अनुबम - || home || hariomgroup · िस होता है। िवशु...

43

Upload: others

Post on 28-Oct-2019

11 views

Category:

Documents


0 download

TRANSCRIPT

Page 1: अनुबम - || Home || HariOmGroup · िस होता है। िवशु नाड़ीतंऽ वालेयोगी के िवशु शरीर में

अनबम आधयाितमक िव ा क उदगाता 3

ःवाःथय क िलए मऽ 5

ाःतािवक 5

चयर-रकषा का मनऽ 6

आसनो की िकया म आन वाल कछ शबदो की समझ 6

आवयक िनदश 7

योगासन 9

प ासन या कमलासन 9

िस ासन 12

सवागासन 14

हलासन 16

पवनम ासन 17

मतःयासन 18

भजगासन 19

धनरासन 21

चबासन 22

किटिपणडमदरनासन 23

अधरमतःयनिासन 24

योगमिासन 26

गोरकषासन या भिासन 27

मयरासन 28

वळासन 29

स वळासन 30

शवासन 31

पादपि मो ानासन 33

िऽबनध 35

मलबनध 35

उडडीयान बनध 35

जालनधरबनध 36

कवली कमभक 36

जलनित 37

गजकरणी 38

शरीर शोधन-कायाकलप 39

कलजग नही करजग ह यह 40

आधयाितमक िव ा क उदगाता ातः ःमरणीय प यपाद सत ौी आसाराम जी महाराज आज समम िव की

चतना क साथ एकातमकता साध हए एक ऐस ानी महाप ष ह िक िजनक बार म कछ िलखना कलम को शिमरनदा करना ह प यौी क िलए यह कहना िक उनका जनम िसनध क नवाब िजल क बराणी नामक गाव म ईस 1941 म िवस 1998 चत वद 6 को हआ था यह कहना िक उनक िपताौी बड़ जमीदार थ यह कहना िक उनहोन बचपन स साधना श की थी और करीब तईस साल की उ म उनहोन आतम-साकषातकार िकया था ndash इतयािद सब अपन मन को फसलान की कहािनया माऽ ह उनक िवषय म कछ भी कहना बहत एयादती ह मौन ही यहा परम भाषण ह सार िव की चतना क साथ िजनकी एकतानता ह उनको भला िकस रीित स ःथल समबनधो और प रवतरनशील िबयाओ क साथ बाधा जाय

आज अमदावाद स करीब तीन-चार िकमी उ र म पिवऽ सिलला साबरमित क िकनार ऋिष-मिनयो की तपोभिम म धवल व धारी परम प यपाद सतौी लाखो-लाखो मनयो क जीवनरथ क पथ-दशरक बन हए ह कछ ही साल पहल साबरमित की जो कोतर डरावनी और भयावह थी आज वही भिम लाखो लोगो क िलए परम आौय और आनददायी तीथरभिम बन चकी ह हर रिववार और बधवार को हजारो लोग आौम म आकर ननद म मःत सतौी क मखारिवद स िनसत अमत-वषार का लाभ पात ह धयान और सतसग का अमतमय साद पात ह प यौी की पावन कटीर क सामन िःथत मनोकामनाओ को िस करन वाल कलपवकष समान बड़ बादशाह की प रबमा करत ह ओर एक स ाह क िलए एक अदमय उतसाह और आननद भीतर भरकर लौट जात ह

कछ साधक प यौी क पावन सािननधय म आतमोथान की ओर अमसर होत हए ःथायी प स आौम म ही रहत ह इस आौम स थोड़ ही दरी पर िःथत मिहला

आौम म प यौी रणा स और प य माता जी क सचालन म रहकर कछ सािधकाए आतमोथान क मागर पर चल रही ह

अमदावाद और सरत क अलावा िदलली आगरा वनदावन िषकश इनदौर भोपाल उ जन रतलाम जयपर उदयपर पकर-अजमर जोधपर आमट समरप सागवाड़ा राजकोट भावनगर िहममतनगर िवसनगर लणावाड़ा वलसाड़ वापी उलहासनगर औरगाबाद काशा नािशक एव छोट-मोट कई ःथानो म भी मनोरमय आौम बन चक ह और लाखो-लाखो लोग उनस लाभािनवत हो रह ह हर साल इन आौमो म म य चार धयान योग साधना िशिवर होत ह दश-िवदश क कई साधक-सािधकाए इन िशिवरो म सिममिलत होकर आधयाितमक साधना क राजमागर पर चल रह ह उनकी स या िदनोिदन िवशाल हो रही ह प यौी का म आननद उतसाह और आ ासन स भरा रक मागरदशरन एव ःनहपणर सािननधय उनक जीवन को पलिकत कर रहा ह

िकसी को प यौी की िकताब िमल जाती ह िकसी को प यौी क वचन की टप सनन को िमल जाती ह िकसी को टीवी एव चनलो पर प यौी का दशरन-सतसग िमल जाता ह िकसी को प यौी का कोई िशय भ िमल जाता ह और कोई ौ ावान तो प यौी का कवल नाम सनकर ही आौम म चला जाता ह और प यौी का आितमक म पाकर अननत िव चतना क साथ तार जोड़न का सदभागी होता ह वह भी आधयाितमक साधना का मागर खल जान स आननद स भर जाता ह

प यौी कहत ह- तम अपन को दीन-हीन कभी मत समझो तम आतमःव प स ससार की सबस बड़ी स ा हो तमहार परो तल सयर और चनि सिहत हजारो पिथवया दबी हई ह तमह अपन वाःतिवक ःव प म जागन माऽ की दर ह अपन जीवन को सयम-िनयम और िववक वरा य स भरकर आतमािभमख बनाओ अपन जीवन म ज़रा धयान की झलक लकर तो दखो आतमदव परमातमा की ज़री झाकी करक तो दखो बस

िफर तो तम अखणड ाणड क नायक हो ही िकसन तमह दीन-हीन बनाए रखा ह िकसन तमह अ ानी और मढ़ बनाए रखा ह मानयताओ न ही ना तो छोड़ दो उन दःखद मानयताओ को जाग जाओ अपन ःव प म िफर दखो सारा िव तमहारी स ा क आग झकन को बाधय होता ह िक नही तमको िसफर जगना ह बस इतना ही काफी ह तमहार तीो प षाथर और सदग क कपा-साद स यह कायर िस हो जाता ह

कणडिलनी ारमभ म िबयाए करक अननमय कोष को श करती ह तमहार शरीर को आवयक हो ऐस आसन ाणायाम मिाए आिद अपन आप होन लगत ह अननमय

कोष ाणमय कोष मनोमय कोष की याऽा करत हए कणडिलनी जब आननदमय कोष म पहचती ह तब असीम आननद की अनभित होन लगती ह तमाम शि या िसि या सामथयर साधक म कट होन लगता ह कणडिलनी जगत ही बरी आदत और यसन दर होन लगत ह

इस योग को िस योग भी कहा जाता ह आननदमय कोष स भी आग गणातीत अवःथा करन क िलए इस िस योग का उपयोग हो सकता ह तथा आतम ान पाकर जीवनम क ऊच िशखर पर पहचन क िलए योगासन सहाय प हो सकत ह

- ौी योग वदानत सवा सिमित

अमदावाद आौम

ःवाःथय क िलए मऽ

अचयताननत गोिवनद नमोचचारणभषजात

नयिनत सकला रोगाः सतय सतय वदामयहम

ह अचयत हो अननत ह गोिवनद इस नामोचचारणःव प औषध स तमाम रोग न हो जात ह यह म सतय कहता ह यह म सतय कहता ह सतय कहता ह

ाःतािवक

साधारण मनय अननमय ाणमय और मनोमय कोष म जीता ह जीवन की तमाम सष शि या नही जगाकर जीवन यथर खोता ह इन शि यो को जगान म आपको आसन खब सहाय प बनग आसन क अ यास स तन तनद ःत मन सनन और बि तीकषण बनगी जीवन क हर कषऽ म सखद ःवपन साकार करन की कजी आपक आनतर मन म छपी हई पड़ी ह आपका अदभत सामथयर कट करन क िलए ऋिषयो न समाधी स समा इन आसनो का अवलोकन िकया ह

हजारो वषर की कसौिटयो म कस हए दश-िवदश म आदरणीय लोगो क ारा आदर पाय हए इन आसनो की पिःतका दखन म छोटी ह पर आपक जीवन को अित महान बनान की किजया रखती हई आपक हाथ म पहच रही ह

इस पिःतका को बार-बार पढ़ो आसनो का अ यास करो िहममत रखो अ यास का साततय जारी रखो अदभत लाभ होगा होगा अवय होगा सिमित की सवा साथरक बनगी

सत ौी आसारामजी बाप

चयर-रकषा का मनऽ

ॐ नमो भगवत महाबल पराबमाय मनोिभलािषत मनः ःतभ क क ःवाहा

रोज दध म िनहार कर 21 बार इस मऽ का जप कर और दध पी ल इसस चयर की रकषा होती ह ःवभाव म आतमसात कर लन जसा यह िनयम ह

रािऽ म गोद पानी म िभगोकर सबह चाट लन स वीयरधात प होता ह चयर-रकषा म सहायक बनता ह

आसनो की िकया म आन वाल कछ शबदो की समझ

रचक का अथर ह ास छोड़ना

परक का अथर ह ास भीतर लना

कमभक का अथर ह ास को भीतर या बाहर रोक दना ास लकर भीतर रोकन की िबया को आनतर या आ यानतर कमभक कहत ह ास को बाहर िनकालकर िफर वापस न लकर ास बाहर ही रोक दन की िबया को बिहकर मभक कहत ह

चबः चब आधयाितमक शि यो क कनि ह ःथल शरीर म चमरचकष स व िदखत नही योिक व हमार सआम शरीर म िःथत होत ह िफर भी ःथल शरीर क ानतनत

ःनाय कनि क साथ उनकी समानता जोड़कर उनका िनदश िकया जाता ह हमार शरीर म ऐस सात चब म य ह 1 मलाधारः गदा क पास म दणड क आिखरी मनक क पास होता ह 2 ःवािध ानः जननिनिय स ऊपर और नािभ स नीच क भाग म होता ह 3 मिणपरः नािभकनि म होता ह 4 अनाहतः दय म होता ह 5 िवश ः कणठ म होता ह 6 आ ाचबः दो भौहो क बीच म होता ह 7 सहॐारः मिःतक क ऊपर क भाग म जहा चोटी रखी जाती ह वहा होता ह

नाड़ीः ाण वहन करन वाली बारीक निलकाओ को नाड़ी कहत ह उनकी स या 72000 बतायी जाती ह इड़ा िपगला और सषमना य तीन म य ह उनम भी सषमना सबस अिधक मह वपणर ह

आवयक िनदश

1 भोजन क छः घणट बाद दध पीन क दो घणट बाद या िबलकल खाली पट ही आसन कर

2 शौच-ःनानािद स िनव होकर आसन िकय जाय तो अचछा ह

3 ास मह स न लकर नाक स ही लना चािहए

4 गरम कमबल टाट या ऐसा ही कछ िबछाकर आसन कर खली भिम पर िबना कछ िबछाय आसन कभी न कर िजसस शरीर म िनिमरत होन वाला िव त-वाह न न हो जाय

5 आसन करत समय शरीर क साथ ज़बरदःती न कर आसन कसरत नही ह अतः धयरपवरक आसन कर

6 आसन करन क बाद ठड म या तज हवा म न िनकल ःनान करना हो तो थोड़ी दर बाद कर

7 आसन करत समय शरीर पर कम स कम व और ढील होन चािहए

8 आसन करत-करत और मधयानतर म और अत म शवासन करक

िशिथलीकरण क ारा शरीर क तग बन ःनायओ को आराम द

9 आसन क बाद मऽतयाग अवय कर िजसस एकिऽत दिषत त व बाहर िनकल जाय

10 आसन करत समय आसन म बताए हए चबो पर धयान करन स और मानिसक जप करन स अिधक लाभ होता ह

11 आसन क बाद थोड़ा ताजा जल पीना लाभदायक ह ऑि सजन और हाइसोजन म िवभािजत होकर सिनध-ःथानो का मल िनकालन म जल बहत आवयक होता ह

12 ि यो को चािहए िक गभारवःथा म तथा मािसक धमर की अविध म व कोई भी आसन कभी न कर

13 ःवाःथय क आकाकषी हर यि को पाच-छः तलसी क प ातः चबाकर पानी पीना चािहए इसस ःमरणशि बढ़ती ह एसीडीटी एव अनय रोगो म लाभ होता ह

योगासन

प ासन या कमलासन

इस आसन म परो का आधार प अथारत कमल जसा बनन स इसको प ासन या कमलासन कहा जाता ह धयान आ ाचब म अथवा अनाहत चब म ास रचक

कमभक दीघर ःवाभािवक

िविधः िबछ हए आसन क ऊपर ःवःथ होकर बठ रचक करत करत दािहन पर को मोड़कर बाई जघा पर रख बाय पर को मोड़कर दािहनी जघा पर रख अथवा पहल बाया पर और बाद म दािहना पर भी रख सकत ह पर क तलव ऊपर की ओर और एड़ी नािभ क नीच रह घटन ज़मीन स लग रह िसर गरदन छाती म दणड आिद परा भाग सीधा और तना हआ रह दोनो हाथ घटनो क ऊपर ानमिा म रह (अगठ को तजरनी अगली क नाखन स लगाकर शष तीन अगिलया सीधी रखन स ानमिा बनती ह) अथवा बाय हाथ को गोद म रख हथली ऊपर की और रह उसक ऊपर उसी कार दािहना हाथ रख दोनो हाथ की अगिलया परःपर लगी रहगी दोनो हाथो को म ठी बाधकर घटनो पर भी रख सकत ह

रचक परा होन क बाद कमभक कर ारभ म पर जघाओ क ऊपर पर न रख सक तो एक ही पर रख पर म झनझनाहट हो लश हो तो भी िनराश न होकर अ यास चाल रख अश या रोगी को चािहए िक वह ज़बरदःती प ासन म न बठ प ासन

सश एव िनरोगी क िलए ह हर तीसर िदन समय की अविध एक िमनट बढ़ाकर एक घणट तक पहचना चािहए

ि नासाम अथवा मधय म िःथर कर आख बद खली या अधर खली भी रख सकत ह शरीर सीधा और िःथर रख ि को एकाम बनाय

भावना कर िक मलाधार चब म छपी हई शि का भणडार खल रहा ह िनमन कनि म िःथत चतना तज और औज़ क प म बदलकर ऊपर की ओर आ रही ह अथवा अनाहत चब ( दय) म िच एकाम करक भावना कर िक दय पी कमल म स सगनध की धाराए वािहत हो रही ह समम शरीर इन धाराओ स सगिनधत हो रहा ह

लाभः ाणायाम क अ यासपवरक यह आसन करन स नाड़ीतऽ श होकर आसन िस होता ह िवश नाड़ीतऽ वाल योगी क िवश शरीर म रोग की छाया तक नही रह सकती और वह ःवचछा स शरीर का तयाग कर सकता ह

प ासन म बठन स शरीर की ऐसी िःथित बनती ह िजसस सन तऽ ानतऽ और र ािभसरणतऽ स यविःथत ढग क कायर कर सकत ह फलतः जीवनशि का िवकास होता ह प ासन का अ यास करन वाल साधक क जीवन म एक िवशष कार की आभा कट होती ह इस आसन क ारा योगी सत महाप ष महान हो गय ह

प ासन क अ यास स उतसाह म वि होती ह ःवभाव म सननता बढ़ती ह मख तजःवी बनता ह बि का अलौिकक िवकास होता ह िच म आननद-उललास रहता ह िचनता शोक दःख शारी रक िवकार दब जात ह किवचार पलायन होकर सिवचार कट होन लगत ह प ासन क अ यास स रजस और तमस क कारण यम बना हआ िच शानत होता ह स वगण म अतयत व ि होती ह ाणायाम साि वक िमताहार और सदाचार क साथ प ासन का अ यास करन स अतःॐावी मिथयो को िवश र िमलता ह फलतः यि म कायरशि बढ़न स भौितक एव आधयाितमक िवकास शीय होता ह बौि क-मानिसक कायर करन वालो क िलए िचनतन मनन करन वालो क िलए एव िव ािथरयो क िलए यह आसन खब लाभदायक ह चचल मन को िःथर करन क िलए एव वीयररकषा क िलए या आसन अि ितय ह

ौम और क रिहत एक घणट तक प ासन पर बठन वाल यि का मनोबल खब बढ़ता ह भाग गाजा चरस अफीम मिदरा तमबाक आिद यसनो म फस हए यि

यिद इन यसनो स म होन की भावना और ढ़ िन य क साथ प ासन का अ यास कर तो उनक द यरसन सरलता स और सदा क िलए छट जात ह चोरी जआ यिभचार या हःतदोष की बरी आदत वाल यवक-यवितया भी इस आसन क ारा उन सब कसःकारो स म हो सकत ह

क र िप पकषाघात मलावरोध स पदा हए रोग कषय दमा िहःटी रया धातकषय कनसर उदरकिम तवचा क रोग वात-कफ कोप नपसकतव वनध य आिद रोग प ासन क अ यास स न हो जात ह अिनिा क रोग क िलए यह आसन रामबाण इलाज ह इसस शारी रक मोटापन कम होता ह शारी रक एव मानिसक ःवाःथय की सरकषा क िलए यह आसन सव म ह

प ासन म बठकर अि नी मिा करन अथारत गदा ार का बार-बार सकोच सार करन स अपानवाय सषमना म िव होता ह इसस काम िवकार पर जय ा होन लगती ह ग ोिनिय को भीतर की ओर िसकोड़न स अथारत योिनमिा या वळोली करन स वीयर उधवरगामी होता ह प ासन म बठकर उडडीयान बनध जालधर बनध तथा कमभक करक छाती एव पट को फलान िक िबया करन स वकषशि एव कणठशि होती ह फलतः भख खलती ह भोजन सरलता स पचता ह जलदी थकान नही होती ःमरणशि एव आतमबल म वि होती ह

यम-िनयमपवरक लमब समय तक प ासन का अ यास करन स उणता कट होकर मलाधार चब म आनदोलन उतपनन होत ह कणडिलनी शि जागत होन की भिमका बनती ह जब यह शि जागत होती ह तब इस सरल िदखन वाल प ासन की वाःतिवक मिहमा का पता चलता ह घरणड शािणडलय तथा अनय कई ऋिषयो न इस आसन की मिहमा गायी ह धयान लगान क िलए यह आसन खब लाभदायक ह

इद प ासन ो सवर यािधिवनाशम

दलरभ यन कनािप धीमता ल यत भिव

इस कार सवर यािधयो को िवन करन वाल प ासन का वणरन िकया यह दलरभ आसन िकसी िवरल बि मान प ष को ही ा होता ह

(हठयोगदीिपका थमोपदश)

िस ासन

प ासन क बाद िस ासन का ःथान आता ह अलौिकक िसि या ा करन वाला होन क कारण इसका नाम िस ासन पड़ा ह िस योिगयो का यह िय आसन ह यमो म चयर ौ ह िनयमो म शौच ौ ह वस आसनो म िस ासन ौ ह

धयान आ ाचब म और ास दीघर ःवाभािवक

िविधः आसन पर बठकर पर खल छोड़ द अब बाय पर की एड़ी को गदा और जननिनिय क बीच रख दािहन पर की एड़ी को जननिनिय क ऊपर इस कार रख िजसस जननिनिय और अणडकोष क ऊपर दबाव न पड़ परो का बम बदल भी सकत ह दोनो परो क तलव जघा क मधय भाग म रह हथली ऊपर की ओर रह इस कार दोनो हाथ एक दसर क ऊपर गोद म रख अथवा दोनो हाथो को दोनो घटनो क ऊपर ानमिा म रख आख खली अथवा बनद रख ासोचछोवास आराम स ःवाभािवक चलन

द मधय म आ ाचब म धयान किनित कर पाच िमनट तक इस आसन का अ यास कर सकत ह धयान की उचच ककषा आन पर शरीर पर स मन की पकड़ छट जाती ह

लाभः िस ासन क अ यास स शरीर की समःत नािड़यो का शि करण होता ह ाणत व ःवाभािवकतया ऊधवरगित को ा होता ह फलतः मन को एकाम करना सरल बनता ह

पाचनिबया िनयिमत होती ह ास क रोग दय रोग जीणर वर अजीणर अितसार शबदोष आिद दर होत ह मदाि न मरोड़ा समहणी वातिवकार कषय दमा मधमह पलीहा की वि आिद अनक रोगो का शमन होता ह प ासन क अ यास स जो रोग दर होत ह व िस ासन क अ यास स भी दर होत ह

चयर-पालन म यह आसन िवशष प स सहायक होता ह िवचार पिवऽ बनत ह मन एकाम होता ह िस ासन का अ यासी भोग-िवलास स बच सकता ह 72 हजार नािड़यो का मल इस आसन क अ यास स दर होता ह वीयर की रकषा होती ह ःवपनदोष क रोगी को यह आसन अवय करना चािहए

योगीजन िस ासन क अ यास स वीयर की रकषा करक ाणायाम क ारा उसको मिःतक की ओर ल जात ह िजसस वीयर ओज तथा मधाशि म प रणत होकर िद यता का अनभव करता ह मानिसक शि यो का िवकास होता ह

कणडिलनी शि जागत करन क िलए यह आसन थम सोपान ह

िस ासन म बठकर जो कछ पढ़ा जाता ह वह अचछी तरह याद रह जाता ह िव ािथरयो क िलए यह आसन िवशष लाभदायक ह जठराि न तज होती ह िदमाग िःथर बनता ह िजसस ःमरणशि बढ़ती ह

आतमा का धयान करन वाला योगी यिद िमताहारी बनकर बारह वषर तक िस ासन का अ यास कर तो िसि को ा होता ह िस ासन िस होन क बाद अनय आसनो का कोई योजन नही रह जाता िस ासन स कवल या कवली कमभक िस होता ह छः मास म भी कवली कमभक िस हो सकता ह और ऐस िस योगी क दशरन-पजन स पातक न होत ह मनोकामना पणर होती ह िस ासन क ताप स िनब ज समािध िस हो जाती ह मलबनध उडडीयान बनध और जालनधर बनध अपन आप होन लगत ह

िस ासन जसा दसरा आसन नही ह कवली कमभक क समान ाणायाम नही ह खचरी मिा क समान अनय मिा नही ह और अनाहत नाद जसा कोई नाद नही ह

िस ासन महाप षो का आसन ह सामानय यि हठपवरक इसका उपयोग न कर अनयथा लाभ क बदल हािन होन की समभावना ह

सवागासन

भिम पर सोकर शरीर को ऊपर उठाया जाता ह इसिलए इसको सवागासन कहत ह

धयान िवश ा य चब म ास रचक परक और दीघर

िविधः भिम पर िबछ हए आसन पर िच होकर लट जाए ास को बाहर िनकाल कर अथारत रचक करक कमर तक क दोनो पर सीध और परःपर लग हए रखकर ऊपर उठाए िफर पीठ का भाग भी ऊपर उठाए दोनो हाथो स कमर को आधार द हाथ की कहिनया भिम स लग रह गरदन और कनध क बल परा शरीर ऊपर की और सीधा खड़ा कर द ठोडी छाती क साथ िचपक जाए दोनो पर आकाश की ओर रह ी दोनो परो क अगठो की ओर रह अथवा आख बनद करक िच वि को कणठदश म िवश ा य चब म िःथर कर परक करक ास को दीघर सामानय चलन द

इस आसन का अ य़ास ढ़ होन क बाद दोनो परो को आग पीछ झकात हए जमीन को लगात हए अनय आसन भी हो सकत ह सवागासन की िःथित म दोनो परो को जाघो पर लगाकर प ासन भी िकया जा सकता ह

ारमभ म तीन स पाच िमनट तक यह आसन कर अ यासी तीन घणट तक इस आसन का समय बढ़ा सकत ह

लाभः सवागासन क िनतय अ यास स जठराि न तज होती ह साधक को अपनी िच क अनसार भोजन की माऽा बढ़ानी चािहए सवागासन क अ यास स शरीर की तवचा लटकन नही लगती तथा शरीर म झ ररया नही पड़ती बाल सफद होकर िगरत नही हर रोज़ एक हर तक सवागासन का अ यास करन स मतय पर िवजय िमलती ह

शरीर म सामथयर बढ़ता ह तीनो दोषो का शमन होता ह वीयर की ऊधवरगित होकर अनतःकरण श होता ह मधाशि बढ़ती ह िचर यौवन की ाि होती ह

इस आसन स थायराइड नामक अनतःमिनथ की शि बढ़ती ह वहा र सचार तीो गित स होन लगता ह इसस उस पोषण िमलता ह थायराइड क रोगी को इस आसन स अदभत लाभ होता ह िलवर और पलीहा क रोग दर होत ह ःमरणशि बढ़ती ह मख पर स महास एव अनय दाग दर होकर मख तजःवी बनता ह जठर एव नीच उतरी हई आत अपन मल ःथान पर िःथर होती ह प षातन मिनथ पर सवागासन का अचछा भाव पड़ता ह ःवपनदोष दर होता ह मानिसक बौि क वि करन वालो को तथा िवशषकर िव ािथरयो को यह आसन अवय करना चािहए

मनदाि न अजीणर कबज अशर थायराइड का अलप िवकास थोड़ िदनो का अपनडीसाइिटस और साधारण गाठ अगिवकार असमय आया हआ व तव दमा कफ

चमड़ी क रोग र दोष ि यो को मािसक धमर की अिनयिमतता एव ददर मािसक न आना अथवा अिधक आना इतयािद रोगो म इस आसन स लाभ होता ह नऽ और मिःतक की शि बढ़ती ह उनक रोग दर होत ह

थायराइड क अित िवकासवाल खब कमजोर दयवाल और अतयिधक चब वाल लोगो को िकसी अनभवी की सलाह लकर ही सवागासन करना चािहए

शीषारसन करन स जो लाभ होता ह व सब लाभ सवागासन और पादपि मो ानसन करन स िमल जात ह शीषारसन म गफलत होन स जो हािन होती ह वसी हािन होन की सभावना सवागासन और पादपि मो ानासन म नही ह

हलासन

इस आसन म शरीर का आकार हल जसा बनता ह इसिलए इसको हलासन कहा जाता ह

धयान िवश ा या चब म ास रचक और बाद म दीघर

िविधः भिम पर िबछ हए आसन पर िच होकर लट जाए दोनो हाथ शरीर को लग रह अब रचक करक ास को बाहर िनकाल द दोनो परो को एक साथ धीर-धीर ऊच करत जाय आकाश की ओर पर उठाकर िफर पीछ िसर क तरफ झकाय पर िबलकल तन हए रखकर पज ज़मीन पर लगाय ठोड़ी छाती स लगी रह िच वि को िवश ा या चब म िःथर कर दो-तीन िमनट स लकर बीस िमनट तक समय की अविध बढ़ा सकत ह

लाभः हलासन क अ यास स अजीणर कबज अशर थायराइड का अलप िवकास अगिवकार असमय व तव दमा कफ र िवकार आिद दर होत ह इस आसन स िलवर अचछा होता ह छाती का िवकास होता ह सनिबया तज होकर ऑ सीजन स र श बनता ह गल क ददर पट की बीमारी सिधवात आिद दर होत ह पट की चरबी कम होती ह िसरददर दर होता ह वीयरिव कार िनमरल होता ह खराब िवचार बनद होत ह नाड़ी तऽ श होता ह शरीर बलवान और तजःवी बनता ह गिभरणी ि यो क िसवा हर एक को यह आसन करना चािहए

रीढ़ म कठोरता होना यह व ावःथा का िच ह हलासन स रीढ़ लचीली बनती ह इसस यवावःथा की शि ःफितर ःवाःथय और उतसाह बना रहता ह म दणड

समबनधी नािड़यो क ःवाःथय की रकषा होकर व ावःथा क लकषण जलदी नही आत जठर की नािड़यो को शि ा होती ह

जठर की मासपिशया तथा पाचनतऽ क अगो की नािड़यो की दबरलता क कारण अगर मदाि न एव कबज हो तो हलासन स दर होत ह कमर पीठ एव गरदन क रोग न होत ह िलवर और पलीहा बढ़ गए हो तो हलासन स सामानय अवःथा म आ जात ह काम कनि की शि बढ़ती ह अपानशि का उतथान होकर उदान पी अि न का योग होन स वीयरशि ऊधवरगामी बनती ह हलासन स वीयर का ःतभन होता ह यह आसन अणडकोष की वि पिनबयास अपिनड स आिद को ठीक करता ह थायराइड मिनथ की िबयाशीलता बढ़ती ह धयान करन स िवश चब जागत हो जाता ह

पवनम ासन

शरीर म िःथत पवन (वाय) यह आसन करन स म होता ह इसिलए इस पवनम ासन कहा जाता ह

धयान मिणपर चब म ास पहल परक िफर कमभक और रचक

िविधः भिम पर िबछ हए आसन पर िच होकर लट जाय परक करक फफड़ो म ास भर ल अब िकसी भी एक पर को घटन स मोड़ द दोनो हाथो की अगिलयो को

परःपर िमलाकर उसक ारा मोड़ हए घटनो को पकड़कर पट क साथ लगा द िफर िसर को ऊपर उठाकर मोड़ हए घटनो पर नाक लगाए दसरा पर ज़मीन पर सीधा रह इस िबया क दौरान ास को रोककर कमभक चाल रख िसर और मोड़ा हआ पर भिम पर पवरवत रखन क बाद ही रचक कर दोनो परो को बारी -बारी स मोड़कर यह िबया कर दोनो पर एक साथ मोड़कर भी यह आसन हो सकता ह

लाभः पवनम ासन क िनयिमत अ यास स पट की चरबी कम होती ह पट की वाय न होकर पट िवकार रिहत बनता ह कबज दर होता ह पट म अफारा हो तो इस आसन स लाभ होता ह ातःकाल म शौचिबया ठीक स न होती हो तो थोड़ा पानी पीकर यह आसन 15-20 बार करन स शौच खलकर होगा

इस आसन स ःमरणशि बढ़ती ह बौि क कायर करन वाल डॉ टर वकील सािहतयकार िव ाथ तथा बठकर वि करन वाल मनीम यापारी आिद लोगो को िनयिमत प स पवनम ासन करना चािहए

मतःयासन

मतःय का अथर ह मछली इस आसन म शरीर का आकार मछली जसा बनता ह अतः मतःयासन कहलाता ह पलािवनी ाणायाम क साथ इस आसन की िःथित म लमब समय तक पानी म तर सकत ह

धयान िवश ा या चब म ास पहल रचक बिहकर मभक िफर परक और रचक

िविधः भिम पर िबछ हए आसन पर प ासन लगाकर सीध बठ जाय िफर परो को प ासन की िःथित म ही रखकर हाथ क आधार स सावधानी पवरक पीछ की ओर िच होकर लट जाय रचक करक कमर को ऊपर उठाय घटन िनतब और मःतक क िशखा ःथान को भिम क ःथान लगाय रख िशखाःथान क नीच कोई नरम कपड़ा

अवय रख बाय हाथ स दािहन पर का अगठा और दािहन हाथ स बाय पर का अगठा पकड़ दोनो कहिनया ज़मीन को लगाय रख कमभक की िःथित म रहकर ि को पीछ की ओर िसर क पास ल जान की कोिशश कर दात दब हए और मह बनद रख एक िमनट स ारमभ करक पाच िमनट तक अ यास बढ़ाय िफर हाथ खोलकर कमर भिम को लगाकर िसर ऊपर उठाकर बठ जाय परक करक रचक कर

पहल भिम पर लट कर िफर प ासन लगाकर भी मतःयासन हो सकता ह

लाभः मतःयासन स परा शरीर मजबत बनता ह गला छाती पट की तमाम बीमा रया दर होती ह आखो की रोशनी बढ़ती ह गला साफ रहता ह सनिबया ठीक स चलती ह कनधो की नस उलटी मड़ती ह इसस छाती व फफड़ो का िवकास होता ह पट साफ रहता ह आतो का मल दर होता ह र ािभसरण की गित बढ़ती ह फलतः चमड़ी क रोग नही होत दमा और खासी दर होती ह छाती चौड़ी बनती ह पट की चरबी कम होती ह इस आसन स अपानवाय की गित नीच की ओर होन स मलावरोध दर होता ह थोड़ा पानी पीकर यह आ सन करन स शौच-शि म सहायता िमलती ह

मतःयासन स ि यो क मािसकधमर समबनधी सब रोग दर होत ह मािसकॐाव िनयिमत बनता ह

भजगासन

इस आसन म शरीर की आकित फन उठाय हए भजग अथारत सपर जसी बनती ह इसिलए इसको भजगासना कहा जाता ह

धयान िवश ा या चब म ास ऊपर उठात व परक और नीच की ओर जात समय रचक

िविधः भिम पर िबछ हए कमबल पर पट क बल उलट होकर लट जाय दोनो पर और पज परःपर िमल हए रह परो क अगठो को पीछ की ओर खीच दोनो हाथ िसर क तरफ लमब कर द परो क अगठ नािभ छाती ललाट और हाथ की हथिलया भिम पर एक सीध म रख

अब दोनो हथिलयो को कमर क पास ल जाय िसर और कमर ऊपर उठाकर िजतना हो सक उतन पीछ की ओर मोड़ नािभ भिम स लगी रह पर शरीर का वजन हाथ क पज पर आएगा शरीर की िःथित कमान जसी बनगी म दणड क आिखरी भाग पर दबाव किनित होगा िच वि को कणठ म और ि को आकाश की तरफ िःथर कर

20 सकणड तक यह िःथित रख बाद म धीर-धीर िसर को नीच ल आय छाती भिम पर रख िफर िसर को भिम स लगन द आसन िस हो जान क बाद आसन करत समय ास भरक कमभक कर आसन छोड़त समय मल िःथित म आन क बाद ास को खब धीर-धीर छोड़ हर रोज एक साथ 8-10 बार यह आसन कर

लाभः घरड सिहता म इसका लाभ बतात हए कहा ह - भजगासन स जठराि न दी होती ह सवर रोगो का नाश होता ह और कणडिलनी जागत होती ह

म दणड क तमाम मनको को तथा गरदन क आसपास वाल ःनायओ को अिधक श र िमलता ह फलतः नाड़ी तऽ सचत बनता ह िचरजीवी शि मान एव स ढ़ बनता ह िवशषकर मिःतक स िनकलन वाल ानतत बलवान बनत ह पीठ की हिडडय़ो म रहन वाली तमाम खरािबया दर होती ह पट क ःनाय म िखचाव आन स वहा क अगो को शि िमलती ह उदरगहा म दबाव बढ़न स कबज दर होता ह छाती और पट का िवकास होता ह तथा उनक रोग िमट जात ह गभारशय एव बोनाशय अचछ बनत ह फलतः मािसकॐाव क रिहत होता ह मािसक धमर समबनधी समःत िशकायत दर होती ह अित ौम करन क कारण लगन वाली थकान दर होती ह भोजन क बाद होन वाल वाय का ददर न होता ह शरीर म ःफितर आती ह कफ-िपतवालो क िलए यह आसन लाभदायी ह भजगासन करन स दय मजबत बनता ह मधमह और उदर क

रोगो स मि िमलती ह दर अित मािसकॐाव तथा अलप मािसकॐाव जस रोग दर होत ह

इस आसन स म दणड लचीला बनता ह पीठ म िःथत इड़ा और िपगला नािड़यो पर अचछा भाव पड़ता ह कणडिलनी शि जागत करन क िलय यह आसन सहायक ह अमाशय की मासपिशयो का अचछा िवकास होता ह थकान क कारण पीठ म पीड़ा होती हो तो िसफर एक बार ही यह आसन करन स पीड़ा दर होती ह म दणड की कोई हडडी ःथान हो गई हो तो भजगासन करन स यथाःथान म वापस आ जाती ह

धनरासन

इस आसन म शरीर की आकित खीच हए धनष जसी बनती ह अतः इसको धनरासन कहा जाता ह

धयान मिणपर चब म ास नीच की िःथित म रचक और ऊपर की िःथित म परक

िविधः भिम पर िबछ हए कमबल पर पट क बल उलट होकर लट जाय दोनो पर परःपर िमल हए रह अब दोनो प रो को घटनो स मोड़ दोनो हाथो को पीछ ल जाकर दोनो परो को टखनो स पकड़ रचक करक हाथ स पकड़ हए परो को कसकर धीर -धीर खीच िजतना हो सक उतना िसर पीछ की ओर ल जान की कोिशश कर ि भी ऊपर एव पीछ की ओर रहनी चािहए समम शरीर का बोझ कवल नािभदश क ऊपर ही रहगा कमर स ऊपर का धड़ एव कमर स नीच पर पर ऊपर की ओर मड़ हए रहग

कमभक करक इस िःथित म िटक रह बाद म हाथ खोलकर पर तथा िसर को मल अवःथा म ल जाय और परक कर ारभ म पाच सकणड यह आसन कर धीर-धीर समय बढ़ाकर तीन िमनट या उसस भी अिधक समय इस आसन का अ यास कर तीन-चार बार यह आसन करना चािहए

लाभः धनरासन क अ यास स पट की चरबी कम होती ह गस दर होती ह पट को रोग न होत ह कबज म लाभ होता ह भख खलती ह छाती का ददर दर होता ह दय की धडकन मजबत बनती ह ास िक िबया यविःथत चलती ह मखाकित सदर बनती ह आखो की रोशनी बढ़ती ह और तमाम रोग दर होत ह हाथ -पर म होन वाला कपन कता ह शरीर का सौनदयर बढ़ता ह पट क ःनायओ म िखचाव आन स पट को अचछा लाभ होता ह आतो पर खब दबाव पड़न स पट क अगो पर भी दबाव पड़ता ह फलतः आतो म पाचकरस आन लगता ह इसस जठराि न तज होती ह पाचनशि बढ़ती ह वायरोग न होता ह पट क कषऽ म र का सचार अिधक होता ह धनरासन म भजगासन और शलभासन का समावश हो जान क कारण इन दोनो आसनो क लाभ िमलत ह ि यो क िलए यह आसन खब लाभकारक ह इसस मािसक धमर क िवकार गभारशय क तमाम रोग दर होत ह

चबासन

इस आसन म शरीर की आकित चब जसी बनती ह अतः चबासन कहा जाता ह

धयान मिणपर चब म ास दीघर ःवाभािवक

िविधः भिम पर िबछ हए आसन पर िच होकर लट जाय घटनो स पर मोड़ कर ऊपर उठाय पर क तलव ज़मीन स लग रह दो परो क बीच करीब डढ़ फीट का अनतर रख दोनो हाथ मःतक की तरफ उठाकर पीछ की ओर दोनो हथिलयो को ज़मीन पर जमाय दोनो हथिलयो क बीच भी करीब डढ़ फीट का अनतर रख अब हाथ और पर क बल स पर शरीर को कमर स मोड़कर ऊपर उठाय हाथ को धीर-धीर पर की ओर ल जाकर ःमपशर शरीर का आकार व या चब जसा बनाय आख बनद रख ास की गित ःवाभािवक चलन द िच वि मिणपर चब (नािभ कनि) म िःथर कर आख खली भी रख सकत ह एक िमनट स पाच िमनट तक अ यास बढ़ा सकत ह

लाभः म दणड तथा शरीर की समःत नािड़यो का शि करण होकर यौिगक चब जागत होत ह लकवा तथा शरीर की कमजो रया दर होती ह मःतक गदरन पीठ पट

कमर हाथ पर घटन आिद सब अग मजबत बनत ह सिनध ःथानो ददर नही होता पाचनशि बढ़ती ह पट की अनावयक चरबी दर होती ह शरीर तजःवी और फत ला बनता ह िवकारी िवचार न होत ह ःवपनदोष की बीमारी अलिवदा होती ह चबासन क िनयिमत अ यास स व ावःथा म कमर झकती नही शरीर सीधा तना हआ रहता ह

किटिपणडमदरनासन

इस आसन म किटदश (कमर क पास वाल भाग) म िःथत िपणड अथारत मऽिपणड का मदरन होता ह इसस यह आसन किटिपणडमदरनासन कहलाता ह

धयान ःवािध ान चब म ास परक और कमभक

िविधः िबछ हए कमबल पर पीठ क बल िच होकर लट जाय दोनो हाथो को आमन-सामन फला द मि ठया बनद रख दोनो परो को घटनो स मोड़कर खड़ कर द पर क तलव ज़मीन स लग रह दोनो परो क बीच इतना अनतर रख िक घटनो को ज़मीन पर झकान स एक पर का घटना दसर पर की एड़ी को लग िसर दायी ओर मड़ तो दोनो घटन दािहनी ओर ज़मीन को लग इस कार 15-20 बार िबया कर इस कार दोनो परो को एक साथ रखकर भी िबया कर

लाभः िजसको पथरी की तकलीफ हो उस आौम (सत ौी आसारामजी आौम साबरमित अमदावाद-5) स िबना मलय िमलती काली भःम करीब डढ़ माम भोजन स आधा घणटा पवर और भोजन क बाद एक िगलास पानी क साथ लना चािहए और यह आसन भख पट ठीक ढग स करना चािहए इसस पथरी क ददर म लाभ होता ह पथरी टकड़ -टकड़ होकर मऽ क ारा बाहर िनकलन लगती ह मऽिवकार दर होता ह कमर ददर साइिटका रीढ़ की हडडी की जकड़न उदासीनता िनराशा डायािबटीज नपसकता गस पर की गाठ इतयािद रोगो म शीय लाभ होता ह नािभ ःथान स चयत हो जाती हो तो पनः अपन ःथान म आ जाती ह

मािसक धमर क समय एव गभारवःथा म ि या यह आसन न कर कबज का रोगी सबह शौच जान स पहल उषःपान करक यह आसन कर तो चमतका रक लाभ होता ह ास को अनदर भर क पट को फलाकर यह आसन करन स कबज जलदी दर होता ह

अधरमतःयनिासन

कहा जाता ह िक मतःयनिासन की रचना गोरखनाथ क ग ःवामी मतःयनिनाथ न की थी व इस आसन म धयान िकया करत थ मतःयनिासन की आधी िबयाओ को लकर अधरमतःयनिासन चिलत हआ ह

धयान अनाहत चब म ास दीघर

िविधः दोनो परो को लमब करक आसन पर बठ जाओ बाय पर को घटन स मोड़कर एड़ी गदा ार क नीच जमाय पर क तलव को दािहनी जघा क साथ लगा द अब दािहन पर को घटन स मोड़कर खड़ा कर द और बाय पर की जघा स ऊपर ल जात हए जघा क पीछ ज़मीन क ऊपर ऱख द आसन क िलए यह पवरभिमका तयार हो गई

अब बाय हाथ को दािहन पर क घटन स पार करक अथारत घटन को बगल म दबात हए बाय हाथ स दािहन पर का अ गठा पकड़ धड़ को दािहनी ओर मोड़ िजसस दािहन पर क घटन क ऊपर बाय कनध का दबाव ठीक स पड़ अब दािहना हाथ पीठ क पीछ स घमाकर बाय पर की जाघ का िनमन भाग पकड़ िसर दािहनी ओर इतना घमाय िक ठोड़ी और बाया कनधा एक सीधी रखा म आ जाय छाती िबलकल तनी हई रख नीच की ओर झक नही िच वि नािभ क पीछ क भाग म िःथत मिणपर चब म िःथर कर

यह एक तरफ का आसन हआ इसी कार पहल दािहना पर मोड़कर एड़ी गदा ार क नीच दबाकर दसरी तरफ का आसन भी कर ारमभ म पाच सकणड य ह आसन करना पयार ह िफर अ यास बढ़ाकर एक एक तरफ एक एक िमनट तक आसन कर सकत ह

लाभः अधरमतःयनिासन स म दणड ःवःथ रहन स यौवन की ःफितर बनी रहती ह रीढ़ की हिडडयो क साथ उनम स िनकलन वाली नािडयो को भी अचछी कसरत िमल जाती ह पट क िविभनन अगो को भी अचछा लाभ होता ह पीठ पट क नल पर गदरन

हाथ कमर नािभ स नीच क भाग एव छाती की नािड़यो को अचछा िखचाव िमलन स उन पर अचछा भाव पड़ता ह फलतः बनधकोष दर होता ह जठराि न तीो होती ह िवकत यकत पलीहा तथा िनिबय व क क िलए यह आसन लाभदायी ह कमर पीठ और सिनधःथानो क ददर जलदी दर हो जात ह

योगमिासन

योगा यास म यह मिा अित मह वपणर ह इसस इसका नाम योगमिासन रखा गया ह

धयान मिणपर चब म ास रचक कमभक और परक

िविधः प ासन लगाकर दोनो हाथो को पीठ क पीछ ल जाय बाय हाथ स दािहन हाथ की कलाई पकड़ दोनो हाथो को खीचकर कमर तथा रीढ़ क िमलन ःथान पर ल जाय अब रचक करक कमभक कर ास को रोककर शरीर को आग झकाकर भिम पर टक द िफर धीर-धीर िसर को उठाकर शरीर को पनः सीधा कर द और परक कर ारभ म यह आसन किठन लग तो सखासन या िस ासन म बठकर कर पणर लाभ तो प ासन म बठकर करन स ही होता ह पाचनतनऽ क अगो की ःथान ता ठीक करन क िलए यिद यह आसन करत हो तो कवल पाच-दस सकणड तक ही कर एक बठक म तीन स पाच बार सामानयतः यह आसन तीन िमनट तक करना चािहए आधयाितमक उ य स योगमिासन करत हो तो समय की अविध िच और शि क अनसार बढ़ाय

लाभः योगमिासन भली कार िस होता ह तब कणडिलिन शि जागत होती ह पट की गस की बीमारी दर होती ह पट एव आतो की सब िशकायत दर होती ह कलजा फफड़ आिद यथा ःथान रहत ह दय मजबत बनता ह र क िवकार दर होत

ह क और यौनिवकार न होत ह पट बड़ा हो तो अनदर दब जाता ह शरीर मजबत बनता ह मानिसक शि बढ़ती ह

योगमिासन स उदरपटल सश बनता ह पट क अगो को अपन ःथान िटक रहन म सहायता िमलती ह नाड़ीतऽ और खास करक कमर क नाड़ी मणडल को बल िमलता ह

इस आसन म सामनयतः जहा एिड़या लगती ह वहा कबज क अग होत ह उन पर दबाव पड़न स आतो म उ जना आती ह पराना कबज दर होता ह अगो की ःथान ता क कारण होन वाला कबज भी अग अपन ःथान म पनः यथावत िःथत हो जान स न हो जाता ह धात की दबरलता म योगमिासन खब लाभदायक ह

गोरकषासन या भिासन

धयान मलाधार चब म ास थम िःथित म परक और दसरी िःथित म कमभक

िविधः िबछ हए आसन पर बठ जाय दािहना पर घटन स मोड़कर एड़ी सीवन (उपःथ और गदा क मधय) क दािहन भाग म और बाया पर मोड़कर एड़ी सीवन क बाय भाग म इस कार रख िक दोनो पर क तलव एक दसर को लगकर रह

रचक करक दोनो हाथ सामन ज़मीन पर टककर शरीर को ऊपर उठाय और दोनो पर क पजो पर इस कार बठ िक शरीर का वजन एड़ी क मधय भाग म आय अगिलयो वाला भाग छटा रह अब परक करत -करत दोनो हाथो की हथिलयो को घटनो पर रख

अनत म कमभक करक ठोड़ी छाती पर दबाय िच वि मलाधार चब म और ि भी उसी िदशा म लगाय बमशः अ यास बढ़ाकर दसक िमनट तक यह आसन कर

लाभः इस आसन क अ यास स पर क सब सिनध ःथान तथा ःनाय सश बनत ह वाय ऊधवरगामी होकर जठराि न दी करता ह िदनो िदन जड़ता न होन लगती ह शरीर पतला होता ह सकलपबल बढ़ता ह बि तीकषण होती ह कलपनाशि का िवकास होता ह ाणापान की एकता होती ह नादोतपि होन लगती ह िबनद िःथर होकर िच की चचलता कम होती ह आहार का सपणरतया पाचन हो जान क कारण मलमऽ अलप होन लगत ह शरीर शि होन लगती ह तन म ःफितर एव मन म सननता अपन आप कट होती ह ःनाय स ढ़ बनत ह धातकषय गस मधमह ःवपनदोष अजीणर कमर का ददर गदरन की दबरलता बनधकोष मनदाि न िसरददर कषय

दयरोग अिनिा दमा मछाररोग बवासीर आऽपचछ पाणडरोग जलोदर भगनदर कोढ़ उलटी िहचकी अितसार आव उदररोग नऽिवकार आिद अस य रोगो म इस आसन स लाभ होत ह

मयरासन

इस आसन म मयर अथारत मोर की आकित बनती ह इसस इस मयरासन कहा जाता ह

धयान मिणपर चब म ास बा कमभक

िविधः जमीन पर घटन िटकाकर बठ जाय दोनो हाथ की हथिलयो को जमीन पर इस कार रख िक सब अगिलया पर की िदशा म हो और परःपर लगी रह दोनो कहिनयो को मोड़कर पट क कोमल भाग पर नािभ क इदरिगदर रख अब आग झककर दोनो पर को पीछ की लमब कर ास बाहर िनकाल कर दोनो पर को जमीन स ऊपर उठाय और िसर का भाग नीच झकाय इस कार परा शरीर ज़मीन क बराबर समानानतर रह ऐसी िःथित बनाय सपणर शरीर का वजन कवल दो हथिलयो पर ही

रहगा िजतना समय रह सक उतना समय इस िःथित म रहकर िफर मल िःथित म आ जाय इस कार दो-तीन बार कर

लाभः मयरासन करन स चयर-पालन म सहायता िमलती ह पाचन तऽ क अगो की र का वाह अिधक बढ़न स व अग बलवान और कायरशील बनत ह पट क भीतर क भागो म दबाव पड़न स उनकी शि बढ़ती ह उदर क अगो की िशिथलता और मनदाि न दर करन म मयरासन बहत उपयोगी ह

वळासन

वळासन का अथर ह बलवान िःथित पाचनशि वीयरशि तथा ःनायशि दन वाला होन स यह आसन वळासन कहलाता ह

धयान मलाधार चब म और ास दीघर

िविधः िबछ हए आसन पर दोनो परो को घटनो स मोड़कर एिड़यो पर बठ जाय पर क दोनो अगठ परःपर लग रह पर क तलवो क ऊपर िनतमब रह कमर और पीठ िबलकल सीधी रह दोनो हाथ को कहिनयो स मोड़ िबना घटनो पर रख द हथिलया नीच की ओर रह ि सामन िःथर कर द

पाच िमनट स लकर आध घणट तक वळासन का अ यास कर सकत ह वळासन लगाकर भिम पर लट जान स स वळासन होता ह

लाभः वळासन क अ यास स शरीर का मधयभाग सीधा रहता ह ास की गित मनद पड़न स वाय बढ़ती ह आखो की योित तज होती ह वळनाड़ी अथारत वीयरधारा नाड़ी मजबत बनती ह वीयर की ऊधवरगित होन स शरीर वळ जसा बनता ह लमब समय तक सरलता स यह आसन कर सकत ह इसस मन की चचलता दर होकर यि िःथर बि वाला बनता ह शरीर म र ािभसरण ठीक स होकर शरीर िनरोगी एव सनदर बनता ह

भोजन क बाद इस आसन स बठन स पाचन शि तज होती ह कबज दर होती ह भोजन जलदी ह म होता ह पट की वाय का नाश होता ह कबज दर होकर पट क तमाम रोग न होत ह पाणडरोग स मि िमलती ह रीढ़ कमर जाघ घटन और परो म शि बढ़ती ह कमर और पर का वाय रोग दर होता ह ःमरणशि म वि होती ह ि यो क मािसक धमर की अिनयिमतता जस रोग दर होत ह शबदोष वीयरदोष घटनो का ददर आिद का नाश होता ह ःनाय प होत ह ःफितर बढ़ान क िलए एव मानिसक िनराशा दर कर न क िलए यह आसन उपयोगी ह धयान क िलय भी यह आसन उ म ह इसक अ यास स शारी रक ःफितर एव मानिसक सननता कट होती ह िदन-ितिदन शि का सचय होता ह इसिलए शारी रक बल म खब वि होती ह काग का िगरना अथारत गल क टािनसलस हिडडयो क पोल आिद ःथानो म उतपनन होन वाल तकण की स या म वि होन स आरो य का साा य ःथािपत होता ह िफर यि

बखार स िसरददर स कबज स मदाि न स या अजीणर जस छोट-मोट िकसी भी रोग स पीिड़त नही रहता योिक रोग आरो य क साा य म िव होन का साहस ही नही कर पात

स वळासन

धयान िवश ा याचब म ास दीघर सामानय

िविधः वळासन म बठन क बाद िच होकर पीछ की ओर भिम पर लट जाय दोनो जघाए परःपर िमली रह अब रचक करत बाय हाथ का खला पजा दािहन कनध क नीच इस कार रख िक मःतक दोनो हाथ क बास क ऊपर आय रचक परा होन पर िऽबनध कर ि मलाधार चब की िदशा म और िच वि मलाधार चब म ःथािपत कर

लाभः यह आसन करन म ौम बहत कम ह और लाभ अिधक होता ह इसक अ यास स सषमना का मागर अतयनत सरल होता ह कणडिलनी शि सरलता स ऊधवरगमन कर सकती ह

इस आसन म धयान करन स म दणड को सीधा करन का ौम नही करना पड़ता और म दणड को आराम िमलता ह उसकी काय़रशि बल बनती ह इस आसन का अ यास करन स ायः तमाम अतःॐावी मिनथयो को जस शीषरःथ मिनथ कणठःथ मिनथ मऽिपणड की मनथी ऊधवरिपणड तथा प षाथर मिनथ आिद को पि िमलती ह फलतः यि का भौितक एव आधयाितमक िवकास सरल हो जाता ह तन-मन का ःवाःथय भावशाली बनता ह जठराि न दी होती ह मलावरोध की पीडा दर होती ह धातकषय ःवपनदोष पकषाघात पथरी बहरा होना तोतला होना आखो की दबरलता गल क टािनसल ासनिलका का सजन कषय दमा ःमरणशि की दबरलता आिद रोग दर होत ह

शवासन

शवासन की पणारवःथा म शरीर क तमाम अग एव मिःतक पणरतया च ा रिहत िकय जात ह यह अवःथा शव (मद) जसी होन स इस आसन को शवासन कहा जाता ह

िविधः िबछ हए आसन पर िच होकर लट जाय दोनो परो को परःपर स थोड़ अलग कर द दोनो हाथ भी शरीर स थोड़ अलग रह इस कार परो की ओर फला द हाथ की हथिलया आकाश की तरफ खली रख िसर सीधा रह आख बनद

मानिसक ि स शरीर को पर स िसर तक दखत जाय पर शरीर को मद की तरह ढीला छोड़ द हर एक अग को िशिथल करत जाय

शरीर म समपणर िवौाम का अनभव कर मन को भी बा ा िवषयो स हटाकर एकाम कर बारी-बारी स हर एक अग पर मानिसक ि एकाम करत हए भावना कर िक वह अग अब आराम पा रहा ह मरी सब थकान उतर रही ह इस कार भावना करत-करत सब ःनायओ को िशिथल होन द शरीर क एक भी अग म कही भी तनाव (टनशन) न रह िशिथलीकरण की िबया म पर स ारमभ करक िसर तक जाय अथवा िसर स ारमभ करक पर तक भी जा सकत ह अनत म जहा स ारमभ िकया हो वही पनः पहचना चािहय िशिथलीकरण की िबया स शरीर क तमाम अगो का एव ानततओ को िवौाम की अवःथा म ला दना ह

शवासन की दसरी अवःथा म ासोचछोवास पर धयान दना ह शवासन की यही म य िबया ह िवशषकर योग साधको क िलए वह अतयनत उपयोगी ह कवल शारी रक ःवाःथय क िलय थम भिमका पयार ह

इसम ास और उचछवास की िनयिमतता दीघरता और समानता ःथािपत करन का लकषय ह ास िनयिमत चल लमबा और गहरा चल ास और उचछवास एक समान रह तो मन को एकाम करन की शि ा होती ह

शवासन यिद ठीक ढग स िकया जाए तो नाड़ीतऽ इतना शात हो जाता ह िक अ यासी को नीद आन लगती ह लिकन धयान रह िनिनित न होकर जामत रहना आवयक ह

अनय आसन करन क बाद अगो म जो तनाव (टनशन) पदा होता ह उसको िशिथल करन क िलय अत म 3 स 5 िमनट तक शवासन करना चािहए िदनभर म अनकलता क अनसार दो-तीन बार शवासन कर सकत ह

लाभः शवासन क ारा ःनाय एव मासपिशयो म िशिथलीकरण स शि बढ़ती ह अिधक कायर करन की यो यता उसम आती ह र वाहिनयो म िशराओ म र वाह तीो

होन स सारी थकान उतर जाती ह नाड़ीतऽ को बल िमलता ह मानिसक शि म वि होती ह

र का दबाव कम करन क िलए नाड़ीतऽ की दबरलता एव उसक कारण होन वाल रोगो को दर करन क िलय शवासन खब उपयोगी ह

पादपि मो ानासन

यह आसन करना किठन ह इसस उमासन कहा जाता ह उम का अथर ह िशव भगवान िशव सहारक ार ह अतः उम या भयकर ह िशवसिहता म भगवान िशव न म कणठ स शसा करत हए कहा हः यह आसन सवरौ आसन ह इसको य पवरक ग रख िसफर अिधका रयो को ही इसका रहःय बताय

धयान मिणपर चब म ास थम िःथित म परक और दसरी िःथित म रचक और िफर बिहकर मभक

िविधः िबछ हए आसन पर बठ जाय दोनो परो को लमब फला द दोनो परो की जघा घटन पज परःपर िमल रह और जमीन क साथ लग रह परो की अगलया घटनो की तरफ झकी हई रह अब दोनो हाथ लमब कर दािहन हाथ की तजरनी और अगठ स दािहन पर का अगठा और बाय हाथ की तजरनी और अगठ स बाय पर का अगठा पकड़ अब रचक करत-करत नीच झक और िसर को दोनो घटनो क मधय म रख ललाट घटन को ःपशर कर और घटन ज़मीन स लग रह रचक परा होन पर कमभक कर ि एव िच वि को मिणपर चब म ःथािपत कर ारमभ म आधा िमनट करक बमशः 15 िमनट तक यह आसन करन का अ यास बढ़ाना चािहय थम दो-चार िदन किठन लगगा लिकन अ यास हो जान पर यह आसन सरल हो जाएगा

लाभः पादपि मो नासन म समयक अ यास स सषमना का मख खल जाता ह और ाण म दणड क मागर म गमन करता ह फलतः िबनद को जीत सकत ह िबनद को जीत िबना न समािध िस होती ह न वाय िःथर होता ह न िच शात होता ह

जो ी-प ष काम िवकार स अतयत पीिड़त हो उनह इस आसन का अ यास करना चािहए इसस शारी रक िवकार दब जात ह उदर छाती और म दणड को उ म कसरत िमलती ह अतः व अिधक कायरकषम बनत ह हाथ पर तथा अनय अगो क सिनध ःथान मजबत बनत ह शरीर क सब तऽ बराबर कायरशील होत ह रोग माऽ का नाश होकर ःवाःथय़ का साा य ःथािपत होता ह

इस आसन क अ यास स मनदाि न मलावरोध अजीणर उदररोग किमिवकार सद वातिवकार कमर का ददर िहचकी कोढ़ मऽरोग मधमह पर क रोग ःवपनदोष वीयरिवकार र िवकार एपनडीसाइिटस अणडवि पाणडरोग अिनिा दमा ख टी डकार आना ानतनत की दबरलता बवासीर नल की सजन गभारशय क रोग अिनयिमत तथा क दायक मािसक बनधयतव दर नपसकता र िप िसरोवदना बौनापन आिद अनक रोग दर होत ह पट पत ला बनता ह जठराि न दी होती ह कफ और चरबी न होत ह

िशवसिहता म कहा ह िक इस आसन स वाय ीपन होता ह और वह मतय का नाश करता ह इस आसन स शरीर का कद बढ़ता ह शरीर म अिधक ःथलता हो तो कम होती ह दबरलता हो तो वह दर होकर शरीर सामानय तनद ःत अवःथा म आ जाता ह नाडी सःथान म िःथरता आती ह मानिसक शाित ा होती ह िचनता एव उ जना शात करन क िलए यह आसन उ म ह पीठ और म दणड पर िखचाव आन स दोनो िवकिसत होत ह फलतः शरीर क तमाम अवयवो पर अिधकार ःथािपत होता ह सब आसनो म यह आसन सवर धान ह इसक अ यास स कायाकलप (प रवतरन) हो जाता ह

यह आसन भगवान िशव को बहत पयारा ह उनकी आ ा स योगी गोरखनाथ न लोककलयाण हत इसका चार िकया ह आप इस आसन क अदभत लाभो स लाभािनवत हो और दसरो को भी िसखाय

पादपि मो ानासन प यपाद आसारामजी बाप को भी बहत पयारा ह उसस प यौी को बहत लाभ हए ह अभी भी यह आसन उनक आरो यिनिध का रकषक बना हआ ह

पाठक भाइयो आप अवय इस आसन का लाभ लना ारमभ क चार-पाच िदन जरा किठन लगगा बाद म तो यह आसन आपका िशवजी क वरदान प आरो य कवच िस हए िबना नही रहगा

िऽबनध

मलबनध

शौच ःनानािद स िनव होकर आसन पर बठ जाय बायी एड़ी क ारा सीवन या योिन को दबाय दािहनी एड़ी सीवन पर रख गदा ार को िसकोड़कर भीतर की ओर ऊपर खीच यह मलबनध कहा जाता ह

लाभः मलबनध क अ यास स मतय को जीत सकत ह शरीर म नयी ताजगी आती ह िबगड़त हए ःवाःथय की रकषा होती ह चयर का पालन करन म मलबनध सहायक िस होता ह वीयर को प करता ह कबज को न करता ह जठराि न तज होती ह मलबनध स िचरयौवन ा होता ह बाल सफद होन स कत ह

अपानवाय ऊधवरगित पाकर ाणवाय क सषमना म िव होता ह सहॐारचब म िच वि िःथर बनती ह इसस िशवपद का आननद िमलता ह सवर कार की िद य िवभितया और ऐ यर ा होत ह अनाहत नाद सनन को िमलता ह ाण अपान नाद और िबनद एकिऽत होन स योग म पणरता ा होती ह

उडडीयान बनध

आसन पर बठकर परा ास बाहर िनकाल द समपणरतया रचक कर पट को भीतर िसकोड़कर ऊपर की ओर खीच नािभ तथा आत पीठ की तरफ दबाय शरीर को थोड़ा सा आग की तरफ झकाय यह ह उडडीयानबनध

लाभः इसक अ यास स िचरयौवन ा होता ह मतय पर जय ा होती ह चयर क पालन म खब सहायता िमलती ह ःवाःथय सनदर बनता ह कायरशि म वि होती ह नयोिल और उडडीयानबनध जब एक साथ िकय जात ह तब कबज दम दबाकर भाग खड़ा होता ह पट क तमाम अवयवो की मािलश हो जाती ह पट की अनावयक चरबी उतर जाती ह

जालनधरबनध

आसन पर बठकर परक करक कमभक कर और ठोड़ी को छाती क साथ दबाय इसको जालनधरबनध कहत ह

लाभः जालनधरबनध क अ यास स ाण का सचरण ठीक स होता ह इड़ा और िपगला नाड़ी बनद होकर ाण-अपान सषमना म िव होत ह नािभ स अमत कट होता ह िजसका पान जठराि न करता ह योगी इसक ारा अमरता ा करता ह

प ासन पर बठ जाय परा ास बाहर िनकाल कर मलबनध उडडीयानबनध कर िफर खब परक करक मलबनध उडडीयानबनध और जालनधरबनध य तीनो बनध एक साथ कर आख बनद रख मन म णव (ॐ) का अथर क साथ जप कर

इस कार ाणायाम सिहत तीनो बनध का एक साथ अ यास करन स बहत लाभ होता ह और ायः चमतका रक प रणाम आता ह कवल तीन ही िदन क समयक अ यास स जीवन म बािनत का अनभव होन लगता ह कछ समय क अ यास स कवल या कवली कमभक ःवय कट होता ह

कवली कमभक

कवल या कवली कमभक का अथर ह रचक-परक िबना ही ाण का िःथर हो जाना िजसको कवली कमभक िस होता ह उस योगी क िलए तीनो लोक म कछ भी दलरभ नही रहता कणडिलनी जागत होती ह शरीर पतला हो जाता ह मख सनन रहता ह नऽ मलरिहत होत ह सवर रोग दर हो जात ह िबनद पर िवजय होती ह जठराि न विलत होती ह

कवली कमभक िस िकय हए योगी की अपनी सवर मनोकामनाय पणर होती ह इतना ही नही उसका पजन करक ौ ावान लोग भी अपनी मनोकामनाय पणर करन लगत ह

जो साधक पणर एकामता स िऽबनध सिहत ाणायाम क अ यास ारा कवली कमभक का प षाथर िस करता ह उसक भा य का तो पछना ही या उसकी यापकता

बढ़ जाती ह अनतर म महानता का अनभव होता ह काम बोध लोभ मोह मद और मतसर इन छः शऽओ पर िवजय ा होती ह कवली कमभक की मिहमा अपार ह

जलनित

िविधः एक िलटर पानी को गनगना सा गरम कर उसम करीब दस माम श नमक डालकर घोल द सनधव िमल जाय तो अचछा सबह म ःनान क बाद यह पानी चौड़ महवाल पाऽ म कटोर म लकर परो पर बठ जाय पाऽ को दोनो हाथो स पकड़ कर नाक क नथन पानी म डबो द अब धीर-धीर नाक क ारा ास क साथ पानी को भीतर खीच और नाक स भीतर आत हए पानी को मह स बाहर िनकालत जाय नाक को पानी म इस कार बराबर डबोय रख िजसस नाक ारा भीतर जानवाल पानी क साथ हवा न वश कर अनयथा आतरस-खासी आयगी

इस कार पाऽ का सब पानी नाक ारा लकर मख ारा बाहर िनकाल द अब पाऽ को रख कर खड़ हो जाय दोनो पर थोड़ खल रह दोनो हाथ कमर पर रखकर ास को जोर स बाहर िनकालत हए आग की ओर िजतना हो सक झक भिॐका क साथ यह िबया बार-बार कर इसस नाक क भीतर का सब पानी बाहर िनकल जायगा थोड़ा बहत रह भी जाय और िदन म कभी भी नाक स बाहर िनकल जाय तो कछ िचनताजनक नही ह

नाक स पानी भीतर खीचन की यह िबया ारमभ म उलझन जसी लगगी लिकन अ यास हो जान पर िबलकल सरल बन जायगा

लाभः मिःतक की ओर स एक कार का िवषला रस नीच की ओर बहता ह यह रस कान म आय तो कान क रोग होत ह आदमी बहरा हो जाता ह यह रस आखो की तरफ जाय तो आखो का तज कम हो जाता ह चम की ज रत पड़ती ह तथा अनय रोग होत ह यह रस गल की ओर जाय तो गल क रोग होत ह

िनयमपवरक जलनित करन स यह िवषला पदाथर बाहर िनकल जाता ह आखो की रोशनी बढ़ती ह चम की ज रत नही पड़ती चमा हो भी तो धीर-धीर नमबर कम होत-होत छट जाता भी जाता ह ासोचछोवास का मागर साफ हो जाता ह मिःतक म ताजगी रहती ह जकाम-सद होन क अवसर कम हो जात ह जलनित की िबया करन

स दमा टीबी खासी नकसीर बहरापन आिद छोटी-मोटी 1500 बीमी रया दर होती ह जलनित करन वाल को बहत लाभ होत ह िच म सननता बनी रहती ह

गजकरणी िविधः करीब दो िलटर पानी गनगना सा गरम कर उसम करीब 20 माम श

नमक घोल द सनधव िमल जाय तो अचछा ह अब पजो क बल बठकर वह पानी िगलास भर-भर क पीत जाय खब िपय अिधकाअिधक िपय पट जब िबलकल भर जाय गल तक आ जाय पानी बाहर िनकालन की कोिशश कर तब दािहन हाथ की दो बड़ी अगिलया मह म डाल कर उलटी कर िपया हआ सब पानी बाहर िनकाल द पट िबलकल हलका हो जाय तब पाच िमनट तक आराम कर

गजकरणी करन क एकाध घणट क बाद कवल पतली िखचड़ी ही भोजन म ल भोजन क बाद तीन घणट तक पानी न िपय सोय नही ठणड पानी स ःनान कर तीन घणट क बाद ारमभ म थोड़ा गरम पानी िपय

लाभः गजकरणी स एिसडीटी क रोगी को अदभत लाभ होता ह ऐस रोगी को चार-पाच िदन म एक बार गजकरणी चािहए ततप ात महीन म एक बार दो महीन म एक बार छः महीन म एक बार भी गजकरणी कर सकत ह

ातःकाल खाली पट तलसी क पाच-सात प चबाकर ऊपर स थोड़ा जल िपय एसीडीटी क रोगी को इसस बहत लाभ होगा

वष परान कबज क रोिगयो को स ाह म एक बार गजकरणी की िबया अवय करनी चािहए उनका आमाशय मिनथसःथान कमजोर हो जान स भोजन हजम होन म गड़बड़ रहती ह गजकरणी करन स इसम लाभ होता ह फोड़ फनसी िसर म गम सद बखार खासी दमा टीबी वात-िप -कफ क दोष िज ा क रोग गल क रोग छाती क रोग छाती का ददर एव मदाि न म गजकरणी िबया लाभकारक ह

शरीर शोधन-कायाकलप

यह चालीस िदन का कलप ह प यपाद आसारामजी बाप न यह योग िकया हआ ह इसस शरीर सडौल ःवःथ और फत ला बनता ह र म नय-नय कण बनत ह शरीर क कोषो की शि बढ़ती ह मन-बि म चमतका रक लाभ होत ह

िविधः अगल िदन पपीता सव आिद फल उिचत माऽा म ल अथवा मन का 50 माम दस घणट पहल िभगो द उनको उबालकर बीज िनकाल द मन का खा ल और पानी पी ल

ातःकाल उठकर सकलप कर िक इस कलप क दौरान िनि त िकय हए कायरबम क अनसार ही रहगा

शौच-ःनानािद िनतयकमर स िनव होकर सबह 8 बज 200 या 250 माम गाय का उबला हआ गनगना दध िपय पौन घणटा पणर आराम कर बाद म िफर स दध िपय शारी रक ौम कम स कम कर ॐ सोsह हसः इस मऽ का मानिसक जप कर कभी ास को िनहार बस साकषीभाव

मनोरा य चलता हो तो ॐ जोर-जोर स जप कर

इस कार शाम तक िजतना दध हजम कर सक उतना दध दो स तीन िलटर िपय 40 िदन तक कवल द धाहार क बाद 41व िदन मग का उबला हआ पानी मोसममी का रस आिद ल रािऽ को अिधक मगवाली हलकी िखचड़ी खाय इस कार शरीर-शोधन-कायाकलप की पणारहित कर

यिद बि तीकषण बनानी हो ःमरणशि बढ़ानी हो तो कलप क दौरान ॐ ऐ नमः इस मऽ का जप कर सयर को अ यर द

इस कलप म दध क िसवाय अनय कोई खराक लना मना ह चाय तमबाक आिद यसन िनिष ह ि यो क सग स दर रहना तथा चयर का पालन अतयनत आवयक ह

कलजग नही करजग ह यह

कलजग नही करजग ह यह यहा िदन को द अ रात ल

या खब सौदा नकद ह इस हाथ द उस हाथ ल टक

दिनया अजब बाज़ार ह कछ िजनस1 या िक साथ ल

नकी का बदला नक ह बद स बदी की बात ल

मवा िखला मवा िमल फल फल द फल पात ल

आराम द आराम ल दःख ददर द आफत2 ल 1

काटा िकसी को मत लगा गो िमःल-गल3 फला ह त

वह तर हक4 म तीर ह िकस बात पर झला ह त

मत आग म डाल और को या घास का पला ह त

सन ऱख यह नकता5 बखबर िकस बात पर भला ह त

कलजग नही 2

शोखी शरारत मकरो-फन6 सबका बसखा7 ह यहा

जो जो िदखाया और को वह खद भी दखा ह यहा

खोटी खरी जो कछ कही ितसका परखा8 ह यहा

जो जो पड़ा तलता ह मोल ितल ितल का लखा ह यहा

कलजग नही 3

जो और की बःती9 रख उसका भी बसता ह परा

जो और क मार छरी उसको भी लगता ह छरा

जो और की तोड़ घड़ी उसका भी टट ह घड़ा

जो और की चत10 बदी उसका भी होता ह बरा

कलजग नही 4

जो और को फल दवगा वह भी सदा फल पावगा

गह स गह जौ स जौ चावल स चावल पावगा

जो आज दवगा यहा वसा ही वह कल पावगा

कल दवगा कल पावगा िफर दवगा िफर पावगा

कलजग नही 5

जो चाह ल चल इस घड़ी सब िजनस यहा तयार ह

आराम म आराम ह आजार म आजार11 ह

दिनया न जान इसको िमया दरया की यह मझधार ह

औरो का बड़ा पार कर तरा भी बड़ा पार ह

कलजग नही 6

त और की तारीफ कर तझको सना वानी12 िमल

कर मिकल आसा औरो की तझको भी आसानी िमल

त और को महमान कर तझको भी महमानी िमल

रोटी िखला रोटी िमल पानी िपला पानी िमल

कलजग नही 7

जो गल13 िखलाव और का उसका ही गल िखलता भी ह

जो और का कील14 ह मह उसका ही मह िकलता भी ह

जो और का छील िजगर उसका िजगर िछलता भी ह

जो और को दव कपट उसको कपट िमलता भी ह

कलजग नही 8

कर जो कछ करना ह अब यह दम तो कोई आन15 ह

नकसान म नकसान ह एहसान म एहसान ह

तोहमत म यहा तोहमत िमल तफान म तफान ह

रहमान16 को रहमान17 ह शतान को शतान ह

कलजग नही 9

यहा जहर द तो जहर ल श कर म श कर दख ल

नको का नकी का मजा मजी18 को ट कर दख ल

मोती िदय मोती िमल पतथर म पतथर दख ल

गर तझको यह बावर19 नही तो त भी करक दख ल

कलजग नही 10

अपन नफ क वाःत मत और का नकसान कर

तरा भी नकसा होवगा इस बात पर त धयान कर

खाना जो खा सो दखकर पानी िपय तो छानकर

या पावो को रख फककर और खोफ स गजरान कर

कलजग नही 11

गफलत की यह जगह नही त सािहब-इदराक20 रह

िदलशाद21 ऱख िदल शाह रह गमनाक रख गमनाक रह

हर हाल म भी त नजीर22 अब हर कदम की रह

यह वह मका ह ओ िमया या पाक23 रह बबाक24 रह

कलजग नही 12

1 वःत 2 मसीबत 3 पप की तरह 4 तर िलय 5 रहःय 6 दगा-धोखा 7 घर 8 परखना 9 नगरी 10 िवचार कर 11 दःख 12 तारीफ-ःतित 13 फल 14 िकसी को बोलन न दना 15 घड़ी पल 16 दयावान 17 दयाल भगवान 18 सतान वाला 19 िव ास 20 तीो ा तज समझन वाला प ष 21 सननिच 22 किव का नाम ह 23 श पिवऽ 24 िनडर

  • आधयातमिक विदया क उदगाता
  • सवासथय क लिए मतर
  • परासताविक
  • बरहमचरय-रकषा का मनतर
  • आसनो की परकिया म आन वाल कछ शबदो की समझ
  • आवशयक निरदश
  • योगासन
    • पदमासन या कमलासन
    • सिदधासन
    • सरवागासन
    • हलासन
    • पवनमकतासन
    • मतसयासन
    • भजगासन
    • धनरासन
    • चकरासन
    • कटिपिणडमरदनासन
    • अरधमतसयनदरासन
    • योगमदरासन
    • गोरकषासन या भदरासन
    • मयरासन
    • वजरासन
    • सपतवजरासन
    • शवासन
    • पादपशचिमोततानासन
      • तरिबनध
        • मलबनध
        • उडडीयान बनध
        • जालनधरबनध
          • कवली कमभक
          • जलनति
          • गजकरणी
          • शरीर शोधन-कायाकलप
          • कलजग नही करजग ह यह
Page 2: अनुबम - || Home || HariOmGroup · िस होता है। िवशु नाड़ीतंऽ वालेयोगी के िवशु शरीर में

जलनित 37

गजकरणी 38

शरीर शोधन-कायाकलप 39

कलजग नही करजग ह यह 40

आधयाितमक िव ा क उदगाता ातः ःमरणीय प यपाद सत ौी आसाराम जी महाराज आज समम िव की

चतना क साथ एकातमकता साध हए एक ऐस ानी महाप ष ह िक िजनक बार म कछ िलखना कलम को शिमरनदा करना ह प यौी क िलए यह कहना िक उनका जनम िसनध क नवाब िजल क बराणी नामक गाव म ईस 1941 म िवस 1998 चत वद 6 को हआ था यह कहना िक उनक िपताौी बड़ जमीदार थ यह कहना िक उनहोन बचपन स साधना श की थी और करीब तईस साल की उ म उनहोन आतम-साकषातकार िकया था ndash इतयािद सब अपन मन को फसलान की कहािनया माऽ ह उनक िवषय म कछ भी कहना बहत एयादती ह मौन ही यहा परम भाषण ह सार िव की चतना क साथ िजनकी एकतानता ह उनको भला िकस रीित स ःथल समबनधो और प रवतरनशील िबयाओ क साथ बाधा जाय

आज अमदावाद स करीब तीन-चार िकमी उ र म पिवऽ सिलला साबरमित क िकनार ऋिष-मिनयो की तपोभिम म धवल व धारी परम प यपाद सतौी लाखो-लाखो मनयो क जीवनरथ क पथ-दशरक बन हए ह कछ ही साल पहल साबरमित की जो कोतर डरावनी और भयावह थी आज वही भिम लाखो लोगो क िलए परम आौय और आनददायी तीथरभिम बन चकी ह हर रिववार और बधवार को हजारो लोग आौम म आकर ननद म मःत सतौी क मखारिवद स िनसत अमत-वषार का लाभ पात ह धयान और सतसग का अमतमय साद पात ह प यौी की पावन कटीर क सामन िःथत मनोकामनाओ को िस करन वाल कलपवकष समान बड़ बादशाह की प रबमा करत ह ओर एक स ाह क िलए एक अदमय उतसाह और आननद भीतर भरकर लौट जात ह

कछ साधक प यौी क पावन सािननधय म आतमोथान की ओर अमसर होत हए ःथायी प स आौम म ही रहत ह इस आौम स थोड़ ही दरी पर िःथत मिहला

आौम म प यौी रणा स और प य माता जी क सचालन म रहकर कछ सािधकाए आतमोथान क मागर पर चल रही ह

अमदावाद और सरत क अलावा िदलली आगरा वनदावन िषकश इनदौर भोपाल उ जन रतलाम जयपर उदयपर पकर-अजमर जोधपर आमट समरप सागवाड़ा राजकोट भावनगर िहममतनगर िवसनगर लणावाड़ा वलसाड़ वापी उलहासनगर औरगाबाद काशा नािशक एव छोट-मोट कई ःथानो म भी मनोरमय आौम बन चक ह और लाखो-लाखो लोग उनस लाभािनवत हो रह ह हर साल इन आौमो म म य चार धयान योग साधना िशिवर होत ह दश-िवदश क कई साधक-सािधकाए इन िशिवरो म सिममिलत होकर आधयाितमक साधना क राजमागर पर चल रह ह उनकी स या िदनोिदन िवशाल हो रही ह प यौी का म आननद उतसाह और आ ासन स भरा रक मागरदशरन एव ःनहपणर सािननधय उनक जीवन को पलिकत कर रहा ह

िकसी को प यौी की िकताब िमल जाती ह िकसी को प यौी क वचन की टप सनन को िमल जाती ह िकसी को टीवी एव चनलो पर प यौी का दशरन-सतसग िमल जाता ह िकसी को प यौी का कोई िशय भ िमल जाता ह और कोई ौ ावान तो प यौी का कवल नाम सनकर ही आौम म चला जाता ह और प यौी का आितमक म पाकर अननत िव चतना क साथ तार जोड़न का सदभागी होता ह वह भी आधयाितमक साधना का मागर खल जान स आननद स भर जाता ह

प यौी कहत ह- तम अपन को दीन-हीन कभी मत समझो तम आतमःव प स ससार की सबस बड़ी स ा हो तमहार परो तल सयर और चनि सिहत हजारो पिथवया दबी हई ह तमह अपन वाःतिवक ःव प म जागन माऽ की दर ह अपन जीवन को सयम-िनयम और िववक वरा य स भरकर आतमािभमख बनाओ अपन जीवन म ज़रा धयान की झलक लकर तो दखो आतमदव परमातमा की ज़री झाकी करक तो दखो बस

िफर तो तम अखणड ाणड क नायक हो ही िकसन तमह दीन-हीन बनाए रखा ह िकसन तमह अ ानी और मढ़ बनाए रखा ह मानयताओ न ही ना तो छोड़ दो उन दःखद मानयताओ को जाग जाओ अपन ःव प म िफर दखो सारा िव तमहारी स ा क आग झकन को बाधय होता ह िक नही तमको िसफर जगना ह बस इतना ही काफी ह तमहार तीो प षाथर और सदग क कपा-साद स यह कायर िस हो जाता ह

कणडिलनी ारमभ म िबयाए करक अननमय कोष को श करती ह तमहार शरीर को आवयक हो ऐस आसन ाणायाम मिाए आिद अपन आप होन लगत ह अननमय

कोष ाणमय कोष मनोमय कोष की याऽा करत हए कणडिलनी जब आननदमय कोष म पहचती ह तब असीम आननद की अनभित होन लगती ह तमाम शि या िसि या सामथयर साधक म कट होन लगता ह कणडिलनी जगत ही बरी आदत और यसन दर होन लगत ह

इस योग को िस योग भी कहा जाता ह आननदमय कोष स भी आग गणातीत अवःथा करन क िलए इस िस योग का उपयोग हो सकता ह तथा आतम ान पाकर जीवनम क ऊच िशखर पर पहचन क िलए योगासन सहाय प हो सकत ह

- ौी योग वदानत सवा सिमित

अमदावाद आौम

ःवाःथय क िलए मऽ

अचयताननत गोिवनद नमोचचारणभषजात

नयिनत सकला रोगाः सतय सतय वदामयहम

ह अचयत हो अननत ह गोिवनद इस नामोचचारणःव प औषध स तमाम रोग न हो जात ह यह म सतय कहता ह यह म सतय कहता ह सतय कहता ह

ाःतािवक

साधारण मनय अननमय ाणमय और मनोमय कोष म जीता ह जीवन की तमाम सष शि या नही जगाकर जीवन यथर खोता ह इन शि यो को जगान म आपको आसन खब सहाय प बनग आसन क अ यास स तन तनद ःत मन सनन और बि तीकषण बनगी जीवन क हर कषऽ म सखद ःवपन साकार करन की कजी आपक आनतर मन म छपी हई पड़ी ह आपका अदभत सामथयर कट करन क िलए ऋिषयो न समाधी स समा इन आसनो का अवलोकन िकया ह

हजारो वषर की कसौिटयो म कस हए दश-िवदश म आदरणीय लोगो क ारा आदर पाय हए इन आसनो की पिःतका दखन म छोटी ह पर आपक जीवन को अित महान बनान की किजया रखती हई आपक हाथ म पहच रही ह

इस पिःतका को बार-बार पढ़ो आसनो का अ यास करो िहममत रखो अ यास का साततय जारी रखो अदभत लाभ होगा होगा अवय होगा सिमित की सवा साथरक बनगी

सत ौी आसारामजी बाप

चयर-रकषा का मनऽ

ॐ नमो भगवत महाबल पराबमाय मनोिभलािषत मनः ःतभ क क ःवाहा

रोज दध म िनहार कर 21 बार इस मऽ का जप कर और दध पी ल इसस चयर की रकषा होती ह ःवभाव म आतमसात कर लन जसा यह िनयम ह

रािऽ म गोद पानी म िभगोकर सबह चाट लन स वीयरधात प होता ह चयर-रकषा म सहायक बनता ह

आसनो की िकया म आन वाल कछ शबदो की समझ

रचक का अथर ह ास छोड़ना

परक का अथर ह ास भीतर लना

कमभक का अथर ह ास को भीतर या बाहर रोक दना ास लकर भीतर रोकन की िबया को आनतर या आ यानतर कमभक कहत ह ास को बाहर िनकालकर िफर वापस न लकर ास बाहर ही रोक दन की िबया को बिहकर मभक कहत ह

चबः चब आधयाितमक शि यो क कनि ह ःथल शरीर म चमरचकष स व िदखत नही योिक व हमार सआम शरीर म िःथत होत ह िफर भी ःथल शरीर क ानतनत

ःनाय कनि क साथ उनकी समानता जोड़कर उनका िनदश िकया जाता ह हमार शरीर म ऐस सात चब म य ह 1 मलाधारः गदा क पास म दणड क आिखरी मनक क पास होता ह 2 ःवािध ानः जननिनिय स ऊपर और नािभ स नीच क भाग म होता ह 3 मिणपरः नािभकनि म होता ह 4 अनाहतः दय म होता ह 5 िवश ः कणठ म होता ह 6 आ ाचबः दो भौहो क बीच म होता ह 7 सहॐारः मिःतक क ऊपर क भाग म जहा चोटी रखी जाती ह वहा होता ह

नाड़ीः ाण वहन करन वाली बारीक निलकाओ को नाड़ी कहत ह उनकी स या 72000 बतायी जाती ह इड़ा िपगला और सषमना य तीन म य ह उनम भी सषमना सबस अिधक मह वपणर ह

आवयक िनदश

1 भोजन क छः घणट बाद दध पीन क दो घणट बाद या िबलकल खाली पट ही आसन कर

2 शौच-ःनानािद स िनव होकर आसन िकय जाय तो अचछा ह

3 ास मह स न लकर नाक स ही लना चािहए

4 गरम कमबल टाट या ऐसा ही कछ िबछाकर आसन कर खली भिम पर िबना कछ िबछाय आसन कभी न कर िजसस शरीर म िनिमरत होन वाला िव त-वाह न न हो जाय

5 आसन करत समय शरीर क साथ ज़बरदःती न कर आसन कसरत नही ह अतः धयरपवरक आसन कर

6 आसन करन क बाद ठड म या तज हवा म न िनकल ःनान करना हो तो थोड़ी दर बाद कर

7 आसन करत समय शरीर पर कम स कम व और ढील होन चािहए

8 आसन करत-करत और मधयानतर म और अत म शवासन करक

िशिथलीकरण क ारा शरीर क तग बन ःनायओ को आराम द

9 आसन क बाद मऽतयाग अवय कर िजसस एकिऽत दिषत त व बाहर िनकल जाय

10 आसन करत समय आसन म बताए हए चबो पर धयान करन स और मानिसक जप करन स अिधक लाभ होता ह

11 आसन क बाद थोड़ा ताजा जल पीना लाभदायक ह ऑि सजन और हाइसोजन म िवभािजत होकर सिनध-ःथानो का मल िनकालन म जल बहत आवयक होता ह

12 ि यो को चािहए िक गभारवःथा म तथा मािसक धमर की अविध म व कोई भी आसन कभी न कर

13 ःवाःथय क आकाकषी हर यि को पाच-छः तलसी क प ातः चबाकर पानी पीना चािहए इसस ःमरणशि बढ़ती ह एसीडीटी एव अनय रोगो म लाभ होता ह

योगासन

प ासन या कमलासन

इस आसन म परो का आधार प अथारत कमल जसा बनन स इसको प ासन या कमलासन कहा जाता ह धयान आ ाचब म अथवा अनाहत चब म ास रचक

कमभक दीघर ःवाभािवक

िविधः िबछ हए आसन क ऊपर ःवःथ होकर बठ रचक करत करत दािहन पर को मोड़कर बाई जघा पर रख बाय पर को मोड़कर दािहनी जघा पर रख अथवा पहल बाया पर और बाद म दािहना पर भी रख सकत ह पर क तलव ऊपर की ओर और एड़ी नािभ क नीच रह घटन ज़मीन स लग रह िसर गरदन छाती म दणड आिद परा भाग सीधा और तना हआ रह दोनो हाथ घटनो क ऊपर ानमिा म रह (अगठ को तजरनी अगली क नाखन स लगाकर शष तीन अगिलया सीधी रखन स ानमिा बनती ह) अथवा बाय हाथ को गोद म रख हथली ऊपर की और रह उसक ऊपर उसी कार दािहना हाथ रख दोनो हाथ की अगिलया परःपर लगी रहगी दोनो हाथो को म ठी बाधकर घटनो पर भी रख सकत ह

रचक परा होन क बाद कमभक कर ारभ म पर जघाओ क ऊपर पर न रख सक तो एक ही पर रख पर म झनझनाहट हो लश हो तो भी िनराश न होकर अ यास चाल रख अश या रोगी को चािहए िक वह ज़बरदःती प ासन म न बठ प ासन

सश एव िनरोगी क िलए ह हर तीसर िदन समय की अविध एक िमनट बढ़ाकर एक घणट तक पहचना चािहए

ि नासाम अथवा मधय म िःथर कर आख बद खली या अधर खली भी रख सकत ह शरीर सीधा और िःथर रख ि को एकाम बनाय

भावना कर िक मलाधार चब म छपी हई शि का भणडार खल रहा ह िनमन कनि म िःथत चतना तज और औज़ क प म बदलकर ऊपर की ओर आ रही ह अथवा अनाहत चब ( दय) म िच एकाम करक भावना कर िक दय पी कमल म स सगनध की धाराए वािहत हो रही ह समम शरीर इन धाराओ स सगिनधत हो रहा ह

लाभः ाणायाम क अ यासपवरक यह आसन करन स नाड़ीतऽ श होकर आसन िस होता ह िवश नाड़ीतऽ वाल योगी क िवश शरीर म रोग की छाया तक नही रह सकती और वह ःवचछा स शरीर का तयाग कर सकता ह

प ासन म बठन स शरीर की ऐसी िःथित बनती ह िजसस सन तऽ ानतऽ और र ािभसरणतऽ स यविःथत ढग क कायर कर सकत ह फलतः जीवनशि का िवकास होता ह प ासन का अ यास करन वाल साधक क जीवन म एक िवशष कार की आभा कट होती ह इस आसन क ारा योगी सत महाप ष महान हो गय ह

प ासन क अ यास स उतसाह म वि होती ह ःवभाव म सननता बढ़ती ह मख तजःवी बनता ह बि का अलौिकक िवकास होता ह िच म आननद-उललास रहता ह िचनता शोक दःख शारी रक िवकार दब जात ह किवचार पलायन होकर सिवचार कट होन लगत ह प ासन क अ यास स रजस और तमस क कारण यम बना हआ िच शानत होता ह स वगण म अतयत व ि होती ह ाणायाम साि वक िमताहार और सदाचार क साथ प ासन का अ यास करन स अतःॐावी मिथयो को िवश र िमलता ह फलतः यि म कायरशि बढ़न स भौितक एव आधयाितमक िवकास शीय होता ह बौि क-मानिसक कायर करन वालो क िलए िचनतन मनन करन वालो क िलए एव िव ािथरयो क िलए यह आसन खब लाभदायक ह चचल मन को िःथर करन क िलए एव वीयररकषा क िलए या आसन अि ितय ह

ौम और क रिहत एक घणट तक प ासन पर बठन वाल यि का मनोबल खब बढ़ता ह भाग गाजा चरस अफीम मिदरा तमबाक आिद यसनो म फस हए यि

यिद इन यसनो स म होन की भावना और ढ़ िन य क साथ प ासन का अ यास कर तो उनक द यरसन सरलता स और सदा क िलए छट जात ह चोरी जआ यिभचार या हःतदोष की बरी आदत वाल यवक-यवितया भी इस आसन क ारा उन सब कसःकारो स म हो सकत ह

क र िप पकषाघात मलावरोध स पदा हए रोग कषय दमा िहःटी रया धातकषय कनसर उदरकिम तवचा क रोग वात-कफ कोप नपसकतव वनध य आिद रोग प ासन क अ यास स न हो जात ह अिनिा क रोग क िलए यह आसन रामबाण इलाज ह इसस शारी रक मोटापन कम होता ह शारी रक एव मानिसक ःवाःथय की सरकषा क िलए यह आसन सव म ह

प ासन म बठकर अि नी मिा करन अथारत गदा ार का बार-बार सकोच सार करन स अपानवाय सषमना म िव होता ह इसस काम िवकार पर जय ा होन लगती ह ग ोिनिय को भीतर की ओर िसकोड़न स अथारत योिनमिा या वळोली करन स वीयर उधवरगामी होता ह प ासन म बठकर उडडीयान बनध जालधर बनध तथा कमभक करक छाती एव पट को फलान िक िबया करन स वकषशि एव कणठशि होती ह फलतः भख खलती ह भोजन सरलता स पचता ह जलदी थकान नही होती ःमरणशि एव आतमबल म वि होती ह

यम-िनयमपवरक लमब समय तक प ासन का अ यास करन स उणता कट होकर मलाधार चब म आनदोलन उतपनन होत ह कणडिलनी शि जागत होन की भिमका बनती ह जब यह शि जागत होती ह तब इस सरल िदखन वाल प ासन की वाःतिवक मिहमा का पता चलता ह घरणड शािणडलय तथा अनय कई ऋिषयो न इस आसन की मिहमा गायी ह धयान लगान क िलए यह आसन खब लाभदायक ह

इद प ासन ो सवर यािधिवनाशम

दलरभ यन कनािप धीमता ल यत भिव

इस कार सवर यािधयो को िवन करन वाल प ासन का वणरन िकया यह दलरभ आसन िकसी िवरल बि मान प ष को ही ा होता ह

(हठयोगदीिपका थमोपदश)

िस ासन

प ासन क बाद िस ासन का ःथान आता ह अलौिकक िसि या ा करन वाला होन क कारण इसका नाम िस ासन पड़ा ह िस योिगयो का यह िय आसन ह यमो म चयर ौ ह िनयमो म शौच ौ ह वस आसनो म िस ासन ौ ह

धयान आ ाचब म और ास दीघर ःवाभािवक

िविधः आसन पर बठकर पर खल छोड़ द अब बाय पर की एड़ी को गदा और जननिनिय क बीच रख दािहन पर की एड़ी को जननिनिय क ऊपर इस कार रख िजसस जननिनिय और अणडकोष क ऊपर दबाव न पड़ परो का बम बदल भी सकत ह दोनो परो क तलव जघा क मधय भाग म रह हथली ऊपर की ओर रह इस कार दोनो हाथ एक दसर क ऊपर गोद म रख अथवा दोनो हाथो को दोनो घटनो क ऊपर ानमिा म रख आख खली अथवा बनद रख ासोचछोवास आराम स ःवाभािवक चलन

द मधय म आ ाचब म धयान किनित कर पाच िमनट तक इस आसन का अ यास कर सकत ह धयान की उचच ककषा आन पर शरीर पर स मन की पकड़ छट जाती ह

लाभः िस ासन क अ यास स शरीर की समःत नािड़यो का शि करण होता ह ाणत व ःवाभािवकतया ऊधवरगित को ा होता ह फलतः मन को एकाम करना सरल बनता ह

पाचनिबया िनयिमत होती ह ास क रोग दय रोग जीणर वर अजीणर अितसार शबदोष आिद दर होत ह मदाि न मरोड़ा समहणी वातिवकार कषय दमा मधमह पलीहा की वि आिद अनक रोगो का शमन होता ह प ासन क अ यास स जो रोग दर होत ह व िस ासन क अ यास स भी दर होत ह

चयर-पालन म यह आसन िवशष प स सहायक होता ह िवचार पिवऽ बनत ह मन एकाम होता ह िस ासन का अ यासी भोग-िवलास स बच सकता ह 72 हजार नािड़यो का मल इस आसन क अ यास स दर होता ह वीयर की रकषा होती ह ःवपनदोष क रोगी को यह आसन अवय करना चािहए

योगीजन िस ासन क अ यास स वीयर की रकषा करक ाणायाम क ारा उसको मिःतक की ओर ल जात ह िजसस वीयर ओज तथा मधाशि म प रणत होकर िद यता का अनभव करता ह मानिसक शि यो का िवकास होता ह

कणडिलनी शि जागत करन क िलए यह आसन थम सोपान ह

िस ासन म बठकर जो कछ पढ़ा जाता ह वह अचछी तरह याद रह जाता ह िव ािथरयो क िलए यह आसन िवशष लाभदायक ह जठराि न तज होती ह िदमाग िःथर बनता ह िजसस ःमरणशि बढ़ती ह

आतमा का धयान करन वाला योगी यिद िमताहारी बनकर बारह वषर तक िस ासन का अ यास कर तो िसि को ा होता ह िस ासन िस होन क बाद अनय आसनो का कोई योजन नही रह जाता िस ासन स कवल या कवली कमभक िस होता ह छः मास म भी कवली कमभक िस हो सकता ह और ऐस िस योगी क दशरन-पजन स पातक न होत ह मनोकामना पणर होती ह िस ासन क ताप स िनब ज समािध िस हो जाती ह मलबनध उडडीयान बनध और जालनधर बनध अपन आप होन लगत ह

िस ासन जसा दसरा आसन नही ह कवली कमभक क समान ाणायाम नही ह खचरी मिा क समान अनय मिा नही ह और अनाहत नाद जसा कोई नाद नही ह

िस ासन महाप षो का आसन ह सामानय यि हठपवरक इसका उपयोग न कर अनयथा लाभ क बदल हािन होन की समभावना ह

सवागासन

भिम पर सोकर शरीर को ऊपर उठाया जाता ह इसिलए इसको सवागासन कहत ह

धयान िवश ा य चब म ास रचक परक और दीघर

िविधः भिम पर िबछ हए आसन पर िच होकर लट जाए ास को बाहर िनकाल कर अथारत रचक करक कमर तक क दोनो पर सीध और परःपर लग हए रखकर ऊपर उठाए िफर पीठ का भाग भी ऊपर उठाए दोनो हाथो स कमर को आधार द हाथ की कहिनया भिम स लग रह गरदन और कनध क बल परा शरीर ऊपर की और सीधा खड़ा कर द ठोडी छाती क साथ िचपक जाए दोनो पर आकाश की ओर रह ी दोनो परो क अगठो की ओर रह अथवा आख बनद करक िच वि को कणठदश म िवश ा य चब म िःथर कर परक करक ास को दीघर सामानय चलन द

इस आसन का अ य़ास ढ़ होन क बाद दोनो परो को आग पीछ झकात हए जमीन को लगात हए अनय आसन भी हो सकत ह सवागासन की िःथित म दोनो परो को जाघो पर लगाकर प ासन भी िकया जा सकता ह

ारमभ म तीन स पाच िमनट तक यह आसन कर अ यासी तीन घणट तक इस आसन का समय बढ़ा सकत ह

लाभः सवागासन क िनतय अ यास स जठराि न तज होती ह साधक को अपनी िच क अनसार भोजन की माऽा बढ़ानी चािहए सवागासन क अ यास स शरीर की तवचा लटकन नही लगती तथा शरीर म झ ररया नही पड़ती बाल सफद होकर िगरत नही हर रोज़ एक हर तक सवागासन का अ यास करन स मतय पर िवजय िमलती ह

शरीर म सामथयर बढ़ता ह तीनो दोषो का शमन होता ह वीयर की ऊधवरगित होकर अनतःकरण श होता ह मधाशि बढ़ती ह िचर यौवन की ाि होती ह

इस आसन स थायराइड नामक अनतःमिनथ की शि बढ़ती ह वहा र सचार तीो गित स होन लगता ह इसस उस पोषण िमलता ह थायराइड क रोगी को इस आसन स अदभत लाभ होता ह िलवर और पलीहा क रोग दर होत ह ःमरणशि बढ़ती ह मख पर स महास एव अनय दाग दर होकर मख तजःवी बनता ह जठर एव नीच उतरी हई आत अपन मल ःथान पर िःथर होती ह प षातन मिनथ पर सवागासन का अचछा भाव पड़ता ह ःवपनदोष दर होता ह मानिसक बौि क वि करन वालो को तथा िवशषकर िव ािथरयो को यह आसन अवय करना चािहए

मनदाि न अजीणर कबज अशर थायराइड का अलप िवकास थोड़ िदनो का अपनडीसाइिटस और साधारण गाठ अगिवकार असमय आया हआ व तव दमा कफ

चमड़ी क रोग र दोष ि यो को मािसक धमर की अिनयिमतता एव ददर मािसक न आना अथवा अिधक आना इतयािद रोगो म इस आसन स लाभ होता ह नऽ और मिःतक की शि बढ़ती ह उनक रोग दर होत ह

थायराइड क अित िवकासवाल खब कमजोर दयवाल और अतयिधक चब वाल लोगो को िकसी अनभवी की सलाह लकर ही सवागासन करना चािहए

शीषारसन करन स जो लाभ होता ह व सब लाभ सवागासन और पादपि मो ानसन करन स िमल जात ह शीषारसन म गफलत होन स जो हािन होती ह वसी हािन होन की सभावना सवागासन और पादपि मो ानासन म नही ह

हलासन

इस आसन म शरीर का आकार हल जसा बनता ह इसिलए इसको हलासन कहा जाता ह

धयान िवश ा या चब म ास रचक और बाद म दीघर

िविधः भिम पर िबछ हए आसन पर िच होकर लट जाए दोनो हाथ शरीर को लग रह अब रचक करक ास को बाहर िनकाल द दोनो परो को एक साथ धीर-धीर ऊच करत जाय आकाश की ओर पर उठाकर िफर पीछ िसर क तरफ झकाय पर िबलकल तन हए रखकर पज ज़मीन पर लगाय ठोड़ी छाती स लगी रह िच वि को िवश ा या चब म िःथर कर दो-तीन िमनट स लकर बीस िमनट तक समय की अविध बढ़ा सकत ह

लाभः हलासन क अ यास स अजीणर कबज अशर थायराइड का अलप िवकास अगिवकार असमय व तव दमा कफ र िवकार आिद दर होत ह इस आसन स िलवर अचछा होता ह छाती का िवकास होता ह सनिबया तज होकर ऑ सीजन स र श बनता ह गल क ददर पट की बीमारी सिधवात आिद दर होत ह पट की चरबी कम होती ह िसरददर दर होता ह वीयरिव कार िनमरल होता ह खराब िवचार बनद होत ह नाड़ी तऽ श होता ह शरीर बलवान और तजःवी बनता ह गिभरणी ि यो क िसवा हर एक को यह आसन करना चािहए

रीढ़ म कठोरता होना यह व ावःथा का िच ह हलासन स रीढ़ लचीली बनती ह इसस यवावःथा की शि ःफितर ःवाःथय और उतसाह बना रहता ह म दणड

समबनधी नािड़यो क ःवाःथय की रकषा होकर व ावःथा क लकषण जलदी नही आत जठर की नािड़यो को शि ा होती ह

जठर की मासपिशया तथा पाचनतऽ क अगो की नािड़यो की दबरलता क कारण अगर मदाि न एव कबज हो तो हलासन स दर होत ह कमर पीठ एव गरदन क रोग न होत ह िलवर और पलीहा बढ़ गए हो तो हलासन स सामानय अवःथा म आ जात ह काम कनि की शि बढ़ती ह अपानशि का उतथान होकर उदान पी अि न का योग होन स वीयरशि ऊधवरगामी बनती ह हलासन स वीयर का ःतभन होता ह यह आसन अणडकोष की वि पिनबयास अपिनड स आिद को ठीक करता ह थायराइड मिनथ की िबयाशीलता बढ़ती ह धयान करन स िवश चब जागत हो जाता ह

पवनम ासन

शरीर म िःथत पवन (वाय) यह आसन करन स म होता ह इसिलए इस पवनम ासन कहा जाता ह

धयान मिणपर चब म ास पहल परक िफर कमभक और रचक

िविधः भिम पर िबछ हए आसन पर िच होकर लट जाय परक करक फफड़ो म ास भर ल अब िकसी भी एक पर को घटन स मोड़ द दोनो हाथो की अगिलयो को

परःपर िमलाकर उसक ारा मोड़ हए घटनो को पकड़कर पट क साथ लगा द िफर िसर को ऊपर उठाकर मोड़ हए घटनो पर नाक लगाए दसरा पर ज़मीन पर सीधा रह इस िबया क दौरान ास को रोककर कमभक चाल रख िसर और मोड़ा हआ पर भिम पर पवरवत रखन क बाद ही रचक कर दोनो परो को बारी -बारी स मोड़कर यह िबया कर दोनो पर एक साथ मोड़कर भी यह आसन हो सकता ह

लाभः पवनम ासन क िनयिमत अ यास स पट की चरबी कम होती ह पट की वाय न होकर पट िवकार रिहत बनता ह कबज दर होता ह पट म अफारा हो तो इस आसन स लाभ होता ह ातःकाल म शौचिबया ठीक स न होती हो तो थोड़ा पानी पीकर यह आसन 15-20 बार करन स शौच खलकर होगा

इस आसन स ःमरणशि बढ़ती ह बौि क कायर करन वाल डॉ टर वकील सािहतयकार िव ाथ तथा बठकर वि करन वाल मनीम यापारी आिद लोगो को िनयिमत प स पवनम ासन करना चािहए

मतःयासन

मतःय का अथर ह मछली इस आसन म शरीर का आकार मछली जसा बनता ह अतः मतःयासन कहलाता ह पलािवनी ाणायाम क साथ इस आसन की िःथित म लमब समय तक पानी म तर सकत ह

धयान िवश ा या चब म ास पहल रचक बिहकर मभक िफर परक और रचक

िविधः भिम पर िबछ हए आसन पर प ासन लगाकर सीध बठ जाय िफर परो को प ासन की िःथित म ही रखकर हाथ क आधार स सावधानी पवरक पीछ की ओर िच होकर लट जाय रचक करक कमर को ऊपर उठाय घटन िनतब और मःतक क िशखा ःथान को भिम क ःथान लगाय रख िशखाःथान क नीच कोई नरम कपड़ा

अवय रख बाय हाथ स दािहन पर का अगठा और दािहन हाथ स बाय पर का अगठा पकड़ दोनो कहिनया ज़मीन को लगाय रख कमभक की िःथित म रहकर ि को पीछ की ओर िसर क पास ल जान की कोिशश कर दात दब हए और मह बनद रख एक िमनट स ारमभ करक पाच िमनट तक अ यास बढ़ाय िफर हाथ खोलकर कमर भिम को लगाकर िसर ऊपर उठाकर बठ जाय परक करक रचक कर

पहल भिम पर लट कर िफर प ासन लगाकर भी मतःयासन हो सकता ह

लाभः मतःयासन स परा शरीर मजबत बनता ह गला छाती पट की तमाम बीमा रया दर होती ह आखो की रोशनी बढ़ती ह गला साफ रहता ह सनिबया ठीक स चलती ह कनधो की नस उलटी मड़ती ह इसस छाती व फफड़ो का िवकास होता ह पट साफ रहता ह आतो का मल दर होता ह र ािभसरण की गित बढ़ती ह फलतः चमड़ी क रोग नही होत दमा और खासी दर होती ह छाती चौड़ी बनती ह पट की चरबी कम होती ह इस आसन स अपानवाय की गित नीच की ओर होन स मलावरोध दर होता ह थोड़ा पानी पीकर यह आ सन करन स शौच-शि म सहायता िमलती ह

मतःयासन स ि यो क मािसकधमर समबनधी सब रोग दर होत ह मािसकॐाव िनयिमत बनता ह

भजगासन

इस आसन म शरीर की आकित फन उठाय हए भजग अथारत सपर जसी बनती ह इसिलए इसको भजगासना कहा जाता ह

धयान िवश ा या चब म ास ऊपर उठात व परक और नीच की ओर जात समय रचक

िविधः भिम पर िबछ हए कमबल पर पट क बल उलट होकर लट जाय दोनो पर और पज परःपर िमल हए रह परो क अगठो को पीछ की ओर खीच दोनो हाथ िसर क तरफ लमब कर द परो क अगठ नािभ छाती ललाट और हाथ की हथिलया भिम पर एक सीध म रख

अब दोनो हथिलयो को कमर क पास ल जाय िसर और कमर ऊपर उठाकर िजतना हो सक उतन पीछ की ओर मोड़ नािभ भिम स लगी रह पर शरीर का वजन हाथ क पज पर आएगा शरीर की िःथित कमान जसी बनगी म दणड क आिखरी भाग पर दबाव किनित होगा िच वि को कणठ म और ि को आकाश की तरफ िःथर कर

20 सकणड तक यह िःथित रख बाद म धीर-धीर िसर को नीच ल आय छाती भिम पर रख िफर िसर को भिम स लगन द आसन िस हो जान क बाद आसन करत समय ास भरक कमभक कर आसन छोड़त समय मल िःथित म आन क बाद ास को खब धीर-धीर छोड़ हर रोज एक साथ 8-10 बार यह आसन कर

लाभः घरड सिहता म इसका लाभ बतात हए कहा ह - भजगासन स जठराि न दी होती ह सवर रोगो का नाश होता ह और कणडिलनी जागत होती ह

म दणड क तमाम मनको को तथा गरदन क आसपास वाल ःनायओ को अिधक श र िमलता ह फलतः नाड़ी तऽ सचत बनता ह िचरजीवी शि मान एव स ढ़ बनता ह िवशषकर मिःतक स िनकलन वाल ानतत बलवान बनत ह पीठ की हिडडय़ो म रहन वाली तमाम खरािबया दर होती ह पट क ःनाय म िखचाव आन स वहा क अगो को शि िमलती ह उदरगहा म दबाव बढ़न स कबज दर होता ह छाती और पट का िवकास होता ह तथा उनक रोग िमट जात ह गभारशय एव बोनाशय अचछ बनत ह फलतः मािसकॐाव क रिहत होता ह मािसक धमर समबनधी समःत िशकायत दर होती ह अित ौम करन क कारण लगन वाली थकान दर होती ह भोजन क बाद होन वाल वाय का ददर न होता ह शरीर म ःफितर आती ह कफ-िपतवालो क िलए यह आसन लाभदायी ह भजगासन करन स दय मजबत बनता ह मधमह और उदर क

रोगो स मि िमलती ह दर अित मािसकॐाव तथा अलप मािसकॐाव जस रोग दर होत ह

इस आसन स म दणड लचीला बनता ह पीठ म िःथत इड़ा और िपगला नािड़यो पर अचछा भाव पड़ता ह कणडिलनी शि जागत करन क िलय यह आसन सहायक ह अमाशय की मासपिशयो का अचछा िवकास होता ह थकान क कारण पीठ म पीड़ा होती हो तो िसफर एक बार ही यह आसन करन स पीड़ा दर होती ह म दणड की कोई हडडी ःथान हो गई हो तो भजगासन करन स यथाःथान म वापस आ जाती ह

धनरासन

इस आसन म शरीर की आकित खीच हए धनष जसी बनती ह अतः इसको धनरासन कहा जाता ह

धयान मिणपर चब म ास नीच की िःथित म रचक और ऊपर की िःथित म परक

िविधः भिम पर िबछ हए कमबल पर पट क बल उलट होकर लट जाय दोनो पर परःपर िमल हए रह अब दोनो प रो को घटनो स मोड़ दोनो हाथो को पीछ ल जाकर दोनो परो को टखनो स पकड़ रचक करक हाथ स पकड़ हए परो को कसकर धीर -धीर खीच िजतना हो सक उतना िसर पीछ की ओर ल जान की कोिशश कर ि भी ऊपर एव पीछ की ओर रहनी चािहए समम शरीर का बोझ कवल नािभदश क ऊपर ही रहगा कमर स ऊपर का धड़ एव कमर स नीच पर पर ऊपर की ओर मड़ हए रहग

कमभक करक इस िःथित म िटक रह बाद म हाथ खोलकर पर तथा िसर को मल अवःथा म ल जाय और परक कर ारभ म पाच सकणड यह आसन कर धीर-धीर समय बढ़ाकर तीन िमनट या उसस भी अिधक समय इस आसन का अ यास कर तीन-चार बार यह आसन करना चािहए

लाभः धनरासन क अ यास स पट की चरबी कम होती ह गस दर होती ह पट को रोग न होत ह कबज म लाभ होता ह भख खलती ह छाती का ददर दर होता ह दय की धडकन मजबत बनती ह ास िक िबया यविःथत चलती ह मखाकित सदर बनती ह आखो की रोशनी बढ़ती ह और तमाम रोग दर होत ह हाथ -पर म होन वाला कपन कता ह शरीर का सौनदयर बढ़ता ह पट क ःनायओ म िखचाव आन स पट को अचछा लाभ होता ह आतो पर खब दबाव पड़न स पट क अगो पर भी दबाव पड़ता ह फलतः आतो म पाचकरस आन लगता ह इसस जठराि न तज होती ह पाचनशि बढ़ती ह वायरोग न होता ह पट क कषऽ म र का सचार अिधक होता ह धनरासन म भजगासन और शलभासन का समावश हो जान क कारण इन दोनो आसनो क लाभ िमलत ह ि यो क िलए यह आसन खब लाभकारक ह इसस मािसक धमर क िवकार गभारशय क तमाम रोग दर होत ह

चबासन

इस आसन म शरीर की आकित चब जसी बनती ह अतः चबासन कहा जाता ह

धयान मिणपर चब म ास दीघर ःवाभािवक

िविधः भिम पर िबछ हए आसन पर िच होकर लट जाय घटनो स पर मोड़ कर ऊपर उठाय पर क तलव ज़मीन स लग रह दो परो क बीच करीब डढ़ फीट का अनतर रख दोनो हाथ मःतक की तरफ उठाकर पीछ की ओर दोनो हथिलयो को ज़मीन पर जमाय दोनो हथिलयो क बीच भी करीब डढ़ फीट का अनतर रख अब हाथ और पर क बल स पर शरीर को कमर स मोड़कर ऊपर उठाय हाथ को धीर-धीर पर की ओर ल जाकर ःमपशर शरीर का आकार व या चब जसा बनाय आख बनद रख ास की गित ःवाभािवक चलन द िच वि मिणपर चब (नािभ कनि) म िःथर कर आख खली भी रख सकत ह एक िमनट स पाच िमनट तक अ यास बढ़ा सकत ह

लाभः म दणड तथा शरीर की समःत नािड़यो का शि करण होकर यौिगक चब जागत होत ह लकवा तथा शरीर की कमजो रया दर होती ह मःतक गदरन पीठ पट

कमर हाथ पर घटन आिद सब अग मजबत बनत ह सिनध ःथानो ददर नही होता पाचनशि बढ़ती ह पट की अनावयक चरबी दर होती ह शरीर तजःवी और फत ला बनता ह िवकारी िवचार न होत ह ःवपनदोष की बीमारी अलिवदा होती ह चबासन क िनयिमत अ यास स व ावःथा म कमर झकती नही शरीर सीधा तना हआ रहता ह

किटिपणडमदरनासन

इस आसन म किटदश (कमर क पास वाल भाग) म िःथत िपणड अथारत मऽिपणड का मदरन होता ह इसस यह आसन किटिपणडमदरनासन कहलाता ह

धयान ःवािध ान चब म ास परक और कमभक

िविधः िबछ हए कमबल पर पीठ क बल िच होकर लट जाय दोनो हाथो को आमन-सामन फला द मि ठया बनद रख दोनो परो को घटनो स मोड़कर खड़ कर द पर क तलव ज़मीन स लग रह दोनो परो क बीच इतना अनतर रख िक घटनो को ज़मीन पर झकान स एक पर का घटना दसर पर की एड़ी को लग िसर दायी ओर मड़ तो दोनो घटन दािहनी ओर ज़मीन को लग इस कार 15-20 बार िबया कर इस कार दोनो परो को एक साथ रखकर भी िबया कर

लाभः िजसको पथरी की तकलीफ हो उस आौम (सत ौी आसारामजी आौम साबरमित अमदावाद-5) स िबना मलय िमलती काली भःम करीब डढ़ माम भोजन स आधा घणटा पवर और भोजन क बाद एक िगलास पानी क साथ लना चािहए और यह आसन भख पट ठीक ढग स करना चािहए इसस पथरी क ददर म लाभ होता ह पथरी टकड़ -टकड़ होकर मऽ क ारा बाहर िनकलन लगती ह मऽिवकार दर होता ह कमर ददर साइिटका रीढ़ की हडडी की जकड़न उदासीनता िनराशा डायािबटीज नपसकता गस पर की गाठ इतयािद रोगो म शीय लाभ होता ह नािभ ःथान स चयत हो जाती हो तो पनः अपन ःथान म आ जाती ह

मािसक धमर क समय एव गभारवःथा म ि या यह आसन न कर कबज का रोगी सबह शौच जान स पहल उषःपान करक यह आसन कर तो चमतका रक लाभ होता ह ास को अनदर भर क पट को फलाकर यह आसन करन स कबज जलदी दर होता ह

अधरमतःयनिासन

कहा जाता ह िक मतःयनिासन की रचना गोरखनाथ क ग ःवामी मतःयनिनाथ न की थी व इस आसन म धयान िकया करत थ मतःयनिासन की आधी िबयाओ को लकर अधरमतःयनिासन चिलत हआ ह

धयान अनाहत चब म ास दीघर

िविधः दोनो परो को लमब करक आसन पर बठ जाओ बाय पर को घटन स मोड़कर एड़ी गदा ार क नीच जमाय पर क तलव को दािहनी जघा क साथ लगा द अब दािहन पर को घटन स मोड़कर खड़ा कर द और बाय पर की जघा स ऊपर ल जात हए जघा क पीछ ज़मीन क ऊपर ऱख द आसन क िलए यह पवरभिमका तयार हो गई

अब बाय हाथ को दािहन पर क घटन स पार करक अथारत घटन को बगल म दबात हए बाय हाथ स दािहन पर का अ गठा पकड़ धड़ को दािहनी ओर मोड़ िजसस दािहन पर क घटन क ऊपर बाय कनध का दबाव ठीक स पड़ अब दािहना हाथ पीठ क पीछ स घमाकर बाय पर की जाघ का िनमन भाग पकड़ िसर दािहनी ओर इतना घमाय िक ठोड़ी और बाया कनधा एक सीधी रखा म आ जाय छाती िबलकल तनी हई रख नीच की ओर झक नही िच वि नािभ क पीछ क भाग म िःथत मिणपर चब म िःथर कर

यह एक तरफ का आसन हआ इसी कार पहल दािहना पर मोड़कर एड़ी गदा ार क नीच दबाकर दसरी तरफ का आसन भी कर ारमभ म पाच सकणड य ह आसन करना पयार ह िफर अ यास बढ़ाकर एक एक तरफ एक एक िमनट तक आसन कर सकत ह

लाभः अधरमतःयनिासन स म दणड ःवःथ रहन स यौवन की ःफितर बनी रहती ह रीढ़ की हिडडयो क साथ उनम स िनकलन वाली नािडयो को भी अचछी कसरत िमल जाती ह पट क िविभनन अगो को भी अचछा लाभ होता ह पीठ पट क नल पर गदरन

हाथ कमर नािभ स नीच क भाग एव छाती की नािड़यो को अचछा िखचाव िमलन स उन पर अचछा भाव पड़ता ह फलतः बनधकोष दर होता ह जठराि न तीो होती ह िवकत यकत पलीहा तथा िनिबय व क क िलए यह आसन लाभदायी ह कमर पीठ और सिनधःथानो क ददर जलदी दर हो जात ह

योगमिासन

योगा यास म यह मिा अित मह वपणर ह इसस इसका नाम योगमिासन रखा गया ह

धयान मिणपर चब म ास रचक कमभक और परक

िविधः प ासन लगाकर दोनो हाथो को पीठ क पीछ ल जाय बाय हाथ स दािहन हाथ की कलाई पकड़ दोनो हाथो को खीचकर कमर तथा रीढ़ क िमलन ःथान पर ल जाय अब रचक करक कमभक कर ास को रोककर शरीर को आग झकाकर भिम पर टक द िफर धीर-धीर िसर को उठाकर शरीर को पनः सीधा कर द और परक कर ारभ म यह आसन किठन लग तो सखासन या िस ासन म बठकर कर पणर लाभ तो प ासन म बठकर करन स ही होता ह पाचनतनऽ क अगो की ःथान ता ठीक करन क िलए यिद यह आसन करत हो तो कवल पाच-दस सकणड तक ही कर एक बठक म तीन स पाच बार सामानयतः यह आसन तीन िमनट तक करना चािहए आधयाितमक उ य स योगमिासन करत हो तो समय की अविध िच और शि क अनसार बढ़ाय

लाभः योगमिासन भली कार िस होता ह तब कणडिलिन शि जागत होती ह पट की गस की बीमारी दर होती ह पट एव आतो की सब िशकायत दर होती ह कलजा फफड़ आिद यथा ःथान रहत ह दय मजबत बनता ह र क िवकार दर होत

ह क और यौनिवकार न होत ह पट बड़ा हो तो अनदर दब जाता ह शरीर मजबत बनता ह मानिसक शि बढ़ती ह

योगमिासन स उदरपटल सश बनता ह पट क अगो को अपन ःथान िटक रहन म सहायता िमलती ह नाड़ीतऽ और खास करक कमर क नाड़ी मणडल को बल िमलता ह

इस आसन म सामनयतः जहा एिड़या लगती ह वहा कबज क अग होत ह उन पर दबाव पड़न स आतो म उ जना आती ह पराना कबज दर होता ह अगो की ःथान ता क कारण होन वाला कबज भी अग अपन ःथान म पनः यथावत िःथत हो जान स न हो जाता ह धात की दबरलता म योगमिासन खब लाभदायक ह

गोरकषासन या भिासन

धयान मलाधार चब म ास थम िःथित म परक और दसरी िःथित म कमभक

िविधः िबछ हए आसन पर बठ जाय दािहना पर घटन स मोड़कर एड़ी सीवन (उपःथ और गदा क मधय) क दािहन भाग म और बाया पर मोड़कर एड़ी सीवन क बाय भाग म इस कार रख िक दोनो पर क तलव एक दसर को लगकर रह

रचक करक दोनो हाथ सामन ज़मीन पर टककर शरीर को ऊपर उठाय और दोनो पर क पजो पर इस कार बठ िक शरीर का वजन एड़ी क मधय भाग म आय अगिलयो वाला भाग छटा रह अब परक करत -करत दोनो हाथो की हथिलयो को घटनो पर रख

अनत म कमभक करक ठोड़ी छाती पर दबाय िच वि मलाधार चब म और ि भी उसी िदशा म लगाय बमशः अ यास बढ़ाकर दसक िमनट तक यह आसन कर

लाभः इस आसन क अ यास स पर क सब सिनध ःथान तथा ःनाय सश बनत ह वाय ऊधवरगामी होकर जठराि न दी करता ह िदनो िदन जड़ता न होन लगती ह शरीर पतला होता ह सकलपबल बढ़ता ह बि तीकषण होती ह कलपनाशि का िवकास होता ह ाणापान की एकता होती ह नादोतपि होन लगती ह िबनद िःथर होकर िच की चचलता कम होती ह आहार का सपणरतया पाचन हो जान क कारण मलमऽ अलप होन लगत ह शरीर शि होन लगती ह तन म ःफितर एव मन म सननता अपन आप कट होती ह ःनाय स ढ़ बनत ह धातकषय गस मधमह ःवपनदोष अजीणर कमर का ददर गदरन की दबरलता बनधकोष मनदाि न िसरददर कषय

दयरोग अिनिा दमा मछाररोग बवासीर आऽपचछ पाणडरोग जलोदर भगनदर कोढ़ उलटी िहचकी अितसार आव उदररोग नऽिवकार आिद अस य रोगो म इस आसन स लाभ होत ह

मयरासन

इस आसन म मयर अथारत मोर की आकित बनती ह इसस इस मयरासन कहा जाता ह

धयान मिणपर चब म ास बा कमभक

िविधः जमीन पर घटन िटकाकर बठ जाय दोनो हाथ की हथिलयो को जमीन पर इस कार रख िक सब अगिलया पर की िदशा म हो और परःपर लगी रह दोनो कहिनयो को मोड़कर पट क कोमल भाग पर नािभ क इदरिगदर रख अब आग झककर दोनो पर को पीछ की लमब कर ास बाहर िनकाल कर दोनो पर को जमीन स ऊपर उठाय और िसर का भाग नीच झकाय इस कार परा शरीर ज़मीन क बराबर समानानतर रह ऐसी िःथित बनाय सपणर शरीर का वजन कवल दो हथिलयो पर ही

रहगा िजतना समय रह सक उतना समय इस िःथित म रहकर िफर मल िःथित म आ जाय इस कार दो-तीन बार कर

लाभः मयरासन करन स चयर-पालन म सहायता िमलती ह पाचन तऽ क अगो की र का वाह अिधक बढ़न स व अग बलवान और कायरशील बनत ह पट क भीतर क भागो म दबाव पड़न स उनकी शि बढ़ती ह उदर क अगो की िशिथलता और मनदाि न दर करन म मयरासन बहत उपयोगी ह

वळासन

वळासन का अथर ह बलवान िःथित पाचनशि वीयरशि तथा ःनायशि दन वाला होन स यह आसन वळासन कहलाता ह

धयान मलाधार चब म और ास दीघर

िविधः िबछ हए आसन पर दोनो परो को घटनो स मोड़कर एिड़यो पर बठ जाय पर क दोनो अगठ परःपर लग रह पर क तलवो क ऊपर िनतमब रह कमर और पीठ िबलकल सीधी रह दोनो हाथ को कहिनयो स मोड़ िबना घटनो पर रख द हथिलया नीच की ओर रह ि सामन िःथर कर द

पाच िमनट स लकर आध घणट तक वळासन का अ यास कर सकत ह वळासन लगाकर भिम पर लट जान स स वळासन होता ह

लाभः वळासन क अ यास स शरीर का मधयभाग सीधा रहता ह ास की गित मनद पड़न स वाय बढ़ती ह आखो की योित तज होती ह वळनाड़ी अथारत वीयरधारा नाड़ी मजबत बनती ह वीयर की ऊधवरगित होन स शरीर वळ जसा बनता ह लमब समय तक सरलता स यह आसन कर सकत ह इसस मन की चचलता दर होकर यि िःथर बि वाला बनता ह शरीर म र ािभसरण ठीक स होकर शरीर िनरोगी एव सनदर बनता ह

भोजन क बाद इस आसन स बठन स पाचन शि तज होती ह कबज दर होती ह भोजन जलदी ह म होता ह पट की वाय का नाश होता ह कबज दर होकर पट क तमाम रोग न होत ह पाणडरोग स मि िमलती ह रीढ़ कमर जाघ घटन और परो म शि बढ़ती ह कमर और पर का वाय रोग दर होता ह ःमरणशि म वि होती ह ि यो क मािसक धमर की अिनयिमतता जस रोग दर होत ह शबदोष वीयरदोष घटनो का ददर आिद का नाश होता ह ःनाय प होत ह ःफितर बढ़ान क िलए एव मानिसक िनराशा दर कर न क िलए यह आसन उपयोगी ह धयान क िलय भी यह आसन उ म ह इसक अ यास स शारी रक ःफितर एव मानिसक सननता कट होती ह िदन-ितिदन शि का सचय होता ह इसिलए शारी रक बल म खब वि होती ह काग का िगरना अथारत गल क टािनसलस हिडडयो क पोल आिद ःथानो म उतपनन होन वाल तकण की स या म वि होन स आरो य का साा य ःथािपत होता ह िफर यि

बखार स िसरददर स कबज स मदाि न स या अजीणर जस छोट-मोट िकसी भी रोग स पीिड़त नही रहता योिक रोग आरो य क साा य म िव होन का साहस ही नही कर पात

स वळासन

धयान िवश ा याचब म ास दीघर सामानय

िविधः वळासन म बठन क बाद िच होकर पीछ की ओर भिम पर लट जाय दोनो जघाए परःपर िमली रह अब रचक करत बाय हाथ का खला पजा दािहन कनध क नीच इस कार रख िक मःतक दोनो हाथ क बास क ऊपर आय रचक परा होन पर िऽबनध कर ि मलाधार चब की िदशा म और िच वि मलाधार चब म ःथािपत कर

लाभः यह आसन करन म ौम बहत कम ह और लाभ अिधक होता ह इसक अ यास स सषमना का मागर अतयनत सरल होता ह कणडिलनी शि सरलता स ऊधवरगमन कर सकती ह

इस आसन म धयान करन स म दणड को सीधा करन का ौम नही करना पड़ता और म दणड को आराम िमलता ह उसकी काय़रशि बल बनती ह इस आसन का अ यास करन स ायः तमाम अतःॐावी मिनथयो को जस शीषरःथ मिनथ कणठःथ मिनथ मऽिपणड की मनथी ऊधवरिपणड तथा प षाथर मिनथ आिद को पि िमलती ह फलतः यि का भौितक एव आधयाितमक िवकास सरल हो जाता ह तन-मन का ःवाःथय भावशाली बनता ह जठराि न दी होती ह मलावरोध की पीडा दर होती ह धातकषय ःवपनदोष पकषाघात पथरी बहरा होना तोतला होना आखो की दबरलता गल क टािनसल ासनिलका का सजन कषय दमा ःमरणशि की दबरलता आिद रोग दर होत ह

शवासन

शवासन की पणारवःथा म शरीर क तमाम अग एव मिःतक पणरतया च ा रिहत िकय जात ह यह अवःथा शव (मद) जसी होन स इस आसन को शवासन कहा जाता ह

िविधः िबछ हए आसन पर िच होकर लट जाय दोनो परो को परःपर स थोड़ अलग कर द दोनो हाथ भी शरीर स थोड़ अलग रह इस कार परो की ओर फला द हाथ की हथिलया आकाश की तरफ खली रख िसर सीधा रह आख बनद

मानिसक ि स शरीर को पर स िसर तक दखत जाय पर शरीर को मद की तरह ढीला छोड़ द हर एक अग को िशिथल करत जाय

शरीर म समपणर िवौाम का अनभव कर मन को भी बा ा िवषयो स हटाकर एकाम कर बारी-बारी स हर एक अग पर मानिसक ि एकाम करत हए भावना कर िक वह अग अब आराम पा रहा ह मरी सब थकान उतर रही ह इस कार भावना करत-करत सब ःनायओ को िशिथल होन द शरीर क एक भी अग म कही भी तनाव (टनशन) न रह िशिथलीकरण की िबया म पर स ारमभ करक िसर तक जाय अथवा िसर स ारमभ करक पर तक भी जा सकत ह अनत म जहा स ारमभ िकया हो वही पनः पहचना चािहय िशिथलीकरण की िबया स शरीर क तमाम अगो का एव ानततओ को िवौाम की अवःथा म ला दना ह

शवासन की दसरी अवःथा म ासोचछोवास पर धयान दना ह शवासन की यही म य िबया ह िवशषकर योग साधको क िलए वह अतयनत उपयोगी ह कवल शारी रक ःवाःथय क िलय थम भिमका पयार ह

इसम ास और उचछवास की िनयिमतता दीघरता और समानता ःथािपत करन का लकषय ह ास िनयिमत चल लमबा और गहरा चल ास और उचछवास एक समान रह तो मन को एकाम करन की शि ा होती ह

शवासन यिद ठीक ढग स िकया जाए तो नाड़ीतऽ इतना शात हो जाता ह िक अ यासी को नीद आन लगती ह लिकन धयान रह िनिनित न होकर जामत रहना आवयक ह

अनय आसन करन क बाद अगो म जो तनाव (टनशन) पदा होता ह उसको िशिथल करन क िलय अत म 3 स 5 िमनट तक शवासन करना चािहए िदनभर म अनकलता क अनसार दो-तीन बार शवासन कर सकत ह

लाभः शवासन क ारा ःनाय एव मासपिशयो म िशिथलीकरण स शि बढ़ती ह अिधक कायर करन की यो यता उसम आती ह र वाहिनयो म िशराओ म र वाह तीो

होन स सारी थकान उतर जाती ह नाड़ीतऽ को बल िमलता ह मानिसक शि म वि होती ह

र का दबाव कम करन क िलए नाड़ीतऽ की दबरलता एव उसक कारण होन वाल रोगो को दर करन क िलय शवासन खब उपयोगी ह

पादपि मो ानासन

यह आसन करना किठन ह इसस उमासन कहा जाता ह उम का अथर ह िशव भगवान िशव सहारक ार ह अतः उम या भयकर ह िशवसिहता म भगवान िशव न म कणठ स शसा करत हए कहा हः यह आसन सवरौ आसन ह इसको य पवरक ग रख िसफर अिधका रयो को ही इसका रहःय बताय

धयान मिणपर चब म ास थम िःथित म परक और दसरी िःथित म रचक और िफर बिहकर मभक

िविधः िबछ हए आसन पर बठ जाय दोनो परो को लमब फला द दोनो परो की जघा घटन पज परःपर िमल रह और जमीन क साथ लग रह परो की अगलया घटनो की तरफ झकी हई रह अब दोनो हाथ लमब कर दािहन हाथ की तजरनी और अगठ स दािहन पर का अगठा और बाय हाथ की तजरनी और अगठ स बाय पर का अगठा पकड़ अब रचक करत-करत नीच झक और िसर को दोनो घटनो क मधय म रख ललाट घटन को ःपशर कर और घटन ज़मीन स लग रह रचक परा होन पर कमभक कर ि एव िच वि को मिणपर चब म ःथािपत कर ारमभ म आधा िमनट करक बमशः 15 िमनट तक यह आसन करन का अ यास बढ़ाना चािहय थम दो-चार िदन किठन लगगा लिकन अ यास हो जान पर यह आसन सरल हो जाएगा

लाभः पादपि मो नासन म समयक अ यास स सषमना का मख खल जाता ह और ाण म दणड क मागर म गमन करता ह फलतः िबनद को जीत सकत ह िबनद को जीत िबना न समािध िस होती ह न वाय िःथर होता ह न िच शात होता ह

जो ी-प ष काम िवकार स अतयत पीिड़त हो उनह इस आसन का अ यास करना चािहए इसस शारी रक िवकार दब जात ह उदर छाती और म दणड को उ म कसरत िमलती ह अतः व अिधक कायरकषम बनत ह हाथ पर तथा अनय अगो क सिनध ःथान मजबत बनत ह शरीर क सब तऽ बराबर कायरशील होत ह रोग माऽ का नाश होकर ःवाःथय़ का साा य ःथािपत होता ह

इस आसन क अ यास स मनदाि न मलावरोध अजीणर उदररोग किमिवकार सद वातिवकार कमर का ददर िहचकी कोढ़ मऽरोग मधमह पर क रोग ःवपनदोष वीयरिवकार र िवकार एपनडीसाइिटस अणडवि पाणडरोग अिनिा दमा ख टी डकार आना ानतनत की दबरलता बवासीर नल की सजन गभारशय क रोग अिनयिमत तथा क दायक मािसक बनधयतव दर नपसकता र िप िसरोवदना बौनापन आिद अनक रोग दर होत ह पट पत ला बनता ह जठराि न दी होती ह कफ और चरबी न होत ह

िशवसिहता म कहा ह िक इस आसन स वाय ीपन होता ह और वह मतय का नाश करता ह इस आसन स शरीर का कद बढ़ता ह शरीर म अिधक ःथलता हो तो कम होती ह दबरलता हो तो वह दर होकर शरीर सामानय तनद ःत अवःथा म आ जाता ह नाडी सःथान म िःथरता आती ह मानिसक शाित ा होती ह िचनता एव उ जना शात करन क िलए यह आसन उ म ह पीठ और म दणड पर िखचाव आन स दोनो िवकिसत होत ह फलतः शरीर क तमाम अवयवो पर अिधकार ःथािपत होता ह सब आसनो म यह आसन सवर धान ह इसक अ यास स कायाकलप (प रवतरन) हो जाता ह

यह आसन भगवान िशव को बहत पयारा ह उनकी आ ा स योगी गोरखनाथ न लोककलयाण हत इसका चार िकया ह आप इस आसन क अदभत लाभो स लाभािनवत हो और दसरो को भी िसखाय

पादपि मो ानासन प यपाद आसारामजी बाप को भी बहत पयारा ह उसस प यौी को बहत लाभ हए ह अभी भी यह आसन उनक आरो यिनिध का रकषक बना हआ ह

पाठक भाइयो आप अवय इस आसन का लाभ लना ारमभ क चार-पाच िदन जरा किठन लगगा बाद म तो यह आसन आपका िशवजी क वरदान प आरो य कवच िस हए िबना नही रहगा

िऽबनध

मलबनध

शौच ःनानािद स िनव होकर आसन पर बठ जाय बायी एड़ी क ारा सीवन या योिन को दबाय दािहनी एड़ी सीवन पर रख गदा ार को िसकोड़कर भीतर की ओर ऊपर खीच यह मलबनध कहा जाता ह

लाभः मलबनध क अ यास स मतय को जीत सकत ह शरीर म नयी ताजगी आती ह िबगड़त हए ःवाःथय की रकषा होती ह चयर का पालन करन म मलबनध सहायक िस होता ह वीयर को प करता ह कबज को न करता ह जठराि न तज होती ह मलबनध स िचरयौवन ा होता ह बाल सफद होन स कत ह

अपानवाय ऊधवरगित पाकर ाणवाय क सषमना म िव होता ह सहॐारचब म िच वि िःथर बनती ह इसस िशवपद का आननद िमलता ह सवर कार की िद य िवभितया और ऐ यर ा होत ह अनाहत नाद सनन को िमलता ह ाण अपान नाद और िबनद एकिऽत होन स योग म पणरता ा होती ह

उडडीयान बनध

आसन पर बठकर परा ास बाहर िनकाल द समपणरतया रचक कर पट को भीतर िसकोड़कर ऊपर की ओर खीच नािभ तथा आत पीठ की तरफ दबाय शरीर को थोड़ा सा आग की तरफ झकाय यह ह उडडीयानबनध

लाभः इसक अ यास स िचरयौवन ा होता ह मतय पर जय ा होती ह चयर क पालन म खब सहायता िमलती ह ःवाःथय सनदर बनता ह कायरशि म वि होती ह नयोिल और उडडीयानबनध जब एक साथ िकय जात ह तब कबज दम दबाकर भाग खड़ा होता ह पट क तमाम अवयवो की मािलश हो जाती ह पट की अनावयक चरबी उतर जाती ह

जालनधरबनध

आसन पर बठकर परक करक कमभक कर और ठोड़ी को छाती क साथ दबाय इसको जालनधरबनध कहत ह

लाभः जालनधरबनध क अ यास स ाण का सचरण ठीक स होता ह इड़ा और िपगला नाड़ी बनद होकर ाण-अपान सषमना म िव होत ह नािभ स अमत कट होता ह िजसका पान जठराि न करता ह योगी इसक ारा अमरता ा करता ह

प ासन पर बठ जाय परा ास बाहर िनकाल कर मलबनध उडडीयानबनध कर िफर खब परक करक मलबनध उडडीयानबनध और जालनधरबनध य तीनो बनध एक साथ कर आख बनद रख मन म णव (ॐ) का अथर क साथ जप कर

इस कार ाणायाम सिहत तीनो बनध का एक साथ अ यास करन स बहत लाभ होता ह और ायः चमतका रक प रणाम आता ह कवल तीन ही िदन क समयक अ यास स जीवन म बािनत का अनभव होन लगता ह कछ समय क अ यास स कवल या कवली कमभक ःवय कट होता ह

कवली कमभक

कवल या कवली कमभक का अथर ह रचक-परक िबना ही ाण का िःथर हो जाना िजसको कवली कमभक िस होता ह उस योगी क िलए तीनो लोक म कछ भी दलरभ नही रहता कणडिलनी जागत होती ह शरीर पतला हो जाता ह मख सनन रहता ह नऽ मलरिहत होत ह सवर रोग दर हो जात ह िबनद पर िवजय होती ह जठराि न विलत होती ह

कवली कमभक िस िकय हए योगी की अपनी सवर मनोकामनाय पणर होती ह इतना ही नही उसका पजन करक ौ ावान लोग भी अपनी मनोकामनाय पणर करन लगत ह

जो साधक पणर एकामता स िऽबनध सिहत ाणायाम क अ यास ारा कवली कमभक का प षाथर िस करता ह उसक भा य का तो पछना ही या उसकी यापकता

बढ़ जाती ह अनतर म महानता का अनभव होता ह काम बोध लोभ मोह मद और मतसर इन छः शऽओ पर िवजय ा होती ह कवली कमभक की मिहमा अपार ह

जलनित

िविधः एक िलटर पानी को गनगना सा गरम कर उसम करीब दस माम श नमक डालकर घोल द सनधव िमल जाय तो अचछा सबह म ःनान क बाद यह पानी चौड़ महवाल पाऽ म कटोर म लकर परो पर बठ जाय पाऽ को दोनो हाथो स पकड़ कर नाक क नथन पानी म डबो द अब धीर-धीर नाक क ारा ास क साथ पानी को भीतर खीच और नाक स भीतर आत हए पानी को मह स बाहर िनकालत जाय नाक को पानी म इस कार बराबर डबोय रख िजसस नाक ारा भीतर जानवाल पानी क साथ हवा न वश कर अनयथा आतरस-खासी आयगी

इस कार पाऽ का सब पानी नाक ारा लकर मख ारा बाहर िनकाल द अब पाऽ को रख कर खड़ हो जाय दोनो पर थोड़ खल रह दोनो हाथ कमर पर रखकर ास को जोर स बाहर िनकालत हए आग की ओर िजतना हो सक झक भिॐका क साथ यह िबया बार-बार कर इसस नाक क भीतर का सब पानी बाहर िनकल जायगा थोड़ा बहत रह भी जाय और िदन म कभी भी नाक स बाहर िनकल जाय तो कछ िचनताजनक नही ह

नाक स पानी भीतर खीचन की यह िबया ारमभ म उलझन जसी लगगी लिकन अ यास हो जान पर िबलकल सरल बन जायगा

लाभः मिःतक की ओर स एक कार का िवषला रस नीच की ओर बहता ह यह रस कान म आय तो कान क रोग होत ह आदमी बहरा हो जाता ह यह रस आखो की तरफ जाय तो आखो का तज कम हो जाता ह चम की ज रत पड़ती ह तथा अनय रोग होत ह यह रस गल की ओर जाय तो गल क रोग होत ह

िनयमपवरक जलनित करन स यह िवषला पदाथर बाहर िनकल जाता ह आखो की रोशनी बढ़ती ह चम की ज रत नही पड़ती चमा हो भी तो धीर-धीर नमबर कम होत-होत छट जाता भी जाता ह ासोचछोवास का मागर साफ हो जाता ह मिःतक म ताजगी रहती ह जकाम-सद होन क अवसर कम हो जात ह जलनित की िबया करन

स दमा टीबी खासी नकसीर बहरापन आिद छोटी-मोटी 1500 बीमी रया दर होती ह जलनित करन वाल को बहत लाभ होत ह िच म सननता बनी रहती ह

गजकरणी िविधः करीब दो िलटर पानी गनगना सा गरम कर उसम करीब 20 माम श

नमक घोल द सनधव िमल जाय तो अचछा ह अब पजो क बल बठकर वह पानी िगलास भर-भर क पीत जाय खब िपय अिधकाअिधक िपय पट जब िबलकल भर जाय गल तक आ जाय पानी बाहर िनकालन की कोिशश कर तब दािहन हाथ की दो बड़ी अगिलया मह म डाल कर उलटी कर िपया हआ सब पानी बाहर िनकाल द पट िबलकल हलका हो जाय तब पाच िमनट तक आराम कर

गजकरणी करन क एकाध घणट क बाद कवल पतली िखचड़ी ही भोजन म ल भोजन क बाद तीन घणट तक पानी न िपय सोय नही ठणड पानी स ःनान कर तीन घणट क बाद ारमभ म थोड़ा गरम पानी िपय

लाभः गजकरणी स एिसडीटी क रोगी को अदभत लाभ होता ह ऐस रोगी को चार-पाच िदन म एक बार गजकरणी चािहए ततप ात महीन म एक बार दो महीन म एक बार छः महीन म एक बार भी गजकरणी कर सकत ह

ातःकाल खाली पट तलसी क पाच-सात प चबाकर ऊपर स थोड़ा जल िपय एसीडीटी क रोगी को इसस बहत लाभ होगा

वष परान कबज क रोिगयो को स ाह म एक बार गजकरणी की िबया अवय करनी चािहए उनका आमाशय मिनथसःथान कमजोर हो जान स भोजन हजम होन म गड़बड़ रहती ह गजकरणी करन स इसम लाभ होता ह फोड़ फनसी िसर म गम सद बखार खासी दमा टीबी वात-िप -कफ क दोष िज ा क रोग गल क रोग छाती क रोग छाती का ददर एव मदाि न म गजकरणी िबया लाभकारक ह

शरीर शोधन-कायाकलप

यह चालीस िदन का कलप ह प यपाद आसारामजी बाप न यह योग िकया हआ ह इसस शरीर सडौल ःवःथ और फत ला बनता ह र म नय-नय कण बनत ह शरीर क कोषो की शि बढ़ती ह मन-बि म चमतका रक लाभ होत ह

िविधः अगल िदन पपीता सव आिद फल उिचत माऽा म ल अथवा मन का 50 माम दस घणट पहल िभगो द उनको उबालकर बीज िनकाल द मन का खा ल और पानी पी ल

ातःकाल उठकर सकलप कर िक इस कलप क दौरान िनि त िकय हए कायरबम क अनसार ही रहगा

शौच-ःनानािद िनतयकमर स िनव होकर सबह 8 बज 200 या 250 माम गाय का उबला हआ गनगना दध िपय पौन घणटा पणर आराम कर बाद म िफर स दध िपय शारी रक ौम कम स कम कर ॐ सोsह हसः इस मऽ का मानिसक जप कर कभी ास को िनहार बस साकषीभाव

मनोरा य चलता हो तो ॐ जोर-जोर स जप कर

इस कार शाम तक िजतना दध हजम कर सक उतना दध दो स तीन िलटर िपय 40 िदन तक कवल द धाहार क बाद 41व िदन मग का उबला हआ पानी मोसममी का रस आिद ल रािऽ को अिधक मगवाली हलकी िखचड़ी खाय इस कार शरीर-शोधन-कायाकलप की पणारहित कर

यिद बि तीकषण बनानी हो ःमरणशि बढ़ानी हो तो कलप क दौरान ॐ ऐ नमः इस मऽ का जप कर सयर को अ यर द

इस कलप म दध क िसवाय अनय कोई खराक लना मना ह चाय तमबाक आिद यसन िनिष ह ि यो क सग स दर रहना तथा चयर का पालन अतयनत आवयक ह

कलजग नही करजग ह यह

कलजग नही करजग ह यह यहा िदन को द अ रात ल

या खब सौदा नकद ह इस हाथ द उस हाथ ल टक

दिनया अजब बाज़ार ह कछ िजनस1 या िक साथ ल

नकी का बदला नक ह बद स बदी की बात ल

मवा िखला मवा िमल फल फल द फल पात ल

आराम द आराम ल दःख ददर द आफत2 ल 1

काटा िकसी को मत लगा गो िमःल-गल3 फला ह त

वह तर हक4 म तीर ह िकस बात पर झला ह त

मत आग म डाल और को या घास का पला ह त

सन ऱख यह नकता5 बखबर िकस बात पर भला ह त

कलजग नही 2

शोखी शरारत मकरो-फन6 सबका बसखा7 ह यहा

जो जो िदखाया और को वह खद भी दखा ह यहा

खोटी खरी जो कछ कही ितसका परखा8 ह यहा

जो जो पड़ा तलता ह मोल ितल ितल का लखा ह यहा

कलजग नही 3

जो और की बःती9 रख उसका भी बसता ह परा

जो और क मार छरी उसको भी लगता ह छरा

जो और की तोड़ घड़ी उसका भी टट ह घड़ा

जो और की चत10 बदी उसका भी होता ह बरा

कलजग नही 4

जो और को फल दवगा वह भी सदा फल पावगा

गह स गह जौ स जौ चावल स चावल पावगा

जो आज दवगा यहा वसा ही वह कल पावगा

कल दवगा कल पावगा िफर दवगा िफर पावगा

कलजग नही 5

जो चाह ल चल इस घड़ी सब िजनस यहा तयार ह

आराम म आराम ह आजार म आजार11 ह

दिनया न जान इसको िमया दरया की यह मझधार ह

औरो का बड़ा पार कर तरा भी बड़ा पार ह

कलजग नही 6

त और की तारीफ कर तझको सना वानी12 िमल

कर मिकल आसा औरो की तझको भी आसानी िमल

त और को महमान कर तझको भी महमानी िमल

रोटी िखला रोटी िमल पानी िपला पानी िमल

कलजग नही 7

जो गल13 िखलाव और का उसका ही गल िखलता भी ह

जो और का कील14 ह मह उसका ही मह िकलता भी ह

जो और का छील िजगर उसका िजगर िछलता भी ह

जो और को दव कपट उसको कपट िमलता भी ह

कलजग नही 8

कर जो कछ करना ह अब यह दम तो कोई आन15 ह

नकसान म नकसान ह एहसान म एहसान ह

तोहमत म यहा तोहमत िमल तफान म तफान ह

रहमान16 को रहमान17 ह शतान को शतान ह

कलजग नही 9

यहा जहर द तो जहर ल श कर म श कर दख ल

नको का नकी का मजा मजी18 को ट कर दख ल

मोती िदय मोती िमल पतथर म पतथर दख ल

गर तझको यह बावर19 नही तो त भी करक दख ल

कलजग नही 10

अपन नफ क वाःत मत और का नकसान कर

तरा भी नकसा होवगा इस बात पर त धयान कर

खाना जो खा सो दखकर पानी िपय तो छानकर

या पावो को रख फककर और खोफ स गजरान कर

कलजग नही 11

गफलत की यह जगह नही त सािहब-इदराक20 रह

िदलशाद21 ऱख िदल शाह रह गमनाक रख गमनाक रह

हर हाल म भी त नजीर22 अब हर कदम की रह

यह वह मका ह ओ िमया या पाक23 रह बबाक24 रह

कलजग नही 12

1 वःत 2 मसीबत 3 पप की तरह 4 तर िलय 5 रहःय 6 दगा-धोखा 7 घर 8 परखना 9 नगरी 10 िवचार कर 11 दःख 12 तारीफ-ःतित 13 फल 14 िकसी को बोलन न दना 15 घड़ी पल 16 दयावान 17 दयाल भगवान 18 सतान वाला 19 िव ास 20 तीो ा तज समझन वाला प ष 21 सननिच 22 किव का नाम ह 23 श पिवऽ 24 िनडर

  • आधयातमिक विदया क उदगाता
  • सवासथय क लिए मतर
  • परासताविक
  • बरहमचरय-रकषा का मनतर
  • आसनो की परकिया म आन वाल कछ शबदो की समझ
  • आवशयक निरदश
  • योगासन
    • पदमासन या कमलासन
    • सिदधासन
    • सरवागासन
    • हलासन
    • पवनमकतासन
    • मतसयासन
    • भजगासन
    • धनरासन
    • चकरासन
    • कटिपिणडमरदनासन
    • अरधमतसयनदरासन
    • योगमदरासन
    • गोरकषासन या भदरासन
    • मयरासन
    • वजरासन
    • सपतवजरासन
    • शवासन
    • पादपशचिमोततानासन
      • तरिबनध
        • मलबनध
        • उडडीयान बनध
        • जालनधरबनध
          • कवली कमभक
          • जलनति
          • गजकरणी
          • शरीर शोधन-कायाकलप
          • कलजग नही करजग ह यह
Page 3: अनुबम - || Home || HariOmGroup · िस होता है। िवशु नाड़ीतंऽ वालेयोगी के िवशु शरीर में

आौम म प यौी रणा स और प य माता जी क सचालन म रहकर कछ सािधकाए आतमोथान क मागर पर चल रही ह

अमदावाद और सरत क अलावा िदलली आगरा वनदावन िषकश इनदौर भोपाल उ जन रतलाम जयपर उदयपर पकर-अजमर जोधपर आमट समरप सागवाड़ा राजकोट भावनगर िहममतनगर िवसनगर लणावाड़ा वलसाड़ वापी उलहासनगर औरगाबाद काशा नािशक एव छोट-मोट कई ःथानो म भी मनोरमय आौम बन चक ह और लाखो-लाखो लोग उनस लाभािनवत हो रह ह हर साल इन आौमो म म य चार धयान योग साधना िशिवर होत ह दश-िवदश क कई साधक-सािधकाए इन िशिवरो म सिममिलत होकर आधयाितमक साधना क राजमागर पर चल रह ह उनकी स या िदनोिदन िवशाल हो रही ह प यौी का म आननद उतसाह और आ ासन स भरा रक मागरदशरन एव ःनहपणर सािननधय उनक जीवन को पलिकत कर रहा ह

िकसी को प यौी की िकताब िमल जाती ह िकसी को प यौी क वचन की टप सनन को िमल जाती ह िकसी को टीवी एव चनलो पर प यौी का दशरन-सतसग िमल जाता ह िकसी को प यौी का कोई िशय भ िमल जाता ह और कोई ौ ावान तो प यौी का कवल नाम सनकर ही आौम म चला जाता ह और प यौी का आितमक म पाकर अननत िव चतना क साथ तार जोड़न का सदभागी होता ह वह भी आधयाितमक साधना का मागर खल जान स आननद स भर जाता ह

प यौी कहत ह- तम अपन को दीन-हीन कभी मत समझो तम आतमःव प स ससार की सबस बड़ी स ा हो तमहार परो तल सयर और चनि सिहत हजारो पिथवया दबी हई ह तमह अपन वाःतिवक ःव प म जागन माऽ की दर ह अपन जीवन को सयम-िनयम और िववक वरा य स भरकर आतमािभमख बनाओ अपन जीवन म ज़रा धयान की झलक लकर तो दखो आतमदव परमातमा की ज़री झाकी करक तो दखो बस

िफर तो तम अखणड ाणड क नायक हो ही िकसन तमह दीन-हीन बनाए रखा ह िकसन तमह अ ानी और मढ़ बनाए रखा ह मानयताओ न ही ना तो छोड़ दो उन दःखद मानयताओ को जाग जाओ अपन ःव प म िफर दखो सारा िव तमहारी स ा क आग झकन को बाधय होता ह िक नही तमको िसफर जगना ह बस इतना ही काफी ह तमहार तीो प षाथर और सदग क कपा-साद स यह कायर िस हो जाता ह

कणडिलनी ारमभ म िबयाए करक अननमय कोष को श करती ह तमहार शरीर को आवयक हो ऐस आसन ाणायाम मिाए आिद अपन आप होन लगत ह अननमय

कोष ाणमय कोष मनोमय कोष की याऽा करत हए कणडिलनी जब आननदमय कोष म पहचती ह तब असीम आननद की अनभित होन लगती ह तमाम शि या िसि या सामथयर साधक म कट होन लगता ह कणडिलनी जगत ही बरी आदत और यसन दर होन लगत ह

इस योग को िस योग भी कहा जाता ह आननदमय कोष स भी आग गणातीत अवःथा करन क िलए इस िस योग का उपयोग हो सकता ह तथा आतम ान पाकर जीवनम क ऊच िशखर पर पहचन क िलए योगासन सहाय प हो सकत ह

- ौी योग वदानत सवा सिमित

अमदावाद आौम

ःवाःथय क िलए मऽ

अचयताननत गोिवनद नमोचचारणभषजात

नयिनत सकला रोगाः सतय सतय वदामयहम

ह अचयत हो अननत ह गोिवनद इस नामोचचारणःव प औषध स तमाम रोग न हो जात ह यह म सतय कहता ह यह म सतय कहता ह सतय कहता ह

ाःतािवक

साधारण मनय अननमय ाणमय और मनोमय कोष म जीता ह जीवन की तमाम सष शि या नही जगाकर जीवन यथर खोता ह इन शि यो को जगान म आपको आसन खब सहाय प बनग आसन क अ यास स तन तनद ःत मन सनन और बि तीकषण बनगी जीवन क हर कषऽ म सखद ःवपन साकार करन की कजी आपक आनतर मन म छपी हई पड़ी ह आपका अदभत सामथयर कट करन क िलए ऋिषयो न समाधी स समा इन आसनो का अवलोकन िकया ह

हजारो वषर की कसौिटयो म कस हए दश-िवदश म आदरणीय लोगो क ारा आदर पाय हए इन आसनो की पिःतका दखन म छोटी ह पर आपक जीवन को अित महान बनान की किजया रखती हई आपक हाथ म पहच रही ह

इस पिःतका को बार-बार पढ़ो आसनो का अ यास करो िहममत रखो अ यास का साततय जारी रखो अदभत लाभ होगा होगा अवय होगा सिमित की सवा साथरक बनगी

सत ौी आसारामजी बाप

चयर-रकषा का मनऽ

ॐ नमो भगवत महाबल पराबमाय मनोिभलािषत मनः ःतभ क क ःवाहा

रोज दध म िनहार कर 21 बार इस मऽ का जप कर और दध पी ल इसस चयर की रकषा होती ह ःवभाव म आतमसात कर लन जसा यह िनयम ह

रािऽ म गोद पानी म िभगोकर सबह चाट लन स वीयरधात प होता ह चयर-रकषा म सहायक बनता ह

आसनो की िकया म आन वाल कछ शबदो की समझ

रचक का अथर ह ास छोड़ना

परक का अथर ह ास भीतर लना

कमभक का अथर ह ास को भीतर या बाहर रोक दना ास लकर भीतर रोकन की िबया को आनतर या आ यानतर कमभक कहत ह ास को बाहर िनकालकर िफर वापस न लकर ास बाहर ही रोक दन की िबया को बिहकर मभक कहत ह

चबः चब आधयाितमक शि यो क कनि ह ःथल शरीर म चमरचकष स व िदखत नही योिक व हमार सआम शरीर म िःथत होत ह िफर भी ःथल शरीर क ानतनत

ःनाय कनि क साथ उनकी समानता जोड़कर उनका िनदश िकया जाता ह हमार शरीर म ऐस सात चब म य ह 1 मलाधारः गदा क पास म दणड क आिखरी मनक क पास होता ह 2 ःवािध ानः जननिनिय स ऊपर और नािभ स नीच क भाग म होता ह 3 मिणपरः नािभकनि म होता ह 4 अनाहतः दय म होता ह 5 िवश ः कणठ म होता ह 6 आ ाचबः दो भौहो क बीच म होता ह 7 सहॐारः मिःतक क ऊपर क भाग म जहा चोटी रखी जाती ह वहा होता ह

नाड़ीः ाण वहन करन वाली बारीक निलकाओ को नाड़ी कहत ह उनकी स या 72000 बतायी जाती ह इड़ा िपगला और सषमना य तीन म य ह उनम भी सषमना सबस अिधक मह वपणर ह

आवयक िनदश

1 भोजन क छः घणट बाद दध पीन क दो घणट बाद या िबलकल खाली पट ही आसन कर

2 शौच-ःनानािद स िनव होकर आसन िकय जाय तो अचछा ह

3 ास मह स न लकर नाक स ही लना चािहए

4 गरम कमबल टाट या ऐसा ही कछ िबछाकर आसन कर खली भिम पर िबना कछ िबछाय आसन कभी न कर िजसस शरीर म िनिमरत होन वाला िव त-वाह न न हो जाय

5 आसन करत समय शरीर क साथ ज़बरदःती न कर आसन कसरत नही ह अतः धयरपवरक आसन कर

6 आसन करन क बाद ठड म या तज हवा म न िनकल ःनान करना हो तो थोड़ी दर बाद कर

7 आसन करत समय शरीर पर कम स कम व और ढील होन चािहए

8 आसन करत-करत और मधयानतर म और अत म शवासन करक

िशिथलीकरण क ारा शरीर क तग बन ःनायओ को आराम द

9 आसन क बाद मऽतयाग अवय कर िजसस एकिऽत दिषत त व बाहर िनकल जाय

10 आसन करत समय आसन म बताए हए चबो पर धयान करन स और मानिसक जप करन स अिधक लाभ होता ह

11 आसन क बाद थोड़ा ताजा जल पीना लाभदायक ह ऑि सजन और हाइसोजन म िवभािजत होकर सिनध-ःथानो का मल िनकालन म जल बहत आवयक होता ह

12 ि यो को चािहए िक गभारवःथा म तथा मािसक धमर की अविध म व कोई भी आसन कभी न कर

13 ःवाःथय क आकाकषी हर यि को पाच-छः तलसी क प ातः चबाकर पानी पीना चािहए इसस ःमरणशि बढ़ती ह एसीडीटी एव अनय रोगो म लाभ होता ह

योगासन

प ासन या कमलासन

इस आसन म परो का आधार प अथारत कमल जसा बनन स इसको प ासन या कमलासन कहा जाता ह धयान आ ाचब म अथवा अनाहत चब म ास रचक

कमभक दीघर ःवाभािवक

िविधः िबछ हए आसन क ऊपर ःवःथ होकर बठ रचक करत करत दािहन पर को मोड़कर बाई जघा पर रख बाय पर को मोड़कर दािहनी जघा पर रख अथवा पहल बाया पर और बाद म दािहना पर भी रख सकत ह पर क तलव ऊपर की ओर और एड़ी नािभ क नीच रह घटन ज़मीन स लग रह िसर गरदन छाती म दणड आिद परा भाग सीधा और तना हआ रह दोनो हाथ घटनो क ऊपर ानमिा म रह (अगठ को तजरनी अगली क नाखन स लगाकर शष तीन अगिलया सीधी रखन स ानमिा बनती ह) अथवा बाय हाथ को गोद म रख हथली ऊपर की और रह उसक ऊपर उसी कार दािहना हाथ रख दोनो हाथ की अगिलया परःपर लगी रहगी दोनो हाथो को म ठी बाधकर घटनो पर भी रख सकत ह

रचक परा होन क बाद कमभक कर ारभ म पर जघाओ क ऊपर पर न रख सक तो एक ही पर रख पर म झनझनाहट हो लश हो तो भी िनराश न होकर अ यास चाल रख अश या रोगी को चािहए िक वह ज़बरदःती प ासन म न बठ प ासन

सश एव िनरोगी क िलए ह हर तीसर िदन समय की अविध एक िमनट बढ़ाकर एक घणट तक पहचना चािहए

ि नासाम अथवा मधय म िःथर कर आख बद खली या अधर खली भी रख सकत ह शरीर सीधा और िःथर रख ि को एकाम बनाय

भावना कर िक मलाधार चब म छपी हई शि का भणडार खल रहा ह िनमन कनि म िःथत चतना तज और औज़ क प म बदलकर ऊपर की ओर आ रही ह अथवा अनाहत चब ( दय) म िच एकाम करक भावना कर िक दय पी कमल म स सगनध की धाराए वािहत हो रही ह समम शरीर इन धाराओ स सगिनधत हो रहा ह

लाभः ाणायाम क अ यासपवरक यह आसन करन स नाड़ीतऽ श होकर आसन िस होता ह िवश नाड़ीतऽ वाल योगी क िवश शरीर म रोग की छाया तक नही रह सकती और वह ःवचछा स शरीर का तयाग कर सकता ह

प ासन म बठन स शरीर की ऐसी िःथित बनती ह िजसस सन तऽ ानतऽ और र ािभसरणतऽ स यविःथत ढग क कायर कर सकत ह फलतः जीवनशि का िवकास होता ह प ासन का अ यास करन वाल साधक क जीवन म एक िवशष कार की आभा कट होती ह इस आसन क ारा योगी सत महाप ष महान हो गय ह

प ासन क अ यास स उतसाह म वि होती ह ःवभाव म सननता बढ़ती ह मख तजःवी बनता ह बि का अलौिकक िवकास होता ह िच म आननद-उललास रहता ह िचनता शोक दःख शारी रक िवकार दब जात ह किवचार पलायन होकर सिवचार कट होन लगत ह प ासन क अ यास स रजस और तमस क कारण यम बना हआ िच शानत होता ह स वगण म अतयत व ि होती ह ाणायाम साि वक िमताहार और सदाचार क साथ प ासन का अ यास करन स अतःॐावी मिथयो को िवश र िमलता ह फलतः यि म कायरशि बढ़न स भौितक एव आधयाितमक िवकास शीय होता ह बौि क-मानिसक कायर करन वालो क िलए िचनतन मनन करन वालो क िलए एव िव ािथरयो क िलए यह आसन खब लाभदायक ह चचल मन को िःथर करन क िलए एव वीयररकषा क िलए या आसन अि ितय ह

ौम और क रिहत एक घणट तक प ासन पर बठन वाल यि का मनोबल खब बढ़ता ह भाग गाजा चरस अफीम मिदरा तमबाक आिद यसनो म फस हए यि

यिद इन यसनो स म होन की भावना और ढ़ िन य क साथ प ासन का अ यास कर तो उनक द यरसन सरलता स और सदा क िलए छट जात ह चोरी जआ यिभचार या हःतदोष की बरी आदत वाल यवक-यवितया भी इस आसन क ारा उन सब कसःकारो स म हो सकत ह

क र िप पकषाघात मलावरोध स पदा हए रोग कषय दमा िहःटी रया धातकषय कनसर उदरकिम तवचा क रोग वात-कफ कोप नपसकतव वनध य आिद रोग प ासन क अ यास स न हो जात ह अिनिा क रोग क िलए यह आसन रामबाण इलाज ह इसस शारी रक मोटापन कम होता ह शारी रक एव मानिसक ःवाःथय की सरकषा क िलए यह आसन सव म ह

प ासन म बठकर अि नी मिा करन अथारत गदा ार का बार-बार सकोच सार करन स अपानवाय सषमना म िव होता ह इसस काम िवकार पर जय ा होन लगती ह ग ोिनिय को भीतर की ओर िसकोड़न स अथारत योिनमिा या वळोली करन स वीयर उधवरगामी होता ह प ासन म बठकर उडडीयान बनध जालधर बनध तथा कमभक करक छाती एव पट को फलान िक िबया करन स वकषशि एव कणठशि होती ह फलतः भख खलती ह भोजन सरलता स पचता ह जलदी थकान नही होती ःमरणशि एव आतमबल म वि होती ह

यम-िनयमपवरक लमब समय तक प ासन का अ यास करन स उणता कट होकर मलाधार चब म आनदोलन उतपनन होत ह कणडिलनी शि जागत होन की भिमका बनती ह जब यह शि जागत होती ह तब इस सरल िदखन वाल प ासन की वाःतिवक मिहमा का पता चलता ह घरणड शािणडलय तथा अनय कई ऋिषयो न इस आसन की मिहमा गायी ह धयान लगान क िलए यह आसन खब लाभदायक ह

इद प ासन ो सवर यािधिवनाशम

दलरभ यन कनािप धीमता ल यत भिव

इस कार सवर यािधयो को िवन करन वाल प ासन का वणरन िकया यह दलरभ आसन िकसी िवरल बि मान प ष को ही ा होता ह

(हठयोगदीिपका थमोपदश)

िस ासन

प ासन क बाद िस ासन का ःथान आता ह अलौिकक िसि या ा करन वाला होन क कारण इसका नाम िस ासन पड़ा ह िस योिगयो का यह िय आसन ह यमो म चयर ौ ह िनयमो म शौच ौ ह वस आसनो म िस ासन ौ ह

धयान आ ाचब म और ास दीघर ःवाभािवक

िविधः आसन पर बठकर पर खल छोड़ द अब बाय पर की एड़ी को गदा और जननिनिय क बीच रख दािहन पर की एड़ी को जननिनिय क ऊपर इस कार रख िजसस जननिनिय और अणडकोष क ऊपर दबाव न पड़ परो का बम बदल भी सकत ह दोनो परो क तलव जघा क मधय भाग म रह हथली ऊपर की ओर रह इस कार दोनो हाथ एक दसर क ऊपर गोद म रख अथवा दोनो हाथो को दोनो घटनो क ऊपर ानमिा म रख आख खली अथवा बनद रख ासोचछोवास आराम स ःवाभािवक चलन

द मधय म आ ाचब म धयान किनित कर पाच िमनट तक इस आसन का अ यास कर सकत ह धयान की उचच ककषा आन पर शरीर पर स मन की पकड़ छट जाती ह

लाभः िस ासन क अ यास स शरीर की समःत नािड़यो का शि करण होता ह ाणत व ःवाभािवकतया ऊधवरगित को ा होता ह फलतः मन को एकाम करना सरल बनता ह

पाचनिबया िनयिमत होती ह ास क रोग दय रोग जीणर वर अजीणर अितसार शबदोष आिद दर होत ह मदाि न मरोड़ा समहणी वातिवकार कषय दमा मधमह पलीहा की वि आिद अनक रोगो का शमन होता ह प ासन क अ यास स जो रोग दर होत ह व िस ासन क अ यास स भी दर होत ह

चयर-पालन म यह आसन िवशष प स सहायक होता ह िवचार पिवऽ बनत ह मन एकाम होता ह िस ासन का अ यासी भोग-िवलास स बच सकता ह 72 हजार नािड़यो का मल इस आसन क अ यास स दर होता ह वीयर की रकषा होती ह ःवपनदोष क रोगी को यह आसन अवय करना चािहए

योगीजन िस ासन क अ यास स वीयर की रकषा करक ाणायाम क ारा उसको मिःतक की ओर ल जात ह िजसस वीयर ओज तथा मधाशि म प रणत होकर िद यता का अनभव करता ह मानिसक शि यो का िवकास होता ह

कणडिलनी शि जागत करन क िलए यह आसन थम सोपान ह

िस ासन म बठकर जो कछ पढ़ा जाता ह वह अचछी तरह याद रह जाता ह िव ािथरयो क िलए यह आसन िवशष लाभदायक ह जठराि न तज होती ह िदमाग िःथर बनता ह िजसस ःमरणशि बढ़ती ह

आतमा का धयान करन वाला योगी यिद िमताहारी बनकर बारह वषर तक िस ासन का अ यास कर तो िसि को ा होता ह िस ासन िस होन क बाद अनय आसनो का कोई योजन नही रह जाता िस ासन स कवल या कवली कमभक िस होता ह छः मास म भी कवली कमभक िस हो सकता ह और ऐस िस योगी क दशरन-पजन स पातक न होत ह मनोकामना पणर होती ह िस ासन क ताप स िनब ज समािध िस हो जाती ह मलबनध उडडीयान बनध और जालनधर बनध अपन आप होन लगत ह

िस ासन जसा दसरा आसन नही ह कवली कमभक क समान ाणायाम नही ह खचरी मिा क समान अनय मिा नही ह और अनाहत नाद जसा कोई नाद नही ह

िस ासन महाप षो का आसन ह सामानय यि हठपवरक इसका उपयोग न कर अनयथा लाभ क बदल हािन होन की समभावना ह

सवागासन

भिम पर सोकर शरीर को ऊपर उठाया जाता ह इसिलए इसको सवागासन कहत ह

धयान िवश ा य चब म ास रचक परक और दीघर

िविधः भिम पर िबछ हए आसन पर िच होकर लट जाए ास को बाहर िनकाल कर अथारत रचक करक कमर तक क दोनो पर सीध और परःपर लग हए रखकर ऊपर उठाए िफर पीठ का भाग भी ऊपर उठाए दोनो हाथो स कमर को आधार द हाथ की कहिनया भिम स लग रह गरदन और कनध क बल परा शरीर ऊपर की और सीधा खड़ा कर द ठोडी छाती क साथ िचपक जाए दोनो पर आकाश की ओर रह ी दोनो परो क अगठो की ओर रह अथवा आख बनद करक िच वि को कणठदश म िवश ा य चब म िःथर कर परक करक ास को दीघर सामानय चलन द

इस आसन का अ य़ास ढ़ होन क बाद दोनो परो को आग पीछ झकात हए जमीन को लगात हए अनय आसन भी हो सकत ह सवागासन की िःथित म दोनो परो को जाघो पर लगाकर प ासन भी िकया जा सकता ह

ारमभ म तीन स पाच िमनट तक यह आसन कर अ यासी तीन घणट तक इस आसन का समय बढ़ा सकत ह

लाभः सवागासन क िनतय अ यास स जठराि न तज होती ह साधक को अपनी िच क अनसार भोजन की माऽा बढ़ानी चािहए सवागासन क अ यास स शरीर की तवचा लटकन नही लगती तथा शरीर म झ ररया नही पड़ती बाल सफद होकर िगरत नही हर रोज़ एक हर तक सवागासन का अ यास करन स मतय पर िवजय िमलती ह

शरीर म सामथयर बढ़ता ह तीनो दोषो का शमन होता ह वीयर की ऊधवरगित होकर अनतःकरण श होता ह मधाशि बढ़ती ह िचर यौवन की ाि होती ह

इस आसन स थायराइड नामक अनतःमिनथ की शि बढ़ती ह वहा र सचार तीो गित स होन लगता ह इसस उस पोषण िमलता ह थायराइड क रोगी को इस आसन स अदभत लाभ होता ह िलवर और पलीहा क रोग दर होत ह ःमरणशि बढ़ती ह मख पर स महास एव अनय दाग दर होकर मख तजःवी बनता ह जठर एव नीच उतरी हई आत अपन मल ःथान पर िःथर होती ह प षातन मिनथ पर सवागासन का अचछा भाव पड़ता ह ःवपनदोष दर होता ह मानिसक बौि क वि करन वालो को तथा िवशषकर िव ािथरयो को यह आसन अवय करना चािहए

मनदाि न अजीणर कबज अशर थायराइड का अलप िवकास थोड़ िदनो का अपनडीसाइिटस और साधारण गाठ अगिवकार असमय आया हआ व तव दमा कफ

चमड़ी क रोग र दोष ि यो को मािसक धमर की अिनयिमतता एव ददर मािसक न आना अथवा अिधक आना इतयािद रोगो म इस आसन स लाभ होता ह नऽ और मिःतक की शि बढ़ती ह उनक रोग दर होत ह

थायराइड क अित िवकासवाल खब कमजोर दयवाल और अतयिधक चब वाल लोगो को िकसी अनभवी की सलाह लकर ही सवागासन करना चािहए

शीषारसन करन स जो लाभ होता ह व सब लाभ सवागासन और पादपि मो ानसन करन स िमल जात ह शीषारसन म गफलत होन स जो हािन होती ह वसी हािन होन की सभावना सवागासन और पादपि मो ानासन म नही ह

हलासन

इस आसन म शरीर का आकार हल जसा बनता ह इसिलए इसको हलासन कहा जाता ह

धयान िवश ा या चब म ास रचक और बाद म दीघर

िविधः भिम पर िबछ हए आसन पर िच होकर लट जाए दोनो हाथ शरीर को लग रह अब रचक करक ास को बाहर िनकाल द दोनो परो को एक साथ धीर-धीर ऊच करत जाय आकाश की ओर पर उठाकर िफर पीछ िसर क तरफ झकाय पर िबलकल तन हए रखकर पज ज़मीन पर लगाय ठोड़ी छाती स लगी रह िच वि को िवश ा या चब म िःथर कर दो-तीन िमनट स लकर बीस िमनट तक समय की अविध बढ़ा सकत ह

लाभः हलासन क अ यास स अजीणर कबज अशर थायराइड का अलप िवकास अगिवकार असमय व तव दमा कफ र िवकार आिद दर होत ह इस आसन स िलवर अचछा होता ह छाती का िवकास होता ह सनिबया तज होकर ऑ सीजन स र श बनता ह गल क ददर पट की बीमारी सिधवात आिद दर होत ह पट की चरबी कम होती ह िसरददर दर होता ह वीयरिव कार िनमरल होता ह खराब िवचार बनद होत ह नाड़ी तऽ श होता ह शरीर बलवान और तजःवी बनता ह गिभरणी ि यो क िसवा हर एक को यह आसन करना चािहए

रीढ़ म कठोरता होना यह व ावःथा का िच ह हलासन स रीढ़ लचीली बनती ह इसस यवावःथा की शि ःफितर ःवाःथय और उतसाह बना रहता ह म दणड

समबनधी नािड़यो क ःवाःथय की रकषा होकर व ावःथा क लकषण जलदी नही आत जठर की नािड़यो को शि ा होती ह

जठर की मासपिशया तथा पाचनतऽ क अगो की नािड़यो की दबरलता क कारण अगर मदाि न एव कबज हो तो हलासन स दर होत ह कमर पीठ एव गरदन क रोग न होत ह िलवर और पलीहा बढ़ गए हो तो हलासन स सामानय अवःथा म आ जात ह काम कनि की शि बढ़ती ह अपानशि का उतथान होकर उदान पी अि न का योग होन स वीयरशि ऊधवरगामी बनती ह हलासन स वीयर का ःतभन होता ह यह आसन अणडकोष की वि पिनबयास अपिनड स आिद को ठीक करता ह थायराइड मिनथ की िबयाशीलता बढ़ती ह धयान करन स िवश चब जागत हो जाता ह

पवनम ासन

शरीर म िःथत पवन (वाय) यह आसन करन स म होता ह इसिलए इस पवनम ासन कहा जाता ह

धयान मिणपर चब म ास पहल परक िफर कमभक और रचक

िविधः भिम पर िबछ हए आसन पर िच होकर लट जाय परक करक फफड़ो म ास भर ल अब िकसी भी एक पर को घटन स मोड़ द दोनो हाथो की अगिलयो को

परःपर िमलाकर उसक ारा मोड़ हए घटनो को पकड़कर पट क साथ लगा द िफर िसर को ऊपर उठाकर मोड़ हए घटनो पर नाक लगाए दसरा पर ज़मीन पर सीधा रह इस िबया क दौरान ास को रोककर कमभक चाल रख िसर और मोड़ा हआ पर भिम पर पवरवत रखन क बाद ही रचक कर दोनो परो को बारी -बारी स मोड़कर यह िबया कर दोनो पर एक साथ मोड़कर भी यह आसन हो सकता ह

लाभः पवनम ासन क िनयिमत अ यास स पट की चरबी कम होती ह पट की वाय न होकर पट िवकार रिहत बनता ह कबज दर होता ह पट म अफारा हो तो इस आसन स लाभ होता ह ातःकाल म शौचिबया ठीक स न होती हो तो थोड़ा पानी पीकर यह आसन 15-20 बार करन स शौच खलकर होगा

इस आसन स ःमरणशि बढ़ती ह बौि क कायर करन वाल डॉ टर वकील सािहतयकार िव ाथ तथा बठकर वि करन वाल मनीम यापारी आिद लोगो को िनयिमत प स पवनम ासन करना चािहए

मतःयासन

मतःय का अथर ह मछली इस आसन म शरीर का आकार मछली जसा बनता ह अतः मतःयासन कहलाता ह पलािवनी ाणायाम क साथ इस आसन की िःथित म लमब समय तक पानी म तर सकत ह

धयान िवश ा या चब म ास पहल रचक बिहकर मभक िफर परक और रचक

िविधः भिम पर िबछ हए आसन पर प ासन लगाकर सीध बठ जाय िफर परो को प ासन की िःथित म ही रखकर हाथ क आधार स सावधानी पवरक पीछ की ओर िच होकर लट जाय रचक करक कमर को ऊपर उठाय घटन िनतब और मःतक क िशखा ःथान को भिम क ःथान लगाय रख िशखाःथान क नीच कोई नरम कपड़ा

अवय रख बाय हाथ स दािहन पर का अगठा और दािहन हाथ स बाय पर का अगठा पकड़ दोनो कहिनया ज़मीन को लगाय रख कमभक की िःथित म रहकर ि को पीछ की ओर िसर क पास ल जान की कोिशश कर दात दब हए और मह बनद रख एक िमनट स ारमभ करक पाच िमनट तक अ यास बढ़ाय िफर हाथ खोलकर कमर भिम को लगाकर िसर ऊपर उठाकर बठ जाय परक करक रचक कर

पहल भिम पर लट कर िफर प ासन लगाकर भी मतःयासन हो सकता ह

लाभः मतःयासन स परा शरीर मजबत बनता ह गला छाती पट की तमाम बीमा रया दर होती ह आखो की रोशनी बढ़ती ह गला साफ रहता ह सनिबया ठीक स चलती ह कनधो की नस उलटी मड़ती ह इसस छाती व फफड़ो का िवकास होता ह पट साफ रहता ह आतो का मल दर होता ह र ािभसरण की गित बढ़ती ह फलतः चमड़ी क रोग नही होत दमा और खासी दर होती ह छाती चौड़ी बनती ह पट की चरबी कम होती ह इस आसन स अपानवाय की गित नीच की ओर होन स मलावरोध दर होता ह थोड़ा पानी पीकर यह आ सन करन स शौच-शि म सहायता िमलती ह

मतःयासन स ि यो क मािसकधमर समबनधी सब रोग दर होत ह मािसकॐाव िनयिमत बनता ह

भजगासन

इस आसन म शरीर की आकित फन उठाय हए भजग अथारत सपर जसी बनती ह इसिलए इसको भजगासना कहा जाता ह

धयान िवश ा या चब म ास ऊपर उठात व परक और नीच की ओर जात समय रचक

िविधः भिम पर िबछ हए कमबल पर पट क बल उलट होकर लट जाय दोनो पर और पज परःपर िमल हए रह परो क अगठो को पीछ की ओर खीच दोनो हाथ िसर क तरफ लमब कर द परो क अगठ नािभ छाती ललाट और हाथ की हथिलया भिम पर एक सीध म रख

अब दोनो हथिलयो को कमर क पास ल जाय िसर और कमर ऊपर उठाकर िजतना हो सक उतन पीछ की ओर मोड़ नािभ भिम स लगी रह पर शरीर का वजन हाथ क पज पर आएगा शरीर की िःथित कमान जसी बनगी म दणड क आिखरी भाग पर दबाव किनित होगा िच वि को कणठ म और ि को आकाश की तरफ िःथर कर

20 सकणड तक यह िःथित रख बाद म धीर-धीर िसर को नीच ल आय छाती भिम पर रख िफर िसर को भिम स लगन द आसन िस हो जान क बाद आसन करत समय ास भरक कमभक कर आसन छोड़त समय मल िःथित म आन क बाद ास को खब धीर-धीर छोड़ हर रोज एक साथ 8-10 बार यह आसन कर

लाभः घरड सिहता म इसका लाभ बतात हए कहा ह - भजगासन स जठराि न दी होती ह सवर रोगो का नाश होता ह और कणडिलनी जागत होती ह

म दणड क तमाम मनको को तथा गरदन क आसपास वाल ःनायओ को अिधक श र िमलता ह फलतः नाड़ी तऽ सचत बनता ह िचरजीवी शि मान एव स ढ़ बनता ह िवशषकर मिःतक स िनकलन वाल ानतत बलवान बनत ह पीठ की हिडडय़ो म रहन वाली तमाम खरािबया दर होती ह पट क ःनाय म िखचाव आन स वहा क अगो को शि िमलती ह उदरगहा म दबाव बढ़न स कबज दर होता ह छाती और पट का िवकास होता ह तथा उनक रोग िमट जात ह गभारशय एव बोनाशय अचछ बनत ह फलतः मािसकॐाव क रिहत होता ह मािसक धमर समबनधी समःत िशकायत दर होती ह अित ौम करन क कारण लगन वाली थकान दर होती ह भोजन क बाद होन वाल वाय का ददर न होता ह शरीर म ःफितर आती ह कफ-िपतवालो क िलए यह आसन लाभदायी ह भजगासन करन स दय मजबत बनता ह मधमह और उदर क

रोगो स मि िमलती ह दर अित मािसकॐाव तथा अलप मािसकॐाव जस रोग दर होत ह

इस आसन स म दणड लचीला बनता ह पीठ म िःथत इड़ा और िपगला नािड़यो पर अचछा भाव पड़ता ह कणडिलनी शि जागत करन क िलय यह आसन सहायक ह अमाशय की मासपिशयो का अचछा िवकास होता ह थकान क कारण पीठ म पीड़ा होती हो तो िसफर एक बार ही यह आसन करन स पीड़ा दर होती ह म दणड की कोई हडडी ःथान हो गई हो तो भजगासन करन स यथाःथान म वापस आ जाती ह

धनरासन

इस आसन म शरीर की आकित खीच हए धनष जसी बनती ह अतः इसको धनरासन कहा जाता ह

धयान मिणपर चब म ास नीच की िःथित म रचक और ऊपर की िःथित म परक

िविधः भिम पर िबछ हए कमबल पर पट क बल उलट होकर लट जाय दोनो पर परःपर िमल हए रह अब दोनो प रो को घटनो स मोड़ दोनो हाथो को पीछ ल जाकर दोनो परो को टखनो स पकड़ रचक करक हाथ स पकड़ हए परो को कसकर धीर -धीर खीच िजतना हो सक उतना िसर पीछ की ओर ल जान की कोिशश कर ि भी ऊपर एव पीछ की ओर रहनी चािहए समम शरीर का बोझ कवल नािभदश क ऊपर ही रहगा कमर स ऊपर का धड़ एव कमर स नीच पर पर ऊपर की ओर मड़ हए रहग

कमभक करक इस िःथित म िटक रह बाद म हाथ खोलकर पर तथा िसर को मल अवःथा म ल जाय और परक कर ारभ म पाच सकणड यह आसन कर धीर-धीर समय बढ़ाकर तीन िमनट या उसस भी अिधक समय इस आसन का अ यास कर तीन-चार बार यह आसन करना चािहए

लाभः धनरासन क अ यास स पट की चरबी कम होती ह गस दर होती ह पट को रोग न होत ह कबज म लाभ होता ह भख खलती ह छाती का ददर दर होता ह दय की धडकन मजबत बनती ह ास िक िबया यविःथत चलती ह मखाकित सदर बनती ह आखो की रोशनी बढ़ती ह और तमाम रोग दर होत ह हाथ -पर म होन वाला कपन कता ह शरीर का सौनदयर बढ़ता ह पट क ःनायओ म िखचाव आन स पट को अचछा लाभ होता ह आतो पर खब दबाव पड़न स पट क अगो पर भी दबाव पड़ता ह फलतः आतो म पाचकरस आन लगता ह इसस जठराि न तज होती ह पाचनशि बढ़ती ह वायरोग न होता ह पट क कषऽ म र का सचार अिधक होता ह धनरासन म भजगासन और शलभासन का समावश हो जान क कारण इन दोनो आसनो क लाभ िमलत ह ि यो क िलए यह आसन खब लाभकारक ह इसस मािसक धमर क िवकार गभारशय क तमाम रोग दर होत ह

चबासन

इस आसन म शरीर की आकित चब जसी बनती ह अतः चबासन कहा जाता ह

धयान मिणपर चब म ास दीघर ःवाभािवक

िविधः भिम पर िबछ हए आसन पर िच होकर लट जाय घटनो स पर मोड़ कर ऊपर उठाय पर क तलव ज़मीन स लग रह दो परो क बीच करीब डढ़ फीट का अनतर रख दोनो हाथ मःतक की तरफ उठाकर पीछ की ओर दोनो हथिलयो को ज़मीन पर जमाय दोनो हथिलयो क बीच भी करीब डढ़ फीट का अनतर रख अब हाथ और पर क बल स पर शरीर को कमर स मोड़कर ऊपर उठाय हाथ को धीर-धीर पर की ओर ल जाकर ःमपशर शरीर का आकार व या चब जसा बनाय आख बनद रख ास की गित ःवाभािवक चलन द िच वि मिणपर चब (नािभ कनि) म िःथर कर आख खली भी रख सकत ह एक िमनट स पाच िमनट तक अ यास बढ़ा सकत ह

लाभः म दणड तथा शरीर की समःत नािड़यो का शि करण होकर यौिगक चब जागत होत ह लकवा तथा शरीर की कमजो रया दर होती ह मःतक गदरन पीठ पट

कमर हाथ पर घटन आिद सब अग मजबत बनत ह सिनध ःथानो ददर नही होता पाचनशि बढ़ती ह पट की अनावयक चरबी दर होती ह शरीर तजःवी और फत ला बनता ह िवकारी िवचार न होत ह ःवपनदोष की बीमारी अलिवदा होती ह चबासन क िनयिमत अ यास स व ावःथा म कमर झकती नही शरीर सीधा तना हआ रहता ह

किटिपणडमदरनासन

इस आसन म किटदश (कमर क पास वाल भाग) म िःथत िपणड अथारत मऽिपणड का मदरन होता ह इसस यह आसन किटिपणडमदरनासन कहलाता ह

धयान ःवािध ान चब म ास परक और कमभक

िविधः िबछ हए कमबल पर पीठ क बल िच होकर लट जाय दोनो हाथो को आमन-सामन फला द मि ठया बनद रख दोनो परो को घटनो स मोड़कर खड़ कर द पर क तलव ज़मीन स लग रह दोनो परो क बीच इतना अनतर रख िक घटनो को ज़मीन पर झकान स एक पर का घटना दसर पर की एड़ी को लग िसर दायी ओर मड़ तो दोनो घटन दािहनी ओर ज़मीन को लग इस कार 15-20 बार िबया कर इस कार दोनो परो को एक साथ रखकर भी िबया कर

लाभः िजसको पथरी की तकलीफ हो उस आौम (सत ौी आसारामजी आौम साबरमित अमदावाद-5) स िबना मलय िमलती काली भःम करीब डढ़ माम भोजन स आधा घणटा पवर और भोजन क बाद एक िगलास पानी क साथ लना चािहए और यह आसन भख पट ठीक ढग स करना चािहए इसस पथरी क ददर म लाभ होता ह पथरी टकड़ -टकड़ होकर मऽ क ारा बाहर िनकलन लगती ह मऽिवकार दर होता ह कमर ददर साइिटका रीढ़ की हडडी की जकड़न उदासीनता िनराशा डायािबटीज नपसकता गस पर की गाठ इतयािद रोगो म शीय लाभ होता ह नािभ ःथान स चयत हो जाती हो तो पनः अपन ःथान म आ जाती ह

मािसक धमर क समय एव गभारवःथा म ि या यह आसन न कर कबज का रोगी सबह शौच जान स पहल उषःपान करक यह आसन कर तो चमतका रक लाभ होता ह ास को अनदर भर क पट को फलाकर यह आसन करन स कबज जलदी दर होता ह

अधरमतःयनिासन

कहा जाता ह िक मतःयनिासन की रचना गोरखनाथ क ग ःवामी मतःयनिनाथ न की थी व इस आसन म धयान िकया करत थ मतःयनिासन की आधी िबयाओ को लकर अधरमतःयनिासन चिलत हआ ह

धयान अनाहत चब म ास दीघर

िविधः दोनो परो को लमब करक आसन पर बठ जाओ बाय पर को घटन स मोड़कर एड़ी गदा ार क नीच जमाय पर क तलव को दािहनी जघा क साथ लगा द अब दािहन पर को घटन स मोड़कर खड़ा कर द और बाय पर की जघा स ऊपर ल जात हए जघा क पीछ ज़मीन क ऊपर ऱख द आसन क िलए यह पवरभिमका तयार हो गई

अब बाय हाथ को दािहन पर क घटन स पार करक अथारत घटन को बगल म दबात हए बाय हाथ स दािहन पर का अ गठा पकड़ धड़ को दािहनी ओर मोड़ िजसस दािहन पर क घटन क ऊपर बाय कनध का दबाव ठीक स पड़ अब दािहना हाथ पीठ क पीछ स घमाकर बाय पर की जाघ का िनमन भाग पकड़ िसर दािहनी ओर इतना घमाय िक ठोड़ी और बाया कनधा एक सीधी रखा म आ जाय छाती िबलकल तनी हई रख नीच की ओर झक नही िच वि नािभ क पीछ क भाग म िःथत मिणपर चब म िःथर कर

यह एक तरफ का आसन हआ इसी कार पहल दािहना पर मोड़कर एड़ी गदा ार क नीच दबाकर दसरी तरफ का आसन भी कर ारमभ म पाच सकणड य ह आसन करना पयार ह िफर अ यास बढ़ाकर एक एक तरफ एक एक िमनट तक आसन कर सकत ह

लाभः अधरमतःयनिासन स म दणड ःवःथ रहन स यौवन की ःफितर बनी रहती ह रीढ़ की हिडडयो क साथ उनम स िनकलन वाली नािडयो को भी अचछी कसरत िमल जाती ह पट क िविभनन अगो को भी अचछा लाभ होता ह पीठ पट क नल पर गदरन

हाथ कमर नािभ स नीच क भाग एव छाती की नािड़यो को अचछा िखचाव िमलन स उन पर अचछा भाव पड़ता ह फलतः बनधकोष दर होता ह जठराि न तीो होती ह िवकत यकत पलीहा तथा िनिबय व क क िलए यह आसन लाभदायी ह कमर पीठ और सिनधःथानो क ददर जलदी दर हो जात ह

योगमिासन

योगा यास म यह मिा अित मह वपणर ह इसस इसका नाम योगमिासन रखा गया ह

धयान मिणपर चब म ास रचक कमभक और परक

िविधः प ासन लगाकर दोनो हाथो को पीठ क पीछ ल जाय बाय हाथ स दािहन हाथ की कलाई पकड़ दोनो हाथो को खीचकर कमर तथा रीढ़ क िमलन ःथान पर ल जाय अब रचक करक कमभक कर ास को रोककर शरीर को आग झकाकर भिम पर टक द िफर धीर-धीर िसर को उठाकर शरीर को पनः सीधा कर द और परक कर ारभ म यह आसन किठन लग तो सखासन या िस ासन म बठकर कर पणर लाभ तो प ासन म बठकर करन स ही होता ह पाचनतनऽ क अगो की ःथान ता ठीक करन क िलए यिद यह आसन करत हो तो कवल पाच-दस सकणड तक ही कर एक बठक म तीन स पाच बार सामानयतः यह आसन तीन िमनट तक करना चािहए आधयाितमक उ य स योगमिासन करत हो तो समय की अविध िच और शि क अनसार बढ़ाय

लाभः योगमिासन भली कार िस होता ह तब कणडिलिन शि जागत होती ह पट की गस की बीमारी दर होती ह पट एव आतो की सब िशकायत दर होती ह कलजा फफड़ आिद यथा ःथान रहत ह दय मजबत बनता ह र क िवकार दर होत

ह क और यौनिवकार न होत ह पट बड़ा हो तो अनदर दब जाता ह शरीर मजबत बनता ह मानिसक शि बढ़ती ह

योगमिासन स उदरपटल सश बनता ह पट क अगो को अपन ःथान िटक रहन म सहायता िमलती ह नाड़ीतऽ और खास करक कमर क नाड़ी मणडल को बल िमलता ह

इस आसन म सामनयतः जहा एिड़या लगती ह वहा कबज क अग होत ह उन पर दबाव पड़न स आतो म उ जना आती ह पराना कबज दर होता ह अगो की ःथान ता क कारण होन वाला कबज भी अग अपन ःथान म पनः यथावत िःथत हो जान स न हो जाता ह धात की दबरलता म योगमिासन खब लाभदायक ह

गोरकषासन या भिासन

धयान मलाधार चब म ास थम िःथित म परक और दसरी िःथित म कमभक

िविधः िबछ हए आसन पर बठ जाय दािहना पर घटन स मोड़कर एड़ी सीवन (उपःथ और गदा क मधय) क दािहन भाग म और बाया पर मोड़कर एड़ी सीवन क बाय भाग म इस कार रख िक दोनो पर क तलव एक दसर को लगकर रह

रचक करक दोनो हाथ सामन ज़मीन पर टककर शरीर को ऊपर उठाय और दोनो पर क पजो पर इस कार बठ िक शरीर का वजन एड़ी क मधय भाग म आय अगिलयो वाला भाग छटा रह अब परक करत -करत दोनो हाथो की हथिलयो को घटनो पर रख

अनत म कमभक करक ठोड़ी छाती पर दबाय िच वि मलाधार चब म और ि भी उसी िदशा म लगाय बमशः अ यास बढ़ाकर दसक िमनट तक यह आसन कर

लाभः इस आसन क अ यास स पर क सब सिनध ःथान तथा ःनाय सश बनत ह वाय ऊधवरगामी होकर जठराि न दी करता ह िदनो िदन जड़ता न होन लगती ह शरीर पतला होता ह सकलपबल बढ़ता ह बि तीकषण होती ह कलपनाशि का िवकास होता ह ाणापान की एकता होती ह नादोतपि होन लगती ह िबनद िःथर होकर िच की चचलता कम होती ह आहार का सपणरतया पाचन हो जान क कारण मलमऽ अलप होन लगत ह शरीर शि होन लगती ह तन म ःफितर एव मन म सननता अपन आप कट होती ह ःनाय स ढ़ बनत ह धातकषय गस मधमह ःवपनदोष अजीणर कमर का ददर गदरन की दबरलता बनधकोष मनदाि न िसरददर कषय

दयरोग अिनिा दमा मछाररोग बवासीर आऽपचछ पाणडरोग जलोदर भगनदर कोढ़ उलटी िहचकी अितसार आव उदररोग नऽिवकार आिद अस य रोगो म इस आसन स लाभ होत ह

मयरासन

इस आसन म मयर अथारत मोर की आकित बनती ह इसस इस मयरासन कहा जाता ह

धयान मिणपर चब म ास बा कमभक

िविधः जमीन पर घटन िटकाकर बठ जाय दोनो हाथ की हथिलयो को जमीन पर इस कार रख िक सब अगिलया पर की िदशा म हो और परःपर लगी रह दोनो कहिनयो को मोड़कर पट क कोमल भाग पर नािभ क इदरिगदर रख अब आग झककर दोनो पर को पीछ की लमब कर ास बाहर िनकाल कर दोनो पर को जमीन स ऊपर उठाय और िसर का भाग नीच झकाय इस कार परा शरीर ज़मीन क बराबर समानानतर रह ऐसी िःथित बनाय सपणर शरीर का वजन कवल दो हथिलयो पर ही

रहगा िजतना समय रह सक उतना समय इस िःथित म रहकर िफर मल िःथित म आ जाय इस कार दो-तीन बार कर

लाभः मयरासन करन स चयर-पालन म सहायता िमलती ह पाचन तऽ क अगो की र का वाह अिधक बढ़न स व अग बलवान और कायरशील बनत ह पट क भीतर क भागो म दबाव पड़न स उनकी शि बढ़ती ह उदर क अगो की िशिथलता और मनदाि न दर करन म मयरासन बहत उपयोगी ह

वळासन

वळासन का अथर ह बलवान िःथित पाचनशि वीयरशि तथा ःनायशि दन वाला होन स यह आसन वळासन कहलाता ह

धयान मलाधार चब म और ास दीघर

िविधः िबछ हए आसन पर दोनो परो को घटनो स मोड़कर एिड़यो पर बठ जाय पर क दोनो अगठ परःपर लग रह पर क तलवो क ऊपर िनतमब रह कमर और पीठ िबलकल सीधी रह दोनो हाथ को कहिनयो स मोड़ िबना घटनो पर रख द हथिलया नीच की ओर रह ि सामन िःथर कर द

पाच िमनट स लकर आध घणट तक वळासन का अ यास कर सकत ह वळासन लगाकर भिम पर लट जान स स वळासन होता ह

लाभः वळासन क अ यास स शरीर का मधयभाग सीधा रहता ह ास की गित मनद पड़न स वाय बढ़ती ह आखो की योित तज होती ह वळनाड़ी अथारत वीयरधारा नाड़ी मजबत बनती ह वीयर की ऊधवरगित होन स शरीर वळ जसा बनता ह लमब समय तक सरलता स यह आसन कर सकत ह इसस मन की चचलता दर होकर यि िःथर बि वाला बनता ह शरीर म र ािभसरण ठीक स होकर शरीर िनरोगी एव सनदर बनता ह

भोजन क बाद इस आसन स बठन स पाचन शि तज होती ह कबज दर होती ह भोजन जलदी ह म होता ह पट की वाय का नाश होता ह कबज दर होकर पट क तमाम रोग न होत ह पाणडरोग स मि िमलती ह रीढ़ कमर जाघ घटन और परो म शि बढ़ती ह कमर और पर का वाय रोग दर होता ह ःमरणशि म वि होती ह ि यो क मािसक धमर की अिनयिमतता जस रोग दर होत ह शबदोष वीयरदोष घटनो का ददर आिद का नाश होता ह ःनाय प होत ह ःफितर बढ़ान क िलए एव मानिसक िनराशा दर कर न क िलए यह आसन उपयोगी ह धयान क िलय भी यह आसन उ म ह इसक अ यास स शारी रक ःफितर एव मानिसक सननता कट होती ह िदन-ितिदन शि का सचय होता ह इसिलए शारी रक बल म खब वि होती ह काग का िगरना अथारत गल क टािनसलस हिडडयो क पोल आिद ःथानो म उतपनन होन वाल तकण की स या म वि होन स आरो य का साा य ःथािपत होता ह िफर यि

बखार स िसरददर स कबज स मदाि न स या अजीणर जस छोट-मोट िकसी भी रोग स पीिड़त नही रहता योिक रोग आरो य क साा य म िव होन का साहस ही नही कर पात

स वळासन

धयान िवश ा याचब म ास दीघर सामानय

िविधः वळासन म बठन क बाद िच होकर पीछ की ओर भिम पर लट जाय दोनो जघाए परःपर िमली रह अब रचक करत बाय हाथ का खला पजा दािहन कनध क नीच इस कार रख िक मःतक दोनो हाथ क बास क ऊपर आय रचक परा होन पर िऽबनध कर ि मलाधार चब की िदशा म और िच वि मलाधार चब म ःथािपत कर

लाभः यह आसन करन म ौम बहत कम ह और लाभ अिधक होता ह इसक अ यास स सषमना का मागर अतयनत सरल होता ह कणडिलनी शि सरलता स ऊधवरगमन कर सकती ह

इस आसन म धयान करन स म दणड को सीधा करन का ौम नही करना पड़ता और म दणड को आराम िमलता ह उसकी काय़रशि बल बनती ह इस आसन का अ यास करन स ायः तमाम अतःॐावी मिनथयो को जस शीषरःथ मिनथ कणठःथ मिनथ मऽिपणड की मनथी ऊधवरिपणड तथा प षाथर मिनथ आिद को पि िमलती ह फलतः यि का भौितक एव आधयाितमक िवकास सरल हो जाता ह तन-मन का ःवाःथय भावशाली बनता ह जठराि न दी होती ह मलावरोध की पीडा दर होती ह धातकषय ःवपनदोष पकषाघात पथरी बहरा होना तोतला होना आखो की दबरलता गल क टािनसल ासनिलका का सजन कषय दमा ःमरणशि की दबरलता आिद रोग दर होत ह

शवासन

शवासन की पणारवःथा म शरीर क तमाम अग एव मिःतक पणरतया च ा रिहत िकय जात ह यह अवःथा शव (मद) जसी होन स इस आसन को शवासन कहा जाता ह

िविधः िबछ हए आसन पर िच होकर लट जाय दोनो परो को परःपर स थोड़ अलग कर द दोनो हाथ भी शरीर स थोड़ अलग रह इस कार परो की ओर फला द हाथ की हथिलया आकाश की तरफ खली रख िसर सीधा रह आख बनद

मानिसक ि स शरीर को पर स िसर तक दखत जाय पर शरीर को मद की तरह ढीला छोड़ द हर एक अग को िशिथल करत जाय

शरीर म समपणर िवौाम का अनभव कर मन को भी बा ा िवषयो स हटाकर एकाम कर बारी-बारी स हर एक अग पर मानिसक ि एकाम करत हए भावना कर िक वह अग अब आराम पा रहा ह मरी सब थकान उतर रही ह इस कार भावना करत-करत सब ःनायओ को िशिथल होन द शरीर क एक भी अग म कही भी तनाव (टनशन) न रह िशिथलीकरण की िबया म पर स ारमभ करक िसर तक जाय अथवा िसर स ारमभ करक पर तक भी जा सकत ह अनत म जहा स ारमभ िकया हो वही पनः पहचना चािहय िशिथलीकरण की िबया स शरीर क तमाम अगो का एव ानततओ को िवौाम की अवःथा म ला दना ह

