तब्लीग़-ए-हिदायत · अवतररत करता रहा है...

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    अनुवाद :- वही (ख़ुदा) है जिसने अपने रसूल को जहदायत और सच्े धर्म के साथ भेिा ताजक वह उसे धर्म (के प्रतयेक क्ेत्र) पर पूर्मरूप से जवियी कर दे चाहे रुजरिक जकतना ही बुरा रनाएँ।

    तब्लीग़-ए-हिदायत

    ्खेकिज़रत हिज़ाज़ा बशलीर अििद साहिब एि.ए.(रहज़)

    प्रकाशकनज़ारत नश्र-व-इशाअत, क़ाहदयान

  • नार पुसतक : तबलीग़-ए-जहदायत

    Name of book : Tablig-e-Hidayat

    लखेक : हज़रत जरज़ा्म बशीर अहरद साजहब एर.ए.(रजज़)

    Writer : Hazrat Mirza Bashir Ahmad M.A.R

    अनुवादक : अलीहसन एर.ए., एच.ए.

    Translator :Ali Hasan, M.A., H.A,

    प्रथर जहनदी संसकरर : िुलाई 2018 ई.

    First Hindi Ed. : July 2018

    संखया : 1000

    Quantity : 1000

    प्रकाशक : नज़ारत नरि व इशाअत, क़ाजदयान 143516 जज़ला-गुरदासपुर (पंिाब)

    रुद्रक : फ़ज़ले उरर जप्रंजिंग प्रेस, क़ाजदयान 143516 जज़ला-गुरदासपुर (पंिाब)

  • III तब्लीग़-ए-हिदायत

    जबससरल्ाजहर्रहराजनर्रहीर

    प्राककथनख़ुदा लोगों के सनराग्म हेतु सदैव से नबी, रसूल (अवतार)

    अवतररत करता रहा है िैसा जक क़ुर्मन शरीफ रें वजर्मत है जक (अर्रअद - 8 ) َولُِکّلِ قَْوٍم َھاٍد

    उसने हर क़ौर रें जहदायत देने के जलए सुधारक भेिे हैं, अतः वे लोगों के जलए सनराग्म की एक जदशा छोड़ िाते हैं परनतु सरय बीतने के साथ-साथ लोग उनकी जशक्ाओं और सनराग्म प्रासति के ढंगों को भूल िाते हैं और अपनी अलग-अलग रनगढ़ंत जवचारधाराओं को सनराग्म प्रासति के साधन सरझ बैठते हैं जिससे एक ही धर्म रें अनजगनत पंथ और जगरोह (जफक़क़े) िनर ले लेते हैं और हर एक अपने रप को सनराग्म का अनुगारी और दुसरे को भ्रष्ट सरझने लगता है इसलार रें भी ऐसा ही हुर और रुसलरान सनराग्म प्रासति की सही जदशा जनददेश न पाकर सैंकड़ों जफककों रें बंि गए।

    अतः इस पुसतक रें क़ुर्मन, हदीस और उमरत के बुज़ुगकों के दृष्टानतों को धयान रें रखते हुए लोगों की सनराग्मप्रासति का जवशेष धयान रखा गया है और सपष्ट जकया गया है जक रज़िरी युग रें रने वाले रसीह और रहदी एक ही अससततव के दो रूप हैं और उससे समबसनधत भजवषयवाजरयों और जनशाजनयों के अजतररक्त उनके सथान और कायकों का भी वर्मन जकया गया है। इसके अजतररक्त ़ितरे-नुबुववत और हज़रत जरज़ा्म गुलार अहरद साजहब क़ाजदयानी अलैजहससलार के दावों पर भी उदाहरर एवं ताजककिक रूप से प्रकाश डाला गया है।

    यह उदू्म भाषा की रूल पुसतक तबलीग़-ए-जहदायत लेखक जरज़ा्म बशीर अहरद साजहब एर.ए. का जहनदी अनुवाद है जिसे रदररीय

  • तब्लीग़-ए-हिदायत IVअली हसन साजहब एर.ए. फ़ाजज़ल ने बड़ी लगन से जकया है और रिी शे़ि रुिाजहद अहरद शासत्री, रिी रुहमरद नसीरुल हक़ रचाय्म और रिी फरहत अहरद रचाय्म ने इसका ररजवयु जकया है। सरय की रवशयकता को धयान रें रखते हुए इसे पहली बार इरार िराअत अहरजदया हज़रत जरज़ा्म रसरूर अहरद साजहब की अनुरजत से प्रकाजशत जकया िा रहा है। रशा है जक यह पुसतक जहनदी भाजषयों के जलए बहुत लाभदायक जसद्ध होगी। अरीन

    नाजज़र नरि व इशाअत क़ाजदयान

  • V तब्लीग़-ए-हिदायत

    हवषय सूचलीक्र. हवषय पृ.

    1. प्रसतावना1 पैग़मबरों के रने का जसलजसला 12 जसलजसला-ए-पैग़मबरी का चररोतकष्म 23 क़ुर्मन की जशक्ा का शासबदक व रजथ्मक संरक्र इसलार

    के िीवनत होने का रसरानी प्ररार 34 रात्र भाैजतक ज्ान िीवन का प्ररार नहीं और न ही वह

    िीवनदायक है 65 इसलार रें रुिसदिदों (सुधारकों) के रने का जसलजसला 86 जशक्ा की पूर्मता के बाविूद सुधारकों की रवशयकता है 97 रज़िरी युग (अथा्मत कजलयुग) के बारे रें एक भयानक

    जफत् ना की भजवषयवारी 128 इसलार और रुसलरानों की वत्मरान हालत 139 असनतर युग के जफतने का इलाि 1510 हज़रत जरज़ा्म साजहब का दावा 1711 परखने के प्रकार 1912 रनक़ूली तहक़ीक़ का ढंग (अथा्मत उदाहृत प्ररारों द्ारा

    परख) 2013 ताजककिक रूप से परखने का ढंग 2514 2. िसलीि का अवतरण और ििदली का प्रकटन

  • तब्लीग़-ए-हिदायत VIक्र. हवषय पृ.15 क़ुर्मन और हदीस रें रसीह और रहदी के समबनध रें

    भजवषयवारी 2916 हज़रत रसीह नासरी रसरान पर नहीं उठाए गए 3417 रसीह नासरी अलैजहससलार की देहानत 3918 रसीह(अ) के िीजवत होने के अक़ीदे पर कभी सहरजत नही हुई 5519 रसीह के िीजवत होने का अक़ीदा इसलार रें कहाँ से रया 5820 रुदकों का वाजपस न लौिना 5921 रौऊद (कजथत) रसीह को इसी उमरत रें से होना था 6022 नुज़ूल (अवतरर) की वासतजवक्ता 6523 इसबन रररयर के नार रें जहकरत (रहसय) 6724 रसीह रौऊद और रहदी एक ही विूद के दो नार हैं 7325 रहदी तलवार से जिहाद नहीं करेगा 8626 3. िसलीि व ििदली की हनशाहनयाँ27 वजर्मत जनशाजनयों के बारे रें एक ग़लतफ़हरी का जनवारर 9628 रसीह व रहदी की दस रोिी-रोिी जनशाजनयाँ 9829 रसीह के अवतरर के समबनध रें एक रहान भजवषयवारी 12630 रसीह रौऊद का पहला कार 13531 रसीह रौऊद का दूसरा कार 14432 हज़रत जरज़ा्म साजहब का ईसाइयत से रुक़ाबला 14833 हज़रत जरज़ा्म साजहब का रयकों से रुक़ाबला 168

  • VII तब्लीग़-ए-हिदायतक्र. हवषय पृ.34 ब्रह्म सराि से रुक़ाबला 19535 देव सराि से रुक़ाबला 19836 अनय जवजभन्न धरकों से रुक़ाबला 20337 धर्म को परखने के दो सवजर्मर जसद्धानत 20438 हज़रत जरज़ा्म साजहब के द्ारा सरसत धरकों पर इसलार की

