक महतवपिूधा गणित से भली-भाँणत ससुण्जत णकए जाने के अवसर प्िान णकए जाए।ं यह णवद्ाण ध्ायों को नई णस्णतयों से अनवेरन करने, उनके अ ध्ा बनाने त्ा उनसे गणितीय अ ध्ापिूधा रिना करने के णलए सिक्त बनाता ह।ै

    माधयणमक गणित पाि्यियाधा को णवद्ाण ध्ायों के णलए एक प्मानणित्र प्िान करना िाणहए ताणक वे अपनी जीवन-ियाधा की रुणियों और िणैक्षक णवकलपों की िोज कर सकें ।

    वतधामान मॉड्यलू का उिशे्य णिक्षकों की णनमन सामथययों को सढृुढ करना ह ै:

    • महतवपिूधा णवरयक कणडयों के णिक्षि के णलए, उणित यणुतियों और संसारनों का प्योग करना। • णवद्ाण ध्ायों में सपष्टता और रुणि को बढावा िनेे के णलए उपयकु्त गणितीय कायधा िनुना/रणित

    करना। • महतवपिूधा गणितीय अवरारिाओ ंकी सवाभाणवकता, अनतधाणनणहत और ससुंगतता के णलए रूपरेिा

    की पनु: रिना करना। • णवद्ाण ध्ायों की गणित की समझ का मलूयांकन करने के णलए नए संिोणरत सारन प्योग करना। • गणित णिक्षकों में णविारों और अनभुवों के परावतधान और वया वसाणयक णवणनमय को बढावा

    िनेा। आििधा रूप से, णवद्ाण ध्ायों को यह अ ध्ा समझ आ जाना िाणहए णक उनहें क्या पढाया जा रहा ह।ै जैसे-जैसे णवद्ा्थी प्ांरणभक सकूली वरयों से सीणनयर ग्रेडों में जाते हैं, उनहें णविारों की एक पधिणत के रूप में, पररमाि णनणिधाष्ट करने वालों के रूप में, संिार और णनरूपि के एक सारनों के रूप में सं्याओ ंकी एक गहन समझ णवकणसत कर लेनी िाणहए। मानणसक यणुतियों को प्कट करने के णलए, अणभकलनातमक प्वाह में एक रीरे-रीरे प्गणत त्ा वैकणलपक कलन णवणरयाँ णवद्ाण ध्ायों को अणरक णवश्वसनीय और णविारातमक बनाने के णलए महतवपिूधा ह।ै

    बीजगणित गणितीय णविारों को संिाररत करने के णलए, गणित की भारा ह।ै यह मलू संिभधा के बाहर जाकर अवरारिाओ ंको अमतूधा करने त्ा वयापकीकरि करने की एक णवणर ह।ै यह णिक्षाण्धायों को गणितीय अमतूयों, सांकेणतकता और वयापकीकरि की िणतियों की सराहना करने म ेसम ध्ा बनाता ह।ै

    ्याणमणत माधयणमक गणित पाि्यियाधा में महतवपिूधा स्ान रिती ह,ै जहाँ णवद्ा्थी अणभगहृीतातमक संरिना और ् याणमतीय उपपणत्तयों की िणति की सराहना करना सीिते हैं। एक भली-भाँणत ससुण्जत णिक्षक णवद्ाण ध्ायों के अनमुानों को िोजने त्ा तकधा ि को सढृुढ बनाने में सहायता कर सकता ह।ै

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  • पररिय 5

    गणित में सबसे अणरक सा ध्ाक पररवतधान ्यााणमणत को बीजीय पधिणत के रूप में समझना ह।ै ्याणमणत और बीजगणित के बीि में पारसपररक णरिया णवद्ाण ध्ायों की कलपना करने, सणूत्रत करने त्ा इन पधिणतयों के बीि में पररवतधान करने की क्षमता को सरु्ढ बनाती ह।ै

    णत्रभजुों के मापन के अधययन के रूप में णत्रकोिणमणत नौकािालन और सववेक्षि के क्षेत्रों से अनेक वासतणवक िबि समसयाओ ंके णलए एक अपररहायधा यंत्र ह।ै यह पररिधुि रूप से णकसी समकोि णत्रभजु की भजुाओ ंऔर कोिों के पररभाणरत अनपुातों पर आराररत ह।ै वैज्ाणनक रूप से पररभाणरत ये अनपुात अनेक सवधासणमकाए ँरणित करते हैं, जो प्िरु णत्रकोिणमतीय अनपु्योगों से संबधि होती हैं।

    िणैनक जीवन में, सिूनाओ ं को साँराणित करने, उनका णवश्लेरि और रूपांतरि करने के णलए, आकंडे़ संसार पर राज करते हैं। अ ध्ापिूधा णनष्करधा णनकालने के णलए, आकँडे़ का संग्रह, संघटन, णनरूपि और णनवाधािन महतवपिूधा हैं। पाि्यियाधा के एक अगं के रूप में सॉण्यकी को गणितीय पररिधुिता और सांण्यकीय सणननकटता के बीि अतंरों की सराहना करने में णवद्ाण ध्ायों की सहायता करनी िाणहए।

    अतंर संबंणरत अवरारिाओ ंके एक एकीकृत णपंड के रूप में, णवद्ाण ध्ायों के णलए गणित को एक उचि –सतरीय मान का णवरय होना िाणहए। इसके णलए परावतधान अभयासों में णनंरतर वयसत वयवसाय की ओर झकुाव वाले गणित णिक्षकों के सही र्णटिकोि की आवश्यकता ह।ै

    प्रमिक्षरपैकेजकतामवकतास्थतामतासटिप्रमिक्षकोंकीमिक्षता

    राष्ट्ीय पाि्यियाधा रूपरेिा (एन सी एफ) – 2005 सझुाव ितेा ह ै णक रिनातमक अणरगम णसधिांत पर आराररत रिनातमक तकनीकों पर मु् य केणनरित होने के सा् णिक्षि-अणरगम के अणभगम में संपिूधा पररवतधान होना िाणहए। यह णसधिांत इस बात पर णवश्वास रिता ह ै णक अणरगम सिवै बचि ेमें पहले से णवद्मान ज्ान के आरार पर णनणमधात णकया जाता ह।ै अणरगम तभी अणरक प्भावी होता ह,ै जबणक णिक्षा्थी अणरगम प्णकया में सणरिय रूप से वयसत रह,े न णक उस णस्णत में जब वह णनणष्रिय रूप से ज्ात प्ाप्त करता ह।ै एन सी एफ- 2005 पर आराररत एन सी ई आर टी द्ारा णवकणसत पाि्यपसुतकें इस बिलाव के सा् णलिी गई हैं। गणित के णिक्षि पर एन सी एफ-2005 की संसतणुतयाँ हैं:

    • सं्यांकन से संबणरत संकुणित लक्यों को प्ाप्त करने के केनरि -णबनि ुको बचि ेके णितंन, णविारों की सपष्टता त्ा कलपनाओ ंको ताणकधा क णनष्करषो तक पहुिँाने (यह एक योगयता ह ैणजसे गणित णिक्षक को णिक्षा्थी के अिंर णनणमधात णकए जाने की आवश्यकता ह,ै ताणक वह अमतूधानों को वयवणस्त रि सके) के आतंररक संसारनों को णवकणसत करने के उचितर लक्यों पर स्ानांतररत करना। समणृत से तकनीकों को याि करने के स्ान पर यह समझना णक एक गणितीय तकनीक को कब और कैसे उपयोग णकया जाना ह।ै गणित के अणरगम को णिक्षा्थी के जीवन अनभुव का एक भाग बनाना िाणहए। णिक्षा्थी अ ध्ापिूधा समसयाओ ंको प्सततु करने त्ा उनहें हल करने में सम ध्ा हो जाना िाणहए। गणितीय अणरगम की अवणर में समसया हल करने का एक कौिल के रूप में णवकास अणत मलूयवान ह।ै

    • प्तयेक णवद्ा्थी को सफलता के एक बोर के सा् वयसत रिना, जबणक इसके सा् ही गणितीय रूप से प्णतभािाली बचिों के णलए अवरारिातमक िनुौणतयाँ प्सततु करना।

    • णिक्षकों को णवणभनन प्कार के गणितीय संसारनों से संवणरधात करना।

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  • 6

    एन सी एफ- 2005 पर आराररत पाि्यपसुतकों के णवकास के उपरांत, केनरिीय णवद्ालय संगिन, नवोिय णवद्ालय सणमणत त्ा हररयािा रा्य से िनेु गए णिक्षकों को मासटर प्णिक्षकों के रूप में, आमने – सामने की णवणर द्ारा, इन पाि्यपसुतकों के प्योग के णवरय में प्णिणक्षत णकया गया। कुछ णिक्षकों को ेटलीकानफे्णसंग णवणर द्ारा भी प्णिणक्षत णकया गया। यह अपेक्षा की गई ्ी णक केवीएस, एनवीएस और हररयािा सरकार इन मासटर प्णिक्षकों की सहायता से णिक्षकों के णलए आगे के प्णिक्षि आयोणजत करेंगे। परंत ुऐसा प्तीत होता ह ैणक ऐसा एक बडे़ पैमाने पर साकार नही हो पाया ह।ै

    माधयणमक सतर पर गणित की वतधामान पाि्यपसुतकें लगभग 5 वरयों से प्योग की जा रही हैं। अब एन सी ई आर टी ने माधयणमक सतर के णलए गणित में प्श्न प्िणिधाकाए ँत्ा सा् ही प्योगिाला मनैयुल भी णवकणसत कर णलए हैं । एन सी एफ- 2005 के आियों पर आराररत, माधयणमक सतर पर गणित णिक्षि में णिक्षकों के मागधाििधान के णलए, प्णिक्षि कायधारिमों को आयोणजत करने की आवश्यकता ह ैऔर इसी कारि इन कायधारिमों के आयोजनों में सणुवरा के णलए प्णिक्षि पैकेज को णवकणसत करने की आवश्यकता ह।ै यह कायधा एक प्णिक्षि पैकेज को णवकणसत करने त्ा बाि में केवीएस, एनवीएस और णवणभनन रा्यों द्ारा अपने कक्षा णिक्षकों के णलए आयोणजत णकए जाने वाले प्णिक्षि कायधारिमों में इस प्णिक्षि पैकेज का प्योग णकए जाने वाले िनेु हुए मासटर प्णिक्षकों को प्णिणक्षत करने के णलए एक प्यास ह।ै इस प्णिक्षि पैकेज में यह अपेक्षा की गई ह ैणक इसमें णिक्षकों के णलए प्ििधाकों के रूप में, वयापक रूप से गणित णिक्षि के णलए त्ा णवणिष्ट रूप से कुछ िनेु हुए गणितीय णवरयों के णलए णिक्षि यणुतियाँ सणममणलत हों। यह प्णिक्षि पैकेज अवरारिाओ,ं वयापकीकरि और अनपु्योगों की णिक्षि – अणरगम प्णरिया में णिक्षिों के णलए पहिान की गई प्णिक्षि आवश्यकताओ ंपर आराररत होगा त्ा इसमें णिक्षाण्धायों में समसया हल करने की सामथयधा णवकणसत करना त्ा सा् ही गणित अणरगम का मलूयांंकन भी सणममणलत होगा।

    णिक्षकों की प्णिक्षि आवश्यकताओ ं की पहिान के णलए, एक प्श्नावली णवकणसत णकया गया त्ा उसे उपरोक्त पाि्यसामग्री के उपयोग करने वालों को भजेा गया। उनके उत्तरों का णवश्लेरि णकया गया त्ा माधयणमक सतर पर गणित णिक्षि के णलए कणिन णबनिओु ंकी पहिान की गई। इन पहिाने गए कणिन णबनिओु ंपर बारीकी से ििाधा की गई त्ा जलुाई 29- 31, 2011 के िौरान 3 णिवसीय एक योजना बैिक में प्णिक्षि आवश्यकताओ ंको अणंतम रूप णिया गया। प्णिक्षि पैकेज की णडजाइन संरिना और उसके आरूप पर भी ििाधा की गई और उनहें अणंतम रूप णिया गया। पैकेज की णवणभनन इकाइयों के लेिकों की भी पहिान की गई ताणक वे इकाइयों के णवकास के णलए प्ांरणभक तैयारी कर सकें । इस पैकेज का ड्ाफट कायधािाला णवणर द्ारा अक्ूटबर 10-13, 2011 के िौरान णवकणसत णकया गया। इस ड्ाफट का संपािन णिसमबर 20-24, 2011 के िौरान एक 5 णिवसीय कायधािाला में णकया गया। अतं में, एन आई ई पररसर, एन सी ई आर टी, नई णिलली में फरवरी 13-17, 2012 के िौरान प्णिक्षि कायधारिम आयोणजत णकया गया। इस प्णिक्षि के आरार पर, इस ड्ाफट की समीक्षा की गई त्ा इसे णवत्तीय वरधा 2012-13 में,आर एम एस ए के उपयोग के णलए संपाणित णकया गया। प्णिक्षि पैकेज अब वतधामान सवरूप में तैयार ह।ै