शवासन की दसरी अवःथा म ासोचछोवास पर धयान दना ह शवासन की यही म य िबया ह िवशषकर योग साधको क िलए वह अतयनत उपयोगी ह कवल शारी रक ःवाःथय क िलय थम भिमका पयार ह

इसम ास और उचछवास की िनयिमतता दीघरता और समानता ःथािपत करन का लकषय ह ास िनयिमत चल लमबा और गहरा चल ास और उचछवास एक समान रह तो मन को एकाम करन की शि ा होती ह

शवासन यिद ठीक ढग स िकया जाए तो नाड़ीतऽ इतना शात हो जाता ह िक अ यासी को नीद आन लगती ह लिकन धयान रह िनिनित न होकर जामत रहना आवयक ह

अनय आसन करन क बाद अगो म जो तनाव (टनशन) पदा होता ह उसको िशिथल करन क िलय अत म 3 स 5 िमनट तक शवासन करना चािहए िदनभर म अनकलता क अनसार दो-तीन बार शवासन कर सकत ह

लाभः शवासन क ारा ःनाय एव मासपिशयो म िशिथलीकरण स शि बढ़ती ह अिधक कायर करन की यो यता उसम आती ह र वाहिनयो म िशराओ म र वाह तीो

होन स सारी थकान उतर जाती ह नाड़ीतऽ को बल िमलता ह मानिसक शि म वि होती ह

र का दबाव कम करन क िलए नाड़ीतऽ की दबरलता एव उसक कारण होन वाल रोगो को दर करन क िलय शवासन खब उपयोगी ह

पादपि मो ानासन

यह आसन करना किठन ह इसस उमासन कहा जाता ह उम का अथर ह िशव भगवान िशव सहारक ार ह अतः उम या भयकर ह िशवसिहता म भगवान िशव न म कणठ स शसा करत हए कहा हः यह आसन सवरौ आसन ह इसको य पवरक ग रख िसफर अिधका रयो को ही इसका रहःय बताय

धयान मिणपर चब म ास थम िःथित म परक और दसरी िःथित म रचक और िफर बिहकर मभक

िविधः िबछ हए आसन पर बठ जाय दोनो परो को लमब फला द दोनो परो की जघा घटन पज परःपर िमल रह और जमीन क साथ लग रह परो की अगलया घटनो की तरफ झकी हई रह अब दोनो हाथ लमब कर दािहन हाथ की तजरनी और अगठ स दािहन पर का अगठा और बाय हाथ की तजरनी और अगठ स बाय पर का अगठा पकड़ अब रचक करत-करत नीच झक और िसर को दोनो घटनो क मधय म रख ललाट घटन को ःपशर कर और घटन ज़मीन स लग रह रचक परा होन पर कमभक कर ि एव िच वि को मिणपर चब म ःथािपत कर ारमभ म आधा िमनट करक बमशः 15 िमनट तक यह आसन करन का अ यास बढ़ाना चािहय थम दो-चार िदन किठन लगगा लिकन अ यास हो जान पर यह आसन सरल हो जाएगा

लाभः पादपि मो नासन म समयक अ यास स सषमना का मख खल जाता ह और ाण म दणड क मागर म गमन करता ह फलतः िबनद को जीत सकत ह िबनद को जीत िबना न समािध िस होती ह न वाय िःथर होता ह न िच शात होता ह

जो ी-प ष काम िवकार स अतयत पीिड़त हो उनह इस आसन का अ यास करना चािहए इसस शारी रक िवकार दब जात ह उदर छाती और म दणड को उ म कसरत िमलती ह अतः व अिधक कायरकषम बनत ह हाथ पर तथा अनय अगो क सिनध ःथान मजबत बनत ह शरीर क सब तऽ बराबर कायरशील होत ह रोग माऽ का नाश होकर ःवाःथय़ का साा य ःथािपत होता ह

इस आसन क अ यास स मनदाि न मलावरोध अजीणर उदररोग किमिवकार सद वातिवकार कमर का ददर िहचकी कोढ़ मऽरोग मधमह पर क रोग ःवपनदोष वीयरिवकार र िवकार एपनडीसाइिटस अणडवि पाणडरोग अिनिा दमा ख टी डकार आना ानतनत की दबरलता बवासीर नल की सजन गभारशय क रोग अिनयिमत तथा क दायक मािसक बनधयतव दर नपसकता र िप िसरोवदना बौनापन आिद अनक रोग दर होत ह पट पत ला बनता ह जठराि न दी होती ह कफ और चरबी न होत ह

िशवसिहता म कहा ह िक इस आसन स वाय ीपन होता ह और वह मतय का नाश करता ह इस आसन स शरीर का कद बढ़ता ह शरीर म अिधक ःथलता हो तो कम होती ह दबरलता हो तो वह दर होकर शरीर सामानय तनद ःत अवःथा म आ जाता ह नाडी सःथान म िःथरता आती ह मानिसक शाित ा होती ह िचनता एव उ जना शात करन क िलए यह आसन उ म ह पीठ और म दणड पर िखचाव आन स दोनो िवकिसत होत ह फलतः शरीर क तमाम अवयवो पर अिधकार ःथािपत होता ह सब आसनो म यह आसन सवर धान ह इसक अ यास स कायाकलप (प रवतरन) हो जाता ह

यह आसन भगवान िशव को बहत पयारा ह उनकी आ ा स योगी गोरखनाथ न लोककलयाण हत इसका चार िकया ह आप इस आसन क अदभत लाभो स लाभािनवत हो और दसरो को भी िसखाय

पादपि मो ानासन प यपाद आसारामजी बाप को भी बहत पयारा ह उसस प यौी को बहत लाभ हए ह अभी भी यह आसन उनक आरो यिनिध का रकषक बना हआ ह

पाठक भाइयो आप अवय इस आसन का लाभ लना ारमभ क चार-पाच िदन जरा किठन लगगा बाद म तो यह आसन आपका िशवजी क वरदान प आरो य कवच िस हए िबना नही रहगा

िऽबनध

मलबनध

शौच ःनानािद स िनव होकर आसन पर बठ जाय बायी एड़ी क ारा सीवन या योिन को दबाय दािहनी एड़ी सीवन पर रख गदा ार को िसकोड़कर भीतर की ओर ऊपर खीच यह मलबनध कहा जाता ह

लाभः मलबनध क अ यास स मतय को जीत सकत ह शरीर म नयी ताजगी आती ह िबगड़त हए ःवाःथय की रकषा होती ह चयर का पालन करन म मलबनध सहायक िस होता ह वीयर को प करता ह कबज को न करता ह जठराि न तज होती ह मलबनध स िचरयौवन ा होता ह बाल सफद होन स कत ह

अपानवाय ऊधवरगित पाकर ाणवाय क सषमना म िव होता ह सहॐारचब म िच वि िःथर बनती ह इसस िशवपद का आननद िमलता ह सवर कार की िद य िवभितया और ऐ यर ा होत ह अनाहत नाद सनन को िमलता ह ाण अपान नाद और िबनद एकिऽत होन स योग म पणरता ा होती ह

उडडीयान बनध

आसन पर बठकर परा ास बाहर िनकाल द समपणरतया रचक कर पट को भीतर िसकोड़कर ऊपर की ओर खीच नािभ तथा आत पीठ की तरफ दबाय शरीर को थोड़ा सा आग की तरफ झकाय यह ह उडडीयानबनध

लाभः इसक अ यास स िचरयौवन ा होता ह मतय पर जय ा होती ह चयर क पालन म खब सहायता िमलती ह ःवाःथय सनदर बनता ह कायरशि म वि होती ह नयोिल और उडडीयानबनध जब एक साथ िकय जात ह तब कबज दम दबाकर भाग खड़ा होता ह पट क तमाम अवयवो की मािलश हो जाती ह पट की अनावयक चरबी उतर जाती ह

जालनधरबनध

आसन पर बठकर परक करक कमभक कर और ठोड़ी को छाती क साथ दबाय इसको जालनधरबनध कहत ह

लाभः जालनधरबनध क अ यास स ाण का सचरण ठीक स होता ह इड़ा और िपगला नाड़ी बनद होकर ाण-अपान सषमना म िव होत ह नािभ स अमत कट होता ह िजसका पान जठराि न करता ह योगी इसक ारा अमरता ा करता ह

प ासन पर बठ जाय परा ास बाहर िनकाल कर मलबनध उडडीयानबनध कर िफर खब परक करक मलबनध उडडीयानबनध और जालनधरबनध य तीनो बनध एक साथ कर आख बनद रख मन म णव (ॐ) का अथर क साथ जप कर

इस कार ाणायाम सिहत तीनो बनध का एक साथ अ यास करन स बहत लाभ होता ह और ायः चमतका रक प रणाम आता ह कवल तीन ही िदन क समयक अ यास स जीवन म बािनत का अनभव होन लगता ह कछ समय क अ यास स कवल या कवली कमभक ःवय कट होता ह

कवली कमभक

कवल या कवली कमभक का अथर ह रचक-परक िबना ही ाण का िःथर हो जाना िजसको कवली कमभक िस होता ह उस योगी क िलए तीनो लोक म कछ भी दलरभ नही रहता कणडिलनी जागत होती ह शरीर पतला हो जाता ह मख सनन रहता ह नऽ मलरिहत होत ह सवर रोग दर हो जात ह िबनद पर िवजय होती ह जठराि न विलत होती ह

कवली कमभक िस िकय हए योगी की अपनी सवर मनोकामनाय पणर होती ह इतना ही नही उसका पजन करक ौ ावान लोग भी अपनी मनोकामनाय पणर करन लगत ह

जो साधक पणर एकामता स िऽबनध सिहत ाणायाम क अ यास ारा कवली कमभक का प षाथर िस करता ह उसक भा य का तो पछना ही या उसकी यापकता

बढ़ जाती ह अनतर म महानता का अनभव होता ह काम बोध लोभ मोह मद और मतसर इन छः शऽओ पर िवजय ा होती ह कवली कमभक की मिहमा अपार ह

जलनित

िविधः एक िलटर पानी को गनगना सा गरम कर उसम करीब दस माम श नमक डालकर घोल द सनधव िमल जाय तो अचछा सबह म ःनान क बाद यह पानी चौड़ महवाल पाऽ म कटोर म लकर परो पर बठ जाय पाऽ को दोनो हाथो स पकड़ कर नाक क नथन पानी म डबो द अब धीर-धीर नाक क ारा ास क साथ पानी को भीतर खीच और नाक स भीतर आत हए पानी को मह स बाहर िनकालत जाय नाक को पानी म इस कार बराबर डबोय रख िजसस नाक ारा भीतर जानवाल पानी क साथ हवा न वश कर अनयथा आतरस-खासी आयगी

इस कार पाऽ का सब पानी नाक ारा लकर मख ारा बाहर िनकाल द अब पाऽ को रख कर खड़ हो जाय दोनो पर थोड़ खल रह दोनो हाथ कमर पर रखकर ास को जोर स बाहर िनकालत हए आग की ओर िजतना हो सक झक भिॐका क साथ यह िबया बार-बार कर इसस नाक क भीतर का सब पानी बाहर िनकल जायगा थोड़ा बहत रह भी जाय और िदन म कभी भी नाक स बाहर िनकल जाय तो कछ िचनताजनक नही ह

नाक स पानी भीतर खीचन की यह िबया ारमभ म उलझन जसी लगगी लिकन अ यास हो जान पर िबलकल सरल बन जायगा

लाभः मिःतक की ओर स एक कार का िवषला रस नीच की ओर बहता ह यह रस कान म आय तो कान क रोग होत ह आदमी बहरा हो जाता ह यह रस आखो की तरफ जाय तो आखो का तज कम हो जाता ह चम की ज रत पड़ती ह तथा अनय रोग होत ह यह रस गल की ओर जाय तो गल क रोग होत ह

िनयमपवरक जलनित करन स यह िवषला पदाथर बाहर िनकल जाता ह आखो की रोशनी बढ़ती ह चम की ज रत नही पड़ती चमा हो भी तो धीर-धीर नमबर कम होत-होत छट जाता भी जाता ह ासोचछोवास का मागर साफ हो जाता ह मिःतक म ताजगी रहती ह जकाम-सद होन क अवसर कम हो जात ह जलनित की िबया करन

स दमा टीबी खासी नकसीर बहरापन आिद छोटी-मोटी 1500 बीमी रया दर होती ह जलनित करन वाल को बहत लाभ होत ह िच म सननता बनी रहती ह

गजकरणी िविधः करीब दो िलटर पानी गनगना सा गरम कर उसम करीब 20 माम श

नमक घोल द सनधव िमल जाय तो अचछा ह अब पजो क बल बठकर वह पानी िगलास भर-भर क पीत जाय खब िपय अिधकाअिधक िपय पट जब िबलकल भर जाय गल तक आ जाय पानी बाहर िनकालन की कोिशश कर तब दािहन हाथ की दो बड़ी अगिलया मह म डाल कर उलटी कर िपया हआ सब पानी बाहर िनकाल द पट िबलकल हलका हो जाय तब पाच िमनट तक आराम कर

गजकरणी करन क एकाध घणट क बाद कवल पतली िखचड़ी ही भोजन म ल भोजन क बाद तीन घणट तक पानी न िपय सोय नही ठणड पानी स ःनान कर तीन घणट क बाद ारमभ म थोड़ा गरम पानी िपय

लाभः गजकरणी स एिसडीटी क रोगी को अदभत लाभ होता ह ऐस रोगी को चार-पाच िदन म एक बार गजकरणी चािहए ततप ात महीन म एक बार दो महीन म एक बार छः महीन म एक बार भी गजकरणी कर सकत ह

ातःकाल खाली पट तलसी क पाच-सात प चबाकर ऊपर स थोड़ा जल िपय एसीडीटी क रोगी को इसस बहत लाभ होगा

वष परान कबज क रोिगयो को स ाह म एक बार गजकरणी की िबया अवय करनी चािहए उनका आमाशय मिनथसःथान कमजोर हो जान स भोजन हजम होन म गड़बड़ रहती ह गजकरणी करन स इसम लाभ होता ह फोड़ फनसी िसर म गम सद बखार खासी दमा टीबी वात-िप -कफ क दोष िज ा क रोग गल क रोग छाती क रोग छाती का ददर एव मदाि न म गजकरणी िबया लाभकारक ह

शरीर शोधन-कायाकलप

यह चालीस िदन का कलप ह प यपाद आसारामजी बाप न यह योग िकया हआ ह इसस शरीर सडौल ःवःथ और फत ला बनता ह र म नय-नय कण बनत ह शरीर क कोषो की शि बढ़ती ह मन-बि म चमतका रक लाभ होत ह

िविधः अगल िदन पपीता सव आिद फल उिचत माऽा म ल अथवा मन का 50 माम दस घणट पहल िभगो द उनको उबालकर बीज िनकाल द मन का खा ल और पानी पी ल

ातःकाल उठकर सकलप कर िक इस कलप क दौरान िनि त िकय हए कायरबम क अनसार ही रहगा

शौच-ःनानािद िनतयकमर स िनव होकर सबह 8 बज 200 या 250 माम गाय का उबला हआ गनगना दध िपय पौन घणटा पणर आराम कर बाद म िफर स दध िपय शारी रक ौम कम स कम कर ॐ सोsह हसः इस मऽ का मानिसक जप कर कभी ास को िनहार बस साकषीभाव

मनोरा य चलता हो तो ॐ जोर-जोर स जप कर

इस कार शाम तक िजतना दध हजम कर सक उतना दध दो स तीन िलटर िपय 40 िदन तक कवल द धाहार क बाद 41व िदन मग का उबला हआ पानी मोसममी का रस आिद ल रािऽ को अिधक मगवाली हलकी िखचड़ी खाय इस कार शरीर-शोधन-कायाकलप की पणारहित कर

यिद बि तीकषण बनानी हो ःमरणशि बढ़ानी हो तो कलप क दौरान ॐ ऐ नमः इस मऽ का जप कर सयर को अ यर द

इस कलप म दध क िसवाय अनय कोई खराक लना मना ह चाय तमबाक आिद यसन िनिष ह ि यो क सग स दर रहना तथा चयर का पालन अतयनत आवयक ह

कलजग नही करजग ह यह

कलजग नही करजग ह यह यहा िदन को द अ रात ल

या खब सौदा नकद ह इस हाथ द उस हाथ ल टक

दिनया अजब बाज़ार ह कछ िजनस1 या िक साथ ल

नकी का बदला नक ह बद स बदी की बात ल

मवा िखला मवा िमल फल फल द फल पात ल

आराम द आराम ल दःख ददर द आफत2 ल 1

काटा िकसी को मत लगा गो िमःल-गल3 फला ह त

वह तर हक4 म तीर ह िकस बात पर झला ह त

मत आग म डाल और को या घास का पला ह त

सन ऱख यह नकता5 बखबर िकस बात पर भला ह त

कलजग नही 2

शोखी शरारत मकरो-फन6 सबका बसखा7 ह यहा

जो जो िदखाया और को वह खद भी दखा ह यहा

खोटी खरी जो कछ कही ितसका परखा8 ह यहा

जो जो पड़ा तलता ह मोल ितल ितल का लखा ह यहा

कलजग नही 3

जो और की बःती9 रख उसका भी बसता ह परा

जो और क मार छरी उसको भी लगता ह छरा

जो और की तोड़ घड़ी उसका भी टट ह घड़ा

जो और की चत10 बदी उसका भी होता ह बरा

कलजग नही 4

जो और को फल दवगा वह भी सदा फल पावगा

गह स गह जौ स जौ चावल स चावल पावगा

जो आज दवगा यहा वसा ही वह कल पावगा

कल दवगा कल पावगा िफर दवगा िफर पावगा

कलजग नही 5

जो चाह ल चल इस घड़ी सब िजनस यहा तयार ह

आराम म आराम ह आजार म आजार11 ह

दिनया न जान इसको िमया दरया की यह मझधार ह

औरो का बड़ा पार कर तरा भी बड़ा पार ह

कलजग नही 6

त और की तारीफ कर तझको सना वानी12 िमल

कर मिकल आसा औरो की तझको भी आसानी िमल

त और को महमान कर तझको भी महमानी िमल

रोटी िखला रोटी िमल पानी िपला पानी िमल

कलजग नही 7

जो गल13 िखलाव और का उसका ही गल िखलता भी ह

जो और का कील14 ह मह उसका ही मह िकलता भी ह

जो और का छील िजगर उसका िजगर िछलता भी ह

जो और को दव कपट उसको कपट िमलता भी ह

कलजग नही 8

कर जो कछ करना ह अब यह दम तो कोई आन15 ह

नकसान म नकसान ह एहसान म एहसान ह

तोहमत म यहा तोहमत िमल तफान म तफान ह

रहमान16 को रहमान17 ह शतान को शतान ह

कलजग नही 9

यहा जहर द तो जहर ल श कर म श कर दख ल

नको का नकी का मजा मजी18 को ट कर दख ल

मोती िदय मोती िमल पतथर म पतथर दख ल

गर तझको यह बावर19 नही तो त भी करक दख ल

कलजग नही 10

अपन नफ क वाःत मत और का नकसान कर

तरा भी नकसा होवगा इस बात पर त धयान कर

खाना जो खा सो दखकर पानी िपय तो छानकर

या पावो को रख फककर और खोफ स गजरान कर

कलजग नही 11

गफलत की यह जगह नही त सािहब-इदराक20 रह

िदलशाद21 ऱख िदल शाह रह गमनाक रख गमनाक रह

हर हाल म भी त नजीर22 अब हर कदम की रह

यह वह मका ह ओ िमया या पाक23 रह बबाक24 रह

कलजग नही 12

1 वःत 2 मसीबत 3 पप की तरह 4 तर िलय 5 रहःय 6 दगा-धोखा 7 घर 8 परखना 9 नगरी 10 िवचार कर 11 दःख 12 तारीफ-ःतित 13 फल 14 िकसी को बोलन न दना 15 घड़ी पल 16 दयावान 17 दयाल भगवान 18 सतान वाला 19 िव ास 20 तीो ा तज समझन वाला प ष 21 सननिच 22 किव का नाम ह 23 श पिवऽ 24 िनडर

  • आधयातमिक विदया क उदगाता
  • सवासथय क लिए मतर
  • परासताविक
  • बरहमचरय-रकषा का मनतर
  • आसनो की परकिया म आन वाल कछ शबदो की समझ
  • आवशयक निरदश
  • योगासन
    • पदमासन या कमलासन
    • सिदधासन
    • सरवागासन
    • हलासन
    • पवनमकतासन
    • मतसयासन
    • भजगासन
    • धनरासन
    • चकरासन
    • कटिपिणडमरदनासन
    • अरधमतसयनदरासन
    • योगमदरासन
    • गोरकषासन या भदरासन
    • मयरासन
    • वजरासन
    • सपतवजरासन
    • शवासन
    • पादपशचिमोततानासन
      • तरिबनध
        • मलबनध
        • उडडीयान बनध
        • जालनधरबनध
          • कवली कमभक
          • जलनति
          • गजकरणी
          • शरीर शोधन-कायाकलप
          • कलजग नही करजग ह यह
Page 4: अनुबम - || Home || HariOmGroup · िस होता है। िवशु नाड़ीतंऽ वालेयोगी के िवशु शरीर में

कोष ाणमय कोष मनोमय कोष की याऽा करत हए कणडिलनी जब आननदमय कोष म पहचती ह तब असीम आननद की अनभित होन लगती ह तमाम शि या िसि या सामथयर साधक म कट होन लगता ह कणडिलनी जगत ही बरी आदत और यसन दर होन लगत ह

इस योग को िस योग भी कहा जाता ह आननदमय कोष स भी आग गणातीत अवःथा करन क िलए इस िस योग का उपयोग हो सकता ह तथा आतम ान पाकर जीवनम क ऊच िशखर पर पहचन क िलए योगासन सहाय प हो सकत ह

- ौी योग वदानत सवा सिमित

अमदावाद आौम

ःवाःथय क िलए मऽ

अचयताननत गोिवनद नमोचचारणभषजात

नयिनत सकला रोगाः सतय सतय वदामयहम

ह अचयत हो अननत ह गोिवनद इस नामोचचारणःव प औषध स तमाम रोग न हो जात ह यह म सतय कहता ह यह म सतय कहता ह सतय कहता ह

ाःतािवक

साधारण मनय अननमय ाणमय और मनोमय कोष म जीता ह जीवन की तमाम सष शि या नही जगाकर जीवन यथर खोता ह इन शि यो को जगान म आपको आसन खब सहाय प बनग आसन क अ यास स तन तनद ःत मन सनन और बि तीकषण बनगी जीवन क हर कषऽ म सखद ःवपन साकार करन की कजी आपक आनतर मन म छपी हई पड़ी ह आपका अदभत सामथयर कट करन क िलए ऋिषयो न समाधी स समा इन आसनो का अवलोकन िकया ह

हजारो वषर की कसौिटयो म कस हए दश-िवदश म आदरणीय लोगो क ारा आदर पाय हए इन आसनो की पिःतका दखन म छोटी ह पर आपक जीवन को अित महान बनान की किजया रखती हई आपक हाथ म पहच रही ह

इस पिःतका को बार-बार पढ़ो आसनो का अ यास करो िहममत रखो अ यास का साततय जारी रखो अदभत लाभ होगा होगा अवय होगा सिमित की सवा साथरक बनगी

सत ौी आसारामजी बाप

चयर-रकषा का मनऽ

ॐ नमो भगवत महाबल पराबमाय मनोिभलािषत मनः ःतभ क क ःवाहा

रोज दध म िनहार कर 21 बार इस मऽ का जप कर और दध पी ल इसस चयर की रकषा होती ह ःवभाव म आतमसात कर लन जसा यह िनयम ह

रािऽ म गोद पानी म िभगोकर सबह चाट लन स वीयरधात प होता ह चयर-रकषा म सहायक बनता ह

आसनो की िकया म आन वाल कछ शबदो की समझ

रचक का अथर ह ास छोड़ना

परक का अथर ह ास भीतर लना

कमभक का अथर ह ास को भीतर या बाहर रोक दना ास लकर भीतर रोकन की िबया को आनतर या आ यानतर कमभक कहत ह ास को बाहर िनकालकर िफर वापस न लकर ास बाहर ही रोक दन की िबया को बिहकर मभक कहत ह

चबः चब आधयाितमक शि यो क कनि ह ःथल शरीर म चमरचकष स व िदखत नही योिक व हमार सआम शरीर म िःथत होत ह िफर भी ःथल शरीर क ानतनत

ःनाय कनि क साथ उनकी समानता जोड़कर उनका िनदश िकया जाता ह हमार शरीर म ऐस सात चब म य ह 1 मलाधारः गदा क पास म दणड क आिखरी मनक क पास होता ह 2 ःवािध ानः जननिनिय स ऊपर और नािभ स नीच क भाग म होता ह 3 मिणपरः नािभकनि म होता ह 4 अनाहतः दय म होता ह 5 िवश ः कणठ म होता ह 6 आ ाचबः दो भौहो क बीच म होता ह 7 सहॐारः मिःतक क ऊपर क भाग म जहा चोटी रखी जाती ह वहा होता ह

नाड़ीः ाण वहन करन वाली बारीक निलकाओ को नाड़ी कहत ह उनकी स या 72000 बतायी जाती ह इड़ा िपगला और सषमना य तीन म य ह उनम भी सषमना सबस अिधक मह वपणर ह

आवयक िनदश

1 भोजन क छः घणट बाद दध पीन क दो घणट बाद या िबलकल खाली पट ही आसन कर

2 शौच-ःनानािद स िनव होकर आसन िकय जाय तो अचछा ह

3 ास मह स न लकर नाक स ही लना चािहए

4 गरम कमबल टाट या ऐसा ही कछ िबछाकर आसन कर खली भिम पर िबना कछ िबछाय आसन कभी न कर िजसस शरीर म िनिमरत होन वाला िव त-वाह न न हो जाय

5 आसन करत समय शरीर क साथ ज़बरदःती न कर आसन कसरत नही ह अतः धयरपवरक आसन कर

6 आसन करन क बाद ठड म या तज हवा म न िनकल ःनान करना हो तो थोड़ी दर बाद कर

7 आसन करत समय शरीर पर कम स कम व और ढील होन चािहए

8 आसन करत-करत और मधयानतर म और अत म शवासन करक

िशिथलीकरण क ारा शरीर क तग बन ःनायओ को आराम द

9 आसन क बाद मऽतयाग अवय कर िजसस एकिऽत दिषत त व बाहर िनकल जाय

10 आसन करत समय आसन म बताए हए चबो पर धयान करन स और मानिसक जप करन स अिधक लाभ होता ह

11 आसन क बाद थोड़ा ताजा जल पीना लाभदायक ह ऑि सजन और हाइसोजन म िवभािजत होकर सिनध-ःथानो का मल िनकालन म जल बहत आवयक होता ह

12 ि यो को चािहए िक गभारवःथा म तथा मािसक धमर की अविध म व कोई भी आसन कभी न कर

13 ःवाःथय क आकाकषी हर यि को पाच-छः तलसी क प ातः चबाकर पानी पीना चािहए इसस ःमरणशि बढ़ती ह एसीडीटी एव अनय रोगो म लाभ होता ह

योगासन

प ासन या कमलासन

इस आसन म परो का आधार प अथारत कमल जसा बनन स इसको प ासन या कमलासन कहा जाता ह धयान आ ाचब म अथवा अनाहत चब म ास रचक

कमभक दीघर ःवाभािवक

िविधः िबछ हए आसन क ऊपर ःवःथ होकर बठ रचक करत करत दािहन पर को मोड़कर बाई जघा पर रख बाय पर को मोड़कर दािहनी जघा पर रख अथवा पहल बाया पर और बाद म दािहना पर भी रख सकत ह पर क तलव ऊपर की ओर और एड़ी नािभ क नीच रह घटन ज़मीन स लग रह िसर गरदन छाती म दणड आिद परा भाग सीधा और तना हआ रह दोनो हाथ घटनो क ऊपर ानमिा म रह (अगठ को तजरनी अगली क नाखन स लगाकर शष तीन अगिलया सीधी रखन स ानमिा बनती ह) अथवा बाय हाथ को गोद म रख हथली ऊपर की और रह उसक ऊपर उसी कार दािहना हाथ रख दोनो हाथ की अगिलया परःपर लगी रहगी दोनो हाथो को म ठी बाधकर घटनो पर भी रख सकत ह

रचक परा होन क बाद कमभक कर ारभ म पर जघाओ क ऊपर पर न रख सक तो एक ही पर रख पर म झनझनाहट हो लश हो तो भी िनराश न होकर अ यास चाल रख अश या रोगी को चािहए िक वह ज़बरदःती प ासन म न बठ प ासन

सश एव िनरोगी क िलए ह हर तीसर िदन समय की अविध एक िमनट बढ़ाकर एक घणट तक पहचना चािहए

ि नासाम अथवा मधय म िःथर कर आख बद खली या अधर खली भी रख सकत ह शरीर सीधा और िःथर रख ि को एकाम बनाय

भावना कर िक मलाधार चब म छपी हई शि का भणडार खल रहा ह िनमन कनि म िःथत चतना तज और औज़ क प म बदलकर ऊपर की ओर आ रही ह अथवा अनाहत चब ( दय) म िच एकाम करक भावना कर िक दय पी कमल म स सगनध की धाराए वािहत हो रही ह समम शरीर इन धाराओ स सगिनधत हो रहा ह

लाभः ाणायाम क अ यासपवरक यह आसन करन स नाड़ीतऽ श होकर आसन िस होता ह िवश नाड़ीतऽ वाल योगी क िवश शरीर म रोग की छाया तक नही रह सकती और वह ःवचछा स शरीर का तयाग कर सकता ह

प ासन म बठन स शरीर की ऐसी िःथित बनती ह िजसस सन तऽ ानतऽ और र ािभसरणतऽ स यविःथत ढग क कायर कर सकत ह फलतः जीवनशि का िवकास होता ह प ासन का अ यास करन वाल साधक क जीवन म एक िवशष कार की आभा कट होती ह इस आसन क ारा योगी सत महाप ष महान हो गय ह

प ासन क अ यास स उतसाह म वि होती ह ःवभाव म सननता बढ़ती ह मख तजःवी बनता ह बि का अलौिकक िवकास होता ह िच म आननद-उललास रहता ह िचनता शोक दःख शारी रक िवकार दब जात ह किवचार पलायन होकर सिवचार कट होन लगत ह प ासन क अ यास स रजस और तमस क कारण यम बना हआ िच शानत होता ह स वगण म अतयत व ि होती ह ाणायाम साि वक िमताहार और सदाचार क साथ प ासन का अ यास करन स अतःॐावी मिथयो को िवश र िमलता ह फलतः यि म कायरशि बढ़न स भौितक एव आधयाितमक िवकास शीय होता ह बौि क-मानिसक कायर करन वालो क िलए िचनतन मनन करन वालो क िलए एव िव ािथरयो क िलए यह आसन खब लाभदायक ह चचल मन को िःथर करन क िलए एव वीयररकषा क िलए या आसन अि ितय ह

ौम और क रिहत एक घणट तक प ासन पर बठन वाल यि का मनोबल खब बढ़ता ह भाग गाजा चरस अफीम मिदरा तमबाक आिद यसनो म फस हए यि

यिद इन यसनो स म होन की भावना और ढ़ िन य क साथ प ासन का अ यास कर तो उनक द यरसन सरलता स और सदा क िलए छट जात ह चोरी जआ यिभचार या हःतदोष की बरी आदत वाल यवक-यवितया भी इस आसन क ारा उन सब कसःकारो स म हो सकत ह

क र िप पकषाघात मलावरोध स पदा हए रोग कषय दमा िहःटी रया धातकषय कनसर उदरकिम तवचा क रोग वात-कफ कोप नपसकतव वनध य आिद रोग प ासन क अ यास स न हो जात ह अिनिा क रोग क िलए यह आसन रामबाण इलाज ह इसस शारी रक मोटापन कम होता ह शारी रक एव मानिसक ःवाःथय की सरकषा क िलए यह आसन सव म ह

प ासन म बठकर अि नी मिा करन अथारत गदा ार का बार-बार सकोच सार करन स अपानवाय सषमना म िव होता ह इसस काम िवकार पर जय ा होन लगती ह ग ोिनिय को भीतर की ओर िसकोड़न स अथारत योिनमिा या वळोली करन स वीयर उधवरगामी होता ह प ासन म बठकर उडडीयान बनध जालधर बनध तथा कमभक करक छाती एव पट को फलान िक िबया करन स वकषशि एव कणठशि होती ह फलतः भख खलती ह भोजन सरलता स पचता ह जलदी थकान नही होती ःमरणशि एव आतमबल म वि होती ह

यम-िनयमपवरक लमब समय तक प ासन का अ यास करन स उणता कट होकर मलाधार चब म आनदोलन उतपनन होत ह कणडिलनी शि जागत होन की भिमका बनती ह जब यह शि जागत होती ह तब इस सरल िदखन वाल प ासन की वाःतिवक मिहमा का पता चलता ह घरणड शािणडलय तथा अनय कई ऋिषयो न इस आसन की मिहमा गायी ह धयान लगान क िलए यह आसन खब लाभदायक ह

इद प ासन ो सवर यािधिवनाशम

दलरभ यन कनािप धीमता ल यत भिव

इस कार सवर यािधयो को िवन करन वाल प ासन का वणरन िकया यह दलरभ आसन िकसी िवरल बि मान प ष को ही ा होता ह

(हठयोगदीिपका थमोपदश)

िस ासन

प ासन क बाद िस ासन का ःथान आता ह अलौिकक िसि या ा करन वाला होन क कारण इसका नाम िस ासन पड़ा ह िस योिगयो का यह िय आसन ह यमो म चयर ौ ह िनयमो म शौच ौ ह वस आसनो म िस ासन ौ ह

धयान आ ाचब म और ास दीघर ःवाभािवक

िविधः आसन पर बठकर पर खल छोड़ द अब बाय पर की एड़ी को गदा और जननिनिय क बीच रख दािहन पर की एड़ी को जननिनिय क ऊपर इस कार रख िजसस जननिनिय और अणडकोष क ऊपर दबाव न पड़ परो का बम बदल भी सकत ह दोनो परो क तलव जघा क मधय भाग म रह हथली ऊपर की ओर रह इस कार दोनो हाथ एक दसर क ऊपर गोद म रख अथवा दोनो हाथो को दोनो घटनो क ऊपर ानमिा म रख आख खली अथवा बनद रख ासोचछोवास आराम स ःवाभािवक चलन

द मधय म आ ाचब म धयान किनित कर पाच िमनट तक इस आसन का अ यास कर सकत ह धयान की उचच ककषा आन पर शरीर पर स मन की पकड़ छट जाती ह

लाभः िस ासन क अ यास स शरीर की समःत नािड़यो का शि करण होता ह ाणत व ःवाभािवकतया ऊधवरगित को ा होता ह फलतः मन को एकाम करना सरल बनता ह

पाचनिबया िनयिमत होती ह ास क रोग दय रोग जीणर वर अजीणर अितसार शबदोष आिद दर होत ह मदाि न मरोड़ा समहणी वातिवकार कषय दमा मधमह पलीहा की वि आिद अनक रोगो का शमन होता ह प ासन क अ यास स जो रोग दर होत ह व िस ासन क अ यास स भी दर होत ह

चयर-पालन म यह आसन िवशष प स सहायक होता ह िवचार पिवऽ बनत ह मन एकाम होता ह िस ासन का अ यासी भोग-िवलास स बच सकता ह 72 हजार नािड़यो का मल इस आसन क अ यास स दर होता ह वीयर की रकषा होती ह ःवपनदोष क रोगी को यह आसन अवय करना चािहए

योगीजन िस ासन क अ यास स वीयर की रकषा करक ाणायाम क ारा उसको मिःतक की ओर ल जात ह िजसस वीयर ओज तथा मधाशि म प रणत होकर िद यता का अनभव करता ह मानिसक शि यो का िवकास होता ह

कणडिलनी शि जागत करन क िलए यह आसन थम सोपान ह

िस ासन म बठकर जो कछ पढ़ा जाता ह वह अचछी तरह याद रह जाता ह िव ािथरयो क िलए यह आसन िवशष लाभदायक ह जठराि न तज होती ह िदमाग िःथर बनता ह िजसस ःमरणशि बढ़ती ह

आतमा का धयान करन वाला योगी यिद िमताहारी बनकर बारह वषर तक िस ासन का अ यास कर तो िसि को ा होता ह िस ासन िस होन क बाद अनय आसनो का कोई योजन नही रह जाता िस ासन स कवल या कवली कमभक िस होता ह छः मास म भी कवली कमभक िस हो सकता ह और ऐस िस योगी क दशरन-पजन स पातक न होत ह मनोकामना पणर होती ह िस ासन क ताप स िनब ज समािध िस हो जाती ह मलबनध उडडीयान बनध और जालनधर बनध अपन आप होन लगत ह

िस ासन जसा दसरा आसन नही ह कवली कमभक क समान ाणायाम नही ह खचरी मिा क समान अनय मिा नही ह और अनाहत नाद जसा कोई नाद नही ह

िस ासन महाप षो का आसन ह सामानय यि हठपवरक इसका उपयोग न कर अनयथा लाभ क बदल हािन होन की समभावना ह

सवागासन

भिम पर सोकर शरीर को ऊपर उठाया जाता ह इसिलए इसको सवागासन कहत ह

धयान िवश ा य चब म ास रचक परक और दीघर

िविधः भिम पर िबछ हए आसन पर िच होकर लट जाए ास को बाहर िनकाल कर अथारत रचक करक कमर तक क दोनो पर सीध और परःपर लग हए रखकर ऊपर उठाए िफर पीठ का भाग भी ऊपर उठाए दोनो हाथो स कमर को आधार द हाथ की कहिनया भिम स लग रह गरदन और कनध क बल परा शरीर ऊपर की और सीधा खड़ा कर द ठोडी छाती क साथ िचपक जाए दोनो पर आकाश की ओर रह ी दोनो परो क अगठो की ओर रह अथवा आख बनद करक िच वि को कणठदश म िवश ा य चब म िःथर कर परक करक ास को दीघर सामानय चलन द

इस आसन का अ य़ास ढ़ होन क बाद दोनो परो को आग पीछ झकात हए जमीन को लगात हए अनय आसन भी हो सकत ह सवागासन की िःथित म दोनो परो को जाघो पर लगाकर प ासन भी िकया जा सकता ह

ारमभ म तीन स पाच िमनट तक यह आसन कर अ यासी तीन घणट तक इस आसन का समय बढ़ा सकत ह

लाभः सवागासन क िनतय अ यास स जठराि न तज होती ह साधक को अपनी िच क अनसार भोजन की माऽा बढ़ानी चािहए सवागासन क अ यास स शरीर की तवचा लटकन नही लगती तथा शरीर म झ ररया नही पड़ती बाल सफद होकर िगरत नही हर रोज़ एक हर तक सवागासन का अ यास करन स मतय पर िवजय िमलती ह

शरीर म सामथयर बढ़ता ह तीनो दोषो का शमन होता ह वीयर की ऊधवरगित होकर अनतःकरण श होता ह मधाशि बढ़ती ह िचर यौवन की ाि होती ह

इस आसन स थायराइड नामक अनतःमिनथ की शि बढ़ती ह वहा र सचार तीो गित स होन लगता ह इसस उस पोषण िमलता ह थायराइड क रोगी को इस आसन स अदभत लाभ होता ह िलवर और पलीहा क रोग दर होत ह ःमरणशि बढ़ती ह मख पर स महास एव अनय दाग दर होकर मख तजःवी बनता ह जठर एव नीच उतरी हई आत अपन मल ःथान पर िःथर होती ह प षातन मिनथ पर सवागासन का अचछा भाव पड़ता ह ःवपनदोष दर होता ह मानिसक बौि क वि करन वालो को तथा िवशषकर िव ािथरयो को यह आसन अवय करना चािहए

मनदाि न अजीणर कबज अशर थायराइड का अलप िवकास थोड़ िदनो का अपनडीसाइिटस और साधारण गाठ अगिवकार असमय आया हआ व तव दमा कफ

चमड़ी क रोग र दोष ि यो को मािसक धमर की अिनयिमतता एव ददर मािसक न आना अथवा अिधक आना इतयािद रोगो म इस आसन स लाभ होता ह नऽ और मिःतक की शि बढ़ती ह उनक रोग दर होत ह

थायराइड क अित िवकासवाल खब कमजोर दयवाल और अतयिधक चब वाल लोगो को िकसी अनभवी की सलाह लकर ही सवागासन करना चािहए

शीषारसन करन स जो लाभ होता ह व सब लाभ सवागासन और पादपि मो ानसन करन स िमल जात ह शीषारसन म गफलत होन स जो हािन होती ह वसी हािन होन की सभावना सवागासन और पादपि मो ानासन म नही ह

हलासन

इस आसन म शरीर का आकार हल जसा बनता ह इसिलए इसको हलासन कहा जाता ह

धयान िवश ा या चब म ास रचक और बाद म दीघर

िविधः भिम पर िबछ हए आसन पर िच होकर लट जाए दोनो हाथ शरीर को लग रह अब रचक करक ास को बाहर िनकाल द दोनो परो को एक साथ धीर-धीर ऊच करत जाय आकाश की ओर पर उठाकर िफर पीछ िसर क तरफ झकाय पर िबलकल तन हए रखकर पज ज़मीन पर लगाय ठोड़ी छाती स लगी रह िच वि को िवश ा या चब म िःथर कर दो-तीन िमनट स लकर बीस िमनट तक समय की अविध बढ़ा सकत ह

लाभः हलासन क अ यास स अजीणर कबज अशर थायराइड का अलप िवकास अगिवकार असमय व तव दमा कफ र िवकार आिद दर होत ह इस आसन स िलवर अचछा होता ह छाती का िवकास होता ह सनिबया तज होकर ऑ सीजन स र श बनता ह गल क ददर पट की बीमारी सिधवात आिद दर होत ह पट की चरबी कम होती ह िसरददर दर होता ह वीयरिव कार िनमरल होता ह खराब िवचार बनद होत ह नाड़ी तऽ श होता ह शरीर बलवान और तजःवी बनता ह गिभरणी ि यो क िसवा हर एक को यह आसन करना चािहए

रीढ़ म कठोरता होना यह व ावःथा का िच ह हलासन स रीढ़ लचीली बनती ह इसस यवावःथा की शि ःफितर ःवाःथय और उतसाह बना रहता ह म दणड

समबनधी नािड़यो क ःवाःथय की रकषा होकर व ावःथा क लकषण जलदी नही आत जठर की नािड़यो को शि ा होती ह

जठर की मासपिशया तथा पाचनतऽ क अगो की नािड़यो की दबरलता क कारण अगर मदाि न एव कबज हो तो हलासन स दर होत ह कमर पीठ एव गरदन क रोग न होत ह िलवर और पलीहा बढ़ गए हो तो हलासन स सामानय अवःथा म आ जात ह काम कनि की शि बढ़ती ह अपानशि का उतथान होकर उदान पी अि न का योग होन स वीयरशि ऊधवरगामी बनती ह हलासन स वीयर का ःतभन होता ह यह आसन अणडकोष की वि पिनबयास अपिनड स आिद को ठीक करता ह थायराइड मिनथ की िबयाशीलता बढ़ती ह धयान करन स िवश चब जागत हो जाता ह

पवनम ासन

शरीर म िःथत पवन (वाय) यह आसन करन स म होता ह इसिलए इस पवनम ासन कहा जाता ह

धयान मिणपर चब म ास पहल परक िफर कमभक और रचक

िविधः भिम पर िबछ हए आसन पर िच होकर लट जाय परक करक फफड़ो म ास भर ल अब िकसी भी एक पर को घटन स मोड़ द दोनो हाथो की अगिलयो को

परःपर िमलाकर उसक ारा मोड़ हए घटनो को पकड़कर पट क साथ लगा द िफर िसर को ऊपर उठाकर मोड़ हए घटनो पर नाक लगाए दसरा पर ज़मीन पर सीधा रह इस िबया क दौरान ास को रोककर कमभक चाल रख िसर और मोड़ा हआ पर भिम पर पवरवत रखन क बाद ही रचक कर दोनो परो को बारी -बारी स मोड़कर यह िबया कर दोनो पर एक साथ मोड़कर भी यह आसन हो सकता ह

लाभः पवनम ासन क िनयिमत अ यास स पट की चरबी कम होती ह पट की वाय न होकर पट िवकार रिहत बनता ह कबज दर होता ह पट म अफारा हो तो इस आसन स लाभ होता ह ातःकाल म शौचिबया ठीक स न होती हो तो थोड़ा पानी पीकर यह आसन 15-20 बार करन स शौच खलकर होगा

इस आसन स ःमरणशि बढ़ती ह बौि क कायर करन वाल डॉ टर वकील सािहतयकार िव ाथ तथा बठकर वि करन वाल मनीम यापारी आिद लोगो को िनयिमत प स पवनम ासन करना चािहए

मतःयासन

मतःय का अथर ह मछली इस आसन म शरीर का आकार मछली जसा बनता ह अतः मतःयासन कहलाता ह पलािवनी ाणायाम क साथ इस आसन की िःथित म लमब समय तक पानी म तर सकत ह

धयान िवश ा या चब म ास पहल रचक बिहकर मभक िफर परक और रचक

िविधः भिम पर िबछ हए आसन पर प ासन लगाकर सीध बठ जाय िफर परो को प ासन की िःथित म ही रखकर हाथ क आधार स सावधानी पवरक पीछ की ओर िच होकर लट जाय रचक करक कमर को ऊपर उठाय घटन िनतब और मःतक क िशखा ःथान को भिम क ःथान लगाय रख िशखाःथान क नीच कोई नरम कपड़ा

अवय रख बाय हाथ स दािहन पर का अगठा और दािहन हाथ स बाय पर का अगठा पकड़ दोनो कहिनया ज़मीन को लगाय रख कमभक की िःथित म रहकर ि को पीछ की ओर िसर क पास ल जान की कोिशश कर दात दब हए और मह बनद रख एक िमनट स ारमभ करक पाच िमनट तक अ यास बढ़ाय िफर हाथ खोलकर कमर भिम को लगाकर िसर ऊपर उठाकर बठ जाय परक करक रचक कर

पहल भिम पर लट कर िफर प ासन लगाकर भी मतःयासन हो सकता ह

लाभः मतःयासन स परा शरीर मजबत बनता ह गला छाती पट की तमाम बीमा रया दर होती ह आखो की रोशनी बढ़ती ह गला साफ रहता ह सनिबया ठीक स चलती ह कनधो की नस उलटी मड़ती ह इसस छाती व फफड़ो का िवकास होता ह पट साफ रहता ह आतो का मल दर होता ह र ािभसरण की गित बढ़ती ह फलतः चमड़ी क रोग नही होत दमा और खासी दर होती ह छाती चौड़ी बनती ह पट की चरबी कम होती ह इस आसन स अपानवाय की गित नीच की ओर होन स मलावरोध दर होता ह थोड़ा पानी पीकर यह आ सन करन स शौच-शि म सहायता िमलती ह

मतःयासन स ि यो क मािसकधमर समबनधी सब रोग दर होत ह मािसकॐाव िनयिमत बनता ह

भजगासन

इस आसन म शरीर की आकित फन उठाय हए भजग अथारत सपर जसी बनती ह इसिलए इसको भजगासना कहा जाता ह

धयान िवश ा या चब म ास ऊपर उठात व परक और नीच की ओर जात समय रचक

िविधः भिम पर िबछ हए कमबल पर पट क बल उलट होकर लट जाय दोनो पर और पज परःपर िमल हए रह परो क अगठो को पीछ की ओर खीच दोनो हाथ िसर क तरफ लमब कर द परो क अगठ नािभ छाती ललाट और हाथ की हथिलया भिम पर एक सीध म रख

अब दोनो हथिलयो को कमर क पास ल जाय िसर और कमर ऊपर उठाकर िजतना हो सक उतन पीछ की ओर मोड़ नािभ भिम स लगी रह पर शरीर का वजन हाथ क पज पर आएगा शरीर की िःथित कमान जसी बनगी म दणड क आिखरी भाग पर दबाव किनित होगा िच वि को कणठ म और ि को आकाश की तरफ िःथर कर

20 सकणड तक यह िःथित रख बाद म धीर-धीर िसर को नीच ल आय छाती भिम पर रख िफर िसर को भिम स लगन द आसन िस हो जान क बाद आसन करत समय ास भरक कमभक कर आसन छोड़त समय मल िःथित म आन क बाद ास को खब धीर-धीर छोड़ हर रोज एक साथ 8-10 बार यह आसन कर

लाभः घरड सिहता म इसका लाभ बतात हए कहा ह - भजगासन स जठराि न दी होती ह सवर रोगो का नाश होता ह और कणडिलनी जागत होती ह

म दणड क तमाम मनको को तथा गरदन क आसपास वाल ःनायओ को अिधक श र िमलता ह फलतः नाड़ी तऽ सचत बनता ह िचरजीवी शि मान एव स ढ़ बनता ह िवशषकर मिःतक स िनकलन वाल ानतत बलवान बनत ह पीठ की हिडडय़ो म रहन वाली तमाम खरािबया दर होती ह पट क ःनाय म िखचाव आन स वहा क अगो को शि िमलती ह उदरगहा म दबाव बढ़न स कबज दर होता ह छाती और पट का िवकास होता ह तथा उनक रोग िमट जात ह गभारशय एव बोनाशय अचछ बनत ह फलतः मािसकॐाव क रिहत होता ह मािसक धमर समबनधी समःत िशकायत दर होती ह अित ौम करन क कारण लगन वाली थकान दर होती ह भोजन क बाद होन वाल वाय का ददर न होता ह शरीर म ःफितर आती ह कफ-िपतवालो क िलए यह आसन लाभदायी ह भजगासन करन स दय मजबत बनता ह मधमह और उदर क

रोगो स मि िमलती ह दर अित मािसकॐाव तथा अलप मािसकॐाव जस रोग दर होत ह

इस आसन स म दणड लचीला बनता ह पीठ म िःथत इड़ा और िपगला नािड़यो पर अचछा भाव पड़ता ह कणडिलनी शि जागत करन क िलय यह आसन सहायक ह अमाशय की मासपिशयो का अचछा िवकास होता ह थकान क कारण पीठ म पीड़ा होती हो तो िसफर एक बार ही यह आसन करन स पीड़ा दर होती ह म दणड की कोई हडडी ःथान हो गई हो तो भजगासन करन स यथाःथान म वापस आ जाती ह

धनरासन

इस आसन म शरीर की आकित खीच हए धनष जसी बनती ह अतः इसको धनरासन कहा जाता ह

धयान मिणपर चब म ास नीच की िःथित म रचक और ऊपर की िःथित म परक

िविधः भिम पर िबछ हए कमबल पर पट क बल उलट होकर लट जाय दोनो पर परःपर िमल हए रह अब दोनो प रो को घटनो स मोड़ दोनो हाथो को पीछ ल जाकर दोनो परो को टखनो स पकड़ रचक करक हाथ स पकड़ हए परो को कसकर धीर -धीर खीच िजतना हो सक उतना िसर पीछ की ओर ल जान की कोिशश कर ि भी ऊपर एव पीछ की ओर रहनी चािहए समम शरीर का बोझ कवल नािभदश क ऊपर ही रहगा कमर स ऊपर का धड़ एव कमर स नीच पर पर ऊपर की ओर मड़ हए रहग

कमभक करक इस िःथित म िटक रह बाद म हाथ खोलकर पर तथा िसर को मल अवःथा म ल जाय और परक कर ारभ म पाच सकणड यह आसन कर धीर-धीर समय बढ़ाकर तीन िमनट या उसस भी अिधक समय इस आसन का अ यास कर तीन-चार बार यह आसन करना चािहए

लाभः धनरासन क अ यास स पट की चरबी कम होती ह गस दर होती ह पट को रोग न होत ह कबज म लाभ होता ह भख खलती ह छाती का ददर दर होता ह दय की धडकन मजबत बनती ह ास िक िबया यविःथत चलती ह मखाकित सदर बनती ह आखो की रोशनी बढ़ती ह और तमाम रोग दर होत ह हाथ -पर म होन वाला कपन कता ह शरीर का सौनदयर बढ़ता ह पट क ःनायओ म िखचाव आन स पट को अचछा लाभ होता ह आतो पर खब दबाव पड़न स पट क अगो पर भी दबाव पड़ता ह फलतः आतो म पाचकरस आन लगता ह इसस जठराि न तज होती ह पाचनशि बढ़ती ह वायरोग न होता ह पट क कषऽ म र का सचार अिधक होता ह धनरासन म भजगासन और शलभासन का समावश हो जान क कारण इन दोनो आसनो क लाभ िमलत ह ि यो क िलए यह आसन खब लाभकारक ह इसस मािसक धमर क िवकार गभारशय क तमाम रोग दर होत ह

चबासन

इस आसन म शरीर की आकित चब जसी बनती ह अतः चबासन कहा जाता ह

धयान मिणपर चब म ास दीघर ःवाभािवक

िविधः भिम पर िबछ हए आसन पर िच होकर लट जाय घटनो स पर मोड़ कर ऊपर उठाय पर क तलव ज़मीन स लग रह दो परो क बीच करीब डढ़ फीट का अनतर रख दोनो हाथ मःतक की तरफ उठाकर पीछ की ओर दोनो हथिलयो को ज़मीन पर जमाय दोनो हथिलयो क बीच भी करीब डढ़ फीट का अनतर रख अब हाथ और पर क बल स पर शरीर को कमर स मोड़कर ऊपर उठाय हाथ को धीर-धीर पर की ओर ल जाकर ःमपशर शरीर का आकार व या चब जसा बनाय आख बनद रख ास की गित ःवाभािवक चलन द िच वि मिणपर चब (नािभ कनि) म िःथर कर आख खली भी रख सकत ह एक िमनट स पाच िमनट तक अ यास बढ़ा सकत ह

लाभः म दणड तथा शरीर की समःत नािड़यो का शि करण होकर यौिगक चब जागत होत ह लकवा तथा शरीर की कमजो रया दर होती ह मःतक गदरन पीठ पट

कमर हाथ पर घटन आिद सब अग मजबत बनत ह सिनध ःथानो ददर नही होता पाचनशि बढ़ती ह पट की अनावयक चरबी दर होती ह शरीर तजःवी और फत ला बनता ह िवकारी िवचार न होत ह ःवपनदोष की बीमारी अलिवदा होती ह चबासन क िनयिमत अ यास स व ावःथा म कमर झकती नही शरीर सीधा तना हआ रहता ह

किटिपणडमदरनासन

इस आसन म किटदश (कमर क पास वाल भाग) म िःथत िपणड अथारत मऽिपणड का मदरन होता ह इसस यह आसन किटिपणडमदरनासन कहलाता ह

धयान ःवािध ान चब म ास परक और कमभक

िविधः िबछ हए कमबल पर पीठ क बल िच होकर लट जाय दोनो हाथो को आमन-सामन फला द मि ठया बनद रख दोनो परो को घटनो स मोड़कर खड़ कर द पर क तलव ज़मीन स लग रह दोनो परो क बीच इतना अनतर रख िक घटनो को ज़मीन पर झकान स एक पर का घटना दसर पर की एड़ी को लग िसर दायी ओर मड़ तो दोनो घटन दािहनी ओर ज़मीन को लग इस कार 15-20 बार िबया कर इस कार दोनो परो को एक साथ रखकर भी िबया कर

लाभः िजसको पथरी की तकलीफ हो उस आौम (सत ौी आसारामजी आौम साबरमित अमदावाद-5) स िबना मलय िमलती काली भःम करीब डढ़ माम भोजन स आधा घणटा पवर और भोजन क बाद एक िगलास पानी क साथ लना चािहए और यह आसन भख पट ठीक ढग स करना चािहए इसस पथरी क ददर म लाभ होता ह पथरी टकड़ -टकड़ होकर मऽ क ारा बाहर िनकलन लगती ह मऽिवकार दर होता ह कमर ददर साइिटका रीढ़ की हडडी की जकड़न उदासीनता िनराशा डायािबटीज नपसकता गस पर की गाठ इतयािद रोगो म शीय लाभ होता ह नािभ ःथान स चयत हो जाती हो तो पनः अपन ःथान म आ जाती ह

मािसक धमर क समय एव गभारवःथा म ि या यह आसन न कर कबज का रोगी सबह शौच जान स पहल उषःपान करक यह आसन कर तो चमतका रक लाभ होता ह ास को अनदर भर क पट को फलाकर यह आसन करन स कबज जलदी दर होता ह

अधरमतःयनिासन

कहा जाता ह िक मतःयनिासन की रचना गोरखनाथ क ग ःवामी मतःयनिनाथ न की थी व इस आसन म धयान िकया करत थ मतःयनिासन की आधी िबयाओ को लकर अधरमतःयनिासन चिलत हआ ह

धयान अनाहत चब म ास दीघर

िविधः दोनो परो को लमब करक आसन पर बठ जाओ बाय पर को घटन स मोड़कर एड़ी गदा ार क नीच जमाय पर क तलव को दािहनी जघा क साथ लगा द अब दािहन पर को घटन स मोड़कर खड़ा कर द और बाय पर की जघा स ऊपर ल जात हए जघा क पीछ ज़मीन क ऊपर ऱख द आसन क िलए यह पवरभिमका तयार हो गई

अब बाय हाथ को दािहन पर क घटन स पार करक अथारत घटन को बगल म दबात हए बाय हाथ स दािहन पर का अ गठा पकड़ धड़ को दािहनी ओर मोड़ िजसस दािहन पर क घटन क ऊपर बाय कनध का दबाव ठीक स पड़ अब दािहना हाथ पीठ क पीछ स घमाकर बाय पर की जाघ का िनमन भाग पकड़ िसर दािहनी ओर इतना घमाय िक ठोड़ी और बाया कनधा एक सीधी रखा म आ जाय छाती िबलकल तनी हई रख नीच की ओर झक नही िच वि नािभ क पीछ क भाग म िःथत मिणपर चब म िःथर कर

यह एक तरफ का आसन हआ इसी कार पहल दािहना पर मोड़कर एड़ी गदा ार क नीच दबाकर दसरी तरफ का आसन भी कर ारमभ म पाच सकणड य ह आसन करना पयार ह िफर अ यास बढ़ाकर एक एक तरफ एक एक िमनट तक आसन कर सकत ह

लाभः अधरमतःयनिासन स म दणड ःवःथ रहन स यौवन की ःफितर बनी रहती ह रीढ़ की हिडडयो क साथ उनम स िनकलन वाली नािडयो को भी अचछी कसरत िमल जाती ह पट क िविभनन अगो को भी अचछा लाभ होता ह पीठ पट क नल पर गदरन

हाथ कमर नािभ स नीच क भाग एव छाती की नािड़यो को अचछा िखचाव िमलन स उन पर अचछा भाव पड़ता ह फलतः बनधकोष दर होता ह जठराि न तीो होती ह िवकत यकत पलीहा तथा िनिबय व क क िलए यह आसन लाभदायी ह कमर पीठ और सिनधःथानो क ददर जलदी दर हो जात ह

योगमिासन

योगा यास म यह मिा अित मह वपणर ह इसस इसका नाम योगमिासन रखा गया ह

धयान मिणपर चब म ास रचक कमभक और परक

िविधः प ासन लगाकर दोनो हाथो को पीठ क पीछ ल जाय बाय हाथ स दािहन हाथ की कलाई पकड़ दोनो हाथो को खीचकर कमर तथा रीढ़ क िमलन ःथान पर ल जाय अब रचक करक कमभक कर ास को रोककर शरीर को आग झकाकर भिम पर टक द िफर धीर-धीर िसर को उठाकर शरीर को पनः सीधा कर द और परक कर ारभ म यह आसन किठन लग तो सखासन या िस ासन म बठकर कर पणर लाभ तो प ासन म बठकर करन स ही होता ह पाचनतनऽ क अगो की ःथान ता ठीक करन क िलए यिद यह आसन करत हो तो कवल पाच-दस सकणड तक ही कर एक बठक म तीन स पाच बार सामानयतः यह आसन तीन िमनट तक करना चािहए आधयाितमक उ य स योगमिासन करत हो तो समय की अविध िच और शि क अनसार बढ़ाय

लाभः योगमिासन भली कार िस होता ह तब कणडिलिन शि जागत होती ह पट की गस की बीमारी दर होती ह पट एव आतो की सब िशकायत दर होती ह कलजा फफड़ आिद यथा ःथान रहत ह दय मजबत बनता ह र क िवकार दर होत

ह क और यौनिवकार न होत ह पट बड़ा हो तो अनदर दब जाता ह शरीर मजबत बनता ह मानिसक शि बढ़ती ह

योगमिासन स उदरपटल सश बनता ह पट क अगो को अपन ःथान िटक रहन म सहायता िमलती ह नाड़ीतऽ और खास करक कमर क नाड़ी मणडल को बल िमलता ह

इस आसन म सामनयतः जहा एिड़या लगती ह वहा कबज क अग होत ह उन पर दबाव पड़न स आतो म उ जना आती ह पराना कबज दर होता ह अगो की ःथान ता क कारण होन वाला कबज भी अग अपन ःथान म पनः यथावत िःथत हो जान स न हो जाता ह धात की दबरलता म योगमिासन खब लाभदायक ह

गोरकषासन या भिासन

धयान मलाधार चब म ास थम िःथित म परक और दसरी िःथित म कमभक

िविधः िबछ हए आसन पर बठ जाय दािहना पर घटन स मोड़कर एड़ी सीवन (उपःथ और गदा क मधय) क दािहन भाग म और बाया पर मोड़कर एड़ी सीवन क बाय भाग म इस कार रख िक दोनो पर क तलव एक दसर को लगकर रह

रचक करक दोनो हाथ सामन ज़मीन पर टककर शरीर को ऊपर उठाय और दोनो पर क पजो पर इस कार बठ िक शरीर का वजन एड़ी क मधय भाग म आय अगिलयो वाला भाग छटा रह अब परक करत -करत दोनो हाथो की हथिलयो को घटनो पर रख

अनत म कमभक करक ठोड़ी छाती पर दबाय िच वि मलाधार चब म और ि भी उसी िदशा म लगाय बमशः अ यास बढ़ाकर दसक िमनट तक यह आसन कर

लाभः इस आसन क अ यास स पर क सब सिनध ःथान तथा ःनाय सश बनत ह वाय ऊधवरगामी होकर जठराि न दी करता ह िदनो िदन जड़ता न होन लगती ह शरीर पतला होता ह सकलपबल बढ़ता ह बि तीकषण होती ह कलपनाशि का िवकास होता ह ाणापान की एकता होती ह नादोतपि होन लगती ह िबनद िःथर होकर िच की चचलता कम होती ह आहार का सपणरतया पाचन हो जान क कारण मलमऽ अलप होन लगत ह शरीर शि होन लगती ह तन म ःफितर एव मन म सननता अपन आप कट होती ह ःनाय स ढ़ बनत ह धातकषय गस मधमह ःवपनदोष अजीणर कमर का ददर गदरन की दबरलता बनधकोष मनदाि न िसरददर कषय

दयरोग अिनिा दमा मछाररोग बवासीर आऽपचछ पाणडरोग जलोदर भगनदर कोढ़ उलटी िहचकी अितसार आव उदररोग नऽिवकार आिद अस य रोगो म इस आसन स लाभ होत ह

मयरासन

इस आसन म मयर अथारत मोर की आकित बनती ह इसस इस मयरासन कहा जाता ह

धयान मिणपर चब म ास बा कमभक

िविधः जमीन पर घटन िटकाकर बठ जाय दोनो हाथ की हथिलयो को जमीन पर इस कार रख िक सब अगिलया पर की िदशा म हो और परःपर लगी रह दोनो कहिनयो को मोड़कर पट क कोमल भाग पर नािभ क इदरिगदर रख अब आग झककर दोनो पर को पीछ की लमब कर ास बाहर िनकाल कर दोनो पर को जमीन स ऊपर उठाय और िसर का भाग नीच झकाय इस कार परा शरीर ज़मीन क बराबर समानानतर रह ऐसी िःथित बनाय सपणर शरीर का वजन कवल दो हथिलयो पर ही

रहगा िजतना समय रह सक उतना समय इस िःथित म रहकर िफर मल िःथित म आ जाय इस कार दो-तीन बार कर

लाभः मयरासन करन स चयर-पालन म सहायता िमलती ह पाचन तऽ क अगो की र का वाह अिधक बढ़न स व अग बलवान और कायरशील बनत ह पट क भीतर क भागो म दबाव पड़न स उनकी शि बढ़ती ह उदर क अगो की िशिथलता और मनदाि न दर करन म मयरासन बहत उपयोगी ह

वळासन

वळासन का अथर ह बलवान िःथित पाचनशि वीयरशि तथा ःनायशि दन वाला होन स यह आसन वळासन कहलाता ह

धयान मलाधार चब म और ास दीघर

िविधः िबछ हए आसन पर दोनो परो को घटनो स मोड़कर एिड़यो पर बठ जाय पर क दोनो अगठ परःपर लग रह पर क तलवो क ऊपर िनतमब रह कमर और पीठ िबलकल सीधी रह दोनो हाथ को कहिनयो स मोड़ िबना घटनो पर रख द हथिलया नीच की ओर रह ि सामन िःथर कर द

पाच िमनट स लकर आध घणट तक वळासन का अ यास कर सकत ह वळासन लगाकर भिम पर लट जान स स वळासन होता ह

लाभः वळासन क अ यास स शरीर का मधयभाग सीधा रहता ह ास की गित मनद पड़न स वाय बढ़ती ह आखो की योित तज होती ह वळनाड़ी अथारत वीयरधारा नाड़ी मजबत बनती ह वीयर की ऊधवरगित होन स शरीर वळ जसा बनता ह लमब समय तक सरलता स यह आसन कर सकत ह इसस मन की चचलता दर होकर यि िःथर बि वाला बनता ह शरीर म र ािभसरण ठीक स होकर शरीर िनरोगी एव सनदर बनता ह

भोजन क बाद इस आसन स बठन स पाचन शि तज होती ह कबज दर होती ह भोजन जलदी ह म होता ह पट की वाय का नाश होता ह कबज दर होकर पट क तमाम रोग न होत ह पाणडरोग स मि िमलती ह रीढ़ कमर जाघ घटन और परो म शि बढ़ती ह कमर और पर का वाय रोग दर होता ह ःमरणशि म वि होती ह ि यो क मािसक धमर की अिनयिमतता जस रोग दर होत ह शबदोष वीयरदोष घटनो का ददर आिद का नाश होता ह ःनाय प होत ह ःफितर बढ़ान क िलए एव मानिसक िनराशा दर कर न क िलए यह आसन उपयोगी ह धयान क िलय भी यह आसन उ म ह इसक अ यास स शारी रक ःफितर एव मानिसक सननता कट होती ह िदन-ितिदन शि का सचय होता ह इसिलए शारी रक बल म खब वि होती ह काग का िगरना अथारत गल क टािनसलस हिडडयो क पोल आिद ःथानो म उतपनन होन वाल तकण की स या म वि होन स आरो य का साा य ःथािपत होता ह िफर यि

बखार स िसरददर स कबज स मदाि न स या अजीणर जस छोट-मोट िकसी भी रोग स पीिड़त नही रहता योिक रोग आरो य क साा य म िव होन का साहस ही नही कर पात

स वळासन

धयान िवश ा याचब म ास दीघर सामानय

िविधः वळासन म बठन क बाद िच होकर पीछ की ओर भिम पर लट जाय दोनो जघाए परःपर िमली रह अब रचक करत बाय हाथ का खला पजा दािहन कनध क नीच इस कार रख िक मःतक दोनो हाथ क बास क ऊपर आय रचक परा होन पर िऽबनध कर ि मलाधार चब की िदशा म और िच वि मलाधार चब म ःथािपत कर

लाभः यह आसन करन म ौम बहत कम ह और लाभ अिधक होता ह इसक अ यास स सषमना का मागर अतयनत सरल होता ह कणडिलनी शि सरलता स ऊधवरगमन कर सकती ह

इस आसन म धयान करन स म दणड को सीधा करन का ौम नही करना पड़ता और म दणड को आराम िमलता ह उसकी काय़रशि बल बनती ह इस आसन का अ यास करन स ायः तमाम अतःॐावी मिनथयो को जस शीषरःथ मिनथ कणठःथ मिनथ मऽिपणड की मनथी ऊधवरिपणड तथा प षाथर मिनथ आिद को पि िमलती ह फलतः यि का भौितक एव आधयाितमक िवकास सरल हो जाता ह तन-मन का ःवाःथय भावशाली बनता ह जठराि न दी होती ह मलावरोध की पीडा दर होती ह धातकषय ःवपनदोष पकषाघात पथरी बहरा होना तोतला होना आखो की दबरलता गल क टािनसल ासनिलका का सजन कषय दमा ःमरणशि की दबरलता आिद रोग दर होत ह

शवासन

शवासन की पणारवःथा म शरीर क तमाम अग एव मिःतक पणरतया च ा रिहत िकय जात ह यह अवःथा शव (मद) जसी होन स इस आसन को शवासन कहा जाता ह

िविधः िबछ हए आसन पर िच होकर लट जाय दोनो परो को परःपर स थोड़ अलग कर द दोनो हाथ भी शरीर स थोड़ अलग रह इस कार परो की ओर फला द हाथ की हथिलया आकाश की तरफ खली रख िसर सीधा रह आख बनद

मानिसक ि स शरीर को पर स िसर तक दखत जाय पर शरीर को मद की तरह ढीला छोड़ द हर एक अग को िशिथल करत जाय

शरीर म समपणर िवौाम का अनभव कर मन को भी बा ा िवषयो स हटाकर एकाम कर बारी-बारी स हर एक अग पर मानिसक ि एकाम करत हए भावना कर िक वह अग अब आराम पा रहा ह मरी सब थकान उतर रही ह इस कार भावना करत-करत सब ःनायओ को िशिथल होन द शरीर क एक भी अग म कही भी तनाव (टनशन) न रह िशिथलीकरण की िबया म पर स ारमभ करक िसर तक जाय अथवा िसर स ारमभ करक पर तक भी जा सकत ह अनत म जहा स ारमभ िकया हो वही पनः पहचना चािहय िशिथलीकरण की िबया स शरीर क तमाम अगो का एव ानततओ को िवौाम की अवःथा म ला दना ह

शवासन की दसरी अवःथा म ासोचछोवास पर धयान दना ह शवासन की यही म य िबया ह िवशषकर योग साधको क िलए वह अतयनत उपयोगी ह कवल शारी रक ःवाःथय क िलय थम भिमका पयार ह

इसम ास और उचछवास की िनयिमतता दीघरता और समानता ःथािपत करन का लकषय ह ास िनयिमत चल लमबा और गहरा चल ास और उचछवास एक समान रह तो मन को एकाम करन की शि ा होती ह

शवासन यिद ठीक ढग स िकया जाए तो नाड़ीतऽ इतना शात हो जाता ह िक अ यासी को नीद आन लगती ह लिकन धयान रह िनिनित न होकर जामत रहना आवयक ह

अनय आसन करन क बाद अगो म जो तनाव (टनशन) पदा होता ह उसको िशिथल करन क िलय अत म 3 स 5 िमनट तक शवासन करना चािहए िदनभर म अनकलता क अनसार दो-तीन बार शवासन कर सकत ह

लाभः शवासन क ारा ःनाय एव मासपिशयो म िशिथलीकरण स शि बढ़ती ह अिधक कायर करन की यो यता उसम आती ह र वाहिनयो म िशराओ म र वाह तीो

होन स सारी थकान उतर जाती ह नाड़ीतऽ को बल िमलता ह मानिसक शि म वि होती ह

र का दबाव कम करन क िलए नाड़ीतऽ की दबरलता एव उसक कारण होन वाल रोगो को दर करन क िलय शवासन खब उपयोगी ह

पादपि मो ानासन

यह आसन करना किठन ह इसस उमासन कहा जाता ह उम का अथर ह िशव भगवान िशव सहारक ार ह अतः उम या भयकर ह िशवसिहता म भगवान िशव न म कणठ स शसा करत हए कहा हः यह आसन सवरौ आसन ह इसको य पवरक ग रख िसफर अिधका रयो को ही इसका रहःय बताय

धयान मिणपर चब म ास थम िःथित म परक और दसरी िःथित म रचक और िफर बिहकर मभक

िविधः िबछ हए आसन पर बठ जाय दोनो परो को लमब फला द दोनो परो की जघा घटन पज परःपर िमल रह और जमीन क साथ लग रह परो की अगलया घटनो की तरफ झकी हई रह अब दोनो हाथ लमब कर दािहन हाथ की तजरनी और अगठ स दािहन पर का अगठा और बाय हाथ की तजरनी और अगठ स बाय पर का अगठा पकड़ अब रचक करत-करत नीच झक और िसर को दोनो घटनो क मधय म रख ललाट घटन को ःपशर कर और घटन ज़मीन स लग रह रचक परा होन पर कमभक कर ि एव िच वि को मिणपर चब म ःथािपत कर ारमभ म आधा िमनट करक बमशः 15 िमनट तक यह आसन करन का अ यास बढ़ाना चािहय थम दो-चार िदन किठन लगगा लिकन अ यास हो जान पर यह आसन सरल हो जाएगा

लाभः पादपि मो नासन म समयक अ यास स सषमना का मख खल जाता ह और ाण म दणड क मागर म गमन करता ह फलतः िबनद को जीत सकत ह िबनद को जीत िबना न समािध िस होती ह न वाय िःथर होता ह न िच शात होता ह

जो ी-प ष काम िवकार स अतयत पीिड़त हो उनह इस आसन का अ यास करना चािहए इसस शारी रक िवकार दब जात ह उदर छाती और म दणड को उ म कसरत िमलती ह अतः व अिधक कायरकषम बनत ह हाथ पर तथा अनय अगो क सिनध ःथान मजबत बनत ह शरीर क सब तऽ बराबर कायरशील होत ह रोग माऽ का नाश होकर ःवाःथय़ का साा य ःथािपत होता ह

इस आसन क अ यास स मनदाि न मलावरोध अजीणर उदररोग किमिवकार सद वातिवकार कमर का ददर िहचकी कोढ़ मऽरोग मधमह पर क रोग ःवपनदोष वीयरिवकार र िवकार एपनडीसाइिटस अणडवि पाणडरोग अिनिा दमा ख टी डकार आना ानतनत की दबरलता बवासीर नल की सजन गभारशय क रोग अिनयिमत तथा क दायक मािसक बनधयतव दर नपसकता र िप िसरोवदना बौनापन आिद अनक रोग दर होत ह पट पत ला बनता ह जठराि न दी होती ह कफ और चरबी न होत ह

िशवसिहता म कहा ह िक इस आसन स वाय ीपन होता ह और वह मतय का नाश करता ह इस आसन स शरीर का कद बढ़ता ह शरीर म अिधक ःथलता हो तो कम होती ह दबरलता हो तो वह दर होकर शरीर सामानय तनद ःत अवःथा म आ जाता ह नाडी सःथान म िःथरता आती ह मानिसक शाित ा होती ह िचनता एव उ जना शात करन क िलए यह आसन उ म ह पीठ और म दणड पर िखचाव आन स दोनो िवकिसत होत ह फलतः शरीर क तमाम अवयवो पर अिधकार ःथािपत होता ह सब आसनो म यह आसन सवर धान ह इसक अ यास स कायाकलप (प रवतरन) हो जाता ह

यह आसन भगवान िशव को बहत पयारा ह उनकी आ ा स योगी गोरखनाथ न लोककलयाण हत इसका चार िकया ह आप इस आसन क अदभत लाभो स लाभािनवत हो और दसरो को भी िसखाय

पादपि मो ानासन प यपाद आसारामजी बाप को भी बहत पयारा ह उसस प यौी को बहत लाभ हए ह अभी भी यह आसन उनक आरो यिनिध का रकषक बना हआ ह

पाठक भाइयो आप अवय इस आसन का लाभ लना ारमभ क चार-पाच िदन जरा किठन लगगा बाद म तो यह आसन आपका िशवजी क वरदान प आरो य कवच िस हए िबना नही रहगा

िऽबनध

मलबनध

शौच ःनानािद स िनव होकर आसन पर बठ जाय बायी एड़ी क ारा सीवन या योिन को दबाय दािहनी एड़ी सीवन पर रख गदा ार को िसकोड़कर भीतर की ओर ऊपर खीच यह मलबनध कहा जाता ह

लाभः मलबनध क अ यास स मतय को जीत सकत ह शरीर म नयी ताजगी आती ह िबगड़त हए ःवाःथय की रकषा होती ह चयर का पालन करन म मलबनध सहायक िस होता ह वीयर को प करता ह कबज को न करता ह जठराि न तज होती ह मलबनध स िचरयौवन ा होता ह बाल सफद होन स कत ह

अपानवाय ऊधवरगित पाकर ाणवाय क सषमना म िव होता ह सहॐारचब म िच वि िःथर बनती ह इसस िशवपद का आननद िमलता ह सवर कार की िद य िवभितया और ऐ यर ा होत ह अनाहत नाद सनन को िमलता ह ाण अपान नाद और िबनद एकिऽत होन स योग म पणरता ा होती ह

उडडीयान बनध

आसन पर बठकर परा ास बाहर िनकाल द समपणरतया रचक कर पट को भीतर िसकोड़कर ऊपर की ओर खीच नािभ तथा आत पीठ की तरफ दबाय शरीर को थोड़ा सा आग की तरफ झकाय यह ह उडडीयानबनध

लाभः इसक अ यास स िचरयौवन ा होता ह मतय पर जय ा होती ह चयर क पालन म खब सहायता िमलती ह ःवाःथय सनदर बनता ह कायरशि म वि होती ह नयोिल और उडडीयानबनध जब एक साथ िकय जात ह तब कबज दम दबाकर भाग खड़ा होता ह पट क तमाम अवयवो की मािलश हो जाती ह पट की अनावयक चरबी उतर जाती ह

जालनधरबनध

आसन पर बठकर परक करक कमभक कर और ठोड़ी को छाती क साथ दबाय इसको जालनधरबनध कहत ह

लाभः जालनधरबनध क अ यास स ाण का सचरण ठीक स होता ह इड़ा और िपगला नाड़ी बनद होकर ाण-अपान सषमना म िव होत ह नािभ स अमत कट होता ह िजसका पान जठराि न करता ह योगी इसक ारा अमरता ा करता ह

प ासन पर बठ जाय परा ास बाहर िनकाल कर मलबनध उडडीयानबनध कर िफर खब परक करक मलबनध उडडीयानबनध और जालनधरबनध य तीनो बनध एक साथ कर आख बनद रख मन म णव (ॐ) का अथर क साथ जप कर

इस कार ाणायाम सिहत तीनो बनध का एक साथ अ यास करन स बहत लाभ होता ह और ायः चमतका रक प रणाम आता ह कवल तीन ही िदन क समयक अ यास स जीवन म बािनत का अनभव होन लगता ह कछ समय क अ यास स कवल या कवली कमभक ःवय कट होता ह

कवली कमभक

कवल या कवली कमभक का अथर ह रचक-परक िबना ही ाण का िःथर हो जाना िजसको कवली कमभक िस होता ह उस योगी क िलए तीनो लोक म कछ भी दलरभ नही रहता कणडिलनी जागत होती ह शरीर पतला हो जाता ह मख सनन रहता ह नऽ मलरिहत होत ह सवर रोग दर हो जात ह िबनद पर िवजय होती ह जठराि न विलत होती ह

कवली कमभक िस िकय हए योगी की अपनी सवर मनोकामनाय पणर होती ह इतना ही नही उसका पजन करक ौ ावान लोग भी अपनी मनोकामनाय पणर करन लगत ह

जो साधक पणर एकामता स िऽबनध सिहत ाणायाम क अ यास ारा कवली कमभक का प षाथर िस करता ह उसक भा य का तो पछना ही या उसकी यापकता

बढ़ जाती ह अनतर म महानता का अनभव होता ह काम बोध लोभ मोह मद और मतसर इन छः शऽओ पर िवजय ा होती ह कवली कमभक की मिहमा अपार ह

जलनित

िविधः एक िलटर पानी को गनगना सा गरम कर उसम करीब दस माम श नमक डालकर घोल द सनधव िमल जाय तो अचछा सबह म ःनान क बाद यह पानी चौड़ महवाल पाऽ म कटोर म लकर परो पर बठ जाय पाऽ को दोनो हाथो स पकड़ कर नाक क नथन पानी म डबो द अब धीर-धीर नाक क ारा ास क साथ पानी को भीतर खीच और नाक स भीतर आत हए पानी को मह स बाहर िनकालत जाय नाक को पानी म इस कार बराबर डबोय रख िजसस नाक ारा भीतर जानवाल पानी क साथ हवा न वश कर अनयथा आतरस-खासी आयगी

इस कार पाऽ का सब पानी नाक ारा लकर मख ारा बाहर िनकाल द अब पाऽ को रख कर खड़ हो जाय दोनो पर थोड़ खल रह दोनो हाथ कमर पर रखकर ास को जोर स बाहर िनकालत हए आग की ओर िजतना हो सक झक भिॐका क साथ यह िबया बार-बार कर इसस नाक क भीतर का सब पानी बाहर िनकल जायगा थोड़ा बहत रह भी जाय और िदन म कभी भी नाक स बाहर िनकल जाय तो कछ िचनताजनक नही ह

नाक स पानी भीतर खीचन की यह िबया ारमभ म उलझन जसी लगगी लिकन अ यास हो जान पर िबलकल सरल बन जायगा

लाभः मिःतक की ओर स एक कार का िवषला रस नीच की ओर बहता ह यह रस कान म आय तो कान क रोग होत ह आदमी बहरा हो जाता ह यह रस आखो की तरफ जाय तो आखो का तज कम हो जाता ह चम की ज रत पड़ती ह तथा अनय रोग होत ह यह रस गल की ओर जाय तो गल क रोग होत ह

िनयमपवरक जलनित करन स यह िवषला पदाथर बाहर िनकल जाता ह आखो की रोशनी बढ़ती ह चम की ज रत नही पड़ती चमा हो भी तो धीर-धीर नमबर कम होत-होत छट जाता भी जाता ह ासोचछोवास का मागर साफ हो जाता ह मिःतक म ताजगी रहती ह जकाम-सद होन क अवसर कम हो जात ह जलनित की िबया करन

स दमा टीबी खासी नकसीर बहरापन आिद छोटी-मोटी 1500 बीमी रया दर होती ह जलनित करन वाल को बहत लाभ होत ह िच म सननता बनी रहती ह

गजकरणी िविधः करीब दो िलटर पानी गनगना सा गरम कर उसम करीब 20 माम श

नमक घोल द सनधव िमल जाय तो अचछा ह अब पजो क बल बठकर वह पानी िगलास भर-भर क पीत जाय खब िपय अिधकाअिधक िपय पट जब िबलकल भर जाय गल तक आ जाय पानी बाहर िनकालन की कोिशश कर तब दािहन हाथ की दो बड़ी अगिलया मह म डाल कर उलटी कर िपया हआ सब पानी बाहर िनकाल द पट िबलकल हलका हो जाय तब पाच िमनट तक आराम कर

गजकरणी करन क एकाध घणट क बाद कवल पतली िखचड़ी ही भोजन म ल भोजन क बाद तीन घणट तक पानी न िपय सोय नही ठणड पानी स ःनान कर तीन घणट क बाद ारमभ म थोड़ा गरम पानी िपय

लाभः गजकरणी स एिसडीटी क रोगी को अदभत लाभ होता ह ऐस रोगी को चार-पाच िदन म एक बार गजकरणी चािहए ततप ात महीन म एक बार दो महीन म एक बार छः महीन म एक बार भी गजकरणी कर सकत ह

ातःकाल खाली पट तलसी क पाच-सात प चबाकर ऊपर स थोड़ा जल िपय एसीडीटी क रोगी को इसस बहत लाभ होगा

वष परान कबज क रोिगयो को स ाह म एक बार गजकरणी की िबया अवय करनी चािहए उनका आमाशय मिनथसःथान कमजोर हो जान स भोजन हजम होन म गड़बड़ रहती ह गजकरणी करन स इसम लाभ होता ह फोड़ फनसी िसर म गम सद बखार खासी दमा टीबी वात-िप -कफ क दोष िज ा क रोग गल क रोग छाती क रोग छाती का ददर एव मदाि न म गजकरणी िबया लाभकारक ह

शरीर शोधन-कायाकलप

यह चालीस िदन का कलप ह प यपाद आसारामजी बाप न यह योग िकया हआ ह इसस शरीर सडौल ःवःथ और फत ला बनता ह र म नय-नय कण बनत ह शरीर क कोषो की शि बढ़ती ह मन-बि म चमतका रक लाभ होत ह

िविधः अगल िदन पपीता सव आिद फल उिचत माऽा म ल अथवा मन का 50 माम दस घणट पहल िभगो द उनको उबालकर बीज िनकाल द मन का खा ल और पानी पी ल

ातःकाल उठकर सकलप कर िक इस कलप क दौरान िनि त िकय हए कायरबम क अनसार ही रहगा

शौच-ःनानािद िनतयकमर स िनव होकर सबह 8 बज 200 या 250 माम गाय का उबला हआ गनगना दध िपय पौन घणटा पणर आराम कर बाद म िफर स दध िपय शारी रक ौम कम स कम कर ॐ सोsह हसः इस मऽ का मानिसक जप कर कभी ास को िनहार बस साकषीभाव

मनोरा य चलता हो तो ॐ जोर-जोर स जप कर

इस कार शाम तक िजतना दध हजम कर सक उतना दध दो स तीन िलटर िपय 40 िदन तक कवल द धाहार क बाद 41व िदन मग का उबला हआ पानी मोसममी का रस आिद ल रािऽ को अिधक मगवाली हलकी िखचड़ी खाय इस कार शरीर-शोधन-कायाकलप की पणारहित कर

यिद बि तीकषण बनानी हो ःमरणशि बढ़ानी हो तो कलप क दौरान ॐ ऐ नमः इस मऽ का जप कर सयर को अ यर द

इस कलप म दध क िसवाय अनय कोई खराक लना मना ह चाय तमबाक आिद यसन िनिष ह ि यो क सग स दर रहना तथा चयर का पालन अतयनत आवयक ह

कलजग नही करजग ह यह

कलजग नही करजग ह यह यहा िदन को द अ रात ल

या खब सौदा नकद ह इस हाथ द उस हाथ ल टक

दिनया अजब बाज़ार ह कछ िजनस1 या िक साथ ल

नकी का बदला नक ह बद स बदी की बात ल

मवा िखला मवा िमल फल फल द फल पात ल

आराम द आराम ल दःख ददर द आफत2 ल 1

काटा िकसी को मत लगा गो िमःल-गल3 फला ह त

वह तर हक4 म तीर ह िकस बात पर झला ह त

मत आग म डाल और को या घास का पला ह त

सन ऱख यह नकता5 बखबर िकस बात पर भला ह त

कलजग नही 2

शोखी शरारत मकरो-फन6 सबका बसखा7 ह यहा

जो जो िदखाया और को वह खद भी दखा ह यहा

खोटी खरी जो कछ कही ितसका परखा8 ह यहा

जो जो पड़ा तलता ह मोल ितल ितल का लखा ह यहा

कलजग नही 3

जो और की बःती9 रख उसका भी बसता ह परा

जो और क मार छरी उसको भी लगता ह छरा

जो और की तोड़ घड़ी उसका भी टट ह घड़ा

जो और की चत10 बदी उसका भी होता ह बरा

कलजग नही 4

जो और को फल दवगा वह भी सदा फल पावगा

गह स गह जौ स जौ चावल स चावल पावगा

जो आज दवगा यहा वसा ही वह कल पावगा

कल दवगा कल पावगा िफर दवगा िफर पावगा

कलजग नही 5

जो चाह ल चल इस घड़ी सब िजनस यहा तयार ह

आराम म आराम ह आजार म आजार11 ह

दिनया न जान इसको िमया दरया की यह मझधार ह

औरो का बड़ा पार कर तरा भी बड़ा पार ह

कलजग नही 6

त और की तारीफ कर तझको सना वानी12 िमल

कर मिकल आसा औरो की तझको भी आसानी िमल

त और को महमान कर तझको भी महमानी िमल

रोटी िखला रोटी िमल पानी िपला पानी िमल

कलजग नही 7

जो गल13 िखलाव और का उसका ही गल िखलता भी ह

जो और का कील14 ह मह उसका ही मह िकलता भी ह

जो और का छील िजगर उसका िजगर िछलता भी ह

जो और को दव कपट उसको कपट िमलता भी ह

कलजग नही 8

कर जो कछ करना ह अब यह दम तो कोई आन15 ह

नकसान म नकसान ह एहसान म एहसान ह

तोहमत म यहा तोहमत िमल तफान म तफान ह

रहमान16 को रहमान17 ह शतान को शतान ह

कलजग नही 9

यहा जहर द तो जहर ल श कर म श कर दख ल

नको का नकी का मजा मजी18 को ट कर दख ल

मोती िदय मोती िमल पतथर म पतथर दख ल

गर तझको यह बावर19 नही तो त भी करक दख ल

कलजग नही 10

अपन नफ क वाःत मत और का नकसान कर

तरा भी नकसा होवगा इस बात पर त धयान कर

खाना जो खा सो दखकर पानी िपय तो छानकर

या पावो को रख फककर और खोफ स गजरान कर

कलजग नही 11

गफलत की यह जगह नही त सािहब-इदराक20 रह

िदलशाद21 ऱख िदल शाह रह गमनाक रख गमनाक रह

हर हाल म भी त नजीर22 अब हर कदम की रह

यह वह मका ह ओ िमया या पाक23 रह बबाक24 रह

कलजग नही 12

1 वःत 2 मसीबत 3 पप की तरह 4 तर िलय 5 रहःय 6 दगा-धोखा 7 घर 8 परखना 9 नगरी 10 िवचार कर 11 दःख 12 तारीफ-ःतित 13 फल 14 िकसी को बोलन न दना 15 घड़ी पल 16 दयावान 17 दयाल भगवान 18 सतान वाला 19 िव ास 20 तीो ा तज समझन वाला प ष 21 सननिच 22 किव का नाम ह 23 श पिवऽ 24 िनडर

  • आधयातमिक विदया क उदगाता
  • सवासथय क लिए मतर
  • परासताविक
  • बरहमचरय-रकषा का मनतर
  • आसनो की परकिया म आन वाल कछ शबदो की समझ
  • आवशयक निरदश
  • योगासन
    • पदमासन या कमलासन
    • सिदधासन
    • सरवागासन
    • हलासन
    • पवनमकतासन
    • मतसयासन
    • भजगासन
    • धनरासन
    • चकरासन
    • कटिपिणडमरदनासन
    • अरधमतसयनदरासन
    • योगमदरासन
    • गोरकषासन या भदरासन
    • मयरासन
    • वजरासन
    • सपतवजरासन
    • शवासन
    • पादपशचिमोततानासन
      • तरिबनध
        • मलबनध
        • उडडीयान बनध
        • जालनधरबनध
          • कवली कमभक
          • जलनति
          • गजकरणी
          • शरीर शोधन-कायाकलप
          • कलजग नही करजग ह यह
Page 5: अनुबम - || Home || HariOmGroup · िस होता है। िवशु नाड़ीतंऽ वालेयोगी के िवशु शरीर में

हजारो वषर की कसौिटयो म कस हए दश-िवदश म आदरणीय लोगो क ारा आदर पाय हए इन आसनो की पिःतका दखन म छोटी ह पर आपक जीवन को अित महान बनान की किजया रखती हई आपक हाथ म पहच रही ह

इस पिःतका को बार-बार पढ़ो आसनो का अ यास करो िहममत रखो अ यास का साततय जारी रखो अदभत लाभ होगा होगा अवय होगा सिमित की सवा साथरक बनगी

सत ौी आसारामजी बाप

चयर-रकषा का मनऽ

ॐ नमो भगवत महाबल पराबमाय मनोिभलािषत मनः ःतभ क क ःवाहा

रोज दध म िनहार कर 21 बार इस मऽ का जप कर और दध पी ल इसस चयर की रकषा होती ह ःवभाव म आतमसात कर लन जसा यह िनयम ह

रािऽ म गोद पानी म िभगोकर सबह चाट लन स वीयरधात प होता ह चयर-रकषा म सहायक बनता ह

आसनो की िकया म आन वाल कछ शबदो की समझ

रचक का अथर ह ास छोड़ना

परक का अथर ह ास भीतर लना

कमभक का अथर ह ास को भीतर या बाहर रोक दना ास लकर भीतर रोकन की िबया को आनतर या आ यानतर कमभक कहत ह ास को बाहर िनकालकर िफर वापस न लकर ास बाहर ही रोक दन की िबया को बिहकर मभक कहत ह

चबः चब आधयाितमक शि यो क कनि ह ःथल शरीर म चमरचकष स व िदखत नही योिक व हमार सआम शरीर म िःथत होत ह िफर भी ःथल शरीर क ानतनत

ःनाय कनि क साथ उनकी समानता जोड़कर उनका िनदश िकया जाता ह हमार शरीर म ऐस सात चब म य ह 1 मलाधारः गदा क पास म दणड क आिखरी मनक क पास होता ह 2 ःवािध ानः जननिनिय स ऊपर और नािभ स नीच क भाग म होता ह 3 मिणपरः नािभकनि म होता ह 4 अनाहतः दय म होता ह 5 िवश ः कणठ म होता ह 6 आ ाचबः दो भौहो क बीच म होता ह 7 सहॐारः मिःतक क ऊपर क भाग म जहा चोटी रखी जाती ह वहा होता ह

नाड़ीः ाण वहन करन वाली बारीक निलकाओ को नाड़ी कहत ह उनकी स या 72000 बतायी जाती ह इड़ा िपगला और सषमना य तीन म य ह उनम भी सषमना सबस अिधक मह वपणर ह

आवयक िनदश

1 भोजन क छः घणट बाद दध पीन क दो घणट बाद या िबलकल खाली पट ही आसन कर

2 शौच-ःनानािद स िनव होकर आसन िकय जाय तो अचछा ह

3 ास मह स न लकर नाक स ही लना चािहए

4 गरम कमबल टाट या ऐसा ही कछ िबछाकर आसन कर खली भिम पर िबना कछ िबछाय आसन कभी न कर िजसस शरीर म िनिमरत होन वाला िव त-वाह न न हो जाय

5 आसन करत समय शरीर क साथ ज़बरदःती न कर आसन कसरत नही ह अतः धयरपवरक आसन कर

6 आसन करन क बाद ठड म या तज हवा म न िनकल ःनान करना हो तो थोड़ी दर बाद कर

7 आसन करत समय शरीर पर कम स कम व और ढील होन चािहए

8 आसन करत-करत और मधयानतर म और अत म शवासन करक

िशिथलीकरण क ारा शरीर क तग बन ःनायओ को आराम द

9 आसन क बाद मऽतयाग अवय कर िजसस एकिऽत दिषत त व बाहर िनकल जाय

10 आसन करत समय आसन म बताए हए चबो पर धयान करन स और मानिसक जप करन स अिधक लाभ होता ह

11 आसन क बाद थोड़ा ताजा जल पीना लाभदायक ह ऑि सजन और हाइसोजन म िवभािजत होकर सिनध-ःथानो का मल िनकालन म जल बहत आवयक होता ह

12 ि यो को चािहए िक गभारवःथा म तथा मािसक धमर की अविध म व कोई भी आसन कभी न कर

13 ःवाःथय क आकाकषी हर यि को पाच-छः तलसी क प ातः चबाकर पानी पीना चािहए इसस ःमरणशि बढ़ती ह एसीडीटी एव अनय रोगो म लाभ होता ह

योगासन

प ासन या कमलासन

इस आसन म परो का आधार प अथारत कमल जसा बनन स इसको प ासन या कमलासन कहा जाता ह धयान आ ाचब म अथवा अनाहत चब म ास रचक

कमभक दीघर ःवाभािवक

िविधः िबछ हए आसन क ऊपर ःवःथ होकर बठ रचक करत करत दािहन पर को मोड़कर बाई जघा पर रख बाय पर को मोड़कर दािहनी जघा पर रख अथवा पहल बाया पर और बाद म दािहना पर भी रख सकत ह पर क तलव ऊपर की ओर और एड़ी नािभ क नीच रह घटन ज़मीन स लग रह िसर गरदन छाती म दणड आिद परा भाग सीधा और तना हआ रह दोनो हाथ घटनो क ऊपर ानमिा म रह (अगठ को तजरनी अगली क नाखन स लगाकर शष तीन अगिलया सीधी रखन स ानमिा बनती ह) अथवा बाय हाथ को गोद म रख हथली ऊपर की और रह उसक ऊपर उसी कार दािहना हाथ रख दोनो हाथ की अगिलया परःपर लगी रहगी दोनो हाथो को म ठी बाधकर घटनो पर भी रख सकत ह

रचक परा होन क बाद कमभक कर ारभ म पर जघाओ क ऊपर पर न रख सक तो एक ही पर रख पर म झनझनाहट हो लश हो तो भी िनराश न होकर अ यास चाल रख अश या रोगी को चािहए िक वह ज़बरदःती प ासन म न बठ प ासन

सश एव िनरोगी क िलए ह हर तीसर िदन समय की अविध एक िमनट बढ़ाकर एक घणट तक पहचना चािहए

ि नासाम अथवा मधय म िःथर कर आख बद खली या अधर खली भी रख सकत ह शरीर सीधा और िःथर रख ि को एकाम बनाय

भावना कर िक मलाधार चब म छपी हई शि का भणडार खल रहा ह िनमन कनि म िःथत चतना तज और औज़ क प म बदलकर ऊपर की ओर आ रही ह अथवा अनाहत चब ( दय) म िच एकाम करक भावना कर िक दय पी कमल म स सगनध की धाराए वािहत हो रही ह समम शरीर इन धाराओ स सगिनधत हो रहा ह

लाभः ाणायाम क अ यासपवरक यह आसन करन स नाड़ीतऽ श होकर आसन िस होता ह िवश नाड़ीतऽ वाल योगी क िवश शरीर म रोग की छाया तक नही रह सकती और वह ःवचछा स शरीर का तयाग कर सकता ह

प ासन म बठन स शरीर की ऐसी िःथित बनती ह िजसस सन तऽ ानतऽ और र ािभसरणतऽ स यविःथत ढग क कायर कर सकत ह फलतः जीवनशि का िवकास होता ह प ासन का अ यास करन वाल साधक क जीवन म एक िवशष कार की आभा कट होती ह इस आसन क ारा योगी सत महाप ष महान हो गय ह

प ासन क अ यास स उतसाह म वि होती ह ःवभाव म सननता बढ़ती ह मख तजःवी बनता ह बि का अलौिकक िवकास होता ह िच म आननद-उललास रहता ह िचनता शोक दःख शारी रक िवकार दब जात ह किवचार पलायन होकर सिवचार कट होन लगत ह प ासन क अ यास स रजस और तमस क कारण यम बना हआ िच शानत होता ह स वगण म अतयत व ि होती ह ाणायाम साि वक िमताहार और सदाचार क साथ प ासन का अ यास करन स अतःॐावी मिथयो को िवश र िमलता ह फलतः यि म कायरशि बढ़न स भौितक एव आधयाितमक िवकास शीय होता ह बौि क-मानिसक कायर करन वालो क िलए िचनतन मनन करन वालो क िलए एव िव ािथरयो क िलए यह आसन खब लाभदायक ह चचल मन को िःथर करन क िलए एव वीयररकषा क िलए या आसन अि ितय ह

ौम और क रिहत एक घणट तक प ासन पर बठन वाल यि का मनोबल खब बढ़ता ह भाग गाजा चरस अफीम मिदरा तमबाक आिद यसनो म फस हए यि

यिद इन यसनो स म होन की भावना और ढ़ िन य क साथ प ासन का अ यास कर तो उनक द यरसन सरलता स और सदा क िलए छट जात ह चोरी जआ यिभचार या हःतदोष की बरी आदत वाल यवक-यवितया भी इस आसन क ारा उन सब कसःकारो स म हो सकत ह

क र िप पकषाघात मलावरोध स पदा हए रोग कषय दमा िहःटी रया धातकषय कनसर उदरकिम तवचा क रोग वात-कफ कोप नपसकतव वनध य आिद रोग प ासन क अ यास स न हो जात ह अिनिा क रोग क िलए यह आसन रामबाण इलाज ह इसस शारी रक मोटापन कम होता ह शारी रक एव मानिसक ःवाःथय की सरकषा क िलए यह आसन सव म ह

प ासन म बठकर अि नी मिा करन अथारत गदा ार का बार-बार सकोच सार करन स अपानवाय सषमना म िव होता ह इसस काम िवकार पर जय ा होन लगती ह ग ोिनिय को भीतर की ओर िसकोड़न स अथारत योिनमिा या वळोली करन स वीयर उधवरगामी होता ह प ासन म बठकर उडडीयान बनध जालधर बनध तथा कमभक करक छाती एव पट को फलान िक िबया करन स वकषशि एव कणठशि होती ह फलतः भख खलती ह भोजन सरलता स पचता ह जलदी थकान नही होती ःमरणशि एव आतमबल म वि होती ह

यम-िनयमपवरक लमब समय तक प ासन का अ यास करन स उणता कट होकर मलाधार चब म आनदोलन उतपनन होत ह कणडिलनी शि जागत होन की भिमका बनती ह जब यह शि जागत होती ह तब इस सरल िदखन वाल प ासन की वाःतिवक मिहमा का पता चलता ह घरणड शािणडलय तथा अनय कई ऋिषयो न इस आसन की मिहमा गायी ह धयान लगान क िलए यह आसन खब लाभदायक ह

इद प ासन ो सवर यािधिवनाशम

दलरभ यन कनािप धीमता ल यत भिव

इस कार सवर यािधयो को िवन करन वाल प ासन का वणरन िकया यह दलरभ आसन िकसी िवरल बि मान प ष को ही ा होता ह

(हठयोगदीिपका थमोपदश)

िस ासन

प ासन क बाद िस ासन का ःथान आता ह अलौिकक िसि या ा करन वाला होन क कारण इसका नाम िस ासन पड़ा ह िस योिगयो का यह िय आसन ह यमो म चयर ौ ह िनयमो म शौच ौ ह वस आसनो म िस ासन ौ ह

धयान आ ाचब म और ास दीघर ःवाभािवक

िविधः आसन पर बठकर पर खल छोड़ द अब बाय पर की एड़ी को गदा और जननिनिय क बीच रख दािहन पर की एड़ी को जननिनिय क ऊपर इस कार रख िजसस जननिनिय और अणडकोष क ऊपर दबाव न पड़ परो का बम बदल भी सकत ह दोनो परो क तलव जघा क मधय भाग म रह हथली ऊपर की ओर रह इस कार दोनो हाथ एक दसर क ऊपर गोद म रख अथवा दोनो हाथो को दोनो घटनो क ऊपर ानमिा म रख आख खली अथवा बनद रख ासोचछोवास आराम स ःवाभािवक चलन

द मधय म आ ाचब म धयान किनित कर पाच िमनट तक इस आसन का अ यास कर सकत ह धयान की उचच ककषा आन पर शरीर पर स मन की पकड़ छट जाती ह

लाभः िस ासन क अ यास स शरीर की समःत नािड़यो का शि करण होता ह ाणत व ःवाभािवकतया ऊधवरगित को ा होता ह फलतः मन को एकाम करना सरल बनता ह

पाचनिबया िनयिमत होती ह ास क रोग दय रोग जीणर वर अजीणर अितसार शबदोष आिद दर होत ह मदाि न मरोड़ा समहणी वातिवकार कषय दमा मधमह पलीहा की वि आिद अनक रोगो का शमन होता ह प ासन क अ यास स जो रोग दर होत ह व िस ासन क अ यास स भी दर होत ह

चयर-पालन म यह आसन िवशष प स सहायक होता ह िवचार पिवऽ बनत ह मन एकाम होता ह िस ासन का अ यासी भोग-िवलास स बच सकता ह 72 हजार नािड़यो का मल इस आसन क अ यास स दर होता ह वीयर की रकषा होती ह ःवपनदोष क रोगी को यह आसन अवय करना चािहए

योगीजन िस ासन क अ यास स वीयर की रकषा करक ाणायाम क ारा उसको मिःतक की ओर ल जात ह िजसस वीयर ओज तथा मधाशि म प रणत होकर िद यता का अनभव करता ह मानिसक शि यो का िवकास होता ह

कणडिलनी शि जागत करन क िलए यह आसन थम सोपान ह

िस ासन म बठकर जो कछ पढ़ा जाता ह वह अचछी तरह याद रह जाता ह िव ािथरयो क िलए यह आसन िवशष लाभदायक ह जठराि न तज होती ह िदमाग िःथर बनता ह िजसस ःमरणशि बढ़ती ह

आतमा का धयान करन वाला योगी यिद िमताहारी बनकर बारह वषर तक िस ासन का अ यास कर तो िसि को ा होता ह िस ासन िस होन क बाद अनय आसनो का कोई योजन नही रह जाता िस ासन स कवल या कवली कमभक िस होता ह छः मास म भी कवली कमभक िस हो सकता ह और ऐस िस योगी क दशरन-पजन स पातक न होत ह मनोकामना पणर होती ह िस ासन क ताप स िनब ज समािध िस हो जाती ह मलबनध उडडीयान बनध और जालनधर बनध अपन आप होन लगत ह

िस ासन जसा दसरा आसन नही ह कवली कमभक क समान ाणायाम नही ह खचरी मिा क समान अनय मिा नही ह और अनाहत नाद जसा कोई नाद नही ह

िस ासन महाप षो का आसन ह सामानय यि हठपवरक इसका उपयोग न कर अनयथा लाभ क बदल हािन होन की समभावना ह

सवागासन

भिम पर सोकर शरीर को ऊपर उठाया जाता ह इसिलए इसको सवागासन कहत ह

धयान िवश ा य चब म ास रचक परक और दीघर

िविधः भिम पर िबछ हए आसन पर िच होकर लट जाए ास को बाहर िनकाल कर अथारत रचक करक कमर तक क दोनो पर सीध और परःपर लग हए रखकर ऊपर उठाए िफर पीठ का भाग भी ऊपर उठाए दोनो हाथो स कमर को आधार द हाथ की कहिनया भिम स लग रह गरदन और कनध क बल परा शरीर ऊपर की और सीधा खड़ा कर द ठोडी छाती क साथ िचपक जाए दोनो पर आकाश की ओर रह ी दोनो परो क अगठो की ओर रह अथवा आख बनद करक िच वि को कणठदश म िवश ा य चब म िःथर कर परक करक ास को दीघर सामानय चलन द

इस आसन का अ य़ास ढ़ होन क बाद दोनो परो को आग पीछ झकात हए जमीन को लगात हए अनय आसन भी हो सकत ह सवागासन की िःथित म दोनो परो को जाघो पर लगाकर प ासन भी िकया जा सकता ह

ारमभ म तीन स पाच िमनट तक यह आसन कर अ यासी तीन घणट तक इस आसन का समय बढ़ा सकत ह

लाभः सवागासन क िनतय अ यास स जठराि न तज होती ह साधक को अपनी िच क अनसार भोजन की माऽा बढ़ानी चािहए सवागासन क अ यास स शरीर की तवचा लटकन नही लगती तथा शरीर म झ ररया नही पड़ती बाल सफद होकर िगरत नही हर रोज़ एक हर तक सवागासन का अ यास करन स मतय पर िवजय िमलती ह

शरीर म सामथयर बढ़ता ह तीनो दोषो का शमन होता ह वीयर की ऊधवरगित होकर अनतःकरण श होता ह मधाशि बढ़ती ह िचर यौवन की ाि होती ह

इस आसन स थायराइड नामक अनतःमिनथ की शि बढ़ती ह वहा र सचार तीो गित स होन लगता ह इसस उस पोषण िमलता ह थायराइड क रोगी को इस आसन स अदभत लाभ होता ह िलवर और पलीहा क रोग दर होत ह ःमरणशि बढ़ती ह मख पर स महास एव अनय दाग दर होकर मख तजःवी बनता ह जठर एव नीच उतरी हई आत अपन मल ःथान पर िःथर होती ह प षातन मिनथ पर सवागासन का अचछा भाव पड़ता ह ःवपनदोष दर होता ह मानिसक बौि क वि करन वालो को तथा िवशषकर िव ािथरयो को यह आसन अवय करना चािहए

मनदाि न अजीणर कबज अशर थायराइड का अलप िवकास थोड़ िदनो का अपनडीसाइिटस और साधारण गाठ अगिवकार असमय आया हआ व तव दमा कफ

चमड़ी क रोग र दोष ि यो को मािसक धमर की अिनयिमतता एव ददर मािसक न आना अथवा अिधक आना इतयािद रोगो म इस आसन स लाभ होता ह नऽ और मिःतक की शि बढ़ती ह उनक रोग दर होत ह

थायराइड क अित िवकासवाल खब कमजोर दयवाल और अतयिधक चब वाल लोगो को िकसी अनभवी की सलाह लकर ही सवागासन करना चािहए

शीषारसन करन स जो लाभ होता ह व सब लाभ सवागासन और पादपि मो ानसन करन स िमल जात ह शीषारसन म गफलत होन स जो हािन होती ह वसी हािन होन की सभावना सवागासन और पादपि मो ानासन म नही ह

हलासन

इस आसन म शरीर का आकार हल जसा बनता ह इसिलए इसको हलासन कहा जाता ह

धयान िवश ा या चब म ास रचक और बाद म दीघर

िविधः भिम पर िबछ हए आसन पर िच होकर लट जाए दोनो हाथ शरीर को लग रह अब रचक करक ास को बाहर िनकाल द दोनो परो को एक साथ धीर-धीर ऊच करत जाय आकाश की ओर पर उठाकर िफर पीछ िसर क तरफ झकाय पर िबलकल तन हए रखकर पज ज़मीन पर लगाय ठोड़ी छाती स लगी रह िच वि को िवश ा या चब म िःथर कर दो-तीन िमनट स लकर बीस िमनट तक समय की अविध बढ़ा सकत ह

लाभः हलासन क अ यास स अजीणर कबज अशर थायराइड का अलप िवकास अगिवकार असमय व तव दमा कफ र िवकार आिद दर होत ह इस आसन स िलवर अचछा होता ह छाती का िवकास होता ह सनिबया तज होकर ऑ सीजन स र श बनता ह गल क ददर पट की बीमारी सिधवात आिद दर होत ह पट की चरबी कम होती ह िसरददर दर होता ह वीयरिव कार िनमरल होता ह खराब िवचार बनद होत ह नाड़ी तऽ श होता ह शरीर बलवान और तजःवी बनता ह गिभरणी ि यो क िसवा हर एक को यह आसन करना चािहए

रीढ़ म कठोरता होना यह व ावःथा का िच ह हलासन स रीढ़ लचीली बनती ह इसस यवावःथा की शि ःफितर ःवाःथय और उतसाह बना रहता ह म दणड

समबनधी नािड़यो क ःवाःथय की रकषा होकर व ावःथा क लकषण जलदी नही आत जठर की नािड़यो को शि ा होती ह

जठर की मासपिशया तथा पाचनतऽ क अगो की नािड़यो की दबरलता क कारण अगर मदाि न एव कबज हो तो हलासन स दर होत ह कमर पीठ एव गरदन क रोग न होत ह िलवर और पलीहा बढ़ गए हो तो हलासन स सामानय अवःथा म आ जात ह काम कनि की शि बढ़ती ह अपानशि का उतथान होकर उदान पी अि न का योग होन स वीयरशि ऊधवरगामी बनती ह हलासन स वीयर का ःतभन होता ह यह आसन अणडकोष की वि पिनबयास अपिनड स आिद को ठीक करता ह थायराइड मिनथ की िबयाशीलता बढ़ती ह धयान करन स िवश चब जागत हो जाता ह

पवनम ासन

शरीर म िःथत पवन (वाय) यह आसन करन स म होता ह इसिलए इस पवनम ासन कहा जाता ह

धयान मिणपर चब म ास पहल परक िफर कमभक और रचक

िविधः भिम पर िबछ हए आसन पर िच होकर लट जाय परक करक फफड़ो म ास भर ल अब िकसी भी एक पर को घटन स मोड़ द दोनो हाथो की अगिलयो को

परःपर िमलाकर उसक ारा मोड़ हए घटनो को पकड़कर पट क साथ लगा द िफर िसर को ऊपर उठाकर मोड़ हए घटनो पर नाक लगाए दसरा पर ज़मीन पर सीधा रह इस िबया क दौरान ास को रोककर कमभक चाल रख िसर और मोड़ा हआ पर भिम पर पवरवत रखन क बाद ही रचक कर दोनो परो को बारी -बारी स मोड़कर यह िबया कर दोनो पर एक साथ मोड़कर भी यह आसन हो सकता ह

लाभः पवनम ासन क िनयिमत अ यास स पट की चरबी कम होती ह पट की वाय न होकर पट िवकार रिहत बनता ह कबज दर होता ह पट म अफारा हो तो इस आसन स लाभ होता ह ातःकाल म शौचिबया ठीक स न होती हो तो थोड़ा पानी पीकर यह आसन 15-20 बार करन स शौच खलकर होगा

इस आसन स ःमरणशि बढ़ती ह बौि क कायर करन वाल डॉ टर वकील सािहतयकार िव ाथ तथा बठकर वि करन वाल मनीम यापारी आिद लोगो को िनयिमत प स पवनम ासन करना चािहए

मतःयासन

मतःय का अथर ह मछली इस आसन म शरीर का आकार मछली जसा बनता ह अतः मतःयासन कहलाता ह पलािवनी ाणायाम क साथ इस आसन की िःथित म लमब समय तक पानी म तर सकत ह

धयान िवश ा या चब म ास पहल रचक बिहकर मभक िफर परक और रचक

िविधः भिम पर िबछ हए आसन पर प ासन लगाकर सीध बठ जाय िफर परो को प ासन की िःथित म ही रखकर हाथ क आधार स सावधानी पवरक पीछ की ओर िच होकर लट जाय रचक करक कमर को ऊपर उठाय घटन िनतब और मःतक क िशखा ःथान को भिम क ःथान लगाय रख िशखाःथान क नीच कोई नरम कपड़ा

अवय रख बाय हाथ स दािहन पर का अगठा और दािहन हाथ स बाय पर का अगठा पकड़ दोनो कहिनया ज़मीन को लगाय रख कमभक की िःथित म रहकर ि को पीछ की ओर िसर क पास ल जान की कोिशश कर दात दब हए और मह बनद रख एक िमनट स ारमभ करक पाच िमनट तक अ यास बढ़ाय िफर हाथ खोलकर कमर भिम को लगाकर िसर ऊपर उठाकर बठ जाय परक करक रचक कर

पहल भिम पर लट कर िफर प ासन लगाकर भी मतःयासन हो सकता ह

लाभः मतःयासन स परा शरीर मजबत बनता ह गला छाती पट की तमाम बीमा रया दर होती ह आखो की रोशनी बढ़ती ह गला साफ रहता ह सनिबया ठीक स चलती ह कनधो की नस उलटी मड़ती ह इसस छाती व फफड़ो का िवकास होता ह पट साफ रहता ह आतो का मल दर होता ह र ािभसरण की गित बढ़ती ह फलतः चमड़ी क रोग नही होत दमा और खासी दर होती ह छाती चौड़ी बनती ह पट की चरबी कम होती ह इस आसन स अपानवाय की गित नीच की ओर होन स मलावरोध दर होता ह थोड़ा पानी पीकर यह आ सन करन स शौच-शि म सहायता िमलती ह

मतःयासन स ि यो क मािसकधमर समबनधी सब रोग दर होत ह मािसकॐाव िनयिमत बनता ह

भजगासन

इस आसन म शरीर की आकित फन उठाय हए भजग अथारत सपर जसी बनती ह इसिलए इसको भजगासना कहा जाता ह

धयान िवश ा या चब म ास ऊपर उठात व परक और नीच की ओर जात समय रचक

िविधः भिम पर िबछ हए कमबल पर पट क बल उलट होकर लट जाय दोनो पर और पज परःपर िमल हए रह परो क अगठो को पीछ की ओर खीच दोनो हाथ िसर क तरफ लमब कर द परो क अगठ नािभ छाती ललाट और हाथ की हथिलया भिम पर एक सीध म रख

अब दोनो हथिलयो को कमर क पास ल जाय िसर और कमर ऊपर उठाकर िजतना हो सक उतन पीछ की ओर मोड़ नािभ भिम स लगी रह पर शरीर का वजन हाथ क पज पर आएगा शरीर की िःथित कमान जसी बनगी म दणड क आिखरी भाग पर दबाव किनित होगा िच वि को कणठ म और ि को आकाश की तरफ िःथर कर

20 सकणड तक यह िःथित रख बाद म धीर-धीर िसर को नीच ल आय छाती भिम पर रख िफर िसर को भिम स लगन द आसन िस हो जान क बाद आसन करत समय ास भरक कमभक कर आसन छोड़त समय मल िःथित म आन क बाद ास को खब धीर-धीर छोड़ हर रोज एक साथ 8-10 बार यह आसन कर

लाभः घरड सिहता म इसका लाभ बतात हए कहा ह - भजगासन स जठराि न दी होती ह सवर रोगो का नाश होता ह और कणडिलनी जागत होती ह

म दणड क तमाम मनको को तथा गरदन क आसपास वाल ःनायओ को अिधक श र िमलता ह फलतः नाड़ी तऽ सचत बनता ह िचरजीवी शि मान एव स ढ़ बनता ह िवशषकर मिःतक स िनकलन वाल ानतत बलवान बनत ह पीठ की हिडडय़ो म रहन वाली तमाम खरािबया दर होती ह पट क ःनाय म िखचाव आन स वहा क अगो को शि िमलती ह उदरगहा म दबाव बढ़न स कबज दर होता ह छाती और पट का िवकास होता ह तथा उनक रोग िमट जात ह गभारशय एव बोनाशय अचछ बनत ह फलतः मािसकॐाव क रिहत होता ह मािसक धमर समबनधी समःत िशकायत दर होती ह अित ौम करन क कारण लगन वाली थकान दर होती ह भोजन क बाद होन वाल वाय का ददर न होता ह शरीर म ःफितर आती ह कफ-िपतवालो क िलए यह आसन लाभदायी ह भजगासन करन स दय मजबत बनता ह मधमह और उदर क

रोगो स मि िमलती ह दर अित मािसकॐाव तथा अलप मािसकॐाव जस रोग दर होत ह

इस आसन स म दणड लचीला बनता ह पीठ म िःथत इड़ा और िपगला नािड़यो पर अचछा भाव पड़ता ह कणडिलनी शि जागत करन क िलय यह आसन सहायक ह अमाशय की मासपिशयो का अचछा िवकास होता ह थकान क कारण पीठ म पीड़ा होती हो तो िसफर एक बार ही यह आसन करन स पीड़ा दर होती ह म दणड की कोई हडडी ःथान हो गई हो तो भजगासन करन स यथाःथान म वापस आ जाती ह

धनरासन

इस आसन म शरीर की आकित खीच हए धनष जसी बनती ह अतः इसको धनरासन कहा जाता ह

धयान मिणपर चब म ास नीच की िःथित म रचक और ऊपर की िःथित म परक

िविधः भिम पर िबछ हए कमबल पर पट क बल उलट होकर लट जाय दोनो पर परःपर िमल हए रह अब दोनो प रो को घटनो स मोड़ दोनो हाथो को पीछ ल जाकर दोनो परो को टखनो स पकड़ रचक करक हाथ स पकड़ हए परो को कसकर धीर -धीर खीच िजतना हो सक उतना िसर पीछ की ओर ल जान की कोिशश कर ि भी ऊपर एव पीछ की ओर रहनी चािहए समम शरीर का बोझ कवल नािभदश क ऊपर ही रहगा कमर स ऊपर का धड़ एव कमर स नीच पर पर ऊपर की ओर मड़ हए रहग

कमभक करक इस िःथित म िटक रह बाद म हाथ खोलकर पर तथा िसर को मल अवःथा म ल जाय और परक कर ारभ म पाच सकणड यह आसन कर धीर-धीर समय बढ़ाकर तीन िमनट या उसस भी अिधक समय इस आसन का अ यास कर तीन-चार बार यह आसन करना चािहए

लाभः धनरासन क अ यास स पट की चरबी कम होती ह गस दर होती ह पट को रोग न होत ह कबज म लाभ होता ह भख खलती ह छाती का ददर दर होता ह दय की धडकन मजबत बनती ह ास िक िबया यविःथत चलती ह मखाकित सदर बनती ह आखो की रोशनी बढ़ती ह और तमाम रोग दर होत ह हाथ -पर म होन वाला कपन कता ह शरीर का सौनदयर बढ़ता ह पट क ःनायओ म िखचाव आन स पट को अचछा लाभ होता ह आतो पर खब दबाव पड़न स पट क अगो पर भी दबाव पड़ता ह फलतः आतो म पाचकरस आन लगता ह इसस जठराि न तज होती ह पाचनशि बढ़ती ह वायरोग न होता ह पट क कषऽ म र का सचार अिधक होता ह धनरासन म भजगासन और शलभासन का समावश हो जान क कारण इन दोनो आसनो क लाभ िमलत ह ि यो क िलए यह आसन खब लाभकारक ह इसस मािसक धमर क िवकार गभारशय क तमाम रोग दर होत ह

चबासन

इस आसन म शरीर की आकित चब जसी बनती ह अतः चबासन कहा जाता ह

धयान मिणपर चब म ास दीघर ःवाभािवक

िविधः भिम पर िबछ हए आसन पर िच होकर लट जाय घटनो स पर मोड़ कर ऊपर उठाय पर क तलव ज़मीन स लग रह दो परो क बीच करीब डढ़ फीट का अनतर रख दोनो हाथ मःतक की तरफ उठाकर पीछ की ओर दोनो हथिलयो को ज़मीन पर जमाय दोनो हथिलयो क बीच भी करीब डढ़ फीट का अनतर रख अब हाथ और पर क बल स पर शरीर को कमर स मोड़कर ऊपर उठाय हाथ को धीर-धीर पर की ओर ल जाकर ःमपशर शरीर का आकार व या चब जसा बनाय आख बनद रख ास की गित ःवाभािवक चलन द िच वि मिणपर चब (नािभ कनि) म िःथर कर आख खली भी रख सकत ह एक िमनट स पाच िमनट तक अ यास बढ़ा सकत ह

लाभः म दणड तथा शरीर की समःत नािड़यो का शि करण होकर यौिगक चब जागत होत ह लकवा तथा शरीर की कमजो रया दर होती ह मःतक गदरन पीठ पट

कमर हाथ पर घटन आिद सब अग मजबत बनत ह सिनध ःथानो ददर नही होता पाचनशि बढ़ती ह पट की अनावयक चरबी दर होती ह शरीर तजःवी और फत ला बनता ह िवकारी िवचार न होत ह ःवपनदोष की बीमारी अलिवदा होती ह चबासन क िनयिमत अ यास स व ावःथा म कमर झकती नही शरीर सीधा तना हआ रहता ह

किटिपणडमदरनासन

इस आसन म किटदश (कमर क पास वाल भाग) म िःथत िपणड अथारत मऽिपणड का मदरन होता ह इसस यह आसन किटिपणडमदरनासन कहलाता ह

धयान ःवािध ान चब म ास परक और कमभक

िविधः िबछ हए कमबल पर पीठ क बल िच होकर लट जाय दोनो हाथो को आमन-सामन फला द मि ठया बनद रख दोनो परो को घटनो स मोड़कर खड़ कर द पर क तलव ज़मीन स लग रह दोनो परो क बीच इतना अनतर रख िक घटनो को ज़मीन पर झकान स एक पर का घटना दसर पर की एड़ी को लग िसर दायी ओर मड़ तो दोनो घटन दािहनी ओर ज़मीन को लग इस कार 15-20 बार िबया कर इस कार दोनो परो को एक साथ रखकर भी िबया कर

लाभः िजसको पथरी की तकलीफ हो उस आौम (सत ौी आसारामजी आौम साबरमित अमदावाद-5) स िबना मलय िमलती काली भःम करीब डढ़ माम भोजन स आधा घणटा पवर और भोजन क बाद एक िगलास पानी क साथ लना चािहए और यह आसन भख पट ठीक ढग स करना चािहए इसस पथरी क ददर म लाभ होता ह पथरी टकड़ -टकड़ होकर मऽ क ारा बाहर िनकलन लगती ह मऽिवकार दर होता ह कमर ददर साइिटका रीढ़ की हडडी की जकड़न उदासीनता िनराशा डायािबटीज नपसकता गस पर की गाठ इतयािद रोगो म शीय लाभ होता ह नािभ ःथान स चयत हो जाती हो तो पनः अपन ःथान म आ जाती ह

मािसक धमर क समय एव गभारवःथा म ि या यह आसन न कर कबज का रोगी सबह शौच जान स पहल उषःपान करक यह आसन कर तो चमतका रक लाभ होता ह ास को अनदर भर क पट को फलाकर यह आसन करन स कबज जलदी दर होता ह

अधरमतःयनिासन

कहा जाता ह िक मतःयनिासन की रचना गोरखनाथ क ग ःवामी मतःयनिनाथ न की थी व इस आसन म धयान िकया करत थ मतःयनिासन की आधी िबयाओ को लकर अधरमतःयनिासन चिलत हआ ह

धयान अनाहत चब म ास दीघर

िविधः दोनो परो को लमब करक आसन पर बठ जाओ बाय पर को घटन स मोड़कर एड़ी गदा ार क नीच जमाय पर क तलव को दािहनी जघा क साथ लगा द अब दािहन पर को घटन स मोड़कर खड़ा कर द और बाय पर की जघा स ऊपर ल जात हए जघा क पीछ ज़मीन क ऊपर ऱख द आसन क िलए यह पवरभिमका तयार हो गई

अब बाय हाथ को दािहन पर क घटन स पार करक अथारत घटन को बगल म दबात हए बाय हाथ स दािहन पर का अ गठा पकड़ धड़ को दािहनी ओर मोड़ िजसस दािहन पर क घटन क ऊपर बाय कनध का दबाव ठीक स पड़ अब दािहना हाथ पीठ क पीछ स घमाकर बाय पर की जाघ का िनमन भाग पकड़ िसर दािहनी ओर इतना घमाय िक ठोड़ी और बाया कनधा एक सीधी रखा म आ जाय छाती िबलकल तनी हई रख नीच की ओर झक नही िच वि नािभ क पीछ क भाग म िःथत मिणपर चब म िःथर कर

यह एक तरफ का आसन हआ इसी कार पहल दािहना पर मोड़कर एड़ी गदा ार क नीच दबाकर दसरी तरफ का आसन भी कर ारमभ म पाच सकणड य ह आसन करना पयार ह िफर अ यास बढ़ाकर एक एक तरफ एक एक िमनट तक आसन कर सकत ह

लाभः अधरमतःयनिासन स म दणड ःवःथ रहन स यौवन की ःफितर बनी रहती ह रीढ़ की हिडडयो क साथ उनम स िनकलन वाली नािडयो को भी अचछी कसरत िमल जाती ह पट क िविभनन अगो को भी अचछा लाभ होता ह पीठ पट क नल पर गदरन

हाथ कमर नािभ स नीच क भाग एव छाती की नािड़यो को अचछा िखचाव िमलन स उन पर अचछा भाव पड़ता ह फलतः बनधकोष दर होता ह जठराि न तीो होती ह िवकत यकत पलीहा तथा िनिबय व क क िलए यह आसन लाभदायी ह कमर पीठ और सिनधःथानो क ददर जलदी दर हो जात ह

योगमिासन

योगा यास म यह मिा अित मह वपणर ह इसस इसका नाम योगमिासन रखा गया ह

धयान मिणपर चब म ास रचक कमभक और परक

िविधः प ासन लगाकर दोनो हाथो को पीठ क पीछ ल जाय बाय हाथ स दािहन हाथ की कलाई पकड़ दोनो हाथो को खीचकर कमर तथा रीढ़ क िमलन ःथान पर ल जाय अब रचक करक कमभक कर ास को रोककर शरीर को आग झकाकर भिम पर टक द िफर धीर-धीर िसर को उठाकर शरीर को पनः सीधा कर द और परक कर ारभ म यह आसन किठन लग तो सखासन या िस ासन म बठकर कर पणर लाभ तो प ासन म बठकर करन स ही होता ह पाचनतनऽ क अगो की ःथान ता ठीक करन क िलए यिद यह आसन करत हो तो कवल पाच-दस सकणड तक ही कर एक बठक म तीन स पाच बार सामानयतः यह आसन तीन िमनट तक करना चािहए आधयाितमक उ य स योगमिासन करत हो तो समय की अविध िच और शि क अनसार बढ़ाय

लाभः योगमिासन भली कार िस होता ह तब कणडिलिन शि जागत होती ह पट की गस की बीमारी दर होती ह पट एव आतो की सब िशकायत दर होती ह कलजा फफड़ आिद यथा ःथान रहत ह दय मजबत बनता ह र क िवकार दर होत

ह क और यौनिवकार न होत ह पट बड़ा हो तो अनदर दब जाता ह शरीर मजबत बनता ह मानिसक शि बढ़ती ह

योगमिासन स उदरपटल सश बनता ह पट क अगो को अपन ःथान िटक रहन म सहायता िमलती ह नाड़ीतऽ और खास करक कमर क नाड़ी मणडल को बल िमलता ह

इस आसन म सामनयतः जहा एिड़या लगती ह वहा कबज क अग होत ह उन पर दबाव पड़न स आतो म उ जना आती ह पराना कबज दर होता ह अगो की ःथान ता क कारण होन वाला कबज भी अग अपन ःथान म पनः यथावत िःथत हो जान स न हो जाता ह धात की दबरलता म योगमिासन खब लाभदायक ह

गोरकषासन या भिासन

धयान मलाधार चब म ास थम िःथित म परक और दसरी िःथित म कमभक

िविधः िबछ हए आसन पर बठ जाय दािहना पर घटन स मोड़कर एड़ी सीवन (उपःथ और गदा क मधय) क दािहन भाग म और बाया पर मोड़कर एड़ी सीवन क बाय भाग म इस कार रख िक दोनो पर क तलव एक दसर को लगकर रह

रचक करक दोनो हाथ सामन ज़मीन पर टककर शरीर को ऊपर उठाय और दोनो पर क पजो पर इस कार बठ िक शरीर का वजन एड़ी क मधय भाग म आय अगिलयो वाला भाग छटा रह अब परक करत -करत दोनो हाथो की हथिलयो को घटनो पर रख

अनत म कमभक करक ठोड़ी छाती पर दबाय िच वि मलाधार चब म और ि भी उसी िदशा म लगाय बमशः अ यास बढ़ाकर दसक िमनट तक यह आसन कर

लाभः इस आसन क अ यास स पर क सब सिनध ःथान तथा ःनाय सश बनत ह वाय ऊधवरगामी होकर जठराि न दी करता ह िदनो िदन जड़ता न होन लगती ह शरीर पतला होता ह सकलपबल बढ़ता ह बि तीकषण होती ह कलपनाशि का िवकास होता ह ाणापान की एकता होती ह नादोतपि होन लगती ह िबनद िःथर होकर िच की चचलता कम होती ह आहार का सपणरतया पाचन हो जान क कारण मलमऽ अलप होन लगत ह शरीर शि होन लगती ह तन म ःफितर एव मन म सननता अपन आप कट होती ह ःनाय स ढ़ बनत ह धातकषय गस मधमह ःवपनदोष अजीणर कमर का ददर गदरन की दबरलता बनधकोष मनदाि न िसरददर कषय

दयरोग अिनिा दमा मछाररोग बवासीर आऽपचछ पाणडरोग जलोदर भगनदर कोढ़ उलटी िहचकी अितसार आव उदररोग नऽिवकार आिद अस य रोगो म इस आसन स लाभ होत ह

मयरासन

इस आसन म मयर अथारत मोर की आकित बनती ह इसस इस मयरासन कहा जाता ह

धयान मिणपर चब म ास बा कमभक

िविधः जमीन पर घटन िटकाकर बठ जाय दोनो हाथ की हथिलयो को जमीन पर इस कार रख िक सब अगिलया पर की िदशा म हो और परःपर लगी रह दोनो कहिनयो को मोड़कर पट क कोमल भाग पर नािभ क इदरिगदर रख अब आग झककर दोनो पर को पीछ की लमब कर ास बाहर िनकाल कर दोनो पर को जमीन स ऊपर उठाय और िसर का भाग नीच झकाय इस कार परा शरीर ज़मीन क बराबर समानानतर रह ऐसी िःथित बनाय सपणर शरीर का वजन कवल दो हथिलयो पर ही

रहगा िजतना समय रह सक उतना समय इस िःथित म रहकर िफर मल िःथित म आ जाय इस कार दो-तीन बार कर

लाभः मयरासन करन स चयर-पालन म सहायता िमलती ह पाचन तऽ क अगो की र का वाह अिधक बढ़न स व अग बलवान और कायरशील बनत ह पट क भीतर क भागो म दबाव पड़न स उनकी शि बढ़ती ह उदर क अगो की िशिथलता और मनदाि न दर करन म मयरासन बहत उपयोगी ह

वळासन

वळासन का अथर ह बलवान िःथित पाचनशि वीयरशि तथा ःनायशि दन वाला होन स यह आसन वळासन कहलाता ह

धयान मलाधार चब म और ास दीघर

िविधः िबछ हए आसन पर दोनो परो को घटनो स मोड़कर एिड़यो पर बठ जाय पर क दोनो अगठ परःपर लग रह पर क तलवो क ऊपर िनतमब रह कमर और पीठ िबलकल सीधी रह दोनो हाथ को कहिनयो स मोड़ िबना घटनो पर रख द हथिलया नीच की ओर रह ि सामन िःथर कर द

पाच िमनट स लकर आध घणट तक वळासन का अ यास कर सकत ह वळासन लगाकर भिम पर लट जान स स वळासन होता ह

लाभः वळासन क अ यास स शरीर का मधयभाग सीधा रहता ह ास की गित मनद पड़न स वाय बढ़ती ह आखो की योित तज होती ह वळनाड़ी अथारत वीयरधारा नाड़ी मजबत बनती ह वीयर की ऊधवरगित होन स शरीर वळ जसा बनता ह लमब समय तक सरलता स यह आसन कर सकत ह इसस मन की चचलता दर होकर यि िःथर बि वाला बनता ह शरीर म र ािभसरण ठीक स होकर शरीर िनरोगी एव सनदर बनता ह

भोजन क बाद इस आसन स बठन स पाचन शि तज होती ह कबज दर होती ह भोजन जलदी ह म होता ह पट की वाय का नाश होता ह कबज दर होकर पट क तमाम रोग न होत ह पाणडरोग स मि िमलती ह रीढ़ कमर जाघ घटन और परो म शि बढ़ती ह कमर और पर का वाय रोग दर होता ह ःमरणशि म वि होती ह ि यो क मािसक धमर की अिनयिमतता जस रोग दर होत ह शबदोष वीयरदोष घटनो का ददर आिद का नाश होता ह ःनाय प होत ह ःफितर बढ़ान क िलए एव मानिसक िनराशा दर कर न क िलए यह आसन उपयोगी ह धयान क िलय भी यह आसन उ म ह इसक अ यास स शारी रक ःफितर एव मानिसक सननता कट होती ह िदन-ितिदन शि का सचय होता ह इसिलए शारी रक बल म खब वि होती ह काग का िगरना अथारत गल क टािनसलस हिडडयो क पोल आिद ःथानो म उतपनन होन वाल तकण की स या म वि होन स आरो य का साा य ःथािपत होता ह िफर यि

बखार स िसरददर स कबज स मदाि न स या अजीणर जस छोट-मोट िकसी भी रोग स पीिड़त नही रहता योिक रोग आरो य क साा य म िव होन का साहस ही नही कर पात

स वळासन

धयान िवश ा याचब म ास दीघर सामानय

िविधः वळासन म बठन क बाद िच होकर पीछ की ओर भिम पर लट जाय दोनो जघाए परःपर िमली रह अब रचक करत बाय हाथ का खला पजा दािहन कनध क नीच इस कार रख िक मःतक दोनो हाथ क बास क ऊपर आय रचक परा होन पर िऽबनध कर ि मलाधार चब की िदशा म और िच वि मलाधार चब म ःथािपत कर

लाभः यह आसन करन म ौम बहत कम ह और लाभ अिधक होता ह इसक अ यास स सषमना का मागर अतयनत सरल होता ह कणडिलनी शि सरलता स ऊधवरगमन कर सकती ह

इस आसन म धयान करन स म दणड को सीधा करन का ौम नही करना पड़ता और म दणड को आराम िमलता ह उसकी काय़रशि बल बनती ह इस आसन का अ यास करन स ायः तमाम अतःॐावी मिनथयो को जस शीषरःथ मिनथ कणठःथ मिनथ मऽिपणड की मनथी ऊधवरिपणड तथा प षाथर मिनथ आिद को पि िमलती ह फलतः यि का भौितक एव आधयाितमक िवकास सरल हो जाता ह तन-मन का ःवाःथय भावशाली बनता ह जठराि न दी होती ह मलावरोध की पीडा दर होती ह धातकषय ःवपनदोष पकषाघात पथरी बहरा होना तोतला होना आखो की दबरलता गल क टािनसल ासनिलका का सजन कषय दमा ःमरणशि की दबरलता आिद रोग दर होत ह

शवासन

शवासन की पणारवःथा म शरीर क तमाम अग एव मिःतक पणरतया च ा रिहत िकय जात ह यह अवःथा शव (मद) जसी होन स इस आसन को शवासन कहा जाता ह

िविधः िबछ हए आसन पर िच होकर लट जाय दोनो परो को परःपर स थोड़ अलग कर द दोनो हाथ भी शरीर स थोड़ अलग रह इस कार परो की ओर फला द हाथ की हथिलया आकाश की तरफ खली रख िसर सीधा रह आख बनद

मानिसक ि स शरीर को पर स िसर तक दखत जाय पर शरीर को मद की तरह ढीला छोड़ द हर एक अग को िशिथल करत जाय

शरीर म समपणर िवौाम का अनभव कर मन को भी बा ा िवषयो स हटाकर एकाम कर बारी-बारी स हर एक अग पर मानिसक ि एकाम करत हए भावना कर िक वह अग अब आराम पा रहा ह मरी सब थकान उतर रही ह इस कार भावना करत-करत सब ःनायओ को िशिथल होन द शरीर क एक भी अग म कही भी तनाव (टनशन) न रह िशिथलीकरण की िबया म पर स ारमभ करक िसर तक जाय अथवा िसर स ारमभ करक पर तक भी जा सकत ह अनत म जहा स ारमभ िकया हो वही पनः पहचना चािहय िशिथलीकरण की िबया स शरीर क तमाम अगो का एव ानततओ को िवौाम की अवःथा म ला दना ह

शवासन की दसरी अवःथा म ासोचछोवास पर धयान दना ह शवासन की यही म य िबया ह िवशषकर योग साधको क िलए वह अतयनत उपयोगी ह कवल शारी रक ःवाःथय क िलय थम भिमका पयार ह

इसम ास और उचछवास की िनयिमतता दीघरता और समानता ःथािपत करन का लकषय ह ास िनयिमत चल लमबा और गहरा चल ास और उचछवास एक समान रह तो मन को एकाम करन की शि ा होती ह

शवासन यिद ठीक ढग स िकया जाए तो नाड़ीतऽ इतना शात हो जाता ह िक अ यासी को नीद आन लगती ह लिकन धयान रह िनिनित न होकर जामत रहना आवयक ह

अनय आसन करन क बाद अगो म जो तनाव (टनशन) पदा होता ह उसको िशिथल करन क िलय अत म 3 स 5 िमनट तक शवासन करना चािहए िदनभर म अनकलता क अनसार दो-तीन बार शवासन कर सकत ह

लाभः शवासन क ारा ःनाय एव मासपिशयो म िशिथलीकरण स शि बढ़ती ह अिधक कायर करन की यो यता उसम आती ह र वाहिनयो म िशराओ म र वाह तीो

होन स सारी थकान उतर जाती ह नाड़ीतऽ को बल िमलता ह मानिसक शि म वि होती ह

र का दबाव कम करन क िलए नाड़ीतऽ की दबरलता एव उसक कारण होन वाल रोगो को दर करन क िलय शवासन खब उपयोगी ह

पादपि मो ानासन

यह आसन करना किठन ह इसस उमासन कहा जाता ह उम का अथर ह िशव भगवान िशव सहारक ार ह अतः उम या भयकर ह िशवसिहता म भगवान िशव न म कणठ स शसा करत हए कहा हः यह आसन सवरौ आसन ह इसको य पवरक ग रख िसफर अिधका रयो को ही इसका रहःय बताय

धयान मिणपर चब म ास थम िःथित म परक और दसरी िःथित म रचक और िफर बिहकर मभक

िविधः िबछ हए आसन पर बठ जाय दोनो परो को लमब फला द दोनो परो की जघा घटन पज परःपर िमल रह और जमीन क साथ लग रह परो की अगलया घटनो की तरफ झकी हई रह अब दोनो हाथ लमब कर दािहन हाथ की तजरनी और अगठ स दािहन पर का अगठा और बाय हाथ की तजरनी और अगठ स बाय पर का अगठा पकड़ अब रचक करत-करत नीच झक और िसर को दोनो घटनो क मधय म रख ललाट घटन को ःपशर कर और घटन ज़मीन स लग रह रचक परा होन पर कमभक कर ि एव िच वि को मिणपर चब म ःथािपत कर ारमभ म आधा िमनट करक बमशः 15 िमनट तक यह आसन करन का अ यास बढ़ाना चािहय थम दो-चार िदन किठन लगगा लिकन अ यास हो जान पर यह आसन सरल हो जाएगा

लाभः पादपि मो नासन म समयक अ यास स सषमना का मख खल जाता ह और ाण म दणड क मागर म गमन करता ह फलतः िबनद को जीत सकत ह िबनद को जीत िबना न समािध िस होती ह न वाय िःथर होता ह न िच शात होता ह

जो ी-प ष काम िवकार स अतयत पीिड़त हो उनह इस आसन का अ यास करना चािहए इसस शारी रक िवकार दब जात ह उदर छाती और म दणड को उ म कसरत िमलती ह अतः व अिधक कायरकषम बनत ह हाथ पर तथा अनय अगो क सिनध ःथान मजबत बनत ह शरीर क सब तऽ बराबर कायरशील होत ह रोग माऽ का नाश होकर ःवाःथय़ का साा य ःथािपत होता ह

इस आसन क अ यास स मनदाि न मलावरोध अजीणर उदररोग किमिवकार सद वातिवकार कमर का ददर िहचकी कोढ़ मऽरोग मधमह पर क रोग ःवपनदोष वीयरिवकार र िवकार एपनडीसाइिटस अणडवि पाणडरोग अिनिा दमा ख टी डकार आना ानतनत की दबरलता बवासीर नल की सजन गभारशय क रोग अिनयिमत तथा क दायक मािसक बनधयतव दर नपसकता र िप िसरोवदना बौनापन आिद अनक रोग दर होत ह पट पत ला बनता ह जठराि न दी होती ह कफ और चरबी न होत ह

िशवसिहता म कहा ह िक इस आसन स वाय ीपन होता ह और वह मतय का नाश करता ह इस आसन स शरीर का कद बढ़ता ह शरीर म अिधक ःथलता हो तो कम होती ह दबरलता हो तो वह दर होकर शरीर सामानय तनद ःत अवःथा म आ जाता ह नाडी सःथान म िःथरता आती ह मानिसक शाित ा होती ह िचनता एव उ जना शात करन क िलए यह आसन उ म ह पीठ और म दणड पर िखचाव आन स दोनो िवकिसत होत ह फलतः शरीर क तमाम अवयवो पर अिधकार ःथािपत होता ह सब आसनो म यह आसन सवर धान ह इसक अ यास स कायाकलप (प रवतरन) हो जाता ह

यह आसन भगवान िशव को बहत पयारा ह उनकी आ ा स योगी गोरखनाथ न लोककलयाण हत इसका चार िकया ह आप इस आसन क अदभत लाभो स लाभािनवत हो और दसरो को भी िसखाय

पादपि मो ानासन प यपाद आसारामजी बाप को भी बहत पयारा ह उसस प यौी को बहत लाभ हए ह अभी भी यह आसन उनक आरो यिनिध का रकषक बना हआ ह

पाठक भाइयो आप अवय इस आसन का लाभ लना ारमभ क चार-पाच िदन जरा किठन लगगा बाद म तो यह आसन आपका िशवजी क वरदान प आरो य कवच िस हए िबना नही रहगा

िऽबनध

मलबनध

शौच ःनानािद स िनव होकर आसन पर बठ जाय बायी एड़ी क ारा सीवन या योिन को दबाय दािहनी एड़ी सीवन पर रख गदा ार को िसकोड़कर भीतर की ओर ऊपर खीच यह मलबनध कहा जाता ह

लाभः मलबनध क अ यास स मतय को जीत सकत ह शरीर म नयी ताजगी आती ह िबगड़त हए ःवाःथय की रकषा होती ह चयर का पालन करन म मलबनध सहायक िस होता ह वीयर को प करता ह कबज को न करता ह जठराि न तज होती ह मलबनध स िचरयौवन ा होता ह बाल सफद होन स कत ह

अपानवाय ऊधवरगित पाकर ाणवाय क सषमना म िव होता ह सहॐारचब म िच वि िःथर बनती ह इसस िशवपद का आननद िमलता ह सवर कार की िद य िवभितया और ऐ यर ा होत ह अनाहत नाद सनन को िमलता ह ाण अपान नाद और िबनद एकिऽत होन स योग म पणरता ा होती ह

उडडीयान बनध

आसन पर बठकर परा ास बाहर िनकाल द समपणरतया रचक कर पट को भीतर िसकोड़कर ऊपर की ओर खीच नािभ तथा आत पीठ की तरफ दबाय शरीर को थोड़ा सा आग की तरफ झकाय यह ह उडडीयानबनध

लाभः इसक अ यास स िचरयौवन ा होता ह मतय पर जय ा होती ह चयर क पालन म खब सहायता िमलती ह ःवाःथय सनदर बनता ह कायरशि म वि होती ह नयोिल और उडडीयानबनध जब एक साथ िकय जात ह तब कबज दम दबाकर भाग खड़ा होता ह पट क तमाम अवयवो की मािलश हो जाती ह पट की अनावयक चरबी उतर जाती ह

जालनधरबनध

आसन पर बठकर परक करक कमभक कर और ठोड़ी को छाती क साथ दबाय इसको जालनधरबनध कहत ह

लाभः जालनधरबनध क अ यास स ाण का सचरण ठीक स होता ह इड़ा और िपगला नाड़ी बनद होकर ाण-अपान सषमना म िव होत ह नािभ स अमत कट होता ह िजसका पान जठराि न करता ह योगी इसक ारा अमरता ा करता ह

प ासन पर बठ जाय परा ास बाहर िनकाल कर मलबनध उडडीयानबनध कर िफर खब परक करक मलबनध उडडीयानबनध और जालनधरबनध य तीनो बनध एक साथ कर आख बनद रख मन म णव (ॐ) का अथर क साथ जप कर

इस कार ाणायाम सिहत तीनो बनध का एक साथ अ यास करन स बहत लाभ होता ह और ायः चमतका रक प रणाम आता ह कवल तीन ही िदन क समयक अ यास स जीवन म बािनत का अनभव होन लगता ह कछ समय क अ यास स कवल या कवली कमभक ःवय कट होता ह

कवली कमभक

कवल या कवली कमभक का अथर ह रचक-परक िबना ही ाण का िःथर हो जाना िजसको कवली कमभक िस होता ह उस योगी क िलए तीनो लोक म कछ भी दलरभ नही रहता कणडिलनी जागत होती ह शरीर पतला हो जाता ह मख सनन रहता ह नऽ मलरिहत होत ह सवर रोग दर हो जात ह िबनद पर िवजय होती ह जठराि न विलत होती ह

कवली कमभक िस िकय हए योगी की अपनी सवर मनोकामनाय पणर होती ह इतना ही नही उसका पजन करक ौ ावान लोग भी अपनी मनोकामनाय पणर करन लगत ह

जो साधक पणर एकामता स िऽबनध सिहत ाणायाम क अ यास ारा कवली कमभक का प षाथर िस करता ह उसक भा य का तो पछना ही या उसकी यापकता

बढ़ जाती ह अनतर म महानता का अनभव होता ह काम बोध लोभ मोह मद और मतसर इन छः शऽओ पर िवजय ा होती ह कवली कमभक की मिहमा अपार ह

जलनित

िविधः एक िलटर पानी को गनगना सा गरम कर उसम करीब दस माम श नमक डालकर घोल द सनधव िमल जाय तो अचछा सबह म ःनान क बाद यह पानी चौड़ महवाल पाऽ म कटोर म लकर परो पर बठ जाय पाऽ को दोनो हाथो स पकड़ कर नाक क नथन पानी म डबो द अब धीर-धीर नाक क ारा ास क साथ पानी को भीतर खीच और नाक स भीतर आत हए पानी को मह स बाहर िनकालत जाय नाक को पानी म इस कार बराबर डबोय रख िजसस नाक ारा भीतर जानवाल पानी क साथ हवा न वश कर अनयथा आतरस-खासी आयगी

इस कार पाऽ का सब पानी नाक ारा लकर मख ारा बाहर िनकाल द अब पाऽ को रख कर खड़ हो जाय दोनो पर थोड़ खल रह दोनो हाथ कमर पर रखकर ास को जोर स बाहर िनकालत हए आग की ओर िजतना हो सक झक भिॐका क साथ यह िबया बार-बार कर इसस नाक क भीतर का सब पानी बाहर िनकल जायगा थोड़ा बहत रह भी जाय और िदन म कभी भी नाक स बाहर िनकल जाय तो कछ िचनताजनक नही ह

नाक स पानी भीतर खीचन की यह िबया ारमभ म उलझन जसी लगगी लिकन अ यास हो जान पर िबलकल सरल बन जायगा

लाभः मिःतक की ओर स एक कार का िवषला रस नीच की ओर बहता ह यह रस कान म आय तो कान क रोग होत ह आदमी बहरा हो जाता ह यह रस आखो की तरफ जाय तो आखो का तज कम हो जाता ह चम की ज रत पड़ती ह तथा अनय रोग होत ह यह रस गल की ओर जाय तो गल क रोग होत ह

िनयमपवरक जलनित करन स यह िवषला पदाथर बाहर िनकल जाता ह आखो की रोशनी बढ़ती ह चम की ज रत नही पड़ती चमा हो भी तो धीर-धीर नमबर कम होत-होत छट जाता भी जाता ह ासोचछोवास का मागर साफ हो जाता ह मिःतक म ताजगी रहती ह जकाम-सद होन क अवसर कम हो जात ह जलनित की िबया करन

स दमा टीबी खासी नकसीर बहरापन आिद छोटी-मोटी 1500 बीमी रया दर होती ह जलनित करन वाल को बहत लाभ होत ह िच म सननता बनी रहती ह

गजकरणी िविधः करीब दो िलटर पानी गनगना सा गरम कर उसम करीब 20 माम श

नमक घोल द सनधव िमल जाय तो अचछा ह अब पजो क बल बठकर वह पानी िगलास भर-भर क पीत जाय खब िपय अिधकाअिधक िपय पट जब िबलकल भर जाय गल तक आ जाय पानी बाहर िनकालन की कोिशश कर तब दािहन हाथ की दो बड़ी अगिलया मह म डाल कर उलटी कर िपया हआ सब पानी बाहर िनकाल द पट िबलकल हलका हो जाय तब पाच िमनट तक आराम कर

गजकरणी करन क एकाध घणट क बाद कवल पतली िखचड़ी ही भोजन म ल भोजन क बाद तीन घणट तक पानी न िपय सोय नही ठणड पानी स ःनान कर तीन घणट क बाद ारमभ म थोड़ा गरम पानी िपय

लाभः गजकरणी स एिसडीटी क रोगी को अदभत लाभ होता ह ऐस रोगी को चार-पाच िदन म एक बार गजकरणी चािहए ततप ात महीन म एक बार दो महीन म एक बार छः महीन म एक बार भी गजकरणी कर सकत ह

ातःकाल खाली पट तलसी क पाच-सात प चबाकर ऊपर स थोड़ा जल िपय एसीडीटी क रोगी को इसस बहत लाभ होगा

वष परान कबज क रोिगयो को स ाह म एक बार गजकरणी की िबया अवय करनी चािहए उनका आमाशय मिनथसःथान कमजोर हो जान स भोजन हजम होन म गड़बड़ रहती ह गजकरणी करन स इसम लाभ होता ह फोड़ फनसी िसर म गम सद बखार खासी दमा टीबी वात-िप -कफ क दोष िज ा क रोग गल क रोग छाती क रोग छाती का ददर एव मदाि न म गजकरणी िबया लाभकारक ह

शरीर शोधन-कायाकलप

यह चालीस िदन का कलप ह प यपाद आसारामजी बाप न यह योग िकया हआ ह इसस शरीर सडौल ःवःथ और फत ला बनता ह र म नय-नय कण बनत ह शरीर क कोषो की शि बढ़ती ह मन-बि म चमतका रक लाभ होत ह

िविधः अगल िदन पपीता सव आिद फल उिचत माऽा म ल अथवा मन का 50 माम दस घणट पहल िभगो द उनको उबालकर बीज िनकाल द मन का खा ल और पानी पी ल

ातःकाल उठकर सकलप कर िक इस कलप क दौरान िनि त िकय हए कायरबम क अनसार ही रहगा

शौच-ःनानािद िनतयकमर स िनव होकर सबह 8 बज 200 या 250 माम गाय का उबला हआ गनगना दध िपय पौन घणटा पणर आराम कर बाद म िफर स दध िपय शारी रक ौम कम स कम कर ॐ सोsह हसः इस मऽ का मानिसक जप कर कभी ास को िनहार बस साकषीभाव

मनोरा य चलता हो तो ॐ जोर-जोर स जप कर

इस कार शाम तक िजतना दध हजम कर सक उतना दध दो स तीन िलटर िपय 40 िदन तक कवल द धाहार क बाद 41व िदन मग का उबला हआ पानी मोसममी का रस आिद ल रािऽ को अिधक मगवाली हलकी िखचड़ी खाय इस कार शरीर-शोधन-कायाकलप की पणारहित कर

यिद बि तीकषण बनानी हो ःमरणशि बढ़ानी हो तो कलप क दौरान ॐ ऐ नमः इस मऽ का जप कर सयर को अ यर द

इस कलप म दध क िसवाय अनय कोई खराक लना मना ह चाय तमबाक आिद यसन िनिष ह ि यो क सग स दर रहना तथा चयर का पालन अतयनत आवयक ह

कलजग नही करजग ह यह

कलजग नही करजग ह यह यहा िदन को द अ रात ल

या खब सौदा नकद ह इस हाथ द उस हाथ ल टक

दिनया अजब बाज़ार ह कछ िजनस1 या िक साथ ल

नकी का बदला नक ह बद स बदी की बात ल

मवा िखला मवा िमल फल फल द फल पात ल

आराम द आराम ल दःख ददर द आफत2 ल 1

काटा िकसी को मत लगा गो िमःल-गल3 फला ह त

वह तर हक4 म तीर ह िकस बात पर झला ह त

मत आग म डाल और को या घास का पला ह त

सन ऱख यह नकता5 बखबर िकस बात पर भला ह त

कलजग नही 2

शोखी शरारत मकरो-फन6 सबका बसखा7 ह यहा

जो जो िदखाया और को वह खद भी दखा ह यहा

खोटी खरी जो कछ कही ितसका परखा8 ह यहा

जो जो पड़ा तलता ह मोल ितल ितल का लखा ह यहा

कलजग नही 3

जो और की बःती9 रख उसका भी बसता ह परा

जो और क मार छरी उसको भी लगता ह छरा

जो और की तोड़ घड़ी उसका भी टट ह घड़ा

जो और की चत10 बदी उसका भी होता ह बरा

कलजग नही 4

जो और को फल दवगा वह भी सदा फल पावगा

गह स गह जौ स जौ चावल स चावल पावगा

जो आज दवगा यहा वसा ही वह कल पावगा

कल दवगा कल पावगा िफर दवगा िफर पावगा

कलजग नही 5

जो चाह ल चल इस घड़ी सब िजनस यहा तयार ह

आराम म आराम ह आजार म आजार11 ह

दिनया न जान इसको िमया दरया की यह मझधार ह

औरो का बड़ा पार कर तरा भी बड़ा पार ह

कलजग नही 6

त और की तारीफ कर तझको सना वानी12 िमल

कर मिकल आसा औरो की तझको भी आसानी िमल

त और को महमान कर तझको भी महमानी िमल

रोटी िखला रोटी िमल पानी िपला पानी िमल

कलजग नही 7

जो गल13 िखलाव और का उसका ही गल िखलता भी ह

जो और का कील14 ह मह उसका ही मह िकलता भी ह

जो और का छील िजगर उसका िजगर िछलता भी ह

जो और को दव कपट उसको कपट िमलता भी ह

कलजग नही 8

कर जो कछ करना ह अब यह दम तो कोई आन15 ह

नकसान म नकसान ह एहसान म एहसान ह

तोहमत म यहा तोहमत िमल तफान म तफान ह

रहमान16 को रहमान17 ह शतान को शतान ह

कलजग नही 9

यहा जहर द तो जहर ल श कर म श कर दख ल

नको का नकी का मजा मजी18 को ट कर दख ल

मोती िदय मोती िमल पतथर म पतथर दख ल

गर तझको यह बावर19 नही तो त भी करक दख ल

कलजग नही 10

अपन नफ क वाःत मत और का नकसान कर

तरा भी नकसा होवगा इस बात पर त धयान कर

खाना जो खा सो दखकर पानी िपय तो छानकर

या पावो को रख फककर और खोफ स गजरान कर

कलजग नही 11

गफलत की यह जगह नही त सािहब-इदराक20 रह

िदलशाद21 ऱख िदल शाह रह गमनाक रख गमनाक रह

हर हाल म भी त नजीर22 अब हर कदम की रह

यह वह मका ह ओ िमया या पाक23 रह बबाक24 रह

कलजग नही 12

1 वःत 2 मसीबत 3 पप की तरह 4 तर िलय 5 रहःय 6 दगा-धोखा 7 घर 8 परखना 9 नगरी 10 िवचार कर 11 दःख 12 तारीफ-ःतित 13 फल 14 िकसी को बोलन न दना 15 घड़ी पल 16 दयावान 17 दयाल भगवान 18 सतान वाला 19 िव ास 20 तीो ा तज समझन वाला प ष 21 सननिच 22 किव का नाम ह 23 श पिवऽ 24 िनडर

  • आधयातमिक विदया क उदगाता
  • सवासथय क लिए मतर
  • परासताविक
  • बरहमचरय-रकषा का मनतर
  • आसनो की परकिया म आन वाल कछ शबदो की समझ
  • आवशयक निरदश
  • योगासन
    • पदमासन या कमलासन
    • सिदधासन
    • सरवागासन
    • हलासन
    • पवनमकतासन
    • मतसयासन
    • भजगासन
    • धनरासन
    • चकरासन
    • कटिपिणडमरदनासन
    • अरधमतसयनदरासन
    • योगमदरासन
    • गोरकषासन या भदरासन
    • मयरासन
    • वजरासन
    • सपतवजरासन
    • शवासन
    • पादपशचिमोततानासन
      • तरिबनध
        • मलबनध
        • उडडीयान बनध
        • जालनधरबनध
          • कवली कमभक
          • जलनति
          • गजकरणी
          • शरीर शोधन-कायाकलप
          • कलजग नही करजग ह यह
Page 6: अनुबम - || Home || HariOmGroup · िस होता है। िवशु नाड़ीतंऽ वालेयोगी के िवशु शरीर में

चबः चब आधयाितमक शि यो क कनि ह ःथल शरीर म चमरचकष स व िदखत नही योिक व हमार सआम शरीर म िःथत होत ह िफर भी ःथल शरीर क ानतनत

ःनाय कनि क साथ उनकी समानता जोड़कर उनका िनदश िकया जाता ह हमार शरीर म ऐस सात चब म य ह 1 मलाधारः गदा क पास म दणड क आिखरी मनक क पास होता ह 2 ःवािध ानः जननिनिय स ऊपर और नािभ स नीच क भाग म होता ह 3 मिणपरः नािभकनि म होता ह 4 अनाहतः दय म होता ह 5 िवश ः कणठ म होता ह 6 आ ाचबः दो भौहो क बीच म होता ह 7 सहॐारः मिःतक क ऊपर क भाग म जहा चोटी रखी जाती ह वहा होता ह

नाड़ीः ाण वहन करन वाली बारीक निलकाओ को नाड़ी कहत ह उनकी स या 72000 बतायी जाती ह इड़ा िपगला और सषमना य तीन म य ह उनम भी सषमना सबस अिधक मह वपणर ह

आवयक िनदश

1 भोजन क छः घणट बाद दध पीन क दो घणट बाद या िबलकल खाली पट ही आसन कर

2 शौच-ःनानािद स िनव होकर आसन िकय जाय तो अचछा ह

3 ास मह स न लकर नाक स ही लना चािहए

4 गरम कमबल टाट या ऐसा ही कछ िबछाकर आसन कर खली भिम पर िबना कछ िबछाय आसन कभी न कर िजसस शरीर म िनिमरत होन वाला िव त-वाह न न हो जाय

5 आसन करत समय शरीर क साथ ज़बरदःती न कर आसन कसरत नही ह अतः धयरपवरक आसन कर

6 आसन करन क बाद ठड म या तज हवा म न िनकल ःनान करना हो तो थोड़ी दर बाद कर

7 आसन करत समय शरीर पर कम स कम व और ढील होन चािहए

8 आसन करत-करत और मधयानतर म और अत म शवासन करक

िशिथलीकरण क ारा शरीर क तग बन ःनायओ को आराम द

9 आसन क बाद मऽतयाग अवय कर िजसस एकिऽत दिषत त व बाहर िनकल जाय

10 आसन करत समय आसन म बताए हए चबो पर धयान करन स और मानिसक जप करन स अिधक लाभ होता ह

11 आसन क बाद थोड़ा ताजा जल पीना लाभदायक ह ऑि सजन और हाइसोजन म िवभािजत होकर सिनध-ःथानो का मल िनकालन म जल बहत आवयक होता ह

12 ि यो को चािहए िक गभारवःथा म तथा मािसक धमर की अविध म व कोई भी आसन कभी न कर

13 ःवाःथय क आकाकषी हर यि को पाच-छः तलसी क प ातः चबाकर पानी पीना चािहए इसस ःमरणशि बढ़ती ह एसीडीटी एव अनय रोगो म लाभ होता ह

योगासन

प ासन या कमलासन

इस आसन म परो का आधार प अथारत कमल जसा बनन स इसको प ासन या कमलासन कहा जाता ह धयान आ ाचब म अथवा अनाहत चब म ास रचक

कमभक दीघर ःवाभािवक

िविधः िबछ हए आसन क ऊपर ःवःथ होकर बठ रचक करत करत दािहन पर को मोड़कर बाई जघा पर रख बाय पर को मोड़कर दािहनी जघा पर रख अथवा पहल बाया पर और बाद म दािहना पर भी रख सकत ह पर क तलव ऊपर की ओर और एड़ी नािभ क नीच रह घटन ज़मीन स लग रह िसर गरदन छाती म दणड आिद परा भाग सीधा और तना हआ रह दोनो हाथ घटनो क ऊपर ानमिा म रह (अगठ को तजरनी अगली क नाखन स लगाकर शष तीन अगिलया सीधी रखन स ानमिा बनती ह) अथवा बाय हाथ को गोद म रख हथली ऊपर की और रह उसक ऊपर उसी कार दािहना हाथ रख दोनो हाथ की अगिलया परःपर लगी रहगी दोनो हाथो को म ठी बाधकर घटनो पर भी रख सकत ह

रचक परा होन क बाद कमभक कर ारभ म पर जघाओ क ऊपर पर न रख सक तो एक ही पर रख पर म झनझनाहट हो लश हो तो भी िनराश न होकर अ यास चाल रख अश या रोगी को चािहए िक वह ज़बरदःती प ासन म न बठ प ासन

सश एव िनरोगी क िलए ह हर तीसर िदन समय की अविध एक िमनट बढ़ाकर एक घणट तक पहचना चािहए

ि नासाम अथवा मधय म िःथर कर आख बद खली या अधर खली भी रख सकत ह शरीर सीधा और िःथर रख ि को एकाम बनाय

भावना कर िक मलाधार चब म छपी हई शि का भणडार खल रहा ह िनमन कनि म िःथत चतना तज और औज़ क प म बदलकर ऊपर की ओर आ रही ह अथवा अनाहत चब ( दय) म िच एकाम करक भावना कर िक दय पी कमल म स सगनध की धाराए वािहत हो रही ह समम शरीर इन धाराओ स सगिनधत हो रहा ह

लाभः ाणायाम क अ यासपवरक यह आसन करन स नाड़ीतऽ श होकर आसन िस होता ह िवश नाड़ीतऽ वाल योगी क िवश शरीर म रोग की छाया तक नही रह सकती और वह ःवचछा स शरीर का तयाग कर सकता ह

प ासन म बठन स शरीर की ऐसी िःथित बनती ह िजसस सन तऽ ानतऽ और र ािभसरणतऽ स यविःथत ढग क कायर कर सकत ह फलतः जीवनशि का िवकास होता ह प ासन का अ यास करन वाल साधक क जीवन म एक िवशष कार की आभा कट होती ह इस आसन क ारा योगी सत महाप ष महान हो गय ह

प ासन क अ यास स उतसाह म वि होती ह ःवभाव म सननता बढ़ती ह मख तजःवी बनता ह बि का अलौिकक िवकास होता ह िच म आननद-उललास रहता ह िचनता शोक दःख शारी रक िवकार दब जात ह किवचार पलायन होकर सिवचार कट होन लगत ह प ासन क अ यास स रजस और तमस क कारण यम बना हआ िच शानत होता ह स वगण म अतयत व ि होती ह ाणायाम साि वक िमताहार और सदाचार क साथ प ासन का अ यास करन स अतःॐावी मिथयो को िवश र िमलता ह फलतः यि म कायरशि बढ़न स भौितक एव आधयाितमक िवकास शीय होता ह बौि क-मानिसक कायर करन वालो क िलए िचनतन मनन करन वालो क िलए एव िव ािथरयो क िलए यह आसन खब लाभदायक ह चचल मन को िःथर करन क िलए एव वीयररकषा क िलए या आसन अि ितय ह

ौम और क रिहत एक घणट तक प ासन पर बठन वाल यि का मनोबल खब बढ़ता ह भाग गाजा चरस अफीम मिदरा तमबाक आिद यसनो म फस हए यि

यिद इन यसनो स म होन की भावना और ढ़ िन य क साथ प ासन का अ यास कर तो उनक द यरसन सरलता स और सदा क िलए छट जात ह चोरी जआ यिभचार या हःतदोष की बरी आदत वाल यवक-यवितया भी इस आसन क ारा उन सब कसःकारो स म हो सकत ह

क र िप पकषाघात मलावरोध स पदा हए रोग कषय दमा िहःटी रया धातकषय कनसर उदरकिम तवचा क रोग वात-कफ कोप नपसकतव वनध य आिद रोग प ासन क अ यास स न हो जात ह अिनिा क रोग क िलए यह आसन रामबाण इलाज ह इसस शारी रक मोटापन कम होता ह शारी रक एव मानिसक ःवाःथय की सरकषा क िलए यह आसन सव म ह

प ासन म बठकर अि नी मिा करन अथारत गदा ार का बार-बार सकोच सार करन स अपानवाय सषमना म िव होता ह इसस काम िवकार पर जय ा होन लगती ह ग ोिनिय को भीतर की ओर िसकोड़न स अथारत योिनमिा या वळोली करन स वीयर उधवरगामी होता ह प ासन म बठकर उडडीयान बनध जालधर बनध तथा कमभक करक छाती एव पट को फलान िक िबया करन स वकषशि एव कणठशि होती ह फलतः भख खलती ह भोजन सरलता स पचता ह जलदी थकान नही होती ःमरणशि एव आतमबल म वि होती ह

यम-िनयमपवरक लमब समय तक प ासन का अ यास करन स उणता कट होकर मलाधार चब म आनदोलन उतपनन होत ह कणडिलनी शि जागत होन की भिमका बनती ह जब यह शि जागत होती ह तब इस सरल िदखन वाल प ासन की वाःतिवक मिहमा का पता चलता ह घरणड शािणडलय तथा अनय कई ऋिषयो न इस आसन की मिहमा गायी ह धयान लगान क िलए यह आसन खब लाभदायक ह

इद प ासन ो सवर यािधिवनाशम

दलरभ यन कनािप धीमता ल यत भिव

इस कार सवर यािधयो को िवन करन वाल प ासन का वणरन िकया यह दलरभ आसन िकसी िवरल बि मान प ष को ही ा होता ह

(हठयोगदीिपका थमोपदश)

िस ासन

प ासन क बाद िस ासन का ःथान आता ह अलौिकक िसि या ा करन वाला होन क कारण इसका नाम िस ासन पड़ा ह िस योिगयो का यह िय आसन ह यमो म चयर ौ ह िनयमो म शौच ौ ह वस आसनो म िस ासन ौ ह

धयान आ ाचब म और ास दीघर ःवाभािवक

िविधः आसन पर बठकर पर खल छोड़ द अब बाय पर की एड़ी को गदा और जननिनिय क बीच रख दािहन पर की एड़ी को जननिनिय क ऊपर इस कार रख िजसस जननिनिय और अणडकोष क ऊपर दबाव न पड़ परो का बम बदल भी सकत ह दोनो परो क तलव जघा क मधय भाग म रह हथली ऊपर की ओर रह इस कार दोनो हाथ एक दसर क ऊपर गोद म रख अथवा दोनो हाथो को दोनो घटनो क ऊपर ानमिा म रख आख खली अथवा बनद रख ासोचछोवास आराम स ःवाभािवक चलन

द मधय म आ ाचब म धयान किनित कर पाच िमनट तक इस आसन का अ यास कर सकत ह धयान की उचच ककषा आन पर शरीर पर स मन की पकड़ छट जाती ह

लाभः िस ासन क अ यास स शरीर की समःत नािड़यो का शि करण होता ह ाणत व ःवाभािवकतया ऊधवरगित को ा होता ह फलतः मन को एकाम करना सरल बनता ह

पाचनिबया िनयिमत होती ह ास क रोग दय रोग जीणर वर अजीणर अितसार शबदोष आिद दर होत ह मदाि न मरोड़ा समहणी वातिवकार कषय दमा मधमह पलीहा की वि आिद अनक रोगो का शमन होता ह प ासन क अ यास स जो रोग दर होत ह व िस ासन क अ यास स भी दर होत ह

चयर-पालन म यह आसन िवशष प स सहायक होता ह िवचार पिवऽ बनत ह मन एकाम होता ह िस ासन का अ यासी भोग-िवलास स बच सकता ह 72 हजार नािड़यो का मल इस आसन क अ यास स दर होता ह वीयर की रकषा होती ह ःवपनदोष क रोगी को यह आसन अवय करना चािहए

योगीजन िस ासन क अ यास स वीयर की रकषा करक ाणायाम क ारा उसको मिःतक की ओर ल जात ह िजसस वीयर ओज तथा मधाशि म प रणत होकर िद यता का अनभव करता ह मानिसक शि यो का िवकास होता ह

कणडिलनी शि जागत करन क िलए यह आसन थम सोपान ह

िस ासन म बठकर जो कछ पढ़ा जाता ह वह अचछी तरह याद रह जाता ह िव ािथरयो क िलए यह आसन िवशष लाभदायक ह जठराि न तज होती ह िदमाग िःथर बनता ह िजसस ःमरणशि बढ़ती ह

आतमा का धयान करन वाला योगी यिद िमताहारी बनकर बारह वषर तक िस ासन का अ यास कर तो िसि को ा होता ह िस ासन िस होन क बाद अनय आसनो का कोई योजन नही रह जाता िस ासन स कवल या कवली कमभक िस होता ह छः मास म भी कवली कमभक िस हो सकता ह और ऐस िस योगी क दशरन-पजन स पातक न होत ह मनोकामना पणर होती ह िस ासन क ताप स िनब ज समािध िस हो जाती ह मलबनध उडडीयान बनध और जालनधर बनध अपन आप होन लगत ह

िस ासन जसा दसरा आसन नही ह कवली कमभक क समान ाणायाम नही ह खचरी मिा क समान अनय मिा नही ह और अनाहत नाद जसा कोई नाद नही ह

िस ासन महाप षो का आसन ह सामानय यि हठपवरक इसका उपयोग न कर अनयथा लाभ क बदल हािन होन की समभावना ह

सवागासन

भिम पर सोकर शरीर को ऊपर उठाया जाता ह इसिलए इसको सवागासन कहत ह

धयान िवश ा य चब म ास रचक परक और दीघर

िविधः भिम पर िबछ हए आसन पर िच होकर लट जाए ास को बाहर िनकाल कर अथारत रचक करक कमर तक क दोनो पर सीध और परःपर लग हए रखकर ऊपर उठाए िफर पीठ का भाग भी ऊपर उठाए दोनो हाथो स कमर को आधार द हाथ की कहिनया भिम स लग रह गरदन और कनध क बल परा शरीर ऊपर की और सीधा खड़ा कर द ठोडी छाती क साथ िचपक जाए दोनो पर आकाश की ओर रह ी दोनो परो क अगठो की ओर रह अथवा आख बनद करक िच वि को कणठदश म िवश ा य चब म िःथर कर परक करक ास को दीघर सामानय चलन द

इस आसन का अ य़ास ढ़ होन क बाद दोनो परो को आग पीछ झकात हए जमीन को लगात हए अनय आसन भी हो सकत ह सवागासन की िःथित म दोनो परो को जाघो पर लगाकर प ासन भी िकया जा सकता ह

ारमभ म तीन स पाच िमनट तक यह आसन कर अ यासी तीन घणट तक इस आसन का समय बढ़ा सकत ह

लाभः सवागासन क िनतय अ यास स जठराि न तज होती ह साधक को अपनी िच क अनसार भोजन की माऽा बढ़ानी चािहए सवागासन क अ यास स शरीर की तवचा लटकन नही लगती तथा शरीर म झ ररया नही पड़ती बाल सफद होकर िगरत नही हर रोज़ एक हर तक सवागासन का अ यास करन स मतय पर िवजय िमलती ह

शरीर म सामथयर बढ़ता ह तीनो दोषो का शमन होता ह वीयर की ऊधवरगित होकर अनतःकरण श होता ह मधाशि बढ़ती ह िचर यौवन की ाि होती ह

इस आसन स थायराइड नामक अनतःमिनथ की शि बढ़ती ह वहा र सचार तीो गित स होन लगता ह इसस उस पोषण िमलता ह थायराइड क रोगी को इस आसन स अदभत लाभ होता ह िलवर और पलीहा क रोग दर होत ह ःमरणशि बढ़ती ह मख पर स महास एव अनय दाग दर होकर मख तजःवी बनता ह जठर एव नीच उतरी हई आत अपन मल ःथान पर िःथर होती ह प षातन मिनथ पर सवागासन का अचछा भाव पड़ता ह ःवपनदोष दर होता ह मानिसक बौि क वि करन वालो को तथा िवशषकर िव ािथरयो को यह आसन अवय करना चािहए

मनदाि न अजीणर कबज अशर थायराइड का अलप िवकास थोड़ िदनो का अपनडीसाइिटस और साधारण गाठ अगिवकार असमय आया हआ व तव दमा कफ

चमड़ी क रोग र दोष ि यो को मािसक धमर की अिनयिमतता एव ददर मािसक न आना अथवा अिधक आना इतयािद रोगो म इस आसन स लाभ होता ह नऽ और मिःतक की शि बढ़ती ह उनक रोग दर होत ह

थायराइड क अित िवकासवाल खब कमजोर दयवाल और अतयिधक चब वाल लोगो को िकसी अनभवी की सलाह लकर ही सवागासन करना चािहए

शीषारसन करन स जो लाभ होता ह व सब लाभ सवागासन और पादपि मो ानसन करन स िमल जात ह शीषारसन म गफलत होन स जो हािन होती ह वसी हािन होन की सभावना सवागासन और पादपि मो ानासन म नही ह

हलासन

इस आसन म शरीर का आकार हल जसा बनता ह इसिलए इसको हलासन कहा जाता ह

धयान िवश ा या चब म ास रचक और बाद म दीघर

िविधः भिम पर िबछ हए आसन पर िच होकर लट जाए दोनो हाथ शरीर को लग रह अब रचक करक ास को बाहर िनकाल द दोनो परो को एक साथ धीर-धीर ऊच करत जाय आकाश की ओर पर उठाकर िफर पीछ िसर क तरफ झकाय पर िबलकल तन हए रखकर पज ज़मीन पर लगाय ठोड़ी छाती स लगी रह िच वि को िवश ा या चब म िःथर कर दो-तीन िमनट स लकर बीस िमनट तक समय की अविध बढ़ा सकत ह

लाभः हलासन क अ यास स अजीणर कबज अशर थायराइड का अलप िवकास अगिवकार असमय व तव दमा कफ र िवकार आिद दर होत ह इस आसन स िलवर अचछा होता ह छाती का िवकास होता ह सनिबया तज होकर ऑ सीजन स र श बनता ह गल क ददर पट की बीमारी सिधवात आिद दर होत ह पट की चरबी कम होती ह िसरददर दर होता ह वीयरिव कार िनमरल होता ह खराब िवचार बनद होत ह नाड़ी तऽ श होता ह शरीर बलवान और तजःवी बनता ह गिभरणी ि यो क िसवा हर एक को यह आसन करना चािहए

रीढ़ म कठोरता होना यह व ावःथा का िच ह हलासन स रीढ़ लचीली बनती ह इसस यवावःथा की शि ःफितर ःवाःथय और उतसाह बना रहता ह म दणड

समबनधी नािड़यो क ःवाःथय की रकषा होकर व ावःथा क लकषण जलदी नही आत जठर की नािड़यो को शि ा होती ह

जठर की मासपिशया तथा पाचनतऽ क अगो की नािड़यो की दबरलता क कारण अगर मदाि न एव कबज हो तो हलासन स दर होत ह कमर पीठ एव गरदन क रोग न होत ह िलवर और पलीहा बढ़ गए हो तो हलासन स सामानय अवःथा म आ जात ह काम कनि की शि बढ़ती ह अपानशि का उतथान होकर उदान पी अि न का योग होन स वीयरशि ऊधवरगामी बनती ह हलासन स वीयर का ःतभन होता ह यह आसन अणडकोष की वि पिनबयास अपिनड स आिद को ठीक करता ह थायराइड मिनथ की िबयाशीलता बढ़ती ह धयान करन स िवश चब जागत हो जाता ह

पवनम ासन

शरीर म िःथत पवन (वाय) यह आसन करन स म होता ह इसिलए इस पवनम ासन कहा जाता ह

धयान मिणपर चब म ास पहल परक िफर कमभक और रचक

िविधः भिम पर िबछ हए आसन पर िच होकर लट जाय परक करक फफड़ो म ास भर ल अब िकसी भी एक पर को घटन स मोड़ द दोनो हाथो की अगिलयो को

परःपर िमलाकर उसक ारा मोड़ हए घटनो को पकड़कर पट क साथ लगा द िफर िसर को ऊपर उठाकर मोड़ हए घटनो पर नाक लगाए दसरा पर ज़मीन पर सीधा रह इस िबया क दौरान ास को रोककर कमभक चाल रख िसर और मोड़ा हआ पर भिम पर पवरवत रखन क बाद ही रचक कर दोनो परो को बारी -बारी स मोड़कर यह िबया कर दोनो पर एक साथ मोड़कर भी यह आसन हो सकता ह

लाभः पवनम ासन क िनयिमत अ यास स पट की चरबी कम होती ह पट की वाय न होकर पट िवकार रिहत बनता ह कबज दर होता ह पट म अफारा हो तो इस आसन स लाभ होता ह ातःकाल म शौचिबया ठीक स न होती हो तो थोड़ा पानी पीकर यह आसन 15-20 बार करन स शौच खलकर होगा

इस आसन स ःमरणशि बढ़ती ह बौि क कायर करन वाल डॉ टर वकील सािहतयकार िव ाथ तथा बठकर वि करन वाल मनीम यापारी आिद लोगो को िनयिमत प स पवनम ासन करना चािहए

मतःयासन

मतःय का अथर ह मछली इस आसन म शरीर का आकार मछली जसा बनता ह अतः मतःयासन कहलाता ह पलािवनी ाणायाम क साथ इस आसन की िःथित म लमब समय तक पानी म तर सकत ह

धयान िवश ा या चब म ास पहल रचक बिहकर मभक िफर परक और रचक

िविधः भिम पर िबछ हए आसन पर प ासन लगाकर सीध बठ जाय िफर परो को प ासन की िःथित म ही रखकर हाथ क आधार स सावधानी पवरक पीछ की ओर िच होकर लट जाय रचक करक कमर को ऊपर उठाय घटन िनतब और मःतक क िशखा ःथान को भिम क ःथान लगाय रख िशखाःथान क नीच कोई नरम कपड़ा

अवय रख बाय हाथ स दािहन पर का अगठा और दािहन हाथ स बाय पर का अगठा पकड़ दोनो कहिनया ज़मीन को लगाय रख कमभक की िःथित म रहकर ि को पीछ की ओर िसर क पास ल जान की कोिशश कर दात दब हए और मह बनद रख एक िमनट स ारमभ करक पाच िमनट तक अ यास बढ़ाय िफर हाथ खोलकर कमर भिम को लगाकर िसर ऊपर उठाकर बठ जाय परक करक रचक कर

पहल भिम पर लट कर िफर प ासन लगाकर भी मतःयासन हो सकता ह

लाभः मतःयासन स परा शरीर मजबत बनता ह गला छाती पट की तमाम बीमा रया दर होती ह आखो की रोशनी बढ़ती ह गला साफ रहता ह सनिबया ठीक स चलती ह कनधो की नस उलटी मड़ती ह इसस छाती व फफड़ो का िवकास होता ह पट साफ रहता ह आतो का मल दर होता ह र ािभसरण की गित बढ़ती ह फलतः चमड़ी क रोग नही होत दमा और खासी दर होती ह छाती चौड़ी बनती ह पट की चरबी कम होती ह इस आसन स अपानवाय की गित नीच की ओर होन स मलावरोध दर होता ह थोड़ा पानी पीकर यह आ सन करन स शौच-शि म सहायता िमलती ह

मतःयासन स ि यो क मािसकधमर समबनधी सब रोग दर होत ह मािसकॐाव िनयिमत बनता ह

भजगासन

इस आसन म शरीर की आकित फन उठाय हए भजग अथारत सपर जसी बनती ह इसिलए इसको भजगासना कहा जाता ह

धयान िवश ा या चब म ास ऊपर उठात व परक और नीच की ओर जात समय रचक

िविधः भिम पर िबछ हए कमबल पर पट क बल उलट होकर लट जाय दोनो पर और पज परःपर िमल हए रह परो क अगठो को पीछ की ओर खीच दोनो हाथ िसर क तरफ लमब कर द परो क अगठ नािभ छाती ललाट और हाथ की हथिलया भिम पर एक सीध म रख

अब दोनो हथिलयो को कमर क पास ल जाय िसर और कमर ऊपर उठाकर िजतना हो सक उतन पीछ की ओर मोड़ नािभ भिम स लगी रह पर शरीर का वजन हाथ क पज पर आएगा शरीर की िःथित कमान जसी बनगी म दणड क आिखरी भाग पर दबाव किनित होगा िच वि को कणठ म और ि को आकाश की तरफ िःथर कर

20 सकणड तक यह िःथित रख बाद म धीर-धीर िसर को नीच ल आय छाती भिम पर रख िफर िसर को भिम स लगन द आसन िस हो जान क बाद आसन करत समय ास भरक कमभक कर आसन छोड़त समय मल िःथित म आन क बाद ास को खब धीर-धीर छोड़ हर रोज एक साथ 8-10 बार यह आसन कर

लाभः घरड सिहता म इसका लाभ बतात हए कहा ह - भजगासन स जठराि न दी होती ह सवर रोगो का नाश होता ह और कणडिलनी जागत होती ह

म दणड क तमाम मनको को तथा गरदन क आसपास वाल ःनायओ को अिधक श र िमलता ह फलतः नाड़ी तऽ सचत बनता ह िचरजीवी शि मान एव स ढ़ बनता ह िवशषकर मिःतक स िनकलन वाल ानतत बलवान बनत ह पीठ की हिडडय़ो म रहन वाली तमाम खरािबया दर होती ह पट क ःनाय म िखचाव आन स वहा क अगो को शि िमलती ह उदरगहा म दबाव बढ़न स कबज दर होता ह छाती और पट का िवकास होता ह तथा उनक रोग िमट जात ह गभारशय एव बोनाशय अचछ बनत ह फलतः मािसकॐाव क रिहत होता ह मािसक धमर समबनधी समःत िशकायत दर होती ह अित ौम करन क कारण लगन वाली थकान दर होती ह भोजन क बाद होन वाल वाय का ददर न होता ह शरीर म ःफितर आती ह कफ-िपतवालो क िलए यह आसन लाभदायी ह भजगासन करन स दय मजबत बनता ह मधमह और उदर क

रोगो स मि िमलती ह दर अित मािसकॐाव तथा अलप मािसकॐाव जस रोग दर होत ह

इस आसन स म दणड लचीला बनता ह पीठ म िःथत इड़ा और िपगला नािड़यो पर अचछा भाव पड़ता ह कणडिलनी शि जागत करन क िलय यह आसन सहायक ह अमाशय की मासपिशयो का अचछा िवकास होता ह थकान क कारण पीठ म पीड़ा होती हो तो िसफर एक बार ही यह आसन करन स पीड़ा दर होती ह म दणड की कोई हडडी ःथान हो गई हो तो भजगासन करन स यथाःथान म वापस आ जाती ह

धनरासन

इस आसन म शरीर की आकित खीच हए धनष जसी बनती ह अतः इसको धनरासन कहा जाता ह

धयान मिणपर चब म ास नीच की िःथित म रचक और ऊपर की िःथित म परक

िविधः भिम पर िबछ हए कमबल पर पट क बल उलट होकर लट जाय दोनो पर परःपर िमल हए रह अब दोनो प रो को घटनो स मोड़ दोनो हाथो को पीछ ल जाकर दोनो परो को टखनो स पकड़ रचक करक हाथ स पकड़ हए परो को कसकर धीर -धीर खीच िजतना हो सक उतना िसर पीछ की ओर ल जान की कोिशश कर ि भी ऊपर एव पीछ की ओर रहनी चािहए समम शरीर का बोझ कवल नािभदश क ऊपर ही रहगा कमर स ऊपर का धड़ एव कमर स नीच पर पर ऊपर की ओर मड़ हए रहग

कमभक करक इस िःथित म िटक रह बाद म हाथ खोलकर पर तथा िसर को मल अवःथा म ल जाय और परक कर ारभ म पाच सकणड यह आसन कर धीर-धीर समय बढ़ाकर तीन िमनट या उसस भी अिधक समय इस आसन का अ यास कर तीन-चार बार यह आसन करना चािहए

लाभः धनरासन क अ यास स पट की चरबी कम होती ह गस दर होती ह पट को रोग न होत ह कबज म लाभ होता ह भख खलती ह छाती का ददर दर होता ह दय की धडकन मजबत बनती ह ास िक िबया यविःथत चलती ह मखाकित सदर बनती ह आखो की रोशनी बढ़ती ह और तमाम रोग दर होत ह हाथ -पर म होन वाला कपन कता ह शरीर का सौनदयर बढ़ता ह पट क ःनायओ म िखचाव आन स पट को अचछा लाभ होता ह आतो पर खब दबाव पड़न स पट क अगो पर भी दबाव पड़ता ह फलतः आतो म पाचकरस आन लगता ह इसस जठराि न तज होती ह पाचनशि बढ़ती ह वायरोग न होता ह पट क कषऽ म र का सचार अिधक होता ह धनरासन म भजगासन और शलभासन का समावश हो जान क कारण इन दोनो आसनो क लाभ िमलत ह ि यो क िलए यह आसन खब लाभकारक ह इसस मािसक धमर क िवकार गभारशय क तमाम रोग दर होत ह

चबासन

इस आसन म शरीर की आकित चब जसी बनती ह अतः चबासन कहा जाता ह

धयान मिणपर चब म ास दीघर ःवाभािवक

िविधः भिम पर िबछ हए आसन पर िच होकर लट जाय घटनो स पर मोड़ कर ऊपर उठाय पर क तलव ज़मीन स लग रह दो परो क बीच करीब डढ़ फीट का अनतर रख दोनो हाथ मःतक की तरफ उठाकर पीछ की ओर दोनो हथिलयो को ज़मीन पर जमाय दोनो हथिलयो क बीच भी करीब डढ़ फीट का अनतर रख अब हाथ और पर क बल स पर शरीर को कमर स मोड़कर ऊपर उठाय हाथ को धीर-धीर पर की ओर ल जाकर ःमपशर शरीर का आकार व या चब जसा बनाय आख बनद रख ास की गित ःवाभािवक चलन द िच वि मिणपर चब (नािभ कनि) म िःथर कर आख खली भी रख सकत ह एक िमनट स पाच िमनट तक अ यास बढ़ा सकत ह

लाभः म दणड तथा शरीर की समःत नािड़यो का शि करण होकर यौिगक चब जागत होत ह लकवा तथा शरीर की कमजो रया दर होती ह मःतक गदरन पीठ पट

कमर हाथ पर घटन आिद सब अग मजबत बनत ह सिनध ःथानो ददर नही होता पाचनशि बढ़ती ह पट की अनावयक चरबी दर होती ह शरीर तजःवी और फत ला बनता ह िवकारी िवचार न होत ह ःवपनदोष की बीमारी अलिवदा होती ह चबासन क िनयिमत अ यास स व ावःथा म कमर झकती नही शरीर सीधा तना हआ रहता ह

किटिपणडमदरनासन

इस आसन म किटदश (कमर क पास वाल भाग) म िःथत िपणड अथारत मऽिपणड का मदरन होता ह इसस यह आसन किटिपणडमदरनासन कहलाता ह

धयान ःवािध ान चब म ास परक और कमभक

िविधः िबछ हए कमबल पर पीठ क बल िच होकर लट जाय दोनो हाथो को आमन-सामन फला द मि ठया बनद रख दोनो परो को घटनो स मोड़कर खड़ कर द पर क तलव ज़मीन स लग रह दोनो परो क बीच इतना अनतर रख िक घटनो को ज़मीन पर झकान स एक पर का घटना दसर पर की एड़ी को लग िसर दायी ओर मड़ तो दोनो घटन दािहनी ओर ज़मीन को लग इस कार 15-20 बार िबया कर इस कार दोनो परो को एक साथ रखकर भी िबया कर

लाभः िजसको पथरी की तकलीफ हो उस आौम (सत ौी आसारामजी आौम साबरमित अमदावाद-5) स िबना मलय िमलती काली भःम करीब डढ़ माम भोजन स आधा घणटा पवर और भोजन क बाद एक िगलास पानी क साथ लना चािहए और यह आसन भख पट ठीक ढग स करना चािहए इसस पथरी क ददर म लाभ होता ह पथरी टकड़ -टकड़ होकर मऽ क ारा बाहर िनकलन लगती ह मऽिवकार दर होता ह कमर ददर साइिटका रीढ़ की हडडी की जकड़न उदासीनता िनराशा डायािबटीज नपसकता गस पर की गाठ इतयािद रोगो म शीय लाभ होता ह नािभ ःथान स चयत हो जाती हो तो पनः अपन ःथान म आ जाती ह

मािसक धमर क समय एव गभारवःथा म ि या यह आसन न कर कबज का रोगी सबह शौच जान स पहल उषःपान करक यह आसन कर तो चमतका रक लाभ होता ह ास को अनदर भर क पट को फलाकर यह आसन करन स कबज जलदी दर होता ह

अधरमतःयनिासन

कहा जाता ह िक मतःयनिासन की रचना गोरखनाथ क ग ःवामी मतःयनिनाथ न की थी व इस आसन म धयान िकया करत थ मतःयनिासन की आधी िबयाओ को लकर अधरमतःयनिासन चिलत हआ ह

धयान अनाहत चब म ास दीघर

िविधः दोनो परो को लमब करक आसन पर बठ जाओ बाय पर को घटन स मोड़कर एड़ी गदा ार क नीच जमाय पर क तलव को दािहनी जघा क साथ लगा द अब दािहन पर को घटन स मोड़कर खड़ा कर द और बाय पर की जघा स ऊपर ल जात हए जघा क पीछ ज़मीन क ऊपर ऱख द आसन क िलए यह पवरभिमका तयार हो गई

अब बाय हाथ को दािहन पर क घटन स पार करक अथारत घटन को बगल म दबात हए बाय हाथ स दािहन पर का अ गठा पकड़ धड़ को दािहनी ओर मोड़ िजसस दािहन पर क घटन क ऊपर बाय कनध का दबाव ठीक स पड़ अब दािहना हाथ पीठ क पीछ स घमाकर बाय पर की जाघ का िनमन भाग पकड़ िसर दािहनी ओर इतना घमाय िक ठोड़ी और बाया कनधा एक सीधी रखा म आ जाय छाती िबलकल तनी हई रख नीच की ओर झक नही िच वि नािभ क पीछ क भाग म िःथत मिणपर चब म िःथर कर

यह एक तरफ का आसन हआ इसी कार पहल दािहना पर मोड़कर एड़ी गदा ार क नीच दबाकर दसरी तरफ का आसन भी कर ारमभ म पाच सकणड य ह आसन करना पयार ह िफर अ यास बढ़ाकर एक एक तरफ एक एक िमनट तक आसन कर सकत ह

लाभः अधरमतःयनिासन स म दणड ःवःथ रहन स यौवन की ःफितर बनी रहती ह रीढ़ की हिडडयो क साथ उनम स िनकलन वाली नािडयो को भी अचछी कसरत िमल जाती ह पट क िविभनन अगो को भी अचछा लाभ होता ह पीठ पट क नल पर गदरन

हाथ कमर नािभ स नीच क भाग एव छाती की नािड़यो को अचछा िखचाव िमलन स उन पर अचछा भाव पड़ता ह फलतः बनधकोष दर होता ह जठराि न तीो होती ह िवकत यकत पलीहा तथा िनिबय व क क िलए यह आसन लाभदायी ह कमर पीठ और सिनधःथानो क ददर जलदी दर हो जात ह

योगमिासन

योगा यास म यह मिा अित मह वपणर ह इसस इसका नाम योगमिासन रखा गया ह

धयान मिणपर चब म ास रचक कमभक और परक

िविधः प ासन लगाकर दोनो हाथो को पीठ क पीछ ल जाय बाय हाथ स दािहन हाथ की कलाई पकड़ दोनो हाथो को खीचकर कमर तथा रीढ़ क िमलन ःथान पर ल जाय अब रचक करक कमभक कर ास को रोककर शरीर को आग झकाकर भिम पर टक द िफर धीर-धीर िसर को उठाकर शरीर को पनः सीधा कर द और परक कर ारभ म यह आसन किठन लग तो सखासन या िस ासन म बठकर कर पणर लाभ तो प ासन म बठकर करन स ही होता ह पाचनतनऽ क अगो की ःथान ता ठीक करन क िलए यिद यह आसन करत हो तो कवल पाच-दस सकणड तक ही कर एक बठक म तीन स पाच बार सामानयतः यह आसन तीन िमनट तक करना चािहए आधयाितमक उ य स योगमिासन करत हो तो समय की अविध िच और शि क अनसार बढ़ाय

लाभः योगमिासन भली कार िस होता ह तब कणडिलिन शि जागत होती ह पट की गस की बीमारी दर होती ह पट एव आतो की सब िशकायत दर होती ह कलजा फफड़ आिद यथा ःथान रहत ह दय मजबत बनता ह र क िवकार दर होत

ह क और यौनिवकार न होत ह पट बड़ा हो तो अनदर दब जाता ह शरीर मजबत बनता ह मानिसक शि बढ़ती ह

योगमिासन स उदरपटल सश बनता ह पट क अगो को अपन ःथान िटक रहन म सहायता िमलती ह नाड़ीतऽ और खास करक कमर क नाड़ी मणडल को बल िमलता ह

इस आसन म सामनयतः जहा एिड़या लगती ह वहा कबज क अग होत ह उन पर दबाव पड़न स आतो म उ जना आती ह पराना कबज दर होता ह अगो की ःथान ता क कारण होन वाला कबज भी अग अपन ःथान म पनः यथावत िःथत हो जान स न हो जाता ह धात की दबरलता म योगमिासन खब लाभदायक ह

गोरकषासन या भिासन

धयान मलाधार चब म ास थम िःथित म परक और दसरी िःथित म कमभक

िविधः िबछ हए आसन पर बठ जाय दािहना पर घटन स मोड़कर एड़ी सीवन (उपःथ और गदा क मधय) क दािहन भाग म और बाया पर मोड़कर एड़ी सीवन क बाय भाग म इस कार रख िक दोनो पर क तलव एक दसर को लगकर रह

रचक करक दोनो हाथ सामन ज़मीन पर टककर शरीर को ऊपर उठाय और दोनो पर क पजो पर इस कार बठ िक शरीर का वजन एड़ी क मधय भाग म आय अगिलयो वाला भाग छटा रह अब परक करत -करत दोनो हाथो की हथिलयो को घटनो पर रख

अनत म कमभक करक ठोड़ी छाती पर दबाय िच वि मलाधार चब म और ि भी उसी िदशा म लगाय बमशः अ यास बढ़ाकर दसक िमनट तक यह आसन कर

लाभः इस आसन क अ यास स पर क सब सिनध ःथान तथा ःनाय सश बनत ह वाय ऊधवरगामी होकर जठराि न दी करता ह िदनो िदन जड़ता न होन लगती ह शरीर पतला होता ह सकलपबल बढ़ता ह बि तीकषण होती ह कलपनाशि का िवकास होता ह ाणापान की एकता होती ह नादोतपि होन लगती ह िबनद िःथर होकर िच की चचलता कम होती ह आहार का सपणरतया पाचन हो जान क कारण मलमऽ अलप होन लगत ह शरीर शि होन लगती ह तन म ःफितर एव मन म सननता अपन आप कट होती ह ःनाय स ढ़ बनत ह धातकषय गस मधमह ःवपनदोष अजीणर कमर का ददर गदरन की दबरलता बनधकोष मनदाि न िसरददर कषय

दयरोग अिनिा दमा मछाररोग बवासीर आऽपचछ पाणडरोग जलोदर भगनदर कोढ़ उलटी िहचकी अितसार आव उदररोग नऽिवकार आिद अस य रोगो म इस आसन स लाभ होत ह

मयरासन

इस आसन म मयर अथारत मोर की आकित बनती ह इसस इस मयरासन कहा जाता ह

धयान मिणपर चब म ास बा कमभक

िविधः जमीन पर घटन िटकाकर बठ जाय दोनो हाथ की हथिलयो को जमीन पर इस कार रख िक सब अगिलया पर की िदशा म हो और परःपर लगी रह दोनो कहिनयो को मोड़कर पट क कोमल भाग पर नािभ क इदरिगदर रख अब आग झककर दोनो पर को पीछ की लमब कर ास बाहर िनकाल कर दोनो पर को जमीन स ऊपर उठाय और िसर का भाग नीच झकाय इस कार परा शरीर ज़मीन क बराबर समानानतर रह ऐसी िःथित बनाय सपणर शरीर का वजन कवल दो हथिलयो पर ही

रहगा िजतना समय रह सक उतना समय इस िःथित म रहकर िफर मल िःथित म आ जाय इस कार दो-तीन बार कर

लाभः मयरासन करन स चयर-पालन म सहायता िमलती ह पाचन तऽ क अगो की र का वाह अिधक बढ़न स व अग बलवान और कायरशील बनत ह पट क भीतर क भागो म दबाव पड़न स उनकी शि बढ़ती ह उदर क अगो की िशिथलता और मनदाि न दर करन म मयरासन बहत उपयोगी ह

वळासन

वळासन का अथर ह बलवान िःथित पाचनशि वीयरशि तथा ःनायशि दन वाला होन स यह आसन वळासन कहलाता ह

धयान मलाधार चब म और ास दीघर

िविधः िबछ हए आसन पर दोनो परो को घटनो स मोड़कर एिड़यो पर बठ जाय पर क दोनो अगठ परःपर लग रह पर क तलवो क ऊपर िनतमब रह कमर और पीठ िबलकल सीधी रह दोनो हाथ को कहिनयो स मोड़ िबना घटनो पर रख द हथिलया नीच की ओर रह ि सामन िःथर कर द

पाच िमनट स लकर आध घणट तक वळासन का अ यास कर सकत ह वळासन लगाकर भिम पर लट जान स स वळासन होता ह

लाभः वळासन क अ यास स शरीर का मधयभाग सीधा रहता ह ास की गित मनद पड़न स वाय बढ़ती ह आखो की योित तज होती ह वळनाड़ी अथारत वीयरधारा नाड़ी मजबत बनती ह वीयर की ऊधवरगित होन स शरीर वळ जसा बनता ह लमब समय तक सरलता स यह आसन कर सकत ह इसस मन की चचलता दर होकर यि िःथर बि वाला बनता ह शरीर म र ािभसरण ठीक स होकर शरीर िनरोगी एव सनदर बनता ह

भोजन क बाद इस आसन स बठन स पाचन शि तज होती ह कबज दर होती ह भोजन जलदी ह म होता ह पट की वाय का नाश होता ह कबज दर होकर पट क तमाम रोग न होत ह पाणडरोग स मि िमलती ह रीढ़ कमर जाघ घटन और परो म शि बढ़ती ह कमर और पर का वाय रोग दर होता ह ःमरणशि म वि होती ह ि यो क मािसक धमर की अिनयिमतता जस रोग दर होत ह शबदोष वीयरदोष घटनो का ददर आिद का नाश होता ह ःनाय प होत ह ःफितर बढ़ान क िलए एव मानिसक िनराशा दर कर न क िलए यह आसन उपयोगी ह धयान क िलय भी यह आसन उ म ह इसक अ यास स शारी रक ःफितर एव मानिसक सननता कट होती ह िदन-ितिदन शि का सचय होता ह इसिलए शारी रक बल म खब वि होती ह काग का िगरना अथारत गल क टािनसलस हिडडयो क पोल आिद ःथानो म उतपनन होन वाल तकण की स या म वि होन स आरो य का साा य ःथािपत होता ह िफर यि

बखार स िसरददर स कबज स मदाि न स या अजीणर जस छोट-मोट िकसी भी रोग स पीिड़त नही रहता योिक रोग आरो य क साा य म िव होन का साहस ही नही कर पात

स वळासन

धयान िवश ा याचब म ास दीघर सामानय

िविधः वळासन म बठन क बाद िच होकर पीछ की ओर भिम पर लट जाय दोनो जघाए परःपर िमली रह अब रचक करत बाय हाथ का खला पजा दािहन कनध क नीच इस कार रख िक मःतक दोनो हाथ क बास क ऊपर आय रचक परा होन पर िऽबनध कर ि मलाधार चब की िदशा म और िच वि मलाधार चब म ःथािपत कर

लाभः यह आसन करन म ौम बहत कम ह और लाभ अिधक होता ह इसक अ यास स सषमना का मागर अतयनत सरल होता ह कणडिलनी शि सरलता स ऊधवरगमन कर सकती ह

इस आसन म धयान करन स म दणड को सीधा करन का ौम नही करना पड़ता और म दणड को आराम िमलता ह उसकी काय़रशि बल बनती ह इस आसन का अ यास करन स ायः तमाम अतःॐावी मिनथयो को जस शीषरःथ मिनथ कणठःथ मिनथ मऽिपणड की मनथी ऊधवरिपणड तथा प षाथर मिनथ आिद को पि िमलती ह फलतः यि का भौितक एव आधयाितमक िवकास सरल हो जाता ह तन-मन का ःवाःथय भावशाली बनता ह जठराि न दी होती ह मलावरोध की पीडा दर होती ह धातकषय ःवपनदोष पकषाघात पथरी बहरा होना तोतला होना आखो की दबरलता गल क टािनसल ासनिलका का सजन कषय दमा ःमरणशि की दबरलता आिद रोग दर होत ह