    जविय 21239 इसलार के प्रचार व प्रसार के जलए िराअत अहरजदया

    की कोजशश 22140 िराअत अहरजदया की प्रचार व प्रसार संबंधी कोजशशों

    के जववरर का नकशा 22841 हज़रत जरज़ा्म साजहब के बारे रें जवरोजधयों के जवचार 23242 रसीह रौऊद का तीसरा काय्म 23943 ईरान की वासतजवकता 23944 ईरान के लक्र 24945 ईरान का पहला लक्र 25146 ईरान का दूसरा लक्र 25447 ईरान का तीसरा लक्र 25448 ईरान का चौथा लक्र 25649 ईरान का पाँचवा लक्र 25750 सच्े ईरान पर ख़ुदा की रुहर 26151 रसीह रौऊद के काय्म का बीिारोपर पूर्म हो चुका है 263

  • तब्लीग़-ए-हिदायत VIIIक्र. हवषय पृ.52 िराअत अहरजदया की साव्मभौजरक उन्नजत के बारे रें

    एक रहान भजवषयवारी 26653 4. िसलीि व ििदली की हनशाहनयों पर एक िौह्क दृष्टि54 कजथत जनशाजनयों के संबंध रें एक सनदेह का जनराकरर 26755 जनशाजनयों के समबनध रें एक ठोस वर्मन 28156 हज़रत जरज़ा्म साजहब का नुबुववत का दावा 29057 ़ितरे नुबुववत के बारे रें हरारा अक़ीदा 29058 रयत ़िातरुन्नबीयीन की वयाखया 29559 हदीस َبْعِدْی َ ला नबीय बअदी) की वयाखया) لَ نَِبّ 30060 हदीस ُر َ َن عُ َن َبْعِدْی نَِبٌّ لَکَ लौ काना बअदी नबीयन) لَْوکَ

    ल-काना उरर) का सपष्टीकरर 30361 हदीस اِت َ ُمَبِشّ الْ ِالَّ ِۃ ُبّوَ الّنُ ِمَ یَْبَق ْ लम् यबक़ा जरनन्) لَ

    नुबुववत इल्ल रुबसशशरात) का सपष्टीकरर 30562 नुबुववत के जवषय रें इजराअ (अथा्मत् सरसत रुसलरानाें

    के एकरत) होने का दावा ग़लत है 30863 हर नबी के जलए नयी शरीअत (धर्म जवधान) लाना

    रवशयक नहीं 31464 हर नबी एक रंग रें जकताब लाता है 31765 हर नबी अवशयरेव अनुकररीय होता है पर इसका यह

    अथ्म नहीं जक वह जकसी दूसरे नबी का अनुयायी नहीं होता 319

  • IX तब्लीग़-ए-हिदायत

    क्र. हवषय पृ.66 क़ुर्मन शरीफ़ से जसलजसला नुबुववत का िारी होना

    साजबत है 32267 हदीस से नुबुववत के जसलजसला का िारी होना साजबत है 32868 नुबुववत से समबसनधत बहस का सार 33369 नुबुववत की बहस के सनदभ्म रें हज़रत जरज़ा्म साजहब के

    दो जनरा्मयक उद्धरर 33570 जकताब का सरापन और जवनीत लेखक की ओर से प्राथ्मना 336

    * * **

  • 1 तब्लीग़-ए-हिदायत

    प्रसतावनापैग़मबरों के आने का हस्हस्ा

    जवश्व के सरसत धरकों पर दृसष्ट डालने से पता लगता है जक प्रारमभ से ही अल्ाह तरला का यह जवधान है जक वह अधर्म और अनधकार के प्रतयेक युग रें अपनी ओर से जकसी सवचछ छजव वाले रहान वयसक्त को लोगों के सनराग्मदश्मन के जलए अवतररत करता है और उसके द्ारा लोगों का सुधार करता है और नए-नए चरतकारों के द्ारा अपने रूप संसार पर प्रकि करके नाससतकता के अनधकार से लोगों को बाहर जनकालता है। पैग़मबरों के रने का यह जसलजसला प्रारमभ से लेकर अब तक जनरनतर चला र रहा है। प्रारसमभक काल रें िब जवजभन्न देशों और क़ौरों के रधय पारसपररक रेल-िोल के साधन न के बराबर थे, हर देश दूसरे देश से किा हुर था, हर क़ौर दूसरी क़ौरों से अनजभज् थी रानों हर देश और हर क़ौर का एक अलग-अलग संसार था। इसजलए अल्ाह तरला की ओर से उस सरय अलग-अलग देश और क़ौरों के जलए अलग-अलग पैग़मबर रते थे। िैसा जक क़ुर्मन शरीफ रें अल्ाह तरला का कथन है जक :-

    ۔ ِذْیٌَِفْیَا ن

    َل

    َ خ

    ٍَّۃ ِال

    َّم

    ُْ ا َوِاْن ِمّ

    (सूरह फ़ाजतर 35:25)अथा्मत ‘‘कोई ऐसी क़ौर नहीं जिसरें अल्ाह तरला की ओर

    से कोई िागरुक करने वाला (पैग़मबर) न रया हो।’’अत: जिस तरह शार (सीररया), जरस्र, इराक़ इतयाजद रें

    अल्ाह तरला के पैग़मबर रए उसी तरह जहनदुसतान, चीन, फारस के अजतररक्त जवश्व के अनय देशाें रें भी रए। इसजलए हर हर देश और हर क़ौर रें रए हुए रसूलों को सच्ा िानते और

  • तब्लीग़-ए-हिदायत 2रानते हैं, िहाँ हर हज़रत नूह(अ), हज़रत इब्राहीर(अ), हज़रत रूसा(अ) और हज़रत ईसा(अ) पर ईरान लाते हैं वहीं ज़रतुशत, गौतर बुद्ध, कन्फयूशस और कृषर इतयाजद के भी पैग़मबर होने को सवीकार करते हैं अौर उनको उसी रदर समरान की दृसष्ट से देखते हैं िो एक नबी की शान के अनुकूल है।

    हस्हस्ा-ए-पैग़मबरली का चरिोतकषज़ाउपरोक्त सारे पैग़मबर और उस काल रें रने वाले अनय

    पैग़मबर भी उसी प्राचीनकाल के जलए थे िब संसार की जवजभन्न क़ौरें एक दूसरे से अनजभज् थीं और हर देश दूसरे देशों से किा हुर था और रनुषय का रानजसक जवकास भी अपनी प्रारसमभक अवसथा रें था, परनतु िब वह सरय जनकि रने लगा जक सरसत संसार वसुधैव कुिुमबकर बनने लगा और जवजभन्न क़ौरों के रधय पारसपररक समबनध सथाजपत होने लगे और लोगों का रानजसक जवकास शनै: शनै: उन्नजत करके अपनी पररपक् वता को पहँुचने लगा तो अल्ाह तरला ने अलग-अलग क़ौरों और अलग-अलग देशों रें रसूल भेिने के बिाए सारे जवश्व के जलए एक ही जसररौर रसूल अवतररत जकया और ऐसी पृथक-पृथक जशक्ाएँ अवतररत करने के सथान पर िो पूव्म की भाँजत लोगों की केवल सारजयक रवशयकताएँ पूरी करने वाली हों, सरसत युगों रैर सरसत रानव क़ौर के जलए एक ही सकल और समपूर्म पुसतक अवतररत की। यह रसूल रुहमरद सल्ल्ाहो अलैजह व सल्र पुत्र अबदुल्ाह थे िो सातवीं शताबदी ईसवी के प्रारमभ रें ख़ुदा की ओर से सरसत जवश्व की पैग़मबरी के जलए चुने गए और वह जकताब क़ुर्मन रिीद है िो रुहमरद सल्ल्ाहो अलैजह व सल्र को दी गई।

  • 3 तब्लीग़-ए-हिदायत

    क़ुआज़ान की हशक्ा का शाष्बदक व आहथज़ाक संरक्ण इस्ाि के जलीवनत िोने का आसिानली प्रिाण

    इस पजवत्र रसूल और पजवत्र पुसतक के अवतरर से रसूलों और पुसतकों के अवतरर का जसलजसला अपने चररोतकष्म को पहँुच गया। िैसा जक अल्ाह तरला का कथन है :-