    इसप्रमिक्षरपैकेजमेंनीचेदीहुईइकताइ्तँासम्ममि्हैं:

    0. पररिय

    1. सं्या पधिणतयों का णिक्षि

    2. बीजगणित का णिक्षि

    Introduction.indd 6 3/29/2017 3:28:24 PM

  • पररिय 7

    3. ्याणमणत का णिक्षि

    4. क्षेत्रणमणत का णिक्षि

    5. साँण्यकी और प्ाणयकता का णिक्षि

    6. गणित में समसया हल करना

    7. िणैक्षक मलूयांकन की अवरारिा

    8. गणित अणरगम का मलूयांकन

    यह सझुाव णिया जाता ह ै णक इस प्णिक्षि पैकेज का प्योग करते हुए, णिक्षकों के णलए प्णिक्षि कायधारिमों को आयोणजत करते समय,कायधारिम की िरुूआत एन सी एफ-2005 और गणित णिक्षा के णलए उसकी संसतणुतयों के एक सत्र से होनी िाणहए त्ा एक सत्र माधयणमक सतर के गणित णिक्षि पर एन सी एफ – 2005 के प्भावों पर होना िाणहए। इन िो सत्रों के बाि, पहिान णकए गए गणित के पाँि क्षेत्रों में से प्तयेक की वयापक यणुतियों त्ा इन क्षेत्रों म ेिनेु गए कुछ णवरयों के णिक्षि पर प्ििधाकों के णलए एक-एक सत्र होना िाणहए। इन क्षेत्रों में से प्तयेक से कुछ िनेु हुए णवरयों पर प्णतभागी णिक्षकों द्ारा प्ििधाक णवकणसत कराए जाने के णलए एक-एक सत्र रिा जाना िाणहए त्ा प्तयेक के णलए उनके प्सततुीकरि और ििाधा के णलए एक सत्र रिना िाणहए। समसया हल करने त्ा गणित अणरगम के मलूयांकन में से प्तये क के णलए िो सत्र रि ेजा सकते हैं। एक सत्र प्णतभागी णिक्षकों द्ारा संपनन हुए प्णिक्षि कायधारिम पर उनके णविार और प्णतणरिया वयक्त करने के णलए (फीडबैक) रिा जा सकता ह।ै उपरोक्त को र्णटिगत रिते हुए, प्णिक्षि कायधारिम के णलए, उिाहरिा्धा समय-सारिी नीि ेिी जा रही ह ै:

    मदन 9.00amसे10.15am

    10.30pmसे11.45pm

    12.00pmसे1.15pm

    2.15pmसे3.30pm

    3.45pmसे 5.15pm

    णिन 1 रणजसटे्िन/उि््ााटन एन सी एफ 2005 और उसकी संसतणुतयाँ

    माधयणमक सतर के गणित णिक्षि पर एन सी एफ- 2005 का प्भाव

    सं्या पधिणतयों का णिक्षि त्ा सं्या पधिणतयों के कुछ णवरयों के णिक्षि पर प्ििधाक

    प्णतभाणगयों द्ारा सं्या पधिणतयों के िनेु हुए णवरयों के णिक्षि पर प्ििधाकों का णवकास

    णिन 2 गणित में समसया हल करना

    प्णतभाणगयों द्ारा सं्या पधिणतयों के णिक्षि पर णवकणसत प्ििधाकों का प्सत ुती-करि

    बीजगणित का णिक्षि त्ा बीजगणित के कुछ णवरयों के णिक्षि पर प्ििधाक

    प्णतभाणगयों द्ार बीजगणित के िनेु हुए णवरयों के णिक्षि पर प्ििधाकों का णवकास

    प्णतभाणगयों द्ारा बीजगणित के णिक्षि पर णवकणसत प्ििधाकों का प्सतवुणतकरि

    णिन 3 गणित अणरगम का मलूयांकन

    समसया हल करने पर समहू कायधा

    ्याणमणत का णिक्षि त्ा ्याणमणत के कुछ णवरयों के णिक्षि पर प्ििधाक

    प्णतभाणगयों द्ारा ्याणमणत के िनेु हुए णवरयों के णिक्षि पर प्ििधाकों का णवकास

    प्णतभाणगयों द्ारा ्याणमणत के णिक्षि पर णवकणसत प्ििधाकों का प्सत ुतीकरि

    Introduction.indd 7 3/29/2017 3:28:24 PM

  • 8

    णिन 4 क्षेत्रणमणत का णिक्षि त्ा क्षेत्रणमणत के कुछ णवरयों के णिक्षि पर प्ििधाक

    प्णतभाणगयों द्ारा क्षेत्रणमणत के कुछ िनेु हुए णवरयों के णिक्षि पर प्ििधाकों का णवकास

    प्णतभाणगयों द्ारा क्षेत्रणमणत के णिक्षि पर णवकणसत प्ििधाकों का प्सतकुतीकरि

    गणित अणरगम के मलूयांकन पर समहू कायधा

    णिन 5 सांण्यकी और प्ाणयकता का णिक्षि त्ा सांण्यकी और प्ाणयकता के कुछ णवरयों के णिक्षि पर प्ििधाक

    प्णतभाणगयों द्ारा सांण्यकी और प्ाणय-कता के कुछ िनेु हुए णवरयों के णिक्षि पर प्ििधाकों का णवकास

    प्णतभाणगयों द्ारा सांण्यकी और प्ाणयकता के णिक्षि पर णवकणसत प्ििधाकों का प्सतकुतीकरि

    मलूयांकन और फीडबैक

    Introduction.indd 8 3/29/2017 3:28:24 PM

  • 1.1 भूमिका :क्या आपने कभी सोचया ह ैकक हम प्या्: वस्तुओ ंको किनने के किए किन संख्याओ ंकया प््ोि कर्े हैं वे कक्ने प्कयार की हो्ी हैं? इस उद्शे् के किए हम संख्याए ँ1, 2, 3 इत्याकि कया प््ोि कर्े हैं। ्े संख्याए ँकिन्ी अथवया प्याकृ् संख्याए ँकहिया्ी हैं। क्या आपको कभी आशच ््य हुआ कक ्े संख्याए ँकहयँा से आई?