शवासन

शवासन की पणारवःथा म शरीर क तमाम अग एव मिःतक पणरतया च ा रिहत िकय जात ह यह अवःथा शव (मद) जसी होन स इस आसन को शवासन कहा जाता ह

िविधः िबछ हए आसन पर िच होकर लट जाय दोनो परो को परःपर स थोड़ अलग कर द दोनो हाथ भी शरीर स थोड़ अलग रह इस कार परो की ओर फला द हाथ की हथिलया आकाश की तरफ खली रख िसर सीधा रह आख बनद

मानिसक ि स शरीर को पर स िसर तक दखत जाय पर शरीर को मद की तरह ढीला छोड़ द हर एक अग को िशिथल करत जाय

शरीर म समपणर िवौाम का अनभव कर मन को भी बा ा िवषयो स हटाकर एकाम कर बारी-बारी स हर एक अग पर मानिसक ि एकाम करत हए भावना कर िक वह अग अब आराम पा रहा ह मरी सब थकान उतर रही ह इस कार भावना करत-करत सब ःनायओ को िशिथल होन द शरीर क एक भी अग म कही भी तनाव (टनशन) न रह िशिथलीकरण की िबया म पर स ारमभ करक िसर तक जाय अथवा िसर स ारमभ करक पर तक भी जा सकत ह अनत म जहा स ारमभ िकया हो वही पनः पहचना चािहय िशिथलीकरण की िबया स शरीर क तमाम अगो का एव ानततओ को िवौाम की अवःथा म ला दना ह

शवासन की दसरी अवःथा म ासोचछोवास पर धयान दना ह शवासन की यही म य िबया ह िवशषकर योग साधको क िलए वह अतयनत उपयोगी ह कवल शारी रक ःवाःथय क िलय थम भिमका पयार ह

इसम ास और उचछवास की िनयिमतता दीघरता और समानता ःथािपत करन का लकषय ह ास िनयिमत चल लमबा और गहरा चल ास और उचछवास एक समान रह तो मन को एकाम करन की शि ा होती ह

शवासन यिद ठीक ढग स िकया जाए तो नाड़ीतऽ इतना शात हो जाता ह िक अ यासी को नीद आन लगती ह लिकन धयान रह िनिनित न होकर जामत रहना आवयक ह

अनय आसन करन क बाद अगो म जो तनाव (टनशन) पदा होता ह उसको िशिथल करन क िलय अत म 3 स 5 िमनट तक शवासन करना चािहए िदनभर म अनकलता क अनसार दो-तीन बार शवासन कर सकत ह

लाभः शवासन क ारा ःनाय एव मासपिशयो म िशिथलीकरण स शि बढ़ती ह अिधक कायर करन की यो यता उसम आती ह र वाहिनयो म िशराओ म र वाह तीो

होन स सारी थकान उतर जाती ह नाड़ीतऽ को बल िमलता ह मानिसक शि म वि होती ह

र का दबाव कम करन क िलए नाड़ीतऽ की दबरलता एव उसक कारण होन वाल रोगो को दर करन क िलय शवासन खब उपयोगी ह

पादपि मो ानासन

यह आसन करना किठन ह इसस उमासन कहा जाता ह उम का अथर ह िशव भगवान िशव सहारक ार ह अतः उम या भयकर ह िशवसिहता म भगवान िशव न म कणठ स शसा करत हए कहा हः यह आसन सवरौ आसन ह इसको य पवरक ग रख िसफर अिधका रयो को ही इसका रहःय बताय

धयान मिणपर चब म ास थम िःथित म परक और दसरी िःथित म रचक और िफर बिहकर मभक

िविधः िबछ हए आसन पर बठ जाय दोनो परो को लमब फला द दोनो परो की जघा घटन पज परःपर िमल रह और जमीन क साथ लग रह परो की अगलया घटनो की तरफ झकी हई रह अब दोनो हाथ लमब कर दािहन हाथ की तजरनी और अगठ स दािहन पर का अगठा और बाय हाथ की तजरनी और अगठ स बाय पर का अगठा पकड़ अब रचक करत-करत नीच झक और िसर को दोनो घटनो क मधय म रख ललाट घटन को ःपशर कर और घटन ज़मीन स लग रह रचक परा होन पर कमभक कर ि एव िच वि को मिणपर चब म ःथािपत कर ारमभ म आधा िमनट करक बमशः 15 िमनट तक यह आसन करन का अ यास बढ़ाना चािहय थम दो-चार िदन किठन लगगा लिकन अ यास हो जान पर यह आसन सरल हो जाएगा

लाभः पादपि मो नासन म समयक अ यास स सषमना का मख खल जाता ह और ाण म दणड क मागर म गमन करता ह फलतः िबनद को जीत सकत ह िबनद को जीत िबना न समािध िस होती ह न वाय िःथर होता ह न िच शात होता ह

जो ी-प ष काम िवकार स अतयत पीिड़त हो उनह इस आसन का अ यास करना चािहए इसस शारी रक िवकार दब जात ह उदर छाती और म दणड को उ म कसरत िमलती ह अतः व अिधक कायरकषम बनत ह हाथ पर तथा अनय अगो क सिनध ःथान मजबत बनत ह शरीर क सब तऽ बराबर कायरशील होत ह रोग माऽ का नाश होकर ःवाःथय़ का साा य ःथािपत होता ह

इस आसन क अ यास स मनदाि न मलावरोध अजीणर उदररोग किमिवकार सद वातिवकार कमर का ददर िहचकी कोढ़ मऽरोग मधमह पर क रोग ःवपनदोष वीयरिवकार र िवकार एपनडीसाइिटस अणडवि पाणडरोग अिनिा दमा ख टी डकार आना ानतनत की दबरलता बवासीर नल की सजन गभारशय क रोग अिनयिमत तथा क दायक मािसक बनधयतव दर नपसकता र िप िसरोवदना बौनापन आिद अनक रोग दर होत ह पट पत ला बनता ह जठराि न दी होती ह कफ और चरबी न होत ह

िशवसिहता म कहा ह िक इस आसन स वाय ीपन होता ह और वह मतय का नाश करता ह इस आसन स शरीर का कद बढ़ता ह शरीर म अिधक ःथलता हो तो कम होती ह दबरलता हो तो वह दर होकर शरीर सामानय तनद ःत अवःथा म आ जाता ह नाडी सःथान म िःथरता आती ह मानिसक शाित ा होती ह िचनता एव उ जना शात करन क िलए यह आसन उ म ह पीठ और म दणड पर िखचाव आन स दोनो िवकिसत होत ह फलतः शरीर क तमाम अवयवो पर अिधकार ःथािपत होता ह सब आसनो म यह आसन सवर धान ह इसक अ यास स कायाकलप (प रवतरन) हो जाता ह

यह आसन भगवान िशव को बहत पयारा ह उनकी आ ा स योगी गोरखनाथ न लोककलयाण हत इसका चार िकया ह आप इस आसन क अदभत लाभो स लाभािनवत हो और दसरो को भी िसखाय

पादपि मो ानासन प यपाद आसारामजी बाप को भी बहत पयारा ह उसस प यौी को बहत लाभ हए ह अभी भी यह आसन उनक आरो यिनिध का रकषक बना हआ ह

पाठक भाइयो आप अवय इस आसन का लाभ लना ारमभ क चार-पाच िदन जरा किठन लगगा बाद म तो यह आसन आपका िशवजी क वरदान प आरो य कवच िस हए िबना नही रहगा

िऽबनध

मलबनध

शौच ःनानािद स िनव होकर आसन पर बठ जाय बायी एड़ी क ारा सीवन या योिन को दबाय दािहनी एड़ी सीवन पर रख गदा ार को िसकोड़कर भीतर की ओर ऊपर खीच यह मलबनध कहा जाता ह

लाभः मलबनध क अ यास स मतय को जीत सकत ह शरीर म नयी ताजगी आती ह िबगड़त हए ःवाःथय की रकषा होती ह चयर का पालन करन म मलबनध सहायक िस होता ह वीयर को प करता ह कबज को न करता ह जठराि न तज होती ह मलबनध स िचरयौवन ा होता ह बाल सफद होन स कत ह

अपानवाय ऊधवरगित पाकर ाणवाय क सषमना म िव होता ह सहॐारचब म िच वि िःथर बनती ह इसस िशवपद का आननद िमलता ह सवर कार की िद य िवभितया और ऐ यर ा होत ह अनाहत नाद सनन को िमलता ह ाण अपान नाद और िबनद एकिऽत होन स योग म पणरता ा होती ह

उडडीयान बनध

आसन पर बठकर परा ास बाहर िनकाल द समपणरतया रचक कर पट को भीतर िसकोड़कर ऊपर की ओर खीच नािभ तथा आत पीठ की तरफ दबाय शरीर को थोड़ा सा आग की तरफ झकाय यह ह उडडीयानबनध

लाभः इसक अ यास स िचरयौवन ा होता ह मतय पर जय ा होती ह चयर क पालन म खब सहायता िमलती ह ःवाःथय सनदर बनता ह कायरशि म वि होती ह नयोिल और उडडीयानबनध जब एक साथ िकय जात ह तब कबज दम दबाकर भाग खड़ा होता ह पट क तमाम अवयवो की मािलश हो जाती ह पट की अनावयक चरबी उतर जाती ह

जालनधरबनध

आसन पर बठकर परक करक कमभक कर और ठोड़ी को छाती क साथ दबाय इसको जालनधरबनध कहत ह

लाभः जालनधरबनध क अ यास स ाण का सचरण ठीक स होता ह इड़ा और िपगला नाड़ी बनद होकर ाण-अपान सषमना म िव होत ह नािभ स अमत कट होता ह िजसका पान जठराि न करता ह योगी इसक ारा अमरता ा करता ह

प ासन पर बठ जाय परा ास बाहर िनकाल कर मलबनध उडडीयानबनध कर िफर खब परक करक मलबनध उडडीयानबनध और जालनधरबनध य तीनो बनध एक साथ कर आख बनद रख मन म णव (ॐ) का अथर क साथ जप कर

इस कार ाणायाम सिहत तीनो बनध का एक साथ अ यास करन स बहत लाभ होता ह और ायः चमतका रक प रणाम आता ह कवल तीन ही िदन क समयक अ यास स जीवन म बािनत का अनभव होन लगता ह कछ समय क अ यास स कवल या कवली कमभक ःवय कट होता ह

कवली कमभक

कवल या कवली कमभक का अथर ह रचक-परक िबना ही ाण का िःथर हो जाना िजसको कवली कमभक िस होता ह उस योगी क िलए तीनो लोक म कछ भी दलरभ नही रहता कणडिलनी जागत होती ह शरीर पतला हो जाता ह मख सनन रहता ह नऽ मलरिहत होत ह सवर रोग दर हो जात ह िबनद पर िवजय होती ह जठराि न विलत होती ह

कवली कमभक िस िकय हए योगी की अपनी सवर मनोकामनाय पणर होती ह इतना ही नही उसका पजन करक ौ ावान लोग भी अपनी मनोकामनाय पणर करन लगत ह

जो साधक पणर एकामता स िऽबनध सिहत ाणायाम क अ यास ारा कवली कमभक का प षाथर िस करता ह उसक भा य का तो पछना ही या उसकी यापकता

बढ़ जाती ह अनतर म महानता का अनभव होता ह काम बोध लोभ मोह मद और मतसर इन छः शऽओ पर िवजय ा होती ह कवली कमभक की मिहमा अपार ह

जलनित

िविधः एक िलटर पानी को गनगना सा गरम कर उसम करीब दस माम श नमक डालकर घोल द सनधव िमल जाय तो अचछा सबह म ःनान क बाद यह पानी चौड़ महवाल पाऽ म कटोर म लकर परो पर बठ जाय पाऽ को दोनो हाथो स पकड़ कर नाक क नथन पानी म डबो द अब धीर-धीर नाक क ारा ास क साथ पानी को भीतर खीच और नाक स भीतर आत हए पानी को मह स बाहर िनकालत जाय नाक को पानी म इस कार बराबर डबोय रख िजसस नाक ारा भीतर जानवाल पानी क साथ हवा न वश कर अनयथा आतरस-खासी आयगी

इस कार पाऽ का सब पानी नाक ारा लकर मख ारा बाहर िनकाल द अब पाऽ को रख कर खड़ हो जाय दोनो पर थोड़ खल रह दोनो हाथ कमर पर रखकर ास को जोर स बाहर िनकालत हए आग की ओर िजतना हो सक झक भिॐका क साथ यह िबया बार-बार कर इसस नाक क भीतर का सब पानी बाहर िनकल जायगा थोड़ा बहत रह भी जाय और िदन म कभी भी नाक स बाहर िनकल जाय तो कछ िचनताजनक नही ह

नाक स पानी भीतर खीचन की यह िबया ारमभ म उलझन जसी लगगी लिकन अ यास हो जान पर िबलकल सरल बन जायगा

लाभः मिःतक की ओर स एक कार का िवषला रस नीच की ओर बहता ह यह रस कान म आय तो कान क रोग होत ह आदमी बहरा हो जाता ह यह रस आखो की तरफ जाय तो आखो का तज कम हो जाता ह चम की ज रत पड़ती ह तथा अनय रोग होत ह यह रस गल की ओर जाय तो गल क रोग होत ह

िनयमपवरक जलनित करन स यह िवषला पदाथर बाहर िनकल जाता ह आखो की रोशनी बढ़ती ह चम की ज रत नही पड़ती चमा हो भी तो धीर-धीर नमबर कम होत-होत छट जाता भी जाता ह ासोचछोवास का मागर साफ हो जाता ह मिःतक म ताजगी रहती ह जकाम-सद होन क अवसर कम हो जात ह जलनित की िबया करन

स दमा टीबी खासी नकसीर बहरापन आिद छोटी-मोटी 1500 बीमी रया दर होती ह जलनित करन वाल को बहत लाभ होत ह िच म सननता बनी रहती ह

गजकरणी िविधः करीब दो िलटर पानी गनगना सा गरम कर उसम करीब 20 माम श

नमक घोल द सनधव िमल जाय तो अचछा ह अब पजो क बल बठकर वह पानी िगलास भर-भर क पीत जाय खब िपय अिधकाअिधक िपय पट जब िबलकल भर जाय गल तक आ जाय पानी बाहर िनकालन की कोिशश कर तब दािहन हाथ की दो बड़ी अगिलया मह म डाल कर उलटी कर िपया हआ सब पानी बाहर िनकाल द पट िबलकल हलका हो जाय तब पाच िमनट तक आराम कर

गजकरणी करन क एकाध घणट क बाद कवल पतली िखचड़ी ही भोजन म ल भोजन क बाद तीन घणट तक पानी न िपय सोय नही ठणड पानी स ःनान कर तीन घणट क बाद ारमभ म थोड़ा गरम पानी िपय

लाभः गजकरणी स एिसडीटी क रोगी को अदभत लाभ होता ह ऐस रोगी को चार-पाच िदन म एक बार गजकरणी चािहए ततप ात महीन म एक बार दो महीन म एक बार छः महीन म एक बार भी गजकरणी कर सकत ह

ातःकाल खाली पट तलसी क पाच-सात प चबाकर ऊपर स थोड़ा जल िपय एसीडीटी क रोगी को इसस बहत लाभ होगा

वष परान कबज क रोिगयो को स ाह म एक बार गजकरणी की िबया अवय करनी चािहए उनका आमाशय मिनथसःथान कमजोर हो जान स भोजन हजम होन म गड़बड़ रहती ह गजकरणी करन स इसम लाभ होता ह फोड़ फनसी िसर म गम सद बखार खासी दमा टीबी वात-िप -कफ क दोष िज ा क रोग गल क रोग छाती क रोग छाती का ददर एव मदाि न म गजकरणी िबया लाभकारक ह

शरीर शोधन-कायाकलप

यह चालीस िदन का कलप ह प यपाद आसारामजी बाप न यह योग िकया हआ ह इसस शरीर सडौल ःवःथ और फत ला बनता ह र म नय-नय कण बनत ह शरीर क कोषो की शि बढ़ती ह मन-बि म चमतका रक लाभ होत ह

िविधः अगल िदन पपीता सव आिद फल उिचत माऽा म ल अथवा मन का 50 माम दस घणट पहल िभगो द उनको उबालकर बीज िनकाल द मन का खा ल और पानी पी ल

ातःकाल उठकर सकलप कर िक इस कलप क दौरान िनि त िकय हए कायरबम क अनसार ही रहगा

शौच-ःनानािद िनतयकमर स िनव होकर सबह 8 बज 200 या 250 माम गाय का उबला हआ गनगना दध िपय पौन घणटा पणर आराम कर बाद म िफर स दध िपय शारी रक ौम कम स कम कर ॐ सोsह हसः इस मऽ का मानिसक जप कर कभी ास को िनहार बस साकषीभाव

मनोरा य चलता हो तो ॐ जोर-जोर स जप कर

इस कार शाम तक िजतना दध हजम कर सक उतना दध दो स तीन िलटर िपय 40 िदन तक कवल द धाहार क बाद 41व िदन मग का उबला हआ पानी मोसममी का रस आिद ल रािऽ को अिधक मगवाली हलकी िखचड़ी खाय इस कार शरीर-शोधन-कायाकलप की पणारहित कर

यिद बि तीकषण बनानी हो ःमरणशि बढ़ानी हो तो कलप क दौरान ॐ ऐ नमः इस मऽ का जप कर सयर को अ यर द

इस कलप म दध क िसवाय अनय कोई खराक लना मना ह चाय तमबाक आिद यसन िनिष ह ि यो क सग स दर रहना तथा चयर का पालन अतयनत आवयक ह

कलजग नही करजग ह यह

कलजग नही करजग ह यह यहा िदन को द अ रात ल

या खब सौदा नकद ह इस हाथ द उस हाथ ल टक

दिनया अजब बाज़ार ह कछ िजनस1 या िक साथ ल

नकी का बदला नक ह बद स बदी की बात ल

मवा िखला मवा िमल फल फल द फल पात ल

आराम द आराम ल दःख ददर द आफत2 ल 1

काटा िकसी को मत लगा गो िमःल-गल3 फला ह त

वह तर हक4 म तीर ह िकस बात पर झला ह त

मत आग म डाल और को या घास का पला ह त

सन ऱख यह नकता5 बखबर िकस बात पर भला ह त

कलजग नही 2

शोखी शरारत मकरो-फन6 सबका बसखा7 ह यहा

जो जो िदखाया और को वह खद भी दखा ह यहा

खोटी खरी जो कछ कही ितसका परखा8 ह यहा

जो जो पड़ा तलता ह मोल ितल ितल का लखा ह यहा

कलजग नही 3

जो और की बःती9 रख उसका भी बसता ह परा

जो और क मार छरी उसको भी लगता ह छरा

जो और की तोड़ घड़ी उसका भी टट ह घड़ा

जो और की चत10 बदी उसका भी होता ह बरा

कलजग नही 4

जो और को फल दवगा वह भी सदा फल पावगा

गह स गह जौ स जौ चावल स चावल पावगा

जो आज दवगा यहा वसा ही वह कल पावगा

कल दवगा कल पावगा िफर दवगा िफर पावगा

कलजग नही 5

जो चाह ल चल इस घड़ी सब िजनस यहा तयार ह

आराम म आराम ह आजार म आजार11 ह

दिनया न जान इसको िमया दरया की यह मझधार ह

औरो का बड़ा पार कर तरा भी बड़ा पार ह

कलजग नही 6

त और की तारीफ कर तझको सना वानी12 िमल

कर मिकल आसा औरो की तझको भी आसानी िमल

त और को महमान कर तझको भी महमानी िमल

रोटी िखला रोटी िमल पानी िपला पानी िमल

कलजग नही 7

जो गल13 िखलाव और का उसका ही गल िखलता भी ह

जो और का कील14 ह मह उसका ही मह िकलता भी ह

जो और का छील िजगर उसका िजगर िछलता भी ह

जो और को दव कपट उसको कपट िमलता भी ह

कलजग नही 8

कर जो कछ करना ह अब यह दम तो कोई आन15 ह

नकसान म नकसान ह एहसान म एहसान ह

तोहमत म यहा तोहमत िमल तफान म तफान ह

रहमान16 को रहमान17 ह शतान को शतान ह

कलजग नही 9

यहा जहर द तो जहर ल श कर म श कर दख ल

नको का नकी का मजा मजी18 को ट कर दख ल

मोती िदय मोती िमल पतथर म पतथर दख ल

गर तझको यह बावर19 नही तो त भी करक दख ल

कलजग नही 10

अपन नफ क वाःत मत और का नकसान कर

तरा भी नकसा होवगा इस बात पर त धयान कर

खाना जो खा सो दखकर पानी िपय तो छानकर

या पावो को रख फककर और खोफ स गजरान कर

कलजग नही 11

गफलत की यह जगह नही त सािहब-इदराक20 रह

िदलशाद21 ऱख िदल शाह रह गमनाक रख गमनाक रह

हर हाल म भी त नजीर22 अब हर कदम की रह

यह वह मका ह ओ िमया या पाक23 रह बबाक24 रह

कलजग नही 12

1 वःत 2 मसीबत 3 पप की तरह 4 तर िलय 5 रहःय 6 दगा-धोखा 7 घर 8 परखना 9 नगरी 10 िवचार कर 11 दःख 12 तारीफ-ःतित 13 फल 14 िकसी को बोलन न दना 15 घड़ी पल 16 दयावान 17 दयाल भगवान 18 सतान वाला 19 िव ास 20 तीो ा तज समझन वाला प ष 21 सननिच 22 किव का नाम ह 23 श पिवऽ 24 िनडर

  • आधयातमिक विदया क उदगाता
  • सवासथय क लिए मतर
  • परासताविक
  • बरहमचरय-रकषा का मनतर
  • आसनो की परकिया म आन वाल कछ शबदो की समझ
  • आवशयक निरदश
  • योगासन
    • पदमासन या कमलासन
    • सिदधासन
    • सरवागासन
    • हलासन
    • पवनमकतासन
    • मतसयासन
    • भजगासन
    • धनरासन
    • चकरासन
    • कटिपिणडमरदनासन
    • अरधमतसयनदरासन
    • योगमदरासन
    • गोरकषासन या भदरासन
    • मयरासन
    • वजरासन
    • सपतवजरासन
    • शवासन
    • पादपशचिमोततानासन
      • तरिबनध
        • मलबनध
        • उडडीयान बनध
        • जालनधरबनध
          • कवली कमभक
          • जलनति
          • गजकरणी
          • शरीर शोधन-कायाकलप
          • कलजग नही करजग ह यह
Page 7: अनुबम - || Home || HariOmGroup · िस होता है। िवशु नाड़ीतंऽ वालेयोगी के िवशु शरीर में

3 ास मह स न लकर नाक स ही लना चािहए

4 गरम कमबल टाट या ऐसा ही कछ िबछाकर आसन कर खली भिम पर िबना कछ िबछाय आसन कभी न कर िजसस शरीर म िनिमरत होन वाला िव त-वाह न न हो जाय

5 आसन करत समय शरीर क साथ ज़बरदःती न कर आसन कसरत नही ह अतः धयरपवरक आसन कर

6 आसन करन क बाद ठड म या तज हवा म न िनकल ःनान करना हो तो थोड़ी दर बाद कर

7 आसन करत समय शरीर पर कम स कम व और ढील होन चािहए

8 आसन करत-करत और मधयानतर म और अत म शवासन करक

िशिथलीकरण क ारा शरीर क तग बन ःनायओ को आराम द

9 आसन क बाद मऽतयाग अवय कर िजसस एकिऽत दिषत त व बाहर िनकल जाय

10 आसन करत समय आसन म बताए हए चबो पर धयान करन स और मानिसक जप करन स अिधक लाभ होता ह

11 आसन क बाद थोड़ा ताजा जल पीना लाभदायक ह ऑि सजन और हाइसोजन म िवभािजत होकर सिनध-ःथानो का मल िनकालन म जल बहत आवयक होता ह

12 ि यो को चािहए िक गभारवःथा म तथा मािसक धमर की अविध म व कोई भी आसन कभी न कर

13 ःवाःथय क आकाकषी हर यि को पाच-छः तलसी क प ातः चबाकर पानी पीना चािहए इसस ःमरणशि बढ़ती ह एसीडीटी एव अनय रोगो म लाभ होता ह

योगासन

प ासन या कमलासन

इस आसन म परो का आधार प अथारत कमल जसा बनन स इसको प ासन या कमलासन कहा जाता ह धयान आ ाचब म अथवा अनाहत चब म ास रचक

कमभक दीघर ःवाभािवक

िविधः िबछ हए आसन क ऊपर ःवःथ होकर बठ रचक करत करत दािहन पर को मोड़कर बाई जघा पर रख बाय पर को मोड़कर दािहनी जघा पर रख अथवा पहल बाया पर और बाद म दािहना पर भी रख सकत ह पर क तलव ऊपर की ओर और एड़ी नािभ क नीच रह घटन ज़मीन स लग रह िसर गरदन छाती म दणड आिद परा भाग सीधा और तना हआ रह दोनो हाथ घटनो क ऊपर ानमिा म रह (अगठ को तजरनी अगली क नाखन स लगाकर शष तीन अगिलया सीधी रखन स ानमिा बनती ह) अथवा बाय हाथ को गोद म रख हथली ऊपर की और रह उसक ऊपर उसी कार दािहना हाथ रख दोनो हाथ की अगिलया परःपर लगी रहगी दोनो हाथो को म ठी बाधकर घटनो पर भी रख सकत ह

रचक परा होन क बाद कमभक कर ारभ म पर जघाओ क ऊपर पर न रख सक तो एक ही पर रख पर म झनझनाहट हो लश हो तो भी िनराश न होकर अ यास चाल रख अश या रोगी को चािहए िक वह ज़बरदःती प ासन म न बठ प ासन

सश एव िनरोगी क िलए ह हर तीसर िदन समय की अविध एक िमनट बढ़ाकर एक घणट तक पहचना चािहए

ि नासाम अथवा मधय म िःथर कर आख बद खली या अधर खली भी रख सकत ह शरीर सीधा और िःथर रख ि को एकाम बनाय

भावना कर िक मलाधार चब म छपी हई शि का भणडार खल रहा ह िनमन कनि म िःथत चतना तज और औज़ क प म बदलकर ऊपर की ओर आ रही ह अथवा अनाहत चब ( दय) म िच एकाम करक भावना कर िक दय पी कमल म स सगनध की धाराए वािहत हो रही ह समम शरीर इन धाराओ स सगिनधत हो रहा ह

लाभः ाणायाम क अ यासपवरक यह आसन करन स नाड़ीतऽ श होकर आसन िस होता ह िवश नाड़ीतऽ वाल योगी क िवश शरीर म रोग की छाया तक नही रह सकती और वह ःवचछा स शरीर का तयाग कर सकता ह

प ासन म बठन स शरीर की ऐसी िःथित बनती ह िजसस सन तऽ ानतऽ और र ािभसरणतऽ स यविःथत ढग क कायर कर सकत ह फलतः जीवनशि का िवकास होता ह प ासन का अ यास करन वाल साधक क जीवन म एक िवशष कार की आभा कट होती ह इस आसन क ारा योगी सत महाप ष महान हो गय ह

प ासन क अ यास स उतसाह म वि होती ह ःवभाव म सननता बढ़ती ह मख तजःवी बनता ह बि का अलौिकक िवकास होता ह िच म आननद-उललास रहता ह िचनता शोक दःख शारी रक िवकार दब जात ह किवचार पलायन होकर सिवचार कट होन लगत ह प ासन क अ यास स रजस और तमस क कारण यम बना हआ िच शानत होता ह स वगण म अतयत व ि होती ह ाणायाम साि वक िमताहार और सदाचार क साथ प ासन का अ यास करन स अतःॐावी मिथयो को िवश र िमलता ह फलतः यि म कायरशि बढ़न स भौितक एव आधयाितमक िवकास शीय होता ह बौि क-मानिसक कायर करन वालो क िलए िचनतन मनन करन वालो क िलए एव िव ािथरयो क िलए यह आसन खब लाभदायक ह चचल मन को िःथर करन क िलए एव वीयररकषा क िलए या आसन अि ितय ह

ौम और क रिहत एक घणट तक प ासन पर बठन वाल यि का मनोबल खब बढ़ता ह भाग गाजा चरस अफीम मिदरा तमबाक आिद यसनो म फस हए यि

यिद इन यसनो स म होन की भावना और ढ़ िन य क साथ प ासन का अ यास कर तो उनक द यरसन सरलता स और सदा क िलए छट जात ह चोरी जआ यिभचार या हःतदोष की बरी आदत वाल यवक-यवितया भी इस आसन क ारा उन सब कसःकारो स म हो सकत ह

क र िप पकषाघात मलावरोध स पदा हए रोग कषय दमा िहःटी रया धातकषय कनसर उदरकिम तवचा क रोग वात-कफ कोप नपसकतव वनध य आिद रोग प ासन क अ यास स न हो जात ह अिनिा क रोग क िलए यह आसन रामबाण इलाज ह इसस शारी रक मोटापन कम होता ह शारी रक एव मानिसक ःवाःथय की सरकषा क िलए यह आसन सव म ह

प ासन म बठकर अि नी मिा करन अथारत गदा ार का बार-बार सकोच सार करन स अपानवाय सषमना म िव होता ह इसस काम िवकार पर जय ा होन लगती ह ग ोिनिय को भीतर की ओर िसकोड़न स अथारत योिनमिा या वळोली करन स वीयर उधवरगामी होता ह प ासन म बठकर उडडीयान बनध जालधर बनध तथा कमभक करक छाती एव पट को फलान िक िबया करन स वकषशि एव कणठशि होती ह फलतः भख खलती ह भोजन सरलता स पचता ह जलदी थकान नही होती ःमरणशि एव आतमबल म वि होती ह

यम-िनयमपवरक लमब समय तक प ासन का अ यास करन स उणता कट होकर मलाधार चब म आनदोलन उतपनन होत ह कणडिलनी शि जागत होन की भिमका बनती ह जब यह शि जागत होती ह तब इस सरल िदखन वाल प ासन की वाःतिवक मिहमा का पता चलता ह घरणड शािणडलय तथा अनय कई ऋिषयो न इस आसन की मिहमा गायी ह धयान लगान क िलए यह आसन खब लाभदायक ह

इद प ासन ो सवर यािधिवनाशम

दलरभ यन कनािप धीमता ल यत भिव

इस कार सवर यािधयो को िवन करन वाल प ासन का वणरन िकया यह दलरभ आसन िकसी िवरल बि मान प ष को ही ा होता ह

(हठयोगदीिपका थमोपदश)

िस ासन

प ासन क बाद िस ासन का ःथान आता ह अलौिकक िसि या ा करन वाला होन क कारण इसका नाम िस ासन पड़ा ह िस योिगयो का यह िय आसन ह यमो म चयर ौ ह िनयमो म शौच ौ ह वस आसनो म िस ासन ौ ह

धयान आ ाचब म और ास दीघर ःवाभािवक

िविधः आसन पर बठकर पर खल छोड़ द अब बाय पर की एड़ी को गदा और जननिनिय क बीच रख दािहन पर की एड़ी को जननिनिय क ऊपर इस कार रख िजसस जननिनिय और अणडकोष क ऊपर दबाव न पड़ परो का बम बदल भी सकत ह दोनो परो क तलव जघा क मधय भाग म रह हथली ऊपर की ओर रह इस कार दोनो हाथ एक दसर क ऊपर गोद म रख अथवा दोनो हाथो को दोनो घटनो क ऊपर ानमिा म रख आख खली अथवा बनद रख ासोचछोवास आराम स ःवाभािवक चलन

द मधय म आ ाचब म धयान किनित कर पाच िमनट तक इस आसन का अ यास कर सकत ह धयान की उचच ककषा आन पर शरीर पर स मन की पकड़ छट जाती ह

लाभः िस ासन क अ यास स शरीर की समःत नािड़यो का शि करण होता ह ाणत व ःवाभािवकतया ऊधवरगित को ा होता ह फलतः मन को एकाम करना सरल बनता ह

पाचनिबया िनयिमत होती ह ास क रोग दय रोग जीणर वर अजीणर अितसार शबदोष आिद दर होत ह मदाि न मरोड़ा समहणी वातिवकार कषय दमा मधमह पलीहा की वि आिद अनक रोगो का शमन होता ह प ासन क अ यास स जो रोग दर होत ह व िस ासन क अ यास स भी दर होत ह

चयर-पालन म यह आसन िवशष प स सहायक होता ह िवचार पिवऽ बनत ह मन एकाम होता ह िस ासन का अ यासी भोग-िवलास स बच सकता ह 72 हजार नािड़यो का मल इस आसन क अ यास स दर होता ह वीयर की रकषा होती ह ःवपनदोष क रोगी को यह आसन अवय करना चािहए

योगीजन िस ासन क अ यास स वीयर की रकषा करक ाणायाम क ारा उसको मिःतक की ओर ल जात ह िजसस वीयर ओज तथा मधाशि म प रणत होकर िद यता का अनभव करता ह मानिसक शि यो का िवकास होता ह

कणडिलनी शि जागत करन क िलए यह आसन थम सोपान ह

िस ासन म बठकर जो कछ पढ़ा जाता ह वह अचछी तरह याद रह जाता ह िव ािथरयो क िलए यह आसन िवशष लाभदायक ह जठराि न तज होती ह िदमाग िःथर बनता ह िजसस ःमरणशि बढ़ती ह

आतमा का धयान करन वाला योगी यिद िमताहारी बनकर बारह वषर तक िस ासन का अ यास कर तो िसि को ा होता ह िस ासन िस होन क बाद अनय आसनो का कोई योजन नही रह जाता िस ासन स कवल या कवली कमभक िस होता ह छः मास म भी कवली कमभक िस हो सकता ह और ऐस िस योगी क दशरन-पजन स पातक न होत ह मनोकामना पणर होती ह िस ासन क ताप स िनब ज समािध िस हो जाती ह मलबनध उडडीयान बनध और जालनधर बनध अपन आप होन लगत ह

िस ासन जसा दसरा आसन नही ह कवली कमभक क समान ाणायाम नही ह खचरी मिा क समान अनय मिा नही ह और अनाहत नाद जसा कोई नाद नही ह

िस ासन महाप षो का आसन ह सामानय यि हठपवरक इसका उपयोग न कर अनयथा लाभ क बदल हािन होन की समभावना ह

सवागासन

भिम पर सोकर शरीर को ऊपर उठाया जाता ह इसिलए इसको सवागासन कहत ह

धयान िवश ा य चब म ास रचक परक और दीघर

िविधः भिम पर िबछ हए आसन पर िच होकर लट जाए ास को बाहर िनकाल कर अथारत रचक करक कमर तक क दोनो पर सीध और परःपर लग हए रखकर ऊपर उठाए िफर पीठ का भाग भी ऊपर उठाए दोनो हाथो स कमर को आधार द हाथ की कहिनया भिम स लग रह गरदन और कनध क बल परा शरीर ऊपर की और सीधा खड़ा कर द ठोडी छाती क साथ िचपक जाए दोनो पर आकाश की ओर रह ी दोनो परो क अगठो की ओर रह अथवा आख बनद करक िच वि को कणठदश म िवश ा य चब म िःथर कर परक करक ास को दीघर सामानय चलन द

इस आसन का अ य़ास ढ़ होन क बाद दोनो परो को आग पीछ झकात हए जमीन को लगात हए अनय आसन भी हो सकत ह सवागासन की िःथित म दोनो परो को जाघो पर लगाकर प ासन भी िकया जा सकता ह

ारमभ म तीन स पाच िमनट तक यह आसन कर अ यासी तीन घणट तक इस आसन का समय बढ़ा सकत ह

लाभः सवागासन क िनतय अ यास स जठराि न तज होती ह साधक को अपनी िच क अनसार भोजन की माऽा बढ़ानी चािहए सवागासन क अ यास स शरीर की तवचा लटकन नही लगती तथा शरीर म झ ररया नही पड़ती बाल सफद होकर िगरत नही हर रोज़ एक हर तक सवागासन का अ यास करन स मतय पर िवजय िमलती ह

शरीर म सामथयर बढ़ता ह तीनो दोषो का शमन होता ह वीयर की ऊधवरगित होकर अनतःकरण श होता ह मधाशि बढ़ती ह िचर यौवन की ाि होती ह

इस आसन स थायराइड नामक अनतःमिनथ की शि बढ़ती ह वहा र सचार तीो गित स होन लगता ह इसस उस पोषण िमलता ह थायराइड क रोगी को इस आसन स अदभत लाभ होता ह िलवर और पलीहा क रोग दर होत ह ःमरणशि बढ़ती ह मख पर स महास एव अनय दाग दर होकर मख तजःवी बनता ह जठर एव नीच उतरी हई आत अपन मल ःथान पर िःथर होती ह प षातन मिनथ पर सवागासन का अचछा भाव पड़ता ह ःवपनदोष दर होता ह मानिसक बौि क वि करन वालो को तथा िवशषकर िव ािथरयो को यह आसन अवय करना चािहए

मनदाि न अजीणर कबज अशर थायराइड का अलप िवकास थोड़ िदनो का अपनडीसाइिटस और साधारण गाठ अगिवकार असमय आया हआ व तव दमा कफ

चमड़ी क रोग र दोष ि यो को मािसक धमर की अिनयिमतता एव ददर मािसक न आना अथवा अिधक आना इतयािद रोगो म इस आसन स लाभ होता ह नऽ और मिःतक की शि बढ़ती ह उनक रोग दर होत ह

थायराइड क अित िवकासवाल खब कमजोर दयवाल और अतयिधक चब वाल लोगो को िकसी अनभवी की सलाह लकर ही सवागासन करना चािहए

शीषारसन करन स जो लाभ होता ह व सब लाभ सवागासन और पादपि मो ानसन करन स िमल जात ह शीषारसन म गफलत होन स जो हािन होती ह वसी हािन होन की सभावना सवागासन और पादपि मो ानासन म नही ह

हलासन

इस आसन म शरीर का आकार हल जसा बनता ह इसिलए इसको हलासन कहा जाता ह

धयान िवश ा या चब म ास रचक और बाद म दीघर

िविधः भिम पर िबछ हए आसन पर िच होकर लट जाए दोनो हाथ शरीर को लग रह अब रचक करक ास को बाहर िनकाल द दोनो परो को एक साथ धीर-धीर ऊच करत जाय आकाश की ओर पर उठाकर िफर पीछ िसर क तरफ झकाय पर िबलकल तन हए रखकर पज ज़मीन पर लगाय ठोड़ी छाती स लगी रह िच वि को िवश ा या चब म िःथर कर दो-तीन िमनट स लकर बीस िमनट तक समय की अविध बढ़ा सकत ह

लाभः हलासन क अ यास स अजीणर कबज अशर थायराइड का अलप िवकास अगिवकार असमय व तव दमा कफ र िवकार आिद दर होत ह इस आसन स िलवर अचछा होता ह छाती का िवकास होता ह सनिबया तज होकर ऑ सीजन स र श बनता ह गल क ददर पट की बीमारी सिधवात आिद दर होत ह पट की चरबी कम होती ह िसरददर दर होता ह वीयरिव कार िनमरल होता ह खराब िवचार बनद होत ह नाड़ी तऽ श होता ह शरीर बलवान और तजःवी बनता ह गिभरणी ि यो क िसवा हर एक को यह आसन करना चािहए

रीढ़ म कठोरता होना यह व ावःथा का िच ह हलासन स रीढ़ लचीली बनती ह इसस यवावःथा की शि ःफितर ःवाःथय और उतसाह बना रहता ह म दणड

समबनधी नािड़यो क ःवाःथय की रकषा होकर व ावःथा क लकषण जलदी नही आत जठर की नािड़यो को शि ा होती ह

जठर की मासपिशया तथा पाचनतऽ क अगो की नािड़यो की दबरलता क कारण अगर मदाि न एव कबज हो तो हलासन स दर होत ह कमर पीठ एव गरदन क रोग न होत ह िलवर और पलीहा बढ़ गए हो तो हलासन स सामानय अवःथा म आ जात ह काम कनि की शि बढ़ती ह अपानशि का उतथान होकर उदान पी अि न का योग होन स वीयरशि ऊधवरगामी बनती ह हलासन स वीयर का ःतभन होता ह यह आसन अणडकोष की वि पिनबयास अपिनड स आिद को ठीक करता ह थायराइड मिनथ की िबयाशीलता बढ़ती ह धयान करन स िवश चब जागत हो जाता ह

पवनम ासन

शरीर म िःथत पवन (वाय) यह आसन करन स म होता ह इसिलए इस पवनम ासन कहा जाता ह

धयान मिणपर चब म ास पहल परक िफर कमभक और रचक

िविधः भिम पर िबछ हए आसन पर िच होकर लट जाय परक करक फफड़ो म ास भर ल अब िकसी भी एक पर को घटन स मोड़ द दोनो हाथो की अगिलयो को

परःपर िमलाकर उसक ारा मोड़ हए घटनो को पकड़कर पट क साथ लगा द िफर िसर को ऊपर उठाकर मोड़ हए घटनो पर नाक लगाए दसरा पर ज़मीन पर सीधा रह इस िबया क दौरान ास को रोककर कमभक चाल रख िसर और मोड़ा हआ पर भिम पर पवरवत रखन क बाद ही रचक कर दोनो परो को बारी -बारी स मोड़कर यह िबया कर दोनो पर एक साथ मोड़कर भी यह आसन हो सकता ह

लाभः पवनम ासन क िनयिमत अ यास स पट की चरबी कम होती ह पट की वाय न होकर पट िवकार रिहत बनता ह कबज दर होता ह पट म अफारा हो तो इस आसन स लाभ होता ह ातःकाल म शौचिबया ठीक स न होती हो तो थोड़ा पानी पीकर यह आसन 15-20 बार करन स शौच खलकर होगा

इस आसन स ःमरणशि बढ़ती ह बौि क कायर करन वाल डॉ टर वकील सािहतयकार िव ाथ तथा बठकर वि करन वाल मनीम यापारी आिद लोगो को िनयिमत प स पवनम ासन करना चािहए

मतःयासन

मतःय का अथर ह मछली इस आसन म शरीर का आकार मछली जसा बनता ह अतः मतःयासन कहलाता ह पलािवनी ाणायाम क साथ इस आसन की िःथित म लमब समय तक पानी म तर सकत ह

धयान िवश ा या चब म ास पहल रचक बिहकर मभक िफर परक और रचक

िविधः भिम पर िबछ हए आसन पर प ासन लगाकर सीध बठ जाय िफर परो को प ासन की िःथित म ही रखकर हाथ क आधार स सावधानी पवरक पीछ की ओर िच होकर लट जाय रचक करक कमर को ऊपर उठाय घटन िनतब और मःतक क िशखा ःथान को भिम क ःथान लगाय रख िशखाःथान क नीच कोई नरम कपड़ा

अवय रख बाय हाथ स दािहन पर का अगठा और दािहन हाथ स बाय पर का अगठा पकड़ दोनो कहिनया ज़मीन को लगाय रख कमभक की िःथित म रहकर ि को पीछ की ओर िसर क पास ल जान की कोिशश कर दात दब हए और मह बनद रख एक िमनट स ारमभ करक पाच िमनट तक अ यास बढ़ाय िफर हाथ खोलकर कमर भिम को लगाकर िसर ऊपर उठाकर बठ जाय परक करक रचक कर

पहल भिम पर लट कर िफर प ासन लगाकर भी मतःयासन हो सकता ह

लाभः मतःयासन स परा शरीर मजबत बनता ह गला छाती पट की तमाम बीमा रया दर होती ह आखो की रोशनी बढ़ती ह गला साफ रहता ह सनिबया ठीक स चलती ह कनधो की नस उलटी मड़ती ह इसस छाती व फफड़ो का िवकास होता ह पट साफ रहता ह आतो का मल दर होता ह र ािभसरण की गित बढ़ती ह फलतः चमड़ी क रोग नही होत दमा और खासी दर होती ह छाती चौड़ी बनती ह पट की चरबी कम होती ह इस आसन स अपानवाय की गित नीच की ओर होन स मलावरोध दर होता ह थोड़ा पानी पीकर यह आ सन करन स शौच-शि म सहायता िमलती ह

मतःयासन स ि यो क मािसकधमर समबनधी सब रोग दर होत ह मािसकॐाव िनयिमत बनता ह

भजगासन

इस आसन म शरीर की आकित फन उठाय हए भजग अथारत सपर जसी बनती ह इसिलए इसको भजगासना कहा जाता ह

धयान िवश ा या चब म ास ऊपर उठात व परक और नीच की ओर जात समय रचक

िविधः भिम पर िबछ हए कमबल पर पट क बल उलट होकर लट जाय दोनो पर और पज परःपर िमल हए रह परो क अगठो को पीछ की ओर खीच दोनो हाथ िसर क तरफ लमब कर द परो क अगठ नािभ छाती ललाट और हाथ की हथिलया भिम पर एक सीध म रख

अब दोनो हथिलयो को कमर क पास ल जाय िसर और कमर ऊपर उठाकर िजतना हो सक उतन पीछ की ओर मोड़ नािभ भिम स लगी रह पर शरीर का वजन हाथ क पज पर आएगा शरीर की िःथित कमान जसी बनगी म दणड क आिखरी भाग पर दबाव किनित होगा िच वि को कणठ म और ि को आकाश की तरफ िःथर कर

20 सकणड तक यह िःथित रख बाद म धीर-धीर िसर को नीच ल आय छाती भिम पर रख िफर िसर को भिम स लगन द आसन िस हो जान क बाद आसन करत समय ास भरक कमभक कर आसन छोड़त समय मल िःथित म आन क बाद ास को खब धीर-धीर छोड़ हर रोज एक साथ 8-10 बार यह आसन कर

लाभः घरड सिहता म इसका लाभ बतात हए कहा ह - भजगासन स जठराि न दी होती ह सवर रोगो का नाश होता ह और कणडिलनी जागत होती ह

म दणड क तमाम मनको को तथा गरदन क आसपास वाल ःनायओ को अिधक श र िमलता ह फलतः नाड़ी तऽ सचत बनता ह िचरजीवी शि मान एव स ढ़ बनता ह िवशषकर मिःतक स िनकलन वाल ानतत बलवान बनत ह पीठ की हिडडय़ो म रहन वाली तमाम खरािबया दर होती ह पट क ःनाय म िखचाव आन स वहा क अगो को शि िमलती ह उदरगहा म दबाव बढ़न स कबज दर होता ह छाती और पट का िवकास होता ह तथा उनक रोग िमट जात ह गभारशय एव बोनाशय अचछ बनत ह फलतः मािसकॐाव क रिहत होता ह मािसक धमर समबनधी समःत िशकायत दर होती ह अित ौम करन क कारण लगन वाली थकान दर होती ह भोजन क बाद होन वाल वाय का ददर न होता ह शरीर म ःफितर आती ह कफ-िपतवालो क िलए यह आसन लाभदायी ह भजगासन करन स दय मजबत बनता ह मधमह और उदर क

रोगो स मि िमलती ह दर अित मािसकॐाव तथा अलप मािसकॐाव जस रोग दर होत ह

इस आसन स म दणड लचीला बनता ह पीठ म िःथत इड़ा और िपगला नािड़यो पर अचछा भाव पड़ता ह कणडिलनी शि जागत करन क िलय यह आसन सहायक ह अमाशय की मासपिशयो का अचछा िवकास होता ह थकान क कारण पीठ म पीड़ा होती हो तो िसफर एक बार ही यह आसन करन स पीड़ा दर होती ह म दणड की कोई हडडी ःथान हो गई हो तो भजगासन करन स यथाःथान म वापस आ जाती ह

धनरासन

इस आसन म शरीर की आकित खीच हए धनष जसी बनती ह अतः इसको धनरासन कहा जाता ह

धयान मिणपर चब म ास नीच की िःथित म रचक और ऊपर की िःथित म परक

िविधः भिम पर िबछ हए कमबल पर पट क बल उलट होकर लट जाय दोनो पर परःपर िमल हए रह अब दोनो प रो को घटनो स मोड़ दोनो हाथो को पीछ ल जाकर दोनो परो को टखनो स पकड़ रचक करक हाथ स पकड़ हए परो को कसकर धीर -धीर खीच िजतना हो सक उतना िसर पीछ की ओर ल जान की कोिशश कर ि भी ऊपर एव पीछ की ओर रहनी चािहए समम शरीर का बोझ कवल नािभदश क ऊपर ही रहगा कमर स ऊपर का धड़ एव कमर स नीच पर पर ऊपर की ओर मड़ हए रहग

कमभक करक इस िःथित म िटक रह बाद म हाथ खोलकर पर तथा िसर को मल अवःथा म ल जाय और परक कर ारभ म पाच सकणड यह आसन कर धीर-धीर समय बढ़ाकर तीन िमनट या उसस भी अिधक समय इस आसन का अ यास कर तीन-चार बार यह आसन करना चािहए

लाभः धनरासन क अ यास स पट की चरबी कम होती ह गस दर होती ह पट को रोग न होत ह कबज म लाभ होता ह भख खलती ह छाती का ददर दर होता ह दय की धडकन मजबत बनती ह ास िक िबया यविःथत चलती ह मखाकित सदर बनती ह आखो की रोशनी बढ़ती ह और तमाम रोग दर होत ह हाथ -पर म होन वाला कपन कता ह शरीर का सौनदयर बढ़ता ह पट क ःनायओ म िखचाव आन स पट को अचछा लाभ होता ह आतो पर खब दबाव पड़न स पट क अगो पर भी दबाव पड़ता ह फलतः आतो म पाचकरस आन लगता ह इसस जठराि न तज होती ह पाचनशि बढ़ती ह वायरोग न होता ह पट क कषऽ म र का सचार अिधक होता ह धनरासन म भजगासन और शलभासन का समावश हो जान क कारण इन दोनो आसनो क लाभ िमलत ह ि यो क िलए यह आसन खब लाभकारक ह इसस मािसक धमर क िवकार गभारशय क तमाम रोग दर होत ह

चबासन

इस आसन म शरीर की आकित चब जसी बनती ह अतः चबासन कहा जाता ह

धयान मिणपर चब म ास दीघर ःवाभािवक

िविधः भिम पर िबछ हए आसन पर िच होकर लट जाय घटनो स पर मोड़ कर ऊपर उठाय पर क तलव ज़मीन स लग रह दो परो क बीच करीब डढ़ फीट का अनतर रख दोनो हाथ मःतक की तरफ उठाकर पीछ की ओर दोनो हथिलयो को ज़मीन पर जमाय दोनो हथिलयो क बीच भी करीब डढ़ फीट का अनतर रख अब हाथ और पर क बल स पर शरीर को कमर स मोड़कर ऊपर उठाय हाथ को धीर-धीर पर की ओर ल जाकर ःमपशर शरीर का आकार व या चब जसा बनाय आख बनद रख ास की गित ःवाभािवक चलन द िच वि मिणपर चब (नािभ कनि) म िःथर कर आख खली भी रख सकत ह एक िमनट स पाच िमनट तक अ यास बढ़ा सकत ह

लाभः म दणड तथा शरीर की समःत नािड़यो का शि करण होकर यौिगक चब जागत होत ह लकवा तथा शरीर की कमजो रया दर होती ह मःतक गदरन पीठ पट

कमर हाथ पर घटन आिद सब अग मजबत बनत ह सिनध ःथानो ददर नही होता पाचनशि बढ़ती ह पट की अनावयक चरबी दर होती ह शरीर तजःवी और फत ला बनता ह िवकारी िवचार न होत ह ःवपनदोष की बीमारी अलिवदा होती ह चबासन क िनयिमत अ यास स व ावःथा म कमर झकती नही शरीर सीधा तना हआ रहता ह

किटिपणडमदरनासन

इस आसन म किटदश (कमर क पास वाल भाग) म िःथत िपणड अथारत मऽिपणड का मदरन होता ह इसस यह आसन किटिपणडमदरनासन कहलाता ह

धयान ःवािध ान चब म ास परक और कमभक

िविधः िबछ हए कमबल पर पीठ क बल िच होकर लट जाय दोनो हाथो को आमन-सामन फला द मि ठया बनद रख दोनो परो को घटनो स मोड़कर खड़ कर द पर क तलव ज़मीन स लग रह दोनो परो क बीच इतना अनतर रख िक घटनो को ज़मीन पर झकान स एक पर का घटना दसर पर की एड़ी को लग िसर दायी ओर मड़ तो दोनो घटन दािहनी ओर ज़मीन को लग इस कार 15-20 बार िबया कर इस कार दोनो परो को एक साथ रखकर भी िबया कर

लाभः िजसको पथरी की तकलीफ हो उस आौम (सत ौी आसारामजी आौम साबरमित अमदावाद-5) स िबना मलय िमलती काली भःम करीब डढ़ माम भोजन स आधा घणटा पवर और भोजन क बाद एक िगलास पानी क साथ लना चािहए और यह आसन भख पट ठीक ढग स करना चािहए इसस पथरी क ददर म लाभ होता ह पथरी टकड़ -टकड़ होकर मऽ क ारा बाहर िनकलन लगती ह मऽिवकार दर होता ह कमर ददर साइिटका रीढ़ की हडडी की जकड़न उदासीनता िनराशा डायािबटीज नपसकता गस पर की गाठ इतयािद रोगो म शीय लाभ होता ह नािभ ःथान स चयत हो जाती हो तो पनः अपन ःथान म आ जाती ह

मािसक धमर क समय एव गभारवःथा म ि या यह आसन न कर कबज का रोगी सबह शौच जान स पहल उषःपान करक यह आसन कर तो चमतका रक लाभ होता ह ास को अनदर भर क पट को फलाकर यह आसन करन स कबज जलदी दर होता ह

अधरमतःयनिासन

कहा जाता ह िक मतःयनिासन की रचना गोरखनाथ क ग ःवामी मतःयनिनाथ न की थी व इस आसन म धयान िकया करत थ मतःयनिासन की आधी िबयाओ को लकर अधरमतःयनिासन चिलत हआ ह

धयान अनाहत चब म ास दीघर

िविधः दोनो परो को लमब करक आसन पर बठ जाओ बाय पर को घटन स मोड़कर एड़ी गदा ार क नीच जमाय पर क तलव को दािहनी जघा क साथ लगा द अब दािहन पर को घटन स मोड़कर खड़ा कर द और बाय पर की जघा स ऊपर ल जात हए जघा क पीछ ज़मीन क ऊपर ऱख द आसन क िलए यह पवरभिमका तयार हो गई

अब बाय हाथ को दािहन पर क घटन स पार करक अथारत घटन को बगल म दबात हए बाय हाथ स दािहन पर का अ गठा पकड़ धड़ को दािहनी ओर मोड़ िजसस दािहन पर क घटन क ऊपर बाय कनध का दबाव ठीक स पड़ अब दािहना हाथ पीठ क पीछ स घमाकर बाय पर की जाघ का िनमन भाग पकड़ िसर दािहनी ओर इतना घमाय िक ठोड़ी और बाया कनधा एक सीधी रखा म आ जाय छाती िबलकल तनी हई रख नीच की ओर झक नही िच वि नािभ क पीछ क भाग म िःथत मिणपर चब म िःथर कर

यह एक तरफ का आसन हआ इसी कार पहल दािहना पर मोड़कर एड़ी गदा ार क नीच दबाकर दसरी तरफ का आसन भी कर ारमभ म पाच सकणड य ह आसन करना पयार ह िफर अ यास बढ़ाकर एक एक तरफ एक एक िमनट तक आसन कर सकत ह

लाभः अधरमतःयनिासन स म दणड ःवःथ रहन स यौवन की ःफितर बनी रहती ह रीढ़ की हिडडयो क साथ उनम स िनकलन वाली नािडयो को भी अचछी कसरत िमल जाती ह पट क िविभनन अगो को भी अचछा लाभ होता ह पीठ पट क नल पर गदरन

हाथ कमर नािभ स नीच क भाग एव छाती की नािड़यो को अचछा िखचाव िमलन स उन पर अचछा भाव पड़ता ह फलतः बनधकोष दर होता ह जठराि न तीो होती ह िवकत यकत पलीहा तथा िनिबय व क क िलए यह आसन लाभदायी ह कमर पीठ और सिनधःथानो क ददर जलदी दर हो जात ह

योगमिासन

योगा यास म यह मिा अित मह वपणर ह इसस इसका नाम योगमिासन रखा गया ह

धयान मिणपर चब म ास रचक कमभक और परक

िविधः प ासन लगाकर दोनो हाथो को पीठ क पीछ ल जाय बाय हाथ स दािहन हाथ की कलाई पकड़ दोनो हाथो को खीचकर कमर तथा रीढ़ क िमलन ःथान पर ल जाय अब रचक करक कमभक कर ास को रोककर शरीर को आग झकाकर भिम पर टक द िफर धीर-धीर िसर को उठाकर शरीर को पनः सीधा कर द और परक कर ारभ म यह आसन किठन लग तो सखासन या िस ासन म बठकर कर पणर लाभ तो प ासन म बठकर करन स ही होता ह पाचनतनऽ क अगो की ःथान ता ठीक करन क िलए यिद यह आसन करत हो तो कवल पाच-दस सकणड तक ही कर एक बठक म तीन स पाच बार सामानयतः यह आसन तीन िमनट तक करना चािहए आधयाितमक उ य स योगमिासन करत हो तो समय की अविध िच और शि क अनसार बढ़ाय

लाभः योगमिासन भली कार िस होता ह तब कणडिलिन शि जागत होती ह पट की गस की बीमारी दर होती ह पट एव आतो की सब िशकायत दर होती ह कलजा फफड़ आिद यथा ःथान रहत ह दय मजबत बनता ह र क िवकार दर होत

ह क और यौनिवकार न होत ह पट बड़ा हो तो अनदर दब जाता ह शरीर मजबत बनता ह मानिसक शि बढ़ती ह

योगमिासन स उदरपटल सश बनता ह पट क अगो को अपन ःथान िटक रहन म सहायता िमलती ह नाड़ीतऽ और खास करक कमर क नाड़ी मणडल को बल िमलता ह

इस आसन म सामनयतः जहा एिड़या लगती ह वहा कबज क अग होत ह उन पर दबाव पड़न स आतो म उ जना आती ह पराना कबज दर होता ह अगो की ःथान ता क कारण होन वाला कबज भी अग अपन ःथान म पनः यथावत िःथत हो जान स न हो जाता ह धात की दबरलता म योगमिासन खब लाभदायक ह

गोरकषासन या भिासन

धयान मलाधार चब म ास थम िःथित म परक और दसरी िःथित म कमभक

िविधः िबछ हए आसन पर बठ जाय दािहना पर घटन स मोड़कर एड़ी सीवन (उपःथ और गदा क मधय) क दािहन भाग म और बाया पर मोड़कर एड़ी सीवन क बाय भाग म इस कार रख िक दोनो पर क तलव एक दसर को लगकर रह

रचक करक दोनो हाथ सामन ज़मीन पर टककर शरीर को ऊपर उठाय और दोनो पर क पजो पर इस कार बठ िक शरीर का वजन एड़ी क मधय भाग म आय अगिलयो वाला भाग छटा रह अब परक करत -करत दोनो हाथो की हथिलयो को घटनो पर रख

अनत म कमभक करक ठोड़ी छाती पर दबाय िच वि मलाधार चब म और ि भी उसी िदशा म लगाय बमशः अ यास बढ़ाकर दसक िमनट तक यह आसन कर

लाभः इस आसन क अ यास स पर क सब सिनध ःथान तथा ःनाय सश बनत ह वाय ऊधवरगामी होकर जठराि न दी करता ह िदनो िदन जड़ता न होन लगती ह शरीर पतला होता ह सकलपबल बढ़ता ह बि तीकषण होती ह कलपनाशि का िवकास होता ह ाणापान की एकता होती ह नादोतपि होन लगती ह िबनद िःथर होकर िच की चचलता कम होती ह आहार का सपणरतया पाचन हो जान क कारण मलमऽ अलप होन लगत ह शरीर शि होन लगती ह तन म ःफितर एव मन म सननता अपन आप कट होती ह ःनाय स ढ़ बनत ह धातकषय गस मधमह ःवपनदोष अजीणर कमर का ददर गदरन की दबरलता बनधकोष मनदाि न िसरददर कषय

दयरोग अिनिा दमा मछाररोग बवासीर आऽपचछ पाणडरोग जलोदर भगनदर कोढ़ उलटी िहचकी अितसार आव उदररोग नऽिवकार आिद अस य रोगो म इस आसन स लाभ होत ह

मयरासन

इस आसन म मयर अथारत मोर की आकित बनती ह इसस इस मयरासन कहा जाता ह

धयान मिणपर चब म ास बा कमभक

िविधः जमीन पर घटन िटकाकर बठ जाय दोनो हाथ की हथिलयो को जमीन पर इस कार रख िक सब अगिलया पर की िदशा म हो और परःपर लगी रह दोनो कहिनयो को मोड़कर पट क कोमल भाग पर नािभ क इदरिगदर रख अब आग झककर दोनो पर को पीछ की लमब कर ास बाहर िनकाल कर दोनो पर को जमीन स ऊपर उठाय और िसर का भाग नीच झकाय इस कार परा शरीर ज़मीन क बराबर समानानतर रह ऐसी िःथित बनाय सपणर शरीर का वजन कवल दो हथिलयो पर ही

रहगा िजतना समय रह सक उतना समय इस िःथित म रहकर िफर मल िःथित म आ जाय इस कार दो-तीन बार कर

लाभः मयरासन करन स चयर-पालन म सहायता िमलती ह पाचन तऽ क अगो की र का वाह अिधक बढ़न स व अग बलवान और कायरशील बनत ह पट क भीतर क भागो म दबाव पड़न स उनकी शि बढ़ती ह उदर क अगो की िशिथलता और मनदाि न दर करन म मयरासन बहत उपयोगी ह

वळासन

वळासन का अथर ह बलवान िःथित पाचनशि वीयरशि तथा ःनायशि दन वाला होन स यह आसन वळासन कहलाता ह

धयान मलाधार चब म और ास दीघर

िविधः िबछ हए आसन पर दोनो परो को घटनो स मोड़कर एिड़यो पर बठ जाय पर क दोनो अगठ परःपर लग रह पर क तलवो क ऊपर िनतमब रह कमर और पीठ िबलकल सीधी रह दोनो हाथ को कहिनयो स मोड़ िबना घटनो पर रख द हथिलया नीच की ओर रह ि सामन िःथर कर द

पाच िमनट स लकर आध घणट तक वळासन का अ यास कर सकत ह वळासन लगाकर भिम पर लट जान स स वळासन होता ह

लाभः वळासन क अ यास स शरीर का मधयभाग सीधा रहता ह ास की गित मनद पड़न स वाय बढ़ती ह आखो की योित तज होती ह वळनाड़ी अथारत वीयरधारा नाड़ी मजबत बनती ह वीयर की ऊधवरगित होन स शरीर वळ जसा बनता ह लमब समय तक सरलता स यह आसन कर सकत ह इसस मन की चचलता दर होकर यि िःथर बि वाला बनता ह शरीर म र ािभसरण ठीक स होकर शरीर िनरोगी एव सनदर बनता ह

भोजन क बाद इस आसन स बठन स पाचन शि तज होती ह कबज दर होती ह भोजन जलदी ह म होता ह पट की वाय का नाश होता ह कबज दर होकर पट क तमाम रोग न होत ह पाणडरोग स मि िमलती ह रीढ़ कमर जाघ घटन और परो म शि बढ़ती ह कमर और पर का वाय रोग दर होता ह ःमरणशि म वि होती ह ि यो क मािसक धमर की अिनयिमतता जस रोग दर होत ह शबदोष वीयरदोष घटनो का ददर आिद का नाश होता ह ःनाय प होत ह ःफितर बढ़ान क िलए एव मानिसक िनराशा दर कर न क िलए यह आसन उपयोगी ह धयान क िलय भी यह आसन उ म ह इसक अ यास स शारी रक ःफितर एव मानिसक सननता कट होती ह िदन-ितिदन शि का सचय होता ह इसिलए शारी रक बल म खब वि होती ह काग का िगरना अथारत गल क टािनसलस हिडडयो क पोल आिद ःथानो म उतपनन होन वाल तकण की स या म वि होन स आरो य का साा य ःथािपत होता ह िफर यि

बखार स िसरददर स कबज स मदाि न स या अजीणर जस छोट-मोट िकसी भी रोग स पीिड़त नही रहता योिक रोग आरो य क साा य म िव होन का साहस ही नही कर पात

स वळासन

धयान िवश ा याचब म ास दीघर सामानय

िविधः वळासन म बठन क बाद िच होकर पीछ की ओर भिम पर लट जाय दोनो जघाए परःपर िमली रह अब रचक करत बाय हाथ का खला पजा दािहन कनध क नीच इस कार रख िक मःतक दोनो हाथ क बास क ऊपर आय रचक परा होन पर िऽबनध कर ि मलाधार चब की िदशा म और िच वि मलाधार चब म ःथािपत कर

लाभः यह आसन करन म ौम बहत कम ह और लाभ अिधक होता ह इसक अ यास स सषमना का मागर अतयनत सरल होता ह कणडिलनी शि सरलता स ऊधवरगमन कर सकती ह

इस आसन म धयान करन स म दणड को सीधा करन का ौम नही करना पड़ता और म दणड को आराम िमलता ह उसकी काय़रशि बल बनती ह इस आसन का अ यास करन स ायः तमाम अतःॐावी मिनथयो को जस शीषरःथ मिनथ कणठःथ मिनथ मऽिपणड की मनथी ऊधवरिपणड तथा प षाथर मिनथ आिद को पि िमलती ह फलतः यि का भौितक एव आधयाितमक िवकास सरल हो जाता ह तन-मन का ःवाःथय भावशाली बनता ह जठराि न दी होती ह मलावरोध की पीडा दर होती ह धातकषय ःवपनदोष पकषाघात पथरी बहरा होना तोतला होना आखो की दबरलता गल क टािनसल ासनिलका का सजन कषय दमा ःमरणशि की दबरलता आिद रोग दर होत ह

शवासन

शवासन की पणारवःथा म शरीर क तमाम अग एव मिःतक पणरतया च ा रिहत िकय जात ह यह अवःथा शव (मद) जसी होन स इस आसन को शवासन कहा जाता ह

िविधः िबछ हए आसन पर िच होकर लट जाय दोनो परो को परःपर स थोड़ अलग कर द दोनो हाथ भी शरीर स थोड़ अलग रह इस कार परो की ओर फला द हाथ की हथिलया आकाश की तरफ खली रख िसर सीधा रह आख बनद

मानिसक ि स शरीर को पर स िसर तक दखत जाय पर शरीर को मद की तरह ढीला छोड़ द हर एक अग को िशिथल करत जाय

शरीर म समपणर िवौाम का अनभव कर मन को भी बा ा िवषयो स हटाकर एकाम कर बारी-बारी स हर एक अग पर मानिसक ि एकाम करत हए भावना कर िक वह अग अब आराम पा रहा ह मरी सब थकान उतर रही ह इस कार भावना करत-करत सब ःनायओ को िशिथल होन द शरीर क एक भी अग म कही भी तनाव (टनशन) न रह िशिथलीकरण की िबया म पर स ारमभ करक िसर तक जाय अथवा िसर स ारमभ करक पर तक भी जा सकत ह अनत म जहा स ारमभ िकया हो वही पनः पहचना चािहय िशिथलीकरण की िबया स शरीर क तमाम अगो का एव ानततओ को िवौाम की अवःथा म ला दना ह

शवासन की दसरी अवःथा म ासोचछोवास पर धयान दना ह शवासन की यही म य िबया ह िवशषकर योग साधको क िलए वह अतयनत उपयोगी ह कवल शारी रक ःवाःथय क िलय थम भिमका पयार ह

इसम ास और उचछवास की िनयिमतता दीघरता और समानता ःथािपत करन का लकषय ह ास िनयिमत चल लमबा और गहरा चल ास और उचछवास एक समान रह तो मन को एकाम करन की शि ा होती ह

शवासन यिद ठीक ढग स िकया जाए तो नाड़ीतऽ इतना शात हो जाता ह िक अ यासी को नीद आन लगती ह लिकन धयान रह िनिनित न होकर जामत रहना आवयक ह

अनय आसन करन क बाद अगो म जो तनाव (टनशन) पदा होता ह उसको िशिथल करन क िलय अत म 3 स 5 िमनट तक शवासन करना चािहए िदनभर म अनकलता क अनसार दो-तीन बार शवासन कर सकत ह

लाभः शवासन क ारा ःनाय एव मासपिशयो म िशिथलीकरण स शि बढ़ती ह अिधक कायर करन की यो यता उसम आती ह र वाहिनयो म िशराओ म र वाह तीो

होन स सारी थकान उतर जाती ह नाड़ीतऽ को बल िमलता ह मानिसक शि म वि होती ह

र का दबाव कम करन क िलए नाड़ीतऽ की दबरलता एव उसक कारण होन वाल रोगो को दर करन क िलय शवासन खब उपयोगी ह

पादपि मो ानासन

यह आसन करना किठन ह इसस उमासन कहा जाता ह उम का अथर ह िशव भगवान िशव सहारक ार ह अतः उम या भयकर ह िशवसिहता म भगवान िशव न म कणठ स शसा करत हए कहा हः यह आसन सवरौ आसन ह इसको य पवरक ग रख िसफर अिधका रयो को ही इसका रहःय बताय

धयान मिणपर चब म ास थम िःथित म परक और दसरी िःथित म रचक और िफर बिहकर मभक

िविधः िबछ हए आसन पर बठ जाय दोनो परो को लमब फला द दोनो परो की जघा घटन पज परःपर िमल रह और जमीन क साथ लग रह परो की अगलया घटनो की तरफ झकी हई रह अब दोनो हाथ लमब कर दािहन हाथ की तजरनी और अगठ स दािहन पर का अगठा और बाय हाथ की तजरनी और अगठ स बाय पर का अगठा पकड़ अब रचक करत-करत नीच झक और िसर को दोनो घटनो क मधय म रख ललाट घटन को ःपशर कर और घटन ज़मीन स लग रह रचक परा होन पर कमभक कर ि एव िच वि को मिणपर चब म ःथािपत कर ारमभ म आधा िमनट करक बमशः 15 िमनट तक यह आसन करन का अ यास बढ़ाना चािहय थम दो-चार िदन किठन लगगा लिकन अ यास हो जान पर यह आसन सरल हो जाएगा

लाभः पादपि मो नासन म समयक अ यास स सषमना का मख खल जाता ह और ाण म दणड क मागर म गमन करता ह फलतः िबनद को जीत सकत ह िबनद को जीत िबना न समािध िस होती ह न वाय िःथर होता ह न िच शात होता ह

जो ी-प ष काम िवकार स अतयत पीिड़त हो उनह इस आसन का अ यास करना चािहए इसस शारी रक िवकार दब जात ह उदर छाती और म दणड को उ म कसरत िमलती ह अतः व अिधक कायरकषम बनत ह हाथ पर तथा अनय अगो क सिनध ःथान मजबत बनत ह शरीर क सब तऽ बराबर कायरशील होत ह रोग माऽ का नाश होकर ःवाःथय़ का साा य ःथािपत होता ह

इस आसन क अ यास स मनदाि न मलावरोध अजीणर उदररोग किमिवकार सद वातिवकार कमर का ददर िहचकी कोढ़ मऽरोग मधमह पर क रोग ःवपनदोष वीयरिवकार र िवकार एपनडीसाइिटस अणडवि पाणडरोग अिनिा दमा ख टी डकार आना ानतनत की दबरलता बवासीर नल की सजन गभारशय क रोग अिनयिमत तथा क दायक मािसक बनधयतव दर नपसकता र िप िसरोवदना बौनापन आिद अनक रोग दर होत ह पट पत ला बनता ह जठराि न दी होती ह कफ और चरबी न होत ह

िशवसिहता म कहा ह िक इस आसन स वाय ीपन होता ह और वह मतय का नाश करता ह इस आसन स शरीर का कद बढ़ता ह शरीर म अिधक ःथलता हो तो कम होती ह दबरलता हो तो वह दर होकर शरीर सामानय तनद ःत अवःथा म आ जाता ह नाडी सःथान म िःथरता आती ह मानिसक शाित ा होती ह िचनता एव उ जना शात करन क िलए यह आसन उ म ह पीठ और म दणड पर िखचाव आन स दोनो िवकिसत होत ह फलतः शरीर क तमाम अवयवो पर अिधकार ःथािपत होता ह सब आसनो म यह आसन सवर धान ह इसक अ यास स कायाकलप (प रवतरन) हो जाता ह

यह आसन भगवान िशव को बहत पयारा ह उनकी आ ा स योगी गोरखनाथ न लोककलयाण हत इसका चार िकया ह आप इस आसन क अदभत लाभो स लाभािनवत हो और दसरो को भी िसखाय

पादपि मो ानासन प यपाद आसारामजी बाप को भी बहत पयारा ह उसस प यौी को बहत लाभ हए ह अभी भी यह आसन उनक आरो यिनिध का रकषक बना हआ ह

पाठक भाइयो आप अवय इस आसन का लाभ लना ारमभ क चार-पाच िदन जरा किठन लगगा बाद म तो यह आसन आपका िशवजी क वरदान प आरो य कवच िस हए िबना नही रहगा

िऽबनध

मलबनध

शौच ःनानािद स िनव होकर आसन पर बठ जाय बायी एड़ी क ारा सीवन या योिन को दबाय दािहनी एड़ी सीवन पर रख गदा ार को िसकोड़कर भीतर की ओर ऊपर खीच यह मलबनध कहा जाता ह

लाभः मलबनध क अ यास स मतय को जीत सकत ह शरीर म नयी ताजगी आती ह िबगड़त हए ःवाःथय की रकषा होती ह चयर का पालन करन म मलबनध सहायक िस होता ह वीयर को प करता ह कबज को न करता ह जठराि न तज होती ह मलबनध स िचरयौवन ा होता ह बाल सफद होन स कत ह

अपानवाय ऊधवरगित पाकर ाणवाय क सषमना म िव होता ह सहॐारचब म िच वि िःथर बनती ह इसस िशवपद का आननद िमलता ह सवर कार की िद य िवभितया और ऐ यर ा होत ह अनाहत नाद सनन को िमलता ह ाण अपान नाद और िबनद एकिऽत होन स योग म पणरता ा होती ह

उडडीयान बनध

आसन पर बठकर परा ास बाहर िनकाल द समपणरतया रचक कर पट को भीतर िसकोड़कर ऊपर की ओर खीच नािभ तथा आत पीठ की तरफ दबाय शरीर को थोड़ा सा आग की तरफ झकाय यह ह उडडीयानबनध

लाभः इसक अ यास स िचरयौवन ा होता ह मतय पर जय ा होती ह चयर क पालन म खब सहायता िमलती ह ःवाःथय सनदर बनता ह कायरशि म वि होती ह नयोिल और उडडीयानबनध जब एक साथ िकय जात ह तब कबज दम दबाकर भाग खड़ा होता ह पट क तमाम अवयवो की मािलश हो जाती ह पट की अनावयक चरबी उतर जाती ह

जालनधरबनध

आसन पर बठकर परक करक कमभक कर और ठोड़ी को छाती क साथ दबाय इसको जालनधरबनध कहत ह

लाभः जालनधरबनध क अ यास स ाण का सचरण ठीक स होता ह इड़ा और िपगला नाड़ी बनद होकर ाण-अपान सषमना म िव होत ह नािभ स अमत कट होता ह िजसका पान जठराि न करता ह योगी इसक ारा अमरता ा करता ह

प ासन पर बठ जाय परा ास बाहर िनकाल कर मलबनध उडडीयानबनध कर िफर खब परक करक मलबनध उडडीयानबनध और जालनधरबनध य तीनो बनध एक साथ कर आख बनद रख मन म णव (ॐ) का अथर क साथ जप कर

इस कार ाणायाम सिहत तीनो बनध का एक साथ अ यास करन स बहत लाभ होता ह और ायः चमतका रक प रणाम आता ह कवल तीन ही िदन क समयक अ यास स जीवन म बािनत का अनभव होन लगता ह कछ समय क अ यास स कवल या कवली कमभक ःवय कट होता ह

कवली कमभक

कवल या कवली कमभक का अथर ह रचक-परक िबना ही ाण का िःथर हो जाना िजसको कवली कमभक िस होता ह उस योगी क िलए तीनो लोक म कछ भी दलरभ नही रहता कणडिलनी जागत होती ह शरीर पतला हो जाता ह मख सनन रहता ह नऽ मलरिहत होत ह सवर रोग दर हो जात ह िबनद पर िवजय होती ह जठराि न विलत होती ह

कवली कमभक िस िकय हए योगी की अपनी सवर मनोकामनाय पणर होती ह इतना ही नही उसका पजन करक ौ ावान लोग भी अपनी मनोकामनाय पणर करन लगत ह

जो साधक पणर एकामता स िऽबनध सिहत ाणायाम क अ यास ारा कवली कमभक का प षाथर िस करता ह उसक भा य का तो पछना ही या उसकी यापकता

बढ़ जाती ह अनतर म महानता का अनभव होता ह काम बोध लोभ मोह मद और मतसर इन छः शऽओ पर िवजय ा होती ह कवली कमभक की मिहमा अपार ह

जलनित

िविधः एक िलटर पानी को गनगना सा गरम कर उसम करीब दस माम श नमक डालकर घोल द सनधव िमल जाय तो अचछा सबह म ःनान क बाद यह पानी चौड़ महवाल पाऽ म कटोर म लकर परो पर बठ जाय पाऽ को दोनो हाथो स पकड़ कर नाक क नथन पानी म डबो द अब धीर-धीर नाक क ारा ास क साथ पानी को भीतर खीच और नाक स भीतर आत हए पानी को मह स बाहर िनकालत जाय नाक को पानी म इस कार बराबर डबोय रख िजसस नाक ारा भीतर जानवाल पानी क साथ हवा न वश कर अनयथा आतरस-खासी आयगी

इस कार पाऽ का सब पानी नाक ारा लकर मख ारा बाहर िनकाल द अब पाऽ को रख कर खड़ हो जाय दोनो पर थोड़ खल रह दोनो हाथ कमर पर रखकर ास को जोर स बाहर िनकालत हए आग की ओर िजतना हो सक झक भिॐका क साथ यह िबया बार-बार कर इसस नाक क भीतर का सब पानी बाहर िनकल जायगा थोड़ा बहत रह भी जाय और िदन म कभी भी नाक स बाहर िनकल जाय तो कछ िचनताजनक नही ह

नाक स पानी भीतर खीचन की यह िबया ारमभ म उलझन जसी लगगी लिकन अ यास हो जान पर िबलकल सरल बन जायगा

लाभः मिःतक की ओर स एक कार का िवषला रस नीच की ओर बहता ह यह रस कान म आय तो कान क रोग होत ह आदमी बहरा हो जाता ह यह रस आखो की तरफ जाय तो आखो का तज कम हो जाता ह चम की ज रत पड़ती ह तथा अनय रोग होत ह यह रस गल की ओर जाय तो गल क रोग होत ह

िनयमपवरक जलनित करन स यह िवषला पदाथर बाहर िनकल जाता ह आखो की रोशनी बढ़ती ह चम की ज रत नही पड़ती चमा हो भी तो धीर-धीर नमबर कम होत-होत छट जाता भी जाता ह ासोचछोवास का मागर साफ हो जाता ह मिःतक म ताजगी रहती ह जकाम-सद होन क अवसर कम हो जात ह जलनित की िबया करन

स दमा टीबी खासी नकसीर बहरापन आिद छोटी-मोटी 1500 बीमी रया दर होती ह जलनित करन वाल को बहत लाभ होत ह िच म सननता बनी रहती ह

गजकरणी िविधः करीब दो िलटर पानी गनगना सा गरम कर उसम करीब 20 माम श

नमक घोल द सनधव िमल जाय तो अचछा ह अब पजो क बल बठकर वह पानी िगलास भर-भर क पीत जाय खब िपय अिधकाअिधक िपय पट जब िबलकल भर जाय गल तक आ जाय पानी बाहर िनकालन की कोिशश कर तब दािहन हाथ की दो बड़ी अगिलया मह म डाल कर उलटी कर िपया हआ सब पानी बाहर िनकाल द पट िबलकल हलका हो जाय तब पाच िमनट तक आराम कर

गजकरणी करन क एकाध घणट क बाद कवल पतली िखचड़ी ही भोजन म ल भोजन क बाद तीन घणट तक पानी न िपय सोय नही ठणड पानी स ःनान कर तीन घणट क बाद ारमभ म थोड़ा गरम पानी िपय

लाभः गजकरणी स एिसडीटी क रोगी को अदभत लाभ होता ह ऐस रोगी को चार-पाच िदन म एक बार गजकरणी चािहए ततप ात महीन म एक बार दो महीन म एक बार छः महीन म एक बार भी गजकरणी कर सकत ह

ातःकाल खाली पट तलसी क पाच-सात प चबाकर ऊपर स थोड़ा जल िपय एसीडीटी क रोगी को इसस बहत लाभ होगा

वष परान कबज क रोिगयो को स ाह म एक बार गजकरणी की िबया अवय करनी चािहए उनका आमाशय मिनथसःथान कमजोर हो जान स भोजन हजम होन म गड़बड़ रहती ह गजकरणी करन स इसम लाभ होता ह फोड़ फनसी िसर म गम सद बखार खासी दमा टीबी वात-िप -कफ क दोष िज ा क रोग गल क रोग छाती क रोग छाती का ददर एव मदाि न म गजकरणी िबया लाभकारक ह

शरीर शोधन-कायाकलप

यह चालीस िदन का कलप ह प यपाद आसारामजी बाप न यह योग िकया हआ ह इसस शरीर सडौल ःवःथ और फत ला बनता ह र म नय-नय कण बनत ह शरीर क कोषो की शि बढ़ती ह मन-बि म चमतका रक लाभ होत ह

िविधः अगल िदन पपीता सव आिद फल उिचत माऽा म ल अथवा मन का 50 माम दस घणट पहल िभगो द उनको उबालकर बीज िनकाल द मन का खा ल और पानी पी ल

ातःकाल उठकर सकलप कर िक इस कलप क दौरान िनि त िकय हए कायरबम क अनसार ही रहगा

शौच-ःनानािद िनतयकमर स िनव होकर सबह 8 बज 200 या 250 माम गाय का उबला हआ गनगना दध िपय पौन घणटा पणर आराम कर बाद म िफर स दध िपय शारी रक ौम कम स कम कर ॐ सोsह हसः इस मऽ का मानिसक जप कर कभी ास को िनहार बस साकषीभाव

मनोरा य चलता हो तो ॐ जोर-जोर स जप कर

इस कार शाम तक िजतना दध हजम कर सक उतना दध दो स तीन िलटर िपय 40 िदन तक कवल द धाहार क बाद 41व िदन मग का उबला हआ पानी मोसममी का रस आिद ल रािऽ को अिधक मगवाली हलकी िखचड़ी खाय इस कार शरीर-शोधन-कायाकलप की पणारहित कर

यिद बि तीकषण बनानी हो ःमरणशि बढ़ानी हो तो कलप क दौरान ॐ ऐ नमः इस मऽ का जप कर सयर को अ यर द

इस कलप म दध क िसवाय अनय कोई खराक लना मना ह चाय तमबाक आिद यसन िनिष ह ि यो क सग स दर रहना तथा चयर का पालन अतयनत आवयक ह

कलजग नही करजग ह यह

कलजग नही करजग ह यह यहा िदन को द अ रात ल

या खब सौदा नकद ह इस हाथ द उस हाथ ल टक

दिनया अजब बाज़ार ह कछ िजनस1 या िक साथ ल

नकी का बदला नक ह बद स बदी की बात ल

मवा िखला मवा िमल फल फल द फल पात ल

आराम द आराम ल दःख ददर द आफत2 ल 1

काटा िकसी को मत लगा गो िमःल-गल3 फला ह त

वह तर हक4 म तीर ह िकस बात पर झला ह त

मत आग म डाल और को या घास का पला ह त

सन ऱख यह नकता5 बखबर िकस बात पर भला ह त

कलजग नही 2

शोखी शरारत मकरो-फन6 सबका बसखा7 ह यहा

जो जो िदखाया और को वह खद भी दखा ह यहा

खोटी खरी जो कछ कही ितसका परखा8 ह यहा

जो जो पड़ा तलता ह मोल ितल ितल का लखा ह यहा

कलजग नही 3

जो और की बःती9 रख उसका भी बसता ह परा

जो और क मार छरी उसको भी लगता ह छरा

जो और की तोड़ घड़ी उसका भी टट ह घड़ा

जो और की चत10 बदी उसका भी होता ह बरा

कलजग नही 4

जो और को फल दवगा वह भी सदा फल पावगा

गह स गह जौ स जौ चावल स चावल पावगा

जो आज दवगा यहा वसा ही वह कल पावगा

कल दवगा कल पावगा िफर दवगा िफर पावगा

कलजग नही 5

जो चाह ल चल इस घड़ी सब िजनस यहा तयार ह

आराम म आराम ह आजार म आजार11 ह

दिनया न जान इसको िमया दरया की यह मझधार ह

औरो का बड़ा पार कर तरा भी बड़ा पार ह

कलजग नही 6

त और की तारीफ कर तझको सना वानी12 िमल

कर मिकल आसा औरो की तझको भी आसानी िमल

त और को महमान कर तझको भी महमानी िमल

रोटी िखला रोटी िमल पानी िपला पानी िमल

कलजग नही 7

जो गल13 िखलाव और का उसका ही गल िखलता भी ह

जो और का कील14 ह मह उसका ही मह िकलता भी ह

जो और का छील िजगर उसका िजगर िछलता भी ह

जो और को दव कपट उसको कपट िमलता भी ह

कलजग नही 8

कर जो कछ करना ह अब यह दम तो कोई आन15 ह

नकसान म नकसान ह एहसान म एहसान ह

तोहमत म यहा तोहमत िमल तफान म तफान ह

रहमान16 को रहमान17 ह शतान को शतान ह

कलजग नही 9

यहा जहर द तो जहर ल श कर म श कर दख ल

नको का नकी का मजा मजी18 को ट कर दख ल

मोती िदय मोती िमल पतथर म पतथर दख ल

गर तझको यह बावर19 नही तो त भी करक दख ल

कलजग नही 10

अपन नफ क वाःत मत और का नकसान कर

तरा भी नकसा होवगा इस बात पर त धयान कर

खाना जो खा सो दखकर पानी िपय तो छानकर

या पावो को रख फककर और खोफ स गजरान कर

कलजग नही 11

गफलत की यह जगह नही त सािहब-इदराक20 रह

िदलशाद21 ऱख िदल शाह रह गमनाक रख गमनाक रह

हर हाल म भी त नजीर22 अब हर कदम की रह

यह वह मका ह ओ िमया या पाक23 रह बबाक24 रह

कलजग नही 12

1 वःत 2 मसीबत 3 पप की तरह 4 तर िलय 5 रहःय 6 दगा-धोखा 7 घर 8 परखना 9 नगरी 10 िवचार कर 11 दःख 12 तारीफ-ःतित 13 फल 14 िकसी को बोलन न दना 15 घड़ी पल 16 दयावान 17 दयाल भगवान 18 सतान वाला 19 िव ास 20 तीो ा तज समझन वाला प ष 21 सननिच 22 किव का नाम ह 23 श पिवऽ 24 िनडर

  • आधयातमिक विदया क उदगाता
  • सवासथय क लिए मतर
  • परासताविक
  • बरहमचरय-रकषा का मनतर
  • आसनो की परकिया म आन वाल कछ शबदो की समझ
  • आवशयक निरदश
  • योगासन
    • पदमासन या कमलासन
    • सिदधासन
    • सरवागासन
    • हलासन
    • पवनमकतासन
    • मतसयासन
    • भजगासन
    • धनरासन
    • चकरासन
    • कटिपिणडमरदनासन
    • अरधमतसयनदरासन
    • योगमदरासन
    • गोरकषासन या भदरासन
    • मयरासन
    • वजरासन
    • सपतवजरासन
    • शवासन
    • पादपशचिमोततानासन
      • तरिबनध
        • मलबनध
        • उडडीयान बनध
        • जालनधरबनध
          • कवली कमभक
          • जलनति
          • गजकरणी
          • शरीर शोधन-कायाकलप
          • कलजग नही करजग ह यह
Page 8: अनुबम - || Home || HariOmGroup · िस होता है। िवशु नाड़ीतंऽ वालेयोगी के िवशु शरीर में

योगासन

प ासन या कमलासन

इस आसन म परो का आधार प अथारत कमल जसा बनन स इसको प ासन या कमलासन कहा जाता ह धयान आ ाचब म अथवा अनाहत चब म ास रचक

कमभक दीघर ःवाभािवक

िविधः िबछ हए आसन क ऊपर ःवःथ होकर बठ रचक करत करत दािहन पर को मोड़कर बाई जघा पर रख बाय पर को मोड़कर दािहनी जघा पर रख अथवा पहल बाया पर और बाद म दािहना पर भी रख सकत ह पर क तलव ऊपर की ओर और एड़ी नािभ क नीच रह घटन ज़मीन स लग रह िसर गरदन छाती म दणड आिद परा भाग सीधा और तना हआ रह दोनो हाथ घटनो क ऊपर ानमिा म रह (अगठ को तजरनी अगली क नाखन स लगाकर शष तीन अगिलया सीधी रखन स ानमिा बनती ह) अथवा बाय हाथ को गोद म रख हथली ऊपर की और रह उसक ऊपर उसी कार दािहना हाथ रख दोनो हाथ की अगिलया परःपर लगी रहगी दोनो हाथो को म ठी बाधकर घटनो पर भी रख सकत ह

रचक परा होन क बाद कमभक कर ारभ म पर जघाओ क ऊपर पर न रख सक तो एक ही पर रख पर म झनझनाहट हो लश हो तो भी िनराश न होकर अ यास चाल रख अश या रोगी को चािहए िक वह ज़बरदःती प ासन म न बठ प ासन

सश एव िनरोगी क िलए ह हर तीसर िदन समय की अविध एक िमनट बढ़ाकर एक घणट तक पहचना चािहए

ि नासाम अथवा मधय म िःथर कर आख बद खली या अधर खली भी रख सकत ह शरीर सीधा और िःथर रख ि को एकाम बनाय

भावना कर िक मलाधार चब म छपी हई शि का भणडार खल रहा ह िनमन कनि म िःथत चतना तज और औज़ क प म बदलकर ऊपर की ओर आ रही ह अथवा अनाहत चब ( दय) म िच एकाम करक भावना कर िक दय पी कमल म स सगनध की धाराए वािहत हो रही ह समम शरीर इन धाराओ स सगिनधत हो रहा ह

लाभः ाणायाम क अ यासपवरक यह आसन करन स नाड़ीतऽ श होकर आसन िस होता ह िवश नाड़ीतऽ वाल योगी क िवश शरीर म रोग की छाया तक नही रह सकती और वह ःवचछा स शरीर का तयाग कर सकता ह

प ासन म बठन स शरीर की ऐसी िःथित बनती ह िजसस सन तऽ ानतऽ और र ािभसरणतऽ स यविःथत ढग क कायर कर सकत ह फलतः जीवनशि का िवकास होता ह प ासन का अ यास करन वाल साधक क जीवन म एक िवशष कार की आभा कट होती ह इस आसन क ारा योगी सत महाप ष महान हो गय ह

प ासन क अ यास स उतसाह म वि होती ह ःवभाव म सननता बढ़ती ह मख तजःवी बनता ह बि का अलौिकक िवकास होता ह िच म आननद-उललास रहता ह िचनता शोक दःख शारी रक िवकार दब जात ह किवचार पलायन होकर सिवचार कट होन लगत ह प ासन क अ यास स रजस और तमस क कारण यम बना हआ िच शानत होता ह स वगण म अतयत व ि होती ह ाणायाम साि वक िमताहार और सदाचार क साथ प ासन का अ यास करन स अतःॐावी मिथयो को िवश र िमलता ह फलतः यि म कायरशि बढ़न स भौितक एव आधयाितमक िवकास शीय होता ह बौि क-मानिसक कायर करन वालो क िलए िचनतन मनन करन वालो क िलए एव िव ािथरयो क िलए यह आसन खब लाभदायक ह चचल मन को िःथर करन क िलए एव वीयररकषा क िलए या आसन अि ितय ह

ौम और क रिहत एक घणट तक प ासन पर बठन वाल यि का मनोबल खब बढ़ता ह भाग गाजा चरस अफीम मिदरा तमबाक आिद यसनो म फस हए यि

यिद इन यसनो स म होन की भावना और ढ़ िन य क साथ प ासन का अ यास कर तो उनक द यरसन सरलता स और सदा क िलए छट जात ह चोरी जआ यिभचार या हःतदोष की बरी आदत वाल यवक-यवितया भी इस आसन क ारा उन सब कसःकारो स म हो सकत ह

क र िप पकषाघात मलावरोध स पदा हए रोग कषय दमा िहःटी रया धातकषय कनसर उदरकिम तवचा क रोग वात-कफ कोप नपसकतव वनध य आिद रोग प ासन क अ यास स न हो जात ह अिनिा क रोग क िलए यह आसन रामबाण इलाज ह इसस शारी रक मोटापन कम होता ह शारी रक एव मानिसक ःवाःथय की सरकषा क िलए यह आसन सव म ह

प ासन म बठकर अि नी मिा करन अथारत गदा ार का बार-बार सकोच सार करन स अपानवाय सषमना म िव होता ह इसस काम िवकार पर जय ा होन लगती ह ग ोिनिय को भीतर की ओर िसकोड़न स अथारत योिनमिा या वळोली करन स वीयर उधवरगामी होता ह प ासन म बठकर उडडीयान बनध जालधर बनध तथा कमभक करक छाती एव पट को फलान िक िबया करन स वकषशि एव कणठशि होती ह फलतः भख खलती ह भोजन सरलता स पचता ह जलदी थकान नही होती ःमरणशि एव आतमबल म वि होती ह

यम-िनयमपवरक लमब समय तक प ासन का अ यास करन स उणता कट होकर मलाधार चब म आनदोलन उतपनन होत ह कणडिलनी शि जागत होन की भिमका बनती ह जब यह शि जागत होती ह तब इस सरल िदखन वाल प ासन की वाःतिवक मिहमा का पता चलता ह घरणड शािणडलय तथा अनय कई ऋिषयो न इस आसन की मिहमा गायी ह धयान लगान क िलए यह आसन खब लाभदायक ह

इद प ासन ो सवर यािधिवनाशम

दलरभ यन कनािप धीमता ल यत भिव

इस कार सवर यािधयो को िवन करन वाल प ासन का वणरन िकया यह दलरभ आसन िकसी िवरल बि मान प ष को ही ा होता ह

(हठयोगदीिपका थमोपदश)

िस ासन

प ासन क बाद िस ासन का ःथान आता ह अलौिकक िसि या ा करन वाला होन क कारण इसका नाम िस ासन पड़ा ह िस योिगयो का यह िय आसन ह यमो म चयर ौ ह िनयमो म शौच ौ ह वस आसनो म िस ासन ौ ह

धयान आ ाचब म और ास दीघर ःवाभािवक

िविधः आसन पर बठकर पर खल छोड़ द अब बाय पर की एड़ी को गदा और जननिनिय क बीच रख दािहन पर की एड़ी को जननिनिय क ऊपर इस कार रख िजसस जननिनिय और अणडकोष क ऊपर दबाव न पड़ परो का बम बदल भी सकत ह दोनो परो क तलव जघा क मधय भाग म रह हथली ऊपर की ओर रह इस कार दोनो हाथ एक दसर क ऊपर गोद म रख अथवा दोनो हाथो को दोनो घटनो क ऊपर ानमिा म रख आख खली अथवा बनद रख ासोचछोवास आराम स ःवाभािवक चलन

द मधय म आ ाचब म धयान किनित कर पाच िमनट तक इस आसन का अ यास कर सकत ह धयान की उचच ककषा आन पर शरीर पर स मन की पकड़ छट जाती ह

लाभः िस ासन क अ यास स शरीर की समःत नािड़यो का शि करण होता ह ाणत व ःवाभािवकतया ऊधवरगित को ा होता ह फलतः मन को एकाम करना सरल बनता ह

पाचनिबया िनयिमत होती ह ास क रोग दय रोग जीणर वर अजीणर अितसार शबदोष आिद दर होत ह मदाि न मरोड़ा समहणी वातिवकार कषय दमा मधमह पलीहा की वि आिद अनक रोगो का शमन होता ह प ासन क अ यास स जो रोग दर होत ह व िस ासन क अ यास स भी दर होत ह

चयर-पालन म यह आसन िवशष प स सहायक होता ह िवचार पिवऽ बनत ह मन एकाम होता ह िस ासन का अ यासी भोग-िवलास स बच सकता ह 72 हजार नािड़यो का मल इस आसन क अ यास स दर होता ह वीयर की रकषा होती ह ःवपनदोष क रोगी को यह आसन अवय करना चािहए

योगीजन िस ासन क अ यास स वीयर की रकषा करक ाणायाम क ारा उसको मिःतक की ओर ल जात ह िजसस वीयर ओज तथा मधाशि म प रणत होकर िद यता का अनभव करता ह मानिसक शि यो का िवकास होता ह

कणडिलनी शि जागत करन क िलए यह आसन थम सोपान ह

िस ासन म बठकर जो कछ पढ़ा जाता ह वह अचछी तरह याद रह जाता ह िव ािथरयो क िलए यह आसन िवशष लाभदायक ह जठराि न तज होती ह िदमाग िःथर बनता ह िजसस ःमरणशि बढ़ती ह

आतमा का धयान करन वाला योगी यिद िमताहारी बनकर बारह वषर तक िस ासन का अ यास कर तो िसि को ा होता ह िस ासन िस होन क बाद अनय आसनो का कोई योजन नही रह जाता िस ासन स कवल या कवली कमभक िस होता ह छः मास म भी कवली कमभक िस हो सकता ह और ऐस िस योगी क दशरन-पजन स पातक न होत ह मनोकामना पणर होती ह िस ासन क ताप स िनब ज समािध िस हो जाती ह मलबनध उडडीयान बनध और जालनधर बनध अपन आप होन लगत ह

िस ासन जसा दसरा आसन नही ह कवली कमभक क समान ाणायाम नही ह खचरी मिा क समान अनय मिा नही ह और अनाहत नाद जसा कोई नाद नही ह

िस ासन महाप षो का आसन ह सामानय यि हठपवरक इसका उपयोग न कर अनयथा लाभ क बदल हािन होन की समभावना ह

सवागासन

भिम पर सोकर शरीर को ऊपर उठाया जाता ह इसिलए इसको सवागासन कहत ह

धयान िवश ा य चब म ास रचक परक और दीघर

िविधः भिम पर िबछ हए आसन पर िच होकर लट जाए ास को बाहर िनकाल कर अथारत रचक करक कमर तक क दोनो पर सीध और परःपर लग हए रखकर ऊपर उठाए िफर पीठ का भाग भी ऊपर उठाए दोनो हाथो स कमर को आधार द हाथ की कहिनया भिम स लग रह गरदन और कनध क बल परा शरीर ऊपर की और सीधा खड़ा कर द ठोडी छाती क साथ िचपक जाए दोनो पर आकाश की ओर रह ी दोनो परो क अगठो की ओर रह अथवा आख बनद करक िच वि को कणठदश म िवश ा य चब म िःथर कर परक करक ास को दीघर सामानय चलन द

इस आसन का अ य़ास ढ़ होन क बाद दोनो परो को आग पीछ झकात हए जमीन को लगात हए अनय आसन भी हो सकत ह सवागासन की िःथित म दोनो परो को जाघो पर लगाकर प ासन भी िकया जा सकता ह

ारमभ म तीन स पाच िमनट तक यह आसन कर अ यासी तीन घणट तक इस आसन का समय बढ़ा सकत ह

लाभः सवागासन क िनतय अ यास स जठराि न तज होती ह साधक को अपनी िच क अनसार भोजन की माऽा बढ़ानी चािहए सवागासन क अ यास स शरीर की तवचा लटकन नही लगती तथा शरीर म झ ररया नही पड़ती बाल सफद होकर िगरत नही हर रोज़ एक हर तक सवागासन का अ यास करन स मतय पर िवजय िमलती ह

शरीर म सामथयर बढ़ता ह तीनो दोषो का शमन होता ह वीयर की ऊधवरगित होकर अनतःकरण श होता ह मधाशि बढ़ती ह िचर यौवन की ाि होती ह

इस आसन स थायराइड नामक अनतःमिनथ की शि बढ़ती ह वहा र सचार तीो गित स होन लगता ह इसस उस पोषण िमलता ह थायराइड क रोगी को इस आसन स अदभत लाभ होता ह िलवर और पलीहा क रोग दर होत ह ःमरणशि बढ़ती ह मख पर स महास एव अनय दाग दर होकर मख तजःवी बनता ह जठर एव नीच उतरी हई आत अपन मल ःथान पर िःथर होती ह प षातन मिनथ पर सवागासन का अचछा भाव पड़ता ह ःवपनदोष दर होता ह मानिसक बौि क वि करन वालो को तथा िवशषकर िव ािथरयो को यह आसन अवय करना चािहए

मनदाि न अजीणर कबज अशर थायराइड का अलप िवकास थोड़ िदनो का अपनडीसाइिटस और साधारण गाठ अगिवकार असमय आया हआ व तव दमा कफ

चमड़ी क रोग र दोष ि यो को मािसक धमर की अिनयिमतता एव ददर मािसक न आना अथवा अिधक आना इतयािद रोगो म इस आसन स लाभ होता ह नऽ और मिःतक की शि बढ़ती ह उनक रोग दर होत ह

थायराइड क अित िवकासवाल खब कमजोर दयवाल और अतयिधक चब वाल लोगो को िकसी अनभवी की सलाह लकर ही सवागासन करना चािहए

शीषारसन करन स जो लाभ होता ह व सब लाभ सवागासन और पादपि मो ानसन करन स िमल जात ह शीषारसन म गफलत होन स जो हािन होती ह वसी हािन होन की सभावना सवागासन और पादपि मो ानासन म नही ह

हलासन

इस आसन म शरीर का आकार हल जसा बनता ह इसिलए इसको हलासन कहा जाता ह

धयान िवश ा या चब म ास रचक और बाद म दीघर

िविधः भिम पर िबछ हए आसन पर िच होकर लट जाए दोनो हाथ शरीर को लग रह अब रचक करक ास को बाहर िनकाल द दोनो परो को एक साथ धीर-धीर ऊच करत जाय आकाश की ओर पर उठाकर िफर पीछ िसर क तरफ झकाय पर िबलकल तन हए रखकर पज ज़मीन पर लगाय ठोड़ी छाती स लगी रह िच वि को िवश ा या चब म िःथर कर दो-तीन िमनट स लकर बीस िमनट तक समय की अविध बढ़ा सकत ह

लाभः हलासन क अ यास स अजीणर कबज अशर थायराइड का अलप िवकास अगिवकार असमय व तव दमा कफ र िवकार आिद दर होत ह इस आसन स िलवर अचछा होता ह छाती का िवकास होता ह सनिबया तज होकर ऑ सीजन स र श बनता ह गल क ददर पट की बीमारी सिधवात आिद दर होत ह पट की चरबी कम होती ह िसरददर दर होता ह वीयरिव कार िनमरल होता ह खराब िवचार बनद होत ह नाड़ी तऽ श होता ह शरीर बलवान और तजःवी बनता ह गिभरणी ि यो क िसवा हर एक को यह आसन करना चािहए

रीढ़ म कठोरता होना यह व ावःथा का िच ह हलासन स रीढ़ लचीली बनती ह इसस यवावःथा की शि ःफितर ःवाःथय और उतसाह बना रहता ह म दणड

समबनधी नािड़यो क ःवाःथय की रकषा होकर व ावःथा क लकषण जलदी नही आत जठर की नािड़यो को शि ा होती ह

जठर की मासपिशया तथा पाचनतऽ क अगो की नािड़यो की दबरलता क कारण अगर मदाि न एव कबज हो तो हलासन स दर होत ह कमर पीठ एव गरदन क रोग न होत ह िलवर और पलीहा बढ़ गए हो तो हलासन स सामानय अवःथा म आ जात ह काम कनि की शि बढ़ती ह अपानशि का उतथान होकर उदान पी अि न का योग होन स वीयरशि ऊधवरगामी बनती ह हलासन स वीयर का ःतभन होता ह यह आसन अणडकोष की वि पिनबयास अपिनड स आिद को ठीक करता ह थायराइड मिनथ की िबयाशीलता बढ़ती ह धयान करन स िवश चब जागत हो जाता ह

पवनम ासन

शरीर म िःथत पवन (वाय) यह आसन करन स म होता ह इसिलए इस पवनम ासन कहा जाता ह

धयान मिणपर चब म ास पहल परक िफर कमभक और रचक

िविधः भिम पर िबछ हए आसन पर िच होकर लट जाय परक करक फफड़ो म ास भर ल अब िकसी भी एक पर को घटन स मोड़ द दोनो हाथो की अगिलयो को

परःपर िमलाकर उसक ारा मोड़ हए घटनो को पकड़कर पट क साथ लगा द िफर िसर को ऊपर उठाकर मोड़ हए घटनो पर नाक लगाए दसरा पर ज़मीन पर सीधा रह इस िबया क दौरान ास को रोककर कमभक चाल रख िसर और मोड़ा हआ पर भिम पर पवरवत रखन क बाद ही रचक कर दोनो परो को बारी -बारी स मोड़कर यह िबया कर दोनो पर एक साथ मोड़कर भी यह आसन हो सकता ह

लाभः पवनम ासन क िनयिमत अ यास स पट की चरबी कम होती ह पट की वाय न होकर पट िवकार रिहत बनता ह कबज दर होता ह पट म अफारा हो तो इस आसन स लाभ होता ह ातःकाल म शौचिबया ठीक स न होती हो तो थोड़ा पानी पीकर यह आसन 15-20 बार करन स शौच खलकर होगा

इस आसन स ःमरणशि बढ़ती ह बौि क कायर करन वाल डॉ टर वकील सािहतयकार िव ाथ तथा बठकर वि करन वाल मनीम यापारी आिद लोगो को िनयिमत प स पवनम ासन करना चािहए

मतःयासन

मतःय का अथर ह मछली इस आसन म शरीर का आकार मछली जसा बनता ह अतः मतःयासन कहलाता ह पलािवनी ाणायाम क साथ इस आसन की िःथित म लमब समय तक पानी म तर सकत ह

धयान िवश ा या चब म ास पहल रचक बिहकर मभक िफर परक और रचक

िविधः भिम पर िबछ हए आसन पर प ासन लगाकर सीध बठ जाय िफर परो को प ासन की िःथित म ही रखकर हाथ क आधार स सावधानी पवरक पीछ की ओर िच होकर लट जाय रचक करक कमर को ऊपर उठाय घटन िनतब और मःतक क िशखा ःथान को भिम क ःथान लगाय रख िशखाःथान क नीच कोई नरम कपड़ा

अवय रख बाय हाथ स दािहन पर का अगठा और दािहन हाथ स बाय पर का अगठा पकड़ दोनो कहिनया ज़मीन को लगाय रख कमभक की िःथित म रहकर ि को पीछ की ओर िसर क पास ल जान की कोिशश कर दात दब हए और मह बनद रख एक िमनट स ारमभ करक पाच िमनट तक अ यास बढ़ाय िफर हाथ खोलकर कमर भिम को लगाकर िसर ऊपर उठाकर बठ जाय परक करक रचक कर

पहल भिम पर लट कर िफर प ासन लगाकर भी मतःयासन हो सकता ह

लाभः मतःयासन स परा शरीर मजबत बनता ह गला छाती पट की तमाम बीमा रया दर होती ह आखो की रोशनी बढ़ती ह गला साफ रहता ह सनिबया ठीक स चलती ह कनधो की नस उलटी मड़ती ह इसस छाती व फफड़ो का िवकास होता ह पट साफ रहता ह आतो का मल दर होता ह र ािभसरण की गित बढ़ती ह फलतः चमड़ी क रोग नही होत दमा और खासी दर होती ह छाती चौड़ी बनती ह पट की चरबी कम होती ह इस आसन स अपानवाय की गित नीच की ओर होन स मलावरोध दर होता ह थोड़ा पानी पीकर यह आ सन करन स शौच-शि म सहायता िमलती ह

मतःयासन स ि यो क मािसकधमर समबनधी सब रोग दर होत ह मािसकॐाव िनयिमत बनता ह

भजगासन

इस आसन म शरीर की आकित फन उठाय हए भजग अथारत सपर जसी बनती ह इसिलए इसको भजगासना कहा जाता ह

धयान िवश ा या चब म ास ऊपर उठात व परक और नीच की ओर जात समय रचक

िविधः भिम पर िबछ हए कमबल पर पट क बल उलट होकर लट जाय दोनो पर और पज परःपर िमल हए रह परो क अगठो को पीछ की ओर खीच दोनो हाथ िसर क तरफ लमब कर द परो क अगठ नािभ छाती ललाट और हाथ की हथिलया भिम पर एक सीध म रख

अब दोनो हथिलयो को कमर क पास ल जाय िसर और कमर ऊपर उठाकर िजतना हो सक उतन पीछ की ओर मोड़ नािभ भिम स लगी रह पर शरीर का वजन हाथ क पज पर आएगा शरीर की िःथित कमान जसी बनगी म दणड क आिखरी भाग पर दबाव किनित होगा िच वि को कणठ म और ि को आकाश की तरफ िःथर कर

20 सकणड तक यह िःथित रख बाद म धीर-धीर िसर को नीच ल आय छाती भिम पर रख िफर िसर को भिम स लगन द आसन िस हो जान क बाद आसन करत समय ास भरक कमभक कर आसन छोड़त समय मल िःथित म आन क बाद ास को खब धीर-धीर छोड़ हर रोज एक साथ 8-10 बार यह आसन कर

लाभः घरड सिहता म इसका लाभ बतात हए कहा ह - भजगासन स जठराि न दी होती ह सवर रोगो का नाश होता ह और कणडिलनी जागत होती ह

म दणड क तमाम मनको को तथा गरदन क आसपास वाल ःनायओ को अिधक श र िमलता ह फलतः नाड़ी तऽ सचत बनता ह िचरजीवी शि मान एव स ढ़ बनता ह िवशषकर मिःतक स िनकलन वाल ानतत बलवान बनत ह पीठ की हिडडय़ो म रहन वाली तमाम खरािबया दर होती ह पट क ःनाय म िखचाव आन स वहा क अगो को शि िमलती ह उदरगहा म दबाव बढ़न स कबज दर होता ह छाती और पट का िवकास होता ह तथा उनक रोग िमट जात ह गभारशय एव बोनाशय अचछ बनत ह फलतः मािसकॐाव क रिहत होता ह मािसक धमर समबनधी समःत िशकायत दर होती ह अित ौम करन क कारण लगन वाली थकान दर होती ह भोजन क बाद होन वाल वाय का ददर न होता ह शरीर म ःफितर आती ह कफ-िपतवालो क िलए यह आसन लाभदायी ह भजगासन करन स दय मजबत बनता ह मधमह और उदर क

रोगो स मि िमलती ह दर अित मािसकॐाव तथा अलप मािसकॐाव जस रोग दर होत ह

इस आसन स म दणड लचीला बनता ह पीठ म िःथत इड़ा और िपगला नािड़यो पर अचछा भाव पड़ता ह कणडिलनी शि जागत करन क िलय यह आसन सहायक ह अमाशय की मासपिशयो का अचछा िवकास होता ह थकान क कारण पीठ म पीड़ा होती हो तो िसफर एक बार ही यह आसन करन स पीड़ा दर होती ह म दणड की कोई हडडी ःथान हो गई हो तो भजगासन करन स यथाःथान म वापस आ जाती ह

धनरासन

इस आसन म शरीर की आकित खीच हए धनष जसी बनती ह अतः इसको धनरासन कहा जाता ह

धयान मिणपर चब म ास नीच की िःथित म रचक और ऊपर की िःथित म परक

िविधः भिम पर िबछ हए कमबल पर पट क बल उलट होकर लट जाय दोनो पर परःपर िमल हए रह अब दोनो प रो को घटनो स मोड़ दोनो हाथो को पीछ ल जाकर दोनो परो को टखनो स पकड़ रचक करक हाथ स पकड़ हए परो को कसकर धीर -धीर खीच िजतना हो सक उतना िसर पीछ की ओर ल जान की कोिशश कर ि भी ऊपर एव पीछ की ओर रहनी चािहए समम शरीर का बोझ कवल नािभदश क ऊपर ही रहगा कमर स ऊपर का धड़ एव कमर स नीच पर पर ऊपर की ओर मड़ हए रहग

कमभक करक इस िःथित म िटक रह बाद म हाथ खोलकर पर तथा िसर को मल अवःथा म ल जाय और परक कर ारभ म पाच सकणड यह आसन कर धीर-धीर समय बढ़ाकर तीन िमनट या उसस भी अिधक समय इस आसन का अ यास कर तीन-चार बार यह आसन करना चािहए

लाभः धनरासन क अ यास स पट की चरबी कम होती ह गस दर होती ह पट को रोग न होत ह कबज म लाभ होता ह भख खलती ह छाती का ददर दर होता ह दय की धडकन मजबत बनती ह ास िक िबया यविःथत चलती ह मखाकित सदर बनती ह आखो की रोशनी बढ़ती ह और तमाम रोग दर होत ह हाथ -पर म होन वाला कपन कता ह शरीर का सौनदयर बढ़ता ह पट क ःनायओ म िखचाव आन स पट को अचछा लाभ होता ह आतो पर खब दबाव पड़न स पट क अगो पर भी दबाव पड़ता ह फलतः आतो म पाचकरस आन लगता ह इसस जठराि न तज होती ह पाचनशि बढ़ती ह वायरोग न होता ह पट क कषऽ म र का सचार अिधक होता ह धनरासन म भजगासन और शलभासन का समावश हो जान क कारण इन दोनो आसनो क लाभ िमलत ह ि यो क िलए यह आसन खब लाभकारक ह इसस मािसक धमर क िवकार गभारशय क तमाम रोग दर होत ह

चबासन

इस आसन म शरीर की आकित चब जसी बनती ह अतः चबासन कहा जाता ह

धयान मिणपर चब म ास दीघर ःवाभािवक

िविधः भिम पर िबछ हए आसन पर िच होकर लट जाय घटनो स पर मोड़ कर ऊपर उठाय पर क तलव ज़मीन स लग रह दो परो क बीच करीब डढ़ फीट का अनतर रख दोनो हाथ मःतक की तरफ उठाकर पीछ की ओर दोनो हथिलयो को ज़मीन पर जमाय दोनो हथिलयो क बीच भी करीब डढ़ फीट का अनतर रख अब हाथ और पर क बल स पर शरीर को कमर स मोड़कर ऊपर उठाय हाथ को धीर-धीर पर की ओर ल जाकर ःमपशर शरीर का आकार व या चब जसा बनाय आख बनद रख ास की गित ःवाभािवक चलन द िच वि मिणपर चब (नािभ कनि) म िःथर कर आख खली भी रख सकत ह एक िमनट स पाच िमनट तक अ यास बढ़ा सकत ह

लाभः म दणड तथा शरीर की समःत नािड़यो का शि करण होकर यौिगक चब जागत होत ह लकवा तथा शरीर की कमजो रया दर होती ह मःतक गदरन पीठ पट

कमर हाथ पर घटन आिद सब अग मजबत बनत ह सिनध ःथानो ददर नही होता पाचनशि बढ़ती ह पट की अनावयक चरबी दर होती ह शरीर तजःवी और फत ला बनता ह िवकारी िवचार न होत ह ःवपनदोष की बीमारी अलिवदा होती ह चबासन क िनयिमत अ यास स व ावःथा म कमर झकती नही शरीर सीधा तना हआ रहता ह

किटिपणडमदरनासन

इस आसन म किटदश (कमर क पास वाल भाग) म िःथत िपणड अथारत मऽिपणड का मदरन होता ह इसस यह आसन किटिपणडमदरनासन कहलाता ह

धयान ःवािध ान चब म ास परक और कमभक

िविधः िबछ हए कमबल पर पीठ क बल िच होकर लट जाय दोनो हाथो को आमन-सामन फला द मि ठया बनद रख दोनो परो को घटनो स मोड़कर खड़ कर द पर क तलव ज़मीन स लग रह दोनो परो क बीच इतना अनतर रख िक घटनो को ज़मीन पर झकान स एक पर का घटना दसर पर की एड़ी को लग िसर दायी ओर मड़ तो दोनो घटन दािहनी ओर ज़मीन को लग इस कार 15-20 बार िबया कर इस कार दोनो परो को एक साथ रखकर भी िबया कर

लाभः िजसको पथरी की तकलीफ हो उस आौम (सत ौी आसारामजी आौम साबरमित अमदावाद-5) स िबना मलय िमलती काली भःम करीब डढ़ माम भोजन स आधा घणटा पवर और भोजन क बाद एक िगलास पानी क साथ लना चािहए और यह आसन भख पट ठीक ढग स करना चािहए इसस पथरी क ददर म लाभ होता ह पथरी टकड़ -टकड़ होकर मऽ क ारा बाहर िनकलन लगती ह मऽिवकार दर होता ह कमर ददर साइिटका रीढ़ की हडडी की जकड़न उदासीनता िनराशा डायािबटीज नपसकता गस पर की गाठ इतयािद रोगो म शीय लाभ होता ह नािभ ःथान स चयत हो जाती हो तो पनः अपन ःथान म आ जाती ह

मािसक धमर क समय एव गभारवःथा म ि या यह आसन न कर कबज का रोगी सबह शौच जान स पहल उषःपान करक यह आसन कर तो चमतका रक लाभ होता ह ास को अनदर भर क पट को फलाकर यह आसन करन स कबज जलदी दर होता ह

अधरमतःयनिासन

कहा जाता ह िक मतःयनिासन की रचना गोरखनाथ क ग ःवामी मतःयनिनाथ न की थी व इस आसन म धयान िकया करत थ मतःयनिासन की आधी िबयाओ को लकर अधरमतःयनिासन चिलत हआ ह

धयान अनाहत चब म ास दीघर

िविधः दोनो परो को लमब करक आसन पर बठ जाओ बाय पर को घटन स मोड़कर एड़ी गदा ार क नीच जमाय पर क तलव को दािहनी जघा क साथ लगा द अब दािहन पर को घटन स मोड़कर खड़ा कर द और बाय पर की जघा स ऊपर ल जात हए जघा क पीछ ज़मीन क ऊपर ऱख द आसन क िलए यह पवरभिमका तयार हो गई

अब बाय हाथ को दािहन पर क घटन स पार करक अथारत घटन को बगल म दबात हए बाय हाथ स दािहन पर का अ गठा पकड़ धड़ को दािहनी ओर मोड़ िजसस दािहन पर क घटन क ऊपर बाय कनध का दबाव ठीक स पड़ अब दािहना हाथ पीठ क पीछ स घमाकर बाय पर की जाघ का िनमन भाग पकड़ िसर दािहनी ओर इतना घमाय िक ठोड़ी और बाया कनधा एक सीधी रखा म आ जाय छाती िबलकल तनी हई रख नीच की ओर झक नही िच वि नािभ क पीछ क भाग म िःथत मिणपर चब म िःथर कर

यह एक तरफ का आसन हआ इसी कार पहल दािहना पर मोड़कर एड़ी गदा ार क नीच दबाकर दसरी तरफ का आसन भी कर ारमभ म पाच सकणड य ह आसन करना पयार ह िफर अ यास बढ़ाकर एक एक तरफ एक एक िमनट तक आसन कर सकत ह

लाभः अधरमतःयनिासन स म दणड ःवःथ रहन स यौवन की ःफितर बनी रहती ह रीढ़ की हिडडयो क साथ उनम स िनकलन वाली नािडयो को भी अचछी कसरत िमल जाती ह पट क िविभनन अगो को भी अचछा लाभ होता ह पीठ पट क नल पर गदरन

हाथ कमर नािभ स नीच क भाग एव छाती की नािड़यो को अचछा िखचाव िमलन स उन पर अचछा भाव पड़ता ह फलतः बनधकोष दर होता ह जठराि न तीो होती ह िवकत यकत पलीहा तथा िनिबय व क क िलए यह आसन लाभदायी ह कमर पीठ और सिनधःथानो क ददर जलदी दर हो जात ह

योगमिासन

योगा यास म यह मिा अित मह वपणर ह इसस इसका नाम योगमिासन रखा गया ह

धयान मिणपर चब म ास रचक कमभक और परक

िविधः प ासन लगाकर दोनो हाथो को पीठ क पीछ ल जाय बाय हाथ स दािहन हाथ की कलाई पकड़ दोनो हाथो को खीचकर कमर तथा रीढ़ क िमलन ःथान पर ल जाय अब रचक करक कमभक कर ास को रोककर शरीर को आग झकाकर भिम पर टक द िफर धीर-धीर िसर को उठाकर शरीर को पनः सीधा कर द और परक कर ारभ म यह आसन किठन लग तो सखासन या िस ासन म बठकर कर पणर लाभ तो प ासन म बठकर करन स ही होता ह पाचनतनऽ क अगो की ःथान ता ठीक करन क िलए यिद यह आसन करत हो तो कवल पाच-दस सकणड तक ही कर एक बठक म तीन स पाच बार सामानयतः यह आसन तीन िमनट तक करना चािहए आधयाितमक उ य स योगमिासन करत हो तो समय की अविध िच और शि क अनसार बढ़ाय

लाभः योगमिासन भली कार िस होता ह तब कणडिलिन शि जागत होती ह पट की गस की बीमारी दर होती ह पट एव आतो की सब िशकायत दर होती ह कलजा फफड़ आिद यथा ःथान रहत ह दय मजबत बनता ह र क िवकार दर होत

ह क और यौनिवकार न होत ह पट बड़ा हो तो अनदर दब जाता ह शरीर मजबत बनता ह मानिसक शि बढ़ती ह

योगमिासन स उदरपटल सश बनता ह पट क अगो को अपन ःथान िटक रहन म सहायता िमलती ह नाड़ीतऽ और खास करक कमर क नाड़ी मणडल को बल िमलता ह

इस आसन म सामनयतः जहा एिड़या लगती ह वहा कबज क अग होत ह उन पर दबाव पड़न स आतो म उ जना आती ह पराना कबज दर होता ह अगो की ःथान ता क कारण होन वाला कबज भी अग अपन ःथान म पनः यथावत िःथत हो जान स न हो जाता ह धात की दबरलता म योगमिासन खब लाभदायक ह

गोरकषासन या भिासन

धयान मलाधार चब म ास थम िःथित म परक और दसरी िःथित म कमभक

िविधः िबछ हए आसन पर बठ जाय दािहना पर घटन स मोड़कर एड़ी सीवन (उपःथ और गदा क मधय) क दािहन भाग म और बाया पर मोड़कर एड़ी सीवन क बाय भाग म इस कार रख िक दोनो पर क तलव एक दसर को लगकर रह

रचक करक दोनो हाथ सामन ज़मीन पर टककर शरीर को ऊपर उठाय और दोनो पर क पजो पर इस कार बठ िक शरीर का वजन एड़ी क मधय भाग म आय अगिलयो वाला भाग छटा रह अब परक करत -करत दोनो हाथो की हथिलयो को घटनो पर रख

अनत म कमभक करक ठोड़ी छाती पर दबाय िच वि मलाधार चब म और ि भी उसी िदशा म लगाय बमशः अ यास बढ़ाकर दसक िमनट तक यह आसन कर

लाभः इस आसन क अ यास स पर क सब सिनध ःथान तथा ःनाय सश बनत ह वाय ऊधवरगामी होकर जठराि न दी करता ह िदनो िदन जड़ता न होन लगती ह शरीर पतला होता ह सकलपबल बढ़ता ह बि तीकषण होती ह कलपनाशि का िवकास होता ह ाणापान की एकता होती ह नादोतपि होन लगती ह िबनद िःथर होकर िच की चचलता कम होती ह आहार का सपणरतया पाचन हो जान क कारण मलमऽ अलप होन लगत ह शरीर शि होन लगती ह तन म ःफितर एव मन म सननता अपन आप कट होती ह ःनाय स ढ़ बनत ह धातकषय गस मधमह ःवपनदोष अजीणर कमर का ददर गदरन की दबरलता बनधकोष मनदाि न िसरददर कषय

दयरोग अिनिा दमा मछाररोग बवासीर आऽपचछ पाणडरोग जलोदर भगनदर कोढ़ उलटी िहचकी अितसार आव उदररोग नऽिवकार आिद अस य रोगो म इस आसन स लाभ होत ह

मयरासन

इस आसन म मयर अथारत मोर की आकित बनती ह इसस इस मयरासन कहा जाता ह

धयान मिणपर चब म ास बा कमभक

िविधः जमीन पर घटन िटकाकर बठ जाय दोनो हाथ की हथिलयो को जमीन पर इस कार रख िक सब अगिलया पर की िदशा म हो और परःपर लगी रह दोनो कहिनयो को मोड़कर पट क कोमल भाग पर नािभ क इदरिगदर रख अब आग झककर दोनो पर को पीछ की लमब कर ास बाहर िनकाल कर दोनो पर को जमीन स ऊपर उठाय और िसर का भाग नीच झकाय इस कार परा शरीर ज़मीन क बराबर समानानतर रह ऐसी िःथित बनाय सपणर शरीर का वजन कवल दो हथिलयो पर ही

रहगा िजतना समय रह सक उतना समय इस िःथित म रहकर िफर मल िःथित म आ जाय इस कार दो-तीन बार कर

लाभः मयरासन करन स चयर-पालन म सहायता िमलती ह पाचन तऽ क अगो की र का वाह अिधक बढ़न स व अग बलवान और कायरशील बनत ह पट क भीतर क भागो म दबाव पड़न स उनकी शि बढ़ती ह उदर क अगो की िशिथलता और मनदाि न दर करन म मयरासन बहत उपयोगी ह

वळासन

वळासन का अथर ह बलवान िःथित पाचनशि वीयरशि तथा ःनायशि दन वाला होन स यह आसन वळासन कहलाता ह

धयान मलाधार चब म और ास दीघर

िविधः िबछ हए आसन पर दोनो परो को घटनो स मोड़कर एिड़यो पर बठ जाय पर क दोनो अगठ परःपर लग रह पर क तलवो क ऊपर िनतमब रह कमर और पीठ िबलकल सीधी रह दोनो हाथ को कहिनयो स मोड़ िबना घटनो पर रख द हथिलया नीच की ओर रह ि सामन िःथर कर द

पाच िमनट स लकर आध घणट तक वळासन का अ यास कर सकत ह वळासन लगाकर भिम पर लट जान स स वळासन होता ह

लाभः वळासन क अ यास स शरीर का मधयभाग सीधा रहता ह ास की गित मनद पड़न स वाय बढ़ती ह आखो की योित तज होती ह वळनाड़ी अथारत वीयरधारा नाड़ी मजबत बनती ह वीयर की ऊधवरगित होन स शरीर वळ जसा बनता ह लमब समय तक सरलता स यह आसन कर सकत ह इसस मन की चचलता दर होकर यि िःथर बि वाला बनता ह शरीर म र ािभसरण ठीक स होकर शरीर िनरोगी एव सनदर बनता ह

भोजन क बाद इस आसन स बठन स पाचन शि तज होती ह कबज दर होती ह भोजन जलदी ह म होता ह पट की वाय का नाश होता ह कबज दर होकर पट क तमाम रोग न होत ह पाणडरोग स मि िमलती ह रीढ़ कमर जाघ घटन और परो म शि बढ़ती ह कमर और पर का वाय रोग दर होता ह ःमरणशि म वि होती ह ि यो क मािसक धमर की अिनयिमतता जस रोग दर होत ह शबदोष वीयरदोष घटनो का ददर आिद का नाश होता ह ःनाय प होत ह ःफितर बढ़ान क िलए एव मानिसक िनराशा दर कर न क िलए यह आसन उपयोगी ह धयान क िलय भी यह आसन उ म ह इसक अ यास स शारी रक ःफितर एव मानिसक सननता कट होती ह िदन-ितिदन शि का सचय होता ह इसिलए शारी रक बल म खब वि होती ह काग का िगरना अथारत गल क टािनसलस हिडडयो क पोल आिद ःथानो म उतपनन होन वाल तकण की स या म वि होन स आरो य का साा य ःथािपत होता ह िफर यि

बखार स िसरददर स कबज स मदाि न स या अजीणर जस छोट-मोट िकसी भी रोग स पीिड़त नही रहता योिक रोग आरो य क साा य म िव होन का साहस ही नही कर पात

स वळासन

धयान िवश ा याचब म ास दीघर सामानय

िविधः वळासन म बठन क बाद िच होकर पीछ की ओर भिम पर लट जाय दोनो जघाए परःपर िमली रह अब रचक करत बाय हाथ का खला पजा दािहन कनध क नीच इस कार रख िक मःतक दोनो हाथ क बास क ऊपर आय रचक परा होन पर िऽबनध कर ि मलाधार चब की िदशा म और िच वि मलाधार चब म ःथािपत कर

लाभः यह आसन करन म ौम बहत कम ह और लाभ अिधक होता ह इसक अ यास स सषमना का मागर अतयनत सरल होता ह कणडिलनी शि सरलता स ऊधवरगमन कर सकती ह

इस आसन म धयान करन स म दणड को सीधा करन का ौम नही करना पड़ता और म दणड को आराम िमलता ह उसकी काय़रशि बल बनती ह इस आसन का अ यास करन स ायः तमाम अतःॐावी मिनथयो को जस शीषरःथ मिनथ कणठःथ मिनथ मऽिपणड की मनथी ऊधवरिपणड तथा प षाथर मिनथ आिद को पि िमलती ह फलतः यि का भौितक एव आधयाितमक िवकास सरल हो जाता ह तन-मन का ःवाःथय भावशाली बनता ह जठराि न दी होती ह मलावरोध की पीडा दर होती ह धातकषय ःवपनदोष पकषाघात पथरी बहरा होना तोतला होना आखो की दबरलता गल क टािनसल ासनिलका का सजन कषय दमा ःमरणशि की दबरलता आिद रोग दर होत ह

शवासन

शवासन की पणारवःथा म शरीर क तमाम अग एव मिःतक पणरतया च ा रिहत िकय जात ह यह अवःथा शव (मद) जसी होन स इस आसन को शवासन कहा जाता ह

िविधः िबछ हए आसन पर िच होकर लट जाय दोनो परो को परःपर स थोड़ अलग कर द दोनो हाथ भी शरीर स थोड़ अलग रह इस कार परो की ओर फला द हाथ की हथिलया आकाश की तरफ खली रख िसर सीधा रह आख बनद

मानिसक ि स शरीर को पर स िसर तक दखत जाय पर शरीर को मद की तरह ढीला छोड़ द हर एक अग को िशिथल करत जाय

शरीर म समपणर िवौाम का अनभव कर मन को भी बा ा िवषयो स हटाकर एकाम कर बारी-बारी स हर एक अग पर मानिसक ि एकाम करत हए भावना कर िक वह अग अब आराम पा रहा ह मरी सब थकान उतर रही ह इस कार भावना करत-करत सब ःनायओ को िशिथल होन द शरीर क एक भी अग म कही भी तनाव (टनशन) न रह िशिथलीकरण की िबया म पर स ारमभ करक िसर तक जाय अथवा िसर स ारमभ करक पर तक भी जा सकत ह अनत म जहा स ारमभ िकया हो वही पनः पहचना चािहय िशिथलीकरण की िबया स शरीर क तमाम अगो का एव ानततओ को िवौाम की अवःथा म ला दना ह

शवासन की दसरी अवःथा म ासोचछोवास पर धयान दना ह शवासन की यही म य िबया ह िवशषकर योग साधको क िलए वह अतयनत उपयोगी ह कवल शारी रक ःवाःथय क िलय थम भिमका पयार ह

इसम ास और उचछवास की िनयिमतता दीघरता और समानता ःथािपत करन का लकषय ह ास िनयिमत चल लमबा और गहरा चल ास और उचछवास एक समान रह तो मन को एकाम करन की शि ा होती ह

शवासन यिद ठीक ढग स िकया जाए तो नाड़ीतऽ इतना शात हो जाता ह िक अ यासी को नीद आन लगती ह लिकन धयान रह िनिनित न होकर जामत रहना आवयक ह

अनय आसन करन क बाद अगो म जो तनाव (टनशन) पदा होता ह उसको िशिथल करन क िलय अत म 3 स 5 िमनट तक शवासन करना चािहए िदनभर म अनकलता क अनसार दो-तीन बार शवासन कर सकत ह

लाभः शवासन क ारा ःनाय एव मासपिशयो म िशिथलीकरण स शि बढ़ती ह अिधक कायर करन की यो यता उसम आती ह र वाहिनयो म िशराओ म र वाह तीो

होन स सारी थकान उतर जाती ह नाड़ीतऽ को बल िमलता ह मानिसक शि म वि होती ह

र का दबाव कम करन क िलए नाड़ीतऽ की दबरलता एव उसक कारण होन वाल रोगो को दर करन क िलय शवासन खब उपयोगी ह

पादपि मो ानासन

यह आसन करना किठन ह इसस उमासन कहा जाता ह उम का अथर ह िशव भगवान िशव सहारक ार ह अतः उम या भयकर ह िशवसिहता म भगवान िशव न म कणठ स शसा करत हए कहा हः यह आसन सवरौ आसन ह इसको य पवरक ग रख िसफर अिधका रयो को ही इसका रहःय बताय

धयान मिणपर चब म ास थम िःथित म परक और दसरी िःथित म रचक और िफर बिहकर मभक

िविधः िबछ हए आसन पर बठ जाय दोनो परो को लमब फला द दोनो परो की जघा घटन पज परःपर िमल रह और जमीन क साथ लग रह परो की अगलया घटनो की तरफ झकी हई रह अब दोनो हाथ लमब कर दािहन हाथ की तजरनी और अगठ स दािहन पर का अगठा और बाय हाथ की तजरनी और अगठ स बाय पर का अगठा पकड़ अब रचक करत-करत नीच झक और िसर को दोनो घटनो क मधय म रख ललाट घटन को ःपशर कर और घटन ज़मीन स लग रह रचक परा होन पर कमभक कर ि एव िच वि को मिणपर चब म ःथािपत कर ारमभ म आधा िमनट करक बमशः 15 िमनट तक यह आसन करन का अ यास बढ़ाना चािहय थम दो-चार िदन किठन लगगा लिकन अ यास हो जान पर यह आसन सरल हो जाएगा

लाभः पादपि मो नासन म समयक अ यास स सषमना का मख खल जाता ह और ाण म दणड क मागर म गमन करता ह फलतः िबनद को जीत सकत ह िबनद को जीत िबना न समािध िस होती ह न वाय िःथर होता ह न िच शात होता ह

जो ी-प ष काम िवकार स अतयत पीिड़त हो उनह इस आसन का अ यास करना चािहए इसस शारी रक िवकार दब जात ह उदर छाती और म दणड को उ म कसरत िमलती ह अतः व अिधक कायरकषम बनत ह हाथ पर तथा अनय अगो क सिनध ःथान मजबत बनत ह शरीर क सब तऽ बराबर कायरशील होत ह रोग माऽ का नाश होकर ःवाःथय़ का साा य ःथािपत होता ह

इस आसन क अ यास स मनदाि न मलावरोध अजीणर उदररोग किमिवकार सद वातिवकार कमर का ददर िहचकी कोढ़ मऽरोग मधमह पर क रोग ःवपनदोष वीयरिवकार र िवकार एपनडीसाइिटस अणडवि पाणडरोग अिनिा दमा ख टी डकार आना ानतनत की दबरलता बवासीर नल की सजन गभारशय क रोग अिनयिमत तथा क दायक मािसक बनधयतव दर नपसकता र िप िसरोवदना बौनापन आिद अनक रोग दर होत ह पट पत ला बनता ह जठराि न दी होती ह कफ और चरबी न होत ह

िशवसिहता म कहा ह िक इस आसन स वाय ीपन होता ह और वह मतय का नाश करता ह इस आसन स शरीर का कद बढ़ता ह शरीर म अिधक ःथलता हो तो कम होती ह दबरलता हो तो वह दर होकर शरीर सामानय तनद ःत अवःथा म आ जाता ह नाडी सःथान म िःथरता आती ह मानिसक शाित ा होती ह िचनता एव उ जना शात करन क िलए यह आसन उ म ह पीठ और म दणड पर िखचाव आन स दोनो िवकिसत होत ह फलतः शरीर क तमाम अवयवो पर अिधकार ःथािपत होता ह सब आसनो म यह आसन सवर धान ह इसक अ यास स कायाकलप (प रवतरन) हो जाता ह

यह आसन भगवान िशव को बहत पयारा ह उनकी आ ा स योगी गोरखनाथ न लोककलयाण हत इसका चार िकया ह आप इस आसन क अदभत लाभो स लाभािनवत हो और दसरो को भी िसखाय

पादपि मो ानासन प यपाद आसारामजी बाप को भी बहत पयारा ह उसस प यौी को बहत लाभ हए ह अभी भी यह आसन उनक आरो यिनिध का रकषक बना हआ ह

पाठक भाइयो आप अवय इस आसन का लाभ लना ारमभ क चार-पाच िदन जरा किठन लगगा बाद म तो यह आसन आपका िशवजी क वरदान प आरो य कवच िस हए िबना नही रहगा

िऽबनध

मलबनध

शौच ःनानािद स िनव होकर आसन पर बठ जाय बायी एड़ी क ारा सीवन या योिन को दबाय दािहनी एड़ी सीवन पर रख गदा ार को िसकोड़कर भीतर की ओर ऊपर खीच यह मलबनध कहा जाता ह

लाभः मलबनध क अ यास स मतय को जीत सकत ह शरीर म नयी ताजगी आती ह िबगड़त हए ःवाःथय की रकषा होती ह चयर का पालन करन म मलबनध सहायक िस होता ह वीयर को प करता ह कबज को न करता ह जठराि न तज होती ह मलबनध स िचरयौवन ा होता ह बाल सफद होन स कत ह

अपानवाय ऊधवरगित पाकर ाणवाय क सषमना म िव होता ह सहॐारचब म िच वि िःथर बनती ह इसस िशवपद का आननद िमलता ह सवर कार की िद य िवभितया और ऐ यर ा होत ह अनाहत नाद सनन को िमलता ह ाण अपान नाद और िबनद एकिऽत होन स योग म पणरता ा होती ह

उडडीयान बनध

आसन पर बठकर परा ास बाहर िनकाल द समपणरतया रचक कर पट को भीतर िसकोड़कर ऊपर की ओर खीच नािभ तथा आत पीठ की तरफ दबाय शरीर को थोड़ा सा आग की तरफ झकाय यह ह उडडीयानबनध

लाभः इसक अ यास स िचरयौवन ा होता ह मतय पर जय ा होती ह चयर क पालन म खब सहायता िमलती ह ःवाःथय सनदर बनता ह कायरशि म वि होती ह नयोिल और उडडीयानबनध जब एक साथ िकय जात ह तब कबज दम दबाकर भाग खड़ा होता ह पट क तमाम अवयवो की मािलश हो जाती ह पट की अनावयक चरबी उतर जाती ह

जालनधरबनध

आसन पर बठकर परक करक कमभक कर और ठोड़ी को छाती क साथ दबाय इसको जालनधरबनध कहत ह

लाभः जालनधरबनध क अ यास स ाण का सचरण ठीक स होता ह इड़ा और िपगला नाड़ी बनद होकर ाण-अपान सषमना म िव होत ह नािभ स अमत कट होता ह िजसका पान जठराि न करता ह योगी इसक ारा अमरता ा करता ह

प ासन पर बठ जाय परा ास बाहर िनकाल कर मलबनध उडडीयानबनध कर िफर खब परक करक मलबनध उडडीयानबनध और जालनधरबनध य तीनो बनध एक साथ कर आख बनद रख मन म णव (ॐ) का अथर क साथ जप कर

इस कार ाणायाम सिहत तीनो बनध का एक साथ अ यास करन स बहत लाभ होता ह और ायः चमतका रक प रणाम आता ह कवल तीन ही िदन क समयक अ यास स जीवन म बािनत का अनभव होन लगता ह कछ समय क अ यास स कवल या कवली कमभक ःवय कट होता ह

कवली कमभक

कवल या कवली कमभक का अथर ह रचक-परक िबना ही ाण का िःथर हो जाना िजसको कवली कमभक िस होता ह उस योगी क िलए तीनो लोक म कछ भी दलरभ नही रहता कणडिलनी जागत होती ह शरीर पतला हो जाता ह मख सनन रहता ह नऽ मलरिहत होत ह सवर रोग दर हो जात ह िबनद पर िवजय होती ह जठराि न विलत होती ह

कवली कमभक िस िकय हए योगी की अपनी सवर मनोकामनाय पणर होती ह इतना ही नही उसका पजन करक ौ ावान लोग भी अपनी मनोकामनाय पणर करन लगत ह

जो साधक पणर एकामता स िऽबनध सिहत ाणायाम क अ यास ारा कवली कमभक का प षाथर िस करता ह उसक भा य का तो पछना ही या उसकी यापकता

बढ़ जाती ह अनतर म महानता का अनभव होता ह काम बोध लोभ मोह मद और मतसर इन छः शऽओ पर िवजय ा होती ह कवली कमभक की मिहमा अपार ह

जलनित

िविधः एक िलटर पानी को गनगना सा गरम कर उसम करीब दस माम श नमक डालकर घोल द सनधव िमल जाय तो अचछा सबह म ःनान क बाद यह पानी चौड़ महवाल पाऽ म कटोर म लकर परो पर बठ जाय पाऽ को दोनो हाथो स पकड़ कर नाक क नथन पानी म डबो द अब धीर-धीर नाक क ारा ास क साथ पानी को भीतर खीच और नाक स भीतर आत हए पानी को मह स बाहर िनकालत जाय नाक को पानी म इस कार बराबर डबोय रख िजसस नाक ारा भीतर जानवाल पानी क साथ हवा न वश कर अनयथा आतरस-खासी आयगी

इस कार पाऽ का सब पानी नाक ारा लकर मख ारा बाहर िनकाल द अब पाऽ को रख कर खड़ हो जाय दोनो पर थोड़ खल रह दोनो हाथ कमर पर रखकर ास को जोर स बाहर िनकालत हए आग की ओर िजतना हो सक झक भिॐका क साथ यह िबया बार-बार कर इसस नाक क भीतर का सब पानी बाहर िनकल जायगा थोड़ा बहत रह भी जाय और िदन म कभी भी नाक स बाहर िनकल जाय तो कछ िचनताजनक नही ह

नाक स पानी भीतर खीचन की यह िबया ारमभ म उलझन जसी लगगी लिकन अ यास हो जान पर िबलकल सरल बन जायगा

लाभः मिःतक की ओर स एक कार का िवषला रस नीच की ओर बहता ह यह रस कान म आय तो कान क रोग होत ह आदमी बहरा हो जाता ह यह रस आखो की तरफ जाय तो आखो का तज कम हो जाता ह चम की ज रत पड़ती ह तथा अनय रोग होत ह यह रस गल की ओर जाय तो गल क रोग होत ह

िनयमपवरक जलनित करन स यह िवषला पदाथर बाहर िनकल जाता ह आखो की रोशनी बढ़ती ह चम की ज रत नही पड़ती चमा हो भी तो धीर-धीर नमबर कम होत-होत छट जाता भी जाता ह ासोचछोवास का मागर साफ हो जाता ह मिःतक म ताजगी रहती ह जकाम-सद होन क अवसर कम हो जात ह जलनित की िबया करन

स दमा टीबी खासी नकसीर बहरापन आिद छोटी-मोटी 1500 बीमी रया दर होती ह जलनित करन वाल को बहत लाभ होत ह िच म सननता बनी रहती ह

गजकरणी िविधः करीब दो िलटर पानी गनगना सा गरम कर उसम करीब 20 माम श

नमक घोल द सनधव िमल जाय तो अचछा ह अब पजो क बल बठकर वह पानी िगलास भर-भर क पीत जाय खब िपय अिधकाअिधक िपय पट जब िबलकल भर जाय गल तक आ जाय पानी बाहर िनकालन की कोिशश कर तब दािहन हाथ की दो बड़ी अगिलया मह म डाल कर उलटी कर िपया हआ सब पानी बाहर िनकाल द पट िबलकल हलका हो जाय तब पाच िमनट तक आराम कर

गजकरणी करन क एकाध घणट क बाद कवल पतली िखचड़ी ही भोजन म ल भोजन क बाद तीन घणट तक पानी न िपय सोय नही ठणड पानी स ःनान कर तीन घणट क बाद ारमभ म थोड़ा गरम पानी िपय

लाभः गजकरणी स एिसडीटी क रोगी को अदभत लाभ होता ह ऐस रोगी को चार-पाच िदन म एक बार गजकरणी चािहए ततप ात महीन म एक बार दो महीन म एक बार छः महीन म एक बार भी गजकरणी कर सकत ह

ातःकाल खाली पट तलसी क पाच-सात प चबाकर ऊपर स थोड़ा जल िपय एसीडीटी क रोगी को इसस बहत लाभ होगा

वष परान कबज क रोिगयो को स ाह म एक बार गजकरणी की िबया अवय करनी चािहए उनका आमाशय मिनथसःथान कमजोर हो जान स भोजन हजम होन म गड़बड़ रहती ह गजकरणी करन स इसम लाभ होता ह फोड़ फनसी िसर म गम सद बखार खासी दमा टीबी वात-िप -कफ क दोष िज ा क रोग गल क रोग छाती क रोग छाती का ददर एव मदाि न म गजकरणी िबया लाभकारक ह

शरीर शोधन-कायाकलप

यह चालीस िदन का कलप ह प यपाद आसारामजी बाप न यह योग िकया हआ ह इसस शरीर सडौल ःवःथ और फत ला बनता ह र म नय-नय कण बनत ह शरीर क कोषो की शि बढ़ती ह मन-बि म चमतका रक लाभ होत ह

िविधः अगल िदन पपीता सव आिद फल उिचत माऽा म ल अथवा मन का 50 माम दस घणट पहल िभगो द उनको उबालकर बीज िनकाल द मन का खा ल और पानी पी ल

ातःकाल उठकर सकलप कर िक इस कलप क दौरान िनि त िकय हए कायरबम क अनसार ही रहगा

शौच-ःनानािद िनतयकमर स िनव होकर सबह 8 बज 200 या 250 माम गाय का उबला हआ गनगना दध िपय पौन घणटा पणर आराम कर बाद म िफर स दध िपय शारी रक ौम कम स कम कर ॐ सोsह हसः इस मऽ का मानिसक जप कर कभी ास को िनहार बस साकषीभाव

मनोरा य चलता हो तो ॐ जोर-जोर स जप कर

इस कार शाम तक िजतना दध हजम कर सक उतना दध दो स तीन िलटर िपय 40 िदन तक कवल द धाहार क बाद 41व िदन मग का उबला हआ पानी मोसममी का रस आिद ल रािऽ को अिधक मगवाली हलकी िखचड़ी खाय इस कार शरीर-शोधन-कायाकलप की पणारहित कर

यिद बि तीकषण बनानी हो ःमरणशि बढ़ानी हो तो कलप क दौरान ॐ ऐ नमः इस मऽ का जप कर सयर को अ यर द

इस कलप म दध क िसवाय अनय कोई खराक लना मना ह चाय तमबाक आिद यसन िनिष ह ि यो क सग स दर रहना तथा चयर का पालन अतयनत आवयक ह

कलजग नही करजग ह यह

कलजग नही करजग ह यह यहा िदन को द अ रात ल

या खब सौदा नकद ह इस हाथ द उस हाथ ल टक

दिनया अजब बाज़ार ह कछ िजनस1 या िक साथ ल

नकी का बदला नक ह बद स बदी की बात ल

मवा िखला मवा िमल फल फल द फल पात ल

आराम द आराम ल दःख ददर द आफत2 ल 1

काटा िकसी को मत लगा गो िमःल-गल3 फला ह त

वह तर हक4 म तीर ह िकस बात पर झला ह त

मत आग म डाल और को या घास का पला ह त

सन ऱख यह नकता5 बखबर िकस बात पर भला ह त

कलजग नही 2

शोखी शरारत मकरो-फन6 सबका बसखा7 ह यहा

जो जो िदखाया और को वह खद भी दखा ह यहा

खोटी खरी जो कछ कही ितसका परखा8 ह यहा

जो जो पड़ा तलता ह मोल ितल ितल का लखा ह यहा

कलजग नही 3

जो और की बःती9 रख उसका भी बसता ह परा

जो और क मार छरी उसको भी लगता ह छरा

जो और की तोड़ घड़ी उसका भी टट ह घड़ा

जो और की चत10 बदी उसका भी होता ह बरा

कलजग नही 4

जो और को फल दवगा वह भी सदा फल पावगा

गह स गह जौ स जौ चावल स चावल पावगा

जो आज दवगा यहा वसा ही वह कल पावगा

कल दवगा कल पावगा िफर दवगा िफर पावगा

कलजग नही 5

जो चाह ल चल इस घड़ी सब िजनस यहा तयार ह

आराम म आराम ह आजार म आजार11 ह

दिनया न जान इसको िमया दरया की यह मझधार ह

औरो का बड़ा पार कर तरा भी बड़ा पार ह

कलजग नही 6

त और की तारीफ कर तझको सना वानी12 िमल

कर मिकल आसा औरो की तझको भी आसानी िमल

त और को महमान कर तझको भी महमानी िमल

रोटी िखला रोटी िमल पानी िपला पानी िमल

कलजग नही 7

जो गल13 िखलाव और का उसका ही गल िखलता भी ह

जो और का कील14 ह मह उसका ही मह िकलता भी ह

जो और का छील िजगर उसका िजगर िछलता भी ह

जो और को दव कपट उसको कपट िमलता भी ह

कलजग नही 8

कर जो कछ करना ह अब यह दम तो कोई आन15 ह

नकसान म नकसान ह एहसान म एहसान ह

तोहमत म यहा तोहमत िमल तफान म तफान ह

रहमान16 को रहमान17 ह शतान को शतान ह

कलजग नही 9

यहा जहर द तो जहर ल श कर म श कर दख ल

नको का नकी का मजा मजी18 को ट कर दख ल

मोती िदय मोती िमल पतथर म पतथर दख ल

गर तझको यह बावर19 नही तो त भी करक दख ल

कलजग नही 10

अपन नफ क वाःत मत और का नकसान कर

तरा भी नकसा होवगा इस बात पर त धयान कर

खाना जो खा सो दखकर पानी िपय तो छानकर

या पावो को रख फककर और खोफ स गजरान कर

कलजग नही 11

गफलत की यह जगह नही त सािहब-इदराक20 रह

िदलशाद21 ऱख िदल शाह रह गमनाक रख गमनाक रह

हर हाल म भी त नजीर22 अब हर कदम की रह

यह वह मका ह ओ िमया या पाक23 रह बबाक24 रह

कलजग नही 12

1 वःत 2 मसीबत 3 पप की तरह 4 तर िलय 5 रहःय 6 दगा-धोखा 7 घर 8 परखना 9 नगरी 10 िवचार कर 11 दःख 12 तारीफ-ःतित 13 फल 14 िकसी को बोलन न दना 15 घड़ी पल 16 दयावान 17 दयाल भगवान 18 सतान वाला 19 िव ास 20 तीो ा तज समझन वाला प ष 21 सननिच 22 किव का नाम ह 23 श पिवऽ 24 िनडर

  • आधयातमिक विदया क उदगाता
  • सवासथय क लिए मतर
  • परासताविक
  • बरहमचरय-रकषा का मनतर
  • आसनो की परकिया म आन वाल कछ शबदो की समझ
  • आवशयक निरदश
  • योगासन
    • पदमासन या कमलासन
    • सिदधासन
    • सरवागासन
    • हलासन
    • पवनमकतासन
    • मतसयासन
    • भजगासन
    • धनरासन
    • चकरासन
    • कटिपिणडमरदनासन
    • अरधमतसयनदरासन
    • योगमदरासन
    • गोरकषासन या भदरासन
    • मयरासन
    • वजरासन
    • सपतवजरासन
    • शवासन
    • पादपशचिमोततानासन
      • तरिबनध
        • मलबनध
        • उडडीयान बनध
        • जालनधरबनध
          • कवली कमभक
          • जलनति
          • गजकरणी
          • शरीर शोधन-कायाकलप
          • कलजग नही करजग ह यह
Page 9: अनुबम - || Home || HariOmGroup · िस होता है। िवशु नाड़ीतंऽ वालेयोगी के िवशु शरीर में

सश एव िनरोगी क िलए ह हर तीसर िदन समय की अविध एक िमनट बढ़ाकर एक घणट तक पहचना चािहए

ि नासाम अथवा मधय म िःथर कर आख बद खली या अधर खली भी रख सकत ह शरीर सीधा और िःथर रख ि को एकाम बनाय

भावना कर िक मलाधार चब म छपी हई शि का भणडार खल रहा ह िनमन कनि म िःथत चतना तज और औज़ क प म बदलकर ऊपर की ओर आ रही ह अथवा अनाहत चब ( दय) म िच एकाम करक भावना कर िक दय पी कमल म स सगनध की धाराए वािहत हो रही ह समम शरीर इन धाराओ स सगिनधत हो रहा ह

लाभः ाणायाम क अ यासपवरक यह आसन करन स नाड़ीतऽ श होकर आसन िस होता ह िवश नाड़ीतऽ वाल योगी क िवश शरीर म रोग की छाया तक नही रह सकती और वह ःवचछा स शरीर का तयाग कर सकता ह

प ासन म बठन स शरीर की ऐसी िःथित बनती ह िजसस सन तऽ ानतऽ और र ािभसरणतऽ स यविःथत ढग क कायर कर सकत ह फलतः जीवनशि का िवकास होता ह प ासन का अ यास करन वाल साधक क जीवन म एक िवशष कार की आभा कट होती ह इस आसन क ारा योगी सत महाप ष महान हो गय ह

प ासन क अ यास स उतसाह म वि होती ह ःवभाव म सननता बढ़ती ह मख तजःवी बनता ह बि का अलौिकक िवकास होता ह िच म आननद-उललास रहता ह िचनता शोक दःख शारी रक िवकार दब जात ह किवचार पलायन होकर सिवचार कट होन लगत ह प ासन क अ यास स रजस और तमस क कारण यम बना हआ िच शानत होता ह स वगण म अतयत व ि होती ह ाणायाम साि वक िमताहार और सदाचार क साथ प ासन का अ यास करन स अतःॐावी मिथयो को िवश र िमलता ह फलतः यि म कायरशि बढ़न स भौितक एव आधयाितमक िवकास शीय होता ह बौि क-मानिसक कायर करन वालो क िलए िचनतन मनन करन वालो क िलए एव िव ािथरयो क िलए यह आसन खब लाभदायक ह चचल मन को िःथर करन क िलए एव वीयररकषा क िलए या आसन अि ितय ह

ौम और क रिहत एक घणट तक प ासन पर बठन वाल यि का मनोबल खब बढ़ता ह भाग गाजा चरस अफीम मिदरा तमबाक आिद यसनो म फस हए यि

यिद इन यसनो स म होन की भावना और ढ़ िन य क साथ प ासन का अ यास कर तो उनक द यरसन सरलता स और सदा क िलए छट जात ह चोरी जआ यिभचार या हःतदोष की बरी आदत वाल यवक-यवितया भी इस आसन क ारा उन सब कसःकारो स म हो सकत ह

क र िप पकषाघात मलावरोध स पदा हए रोग कषय दमा िहःटी रया धातकषय कनसर उदरकिम तवचा क रोग वात-कफ कोप नपसकतव वनध य आिद रोग प ासन क अ यास स न हो जात ह अिनिा क रोग क िलए यह आसन रामबाण इलाज ह इसस शारी रक मोटापन कम होता ह शारी रक एव मानिसक ःवाःथय की सरकषा क िलए यह आसन सव म ह

प ासन म बठकर अि नी मिा करन अथारत गदा ार का बार-बार सकोच सार करन स अपानवाय सषमना म िव होता ह इसस काम िवकार पर जय ा होन लगती ह ग ोिनिय को भीतर की ओर िसकोड़न स अथारत योिनमिा या वळोली करन स वीयर उधवरगामी होता ह प ासन म बठकर उडडीयान बनध जालधर बनध तथा कमभक करक छाती एव पट को फलान िक िबया करन स वकषशि एव कणठशि होती ह फलतः भख खलती ह भोजन सरलता स पचता ह जलदी थकान नही होती ःमरणशि एव आतमबल म वि होती ह

यम-िनयमपवरक लमब समय तक प ासन का अ यास करन स उणता कट होकर मलाधार चब म आनदोलन उतपनन होत ह कणडिलनी शि जागत होन की भिमका बनती ह जब यह शि जागत होती ह तब इस सरल िदखन वाल प ासन की वाःतिवक मिहमा का पता चलता ह घरणड शािणडलय तथा अनय कई ऋिषयो न इस आसन की मिहमा गायी ह धयान लगान क िलए यह आसन खब लाभदायक ह

इद प ासन ो सवर यािधिवनाशम

दलरभ यन कनािप धीमता ल यत भिव

इस कार सवर यािधयो को िवन करन वाल प ासन का वणरन िकया यह दलरभ आसन िकसी िवरल बि मान प ष को ही ा होता ह

(हठयोगदीिपका थमोपदश)

िस ासन

प ासन क बाद िस ासन का ःथान आता ह अलौिकक िसि या ा करन वाला होन क कारण इसका नाम िस ासन पड़ा ह िस योिगयो का यह िय आसन ह यमो म चयर ौ ह िनयमो म शौच ौ ह वस आसनो म िस ासन ौ ह

धयान आ ाचब म और ास दीघर ःवाभािवक

िविधः आसन पर बठकर पर खल छोड़ द अब बाय पर की एड़ी को गदा और जननिनिय क बीच रख दािहन पर की एड़ी को जननिनिय क ऊपर इस कार रख िजसस जननिनिय और अणडकोष क ऊपर दबाव न पड़ परो का बम बदल भी सकत ह दोनो परो क तलव जघा क मधय भाग म रह हथली ऊपर की ओर रह इस कार दोनो हाथ एक दसर क ऊपर गोद म रख अथवा दोनो हाथो को दोनो घटनो क ऊपर ानमिा म रख आख खली अथवा बनद रख ासोचछोवास आराम स ःवाभािवक चलन

द मधय म आ ाचब म धयान किनित कर पाच िमनट तक इस आसन का अ यास कर सकत ह धयान की उचच ककषा आन पर शरीर पर स मन की पकड़ छट जाती ह

लाभः िस ासन क अ यास स शरीर की समःत नािड़यो का शि करण होता ह ाणत व ःवाभािवकतया ऊधवरगित को ा होता ह फलतः मन को एकाम करना सरल बनता ह

पाचनिबया िनयिमत होती ह ास क रोग दय रोग जीणर वर अजीणर अितसार शबदोष आिद दर होत ह मदाि न मरोड़ा समहणी वातिवकार कषय दमा मधमह पलीहा की वि आिद अनक रोगो का शमन होता ह प ासन क अ यास स जो रोग दर होत ह व िस ासन क अ यास स भी दर होत ह

चयर-पालन म यह आसन िवशष प स सहायक होता ह िवचार पिवऽ बनत ह मन एकाम होता ह िस ासन का अ यासी भोग-िवलास स बच सकता ह 72 हजार नािड़यो का मल इस आसन क अ यास स दर होता ह वीयर की रकषा होती ह ःवपनदोष क रोगी को यह आसन अवय करना चािहए

योगीजन िस ासन क अ यास स वीयर की रकषा करक ाणायाम क ारा उसको मिःतक की ओर ल जात ह िजसस वीयर ओज तथा मधाशि म प रणत होकर िद यता का अनभव करता ह मानिसक शि यो का िवकास होता ह

कणडिलनी शि जागत करन क िलए यह आसन थम सोपान ह

िस ासन म बठकर जो कछ पढ़ा जाता ह वह अचछी तरह याद रह जाता ह िव ािथरयो क िलए यह आसन िवशष लाभदायक ह जठराि न तज होती ह िदमाग िःथर बनता ह िजसस ःमरणशि बढ़ती ह

आतमा का धयान करन वाला योगी यिद िमताहारी बनकर बारह वषर तक िस ासन का अ यास कर तो िसि को ा होता ह िस ासन िस होन क बाद अनय आसनो का कोई योजन नही रह जाता िस ासन स कवल या कवली कमभक िस होता ह छः मास म भी कवली कमभक िस हो सकता ह और ऐस िस योगी क दशरन-पजन स पातक न होत ह मनोकामना पणर होती ह िस ासन क ताप स िनब ज समािध िस हो जाती ह मलबनध उडडीयान बनध और जालनधर बनध अपन आप होन लगत ह

िस ासन जसा दसरा आसन नही ह कवली कमभक क समान ाणायाम नही ह खचरी मिा क समान अनय मिा नही ह और अनाहत नाद जसा कोई नाद नही ह

िस ासन महाप षो का आसन ह सामानय यि हठपवरक इसका उपयोग न कर अनयथा लाभ क बदल हािन होन की समभावना ह

सवागासन

भिम पर सोकर शरीर को ऊपर उठाया जाता ह इसिलए इसको सवागासन कहत ह

धयान िवश ा य चब म ास रचक परक और दीघर

िविधः भिम पर िबछ हए आसन पर िच होकर लट जाए ास को बाहर िनकाल कर अथारत रचक करक कमर तक क दोनो पर सीध और परःपर लग हए रखकर ऊपर उठाए िफर पीठ का भाग भी ऊपर उठाए दोनो हाथो स कमर को आधार द हाथ की कहिनया भिम स लग रह गरदन और कनध क बल परा शरीर ऊपर की और सीधा खड़ा कर द ठोडी छाती क साथ िचपक जाए दोनो पर आकाश की ओर रह ी दोनो परो क अगठो की ओर रह अथवा आख बनद करक िच वि को कणठदश म िवश ा य चब म िःथर कर परक करक ास को दीघर सामानय चलन द

इस आसन का अ य़ास ढ़ होन क बाद दोनो परो को आग पीछ झकात हए जमीन को लगात हए अनय आसन भी हो सकत ह सवागासन की िःथित म दोनो परो को जाघो पर लगाकर प ासन भी िकया जा सकता ह

ारमभ म तीन स पाच िमनट तक यह आसन कर अ यासी तीन घणट तक इस आसन का समय बढ़ा सकत ह

लाभः सवागासन क िनतय अ यास स जठराि न तज होती ह साधक को अपनी िच क अनसार भोजन की माऽा बढ़ानी चािहए सवागासन क अ यास स शरीर की तवचा लटकन नही लगती तथा शरीर म झ ररया नही पड़ती बाल सफद होकर िगरत नही हर रोज़ एक हर तक सवागासन का अ यास करन स मतय पर िवजय िमलती ह

शरीर म सामथयर बढ़ता ह तीनो दोषो का शमन होता ह वीयर की ऊधवरगित होकर अनतःकरण श होता ह मधाशि बढ़ती ह िचर यौवन की ाि होती ह

इस आसन स थायराइड नामक अनतःमिनथ की शि बढ़ती ह वहा र सचार तीो गित स होन लगता ह इसस उस पोषण िमलता ह थायराइड क रोगी को इस आसन स अदभत लाभ होता ह िलवर और पलीहा क रोग दर होत ह ःमरणशि बढ़ती ह मख पर स महास एव अनय दाग दर होकर मख तजःवी बनता ह जठर एव नीच उतरी हई आत अपन मल ःथान पर िःथर होती ह प षातन मिनथ पर सवागासन का अचछा भाव पड़ता ह ःवपनदोष दर होता ह मानिसक बौि क वि करन वालो को तथा िवशषकर िव ािथरयो को यह आसन अवय करना चािहए

मनदाि न अजीणर कबज अशर थायराइड का अलप िवकास थोड़ िदनो का अपनडीसाइिटस और साधारण गाठ अगिवकार असमय आया हआ व तव दमा कफ

चमड़ी क रोग र दोष ि यो को मािसक धमर की अिनयिमतता एव ददर मािसक न आना अथवा अिधक आना इतयािद रोगो म इस आसन स लाभ होता ह नऽ और मिःतक की शि बढ़ती ह उनक रोग दर होत ह

थायराइड क अित िवकासवाल खब कमजोर दयवाल और अतयिधक चब वाल लोगो को िकसी अनभवी की सलाह लकर ही सवागासन करना चािहए

शीषारसन करन स जो लाभ होता ह व सब लाभ सवागासन और पादपि मो ानसन करन स िमल जात ह शीषारसन म गफलत होन स जो हािन होती ह वसी हािन होन की सभावना सवागासन और पादपि मो ानासन म नही ह

हलासन

इस आसन म शरीर का आकार हल जसा बनता ह इसिलए इसको हलासन कहा जाता ह

धयान िवश ा या चब म ास रचक और बाद म दीघर

िविधः भिम पर िबछ हए आसन पर िच होकर लट जाए दोनो हाथ शरीर को लग रह अब रचक करक ास को बाहर िनकाल द दोनो परो को एक साथ धीर-धीर ऊच करत जाय आकाश की ओर पर उठाकर िफर पीछ िसर क तरफ झकाय पर िबलकल तन हए रखकर पज ज़मीन पर लगाय ठोड़ी छाती स लगी रह िच वि को िवश ा या चब म िःथर कर दो-तीन िमनट स लकर बीस िमनट तक समय की अविध बढ़ा सकत ह

लाभः हलासन क अ यास स अजीणर कबज अशर थायराइड का अलप िवकास अगिवकार असमय व तव दमा कफ र िवकार आिद दर होत ह इस आसन स िलवर अचछा होता ह छाती का िवकास होता ह सनिबया तज होकर ऑ सीजन स र श बनता ह गल क ददर पट की बीमारी सिधवात आिद दर होत ह पट की चरबी कम होती ह िसरददर दर होता ह वीयरिव कार िनमरल होता ह खराब िवचार बनद होत ह नाड़ी तऽ श होता ह शरीर बलवान और तजःवी बनता ह गिभरणी ि यो क िसवा हर एक को यह आसन करना चािहए

रीढ़ म कठोरता होना यह व ावःथा का िच ह हलासन स रीढ़ लचीली बनती ह इसस यवावःथा की शि ःफितर ःवाःथय और उतसाह बना रहता ह म दणड

समबनधी नािड़यो क ःवाःथय की रकषा होकर व ावःथा क लकषण जलदी नही आत जठर की नािड़यो को शि ा होती ह

जठर की मासपिशया तथा पाचनतऽ क अगो की नािड़यो की दबरलता क कारण अगर मदाि न एव कबज हो तो हलासन स दर होत ह कमर पीठ एव गरदन क रोग न होत ह िलवर और पलीहा बढ़ गए हो तो हलासन स सामानय अवःथा म आ जात ह काम कनि की शि बढ़ती ह अपानशि का उतथान होकर उदान पी अि न का योग होन स वीयरशि ऊधवरगामी बनती ह हलासन स वीयर का ःतभन होता ह यह आसन अणडकोष की वि पिनबयास अपिनड स आिद को ठीक करता ह थायराइड मिनथ की िबयाशीलता बढ़ती ह धयान करन स िवश चब जागत हो जाता ह

पवनम ासन

शरीर म िःथत पवन (वाय) यह आसन करन स म होता ह इसिलए इस पवनम ासन कहा जाता ह

धयान मिणपर चब म ास पहल परक िफर कमभक और रचक

िविधः भिम पर िबछ हए आसन पर िच होकर लट जाय परक करक फफड़ो म ास भर ल अब िकसी भी एक पर को घटन स मोड़ द दोनो हाथो की अगिलयो को

परःपर िमलाकर उसक ारा मोड़ हए घटनो को पकड़कर पट क साथ लगा द िफर िसर को ऊपर उठाकर मोड़ हए घटनो पर नाक लगाए दसरा पर ज़मीन पर सीधा रह इस िबया क दौरान ास को रोककर कमभक चाल रख िसर और मोड़ा हआ पर भिम पर पवरवत रखन क बाद ही रचक कर दोनो परो को बारी -बारी स मोड़कर यह िबया कर दोनो पर एक साथ मोड़कर भी यह आसन हो सकता ह

लाभः पवनम ासन क िनयिमत अ यास स पट की चरबी कम होती ह पट की वाय न होकर पट िवकार रिहत बनता ह कबज दर होता ह पट म अफारा हो तो इस आसन स लाभ होता ह ातःकाल म शौचिबया ठीक स न होती हो तो थोड़ा पानी पीकर यह आसन 15-20 बार करन स शौच खलकर होगा

इस आसन स ःमरणशि बढ़ती ह बौि क कायर करन वाल डॉ टर वकील सािहतयकार िव ाथ तथा बठकर वि करन वाल मनीम यापारी आिद लोगो को िनयिमत प स पवनम ासन करना चािहए

मतःयासन

मतःय का अथर ह मछली इस आसन म शरीर का आकार मछली जसा बनता ह अतः मतःयासन कहलाता ह पलािवनी ाणायाम क साथ इस आसन की िःथित म लमब समय तक पानी म तर सकत ह

धयान िवश ा या चब म ास पहल रचक बिहकर मभक िफर परक और रचक

िविधः भिम पर िबछ हए आसन पर प ासन लगाकर सीध बठ जाय िफर परो को प ासन की िःथित म ही रखकर हाथ क आधार स सावधानी पवरक पीछ की ओर िच होकर लट जाय रचक करक कमर को ऊपर उठाय घटन िनतब और मःतक क िशखा ःथान को भिम क ःथान लगाय रख िशखाःथान क नीच कोई नरम कपड़ा

अवय रख बाय हाथ स दािहन पर का अगठा और दािहन हाथ स बाय पर का अगठा पकड़ दोनो कहिनया ज़मीन को लगाय रख कमभक की िःथित म रहकर ि को पीछ की ओर िसर क पास ल जान की कोिशश कर दात दब हए और मह बनद रख एक िमनट स ारमभ करक पाच िमनट तक अ यास बढ़ाय िफर हाथ खोलकर कमर भिम को लगाकर िसर ऊपर उठाकर बठ जाय परक करक रचक कर

पहल भिम पर लट कर िफर प ासन लगाकर भी मतःयासन हो सकता ह

लाभः मतःयासन स परा शरीर मजबत बनता ह गला छाती पट की तमाम बीमा रया दर होती ह आखो की रोशनी बढ़ती ह गला साफ रहता ह सनिबया ठीक स चलती ह कनधो की नस उलटी मड़ती ह इसस छाती व फफड़ो का िवकास होता ह पट साफ रहता ह आतो का मल दर होता ह र ािभसरण की गित बढ़ती ह फलतः चमड़ी क रोग नही होत दमा और खासी दर होती ह छाती चौड़ी बनती ह पट की चरबी कम होती ह इस आसन स अपानवाय की गित नीच की ओर होन स मलावरोध दर होता ह थोड़ा पानी पीकर यह आ सन करन स शौच-शि म सहायता िमलती ह

मतःयासन स ि यो क मािसकधमर समबनधी सब रोग दर होत ह मािसकॐाव िनयिमत बनता ह

भजगासन

इस आसन म शरीर की आकित फन उठाय हए भजग अथारत सपर जसी बनती ह इसिलए इसको भजगासना कहा जाता ह

धयान िवश ा या चब म ास ऊपर उठात व परक और नीच की ओर जात समय रचक

िविधः भिम पर िबछ हए कमबल पर पट क बल उलट होकर लट जाय दोनो पर और पज परःपर िमल हए रह परो क अगठो को पीछ की ओर खीच दोनो हाथ िसर क तरफ लमब कर द परो क अगठ नािभ छाती ललाट और हाथ की हथिलया भिम पर एक सीध म रख

अब दोनो हथिलयो को कमर क पास ल जाय िसर और कमर ऊपर उठाकर िजतना हो सक उतन पीछ की ओर मोड़ नािभ भिम स लगी रह पर शरीर का वजन हाथ क पज पर आएगा शरीर की िःथित कमान जसी बनगी म दणड क आिखरी भाग पर दबाव किनित होगा िच वि को कणठ म और ि को आकाश की तरफ िःथर कर

20 सकणड तक यह िःथित रख बाद म धीर-धीर िसर को नीच ल आय छाती भिम पर रख िफर िसर को भिम स लगन द आसन िस हो जान क बाद आसन करत समय ास भरक कमभक कर आसन छोड़त समय मल िःथित म आन क बाद ास को खब धीर-धीर छोड़ हर रोज एक साथ 8-10 बार यह आसन कर

लाभः घरड सिहता म इसका लाभ बतात हए कहा ह - भजगासन स जठराि न दी होती ह सवर रोगो का नाश होता ह और कणडिलनी जागत होती ह

म दणड क तमाम मनको को तथा गरदन क आसपास वाल ःनायओ को अिधक श र िमलता ह फलतः नाड़ी तऽ सचत बनता ह िचरजीवी शि मान एव स ढ़ बनता ह िवशषकर मिःतक स िनकलन वाल ानतत बलवान बनत ह पीठ की हिडडय़ो म रहन वाली तमाम खरािबया दर होती ह पट क ःनाय म िखचाव आन स वहा क अगो को शि िमलती ह उदरगहा म दबाव बढ़न स कबज दर होता ह छाती और पट का िवकास होता ह तथा उनक रोग िमट जात ह गभारशय एव बोनाशय अचछ बनत ह फलतः मािसकॐाव क रिहत होता ह मािसक धमर समबनधी समःत िशकायत दर होती ह अित ौम करन क कारण लगन वाली थकान दर होती ह भोजन क बाद होन वाल वाय का ददर न होता ह शरीर म ःफितर आती ह कफ-िपतवालो क िलए यह आसन लाभदायी ह भजगासन करन स दय मजबत बनता ह मधमह और उदर क

रोगो स मि िमलती ह दर अित मािसकॐाव तथा अलप मािसकॐाव जस रोग दर होत ह

इस आसन स म दणड लचीला बनता ह पीठ म िःथत इड़ा और िपगला नािड़यो पर अचछा भाव पड़ता ह कणडिलनी शि जागत करन क िलय यह आसन सहायक ह अमाशय की मासपिशयो का अचछा िवकास होता ह थकान क कारण पीठ म पीड़ा होती हो तो िसफर एक बार ही यह आसन करन स पीड़ा दर होती ह म दणड की कोई हडडी ःथान हो गई हो तो भजगासन करन स यथाःथान म वापस आ जाती ह

धनरासन

इस आसन म शरीर की आकित खीच हए धनष जसी बनती ह अतः इसको धनरासन कहा जाता ह

धयान मिणपर चब म ास नीच की िःथित म रचक और ऊपर की िःथित म परक

िविधः भिम पर िबछ हए कमबल पर पट क बल उलट होकर लट जाय दोनो पर परःपर िमल हए रह अब दोनो प रो को घटनो स मोड़ दोनो हाथो को पीछ ल जाकर दोनो परो को टखनो स पकड़ रचक करक हाथ स पकड़ हए परो को कसकर धीर -धीर खीच िजतना हो सक उतना िसर पीछ की ओर ल जान की कोिशश कर ि भी ऊपर एव पीछ की ओर रहनी चािहए समम शरीर का बोझ कवल नािभदश क ऊपर ही रहगा कमर स ऊपर का धड़ एव कमर स नीच पर पर ऊपर की ओर मड़ हए रहग

कमभक करक इस िःथित म िटक रह बाद म हाथ खोलकर पर तथा िसर को मल अवःथा म ल जाय और परक कर ारभ म पाच सकणड यह आसन कर धीर-धीर समय बढ़ाकर तीन िमनट या उसस भी अिधक समय इस आसन का अ यास कर तीन-चार बार यह आसन करना चािहए

लाभः धनरासन क अ यास स पट की चरबी कम होती ह गस दर होती ह पट को रोग न होत ह कबज म लाभ होता ह भख खलती ह छाती का ददर दर होता ह दय की धडकन मजबत बनती ह ास िक िबया यविःथत चलती ह मखाकित सदर बनती ह आखो की रोशनी बढ़ती ह और तमाम रोग दर होत ह हाथ -पर म होन वाला कपन कता ह शरीर का सौनदयर बढ़ता ह पट क ःनायओ म िखचाव आन स पट को अचछा लाभ होता ह आतो पर खब दबाव पड़न स पट क अगो पर भी दबाव पड़ता ह फलतः आतो म पाचकरस आन लगता ह इसस जठराि न तज होती ह पाचनशि बढ़ती ह वायरोग न होता ह पट क कषऽ म र का सचार अिधक होता ह धनरासन म भजगासन और शलभासन का समावश हो जान क कारण इन दोनो आसनो क लाभ िमलत ह ि यो क िलए यह आसन खब लाभकारक ह इसस मािसक धमर क िवकार गभारशय क तमाम रोग दर होत ह

चबासन

इस आसन म शरीर की आकित चब जसी बनती ह अतः चबासन कहा जाता ह

धयान मिणपर चब म ास दीघर ःवाभािवक

िविधः भिम पर िबछ हए आसन पर िच होकर लट जाय घटनो स पर मोड़ कर ऊपर उठाय पर क तलव ज़मीन स लग रह दो परो क बीच करीब डढ़ फीट का अनतर रख दोनो हाथ मःतक की तरफ उठाकर पीछ की ओर दोनो हथिलयो को ज़मीन पर जमाय दोनो हथिलयो क बीच भी करीब डढ़ फीट का अनतर रख अब हाथ और पर क बल स पर शरीर को कमर स मोड़कर ऊपर उठाय हाथ को धीर-धीर पर की ओर ल जाकर ःमपशर शरीर का आकार व या चब जसा बनाय आख बनद रख ास की गित ःवाभािवक चलन द िच वि मिणपर चब (नािभ कनि) म िःथर कर आख खली भी रख सकत ह एक िमनट स पाच िमनट तक अ यास बढ़ा सकत ह

लाभः म दणड तथा शरीर की समःत नािड़यो का शि करण होकर यौिगक चब जागत होत ह लकवा तथा शरीर की कमजो रया दर होती ह मःतक गदरन पीठ पट

कमर हाथ पर घटन आिद सब अग मजबत बनत ह सिनध ःथानो ददर नही होता पाचनशि बढ़ती ह पट की अनावयक चरबी दर होती ह शरीर तजःवी और फत ला बनता ह िवकारी िवचार न होत ह ःवपनदोष की बीमारी अलिवदा होती ह चबासन क िनयिमत अ यास स व ावःथा म कमर झकती नही शरीर सीधा तना हआ रहता ह

किटिपणडमदरनासन

इस आसन म किटदश (कमर क पास वाल भाग) म िःथत िपणड अथारत मऽिपणड का मदरन होता ह इसस यह आसन किटिपणडमदरनासन कहलाता ह

धयान ःवािध ान चब म ास परक और कमभक

िविधः िबछ हए कमबल पर पीठ क बल िच होकर लट जाय दोनो हाथो को आमन-सामन फला द मि ठया बनद रख दोनो परो को घटनो स मोड़कर खड़ कर द पर क तलव ज़मीन स लग रह दोनो परो क बीच इतना अनतर रख िक घटनो को ज़मीन पर झकान स एक पर का घटना दसर पर की एड़ी को लग िसर दायी ओर मड़ तो दोनो घटन दािहनी ओर ज़मीन को लग इस कार 15-20 बार िबया कर इस कार दोनो परो को एक साथ रखकर भी िबया कर

लाभः िजसको पथरी की तकलीफ हो उस आौम (सत ौी आसारामजी आौम साबरमित अमदावाद-5) स िबना मलय िमलती काली भःम करीब डढ़ माम भोजन स आधा घणटा पवर और भोजन क बाद एक िगलास पानी क साथ लना चािहए और यह आसन भख पट ठीक ढग स करना चािहए इसस पथरी क ददर म लाभ होता ह पथरी टकड़ -टकड़ होकर मऽ क ारा बाहर िनकलन लगती ह मऽिवकार दर होता ह कमर ददर साइिटका रीढ़ की हडडी की जकड़न उदासीनता िनराशा डायािबटीज नपसकता गस पर की गाठ इतयािद रोगो म शीय लाभ होता ह नािभ ःथान स चयत हो जाती हो तो पनः अपन ःथान म आ जाती ह

मािसक धमर क समय एव गभारवःथा म ि या यह आसन न कर कबज का रोगी सबह शौच जान स पहल उषःपान करक यह आसन कर तो चमतका रक लाभ होता ह ास को अनदर भर क पट को फलाकर यह आसन करन स कबज जलदी दर होता ह

अधरमतःयनिासन

कहा जाता ह िक मतःयनिासन की रचना गोरखनाथ क ग ःवामी मतःयनिनाथ न की थी व इस आसन म धयान िकया करत थ मतःयनिासन की आधी िबयाओ को लकर अधरमतःयनिासन चिलत हआ ह

धयान अनाहत चब म ास दीघर

िविधः दोनो परो को लमब करक आसन पर बठ जाओ बाय पर को घटन स मोड़कर एड़ी गदा ार क नीच जमाय पर क तलव को दािहनी जघा क साथ लगा द अब दािहन पर को घटन स मोड़कर खड़ा कर द और बाय पर की जघा स ऊपर ल जात हए जघा क पीछ ज़मीन क ऊपर ऱख द आसन क िलए यह पवरभिमका तयार हो गई

अब बाय हाथ को दािहन पर क घटन स पार करक अथारत घटन को बगल म दबात हए बाय हाथ स दािहन पर का अ गठा पकड़ धड़ को दािहनी ओर मोड़ िजसस दािहन पर क घटन क ऊपर बाय कनध का दबाव ठीक स पड़ अब दािहना हाथ पीठ क पीछ स घमाकर बाय पर की जाघ का िनमन भाग पकड़ िसर दािहनी ओर इतना घमाय िक ठोड़ी और बाया कनधा एक सीधी रखा म आ जाय छाती िबलकल तनी हई रख नीच की ओर झक नही िच वि नािभ क पीछ क भाग म िःथत मिणपर चब म िःथर कर

यह एक तरफ का आसन हआ इसी कार पहल दािहना पर मोड़कर एड़ी गदा ार क नीच दबाकर दसरी तरफ का आसन भी कर ारमभ म पाच सकणड य ह आसन करना पयार ह िफर अ यास बढ़ाकर एक एक तरफ एक एक िमनट तक आसन कर सकत ह

लाभः अधरमतःयनिासन स म दणड ःवःथ रहन स यौवन की ःफितर बनी रहती ह रीढ़ की हिडडयो क साथ उनम स िनकलन वाली नािडयो को भी अचछी कसरत िमल जाती ह पट क िविभनन अगो को भी अचछा लाभ होता ह पीठ पट क नल पर गदरन

हाथ कमर नािभ स नीच क भाग एव छाती की नािड़यो को अचछा िखचाव िमलन स उन पर अचछा भाव पड़ता ह फलतः बनधकोष दर होता ह जठराि न तीो होती ह िवकत यकत पलीहा तथा िनिबय व क क िलए यह आसन लाभदायी ह कमर पीठ और सिनधःथानो क ददर जलदी दर हो जात ह

योगमिासन

योगा यास म यह मिा अित मह वपणर ह इसस इसका नाम योगमिासन रखा गया ह

धयान मिणपर चब म ास रचक कमभक और परक

िविधः प ासन लगाकर दोनो हाथो को पीठ क पीछ ल जाय बाय हाथ स दािहन हाथ की कलाई पकड़ दोनो हाथो को खीचकर कमर तथा रीढ़ क िमलन ःथान पर ल जाय अब रचक करक कमभक कर ास को रोककर शरीर को आग झकाकर भिम पर टक द िफर धीर-धीर िसर को उठाकर शरीर को पनः सीधा कर द और परक कर ारभ म यह आसन किठन लग तो सखासन या िस ासन म बठकर कर पणर लाभ तो प ासन म बठकर करन स ही होता ह पाचनतनऽ क अगो की ःथान ता ठीक करन क िलए यिद यह आसन करत हो तो कवल पाच-दस सकणड तक ही कर एक बठक म तीन स पाच बार सामानयतः यह आसन तीन िमनट तक करना चािहए आधयाितमक उ य स योगमिासन करत हो तो समय की अविध िच और शि क अनसार बढ़ाय

लाभः योगमिासन भली कार िस होता ह तब कणडिलिन शि जागत होती ह पट की गस की बीमारी दर होती ह पट एव आतो की सब िशकायत दर होती ह कलजा फफड़ आिद यथा ःथान रहत ह दय मजबत बनता ह र क िवकार दर होत

ह क और यौनिवकार न होत ह पट बड़ा हो तो अनदर दब जाता ह शरीर मजबत बनता ह मानिसक शि बढ़ती ह

योगमिासन स उदरपटल सश बनता ह पट क अगो को अपन ःथान िटक रहन म सहायता िमलती ह नाड़ीतऽ और खास करक कमर क नाड़ी मणडल को बल िमलता ह

इस आसन म सामनयतः जहा एिड़या लगती ह वहा कबज क अग होत ह उन पर दबाव पड़न स आतो म उ जना आती ह पराना कबज दर होता ह अगो की ःथान ता क कारण होन वाला कबज भी अग अपन ःथान म पनः यथावत िःथत हो जान स न हो जाता ह धात की दबरलता म योगमिासन खब लाभदायक ह

गोरकषासन या भिासन

धयान मलाधार चब म ास थम िःथित म परक और दसरी िःथित म कमभक

िविधः िबछ हए आसन पर बठ जाय दािहना पर घटन स मोड़कर एड़ी सीवन (उपःथ और गदा क मधय) क दािहन भाग म और बाया पर मोड़कर एड़ी सीवन क बाय भाग म इस कार रख िक दोनो पर क तलव एक दसर को लगकर रह

रचक करक दोनो हाथ सामन ज़मीन पर टककर शरीर को ऊपर उठाय और दोनो पर क पजो पर इस कार बठ िक शरीर का वजन एड़ी क मधय भाग म आय अगिलयो वाला भाग छटा रह अब परक करत -करत दोनो हाथो की हथिलयो को घटनो पर रख

अनत म कमभक करक ठोड़ी छाती पर दबाय िच वि मलाधार चब म और ि भी उसी िदशा म लगाय बमशः अ यास बढ़ाकर दसक िमनट तक यह आसन कर

लाभः इस आसन क अ यास स पर क सब सिनध ःथान तथा ःनाय सश बनत ह वाय ऊधवरगामी होकर जठराि न दी करता ह िदनो िदन जड़ता न होन लगती ह शरीर पतला होता ह सकलपबल बढ़ता ह बि तीकषण होती ह कलपनाशि का िवकास होता ह ाणापान की एकता होती ह नादोतपि होन लगती ह िबनद िःथर होकर िच की चचलता कम होती ह आहार का सपणरतया पाचन हो जान क कारण मलमऽ अलप होन लगत ह शरीर शि होन लगती ह तन म ःफितर एव मन म सननता अपन आप कट होती ह ःनाय स ढ़ बनत ह धातकषय गस मधमह ःवपनदोष अजीणर कमर का ददर गदरन की दबरलता बनधकोष मनदाि न िसरददर कषय

दयरोग अिनिा दमा मछाररोग बवासीर आऽपचछ पाणडरोग जलोदर भगनदर कोढ़ उलटी िहचकी अितसार आव उदररोग नऽिवकार आिद अस य रोगो म इस आसन स लाभ होत ह

मयरासन

इस आसन म मयर अथारत मोर की आकित बनती ह इसस इस मयरासन कहा जाता ह

धयान मिणपर चब म ास बा कमभक

िविधः जमीन पर घटन िटकाकर बठ जाय दोनो हाथ की हथिलयो को जमीन पर इस कार रख िक सब अगिलया पर की िदशा म हो और परःपर लगी रह दोनो कहिनयो को मोड़कर पट क कोमल भाग पर नािभ क इदरिगदर रख अब आग झककर दोनो पर को पीछ की लमब कर ास बाहर िनकाल कर दोनो पर को जमीन स ऊपर उठाय और िसर का भाग नीच झकाय इस कार परा शरीर ज़मीन क बराबर समानानतर रह ऐसी िःथित बनाय सपणर शरीर का वजन कवल दो हथिलयो पर ही

रहगा िजतना समय रह सक उतना समय इस िःथित म रहकर िफर मल िःथित म आ जाय इस कार दो-तीन बार कर

लाभः मयरासन करन स चयर-पालन म सहायता िमलती ह पाचन तऽ क अगो की र का वाह अिधक बढ़न स व अग बलवान और कायरशील बनत ह पट क भीतर क भागो म दबाव पड़न स उनकी शि बढ़ती ह उदर क अगो की िशिथलता और मनदाि न दर करन म मयरासन बहत उपयोगी ह

वळासन

वळासन का अथर ह बलवान िःथित पाचनशि वीयरशि तथा ःनायशि दन वाला होन स यह आसन वळासन कहलाता ह

धयान मलाधार चब म और ास दीघर

िविधः िबछ हए आसन पर दोनो परो को घटनो स मोड़कर एिड़यो पर बठ जाय पर क दोनो अगठ परःपर लग रह पर क तलवो क ऊपर िनतमब रह कमर और पीठ िबलकल सीधी रह दोनो हाथ को कहिनयो स मोड़ िबना घटनो पर रख द हथिलया नीच की ओर रह ि सामन िःथर कर द

पाच िमनट स लकर आध घणट तक वळासन का अ यास कर सकत ह वळासन लगाकर भिम पर लट जान स स वळासन होता ह

लाभः वळासन क अ यास स शरीर का मधयभाग सीधा रहता ह ास की गित मनद पड़न स वाय बढ़ती ह आखो की योित तज होती ह वळनाड़ी अथारत वीयरधारा नाड़ी मजबत बनती ह वीयर की ऊधवरगित होन स शरीर वळ जसा बनता ह लमब समय तक सरलता स यह आसन कर सकत ह इसस मन की चचलता दर होकर यि िःथर बि वाला बनता ह शरीर म र ािभसरण ठीक स होकर शरीर िनरोगी एव सनदर बनता ह

भोजन क बाद इस आसन स बठन स पाचन शि तज होती ह कबज दर होती ह भोजन जलदी ह म होता ह पट की वाय का नाश होता ह कबज दर होकर पट क तमाम रोग न होत ह पाणडरोग स मि िमलती ह रीढ़ कमर जाघ घटन और परो म शि बढ़ती ह कमर और पर का वाय रोग दर होता ह ःमरणशि म वि होती ह ि यो क मािसक धमर की अिनयिमतता जस रोग दर होत ह शबदोष वीयरदोष घटनो का ददर आिद का नाश होता ह ःनाय प होत ह ःफितर बढ़ान क िलए एव मानिसक िनराशा दर कर न क िलए यह आसन उपयोगी ह धयान क िलय भी यह आसन उ म ह इसक अ यास स शारी रक ःफितर एव मानिसक सननता कट होती ह िदन-ितिदन शि का सचय होता ह इसिलए शारी रक बल म खब वि होती ह काग का िगरना अथारत गल क टािनसलस हिडडयो क पोल आिद ःथानो म उतपनन होन वाल तकण की स या म वि होन स आरो य का साा य ःथािपत होता ह िफर यि

बखार स िसरददर स कबज स मदाि न स या अजीणर जस छोट-मोट िकसी भी रोग स पीिड़त नही रहता योिक रोग आरो य क साा य म िव होन का साहस ही नही कर पात

स वळासन

धयान िवश ा याचब म ास दीघर सामानय

िविधः वळासन म बठन क बाद िच होकर पीछ की ओर भिम पर लट जाय दोनो जघाए परःपर िमली रह अब रचक करत बाय हाथ का खला पजा दािहन कनध क नीच इस कार रख िक मःतक दोनो हाथ क बास क ऊपर आय रचक परा होन पर िऽबनध कर ि मलाधार चब की िदशा म और िच वि मलाधार चब म ःथािपत कर

लाभः यह आसन करन म ौम बहत कम ह और लाभ अिधक होता ह इसक अ यास स सषमना का मागर अतयनत सरल होता ह कणडिलनी शि सरलता स ऊधवरगमन कर सकती ह

इस आसन म धयान करन स म दणड को सीधा करन का ौम नही करना पड़ता और म दणड को आराम िमलता ह उसकी काय़रशि बल बनती ह इस आसन का अ यास करन स ायः तमाम अतःॐावी मिनथयो को जस शीषरःथ मिनथ कणठःथ मिनथ मऽिपणड की मनथी ऊधवरिपणड तथा प षाथर मिनथ आिद को पि िमलती ह फलतः यि का भौितक एव आधयाितमक िवकास सरल हो जाता ह तन-मन का ःवाःथय भावशाली बनता ह जठराि न दी होती ह मलावरोध की पीडा दर होती ह धातकषय ःवपनदोष पकषाघात पथरी बहरा होना तोतला होना आखो की दबरलता गल क टािनसल ासनिलका का सजन कषय दमा ःमरणशि की दबरलता आिद रोग दर होत ह

शवासन

शवासन की पणारवःथा म शरीर क तमाम अग एव मिःतक पणरतया च ा रिहत िकय जात ह यह अवःथा शव (मद) जसी होन स इस आसन को शवासन कहा जाता ह

िविधः िबछ हए आसन पर िच होकर लट जाय दोनो परो को परःपर स थोड़ अलग कर द दोनो हाथ भी शरीर स थोड़ अलग रह इस कार परो की ओर फला द हाथ की हथिलया आकाश की तरफ खली रख िसर सीधा रह आख बनद

मानिसक ि स शरीर को पर स िसर तक दखत जाय पर शरीर को मद की तरह ढीला छोड़ द हर एक अग को िशिथल करत जाय

शरीर म समपणर िवौाम का अनभव कर मन को भी बा ा िवषयो स हटाकर एकाम कर बारी-बारी स हर एक अग पर मानिसक ि एकाम करत हए भावना कर िक वह अग अब आराम पा रहा ह मरी सब थकान उतर रही ह इस कार भावना करत-करत सब ःनायओ को िशिथल होन द शरीर क एक भी अग म कही भी तनाव (टनशन) न रह िशिथलीकरण की िबया म पर स ारमभ करक िसर तक जाय अथवा िसर स ारमभ करक पर तक भी जा सकत ह अनत म जहा स ारमभ िकया हो वही पनः पहचना चािहय िशिथलीकरण की िबया स शरीर क तमाम अगो का एव ानततओ को िवौाम की अवःथा म ला दना ह

शवासन की दसरी अवःथा म ासोचछोवास पर धयान दना ह शवासन की यही म य िबया ह िवशषकर योग साधको क िलए वह अतयनत उपयोगी ह कवल शारी रक ःवाःथय क िलय थम भिमका पयार ह

इसम ास और उचछवास की िनयिमतता दीघरता और समानता ःथािपत करन का लकषय ह ास िनयिमत चल लमबा और गहरा चल ास और उचछवास एक समान रह तो मन को एकाम करन की शि ा होती ह

शवासन यिद ठीक ढग स िकया जाए तो नाड़ीतऽ इतना शात हो जाता ह िक अ यासी को नीद आन लगती ह लिकन धयान रह िनिनित न होकर जामत रहना आवयक ह

अनय आसन करन क बाद अगो म जो तनाव (टनशन) पदा होता ह उसको िशिथल करन क िलय अत म 3 स 5 िमनट तक शवासन करना चािहए िदनभर म अनकलता क अनसार दो-तीन बार शवासन कर सकत ह

लाभः शवासन क ारा ःनाय एव मासपिशयो म िशिथलीकरण स शि बढ़ती ह अिधक कायर करन की यो यता उसम आती ह र वाहिनयो म िशराओ म र वाह तीो

होन स सारी थकान उतर जाती ह नाड़ीतऽ को बल िमलता ह मानिसक शि म वि होती ह

र का दबाव कम करन क िलए नाड़ीतऽ की दबरलता एव उसक कारण होन वाल रोगो को दर करन क िलय शवासन खब उपयोगी ह

पादपि मो ानासन

यह आसन करना किठन ह इसस उमासन कहा जाता ह उम का अथर ह िशव भगवान िशव सहारक ार ह अतः उम या भयकर ह िशवसिहता म भगवान िशव न म कणठ स शसा करत हए कहा हः यह आसन सवरौ आसन ह इसको य पवरक ग रख िसफर अिधका रयो को ही इसका रहःय बताय

धयान मिणपर चब म ास थम िःथित म परक और दसरी िःथित म रचक और िफर बिहकर मभक

िविधः िबछ हए आसन पर बठ जाय दोनो परो को लमब फला द दोनो परो की जघा घटन पज परःपर िमल रह और जमीन क साथ लग रह परो की अगलया घटनो की तरफ झकी हई रह अब दोनो हाथ लमब कर दािहन हाथ की तजरनी और अगठ स दािहन पर का अगठा और बाय हाथ की तजरनी और अगठ स बाय पर का अगठा पकड़ अब रचक करत-करत नीच झक और िसर को दोनो घटनो क मधय म रख ललाट घटन को ःपशर कर और घटन ज़मीन स लग रह रचक परा होन पर कमभक कर ि एव िच वि को मिणपर चब म ःथािपत कर ारमभ म आधा िमनट करक बमशः 15 िमनट तक यह आसन करन का अ यास बढ़ाना चािहय थम दो-चार िदन किठन लगगा लिकन अ यास हो जान पर यह आसन सरल हो जाएगा

लाभः पादपि मो नासन म समयक अ यास स सषमना का मख खल जाता ह और ाण म दणड क मागर म गमन करता ह फलतः िबनद को जीत सकत ह िबनद को जीत िबना न समािध िस होती ह न वाय िःथर होता ह न िच शात होता ह

जो ी-प ष काम िवकार स अतयत पीिड़त हो उनह इस आसन का अ यास करना चािहए इसस शारी रक िवकार दब जात ह उदर छाती और म दणड को उ म कसरत िमलती ह अतः व अिधक कायरकषम बनत ह हाथ पर तथा अनय अगो क सिनध ःथान मजबत बनत ह शरीर क सब तऽ बराबर कायरशील होत ह रोग माऽ का नाश होकर ःवाःथय़ का साा य ःथािपत होता ह

इस आसन क अ यास स मनदाि न मलावरोध अजीणर उदररोग किमिवकार सद वातिवकार कमर का ददर िहचकी कोढ़ मऽरोग मधमह पर क रोग ःवपनदोष वीयरिवकार र िवकार एपनडीसाइिटस अणडवि पाणडरोग अिनिा दमा ख टी डकार आना ानतनत की दबरलता बवासीर नल की सजन गभारशय क रोग अिनयिमत तथा क दायक मािसक बनधयतव दर नपसकता र िप िसरोवदना बौनापन आिद अनक रोग दर होत ह पट पत ला बनता ह जठराि न दी होती ह कफ और चरबी न होत ह

िशवसिहता म कहा ह िक इस आसन स वाय ीपन होता ह और वह मतय का नाश करता ह इस आसन स शरीर का कद बढ़ता ह शरीर म अिधक ःथलता हो तो कम होती ह दबरलता हो तो वह दर होकर शरीर सामानय तनद ःत अवःथा म आ जाता ह नाडी सःथान म िःथरता आती ह मानिसक शाित ा होती ह िचनता एव उ जना शात करन क िलए यह आसन उ म ह पीठ और म दणड पर िखचाव आन स दोनो िवकिसत होत ह फलतः शरीर क तमाम अवयवो पर अिधकार ःथािपत होता ह सब आसनो म यह आसन सवर धान ह इसक अ यास स कायाकलप (प रवतरन) हो जाता ह

यह आसन भगवान िशव को बहत पयारा ह उनकी आ ा स योगी गोरखनाथ न लोककलयाण हत इसका चार िकया ह आप इस आसन क अदभत लाभो स लाभािनवत हो और दसरो को भी िसखाय

पादपि मो ानासन प यपाद आसारामजी बाप को भी बहत पयारा ह उसस प यौी को बहत लाभ हए ह अभी भी यह आसन उनक आरो यिनिध का रकषक बना हआ ह

पाठक भाइयो आप अवय इस आसन का लाभ लना ारमभ क चार-पाच िदन जरा किठन लगगा बाद म तो यह आसन आपका िशवजी क वरदान प आरो य कवच िस हए िबना नही रहगा

िऽबनध

मलबनध

शौच ःनानािद स िनव होकर आसन पर बठ जाय बायी एड़ी क ारा सीवन या योिन को दबाय दािहनी एड़ी सीवन पर रख गदा ार को िसकोड़कर भीतर की ओर ऊपर खीच यह मलबनध कहा जाता ह

लाभः मलबनध क अ यास स मतय को जीत सकत ह शरीर म नयी ताजगी आती ह िबगड़त हए ःवाःथय की रकषा होती ह चयर का पालन करन म मलबनध सहायक िस होता ह वीयर को प करता ह कबज को न करता ह जठराि न तज होती ह मलबनध स िचरयौवन ा होता ह बाल सफद होन स कत ह

अपानवाय ऊधवरगित पाकर ाणवाय क सषमना म िव होता ह सहॐारचब म िच वि िःथर बनती ह इसस िशवपद का आननद िमलता ह सवर कार की िद य िवभितया और ऐ यर ा होत ह अनाहत नाद सनन को िमलता ह ाण अपान नाद और िबनद एकिऽत होन स योग म पणरता ा होती ह

उडडीयान बनध

आसन पर बठकर परा ास बाहर िनकाल द समपणरतया रचक कर पट को भीतर िसकोड़कर ऊपर की ओर खीच नािभ तथा आत पीठ की तरफ दबाय शरीर को थोड़ा सा आग की तरफ झकाय यह ह उडडीयानबनध

लाभः इसक अ यास स िचरयौवन ा होता ह मतय पर जय ा होती ह चयर क पालन म खब सहायता िमलती ह ःवाःथय सनदर बनता ह कायरशि म वि होती ह नयोिल और उडडीयानबनध जब एक साथ िकय जात ह तब कबज दम दबाकर भाग खड़ा होता ह पट क तमाम अवयवो की मािलश हो जाती ह पट की अनावयक चरबी उतर जाती ह

जालनधरबनध

आसन पर बठकर परक करक कमभक कर और ठोड़ी को छाती क साथ दबाय इसको जालनधरबनध कहत ह

लाभः जालनधरबनध क अ यास स ाण का सचरण ठीक स होता ह इड़ा और िपगला नाड़ी बनद होकर ाण-अपान सषमना म िव होत ह नािभ स अमत कट होता ह िजसका पान जठराि न करता ह योगी इसक ारा अमरता ा करता ह

प ासन पर बठ जाय परा ास बाहर िनकाल कर मलबनध उडडीयानबनध कर िफर खब परक करक मलबनध उडडीयानबनध और जालनधरबनध य तीनो बनध एक साथ कर आख बनद रख मन म णव (ॐ) का अथर क साथ जप कर

इस कार ाणायाम सिहत तीनो बनध का एक साथ अ यास करन स बहत लाभ होता ह और ायः चमतका रक प रणाम आता ह कवल तीन ही िदन क समयक अ यास स जीवन म बािनत का अनभव होन लगता ह कछ समय क अ यास स कवल या कवली कमभक ःवय कट होता ह

कवली कमभक

कवल या कवली कमभक का अथर ह रचक-परक िबना ही ाण का िःथर हो जाना िजसको कवली कमभक िस होता ह उस योगी क िलए तीनो लोक म कछ भी दलरभ नही रहता कणडिलनी जागत होती ह शरीर पतला हो जाता ह मख सनन रहता ह नऽ मलरिहत होत ह सवर रोग दर हो जात ह िबनद पर िवजय होती ह जठराि न विलत होती ह

कवली कमभक िस िकय हए योगी की अपनी सवर मनोकामनाय पणर होती ह इतना ही नही उसका पजन करक ौ ावान लोग भी अपनी मनोकामनाय पणर करन लगत ह

जो साधक पणर एकामता स िऽबनध सिहत ाणायाम क अ यास ारा कवली कमभक का प षाथर िस करता ह उसक भा य का तो पछना ही या उसकी यापकता

बढ़ जाती ह अनतर म महानता का अनभव होता ह काम बोध लोभ मोह मद और मतसर इन छः शऽओ पर िवजय ा होती ह कवली कमभक की मिहमा अपार ह