    ْيَ ِبِيَّ

    َم الّنَات

    َِ َوخ

    َ للّا

    َُسْول

    َِكْن ّر

    ََٰول

    (सूरह अहज़ाब 33:41)जफर फ़रराया :-َوَرِضْيُت ِنْعَمِتْ ْ

    ُْيك

    ََعل َْمُت

    ْت

    أََو� ْ

    ُِدْیَنك ْ

    ُك

    َل ُت

    َْمل

    ْك

    أَ� َيْوَم

    ْل

    َا

    َم ِدْیًنا۔َ

    ْسل إِْ

    ُ الُ

    كَل

    (सूरह रायद: 5:4)अथा्मत ‘‘रुहमरद रसूलुल्ाह सल्ल्ाहो अलैजह व सल्र

    अल्ाह तरला के ऐसे रसूल हैं जिन पर पैग़मबरी की सरसत जवशेषताएँ अपने चररोतकष्म को पहँुच चुकी हैं। इसजलए रि हरने तुमहारे जलए तुमहारे धर्म को चररोतकष्म तक पहँुचा जदया है और तुर पर अपनी नेरत पूरी कर दी है और तुमहारे जलए धर्म इसलार पसनद जकया है।’’

    चूॅंजक क़ुर्मन करीर के राधयर से ख़ुदा की जशक्ा अपने चररोतकष्म को पहँुच चुकी अब इसके बाद अनय कोई शरीअत (धर्म जवधान) नहीं थी। इसजलए अल्ाह तरला ने इसके समबनध रें सवयं कहा जक :-

    ْوَن۔ُ

    ِفظ َٰ

    ٗه لَل

    ََر َوِاّن

    ْک

    َّنا الِذ

    ْل

    َّ ُن نَ َْ

    نَ

    ِاّن(सूरह अल-हज्र 15:10)

    अथा्मत ‘‘जन:सनदेह हरने ही यह क़ुर्मन उतारा है और अवशयरेव हर इसकी रक्ा करेंगे।’’

    सुरक्ा का यह वादा अनय जकसी रसरानी पुसतक के साथ

  • तब्लीग़-ए-हिदायत 4नहीं है, जिसका यह कारर कदाजप नहीं जक अनय जकताबें ख़ुदा तरला की अोर से न थीं बस्क ऊपर बताया िा चुका है जक क़ुर्मन शरीफ से पहले जितनी भी रसरानी पुसतकें अवतररत हुईं वे भी ख़ुदा तरला की ओर से थीं परनतु वे केवल जवशेष सरय और क्ेत्र तक सीजरत थीं और जवशेष क़ौरों और जवशेष युगों की ही रवशयकताओं को पूरी करती थीं वे समपूर्म रानव िगत और समपूर्म युगों के जलए न थीं, अनतत: एक जदन उनकी सरयसीरा सराति हो िाने वाली थी। इसजलए उनके साथ ऐसे जचरसथायी वादा की अावशयकता न थी। जकनतु क़ुर्मन शरीफ की सुरक्ा रवशयक थी कयोंजक वह सरसत रानव िगत और सरसत युगों की रवशयकताओं को पूरा करने वाली थी। जिसके अनदर ऐसे रहसयज्ान जछपे हुए थे िो सरयानुसार जवजभन्न युगों रें प्रकि होने वाले थे। इसजलए रवशयक था जक वह सदा के जलए अपने रूल शबदों रें सुरजक्त रखा िाता।

    यह सुरक्ा दो प्रकार से हुई। प्रथि शबदों की दृसष्ट से और जद्तीय अथकों की दृसष्ट से। अत: सुरक्ा के यही दो दृसष्टकोर हैं, प्रथि यह जक क़ुर्मन शरीफ के शबदों की सुरक्ा हो, अजभप्राय यह जक जिस रूप रें उनका हज़रत रुहमरद सल्ल्ाहो अलैजह व सल्र पर अवतरर हुर है उसी रूप रें वे जबना जकसी पररवत्मन के जयों के तयों सुरजक्त रहें। दूसरा यह जक क़ुर्मन शरीफ के सही अथ्म दुजनया रें रौिूद रहें और क़ुर्मन की जशक्ाओं का वासतजवक रर्म दुजनया से जरिने न पाए। अतएव क़ुर्मन शरीफ को यह दोनों प्रकार की सुरक्ा जरली। लेजकन अनय पुसतकें और धर्म इस सुरक्ा से वंजचत रहे, न तो उनके शबद ही रूलत: सुरजक्त रहे और न ही उनके राजर्मक अथकों और जशक्ाओं को शाश्वत रखने के जलए अल्ाह तरला की ओर से कोई सथायी प्रबनध हुर कयोंजक वे अपना काय्म और सरय पूरा कर चुके थे अब उनकी रवशयकता

  • 5 तब्लीग़-ए-हिदायतन थी। इसजलए वे अपनी रधारभूत जशक्ाओं की दृसष्ट से रर गए और केवल नार या बदले हुए ढाँचे के अजतररक्त उनका कुछ शेष न रहा और उनका हाल उस बाग़ की तरह हो गया जिसके राजलक ने उनके वृक्ों के सूख िाने के कारर उसकी देखभाल छोड़ दी हो और एक नया बाग़ लगा जलया हो। अत: इसलार उनकी तरह नहीं है बस्क यह एक िीजवत धर्म है और सदैव िीजवत रहने के जलए क़ायर जकया गया है। इसजलए इसके शबदों की सुरक्ा की गई और अथकों की भी।

    शासबदक सुरक्ा तो इस तरह हुई जक वह अवतरर के सरय से ही साथ-साथ जलखा गया और साथ ही बहुत से लोगों को शबद-शबद जयों का तयों कंठसथ करा जदया गया और इसकी कई प्रजतयाँ जलखकर सुरजक्त कर ली गईं और इसलारी शासन की ओर से उसकी जवशेष सुरक्ा की गई और शीघ्र ही लाखों प्रजतयों रें जलखकर समपूर्म जवश्व रें फैला जदया गया और प्रकाजशत भी जकया गया। रि भी दुजनया रें लाखों लोग ऐसे हैं िो क़ुर्मन को कंठसथ जकए हुए हैं। तातपय्म यह जक इसकी ऐसी सुरक्ा हुई जक सवयं इसलार के कट्टर जवरोधी भी सवीकार करते हैं जक रौिूदा क़ुर्मन जबना जकसी पररवत्मन के जन:सनदेह वही क़ुर्मन है िो रि से साढ़े तेरह साै वष्म पूव्म रुहमरद सल्ल्ाहो अलैजह व सल्र पर अवतररत हुर था। सारा जवश्व इसकी शासबदक सुरक्ा को रि भी सवीकार करता है। (देजखए लाइफ ऑफ रुहमरद - लेखक सर जवजलयर मयोर)

    अथकों की सुरक्ा इस तरह हुई जक इसके जलए अल्ाह तरला की ओर से यह प्रबनध हुर जक हर ज़राने रें ऐसे लोग पैदा होते रहे हैं िो क़ुररनी जशक्ा के रर्म को उिागर और क़ायर करते रहे हैं जिनके द्ारा इसलार अपने रर्म और चरतकार की दृसष्ट से िीजवत रहा। अथा्मत इसलार उस फल की भाँजत कभी नहीं हुर जिसका गूदा नष्ट हो िाए और केवल जछलका शेष रहे। अत: िब िब रुसलरान