    प्यािैक्हयाकसक मनतुष्ों को संख्याओ ंकी कतु छ आवश्क्या थी। ्द्यकप, िैसे – िैसे उनकी समपकति की मयात्या बढ़ने ििी, ्ो उनहोनें अपनी वस्तुओ ंकया ररकयार्य रखने के किए कतु छ अशोकि् कवकि्ों कया प््ोि करनया प्यारंभ कक्या। उियाहरणयाथ्य, सतुबह के सम् िब ककसी व्कति की भडे़ें िंिि में घयास चरने के किए िया्ी थी ्ो वह प्त्ेक भडे़ के किए एक पतथर कया टतुकड़या रख िे् या थया और इस प्कयार पतथरों के टतुकड़ो कया ढे़र बन िया्या थया। रया् के सम् िब उसकी भडे़ें वयाकपस िौट्ी थीं, ्ो वह प्त्ेक भडे़ के किए ढे़र में से एक पतथर बयाहर कनकयाि्या थया। इस प्कयार वह प्या ििया िे्या थया कक सभी भडे़ें वयापस आई हैं अथवया नहीं।

    िमबे सम् के पशचया्,् एक वस्तु को िसूरी वस्तु के सयाथ सतुमकेि् करने की बिया्, मनतुष् ने संख्याओ ं को हयाथ और उंिकि्ों की कसथक् से िशया्यनया शतुरू कक्या। परन्तु संख्याओ ं कया इस प्कयार कया प्िश्यन, िणनया कया ््य के किए उप्तुक् नहीं थया। कतु छ सम् पशचया् ् िेखन के शोिन के सयाथ, इन संख्याओ ंके किए कतु छ संके्ों कया विगीकरण कक्या ि्या। उियाहरणयाथ्य, ग्ीक िोिों ने ,α β इत्याकि कया प््ोि कक्या, रोम के िोिों ने संख्या 1, 4, 10 को िशया्यने के किए क्रमश: I, IV, X कया प््ोि कक्या, इनको ्ो हम आि भी प््ोि कर्े ह।ै अन््:, कहनितु - अरकबक संख्या सकें ्ो 1, 2, 3, 4 कया अकवषकयार कक्या ि्या किनहें हम आिकि प््ोि कर्े हैं। कहनितु – अरकबक संख्या पद्धक् कया नयामकरण कहनितुओ ंकिनहोंेने इनकया आकवषकयार कक्या और अरबों किनहोंने इनहें पकशचमी ् रूोप में पहुचँया्या, के नयाम पर कक्या ि्या ह।ै व ््यमयान संख्या संके्ों के सबसे पतुरयाने सं रकषि् उियाहरण रयािया अशोक द्यारया, 250 BC में, भयार् में, बनवया्े ि्े पतथर के कतु छ स्मभोंे म ेपया्े िया्े हैं।

    प्यारकमभक सम् में, मनतुष् केवि अपनी वस्तुओ ंको किनने के किए संख्याओ ंकया प््ोि कर्या थया परन्तु कतु छ सम् पशचया् ्‘कतु छ नहीं अथवया कोई नहीं’ को िशया्यने के किए संके् की आवश्क्या हुई। कहनितु शोिक्या्यओ ंने ‘ररक् समहू’ अथवया ‘कोई नहीं’ को िशया्यने के किए संके् 0 (शनू्) कया अकवषकयार कक्या। प्याकृ् संख्याए,ं संख्या ‘0’ के सयाथ कमिकर पणू्य संख्याए ंकहिया्ी हैं। ककसी प्याकृ् संख्या द्यारया कनरूकप् कसथक् के कवपरी् कसथक् को िशया्यने के किए ककस प्कयार की संख्या िी ियाए। उियाहरणयाथ्य ्कि कोई प्याकृ् संख्या शनू् से 5 करग्ी अकिक को कनरूकप् कर्ी ह,ै ्ो शनू् से पयँाच करग्ी कम को कैसे िशया्य्या ियाए। हमयारे पवू्यि इस प्कयार की समस्या ओ ंकया ििया्यार सयामनया कर्े रह।े हमयारी संख्या, पद्धक् कया एक और महतवपणू्य कवस्यार ििभि सौ वर्य बयाि आ्या। शनू् को मिू कबनितु िेकर, मिू कबनितु के िया्ीं ओर कसथ् ककसी संख्या के, संि् मिूकबनितु के बया्ीं ओर कसथ् संख्या के

    सखं्ा पद्धमि का मिक्षण

    11

    ������ ������ �� ������ Unit-I.indd 9 3/29/2017 3:29:41 PM

  • 10

    कवर् में सोचनया समभव हुआ। उियाहरणयाथ्य, –5 को 5 के संि् और –3 को 3 के संि् कि्या ि्या और इसी प्कयार अन् के किए भी। –4, –3, –2, –1, िैसी ॠणयातमक संख्याए ँपणू्य संख्याओ ंके सयाथ कमिकर पणूयाांक कहिया्ी ह।ै

    मििेषि:, वस्तुओ ंको मयाप्े सम् ककसी पणू्य वस्तु के एक भयाि को िशया्यने में मनतुष् ने सवं् को अ्ोग् पया्या उियाहरणयाथ्य ्कि कोई घड़या परूी ्रह भरया हुआ नहीं थया ्ो घडे़ म ेकक्नया पयानी थया। इस आवश्क्या ने कभनन नयामक नई संख्याओ ंके अकवषकयार की ओर

    अग्सर कक्या। कभनन , pq

    के रूप की हो्ी ह ैिहयँा p और q पणू्य प्याकृ् संख्याए ंह।ै पणूया्यकों की ्रह, कभनन के कवपरी् कसथक््ों

    को िशया्यने के किए नई संख्याए ंिैसे 2 4 53 3 7

    , ,− − − इत्याकि को संख्या पद्धक् म ेसकममकि् कक्या ि्या। ्े नई संख्याए ंपणूया्यकों एवं

    कभनन सकह्, पररमे् संख्याए ँकहिया्ी हैं। अ्: पररमे् संख्या p

    q के रूप की संख्या हो्ी ह ैिहयँा p ्थया q पणूयाांक हैं और q ≠ 0.