जलनित

िविधः एक िलटर पानी को गनगना सा गरम कर उसम करीब दस माम श नमक डालकर घोल द सनधव िमल जाय तो अचछा सबह म ःनान क बाद यह पानी चौड़ महवाल पाऽ म कटोर म लकर परो पर बठ जाय पाऽ को दोनो हाथो स पकड़ कर नाक क नथन पानी म डबो द अब धीर-धीर नाक क ारा ास क साथ पानी को भीतर खीच और नाक स भीतर आत हए पानी को मह स बाहर िनकालत जाय नाक को पानी म इस कार बराबर डबोय रख िजसस नाक ारा भीतर जानवाल पानी क साथ हवा न वश कर अनयथा आतरस-खासी आयगी

इस कार पाऽ का सब पानी नाक ारा लकर मख ारा बाहर िनकाल द अब पाऽ को रख कर खड़ हो जाय दोनो पर थोड़ खल रह दोनो हाथ कमर पर रखकर ास को जोर स बाहर िनकालत हए आग की ओर िजतना हो सक झक भिॐका क साथ यह िबया बार-बार कर इसस नाक क भीतर का सब पानी बाहर िनकल जायगा थोड़ा बहत रह भी जाय और िदन म कभी भी नाक स बाहर िनकल जाय तो कछ िचनताजनक नही ह

नाक स पानी भीतर खीचन की यह िबया ारमभ म उलझन जसी लगगी लिकन अ यास हो जान पर िबलकल सरल बन जायगा

लाभः मिःतक की ओर स एक कार का िवषला रस नीच की ओर बहता ह यह रस कान म आय तो कान क रोग होत ह आदमी बहरा हो जाता ह यह रस आखो की तरफ जाय तो आखो का तज कम हो जाता ह चम की ज रत पड़ती ह तथा अनय रोग होत ह यह रस गल की ओर जाय तो गल क रोग होत ह

िनयमपवरक जलनित करन स यह िवषला पदाथर बाहर िनकल जाता ह आखो की रोशनी बढ़ती ह चम की ज रत नही पड़ती चमा हो भी तो धीर-धीर नमबर कम होत-होत छट जाता भी जाता ह ासोचछोवास का मागर साफ हो जाता ह मिःतक म ताजगी रहती ह जकाम-सद होन क अवसर कम हो जात ह जलनित की िबया करन

स दमा टीबी खासी नकसीर बहरापन आिद छोटी-मोटी 1500 बीमी रया दर होती ह जलनित करन वाल को बहत लाभ होत ह िच म सननता बनी रहती ह

गजकरणी िविधः करीब दो िलटर पानी गनगना सा गरम कर उसम करीब 20 माम श

नमक घोल द सनधव िमल जाय तो अचछा ह अब पजो क बल बठकर वह पानी िगलास भर-भर क पीत जाय खब िपय अिधकाअिधक िपय पट जब िबलकल भर जाय गल तक आ जाय पानी बाहर िनकालन की कोिशश कर तब दािहन हाथ की दो बड़ी अगिलया मह म डाल कर उलटी कर िपया हआ सब पानी बाहर िनकाल द पट िबलकल हलका हो जाय तब पाच िमनट तक आराम कर

गजकरणी करन क एकाध घणट क बाद कवल पतली िखचड़ी ही भोजन म ल भोजन क बाद तीन घणट तक पानी न िपय सोय नही ठणड पानी स ःनान कर तीन घणट क बाद ारमभ म थोड़ा गरम पानी िपय

लाभः गजकरणी स एिसडीटी क रोगी को अदभत लाभ होता ह ऐस रोगी को चार-पाच िदन म एक बार गजकरणी चािहए ततप ात महीन म एक बार दो महीन म एक बार छः महीन म एक बार भी गजकरणी कर सकत ह

ातःकाल खाली पट तलसी क पाच-सात प चबाकर ऊपर स थोड़ा जल िपय एसीडीटी क रोगी को इसस बहत लाभ होगा

वष परान कबज क रोिगयो को स ाह म एक बार गजकरणी की िबया अवय करनी चािहए उनका आमाशय मिनथसःथान कमजोर हो जान स भोजन हजम होन म गड़बड़ रहती ह गजकरणी करन स इसम लाभ होता ह फोड़ फनसी िसर म गम सद बखार खासी दमा टीबी वात-िप -कफ क दोष िज ा क रोग गल क रोग छाती क रोग छाती का ददर एव मदाि न म गजकरणी िबया लाभकारक ह

शरीर शोधन-कायाकलप

यह चालीस िदन का कलप ह प यपाद आसारामजी बाप न यह योग िकया हआ ह इसस शरीर सडौल ःवःथ और फत ला बनता ह र म नय-नय कण बनत ह शरीर क कोषो की शि बढ़ती ह मन-बि म चमतका रक लाभ होत ह

िविधः अगल िदन पपीता सव आिद फल उिचत माऽा म ल अथवा मन का 50 माम दस घणट पहल िभगो द उनको उबालकर बीज िनकाल द मन का खा ल और पानी पी ल

ातःकाल उठकर सकलप कर िक इस कलप क दौरान िनि त िकय हए कायरबम क अनसार ही रहगा

शौच-ःनानािद िनतयकमर स िनव होकर सबह 8 बज 200 या 250 माम गाय का उबला हआ गनगना दध िपय पौन घणटा पणर आराम कर बाद म िफर स दध िपय शारी रक ौम कम स कम कर ॐ सोsह हसः इस मऽ का मानिसक जप कर कभी ास को िनहार बस साकषीभाव

मनोरा य चलता हो तो ॐ जोर-जोर स जप कर

इस कार शाम तक िजतना दध हजम कर सक उतना दध दो स तीन िलटर िपय 40 िदन तक कवल द धाहार क बाद 41व िदन मग का उबला हआ पानी मोसममी का रस आिद ल रािऽ को अिधक मगवाली हलकी िखचड़ी खाय इस कार शरीर-शोधन-कायाकलप की पणारहित कर

यिद बि तीकषण बनानी हो ःमरणशि बढ़ानी हो तो कलप क दौरान ॐ ऐ नमः इस मऽ का जप कर सयर को अ यर द

इस कलप म दध क िसवाय अनय कोई खराक लना मना ह चाय तमबाक आिद यसन िनिष ह ि यो क सग स दर रहना तथा चयर का पालन अतयनत आवयक ह

कलजग नही करजग ह यह

कलजग नही करजग ह यह यहा िदन को द अ रात ल

या खब सौदा नकद ह इस हाथ द उस हाथ ल टक

दिनया अजब बाज़ार ह कछ िजनस1 या िक साथ ल

नकी का बदला नक ह बद स बदी की बात ल

मवा िखला मवा िमल फल फल द फल पात ल

आराम द आराम ल दःख ददर द आफत2 ल 1

काटा िकसी को मत लगा गो िमःल-गल3 फला ह त

वह तर हक4 म तीर ह िकस बात पर झला ह त

मत आग म डाल और को या घास का पला ह त

सन ऱख यह नकता5 बखबर िकस बात पर भला ह त

कलजग नही 2

शोखी शरारत मकरो-फन6 सबका बसखा7 ह यहा

जो जो िदखाया और को वह खद भी दखा ह यहा

खोटी खरी जो कछ कही ितसका परखा8 ह यहा

जो जो पड़ा तलता ह मोल ितल ितल का लखा ह यहा

कलजग नही 3

जो और की बःती9 रख उसका भी बसता ह परा

जो और क मार छरी उसको भी लगता ह छरा

जो और की तोड़ घड़ी उसका भी टट ह घड़ा

जो और की चत10 बदी उसका भी होता ह बरा

कलजग नही 4

जो और को फल दवगा वह भी सदा फल पावगा

गह स गह जौ स जौ चावल स चावल पावगा

जो आज दवगा यहा वसा ही वह कल पावगा

कल दवगा कल पावगा िफर दवगा िफर पावगा

कलजग नही 5

जो चाह ल चल इस घड़ी सब िजनस यहा तयार ह

आराम म आराम ह आजार म आजार11 ह

दिनया न जान इसको िमया दरया की यह मझधार ह

औरो का बड़ा पार कर तरा भी बड़ा पार ह

कलजग नही 6

त और की तारीफ कर तझको सना वानी12 िमल

कर मिकल आसा औरो की तझको भी आसानी िमल

त और को महमान कर तझको भी महमानी िमल

रोटी िखला रोटी िमल पानी िपला पानी िमल

कलजग नही 7

जो गल13 िखलाव और का उसका ही गल िखलता भी ह

जो और का कील14 ह मह उसका ही मह िकलता भी ह

जो और का छील िजगर उसका िजगर िछलता भी ह

जो और को दव कपट उसको कपट िमलता भी ह

कलजग नही 8

कर जो कछ करना ह अब यह दम तो कोई आन15 ह

नकसान म नकसान ह एहसान म एहसान ह

तोहमत म यहा तोहमत िमल तफान म तफान ह

रहमान16 को रहमान17 ह शतान को शतान ह

कलजग नही 9

यहा जहर द तो जहर ल श कर म श कर दख ल

नको का नकी का मजा मजी18 को ट कर दख ल

मोती िदय मोती िमल पतथर म पतथर दख ल

गर तझको यह बावर19 नही तो त भी करक दख ल

कलजग नही 10

अपन नफ क वाःत मत और का नकसान कर

तरा भी नकसा होवगा इस बात पर त धयान कर

खाना जो खा सो दखकर पानी िपय तो छानकर

या पावो को रख फककर और खोफ स गजरान कर

कलजग नही 11

गफलत की यह जगह नही त सािहब-इदराक20 रह

िदलशाद21 ऱख िदल शाह रह गमनाक रख गमनाक रह

हर हाल म भी त नजीर22 अब हर कदम की रह

यह वह मका ह ओ िमया या पाक23 रह बबाक24 रह

कलजग नही 12

1 वःत 2 मसीबत 3 पप की तरह 4 तर िलय 5 रहःय 6 दगा-धोखा 7 घर 8 परखना 9 नगरी 10 िवचार कर 11 दःख 12 तारीफ-ःतित 13 फल 14 िकसी को बोलन न दना 15 घड़ी पल 16 दयावान 17 दयाल भगवान 18 सतान वाला 19 िव ास 20 तीो ा तज समझन वाला प ष 21 सननिच 22 किव का नाम ह 23 श पिवऽ 24 िनडर

  • आधयातमिक विदया क उदगाता
  • सवासथय क लिए मतर
  • परासताविक
  • बरहमचरय-रकषा का मनतर
  • आसनो की परकिया म आन वाल कछ शबदो की समझ
  • आवशयक निरदश
  • योगासन
    • पदमासन या कमलासन
    • सिदधासन
    • सरवागासन
    • हलासन
    • पवनमकतासन
    • मतसयासन
    • भजगासन
    • धनरासन
    • चकरासन
    • कटिपिणडमरदनासन
    • अरधमतसयनदरासन
    • योगमदरासन
    • गोरकषासन या भदरासन
    • मयरासन
    • वजरासन
    • सपतवजरासन
    • शवासन
    • पादपशचिमोततानासन
      • तरिबनध
        • मलबनध
        • उडडीयान बनध
        • जालनधरबनध
          • कवली कमभक
          • जलनति
          • गजकरणी
          • शरीर शोधन-कायाकलप
          • कलजग नही करजग ह यह
Page 10: अनुबम - || Home || HariOmGroup · िस होता है। िवशु नाड़ीतंऽ वालेयोगी के िवशु शरीर में

यिद इन यसनो स म होन की भावना और ढ़ िन य क साथ प ासन का अ यास कर तो उनक द यरसन सरलता स और सदा क िलए छट जात ह चोरी जआ यिभचार या हःतदोष की बरी आदत वाल यवक-यवितया भी इस आसन क ारा उन सब कसःकारो स म हो सकत ह

क र िप पकषाघात मलावरोध स पदा हए रोग कषय दमा िहःटी रया धातकषय कनसर उदरकिम तवचा क रोग वात-कफ कोप नपसकतव वनध य आिद रोग प ासन क अ यास स न हो जात ह अिनिा क रोग क िलए यह आसन रामबाण इलाज ह इसस शारी रक मोटापन कम होता ह शारी रक एव मानिसक ःवाःथय की सरकषा क िलए यह आसन सव म ह

प ासन म बठकर अि नी मिा करन अथारत गदा ार का बार-बार सकोच सार करन स अपानवाय सषमना म िव होता ह इसस काम िवकार पर जय ा होन लगती ह ग ोिनिय को भीतर की ओर िसकोड़न स अथारत योिनमिा या वळोली करन स वीयर उधवरगामी होता ह प ासन म बठकर उडडीयान बनध जालधर बनध तथा कमभक करक छाती एव पट को फलान िक िबया करन स वकषशि एव कणठशि होती ह फलतः भख खलती ह भोजन सरलता स पचता ह जलदी थकान नही होती ःमरणशि एव आतमबल म वि होती ह

यम-िनयमपवरक लमब समय तक प ासन का अ यास करन स उणता कट होकर मलाधार चब म आनदोलन उतपनन होत ह कणडिलनी शि जागत होन की भिमका बनती ह जब यह शि जागत होती ह तब इस सरल िदखन वाल प ासन की वाःतिवक मिहमा का पता चलता ह घरणड शािणडलय तथा अनय कई ऋिषयो न इस आसन की मिहमा गायी ह धयान लगान क िलए यह आसन खब लाभदायक ह

इद प ासन ो सवर यािधिवनाशम

दलरभ यन कनािप धीमता ल यत भिव

इस कार सवर यािधयो को िवन करन वाल प ासन का वणरन िकया यह दलरभ आसन िकसी िवरल बि मान प ष को ही ा होता ह

(हठयोगदीिपका थमोपदश)

िस ासन

प ासन क बाद िस ासन का ःथान आता ह अलौिकक िसि या ा करन वाला होन क कारण इसका नाम िस ासन पड़ा ह िस योिगयो का यह िय आसन ह यमो म चयर ौ ह िनयमो म शौच ौ ह वस आसनो म िस ासन ौ ह

धयान आ ाचब म और ास दीघर ःवाभािवक

िविधः आसन पर बठकर पर खल छोड़ द अब बाय पर की एड़ी को गदा और जननिनिय क बीच रख दािहन पर की एड़ी को जननिनिय क ऊपर इस कार रख िजसस जननिनिय और अणडकोष क ऊपर दबाव न पड़ परो का बम बदल भी सकत ह दोनो परो क तलव जघा क मधय भाग म रह हथली ऊपर की ओर रह इस कार दोनो हाथ एक दसर क ऊपर गोद म रख अथवा दोनो हाथो को दोनो घटनो क ऊपर ानमिा म रख आख खली अथवा बनद रख ासोचछोवास आराम स ःवाभािवक चलन

द मधय म आ ाचब म धयान किनित कर पाच िमनट तक इस आसन का अ यास कर सकत ह धयान की उचच ककषा आन पर शरीर पर स मन की पकड़ छट जाती ह

लाभः िस ासन क अ यास स शरीर की समःत नािड़यो का शि करण होता ह ाणत व ःवाभािवकतया ऊधवरगित को ा होता ह फलतः मन को एकाम करना सरल बनता ह

पाचनिबया िनयिमत होती ह ास क रोग दय रोग जीणर वर अजीणर अितसार शबदोष आिद दर होत ह मदाि न मरोड़ा समहणी वातिवकार कषय दमा मधमह पलीहा की वि आिद अनक रोगो का शमन होता ह प ासन क अ यास स जो रोग दर होत ह व िस ासन क अ यास स भी दर होत ह

चयर-पालन म यह आसन िवशष प स सहायक होता ह िवचार पिवऽ बनत ह मन एकाम होता ह िस ासन का अ यासी भोग-िवलास स बच सकता ह 72 हजार नािड़यो का मल इस आसन क अ यास स दर होता ह वीयर की रकषा होती ह ःवपनदोष क रोगी को यह आसन अवय करना चािहए

योगीजन िस ासन क अ यास स वीयर की रकषा करक ाणायाम क ारा उसको मिःतक की ओर ल जात ह िजसस वीयर ओज तथा मधाशि म प रणत होकर िद यता का अनभव करता ह मानिसक शि यो का िवकास होता ह

कणडिलनी शि जागत करन क िलए यह आसन थम सोपान ह

िस ासन म बठकर जो कछ पढ़ा जाता ह वह अचछी तरह याद रह जाता ह िव ािथरयो क िलए यह आसन िवशष लाभदायक ह जठराि न तज होती ह िदमाग िःथर बनता ह िजसस ःमरणशि बढ़ती ह

आतमा का धयान करन वाला योगी यिद िमताहारी बनकर बारह वषर तक िस ासन का अ यास कर तो िसि को ा होता ह िस ासन िस होन क बाद अनय आसनो का कोई योजन नही रह जाता िस ासन स कवल या कवली कमभक िस होता ह छः मास म भी कवली कमभक िस हो सकता ह और ऐस िस योगी क दशरन-पजन स पातक न होत ह मनोकामना पणर होती ह िस ासन क ताप स िनब ज समािध िस हो जाती ह मलबनध उडडीयान बनध और जालनधर बनध अपन आप होन लगत ह

िस ासन जसा दसरा आसन नही ह कवली कमभक क समान ाणायाम नही ह खचरी मिा क समान अनय मिा नही ह और अनाहत नाद जसा कोई नाद नही ह

िस ासन महाप षो का आसन ह सामानय यि हठपवरक इसका उपयोग न कर अनयथा लाभ क बदल हािन होन की समभावना ह

सवागासन

भिम पर सोकर शरीर को ऊपर उठाया जाता ह इसिलए इसको सवागासन कहत ह

धयान िवश ा य चब म ास रचक परक और दीघर

िविधः भिम पर िबछ हए आसन पर िच होकर लट जाए ास को बाहर िनकाल कर अथारत रचक करक कमर तक क दोनो पर सीध और परःपर लग हए रखकर ऊपर उठाए िफर पीठ का भाग भी ऊपर उठाए दोनो हाथो स कमर को आधार द हाथ की कहिनया भिम स लग रह गरदन और कनध क बल परा शरीर ऊपर की और सीधा खड़ा कर द ठोडी छाती क साथ िचपक जाए दोनो पर आकाश की ओर रह ी दोनो परो क अगठो की ओर रह अथवा आख बनद करक िच वि को कणठदश म िवश ा य चब म िःथर कर परक करक ास को दीघर सामानय चलन द

इस आसन का अ य़ास ढ़ होन क बाद दोनो परो को आग पीछ झकात हए जमीन को लगात हए अनय आसन भी हो सकत ह सवागासन की िःथित म दोनो परो को जाघो पर लगाकर प ासन भी िकया जा सकता ह

ारमभ म तीन स पाच िमनट तक यह आसन कर अ यासी तीन घणट तक इस आसन का समय बढ़ा सकत ह

लाभः सवागासन क िनतय अ यास स जठराि न तज होती ह साधक को अपनी िच क अनसार भोजन की माऽा बढ़ानी चािहए सवागासन क अ यास स शरीर की तवचा लटकन नही लगती तथा शरीर म झ ररया नही पड़ती बाल सफद होकर िगरत नही हर रोज़ एक हर तक सवागासन का अ यास करन स मतय पर िवजय िमलती ह

शरीर म सामथयर बढ़ता ह तीनो दोषो का शमन होता ह वीयर की ऊधवरगित होकर अनतःकरण श होता ह मधाशि बढ़ती ह िचर यौवन की ाि होती ह

इस आसन स थायराइड नामक अनतःमिनथ की शि बढ़ती ह वहा र सचार तीो गित स होन लगता ह इसस उस पोषण िमलता ह थायराइड क रोगी को इस आसन स अदभत लाभ होता ह िलवर और पलीहा क रोग दर होत ह ःमरणशि बढ़ती ह मख पर स महास एव अनय दाग दर होकर मख तजःवी बनता ह जठर एव नीच उतरी हई आत अपन मल ःथान पर िःथर होती ह प षातन मिनथ पर सवागासन का अचछा भाव पड़ता ह ःवपनदोष दर होता ह मानिसक बौि क वि करन वालो को तथा िवशषकर िव ािथरयो को यह आसन अवय करना चािहए

मनदाि न अजीणर कबज अशर थायराइड का अलप िवकास थोड़ िदनो का अपनडीसाइिटस और साधारण गाठ अगिवकार असमय आया हआ व तव दमा कफ

चमड़ी क रोग र दोष ि यो को मािसक धमर की अिनयिमतता एव ददर मािसक न आना अथवा अिधक आना इतयािद रोगो म इस आसन स लाभ होता ह नऽ और मिःतक की शि बढ़ती ह उनक रोग दर होत ह

थायराइड क अित िवकासवाल खब कमजोर दयवाल और अतयिधक चब वाल लोगो को िकसी अनभवी की सलाह लकर ही सवागासन करना चािहए

शीषारसन करन स जो लाभ होता ह व सब लाभ सवागासन और पादपि मो ानसन करन स िमल जात ह शीषारसन म गफलत होन स जो हािन होती ह वसी हािन होन की सभावना सवागासन और पादपि मो ानासन म नही ह

हलासन

इस आसन म शरीर का आकार हल जसा बनता ह इसिलए इसको हलासन कहा जाता ह

धयान िवश ा या चब म ास रचक और बाद म दीघर

िविधः भिम पर िबछ हए आसन पर िच होकर लट जाए दोनो हाथ शरीर को लग रह अब रचक करक ास को बाहर िनकाल द दोनो परो को एक साथ धीर-धीर ऊच करत जाय आकाश की ओर पर उठाकर िफर पीछ िसर क तरफ झकाय पर िबलकल तन हए रखकर पज ज़मीन पर लगाय ठोड़ी छाती स लगी रह िच वि को िवश ा या चब म िःथर कर दो-तीन िमनट स लकर बीस िमनट तक समय की अविध बढ़ा सकत ह

लाभः हलासन क अ यास स अजीणर कबज अशर थायराइड का अलप िवकास अगिवकार असमय व तव दमा कफ र िवकार आिद दर होत ह इस आसन स िलवर अचछा होता ह छाती का िवकास होता ह सनिबया तज होकर ऑ सीजन स र श बनता ह गल क ददर पट की बीमारी सिधवात आिद दर होत ह पट की चरबी कम होती ह िसरददर दर होता ह वीयरिव कार िनमरल होता ह खराब िवचार बनद होत ह नाड़ी तऽ श होता ह शरीर बलवान और तजःवी बनता ह गिभरणी ि यो क िसवा हर एक को यह आसन करना चािहए

रीढ़ म कठोरता होना यह व ावःथा का िच ह हलासन स रीढ़ लचीली बनती ह इसस यवावःथा की शि ःफितर ःवाःथय और उतसाह बना रहता ह म दणड

समबनधी नािड़यो क ःवाःथय की रकषा होकर व ावःथा क लकषण जलदी नही आत जठर की नािड़यो को शि ा होती ह

जठर की मासपिशया तथा पाचनतऽ क अगो की नािड़यो की दबरलता क कारण अगर मदाि न एव कबज हो तो हलासन स दर होत ह कमर पीठ एव गरदन क रोग न होत ह िलवर और पलीहा बढ़ गए हो तो हलासन स सामानय अवःथा म आ जात ह काम कनि की शि बढ़ती ह अपानशि का उतथान होकर उदान पी अि न का योग होन स वीयरशि ऊधवरगामी बनती ह हलासन स वीयर का ःतभन होता ह यह आसन अणडकोष की वि पिनबयास अपिनड स आिद को ठीक करता ह थायराइड मिनथ की िबयाशीलता बढ़ती ह धयान करन स िवश चब जागत हो जाता ह

पवनम ासन

शरीर म िःथत पवन (वाय) यह आसन करन स म होता ह इसिलए इस पवनम ासन कहा जाता ह

धयान मिणपर चब म ास पहल परक िफर कमभक और रचक

िविधः भिम पर िबछ हए आसन पर िच होकर लट जाय परक करक फफड़ो म ास भर ल अब िकसी भी एक पर को घटन स मोड़ द दोनो हाथो की अगिलयो को

परःपर िमलाकर उसक ारा मोड़ हए घटनो को पकड़कर पट क साथ लगा द िफर िसर को ऊपर उठाकर मोड़ हए घटनो पर नाक लगाए दसरा पर ज़मीन पर सीधा रह इस िबया क दौरान ास को रोककर कमभक चाल रख िसर और मोड़ा हआ पर भिम पर पवरवत रखन क बाद ही रचक कर दोनो परो को बारी -बारी स मोड़कर यह िबया कर दोनो पर एक साथ मोड़कर भी यह आसन हो सकता ह

लाभः पवनम ासन क िनयिमत अ यास स पट की चरबी कम होती ह पट की वाय न होकर पट िवकार रिहत बनता ह कबज दर होता ह पट म अफारा हो तो इस आसन स लाभ होता ह ातःकाल म शौचिबया ठीक स न होती हो तो थोड़ा पानी पीकर यह आसन 15-20 बार करन स शौच खलकर होगा

इस आसन स ःमरणशि बढ़ती ह बौि क कायर करन वाल डॉ टर वकील सािहतयकार िव ाथ तथा बठकर वि करन वाल मनीम यापारी आिद लोगो को िनयिमत प स पवनम ासन करना चािहए

मतःयासन

मतःय का अथर ह मछली इस आसन म शरीर का आकार मछली जसा बनता ह अतः मतःयासन कहलाता ह पलािवनी ाणायाम क साथ इस आसन की िःथित म लमब समय तक पानी म तर सकत ह

धयान िवश ा या चब म ास पहल रचक बिहकर मभक िफर परक और रचक

िविधः भिम पर िबछ हए आसन पर प ासन लगाकर सीध बठ जाय िफर परो को प ासन की िःथित म ही रखकर हाथ क आधार स सावधानी पवरक पीछ की ओर िच होकर लट जाय रचक करक कमर को ऊपर उठाय घटन िनतब और मःतक क िशखा ःथान को भिम क ःथान लगाय रख िशखाःथान क नीच कोई नरम कपड़ा

अवय रख बाय हाथ स दािहन पर का अगठा और दािहन हाथ स बाय पर का अगठा पकड़ दोनो कहिनया ज़मीन को लगाय रख कमभक की िःथित म रहकर ि को पीछ की ओर िसर क पास ल जान की कोिशश कर दात दब हए और मह बनद रख एक िमनट स ारमभ करक पाच िमनट तक अ यास बढ़ाय िफर हाथ खोलकर कमर भिम को लगाकर िसर ऊपर उठाकर बठ जाय परक करक रचक कर

पहल भिम पर लट कर िफर प ासन लगाकर भी मतःयासन हो सकता ह

लाभः मतःयासन स परा शरीर मजबत बनता ह गला छाती पट की तमाम बीमा रया दर होती ह आखो की रोशनी बढ़ती ह गला साफ रहता ह सनिबया ठीक स चलती ह कनधो की नस उलटी मड़ती ह इसस छाती व फफड़ो का िवकास होता ह पट साफ रहता ह आतो का मल दर होता ह र ािभसरण की गित बढ़ती ह फलतः चमड़ी क रोग नही होत दमा और खासी दर होती ह छाती चौड़ी बनती ह पट की चरबी कम होती ह इस आसन स अपानवाय की गित नीच की ओर होन स मलावरोध दर होता ह थोड़ा पानी पीकर यह आ सन करन स शौच-शि म सहायता िमलती ह

मतःयासन स ि यो क मािसकधमर समबनधी सब रोग दर होत ह मािसकॐाव िनयिमत बनता ह

भजगासन

इस आसन म शरीर की आकित फन उठाय हए भजग अथारत सपर जसी बनती ह इसिलए इसको भजगासना कहा जाता ह

धयान िवश ा या चब म ास ऊपर उठात व परक और नीच की ओर जात समय रचक

िविधः भिम पर िबछ हए कमबल पर पट क बल उलट होकर लट जाय दोनो पर और पज परःपर िमल हए रह परो क अगठो को पीछ की ओर खीच दोनो हाथ िसर क तरफ लमब कर द परो क अगठ नािभ छाती ललाट और हाथ की हथिलया भिम पर एक सीध म रख

अब दोनो हथिलयो को कमर क पास ल जाय िसर और कमर ऊपर उठाकर िजतना हो सक उतन पीछ की ओर मोड़ नािभ भिम स लगी रह पर शरीर का वजन हाथ क पज पर आएगा शरीर की िःथित कमान जसी बनगी म दणड क आिखरी भाग पर दबाव किनित होगा िच वि को कणठ म और ि को आकाश की तरफ िःथर कर

20 सकणड तक यह िःथित रख बाद म धीर-धीर िसर को नीच ल आय छाती भिम पर रख िफर िसर को भिम स लगन द आसन िस हो जान क बाद आसन करत समय ास भरक कमभक कर आसन छोड़त समय मल िःथित म आन क बाद ास को खब धीर-धीर छोड़ हर रोज एक साथ 8-10 बार यह आसन कर

लाभः घरड सिहता म इसका लाभ बतात हए कहा ह - भजगासन स जठराि न दी होती ह सवर रोगो का नाश होता ह और कणडिलनी जागत होती ह

म दणड क तमाम मनको को तथा गरदन क आसपास वाल ःनायओ को अिधक श र िमलता ह फलतः नाड़ी तऽ सचत बनता ह िचरजीवी शि मान एव स ढ़ बनता ह िवशषकर मिःतक स िनकलन वाल ानतत बलवान बनत ह पीठ की हिडडय़ो म रहन वाली तमाम खरािबया दर होती ह पट क ःनाय म िखचाव आन स वहा क अगो को शि िमलती ह उदरगहा म दबाव बढ़न स कबज दर होता ह छाती और पट का िवकास होता ह तथा उनक रोग िमट जात ह गभारशय एव बोनाशय अचछ बनत ह फलतः मािसकॐाव क रिहत होता ह मािसक धमर समबनधी समःत िशकायत दर होती ह अित ौम करन क कारण लगन वाली थकान दर होती ह भोजन क बाद होन वाल वाय का ददर न होता ह शरीर म ःफितर आती ह कफ-िपतवालो क िलए यह आसन लाभदायी ह भजगासन करन स दय मजबत बनता ह मधमह और उदर क

रोगो स मि िमलती ह दर अित मािसकॐाव तथा अलप मािसकॐाव जस रोग दर होत ह

इस आसन स म दणड लचीला बनता ह पीठ म िःथत इड़ा और िपगला नािड़यो पर अचछा भाव पड़ता ह कणडिलनी शि जागत करन क िलय यह आसन सहायक ह अमाशय की मासपिशयो का अचछा िवकास होता ह थकान क कारण पीठ म पीड़ा होती हो तो िसफर एक बार ही यह आसन करन स पीड़ा दर होती ह म दणड की कोई हडडी ःथान हो गई हो तो भजगासन करन स यथाःथान म वापस आ जाती ह

धनरासन

इस आसन म शरीर की आकित खीच हए धनष जसी बनती ह अतः इसको धनरासन कहा जाता ह

धयान मिणपर चब म ास नीच की िःथित म रचक और ऊपर की िःथित म परक

िविधः भिम पर िबछ हए कमबल पर पट क बल उलट होकर लट जाय दोनो पर परःपर िमल हए रह अब दोनो प रो को घटनो स मोड़ दोनो हाथो को पीछ ल जाकर दोनो परो को टखनो स पकड़ रचक करक हाथ स पकड़ हए परो को कसकर धीर -धीर खीच िजतना हो सक उतना िसर पीछ की ओर ल जान की कोिशश कर ि भी ऊपर एव पीछ की ओर रहनी चािहए समम शरीर का बोझ कवल नािभदश क ऊपर ही रहगा कमर स ऊपर का धड़ एव कमर स नीच पर पर ऊपर की ओर मड़ हए रहग

कमभक करक इस िःथित म िटक रह बाद म हाथ खोलकर पर तथा िसर को मल अवःथा म ल जाय और परक कर ारभ म पाच सकणड यह आसन कर धीर-धीर समय बढ़ाकर तीन िमनट या उसस भी अिधक समय इस आसन का अ यास कर तीन-चार बार यह आसन करना चािहए

लाभः धनरासन क अ यास स पट की चरबी कम होती ह गस दर होती ह पट को रोग न होत ह कबज म लाभ होता ह भख खलती ह छाती का ददर दर होता ह दय की धडकन मजबत बनती ह ास िक िबया यविःथत चलती ह मखाकित सदर बनती ह आखो की रोशनी बढ़ती ह और तमाम रोग दर होत ह हाथ -पर म होन वाला कपन कता ह शरीर का सौनदयर बढ़ता ह पट क ःनायओ म िखचाव आन स पट को अचछा लाभ होता ह आतो पर खब दबाव पड़न स पट क अगो पर भी दबाव पड़ता ह फलतः आतो म पाचकरस आन लगता ह इसस जठराि न तज होती ह पाचनशि बढ़ती ह वायरोग न होता ह पट क कषऽ म र का सचार अिधक होता ह धनरासन म भजगासन और शलभासन का समावश हो जान क कारण इन दोनो आसनो क लाभ िमलत ह ि यो क िलए यह आसन खब लाभकारक ह इसस मािसक धमर क िवकार गभारशय क तमाम रोग दर होत ह

चबासन

इस आसन म शरीर की आकित चब जसी बनती ह अतः चबासन कहा जाता ह

धयान मिणपर चब म ास दीघर ःवाभािवक

िविधः भिम पर िबछ हए आसन पर िच होकर लट जाय घटनो स पर मोड़ कर ऊपर उठाय पर क तलव ज़मीन स लग रह दो परो क बीच करीब डढ़ फीट का अनतर रख दोनो हाथ मःतक की तरफ उठाकर पीछ की ओर दोनो हथिलयो को ज़मीन पर जमाय दोनो हथिलयो क बीच भी करीब डढ़ फीट का अनतर रख अब हाथ और पर क बल स पर शरीर को कमर स मोड़कर ऊपर उठाय हाथ को धीर-धीर पर की ओर ल जाकर ःमपशर शरीर का आकार व या चब जसा बनाय आख बनद रख ास की गित ःवाभािवक चलन द िच वि मिणपर चब (नािभ कनि) म िःथर कर आख खली भी रख सकत ह एक िमनट स पाच िमनट तक अ यास बढ़ा सकत ह

लाभः म दणड तथा शरीर की समःत नािड़यो का शि करण होकर यौिगक चब जागत होत ह लकवा तथा शरीर की कमजो रया दर होती ह मःतक गदरन पीठ पट

कमर हाथ पर घटन आिद सब अग मजबत बनत ह सिनध ःथानो ददर नही होता पाचनशि बढ़ती ह पट की अनावयक चरबी दर होती ह शरीर तजःवी और फत ला बनता ह िवकारी िवचार न होत ह ःवपनदोष की बीमारी अलिवदा होती ह चबासन क िनयिमत अ यास स व ावःथा म कमर झकती नही शरीर सीधा तना हआ रहता ह

किटिपणडमदरनासन

इस आसन म किटदश (कमर क पास वाल भाग) म िःथत िपणड अथारत मऽिपणड का मदरन होता ह इसस यह आसन किटिपणडमदरनासन कहलाता ह

धयान ःवािध ान चब म ास परक और कमभक

िविधः िबछ हए कमबल पर पीठ क बल िच होकर लट जाय दोनो हाथो को आमन-सामन फला द मि ठया बनद रख दोनो परो को घटनो स मोड़कर खड़ कर द पर क तलव ज़मीन स लग रह दोनो परो क बीच इतना अनतर रख िक घटनो को ज़मीन पर झकान स एक पर का घटना दसर पर की एड़ी को लग िसर दायी ओर मड़ तो दोनो घटन दािहनी ओर ज़मीन को लग इस कार 15-20 बार िबया कर इस कार दोनो परो को एक साथ रखकर भी िबया कर

लाभः िजसको पथरी की तकलीफ हो उस आौम (सत ौी आसारामजी आौम साबरमित अमदावाद-5) स िबना मलय िमलती काली भःम करीब डढ़ माम भोजन स आधा घणटा पवर और भोजन क बाद एक िगलास पानी क साथ लना चािहए और यह आसन भख पट ठीक ढग स करना चािहए इसस पथरी क ददर म लाभ होता ह पथरी टकड़ -टकड़ होकर मऽ क ारा बाहर िनकलन लगती ह मऽिवकार दर होता ह कमर ददर साइिटका रीढ़ की हडडी की जकड़न उदासीनता िनराशा डायािबटीज नपसकता गस पर की गाठ इतयािद रोगो म शीय लाभ होता ह नािभ ःथान स चयत हो जाती हो तो पनः अपन ःथान म आ जाती ह

मािसक धमर क समय एव गभारवःथा म ि या यह आसन न कर कबज का रोगी सबह शौच जान स पहल उषःपान करक यह आसन कर तो चमतका रक लाभ होता ह ास को अनदर भर क पट को फलाकर यह आसन करन स कबज जलदी दर होता ह

अधरमतःयनिासन

कहा जाता ह िक मतःयनिासन की रचना गोरखनाथ क ग ःवामी मतःयनिनाथ न की थी व इस आसन म धयान िकया करत थ मतःयनिासन की आधी िबयाओ को लकर अधरमतःयनिासन चिलत हआ ह

धयान अनाहत चब म ास दीघर

िविधः दोनो परो को लमब करक आसन पर बठ जाओ बाय पर को घटन स मोड़कर एड़ी गदा ार क नीच जमाय पर क तलव को दािहनी जघा क साथ लगा द अब दािहन पर को घटन स मोड़कर खड़ा कर द और बाय पर की जघा स ऊपर ल जात हए जघा क पीछ ज़मीन क ऊपर ऱख द आसन क िलए यह पवरभिमका तयार हो गई

अब बाय हाथ को दािहन पर क घटन स पार करक अथारत घटन को बगल म दबात हए बाय हाथ स दािहन पर का अ गठा पकड़ धड़ को दािहनी ओर मोड़ िजसस दािहन पर क घटन क ऊपर बाय कनध का दबाव ठीक स पड़ अब दािहना हाथ पीठ क पीछ स घमाकर बाय पर की जाघ का िनमन भाग पकड़ िसर दािहनी ओर इतना घमाय िक ठोड़ी और बाया कनधा एक सीधी रखा म आ जाय छाती िबलकल तनी हई रख नीच की ओर झक नही िच वि नािभ क पीछ क भाग म िःथत मिणपर चब म िःथर कर

यह एक तरफ का आसन हआ इसी कार पहल दािहना पर मोड़कर एड़ी गदा ार क नीच दबाकर दसरी तरफ का आसन भी कर ारमभ म पाच सकणड य ह आसन करना पयार ह िफर अ यास बढ़ाकर एक एक तरफ एक एक िमनट तक आसन कर सकत ह

लाभः अधरमतःयनिासन स म दणड ःवःथ रहन स यौवन की ःफितर बनी रहती ह रीढ़ की हिडडयो क साथ उनम स िनकलन वाली नािडयो को भी अचछी कसरत िमल जाती ह पट क िविभनन अगो को भी अचछा लाभ होता ह पीठ पट क नल पर गदरन

हाथ कमर नािभ स नीच क भाग एव छाती की नािड़यो को अचछा िखचाव िमलन स उन पर अचछा भाव पड़ता ह फलतः बनधकोष दर होता ह जठराि न तीो होती ह िवकत यकत पलीहा तथा िनिबय व क क िलए यह आसन लाभदायी ह कमर पीठ और सिनधःथानो क ददर जलदी दर हो जात ह

योगमिासन

योगा यास म यह मिा अित मह वपणर ह इसस इसका नाम योगमिासन रखा गया ह

धयान मिणपर चब म ास रचक कमभक और परक

िविधः प ासन लगाकर दोनो हाथो को पीठ क पीछ ल जाय बाय हाथ स दािहन हाथ की कलाई पकड़ दोनो हाथो को खीचकर कमर तथा रीढ़ क िमलन ःथान पर ल जाय अब रचक करक कमभक कर ास को रोककर शरीर को आग झकाकर भिम पर टक द िफर धीर-धीर िसर को उठाकर शरीर को पनः सीधा कर द और परक कर ारभ म यह आसन किठन लग तो सखासन या िस ासन म बठकर कर पणर लाभ तो प ासन म बठकर करन स ही होता ह पाचनतनऽ क अगो की ःथान ता ठीक करन क िलए यिद यह आसन करत हो तो कवल पाच-दस सकणड तक ही कर एक बठक म तीन स पाच बार सामानयतः यह आसन तीन िमनट तक करना चािहए आधयाितमक उ य स योगमिासन करत हो तो समय की अविध िच और शि क अनसार बढ़ाय

लाभः योगमिासन भली कार िस होता ह तब कणडिलिन शि जागत होती ह पट की गस की बीमारी दर होती ह पट एव आतो की सब िशकायत दर होती ह कलजा फफड़ आिद यथा ःथान रहत ह दय मजबत बनता ह र क िवकार दर होत

ह क और यौनिवकार न होत ह पट बड़ा हो तो अनदर दब जाता ह शरीर मजबत बनता ह मानिसक शि बढ़ती ह

योगमिासन स उदरपटल सश बनता ह पट क अगो को अपन ःथान िटक रहन म सहायता िमलती ह नाड़ीतऽ और खास करक कमर क नाड़ी मणडल को बल िमलता ह

इस आसन म सामनयतः जहा एिड़या लगती ह वहा कबज क अग होत ह उन पर दबाव पड़न स आतो म उ जना आती ह पराना कबज दर होता ह अगो की ःथान ता क कारण होन वाला कबज भी अग अपन ःथान म पनः यथावत िःथत हो जान स न हो जाता ह धात की दबरलता म योगमिासन खब लाभदायक ह

गोरकषासन या भिासन

धयान मलाधार चब म ास थम िःथित म परक और दसरी िःथित म कमभक

िविधः िबछ हए आसन पर बठ जाय दािहना पर घटन स मोड़कर एड़ी सीवन (उपःथ और गदा क मधय) क दािहन भाग म और बाया पर मोड़कर एड़ी सीवन क बाय भाग म इस कार रख िक दोनो पर क तलव एक दसर को लगकर रह

रचक करक दोनो हाथ सामन ज़मीन पर टककर शरीर को ऊपर उठाय और दोनो पर क पजो पर इस कार बठ िक शरीर का वजन एड़ी क मधय भाग म आय अगिलयो वाला भाग छटा रह अब परक करत -करत दोनो हाथो की हथिलयो को घटनो पर रख

अनत म कमभक करक ठोड़ी छाती पर दबाय िच वि मलाधार चब म और ि भी उसी िदशा म लगाय बमशः अ यास बढ़ाकर दसक िमनट तक यह आसन कर

लाभः इस आसन क अ यास स पर क सब सिनध ःथान तथा ःनाय सश बनत ह वाय ऊधवरगामी होकर जठराि न दी करता ह िदनो िदन जड़ता न होन लगती ह शरीर पतला होता ह सकलपबल बढ़ता ह बि तीकषण होती ह कलपनाशि का िवकास होता ह ाणापान की एकता होती ह नादोतपि होन लगती ह िबनद िःथर होकर िच की चचलता कम होती ह आहार का सपणरतया पाचन हो जान क कारण मलमऽ अलप होन लगत ह शरीर शि होन लगती ह तन म ःफितर एव मन म सननता अपन आप कट होती ह ःनाय स ढ़ बनत ह धातकषय गस मधमह ःवपनदोष अजीणर कमर का ददर गदरन की दबरलता बनधकोष मनदाि न िसरददर कषय

दयरोग अिनिा दमा मछाररोग बवासीर आऽपचछ पाणडरोग जलोदर भगनदर कोढ़ उलटी िहचकी अितसार आव उदररोग नऽिवकार आिद अस य रोगो म इस आसन स लाभ होत ह

मयरासन

इस आसन म मयर अथारत मोर की आकित बनती ह इसस इस मयरासन कहा जाता ह

धयान मिणपर चब म ास बा कमभक

िविधः जमीन पर घटन िटकाकर बठ जाय दोनो हाथ की हथिलयो को जमीन पर इस कार रख िक सब अगिलया पर की िदशा म हो और परःपर लगी रह दोनो कहिनयो को मोड़कर पट क कोमल भाग पर नािभ क इदरिगदर रख अब आग झककर दोनो पर को पीछ की लमब कर ास बाहर िनकाल कर दोनो पर को जमीन स ऊपर उठाय और िसर का भाग नीच झकाय इस कार परा शरीर ज़मीन क बराबर समानानतर रह ऐसी िःथित बनाय सपणर शरीर का वजन कवल दो हथिलयो पर ही

रहगा िजतना समय रह सक उतना समय इस िःथित म रहकर िफर मल िःथित म आ जाय इस कार दो-तीन बार कर

लाभः मयरासन करन स चयर-पालन म सहायता िमलती ह पाचन तऽ क अगो की र का वाह अिधक बढ़न स व अग बलवान और कायरशील बनत ह पट क भीतर क भागो म दबाव पड़न स उनकी शि बढ़ती ह उदर क अगो की िशिथलता और मनदाि न दर करन म मयरासन बहत उपयोगी ह

वळासन

वळासन का अथर ह बलवान िःथित पाचनशि वीयरशि तथा ःनायशि दन वाला होन स यह आसन वळासन कहलाता ह

धयान मलाधार चब म और ास दीघर

िविधः िबछ हए आसन पर दोनो परो को घटनो स मोड़कर एिड़यो पर बठ जाय पर क दोनो अगठ परःपर लग रह पर क तलवो क ऊपर िनतमब रह कमर और पीठ िबलकल सीधी रह दोनो हाथ को कहिनयो स मोड़ िबना घटनो पर रख द हथिलया नीच की ओर रह ि सामन िःथर कर द

पाच िमनट स लकर आध घणट तक वळासन का अ यास कर सकत ह वळासन लगाकर भिम पर लट जान स स वळासन होता ह

लाभः वळासन क अ यास स शरीर का मधयभाग सीधा रहता ह ास की गित मनद पड़न स वाय बढ़ती ह आखो की योित तज होती ह वळनाड़ी अथारत वीयरधारा नाड़ी मजबत बनती ह वीयर की ऊधवरगित होन स शरीर वळ जसा बनता ह लमब समय तक सरलता स यह आसन कर सकत ह इसस मन की चचलता दर होकर यि िःथर बि वाला बनता ह शरीर म र ािभसरण ठीक स होकर शरीर िनरोगी एव सनदर बनता ह

भोजन क बाद इस आसन स बठन स पाचन शि तज होती ह कबज दर होती ह भोजन जलदी ह म होता ह पट की वाय का नाश होता ह कबज दर होकर पट क तमाम रोग न होत ह पाणडरोग स मि िमलती ह रीढ़ कमर जाघ घटन और परो म शि बढ़ती ह कमर और पर का वाय रोग दर होता ह ःमरणशि म वि होती ह ि यो क मािसक धमर की अिनयिमतता जस रोग दर होत ह शबदोष वीयरदोष घटनो का ददर आिद का नाश होता ह ःनाय प होत ह ःफितर बढ़ान क िलए एव मानिसक िनराशा दर कर न क िलए यह आसन उपयोगी ह धयान क िलय भी यह आसन उ म ह इसक अ यास स शारी रक ःफितर एव मानिसक सननता कट होती ह िदन-ितिदन शि का सचय होता ह इसिलए शारी रक बल म खब वि होती ह काग का िगरना अथारत गल क टािनसलस हिडडयो क पोल आिद ःथानो म उतपनन होन वाल तकण की स या म वि होन स आरो य का साा य ःथािपत होता ह िफर यि

बखार स िसरददर स कबज स मदाि न स या अजीणर जस छोट-मोट िकसी भी रोग स पीिड़त नही रहता योिक रोग आरो य क साा य म िव होन का साहस ही नही कर पात

स वळासन

धयान िवश ा याचब म ास दीघर सामानय

िविधः वळासन म बठन क बाद िच होकर पीछ की ओर भिम पर लट जाय दोनो जघाए परःपर िमली रह अब रचक करत बाय हाथ का खला पजा दािहन कनध क नीच इस कार रख िक मःतक दोनो हाथ क बास क ऊपर आय रचक परा होन पर िऽबनध कर ि मलाधार चब की िदशा म और िच वि मलाधार चब म ःथािपत कर

लाभः यह आसन करन म ौम बहत कम ह और लाभ अिधक होता ह इसक अ यास स सषमना का मागर अतयनत सरल होता ह कणडिलनी शि सरलता स ऊधवरगमन कर सकती ह

इस आसन म धयान करन स म दणड को सीधा करन का ौम नही करना पड़ता और म दणड को आराम िमलता ह उसकी काय़रशि बल बनती ह इस आसन का अ यास करन स ायः तमाम अतःॐावी मिनथयो को जस शीषरःथ मिनथ कणठःथ मिनथ मऽिपणड की मनथी ऊधवरिपणड तथा प षाथर मिनथ आिद को पि िमलती ह फलतः यि का भौितक एव आधयाितमक िवकास सरल हो जाता ह तन-मन का ःवाःथय भावशाली बनता ह जठराि न दी होती ह मलावरोध की पीडा दर होती ह धातकषय ःवपनदोष पकषाघात पथरी बहरा होना तोतला होना आखो की दबरलता गल क टािनसल ासनिलका का सजन कषय दमा ःमरणशि की दबरलता आिद रोग दर होत ह

शवासन

शवासन की पणारवःथा म शरीर क तमाम अग एव मिःतक पणरतया च ा रिहत िकय जात ह यह अवःथा शव (मद) जसी होन स इस आसन को शवासन कहा जाता ह

िविधः िबछ हए आसन पर िच होकर लट जाय दोनो परो को परःपर स थोड़ अलग कर द दोनो हाथ भी शरीर स थोड़ अलग रह इस कार परो की ओर फला द हाथ की हथिलया आकाश की तरफ खली रख िसर सीधा रह आख बनद

मानिसक ि स शरीर को पर स िसर तक दखत जाय पर शरीर को मद की तरह ढीला छोड़ द हर एक अग को िशिथल करत जाय

शरीर म समपणर िवौाम का अनभव कर मन को भी बा ा िवषयो स हटाकर एकाम कर बारी-बारी स हर एक अग पर मानिसक ि एकाम करत हए भावना कर िक वह अग अब आराम पा रहा ह मरी सब थकान उतर रही ह इस कार भावना करत-करत सब ःनायओ को िशिथल होन द शरीर क एक भी अग म कही भी तनाव (टनशन) न रह िशिथलीकरण की िबया म पर स ारमभ करक िसर तक जाय अथवा िसर स ारमभ करक पर तक भी जा सकत ह अनत म जहा स ारमभ िकया हो वही पनः पहचना चािहय िशिथलीकरण की िबया स शरीर क तमाम अगो का एव ानततओ को िवौाम की अवःथा म ला दना ह

शवासन की दसरी अवःथा म ासोचछोवास पर धयान दना ह शवासन की यही म य िबया ह िवशषकर योग साधको क िलए वह अतयनत उपयोगी ह कवल शारी रक ःवाःथय क िलय थम भिमका पयार ह

इसम ास और उचछवास की िनयिमतता दीघरता और समानता ःथािपत करन का लकषय ह ास िनयिमत चल लमबा और गहरा चल ास और उचछवास एक समान रह तो मन को एकाम करन की शि ा होती ह

शवासन यिद ठीक ढग स िकया जाए तो नाड़ीतऽ इतना शात हो जाता ह िक अ यासी को नीद आन लगती ह लिकन धयान रह िनिनित न होकर जामत रहना आवयक ह

अनय आसन करन क बाद अगो म जो तनाव (टनशन) पदा होता ह उसको िशिथल करन क िलय अत म 3 स 5 िमनट तक शवासन करना चािहए िदनभर म अनकलता क अनसार दो-तीन बार शवासन कर सकत ह

लाभः शवासन क ारा ःनाय एव मासपिशयो म िशिथलीकरण स शि बढ़ती ह अिधक कायर करन की यो यता उसम आती ह र वाहिनयो म िशराओ म र वाह तीो

होन स सारी थकान उतर जाती ह नाड़ीतऽ को बल िमलता ह मानिसक शि म वि होती ह

र का दबाव कम करन क िलए नाड़ीतऽ की दबरलता एव उसक कारण होन वाल रोगो को दर करन क िलय शवासन खब उपयोगी ह

पादपि मो ानासन

यह आसन करना किठन ह इसस उमासन कहा जाता ह उम का अथर ह िशव भगवान िशव सहारक ार ह अतः उम या भयकर ह िशवसिहता म भगवान िशव न म कणठ स शसा करत हए कहा हः यह आसन सवरौ आसन ह इसको य पवरक ग रख िसफर अिधका रयो को ही इसका रहःय बताय

धयान मिणपर चब म ास थम िःथित म परक और दसरी िःथित म रचक और िफर बिहकर मभक

िविधः िबछ हए आसन पर बठ जाय दोनो परो को लमब फला द दोनो परो की जघा घटन पज परःपर िमल रह और जमीन क साथ लग रह परो की अगलया घटनो की तरफ झकी हई रह अब दोनो हाथ लमब कर दािहन हाथ की तजरनी और अगठ स दािहन पर का अगठा और बाय हाथ की तजरनी और अगठ स बाय पर का अगठा पकड़ अब रचक करत-करत नीच झक और िसर को दोनो घटनो क मधय म रख ललाट घटन को ःपशर कर और घटन ज़मीन स लग रह रचक परा होन पर कमभक कर ि एव िच वि को मिणपर चब म ःथािपत कर ारमभ म आधा िमनट करक बमशः 15 िमनट तक यह आसन करन का अ यास बढ़ाना चािहय थम दो-चार िदन किठन लगगा लिकन अ यास हो जान पर यह आसन सरल हो जाएगा

लाभः पादपि मो नासन म समयक अ यास स सषमना का मख खल जाता ह और ाण म दणड क मागर म गमन करता ह फलतः िबनद को जीत सकत ह िबनद को जीत िबना न समािध िस होती ह न वाय िःथर होता ह न िच शात होता ह

जो ी-प ष काम िवकार स अतयत पीिड़त हो उनह इस आसन का अ यास करना चािहए इसस शारी रक िवकार दब जात ह उदर छाती और म दणड को उ म कसरत िमलती ह अतः व अिधक कायरकषम बनत ह हाथ पर तथा अनय अगो क सिनध ःथान मजबत बनत ह शरीर क सब तऽ बराबर कायरशील होत ह रोग माऽ का नाश होकर ःवाःथय़ का साा य ःथािपत होता ह

इस आसन क अ यास स मनदाि न मलावरोध अजीणर उदररोग किमिवकार सद वातिवकार कमर का ददर िहचकी कोढ़ मऽरोग मधमह पर क रोग ःवपनदोष वीयरिवकार र िवकार एपनडीसाइिटस अणडवि पाणडरोग अिनिा दमा ख टी डकार आना ानतनत की दबरलता बवासीर नल की सजन गभारशय क रोग अिनयिमत तथा क दायक मािसक बनधयतव दर नपसकता र िप िसरोवदना बौनापन आिद अनक रोग दर होत ह पट पत ला बनता ह जठराि न दी होती ह कफ और चरबी न होत ह

िशवसिहता म कहा ह िक इस आसन स वाय ीपन होता ह और वह मतय का नाश करता ह इस आसन स शरीर का कद बढ़ता ह शरीर म अिधक ःथलता हो तो कम होती ह दबरलता हो तो वह दर होकर शरीर सामानय तनद ःत अवःथा म आ जाता ह नाडी सःथान म िःथरता आती ह मानिसक शाित ा होती ह िचनता एव उ जना शात करन क िलए यह आसन उ म ह पीठ और म दणड पर िखचाव आन स दोनो िवकिसत होत ह फलतः शरीर क तमाम अवयवो पर अिधकार ःथािपत होता ह सब आसनो म यह आसन सवर धान ह इसक अ यास स कायाकलप (प रवतरन) हो जाता ह

यह आसन भगवान िशव को बहत पयारा ह उनकी आ ा स योगी गोरखनाथ न लोककलयाण हत इसका चार िकया ह आप इस आसन क अदभत लाभो स लाभािनवत हो और दसरो को भी िसखाय

पादपि मो ानासन प यपाद आसारामजी बाप को भी बहत पयारा ह उसस प यौी को बहत लाभ हए ह अभी भी यह आसन उनक आरो यिनिध का रकषक बना हआ ह

पाठक भाइयो आप अवय इस आसन का लाभ लना ारमभ क चार-पाच िदन जरा किठन लगगा बाद म तो यह आसन आपका िशवजी क वरदान प आरो य कवच िस हए िबना नही रहगा

िऽबनध

मलबनध

शौच ःनानािद स िनव होकर आसन पर बठ जाय बायी एड़ी क ारा सीवन या योिन को दबाय दािहनी एड़ी सीवन पर रख गदा ार को िसकोड़कर भीतर की ओर ऊपर खीच यह मलबनध कहा जाता ह

लाभः मलबनध क अ यास स मतय को जीत सकत ह शरीर म नयी ताजगी आती ह िबगड़त हए ःवाःथय की रकषा होती ह चयर का पालन करन म मलबनध सहायक िस होता ह वीयर को प करता ह कबज को न करता ह जठराि न तज होती ह मलबनध स िचरयौवन ा होता ह बाल सफद होन स कत ह

अपानवाय ऊधवरगित पाकर ाणवाय क सषमना म िव होता ह सहॐारचब म िच वि िःथर बनती ह इसस िशवपद का आननद िमलता ह सवर कार की िद य िवभितया और ऐ यर ा होत ह अनाहत नाद सनन को िमलता ह ाण अपान नाद और िबनद एकिऽत होन स योग म पणरता ा होती ह

उडडीयान बनध

आसन पर बठकर परा ास बाहर िनकाल द समपणरतया रचक कर पट को भीतर िसकोड़कर ऊपर की ओर खीच नािभ तथा आत पीठ की तरफ दबाय शरीर को थोड़ा सा आग की तरफ झकाय यह ह उडडीयानबनध

लाभः इसक अ यास स िचरयौवन ा होता ह मतय पर जय ा होती ह चयर क पालन म खब सहायता िमलती ह ःवाःथय सनदर बनता ह कायरशि म वि होती ह नयोिल और उडडीयानबनध जब एक साथ िकय जात ह तब कबज दम दबाकर भाग खड़ा होता ह पट क तमाम अवयवो की मािलश हो जाती ह पट की अनावयक चरबी उतर जाती ह

जालनधरबनध

आसन पर बठकर परक करक कमभक कर और ठोड़ी को छाती क साथ दबाय इसको जालनधरबनध कहत ह

लाभः जालनधरबनध क अ यास स ाण का सचरण ठीक स होता ह इड़ा और िपगला नाड़ी बनद होकर ाण-अपान सषमना म िव होत ह नािभ स अमत कट होता ह िजसका पान जठराि न करता ह योगी इसक ारा अमरता ा करता ह

प ासन पर बठ जाय परा ास बाहर िनकाल कर मलबनध उडडीयानबनध कर िफर खब परक करक मलबनध उडडीयानबनध और जालनधरबनध य तीनो बनध एक साथ कर आख बनद रख मन म णव (ॐ) का अथर क साथ जप कर

इस कार ाणायाम सिहत तीनो बनध का एक साथ अ यास करन स बहत लाभ होता ह और ायः चमतका रक प रणाम आता ह कवल तीन ही िदन क समयक अ यास स जीवन म बािनत का अनभव होन लगता ह कछ समय क अ यास स कवल या कवली कमभक ःवय कट होता ह

कवली कमभक

कवल या कवली कमभक का अथर ह रचक-परक िबना ही ाण का िःथर हो जाना िजसको कवली कमभक िस होता ह उस योगी क िलए तीनो लोक म कछ भी दलरभ नही रहता कणडिलनी जागत होती ह शरीर पतला हो जाता ह मख सनन रहता ह नऽ मलरिहत होत ह सवर रोग दर हो जात ह िबनद पर िवजय होती ह जठराि न विलत होती ह

कवली कमभक िस िकय हए योगी की अपनी सवर मनोकामनाय पणर होती ह इतना ही नही उसका पजन करक ौ ावान लोग भी अपनी मनोकामनाय पणर करन लगत ह

जो साधक पणर एकामता स िऽबनध सिहत ाणायाम क अ यास ारा कवली कमभक का प षाथर िस करता ह उसक भा य का तो पछना ही या उसकी यापकता

बढ़ जाती ह अनतर म महानता का अनभव होता ह काम बोध लोभ मोह मद और मतसर इन छः शऽओ पर िवजय ा होती ह कवली कमभक की मिहमा अपार ह

जलनित

िविधः एक िलटर पानी को गनगना सा गरम कर उसम करीब दस माम श नमक डालकर घोल द सनधव िमल जाय तो अचछा सबह म ःनान क बाद यह पानी चौड़ महवाल पाऽ म कटोर म लकर परो पर बठ जाय पाऽ को दोनो हाथो स पकड़ कर नाक क नथन पानी म डबो द अब धीर-धीर नाक क ारा ास क साथ पानी को भीतर खीच और नाक स भीतर आत हए पानी को मह स बाहर िनकालत जाय नाक को पानी म इस कार बराबर डबोय रख िजसस नाक ारा भीतर जानवाल पानी क साथ हवा न वश कर अनयथा आतरस-खासी आयगी

इस कार पाऽ का सब पानी नाक ारा लकर मख ारा बाहर िनकाल द अब पाऽ को रख कर खड़ हो जाय दोनो पर थोड़ खल रह दोनो हाथ कमर पर रखकर ास को जोर स बाहर िनकालत हए आग की ओर िजतना हो सक झक भिॐका क साथ यह िबया बार-बार कर इसस नाक क भीतर का सब पानी बाहर िनकल जायगा थोड़ा बहत रह भी जाय और िदन म कभी भी नाक स बाहर िनकल जाय तो कछ िचनताजनक नही ह

नाक स पानी भीतर खीचन की यह िबया ारमभ म उलझन जसी लगगी लिकन अ यास हो जान पर िबलकल सरल बन जायगा

लाभः मिःतक की ओर स एक कार का िवषला रस नीच की ओर बहता ह यह रस कान म आय तो कान क रोग होत ह आदमी बहरा हो जाता ह यह रस आखो की तरफ जाय तो आखो का तज कम हो जाता ह चम की ज रत पड़ती ह तथा अनय रोग होत ह यह रस गल की ओर जाय तो गल क रोग होत ह

िनयमपवरक जलनित करन स यह िवषला पदाथर बाहर िनकल जाता ह आखो की रोशनी बढ़ती ह चम की ज रत नही पड़ती चमा हो भी तो धीर-धीर नमबर कम होत-होत छट जाता भी जाता ह ासोचछोवास का मागर साफ हो जाता ह मिःतक म ताजगी रहती ह जकाम-सद होन क अवसर कम हो जात ह जलनित की िबया करन

स दमा टीबी खासी नकसीर बहरापन आिद छोटी-मोटी 1500 बीमी रया दर होती ह जलनित करन वाल को बहत लाभ होत ह िच म सननता बनी रहती ह

गजकरणी िविधः करीब दो िलटर पानी गनगना सा गरम कर उसम करीब 20 माम श

नमक घोल द सनधव िमल जाय तो अचछा ह अब पजो क बल बठकर वह पानी िगलास भर-भर क पीत जाय खब िपय अिधकाअिधक िपय पट जब िबलकल भर जाय गल तक आ जाय पानी बाहर िनकालन की कोिशश कर तब दािहन हाथ की दो बड़ी अगिलया मह म डाल कर उलटी कर िपया हआ सब पानी बाहर िनकाल द पट िबलकल हलका हो जाय तब पाच िमनट तक आराम कर

गजकरणी करन क एकाध घणट क बाद कवल पतली िखचड़ी ही भोजन म ल भोजन क बाद तीन घणट तक पानी न िपय सोय नही ठणड पानी स ःनान कर तीन घणट क बाद ारमभ म थोड़ा गरम पानी िपय

लाभः गजकरणी स एिसडीटी क रोगी को अदभत लाभ होता ह ऐस रोगी को चार-पाच िदन म एक बार गजकरणी चािहए ततप ात महीन म एक बार दो महीन म एक बार छः महीन म एक बार भी गजकरणी कर सकत ह

ातःकाल खाली पट तलसी क पाच-सात प चबाकर ऊपर स थोड़ा जल िपय एसीडीटी क रोगी को इसस बहत लाभ होगा

वष परान कबज क रोिगयो को स ाह म एक बार गजकरणी की िबया अवय करनी चािहए उनका आमाशय मिनथसःथान कमजोर हो जान स भोजन हजम होन म गड़बड़ रहती ह गजकरणी करन स इसम लाभ होता ह फोड़ फनसी िसर म गम सद बखार खासी दमा टीबी वात-िप -कफ क दोष िज ा क रोग गल क रोग छाती क रोग छाती का ददर एव मदाि न म गजकरणी िबया लाभकारक ह

शरीर शोधन-कायाकलप

यह चालीस िदन का कलप ह प यपाद आसारामजी बाप न यह योग िकया हआ ह इसस शरीर सडौल ःवःथ और फत ला बनता ह र म नय-नय कण बनत ह शरीर क कोषो की शि बढ़ती ह मन-बि म चमतका रक लाभ होत ह

िविधः अगल िदन पपीता सव आिद फल उिचत माऽा म ल अथवा मन का 50 माम दस घणट पहल िभगो द उनको उबालकर बीज िनकाल द मन का खा ल और पानी पी ल

ातःकाल उठकर सकलप कर िक इस कलप क दौरान िनि त िकय हए कायरबम क अनसार ही रहगा

शौच-ःनानािद िनतयकमर स िनव होकर सबह 8 बज 200 या 250 माम गाय का उबला हआ गनगना दध िपय पौन घणटा पणर आराम कर बाद म िफर स दध िपय शारी रक ौम कम स कम कर ॐ सोsह हसः इस मऽ का मानिसक जप कर कभी ास को िनहार बस साकषीभाव

मनोरा य चलता हो तो ॐ जोर-जोर स जप कर

इस कार शाम तक िजतना दध हजम कर सक उतना दध दो स तीन िलटर िपय 40 िदन तक कवल द धाहार क बाद 41व िदन मग का उबला हआ पानी मोसममी का रस आिद ल रािऽ को अिधक मगवाली हलकी िखचड़ी खाय इस कार शरीर-शोधन-कायाकलप की पणारहित कर

यिद बि तीकषण बनानी हो ःमरणशि बढ़ानी हो तो कलप क दौरान ॐ ऐ नमः इस मऽ का जप कर सयर को अ यर द

इस कलप म दध क िसवाय अनय कोई खराक लना मना ह चाय तमबाक आिद यसन िनिष ह ि यो क सग स दर रहना तथा चयर का पालन अतयनत आवयक ह

कलजग नही करजग ह यह

कलजग नही करजग ह यह यहा िदन को द अ रात ल

या खब सौदा नकद ह इस हाथ द उस हाथ ल टक

दिनया अजब बाज़ार ह कछ िजनस1 या िक साथ ल

नकी का बदला नक ह बद स बदी की बात ल

मवा िखला मवा िमल फल फल द फल पात ल

आराम द आराम ल दःख ददर द आफत2 ल 1

काटा िकसी को मत लगा गो िमःल-गल3 फला ह त

वह तर हक4 म तीर ह िकस बात पर झला ह त

मत आग म डाल और को या घास का पला ह त

सन ऱख यह नकता5 बखबर िकस बात पर भला ह त

कलजग नही 2

शोखी शरारत मकरो-फन6 सबका बसखा7 ह यहा

जो जो िदखाया और को वह खद भी दखा ह यहा

खोटी खरी जो कछ कही ितसका परखा8 ह यहा

जो जो पड़ा तलता ह मोल ितल ितल का लखा ह यहा

कलजग नही 3

जो और की बःती9 रख उसका भी बसता ह परा

जो और क मार छरी उसको भी लगता ह छरा

जो और की तोड़ घड़ी उसका भी टट ह घड़ा

जो और की चत10 बदी उसका भी होता ह बरा

कलजग नही 4

जो और को फल दवगा वह भी सदा फल पावगा

गह स गह जौ स जौ चावल स चावल पावगा

जो आज दवगा यहा वसा ही वह कल पावगा

कल दवगा कल पावगा िफर दवगा िफर पावगा

कलजग नही 5

जो चाह ल चल इस घड़ी सब िजनस यहा तयार ह

आराम म आराम ह आजार म आजार11 ह

दिनया न जान इसको िमया दरया की यह मझधार ह

औरो का बड़ा पार कर तरा भी बड़ा पार ह

कलजग नही 6

त और की तारीफ कर तझको सना वानी12 िमल

कर मिकल आसा औरो की तझको भी आसानी िमल

त और को महमान कर तझको भी महमानी िमल

रोटी िखला रोटी िमल पानी िपला पानी िमल

कलजग नही 7

जो गल13 िखलाव और का उसका ही गल िखलता भी ह

जो और का कील14 ह मह उसका ही मह िकलता भी ह

जो और का छील िजगर उसका िजगर िछलता भी ह

जो और को दव कपट उसको कपट िमलता भी ह

कलजग नही 8

कर जो कछ करना ह अब यह दम तो कोई आन15 ह

नकसान म नकसान ह एहसान म एहसान ह

तोहमत म यहा तोहमत िमल तफान म तफान ह

रहमान16 को रहमान17 ह शतान को शतान ह

कलजग नही 9

यहा जहर द तो जहर ल श कर म श कर दख ल

नको का नकी का मजा मजी18 को ट कर दख ल

मोती िदय मोती िमल पतथर म पतथर दख ल

गर तझको यह बावर19 नही तो त भी करक दख ल

कलजग नही 10

अपन नफ क वाःत मत और का नकसान कर

तरा भी नकसा होवगा इस बात पर त धयान कर

खाना जो खा सो दखकर पानी िपय तो छानकर

या पावो को रख फककर और खोफ स गजरान कर

कलजग नही 11

गफलत की यह जगह नही त सािहब-इदराक20 रह

िदलशाद21 ऱख िदल शाह रह गमनाक रख गमनाक रह

हर हाल म भी त नजीर22 अब हर कदम की रह

यह वह मका ह ओ िमया या पाक23 रह बबाक24 रह

कलजग नही 12

1 वःत 2 मसीबत 3 पप की तरह 4 तर िलय 5 रहःय 6 दगा-धोखा 7 घर 8 परखना 9 नगरी 10 िवचार कर 11 दःख 12 तारीफ-ःतित 13 फल 14 िकसी को बोलन न दना 15 घड़ी पल 16 दयावान 17 दयाल भगवान 18 सतान वाला 19 िव ास 20 तीो ा तज समझन वाला प ष 21 सननिच 22 किव का नाम ह 23 श पिवऽ 24 िनडर

  • आधयातमिक विदया क उदगाता
  • सवासथय क लिए मतर
  • परासताविक
  • बरहमचरय-रकषा का मनतर
  • आसनो की परकिया म आन वाल कछ शबदो की समझ
  • आवशयक निरदश
  • योगासन
    • पदमासन या कमलासन
    • सिदधासन
    • सरवागासन
    • हलासन
    • पवनमकतासन
    • मतसयासन
    • भजगासन
    • धनरासन
    • चकरासन
    • कटिपिणडमरदनासन
    • अरधमतसयनदरासन
    • योगमदरासन
    • गोरकषासन या भदरासन
    • मयरासन
    • वजरासन
    • सपतवजरासन
    • शवासन
    • पादपशचिमोततानासन
      • तरिबनध
        • मलबनध
        • उडडीयान बनध
        • जालनधरबनध
          • कवली कमभक
          • जलनति
          • गजकरणी
          • शरीर शोधन-कायाकलप
          • कलजग नही करजग ह यह
Page 11: अनुबम - || Home || HariOmGroup · िस होता है। िवशु नाड़ीतंऽ वालेयोगी के िवशु शरीर में

िस ासन

प ासन क बाद िस ासन का ःथान आता ह अलौिकक िसि या ा करन वाला होन क कारण इसका नाम िस ासन पड़ा ह िस योिगयो का यह िय आसन ह यमो म चयर ौ ह िनयमो म शौच ौ ह वस आसनो म िस ासन ौ ह

धयान आ ाचब म और ास दीघर ःवाभािवक

िविधः आसन पर बठकर पर खल छोड़ द अब बाय पर की एड़ी को गदा और जननिनिय क बीच रख दािहन पर की एड़ी को जननिनिय क ऊपर इस कार रख िजसस जननिनिय और अणडकोष क ऊपर दबाव न पड़ परो का बम बदल भी सकत ह दोनो परो क तलव जघा क मधय भाग म रह हथली ऊपर की ओर रह इस कार दोनो हाथ एक दसर क ऊपर गोद म रख अथवा दोनो हाथो को दोनो घटनो क ऊपर ानमिा म रख आख खली अथवा बनद रख ासोचछोवास आराम स ःवाभािवक चलन

द मधय म आ ाचब म धयान किनित कर पाच िमनट तक इस आसन का अ यास कर सकत ह धयान की उचच ककषा आन पर शरीर पर स मन की पकड़ छट जाती ह

लाभः िस ासन क अ यास स शरीर की समःत नािड़यो का शि करण होता ह ाणत व ःवाभािवकतया ऊधवरगित को ा होता ह फलतः मन को एकाम करना सरल बनता ह

पाचनिबया िनयिमत होती ह ास क रोग दय रोग जीणर वर अजीणर अितसार शबदोष आिद दर होत ह मदाि न मरोड़ा समहणी वातिवकार कषय दमा मधमह पलीहा की वि आिद अनक रोगो का शमन होता ह प ासन क अ यास स जो रोग दर होत ह व िस ासन क अ यास स भी दर होत ह

चयर-पालन म यह आसन िवशष प स सहायक होता ह िवचार पिवऽ बनत ह मन एकाम होता ह िस ासन का अ यासी भोग-िवलास स बच सकता ह 72 हजार नािड़यो का मल इस आसन क अ यास स दर होता ह वीयर की रकषा होती ह ःवपनदोष क रोगी को यह आसन अवय करना चािहए

योगीजन िस ासन क अ यास स वीयर की रकषा करक ाणायाम क ारा उसको मिःतक की ओर ल जात ह िजसस वीयर ओज तथा मधाशि म प रणत होकर िद यता का अनभव करता ह मानिसक शि यो का िवकास होता ह

कणडिलनी शि जागत करन क िलए यह आसन थम सोपान ह

िस ासन म बठकर जो कछ पढ़ा जाता ह वह अचछी तरह याद रह जाता ह िव ािथरयो क िलए यह आसन िवशष लाभदायक ह जठराि न तज होती ह िदमाग िःथर बनता ह िजसस ःमरणशि बढ़ती ह

आतमा का धयान करन वाला योगी यिद िमताहारी बनकर बारह वषर तक िस ासन का अ यास कर तो िसि को ा होता ह िस ासन िस होन क बाद अनय आसनो का कोई योजन नही रह जाता िस ासन स कवल या कवली कमभक िस होता ह छः मास म भी कवली कमभक िस हो सकता ह और ऐस िस योगी क दशरन-पजन स पातक न होत ह मनोकामना पणर होती ह िस ासन क ताप स िनब ज समािध िस हो जाती ह मलबनध उडडीयान बनध और जालनधर बनध अपन आप होन लगत ह

िस ासन जसा दसरा आसन नही ह कवली कमभक क समान ाणायाम नही ह खचरी मिा क समान अनय मिा नही ह और अनाहत नाद जसा कोई नाद नही ह

िस ासन महाप षो का आसन ह सामानय यि हठपवरक इसका उपयोग न कर अनयथा लाभ क बदल हािन होन की समभावना ह

सवागासन

भिम पर सोकर शरीर को ऊपर उठाया जाता ह इसिलए इसको सवागासन कहत ह

धयान िवश ा य चब म ास रचक परक और दीघर

िविधः भिम पर िबछ हए आसन पर िच होकर लट जाए ास को बाहर िनकाल कर अथारत रचक करक कमर तक क दोनो पर सीध और परःपर लग हए रखकर ऊपर उठाए िफर पीठ का भाग भी ऊपर उठाए दोनो हाथो स कमर को आधार द हाथ की कहिनया भिम स लग रह गरदन और कनध क बल परा शरीर ऊपर की और सीधा खड़ा कर द ठोडी छाती क साथ िचपक जाए दोनो पर आकाश की ओर रह ी दोनो परो क अगठो की ओर रह अथवा आख बनद करक िच वि को कणठदश म िवश ा य चब म िःथर कर परक करक ास को दीघर सामानय चलन द

इस आसन का अ य़ास ढ़ होन क बाद दोनो परो को आग पीछ झकात हए जमीन को लगात हए अनय आसन भी हो सकत ह सवागासन की िःथित म दोनो परो को जाघो पर लगाकर प ासन भी िकया जा सकता ह

ारमभ म तीन स पाच िमनट तक यह आसन कर अ यासी तीन घणट तक इस आसन का समय बढ़ा सकत ह

लाभः सवागासन क िनतय अ यास स जठराि न तज होती ह साधक को अपनी िच क अनसार भोजन की माऽा बढ़ानी चािहए सवागासन क अ यास स शरीर की तवचा लटकन नही लगती तथा शरीर म झ ररया नही पड़ती बाल सफद होकर िगरत नही हर रोज़ एक हर तक सवागासन का अ यास करन स मतय पर िवजय िमलती ह

शरीर म सामथयर बढ़ता ह तीनो दोषो का शमन होता ह वीयर की ऊधवरगित होकर अनतःकरण श होता ह मधाशि बढ़ती ह िचर यौवन की ाि होती ह

इस आसन स थायराइड नामक अनतःमिनथ की शि बढ़ती ह वहा र सचार तीो गित स होन लगता ह इसस उस पोषण िमलता ह थायराइड क रोगी को इस आसन स अदभत लाभ होता ह िलवर और पलीहा क रोग दर होत ह ःमरणशि बढ़ती ह मख पर स महास एव अनय दाग दर होकर मख तजःवी बनता ह जठर एव नीच उतरी हई आत अपन मल ःथान पर िःथर होती ह प षातन मिनथ पर सवागासन का अचछा भाव पड़ता ह ःवपनदोष दर होता ह मानिसक बौि क वि करन वालो को तथा िवशषकर िव ािथरयो को यह आसन अवय करना चािहए

मनदाि न अजीणर कबज अशर थायराइड का अलप िवकास थोड़ िदनो का अपनडीसाइिटस और साधारण गाठ अगिवकार असमय आया हआ व तव दमा कफ

चमड़ी क रोग र दोष ि यो को मािसक धमर की अिनयिमतता एव ददर मािसक न आना अथवा अिधक आना इतयािद रोगो म इस आसन स लाभ होता ह नऽ और मिःतक की शि बढ़ती ह उनक रोग दर होत ह

थायराइड क अित िवकासवाल खब कमजोर दयवाल और अतयिधक चब वाल लोगो को िकसी अनभवी की सलाह लकर ही सवागासन करना चािहए

शीषारसन करन स जो लाभ होता ह व सब लाभ सवागासन और पादपि मो ानसन करन स िमल जात ह शीषारसन म गफलत होन स जो हािन होती ह वसी हािन होन की सभावना सवागासन और पादपि मो ानासन म नही ह

हलासन

इस आसन म शरीर का आकार हल जसा बनता ह इसिलए इसको हलासन कहा जाता ह

धयान िवश ा या चब म ास रचक और बाद म दीघर

िविधः भिम पर िबछ हए आसन पर िच होकर लट जाए दोनो हाथ शरीर को लग रह अब रचक करक ास को बाहर िनकाल द दोनो परो को एक साथ धीर-धीर ऊच करत जाय आकाश की ओर पर उठाकर िफर पीछ िसर क तरफ झकाय पर िबलकल तन हए रखकर पज ज़मीन पर लगाय ठोड़ी छाती स लगी रह िच वि को िवश ा या चब म िःथर कर दो-तीन िमनट स लकर बीस िमनट तक समय की अविध बढ़ा सकत ह

लाभः हलासन क अ यास स अजीणर कबज अशर थायराइड का अलप िवकास अगिवकार असमय व तव दमा कफ र िवकार आिद दर होत ह इस आसन स िलवर अचछा होता ह छाती का िवकास होता ह सनिबया तज होकर ऑ सीजन स र श बनता ह गल क ददर पट की बीमारी सिधवात आिद दर होत ह पट की चरबी कम होती ह िसरददर दर होता ह वीयरिव कार िनमरल होता ह खराब िवचार बनद होत ह नाड़ी तऽ श होता ह शरीर बलवान और तजःवी बनता ह गिभरणी ि यो क िसवा हर एक को यह आसन करना चािहए

रीढ़ म कठोरता होना यह व ावःथा का िच ह हलासन स रीढ़ लचीली बनती ह इसस यवावःथा की शि ःफितर ःवाःथय और उतसाह बना रहता ह म दणड

समबनधी नािड़यो क ःवाःथय की रकषा होकर व ावःथा क लकषण जलदी नही आत जठर की नािड़यो को शि ा होती ह

जठर की मासपिशया तथा पाचनतऽ क अगो की नािड़यो की दबरलता क कारण अगर मदाि न एव कबज हो तो हलासन स दर होत ह कमर पीठ एव गरदन क रोग न होत ह िलवर और पलीहा बढ़ गए हो तो हलासन स सामानय अवःथा म आ जात ह काम कनि की शि बढ़ती ह अपानशि का उतथान होकर उदान पी अि न का योग होन स वीयरशि ऊधवरगामी बनती ह हलासन स वीयर का ःतभन होता ह यह आसन अणडकोष की वि पिनबयास अपिनड स आिद को ठीक करता ह थायराइड मिनथ की िबयाशीलता बढ़ती ह धयान करन स िवश चब जागत हो जाता ह

पवनम ासन

शरीर म िःथत पवन (वाय) यह आसन करन स म होता ह इसिलए इस पवनम ासन कहा जाता ह

धयान मिणपर चब म ास पहल परक िफर कमभक और रचक

िविधः भिम पर िबछ हए आसन पर िच होकर लट जाय परक करक फफड़ो म ास भर ल अब िकसी भी एक पर को घटन स मोड़ द दोनो हाथो की अगिलयो को

परःपर िमलाकर उसक ारा मोड़ हए घटनो को पकड़कर पट क साथ लगा द िफर िसर को ऊपर उठाकर मोड़ हए घटनो पर नाक लगाए दसरा पर ज़मीन पर सीधा रह इस िबया क दौरान ास को रोककर कमभक चाल रख िसर और मोड़ा हआ पर भिम पर पवरवत रखन क बाद ही रचक कर दोनो परो को बारी -बारी स मोड़कर यह िबया कर दोनो पर एक साथ मोड़कर भी यह आसन हो सकता ह

लाभः पवनम ासन क िनयिमत अ यास स पट की चरबी कम होती ह पट की वाय न होकर पट िवकार रिहत बनता ह कबज दर होता ह पट म अफारा हो तो इस आसन स लाभ होता ह ातःकाल म शौचिबया ठीक स न होती हो तो थोड़ा पानी पीकर यह आसन 15-20 बार करन स शौच खलकर होगा

इस आसन स ःमरणशि बढ़ती ह बौि क कायर करन वाल डॉ टर वकील सािहतयकार िव ाथ तथा बठकर वि करन वाल मनीम यापारी आिद लोगो को िनयिमत प स पवनम ासन करना चािहए

मतःयासन

मतःय का अथर ह मछली इस आसन म शरीर का आकार मछली जसा बनता ह अतः मतःयासन कहलाता ह पलािवनी ाणायाम क साथ इस आसन की िःथित म लमब समय तक पानी म तर सकत ह

धयान िवश ा या चब म ास पहल रचक बिहकर मभक िफर परक और रचक

िविधः भिम पर िबछ हए आसन पर प ासन लगाकर सीध बठ जाय िफर परो को प ासन की िःथित म ही रखकर हाथ क आधार स सावधानी पवरक पीछ की ओर िच होकर लट जाय रचक करक कमर को ऊपर उठाय घटन िनतब और मःतक क िशखा ःथान को भिम क ःथान लगाय रख िशखाःथान क नीच कोई नरम कपड़ा

अवय रख बाय हाथ स दािहन पर का अगठा और दािहन हाथ स बाय पर का अगठा पकड़ दोनो कहिनया ज़मीन को लगाय रख कमभक की िःथित म रहकर ि को पीछ की ओर िसर क पास ल जान की कोिशश कर दात दब हए और मह बनद रख एक िमनट स ारमभ करक पाच िमनट तक अ यास बढ़ाय िफर हाथ खोलकर कमर भिम को लगाकर िसर ऊपर उठाकर बठ जाय परक करक रचक कर

पहल भिम पर लट कर िफर प ासन लगाकर भी मतःयासन हो सकता ह

लाभः मतःयासन स परा शरीर मजबत बनता ह गला छाती पट की तमाम बीमा रया दर होती ह आखो की रोशनी बढ़ती ह गला साफ रहता ह सनिबया ठीक स चलती ह कनधो की नस उलटी मड़ती ह इसस छाती व फफड़ो का िवकास होता ह पट साफ रहता ह आतो का मल दर होता ह र ािभसरण की गित बढ़ती ह फलतः चमड़ी क रोग नही होत दमा और खासी दर होती ह छाती चौड़ी बनती ह पट की चरबी कम होती ह इस आसन स अपानवाय की गित नीच की ओर होन स मलावरोध दर होता ह थोड़ा पानी पीकर यह आ सन करन स शौच-शि म सहायता िमलती ह

मतःयासन स ि यो क मािसकधमर समबनधी सब रोग दर होत ह मािसकॐाव िनयिमत बनता ह

भजगासन

इस आसन म शरीर की आकित फन उठाय हए भजग अथारत सपर जसी बनती ह इसिलए इसको भजगासना कहा जाता ह

धयान िवश ा या चब म ास ऊपर उठात व परक और नीच की ओर जात समय रचक

िविधः भिम पर िबछ हए कमबल पर पट क बल उलट होकर लट जाय दोनो पर और पज परःपर िमल हए रह परो क अगठो को पीछ की ओर खीच दोनो हाथ िसर क तरफ लमब कर द परो क अगठ नािभ छाती ललाट और हाथ की हथिलया भिम पर एक सीध म रख

अब दोनो हथिलयो को कमर क पास ल जाय िसर और कमर ऊपर उठाकर िजतना हो सक उतन पीछ की ओर मोड़ नािभ भिम स लगी रह पर शरीर का वजन हाथ क पज पर आएगा शरीर की िःथित कमान जसी बनगी म दणड क आिखरी भाग पर दबाव किनित होगा िच वि को कणठ म और ि को आकाश की तरफ िःथर कर

20 सकणड तक यह िःथित रख बाद म धीर-धीर िसर को नीच ल आय छाती भिम पर रख िफर िसर को भिम स लगन द आसन िस हो जान क बाद आसन करत समय ास भरक कमभक कर आसन छोड़त समय मल िःथित म आन क बाद ास को खब धीर-धीर छोड़ हर रोज एक साथ 8-10 बार यह आसन कर

लाभः घरड सिहता म इसका लाभ बतात हए कहा ह - भजगासन स जठराि न दी होती ह सवर रोगो का नाश होता ह और कणडिलनी जागत होती ह

म दणड क तमाम मनको को तथा गरदन क आसपास वाल ःनायओ को अिधक श र िमलता ह फलतः नाड़ी तऽ सचत बनता ह िचरजीवी शि मान एव स ढ़ बनता ह िवशषकर मिःतक स िनकलन वाल ानतत बलवान बनत ह पीठ की हिडडय़ो म रहन वाली तमाम खरािबया दर होती ह पट क ःनाय म िखचाव आन स वहा क अगो को शि िमलती ह उदरगहा म दबाव बढ़न स कबज दर होता ह छाती और पट का िवकास होता ह तथा उनक रोग िमट जात ह गभारशय एव बोनाशय अचछ बनत ह फलतः मािसकॐाव क रिहत होता ह मािसक धमर समबनधी समःत िशकायत दर होती ह अित ौम करन क कारण लगन वाली थकान दर होती ह भोजन क बाद होन वाल वाय का ददर न होता ह शरीर म ःफितर आती ह कफ-िपतवालो क िलए यह आसन लाभदायी ह भजगासन करन स दय मजबत बनता ह मधमह और उदर क

रोगो स मि िमलती ह दर अित मािसकॐाव तथा अलप मािसकॐाव जस रोग दर होत ह

इस आसन स म दणड लचीला बनता ह पीठ म िःथत इड़ा और िपगला नािड़यो पर अचछा भाव पड़ता ह कणडिलनी शि जागत करन क िलय यह आसन सहायक ह अमाशय की मासपिशयो का अचछा िवकास होता ह थकान क कारण पीठ म पीड़ा होती हो तो िसफर एक बार ही यह आसन करन स पीड़ा दर होती ह म दणड की कोई हडडी ःथान हो गई हो तो भजगासन करन स यथाःथान म वापस आ जाती ह

धनरासन

इस आसन म शरीर की आकित खीच हए धनष जसी बनती ह अतः इसको धनरासन कहा जाता ह

धयान मिणपर चब म ास नीच की िःथित म रचक और ऊपर की िःथित म परक

िविधः भिम पर िबछ हए कमबल पर पट क बल उलट होकर लट जाय दोनो पर परःपर िमल हए रह अब दोनो प रो को घटनो स मोड़ दोनो हाथो को पीछ ल जाकर दोनो परो को टखनो स पकड़ रचक करक हाथ स पकड़ हए परो को कसकर धीर -धीर खीच िजतना हो सक उतना िसर पीछ की ओर ल जान की कोिशश कर ि भी ऊपर एव पीछ की ओर रहनी चािहए समम शरीर का बोझ कवल नािभदश क ऊपर ही रहगा कमर स ऊपर का धड़ एव कमर स नीच पर पर ऊपर की ओर मड़ हए रहग

कमभक करक इस िःथित म िटक रह बाद म हाथ खोलकर पर तथा िसर को मल अवःथा म ल जाय और परक कर ारभ म पाच सकणड यह आसन कर धीर-धीर समय बढ़ाकर तीन िमनट या उसस भी अिधक समय इस आसन का अ यास कर तीन-चार बार यह आसन करना चािहए

लाभः धनरासन क अ यास स पट की चरबी कम होती ह गस दर होती ह पट को रोग न होत ह कबज म लाभ होता ह भख खलती ह छाती का ददर दर होता ह दय की धडकन मजबत बनती ह ास िक िबया यविःथत चलती ह मखाकित सदर बनती ह आखो की रोशनी बढ़ती ह और तमाम रोग दर होत ह हाथ -पर म होन वाला कपन कता ह शरीर का सौनदयर बढ़ता ह पट क ःनायओ म िखचाव आन स पट को अचछा लाभ होता ह आतो पर खब दबाव पड़न स पट क अगो पर भी दबाव पड़ता ह फलतः आतो म पाचकरस आन लगता ह इसस जठराि न तज होती ह पाचनशि बढ़ती ह वायरोग न होता ह पट क कषऽ म र का सचार अिधक होता ह धनरासन म भजगासन और शलभासन का समावश हो जान क कारण इन दोनो आसनो क लाभ िमलत ह ि यो क िलए यह आसन खब लाभकारक ह इसस मािसक धमर क िवकार गभारशय क तमाम रोग दर होत ह

चबासन

इस आसन म शरीर की आकित चब जसी बनती ह अतः चबासन कहा जाता ह

धयान मिणपर चब म ास दीघर ःवाभािवक

िविधः भिम पर िबछ हए आसन पर िच होकर लट जाय घटनो स पर मोड़ कर ऊपर उठाय पर क तलव ज़मीन स लग रह दो परो क बीच करीब डढ़ फीट का अनतर रख दोनो हाथ मःतक की तरफ उठाकर पीछ की ओर दोनो हथिलयो को ज़मीन पर जमाय दोनो हथिलयो क बीच भी करीब डढ़ फीट का अनतर रख अब हाथ और पर क बल स पर शरीर को कमर स मोड़कर ऊपर उठाय हाथ को धीर-धीर पर की ओर ल जाकर ःमपशर शरीर का आकार व या चब जसा बनाय आख बनद रख ास की गित ःवाभािवक चलन द िच वि मिणपर चब (नािभ कनि) म िःथर कर आख खली भी रख सकत ह एक िमनट स पाच िमनट तक अ यास बढ़ा सकत ह

लाभः म दणड तथा शरीर की समःत नािड़यो का शि करण होकर यौिगक चब जागत होत ह लकवा तथा शरीर की कमजो रया दर होती ह मःतक गदरन पीठ पट

कमर हाथ पर घटन आिद सब अग मजबत बनत ह सिनध ःथानो ददर नही होता पाचनशि बढ़ती ह पट की अनावयक चरबी दर होती ह शरीर तजःवी और फत ला बनता ह िवकारी िवचार न होत ह ःवपनदोष की बीमारी अलिवदा होती ह चबासन क िनयिमत अ यास स व ावःथा म कमर झकती नही शरीर सीधा तना हआ रहता ह

किटिपणडमदरनासन

इस आसन म किटदश (कमर क पास वाल भाग) म िःथत िपणड अथारत मऽिपणड का मदरन होता ह इसस यह आसन किटिपणडमदरनासन कहलाता ह

धयान ःवािध ान चब म ास परक और कमभक

िविधः िबछ हए कमबल पर पीठ क बल िच होकर लट जाय दोनो हाथो को आमन-सामन फला द मि ठया बनद रख दोनो परो को घटनो स मोड़कर खड़ कर द पर क तलव ज़मीन स लग रह दोनो परो क बीच इतना अनतर रख िक घटनो को ज़मीन पर झकान स एक पर का घटना दसर पर की एड़ी को लग िसर दायी ओर मड़ तो दोनो घटन दािहनी ओर ज़मीन को लग इस कार 15-20 बार िबया कर इस कार दोनो परो को एक साथ रखकर भी िबया कर

लाभः िजसको पथरी की तकलीफ हो उस आौम (सत ौी आसारामजी आौम साबरमित अमदावाद-5) स िबना मलय िमलती काली भःम करीब डढ़ माम भोजन स आधा घणटा पवर और भोजन क बाद एक िगलास पानी क साथ लना चािहए और यह आसन भख पट ठीक ढग स करना चािहए इसस पथरी क ददर म लाभ होता ह पथरी टकड़ -टकड़ होकर मऽ क ारा बाहर िनकलन लगती ह मऽिवकार दर होता ह कमर ददर साइिटका रीढ़ की हडडी की जकड़न उदासीनता िनराशा डायािबटीज नपसकता गस पर की गाठ इतयािद रोगो म शीय लाभ होता ह नािभ ःथान स चयत हो जाती हो तो पनः अपन ःथान म आ जाती ह

मािसक धमर क समय एव गभारवःथा म ि या यह आसन न कर कबज का रोगी सबह शौच जान स पहल उषःपान करक यह आसन कर तो चमतका रक लाभ होता ह ास को अनदर भर क पट को फलाकर यह आसन करन स कबज जलदी दर होता ह

अधरमतःयनिासन

कहा जाता ह िक मतःयनिासन की रचना गोरखनाथ क ग ःवामी मतःयनिनाथ न की थी व इस आसन म धयान िकया करत थ मतःयनिासन की आधी िबयाओ को लकर अधरमतःयनिासन चिलत हआ ह

धयान अनाहत चब म ास दीघर

िविधः दोनो परो को लमब करक आसन पर बठ जाओ बाय पर को घटन स मोड़कर एड़ी गदा ार क नीच जमाय पर क तलव को दािहनी जघा क साथ लगा द अब दािहन पर को घटन स मोड़कर खड़ा कर द और बाय पर की जघा स ऊपर ल जात हए जघा क पीछ ज़मीन क ऊपर ऱख द आसन क िलए यह पवरभिमका तयार हो गई

अब बाय हाथ को दािहन पर क घटन स पार करक अथारत घटन को बगल म दबात हए बाय हाथ स दािहन पर का अ गठा पकड़ धड़ को दािहनी ओर मोड़ िजसस दािहन पर क घटन क ऊपर बाय कनध का दबाव ठीक स पड़ अब दािहना हाथ पीठ क पीछ स घमाकर बाय पर की जाघ का िनमन भाग पकड़ िसर दािहनी ओर इतना घमाय िक ठोड़ी और बाया कनधा एक सीधी रखा म आ जाय छाती िबलकल तनी हई रख नीच की ओर झक नही िच वि नािभ क पीछ क भाग म िःथत मिणपर चब म िःथर कर

यह एक तरफ का आसन हआ इसी कार पहल दािहना पर मोड़कर एड़ी गदा ार क नीच दबाकर दसरी तरफ का आसन भी कर ारमभ म पाच सकणड य ह आसन करना पयार ह िफर अ यास बढ़ाकर एक एक तरफ एक एक िमनट तक आसन कर सकत ह

लाभः अधरमतःयनिासन स म दणड ःवःथ रहन स यौवन की ःफितर बनी रहती ह रीढ़ की हिडडयो क साथ उनम स िनकलन वाली नािडयो को भी अचछी कसरत िमल जाती ह पट क िविभनन अगो को भी अचछा लाभ होता ह पीठ पट क नल पर गदरन

हाथ कमर नािभ स नीच क भाग एव छाती की नािड़यो को अचछा िखचाव िमलन स उन पर अचछा भाव पड़ता ह फलतः बनधकोष दर होता ह जठराि न तीो होती ह िवकत यकत पलीहा तथा िनिबय व क क िलए यह आसन लाभदायी ह कमर पीठ और सिनधःथानो क ददर जलदी दर हो जात ह

योगमिासन

योगा यास म यह मिा अित मह वपणर ह इसस इसका नाम योगमिासन रखा गया ह

धयान मिणपर चब म ास रचक कमभक और परक

िविधः प ासन लगाकर दोनो हाथो को पीठ क पीछ ल जाय बाय हाथ स दािहन हाथ की कलाई पकड़ दोनो हाथो को खीचकर कमर तथा रीढ़ क िमलन ःथान पर ल जाय अब रचक करक कमभक कर ास को रोककर शरीर को आग झकाकर भिम पर टक द िफर धीर-धीर िसर को उठाकर शरीर को पनः सीधा कर द और परक कर ारभ म यह आसन किठन लग तो सखासन या िस ासन म बठकर कर पणर लाभ तो प ासन म बठकर करन स ही होता ह पाचनतनऽ क अगो की ःथान ता ठीक करन क िलए यिद यह आसन करत हो तो कवल पाच-दस सकणड तक ही कर एक बठक म तीन स पाच बार सामानयतः यह आसन तीन िमनट तक करना चािहए आधयाितमक उ य स योगमिासन करत हो तो समय की अविध िच और शि क अनसार बढ़ाय

लाभः योगमिासन भली कार िस होता ह तब कणडिलिन शि जागत होती ह पट की गस की बीमारी दर होती ह पट एव आतो की सब िशकायत दर होती ह कलजा फफड़ आिद यथा ःथान रहत ह दय मजबत बनता ह र क िवकार दर होत

ह क और यौनिवकार न होत ह पट बड़ा हो तो अनदर दब जाता ह शरीर मजबत बनता ह मानिसक शि बढ़ती ह

योगमिासन स उदरपटल सश बनता ह पट क अगो को अपन ःथान िटक रहन म सहायता िमलती ह नाड़ीतऽ और खास करक कमर क नाड़ी मणडल को बल िमलता ह

इस आसन म सामनयतः जहा एिड़या लगती ह वहा कबज क अग होत ह उन पर दबाव पड़न स आतो म उ जना आती ह पराना कबज दर होता ह अगो की ःथान ता क कारण होन वाला कबज भी अग अपन ःथान म पनः यथावत िःथत हो जान स न हो जाता ह धात की दबरलता म योगमिासन खब लाभदायक ह

गोरकषासन या भिासन

धयान मलाधार चब म ास थम िःथित म परक और दसरी िःथित म कमभक

िविधः िबछ हए आसन पर बठ जाय दािहना पर घटन स मोड़कर एड़ी सीवन (उपःथ और गदा क मधय) क दािहन भाग म और बाया पर मोड़कर एड़ी सीवन क बाय भाग म इस कार रख िक दोनो पर क तलव एक दसर को लगकर रह

रचक करक दोनो हाथ सामन ज़मीन पर टककर शरीर को ऊपर उठाय और दोनो पर क पजो पर इस कार बठ िक शरीर का वजन एड़ी क मधय भाग म आय अगिलयो वाला भाग छटा रह अब परक करत -करत दोनो हाथो की हथिलयो को घटनो पर रख

अनत म कमभक करक ठोड़ी छाती पर दबाय िच वि मलाधार चब म और ि भी उसी िदशा म लगाय बमशः अ यास बढ़ाकर दसक िमनट तक यह आसन कर

लाभः इस आसन क अ यास स पर क सब सिनध ःथान तथा ःनाय सश बनत ह वाय ऊधवरगामी होकर जठराि न दी करता ह िदनो िदन जड़ता न होन लगती ह शरीर पतला होता ह सकलपबल बढ़ता ह बि तीकषण होती ह कलपनाशि का िवकास होता ह ाणापान की एकता होती ह नादोतपि होन लगती ह िबनद िःथर होकर िच की चचलता कम होती ह आहार का सपणरतया पाचन हो जान क कारण मलमऽ अलप होन लगत ह शरीर शि होन लगती ह तन म ःफितर एव मन म सननता अपन आप कट होती ह ःनाय स ढ़ बनत ह धातकषय गस मधमह ःवपनदोष अजीणर कमर का ददर गदरन की दबरलता बनधकोष मनदाि न िसरददर कषय

दयरोग अिनिा दमा मछाररोग बवासीर आऽपचछ पाणडरोग जलोदर भगनदर कोढ़ उलटी िहचकी अितसार आव उदररोग नऽिवकार आिद अस य रोगो म इस आसन स लाभ होत ह

मयरासन

इस आसन म मयर अथारत मोर की आकित बनती ह इसस इस मयरासन कहा जाता ह

धयान मिणपर चब म ास बा कमभक

िविधः जमीन पर घटन िटकाकर बठ जाय दोनो हाथ की हथिलयो को जमीन पर इस कार रख िक सब अगिलया पर की िदशा म हो और परःपर लगी रह दोनो कहिनयो को मोड़कर पट क कोमल भाग पर नािभ क इदरिगदर रख अब आग झककर दोनो पर को पीछ की लमब कर ास बाहर िनकाल कर दोनो पर को जमीन स ऊपर उठाय और िसर का भाग नीच झकाय इस कार परा शरीर ज़मीन क बराबर समानानतर रह ऐसी िःथित बनाय सपणर शरीर का वजन कवल दो हथिलयो पर ही

रहगा िजतना समय रह सक उतना समय इस िःथित म रहकर िफर मल िःथित म आ जाय इस कार दो-तीन बार कर

लाभः मयरासन करन स चयर-पालन म सहायता िमलती ह पाचन तऽ क अगो की र का वाह अिधक बढ़न स व अग बलवान और कायरशील बनत ह पट क भीतर क भागो म दबाव पड़न स उनकी शि बढ़ती ह उदर क अगो की िशिथलता और मनदाि न दर करन म मयरासन बहत उपयोगी ह

वळासन

वळासन का अथर ह बलवान िःथित पाचनशि वीयरशि तथा ःनायशि दन वाला होन स यह आसन वळासन कहलाता ह

धयान मलाधार चब म और ास दीघर

िविधः िबछ हए आसन पर दोनो परो को घटनो स मोड़कर एिड़यो पर बठ जाय पर क दोनो अगठ परःपर लग रह पर क तलवो क ऊपर िनतमब रह कमर और पीठ िबलकल सीधी रह दोनो हाथ को कहिनयो स मोड़ िबना घटनो पर रख द हथिलया नीच की ओर रह ि सामन िःथर कर द

पाच िमनट स लकर आध घणट तक वळासन का अ यास कर सकत ह वळासन लगाकर भिम पर लट जान स स वळासन होता ह

लाभः वळासन क अ यास स शरीर का मधयभाग सीधा रहता ह ास की गित मनद पड़न स वाय बढ़ती ह आखो की योित तज होती ह वळनाड़ी अथारत वीयरधारा नाड़ी मजबत बनती ह वीयर की ऊधवरगित होन स शरीर वळ जसा बनता ह लमब समय तक सरलता स यह आसन कर सकत ह इसस मन की चचलता दर होकर यि िःथर बि वाला बनता ह शरीर म र ािभसरण ठीक स होकर शरीर िनरोगी एव सनदर बनता ह

भोजन क बाद इस आसन स बठन स पाचन शि तज होती ह कबज दर होती ह भोजन जलदी ह म होता ह पट की वाय का नाश होता ह कबज दर होकर पट क तमाम रोग न होत ह पाणडरोग स मि िमलती ह रीढ़ कमर जाघ घटन और परो म शि बढ़ती ह कमर और पर का वाय रोग दर होता ह ःमरणशि म वि होती ह ि यो क मािसक धमर की अिनयिमतता जस रोग दर होत ह शबदोष वीयरदोष घटनो का ददर आिद का नाश होता ह ःनाय प होत ह ःफितर बढ़ान क िलए एव मानिसक िनराशा दर कर न क िलए यह आसन उपयोगी ह धयान क िलय भी यह आसन उ म ह इसक अ यास स शारी रक ःफितर एव मानिसक सननता कट होती ह िदन-ितिदन शि का सचय होता ह इसिलए शारी रक बल म खब वि होती ह काग का िगरना अथारत गल क टािनसलस हिडडयो क पोल आिद ःथानो म उतपनन होन वाल तकण की स या म वि होन स आरो य का साा य ःथािपत होता ह िफर यि

बखार स िसरददर स कबज स मदाि न स या अजीणर जस छोट-मोट िकसी भी रोग स पीिड़त नही रहता योिक रोग आरो य क साा य म िव होन का साहस ही नही कर पात

स वळासन

धयान िवश ा याचब म ास दीघर सामानय

िविधः वळासन म बठन क बाद िच होकर पीछ की ओर भिम पर लट जाय दोनो जघाए परःपर िमली रह अब रचक करत बाय हाथ का खला पजा दािहन कनध क नीच इस कार रख िक मःतक दोनो हाथ क बास क ऊपर आय रचक परा होन पर िऽबनध कर ि मलाधार चब की िदशा म और िच वि मलाधार चब म ःथािपत कर

लाभः यह आसन करन म ौम बहत कम ह और लाभ अिधक होता ह इसक अ यास स सषमना का मागर अतयनत सरल होता ह कणडिलनी शि सरलता स ऊधवरगमन कर सकती ह

इस आसन म धयान करन स म दणड को सीधा करन का ौम नही करना पड़ता और म दणड को आराम िमलता ह उसकी काय़रशि बल बनती ह इस आसन का अ यास करन स ायः तमाम अतःॐावी मिनथयो को जस शीषरःथ मिनथ कणठःथ मिनथ मऽिपणड की मनथी ऊधवरिपणड तथा प षाथर मिनथ आिद को पि िमलती ह फलतः यि का भौितक एव आधयाितमक िवकास सरल हो जाता ह तन-मन का ःवाःथय भावशाली बनता ह जठराि न दी होती ह मलावरोध की पीडा दर होती ह धातकषय ःवपनदोष पकषाघात पथरी बहरा होना तोतला होना आखो की दबरलता गल क टािनसल ासनिलका का सजन कषय दमा ःमरणशि की दबरलता आिद रोग दर होत ह

शवासन

शवासन की पणारवःथा म शरीर क तमाम अग एव मिःतक पणरतया च ा रिहत िकय जात ह यह अवःथा शव (मद) जसी होन स इस आसन को शवासन कहा जाता ह

िविधः िबछ हए आसन पर िच होकर लट जाय दोनो परो को परःपर स थोड़ अलग कर द दोनो हाथ भी शरीर स थोड़ अलग रह इस कार परो की ओर फला द हाथ की हथिलया आकाश की तरफ खली रख िसर सीधा रह आख बनद

मानिसक ि स शरीर को पर स िसर तक दखत जाय पर शरीर को मद की तरह ढीला छोड़ द हर एक अग को िशिथल करत जाय

शरीर म समपणर िवौाम का अनभव कर मन को भी बा ा िवषयो स हटाकर एकाम कर बारी-बारी स हर एक अग पर मानिसक ि एकाम करत हए भावना कर िक वह अग अब आराम पा रहा ह मरी सब थकान उतर रही ह इस कार भावना करत-करत सब ःनायओ को िशिथल होन द शरीर क एक भी अग म कही भी तनाव (टनशन) न रह िशिथलीकरण की िबया म पर स ारमभ करक िसर तक जाय अथवा िसर स ारमभ करक पर तक भी जा सकत ह अनत म जहा स ारमभ िकया हो वही पनः पहचना चािहय िशिथलीकरण की िबया स शरीर क तमाम अगो का एव ानततओ को िवौाम की अवःथा म ला दना ह

शवासन की दसरी अवःथा म ासोचछोवास पर धयान दना ह शवासन की यही म य िबया ह िवशषकर योग साधको क िलए वह अतयनत उपयोगी ह कवल शारी रक ःवाःथय क िलय थम भिमका पयार ह

इसम ास और उचछवास की िनयिमतता दीघरता और समानता ःथािपत करन का लकषय ह ास िनयिमत चल लमबा और गहरा चल ास और उचछवास एक समान रह तो मन को एकाम करन की शि ा होती ह

शवासन यिद ठीक ढग स िकया जाए तो नाड़ीतऽ इतना शात हो जाता ह िक अ यासी को नीद आन लगती ह लिकन धयान रह िनिनित न होकर जामत रहना आवयक ह

अनय आसन करन क बाद अगो म जो तनाव (टनशन) पदा होता ह उसको िशिथल करन क िलय अत म 3 स 5 िमनट तक शवासन करना चािहए िदनभर म अनकलता क अनसार दो-तीन बार शवासन कर सकत ह

लाभः शवासन क ारा ःनाय एव मासपिशयो म िशिथलीकरण स शि बढ़ती ह अिधक कायर करन की यो यता उसम आती ह र वाहिनयो म िशराओ म र वाह तीो

होन स सारी थकान उतर जाती ह नाड़ीतऽ को बल िमलता ह मानिसक शि म वि होती ह

र का दबाव कम करन क िलए नाड़ीतऽ की दबरलता एव उसक कारण होन वाल रोगो को दर करन क िलय शवासन खब उपयोगी ह

पादपि मो ानासन

यह आसन करना किठन ह इसस उमासन कहा जाता ह उम का अथर ह िशव भगवान िशव सहारक ार ह अतः उम या भयकर ह िशवसिहता म भगवान िशव न म कणठ स शसा करत हए कहा हः यह आसन सवरौ आसन ह इसको य पवरक ग रख िसफर अिधका रयो को ही इसका रहःय बताय

धयान मिणपर चब म ास थम िःथित म परक और दसरी िःथित म रचक और िफर बिहकर मभक

िविधः िबछ हए आसन पर बठ जाय दोनो परो को लमब फला द दोनो परो की जघा घटन पज परःपर िमल रह और जमीन क साथ लग रह परो की अगलया घटनो की तरफ झकी हई रह अब दोनो हाथ लमब कर दािहन हाथ की तजरनी और अगठ स दािहन पर का अगठा और बाय हाथ की तजरनी और अगठ स बाय पर का अगठा पकड़ अब रचक करत-करत नीच झक और िसर को दोनो घटनो क मधय म रख ललाट घटन को ःपशर कर और घटन ज़मीन स लग रह रचक परा होन पर कमभक कर ि एव िच वि को मिणपर चब म ःथािपत कर ारमभ म आधा िमनट करक बमशः 15 िमनट तक यह आसन करन का अ यास बढ़ाना चािहय थम दो-चार िदन किठन लगगा लिकन अ यास हो जान पर यह आसन सरल हो जाएगा

लाभः पादपि मो नासन म समयक अ यास स सषमना का मख खल जाता ह और ाण म दणड क मागर म गमन करता ह फलतः िबनद को जीत सकत ह िबनद को जीत िबना न समािध िस होती ह न वाय िःथर होता ह न िच शात होता ह

जो ी-प ष काम िवकार स अतयत पीिड़त हो उनह इस आसन का अ यास करना चािहए इसस शारी रक िवकार दब जात ह उदर छाती और म दणड को उ म कसरत िमलती ह अतः व अिधक कायरकषम बनत ह हाथ पर तथा अनय अगो क सिनध ःथान मजबत बनत ह शरीर क सब तऽ बराबर कायरशील होत ह रोग माऽ का नाश होकर ःवाःथय़ का साा य ःथािपत होता ह

इस आसन क अ यास स मनदाि न मलावरोध अजीणर उदररोग किमिवकार सद वातिवकार कमर का ददर िहचकी कोढ़ मऽरोग मधमह पर क रोग ःवपनदोष वीयरिवकार र िवकार एपनडीसाइिटस अणडवि पाणडरोग अिनिा दमा ख टी डकार आना ानतनत की दबरलता बवासीर नल की सजन गभारशय क रोग अिनयिमत तथा क दायक मािसक बनधयतव दर नपसकता र िप िसरोवदना बौनापन आिद अनक रोग दर होत ह पट पत ला बनता ह जठराि न दी होती ह कफ और चरबी न होत ह

िशवसिहता म कहा ह िक इस आसन स वाय ीपन होता ह और वह मतय का नाश करता ह इस आसन स शरीर का कद बढ़ता ह शरीर म अिधक ःथलता हो तो कम होती ह दबरलता हो तो वह दर होकर शरीर सामानय तनद ःत अवःथा म आ जाता ह नाडी सःथान म िःथरता आती ह मानिसक शाित ा होती ह िचनता एव उ जना शात करन क िलए यह आसन उ म ह पीठ और म दणड पर िखचाव आन स दोनो िवकिसत होत ह फलतः शरीर क तमाम अवयवो पर अिधकार ःथािपत होता ह सब आसनो म यह आसन सवर धान ह इसक अ यास स कायाकलप (प रवतरन) हो जाता ह

यह आसन भगवान िशव को बहत पयारा ह उनकी आ ा स योगी गोरखनाथ न लोककलयाण हत इसका चार िकया ह आप इस आसन क अदभत लाभो स लाभािनवत हो और दसरो को भी िसखाय

पादपि मो ानासन प यपाद आसारामजी बाप को भी बहत पयारा ह उसस प यौी को बहत लाभ हए ह अभी भी यह आसन उनक आरो यिनिध का रकषक बना हआ ह

पाठक भाइयो आप अवय इस आसन का लाभ लना ारमभ क चार-पाच िदन जरा किठन लगगा बाद म तो यह आसन आपका िशवजी क वरदान प आरो य कवच िस हए िबना नही रहगा

िऽबनध

मलबनध

शौच ःनानािद स िनव होकर आसन पर बठ जाय बायी एड़ी क ारा सीवन या योिन को दबाय दािहनी एड़ी सीवन पर रख गदा ार को िसकोड़कर भीतर की ओर ऊपर खीच यह मलबनध कहा जाता ह

लाभः मलबनध क अ यास स मतय को जीत सकत ह शरीर म नयी ताजगी आती ह िबगड़त हए ःवाःथय की रकषा होती ह चयर का पालन करन म मलबनध सहायक िस होता ह वीयर को प करता ह कबज को न करता ह जठराि न तज होती ह मलबनध स िचरयौवन ा होता ह बाल सफद होन स कत ह

अपानवाय ऊधवरगित पाकर ाणवाय क सषमना म िव होता ह सहॐारचब म िच वि िःथर बनती ह इसस िशवपद का आननद िमलता ह सवर कार की िद य िवभितया और ऐ यर ा होत ह अनाहत नाद सनन को िमलता ह ाण अपान नाद और िबनद एकिऽत होन स योग म पणरता ा होती ह

उडडीयान बनध

आसन पर बठकर परा ास बाहर िनकाल द समपणरतया रचक कर पट को भीतर िसकोड़कर ऊपर की ओर खीच नािभ तथा आत पीठ की तरफ दबाय शरीर को थोड़ा सा आग की तरफ झकाय यह ह उडडीयानबनध

लाभः इसक अ यास स िचरयौवन ा होता ह मतय पर जय ा होती ह चयर क पालन म खब सहायता िमलती ह ःवाःथय सनदर बनता ह कायरशि म वि होती ह नयोिल और उडडीयानबनध जब एक साथ िकय जात ह तब कबज दम दबाकर भाग खड़ा होता ह पट क तमाम अवयवो की मािलश हो जाती ह पट की अनावयक चरबी उतर जाती ह

जालनधरबनध

आसन पर बठकर परक करक कमभक कर और ठोड़ी को छाती क साथ दबाय इसको जालनधरबनध कहत ह

लाभः जालनधरबनध क अ यास स ाण का सचरण ठीक स होता ह इड़ा और िपगला नाड़ी बनद होकर ाण-अपान सषमना म िव होत ह नािभ स अमत कट होता ह िजसका पान जठराि न करता ह योगी इसक ारा अमरता ा करता ह

प ासन पर बठ जाय परा ास बाहर िनकाल कर मलबनध उडडीयानबनध कर िफर खब परक करक मलबनध उडडीयानबनध और जालनधरबनध य तीनो बनध एक साथ कर आख बनद रख मन म णव (ॐ) का अथर क साथ जप कर

इस कार ाणायाम सिहत तीनो बनध का एक साथ अ यास करन स बहत लाभ होता ह और ायः चमतका रक प रणाम आता ह कवल तीन ही िदन क समयक अ यास स जीवन म बािनत का अनभव होन लगता ह कछ समय क अ यास स कवल या कवली कमभक ःवय कट होता ह

कवली कमभक

कवल या कवली कमभक का अथर ह रचक-परक िबना ही ाण का िःथर हो जाना िजसको कवली कमभक िस होता ह उस योगी क िलए तीनो लोक म कछ भी दलरभ नही रहता कणडिलनी जागत होती ह शरीर पतला हो जाता ह मख सनन रहता ह नऽ मलरिहत होत ह सवर रोग दर हो जात ह िबनद पर िवजय होती ह जठराि न विलत होती ह

कवली कमभक िस िकय हए योगी की अपनी सवर मनोकामनाय पणर होती ह इतना ही नही उसका पजन करक ौ ावान लोग भी अपनी मनोकामनाय पणर करन लगत ह

जो साधक पणर एकामता स िऽबनध सिहत ाणायाम क अ यास ारा कवली कमभक का प षाथर िस करता ह उसक भा य का तो पछना ही या उसकी यापकता

बढ़ जाती ह अनतर म महानता का अनभव होता ह काम बोध लोभ मोह मद और मतसर इन छः शऽओ पर िवजय ा होती ह कवली कमभक की मिहमा अपार ह

जलनित

िविधः एक िलटर पानी को गनगना सा गरम कर उसम करीब दस माम श नमक डालकर घोल द सनधव िमल जाय तो अचछा सबह म ःनान क बाद यह पानी चौड़ महवाल पाऽ म कटोर म लकर परो पर बठ जाय पाऽ को दोनो हाथो स पकड़ कर नाक क नथन पानी म डबो द अब धीर-धीर नाक क ारा ास क साथ पानी को भीतर खीच और नाक स भीतर आत हए पानी को मह स बाहर िनकालत जाय नाक को पानी म इस कार बराबर डबोय रख िजसस नाक ारा भीतर जानवाल पानी क साथ हवा न वश कर अनयथा आतरस-खासी आयगी

इस कार पाऽ का सब पानी नाक ारा लकर मख ारा बाहर िनकाल द अब पाऽ को रख कर खड़ हो जाय दोनो पर थोड़ खल रह दोनो हाथ कमर पर रखकर ास को जोर स बाहर िनकालत हए आग की ओर िजतना हो सक झक भिॐका क साथ यह िबया बार-बार कर इसस नाक क भीतर का सब पानी बाहर िनकल जायगा थोड़ा बहत रह भी जाय और िदन म कभी भी नाक स बाहर िनकल जाय तो कछ िचनताजनक नही ह

नाक स पानी भीतर खीचन की यह िबया ारमभ म उलझन जसी लगगी लिकन अ यास हो जान पर िबलकल सरल बन जायगा

लाभः मिःतक की ओर स एक कार का िवषला रस नीच की ओर बहता ह यह रस कान म आय तो कान क रोग होत ह आदमी बहरा हो जाता ह यह रस आखो की तरफ जाय तो आखो का तज कम हो जाता ह चम की ज रत पड़ती ह तथा अनय रोग होत ह यह रस गल की ओर जाय तो गल क रोग होत ह

िनयमपवरक जलनित करन स यह िवषला पदाथर बाहर िनकल जाता ह आखो की रोशनी बढ़ती ह चम की ज रत नही पड़ती चमा हो भी तो धीर-धीर नमबर कम होत-होत छट जाता भी जाता ह ासोचछोवास का मागर साफ हो जाता ह मिःतक म ताजगी रहती ह जकाम-सद होन क अवसर कम हो जात ह जलनित की िबया करन

स दमा टीबी खासी नकसीर बहरापन आिद छोटी-मोटी 1500 बीमी रया दर होती ह जलनित करन वाल को बहत लाभ होत ह िच म सननता बनी रहती ह

गजकरणी िविधः करीब दो िलटर पानी गनगना सा गरम कर उसम करीब 20 माम श

नमक घोल द सनधव िमल जाय तो अचछा ह अब पजो क बल बठकर वह पानी िगलास भर-भर क पीत जाय खब िपय अिधकाअिधक िपय पट जब िबलकल भर जाय गल तक आ जाय पानी बाहर िनकालन की कोिशश कर तब दािहन हाथ की दो बड़ी अगिलया मह म डाल कर उलटी कर िपया हआ सब पानी बाहर िनकाल द पट िबलकल हलका हो जाय तब पाच िमनट तक आराम कर

गजकरणी करन क एकाध घणट क बाद कवल पतली िखचड़ी ही भोजन म ल भोजन क बाद तीन घणट तक पानी न िपय सोय नही ठणड पानी स ःनान कर तीन घणट क बाद ारमभ म थोड़ा गरम पानी िपय

लाभः गजकरणी स एिसडीटी क रोगी को अदभत लाभ होता ह ऐस रोगी को चार-पाच िदन म एक बार गजकरणी चािहए ततप ात महीन म एक बार दो महीन म एक बार छः महीन म एक बार भी गजकरणी कर सकत ह

ातःकाल खाली पट तलसी क पाच-सात प चबाकर ऊपर स थोड़ा जल िपय एसीडीटी क रोगी को इसस बहत लाभ होगा

वष परान कबज क रोिगयो को स ाह म एक बार गजकरणी की िबया अवय करनी चािहए उनका आमाशय मिनथसःथान कमजोर हो जान स भोजन हजम होन म गड़बड़ रहती ह गजकरणी करन स इसम लाभ होता ह फोड़ फनसी िसर म गम सद बखार खासी दमा टीबी वात-िप -कफ क दोष िज ा क रोग गल क रोग छाती क रोग छाती का ददर एव मदाि न म गजकरणी िबया लाभकारक ह

शरीर शोधन-कायाकलप

यह चालीस िदन का कलप ह प यपाद आसारामजी बाप न यह योग िकया हआ ह इसस शरीर सडौल ःवःथ और फत ला बनता ह र म नय-नय कण बनत ह शरीर क कोषो की शि बढ़ती ह मन-बि म चमतका रक लाभ होत ह

िविधः अगल िदन पपीता सव आिद फल उिचत माऽा म ल अथवा मन का 50 माम दस घणट पहल िभगो द उनको उबालकर बीज िनकाल द मन का खा ल और पानी पी ल

ातःकाल उठकर सकलप कर िक इस कलप क दौरान िनि त िकय हए कायरबम क अनसार ही रहगा

शौच-ःनानािद िनतयकमर स िनव होकर सबह 8 बज 200 या 250 माम गाय का उबला हआ गनगना दध िपय पौन घणटा पणर आराम कर बाद म िफर स दध िपय शारी रक ौम कम स कम कर ॐ सोsह हसः इस मऽ का मानिसक जप कर कभी ास को िनहार बस साकषीभाव

मनोरा य चलता हो तो ॐ जोर-जोर स जप कर

इस कार शाम तक िजतना दध हजम कर सक उतना दध दो स तीन िलटर िपय 40 िदन तक कवल द धाहार क बाद 41व िदन मग का उबला हआ पानी मोसममी का रस आिद ल रािऽ को अिधक मगवाली हलकी िखचड़ी खाय इस कार शरीर-शोधन-कायाकलप की पणारहित कर

यिद बि तीकषण बनानी हो ःमरणशि बढ़ानी हो तो कलप क दौरान ॐ ऐ नमः इस मऽ का जप कर सयर को अ यर द

इस कलप म दध क िसवाय अनय कोई खराक लना मना ह चाय तमबाक आिद यसन िनिष ह ि यो क सग स दर रहना तथा चयर का पालन अतयनत आवयक ह

कलजग नही करजग ह यह

कलजग नही करजग ह यह यहा िदन को द अ रात ल

या खब सौदा नकद ह इस हाथ द उस हाथ ल टक

दिनया अजब बाज़ार ह कछ िजनस1 या िक साथ ल

नकी का बदला नक ह बद स बदी की बात ल

मवा िखला मवा िमल फल फल द फल पात ल

आराम द आराम ल दःख ददर द आफत2 ल 1

काटा िकसी को मत लगा गो िमःल-गल3 फला ह त

वह तर हक4 म तीर ह िकस बात पर झला ह त

मत आग म डाल और को या घास का पला ह त

सन ऱख यह नकता5 बखबर िकस बात पर भला ह त

कलजग नही 2

शोखी शरारत मकरो-फन6 सबका बसखा7 ह यहा

जो जो िदखाया और को वह खद भी दखा ह यहा

खोटी खरी जो कछ कही ितसका परखा8 ह यहा

जो जो पड़ा तलता ह मोल ितल ितल का लखा ह यहा

कलजग नही 3

जो और की बःती9 रख उसका भी बसता ह परा

जो और क मार छरी उसको भी लगता ह छरा

जो और की तोड़ घड़ी उसका भी टट ह घड़ा

जो और की चत10 बदी उसका भी होता ह बरा

कलजग नही 4

जो और को फल दवगा वह भी सदा फल पावगा

गह स गह जौ स जौ चावल स चावल पावगा

जो आज दवगा यहा वसा ही वह कल पावगा

कल दवगा कल पावगा िफर दवगा िफर पावगा

कलजग नही 5

जो चाह ल चल इस घड़ी सब िजनस यहा तयार ह

आराम म आराम ह आजार म आजार11 ह

दिनया न जान इसको िमया दरया की यह मझधार ह

औरो का बड़ा पार कर तरा भी बड़ा पार ह

कलजग नही 6

त और की तारीफ कर तझको सना वानी12 िमल

कर मिकल आसा औरो की तझको भी आसानी िमल

त और को महमान कर तझको भी महमानी िमल

रोटी िखला रोटी िमल पानी िपला पानी िमल

कलजग नही 7

जो गल13 िखलाव और का उसका ही गल िखलता भी ह

जो और का कील14 ह मह उसका ही मह िकलता भी ह

जो और का छील िजगर उसका िजगर िछलता भी ह

जो और को दव कपट उसको कपट िमलता भी ह

कलजग नही 8

कर जो कछ करना ह अब यह दम तो कोई आन15 ह

नकसान म नकसान ह एहसान म एहसान ह

तोहमत म यहा तोहमत िमल तफान म तफान ह

रहमान16 को रहमान17 ह शतान को शतान ह

कलजग नही 9

यहा जहर द तो जहर ल श कर म श कर दख ल

नको का नकी का मजा मजी18 को ट कर दख ल

मोती िदय मोती िमल पतथर म पतथर दख ल

गर तझको यह बावर19 नही तो त भी करक दख ल

कलजग नही 10

अपन नफ क वाःत मत और का नकसान कर

तरा भी नकसा होवगा इस बात पर त धयान कर

खाना जो खा सो दखकर पानी िपय तो छानकर

या पावो को रख फककर और खोफ स गजरान कर

कलजग नही 11

गफलत की यह जगह नही त सािहब-इदराक20 रह

िदलशाद21 ऱख िदल शाह रह गमनाक रख गमनाक रह

हर हाल म भी त नजीर22 अब हर कदम की रह

यह वह मका ह ओ िमया या पाक23 रह बबाक24 रह

कलजग नही 12

1 वःत 2 मसीबत 3 पप की तरह 4 तर िलय 5 रहःय 6 दगा-धोखा 7 घर 8 परखना 9 नगरी 10 िवचार कर 11 दःख 12 तारीफ-ःतित 13 फल 14 िकसी को बोलन न दना 15 घड़ी पल 16 दयावान 17 दयाल भगवान 18 सतान वाला 19 िव ास 20 तीो ा तज समझन वाला प ष 21 सननिच 22 किव का नाम ह 23 श पिवऽ 24 िनडर

  • आधयातमिक विदया क उदगाता
  • सवासथय क लिए मतर
  • परासताविक
  • बरहमचरय-रकषा का मनतर
  • आसनो की परकिया म आन वाल कछ शबदो की समझ
  • आवशयक निरदश
  • योगासन
    • पदमासन या कमलासन
    • सिदधासन
    • सरवागासन
    • हलासन
    • पवनमकतासन
    • मतसयासन
    • भजगासन
    • धनरासन
    • चकरासन
    • कटिपिणडमरदनासन
    • अरधमतसयनदरासन
    • योगमदरासन
    • गोरकषासन या भदरासन
    • मयरासन
    • वजरासन
    • सपतवजरासन
    • शवासन
    • पादपशचिमोततानासन
      • तरिबनध
        • मलबनध
        • उडडीयान बनध
        • जालनधरबनध
          • कवली कमभक
          • जलनति
          • गजकरणी
          • शरीर शोधन-कायाकलप
          • कलजग नही करजग ह यह
Page 12: अनुबम - || Home || HariOmGroup · िस होता है। िवशु नाड़ीतंऽ वालेयोगी के िवशु शरीर में

पाचनिबया िनयिमत होती ह ास क रोग दय रोग जीणर वर अजीणर अितसार शबदोष आिद दर होत ह मदाि न मरोड़ा समहणी वातिवकार कषय दमा मधमह पलीहा की वि आिद अनक रोगो का शमन होता ह प ासन क अ यास स जो रोग दर होत ह व िस ासन क अ यास स भी दर होत ह

चयर-पालन म यह आसन िवशष प स सहायक होता ह िवचार पिवऽ बनत ह मन एकाम होता ह िस ासन का अ यासी भोग-िवलास स बच सकता ह 72 हजार नािड़यो का मल इस आसन क अ यास स दर होता ह वीयर की रकषा होती ह ःवपनदोष क रोगी को यह आसन अवय करना चािहए

योगीजन िस ासन क अ यास स वीयर की रकषा करक ाणायाम क ारा उसको मिःतक की ओर ल जात ह िजसस वीयर ओज तथा मधाशि म प रणत होकर िद यता का अनभव करता ह मानिसक शि यो का िवकास होता ह

कणडिलनी शि जागत करन क िलए यह आसन थम सोपान ह

िस ासन म बठकर जो कछ पढ़ा जाता ह वह अचछी तरह याद रह जाता ह िव ािथरयो क िलए यह आसन िवशष लाभदायक ह जठराि न तज होती ह िदमाग िःथर बनता ह िजसस ःमरणशि बढ़ती ह

आतमा का धयान करन वाला योगी यिद िमताहारी बनकर बारह वषर तक िस ासन का अ यास कर तो िसि को ा होता ह िस ासन िस होन क बाद अनय आसनो का कोई योजन नही रह जाता िस ासन स कवल या कवली कमभक िस होता ह छः मास म भी कवली कमभक िस हो सकता ह और ऐस िस योगी क दशरन-पजन स पातक न होत ह मनोकामना पणर होती ह िस ासन क ताप स िनब ज समािध िस हो जाती ह मलबनध उडडीयान बनध और जालनधर बनध अपन आप होन लगत ह

िस ासन जसा दसरा आसन नही ह कवली कमभक क समान ाणायाम नही ह खचरी मिा क समान अनय मिा नही ह और अनाहत नाद जसा कोई नाद नही ह

िस ासन महाप षो का आसन ह सामानय यि हठपवरक इसका उपयोग न कर अनयथा लाभ क बदल हािन होन की समभावना ह

सवागासन

भिम पर सोकर शरीर को ऊपर उठाया जाता ह इसिलए इसको सवागासन कहत ह

धयान िवश ा य चब म ास रचक परक और दीघर

िविधः भिम पर िबछ हए आसन पर िच होकर लट जाए ास को बाहर िनकाल कर अथारत रचक करक कमर तक क दोनो पर सीध और परःपर लग हए रखकर ऊपर उठाए िफर पीठ का भाग भी ऊपर उठाए दोनो हाथो स कमर को आधार द हाथ की कहिनया भिम स लग रह गरदन और कनध क बल परा शरीर ऊपर की और सीधा खड़ा कर द ठोडी छाती क साथ िचपक जाए दोनो पर आकाश की ओर रह ी दोनो परो क अगठो की ओर रह अथवा आख बनद करक िच वि को कणठदश म िवश ा य चब म िःथर कर परक करक ास को दीघर सामानय चलन द

इस आसन का अ य़ास ढ़ होन क बाद दोनो परो को आग पीछ झकात हए जमीन को लगात हए अनय आसन भी हो सकत ह सवागासन की िःथित म दोनो परो को जाघो पर लगाकर प ासन भी िकया जा सकता ह

ारमभ म तीन स पाच िमनट तक यह आसन कर अ यासी तीन घणट तक इस आसन का समय बढ़ा सकत ह

लाभः सवागासन क िनतय अ यास स जठराि न तज होती ह साधक को अपनी िच क अनसार भोजन की माऽा बढ़ानी चािहए सवागासन क अ यास स शरीर की तवचा लटकन नही लगती तथा शरीर म झ ररया नही पड़ती बाल सफद होकर िगरत नही हर रोज़ एक हर तक सवागासन का अ यास करन स मतय पर िवजय िमलती ह

शरीर म सामथयर बढ़ता ह तीनो दोषो का शमन होता ह वीयर की ऊधवरगित होकर अनतःकरण श होता ह मधाशि बढ़ती ह िचर यौवन की ाि होती ह

इस आसन स थायराइड नामक अनतःमिनथ की शि बढ़ती ह वहा र सचार तीो गित स होन लगता ह इसस उस पोषण िमलता ह थायराइड क रोगी को इस आसन स अदभत लाभ होता ह िलवर और पलीहा क रोग दर होत ह ःमरणशि बढ़ती ह मख पर स महास एव अनय दाग दर होकर मख तजःवी बनता ह जठर एव नीच उतरी हई आत अपन मल ःथान पर िःथर होती ह प षातन मिनथ पर सवागासन का अचछा भाव पड़ता ह ःवपनदोष दर होता ह मानिसक बौि क वि करन वालो को तथा िवशषकर िव ािथरयो को यह आसन अवय करना चािहए

मनदाि न अजीणर कबज अशर थायराइड का अलप िवकास थोड़ िदनो का अपनडीसाइिटस और साधारण गाठ अगिवकार असमय आया हआ व तव दमा कफ

चमड़ी क रोग र दोष ि यो को मािसक धमर की अिनयिमतता एव ददर मािसक न आना अथवा अिधक आना इतयािद रोगो म इस आसन स लाभ होता ह नऽ और मिःतक की शि बढ़ती ह उनक रोग दर होत ह

थायराइड क अित िवकासवाल खब कमजोर दयवाल और अतयिधक चब वाल लोगो को िकसी अनभवी की सलाह लकर ही सवागासन करना चािहए

शीषारसन करन स जो लाभ होता ह व सब लाभ सवागासन और पादपि मो ानसन करन स िमल जात ह शीषारसन म गफलत होन स जो हािन होती ह वसी हािन होन की सभावना सवागासन और पादपि मो ानासन म नही ह

हलासन

इस आसन म शरीर का आकार हल जसा बनता ह इसिलए इसको हलासन कहा जाता ह

धयान िवश ा या चब म ास रचक और बाद म दीघर

िविधः भिम पर िबछ हए आसन पर िच होकर लट जाए दोनो हाथ शरीर को लग रह अब रचक करक ास को बाहर िनकाल द दोनो परो को एक साथ धीर-धीर ऊच करत जाय आकाश की ओर पर उठाकर िफर पीछ िसर क तरफ झकाय पर िबलकल तन हए रखकर पज ज़मीन पर लगाय ठोड़ी छाती स लगी रह िच वि को िवश ा या चब म िःथर कर दो-तीन िमनट स लकर बीस िमनट तक समय की अविध बढ़ा सकत ह

लाभः हलासन क अ यास स अजीणर कबज अशर थायराइड का अलप िवकास अगिवकार असमय व तव दमा कफ र िवकार आिद दर होत ह इस आसन स िलवर अचछा होता ह छाती का िवकास होता ह सनिबया तज होकर ऑ सीजन स र श बनता ह गल क ददर पट की बीमारी सिधवात आिद दर होत ह पट की चरबी कम होती ह िसरददर दर होता ह वीयरिव कार िनमरल होता ह खराब िवचार बनद होत ह नाड़ी तऽ श होता ह शरीर बलवान और तजःवी बनता ह गिभरणी ि यो क िसवा हर एक को यह आसन करना चािहए

रीढ़ म कठोरता होना यह व ावःथा का िच ह हलासन स रीढ़ लचीली बनती ह इसस यवावःथा की शि ःफितर ःवाःथय और उतसाह बना रहता ह म दणड

समबनधी नािड़यो क ःवाःथय की रकषा होकर व ावःथा क लकषण जलदी नही आत जठर की नािड़यो को शि ा होती ह

जठर की मासपिशया तथा पाचनतऽ क अगो की नािड़यो की दबरलता क कारण अगर मदाि न एव कबज हो तो हलासन स दर होत ह कमर पीठ एव गरदन क रोग न होत ह िलवर और पलीहा बढ़ गए हो तो हलासन स सामानय अवःथा म आ जात ह काम कनि की शि बढ़ती ह अपानशि का उतथान होकर उदान पी अि न का योग होन स वीयरशि ऊधवरगामी बनती ह हलासन स वीयर का ःतभन होता ह यह आसन अणडकोष की वि पिनबयास अपिनड स आिद को ठीक करता ह थायराइड मिनथ की िबयाशीलता बढ़ती ह धयान करन स िवश चब जागत हो जाता ह

पवनम ासन

शरीर म िःथत पवन (वाय) यह आसन करन स म होता ह इसिलए इस पवनम ासन कहा जाता ह

धयान मिणपर चब म ास पहल परक िफर कमभक और रचक

िविधः भिम पर िबछ हए आसन पर िच होकर लट जाय परक करक फफड़ो म ास भर ल अब िकसी भी एक पर को घटन स मोड़ द दोनो हाथो की अगिलयो को

परःपर िमलाकर उसक ारा मोड़ हए घटनो को पकड़कर पट क साथ लगा द िफर िसर को ऊपर उठाकर मोड़ हए घटनो पर नाक लगाए दसरा पर ज़मीन पर सीधा रह इस िबया क दौरान ास को रोककर कमभक चाल रख िसर और मोड़ा हआ पर भिम पर पवरवत रखन क बाद ही रचक कर दोनो परो को बारी -बारी स मोड़कर यह िबया कर दोनो पर एक साथ मोड़कर भी यह आसन हो सकता ह

लाभः पवनम ासन क िनयिमत अ यास स पट की चरबी कम होती ह पट की वाय न होकर पट िवकार रिहत बनता ह कबज दर होता ह पट म अफारा हो तो इस आसन स लाभ होता ह ातःकाल म शौचिबया ठीक स न होती हो तो थोड़ा पानी पीकर यह आसन 15-20 बार करन स शौच खलकर होगा

इस आसन स ःमरणशि बढ़ती ह बौि क कायर करन वाल डॉ टर वकील सािहतयकार िव ाथ तथा बठकर वि करन वाल मनीम यापारी आिद लोगो को िनयिमत प स पवनम ासन करना चािहए

मतःयासन

मतःय का अथर ह मछली इस आसन म शरीर का आकार मछली जसा बनता ह अतः मतःयासन कहलाता ह पलािवनी ाणायाम क साथ इस आसन की िःथित म लमब समय तक पानी म तर सकत ह

धयान िवश ा या चब म ास पहल रचक बिहकर मभक िफर परक और रचक

िविधः भिम पर िबछ हए आसन पर प ासन लगाकर सीध बठ जाय िफर परो को प ासन की िःथित म ही रखकर हाथ क आधार स सावधानी पवरक पीछ की ओर िच होकर लट जाय रचक करक कमर को ऊपर उठाय घटन िनतब और मःतक क िशखा ःथान को भिम क ःथान लगाय रख िशखाःथान क नीच कोई नरम कपड़ा

अवय रख बाय हाथ स दािहन पर का अगठा और दािहन हाथ स बाय पर का अगठा पकड़ दोनो कहिनया ज़मीन को लगाय रख कमभक की िःथित म रहकर ि को पीछ की ओर िसर क पास ल जान की कोिशश कर दात दब हए और मह बनद रख एक िमनट स ारमभ करक पाच िमनट तक अ यास बढ़ाय िफर हाथ खोलकर कमर भिम को लगाकर िसर ऊपर उठाकर बठ जाय परक करक रचक कर

पहल भिम पर लट कर िफर प ासन लगाकर भी मतःयासन हो सकता ह

लाभः मतःयासन स परा शरीर मजबत बनता ह गला छाती पट की तमाम बीमा रया दर होती ह आखो की रोशनी बढ़ती ह गला साफ रहता ह सनिबया ठीक स चलती ह कनधो की नस उलटी मड़ती ह इसस छाती व फफड़ो का िवकास होता ह पट साफ रहता ह आतो का मल दर होता ह र ािभसरण की गित बढ़ती ह फलतः चमड़ी क रोग नही होत दमा और खासी दर होती ह छाती चौड़ी बनती ह पट की चरबी कम होती ह इस आसन स अपानवाय की गित नीच की ओर होन स मलावरोध दर होता ह थोड़ा पानी पीकर यह आ सन करन स शौच-शि म सहायता िमलती ह

मतःयासन स ि यो क मािसकधमर समबनधी सब रोग दर होत ह मािसकॐाव िनयिमत बनता ह

भजगासन

इस आसन म शरीर की आकित फन उठाय हए भजग अथारत सपर जसी बनती ह इसिलए इसको भजगासना कहा जाता ह

धयान िवश ा या चब म ास ऊपर उठात व परक और नीच की ओर जात समय रचक

िविधः भिम पर िबछ हए कमबल पर पट क बल उलट होकर लट जाय दोनो पर और पज परःपर िमल हए रह परो क अगठो को पीछ की ओर खीच दोनो हाथ िसर क तरफ लमब कर द परो क अगठ नािभ छाती ललाट और हाथ की हथिलया भिम पर एक सीध म रख

अब दोनो हथिलयो को कमर क पास ल जाय िसर और कमर ऊपर उठाकर िजतना हो सक उतन पीछ की ओर मोड़ नािभ भिम स लगी रह पर शरीर का वजन हाथ क पज पर आएगा शरीर की िःथित कमान जसी बनगी म दणड क आिखरी भाग पर दबाव किनित होगा िच वि को कणठ म और ि को आकाश की तरफ िःथर कर

20 सकणड तक यह िःथित रख बाद म धीर-धीर िसर को नीच ल आय छाती भिम पर रख िफर िसर को भिम स लगन द आसन िस हो जान क बाद आसन करत समय ास भरक कमभक कर आसन छोड़त समय मल िःथित म आन क बाद ास को खब धीर-धीर छोड़ हर रोज एक साथ 8-10 बार यह आसन कर

लाभः घरड सिहता म इसका लाभ बतात हए कहा ह - भजगासन स जठराि न दी होती ह सवर रोगो का नाश होता ह और कणडिलनी जागत होती ह

म दणड क तमाम मनको को तथा गरदन क आसपास वाल ःनायओ को अिधक श र िमलता ह फलतः नाड़ी तऽ सचत बनता ह िचरजीवी शि मान एव स ढ़ बनता ह िवशषकर मिःतक स िनकलन वाल ानतत बलवान बनत ह पीठ की हिडडय़ो म रहन वाली तमाम खरािबया दर होती ह पट क ःनाय म िखचाव आन स वहा क अगो को शि िमलती ह उदरगहा म दबाव बढ़न स कबज दर होता ह छाती और पट का िवकास होता ह तथा उनक रोग िमट जात ह गभारशय एव बोनाशय अचछ बनत ह फलतः मािसकॐाव क रिहत होता ह मािसक धमर समबनधी समःत िशकायत दर होती ह अित ौम करन क कारण लगन वाली थकान दर होती ह भोजन क बाद होन वाल वाय का ददर न होता ह शरीर म ःफितर आती ह कफ-िपतवालो क िलए यह आसन लाभदायी ह भजगासन करन स दय मजबत बनता ह मधमह और उदर क

रोगो स मि िमलती ह दर अित मािसकॐाव तथा अलप मािसकॐाव जस रोग दर होत ह

इस आसन स म दणड लचीला बनता ह पीठ म िःथत इड़ा और िपगला नािड़यो पर अचछा भाव पड़ता ह कणडिलनी शि जागत करन क िलय यह आसन सहायक ह अमाशय की मासपिशयो का अचछा िवकास होता ह थकान क कारण पीठ म पीड़ा होती हो तो िसफर एक बार ही यह आसन करन स पीड़ा दर होती ह म दणड की कोई हडडी ःथान हो गई हो तो भजगासन करन स यथाःथान म वापस आ जाती ह

धनरासन

इस आसन म शरीर की आकित खीच हए धनष जसी बनती ह अतः इसको धनरासन कहा जाता ह

धयान मिणपर चब म ास नीच की िःथित म रचक और ऊपर की िःथित म परक

िविधः भिम पर िबछ हए कमबल पर पट क बल उलट होकर लट जाय दोनो पर परःपर िमल हए रह अब दोनो प रो को घटनो स मोड़ दोनो हाथो को पीछ ल जाकर दोनो परो को टखनो स पकड़ रचक करक हाथ स पकड़ हए परो को कसकर धीर -धीर खीच िजतना हो सक उतना िसर पीछ की ओर ल जान की कोिशश कर ि भी ऊपर एव पीछ की ओर रहनी चािहए समम शरीर का बोझ कवल नािभदश क ऊपर ही रहगा कमर स ऊपर का धड़ एव कमर स नीच पर पर ऊपर की ओर मड़ हए रहग

कमभक करक इस िःथित म िटक रह बाद म हाथ खोलकर पर तथा िसर को मल अवःथा म ल जाय और परक कर ारभ म पाच सकणड यह आसन कर धीर-धीर समय बढ़ाकर तीन िमनट या उसस भी अिधक समय इस आसन का अ यास कर तीन-चार बार यह आसन करना चािहए

लाभः धनरासन क अ यास स पट की चरबी कम होती ह गस दर होती ह पट को रोग न होत ह कबज म लाभ होता ह भख खलती ह छाती का ददर दर होता ह दय की धडकन मजबत बनती ह ास िक िबया यविःथत चलती ह मखाकित सदर बनती ह आखो की रोशनी बढ़ती ह और तमाम रोग दर होत ह हाथ -पर म होन वाला कपन कता ह शरीर का सौनदयर बढ़ता ह पट क ःनायओ म िखचाव आन स पट को अचछा लाभ होता ह आतो पर खब दबाव पड़न स पट क अगो पर भी दबाव पड़ता ह फलतः आतो म पाचकरस आन लगता ह इसस जठराि न तज होती ह पाचनशि बढ़ती ह वायरोग न होता ह पट क कषऽ म र का सचार अिधक होता ह धनरासन म भजगासन और शलभासन का समावश हो जान क कारण इन दोनो आसनो क लाभ िमलत ह ि यो क िलए यह आसन खब लाभकारक ह इसस मािसक धमर क िवकार गभारशय क तमाम रोग दर होत ह

चबासन

इस आसन म शरीर की आकित चब जसी बनती ह अतः चबासन कहा जाता ह

धयान मिणपर चब म ास दीघर ःवाभािवक

िविधः भिम पर िबछ हए आसन पर िच होकर लट जाय घटनो स पर मोड़ कर ऊपर उठाय पर क तलव ज़मीन स लग रह दो परो क बीच करीब डढ़ फीट का अनतर रख दोनो हाथ मःतक की तरफ उठाकर पीछ की ओर दोनो हथिलयो को ज़मीन पर जमाय दोनो हथिलयो क बीच भी करीब डढ़ फीट का अनतर रख अब हाथ और पर क बल स पर शरीर को कमर स मोड़कर ऊपर उठाय हाथ को धीर-धीर पर की ओर ल जाकर ःमपशर शरीर का आकार व या चब जसा बनाय आख बनद रख ास की गित ःवाभािवक चलन द िच वि मिणपर चब (नािभ कनि) म िःथर कर आख खली भी रख सकत ह एक िमनट स पाच िमनट तक अ यास बढ़ा सकत ह

लाभः म दणड तथा शरीर की समःत नािड़यो का शि करण होकर यौिगक चब जागत होत ह लकवा तथा शरीर की कमजो रया दर होती ह मःतक गदरन पीठ पट

कमर हाथ पर घटन आिद सब अग मजबत बनत ह सिनध ःथानो ददर नही होता पाचनशि बढ़ती ह पट की अनावयक चरबी दर होती ह शरीर तजःवी और फत ला बनता ह िवकारी िवचार न होत ह ःवपनदोष की बीमारी अलिवदा होती ह चबासन क िनयिमत अ यास स व ावःथा म कमर झकती नही शरीर सीधा तना हआ रहता ह

किटिपणडमदरनासन

इस आसन म किटदश (कमर क पास वाल भाग) म िःथत िपणड अथारत मऽिपणड का मदरन होता ह इसस यह आसन किटिपणडमदरनासन कहलाता ह

धयान ःवािध ान चब म ास परक और कमभक

िविधः िबछ हए कमबल पर पीठ क बल िच होकर लट जाय दोनो हाथो को आमन-सामन फला द मि ठया बनद रख दोनो परो को घटनो स मोड़कर खड़ कर द पर क तलव ज़मीन स लग रह दोनो परो क बीच इतना अनतर रख िक घटनो को ज़मीन पर झकान स एक पर का घटना दसर पर की एड़ी को लग िसर दायी ओर मड़ तो दोनो घटन दािहनी ओर ज़मीन को लग इस कार 15-20 बार िबया कर इस कार दोनो परो को एक साथ रखकर भी िबया कर

लाभः िजसको पथरी की तकलीफ हो उस आौम (सत ौी आसारामजी आौम साबरमित अमदावाद-5) स िबना मलय िमलती काली भःम करीब डढ़ माम भोजन स आधा घणटा पवर और भोजन क बाद एक िगलास पानी क साथ लना चािहए और यह आसन भख पट ठीक ढग स करना चािहए इसस पथरी क ददर म लाभ होता ह पथरी टकड़ -टकड़ होकर मऽ क ारा बाहर िनकलन लगती ह मऽिवकार दर होता ह कमर ददर साइिटका रीढ़ की हडडी की जकड़न उदासीनता िनराशा डायािबटीज नपसकता गस पर की गाठ इतयािद रोगो म शीय लाभ होता ह नािभ ःथान स चयत हो जाती हो तो पनः अपन ःथान म आ जाती ह

मािसक धमर क समय एव गभारवःथा म ि या यह आसन न कर कबज का रोगी सबह शौच जान स पहल उषःपान करक यह आसन कर तो चमतका रक लाभ होता ह ास को अनदर भर क पट को फलाकर यह आसन करन स कबज जलदी दर होता ह

अधरमतःयनिासन

कहा जाता ह िक मतःयनिासन की रचना गोरखनाथ क ग ःवामी मतःयनिनाथ न की थी व इस आसन म धयान िकया करत थ मतःयनिासन की आधी िबयाओ को लकर अधरमतःयनिासन चिलत हआ ह

धयान अनाहत चब म ास दीघर

िविधः दोनो परो को लमब करक आसन पर बठ जाओ बाय पर को घटन स मोड़कर एड़ी गदा ार क नीच जमाय पर क तलव को दािहनी जघा क साथ लगा द अब दािहन पर को घटन स मोड़कर खड़ा कर द और बाय पर की जघा स ऊपर ल जात हए जघा क पीछ ज़मीन क ऊपर ऱख द आसन क िलए यह पवरभिमका तयार हो गई

अब बाय हाथ को दािहन पर क घटन स पार करक अथारत घटन को बगल म दबात हए बाय हाथ स दािहन पर का अ गठा पकड़ धड़ को दािहनी ओर मोड़ िजसस दािहन पर क घटन क ऊपर बाय कनध का दबाव ठीक स पड़ अब दािहना हाथ पीठ क पीछ स घमाकर बाय पर की जाघ का िनमन भाग पकड़ िसर दािहनी ओर इतना घमाय िक ठोड़ी और बाया कनधा एक सीधी रखा म आ जाय छाती िबलकल तनी हई रख नीच की ओर झक नही िच वि नािभ क पीछ क भाग म िःथत मिणपर चब म िःथर कर

यह एक तरफ का आसन हआ इसी कार पहल दािहना पर मोड़कर एड़ी गदा ार क नीच दबाकर दसरी तरफ का आसन भी कर ारमभ म पाच सकणड य ह आसन करना पयार ह िफर अ यास बढ़ाकर एक एक तरफ एक एक िमनट तक आसन कर सकत ह

लाभः अधरमतःयनिासन स म दणड ःवःथ रहन स यौवन की ःफितर बनी रहती ह रीढ़ की हिडडयो क साथ उनम स िनकलन वाली नािडयो को भी अचछी कसरत िमल जाती ह पट क िविभनन अगो को भी अचछा लाभ होता ह पीठ पट क नल पर गदरन

हाथ कमर नािभ स नीच क भाग एव छाती की नािड़यो को अचछा िखचाव िमलन स उन पर अचछा भाव पड़ता ह फलतः बनधकोष दर होता ह जठराि न तीो होती ह िवकत यकत पलीहा तथा िनिबय व क क िलए यह आसन लाभदायी ह कमर पीठ और सिनधःथानो क ददर जलदी दर हो जात ह

योगमिासन

योगा यास म यह मिा अित मह वपणर ह इसस इसका नाम योगमिासन रखा गया ह

धयान मिणपर चब म ास रचक कमभक और परक

िविधः प ासन लगाकर दोनो हाथो को पीठ क पीछ ल जाय बाय हाथ स दािहन हाथ की कलाई पकड़ दोनो हाथो को खीचकर कमर तथा रीढ़ क िमलन ःथान पर ल जाय अब रचक करक कमभक कर ास को रोककर शरीर को आग झकाकर भिम पर टक द िफर धीर-धीर िसर को उठाकर शरीर को पनः सीधा कर द और परक कर ारभ म यह आसन किठन लग तो सखासन या िस ासन म बठकर कर पणर लाभ तो प ासन म बठकर करन स ही होता ह पाचनतनऽ क अगो की ःथान ता ठीक करन क िलए यिद यह आसन करत हो तो कवल पाच-दस सकणड तक ही कर एक बठक म तीन स पाच बार सामानयतः यह आसन तीन िमनट तक करना चािहए आधयाितमक उ य स योगमिासन करत हो तो समय की अविध िच और शि क अनसार बढ़ाय

लाभः योगमिासन भली कार िस होता ह तब कणडिलिन शि जागत होती ह पट की गस की बीमारी दर होती ह पट एव आतो की सब िशकायत दर होती ह कलजा फफड़ आिद यथा ःथान रहत ह दय मजबत बनता ह र क िवकार दर होत

ह क और यौनिवकार न होत ह पट बड़ा हो तो अनदर दब जाता ह शरीर मजबत बनता ह मानिसक शि बढ़ती ह

योगमिासन स उदरपटल सश बनता ह पट क अगो को अपन ःथान िटक रहन म सहायता िमलती ह नाड़ीतऽ और खास करक कमर क नाड़ी मणडल को बल िमलता ह

इस आसन म सामनयतः जहा एिड़या लगती ह वहा कबज क अग होत ह उन पर दबाव पड़न स आतो म उ जना आती ह पराना कबज दर होता ह अगो की ःथान ता क कारण होन वाला कबज भी अग अपन ःथान म पनः यथावत िःथत हो जान स न हो जाता ह धात की दबरलता म योगमिासन खब लाभदायक ह

गोरकषासन या भिासन

धयान मलाधार चब म ास थम िःथित म परक और दसरी िःथित म कमभक

िविधः िबछ हए आसन पर बठ जाय दािहना पर घटन स मोड़कर एड़ी सीवन (उपःथ और गदा क मधय) क दािहन भाग म और बाया पर मोड़कर एड़ी सीवन क बाय भाग म इस कार रख िक दोनो पर क तलव एक दसर को लगकर रह

रचक करक दोनो हाथ सामन ज़मीन पर टककर शरीर को ऊपर उठाय और दोनो पर क पजो पर इस कार बठ िक शरीर का वजन एड़ी क मधय भाग म आय अगिलयो वाला भाग छटा रह अब परक करत -करत दोनो हाथो की हथिलयो को घटनो पर रख

अनत म कमभक करक ठोड़ी छाती पर दबाय िच वि मलाधार चब म और ि भी उसी िदशा म लगाय बमशः अ यास बढ़ाकर दसक िमनट तक यह आसन कर

लाभः इस आसन क अ यास स पर क सब सिनध ःथान तथा ःनाय सश बनत ह वाय ऊधवरगामी होकर जठराि न दी करता ह िदनो िदन जड़ता न होन लगती ह शरीर पतला होता ह सकलपबल बढ़ता ह बि तीकषण होती ह कलपनाशि का िवकास होता ह ाणापान की एकता होती ह नादोतपि होन लगती ह िबनद िःथर होकर िच की चचलता कम होती ह आहार का सपणरतया पाचन हो जान क कारण मलमऽ अलप होन लगत ह शरीर शि होन लगती ह तन म ःफितर एव मन म सननता अपन आप कट होती ह ःनाय स ढ़ बनत ह धातकषय गस मधमह ःवपनदोष अजीणर कमर का ददर गदरन की दबरलता बनधकोष मनदाि न िसरददर कषय

दयरोग अिनिा दमा मछाररोग बवासीर आऽपचछ पाणडरोग जलोदर भगनदर कोढ़ उलटी िहचकी अितसार आव उदररोग नऽिवकार आिद अस य रोगो म इस आसन स लाभ होत ह

मयरासन

इस आसन म मयर अथारत मोर की आकित बनती ह इसस इस मयरासन कहा जाता ह

धयान मिणपर चब म ास बा कमभक

िविधः जमीन पर घटन िटकाकर बठ जाय दोनो हाथ की हथिलयो को जमीन पर इस कार रख िक सब अगिलया पर की िदशा म हो और परःपर लगी रह दोनो कहिनयो को मोड़कर पट क कोमल भाग पर नािभ क इदरिगदर रख अब आग झककर दोनो पर को पीछ की लमब कर ास बाहर िनकाल कर दोनो पर को जमीन स ऊपर उठाय और िसर का भाग नीच झकाय इस कार परा शरीर ज़मीन क बराबर समानानतर रह ऐसी िःथित बनाय सपणर शरीर का वजन कवल दो हथिलयो पर ही

रहगा िजतना समय रह सक उतना समय इस िःथित म रहकर िफर मल िःथित म आ जाय इस कार दो-तीन बार कर

लाभः मयरासन करन स चयर-पालन म सहायता िमलती ह पाचन तऽ क अगो की र का वाह अिधक बढ़न स व अग बलवान और कायरशील बनत ह पट क भीतर क भागो म दबाव पड़न स उनकी शि बढ़ती ह उदर क अगो की िशिथलता और मनदाि न दर करन म मयरासन बहत उपयोगी ह

वळासन

वळासन का अथर ह बलवान िःथित पाचनशि वीयरशि तथा ःनायशि दन वाला होन स यह आसन वळासन कहलाता ह

धयान मलाधार चब म और ास दीघर

िविधः िबछ हए आसन पर दोनो परो को घटनो स मोड़कर एिड़यो पर बठ जाय पर क दोनो अगठ परःपर लग रह पर क तलवो क ऊपर िनतमब रह कमर और पीठ िबलकल सीधी रह दोनो हाथ को कहिनयो स मोड़ िबना घटनो पर रख द हथिलया नीच की ओर रह ि सामन िःथर कर द

पाच िमनट स लकर आध घणट तक वळासन का अ यास कर सकत ह वळासन लगाकर भिम पर लट जान स स वळासन होता ह

लाभः वळासन क अ यास स शरीर का मधयभाग सीधा रहता ह ास की गित मनद पड़न स वाय बढ़ती ह आखो की योित तज होती ह वळनाड़ी अथारत वीयरधारा नाड़ी मजबत बनती ह वीयर की ऊधवरगित होन स शरीर वळ जसा बनता ह लमब समय तक सरलता स यह आसन कर सकत ह इसस मन की चचलता दर होकर यि िःथर बि वाला बनता ह शरीर म र ािभसरण ठीक स होकर शरीर िनरोगी एव सनदर बनता ह

भोजन क बाद इस आसन स बठन स पाचन शि तज होती ह कबज दर होती ह भोजन जलदी ह म होता ह पट की वाय का नाश होता ह कबज दर होकर पट क तमाम रोग न होत ह पाणडरोग स मि िमलती ह रीढ़ कमर जाघ घटन और परो म शि बढ़ती ह कमर और पर का वाय रोग दर होता ह ःमरणशि म वि होती ह ि यो क मािसक धमर की अिनयिमतता जस रोग दर होत ह शबदोष वीयरदोष घटनो का ददर आिद का नाश होता ह ःनाय प होत ह ःफितर बढ़ान क िलए एव मानिसक िनराशा दर कर न क िलए यह आसन उपयोगी ह धयान क िलय भी यह आसन उ म ह इसक अ यास स शारी रक ःफितर एव मानिसक सननता कट होती ह िदन-ितिदन शि का सचय होता ह इसिलए शारी रक बल म खब वि होती ह काग का िगरना अथारत गल क टािनसलस हिडडयो क पोल आिद ःथानो म उतपनन होन वाल तकण की स या म वि होन स आरो य का साा य ःथािपत होता ह िफर यि

बखार स िसरददर स कबज स मदाि न स या अजीणर जस छोट-मोट िकसी भी रोग स पीिड़त नही रहता योिक रोग आरो य क साा य म िव होन का साहस ही नही कर पात

स वळासन

धयान िवश ा याचब म ास दीघर सामानय

िविधः वळासन म बठन क बाद िच होकर पीछ की ओर भिम पर लट जाय दोनो जघाए परःपर िमली रह अब रचक करत बाय हाथ का खला पजा दािहन कनध क नीच इस कार रख िक मःतक दोनो हाथ क बास क ऊपर आय रचक परा होन पर िऽबनध कर ि मलाधार चब की िदशा म और िच वि मलाधार चब म ःथािपत कर

लाभः यह आसन करन म ौम बहत कम ह और लाभ अिधक होता ह इसक अ यास स सषमना का मागर अतयनत सरल होता ह कणडिलनी शि सरलता स ऊधवरगमन कर सकती ह

इस आसन म धयान करन स म दणड को सीधा करन का ौम नही करना पड़ता और म दणड को आराम िमलता ह उसकी काय़रशि बल बनती ह इस आसन का अ यास करन स ायः तमाम अतःॐावी मिनथयो को जस शीषरःथ मिनथ कणठःथ मिनथ मऽिपणड की मनथी ऊधवरिपणड तथा प षाथर मिनथ आिद को पि िमलती ह फलतः यि का भौितक एव आधयाितमक िवकास सरल हो जाता ह तन-मन का ःवाःथय भावशाली बनता ह जठराि न दी होती ह मलावरोध की पीडा दर होती ह धातकषय ःवपनदोष पकषाघात पथरी बहरा होना तोतला होना आखो की दबरलता गल क टािनसल ासनिलका का सजन कषय दमा ःमरणशि की दबरलता आिद रोग दर होत ह

शवासन

शवासन की पणारवःथा म शरीर क तमाम अग एव मिःतक पणरतया च ा रिहत िकय जात ह यह अवःथा शव (मद) जसी होन स इस आसन को शवासन कहा जाता ह

िविधः िबछ हए आसन पर िच होकर लट जाय दोनो परो को परःपर स थोड़ अलग कर द दोनो हाथ भी शरीर स थोड़ अलग रह इस कार परो की ओर फला द हाथ की हथिलया आकाश की तरफ खली रख िसर सीधा रह आख बनद

मानिसक ि स शरीर को पर स िसर तक दखत जाय पर शरीर को मद की तरह ढीला छोड़ द हर एक अग को िशिथल करत जाय

शरीर म समपणर िवौाम का अनभव कर मन को भी बा ा िवषयो स हटाकर एकाम कर बारी-बारी स हर एक अग पर मानिसक ि एकाम करत हए भावना कर िक वह अग अब आराम पा रहा ह मरी सब थकान उतर रही ह इस कार भावना करत-करत सब ःनायओ को िशिथल होन द शरीर क एक भी अग म कही भी तनाव (टनशन) न रह िशिथलीकरण की िबया म पर स ारमभ करक िसर तक जाय अथवा िसर स ारमभ करक पर तक भी जा सकत ह अनत म जहा स ारमभ िकया हो वही पनः पहचना चािहय िशिथलीकरण की िबया स शरीर क तमाम अगो का एव ानततओ को िवौाम की अवःथा म ला दना ह

शवासन की दसरी अवःथा म ासोचछोवास पर धयान दना ह शवासन की यही म य िबया ह िवशषकर योग साधको क िलए वह अतयनत उपयोगी ह कवल शारी रक ःवाःथय क िलय थम भिमका पयार ह

इसम ास और उचछवास की िनयिमतता दीघरता और समानता ःथािपत करन का लकषय ह ास िनयिमत चल लमबा और गहरा चल ास और उचछवास एक समान रह तो मन को एकाम करन की शि ा होती ह

शवासन यिद ठीक ढग स िकया जाए तो नाड़ीतऽ इतना शात हो जाता ह िक अ यासी को नीद आन लगती ह लिकन धयान रह िनिनित न होकर जामत रहना आवयक ह

अनय आसन करन क बाद अगो म जो तनाव (टनशन) पदा होता ह उसको िशिथल करन क िलय अत म 3 स 5 िमनट तक शवासन करना चािहए िदनभर म अनकलता क अनसार दो-तीन बार शवासन कर सकत ह

लाभः शवासन क ारा ःनाय एव मासपिशयो म िशिथलीकरण स शि बढ़ती ह अिधक कायर करन की यो यता उसम आती ह र वाहिनयो म िशराओ म र वाह तीो

होन स सारी थकान उतर जाती ह नाड़ीतऽ को बल िमलता ह मानिसक शि म वि होती ह

र का दबाव कम करन क िलए नाड़ीतऽ की दबरलता एव उसक कारण होन वाल रोगो को दर करन क िलय शवासन खब उपयोगी ह

पादपि मो ानासन

यह आसन करना किठन ह इसस उमासन कहा जाता ह उम का अथर ह िशव भगवान िशव सहारक ार ह अतः उम या भयकर ह िशवसिहता म भगवान िशव न म कणठ स शसा करत हए कहा हः यह आसन सवरौ आसन ह इसको य पवरक ग रख िसफर अिधका रयो को ही इसका रहःय बताय

धयान मिणपर चब म ास थम िःथित म परक और दसरी िःथित म रचक और िफर बिहकर मभक

िविधः िबछ हए आसन पर बठ जाय दोनो परो को लमब फला द दोनो परो की जघा घटन पज परःपर िमल रह और जमीन क साथ लग रह परो की अगलया घटनो की तरफ झकी हई रह अब दोनो हाथ लमब कर दािहन हाथ की तजरनी और अगठ स दािहन पर का अगठा और बाय हाथ की तजरनी और अगठ स बाय पर का अगठा पकड़ अब रचक करत-करत नीच झक और िसर को दोनो घटनो क मधय म रख ललाट घटन को ःपशर कर और घटन ज़मीन स लग रह रचक परा होन पर कमभक कर ि एव िच वि को मिणपर चब म ःथािपत कर ारमभ म आधा िमनट करक बमशः 15 िमनट तक यह आसन करन का अ यास बढ़ाना चािहय थम दो-चार िदन किठन लगगा लिकन अ यास हो जान पर यह आसन सरल हो जाएगा

लाभः पादपि मो नासन म समयक अ यास स सषमना का मख खल जाता ह और ाण म दणड क मागर म गमन करता ह फलतः िबनद को जीत सकत ह िबनद को जीत िबना न समािध िस होती ह न वाय िःथर होता ह न िच शात होता ह

जो ी-प ष काम िवकार स अतयत पीिड़त हो उनह इस आसन का अ यास करना चािहए इसस शारी रक िवकार दब जात ह उदर छाती और म दणड को उ म कसरत िमलती ह अतः व अिधक कायरकषम बनत ह हाथ पर तथा अनय अगो क सिनध ःथान मजबत बनत ह शरीर क सब तऽ बराबर कायरशील होत ह रोग माऽ का नाश होकर ःवाःथय़ का साा य ःथािपत होता ह

इस आसन क अ यास स मनदाि न मलावरोध अजीणर उदररोग किमिवकार सद वातिवकार कमर का ददर िहचकी कोढ़ मऽरोग मधमह पर क रोग ःवपनदोष वीयरिवकार र िवकार एपनडीसाइिटस अणडवि पाणडरोग अिनिा दमा ख टी डकार आना ानतनत की दबरलता बवासीर नल की सजन गभारशय क रोग अिनयिमत तथा क दायक मािसक बनधयतव दर नपसकता र िप िसरोवदना बौनापन आिद अनक रोग दर होत ह पट पत ला बनता ह जठराि न दी होती ह कफ और चरबी न होत ह

िशवसिहता म कहा ह िक इस आसन स वाय ीपन होता ह और वह मतय का नाश करता ह इस आसन स शरीर का कद बढ़ता ह शरीर म अिधक ःथलता हो तो कम होती ह दबरलता हो तो वह दर होकर शरीर सामानय तनद ःत अवःथा म आ जाता ह नाडी सःथान म िःथरता आती ह मानिसक शाित ा होती ह िचनता एव उ जना शात करन क िलए यह आसन उ म ह पीठ और म दणड पर िखचाव आन स दोनो िवकिसत होत ह फलतः शरीर क तमाम अवयवो पर अिधकार ःथािपत होता ह सब आसनो म यह आसन सवर धान ह इसक अ यास स कायाकलप (प रवतरन) हो जाता ह

यह आसन भगवान िशव को बहत पयारा ह उनकी आ ा स योगी गोरखनाथ न लोककलयाण हत इसका चार िकया ह आप इस आसन क अदभत लाभो स लाभािनवत हो और दसरो को भी िसखाय

पादपि मो ानासन प यपाद आसारामजी बाप को भी बहत पयारा ह उसस प यौी को बहत लाभ हए ह अभी भी यह आसन उनक आरो यिनिध का रकषक बना हआ ह

पाठक भाइयो आप अवय इस आसन का लाभ लना ारमभ क चार-पाच िदन जरा किठन लगगा बाद म तो यह आसन आपका िशवजी क वरदान प आरो य कवच िस हए िबना नही रहगा

िऽबनध

मलबनध

शौच ःनानािद स िनव होकर आसन पर बठ जाय बायी एड़ी क ारा सीवन या योिन को दबाय दािहनी एड़ी सीवन पर रख गदा ार को िसकोड़कर भीतर की ओर ऊपर खीच यह मलबनध कहा जाता ह

लाभः मलबनध क अ यास स मतय को जीत सकत ह शरीर म नयी ताजगी आती ह िबगड़त हए ःवाःथय की रकषा होती ह चयर का पालन करन म मलबनध सहायक िस होता ह वीयर को प करता ह कबज को न करता ह जठराि न तज होती ह मलबनध स िचरयौवन ा होता ह बाल सफद होन स कत ह

अपानवाय ऊधवरगित पाकर ाणवाय क सषमना म िव होता ह सहॐारचब म िच वि िःथर बनती ह इसस िशवपद का आननद िमलता ह सवर कार की िद य िवभितया और ऐ यर ा होत ह अनाहत नाद सनन को िमलता ह ाण अपान नाद और िबनद एकिऽत होन स योग म पणरता ा होती ह

उडडीयान बनध

आसन पर बठकर परा ास बाहर िनकाल द समपणरतया रचक कर पट को भीतर िसकोड़कर ऊपर की ओर खीच नािभ तथा आत पीठ की तरफ दबाय शरीर को थोड़ा सा आग की तरफ झकाय यह ह उडडीयानबनध

लाभः इसक अ यास स िचरयौवन ा होता ह मतय पर जय ा होती ह चयर क पालन म खब सहायता िमलती ह ःवाःथय सनदर बनता ह कायरशि म वि होती ह नयोिल और उडडीयानबनध जब एक साथ िकय जात ह तब कबज दम दबाकर भाग खड़ा होता ह पट क तमाम अवयवो की मािलश हो जाती ह पट की अनावयक चरबी उतर जाती ह

जालनधरबनध

आसन पर बठकर परक करक कमभक कर और ठोड़ी को छाती क साथ दबाय इसको जालनधरबनध कहत ह

लाभः जालनधरबनध क अ यास स ाण का सचरण ठीक स होता ह इड़ा और िपगला नाड़ी बनद होकर ाण-अपान सषमना म िव होत ह नािभ स अमत कट होता ह िजसका पान जठराि न करता ह योगी इसक ारा अमरता ा करता ह

प ासन पर बठ जाय परा ास बाहर िनकाल कर मलबनध उडडीयानबनध कर िफर खब परक करक मलबनध उडडीयानबनध और जालनधरबनध य तीनो बनध एक साथ कर आख बनद रख मन म णव (ॐ) का अथर क साथ जप कर

इस कार ाणायाम सिहत तीनो बनध का एक साथ अ यास करन स बहत लाभ होता ह और ायः चमतका रक प रणाम आता ह कवल तीन ही िदन क समयक अ यास स जीवन म बािनत का अनभव होन लगता ह कछ समय क अ यास स कवल या कवली कमभक ःवय कट होता ह

कवली कमभक

कवल या कवली कमभक का अथर ह रचक-परक िबना ही ाण का िःथर हो जाना िजसको कवली कमभक िस होता ह उस योगी क िलए तीनो लोक म कछ भी दलरभ नही रहता कणडिलनी जागत होती ह शरीर पतला हो जाता ह मख सनन रहता ह नऽ मलरिहत होत ह सवर रोग दर हो जात ह िबनद पर िवजय होती ह जठराि न विलत होती ह

कवली कमभक िस िकय हए योगी की अपनी सवर मनोकामनाय पणर होती ह इतना ही नही उसका पजन करक ौ ावान लोग भी अपनी मनोकामनाय पणर करन लगत ह

जो साधक पणर एकामता स िऽबनध सिहत ाणायाम क अ यास ारा कवली कमभक का प षाथर िस करता ह उसक भा य का तो पछना ही या उसकी यापकता

बढ़ जाती ह अनतर म महानता का अनभव होता ह काम बोध लोभ मोह मद और मतसर इन छः शऽओ पर िवजय ा होती ह कवली कमभक की मिहमा अपार ह

जलनित

िविधः एक िलटर पानी को गनगना सा गरम कर उसम करीब दस माम श नमक डालकर घोल द सनधव िमल जाय तो अचछा सबह म ःनान क बाद यह पानी चौड़ महवाल पाऽ म कटोर म लकर परो पर बठ जाय पाऽ को दोनो हाथो स पकड़ कर नाक क नथन पानी म डबो द अब धीर-धीर नाक क ारा ास क साथ पानी को भीतर खीच और नाक स भीतर आत हए पानी को मह स बाहर िनकालत जाय नाक को पानी म इस कार बराबर डबोय रख िजसस नाक ारा भीतर जानवाल पानी क साथ हवा न वश कर अनयथा आतरस-खासी आयगी

इस कार पाऽ का सब पानी नाक ारा लकर मख ारा बाहर िनकाल द अब पाऽ को रख कर खड़ हो जाय दोनो पर थोड़ खल रह दोनो हाथ कमर पर रखकर ास को जोर स बाहर िनकालत हए आग की ओर िजतना हो सक झक भिॐका क साथ यह िबया बार-बार कर इसस नाक क भीतर का सब पानी बाहर िनकल जायगा थोड़ा बहत रह भी जाय और िदन म कभी भी नाक स बाहर िनकल जाय तो कछ िचनताजनक नही ह

नाक स पानी भीतर खीचन की यह िबया ारमभ म उलझन जसी लगगी लिकन अ यास हो जान पर िबलकल सरल बन जायगा

लाभः मिःतक की ओर स एक कार का िवषला रस नीच की ओर बहता ह यह रस कान म आय तो कान क रोग होत ह आदमी बहरा हो जाता ह यह रस आखो की तरफ जाय तो आखो का तज कम हो जाता ह चम की ज रत पड़ती ह तथा अनय रोग होत ह यह रस गल की ओर जाय तो गल क रोग होत ह

िनयमपवरक जलनित करन स यह िवषला पदाथर बाहर िनकल जाता ह आखो की रोशनी बढ़ती ह चम की ज रत नही पड़ती चमा हो भी तो धीर-धीर नमबर कम होत-होत छट जाता भी जाता ह ासोचछोवास का मागर साफ हो जाता ह मिःतक म ताजगी रहती ह जकाम-सद होन क अवसर कम हो जात ह जलनित की िबया करन

स दमा टीबी खासी नकसीर बहरापन आिद छोटी-मोटी 1500 बीमी रया दर होती ह जलनित करन वाल को बहत लाभ होत ह िच म सननता बनी रहती ह

गजकरणी िविधः करीब दो िलटर पानी गनगना सा गरम कर उसम करीब 20 माम श

नमक घोल द सनधव िमल जाय तो अचछा ह अब पजो क बल बठकर वह पानी िगलास भर-भर क पीत जाय खब िपय अिधकाअिधक िपय पट जब िबलकल भर जाय गल तक आ जाय पानी बाहर िनकालन की कोिशश कर तब दािहन हाथ की दो बड़ी अगिलया मह म डाल कर उलटी कर िपया हआ सब पानी बाहर िनकाल द पट िबलकल हलका हो जाय तब पाच िमनट तक आराम कर

गजकरणी करन क एकाध घणट क बाद कवल पतली िखचड़ी ही भोजन म ल भोजन क बाद तीन घणट तक पानी न िपय सोय नही ठणड पानी स ःनान कर तीन घणट क बाद ारमभ म थोड़ा गरम पानी िपय

लाभः गजकरणी स एिसडीटी क रोगी को अदभत लाभ होता ह ऐस रोगी को चार-पाच िदन म एक बार गजकरणी चािहए ततप ात महीन म एक बार दो महीन म एक बार छः महीन म एक बार भी गजकरणी कर सकत ह

ातःकाल खाली पट तलसी क पाच-सात प चबाकर ऊपर स थोड़ा जल िपय एसीडीटी क रोगी को इसस बहत लाभ होगा

वष परान कबज क रोिगयो को स ाह म एक बार गजकरणी की िबया अवय करनी चािहए उनका आमाशय मिनथसःथान कमजोर हो जान स भोजन हजम होन म गड़बड़ रहती ह गजकरणी करन स इसम लाभ होता ह फोड़ फनसी िसर म गम सद बखार खासी दमा टीबी वात-िप -कफ क दोष िज ा क रोग गल क रोग छाती क रोग छाती का ददर एव मदाि न म गजकरणी िबया लाभकारक ह

शरीर शोधन-कायाकलप

यह चालीस िदन का कलप ह प यपाद आसारामजी बाप न यह योग िकया हआ ह इसस शरीर सडौल ःवःथ और फत ला बनता ह र म नय-नय कण बनत ह शरीर क कोषो की शि बढ़ती ह मन-बि म चमतका रक लाभ होत ह

िविधः अगल िदन पपीता सव आिद फल उिचत माऽा म ल अथवा मन का 50 माम दस घणट पहल िभगो द उनको उबालकर बीज िनकाल द मन का खा ल और पानी पी ल

ातःकाल उठकर सकलप कर िक इस कलप क दौरान िनि त िकय हए कायरबम क अनसार ही रहगा

शौच-ःनानािद िनतयकमर स िनव होकर सबह 8 बज 200 या 250 माम गाय का उबला हआ गनगना दध िपय पौन घणटा पणर आराम कर बाद म िफर स दध िपय शारी रक ौम कम स कम कर ॐ सोsह हसः इस मऽ का मानिसक जप कर कभी ास को िनहार बस साकषीभाव

मनोरा य चलता हो तो ॐ जोर-जोर स जप कर

इस कार शाम तक िजतना दध हजम कर सक उतना दध दो स तीन िलटर िपय 40 िदन तक कवल द धाहार क बाद 41व िदन मग का उबला हआ पानी मोसममी का रस आिद ल रािऽ को अिधक मगवाली हलकी िखचड़ी खाय इस कार शरीर-शोधन-कायाकलप की पणारहित कर

यिद बि तीकषण बनानी हो ःमरणशि बढ़ानी हो तो कलप क दौरान ॐ ऐ नमः इस मऽ का जप कर सयर को अ यर द

इस कलप म दध क िसवाय अनय कोई खराक लना मना ह चाय तमबाक आिद यसन िनिष ह ि यो क सग स दर रहना तथा चयर का पालन अतयनत आवयक ह

कलजग नही करजग ह यह

कलजग नही करजग ह यह यहा िदन को द अ रात ल

या खब सौदा नकद ह इस हाथ द उस हाथ ल टक

दिनया अजब बाज़ार ह कछ िजनस1 या िक साथ ल

नकी का बदला नक ह बद स बदी की बात ल

मवा िखला मवा िमल फल फल द फल पात ल

आराम द आराम ल दःख ददर द आफत2 ल 1

काटा िकसी को मत लगा गो िमःल-गल3 फला ह त

वह तर हक4 म तीर ह िकस बात पर झला ह त

मत आग म डाल और को या घास का पला ह त

सन ऱख यह नकता5 बखबर िकस बात पर भला ह त

कलजग नही 2

शोखी शरारत मकरो-फन6 सबका बसखा7 ह यहा

जो जो िदखाया और को वह खद भी दखा ह यहा

खोटी खरी जो कछ कही ितसका परखा8 ह यहा

जो जो पड़ा तलता ह मोल ितल ितल का लखा ह यहा

कलजग नही 3

जो और की बःती9 रख उसका भी बसता ह परा

जो और क मार छरी उसको भी लगता ह छरा

जो और की तोड़ घड़ी उसका भी टट ह घड़ा

जो और की चत10 बदी उसका भी होता ह बरा

कलजग नही 4

जो और को फल दवगा वह भी सदा फल पावगा

गह स गह जौ स जौ चावल स चावल पावगा

जो आज दवगा यहा वसा ही वह कल पावगा

कल दवगा कल पावगा िफर दवगा िफर पावगा

कलजग नही 5

जो चाह ल चल इस घड़ी सब िजनस यहा तयार ह

आराम म आराम ह आजार म आजार11 ह

दिनया न जान इसको िमया दरया की यह मझधार ह

औरो का बड़ा पार कर तरा भी बड़ा पार ह

कलजग नही 6

त और की तारीफ कर तझको सना वानी12 िमल

कर मिकल आसा औरो की तझको भी आसानी िमल

त और को महमान कर तझको भी महमानी िमल

रोटी िखला रोटी िमल पानी िपला पानी िमल

कलजग नही 7

जो गल13 िखलाव और का उसका ही गल िखलता भी ह

जो और का कील14 ह मह उसका ही मह िकलता भी ह

जो और का छील िजगर उसका िजगर िछलता भी ह

जो और को दव कपट उसको कपट िमलता भी ह

कलजग नही 8

कर जो कछ करना ह अब यह दम तो कोई आन15 ह

नकसान म नकसान ह एहसान म एहसान ह

तोहमत म यहा तोहमत िमल तफान म तफान ह

रहमान16 को रहमान17 ह शतान को शतान ह

कलजग नही 9

यहा जहर द तो जहर ल श कर म श कर दख ल

नको का नकी का मजा मजी18 को ट कर दख ल

मोती िदय मोती िमल पतथर म पतथर दख ल

गर तझको यह बावर19 नही तो त भी करक दख ल

कलजग नही 10

अपन नफ क वाःत मत और का नकसान कर

तरा भी नकसा होवगा इस बात पर त धयान कर

खाना जो खा सो दखकर पानी िपय तो छानकर

या पावो को रख फककर और खोफ स गजरान कर

कलजग नही 11

गफलत की यह जगह नही त सािहब-इदराक20 रह

िदलशाद21 ऱख िदल शाह रह गमनाक रख गमनाक रह

हर हाल म भी त नजीर22 अब हर कदम की रह

यह वह मका ह ओ िमया या पाक23 रह बबाक24 रह

कलजग नही 12

1 वःत 2 मसीबत 3 पप की तरह 4 तर िलय 5 रहःय 6 दगा-धोखा 7 घर 8 परखना 9 नगरी 10 िवचार कर 11 दःख 12 तारीफ-ःतित 13 फल 14 िकसी को बोलन न दना 15 घड़ी पल 16 दयावान 17 दयाल भगवान 18 सतान वाला 19 िव ास 20 तीो ा तज समझन वाला प ष 21 सननिच 22 किव का नाम ह 23 श पिवऽ 24 िनडर

  • आधयातमिक विदया क उदगाता
  • सवासथय क लिए मतर
  • परासताविक
  • बरहमचरय-रकषा का मनतर
  • आसनो की परकिया म आन वाल कछ शबदो की समझ
  • आवशयक निरदश
  • योगासन
    • पदमासन या कमलासन
    • सिदधासन
    • सरवागासन
    • हलासन
    • पवनमकतासन
    • मतसयासन
    • भजगासन
    • धनरासन
    • चकरासन
    • कटिपिणडमरदनासन
    • अरधमतसयनदरासन
    • योगमदरासन
    • गोरकषासन या भदरासन
    • मयरासन
    • वजरासन
    • सपतवजरासन
    • शवासन
    • पादपशचिमोततानासन
      • तरिबनध
        • मलबनध
        • उडडीयान बनध
        • जालनधरबनध
          • कवली कमभक
          • जलनति
          • गजकरणी
          • शरीर शोधन-कायाकलप
          • कलजग नही करजग ह यह
Page 13: अनुबम - || Home || HariOmGroup · िस होता है। िवशु नाड़ीतंऽ वालेयोगी के िवशु शरीर में

सवागासन

भिम पर सोकर शरीर को ऊपर उठाया जाता ह इसिलए इसको सवागासन कहत ह

धयान िवश ा य चब म ास रचक परक और दीघर

िविधः भिम पर िबछ हए आसन पर िच होकर लट जाए ास को बाहर िनकाल कर अथारत रचक करक कमर तक क दोनो पर सीध और परःपर लग हए रखकर ऊपर उठाए िफर पीठ का भाग भी ऊपर उठाए दोनो हाथो स कमर को आधार द हाथ की कहिनया भिम स लग रह गरदन और कनध क बल परा शरीर ऊपर की और सीधा खड़ा कर द ठोडी छाती क साथ िचपक जाए दोनो पर आकाश की ओर रह ी दोनो परो क अगठो की ओर रह अथवा आख बनद करक िच वि को कणठदश म िवश ा य चब म िःथर कर परक करक ास को दीघर सामानय चलन द

इस आसन का अ य़ास ढ़ होन क बाद दोनो परो को आग पीछ झकात हए जमीन को लगात हए अनय आसन भी हो सकत ह सवागासन की िःथित म दोनो परो को जाघो पर लगाकर प ासन भी िकया जा सकता ह

ारमभ म तीन स पाच िमनट तक यह आसन कर अ यासी तीन घणट तक इस आसन का समय बढ़ा सकत ह

लाभः सवागासन क िनतय अ यास स जठराि न तज होती ह साधक को अपनी िच क अनसार भोजन की माऽा बढ़ानी चािहए सवागासन क अ यास स शरीर की तवचा लटकन नही लगती तथा शरीर म झ ररया नही पड़ती बाल सफद होकर िगरत नही हर रोज़ एक हर तक सवागासन का अ यास करन स मतय पर िवजय िमलती ह

शरीर म सामथयर बढ़ता ह तीनो दोषो का शमन होता ह वीयर की ऊधवरगित होकर अनतःकरण श होता ह मधाशि बढ़ती ह िचर यौवन की ाि होती ह

इस आसन स थायराइड नामक अनतःमिनथ की शि बढ़ती ह वहा र सचार तीो गित स होन लगता ह इसस उस पोषण िमलता ह थायराइड क रोगी को इस आसन स अदभत लाभ होता ह िलवर और पलीहा क रोग दर होत ह ःमरणशि बढ़ती ह मख पर स महास एव अनय दाग दर होकर मख तजःवी बनता ह जठर एव नीच उतरी हई आत अपन मल ःथान पर िःथर होती ह प षातन मिनथ पर सवागासन का अचछा भाव पड़ता ह ःवपनदोष दर होता ह मानिसक बौि क वि करन वालो को तथा िवशषकर िव ािथरयो को यह आसन अवय करना चािहए

मनदाि न अजीणर कबज अशर थायराइड का अलप िवकास थोड़ िदनो का अपनडीसाइिटस और साधारण गाठ अगिवकार असमय आया हआ व तव दमा कफ

चमड़ी क रोग र दोष ि यो को मािसक धमर की अिनयिमतता एव ददर मािसक न आना अथवा अिधक आना इतयािद रोगो म इस आसन स लाभ होता ह नऽ और मिःतक की शि बढ़ती ह उनक रोग दर होत ह

थायराइड क अित िवकासवाल खब कमजोर दयवाल और अतयिधक चब वाल लोगो को िकसी अनभवी की सलाह लकर ही सवागासन करना चािहए

शीषारसन करन स जो लाभ होता ह व सब लाभ सवागासन और पादपि मो ानसन करन स िमल जात ह शीषारसन म गफलत होन स जो हािन होती ह वसी हािन होन की सभावना सवागासन और पादपि मो ानासन म नही ह

हलासन

इस आसन म शरीर का आकार हल जसा बनता ह इसिलए इसको हलासन कहा जाता ह

धयान िवश ा या चब म ास रचक और बाद म दीघर

िविधः भिम पर िबछ हए आसन पर िच होकर लट जाए दोनो हाथ शरीर को लग रह अब रचक करक ास को बाहर िनकाल द दोनो परो को एक साथ धीर-धीर ऊच करत जाय आकाश की ओर पर उठाकर िफर पीछ िसर क तरफ झकाय पर िबलकल तन हए रखकर पज ज़मीन पर लगाय ठोड़ी छाती स लगी रह िच वि को िवश ा या चब म िःथर कर दो-तीन िमनट स लकर बीस िमनट तक समय की अविध बढ़ा सकत ह

लाभः हलासन क अ यास स अजीणर कबज अशर थायराइड का अलप िवकास अगिवकार असमय व तव दमा कफ र िवकार आिद दर होत ह इस आसन स िलवर अचछा होता ह छाती का िवकास होता ह सनिबया तज होकर ऑ सीजन स र श बनता ह गल क ददर पट की बीमारी सिधवात आिद दर होत ह पट की चरबी कम होती ह िसरददर दर होता ह वीयरिव कार िनमरल होता ह खराब िवचार बनद होत ह नाड़ी तऽ श होता ह शरीर बलवान और तजःवी बनता ह गिभरणी ि यो क िसवा हर एक को यह आसन करना चािहए

रीढ़ म कठोरता होना यह व ावःथा का िच ह हलासन स रीढ़ लचीली बनती ह इसस यवावःथा की शि ःफितर ःवाःथय और उतसाह बना रहता ह म दणड

समबनधी नािड़यो क ःवाःथय की रकषा होकर व ावःथा क लकषण जलदी नही आत जठर की नािड़यो को शि ा होती ह

जठर की मासपिशया तथा पाचनतऽ क अगो की नािड़यो की दबरलता क कारण अगर मदाि न एव कबज हो तो हलासन स दर होत ह कमर पीठ एव गरदन क रोग न होत ह िलवर और पलीहा बढ़ गए हो तो हलासन स सामानय अवःथा म आ जात ह काम कनि की शि बढ़ती ह अपानशि का उतथान होकर उदान पी अि न का योग होन स वीयरशि ऊधवरगामी बनती ह हलासन स वीयर का ःतभन होता ह यह आसन अणडकोष की वि पिनबयास अपिनड स आिद को ठीक करता ह थायराइड मिनथ की िबयाशीलता बढ़ती ह धयान करन स िवश चब जागत हो जाता ह

पवनम ासन

शरीर म िःथत पवन (वाय) यह आसन करन स म होता ह इसिलए इस पवनम ासन कहा जाता ह

धयान मिणपर चब म ास पहल परक िफर कमभक और रचक

िविधः भिम पर िबछ हए आसन पर िच होकर लट जाय परक करक फफड़ो म ास भर ल अब िकसी भी एक पर को घटन स मोड़ द दोनो हाथो की अगिलयो को

परःपर िमलाकर उसक ारा मोड़ हए घटनो को पकड़कर पट क साथ लगा द िफर िसर को ऊपर उठाकर मोड़ हए घटनो पर नाक लगाए दसरा पर ज़मीन पर सीधा रह इस िबया क दौरान ास को रोककर कमभक चाल रख िसर और मोड़ा हआ पर भिम पर पवरवत रखन क बाद ही रचक कर दोनो परो को बारी -बारी स मोड़कर यह िबया कर दोनो पर एक साथ मोड़कर भी यह आसन हो सकता ह

लाभः पवनम ासन क िनयिमत अ यास स पट की चरबी कम होती ह पट की वाय न होकर पट िवकार रिहत बनता ह कबज दर होता ह पट म अफारा हो तो इस आसन स लाभ होता ह ातःकाल म शौचिबया ठीक स न होती हो तो थोड़ा पानी पीकर यह आसन 15-20 बार करन स शौच खलकर होगा

इस आसन स ःमरणशि बढ़ती ह बौि क कायर करन वाल डॉ टर वकील सािहतयकार िव ाथ तथा बठकर वि करन वाल मनीम यापारी आिद लोगो को िनयिमत प स पवनम ासन करना चािहए

मतःयासन

मतःय का अथर ह मछली इस आसन म शरीर का आकार मछली जसा बनता ह अतः मतःयासन कहलाता ह पलािवनी ाणायाम क साथ इस आसन की िःथित म लमब समय तक पानी म तर सकत ह

धयान िवश ा या चब म ास पहल रचक बिहकर मभक िफर परक और रचक

िविधः भिम पर िबछ हए आसन पर प ासन लगाकर सीध बठ जाय िफर परो को प ासन की िःथित म ही रखकर हाथ क आधार स सावधानी पवरक पीछ की ओर िच होकर लट जाय रचक करक कमर को ऊपर उठाय घटन िनतब और मःतक क िशखा ःथान को भिम क ःथान लगाय रख िशखाःथान क नीच कोई नरम कपड़ा

अवय रख बाय हाथ स दािहन पर का अगठा और दािहन हाथ स बाय पर का अगठा पकड़ दोनो कहिनया ज़मीन को लगाय रख कमभक की िःथित म रहकर ि को पीछ की ओर िसर क पास ल जान की कोिशश कर दात दब हए और मह बनद रख एक िमनट स ारमभ करक पाच िमनट तक अ यास बढ़ाय िफर हाथ खोलकर कमर भिम को लगाकर िसर ऊपर उठाकर बठ जाय परक करक रचक कर

पहल भिम पर लट कर िफर प ासन लगाकर भी मतःयासन हो सकता ह

लाभः मतःयासन स परा शरीर मजबत बनता ह गला छाती पट की तमाम बीमा रया दर होती ह आखो की रोशनी बढ़ती ह गला साफ रहता ह सनिबया ठीक स चलती ह कनधो की नस उलटी मड़ती ह इसस छाती व फफड़ो का िवकास होता ह पट साफ रहता ह आतो का मल दर होता ह र ािभसरण की गित बढ़ती ह फलतः चमड़ी क रोग नही होत दमा और खासी दर होती ह छाती चौड़ी बनती ह पट की चरबी कम होती ह इस आसन स अपानवाय की गित नीच की ओर होन स मलावरोध दर होता ह थोड़ा पानी पीकर यह आ सन करन स शौच-शि म सहायता िमलती ह

मतःयासन स ि यो क मािसकधमर समबनधी सब रोग दर होत ह मािसकॐाव िनयिमत बनता ह

भजगासन

इस आसन म शरीर की आकित फन उठाय हए भजग अथारत सपर जसी बनती ह इसिलए इसको भजगासना कहा जाता ह

धयान िवश ा या चब म ास ऊपर उठात व परक और नीच की ओर जात समय रचक

िविधः भिम पर िबछ हए कमबल पर पट क बल उलट होकर लट जाय दोनो पर और पज परःपर िमल हए रह परो क अगठो को पीछ की ओर खीच दोनो हाथ िसर क तरफ लमब कर द परो क अगठ नािभ छाती ललाट और हाथ की हथिलया भिम पर एक सीध म रख

अब दोनो हथिलयो को कमर क पास ल जाय िसर और कमर ऊपर उठाकर िजतना हो सक उतन पीछ की ओर मोड़ नािभ भिम स लगी रह पर शरीर का वजन हाथ क पज पर आएगा शरीर की िःथित कमान जसी बनगी म दणड क आिखरी भाग पर दबाव किनित होगा िच वि को कणठ म और ि को आकाश की तरफ िःथर कर

20 सकणड तक यह िःथित रख बाद म धीर-धीर िसर को नीच ल आय छाती भिम पर रख िफर िसर को भिम स लगन द आसन िस हो जान क बाद आसन करत समय ास भरक कमभक कर आसन छोड़त समय मल िःथित म आन क बाद ास को खब धीर-धीर छोड़ हर रोज एक साथ 8-10 बार यह आसन कर

लाभः घरड सिहता म इसका लाभ बतात हए कहा ह - भजगासन स जठराि न दी होती ह सवर रोगो का नाश होता ह और कणडिलनी जागत होती ह

म दणड क तमाम मनको को तथा गरदन क आसपास वाल ःनायओ को अिधक श र िमलता ह फलतः नाड़ी तऽ सचत बनता ह िचरजीवी शि मान एव स ढ़ बनता ह िवशषकर मिःतक स िनकलन वाल ानतत बलवान बनत ह पीठ की हिडडय़ो म रहन वाली तमाम खरािबया दर होती ह पट क ःनाय म िखचाव आन स वहा क अगो को शि िमलती ह उदरगहा म दबाव बढ़न स कबज दर होता ह छाती और पट का िवकास होता ह तथा उनक रोग िमट जात ह गभारशय एव बोनाशय अचछ बनत ह फलतः मािसकॐाव क रिहत होता ह मािसक धमर समबनधी समःत िशकायत दर होती ह अित ौम करन क कारण लगन वाली थकान दर होती ह भोजन क बाद होन वाल वाय का ददर न होता ह शरीर म ःफितर आती ह कफ-िपतवालो क िलए यह आसन लाभदायी ह भजगासन करन स दय मजबत बनता ह मधमह और उदर क

रोगो स मि िमलती ह दर अित मािसकॐाव तथा अलप मािसकॐाव जस रोग दर होत ह

इस आसन स म दणड लचीला बनता ह पीठ म िःथत इड़ा और िपगला नािड़यो पर अचछा भाव पड़ता ह कणडिलनी शि जागत करन क िलय यह आसन सहायक ह अमाशय की मासपिशयो का अचछा िवकास होता ह थकान क कारण पीठ म पीड़ा होती हो तो िसफर एक बार ही यह आसन करन स पीड़ा दर होती ह म दणड की कोई हडडी ःथान हो गई हो तो भजगासन करन स यथाःथान म वापस आ जाती ह

धनरासन

इस आसन म शरीर की आकित खीच हए धनष जसी बनती ह अतः इसको धनरासन कहा जाता ह

धयान मिणपर चब म ास नीच की िःथित म रचक और ऊपर की िःथित म परक

िविधः भिम पर िबछ हए कमबल पर पट क बल उलट होकर लट जाय दोनो पर परःपर िमल हए रह अब दोनो प रो को घटनो स मोड़ दोनो हाथो को पीछ ल जाकर दोनो परो को टखनो स पकड़ रचक करक हाथ स पकड़ हए परो को कसकर धीर -धीर खीच िजतना हो सक उतना िसर पीछ की ओर ल जान की कोिशश कर ि भी ऊपर एव पीछ की ओर रहनी चािहए समम शरीर का बोझ कवल नािभदश क ऊपर ही रहगा कमर स ऊपर का धड़ एव कमर स नीच पर पर ऊपर की ओर मड़ हए रहग

कमभक करक इस िःथित म िटक रह बाद म हाथ खोलकर पर तथा िसर को मल अवःथा म ल जाय और परक कर ारभ म पाच सकणड यह आसन कर धीर-धीर समय बढ़ाकर तीन िमनट या उसस भी अिधक समय इस आसन का अ यास कर तीन-चार बार यह आसन करना चािहए

लाभः धनरासन क अ यास स पट की चरबी कम होती ह गस दर होती ह पट को रोग न होत ह कबज म लाभ होता ह भख खलती ह छाती का ददर दर होता ह दय की धडकन मजबत बनती ह ास िक िबया यविःथत चलती ह मखाकित सदर बनती ह आखो की रोशनी बढ़ती ह और तमाम रोग दर होत ह हाथ -पर म होन वाला कपन कता ह शरीर का सौनदयर बढ़ता ह पट क ःनायओ म िखचाव आन स पट को अचछा लाभ होता ह आतो पर खब दबाव पड़न स पट क अगो पर भी दबाव पड़ता ह फलतः आतो म पाचकरस आन लगता ह इसस जठराि न तज होती ह पाचनशि बढ़ती ह वायरोग न होता ह पट क कषऽ म र का सचार अिधक होता ह धनरासन म भजगासन और शलभासन का समावश हो जान क कारण इन दोनो आसनो क लाभ िमलत ह ि यो क िलए यह आसन खब लाभकारक ह इसस मािसक धमर क िवकार गभारशय क तमाम रोग दर होत ह

चबासन

इस आसन म शरीर की आकित चब जसी बनती ह अतः चबासन कहा जाता ह

धयान मिणपर चब म ास दीघर ःवाभािवक

िविधः भिम पर िबछ हए आसन पर िच होकर लट जाय घटनो स पर मोड़ कर ऊपर उठाय पर क तलव ज़मीन स लग रह दो परो क बीच करीब डढ़ फीट का अनतर रख दोनो हाथ मःतक की तरफ उठाकर पीछ की ओर दोनो हथिलयो को ज़मीन पर जमाय दोनो हथिलयो क बीच भी करीब डढ़ फीट का अनतर रख अब हाथ और पर क बल स पर शरीर को कमर स मोड़कर ऊपर उठाय हाथ को धीर-धीर पर की ओर ल जाकर ःमपशर शरीर का आकार व या चब जसा बनाय आख बनद रख ास की गित ःवाभािवक चलन द िच वि मिणपर चब (नािभ कनि) म िःथर कर आख खली भी रख सकत ह एक िमनट स पाच िमनट तक अ यास बढ़ा सकत ह

लाभः म दणड तथा शरीर की समःत नािड़यो का शि करण होकर यौिगक चब जागत होत ह लकवा तथा शरीर की कमजो रया दर होती ह मःतक गदरन पीठ पट

कमर हाथ पर घटन आिद सब अग मजबत बनत ह सिनध ःथानो ददर नही होता पाचनशि बढ़ती ह पट की अनावयक चरबी दर होती ह शरीर तजःवी और फत ला बनता ह िवकारी िवचार न होत ह ःवपनदोष की बीमारी अलिवदा होती ह चबासन क िनयिमत अ यास स व ावःथा म कमर झकती नही शरीर सीधा तना हआ रहता ह

किटिपणडमदरनासन

इस आसन म किटदश (कमर क पास वाल भाग) म िःथत िपणड अथारत मऽिपणड का मदरन होता ह इसस यह आसन किटिपणडमदरनासन कहलाता ह

धयान ःवािध ान चब म ास परक और कमभक

िविधः िबछ हए कमबल पर पीठ क बल िच होकर लट जाय दोनो हाथो को आमन-सामन फला द मि ठया बनद रख दोनो परो को घटनो स मोड़कर खड़ कर द पर क तलव ज़मीन स लग रह दोनो परो क बीच इतना अनतर रख िक घटनो को ज़मीन पर झकान स एक पर का घटना दसर पर की एड़ी को लग िसर दायी ओर मड़ तो दोनो घटन दािहनी ओर ज़मीन को लग इस कार 15-20 बार िबया कर इस कार दोनो परो को एक साथ रखकर भी िबया कर