  • तब्लीग़-ए-हिदायत 6अधर्म और दुराचार की ओर झुके हैं और उनरें इसलारी जशक्ाओं से लगाव कर हुर है और उनरें ग़लत रसथाएँ और दूजषत जवचार दाजखल होने लगे हैं और उनका ईरान करज़ोरी की ओर अग्रसर हुर है रैर नाससतकता अपना रंग जदखाने लगी है और हालात जबगड़ने शुरू हुए हैं। तातपय्म यह जक िब कभी अधर्म ने ज़ोर पकड़ा है तो अल्ाह तरला ने अपनी सुन्नत (जवधान) के अनुसार रुसलरानों के राग्मदश्मन हेतु अपने रदेश से जकसी रुिसदिद (सुधारक) को अवतररत कर जदया है ताजक वह ख़ुदा के नए चरतकारों के साथ पुन: लोगों के ईरान को िीजवत करे और अपने पजवत्र सदाचरर के द्ारा उनको पुन: धर्म की रज़बूत चट्टान पर खड़ा करके इसलार की वासतजवक जशक्ा जसखाए और उनकी ग़लत रसथाओं और दूजषत जवचारों को दूर करे। ऐसे रहापुरुष हरेशा इसलार के अनदर पैदा होते रहे हैं और यही इसलार के िीजवत धर्म होने का िीजवत प्ररार है। इससे ज्ात होता है जक इसलार एक छोड़े हुए बाग़ की तरह नहीं है बस्क इसका राली हर सरय इसकी सुरक्ा और सुधार की जफक्र रें है और इसके वृक् अभी सूखे नहीं और न ही फल देना बनद जकया है बस्क अब भी फल दे रहे हैं, परनतु दूसरे धर्म इस जवशेषता से वंजचत हैं अथा्मत अब उनरें ऐसे लोग नहीं पाए िाते िो ख़ुदा के रदेश के साथ संसार रें सुधार के जलए खड़े होते हैं जिनहें ख़ुदा अपनी वारी और पयार से प्रजतसठित करता है।

    िात्र भाैहतक ज्ान जलीवन का प्रिाण निीं और न िली वि जलीवनदायक िै

    जन:सनदेह भौजतक ज्ानों की दृसष्ट से हर धर्म रें जवद्ान पाए िाते हैं। परनतु यह ज्ान िीवन का प्ररार नहीं, कयोंजक ऐसे लोग उन

  • 7 तब्लीग़-ए-हिदायतसूखी लकजड़यों से बढ़कर नहीं िो एक उिड़े हुए बाग़ रें जरलती हैं बस्क िीवन उसका नार है जक अल्ाह तरला की रेर से ज्ान पाकर रैर उसकी िीजवत वारी से िीवन प्राति करके कोई रहापुरुष सुधार के जलए खड़ा हो। पर खूब देख लो जक ऐसे लोग इसलार के अजतररक्त और कहीं नहीं जदखाई देंगे। संसार के अनदर सुधार करना हर एक का कार नहीं और नाससतकता के गढ़े से जनकालकर एक ख़ुदा की इबादत और उस पर जवश्वास की रज़बूत चट्टान पर खड़ा कर देना रात्र भौजतक ज्ानों के द्ारा नहीं हो सकता। भौजतक ज्ान के बल पर यजद कोई वयसक्त ख़ुदा की हसती को रनवा सकता है तो केवल इस हद तक जक कोई ख़ुदा ‘‘िोना चाहिए’’ इससे बढ़कर कुछ नहीं। परनतु कया यह जवश्वास रोक् के जलए पया्मति है ? और कया इस सतर का ज्ान रनुषय के िीवन रें कोई सच्ा पररवत्मन पैदा कर सकता है ? कदाजप नहीं। बस्क रोक् के जलए यह रवशयक है जक अल्ाह के समबनध रें हरारा जवश्वास इस सीरा तक हो जक रानो हरने ख़ुदा को देख जलया और उसके अससततव का रभास कर जलया। अतएव हरारा जवश्वास ख़ुदा ‘‘होना चाजहए’’ तक न रहे बस्क ख़ुदा ‘‘है’’ के जवश्वसनीय सतर तक पहँुच िाए। यही वह ईरान है िो सुधार कर सकता है और जदल के अनदर जवश्वास भरता है और हृदय के रनोजवकारों को िलाकर राख कर देता है अौर रनुषय को एक नया िीवन प्रदान करके उसके अनदर एक नया रतरजवश्वास डाल देता है और स्रष्टा के साथ उसका वयसक्तगत समबनध करा देता है। यहाँ तक जक ख़ुदा ख़ुद बनदे से बातें करता है और उसकी दुरओं को सुनता है और उसके सवालों का िवाब देता है। लेजकन यह बातें रात्र भौजतक ज्ान से संभव नहीं और न यह रवशयक है जक भौजतक ज्ानों का ज्ाता इनहें िानता हो।

  • तब्लीग़-ए-हिदायत 8

    इस्ाि िें िुजष्दिदों (सुधारकों) के आने का हस्हस्ा

    इसलार की यह एक जवशेषता है जक हरेशा इसरें ज़रूरत के सरय ऐसे लोग पैदा होते रहे हैं िो ख़ुदा के संवाद और वाता्मलाप से समराजनत थे और ख़ुदा से जहदायत प्राति करके लोगों का राग्म दश्मन करते थे और इसलारी जशक्ाओं की वासतजवकता उनके द्ारा िीजवत रहती थी। ऐसे लोग यों तो सरय-सरय पर इसलार रें पैदा होते रहे हैं। परनतु हर शताबदी के ररमभ रें जवशेष रूप से ऐसे रहापुरुषों का प्रकिन होता रहा है जिसकी रँहज़रत सल्ल्ाहो अलैजह व सल्र ने सवयं भजवषयवारी की थी जक :-

    َها َل ُد

    َِّد

    ُ ّی َمْ ٍۃ

    ََسن ِۃ

    َِمائ

    ِّ

    ُک ِس

    أَرا َعٰ ِۃ

    َّم

    ُ ْال ِلٰهِذِہ یَْبَعُث للَا

    َِاّن

    د جلد ۲ بب الملمح( ا۔ )اوبداوأ ِدْیَنَ‘‘अल्ाह तरला रुसलरानों के अनदर हर शताबदी के ररमभ

    रें जकसी ऐसे वयसक्त को पैदा करता रहेगा िो रुसलरानों की उन ग़स्तयों को दूर करेगा िो रधयानतरकाल रें उन के अनदर पैदा हो चुकी होंगी और रुसलरानों को नविीवन प्रदान करेगा।’’

    अत: इजतहास से सपष्ट होता है जक वादा के अनुसार हर शताबदी जहिरी के प्रारसमभक काल रें जवशेषत: और शेष सरयों रें साधाररत: ऐसे लोग प्रकि होते रहे हैं जिनके द्ारा क़ुर्मन की असल जशक्ा और इसलार की वासतजवक जवशेषता का सरय की रवशयकतानुसार प्रकिन होता रहा है और वे ख़ुदा के रदेश से लोगों का शैजक्क और रधयासतरक सुधार करते रहे हैं। अत: हज़रत शेख अबदुल क़ाजदर साहब िीलानी, बारहवीं शताबदी जहिरी के रुिसदिद हज़रत शेख अहरद साहब सरजहनदी, हज़रत शाह वलीउल्ाह साहब देहलवी, हज़रत सैयद अहरद साहब

  • 9 तब्लीग़-ए-हिदायतबरेलवी इतयाजद उनहीं पजवत्र लोगों रें से हैं। उन लोगों ने अपने-अपने सरय रें ख़ुदा से जहदायत पाकर लोगों का सुधार जकया और अपने-अपने सरयों की उन कुरीजतयों को दूर जकया जिनके दूर करने का सरय र चुका था और जिनके जवषय रें ख़ुदा की इचछा थी जक वे दूर जकए िाएँ।

    हशक्ा की पूणज़ाता के बावजूद सुधारकों की आवशयकता िै

    यजद जकसी के जदल रें यह भ्रर पैदा हो जक िब क़ुर्मन शरीफ की जशक्ा हर तरह से पूर्म और पया्मति है तो इसके होते हुए सुधारक की कया रवशयकता है, हर वयसक्त िो इसकी जशक्ा का पाबनद हो वह अपना सुधार सवयं कर सकता है ? तो यह पूर्मत: एक ग़लत जवचार होगा। कयोंजक :-