    छठी श्याबिी BCE, कतु छ ऐसी संख्याओ ंकी आवश्क्या पड़ी िो पररमे् संख्याए ंनहीं थी अथया्य् ्इन संख्याओ ंको िो पणूयाांको के भयािफि के रूप में व्क् नहीं कक्या िया सक्या थया। पया्थयािोरस ने अकवषकया र कक्या कक एक फतु ट िमबीं भतुिया के वि्य कया

    कवकण्य 2 फतु ट िमबया हो्या ह।ै इस संख्या को िो पणूयाांकों के भयािफि के रूप में व्क् करनया असमभव ह।ै इस प्कयार की संख्याए ंअपररमे् संख्याए ंकहिया्ी हैं।

    पररमे् और अपररमे् संख्याए ंकमिकर एक समहू बनया्ी हैं किसे वयास्कवक संख्याओ ंकया समहू कहया िया्या ह।ैिकण् में शतुरू से अं् ्क वयास्कवक संख्याए ंप््ोि की िया्ी हैं और हमें इन संख्याओ ंके सयाथ भिी भयंाक् पररकच् होनया

    चयाकहए, िैसे कक-

    3262, 54, -3, , 3 , 0, 74 , 0.444..., 291.38, 1.212112111...7

    1.2. सािान् कौिल1. पवू्य में अध््न ककए संख्या पद्धक् को समरण करनया2. कशषिण के किए आिमकनक – कनिमकनक कवकि कया प््ोि करनया3. कवकभनन अवियारणयाओ ंकी उियाहरणों एवं कक्र्याकियापों से व्या ख्या करनया 4. कवद्ययाकथ्य्ों को व्यावहयाररक स्र की समस्याओ ंको हि करने ्ोग् बनयानया।

    1.3. िूल सकंल्पनाएं • पररमे् संख्याएँ • अपररमे् संख्याएँ • संख्या रेखया पर अपररमे् संख्याओ ंकया सथयान कनिया्यरर् करनया • वयास्कवक संख्याए ंऔर उनकया िशमिव प्सयारण • वयास्कवक संख्याओ ंपर संकक्र्याएं • वयास्कवक संख्याओ ंके किए घया्यंाक के कन्म • करकण्यँा • हर कया पररमे् करण • संख्याओ ंकी अपररमे् ्या कसद्ध करनया

    –3 –2 –1 0 1 2 3

    ������ ������ �� ������ Unit-I.indd 10 3/29/2017 3:29:53 PM

  • संख्या पद्धक् कया कशषिण 11

    • ऐसे प्क्बंिों की छयान – बीन करनया कक कब एक पररमे् संख्या कया िशमिव प्सयारण, सयंा् हो्या ह ैऔर कब असयंा् आव्गी हो्या ह।ै

    • ्कूकिर की भयाि प्मके्कया (िेमया) • िो घनयातमक पणूयाांको कया म. स. ज्या् करने के किए ्कूकिर की भयाि किन – कवकि • अकंिकण् की आियारभू् प्मे् और इसके अनतुप््ोि

    1.4. मिक्षण कौिलअब हम, कषिया में कशषिण – अकििम के किए नीच ेिी िई हुई कतु छ मिू संकल्पनयाओ ंके कवर् में चचया्य करेंिे:

    I. करकण्यँा

    II. हर कया पररमे् करण

    III. ्कूकिर की भयाि प्मके्कया

    करमण्ां कशषिक (T): आप पहिे से ही पररमे् ्थया अपररमे् संख्याओ ंसे पररकच् हैं, क्या आप पररमे् संख्याओ ं्थया अपररमे् संख्याओ ंके कतु छ उियाहरण ि ेसक्े हैं ?

    कवद्ययाथगी (S1): 3, - 5, 0, 2

    3 और 2

    3

    − पररमे् संख्याए ंहैं।

    कवद्ययाथगी (S2): 32, 3, 6, 7,− 2 3, 2 5+ + और

    2

    3 अपररमे् संख्याए ंहैं।

    T: इन सभी अपररमे् संख्याओ ंमें संके् ‘ ’ कया प््ोि कक्या ि्या ह।ै क्या आप इस संके् कया नयाम ियान्े हैं ?

    S2: हयँा मरैम, इसे ‘करणी कचह्र’ कहया िया्या ह।ै

    T: बहु् अचछया! आप िखे सक्े हैं कक इन संख्याओ ंमें से कतु छ संख्याओ;ं 32, 3, 6, 7− और 2

    ,3 में

    करणी कचनह ‘ ’ के अन्ि्य् पररमे् संख्याए ंहैं। S

    3: मरैम, ऐसी संख्याओ ंकया क्या ? कोई कवशरे नयाम ह?ै

    T: ऐसी संख्या को करणी कह्े ह।ै अ्: एक करणी कहियाएिी, ्कि

    I. n a एक अपररमे् संख्या ह ैऔर

    II. a एक पररमे् संख्या ह।ै

    क्या. आप करकण्ों के कतु छ और उियाहरण ब्या सक्े हैं ?

    S: 5 , 6

    T: कतु छ और उियाहरण ब्याइए

    S: 5 4 , 3 5 , 6 2

    T: बहु् अचछया!

    अब कतु छ ऐसी संख्याओ ंके उियाहरण िीकिए किनमें करणी कचनह ्ो ह ैपरन्तु, वे करकण्यंा नहीं हैं।

    ������ ������ �� ������ Unit-I.indd 11 3/29/2017 3:29:59 PM

  • 12

    कवद्ययाकथ्य्ों से कोई प्क्कक्र्या प्याप्् नही हो्ी ह।ै

    T: करणी की पररभयारया पर ध्यान िीकिए। उपरोक् िो, प्क्बंिों में से ्कि कोई एक, प्क्बंि सं्तुषट नहीं हो्या ह,ै ्ो वह संख्या करणी नहीं कहियाएिी। प्थम प्क्बंि के अनतुसयार n a एक अपररमे् संख्या ह।ै इसकिए n a प्कयार की एक ऐसी संख्या सोकचए िो अपररमे् नहीं ह ैअथया्य् िो पररमे् ह।ै

    S1: 4

    S2: 9

    T: अचछया, क्या 3 8 एक करणी ह ै?