लाभः िजसको पथरी की तकलीफ हो उस आौम (सत ौी आसारामजी आौम साबरमित अमदावाद-5) स िबना मलय िमलती काली भःम करीब डढ़ माम भोजन स आधा घणटा पवर और भोजन क बाद एक िगलास पानी क साथ लना चािहए और यह आसन भख पट ठीक ढग स करना चािहए इसस पथरी क ददर म लाभ होता ह पथरी टकड़ -टकड़ होकर मऽ क ारा बाहर िनकलन लगती ह मऽिवकार दर होता ह कमर ददर साइिटका रीढ़ की हडडी की जकड़न उदासीनता िनराशा डायािबटीज नपसकता गस पर की गाठ इतयािद रोगो म शीय लाभ होता ह नािभ ःथान स चयत हो जाती हो तो पनः अपन ःथान म आ जाती ह

मािसक धमर क समय एव गभारवःथा म ि या यह आसन न कर कबज का रोगी सबह शौच जान स पहल उषःपान करक यह आसन कर तो चमतका रक लाभ होता ह ास को अनदर भर क पट को फलाकर यह आसन करन स कबज जलदी दर होता ह

अधरमतःयनिासन

कहा जाता ह िक मतःयनिासन की रचना गोरखनाथ क ग ःवामी मतःयनिनाथ न की थी व इस आसन म धयान िकया करत थ मतःयनिासन की आधी िबयाओ को लकर अधरमतःयनिासन चिलत हआ ह

धयान अनाहत चब म ास दीघर

िविधः दोनो परो को लमब करक आसन पर बठ जाओ बाय पर को घटन स मोड़कर एड़ी गदा ार क नीच जमाय पर क तलव को दािहनी जघा क साथ लगा द अब दािहन पर को घटन स मोड़कर खड़ा कर द और बाय पर की जघा स ऊपर ल जात हए जघा क पीछ ज़मीन क ऊपर ऱख द आसन क िलए यह पवरभिमका तयार हो गई

अब बाय हाथ को दािहन पर क घटन स पार करक अथारत घटन को बगल म दबात हए बाय हाथ स दािहन पर का अ गठा पकड़ धड़ को दािहनी ओर मोड़ िजसस दािहन पर क घटन क ऊपर बाय कनध का दबाव ठीक स पड़ अब दािहना हाथ पीठ क पीछ स घमाकर बाय पर की जाघ का िनमन भाग पकड़ िसर दािहनी ओर इतना घमाय िक ठोड़ी और बाया कनधा एक सीधी रखा म आ जाय छाती िबलकल तनी हई रख नीच की ओर झक नही िच वि नािभ क पीछ क भाग म िःथत मिणपर चब म िःथर कर

यह एक तरफ का आसन हआ इसी कार पहल दािहना पर मोड़कर एड़ी गदा ार क नीच दबाकर दसरी तरफ का आसन भी कर ारमभ म पाच सकणड य ह आसन करना पयार ह िफर अ यास बढ़ाकर एक एक तरफ एक एक िमनट तक आसन कर सकत ह

लाभः अधरमतःयनिासन स म दणड ःवःथ रहन स यौवन की ःफितर बनी रहती ह रीढ़ की हिडडयो क साथ उनम स िनकलन वाली नािडयो को भी अचछी कसरत िमल जाती ह पट क िविभनन अगो को भी अचछा लाभ होता ह पीठ पट क नल पर गदरन

हाथ कमर नािभ स नीच क भाग एव छाती की नािड़यो को अचछा िखचाव िमलन स उन पर अचछा भाव पड़ता ह फलतः बनधकोष दर होता ह जठराि न तीो होती ह िवकत यकत पलीहा तथा िनिबय व क क िलए यह आसन लाभदायी ह कमर पीठ और सिनधःथानो क ददर जलदी दर हो जात ह

योगमिासन

योगा यास म यह मिा अित मह वपणर ह इसस इसका नाम योगमिासन रखा गया ह

धयान मिणपर चब म ास रचक कमभक और परक

िविधः प ासन लगाकर दोनो हाथो को पीठ क पीछ ल जाय बाय हाथ स दािहन हाथ की कलाई पकड़ दोनो हाथो को खीचकर कमर तथा रीढ़ क िमलन ःथान पर ल जाय अब रचक करक कमभक कर ास को रोककर शरीर को आग झकाकर भिम पर टक द िफर धीर-धीर िसर को उठाकर शरीर को पनः सीधा कर द और परक कर ारभ म यह आसन किठन लग तो सखासन या िस ासन म बठकर कर पणर लाभ तो प ासन म बठकर करन स ही होता ह पाचनतनऽ क अगो की ःथान ता ठीक करन क िलए यिद यह आसन करत हो तो कवल पाच-दस सकणड तक ही कर एक बठक म तीन स पाच बार सामानयतः यह आसन तीन िमनट तक करना चािहए आधयाितमक उ य स योगमिासन करत हो तो समय की अविध िच और शि क अनसार बढ़ाय

लाभः योगमिासन भली कार िस होता ह तब कणडिलिन शि जागत होती ह पट की गस की बीमारी दर होती ह पट एव आतो की सब िशकायत दर होती ह कलजा फफड़ आिद यथा ःथान रहत ह दय मजबत बनता ह र क िवकार दर होत

ह क और यौनिवकार न होत ह पट बड़ा हो तो अनदर दब जाता ह शरीर मजबत बनता ह मानिसक शि बढ़ती ह

योगमिासन स उदरपटल सश बनता ह पट क अगो को अपन ःथान िटक रहन म सहायता िमलती ह नाड़ीतऽ और खास करक कमर क नाड़ी मणडल को बल िमलता ह

इस आसन म सामनयतः जहा एिड़या लगती ह वहा कबज क अग होत ह उन पर दबाव पड़न स आतो म उ जना आती ह पराना कबज दर होता ह अगो की ःथान ता क कारण होन वाला कबज भी अग अपन ःथान म पनः यथावत िःथत हो जान स न हो जाता ह धात की दबरलता म योगमिासन खब लाभदायक ह

गोरकषासन या भिासन

धयान मलाधार चब म ास थम िःथित म परक और दसरी िःथित म कमभक

िविधः िबछ हए आसन पर बठ जाय दािहना पर घटन स मोड़कर एड़ी सीवन (उपःथ और गदा क मधय) क दािहन भाग म और बाया पर मोड़कर एड़ी सीवन क बाय भाग म इस कार रख िक दोनो पर क तलव एक दसर को लगकर रह

रचक करक दोनो हाथ सामन ज़मीन पर टककर शरीर को ऊपर उठाय और दोनो पर क पजो पर इस कार बठ िक शरीर का वजन एड़ी क मधय भाग म आय अगिलयो वाला भाग छटा रह अब परक करत -करत दोनो हाथो की हथिलयो को घटनो पर रख

अनत म कमभक करक ठोड़ी छाती पर दबाय िच वि मलाधार चब म और ि भी उसी िदशा म लगाय बमशः अ यास बढ़ाकर दसक िमनट तक यह आसन कर

लाभः इस आसन क अ यास स पर क सब सिनध ःथान तथा ःनाय सश बनत ह वाय ऊधवरगामी होकर जठराि न दी करता ह िदनो िदन जड़ता न होन लगती ह शरीर पतला होता ह सकलपबल बढ़ता ह बि तीकषण होती ह कलपनाशि का िवकास होता ह ाणापान की एकता होती ह नादोतपि होन लगती ह िबनद िःथर होकर िच की चचलता कम होती ह आहार का सपणरतया पाचन हो जान क कारण मलमऽ अलप होन लगत ह शरीर शि होन लगती ह तन म ःफितर एव मन म सननता अपन आप कट होती ह ःनाय स ढ़ बनत ह धातकषय गस मधमह ःवपनदोष अजीणर कमर का ददर गदरन की दबरलता बनधकोष मनदाि न िसरददर कषय

दयरोग अिनिा दमा मछाररोग बवासीर आऽपचछ पाणडरोग जलोदर भगनदर कोढ़ उलटी िहचकी अितसार आव उदररोग नऽिवकार आिद अस य रोगो म इस आसन स लाभ होत ह

मयरासन

इस आसन म मयर अथारत मोर की आकित बनती ह इसस इस मयरासन कहा जाता ह

धयान मिणपर चब म ास बा कमभक

िविधः जमीन पर घटन िटकाकर बठ जाय दोनो हाथ की हथिलयो को जमीन पर इस कार रख िक सब अगिलया पर की िदशा म हो और परःपर लगी रह दोनो कहिनयो को मोड़कर पट क कोमल भाग पर नािभ क इदरिगदर रख अब आग झककर दोनो पर को पीछ की लमब कर ास बाहर िनकाल कर दोनो पर को जमीन स ऊपर उठाय और िसर का भाग नीच झकाय इस कार परा शरीर ज़मीन क बराबर समानानतर रह ऐसी िःथित बनाय सपणर शरीर का वजन कवल दो हथिलयो पर ही

रहगा िजतना समय रह सक उतना समय इस िःथित म रहकर िफर मल िःथित म आ जाय इस कार दो-तीन बार कर

लाभः मयरासन करन स चयर-पालन म सहायता िमलती ह पाचन तऽ क अगो की र का वाह अिधक बढ़न स व अग बलवान और कायरशील बनत ह पट क भीतर क भागो म दबाव पड़न स उनकी शि बढ़ती ह उदर क अगो की िशिथलता और मनदाि न दर करन म मयरासन बहत उपयोगी ह

वळासन

वळासन का अथर ह बलवान िःथित पाचनशि वीयरशि तथा ःनायशि दन वाला होन स यह आसन वळासन कहलाता ह

धयान मलाधार चब म और ास दीघर

िविधः िबछ हए आसन पर दोनो परो को घटनो स मोड़कर एिड़यो पर बठ जाय पर क दोनो अगठ परःपर लग रह पर क तलवो क ऊपर िनतमब रह कमर और पीठ िबलकल सीधी रह दोनो हाथ को कहिनयो स मोड़ िबना घटनो पर रख द हथिलया नीच की ओर रह ि सामन िःथर कर द

पाच िमनट स लकर आध घणट तक वळासन का अ यास कर सकत ह वळासन लगाकर भिम पर लट जान स स वळासन होता ह

लाभः वळासन क अ यास स शरीर का मधयभाग सीधा रहता ह ास की गित मनद पड़न स वाय बढ़ती ह आखो की योित तज होती ह वळनाड़ी अथारत वीयरधारा नाड़ी मजबत बनती ह वीयर की ऊधवरगित होन स शरीर वळ जसा बनता ह लमब समय तक सरलता स यह आसन कर सकत ह इसस मन की चचलता दर होकर यि िःथर बि वाला बनता ह शरीर म र ािभसरण ठीक स होकर शरीर िनरोगी एव सनदर बनता ह

भोजन क बाद इस आसन स बठन स पाचन शि तज होती ह कबज दर होती ह भोजन जलदी ह म होता ह पट की वाय का नाश होता ह कबज दर होकर पट क तमाम रोग न होत ह पाणडरोग स मि िमलती ह रीढ़ कमर जाघ घटन और परो म शि बढ़ती ह कमर और पर का वाय रोग दर होता ह ःमरणशि म वि होती ह ि यो क मािसक धमर की अिनयिमतता जस रोग दर होत ह शबदोष वीयरदोष घटनो का ददर आिद का नाश होता ह ःनाय प होत ह ःफितर बढ़ान क िलए एव मानिसक िनराशा दर कर न क िलए यह आसन उपयोगी ह धयान क िलय भी यह आसन उ म ह इसक अ यास स शारी रक ःफितर एव मानिसक सननता कट होती ह िदन-ितिदन शि का सचय होता ह इसिलए शारी रक बल म खब वि होती ह काग का िगरना अथारत गल क टािनसलस हिडडयो क पोल आिद ःथानो म उतपनन होन वाल तकण की स या म वि होन स आरो य का साा य ःथािपत होता ह िफर यि

बखार स िसरददर स कबज स मदाि न स या अजीणर जस छोट-मोट िकसी भी रोग स पीिड़त नही रहता योिक रोग आरो य क साा य म िव होन का साहस ही नही कर पात

स वळासन

धयान िवश ा याचब म ास दीघर सामानय

िविधः वळासन म बठन क बाद िच होकर पीछ की ओर भिम पर लट जाय दोनो जघाए परःपर िमली रह अब रचक करत बाय हाथ का खला पजा दािहन कनध क नीच इस कार रख िक मःतक दोनो हाथ क बास क ऊपर आय रचक परा होन पर िऽबनध कर ि मलाधार चब की िदशा म और िच वि मलाधार चब म ःथािपत कर

लाभः यह आसन करन म ौम बहत कम ह और लाभ अिधक होता ह इसक अ यास स सषमना का मागर अतयनत सरल होता ह कणडिलनी शि सरलता स ऊधवरगमन कर सकती ह

इस आसन म धयान करन स म दणड को सीधा करन का ौम नही करना पड़ता और म दणड को आराम िमलता ह उसकी काय़रशि बल बनती ह इस आसन का अ यास करन स ायः तमाम अतःॐावी मिनथयो को जस शीषरःथ मिनथ कणठःथ मिनथ मऽिपणड की मनथी ऊधवरिपणड तथा प षाथर मिनथ आिद को पि िमलती ह फलतः यि का भौितक एव आधयाितमक िवकास सरल हो जाता ह तन-मन का ःवाःथय भावशाली बनता ह जठराि न दी होती ह मलावरोध की पीडा दर होती ह धातकषय ःवपनदोष पकषाघात पथरी बहरा होना तोतला होना आखो की दबरलता गल क टािनसल ासनिलका का सजन कषय दमा ःमरणशि की दबरलता आिद रोग दर होत ह

शवासन

शवासन की पणारवःथा म शरीर क तमाम अग एव मिःतक पणरतया च ा रिहत िकय जात ह यह अवःथा शव (मद) जसी होन स इस आसन को शवासन कहा जाता ह

िविधः िबछ हए आसन पर िच होकर लट जाय दोनो परो को परःपर स थोड़ अलग कर द दोनो हाथ भी शरीर स थोड़ अलग रह इस कार परो की ओर फला द हाथ की हथिलया आकाश की तरफ खली रख िसर सीधा रह आख बनद

मानिसक ि स शरीर को पर स िसर तक दखत जाय पर शरीर को मद की तरह ढीला छोड़ द हर एक अग को िशिथल करत जाय

शरीर म समपणर िवौाम का अनभव कर मन को भी बा ा िवषयो स हटाकर एकाम कर बारी-बारी स हर एक अग पर मानिसक ि एकाम करत हए भावना कर िक वह अग अब आराम पा रहा ह मरी सब थकान उतर रही ह इस कार भावना करत-करत सब ःनायओ को िशिथल होन द शरीर क एक भी अग म कही भी तनाव (टनशन) न रह िशिथलीकरण की िबया म पर स ारमभ करक िसर तक जाय अथवा िसर स ारमभ करक पर तक भी जा सकत ह अनत म जहा स ारमभ िकया हो वही पनः पहचना चािहय िशिथलीकरण की िबया स शरीर क तमाम अगो का एव ानततओ को िवौाम की अवःथा म ला दना ह

शवासन की दसरी अवःथा म ासोचछोवास पर धयान दना ह शवासन की यही म य िबया ह िवशषकर योग साधको क िलए वह अतयनत उपयोगी ह कवल शारी रक ःवाःथय क िलय थम भिमका पयार ह

इसम ास और उचछवास की िनयिमतता दीघरता और समानता ःथािपत करन का लकषय ह ास िनयिमत चल लमबा और गहरा चल ास और उचछवास एक समान रह तो मन को एकाम करन की शि ा होती ह

शवासन यिद ठीक ढग स िकया जाए तो नाड़ीतऽ इतना शात हो जाता ह िक अ यासी को नीद आन लगती ह लिकन धयान रह िनिनित न होकर जामत रहना आवयक ह

अनय आसन करन क बाद अगो म जो तनाव (टनशन) पदा होता ह उसको िशिथल करन क िलय अत म 3 स 5 िमनट तक शवासन करना चािहए िदनभर म अनकलता क अनसार दो-तीन बार शवासन कर सकत ह

लाभः शवासन क ारा ःनाय एव मासपिशयो म िशिथलीकरण स शि बढ़ती ह अिधक कायर करन की यो यता उसम आती ह र वाहिनयो म िशराओ म र वाह तीो

होन स सारी थकान उतर जाती ह नाड़ीतऽ को बल िमलता ह मानिसक शि म वि होती ह

र का दबाव कम करन क िलए नाड़ीतऽ की दबरलता एव उसक कारण होन वाल रोगो को दर करन क िलय शवासन खब उपयोगी ह

पादपि मो ानासन

यह आसन करना किठन ह इसस उमासन कहा जाता ह उम का अथर ह िशव भगवान िशव सहारक ार ह अतः उम या भयकर ह िशवसिहता म भगवान िशव न म कणठ स शसा करत हए कहा हः यह आसन सवरौ आसन ह इसको य पवरक ग रख िसफर अिधका रयो को ही इसका रहःय बताय

धयान मिणपर चब म ास थम िःथित म परक और दसरी िःथित म रचक और िफर बिहकर मभक

िविधः िबछ हए आसन पर बठ जाय दोनो परो को लमब फला द दोनो परो की जघा घटन पज परःपर िमल रह और जमीन क साथ लग रह परो की अगलया घटनो की तरफ झकी हई रह अब दोनो हाथ लमब कर दािहन हाथ की तजरनी और अगठ स दािहन पर का अगठा और बाय हाथ की तजरनी और अगठ स बाय पर का अगठा पकड़ अब रचक करत-करत नीच झक और िसर को दोनो घटनो क मधय म रख ललाट घटन को ःपशर कर और घटन ज़मीन स लग रह रचक परा होन पर कमभक कर ि एव िच वि को मिणपर चब म ःथािपत कर ारमभ म आधा िमनट करक बमशः 15 िमनट तक यह आसन करन का अ यास बढ़ाना चािहय थम दो-चार िदन किठन लगगा लिकन अ यास हो जान पर यह आसन सरल हो जाएगा

लाभः पादपि मो नासन म समयक अ यास स सषमना का मख खल जाता ह और ाण म दणड क मागर म गमन करता ह फलतः िबनद को जीत सकत ह िबनद को जीत िबना न समािध िस होती ह न वाय िःथर होता ह न िच शात होता ह

जो ी-प ष काम िवकार स अतयत पीिड़त हो उनह इस आसन का अ यास करना चािहए इसस शारी रक िवकार दब जात ह उदर छाती और म दणड को उ म कसरत िमलती ह अतः व अिधक कायरकषम बनत ह हाथ पर तथा अनय अगो क सिनध ःथान मजबत बनत ह शरीर क सब तऽ बराबर कायरशील होत ह रोग माऽ का नाश होकर ःवाःथय़ का साा य ःथािपत होता ह

इस आसन क अ यास स मनदाि न मलावरोध अजीणर उदररोग किमिवकार सद वातिवकार कमर का ददर िहचकी कोढ़ मऽरोग मधमह पर क रोग ःवपनदोष वीयरिवकार र िवकार एपनडीसाइिटस अणडवि पाणडरोग अिनिा दमा ख टी डकार आना ानतनत की दबरलता बवासीर नल की सजन गभारशय क रोग अिनयिमत तथा क दायक मािसक बनधयतव दर नपसकता र िप िसरोवदना बौनापन आिद अनक रोग दर होत ह पट पत ला बनता ह जठराि न दी होती ह कफ और चरबी न होत ह

िशवसिहता म कहा ह िक इस आसन स वाय ीपन होता ह और वह मतय का नाश करता ह इस आसन स शरीर का कद बढ़ता ह शरीर म अिधक ःथलता हो तो कम होती ह दबरलता हो तो वह दर होकर शरीर सामानय तनद ःत अवःथा म आ जाता ह नाडी सःथान म िःथरता आती ह मानिसक शाित ा होती ह िचनता एव उ जना शात करन क िलए यह आसन उ म ह पीठ और म दणड पर िखचाव आन स दोनो िवकिसत होत ह फलतः शरीर क तमाम अवयवो पर अिधकार ःथािपत होता ह सब आसनो म यह आसन सवर धान ह इसक अ यास स कायाकलप (प रवतरन) हो जाता ह

यह आसन भगवान िशव को बहत पयारा ह उनकी आ ा स योगी गोरखनाथ न लोककलयाण हत इसका चार िकया ह आप इस आसन क अदभत लाभो स लाभािनवत हो और दसरो को भी िसखाय

पादपि मो ानासन प यपाद आसारामजी बाप को भी बहत पयारा ह उसस प यौी को बहत लाभ हए ह अभी भी यह आसन उनक आरो यिनिध का रकषक बना हआ ह

पाठक भाइयो आप अवय इस आसन का लाभ लना ारमभ क चार-पाच िदन जरा किठन लगगा बाद म तो यह आसन आपका िशवजी क वरदान प आरो य कवच िस हए िबना नही रहगा

िऽबनध

मलबनध

शौच ःनानािद स िनव होकर आसन पर बठ जाय बायी एड़ी क ारा सीवन या योिन को दबाय दािहनी एड़ी सीवन पर रख गदा ार को िसकोड़कर भीतर की ओर ऊपर खीच यह मलबनध कहा जाता ह

लाभः मलबनध क अ यास स मतय को जीत सकत ह शरीर म नयी ताजगी आती ह िबगड़त हए ःवाःथय की रकषा होती ह चयर का पालन करन म मलबनध सहायक िस होता ह वीयर को प करता ह कबज को न करता ह जठराि न तज होती ह मलबनध स िचरयौवन ा होता ह बाल सफद होन स कत ह

अपानवाय ऊधवरगित पाकर ाणवाय क सषमना म िव होता ह सहॐारचब म िच वि िःथर बनती ह इसस िशवपद का आननद िमलता ह सवर कार की िद य िवभितया और ऐ यर ा होत ह अनाहत नाद सनन को िमलता ह ाण अपान नाद और िबनद एकिऽत होन स योग म पणरता ा होती ह

उडडीयान बनध

आसन पर बठकर परा ास बाहर िनकाल द समपणरतया रचक कर पट को भीतर िसकोड़कर ऊपर की ओर खीच नािभ तथा आत पीठ की तरफ दबाय शरीर को थोड़ा सा आग की तरफ झकाय यह ह उडडीयानबनध

लाभः इसक अ यास स िचरयौवन ा होता ह मतय पर जय ा होती ह चयर क पालन म खब सहायता िमलती ह ःवाःथय सनदर बनता ह कायरशि म वि होती ह नयोिल और उडडीयानबनध जब एक साथ िकय जात ह तब कबज दम दबाकर भाग खड़ा होता ह पट क तमाम अवयवो की मािलश हो जाती ह पट की अनावयक चरबी उतर जाती ह

जालनधरबनध

आसन पर बठकर परक करक कमभक कर और ठोड़ी को छाती क साथ दबाय इसको जालनधरबनध कहत ह

लाभः जालनधरबनध क अ यास स ाण का सचरण ठीक स होता ह इड़ा और िपगला नाड़ी बनद होकर ाण-अपान सषमना म िव होत ह नािभ स अमत कट होता ह िजसका पान जठराि न करता ह योगी इसक ारा अमरता ा करता ह

प ासन पर बठ जाय परा ास बाहर िनकाल कर मलबनध उडडीयानबनध कर िफर खब परक करक मलबनध उडडीयानबनध और जालनधरबनध य तीनो बनध एक साथ कर आख बनद रख मन म णव (ॐ) का अथर क साथ जप कर

इस कार ाणायाम सिहत तीनो बनध का एक साथ अ यास करन स बहत लाभ होता ह और ायः चमतका रक प रणाम आता ह कवल तीन ही िदन क समयक अ यास स जीवन म बािनत का अनभव होन लगता ह कछ समय क अ यास स कवल या कवली कमभक ःवय कट होता ह

कवली कमभक

कवल या कवली कमभक का अथर ह रचक-परक िबना ही ाण का िःथर हो जाना िजसको कवली कमभक िस होता ह उस योगी क िलए तीनो लोक म कछ भी दलरभ नही रहता कणडिलनी जागत होती ह शरीर पतला हो जाता ह मख सनन रहता ह नऽ मलरिहत होत ह सवर रोग दर हो जात ह िबनद पर िवजय होती ह जठराि न विलत होती ह

कवली कमभक िस िकय हए योगी की अपनी सवर मनोकामनाय पणर होती ह इतना ही नही उसका पजन करक ौ ावान लोग भी अपनी मनोकामनाय पणर करन लगत ह

जो साधक पणर एकामता स िऽबनध सिहत ाणायाम क अ यास ारा कवली कमभक का प षाथर िस करता ह उसक भा य का तो पछना ही या उसकी यापकता

बढ़ जाती ह अनतर म महानता का अनभव होता ह काम बोध लोभ मोह मद और मतसर इन छः शऽओ पर िवजय ा होती ह कवली कमभक की मिहमा अपार ह

जलनित

िविधः एक िलटर पानी को गनगना सा गरम कर उसम करीब दस माम श नमक डालकर घोल द सनधव िमल जाय तो अचछा सबह म ःनान क बाद यह पानी चौड़ महवाल पाऽ म कटोर म लकर परो पर बठ जाय पाऽ को दोनो हाथो स पकड़ कर नाक क नथन पानी म डबो द अब धीर-धीर नाक क ारा ास क साथ पानी को भीतर खीच और नाक स भीतर आत हए पानी को मह स बाहर िनकालत जाय नाक को पानी म इस कार बराबर डबोय रख िजसस नाक ारा भीतर जानवाल पानी क साथ हवा न वश कर अनयथा आतरस-खासी आयगी

इस कार पाऽ का सब पानी नाक ारा लकर मख ारा बाहर िनकाल द अब पाऽ को रख कर खड़ हो जाय दोनो पर थोड़ खल रह दोनो हाथ कमर पर रखकर ास को जोर स बाहर िनकालत हए आग की ओर िजतना हो सक झक भिॐका क साथ यह िबया बार-बार कर इसस नाक क भीतर का सब पानी बाहर िनकल जायगा थोड़ा बहत रह भी जाय और िदन म कभी भी नाक स बाहर िनकल जाय तो कछ िचनताजनक नही ह

नाक स पानी भीतर खीचन की यह िबया ारमभ म उलझन जसी लगगी लिकन अ यास हो जान पर िबलकल सरल बन जायगा

लाभः मिःतक की ओर स एक कार का िवषला रस नीच की ओर बहता ह यह रस कान म आय तो कान क रोग होत ह आदमी बहरा हो जाता ह यह रस आखो की तरफ जाय तो आखो का तज कम हो जाता ह चम की ज रत पड़ती ह तथा अनय रोग होत ह यह रस गल की ओर जाय तो गल क रोग होत ह

िनयमपवरक जलनित करन स यह िवषला पदाथर बाहर िनकल जाता ह आखो की रोशनी बढ़ती ह चम की ज रत नही पड़ती चमा हो भी तो धीर-धीर नमबर कम होत-होत छट जाता भी जाता ह ासोचछोवास का मागर साफ हो जाता ह मिःतक म ताजगी रहती ह जकाम-सद होन क अवसर कम हो जात ह जलनित की िबया करन

स दमा टीबी खासी नकसीर बहरापन आिद छोटी-मोटी 1500 बीमी रया दर होती ह जलनित करन वाल को बहत लाभ होत ह िच म सननता बनी रहती ह

गजकरणी िविधः करीब दो िलटर पानी गनगना सा गरम कर उसम करीब 20 माम श

नमक घोल द सनधव िमल जाय तो अचछा ह अब पजो क बल बठकर वह पानी िगलास भर-भर क पीत जाय खब िपय अिधकाअिधक िपय पट जब िबलकल भर जाय गल तक आ जाय पानी बाहर िनकालन की कोिशश कर तब दािहन हाथ की दो बड़ी अगिलया मह म डाल कर उलटी कर िपया हआ सब पानी बाहर िनकाल द पट िबलकल हलका हो जाय तब पाच िमनट तक आराम कर

गजकरणी करन क एकाध घणट क बाद कवल पतली िखचड़ी ही भोजन म ल भोजन क बाद तीन घणट तक पानी न िपय सोय नही ठणड पानी स ःनान कर तीन घणट क बाद ारमभ म थोड़ा गरम पानी िपय

लाभः गजकरणी स एिसडीटी क रोगी को अदभत लाभ होता ह ऐस रोगी को चार-पाच िदन म एक बार गजकरणी चािहए ततप ात महीन म एक बार दो महीन म एक बार छः महीन म एक बार भी गजकरणी कर सकत ह

ातःकाल खाली पट तलसी क पाच-सात प चबाकर ऊपर स थोड़ा जल िपय एसीडीटी क रोगी को इसस बहत लाभ होगा

वष परान कबज क रोिगयो को स ाह म एक बार गजकरणी की िबया अवय करनी चािहए उनका आमाशय मिनथसःथान कमजोर हो जान स भोजन हजम होन म गड़बड़ रहती ह गजकरणी करन स इसम लाभ होता ह फोड़ फनसी िसर म गम सद बखार खासी दमा टीबी वात-िप -कफ क दोष िज ा क रोग गल क रोग छाती क रोग छाती का ददर एव मदाि न म गजकरणी िबया लाभकारक ह

शरीर शोधन-कायाकलप

यह चालीस िदन का कलप ह प यपाद आसारामजी बाप न यह योग िकया हआ ह इसस शरीर सडौल ःवःथ और फत ला बनता ह र म नय-नय कण बनत ह शरीर क कोषो की शि बढ़ती ह मन-बि म चमतका रक लाभ होत ह

िविधः अगल िदन पपीता सव आिद फल उिचत माऽा म ल अथवा मन का 50 माम दस घणट पहल िभगो द उनको उबालकर बीज िनकाल द मन का खा ल और पानी पी ल

ातःकाल उठकर सकलप कर िक इस कलप क दौरान िनि त िकय हए कायरबम क अनसार ही रहगा

शौच-ःनानािद िनतयकमर स िनव होकर सबह 8 बज 200 या 250 माम गाय का उबला हआ गनगना दध िपय पौन घणटा पणर आराम कर बाद म िफर स दध िपय शारी रक ौम कम स कम कर ॐ सोsह हसः इस मऽ का मानिसक जप कर कभी ास को िनहार बस साकषीभाव

मनोरा य चलता हो तो ॐ जोर-जोर स जप कर

इस कार शाम तक िजतना दध हजम कर सक उतना दध दो स तीन िलटर िपय 40 िदन तक कवल द धाहार क बाद 41व िदन मग का उबला हआ पानी मोसममी का रस आिद ल रािऽ को अिधक मगवाली हलकी िखचड़ी खाय इस कार शरीर-शोधन-कायाकलप की पणारहित कर

यिद बि तीकषण बनानी हो ःमरणशि बढ़ानी हो तो कलप क दौरान ॐ ऐ नमः इस मऽ का जप कर सयर को अ यर द

इस कलप म दध क िसवाय अनय कोई खराक लना मना ह चाय तमबाक आिद यसन िनिष ह ि यो क सग स दर रहना तथा चयर का पालन अतयनत आवयक ह

कलजग नही करजग ह यह

कलजग नही करजग ह यह यहा िदन को द अ रात ल

या खब सौदा नकद ह इस हाथ द उस हाथ ल टक

दिनया अजब बाज़ार ह कछ िजनस1 या िक साथ ल

नकी का बदला नक ह बद स बदी की बात ल

मवा िखला मवा िमल फल फल द फल पात ल

आराम द आराम ल दःख ददर द आफत2 ल 1

काटा िकसी को मत लगा गो िमःल-गल3 फला ह त

वह तर हक4 म तीर ह िकस बात पर झला ह त

मत आग म डाल और को या घास का पला ह त

सन ऱख यह नकता5 बखबर िकस बात पर भला ह त

कलजग नही 2

शोखी शरारत मकरो-फन6 सबका बसखा7 ह यहा

जो जो िदखाया और को वह खद भी दखा ह यहा

खोटी खरी जो कछ कही ितसका परखा8 ह यहा

जो जो पड़ा तलता ह मोल ितल ितल का लखा ह यहा

कलजग नही 3

जो और की बःती9 रख उसका भी बसता ह परा

जो और क मार छरी उसको भी लगता ह छरा

जो और की तोड़ घड़ी उसका भी टट ह घड़ा

जो और की चत10 बदी उसका भी होता ह बरा

कलजग नही 4

जो और को फल दवगा वह भी सदा फल पावगा

गह स गह जौ स जौ चावल स चावल पावगा

जो आज दवगा यहा वसा ही वह कल पावगा

कल दवगा कल पावगा िफर दवगा िफर पावगा

कलजग नही 5

जो चाह ल चल इस घड़ी सब िजनस यहा तयार ह

आराम म आराम ह आजार म आजार11 ह

दिनया न जान इसको िमया दरया की यह मझधार ह

औरो का बड़ा पार कर तरा भी बड़ा पार ह

कलजग नही 6

त और की तारीफ कर तझको सना वानी12 िमल

कर मिकल आसा औरो की तझको भी आसानी िमल

त और को महमान कर तझको भी महमानी िमल

रोटी िखला रोटी िमल पानी िपला पानी िमल

कलजग नही 7

जो गल13 िखलाव और का उसका ही गल िखलता भी ह

जो और का कील14 ह मह उसका ही मह िकलता भी ह

जो और का छील िजगर उसका िजगर िछलता भी ह

जो और को दव कपट उसको कपट िमलता भी ह

कलजग नही 8

कर जो कछ करना ह अब यह दम तो कोई आन15 ह

नकसान म नकसान ह एहसान म एहसान ह

तोहमत म यहा तोहमत िमल तफान म तफान ह

रहमान16 को रहमान17 ह शतान को शतान ह

कलजग नही 9

यहा जहर द तो जहर ल श कर म श कर दख ल

नको का नकी का मजा मजी18 को ट कर दख ल

मोती िदय मोती िमल पतथर म पतथर दख ल

गर तझको यह बावर19 नही तो त भी करक दख ल

कलजग नही 10

अपन नफ क वाःत मत और का नकसान कर

तरा भी नकसा होवगा इस बात पर त धयान कर

खाना जो खा सो दखकर पानी िपय तो छानकर

या पावो को रख फककर और खोफ स गजरान कर

कलजग नही 11

गफलत की यह जगह नही त सािहब-इदराक20 रह

िदलशाद21 ऱख िदल शाह रह गमनाक रख गमनाक रह

हर हाल म भी त नजीर22 अब हर कदम की रह

यह वह मका ह ओ िमया या पाक23 रह बबाक24 रह

कलजग नही 12

1 वःत 2 मसीबत 3 पप की तरह 4 तर िलय 5 रहःय 6 दगा-धोखा 7 घर 8 परखना 9 नगरी 10 िवचार कर 11 दःख 12 तारीफ-ःतित 13 फल 14 िकसी को बोलन न दना 15 घड़ी पल 16 दयावान 17 दयाल भगवान 18 सतान वाला 19 िव ास 20 तीो ा तज समझन वाला प ष 21 सननिच 22 किव का नाम ह 23 श पिवऽ 24 िनडर

  • आधयातमिक विदया क उदगाता
  • सवासथय क लिए मतर
  • परासताविक
  • बरहमचरय-रकषा का मनतर
  • आसनो की परकिया म आन वाल कछ शबदो की समझ
  • आवशयक निरदश
  • योगासन
    • पदमासन या कमलासन
    • सिदधासन
    • सरवागासन
    • हलासन
    • पवनमकतासन
    • मतसयासन
    • भजगासन
    • धनरासन
    • चकरासन
    • कटिपिणडमरदनासन
    • अरधमतसयनदरासन
    • योगमदरासन
    • गोरकषासन या भदरासन
    • मयरासन
    • वजरासन
    • सपतवजरासन
    • शवासन
    • पादपशचिमोततानासन
      • तरिबनध
        • मलबनध
        • उडडीयान बनध
        • जालनधरबनध
          • कवली कमभक
          • जलनति
          • गजकरणी
          • शरीर शोधन-कायाकलप
          • कलजग नही करजग ह यह
Page 14: अनुबम - || Home || HariOmGroup · िस होता है। िवशु नाड़ीतंऽ वालेयोगी के िवशु शरीर में

ारमभ म तीन स पाच िमनट तक यह आसन कर अ यासी तीन घणट तक इस आसन का समय बढ़ा सकत ह

लाभः सवागासन क िनतय अ यास स जठराि न तज होती ह साधक को अपनी िच क अनसार भोजन की माऽा बढ़ानी चािहए सवागासन क अ यास स शरीर की तवचा लटकन नही लगती तथा शरीर म झ ररया नही पड़ती बाल सफद होकर िगरत नही हर रोज़ एक हर तक सवागासन का अ यास करन स मतय पर िवजय िमलती ह

शरीर म सामथयर बढ़ता ह तीनो दोषो का शमन होता ह वीयर की ऊधवरगित होकर अनतःकरण श होता ह मधाशि बढ़ती ह िचर यौवन की ाि होती ह

इस आसन स थायराइड नामक अनतःमिनथ की शि बढ़ती ह वहा र सचार तीो गित स होन लगता ह इसस उस पोषण िमलता ह थायराइड क रोगी को इस आसन स अदभत लाभ होता ह िलवर और पलीहा क रोग दर होत ह ःमरणशि बढ़ती ह मख पर स महास एव अनय दाग दर होकर मख तजःवी बनता ह जठर एव नीच उतरी हई आत अपन मल ःथान पर िःथर होती ह प षातन मिनथ पर सवागासन का अचछा भाव पड़ता ह ःवपनदोष दर होता ह मानिसक बौि क वि करन वालो को तथा िवशषकर िव ािथरयो को यह आसन अवय करना चािहए

मनदाि न अजीणर कबज अशर थायराइड का अलप िवकास थोड़ िदनो का अपनडीसाइिटस और साधारण गाठ अगिवकार असमय आया हआ व तव दमा कफ

चमड़ी क रोग र दोष ि यो को मािसक धमर की अिनयिमतता एव ददर मािसक न आना अथवा अिधक आना इतयािद रोगो म इस आसन स लाभ होता ह नऽ और मिःतक की शि बढ़ती ह उनक रोग दर होत ह

थायराइड क अित िवकासवाल खब कमजोर दयवाल और अतयिधक चब वाल लोगो को िकसी अनभवी की सलाह लकर ही सवागासन करना चािहए

शीषारसन करन स जो लाभ होता ह व सब लाभ सवागासन और पादपि मो ानसन करन स िमल जात ह शीषारसन म गफलत होन स जो हािन होती ह वसी हािन होन की सभावना सवागासन और पादपि मो ानासन म नही ह

हलासन

इस आसन म शरीर का आकार हल जसा बनता ह इसिलए इसको हलासन कहा जाता ह

धयान िवश ा या चब म ास रचक और बाद म दीघर

िविधः भिम पर िबछ हए आसन पर िच होकर लट जाए दोनो हाथ शरीर को लग रह अब रचक करक ास को बाहर िनकाल द दोनो परो को एक साथ धीर-धीर ऊच करत जाय आकाश की ओर पर उठाकर िफर पीछ िसर क तरफ झकाय पर िबलकल तन हए रखकर पज ज़मीन पर लगाय ठोड़ी छाती स लगी रह िच वि को िवश ा या चब म िःथर कर दो-तीन िमनट स लकर बीस िमनट तक समय की अविध बढ़ा सकत ह

लाभः हलासन क अ यास स अजीणर कबज अशर थायराइड का अलप िवकास अगिवकार असमय व तव दमा कफ र िवकार आिद दर होत ह इस आसन स िलवर अचछा होता ह छाती का िवकास होता ह सनिबया तज होकर ऑ सीजन स र श बनता ह गल क ददर पट की बीमारी सिधवात आिद दर होत ह पट की चरबी कम होती ह िसरददर दर होता ह वीयरिव कार िनमरल होता ह खराब िवचार बनद होत ह नाड़ी तऽ श होता ह शरीर बलवान और तजःवी बनता ह गिभरणी ि यो क िसवा हर एक को यह आसन करना चािहए

रीढ़ म कठोरता होना यह व ावःथा का िच ह हलासन स रीढ़ लचीली बनती ह इसस यवावःथा की शि ःफितर ःवाःथय और उतसाह बना रहता ह म दणड

समबनधी नािड़यो क ःवाःथय की रकषा होकर व ावःथा क लकषण जलदी नही आत जठर की नािड़यो को शि ा होती ह

जठर की मासपिशया तथा पाचनतऽ क अगो की नािड़यो की दबरलता क कारण अगर मदाि न एव कबज हो तो हलासन स दर होत ह कमर पीठ एव गरदन क रोग न होत ह िलवर और पलीहा बढ़ गए हो तो हलासन स सामानय अवःथा म आ जात ह काम कनि की शि बढ़ती ह अपानशि का उतथान होकर उदान पी अि न का योग होन स वीयरशि ऊधवरगामी बनती ह हलासन स वीयर का ःतभन होता ह यह आसन अणडकोष की वि पिनबयास अपिनड स आिद को ठीक करता ह थायराइड मिनथ की िबयाशीलता बढ़ती ह धयान करन स िवश चब जागत हो जाता ह

पवनम ासन

शरीर म िःथत पवन (वाय) यह आसन करन स म होता ह इसिलए इस पवनम ासन कहा जाता ह

धयान मिणपर चब म ास पहल परक िफर कमभक और रचक

िविधः भिम पर िबछ हए आसन पर िच होकर लट जाय परक करक फफड़ो म ास भर ल अब िकसी भी एक पर को घटन स मोड़ द दोनो हाथो की अगिलयो को

परःपर िमलाकर उसक ारा मोड़ हए घटनो को पकड़कर पट क साथ लगा द िफर िसर को ऊपर उठाकर मोड़ हए घटनो पर नाक लगाए दसरा पर ज़मीन पर सीधा रह इस िबया क दौरान ास को रोककर कमभक चाल रख िसर और मोड़ा हआ पर भिम पर पवरवत रखन क बाद ही रचक कर दोनो परो को बारी -बारी स मोड़कर यह िबया कर दोनो पर एक साथ मोड़कर भी यह आसन हो सकता ह

लाभः पवनम ासन क िनयिमत अ यास स पट की चरबी कम होती ह पट की वाय न होकर पट िवकार रिहत बनता ह कबज दर होता ह पट म अफारा हो तो इस आसन स लाभ होता ह ातःकाल म शौचिबया ठीक स न होती हो तो थोड़ा पानी पीकर यह आसन 15-20 बार करन स शौच खलकर होगा

इस आसन स ःमरणशि बढ़ती ह बौि क कायर करन वाल डॉ टर वकील सािहतयकार िव ाथ तथा बठकर वि करन वाल मनीम यापारी आिद लोगो को िनयिमत प स पवनम ासन करना चािहए

मतःयासन

मतःय का अथर ह मछली इस आसन म शरीर का आकार मछली जसा बनता ह अतः मतःयासन कहलाता ह पलािवनी ाणायाम क साथ इस आसन की िःथित म लमब समय तक पानी म तर सकत ह

धयान िवश ा या चब म ास पहल रचक बिहकर मभक िफर परक और रचक

िविधः भिम पर िबछ हए आसन पर प ासन लगाकर सीध बठ जाय िफर परो को प ासन की िःथित म ही रखकर हाथ क आधार स सावधानी पवरक पीछ की ओर िच होकर लट जाय रचक करक कमर को ऊपर उठाय घटन िनतब और मःतक क िशखा ःथान को भिम क ःथान लगाय रख िशखाःथान क नीच कोई नरम कपड़ा

अवय रख बाय हाथ स दािहन पर का अगठा और दािहन हाथ स बाय पर का अगठा पकड़ दोनो कहिनया ज़मीन को लगाय रख कमभक की िःथित म रहकर ि को पीछ की ओर िसर क पास ल जान की कोिशश कर दात दब हए और मह बनद रख एक िमनट स ारमभ करक पाच िमनट तक अ यास बढ़ाय िफर हाथ खोलकर कमर भिम को लगाकर िसर ऊपर उठाकर बठ जाय परक करक रचक कर

पहल भिम पर लट कर िफर प ासन लगाकर भी मतःयासन हो सकता ह

लाभः मतःयासन स परा शरीर मजबत बनता ह गला छाती पट की तमाम बीमा रया दर होती ह आखो की रोशनी बढ़ती ह गला साफ रहता ह सनिबया ठीक स चलती ह कनधो की नस उलटी मड़ती ह इसस छाती व फफड़ो का िवकास होता ह पट साफ रहता ह आतो का मल दर होता ह र ािभसरण की गित बढ़ती ह फलतः चमड़ी क रोग नही होत दमा और खासी दर होती ह छाती चौड़ी बनती ह पट की चरबी कम होती ह इस आसन स अपानवाय की गित नीच की ओर होन स मलावरोध दर होता ह थोड़ा पानी पीकर यह आ सन करन स शौच-शि म सहायता िमलती ह

मतःयासन स ि यो क मािसकधमर समबनधी सब रोग दर होत ह मािसकॐाव िनयिमत बनता ह

भजगासन

इस आसन म शरीर की आकित फन उठाय हए भजग अथारत सपर जसी बनती ह इसिलए इसको भजगासना कहा जाता ह

धयान िवश ा या चब म ास ऊपर उठात व परक और नीच की ओर जात समय रचक

िविधः भिम पर िबछ हए कमबल पर पट क बल उलट होकर लट जाय दोनो पर और पज परःपर िमल हए रह परो क अगठो को पीछ की ओर खीच दोनो हाथ िसर क तरफ लमब कर द परो क अगठ नािभ छाती ललाट और हाथ की हथिलया भिम पर एक सीध म रख

अब दोनो हथिलयो को कमर क पास ल जाय िसर और कमर ऊपर उठाकर िजतना हो सक उतन पीछ की ओर मोड़ नािभ भिम स लगी रह पर शरीर का वजन हाथ क पज पर आएगा शरीर की िःथित कमान जसी बनगी म दणड क आिखरी भाग पर दबाव किनित होगा िच वि को कणठ म और ि को आकाश की तरफ िःथर कर

20 सकणड तक यह िःथित रख बाद म धीर-धीर िसर को नीच ल आय छाती भिम पर रख िफर िसर को भिम स लगन द आसन िस हो जान क बाद आसन करत समय ास भरक कमभक कर आसन छोड़त समय मल िःथित म आन क बाद ास को खब धीर-धीर छोड़ हर रोज एक साथ 8-10 बार यह आसन कर

लाभः घरड सिहता म इसका लाभ बतात हए कहा ह - भजगासन स जठराि न दी होती ह सवर रोगो का नाश होता ह और कणडिलनी जागत होती ह

म दणड क तमाम मनको को तथा गरदन क आसपास वाल ःनायओ को अिधक श र िमलता ह फलतः नाड़ी तऽ सचत बनता ह िचरजीवी शि मान एव स ढ़ बनता ह िवशषकर मिःतक स िनकलन वाल ानतत बलवान बनत ह पीठ की हिडडय़ो म रहन वाली तमाम खरािबया दर होती ह पट क ःनाय म िखचाव आन स वहा क अगो को शि िमलती ह उदरगहा म दबाव बढ़न स कबज दर होता ह छाती और पट का िवकास होता ह तथा उनक रोग िमट जात ह गभारशय एव बोनाशय अचछ बनत ह फलतः मािसकॐाव क रिहत होता ह मािसक धमर समबनधी समःत िशकायत दर होती ह अित ौम करन क कारण लगन वाली थकान दर होती ह भोजन क बाद होन वाल वाय का ददर न होता ह शरीर म ःफितर आती ह कफ-िपतवालो क िलए यह आसन लाभदायी ह भजगासन करन स दय मजबत बनता ह मधमह और उदर क

रोगो स मि िमलती ह दर अित मािसकॐाव तथा अलप मािसकॐाव जस रोग दर होत ह

इस आसन स म दणड लचीला बनता ह पीठ म िःथत इड़ा और िपगला नािड़यो पर अचछा भाव पड़ता ह कणडिलनी शि जागत करन क िलय यह आसन सहायक ह अमाशय की मासपिशयो का अचछा िवकास होता ह थकान क कारण पीठ म पीड़ा होती हो तो िसफर एक बार ही यह आसन करन स पीड़ा दर होती ह म दणड की कोई हडडी ःथान हो गई हो तो भजगासन करन स यथाःथान म वापस आ जाती ह

धनरासन

इस आसन म शरीर की आकित खीच हए धनष जसी बनती ह अतः इसको धनरासन कहा जाता ह

धयान मिणपर चब म ास नीच की िःथित म रचक और ऊपर की िःथित म परक

िविधः भिम पर िबछ हए कमबल पर पट क बल उलट होकर लट जाय दोनो पर परःपर िमल हए रह अब दोनो प रो को घटनो स मोड़ दोनो हाथो को पीछ ल जाकर दोनो परो को टखनो स पकड़ रचक करक हाथ स पकड़ हए परो को कसकर धीर -धीर खीच िजतना हो सक उतना िसर पीछ की ओर ल जान की कोिशश कर ि भी ऊपर एव पीछ की ओर रहनी चािहए समम शरीर का बोझ कवल नािभदश क ऊपर ही रहगा कमर स ऊपर का धड़ एव कमर स नीच पर पर ऊपर की ओर मड़ हए रहग

कमभक करक इस िःथित म िटक रह बाद म हाथ खोलकर पर तथा िसर को मल अवःथा म ल जाय और परक कर ारभ म पाच सकणड यह आसन कर धीर-धीर समय बढ़ाकर तीन िमनट या उसस भी अिधक समय इस आसन का अ यास कर तीन-चार बार यह आसन करना चािहए

लाभः धनरासन क अ यास स पट की चरबी कम होती ह गस दर होती ह पट को रोग न होत ह कबज म लाभ होता ह भख खलती ह छाती का ददर दर होता ह दय की धडकन मजबत बनती ह ास िक िबया यविःथत चलती ह मखाकित सदर बनती ह आखो की रोशनी बढ़ती ह और तमाम रोग दर होत ह हाथ -पर म होन वाला कपन कता ह शरीर का सौनदयर बढ़ता ह पट क ःनायओ म िखचाव आन स पट को अचछा लाभ होता ह आतो पर खब दबाव पड़न स पट क अगो पर भी दबाव पड़ता ह फलतः आतो म पाचकरस आन लगता ह इसस जठराि न तज होती ह पाचनशि बढ़ती ह वायरोग न होता ह पट क कषऽ म र का सचार अिधक होता ह धनरासन म भजगासन और शलभासन का समावश हो जान क कारण इन दोनो आसनो क लाभ िमलत ह ि यो क िलए यह आसन खब लाभकारक ह इसस मािसक धमर क िवकार गभारशय क तमाम रोग दर होत ह

चबासन

इस आसन म शरीर की आकित चब जसी बनती ह अतः चबासन कहा जाता ह

धयान मिणपर चब म ास दीघर ःवाभािवक

िविधः भिम पर िबछ हए आसन पर िच होकर लट जाय घटनो स पर मोड़ कर ऊपर उठाय पर क तलव ज़मीन स लग रह दो परो क बीच करीब डढ़ फीट का अनतर रख दोनो हाथ मःतक की तरफ उठाकर पीछ की ओर दोनो हथिलयो को ज़मीन पर जमाय दोनो हथिलयो क बीच भी करीब डढ़ फीट का अनतर रख अब हाथ और पर क बल स पर शरीर को कमर स मोड़कर ऊपर उठाय हाथ को धीर-धीर पर की ओर ल जाकर ःमपशर शरीर का आकार व या चब जसा बनाय आख बनद रख ास की गित ःवाभािवक चलन द िच वि मिणपर चब (नािभ कनि) म िःथर कर आख खली भी रख सकत ह एक िमनट स पाच िमनट तक अ यास बढ़ा सकत ह

लाभः म दणड तथा शरीर की समःत नािड़यो का शि करण होकर यौिगक चब जागत होत ह लकवा तथा शरीर की कमजो रया दर होती ह मःतक गदरन पीठ पट

कमर हाथ पर घटन आिद सब अग मजबत बनत ह सिनध ःथानो ददर नही होता पाचनशि बढ़ती ह पट की अनावयक चरबी दर होती ह शरीर तजःवी और फत ला बनता ह िवकारी िवचार न होत ह ःवपनदोष की बीमारी अलिवदा होती ह चबासन क िनयिमत अ यास स व ावःथा म कमर झकती नही शरीर सीधा तना हआ रहता ह

किटिपणडमदरनासन

इस आसन म किटदश (कमर क पास वाल भाग) म िःथत िपणड अथारत मऽिपणड का मदरन होता ह इसस यह आसन किटिपणडमदरनासन कहलाता ह

धयान ःवािध ान चब म ास परक और कमभक

िविधः िबछ हए कमबल पर पीठ क बल िच होकर लट जाय दोनो हाथो को आमन-सामन फला द मि ठया बनद रख दोनो परो को घटनो स मोड़कर खड़ कर द पर क तलव ज़मीन स लग रह दोनो परो क बीच इतना अनतर रख िक घटनो को ज़मीन पर झकान स एक पर का घटना दसर पर की एड़ी को लग िसर दायी ओर मड़ तो दोनो घटन दािहनी ओर ज़मीन को लग इस कार 15-20 बार िबया कर इस कार दोनो परो को एक साथ रखकर भी िबया कर

लाभः िजसको पथरी की तकलीफ हो उस आौम (सत ौी आसारामजी आौम साबरमित अमदावाद-5) स िबना मलय िमलती काली भःम करीब डढ़ माम भोजन स आधा घणटा पवर और भोजन क बाद एक िगलास पानी क साथ लना चािहए और यह आसन भख पट ठीक ढग स करना चािहए इसस पथरी क ददर म लाभ होता ह पथरी टकड़ -टकड़ होकर मऽ क ारा बाहर िनकलन लगती ह मऽिवकार दर होता ह कमर ददर साइिटका रीढ़ की हडडी की जकड़न उदासीनता िनराशा डायािबटीज नपसकता गस पर की गाठ इतयािद रोगो म शीय लाभ होता ह नािभ ःथान स चयत हो जाती हो तो पनः अपन ःथान म आ जाती ह

मािसक धमर क समय एव गभारवःथा म ि या यह आसन न कर कबज का रोगी सबह शौच जान स पहल उषःपान करक यह आसन कर तो चमतका रक लाभ होता ह ास को अनदर भर क पट को फलाकर यह आसन करन स कबज जलदी दर होता ह

अधरमतःयनिासन

कहा जाता ह िक मतःयनिासन की रचना गोरखनाथ क ग ःवामी मतःयनिनाथ न की थी व इस आसन म धयान िकया करत थ मतःयनिासन की आधी िबयाओ को लकर अधरमतःयनिासन चिलत हआ ह

धयान अनाहत चब म ास दीघर

िविधः दोनो परो को लमब करक आसन पर बठ जाओ बाय पर को घटन स मोड़कर एड़ी गदा ार क नीच जमाय पर क तलव को दािहनी जघा क साथ लगा द अब दािहन पर को घटन स मोड़कर खड़ा कर द और बाय पर की जघा स ऊपर ल जात हए जघा क पीछ ज़मीन क ऊपर ऱख द आसन क िलए यह पवरभिमका तयार हो गई

अब बाय हाथ को दािहन पर क घटन स पार करक अथारत घटन को बगल म दबात हए बाय हाथ स दािहन पर का अ गठा पकड़ धड़ को दािहनी ओर मोड़ िजसस दािहन पर क घटन क ऊपर बाय कनध का दबाव ठीक स पड़ अब दािहना हाथ पीठ क पीछ स घमाकर बाय पर की जाघ का िनमन भाग पकड़ िसर दािहनी ओर इतना घमाय िक ठोड़ी और बाया कनधा एक सीधी रखा म आ जाय छाती िबलकल तनी हई रख नीच की ओर झक नही िच वि नािभ क पीछ क भाग म िःथत मिणपर चब म िःथर कर

यह एक तरफ का आसन हआ इसी कार पहल दािहना पर मोड़कर एड़ी गदा ार क नीच दबाकर दसरी तरफ का आसन भी कर ारमभ म पाच सकणड य ह आसन करना पयार ह िफर अ यास बढ़ाकर एक एक तरफ एक एक िमनट तक आसन कर सकत ह

लाभः अधरमतःयनिासन स म दणड ःवःथ रहन स यौवन की ःफितर बनी रहती ह रीढ़ की हिडडयो क साथ उनम स िनकलन वाली नािडयो को भी अचछी कसरत िमल जाती ह पट क िविभनन अगो को भी अचछा लाभ होता ह पीठ पट क नल पर गदरन

हाथ कमर नािभ स नीच क भाग एव छाती की नािड़यो को अचछा िखचाव िमलन स उन पर अचछा भाव पड़ता ह फलतः बनधकोष दर होता ह जठराि न तीो होती ह िवकत यकत पलीहा तथा िनिबय व क क िलए यह आसन लाभदायी ह कमर पीठ और सिनधःथानो क ददर जलदी दर हो जात ह

योगमिासन

योगा यास म यह मिा अित मह वपणर ह इसस इसका नाम योगमिासन रखा गया ह

धयान मिणपर चब म ास रचक कमभक और परक

िविधः प ासन लगाकर दोनो हाथो को पीठ क पीछ ल जाय बाय हाथ स दािहन हाथ की कलाई पकड़ दोनो हाथो को खीचकर कमर तथा रीढ़ क िमलन ःथान पर ल जाय अब रचक करक कमभक कर ास को रोककर शरीर को आग झकाकर भिम पर टक द िफर धीर-धीर िसर को उठाकर शरीर को पनः सीधा कर द और परक कर ारभ म यह आसन किठन लग तो सखासन या िस ासन म बठकर कर पणर लाभ तो प ासन म बठकर करन स ही होता ह पाचनतनऽ क अगो की ःथान ता ठीक करन क िलए यिद यह आसन करत हो तो कवल पाच-दस सकणड तक ही कर एक बठक म तीन स पाच बार सामानयतः यह आसन तीन िमनट तक करना चािहए आधयाितमक उ य स योगमिासन करत हो तो समय की अविध िच और शि क अनसार बढ़ाय

लाभः योगमिासन भली कार िस होता ह तब कणडिलिन शि जागत होती ह पट की गस की बीमारी दर होती ह पट एव आतो की सब िशकायत दर होती ह कलजा फफड़ आिद यथा ःथान रहत ह दय मजबत बनता ह र क िवकार दर होत

ह क और यौनिवकार न होत ह पट बड़ा हो तो अनदर दब जाता ह शरीर मजबत बनता ह मानिसक शि बढ़ती ह

योगमिासन स उदरपटल सश बनता ह पट क अगो को अपन ःथान िटक रहन म सहायता िमलती ह नाड़ीतऽ और खास करक कमर क नाड़ी मणडल को बल िमलता ह

इस आसन म सामनयतः जहा एिड़या लगती ह वहा कबज क अग होत ह उन पर दबाव पड़न स आतो म उ जना आती ह पराना कबज दर होता ह अगो की ःथान ता क कारण होन वाला कबज भी अग अपन ःथान म पनः यथावत िःथत हो जान स न हो जाता ह धात की दबरलता म योगमिासन खब लाभदायक ह

गोरकषासन या भिासन

धयान मलाधार चब म ास थम िःथित म परक और दसरी िःथित म कमभक

िविधः िबछ हए आसन पर बठ जाय दािहना पर घटन स मोड़कर एड़ी सीवन (उपःथ और गदा क मधय) क दािहन भाग म और बाया पर मोड़कर एड़ी सीवन क बाय भाग म इस कार रख िक दोनो पर क तलव एक दसर को लगकर रह

रचक करक दोनो हाथ सामन ज़मीन पर टककर शरीर को ऊपर उठाय और दोनो पर क पजो पर इस कार बठ िक शरीर का वजन एड़ी क मधय भाग म आय अगिलयो वाला भाग छटा रह अब परक करत -करत दोनो हाथो की हथिलयो को घटनो पर रख

अनत म कमभक करक ठोड़ी छाती पर दबाय िच वि मलाधार चब म और ि भी उसी िदशा म लगाय बमशः अ यास बढ़ाकर दसक िमनट तक यह आसन कर

लाभः इस आसन क अ यास स पर क सब सिनध ःथान तथा ःनाय सश बनत ह वाय ऊधवरगामी होकर जठराि न दी करता ह िदनो िदन जड़ता न होन लगती ह शरीर पतला होता ह सकलपबल बढ़ता ह बि तीकषण होती ह कलपनाशि का िवकास होता ह ाणापान की एकता होती ह नादोतपि होन लगती ह िबनद िःथर होकर िच की चचलता कम होती ह आहार का सपणरतया पाचन हो जान क कारण मलमऽ अलप होन लगत ह शरीर शि होन लगती ह तन म ःफितर एव मन म सननता अपन आप कट होती ह ःनाय स ढ़ बनत ह धातकषय गस मधमह ःवपनदोष अजीणर कमर का ददर गदरन की दबरलता बनधकोष मनदाि न िसरददर कषय

दयरोग अिनिा दमा मछाररोग बवासीर आऽपचछ पाणडरोग जलोदर भगनदर कोढ़ उलटी िहचकी अितसार आव उदररोग नऽिवकार आिद अस य रोगो म इस आसन स लाभ होत ह

मयरासन

इस आसन म मयर अथारत मोर की आकित बनती ह इसस इस मयरासन कहा जाता ह

धयान मिणपर चब म ास बा कमभक

िविधः जमीन पर घटन िटकाकर बठ जाय दोनो हाथ की हथिलयो को जमीन पर इस कार रख िक सब अगिलया पर की िदशा म हो और परःपर लगी रह दोनो कहिनयो को मोड़कर पट क कोमल भाग पर नािभ क इदरिगदर रख अब आग झककर दोनो पर को पीछ की लमब कर ास बाहर िनकाल कर दोनो पर को जमीन स ऊपर उठाय और िसर का भाग नीच झकाय इस कार परा शरीर ज़मीन क बराबर समानानतर रह ऐसी िःथित बनाय सपणर शरीर का वजन कवल दो हथिलयो पर ही

रहगा िजतना समय रह सक उतना समय इस िःथित म रहकर िफर मल िःथित म आ जाय इस कार दो-तीन बार कर

लाभः मयरासन करन स चयर-पालन म सहायता िमलती ह पाचन तऽ क अगो की र का वाह अिधक बढ़न स व अग बलवान और कायरशील बनत ह पट क भीतर क भागो म दबाव पड़न स उनकी शि बढ़ती ह उदर क अगो की िशिथलता और मनदाि न दर करन म मयरासन बहत उपयोगी ह

वळासन

वळासन का अथर ह बलवान िःथित पाचनशि वीयरशि तथा ःनायशि दन वाला होन स यह आसन वळासन कहलाता ह

धयान मलाधार चब म और ास दीघर

िविधः िबछ हए आसन पर दोनो परो को घटनो स मोड़कर एिड़यो पर बठ जाय पर क दोनो अगठ परःपर लग रह पर क तलवो क ऊपर िनतमब रह कमर और पीठ िबलकल सीधी रह दोनो हाथ को कहिनयो स मोड़ िबना घटनो पर रख द हथिलया नीच की ओर रह ि सामन िःथर कर द

पाच िमनट स लकर आध घणट तक वळासन का अ यास कर सकत ह वळासन लगाकर भिम पर लट जान स स वळासन होता ह

लाभः वळासन क अ यास स शरीर का मधयभाग सीधा रहता ह ास की गित मनद पड़न स वाय बढ़ती ह आखो की योित तज होती ह वळनाड़ी अथारत वीयरधारा नाड़ी मजबत बनती ह वीयर की ऊधवरगित होन स शरीर वळ जसा बनता ह लमब समय तक सरलता स यह आसन कर सकत ह इसस मन की चचलता दर होकर यि िःथर बि वाला बनता ह शरीर म र ािभसरण ठीक स होकर शरीर िनरोगी एव सनदर बनता ह

भोजन क बाद इस आसन स बठन स पाचन शि तज होती ह कबज दर होती ह भोजन जलदी ह म होता ह पट की वाय का नाश होता ह कबज दर होकर पट क तमाम रोग न होत ह पाणडरोग स मि िमलती ह रीढ़ कमर जाघ घटन और परो म शि बढ़ती ह कमर और पर का वाय रोग दर होता ह ःमरणशि म वि होती ह ि यो क मािसक धमर की अिनयिमतता जस रोग दर होत ह शबदोष वीयरदोष घटनो का ददर आिद का नाश होता ह ःनाय प होत ह ःफितर बढ़ान क िलए एव मानिसक िनराशा दर कर न क िलए यह आसन उपयोगी ह धयान क िलय भी यह आसन उ म ह इसक अ यास स शारी रक ःफितर एव मानिसक सननता कट होती ह िदन-ितिदन शि का सचय होता ह इसिलए शारी रक बल म खब वि होती ह काग का िगरना अथारत गल क टािनसलस हिडडयो क पोल आिद ःथानो म उतपनन होन वाल तकण की स या म वि होन स आरो य का साा य ःथािपत होता ह िफर यि

बखार स िसरददर स कबज स मदाि न स या अजीणर जस छोट-मोट िकसी भी रोग स पीिड़त नही रहता योिक रोग आरो य क साा य म िव होन का साहस ही नही कर पात

स वळासन

धयान िवश ा याचब म ास दीघर सामानय

िविधः वळासन म बठन क बाद िच होकर पीछ की ओर भिम पर लट जाय दोनो जघाए परःपर िमली रह अब रचक करत बाय हाथ का खला पजा दािहन कनध क नीच इस कार रख िक मःतक दोनो हाथ क बास क ऊपर आय रचक परा होन पर िऽबनध कर ि मलाधार चब की िदशा म और िच वि मलाधार चब म ःथािपत कर

लाभः यह आसन करन म ौम बहत कम ह और लाभ अिधक होता ह इसक अ यास स सषमना का मागर अतयनत सरल होता ह कणडिलनी शि सरलता स ऊधवरगमन कर सकती ह

इस आसन म धयान करन स म दणड को सीधा करन का ौम नही करना पड़ता और म दणड को आराम िमलता ह उसकी काय़रशि बल बनती ह इस आसन का अ यास करन स ायः तमाम अतःॐावी मिनथयो को जस शीषरःथ मिनथ कणठःथ मिनथ मऽिपणड की मनथी ऊधवरिपणड तथा प षाथर मिनथ आिद को पि िमलती ह फलतः यि का भौितक एव आधयाितमक िवकास सरल हो जाता ह तन-मन का ःवाःथय भावशाली बनता ह जठराि न दी होती ह मलावरोध की पीडा दर होती ह धातकषय ःवपनदोष पकषाघात पथरी बहरा होना तोतला होना आखो की दबरलता गल क टािनसल ासनिलका का सजन कषय दमा ःमरणशि की दबरलता आिद रोग दर होत ह

शवासन

शवासन की पणारवःथा म शरीर क तमाम अग एव मिःतक पणरतया च ा रिहत िकय जात ह यह अवःथा शव (मद) जसी होन स इस आसन को शवासन कहा जाता ह

िविधः िबछ हए आसन पर िच होकर लट जाय दोनो परो को परःपर स थोड़ अलग कर द दोनो हाथ भी शरीर स थोड़ अलग रह इस कार परो की ओर फला द हाथ की हथिलया आकाश की तरफ खली रख िसर सीधा रह आख बनद

मानिसक ि स शरीर को पर स िसर तक दखत जाय पर शरीर को मद की तरह ढीला छोड़ द हर एक अग को िशिथल करत जाय

शरीर म समपणर िवौाम का अनभव कर मन को भी बा ा िवषयो स हटाकर एकाम कर बारी-बारी स हर एक अग पर मानिसक ि एकाम करत हए भावना कर िक वह अग अब आराम पा रहा ह मरी सब थकान उतर रही ह इस कार भावना करत-करत सब ःनायओ को िशिथल होन द शरीर क एक भी अग म कही भी तनाव (टनशन) न रह िशिथलीकरण की िबया म पर स ारमभ करक िसर तक जाय अथवा िसर स ारमभ करक पर तक भी जा सकत ह अनत म जहा स ारमभ िकया हो वही पनः पहचना चािहय िशिथलीकरण की िबया स शरीर क तमाम अगो का एव ानततओ को िवौाम की अवःथा म ला दना ह

शवासन की दसरी अवःथा म ासोचछोवास पर धयान दना ह शवासन की यही म य िबया ह िवशषकर योग साधको क िलए वह अतयनत उपयोगी ह कवल शारी रक ःवाःथय क िलय थम भिमका पयार ह

इसम ास और उचछवास की िनयिमतता दीघरता और समानता ःथािपत करन का लकषय ह ास िनयिमत चल लमबा और गहरा चल ास और उचछवास एक समान रह तो मन को एकाम करन की शि ा होती ह

शवासन यिद ठीक ढग स िकया जाए तो नाड़ीतऽ इतना शात हो जाता ह िक अ यासी को नीद आन लगती ह लिकन धयान रह िनिनित न होकर जामत रहना आवयक ह

अनय आसन करन क बाद अगो म जो तनाव (टनशन) पदा होता ह उसको िशिथल करन क िलय अत म 3 स 5 िमनट तक शवासन करना चािहए िदनभर म अनकलता क अनसार दो-तीन बार शवासन कर सकत ह

लाभः शवासन क ारा ःनाय एव मासपिशयो म िशिथलीकरण स शि बढ़ती ह अिधक कायर करन की यो यता उसम आती ह र वाहिनयो म िशराओ म र वाह तीो

होन स सारी थकान उतर जाती ह नाड़ीतऽ को बल िमलता ह मानिसक शि म वि होती ह

र का दबाव कम करन क िलए नाड़ीतऽ की दबरलता एव उसक कारण होन वाल रोगो को दर करन क िलय शवासन खब उपयोगी ह

पादपि मो ानासन

यह आसन करना किठन ह इसस उमासन कहा जाता ह उम का अथर ह िशव भगवान िशव सहारक ार ह अतः उम या भयकर ह िशवसिहता म भगवान िशव न म कणठ स शसा करत हए कहा हः यह आसन सवरौ आसन ह इसको य पवरक ग रख िसफर अिधका रयो को ही इसका रहःय बताय

धयान मिणपर चब म ास थम िःथित म परक और दसरी िःथित म रचक और िफर बिहकर मभक

िविधः िबछ हए आसन पर बठ जाय दोनो परो को लमब फला द दोनो परो की जघा घटन पज परःपर िमल रह और जमीन क साथ लग रह परो की अगलया घटनो की तरफ झकी हई रह अब दोनो हाथ लमब कर दािहन हाथ की तजरनी और अगठ स दािहन पर का अगठा और बाय हाथ की तजरनी और अगठ स बाय पर का अगठा पकड़ अब रचक करत-करत नीच झक और िसर को दोनो घटनो क मधय म रख ललाट घटन को ःपशर कर और घटन ज़मीन स लग रह रचक परा होन पर कमभक कर ि एव िच वि को मिणपर चब म ःथािपत कर ारमभ म आधा िमनट करक बमशः 15 िमनट तक यह आसन करन का अ यास बढ़ाना चािहय थम दो-चार िदन किठन लगगा लिकन अ यास हो जान पर यह आसन सरल हो जाएगा

लाभः पादपि मो नासन म समयक अ यास स सषमना का मख खल जाता ह और ाण म दणड क मागर म गमन करता ह फलतः िबनद को जीत सकत ह िबनद को जीत िबना न समािध िस होती ह न वाय िःथर होता ह न िच शात होता ह

जो ी-प ष काम िवकार स अतयत पीिड़त हो उनह इस आसन का अ यास करना चािहए इसस शारी रक िवकार दब जात ह उदर छाती और म दणड को उ म कसरत िमलती ह अतः व अिधक कायरकषम बनत ह हाथ पर तथा अनय अगो क सिनध ःथान मजबत बनत ह शरीर क सब तऽ बराबर कायरशील होत ह रोग माऽ का नाश होकर ःवाःथय़ का साा य ःथािपत होता ह

इस आसन क अ यास स मनदाि न मलावरोध अजीणर उदररोग किमिवकार सद वातिवकार कमर का ददर िहचकी कोढ़ मऽरोग मधमह पर क रोग ःवपनदोष वीयरिवकार र िवकार एपनडीसाइिटस अणडवि पाणडरोग अिनिा दमा ख टी डकार आना ानतनत की दबरलता बवासीर नल की सजन गभारशय क रोग अिनयिमत तथा क दायक मािसक बनधयतव दर नपसकता र िप िसरोवदना बौनापन आिद अनक रोग दर होत ह पट पत ला बनता ह जठराि न दी होती ह कफ और चरबी न होत ह

िशवसिहता म कहा ह िक इस आसन स वाय ीपन होता ह और वह मतय का नाश करता ह इस आसन स शरीर का कद बढ़ता ह शरीर म अिधक ःथलता हो तो कम होती ह दबरलता हो तो वह दर होकर शरीर सामानय तनद ःत अवःथा म आ जाता ह नाडी सःथान म िःथरता आती ह मानिसक शाित ा होती ह िचनता एव उ जना शात करन क िलए यह आसन उ म ह पीठ और म दणड पर िखचाव आन स दोनो िवकिसत होत ह फलतः शरीर क तमाम अवयवो पर अिधकार ःथािपत होता ह सब आसनो म यह आसन सवर धान ह इसक अ यास स कायाकलप (प रवतरन) हो जाता ह

यह आसन भगवान िशव को बहत पयारा ह उनकी आ ा स योगी गोरखनाथ न लोककलयाण हत इसका चार िकया ह आप इस आसन क अदभत लाभो स लाभािनवत हो और दसरो को भी िसखाय

पादपि मो ानासन प यपाद आसारामजी बाप को भी बहत पयारा ह उसस प यौी को बहत लाभ हए ह अभी भी यह आसन उनक आरो यिनिध का रकषक बना हआ ह

पाठक भाइयो आप अवय इस आसन का लाभ लना ारमभ क चार-पाच िदन जरा किठन लगगा बाद म तो यह आसन आपका िशवजी क वरदान प आरो य कवच िस हए िबना नही रहगा

िऽबनध

मलबनध

शौच ःनानािद स िनव होकर आसन पर बठ जाय बायी एड़ी क ारा सीवन या योिन को दबाय दािहनी एड़ी सीवन पर रख गदा ार को िसकोड़कर भीतर की ओर ऊपर खीच यह मलबनध कहा जाता ह

लाभः मलबनध क अ यास स मतय को जीत सकत ह शरीर म नयी ताजगी आती ह िबगड़त हए ःवाःथय की रकषा होती ह चयर का पालन करन म मलबनध सहायक िस होता ह वीयर को प करता ह कबज को न करता ह जठराि न तज होती ह मलबनध स िचरयौवन ा होता ह बाल सफद होन स कत ह

अपानवाय ऊधवरगित पाकर ाणवाय क सषमना म िव होता ह सहॐारचब म िच वि िःथर बनती ह इसस िशवपद का आननद िमलता ह सवर कार की िद य िवभितया और ऐ यर ा होत ह अनाहत नाद सनन को िमलता ह ाण अपान नाद और िबनद एकिऽत होन स योग म पणरता ा होती ह

उडडीयान बनध

आसन पर बठकर परा ास बाहर िनकाल द समपणरतया रचक कर पट को भीतर िसकोड़कर ऊपर की ओर खीच नािभ तथा आत पीठ की तरफ दबाय शरीर को थोड़ा सा आग की तरफ झकाय यह ह उडडीयानबनध

लाभः इसक अ यास स िचरयौवन ा होता ह मतय पर जय ा होती ह चयर क पालन म खब सहायता िमलती ह ःवाःथय सनदर बनता ह कायरशि म वि होती ह नयोिल और उडडीयानबनध जब एक साथ िकय जात ह तब कबज दम दबाकर भाग खड़ा होता ह पट क तमाम अवयवो की मािलश हो जाती ह पट की अनावयक चरबी उतर जाती ह

जालनधरबनध

आसन पर बठकर परक करक कमभक कर और ठोड़ी को छाती क साथ दबाय इसको जालनधरबनध कहत ह

लाभः जालनधरबनध क अ यास स ाण का सचरण ठीक स होता ह इड़ा और िपगला नाड़ी बनद होकर ाण-अपान सषमना म िव होत ह नािभ स अमत कट होता ह िजसका पान जठराि न करता ह योगी इसक ारा अमरता ा करता ह

प ासन पर बठ जाय परा ास बाहर िनकाल कर मलबनध उडडीयानबनध कर िफर खब परक करक मलबनध उडडीयानबनध और जालनधरबनध य तीनो बनध एक साथ कर आख बनद रख मन म णव (ॐ) का अथर क साथ जप कर

इस कार ाणायाम सिहत तीनो बनध का एक साथ अ यास करन स बहत लाभ होता ह और ायः चमतका रक प रणाम आता ह कवल तीन ही िदन क समयक अ यास स जीवन म बािनत का अनभव होन लगता ह कछ समय क अ यास स कवल या कवली कमभक ःवय कट होता ह

कवली कमभक

कवल या कवली कमभक का अथर ह रचक-परक िबना ही ाण का िःथर हो जाना िजसको कवली कमभक िस होता ह उस योगी क िलए तीनो लोक म कछ भी दलरभ नही रहता कणडिलनी जागत होती ह शरीर पतला हो जाता ह मख सनन रहता ह नऽ मलरिहत होत ह सवर रोग दर हो जात ह िबनद पर िवजय होती ह जठराि न विलत होती ह

कवली कमभक िस िकय हए योगी की अपनी सवर मनोकामनाय पणर होती ह इतना ही नही उसका पजन करक ौ ावान लोग भी अपनी मनोकामनाय पणर करन लगत ह

जो साधक पणर एकामता स िऽबनध सिहत ाणायाम क अ यास ारा कवली कमभक का प षाथर िस करता ह उसक भा य का तो पछना ही या उसकी यापकता

बढ़ जाती ह अनतर म महानता का अनभव होता ह काम बोध लोभ मोह मद और मतसर इन छः शऽओ पर िवजय ा होती ह कवली कमभक की मिहमा अपार ह

जलनित

िविधः एक िलटर पानी को गनगना सा गरम कर उसम करीब दस माम श नमक डालकर घोल द सनधव िमल जाय तो अचछा सबह म ःनान क बाद यह पानी चौड़ महवाल पाऽ म कटोर म लकर परो पर बठ जाय पाऽ को दोनो हाथो स पकड़ कर नाक क नथन पानी म डबो द अब धीर-धीर नाक क ारा ास क साथ पानी को भीतर खीच और नाक स भीतर आत हए पानी को मह स बाहर िनकालत जाय नाक को पानी म इस कार बराबर डबोय रख िजसस नाक ारा भीतर जानवाल पानी क साथ हवा न वश कर अनयथा आतरस-खासी आयगी

इस कार पाऽ का सब पानी नाक ारा लकर मख ारा बाहर िनकाल द अब पाऽ को रख कर खड़ हो जाय दोनो पर थोड़ खल रह दोनो हाथ कमर पर रखकर ास को जोर स बाहर िनकालत हए आग की ओर िजतना हो सक झक भिॐका क साथ यह िबया बार-बार कर इसस नाक क भीतर का सब पानी बाहर िनकल जायगा थोड़ा बहत रह भी जाय और िदन म कभी भी नाक स बाहर िनकल जाय तो कछ िचनताजनक नही ह

नाक स पानी भीतर खीचन की यह िबया ारमभ म उलझन जसी लगगी लिकन अ यास हो जान पर िबलकल सरल बन जायगा

लाभः मिःतक की ओर स एक कार का िवषला रस नीच की ओर बहता ह यह रस कान म आय तो कान क रोग होत ह आदमी बहरा हो जाता ह यह रस आखो की तरफ जाय तो आखो का तज कम हो जाता ह चम की ज रत पड़ती ह तथा अनय रोग होत ह यह रस गल की ओर जाय तो गल क रोग होत ह

िनयमपवरक जलनित करन स यह िवषला पदाथर बाहर िनकल जाता ह आखो की रोशनी बढ़ती ह चम की ज रत नही पड़ती चमा हो भी तो धीर-धीर नमबर कम होत-होत छट जाता भी जाता ह ासोचछोवास का मागर साफ हो जाता ह मिःतक म ताजगी रहती ह जकाम-सद होन क अवसर कम हो जात ह जलनित की िबया करन

स दमा टीबी खासी नकसीर बहरापन आिद छोटी-मोटी 1500 बीमी रया दर होती ह जलनित करन वाल को बहत लाभ होत ह िच म सननता बनी रहती ह

गजकरणी िविधः करीब दो िलटर पानी गनगना सा गरम कर उसम करीब 20 माम श

नमक घोल द सनधव िमल जाय तो अचछा ह अब पजो क बल बठकर वह पानी िगलास भर-भर क पीत जाय खब िपय अिधकाअिधक िपय पट जब िबलकल भर जाय गल तक आ जाय पानी बाहर िनकालन की कोिशश कर तब दािहन हाथ की दो बड़ी अगिलया मह म डाल कर उलटी कर िपया हआ सब पानी बाहर िनकाल द पट िबलकल हलका हो जाय तब पाच िमनट तक आराम कर

गजकरणी करन क एकाध घणट क बाद कवल पतली िखचड़ी ही भोजन म ल भोजन क बाद तीन घणट तक पानी न िपय सोय नही ठणड पानी स ःनान कर तीन घणट क बाद ारमभ म थोड़ा गरम पानी िपय

लाभः गजकरणी स एिसडीटी क रोगी को अदभत लाभ होता ह ऐस रोगी को चार-पाच िदन म एक बार गजकरणी चािहए ततप ात महीन म एक बार दो महीन म एक बार छः महीन म एक बार भी गजकरणी कर सकत ह

ातःकाल खाली पट तलसी क पाच-सात प चबाकर ऊपर स थोड़ा जल िपय एसीडीटी क रोगी को इसस बहत लाभ होगा

वष परान कबज क रोिगयो को स ाह म एक बार गजकरणी की िबया अवय करनी चािहए उनका आमाशय मिनथसःथान कमजोर हो जान स भोजन हजम होन म गड़बड़ रहती ह गजकरणी करन स इसम लाभ होता ह फोड़ फनसी िसर म गम सद बखार खासी दमा टीबी वात-िप -कफ क दोष िज ा क रोग गल क रोग छाती क रोग छाती का ददर एव मदाि न म गजकरणी िबया लाभकारक ह

शरीर शोधन-कायाकलप

यह चालीस िदन का कलप ह प यपाद आसारामजी बाप न यह योग िकया हआ ह इसस शरीर सडौल ःवःथ और फत ला बनता ह र म नय-नय कण बनत ह शरीर क कोषो की शि बढ़ती ह मन-बि म चमतका रक लाभ होत ह

िविधः अगल िदन पपीता सव आिद फल उिचत माऽा म ल अथवा मन का 50 माम दस घणट पहल िभगो द उनको उबालकर बीज िनकाल द मन का खा ल और पानी पी ल

ातःकाल उठकर सकलप कर िक इस कलप क दौरान िनि त िकय हए कायरबम क अनसार ही रहगा

शौच-ःनानािद िनतयकमर स िनव होकर सबह 8 बज 200 या 250 माम गाय का उबला हआ गनगना दध िपय पौन घणटा पणर आराम कर बाद म िफर स दध िपय शारी रक ौम कम स कम कर ॐ सोsह हसः इस मऽ का मानिसक जप कर कभी ास को िनहार बस साकषीभाव

मनोरा य चलता हो तो ॐ जोर-जोर स जप कर

इस कार शाम तक िजतना दध हजम कर सक उतना दध दो स तीन िलटर िपय 40 िदन तक कवल द धाहार क बाद 41व िदन मग का उबला हआ पानी मोसममी का रस आिद ल रािऽ को अिधक मगवाली हलकी िखचड़ी खाय इस कार शरीर-शोधन-कायाकलप की पणारहित कर

यिद बि तीकषण बनानी हो ःमरणशि बढ़ानी हो तो कलप क दौरान ॐ ऐ नमः इस मऽ का जप कर सयर को अ यर द

इस कलप म दध क िसवाय अनय कोई खराक लना मना ह चाय तमबाक आिद यसन िनिष ह ि यो क सग स दर रहना तथा चयर का पालन अतयनत आवयक ह

कलजग नही करजग ह यह

कलजग नही करजग ह यह यहा िदन को द अ रात ल

या खब सौदा नकद ह इस हाथ द उस हाथ ल टक

दिनया अजब बाज़ार ह कछ िजनस1 या िक साथ ल

नकी का बदला नक ह बद स बदी की बात ल

मवा िखला मवा िमल फल फल द फल पात ल

आराम द आराम ल दःख ददर द आफत2 ल 1

काटा िकसी को मत लगा गो िमःल-गल3 फला ह त

वह तर हक4 म तीर ह िकस बात पर झला ह त

मत आग म डाल और को या घास का पला ह त

सन ऱख यह नकता5 बखबर िकस बात पर भला ह त

कलजग नही 2

शोखी शरारत मकरो-फन6 सबका बसखा7 ह यहा

जो जो िदखाया और को वह खद भी दखा ह यहा

खोटी खरी जो कछ कही ितसका परखा8 ह यहा

जो जो पड़ा तलता ह मोल ितल ितल का लखा ह यहा

कलजग नही 3

जो और की बःती9 रख उसका भी बसता ह परा

जो और क मार छरी उसको भी लगता ह छरा

जो और की तोड़ घड़ी उसका भी टट ह घड़ा

जो और की चत10 बदी उसका भी होता ह बरा

कलजग नही 4

जो और को फल दवगा वह भी सदा फल पावगा

गह स गह जौ स जौ चावल स चावल पावगा

जो आज दवगा यहा वसा ही वह कल पावगा

कल दवगा कल पावगा िफर दवगा िफर पावगा

कलजग नही 5

जो चाह ल चल इस घड़ी सब िजनस यहा तयार ह

आराम म आराम ह आजार म आजार11 ह

दिनया न जान इसको िमया दरया की यह मझधार ह

औरो का बड़ा पार कर तरा भी बड़ा पार ह

कलजग नही 6

त और की तारीफ कर तझको सना वानी12 िमल

कर मिकल आसा औरो की तझको भी आसानी िमल

त और को महमान कर तझको भी महमानी िमल

रोटी िखला रोटी िमल पानी िपला पानी िमल

कलजग नही 7

जो गल13 िखलाव और का उसका ही गल िखलता भी ह

जो और का कील14 ह मह उसका ही मह िकलता भी ह

जो और का छील िजगर उसका िजगर िछलता भी ह

जो और को दव कपट उसको कपट िमलता भी ह

कलजग नही 8

कर जो कछ करना ह अब यह दम तो कोई आन15 ह

नकसान म नकसान ह एहसान म एहसान ह

तोहमत म यहा तोहमत िमल तफान म तफान ह

रहमान16 को रहमान17 ह शतान को शतान ह

कलजग नही 9

यहा जहर द तो जहर ल श कर म श कर दख ल

नको का नकी का मजा मजी18 को ट कर दख ल

मोती िदय मोती िमल पतथर म पतथर दख ल

गर तझको यह बावर19 नही तो त भी करक दख ल

कलजग नही 10

अपन नफ क वाःत मत और का नकसान कर

तरा भी नकसा होवगा इस बात पर त धयान कर

खाना जो खा सो दखकर पानी िपय तो छानकर

या पावो को रख फककर और खोफ स गजरान कर

कलजग नही 11

गफलत की यह जगह नही त सािहब-इदराक20 रह

िदलशाद21 ऱख िदल शाह रह गमनाक रख गमनाक रह

हर हाल म भी त नजीर22 अब हर कदम की रह

यह वह मका ह ओ िमया या पाक23 रह बबाक24 रह

कलजग नही 12

1 वःत 2 मसीबत 3 पप की तरह 4 तर िलय 5 रहःय 6 दगा-धोखा 7 घर 8 परखना 9 नगरी 10 िवचार कर 11 दःख 12 तारीफ-ःतित 13 फल 14 िकसी को बोलन न दना 15 घड़ी पल 16 दयावान 17 दयाल भगवान 18 सतान वाला 19 िव ास 20 तीो ा तज समझन वाला प ष 21 सननिच 22 किव का नाम ह 23 श पिवऽ 24 िनडर

  • आधयातमिक विदया क उदगाता
  • सवासथय क लिए मतर
  • परासताविक
  • बरहमचरय-रकषा का मनतर
  • आसनो की परकिया म आन वाल कछ शबदो की समझ
  • आवशयक निरदश
  • योगासन
    • पदमासन या कमलासन
    • सिदधासन
    • सरवागासन
    • हलासन
    • पवनमकतासन
    • मतसयासन
    • भजगासन
    • धनरासन
    • चकरासन
    • कटिपिणडमरदनासन
    • अरधमतसयनदरासन
    • योगमदरासन
    • गोरकषासन या भदरासन
    • मयरासन
    • वजरासन
    • सपतवजरासन
    • शवासन
    • पादपशचिमोततानासन
      • तरिबनध
        • मलबनध
        • उडडीयान बनध
        • जालनधरबनध
          • कवली कमभक
          • जलनति
          • गजकरणी
          • शरीर शोधन-कायाकलप
          • कलजग नही करजग ह यह
Page 15: अनुबम - || Home || HariOmGroup · िस होता है। िवशु नाड़ीतंऽ वालेयोगी के िवशु शरीर में

हलासन

इस आसन म शरीर का आकार हल जसा बनता ह इसिलए इसको हलासन कहा जाता ह

धयान िवश ा या चब म ास रचक और बाद म दीघर

िविधः भिम पर िबछ हए आसन पर िच होकर लट जाए दोनो हाथ शरीर को लग रह अब रचक करक ास को बाहर िनकाल द दोनो परो को एक साथ धीर-धीर ऊच करत जाय आकाश की ओर पर उठाकर िफर पीछ िसर क तरफ झकाय पर िबलकल तन हए रखकर पज ज़मीन पर लगाय ठोड़ी छाती स लगी रह िच वि को िवश ा या चब म िःथर कर दो-तीन िमनट स लकर बीस िमनट तक समय की अविध बढ़ा सकत ह

लाभः हलासन क अ यास स अजीणर कबज अशर थायराइड का अलप िवकास अगिवकार असमय व तव दमा कफ र िवकार आिद दर होत ह इस आसन स िलवर अचछा होता ह छाती का िवकास होता ह सनिबया तज होकर ऑ सीजन स र श बनता ह गल क ददर पट की बीमारी सिधवात आिद दर होत ह पट की चरबी कम होती ह िसरददर दर होता ह वीयरिव कार िनमरल होता ह खराब िवचार बनद होत ह नाड़ी तऽ श होता ह शरीर बलवान और तजःवी बनता ह गिभरणी ि यो क िसवा हर एक को यह आसन करना चािहए

रीढ़ म कठोरता होना यह व ावःथा का िच ह हलासन स रीढ़ लचीली बनती ह इसस यवावःथा की शि ःफितर ःवाःथय और उतसाह बना रहता ह म दणड

समबनधी नािड़यो क ःवाःथय की रकषा होकर व ावःथा क लकषण जलदी नही आत जठर की नािड़यो को शि ा होती ह

जठर की मासपिशया तथा पाचनतऽ क अगो की नािड़यो की दबरलता क कारण अगर मदाि न एव कबज हो तो हलासन स दर होत ह कमर पीठ एव गरदन क रोग न होत ह िलवर और पलीहा बढ़ गए हो तो हलासन स सामानय अवःथा म आ जात ह काम कनि की शि बढ़ती ह अपानशि का उतथान होकर उदान पी अि न का योग होन स वीयरशि ऊधवरगामी बनती ह हलासन स वीयर का ःतभन होता ह यह आसन अणडकोष की वि पिनबयास अपिनड स आिद को ठीक करता ह थायराइड मिनथ की िबयाशीलता बढ़ती ह धयान करन स िवश चब जागत हो जाता ह

पवनम ासन

शरीर म िःथत पवन (वाय) यह आसन करन स म होता ह इसिलए इस पवनम ासन कहा जाता ह

धयान मिणपर चब म ास पहल परक िफर कमभक और रचक

िविधः भिम पर िबछ हए आसन पर िच होकर लट जाय परक करक फफड़ो म ास भर ल अब िकसी भी एक पर को घटन स मोड़ द दोनो हाथो की अगिलयो को

परःपर िमलाकर उसक ारा मोड़ हए घटनो को पकड़कर पट क साथ लगा द िफर िसर को ऊपर उठाकर मोड़ हए घटनो पर नाक लगाए दसरा पर ज़मीन पर सीधा रह इस िबया क दौरान ास को रोककर कमभक चाल रख िसर और मोड़ा हआ पर भिम पर पवरवत रखन क बाद ही रचक कर दोनो परो को बारी -बारी स मोड़कर यह िबया कर दोनो पर एक साथ मोड़कर भी यह आसन हो सकता ह

लाभः पवनम ासन क िनयिमत अ यास स पट की चरबी कम होती ह पट की वाय न होकर पट िवकार रिहत बनता ह कबज दर होता ह पट म अफारा हो तो इस आसन स लाभ होता ह ातःकाल म शौचिबया ठीक स न होती हो तो थोड़ा पानी पीकर यह आसन 15-20 बार करन स शौच खलकर होगा

इस आसन स ःमरणशि बढ़ती ह बौि क कायर करन वाल डॉ टर वकील सािहतयकार िव ाथ तथा बठकर वि करन वाल मनीम यापारी आिद लोगो को िनयिमत प स पवनम ासन करना चािहए

मतःयासन

मतःय का अथर ह मछली इस आसन म शरीर का आकार मछली जसा बनता ह अतः मतःयासन कहलाता ह पलािवनी ाणायाम क साथ इस आसन की िःथित म लमब समय तक पानी म तर सकत ह

धयान िवश ा या चब म ास पहल रचक बिहकर मभक िफर परक और रचक

िविधः भिम पर िबछ हए आसन पर प ासन लगाकर सीध बठ जाय िफर परो को प ासन की िःथित म ही रखकर हाथ क आधार स सावधानी पवरक पीछ की ओर िच होकर लट जाय रचक करक कमर को ऊपर उठाय घटन िनतब और मःतक क िशखा ःथान को भिम क ःथान लगाय रख िशखाःथान क नीच कोई नरम कपड़ा

अवय रख बाय हाथ स दािहन पर का अगठा और दािहन हाथ स बाय पर का अगठा पकड़ दोनो कहिनया ज़मीन को लगाय रख कमभक की िःथित म रहकर ि को पीछ की ओर िसर क पास ल जान की कोिशश कर दात दब हए और मह बनद रख एक िमनट स ारमभ करक पाच िमनट तक अ यास बढ़ाय िफर हाथ खोलकर कमर भिम को लगाकर िसर ऊपर उठाकर बठ जाय परक करक रचक कर

पहल भिम पर लट कर िफर प ासन लगाकर भी मतःयासन हो सकता ह

लाभः मतःयासन स परा शरीर मजबत बनता ह गला छाती पट की तमाम बीमा रया दर होती ह आखो की रोशनी बढ़ती ह गला साफ रहता ह सनिबया ठीक स चलती ह कनधो की नस उलटी मड़ती ह इसस छाती व फफड़ो का िवकास होता ह पट साफ रहता ह आतो का मल दर होता ह र ािभसरण की गित बढ़ती ह फलतः चमड़ी क रोग नही होत दमा और खासी दर होती ह छाती चौड़ी बनती ह पट की चरबी कम होती ह इस आसन स अपानवाय की गित नीच की ओर होन स मलावरोध दर होता ह थोड़ा पानी पीकर यह आ सन करन स शौच-शि म सहायता िमलती ह

मतःयासन स ि यो क मािसकधमर समबनधी सब रोग दर होत ह मािसकॐाव िनयिमत बनता ह

भजगासन

इस आसन म शरीर की आकित फन उठाय हए भजग अथारत सपर जसी बनती ह इसिलए इसको भजगासना कहा जाता ह

धयान िवश ा या चब म ास ऊपर उठात व परक और नीच की ओर जात समय रचक

िविधः भिम पर िबछ हए कमबल पर पट क बल उलट होकर लट जाय दोनो पर और पज परःपर िमल हए रह परो क अगठो को पीछ की ओर खीच दोनो हाथ िसर क तरफ लमब कर द परो क अगठ नािभ छाती ललाट और हाथ की हथिलया भिम पर एक सीध म रख

अब दोनो हथिलयो को कमर क पास ल जाय िसर और कमर ऊपर उठाकर िजतना हो सक उतन पीछ की ओर मोड़ नािभ भिम स लगी रह पर शरीर का वजन हाथ क पज पर आएगा शरीर की िःथित कमान जसी बनगी म दणड क आिखरी भाग पर दबाव किनित होगा िच वि को कणठ म और ि को आकाश की तरफ िःथर कर

20 सकणड तक यह िःथित रख बाद म धीर-धीर िसर को नीच ल आय छाती भिम पर रख िफर िसर को भिम स लगन द आसन िस हो जान क बाद आसन करत समय ास भरक कमभक कर आसन छोड़त समय मल िःथित म आन क बाद ास को खब धीर-धीर छोड़ हर रोज एक साथ 8-10 बार यह आसन कर

लाभः घरड सिहता म इसका लाभ बतात हए कहा ह - भजगासन स जठराि न दी होती ह सवर रोगो का नाश होता ह और कणडिलनी जागत होती ह

म दणड क तमाम मनको को तथा गरदन क आसपास वाल ःनायओ को अिधक श र िमलता ह फलतः नाड़ी तऽ सचत बनता ह िचरजीवी शि मान एव स ढ़ बनता ह िवशषकर मिःतक स िनकलन वाल ानतत बलवान बनत ह पीठ की हिडडय़ो म रहन वाली तमाम खरािबया दर होती ह पट क ःनाय म िखचाव आन स वहा क अगो को शि िमलती ह उदरगहा म दबाव बढ़न स कबज दर होता ह छाती और पट का िवकास होता ह तथा उनक रोग िमट जात ह गभारशय एव बोनाशय अचछ बनत ह फलतः मािसकॐाव क रिहत होता ह मािसक धमर समबनधी समःत िशकायत दर होती ह अित ौम करन क कारण लगन वाली थकान दर होती ह भोजन क बाद होन वाल वाय का ददर न होता ह शरीर म ःफितर आती ह कफ-िपतवालो क िलए यह आसन लाभदायी ह भजगासन करन स दय मजबत बनता ह मधमह और उदर क

रोगो स मि िमलती ह दर अित मािसकॐाव तथा अलप मािसकॐाव जस रोग दर होत ह

इस आसन स म दणड लचीला बनता ह पीठ म िःथत इड़ा और िपगला नािड़यो पर अचछा भाव पड़ता ह कणडिलनी शि जागत करन क िलय यह आसन सहायक ह अमाशय की मासपिशयो का अचछा िवकास होता ह थकान क कारण पीठ म पीड़ा होती हो तो िसफर एक बार ही यह आसन करन स पीड़ा दर होती ह म दणड की कोई हडडी ःथान हो गई हो तो भजगासन करन स यथाःथान म वापस आ जाती ह

धनरासन

इस आसन म शरीर की आकित खीच हए धनष जसी बनती ह अतः इसको धनरासन कहा जाता ह

धयान मिणपर चब म ास नीच की िःथित म रचक और ऊपर की िःथित म परक

िविधः भिम पर िबछ हए कमबल पर पट क बल उलट होकर लट जाय दोनो पर परःपर िमल हए रह अब दोनो प रो को घटनो स मोड़ दोनो हाथो को पीछ ल जाकर दोनो परो को टखनो स पकड़ रचक करक हाथ स पकड़ हए परो को कसकर धीर -धीर खीच िजतना हो सक उतना िसर पीछ की ओर ल जान की कोिशश कर ि भी ऊपर एव पीछ की ओर रहनी चािहए समम शरीर का बोझ कवल नािभदश क ऊपर ही रहगा कमर स ऊपर का धड़ एव कमर स नीच पर पर ऊपर की ओर मड़ हए रहग

कमभक करक इस िःथित म िटक रह बाद म हाथ खोलकर पर तथा िसर को मल अवःथा म ल जाय और परक कर ारभ म पाच सकणड यह आसन कर धीर-धीर समय बढ़ाकर तीन िमनट या उसस भी अिधक समय इस आसन का अ यास कर तीन-चार बार यह आसन करना चािहए

लाभः धनरासन क अ यास स पट की चरबी कम होती ह गस दर होती ह पट को रोग न होत ह कबज म लाभ होता ह भख खलती ह छाती का ददर दर होता ह दय की धडकन मजबत बनती ह ास िक िबया यविःथत चलती ह मखाकित सदर बनती ह आखो की रोशनी बढ़ती ह और तमाम रोग दर होत ह हाथ -पर म होन वाला कपन कता ह शरीर का सौनदयर बढ़ता ह पट क ःनायओ म िखचाव आन स पट को अचछा लाभ होता ह आतो पर खब दबाव पड़न स पट क अगो पर भी दबाव पड़ता ह फलतः आतो म पाचकरस आन लगता ह इसस जठराि न तज होती ह पाचनशि बढ़ती ह वायरोग न होता ह पट क कषऽ म र का सचार अिधक होता ह धनरासन म भजगासन और शलभासन का समावश हो जान क कारण इन दोनो आसनो क लाभ िमलत ह ि यो क िलए यह आसन खब लाभकारक ह इसस मािसक धमर क िवकार गभारशय क तमाम रोग दर होत ह

चबासन

इस आसन म शरीर की आकित चब जसी बनती ह अतः चबासन कहा जाता ह

धयान मिणपर चब म ास दीघर ःवाभािवक

िविधः भिम पर िबछ हए आसन पर िच होकर लट जाय घटनो स पर मोड़ कर ऊपर उठाय पर क तलव ज़मीन स लग रह दो परो क बीच करीब डढ़ फीट का अनतर रख दोनो हाथ मःतक की तरफ उठाकर पीछ की ओर दोनो हथिलयो को ज़मीन पर जमाय दोनो हथिलयो क बीच भी करीब डढ़ फीट का अनतर रख अब हाथ और पर क बल स पर शरीर को कमर स मोड़कर ऊपर उठाय हाथ को धीर-धीर पर की ओर ल जाकर ःमपशर शरीर का आकार व या चब जसा बनाय आख बनद रख ास की गित ःवाभािवक चलन द िच वि मिणपर चब (नािभ कनि) म िःथर कर आख खली भी रख सकत ह एक िमनट स पाच िमनट तक अ यास बढ़ा सकत ह

लाभः म दणड तथा शरीर की समःत नािड़यो का शि करण होकर यौिगक चब जागत होत ह लकवा तथा शरीर की कमजो रया दर होती ह मःतक गदरन पीठ पट

कमर हाथ पर घटन आिद सब अग मजबत बनत ह सिनध ःथानो ददर नही होता पाचनशि बढ़ती ह पट की अनावयक चरबी दर होती ह शरीर तजःवी और फत ला बनता ह िवकारी िवचार न होत ह ःवपनदोष की बीमारी अलिवदा होती ह चबासन क िनयिमत अ यास स व ावःथा म कमर झकती नही शरीर सीधा तना हआ रहता ह

किटिपणडमदरनासन

इस आसन म किटदश (कमर क पास वाल भाग) म िःथत िपणड अथारत मऽिपणड का मदरन होता ह इसस यह आसन किटिपणडमदरनासन कहलाता ह

धयान ःवािध ान चब म ास परक और कमभक

िविधः िबछ हए कमबल पर पीठ क बल िच होकर लट जाय दोनो हाथो को आमन-सामन फला द मि ठया बनद रख दोनो परो को घटनो स मोड़कर खड़ कर द पर क तलव ज़मीन स लग रह दोनो परो क बीच इतना अनतर रख िक घटनो को ज़मीन पर झकान स एक पर का घटना दसर पर की एड़ी को लग िसर दायी ओर मड़ तो दोनो घटन दािहनी ओर ज़मीन को लग इस कार 15-20 बार िबया कर इस कार दोनो परो को एक साथ रखकर भी िबया कर

लाभः िजसको पथरी की तकलीफ हो उस आौम (सत ौी आसारामजी आौम साबरमित अमदावाद-5) स िबना मलय िमलती काली भःम करीब डढ़ माम भोजन स आधा घणटा पवर और भोजन क बाद एक िगलास पानी क साथ लना चािहए और यह आसन भख पट ठीक ढग स करना चािहए इसस पथरी क ददर म लाभ होता ह पथरी टकड़ -टकड़ होकर मऽ क ारा बाहर िनकलन लगती ह मऽिवकार दर होता ह कमर ददर साइिटका रीढ़ की हडडी की जकड़न उदासीनता िनराशा डायािबटीज नपसकता गस पर की गाठ इतयािद रोगो म शीय लाभ होता ह नािभ ःथान स चयत हो जाती हो तो पनः अपन ःथान म आ जाती ह

मािसक धमर क समय एव गभारवःथा म ि या यह आसन न कर कबज का रोगी सबह शौच जान स पहल उषःपान करक यह आसन कर तो चमतका रक लाभ होता ह ास को अनदर भर क पट को फलाकर यह आसन करन स कबज जलदी दर होता ह

अधरमतःयनिासन

कहा जाता ह िक मतःयनिासन की रचना गोरखनाथ क ग ःवामी मतःयनिनाथ न की थी व इस आसन म धयान िकया करत थ मतःयनिासन की आधी िबयाओ को लकर अधरमतःयनिासन चिलत हआ ह

धयान अनाहत चब म ास दीघर

िविधः दोनो परो को लमब करक आसन पर बठ जाओ बाय पर को घटन स मोड़कर एड़ी गदा ार क नीच जमाय पर क तलव को दािहनी जघा क साथ लगा द अब दािहन पर को घटन स मोड़कर खड़ा कर द और बाय पर की जघा स ऊपर ल जात हए जघा क पीछ ज़मीन क ऊपर ऱख द आसन क िलए यह पवरभिमका तयार हो गई

अब बाय हाथ को दािहन पर क घटन स पार करक अथारत घटन को बगल म दबात हए बाय हाथ स दािहन पर का अ गठा पकड़ धड़ को दािहनी ओर मोड़ िजसस दािहन पर क घटन क ऊपर बाय कनध का दबाव ठीक स पड़ अब दािहना हाथ पीठ क पीछ स घमाकर बाय पर की जाघ का िनमन भाग पकड़ िसर दािहनी ओर इतना घमाय िक ठोड़ी और बाया कनधा एक सीधी रखा म आ जाय छाती िबलकल तनी हई रख नीच की ओर झक नही िच वि नािभ क पीछ क भाग म िःथत मिणपर चब म िःथर कर

यह एक तरफ का आसन हआ इसी कार पहल दािहना पर मोड़कर एड़ी गदा ार क नीच दबाकर दसरी तरफ का आसन भी कर ारमभ म पाच सकणड य ह आसन करना पयार ह िफर अ यास बढ़ाकर एक एक तरफ एक एक िमनट तक आसन कर सकत ह

लाभः अधरमतःयनिासन स म दणड ःवःथ रहन स यौवन की ःफितर बनी रहती ह रीढ़ की हिडडयो क साथ उनम स िनकलन वाली नािडयो को भी अचछी कसरत िमल जाती ह पट क िविभनन अगो को भी अचछा लाभ होता ह पीठ पट क नल पर गदरन

हाथ कमर नािभ स नीच क भाग एव छाती की नािड़यो को अचछा िखचाव िमलन स उन पर अचछा भाव पड़ता ह फलतः बनधकोष दर होता ह जठराि न तीो होती ह िवकत यकत पलीहा तथा िनिबय व क क िलए यह आसन लाभदायी ह कमर पीठ और सिनधःथानो क ददर जलदी दर हो जात ह

योगमिासन

योगा यास म यह मिा अित मह वपणर ह इसस इसका नाम योगमिासन रखा गया ह

धयान मिणपर चब म ास रचक कमभक और परक

िविधः प ासन लगाकर दोनो हाथो को पीठ क पीछ ल जाय बाय हाथ स दािहन हाथ की कलाई पकड़ दोनो हाथो को खीचकर कमर तथा रीढ़ क िमलन ःथान पर ल जाय अब रचक करक कमभक कर ास को रोककर शरीर को आग झकाकर भिम पर टक द िफर धीर-धीर िसर को उठाकर शरीर को पनः सीधा कर द और परक कर ारभ म यह आसन किठन लग तो सखासन या िस ासन म बठकर कर पणर लाभ तो प ासन म बठकर करन स ही होता ह पाचनतनऽ क अगो की ःथान ता ठीक करन क िलए यिद यह आसन करत हो तो कवल पाच-दस सकणड तक ही कर एक बठक म तीन स पाच बार सामानयतः यह आसन तीन िमनट तक करना चािहए आधयाितमक उ य स योगमिासन करत हो तो समय की अविध िच और शि क अनसार बढ़ाय

लाभः योगमिासन भली कार िस होता ह तब कणडिलिन शि जागत होती ह पट की गस की बीमारी दर होती ह पट एव आतो की सब िशकायत दर होती ह कलजा फफड़ आिद यथा ःथान रहत ह दय मजबत बनता ह र क िवकार दर होत

ह क और यौनिवकार न होत ह पट बड़ा हो तो अनदर दब जाता ह शरीर मजबत बनता ह मानिसक शि बढ़ती ह

योगमिासन स उदरपटल सश बनता ह पट क अगो को अपन ःथान िटक रहन म सहायता िमलती ह नाड़ीतऽ और खास करक कमर क नाड़ी मणडल को बल िमलता ह

इस आसन म सामनयतः जहा एिड़या लगती ह वहा कबज क अग होत ह उन पर दबाव पड़न स आतो म उ जना आती ह पराना कबज दर होता ह अगो की ःथान ता क कारण होन वाला कबज भी अग अपन ःथान म पनः यथावत िःथत हो जान स न हो जाता ह धात की दबरलता म योगमिासन खब लाभदायक ह

गोरकषासन या भिासन

धयान मलाधार चब म ास थम िःथित म परक और दसरी िःथित म कमभक

िविधः िबछ हए आसन पर बठ जाय दािहना पर घटन स मोड़कर एड़ी सीवन (उपःथ और गदा क मधय) क दािहन भाग म और बाया पर मोड़कर एड़ी सीवन क बाय भाग म इस कार रख िक दोनो पर क तलव एक दसर को लगकर रह

रचक करक दोनो हाथ सामन ज़मीन पर टककर शरीर को ऊपर उठाय और दोनो पर क पजो पर इस कार बठ िक शरीर का वजन एड़ी क मधय भाग म आय अगिलयो वाला भाग छटा रह अब परक करत -करत दोनो हाथो की हथिलयो को घटनो पर रख

अनत म कमभक करक ठोड़ी छाती पर दबाय िच वि मलाधार चब म और ि भी उसी िदशा म लगाय बमशः अ यास बढ़ाकर दसक िमनट तक यह आसन कर

लाभः इस आसन क अ यास स पर क सब सिनध ःथान तथा ःनाय सश बनत ह वाय ऊधवरगामी होकर जठराि न दी करता ह िदनो िदन जड़ता न होन लगती ह शरीर पतला होता ह सकलपबल बढ़ता ह बि तीकषण होती ह कलपनाशि का िवकास होता ह ाणापान की एकता होती ह नादोतपि होन लगती ह िबनद िःथर होकर िच की चचलता कम होती ह आहार का सपणरतया पाचन हो जान क कारण मलमऽ अलप होन लगत ह शरीर शि होन लगती ह तन म ःफितर एव मन म सननता अपन आप कट होती ह ःनाय स ढ़ बनत ह धातकषय गस मधमह ःवपनदोष अजीणर कमर का ददर गदरन की दबरलता बनधकोष मनदाि न िसरददर कषय

दयरोग अिनिा दमा मछाररोग बवासीर आऽपचछ पाणडरोग जलोदर भगनदर कोढ़ उलटी िहचकी अितसार आव उदररोग नऽिवकार आिद अस य रोगो म इस आसन स लाभ होत ह

मयरासन

इस आसन म मयर अथारत मोर की आकित बनती ह इसस इस मयरासन कहा जाता ह

धयान मिणपर चब म ास बा कमभक

िविधः जमीन पर घटन िटकाकर बठ जाय दोनो हाथ की हथिलयो को जमीन पर इस कार रख िक सब अगिलया पर की िदशा म हो और परःपर लगी रह दोनो कहिनयो को मोड़कर पट क कोमल भाग पर नािभ क इदरिगदर रख अब आग झककर दोनो पर को पीछ की लमब कर ास बाहर िनकाल कर दोनो पर को जमीन स ऊपर उठाय और िसर का भाग नीच झकाय इस कार परा शरीर ज़मीन क बराबर समानानतर रह ऐसी िःथित बनाय सपणर शरीर का वजन कवल दो हथिलयो पर ही

रहगा िजतना समय रह सक उतना समय इस िःथित म रहकर िफर मल िःथित म आ जाय इस कार दो-तीन बार कर

लाभः मयरासन करन स चयर-पालन म सहायता िमलती ह पाचन तऽ क अगो की र का वाह अिधक बढ़न स व अग बलवान और कायरशील बनत ह पट क भीतर क भागो म दबाव पड़न स उनकी शि बढ़ती ह उदर क अगो की िशिथलता और मनदाि न दर करन म मयरासन बहत उपयोगी ह

वळासन

वळासन का अथर ह बलवान िःथित पाचनशि वीयरशि तथा ःनायशि दन वाला होन स यह आसन वळासन कहलाता ह

धयान मलाधार चब म और ास दीघर

िविधः िबछ हए आसन पर दोनो परो को घटनो स मोड़कर एिड़यो पर बठ जाय पर क दोनो अगठ परःपर लग रह पर क तलवो क ऊपर िनतमब रह कमर और पीठ िबलकल सीधी रह दोनो हाथ को कहिनयो स मोड़ िबना घटनो पर रख द हथिलया नीच की ओर रह ि सामन िःथर कर द

पाच िमनट स लकर आध घणट तक वळासन का अ यास कर सकत ह वळासन लगाकर भिम पर लट जान स स वळासन होता ह

लाभः वळासन क अ यास स शरीर का मधयभाग सीधा रहता ह ास की गित मनद पड़न स वाय बढ़ती ह आखो की योित तज होती ह वळनाड़ी अथारत वीयरधारा नाड़ी मजबत बनती ह वीयर की ऊधवरगित होन स शरीर वळ जसा बनता ह लमब समय तक सरलता स यह आसन कर सकत ह इसस मन की चचलता दर होकर यि िःथर बि वाला बनता ह शरीर म र ािभसरण ठीक स होकर शरीर िनरोगी एव सनदर बनता ह

भोजन क बाद इस आसन स बठन स पाचन शि तज होती ह कबज दर होती ह भोजन जलदी ह म होता ह पट की वाय का नाश होता ह कबज दर होकर पट क तमाम रोग न होत ह पाणडरोग स मि िमलती ह रीढ़ कमर जाघ घटन और परो म शि बढ़ती ह कमर और पर का वाय रोग दर होता ह ःमरणशि म वि होती ह ि यो क मािसक धमर की अिनयिमतता जस रोग दर होत ह शबदोष वीयरदोष घटनो का ददर आिद का नाश होता ह ःनाय प होत ह ःफितर बढ़ान क िलए एव मानिसक िनराशा दर कर न क िलए यह आसन उपयोगी ह धयान क िलय भी यह आसन उ म ह इसक अ यास स शारी रक ःफितर एव मानिसक सननता कट होती ह िदन-ितिदन शि का सचय होता ह इसिलए शारी रक बल म खब वि होती ह काग का िगरना अथारत गल क टािनसलस हिडडयो क पोल आिद ःथानो म उतपनन होन वाल तकण की स या म वि होन स आरो य का साा य ःथािपत होता ह िफर यि

बखार स िसरददर स कबज स मदाि न स या अजीणर जस छोट-मोट िकसी भी रोग स पीिड़त नही रहता योिक रोग आरो य क साा य म िव होन का साहस ही नही कर पात

स वळासन

धयान िवश ा याचब म ास दीघर सामानय

िविधः वळासन म बठन क बाद िच होकर पीछ की ओर भिम पर लट जाय दोनो जघाए परःपर िमली रह अब रचक करत बाय हाथ का खला पजा दािहन कनध क नीच इस कार रख िक मःतक दोनो हाथ क बास क ऊपर आय रचक परा होन पर िऽबनध कर ि मलाधार चब की िदशा म और िच वि मलाधार चब म ःथािपत कर

लाभः यह आसन करन म ौम बहत कम ह और लाभ अिधक होता ह इसक अ यास स सषमना का मागर अतयनत सरल होता ह कणडिलनी शि सरलता स ऊधवरगमन कर सकती ह

इस आसन म धयान करन स म दणड को सीधा करन का ौम नही करना पड़ता और म दणड को आराम िमलता ह उसकी काय़रशि बल बनती ह इस आसन का अ यास करन स ायः तमाम अतःॐावी मिनथयो को जस शीषरःथ मिनथ कणठःथ मिनथ मऽिपणड की मनथी ऊधवरिपणड तथा प षाथर मिनथ आिद को पि िमलती ह फलतः यि का भौितक एव आधयाितमक िवकास सरल हो जाता ह तन-मन का ःवाःथय भावशाली बनता ह जठराि न दी होती ह मलावरोध की पीडा दर होती ह धातकषय ःवपनदोष पकषाघात पथरी बहरा होना तोतला होना आखो की दबरलता गल क टािनसल ासनिलका का सजन कषय दमा ःमरणशि की दबरलता आिद रोग दर होत ह

शवासन

शवासन की पणारवःथा म शरीर क तमाम अग एव मिःतक पणरतया च ा रिहत िकय जात ह यह अवःथा शव (मद) जसी होन स इस आसन को शवासन कहा जाता ह

िविधः िबछ हए आसन पर िच होकर लट जाय दोनो परो को परःपर स थोड़ अलग कर द दोनो हाथ भी शरीर स थोड़ अलग रह इस कार परो की ओर फला द हाथ की हथिलया आकाश की तरफ खली रख िसर सीधा रह आख बनद

मानिसक ि स शरीर को पर स िसर तक दखत जाय पर शरीर को मद की तरह ढीला छोड़ द हर एक अग को िशिथल करत जाय

शरीर म समपणर िवौाम का अनभव कर मन को भी बा ा िवषयो स हटाकर एकाम कर बारी-बारी स हर एक अग पर मानिसक ि एकाम करत हए भावना कर िक वह अग अब आराम पा रहा ह मरी सब थकान उतर रही ह इस कार भावना करत-करत सब ःनायओ को िशिथल होन द शरीर क एक भी अग म कही भी तनाव (टनशन) न रह िशिथलीकरण की िबया म पर स ारमभ करक िसर तक जाय अथवा िसर स ारमभ करक पर तक भी जा सकत ह अनत म जहा स ारमभ िकया हो वही पनः पहचना चािहय िशिथलीकरण की िबया स शरीर क तमाम अगो का एव ानततओ को िवौाम की अवःथा म ला दना ह

शवासन की दसरी अवःथा म ासोचछोवास पर धयान दना ह शवासन की यही म य िबया ह िवशषकर योग साधको क िलए वह अतयनत उपयोगी ह कवल शारी रक ःवाःथय क िलय थम भिमका पयार ह

इसम ास और उचछवास की िनयिमतता दीघरता और समानता ःथािपत करन का लकषय ह ास िनयिमत चल लमबा और गहरा चल ास और उचछवास एक समान रह तो मन को एकाम करन की शि ा होती ह

शवासन यिद ठीक ढग स िकया जाए तो नाड़ीतऽ इतना शात हो जाता ह िक अ यासी को नीद आन लगती ह लिकन धयान रह िनिनित न होकर जामत रहना आवयक ह

अनय आसन करन क बाद अगो म जो तनाव (टनशन) पदा होता ह उसको िशिथल करन क िलय अत म 3 स 5 िमनट तक शवासन करना चािहए िदनभर म अनकलता क अनसार दो-तीन बार शवासन कर सकत ह

लाभः शवासन क ारा ःनाय एव मासपिशयो म िशिथलीकरण स शि बढ़ती ह अिधक कायर करन की यो यता उसम आती ह र वाहिनयो म िशराओ म र वाह तीो

होन स सारी थकान उतर जाती ह नाड़ीतऽ को बल िमलता ह मानिसक शि म वि होती ह

र का दबाव कम करन क िलए नाड़ीतऽ की दबरलता एव उसक कारण होन वाल रोगो को दर करन क िलय शवासन खब उपयोगी ह

पादपि मो ानासन

यह आसन करना किठन ह इसस उमासन कहा जाता ह उम का अथर ह िशव भगवान िशव सहारक ार ह अतः उम या भयकर ह िशवसिहता म भगवान िशव न म कणठ स शसा करत हए कहा हः यह आसन सवरौ आसन ह इसको य पवरक ग रख िसफर अिधका रयो को ही इसका रहःय बताय

धयान मिणपर चब म ास थम िःथित म परक और दसरी िःथित म रचक और िफर बिहकर मभक

िविधः िबछ हए आसन पर बठ जाय दोनो परो को लमब फला द दोनो परो की जघा घटन पज परःपर िमल रह और जमीन क साथ लग रह परो की अगलया घटनो की तरफ झकी हई रह अब दोनो हाथ लमब कर दािहन हाथ की तजरनी और अगठ स दािहन पर का अगठा और बाय हाथ की तजरनी और अगठ स बाय पर का अगठा पकड़ अब रचक करत-करत नीच झक और िसर को दोनो घटनो क मधय म रख ललाट घटन को ःपशर कर और घटन ज़मीन स लग रह रचक परा होन पर कमभक कर ि एव िच वि को मिणपर चब म ःथािपत कर ारमभ म आधा िमनट करक बमशः 15 िमनट तक यह आसन करन का अ यास बढ़ाना चािहय थम दो-चार िदन किठन लगगा लिकन अ यास हो जान पर यह आसन सरल हो जाएगा

लाभः पादपि मो नासन म समयक अ यास स सषमना का मख खल जाता ह और ाण म दणड क मागर म गमन करता ह फलतः िबनद को जीत सकत ह िबनद को जीत िबना न समािध िस होती ह न वाय िःथर होता ह न िच शात होता ह

जो ी-प ष काम िवकार स अतयत पीिड़त हो उनह इस आसन का अ यास करना चािहए इसस शारी रक िवकार दब जात ह उदर छाती और म दणड को उ म कसरत िमलती ह अतः व अिधक कायरकषम बनत ह हाथ पर तथा अनय अगो क सिनध ःथान मजबत बनत ह शरीर क सब तऽ बराबर कायरशील होत ह रोग माऽ का नाश होकर ःवाःथय़ का साा य ःथािपत होता ह

इस आसन क अ यास स मनदाि न मलावरोध अजीणर उदररोग किमिवकार सद वातिवकार कमर का ददर िहचकी कोढ़ मऽरोग मधमह पर क रोग ःवपनदोष वीयरिवकार र िवकार एपनडीसाइिटस अणडवि पाणडरोग अिनिा दमा ख टी डकार आना ानतनत की दबरलता बवासीर नल की सजन गभारशय क रोग अिनयिमत तथा क दायक मािसक बनधयतव दर नपसकता र िप िसरोवदना बौनापन आिद अनक रोग दर होत ह पट पत ला बनता ह जठराि न दी होती ह कफ और चरबी न होत ह

िशवसिहता म कहा ह िक इस आसन स वाय ीपन होता ह और वह मतय का नाश करता ह इस आसन स शरीर का कद बढ़ता ह शरीर म अिधक ःथलता हो तो कम होती ह दबरलता हो तो वह दर होकर शरीर सामानय तनद ःत अवःथा म आ जाता ह नाडी सःथान म िःथरता आती ह मानिसक शाित ा होती ह िचनता एव उ जना शात करन क िलए यह आसन उ म ह पीठ और म दणड पर िखचाव आन स दोनो िवकिसत होत ह फलतः शरीर क तमाम अवयवो पर अिधकार ःथािपत होता ह सब आसनो म यह आसन सवर धान ह इसक अ यास स कायाकलप (प रवतरन) हो जाता ह

यह आसन भगवान िशव को बहत पयारा ह उनकी आ ा स योगी गोरखनाथ न लोककलयाण हत इसका चार िकया ह आप इस आसन क अदभत लाभो स लाभािनवत हो और दसरो को भी िसखाय

पादपि मो ानासन प यपाद आसारामजी बाप को भी बहत पयारा ह उसस प यौी को बहत लाभ हए ह अभी भी यह आसन उनक आरो यिनिध का रकषक बना हआ ह

पाठक भाइयो आप अवय इस आसन का लाभ लना ारमभ क चार-पाच िदन जरा किठन लगगा बाद म तो यह आसन आपका िशवजी क वरदान प आरो य कवच िस हए िबना नही रहगा

िऽबनध

मलबनध

शौच ःनानािद स िनव होकर आसन पर बठ जाय बायी एड़ी क ारा सीवन या योिन को दबाय दािहनी एड़ी सीवन पर रख गदा ार को िसकोड़कर भीतर की ओर ऊपर खीच यह मलबनध कहा जाता ह

लाभः मलबनध क अ यास स मतय को जीत सकत ह शरीर म नयी ताजगी आती ह िबगड़त हए ःवाःथय की रकषा होती ह चयर का पालन करन म मलबनध सहायक िस होता ह वीयर को प करता ह कबज को न करता ह जठराि न तज होती ह मलबनध स िचरयौवन ा होता ह बाल सफद होन स कत ह

अपानवाय ऊधवरगित पाकर ाणवाय क सषमना म िव होता ह सहॐारचब म िच वि िःथर बनती ह इसस िशवपद का आननद िमलता ह सवर कार की िद य िवभितया और ऐ यर ा होत ह अनाहत नाद सनन को िमलता ह ाण अपान नाद और िबनद एकिऽत होन स योग म पणरता ा होती ह

उडडीयान बनध

आसन पर बठकर परा ास बाहर िनकाल द समपणरतया रचक कर पट को भीतर िसकोड़कर ऊपर की ओर खीच नािभ तथा आत पीठ की तरफ दबाय शरीर को थोड़ा सा आग की तरफ झकाय यह ह उडडीयानबनध

लाभः इसक अ यास स िचरयौवन ा होता ह मतय पर जय ा होती ह चयर क पालन म खब सहायता िमलती ह ःवाःथय सनदर बनता ह कायरशि म वि होती ह नयोिल और उडडीयानबनध जब एक साथ िकय जात ह तब कबज दम दबाकर भाग खड़ा होता ह पट क तमाम अवयवो की मािलश हो जाती ह पट की अनावयक चरबी उतर जाती ह

जालनधरबनध

आसन पर बठकर परक करक कमभक कर और ठोड़ी को छाती क साथ दबाय इसको जालनधरबनध कहत ह

लाभः जालनधरबनध क अ यास स ाण का सचरण ठीक स होता ह इड़ा और िपगला नाड़ी बनद होकर ाण-अपान सषमना म िव होत ह नािभ स अमत कट होता ह िजसका पान जठराि न करता ह योगी इसक ारा अमरता ा करता ह

प ासन पर बठ जाय परा ास बाहर िनकाल कर मलबनध उडडीयानबनध कर िफर खब परक करक मलबनध उडडीयानबनध और जालनधरबनध य तीनो बनध एक साथ कर आख बनद रख मन म णव (ॐ) का अथर क साथ जप कर

इस कार ाणायाम सिहत तीनो बनध का एक साथ अ यास करन स बहत लाभ होता ह और ायः चमतका रक प रणाम आता ह कवल तीन ही िदन क समयक अ यास स जीवन म बािनत का अनभव होन लगता ह कछ समय क अ यास स कवल या कवली कमभक ःवय कट होता ह

कवली कमभक

कवल या कवली कमभक का अथर ह रचक-परक िबना ही ाण का िःथर हो जाना िजसको कवली कमभक िस होता ह उस योगी क िलए तीनो लोक म कछ भी दलरभ नही रहता कणडिलनी जागत होती ह शरीर पतला हो जाता ह मख सनन रहता ह नऽ मलरिहत होत ह सवर रोग दर हो जात ह िबनद पर िवजय होती ह जठराि न विलत होती ह

कवली कमभक िस िकय हए योगी की अपनी सवर मनोकामनाय पणर होती ह इतना ही नही उसका पजन करक ौ ावान लोग भी अपनी मनोकामनाय पणर करन लगत ह

जो साधक पणर एकामता स िऽबनध सिहत ाणायाम क अ यास ारा कवली कमभक का प षाथर िस करता ह उसक भा य का तो पछना ही या उसकी यापकता

बढ़ जाती ह अनतर म महानता का अनभव होता ह काम बोध लोभ मोह मद और मतसर इन छः शऽओ पर िवजय ा होती ह कवली कमभक की मिहमा अपार ह

जलनित

िविधः एक िलटर पानी को गनगना सा गरम कर उसम करीब दस माम श नमक डालकर घोल द सनधव िमल जाय तो अचछा सबह म ःनान क बाद यह पानी चौड़ महवाल पाऽ म कटोर म लकर परो पर बठ जाय पाऽ को दोनो हाथो स पकड़ कर नाक क नथन पानी म डबो द अब धीर-धीर नाक क ारा ास क साथ पानी को भीतर खीच और नाक स भीतर आत हए पानी को मह स बाहर िनकालत जाय नाक को पानी म इस कार बराबर डबोय रख िजसस नाक ारा भीतर जानवाल पानी क साथ हवा न वश कर अनयथा आतरस-खासी आयगी

इस कार पाऽ का सब पानी नाक ारा लकर मख ारा बाहर िनकाल द अब पाऽ को रख कर खड़ हो जाय दोनो पर थोड़ खल रह दोनो हाथ कमर पर रखकर ास को जोर स बाहर िनकालत हए आग की ओर िजतना हो सक झक भिॐका क साथ यह िबया बार-बार कर इसस नाक क भीतर का सब पानी बाहर िनकल जायगा थोड़ा बहत रह भी जाय और िदन म कभी भी नाक स बाहर िनकल जाय तो कछ िचनताजनक नही ह

नाक स पानी भीतर खीचन की यह िबया ारमभ म उलझन जसी लगगी लिकन अ यास हो जान पर िबलकल सरल बन जायगा

लाभः मिःतक की ओर स एक कार का िवषला रस नीच की ओर बहता ह यह रस कान म आय तो कान क रोग होत ह आदमी बहरा हो जाता ह यह रस आखो की तरफ जाय तो आखो का तज कम हो जाता ह चम की ज रत पड़ती ह तथा अनय रोग होत ह यह रस गल की ओर जाय तो गल क रोग होत ह

िनयमपवरक जलनित करन स यह िवषला पदाथर बाहर िनकल जाता ह आखो की रोशनी बढ़ती ह चम की ज रत नही पड़ती चमा हो भी तो धीर-धीर नमबर कम होत-होत छट जाता भी जाता ह ासोचछोवास का मागर साफ हो जाता ह मिःतक म ताजगी रहती ह जकाम-सद होन क अवसर कम हो जात ह जलनित की िबया करन

स दमा टीबी खासी नकसीर बहरापन आिद छोटी-मोटी 1500 बीमी रया दर होती ह जलनित करन वाल को बहत लाभ होत ह िच म सननता बनी रहती ह

गजकरणी िविधः करीब दो िलटर पानी गनगना सा गरम कर उसम करीब 20 माम श

नमक घोल द सनधव िमल जाय तो अचछा ह अब पजो क बल बठकर वह पानी िगलास भर-भर क पीत जाय खब िपय अिधकाअिधक िपय पट जब िबलकल भर जाय गल तक आ जाय पानी बाहर िनकालन की कोिशश कर तब दािहन हाथ की दो बड़ी अगिलया मह म डाल कर उलटी कर िपया हआ सब पानी बाहर िनकाल द पट िबलकल हलका हो जाय तब पाच िमनट तक आराम कर

गजकरणी करन क एकाध घणट क बाद कवल पतली िखचड़ी ही भोजन म ल भोजन क बाद तीन घणट तक पानी न िपय सोय नही ठणड पानी स ःनान कर तीन घणट क बाद ारमभ म थोड़ा गरम पानी िपय

लाभः गजकरणी स एिसडीटी क रोगी को अदभत लाभ होता ह ऐस रोगी को चार-पाच िदन म एक बार गजकरणी चािहए ततप ात महीन म एक बार दो महीन म एक बार छः महीन म एक बार भी गजकरणी कर सकत ह

ातःकाल खाली पट तलसी क पाच-सात प चबाकर ऊपर स थोड़ा जल िपय एसीडीटी क रोगी को इसस बहत लाभ होगा

वष परान कबज क रोिगयो को स ाह म एक बार गजकरणी की िबया अवय करनी चािहए उनका आमाशय मिनथसःथान कमजोर हो जान स भोजन हजम होन म गड़बड़ रहती ह गजकरणी करन स इसम लाभ होता ह फोड़ फनसी िसर म गम सद बखार खासी दमा टीबी वात-िप -कफ क दोष िज ा क रोग गल क रोग छाती क रोग छाती का ददर एव मदाि न म गजकरणी िबया लाभकारक ह

शरीर शोधन-कायाकलप

यह चालीस िदन का कलप ह प यपाद आसारामजी बाप न यह योग िकया हआ ह इसस शरीर सडौल ःवःथ और फत ला बनता ह र म नय-नय कण बनत ह शरीर क कोषो की शि बढ़ती ह मन-बि म चमतका रक लाभ होत ह

िविधः अगल िदन पपीता सव आिद फल उिचत माऽा म ल अथवा मन का 50 माम दस घणट पहल िभगो द उनको उबालकर बीज िनकाल द मन का खा ल और पानी पी ल

ातःकाल उठकर सकलप कर िक इस कलप क दौरान िनि त िकय हए कायरबम क अनसार ही रहगा

शौच-ःनानािद िनतयकमर स िनव होकर सबह 8 बज 200 या 250 माम गाय का उबला हआ गनगना दध िपय पौन घणटा पणर आराम कर बाद म िफर स दध िपय शारी रक ौम कम स कम कर ॐ सोsह हसः इस मऽ का मानिसक जप कर कभी ास को िनहार बस साकषीभाव

मनोरा य चलता हो तो ॐ जोर-जोर स जप कर

इस कार शाम तक िजतना दध हजम कर सक उतना दध दो स तीन िलटर िपय 40 िदन तक कवल द धाहार क बाद 41व िदन मग का उबला हआ पानी मोसममी का रस आिद ल रािऽ को अिधक मगवाली हलकी िखचड़ी खाय इस कार शरीर-शोधन-कायाकलप की पणारहित कर

यिद बि तीकषण बनानी हो ःमरणशि बढ़ानी हो तो कलप क दौरान ॐ ऐ नमः इस मऽ का जप कर सयर को अ यर द

इस कलप म दध क िसवाय अनय कोई खराक लना मना ह चाय तमबाक आिद यसन िनिष ह ि यो क सग स दर रहना तथा चयर का पालन अतयनत आवयक ह

कलजग नही करजग ह यह

कलजग नही करजग ह यह यहा िदन को द अ रात ल

या खब सौदा नकद ह इस हाथ द उस हाथ ल टक

दिनया अजब बाज़ार ह कछ िजनस1 या िक साथ ल

नकी का बदला नक ह बद स बदी की बात ल

मवा िखला मवा िमल फल फल द फल पात ल

आराम द आराम ल दःख ददर द आफत2 ल 1

काटा िकसी को मत लगा गो िमःल-गल3 फला ह त

वह तर हक4 म तीर ह िकस बात पर झला ह त

मत आग म डाल और को या घास का पला ह त

सन ऱख यह नकता5 बखबर िकस बात पर भला ह त

कलजग नही 2

शोखी शरारत मकरो-फन6 सबका बसखा7 ह यहा

जो जो िदखाया और को वह खद भी दखा ह यहा

खोटी खरी जो कछ कही ितसका परखा8 ह यहा

जो जो पड़ा तलता ह मोल ितल ितल का लखा ह यहा

कलजग नही 3

जो और की बःती9 रख उसका भी बसता ह परा

जो और क मार छरी उसको भी लगता ह छरा

जो और की तोड़ घड़ी उसका भी टट ह घड़ा

जो और की चत10 बदी उसका भी होता ह बरा

कलजग नही 4

जो और को फल दवगा वह भी सदा फल पावगा

गह स गह जौ स जौ चावल स चावल पावगा

जो आज दवगा यहा वसा ही वह कल पावगा

कल दवगा कल पावगा िफर दवगा िफर पावगा

कलजग नही 5

जो चाह ल चल इस घड़ी सब िजनस यहा तयार ह

आराम म आराम ह आजार म आजार11 ह

दिनया न जान इसको िमया दरया की यह मझधार ह

औरो का बड़ा पार कर तरा भी बड़ा पार ह

कलजग नही 6

त और की तारीफ कर तझको सना वानी12 िमल

कर मिकल आसा औरो की तझको भी आसानी िमल

त और को महमान कर तझको भी महमानी िमल

रोटी िखला रोटी िमल पानी िपला पानी िमल

कलजग नही 7

जो गल13 िखलाव और का उसका ही गल िखलता भी ह

जो और का कील14 ह मह उसका ही मह िकलता भी ह

जो और का छील िजगर उसका िजगर िछलता भी ह

जो और को दव कपट उसको कपट िमलता भी ह

कलजग नही 8

कर जो कछ करना ह अब यह दम तो कोई आन15 ह

नकसान म नकसान ह एहसान म एहसान ह

तोहमत म यहा तोहमत िमल तफान म तफान ह

रहमान16 को रहमान17 ह शतान को शतान ह

कलजग नही 9

यहा जहर द तो जहर ल श कर म श कर दख ल

नको का नकी का मजा मजी18 को ट कर दख ल

मोती िदय मोती िमल पतथर म पतथर दख ल

गर तझको यह बावर19 नही तो त भी करक दख ल

कलजग नही 10

अपन नफ क वाःत मत और का नकसान कर

तरा भी नकसा होवगा इस बात पर त धयान कर

खाना जो खा सो दखकर पानी िपय तो छानकर

या पावो को रख फककर और खोफ स गजरान कर

कलजग नही 11

गफलत की यह जगह नही त सािहब-इदराक20 रह

िदलशाद21 ऱख िदल शाह रह गमनाक रख गमनाक रह

हर हाल म भी त नजीर22 अब हर कदम की रह

यह वह मका ह ओ िमया या पाक23 रह बबाक24 रह

कलजग नही 12

1 वःत 2 मसीबत 3 पप की तरह 4 तर िलय 5 रहःय 6 दगा-धोखा 7 घर 8 परखना 9 नगरी 10 िवचार कर 11 दःख 12 तारीफ-ःतित 13 फल 14 िकसी को बोलन न दना 15 घड़ी पल 16 दयावान 17 दयाल भगवान 18 सतान वाला 19 िव ास 20 तीो ा तज समझन वाला प ष 21 सननिच 22 किव का नाम ह 23 श पिवऽ 24 िनडर

  • आधयातमिक विदया क उदगाता
  • सवासथय क लिए मतर
  • परासताविक
  • बरहमचरय-रकषा का मनतर
  • आसनो की परकिया म आन वाल कछ शबदो की समझ
  • आवशयक निरदश
  • योगासन
    • पदमासन या कमलासन
    • सिदधासन
    • सरवागासन
    • हलासन
    • पवनमकतासन
    • मतसयासन
    • भजगासन
    • धनरासन
    • चकरासन
    • कटिपिणडमरदनासन
    • अरधमतसयनदरासन
    • योगमदरासन
    • गोरकषासन या भदरासन
    • मयरासन
    • वजरासन
    • सपतवजरासन
    • शवासन
    • पादपशचिमोततानासन
      • तरिबनध
        • मलबनध
        • उडडीयान बनध
        • जालनधरबनध
          • कवली कमभक
          • जलनति
          • गजकरणी
          • शरीर शोधन-कायाकलप
          • कलजग नही करजग ह यह
Page 16: अनुबम - || Home || HariOmGroup · िस होता है। िवशु नाड़ीतंऽ वालेयोगी के िवशु शरीर में

समबनधी नािड़यो क ःवाःथय की रकषा होकर व ावःथा क लकषण जलदी नही आत जठर की नािड़यो को शि ा होती ह

जठर की मासपिशया तथा पाचनतऽ क अगो की नािड़यो की दबरलता क कारण अगर मदाि न एव कबज हो तो हलासन स दर होत ह कमर पीठ एव गरदन क रोग न होत ह िलवर और पलीहा बढ़ गए हो तो हलासन स सामानय अवःथा म आ जात ह काम कनि की शि बढ़ती ह अपानशि का उतथान होकर उदान पी अि न का योग होन स वीयरशि ऊधवरगामी बनती ह हलासन स वीयर का ःतभन होता ह यह आसन अणडकोष की वि पिनबयास अपिनड स आिद को ठीक करता ह थायराइड मिनथ की िबयाशीलता बढ़ती ह धयान करन स िवश चब जागत हो जाता ह

पवनम ासन

शरीर म िःथत पवन (वाय) यह आसन करन स म होता ह इसिलए इस पवनम ासन कहा जाता ह

धयान मिणपर चब म ास पहल परक िफर कमभक और रचक

िविधः भिम पर िबछ हए आसन पर िच होकर लट जाय परक करक फफड़ो म ास भर ल अब िकसी भी एक पर को घटन स मोड़ द दोनो हाथो की अगिलयो को

परःपर िमलाकर उसक ारा मोड़ हए घटनो को पकड़कर पट क साथ लगा द िफर िसर को ऊपर उठाकर मोड़ हए घटनो पर नाक लगाए दसरा पर ज़मीन पर सीधा रह इस िबया क दौरान ास को रोककर कमभक चाल रख िसर और मोड़ा हआ पर भिम पर पवरवत रखन क बाद ही रचक कर दोनो परो को बारी -बारी स मोड़कर यह िबया कर दोनो पर एक साथ मोड़कर भी यह आसन हो सकता ह

लाभः पवनम ासन क िनयिमत अ यास स पट की चरबी कम होती ह पट की वाय न होकर पट िवकार रिहत बनता ह कबज दर होता ह पट म अफारा हो तो इस आसन स लाभ होता ह ातःकाल म शौचिबया ठीक स न होती हो तो थोड़ा पानी पीकर यह आसन 15-20 बार करन स शौच खलकर होगा

इस आसन स ःमरणशि बढ़ती ह बौि क कायर करन वाल डॉ टर वकील सािहतयकार िव ाथ तथा बठकर वि करन वाल मनीम यापारी आिद लोगो को िनयिमत प स पवनम ासन करना चािहए

मतःयासन

मतःय का अथर ह मछली इस आसन म शरीर का आकार मछली जसा बनता ह अतः मतःयासन कहलाता ह पलािवनी ाणायाम क साथ इस आसन की िःथित म लमब समय तक पानी म तर सकत ह

धयान िवश ा या चब म ास पहल रचक बिहकर मभक िफर परक और रचक

िविधः भिम पर िबछ हए आसन पर प ासन लगाकर सीध बठ जाय िफर परो को प ासन की िःथित म ही रखकर हाथ क आधार स सावधानी पवरक पीछ की ओर िच होकर लट जाय रचक करक कमर को ऊपर उठाय घटन िनतब और मःतक क िशखा ःथान को भिम क ःथान लगाय रख िशखाःथान क नीच कोई नरम कपड़ा

अवय रख बाय हाथ स दािहन पर का अगठा और दािहन हाथ स बाय पर का अगठा पकड़ दोनो कहिनया ज़मीन को लगाय रख कमभक की िःथित म रहकर ि को पीछ की ओर िसर क पास ल जान की कोिशश कर दात दब हए और मह बनद रख एक िमनट स ारमभ करक पाच िमनट तक अ यास बढ़ाय िफर हाथ खोलकर कमर भिम को लगाकर िसर ऊपर उठाकर बठ जाय परक करक रचक कर

पहल भिम पर लट कर िफर प ासन लगाकर भी मतःयासन हो सकता ह

लाभः मतःयासन स परा शरीर मजबत बनता ह गला छाती पट की तमाम बीमा रया दर होती ह आखो की रोशनी बढ़ती ह गला साफ रहता ह सनिबया ठीक स चलती ह कनधो की नस उलटी मड़ती ह इसस छाती व फफड़ो का िवकास होता ह पट साफ रहता ह आतो का मल दर होता ह र ािभसरण की गित बढ़ती ह फलतः चमड़ी क रोग नही होत दमा और खासी दर होती ह छाती चौड़ी बनती ह पट की चरबी कम होती ह इस आसन स अपानवाय की गित नीच की ओर होन स मलावरोध दर होता ह थोड़ा पानी पीकर यह आ सन करन स शौच-शि म सहायता िमलती ह

मतःयासन स ि यो क मािसकधमर समबनधी सब रोग दर होत ह मािसकॐाव िनयिमत बनता ह

भजगासन

इस आसन म शरीर की आकित फन उठाय हए भजग अथारत सपर जसी बनती ह इसिलए इसको भजगासना कहा जाता ह

धयान िवश ा या चब म ास ऊपर उठात व परक और नीच की ओर जात समय रचक

िविधः भिम पर िबछ हए कमबल पर पट क बल उलट होकर लट जाय दोनो पर और पज परःपर िमल हए रह परो क अगठो को पीछ की ओर खीच दोनो हाथ िसर क तरफ लमब कर द परो क अगठ नािभ छाती ललाट और हाथ की हथिलया भिम पर एक सीध म रख

अब दोनो हथिलयो को कमर क पास ल जाय िसर और कमर ऊपर उठाकर िजतना हो सक उतन पीछ की ओर मोड़ नािभ भिम स लगी रह पर शरीर का वजन हाथ क पज पर आएगा शरीर की िःथित कमान जसी बनगी म दणड क आिखरी भाग पर दबाव किनित होगा िच वि को कणठ म और ि को आकाश की तरफ िःथर कर

20 सकणड तक यह िःथित रख बाद म धीर-धीर िसर को नीच ल आय छाती भिम पर रख िफर िसर को भिम स लगन द आसन िस हो जान क बाद आसन करत समय ास भरक कमभक कर आसन छोड़त समय मल िःथित म आन क बाद ास को खब धीर-धीर छोड़ हर रोज एक साथ 8-10 बार यह आसन कर

लाभः घरड सिहता म इसका लाभ बतात हए कहा ह - भजगासन स जठराि न दी होती ह सवर रोगो का नाश होता ह और कणडिलनी जागत होती ह

म दणड क तमाम मनको को तथा गरदन क आसपास वाल ःनायओ को अिधक श र िमलता ह फलतः नाड़ी तऽ सचत बनता ह िचरजीवी शि मान एव स ढ़ बनता ह िवशषकर मिःतक स िनकलन वाल ानतत बलवान बनत ह पीठ की हिडडय़ो म रहन वाली तमाम खरािबया दर होती ह पट क ःनाय म िखचाव आन स वहा क अगो को शि िमलती ह उदरगहा म दबाव बढ़न स कबज दर होता ह छाती और पट का िवकास होता ह तथा उनक रोग िमट जात ह गभारशय एव बोनाशय अचछ बनत ह फलतः मािसकॐाव क रिहत होता ह मािसक धमर समबनधी समःत िशकायत दर होती ह अित ौम करन क कारण लगन वाली थकान दर होती ह भोजन क बाद होन वाल वाय का ददर न होता ह शरीर म ःफितर आती ह कफ-िपतवालो क िलए यह आसन लाभदायी ह भजगासन करन स दय मजबत बनता ह मधमह और उदर क

रोगो स मि िमलती ह दर अित मािसकॐाव तथा अलप मािसकॐाव जस रोग दर होत ह

इस आसन स म दणड लचीला बनता ह पीठ म िःथत इड़ा और िपगला नािड़यो पर अचछा भाव पड़ता ह कणडिलनी शि जागत करन क िलय यह आसन सहायक ह अमाशय की मासपिशयो का अचछा िवकास होता ह थकान क कारण पीठ म पीड़ा होती हो तो िसफर एक बार ही यह आसन करन स पीड़ा दर होती ह म दणड की कोई हडडी ःथान हो गई हो तो भजगासन करन स यथाःथान म वापस आ जाती ह

धनरासन

इस आसन म शरीर की आकित खीच हए धनष जसी बनती ह अतः इसको धनरासन कहा जाता ह

धयान मिणपर चब म ास नीच की िःथित म रचक और ऊपर की िःथित म परक

िविधः भिम पर िबछ हए कमबल पर पट क बल उलट होकर लट जाय दोनो पर परःपर िमल हए रह अब दोनो प रो को घटनो स मोड़ दोनो हाथो को पीछ ल जाकर दोनो परो को टखनो स पकड़ रचक करक हाथ स पकड़ हए परो को कसकर धीर -धीर खीच िजतना हो सक उतना िसर पीछ की ओर ल जान की कोिशश कर ि भी ऊपर एव पीछ की ओर रहनी चािहए समम शरीर का बोझ कवल नािभदश क ऊपर ही रहगा कमर स ऊपर का धड़ एव कमर स नीच पर पर ऊपर की ओर मड़ हए रहग

कमभक करक इस िःथित म िटक रह बाद म हाथ खोलकर पर तथा िसर को मल अवःथा म ल जाय और परक कर ारभ म पाच सकणड यह आसन कर धीर-धीर समय बढ़ाकर तीन िमनट या उसस भी अिधक समय इस आसन का अ यास कर तीन-चार बार यह आसन करना चािहए

लाभः धनरासन क अ यास स पट की चरबी कम होती ह गस दर होती ह पट को रोग न होत ह कबज म लाभ होता ह भख खलती ह छाती का ददर दर होता ह दय की धडकन मजबत बनती ह ास िक िबया यविःथत चलती ह मखाकित सदर बनती ह आखो की रोशनी बढ़ती ह और तमाम रोग दर होत ह हाथ -पर म होन वाला कपन कता ह शरीर का सौनदयर बढ़ता ह पट क ःनायओ म िखचाव आन स पट को अचछा लाभ होता ह आतो पर खब दबाव पड़न स पट क अगो पर भी दबाव पड़ता ह फलतः आतो म पाचकरस आन लगता ह इसस जठराि न तज होती ह पाचनशि बढ़ती ह वायरोग न होता ह पट क कषऽ म र का सचार अिधक होता ह धनरासन म भजगासन और शलभासन का समावश हो जान क कारण इन दोनो आसनो क लाभ िमलत ह ि यो क िलए यह आसन खब लाभकारक ह इसस मािसक धमर क िवकार गभारशय क तमाम रोग दर होत ह

चबासन

इस आसन म शरीर की आकित चब जसी बनती ह अतः चबासन कहा जाता ह

धयान मिणपर चब म ास दीघर ःवाभािवक

िविधः भिम पर िबछ हए आसन पर िच होकर लट जाय घटनो स पर मोड़ कर ऊपर उठाय पर क तलव ज़मीन स लग रह दो परो क बीच करीब डढ़ फीट का अनतर रख दोनो हाथ मःतक की तरफ उठाकर पीछ की ओर दोनो हथिलयो को ज़मीन पर जमाय दोनो हथिलयो क बीच भी करीब डढ़ फीट का अनतर रख अब हाथ और पर क बल स पर शरीर को कमर स मोड़कर ऊपर उठाय हाथ को धीर-धीर पर की ओर ल जाकर ःमपशर शरीर का आकार व या चब जसा बनाय आख बनद रख ास की गित ःवाभािवक चलन द िच वि मिणपर चब (नािभ कनि) म िःथर कर आख खली भी रख सकत ह एक िमनट स पाच िमनट तक अ यास बढ़ा सकत ह

लाभः म दणड तथा शरीर की समःत नािड़यो का शि करण होकर यौिगक चब जागत होत ह लकवा तथा शरीर की कमजो रया दर होती ह मःतक गदरन पीठ पट

कमर हाथ पर घटन आिद सब अग मजबत बनत ह सिनध ःथानो ददर नही होता पाचनशि बढ़ती ह पट की अनावयक चरबी दर होती ह शरीर तजःवी और फत ला बनता ह िवकारी िवचार न होत ह ःवपनदोष की बीमारी अलिवदा होती ह चबासन क िनयिमत अ यास स व ावःथा म कमर झकती नही शरीर सीधा तना हआ रहता ह

किटिपणडमदरनासन

इस आसन म किटदश (कमर क पास वाल भाग) म िःथत िपणड अथारत मऽिपणड का मदरन होता ह इसस यह आसन किटिपणडमदरनासन कहलाता ह

धयान ःवािध ान चब म ास परक और कमभक

िविधः िबछ हए कमबल पर पीठ क बल िच होकर लट जाय दोनो हाथो को आमन-सामन फला द मि ठया बनद रख दोनो परो को घटनो स मोड़कर खड़ कर द पर क तलव ज़मीन स लग रह दोनो परो क बीच इतना अनतर रख िक घटनो को ज़मीन पर झकान स एक पर का घटना दसर पर की एड़ी को लग िसर दायी ओर मड़ तो दोनो घटन दािहनी ओर ज़मीन को लग इस कार 15-20 बार िबया कर इस कार दोनो परो को एक साथ रखकर भी िबया कर

लाभः िजसको पथरी की तकलीफ हो उस आौम (सत ौी आसारामजी आौम साबरमित अमदावाद-5) स िबना मलय िमलती काली भःम करीब डढ़ माम भोजन स आधा घणटा पवर और भोजन क बाद एक िगलास पानी क साथ लना चािहए और यह आसन भख पट ठीक ढग स करना चािहए इसस पथरी क ददर म लाभ होता ह पथरी टकड़ -टकड़ होकर मऽ क ारा बाहर िनकलन लगती ह मऽिवकार दर होता ह कमर ददर साइिटका रीढ़ की हडडी की जकड़न उदासीनता िनराशा डायािबटीज नपसकता गस पर की गाठ इतयािद रोगो म शीय लाभ होता ह नािभ ःथान स चयत हो जाती हो तो पनः अपन ःथान म आ जाती ह

मािसक धमर क समय एव गभारवःथा म ि या यह आसन न कर कबज का रोगी सबह शौच जान स पहल उषःपान करक यह आसन कर तो चमतका रक लाभ होता ह ास को अनदर भर क पट को फलाकर यह आसन करन स कबज जलदी दर होता ह

अधरमतःयनिासन

कहा जाता ह िक मतःयनिासन की रचना गोरखनाथ क ग ःवामी मतःयनिनाथ न की थी व इस आसन म धयान िकया करत थ मतःयनिासन की आधी िबयाओ को लकर अधरमतःयनिासन चिलत हआ ह

धयान अनाहत चब म ास दीघर

िविधः दोनो परो को लमब करक आसन पर बठ जाओ बाय पर को घटन स मोड़कर एड़ी गदा ार क नीच जमाय पर क तलव को दािहनी जघा क साथ लगा द अब दािहन पर को घटन स मोड़कर खड़ा कर द और बाय पर की जघा स ऊपर ल जात हए जघा क पीछ ज़मीन क ऊपर ऱख द आसन क िलए यह पवरभिमका तयार हो गई

अब बाय हाथ को दािहन पर क घटन स पार करक अथारत घटन को बगल म दबात हए बाय हाथ स दािहन पर का अ गठा पकड़ धड़ को दािहनी ओर मोड़ िजसस दािहन पर क घटन क ऊपर बाय कनध का दबाव ठीक स पड़ अब दािहना हाथ पीठ क पीछ स घमाकर बाय पर की जाघ का िनमन भाग पकड़ िसर दािहनी ओर इतना घमाय िक ठोड़ी और बाया कनधा एक सीधी रखा म आ जाय छाती िबलकल तनी हई रख नीच की ओर झक नही िच वि नािभ क पीछ क भाग म िःथत मिणपर चब म िःथर कर

यह एक तरफ का आसन हआ इसी कार पहल दािहना पर मोड़कर एड़ी गदा ार क नीच दबाकर दसरी तरफ का आसन भी कर ारमभ म पाच सकणड य ह आसन करना पयार ह िफर अ यास बढ़ाकर एक एक तरफ एक एक िमनट तक आसन कर सकत ह

लाभः अधरमतःयनिासन स म दणड ःवःथ रहन स यौवन की ःफितर बनी रहती ह रीढ़ की हिडडयो क साथ उनम स िनकलन वाली नािडयो को भी अचछी कसरत िमल जाती ह पट क िविभनन अगो को भी अचछा लाभ होता ह पीठ पट क नल पर गदरन

हाथ कमर नािभ स नीच क भाग एव छाती की नािड़यो को अचछा िखचाव िमलन स उन पर अचछा भाव पड़ता ह फलतः बनधकोष दर होता ह जठराि न तीो होती ह िवकत यकत पलीहा तथा िनिबय व क क िलए यह आसन लाभदायी ह कमर पीठ और सिनधःथानो क ददर जलदी दर हो जात ह

योगमिासन

योगा यास म यह मिा अित मह वपणर ह इसस इसका नाम योगमिासन रखा गया ह

धयान मिणपर चब म ास रचक कमभक और परक

िविधः प ासन लगाकर दोनो हाथो को पीठ क पीछ ल जाय बाय हाथ स दािहन हाथ की कलाई पकड़ दोनो हाथो को खीचकर कमर तथा रीढ़ क िमलन ःथान पर ल जाय अब रचक करक कमभक कर ास को रोककर शरीर को आग झकाकर भिम पर टक द िफर धीर-धीर िसर को उठाकर शरीर को पनः सीधा कर द और परक कर ारभ म यह आसन किठन लग तो सखासन या िस ासन म बठकर कर पणर लाभ तो प ासन म बठकर करन स ही होता ह पाचनतनऽ क अगो की ःथान ता ठीक करन क िलए यिद यह आसन करत हो तो कवल पाच-दस सकणड तक ही कर एक बठक म तीन स पाच बार सामानयतः यह आसन तीन िमनट तक करना चािहए आधयाितमक उ य स योगमिासन करत हो तो समय की अविध िच और शि क अनसार बढ़ाय

लाभः योगमिासन भली कार िस होता ह तब कणडिलिन शि जागत होती ह पट की गस की बीमारी दर होती ह पट एव आतो की सब िशकायत दर होती ह कलजा फफड़ आिद यथा ःथान रहत ह दय मजबत बनता ह र क िवकार दर होत

ह क और यौनिवकार न होत ह पट बड़ा हो तो अनदर दब जाता ह शरीर मजबत बनता ह मानिसक शि बढ़ती ह

योगमिासन स उदरपटल सश बनता ह पट क अगो को अपन ःथान िटक रहन म सहायता िमलती ह नाड़ीतऽ और खास करक कमर क नाड़ी मणडल को बल िमलता ह

इस आसन म सामनयतः जहा एिड़या लगती ह वहा कबज क अग होत ह उन पर दबाव पड़न स आतो म उ जना आती ह पराना कबज दर होता ह अगो की ःथान ता क कारण होन वाला कबज भी अग अपन ःथान म पनः यथावत िःथत हो जान स न हो जाता ह धात की दबरलता म योगमिासन खब लाभदायक ह

गोरकषासन या भिासन

धयान मलाधार चब म ास थम िःथित म परक और दसरी िःथित म कमभक

िविधः िबछ हए आसन पर बठ जाय दािहना पर घटन स मोड़कर एड़ी सीवन (उपःथ और गदा क मधय) क दािहन भाग म और बाया पर मोड़कर एड़ी सीवन क बाय भाग म इस कार रख िक दोनो पर क तलव एक दसर को लगकर रह

रचक करक दोनो हाथ सामन ज़मीन पर टककर शरीर को ऊपर उठाय और दोनो पर क पजो पर इस कार बठ िक शरीर का वजन एड़ी क मधय भाग म आय अगिलयो वाला भाग छटा रह अब परक करत -करत दोनो हाथो की हथिलयो को घटनो पर रख

अनत म कमभक करक ठोड़ी छाती पर दबाय िच वि मलाधार चब म और ि भी उसी िदशा म लगाय बमशः अ यास बढ़ाकर दसक िमनट तक यह आसन कर

लाभः इस आसन क अ यास स पर क सब सिनध ःथान तथा ःनाय सश बनत ह वाय ऊधवरगामी होकर जठराि न दी करता ह िदनो िदन जड़ता न होन लगती ह शरीर पतला होता ह सकलपबल बढ़ता ह बि तीकषण होती ह कलपनाशि का िवकास होता ह ाणापान की एकता होती ह नादोतपि होन लगती ह िबनद िःथर होकर िच की चचलता कम होती ह आहार का सपणरतया पाचन हो जान क कारण मलमऽ अलप होन लगत ह शरीर शि होन लगती ह तन म ःफितर एव मन म सननता अपन आप कट होती ह ःनाय स ढ़ बनत ह धातकषय गस मधमह ःवपनदोष अजीणर कमर का ददर गदरन की दबरलता बनधकोष मनदाि न िसरददर कषय

दयरोग अिनिा दमा मछाररोग बवासीर आऽपचछ पाणडरोग जलोदर भगनदर कोढ़ उलटी िहचकी अितसार आव उदररोग नऽिवकार आिद अस य रोगो म इस आसन स लाभ होत ह

मयरासन

इस आसन म मयर अथारत मोर की आकित बनती ह इसस इस मयरासन कहा जाता ह

धयान मिणपर चब म ास बा कमभक

िविधः जमीन पर घटन िटकाकर बठ जाय दोनो हाथ की हथिलयो को जमीन पर इस कार रख िक सब अगिलया पर की िदशा म हो और परःपर लगी रह दोनो कहिनयो को मोड़कर पट क कोमल भाग पर नािभ क इदरिगदर रख अब आग झककर दोनो पर को पीछ की लमब कर ास बाहर िनकाल कर दोनो पर को जमीन स ऊपर उठाय और िसर का भाग नीच झकाय इस कार परा शरीर ज़मीन क बराबर समानानतर रह ऐसी िःथित बनाय सपणर शरीर का वजन कवल दो हथिलयो पर ही

रहगा िजतना समय रह सक उतना समय इस िःथित म रहकर िफर मल िःथित म आ जाय इस कार दो-तीन बार कर

लाभः मयरासन करन स चयर-पालन म सहायता िमलती ह पाचन तऽ क अगो की र का वाह अिधक बढ़न स व अग बलवान और कायरशील बनत ह पट क भीतर क भागो म दबाव पड़न स उनकी शि बढ़ती ह उदर क अगो की िशिथलता और मनदाि न दर करन म मयरासन बहत उपयोगी ह

वळासन

वळासन का अथर ह बलवान िःथित पाचनशि वीयरशि तथा ःनायशि दन वाला होन स यह आसन वळासन कहलाता ह

धयान मलाधार चब म और ास दीघर

िविधः िबछ हए आसन पर दोनो परो को घटनो स मोड़कर एिड़यो पर बठ जाय पर क दोनो अगठ परःपर लग रह पर क तलवो क ऊपर िनतमब रह कमर और पीठ िबलकल सीधी रह दोनो हाथ को कहिनयो स मोड़ िबना घटनो पर रख द हथिलया नीच की ओर रह ि सामन िःथर कर द

पाच िमनट स लकर आध घणट तक वळासन का अ यास कर सकत ह वळासन लगाकर भिम पर लट जान स स वळासन होता ह

लाभः वळासन क अ यास स शरीर का मधयभाग सीधा रहता ह ास की गित मनद पड़न स वाय बढ़ती ह आखो की योित तज होती ह वळनाड़ी अथारत वीयरधारा नाड़ी मजबत बनती ह वीयर की ऊधवरगित होन स शरीर वळ जसा बनता ह लमब समय तक सरलता स यह आसन कर सकत ह इसस मन की चचलता दर होकर यि िःथर बि वाला बनता ह शरीर म र ािभसरण ठीक स होकर शरीर िनरोगी एव सनदर बनता ह

भोजन क बाद इस आसन स बठन स पाचन शि तज होती ह कबज दर होती ह भोजन जलदी ह म होता ह पट की वाय का नाश होता ह कबज दर होकर पट क तमाम रोग न होत ह पाणडरोग स मि िमलती ह रीढ़ कमर जाघ घटन और परो म शि बढ़ती ह कमर और पर का वाय रोग दर होता ह ःमरणशि म वि होती ह ि यो क मािसक धमर की अिनयिमतता जस रोग दर होत ह शबदोष वीयरदोष घटनो का ददर आिद का नाश होता ह ःनाय प होत ह ःफितर बढ़ान क िलए एव मानिसक िनराशा दर कर न क िलए यह आसन उपयोगी ह धयान क िलय भी यह आसन उ म ह इसक अ यास स शारी रक ःफितर एव मानिसक सननता कट होती ह िदन-ितिदन शि का सचय होता ह इसिलए शारी रक बल म खब वि होती ह काग का िगरना अथारत गल क टािनसलस हिडडयो क पोल आिद ःथानो म उतपनन होन वाल तकण की स या म वि होन स आरो य का साा य ःथािपत होता ह िफर यि

बखार स िसरददर स कबज स मदाि न स या अजीणर जस छोट-मोट िकसी भी रोग स पीिड़त नही रहता योिक रोग आरो य क साा य म िव होन का साहस ही नही कर पात

स वळासन

धयान िवश ा याचब म ास दीघर सामानय

िविधः वळासन म बठन क बाद िच होकर पीछ की ओर भिम पर लट जाय दोनो जघाए परःपर िमली रह अब रचक करत बाय हाथ का खला पजा दािहन कनध क नीच इस कार रख िक मःतक दोनो हाथ क बास क ऊपर आय रचक परा होन पर िऽबनध कर ि मलाधार चब की िदशा म और िच वि मलाधार चब म ःथािपत कर

लाभः यह आसन करन म ौम बहत कम ह और लाभ अिधक होता ह इसक अ यास स सषमना का मागर अतयनत सरल होता ह कणडिलनी शि सरलता स ऊधवरगमन कर सकती ह

इस आसन म धयान करन स म दणड को सीधा करन का ौम नही करना पड़ता और म दणड को आराम िमलता ह उसकी काय़रशि बल बनती ह इस आसन का अ यास करन स ायः तमाम अतःॐावी मिनथयो को जस शीषरःथ मिनथ कणठःथ मिनथ मऽिपणड की मनथी ऊधवरिपणड तथा प षाथर मिनथ आिद को पि िमलती ह फलतः यि का भौितक एव आधयाितमक िवकास सरल हो जाता ह तन-मन का ःवाःथय भावशाली बनता ह जठराि न दी होती ह मलावरोध की पीडा दर होती ह धातकषय ःवपनदोष पकषाघात पथरी बहरा होना तोतला होना आखो की दबरलता गल क टािनसल ासनिलका का सजन कषय दमा ःमरणशि की दबरलता आिद रोग दर होत ह

शवासन

शवासन की पणारवःथा म शरीर क तमाम अग एव मिःतक पणरतया च ा रिहत िकय जात ह यह अवःथा शव (मद) जसी होन स इस आसन को शवासन कहा जाता ह

िविधः िबछ हए आसन पर िच होकर लट जाय दोनो परो को परःपर स थोड़ अलग कर द दोनो हाथ भी शरीर स थोड़ अलग रह इस कार परो की ओर फला द हाथ की हथिलया आकाश की तरफ खली रख िसर सीधा रह आख बनद

मानिसक ि स शरीर को पर स िसर तक दखत जाय पर शरीर को मद की तरह ढीला छोड़ द हर एक अग को िशिथल करत जाय

शरीर म समपणर िवौाम का अनभव कर मन को भी बा ा िवषयो स हटाकर एकाम कर बारी-बारी स हर एक अग पर मानिसक ि एकाम करत हए भावना कर िक वह अग अब आराम पा रहा ह मरी सब थकान उतर रही ह इस कार भावना करत-करत सब ःनायओ को िशिथल होन द शरीर क एक भी अग म कही भी तनाव (टनशन) न रह िशिथलीकरण की िबया म पर स ारमभ करक िसर तक जाय अथवा िसर स ारमभ करक पर तक भी जा सकत ह अनत म जहा स ारमभ िकया हो वही पनः पहचना चािहय िशिथलीकरण की िबया स शरीर क तमाम अगो का एव ानततओ को िवौाम की अवःथा म ला दना ह

शवासन की दसरी अवःथा म ासोचछोवास पर धयान दना ह शवासन की यही म य िबया ह िवशषकर योग साधको क िलए वह अतयनत उपयोगी ह कवल शारी रक ःवाःथय क िलय थम भिमका पयार ह

इसम ास और उचछवास की िनयिमतता दीघरता और समानता ःथािपत करन का लकषय ह ास िनयिमत चल लमबा और गहरा चल ास और उचछवास एक समान रह तो मन को एकाम करन की शि ा होती ह

शवासन यिद ठीक ढग स िकया जाए तो नाड़ीतऽ इतना शात हो जाता ह िक अ यासी को नीद आन लगती ह लिकन धयान रह िनिनित न होकर जामत रहना आवयक ह

अनय आसन करन क बाद अगो म जो तनाव (टनशन) पदा होता ह उसको िशिथल करन क िलय अत म 3 स 5 िमनट तक शवासन करना चािहए िदनभर म अनकलता क अनसार दो-तीन बार शवासन कर सकत ह

लाभः शवासन क ारा ःनाय एव मासपिशयो म िशिथलीकरण स शि बढ़ती ह अिधक कायर करन की यो यता उसम आती ह र वाहिनयो म िशराओ म र वाह तीो

होन स सारी थकान उतर जाती ह नाड़ीतऽ को बल िमलता ह मानिसक शि म वि होती ह

र का दबाव कम करन क िलए नाड़ीतऽ की दबरलता एव उसक कारण होन वाल रोगो को दर करन क िलय शवासन खब उपयोगी ह

पादपि मो ानासन

यह आसन करना किठन ह इसस उमासन कहा जाता ह उम का अथर ह िशव भगवान िशव सहारक ार ह अतः उम या भयकर ह िशवसिहता म भगवान िशव न म कणठ स शसा करत हए कहा हः यह आसन सवरौ आसन ह इसको य पवरक ग रख िसफर अिधका रयो को ही इसका रहःय बताय

धयान मिणपर चब म ास थम िःथित म परक और दसरी िःथित म रचक और िफर बिहकर मभक

िविधः िबछ हए आसन पर बठ जाय दोनो परो को लमब फला द दोनो परो की जघा घटन पज परःपर िमल रह और जमीन क साथ लग रह परो की अगलया घटनो की तरफ झकी हई रह अब दोनो हाथ लमब कर दािहन हाथ की तजरनी और अगठ स दािहन पर का अगठा और बाय हाथ की तजरनी और अगठ स बाय पर का अगठा पकड़ अब रचक करत-करत नीच झक और िसर को दोनो घटनो क मधय म रख ललाट घटन को ःपशर कर और घटन ज़मीन स लग रह रचक परा होन पर कमभक कर ि एव िच वि को मिणपर चब म ःथािपत कर ारमभ म आधा िमनट करक बमशः 15 िमनट तक यह आसन करन का अ यास बढ़ाना चािहय थम दो-चार िदन किठन लगगा लिकन अ यास हो जान पर यह आसन सरल हो जाएगा

लाभः पादपि मो नासन म समयक अ यास स सषमना का मख खल जाता ह और ाण म दणड क मागर म गमन करता ह फलतः िबनद को जीत सकत ह िबनद को जीत िबना न समािध िस होती ह न वाय िःथर होता ह न िच शात होता ह

जो ी-प ष काम िवकार स अतयत पीिड़त हो उनह इस आसन का अ यास करना चािहए इसस शारी रक िवकार दब जात ह उदर छाती और म दणड को उ म कसरत िमलती ह अतः व अिधक कायरकषम बनत ह हाथ पर तथा अनय अगो क सिनध ःथान मजबत बनत ह शरीर क सब तऽ बराबर कायरशील होत ह रोग माऽ का नाश होकर ःवाःथय़ का साा य ःथािपत होता ह

इस आसन क अ यास स मनदाि न मलावरोध अजीणर उदररोग किमिवकार सद वातिवकार कमर का ददर िहचकी कोढ़ मऽरोग मधमह पर क रोग ःवपनदोष वीयरिवकार र िवकार एपनडीसाइिटस अणडवि पाणडरोग अिनिा दमा ख टी डकार आना ानतनत की दबरलता बवासीर नल की सजन गभारशय क रोग अिनयिमत तथा क दायक मािसक बनधयतव दर नपसकता र िप िसरोवदना बौनापन आिद अनक रोग दर होत ह पट पत ला बनता ह जठराि न दी होती ह कफ और चरबी न होत ह

िशवसिहता म कहा ह िक इस आसन स वाय ीपन होता ह और वह मतय का नाश करता ह इस आसन स शरीर का कद बढ़ता ह शरीर म अिधक ःथलता हो तो कम होती ह दबरलता हो तो वह दर होकर शरीर सामानय तनद ःत अवःथा म आ जाता ह नाडी सःथान म िःथरता आती ह मानिसक शाित ा होती ह िचनता एव उ जना शात करन क िलए यह आसन उ म ह पीठ और म दणड पर िखचाव आन स दोनो िवकिसत होत ह फलतः शरीर क तमाम अवयवो पर अिधकार ःथािपत होता ह सब आसनो म यह आसन सवर धान ह इसक अ यास स कायाकलप (प रवतरन) हो जाता ह

यह आसन भगवान िशव को बहत पयारा ह उनकी आ ा स योगी गोरखनाथ न लोककलयाण हत इसका चार िकया ह आप इस आसन क अदभत लाभो स लाभािनवत हो और दसरो को भी िसखाय

पादपि मो ानासन प यपाद आसारामजी बाप को भी बहत पयारा ह उसस प यौी को बहत लाभ हए ह अभी भी यह आसन उनक आरो यिनिध का रकषक बना हआ ह

पाठक भाइयो आप अवय इस आसन का लाभ लना ारमभ क चार-पाच िदन जरा किठन लगगा बाद म तो यह आसन आपका िशवजी क वरदान प आरो य कवच िस हए िबना नही रहगा

िऽबनध

मलबनध

शौच ःनानािद स िनव होकर आसन पर बठ जाय बायी एड़ी क ारा सीवन या योिन को दबाय दािहनी एड़ी सीवन पर रख गदा ार को िसकोड़कर भीतर की ओर ऊपर खीच यह मलबनध कहा जाता ह

लाभः मलबनध क अ यास स मतय को जीत सकत ह शरीर म नयी ताजगी आती ह िबगड़त हए ःवाःथय की रकषा होती ह चयर का पालन करन म मलबनध सहायक िस होता ह वीयर को प करता ह कबज को न करता ह जठराि न तज होती ह मलबनध स िचरयौवन ा होता ह बाल सफद होन स कत ह

अपानवाय ऊधवरगित पाकर ाणवाय क सषमना म िव होता ह सहॐारचब म िच वि िःथर बनती ह इसस िशवपद का आननद िमलता ह सवर कार की िद य िवभितया और ऐ यर ा होत ह अनाहत नाद सनन को िमलता ह ाण अपान नाद और िबनद एकिऽत होन स योग म पणरता ा होती ह

उडडीयान बनध

आसन पर बठकर परा ास बाहर िनकाल द समपणरतया रचक कर पट को भीतर िसकोड़कर ऊपर की ओर खीच नािभ तथा आत पीठ की तरफ दबाय शरीर को थोड़ा सा आग की तरफ झकाय यह ह उडडीयानबनध

लाभः इसक अ यास स िचरयौवन ा होता ह मतय पर जय ा होती ह चयर क पालन म खब सहायता िमलती ह ःवाःथय सनदर बनता ह कायरशि म वि होती ह नयोिल और उडडीयानबनध जब एक साथ िकय जात ह तब कबज दम दबाकर भाग खड़ा होता ह पट क तमाम अवयवो की मािलश हो जाती ह पट की अनावयक चरबी उतर जाती ह

जालनधरबनध

आसन पर बठकर परक करक कमभक कर और ठोड़ी को छाती क साथ दबाय इसको जालनधरबनध कहत ह

लाभः जालनधरबनध क अ यास स ाण का सचरण ठीक स होता ह इड़ा और िपगला नाड़ी बनद होकर ाण-अपान सषमना म िव होत ह नािभ स अमत कट होता ह िजसका पान जठराि न करता ह योगी इसक ारा अमरता ा करता ह

प ासन पर बठ जाय परा ास बाहर िनकाल कर मलबनध उडडीयानबनध कर िफर खब परक करक मलबनध उडडीयानबनध और जालनधरबनध य तीनो बनध एक साथ कर आख बनद रख मन म णव (ॐ) का अथर क साथ जप कर

इस कार ाणायाम सिहत तीनो बनध का एक साथ अ यास करन स बहत लाभ होता ह और ायः चमतका रक प रणाम आता ह कवल तीन ही िदन क समयक अ यास स जीवन म बािनत का अनभव होन लगता ह कछ समय क अ यास स कवल या कवली कमभक ःवय कट होता ह

कवली कमभक

कवल या कवली कमभक का अथर ह रचक-परक िबना ही ाण का िःथर हो जाना िजसको कवली कमभक िस होता ह उस योगी क िलए तीनो लोक म कछ भी दलरभ नही रहता कणडिलनी जागत होती ह शरीर पतला हो जाता ह मख सनन रहता ह नऽ मलरिहत होत ह सवर रोग दर हो जात ह िबनद पर िवजय होती ह जठराि न विलत होती ह

कवली कमभक िस िकय हए योगी की अपनी सवर मनोकामनाय पणर होती ह इतना ही नही उसका पजन करक ौ ावान लोग भी अपनी मनोकामनाय पणर करन लगत ह

जो साधक पणर एकामता स िऽबनध सिहत ाणायाम क अ यास ारा कवली कमभक का प षाथर िस करता ह उसक भा य का तो पछना ही या उसकी यापकता

बढ़ जाती ह अनतर म महानता का अनभव होता ह काम बोध लोभ मोह मद और मतसर इन छः शऽओ पर िवजय ा होती ह कवली कमभक की मिहमा अपार ह

जलनित

िविधः एक िलटर पानी को गनगना सा गरम कर उसम करीब दस माम श नमक डालकर घोल द सनधव िमल जाय तो अचछा सबह म ःनान क बाद यह पानी चौड़ महवाल पाऽ म कटोर म लकर परो पर बठ जाय पाऽ को दोनो हाथो स पकड़ कर नाक क नथन पानी म डबो द अब धीर-धीर नाक क ारा ास क साथ पानी को भीतर खीच और नाक स भीतर आत हए पानी को मह स बाहर िनकालत जाय नाक को पानी म इस कार बराबर डबोय रख िजसस नाक ारा भीतर जानवाल पानी क साथ हवा न वश कर अनयथा आतरस-खासी आयगी

इस कार पाऽ का सब पानी नाक ारा लकर मख ारा बाहर िनकाल द अब पाऽ को रख कर खड़ हो जाय दोनो पर थोड़ खल रह दोनो हाथ कमर पर रखकर ास को जोर स बाहर िनकालत हए आग की ओर िजतना हो सक झक भिॐका क साथ यह िबया बार-बार कर इसस नाक क भीतर का सब पानी बाहर िनकल जायगा थोड़ा बहत रह भी जाय और िदन म कभी भी नाक स बाहर िनकल जाय तो कछ िचनताजनक नही ह

नाक स पानी भीतर खीचन की यह िबया ारमभ म उलझन जसी लगगी लिकन अ यास हो जान पर िबलकल सरल बन जायगा

लाभः मिःतक की ओर स एक कार का िवषला रस नीच की ओर बहता ह यह रस कान म आय तो कान क रोग होत ह आदमी बहरा हो जाता ह यह रस आखो की तरफ जाय तो आखो का तज कम हो जाता ह चम की ज रत पड़ती ह तथा अनय रोग होत ह यह रस गल की ओर जाय तो गल क रोग होत ह

िनयमपवरक जलनित करन स यह िवषला पदाथर बाहर िनकल जाता ह आखो की रोशनी बढ़ती ह चम की ज रत नही पड़ती चमा हो भी तो धीर-धीर नमबर कम होत-होत छट जाता भी जाता ह ासोचछोवास का मागर साफ हो जाता ह मिःतक म ताजगी रहती ह जकाम-सद होन क अवसर कम हो जात ह जलनित की िबया करन

स दमा टीबी खासी नकसीर बहरापन आिद छोटी-मोटी 1500 बीमी रया दर होती ह जलनित करन वाल को बहत लाभ होत ह िच म सननता बनी रहती ह

गजकरणी िविधः करीब दो िलटर पानी गनगना सा गरम कर उसम करीब 20 माम श

नमक घोल द सनधव िमल जाय तो अचछा ह अब पजो क बल बठकर वह पानी िगलास भर-भर क पीत जाय खब िपय अिधकाअिधक िपय पट जब िबलकल भर जाय गल तक आ जाय पानी बाहर िनकालन की कोिशश कर तब दािहन हाथ की दो बड़ी अगिलया मह म डाल कर उलटी कर िपया हआ सब पानी बाहर िनकाल द पट िबलकल हलका हो जाय तब पाच िमनट तक आराम कर

गजकरणी करन क एकाध घणट क बाद कवल पतली िखचड़ी ही भोजन म ल भोजन क बाद तीन घणट तक पानी न िपय सोय नही ठणड पानी स ःनान कर तीन घणट क बाद ारमभ म थोड़ा गरम पानी िपय

लाभः गजकरणी स एिसडीटी क रोगी को अदभत लाभ होता ह ऐस रोगी को चार-पाच िदन म एक बार गजकरणी चािहए ततप ात महीन म एक बार दो महीन म एक बार छः महीन म एक बार भी गजकरणी कर सकत ह

ातःकाल खाली पट तलसी क पाच-सात प चबाकर ऊपर स थोड़ा जल िपय एसीडीटी क रोगी को इसस बहत लाभ होगा

वष परान कबज क रोिगयो को स ाह म एक बार गजकरणी की िबया अवय करनी चािहए उनका आमाशय मिनथसःथान कमजोर हो जान स भोजन हजम होन म गड़बड़ रहती ह गजकरणी करन स इसम लाभ होता ह फोड़ फनसी िसर म गम सद बखार खासी दमा टीबी वात-िप -कफ क दोष िज ा क रोग गल क रोग छाती क रोग छाती का ददर एव मदाि न म गजकरणी िबया लाभकारक ह

शरीर शोधन-कायाकलप

यह चालीस िदन का कलप ह प यपाद आसारामजी बाप न यह योग िकया हआ ह इसस शरीर सडौल ःवःथ और फत ला बनता ह र म नय-नय कण बनत ह शरीर क कोषो की शि बढ़ती ह मन-बि म चमतका रक लाभ होत ह

िविधः अगल िदन पपीता सव आिद फल उिचत माऽा म ल अथवा मन का 50 माम दस घणट पहल िभगो द उनको उबालकर बीज िनकाल द मन का खा ल और पानी पी ल

ातःकाल उठकर सकलप कर िक इस कलप क दौरान िनि त िकय हए कायरबम क अनसार ही रहगा

शौच-ःनानािद िनतयकमर स िनव होकर सबह 8 बज 200 या 250 माम गाय का उबला हआ गनगना दध िपय पौन घणटा पणर आराम कर बाद म िफर स दध िपय शारी रक ौम कम स कम कर ॐ सोsह हसः इस मऽ का मानिसक जप कर कभी ास को िनहार बस साकषीभाव

मनोरा य चलता हो तो ॐ जोर-जोर स जप कर

इस कार शाम तक िजतना दध हजम कर सक उतना दध दो स तीन िलटर िपय 40 िदन तक कवल द धाहार क बाद 41व िदन मग का उबला हआ पानी मोसममी का रस आिद ल रािऽ को अिधक मगवाली हलकी िखचड़ी खाय इस कार शरीर-शोधन-कायाकलप की पणारहित कर

यिद बि तीकषण बनानी हो ःमरणशि बढ़ानी हो तो कलप क दौरान ॐ ऐ नमः इस मऽ का जप कर सयर को अ यर द

इस कलप म दध क िसवाय अनय कोई खराक लना मना ह चाय तमबाक आिद यसन िनिष ह ि यो क सग स दर रहना तथा चयर का पालन अतयनत आवयक ह

कलजग नही करजग ह यह

कलजग नही करजग ह यह यहा िदन को द अ रात ल

या खब सौदा नकद ह इस हाथ द उस हाथ ल टक

दिनया अजब बाज़ार ह कछ िजनस1 या िक साथ ल

नकी का बदला नक ह बद स बदी की बात ल

मवा िखला मवा िमल फल फल द फल पात ल

आराम द आराम ल दःख ददर द आफत2 ल 1

काटा िकसी को मत लगा गो िमःल-गल3 फला ह त

वह तर हक4 म तीर ह िकस बात पर झला ह त

मत आग म डाल और को या घास का पला ह त

सन ऱख यह नकता5 बखबर िकस बात पर भला ह त

कलजग नही 2

शोखी शरारत मकरो-फन6 सबका बसखा7 ह यहा

जो जो िदखाया और को वह खद भी दखा ह यहा

खोटी खरी जो कछ कही ितसका परखा8 ह यहा

जो जो पड़ा तलता ह मोल ितल ितल का लखा ह यहा

कलजग नही 3

जो और की बःती9 रख उसका भी बसता ह परा

जो और क मार छरी उसको भी लगता ह छरा

जो और की तोड़ घड़ी उसका भी टट ह घड़ा

जो और की चत10 बदी उसका भी होता ह बरा

कलजग नही 4

जो और को फल दवगा वह भी सदा फल पावगा

गह स गह जौ स जौ चावल स चावल पावगा

जो आज दवगा यहा वसा ही वह कल पावगा

कल दवगा कल पावगा िफर दवगा िफर पावगा

कलजग नही 5

जो चाह ल चल इस घड़ी सब िजनस यहा तयार ह

आराम म आराम ह आजार म आजार11 ह

दिनया न जान इसको िमया दरया की यह मझधार ह

औरो का बड़ा पार कर तरा भी बड़ा पार ह

कलजग नही 6

त और की तारीफ कर तझको सना वानी12 िमल

कर मिकल आसा औरो की तझको भी आसानी िमल

त और को महमान कर तझको भी महमानी िमल

रोटी िखला रोटी िमल पानी िपला पानी िमल

कलजग नही 7

जो गल13 िखलाव और का उसका ही गल िखलता भी ह

जो और का कील14 ह मह उसका ही मह िकलता भी ह

जो और का छील िजगर उसका िजगर िछलता भी ह

जो और को दव कपट उसको कपट िमलता भी ह

कलजग नही 8

कर जो कछ करना ह अब यह दम तो कोई आन15 ह

नकसान म नकसान ह एहसान म एहसान ह

तोहमत म यहा तोहमत िमल तफान म तफान ह

रहमान16 को रहमान17 ह शतान को शतान ह

कलजग नही 9

यहा जहर द तो जहर ल श कर म श कर दख ल

नको का नकी का मजा मजी18 को ट कर दख ल

मोती िदय मोती िमल पतथर म पतथर दख ल

गर तझको यह बावर19 नही तो त भी करक दख ल

कलजग नही 10

अपन नफ क वाःत मत और का नकसान कर

तरा भी नकसा होवगा इस बात पर त धयान कर

खाना जो खा सो दखकर पानी िपय तो छानकर

या पावो को रख फककर और खोफ स गजरान कर

कलजग नही 11

गफलत की यह जगह नही त सािहब-इदराक20 रह

िदलशाद21 ऱख िदल शाह रह गमनाक रख गमनाक रह

हर हाल म भी त नजीर22 अब हर कदम की रह

यह वह मका ह ओ िमया या पाक23 रह बबाक24 रह

कलजग नही 12

1 वःत 2 मसीबत 3 पप की तरह 4 तर िलय 5 रहःय 6 दगा-धोखा 7 घर 8 परखना 9 नगरी 10 िवचार कर 11 दःख 12 तारीफ-ःतित 13 फल 14 िकसी को बोलन न दना 15 घड़ी पल 16 दयावान 17 दयाल भगवान 18 सतान वाला 19 िव ास 20 तीो ा तज समझन वाला प ष 21 सननिच 22 किव का नाम ह 23 श पिवऽ 24 िनडर

  • आधयातमिक विदया क उदगाता
  • सवासथय क लिए मतर
  • परासताविक
  • बरहमचरय-रकषा का मनतर
  • आसनो की परकिया म आन वाल कछ शबदो की समझ
  • आवशयक निरदश
  • योगासन
    • पदमासन या कमलासन
    • सिदधासन
    • सरवागासन
    • हलासन
    • पवनमकतासन
    • मतसयासन
    • भजगासन
    • धनरासन
    • चकरासन
    • कटिपिणडमरदनासन
    • अरधमतसयनदरासन
    • योगमदरासन
    • गोरकषासन या भदरासन
    • मयरासन
    • वजरासन
    • सपतवजरासन
    • शवासन
    • पादपशचिमोततानासन
      • तरिबनध
        • मलबनध
        • उडडीयान बनध
        • जालनधरबनध
          • कवली कमभक
          • जलनति
          • गजकरणी
          • शरीर शोधन-कायाकलप
          • कलजग नही करजग ह यह
Page 17: अनुबम - || Home || HariOmGroup · िस होता है। िवशु नाड़ीतंऽ वालेयोगी के िवशु शरीर में

लाभः पवनम ासन क िनयिमत अ यास स पट की चरबी कम होती ह पट की वाय न होकर पट िवकार रिहत बनता ह कबज दर होता ह पट म अफारा हो तो इस आसन स लाभ होता ह ातःकाल म शौचिबया ठीक स न होती हो तो थोड़ा पानी पीकर यह आसन 15-20 बार करन स शौच खलकर होगा

इस आसन स ःमरणशि बढ़ती ह बौि क कायर करन वाल डॉ टर वकील सािहतयकार िव ाथ तथा बठकर वि करन वाल मनीम यापारी आिद लोगो को िनयिमत प स पवनम ासन करना चािहए

मतःयासन

मतःय का अथर ह मछली इस आसन म शरीर का आकार मछली जसा बनता ह अतः मतःयासन कहलाता ह पलािवनी ाणायाम क साथ इस आसन की िःथित म लमब समय तक पानी म तर सकत ह

धयान िवश ा या चब म ास पहल रचक बिहकर मभक िफर परक और रचक

िविधः भिम पर िबछ हए आसन पर प ासन लगाकर सीध बठ जाय िफर परो को प ासन की िःथित म ही रखकर हाथ क आधार स सावधानी पवरक पीछ की ओर िच होकर लट जाय रचक करक कमर को ऊपर उठाय घटन िनतब और मःतक क िशखा ःथान को भिम क ःथान लगाय रख िशखाःथान क नीच कोई नरम कपड़ा

अवय रख बाय हाथ स दािहन पर का अगठा और दािहन हाथ स बाय पर का अगठा पकड़ दोनो कहिनया ज़मीन को लगाय रख कमभक की िःथित म रहकर ि को पीछ की ओर िसर क पास ल जान की कोिशश कर दात दब हए और मह बनद रख एक िमनट स ारमभ करक पाच िमनट तक अ यास बढ़ाय िफर हाथ खोलकर कमर भिम को लगाकर िसर ऊपर उठाकर बठ जाय परक करक रचक कर

पहल भिम पर लट कर िफर प ासन लगाकर भी मतःयासन हो सकता ह

लाभः मतःयासन स परा शरीर मजबत बनता ह गला छाती पट की तमाम बीमा रया दर होती ह आखो की रोशनी बढ़ती ह गला साफ रहता ह सनिबया ठीक स चलती ह कनधो की नस उलटी मड़ती ह इसस छाती व फफड़ो का िवकास होता ह पट साफ रहता ह आतो का मल दर होता ह र ािभसरण की गित बढ़ती ह फलतः चमड़ी क रोग नही होत दमा और खासी दर होती ह छाती चौड़ी बनती ह पट की चरबी कम होती ह इस आसन स अपानवाय की गित नीच की ओर होन स मलावरोध दर होता ह थोड़ा पानी पीकर यह आ सन करन स शौच-शि म सहायता िमलती ह

मतःयासन स ि यो क मािसकधमर समबनधी सब रोग दर होत ह मािसकॐाव िनयिमत बनता ह

भजगासन

इस आसन म शरीर की आकित फन उठाय हए भजग अथारत सपर जसी बनती ह इसिलए इसको भजगासना कहा जाता ह

धयान िवश ा या चब म ास ऊपर उठात व परक और नीच की ओर जात समय रचक

िविधः भिम पर िबछ हए कमबल पर पट क बल उलट होकर लट जाय दोनो पर और पज परःपर िमल हए रह परो क अगठो को पीछ की ओर खीच दोनो हाथ िसर क तरफ लमब कर द परो क अगठ नािभ छाती ललाट और हाथ की हथिलया भिम पर एक सीध म रख

अब दोनो हथिलयो को कमर क पास ल जाय िसर और कमर ऊपर उठाकर िजतना हो सक उतन पीछ की ओर मोड़ नािभ भिम स लगी रह पर शरीर का वजन हाथ क पज पर आएगा शरीर की िःथित कमान जसी बनगी म दणड क आिखरी भाग पर दबाव किनित होगा िच वि को कणठ म और ि को आकाश की तरफ िःथर कर

20 सकणड तक यह िःथित रख बाद म धीर-धीर िसर को नीच ल आय छाती भिम पर रख िफर िसर को भिम स लगन द आसन िस हो जान क बाद आसन करत समय ास भरक कमभक कर आसन छोड़त समय मल िःथित म आन क बाद ास को खब धीर-धीर छोड़ हर रोज एक साथ 8-10 बार यह आसन कर

लाभः घरड सिहता म इसका लाभ बतात हए कहा ह - भजगासन स जठराि न दी होती ह सवर रोगो का नाश होता ह और कणडिलनी जागत होती ह

म दणड क तमाम मनको को तथा गरदन क आसपास वाल ःनायओ को अिधक श र िमलता ह फलतः नाड़ी तऽ सचत बनता ह िचरजीवी शि मान एव स ढ़ बनता ह िवशषकर मिःतक स िनकलन वाल ानतत बलवान बनत ह पीठ की हिडडय़ो म रहन वाली तमाम खरािबया दर होती ह पट क ःनाय म िखचाव आन स वहा क अगो को शि िमलती ह उदरगहा म दबाव बढ़न स कबज दर होता ह छाती और पट का िवकास होता ह तथा उनक रोग िमट जात ह गभारशय एव बोनाशय अचछ बनत ह फलतः मािसकॐाव क रिहत होता ह मािसक धमर समबनधी समःत िशकायत दर होती ह अित ौम करन क कारण लगन वाली थकान दर होती ह भोजन क बाद होन वाल वाय का ददर न होता ह शरीर म ःफितर आती ह कफ-िपतवालो क िलए यह आसन लाभदायी ह भजगासन करन स दय मजबत बनता ह मधमह और उदर क

रोगो स मि िमलती ह दर अित मािसकॐाव तथा अलप मािसकॐाव जस रोग दर होत ह

इस आसन स म दणड लचीला बनता ह पीठ म िःथत इड़ा और िपगला नािड़यो पर अचछा भाव पड़ता ह कणडिलनी शि जागत करन क िलय यह आसन सहायक ह अमाशय की मासपिशयो का अचछा िवकास होता ह थकान क कारण पीठ म पीड़ा होती हो तो िसफर एक बार ही यह आसन करन स पीड़ा दर होती ह म दणड की कोई हडडी ःथान हो गई हो तो भजगासन करन स यथाःथान म वापस आ जाती ह

धनरासन

इस आसन म शरीर की आकित खीच हए धनष जसी बनती ह अतः इसको धनरासन कहा जाता ह

धयान मिणपर चब म ास नीच की िःथित म रचक और ऊपर की िःथित म परक

िविधः भिम पर िबछ हए कमबल पर पट क बल उलट होकर लट जाय दोनो पर परःपर िमल हए रह अब दोनो प रो को घटनो स मोड़ दोनो हाथो को पीछ ल जाकर दोनो परो को टखनो स पकड़ रचक करक हाथ स पकड़ हए परो को कसकर धीर -धीर खीच िजतना हो सक उतना िसर पीछ की ओर ल जान की कोिशश कर ि भी ऊपर एव पीछ की ओर रहनी चािहए समम शरीर का बोझ कवल नािभदश क ऊपर ही रहगा कमर स ऊपर का धड़ एव कमर स नीच पर पर ऊपर की ओर मड़ हए रहग

कमभक करक इस िःथित म िटक रह बाद म हाथ खोलकर पर तथा िसर को मल अवःथा म ल जाय और परक कर ारभ म पाच सकणड यह आसन कर धीर-धीर समय बढ़ाकर तीन िमनट या उसस भी अिधक समय इस आसन का अ यास कर तीन-चार बार यह आसन करना चािहए

लाभः धनरासन क अ यास स पट की चरबी कम होती ह गस दर होती ह पट को रोग न होत ह कबज म लाभ होता ह भख खलती ह छाती का ददर दर होता ह दय की धडकन मजबत बनती ह ास िक िबया यविःथत चलती ह मखाकित सदर बनती ह आखो की रोशनी बढ़ती ह और तमाम रोग दर होत ह हाथ -पर म होन वाला कपन कता ह शरीर का सौनदयर बढ़ता ह पट क ःनायओ म िखचाव आन स पट को अचछा लाभ होता ह आतो पर खब दबाव पड़न स पट क अगो पर भी दबाव पड़ता ह फलतः आतो म पाचकरस आन लगता ह इसस जठराि न तज होती ह पाचनशि बढ़ती ह वायरोग न होता ह पट क कषऽ म र का सचार अिधक होता ह धनरासन म भजगासन और शलभासन का समावश हो जान क कारण इन दोनो आसनो क लाभ िमलत ह ि यो क िलए यह आसन खब लाभकारक ह इसस मािसक धमर क िवकार गभारशय क तमाम रोग दर होत ह

चबासन

इस आसन म शरीर की आकित चब जसी बनती ह अतः चबासन कहा जाता ह

धयान मिणपर चब म ास दीघर ःवाभािवक

िविधः भिम पर िबछ हए आसन पर िच होकर लट जाय घटनो स पर मोड़ कर ऊपर उठाय पर क तलव ज़मीन स लग रह दो परो क बीच करीब डढ़ फीट का अनतर रख दोनो हाथ मःतक की तरफ उठाकर पीछ की ओर दोनो हथिलयो को ज़मीन पर जमाय दोनो हथिलयो क बीच भी करीब डढ़ फीट का अनतर रख अब हाथ और पर क बल स पर शरीर को कमर स मोड़कर ऊपर उठाय हाथ को धीर-धीर पर की ओर ल जाकर ःमपशर शरीर का आकार व या चब जसा बनाय आख बनद रख ास की गित ःवाभािवक चलन द िच वि मिणपर चब (नािभ कनि) म िःथर कर आख खली भी रख सकत ह एक िमनट स पाच िमनट तक अ यास बढ़ा सकत ह

लाभः म दणड तथा शरीर की समःत नािड़यो का शि करण होकर यौिगक चब जागत होत ह लकवा तथा शरीर की कमजो रया दर होती ह मःतक गदरन पीठ पट

कमर हाथ पर घटन आिद सब अग मजबत बनत ह सिनध ःथानो ददर नही होता पाचनशि बढ़ती ह पट की अनावयक चरबी दर होती ह शरीर तजःवी और फत ला बनता ह िवकारी िवचार न होत ह ःवपनदोष की बीमारी अलिवदा होती ह चबासन क िनयिमत अ यास स व ावःथा म कमर झकती नही शरीर सीधा तना हआ रहता ह

किटिपणडमदरनासन

इस आसन म किटदश (कमर क पास वाल भाग) म िःथत िपणड अथारत मऽिपणड का मदरन होता ह इसस यह आसन किटिपणडमदरनासन कहलाता ह

धयान ःवािध ान चब म ास परक और कमभक

िविधः िबछ हए कमबल पर पीठ क बल िच होकर लट जाय दोनो हाथो को आमन-सामन फला द मि ठया बनद रख दोनो परो को घटनो स मोड़कर खड़ कर द पर क तलव ज़मीन स लग रह दोनो परो क बीच इतना अनतर रख िक घटनो को ज़मीन पर झकान स एक पर का घटना दसर पर की एड़ी को लग िसर दायी ओर मड़ तो दोनो घटन दािहनी ओर ज़मीन को लग इस कार 15-20 बार िबया कर इस कार दोनो परो को एक साथ रखकर भी िबया कर

लाभः िजसको पथरी की तकलीफ हो उस आौम (सत ौी आसारामजी आौम साबरमित अमदावाद-5) स िबना मलय िमलती काली भःम करीब डढ़ माम भोजन स आधा घणटा पवर और भोजन क बाद एक िगलास पानी क साथ लना चािहए और यह आसन भख पट ठीक ढग स करना चािहए इसस पथरी क ददर म लाभ होता ह पथरी टकड़ -टकड़ होकर मऽ क ारा बाहर िनकलन लगती ह मऽिवकार दर होता ह कमर ददर साइिटका रीढ़ की हडडी की जकड़न उदासीनता िनराशा डायािबटीज नपसकता गस पर की गाठ इतयािद रोगो म शीय लाभ होता ह नािभ ःथान स चयत हो जाती हो तो पनः अपन ःथान म आ जाती ह

मािसक धमर क समय एव गभारवःथा म ि या यह आसन न कर कबज का रोगी सबह शौच जान स पहल उषःपान करक यह आसन कर तो चमतका रक लाभ होता ह ास को अनदर भर क पट को फलाकर यह आसन करन स कबज जलदी दर होता ह

अधरमतःयनिासन

कहा जाता ह िक मतःयनिासन की रचना गोरखनाथ क ग ःवामी मतःयनिनाथ न की थी व इस आसन म धयान िकया करत थ मतःयनिासन की आधी िबयाओ को लकर अधरमतःयनिासन चिलत हआ ह

धयान अनाहत चब म ास दीघर

िविधः दोनो परो को लमब करक आसन पर बठ जाओ बाय पर को घटन स मोड़कर एड़ी गदा ार क नीच जमाय पर क तलव को दािहनी जघा क साथ लगा द अब दािहन पर को घटन स मोड़कर खड़ा कर द और बाय पर की जघा स ऊपर ल जात हए जघा क पीछ ज़मीन क ऊपर ऱख द आसन क िलए यह पवरभिमका तयार हो गई

अब बाय हाथ को दािहन पर क घटन स पार करक अथारत घटन को बगल म दबात हए बाय हाथ स दािहन पर का अ गठा पकड़ धड़ को दािहनी ओर मोड़ िजसस दािहन पर क घटन क ऊपर बाय कनध का दबाव ठीक स पड़ अब दािहना हाथ पीठ क पीछ स घमाकर बाय पर की जाघ का िनमन भाग पकड़ िसर दािहनी ओर इतना घमाय िक ठोड़ी और बाया कनधा एक सीधी रखा म आ जाय छाती िबलकल तनी हई रख नीच की ओर झक नही िच वि नािभ क पीछ क भाग म िःथत मिणपर चब म िःथर कर

यह एक तरफ का आसन हआ इसी कार पहल दािहना पर मोड़कर एड़ी गदा ार क नीच दबाकर दसरी तरफ का आसन भी कर ारमभ म पाच सकणड य ह आसन करना पयार ह िफर अ यास बढ़ाकर एक एक तरफ एक एक िमनट तक आसन कर सकत ह

लाभः अधरमतःयनिासन स म दणड ःवःथ रहन स यौवन की ःफितर बनी रहती ह रीढ़ की हिडडयो क साथ उनम स िनकलन वाली नािडयो को भी अचछी कसरत िमल जाती ह पट क िविभनन अगो को भी अचछा लाभ होता ह पीठ पट क नल पर गदरन

हाथ कमर नािभ स नीच क भाग एव छाती की नािड़यो को अचछा िखचाव िमलन स उन पर अचछा भाव पड़ता ह फलतः बनधकोष दर होता ह जठराि न तीो होती ह िवकत यकत पलीहा तथा िनिबय व क क िलए यह आसन लाभदायी ह कमर पीठ और सिनधःथानो क ददर जलदी दर हो जात ह

योगमिासन

योगा यास म यह मिा अित मह वपणर ह इसस इसका नाम योगमिासन रखा गया ह

धयान मिणपर चब म ास रचक कमभक और परक

िविधः प ासन लगाकर दोनो हाथो को पीठ क पीछ ल जाय बाय हाथ स दािहन हाथ की कलाई पकड़ दोनो हाथो को खीचकर कमर तथा रीढ़ क िमलन ःथान पर ल जाय अब रचक करक कमभक कर ास को रोककर शरीर को आग झकाकर भिम पर टक द िफर धीर-धीर िसर को उठाकर शरीर को पनः सीधा कर द और परक कर ारभ म यह आसन किठन लग तो सखासन या िस ासन म बठकर कर पणर लाभ तो प ासन म बठकर करन स ही होता ह पाचनतनऽ क अगो की ःथान ता ठीक करन क िलए यिद यह आसन करत हो तो कवल पाच-दस सकणड तक ही कर एक बठक म तीन स पाच बार सामानयतः यह आसन तीन िमनट तक करना चािहए आधयाितमक उ य स योगमिासन करत हो तो समय की अविध िच और शि क अनसार बढ़ाय