    1. हरारा अनुभव इस जवचार को ग़लत ठहराता है कयोंजक हर देखते हैं जक क़ुर्मन की वयापक और पूर्म जशक्ा होने के बाविूद भी रुसलरान धाजर्मक दृसष्ट से जदन प्रजतजदन नीचे जगरते िा रहे हैं और यह िानते हुए भी जक हर जगर रहे हैं, उठ नहीं सकते। इसके अजतररक्त िब हर पूव्म युगों पर दृसष्ट डालते हैं तब भी यही पाते हैं जक संसार के इजतहास रें कभी ऐसा नहीं हुर जक कोई क़ौर धाजर्मक दृसष्ट से जगरकर जफर अपने रप उठी हो या उठ सकी हो।

    2. प्रारसमभक काल से चला र रहा ख़ुदा का कानून इस जवचार को ग़लत जसद्ध कर रहा है। कयोंजक हर देखते हैं जक प्रारमभ से ख़ुदा का यही जवधान चला र रहा है जक हर अनधकार के युग रें वह कोई न कोई सुधारक पैदा करता है। देखो हज़रत रूसा अलै. की क़ौर के जलए तौरात की जशक्ा पूर्म थी िो उनके अनदर रौिूद थी, लेजकन

  • तब्लीग़-ए-हिदायत 10उसके बाविूद अल्ाह तरला हर अनधकार के युग रें अपनी ओर से कोई न कोई सुधारक भेि कर उनके द्ारा रूसा की क़ाैर का सुधार करता रहा। क़ुर्मन शरीफ रें ख़ुदा का वर्मन है जक :-

    ُسِل ۔ُ

    ْيَنا ِم َبْعِدِه ِبلّرَّ

    فََوق

    (सूरह अल-बक़र: 2:88)‘‘हरने रूसा के बाद उसी की पेरवी (रतानुसरर) रें लगातार

    बहुत से रसूल भेिे।’’3. जशक्ा के पूर्म होने का तो यही अथ्म है जक अल्ाह तअाला

    ने सरसत रधयासतरक तरज्क़यों की राहें इसरें बता दी हैं और तरार रवशयकताएँ पूरी कर दी हैं। लेजकन यजद लोगों की िीका-जिपपजरयों से उस जशक्ा की सूरत ही जबगड़ िाए और उसकी असली जवशेषता सराति हो िाए तो जफर वह उस सरय तक जकस तरह सुधार का कार दे सकती है िब तक जक उसके ऊपर से िीका-जिपपजरयों के तराम् पदकों को उतार कर जफर से उसके अनदर असली जवशेषता न डाल दी िाए। पूर्म जशक्ा जन:सनदेह एक िौहर प्रकि करने वाली तलवार के सरान है लेजकन उसको चलाने वाला भी तो कोई होना चाजहए।

    4. हर एक जशक्ा चाहे वह जवशेषताओं की दृसष्ट से जकतनी ही वयापक और पररपूर्म हो, िीजवत उदाहरर के जबना अधूरी ही होती है। इसजलए अल्ाह तरला उन रधयासतरक सुधारकों के द्ारा िो साधना के तराम् सतरों से पररजचत होते हैं दुजनया रें इसलारी जशक्ा के रदश्म सथाजपत करता है।

    5. अल्ाह पर ईरान एक ऐसे वृक् के सरान है जक िब तक उसे अल्ाह की ओर से ताज़ा-ताज़ा जनशान रूपी पानी न जरलता रहे वह सूख िाता है और "है" के दृढ़ जवश्वास से घिकर ‘‘होना चाजहए’’ के खतरनाक जवचारों रें र िाता है िहाँ सनदेहों और भ्रासनतयों के जवषैले जवचार उसे रुदा्म कर देते हैं। परनतु िो ईरान नजबयों और वजलयों के राधयर से प्राति होता है वह एक जज़नदा हक़ीक़त है जिससे अल्ाह

  • 11 तब्लीग़-ए-हिदायततरला का अससततव अनुभूत और सुसपष्ट हो िाता है और रनुषय अल्ाह तरला के साथ वयसक्तगत समबनध पैदा करने के योगय हो िाता है जफर उसे एक नया िीवन जरलता है। इसीजलए जशक्ा की पूर्मता के बाविूद भी ऐसे रहापुरुषों की रवशयकता शेष रहती है िो ख़ुदा तरला की जवशेषताओं के द्ोतक हों और उनके द्ारा दुजनया रें नए-नए जनशानों की धारा बहती रहे। इसके अजतररक्त ये रधयासतरक राग्मदश्मक िो अल्ाह तरला के रदेश से दुजनया रें खड़े जकए िाते हैं अपने अनदर एक जवशेष जखंचाव और रकष्मर रखते हैं जिसके द्ारा वे सज्जनों को अपनी ओर रकजष्मत करने रें सरथ्म होते हैं और वसतुत: यही वह रकष्मर है िो सोए हुओं को िगाता है।

    6. रधयासतरक जवषयों रें िो ख़ुदा से समबनध रखत ेहैं िब तक सच्ा और जन:सनदहे राग्मदश्मन न हो तब तक वह लाभदायक नहीं हो सकता बस्क हाजनकारक ही जसद्ध होता है। जनसचित रूप स ेसच्ा सधुार जकसी ऐस ेरहापुरुष के जबना असमभव है िो ख़ुदा की ओर स ेज्ान पान ेवाला और उसके ताज़ा रदशे से खड़ा हुर हो। एक भौजतकवादी अपने भौजतक ज्ान से िो सुधार करेगा तो समभव है जक उसरें चार बातें सहीं हों और दस परू्मत: ग़लत हों। अत: रि रसुलरानों रें िो अतयजधक रतभदे हैं व ेजकस तरह दरू हो सकते हैं ? िब तक जक कोई वयसक्त ख़ुदा तरला की ओर से नयायक बन कर उसका जनर्मय न करे।

    7. रँहज़रत सल्ल्ाहो अलैजह व सल्र का यह भजवषयवारी करना जक इसलार रें रधयासतरक सुधारक पैदा होते रहेंगे, सवयं इस बात का प्ररार है जक शरीअत की पूर्मता के बाविूद भी सुधारकों की रवशयकता है।

    8. इसलार के अनदर ऐसे लोगों का अससततव भी वयावहाररक दृसष्ट से उनकी रवशयकता को जसद्ध करता है।

    तातपय्म यह जक हर अनधकार के युग रें ख़ुदा की ओर से जकसी रधयासतरक सुधारक का पैदा होना रवशयक है और वयवहाररक

  • तब्लीग़-ए-हिदायत 12दृसष्ट से भी रि तक अल्ाह तरला का यही जवधान, इसलार के अनदर चला रया है जक वह अपनी पजवत्र वारी के द्ारा अपने पजवत्र भक्तों को इसलार की सहायता और रुसलरानों के सुधार के जलए खड़ा करता रहा है। इसके अजतररक्त रँहज़रत सल्ल्ाहो अलैजह व सल्र की भजवषयवारी से भी यही पता चलता है जक हर अनधकार युग रें साधाररत: और शतासबदयों के प्रारसमभक काल रें जवशेषत: सुधारक पैदा जकए िाएँगे।

    आहिरली युग (अथाज़ात कह्युग) के बारे िें एक भयानक हित् ना की भहवषयवाणली

    रँहज़रत सल्ल्ाहो अलैजह व सल्र ने िहाँ साधारर सुधारकों के पैदा होने की भजवषयवारी की थी वहाँ रपने रुसलरानों को इस बात की भी ़िबर दी थी जक रज़िरी युग रें बड़े-बड़े उपद्रव और जबगाड़ पैदा होंगे। जिनके सनदभ्म रें रपने फ़रराया :-

    ‘‘सच्ा अधयातरज्ान उठ िाएगा और क़ुरअान शरीफ की वासतजवक जशक्ा लोगों के जदलों से ़ितर हो िाएगी। ईरान संसार से उठ िाएगा और नाससतकता अपना ज़ोर जदखाएगी लोग दुषकरकों रें जलति हो िाएँगे और रुसलरान अपने दुषकरकों रें पूर्मत: यहूजदयों की नकल करेंगे और रुसलरानों रें परसपर बहुत रतभेद होगा और उनके बहुत से जफ़क़क़े हो िाएँगे। उलरा के रचरर बहुत ़िराब हो िाएँगे यहाँ तक जक वे रसरान के नीचे सबसे बुरे लोग होंगे। इसलार चारों ओर से रुसीबतों से जघर िाएगा। सारे धर्म इसलार पर हरले करेंगे, पर ईसाई धर्म जवशेष रूप से बहुत ज़ोरों पर होगा रैर दज्जाल अपनी फ़ौिों के साथ इसलार पर हरले करेगा। तातपय्म यह जक इसलार के जलए वह युग रनतररक एवं बाह्य दृसष्ट से इतनी बड़ी रुसीबत का