    S1: हयँा

    S2: नही मरैम, क्ोंकक 3 8 = 2, इसकिए ्ह करणी नहीं ह।ै

    T: इसी प्कयार 4 16 , 5 32 भी ऐसी संख्याओ ंके उियाहरण हैं िो करकण्यँा नहीं हैं।

    T: िसूरे प्क्बंि के अनतुसयार, n a में, a एक पररमे् संख्या ह।ै इसकिए π , 2 2− इत्याकि िैसी संख्याए ंकरकण्यंा नहीं है

    T: 4 , 16 के कवर् में आपके क्या कवचयार ह?ै क्या ्े करकण्यँा हैं ?

    S: नहीं

    T: क्ों

    कोई प्क् कक्र्या नहीं

    T: 4 को 2 किखया िया सक्या ह ैऔर अब करकण्ों के िोनों प्क्बंि सं्तुषट हैं अथया्य् 2 एक अपररमे् संख्याए ह ै

    और 2 एक पररमे् संख्यंा ह।ै इसकिए 4 एक करणी ह।ै 16 4 2= = , ्ह एक पररमे् संख्या ह ैऔर इसकिए

    16 एक करणी नहीं ह।ै

    T: क्या 125 एक करणी ह ै?

    S: हयँा, 125 = 5 5 5× × = 5 5× × 5 =5 5 , ्ह एक करणी ह ैक्ोंकक 5 5 एक अपररमे् संख्या ह।ै

    T: इसकिए, 125 = 5 5 , 125 को 5 5 किखनया करणी कया सरिीकरण कहिया्या हैं

    अब 18 को सरि कीकिए।

    S: 18 = 3 3 2× × = 3 3× × 2 = 3 2

    T: अचछया

    7 2 4 2− को सरि करने पर क्या प्याप्् होिया ?

    S: 3 2 प्याप्् होिया।

    ������ ������ �� ������ Unit-I.indd 12 3/29/2017 3:30:01 PM

  • संख्या पद्धक् कया कशषिण 13

    T: क्या आप 16 5 3 125− को सरि कर सक्े हैं ?

    S: हम इसे सरि नहीं कर सक्े।

    T: क्ोंे

    S: क्ोंेकक िोनो पि कवकभनन हैं।

    T: क्या आप 125 को सरि कर सक्े हैं ?

    S: हयँा, हमने इसे अभी थोड़ी िरे पहिे कक्या ह।ै इसकया मयान 5 5 ह।ै

    अरे हयँा। हम 16 5 3 125− को कनमनकिकख् प्कयार सरि कर सक्े हैं:

    16 5 3 5 5− × = 16 5 15 5− = 5

    T: बहु् अचछया !

    10 × 5 कया मयान क्या होिया ?

    S: ्ह 2 5× × 5 ह।ै

    S ्हयँा पर रूक िया्या ह।ै

    T: हयँा। हयँा। आिे बकि़ए

    S: 2 5 5 2 5 5 2 5 5 2= × × = × × = × =

    T: बहु् अचछया !

    T: 2 2 × 3 2 कया मयान क्या ह?ै

    S: ्ह 2 3 2 6 2× = , ह।ै

    T: क्या आपको पणू्य कवशवयास ह ै? 2x × 3x ककसके समयान ह ै?

    S: 6x2

    T: ्ो, 2 2 × 3 2 = 2 3 2× , कैसे ?

    S: अरे हयँा । ्ह ्ो ( )22 3 2 6 2 12× × = × = होनया चयाकहएT: कबल्कतु ि ठीक

    अब ब्याइए कक ( )7 14 7+ कया मयान क्या ह?ै S: ्ह 7 14 7+ होिया

    छयात्, ्हयँा कतु छ सम् के किए रूक िया्या ह ैऔर ्ब कह्या ह,ै मरैम हम इसे और सरि कर सक्े हैं।

    T: हयँा, कीकिए

    ������ ������ �� ������ Unit-I.indd 13 3/29/2017 3:30:02 PM

  • 14

    S: 7 2 7 7 7 2 7 7× + = × × + = 7 2 7+

    T: हयँा, ठीक ह।ै

    ( )( )1 3 1 3+ − कया मयान क्या ह?ैS: ्ह 1 3 3 3 3 1 3 2+ − − = − =− होिया

    T: क्या आप इसे सरि करने के किए कोई सतू् (बीिी् सव्यसकमकया) कया प््ोि कर सक्े हैं ?

    S: अरे हयँा । कर सक्े ह।ै

    T: वह सतू् क्या ह?ै

    S: ( )( ) 2 2a b a b a b+ − = −

    इसकिए ्ह ( )221 3 1 3 2− = − =− होिया। T: अचछया

    अब ( )( )2 10 3 5 2 10 3 5+ − को सरि कीकिए

    S: ्ह 2 22 10 3 5− 2 10 3 5 5.= × − × = होिया

    T: क्या ्ह सही ह ै?

    S2: मरैम। ्ह ( ) ( )2 22 10 3 5− = 4 10 9 5 40 45 5× − × = − =− होनया चयाकहए।

    T: हयँा ्ह सही कवकि ह।ै

    ( )1 2+ ( )3 1 2 5− − को सरि कीकिएS: 3 1 2 3 2 2 5− + − −

    S: इसे 3 1 6 2 2 5− + − − के रूप में आिे और सरि कक्या िया सक्या है

    T: क्या हम इसे आिे और सरि नहीं कर सक्े ?

    S: नहीं

    T: क्ों?

    S: क्ोंकक सभी पि कवकभनन हैं

    T: हयँा, सभी पि कविया्ी् हैं। कविया्ी् करकण्ों के पि कविया्ी् पि कहिया्े हैं।

    2 3 , 4 5 , 2− कविया्ी् पि हैं। 3 , 2 3− , 334

    सिया्ी् पि हैं। 57

    कया मयान क्या ह ै?

    S: ्ह 57

    है

    T: कैसे इसे कैसे प्याप्् कक्या ?

    S: अशं और हर िोनों में से वि्यमिू को कनरस् करने पर

    ������ ������ �� ������ Unit-I.indd 14 3/29/2017 3:30:03 PM

  • संख्या पद्धक् कया कशषिण 15

    T: आप वि्यमिू के कचनह को इस प्कयार कनरस् नहीं कर सक्े।

    वयास्व में 1

    2

    12

    5 5

    77=

    घया्यंाको के कन्मों को समरण कीकिए। आप कवकभनन संख्याओ ंकी घया्ों को कनरस् नहीं कर सक्े।

    हम इसे 57

    किख सक्े हैं।

    इसी प्कयार, 88 422

    ≠ = .