लाभः योगमिासन भली कार िस होता ह तब कणडिलिन शि जागत होती ह पट की गस की बीमारी दर होती ह पट एव आतो की सब िशकायत दर होती ह कलजा फफड़ आिद यथा ःथान रहत ह दय मजबत बनता ह र क िवकार दर होत

ह क और यौनिवकार न होत ह पट बड़ा हो तो अनदर दब जाता ह शरीर मजबत बनता ह मानिसक शि बढ़ती ह

योगमिासन स उदरपटल सश बनता ह पट क अगो को अपन ःथान िटक रहन म सहायता िमलती ह नाड़ीतऽ और खास करक कमर क नाड़ी मणडल को बल िमलता ह

इस आसन म सामनयतः जहा एिड़या लगती ह वहा कबज क अग होत ह उन पर दबाव पड़न स आतो म उ जना आती ह पराना कबज दर होता ह अगो की ःथान ता क कारण होन वाला कबज भी अग अपन ःथान म पनः यथावत िःथत हो जान स न हो जाता ह धात की दबरलता म योगमिासन खब लाभदायक ह

गोरकषासन या भिासन

धयान मलाधार चब म ास थम िःथित म परक और दसरी िःथित म कमभक

िविधः िबछ हए आसन पर बठ जाय दािहना पर घटन स मोड़कर एड़ी सीवन (उपःथ और गदा क मधय) क दािहन भाग म और बाया पर मोड़कर एड़ी सीवन क बाय भाग म इस कार रख िक दोनो पर क तलव एक दसर को लगकर रह

रचक करक दोनो हाथ सामन ज़मीन पर टककर शरीर को ऊपर उठाय और दोनो पर क पजो पर इस कार बठ िक शरीर का वजन एड़ी क मधय भाग म आय अगिलयो वाला भाग छटा रह अब परक करत -करत दोनो हाथो की हथिलयो को घटनो पर रख

अनत म कमभक करक ठोड़ी छाती पर दबाय िच वि मलाधार चब म और ि भी उसी िदशा म लगाय बमशः अ यास बढ़ाकर दसक िमनट तक यह आसन कर

लाभः इस आसन क अ यास स पर क सब सिनध ःथान तथा ःनाय सश बनत ह वाय ऊधवरगामी होकर जठराि न दी करता ह िदनो िदन जड़ता न होन लगती ह शरीर पतला होता ह सकलपबल बढ़ता ह बि तीकषण होती ह कलपनाशि का िवकास होता ह ाणापान की एकता होती ह नादोतपि होन लगती ह िबनद िःथर होकर िच की चचलता कम होती ह आहार का सपणरतया पाचन हो जान क कारण मलमऽ अलप होन लगत ह शरीर शि होन लगती ह तन म ःफितर एव मन म सननता अपन आप कट होती ह ःनाय स ढ़ बनत ह धातकषय गस मधमह ःवपनदोष अजीणर कमर का ददर गदरन की दबरलता बनधकोष मनदाि न िसरददर कषय

दयरोग अिनिा दमा मछाररोग बवासीर आऽपचछ पाणडरोग जलोदर भगनदर कोढ़ उलटी िहचकी अितसार आव उदररोग नऽिवकार आिद अस य रोगो म इस आसन स लाभ होत ह

मयरासन

इस आसन म मयर अथारत मोर की आकित बनती ह इसस इस मयरासन कहा जाता ह

धयान मिणपर चब म ास बा कमभक

िविधः जमीन पर घटन िटकाकर बठ जाय दोनो हाथ की हथिलयो को जमीन पर इस कार रख िक सब अगिलया पर की िदशा म हो और परःपर लगी रह दोनो कहिनयो को मोड़कर पट क कोमल भाग पर नािभ क इदरिगदर रख अब आग झककर दोनो पर को पीछ की लमब कर ास बाहर िनकाल कर दोनो पर को जमीन स ऊपर उठाय और िसर का भाग नीच झकाय इस कार परा शरीर ज़मीन क बराबर समानानतर रह ऐसी िःथित बनाय सपणर शरीर का वजन कवल दो हथिलयो पर ही

रहगा िजतना समय रह सक उतना समय इस िःथित म रहकर िफर मल िःथित म आ जाय इस कार दो-तीन बार कर

लाभः मयरासन करन स चयर-पालन म सहायता िमलती ह पाचन तऽ क अगो की र का वाह अिधक बढ़न स व अग बलवान और कायरशील बनत ह पट क भीतर क भागो म दबाव पड़न स उनकी शि बढ़ती ह उदर क अगो की िशिथलता और मनदाि न दर करन म मयरासन बहत उपयोगी ह

वळासन

वळासन का अथर ह बलवान िःथित पाचनशि वीयरशि तथा ःनायशि दन वाला होन स यह आसन वळासन कहलाता ह

धयान मलाधार चब म और ास दीघर

िविधः िबछ हए आसन पर दोनो परो को घटनो स मोड़कर एिड़यो पर बठ जाय पर क दोनो अगठ परःपर लग रह पर क तलवो क ऊपर िनतमब रह कमर और पीठ िबलकल सीधी रह दोनो हाथ को कहिनयो स मोड़ िबना घटनो पर रख द हथिलया नीच की ओर रह ि सामन िःथर कर द

पाच िमनट स लकर आध घणट तक वळासन का अ यास कर सकत ह वळासन लगाकर भिम पर लट जान स स वळासन होता ह

लाभः वळासन क अ यास स शरीर का मधयभाग सीधा रहता ह ास की गित मनद पड़न स वाय बढ़ती ह आखो की योित तज होती ह वळनाड़ी अथारत वीयरधारा नाड़ी मजबत बनती ह वीयर की ऊधवरगित होन स शरीर वळ जसा बनता ह लमब समय तक सरलता स यह आसन कर सकत ह इसस मन की चचलता दर होकर यि िःथर बि वाला बनता ह शरीर म र ािभसरण ठीक स होकर शरीर िनरोगी एव सनदर बनता ह

भोजन क बाद इस आसन स बठन स पाचन शि तज होती ह कबज दर होती ह भोजन जलदी ह म होता ह पट की वाय का नाश होता ह कबज दर होकर पट क तमाम रोग न होत ह पाणडरोग स मि िमलती ह रीढ़ कमर जाघ घटन और परो म शि बढ़ती ह कमर और पर का वाय रोग दर होता ह ःमरणशि म वि होती ह ि यो क मािसक धमर की अिनयिमतता जस रोग दर होत ह शबदोष वीयरदोष घटनो का ददर आिद का नाश होता ह ःनाय प होत ह ःफितर बढ़ान क िलए एव मानिसक िनराशा दर कर न क िलए यह आसन उपयोगी ह धयान क िलय भी यह आसन उ म ह इसक अ यास स शारी रक ःफितर एव मानिसक सननता कट होती ह िदन-ितिदन शि का सचय होता ह इसिलए शारी रक बल म खब वि होती ह काग का िगरना अथारत गल क टािनसलस हिडडयो क पोल आिद ःथानो म उतपनन होन वाल तकण की स या म वि होन स आरो य का साा य ःथािपत होता ह िफर यि

बखार स िसरददर स कबज स मदाि न स या अजीणर जस छोट-मोट िकसी भी रोग स पीिड़त नही रहता योिक रोग आरो य क साा य म िव होन का साहस ही नही कर पात

स वळासन

धयान िवश ा याचब म ास दीघर सामानय

िविधः वळासन म बठन क बाद िच होकर पीछ की ओर भिम पर लट जाय दोनो जघाए परःपर िमली रह अब रचक करत बाय हाथ का खला पजा दािहन कनध क नीच इस कार रख िक मःतक दोनो हाथ क बास क ऊपर आय रचक परा होन पर िऽबनध कर ि मलाधार चब की िदशा म और िच वि मलाधार चब म ःथािपत कर

लाभः यह आसन करन म ौम बहत कम ह और लाभ अिधक होता ह इसक अ यास स सषमना का मागर अतयनत सरल होता ह कणडिलनी शि सरलता स ऊधवरगमन कर सकती ह

इस आसन म धयान करन स म दणड को सीधा करन का ौम नही करना पड़ता और म दणड को आराम िमलता ह उसकी काय़रशि बल बनती ह इस आसन का अ यास करन स ायः तमाम अतःॐावी मिनथयो को जस शीषरःथ मिनथ कणठःथ मिनथ मऽिपणड की मनथी ऊधवरिपणड तथा प षाथर मिनथ आिद को पि िमलती ह फलतः यि का भौितक एव आधयाितमक िवकास सरल हो जाता ह तन-मन का ःवाःथय भावशाली बनता ह जठराि न दी होती ह मलावरोध की पीडा दर होती ह धातकषय ःवपनदोष पकषाघात पथरी बहरा होना तोतला होना आखो की दबरलता गल क टािनसल ासनिलका का सजन कषय दमा ःमरणशि की दबरलता आिद रोग दर होत ह

शवासन

शवासन की पणारवःथा म शरीर क तमाम अग एव मिःतक पणरतया च ा रिहत िकय जात ह यह अवःथा शव (मद) जसी होन स इस आसन को शवासन कहा जाता ह

िविधः िबछ हए आसन पर िच होकर लट जाय दोनो परो को परःपर स थोड़ अलग कर द दोनो हाथ भी शरीर स थोड़ अलग रह इस कार परो की ओर फला द हाथ की हथिलया आकाश की तरफ खली रख िसर सीधा रह आख बनद

मानिसक ि स शरीर को पर स िसर तक दखत जाय पर शरीर को मद की तरह ढीला छोड़ द हर एक अग को िशिथल करत जाय

शरीर म समपणर िवौाम का अनभव कर मन को भी बा ा िवषयो स हटाकर एकाम कर बारी-बारी स हर एक अग पर मानिसक ि एकाम करत हए भावना कर िक वह अग अब आराम पा रहा ह मरी सब थकान उतर रही ह इस कार भावना करत-करत सब ःनायओ को िशिथल होन द शरीर क एक भी अग म कही भी तनाव (टनशन) न रह िशिथलीकरण की िबया म पर स ारमभ करक िसर तक जाय अथवा िसर स ारमभ करक पर तक भी जा सकत ह अनत म जहा स ारमभ िकया हो वही पनः पहचना चािहय िशिथलीकरण की िबया स शरीर क तमाम अगो का एव ानततओ को िवौाम की अवःथा म ला दना ह

शवासन की दसरी अवःथा म ासोचछोवास पर धयान दना ह शवासन की यही म य िबया ह िवशषकर योग साधको क िलए वह अतयनत उपयोगी ह कवल शारी रक ःवाःथय क िलय थम भिमका पयार ह

इसम ास और उचछवास की िनयिमतता दीघरता और समानता ःथािपत करन का लकषय ह ास िनयिमत चल लमबा और गहरा चल ास और उचछवास एक समान रह तो मन को एकाम करन की शि ा होती ह

शवासन यिद ठीक ढग स िकया जाए तो नाड़ीतऽ इतना शात हो जाता ह िक अ यासी को नीद आन लगती ह लिकन धयान रह िनिनित न होकर जामत रहना आवयक ह

अनय आसन करन क बाद अगो म जो तनाव (टनशन) पदा होता ह उसको िशिथल करन क िलय अत म 3 स 5 िमनट तक शवासन करना चािहए िदनभर म अनकलता क अनसार दो-तीन बार शवासन कर सकत ह

लाभः शवासन क ारा ःनाय एव मासपिशयो म िशिथलीकरण स शि बढ़ती ह अिधक कायर करन की यो यता उसम आती ह र वाहिनयो म िशराओ म र वाह तीो

होन स सारी थकान उतर जाती ह नाड़ीतऽ को बल िमलता ह मानिसक शि म वि होती ह

र का दबाव कम करन क िलए नाड़ीतऽ की दबरलता एव उसक कारण होन वाल रोगो को दर करन क िलय शवासन खब उपयोगी ह

पादपि मो ानासन

यह आसन करना किठन ह इसस उमासन कहा जाता ह उम का अथर ह िशव भगवान िशव सहारक ार ह अतः उम या भयकर ह िशवसिहता म भगवान िशव न म कणठ स शसा करत हए कहा हः यह आसन सवरौ आसन ह इसको य पवरक ग रख िसफर अिधका रयो को ही इसका रहःय बताय

धयान मिणपर चब म ास थम िःथित म परक और दसरी िःथित म रचक और िफर बिहकर मभक

िविधः िबछ हए आसन पर बठ जाय दोनो परो को लमब फला द दोनो परो की जघा घटन पज परःपर िमल रह और जमीन क साथ लग रह परो की अगलया घटनो की तरफ झकी हई रह अब दोनो हाथ लमब कर दािहन हाथ की तजरनी और अगठ स दािहन पर का अगठा और बाय हाथ की तजरनी और अगठ स बाय पर का अगठा पकड़ अब रचक करत-करत नीच झक और िसर को दोनो घटनो क मधय म रख ललाट घटन को ःपशर कर और घटन ज़मीन स लग रह रचक परा होन पर कमभक कर ि एव िच वि को मिणपर चब म ःथािपत कर ारमभ म आधा िमनट करक बमशः 15 िमनट तक यह आसन करन का अ यास बढ़ाना चािहय थम दो-चार िदन किठन लगगा लिकन अ यास हो जान पर यह आसन सरल हो जाएगा

लाभः पादपि मो नासन म समयक अ यास स सषमना का मख खल जाता ह और ाण म दणड क मागर म गमन करता ह फलतः िबनद को जीत सकत ह िबनद को जीत िबना न समािध िस होती ह न वाय िःथर होता ह न िच शात होता ह

जो ी-प ष काम िवकार स अतयत पीिड़त हो उनह इस आसन का अ यास करना चािहए इसस शारी रक िवकार दब जात ह उदर छाती और म दणड को उ म कसरत िमलती ह अतः व अिधक कायरकषम बनत ह हाथ पर तथा अनय अगो क सिनध ःथान मजबत बनत ह शरीर क सब तऽ बराबर कायरशील होत ह रोग माऽ का नाश होकर ःवाःथय़ का साा य ःथािपत होता ह

इस आसन क अ यास स मनदाि न मलावरोध अजीणर उदररोग किमिवकार सद वातिवकार कमर का ददर िहचकी कोढ़ मऽरोग मधमह पर क रोग ःवपनदोष वीयरिवकार र िवकार एपनडीसाइिटस अणडवि पाणडरोग अिनिा दमा ख टी डकार आना ानतनत की दबरलता बवासीर नल की सजन गभारशय क रोग अिनयिमत तथा क दायक मािसक बनधयतव दर नपसकता र िप िसरोवदना बौनापन आिद अनक रोग दर होत ह पट पत ला बनता ह जठराि न दी होती ह कफ और चरबी न होत ह

िशवसिहता म कहा ह िक इस आसन स वाय ीपन होता ह और वह मतय का नाश करता ह इस आसन स शरीर का कद बढ़ता ह शरीर म अिधक ःथलता हो तो कम होती ह दबरलता हो तो वह दर होकर शरीर सामानय तनद ःत अवःथा म आ जाता ह नाडी सःथान म िःथरता आती ह मानिसक शाित ा होती ह िचनता एव उ जना शात करन क िलए यह आसन उ म ह पीठ और म दणड पर िखचाव आन स दोनो िवकिसत होत ह फलतः शरीर क तमाम अवयवो पर अिधकार ःथािपत होता ह सब आसनो म यह आसन सवर धान ह इसक अ यास स कायाकलप (प रवतरन) हो जाता ह

यह आसन भगवान िशव को बहत पयारा ह उनकी आ ा स योगी गोरखनाथ न लोककलयाण हत इसका चार िकया ह आप इस आसन क अदभत लाभो स लाभािनवत हो और दसरो को भी िसखाय

पादपि मो ानासन प यपाद आसारामजी बाप को भी बहत पयारा ह उसस प यौी को बहत लाभ हए ह अभी भी यह आसन उनक आरो यिनिध का रकषक बना हआ ह

पाठक भाइयो आप अवय इस आसन का लाभ लना ारमभ क चार-पाच िदन जरा किठन लगगा बाद म तो यह आसन आपका िशवजी क वरदान प आरो य कवच िस हए िबना नही रहगा

िऽबनध

मलबनध

शौच ःनानािद स िनव होकर आसन पर बठ जाय बायी एड़ी क ारा सीवन या योिन को दबाय दािहनी एड़ी सीवन पर रख गदा ार को िसकोड़कर भीतर की ओर ऊपर खीच यह मलबनध कहा जाता ह

लाभः मलबनध क अ यास स मतय को जीत सकत ह शरीर म नयी ताजगी आती ह िबगड़त हए ःवाःथय की रकषा होती ह चयर का पालन करन म मलबनध सहायक िस होता ह वीयर को प करता ह कबज को न करता ह जठराि न तज होती ह मलबनध स िचरयौवन ा होता ह बाल सफद होन स कत ह

अपानवाय ऊधवरगित पाकर ाणवाय क सषमना म िव होता ह सहॐारचब म िच वि िःथर बनती ह इसस िशवपद का आननद िमलता ह सवर कार की िद य िवभितया और ऐ यर ा होत ह अनाहत नाद सनन को िमलता ह ाण अपान नाद और िबनद एकिऽत होन स योग म पणरता ा होती ह

उडडीयान बनध

आसन पर बठकर परा ास बाहर िनकाल द समपणरतया रचक कर पट को भीतर िसकोड़कर ऊपर की ओर खीच नािभ तथा आत पीठ की तरफ दबाय शरीर को थोड़ा सा आग की तरफ झकाय यह ह उडडीयानबनध

लाभः इसक अ यास स िचरयौवन ा होता ह मतय पर जय ा होती ह चयर क पालन म खब सहायता िमलती ह ःवाःथय सनदर बनता ह कायरशि म वि होती ह नयोिल और उडडीयानबनध जब एक साथ िकय जात ह तब कबज दम दबाकर भाग खड़ा होता ह पट क तमाम अवयवो की मािलश हो जाती ह पट की अनावयक चरबी उतर जाती ह

जालनधरबनध

आसन पर बठकर परक करक कमभक कर और ठोड़ी को छाती क साथ दबाय इसको जालनधरबनध कहत ह

लाभः जालनधरबनध क अ यास स ाण का सचरण ठीक स होता ह इड़ा और िपगला नाड़ी बनद होकर ाण-अपान सषमना म िव होत ह नािभ स अमत कट होता ह िजसका पान जठराि न करता ह योगी इसक ारा अमरता ा करता ह

प ासन पर बठ जाय परा ास बाहर िनकाल कर मलबनध उडडीयानबनध कर िफर खब परक करक मलबनध उडडीयानबनध और जालनधरबनध य तीनो बनध एक साथ कर आख बनद रख मन म णव (ॐ) का अथर क साथ जप कर

इस कार ाणायाम सिहत तीनो बनध का एक साथ अ यास करन स बहत लाभ होता ह और ायः चमतका रक प रणाम आता ह कवल तीन ही िदन क समयक अ यास स जीवन म बािनत का अनभव होन लगता ह कछ समय क अ यास स कवल या कवली कमभक ःवय कट होता ह

कवली कमभक

कवल या कवली कमभक का अथर ह रचक-परक िबना ही ाण का िःथर हो जाना िजसको कवली कमभक िस होता ह उस योगी क िलए तीनो लोक म कछ भी दलरभ नही रहता कणडिलनी जागत होती ह शरीर पतला हो जाता ह मख सनन रहता ह नऽ मलरिहत होत ह सवर रोग दर हो जात ह िबनद पर िवजय होती ह जठराि न विलत होती ह

कवली कमभक िस िकय हए योगी की अपनी सवर मनोकामनाय पणर होती ह इतना ही नही उसका पजन करक ौ ावान लोग भी अपनी मनोकामनाय पणर करन लगत ह

जो साधक पणर एकामता स िऽबनध सिहत ाणायाम क अ यास ारा कवली कमभक का प षाथर िस करता ह उसक भा य का तो पछना ही या उसकी यापकता

बढ़ जाती ह अनतर म महानता का अनभव होता ह काम बोध लोभ मोह मद और मतसर इन छः शऽओ पर िवजय ा होती ह कवली कमभक की मिहमा अपार ह

जलनित

िविधः एक िलटर पानी को गनगना सा गरम कर उसम करीब दस माम श नमक डालकर घोल द सनधव िमल जाय तो अचछा सबह म ःनान क बाद यह पानी चौड़ महवाल पाऽ म कटोर म लकर परो पर बठ जाय पाऽ को दोनो हाथो स पकड़ कर नाक क नथन पानी म डबो द अब धीर-धीर नाक क ारा ास क साथ पानी को भीतर खीच और नाक स भीतर आत हए पानी को मह स बाहर िनकालत जाय नाक को पानी म इस कार बराबर डबोय रख िजसस नाक ारा भीतर जानवाल पानी क साथ हवा न वश कर अनयथा आतरस-खासी आयगी

इस कार पाऽ का सब पानी नाक ारा लकर मख ारा बाहर िनकाल द अब पाऽ को रख कर खड़ हो जाय दोनो पर थोड़ खल रह दोनो हाथ कमर पर रखकर ास को जोर स बाहर िनकालत हए आग की ओर िजतना हो सक झक भिॐका क साथ यह िबया बार-बार कर इसस नाक क भीतर का सब पानी बाहर िनकल जायगा थोड़ा बहत रह भी जाय और िदन म कभी भी नाक स बाहर िनकल जाय तो कछ िचनताजनक नही ह

नाक स पानी भीतर खीचन की यह िबया ारमभ म उलझन जसी लगगी लिकन अ यास हो जान पर िबलकल सरल बन जायगा

लाभः मिःतक की ओर स एक कार का िवषला रस नीच की ओर बहता ह यह रस कान म आय तो कान क रोग होत ह आदमी बहरा हो जाता ह यह रस आखो की तरफ जाय तो आखो का तज कम हो जाता ह चम की ज रत पड़ती ह तथा अनय रोग होत ह यह रस गल की ओर जाय तो गल क रोग होत ह

िनयमपवरक जलनित करन स यह िवषला पदाथर बाहर िनकल जाता ह आखो की रोशनी बढ़ती ह चम की ज रत नही पड़ती चमा हो भी तो धीर-धीर नमबर कम होत-होत छट जाता भी जाता ह ासोचछोवास का मागर साफ हो जाता ह मिःतक म ताजगी रहती ह जकाम-सद होन क अवसर कम हो जात ह जलनित की िबया करन

स दमा टीबी खासी नकसीर बहरापन आिद छोटी-मोटी 1500 बीमी रया दर होती ह जलनित करन वाल को बहत लाभ होत ह िच म सननता बनी रहती ह

गजकरणी िविधः करीब दो िलटर पानी गनगना सा गरम कर उसम करीब 20 माम श

नमक घोल द सनधव िमल जाय तो अचछा ह अब पजो क बल बठकर वह पानी िगलास भर-भर क पीत जाय खब िपय अिधकाअिधक िपय पट जब िबलकल भर जाय गल तक आ जाय पानी बाहर िनकालन की कोिशश कर तब दािहन हाथ की दो बड़ी अगिलया मह म डाल कर उलटी कर िपया हआ सब पानी बाहर िनकाल द पट िबलकल हलका हो जाय तब पाच िमनट तक आराम कर

गजकरणी करन क एकाध घणट क बाद कवल पतली िखचड़ी ही भोजन म ल भोजन क बाद तीन घणट तक पानी न िपय सोय नही ठणड पानी स ःनान कर तीन घणट क बाद ारमभ म थोड़ा गरम पानी िपय

लाभः गजकरणी स एिसडीटी क रोगी को अदभत लाभ होता ह ऐस रोगी को चार-पाच िदन म एक बार गजकरणी चािहए ततप ात महीन म एक बार दो महीन म एक बार छः महीन म एक बार भी गजकरणी कर सकत ह

ातःकाल खाली पट तलसी क पाच-सात प चबाकर ऊपर स थोड़ा जल िपय एसीडीटी क रोगी को इसस बहत लाभ होगा

वष परान कबज क रोिगयो को स ाह म एक बार गजकरणी की िबया अवय करनी चािहए उनका आमाशय मिनथसःथान कमजोर हो जान स भोजन हजम होन म गड़बड़ रहती ह गजकरणी करन स इसम लाभ होता ह फोड़ फनसी िसर म गम सद बखार खासी दमा टीबी वात-िप -कफ क दोष िज ा क रोग गल क रोग छाती क रोग छाती का ददर एव मदाि न म गजकरणी िबया लाभकारक ह

शरीर शोधन-कायाकलप

यह चालीस िदन का कलप ह प यपाद आसारामजी बाप न यह योग िकया हआ ह इसस शरीर सडौल ःवःथ और फत ला बनता ह र म नय-नय कण बनत ह शरीर क कोषो की शि बढ़ती ह मन-बि म चमतका रक लाभ होत ह

िविधः अगल िदन पपीता सव आिद फल उिचत माऽा म ल अथवा मन का 50 माम दस घणट पहल िभगो द उनको उबालकर बीज िनकाल द मन का खा ल और पानी पी ल

ातःकाल उठकर सकलप कर िक इस कलप क दौरान िनि त िकय हए कायरबम क अनसार ही रहगा

शौच-ःनानािद िनतयकमर स िनव होकर सबह 8 बज 200 या 250 माम गाय का उबला हआ गनगना दध िपय पौन घणटा पणर आराम कर बाद म िफर स दध िपय शारी रक ौम कम स कम कर ॐ सोsह हसः इस मऽ का मानिसक जप कर कभी ास को िनहार बस साकषीभाव

मनोरा य चलता हो तो ॐ जोर-जोर स जप कर

इस कार शाम तक िजतना दध हजम कर सक उतना दध दो स तीन िलटर िपय 40 िदन तक कवल द धाहार क बाद 41व िदन मग का उबला हआ पानी मोसममी का रस आिद ल रािऽ को अिधक मगवाली हलकी िखचड़ी खाय इस कार शरीर-शोधन-कायाकलप की पणारहित कर

यिद बि तीकषण बनानी हो ःमरणशि बढ़ानी हो तो कलप क दौरान ॐ ऐ नमः इस मऽ का जप कर सयर को अ यर द

इस कलप म दध क िसवाय अनय कोई खराक लना मना ह चाय तमबाक आिद यसन िनिष ह ि यो क सग स दर रहना तथा चयर का पालन अतयनत आवयक ह

कलजग नही करजग ह यह

कलजग नही करजग ह यह यहा िदन को द अ रात ल

या खब सौदा नकद ह इस हाथ द उस हाथ ल टक

दिनया अजब बाज़ार ह कछ िजनस1 या िक साथ ल

नकी का बदला नक ह बद स बदी की बात ल

मवा िखला मवा िमल फल फल द फल पात ल

आराम द आराम ल दःख ददर द आफत2 ल 1

काटा िकसी को मत लगा गो िमःल-गल3 फला ह त

वह तर हक4 म तीर ह िकस बात पर झला ह त

मत आग म डाल और को या घास का पला ह त

सन ऱख यह नकता5 बखबर िकस बात पर भला ह त

कलजग नही 2

शोखी शरारत मकरो-फन6 सबका बसखा7 ह यहा

जो जो िदखाया और को वह खद भी दखा ह यहा

खोटी खरी जो कछ कही ितसका परखा8 ह यहा

जो जो पड़ा तलता ह मोल ितल ितल का लखा ह यहा

कलजग नही 3

जो और की बःती9 रख उसका भी बसता ह परा

जो और क मार छरी उसको भी लगता ह छरा

जो और की तोड़ घड़ी उसका भी टट ह घड़ा

जो और की चत10 बदी उसका भी होता ह बरा

कलजग नही 4

जो और को फल दवगा वह भी सदा फल पावगा

गह स गह जौ स जौ चावल स चावल पावगा

जो आज दवगा यहा वसा ही वह कल पावगा

कल दवगा कल पावगा िफर दवगा िफर पावगा

कलजग नही 5

जो चाह ल चल इस घड़ी सब िजनस यहा तयार ह

आराम म आराम ह आजार म आजार11 ह

दिनया न जान इसको िमया दरया की यह मझधार ह

औरो का बड़ा पार कर तरा भी बड़ा पार ह

कलजग नही 6

त और की तारीफ कर तझको सना वानी12 िमल

कर मिकल आसा औरो की तझको भी आसानी िमल

त और को महमान कर तझको भी महमानी िमल

रोटी िखला रोटी िमल पानी िपला पानी िमल

कलजग नही 7

जो गल13 िखलाव और का उसका ही गल िखलता भी ह

जो और का कील14 ह मह उसका ही मह िकलता भी ह

जो और का छील िजगर उसका िजगर िछलता भी ह

जो और को दव कपट उसको कपट िमलता भी ह

कलजग नही 8

कर जो कछ करना ह अब यह दम तो कोई आन15 ह

नकसान म नकसान ह एहसान म एहसान ह

तोहमत म यहा तोहमत िमल तफान म तफान ह

रहमान16 को रहमान17 ह शतान को शतान ह

कलजग नही 9

यहा जहर द तो जहर ल श कर म श कर दख ल

नको का नकी का मजा मजी18 को ट कर दख ल

मोती िदय मोती िमल पतथर म पतथर दख ल

गर तझको यह बावर19 नही तो त भी करक दख ल

कलजग नही 10

अपन नफ क वाःत मत और का नकसान कर

तरा भी नकसा होवगा इस बात पर त धयान कर

खाना जो खा सो दखकर पानी िपय तो छानकर

या पावो को रख फककर और खोफ स गजरान कर

कलजग नही 11

गफलत की यह जगह नही त सािहब-इदराक20 रह

िदलशाद21 ऱख िदल शाह रह गमनाक रख गमनाक रह

हर हाल म भी त नजीर22 अब हर कदम की रह

यह वह मका ह ओ िमया या पाक23 रह बबाक24 रह

कलजग नही 12

1 वःत 2 मसीबत 3 पप की तरह 4 तर िलय 5 रहःय 6 दगा-धोखा 7 घर 8 परखना 9 नगरी 10 िवचार कर 11 दःख 12 तारीफ-ःतित 13 फल 14 िकसी को बोलन न दना 15 घड़ी पल 16 दयावान 17 दयाल भगवान 18 सतान वाला 19 िव ास 20 तीो ा तज समझन वाला प ष 21 सननिच 22 किव का नाम ह 23 श पिवऽ 24 िनडर

  • आधयातमिक विदया क उदगाता
  • सवासथय क लिए मतर
  • परासताविक
  • बरहमचरय-रकषा का मनतर
  • आसनो की परकिया म आन वाल कछ शबदो की समझ
  • आवशयक निरदश
  • योगासन
    • पदमासन या कमलासन
    • सिदधासन
    • सरवागासन
    • हलासन
    • पवनमकतासन
    • मतसयासन
    • भजगासन
    • धनरासन
    • चकरासन
    • कटिपिणडमरदनासन
    • अरधमतसयनदरासन
    • योगमदरासन
    • गोरकषासन या भदरासन
    • मयरासन
    • वजरासन
    • सपतवजरासन
    • शवासन
    • पादपशचिमोततानासन
      • तरिबनध
        • मलबनध
        • उडडीयान बनध
        • जालनधरबनध
          • कवली कमभक
          • जलनति
          • गजकरणी
          • शरीर शोधन-कायाकलप
          • कलजग नही करजग ह यह
Page 18: अनुबम - || Home || HariOmGroup · िस होता है। िवशु नाड़ीतंऽ वालेयोगी के िवशु शरीर में

अवय रख बाय हाथ स दािहन पर का अगठा और दािहन हाथ स बाय पर का अगठा पकड़ दोनो कहिनया ज़मीन को लगाय रख कमभक की िःथित म रहकर ि को पीछ की ओर िसर क पास ल जान की कोिशश कर दात दब हए और मह बनद रख एक िमनट स ारमभ करक पाच िमनट तक अ यास बढ़ाय िफर हाथ खोलकर कमर भिम को लगाकर िसर ऊपर उठाकर बठ जाय परक करक रचक कर

पहल भिम पर लट कर िफर प ासन लगाकर भी मतःयासन हो सकता ह

लाभः मतःयासन स परा शरीर मजबत बनता ह गला छाती पट की तमाम बीमा रया दर होती ह आखो की रोशनी बढ़ती ह गला साफ रहता ह सनिबया ठीक स चलती ह कनधो की नस उलटी मड़ती ह इसस छाती व फफड़ो का िवकास होता ह पट साफ रहता ह आतो का मल दर होता ह र ािभसरण की गित बढ़ती ह फलतः चमड़ी क रोग नही होत दमा और खासी दर होती ह छाती चौड़ी बनती ह पट की चरबी कम होती ह इस आसन स अपानवाय की गित नीच की ओर होन स मलावरोध दर होता ह थोड़ा पानी पीकर यह आ सन करन स शौच-शि म सहायता िमलती ह

मतःयासन स ि यो क मािसकधमर समबनधी सब रोग दर होत ह मािसकॐाव िनयिमत बनता ह

भजगासन

इस आसन म शरीर की आकित फन उठाय हए भजग अथारत सपर जसी बनती ह इसिलए इसको भजगासना कहा जाता ह

धयान िवश ा या चब म ास ऊपर उठात व परक और नीच की ओर जात समय रचक

िविधः भिम पर िबछ हए कमबल पर पट क बल उलट होकर लट जाय दोनो पर और पज परःपर िमल हए रह परो क अगठो को पीछ की ओर खीच दोनो हाथ िसर क तरफ लमब कर द परो क अगठ नािभ छाती ललाट और हाथ की हथिलया भिम पर एक सीध म रख

अब दोनो हथिलयो को कमर क पास ल जाय िसर और कमर ऊपर उठाकर िजतना हो सक उतन पीछ की ओर मोड़ नािभ भिम स लगी रह पर शरीर का वजन हाथ क पज पर आएगा शरीर की िःथित कमान जसी बनगी म दणड क आिखरी भाग पर दबाव किनित होगा िच वि को कणठ म और ि को आकाश की तरफ िःथर कर

20 सकणड तक यह िःथित रख बाद म धीर-धीर िसर को नीच ल आय छाती भिम पर रख िफर िसर को भिम स लगन द आसन िस हो जान क बाद आसन करत समय ास भरक कमभक कर आसन छोड़त समय मल िःथित म आन क बाद ास को खब धीर-धीर छोड़ हर रोज एक साथ 8-10 बार यह आसन कर

लाभः घरड सिहता म इसका लाभ बतात हए कहा ह - भजगासन स जठराि न दी होती ह सवर रोगो का नाश होता ह और कणडिलनी जागत होती ह

म दणड क तमाम मनको को तथा गरदन क आसपास वाल ःनायओ को अिधक श र िमलता ह फलतः नाड़ी तऽ सचत बनता ह िचरजीवी शि मान एव स ढ़ बनता ह िवशषकर मिःतक स िनकलन वाल ानतत बलवान बनत ह पीठ की हिडडय़ो म रहन वाली तमाम खरािबया दर होती ह पट क ःनाय म िखचाव आन स वहा क अगो को शि िमलती ह उदरगहा म दबाव बढ़न स कबज दर होता ह छाती और पट का िवकास होता ह तथा उनक रोग िमट जात ह गभारशय एव बोनाशय अचछ बनत ह फलतः मािसकॐाव क रिहत होता ह मािसक धमर समबनधी समःत िशकायत दर होती ह अित ौम करन क कारण लगन वाली थकान दर होती ह भोजन क बाद होन वाल वाय का ददर न होता ह शरीर म ःफितर आती ह कफ-िपतवालो क िलए यह आसन लाभदायी ह भजगासन करन स दय मजबत बनता ह मधमह और उदर क

रोगो स मि िमलती ह दर अित मािसकॐाव तथा अलप मािसकॐाव जस रोग दर होत ह

इस आसन स म दणड लचीला बनता ह पीठ म िःथत इड़ा और िपगला नािड़यो पर अचछा भाव पड़ता ह कणडिलनी शि जागत करन क िलय यह आसन सहायक ह अमाशय की मासपिशयो का अचछा िवकास होता ह थकान क कारण पीठ म पीड़ा होती हो तो िसफर एक बार ही यह आसन करन स पीड़ा दर होती ह म दणड की कोई हडडी ःथान हो गई हो तो भजगासन करन स यथाःथान म वापस आ जाती ह

धनरासन

इस आसन म शरीर की आकित खीच हए धनष जसी बनती ह अतः इसको धनरासन कहा जाता ह

धयान मिणपर चब म ास नीच की िःथित म रचक और ऊपर की िःथित म परक

िविधः भिम पर िबछ हए कमबल पर पट क बल उलट होकर लट जाय दोनो पर परःपर िमल हए रह अब दोनो प रो को घटनो स मोड़ दोनो हाथो को पीछ ल जाकर दोनो परो को टखनो स पकड़ रचक करक हाथ स पकड़ हए परो को कसकर धीर -धीर खीच िजतना हो सक उतना िसर पीछ की ओर ल जान की कोिशश कर ि भी ऊपर एव पीछ की ओर रहनी चािहए समम शरीर का बोझ कवल नािभदश क ऊपर ही रहगा कमर स ऊपर का धड़ एव कमर स नीच पर पर ऊपर की ओर मड़ हए रहग

कमभक करक इस िःथित म िटक रह बाद म हाथ खोलकर पर तथा िसर को मल अवःथा म ल जाय और परक कर ारभ म पाच सकणड यह आसन कर धीर-धीर समय बढ़ाकर तीन िमनट या उसस भी अिधक समय इस आसन का अ यास कर तीन-चार बार यह आसन करना चािहए

लाभः धनरासन क अ यास स पट की चरबी कम होती ह गस दर होती ह पट को रोग न होत ह कबज म लाभ होता ह भख खलती ह छाती का ददर दर होता ह दय की धडकन मजबत बनती ह ास िक िबया यविःथत चलती ह मखाकित सदर बनती ह आखो की रोशनी बढ़ती ह और तमाम रोग दर होत ह हाथ -पर म होन वाला कपन कता ह शरीर का सौनदयर बढ़ता ह पट क ःनायओ म िखचाव आन स पट को अचछा लाभ होता ह आतो पर खब दबाव पड़न स पट क अगो पर भी दबाव पड़ता ह फलतः आतो म पाचकरस आन लगता ह इसस जठराि न तज होती ह पाचनशि बढ़ती ह वायरोग न होता ह पट क कषऽ म र का सचार अिधक होता ह धनरासन म भजगासन और शलभासन का समावश हो जान क कारण इन दोनो आसनो क लाभ िमलत ह ि यो क िलए यह आसन खब लाभकारक ह इसस मािसक धमर क िवकार गभारशय क तमाम रोग दर होत ह

चबासन

इस आसन म शरीर की आकित चब जसी बनती ह अतः चबासन कहा जाता ह

धयान मिणपर चब म ास दीघर ःवाभािवक

िविधः भिम पर िबछ हए आसन पर िच होकर लट जाय घटनो स पर मोड़ कर ऊपर उठाय पर क तलव ज़मीन स लग रह दो परो क बीच करीब डढ़ फीट का अनतर रख दोनो हाथ मःतक की तरफ उठाकर पीछ की ओर दोनो हथिलयो को ज़मीन पर जमाय दोनो हथिलयो क बीच भी करीब डढ़ फीट का अनतर रख अब हाथ और पर क बल स पर शरीर को कमर स मोड़कर ऊपर उठाय हाथ को धीर-धीर पर की ओर ल जाकर ःमपशर शरीर का आकार व या चब जसा बनाय आख बनद रख ास की गित ःवाभािवक चलन द िच वि मिणपर चब (नािभ कनि) म िःथर कर आख खली भी रख सकत ह एक िमनट स पाच िमनट तक अ यास बढ़ा सकत ह

लाभः म दणड तथा शरीर की समःत नािड़यो का शि करण होकर यौिगक चब जागत होत ह लकवा तथा शरीर की कमजो रया दर होती ह मःतक गदरन पीठ पट

कमर हाथ पर घटन आिद सब अग मजबत बनत ह सिनध ःथानो ददर नही होता पाचनशि बढ़ती ह पट की अनावयक चरबी दर होती ह शरीर तजःवी और फत ला बनता ह िवकारी िवचार न होत ह ःवपनदोष की बीमारी अलिवदा होती ह चबासन क िनयिमत अ यास स व ावःथा म कमर झकती नही शरीर सीधा तना हआ रहता ह

किटिपणडमदरनासन

इस आसन म किटदश (कमर क पास वाल भाग) म िःथत िपणड अथारत मऽिपणड का मदरन होता ह इसस यह आसन किटिपणडमदरनासन कहलाता ह

धयान ःवािध ान चब म ास परक और कमभक

िविधः िबछ हए कमबल पर पीठ क बल िच होकर लट जाय दोनो हाथो को आमन-सामन फला द मि ठया बनद रख दोनो परो को घटनो स मोड़कर खड़ कर द पर क तलव ज़मीन स लग रह दोनो परो क बीच इतना अनतर रख िक घटनो को ज़मीन पर झकान स एक पर का घटना दसर पर की एड़ी को लग िसर दायी ओर मड़ तो दोनो घटन दािहनी ओर ज़मीन को लग इस कार 15-20 बार िबया कर इस कार दोनो परो को एक साथ रखकर भी िबया कर

लाभः िजसको पथरी की तकलीफ हो उस आौम (सत ौी आसारामजी आौम साबरमित अमदावाद-5) स िबना मलय िमलती काली भःम करीब डढ़ माम भोजन स आधा घणटा पवर और भोजन क बाद एक िगलास पानी क साथ लना चािहए और यह आसन भख पट ठीक ढग स करना चािहए इसस पथरी क ददर म लाभ होता ह पथरी टकड़ -टकड़ होकर मऽ क ारा बाहर िनकलन लगती ह मऽिवकार दर होता ह कमर ददर साइिटका रीढ़ की हडडी की जकड़न उदासीनता िनराशा डायािबटीज नपसकता गस पर की गाठ इतयािद रोगो म शीय लाभ होता ह नािभ ःथान स चयत हो जाती हो तो पनः अपन ःथान म आ जाती ह

मािसक धमर क समय एव गभारवःथा म ि या यह आसन न कर कबज का रोगी सबह शौच जान स पहल उषःपान करक यह आसन कर तो चमतका रक लाभ होता ह ास को अनदर भर क पट को फलाकर यह आसन करन स कबज जलदी दर होता ह

अधरमतःयनिासन

कहा जाता ह िक मतःयनिासन की रचना गोरखनाथ क ग ःवामी मतःयनिनाथ न की थी व इस आसन म धयान िकया करत थ मतःयनिासन की आधी िबयाओ को लकर अधरमतःयनिासन चिलत हआ ह

धयान अनाहत चब म ास दीघर

िविधः दोनो परो को लमब करक आसन पर बठ जाओ बाय पर को घटन स मोड़कर एड़ी गदा ार क नीच जमाय पर क तलव को दािहनी जघा क साथ लगा द अब दािहन पर को घटन स मोड़कर खड़ा कर द और बाय पर की जघा स ऊपर ल जात हए जघा क पीछ ज़मीन क ऊपर ऱख द आसन क िलए यह पवरभिमका तयार हो गई

अब बाय हाथ को दािहन पर क घटन स पार करक अथारत घटन को बगल म दबात हए बाय हाथ स दािहन पर का अ गठा पकड़ धड़ को दािहनी ओर मोड़ िजसस दािहन पर क घटन क ऊपर बाय कनध का दबाव ठीक स पड़ अब दािहना हाथ पीठ क पीछ स घमाकर बाय पर की जाघ का िनमन भाग पकड़ िसर दािहनी ओर इतना घमाय िक ठोड़ी और बाया कनधा एक सीधी रखा म आ जाय छाती िबलकल तनी हई रख नीच की ओर झक नही िच वि नािभ क पीछ क भाग म िःथत मिणपर चब म िःथर कर

यह एक तरफ का आसन हआ इसी कार पहल दािहना पर मोड़कर एड़ी गदा ार क नीच दबाकर दसरी तरफ का आसन भी कर ारमभ म पाच सकणड य ह आसन करना पयार ह िफर अ यास बढ़ाकर एक एक तरफ एक एक िमनट तक आसन कर सकत ह

लाभः अधरमतःयनिासन स म दणड ःवःथ रहन स यौवन की ःफितर बनी रहती ह रीढ़ की हिडडयो क साथ उनम स िनकलन वाली नािडयो को भी अचछी कसरत िमल जाती ह पट क िविभनन अगो को भी अचछा लाभ होता ह पीठ पट क नल पर गदरन

हाथ कमर नािभ स नीच क भाग एव छाती की नािड़यो को अचछा िखचाव िमलन स उन पर अचछा भाव पड़ता ह फलतः बनधकोष दर होता ह जठराि न तीो होती ह िवकत यकत पलीहा तथा िनिबय व क क िलए यह आसन लाभदायी ह कमर पीठ और सिनधःथानो क ददर जलदी दर हो जात ह

योगमिासन

योगा यास म यह मिा अित मह वपणर ह इसस इसका नाम योगमिासन रखा गया ह

धयान मिणपर चब म ास रचक कमभक और परक

िविधः प ासन लगाकर दोनो हाथो को पीठ क पीछ ल जाय बाय हाथ स दािहन हाथ की कलाई पकड़ दोनो हाथो को खीचकर कमर तथा रीढ़ क िमलन ःथान पर ल जाय अब रचक करक कमभक कर ास को रोककर शरीर को आग झकाकर भिम पर टक द िफर धीर-धीर िसर को उठाकर शरीर को पनः सीधा कर द और परक कर ारभ म यह आसन किठन लग तो सखासन या िस ासन म बठकर कर पणर लाभ तो प ासन म बठकर करन स ही होता ह पाचनतनऽ क अगो की ःथान ता ठीक करन क िलए यिद यह आसन करत हो तो कवल पाच-दस सकणड तक ही कर एक बठक म तीन स पाच बार सामानयतः यह आसन तीन िमनट तक करना चािहए आधयाितमक उ य स योगमिासन करत हो तो समय की अविध िच और शि क अनसार बढ़ाय

लाभः योगमिासन भली कार िस होता ह तब कणडिलिन शि जागत होती ह पट की गस की बीमारी दर होती ह पट एव आतो की सब िशकायत दर होती ह कलजा फफड़ आिद यथा ःथान रहत ह दय मजबत बनता ह र क िवकार दर होत

ह क और यौनिवकार न होत ह पट बड़ा हो तो अनदर दब जाता ह शरीर मजबत बनता ह मानिसक शि बढ़ती ह

योगमिासन स उदरपटल सश बनता ह पट क अगो को अपन ःथान िटक रहन म सहायता िमलती ह नाड़ीतऽ और खास करक कमर क नाड़ी मणडल को बल िमलता ह

इस आसन म सामनयतः जहा एिड़या लगती ह वहा कबज क अग होत ह उन पर दबाव पड़न स आतो म उ जना आती ह पराना कबज दर होता ह अगो की ःथान ता क कारण होन वाला कबज भी अग अपन ःथान म पनः यथावत िःथत हो जान स न हो जाता ह धात की दबरलता म योगमिासन खब लाभदायक ह

गोरकषासन या भिासन

धयान मलाधार चब म ास थम िःथित म परक और दसरी िःथित म कमभक

िविधः िबछ हए आसन पर बठ जाय दािहना पर घटन स मोड़कर एड़ी सीवन (उपःथ और गदा क मधय) क दािहन भाग म और बाया पर मोड़कर एड़ी सीवन क बाय भाग म इस कार रख िक दोनो पर क तलव एक दसर को लगकर रह

रचक करक दोनो हाथ सामन ज़मीन पर टककर शरीर को ऊपर उठाय और दोनो पर क पजो पर इस कार बठ िक शरीर का वजन एड़ी क मधय भाग म आय अगिलयो वाला भाग छटा रह अब परक करत -करत दोनो हाथो की हथिलयो को घटनो पर रख

अनत म कमभक करक ठोड़ी छाती पर दबाय िच वि मलाधार चब म और ि भी उसी िदशा म लगाय बमशः अ यास बढ़ाकर दसक िमनट तक यह आसन कर

लाभः इस आसन क अ यास स पर क सब सिनध ःथान तथा ःनाय सश बनत ह वाय ऊधवरगामी होकर जठराि न दी करता ह िदनो िदन जड़ता न होन लगती ह शरीर पतला होता ह सकलपबल बढ़ता ह बि तीकषण होती ह कलपनाशि का िवकास होता ह ाणापान की एकता होती ह नादोतपि होन लगती ह िबनद िःथर होकर िच की चचलता कम होती ह आहार का सपणरतया पाचन हो जान क कारण मलमऽ अलप होन लगत ह शरीर शि होन लगती ह तन म ःफितर एव मन म सननता अपन आप कट होती ह ःनाय स ढ़ बनत ह धातकषय गस मधमह ःवपनदोष अजीणर कमर का ददर गदरन की दबरलता बनधकोष मनदाि न िसरददर कषय

दयरोग अिनिा दमा मछाररोग बवासीर आऽपचछ पाणडरोग जलोदर भगनदर कोढ़ उलटी िहचकी अितसार आव उदररोग नऽिवकार आिद अस य रोगो म इस आसन स लाभ होत ह

मयरासन

इस आसन म मयर अथारत मोर की आकित बनती ह इसस इस मयरासन कहा जाता ह

धयान मिणपर चब म ास बा कमभक

िविधः जमीन पर घटन िटकाकर बठ जाय दोनो हाथ की हथिलयो को जमीन पर इस कार रख िक सब अगिलया पर की िदशा म हो और परःपर लगी रह दोनो कहिनयो को मोड़कर पट क कोमल भाग पर नािभ क इदरिगदर रख अब आग झककर दोनो पर को पीछ की लमब कर ास बाहर िनकाल कर दोनो पर को जमीन स ऊपर उठाय और िसर का भाग नीच झकाय इस कार परा शरीर ज़मीन क बराबर समानानतर रह ऐसी िःथित बनाय सपणर शरीर का वजन कवल दो हथिलयो पर ही

रहगा िजतना समय रह सक उतना समय इस िःथित म रहकर िफर मल िःथित म आ जाय इस कार दो-तीन बार कर

लाभः मयरासन करन स चयर-पालन म सहायता िमलती ह पाचन तऽ क अगो की र का वाह अिधक बढ़न स व अग बलवान और कायरशील बनत ह पट क भीतर क भागो म दबाव पड़न स उनकी शि बढ़ती ह उदर क अगो की िशिथलता और मनदाि न दर करन म मयरासन बहत उपयोगी ह

वळासन

वळासन का अथर ह बलवान िःथित पाचनशि वीयरशि तथा ःनायशि दन वाला होन स यह आसन वळासन कहलाता ह

धयान मलाधार चब म और ास दीघर

िविधः िबछ हए आसन पर दोनो परो को घटनो स मोड़कर एिड़यो पर बठ जाय पर क दोनो अगठ परःपर लग रह पर क तलवो क ऊपर िनतमब रह कमर और पीठ िबलकल सीधी रह दोनो हाथ को कहिनयो स मोड़ िबना घटनो पर रख द हथिलया नीच की ओर रह ि सामन िःथर कर द

पाच िमनट स लकर आध घणट तक वळासन का अ यास कर सकत ह वळासन लगाकर भिम पर लट जान स स वळासन होता ह

लाभः वळासन क अ यास स शरीर का मधयभाग सीधा रहता ह ास की गित मनद पड़न स वाय बढ़ती ह आखो की योित तज होती ह वळनाड़ी अथारत वीयरधारा नाड़ी मजबत बनती ह वीयर की ऊधवरगित होन स शरीर वळ जसा बनता ह लमब समय तक सरलता स यह आसन कर सकत ह इसस मन की चचलता दर होकर यि िःथर बि वाला बनता ह शरीर म र ािभसरण ठीक स होकर शरीर िनरोगी एव सनदर बनता ह

भोजन क बाद इस आसन स बठन स पाचन शि तज होती ह कबज दर होती ह भोजन जलदी ह म होता ह पट की वाय का नाश होता ह कबज दर होकर पट क तमाम रोग न होत ह पाणडरोग स मि िमलती ह रीढ़ कमर जाघ घटन और परो म शि बढ़ती ह कमर और पर का वाय रोग दर होता ह ःमरणशि म वि होती ह ि यो क मािसक धमर की अिनयिमतता जस रोग दर होत ह शबदोष वीयरदोष घटनो का ददर आिद का नाश होता ह ःनाय प होत ह ःफितर बढ़ान क िलए एव मानिसक िनराशा दर कर न क िलए यह आसन उपयोगी ह धयान क िलय भी यह आसन उ म ह इसक अ यास स शारी रक ःफितर एव मानिसक सननता कट होती ह िदन-ितिदन शि का सचय होता ह इसिलए शारी रक बल म खब वि होती ह काग का िगरना अथारत गल क टािनसलस हिडडयो क पोल आिद ःथानो म उतपनन होन वाल तकण की स या म वि होन स आरो य का साा य ःथािपत होता ह िफर यि

बखार स िसरददर स कबज स मदाि न स या अजीणर जस छोट-मोट िकसी भी रोग स पीिड़त नही रहता योिक रोग आरो य क साा य म िव होन का साहस ही नही कर पात

स वळासन

धयान िवश ा याचब म ास दीघर सामानय

िविधः वळासन म बठन क बाद िच होकर पीछ की ओर भिम पर लट जाय दोनो जघाए परःपर िमली रह अब रचक करत बाय हाथ का खला पजा दािहन कनध क नीच इस कार रख िक मःतक दोनो हाथ क बास क ऊपर आय रचक परा होन पर िऽबनध कर ि मलाधार चब की िदशा म और िच वि मलाधार चब म ःथािपत कर

लाभः यह आसन करन म ौम बहत कम ह और लाभ अिधक होता ह इसक अ यास स सषमना का मागर अतयनत सरल होता ह कणडिलनी शि सरलता स ऊधवरगमन कर सकती ह

इस आसन म धयान करन स म दणड को सीधा करन का ौम नही करना पड़ता और म दणड को आराम िमलता ह उसकी काय़रशि बल बनती ह इस आसन का अ यास करन स ायः तमाम अतःॐावी मिनथयो को जस शीषरःथ मिनथ कणठःथ मिनथ मऽिपणड की मनथी ऊधवरिपणड तथा प षाथर मिनथ आिद को पि िमलती ह फलतः यि का भौितक एव आधयाितमक िवकास सरल हो जाता ह तन-मन का ःवाःथय भावशाली बनता ह जठराि न दी होती ह मलावरोध की पीडा दर होती ह धातकषय ःवपनदोष पकषाघात पथरी बहरा होना तोतला होना आखो की दबरलता गल क टािनसल ासनिलका का सजन कषय दमा ःमरणशि की दबरलता आिद रोग दर होत ह

शवासन

शवासन की पणारवःथा म शरीर क तमाम अग एव मिःतक पणरतया च ा रिहत िकय जात ह यह अवःथा शव (मद) जसी होन स इस आसन को शवासन कहा जाता ह

िविधः िबछ हए आसन पर िच होकर लट जाय दोनो परो को परःपर स थोड़ अलग कर द दोनो हाथ भी शरीर स थोड़ अलग रह इस कार परो की ओर फला द हाथ की हथिलया आकाश की तरफ खली रख िसर सीधा रह आख बनद

मानिसक ि स शरीर को पर स िसर तक दखत जाय पर शरीर को मद की तरह ढीला छोड़ द हर एक अग को िशिथल करत जाय

शरीर म समपणर िवौाम का अनभव कर मन को भी बा ा िवषयो स हटाकर एकाम कर बारी-बारी स हर एक अग पर मानिसक ि एकाम करत हए भावना कर िक वह अग अब आराम पा रहा ह मरी सब थकान उतर रही ह इस कार भावना करत-करत सब ःनायओ को िशिथल होन द शरीर क एक भी अग म कही भी तनाव (टनशन) न रह िशिथलीकरण की िबया म पर स ारमभ करक िसर तक जाय अथवा िसर स ारमभ करक पर तक भी जा सकत ह अनत म जहा स ारमभ िकया हो वही पनः पहचना चािहय िशिथलीकरण की िबया स शरीर क तमाम अगो का एव ानततओ को िवौाम की अवःथा म ला दना ह

शवासन की दसरी अवःथा म ासोचछोवास पर धयान दना ह शवासन की यही म य िबया ह िवशषकर योग साधको क िलए वह अतयनत उपयोगी ह कवल शारी रक ःवाःथय क िलय थम भिमका पयार ह

इसम ास और उचछवास की िनयिमतता दीघरता और समानता ःथािपत करन का लकषय ह ास िनयिमत चल लमबा और गहरा चल ास और उचछवास एक समान रह तो मन को एकाम करन की शि ा होती ह

शवासन यिद ठीक ढग स िकया जाए तो नाड़ीतऽ इतना शात हो जाता ह िक अ यासी को नीद आन लगती ह लिकन धयान रह िनिनित न होकर जामत रहना आवयक ह

अनय आसन करन क बाद अगो म जो तनाव (टनशन) पदा होता ह उसको िशिथल करन क िलय अत म 3 स 5 िमनट तक शवासन करना चािहए िदनभर म अनकलता क अनसार दो-तीन बार शवासन कर सकत ह

लाभः शवासन क ारा ःनाय एव मासपिशयो म िशिथलीकरण स शि बढ़ती ह अिधक कायर करन की यो यता उसम आती ह र वाहिनयो म िशराओ म र वाह तीो

होन स सारी थकान उतर जाती ह नाड़ीतऽ को बल िमलता ह मानिसक शि म वि होती ह

र का दबाव कम करन क िलए नाड़ीतऽ की दबरलता एव उसक कारण होन वाल रोगो को दर करन क िलय शवासन खब उपयोगी ह

पादपि मो ानासन

यह आसन करना किठन ह इसस उमासन कहा जाता ह उम का अथर ह िशव भगवान िशव सहारक ार ह अतः उम या भयकर ह िशवसिहता म भगवान िशव न म कणठ स शसा करत हए कहा हः यह आसन सवरौ आसन ह इसको य पवरक ग रख िसफर अिधका रयो को ही इसका रहःय बताय

धयान मिणपर चब म ास थम िःथित म परक और दसरी िःथित म रचक और िफर बिहकर मभक

िविधः िबछ हए आसन पर बठ जाय दोनो परो को लमब फला द दोनो परो की जघा घटन पज परःपर िमल रह और जमीन क साथ लग रह परो की अगलया घटनो की तरफ झकी हई रह अब दोनो हाथ लमब कर दािहन हाथ की तजरनी और अगठ स दािहन पर का अगठा और बाय हाथ की तजरनी और अगठ स बाय पर का अगठा पकड़ अब रचक करत-करत नीच झक और िसर को दोनो घटनो क मधय म रख ललाट घटन को ःपशर कर और घटन ज़मीन स लग रह रचक परा होन पर कमभक कर ि एव िच वि को मिणपर चब म ःथािपत कर ारमभ म आधा िमनट करक बमशः 15 िमनट तक यह आसन करन का अ यास बढ़ाना चािहय थम दो-चार िदन किठन लगगा लिकन अ यास हो जान पर यह आसन सरल हो जाएगा

लाभः पादपि मो नासन म समयक अ यास स सषमना का मख खल जाता ह और ाण म दणड क मागर म गमन करता ह फलतः िबनद को जीत सकत ह िबनद को जीत िबना न समािध िस होती ह न वाय िःथर होता ह न िच शात होता ह

जो ी-प ष काम िवकार स अतयत पीिड़त हो उनह इस आसन का अ यास करना चािहए इसस शारी रक िवकार दब जात ह उदर छाती और म दणड को उ म कसरत िमलती ह अतः व अिधक कायरकषम बनत ह हाथ पर तथा अनय अगो क सिनध ःथान मजबत बनत ह शरीर क सब तऽ बराबर कायरशील होत ह रोग माऽ का नाश होकर ःवाःथय़ का साा य ःथािपत होता ह

इस आसन क अ यास स मनदाि न मलावरोध अजीणर उदररोग किमिवकार सद वातिवकार कमर का ददर िहचकी कोढ़ मऽरोग मधमह पर क रोग ःवपनदोष वीयरिवकार र िवकार एपनडीसाइिटस अणडवि पाणडरोग अिनिा दमा ख टी डकार आना ानतनत की दबरलता बवासीर नल की सजन गभारशय क रोग अिनयिमत तथा क दायक मािसक बनधयतव दर नपसकता र िप िसरोवदना बौनापन आिद अनक रोग दर होत ह पट पत ला बनता ह जठराि न दी होती ह कफ और चरबी न होत ह

िशवसिहता म कहा ह िक इस आसन स वाय ीपन होता ह और वह मतय का नाश करता ह इस आसन स शरीर का कद बढ़ता ह शरीर म अिधक ःथलता हो तो कम होती ह दबरलता हो तो वह दर होकर शरीर सामानय तनद ःत अवःथा म आ जाता ह नाडी सःथान म िःथरता आती ह मानिसक शाित ा होती ह िचनता एव उ जना शात करन क िलए यह आसन उ म ह पीठ और म दणड पर िखचाव आन स दोनो िवकिसत होत ह फलतः शरीर क तमाम अवयवो पर अिधकार ःथािपत होता ह सब आसनो म यह आसन सवर धान ह इसक अ यास स कायाकलप (प रवतरन) हो जाता ह

यह आसन भगवान िशव को बहत पयारा ह उनकी आ ा स योगी गोरखनाथ न लोककलयाण हत इसका चार िकया ह आप इस आसन क अदभत लाभो स लाभािनवत हो और दसरो को भी िसखाय

पादपि मो ानासन प यपाद आसारामजी बाप को भी बहत पयारा ह उसस प यौी को बहत लाभ हए ह अभी भी यह आसन उनक आरो यिनिध का रकषक बना हआ ह

पाठक भाइयो आप अवय इस आसन का लाभ लना ारमभ क चार-पाच िदन जरा किठन लगगा बाद म तो यह आसन आपका िशवजी क वरदान प आरो य कवच िस हए िबना नही रहगा

िऽबनध

मलबनध

शौच ःनानािद स िनव होकर आसन पर बठ जाय बायी एड़ी क ारा सीवन या योिन को दबाय दािहनी एड़ी सीवन पर रख गदा ार को िसकोड़कर भीतर की ओर ऊपर खीच यह मलबनध कहा जाता ह

लाभः मलबनध क अ यास स मतय को जीत सकत ह शरीर म नयी ताजगी आती ह िबगड़त हए ःवाःथय की रकषा होती ह चयर का पालन करन म मलबनध सहायक िस होता ह वीयर को प करता ह कबज को न करता ह जठराि न तज होती ह मलबनध स िचरयौवन ा होता ह बाल सफद होन स कत ह

अपानवाय ऊधवरगित पाकर ाणवाय क सषमना म िव होता ह सहॐारचब म िच वि िःथर बनती ह इसस िशवपद का आननद िमलता ह सवर कार की िद य िवभितया और ऐ यर ा होत ह अनाहत नाद सनन को िमलता ह ाण अपान नाद और िबनद एकिऽत होन स योग म पणरता ा होती ह

उडडीयान बनध

आसन पर बठकर परा ास बाहर िनकाल द समपणरतया रचक कर पट को भीतर िसकोड़कर ऊपर की ओर खीच नािभ तथा आत पीठ की तरफ दबाय शरीर को थोड़ा सा आग की तरफ झकाय यह ह उडडीयानबनध

लाभः इसक अ यास स िचरयौवन ा होता ह मतय पर जय ा होती ह चयर क पालन म खब सहायता िमलती ह ःवाःथय सनदर बनता ह कायरशि म वि होती ह नयोिल और उडडीयानबनध जब एक साथ िकय जात ह तब कबज दम दबाकर भाग खड़ा होता ह पट क तमाम अवयवो की मािलश हो जाती ह पट की अनावयक चरबी उतर जाती ह

जालनधरबनध

आसन पर बठकर परक करक कमभक कर और ठोड़ी को छाती क साथ दबाय इसको जालनधरबनध कहत ह

लाभः जालनधरबनध क अ यास स ाण का सचरण ठीक स होता ह इड़ा और िपगला नाड़ी बनद होकर ाण-अपान सषमना म िव होत ह नािभ स अमत कट होता ह िजसका पान जठराि न करता ह योगी इसक ारा अमरता ा करता ह

प ासन पर बठ जाय परा ास बाहर िनकाल कर मलबनध उडडीयानबनध कर िफर खब परक करक मलबनध उडडीयानबनध और जालनधरबनध य तीनो बनध एक साथ कर आख बनद रख मन म णव (ॐ) का अथर क साथ जप कर

इस कार ाणायाम सिहत तीनो बनध का एक साथ अ यास करन स बहत लाभ होता ह और ायः चमतका रक प रणाम आता ह कवल तीन ही िदन क समयक अ यास स जीवन म बािनत का अनभव होन लगता ह कछ समय क अ यास स कवल या कवली कमभक ःवय कट होता ह

कवली कमभक

कवल या कवली कमभक का अथर ह रचक-परक िबना ही ाण का िःथर हो जाना िजसको कवली कमभक िस होता ह उस योगी क िलए तीनो लोक म कछ भी दलरभ नही रहता कणडिलनी जागत होती ह शरीर पतला हो जाता ह मख सनन रहता ह नऽ मलरिहत होत ह सवर रोग दर हो जात ह िबनद पर िवजय होती ह जठराि न विलत होती ह

कवली कमभक िस िकय हए योगी की अपनी सवर मनोकामनाय पणर होती ह इतना ही नही उसका पजन करक ौ ावान लोग भी अपनी मनोकामनाय पणर करन लगत ह

जो साधक पणर एकामता स िऽबनध सिहत ाणायाम क अ यास ारा कवली कमभक का प षाथर िस करता ह उसक भा य का तो पछना ही या उसकी यापकता

बढ़ जाती ह अनतर म महानता का अनभव होता ह काम बोध लोभ मोह मद और मतसर इन छः शऽओ पर िवजय ा होती ह कवली कमभक की मिहमा अपार ह

जलनित

िविधः एक िलटर पानी को गनगना सा गरम कर उसम करीब दस माम श नमक डालकर घोल द सनधव िमल जाय तो अचछा सबह म ःनान क बाद यह पानी चौड़ महवाल पाऽ म कटोर म लकर परो पर बठ जाय पाऽ को दोनो हाथो स पकड़ कर नाक क नथन पानी म डबो द अब धीर-धीर नाक क ारा ास क साथ पानी को भीतर खीच और नाक स भीतर आत हए पानी को मह स बाहर िनकालत जाय नाक को पानी म इस कार बराबर डबोय रख िजसस नाक ारा भीतर जानवाल पानी क साथ हवा न वश कर अनयथा आतरस-खासी आयगी

इस कार पाऽ का सब पानी नाक ारा लकर मख ारा बाहर िनकाल द अब पाऽ को रख कर खड़ हो जाय दोनो पर थोड़ खल रह दोनो हाथ कमर पर रखकर ास को जोर स बाहर िनकालत हए आग की ओर िजतना हो सक झक भिॐका क साथ यह िबया बार-बार कर इसस नाक क भीतर का सब पानी बाहर िनकल जायगा थोड़ा बहत रह भी जाय और िदन म कभी भी नाक स बाहर िनकल जाय तो कछ िचनताजनक नही ह

नाक स पानी भीतर खीचन की यह िबया ारमभ म उलझन जसी लगगी लिकन अ यास हो जान पर िबलकल सरल बन जायगा

लाभः मिःतक की ओर स एक कार का िवषला रस नीच की ओर बहता ह यह रस कान म आय तो कान क रोग होत ह आदमी बहरा हो जाता ह यह रस आखो की तरफ जाय तो आखो का तज कम हो जाता ह चम की ज रत पड़ती ह तथा अनय रोग होत ह यह रस गल की ओर जाय तो गल क रोग होत ह

िनयमपवरक जलनित करन स यह िवषला पदाथर बाहर िनकल जाता ह आखो की रोशनी बढ़ती ह चम की ज रत नही पड़ती चमा हो भी तो धीर-धीर नमबर कम होत-होत छट जाता भी जाता ह ासोचछोवास का मागर साफ हो जाता ह मिःतक म ताजगी रहती ह जकाम-सद होन क अवसर कम हो जात ह जलनित की िबया करन

स दमा टीबी खासी नकसीर बहरापन आिद छोटी-मोटी 1500 बीमी रया दर होती ह जलनित करन वाल को बहत लाभ होत ह िच म सननता बनी रहती ह

गजकरणी िविधः करीब दो िलटर पानी गनगना सा गरम कर उसम करीब 20 माम श

नमक घोल द सनधव िमल जाय तो अचछा ह अब पजो क बल बठकर वह पानी िगलास भर-भर क पीत जाय खब िपय अिधकाअिधक िपय पट जब िबलकल भर जाय गल तक आ जाय पानी बाहर िनकालन की कोिशश कर तब दािहन हाथ की दो बड़ी अगिलया मह म डाल कर उलटी कर िपया हआ सब पानी बाहर िनकाल द पट िबलकल हलका हो जाय तब पाच िमनट तक आराम कर

गजकरणी करन क एकाध घणट क बाद कवल पतली िखचड़ी ही भोजन म ल भोजन क बाद तीन घणट तक पानी न िपय सोय नही ठणड पानी स ःनान कर तीन घणट क बाद ारमभ म थोड़ा गरम पानी िपय

लाभः गजकरणी स एिसडीटी क रोगी को अदभत लाभ होता ह ऐस रोगी को चार-पाच िदन म एक बार गजकरणी चािहए ततप ात महीन म एक बार दो महीन म एक बार छः महीन म एक बार भी गजकरणी कर सकत ह

ातःकाल खाली पट तलसी क पाच-सात प चबाकर ऊपर स थोड़ा जल िपय एसीडीटी क रोगी को इसस बहत लाभ होगा

वष परान कबज क रोिगयो को स ाह म एक बार गजकरणी की िबया अवय करनी चािहए उनका आमाशय मिनथसःथान कमजोर हो जान स भोजन हजम होन म गड़बड़ रहती ह गजकरणी करन स इसम लाभ होता ह फोड़ फनसी िसर म गम सद बखार खासी दमा टीबी वात-िप -कफ क दोष िज ा क रोग गल क रोग छाती क रोग छाती का ददर एव मदाि न म गजकरणी िबया लाभकारक ह

शरीर शोधन-कायाकलप

यह चालीस िदन का कलप ह प यपाद आसारामजी बाप न यह योग िकया हआ ह इसस शरीर सडौल ःवःथ और फत ला बनता ह र म नय-नय कण बनत ह शरीर क कोषो की शि बढ़ती ह मन-बि म चमतका रक लाभ होत ह

िविधः अगल िदन पपीता सव आिद फल उिचत माऽा म ल अथवा मन का 50 माम दस घणट पहल िभगो द उनको उबालकर बीज िनकाल द मन का खा ल और पानी पी ल

ातःकाल उठकर सकलप कर िक इस कलप क दौरान िनि त िकय हए कायरबम क अनसार ही रहगा

शौच-ःनानािद िनतयकमर स िनव होकर सबह 8 बज 200 या 250 माम गाय का उबला हआ गनगना दध िपय पौन घणटा पणर आराम कर बाद म िफर स दध िपय शारी रक ौम कम स कम कर ॐ सोsह हसः इस मऽ का मानिसक जप कर कभी ास को िनहार बस साकषीभाव

मनोरा य चलता हो तो ॐ जोर-जोर स जप कर

इस कार शाम तक िजतना दध हजम कर सक उतना दध दो स तीन िलटर िपय 40 िदन तक कवल द धाहार क बाद 41व िदन मग का उबला हआ पानी मोसममी का रस आिद ल रािऽ को अिधक मगवाली हलकी िखचड़ी खाय इस कार शरीर-शोधन-कायाकलप की पणारहित कर

यिद बि तीकषण बनानी हो ःमरणशि बढ़ानी हो तो कलप क दौरान ॐ ऐ नमः इस मऽ का जप कर सयर को अ यर द

इस कलप म दध क िसवाय अनय कोई खराक लना मना ह चाय तमबाक आिद यसन िनिष ह ि यो क सग स दर रहना तथा चयर का पालन अतयनत आवयक ह

कलजग नही करजग ह यह

कलजग नही करजग ह यह यहा िदन को द अ रात ल

या खब सौदा नकद ह इस हाथ द उस हाथ ल टक

दिनया अजब बाज़ार ह कछ िजनस1 या िक साथ ल

नकी का बदला नक ह बद स बदी की बात ल

मवा िखला मवा िमल फल फल द फल पात ल

आराम द आराम ल दःख ददर द आफत2 ल 1

काटा िकसी को मत लगा गो िमःल-गल3 फला ह त

वह तर हक4 म तीर ह िकस बात पर झला ह त

मत आग म डाल और को या घास का पला ह त

सन ऱख यह नकता5 बखबर िकस बात पर भला ह त

कलजग नही 2

शोखी शरारत मकरो-फन6 सबका बसखा7 ह यहा

जो जो िदखाया और को वह खद भी दखा ह यहा

खोटी खरी जो कछ कही ितसका परखा8 ह यहा

जो जो पड़ा तलता ह मोल ितल ितल का लखा ह यहा

कलजग नही 3

जो और की बःती9 रख उसका भी बसता ह परा

जो और क मार छरी उसको भी लगता ह छरा

जो और की तोड़ घड़ी उसका भी टट ह घड़ा

जो और की चत10 बदी उसका भी होता ह बरा

कलजग नही 4

जो और को फल दवगा वह भी सदा फल पावगा

गह स गह जौ स जौ चावल स चावल पावगा

जो आज दवगा यहा वसा ही वह कल पावगा

कल दवगा कल पावगा िफर दवगा िफर पावगा

कलजग नही 5

जो चाह ल चल इस घड़ी सब िजनस यहा तयार ह

आराम म आराम ह आजार म आजार11 ह

दिनया न जान इसको िमया दरया की यह मझधार ह

औरो का बड़ा पार कर तरा भी बड़ा पार ह

कलजग नही 6

त और की तारीफ कर तझको सना वानी12 िमल

कर मिकल आसा औरो की तझको भी आसानी िमल

त और को महमान कर तझको भी महमानी िमल

रोटी िखला रोटी िमल पानी िपला पानी िमल

कलजग नही 7

जो गल13 िखलाव और का उसका ही गल िखलता भी ह

जो और का कील14 ह मह उसका ही मह िकलता भी ह

जो और का छील िजगर उसका िजगर िछलता भी ह

जो और को दव कपट उसको कपट िमलता भी ह

कलजग नही 8

कर जो कछ करना ह अब यह दम तो कोई आन15 ह

नकसान म नकसान ह एहसान म एहसान ह

तोहमत म यहा तोहमत िमल तफान म तफान ह

रहमान16 को रहमान17 ह शतान को शतान ह

कलजग नही 9

यहा जहर द तो जहर ल श कर म श कर दख ल

नको का नकी का मजा मजी18 को ट कर दख ल

मोती िदय मोती िमल पतथर म पतथर दख ल

गर तझको यह बावर19 नही तो त भी करक दख ल

कलजग नही 10

अपन नफ क वाःत मत और का नकसान कर

तरा भी नकसा होवगा इस बात पर त धयान कर

खाना जो खा सो दखकर पानी िपय तो छानकर

या पावो को रख फककर और खोफ स गजरान कर

कलजग नही 11

गफलत की यह जगह नही त सािहब-इदराक20 रह

िदलशाद21 ऱख िदल शाह रह गमनाक रख गमनाक रह

हर हाल म भी त नजीर22 अब हर कदम की रह

यह वह मका ह ओ िमया या पाक23 रह बबाक24 रह

कलजग नही 12

1 वःत 2 मसीबत 3 पप की तरह 4 तर िलय 5 रहःय 6 दगा-धोखा 7 घर 8 परखना 9 नगरी 10 िवचार कर 11 दःख 12 तारीफ-ःतित 13 फल 14 िकसी को बोलन न दना 15 घड़ी पल 16 दयावान 17 दयाल भगवान 18 सतान वाला 19 िव ास 20 तीो ा तज समझन वाला प ष 21 सननिच 22 किव का नाम ह 23 श पिवऽ 24 िनडर

  • आधयातमिक विदया क उदगाता
  • सवासथय क लिए मतर
  • परासताविक
  • बरहमचरय-रकषा का मनतर
  • आसनो की परकिया म आन वाल कछ शबदो की समझ
  • आवशयक निरदश
  • योगासन
    • पदमासन या कमलासन
    • सिदधासन
    • सरवागासन
    • हलासन
    • पवनमकतासन
    • मतसयासन
    • भजगासन
    • धनरासन
    • चकरासन
    • कटिपिणडमरदनासन
    • अरधमतसयनदरासन
    • योगमदरासन
    • गोरकषासन या भदरासन
    • मयरासन
    • वजरासन
    • सपतवजरासन
    • शवासन
    • पादपशचिमोततानासन
      • तरिबनध
        • मलबनध
        • उडडीयान बनध
        • जालनधरबनध
          • कवली कमभक
          • जलनति
          • गजकरणी
          • शरीर शोधन-कायाकलप
          • कलजग नही करजग ह यह
Page 19: अनुबम - || Home || HariOmGroup · िस होता है। िवशु नाड़ीतंऽ वालेयोगी के िवशु शरीर में

धयान िवश ा या चब म ास ऊपर उठात व परक और नीच की ओर जात समय रचक

िविधः भिम पर िबछ हए कमबल पर पट क बल उलट होकर लट जाय दोनो पर और पज परःपर िमल हए रह परो क अगठो को पीछ की ओर खीच दोनो हाथ िसर क तरफ लमब कर द परो क अगठ नािभ छाती ललाट और हाथ की हथिलया भिम पर एक सीध म रख

अब दोनो हथिलयो को कमर क पास ल जाय िसर और कमर ऊपर उठाकर िजतना हो सक उतन पीछ की ओर मोड़ नािभ भिम स लगी रह पर शरीर का वजन हाथ क पज पर आएगा शरीर की िःथित कमान जसी बनगी म दणड क आिखरी भाग पर दबाव किनित होगा िच वि को कणठ म और ि को आकाश की तरफ िःथर कर

20 सकणड तक यह िःथित रख बाद म धीर-धीर िसर को नीच ल आय छाती भिम पर रख िफर िसर को भिम स लगन द आसन िस हो जान क बाद आसन करत समय ास भरक कमभक कर आसन छोड़त समय मल िःथित म आन क बाद ास को खब धीर-धीर छोड़ हर रोज एक साथ 8-10 बार यह आसन कर

लाभः घरड सिहता म इसका लाभ बतात हए कहा ह - भजगासन स जठराि न दी होती ह सवर रोगो का नाश होता ह और कणडिलनी जागत होती ह

म दणड क तमाम मनको को तथा गरदन क आसपास वाल ःनायओ को अिधक श र िमलता ह फलतः नाड़ी तऽ सचत बनता ह िचरजीवी शि मान एव स ढ़ बनता ह िवशषकर मिःतक स िनकलन वाल ानतत बलवान बनत ह पीठ की हिडडय़ो म रहन वाली तमाम खरािबया दर होती ह पट क ःनाय म िखचाव आन स वहा क अगो को शि िमलती ह उदरगहा म दबाव बढ़न स कबज दर होता ह छाती और पट का िवकास होता ह तथा उनक रोग िमट जात ह गभारशय एव बोनाशय अचछ बनत ह फलतः मािसकॐाव क रिहत होता ह मािसक धमर समबनधी समःत िशकायत दर होती ह अित ौम करन क कारण लगन वाली थकान दर होती ह भोजन क बाद होन वाल वाय का ददर न होता ह शरीर म ःफितर आती ह कफ-िपतवालो क िलए यह आसन लाभदायी ह भजगासन करन स दय मजबत बनता ह मधमह और उदर क

रोगो स मि िमलती ह दर अित मािसकॐाव तथा अलप मािसकॐाव जस रोग दर होत ह

इस आसन स म दणड लचीला बनता ह पीठ म िःथत इड़ा और िपगला नािड़यो पर अचछा भाव पड़ता ह कणडिलनी शि जागत करन क िलय यह आसन सहायक ह अमाशय की मासपिशयो का अचछा िवकास होता ह थकान क कारण पीठ म पीड़ा होती हो तो िसफर एक बार ही यह आसन करन स पीड़ा दर होती ह म दणड की कोई हडडी ःथान हो गई हो तो भजगासन करन स यथाःथान म वापस आ जाती ह

धनरासन

इस आसन म शरीर की आकित खीच हए धनष जसी बनती ह अतः इसको धनरासन कहा जाता ह

धयान मिणपर चब म ास नीच की िःथित म रचक और ऊपर की िःथित म परक

िविधः भिम पर िबछ हए कमबल पर पट क बल उलट होकर लट जाय दोनो पर परःपर िमल हए रह अब दोनो प रो को घटनो स मोड़ दोनो हाथो को पीछ ल जाकर दोनो परो को टखनो स पकड़ रचक करक हाथ स पकड़ हए परो को कसकर धीर -धीर खीच िजतना हो सक उतना िसर पीछ की ओर ल जान की कोिशश कर ि भी ऊपर एव पीछ की ओर रहनी चािहए समम शरीर का बोझ कवल नािभदश क ऊपर ही रहगा कमर स ऊपर का धड़ एव कमर स नीच पर पर ऊपर की ओर मड़ हए रहग

कमभक करक इस िःथित म िटक रह बाद म हाथ खोलकर पर तथा िसर को मल अवःथा म ल जाय और परक कर ारभ म पाच सकणड यह आसन कर धीर-धीर समय बढ़ाकर तीन िमनट या उसस भी अिधक समय इस आसन का अ यास कर तीन-चार बार यह आसन करना चािहए

लाभः धनरासन क अ यास स पट की चरबी कम होती ह गस दर होती ह पट को रोग न होत ह कबज म लाभ होता ह भख खलती ह छाती का ददर दर होता ह दय की धडकन मजबत बनती ह ास िक िबया यविःथत चलती ह मखाकित सदर बनती ह आखो की रोशनी बढ़ती ह और तमाम रोग दर होत ह हाथ -पर म होन वाला कपन कता ह शरीर का सौनदयर बढ़ता ह पट क ःनायओ म िखचाव आन स पट को अचछा लाभ होता ह आतो पर खब दबाव पड़न स पट क अगो पर भी दबाव पड़ता ह फलतः आतो म पाचकरस आन लगता ह इसस जठराि न तज होती ह पाचनशि बढ़ती ह वायरोग न होता ह पट क कषऽ म र का सचार अिधक होता ह धनरासन म भजगासन और शलभासन का समावश हो जान क कारण इन दोनो आसनो क लाभ िमलत ह ि यो क िलए यह आसन खब लाभकारक ह इसस मािसक धमर क िवकार गभारशय क तमाम रोग दर होत ह

चबासन

इस आसन म शरीर की आकित चब जसी बनती ह अतः चबासन कहा जाता ह

धयान मिणपर चब म ास दीघर ःवाभािवक

िविधः भिम पर िबछ हए आसन पर िच होकर लट जाय घटनो स पर मोड़ कर ऊपर उठाय पर क तलव ज़मीन स लग रह दो परो क बीच करीब डढ़ फीट का अनतर रख दोनो हाथ मःतक की तरफ उठाकर पीछ की ओर दोनो हथिलयो को ज़मीन पर जमाय दोनो हथिलयो क बीच भी करीब डढ़ फीट का अनतर रख अब हाथ और पर क बल स पर शरीर को कमर स मोड़कर ऊपर उठाय हाथ को धीर-धीर पर की ओर ल जाकर ःमपशर शरीर का आकार व या चब जसा बनाय आख बनद रख ास की गित ःवाभािवक चलन द िच वि मिणपर चब (नािभ कनि) म िःथर कर आख खली भी रख सकत ह एक िमनट स पाच िमनट तक अ यास बढ़ा सकत ह

लाभः म दणड तथा शरीर की समःत नािड़यो का शि करण होकर यौिगक चब जागत होत ह लकवा तथा शरीर की कमजो रया दर होती ह मःतक गदरन पीठ पट

कमर हाथ पर घटन आिद सब अग मजबत बनत ह सिनध ःथानो ददर नही होता पाचनशि बढ़ती ह पट की अनावयक चरबी दर होती ह शरीर तजःवी और फत ला बनता ह िवकारी िवचार न होत ह ःवपनदोष की बीमारी अलिवदा होती ह चबासन क िनयिमत अ यास स व ावःथा म कमर झकती नही शरीर सीधा तना हआ रहता ह

किटिपणडमदरनासन

इस आसन म किटदश (कमर क पास वाल भाग) म िःथत िपणड अथारत मऽिपणड का मदरन होता ह इसस यह आसन किटिपणडमदरनासन कहलाता ह

धयान ःवािध ान चब म ास परक और कमभक

िविधः िबछ हए कमबल पर पीठ क बल िच होकर लट जाय दोनो हाथो को आमन-सामन फला द मि ठया बनद रख दोनो परो को घटनो स मोड़कर खड़ कर द पर क तलव ज़मीन स लग रह दोनो परो क बीच इतना अनतर रख िक घटनो को ज़मीन पर झकान स एक पर का घटना दसर पर की एड़ी को लग िसर दायी ओर मड़ तो दोनो घटन दािहनी ओर ज़मीन को लग इस कार 15-20 बार िबया कर इस कार दोनो परो को एक साथ रखकर भी िबया कर

लाभः िजसको पथरी की तकलीफ हो उस आौम (सत ौी आसारामजी आौम साबरमित अमदावाद-5) स िबना मलय िमलती काली भःम करीब डढ़ माम भोजन स आधा घणटा पवर और भोजन क बाद एक िगलास पानी क साथ लना चािहए और यह आसन भख पट ठीक ढग स करना चािहए इसस पथरी क ददर म लाभ होता ह पथरी टकड़ -टकड़ होकर मऽ क ारा बाहर िनकलन लगती ह मऽिवकार दर होता ह कमर ददर साइिटका रीढ़ की हडडी की जकड़न उदासीनता िनराशा डायािबटीज नपसकता गस पर की गाठ इतयािद रोगो म शीय लाभ होता ह नािभ ःथान स चयत हो जाती हो तो पनः अपन ःथान म आ जाती ह

मािसक धमर क समय एव गभारवःथा म ि या यह आसन न कर कबज का रोगी सबह शौच जान स पहल उषःपान करक यह आसन कर तो चमतका रक लाभ होता ह ास को अनदर भर क पट को फलाकर यह आसन करन स कबज जलदी दर होता ह

अधरमतःयनिासन

कहा जाता ह िक मतःयनिासन की रचना गोरखनाथ क ग ःवामी मतःयनिनाथ न की थी व इस आसन म धयान िकया करत थ मतःयनिासन की आधी िबयाओ को लकर अधरमतःयनिासन चिलत हआ ह

धयान अनाहत चब म ास दीघर

िविधः दोनो परो को लमब करक आसन पर बठ जाओ बाय पर को घटन स मोड़कर एड़ी गदा ार क नीच जमाय पर क तलव को दािहनी जघा क साथ लगा द अब दािहन पर को घटन स मोड़कर खड़ा कर द और बाय पर की जघा स ऊपर ल जात हए जघा क पीछ ज़मीन क ऊपर ऱख द आसन क िलए यह पवरभिमका तयार हो गई

अब बाय हाथ को दािहन पर क घटन स पार करक अथारत घटन को बगल म दबात हए बाय हाथ स दािहन पर का अ गठा पकड़ धड़ को दािहनी ओर मोड़ िजसस दािहन पर क घटन क ऊपर बाय कनध का दबाव ठीक स पड़ अब दािहना हाथ पीठ क पीछ स घमाकर बाय पर की जाघ का िनमन भाग पकड़ िसर दािहनी ओर इतना घमाय िक ठोड़ी और बाया कनधा एक सीधी रखा म आ जाय छाती िबलकल तनी हई रख नीच की ओर झक नही िच वि नािभ क पीछ क भाग म िःथत मिणपर चब म िःथर कर

यह एक तरफ का आसन हआ इसी कार पहल दािहना पर मोड़कर एड़ी गदा ार क नीच दबाकर दसरी तरफ का आसन भी कर ारमभ म पाच सकणड य ह आसन करना पयार ह िफर अ यास बढ़ाकर एक एक तरफ एक एक िमनट तक आसन कर सकत ह

लाभः अधरमतःयनिासन स म दणड ःवःथ रहन स यौवन की ःफितर बनी रहती ह रीढ़ की हिडडयो क साथ उनम स िनकलन वाली नािडयो को भी अचछी कसरत िमल जाती ह पट क िविभनन अगो को भी अचछा लाभ होता ह पीठ पट क नल पर गदरन

हाथ कमर नािभ स नीच क भाग एव छाती की नािड़यो को अचछा िखचाव िमलन स उन पर अचछा भाव पड़ता ह फलतः बनधकोष दर होता ह जठराि न तीो होती ह िवकत यकत पलीहा तथा िनिबय व क क िलए यह आसन लाभदायी ह कमर पीठ और सिनधःथानो क ददर जलदी दर हो जात ह

योगमिासन

योगा यास म यह मिा अित मह वपणर ह इसस इसका नाम योगमिासन रखा गया ह

धयान मिणपर चब म ास रचक कमभक और परक

िविधः प ासन लगाकर दोनो हाथो को पीठ क पीछ ल जाय बाय हाथ स दािहन हाथ की कलाई पकड़ दोनो हाथो को खीचकर कमर तथा रीढ़ क िमलन ःथान पर ल जाय अब रचक करक कमभक कर ास को रोककर शरीर को आग झकाकर भिम पर टक द िफर धीर-धीर िसर को उठाकर शरीर को पनः सीधा कर द और परक कर ारभ म यह आसन किठन लग तो सखासन या िस ासन म बठकर कर पणर लाभ तो प ासन म बठकर करन स ही होता ह पाचनतनऽ क अगो की ःथान ता ठीक करन क िलए यिद यह आसन करत हो तो कवल पाच-दस सकणड तक ही कर एक बठक म तीन स पाच बार सामानयतः यह आसन तीन िमनट तक करना चािहए आधयाितमक उ य स योगमिासन करत हो तो समय की अविध िच और शि क अनसार बढ़ाय

लाभः योगमिासन भली कार िस होता ह तब कणडिलिन शि जागत होती ह पट की गस की बीमारी दर होती ह पट एव आतो की सब िशकायत दर होती ह कलजा फफड़ आिद यथा ःथान रहत ह दय मजबत बनता ह र क िवकार दर होत

ह क और यौनिवकार न होत ह पट बड़ा हो तो अनदर दब जाता ह शरीर मजबत बनता ह मानिसक शि बढ़ती ह

योगमिासन स उदरपटल सश बनता ह पट क अगो को अपन ःथान िटक रहन म सहायता िमलती ह नाड़ीतऽ और खास करक कमर क नाड़ी मणडल को बल िमलता ह

इस आसन म सामनयतः जहा एिड़या लगती ह वहा कबज क अग होत ह उन पर दबाव पड़न स आतो म उ जना आती ह पराना कबज दर होता ह अगो की ःथान ता क कारण होन वाला कबज भी अग अपन ःथान म पनः यथावत िःथत हो जान स न हो जाता ह धात की दबरलता म योगमिासन खब लाभदायक ह

गोरकषासन या भिासन

धयान मलाधार चब म ास थम िःथित म परक और दसरी िःथित म कमभक

िविधः िबछ हए आसन पर बठ जाय दािहना पर घटन स मोड़कर एड़ी सीवन (उपःथ और गदा क मधय) क दािहन भाग म और बाया पर मोड़कर एड़ी सीवन क बाय भाग म इस कार रख िक दोनो पर क तलव एक दसर को लगकर रह

रचक करक दोनो हाथ सामन ज़मीन पर टककर शरीर को ऊपर उठाय और दोनो पर क पजो पर इस कार बठ िक शरीर का वजन एड़ी क मधय भाग म आय अगिलयो वाला भाग छटा रह अब परक करत -करत दोनो हाथो की हथिलयो को घटनो पर रख

अनत म कमभक करक ठोड़ी छाती पर दबाय िच वि मलाधार चब म और ि भी उसी िदशा म लगाय बमशः अ यास बढ़ाकर दसक िमनट तक यह आसन कर

लाभः इस आसन क अ यास स पर क सब सिनध ःथान तथा ःनाय सश बनत ह वाय ऊधवरगामी होकर जठराि न दी करता ह िदनो िदन जड़ता न होन लगती ह शरीर पतला होता ह सकलपबल बढ़ता ह बि तीकषण होती ह कलपनाशि का िवकास होता ह ाणापान की एकता होती ह नादोतपि होन लगती ह िबनद िःथर होकर िच की चचलता कम होती ह आहार का सपणरतया पाचन हो जान क कारण मलमऽ अलप होन लगत ह शरीर शि होन लगती ह तन म ःफितर एव मन म सननता अपन आप कट होती ह ःनाय स ढ़ बनत ह धातकषय गस मधमह ःवपनदोष अजीणर कमर का ददर गदरन की दबरलता बनधकोष मनदाि न िसरददर कषय

दयरोग अिनिा दमा मछाररोग बवासीर आऽपचछ पाणडरोग जलोदर भगनदर कोढ़ उलटी िहचकी अितसार आव उदररोग नऽिवकार आिद अस य रोगो म इस आसन स लाभ होत ह

मयरासन

इस आसन म मयर अथारत मोर की आकित बनती ह इसस इस मयरासन कहा जाता ह

धयान मिणपर चब म ास बा कमभक

िविधः जमीन पर घटन िटकाकर बठ जाय दोनो हाथ की हथिलयो को जमीन पर इस कार रख िक सब अगिलया पर की िदशा म हो और परःपर लगी रह दोनो कहिनयो को मोड़कर पट क कोमल भाग पर नािभ क इदरिगदर रख अब आग झककर दोनो पर को पीछ की लमब कर ास बाहर िनकाल कर दोनो पर को जमीन स ऊपर उठाय और िसर का भाग नीच झकाय इस कार परा शरीर ज़मीन क बराबर समानानतर रह ऐसी िःथित बनाय सपणर शरीर का वजन कवल दो हथिलयो पर ही

रहगा िजतना समय रह सक उतना समय इस िःथित म रहकर िफर मल िःथित म आ जाय इस कार दो-तीन बार कर

लाभः मयरासन करन स चयर-पालन म सहायता िमलती ह पाचन तऽ क अगो की र का वाह अिधक बढ़न स व अग बलवान और कायरशील बनत ह पट क भीतर क भागो म दबाव पड़न स उनकी शि बढ़ती ह उदर क अगो की िशिथलता और मनदाि न दर करन म मयरासन बहत उपयोगी ह

वळासन

वळासन का अथर ह बलवान िःथित पाचनशि वीयरशि तथा ःनायशि दन वाला होन स यह आसन वळासन कहलाता ह

धयान मलाधार चब म और ास दीघर

िविधः िबछ हए आसन पर दोनो परो को घटनो स मोड़कर एिड़यो पर बठ जाय पर क दोनो अगठ परःपर लग रह पर क तलवो क ऊपर िनतमब रह कमर और पीठ िबलकल सीधी रह दोनो हाथ को कहिनयो स मोड़ िबना घटनो पर रख द हथिलया नीच की ओर रह ि सामन िःथर कर द

पाच िमनट स लकर आध घणट तक वळासन का अ यास कर सकत ह वळासन लगाकर भिम पर लट जान स स वळासन होता ह

लाभः वळासन क अ यास स शरीर का मधयभाग सीधा रहता ह ास की गित मनद पड़न स वाय बढ़ती ह आखो की योित तज होती ह वळनाड़ी अथारत वीयरधारा नाड़ी मजबत बनती ह वीयर की ऊधवरगित होन स शरीर वळ जसा बनता ह लमब समय तक सरलता स यह आसन कर सकत ह इसस मन की चचलता दर होकर यि िःथर बि वाला बनता ह शरीर म र ािभसरण ठीक स होकर शरीर िनरोगी एव सनदर बनता ह

भोजन क बाद इस आसन स बठन स पाचन शि तज होती ह कबज दर होती ह भोजन जलदी ह म होता ह पट की वाय का नाश होता ह कबज दर होकर पट क तमाम रोग न होत ह पाणडरोग स मि िमलती ह रीढ़ कमर जाघ घटन और परो म शि बढ़ती ह कमर और पर का वाय रोग दर होता ह ःमरणशि म वि होती ह ि यो क मािसक धमर की अिनयिमतता जस रोग दर होत ह शबदोष वीयरदोष घटनो का ददर आिद का नाश होता ह ःनाय प होत ह ःफितर बढ़ान क िलए एव मानिसक िनराशा दर कर न क िलए यह आसन उपयोगी ह धयान क िलय भी यह आसन उ म ह इसक अ यास स शारी रक ःफितर एव मानिसक सननता कट होती ह िदन-ितिदन शि का सचय होता ह इसिलए शारी रक बल म खब वि होती ह काग का िगरना अथारत गल क टािनसलस हिडडयो क पोल आिद ःथानो म उतपनन होन वाल तकण की स या म वि होन स आरो य का साा य ःथािपत होता ह िफर यि

बखार स िसरददर स कबज स मदाि न स या अजीणर जस छोट-मोट िकसी भी रोग स पीिड़त नही रहता योिक रोग आरो य क साा य म िव होन का साहस ही नही कर पात

स वळासन

धयान िवश ा याचब म ास दीघर सामानय

िविधः वळासन म बठन क बाद िच होकर पीछ की ओर भिम पर लट जाय दोनो जघाए परःपर िमली रह अब रचक करत बाय हाथ का खला पजा दािहन कनध क नीच इस कार रख िक मःतक दोनो हाथ क बास क ऊपर आय रचक परा होन पर िऽबनध कर ि मलाधार चब की िदशा म और िच वि मलाधार चब म ःथािपत कर

लाभः यह आसन करन म ौम बहत कम ह और लाभ अिधक होता ह इसक अ यास स सषमना का मागर अतयनत सरल होता ह कणडिलनी शि सरलता स ऊधवरगमन कर सकती ह

इस आसन म धयान करन स म दणड को सीधा करन का ौम नही करना पड़ता और म दणड को आराम िमलता ह उसकी काय़रशि बल बनती ह इस आसन का अ यास करन स ायः तमाम अतःॐावी मिनथयो को जस शीषरःथ मिनथ कणठःथ मिनथ मऽिपणड की मनथी ऊधवरिपणड तथा प षाथर मिनथ आिद को पि िमलती ह फलतः यि का भौितक एव आधयाितमक िवकास सरल हो जाता ह तन-मन का ःवाःथय भावशाली बनता ह जठराि न दी होती ह मलावरोध की पीडा दर होती ह धातकषय ःवपनदोष पकषाघात पथरी बहरा होना तोतला होना आखो की दबरलता गल क टािनसल ासनिलका का सजन कषय दमा ःमरणशि की दबरलता आिद रोग दर होत ह

शवासन

शवासन की पणारवःथा म शरीर क तमाम अग एव मिःतक पणरतया च ा रिहत िकय जात ह यह अवःथा शव (मद) जसी होन स इस आसन को शवासन कहा जाता ह

िविधः िबछ हए आसन पर िच होकर लट जाय दोनो परो को परःपर स थोड़ अलग कर द दोनो हाथ भी शरीर स थोड़ अलग रह इस कार परो की ओर फला द हाथ की हथिलया आकाश की तरफ खली रख िसर सीधा रह आख बनद

मानिसक ि स शरीर को पर स िसर तक दखत जाय पर शरीर को मद की तरह ढीला छोड़ द हर एक अग को िशिथल करत जाय

शरीर म समपणर िवौाम का अनभव कर मन को भी बा ा िवषयो स हटाकर एकाम कर बारी-बारी स हर एक अग पर मानिसक ि एकाम करत हए भावना कर िक वह अग अब आराम पा रहा ह मरी सब थकान उतर रही ह इस कार भावना करत-करत सब ःनायओ को िशिथल होन द शरीर क एक भी अग म कही भी तनाव (टनशन) न रह िशिथलीकरण की िबया म पर स ारमभ करक िसर तक जाय अथवा िसर स ारमभ करक पर तक भी जा सकत ह अनत म जहा स ारमभ िकया हो वही पनः पहचना चािहय िशिथलीकरण की िबया स शरीर क तमाम अगो का एव ानततओ को िवौाम की अवःथा म ला दना ह

शवासन की दसरी अवःथा म ासोचछोवास पर धयान दना ह शवासन की यही म य िबया ह िवशषकर योग साधको क िलए वह अतयनत उपयोगी ह कवल शारी रक ःवाःथय क िलय थम भिमका पयार ह

इसम ास और उचछवास की िनयिमतता दीघरता और समानता ःथािपत करन का लकषय ह ास िनयिमत चल लमबा और गहरा चल ास और उचछवास एक समान रह तो मन को एकाम करन की शि ा होती ह

शवासन यिद ठीक ढग स िकया जाए तो नाड़ीतऽ इतना शात हो जाता ह िक अ यासी को नीद आन लगती ह लिकन धयान रह िनिनित न होकर जामत रहना आवयक ह

अनय आसन करन क बाद अगो म जो तनाव (टनशन) पदा होता ह उसको िशिथल करन क िलय अत म 3 स 5 िमनट तक शवासन करना चािहए िदनभर म अनकलता क अनसार दो-तीन बार शवासन कर सकत ह

लाभः शवासन क ारा ःनाय एव मासपिशयो म िशिथलीकरण स शि बढ़ती ह अिधक कायर करन की यो यता उसम आती ह र वाहिनयो म िशराओ म र वाह तीो

होन स सारी थकान उतर जाती ह नाड़ीतऽ को बल िमलता ह मानिसक शि म वि होती ह

र का दबाव कम करन क िलए नाड़ीतऽ की दबरलता एव उसक कारण होन वाल रोगो को दर करन क िलय शवासन खब उपयोगी ह

पादपि मो ानासन

यह आसन करना किठन ह इसस उमासन कहा जाता ह उम का अथर ह िशव भगवान िशव सहारक ार ह अतः उम या भयकर ह िशवसिहता म भगवान िशव न म कणठ स शसा करत हए कहा हः यह आसन सवरौ आसन ह इसको य पवरक ग रख िसफर अिधका रयो को ही इसका रहःय बताय

धयान मिणपर चब म ास थम िःथित म परक और दसरी िःथित म रचक और िफर बिहकर मभक

िविधः िबछ हए आसन पर बठ जाय दोनो परो को लमब फला द दोनो परो की जघा घटन पज परःपर िमल रह और जमीन क साथ लग रह परो की अगलया घटनो की तरफ झकी हई रह अब दोनो हाथ लमब कर दािहन हाथ की तजरनी और अगठ स दािहन पर का अगठा और बाय हाथ की तजरनी और अगठ स बाय पर का अगठा पकड़ अब रचक करत-करत नीच झक और िसर को दोनो घटनो क मधय म रख ललाट घटन को ःपशर कर और घटन ज़मीन स लग रह रचक परा होन पर कमभक कर ि एव िच वि को मिणपर चब म ःथािपत कर ारमभ म आधा िमनट करक बमशः 15 िमनट तक यह आसन करन का अ यास बढ़ाना चािहय थम दो-चार िदन किठन लगगा लिकन अ यास हो जान पर यह आसन सरल हो जाएगा

लाभः पादपि मो नासन म समयक अ यास स सषमना का मख खल जाता ह और ाण म दणड क मागर म गमन करता ह फलतः िबनद को जीत सकत ह िबनद को जीत िबना न समािध िस होती ह न वाय िःथर होता ह न िच शात होता ह

जो ी-प ष काम िवकार स अतयत पीिड़त हो उनह इस आसन का अ यास करना चािहए इसस शारी रक िवकार दब जात ह उदर छाती और म दणड को उ म कसरत िमलती ह अतः व अिधक कायरकषम बनत ह हाथ पर तथा अनय अगो क सिनध ःथान मजबत बनत ह शरीर क सब तऽ बराबर कायरशील होत ह रोग माऽ का नाश होकर ःवाःथय़ का साा य ःथािपत होता ह

इस आसन क अ यास स मनदाि न मलावरोध अजीणर उदररोग किमिवकार सद वातिवकार कमर का ददर िहचकी कोढ़ मऽरोग मधमह पर क रोग ःवपनदोष वीयरिवकार र िवकार एपनडीसाइिटस अणडवि पाणडरोग अिनिा दमा ख टी डकार आना ानतनत की दबरलता बवासीर नल की सजन गभारशय क रोग अिनयिमत तथा क दायक मािसक बनधयतव दर नपसकता र िप िसरोवदना बौनापन आिद अनक रोग दर होत ह पट पत ला बनता ह जठराि न दी होती ह कफ और चरबी न होत ह

िशवसिहता म कहा ह िक इस आसन स वाय ीपन होता ह और वह मतय का नाश करता ह इस आसन स शरीर का कद बढ़ता ह शरीर म अिधक ःथलता हो तो कम होती ह दबरलता हो तो वह दर होकर शरीर सामानय तनद ःत अवःथा म आ जाता ह नाडी सःथान म िःथरता आती ह मानिसक शाित ा होती ह िचनता एव उ जना शात करन क िलए यह आसन उ म ह पीठ और म दणड पर िखचाव आन स दोनो िवकिसत होत ह फलतः शरीर क तमाम अवयवो पर अिधकार ःथािपत होता ह सब आसनो म यह आसन सवर धान ह इसक अ यास स कायाकलप (प रवतरन) हो जाता ह

यह आसन भगवान िशव को बहत पयारा ह उनकी आ ा स योगी गोरखनाथ न लोककलयाण हत इसका चार िकया ह आप इस आसन क अदभत लाभो स लाभािनवत हो और दसरो को भी िसखाय

पादपि मो ानासन प यपाद आसारामजी बाप को भी बहत पयारा ह उसस प यौी को बहत लाभ हए ह अभी भी यह आसन उनक आरो यिनिध का रकषक बना हआ ह

पाठक भाइयो आप अवय इस आसन का लाभ लना ारमभ क चार-पाच िदन जरा किठन लगगा बाद म तो यह आसन आपका िशवजी क वरदान प आरो य कवच िस हए िबना नही रहगा

िऽबनध

मलबनध

शौच ःनानािद स िनव होकर आसन पर बठ जाय बायी एड़ी क ारा सीवन या योिन को दबाय दािहनी एड़ी सीवन पर रख गदा ार को िसकोड़कर भीतर की ओर ऊपर खीच यह मलबनध कहा जाता ह

लाभः मलबनध क अ यास स मतय को जीत सकत ह शरीर म नयी ताजगी आती ह िबगड़त हए ःवाःथय की रकषा होती ह चयर का पालन करन म मलबनध सहायक िस होता ह वीयर को प करता ह कबज को न करता ह जठराि न तज होती ह मलबनध स िचरयौवन ा होता ह बाल सफद होन स कत ह

अपानवाय ऊधवरगित पाकर ाणवाय क सषमना म िव होता ह सहॐारचब म िच वि िःथर बनती ह इसस िशवपद का आननद िमलता ह सवर कार की िद य िवभितया और ऐ यर ा होत ह अनाहत नाद सनन को िमलता ह ाण अपान नाद और िबनद एकिऽत होन स योग म पणरता ा होती ह

उडडीयान बनध

आसन पर बठकर परा ास बाहर िनकाल द समपणरतया रचक कर पट को भीतर िसकोड़कर ऊपर की ओर खीच नािभ तथा आत पीठ की तरफ दबाय शरीर को थोड़ा सा आग की तरफ झकाय यह ह उडडीयानबनध

लाभः इसक अ यास स िचरयौवन ा होता ह मतय पर जय ा होती ह चयर क पालन म खब सहायता िमलती ह ःवाःथय सनदर बनता ह कायरशि म वि होती ह नयोिल और उडडीयानबनध जब एक साथ िकय जात ह तब कबज दम दबाकर भाग खड़ा होता ह पट क तमाम अवयवो की मािलश हो जाती ह पट की अनावयक चरबी उतर जाती ह

जालनधरबनध

आसन पर बठकर परक करक कमभक कर और ठोड़ी को छाती क साथ दबाय इसको जालनधरबनध कहत ह

लाभः जालनधरबनध क अ यास स ाण का सचरण ठीक स होता ह इड़ा और िपगला नाड़ी बनद होकर ाण-अपान सषमना म िव होत ह नािभ स अमत कट होता ह िजसका पान जठराि न करता ह योगी इसक ारा अमरता ा करता ह

प ासन पर बठ जाय परा ास बाहर िनकाल कर मलबनध उडडीयानबनध कर िफर खब परक करक मलबनध उडडीयानबनध और जालनधरबनध य तीनो बनध एक साथ कर आख बनद रख मन म णव (ॐ) का अथर क साथ जप कर

इस कार ाणायाम सिहत तीनो बनध का एक साथ अ यास करन स बहत लाभ होता ह और ायः चमतका रक प रणाम आता ह कवल तीन ही िदन क समयक अ यास स जीवन म बािनत का अनभव होन लगता ह कछ समय क अ यास स कवल या कवली कमभक ःवय कट होता ह

कवली कमभक

कवल या कवली कमभक का अथर ह रचक-परक िबना ही ाण का िःथर हो जाना िजसको कवली कमभक िस होता ह उस योगी क िलए तीनो लोक म कछ भी दलरभ नही रहता कणडिलनी जागत होती ह शरीर पतला हो जाता ह मख सनन रहता ह नऽ मलरिहत होत ह सवर रोग दर हो जात ह िबनद पर िवजय होती ह जठराि न विलत होती ह

कवली कमभक िस िकय हए योगी की अपनी सवर मनोकामनाय पणर होती ह इतना ही नही उसका पजन करक ौ ावान लोग भी अपनी मनोकामनाय पणर करन लगत ह

जो साधक पणर एकामता स िऽबनध सिहत ाणायाम क अ यास ारा कवली कमभक का प षाथर िस करता ह उसक भा य का तो पछना ही या उसकी यापकता

बढ़ जाती ह अनतर म महानता का अनभव होता ह काम बोध लोभ मोह मद और मतसर इन छः शऽओ पर िवजय ा होती ह कवली कमभक की मिहमा अपार ह

जलनित

िविधः एक िलटर पानी को गनगना सा गरम कर उसम करीब दस माम श नमक डालकर घोल द सनधव िमल जाय तो अचछा सबह म ःनान क बाद यह पानी चौड़ महवाल पाऽ म कटोर म लकर परो पर बठ जाय पाऽ को दोनो हाथो स पकड़ कर नाक क नथन पानी म डबो द अब धीर-धीर नाक क ारा ास क साथ पानी को भीतर खीच और नाक स भीतर आत हए पानी को मह स बाहर िनकालत जाय नाक को पानी म इस कार बराबर डबोय रख िजसस नाक ारा भीतर जानवाल पानी क साथ हवा न वश कर अनयथा आतरस-खासी आयगी

इस कार पाऽ का सब पानी नाक ारा लकर मख ारा बाहर िनकाल द अब पाऽ को रख कर खड़ हो जाय दोनो पर थोड़ खल रह दोनो हाथ कमर पर रखकर ास को जोर स बाहर िनकालत हए आग की ओर िजतना हो सक झक भिॐका क साथ यह िबया बार-बार कर इसस नाक क भीतर का सब पानी बाहर िनकल जायगा थोड़ा बहत रह भी जाय और िदन म कभी भी नाक स बाहर िनकल जाय तो कछ िचनताजनक नही ह

नाक स पानी भीतर खीचन की यह िबया ारमभ म उलझन जसी लगगी लिकन अ यास हो जान पर िबलकल सरल बन जायगा

लाभः मिःतक की ओर स एक कार का िवषला रस नीच की ओर बहता ह यह रस कान म आय तो कान क रोग होत ह आदमी बहरा हो जाता ह यह रस आखो की तरफ जाय तो आखो का तज कम हो जाता ह चम की ज रत पड़ती ह तथा अनय रोग होत ह यह रस गल की ओर जाय तो गल क रोग होत ह

िनयमपवरक जलनित करन स यह िवषला पदाथर बाहर िनकल जाता ह आखो की रोशनी बढ़ती ह चम की ज रत नही पड़ती चमा हो भी तो धीर-धीर नमबर कम होत-होत छट जाता भी जाता ह ासोचछोवास का मागर साफ हो जाता ह मिःतक म ताजगी रहती ह जकाम-सद होन क अवसर कम हो जात ह जलनित की िबया करन

स दमा टीबी खासी नकसीर बहरापन आिद छोटी-मोटी 1500 बीमी रया दर होती ह जलनित करन वाल को बहत लाभ होत ह िच म सननता बनी रहती ह

गजकरणी िविधः करीब दो िलटर पानी गनगना सा गरम कर उसम करीब 20 माम श

नमक घोल द सनधव िमल जाय तो अचछा ह अब पजो क बल बठकर वह पानी िगलास भर-भर क पीत जाय खब िपय अिधकाअिधक िपय पट जब िबलकल भर जाय गल तक आ जाय पानी बाहर िनकालन की कोिशश कर तब दािहन हाथ की दो बड़ी अगिलया मह म डाल कर उलटी कर िपया हआ सब पानी बाहर िनकाल द पट िबलकल हलका हो जाय तब पाच िमनट तक आराम कर

गजकरणी करन क एकाध घणट क बाद कवल पतली िखचड़ी ही भोजन म ल भोजन क बाद तीन घणट तक पानी न िपय सोय नही ठणड पानी स ःनान कर तीन घणट क बाद ारमभ म थोड़ा गरम पानी िपय

लाभः गजकरणी स एिसडीटी क रोगी को अदभत लाभ होता ह ऐस रोगी को चार-पाच िदन म एक बार गजकरणी चािहए ततप ात महीन म एक बार दो महीन म एक बार छः महीन म एक बार भी गजकरणी कर सकत ह

ातःकाल खाली पट तलसी क पाच-सात प चबाकर ऊपर स थोड़ा जल िपय एसीडीटी क रोगी को इसस बहत लाभ होगा

वष परान कबज क रोिगयो को स ाह म एक बार गजकरणी की िबया अवय करनी चािहए उनका आमाशय मिनथसःथान कमजोर हो जान स भोजन हजम होन म गड़बड़ रहती ह गजकरणी करन स इसम लाभ होता ह फोड़ फनसी िसर म गम सद बखार खासी दमा टीबी वात-िप -कफ क दोष िज ा क रोग गल क रोग छाती क रोग छाती का ददर एव मदाि न म गजकरणी िबया लाभकारक ह

शरीर शोधन-कायाकलप

यह चालीस िदन का कलप ह प यपाद आसारामजी बाप न यह योग िकया हआ ह इसस शरीर सडौल ःवःथ और फत ला बनता ह र म नय-नय कण बनत ह शरीर क कोषो की शि बढ़ती ह मन-बि म चमतका रक लाभ होत ह

िविधः अगल िदन पपीता सव आिद फल उिचत माऽा म ल अथवा मन का 50 माम दस घणट पहल िभगो द उनको उबालकर बीज िनकाल द मन का खा ल और पानी पी ल

ातःकाल उठकर सकलप कर िक इस कलप क दौरान िनि त िकय हए कायरबम क अनसार ही रहगा

शौच-ःनानािद िनतयकमर स िनव होकर सबह 8 बज 200 या 250 माम गाय का उबला हआ गनगना दध िपय पौन घणटा पणर आराम कर बाद म िफर स दध िपय शारी रक ौम कम स कम कर ॐ सोsह हसः इस मऽ का मानिसक जप कर कभी ास को िनहार बस साकषीभाव

मनोरा य चलता हो तो ॐ जोर-जोर स जप कर

इस कार शाम तक िजतना दध हजम कर सक उतना दध दो स तीन िलटर िपय 40 िदन तक कवल द धाहार क बाद 41व िदन मग का उबला हआ पानी मोसममी का रस आिद ल रािऽ को अिधक मगवाली हलकी िखचड़ी खाय इस कार शरीर-शोधन-कायाकलप की पणारहित कर

यिद बि तीकषण बनानी हो ःमरणशि बढ़ानी हो तो कलप क दौरान ॐ ऐ नमः इस मऽ का जप कर सयर को अ यर द

इस कलप म दध क िसवाय अनय कोई खराक लना मना ह चाय तमबाक आिद यसन िनिष ह ि यो क सग स दर रहना तथा चयर का पालन अतयनत आवयक ह

कलजग नही करजग ह यह

कलजग नही करजग ह यह यहा िदन को द अ रात ल

या खब सौदा नकद ह इस हाथ द उस हाथ ल टक

दिनया अजब बाज़ार ह कछ िजनस1 या िक साथ ल

नकी का बदला नक ह बद स बदी की बात ल

मवा िखला मवा िमल फल फल द फल पात ल

आराम द आराम ल दःख ददर द आफत2 ल 1

काटा िकसी को मत लगा गो िमःल-गल3 फला ह त

वह तर हक4 म तीर ह िकस बात पर झला ह त

मत आग म डाल और को या घास का पला ह त

सन ऱख यह नकता5 बखबर िकस बात पर भला ह त

कलजग नही 2

शोखी शरारत मकरो-फन6 सबका बसखा7 ह यहा

जो जो िदखाया और को वह खद भी दखा ह यहा

खोटी खरी जो कछ कही ितसका परखा8 ह यहा

जो जो पड़ा तलता ह मोल ितल ितल का लखा ह यहा

कलजग नही 3

जो और की बःती9 रख उसका भी बसता ह परा

जो और क मार छरी उसको भी लगता ह छरा

जो और की तोड़ घड़ी उसका भी टट ह घड़ा

जो और की चत10 बदी उसका भी होता ह बरा

कलजग नही 4

जो और को फल दवगा वह भी सदा फल पावगा

गह स गह जौ स जौ चावल स चावल पावगा

जो आज दवगा यहा वसा ही वह कल पावगा

कल दवगा कल पावगा िफर दवगा िफर पावगा

कलजग नही 5

जो चाह ल चल इस घड़ी सब िजनस यहा तयार ह

आराम म आराम ह आजार म आजार11 ह

दिनया न जान इसको िमया दरया की यह मझधार ह

औरो का बड़ा पार कर तरा भी बड़ा पार ह

कलजग नही 6

त और की तारीफ कर तझको सना वानी12 िमल

कर मिकल आसा औरो की तझको भी आसानी िमल

त और को महमान कर तझको भी महमानी िमल

रोटी िखला रोटी िमल पानी िपला पानी िमल

कलजग नही 7

जो गल13 िखलाव और का उसका ही गल िखलता भी ह

जो और का कील14 ह मह उसका ही मह िकलता भी ह

जो और का छील िजगर उसका िजगर िछलता भी ह

जो और को दव कपट उसको कपट िमलता भी ह

कलजग नही 8

कर जो कछ करना ह अब यह दम तो कोई आन15 ह

नकसान म नकसान ह एहसान म एहसान ह

तोहमत म यहा तोहमत िमल तफान म तफान ह

रहमान16 को रहमान17 ह शतान को शतान ह

कलजग नही 9

यहा जहर द तो जहर ल श कर म श कर दख ल

नको का नकी का मजा मजी18 को ट कर दख ल

मोती िदय मोती िमल पतथर म पतथर दख ल

गर तझको यह बावर19 नही तो त भी करक दख ल

कलजग नही 10

अपन नफ क वाःत मत और का नकसान कर

तरा भी नकसा होवगा इस बात पर त धयान कर

खाना जो खा सो दखकर पानी िपय तो छानकर

या पावो को रख फककर और खोफ स गजरान कर

कलजग नही 11

गफलत की यह जगह नही त सािहब-इदराक20 रह

िदलशाद21 ऱख िदल शाह रह गमनाक रख गमनाक रह

हर हाल म भी त नजीर22 अब हर कदम की रह

यह वह मका ह ओ िमया या पाक23 रह बबाक24 रह

कलजग नही 12

1 वःत 2 मसीबत 3 पप की तरह 4 तर िलय 5 रहःय 6 दगा-धोखा 7 घर 8 परखना 9 नगरी 10 िवचार कर 11 दःख 12 तारीफ-ःतित 13 फल 14 िकसी को बोलन न दना 15 घड़ी पल 16 दयावान 17 दयाल भगवान 18 सतान वाला 19 िव ास 20 तीो ा तज समझन वाला प ष 21 सननिच 22 किव का नाम ह 23 श पिवऽ 24 िनडर

  • आधयातमिक विदया क उदगाता
  • सवासथय क लिए मतर
  • परासताविक
  • बरहमचरय-रकषा का मनतर
  • आसनो की परकिया म आन वाल कछ शबदो की समझ
  • आवशयक निरदश
  • योगासन
    • पदमासन या कमलासन
    • सिदधासन
    • सरवागासन
    • हलासन
    • पवनमकतासन
    • मतसयासन
    • भजगासन
    • धनरासन
    • चकरासन
    • कटिपिणडमरदनासन
    • अरधमतसयनदरासन
    • योगमदरासन
    • गोरकषासन या भदरासन
    • मयरासन
    • वजरासन
    • सपतवजरासन
    • शवासन
    • पादपशचिमोततानासन
      • तरिबनध
        • मलबनध
        • उडडीयान बनध
        • जालनधरबनध
          • कवली कमभक
          • जलनति
          • गजकरणी
          • शरीर शोधन-कायाकलप
          • कलजग नही करजग ह यह
Page 20: अनुबम - || Home || HariOmGroup · िस होता है। िवशु नाड़ीतंऽ वालेयोगी के िवशु शरीर में

रोगो स मि िमलती ह दर अित मािसकॐाव तथा अलप मािसकॐाव जस रोग दर होत ह

इस आसन स म दणड लचीला बनता ह पीठ म िःथत इड़ा और िपगला नािड़यो पर अचछा भाव पड़ता ह कणडिलनी शि जागत करन क िलय यह आसन सहायक ह अमाशय की मासपिशयो का अचछा िवकास होता ह थकान क कारण पीठ म पीड़ा होती हो तो िसफर एक बार ही यह आसन करन स पीड़ा दर होती ह म दणड की कोई हडडी ःथान हो गई हो तो भजगासन करन स यथाःथान म वापस आ जाती ह

धनरासन

इस आसन म शरीर की आकित खीच हए धनष जसी बनती ह अतः इसको धनरासन कहा जाता ह

धयान मिणपर चब म ास नीच की िःथित म रचक और ऊपर की िःथित म परक

िविधः भिम पर िबछ हए कमबल पर पट क बल उलट होकर लट जाय दोनो पर परःपर िमल हए रह अब दोनो प रो को घटनो स मोड़ दोनो हाथो को पीछ ल जाकर दोनो परो को टखनो स पकड़ रचक करक हाथ स पकड़ हए परो को कसकर धीर -धीर खीच िजतना हो सक उतना िसर पीछ की ओर ल जान की कोिशश कर ि भी ऊपर एव पीछ की ओर रहनी चािहए समम शरीर का बोझ कवल नािभदश क ऊपर ही रहगा कमर स ऊपर का धड़ एव कमर स नीच पर पर ऊपर की ओर मड़ हए रहग

कमभक करक इस िःथित म िटक रह बाद म हाथ खोलकर पर तथा िसर को मल अवःथा म ल जाय और परक कर ारभ म पाच सकणड यह आसन कर धीर-धीर समय बढ़ाकर तीन िमनट या उसस भी अिधक समय इस आसन का अ यास कर तीन-चार बार यह आसन करना चािहए

लाभः धनरासन क अ यास स पट की चरबी कम होती ह गस दर होती ह पट को रोग न होत ह कबज म लाभ होता ह भख खलती ह छाती का ददर दर होता ह दय की धडकन मजबत बनती ह ास िक िबया यविःथत चलती ह मखाकित सदर बनती ह आखो की रोशनी बढ़ती ह और तमाम रोग दर होत ह हाथ -पर म होन वाला कपन कता ह शरीर का सौनदयर बढ़ता ह पट क ःनायओ म िखचाव आन स पट को अचछा लाभ होता ह आतो पर खब दबाव पड़न स पट क अगो पर भी दबाव पड़ता ह फलतः आतो म पाचकरस आन लगता ह इसस जठराि न तज होती ह पाचनशि बढ़ती ह वायरोग न होता ह पट क कषऽ म र का सचार अिधक होता ह धनरासन म भजगासन और शलभासन का समावश हो जान क कारण इन दोनो आसनो क लाभ िमलत ह ि यो क िलए यह आसन खब लाभकारक ह इसस मािसक धमर क िवकार गभारशय क तमाम रोग दर होत ह

चबासन

इस आसन म शरीर की आकित चब जसी बनती ह अतः चबासन कहा जाता ह

धयान मिणपर चब म ास दीघर ःवाभािवक

िविधः भिम पर िबछ हए आसन पर िच होकर लट जाय घटनो स पर मोड़ कर ऊपर उठाय पर क तलव ज़मीन स लग रह दो परो क बीच करीब डढ़ फीट का अनतर रख दोनो हाथ मःतक की तरफ उठाकर पीछ की ओर दोनो हथिलयो को ज़मीन पर जमाय दोनो हथिलयो क बीच भी करीब डढ़ फीट का अनतर रख अब हाथ और पर क बल स पर शरीर को कमर स मोड़कर ऊपर उठाय हाथ को धीर-धीर पर की ओर ल जाकर ःमपशर शरीर का आकार व या चब जसा बनाय आख बनद रख ास की गित ःवाभािवक चलन द िच वि मिणपर चब (नािभ कनि) म िःथर कर आख खली भी रख सकत ह एक िमनट स पाच िमनट तक अ यास बढ़ा सकत ह

लाभः म दणड तथा शरीर की समःत नािड़यो का शि करण होकर यौिगक चब जागत होत ह लकवा तथा शरीर की कमजो रया दर होती ह मःतक गदरन पीठ पट

कमर हाथ पर घटन आिद सब अग मजबत बनत ह सिनध ःथानो ददर नही होता पाचनशि बढ़ती ह पट की अनावयक चरबी दर होती ह शरीर तजःवी और फत ला बनता ह िवकारी िवचार न होत ह ःवपनदोष की बीमारी अलिवदा होती ह चबासन क िनयिमत अ यास स व ावःथा म कमर झकती नही शरीर सीधा तना हआ रहता ह

किटिपणडमदरनासन

इस आसन म किटदश (कमर क पास वाल भाग) म िःथत िपणड अथारत मऽिपणड का मदरन होता ह इसस यह आसन किटिपणडमदरनासन कहलाता ह

धयान ःवािध ान चब म ास परक और कमभक

िविधः िबछ हए कमबल पर पीठ क बल िच होकर लट जाय दोनो हाथो को आमन-सामन फला द मि ठया बनद रख दोनो परो को घटनो स मोड़कर खड़ कर द पर क तलव ज़मीन स लग रह दोनो परो क बीच इतना अनतर रख िक घटनो को ज़मीन पर झकान स एक पर का घटना दसर पर की एड़ी को लग िसर दायी ओर मड़ तो दोनो घटन दािहनी ओर ज़मीन को लग इस कार 15-20 बार िबया कर इस कार दोनो परो को एक साथ रखकर भी िबया कर

लाभः िजसको पथरी की तकलीफ हो उस आौम (सत ौी आसारामजी आौम साबरमित अमदावाद-5) स िबना मलय िमलती काली भःम करीब डढ़ माम भोजन स आधा घणटा पवर और भोजन क बाद एक िगलास पानी क साथ लना चािहए और यह आसन भख पट ठीक ढग स करना चािहए इसस पथरी क ददर म लाभ होता ह पथरी टकड़ -टकड़ होकर मऽ क ारा बाहर िनकलन लगती ह मऽिवकार दर होता ह कमर ददर साइिटका रीढ़ की हडडी की जकड़न उदासीनता िनराशा डायािबटीज नपसकता गस पर की गाठ इतयािद रोगो म शीय लाभ होता ह नािभ ःथान स चयत हो जाती हो तो पनः अपन ःथान म आ जाती ह

मािसक धमर क समय एव गभारवःथा म ि या यह आसन न कर कबज का रोगी सबह शौच जान स पहल उषःपान करक यह आसन कर तो चमतका रक लाभ होता ह ास को अनदर भर क पट को फलाकर यह आसन करन स कबज जलदी दर होता ह

अधरमतःयनिासन

कहा जाता ह िक मतःयनिासन की रचना गोरखनाथ क ग ःवामी मतःयनिनाथ न की थी व इस आसन म धयान िकया करत थ मतःयनिासन की आधी िबयाओ को लकर अधरमतःयनिासन चिलत हआ ह

धयान अनाहत चब म ास दीघर

िविधः दोनो परो को लमब करक आसन पर बठ जाओ बाय पर को घटन स मोड़कर एड़ी गदा ार क नीच जमाय पर क तलव को दािहनी जघा क साथ लगा द अब दािहन पर को घटन स मोड़कर खड़ा कर द और बाय पर की जघा स ऊपर ल जात हए जघा क पीछ ज़मीन क ऊपर ऱख द आसन क िलए यह पवरभिमका तयार हो गई

अब बाय हाथ को दािहन पर क घटन स पार करक अथारत घटन को बगल म दबात हए बाय हाथ स दािहन पर का अ गठा पकड़ धड़ को दािहनी ओर मोड़ िजसस दािहन पर क घटन क ऊपर बाय कनध का दबाव ठीक स पड़ अब दािहना हाथ पीठ क पीछ स घमाकर बाय पर की जाघ का िनमन भाग पकड़ िसर दािहनी ओर इतना घमाय िक ठोड़ी और बाया कनधा एक सीधी रखा म आ जाय छाती िबलकल तनी हई रख नीच की ओर झक नही िच वि नािभ क पीछ क भाग म िःथत मिणपर चब म िःथर कर

यह एक तरफ का आसन हआ इसी कार पहल दािहना पर मोड़कर एड़ी गदा ार क नीच दबाकर दसरी तरफ का आसन भी कर ारमभ म पाच सकणड य ह आसन करना पयार ह िफर अ यास बढ़ाकर एक एक तरफ एक एक िमनट तक आसन कर सकत ह

लाभः अधरमतःयनिासन स म दणड ःवःथ रहन स यौवन की ःफितर बनी रहती ह रीढ़ की हिडडयो क साथ उनम स िनकलन वाली नािडयो को भी अचछी कसरत िमल जाती ह पट क िविभनन अगो को भी अचछा लाभ होता ह पीठ पट क नल पर गदरन

हाथ कमर नािभ स नीच क भाग एव छाती की नािड़यो को अचछा िखचाव िमलन स उन पर अचछा भाव पड़ता ह फलतः बनधकोष दर होता ह जठराि न तीो होती ह िवकत यकत पलीहा तथा िनिबय व क क िलए यह आसन लाभदायी ह कमर पीठ और सिनधःथानो क ददर जलदी दर हो जात ह

योगमिासन

योगा यास म यह मिा अित मह वपणर ह इसस इसका नाम योगमिासन रखा गया ह

धयान मिणपर चब म ास रचक कमभक और परक

िविधः प ासन लगाकर दोनो हाथो को पीठ क पीछ ल जाय बाय हाथ स दािहन हाथ की कलाई पकड़ दोनो हाथो को खीचकर कमर तथा रीढ़ क िमलन ःथान पर ल जाय अब रचक करक कमभक कर ास को रोककर शरीर को आग झकाकर भिम पर टक द िफर धीर-धीर िसर को उठाकर शरीर को पनः सीधा कर द और परक कर ारभ म यह आसन किठन लग तो सखासन या िस ासन म बठकर कर पणर लाभ तो प ासन म बठकर करन स ही होता ह पाचनतनऽ क अगो की ःथान ता ठीक करन क िलए यिद यह आसन करत हो तो कवल पाच-दस सकणड तक ही कर एक बठक म तीन स पाच बार सामानयतः यह आसन तीन िमनट तक करना चािहए आधयाितमक उ य स योगमिासन करत हो तो समय की अविध िच और शि क अनसार बढ़ाय

लाभः योगमिासन भली कार िस होता ह तब कणडिलिन शि जागत होती ह पट की गस की बीमारी दर होती ह पट एव आतो की सब िशकायत दर होती ह कलजा फफड़ आिद यथा ःथान रहत ह दय मजबत बनता ह र क िवकार दर होत

ह क और यौनिवकार न होत ह पट बड़ा हो तो अनदर दब जाता ह शरीर मजबत बनता ह मानिसक शि बढ़ती ह

योगमिासन स उदरपटल सश बनता ह पट क अगो को अपन ःथान िटक रहन म सहायता िमलती ह नाड़ीतऽ और खास करक कमर क नाड़ी मणडल को बल िमलता ह

इस आसन म सामनयतः जहा एिड़या लगती ह वहा कबज क अग होत ह उन पर दबाव पड़न स आतो म उ जना आती ह पराना कबज दर होता ह अगो की ःथान ता क कारण होन वाला कबज भी अग अपन ःथान म पनः यथावत िःथत हो जान स न हो जाता ह धात की दबरलता म योगमिासन खब लाभदायक ह

गोरकषासन या भिासन

धयान मलाधार चब म ास थम िःथित म परक और दसरी िःथित म कमभक

िविधः िबछ हए आसन पर बठ जाय दािहना पर घटन स मोड़कर एड़ी सीवन (उपःथ और गदा क मधय) क दािहन भाग म और बाया पर मोड़कर एड़ी सीवन क बाय भाग म इस कार रख िक दोनो पर क तलव एक दसर को लगकर रह

रचक करक दोनो हाथ सामन ज़मीन पर टककर शरीर को ऊपर उठाय और दोनो पर क पजो पर इस कार बठ िक शरीर का वजन एड़ी क मधय भाग म आय अगिलयो वाला भाग छटा रह अब परक करत -करत दोनो हाथो की हथिलयो को घटनो पर रख

अनत म कमभक करक ठोड़ी छाती पर दबाय िच वि मलाधार चब म और ि भी उसी िदशा म लगाय बमशः अ यास बढ़ाकर दसक िमनट तक यह आसन कर

लाभः इस आसन क अ यास स पर क सब सिनध ःथान तथा ःनाय सश बनत ह वाय ऊधवरगामी होकर जठराि न दी करता ह िदनो िदन जड़ता न होन लगती ह शरीर पतला होता ह सकलपबल बढ़ता ह बि तीकषण होती ह कलपनाशि का िवकास होता ह ाणापान की एकता होती ह नादोतपि होन लगती ह िबनद िःथर होकर िच की चचलता कम होती ह आहार का सपणरतया पाचन हो जान क कारण मलमऽ अलप होन लगत ह शरीर शि होन लगती ह तन म ःफितर एव मन म सननता अपन आप कट होती ह ःनाय स ढ़ बनत ह धातकषय गस मधमह ःवपनदोष अजीणर कमर का ददर गदरन की दबरलता बनधकोष मनदाि न िसरददर कषय

दयरोग अिनिा दमा मछाररोग बवासीर आऽपचछ पाणडरोग जलोदर भगनदर कोढ़ उलटी िहचकी अितसार आव उदररोग नऽिवकार आिद अस य रोगो म इस आसन स लाभ होत ह

मयरासन

इस आसन म मयर अथारत मोर की आकित बनती ह इसस इस मयरासन कहा जाता ह

धयान मिणपर चब म ास बा कमभक

िविधः जमीन पर घटन िटकाकर बठ जाय दोनो हाथ की हथिलयो को जमीन पर इस कार रख िक सब अगिलया पर की िदशा म हो और परःपर लगी रह दोनो कहिनयो को मोड़कर पट क कोमल भाग पर नािभ क इदरिगदर रख अब आग झककर दोनो पर को पीछ की लमब कर ास बाहर िनकाल कर दोनो पर को जमीन स ऊपर उठाय और िसर का भाग नीच झकाय इस कार परा शरीर ज़मीन क बराबर समानानतर रह ऐसी िःथित बनाय सपणर शरीर का वजन कवल दो हथिलयो पर ही

रहगा िजतना समय रह सक उतना समय इस िःथित म रहकर िफर मल िःथित म आ जाय इस कार दो-तीन बार कर

लाभः मयरासन करन स चयर-पालन म सहायता िमलती ह पाचन तऽ क अगो की र का वाह अिधक बढ़न स व अग बलवान और कायरशील बनत ह पट क भीतर क भागो म दबाव पड़न स उनकी शि बढ़ती ह उदर क अगो की िशिथलता और मनदाि न दर करन म मयरासन बहत उपयोगी ह

वळासन

वळासन का अथर ह बलवान िःथित पाचनशि वीयरशि तथा ःनायशि दन वाला होन स यह आसन वळासन कहलाता ह

धयान मलाधार चब म और ास दीघर

िविधः िबछ हए आसन पर दोनो परो को घटनो स मोड़कर एिड़यो पर बठ जाय पर क दोनो अगठ परःपर लग रह पर क तलवो क ऊपर िनतमब रह कमर और पीठ िबलकल सीधी रह दोनो हाथ को कहिनयो स मोड़ िबना घटनो पर रख द हथिलया नीच की ओर रह ि सामन िःथर कर द

पाच िमनट स लकर आध घणट तक वळासन का अ यास कर सकत ह वळासन लगाकर भिम पर लट जान स स वळासन होता ह

लाभः वळासन क अ यास स शरीर का मधयभाग सीधा रहता ह ास की गित मनद पड़न स वाय बढ़ती ह आखो की योित तज होती ह वळनाड़ी अथारत वीयरधारा नाड़ी मजबत बनती ह वीयर की ऊधवरगित होन स शरीर वळ जसा बनता ह लमब समय तक सरलता स यह आसन कर सकत ह इसस मन की चचलता दर होकर यि िःथर बि वाला बनता ह शरीर म र ािभसरण ठीक स होकर शरीर िनरोगी एव सनदर बनता ह

भोजन क बाद इस आसन स बठन स पाचन शि तज होती ह कबज दर होती ह भोजन जलदी ह म होता ह पट की वाय का नाश होता ह कबज दर होकर पट क तमाम रोग न होत ह पाणडरोग स मि िमलती ह रीढ़ कमर जाघ घटन और परो म शि बढ़ती ह कमर और पर का वाय रोग दर होता ह ःमरणशि म वि होती ह ि यो क मािसक धमर की अिनयिमतता जस रोग दर होत ह शबदोष वीयरदोष घटनो का ददर आिद का नाश होता ह ःनाय प होत ह ःफितर बढ़ान क िलए एव मानिसक िनराशा दर कर न क िलए यह आसन उपयोगी ह धयान क िलय भी यह आसन उ म ह इसक अ यास स शारी रक ःफितर एव मानिसक सननता कट होती ह िदन-ितिदन शि का सचय होता ह इसिलए शारी रक बल म खब वि होती ह काग का िगरना अथारत गल क टािनसलस हिडडयो क पोल आिद ःथानो म उतपनन होन वाल तकण की स या म वि होन स आरो य का साा य ःथािपत होता ह िफर यि

बखार स िसरददर स कबज स मदाि न स या अजीणर जस छोट-मोट िकसी भी रोग स पीिड़त नही रहता योिक रोग आरो य क साा य म िव होन का साहस ही नही कर पात

स वळासन

धयान िवश ा याचब म ास दीघर सामानय

िविधः वळासन म बठन क बाद िच होकर पीछ की ओर भिम पर लट जाय दोनो जघाए परःपर िमली रह अब रचक करत बाय हाथ का खला पजा दािहन कनध क नीच इस कार रख िक मःतक दोनो हाथ क बास क ऊपर आय रचक परा होन पर िऽबनध कर ि मलाधार चब की िदशा म और िच वि मलाधार चब म ःथािपत कर

लाभः यह आसन करन म ौम बहत कम ह और लाभ अिधक होता ह इसक अ यास स सषमना का मागर अतयनत सरल होता ह कणडिलनी शि सरलता स ऊधवरगमन कर सकती ह

इस आसन म धयान करन स म दणड को सीधा करन का ौम नही करना पड़ता और म दणड को आराम िमलता ह उसकी काय़रशि बल बनती ह इस आसन का अ यास करन स ायः तमाम अतःॐावी मिनथयो को जस शीषरःथ मिनथ कणठःथ मिनथ मऽिपणड की मनथी ऊधवरिपणड तथा प षाथर मिनथ आिद को पि िमलती ह फलतः यि का भौितक एव आधयाितमक िवकास सरल हो जाता ह तन-मन का ःवाःथय भावशाली बनता ह जठराि न दी होती ह मलावरोध की पीडा दर होती ह धातकषय ःवपनदोष पकषाघात पथरी बहरा होना तोतला होना आखो की दबरलता गल क टािनसल ासनिलका का सजन कषय दमा ःमरणशि की दबरलता आिद रोग दर होत ह

शवासन

शवासन की पणारवःथा म शरीर क तमाम अग एव मिःतक पणरतया च ा रिहत िकय जात ह यह अवःथा शव (मद) जसी होन स इस आसन को शवासन कहा जाता ह

िविधः िबछ हए आसन पर िच होकर लट जाय दोनो परो को परःपर स थोड़ अलग कर द दोनो हाथ भी शरीर स थोड़ अलग रह इस कार परो की ओर फला द हाथ की हथिलया आकाश की तरफ खली रख िसर सीधा रह आख बनद

मानिसक ि स शरीर को पर स िसर तक दखत जाय पर शरीर को मद की तरह ढीला छोड़ द हर एक अग को िशिथल करत जाय

शरीर म समपणर िवौाम का अनभव कर मन को भी बा ा िवषयो स हटाकर एकाम कर बारी-बारी स हर एक अग पर मानिसक ि एकाम करत हए भावना कर िक वह अग अब आराम पा रहा ह मरी सब थकान उतर रही ह इस कार भावना करत-करत सब ःनायओ को िशिथल होन द शरीर क एक भी अग म कही भी तनाव (टनशन) न रह िशिथलीकरण की िबया म पर स ारमभ करक िसर तक जाय अथवा िसर स ारमभ करक पर तक भी जा सकत ह अनत म जहा स ारमभ िकया हो वही पनः पहचना चािहय िशिथलीकरण की िबया स शरीर क तमाम अगो का एव ानततओ को िवौाम की अवःथा म ला दना ह

शवासन की दसरी अवःथा म ासोचछोवास पर धयान दना ह शवासन की यही म य िबया ह िवशषकर योग साधको क िलए वह अतयनत उपयोगी ह कवल शारी रक ःवाःथय क िलय थम भिमका पयार ह

इसम ास और उचछवास की िनयिमतता दीघरता और समानता ःथािपत करन का लकषय ह ास िनयिमत चल लमबा और गहरा चल ास और उचछवास एक समान रह तो मन को एकाम करन की शि ा होती ह

शवासन यिद ठीक ढग स िकया जाए तो नाड़ीतऽ इतना शात हो जाता ह िक अ यासी को नीद आन लगती ह लिकन धयान रह िनिनित न होकर जामत रहना आवयक ह

अनय आसन करन क बाद अगो म जो तनाव (टनशन) पदा होता ह उसको िशिथल करन क िलय अत म 3 स 5 िमनट तक शवासन करना चािहए िदनभर म अनकलता क अनसार दो-तीन बार शवासन कर सकत ह

लाभः शवासन क ारा ःनाय एव मासपिशयो म िशिथलीकरण स शि बढ़ती ह अिधक कायर करन की यो यता उसम आती ह र वाहिनयो म िशराओ म र वाह तीो

होन स सारी थकान उतर जाती ह नाड़ीतऽ को बल िमलता ह मानिसक शि म वि होती ह

र का दबाव कम करन क िलए नाड़ीतऽ की दबरलता एव उसक कारण होन वाल रोगो को दर करन क िलय शवासन खब उपयोगी ह

पादपि मो ानासन

यह आसन करना किठन ह इसस उमासन कहा जाता ह उम का अथर ह िशव भगवान िशव सहारक ार ह अतः उम या भयकर ह िशवसिहता म भगवान िशव न म कणठ स शसा करत हए कहा हः यह आसन सवरौ आसन ह इसको य पवरक ग रख िसफर अिधका रयो को ही इसका रहःय बताय

धयान मिणपर चब म ास थम िःथित म परक और दसरी िःथित म रचक और िफर बिहकर मभक

िविधः िबछ हए आसन पर बठ जाय दोनो परो को लमब फला द दोनो परो की जघा घटन पज परःपर िमल रह और जमीन क साथ लग रह परो की अगलया घटनो की तरफ झकी हई रह अब दोनो हाथ लमब कर दािहन हाथ की तजरनी और अगठ स दािहन पर का अगठा और बाय हाथ की तजरनी और अगठ स बाय पर का अगठा पकड़ अब रचक करत-करत नीच झक और िसर को दोनो घटनो क मधय म रख ललाट घटन को ःपशर कर और घटन ज़मीन स लग रह रचक परा होन पर कमभक कर ि एव िच वि को मिणपर चब म ःथािपत कर ारमभ म आधा िमनट करक बमशः 15 िमनट तक यह आसन करन का अ यास बढ़ाना चािहय थम दो-चार िदन किठन लगगा लिकन अ यास हो जान पर यह आसन सरल हो जाएगा

लाभः पादपि मो नासन म समयक अ यास स सषमना का मख खल जाता ह और ाण म दणड क मागर म गमन करता ह फलतः िबनद को जीत सकत ह िबनद को जीत िबना न समािध िस होती ह न वाय िःथर होता ह न िच शात होता ह

जो ी-प ष काम िवकार स अतयत पीिड़त हो उनह इस आसन का अ यास करना चािहए इसस शारी रक िवकार दब जात ह उदर छाती और म दणड को उ म कसरत िमलती ह अतः व अिधक कायरकषम बनत ह हाथ पर तथा अनय अगो क सिनध ःथान मजबत बनत ह शरीर क सब तऽ बराबर कायरशील होत ह रोग माऽ का नाश होकर ःवाःथय़ का साा य ःथािपत होता ह

इस आसन क अ यास स मनदाि न मलावरोध अजीणर उदररोग किमिवकार सद वातिवकार कमर का ददर िहचकी कोढ़ मऽरोग मधमह पर क रोग ःवपनदोष वीयरिवकार र िवकार एपनडीसाइिटस अणडवि पाणडरोग अिनिा दमा ख टी डकार आना ानतनत की दबरलता बवासीर नल की सजन गभारशय क रोग अिनयिमत तथा क दायक मािसक बनधयतव दर नपसकता र िप िसरोवदना बौनापन आिद अनक रोग दर होत ह पट पत ला बनता ह जठराि न दी होती ह कफ और चरबी न होत ह

िशवसिहता म कहा ह िक इस आसन स वाय ीपन होता ह और वह मतय का नाश करता ह इस आसन स शरीर का कद बढ़ता ह शरीर म अिधक ःथलता हो तो कम होती ह दबरलता हो तो वह दर होकर शरीर सामानय तनद ःत अवःथा म आ जाता ह नाडी सःथान म िःथरता आती ह मानिसक शाित ा होती ह िचनता एव उ जना शात करन क िलए यह आसन उ म ह पीठ और म दणड पर िखचाव आन स दोनो िवकिसत होत ह फलतः शरीर क तमाम अवयवो पर अिधकार ःथािपत होता ह सब आसनो म यह आसन सवर धान ह इसक अ यास स कायाकलप (प रवतरन) हो जाता ह

यह आसन भगवान िशव को बहत पयारा ह उनकी आ ा स योगी गोरखनाथ न लोककलयाण हत इसका चार िकया ह आप इस आसन क अदभत लाभो स लाभािनवत हो और दसरो को भी िसखाय

पादपि मो ानासन प यपाद आसारामजी बाप को भी बहत पयारा ह उसस प यौी को बहत लाभ हए ह अभी भी यह आसन उनक आरो यिनिध का रकषक बना हआ ह

पाठक भाइयो आप अवय इस आसन का लाभ लना ारमभ क चार-पाच िदन जरा किठन लगगा बाद म तो यह आसन आपका िशवजी क वरदान प आरो य कवच िस हए िबना नही रहगा

िऽबनध

मलबनध

शौच ःनानािद स िनव होकर आसन पर बठ जाय बायी एड़ी क ारा सीवन या योिन को दबाय दािहनी एड़ी सीवन पर रख गदा ार को िसकोड़कर भीतर की ओर ऊपर खीच यह मलबनध कहा जाता ह

लाभः मलबनध क अ यास स मतय को जीत सकत ह शरीर म नयी ताजगी आती ह िबगड़त हए ःवाःथय की रकषा होती ह चयर का पालन करन म मलबनध सहायक िस होता ह वीयर को प करता ह कबज को न करता ह जठराि न तज होती ह मलबनध स िचरयौवन ा होता ह बाल सफद होन स कत ह

अपानवाय ऊधवरगित पाकर ाणवाय क सषमना म िव होता ह सहॐारचब म िच वि िःथर बनती ह इसस िशवपद का आननद िमलता ह सवर कार की िद य िवभितया और ऐ यर ा होत ह अनाहत नाद सनन को िमलता ह ाण अपान नाद और िबनद एकिऽत होन स योग म पणरता ा होती ह

उडडीयान बनध

आसन पर बठकर परा ास बाहर िनकाल द समपणरतया रचक कर पट को भीतर िसकोड़कर ऊपर की ओर खीच नािभ तथा आत पीठ की तरफ दबाय शरीर को थोड़ा सा आग की तरफ झकाय यह ह उडडीयानबनध

लाभः इसक अ यास स िचरयौवन ा होता ह मतय पर जय ा होती ह चयर क पालन म खब सहायता िमलती ह ःवाःथय सनदर बनता ह कायरशि म वि होती ह नयोिल और उडडीयानबनध जब एक साथ िकय जात ह तब कबज दम दबाकर भाग खड़ा होता ह पट क तमाम अवयवो की मािलश हो जाती ह पट की अनावयक चरबी उतर जाती ह

जालनधरबनध

आसन पर बठकर परक करक कमभक कर और ठोड़ी को छाती क साथ दबाय इसको जालनधरबनध कहत ह

लाभः जालनधरबनध क अ यास स ाण का सचरण ठीक स होता ह इड़ा और िपगला नाड़ी बनद होकर ाण-अपान सषमना म िव होत ह नािभ स अमत कट होता ह िजसका पान जठराि न करता ह योगी इसक ारा अमरता ा करता ह

प ासन पर बठ जाय परा ास बाहर िनकाल कर मलबनध उडडीयानबनध कर िफर खब परक करक मलबनध उडडीयानबनध और जालनधरबनध य तीनो बनध एक साथ कर आख बनद रख मन म णव (ॐ) का अथर क साथ जप कर

इस कार ाणायाम सिहत तीनो बनध का एक साथ अ यास करन स बहत लाभ होता ह और ायः चमतका रक प रणाम आता ह कवल तीन ही िदन क समयक अ यास स जीवन म बािनत का अनभव होन लगता ह कछ समय क अ यास स कवल या कवली कमभक ःवय कट होता ह

कवली कमभक

कवल या कवली कमभक का अथर ह रचक-परक िबना ही ाण का िःथर हो जाना िजसको कवली कमभक िस होता ह उस योगी क िलए तीनो लोक म कछ भी दलरभ नही रहता कणडिलनी जागत होती ह शरीर पतला हो जाता ह मख सनन रहता ह नऽ मलरिहत होत ह सवर रोग दर हो जात ह िबनद पर िवजय होती ह जठराि न विलत होती ह

कवली कमभक िस िकय हए योगी की अपनी सवर मनोकामनाय पणर होती ह इतना ही नही उसका पजन करक ौ ावान लोग भी अपनी मनोकामनाय पणर करन लगत ह

जो साधक पणर एकामता स िऽबनध सिहत ाणायाम क अ यास ारा कवली कमभक का प षाथर िस करता ह उसक भा य का तो पछना ही या उसकी यापकता

बढ़ जाती ह अनतर म महानता का अनभव होता ह काम बोध लोभ मोह मद और मतसर इन छः शऽओ पर िवजय ा होती ह कवली कमभक की मिहमा अपार ह

जलनित

िविधः एक िलटर पानी को गनगना सा गरम कर उसम करीब दस माम श नमक डालकर घोल द सनधव िमल जाय तो अचछा सबह म ःनान क बाद यह पानी चौड़ महवाल पाऽ म कटोर म लकर परो पर बठ जाय पाऽ को दोनो हाथो स पकड़ कर नाक क नथन पानी म डबो द अब धीर-धीर नाक क ारा ास क साथ पानी को भीतर खीच और नाक स भीतर आत हए पानी को मह स बाहर िनकालत जाय नाक को पानी म इस कार बराबर डबोय रख िजसस नाक ारा भीतर जानवाल पानी क साथ हवा न वश कर अनयथा आतरस-खासी आयगी

इस कार पाऽ का सब पानी नाक ारा लकर मख ारा बाहर िनकाल द अब पाऽ को रख कर खड़ हो जाय दोनो पर थोड़ खल रह दोनो हाथ कमर पर रखकर ास को जोर स बाहर िनकालत हए आग की ओर िजतना हो सक झक भिॐका क साथ यह िबया बार-बार कर इसस नाक क भीतर का सब पानी बाहर िनकल जायगा थोड़ा बहत रह भी जाय और िदन म कभी भी नाक स बाहर िनकल जाय तो कछ िचनताजनक नही ह

नाक स पानी भीतर खीचन की यह िबया ारमभ म उलझन जसी लगगी लिकन अ यास हो जान पर िबलकल सरल बन जायगा

लाभः मिःतक की ओर स एक कार का िवषला रस नीच की ओर बहता ह यह रस कान म आय तो कान क रोग होत ह आदमी बहरा हो जाता ह यह रस आखो की तरफ जाय तो आखो का तज कम हो जाता ह चम की ज रत पड़ती ह तथा अनय रोग होत ह यह रस गल की ओर जाय तो गल क रोग होत ह

िनयमपवरक जलनित करन स यह िवषला पदाथर बाहर िनकल जाता ह आखो की रोशनी बढ़ती ह चम की ज रत नही पड़ती चमा हो भी तो धीर-धीर नमबर कम होत-होत छट जाता भी जाता ह ासोचछोवास का मागर साफ हो जाता ह मिःतक म ताजगी रहती ह जकाम-सद होन क अवसर कम हो जात ह जलनित की िबया करन

स दमा टीबी खासी नकसीर बहरापन आिद छोटी-मोटी 1500 बीमी रया दर होती ह जलनित करन वाल को बहत लाभ होत ह िच म सननता बनी रहती ह

गजकरणी िविधः करीब दो िलटर पानी गनगना सा गरम कर उसम करीब 20 माम श

नमक घोल द सनधव िमल जाय तो अचछा ह अब पजो क बल बठकर वह पानी िगलास भर-भर क पीत जाय खब िपय अिधकाअिधक िपय पट जब िबलकल भर जाय गल तक आ जाय पानी बाहर िनकालन की कोिशश कर तब दािहन हाथ की दो बड़ी अगिलया मह म डाल कर उलटी कर िपया हआ सब पानी बाहर िनकाल द पट िबलकल हलका हो जाय तब पाच िमनट तक आराम कर

गजकरणी करन क एकाध घणट क बाद कवल पतली िखचड़ी ही भोजन म ल भोजन क बाद तीन घणट तक पानी न िपय सोय नही ठणड पानी स ःनान कर तीन घणट क बाद ारमभ म थोड़ा गरम पानी िपय

लाभः गजकरणी स एिसडीटी क रोगी को अदभत लाभ होता ह ऐस रोगी को चार-पाच िदन म एक बार गजकरणी चािहए ततप ात महीन म एक बार दो महीन म एक बार छः महीन म एक बार भी गजकरणी कर सकत ह

ातःकाल खाली पट तलसी क पाच-सात प चबाकर ऊपर स थोड़ा जल िपय एसीडीटी क रोगी को इसस बहत लाभ होगा

वष परान कबज क रोिगयो को स ाह म एक बार गजकरणी की िबया अवय करनी चािहए उनका आमाशय मिनथसःथान कमजोर हो जान स भोजन हजम होन म गड़बड़ रहती ह गजकरणी करन स इसम लाभ होता ह फोड़ फनसी िसर म गम सद बखार खासी दमा टीबी वात-िप -कफ क दोष िज ा क रोग गल क रोग छाती क रोग छाती का ददर एव मदाि न म गजकरणी िबया लाभकारक ह

शरीर शोधन-कायाकलप

यह चालीस िदन का कलप ह प यपाद आसारामजी बाप न यह योग िकया हआ ह इसस शरीर सडौल ःवःथ और फत ला बनता ह र म नय-नय कण बनत ह शरीर क कोषो की शि बढ़ती ह मन-बि म चमतका रक लाभ होत ह

िविधः अगल िदन पपीता सव आिद फल उिचत माऽा म ल अथवा मन का 50 माम दस घणट पहल िभगो द उनको उबालकर बीज िनकाल द मन का खा ल और पानी पी ल

ातःकाल उठकर सकलप कर िक इस कलप क दौरान िनि त िकय हए कायरबम क अनसार ही रहगा

शौच-ःनानािद िनतयकमर स िनव होकर सबह 8 बज 200 या 250 माम गाय का उबला हआ गनगना दध िपय पौन घणटा पणर आराम कर बाद म िफर स दध िपय शारी रक ौम कम स कम कर ॐ सोsह हसः इस मऽ का मानिसक जप कर कभी ास को िनहार बस साकषीभाव

मनोरा य चलता हो तो ॐ जोर-जोर स जप कर

इस कार शाम तक िजतना दध हजम कर सक उतना दध दो स तीन िलटर िपय 40 िदन तक कवल द धाहार क बाद 41व िदन मग का उबला हआ पानी मोसममी का रस आिद ल रािऽ को अिधक मगवाली हलकी िखचड़ी खाय इस कार शरीर-शोधन-कायाकलप की पणारहित कर

यिद बि तीकषण बनानी हो ःमरणशि बढ़ानी हो तो कलप क दौरान ॐ ऐ नमः इस मऽ का जप कर सयर को अ यर द

इस कलप म दध क िसवाय अनय कोई खराक लना मना ह चाय तमबाक आिद यसन िनिष ह ि यो क सग स दर रहना तथा चयर का पालन अतयनत आवयक ह

कलजग नही करजग ह यह

कलजग नही करजग ह यह यहा िदन को द अ रात ल

या खब सौदा नकद ह इस हाथ द उस हाथ ल टक

दिनया अजब बाज़ार ह कछ िजनस1 या िक साथ ल

नकी का बदला नक ह बद स बदी की बात ल

मवा िखला मवा िमल फल फल द फल पात ल

आराम द आराम ल दःख ददर द आफत2 ल 1

काटा िकसी को मत लगा गो िमःल-गल3 फला ह त

वह तर हक4 म तीर ह िकस बात पर झला ह त

मत आग म डाल और को या घास का पला ह त

सन ऱख यह नकता5 बखबर िकस बात पर भला ह त

कलजग नही 2

शोखी शरारत मकरो-फन6 सबका बसखा7 ह यहा

जो जो िदखाया और को वह खद भी दखा ह यहा

खोटी खरी जो कछ कही ितसका परखा8 ह यहा

जो जो पड़ा तलता ह मोल ितल ितल का लखा ह यहा

कलजग नही 3

जो और की बःती9 रख उसका भी बसता ह परा

जो और क मार छरी उसको भी लगता ह छरा

जो और की तोड़ घड़ी उसका भी टट ह घड़ा

जो और की चत10 बदी उसका भी होता ह बरा

कलजग नही 4

जो और को फल दवगा वह भी सदा फल पावगा

गह स गह जौ स जौ चावल स चावल पावगा

जो आज दवगा यहा वसा ही वह कल पावगा

कल दवगा कल पावगा िफर दवगा िफर पावगा

कलजग नही 5

जो चाह ल चल इस घड़ी सब िजनस यहा तयार ह

आराम म आराम ह आजार म आजार11 ह

दिनया न जान इसको िमया दरया की यह मझधार ह

औरो का बड़ा पार कर तरा भी बड़ा पार ह

कलजग नही 6

त और की तारीफ कर तझको सना वानी12 िमल

कर मिकल आसा औरो की तझको भी आसानी िमल

त और को महमान कर तझको भी महमानी िमल

रोटी िखला रोटी िमल पानी िपला पानी िमल

कलजग नही 7

जो गल13 िखलाव और का उसका ही गल िखलता भी ह

जो और का कील14 ह मह उसका ही मह िकलता भी ह

जो और का छील िजगर उसका िजगर िछलता भी ह

जो और को दव कपट उसको कपट िमलता भी ह

कलजग नही 8

कर जो कछ करना ह अब यह दम तो कोई आन15 ह

नकसान म नकसान ह एहसान म एहसान ह

तोहमत म यहा तोहमत िमल तफान म तफान ह

रहमान16 को रहमान17 ह शतान को शतान ह

कलजग नही 9

यहा जहर द तो जहर ल श कर म श कर दख ल

नको का नकी का मजा मजी18 को ट कर दख ल

मोती िदय मोती िमल पतथर म पतथर दख ल

गर तझको यह बावर19 नही तो त भी करक दख ल

कलजग नही 10

अपन नफ क वाःत मत और का नकसान कर

तरा भी नकसा होवगा इस बात पर त धयान कर

खाना जो खा सो दखकर पानी िपय तो छानकर

या पावो को रख फककर और खोफ स गजरान कर

कलजग नही 11

गफलत की यह जगह नही त सािहब-इदराक20 रह

िदलशाद21 ऱख िदल शाह रह गमनाक रख गमनाक रह

हर हाल म भी त नजीर22 अब हर कदम की रह

यह वह मका ह ओ िमया या पाक23 रह बबाक24 रह

कलजग नही 12

1 वःत 2 मसीबत 3 पप की तरह 4 तर िलय 5 रहःय 6 दगा-धोखा 7 घर 8 परखना 9 नगरी 10 िवचार कर 11 दःख 12 तारीफ-ःतित 13 फल 14 िकसी को बोलन न दना 15 घड़ी पल 16 दयावान 17 दयाल भगवान 18 सतान वाला 19 िव ास 20 तीो ा तज समझन वाला प ष 21 सननिच 22 किव का नाम ह 23 श पिवऽ 24 िनडर

  • आधयातमिक विदया क उदगाता
  • सवासथय क लिए मतर
  • परासताविक
  • बरहमचरय-रकषा का मनतर
  • आसनो की परकिया म आन वाल कछ शबदो की समझ
  • आवशयक निरदश
  • योगासन
    • पदमासन या कमलासन
    • सिदधासन
    • सरवागासन
    • हलासन
    • पवनमकतासन
    • मतसयासन
    • भजगासन
    • धनरासन
    • चकरासन
    • कटिपिणडमरदनासन
    • अरधमतसयनदरासन
    • योगमदरासन
    • गोरकषासन या भदरासन
    • मयरासन
    • वजरासन
    • सपतवजरासन
    • शवासन
    • पादपशचिमोततानासन
      • तरिबनध
        • मलबनध
        • उडडीयान बनध
        • जालनधरबनध
          • कवली कमभक
          • जलनति
          • गजकरणी
          • शरीर शोधन-कायाकलप
          • कलजग नही करजग ह यह
Page 21: अनुबम - || Home || HariOmGroup · िस होता है। िवशु नाड़ीतंऽ वालेयोगी के िवशु शरीर में

कमभक करक इस िःथित म िटक रह बाद म हाथ खोलकर पर तथा िसर को मल अवःथा म ल जाय और परक कर ारभ म पाच सकणड यह आसन कर धीर-धीर समय बढ़ाकर तीन िमनट या उसस भी अिधक समय इस आसन का अ यास कर तीन-चार बार यह आसन करना चािहए

लाभः धनरासन क अ यास स पट की चरबी कम होती ह गस दर होती ह पट को रोग न होत ह कबज म लाभ होता ह भख खलती ह छाती का ददर दर होता ह दय की धडकन मजबत बनती ह ास िक िबया यविःथत चलती ह मखाकित सदर बनती ह आखो की रोशनी बढ़ती ह और तमाम रोग दर होत ह हाथ -पर म होन वाला कपन कता ह शरीर का सौनदयर बढ़ता ह पट क ःनायओ म िखचाव आन स पट को अचछा लाभ होता ह आतो पर खब दबाव पड़न स पट क अगो पर भी दबाव पड़ता ह फलतः आतो म पाचकरस आन लगता ह इसस जठराि न तज होती ह पाचनशि बढ़ती ह वायरोग न होता ह पट क कषऽ म र का सचार अिधक होता ह धनरासन म भजगासन और शलभासन का समावश हो जान क कारण इन दोनो आसनो क लाभ िमलत ह ि यो क िलए यह आसन खब लाभकारक ह इसस मािसक धमर क िवकार गभारशय क तमाम रोग दर होत ह

चबासन

इस आसन म शरीर की आकित चब जसी बनती ह अतः चबासन कहा जाता ह

धयान मिणपर चब म ास दीघर ःवाभािवक

िविधः भिम पर िबछ हए आसन पर िच होकर लट जाय घटनो स पर मोड़ कर ऊपर उठाय पर क तलव ज़मीन स लग रह दो परो क बीच करीब डढ़ फीट का अनतर रख दोनो हाथ मःतक की तरफ उठाकर पीछ की ओर दोनो हथिलयो को ज़मीन पर जमाय दोनो हथिलयो क बीच भी करीब डढ़ फीट का अनतर रख अब हाथ और पर क बल स पर शरीर को कमर स मोड़कर ऊपर उठाय हाथ को धीर-धीर पर की ओर ल जाकर ःमपशर शरीर का आकार व या चब जसा बनाय आख बनद रख ास की गित ःवाभािवक चलन द िच वि मिणपर चब (नािभ कनि) म िःथर कर आख खली भी रख सकत ह एक िमनट स पाच िमनट तक अ यास बढ़ा सकत ह

लाभः म दणड तथा शरीर की समःत नािड़यो का शि करण होकर यौिगक चब जागत होत ह लकवा तथा शरीर की कमजो रया दर होती ह मःतक गदरन पीठ पट

कमर हाथ पर घटन आिद सब अग मजबत बनत ह सिनध ःथानो ददर नही होता पाचनशि बढ़ती ह पट की अनावयक चरबी दर होती ह शरीर तजःवी और फत ला बनता ह िवकारी िवचार न होत ह ःवपनदोष की बीमारी अलिवदा होती ह चबासन क िनयिमत अ यास स व ावःथा म कमर झकती नही शरीर सीधा तना हआ रहता ह

किटिपणडमदरनासन

इस आसन म किटदश (कमर क पास वाल भाग) म िःथत िपणड अथारत मऽिपणड का मदरन होता ह इसस यह आसन किटिपणडमदरनासन कहलाता ह

धयान ःवािध ान चब म ास परक और कमभक

िविधः िबछ हए कमबल पर पीठ क बल िच होकर लट जाय दोनो हाथो को आमन-सामन फला द मि ठया बनद रख दोनो परो को घटनो स मोड़कर खड़ कर द पर क तलव ज़मीन स लग रह दोनो परो क बीच इतना अनतर रख िक घटनो को ज़मीन पर झकान स एक पर का घटना दसर पर की एड़ी को लग िसर दायी ओर मड़ तो दोनो घटन दािहनी ओर ज़मीन को लग इस कार 15-20 बार िबया कर इस कार दोनो परो को एक साथ रखकर भी िबया कर

लाभः िजसको पथरी की तकलीफ हो उस आौम (सत ौी आसारामजी आौम साबरमित अमदावाद-5) स िबना मलय िमलती काली भःम करीब डढ़ माम भोजन स आधा घणटा पवर और भोजन क बाद एक िगलास पानी क साथ लना चािहए और यह आसन भख पट ठीक ढग स करना चािहए इसस पथरी क ददर म लाभ होता ह पथरी टकड़ -टकड़ होकर मऽ क ारा बाहर िनकलन लगती ह मऽिवकार दर होता ह कमर ददर साइिटका रीढ़ की हडडी की जकड़न उदासीनता िनराशा डायािबटीज नपसकता गस पर की गाठ इतयािद रोगो म शीय लाभ होता ह नािभ ःथान स चयत हो जाती हो तो पनः अपन ःथान म आ जाती ह

मािसक धमर क समय एव गभारवःथा म ि या यह आसन न कर कबज का रोगी सबह शौच जान स पहल उषःपान करक यह आसन कर तो चमतका रक लाभ होता ह ास को अनदर भर क पट को फलाकर यह आसन करन स कबज जलदी दर होता ह

अधरमतःयनिासन

कहा जाता ह िक मतःयनिासन की रचना गोरखनाथ क ग ःवामी मतःयनिनाथ न की थी व इस आसन म धयान िकया करत थ मतःयनिासन की आधी िबयाओ को लकर अधरमतःयनिासन चिलत हआ ह

धयान अनाहत चब म ास दीघर

िविधः दोनो परो को लमब करक आसन पर बठ जाओ बाय पर को घटन स मोड़कर एड़ी गदा ार क नीच जमाय पर क तलव को दािहनी जघा क साथ लगा द अब दािहन पर को घटन स मोड़कर खड़ा कर द और बाय पर की जघा स ऊपर ल जात हए जघा क पीछ ज़मीन क ऊपर ऱख द आसन क िलए यह पवरभिमका तयार हो गई

अब बाय हाथ को दािहन पर क घटन स पार करक अथारत घटन को बगल म दबात हए बाय हाथ स दािहन पर का अ गठा पकड़ धड़ को दािहनी ओर मोड़ िजसस दािहन पर क घटन क ऊपर बाय कनध का दबाव ठीक स पड़ अब दािहना हाथ पीठ क पीछ स घमाकर बाय पर की जाघ का िनमन भाग पकड़ िसर दािहनी ओर इतना घमाय िक ठोड़ी और बाया कनधा एक सीधी रखा म आ जाय छाती िबलकल तनी हई रख नीच की ओर झक नही िच वि नािभ क पीछ क भाग म िःथत मिणपर चब म िःथर कर

यह एक तरफ का आसन हआ इसी कार पहल दािहना पर मोड़कर एड़ी गदा ार क नीच दबाकर दसरी तरफ का आसन भी कर ारमभ म पाच सकणड य ह आसन करना पयार ह िफर अ यास बढ़ाकर एक एक तरफ एक एक िमनट तक आसन कर सकत ह

लाभः अधरमतःयनिासन स म दणड ःवःथ रहन स यौवन की ःफितर बनी रहती ह रीढ़ की हिडडयो क साथ उनम स िनकलन वाली नािडयो को भी अचछी कसरत िमल जाती ह पट क िविभनन अगो को भी अचछा लाभ होता ह पीठ पट क नल पर गदरन

हाथ कमर नािभ स नीच क भाग एव छाती की नािड़यो को अचछा िखचाव िमलन स उन पर अचछा भाव पड़ता ह फलतः बनधकोष दर होता ह जठराि न तीो होती ह िवकत यकत पलीहा तथा िनिबय व क क िलए यह आसन लाभदायी ह कमर पीठ और सिनधःथानो क ददर जलदी दर हो जात ह

योगमिासन

योगा यास म यह मिा अित मह वपणर ह इसस इसका नाम योगमिासन रखा गया ह

धयान मिणपर चब म ास रचक कमभक और परक

िविधः प ासन लगाकर दोनो हाथो को पीठ क पीछ ल जाय बाय हाथ स दािहन हाथ की कलाई पकड़ दोनो हाथो को खीचकर कमर तथा रीढ़ क िमलन ःथान पर ल जाय अब रचक करक कमभक कर ास को रोककर शरीर को आग झकाकर भिम पर टक द िफर धीर-धीर िसर को उठाकर शरीर को पनः सीधा कर द और परक कर ारभ म यह आसन किठन लग तो सखासन या िस ासन म बठकर कर पणर लाभ तो प ासन म बठकर करन स ही होता ह पाचनतनऽ क अगो की ःथान ता ठीक करन क िलए यिद यह आसन करत हो तो कवल पाच-दस सकणड तक ही कर एक बठक म तीन स पाच बार सामानयतः यह आसन तीन िमनट तक करना चािहए आधयाितमक उ य स योगमिासन करत हो तो समय की अविध िच और शि क अनसार बढ़ाय

लाभः योगमिासन भली कार िस होता ह तब कणडिलिन शि जागत होती ह पट की गस की बीमारी दर होती ह पट एव आतो की सब िशकायत दर होती ह कलजा फफड़ आिद यथा ःथान रहत ह दय मजबत बनता ह र क िवकार दर होत

ह क और यौनिवकार न होत ह पट बड़ा हो तो अनदर दब जाता ह शरीर मजबत बनता ह मानिसक शि बढ़ती ह

योगमिासन स उदरपटल सश बनता ह पट क अगो को अपन ःथान िटक रहन म सहायता िमलती ह नाड़ीतऽ और खास करक कमर क नाड़ी मणडल को बल िमलता ह

इस आसन म सामनयतः जहा एिड़या लगती ह वहा कबज क अग होत ह उन पर दबाव पड़न स आतो म उ जना आती ह पराना कबज दर होता ह अगो की ःथान ता क कारण होन वाला कबज भी अग अपन ःथान म पनः यथावत िःथत हो जान स न हो जाता ह धात की दबरलता म योगमिासन खब लाभदायक ह

गोरकषासन या भिासन

धयान मलाधार चब म ास थम िःथित म परक और दसरी िःथित म कमभक

िविधः िबछ हए आसन पर बठ जाय दािहना पर घटन स मोड़कर एड़ी सीवन (उपःथ और गदा क मधय) क दािहन भाग म और बाया पर मोड़कर एड़ी सीवन क बाय भाग म इस कार रख िक दोनो पर क तलव एक दसर को लगकर रह

रचक करक दोनो हाथ सामन ज़मीन पर टककर शरीर को ऊपर उठाय और दोनो पर क पजो पर इस कार बठ िक शरीर का वजन एड़ी क मधय भाग म आय अगिलयो वाला भाग छटा रह अब परक करत -करत दोनो हाथो की हथिलयो को घटनो पर रख

अनत म कमभक करक ठोड़ी छाती पर दबाय िच वि मलाधार चब म और ि भी उसी िदशा म लगाय बमशः अ यास बढ़ाकर दसक िमनट तक यह आसन कर

लाभः इस आसन क अ यास स पर क सब सिनध ःथान तथा ःनाय सश बनत ह वाय ऊधवरगामी होकर जठराि न दी करता ह िदनो िदन जड़ता न होन लगती ह शरीर पतला होता ह सकलपबल बढ़ता ह बि तीकषण होती ह कलपनाशि का िवकास होता ह ाणापान की एकता होती ह नादोतपि होन लगती ह िबनद िःथर होकर िच की चचलता कम होती ह आहार का सपणरतया पाचन हो जान क कारण मलमऽ अलप होन लगत ह शरीर शि होन लगती ह तन म ःफितर एव मन म सननता अपन आप कट होती ह ःनाय स ढ़ बनत ह धातकषय गस मधमह ःवपनदोष अजीणर कमर का ददर गदरन की दबरलता बनधकोष मनदाि न िसरददर कषय

दयरोग अिनिा दमा मछाररोग बवासीर आऽपचछ पाणडरोग जलोदर भगनदर कोढ़ उलटी िहचकी अितसार आव उदररोग नऽिवकार आिद अस य रोगो म इस आसन स लाभ होत ह

मयरासन

इस आसन म मयर अथारत मोर की आकित बनती ह इसस इस मयरासन कहा जाता ह

धयान मिणपर चब म ास बा कमभक

िविधः जमीन पर घटन िटकाकर बठ जाय दोनो हाथ की हथिलयो को जमीन पर इस कार रख िक सब अगिलया पर की िदशा म हो और परःपर लगी रह दोनो कहिनयो को मोड़कर पट क कोमल भाग पर नािभ क इदरिगदर रख अब आग झककर दोनो पर को पीछ की लमब कर ास बाहर िनकाल कर दोनो पर को जमीन स ऊपर उठाय और िसर का भाग नीच झकाय इस कार परा शरीर ज़मीन क बराबर समानानतर रह ऐसी िःथित बनाय सपणर शरीर का वजन कवल दो हथिलयो पर ही

रहगा िजतना समय रह सक उतना समय इस िःथित म रहकर िफर मल िःथित म आ जाय इस कार दो-तीन बार कर

लाभः मयरासन करन स चयर-पालन म सहायता िमलती ह पाचन तऽ क अगो की र का वाह अिधक बढ़न स व अग बलवान और कायरशील बनत ह पट क भीतर क भागो म दबाव पड़न स उनकी शि बढ़ती ह उदर क अगो की िशिथलता और मनदाि न दर करन म मयरासन बहत उपयोगी ह

वळासन

वळासन का अथर ह बलवान िःथित पाचनशि वीयरशि तथा ःनायशि दन वाला होन स यह आसन वळासन कहलाता ह

धयान मलाधार चब म और ास दीघर

िविधः िबछ हए आसन पर दोनो परो को घटनो स मोड़कर एिड़यो पर बठ जाय पर क दोनो अगठ परःपर लग रह पर क तलवो क ऊपर िनतमब रह कमर और पीठ िबलकल सीधी रह दोनो हाथ को कहिनयो स मोड़ िबना घटनो पर रख द हथिलया नीच की ओर रह ि सामन िःथर कर द

पाच िमनट स लकर आध घणट तक वळासन का अ यास कर सकत ह वळासन लगाकर भिम पर लट जान स स वळासन होता ह

लाभः वळासन क अ यास स शरीर का मधयभाग सीधा रहता ह ास की गित मनद पड़न स वाय बढ़ती ह आखो की योित तज होती ह वळनाड़ी अथारत वीयरधारा नाड़ी मजबत बनती ह वीयर की ऊधवरगित होन स शरीर वळ जसा बनता ह लमब समय तक सरलता स यह आसन कर सकत ह इसस मन की चचलता दर होकर यि िःथर बि वाला बनता ह शरीर म र ािभसरण ठीक स होकर शरीर िनरोगी एव सनदर बनता ह

भोजन क बाद इस आसन स बठन स पाचन शि तज होती ह कबज दर होती ह भोजन जलदी ह म होता ह पट की वाय का नाश होता ह कबज दर होकर पट क तमाम रोग न होत ह पाणडरोग स मि िमलती ह रीढ़ कमर जाघ घटन और परो म शि बढ़ती ह कमर और पर का वाय रोग दर होता ह ःमरणशि म वि होती ह ि यो क मािसक धमर की अिनयिमतता जस रोग दर होत ह शबदोष वीयरदोष घटनो का ददर आिद का नाश होता ह ःनाय प होत ह ःफितर बढ़ान क िलए एव मानिसक िनराशा दर कर न क िलए यह आसन उपयोगी ह धयान क िलय भी यह आसन उ म ह इसक अ यास स शारी रक ःफितर एव मानिसक सननता कट होती ह िदन-ितिदन शि का सचय होता ह इसिलए शारी रक बल म खब वि होती ह काग का िगरना अथारत गल क टािनसलस हिडडयो क पोल आिद ःथानो म उतपनन होन वाल तकण की स या म वि होन स आरो य का साा य ःथािपत होता ह िफर यि

बखार स िसरददर स कबज स मदाि न स या अजीणर जस छोट-मोट िकसी भी रोग स पीिड़त नही रहता योिक रोग आरो य क साा य म िव होन का साहस ही नही कर पात

स वळासन

धयान िवश ा याचब म ास दीघर सामानय

िविधः वळासन म बठन क बाद िच होकर पीछ की ओर भिम पर लट जाय दोनो जघाए परःपर िमली रह अब रचक करत बाय हाथ का खला पजा दािहन कनध क नीच इस कार रख िक मःतक दोनो हाथ क बास क ऊपर आय रचक परा होन पर िऽबनध कर ि मलाधार चब की िदशा म और िच वि मलाधार चब म ःथािपत कर

लाभः यह आसन करन म ौम बहत कम ह और लाभ अिधक होता ह इसक अ यास स सषमना का मागर अतयनत सरल होता ह कणडिलनी शि सरलता स ऊधवरगमन कर सकती ह

इस आसन म धयान करन स म दणड को सीधा करन का ौम नही करना पड़ता और म दणड को आराम िमलता ह उसकी काय़रशि बल बनती ह इस आसन का अ यास करन स ायः तमाम अतःॐावी मिनथयो को जस शीषरःथ मिनथ कणठःथ मिनथ मऽिपणड की मनथी ऊधवरिपणड तथा प षाथर मिनथ आिद को पि िमलती ह फलतः यि का भौितक एव आधयाितमक िवकास सरल हो जाता ह तन-मन का ःवाःथय भावशाली बनता ह जठराि न दी होती ह मलावरोध की पीडा दर होती ह धातकषय ःवपनदोष पकषाघात पथरी बहरा होना तोतला होना आखो की दबरलता गल क टािनसल ासनिलका का सजन कषय दमा ःमरणशि की दबरलता आिद रोग दर होत ह

शवासन

शवासन की पणारवःथा म शरीर क तमाम अग एव मिःतक पणरतया च ा रिहत िकय जात ह यह अवःथा शव (मद) जसी होन स इस आसन को शवासन कहा जाता ह

िविधः िबछ हए आसन पर िच होकर लट जाय दोनो परो को परःपर स थोड़ अलग कर द दोनो हाथ भी शरीर स थोड़ अलग रह इस कार परो की ओर फला द हाथ की हथिलया आकाश की तरफ खली रख िसर सीधा रह आख बनद

मानिसक ि स शरीर को पर स िसर तक दखत जाय पर शरीर को मद की तरह ढीला छोड़ द हर एक अग को िशिथल करत जाय

शरीर म समपणर िवौाम का अनभव कर मन को भी बा ा िवषयो स हटाकर एकाम कर बारी-बारी स हर एक अग पर मानिसक ि एकाम करत हए भावना कर िक वह अग अब आराम पा रहा ह मरी सब थकान उतर रही ह इस कार भावना करत-करत सब ःनायओ को िशिथल होन द शरीर क एक भी अग म कही भी तनाव (टनशन) न रह िशिथलीकरण की िबया म पर स ारमभ करक िसर तक जाय अथवा िसर स ारमभ करक पर तक भी जा सकत ह अनत म जहा स ारमभ िकया हो वही पनः पहचना चािहय िशिथलीकरण की िबया स शरीर क तमाम अगो का एव ानततओ को िवौाम की अवःथा म ला दना ह

शवासन की दसरी अवःथा म ासोचछोवास पर धयान दना ह शवासन की यही म य िबया ह िवशषकर योग साधको क िलए वह अतयनत उपयोगी ह कवल शारी रक ःवाःथय क िलय थम भिमका पयार ह

इसम ास और उचछवास की िनयिमतता दीघरता और समानता ःथािपत करन का लकषय ह ास िनयिमत चल लमबा और गहरा चल ास और उचछवास एक समान रह तो मन को एकाम करन की शि ा होती ह

शवासन यिद ठीक ढग स िकया जाए तो नाड़ीतऽ इतना शात हो जाता ह िक अ यासी को नीद आन लगती ह लिकन धयान रह िनिनित न होकर जामत रहना आवयक ह

अनय आसन करन क बाद अगो म जो तनाव (टनशन) पदा होता ह उसको िशिथल करन क िलय अत म 3 स 5 िमनट तक शवासन करना चािहए िदनभर म अनकलता क अनसार दो-तीन बार शवासन कर सकत ह

लाभः शवासन क ारा ःनाय एव मासपिशयो म िशिथलीकरण स शि बढ़ती ह अिधक कायर करन की यो यता उसम आती ह र वाहिनयो म िशराओ म र वाह तीो

होन स सारी थकान उतर जाती ह नाड़ीतऽ को बल िमलता ह मानिसक शि म वि होती ह

र का दबाव कम करन क िलए नाड़ीतऽ की दबरलता एव उसक कारण होन वाल रोगो को दर करन क िलय शवासन खब उपयोगी ह

पादपि मो ानासन

यह आसन करना किठन ह इसस उमासन कहा जाता ह उम का अथर ह िशव भगवान िशव सहारक ार ह अतः उम या भयकर ह िशवसिहता म भगवान िशव न म कणठ स शसा करत हए कहा हः यह आसन सवरौ आसन ह इसको य पवरक ग रख िसफर अिधका रयो को ही इसका रहःय बताय

धयान मिणपर चब म ास थम िःथित म परक और दसरी िःथित म रचक और िफर बिहकर मभक

िविधः िबछ हए आसन पर बठ जाय दोनो परो को लमब फला द दोनो परो की जघा घटन पज परःपर िमल रह और जमीन क साथ लग रह परो की अगलया घटनो की तरफ झकी हई रह अब दोनो हाथ लमब कर दािहन हाथ की तजरनी और अगठ स दािहन पर का अगठा और बाय हाथ की तजरनी और अगठ स बाय पर का अगठा पकड़ अब रचक करत-करत नीच झक और िसर को दोनो घटनो क मधय म रख ललाट घटन को ःपशर कर और घटन ज़मीन स लग रह रचक परा होन पर कमभक कर ि एव िच वि को मिणपर चब म ःथािपत कर ारमभ म आधा िमनट करक बमशः 15 िमनट तक यह आसन करन का अ यास बढ़ाना चािहय थम दो-चार िदन किठन लगगा लिकन अ यास हो जान पर यह आसन सरल हो जाएगा

लाभः पादपि मो नासन म समयक अ यास स सषमना का मख खल जाता ह और ाण म दणड क मागर म गमन करता ह फलतः िबनद को जीत सकत ह िबनद को जीत िबना न समािध िस होती ह न वाय िःथर होता ह न िच शात होता ह

जो ी-प ष काम िवकार स अतयत पीिड़त हो उनह इस आसन का अ यास करना चािहए इसस शारी रक िवकार दब जात ह उदर छाती और म दणड को उ म कसरत िमलती ह अतः व अिधक कायरकषम बनत ह हाथ पर तथा अनय अगो क सिनध ःथान मजबत बनत ह शरीर क सब तऽ बराबर कायरशील होत ह रोग माऽ का नाश होकर ःवाःथय़ का साा य ःथािपत होता ह

इस आसन क अ यास स मनदाि न मलावरोध अजीणर उदररोग किमिवकार सद वातिवकार कमर का ददर िहचकी कोढ़ मऽरोग मधमह पर क रोग ःवपनदोष वीयरिवकार र िवकार एपनडीसाइिटस अणडवि पाणडरोग अिनिा दमा ख टी डकार आना ानतनत की दबरलता बवासीर नल की सजन गभारशय क रोग अिनयिमत तथा क दायक मािसक बनधयतव दर नपसकता र िप िसरोवदना बौनापन आिद अनक रोग दर होत ह पट पत ला बनता ह जठराि न दी होती ह कफ और चरबी न होत ह

िशवसिहता म कहा ह िक इस आसन स वाय ीपन होता ह और वह मतय का नाश करता ह इस आसन स शरीर का कद बढ़ता ह शरीर म अिधक ःथलता हो तो कम होती ह दबरलता हो तो वह दर होकर शरीर सामानय तनद ःत अवःथा म आ जाता ह नाडी सःथान म िःथरता आती ह मानिसक शाित ा होती ह िचनता एव उ जना शात करन क िलए यह आसन उ म ह पीठ और म दणड पर िखचाव आन स दोनो िवकिसत होत ह फलतः शरीर क तमाम अवयवो पर अिधकार ःथािपत होता ह सब आसनो म यह आसन सवर धान ह इसक अ यास स कायाकलप (प रवतरन) हो जाता ह

यह आसन भगवान िशव को बहत पयारा ह उनकी आ ा स योगी गोरखनाथ न लोककलयाण हत इसका चार िकया ह आप इस आसन क अदभत लाभो स लाभािनवत हो और दसरो को भी िसखाय

पादपि मो ानासन प यपाद आसारामजी बाप को भी बहत पयारा ह उसस प यौी को बहत लाभ हए ह अभी भी यह आसन उनक आरो यिनिध का रकषक बना हआ ह

पाठक भाइयो आप अवय इस आसन का लाभ लना ारमभ क चार-पाच िदन जरा किठन लगगा बाद म तो यह आसन आपका िशवजी क वरदान प आरो य कवच िस हए िबना नही रहगा

िऽबनध

मलबनध

शौच ःनानािद स िनव होकर आसन पर बठ जाय बायी एड़ी क ारा सीवन या योिन को दबाय दािहनी एड़ी सीवन पर रख गदा ार को िसकोड़कर भीतर की ओर ऊपर खीच यह मलबनध कहा जाता ह

लाभः मलबनध क अ यास स मतय को जीत सकत ह शरीर म नयी ताजगी आती ह िबगड़त हए ःवाःथय की रकषा होती ह चयर का पालन करन म मलबनध सहायक िस होता ह वीयर को प करता ह कबज को न करता ह जठराि न तज होती ह मलबनध स िचरयौवन ा होता ह बाल सफद होन स कत ह

अपानवाय ऊधवरगित पाकर ाणवाय क सषमना म िव होता ह सहॐारचब म िच वि िःथर बनती ह इसस िशवपद का आननद िमलता ह सवर कार की िद य िवभितया और ऐ यर ा होत ह अनाहत नाद सनन को िमलता ह ाण अपान नाद और िबनद एकिऽत होन स योग म पणरता ा होती ह

उडडीयान बनध

आसन पर बठकर परा ास बाहर िनकाल द समपणरतया रचक कर पट को भीतर िसकोड़कर ऊपर की ओर खीच नािभ तथा आत पीठ की तरफ दबाय शरीर को थोड़ा सा आग की तरफ झकाय यह ह उडडीयानबनध

लाभः इसक अ यास स िचरयौवन ा होता ह मतय पर जय ा होती ह चयर क पालन म खब सहायता िमलती ह ःवाःथय सनदर बनता ह कायरशि म वि होती ह नयोिल और उडडीयानबनध जब एक साथ िकय जात ह तब कबज दम दबाकर भाग खड़ा होता ह पट क तमाम अवयवो की मािलश हो जाती ह पट की अनावयक चरबी उतर जाती ह

जालनधरबनध

आसन पर बठकर परक करक कमभक कर और ठोड़ी को छाती क साथ दबाय इसको जालनधरबनध कहत ह

लाभः जालनधरबनध क अ यास स ाण का सचरण ठीक स होता ह इड़ा और िपगला नाड़ी बनद होकर ाण-अपान सषमना म िव होत ह नािभ स अमत कट होता ह िजसका पान जठराि न करता ह योगी इसक ारा अमरता ा करता ह

प ासन पर बठ जाय परा ास बाहर िनकाल कर मलबनध उडडीयानबनध कर िफर खब परक करक मलबनध उडडीयानबनध और जालनधरबनध य तीनो बनध एक साथ कर आख बनद रख मन म णव (ॐ) का अथर क साथ जप कर

इस कार ाणायाम सिहत तीनो बनध का एक साथ अ यास करन स बहत लाभ होता ह और ायः चमतका रक प रणाम आता ह कवल तीन ही िदन क समयक अ यास स जीवन म बािनत का अनभव होन लगता ह कछ समय क अ यास स कवल या कवली कमभक ःवय कट होता ह

कवली कमभक

कवल या कवली कमभक का अथर ह रचक-परक िबना ही ाण का िःथर हो जाना िजसको कवली कमभक िस होता ह उस योगी क िलए तीनो लोक म कछ भी दलरभ नही रहता कणडिलनी जागत होती ह शरीर पतला हो जाता ह मख सनन रहता ह नऽ मलरिहत होत ह सवर रोग दर हो जात ह िबनद पर िवजय होती ह जठराि न विलत होती ह

कवली कमभक िस िकय हए योगी की अपनी सवर मनोकामनाय पणर होती ह इतना ही नही उसका पजन करक ौ ावान लोग भी अपनी मनोकामनाय पणर करन लगत ह

जो साधक पणर एकामता स िऽबनध सिहत ाणायाम क अ यास ारा कवली कमभक का प षाथर िस करता ह उसक भा य का तो पछना ही या उसकी यापकता

बढ़ जाती ह अनतर म महानता का अनभव होता ह काम बोध लोभ मोह मद और मतसर इन छः शऽओ पर िवजय ा होती ह कवली कमभक की मिहमा अपार ह

जलनित

िविधः एक िलटर पानी को गनगना सा गरम कर उसम करीब दस माम श नमक डालकर घोल द सनधव िमल जाय तो अचछा सबह म ःनान क बाद यह पानी चौड़ महवाल पाऽ म कटोर म लकर परो पर बठ जाय पाऽ को दोनो हाथो स पकड़ कर नाक क नथन पानी म डबो द अब धीर-धीर नाक क ारा ास क साथ पानी को भीतर खीच और नाक स भीतर आत हए पानी को मह स बाहर िनकालत जाय नाक को पानी म इस कार बराबर डबोय रख िजसस नाक ारा भीतर जानवाल पानी क साथ हवा न वश कर अनयथा आतरस-खासी आयगी

इस कार पाऽ का सब पानी नाक ारा लकर मख ारा बाहर िनकाल द अब पाऽ को रख कर खड़ हो जाय दोनो पर थोड़ खल रह दोनो हाथ कमर पर रखकर ास को जोर स बाहर िनकालत हए आग की ओर िजतना हो सक झक भिॐका क साथ यह िबया बार-बार कर इसस नाक क भीतर का सब पानी बाहर िनकल जायगा थोड़ा बहत रह भी जाय और िदन म कभी भी नाक स बाहर िनकल जाय तो कछ िचनताजनक नही ह

नाक स पानी भीतर खीचन की यह िबया ारमभ म उलझन जसी लगगी लिकन अ यास हो जान पर िबलकल सरल बन जायगा

लाभः मिःतक की ओर स एक कार का िवषला रस नीच की ओर बहता ह यह रस कान म आय तो कान क रोग होत ह आदमी बहरा हो जाता ह यह रस आखो की तरफ जाय तो आखो का तज कम हो जाता ह चम की ज रत पड़ती ह तथा अनय रोग होत ह यह रस गल की ओर जाय तो गल क रोग होत ह

िनयमपवरक जलनित करन स यह िवषला पदाथर बाहर िनकल जाता ह आखो की रोशनी बढ़ती ह चम की ज रत नही पड़ती चमा हो भी तो धीर-धीर नमबर कम होत-होत छट जाता भी जाता ह ासोचछोवास का मागर साफ हो जाता ह मिःतक म ताजगी रहती ह जकाम-सद होन क अवसर कम हो जात ह जलनित की िबया करन

स दमा टीबी खासी नकसीर बहरापन आिद छोटी-मोटी 1500 बीमी रया दर होती ह जलनित करन वाल को बहत लाभ होत ह िच म सननता बनी रहती ह

गजकरणी िविधः करीब दो िलटर पानी गनगना सा गरम कर उसम करीब 20 माम श

नमक घोल द सनधव िमल जाय तो अचछा ह अब पजो क बल बठकर वह पानी िगलास भर-भर क पीत जाय खब िपय अिधकाअिधक िपय पट जब िबलकल भर जाय गल तक आ जाय पानी बाहर िनकालन की कोिशश कर तब दािहन हाथ की दो बड़ी अगिलया मह म डाल कर उलटी कर िपया हआ सब पानी बाहर िनकाल द पट िबलकल हलका हो जाय तब पाच िमनट तक आराम कर

गजकरणी करन क एकाध घणट क बाद कवल पतली िखचड़ी ही भोजन म ल भोजन क बाद तीन घणट तक पानी न िपय सोय नही ठणड पानी स ःनान कर तीन घणट क बाद ारमभ म थोड़ा गरम पानी िपय

लाभः गजकरणी स एिसडीटी क रोगी को अदभत लाभ होता ह ऐस रोगी को चार-पाच िदन म एक बार गजकरणी चािहए ततप ात महीन म एक बार दो महीन म एक बार छः महीन म एक बार भी गजकरणी कर सकत ह

ातःकाल खाली पट तलसी क पाच-सात प चबाकर ऊपर स थोड़ा जल िपय एसीडीटी क रोगी को इसस बहत लाभ होगा

वष परान कबज क रोिगयो को स ाह म एक बार गजकरणी की िबया अवय करनी चािहए उनका आमाशय मिनथसःथान कमजोर हो जान स भोजन हजम होन म गड़बड़ रहती ह गजकरणी करन स इसम लाभ होता ह फोड़ फनसी िसर म गम सद बखार खासी दमा टीबी वात-िप -कफ क दोष िज ा क रोग गल क रोग छाती क रोग छाती का ददर एव मदाि न म गजकरणी िबया लाभकारक ह

शरीर शोधन-कायाकलप

यह चालीस िदन का कलप ह प यपाद आसारामजी बाप न यह योग िकया हआ ह इसस शरीर सडौल ःवःथ और फत ला बनता ह र म नय-नय कण बनत ह शरीर क कोषो की शि बढ़ती ह मन-बि म चमतका रक लाभ होत ह

िविधः अगल िदन पपीता सव आिद फल उिचत माऽा म ल अथवा मन का 50 माम दस घणट पहल िभगो द उनको उबालकर बीज िनकाल द मन का खा ल और पानी पी ल

ातःकाल उठकर सकलप कर िक इस कलप क दौरान िनि त िकय हए कायरबम क अनसार ही रहगा

शौच-ःनानािद िनतयकमर स िनव होकर सबह 8 बज 200 या 250 माम गाय का उबला हआ गनगना दध िपय पौन घणटा पणर आराम कर बाद म िफर स दध िपय शारी रक ौम कम स कम कर ॐ सोsह हसः इस मऽ का मानिसक जप कर कभी ास को िनहार बस साकषीभाव

मनोरा य चलता हो तो ॐ जोर-जोर स जप कर

इस कार शाम तक िजतना दध हजम कर सक उतना दध दो स तीन िलटर िपय 40 िदन तक कवल द धाहार क बाद 41व िदन मग का उबला हआ पानी मोसममी का रस आिद ल रािऽ को अिधक मगवाली हलकी िखचड़ी खाय इस कार शरीर-शोधन-कायाकलप की पणारहित कर

यिद बि तीकषण बनानी हो ःमरणशि बढ़ानी हो तो कलप क दौरान ॐ ऐ नमः इस मऽ का जप कर सयर को अ यर द

इस कलप म दध क िसवाय अनय कोई खराक लना मना ह चाय तमबाक आिद यसन िनिष ह ि यो क सग स दर रहना तथा चयर का पालन अतयनत आवयक ह

कलजग नही करजग ह यह

कलजग नही करजग ह यह यहा िदन को द अ रात ल

या खब सौदा नकद ह इस हाथ द उस हाथ ल टक

दिनया अजब बाज़ार ह कछ िजनस1 या िक साथ ल

नकी का बदला नक ह बद स बदी की बात ल

मवा िखला मवा िमल फल फल द फल पात ल

आराम द आराम ल दःख ददर द आफत2 ल 1

काटा िकसी को मत लगा गो िमःल-गल3 फला ह त

वह तर हक4 म तीर ह िकस बात पर झला ह त

मत आग म डाल और को या घास का पला ह त

सन ऱख यह नकता5 बखबर िकस बात पर भला ह त

कलजग नही 2

शोखी शरारत मकरो-फन6 सबका बसखा7 ह यहा

जो जो िदखाया और को वह खद भी दखा ह यहा

खोटी खरी जो कछ कही ितसका परखा8 ह यहा

जो जो पड़ा तलता ह मोल ितल ितल का लखा ह यहा

कलजग नही 3

जो और की बःती9 रख उसका भी बसता ह परा

जो और क मार छरी उसको भी लगता ह छरा

जो और की तोड़ घड़ी उसका भी टट ह घड़ा

जो और की चत10 बदी उसका भी होता ह बरा

कलजग नही 4

जो और को फल दवगा वह भी सदा फल पावगा

गह स गह जौ स जौ चावल स चावल पावगा

जो आज दवगा यहा वसा ही वह कल पावगा

कल दवगा कल पावगा िफर दवगा िफर पावगा

कलजग नही 5

जो चाह ल चल इस घड़ी सब िजनस यहा तयार ह

आराम म आराम ह आजार म आजार11 ह

दिनया न जान इसको िमया दरया की यह मझधार ह

औरो का बड़ा पार कर तरा भी बड़ा पार ह

कलजग नही 6

त और की तारीफ कर तझको सना वानी12 िमल

कर मिकल आसा औरो की तझको भी आसानी िमल

त और को महमान कर तझको भी महमानी िमल

रोटी िखला रोटी िमल पानी िपला पानी िमल

कलजग नही 7

जो गल13 िखलाव और का उसका ही गल िखलता भी ह

जो और का कील14 ह मह उसका ही मह िकलता भी ह

जो और का छील िजगर उसका िजगर िछलता भी ह

जो और को दव कपट उसको कपट िमलता भी ह

कलजग नही 8

कर जो कछ करना ह अब यह दम तो कोई आन15 ह

नकसान म नकसान ह एहसान म एहसान ह

तोहमत म यहा तोहमत िमल तफान म तफान ह

रहमान16 को रहमान17 ह शतान को शतान ह

कलजग नही 9

यहा जहर द तो जहर ल श कर म श कर दख ल

नको का नकी का मजा मजी18 को ट कर दख ल

मोती िदय मोती िमल पतथर म पतथर दख ल

गर तझको यह बावर19 नही तो त भी करक दख ल

कलजग नही 10

अपन नफ क वाःत मत और का नकसान कर

तरा भी नकसा होवगा इस बात पर त धयान कर

खाना जो खा सो दखकर पानी िपय तो छानकर

या पावो को रख फककर और खोफ स गजरान कर

कलजग नही 11

गफलत की यह जगह नही त सािहब-इदराक20 रह

िदलशाद21 ऱख िदल शाह रह गमनाक रख गमनाक रह

हर हाल म भी त नजीर22 अब हर कदम की रह

यह वह मका ह ओ िमया या पाक23 रह बबाक24 रह

कलजग नही 12

1 वःत 2 मसीबत 3 पप की तरह 4 तर िलय 5 रहःय 6 दगा-धोखा 7 घर 8 परखना 9 नगरी 10 िवचार कर 11 दःख 12 तारीफ-ःतित 13 फल 14 िकसी को बोलन न दना 15 घड़ी पल 16 दयावान 17 दयाल भगवान 18 सतान वाला 19 िव ास 20 तीो ा तज समझन वाला प ष 21 सननिच 22 किव का नाम ह 23 श पिवऽ 24 िनडर

  • आधयातमिक विदया क उदगाता
  • सवासथय क लिए मतर
  • परासताविक
  • बरहमचरय-रकषा का मनतर
  • आसनो की परकिया म आन वाल कछ शबदो की समझ
  • आवशयक निरदश
  • योगासन
    • पदमासन या कमलासन
    • सिदधासन
    • सरवागासन
    • हलासन
    • पवनमकतासन
    • मतसयासन
    • भजगासन
    • धनरासन
    • चकरासन
    • कटिपिणडमरदनासन
    • अरधमतसयनदरासन
    • योगमदरासन
    • गोरकषासन या भदरासन
    • मयरासन
    • वजरासन
    • सपतवजरासन
    • शवासन
    • पादपशचिमोततानासन
      • तरिबनध
        • मलबनध
        • उडडीयान बनध
        • जालनधरबनध
          • कवली कमभक
          • जलनति
          • गजकरणी
          • शरीर शोधन-कायाकलप
          • कलजग नही करजग ह यह
Page 22: अनुबम - || Home || HariOmGroup · िस होता है। िवशु नाड़ीतंऽ वालेयोगी के िवशु शरीर में

धयान मिणपर चब म ास दीघर ःवाभािवक

िविधः भिम पर िबछ हए आसन पर िच होकर लट जाय घटनो स पर मोड़ कर ऊपर उठाय पर क तलव ज़मीन स लग रह दो परो क बीच करीब डढ़ फीट का अनतर रख दोनो हाथ मःतक की तरफ उठाकर पीछ की ओर दोनो हथिलयो को ज़मीन पर जमाय दोनो हथिलयो क बीच भी करीब डढ़ फीट का अनतर रख अब हाथ और पर क बल स पर शरीर को कमर स मोड़कर ऊपर उठाय हाथ को धीर-धीर पर की ओर ल जाकर ःमपशर शरीर का आकार व या चब जसा बनाय आख बनद रख ास की गित ःवाभािवक चलन द िच वि मिणपर चब (नािभ कनि) म िःथर कर आख खली भी रख सकत ह एक िमनट स पाच िमनट तक अ यास बढ़ा सकत ह

लाभः म दणड तथा शरीर की समःत नािड़यो का शि करण होकर यौिगक चब जागत होत ह लकवा तथा शरीर की कमजो रया दर होती ह मःतक गदरन पीठ पट

कमर हाथ पर घटन आिद सब अग मजबत बनत ह सिनध ःथानो ददर नही होता पाचनशि बढ़ती ह पट की अनावयक चरबी दर होती ह शरीर तजःवी और फत ला बनता ह िवकारी िवचार न होत ह ःवपनदोष की बीमारी अलिवदा होती ह चबासन क िनयिमत अ यास स व ावःथा म कमर झकती नही शरीर सीधा तना हआ रहता ह