  • 13 तब्लीग़-ए-हिदायतहोगा जक न इससे पहले कभी रया और न रगे रएगा। (देखें हदीसें - जकताबुल जफतन् इतयाजद)

    इस्ाि और िुस्िानों की वतज़ािान िा्तअब देख लो जक वह ज़राना र गया है जक नहीं ? कया सचरुच

    रुसलरानों की रज़हबी हालत उपरोक्त वर्मन के अनुसार नहीं ? जकतने हैं िो सच्े जदल से ख़ुदा पर ईरान रखते हैं ? ज़बान का रसरी ईरान, ईरान नहीं। जकतने हैं िो रँहज़रत सल्ल्ाहो अलैजह व सल्र के रसूल होने पर सच्े जदल से जवश्वास करते हैं ? जकतने हैं िो ख़ुदा की वह्यी (वारी) के अवतरर, फ़ररशतों, रौत के बाद पुन: िीजवत जकए िाने, अचछाई और बुराई की तक़दीर, पुरसकार और दणड इतयाजद पर जदल से ईरान लाते हैं ? जकतने हैं िो इसलार की जशक्ा से पररजचत हैं ? जकतने हैं िो इसलार की वासतजवकता को सरझते हैं ? जकतने हैं िो नराज़, रोज़ा, ज़कात और हज्ज इतयाजद पर कारबनद हैं ? जकतने हैं िो दीन को दुजनया पर प्राथजरकता देते हैं ? कया रुसलरानों के अनदर रद्पान, वयजभचार, िुर, बयाि, चोरी, डाका, कतल, झूठ, धोखाधड़ी, हरार राल खाने इतयाजद का बाज़ार गर्म नहीं है ? कया रौलजवयों का रचार-वयवहार इसलारी जज़नदगी का सच्ा रदश्म है ? कया यह सच नहीं जक अजधकतर रौलवी अतयनत नीच, अधरमी, चररत्रहीन और दुराचारी हैं ? कया उनहोंने वासतव रें इसलार की सूरत जबगाड़ कर नहीं रख दी ? कया पारसपररक रतभेदों की कोई सीरा रह गई है ? कया इन बातों से इसलार की ज़ाजहरी शानो शौकत का िनाज़ा नहीं उठ रहा ? यह इसलार के अनदर की हालत है।

    बाहरी तौर पर इसलार दूसरे धरकों के हरलों का इस तरह जशकार हो रहा है जक रानो रि और कल रें इसका नारोजनशान जरिा जदया िाएगा। हर क़ौर इसलार के ज़िलाफ रैदान रें उतर रई है और चारों

  • तब्लीग़-ए-हिदायत 14तरफ से हरले हो रहे हैं। नजबयों के जसररौर हज़रत रुहमरद रुसतफ़ा सल्ल्ाहो अलैजह व सल्र पर अतयनत नीच और गनदे ररोप लगाए िाते हैं। इसलारी जशक्ा को अतयनत बुरे और जघनावने रूप रें प्रसतुत करके उसका रज़ाक़ उड़ाया िा रहा है। ईसाई धर्म अपने पूरे ज़ोर पर है और शासन की गोद रें दूसरे धरकों के ख़ून पर पल रहा है और उन्नजत कर रहा है। जहनदू धर्म ने भी रय्म क़ौर के नीचे रकर जसर उठाया है और इसलार के जवरुद्ध हरलावर है, नाससतकता अपने रपको एक ख़ूबसूरत रंग रें प्रसतुत कर रही है और चारों तरफ अपना िाल फैला रही है।

    तातपय्म यह जक इसलार की नैयया एक ऐसे ़ितरनाक तूफान के अनदर जघरी हुई है जक यजद ख़ुदा का हाथ उसको बचाने के जलए रगे न बढ़े तो उसका जकनारे तक पहँुचना असमभव लगता है। यह सारी हालत पुकार-पुकार कर कह रही है जक यही वह युग है जिससे नबी करीर सल्ल्ाहो अलैजह व सल्र ने हरें सचेत जकया था। यजद धयानपूव्मक देखा िाए तो केवल हज़रत रुहमरद सल्ल्ाहो अलैजह व सल्र ने ही नहीं बस्क हर नबी ने इस युग के बारे रें भजवषयवारी की थी और अपने अनुयाजययों को इस भयानक तूफान से डराया था। यह युग केवल इसलार के जलए ही खतरनाक नहीं बस्क तरार धरकों के जलए एक बड़ी रुसीबत है। रि यजद ईसाइयत का ज़ोर है तो वह ईसाइयत का ज़ोर नहीं बस्क ईसाइयत के उन ग़लत जवचारों का ज़ोर है िो हज़रत ईसा अलैजहससलार के बाद उनकी जशक्ा रें शाजरल कर जलए गए और वसतुत: यह उनका भी नहीं बस्क ईसाई क़ौर का ज़ोर है जिसके साथ दुजनया रें भौजतकवाद और नाससतकवाद फैला है। सारांशत: यह जक यह एक वयापक उपद्रव और रज़राइश का युग है जिसके बारे रें सब नजबयों ने भजवषयवारी की है और अपने-अपने अनुयाजययों को डराया और सचेत जकया है।

  • 15 तब्लीग़-ए-हिदायत

    अष्नति युग के हितने का इ्ाजनबी का कार केवल डराना और सचेत करना हीं नहीं होता बस्क

    वह उसका इलाि भी बताता है ताजक िो वयसक्त इलाि अपनाए वह बच िाए। अत: इन जफतनों का वर्मन करने के पचिात् तराम् नजबयों ने यह भजवषयवारी भी की है जक अल्ाह तरला अपने जवधानानुसार उस सरय एक रधयासतरक सुधारक को पैदा करेगा और उसके द्ारा संसार रें सुधार करेगा और अनधकार को दूर करेगा। इसके अजतररक्त उनहोंने इस युग रें रने वाले सुधारक की जनशाजनयों का भी वर्मन जकया जिनके द्ारा वह पहचाना िाएगा। अत: रिकल सारे धर्म अपने-अपने सुधारक की प्रतीक्ा कर रहे हैं और सारे इस बात पर सहरत हैं जक यही वह युग है जिसके बारे रें सरसत नजबयों ने भजवषयवाजरयाँ की थीं। रुसलरान रसीह व रहदी की प्रतीक्ा रें हैं। ईसाई अपने रसीह के पुनरागरन की रशा रें हैं। जहनदू अपने अवतार की राह देख रहे हैं इतयाजद इतयाजद। परनतु इसलार के अजतररक्त सबको यह धोखा लगा है और दुभा्मगय से हर एक ने यह सरझ जलया है जक हरारा धर्म अभी भी िीजवत है। हालाँजक इसलार के अजतररक्त अब सारे धर्म अपने रधयासतरक प्रभाव की दृसष्ट से रर चुके हैं। जिसका प्ररार यह है जक इसलार के संसथापक के बाद इसलार के अजतररक्त दूसरे जकसी भी धर्म रें रि तक कोई भी ऐसा वयसक्त पैदा नहीं हुर जिसने ख़ुदा से संवाद पाने का सौभागय प्राति जकया हो और ख़ुदा ने उसे अपनी ओर से रदेश देकर दुजनया के सुधार के जलए खड़ा जकया हो और उसने ख़ुदा के नए-नए जनशान दुजनया को जदखाए हों और प्ररारों के साथ अपने रप को ख़ुदा की ओर से होना साजबत कर जदया हो। अत: िब यह नहीं तो जफर धर्म की जज़नदगी ही कया है ? सारांशत: यह जक अब इसलार के अजतररक्त अनय जकसी भी धर्म रें कोई भी रधयासतरक सुधारक पैदा नहीं हो सकता। इसजलए ख़ुदा के