    ्ह 8 4 22= = ह।ै

    पुनरािलोकन प्रश्न

    मनमनमलमिि को सरल कीमिए:

    (i) 150 (vi) 26 2 10 8+

    (ii) 112 (vii) 7 22 2

    (iii) 10 5× (viii) ( )2 7+ ( )7 2− (iv) ( )25 5 (ix) ( )2 10 3 5+ ( )2 10 3 5− (v) 9 5 2 5−

    (ii) हर का पररिे्करण:

    T: क्या आप 13

    कया मयान ज्या् कर सक्े हैं, ्कि 3 = 1.732 कि्या हुआ ह ै

    S1:

    1 1 1000

    1.732 17323= =

    0.5771732 1000.000

    866 0

    134 00

    121 24

    12 760

    12 124

    636

    ������ ������ �� ������ Unit-I.indd 15 3/29/2017 3:30:05 PM

  • 16

    अ्: 1 0.5773=

    S2: मैं इसे इस प्कयार भी कर सक्या हू:ँ ्कि हम 1

    3 को कनमन, प्कयार किखें, ्ो

    1 1 3 3 1.7320.577

    3 33 3 3= × = = =

    T: िोनों कवकि्यंा सही हैं परन्तु िसूरी कवकि में अशं और हर िोनो को 3 से ितुणया करने पर, हर एक पररमे् संख्या बन िया्ी ह।ै 3 कया मयान रखकर, आप इसकया मयान आसयानी से ज्या् कर सक्े हैं।

    ्हयँा पर आप मौकखक रूप से भयाि कर सक्े ह ैिबकक प्थम कवकि में भयाि बहु् मतुकशकि ह।ै

    हर से करकण्ों को ितुप्् करने की कवकि, हर कया पररमे् करण कहिया्या ह।ै

    T: क्या अब, आप 10 25

    के हर कया पररम्ेकरण कर सक्े ह?ै

    S: 10 2 10 2 5 10 1055 5 5

    = × =

    T: क्या आप इसे और अकिक सरि कर सक्े हैं?

    S: हयँा मरैम। मैं इसे 10 10 2 105=

    किख सक्या हू।ँ

    T: बहु् अचछया !

    अब, 5

    3 7 के हर कया पररमे् करण कीकिए

    T: क्या आप इसे और अकिक सरि कर सक्े हैं?

    S: हयँा मरैम। मैं इसे 10 10 2 105= किख सक्या हू।ँ

    T: बहु् अचछया !

    S: 5 5 3 7 3 35 359 7 213 7 3 7 3 7

    = × = =×

    T: ध्यान िीकिए, हर में 3 पहिे से ही पररमे् संख्या ह ैइसकिए 3 7 से ितुणया एवं भयाि करने की आवश्क्या नहीं ह।ै केवि

    7 से ितुणया एवं भयाि करनया प्या्यप्् होिया।

    S: हयँा, 5 5 7 5 7 353 7 213 7 3 7 7

    ×= × = =

    ×

    ������ ������ �� ������ Unit-I.indd 16 3/29/2017 3:30:06 PM

  • संख्या पद्धक् कया कशषिण 17

    T: बहु् अचछया! 13 5−

    के हर कया पररमे् करण करने कया प््यास कीकिए

    S1:

    1 5 5

    3 5 5 3 5 5× =

    − −

    S2: हर में अभी भी 5 ह।ै इसीकिए हर कया पररमे् करण नही हुआ।

    S3: मरेे कवचयार में इसे कनमन प्कयार कक्या िया सक्या ह:ै

    2 2

    1 (3 5)

    3 5 (3 5)

    3 5

    3 ( 5)

    3 5

    9 5

    3 5

    4

    − +

    +=

    +=

    −+

    =

    T: आपने इसे इस प्कयार करने के बयारे में कैसे सोचया?

    S3: मरैम, मैंने अपने मकस्षक में (a – b) (a + b) = (a2 – b2) सव्यसकमकया के बयारें में कवचयार कक्या थया।

    T: अब 1

    2 5− के हर कया पररमे् करण करने कया प््यास कीकिए।

    आप ककस संख्या से ितुणया एवं भयाि करोिे ?

    S: ्कि 2 से ितुणया कर्े हैं ्ो करणी कफर भी रहिेी और ्कि हम 5 से ितुणया कर्े ह,ै ्ो भी हर में करणी रहिेी। S, कशषिक की ओर िखे्या ह।ै

    T: इस प्शन में, ्कि आप 2 5− को 2 5+ से ितुणया कर्े हैं, ्ो आप ( )2 5−

    ( ) ( ) ( )2 22 5 2 5 2 5 3+ = − = − =− प्याप्् कर्े ह:ै और ्ह एक पररमे् संख्या है

    इसकिए 1 1 2 52 5 2 5 2 5

    += ×

    − − +

    अििया चरण क्या ह ै?

    S: 2 2

    2 5 2 5

    2 5( 2) ( 5)

    + +=

    −− = 2 5

    3

    +−

    T: अचछया, परन्तु आप उतिर को ( )2 5

    3

    − + किख सक्े हैं, किससे कक हर िनयातमक बन ियाए।

    अब हम कतु छ और उियाहरण िे्े हैं।

    ������ ������ �� ������ Unit-I.indd 17 3/29/2017 3:30:07 PM

  • 18

    1

    2 2 6+ के हर कया पररमे् करण कीकिए।

    S: 1 1 2 2 6

    2 2 6 2 2 6 2 2 6

    −= ×

    + + −

    ( ) ( )2 2

    2 2 6 2 2 6 2 2 6

    8 6 22 2 6

    − − −= = =

    −−

    2 6= −

    मरैम, मैंने इसे सरि्म रूप में किखया ह।ै

    T: ्ह अचछया ह ैकक आपने सरिीकरण के कवर् में सोचया, परन्तु आपने एक िि्ी की ह।ै िोबयारया ियँाकचए।

    S: 2 2 62

    को और अकिक सरि नहीं कक्या िया सक्या ह।ै हम ्हयँा पर 2 को कनरस् नहीं कर सक्े।

    T: बहु् अचछया ! हम 2 को ्भी कनरस् कर सक्े हैं ्कि अशं, ( )2 2 6− के रूप म ेहो्या परन्तु ्हयँा पर ऐसया नहीं ह।ै S: महोि्या। हमने इस पयाठ में बहु् आननि प्याप्् कक्या ह।ै हमने बहु् ििक््यँा की हैं। हम सभी प्शनों के सही उतिर ियान्े थे:

    परन्तु प्या नहीं उतिर किख्े सम् हमने ऐसी ििक््यँा कैसे कर िीं। हमें कतु छ और प्शन हि करने के किए िीकिए

    T: हयँा, मैं आपको अभ्यास के किए और अकिक प्शन िूिंी।

    पुनरािमृति प्रश्न

    कनमनकिकख् के हर कया पररमे् करण कीकिए:

    (i) 18

    15 (iii)

    5 2

    3 2

    +

    (ii) 13 3

    (iv) 16

    41 5−

    (v) 3 52 5

    +−

    (vi) 5 2

    3 2

    +

    (vii) 13

    3 6 2−

    (iii) ्ुम्लड की भाग प्रिेम्का (लेिा)T: कवद्ययाकथ्य्ों, 17 को 5 से भयाि िीकिए

    ������ ������ �� ������ Unit-I.indd 18 3/29/2017 3:30:07 PM

  • संख्या पद्धक् कया कशषिण 19

    S: 3

    5 17

    15

    2T: भयािफि क्या ह ै?

    S: 3

    T: शरेफि क्या ह ै?

    S: 2

    T: 17 और 5 को क्या कह्े हैं ?

    S: 17 को भयाज् और 5 को भयािक कह्े ह।ै

    T: क्या आपको 5, 17, 3 और 2 में कोई संबंि किखयाई िे् या ह ै?

    कवद्ययाकथ्य्ों की ओर से कोई प्क्कक्र्या नहीं प्याप्् हो्ी ह।ै

    T: हम 17 को कनमन प्कयार किख सक्े ह:ै

    17 = 5 × 3 + 2

    अथया्य् भयाज् = भयािक × भयािफि + शरेफि

    T: 21 को 5 से भयाि िीकिए और इसमें सकममकि् प्कक्र्या को उपरोक् रूप में किकखए

    S: 4

    5 21

    20

    1

    इसकिए, 21= 5 × 4 + 1

    T: अब 20 को 5 से भयाि िीकिए

    S: 4

    5 20

    20

    0

    इसकिए, 20 = 5 × 4 + 0

    बहु् अचछया !

    ्कि a और b िो घनयातमक पणूयाांक हैं और हम a को b से भयाि करें, ्ो उपरोक् रूप में किकखए

    िबकक q भयािफि और r शरेफि ह।ै

    S: a = bq + r

    T: बहु् अचछया!

    T: ्कि हम 10, 11, 12, 13, 14, 15, 16, 17 को 5 से भयाि करें ्ो हमें क्याे-क्या शरेफि प्याप्् होंिे ?

    ������ ������ �� ������ Unit-I.indd 19 3/29/2017 3:30:07 PM

  • 20

    S: शरेफि क्रमश: 0, 1, 2, 3, 4, 0, 1, 2 हैं।

    T: क्या इन भयािों के किए हमयारे पयास कोई और शरेफि हो सक्े ह ै?

    S: नहीं

    T: इसकिए हम कह सक्े ह ैकक ककसी कवकशषट भयाि कया शरेफि अकद्ध्ी् हो्या ह।ै

    हमने िखेया कक 4 के पशचया् ्शरेफिों की पतुनरयावकृति शतुरू हो िई ह ैकनषकर््य : िब हम ककसी िनयातमक पणूयाांक को 5 से भयाि कर्े हैं, ्ो समभयाकव् शरेफि 0, 1, 2, 3 अथवया 4 हैं।

    T: क्या ्हयँा पर शरेफि 5 अथवया 6 हो सक्या ह ै?

    S: नहीं

    T: इस प्कयार ्हयंा पर शरेफि कया अकिक्म मयान क्या हो सक्या ह ै?

    S: 4

    T: ्हयंा पर शरेफि कया न्नू्म मयान क्या हैं ?

    S: 0

    िब हम 12, 13, 14, 15, 16, 17, 18, 19 एवं 20 को 6 से भयाि कर्े हैं, ्ो शरेफि क्या ह ै

    S: शरेफि क्रमश: 0, 1, 2, 3, 4, 5, 0, 1, 2 हैं।

    T: ध्यान िीकिए, ्हयँा पर भी िब हमने 6 से भयाि कि्या ्ो समभयाकव् शरेफि 0, 1, 2, 3, 4 अथवया 5 हैं और इनके अक्ररक् कोई और शरेफि नहीं हो सक्या।

    T: शरेफि के अकिक्म एवं न् ून्म मयान क्या हैं ?

    S: शरेफि कया अकिक्म मयान 5 और न्नू्म मयान 0 ह।ै

    T: अ्:, उपरोक् िो उियाहरणों से हम इस कनषकर्य पर पहुचँ्े हैं कक 0 ≤ शरेफि < वह संख्या किससे हम भयाि ि ेरह ेहैं।

    अथया्य् 0 ≤ शरेफि < भयािक

    सयामयान््:, िब हम a को b से भयाि िे् े हैं और ्कि q भयािफि ्थया r शरेफि हैं, ्ो पवू्य की भयंाक् a = bq + r

    r पर क्या प्क्बंि ह ै?

    S: 0≤ r < भयािक (b)

    T: इस प्कयार हम 0≤ r < b, प्याप्् कर्े हैं।

    T: उपरोक् भयािों में हमने िो शरेफि प्याप्् ककए हैं, क्या उनके अक्ररक् भी शरेफि प्याप्् हो सक्े हैं ?

    S: नहीं

    T: कनषकर्य: ककसी कवकशषट भयाि में शरेफि अकद््ी् हो्या है

    T: आप सभी128 को 5 से भयाि िीकिए और भयािफि ब्याइए

    S1: ्ह 25 ह।ै

    ������ ������ �� ������ Unit-I.indd 20 3/29/2017 3:30:07 PM

  • संख्या पद्धक् कया कशषिण 21

    S2: 25

    S3: 25

    किनहोंने भयािफि 25 प्याप्् कक्या ह,ै वे अपने हयाथ उठया े्ं। सभी कवद्ययाथगी अपने हयाथ उठया्े हैं।

    T: इस प्कयार आप सभी द्यारया प्