किटिपणडमदरनासन

इस आसन म किटदश (कमर क पास वाल भाग) म िःथत िपणड अथारत मऽिपणड का मदरन होता ह इसस यह आसन किटिपणडमदरनासन कहलाता ह

धयान ःवािध ान चब म ास परक और कमभक

िविधः िबछ हए कमबल पर पीठ क बल िच होकर लट जाय दोनो हाथो को आमन-सामन फला द मि ठया बनद रख दोनो परो को घटनो स मोड़कर खड़ कर द पर क तलव ज़मीन स लग रह दोनो परो क बीच इतना अनतर रख िक घटनो को ज़मीन पर झकान स एक पर का घटना दसर पर की एड़ी को लग िसर दायी ओर मड़ तो दोनो घटन दािहनी ओर ज़मीन को लग इस कार 15-20 बार िबया कर इस कार दोनो परो को एक साथ रखकर भी िबया कर

लाभः िजसको पथरी की तकलीफ हो उस आौम (सत ौी आसारामजी आौम साबरमित अमदावाद-5) स िबना मलय िमलती काली भःम करीब डढ़ माम भोजन स आधा घणटा पवर और भोजन क बाद एक िगलास पानी क साथ लना चािहए और यह आसन भख पट ठीक ढग स करना चािहए इसस पथरी क ददर म लाभ होता ह पथरी टकड़ -टकड़ होकर मऽ क ारा बाहर िनकलन लगती ह मऽिवकार दर होता ह कमर ददर साइिटका रीढ़ की हडडी की जकड़न उदासीनता िनराशा डायािबटीज नपसकता गस पर की गाठ इतयािद रोगो म शीय लाभ होता ह नािभ ःथान स चयत हो जाती हो तो पनः अपन ःथान म आ जाती ह

मािसक धमर क समय एव गभारवःथा म ि या यह आसन न कर कबज का रोगी सबह शौच जान स पहल उषःपान करक यह आसन कर तो चमतका रक लाभ होता ह ास को अनदर भर क पट को फलाकर यह आसन करन स कबज जलदी दर होता ह

अधरमतःयनिासन

कहा जाता ह िक मतःयनिासन की रचना गोरखनाथ क ग ःवामी मतःयनिनाथ न की थी व इस आसन म धयान िकया करत थ मतःयनिासन की आधी िबयाओ को लकर अधरमतःयनिासन चिलत हआ ह

धयान अनाहत चब म ास दीघर

िविधः दोनो परो को लमब करक आसन पर बठ जाओ बाय पर को घटन स मोड़कर एड़ी गदा ार क नीच जमाय पर क तलव को दािहनी जघा क साथ लगा द अब दािहन पर को घटन स मोड़कर खड़ा कर द और बाय पर की जघा स ऊपर ल जात हए जघा क पीछ ज़मीन क ऊपर ऱख द आसन क िलए यह पवरभिमका तयार हो गई

अब बाय हाथ को दािहन पर क घटन स पार करक अथारत घटन को बगल म दबात हए बाय हाथ स दािहन पर का अ गठा पकड़ धड़ को दािहनी ओर मोड़ िजसस दािहन पर क घटन क ऊपर बाय कनध का दबाव ठीक स पड़ अब दािहना हाथ पीठ क पीछ स घमाकर बाय पर की जाघ का िनमन भाग पकड़ िसर दािहनी ओर इतना घमाय िक ठोड़ी और बाया कनधा एक सीधी रखा म आ जाय छाती िबलकल तनी हई रख नीच की ओर झक नही िच वि नािभ क पीछ क भाग म िःथत मिणपर चब म िःथर कर

यह एक तरफ का आसन हआ इसी कार पहल दािहना पर मोड़कर एड़ी गदा ार क नीच दबाकर दसरी तरफ का आसन भी कर ारमभ म पाच सकणड य ह आसन करना पयार ह िफर अ यास बढ़ाकर एक एक तरफ एक एक िमनट तक आसन कर सकत ह

लाभः अधरमतःयनिासन स म दणड ःवःथ रहन स यौवन की ःफितर बनी रहती ह रीढ़ की हिडडयो क साथ उनम स िनकलन वाली नािडयो को भी अचछी कसरत िमल जाती ह पट क िविभनन अगो को भी अचछा लाभ होता ह पीठ पट क नल पर गदरन

हाथ कमर नािभ स नीच क भाग एव छाती की नािड़यो को अचछा िखचाव िमलन स उन पर अचछा भाव पड़ता ह फलतः बनधकोष दर होता ह जठराि न तीो होती ह िवकत यकत पलीहा तथा िनिबय व क क िलए यह आसन लाभदायी ह कमर पीठ और सिनधःथानो क ददर जलदी दर हो जात ह

योगमिासन

योगा यास म यह मिा अित मह वपणर ह इसस इसका नाम योगमिासन रखा गया ह

धयान मिणपर चब म ास रचक कमभक और परक

िविधः प ासन लगाकर दोनो हाथो को पीठ क पीछ ल जाय बाय हाथ स दािहन हाथ की कलाई पकड़ दोनो हाथो को खीचकर कमर तथा रीढ़ क िमलन ःथान पर ल जाय अब रचक करक कमभक कर ास को रोककर शरीर को आग झकाकर भिम पर टक द िफर धीर-धीर िसर को उठाकर शरीर को पनः सीधा कर द और परक कर ारभ म यह आसन किठन लग तो सखासन या िस ासन म बठकर कर पणर लाभ तो प ासन म बठकर करन स ही होता ह पाचनतनऽ क अगो की ःथान ता ठीक करन क िलए यिद यह आसन करत हो तो कवल पाच-दस सकणड तक ही कर एक बठक म तीन स पाच बार सामानयतः यह आसन तीन िमनट तक करना चािहए आधयाितमक उ य स योगमिासन करत हो तो समय की अविध िच और शि क अनसार बढ़ाय

लाभः योगमिासन भली कार िस होता ह तब कणडिलिन शि जागत होती ह पट की गस की बीमारी दर होती ह पट एव आतो की सब िशकायत दर होती ह कलजा फफड़ आिद यथा ःथान रहत ह दय मजबत बनता ह र क िवकार दर होत

ह क और यौनिवकार न होत ह पट बड़ा हो तो अनदर दब जाता ह शरीर मजबत बनता ह मानिसक शि बढ़ती ह

योगमिासन स उदरपटल सश बनता ह पट क अगो को अपन ःथान िटक रहन म सहायता िमलती ह नाड़ीतऽ और खास करक कमर क नाड़ी मणडल को बल िमलता ह

इस आसन म सामनयतः जहा एिड़या लगती ह वहा कबज क अग होत ह उन पर दबाव पड़न स आतो म उ जना आती ह पराना कबज दर होता ह अगो की ःथान ता क कारण होन वाला कबज भी अग अपन ःथान म पनः यथावत िःथत हो जान स न हो जाता ह धात की दबरलता म योगमिासन खब लाभदायक ह

गोरकषासन या भिासन

धयान मलाधार चब म ास थम िःथित म परक और दसरी िःथित म कमभक

िविधः िबछ हए आसन पर बठ जाय दािहना पर घटन स मोड़कर एड़ी सीवन (उपःथ और गदा क मधय) क दािहन भाग म और बाया पर मोड़कर एड़ी सीवन क बाय भाग म इस कार रख िक दोनो पर क तलव एक दसर को लगकर रह

रचक करक दोनो हाथ सामन ज़मीन पर टककर शरीर को ऊपर उठाय और दोनो पर क पजो पर इस कार बठ िक शरीर का वजन एड़ी क मधय भाग म आय अगिलयो वाला भाग छटा रह अब परक करत -करत दोनो हाथो की हथिलयो को घटनो पर रख

अनत म कमभक करक ठोड़ी छाती पर दबाय िच वि मलाधार चब म और ि भी उसी िदशा म लगाय बमशः अ यास बढ़ाकर दसक िमनट तक यह आसन कर

लाभः इस आसन क अ यास स पर क सब सिनध ःथान तथा ःनाय सश बनत ह वाय ऊधवरगामी होकर जठराि न दी करता ह िदनो िदन जड़ता न होन लगती ह शरीर पतला होता ह सकलपबल बढ़ता ह बि तीकषण होती ह कलपनाशि का िवकास होता ह ाणापान की एकता होती ह नादोतपि होन लगती ह िबनद िःथर होकर िच की चचलता कम होती ह आहार का सपणरतया पाचन हो जान क कारण मलमऽ अलप होन लगत ह शरीर शि होन लगती ह तन म ःफितर एव मन म सननता अपन आप कट होती ह ःनाय स ढ़ बनत ह धातकषय गस मधमह ःवपनदोष अजीणर कमर का ददर गदरन की दबरलता बनधकोष मनदाि न िसरददर कषय

दयरोग अिनिा दमा मछाररोग बवासीर आऽपचछ पाणडरोग जलोदर भगनदर कोढ़ उलटी िहचकी अितसार आव उदररोग नऽिवकार आिद अस य रोगो म इस आसन स लाभ होत ह

मयरासन

इस आसन म मयर अथारत मोर की आकित बनती ह इसस इस मयरासन कहा जाता ह

धयान मिणपर चब म ास बा कमभक

िविधः जमीन पर घटन िटकाकर बठ जाय दोनो हाथ की हथिलयो को जमीन पर इस कार रख िक सब अगिलया पर की िदशा म हो और परःपर लगी रह दोनो कहिनयो को मोड़कर पट क कोमल भाग पर नािभ क इदरिगदर रख अब आग झककर दोनो पर को पीछ की लमब कर ास बाहर िनकाल कर दोनो पर को जमीन स ऊपर उठाय और िसर का भाग नीच झकाय इस कार परा शरीर ज़मीन क बराबर समानानतर रह ऐसी िःथित बनाय सपणर शरीर का वजन कवल दो हथिलयो पर ही

रहगा िजतना समय रह सक उतना समय इस िःथित म रहकर िफर मल िःथित म आ जाय इस कार दो-तीन बार कर

लाभः मयरासन करन स चयर-पालन म सहायता िमलती ह पाचन तऽ क अगो की र का वाह अिधक बढ़न स व अग बलवान और कायरशील बनत ह पट क भीतर क भागो म दबाव पड़न स उनकी शि बढ़ती ह उदर क अगो की िशिथलता और मनदाि न दर करन म मयरासन बहत उपयोगी ह

वळासन

वळासन का अथर ह बलवान िःथित पाचनशि वीयरशि तथा ःनायशि दन वाला होन स यह आसन वळासन कहलाता ह

धयान मलाधार चब म और ास दीघर

िविधः िबछ हए आसन पर दोनो परो को घटनो स मोड़कर एिड़यो पर बठ जाय पर क दोनो अगठ परःपर लग रह पर क तलवो क ऊपर िनतमब रह कमर और पीठ िबलकल सीधी रह दोनो हाथ को कहिनयो स मोड़ िबना घटनो पर रख द हथिलया नीच की ओर रह ि सामन िःथर कर द

पाच िमनट स लकर आध घणट तक वळासन का अ यास कर सकत ह वळासन लगाकर भिम पर लट जान स स वळासन होता ह

लाभः वळासन क अ यास स शरीर का मधयभाग सीधा रहता ह ास की गित मनद पड़न स वाय बढ़ती ह आखो की योित तज होती ह वळनाड़ी अथारत वीयरधारा नाड़ी मजबत बनती ह वीयर की ऊधवरगित होन स शरीर वळ जसा बनता ह लमब समय तक सरलता स यह आसन कर सकत ह इसस मन की चचलता दर होकर यि िःथर बि वाला बनता ह शरीर म र ािभसरण ठीक स होकर शरीर िनरोगी एव सनदर बनता ह

भोजन क बाद इस आसन स बठन स पाचन शि तज होती ह कबज दर होती ह भोजन जलदी ह म होता ह पट की वाय का नाश होता ह कबज दर होकर पट क तमाम रोग न होत ह पाणडरोग स मि िमलती ह रीढ़ कमर जाघ घटन और परो म शि बढ़ती ह कमर और पर का वाय रोग दर होता ह ःमरणशि म वि होती ह ि यो क मािसक धमर की अिनयिमतता जस रोग दर होत ह शबदोष वीयरदोष घटनो का ददर आिद का नाश होता ह ःनाय प होत ह ःफितर बढ़ान क िलए एव मानिसक िनराशा दर कर न क िलए यह आसन उपयोगी ह धयान क िलय भी यह आसन उ म ह इसक अ यास स शारी रक ःफितर एव मानिसक सननता कट होती ह िदन-ितिदन शि का सचय होता ह इसिलए शारी रक बल म खब वि होती ह काग का िगरना अथारत गल क टािनसलस हिडडयो क पोल आिद ःथानो म उतपनन होन वाल तकण की स या म वि होन स आरो य का साा य ःथािपत होता ह िफर यि

बखार स िसरददर स कबज स मदाि न स या अजीणर जस छोट-मोट िकसी भी रोग स पीिड़त नही रहता योिक रोग आरो य क साा य म िव होन का साहस ही नही कर पात

स वळासन

धयान िवश ा याचब म ास दीघर सामानय

िविधः वळासन म बठन क बाद िच होकर पीछ की ओर भिम पर लट जाय दोनो जघाए परःपर िमली रह अब रचक करत बाय हाथ का खला पजा दािहन कनध क नीच इस कार रख िक मःतक दोनो हाथ क बास क ऊपर आय रचक परा होन पर िऽबनध कर ि मलाधार चब की िदशा म और िच वि मलाधार चब म ःथािपत कर

लाभः यह आसन करन म ौम बहत कम ह और लाभ अिधक होता ह इसक अ यास स सषमना का मागर अतयनत सरल होता ह कणडिलनी शि सरलता स ऊधवरगमन कर सकती ह

इस आसन म धयान करन स म दणड को सीधा करन का ौम नही करना पड़ता और म दणड को आराम िमलता ह उसकी काय़रशि बल बनती ह इस आसन का अ यास करन स ायः तमाम अतःॐावी मिनथयो को जस शीषरःथ मिनथ कणठःथ मिनथ मऽिपणड की मनथी ऊधवरिपणड तथा प षाथर मिनथ आिद को पि िमलती ह फलतः यि का भौितक एव आधयाितमक िवकास सरल हो जाता ह तन-मन का ःवाःथय भावशाली बनता ह जठराि न दी होती ह मलावरोध की पीडा दर होती ह धातकषय ःवपनदोष पकषाघात पथरी बहरा होना तोतला होना आखो की दबरलता गल क टािनसल ासनिलका का सजन कषय दमा ःमरणशि की दबरलता आिद रोग दर होत ह

शवासन

शवासन की पणारवःथा म शरीर क तमाम अग एव मिःतक पणरतया च ा रिहत िकय जात ह यह अवःथा शव (मद) जसी होन स इस आसन को शवासन कहा जाता ह

िविधः िबछ हए आसन पर िच होकर लट जाय दोनो परो को परःपर स थोड़ अलग कर द दोनो हाथ भी शरीर स थोड़ अलग रह इस कार परो की ओर फला द हाथ की हथिलया आकाश की तरफ खली रख िसर सीधा रह आख बनद

मानिसक ि स शरीर को पर स िसर तक दखत जाय पर शरीर को मद की तरह ढीला छोड़ द हर एक अग को िशिथल करत जाय

शरीर म समपणर िवौाम का अनभव कर मन को भी बा ा िवषयो स हटाकर एकाम कर बारी-बारी स हर एक अग पर मानिसक ि एकाम करत हए भावना कर िक वह अग अब आराम पा रहा ह मरी सब थकान उतर रही ह इस कार भावना करत-करत सब ःनायओ को िशिथल होन द शरीर क एक भी अग म कही भी तनाव (टनशन) न रह िशिथलीकरण की िबया म पर स ारमभ करक िसर तक जाय अथवा िसर स ारमभ करक पर तक भी जा सकत ह अनत म जहा स ारमभ िकया हो वही पनः पहचना चािहय िशिथलीकरण की िबया स शरीर क तमाम अगो का एव ानततओ को िवौाम की अवःथा म ला दना ह

शवासन की दसरी अवःथा म ासोचछोवास पर धयान दना ह शवासन की यही म य िबया ह िवशषकर योग साधको क िलए वह अतयनत उपयोगी ह कवल शारी रक ःवाःथय क िलय थम भिमका पयार ह

इसम ास और उचछवास की िनयिमतता दीघरता और समानता ःथािपत करन का लकषय ह ास िनयिमत चल लमबा और गहरा चल ास और उचछवास एक समान रह तो मन को एकाम करन की शि ा होती ह

शवासन यिद ठीक ढग स िकया जाए तो नाड़ीतऽ इतना शात हो जाता ह िक अ यासी को नीद आन लगती ह लिकन धयान रह िनिनित न होकर जामत रहना आवयक ह

अनय आसन करन क बाद अगो म जो तनाव (टनशन) पदा होता ह उसको िशिथल करन क िलय अत म 3 स 5 िमनट तक शवासन करना चािहए िदनभर म अनकलता क अनसार दो-तीन बार शवासन कर सकत ह

लाभः शवासन क ारा ःनाय एव मासपिशयो म िशिथलीकरण स शि बढ़ती ह अिधक कायर करन की यो यता उसम आती ह र वाहिनयो म िशराओ म र वाह तीो

होन स सारी थकान उतर जाती ह नाड़ीतऽ को बल िमलता ह मानिसक शि म वि होती ह

र का दबाव कम करन क िलए नाड़ीतऽ की दबरलता एव उसक कारण होन वाल रोगो को दर करन क िलय शवासन खब उपयोगी ह

पादपि मो ानासन

यह आसन करना किठन ह इसस उमासन कहा जाता ह उम का अथर ह िशव भगवान िशव सहारक ार ह अतः उम या भयकर ह िशवसिहता म भगवान िशव न म कणठ स शसा करत हए कहा हः यह आसन सवरौ आसन ह इसको य पवरक ग रख िसफर अिधका रयो को ही इसका रहःय बताय

धयान मिणपर चब म ास थम िःथित म परक और दसरी िःथित म रचक और िफर बिहकर मभक

िविधः िबछ हए आसन पर बठ जाय दोनो परो को लमब फला द दोनो परो की जघा घटन पज परःपर िमल रह और जमीन क साथ लग रह परो की अगलया घटनो की तरफ झकी हई रह अब दोनो हाथ लमब कर दािहन हाथ की तजरनी और अगठ स दािहन पर का अगठा और बाय हाथ की तजरनी और अगठ स बाय पर का अगठा पकड़ अब रचक करत-करत नीच झक और िसर को दोनो घटनो क मधय म रख ललाट घटन को ःपशर कर और घटन ज़मीन स लग रह रचक परा होन पर कमभक कर ि एव िच वि को मिणपर चब म ःथािपत कर ारमभ म आधा िमनट करक बमशः 15 िमनट तक यह आसन करन का अ यास बढ़ाना चािहय थम दो-चार िदन किठन लगगा लिकन अ यास हो जान पर यह आसन सरल हो जाएगा

लाभः पादपि मो नासन म समयक अ यास स सषमना का मख खल जाता ह और ाण म दणड क मागर म गमन करता ह फलतः िबनद को जीत सकत ह िबनद को जीत िबना न समािध िस होती ह न वाय िःथर होता ह न िच शात होता ह

जो ी-प ष काम िवकार स अतयत पीिड़त हो उनह इस आसन का अ यास करना चािहए इसस शारी रक िवकार दब जात ह उदर छाती और म दणड को उ म कसरत िमलती ह अतः व अिधक कायरकषम बनत ह हाथ पर तथा अनय अगो क सिनध ःथान मजबत बनत ह शरीर क सब तऽ बराबर कायरशील होत ह रोग माऽ का नाश होकर ःवाःथय़ का साा य ःथािपत होता ह

इस आसन क अ यास स मनदाि न मलावरोध अजीणर उदररोग किमिवकार सद वातिवकार कमर का ददर िहचकी कोढ़ मऽरोग मधमह पर क रोग ःवपनदोष वीयरिवकार र िवकार एपनडीसाइिटस अणडवि पाणडरोग अिनिा दमा ख टी डकार आना ानतनत की दबरलता बवासीर नल की सजन गभारशय क रोग अिनयिमत तथा क दायक मािसक बनधयतव दर नपसकता र िप िसरोवदना बौनापन आिद अनक रोग दर होत ह पट पत ला बनता ह जठराि न दी होती ह कफ और चरबी न होत ह

िशवसिहता म कहा ह िक इस आसन स वाय ीपन होता ह और वह मतय का नाश करता ह इस आसन स शरीर का कद बढ़ता ह शरीर म अिधक ःथलता हो तो कम होती ह दबरलता हो तो वह दर होकर शरीर सामानय तनद ःत अवःथा म आ जाता ह नाडी सःथान म िःथरता आती ह मानिसक शाित ा होती ह िचनता एव उ जना शात करन क िलए यह आसन उ म ह पीठ और म दणड पर िखचाव आन स दोनो िवकिसत होत ह फलतः शरीर क तमाम अवयवो पर अिधकार ःथािपत होता ह सब आसनो म यह आसन सवर धान ह इसक अ यास स कायाकलप (प रवतरन) हो जाता ह

यह आसन भगवान िशव को बहत पयारा ह उनकी आ ा स योगी गोरखनाथ न लोककलयाण हत इसका चार िकया ह आप इस आसन क अदभत लाभो स लाभािनवत हो और दसरो को भी िसखाय

पादपि मो ानासन प यपाद आसारामजी बाप को भी बहत पयारा ह उसस प यौी को बहत लाभ हए ह अभी भी यह आसन उनक आरो यिनिध का रकषक बना हआ ह

पाठक भाइयो आप अवय इस आसन का लाभ लना ारमभ क चार-पाच िदन जरा किठन लगगा बाद म तो यह आसन आपका िशवजी क वरदान प आरो य कवच िस हए िबना नही रहगा

िऽबनध

मलबनध

शौच ःनानािद स िनव होकर आसन पर बठ जाय बायी एड़ी क ारा सीवन या योिन को दबाय दािहनी एड़ी सीवन पर रख गदा ार को िसकोड़कर भीतर की ओर ऊपर खीच यह मलबनध कहा जाता ह

लाभः मलबनध क अ यास स मतय को जीत सकत ह शरीर म नयी ताजगी आती ह िबगड़त हए ःवाःथय की रकषा होती ह चयर का पालन करन म मलबनध सहायक िस होता ह वीयर को प करता ह कबज को न करता ह जठराि न तज होती ह मलबनध स िचरयौवन ा होता ह बाल सफद होन स कत ह

अपानवाय ऊधवरगित पाकर ाणवाय क सषमना म िव होता ह सहॐारचब म िच वि िःथर बनती ह इसस िशवपद का आननद िमलता ह सवर कार की िद य िवभितया और ऐ यर ा होत ह अनाहत नाद सनन को िमलता ह ाण अपान नाद और िबनद एकिऽत होन स योग म पणरता ा होती ह

उडडीयान बनध

आसन पर बठकर परा ास बाहर िनकाल द समपणरतया रचक कर पट को भीतर िसकोड़कर ऊपर की ओर खीच नािभ तथा आत पीठ की तरफ दबाय शरीर को थोड़ा सा आग की तरफ झकाय यह ह उडडीयानबनध

लाभः इसक अ यास स िचरयौवन ा होता ह मतय पर जय ा होती ह चयर क पालन म खब सहायता िमलती ह ःवाःथय सनदर बनता ह कायरशि म वि होती ह नयोिल और उडडीयानबनध जब एक साथ िकय जात ह तब कबज दम दबाकर भाग खड़ा होता ह पट क तमाम अवयवो की मािलश हो जाती ह पट की अनावयक चरबी उतर जाती ह

जालनधरबनध

आसन पर बठकर परक करक कमभक कर और ठोड़ी को छाती क साथ दबाय इसको जालनधरबनध कहत ह

लाभः जालनधरबनध क अ यास स ाण का सचरण ठीक स होता ह इड़ा और िपगला नाड़ी बनद होकर ाण-अपान सषमना म िव होत ह नािभ स अमत कट होता ह िजसका पान जठराि न करता ह योगी इसक ारा अमरता ा करता ह

प ासन पर बठ जाय परा ास बाहर िनकाल कर मलबनध उडडीयानबनध कर िफर खब परक करक मलबनध उडडीयानबनध और जालनधरबनध य तीनो बनध एक साथ कर आख बनद रख मन म णव (ॐ) का अथर क साथ जप कर

इस कार ाणायाम सिहत तीनो बनध का एक साथ अ यास करन स बहत लाभ होता ह और ायः चमतका रक प रणाम आता ह कवल तीन ही िदन क समयक अ यास स जीवन म बािनत का अनभव होन लगता ह कछ समय क अ यास स कवल या कवली कमभक ःवय कट होता ह

कवली कमभक

कवल या कवली कमभक का अथर ह रचक-परक िबना ही ाण का िःथर हो जाना िजसको कवली कमभक िस होता ह उस योगी क िलए तीनो लोक म कछ भी दलरभ नही रहता कणडिलनी जागत होती ह शरीर पतला हो जाता ह मख सनन रहता ह नऽ मलरिहत होत ह सवर रोग दर हो जात ह िबनद पर िवजय होती ह जठराि न विलत होती ह

कवली कमभक िस िकय हए योगी की अपनी सवर मनोकामनाय पणर होती ह इतना ही नही उसका पजन करक ौ ावान लोग भी अपनी मनोकामनाय पणर करन लगत ह

जो साधक पणर एकामता स िऽबनध सिहत ाणायाम क अ यास ारा कवली कमभक का प षाथर िस करता ह उसक भा य का तो पछना ही या उसकी यापकता

बढ़ जाती ह अनतर म महानता का अनभव होता ह काम बोध लोभ मोह मद और मतसर इन छः शऽओ पर िवजय ा होती ह कवली कमभक की मिहमा अपार ह

जलनित

िविधः एक िलटर पानी को गनगना सा गरम कर उसम करीब दस माम श नमक डालकर घोल द सनधव िमल जाय तो अचछा सबह म ःनान क बाद यह पानी चौड़ महवाल पाऽ म कटोर म लकर परो पर बठ जाय पाऽ को दोनो हाथो स पकड़ कर नाक क नथन पानी म डबो द अब धीर-धीर नाक क ारा ास क साथ पानी को भीतर खीच और नाक स भीतर आत हए पानी को मह स बाहर िनकालत जाय नाक को पानी म इस कार बराबर डबोय रख िजसस नाक ारा भीतर जानवाल पानी क साथ हवा न वश कर अनयथा आतरस-खासी आयगी

इस कार पाऽ का सब पानी नाक ारा लकर मख ारा बाहर िनकाल द अब पाऽ को रख कर खड़ हो जाय दोनो पर थोड़ खल रह दोनो हाथ कमर पर रखकर ास को जोर स बाहर िनकालत हए आग की ओर िजतना हो सक झक भिॐका क साथ यह िबया बार-बार कर इसस नाक क भीतर का सब पानी बाहर िनकल जायगा थोड़ा बहत रह भी जाय और िदन म कभी भी नाक स बाहर िनकल जाय तो कछ िचनताजनक नही ह

नाक स पानी भीतर खीचन की यह िबया ारमभ म उलझन जसी लगगी लिकन अ यास हो जान पर िबलकल सरल बन जायगा

लाभः मिःतक की ओर स एक कार का िवषला रस नीच की ओर बहता ह यह रस कान म आय तो कान क रोग होत ह आदमी बहरा हो जाता ह यह रस आखो की तरफ जाय तो आखो का तज कम हो जाता ह चम की ज रत पड़ती ह तथा अनय रोग होत ह यह रस गल की ओर जाय तो गल क रोग होत ह

िनयमपवरक जलनित करन स यह िवषला पदाथर बाहर िनकल जाता ह आखो की रोशनी बढ़ती ह चम की ज रत नही पड़ती चमा हो भी तो धीर-धीर नमबर कम होत-होत छट जाता भी जाता ह ासोचछोवास का मागर साफ हो जाता ह मिःतक म ताजगी रहती ह जकाम-सद होन क अवसर कम हो जात ह जलनित की िबया करन

स दमा टीबी खासी नकसीर बहरापन आिद छोटी-मोटी 1500 बीमी रया दर होती ह जलनित करन वाल को बहत लाभ होत ह िच म सननता बनी रहती ह

गजकरणी िविधः करीब दो िलटर पानी गनगना सा गरम कर उसम करीब 20 माम श

नमक घोल द सनधव िमल जाय तो अचछा ह अब पजो क बल बठकर वह पानी िगलास भर-भर क पीत जाय खब िपय अिधकाअिधक िपय पट जब िबलकल भर जाय गल तक आ जाय पानी बाहर िनकालन की कोिशश कर तब दािहन हाथ की दो बड़ी अगिलया मह म डाल कर उलटी कर िपया हआ सब पानी बाहर िनकाल द पट िबलकल हलका हो जाय तब पाच िमनट तक आराम कर

गजकरणी करन क एकाध घणट क बाद कवल पतली िखचड़ी ही भोजन म ल भोजन क बाद तीन घणट तक पानी न िपय सोय नही ठणड पानी स ःनान कर तीन घणट क बाद ारमभ म थोड़ा गरम पानी िपय

लाभः गजकरणी स एिसडीटी क रोगी को अदभत लाभ होता ह ऐस रोगी को चार-पाच िदन म एक बार गजकरणी चािहए ततप ात महीन म एक बार दो महीन म एक बार छः महीन म एक बार भी गजकरणी कर सकत ह

ातःकाल खाली पट तलसी क पाच-सात प चबाकर ऊपर स थोड़ा जल िपय एसीडीटी क रोगी को इसस बहत लाभ होगा

वष परान कबज क रोिगयो को स ाह म एक बार गजकरणी की िबया अवय करनी चािहए उनका आमाशय मिनथसःथान कमजोर हो जान स भोजन हजम होन म गड़बड़ रहती ह गजकरणी करन स इसम लाभ होता ह फोड़ फनसी िसर म गम सद बखार खासी दमा टीबी वात-िप -कफ क दोष िज ा क रोग गल क रोग छाती क रोग छाती का ददर एव मदाि न म गजकरणी िबया लाभकारक ह

शरीर शोधन-कायाकलप

यह चालीस िदन का कलप ह प यपाद आसारामजी बाप न यह योग िकया हआ ह इसस शरीर सडौल ःवःथ और फत ला बनता ह र म नय-नय कण बनत ह शरीर क कोषो की शि बढ़ती ह मन-बि म चमतका रक लाभ होत ह

िविधः अगल िदन पपीता सव आिद फल उिचत माऽा म ल अथवा मन का 50 माम दस घणट पहल िभगो द उनको उबालकर बीज िनकाल द मन का खा ल और पानी पी ल

ातःकाल उठकर सकलप कर िक इस कलप क दौरान िनि त िकय हए कायरबम क अनसार ही रहगा

शौच-ःनानािद िनतयकमर स िनव होकर सबह 8 बज 200 या 250 माम गाय का उबला हआ गनगना दध िपय पौन घणटा पणर आराम कर बाद म िफर स दध िपय शारी रक ौम कम स कम कर ॐ सोsह हसः इस मऽ का मानिसक जप कर कभी ास को िनहार बस साकषीभाव

मनोरा य चलता हो तो ॐ जोर-जोर स जप कर

इस कार शाम तक िजतना दध हजम कर सक उतना दध दो स तीन िलटर िपय 40 िदन तक कवल द धाहार क बाद 41व िदन मग का उबला हआ पानी मोसममी का रस आिद ल रािऽ को अिधक मगवाली हलकी िखचड़ी खाय इस कार शरीर-शोधन-कायाकलप की पणारहित कर

यिद बि तीकषण बनानी हो ःमरणशि बढ़ानी हो तो कलप क दौरान ॐ ऐ नमः इस मऽ का जप कर सयर को अ यर द

इस कलप म दध क िसवाय अनय कोई खराक लना मना ह चाय तमबाक आिद यसन िनिष ह ि यो क सग स दर रहना तथा चयर का पालन अतयनत आवयक ह

कलजग नही करजग ह यह

कलजग नही करजग ह यह यहा िदन को द अ रात ल

या खब सौदा नकद ह इस हाथ द उस हाथ ल टक

दिनया अजब बाज़ार ह कछ िजनस1 या िक साथ ल

नकी का बदला नक ह बद स बदी की बात ल

मवा िखला मवा िमल फल फल द फल पात ल

आराम द आराम ल दःख ददर द आफत2 ल 1

काटा िकसी को मत लगा गो िमःल-गल3 फला ह त

वह तर हक4 म तीर ह िकस बात पर झला ह त

मत आग म डाल और को या घास का पला ह त

सन ऱख यह नकता5 बखबर िकस बात पर भला ह त

कलजग नही 2

शोखी शरारत मकरो-फन6 सबका बसखा7 ह यहा

जो जो िदखाया और को वह खद भी दखा ह यहा

खोटी खरी जो कछ कही ितसका परखा8 ह यहा

जो जो पड़ा तलता ह मोल ितल ितल का लखा ह यहा

कलजग नही 3

जो और की बःती9 रख उसका भी बसता ह परा

जो और क मार छरी उसको भी लगता ह छरा

जो और की तोड़ घड़ी उसका भी टट ह घड़ा

जो और की चत10 बदी उसका भी होता ह बरा

कलजग नही 4

जो और को फल दवगा वह भी सदा फल पावगा

गह स गह जौ स जौ चावल स चावल पावगा

जो आज दवगा यहा वसा ही वह कल पावगा

कल दवगा कल पावगा िफर दवगा िफर पावगा

कलजग नही 5

जो चाह ल चल इस घड़ी सब िजनस यहा तयार ह

आराम म आराम ह आजार म आजार11 ह

दिनया न जान इसको िमया दरया की यह मझधार ह

औरो का बड़ा पार कर तरा भी बड़ा पार ह

कलजग नही 6

त और की तारीफ कर तझको सना वानी12 िमल

कर मिकल आसा औरो की तझको भी आसानी िमल

त और को महमान कर तझको भी महमानी िमल

रोटी िखला रोटी िमल पानी िपला पानी िमल

कलजग नही 7

जो गल13 िखलाव और का उसका ही गल िखलता भी ह

जो और का कील14 ह मह उसका ही मह िकलता भी ह

जो और का छील िजगर उसका िजगर िछलता भी ह

जो और को दव कपट उसको कपट िमलता भी ह

कलजग नही 8

कर जो कछ करना ह अब यह दम तो कोई आन15 ह

नकसान म नकसान ह एहसान म एहसान ह

तोहमत म यहा तोहमत िमल तफान म तफान ह

रहमान16 को रहमान17 ह शतान को शतान ह

कलजग नही 9

यहा जहर द तो जहर ल श कर म श कर दख ल

नको का नकी का मजा मजी18 को ट कर दख ल

मोती िदय मोती िमल पतथर म पतथर दख ल

गर तझको यह बावर19 नही तो त भी करक दख ल

कलजग नही 10

अपन नफ क वाःत मत और का नकसान कर

तरा भी नकसा होवगा इस बात पर त धयान कर

खाना जो खा सो दखकर पानी िपय तो छानकर

या पावो को रख फककर और खोफ स गजरान कर

कलजग नही 11

गफलत की यह जगह नही त सािहब-इदराक20 रह

िदलशाद21 ऱख िदल शाह रह गमनाक रख गमनाक रह

हर हाल म भी त नजीर22 अब हर कदम की रह

यह वह मका ह ओ िमया या पाक23 रह बबाक24 रह

कलजग नही 12

1 वःत 2 मसीबत 3 पप की तरह 4 तर िलय 5 रहःय 6 दगा-धोखा 7 घर 8 परखना 9 नगरी 10 िवचार कर 11 दःख 12 तारीफ-ःतित 13 फल 14 िकसी को बोलन न दना 15 घड़ी पल 16 दयावान 17 दयाल भगवान 18 सतान वाला 19 िव ास 20 तीो ा तज समझन वाला प ष 21 सननिच 22 किव का नाम ह 23 श पिवऽ 24 िनडर

  • आधयातमिक विदया क उदगाता
  • सवासथय क लिए मतर
  • परासताविक
  • बरहमचरय-रकषा का मनतर
  • आसनो की परकिया म आन वाल कछ शबदो की समझ
  • आवशयक निरदश
  • योगासन
    • पदमासन या कमलासन
    • सिदधासन
    • सरवागासन
    • हलासन
    • पवनमकतासन
    • मतसयासन
    • भजगासन
    • धनरासन
    • चकरासन
    • कटिपिणडमरदनासन
    • अरधमतसयनदरासन
    • योगमदरासन
    • गोरकषासन या भदरासन
    • मयरासन
    • वजरासन
    • सपतवजरासन
    • शवासन
    • पादपशचिमोततानासन
      • तरिबनध
        • मलबनध
        • उडडीयान बनध
        • जालनधरबनध
          • कवली कमभक
          • जलनति
          • गजकरणी
          • शरीर शोधन-कायाकलप
          • कलजग नही करजग ह यह
Page 23: अनुबम - || Home || HariOmGroup · िस होता है। िवशु नाड़ीतंऽ वालेयोगी के िवशु शरीर में

धयान ःवािध ान चब म ास परक और कमभक

िविधः िबछ हए कमबल पर पीठ क बल िच होकर लट जाय दोनो हाथो को आमन-सामन फला द मि ठया बनद रख दोनो परो को घटनो स मोड़कर खड़ कर द पर क तलव ज़मीन स लग रह दोनो परो क बीच इतना अनतर रख िक घटनो को ज़मीन पर झकान स एक पर का घटना दसर पर की एड़ी को लग िसर दायी ओर मड़ तो दोनो घटन दािहनी ओर ज़मीन को लग इस कार 15-20 बार िबया कर इस कार दोनो परो को एक साथ रखकर भी िबया कर

लाभः िजसको पथरी की तकलीफ हो उस आौम (सत ौी आसारामजी आौम साबरमित अमदावाद-5) स िबना मलय िमलती काली भःम करीब डढ़ माम भोजन स आधा घणटा पवर और भोजन क बाद एक िगलास पानी क साथ लना चािहए और यह आसन भख पट ठीक ढग स करना चािहए इसस पथरी क ददर म लाभ होता ह पथरी टकड़ -टकड़ होकर मऽ क ारा बाहर िनकलन लगती ह मऽिवकार दर होता ह कमर ददर साइिटका रीढ़ की हडडी की जकड़न उदासीनता िनराशा डायािबटीज नपसकता गस पर की गाठ इतयािद रोगो म शीय लाभ होता ह नािभ ःथान स चयत हो जाती हो तो पनः अपन ःथान म आ जाती ह

मािसक धमर क समय एव गभारवःथा म ि या यह आसन न कर कबज का रोगी सबह शौच जान स पहल उषःपान करक यह आसन कर तो चमतका रक लाभ होता ह ास को अनदर भर क पट को फलाकर यह आसन करन स कबज जलदी दर होता ह

अधरमतःयनिासन

कहा जाता ह िक मतःयनिासन की रचना गोरखनाथ क ग ःवामी मतःयनिनाथ न की थी व इस आसन म धयान िकया करत थ मतःयनिासन की आधी िबयाओ को लकर अधरमतःयनिासन चिलत हआ ह

धयान अनाहत चब म ास दीघर

िविधः दोनो परो को लमब करक आसन पर बठ जाओ बाय पर को घटन स मोड़कर एड़ी गदा ार क नीच जमाय पर क तलव को दािहनी जघा क साथ लगा द अब दािहन पर को घटन स मोड़कर खड़ा कर द और बाय पर की जघा स ऊपर ल जात हए जघा क पीछ ज़मीन क ऊपर ऱख द आसन क िलए यह पवरभिमका तयार हो गई

अब बाय हाथ को दािहन पर क घटन स पार करक अथारत घटन को बगल म दबात हए बाय हाथ स दािहन पर का अ गठा पकड़ धड़ को दािहनी ओर मोड़ िजसस दािहन पर क घटन क ऊपर बाय कनध का दबाव ठीक स पड़ अब दािहना हाथ पीठ क पीछ स घमाकर बाय पर की जाघ का िनमन भाग पकड़ िसर दािहनी ओर इतना घमाय िक ठोड़ी और बाया कनधा एक सीधी रखा म आ जाय छाती िबलकल तनी हई रख नीच की ओर झक नही िच वि नािभ क पीछ क भाग म िःथत मिणपर चब म िःथर कर

यह एक तरफ का आसन हआ इसी कार पहल दािहना पर मोड़कर एड़ी गदा ार क नीच दबाकर दसरी तरफ का आसन भी कर ारमभ म पाच सकणड य ह आसन करना पयार ह िफर अ यास बढ़ाकर एक एक तरफ एक एक िमनट तक आसन कर सकत ह

लाभः अधरमतःयनिासन स म दणड ःवःथ रहन स यौवन की ःफितर बनी रहती ह रीढ़ की हिडडयो क साथ उनम स िनकलन वाली नािडयो को भी अचछी कसरत िमल जाती ह पट क िविभनन अगो को भी अचछा लाभ होता ह पीठ पट क नल पर गदरन

हाथ कमर नािभ स नीच क भाग एव छाती की नािड़यो को अचछा िखचाव िमलन स उन पर अचछा भाव पड़ता ह फलतः बनधकोष दर होता ह जठराि न तीो होती ह िवकत यकत पलीहा तथा िनिबय व क क िलए यह आसन लाभदायी ह कमर पीठ और सिनधःथानो क ददर जलदी दर हो जात ह

योगमिासन

योगा यास म यह मिा अित मह वपणर ह इसस इसका नाम योगमिासन रखा गया ह

धयान मिणपर चब म ास रचक कमभक और परक

िविधः प ासन लगाकर दोनो हाथो को पीठ क पीछ ल जाय बाय हाथ स दािहन हाथ की कलाई पकड़ दोनो हाथो को खीचकर कमर तथा रीढ़ क िमलन ःथान पर ल जाय अब रचक करक कमभक कर ास को रोककर शरीर को आग झकाकर भिम पर टक द िफर धीर-धीर िसर को उठाकर शरीर को पनः सीधा कर द और परक कर ारभ म यह आसन किठन लग तो सखासन या िस ासन म बठकर कर पणर लाभ तो प ासन म बठकर करन स ही होता ह पाचनतनऽ क अगो की ःथान ता ठीक करन क िलए यिद यह आसन करत हो तो कवल पाच-दस सकणड तक ही कर एक बठक म तीन स पाच बार सामानयतः यह आसन तीन िमनट तक करना चािहए आधयाितमक उ य स योगमिासन करत हो तो समय की अविध िच और शि क अनसार बढ़ाय

लाभः योगमिासन भली कार िस होता ह तब कणडिलिन शि जागत होती ह पट की गस की बीमारी दर होती ह पट एव आतो की सब िशकायत दर होती ह कलजा फफड़ आिद यथा ःथान रहत ह दय मजबत बनता ह र क िवकार दर होत

ह क और यौनिवकार न होत ह पट बड़ा हो तो अनदर दब जाता ह शरीर मजबत बनता ह मानिसक शि बढ़ती ह

योगमिासन स उदरपटल सश बनता ह पट क अगो को अपन ःथान िटक रहन म सहायता िमलती ह नाड़ीतऽ और खास करक कमर क नाड़ी मणडल को बल िमलता ह

इस आसन म सामनयतः जहा एिड़या लगती ह वहा कबज क अग होत ह उन पर दबाव पड़न स आतो म उ जना आती ह पराना कबज दर होता ह अगो की ःथान ता क कारण होन वाला कबज भी अग अपन ःथान म पनः यथावत िःथत हो जान स न हो जाता ह धात की दबरलता म योगमिासन खब लाभदायक ह

गोरकषासन या भिासन

धयान मलाधार चब म ास थम िःथित म परक और दसरी िःथित म कमभक

िविधः िबछ हए आसन पर बठ जाय दािहना पर घटन स मोड़कर एड़ी सीवन (उपःथ और गदा क मधय) क दािहन भाग म और बाया पर मोड़कर एड़ी सीवन क बाय भाग म इस कार रख िक दोनो पर क तलव एक दसर को लगकर रह

रचक करक दोनो हाथ सामन ज़मीन पर टककर शरीर को ऊपर उठाय और दोनो पर क पजो पर इस कार बठ िक शरीर का वजन एड़ी क मधय भाग म आय अगिलयो वाला भाग छटा रह अब परक करत -करत दोनो हाथो की हथिलयो को घटनो पर रख

अनत म कमभक करक ठोड़ी छाती पर दबाय िच वि मलाधार चब म और ि भी उसी िदशा म लगाय बमशः अ यास बढ़ाकर दसक िमनट तक यह आसन कर

लाभः इस आसन क अ यास स पर क सब सिनध ःथान तथा ःनाय सश बनत ह वाय ऊधवरगामी होकर जठराि न दी करता ह िदनो िदन जड़ता न होन लगती ह शरीर पतला होता ह सकलपबल बढ़ता ह बि तीकषण होती ह कलपनाशि का िवकास होता ह ाणापान की एकता होती ह नादोतपि होन लगती ह िबनद िःथर होकर िच की चचलता कम होती ह आहार का सपणरतया पाचन हो जान क कारण मलमऽ अलप होन लगत ह शरीर शि होन लगती ह तन म ःफितर एव मन म सननता अपन आप कट होती ह ःनाय स ढ़ बनत ह धातकषय गस मधमह ःवपनदोष अजीणर कमर का ददर गदरन की दबरलता बनधकोष मनदाि न िसरददर कषय

दयरोग अिनिा दमा मछाररोग बवासीर आऽपचछ पाणडरोग जलोदर भगनदर कोढ़ उलटी िहचकी अितसार आव उदररोग नऽिवकार आिद अस य रोगो म इस आसन स लाभ होत ह

मयरासन

इस आसन म मयर अथारत मोर की आकित बनती ह इसस इस मयरासन कहा जाता ह

धयान मिणपर चब म ास बा कमभक

िविधः जमीन पर घटन िटकाकर बठ जाय दोनो हाथ की हथिलयो को जमीन पर इस कार रख िक सब अगिलया पर की िदशा म हो और परःपर लगी रह दोनो कहिनयो को मोड़कर पट क कोमल भाग पर नािभ क इदरिगदर रख अब आग झककर दोनो पर को पीछ की लमब कर ास बाहर िनकाल कर दोनो पर को जमीन स ऊपर उठाय और िसर का भाग नीच झकाय इस कार परा शरीर ज़मीन क बराबर समानानतर रह ऐसी िःथित बनाय सपणर शरीर का वजन कवल दो हथिलयो पर ही

रहगा िजतना समय रह सक उतना समय इस िःथित म रहकर िफर मल िःथित म आ जाय इस कार दो-तीन बार कर

लाभः मयरासन करन स चयर-पालन म सहायता िमलती ह पाचन तऽ क अगो की र का वाह अिधक बढ़न स व अग बलवान और कायरशील बनत ह पट क भीतर क भागो म दबाव पड़न स उनकी शि बढ़ती ह उदर क अगो की िशिथलता और मनदाि न दर करन म मयरासन बहत उपयोगी ह

वळासन

वळासन का अथर ह बलवान िःथित पाचनशि वीयरशि तथा ःनायशि दन वाला होन स यह आसन वळासन कहलाता ह

धयान मलाधार चब म और ास दीघर

िविधः िबछ हए आसन पर दोनो परो को घटनो स मोड़कर एिड़यो पर बठ जाय पर क दोनो अगठ परःपर लग रह पर क तलवो क ऊपर िनतमब रह कमर और पीठ िबलकल सीधी रह दोनो हाथ को कहिनयो स मोड़ िबना घटनो पर रख द हथिलया नीच की ओर रह ि सामन िःथर कर द

पाच िमनट स लकर आध घणट तक वळासन का अ यास कर सकत ह वळासन लगाकर भिम पर लट जान स स वळासन होता ह

लाभः वळासन क अ यास स शरीर का मधयभाग सीधा रहता ह ास की गित मनद पड़न स वाय बढ़ती ह आखो की योित तज होती ह वळनाड़ी अथारत वीयरधारा नाड़ी मजबत बनती ह वीयर की ऊधवरगित होन स शरीर वळ जसा बनता ह लमब समय तक सरलता स यह आसन कर सकत ह इसस मन की चचलता दर होकर यि िःथर बि वाला बनता ह शरीर म र ािभसरण ठीक स होकर शरीर िनरोगी एव सनदर बनता ह

भोजन क बाद इस आसन स बठन स पाचन शि तज होती ह कबज दर होती ह भोजन जलदी ह म होता ह पट की वाय का नाश होता ह कबज दर होकर पट क तमाम रोग न होत ह पाणडरोग स मि िमलती ह रीढ़ कमर जाघ घटन और परो म शि बढ़ती ह कमर और पर का वाय रोग दर होता ह ःमरणशि म वि होती ह ि यो क मािसक धमर की अिनयिमतता जस रोग दर होत ह शबदोष वीयरदोष घटनो का ददर आिद का नाश होता ह ःनाय प होत ह ःफितर बढ़ान क िलए एव मानिसक िनराशा दर कर न क िलए यह आसन उपयोगी ह धयान क िलय भी यह आसन उ म ह इसक अ यास स शारी रक ःफितर एव मानिसक सननता कट होती ह िदन-ितिदन शि का सचय होता ह इसिलए शारी रक बल म खब वि होती ह काग का िगरना अथारत गल क टािनसलस हिडडयो क पोल आिद ःथानो म उतपनन होन वाल तकण की स या म वि होन स आरो य का साा य ःथािपत होता ह िफर यि

बखार स िसरददर स कबज स मदाि न स या अजीणर जस छोट-मोट िकसी भी रोग स पीिड़त नही रहता योिक रोग आरो य क साा य म िव होन का साहस ही नही कर पात

स वळासन

धयान िवश ा याचब म ास दीघर सामानय

िविधः वळासन म बठन क बाद िच होकर पीछ की ओर भिम पर लट जाय दोनो जघाए परःपर िमली रह अब रचक करत बाय हाथ का खला पजा दािहन कनध क नीच इस कार रख िक मःतक दोनो हाथ क बास क ऊपर आय रचक परा होन पर िऽबनध कर ि मलाधार चब की िदशा म और िच वि मलाधार चब म ःथािपत कर

लाभः यह आसन करन म ौम बहत कम ह और लाभ अिधक होता ह इसक अ यास स सषमना का मागर अतयनत सरल होता ह कणडिलनी शि सरलता स ऊधवरगमन कर सकती ह

इस आसन म धयान करन स म दणड को सीधा करन का ौम नही करना पड़ता और म दणड को आराम िमलता ह उसकी काय़रशि बल बनती ह इस आसन का अ यास करन स ायः तमाम अतःॐावी मिनथयो को जस शीषरःथ मिनथ कणठःथ मिनथ मऽिपणड की मनथी ऊधवरिपणड तथा प षाथर मिनथ आिद को पि िमलती ह फलतः यि का भौितक एव आधयाितमक िवकास सरल हो जाता ह तन-मन का ःवाःथय भावशाली बनता ह जठराि न दी होती ह मलावरोध की पीडा दर होती ह धातकषय ःवपनदोष पकषाघात पथरी बहरा होना तोतला होना आखो की दबरलता गल क टािनसल ासनिलका का सजन कषय दमा ःमरणशि की दबरलता आिद रोग दर होत ह

शवासन

शवासन की पणारवःथा म शरीर क तमाम अग एव मिःतक पणरतया च ा रिहत िकय जात ह यह अवःथा शव (मद) जसी होन स इस आसन को शवासन कहा जाता ह

िविधः िबछ हए आसन पर िच होकर लट जाय दोनो परो को परःपर स थोड़ अलग कर द दोनो हाथ भी शरीर स थोड़ अलग रह इस कार परो की ओर फला द हाथ की हथिलया आकाश की तरफ खली रख िसर सीधा रह आख बनद

मानिसक ि स शरीर को पर स िसर तक दखत जाय पर शरीर को मद की तरह ढीला छोड़ द हर एक अग को िशिथल करत जाय

शरीर म समपणर िवौाम का अनभव कर मन को भी बा ा िवषयो स हटाकर एकाम कर बारी-बारी स हर एक अग पर मानिसक ि एकाम करत हए भावना कर िक वह अग अब आराम पा रहा ह मरी सब थकान उतर रही ह इस कार भावना करत-करत सब ःनायओ को िशिथल होन द शरीर क एक भी अग म कही भी तनाव (टनशन) न रह िशिथलीकरण की िबया म पर स ारमभ करक िसर तक जाय अथवा िसर स ारमभ करक पर तक भी जा सकत ह अनत म जहा स ारमभ िकया हो वही पनः पहचना चािहय िशिथलीकरण की िबया स शरीर क तमाम अगो का एव ानततओ को िवौाम की अवःथा म ला दना ह

शवासन की दसरी अवःथा म ासोचछोवास पर धयान दना ह शवासन की यही म य िबया ह िवशषकर योग साधको क िलए वह अतयनत उपयोगी ह कवल शारी रक ःवाःथय क िलय थम भिमका पयार ह

इसम ास और उचछवास की िनयिमतता दीघरता और समानता ःथािपत करन का लकषय ह ास िनयिमत चल लमबा और गहरा चल ास और उचछवास एक समान रह तो मन को एकाम करन की शि ा होती ह

शवासन यिद ठीक ढग स िकया जाए तो नाड़ीतऽ इतना शात हो जाता ह िक अ यासी को नीद आन लगती ह लिकन धयान रह िनिनित न होकर जामत रहना आवयक ह

अनय आसन करन क बाद अगो म जो तनाव (टनशन) पदा होता ह उसको िशिथल करन क िलय अत म 3 स 5 िमनट तक शवासन करना चािहए िदनभर म अनकलता क अनसार दो-तीन बार शवासन कर सकत ह

लाभः शवासन क ारा ःनाय एव मासपिशयो म िशिथलीकरण स शि बढ़ती ह अिधक कायर करन की यो यता उसम आती ह र वाहिनयो म िशराओ म र वाह तीो

होन स सारी थकान उतर जाती ह नाड़ीतऽ को बल िमलता ह मानिसक शि म वि होती ह

र का दबाव कम करन क िलए नाड़ीतऽ की दबरलता एव उसक कारण होन वाल रोगो को दर करन क िलय शवासन खब उपयोगी ह

पादपि मो ानासन

यह आसन करना किठन ह इसस उमासन कहा जाता ह उम का अथर ह िशव भगवान िशव सहारक ार ह अतः उम या भयकर ह िशवसिहता म भगवान िशव न म कणठ स शसा करत हए कहा हः यह आसन सवरौ आसन ह इसको य पवरक ग रख िसफर अिधका रयो को ही इसका रहःय बताय

धयान मिणपर चब म ास थम िःथित म परक और दसरी िःथित म रचक और िफर बिहकर मभक

िविधः िबछ हए आसन पर बठ जाय दोनो परो को लमब फला द दोनो परो की जघा घटन पज परःपर िमल रह और जमीन क साथ लग रह परो की अगलया घटनो की तरफ झकी हई रह अब दोनो हाथ लमब कर दािहन हाथ की तजरनी और अगठ स दािहन पर का अगठा और बाय हाथ की तजरनी और अगठ स बाय पर का अगठा पकड़ अब रचक करत-करत नीच झक और िसर को दोनो घटनो क मधय म रख ललाट घटन को ःपशर कर और घटन ज़मीन स लग रह रचक परा होन पर कमभक कर ि एव िच वि को मिणपर चब म ःथािपत कर ारमभ म आधा िमनट करक बमशः 15 िमनट तक यह आसन करन का अ यास बढ़ाना चािहय थम दो-चार िदन किठन लगगा लिकन अ यास हो जान पर यह आसन सरल हो जाएगा

लाभः पादपि मो नासन म समयक अ यास स सषमना का मख खल जाता ह और ाण म दणड क मागर म गमन करता ह फलतः िबनद को जीत सकत ह िबनद को जीत िबना न समािध िस होती ह न वाय िःथर होता ह न िच शात होता ह

जो ी-प ष काम िवकार स अतयत पीिड़त हो उनह इस आसन का अ यास करना चािहए इसस शारी रक िवकार दब जात ह उदर छाती और म दणड को उ म कसरत िमलती ह अतः व अिधक कायरकषम बनत ह हाथ पर तथा अनय अगो क सिनध ःथान मजबत बनत ह शरीर क सब तऽ बराबर कायरशील होत ह रोग माऽ का नाश होकर ःवाःथय़ का साा य ःथािपत होता ह

इस आसन क अ यास स मनदाि न मलावरोध अजीणर उदररोग किमिवकार सद वातिवकार कमर का ददर िहचकी कोढ़ मऽरोग मधमह पर क रोग ःवपनदोष वीयरिवकार र िवकार एपनडीसाइिटस अणडवि पाणडरोग अिनिा दमा ख टी डकार आना ानतनत की दबरलता बवासीर नल की सजन गभारशय क रोग अिनयिमत तथा क दायक मािसक बनधयतव दर नपसकता र िप िसरोवदना बौनापन आिद अनक रोग दर होत ह पट पत ला बनता ह जठराि न दी होती ह कफ और चरबी न होत ह

िशवसिहता म कहा ह िक इस आसन स वाय ीपन होता ह और वह मतय का नाश करता ह इस आसन स शरीर का कद बढ़ता ह शरीर म अिधक ःथलता हो तो कम होती ह दबरलता हो तो वह दर होकर शरीर सामानय तनद ःत अवःथा म आ जाता ह नाडी सःथान म िःथरता आती ह मानिसक शाित ा होती ह िचनता एव उ जना शात करन क िलए यह आसन उ म ह पीठ और म दणड पर िखचाव आन स दोनो िवकिसत होत ह फलतः शरीर क तमाम अवयवो पर अिधकार ःथािपत होता ह सब आसनो म यह आसन सवर धान ह इसक अ यास स कायाकलप (प रवतरन) हो जाता ह

यह आसन भगवान िशव को बहत पयारा ह उनकी आ ा स योगी गोरखनाथ न लोककलयाण हत इसका चार िकया ह आप इस आसन क अदभत लाभो स लाभािनवत हो और दसरो को भी िसखाय

पादपि मो ानासन प यपाद आसारामजी बाप को भी बहत पयारा ह उसस प यौी को बहत लाभ हए ह अभी भी यह आसन उनक आरो यिनिध का रकषक बना हआ ह

पाठक भाइयो आप अवय इस आसन का लाभ लना ारमभ क चार-पाच िदन जरा किठन लगगा बाद म तो यह आसन आपका िशवजी क वरदान प आरो य कवच िस हए िबना नही रहगा

िऽबनध

मलबनध

शौच ःनानािद स िनव होकर आसन पर बठ जाय बायी एड़ी क ारा सीवन या योिन को दबाय दािहनी एड़ी सीवन पर रख गदा ार को िसकोड़कर भीतर की ओर ऊपर खीच यह मलबनध कहा जाता ह

लाभः मलबनध क अ यास स मतय को जीत सकत ह शरीर म नयी ताजगी आती ह िबगड़त हए ःवाःथय की रकषा होती ह चयर का पालन करन म मलबनध सहायक िस होता ह वीयर को प करता ह कबज को न करता ह जठराि न तज होती ह मलबनध स िचरयौवन ा होता ह बाल सफद होन स कत ह

अपानवाय ऊधवरगित पाकर ाणवाय क सषमना म िव होता ह सहॐारचब म िच वि िःथर बनती ह इसस िशवपद का आननद िमलता ह सवर कार की िद य िवभितया और ऐ यर ा होत ह अनाहत नाद सनन को िमलता ह ाण अपान नाद और िबनद एकिऽत होन स योग म पणरता ा होती ह

उडडीयान बनध

आसन पर बठकर परा ास बाहर िनकाल द समपणरतया रचक कर पट को भीतर िसकोड़कर ऊपर की ओर खीच नािभ तथा आत पीठ की तरफ दबाय शरीर को थोड़ा सा आग की तरफ झकाय यह ह उडडीयानबनध

लाभः इसक अ यास स िचरयौवन ा होता ह मतय पर जय ा होती ह चयर क पालन म खब सहायता िमलती ह ःवाःथय सनदर बनता ह कायरशि म वि होती ह नयोिल और उडडीयानबनध जब एक साथ िकय जात ह तब कबज दम दबाकर भाग खड़ा होता ह पट क तमाम अवयवो की मािलश हो जाती ह पट की अनावयक चरबी उतर जाती ह

जालनधरबनध

आसन पर बठकर परक करक कमभक कर और ठोड़ी को छाती क साथ दबाय इसको जालनधरबनध कहत ह

लाभः जालनधरबनध क अ यास स ाण का सचरण ठीक स होता ह इड़ा और िपगला नाड़ी बनद होकर ाण-अपान सषमना म िव होत ह नािभ स अमत कट होता ह िजसका पान जठराि न करता ह योगी इसक ारा अमरता ा करता ह

प ासन पर बठ जाय परा ास बाहर िनकाल कर मलबनध उडडीयानबनध कर िफर खब परक करक मलबनध उडडीयानबनध और जालनधरबनध य तीनो बनध एक साथ कर आख बनद रख मन म णव (ॐ) का अथर क साथ जप कर

इस कार ाणायाम सिहत तीनो बनध का एक साथ अ यास करन स बहत लाभ होता ह और ायः चमतका रक प रणाम आता ह कवल तीन ही िदन क समयक अ यास स जीवन म बािनत का अनभव होन लगता ह कछ समय क अ यास स कवल या कवली कमभक ःवय कट होता ह

कवली कमभक

कवल या कवली कमभक का अथर ह रचक-परक िबना ही ाण का िःथर हो जाना िजसको कवली कमभक िस होता ह उस योगी क िलए तीनो लोक म कछ भी दलरभ नही रहता कणडिलनी जागत होती ह शरीर पतला हो जाता ह मख सनन रहता ह नऽ मलरिहत होत ह सवर रोग दर हो जात ह िबनद पर िवजय होती ह जठराि न विलत होती ह

कवली कमभक िस िकय हए योगी की अपनी सवर मनोकामनाय पणर होती ह इतना ही नही उसका पजन करक ौ ावान लोग भी अपनी मनोकामनाय पणर करन लगत ह

जो साधक पणर एकामता स िऽबनध सिहत ाणायाम क अ यास ारा कवली कमभक का प षाथर िस करता ह उसक भा य का तो पछना ही या उसकी यापकता

बढ़ जाती ह अनतर म महानता का अनभव होता ह काम बोध लोभ मोह मद और मतसर इन छः शऽओ पर िवजय ा होती ह कवली कमभक की मिहमा अपार ह

जलनित

िविधः एक िलटर पानी को गनगना सा गरम कर उसम करीब दस माम श नमक डालकर घोल द सनधव िमल जाय तो अचछा सबह म ःनान क बाद यह पानी चौड़ महवाल पाऽ म कटोर म लकर परो पर बठ जाय पाऽ को दोनो हाथो स पकड़ कर नाक क नथन पानी म डबो द अब धीर-धीर नाक क ारा ास क साथ पानी को भीतर खीच और नाक स भीतर आत हए पानी को मह स बाहर िनकालत जाय नाक को पानी म इस कार बराबर डबोय रख िजसस नाक ारा भीतर जानवाल पानी क साथ हवा न वश कर अनयथा आतरस-खासी आयगी

इस कार पाऽ का सब पानी नाक ारा लकर मख ारा बाहर िनकाल द अब पाऽ को रख कर खड़ हो जाय दोनो पर थोड़ खल रह दोनो हाथ कमर पर रखकर ास को जोर स बाहर िनकालत हए आग की ओर िजतना हो सक झक भिॐका क साथ यह िबया बार-बार कर इसस नाक क भीतर का सब पानी बाहर िनकल जायगा थोड़ा बहत रह भी जाय और िदन म कभी भी नाक स बाहर िनकल जाय तो कछ िचनताजनक नही ह

नाक स पानी भीतर खीचन की यह िबया ारमभ म उलझन जसी लगगी लिकन अ यास हो जान पर िबलकल सरल बन जायगा

लाभः मिःतक की ओर स एक कार का िवषला रस नीच की ओर बहता ह यह रस कान म आय तो कान क रोग होत ह आदमी बहरा हो जाता ह यह रस आखो की तरफ जाय तो आखो का तज कम हो जाता ह चम की ज रत पड़ती ह तथा अनय रोग होत ह यह रस गल की ओर जाय तो गल क रोग होत ह

िनयमपवरक जलनित करन स यह िवषला पदाथर बाहर िनकल जाता ह आखो की रोशनी बढ़ती ह चम की ज रत नही पड़ती चमा हो भी तो धीर-धीर नमबर कम होत-होत छट जाता भी जाता ह ासोचछोवास का मागर साफ हो जाता ह मिःतक म ताजगी रहती ह जकाम-सद होन क अवसर कम हो जात ह जलनित की िबया करन

स दमा टीबी खासी नकसीर बहरापन आिद छोटी-मोटी 1500 बीमी रया दर होती ह जलनित करन वाल को बहत लाभ होत ह िच म सननता बनी रहती ह

गजकरणी िविधः करीब दो िलटर पानी गनगना सा गरम कर उसम करीब 20 माम श

नमक घोल द सनधव िमल जाय तो अचछा ह अब पजो क बल बठकर वह पानी िगलास भर-भर क पीत जाय खब िपय अिधकाअिधक िपय पट जब िबलकल भर जाय गल तक आ जाय पानी बाहर िनकालन की कोिशश कर तब दािहन हाथ की दो बड़ी अगिलया मह म डाल कर उलटी कर िपया हआ सब पानी बाहर िनकाल द पट िबलकल हलका हो जाय तब पाच िमनट तक आराम कर

गजकरणी करन क एकाध घणट क बाद कवल पतली िखचड़ी ही भोजन म ल भोजन क बाद तीन घणट तक पानी न िपय सोय नही ठणड पानी स ःनान कर तीन घणट क बाद ारमभ म थोड़ा गरम पानी िपय

लाभः गजकरणी स एिसडीटी क रोगी को अदभत लाभ होता ह ऐस रोगी को चार-पाच िदन म एक बार गजकरणी चािहए ततप ात महीन म एक बार दो महीन म एक बार छः महीन म एक बार भी गजकरणी कर सकत ह

ातःकाल खाली पट तलसी क पाच-सात प चबाकर ऊपर स थोड़ा जल िपय एसीडीटी क रोगी को इसस बहत लाभ होगा

वष परान कबज क रोिगयो को स ाह म एक बार गजकरणी की िबया अवय करनी चािहए उनका आमाशय मिनथसःथान कमजोर हो जान स भोजन हजम होन म गड़बड़ रहती ह गजकरणी करन स इसम लाभ होता ह फोड़ फनसी िसर म गम सद बखार खासी दमा टीबी वात-िप -कफ क दोष िज ा क रोग गल क रोग छाती क रोग छाती का ददर एव मदाि न म गजकरणी िबया लाभकारक ह

शरीर शोधन-कायाकलप

यह चालीस िदन का कलप ह प यपाद आसारामजी बाप न यह योग िकया हआ ह इसस शरीर सडौल ःवःथ और फत ला बनता ह र म नय-नय कण बनत ह शरीर क कोषो की शि बढ़ती ह मन-बि म चमतका रक लाभ होत ह

िविधः अगल िदन पपीता सव आिद फल उिचत माऽा म ल अथवा मन का 50 माम दस घणट पहल िभगो द उनको उबालकर बीज िनकाल द मन का खा ल और पानी पी ल

ातःकाल उठकर सकलप कर िक इस कलप क दौरान िनि त िकय हए कायरबम क अनसार ही रहगा

शौच-ःनानािद िनतयकमर स िनव होकर सबह 8 बज 200 या 250 माम गाय का उबला हआ गनगना दध िपय पौन घणटा पणर आराम कर बाद म िफर स दध िपय शारी रक ौम कम स कम कर ॐ सोsह हसः इस मऽ का मानिसक जप कर कभी ास को िनहार बस साकषीभाव

मनोरा य चलता हो तो ॐ जोर-जोर स जप कर

इस कार शाम तक िजतना दध हजम कर सक उतना दध दो स तीन िलटर िपय 40 िदन तक कवल द धाहार क बाद 41व िदन मग का उबला हआ पानी मोसममी का रस आिद ल रािऽ को अिधक मगवाली हलकी िखचड़ी खाय इस कार शरीर-शोधन-कायाकलप की पणारहित कर

यिद बि तीकषण बनानी हो ःमरणशि बढ़ानी हो तो कलप क दौरान ॐ ऐ नमः इस मऽ का जप कर सयर को अ यर द

इस कलप म दध क िसवाय अनय कोई खराक लना मना ह चाय तमबाक आिद यसन िनिष ह ि यो क सग स दर रहना तथा चयर का पालन अतयनत आवयक ह

कलजग नही करजग ह यह

कलजग नही करजग ह यह यहा िदन को द अ रात ल

या खब सौदा नकद ह इस हाथ द उस हाथ ल टक

दिनया अजब बाज़ार ह कछ िजनस1 या िक साथ ल

नकी का बदला नक ह बद स बदी की बात ल

मवा िखला मवा िमल फल फल द फल पात ल

आराम द आराम ल दःख ददर द आफत2 ल 1

काटा िकसी को मत लगा गो िमःल-गल3 फला ह त

वह तर हक4 म तीर ह िकस बात पर झला ह त

मत आग म डाल और को या घास का पला ह त

सन ऱख यह नकता5 बखबर िकस बात पर भला ह त

कलजग नही 2

शोखी शरारत मकरो-फन6 सबका बसखा7 ह यहा

जो जो िदखाया और को वह खद भी दखा ह यहा

खोटी खरी जो कछ कही ितसका परखा8 ह यहा

जो जो पड़ा तलता ह मोल ितल ितल का लखा ह यहा

कलजग नही 3

जो और की बःती9 रख उसका भी बसता ह परा

जो और क मार छरी उसको भी लगता ह छरा

जो और की तोड़ घड़ी उसका भी टट ह घड़ा

जो और की चत10 बदी उसका भी होता ह बरा

कलजग नही 4

जो और को फल दवगा वह भी सदा फल पावगा

गह स गह जौ स जौ चावल स चावल पावगा

जो आज दवगा यहा वसा ही वह कल पावगा

कल दवगा कल पावगा िफर दवगा िफर पावगा

कलजग नही 5

जो चाह ल चल इस घड़ी सब िजनस यहा तयार ह

आराम म आराम ह आजार म आजार11 ह

दिनया न जान इसको िमया दरया की यह मझधार ह

औरो का बड़ा पार कर तरा भी बड़ा पार ह

कलजग नही 6

त और की तारीफ कर तझको सना वानी12 िमल

कर मिकल आसा औरो की तझको भी आसानी िमल

त और को महमान कर तझको भी महमानी िमल

रोटी िखला रोटी िमल पानी िपला पानी िमल

कलजग नही 7

जो गल13 िखलाव और का उसका ही गल िखलता भी ह

जो और का कील14 ह मह उसका ही मह िकलता भी ह

जो और का छील िजगर उसका िजगर िछलता भी ह

जो और को दव कपट उसको कपट िमलता भी ह

कलजग नही 8

कर जो कछ करना ह अब यह दम तो कोई आन15 ह

नकसान म नकसान ह एहसान म एहसान ह

तोहमत म यहा तोहमत िमल तफान म तफान ह

रहमान16 को रहमान17 ह शतान को शतान ह

कलजग नही 9

यहा जहर द तो जहर ल श कर म श कर दख ल

नको का नकी का मजा मजी18 को ट कर दख ल

मोती िदय मोती िमल पतथर म पतथर दख ल

गर तझको यह बावर19 नही तो त भी करक दख ल

कलजग नही 10

अपन नफ क वाःत मत और का नकसान कर

तरा भी नकसा होवगा इस बात पर त धयान कर

खाना जो खा सो दखकर पानी िपय तो छानकर

या पावो को रख फककर और खोफ स गजरान कर

कलजग नही 11

गफलत की यह जगह नही त सािहब-इदराक20 रह

िदलशाद21 ऱख िदल शाह रह गमनाक रख गमनाक रह

हर हाल म भी त नजीर22 अब हर कदम की रह

यह वह मका ह ओ िमया या पाक23 रह बबाक24 रह

कलजग नही 12

1 वःत 2 मसीबत 3 पप की तरह 4 तर िलय 5 रहःय 6 दगा-धोखा 7 घर 8 परखना 9 नगरी 10 िवचार कर 11 दःख 12 तारीफ-ःतित 13 फल 14 िकसी को बोलन न दना 15 घड़ी पल 16 दयावान 17 दयाल भगवान 18 सतान वाला 19 िव ास 20 तीो ा तज समझन वाला प ष 21 सननिच 22 किव का नाम ह 23 श पिवऽ 24 िनडर

  • आधयातमिक विदया क उदगाता
  • सवासथय क लिए मतर
  • परासताविक
  • बरहमचरय-रकषा का मनतर
  • आसनो की परकिया म आन वाल कछ शबदो की समझ
  • आवशयक निरदश
  • योगासन
    • पदमासन या कमलासन
    • सिदधासन
    • सरवागासन
    • हलासन
    • पवनमकतासन
    • मतसयासन
    • भजगासन
    • धनरासन
    • चकरासन
    • कटिपिणडमरदनासन
    • अरधमतसयनदरासन
    • योगमदरासन
    • गोरकषासन या भदरासन
    • मयरासन
    • वजरासन
    • सपतवजरासन
    • शवासन
    • पादपशचिमोततानासन
      • तरिबनध
        • मलबनध
        • उडडीयान बनध
        • जालनधरबनध
          • कवली कमभक
          • जलनति
          • गजकरणी
          • शरीर शोधन-कायाकलप
          • कलजग नही करजग ह यह
Page 24: अनुबम - || Home || HariOmGroup · िस होता है। िवशु नाड़ीतंऽ वालेयोगी के िवशु शरीर में

धयान अनाहत चब म ास दीघर

िविधः दोनो परो को लमब करक आसन पर बठ जाओ बाय पर को घटन स मोड़कर एड़ी गदा ार क नीच जमाय पर क तलव को दािहनी जघा क साथ लगा द अब दािहन पर को घटन स मोड़कर खड़ा कर द और बाय पर की जघा स ऊपर ल जात हए जघा क पीछ ज़मीन क ऊपर ऱख द आसन क िलए यह पवरभिमका तयार हो गई

अब बाय हाथ को दािहन पर क घटन स पार करक अथारत घटन को बगल म दबात हए बाय हाथ स दािहन पर का अ गठा पकड़ धड़ को दािहनी ओर मोड़ िजसस दािहन पर क घटन क ऊपर बाय कनध का दबाव ठीक स पड़ अब दािहना हाथ पीठ क पीछ स घमाकर बाय पर की जाघ का िनमन भाग पकड़ िसर दािहनी ओर इतना घमाय िक ठोड़ी और बाया कनधा एक सीधी रखा म आ जाय छाती िबलकल तनी हई रख नीच की ओर झक नही िच वि नािभ क पीछ क भाग म िःथत मिणपर चब म िःथर कर

यह एक तरफ का आसन हआ इसी कार पहल दािहना पर मोड़कर एड़ी गदा ार क नीच दबाकर दसरी तरफ का आसन भी कर ारमभ म पाच सकणड य ह आसन करना पयार ह िफर अ यास बढ़ाकर एक एक तरफ एक एक िमनट तक आसन कर सकत ह

लाभः अधरमतःयनिासन स म दणड ःवःथ रहन स यौवन की ःफितर बनी रहती ह रीढ़ की हिडडयो क साथ उनम स िनकलन वाली नािडयो को भी अचछी कसरत िमल जाती ह पट क िविभनन अगो को भी अचछा लाभ होता ह पीठ पट क नल पर गदरन

हाथ कमर नािभ स नीच क भाग एव छाती की नािड़यो को अचछा िखचाव िमलन स उन पर अचछा भाव पड़ता ह फलतः बनधकोष दर होता ह जठराि न तीो होती ह िवकत यकत पलीहा तथा िनिबय व क क िलए यह आसन लाभदायी ह कमर पीठ और सिनधःथानो क ददर जलदी दर हो जात ह

योगमिासन

योगा यास म यह मिा अित मह वपणर ह इसस इसका नाम योगमिासन रखा गया ह

धयान मिणपर चब म ास रचक कमभक और परक

िविधः प ासन लगाकर दोनो हाथो को पीठ क पीछ ल जाय बाय हाथ स दािहन हाथ की कलाई पकड़ दोनो हाथो को खीचकर कमर तथा रीढ़ क िमलन ःथान पर ल जाय अब रचक करक कमभक कर ास को रोककर शरीर को आग झकाकर भिम पर टक द िफर धीर-धीर िसर को उठाकर शरीर को पनः सीधा कर द और परक कर ारभ म यह आसन किठन लग तो सखासन या िस ासन म बठकर कर पणर लाभ तो प ासन म बठकर करन स ही होता ह पाचनतनऽ क अगो की ःथान ता ठीक करन क िलए यिद यह आसन करत हो तो कवल पाच-दस सकणड तक ही कर एक बठक म तीन स पाच बार सामानयतः यह आसन तीन िमनट तक करना चािहए आधयाितमक उ य स योगमिासन करत हो तो समय की अविध िच और शि क अनसार बढ़ाय

लाभः योगमिासन भली कार िस होता ह तब कणडिलिन शि जागत होती ह पट की गस की बीमारी दर होती ह पट एव आतो की सब िशकायत दर होती ह कलजा फफड़ आिद यथा ःथान रहत ह दय मजबत बनता ह र क िवकार दर होत

ह क और यौनिवकार न होत ह पट बड़ा हो तो अनदर दब जाता ह शरीर मजबत बनता ह मानिसक शि बढ़ती ह

योगमिासन स उदरपटल सश बनता ह पट क अगो को अपन ःथान िटक रहन म सहायता िमलती ह नाड़ीतऽ और खास करक कमर क नाड़ी मणडल को बल िमलता ह

इस आसन म सामनयतः जहा एिड़या लगती ह वहा कबज क अग होत ह उन पर दबाव पड़न स आतो म उ जना आती ह पराना कबज दर होता ह अगो की ःथान ता क कारण होन वाला कबज भी अग अपन ःथान म पनः यथावत िःथत हो जान स न हो जाता ह धात की दबरलता म योगमिासन खब लाभदायक ह

गोरकषासन या भिासन

धयान मलाधार चब म ास थम िःथित म परक और दसरी िःथित म कमभक

िविधः िबछ हए आसन पर बठ जाय दािहना पर घटन स मोड़कर एड़ी सीवन (उपःथ और गदा क मधय) क दािहन भाग म और बाया पर मोड़कर एड़ी सीवन क बाय भाग म इस कार रख िक दोनो पर क तलव एक दसर को लगकर रह

रचक करक दोनो हाथ सामन ज़मीन पर टककर शरीर को ऊपर उठाय और दोनो पर क पजो पर इस कार बठ िक शरीर का वजन एड़ी क मधय भाग म आय अगिलयो वाला भाग छटा रह अब परक करत -करत दोनो हाथो की हथिलयो को घटनो पर रख

अनत म कमभक करक ठोड़ी छाती पर दबाय िच वि मलाधार चब म और ि भी उसी िदशा म लगाय बमशः अ यास बढ़ाकर दसक िमनट तक यह आसन कर

लाभः इस आसन क अ यास स पर क सब सिनध ःथान तथा ःनाय सश बनत ह वाय ऊधवरगामी होकर जठराि न दी करता ह िदनो िदन जड़ता न होन लगती ह शरीर पतला होता ह सकलपबल बढ़ता ह बि तीकषण होती ह कलपनाशि का िवकास होता ह ाणापान की एकता होती ह नादोतपि होन लगती ह िबनद िःथर होकर िच की चचलता कम होती ह आहार का सपणरतया पाचन हो जान क कारण मलमऽ अलप होन लगत ह शरीर शि होन लगती ह तन म ःफितर एव मन म सननता अपन आप कट होती ह ःनाय स ढ़ बनत ह धातकषय गस मधमह ःवपनदोष अजीणर कमर का ददर गदरन की दबरलता बनधकोष मनदाि न िसरददर कषय

दयरोग अिनिा दमा मछाररोग बवासीर आऽपचछ पाणडरोग जलोदर भगनदर कोढ़ उलटी िहचकी अितसार आव उदररोग नऽिवकार आिद अस य रोगो म इस आसन स लाभ होत ह

मयरासन

इस आसन म मयर अथारत मोर की आकित बनती ह इसस इस मयरासन कहा जाता ह

धयान मिणपर चब म ास बा कमभक

िविधः जमीन पर घटन िटकाकर बठ जाय दोनो हाथ की हथिलयो को जमीन पर इस कार रख िक सब अगिलया पर की िदशा म हो और परःपर लगी रह दोनो कहिनयो को मोड़कर पट क कोमल भाग पर नािभ क इदरिगदर रख अब आग झककर दोनो पर को पीछ की लमब कर ास बाहर िनकाल कर दोनो पर को जमीन स ऊपर उठाय और िसर का भाग नीच झकाय इस कार परा शरीर ज़मीन क बराबर समानानतर रह ऐसी िःथित बनाय सपणर शरीर का वजन कवल दो हथिलयो पर ही

रहगा िजतना समय रह सक उतना समय इस िःथित म रहकर िफर मल िःथित म आ जाय इस कार दो-तीन बार कर

लाभः मयरासन करन स चयर-पालन म सहायता िमलती ह पाचन तऽ क अगो की र का वाह अिधक बढ़न स व अग बलवान और कायरशील बनत ह पट क भीतर क भागो म दबाव पड़न स उनकी शि बढ़ती ह उदर क अगो की िशिथलता और मनदाि न दर करन म मयरासन बहत उपयोगी ह

वळासन

वळासन का अथर ह बलवान िःथित पाचनशि वीयरशि तथा ःनायशि दन वाला होन स यह आसन वळासन कहलाता ह

धयान मलाधार चब म और ास दीघर

िविधः िबछ हए आसन पर दोनो परो को घटनो स मोड़कर एिड़यो पर बठ जाय पर क दोनो अगठ परःपर लग रह पर क तलवो क ऊपर िनतमब रह कमर और पीठ िबलकल सीधी रह दोनो हाथ को कहिनयो स मोड़ िबना घटनो पर रख द हथिलया नीच की ओर रह ि सामन िःथर कर द

पाच िमनट स लकर आध घणट तक वळासन का अ यास कर सकत ह वळासन लगाकर भिम पर लट जान स स वळासन होता ह

लाभः वळासन क अ यास स शरीर का मधयभाग सीधा रहता ह ास की गित मनद पड़न स वाय बढ़ती ह आखो की योित तज होती ह वळनाड़ी अथारत वीयरधारा नाड़ी मजबत बनती ह वीयर की ऊधवरगित होन स शरीर वळ जसा बनता ह लमब समय तक सरलता स यह आसन कर सकत ह इसस मन की चचलता दर होकर यि िःथर बि वाला बनता ह शरीर म र ािभसरण ठीक स होकर शरीर िनरोगी एव सनदर बनता ह

भोजन क बाद इस आसन स बठन स पाचन शि तज होती ह कबज दर होती ह भोजन जलदी ह म होता ह पट की वाय का नाश होता ह कबज दर होकर पट क तमाम रोग न होत ह पाणडरोग स मि िमलती ह रीढ़ कमर जाघ घटन और परो म शि बढ़ती ह कमर और पर का वाय रोग दर होता ह ःमरणशि म वि होती ह ि यो क मािसक धमर की अिनयिमतता जस रोग दर होत ह शबदोष वीयरदोष घटनो का ददर आिद का नाश होता ह ःनाय प होत ह ःफितर बढ़ान क िलए एव मानिसक िनराशा दर कर न क िलए यह आसन उपयोगी ह धयान क िलय भी यह आसन उ म ह इसक अ यास स शारी रक ःफितर एव मानिसक सननता कट होती ह िदन-ितिदन शि का सचय होता ह इसिलए शारी रक बल म खब वि होती ह काग का िगरना अथारत गल क टािनसलस हिडडयो क पोल आिद ःथानो म उतपनन होन वाल तकण की स या म वि होन स आरो य का साा य ःथािपत होता ह िफर यि

बखार स िसरददर स कबज स मदाि न स या अजीणर जस छोट-मोट िकसी भी रोग स पीिड़त नही रहता योिक रोग आरो य क साा य म िव होन का साहस ही नही कर पात

स वळासन

धयान िवश ा याचब म ास दीघर सामानय

िविधः वळासन म बठन क बाद िच होकर पीछ की ओर भिम पर लट जाय दोनो जघाए परःपर िमली रह अब रचक करत बाय हाथ का खला पजा दािहन कनध क नीच इस कार रख िक मःतक दोनो हाथ क बास क ऊपर आय रचक परा होन पर िऽबनध कर ि मलाधार चब की िदशा म और िच वि मलाधार चब म ःथािपत कर

लाभः यह आसन करन म ौम बहत कम ह और लाभ अिधक होता ह इसक अ यास स सषमना का मागर अतयनत सरल होता ह कणडिलनी शि सरलता स ऊधवरगमन कर सकती ह

इस आसन म धयान करन स म दणड को सीधा करन का ौम नही करना पड़ता और म दणड को आराम िमलता ह उसकी काय़रशि बल बनती ह इस आसन का अ यास करन स ायः तमाम अतःॐावी मिनथयो को जस शीषरःथ मिनथ कणठःथ मिनथ मऽिपणड की मनथी ऊधवरिपणड तथा प षाथर मिनथ आिद को पि िमलती ह फलतः यि का भौितक एव आधयाितमक िवकास सरल हो जाता ह तन-मन का ःवाःथय भावशाली बनता ह जठराि न दी होती ह मलावरोध की पीडा दर होती ह धातकषय ःवपनदोष पकषाघात पथरी बहरा होना तोतला होना आखो की दबरलता गल क टािनसल ासनिलका का सजन कषय दमा ःमरणशि की दबरलता आिद रोग दर होत ह

शवासन

शवासन की पणारवःथा म शरीर क तमाम अग एव मिःतक पणरतया च ा रिहत िकय जात ह यह अवःथा शव (मद) जसी होन स इस आसन को शवासन कहा जाता ह

िविधः िबछ हए आसन पर िच होकर लट जाय दोनो परो को परःपर स थोड़ अलग कर द दोनो हाथ भी शरीर स थोड़ अलग रह इस कार परो की ओर फला द हाथ की हथिलया आकाश की तरफ खली रख िसर सीधा रह आख बनद

मानिसक ि स शरीर को पर स िसर तक दखत जाय पर शरीर को मद की तरह ढीला छोड़ द हर एक अग को िशिथल करत जाय

शरीर म समपणर िवौाम का अनभव कर मन को भी बा ा िवषयो स हटाकर एकाम कर बारी-बारी स हर एक अग पर मानिसक ि एकाम करत हए भावना कर िक वह अग अब आराम पा रहा ह मरी सब थकान उतर रही ह इस कार भावना करत-करत सब ःनायओ को िशिथल होन द शरीर क एक भी अग म कही भी तनाव (टनशन) न रह िशिथलीकरण की िबया म पर स ारमभ करक िसर तक जाय अथवा िसर स ारमभ करक पर तक भी जा सकत ह अनत म जहा स ारमभ िकया हो वही पनः पहचना चािहय िशिथलीकरण की िबया स शरीर क तमाम अगो का एव ानततओ को िवौाम की अवःथा म ला दना ह

शवासन की दसरी अवःथा म ासोचछोवास पर धयान दना ह शवासन की यही म य िबया ह िवशषकर योग साधको क िलए वह अतयनत उपयोगी ह कवल शारी रक ःवाःथय क िलय थम भिमका पयार ह

इसम ास और उचछवास की िनयिमतता दीघरता और समानता ःथािपत करन का लकषय ह ास िनयिमत चल लमबा और गहरा चल ास और उचछवास एक समान रह तो मन को एकाम करन की शि ा होती ह

शवासन यिद ठीक ढग स िकया जाए तो नाड़ीतऽ इतना शात हो जाता ह िक अ यासी को नीद आन लगती ह लिकन धयान रह िनिनित न होकर जामत रहना आवयक ह

अनय आसन करन क बाद अगो म जो तनाव (टनशन) पदा होता ह उसको िशिथल करन क िलय अत म 3 स 5 िमनट तक शवासन करना चािहए िदनभर म अनकलता क अनसार दो-तीन बार शवासन कर सकत ह

लाभः शवासन क ारा ःनाय एव मासपिशयो म िशिथलीकरण स शि बढ़ती ह अिधक कायर करन की यो यता उसम आती ह र वाहिनयो म िशराओ म र वाह तीो

होन स सारी थकान उतर जाती ह नाड़ीतऽ को बल िमलता ह मानिसक शि म वि होती ह

र का दबाव कम करन क िलए नाड़ीतऽ की दबरलता एव उसक कारण होन वाल रोगो को दर करन क िलय शवासन खब उपयोगी ह

पादपि मो ानासन

यह आसन करना किठन ह इसस उमासन कहा जाता ह उम का अथर ह िशव भगवान िशव सहारक ार ह अतः उम या भयकर ह िशवसिहता म भगवान िशव न म कणठ स शसा करत हए कहा हः यह आसन सवरौ आसन ह इसको य पवरक ग रख िसफर अिधका रयो को ही इसका रहःय बताय

धयान मिणपर चब म ास थम िःथित म परक और दसरी िःथित म रचक और िफर बिहकर मभक

िविधः िबछ हए आसन पर बठ जाय दोनो परो को लमब फला द दोनो परो की जघा घटन पज परःपर िमल रह और जमीन क साथ लग रह परो की अगलया घटनो की तरफ झकी हई रह अब दोनो हाथ लमब कर दािहन हाथ की तजरनी और अगठ स दािहन पर का अगठा और बाय हाथ की तजरनी और अगठ स बाय पर का अगठा पकड़ अब रचक करत-करत नीच झक और िसर को दोनो घटनो क मधय म रख ललाट घटन को ःपशर कर और घटन ज़मीन स लग रह रचक परा होन पर कमभक कर ि एव िच वि को मिणपर चब म ःथािपत कर ारमभ म आधा िमनट करक बमशः 15 िमनट तक यह आसन करन का अ यास बढ़ाना चािहय थम दो-चार िदन किठन लगगा लिकन अ यास हो जान पर यह आसन सरल हो जाएगा

लाभः पादपि मो नासन म समयक अ यास स सषमना का मख खल जाता ह और ाण म दणड क मागर म गमन करता ह फलतः िबनद को जीत सकत ह िबनद को जीत िबना न समािध िस होती ह न वाय िःथर होता ह न िच शात होता ह

जो ी-प ष काम िवकार स अतयत पीिड़त हो उनह इस आसन का अ यास करना चािहए इसस शारी रक िवकार दब जात ह उदर छाती और म दणड को उ म कसरत िमलती ह अतः व अिधक कायरकषम बनत ह हाथ पर तथा अनय अगो क सिनध ःथान मजबत बनत ह शरीर क सब तऽ बराबर कायरशील होत ह रोग माऽ का नाश होकर ःवाःथय़ का साा य ःथािपत होता ह

इस आसन क अ यास स मनदाि न मलावरोध अजीणर उदररोग किमिवकार सद वातिवकार कमर का ददर िहचकी कोढ़ मऽरोग मधमह पर क रोग ःवपनदोष वीयरिवकार र िवकार एपनडीसाइिटस अणडवि पाणडरोग अिनिा दमा ख टी डकार आना ानतनत की दबरलता बवासीर नल की सजन गभारशय क रोग अिनयिमत तथा क दायक मािसक बनधयतव दर नपसकता र िप िसरोवदना बौनापन आिद अनक रोग दर होत ह पट पत ला बनता ह जठराि न दी होती ह कफ और चरबी न होत ह

िशवसिहता म कहा ह िक इस आसन स वाय ीपन होता ह और वह मतय का नाश करता ह इस आसन स शरीर का कद बढ़ता ह शरीर म अिधक ःथलता हो तो कम होती ह दबरलता हो तो वह दर होकर शरीर सामानय तनद ःत अवःथा म आ जाता ह नाडी सःथान म िःथरता आती ह मानिसक शाित ा होती ह िचनता एव उ जना शात करन क िलए यह आसन उ म ह पीठ और म दणड पर िखचाव आन स दोनो िवकिसत होत ह फलतः शरीर क तमाम अवयवो पर अिधकार ःथािपत होता ह सब आसनो म यह आसन सवर धान ह इसक अ यास स कायाकलप (प रवतरन) हो जाता ह

यह आसन भगवान िशव को बहत पयारा ह उनकी आ ा स योगी गोरखनाथ न लोककलयाण हत इसका चार िकया ह आप इस आसन क अदभत लाभो स लाभािनवत हो और दसरो को भी िसखाय

पादपि मो ानासन प यपाद आसारामजी बाप को भी बहत पयारा ह उसस प यौी को बहत लाभ हए ह अभी भी यह आसन उनक आरो यिनिध का रकषक बना हआ ह

पाठक भाइयो आप अवय इस आसन का लाभ लना ारमभ क चार-पाच िदन जरा किठन लगगा बाद म तो यह आसन आपका िशवजी क वरदान प आरो य कवच िस हए िबना नही रहगा

िऽबनध

मलबनध

शौच ःनानािद स िनव होकर आसन पर बठ जाय बायी एड़ी क ारा सीवन या योिन को दबाय दािहनी एड़ी सीवन पर रख गदा ार को िसकोड़कर भीतर की ओर ऊपर खीच यह मलबनध कहा जाता ह

लाभः मलबनध क अ यास स मतय को जीत सकत ह शरीर म नयी ताजगी आती ह िबगड़त हए ःवाःथय की रकषा होती ह चयर का पालन करन म मलबनध सहायक िस होता ह वीयर को प करता ह कबज को न करता ह जठराि न तज होती ह मलबनध स िचरयौवन ा होता ह बाल सफद होन स कत ह

अपानवाय ऊधवरगित पाकर ाणवाय क सषमना म िव होता ह सहॐारचब म िच वि िःथर बनती ह इसस िशवपद का आननद िमलता ह सवर कार की िद य िवभितया और ऐ यर ा होत ह अनाहत नाद सनन को िमलता ह ाण अपान नाद और िबनद एकिऽत होन स योग म पणरता ा होती ह

उडडीयान बनध

आसन पर बठकर परा ास बाहर िनकाल द समपणरतया रचक कर पट को भीतर िसकोड़कर ऊपर की ओर खीच नािभ तथा आत पीठ की तरफ दबाय शरीर को थोड़ा सा आग की तरफ झकाय यह ह उडडीयानबनध

लाभः इसक अ यास स िचरयौवन ा होता ह मतय पर जय ा होती ह चयर क पालन म खब सहायता िमलती ह ःवाःथय सनदर बनता ह कायरशि म वि होती ह नयोिल और उडडीयानबनध जब एक साथ िकय जात ह तब कबज दम दबाकर भाग खड़ा होता ह पट क तमाम अवयवो की मािलश हो जाती ह पट की अनावयक चरबी उतर जाती ह

जालनधरबनध

आसन पर बठकर परक करक कमभक कर और ठोड़ी को छाती क साथ दबाय इसको जालनधरबनध कहत ह

लाभः जालनधरबनध क अ यास स ाण का सचरण ठीक स होता ह इड़ा और िपगला नाड़ी बनद होकर ाण-अपान सषमना म िव होत ह नािभ स अमत कट होता ह िजसका पान जठराि न करता ह योगी इसक ारा अमरता ा करता ह

प ासन पर बठ जाय परा ास बाहर िनकाल कर मलबनध उडडीयानबनध कर िफर खब परक करक मलबनध उडडीयानबनध और जालनधरबनध य तीनो बनध एक साथ कर आख बनद रख मन म णव (ॐ) का अथर क साथ जप कर

इस कार ाणायाम सिहत तीनो बनध का एक साथ अ यास करन स बहत लाभ होता ह और ायः चमतका रक प रणाम आता ह कवल तीन ही िदन क समयक अ यास स जीवन म बािनत का अनभव होन लगता ह कछ समय क अ यास स कवल या कवली कमभक ःवय कट होता ह

कवली कमभक

कवल या कवली कमभक का अथर ह रचक-परक िबना ही ाण का िःथर हो जाना िजसको कवली कमभक िस होता ह उस योगी क िलए तीनो लोक म कछ भी दलरभ नही रहता कणडिलनी जागत होती ह शरीर पतला हो जाता ह मख सनन रहता ह नऽ मलरिहत होत ह सवर रोग दर हो जात ह िबनद पर िवजय होती ह जठराि न विलत होती ह

कवली कमभक िस िकय हए योगी की अपनी सवर मनोकामनाय पणर होती ह इतना ही नही उसका पजन करक ौ ावान लोग भी अपनी मनोकामनाय पणर करन लगत ह

जो साधक पणर एकामता स िऽबनध सिहत ाणायाम क अ यास ारा कवली कमभक का प षाथर िस करता ह उसक भा य का तो पछना ही या उसकी यापकता

बढ़ जाती ह अनतर म महानता का अनभव होता ह काम बोध लोभ मोह मद और मतसर इन छः शऽओ पर िवजय ा होती ह कवली कमभक की मिहमा अपार ह

जलनित

िविधः एक िलटर पानी को गनगना सा गरम कर उसम करीब दस माम श नमक डालकर घोल द सनधव िमल जाय तो अचछा सबह म ःनान क बाद यह पानी चौड़ महवाल पाऽ म कटोर म लकर परो पर बठ जाय पाऽ को दोनो हाथो स पकड़ कर नाक क नथन पानी म डबो द अब धीर-धीर नाक क ारा ास क साथ पानी को भीतर खीच और नाक स भीतर आत हए पानी को मह स बाहर िनकालत जाय नाक को पानी म इस कार बराबर डबोय रख िजसस नाक ारा भीतर जानवाल पानी क साथ हवा न वश कर अनयथा आतरस-खासी आयगी

इस कार पाऽ का सब पानी नाक ारा लकर मख ारा बाहर िनकाल द अब पाऽ को रख कर खड़ हो जाय दोनो पर थोड़ खल रह दोनो हाथ कमर पर रखकर ास को जोर स बाहर िनकालत हए आग की ओर िजतना हो सक झक भिॐका क साथ यह िबया बार-बार कर इसस नाक क भीतर का सब पानी बाहर िनकल जायगा थोड़ा बहत रह भी जाय और िदन म कभी भी नाक स बाहर िनकल जाय तो कछ िचनताजनक नही ह

नाक स पानी भीतर खीचन की यह िबया ारमभ म उलझन जसी लगगी लिकन अ यास हो जान पर िबलकल सरल बन जायगा

लाभः मिःतक की ओर स एक कार का िवषला रस नीच की ओर बहता ह यह रस कान म आय तो कान क रोग होत ह आदमी बहरा हो जाता ह यह रस आखो की तरफ जाय तो आखो का तज कम हो जाता ह चम की ज रत पड़ती ह तथा अनय रोग होत ह यह रस गल की ओर जाय तो गल क रोग होत ह

िनयमपवरक जलनित करन स यह िवषला पदाथर बाहर िनकल जाता ह आखो की रोशनी बढ़ती ह चम की ज रत नही पड़ती चमा हो भी तो धीर-धीर नमबर कम होत-होत छट जाता भी जाता ह ासोचछोवास का मागर साफ हो जाता ह मिःतक म ताजगी रहती ह जकाम-सद होन क अवसर कम हो जात ह जलनित की िबया करन

स दमा टीबी खासी नकसीर बहरापन आिद छोटी-मोटी 1500 बीमी रया दर होती ह जलनित करन वाल को बहत लाभ होत ह िच म सननता बनी रहती ह

गजकरणी िविधः करीब दो िलटर पानी गनगना सा गरम कर उसम करीब 20 माम श

नमक घोल द सनधव िमल जाय तो अचछा ह अब पजो क बल बठकर वह पानी िगलास भर-भर क पीत जाय खब िपय अिधकाअिधक िपय पट जब िबलकल भर जाय गल तक आ जाय पानी बाहर िनकालन की कोिशश कर तब दािहन हाथ की दो बड़ी अगिलया मह म डाल कर उलटी कर िपया हआ सब पानी बाहर िनकाल द पट िबलकल हलका हो जाय तब पाच िमनट तक आराम कर

गजकरणी करन क एकाध घणट क बाद कवल पतली िखचड़ी ही भोजन म ल भोजन क बाद तीन घणट तक पानी न िपय सोय नही ठणड पानी स ःनान कर तीन घणट क बाद ारमभ म थोड़ा गरम पानी िपय

लाभः गजकरणी स एिसडीटी क रोगी को अदभत लाभ होता ह ऐस रोगी को चार-पाच िदन म एक बार गजकरणी चािहए ततप ात महीन म एक बार दो महीन म एक बार छः महीन म एक बार भी गजकरणी कर सकत ह

ातःकाल खाली पट तलसी क पाच-सात प चबाकर ऊपर स थोड़ा जल िपय एसीडीटी क रोगी को इसस बहत लाभ होगा

वष परान कबज क रोिगयो को स ाह म एक बार गजकरणी की िबया अवय करनी चािहए उनका आमाशय मिनथसःथान कमजोर हो जान स भोजन हजम होन म गड़बड़ रहती ह गजकरणी करन स इसम लाभ होता ह फोड़ फनसी िसर म गम सद बखार खासी दमा टीबी वात-िप -कफ क दोष िज ा क रोग गल क रोग छाती क रोग छाती का ददर एव मदाि न म गजकरणी िबया लाभकारक ह

शरीर शोधन-कायाकलप

यह चालीस िदन का कलप ह प यपाद आसारामजी बाप न यह योग िकया हआ ह इसस शरीर सडौल ःवःथ और फत ला बनता ह र म नय-नय कण बनत ह शरीर क कोषो की शि बढ़ती ह मन-बि म चमतका रक लाभ होत ह

िविधः अगल िदन पपीता सव आिद फल उिचत माऽा म ल अथवा मन का 50 माम दस घणट पहल िभगो द उनको उबालकर बीज िनकाल द मन का खा ल और पानी पी ल

ातःकाल उठकर सकलप कर िक इस कलप क दौरान िनि त िकय हए कायरबम क अनसार ही रहगा

शौच-ःनानािद िनतयकमर स िनव होकर सबह 8 बज 200 या 250 माम गाय का उबला हआ गनगना दध िपय पौन घणटा पणर आराम कर बाद म िफर स दध िपय शारी रक ौम कम स कम कर ॐ सोsह हसः इस मऽ का मानिसक जप कर कभी ास को िनहार बस साकषीभाव

मनोरा य चलता हो तो ॐ जोर-जोर स जप कर

इस कार शाम तक िजतना दध हजम कर सक उतना दध दो स तीन िलटर िपय 40 िदन तक कवल द धाहार क बाद 41व िदन मग का उबला हआ पानी मोसममी का रस आिद ल रािऽ को अिधक मगवाली हलकी िखचड़ी खाय इस कार शरीर-शोधन-कायाकलप की पणारहित कर

यिद बि तीकषण बनानी हो ःमरणशि बढ़ानी हो तो कलप क दौरान ॐ ऐ नमः इस मऽ का जप कर सयर को अ यर द

इस कलप म दध क िसवाय अनय कोई खराक लना मना ह चाय तमबाक आिद यसन िनिष ह ि यो क सग स दर रहना तथा चयर का पालन अतयनत आवयक ह

कलजग नही करजग ह यह

कलजग नही करजग ह यह यहा िदन को द अ रात ल

या खब सौदा नकद ह इस हाथ द उस हाथ ल टक

दिनया अजब बाज़ार ह कछ िजनस1 या िक साथ ल

नकी का बदला नक ह बद स बदी की बात ल

मवा िखला मवा िमल फल फल द फल पात ल

आराम द आराम ल दःख ददर द आफत2 ल 1

काटा िकसी को मत लगा गो िमःल-गल3 फला ह त

वह तर हक4 म तीर ह िकस बात पर झला ह त

मत आग म डाल और को या घास का पला ह त

सन ऱख यह नकता5 बखबर िकस बात पर भला ह त

कलजग नही 2

शोखी शरारत मकरो-फन6 सबका बसखा7 ह यहा

जो जो िदखाया और को वह खद भी दखा ह यहा

खोटी खरी जो कछ कही ितसका परखा8 ह यहा

जो जो पड़ा तलता ह मोल ितल ितल का लखा ह यहा

कलजग नही 3

जो और की बःती9 रख उसका भी बसता ह परा

जो और क मार छरी उसको भी लगता ह छरा

जो और की तोड़ घड़ी उसका भी टट ह घड़ा

जो और की चत10 बदी उसका भी होता ह बरा

कलजग नही 4

जो और को फल दवगा वह भी सदा फल पावगा

गह स गह जौ स जौ चावल स चावल पावगा

जो आज दवगा यहा वसा ही वह कल पावगा

कल दवगा कल पावगा िफर दवगा िफर पावगा

कलजग नही 5

जो चाह ल चल इस घड़ी सब िजनस यहा तयार ह

आराम म आराम ह आजार म आजार11 ह

दिनया न जान इसको िमया दरया की यह मझधार ह

औरो का बड़ा पार कर तरा भी बड़ा पार ह

कलजग नही 6

त और की तारीफ कर तझको सना वानी12 िमल

कर मिकल आसा औरो की तझको भी आसानी िमल

त और को महमान कर तझको भी महमानी िमल

रोटी िखला रोटी िमल पानी िपला पानी िमल

कलजग नही 7

जो गल13 िखलाव और का उसका ही गल िखलता भी ह

जो और का कील14 ह मह उसका ही मह िकलता भी ह

जो और का छील िजगर उसका िजगर िछलता भी ह

जो और को दव कपट उसको कपट िमलता भी ह

कलजग नही 8

कर जो कछ करना ह अब यह दम तो कोई आन15 ह

नकसान म नकसान ह एहसान म एहसान ह

तोहमत म यहा तोहमत िमल तफान म तफान ह

रहमान16 को रहमान17 ह शतान को शतान ह

कलजग नही 9

यहा जहर द तो जहर ल श कर म श कर दख ल

नको का नकी का मजा मजी18 को ट कर दख ल

मोती िदय मोती िमल पतथर म पतथर दख ल

गर तझको यह बावर19 नही तो त भी करक दख ल

कलजग नही 10

अपन नफ क वाःत मत और का नकसान कर

तरा भी नकसा होवगा इस बात पर त धयान कर

खाना जो खा सो दखकर पानी िपय तो छानकर

या पावो को रख फककर और खोफ स गजरान कर

कलजग नही 11

गफलत की यह जगह नही त सािहब-इदराक20 रह

िदलशाद21 ऱख िदल शाह रह गमनाक रख गमनाक रह

हर हाल म भी त नजीर22 अब हर कदम की रह

यह वह मका ह ओ िमया या पाक23 रह बबाक24 रह

कलजग नही 12

1 वःत 2 मसीबत 3 पप की तरह 4 तर िलय 5 रहःय 6 दगा-धोखा 7 घर 8 परखना 9 नगरी 10 िवचार कर 11 दःख 12 तारीफ-ःतित 13 फल 14 िकसी को बोलन न दना 15 घड़ी पल 16 दयावान 17 दयाल भगवान 18 सतान वाला 19 िव ास 20 तीो ा तज समझन वाला प ष 21 सननिच 22 किव का नाम ह 23 श पिवऽ 24 िनडर

  • आधयातमिक विदया क उदगाता
  • सवासथय क लिए मतर
  • परासताविक
  • बरहमचरय-रकषा का मनतर
  • आसनो की परकिया म आन वाल कछ शबदो की समझ
  • आवशयक निरदश
  • योगासन
    • पदमासन या कमलासन
    • सिदधासन
    • सरवागासन
    • हलासन
    • पवनमकतासन
    • मतसयासन
    • भजगासन
    • धनरासन
    • चकरासन
    • कटिपिणडमरदनासन
    • अरधमतसयनदरासन
    • योगमदरासन
    • गोरकषासन या भदरासन
    • मयरासन
    • वजरासन
    • सपतवजरासन
    • शवासन
    • पादपशचिमोततानासन
      • तरिबनध
        • मलबनध
        • उडडीयान बनध
        • जालनधरबनध
          • कवली कमभक
          • जलनति
          • गजकरणी
          • शरीर शोधन-कायाकलप
          • कलजग नही करजग ह यह
Page 25: अनुबम - || Home || HariOmGroup · िस होता है। िवशु नाड़ीतंऽ वालेयोगी के िवशु शरीर में

हाथ कमर नािभ स नीच क भाग एव छाती की नािड़यो को अचछा िखचाव िमलन स उन पर अचछा भाव पड़ता ह फलतः बनधकोष दर होता ह जठराि न तीो होती ह िवकत यकत पलीहा तथा िनिबय व क क िलए यह आसन लाभदायी ह कमर पीठ और सिनधःथानो क ददर जलदी दर हो जात ह

योगमिासन

योगा यास म यह मिा अित मह वपणर ह इसस इसका नाम योगमिासन रखा गया ह

धयान मिणपर चब म ास रचक कमभक और परक

िविधः प ासन लगाकर दोनो हाथो को पीठ क पीछ ल जाय बाय हाथ स दािहन हाथ की कलाई पकड़ दोनो हाथो को खीचकर कमर तथा रीढ़ क िमलन ःथान पर ल जाय अब रचक करक कमभक कर ास को रोककर शरीर को आग झकाकर भिम पर टक द िफर धीर-धीर िसर को उठाकर शरीर को पनः सीधा कर द और परक कर ारभ म यह आसन किठन लग तो सखासन या िस ासन म बठकर कर पणर लाभ तो प ासन म बठकर करन स ही होता ह पाचनतनऽ क अगो की ःथान ता ठीक करन क िलए यिद यह आसन करत हो तो कवल पाच-दस सकणड तक ही कर एक बठक म तीन स पाच बार सामानयतः यह आसन तीन िमनट तक करना चािहए आधयाितमक उ य स योगमिासन करत हो तो समय की अविध िच और शि क अनसार बढ़ाय

लाभः योगमिासन भली कार िस होता ह तब कणडिलिन शि जागत होती ह पट की गस की बीमारी दर होती ह पट एव आतो की सब िशकायत दर होती ह कलजा फफड़ आिद यथा ःथान रहत ह दय मजबत बनता ह र क िवकार दर होत

ह क और यौनिवकार न होत ह पट बड़ा हो तो अनदर दब जाता ह शरीर मजबत बनता ह मानिसक शि बढ़ती ह

योगमिासन स उदरपटल सश बनता ह पट क अगो को अपन ःथान िटक रहन म सहायता िमलती ह नाड़ीतऽ और खास करक कमर क नाड़ी मणडल को बल िमलता ह

इस आसन म सामनयतः जहा एिड़या लगती ह वहा कबज क अग होत ह उन पर दबाव पड़न स आतो म उ जना आती ह पराना कबज दर होता ह अगो की ःथान ता क कारण होन वाला कबज भी अग अपन ःथान म पनः यथावत िःथत हो जान स न हो जाता ह धात की दबरलता म योगमिासन खब लाभदायक ह

गोरकषासन या भिासन

धयान मलाधार चब म ास थम िःथित म परक और दसरी िःथित म कमभक

िविधः िबछ हए आसन पर बठ जाय दािहना पर घटन स मोड़कर एड़ी सीवन (उपःथ और गदा क मधय) क दािहन भाग म और बाया पर मोड़कर एड़ी सीवन क बाय भाग म इस कार रख िक दोनो पर क तलव एक दसर को लगकर रह

रचक करक दोनो हाथ सामन ज़मीन पर टककर शरीर को ऊपर उठाय और दोनो पर क पजो पर इस कार बठ िक शरीर का वजन एड़ी क मधय भाग म आय अगिलयो वाला भाग छटा रह अब परक करत -करत दोनो हाथो की हथिलयो को घटनो पर रख

अनत म कमभक करक ठोड़ी छाती पर दबाय िच वि मलाधार चब म और ि भी उसी िदशा म लगाय बमशः अ यास बढ़ाकर दसक िमनट तक यह आसन कर

लाभः इस आसन क अ यास स पर क सब सिनध ःथान तथा ःनाय सश बनत ह वाय ऊधवरगामी होकर जठराि न दी करता ह िदनो िदन जड़ता न होन लगती ह शरीर पतला होता ह सकलपबल बढ़ता ह बि तीकषण होती ह कलपनाशि का िवकास होता ह ाणापान की एकता होती ह नादोतपि होन लगती ह िबनद िःथर होकर िच की चचलता कम होती ह आहार का सपणरतया पाचन हो जान क कारण मलमऽ अलप होन लगत ह शरीर शि होन लगती ह तन म ःफितर एव मन म सननता अपन आप कट होती ह ःनाय स ढ़ बनत ह धातकषय गस मधमह ःवपनदोष अजीणर कमर का ददर गदरन की दबरलता बनधकोष मनदाि न िसरददर कषय

दयरोग अिनिा दमा मछाररोग बवासीर आऽपचछ पाणडरोग जलोदर भगनदर कोढ़ उलटी िहचकी अितसार आव उदररोग नऽिवकार आिद अस य रोगो म इस आसन स लाभ होत ह

मयरासन

इस आसन म मयर अथारत मोर की आकित बनती ह इसस इस मयरासन कहा जाता ह

धयान मिणपर चब म ास बा कमभक

िविधः जमीन पर घटन िटकाकर बठ जाय दोनो हाथ की हथिलयो को जमीन पर इस कार रख िक सब अगिलया पर की िदशा म हो और परःपर लगी रह दोनो कहिनयो को मोड़कर पट क कोमल भाग पर नािभ क इदरिगदर रख अब आग झककर दोनो पर को पीछ की लमब कर ास बाहर िनकाल कर दोनो पर को जमीन स ऊपर उठाय और िसर का भाग नीच झकाय इस कार परा शरीर ज़मीन क बराबर समानानतर रह ऐसी िःथित बनाय सपणर शरीर का वजन कवल दो हथिलयो पर ही

रहगा िजतना समय रह सक उतना समय इस िःथित म रहकर िफर मल िःथित म आ जाय इस कार दो-तीन बार कर

लाभः मयरासन करन स चयर-पालन म सहायता िमलती ह पाचन तऽ क अगो की र का वाह अिधक बढ़न स व अग बलवान और कायरशील बनत ह पट क भीतर क भागो म दबाव पड़न स उनकी शि बढ़ती ह उदर क अगो की िशिथलता और मनदाि न दर करन म मयरासन बहत उपयोगी ह

वळासन

वळासन का अथर ह बलवान िःथित पाचनशि वीयरशि तथा ःनायशि दन वाला होन स यह आसन वळासन कहलाता ह

धयान मलाधार चब म और ास दीघर

िविधः िबछ हए आसन पर दोनो परो को घटनो स मोड़कर एिड़यो पर बठ जाय पर क दोनो अगठ परःपर लग रह पर क तलवो क ऊपर िनतमब रह कमर और पीठ िबलकल सीधी रह दोनो हाथ को कहिनयो स मोड़ िबना घटनो पर रख द हथिलया नीच की ओर रह ि सामन िःथर कर द

पाच िमनट स लकर आध घणट तक वळासन का अ यास कर सकत ह वळासन लगाकर भिम पर लट जान स स वळासन होता ह

लाभः वळासन क अ यास स शरीर का मधयभाग सीधा रहता ह ास की गित मनद पड़न स वाय बढ़ती ह आखो की योित तज होती ह वळनाड़ी अथारत वीयरधारा नाड़ी मजबत बनती ह वीयर की ऊधवरगित होन स शरीर वळ जसा बनता ह लमब समय तक सरलता स यह आसन कर सकत ह इसस मन की चचलता दर होकर यि िःथर बि वाला बनता ह शरीर म र ािभसरण ठीक स होकर शरीर िनरोगी एव सनदर बनता ह

भोजन क बाद इस आसन स बठन स पाचन शि तज होती ह कबज दर होती ह भोजन जलदी ह म होता ह पट की वाय का नाश होता ह कबज दर होकर पट क तमाम रोग न होत ह पाणडरोग स मि िमलती ह रीढ़ कमर जाघ घटन और परो म शि बढ़ती ह कमर और पर का वाय रोग दर होता ह ःमरणशि म वि होती ह ि यो क मािसक धमर की अिनयिमतता जस रोग दर होत ह शबदोष वीयरदोष घटनो का ददर आिद का नाश होता ह ःनाय प होत ह ःफितर बढ़ान क िलए एव मानिसक िनराशा दर कर न क िलए यह आसन उपयोगी ह धयान क िलय भी यह आसन उ म ह इसक अ यास स शारी रक ःफितर एव मानिसक सननता कट होती ह िदन-ितिदन शि का सचय होता ह इसिलए शारी रक बल म खब वि होती ह काग का िगरना अथारत गल क टािनसलस हिडडयो क पोल आिद ःथानो म उतपनन होन वाल तकण की स या म वि होन स आरो य का साा य ःथािपत होता ह िफर यि

बखार स िसरददर स कबज स मदाि न स या अजीणर जस छोट-मोट िकसी भी रोग स पीिड़त नही रहता योिक रोग आरो य क साा य म िव होन का साहस ही नही कर पात

स वळासन

धयान िवश ा याचब म ास दीघर सामानय

िविधः वळासन म बठन क बाद िच होकर पीछ की ओर भिम पर लट जाय दोनो जघाए परःपर िमली रह अब रचक करत बाय हाथ का खला पजा दािहन कनध क नीच इस कार रख िक मःतक दोनो हाथ क बास क ऊपर आय रचक परा होन पर िऽबनध कर ि मलाधार चब की िदशा म और िच वि मलाधार चब म ःथािपत कर

लाभः यह आसन करन म ौम बहत कम ह और लाभ अिधक होता ह इसक अ यास स सषमना का मागर अतयनत सरल होता ह कणडिलनी शि सरलता स ऊधवरगमन कर सकती ह

इस आसन म धयान करन स म दणड को सीधा करन का ौम नही करना पड़ता और म दणड को आराम िमलता ह उसकी काय़रशि बल बनती ह इस आसन का अ यास करन स ायः तमाम अतःॐावी मिनथयो को जस शीषरःथ मिनथ कणठःथ मिनथ मऽिपणड की मनथी ऊधवरिपणड तथा प षाथर मिनथ आिद को पि िमलती ह फलतः यि का भौितक एव आधयाितमक िवकास सरल हो जाता ह तन-मन का ःवाःथय भावशाली बनता ह जठराि न दी होती ह मलावरोध की पीडा दर होती ह धातकषय ःवपनदोष पकषाघात पथरी बहरा होना तोतला होना आखो की दबरलता गल क टािनसल ासनिलका का सजन कषय दमा ःमरणशि की दबरलता आिद रोग दर होत ह

शवासन

शवासन की पणारवःथा म शरीर क तमाम अग एव मिःतक पणरतया च ा रिहत िकय जात ह यह अवःथा शव (मद) जसी होन स इस आसन को शवासन कहा जाता ह

िविधः िबछ हए आसन पर िच होकर लट जाय दोनो परो को परःपर स थोड़ अलग कर द दोनो हाथ भी शरीर स थोड़ अलग रह इस कार परो की ओर फला द हाथ की हथिलया आकाश की तरफ खली रख िसर सीधा रह आख बनद

मानिसक ि स शरीर को पर स िसर तक दखत जाय पर शरीर को मद की तरह ढीला छोड़ द हर एक अग को िशिथल करत जाय

शरीर म समपणर िवौाम का अनभव कर मन को भी बा ा िवषयो स हटाकर एकाम कर बारी-बारी स हर एक अग पर मानिसक ि एकाम करत हए भावना कर िक वह अग अब आराम पा रहा ह मरी सब थकान उतर रही ह इस कार भावना करत-करत सब ःनायओ को िशिथल होन द शरीर क एक भी अग म कही भी तनाव (टनशन) न रह िशिथलीकरण की िबया म पर स ारमभ करक िसर तक जाय अथवा िसर स ारमभ करक पर तक भी जा सकत ह अनत म जहा स ारमभ िकया हो वही पनः पहचना चािहय िशिथलीकरण की िबया स शरीर क तमाम अगो का एव ानततओ को िवौाम की अवःथा म ला दना ह

शवासन की दसरी अवःथा म ासोचछोवास पर धयान दना ह शवासन की यही म य िबया ह िवशषकर योग साधको क िलए वह अतयनत उपयोगी ह कवल शारी रक ःवाःथय क िलय थम भिमका पयार ह

इसम ास और उचछवास की िनयिमतता दीघरता और समानता ःथािपत करन का लकषय ह ास िनयिमत चल लमबा और गहरा चल ास और उचछवास एक समान रह तो मन को एकाम करन की शि ा होती ह

शवासन यिद ठीक ढग स िकया जाए तो नाड़ीतऽ इतना शात हो जाता ह िक अ यासी को नीद आन लगती ह लिकन धयान रह िनिनित न होकर जामत रहना आवयक ह

अनय आसन करन क बाद अगो म जो तनाव (टनशन) पदा होता ह उसको िशिथल करन क िलय अत म 3 स 5 िमनट तक शवासन करना चािहए िदनभर म अनकलता क अनसार दो-तीन बार शवासन कर सकत ह

लाभः शवासन क ारा ःनाय एव मासपिशयो म िशिथलीकरण स शि बढ़ती ह अिधक कायर करन की यो यता उसम आती ह र वाहिनयो म िशराओ म र वाह तीो

होन स सारी थकान उतर जाती ह नाड़ीतऽ को बल िमलता ह मानिसक शि म वि होती ह

र का दबाव कम करन क िलए नाड़ीतऽ की दबरलता एव उसक कारण होन वाल रोगो को दर करन क िलय शवासन खब उपयोगी ह

पादपि मो ानासन

यह आसन करना किठन ह इसस उमासन कहा जाता ह उम का अथर ह िशव भगवान िशव सहारक ार ह अतः उम या भयकर ह िशवसिहता म भगवान िशव न म कणठ स शसा करत हए कहा हः यह आसन सवरौ आसन ह इसको य पवरक ग रख िसफर अिधका रयो को ही इसका रहःय बताय

धयान मिणपर चब म ास थम िःथित म परक और दसरी िःथित म रचक और िफर बिहकर मभक

िविधः िबछ हए आसन पर बठ जाय दोनो परो को लमब फला द दोनो परो की जघा घटन पज परःपर िमल रह और जमीन क साथ लग रह परो की अगलया घटनो की तरफ झकी हई रह अब दोनो हाथ लमब कर दािहन हाथ की तजरनी और अगठ स दािहन पर का अगठा और बाय हाथ की तजरनी और अगठ स बाय पर का अगठा पकड़ अब रचक करत-करत नीच झक और िसर को दोनो घटनो क मधय म रख ललाट घटन को ःपशर कर और घटन ज़मीन स लग रह रचक परा होन पर कमभक कर ि एव िच वि को मिणपर चब म ःथािपत कर ारमभ म आधा िमनट करक बमशः 15 िमनट तक यह आसन करन का अ यास बढ़ाना चािहय थम दो-चार िदन किठन लगगा लिकन अ यास हो जान पर यह आसन सरल हो जाएगा

लाभः पादपि मो नासन म समयक अ यास स सषमना का मख खल जाता ह और ाण म दणड क मागर म गमन करता ह फलतः िबनद को जीत सकत ह िबनद को जीत िबना न समािध िस होती ह न वाय िःथर होता ह न िच शात होता ह

जो ी-प ष काम िवकार स अतयत पीिड़त हो उनह इस आसन का अ यास करना चािहए इसस शारी रक िवकार दब जात ह उदर छाती और म दणड को उ म कसरत िमलती ह अतः व अिधक कायरकषम बनत ह हाथ पर तथा अनय अगो क सिनध ःथान मजबत बनत ह शरीर क सब तऽ बराबर कायरशील होत ह रोग माऽ का नाश होकर ःवाःथय़ का साा य ःथािपत होता ह

इस आसन क अ यास स मनदाि न मलावरोध अजीणर उदररोग किमिवकार सद वातिवकार कमर का ददर िहचकी कोढ़ मऽरोग मधमह पर क रोग ःवपनदोष वीयरिवकार र िवकार एपनडीसाइिटस अणडवि पाणडरोग अिनिा दमा ख टी डकार आना ानतनत की दबरलता बवासीर नल की सजन गभारशय क रोग अिनयिमत तथा क दायक मािसक बनधयतव दर नपसकता र िप िसरोवदना बौनापन आिद अनक रोग दर होत ह पट पत ला बनता ह जठराि न दी होती ह कफ और चरबी न होत ह

िशवसिहता म कहा ह िक इस आसन स वाय ीपन होता ह और वह मतय का नाश करता ह इस आसन स शरीर का कद बढ़ता ह शरीर म अिधक ःथलता हो तो कम होती ह दबरलता हो तो वह दर होकर शरीर सामानय तनद ःत अवःथा म आ जाता ह नाडी सःथान म िःथरता आती ह मानिसक शाित ा होती ह िचनता एव उ जना शात करन क िलए यह आसन उ म ह पीठ और म दणड पर िखचाव आन स दोनो िवकिसत होत ह फलतः शरीर क तमाम अवयवो पर अिधकार ःथािपत होता ह सब आसनो म यह आसन सवर धान ह इसक अ यास स कायाकलप (प रवतरन) हो जाता ह

यह आसन भगवान िशव को बहत पयारा ह उनकी आ ा स योगी गोरखनाथ न लोककलयाण हत इसका चार िकया ह आप इस आसन क अदभत लाभो स लाभािनवत हो और दसरो को भी िसखाय

पादपि मो ानासन प यपाद आसारामजी बाप को भी बहत पयारा ह उसस प यौी को बहत लाभ हए ह अभी भी यह आसन उनक आरो यिनिध का रकषक बना हआ ह

पाठक भाइयो आप अवय इस आसन का लाभ लना ारमभ क चार-पाच िदन जरा किठन लगगा बाद म तो यह आसन आपका िशवजी क वरदान प आरो य कवच िस हए िबना नही रहगा

िऽबनध

मलबनध

शौच ःनानािद स िनव होकर आसन पर बठ जाय बायी एड़ी क ारा सीवन या योिन को दबाय दािहनी एड़ी सीवन पर रख गदा ार को िसकोड़कर भीतर की ओर ऊपर खीच यह मलबनध कहा जाता ह

लाभः मलबनध क अ यास स मतय को जीत सकत ह शरीर म नयी ताजगी आती ह िबगड़त हए ःवाःथय की रकषा होती ह चयर का पालन करन म मलबनध सहायक िस होता ह वीयर को प करता ह कबज को न करता ह जठराि न तज होती ह मलबनध स िचरयौवन ा होता ह बाल सफद होन स कत ह

अपानवाय ऊधवरगित पाकर ाणवाय क सषमना म िव होता ह सहॐारचब म िच वि िःथर बनती ह इसस िशवपद का आननद िमलता ह सवर कार की िद य िवभितया और ऐ यर ा होत ह अनाहत नाद सनन को िमलता ह ाण अपान नाद और िबनद एकिऽत होन स योग म पणरता ा होती ह

उडडीयान बनध

आसन पर बठकर परा ास बाहर िनकाल द समपणरतया रचक कर पट को भीतर िसकोड़कर ऊपर की ओर खीच नािभ तथा आत पीठ की तरफ दबाय शरीर को थोड़ा सा आग की तरफ झकाय यह ह उडडीयानबनध

लाभः इसक अ यास स िचरयौवन ा होता ह मतय पर जय ा होती ह चयर क पालन म खब सहायता िमलती ह ःवाःथय सनदर बनता ह कायरशि म वि होती ह नयोिल और उडडीयानबनध जब एक साथ िकय जात ह तब कबज दम दबाकर भाग खड़ा होता ह पट क तमाम अवयवो की मािलश हो जाती ह पट की अनावयक चरबी उतर जाती ह

जालनधरबनध

आसन पर बठकर परक करक कमभक कर और ठोड़ी को छाती क साथ दबाय इसको जालनधरबनध कहत ह

लाभः जालनधरबनध क अ यास स ाण का सचरण ठीक स होता ह इड़ा और िपगला नाड़ी बनद होकर ाण-अपान सषमना म िव होत ह नािभ स अमत कट होता ह िजसका पान जठराि न करता ह योगी इसक ारा अमरता ा करता ह

प ासन पर बठ जाय परा ास बाहर िनकाल कर मलबनध उडडीयानबनध कर िफर खब परक करक मलबनध उडडीयानबनध और जालनधरबनध य तीनो बनध एक साथ कर आख बनद रख मन म णव (ॐ) का अथर क साथ जप कर

इस कार ाणायाम सिहत तीनो बनध का एक साथ अ यास करन स बहत लाभ होता ह और ायः चमतका रक प रणाम आता ह कवल तीन ही िदन क समयक अ यास स जीवन म बािनत का अनभव होन लगता ह कछ समय क अ यास स कवल या कवली कमभक ःवय कट होता ह

कवली कमभक

कवल या कवली कमभक का अथर ह रचक-परक िबना ही ाण का िःथर हो जाना िजसको कवली कमभक िस होता ह उस योगी क िलए तीनो लोक म कछ भी दलरभ नही रहता कणडिलनी जागत होती ह शरीर पतला हो जाता ह मख सनन रहता ह नऽ मलरिहत होत ह सवर रोग दर हो जात ह िबनद पर िवजय होती ह जठराि न विलत होती ह

कवली कमभक िस िकय हए योगी की अपनी सवर मनोकामनाय पणर होती ह इतना ही नही उसका पजन करक ौ ावान लोग भी अपनी मनोकामनाय पणर करन लगत ह

जो साधक पणर एकामता स िऽबनध सिहत ाणायाम क अ यास ारा कवली कमभक का प षाथर िस करता ह उसक भा य का तो पछना ही या उसकी यापकता

बढ़ जाती ह अनतर म महानता का अनभव होता ह काम बोध लोभ मोह मद और मतसर इन छः शऽओ पर िवजय ा होती ह कवली कमभक की मिहमा अपार ह

जलनित

िविधः एक िलटर पानी को गनगना सा गरम कर उसम करीब दस माम श नमक डालकर घोल द सनधव िमल जाय तो अचछा सबह म ःनान क बाद यह पानी चौड़ महवाल पाऽ म कटोर म लकर परो पर बठ जाय पाऽ को दोनो हाथो स पकड़ कर नाक क नथन पानी म डबो द अब धीर-धीर नाक क ारा ास क साथ पानी को भीतर खीच और नाक स भीतर आत हए पानी को मह स बाहर िनकालत जाय नाक को पानी म इस कार बराबर डबोय रख िजसस नाक ारा भीतर जानवाल पानी क साथ हवा न वश कर अनयथा आतरस-खासी आयगी

इस कार पाऽ का सब पानी नाक ारा लकर मख ारा बाहर िनकाल द अब पाऽ को रख कर खड़ हो जाय दोनो पर थोड़ खल रह दोनो हाथ कमर पर रखकर ास को जोर स बाहर िनकालत हए आग की ओर िजतना हो सक झक भिॐका क साथ यह िबया बार-बार कर इसस नाक क भीतर का सब पानी बाहर िनकल जायगा थोड़ा बहत रह भी जाय और िदन म कभी भी नाक स बाहर िनकल जाय तो कछ िचनताजनक नही ह

नाक स पानी भीतर खीचन की यह िबया ारमभ म उलझन जसी लगगी लिकन अ यास हो जान पर िबलकल सरल बन जायगा

लाभः मिःतक की ओर स एक कार का िवषला रस नीच की ओर बहता ह यह रस कान म आय तो कान क रोग होत ह आदमी बहरा हो जाता ह यह रस आखो की तरफ जाय तो आखो का तज कम हो जाता ह चम की ज रत पड़ती ह तथा अनय रोग होत ह यह रस गल की ओर जाय तो गल क रोग होत ह

िनयमपवरक जलनित करन स यह िवषला पदाथर बाहर िनकल जाता ह आखो की रोशनी बढ़ती ह चम की ज रत नही पड़ती चमा हो भी तो धीर-धीर नमबर कम होत-होत छट जाता भी जाता ह ासोचछोवास का मागर साफ हो जाता ह मिःतक म ताजगी रहती ह जकाम-सद होन क अवसर कम हो जात ह जलनित की िबया करन

स दमा टीबी खासी नकसीर बहरापन आिद छोटी-मोटी 1500 बीमी रया दर होती ह जलनित करन वाल को बहत लाभ होत ह िच म सननता बनी रहती ह

गजकरणी िविधः करीब दो िलटर पानी गनगना सा गरम कर उसम करीब 20 माम श

नमक घोल द सनधव िमल जाय तो अचछा ह अब पजो क बल बठकर वह पानी िगलास भर-भर क पीत जाय खब िपय अिधकाअिधक िपय पट जब िबलकल भर जाय गल तक आ जाय पानी बाहर िनकालन की कोिशश कर तब दािहन हाथ की दो बड़ी अगिलया मह म डाल कर उलटी कर िपया हआ सब पानी बाहर िनकाल द पट िबलकल हलका हो जाय तब पाच िमनट तक आराम कर

गजकरणी करन क एकाध घणट क बाद कवल पतली िखचड़ी ही भोजन म ल भोजन क बाद तीन घणट तक पानी न िपय सोय नही ठणड पानी स ःनान कर तीन घणट क बाद ारमभ म थोड़ा गरम पानी िपय

लाभः गजकरणी स एिसडीटी क रोगी को अदभत लाभ होता ह ऐस रोगी को चार-पाच िदन म एक बार गजकरणी चािहए ततप ात महीन म एक बार दो महीन म एक बार छः महीन म एक बार भी गजकरणी कर सकत ह

ातःकाल खाली पट तलसी क पाच-सात प चबाकर ऊपर स थोड़ा जल िपय एसीडीटी क रोगी को इसस बहत लाभ होगा

वष परान कबज क रोिगयो को स ाह म एक बार गजकरणी की िबया अवय करनी चािहए उनका आमाशय मिनथसःथान कमजोर हो जान स भोजन हजम होन म गड़बड़ रहती ह गजकरणी करन स इसम लाभ होता ह फोड़ फनसी िसर म गम सद बखार खासी दमा टीबी वात-िप -कफ क दोष िज ा क रोग गल क रोग छाती क रोग छाती का ददर एव मदाि न म गजकरणी िबया लाभकारक ह

शरीर शोधन-कायाकलप

यह चालीस िदन का कलप ह प यपाद आसारामजी बाप न यह योग िकया हआ ह इसस शरीर सडौल ःवःथ और फत ला बनता ह र म नय-नय कण बनत ह शरीर क कोषो की शि बढ़ती ह मन-बि म चमतका रक लाभ होत ह

िविधः अगल िदन पपीता सव आिद फल उिचत माऽा म ल अथवा मन का 50 माम दस घणट पहल िभगो द उनको उबालकर बीज िनकाल द मन का खा ल और पानी पी ल

ातःकाल उठकर सकलप कर िक इस कलप क दौरान िनि त िकय हए कायरबम क अनसार ही रहगा

शौच-ःनानािद िनतयकमर स िनव होकर सबह 8 बज 200 या 250 माम गाय का उबला हआ गनगना दध िपय पौन घणटा पणर आराम कर बाद म िफर स दध िपय शारी रक ौम कम स कम कर ॐ सोsह हसः इस मऽ का मानिसक जप कर कभी ास को िनहार बस साकषीभाव

मनोरा य चलता हो तो ॐ जोर-जोर स जप कर

इस कार शाम तक िजतना दध हजम कर सक उतना दध दो स तीन िलटर िपय 40 िदन तक कवल द धाहार क बाद 41व िदन मग का उबला हआ पानी मोसममी का रस आिद ल रािऽ को अिधक मगवाली हलकी िखचड़ी खाय इस कार शरीर-शोधन-कायाकलप की पणारहित कर

यिद बि तीकषण बनानी हो ःमरणशि बढ़ानी हो तो कलप क दौरान ॐ ऐ नमः इस मऽ का जप कर सयर को अ यर द

इस कलप म दध क िसवाय अनय कोई खराक लना मना ह चाय तमबाक आिद यसन िनिष ह ि यो क सग स दर रहना तथा चयर का पालन अतयनत आवयक ह

कलजग नही करजग ह यह

कलजग नही करजग ह यह यहा िदन को द अ रात ल

या खब सौदा नकद ह इस हाथ द उस हाथ ल टक

दिनया अजब बाज़ार ह कछ िजनस1 या िक साथ ल

नकी का बदला नक ह बद स बदी की बात ल

मवा िखला मवा िमल फल फल द फल पात ल

आराम द आराम ल दःख ददर द आफत2 ल 1

काटा िकसी को मत लगा गो िमःल-गल3 फला ह त

वह तर हक4 म तीर ह िकस बात पर झला ह त

मत आग म डाल और को या घास का पला ह त

सन ऱख यह नकता5 बखबर िकस बात पर भला ह त

कलजग नही 2

शोखी शरारत मकरो-फन6 सबका बसखा7 ह यहा

जो जो िदखाया और को वह खद भी दखा ह यहा

खोटी खरी जो कछ कही ितसका परखा8 ह यहा

जो जो पड़ा तलता ह मोल ितल ितल का लखा ह यहा

कलजग नही 3

जो और की बःती9 रख उसका भी बसता ह परा

जो और क मार छरी उसको भी लगता ह छरा

जो और की तोड़ घड़ी उसका भी टट ह घड़ा

जो और की चत10 बदी उसका भी होता ह बरा

कलजग नही 4

जो और को फल दवगा वह भी सदा फल पावगा

गह स गह जौ स जौ चावल स चावल पावगा

जो आज दवगा यहा वसा ही वह कल पावगा

कल दवगा कल पावगा िफर दवगा िफर पावगा

कलजग नही 5

जो चाह ल चल इस घड़ी सब िजनस यहा तयार ह

आराम म आराम ह आजार म आजार11 ह

दिनया न जान इसको िमया दरया की यह मझधार ह

औरो का बड़ा पार कर तरा भी बड़ा पार ह

कलजग नही 6

त और की तारीफ कर तझको सना वानी12 िमल

कर मिकल आसा औरो की तझको भी आसानी िमल

त और को महमान कर तझको भी महमानी िमल

रोटी िखला रोटी िमल पानी िपला पानी िमल

कलजग नही 7

जो गल13 िखलाव और का उसका ही गल िखलता भी ह

जो और का कील14 ह मह उसका ही मह िकलता भी ह

जो और का छील िजगर उसका िजगर िछलता भी ह

जो और को दव कपट उसको कपट िमलता भी ह

कलजग नही 8

कर जो कछ करना ह अब यह दम तो कोई आन15 ह

नकसान म नकसान ह एहसान म एहसान ह

तोहमत म यहा तोहमत िमल तफान म तफान ह

रहमान16 को रहमान17 ह शतान को शतान ह

कलजग नही 9

यहा जहर द तो जहर ल श कर म श कर दख ल

नको का नकी का मजा मजी18 को ट कर दख ल

मोती िदय मोती िमल पतथर म पतथर दख ल

गर तझको यह बावर19 नही तो त भी करक दख ल

कलजग नही 10

अपन नफ क वाःत मत और का नकसान कर

तरा भी नकसा होवगा इस बात पर त धयान कर

खाना जो खा सो दखकर पानी िपय तो छानकर

या पावो को रख फककर और खोफ स गजरान कर

कलजग नही 11

गफलत की यह जगह नही त सािहब-इदराक20 रह

िदलशाद21 ऱख िदल शाह रह गमनाक रख गमनाक रह

हर हाल म भी त नजीर22 अब हर कदम की रह

यह वह मका ह ओ िमया या पाक23 रह बबाक24 रह

कलजग नही 12

1 वःत 2 मसीबत 3 पप की तरह 4 तर िलय 5 रहःय 6 दगा-धोखा 7 घर 8 परखना 9 नगरी 10 िवचार कर 11 दःख 12 तारीफ-ःतित 13 फल 14 िकसी को बोलन न दना 15 घड़ी पल 16 दयावान 17 दयाल भगवान 18 सतान वाला 19 िव ास 20 तीो ा तज समझन वाला प ष 21 सननिच 22 किव का नाम ह 23 श पिवऽ 24 िनडर

  • आधयातमिक विदया क उदगाता
  • सवासथय क लिए मतर
  • परासताविक
  • बरहमचरय-रकषा का मनतर
  • आसनो की परकिया म आन वाल कछ शबदो की समझ
  • आवशयक निरदश
  • योगासन
    • पदमासन या कमलासन
    • सिदधासन
    • सरवागासन
    • हलासन
    • पवनमकतासन
    • मतसयासन
    • भजगासन
    • धनरासन
    • चकरासन
    • कटिपिणडमरदनासन
    • अरधमतसयनदरासन
    • योगमदरासन
    • गोरकषासन या भदरासन
    • मयरासन
    • वजरासन
    • सपतवजरासन
    • शवासन
    • पादपशचिमोततानासन
      • तरिबनध
        • मलबनध
        • उडडीयान बनध
        • जालनधरबनध
          • कवली कमभक
          • जलनति
          • गजकरणी
          • शरीर शोधन-कायाकलप
          • कलजग नही करजग ह यह
Page 26: अनुबम - || Home || HariOmGroup · िस होता है। िवशु नाड़ीतंऽ वालेयोगी के िवशु शरीर में

ह क और यौनिवकार न होत ह पट बड़ा हो तो अनदर दब जाता ह शरीर मजबत बनता ह मानिसक शि बढ़ती ह

योगमिासन स उदरपटल सश बनता ह पट क अगो को अपन ःथान िटक रहन म सहायता िमलती ह नाड़ीतऽ और खास करक कमर क नाड़ी मणडल को बल िमलता ह

इस आसन म सामनयतः जहा एिड़या लगती ह वहा कबज क अग होत ह उन पर दबाव पड़न स आतो म उ जना आती ह पराना कबज दर होता ह अगो की ःथान ता क कारण होन वाला कबज भी अग अपन ःथान म पनः यथावत िःथत हो जान स न हो जाता ह धात की दबरलता म योगमिासन खब लाभदायक ह

गोरकषासन या भिासन

धयान मलाधार चब म ास थम िःथित म परक और दसरी िःथित म कमभक

िविधः िबछ हए आसन पर बठ जाय दािहना पर घटन स मोड़कर एड़ी सीवन (उपःथ और गदा क मधय) क दािहन भाग म और बाया पर मोड़कर एड़ी सीवन क बाय भाग म इस कार रख िक दोनो पर क तलव एक दसर को लगकर रह

रचक करक दोनो हाथ सामन ज़मीन पर टककर शरीर को ऊपर उठाय और दोनो पर क पजो पर इस कार बठ िक शरीर का वजन एड़ी क मधय भाग म आय अगिलयो वाला भाग छटा रह अब परक करत -करत दोनो हाथो की हथिलयो को घटनो पर रख

अनत म कमभक करक ठोड़ी छाती पर दबाय िच वि मलाधार चब म और ि भी उसी िदशा म लगाय बमशः अ यास बढ़ाकर दसक िमनट तक यह आसन कर

लाभः इस आसन क अ यास स पर क सब सिनध ःथान तथा ःनाय सश बनत ह वाय ऊधवरगामी होकर जठराि न दी करता ह िदनो िदन जड़ता न होन लगती ह शरीर पतला होता ह सकलपबल बढ़ता ह बि तीकषण होती ह कलपनाशि का िवकास होता ह ाणापान की एकता होती ह नादोतपि होन लगती ह िबनद िःथर होकर िच की चचलता कम होती ह आहार का सपणरतया पाचन हो जान क कारण मलमऽ अलप होन लगत ह शरीर शि होन लगती ह तन म ःफितर एव मन म सननता अपन आप कट होती ह ःनाय स ढ़ बनत ह धातकषय गस मधमह ःवपनदोष अजीणर कमर का ददर गदरन की दबरलता बनधकोष मनदाि न िसरददर कषय

दयरोग अिनिा दमा मछाररोग बवासीर आऽपचछ पाणडरोग जलोदर भगनदर कोढ़ उलटी िहचकी अितसार आव उदररोग नऽिवकार आिद अस य रोगो म इस आसन स लाभ होत ह

मयरासन

इस आसन म मयर अथारत मोर की आकित बनती ह इसस इस मयरासन कहा जाता ह

धयान मिणपर चब म ास बा कमभक

िविधः जमीन पर घटन िटकाकर बठ जाय दोनो हाथ की हथिलयो को जमीन पर इस कार रख िक सब अगिलया पर की िदशा म हो और परःपर लगी रह दोनो कहिनयो को मोड़कर पट क कोमल भाग पर नािभ क इदरिगदर रख अब आग झककर दोनो पर को पीछ की लमब कर ास बाहर िनकाल कर दोनो पर को जमीन स ऊपर उठाय और िसर का भाग नीच झकाय इस कार परा शरीर ज़मीन क बराबर समानानतर रह ऐसी िःथित बनाय सपणर शरीर का वजन कवल दो हथिलयो पर ही

रहगा िजतना समय रह सक उतना समय इस िःथित म रहकर िफर मल िःथित म आ जाय इस कार दो-तीन बार कर

लाभः मयरासन करन स चयर-पालन म सहायता िमलती ह पाचन तऽ क अगो की र का वाह अिधक बढ़न स व अग बलवान और कायरशील बनत ह पट क भीतर क भागो म दबाव पड़न स उनकी शि बढ़ती ह उदर क अगो की िशिथलता और मनदाि न दर करन म मयरासन बहत उपयोगी ह

वळासन

वळासन का अथर ह बलवान िःथित पाचनशि वीयरशि तथा ःनायशि दन वाला होन स यह आसन वळासन कहलाता ह

धयान मलाधार चब म और ास दीघर

िविधः िबछ हए आसन पर दोनो परो को घटनो स मोड़कर एिड़यो पर बठ जाय पर क दोनो अगठ परःपर लग रह पर क तलवो क ऊपर िनतमब रह कमर और पीठ िबलकल सीधी रह दोनो हाथ को कहिनयो स मोड़ िबना घटनो पर रख द हथिलया नीच की ओर रह ि सामन िःथर कर द

पाच िमनट स लकर आध घणट तक वळासन का अ यास कर सकत ह वळासन लगाकर भिम पर लट जान स स वळासन होता ह

लाभः वळासन क अ यास स शरीर का मधयभाग सीधा रहता ह ास की गित मनद पड़न स वाय बढ़ती ह आखो की योित तज होती ह वळनाड़ी अथारत वीयरधारा नाड़ी मजबत बनती ह वीयर की ऊधवरगित होन स शरीर वळ जसा बनता ह लमब समय तक सरलता स यह आसन कर सकत ह इसस मन की चचलता दर होकर यि िःथर बि वाला बनता ह शरीर म र ािभसरण ठीक स होकर शरीर िनरोगी एव सनदर बनता ह

भोजन क बाद इस आसन स बठन स पाचन शि तज होती ह कबज दर होती ह भोजन जलदी ह म होता ह पट की वाय का नाश होता ह कबज दर होकर पट क तमाम रोग न होत ह पाणडरोग स मि िमलती ह रीढ़ कमर जाघ घटन और परो म शि बढ़ती ह कमर और पर का वाय रोग दर होता ह ःमरणशि म वि होती ह ि यो क मािसक धमर की अिनयिमतता जस रोग दर होत ह शबदोष वीयरदोष घटनो का ददर आिद का नाश होता ह ःनाय प होत ह ःफितर बढ़ान क िलए एव मानिसक िनराशा दर कर न क िलए यह आसन उपयोगी ह धयान क िलय भी यह आसन उ म ह इसक अ यास स शारी रक ःफितर एव मानिसक सननता कट होती ह िदन-ितिदन शि का सचय होता ह इसिलए शारी रक बल म खब वि होती ह काग का िगरना अथारत गल क टािनसलस हिडडयो क पोल आिद ःथानो म उतपनन होन वाल तकण की स या म वि होन स आरो य का साा य ःथािपत होता ह िफर यि

बखार स िसरददर स कबज स मदाि न स या अजीणर जस छोट-मोट िकसी भी रोग स पीिड़त नही रहता योिक रोग आरो य क साा य म िव होन का साहस ही नही कर पात

स वळासन

धयान िवश ा याचब म ास दीघर सामानय

िविधः वळासन म बठन क बाद िच होकर पीछ की ओर भिम पर लट जाय दोनो जघाए परःपर िमली रह अब रचक करत बाय हाथ का खला पजा दािहन कनध क नीच इस कार रख िक मःतक दोनो हाथ क बास क ऊपर आय रचक परा होन पर िऽबनध कर ि मलाधार चब की िदशा म और िच वि मलाधार चब म ःथािपत कर

लाभः यह आसन करन म ौम बहत कम ह और लाभ अिधक होता ह इसक अ यास स सषमना का मागर अतयनत सरल होता ह कणडिलनी शि सरलता स ऊधवरगमन कर सकती ह

इस आसन म धयान करन स म दणड को सीधा करन का ौम नही करना पड़ता और म दणड को आराम िमलता ह उसकी काय़रशि बल बनती ह इस आसन का अ यास करन स ायः तमाम अतःॐावी मिनथयो को जस शीषरःथ मिनथ कणठःथ मिनथ मऽिपणड की मनथी ऊधवरिपणड तथा प षाथर मिनथ आिद को पि िमलती ह फलतः यि का भौितक एव आधयाितमक िवकास सरल हो जाता ह तन-मन का ःवाःथय भावशाली बनता ह जठराि न दी होती ह मलावरोध की पीडा दर होती ह धातकषय ःवपनदोष पकषाघात पथरी बहरा होना तोतला होना आखो की दबरलता गल क टािनसल ासनिलका का सजन कषय दमा ःमरणशि की दबरलता आिद रोग दर होत ह

शवासन

शवासन की पणारवःथा म शरीर क तमाम अग एव मिःतक पणरतया च ा रिहत िकय जात ह यह अवःथा शव (मद) जसी होन स इस आसन को शवासन कहा जाता ह

िविधः िबछ हए आसन पर िच होकर लट जाय दोनो परो को परःपर स थोड़ अलग कर द दोनो हाथ भी शरीर स थोड़ अलग रह इस कार परो की ओर फला द हाथ की हथिलया आकाश की तरफ खली रख िसर सीधा रह आख बनद

मानिसक ि स शरीर को पर स िसर तक दखत जाय पर शरीर को मद की तरह ढीला छोड़ द हर एक अग को िशिथल करत जाय

शरीर म समपणर िवौाम का अनभव कर मन को भी बा ा िवषयो स हटाकर एकाम कर बारी-बारी स हर एक अग पर मानिसक ि एकाम करत हए भावना कर िक वह अग अब आराम पा रहा ह मरी सब थकान उतर रही ह इस कार भावना करत-करत सब ःनायओ को िशिथल होन द शरीर क एक भी अग म कही भी तनाव (टनशन) न रह िशिथलीकरण की िबया म पर स ारमभ करक िसर तक जाय अथवा िसर स ारमभ करक पर तक भी जा सकत ह अनत म जहा स ारमभ िकया हो वही पनः पहचना चािहय िशिथलीकरण की िबया स शरीर क तमाम अगो का एव ानततओ को िवौाम की अवःथा म ला दना ह

शवासन की दसरी अवःथा म ासोचछोवास पर धयान दना ह शवासन की यही म य िबया ह िवशषकर योग साधको क िलए वह अतयनत उपयोगी ह कवल शारी रक ःवाःथय क िलय थम भिमका पयार ह

इसम ास और उचछवास की िनयिमतता दीघरता और समानता ःथािपत करन का लकषय ह ास िनयिमत चल लमबा और गहरा चल ास और उचछवास एक समान रह तो मन को एकाम करन की शि ा होती ह

शवासन यिद ठीक ढग स िकया जाए तो नाड़ीतऽ इतना शात हो जाता ह िक अ यासी को नीद आन लगती ह लिकन धयान रह िनिनित न होकर जामत रहना आवयक ह

अनय आसन करन क बाद अगो म जो तनाव (टनशन) पदा होता ह उसको िशिथल करन क िलय अत म 3 स 5 िमनट तक शवासन करना चािहए िदनभर म अनकलता क अनसार दो-तीन बार शवासन कर सकत ह

लाभः शवासन क ारा ःनाय एव मासपिशयो म िशिथलीकरण स शि बढ़ती ह अिधक कायर करन की यो यता उसम आती ह र वाहिनयो म िशराओ म र वाह तीो

होन स सारी थकान उतर जाती ह नाड़ीतऽ को बल िमलता ह मानिसक शि म वि होती ह

र का दबाव कम करन क िलए नाड़ीतऽ की दबरलता एव उसक कारण होन वाल रोगो को दर करन क िलय शवासन खब उपयोगी ह

पादपि मो ानासन

यह आसन करना किठन ह इसस उमासन कहा जाता ह उम का अथर ह िशव भगवान िशव सहारक ार ह अतः उम या भयकर ह िशवसिहता म भगवान िशव न म कणठ स शसा करत हए कहा हः यह आसन सवरौ आसन ह इसको य पवरक ग रख िसफर अिधका रयो को ही इसका रहःय बताय

धयान मिणपर चब म ास थम िःथित म परक और दसरी िःथित म रचक और िफर बिहकर मभक

िविधः िबछ हए आसन पर बठ जाय दोनो परो को लमब फला द दोनो परो की जघा घटन पज परःपर िमल रह और जमीन क साथ लग रह परो की अगलया घटनो की तरफ झकी हई रह अब दोनो हाथ लमब कर दािहन हाथ की तजरनी और अगठ स दािहन पर का अगठा और बाय हाथ की तजरनी और अगठ स बाय पर का अगठा पकड़ अब रचक करत-करत नीच झक और िसर को दोनो घटनो क मधय म रख ललाट घटन को ःपशर कर और घटन ज़मीन स लग रह रचक परा होन पर कमभक कर ि एव िच वि को मिणपर चब म ःथािपत कर ारमभ म आधा िमनट करक बमशः 15 िमनट तक यह आसन करन का अ यास बढ़ाना चािहय थम दो-चार िदन किठन लगगा लिकन अ यास हो जान पर यह आसन सरल हो जाएगा

लाभः पादपि मो नासन म समयक अ यास स सषमना का मख खल जाता ह और ाण म दणड क मागर म गमन करता ह फलतः िबनद को जीत सकत ह िबनद को जीत िबना न समािध िस होती ह न वाय िःथर होता ह न िच शात होता ह

जो ी-प ष काम िवकार स अतयत पीिड़त हो उनह इस आसन का अ यास करना चािहए इसस शारी रक िवकार दब जात ह उदर छाती और म दणड को उ म कसरत िमलती ह अतः व अिधक कायरकषम बनत ह हाथ पर तथा अनय अगो क सिनध ःथान मजबत बनत ह शरीर क सब तऽ बराबर कायरशील होत ह रोग माऽ का नाश होकर ःवाःथय़ का साा य ःथािपत होता ह

इस आसन क अ यास स मनदाि न मलावरोध अजीणर उदररोग किमिवकार सद वातिवकार कमर का ददर िहचकी कोढ़ मऽरोग मधमह पर क रोग ःवपनदोष वीयरिवकार र िवकार एपनडीसाइिटस अणडवि पाणडरोग अिनिा दमा ख टी डकार आना ानतनत की दबरलता बवासीर नल की सजन गभारशय क रोग अिनयिमत तथा क दायक मािसक बनधयतव दर नपसकता र िप िसरोवदना बौनापन आिद अनक रोग दर होत ह पट पत ला बनता ह जठराि न दी होती ह कफ और चरबी न होत ह

िशवसिहता म कहा ह िक इस आसन स वाय ीपन होता ह और वह मतय का नाश करता ह इस आसन स शरीर का कद बढ़ता ह शरीर म अिधक ःथलता हो तो कम होती ह दबरलता हो तो वह दर होकर शरीर सामानय तनद ःत अवःथा म आ जाता ह नाडी सःथान म िःथरता आती ह मानिसक शाित ा होती ह िचनता एव उ जना शात करन क िलए यह आसन उ म ह पीठ और म दणड पर िखचाव आन स दोनो िवकिसत होत ह फलतः शरीर क तमाम अवयवो पर अिधकार ःथािपत होता ह सब आसनो म यह आसन सवर धान ह इसक अ यास स कायाकलप (प रवतरन) हो जाता ह

यह आसन भगवान िशव को बहत पयारा ह उनकी आ ा स योगी गोरखनाथ न लोककलयाण हत इसका चार िकया ह आप इस आसन क अदभत लाभो स लाभािनवत हो और दसरो को भी िसखाय

पादपि मो ानासन प यपाद आसारामजी बाप को भी बहत पयारा ह उसस प यौी को बहत लाभ हए ह अभी भी यह आसन उनक आरो यिनिध का रकषक बना हआ ह

पाठक भाइयो आप अवय इस आसन का लाभ लना ारमभ क चार-पाच िदन जरा किठन लगगा बाद म तो यह आसन आपका िशवजी क वरदान प आरो य कवच िस हए िबना नही रहगा

िऽबनध

मलबनध

शौच ःनानािद स िनव होकर आसन पर बठ जाय बायी एड़ी क ारा सीवन या योिन को दबाय दािहनी एड़ी सीवन पर रख गदा ार को िसकोड़कर भीतर की ओर ऊपर खीच यह मलबनध कहा जाता ह

लाभः मलबनध क अ यास स मतय को जीत सकत ह शरीर म नयी ताजगी आती ह िबगड़त हए ःवाःथय की रकषा होती ह चयर का पालन करन म मलबनध सहायक िस होता ह वीयर को प करता ह कबज को न करता ह जठराि न तज होती ह मलबनध स िचरयौवन ा होता ह बाल सफद होन स कत ह

अपानवाय ऊधवरगित पाकर ाणवाय क सषमना म िव होता ह सहॐारचब म िच वि िःथर बनती ह इसस िशवपद का आननद िमलता ह सवर कार की िद य िवभितया और ऐ यर ा होत ह अनाहत नाद सनन को िमलता ह ाण अपान नाद और िबनद एकिऽत होन स योग म पणरता ा होती ह

उडडीयान बनध

आसन पर बठकर परा ास बाहर िनकाल द समपणरतया रचक कर पट को भीतर िसकोड़कर ऊपर की ओर खीच नािभ तथा आत पीठ की तरफ दबाय शरीर को थोड़ा सा आग की तरफ झकाय यह ह उडडीयानबनध

लाभः इसक अ यास स िचरयौवन ा होता ह मतय पर जय ा होती ह चयर क पालन म खब सहायता िमलती ह ःवाःथय सनदर बनता ह कायरशि म वि होती ह नयोिल और उडडीयानबनध जब एक साथ िकय जात ह तब कबज दम दबाकर भाग खड़ा होता ह पट क तमाम अवयवो की मािलश हो जाती ह पट की अनावयक चरबी उतर जाती ह

जालनधरबनध

आसन पर बठकर परक करक कमभक कर और ठोड़ी को छाती क साथ दबाय इसको जालनधरबनध कहत ह

लाभः जालनधरबनध क अ यास स ाण का सचरण ठीक स होता ह इड़ा और िपगला नाड़ी बनद होकर ाण-अपान सषमना म िव होत ह नािभ स अमत कट होता ह िजसका पान जठराि न करता ह योगी इसक ारा अमरता ा करता ह

प ासन पर बठ जाय परा ास बाहर िनकाल कर मलबनध उडडीयानबनध कर िफर खब परक करक मलबनध उडडीयानबनध और जालनधरबनध य तीनो बनध एक साथ कर आख बनद रख मन म णव (ॐ) का अथर क साथ जप कर

इस कार ाणायाम सिहत तीनो बनध का एक साथ अ यास करन स बहत लाभ होता ह और ायः चमतका रक प रणाम आता ह कवल तीन ही िदन क समयक अ यास स जीवन म बािनत का अनभव होन लगता ह कछ समय क अ यास स कवल या कवली कमभक ःवय कट होता ह

कवली कमभक

कवल या कवली कमभक का अथर ह रचक-परक िबना ही ाण का िःथर हो जाना िजसको कवली कमभक िस होता ह उस योगी क िलए तीनो लोक म कछ भी दलरभ नही रहता कणडिलनी जागत होती ह शरीर पतला हो जाता ह मख सनन रहता ह नऽ मलरिहत होत ह सवर रोग दर हो जात ह िबनद पर िवजय होती ह जठराि न विलत होती ह

कवली कमभक िस िकय हए योगी की अपनी सवर मनोकामनाय पणर होती ह इतना ही नही उसका पजन करक ौ ावान लोग भी अपनी मनोकामनाय पणर करन लगत ह

जो साधक पणर एकामता स िऽबनध सिहत ाणायाम क अ यास ारा कवली कमभक का प षाथर िस करता ह उसक भा य का तो पछना ही या उसकी यापकता

बढ़ जाती ह अनतर म महानता का अनभव होता ह काम बोध लोभ मोह मद और मतसर इन छः शऽओ पर िवजय ा होती ह कवली कमभक की मिहमा अपार ह

जलनित

िविधः एक िलटर पानी को गनगना सा गरम कर उसम करीब दस माम श नमक डालकर घोल द सनधव िमल जाय तो अचछा सबह म ःनान क बाद यह पानी चौड़ महवाल पाऽ म कटोर म लकर परो पर बठ जाय पाऽ को दोनो हाथो स पकड़ कर नाक क नथन पानी म डबो द अब धीर-धीर नाक क ारा ास क साथ पानी को भीतर खीच और नाक स भीतर आत हए पानी को मह स बाहर िनकालत जाय नाक को पानी म इस कार बराबर डबोय रख िजसस नाक ारा भीतर जानवाल पानी क साथ हवा न वश कर अनयथा आतरस-खासी आयगी

इस कार पाऽ का सब पानी नाक ारा लकर मख ारा बाहर िनकाल द अब पाऽ को रख कर खड़ हो जाय दोनो पर थोड़ खल रह दोनो हाथ कमर पर रखकर ास को जोर स बाहर िनकालत हए आग की ओर िजतना हो सक झक भिॐका क साथ यह िबया बार-बार कर इसस नाक क भीतर का सब पानी बाहर िनकल जायगा थोड़ा बहत रह भी जाय और िदन म कभी भी नाक स बाहर िनकल जाय तो कछ िचनताजनक नही ह

नाक स पानी भीतर खीचन की यह िबया ारमभ म उलझन जसी लगगी लिकन अ यास हो जान पर िबलकल सरल बन जायगा

लाभः मिःतक की ओर स एक कार का िवषला रस नीच की ओर बहता ह यह रस कान म आय तो कान क रोग होत ह आदमी बहरा हो जाता ह यह रस आखो की तरफ जाय तो आखो का तज कम हो जाता ह चम की ज रत पड़ती ह तथा अनय रोग होत ह यह रस गल की ओर जाय तो गल क रोग होत ह

िनयमपवरक जलनित करन स यह िवषला पदाथर बाहर िनकल जाता ह आखो की रोशनी बढ़ती ह चम की ज रत नही पड़ती चमा हो भी तो धीर-धीर नमबर कम होत-होत छट जाता भी जाता ह ासोचछोवास का मागर साफ हो जाता ह मिःतक म ताजगी रहती ह जकाम-सद होन क अवसर कम हो जात ह जलनित की िबया करन

स दमा टीबी खासी नकसीर बहरापन आिद छोटी-मोटी 1500 बीमी रया दर होती ह जलनित करन वाल को बहत लाभ होत ह िच म सननता बनी रहती ह

गजकरणी िविधः करीब दो िलटर पानी गनगना सा गरम कर उसम करीब 20 माम श

नमक घोल द सनधव िमल जाय तो अचछा ह अब पजो क बल बठकर वह पानी िगलास भर-भर क पीत जाय खब िपय अिधकाअिधक िपय पट जब िबलकल भर जाय गल तक आ जाय पानी बाहर िनकालन की कोिशश कर तब दािहन हाथ की दो बड़ी अगिलया मह म डाल कर उलटी कर िपया हआ सब पानी बाहर िनकाल द पट िबलकल हलका हो जाय तब पाच िमनट तक आराम कर

गजकरणी करन क एकाध घणट क बाद कवल पतली िखचड़ी ही भोजन म ल भोजन क बाद तीन घणट तक पानी न िपय सोय नही ठणड पानी स ःनान कर तीन घणट क बाद ारमभ म थोड़ा गरम पानी िपय

लाभः गजकरणी स एिसडीटी क रोगी को अदभत लाभ होता ह ऐस रोगी को चार-पाच िदन म एक बार गजकरणी चािहए ततप ात महीन म एक बार दो महीन म एक बार छः महीन म एक बार भी गजकरणी कर सकत ह

ातःकाल खाली पट तलसी क पाच-सात प चबाकर ऊपर स थोड़ा जल िपय एसीडीटी क रोगी को इसस बहत लाभ होगा

वष परान कबज क रोिगयो को स ाह म एक बार गजकरणी की िबया अवय करनी चािहए उनका आमाशय मिनथसःथान कमजोर हो जान स भोजन हजम होन म गड़बड़ रहती ह गजकरणी करन स इसम लाभ होता ह फोड़ फनसी िसर म गम सद बखार खासी दमा टीबी वात-िप -कफ क दोष िज ा क रोग गल क रोग छाती क रोग छाती का ददर एव मदाि न म गजकरणी िबया लाभकारक ह

शरीर शोधन-कायाकलप

यह चालीस िदन का कलप ह प यपाद आसारामजी बाप न यह योग िकया हआ ह इसस शरीर सडौल ःवःथ और फत ला बनता ह र म नय-नय कण बनत ह शरीर क कोषो की शि बढ़ती ह मन-बि म चमतका रक लाभ होत ह

िविधः अगल िदन पपीता सव आिद फल उिचत माऽा म ल अथवा मन का 50 माम दस घणट पहल िभगो द उनको उबालकर बीज िनकाल द मन का खा ल और पानी पी ल

ातःकाल उठकर सकलप कर िक इस कलप क दौरान िनि त िकय हए कायरबम क अनसार ही रहगा

शौच-ःनानािद िनतयकमर स िनव होकर सबह 8 बज 200 या 250 माम गाय का उबला हआ गनगना दध िपय पौन घणटा पणर आराम कर बाद म िफर स दध िपय शारी रक ौम कम स कम कर ॐ सोsह हसः इस मऽ का मानिसक जप कर कभी ास को िनहार बस साकषीभाव

मनोरा य चलता हो तो ॐ जोर-जोर स जप कर

इस कार शाम तक िजतना दध हजम कर सक उतना दध दो स तीन िलटर िपय 40 िदन तक कवल द धाहार क बाद 41व िदन मग का उबला हआ पानी मोसममी का रस आिद ल रािऽ को अिधक मगवाली हलकी िखचड़ी खाय इस कार शरीर-शोधन-कायाकलप की पणारहित कर

यिद बि तीकषण बनानी हो ःमरणशि बढ़ानी हो तो कलप क दौरान ॐ ऐ नमः इस मऽ का जप कर सयर को अ यर द

इस कलप म दध क िसवाय अनय कोई खराक लना मना ह चाय तमबाक आिद यसन िनिष ह ि यो क सग स दर रहना तथा चयर का पालन अतयनत आवयक ह

कलजग नही करजग ह यह

कलजग नही करजग ह यह यहा िदन को द अ रात ल

या खब सौदा नकद ह इस हाथ द उस हाथ ल टक

दिनया अजब बाज़ार ह कछ िजनस1 या िक साथ ल

नकी का बदला नक ह बद स बदी की बात ल

मवा िखला मवा िमल फल फल द फल पात ल

आराम द आराम ल दःख ददर द आफत2 ल 1

काटा िकसी को मत लगा गो िमःल-गल3 फला ह त

वह तर हक4 म तीर ह िकस बात पर झला ह त

मत आग म डाल और को या घास का पला ह त

सन ऱख यह नकता5 बखबर िकस बात पर भला ह त

कलजग नही 2

शोखी शरारत मकरो-फन6 सबका बसखा7 ह यहा

जो जो िदखाया और को वह खद भी दखा ह यहा

खोटी खरी जो कछ कही ितसका परखा8 ह यहा

जो जो पड़ा तलता ह मोल ितल ितल का लखा ह यहा

कलजग नही 3

जो और की बःती9 रख उसका भी बसता ह परा

जो और क मार छरी उसको भी लगता ह छरा

जो और की तोड़ घड़ी उसका भी टट ह घड़ा

जो और की चत10 बदी उसका भी होता ह बरा

कलजग नही 4

जो और को फल दवगा वह भी सदा फल पावगा

गह स गह जौ स जौ चावल स चावल पावगा

जो आज दवगा यहा वसा ही वह कल पावगा

कल दवगा कल पावगा िफर दवगा िफर पावगा

कलजग नही 5

जो चाह ल चल इस घड़ी सब िजनस यहा तयार ह

आराम म आराम ह आजार म आजार11 ह

दिनया न जान इसको िमया दरया की यह मझधार ह

औरो का बड़ा पार कर तरा भी बड़ा पार ह

कलजग नही 6

त और की तारीफ कर तझको सना वानी12 िमल

कर मिकल आसा औरो की तझको भी आसानी िमल

त और को महमान कर तझको भी महमानी िमल

रोटी िखला रोटी िमल पानी िपला पानी िमल

कलजग नही 7

जो गल13 िखलाव और का उसका ही गल िखलता भी ह

जो और का कील14 ह मह उसका ही मह िकलता भी ह

जो और का छील िजगर उसका िजगर िछलता भी ह

जो और को दव कपट उसको कपट िमलता भी ह

कलजग नही 8

कर जो कछ करना ह अब यह दम तो कोई आन15 ह

नकसान म नकसान ह एहसान म एहसान ह

तोहमत म यहा तोहमत िमल तफान म तफान ह

रहमान16 को रहमान17 ह शतान को शतान ह

कलजग नही 9

यहा जहर द तो जहर ल श कर म श कर दख ल

नको का नकी का मजा मजी18 को ट कर दख ल

मोती िदय मोती िमल पतथर म पतथर दख ल

गर तझको यह बावर19 नही तो त भी करक दख ल

कलजग नही 10

अपन नफ क वाःत मत और का नकसान कर

तरा भी नकसा होवगा इस बात पर त धयान कर

खाना जो खा सो दखकर पानी िपय तो छानकर

या पावो को रख फककर और खोफ स गजरान कर

कलजग नही 11

गफलत की यह जगह नही त सािहब-इदराक20 रह

िदलशाद21 ऱख िदल शाह रह गमनाक रख गमनाक रह

हर हाल म भी त नजीर22 अब हर कदम की रह

यह वह मका ह ओ िमया या पाक23 रह बबाक24 रह

कलजग नही 12

1 वःत 2 मसीबत 3 पप की तरह 4 तर िलय 5 रहःय 6 दगा-धोखा 7 घर 8 परखना 9 नगरी 10 िवचार कर 11 दःख 12 तारीफ-ःतित 13 फल 14 िकसी को बोलन न दना 15 घड़ी पल 16 दयावान 17 दयाल भगवान 18 सतान वाला 19 िव ास 20 तीो ा तज समझन वाला प ष 21 सननिच 22 किव का नाम ह 23 श पिवऽ 24 िनडर

  • आधयातमिक विदया क उदगाता
  • सवासथय क लिए मतर
  • परासताविक
  • बरहमचरय-रकषा का मनतर
  • आसनो की परकिया म आन वाल कछ शबदो की समझ
  • आवशयक निरदश
  • योगासन
    • पदमासन या कमलासन
    • सिदधासन
    • सरवागासन
    • हलासन
    • पवनमकतासन
    • मतसयासन
    • भजगासन
    • धनरासन
    • चकरासन
    • कटिपिणडमरदनासन
    • अरधमतसयनदरासन
    • योगमदरासन
    • गोरकषासन या भदरासन
    • मयरासन
    • वजरासन
    • सपतवजरासन
    • शवासन
    • पादपशचिमोततानासन
      • तरिबनध
        • मलबनध
        • उडडीयान बनध
        • जालनधरबनध
          • कवली कमभक
          • जलनति
          • गजकरणी
          • शरीर शोधन-कायाकलप
          • कलजग नही करजग ह यह
Page 27: अनुबम - || Home || HariOmGroup · िस होता है। िवशु नाड़ीतंऽ वालेयोगी के िवशु शरीर में

अनत म कमभक करक ठोड़ी छाती पर दबाय िच वि मलाधार चब म और ि भी उसी िदशा म लगाय बमशः अ यास बढ़ाकर दसक िमनट तक यह आसन कर

लाभः इस आसन क अ यास स पर क सब सिनध ःथान तथा ःनाय सश बनत ह वाय ऊधवरगामी होकर जठराि न दी करता ह िदनो िदन जड़ता न होन लगती ह शरीर पतला होता ह सकलपबल बढ़ता ह बि तीकषण होती ह कलपनाशि का िवकास होता ह ाणापान की एकता होती ह नादोतपि होन लगती ह िबनद िःथर होकर िच की चचलता कम होती ह आहार का सपणरतया पाचन हो जान क कारण मलमऽ अलप होन लगत ह शरीर शि होन लगती ह तन म ःफितर एव मन म सननता अपन आप कट होती ह ःनाय स ढ़ बनत ह धातकषय गस मधमह ःवपनदोष अजीणर कमर का ददर गदरन की दबरलता बनधकोष मनदाि न िसरददर कषय

दयरोग अिनिा दमा मछाररोग बवासीर आऽपचछ पाणडरोग जलोदर भगनदर कोढ़ उलटी िहचकी अितसार आव उदररोग नऽिवकार आिद अस य रोगो म इस आसन स लाभ होत ह

मयरासन

इस आसन म मयर अथारत मोर की आकित बनती ह इसस इस मयरासन कहा जाता ह

धयान मिणपर चब म ास बा कमभक

िविधः जमीन पर घटन िटकाकर बठ जाय दोनो हाथ की हथिलयो को जमीन पर इस कार रख िक सब अगिलया पर की िदशा म हो और परःपर लगी रह दोनो कहिनयो को मोड़कर पट क कोमल भाग पर नािभ क इदरिगदर रख अब आग झककर दोनो पर को पीछ की लमब कर ास बाहर िनकाल कर दोनो पर को जमीन स ऊपर उठाय और िसर का भाग नीच झकाय इस कार परा शरीर ज़मीन क बराबर समानानतर रह ऐसी िःथित बनाय सपणर शरीर का वजन कवल दो हथिलयो पर ही

रहगा िजतना समय रह सक उतना समय इस िःथित म रहकर िफर मल िःथित म आ जाय इस कार दो-तीन बार कर

लाभः मयरासन करन स चयर-पालन म सहायता िमलती ह पाचन तऽ क अगो की र का वाह अिधक बढ़न स व अग बलवान और कायरशील बनत ह पट क भीतर क भागो म दबाव पड़न स उनकी शि बढ़ती ह उदर क अगो की िशिथलता और मनदाि न दर करन म मयरासन बहत उपयोगी ह

वळासन

वळासन का अथर ह बलवान िःथित पाचनशि वीयरशि तथा ःनायशि दन वाला होन स यह आसन वळासन कहलाता ह

धयान मलाधार चब म और ास दीघर

िविधः िबछ हए आसन पर दोनो परो को घटनो स मोड़कर एिड़यो पर बठ जाय पर क दोनो अगठ परःपर लग रह पर क तलवो क ऊपर िनतमब रह कमर और पीठ िबलकल सीधी रह दोनो हाथ को कहिनयो स मोड़ िबना घटनो पर रख द हथिलया नीच की ओर रह ि सामन िःथर कर द

पाच िमनट स लकर आध घणट तक वळासन का अ यास कर सकत ह वळासन लगाकर भिम पर लट जान स स वळासन होता ह

लाभः वळासन क अ यास स शरीर का मधयभाग सीधा रहता ह ास की गित मनद पड़न स वाय बढ़ती ह आखो की योित तज होती ह वळनाड़ी अथारत वीयरधारा नाड़ी मजबत बनती ह वीयर की ऊधवरगित होन स शरीर वळ जसा बनता ह लमब समय तक सरलता स यह आसन कर सकत ह इसस मन की चचलता दर होकर यि िःथर बि वाला बनता ह शरीर म र ािभसरण ठीक स होकर शरीर िनरोगी एव सनदर बनता ह

भोजन क बाद इस आसन स बठन स पाचन शि तज होती ह कबज दर होती ह भोजन जलदी ह म होता ह पट की वाय का नाश होता ह कबज दर होकर पट क तमाम रोग न होत ह पाणडरोग स मि िमलती ह रीढ़ कमर जाघ घटन और परो म शि बढ़ती ह कमर और पर का वाय रोग दर होता ह ःमरणशि म वि होती ह ि यो क मािसक धमर की अिनयिमतता जस रोग दर होत ह शबदोष वीयरदोष घटनो का ददर आिद का नाश होता ह ःनाय प होत ह ःफितर बढ़ान क िलए एव मानिसक िनराशा दर कर न क िलए यह आसन उपयोगी ह धयान क िलय भी यह आसन उ म ह इसक अ यास स शारी रक ःफितर एव मानिसक सननता कट होती ह िदन-ितिदन शि का सचय होता ह इसिलए शारी रक बल म खब वि होती ह काग का िगरना अथारत गल क टािनसलस हिडडयो क पोल आिद ःथानो म उतपनन होन वाल तकण की स या म वि होन स आरो य का साा य ःथािपत होता ह िफर यि

बखार स िसरददर स कबज स मदाि न स या अजीणर जस छोट-मोट िकसी भी रोग स पीिड़त नही रहता योिक रोग आरो य क साा य म िव होन का साहस ही नही कर पात

स वळासन

धयान िवश ा याचब म ास दीघर सामानय

िविधः वळासन म बठन क बाद िच होकर पीछ की ओर भिम पर लट जाय दोनो जघाए परःपर िमली रह अब रचक करत बाय हाथ का खला पजा दािहन कनध क नीच इस कार रख िक मःतक दोनो हाथ क बास क ऊपर आय रचक परा होन पर िऽबनध कर ि मलाधार चब की िदशा म और िच वि मलाधार चब म ःथािपत कर

लाभः यह आसन करन म ौम बहत कम ह और लाभ अिधक होता ह इसक अ यास स सषमना का मागर अतयनत सरल होता ह कणडिलनी शि सरलता स ऊधवरगमन कर सकती ह

इस आसन म धयान करन स म दणड को सीधा करन का ौम नही करना पड़ता और म दणड को आराम िमलता ह उसकी काय़रशि बल बनती ह इस आसन का अ यास करन स ायः तमाम अतःॐावी मिनथयो को जस शीषरःथ मिनथ कणठःथ मिनथ मऽिपणड की मनथी ऊधवरिपणड तथा प षाथर मिनथ आिद को पि िमलती ह फलतः यि का भौितक एव आधयाितमक िवकास सरल हो जाता ह तन-मन का ःवाःथय भावशाली बनता ह जठराि न दी होती ह मलावरोध की पीडा दर होती ह धातकषय ःवपनदोष पकषाघात पथरी बहरा होना तोतला होना आखो की दबरलता गल क टािनसल ासनिलका का सजन कषय दमा ःमरणशि की दबरलता आिद रोग दर होत ह

शवासन

शवासन की पणारवःथा म शरीर क तमाम अग एव मिःतक पणरतया च ा रिहत िकय जात ह यह अवःथा शव (मद) जसी होन स इस आसन को शवासन कहा जाता ह

िविधः िबछ हए आसन पर िच होकर लट जाय दोनो परो को परःपर स थोड़ अलग कर द दोनो हाथ भी शरीर स थोड़ अलग रह इस कार परो की ओर फला द हाथ की हथिलया आकाश की तरफ खली रख िसर सीधा रह आख बनद

मानिसक ि स शरीर को पर स िसर तक दखत जाय पर शरीर को मद की तरह ढीला छोड़ द हर एक अग को िशिथल करत जाय

शरीर म समपणर िवौाम का अनभव कर मन को भी बा ा िवषयो स हटाकर एकाम कर बारी-बारी स हर एक अग पर मानिसक ि एकाम करत हए भावना कर िक वह अग अब आराम पा रहा ह मरी सब थकान उतर रही ह इस कार भावना करत-करत सब ःनायओ को िशिथल होन द शरीर क एक भी अग म कही भी तनाव (टनशन) न रह िशिथलीकरण की िबया म पर स ारमभ करक िसर तक जाय अथवा िसर स ारमभ करक पर तक भी जा सकत ह अनत म जहा स ारमभ िकया हो वही पनः पहचना चािहय िशिथलीकरण की िबया स शरीर क तमाम अगो का एव ानततओ को िवौाम की अवःथा म ला दना ह

शवासन की दसरी अवःथा म ासोचछोवास पर धयान दना ह शवासन की यही म य िबया ह िवशषकर योग साधको क िलए वह अतयनत उपयोगी ह कवल शारी रक ःवाःथय क िलय थम भिमका पयार ह

इसम ास और उचछवास की िनयिमतता दीघरता और समानता ःथािपत करन का लकषय ह ास िनयिमत चल लमबा और गहरा चल ास और उचछवास एक समान रह तो मन को एकाम करन की शि ा होती ह

शवासन यिद ठीक ढग स िकया जाए तो नाड़ीतऽ इतना शात हो जाता ह िक अ यासी को नीद आन लगती ह लिकन धयान रह िनिनित न होकर जामत रहना आवयक ह

अनय आसन करन क बाद अगो म जो तनाव (टनशन) पदा होता ह उसको िशिथल करन क िलय अत म 3 स 5 िमनट तक शवासन करना चािहए िदनभर म अनकलता क अनसार दो-तीन बार शवासन कर सकत ह

लाभः शवासन क ारा ःनाय एव मासपिशयो म िशिथलीकरण स शि बढ़ती ह अिधक कायर करन की यो यता उसम आती ह र वाहिनयो म िशराओ म र वाह तीो

होन स सारी थकान उतर जाती ह नाड़ीतऽ को बल िमलता ह मानिसक शि म वि होती ह

र का दबाव कम करन क िलए नाड़ीतऽ की दबरलता एव उसक कारण होन वाल रोगो को दर करन क िलय शवासन खब उपयोगी ह

पादपि मो ानासन

यह आसन करना किठन ह इसस उमासन कहा जाता ह उम का अथर ह िशव भगवान िशव सहारक ार ह अतः उम या भयकर ह िशवसिहता म भगवान िशव न म कणठ स शसा करत हए कहा हः यह आसन सवरौ आसन ह इसको य पवरक ग रख िसफर अिधका रयो को ही इसका रहःय बताय

धयान मिणपर चब म ास थम िःथित म परक और दसरी िःथित म रचक और िफर बिहकर मभक

िविधः िबछ हए आसन पर बठ जाय दोनो परो को लमब फला द दोनो परो की जघा घटन पज परःपर िमल रह और जमीन क साथ लग रह परो की अगलया घटनो की तरफ झकी हई रह अब दोनो हाथ लमब कर दािहन हाथ की तजरनी और अगठ स दािहन पर का अगठा और बाय हाथ की तजरनी और अगठ स बाय पर का अगठा पकड़ अब रचक करत-करत नीच झक और िसर को दोनो घटनो क मधय म रख ललाट घटन को ःपशर कर और घटन ज़मीन स लग रह रचक परा होन पर कमभक कर ि एव िच वि को मिणपर चब म ःथािपत कर ारमभ म आधा िमनट करक बमशः 15 िमनट तक यह आसन करन का अ यास बढ़ाना चािहय थम दो-चार िदन किठन लगगा लिकन अ यास हो जान पर यह आसन सरल हो जाएगा

लाभः पादपि मो नासन म समयक अ यास स सषमना का मख खल जाता ह और ाण म दणड क मागर म गमन करता ह फलतः िबनद को जीत सकत ह िबनद को जीत िबना न समािध िस होती ह न वाय िःथर होता ह न िच शात होता ह

जो ी-प ष काम िवकार स अतयत पीिड़त हो उनह इस आसन का अ यास करना चािहए इसस शारी रक िवकार दब जात ह उदर छाती और म दणड को उ म कसरत िमलती ह अतः व अिधक कायरकषम बनत ह हाथ पर तथा अनय अगो क सिनध ःथान मजबत बनत ह शरीर क सब तऽ बराबर कायरशील होत ह रोग माऽ का नाश होकर ःवाःथय़ का साा य ःथािपत होता ह

इस आसन क अ यास स मनदाि न मलावरोध अजीणर उदररोग किमिवकार सद वातिवकार कमर का ददर िहचकी कोढ़ मऽरोग मधमह पर क रोग ःवपनदोष वीयरिवकार र िवकार एपनडीसाइिटस अणडवि पाणडरोग अिनिा दमा ख टी डकार आना ानतनत की दबरलता बवासीर नल की सजन गभारशय क रोग अिनयिमत तथा क दायक मािसक बनधयतव दर नपसकता र िप िसरोवदना बौनापन आिद अनक रोग दर होत ह पट पत ला बनता ह जठराि न दी होती ह कफ और चरबी न होत ह

िशवसिहता म कहा ह िक इस आसन स वाय ीपन होता ह और वह मतय का नाश करता ह इस आसन स शरीर का कद बढ़ता ह शरीर म अिधक ःथलता हो तो कम होती ह दबरलता हो तो वह दर होकर शरीर सामानय तनद ःत अवःथा म आ जाता ह नाडी सःथान म िःथरता आती ह मानिसक शाित ा होती ह िचनता एव उ जना शात करन क िलए यह आसन उ म ह पीठ और म दणड पर िखचाव आन स दोनो िवकिसत होत ह फलतः शरीर क तमाम अवयवो पर अिधकार ःथािपत होता ह सब आसनो म यह आसन सवर धान ह इसक अ यास स कायाकलप (प रवतरन) हो जाता ह

यह आसन भगवान िशव को बहत पयारा ह उनकी आ ा स योगी गोरखनाथ न लोककलयाण हत इसका चार िकया ह आप इस आसन क अदभत लाभो स लाभािनवत हो और दसरो को भी िसखाय

पादपि मो ानासन प यपाद आसारामजी बाप को भी बहत पयारा ह उसस प यौी को बहत लाभ हए ह अभी भी यह आसन उनक आरो यिनिध का रकषक बना हआ ह

पाठक भाइयो आप अवय इस आसन का लाभ लना ारमभ क चार-पाच िदन जरा किठन लगगा बाद म तो यह आसन आपका िशवजी क वरदान प आरो य कवच िस हए िबना नही रहगा

िऽबनध

मलबनध

शौच ःनानािद स िनव होकर आसन पर बठ जाय बायी एड़ी क ारा सीवन या योिन को दबाय दािहनी एड़ी सीवन पर रख गदा ार को िसकोड़कर भीतर की ओर ऊपर खीच यह मलबनध कहा जाता ह

लाभः मलबनध क अ यास स मतय को जीत सकत ह शरीर म नयी ताजगी आती ह िबगड़त हए ःवाःथय की रकषा होती ह चयर का पालन करन म मलबनध सहायक िस होता ह वीयर को प करता ह कबज को न करता ह जठराि न तज होती ह मलबनध स िचरयौवन ा होता ह बाल सफद होन स कत ह

अपानवाय ऊधवरगित पाकर ाणवाय क सषमना म िव होता ह सहॐारचब म िच वि िःथर बनती ह इसस िशवपद का आननद िमलता ह सवर कार की िद य िवभितया और ऐ यर ा होत ह अनाहत नाद सनन को िमलता ह ाण अपान नाद और िबनद एकिऽत होन स योग म पणरता ा होती ह

उडडीयान बनध

आसन पर बठकर परा ास बाहर िनकाल द समपणरतया रचक कर पट को भीतर िसकोड़कर ऊपर की ओर खीच नािभ तथा आत पीठ की तरफ दबाय शरीर को थोड़ा सा आग की तरफ झकाय यह ह उडडीयानबनध

लाभः इसक अ यास स िचरयौवन ा होता ह मतय पर जय ा होती ह चयर क पालन म खब सहायता िमलती ह ःवाःथय सनदर बनता ह कायरशि म वि होती ह नयोिल और उडडीयानबनध जब एक साथ िकय जात ह तब कबज दम दबाकर भाग खड़ा होता ह पट क तमाम अवयवो की मािलश हो जाती ह पट की अनावयक चरबी उतर जाती ह

जालनधरबनध

आसन पर बठकर परक करक कमभक कर और ठोड़ी को छाती क साथ दबाय इसको जालनधरबनध कहत ह

लाभः जालनधरबनध क अ यास स ाण का सचरण ठीक स होता ह इड़ा और िपगला नाड़ी बनद होकर ाण-अपान सषमना म िव होत ह नािभ स अमत कट होता ह िजसका पान जठराि न करता ह योगी इसक ारा अमरता ा करता ह

प ासन पर बठ जाय परा ास बाहर िनकाल कर मलबनध उडडीयानबनध कर िफर खब परक करक मलबनध उडडीयानबनध और जालनधरबनध य तीनो बनध एक साथ कर आख बनद रख मन म णव (ॐ) का अथर क साथ जप कर

इस कार ाणायाम सिहत तीनो बनध का एक साथ अ यास करन स बहत लाभ होता ह और ायः चमतका रक प रणाम आता ह कवल तीन ही िदन क समयक अ यास स जीवन म बािनत का अनभव होन लगता ह कछ समय क अ यास स कवल या कवली कमभक ःवय कट होता ह

कवली कमभक

कवल या कवली कमभक का अथर ह रचक-परक िबना ही ाण का िःथर हो जाना िजसको कवली कमभक िस होता ह उस योगी क िलए तीनो लोक म कछ भी दलरभ नही रहता कणडिलनी जागत होती ह शरीर पतला हो जाता ह मख सनन रहता ह नऽ मलरिहत होत ह सवर रोग दर हो जात ह िबनद पर िवजय होती ह जठराि न विलत होती ह

कवली कमभक िस िकय हए योगी की अपनी सवर मनोकामनाय पणर होती ह इतना ही नही उसका पजन करक ौ ावान लोग भी अपनी मनोकामनाय पणर करन लगत ह

जो साधक पणर एकामता स िऽबनध सिहत ाणायाम क अ यास ारा कवली कमभक का प षाथर िस करता ह उसक भा य का तो पछना ही या उसकी यापकता

बढ़ जाती ह अनतर म महानता का अनभव होता ह काम बोध लोभ मोह मद और मतसर इन छः शऽओ पर िवजय ा होती ह कवली कमभक की मिहमा अपार ह

जलनित

िविधः एक िलटर पानी को गनगना सा गरम कर उसम करीब दस माम श नमक डालकर घोल द सनधव िमल जाय तो अचछा सबह म ःनान क बाद यह पानी चौड़ महवाल पाऽ म कटोर म लकर परो पर बठ जाय पाऽ को दोनो हाथो स पकड़ कर नाक क नथन पानी म डबो द अब धीर-धीर नाक क ारा ास क साथ पानी को भीतर खीच और नाक स भीतर आत हए पानी को मह स बाहर िनकालत जाय नाक को पानी म इस कार बराबर डबोय रख िजसस नाक ारा भीतर जानवाल पानी क साथ हवा न वश कर अनयथा आतरस-खासी आयगी

इस कार पाऽ का सब पानी नाक ारा लकर मख ारा बाहर िनकाल द अब पाऽ को रख कर खड़ हो जाय दोनो पर थोड़ खल रह दोनो हाथ कमर पर रखकर ास को जोर स बाहर िनकालत हए आग की ओर िजतना हो सक झक भिॐका क साथ यह िबया बार-बार कर इसस नाक क भीतर का सब पानी बाहर िनकल जायगा थोड़ा बहत रह भी जाय और िदन म कभी भी नाक स बाहर िनकल जाय तो कछ िचनताजनक नही ह

नाक स पानी भीतर खीचन की यह िबया ारमभ म उलझन जसी लगगी लिकन अ यास हो जान पर िबलकल सरल बन जायगा

लाभः मिःतक की ओर स एक कार का िवषला रस नीच की ओर बहता ह यह रस कान म आय तो कान क रोग होत ह आदमी बहरा हो जाता ह यह रस आखो की तरफ जाय तो आखो का तज कम हो जाता ह चम की ज रत पड़ती ह तथा अनय रोग होत ह यह रस गल की ओर जाय तो गल क रोग होत ह

िनयमपवरक जलनित करन स यह िवषला पदाथर बाहर िनकल जाता ह आखो की रोशनी बढ़ती ह चम की ज रत नही पड़ती चमा हो भी तो धीर-धीर नमबर कम होत-होत छट जाता भी जाता ह ासोचछोवास का मागर साफ हो जाता ह मिःतक म ताजगी रहती ह जकाम-सद होन क अवसर कम हो जात ह जलनित की िबया करन

स दमा टीबी खासी नकसीर बहरापन आिद छोटी-मोटी 1500 बीमी रया दर होती ह जलनित करन वाल को बहत लाभ होत ह िच म सननता बनी रहती ह

गजकरणी िविधः करीब दो िलटर पानी गनगना सा गरम कर उसम करीब 20 माम श

नमक घोल द सनधव िमल जाय तो अचछा ह अब पजो क बल बठकर वह पानी िगलास भर-भर क पीत जाय खब िपय अिधकाअिधक िपय पट जब िबलकल भर जाय गल तक आ जाय पानी बाहर िनकालन की कोिशश कर तब दािहन हाथ की दो बड़ी अगिलया मह म डाल कर उलटी कर िपया हआ सब पानी बाहर िनकाल द पट िबलकल हलका हो जाय तब पाच िमनट तक आराम कर

गजकरणी करन क एकाध घणट क बाद कवल पतली िखचड़ी ही भोजन म ल भोजन क बाद तीन घणट तक पानी न िपय सोय नही ठणड पानी स ःनान कर तीन घणट क बाद ारमभ म थोड़ा गरम पानी िपय

लाभः गजकरणी स एिसडीटी क रोगी को अदभत लाभ होता ह ऐस रोगी को चार-पाच िदन म एक बार गजकरणी चािहए ततप ात महीन म एक बार दो महीन म एक बार छः महीन म एक बार भी गजकरणी कर सकत ह

ातःकाल खाली पट तलसी क पाच-सात प चबाकर ऊपर स थोड़ा जल िपय एसीडीटी क रोगी को इसस बहत लाभ होगा

वष परान कबज क रोिगयो को स ाह म एक बार गजकरणी की िबया अवय करनी चािहए उनका आमाशय मिनथसःथान कमजोर हो जान स भोजन हजम होन म गड़बड़ रहती ह गजकरणी करन स इसम लाभ होता ह फोड़ फनसी िसर म गम सद बखार खासी दमा टीबी वात-िप -कफ क दोष िज ा क रोग गल क रोग छाती क रोग छाती का ददर एव मदाि न म गजकरणी िबया लाभकारक ह

शरीर शोधन-कायाकलप

यह चालीस िदन का कलप ह प यपाद आसारामजी बाप न यह योग िकया हआ ह इसस शरीर सडौल ःवःथ और फत ला बनता ह र म नय-नय कण बनत ह शरीर क कोषो की शि बढ़ती ह मन-बि म चमतका रक लाभ होत ह

िविधः अगल िदन पपीता सव आिद फल उिचत माऽा म ल अथवा मन का 50 माम दस घणट पहल िभगो द उनको उबालकर बीज िनकाल द मन का खा ल और पानी पी ल

ातःकाल उठकर सकलप कर िक इस कलप क दौरान िनि त िकय हए कायरबम क अनसार ही रहगा

शौच-ःनानािद िनतयकमर स िनव होकर सबह 8 बज 200 या 250 माम गाय का उबला हआ गनगना दध िपय पौन घणटा पणर आराम कर बाद म िफर स दध िपय शारी रक ौम कम स कम कर ॐ सोsह हसः इस मऽ का मानिसक जप कर कभी ास को िनहार बस साकषीभाव

मनोरा य चलता हो तो ॐ जोर-जोर स जप कर

इस कार शाम तक िजतना दध हजम कर सक उतना दध दो स तीन िलटर िपय 40 िदन तक कवल द धाहार क बाद 41व िदन मग का उबला हआ पानी मोसममी का रस आिद ल रािऽ को अिधक मगवाली हलकी िखचड़ी खाय इस कार शरीर-शोधन-कायाकलप की पणारहित कर

यिद बि तीकषण बनानी हो ःमरणशि बढ़ानी हो तो कलप क दौरान ॐ ऐ नमः इस मऽ का जप कर सयर को अ यर द

इस कलप म दध क िसवाय अनय कोई खराक लना मना ह चाय तमबाक आिद यसन िनिष ह ि यो क सग स दर रहना तथा चयर का पालन अतयनत आवयक ह

कलजग नही करजग ह यह

कलजग नही करजग ह यह यहा िदन को द अ रात ल

या खब सौदा नकद ह इस हाथ द उस हाथ ल टक

दिनया अजब बाज़ार ह कछ िजनस1 या िक साथ ल

नकी का बदला नक ह बद स बदी की बात ल

मवा िखला मवा िमल फल फल द फल पात ल

आराम द आराम ल दःख ददर द आफत2 ल 1

काटा िकसी को मत लगा गो िमःल-गल3 फला ह त

वह तर हक4 म तीर ह िकस बात पर झला ह त

मत आग म डाल और को या घास का पला ह त

सन ऱख यह नकता5 बखबर िकस बात पर भला ह त

कलजग नही 2

शोखी शरारत मकरो-फन6 सबका बसखा7 ह यहा

जो जो िदखाया और को वह खद भी दखा ह यहा

खोटी खरी जो कछ कही ितसका परखा8 ह यहा

जो जो पड़ा तलता ह मोल ितल ितल का लखा ह यहा

कलजग नही 3

जो और की बःती9 रख उसका भी बसता ह परा

जो और क मार छरी उसको भी लगता ह छरा

जो और की तोड़ घड़ी उसका भी टट ह घड़ा

जो और की चत10 बदी उसका भी होता ह बरा

कलजग नही 4

जो और को फल दवगा वह भी सदा फल पावगा

गह स गह जौ स जौ चावल स चावल पावगा

जो आज दवगा यहा वसा ही वह कल पावगा

कल दवगा कल पावगा िफर दवगा िफर पावगा

कलजग नही 5

जो चाह ल चल इस घड़ी सब िजनस यहा तयार ह

आराम म आराम ह आजार म आजार11 ह

दिनया न जान इसको िमया दरया की यह मझधार ह

औरो का बड़ा पार कर तरा भी बड़ा पार ह

कलजग नही 6

त और की तारीफ कर तझको सना वानी12 िमल

कर मिकल आसा औरो की तझको भी आसानी िमल

त और को महमान कर तझको भी महमानी िमल

रोटी िखला रोटी िमल पानी िपला पानी िमल

कलजग नही 7

जो गल13 िखलाव और का उसका ही गल िखलता भी ह

जो और का कील14 ह मह उसका ही मह िकलता भी ह

जो और का छील िजगर उसका िजगर िछलता भी ह

जो और को दव कपट उसको कपट िमलता भी ह

कलजग नही 8

कर जो कछ करना ह अब यह दम तो कोई आन15 ह

नकसान म नकसान ह एहसान म एहसान ह

तोहमत म यहा तोहमत िमल तफान म तफान ह

रहमान16 को रहमान17 ह शतान को शतान ह

कलजग नही 9

यहा जहर द तो जहर ल श कर म श कर दख ल

नको का नकी का मजा मजी18 को ट कर दख ल

मोती िदय मोती िमल पतथर म पतथर दख ल

गर तझको यह बावर19 नही तो त भी करक दख ल

कलजग नही 10

अपन नफ क वाःत मत और का नकसान कर

तरा भी नकसा होवगा इस बात पर त धयान कर

खाना जो खा सो दखकर पानी िपय तो छानकर

या पावो को रख फककर और खोफ स गजरान कर

कलजग नही 11

गफलत की यह जगह नही त सािहब-इदराक20 रह

िदलशाद21 ऱख िदल शाह रह गमनाक रख गमनाक रह

हर हाल म भी त नजीर22 अब हर कदम की रह

यह वह मका ह ओ िमया या पाक23 रह बबाक24 रह

कलजग नही 12

1 वःत 2 मसीबत 3 पप की तरह 4 तर िलय 5 रहःय 6 दगा-धोखा 7 घर 8 परखना 9 नगरी 10 िवचार कर 11 दःख 12 तारीफ-ःतित 13 फल 14 िकसी को बोलन न दना 15 घड़ी पल 16 दयावान 17 दयाल भगवान 18 सतान वाला 19 िव ास 20 तीो ा तज समझन वाला प ष 21 सननिच 22 किव का नाम ह 23 श पिवऽ 24 िनडर

  • आधयातमिक विदया क उदगाता
  • सवासथय क लिए मतर
  • परासताविक
  • बरहमचरय-रकषा का मनतर
  • आसनो की परकिया म आन वाल कछ शबदो की समझ
  • आवशयक निरदश
  • योगासन
    • पदमासन या कमलासन
    • सिदधासन
    • सरवागासन
    • हलासन
    • पवनमकतासन
    • मतसयासन
    • भजगासन
    • धनरासन
    • चकरासन
    • कटिपिणडमरदनासन
    • अरधमतसयनदरासन
    • योगमदरासन
    • गोरकषासन या भदरासन
    • मयरासन
    • वजरासन
    • सपतवजरासन
    • शवासन
    • पादपशचिमोततानासन
      • तरिबनध
        • मलबनध
        • उडडीयान बनध
        • जालनधरबनध
          • कवली कमभक
          • जलनति
          • गजकरणी
          • शरीर शोधन-कायाकलप
          • कलजग नही करजग ह यह
Page 28: अनुबम - || Home || HariOmGroup · िस होता है। िवशु नाड़ीतंऽ वालेयोगी के िवशु शरीर में

रहगा िजतना समय रह सक उतना समय इस िःथित म रहकर िफर मल िःथित म आ जाय इस कार दो-तीन बार कर

लाभः मयरासन करन स चयर-पालन म सहायता िमलती ह पाचन तऽ क अगो की र का वाह अिधक बढ़न स व अग बलवान और कायरशील बनत ह पट क भीतर क भागो म दबाव पड़न स उनकी शि बढ़ती ह उदर क अगो की िशिथलता और मनदाि न दर करन म मयरासन बहत उपयोगी ह

वळासन

वळासन का अथर ह बलवान िःथित पाचनशि वीयरशि तथा ःनायशि दन वाला होन स यह आसन वळासन कहलाता ह

धयान मलाधार चब म और ास दीघर

िविधः िबछ हए आसन पर दोनो परो को घटनो स मोड़कर एिड़यो पर बठ जाय पर क दोनो अगठ परःपर लग रह पर क तलवो क ऊपर िनतमब रह कमर और पीठ िबलकल सीधी रह दोनो हाथ को कहिनयो स मोड़ िबना घटनो पर रख द हथिलया नीच की ओर रह ि सामन िःथर कर द

पाच िमनट स लकर आध घणट तक वळासन का अ यास कर सकत ह वळासन लगाकर भिम पर लट जान स स वळासन होता ह

लाभः वळासन क अ यास स शरीर का मधयभाग सीधा रहता ह ास की गित मनद पड़न स वाय बढ़ती ह आखो की योित तज होती ह वळनाड़ी अथारत वीयरधारा नाड़ी मजबत बनती ह वीयर की ऊधवरगित होन स शरीर वळ जसा बनता ह लमब समय तक सरलता स यह आसन कर सकत ह इसस मन की चचलता दर होकर यि िःथर बि वाला बनता ह शरीर म र ािभसरण ठीक स होकर शरीर िनरोगी एव सनदर बनता ह

भोजन क बाद इस आसन स बठन स पाचन शि तज होती ह कबज दर होती ह भोजन जलदी ह म होता ह पट की वाय का नाश होता ह कबज दर होकर पट क तमाम रोग न होत ह पाणडरोग स मि िमलती ह रीढ़ कमर जाघ घटन और परो म शि बढ़ती ह कमर और पर का वाय रोग दर होता ह ःमरणशि म वि होती ह ि यो क मािसक धमर की अिनयिमतता जस रोग दर होत ह शबदोष वीयरदोष घटनो का ददर आिद का नाश होता ह ःनाय प होत ह ःफितर बढ़ान क िलए एव मानिसक िनराशा दर कर न क िलए यह आसन उपयोगी ह धयान क िलय भी यह आसन उ म ह इसक अ यास स शारी रक ःफितर एव मानिसक सननता कट होती ह िदन-ितिदन शि का सचय होता ह इसिलए शारी रक बल म खब वि होती ह काग का िगरना अथारत गल क टािनसलस हिडडयो क पोल आिद ःथानो म उतपनन होन वाल तकण की स या म वि होन स आरो य का साा य ःथािपत होता ह िफर यि

बखार स िसरददर स कबज स मदाि न स या अजीणर जस छोट-मोट िकसी भी रोग स पीिड़त नही रहता योिक रोग आरो य क साा य म िव होन का साहस ही नही कर पात