  • तब्लीग़-ए-हिदायत 16यहाँ यह जनर्मय पा चुका था जक रज़िरी ज़राने रें सरसत नजबयों के सररूप एक ही रहापुरुष के रूप रें इसलार के अनदर प्रकि जकए िाएँ और वही सरसत धरकों का सुधार करे। इसीजलए प्रकि होने वाला अगर रुसलरानों के जलए रहदी है तो ईसाइयों के जलए रसीह है और जहनदुओं के जलए कृषर, इतयाजद इतयाजद।

    अत: हर दुजनया को शुभ सनदेश देते हैं जक प्रकि होने वाला प्रकि हो चुका है और वह हज़रत जरज़ा्म ग़ुलार अहरद साहब क़ाजदयानी के पजवत्र अससततव के रूप रें है। जिसकी रँखे हो देखे और जिसके कान हों सुने। ख़ुदा ने अपना वादा पूरा कर जदया और नजबयों की भजवषयवारी पूरी हो गई। अब रानना न रानना लोगों का कार है। सौभागयशाली है वह, िो सरय के सुधारक को पहचानता है और उसको सवीकार कर के ख़ुदा के उन इनारों का वाररस बनता है िो उसने रजदकाल से नजबयों के अनुयाइयों के जलए जनधा्मररत कर रखे हैं। सैकड़ों अफ़सोस उस पर, िो जदन-रात सुधारक की प्रतीक्ा करता रहा परनतु िब वह रया तो उसने इनकार कर जदया और ख़ुदा की नाराज़गी को अपने ऊपर ले जलया। हे सतयाजभलाजषयो! यजद प्ररार चाहो तो उनकी भी करी नहीं, पर देखने वाली रँख चाजहए। कयोंजक सबसे अजधक प्ररार लाने वाले हज़रत रुहमरद सल्ल्ाहो अलैजह व सल्र थे पर न देखने वाली रँख उनको भी न देख सकी। वह ज्ान का चनद्ररा और सनराग्म का सूय्म था। पर जकतने हैं जिनहोंने उसको पहचाना ? कया रकका के हकीर1(जफलासफर) ने उनहें पहचाना ? कया यूनान के दाश्मजनक ने उनहें सरझा ? कया अब भी यूरोप के कुशाग्र बुजद्धयों की रँख उसे देख सकी ? क़ुर्मन रें 1. अबूिहल िो रँहज़रत सल्ल्ाहो अलैजह व सल्र का कट्टर

    जवरोधी था। वह रकका के लोगों रें अपनी दाश्मजनकता के कारर अबुल-जहक् र अथा्मत युसक्त और दाश्मजनकता का बाप के नार से रशहूर था। परनतु इसके बाविूद वह सनराग्म प्रासति से वंजचत रह गया।

  • 17 तब्लीग़-ए-हिदायतख़ुदा का यह कथन है जक :-

    ٗه۔َ َھاِدَی ل

    َل

    َِلِل للُا ف

    ْض

    َُمْ ّی

    (सूरह अल-र’राफ़ 7:187)۔ ِسِقْيَ

    ٰف

    ْ ال

    َّ ِبٖه ِال

    ُ َّوَما یُِضل

    (सूरह अल-बक़र: 2:27)दुराचाररयों के अजतररक्त वह जकसी को पथभ्रष्ट नहीं ठहराता।

    َنا۔َُْم ُسُبل

    َِدیَّن َنْ

    َْوا ِفْيَنا ل

    َُ َجاَھد

    ِْذي

    ََّوال

    (सूरह अल-अनकबूत : 29:70)जिसे ख़ुदा पथभ्रष्ट ठहराए उसे कोई जहदायत नहीं दे सकता।

    ख़ुदा केवल जदल के अनधों को ही पथभ्रष्ट ठहराता है। अनयथा िो लोग हरारे राग्म रें सच्ी नीयत से चलने का प्रयतन करते हैं हर उनहें अवशय सनराग्म जदखा देते हैं।

    िज़रत हिज़ाज़ा साहिब का दावाहज़रत जरज़ा्म ग़ुलार अहरद साजहब क़ाजदयानी ने ख़ुदा से रदेश

    पाकर यह दावा जकया जक रैं रुसलरानों के जलए रहदी, ईसाइयों के जलए रसीह और जहनदुओं के जलए कृषर हँू और अनयों के जलए उनका कजथत अवतार हँू। ख़ुदा ने इस युग रें रुझे लोगों के अाधयासतरक सुधार के जलए पैदा जकया है।

    ख़ुदा की प्राचीन सुन्नत के अनुसार अभी बहुत थोड़े हैं जिनहोंने रपको सवीकार जकया है और उनकी संखया बहुत अजधक है जिनहोंने रपको नहीं राना। इसीजलए ख़ुदा ने रपको संबोजधत करके कहा जक :-

    ‘‘दुजनया रें एक नज़ीर (सचेतक) रया, पर दुजनया ने उसे सवीकार न जकया लेजकन ख़ुदा उसे क़ुबूल करेगा और बड़े शसक्तशाली हरलों से उसकी सतयता प्रकि कर देगा।’’ (तजज़करा, पृठि 105)

  • तब्लीग़-ए-हिदायत 18यह ख़ुदा का कथन है िो पूरा होकर रहेगा। परनतु सौभागयशाली

    हैं वे िो सज़ा से नहीं बस्क पयार से रानते हैं और पुकारने वाले की रवाज़ को डर नहीं बस्क पयार से सुनते हैं। उनहीं लोगों के जलए हर इस पुसतक रें संजक्ति रूप से उस रधयासतरक सुधारक की सतयता के कुछ प्ररार जलखना चाहते हैं ताजक वे िो पयासे हैं तृति हों, और िो भूखे हैं अपना पेि भरें, और िो शक और सनदेहों की ठणड रें जठठुर रहे हैं इस रधयासतरक सूय्म की धूप से गरमी प्राति करें।

    अभी इस पसुतक रें हर केवल इसलारी दृसष्टकोर स ेहज़रत जरज़ा्म ग़ुलार अहरद साजहब के दावों पर दृसष्ट डालेंग ेऔर क़ुररन, हदीस एव ंख़ुदा के द्ारा दी गई बुजद्ध और जववेक की दृसष्ट स ेअापकी सतयता को परखेंग।े अभी इस संजक्ति पुसतक रें शषे धरकों की भजवषयवाजरयों एव ंवजर्मत लक्रों के अनुसार रपको परखने की न तो गंुिाइश है और न ही इस सरय यह प्रशन हरारे सारने है।وما وت فيقنا البہلل العظيم۔

    परखने का ढंग सबसे पहले हर परखने के ढंग को लेते हैं। सपष्ट रहे जक परख और छानबीन सदैव जकसी जसद्धानत के अनुसार होना चाजहए अनयथा परररार कभी सही नहीं जनकल सकता बस्क वैसा ही जनकलेगा िो एक कहावत के अनुसार चार अनधों का जनकला था। कहते हैं जक चार अनधों को हाथी देखने का शौक पैदा हुर। जिस पर उनहोंने अपने जकसी साथी से कहा जक िब कभी यहाँ कोई हाथी रए तो हरें बताना, हर भी देखना चाहते हैं जक हाथी कैसा होता है। अत: कुछ जदनों के बाद िब कोई हाथी रया तो उसने उनको सूजचत कर जदया। यह सुनकर वे बाहर जनकल रए और ििोलते हुए हाथी के पास पहँुचे उनरें से एक का हाथ हाथी के पेि पर पड़ा और दूसरे का हाथी की िांग पर और तीसरे का सूँड पर और चौथे का कान पर और उनहीं को वे अपने हाथों से ििोलते रहे। िब वे ििोल चुके तब थोड़ी देर के बाद जकसी ने उनसे कहा

  • 19 तब्लीग़-ए-हिदायतजक हाजफ़ज़ िी! अब रपने हाथी देख जलया। अब ज़रा बताइए तो जक हाथी कैसा होता है ? जिस पर पहला अनधा बोला जक बस हाथी एक रोिा-चौड़ा भारी भरकर शरीर ही शरीर होता है। दूसरा कहने लगा नहीं यह झूठ बोलता है हाथी तो एक रोिे और ऊँचे खमभे की तरह होता है। यह सुनकर तीसरा बोल उठा, ये दोनों झूठ बोल रहे हैं, हाथी एक नरर-नरर गाय की पूँछ की तरह ऊपर से नीचे की ओर पतला राँस का लोथड़ा होता है। यह सब सुनकर चौथे ने जचल्ाकर कहा, ज्ात होता है जक इन सब को ग़लत फ़हरी हुई है, हाथी तो एक पतले और चौड़े पंखे की तरह होता है।

    कहने को तो यह एक चुिकुला है परनतु इससे एक जशक्ा अवशय जरलती है जक िब तक बुजद्ध और जववेक की दृसष्ट से जकसी जनयरानुसार जसद्धानत की दृसष्ट से जकसी चीज़ के बारे रें िाँच-पड़ताल न की िावे तो परररार हरेशा ग़लत जनकलता है। इसजलए यह रवशयक है जक हर हज़रत जरज़ा्म साजहब के दावा के बारे रें जकसी सही जसद्धानत के अनुसार िाँच, पड़ताल करें, और वे सच्े जसद्धानत हरको क़ुर्मन शरीफ एवं सहीह हदीसों और गुज़रे हुए नजबयों के हालात और ख़ुदा की दी हुई बुजद्ध और जववेक से जरलते हैं।

    परखने के प्रकारपरखने से पहले िाँच पड़ताल के प्रकारों का िानना रवशयक

    है जिसके दो प्रकार हैं :-(1) रन् क़ूली (उदाहृत) (2) राक़ूली (बौजद्धक)1. रनक़ूली (उदाहृत) - इस जनयर के अनुसार यह देखा िावे जक

    उदाहृत उदाहररों अथा्मत ऐसे उदाहररों की दृसष्ट से िो पूव्म हदीसों, कथनों या रचनाओं पर रधाररत हैं, रुदिई के दावा पर कया रोशनी पड़ती है ? इसके बाद यह देखना चाजहए उदाहृत प्ररारों के अजतररक्त

  • तब्लीग़-ए-हिदायत 20बौजद्धक तौर पर उसका दावा कहाँ तक सवीकार करने योगय है। उदाहरर के तौर पर यजद जकसी पूव्म धर्मग्रनथ रें यह बताया गया हो जक कजथत सुधारक दरजरयाना क़द और गेहुँए रंग का होगा, तो यह उसके सरथ्मन रें एक उदाहृत प्ररार होगा। पर बुजद्ध की दृसष्ट से यह कदाजप रवशयक नहीं जक वह कजथत सुधारक अवशय दरजरयाना क़द और गेहँुए रंग का हो। लेजकन िब रुदिई के दावा के सरय यह देखा िावे जक इस ज़राने रें जकसी सुधारक की रवशयकता है या नहीं। कयोंजक अल्ाह का कोई काय्म अनावशयक नहीं होता, तो यह एक बुजद्ध संगत और तककिसंगत प्ररार होगा। अतएव परखने और िाँच पड़ताल करने के सारांशत: यही दो प्रकार हैं, नक़ल और अक़ल।

    िनक़ू्ली तिक़ीक़ का ढंग(अथाज़ात उदाहृत प्रिाणों द्ारा परख)

    पहले हर रनक़ूली तहक़ीक़ को लेकर उस के जनयर जनधा्मररत करते हैं। इसजलए इस बारे रें िानना चाजहए जक रनक़ूली (उदाहृत) बहस के जलए इसलार रें प्रथि सथान पर क़ुर्मन रिीद है। कयोंजक वह सव्मशसक्तरान ख़ुदा की वारी है और उसी सुरजक्त हालत रें अब तक रौिूद है िैसा जक वह हज़रत रुहमरद सल्ल्ाहो अलैजह व सल्र पर अवतररत हुर था। इसके जकसी वाकय, जकसी अक्र या जकसी रात्रा के बारे रें सनदेह नहीं जकया िा सकता। यह प्रतयेक दशा रें एक पूर्मत: और जवश्वसनीय कसौिी है इसजलए यजद उसके जवपरीत कोई हदीस होगी तो वह कदाजप सवीकार योगय न होगी। हरारा कर््मवय होगा जक या तो उसको क़ुर्मन के अधीन लाएँ और यजद ऐसा न कर सकें तो उसको रदिी की तरह फेंक दें। कयोंजक वह रदू्मद (असवीकृत या रदि करने योगय) है। क़ुर्मन शरीफ रें

  • 21 तब्लीग़-ए-हिदायतअल्ाह तरला फ़रराता है :-

    ِمُنْوَن۔ ٰیِتٖه ُیأٰ

    للاِ َواَ

    ِیّ َحِدْیٍث َبْعدَِبا

    َف

    (सूरह अल-िाजसया 45:7)अथा्मत ‘‘क़ुर्मन की बातों को िो ख़ुदा की वारी है छोड़कर लोग

    जकस बात को रानेंगे ?’’दूसरे सथान पर सुन्नत है। जिससे हज़रत रुहमरद सल्ल्ाहो

    अलैजह व सल्र और सहाबा जकरार का वह अरली नरूना (वयवहाररक रदश्म) अजभप्राय है िो रुसलरानों के जनरनतर अरली नरूना (वयवहाररक रदश्म) के द्ारा हर तक पहुँचा है। बहुत से लोग हदीस और सुन्नत रें अनतर नहीं करते, िो एक सपष्ट ग़लती है। कयोंजक हदीस से तो नबी करीर सल्ल्ाहो अलैजह व सल्र और सहाबा जकरार के वे कथन तातपय्म हैं िो रँहज़रत सल्ल्ाहो अलैजह व सल्र के लगभग डेढ़ सौ वष्म पचिात् संग्रहीत होकर जलजखत रूप रें रए1 लेजकन सुन्नत का विूद क़ुर्मन के साथ-साथ शुरू से लगातार चला रया है और इससे हज़रत रुहमरद सल्ल्ाहो अलैजह व सल्र और सहाबा जकरार का वह अरली नरूना (वयवहाररक रदश्म) तातपय्म है िो हर तक हदीसों के द्ारा नहीं बस्क रुसलरानों की िराअत के लगातार अरली नरूने (वयवहाररक रदशकों) से पहुँचा है। अत: क़ुर्मन शरीफ के बाद यह भी जन:सनदेह और जवश्वास योगय है।

    तलीसरा सथान हदीस का है िैसा जक हर ऊपर वर्मन कर चुके हैं जक हदीस से रँहज़रत सल्ल्ाहो अलैजह व सल्र और सहाबा जकरार के वे कथन और कर्म तातपय्म हैं िो हर तक ररवायतों (वर्मनों) के राधयर से पहुँचे हैं रैर ये वे वर्मन हैं िो रँहज़रत सल्ल्ाहो अलैजह व सल्र के पावन युग के कुछ वषकों पचिात लोगों के द्ारा

    1. पररभाजषक दृसष्ट से सहाबा जकरार के कथनों को ‘‘असर’’ कहत ेहैं।

  • तब्लीग़-ए-हिदायत 22संग्रहीत होकर जलजखत रूप रें रए। यद्जप हदीसों के संकलनकता्मओं ने बड़ी रेहनत से यह लाभदायक संग्रह एकत्र जकया है और रनगढ़त हदीसों को सहीह हदीसों से अलग करके जदखाया है, लेजकन जफर भी हर बुजद्धरान यह सोच सकता है जक हदीसों रें अवशय एक हद तक सनदेह का पहलू रौिूद है कयोंजक वे बातें िो रँहज़रत सल्ल्ाहो अलैजह व सल्र से लगभग डेढ़ सौ वष्म पचिात् लोगों से पूछ-पूछकर एकत्र की गई हों और जिनकी शबदों या अथकों की दृसष्ट से सुरक्ा का भी कोई �