स वळासन

धयान िवश ा याचब म ास दीघर सामानय

िविधः वळासन म बठन क बाद िच होकर पीछ की ओर भिम पर लट जाय दोनो जघाए परःपर िमली रह अब रचक करत बाय हाथ का खला पजा दािहन कनध क नीच इस कार रख िक मःतक दोनो हाथ क बास क ऊपर आय रचक परा होन पर िऽबनध कर ि मलाधार चब की िदशा म और िच वि मलाधार चब म ःथािपत कर

लाभः यह आसन करन म ौम बहत कम ह और लाभ अिधक होता ह इसक अ यास स सषमना का मागर अतयनत सरल होता ह कणडिलनी शि सरलता स ऊधवरगमन कर सकती ह

इस आसन म धयान करन स म दणड को सीधा करन का ौम नही करना पड़ता और म दणड को आराम िमलता ह उसकी काय़रशि बल बनती ह इस आसन का अ यास करन स ायः तमाम अतःॐावी मिनथयो को जस शीषरःथ मिनथ कणठःथ मिनथ मऽिपणड की मनथी ऊधवरिपणड तथा प षाथर मिनथ आिद को पि िमलती ह फलतः यि का भौितक एव आधयाितमक िवकास सरल हो जाता ह तन-मन का ःवाःथय भावशाली बनता ह जठराि न दी होती ह मलावरोध की पीडा दर होती ह धातकषय ःवपनदोष पकषाघात पथरी बहरा होना तोतला होना आखो की दबरलता गल क टािनसल ासनिलका का सजन कषय दमा ःमरणशि की दबरलता आिद रोग दर होत ह

शवासन

शवासन की पणारवःथा म शरीर क तमाम अग एव मिःतक पणरतया च ा रिहत िकय जात ह यह अवःथा शव (मद) जसी होन स इस आसन को शवासन कहा जाता ह

िविधः िबछ हए आसन पर िच होकर लट जाय दोनो परो को परःपर स थोड़ अलग कर द दोनो हाथ भी शरीर स थोड़ अलग रह इस कार परो की ओर फला द हाथ की हथिलया आकाश की तरफ खली रख िसर सीधा रह आख बनद

मानिसक ि स शरीर को पर स िसर तक दखत जाय पर शरीर को मद की तरह ढीला छोड़ द हर एक अग को िशिथल करत जाय

शरीर म समपणर िवौाम का अनभव कर मन को भी बा ा िवषयो स हटाकर एकाम कर बारी-बारी स हर एक अग पर मानिसक ि एकाम करत हए भावना कर िक वह अग अब आराम पा रहा ह मरी सब थकान उतर रही ह इस कार भावना करत-करत सब ःनायओ को िशिथल होन द शरीर क एक भी अग म कही भी तनाव (टनशन) न रह िशिथलीकरण की िबया म पर स ारमभ करक िसर तक जाय अथवा िसर स ारमभ करक पर तक भी जा सकत ह अनत म जहा स ारमभ िकया हो वही पनः पहचना चािहय िशिथलीकरण की िबया स शरीर क तमाम अगो का एव ानततओ को िवौाम की अवःथा म ला दना ह

शवासन की दसरी अवःथा म ासोचछोवास पर धयान दना ह शवासन की यही म य िबया ह िवशषकर योग साधको क िलए वह अतयनत उपयोगी ह कवल शारी रक ःवाःथय क िलय थम भिमका पयार ह

इसम ास और उचछवास की िनयिमतता दीघरता और समानता ःथािपत करन का लकषय ह ास िनयिमत चल लमबा और गहरा चल ास और उचछवास एक समान रह तो मन को एकाम करन की शि ा होती ह

शवासन यिद ठीक ढग स िकया जाए तो नाड़ीतऽ इतना शात हो जाता ह िक अ यासी को नीद आन लगती ह लिकन धयान रह िनिनित न होकर जामत रहना आवयक ह

अनय आसन करन क बाद अगो म जो तनाव (टनशन) पदा होता ह उसको िशिथल करन क िलय अत म 3 स 5 िमनट तक शवासन करना चािहए िदनभर म अनकलता क अनसार दो-तीन बार शवासन कर सकत ह

लाभः शवासन क ारा ःनाय एव मासपिशयो म िशिथलीकरण स शि बढ़ती ह अिधक कायर करन की यो यता उसम आती ह र वाहिनयो म िशराओ म र वाह तीो

होन स सारी थकान उतर जाती ह नाड़ीतऽ को बल िमलता ह मानिसक शि म वि होती ह

र का दबाव कम करन क िलए नाड़ीतऽ की दबरलता एव उसक कारण होन वाल रोगो को दर करन क िलय शवासन खब उपयोगी ह

पादपि मो ानासन

यह आसन करना किठन ह इसस उमासन कहा जाता ह उम का अथर ह िशव भगवान िशव सहारक ार ह अतः उम या भयकर ह िशवसिहता म भगवान िशव न म कणठ स शसा करत हए कहा हः यह आसन सवरौ आसन ह इसको य पवरक ग रख िसफर अिधका रयो को ही इसका रहःय बताय

धयान मिणपर चब म ास थम िःथित म परक और दसरी िःथित म रचक और िफर बिहकर मभक

िविधः िबछ हए आसन पर बठ जाय दोनो परो को लमब फला द दोनो परो की जघा घटन पज परःपर िमल रह और जमीन क साथ लग रह परो की अगलया घटनो की तरफ झकी हई रह अब दोनो हाथ लमब कर दािहन हाथ की तजरनी और अगठ स दािहन पर का अगठा और बाय हाथ की तजरनी और अगठ स बाय पर का अगठा पकड़ अब रचक करत-करत नीच झक और िसर को दोनो घटनो क मधय म रख ललाट घटन को ःपशर कर और घटन ज़मीन स लग रह रचक परा होन पर कमभक कर ि एव िच वि को मिणपर चब म ःथािपत कर ारमभ म आधा िमनट करक बमशः 15 िमनट तक यह आसन करन का अ यास बढ़ाना चािहय थम दो-चार िदन किठन लगगा लिकन अ यास हो जान पर यह आसन सरल हो जाएगा

लाभः पादपि मो नासन म समयक अ यास स सषमना का मख खल जाता ह और ाण म दणड क मागर म गमन करता ह फलतः िबनद को जीत सकत ह िबनद को जीत िबना न समािध िस होती ह न वाय िःथर होता ह न िच शात होता ह

जो ी-प ष काम िवकार स अतयत पीिड़त हो उनह इस आसन का अ यास करना चािहए इसस शारी रक िवकार दब जात ह उदर छाती और म दणड को उ म कसरत िमलती ह अतः व अिधक कायरकषम बनत ह हाथ पर तथा अनय अगो क सिनध ःथान मजबत बनत ह शरीर क सब तऽ बराबर कायरशील होत ह रोग माऽ का नाश होकर ःवाःथय़ का साा य ःथािपत होता ह

इस आसन क अ यास स मनदाि न मलावरोध अजीणर उदररोग किमिवकार सद वातिवकार कमर का ददर िहचकी कोढ़ मऽरोग मधमह पर क रोग ःवपनदोष वीयरिवकार र िवकार एपनडीसाइिटस अणडवि पाणडरोग अिनिा दमा ख टी डकार आना ानतनत की दबरलता बवासीर नल की सजन गभारशय क रोग अिनयिमत तथा क दायक मािसक बनधयतव दर नपसकता र िप िसरोवदना बौनापन आिद अनक रोग दर होत ह पट पत ला बनता ह जठराि न दी होती ह कफ और चरबी न होत ह

िशवसिहता म कहा ह िक इस आसन स वाय ीपन होता ह और वह मतय का नाश करता ह इस आसन स शरीर का कद बढ़ता ह शरीर म अिधक ःथलता हो तो कम होती ह दबरलता हो तो वह दर होकर शरीर सामानय तनद ःत अवःथा म आ जाता ह नाडी सःथान म िःथरता आती ह मानिसक शाित ा होती ह िचनता एव उ जना शात करन क िलए यह आसन उ म ह पीठ और म दणड पर िखचाव आन स दोनो िवकिसत होत ह फलतः शरीर क तमाम अवयवो पर अिधकार ःथािपत होता ह सब आसनो म यह आसन सवर धान ह इसक अ यास स कायाकलप (प रवतरन) हो जाता ह

यह आसन भगवान िशव को बहत पयारा ह उनकी आ ा स योगी गोरखनाथ न लोककलयाण हत इसका चार िकया ह आप इस आसन क अदभत लाभो स लाभािनवत हो और दसरो को भी िसखाय

पादपि मो ानासन प यपाद आसारामजी बाप को भी बहत पयारा ह उसस प यौी को बहत लाभ हए ह अभी भी यह आसन उनक आरो यिनिध का रकषक बना हआ ह

पाठक भाइयो आप अवय इस आसन का लाभ लना ारमभ क चार-पाच िदन जरा किठन लगगा बाद म तो यह आसन आपका िशवजी क वरदान प आरो य कवच िस हए िबना नही रहगा

िऽबनध

मलबनध

शौच ःनानािद स िनव होकर आसन पर बठ जाय बायी एड़ी क ारा सीवन या योिन को दबाय दािहनी एड़ी सीवन पर रख गदा ार को िसकोड़कर भीतर की ओर ऊपर खीच यह मलबनध कहा जाता ह

लाभः मलबनध क अ यास स मतय को जीत सकत ह शरीर म नयी ताजगी आती ह िबगड़त हए ःवाःथय की रकषा होती ह चयर का पालन करन म मलबनध सहायक िस होता ह वीयर को प करता ह कबज को न करता ह जठराि न तज होती ह मलबनध स िचरयौवन ा होता ह बाल सफद होन स कत ह

अपानवाय ऊधवरगित पाकर ाणवाय क सषमना म िव होता ह सहॐारचब म िच वि िःथर बनती ह इसस िशवपद का आननद िमलता ह सवर कार की िद य िवभितया और ऐ यर ा होत ह अनाहत नाद सनन को िमलता ह ाण अपान नाद और िबनद एकिऽत होन स योग म पणरता ा होती ह

उडडीयान बनध

आसन पर बठकर परा ास बाहर िनकाल द समपणरतया रचक कर पट को भीतर िसकोड़कर ऊपर की ओर खीच नािभ तथा आत पीठ की तरफ दबाय शरीर को थोड़ा सा आग की तरफ झकाय यह ह उडडीयानबनध

लाभः इसक अ यास स िचरयौवन ा होता ह मतय पर जय ा होती ह चयर क पालन म खब सहायता िमलती ह ःवाःथय सनदर बनता ह कायरशि म वि होती ह नयोिल और उडडीयानबनध जब एक साथ िकय जात ह तब कबज दम दबाकर भाग खड़ा होता ह पट क तमाम अवयवो की मािलश हो जाती ह पट की अनावयक चरबी उतर जाती ह

जालनधरबनध

आसन पर बठकर परक करक कमभक कर और ठोड़ी को छाती क साथ दबाय इसको जालनधरबनध कहत ह

लाभः जालनधरबनध क अ यास स ाण का सचरण ठीक स होता ह इड़ा और िपगला नाड़ी बनद होकर ाण-अपान सषमना म िव होत ह नािभ स अमत कट होता ह िजसका पान जठराि न करता ह योगी इसक ारा अमरता ा करता ह

प ासन पर बठ जाय परा ास बाहर िनकाल कर मलबनध उडडीयानबनध कर िफर खब परक करक मलबनध उडडीयानबनध और जालनधरबनध य तीनो बनध एक साथ कर आख बनद रख मन म णव (ॐ) का अथर क साथ जप कर

इस कार ाणायाम सिहत तीनो बनध का एक साथ अ यास करन स बहत लाभ होता ह और ायः चमतका रक प रणाम आता ह कवल तीन ही िदन क समयक अ यास स जीवन म बािनत का अनभव होन लगता ह कछ समय क अ यास स कवल या कवली कमभक ःवय कट होता ह

कवली कमभक

कवल या कवली कमभक का अथर ह रचक-परक िबना ही ाण का िःथर हो जाना िजसको कवली कमभक िस होता ह उस योगी क िलए तीनो लोक म कछ भी दलरभ नही रहता कणडिलनी जागत होती ह शरीर पतला हो जाता ह मख सनन रहता ह नऽ मलरिहत होत ह सवर रोग दर हो जात ह िबनद पर िवजय होती ह जठराि न विलत होती ह

कवली कमभक िस िकय हए योगी की अपनी सवर मनोकामनाय पणर होती ह इतना ही नही उसका पजन करक ौ ावान लोग भी अपनी मनोकामनाय पणर करन लगत ह

जो साधक पणर एकामता स िऽबनध सिहत ाणायाम क अ यास ारा कवली कमभक का प षाथर िस करता ह उसक भा य का तो पछना ही या उसकी यापकता

बढ़ जाती ह अनतर म महानता का अनभव होता ह काम बोध लोभ मोह मद और मतसर इन छः शऽओ पर िवजय ा होती ह कवली कमभक की मिहमा अपार ह

जलनित

िविधः एक िलटर पानी को गनगना सा गरम कर उसम करीब दस माम श नमक डालकर घोल द सनधव िमल जाय तो अचछा सबह म ःनान क बाद यह पानी चौड़ महवाल पाऽ म कटोर म लकर परो पर बठ जाय पाऽ को दोनो हाथो स पकड़ कर नाक क नथन पानी म डबो द अब धीर-धीर नाक क ारा ास क साथ पानी को भीतर खीच और नाक स भीतर आत हए पानी को मह स बाहर िनकालत जाय नाक को पानी म इस कार बराबर डबोय रख िजसस नाक ारा भीतर जानवाल पानी क साथ हवा न वश कर अनयथा आतरस-खासी आयगी

इस कार पाऽ का सब पानी नाक ारा लकर मख ारा बाहर िनकाल द अब पाऽ को रख कर खड़ हो जाय दोनो पर थोड़ खल रह दोनो हाथ कमर पर रखकर ास को जोर स बाहर िनकालत हए आग की ओर िजतना हो सक झक भिॐका क साथ यह िबया बार-बार कर इसस नाक क भीतर का सब पानी बाहर िनकल जायगा थोड़ा बहत रह भी जाय और िदन म कभी भी नाक स बाहर िनकल जाय तो कछ िचनताजनक नही ह

नाक स पानी भीतर खीचन की यह िबया ारमभ म उलझन जसी लगगी लिकन अ यास हो जान पर िबलकल सरल बन जायगा

लाभः मिःतक की ओर स एक कार का िवषला रस नीच की ओर बहता ह यह रस कान म आय तो कान क रोग होत ह आदमी बहरा हो जाता ह यह रस आखो की तरफ जाय तो आखो का तज कम हो जाता ह चम की ज रत पड़ती ह तथा अनय रोग होत ह यह रस गल की ओर जाय तो गल क रोग होत ह

िनयमपवरक जलनित करन स यह िवषला पदाथर बाहर िनकल जाता ह आखो की रोशनी बढ़ती ह चम की ज रत नही पड़ती चमा हो भी तो धीर-धीर नमबर कम होत-होत छट जाता भी जाता ह ासोचछोवास का मागर साफ हो जाता ह मिःतक म ताजगी रहती ह जकाम-सद होन क अवसर कम हो जात ह जलनित की िबया करन

स दमा टीबी खासी नकसीर बहरापन आिद छोटी-मोटी 1500 बीमी रया दर होती ह जलनित करन वाल को बहत लाभ होत ह िच म सननता बनी रहती ह

गजकरणी िविधः करीब दो िलटर पानी गनगना सा गरम कर उसम करीब 20 माम श

नमक घोल द सनधव िमल जाय तो अचछा ह अब पजो क बल बठकर वह पानी िगलास भर-भर क पीत जाय खब िपय अिधकाअिधक िपय पट जब िबलकल भर जाय गल तक आ जाय पानी बाहर िनकालन की कोिशश कर तब दािहन हाथ की दो बड़ी अगिलया मह म डाल कर उलटी कर िपया हआ सब पानी बाहर िनकाल द पट िबलकल हलका हो जाय तब पाच िमनट तक आराम कर

गजकरणी करन क एकाध घणट क बाद कवल पतली िखचड़ी ही भोजन म ल भोजन क बाद तीन घणट तक पानी न िपय सोय नही ठणड पानी स ःनान कर तीन घणट क बाद ारमभ म थोड़ा गरम पानी िपय

लाभः गजकरणी स एिसडीटी क रोगी को अदभत लाभ होता ह ऐस रोगी को चार-पाच िदन म एक बार गजकरणी चािहए ततप ात महीन म एक बार दो महीन म एक बार छः महीन म एक बार भी गजकरणी कर सकत ह

ातःकाल खाली पट तलसी क पाच-सात प चबाकर ऊपर स थोड़ा जल िपय एसीडीटी क रोगी को इसस बहत लाभ होगा

वष परान कबज क रोिगयो को स ाह म एक बार गजकरणी की िबया अवय करनी चािहए उनका आमाशय मिनथसःथान कमजोर हो जान स भोजन हजम होन म गड़बड़ रहती ह गजकरणी करन स इसम लाभ होता ह फोड़ फनसी िसर म गम सद बखार खासी दमा टीबी वात-िप -कफ क दोष िज ा क रोग गल क रोग छाती क रोग छाती का ददर एव मदाि न म गजकरणी िबया लाभकारक ह

शरीर शोधन-कायाकलप

यह चालीस िदन का कलप ह प यपाद आसारामजी बाप न यह योग िकया हआ ह इसस शरीर सडौल ःवःथ और फत ला बनता ह र म नय-नय कण बनत ह शरीर क कोषो की शि बढ़ती ह मन-बि म चमतका रक लाभ होत ह

िविधः अगल िदन पपीता सव आिद फल उिचत माऽा म ल अथवा मन का 50 माम दस घणट पहल िभगो द उनको उबालकर बीज िनकाल द मन का खा ल और पानी पी ल

ातःकाल उठकर सकलप कर िक इस कलप क दौरान िनि त िकय हए कायरबम क अनसार ही रहगा

शौच-ःनानािद िनतयकमर स िनव होकर सबह 8 बज 200 या 250 माम गाय का उबला हआ गनगना दध िपय पौन घणटा पणर आराम कर बाद म िफर स दध िपय शारी रक ौम कम स कम कर ॐ सोsह हसः इस मऽ का मानिसक जप कर कभी ास को िनहार बस साकषीभाव

मनोरा य चलता हो तो ॐ जोर-जोर स जप कर

इस कार शाम तक िजतना दध हजम कर सक उतना दध दो स तीन िलटर िपय 40 िदन तक कवल द धाहार क बाद 41व िदन मग का उबला हआ पानी मोसममी का रस आिद ल रािऽ को अिधक मगवाली हलकी िखचड़ी खाय इस कार शरीर-शोधन-कायाकलप की पणारहित कर

यिद बि तीकषण बनानी हो ःमरणशि बढ़ानी हो तो कलप क दौरान ॐ ऐ नमः इस मऽ का जप कर सयर को अ यर द

इस कलप म दध क िसवाय अनय कोई खराक लना मना ह चाय तमबाक आिद यसन िनिष ह ि यो क सग स दर रहना तथा चयर का पालन अतयनत आवयक ह

कलजग नही करजग ह यह

कलजग नही करजग ह यह यहा िदन को द अ रात ल

या खब सौदा नकद ह इस हाथ द उस हाथ ल टक

दिनया अजब बाज़ार ह कछ िजनस1 या िक साथ ल

नकी का बदला नक ह बद स बदी की बात ल

मवा िखला मवा िमल फल फल द फल पात ल

आराम द आराम ल दःख ददर द आफत2 ल 1

काटा िकसी को मत लगा गो िमःल-गल3 फला ह त

वह तर हक4 म तीर ह िकस बात पर झला ह त

मत आग म डाल और को या घास का पला ह त

सन ऱख यह नकता5 बखबर िकस बात पर भला ह त

कलजग नही 2

शोखी शरारत मकरो-फन6 सबका बसखा7 ह यहा

जो जो िदखाया और को वह खद भी दखा ह यहा

खोटी खरी जो कछ कही ितसका परखा8 ह यहा

जो जो पड़ा तलता ह मोल ितल ितल का लखा ह यहा

कलजग नही 3

जो और की बःती9 रख उसका भी बसता ह परा

जो और क मार छरी उसको भी लगता ह छरा

जो और की तोड़ घड़ी उसका भी टट ह घड़ा

जो और की चत10 बदी उसका भी होता ह बरा

कलजग नही 4

जो और को फल दवगा वह भी सदा फल पावगा

गह स गह जौ स जौ चावल स चावल पावगा

जो आज दवगा यहा वसा ही वह कल पावगा

कल दवगा कल पावगा िफर दवगा िफर पावगा

कलजग नही 5

जो चाह ल चल इस घड़ी सब िजनस यहा तयार ह

आराम म आराम ह आजार म आजार11 ह

दिनया न जान इसको िमया दरया की यह मझधार ह

औरो का बड़ा पार कर तरा भी बड़ा पार ह

कलजग नही 6

त और की तारीफ कर तझको सना वानी12 िमल

कर मिकल आसा औरो की तझको भी आसानी िमल

त और को महमान कर तझको भी महमानी िमल

रोटी िखला रोटी िमल पानी िपला पानी िमल

कलजग नही 7

जो गल13 िखलाव और का उसका ही गल िखलता भी ह

जो और का कील14 ह मह उसका ही मह िकलता भी ह

जो और का छील िजगर उसका िजगर िछलता भी ह

जो और को दव कपट उसको कपट िमलता भी ह

कलजग नही 8

कर जो कछ करना ह अब यह दम तो कोई आन15 ह

नकसान म नकसान ह एहसान म एहसान ह

तोहमत म यहा तोहमत िमल तफान म तफान ह

रहमान16 को रहमान17 ह शतान को शतान ह

कलजग नही 9

यहा जहर द तो जहर ल श कर म श कर दख ल

नको का नकी का मजा मजी18 को ट कर दख ल

मोती िदय मोती िमल पतथर म पतथर दख ल

गर तझको यह बावर19 नही तो त भी करक दख ल

कलजग नही 10

अपन नफ क वाःत मत और का नकसान कर

तरा भी नकसा होवगा इस बात पर त धयान कर

खाना जो खा सो दखकर पानी िपय तो छानकर

या पावो को रख फककर और खोफ स गजरान कर

कलजग नही 11

गफलत की यह जगह नही त सािहब-इदराक20 रह

िदलशाद21 ऱख िदल शाह रह गमनाक रख गमनाक रह

हर हाल म भी त नजीर22 अब हर कदम की रह

यह वह मका ह ओ िमया या पाक23 रह बबाक24 रह

कलजग नही 12

1 वःत 2 मसीबत 3 पप की तरह 4 तर िलय 5 रहःय 6 दगा-धोखा 7 घर 8 परखना 9 नगरी 10 िवचार कर 11 दःख 12 तारीफ-ःतित 13 फल 14 िकसी को बोलन न दना 15 घड़ी पल 16 दयावान 17 दयाल भगवान 18 सतान वाला 19 िव ास 20 तीो ा तज समझन वाला प ष 21 सननिच 22 किव का नाम ह 23 श पिवऽ 24 िनडर

  • आधयातमिक विदया क उदगाता
  • सवासथय क लिए मतर
  • परासताविक
  • बरहमचरय-रकषा का मनतर
  • आसनो की परकिया म आन वाल कछ शबदो की समझ
  • आवशयक निरदश
  • योगासन
    • पदमासन या कमलासन
    • सिदधासन
    • सरवागासन
    • हलासन
    • पवनमकतासन
    • मतसयासन
    • भजगासन
    • धनरासन
    • चकरासन
    • कटिपिणडमरदनासन
    • अरधमतसयनदरासन
    • योगमदरासन
    • गोरकषासन या भदरासन
    • मयरासन
    • वजरासन
    • सपतवजरासन
    • शवासन
    • पादपशचिमोततानासन
      • तरिबनध
        • मलबनध
        • उडडीयान बनध
        • जालनधरबनध
          • कवली कमभक
          • जलनति
          • गजकरणी
          • शरीर शोधन-कायाकलप
          • कलजग नही करजग ह यह
Page 29: अनुबम - || Home || HariOmGroup · िस होता है। िवशु नाड़ीतंऽ वालेयोगी के िवशु शरीर में

पाच िमनट स लकर आध घणट तक वळासन का अ यास कर सकत ह वळासन लगाकर भिम पर लट जान स स वळासन होता ह

लाभः वळासन क अ यास स शरीर का मधयभाग सीधा रहता ह ास की गित मनद पड़न स वाय बढ़ती ह आखो की योित तज होती ह वळनाड़ी अथारत वीयरधारा नाड़ी मजबत बनती ह वीयर की ऊधवरगित होन स शरीर वळ जसा बनता ह लमब समय तक सरलता स यह आसन कर सकत ह इसस मन की चचलता दर होकर यि िःथर बि वाला बनता ह शरीर म र ािभसरण ठीक स होकर शरीर िनरोगी एव सनदर बनता ह

भोजन क बाद इस आसन स बठन स पाचन शि तज होती ह कबज दर होती ह भोजन जलदी ह म होता ह पट की वाय का नाश होता ह कबज दर होकर पट क तमाम रोग न होत ह पाणडरोग स मि िमलती ह रीढ़ कमर जाघ घटन और परो म शि बढ़ती ह कमर और पर का वाय रोग दर होता ह ःमरणशि म वि होती ह ि यो क मािसक धमर की अिनयिमतता जस रोग दर होत ह शबदोष वीयरदोष घटनो का ददर आिद का नाश होता ह ःनाय प होत ह ःफितर बढ़ान क िलए एव मानिसक िनराशा दर कर न क िलए यह आसन उपयोगी ह धयान क िलय भी यह आसन उ म ह इसक अ यास स शारी रक ःफितर एव मानिसक सननता कट होती ह िदन-ितिदन शि का सचय होता ह इसिलए शारी रक बल म खब वि होती ह काग का िगरना अथारत गल क टािनसलस हिडडयो क पोल आिद ःथानो म उतपनन होन वाल तकण की स या म वि होन स आरो य का साा य ःथािपत होता ह िफर यि

बखार स िसरददर स कबज स मदाि न स या अजीणर जस छोट-मोट िकसी भी रोग स पीिड़त नही रहता योिक रोग आरो य क साा य म िव होन का साहस ही नही कर पात

स वळासन

धयान िवश ा याचब म ास दीघर सामानय

िविधः वळासन म बठन क बाद िच होकर पीछ की ओर भिम पर लट जाय दोनो जघाए परःपर िमली रह अब रचक करत बाय हाथ का खला पजा दािहन कनध क नीच इस कार रख िक मःतक दोनो हाथ क बास क ऊपर आय रचक परा होन पर िऽबनध कर ि मलाधार चब की िदशा म और िच वि मलाधार चब म ःथािपत कर

लाभः यह आसन करन म ौम बहत कम ह और लाभ अिधक होता ह इसक अ यास स सषमना का मागर अतयनत सरल होता ह कणडिलनी शि सरलता स ऊधवरगमन कर सकती ह

इस आसन म धयान करन स म दणड को सीधा करन का ौम नही करना पड़ता और म दणड को आराम िमलता ह उसकी काय़रशि बल बनती ह इस आसन का अ यास करन स ायः तमाम अतःॐावी मिनथयो को जस शीषरःथ मिनथ कणठःथ मिनथ मऽिपणड की मनथी ऊधवरिपणड तथा प षाथर मिनथ आिद को पि िमलती ह फलतः यि का भौितक एव आधयाितमक िवकास सरल हो जाता ह तन-मन का ःवाःथय भावशाली बनता ह जठराि न दी होती ह मलावरोध की पीडा दर होती ह धातकषय ःवपनदोष पकषाघात पथरी बहरा होना तोतला होना आखो की दबरलता गल क टािनसल ासनिलका का सजन कषय दमा ःमरणशि की दबरलता आिद रोग दर होत ह

शवासन

शवासन की पणारवःथा म शरीर क तमाम अग एव मिःतक पणरतया च ा रिहत िकय जात ह यह अवःथा शव (मद) जसी होन स इस आसन को शवासन कहा जाता ह

िविधः िबछ हए आसन पर िच होकर लट जाय दोनो परो को परःपर स थोड़ अलग कर द दोनो हाथ भी शरीर स थोड़ अलग रह इस कार परो की ओर फला द हाथ की हथिलया आकाश की तरफ खली रख िसर सीधा रह आख बनद

मानिसक ि स शरीर को पर स िसर तक दखत जाय पर शरीर को मद की तरह ढीला छोड़ द हर एक अग को िशिथल करत जाय

शरीर म समपणर िवौाम का अनभव कर मन को भी बा ा िवषयो स हटाकर एकाम कर बारी-बारी स हर एक अग पर मानिसक ि एकाम करत हए भावना कर िक वह अग अब आराम पा रहा ह मरी सब थकान उतर रही ह इस कार भावना करत-करत सब ःनायओ को िशिथल होन द शरीर क एक भी अग म कही भी तनाव (टनशन) न रह िशिथलीकरण की िबया म पर स ारमभ करक िसर तक जाय अथवा िसर स ारमभ करक पर तक भी जा सकत ह अनत म जहा स ारमभ िकया हो वही पनः पहचना चािहय िशिथलीकरण की िबया स शरीर क तमाम अगो का एव ानततओ को िवौाम की अवःथा म ला दना ह

शवासन की दसरी अवःथा म ासोचछोवास पर धयान दना ह शवासन की यही म य िबया ह िवशषकर योग साधको क िलए वह अतयनत उपयोगी ह कवल शारी रक ःवाःथय क िलय थम भिमका पयार ह

इसम ास और उचछवास की िनयिमतता दीघरता और समानता ःथािपत करन का लकषय ह ास िनयिमत चल लमबा और गहरा चल ास और उचछवास एक समान रह तो मन को एकाम करन की शि ा होती ह

शवासन यिद ठीक ढग स िकया जाए तो नाड़ीतऽ इतना शात हो जाता ह िक अ यासी को नीद आन लगती ह लिकन धयान रह िनिनित न होकर जामत रहना आवयक ह

अनय आसन करन क बाद अगो म जो तनाव (टनशन) पदा होता ह उसको िशिथल करन क िलय अत म 3 स 5 िमनट तक शवासन करना चािहए िदनभर म अनकलता क अनसार दो-तीन बार शवासन कर सकत ह

लाभः शवासन क ारा ःनाय एव मासपिशयो म िशिथलीकरण स शि बढ़ती ह अिधक कायर करन की यो यता उसम आती ह र वाहिनयो म िशराओ म र वाह तीो

होन स सारी थकान उतर जाती ह नाड़ीतऽ को बल िमलता ह मानिसक शि म वि होती ह

र का दबाव कम करन क िलए नाड़ीतऽ की दबरलता एव उसक कारण होन वाल रोगो को दर करन क िलय शवासन खब उपयोगी ह

पादपि मो ानासन

यह आसन करना किठन ह इसस उमासन कहा जाता ह उम का अथर ह िशव भगवान िशव सहारक ार ह अतः उम या भयकर ह िशवसिहता म भगवान िशव न म कणठ स शसा करत हए कहा हः यह आसन सवरौ आसन ह इसको य पवरक ग रख िसफर अिधका रयो को ही इसका रहःय बताय

धयान मिणपर चब म ास थम िःथित म परक और दसरी िःथित म रचक और िफर बिहकर मभक

िविधः िबछ हए आसन पर बठ जाय दोनो परो को लमब फला द दोनो परो की जघा घटन पज परःपर िमल रह और जमीन क साथ लग रह परो की अगलया घटनो की तरफ झकी हई रह अब दोनो हाथ लमब कर दािहन हाथ की तजरनी और अगठ स दािहन पर का अगठा और बाय हाथ की तजरनी और अगठ स बाय पर का अगठा पकड़ अब रचक करत-करत नीच झक और िसर को दोनो घटनो क मधय म रख ललाट घटन को ःपशर कर और घटन ज़मीन स लग रह रचक परा होन पर कमभक कर ि एव िच वि को मिणपर चब म ःथािपत कर ारमभ म आधा िमनट करक बमशः 15 िमनट तक यह आसन करन का अ यास बढ़ाना चािहय थम दो-चार िदन किठन लगगा लिकन अ यास हो जान पर यह आसन सरल हो जाएगा

लाभः पादपि मो नासन म समयक अ यास स सषमना का मख खल जाता ह और ाण म दणड क मागर म गमन करता ह फलतः िबनद को जीत सकत ह िबनद को जीत िबना न समािध िस होती ह न वाय िःथर होता ह न िच शात होता ह

जो ी-प ष काम िवकार स अतयत पीिड़त हो उनह इस आसन का अ यास करना चािहए इसस शारी रक िवकार दब जात ह उदर छाती और म दणड को उ म कसरत िमलती ह अतः व अिधक कायरकषम बनत ह हाथ पर तथा अनय अगो क सिनध ःथान मजबत बनत ह शरीर क सब तऽ बराबर कायरशील होत ह रोग माऽ का नाश होकर ःवाःथय़ का साा य ःथािपत होता ह

इस आसन क अ यास स मनदाि न मलावरोध अजीणर उदररोग किमिवकार सद वातिवकार कमर का ददर िहचकी कोढ़ मऽरोग मधमह पर क रोग ःवपनदोष वीयरिवकार र िवकार एपनडीसाइिटस अणडवि पाणडरोग अिनिा दमा ख टी डकार आना ानतनत की दबरलता बवासीर नल की सजन गभारशय क रोग अिनयिमत तथा क दायक मािसक बनधयतव दर नपसकता र िप िसरोवदना बौनापन आिद अनक रोग दर होत ह पट पत ला बनता ह जठराि न दी होती ह कफ और चरबी न होत ह

िशवसिहता म कहा ह िक इस आसन स वाय ीपन होता ह और वह मतय का नाश करता ह इस आसन स शरीर का कद बढ़ता ह शरीर म अिधक ःथलता हो तो कम होती ह दबरलता हो तो वह दर होकर शरीर सामानय तनद ःत अवःथा म आ जाता ह नाडी सःथान म िःथरता आती ह मानिसक शाित ा होती ह िचनता एव उ जना शात करन क िलए यह आसन उ म ह पीठ और म दणड पर िखचाव आन स दोनो िवकिसत होत ह फलतः शरीर क तमाम अवयवो पर अिधकार ःथािपत होता ह सब आसनो म यह आसन सवर धान ह इसक अ यास स कायाकलप (प रवतरन) हो जाता ह

यह आसन भगवान िशव को बहत पयारा ह उनकी आ ा स योगी गोरखनाथ न लोककलयाण हत इसका चार िकया ह आप इस आसन क अदभत लाभो स लाभािनवत हो और दसरो को भी िसखाय

पादपि मो ानासन प यपाद आसारामजी बाप को भी बहत पयारा ह उसस प यौी को बहत लाभ हए ह अभी भी यह आसन उनक आरो यिनिध का रकषक बना हआ ह

पाठक भाइयो आप अवय इस आसन का लाभ लना ारमभ क चार-पाच िदन जरा किठन लगगा बाद म तो यह आसन आपका िशवजी क वरदान प आरो य कवच िस हए िबना नही रहगा

िऽबनध

मलबनध

शौच ःनानािद स िनव होकर आसन पर बठ जाय बायी एड़ी क ारा सीवन या योिन को दबाय दािहनी एड़ी सीवन पर रख गदा ार को िसकोड़कर भीतर की ओर ऊपर खीच यह मलबनध कहा जाता ह

लाभः मलबनध क अ यास स मतय को जीत सकत ह शरीर म नयी ताजगी आती ह िबगड़त हए ःवाःथय की रकषा होती ह चयर का पालन करन म मलबनध सहायक िस होता ह वीयर को प करता ह कबज को न करता ह जठराि न तज होती ह मलबनध स िचरयौवन ा होता ह बाल सफद होन स कत ह

अपानवाय ऊधवरगित पाकर ाणवाय क सषमना म िव होता ह सहॐारचब म िच वि िःथर बनती ह इसस िशवपद का आननद िमलता ह सवर कार की िद य िवभितया और ऐ यर ा होत ह अनाहत नाद सनन को िमलता ह ाण अपान नाद और िबनद एकिऽत होन स योग म पणरता ा होती ह

उडडीयान बनध

आसन पर बठकर परा ास बाहर िनकाल द समपणरतया रचक कर पट को भीतर िसकोड़कर ऊपर की ओर खीच नािभ तथा आत पीठ की तरफ दबाय शरीर को थोड़ा सा आग की तरफ झकाय यह ह उडडीयानबनध

लाभः इसक अ यास स िचरयौवन ा होता ह मतय पर जय ा होती ह चयर क पालन म खब सहायता िमलती ह ःवाःथय सनदर बनता ह कायरशि म वि होती ह नयोिल और उडडीयानबनध जब एक साथ िकय जात ह तब कबज दम दबाकर भाग खड़ा होता ह पट क तमाम अवयवो की मािलश हो जाती ह पट की अनावयक चरबी उतर जाती ह

जालनधरबनध

आसन पर बठकर परक करक कमभक कर और ठोड़ी को छाती क साथ दबाय इसको जालनधरबनध कहत ह

लाभः जालनधरबनध क अ यास स ाण का सचरण ठीक स होता ह इड़ा और िपगला नाड़ी बनद होकर ाण-अपान सषमना म िव होत ह नािभ स अमत कट होता ह िजसका पान जठराि न करता ह योगी इसक ारा अमरता ा करता ह

प ासन पर बठ जाय परा ास बाहर िनकाल कर मलबनध उडडीयानबनध कर िफर खब परक करक मलबनध उडडीयानबनध और जालनधरबनध य तीनो बनध एक साथ कर आख बनद रख मन म णव (ॐ) का अथर क साथ जप कर

इस कार ाणायाम सिहत तीनो बनध का एक साथ अ यास करन स बहत लाभ होता ह और ायः चमतका रक प रणाम आता ह कवल तीन ही िदन क समयक अ यास स जीवन म बािनत का अनभव होन लगता ह कछ समय क अ यास स कवल या कवली कमभक ःवय कट होता ह

कवली कमभक

कवल या कवली कमभक का अथर ह रचक-परक िबना ही ाण का िःथर हो जाना िजसको कवली कमभक िस होता ह उस योगी क िलए तीनो लोक म कछ भी दलरभ नही रहता कणडिलनी जागत होती ह शरीर पतला हो जाता ह मख सनन रहता ह नऽ मलरिहत होत ह सवर रोग दर हो जात ह िबनद पर िवजय होती ह जठराि न विलत होती ह

कवली कमभक िस िकय हए योगी की अपनी सवर मनोकामनाय पणर होती ह इतना ही नही उसका पजन करक ौ ावान लोग भी अपनी मनोकामनाय पणर करन लगत ह

जो साधक पणर एकामता स िऽबनध सिहत ाणायाम क अ यास ारा कवली कमभक का प षाथर िस करता ह उसक भा य का तो पछना ही या उसकी यापकता

बढ़ जाती ह अनतर म महानता का अनभव होता ह काम बोध लोभ मोह मद और मतसर इन छः शऽओ पर िवजय ा होती ह कवली कमभक की मिहमा अपार ह

जलनित

िविधः एक िलटर पानी को गनगना सा गरम कर उसम करीब दस माम श नमक डालकर घोल द सनधव िमल जाय तो अचछा सबह म ःनान क बाद यह पानी चौड़ महवाल पाऽ म कटोर म लकर परो पर बठ जाय पाऽ को दोनो हाथो स पकड़ कर नाक क नथन पानी म डबो द अब धीर-धीर नाक क ारा ास क साथ पानी को भीतर खीच और नाक स भीतर आत हए पानी को मह स बाहर िनकालत जाय नाक को पानी म इस कार बराबर डबोय रख िजसस नाक ारा भीतर जानवाल पानी क साथ हवा न वश कर अनयथा आतरस-खासी आयगी

इस कार पाऽ का सब पानी नाक ारा लकर मख ारा बाहर िनकाल द अब पाऽ को रख कर खड़ हो जाय दोनो पर थोड़ खल रह दोनो हाथ कमर पर रखकर ास को जोर स बाहर िनकालत हए आग की ओर िजतना हो सक झक भिॐका क साथ यह िबया बार-बार कर इसस नाक क भीतर का सब पानी बाहर िनकल जायगा थोड़ा बहत रह भी जाय और िदन म कभी भी नाक स बाहर िनकल जाय तो कछ िचनताजनक नही ह

नाक स पानी भीतर खीचन की यह िबया ारमभ म उलझन जसी लगगी लिकन अ यास हो जान पर िबलकल सरल बन जायगा

लाभः मिःतक की ओर स एक कार का िवषला रस नीच की ओर बहता ह यह रस कान म आय तो कान क रोग होत ह आदमी बहरा हो जाता ह यह रस आखो की तरफ जाय तो आखो का तज कम हो जाता ह चम की ज रत पड़ती ह तथा अनय रोग होत ह यह रस गल की ओर जाय तो गल क रोग होत ह

िनयमपवरक जलनित करन स यह िवषला पदाथर बाहर िनकल जाता ह आखो की रोशनी बढ़ती ह चम की ज रत नही पड़ती चमा हो भी तो धीर-धीर नमबर कम होत-होत छट जाता भी जाता ह ासोचछोवास का मागर साफ हो जाता ह मिःतक म ताजगी रहती ह जकाम-सद होन क अवसर कम हो जात ह जलनित की िबया करन

स दमा टीबी खासी नकसीर बहरापन आिद छोटी-मोटी 1500 बीमी रया दर होती ह जलनित करन वाल को बहत लाभ होत ह िच म सननता बनी रहती ह

गजकरणी िविधः करीब दो िलटर पानी गनगना सा गरम कर उसम करीब 20 माम श

नमक घोल द सनधव िमल जाय तो अचछा ह अब पजो क बल बठकर वह पानी िगलास भर-भर क पीत जाय खब िपय अिधकाअिधक िपय पट जब िबलकल भर जाय गल तक आ जाय पानी बाहर िनकालन की कोिशश कर तब दािहन हाथ की दो बड़ी अगिलया मह म डाल कर उलटी कर िपया हआ सब पानी बाहर िनकाल द पट िबलकल हलका हो जाय तब पाच िमनट तक आराम कर

गजकरणी करन क एकाध घणट क बाद कवल पतली िखचड़ी ही भोजन म ल भोजन क बाद तीन घणट तक पानी न िपय सोय नही ठणड पानी स ःनान कर तीन घणट क बाद ारमभ म थोड़ा गरम पानी िपय

लाभः गजकरणी स एिसडीटी क रोगी को अदभत लाभ होता ह ऐस रोगी को चार-पाच िदन म एक बार गजकरणी चािहए ततप ात महीन म एक बार दो महीन म एक बार छः महीन म एक बार भी गजकरणी कर सकत ह

ातःकाल खाली पट तलसी क पाच-सात प चबाकर ऊपर स थोड़ा जल िपय एसीडीटी क रोगी को इसस बहत लाभ होगा

वष परान कबज क रोिगयो को स ाह म एक बार गजकरणी की िबया अवय करनी चािहए उनका आमाशय मिनथसःथान कमजोर हो जान स भोजन हजम होन म गड़बड़ रहती ह गजकरणी करन स इसम लाभ होता ह फोड़ फनसी िसर म गम सद बखार खासी दमा टीबी वात-िप -कफ क दोष िज ा क रोग गल क रोग छाती क रोग छाती का ददर एव मदाि न म गजकरणी िबया लाभकारक ह

शरीर शोधन-कायाकलप

यह चालीस िदन का कलप ह प यपाद आसारामजी बाप न यह योग िकया हआ ह इसस शरीर सडौल ःवःथ और फत ला बनता ह र म नय-नय कण बनत ह शरीर क कोषो की शि बढ़ती ह मन-बि म चमतका रक लाभ होत ह

िविधः अगल िदन पपीता सव आिद फल उिचत माऽा म ल अथवा मन का 50 माम दस घणट पहल िभगो द उनको उबालकर बीज िनकाल द मन का खा ल और पानी पी ल

ातःकाल उठकर सकलप कर िक इस कलप क दौरान िनि त िकय हए कायरबम क अनसार ही रहगा

शौच-ःनानािद िनतयकमर स िनव होकर सबह 8 बज 200 या 250 माम गाय का उबला हआ गनगना दध िपय पौन घणटा पणर आराम कर बाद म िफर स दध िपय शारी रक ौम कम स कम कर ॐ सोsह हसः इस मऽ का मानिसक जप कर कभी ास को िनहार बस साकषीभाव

मनोरा य चलता हो तो ॐ जोर-जोर स जप कर

इस कार शाम तक िजतना दध हजम कर सक उतना दध दो स तीन िलटर िपय 40 िदन तक कवल द धाहार क बाद 41व िदन मग का उबला हआ पानी मोसममी का रस आिद ल रािऽ को अिधक मगवाली हलकी िखचड़ी खाय इस कार शरीर-शोधन-कायाकलप की पणारहित कर

यिद बि तीकषण बनानी हो ःमरणशि बढ़ानी हो तो कलप क दौरान ॐ ऐ नमः इस मऽ का जप कर सयर को अ यर द

इस कलप म दध क िसवाय अनय कोई खराक लना मना ह चाय तमबाक आिद यसन िनिष ह ि यो क सग स दर रहना तथा चयर का पालन अतयनत आवयक ह

कलजग नही करजग ह यह

कलजग नही करजग ह यह यहा िदन को द अ रात ल

या खब सौदा नकद ह इस हाथ द उस हाथ ल टक

दिनया अजब बाज़ार ह कछ िजनस1 या िक साथ ल

नकी का बदला नक ह बद स बदी की बात ल

मवा िखला मवा िमल फल फल द फल पात ल

आराम द आराम ल दःख ददर द आफत2 ल 1

काटा िकसी को मत लगा गो िमःल-गल3 फला ह त

वह तर हक4 म तीर ह िकस बात पर झला ह त

मत आग म डाल और को या घास का पला ह त

सन ऱख यह नकता5 बखबर िकस बात पर भला ह त

कलजग नही 2

शोखी शरारत मकरो-फन6 सबका बसखा7 ह यहा

जो जो िदखाया और को वह खद भी दखा ह यहा

खोटी खरी जो कछ कही ितसका परखा8 ह यहा

जो जो पड़ा तलता ह मोल ितल ितल का लखा ह यहा

कलजग नही 3

जो और की बःती9 रख उसका भी बसता ह परा

जो और क मार छरी उसको भी लगता ह छरा

जो और की तोड़ घड़ी उसका भी टट ह घड़ा

जो और की चत10 बदी उसका भी होता ह बरा

कलजग नही 4

जो और को फल दवगा वह भी सदा फल पावगा

गह स गह जौ स जौ चावल स चावल पावगा

जो आज दवगा यहा वसा ही वह कल पावगा

कल दवगा कल पावगा िफर दवगा िफर पावगा

कलजग नही 5

जो चाह ल चल इस घड़ी सब िजनस यहा तयार ह

आराम म आराम ह आजार म आजार11 ह

दिनया न जान इसको िमया दरया की यह मझधार ह

औरो का बड़ा पार कर तरा भी बड़ा पार ह

कलजग नही 6

त और की तारीफ कर तझको सना वानी12 िमल

कर मिकल आसा औरो की तझको भी आसानी िमल

त और को महमान कर तझको भी महमानी िमल

रोटी िखला रोटी िमल पानी िपला पानी िमल

कलजग नही 7

जो गल13 िखलाव और का उसका ही गल िखलता भी ह

जो और का कील14 ह मह उसका ही मह िकलता भी ह

जो और का छील िजगर उसका िजगर िछलता भी ह

जो और को दव कपट उसको कपट िमलता भी ह

कलजग नही 8

कर जो कछ करना ह अब यह दम तो कोई आन15 ह

नकसान म नकसान ह एहसान म एहसान ह

तोहमत म यहा तोहमत िमल तफान म तफान ह

रहमान16 को रहमान17 ह शतान को शतान ह

कलजग नही 9

यहा जहर द तो जहर ल श कर म श कर दख ल

नको का नकी का मजा मजी18 को ट कर दख ल

मोती िदय मोती िमल पतथर म पतथर दख ल

गर तझको यह बावर19 नही तो त भी करक दख ल

कलजग नही 10

अपन नफ क वाःत मत और का नकसान कर

तरा भी नकसा होवगा इस बात पर त धयान कर

खाना जो खा सो दखकर पानी िपय तो छानकर

या पावो को रख फककर और खोफ स गजरान कर

कलजग नही 11

गफलत की यह जगह नही त सािहब-इदराक20 रह

िदलशाद21 ऱख िदल शाह रह गमनाक रख गमनाक रह

हर हाल म भी त नजीर22 अब हर कदम की रह

यह वह मका ह ओ िमया या पाक23 रह बबाक24 रह

कलजग नही 12

1 वःत 2 मसीबत 3 पप की तरह 4 तर िलय 5 रहःय 6 दगा-धोखा 7 घर 8 परखना 9 नगरी 10 िवचार कर 11 दःख 12 तारीफ-ःतित 13 फल 14 िकसी को बोलन न दना 15 घड़ी पल 16 दयावान 17 दयाल भगवान 18 सतान वाला 19 िव ास 20 तीो ा तज समझन वाला प ष 21 सननिच 22 किव का नाम ह 23 श पिवऽ 24 िनडर

  • आधयातमिक विदया क उदगाता
  • सवासथय क लिए मतर
  • परासताविक
  • बरहमचरय-रकषा का मनतर
  • आसनो की परकिया म आन वाल कछ शबदो की समझ
  • आवशयक निरदश
  • योगासन
    • पदमासन या कमलासन
    • सिदधासन
    • सरवागासन
    • हलासन
    • पवनमकतासन
    • मतसयासन
    • भजगासन
    • धनरासन
    • चकरासन
    • कटिपिणडमरदनासन
    • अरधमतसयनदरासन
    • योगमदरासन
    • गोरकषासन या भदरासन
    • मयरासन
    • वजरासन
    • सपतवजरासन
    • शवासन
    • पादपशचिमोततानासन
      • तरिबनध
        • मलबनध
        • उडडीयान बनध
        • जालनधरबनध
          • कवली कमभक
          • जलनति
          • गजकरणी
          • शरीर शोधन-कायाकलप
          • कलजग नही करजग ह यह
Page 30: अनुबम - || Home || HariOmGroup · िस होता है। िवशु नाड़ीतंऽ वालेयोगी के िवशु शरीर में

धयान िवश ा याचब म ास दीघर सामानय

िविधः वळासन म बठन क बाद िच होकर पीछ की ओर भिम पर लट जाय दोनो जघाए परःपर िमली रह अब रचक करत बाय हाथ का खला पजा दािहन कनध क नीच इस कार रख िक मःतक दोनो हाथ क बास क ऊपर आय रचक परा होन पर िऽबनध कर ि मलाधार चब की िदशा म और िच वि मलाधार चब म ःथािपत कर

लाभः यह आसन करन म ौम बहत कम ह और लाभ अिधक होता ह इसक अ यास स सषमना का मागर अतयनत सरल होता ह कणडिलनी शि सरलता स ऊधवरगमन कर सकती ह

इस आसन म धयान करन स म दणड को सीधा करन का ौम नही करना पड़ता और म दणड को आराम िमलता ह उसकी काय़रशि बल बनती ह इस आसन का अ यास करन स ायः तमाम अतःॐावी मिनथयो को जस शीषरःथ मिनथ कणठःथ मिनथ मऽिपणड की मनथी ऊधवरिपणड तथा प षाथर मिनथ आिद को पि िमलती ह फलतः यि का भौितक एव आधयाितमक िवकास सरल हो जाता ह तन-मन का ःवाःथय भावशाली बनता ह जठराि न दी होती ह मलावरोध की पीडा दर होती ह धातकषय ःवपनदोष पकषाघात पथरी बहरा होना तोतला होना आखो की दबरलता गल क टािनसल ासनिलका का सजन कषय दमा ःमरणशि की दबरलता आिद रोग दर होत ह

शवासन

शवासन की पणारवःथा म शरीर क तमाम अग एव मिःतक पणरतया च ा रिहत िकय जात ह यह अवःथा शव (मद) जसी होन स इस आसन को शवासन कहा जाता ह

िविधः िबछ हए आसन पर िच होकर लट जाय दोनो परो को परःपर स थोड़ अलग कर द दोनो हाथ भी शरीर स थोड़ अलग रह इस कार परो की ओर फला द हाथ की हथिलया आकाश की तरफ खली रख िसर सीधा रह आख बनद

मानिसक ि स शरीर को पर स िसर तक दखत जाय पर शरीर को मद की तरह ढीला छोड़ द हर एक अग को िशिथल करत जाय

शरीर म समपणर िवौाम का अनभव कर मन को भी बा ा िवषयो स हटाकर एकाम कर बारी-बारी स हर एक अग पर मानिसक ि एकाम करत हए भावना कर िक वह अग अब आराम पा रहा ह मरी सब थकान उतर रही ह इस कार भावना करत-करत सब ःनायओ को िशिथल होन द शरीर क एक भी अग म कही भी तनाव (टनशन) न रह िशिथलीकरण की िबया म पर स ारमभ करक िसर तक जाय अथवा िसर स ारमभ करक पर तक भी जा सकत ह अनत म जहा स ारमभ िकया हो वही पनः पहचना चािहय िशिथलीकरण की िबया स शरीर क तमाम अगो का एव ानततओ को िवौाम की अवःथा म ला दना ह

शवासन की दसरी अवःथा म ासोचछोवास पर धयान दना ह शवासन की यही म य िबया ह िवशषकर योग साधको क िलए वह अतयनत उपयोगी ह कवल शारी रक ःवाःथय क िलय थम भिमका पयार ह

इसम ास और उचछवास की िनयिमतता दीघरता और समानता ःथािपत करन का लकषय ह ास िनयिमत चल लमबा और गहरा चल ास और उचछवास एक समान रह तो मन को एकाम करन की शि ा होती ह

शवासन यिद ठीक ढग स िकया जाए तो नाड़ीतऽ इतना शात हो जाता ह िक अ यासी को नीद आन लगती ह लिकन धयान रह िनिनित न होकर जामत रहना आवयक ह

अनय आसन करन क बाद अगो म जो तनाव (टनशन) पदा होता ह उसको िशिथल करन क िलय अत म 3 स 5 िमनट तक शवासन करना चािहए िदनभर म अनकलता क अनसार दो-तीन बार शवासन कर सकत ह

लाभः शवासन क ारा ःनाय एव मासपिशयो म िशिथलीकरण स शि बढ़ती ह अिधक कायर करन की यो यता उसम आती ह र वाहिनयो म िशराओ म र वाह तीो

होन स सारी थकान उतर जाती ह नाड़ीतऽ को बल िमलता ह मानिसक शि म वि होती ह

र का दबाव कम करन क िलए नाड़ीतऽ की दबरलता एव उसक कारण होन वाल रोगो को दर करन क िलय शवासन खब उपयोगी ह

पादपि मो ानासन

यह आसन करना किठन ह इसस उमासन कहा जाता ह उम का अथर ह िशव भगवान िशव सहारक ार ह अतः उम या भयकर ह िशवसिहता म भगवान िशव न म कणठ स शसा करत हए कहा हः यह आसन सवरौ आसन ह इसको य पवरक ग रख िसफर अिधका रयो को ही इसका रहःय बताय

धयान मिणपर चब म ास थम िःथित म परक और दसरी िःथित म रचक और िफर बिहकर मभक

िविधः िबछ हए आसन पर बठ जाय दोनो परो को लमब फला द दोनो परो की जघा घटन पज परःपर िमल रह और जमीन क साथ लग रह परो की अगलया घटनो की तरफ झकी हई रह अब दोनो हाथ लमब कर दािहन हाथ की तजरनी और अगठ स दािहन पर का अगठा और बाय हाथ की तजरनी और अगठ स बाय पर का अगठा पकड़ अब रचक करत-करत नीच झक और िसर को दोनो घटनो क मधय म रख ललाट घटन को ःपशर कर और घटन ज़मीन स लग रह रचक परा होन पर कमभक कर ि एव िच वि को मिणपर चब म ःथािपत कर ारमभ म आधा िमनट करक बमशः 15 िमनट तक यह आसन करन का अ यास बढ़ाना चािहय थम दो-चार िदन किठन लगगा लिकन अ यास हो जान पर यह आसन सरल हो जाएगा

लाभः पादपि मो नासन म समयक अ यास स सषमना का मख खल जाता ह और ाण म दणड क मागर म गमन करता ह फलतः िबनद को जीत सकत ह िबनद को जीत िबना न समािध िस होती ह न वाय िःथर होता ह न िच शात होता ह

जो ी-प ष काम िवकार स अतयत पीिड़त हो उनह इस आसन का अ यास करना चािहए इसस शारी रक िवकार दब जात ह उदर छाती और म दणड को उ म कसरत िमलती ह अतः व अिधक कायरकषम बनत ह हाथ पर तथा अनय अगो क सिनध ःथान मजबत बनत ह शरीर क सब तऽ बराबर कायरशील होत ह रोग माऽ का नाश होकर ःवाःथय़ का साा य ःथािपत होता ह

इस आसन क अ यास स मनदाि न मलावरोध अजीणर उदररोग किमिवकार सद वातिवकार कमर का ददर िहचकी कोढ़ मऽरोग मधमह पर क रोग ःवपनदोष वीयरिवकार र िवकार एपनडीसाइिटस अणडवि पाणडरोग अिनिा दमा ख टी डकार आना ानतनत की दबरलता बवासीर नल की सजन गभारशय क रोग अिनयिमत तथा क दायक मािसक बनधयतव दर नपसकता र िप िसरोवदना बौनापन आिद अनक रोग दर होत ह पट पत ला बनता ह जठराि न दी होती ह कफ और चरबी न होत ह

िशवसिहता म कहा ह िक इस आसन स वाय ीपन होता ह और वह मतय का नाश करता ह इस आसन स शरीर का कद बढ़ता ह शरीर म अिधक ःथलता हो तो कम होती ह दबरलता हो तो वह दर होकर शरीर सामानय तनद ःत अवःथा म आ जाता ह नाडी सःथान म िःथरता आती ह मानिसक शाित ा होती ह िचनता एव उ जना शात करन क िलए यह आसन उ म ह पीठ और म दणड पर िखचाव आन स दोनो िवकिसत होत ह फलतः शरीर क तमाम अवयवो पर अिधकार ःथािपत होता ह सब आसनो म यह आसन सवर धान ह इसक अ यास स कायाकलप (प रवतरन) हो जाता ह

यह आसन भगवान िशव को बहत पयारा ह उनकी आ ा स योगी गोरखनाथ न लोककलयाण हत इसका चार िकया ह आप इस आसन क अदभत लाभो स लाभािनवत हो और दसरो को भी िसखाय

पादपि मो ानासन प यपाद आसारामजी बाप को भी बहत पयारा ह उसस प यौी को बहत लाभ हए ह अभी भी यह आसन उनक आरो यिनिध का रकषक बना हआ ह

पाठक भाइयो आप अवय इस आसन का लाभ लना ारमभ क चार-पाच िदन जरा किठन लगगा बाद म तो यह आसन आपका िशवजी क वरदान प आरो य कवच िस हए िबना नही रहगा

िऽबनध

मलबनध

शौच ःनानािद स िनव होकर आसन पर बठ जाय बायी एड़ी क ारा सीवन या योिन को दबाय दािहनी एड़ी सीवन पर रख गदा ार को िसकोड़कर भीतर की ओर ऊपर खीच यह मलबनध कहा जाता ह

लाभः मलबनध क अ यास स मतय को जीत सकत ह शरीर म नयी ताजगी आती ह िबगड़त हए ःवाःथय की रकषा होती ह चयर का पालन करन म मलबनध सहायक िस होता ह वीयर को प करता ह कबज को न करता ह जठराि न तज होती ह मलबनध स िचरयौवन ा होता ह बाल सफद होन स कत ह

अपानवाय ऊधवरगित पाकर ाणवाय क सषमना म िव होता ह सहॐारचब म िच वि िःथर बनती ह इसस िशवपद का आननद िमलता ह सवर कार की िद य िवभितया और ऐ यर ा होत ह अनाहत नाद सनन को िमलता ह ाण अपान नाद और िबनद एकिऽत होन स योग म पणरता ा होती ह

उडडीयान बनध

आसन पर बठकर परा ास बाहर िनकाल द समपणरतया रचक कर पट को भीतर िसकोड़कर ऊपर की ओर खीच नािभ तथा आत पीठ की तरफ दबाय शरीर को थोड़ा सा आग की तरफ झकाय यह ह उडडीयानबनध

लाभः इसक अ यास स िचरयौवन ा होता ह मतय पर जय ा होती ह चयर क पालन म खब सहायता िमलती ह ःवाःथय सनदर बनता ह कायरशि म वि होती ह नयोिल और उडडीयानबनध जब एक साथ िकय जात ह तब कबज दम दबाकर भाग खड़ा होता ह पट क तमाम अवयवो की मािलश हो जाती ह पट की अनावयक चरबी उतर जाती ह

जालनधरबनध

आसन पर बठकर परक करक कमभक कर और ठोड़ी को छाती क साथ दबाय इसको जालनधरबनध कहत ह

लाभः जालनधरबनध क अ यास स ाण का सचरण ठीक स होता ह इड़ा और िपगला नाड़ी बनद होकर ाण-अपान सषमना म िव होत ह नािभ स अमत कट होता ह िजसका पान जठराि न करता ह योगी इसक ारा अमरता ा करता ह

प ासन पर बठ जाय परा ास बाहर िनकाल कर मलबनध उडडीयानबनध कर िफर खब परक करक मलबनध उडडीयानबनध और जालनधरबनध य तीनो बनध एक साथ कर आख बनद रख मन म णव (ॐ) का अथर क साथ जप कर

इस कार ाणायाम सिहत तीनो बनध का एक साथ अ यास करन स बहत लाभ होता ह और ायः चमतका रक प रणाम आता ह कवल तीन ही िदन क समयक अ यास स जीवन म बािनत का अनभव होन लगता ह कछ समय क अ यास स कवल या कवली कमभक ःवय कट होता ह

कवली कमभक

कवल या कवली कमभक का अथर ह रचक-परक िबना ही ाण का िःथर हो जाना िजसको कवली कमभक िस होता ह उस योगी क िलए तीनो लोक म कछ भी दलरभ नही रहता कणडिलनी जागत होती ह शरीर पतला हो जाता ह मख सनन रहता ह नऽ मलरिहत होत ह सवर रोग दर हो जात ह िबनद पर िवजय होती ह जठराि न विलत होती ह

कवली कमभक िस िकय हए योगी की अपनी सवर मनोकामनाय पणर होती ह इतना ही नही उसका पजन करक ौ ावान लोग भी अपनी मनोकामनाय पणर करन लगत ह

जो साधक पणर एकामता स िऽबनध सिहत ाणायाम क अ यास ारा कवली कमभक का प षाथर िस करता ह उसक भा य का तो पछना ही या उसकी यापकता

बढ़ जाती ह अनतर म महानता का अनभव होता ह काम बोध लोभ मोह मद और मतसर इन छः शऽओ पर िवजय ा होती ह कवली कमभक की मिहमा अपार ह

जलनित

िविधः एक िलटर पानी को गनगना सा गरम कर उसम करीब दस माम श नमक डालकर घोल द सनधव िमल जाय तो अचछा सबह म ःनान क बाद यह पानी चौड़ महवाल पाऽ म कटोर म लकर परो पर बठ जाय पाऽ को दोनो हाथो स पकड़ कर नाक क नथन पानी म डबो द अब धीर-धीर नाक क ारा ास क साथ पानी को भीतर खीच और नाक स भीतर आत हए पानी को मह स बाहर िनकालत जाय नाक को पानी म इस कार बराबर डबोय रख िजसस नाक ारा भीतर जानवाल पानी क साथ हवा न वश कर अनयथा आतरस-खासी आयगी

इस कार पाऽ का सब पानी नाक ारा लकर मख ारा बाहर िनकाल द अब पाऽ को रख कर खड़ हो जाय दोनो पर थोड़ खल रह दोनो हाथ कमर पर रखकर ास को जोर स बाहर िनकालत हए आग की ओर िजतना हो सक झक भिॐका क साथ यह िबया बार-बार कर इसस नाक क भीतर का सब पानी बाहर िनकल जायगा थोड़ा बहत रह भी जाय और िदन म कभी भी नाक स बाहर िनकल जाय तो कछ िचनताजनक नही ह

नाक स पानी भीतर खीचन की यह िबया ारमभ म उलझन जसी लगगी लिकन अ यास हो जान पर िबलकल सरल बन जायगा

लाभः मिःतक की ओर स एक कार का िवषला रस नीच की ओर बहता ह यह रस कान म आय तो कान क रोग होत ह आदमी बहरा हो जाता ह यह रस आखो की तरफ जाय तो आखो का तज कम हो जाता ह चम की ज रत पड़ती ह तथा अनय रोग होत ह यह रस गल की ओर जाय तो गल क रोग होत ह

िनयमपवरक जलनित करन स यह िवषला पदाथर बाहर िनकल जाता ह आखो की रोशनी बढ़ती ह चम की ज रत नही पड़ती चमा हो भी तो धीर-धीर नमबर कम होत-होत छट जाता भी जाता ह ासोचछोवास का मागर साफ हो जाता ह मिःतक म ताजगी रहती ह जकाम-सद होन क अवसर कम हो जात ह जलनित की िबया करन

स दमा टीबी खासी नकसीर बहरापन आिद छोटी-मोटी 1500 बीमी रया दर होती ह जलनित करन वाल को बहत लाभ होत ह िच म सननता बनी रहती ह

गजकरणी िविधः करीब दो िलटर पानी गनगना सा गरम कर उसम करीब 20 माम श

नमक घोल द सनधव िमल जाय तो अचछा ह अब पजो क बल बठकर वह पानी िगलास भर-भर क पीत जाय खब िपय अिधकाअिधक िपय पट जब िबलकल भर जाय गल तक आ जाय पानी बाहर िनकालन की कोिशश कर तब दािहन हाथ की दो बड़ी अगिलया मह म डाल कर उलटी कर िपया हआ सब पानी बाहर िनकाल द पट िबलकल हलका हो जाय तब पाच िमनट तक आराम कर

गजकरणी करन क एकाध घणट क बाद कवल पतली िखचड़ी ही भोजन म ल भोजन क बाद तीन घणट तक पानी न िपय सोय नही ठणड पानी स ःनान कर तीन घणट क बाद ारमभ म थोड़ा गरम पानी िपय

लाभः गजकरणी स एिसडीटी क रोगी को अदभत लाभ होता ह ऐस रोगी को चार-पाच िदन म एक बार गजकरणी चािहए ततप ात महीन म एक बार दो महीन म एक बार छः महीन म एक बार भी गजकरणी कर सकत ह

ातःकाल खाली पट तलसी क पाच-सात प चबाकर ऊपर स थोड़ा जल िपय एसीडीटी क रोगी को इसस बहत लाभ होगा

वष परान कबज क रोिगयो को स ाह म एक बार गजकरणी की िबया अवय करनी चािहए उनका आमाशय मिनथसःथान कमजोर हो जान स भोजन हजम होन म गड़बड़ रहती ह गजकरणी करन स इसम लाभ होता ह फोड़ फनसी िसर म गम सद बखार खासी दमा टीबी वात-िप -कफ क दोष िज ा क रोग गल क रोग छाती क रोग छाती का ददर एव मदाि न म गजकरणी िबया लाभकारक ह

शरीर शोधन-कायाकलप

यह चालीस िदन का कलप ह प यपाद आसारामजी बाप न यह योग िकया हआ ह इसस शरीर सडौल ःवःथ और फत ला बनता ह र म नय-नय कण बनत ह शरीर क कोषो की शि बढ़ती ह मन-बि म चमतका रक लाभ होत ह

िविधः अगल िदन पपीता सव आिद फल उिचत माऽा म ल अथवा मन का 50 माम दस घणट पहल िभगो द उनको उबालकर बीज िनकाल द मन का खा ल और पानी पी ल

ातःकाल उठकर सकलप कर िक इस कलप क दौरान िनि त िकय हए कायरबम क अनसार ही रहगा

शौच-ःनानािद िनतयकमर स िनव होकर सबह 8 बज 200 या 250 माम गाय का उबला हआ गनगना दध िपय पौन घणटा पणर आराम कर बाद म िफर स दध िपय शारी रक ौम कम स कम कर ॐ सोsह हसः इस मऽ का मानिसक जप कर कभी ास को िनहार बस साकषीभाव

मनोरा य चलता हो तो ॐ जोर-जोर स जप कर

इस कार शाम तक िजतना दध हजम कर सक उतना दध दो स तीन िलटर िपय 40 िदन तक कवल द धाहार क बाद 41व िदन मग का उबला हआ पानी मोसममी का रस आिद ल रािऽ को अिधक मगवाली हलकी िखचड़ी खाय इस कार शरीर-शोधन-कायाकलप की पणारहित कर

यिद बि तीकषण बनानी हो ःमरणशि बढ़ानी हो तो कलप क दौरान ॐ ऐ नमः इस मऽ का जप कर सयर को अ यर द

इस कलप म दध क िसवाय अनय कोई खराक लना मना ह चाय तमबाक आिद यसन िनिष ह ि यो क सग स दर रहना तथा चयर का पालन अतयनत आवयक ह

कलजग नही करजग ह यह

कलजग नही करजग ह यह यहा िदन को द अ रात ल

या खब सौदा नकद ह इस हाथ द उस हाथ ल टक

दिनया अजब बाज़ार ह कछ िजनस1 या िक साथ ल

नकी का बदला नक ह बद स बदी की बात ल

मवा िखला मवा िमल फल फल द फल पात ल

आराम द आराम ल दःख ददर द आफत2 ल 1

काटा िकसी को मत लगा गो िमःल-गल3 फला ह त

वह तर हक4 म तीर ह िकस बात पर झला ह त

मत आग म डाल और को या घास का पला ह त

सन ऱख यह नकता5 बखबर िकस बात पर भला ह त

कलजग नही 2

शोखी शरारत मकरो-फन6 सबका बसखा7 ह यहा

जो जो िदखाया और को वह खद भी दखा ह यहा

खोटी खरी जो कछ कही ितसका परखा8 ह यहा

जो जो पड़ा तलता ह मोल ितल ितल का लखा ह यहा

कलजग नही 3

जो और की बःती9 रख उसका भी बसता ह परा

जो और क मार छरी उसको भी लगता ह छरा

जो और की तोड़ घड़ी उसका भी टट ह घड़ा

जो और की चत10 बदी उसका भी होता ह बरा

कलजग नही 4

जो और को फल दवगा वह भी सदा फल पावगा

गह स गह जौ स जौ चावल स चावल पावगा

जो आज दवगा यहा वसा ही वह कल पावगा

कल दवगा कल पावगा िफर दवगा िफर पावगा

कलजग नही 5

जो चाह ल चल इस घड़ी सब िजनस यहा तयार ह

आराम म आराम ह आजार म आजार11 ह

दिनया न जान इसको िमया दरया की यह मझधार ह

औरो का बड़ा पार कर तरा भी बड़ा पार ह

कलजग नही 6

त और की तारीफ कर तझको सना वानी12 िमल

कर मिकल आसा औरो की तझको भी आसानी िमल

त और को महमान कर तझको भी महमानी िमल

रोटी िखला रोटी िमल पानी िपला पानी िमल

कलजग नही 7

जो गल13 िखलाव और का उसका ही गल िखलता भी ह

जो और का कील14 ह मह उसका ही मह िकलता भी ह

जो और का छील िजगर उसका िजगर िछलता भी ह

जो और को दव कपट उसको कपट िमलता भी ह

कलजग नही 8

कर जो कछ करना ह अब यह दम तो कोई आन15 ह

नकसान म नकसान ह एहसान म एहसान ह

तोहमत म यहा तोहमत िमल तफान म तफान ह

रहमान16 को रहमान17 ह शतान को शतान ह

कलजग नही 9

यहा जहर द तो जहर ल श कर म श कर दख ल

नको का नकी का मजा मजी18 को ट कर दख ल

मोती िदय मोती िमल पतथर म पतथर दख ल

गर तझको यह बावर19 नही तो त भी करक दख ल

कलजग नही 10

अपन नफ क वाःत मत और का नकसान कर

तरा भी नकसा होवगा इस बात पर त धयान कर

खाना जो खा सो दखकर पानी िपय तो छानकर

या पावो को रख फककर और खोफ स गजरान कर

कलजग नही 11

गफलत की यह जगह नही त सािहब-इदराक20 रह

िदलशाद21 ऱख िदल शाह रह गमनाक रख गमनाक रह

हर हाल म भी त नजीर22 अब हर कदम की रह

यह वह मका ह ओ िमया या पाक23 रह बबाक24 रह

कलजग नही 12

1 वःत 2 मसीबत 3 पप की तरह 4 तर िलय 5 रहःय 6 दगा-धोखा 7 घर 8 परखना 9 नगरी 10 िवचार कर 11 दःख 12 तारीफ-ःतित 13 फल 14 िकसी को बोलन न दना 15 घड़ी पल 16 दयावान 17 दयाल भगवान 18 सतान वाला 19 िव ास 20 तीो ा तज समझन वाला प ष 21 सननिच 22 किव का नाम ह 23 श पिवऽ 24 िनडर

  • आधयातमिक विदया क उदगाता
  • सवासथय क लिए मतर
  • परासताविक
  • बरहमचरय-रकषा का मनतर
  • आसनो की परकिया म आन वाल कछ शबदो की समझ
  • आवशयक निरदश
  • योगासन
    • पदमासन या कमलासन
    • सिदधासन
    • सरवागासन
    • हलासन
    • पवनमकतासन
    • मतसयासन
    • भजगासन
    • धनरासन
    • चकरासन
    • कटिपिणडमरदनासन
    • अरधमतसयनदरासन
    • योगमदरासन
    • गोरकषासन या भदरासन
    • मयरासन
    • वजरासन
    • सपतवजरासन
    • शवासन
    • पादपशचिमोततानासन
      • तरिबनध
        • मलबनध
        • उडडीयान बनध
        • जालनधरबनध
          • कवली कमभक
          • जलनति
          • गजकरणी
          • शरीर शोधन-कायाकलप
          • कलजग नही करजग ह यह
Page 31: अनुबम - || Home || HariOmGroup · िस होता है। िवशु नाड़ीतंऽ वालेयोगी के िवशु शरीर में

िविधः िबछ हए आसन पर िच होकर लट जाय दोनो परो को परःपर स थोड़ अलग कर द दोनो हाथ भी शरीर स थोड़ अलग रह इस कार परो की ओर फला द हाथ की हथिलया आकाश की तरफ खली रख िसर सीधा रह आख बनद

मानिसक ि स शरीर को पर स िसर तक दखत जाय पर शरीर को मद की तरह ढीला छोड़ द हर एक अग को िशिथल करत जाय

शरीर म समपणर िवौाम का अनभव कर मन को भी बा ा िवषयो स हटाकर एकाम कर बारी-बारी स हर एक अग पर मानिसक ि एकाम करत हए भावना कर िक वह अग अब आराम पा रहा ह मरी सब थकान उतर रही ह इस कार भावना करत-करत सब ःनायओ को िशिथल होन द शरीर क एक भी अग म कही भी तनाव (टनशन) न रह िशिथलीकरण की िबया म पर स ारमभ करक िसर तक जाय अथवा िसर स ारमभ करक पर तक भी जा सकत ह अनत म जहा स ारमभ िकया हो वही पनः पहचना चािहय िशिथलीकरण की िबया स शरीर क तमाम अगो का एव ानततओ को िवौाम की अवःथा म ला दना ह

शवासन की दसरी अवःथा म ासोचछोवास पर धयान दना ह शवासन की यही म य िबया ह िवशषकर योग साधको क िलए वह अतयनत उपयोगी ह कवल शारी रक ःवाःथय क िलय थम भिमका पयार ह

इसम ास और उचछवास की िनयिमतता दीघरता और समानता ःथािपत करन का लकषय ह ास िनयिमत चल लमबा और गहरा चल ास और उचछवास एक समान रह तो मन को एकाम करन की शि ा होती ह

शवासन यिद ठीक ढग स िकया जाए तो नाड़ीतऽ इतना शात हो जाता ह िक अ यासी को नीद आन लगती ह लिकन धयान रह िनिनित न होकर जामत रहना आवयक ह

अनय आसन करन क बाद अगो म जो तनाव (टनशन) पदा होता ह उसको िशिथल करन क िलय अत म 3 स 5 िमनट तक शवासन करना चािहए िदनभर म अनकलता क अनसार दो-तीन बार शवासन कर सकत ह

लाभः शवासन क ारा ःनाय एव मासपिशयो म िशिथलीकरण स शि बढ़ती ह अिधक कायर करन की यो यता उसम आती ह र वाहिनयो म िशराओ म र वाह तीो

होन स सारी थकान उतर जाती ह नाड़ीतऽ को बल िमलता ह मानिसक शि म वि होती ह

र का दबाव कम करन क िलए नाड़ीतऽ की दबरलता एव उसक कारण होन वाल रोगो को दर करन क िलय शवासन खब उपयोगी ह

पादपि मो ानासन

यह आसन करना किठन ह इसस उमासन कहा जाता ह उम का अथर ह िशव भगवान िशव सहारक ार ह अतः उम या भयकर ह िशवसिहता म भगवान िशव न म कणठ स शसा करत हए कहा हः यह आसन सवरौ आसन ह इसको य पवरक ग रख िसफर अिधका रयो को ही इसका रहःय बताय

धयान मिणपर चब म ास थम िःथित म परक और दसरी िःथित म रचक और िफर बिहकर मभक

िविधः िबछ हए आसन पर बठ जाय दोनो परो को लमब फला द दोनो परो की जघा घटन पज परःपर िमल रह और जमीन क साथ लग रह परो की अगलया घटनो की तरफ झकी हई रह अब दोनो हाथ लमब कर दािहन हाथ की तजरनी और अगठ स दािहन पर का अगठा और बाय हाथ की तजरनी और अगठ स बाय पर का अगठा पकड़ अब रचक करत-करत नीच झक और िसर को दोनो घटनो क मधय म रख ललाट घटन को ःपशर कर और घटन ज़मीन स लग रह रचक परा होन पर कमभक कर ि एव िच वि को मिणपर चब म ःथािपत कर ारमभ म आधा िमनट करक बमशः 15 िमनट तक यह आसन करन का अ यास बढ़ाना चािहय थम दो-चार िदन किठन लगगा लिकन अ यास हो जान पर यह आसन सरल हो जाएगा

लाभः पादपि मो नासन म समयक अ यास स सषमना का मख खल जाता ह और ाण म दणड क मागर म गमन करता ह फलतः िबनद को जीत सकत ह िबनद को जीत िबना न समािध िस होती ह न वाय िःथर होता ह न िच शात होता ह

जो ी-प ष काम िवकार स अतयत पीिड़त हो उनह इस आसन का अ यास करना चािहए इसस शारी रक िवकार दब जात ह उदर छाती और म दणड को उ म कसरत िमलती ह अतः व अिधक कायरकषम बनत ह हाथ पर तथा अनय अगो क सिनध ःथान मजबत बनत ह शरीर क सब तऽ बराबर कायरशील होत ह रोग माऽ का नाश होकर ःवाःथय़ का साा य ःथािपत होता ह

इस आसन क अ यास स मनदाि न मलावरोध अजीणर उदररोग किमिवकार सद वातिवकार कमर का ददर िहचकी कोढ़ मऽरोग मधमह पर क रोग ःवपनदोष वीयरिवकार र िवकार एपनडीसाइिटस अणडवि पाणडरोग अिनिा दमा ख टी डकार आना ानतनत की दबरलता बवासीर नल की सजन गभारशय क रोग अिनयिमत तथा क दायक मािसक बनधयतव दर नपसकता र िप िसरोवदना बौनापन आिद अनक रोग दर होत ह पट पत ला बनता ह जठराि न दी होती ह कफ और चरबी न होत ह

िशवसिहता म कहा ह िक इस आसन स वाय ीपन होता ह और वह मतय का नाश करता ह इस आसन स शरीर का कद बढ़ता ह शरीर म अिधक ःथलता हो तो कम होती ह दबरलता हो तो वह दर होकर शरीर सामानय तनद ःत अवःथा म आ जाता ह नाडी सःथान म िःथरता आती ह मानिसक शाित ा होती ह िचनता एव उ जना शात करन क िलए यह आसन उ म ह पीठ और म दणड पर िखचाव आन स दोनो िवकिसत होत ह फलतः शरीर क तमाम अवयवो पर अिधकार ःथािपत होता ह सब आसनो म यह आसन सवर धान ह इसक अ यास स कायाकलप (प रवतरन) हो जाता ह

यह आसन भगवान िशव को बहत पयारा ह उनकी आ ा स योगी गोरखनाथ न लोककलयाण हत इसका चार िकया ह आप इस आसन क अदभत लाभो स लाभािनवत हो और दसरो को भी िसखाय

पादपि मो ानासन प यपाद आसारामजी बाप को भी बहत पयारा ह उसस प यौी को बहत लाभ हए ह अभी भी यह आसन उनक आरो यिनिध का रकषक बना हआ ह

पाठक भाइयो आप अवय इस आसन का लाभ लना ारमभ क चार-पाच िदन जरा किठन लगगा बाद म तो यह आसन आपका िशवजी क वरदान प आरो य कवच िस हए िबना नही रहगा

िऽबनध

मलबनध

शौच ःनानािद स िनव होकर आसन पर बठ जाय बायी एड़ी क ारा सीवन या योिन को दबाय दािहनी एड़ी सीवन पर रख गदा ार को िसकोड़कर भीतर की ओर ऊपर खीच यह मलबनध कहा जाता ह

लाभः मलबनध क अ यास स मतय को जीत सकत ह शरीर म नयी ताजगी आती ह िबगड़त हए ःवाःथय की रकषा होती ह चयर का पालन करन म मलबनध सहायक िस होता ह वीयर को प करता ह कबज को न करता ह जठराि न तज होती ह मलबनध स िचरयौवन ा होता ह बाल सफद होन स कत ह

अपानवाय ऊधवरगित पाकर ाणवाय क सषमना म िव होता ह सहॐारचब म िच वि िःथर बनती ह इसस िशवपद का आननद िमलता ह सवर कार की िद य िवभितया और ऐ यर ा होत ह अनाहत नाद सनन को िमलता ह ाण अपान नाद और िबनद एकिऽत होन स योग म पणरता ा होती ह

उडडीयान बनध

आसन पर बठकर परा ास बाहर िनकाल द समपणरतया रचक कर पट को भीतर िसकोड़कर ऊपर की ओर खीच नािभ तथा आत पीठ की तरफ दबाय शरीर को थोड़ा सा आग की तरफ झकाय यह ह उडडीयानबनध

लाभः इसक अ यास स िचरयौवन ा होता ह मतय पर जय ा होती ह चयर क पालन म खब सहायता िमलती ह ःवाःथय सनदर बनता ह कायरशि म वि होती ह नयोिल और उडडीयानबनध जब एक साथ िकय जात ह तब कबज दम दबाकर भाग खड़ा होता ह पट क तमाम अवयवो की मािलश हो जाती ह पट की अनावयक चरबी उतर जाती ह

जालनधरबनध

आसन पर बठकर परक करक कमभक कर और ठोड़ी को छाती क साथ दबाय इसको जालनधरबनध कहत ह

लाभः जालनधरबनध क अ यास स ाण का सचरण ठीक स होता ह इड़ा और िपगला नाड़ी बनद होकर ाण-अपान सषमना म िव होत ह नािभ स अमत कट होता ह िजसका पान जठराि न करता ह योगी इसक ारा अमरता ा करता ह

प ासन पर बठ जाय परा ास बाहर िनकाल कर मलबनध उडडीयानबनध कर िफर खब परक करक मलबनध उडडीयानबनध और जालनधरबनध य तीनो बनध एक साथ कर आख बनद रख मन म णव (ॐ) का अथर क साथ जप कर

इस कार ाणायाम सिहत तीनो बनध का एक साथ अ यास करन स बहत लाभ होता ह और ायः चमतका रक प रणाम आता ह कवल तीन ही िदन क समयक अ यास स जीवन म बािनत का अनभव होन लगता ह कछ समय क अ यास स कवल या कवली कमभक ःवय कट होता ह

कवली कमभक

कवल या कवली कमभक का अथर ह रचक-परक िबना ही ाण का िःथर हो जाना िजसको कवली कमभक िस होता ह उस योगी क िलए तीनो लोक म कछ भी दलरभ नही रहता कणडिलनी जागत होती ह शरीर पतला हो जाता ह मख सनन रहता ह नऽ मलरिहत होत ह सवर रोग दर हो जात ह िबनद पर िवजय होती ह जठराि न विलत होती ह

कवली कमभक िस िकय हए योगी की अपनी सवर मनोकामनाय पणर होती ह इतना ही नही उसका पजन करक ौ ावान लोग भी अपनी मनोकामनाय पणर करन लगत ह

जो साधक पणर एकामता स िऽबनध सिहत ाणायाम क अ यास ारा कवली कमभक का प षाथर िस करता ह उसक भा य का तो पछना ही या उसकी यापकता

बढ़ जाती ह अनतर म महानता का अनभव होता ह काम बोध लोभ मोह मद और मतसर इन छः शऽओ पर िवजय ा होती ह कवली कमभक की मिहमा अपार ह

जलनित

िविधः एक िलटर पानी को गनगना सा गरम कर उसम करीब दस माम श नमक डालकर घोल द सनधव िमल जाय तो अचछा सबह म ःनान क बाद यह पानी चौड़ महवाल पाऽ म कटोर म लकर परो पर बठ जाय पाऽ को दोनो हाथो स पकड़ कर नाक क नथन पानी म डबो द अब धीर-धीर नाक क ारा ास क साथ पानी को भीतर खीच और नाक स भीतर आत हए पानी को मह स बाहर िनकालत जाय नाक को पानी म इस कार बराबर डबोय रख िजसस नाक ारा भीतर जानवाल पानी क साथ हवा न वश कर अनयथा आतरस-खासी आयगी

इस कार पाऽ का सब पानी नाक ारा लकर मख ारा बाहर िनकाल द अब पाऽ को रख कर खड़ हो जाय दोनो पर थोड़ खल रह दोनो हाथ कमर पर रखकर ास को जोर स बाहर िनकालत हए आग की ओर िजतना हो सक झक भिॐका क साथ यह िबया बार-बार कर इसस नाक क भीतर का सब पानी बाहर िनकल जायगा थोड़ा बहत रह भी जाय और िदन म कभी भी नाक स बाहर िनकल जाय तो कछ िचनताजनक नही ह

नाक स पानी भीतर खीचन की यह िबया ारमभ म उलझन जसी लगगी लिकन अ यास हो जान पर िबलकल सरल बन जायगा

लाभः मिःतक की ओर स एक कार का िवषला रस नीच की ओर बहता ह यह रस कान म आय तो कान क रोग होत ह आदमी बहरा हो जाता ह यह रस आखो की तरफ जाय तो आखो का तज कम हो जाता ह चम की ज रत पड़ती ह तथा अनय रोग होत ह यह रस गल की ओर जाय तो गल क रोग होत ह

िनयमपवरक जलनित करन स यह िवषला पदाथर बाहर िनकल जाता ह आखो की रोशनी बढ़ती ह चम की ज रत नही पड़ती चमा हो भी तो धीर-धीर नमबर कम होत-होत छट जाता भी जाता ह ासोचछोवास का मागर साफ हो जाता ह मिःतक म ताजगी रहती ह जकाम-सद होन क अवसर कम हो जात ह जलनित की िबया करन

स दमा टीबी खासी नकसीर बहरापन आिद छोटी-मोटी 1500 बीमी रया दर होती ह जलनित करन वाल को बहत लाभ होत ह िच म सननता बनी रहती ह

गजकरणी िविधः करीब दो िलटर पानी गनगना सा गरम कर उसम करीब 20 माम श

नमक घोल द सनधव िमल जाय तो अचछा ह अब पजो क बल बठकर वह पानी िगलास भर-भर क पीत जाय खब िपय अिधकाअिधक िपय पट जब िबलकल भर जाय गल तक आ जाय पानी बाहर िनकालन की कोिशश कर तब दािहन हाथ की दो बड़ी अगिलया मह म डाल कर उलटी कर िपया हआ सब पानी बाहर िनकाल द पट िबलकल हलका हो जाय तब पाच िमनट तक आराम कर

गजकरणी करन क एकाध घणट क बाद कवल पतली िखचड़ी ही भोजन म ल भोजन क बाद तीन घणट तक पानी न िपय सोय नही ठणड पानी स ःनान कर तीन घणट क बाद ारमभ म थोड़ा गरम पानी िपय

लाभः गजकरणी स एिसडीटी क रोगी को अदभत लाभ होता ह ऐस रोगी को चार-पाच िदन म एक बार गजकरणी चािहए ततप ात महीन म एक बार दो महीन म एक बार छः महीन म एक बार भी गजकरणी कर सकत ह

ातःकाल खाली पट तलसी क पाच-सात प चबाकर ऊपर स थोड़ा जल िपय एसीडीटी क रोगी को इसस बहत लाभ होगा

वष परान कबज क रोिगयो को स ाह म एक बार गजकरणी की िबया अवय करनी चािहए उनका आमाशय मिनथसःथान कमजोर हो जान स भोजन हजम होन म गड़बड़ रहती ह गजकरणी करन स इसम लाभ होता ह फोड़ फनसी िसर म गम सद बखार खासी दमा टीबी वात-िप -कफ क दोष िज ा क रोग गल क रोग छाती क रोग छाती का ददर एव मदाि न म गजकरणी िबया लाभकारक ह

शरीर शोधन-कायाकलप

यह चालीस िदन का कलप ह प यपाद आसारामजी बाप न यह योग िकया हआ ह इसस शरीर सडौल ःवःथ और फत ला बनता ह र म नय-नय कण बनत ह शरीर क कोषो की शि बढ़ती ह मन-बि म चमतका रक लाभ होत ह

िविधः अगल िदन पपीता सव आिद फल उिचत माऽा म ल अथवा मन का 50 माम दस घणट पहल िभगो द उनको उबालकर बीज िनकाल द मन का खा ल और पानी पी ल

ातःकाल उठकर सकलप कर िक इस कलप क दौरान िनि त िकय हए कायरबम क अनसार ही रहगा

शौच-ःनानािद िनतयकमर स िनव होकर सबह 8 बज 200 या 250 माम गाय का उबला हआ गनगना दध िपय पौन घणटा पणर आराम कर बाद म िफर स दध िपय शारी रक ौम कम स कम कर ॐ सोsह हसः इस मऽ का मानिसक जप कर कभी ास को िनहार बस साकषीभाव

मनोरा य चलता हो तो ॐ जोर-जोर स जप कर

इस कार शाम तक िजतना दध हजम कर सक उतना दध दो स तीन िलटर िपय 40 िदन तक कवल द धाहार क बाद 41व िदन मग का उबला हआ पानी मोसममी का रस आिद ल रािऽ को अिधक मगवाली हलकी िखचड़ी खाय इस कार शरीर-शोधन-कायाकलप की पणारहित कर

यिद बि तीकषण बनानी हो ःमरणशि बढ़ानी हो तो कलप क दौरान ॐ ऐ नमः इस मऽ का जप कर सयर को अ यर द

इस कलप म दध क िसवाय अनय कोई खराक लना मना ह चाय तमबाक आिद यसन िनिष ह ि यो क सग स दर रहना तथा चयर का पालन अतयनत आवयक ह

कलजग नही करजग ह यह

कलजग नही करजग ह यह यहा िदन को द अ रात ल

या खब सौदा नकद ह इस हाथ द उस हाथ ल टक

दिनया अजब बाज़ार ह कछ िजनस1 या िक साथ ल

नकी का बदला नक ह बद स बदी की बात ल

मवा िखला मवा िमल फल फल द फल पात ल

आराम द आराम ल दःख ददर द आफत2 ल 1

काटा िकसी को मत लगा गो िमःल-गल3 फला ह त

वह तर हक4 म तीर ह िकस बात पर झला ह त

मत आग म डाल और को या घास का पला ह त

सन ऱख यह नकता5 बखबर िकस बात पर भला ह त

कलजग नही 2

शोखी शरारत मकरो-फन6 सबका बसखा7 ह यहा

जो जो िदखाया और को वह खद भी दखा ह यहा

खोटी खरी जो कछ कही ितसका परखा8 ह यहा

जो जो पड़ा तलता ह मोल ितल ितल का लखा ह यहा

कलजग नही 3

जो और की बःती9 रख उसका भी बसता ह परा

जो और क मार छरी उसको भी लगता ह छरा

जो और की तोड़ घड़ी उसका भी टट ह घड़ा

जो और की चत10 बदी उसका भी होता ह बरा

कलजग नही 4

जो और को फल दवगा वह भी सदा फल पावगा

गह स गह जौ स जौ चावल स चावल पावगा

जो आज दवगा यहा वसा ही वह कल पावगा

कल दवगा कल पावगा िफर दवगा िफर पावगा

कलजग नही 5

जो चाह ल चल इस घड़ी सब िजनस यहा तयार ह

आराम म आराम ह आजार म आजार11 ह

दिनया न जान इसको िमया दरया की यह मझधार ह

औरो का बड़ा पार कर तरा भी बड़ा पार ह

कलजग नही 6

त और की तारीफ कर तझको सना वानी12 िमल

कर मिकल आसा औरो की तझको भी आसानी िमल

त और को महमान कर तझको भी महमानी िमल

रोटी िखला रोटी िमल पानी िपला पानी िमल

कलजग नही 7

जो गल13 िखलाव और का उसका ही गल िखलता भी ह

जो और का कील14 ह मह उसका ही मह िकलता भी ह

जो और का छील िजगर उसका िजगर िछलता भी ह

जो और को दव कपट उसको कपट िमलता भी ह

कलजग नही 8

कर जो कछ करना ह अब यह दम तो कोई आन15 ह

नकसान म नकसान ह एहसान म एहसान ह

तोहमत म यहा तोहमत िमल तफान म तफान ह

रहमान16 को रहमान17 ह शतान को शतान ह

कलजग नही 9

यहा जहर द तो जहर ल श कर म श कर दख ल

नको का नकी का मजा मजी18 को ट कर दख ल

मोती िदय मोती िमल पतथर म पतथर दख ल

गर तझको यह बावर19 नही तो त भी करक दख ल

कलजग नही 10

अपन नफ क वाःत मत और का नकसान कर

तरा भी नकसा होवगा इस बात पर त धयान कर

खाना जो खा सो दखकर पानी िपय तो छानकर

या पावो को रख फककर और खोफ स गजरान कर

कलजग नही 11

गफलत की यह जगह नही त सािहब-इदराक20 रह

िदलशाद21 ऱख िदल शाह रह गमनाक रख गमनाक रह

हर हाल म भी त नजीर22 अब हर कदम की रह

यह वह मका ह ओ िमया या पाक23 रह बबाक24 रह

कलजग नही 12

1 वःत 2 मसीबत 3 पप की तरह 4 तर िलय 5 रहःय 6 दगा-धोखा 7 घर 8 परखना 9 नगरी 10 िवचार कर 11 दःख 12 तारीफ-ःतित 13 फल 14 िकसी को बोलन न दना 15 घड़ी पल 16 दयावान 17 दयाल भगवान 18 सतान वाला 19 िव ास 20 तीो ा तज समझन वाला प ष 21 सननिच 22 किव का नाम ह 23 श पिवऽ 24 िनडर

  • आधयातमिक विदया क उदगाता
  • सवासथय क लिए मतर
  • परासताविक
  • बरहमचरय-रकषा का मनतर
  • आसनो की परकिया म आन वाल कछ शबदो की समझ
  • आवशयक निरदश
  • योगासन
    • पदमासन या कमलासन
    • सिदधासन
    • सरवागासन
    • हलासन
    • पवनमकतासन
    • मतसयासन
    • भजगासन
    • धनरासन
    • चकरासन
    • कटिपिणडमरदनासन
    • अरधमतसयनदरासन
    • योगमदरासन
    • गोरकषासन या भदरासन
    • मयरासन
    • वजरासन
    • सपतवजरासन
    • शवासन
    • पादपशचिमोततानासन
      • तरिबनध
        • मलबनध
        • उडडीयान बनध
        • जालनधरबनध
          • कवली कमभक
          • जलनति
          • गजकरणी
          • शरीर शोधन-कायाकलप
          • कलजग नही करजग ह यह
Page 32: अनुबम - || Home || HariOmGroup · िस होता है। िवशु नाड़ीतंऽ वालेयोगी के िवशु शरीर में

होन स सारी थकान उतर जाती ह नाड़ीतऽ को बल िमलता ह मानिसक शि म वि होती ह

र का दबाव कम करन क िलए नाड़ीतऽ की दबरलता एव उसक कारण होन वाल रोगो को दर करन क िलय शवासन खब उपयोगी ह

पादपि मो ानासन

यह आसन करना किठन ह इसस उमासन कहा जाता ह उम का अथर ह िशव भगवान िशव सहारक ार ह अतः उम या भयकर ह िशवसिहता म भगवान िशव न म कणठ स शसा करत हए कहा हः यह आसन सवरौ आसन ह इसको य पवरक ग रख िसफर अिधका रयो को ही इसका रहःय बताय

धयान मिणपर चब म ास थम िःथित म परक और दसरी िःथित म रचक और िफर बिहकर मभक

िविधः िबछ हए आसन पर बठ जाय दोनो परो को लमब फला द दोनो परो की जघा घटन पज परःपर िमल रह और जमीन क साथ लग रह परो की अगलया घटनो की तरफ झकी हई रह अब दोनो हाथ लमब कर दािहन हाथ की तजरनी और अगठ स दािहन पर का अगठा और बाय हाथ की तजरनी और अगठ स बाय पर का अगठा पकड़ अब रचक करत-करत नीच झक और िसर को दोनो घटनो क मधय म रख ललाट घटन को ःपशर कर और घटन ज़मीन स लग रह रचक परा होन पर कमभक कर ि एव िच वि को मिणपर चब म ःथािपत कर ारमभ म आधा िमनट करक बमशः 15 िमनट तक यह आसन करन का अ यास बढ़ाना चािहय थम दो-चार िदन किठन लगगा लिकन अ यास हो जान पर यह आसन सरल हो जाएगा

लाभः पादपि मो नासन म समयक अ यास स सषमना का मख खल जाता ह और ाण म दणड क मागर म गमन करता ह फलतः िबनद को जीत सकत ह िबनद को जीत िबना न समािध िस होती ह न वाय िःथर होता ह न िच शात होता ह

जो ी-प ष काम िवकार स अतयत पीिड़त हो उनह इस आसन का अ यास करना चािहए इसस शारी रक िवकार दब जात ह उदर छाती और म दणड को उ म कसरत िमलती ह अतः व अिधक कायरकषम बनत ह हाथ पर तथा अनय अगो क सिनध ःथान मजबत बनत ह शरीर क सब तऽ बराबर कायरशील होत ह रोग माऽ का नाश होकर ःवाःथय़ का साा य ःथािपत होता ह

इस आसन क अ यास स मनदाि न मलावरोध अजीणर उदररोग किमिवकार सद वातिवकार कमर का ददर िहचकी कोढ़ मऽरोग मधमह पर क रोग ःवपनदोष वीयरिवकार र िवकार एपनडीसाइिटस अणडवि पाणडरोग अिनिा दमा ख टी डकार आना ानतनत की दबरलता बवासीर नल की सजन गभारशय क रोग अिनयिमत तथा क दायक मािसक बनधयतव दर नपसकता र िप िसरोवदना बौनापन आिद अनक रोग दर होत ह पट पत ला बनता ह जठराि न दी होती ह कफ और चरबी न होत ह

िशवसिहता म कहा ह िक इस आसन स वाय ीपन होता ह और वह मतय का नाश करता ह इस आसन स शरीर का कद बढ़ता ह शरीर म अिधक ःथलता हो तो कम होती ह दबरलता हो तो वह दर होकर शरीर सामानय तनद ःत अवःथा म आ जाता ह नाडी सःथान म िःथरता आती ह मानिसक शाित ा होती ह िचनता एव उ जना शात करन क िलए यह आसन उ म ह पीठ और म दणड पर िखचाव आन स दोनो िवकिसत होत ह फलतः शरीर क तमाम अवयवो पर अिधकार ःथािपत होता ह सब आसनो म यह आसन सवर धान ह इसक अ यास स कायाकलप (प रवतरन) हो जाता ह

यह आसन भगवान िशव को बहत पयारा ह उनकी आ ा स योगी गोरखनाथ न लोककलयाण हत इसका चार िकया ह आप इस आसन क अदभत लाभो स लाभािनवत हो और दसरो को भी िसखाय

पादपि मो ानासन प यपाद आसारामजी बाप को भी बहत पयारा ह उसस प यौी को बहत लाभ हए ह अभी भी यह आसन उनक आरो यिनिध का रकषक बना हआ ह

पाठक भाइयो आप अवय इस आसन का लाभ लना ारमभ क चार-पाच िदन जरा किठन लगगा बाद म तो यह आसन आपका िशवजी क वरदान प आरो य कवच िस हए िबना नही रहगा

िऽबनध

मलबनध

शौच ःनानािद स िनव होकर आसन पर बठ जाय बायी एड़ी क ारा सीवन या योिन को दबाय दािहनी एड़ी सीवन पर रख गदा ार को िसकोड़कर भीतर की ओर ऊपर खीच यह मलबनध कहा जाता ह

लाभः मलबनध क अ यास स मतय को जीत सकत ह शरीर म नयी ताजगी आती ह िबगड़त हए ःवाःथय की रकषा होती ह चयर का पालन करन म मलबनध सहायक िस होता ह वीयर को प करता ह कबज को न करता ह जठराि न तज होती ह मलबनध स िचरयौवन ा होता ह बाल सफद होन स कत ह

अपानवाय ऊधवरगित पाकर ाणवाय क सषमना म िव होता ह सहॐारचब म िच वि िःथर बनती ह इसस िशवपद का आननद िमलता ह सवर कार की िद य िवभितया और ऐ यर ा होत ह अनाहत नाद सनन को िमलता ह ाण अपान नाद और िबनद एकिऽत होन स योग म पणरता ा होती ह

उडडीयान बनध

आसन पर बठकर परा ास बाहर िनकाल द समपणरतया रचक कर पट को भीतर िसकोड़कर ऊपर की ओर खीच नािभ तथा आत पीठ की तरफ दबाय शरीर को थोड़ा सा आग की तरफ झकाय यह ह उडडीयानबनध

लाभः इसक अ यास स िचरयौवन ा होता ह मतय पर जय ा होती ह चयर क पालन म खब सहायता िमलती ह ःवाःथय सनदर बनता ह कायरशि म वि होती ह नयोिल और उडडीयानबनध जब एक साथ िकय जात ह तब कबज दम दबाकर भाग खड़ा होता ह पट क तमाम अवयवो की मािलश हो जाती ह पट की अनावयक चरबी उतर जाती ह

जालनधरबनध

आसन पर बठकर परक करक कमभक कर और ठोड़ी को छाती क साथ दबाय इसको जालनधरबनध कहत ह

लाभः जालनधरबनध क अ यास स ाण का सचरण ठीक स होता ह इड़ा और िपगला नाड़ी बनद होकर ाण-अपान सषमना म िव होत ह नािभ स अमत कट होता ह िजसका पान जठराि न करता ह योगी इसक ारा अमरता ा करता ह

प ासन पर बठ जाय परा ास बाहर िनकाल कर मलबनध उडडीयानबनध कर िफर खब परक करक मलबनध उडडीयानबनध और जालनधरबनध य तीनो बनध एक साथ कर आख बनद रख मन म णव (ॐ) का अथर क साथ जप कर

इस कार ाणायाम सिहत तीनो बनध का एक साथ अ यास करन स बहत लाभ होता ह और ायः चमतका रक प रणाम आता ह कवल तीन ही िदन क समयक अ यास स जीवन म बािनत का अनभव होन लगता ह कछ समय क अ यास स कवल या कवली कमभक ःवय कट होता ह

कवली कमभक

कवल या कवली कमभक का अथर ह रचक-परक िबना ही ाण का िःथर हो जाना िजसको कवली कमभक िस होता ह उस योगी क िलए तीनो लोक म कछ भी दलरभ नही रहता कणडिलनी जागत होती ह शरीर पतला हो जाता ह मख सनन रहता ह नऽ मलरिहत होत ह सवर रोग दर हो जात ह िबनद पर िवजय होती ह जठराि न विलत होती ह

कवली कमभक िस िकय हए योगी की अपनी सवर मनोकामनाय पणर होती ह इतना ही नही उसका पजन करक ौ ावान लोग भी अपनी मनोकामनाय पणर करन लगत ह

जो साधक पणर एकामता स िऽबनध सिहत ाणायाम क अ यास ारा कवली कमभक का प षाथर िस करता ह उसक भा य का तो पछना ही या उसकी यापकता

बढ़ जाती ह अनतर म महानता का अनभव होता ह काम बोध लोभ मोह मद और मतसर इन छः शऽओ पर िवजय ा होती ह कवली कमभक की मिहमा अपार ह

जलनित

िविधः एक िलटर पानी को गनगना सा गरम कर उसम करीब दस माम श नमक डालकर घोल द सनधव िमल जाय तो अचछा सबह म ःनान क बाद यह पानी चौड़ महवाल पाऽ म कटोर म लकर परो पर बठ जाय पाऽ को दोनो हाथो स पकड़ कर नाक क नथन पानी म डबो द अब धीर-धीर नाक क ारा ास क साथ पानी को भीतर खीच और नाक स भीतर आत हए पानी को मह स बाहर िनकालत जाय नाक को पानी म इस कार बराबर डबोय रख िजसस नाक ारा भीतर जानवाल पानी क साथ हवा न वश कर अनयथा आतरस-खासी आयगी

इस कार पाऽ का सब पानी नाक ारा लकर मख ारा बाहर िनकाल द अब पाऽ को रख कर खड़ हो जाय दोनो पर थोड़ खल रह दोनो हाथ कमर पर रखकर ास को जोर स बाहर िनकालत हए आग की ओर िजतना हो सक झक भिॐका क साथ यह िबया बार-बार कर इसस नाक क भीतर का सब पानी बाहर िनकल जायगा थोड़ा बहत रह भी जाय और िदन म कभी भी नाक स बाहर िनकल जाय तो कछ िचनताजनक नही ह

नाक स पानी भीतर खीचन की यह िबया ारमभ म उलझन जसी लगगी लिकन अ यास हो जान पर िबलकल सरल बन जायगा

लाभः मिःतक की ओर स एक कार का िवषला रस नीच की ओर बहता ह यह रस कान म आय तो कान क रोग होत ह आदमी बहरा हो जाता ह यह रस आखो की तरफ जाय तो आखो का तज कम हो जाता ह चम की ज रत पड़ती ह तथा अनय रोग होत ह यह रस गल की ओर जाय तो गल क रोग होत ह

िनयमपवरक जलनित करन स यह िवषला पदाथर बाहर िनकल जाता ह आखो की रोशनी बढ़ती ह चम की ज रत नही पड़ती चमा हो भी तो धीर-धीर नमबर कम होत-होत छट जाता भी जाता ह ासोचछोवास का मागर साफ हो जाता ह मिःतक म ताजगी रहती ह जकाम-सद होन क अवसर कम हो जात ह जलनित की िबया करन

स दमा टीबी खासी नकसीर बहरापन आिद छोटी-मोटी 1500 बीमी रया दर होती ह जलनित करन वाल को बहत लाभ होत ह िच म सननता बनी रहती ह

गजकरणी िविधः करीब दो िलटर पानी गनगना सा गरम कर उसम करीब 20 माम श

नमक घोल द सनधव िमल जाय तो अचछा ह अब पजो क बल बठकर वह पानी िगलास भर-भर क पीत जाय खब िपय अिधकाअिधक िपय पट जब िबलकल भर जाय गल तक आ जाय पानी बाहर िनकालन की कोिशश कर तब दािहन हाथ की दो बड़ी अगिलया मह म डाल कर उलटी कर िपया हआ सब पानी बाहर िनकाल द पट िबलकल हलका हो जाय तब पाच िमनट तक आराम कर

गजकरणी करन क एकाध घणट क बाद कवल पतली िखचड़ी ही भोजन म ल भोजन क बाद तीन घणट तक पानी न िपय सोय नही ठणड पानी स ःनान कर तीन घणट क बाद ारमभ म थोड़ा गरम पानी िपय

लाभः गजकरणी स एिसडीटी क रोगी को अदभत लाभ होता ह ऐस रोगी को चार-पाच िदन म एक बार गजकरणी चािहए ततप ात महीन म एक बार दो महीन म एक बार छः महीन म एक बार भी गजकरणी कर सकत ह

ातःकाल खाली पट तलसी क पाच-सात प चबाकर ऊपर स थोड़ा जल िपय एसीडीटी क रोगी को इसस बहत लाभ होगा

वष परान कबज क रोिगयो को स ाह म एक बार गजकरणी की िबया अवय करनी चािहए उनका आमाशय मिनथसःथान कमजोर हो जान स भोजन हजम होन म गड़बड़ रहती ह गजकरणी करन स इसम लाभ होता ह फोड़ फनसी िसर म गम सद बखार खासी दमा टीबी वात-िप -कफ क दोष िज ा क रोग गल क रोग छाती क रोग छाती का ददर एव मदाि न म गजकरणी िबया लाभकारक ह

शरीर शोधन-कायाकलप

यह चालीस िदन का कलप ह प यपाद आसारामजी बाप न यह योग िकया हआ ह इसस शरीर सडौल ःवःथ और फत ला बनता ह र म नय-नय कण बनत ह शरीर क कोषो की शि बढ़ती ह मन-बि म चमतका रक लाभ होत ह

िविधः अगल िदन पपीता सव आिद फल उिचत माऽा म ल अथवा मन का 50 माम दस घणट पहल िभगो द उनको उबालकर बीज िनकाल द मन का खा ल और पानी पी ल

ातःकाल उठकर सकलप कर िक इस कलप क दौरान िनि त िकय हए कायरबम क अनसार ही रहगा

शौच-ःनानािद िनतयकमर स िनव होकर सबह 8 बज 200 या 250 माम गाय का उबला हआ गनगना दध िपय पौन घणटा पणर आराम कर बाद म िफर स दध िपय शारी रक ौम कम स कम कर ॐ सोsह हसः इस मऽ का मानिसक जप कर कभी ास को िनहार बस साकषीभाव

मनोरा य चलता हो तो ॐ जोर-जोर स जप कर

इस कार शाम तक िजतना दध हजम कर सक उतना दध दो स तीन िलटर िपय 40 िदन तक कवल द धाहार क बाद 41व िदन मग का उबला हआ पानी मोसममी का रस आिद ल रािऽ को अिधक मगवाली हलकी िखचड़ी खाय इस कार शरीर-शोधन-कायाकलप की पणारहित कर

यिद बि तीकषण बनानी हो ःमरणशि बढ़ानी हो तो कलप क दौरान ॐ ऐ नमः इस मऽ का जप कर सयर को अ यर द

इस कलप म दध क िसवाय अनय कोई खराक लना मना ह चाय तमबाक आिद यसन िनिष ह ि यो क सग स दर रहना तथा चयर का पालन अतयनत आवयक ह

कलजग नही करजग ह यह

कलजग नही करजग ह यह यहा िदन को द अ रात ल

या खब सौदा नकद ह इस हाथ द उस हाथ ल टक

दिनया अजब बाज़ार ह कछ िजनस1 या िक साथ ल

नकी का बदला नक ह बद स बदी की बात ल

मवा िखला मवा िमल फल फल द फल पात ल

आराम द आराम ल दःख ददर द आफत2 ल 1

काटा िकसी को मत लगा गो िमःल-गल3 फला ह त

वह तर हक4 म तीर ह िकस बात पर झला ह त

मत आग म डाल और को या घास का पला ह त

सन ऱख यह नकता5 बखबर िकस बात पर भला ह त

कलजग नही 2

शोखी शरारत मकरो-फन6 सबका बसखा7 ह यहा

जो जो िदखाया और को वह खद भी दखा ह यहा

खोटी खरी जो कछ कही ितसका परखा8 ह यहा

जो जो पड़ा तलता ह मोल ितल ितल का लखा ह यहा

कलजग नही 3

जो और की बःती9 रख उसका भी बसता ह परा

जो और क मार छरी उसको भी लगता ह छरा

जो और की तोड़ घड़ी उसका भी टट ह घड़ा

जो और की चत10 बदी उसका भी होता ह बरा

कलजग नही 4

जो और को फल दवगा वह भी सदा फल पावगा

गह स गह जौ स जौ चावल स चावल पावगा

जो आज दवगा यहा वसा ही वह कल पावगा

कल दवगा कल पावगा िफर दवगा िफर पावगा

कलजग नही 5

जो चाह ल चल इस घड़ी सब िजनस यहा तयार ह

आराम म आराम ह आजार म आजार11 ह

दिनया न जान इसको िमया दरया की यह मझधार ह

औरो का बड़ा पार कर तरा भी बड़ा पार ह

कलजग नही 6

त और की तारीफ कर तझको सना वानी12 िमल

कर मिकल आसा औरो की तझको भी आसानी िमल

त और को महमान कर तझको भी महमानी िमल

रोटी िखला रोटी िमल पानी िपला पानी िमल

कलजग नही 7

जो गल13 िखलाव और का उसका ही गल िखलता भी ह

जो और का कील14 ह मह उसका ही मह िकलता भी ह

जो और का छील िजगर उसका िजगर िछलता भी ह

जो और को दव कपट उसको कपट िमलता भी ह

कलजग नही 8

कर जो कछ करना ह अब यह दम तो कोई आन15 ह

नकसान म नकसान ह एहसान म एहसान ह

तोहमत म यहा तोहमत िमल तफान म तफान ह

रहमान16 को रहमान17 ह शतान को शतान ह

कलजग नही 9

यहा जहर द तो जहर ल श कर म श कर दख ल

नको का नकी का मजा मजी18 को ट कर दख ल

मोती िदय मोती िमल पतथर म पतथर दख ल

गर तझको यह बावर19 नही तो त भी करक दख ल

कलजग नही 10

अपन नफ क वाःत मत और का नकसान कर

तरा भी नकसा होवगा इस बात पर त धयान कर

खाना जो खा सो दखकर पानी िपय तो छानकर

या पावो को रख फककर और खोफ स गजरान कर

कलजग नही 11

गफलत की यह जगह नही त सािहब-इदराक20 रह

िदलशाद21 ऱख िदल शाह रह गमनाक रख गमनाक रह

हर हाल म भी त नजीर22 अब हर कदम की रह

यह वह मका ह ओ िमया या पाक23 रह बबाक24 रह

कलजग नही 12

1 वःत 2 मसीबत 3 पप की तरह 4 तर िलय 5 रहःय 6 दगा-धोखा 7 घर 8 परखना 9 नगरी 10 िवचार कर 11 दःख 12 तारीफ-ःतित 13 फल 14 िकसी को बोलन न दना 15 घड़ी पल 16 दयावान 17 दयाल भगवान 18 सतान वाला 19 िव ास 20 तीो ा तज समझन वाला प ष 21 सननिच 22 किव का नाम ह 23 श पिवऽ 24 िनडर

  • आधयातमिक विदया क उदगाता
  • सवासथय क लिए मतर
  • परासताविक
  • बरहमचरय-रकषा का मनतर
  • आसनो की परकिया म आन वाल कछ शबदो की समझ
  • आवशयक निरदश
  • योगासन
    • पदमासन या कमलासन
    • सिदधासन
    • सरवागासन
    • हलासन
    • पवनमकतासन
    • मतसयासन
    • भजगासन
    • धनरासन
    • चकरासन
    • कटिपिणडमरदनासन
    • अरधमतसयनदरासन
    • योगमदरासन
    • गोरकषासन या भदरासन
    • मयरासन
    • वजरासन
    • सपतवजरासन
    • शवासन
    • पादपशचिमोततानासन
      • तरिबनध
        • मलबनध
        • उडडीयान बनध
        • जालनधरबनध
          • कवली कमभक
          • जलनति
          • गजकरणी
          • शरीर शोधन-कायाकलप
          • कलजग नही करजग ह यह
Page 33: अनुबम - || Home || HariOmGroup · िस होता है। िवशु नाड़ीतंऽ वालेयोगी के िवशु शरीर में

लाभः पादपि मो नासन म समयक अ यास स सषमना का मख खल जाता ह और ाण म दणड क मागर म गमन करता ह फलतः िबनद को जीत सकत ह िबनद को जीत िबना न समािध िस होती ह न वाय िःथर होता ह न िच शात होता ह

जो ी-प ष काम िवकार स अतयत पीिड़त हो उनह इस आसन का अ यास करना चािहए इसस शारी रक िवकार दब जात ह उदर छाती और म दणड को उ म कसरत िमलती ह अतः व अिधक कायरकषम बनत ह हाथ पर तथा अनय अगो क सिनध ःथान मजबत बनत ह शरीर क सब तऽ बराबर कायरशील होत ह रोग माऽ का नाश होकर ःवाःथय़ का साा य ःथािपत होता ह

इस आसन क अ यास स मनदाि न मलावरोध अजीणर उदररोग किमिवकार सद वातिवकार कमर का ददर िहचकी कोढ़ मऽरोग मधमह पर क रोग ःवपनदोष वीयरिवकार र िवकार एपनडीसाइिटस अणडवि पाणडरोग अिनिा दमा ख टी डकार आना ानतनत की दबरलता बवासीर नल की सजन गभारशय क रोग अिनयिमत तथा क दायक मािसक बनधयतव दर नपसकता र िप िसरोवदना बौनापन आिद अनक रोग दर होत ह पट पत ला बनता ह जठराि न दी होती ह कफ और चरबी न होत ह

िशवसिहता म कहा ह िक इस आसन स वाय ीपन होता ह और वह मतय का नाश करता ह इस आसन स शरीर का कद बढ़ता ह शरीर म अिधक ःथलता हो तो कम होती ह दबरलता हो तो वह दर होकर शरीर सामानय तनद ःत अवःथा म आ जाता ह नाडी सःथान म िःथरता आती ह मानिसक शाित ा होती ह िचनता एव उ जना शात करन क िलए यह आसन उ म ह पीठ और म दणड पर िखचाव आन स दोनो िवकिसत होत ह फलतः शरीर क तमाम अवयवो पर अिधकार ःथािपत होता ह सब आसनो म यह आसन सवर धान ह इसक अ यास स कायाकलप (प रवतरन) हो जाता ह

यह आसन भगवान िशव को बहत पयारा ह उनकी आ ा स योगी गोरखनाथ न लोककलयाण हत इसका चार िकया ह आप इस आसन क अदभत लाभो स लाभािनवत हो और दसरो को भी िसखाय

पादपि मो ानासन प यपाद आसारामजी बाप को भी बहत पयारा ह उसस प यौी को बहत लाभ हए ह अभी भी यह आसन उनक आरो यिनिध का रकषक बना हआ ह

पाठक भाइयो आप अवय इस आसन का लाभ लना ारमभ क चार-पाच िदन जरा किठन लगगा बाद म तो यह आसन आपका िशवजी क वरदान प आरो य कवच िस हए िबना नही रहगा

िऽबनध

मलबनध

शौच ःनानािद स िनव होकर आसन पर बठ जाय बायी एड़ी क ारा सीवन या योिन को दबाय दािहनी एड़ी सीवन पर रख गदा ार को िसकोड़कर भीतर की ओर ऊपर खीच यह मलबनध कहा जाता ह

लाभः मलबनध क अ यास स मतय को जीत सकत ह शरीर म नयी ताजगी आती ह िबगड़त हए ःवाःथय की रकषा होती ह चयर का पालन करन म मलबनध सहायक िस होता ह वीयर को प करता ह कबज को न करता ह जठराि न तज होती ह मलबनध स िचरयौवन ा होता ह बाल सफद होन स कत ह

अपानवाय ऊधवरगित पाकर ाणवाय क सषमना म िव होता ह सहॐारचब म िच वि िःथर बनती ह इसस िशवपद का आननद िमलता ह सवर कार की िद य िवभितया और ऐ यर ा होत ह अनाहत नाद सनन को िमलता ह ाण अपान नाद और िबनद एकिऽत होन स योग म पणरता ा होती ह

उडडीयान बनध

आसन पर बठकर परा ास बाहर िनकाल द समपणरतया रचक कर पट को भीतर िसकोड़कर ऊपर की ओर खीच नािभ तथा आत पीठ की तरफ दबाय शरीर को थोड़ा सा आग की तरफ झकाय यह ह उडडीयानबनध

लाभः इसक अ यास स िचरयौवन ा होता ह मतय पर जय ा होती ह चयर क पालन म खब सहायता िमलती ह ःवाःथय सनदर बनता ह कायरशि म वि होती ह नयोिल और उडडीयानबनध जब एक साथ िकय जात ह तब कबज दम दबाकर भाग खड़ा होता ह पट क तमाम अवयवो की मािलश हो जाती ह पट की अनावयक चरबी उतर जाती ह

जालनधरबनध

आसन पर बठकर परक करक कमभक कर और ठोड़ी को छाती क साथ दबाय इसको जालनधरबनध कहत ह

लाभः जालनधरबनध क अ यास स ाण का सचरण ठीक स होता ह इड़ा और िपगला नाड़ी बनद होकर ाण-अपान सषमना म िव होत ह नािभ स अमत कट होता ह िजसका पान जठराि न करता ह योगी इसक ारा अमरता ा करता ह

प ासन पर बठ जाय परा ास बाहर िनकाल कर मलबनध उडडीयानबनध कर िफर खब परक करक मलबनध उडडीयानबनध और जालनधरबनध य तीनो बनध एक साथ कर आख बनद रख मन म णव (ॐ) का अथर क साथ जप कर

इस कार ाणायाम सिहत तीनो बनध का एक साथ अ यास करन स बहत लाभ होता ह और ायः चमतका रक प रणाम आता ह कवल तीन ही िदन क समयक अ यास स जीवन म बािनत का अनभव होन लगता ह कछ समय क अ यास स कवल या कवली कमभक ःवय कट होता ह

कवली कमभक

कवल या कवली कमभक का अथर ह रचक-परक िबना ही ाण का िःथर हो जाना िजसको कवली कमभक िस होता ह उस योगी क िलए तीनो लोक म कछ भी दलरभ नही रहता कणडिलनी जागत होती ह शरीर पतला हो जाता ह मख सनन रहता ह नऽ मलरिहत होत ह सवर रोग दर हो जात ह िबनद पर िवजय होती ह जठराि न विलत होती ह

कवली कमभक िस िकय हए योगी की अपनी सवर मनोकामनाय पणर होती ह इतना ही नही उसका पजन करक ौ ावान लोग भी अपनी मनोकामनाय पणर करन लगत ह

जो साधक पणर एकामता स िऽबनध सिहत ाणायाम क अ यास ारा कवली कमभक का प षाथर िस करता ह उसक भा य का तो पछना ही या उसकी यापकता

बढ़ जाती ह अनतर म महानता का अनभव होता ह काम बोध लोभ मोह मद और मतसर इन छः शऽओ पर िवजय ा होती ह कवली कमभक की मिहमा अपार ह

जलनित

िविधः एक िलटर पानी को गनगना सा गरम कर उसम करीब दस माम श नमक डालकर घोल द सनधव िमल जाय तो अचछा सबह म ःनान क बाद यह पानी चौड़ महवाल पाऽ म कटोर म लकर परो पर बठ जाय पाऽ को दोनो हाथो स पकड़ कर नाक क नथन पानी म डबो द अब धीर-धीर नाक क ारा ास क साथ पानी को भीतर खीच और नाक स भीतर आत हए पानी को मह स बाहर िनकालत जाय नाक को पानी म इस कार बराबर डबोय रख िजसस नाक ारा भीतर जानवाल पानी क साथ हवा न वश कर अनयथा आतरस-खासी आयगी

इस कार पाऽ का सब पानी नाक ारा लकर मख ारा बाहर िनकाल द अब पाऽ को रख कर खड़ हो जाय दोनो पर थोड़ खल रह दोनो हाथ कमर पर रखकर ास को जोर स बाहर िनकालत हए आग की ओर िजतना हो सक झक भिॐका क साथ यह िबया बार-बार कर इसस नाक क भीतर का सब पानी बाहर िनकल जायगा थोड़ा बहत रह भी जाय और िदन म कभी भी नाक स बाहर िनकल जाय तो कछ िचनताजनक नही ह

नाक स पानी भीतर खीचन की यह िबया ारमभ म उलझन जसी लगगी लिकन अ यास हो जान पर िबलकल सरल बन जायगा

लाभः मिःतक की ओर स एक कार का िवषला रस नीच की ओर बहता ह यह रस कान म आय तो कान क रोग होत ह आदमी बहरा हो जाता ह यह रस आखो की तरफ जाय तो आखो का तज कम हो जाता ह चम की ज रत पड़ती ह तथा अनय रोग होत ह यह रस गल की ओर जाय तो गल क रोग होत ह

िनयमपवरक जलनित करन स यह िवषला पदाथर बाहर िनकल जाता ह आखो की रोशनी बढ़ती ह चम की ज रत नही पड़ती चमा हो भी तो धीर-धीर नमबर कम होत-होत छट जाता भी जाता ह ासोचछोवास का मागर साफ हो जाता ह मिःतक म ताजगी रहती ह जकाम-सद होन क अवसर कम हो जात ह जलनित की िबया करन

स दमा टीबी खासी नकसीर बहरापन आिद छोटी-मोटी 1500 बीमी रया दर होती ह जलनित करन वाल को बहत लाभ होत ह िच म सननता बनी रहती ह

गजकरणी िविधः करीब दो िलटर पानी गनगना सा गरम कर उसम करीब 20 माम श

नमक घोल द सनधव िमल जाय तो अचछा ह अब पजो क बल बठकर वह पानी िगलास भर-भर क पीत जाय खब िपय अिधकाअिधक िपय पट जब िबलकल भर जाय गल तक आ जाय पानी बाहर िनकालन की कोिशश कर तब दािहन हाथ की दो बड़ी अगिलया मह म डाल कर उलटी कर िपया हआ सब पानी बाहर िनकाल द पट िबलकल हलका हो जाय तब पाच िमनट तक आराम कर

गजकरणी करन क एकाध घणट क बाद कवल पतली िखचड़ी ही भोजन म ल भोजन क बाद तीन घणट तक पानी न िपय सोय नही ठणड पानी स ःनान कर तीन घणट क बाद ारमभ म थोड़ा गरम पानी िपय

लाभः गजकरणी स एिसडीटी क रोगी को अदभत लाभ होता ह ऐस रोगी को चार-पाच िदन म एक बार गजकरणी चािहए ततप ात महीन म एक बार दो महीन म एक बार छः महीन म एक बार भी गजकरणी कर सकत ह

ातःकाल खाली पट तलसी क पाच-सात प चबाकर ऊपर स थोड़ा जल िपय एसीडीटी क रोगी को इसस बहत लाभ होगा

वष परान कबज क रोिगयो को स ाह म एक बार गजकरणी की िबया अवय करनी चािहए उनका आमाशय मिनथसःथान कमजोर हो जान स भोजन हजम होन म गड़बड़ रहती ह गजकरणी करन स इसम लाभ होता ह फोड़ फनसी िसर म गम सद बखार खासी दमा टीबी वात-िप -कफ क दोष िज ा क रोग गल क रोग छाती क रोग छाती का ददर एव मदाि न म गजकरणी िबया लाभकारक ह

शरीर शोधन-कायाकलप

यह चालीस िदन का कलप ह प यपाद आसारामजी बाप न यह योग िकया हआ ह इसस शरीर सडौल ःवःथ और फत ला बनता ह र म नय-नय कण बनत ह शरीर क कोषो की शि बढ़ती ह मन-बि म चमतका रक लाभ होत ह

िविधः अगल िदन पपीता सव आिद फल उिचत माऽा म ल अथवा मन का 50 माम दस घणट पहल िभगो द उनको उबालकर बीज िनकाल द मन का खा ल और पानी पी ल

ातःकाल उठकर सकलप कर िक इस कलप क दौरान िनि त िकय हए कायरबम क अनसार ही रहगा

शौच-ःनानािद िनतयकमर स िनव होकर सबह 8 बज 200 या 250 माम गाय का उबला हआ गनगना दध िपय पौन घणटा पणर आराम कर बाद म िफर स दध िपय शारी रक ौम कम स कम कर ॐ सोsह हसः इस मऽ का मानिसक जप कर कभी ास को िनहार बस साकषीभाव

मनोरा य चलता हो तो ॐ जोर-जोर स जप कर

इस कार शाम तक िजतना दध हजम कर सक उतना दध दो स तीन िलटर िपय 40 िदन तक कवल द धाहार क बाद 41व िदन मग का उबला हआ पानी मोसममी का रस आिद ल रािऽ को अिधक मगवाली हलकी िखचड़ी खाय इस कार शरीर-शोधन-कायाकलप की पणारहित कर

यिद बि तीकषण बनानी हो ःमरणशि बढ़ानी हो तो कलप क दौरान ॐ ऐ नमः इस मऽ का जप कर सयर को अ यर द

इस कलप म दध क िसवाय अनय कोई खराक लना मना ह चाय तमबाक आिद यसन िनिष ह ि यो क सग स दर रहना तथा चयर का पालन अतयनत आवयक ह

कलजग नही करजग ह यह

कलजग नही करजग ह यह यहा िदन को द अ रात ल

या खब सौदा नकद ह इस हाथ द उस हाथ ल टक

दिनया अजब बाज़ार ह कछ िजनस1 या िक साथ ल

नकी का बदला नक ह बद स बदी की बात ल

मवा िखला मवा िमल फल फल द फल पात ल

आराम द आराम ल दःख ददर द आफत2 ल 1

काटा िकसी को मत लगा गो िमःल-गल3 फला ह त

वह तर हक4 म तीर ह िकस बात पर झला ह त

मत आग म डाल और को या घास का पला ह त

सन ऱख यह नकता5 बखबर िकस बात पर भला ह त

कलजग नही 2

शोखी शरारत मकरो-फन6 सबका बसखा7 ह यहा

जो जो िदखाया और को वह खद भी दखा ह यहा

खोटी खरी जो कछ कही ितसका परखा8 ह यहा

जो जो पड़ा तलता ह मोल ितल ितल का लखा ह यहा

कलजग नही 3

जो और की बःती9 रख उसका भी बसता ह परा

जो और क मार छरी उसको भी लगता ह छरा

जो और की तोड़ घड़ी उसका भी टट ह घड़ा

जो और की चत10 बदी उसका भी होता ह बरा

कलजग नही 4

जो और को फल दवगा वह भी सदा फल पावगा

गह स गह जौ स जौ चावल स चावल पावगा

जो आज दवगा यहा वसा ही वह कल पावगा

कल दवगा कल पावगा िफर दवगा िफर पावगा

कलजग नही 5

जो चाह ल चल इस घड़ी सब िजनस यहा तयार ह

आराम म आराम ह आजार म आजार11 ह

दिनया न जान इसको िमया दरया की यह मझधार ह

औरो का बड़ा पार कर तरा भी बड़ा पार ह

कलजग नही 6

त और की तारीफ कर तझको सना वानी12 िमल

कर मिकल आसा औरो की तझको भी आसानी िमल

त और को महमान कर तझको भी महमानी िमल

रोटी िखला रोटी िमल पानी िपला पानी िमल

कलजग नही 7

जो गल13 िखलाव और का उसका ही गल िखलता भी ह

जो और का कील14 ह मह उसका ही मह िकलता भी ह

जो और का छील िजगर उसका िजगर िछलता भी ह

जो और को दव कपट उसको कपट िमलता भी ह

कलजग नही 8

कर जो कछ करना ह अब यह दम तो कोई आन15 ह

नकसान म नकसान ह एहसान म एहसान ह

तोहमत म यहा तोहमत िमल तफान म तफान ह

रहमान16 को रहमान17 ह शतान को शतान ह

कलजग नही 9

यहा जहर द तो जहर ल श कर म श कर दख ल

नको का नकी का मजा मजी18 को ट कर दख ल

मोती िदय मोती िमल पतथर म पतथर दख ल

गर तझको यह बावर19 नही तो त भी करक दख ल

कलजग नही 10

अपन नफ क वाःत मत और का नकसान कर

तरा भी नकसा होवगा इस बात पर त धयान कर

खाना जो खा सो दखकर पानी िपय तो छानकर

या पावो को रख फककर और खोफ स गजरान कर

कलजग नही 11

गफलत की यह जगह नही त सािहब-इदराक20 रह

िदलशाद21 ऱख िदल शाह रह गमनाक रख गमनाक रह

हर हाल म भी त नजीर22 अब हर कदम की रह

यह वह मका ह ओ िमया या पाक23 रह बबाक24 रह

कलजग नही 12

1 वःत 2 मसीबत 3 पप की तरह 4 तर िलय 5 रहःय 6 दगा-धोखा 7 घर 8 परखना 9 नगरी 10 िवचार कर 11 दःख 12 तारीफ-ःतित 13 फल 14 िकसी को बोलन न दना 15 घड़ी पल 16 दयावान 17 दयाल भगवान 18 सतान वाला 19 िव ास 20 तीो ा तज समझन वाला प ष 21 सननिच 22 किव का नाम ह 23 श पिवऽ 24 िनडर

  • आधयातमिक विदया क उदगाता
  • सवासथय क लिए मतर
  • परासताविक
  • बरहमचरय-रकषा का मनतर
  • आसनो की परकिया म आन वाल कछ शबदो की समझ
  • आवशयक निरदश
  • योगासन
    • पदमासन या कमलासन
    • सिदधासन
    • सरवागासन
    • हलासन
    • पवनमकतासन
    • मतसयासन
    • भजगासन
    • धनरासन
    • चकरासन
    • कटिपिणडमरदनासन
    • अरधमतसयनदरासन
    • योगमदरासन
    • गोरकषासन या भदरासन
    • मयरासन
    • वजरासन
    • सपतवजरासन
    • शवासन
    • पादपशचिमोततानासन
      • तरिबनध
        • मलबनध
        • उडडीयान बनध
        • जालनधरबनध
          • कवली कमभक
          • जलनति
          • गजकरणी
          • शरीर शोधन-कायाकलप
          • कलजग नही करजग ह यह
Page 34: अनुबम - || Home || HariOmGroup · िस होता है। िवशु नाड़ीतंऽ वालेयोगी के िवशु शरीर में

पाठक भाइयो आप अवय इस आसन का लाभ लना ारमभ क चार-पाच िदन जरा किठन लगगा बाद म तो यह आसन आपका िशवजी क वरदान प आरो य कवच िस हए िबना नही रहगा

िऽबनध

मलबनध

शौच ःनानािद स िनव होकर आसन पर बठ जाय बायी एड़ी क ारा सीवन या योिन को दबाय दािहनी एड़ी सीवन पर रख गदा ार को िसकोड़कर भीतर की ओर ऊपर खीच यह मलबनध कहा जाता ह

लाभः मलबनध क अ यास स मतय को जीत सकत ह शरीर म नयी ताजगी आती ह िबगड़त हए ःवाःथय की रकषा होती ह चयर का पालन करन म मलबनध सहायक िस होता ह वीयर को प करता ह कबज को न करता ह जठराि न तज होती ह मलबनध स िचरयौवन ा होता ह बाल सफद होन स कत ह

अपानवाय ऊधवरगित पाकर ाणवाय क सषमना म िव होता ह सहॐारचब म िच वि िःथर बनती ह इसस िशवपद का आननद िमलता ह सवर कार की िद य िवभितया और ऐ यर ा होत ह अनाहत नाद सनन को िमलता ह ाण अपान नाद और िबनद एकिऽत होन स योग म पणरता ा होती ह

उडडीयान बनध

आसन पर बठकर परा ास बाहर िनकाल द समपणरतया रचक कर पट को भीतर िसकोड़कर ऊपर की ओर खीच नािभ तथा आत पीठ की तरफ दबाय शरीर को थोड़ा सा आग की तरफ झकाय यह ह उडडीयानबनध

लाभः इसक अ यास स िचरयौवन ा होता ह मतय पर जय ा होती ह चयर क पालन म खब सहायता िमलती ह ःवाःथय सनदर बनता ह कायरशि म वि होती ह नयोिल और उडडीयानबनध जब एक साथ िकय जात ह तब कबज दम दबाकर भाग खड़ा होता ह पट क तमाम अवयवो की मािलश हो जाती ह पट की अनावयक चरबी उतर जाती ह

जालनधरबनध

आसन पर बठकर परक करक कमभक कर और ठोड़ी को छाती क साथ दबाय इसको जालनधरबनध कहत ह

लाभः जालनधरबनध क अ यास स ाण का सचरण ठीक स होता ह इड़ा और िपगला नाड़ी बनद होकर ाण-अपान सषमना म िव होत ह नािभ स अमत कट होता ह िजसका पान जठराि न करता ह योगी इसक ारा अमरता ा करता ह

प ासन पर बठ जाय परा ास बाहर िनकाल कर मलबनध उडडीयानबनध कर िफर खब परक करक मलबनध उडडीयानबनध और जालनधरबनध य तीनो बनध एक साथ कर आख बनद रख मन म णव (ॐ) का अथर क साथ जप कर

इस कार ाणायाम सिहत तीनो बनध का एक साथ अ यास करन स बहत लाभ होता ह और ायः चमतका रक प रणाम आता ह कवल तीन ही िदन क समयक अ यास स जीवन म बािनत का अनभव होन लगता ह कछ समय क अ यास स कवल या कवली कमभक ःवय कट होता ह

कवली कमभक

कवल या कवली कमभक का अथर ह रचक-परक िबना ही ाण का िःथर हो जाना िजसको कवली कमभक िस होता ह उस योगी क िलए तीनो लोक म कछ भी दलरभ नही रहता कणडिलनी जागत होती ह शरीर पतला हो जाता ह मख सनन रहता ह नऽ मलरिहत होत ह सवर रोग दर हो जात ह िबनद पर िवजय होती ह जठराि न विलत होती ह

कवली कमभक िस िकय हए योगी की अपनी सवर मनोकामनाय पणर होती ह इतना ही नही उसका पजन करक ौ ावान लोग भी अपनी मनोकामनाय पणर करन लगत ह

जो साधक पणर एकामता स िऽबनध सिहत ाणायाम क अ यास ारा कवली कमभक का प षाथर िस करता ह उसक भा य का तो पछना ही या उसकी यापकता

बढ़ जाती ह अनतर म महानता का अनभव होता ह काम बोध लोभ मोह मद और मतसर इन छः शऽओ पर िवजय ा होती ह कवली कमभक की मिहमा अपार ह

जलनित

िविधः एक िलटर पानी को गनगना सा गरम कर उसम करीब दस माम श नमक डालकर घोल द सनधव िमल जाय तो अचछा सबह म ःनान क बाद यह पानी चौड़ महवाल पाऽ म कटोर म लकर परो पर बठ जाय पाऽ को दोनो हाथो स पकड़ कर नाक क नथन पानी म डबो द अब धीर-धीर नाक क ारा ास क साथ पानी को भीतर खीच और नाक स भीतर आत हए पानी को मह स बाहर िनकालत जाय नाक को पानी म इस कार बराबर डबोय रख िजसस नाक ारा भीतर जानवाल पानी क साथ हवा न वश कर अनयथा आतरस-खासी आयगी

इस कार पाऽ का सब पानी नाक ारा लकर मख ारा बाहर िनकाल द अब पाऽ को रख कर खड़ हो जाय दोनो पर थोड़ खल रह दोनो हाथ कमर पर रखकर ास को जोर स बाहर िनकालत हए आग की ओर िजतना हो सक झक भिॐका क साथ यह िबया बार-बार कर इसस नाक क भीतर का सब पानी बाहर िनकल जायगा थोड़ा बहत रह भी जाय और िदन म कभी भी नाक स बाहर िनकल जाय तो कछ िचनताजनक नही ह

नाक स पानी भीतर खीचन की यह िबया ारमभ म उलझन जसी लगगी लिकन अ यास हो जान पर िबलकल सरल बन जायगा

लाभः मिःतक की ओर स एक कार का िवषला रस नीच की ओर बहता ह यह रस कान म आय तो कान क रोग होत ह आदमी बहरा हो जाता ह यह रस आखो की तरफ जाय तो आखो का तज कम हो जाता ह चम की ज रत पड़ती ह तथा अनय रोग होत ह यह रस गल की ओर जाय तो गल क रोग होत ह

िनयमपवरक जलनित करन स यह िवषला पदाथर बाहर िनकल जाता ह आखो की रोशनी बढ़ती ह चम की ज रत नही पड़ती चमा हो भी तो धीर-धीर नमबर कम होत-होत छट जाता भी जाता ह ासोचछोवास का मागर साफ हो जाता ह मिःतक म ताजगी रहती ह जकाम-सद होन क अवसर कम हो जात ह जलनित की िबया करन

स दमा टीबी खासी नकसीर बहरापन आिद छोटी-मोटी 1500 बीमी रया दर होती ह जलनित करन वाल को बहत लाभ होत ह िच म सननता बनी रहती ह

गजकरणी िविधः करीब दो िलटर पानी गनगना सा गरम कर उसम करीब 20 माम श

नमक घोल द सनधव िमल जाय तो अचछा ह अब पजो क बल बठकर वह पानी िगलास भर-भर क पीत जाय खब िपय अिधकाअिधक िपय पट जब िबलकल भर जाय गल तक आ जाय पानी बाहर िनकालन की कोिशश कर तब दािहन हाथ की दो बड़ी अगिलया मह म डाल कर उलटी कर िपया हआ सब पानी बाहर िनकाल द पट िबलकल हलका हो जाय तब पाच िमनट तक आराम कर

गजकरणी करन क एकाध घणट क बाद कवल पतली िखचड़ी ही भोजन म ल भोजन क बाद तीन घणट तक पानी न िपय सोय नही ठणड पानी स ःनान कर तीन घणट क बाद ारमभ म थोड़ा गरम पानी िपय

लाभः गजकरणी स एिसडीटी क रोगी को अदभत लाभ होता ह ऐस रोगी को चार-पाच िदन म एक बार गजकरणी चािहए ततप ात महीन म एक बार दो महीन म एक बार छः महीन म एक बार भी गजकरणी कर सकत ह

ातःकाल खाली पट तलसी क पाच-सात प चबाकर ऊपर स थोड़ा जल िपय एसीडीटी क रोगी को इसस बहत लाभ होगा

वष परान कबज क रोिगयो को स ाह म एक बार गजकरणी की िबया अवय करनी चािहए उनका आमाशय मिनथसःथान कमजोर हो जान स भोजन हजम होन म गड़बड़ रहती ह गजकरणी करन स इसम लाभ होता ह फोड़ फनसी िसर म गम सद बखार खासी दमा टीबी वात-िप -कफ क दोष िज ा क रोग गल क रोग छाती क रोग छाती का ददर एव मदाि न म गजकरणी िबया लाभकारक ह

शरीर शोधन-कायाकलप

यह चालीस िदन का कलप ह प यपाद आसारामजी बाप न यह योग िकया हआ ह इसस शरीर सडौल ःवःथ और फत ला बनता ह र म नय-नय कण बनत ह शरीर क कोषो की शि बढ़ती ह मन-बि म चमतका रक लाभ होत ह

िविधः अगल िदन पपीता सव आिद फल उिचत माऽा म ल अथवा मन का 50 माम दस घणट पहल िभगो द उनको उबालकर बीज िनकाल द मन का खा ल और पानी पी ल

ातःकाल उठकर सकलप कर िक इस कलप क दौरान िनि त िकय हए कायरबम क अनसार ही रहगा

शौच-ःनानािद िनतयकमर स िनव होकर सबह 8 बज 200 या 250 माम गाय का उबला हआ गनगना दध िपय पौन घणटा पणर आराम कर बाद म िफर स दध िपय शारी रक ौम कम स कम कर ॐ सोsह हसः इस मऽ का मानिसक जप कर कभी ास को िनहार बस साकषीभाव

मनोरा य चलता हो तो ॐ जोर-जोर स जप कर

इस कार शाम तक िजतना दध हजम कर सक उतना दध दो स तीन िलटर िपय 40 िदन तक कवल द धाहार क बाद 41व िदन मग का उबला हआ पानी मोसममी का रस आिद ल रािऽ को अिधक मगवाली हलकी िखचड़ी खाय इस कार शरीर-शोधन-कायाकलप की पणारहित कर

यिद बि तीकषण बनानी हो ःमरणशि बढ़ानी हो तो कलप क दौरान ॐ ऐ नमः इस मऽ का जप कर सयर को अ यर द

इस कलप म दध क िसवाय अनय कोई खराक लना मना ह चाय तमबाक आिद यसन िनिष ह ि यो क सग स दर रहना तथा चयर का पालन अतयनत आवयक ह

कलजग नही करजग ह यह

कलजग नही करजग ह यह यहा िदन को द अ रात ल

या खब सौदा नकद ह इस हाथ द उस हाथ ल टक

दिनया अजब बाज़ार ह कछ िजनस1 या िक साथ ल

नकी का बदला नक ह बद स बदी की बात ल

मवा िखला मवा िमल फल फल द फल पात ल

आराम द आराम ल दःख ददर द आफत2 ल 1

काटा िकसी को मत लगा गो िमःल-गल3 फला ह त

वह तर हक4 म तीर ह िकस बात पर झला ह त

मत आग म डाल और को या घास का पला ह त

सन ऱख यह नकता5 बखबर िकस बात पर भला ह त

कलजग नही 2

शोखी शरारत मकरो-फन6 सबका बसखा7 ह यहा

जो जो िदखाया और को वह खद भी दखा ह यहा

खोटी खरी जो कछ कही ितसका परखा8 ह यहा

जो जो पड़ा तलता ह मोल ितल ितल का लखा ह यहा

कलजग नही 3

जो और की बःती9 रख उसका भी बसता ह परा

जो और क मार छरी उसको भी लगता ह छरा

जो और की तोड़ घड़ी उसका भी टट ह घड़ा

जो और की चत10 बदी उसका भी होता ह बरा

कलजग नही 4

जो और को फल दवगा वह भी सदा फल पावगा

गह स गह जौ स जौ चावल स चावल पावगा

जो आज दवगा यहा वसा ही वह कल पावगा

कल दवगा कल पावगा िफर दवगा िफर पावगा

कलजग नही 5

जो चाह ल चल इस घड़ी सब िजनस यहा तयार ह

आराम म आराम ह आजार म आजार11 ह

दिनया न जान इसको िमया दरया की यह मझधार ह

औरो का बड़ा पार कर तरा भी बड़ा पार ह

कलजग नही 6

त और की तारीफ कर तझको सना वानी12 िमल

कर मिकल आसा औरो की तझको भी आसानी िमल

त और को महमान कर तझको भी महमानी िमल

रोटी िखला रोटी िमल पानी िपला पानी िमल

कलजग नही 7

जो गल13 िखलाव और का उसका ही गल िखलता भी ह

जो और का कील14 ह मह उसका ही मह िकलता भी ह

जो और का छील िजगर उसका िजगर िछलता भी ह

जो और को दव कपट उसको कपट िमलता भी ह

कलजग नही 8

कर जो कछ करना ह अब यह दम तो कोई आन15 ह

नकसान म नकसान ह एहसान म एहसान ह

तोहमत म यहा तोहमत िमल तफान म तफान ह

रहमान16 को रहमान17 ह शतान को शतान ह

कलजग नही 9

यहा जहर द तो जहर ल श कर म श कर दख ल

नको का नकी का मजा मजी18 को ट कर दख ल

मोती िदय मोती िमल पतथर म पतथर दख ल

गर तझको यह बावर19 नही तो त भी करक दख ल

कलजग नही 10

अपन नफ क वाःत मत और का नकसान कर

तरा भी नकसा होवगा इस बात पर त धयान कर

खाना जो खा सो दखकर पानी िपय तो छानकर

या पावो को रख फककर और खोफ स गजरान कर

कलजग नही 11

गफलत की यह जगह नही त सािहब-इदराक20 रह

िदलशाद21 ऱख िदल शाह रह गमनाक रख गमनाक रह

हर हाल म भी त नजीर22 अब हर कदम की रह

यह वह मका ह ओ िमया या पाक23 रह बबाक24 रह

कलजग नही 12

1 वःत 2 मसीबत 3 पप की तरह 4 तर िलय 5 रहःय 6 दगा-धोखा 7 घर 8 परखना 9 नगरी 10 िवचार कर 11 दःख 12 तारीफ-ःतित 13 फल 14 िकसी को बोलन न दना 15 घड़ी पल 16 दयावान 17 दयाल भगवान 18 सतान वाला 19 िव ास 20 तीो ा तज समझन वाला प ष 21 सननिच 22 किव का नाम ह 23 श पिवऽ 24 िनडर

  • आधयातमिक विदया क उदगाता
  • सवासथय क लिए मतर
  • परासताविक
  • बरहमचरय-रकषा का मनतर
  • आसनो की परकिया म आन वाल कछ शबदो की समझ
  • आवशयक निरदश
  • योगासन
    • पदमासन या कमलासन
    • सिदधासन
    • सरवागासन
    • हलासन
    • पवनमकतासन
    • मतसयासन
    • भजगासन
    • धनरासन
    • चकरासन
    • कटिपिणडमरदनासन
    • अरधमतसयनदरासन
    • योगमदरासन
    • गोरकषासन या भदरासन
    • मयरासन
    • वजरासन
    • सपतवजरासन
    • शवासन
    • पादपशचिमोततानासन
      • तरिबनध
        • मलबनध
        • उडडीयान बनध
        • जालनधरबनध
          • कवली कमभक
          • जलनति
          • गजकरणी
          • शरीर शोधन-कायाकलप
          • कलजग नही करजग ह यह
Page 35: अनुबम - || Home || HariOmGroup · िस होता है। िवशु नाड़ीतंऽ वालेयोगी के िवशु शरीर में

जालनधरबनध

आसन पर बठकर परक करक कमभक कर और ठोड़ी को छाती क साथ दबाय इसको जालनधरबनध कहत ह

लाभः जालनधरबनध क अ यास स ाण का सचरण ठीक स होता ह इड़ा और िपगला नाड़ी बनद होकर ाण-अपान सषमना म िव होत ह नािभ स अमत कट होता ह िजसका पान जठराि न करता ह योगी इसक ारा अमरता ा करता ह

प ासन पर बठ जाय परा ास बाहर िनकाल कर मलबनध उडडीयानबनध कर िफर खब परक करक मलबनध उडडीयानबनध और जालनधरबनध य तीनो बनध एक साथ कर आख बनद रख मन म णव (ॐ) का अथर क साथ जप कर

इस कार ाणायाम सिहत तीनो बनध का एक साथ अ यास करन स बहत लाभ होता ह और ायः चमतका रक प रणाम आता ह कवल तीन ही िदन क समयक अ यास स जीवन म बािनत का अनभव होन लगता ह कछ समय क अ यास स कवल या कवली कमभक ःवय कट होता ह

कवली कमभक

कवल या कवली कमभक का अथर ह रचक-परक िबना ही ाण का िःथर हो जाना िजसको कवली कमभक िस होता ह उस योगी क िलए तीनो लोक म कछ भी दलरभ नही रहता कणडिलनी जागत होती ह शरीर पतला हो जाता ह मख सनन रहता ह नऽ मलरिहत होत ह सवर रोग दर हो जात ह िबनद पर िवजय होती ह जठराि न विलत होती ह

कवली कमभक िस िकय हए योगी की अपनी सवर मनोकामनाय पणर होती ह इतना ही नही उसका पजन करक ौ ावान लोग भी अपनी मनोकामनाय पणर करन लगत ह

जो साधक पणर एकामता स िऽबनध सिहत ाणायाम क अ यास ारा कवली कमभक का प षाथर िस करता ह उसक भा य का तो पछना ही या उसकी यापकता

बढ़ जाती ह अनतर म महानता का अनभव होता ह काम बोध लोभ मोह मद और मतसर इन छः शऽओ पर िवजय ा होती ह कवली कमभक की मिहमा अपार ह

जलनित

िविधः एक िलटर पानी को गनगना सा गरम कर उसम करीब दस माम श नमक डालकर घोल द सनधव िमल जाय तो अचछा सबह म ःनान क बाद यह पानी चौड़ महवाल पाऽ म कटोर म लकर परो पर बठ जाय पाऽ को दोनो हाथो स पकड़ कर नाक क नथन पानी म डबो द अब धीर-धीर नाक क ारा ास क साथ पानी को भीतर खीच और नाक स भीतर आत हए पानी को मह स बाहर िनकालत जाय नाक को पानी म इस कार बराबर डबोय रख िजसस नाक ारा भीतर जानवाल पानी क साथ हवा न वश कर अनयथा आतरस-खासी आयगी

इस कार पाऽ का सब पानी नाक ारा लकर मख ारा बाहर िनकाल द अब पाऽ को रख कर खड़ हो जाय दोनो पर थोड़ खल रह दोनो हाथ कमर पर रखकर ास को जोर स बाहर िनकालत हए आग की ओर िजतना हो सक झक भिॐका क साथ यह िबया बार-बार कर इसस नाक क भीतर का सब पानी बाहर िनकल जायगा थोड़ा बहत रह भी जाय और िदन म कभी भी नाक स बाहर िनकल जाय तो कछ िचनताजनक नही ह

नाक स पानी भीतर खीचन की यह िबया ारमभ म उलझन जसी लगगी लिकन अ यास हो जान पर िबलकल सरल बन जायगा

लाभः मिःतक की ओर स एक कार का िवषला रस नीच की ओर बहता ह यह रस कान म आय तो कान क रोग होत ह आदमी बहरा हो जाता ह यह रस आखो की तरफ जाय तो आखो का तज कम हो जाता ह चम की ज रत पड़ती ह तथा अनय रोग होत ह यह रस गल की ओर जाय तो गल क रोग होत ह

िनयमपवरक जलनित करन स यह िवषला पदाथर बाहर िनकल जाता ह आखो की रोशनी बढ़ती ह चम की ज रत नही पड़ती चमा हो भी तो धीर-धीर नमबर कम होत-होत छट जाता भी जाता ह ासोचछोवास का मागर साफ हो जाता ह मिःतक म ताजगी रहती ह जकाम-सद होन क अवसर कम हो जात ह जलनित की िबया करन

स दमा टीबी खासी नकसीर बहरापन आिद छोटी-मोटी 1500 बीमी रया दर होती ह जलनित करन वाल को बहत लाभ होत ह िच म सननता बनी रहती ह

गजकरणी िविधः करीब दो िलटर पानी गनगना सा गरम कर उसम करीब 20 माम श

नमक घोल द सनधव िमल जाय तो अचछा ह अब पजो क बल बठकर वह पानी िगलास भर-भर क पीत जाय खब िपय अिधकाअिधक िपय पट जब िबलकल भर जाय गल तक आ जाय पानी बाहर िनकालन की कोिशश कर तब दािहन हाथ की दो बड़ी अगिलया मह म डाल कर उलटी कर िपया हआ सब पानी बाहर िनकाल द पट िबलकल हलका हो जाय तब पाच िमनट तक आराम कर

गजकरणी करन क एकाध घणट क बाद कवल पतली िखचड़ी ही भोजन म ल भोजन क बाद तीन घणट तक पानी न िपय सोय नही ठणड पानी स ःनान कर तीन घणट क बाद ारमभ म थोड़ा गरम पानी िपय

लाभः गजकरणी स एिसडीटी क रोगी को अदभत लाभ होता ह ऐस रोगी को चार-पाच िदन म एक बार गजकरणी चािहए ततप ात महीन म एक बार दो महीन म एक बार छः महीन म एक बार भी गजकरणी कर सकत ह

ातःकाल खाली पट तलसी क पाच-सात प चबाकर ऊपर स थोड़ा जल िपय एसीडीटी क रोगी को इसस बहत लाभ होगा

वष परान कबज क रोिगयो को स ाह म एक बार गजकरणी की िबया अवय करनी चािहए उनका आमाशय मिनथसःथान कमजोर हो जान स भोजन हजम होन म गड़बड़ रहती ह गजकरणी करन स इसम लाभ होता ह फोड़ फनसी िसर म गम सद बखार खासी दमा टीबी वात-िप -कफ क दोष िज ा क रोग गल क रोग छाती क रोग छाती का ददर एव मदाि न म गजकरणी िबया लाभकारक ह

शरीर शोधन-कायाकलप

यह चालीस िदन का कलप ह प यपाद आसारामजी बाप न यह योग िकया हआ ह इसस शरीर सडौल ःवःथ और फत ला बनता ह र म नय-नय कण बनत ह शरीर क कोषो की शि बढ़ती ह मन-बि म चमतका रक लाभ होत ह

िविधः अगल िदन पपीता सव आिद फल उिचत माऽा म ल अथवा मन का 50 माम दस घणट पहल िभगो द उनको उबालकर बीज िनकाल द मन का खा ल और पानी पी ल

ातःकाल उठकर सकलप कर िक इस कलप क दौरान िनि त िकय हए कायरबम क अनसार ही रहगा

शौच-ःनानािद िनतयकमर स िनव होकर सबह 8 बज 200 या 250 माम गाय का उबला हआ गनगना दध िपय पौन घणटा पणर आराम कर बाद म िफर स दध िपय शारी रक ौम कम स कम कर ॐ सोsह हसः इस मऽ का मानिसक जप कर कभी ास को िनहार बस साकषीभाव

मनोरा य चलता हो तो ॐ जोर-जोर स जप कर

इस कार शाम तक िजतना दध हजम कर सक उतना दध दो स तीन िलटर िपय 40 िदन तक कवल द धाहार क बाद 41व िदन मग का उबला हआ पानी मोसममी का रस आिद ल रािऽ को अिधक मगवाली हलकी िखचड़ी खाय इस कार शरीर-शोधन-कायाकलप की पणारहित कर

यिद बि तीकषण बनानी हो ःमरणशि बढ़ानी हो तो कलप क दौरान ॐ ऐ नमः इस मऽ का जप कर सयर को अ यर द

इस कलप म दध क िसवाय अनय कोई खराक लना मना ह चाय तमबाक आिद यसन िनिष ह ि यो क सग स दर रहना तथा चयर का पालन अतयनत आवयक ह

कलजग नही करजग ह यह

कलजग नही करजग ह यह यहा िदन को द अ रात ल

या खब सौदा नकद ह इस हाथ द उस हाथ ल टक

दिनया अजब बाज़ार ह कछ िजनस1 या िक साथ ल

नकी का बदला नक ह बद स बदी की बात ल

मवा िखला मवा िमल फल फल द फल पात ल

आराम द आराम ल दःख ददर द आफत2 ल 1

काटा िकसी को मत लगा गो िमःल-गल3 फला ह त

वह तर हक4 म तीर ह िकस बात पर झला ह त

मत आग म डाल और को या घास का पला ह त

सन ऱख यह नकता5 बखबर िकस बात पर भला ह त

कलजग नही 2

शोखी शरारत मकरो-फन6 सबका बसखा7 ह यहा

जो जो िदखाया और को वह खद भी दखा ह यहा

खोटी खरी जो कछ कही ितसका परखा8 ह यहा

जो जो पड़ा तलता ह मोल ितल ितल का लखा ह यहा

कलजग नही 3

जो और की बःती9 रख उसका भी बसता ह परा

जो और क मार छरी उसको भी लगता ह छरा

जो और की तोड़ घड़ी उसका भी टट ह घड़ा

जो और की चत10 बदी उसका भी होता ह बरा

कलजग नही 4

जो और को फल दवगा वह भी सदा फल पावगा

गह स गह जौ स जौ चावल स चावल पावगा

जो आज दवगा यहा वसा ही वह कल पावगा

कल दवगा कल पावगा िफर दवगा िफर पावगा

कलजग नही 5

जो चाह ल चल इस घड़ी सब िजनस यहा तयार ह

आराम म आराम ह आजार म आजार11 ह

दिनया न जान इसको िमया दरया की यह मझधार ह

औरो का बड़ा पार कर तरा भी बड़ा पार ह

कलजग नही 6

त और की तारीफ कर तझको सना वानी12 िमल

कर मिकल आसा औरो की तझको भी आसानी िमल

त और को महमान कर तझको भी महमानी िमल

रोटी िखला रोटी िमल पानी िपला पानी िमल

कलजग नही 7

जो गल13 िखलाव और का उसका ही गल िखलता भी ह

जो और का कील14 ह मह उसका ही मह िकलता भी ह

जो और का छील िजगर उसका िजगर िछलता भी ह

जो और को दव कपट उसको कपट िमलता भी ह

कलजग नही 8

कर जो कछ करना ह अब यह दम तो कोई आन15 ह

नकसान म नकसान ह एहसान म एहसान ह

तोहमत म यहा तोहमत िमल तफान म तफान ह

रहमान16 को रहमान17 ह शतान को शतान ह

कलजग नही 9

यहा जहर द तो जहर ल श कर म श कर दख ल

नको का नकी का मजा मजी18 को ट कर दख ल

मोती िदय मोती िमल पतथर म पतथर दख ल

गर तझको यह बावर19 नही तो त भी करक दख ल

कलजग नही 10

अपन नफ क वाःत मत और का नकसान कर

तरा भी नकसा होवगा इस बात पर त धयान कर

खाना जो खा सो दखकर पानी िपय तो छानकर

या पावो को रख फककर और खोफ स गजरान कर

कलजग नही 11

गफलत की यह जगह नही त सािहब-इदराक20 रह

िदलशाद21 ऱख िदल शाह रह गमनाक रख गमनाक रह

हर हाल म भी त नजीर22 अब हर कदम की रह

यह वह मका ह ओ िमया या पाक23 रह बबाक24 रह

कलजग नही 12

1 वःत 2 मसीबत 3 पप की तरह 4 तर िलय 5 रहःय 6 दगा-धोखा 7 घर 8 परखना 9 नगरी 10 िवचार कर 11 दःख 12 तारीफ-ःतित 13 फल 14 िकसी को बोलन न दना 15 घड़ी पल 16 दयावान 17 दयाल भगवान 18 सतान वाला 19 िव ास 20 तीो ा तज समझन वाला प ष 21 सननिच 22 किव का नाम ह 23 श पिवऽ 24 िनडर

  • आधयातमिक विदया क उदगाता
  • सवासथय क लिए मतर
  • परासताविक
  • बरहमचरय-रकषा का मनतर
  • आसनो की परकिया म आन वाल कछ शबदो की समझ
  • आवशयक निरदश
  • योगासन
    • पदमासन या कमलासन
    • सिदधासन
    • सरवागासन
    • हलासन
    • पवनमकतासन
    • मतसयासन
    • भजगासन
    • धनरासन
    • चकरासन
    • कटिपिणडमरदनासन
    • अरधमतसयनदरासन
    • योगमदरासन
    • गोरकषासन या भदरासन
    • मयरासन
    • वजरासन
    • सपतवजरासन
    • शवासन
    • पादपशचिमोततानासन
      • तरिबनध
        • मलबनध
        • उडडीयान बनध
        • जालनधरबनध
          • कवली कमभक
          • जलनति
          • गजकरणी
          • शरीर शोधन-कायाकलप
          • कलजग नही करजग ह यह
Page 36: अनुबम - || Home || HariOmGroup · िस होता है। िवशु नाड़ीतंऽ वालेयोगी के िवशु शरीर में

बढ़ जाती ह अनतर म महानता का अनभव होता ह काम बोध लोभ मोह मद और मतसर इन छः शऽओ पर िवजय ा होती ह कवली कमभक की मिहमा अपार ह

जलनित

िविधः एक िलटर पानी को गनगना सा गरम कर उसम करीब दस माम श नमक डालकर घोल द सनधव िमल जाय तो अचछा सबह म ःनान क बाद यह पानी चौड़ महवाल पाऽ म कटोर म लकर परो पर बठ जाय पाऽ को दोनो हाथो स पकड़ कर नाक क नथन पानी म डबो द अब धीर-धीर नाक क ारा ास क साथ पानी को भीतर खीच और नाक स भीतर आत हए पानी को मह स बाहर िनकालत जाय नाक को पानी म इस कार बराबर डबोय रख िजसस नाक ारा भीतर जानवाल पानी क साथ हवा न वश कर अनयथा आतरस-खासी आयगी

इस कार पाऽ का सब पानी नाक ारा लकर मख ारा बाहर िनकाल द अब पाऽ को रख कर खड़ हो जाय दोनो पर थोड़ खल रह दोनो हाथ कमर पर रखकर ास को जोर स बाहर िनकालत हए आग की ओर िजतना हो सक झक भिॐका क साथ यह िबया बार-बार कर इसस नाक क भीतर का सब पानी बाहर िनकल जायगा थोड़ा बहत रह भी जाय और िदन म कभी भी नाक स बाहर िनकल जाय तो कछ िचनताजनक नही ह

नाक स पानी भीतर खीचन की यह िबया ारमभ म उलझन जसी लगगी लिकन अ यास हो जान पर िबलकल सरल बन जायगा

लाभः मिःतक की ओर स एक कार का िवषला रस नीच की ओर बहता ह यह रस कान म आय तो कान क रोग होत ह आदमी बहरा हो जाता ह यह रस आखो की तरफ जाय तो आखो का तज कम हो जाता ह चम की ज रत पड़ती ह तथा अनय रोग होत ह यह रस गल की ओर जाय तो गल क रोग होत ह

िनयमपवरक जलनित करन स यह िवषला पदाथर बाहर िनकल जाता ह आखो की रोशनी बढ़ती ह चम की ज रत नही पड़ती चमा हो भी तो धीर-धीर नमबर कम होत-होत छट जाता भी जाता ह ासोचछोवास का मागर साफ हो जाता ह मिःतक म ताजगी रहती ह जकाम-सद होन क अवसर कम हो जात ह जलनित की िबया करन

स दमा टीबी खासी नकसीर बहरापन आिद छोटी-मोटी 1500 बीमी रया दर होती ह जलनित करन वाल को बहत लाभ होत ह िच म सननता बनी रहती ह

गजकरणी िविधः करीब दो िलटर पानी गनगना सा गरम कर उसम करीब 20 माम श

नमक घोल द सनधव िमल जाय तो अचछा ह अब पजो क बल बठकर वह पानी िगलास भर-भर क पीत जाय खब िपय अिधकाअिधक िपय पट जब िबलकल भर जाय गल तक आ जाय पानी बाहर िनकालन की कोिशश कर तब दािहन हाथ की दो बड़ी अगिलया मह म डाल कर उलटी कर िपया हआ सब पानी बाहर िनकाल द पट िबलकल हलका हो जाय तब पाच िमनट तक आराम कर

गजकरणी करन क एकाध घणट क बाद कवल पतली िखचड़ी ही भोजन म ल भोजन क बाद तीन घणट तक पानी न िपय सोय नही ठणड पानी स ःनान कर तीन घणट क बाद ारमभ म थोड़ा गरम पानी िपय

लाभः गजकरणी स एिसडीटी क रोगी को अदभत लाभ होता ह ऐस रोगी को चार-पाच िदन म एक बार गजकरणी चािहए ततप ात महीन म एक बार दो महीन म एक बार छः महीन म एक बार भी गजकरणी कर सकत ह

ातःकाल खाली पट तलसी क पाच-सात प चबाकर ऊपर स थोड़ा जल िपय एसीडीटी क रोगी को इसस बहत लाभ होगा

वष परान कबज क रोिगयो को स ाह म एक बार गजकरणी की िबया अवय करनी चािहए उनका आमाशय मिनथसःथान कमजोर हो जान स भोजन हजम होन म गड़बड़ रहती ह गजकरणी करन स इसम लाभ होता ह फोड़ फनसी िसर म गम सद बखार खासी दमा टीबी वात-िप -कफ क दोष िज ा क रोग गल क रोग छाती क रोग छाती का ददर एव मदाि न म गजकरणी िबया लाभकारक ह

शरीर शोधन-कायाकलप

यह चालीस िदन का कलप ह प यपाद आसारामजी बाप न यह योग िकया हआ ह इसस शरीर सडौल ःवःथ और फत ला बनता ह र म नय-नय कण बनत ह शरीर क कोषो की शि बढ़ती ह मन-बि म चमतका रक लाभ होत ह

िविधः अगल िदन पपीता सव आिद फल उिचत माऽा म ल अथवा मन का 50 माम दस घणट पहल िभगो द उनको उबालकर बीज िनकाल द मन का खा ल और पानी पी ल

ातःकाल उठकर सकलप कर िक इस कलप क दौरान िनि त िकय हए कायरबम क अनसार ही रहगा

शौच-ःनानािद िनतयकमर स िनव होकर सबह 8 बज 200 या 250 माम गाय का उबला हआ गनगना दध िपय पौन घणटा पणर आराम कर बाद म िफर स दध िपय शारी रक ौम कम स कम कर ॐ सोsह हसः इस मऽ का मानिसक जप कर कभी ास को िनहार बस साकषीभाव

मनोरा य चलता हो तो ॐ जोर-जोर स जप कर

इस कार शाम तक िजतना दध हजम कर सक उतना दध दो स तीन िलटर िपय 40 िदन तक कवल द धाहार क बाद 41व िदन मग का उबला हआ पानी मोसममी का रस आिद ल रािऽ को अिधक मगवाली हलकी िखचड़ी खाय इस कार शरीर-शोधन-कायाकलप की पणारहित कर

यिद बि तीकषण बनानी हो ःमरणशि बढ़ानी हो तो कलप क दौरान ॐ ऐ नमः इस मऽ का जप कर सयर को अ यर द

इस कलप म दध क िसवाय अनय कोई खराक लना मना ह चाय तमबाक आिद यसन िनिष ह ि यो क सग स दर रहना तथा चयर का पालन अतयनत आवयक ह

कलजग नही करजग ह यह

कलजग नही करजग ह यह यहा िदन को द अ रात ल

या खब सौदा नकद ह इस हाथ द उस हाथ ल टक

दिनया अजब बाज़ार ह कछ िजनस1 या िक साथ ल

नकी का बदला नक ह बद स बदी की बात ल

मवा िखला मवा िमल फल फल द फल पात ल

आराम द आराम ल दःख ददर द आफत2 ल 1

काटा िकसी को मत लगा गो िमःल-गल3 फला ह त

वह तर हक4 म तीर ह िकस बात पर झला ह त

मत आग म डाल और को या घास का पला ह त

सन ऱख यह नकता5 बखबर िकस बात पर भला ह त

कलजग नही 2

शोखी शरारत मकरो-फन6 सबका बसखा7 ह यहा

जो जो िदखाया और को वह खद भी दखा ह यहा

खोटी खरी जो कछ कही ितसका परखा8 ह यहा

जो जो पड़ा तलता ह मोल ितल ितल का लखा ह यहा

कलजग नही 3

जो और की बःती9 रख उसका भी बसता ह परा

जो और क मार छरी उसको भी लगता ह छरा

जो और की तोड़ घड़ी उसका भी टट ह घड़ा

जो और की चत10 बदी उसका भी होता ह बरा

कलजग नही 4

जो और को फल दवगा वह भी सदा फल पावगा

गह स गह जौ स जौ चावल स चावल पावगा

जो आज दवगा यहा वसा ही वह कल पावगा

कल दवगा कल पावगा िफर दवगा िफर पावगा

कलजग नही 5

जो चाह ल चल इस घड़ी सब िजनस यहा तयार ह

आराम म आराम ह आजार म आजार11 ह

दिनया न जान इसको िमया दरया की यह मझधार ह

औरो का बड़ा पार कर तरा भी बड़ा पार ह

कलजग नही 6

त और की तारीफ कर तझको सना वानी12 िमल

कर मिकल आसा औरो की तझको भी आसानी िमल

त और को महमान कर तझको भी महमानी िमल

रोटी िखला रोटी िमल पानी िपला पानी िमल

कलजग नही 7

जो गल13 िखलाव और का उसका ही गल िखलता भी ह

जो और का कील14 ह मह उसका ही मह िकलता भी ह

जो और का छील िजगर उसका िजगर िछलता भी ह

जो और को दव कपट उसको कपट िमलता भी ह

कलजग नही 8

कर जो कछ करना ह अब यह दम तो कोई आन15 ह

नकसान म नकसान ह एहसान म एहसान ह

तोहमत म यहा तोहमत िमल तफान म तफान ह

रहमान16 को रहमान17 ह शतान को शतान ह

कलजग नही 9

यहा जहर द तो जहर ल श कर म श कर दख ल

नको का नकी का मजा मजी18 को ट कर दख ल

मोती िदय मोती िमल पतथर म पतथर दख ल

गर तझको यह बावर19 नही तो त भी करक दख ल

कलजग नही 10

अपन नफ क वाःत मत और का नकसान कर

तरा भी नकसा होवगा इस बात पर त धयान कर

खाना जो खा सो दखकर पानी िपय तो छानकर

या पावो को रख फककर और खोफ स गजरान कर

कलजग नही 11

गफलत की यह जगह नही त सािहब-इदराक20 रह

िदलशाद21 ऱख िदल शाह रह गमनाक रख गमनाक रह

हर हाल म भी त नजीर22 अब हर कदम की रह

यह वह मका ह ओ िमया या पाक23 रह बबाक24 रह

कलजग नही 12

1 वःत 2 मसीबत 3 पप की तरह 4 तर िलय 5 रहःय 6 दगा-धोखा 7 घर 8 परखना 9 नगरी 10 िवचार कर 11 दःख 12 तारीफ-ःतित 13 फल 14 िकसी को बोलन न दना 15 घड़ी पल 16 दयावान 17 दयाल भगवान 18 सतान वाला 19 िव ास 20 तीो ा तज समझन वाला प ष 21 सननिच 22 किव का नाम ह 23 श पिवऽ 24 िनडर

  • आधयातमिक विदया क उदगाता
  • सवासथय क लिए मतर
  • परासताविक
  • बरहमचरय-रकषा का मनतर
  • आसनो की परकिया म आन वाल कछ शबदो की समझ
  • आवशयक निरदश
  • योगासन
    • पदमासन या कमलासन
    • सिदधासन
    • सरवागासन
    • हलासन
    • पवनमकतासन
    • मतसयासन
    • भजगासन
    • धनरासन
    • चकरासन
    • कटिपिणडमरदनासन
    • अरधमतसयनदरासन
    • योगमदरासन
    • गोरकषासन या भदरासन
    • मयरासन
    • वजरासन
    • सपतवजरासन
    • शवासन
    • पादपशचिमोततानासन
      • तरिबनध
        • मलबनध
        • उडडीयान बनध
        • जालनधरबनध
          • कवली कमभक
          • जलनति
          • गजकरणी
          • शरीर शोधन-कायाकलप
          • कलजग नही करजग ह यह
Page 37: अनुबम - || Home || HariOmGroup · िस होता है। िवशु नाड़ीतंऽ वालेयोगी के िवशु शरीर में

स दमा टीबी खासी नकसीर बहरापन आिद छोटी-मोटी 1500 बीमी रया दर होती ह जलनित करन वाल को बहत लाभ होत ह िच म सननता बनी रहती ह

गजकरणी िविधः करीब दो िलटर पानी गनगना सा गरम कर उसम करीब 20 माम श

नमक घोल द सनधव िमल जाय तो अचछा ह अब पजो क बल बठकर वह पानी िगलास भर-भर क पीत जाय खब िपय अिधकाअिधक िपय पट जब िबलकल भर जाय गल तक आ जाय पानी बाहर िनकालन की कोिशश कर तब दािहन हाथ की दो बड़ी अगिलया मह म डाल कर उलटी कर िपया हआ सब पानी बाहर िनकाल द पट िबलकल हलका हो जाय तब पाच िमनट तक आराम कर

गजकरणी करन क एकाध घणट क बाद कवल पतली िखचड़ी ही भोजन म ल भोजन क बाद तीन घणट तक पानी न िपय सोय नही ठणड पानी स ःनान कर तीन घणट क बाद ारमभ म थोड़ा गरम पानी िपय

लाभः गजकरणी स एिसडीटी क रोगी को अदभत लाभ होता ह ऐस रोगी को चार-पाच िदन म एक बार गजकरणी चािहए ततप ात महीन म एक बार दो महीन म एक बार छः महीन म एक बार भी गजकरणी कर सकत ह

ातःकाल खाली पट तलसी क पाच-सात प चबाकर ऊपर स थोड़ा जल िपय एसीडीटी क रोगी को इसस बहत लाभ होगा

वष परान कबज क रोिगयो को स ाह म एक बार गजकरणी की िबया अवय करनी चािहए उनका आमाशय मिनथसःथान कमजोर हो जान स भोजन हजम होन म गड़बड़ रहती ह गजकरणी करन स इसम लाभ होता ह फोड़ फनसी िसर म गम सद बखार खासी दमा टीबी वात-िप -कफ क दोष िज ा क रोग गल क रोग छाती क रोग छाती का ददर एव मदाि न म गजकरणी िबया लाभकारक ह

शरीर शोधन-कायाकलप

यह चालीस िदन का कलप ह प यपाद आसारामजी बाप न यह योग िकया हआ ह इसस शरीर सडौल ःवःथ और फत ला बनता ह र म नय-नय कण बनत ह शरीर क कोषो की शि बढ़ती ह मन-बि म चमतका रक लाभ होत ह

िविधः अगल िदन पपीता सव आिद फल उिचत माऽा म ल अथवा मन का 50 माम दस घणट पहल िभगो द उनको उबालकर बीज िनकाल द मन का खा ल और पानी पी ल

ातःकाल उठकर सकलप कर िक इस कलप क दौरान िनि त िकय हए कायरबम क अनसार ही रहगा

शौच-ःनानािद िनतयकमर स िनव होकर सबह 8 बज 200 या 250 माम गाय का उबला हआ गनगना दध िपय पौन घणटा पणर आराम कर बाद म िफर स दध िपय शारी रक ौम कम स कम कर ॐ सोsह हसः इस मऽ का मानिसक जप कर कभी ास को िनहार बस साकषीभाव

मनोरा य चलता हो तो ॐ जोर-जोर स जप कर

इस कार शाम तक िजतना दध हजम कर सक उतना दध दो स तीन िलटर िपय 40 िदन तक कवल द धाहार क बाद 41व िदन मग का उबला हआ पानी मोसममी का रस आिद ल रािऽ को अिधक मगवाली हलकी िखचड़ी खाय इस कार शरीर-शोधन-कायाकलप की पणारहित कर

यिद बि तीकषण बनानी हो ःमरणशि बढ़ानी हो तो कलप क दौरान ॐ ऐ नमः इस मऽ का जप कर सयर को अ यर द

इस कलप म दध क िसवाय अनय कोई खराक लना मना ह चाय तमबाक आिद यसन िनिष ह ि यो क सग स दर रहना तथा चयर का पालन अतयनत आवयक ह

कलजग नही करजग ह यह

कलजग नही करजग ह यह यहा िदन को द अ रात ल

या खब सौदा नकद ह इस हाथ द उस हाथ ल टक

दिनया अजब बाज़ार ह कछ िजनस1 या िक साथ ल

नकी का बदला नक ह बद स बदी की बात ल

मवा िखला मवा िमल फल फल द फल पात ल

आराम द आराम ल दःख ददर द आफत2 ल 1

काटा िकसी को मत लगा गो िमःल-गल3 फला ह त

वह तर हक4 म तीर ह िकस बात पर झला ह त

मत आग म डाल और को या घास का पला ह त

सन ऱख यह नकता5 बखबर िकस बात पर भला ह त

कलजग नही 2

शोखी शरारत मकरो-फन6 सबका बसखा7 ह यहा

जो जो िदखाया और को वह खद भी दखा ह यहा

खोटी खरी जो कछ कही ितसका परखा8 ह यहा

जो जो पड़ा तलता ह मोल ितल ितल का लखा ह यहा

कलजग नही 3

जो और की बःती9 रख उसका भी बसता ह परा

जो और क मार छरी उसको भी लगता ह छरा

जो और की तोड़ घड़ी उसका भी टट ह घड़ा

जो और की चत10 बदी उसका भी होता ह बरा

कलजग नही 4

जो और को फल दवगा वह भी सदा फल पावगा

गह स गह जौ स जौ चावल स चावल पावगा

जो आज दवगा यहा वसा ही वह कल पावगा

कल दवगा कल पावगा िफर दवगा िफर पावगा

कलजग नही 5

जो चाह ल चल इस घड़ी सब िजनस यहा तयार ह

आराम म आराम ह आजार म आजार11 ह

दिनया न जान इसको िमया दरया की यह मझधार ह

औरो का बड़ा पार कर तरा भी बड़ा पार ह

कलजग नही 6

त और की तारीफ कर तझको सना वानी12 िमल

कर मिकल आसा औरो की तझको भी आसानी िमल

त और को महमान कर तझको भी महमानी िमल

रोटी िखला रोटी िमल पानी िपला पानी िमल

कलजग नही 7

जो गल13 िखलाव और का उसका ही गल िखलता भी ह

जो और का कील14 ह मह उसका ही मह िकलता भी ह

जो और का छील िजगर उसका िजगर िछलता भी ह

जो और को दव कपट उसको कपट िमलता भी ह

कलजग नही 8

कर जो कछ करना ह अब यह दम तो कोई आन15 ह

नकसान म नकसान ह एहसान म एहसान ह

तोहमत म यहा तोहमत िमल तफान म तफान ह

रहमान16 को रहमान17 ह शतान को शतान ह

कलजग नही 9

यहा जहर द तो जहर ल श कर म श कर दख ल

नको का नकी का मजा मजी18 को ट कर दख ल

मोती िदय मोती िमल पतथर म पतथर दख ल

गर तझको यह बावर19 नही तो त भी करक दख ल

कलजग नही 10

अपन नफ क वाःत मत और का नकसान कर

तरा भी नकसा होवगा इस बात पर त धयान कर

खाना जो खा सो दखकर पानी िपय तो छानकर

या पावो को रख फककर और खोफ स गजरान कर

कलजग नही 11

गफलत की यह जगह नही त सािहब-इदराक20 रह

िदलशाद21 ऱख िदल शाह रह गमनाक रख गमनाक रह

हर हाल म भी त नजीर22 अब हर कदम की रह

यह वह मका ह ओ िमया या पाक23 रह बबाक24 रह

कलजग नही 12

1 वःत 2 मसीबत 3 पप की तरह 4 तर िलय 5 रहःय 6 दगा-धोखा 7 घर 8 परखना 9 नगरी 10 िवचार कर 11 दःख 12 तारीफ-ःतित 13 फल 14 िकसी को बोलन न दना 15 घड़ी पल 16 दयावान 17 दयाल भगवान 18 सतान वाला 19 िव ास 20 तीो ा तज समझन वाला प ष 21 सननिच 22 किव का नाम ह 23 श पिवऽ 24 िनडर

  • आधयातमिक विदया क उदगाता
  • सवासथय क लिए मतर
  • परासताविक
  • बरहमचरय-रकषा का मनतर
  • आसनो की परकिया म आन वाल कछ शबदो की समझ
  • आवशयक निरदश
  • योगासन
    • पदमासन या कमलासन
    • सिदधासन
    • सरवागासन
    • हलासन
    • पवनमकतासन
    • मतसयासन
    • भजगासन
    • धनरासन
    • चकरासन
    • कटिपिणडमरदनासन
    • अरधमतसयनदरासन
    • योगमदरासन
    • गोरकषासन या भदरासन
    • मयरासन
    • वजरासन
    • सपतवजरासन
    • शवासन
    • पादपशचिमोततानासन
      • तरिबनध
        • मलबनध
        • उडडीयान बनध
        • जालनधरबनध
          • कवली कमभक
          • जलनति
          • गजकरणी
          • शरीर शोधन-कायाकलप
          • कलजग नही करजग ह यह
Page 38: अनुबम - || Home || HariOmGroup · िस होता है। िवशु नाड़ीतंऽ वालेयोगी के िवशु शरीर में

शरीर शोधन-कायाकलप

यह चालीस िदन का कलप ह प यपाद आसारामजी बाप न यह योग िकया हआ ह इसस शरीर सडौल ःवःथ और फत ला बनता ह र म नय-नय कण बनत ह शरीर क कोषो की शि बढ़ती ह मन-बि म चमतका रक लाभ होत ह

िविधः अगल िदन पपीता सव आिद फल उिचत माऽा म ल अथवा मन का 50 माम दस घणट पहल िभगो द उनको उबालकर बीज िनकाल द मन का खा ल और पानी पी ल

ातःकाल उठकर सकलप कर िक इस कलप क दौरान िनि त िकय हए कायरबम क अनसार ही रहगा

शौच-ःनानािद िनतयकमर स िनव होकर सबह 8 बज 200 या 250 माम गाय का उबला हआ गनगना दध िपय पौन घणटा पणर आराम कर बाद म िफर स दध िपय शारी रक ौम कम स कम कर ॐ सोsह हसः इस मऽ का मानिसक जप कर कभी ास को िनहार बस साकषीभाव

मनोरा य चलता हो तो ॐ जोर-जोर स जप कर

इस कार शाम तक िजतना दध हजम कर सक उतना दध दो स तीन िलटर िपय 40 िदन तक कवल द धाहार क बाद 41व िदन मग का उबला हआ पानी मोसममी का रस आिद ल रािऽ को अिधक मगवाली हलकी िखचड़ी खाय इस कार शरीर-शोधन-कायाकलप की पणारहित कर

यिद बि तीकषण बनानी हो ःमरणशि बढ़ानी हो तो कलप क दौरान ॐ ऐ नमः इस मऽ का जप कर सयर को अ यर द

इस कलप म दध क िसवाय अनय कोई खराक लना मना ह चाय तमबाक आिद यसन िनिष ह ि यो क सग स दर रहना तथा चयर का पालन अतयनत आवयक ह

कलजग नही करजग ह यह

कलजग नही करजग ह यह यहा िदन को द अ रात ल

या खब सौदा नकद ह इस हाथ द उस हाथ ल टक

दिनया अजब बाज़ार ह कछ िजनस1 या िक साथ ल

नकी का बदला नक ह बद स बदी की बात ल

मवा िखला मवा िमल फल फल द फल पात ल

आराम द आराम ल दःख ददर द आफत2 ल 1

काटा िकसी को मत लगा गो िमःल-गल3 फला ह त

वह तर हक4 म तीर ह िकस बात पर झला ह त

मत आग म डाल और को या घास का पला ह त

सन ऱख यह नकता5 बखबर िकस बात पर भला ह त

कलजग नही 2

शोखी शरारत मकरो-फन6 सबका बसखा7 ह यहा

जो जो िदखाया और को वह खद भी दखा ह यहा

खोटी खरी जो कछ कही ितसका परखा8 ह यहा

जो जो पड़ा तलता ह मोल ितल ितल का लखा ह यहा

कलजग नही 3

जो और की बःती9 रख उसका भी बसता ह परा

जो और क मार छरी उसको भी लगता ह छरा

जो और की तोड़ घड़ी उसका भी टट ह घड़ा

जो और की चत10 बदी उसका भी होता ह बरा

कलजग नही 4

जो और को फल दवगा वह भी सदा फल पावगा

गह स गह जौ स जौ चावल स चावल पावगा

जो आज दवगा यहा वसा ही वह कल पावगा

कल दवगा कल पावगा िफर दवगा िफर पावगा

कलजग नही 5

जो चाह ल चल इस घड़ी सब िजनस यहा तयार ह

आराम म आराम ह आजार म आजार11 ह

दिनया न जान इसको िमया दरया की यह मझधार ह

औरो का बड़ा पार कर तरा भी बड़ा पार ह

कलजग नही 6

त और की तारीफ कर तझको सना वानी12 िमल

कर मिकल आसा औरो की तझको भी आसानी िमल

त और को महमान कर तझको भी महमानी िमल

रोटी िखला रोटी िमल पानी िपला पानी िमल

कलजग नही 7

जो गल13 िखलाव और का उसका ही गल िखलता भी ह

जो और का कील14 ह मह उसका ही मह िकलता भी ह

जो और का छील िजगर उसका िजगर िछलता भी ह

जो और को दव कपट उसको कपट िमलता भी ह

कलजग नही 8

कर जो कछ करना ह अब यह दम तो कोई आन15 ह

नकसान म नकसान ह एहसान म एहसान ह

तोहमत म यहा तोहमत िमल तफान म तफान ह

रहमान16 को रहमान17 ह शतान को शतान ह

कलजग नही 9

यहा जहर द तो जहर ल श कर म श कर दख ल

नको का नकी का मजा मजी18 को ट कर दख ल

मोती िदय मोती िमल पतथर म पतथर दख ल

गर तझको यह बावर19 नही तो त भी करक दख ल

कलजग नही 10

अपन नफ क वाःत मत और का नकसान कर

तरा भी नकसा होवगा इस बात पर त धयान कर

खाना जो खा सो दखकर पानी िपय तो छानकर

या पावो को रख फककर और खोफ स गजरान कर

कलजग नही 11

गफलत की यह जगह नही त सािहब-इदराक20 रह

िदलशाद21 ऱख िदल शाह रह गमनाक रख गमनाक रह

हर हाल म भी त नजीर22 अब हर कदम की रह

यह वह मका ह ओ िमया या पाक23 रह बबाक24 रह

कलजग नही 12

1 वःत 2 मसीबत 3 पप की तरह 4 तर िलय 5 रहःय 6 दगा-धोखा 7 घर 8 परखना 9 नगरी 10 िवचार कर 11 दःख 12 तारीफ-ःतित 13 फल 14 िकसी को बोलन न दना 15 घड़ी पल 16 दयावान 17 दयाल भगवान 18 सतान वाला 19 िव ास 20 तीो ा तज समझन वाला प ष 21 सननिच 22 किव का नाम ह 23 श पिवऽ 24 िनडर

  • आधयातमिक विदया क उदगाता
  • सवासथय क लिए मतर
  • परासताविक
  • बरहमचरय-रकषा का मनतर
  • आसनो की परकिया म आन वाल कछ शबदो की समझ
  • आवशयक निरदश
  • योगासन
    • पदमासन या कमलासन
    • सिदधासन
    • सरवागासन
    • हलासन
    • पवनमकतासन
    • मतसयासन
    • भजगासन
    • धनरासन
    • चकरासन
    • कटिपिणडमरदनासन
    • अरधमतसयनदरासन
    • योगमदरासन
    • गोरकषासन या भदरासन
    • मयरासन
    • वजरासन
    • सपतवजरासन
    • शवासन
    • पादपशचिमोततानासन
      • तरिबनध
        • मलबनध
        • उडडीयान बनध
        • जालनधरबनध
          • कवली कमभक
          • जलनति
          • गजकरणी
          • शरीर शोधन-कायाकलप
          • कलजग नही करजग ह यह
Page 39: अनुबम - || Home || HariOmGroup · िस होता है। िवशु नाड़ीतंऽ वालेयोगी के िवशु शरीर में

कलजग नही करजग ह यह

कलजग नही करजग ह यह यहा िदन को द अ रात ल

या खब सौदा नकद ह इस हाथ द उस हाथ ल टक

दिनया अजब बाज़ार ह कछ िजनस1 या िक साथ ल

नकी का बदला नक ह बद स बदी की बात ल

मवा िखला मवा िमल फल फल द फल पात ल

आराम द आराम ल दःख ददर द आफत2 ल 1

काटा िकसी को मत लगा गो िमःल-गल3 फला ह त

वह तर हक4 म तीर ह िकस बात पर झला ह त

मत आग म डाल और को या घास का पला ह त

सन ऱख यह नकता5 बखबर िकस बात पर भला ह त

कलजग नही 2

शोखी शरारत मकरो-फन6 सबका बसखा7 ह यहा

जो जो िदखाया और को वह खद भी दखा ह यहा

खोटी खरी जो कछ कही ितसका परखा8 ह यहा

जो जो पड़ा तलता ह मोल ितल ितल का लखा ह यहा

कलजग नही 3

जो और की बःती9 रख उसका भी बसता ह परा

जो और क मार छरी उसको भी लगता ह छरा

जो और की तोड़ घड़ी उसका भी टट ह घड़ा

जो और की चत10 बदी उसका भी होता ह बरा

कलजग नही 4

जो और को फल दवगा वह भी सदा फल पावगा

गह स गह जौ स जौ चावल स चावल पावगा

जो आज दवगा यहा वसा ही वह कल पावगा

कल दवगा कल पावगा िफर दवगा िफर पावगा

कलजग नही 5

जो चाह ल चल इस घड़ी सब िजनस यहा तयार ह

आराम म आराम ह आजार म आजार11 ह

दिनया न जान इसको िमया दरया की यह मझधार ह

औरो का बड़ा पार कर तरा भी बड़ा पार ह

कलजग नही 6

त और की तारीफ कर तझको सना वानी12 िमल

कर मिकल आसा औरो की तझको भी आसानी िमल

त और को महमान कर तझको भी महमानी िमल

रोटी िखला रोटी िमल पानी िपला पानी िमल

कलजग नही 7

जो गल13 िखलाव और का उसका ही गल िखलता भी ह

जो और का कील14 ह मह उसका ही मह िकलता भी ह

जो और का छील िजगर उसका िजगर िछलता भी ह

जो और को दव कपट उसको कपट िमलता भी ह

कलजग नही 8

कर जो कछ करना ह अब यह दम तो कोई आन15 ह

नकसान म नकसान ह एहसान म एहसान ह

तोहमत म यहा तोहमत िमल तफान म तफान ह

रहमान16 को रहमान17 ह शतान को शतान ह

कलजग नही 9

यहा जहर द तो जहर ल श कर म श कर दख ल

नको का नकी का मजा मजी18 को ट कर दख ल

मोती िदय मोती िमल पतथर म पतथर दख ल

गर तझको यह बावर19 नही तो त भी करक दख ल

कलजग नही 10

अपन नफ क वाःत मत और का नकसान कर

तरा भी नकसा होवगा इस बात पर त धयान कर

खाना जो खा सो दखकर पानी िपय तो छानकर

या पावो को रख फककर और खोफ स गजरान कर

कलजग नही 11

गफलत की यह जगह नही त सािहब-इदराक20 रह

िदलशाद21 ऱख िदल शाह रह गमनाक रख गमनाक रह

हर हाल म भी त नजीर22 अब हर कदम की रह

यह वह मका ह ओ िमया या पाक23 रह बबाक24 रह

कलजग नही 12

1 वःत 2 मसीबत 3 पप की तरह 4 तर िलय 5 रहःय 6 दगा-धोखा 7 घर 8 परखना 9 नगरी 10 िवचार कर 11 दःख 12 तारीफ-ःतित 13 फल 14 िकसी को बोलन न दना 15 घड़ी पल 16 दयावान 17 दयाल भगवान 18 सतान वाला 19 िव ास 20 तीो ा तज समझन वाला प ष 21 सननिच 22 किव का नाम ह 23 श पिवऽ 24 िनडर

  • आधयातमिक विदया क उदगाता
  • सवासथय क लिए मतर
  • परासताविक
  • बरहमचरय-रकषा का मनतर
  • आसनो की परकिया म आन वाल कछ शबदो की समझ
  • आवशयक निरदश
  • योगासन
    • पदमासन या कमलासन
    • सिदधासन
    • सरवागासन
    • हलासन
    • पवनमकतासन
    • मतसयासन
    • भजगासन
    • धनरासन
    • चकरासन
    • कटिपिणडमरदनासन
    • अरधमतसयनदरासन
    • योगमदरासन
    • गोरकषासन या भदरासन
    • मयरासन
    • वजरासन
    • सपतवजरासन
    • शवासन
    • पादपशचिमोततानासन
      • तरिबनध
        • मलबनध
        • उडडीयान बनध
        • जालनधरबनध
          • कवली कमभक
          • जलनति
          • गजकरणी
          • शरीर शोधन-कायाकलप
          • कलजग नही करजग ह यह
Page 40: अनुबम - || Home || HariOmGroup · िस होता है। िवशु नाड़ीतंऽ वालेयोगी के िवशु शरीर में

जो और की तोड़ घड़ी उसका भी टट ह घड़ा

जो और की चत10 बदी उसका भी होता ह बरा

कलजग नही 4

जो और को फल दवगा वह भी सदा फल पावगा

गह स गह जौ स जौ चावल स चावल पावगा

जो आज दवगा यहा वसा ही वह कल पावगा

कल दवगा कल पावगा िफर दवगा िफर पावगा

कलजग नही 5

जो चाह ल चल इस घड़ी सब िजनस यहा तयार ह

आराम म आराम ह आजार म आजार11 ह

दिनया न जान इसको िमया दरया की यह मझधार ह

औरो का बड़ा पार कर तरा भी बड़ा पार ह

कलजग नही 6

त और की तारीफ कर तझको सना वानी12 िमल

कर मिकल आसा औरो की तझको भी आसानी िमल

त और को महमान कर तझको भी महमानी िमल

रोटी िखला रोटी िमल पानी िपला पानी िमल

कलजग नही 7

जो गल13 िखलाव और का उसका ही गल िखलता भी ह

जो और का कील14 ह मह उसका ही मह िकलता भी ह

जो और का छील िजगर उसका िजगर िछलता भी ह

जो और को दव कपट उसको कपट िमलता भी ह

कलजग नही 8

कर जो कछ करना ह अब यह दम तो कोई आन15 ह

नकसान म नकसान ह एहसान म एहसान ह

तोहमत म यहा तोहमत िमल तफान म तफान ह

रहमान16 को रहमान17 ह शतान को शतान ह

कलजग नही 9

यहा जहर द तो जहर ल श कर म श कर दख ल

नको का नकी का मजा मजी18 को ट कर दख ल

मोती िदय मोती िमल पतथर म पतथर दख ल

गर तझको यह बावर19 नही तो त भी करक दख ल

कलजग नही 10

अपन नफ क वाःत मत और का नकसान कर

तरा भी नकसा होवगा इस बात पर त धयान कर

खाना जो खा सो दखकर पानी िपय तो छानकर

या पावो को रख फककर और खोफ स गजरान कर

कलजग नही 11

गफलत की यह जगह नही त सािहब-इदराक20 रह

िदलशाद21 ऱख िदल शाह रह गमनाक रख गमनाक रह

हर हाल म भी त नजीर22 अब हर कदम की रह

यह वह मका ह ओ िमया या पाक23 रह बबाक24 रह

कलजग नही 12

1 वःत 2 मसीबत 3 पप की तरह 4 तर िलय 5 रहःय 6 दगा-धोखा 7 घर 8 परखना 9 नगरी 10 िवचार कर 11 दःख 12 तारीफ-ःतित 13 फल 14 िकसी को बोलन न दना 15 घड़ी पल 16 दयावान 17 दयाल भगवान 18 सतान वाला 19 िव ास 20 तीो ा तज समझन वाला प ष 21 सननिच 22 किव का नाम ह 23 श पिवऽ 24 िनडर

  • आधयातमिक विदया क उदगाता
  • सवासथय क लिए मतर
  • परासताविक
  • बरहमचरय-रकषा का मनतर
  • आसनो की परकिया म आन वाल कछ शबदो की समझ
  • आवशयक निरदश
  • योगासन
    • पदमासन या कमलासन
    • सिदधासन
    • सरवागासन
    • हलासन
    • पवनमकतासन
    • मतसयासन
    • भजगासन
    • धनरासन
    • चकरासन
    • कटिपिणडमरदनासन
    • अरधमतसयनदरासन
    • योगमदरासन
    • गोरकषासन या भदरासन
    • मयरासन
    • वजरासन
    • सपतवजरासन
    • शवासन
    • पादपशचिमोततानासन
      • तरिबनध
        • मलबनध
        • उडडीयान बनध
        • जालनधरबनध
          • कवली कमभक
          • जलनति
          • गजकरणी
          • शरीर शोधन-कायाकलप
          • कलजग नही करजग ह यह
Page 41: अनुबम - || Home || HariOmGroup · िस होता है। िवशु नाड़ीतंऽ वालेयोगी के िवशु शरीर में

जो और का कील14 ह मह उसका ही मह िकलता भी ह

जो और का छील िजगर उसका िजगर िछलता भी ह

जो और को दव कपट उसको कपट िमलता भी ह

कलजग नही 8

कर जो कछ करना ह अब यह दम तो कोई आन15 ह

नकसान म नकसान ह एहसान म एहसान ह

तोहमत म यहा तोहमत िमल तफान म तफान ह

रहमान16 को रहमान17 ह शतान को शतान ह

कलजग नही 9

यहा जहर द तो जहर ल श कर म श कर दख ल

नको का नकी का मजा मजी18 को ट कर दख ल

मोती िदय मोती िमल पतथर म पतथर दख ल

गर तझको यह बावर19 नही तो त भी करक दख ल

कलजग नही 10

अपन नफ क वाःत मत और का नकसान कर

तरा भी नकसा होवगा इस बात पर त धयान कर

खाना जो खा सो दखकर पानी िपय तो छानकर

या पावो को रख फककर और खोफ स गजरान कर

कलजग नही 11

गफलत की यह जगह नही त सािहब-इदराक20 रह

िदलशाद21 ऱख िदल शाह रह गमनाक रख गमनाक रह

हर हाल म भी त नजीर22 अब हर कदम की रह

यह वह मका ह ओ िमया या पाक23 रह बबाक24 रह

कलजग नही 12

1 वःत 2 मसीबत 3 पप की तरह 4 तर िलय 5 रहःय 6 दगा-धोखा 7 घर 8 परखना 9 नगरी 10 िवचार कर 11 दःख 12 तारीफ-ःतित 13 फल 14 िकसी को बोलन न दना 15 घड़ी पल 16 दयावान 17 दयाल भगवान 18 सतान वाला 19 िव ास 20 तीो ा तज समझन वाला प ष 21 सननिच 22 किव का नाम ह 23 श पिवऽ 24 िनडर

  • आधयातमिक विदया क उदगाता
  • सवासथय क लिए मतर
  • परासताविक
  • बरहमचरय-रकषा का मनतर
  • आसनो की परकिया म आन वाल कछ शबदो की समझ
  • आवशयक निरदश
  • योगासन
    • पदमासन या कमलासन
    • सिदधासन
    • सरवागासन
    • हलासन
    • पवनमकतासन
    • मतसयासन
    • भजगासन
    • धनरासन
    • चकरासन
    • कटिपिणडमरदनासन
    • अरधमतसयनदरासन
    • योगमदरासन
    • गोरकषासन या भदरासन
    • मयरासन
    • वजरासन
    • सपतवजरासन
    • शवासन
    • पादपशचिमोततानासन
      • तरिबनध
        • मलबनध
        • उडडीयान बनध
        • जालनधरबनध
          • कवली कमभक
          • जलनति
          • गजकरणी
          • शरीर शोधन-कायाकलप
          • कलजग नही करजग ह यह
Page 42: अनुबम - || Home || HariOmGroup · िस होता है। िवशु नाड़ीतंऽ वालेयोगी के िवशु शरीर में

गफलत की यह जगह नही त सािहब-इदराक20 रह

िदलशाद21 ऱख िदल शाह रह गमनाक रख गमनाक रह

हर हाल म भी त नजीर22 अब हर कदम की रह

यह वह मका ह ओ िमया या पाक23 रह बबाक24 रह

कलजग नही 12

1 वःत 2 मसीबत 3 पप की तरह 4 तर िलय 5 रहःय 6 दगा-धोखा 7 घर 8 परखना 9 नगरी 10 िवचार कर 11 दःख 12 तारीफ-ःतित 13 फल 14 िकसी को बोलन न दना 15 घड़ी पल 16 दयावान 17 दयाल भगवान 18 सतान वाला 19 िव ास 20 तीो ा तज समझन वाला प ष 21 सननिच 22 किव का नाम ह 23 श पिवऽ 24 िनडर

  • आधयातमिक विदया क उदगाता
  • सवासथय क लिए मतर
  • परासताविक
  • बरहमचरय-रकषा का मनतर
  • आसनो की परकिया म आन वाल कछ शबदो की समझ
  • आवशयक निरदश
  • योगासन
    • पदमासन या कमलासन
    • सिदधासन
    • सरवागासन
    • हलासन
    • पवनमकतासन
    • मतसयासन
    • भजगासन
    • धनरासन
    • चकरासन
    • कटिपिणडमरदनासन
    • अरधमतसयनदरासन
    • योगमदरासन
    • गोरकषासन या भदरासन
    • मयरासन
    • वजरासन
    • सपतवजरासन
    • शवासन
    • पादपशचिमोततानासन
      • तरिबनध
        • मलबनध
        • उडडीयान बनध
        • जालनधरबनध
          • कवली कमभक
          • जलनति
          • गजकरणी
          • शरीर शोधन-कायाकलप
          • कलजग नही करजग ह यह